Kamukta Kahani बीबी की सहेली
06-28-2017, 10:54 AM,
#1
Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--1

मेरा नाम आशीष है. रहने वाला कानपुर से थोड़ा दूर एक गाओं से हूँ. दूसरे स्टोरी टेल्लर्स की तरहा मैं बहुत स्मार्ट या हॅंड सम बंदा नहीं हूँ. 30 साल का एक साधारण सा दुबला पतला आदमी हूँ. कद सिर्फ़ 5’5” और वजन सिर्फ़ 54 केजी!! कॉलेज मे दोस्त मुझे छड़ी या हवा या मच्छर पहलवान कहते थे. लेकिन इतना है कि 12थ के समय से ही यानी पिछले 15 साल से मेरा वजन 53 से 55 के बीच ही रहा.

पढ़ाई लिखाई मे ठीक ठाक रहा. शहर से दूर गाओं मे पला बढ़ा, धूप गर्मी बहुत बर्दास्त किया, खेतों मे भी काम किया, गाओं की पोल्यूशन फ्री वातावरण मे बड़ा हुआ, देसी साग सब्जी खाया तो सेहत अच्छी रही है और इनफॅक्ट अभी भी है. मैने देश के टॉप इंजिनियरिंग स्कूल से बी.टेक किया है और मैं अभी पुणे की एक कंपनी मे इंजिनियर के तौर पर काम करता हूँ. सॅलरी भी ठीक ठाक है.

शारीरिक रूप से उतना आकर्षक नहीं हूँ फिर भी इतना तो है कि शहर के दूसरे हेल्ती नौजवान लड़कों की तुलना मे मेरा फिज़िकल और मेंटल स्टॅमिना थोड़ा ज़्यादा ही है. तैराकी भी कर सकता हूँ, फुटबॉल का अच्छा खिलाड़ी रहा हू, लोंग डिस्टेन्स रन्नर भी रहा. ऑफीस जो 6थ फ्लोर मे है, उसके लिए कभी लिफ्ट नहीं यूज़ करता, सीढ़ियाँ दौड़ के चढ़ जाता हूँ.

मैं शादी शुदा हूँ. मेरा लंड कोई गधे या घोड़े की तरहा लंबा और मोटा नहीं है, सिर्फ़ 5.5” का ही होता है खड़ा होने पर!! लेकिन सिर्फ़ मेरी बीबी और वो औरतें और लड़कियाँ जानती हैं जो मेरे से चुद चुकी हैं कि मेरा सेक्स पवर अच्छा नहीं तो बुरा भी नहीं है. मैं शीघ्रपतन से कोसों दूर हूँ, हड़बड़ी मे भी चुदाई करूँ तो मेरा लंड महाराज 15 मिनट से पहले नहीं झड्ता, और आराम से चुदाई करूँ तो 30 मिनट से ज़्यादा खींच लेता हूँ, जब तक कि चुदने वाली ना बोले कि अब तो ख़तम करो. शायद ये भी गाओं की ताज़ी हवा का ही असर है. उपर से मैने पॉर्न मूवीस, इंटरनेट से ग्यान प्राप्त कर कलात्मक तरीके से चुदाई करता हूँ.

मैं अपनी बीबी डॉली के साथ पुणे सिटी के बाहर एक फ्लॅट मे रहता हूँ. उसके फाएेदे बहुत हैं, एक तो रेंट कम लगता है, दूसरा शोर शराबा कम और तीसरा प्राइवसी भी अच्छी मेनटेन होती है. हमारी शादी हुवे 4 साल हो गये और हमारी चुदाई लाइफ बहुत अच्छी चल रही है. हम दोनों शादी के 5-6 साल तक कोई बच्चा नहीं चाहते हैं, ताकि हम अपनी चुदाई लाइफ को ज़्यादा दिन तक़ एंजाय करें. और इसके लिए तमाम फंदे हम लगाते हैं .. जैसे कि सेफ पीरियड, झड़ने से पहले लंड चुनमुनियाँ से निकाल लेना और कॉंडम एट्सेटरा. लेकिन हम कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स से दूर भागते हैं, ज़्यादा यूज़ करने से उसके साइड एफेक्ट्स भी होते हैं.

इंजिनियरिंग के दिनों मेरा एक बॅचमेट था मनीष. एक बार लास्ट सम्मर वाकेशन मे उसके घर जो देल्ही मे है, 3 दिन के लिए गया था. वहीं मैने उसकी बहन डॉली को देखा. उसका परिवार काफ़ी अच्छा लगा, सभी डाउन-तो ऐर्थ नेचर वाले. डॉली उस समय 18 यियर्ज़ की थी और वो बी. एस सी. 1स्ट्रीट एअर मे थी. वो बहुत आकर्षक व्यक्तित्व की लगी, दिखने मे सुंदर, गोरी सी, स्लिम सी. रहन सहन एक दम सिंपल, पढ़ने लिखने मे ठीक ताक, सजने सँवरने का ज़्यादा शौक नहीं, सिंपल सी ड्रेस पहना करती थी. घर के काम मे अपनी माताजी की मदद करती थी. बोलचाल भी कंट्रोल्ड वे मे करती थी. उसकी मुस्कुराहट भी बहुत अच्छी लगती थी. वो मुझे मन ही मन भा गयी.

नेक्स्ट एअर हम लोग पास आउट हो गये. मेरा सेलेक्षन कॅंपस के थ्रू पुणे के कंपनी मे और मनीष का जॉब देल्ही मे ही लग गया. उस समय मैं 23 साल का था. उसे ईमेल / फोन पर बातें होती रही. जॉब के 3 साल बाद मेरे माता पिता मेरे लिए लड़की देखने लगे. मेरे दिमाग़ मे तब भी डॉली के ख्याल थे. डॉली तब ग्रेडियुयेशन कंप्लीट कर चुकी थी. मैने मनीष से बात किया, अपनी इच्छा बताई तो वो भी खुश हुआ. बाद मे हमारे पेरेंट्स ने बात की, डॉली से पूछा गया, पता चला वो भी मुझे पसंद करती थी और रिस्ता फिट हो गया. शादी के समय मैं 26 का और डॉली 22 यियर्ज़ की थी.

आज वो 26 की है, शादी के बाद डॉली और भी निखर गयी, जैसा कि हर लड़की निखर जाती है. उसने अपना वजन भी कंट्रोल कर रखा है, ग्रेवी, आयिल, फट कम खाते हैं हम.

डॉली भी चुदाई का आनंद जमके लेती है. हमारे जनरल रुटीन है सोने से पहले और सुबह उठकर एक एक ट्रिप चुदाई के मारते हैं. वीकेंड मे ये चुदाई एक दिन मे 4-5 बार तक़ हो जाती है. हम चुदाई कहीं भी करते हैं बेड रूम, हॉल मे, सोफे मे, बाल्कनी मे और बाथरूम मे भी. और हर पासिबल पोज़ मे. बोले तो हमारा चुदाई लाइफ बिंदास चल रहा है.

पिछले जन्वरी-2010 मे हमारे ही फ्लोर के फ्लॅट मे एक दंपति आए. 2 महीना होते होते उसके हज़्बेंड से जान पहचान हो गयी. हज़्बेंड का नाम ज़य है उमर करीब 36 साल है और वाइफ का नाम ललिता है करीब 34 साल की. दोनों की शादी 10 साल पहले हुई है, रहने वाले अल्लहाबाद के हैं. ज़य एक बॅंक मे मॅनेजर है और ललिता भाभी हाउस वाइफ. ज़य ऐसे तो दिखने मे हेल्ती लगता है, लेकिन थोड़ा तोंद बढ़ा हुआ सा है. शांतचित स्वाभाव का लगता है. भाभिजी भी गदराई हुई जिस्म की मल्लिका है. थोड़ा वजन चढ़ाई हुई है, लेकिन नैन नक्स सुंदर लगते हैं, रंग गोरा है और आकर्षक लगती है. हाइट करीब 5’3” होगा और वजन 65-67 क्ग आस पास होगा.

उनका किचन हमारे 3र्ड फ्लोर की सीढ़ी के सामने पड़ता है. सुबह को जब मैं 9 बजे ऑफीस जाता हूँ तो ललिता किचन मे रहती है, और शाम को जब मैं उच्छलते कूदते सीढ़ी चड़ता हूँ तो वो उस समय भी किचन मे रहती है. शुरू मे मैं उसमे कोई ध्यान देता नहीं था, लेकिन एक महीने होते होते मैने नोटीस किया कि वो मुझे देखके मुस्कुराती थी, शायद मेरे बच्चों जैसी हरकतों, सीधी को दौड़ते हुए चढ़ने के अंदाज़ पे हँसती थी.

धीरे धीरे जयजी के साथ हँसना बोलना शुरू हुआ. तब तक ललिता और डॉली की जान पहचान नहीं हुई थी. इसी बीच एक दिन सब्जी मार्केट मे वो दोनों भी मिल गये. तब मैने पहली बार ललिता से 2-4 बात की और डॉली और ललिता का भी इंट्रोडक्षन हुआ. मैने कहा, “भाभी कभी कभी हमारे यहाँ आ जाया कीजिए, भाई साहब भी नहीं रहते हैं दिन को और मैं भी नहीं रहता हूँ. डॉली तो दिन भर सीरियल्स देखते रहती है, उसी बहाने इसका भी टाइम पास हो जाएगा.” ललिता ने कहा, “ठीक है.”

उसके दूसरे दिन से ही वो हमारे यहाँ आने जाने लगी. धीरे धीरे डॉली और ललिता दोनों दोस्त बन गयी, उमर के गॅप के बावजूद. सब्जी मार्केट साथ साथ जाने लगी. पता नहीं क्यूँ मुझे अपने से बड़ी उमर की औरतें जवान लड़कियों से ज़्यादा आकर्षित करती हैं. फिर एक दिन मुझे ध्यान आया कि इतने दिन तक दोनों के यान्हा बच्चा नहीं है, कुच्छ तो गड़बड़ है. क्यूंकी शादी के बाद इंडियन लोग 4-5 साल से ज़्यादा फॅमिली प्लॅनिंग नहीं करते हैं. इसीलिए मैने डॉली से एक दिन बोला की ललिता को पुछे की ललिता और ज़य प्रेग्नेन्सी रोकने का कौन सा तरीका अपनाते हैं जो 10 साल तक बच्चा नहीं हुआ!! क्या ललिता बच्चा नहीं चाहती क्यूंकी वो 34 साल की हो चुकी थी.

डॉली ने एक दिन पूछा तो पहले तो ललिता टाल मटोल करती रही लेकिन बाद मे बताई की ज़य के वीर्य मे कुच्छ कमी है इसीलिए वो बच्चा बनाने के काबिल नहीं है. सेक्स लाइफ भी उनका अच्छा नहीं है. इसके लिए उन्होने ज़य के इलाज़ मे बहुत रुपया खर्च किया है, पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ.

धीरे धीरे मैं ललिता से हल्की फुल्की मज़ाक करने लगा. मेरी बच्चों जैसी हरकतों पर वो खूब मुस्कुराती थी. शुबह शाम किचन मे दिखती है. मैने भी बाद मे उसकी मुस्कान का जवाब मुस्कुरकर देने लगा. फिर उसको चोद्ने की इच्छा भी मेरे दिमाग़ मे पनपने लगी. कभी कभी डॉली को चोदते समय ललिता का ख्याल करके चुदाई करने लगा. सोचता था ललिता भाभी की गोरी चिकनी मांसल जांघे हैं, फूली हुई चुनमुनियाँ है, और बड़े बड़े बूब्स!!

3-4 महीने तक सब कुच्छ ठीक ठाक चलता रहा. एक दिन डॉली और ललिता दोनों ने फिल्म देखने जाने की इच्छा जताई. तो मैने उसके नेक्स्ट सॅटर्डे 10 बजे को 2 बजे के शो के लिए 4 टिकेट लेकर आया. लेकिन 12 बजे ज़य के बॅंक से फोन आया कि कुच्छ अर्जेंट वर्क की वजह से उसको बॅंक जाना है. ज़य ने बोला, “यार आशीष आप लोग फिल्म देख आओ.” मैने पूछा भाभी जी जाएँगी या नहीं, तो उसने कहा कि ललिता को भी लेकर जाना. फिर वो ऑफीस चले गये और मैं, डॉली और ललिता के साथ मूवी देखने चला गया. डॉली और ललिता दोनों ने सारी पहन रखी थी मानो दोनों मे कॉंपिटेशन है कि कौन ज़्यादा सुंदर दिखती है. डॉली तो पिंक सारी मे सुंदर लग ही रही थी, पर ललिता भी प्रिंटेड सारी मे उससे कम सुंदर नहीं लग रही थी.

मूवी हॉल मे मैं दोनों के बीच बैठ गया. ललिता भाभी की बगल वाली सीट खाली रह गयी क्यूंकी वो ज़य के लिए थी. मूवी शुरू हुई. लाइट्स ऑफ. थोड़ी देर हम ने मूवी का मज़ा लिया, मूवी मे कुच्छ डबल मीनिंग जोक भी थे. उन कॉमेडीस पर मैं तो ललिता का लिहाज कर थोड़ा कम हंस रहा था, लेकिन डॉली और ललिता दोनों तो पूरे मूड मे थी. दोनों खूब हंस रही थी, फिल्म के कॉमेडी सीन्स पर. मैने अंधेरे का फायेदा लेते हुए डॉली के जाँघ के उपर हाथ रखा फिर उसके नाभि को सहलाने लगा. उसको शायद मूवी ज़्यादा अच्छा लग रही थी, इसीलिए उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे जाँघ पर रख दिया. मैं समझ गया कि वो छेड़-छाड़ के मूड मे नहीं है. तो मैने आगे कुच्छ नहीं किया उसे. 10 मिनट तक मैं भी चुप-चाप मूवी देखता रहा. फिर अचानक जस्ट सामने वाली सीट पे देखा तो उसमे 1 लड़का और लड़की फिल्म के साथ एक दूसरे को सहलाकर भी मज़ा ले रहे हैं. इंटर्वल मे लाइट जली तो देखा वो दोनों कोई प्रेमी जोड़ा लग रहे थे.

इंटर्वल के बाद फिर अंधेरे का फ़ायदा उठा कर वो दोनों लड़का लड़की चालू हो गये. मैने ललिता भाभी की ओर देखा तो वो भी मूवी के बदले उनको देख रही है. मैने सोचा, चलो एक चान्स ले लेता हूँ. ललिता भाभी या तो लिफ्ट देगी या तो नहीं. मैने अपना एक हाथ ललिता की जाँघ पर रखा. 3-4 मिनट तक उसने कुछ हरकत नहीं की. मैने उसकी तरफ देखा तो उसने मेरी तरफ देख कर थोड़ा मुस्कुरा दिया. मैने उसकी जाँघ को थोड़ा दबाया, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं समझ गया कि ये लिफ्ट दे देगी. मैने हाथ को थोड़ा उपर सरकार उसकी खुली नाभि पे हाथ फेरा. शायद उसको अच्छा लग रहा था. थोड़ी देर उसकी गहरी नाभि पे उंगली घुसा कर थोड़ा सहलाया, फिर मैने उसकी ओर देखा, वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी. फिर मैने सोचा कि यहाँ डॉली देख लेगी तो सारी शरारत निकल जाएगी मेरी, इसलिए मैने अपना हाथ हटा लिया. और मैं भी मूवी देखने लगा. बीच मे 1-2 बार हम दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कुराए.

मूवी ख़तम हुई तो हम सब बाहर निकले. डॉली ने ललिता को पूछा कि मूवी कैसी लगी तो वो बोली बहुत अच्छी, कॉमेडी बहुत अच्छी है. उस दिन मुझे पता चल तो गया कि ललिता भाभी मुझे लिफ्ट दे सकती है. उसकी सेक्स की भूक ठीक से नहीं शांत किया जाता ये मुझे मालूम था. मैने इस बात का फ़ायदा उठाने के लिए सोच लिया कि जब भी मौका मिलेगा मैं भाभी को चोद दूँगा. वहाँ से आने के बाद मैने फ्रेश होकर डॉली को बेड मे पटककर जमकर चोदा, ललिता भाभी को याद करके.

उसके बाद हमारे बीच सब नॉर्मल रहा. इसी बीच पिछले सेप्टेमबेर को डॉली की माता जी की तबीयत ज़्यादा खराब हो गयी. खबर मिलते ही मैं और डॉली मुंबई से फ्लाइट पकड़कर देल्ही चले गये. देल्ही पहुँचा, सासू जी हॉस्पिटल मे थी. 2 दिन बाद उनको हॉस्पिटल से छुट्टी मिली. वो काफ़ी कमजोर हो गयी थी. उन्हें रेस्ट की सलाह दी गयी. उसके दूसरे दिन मैं डॉली को वहीं उसकी मा यानी मेरी सास के पास छोड़ दिया की 1 महीना जैसे वो उसकी मा के साथ रहे, उनकी मा को अच्छा लगेगा. डॉली पहले तो हिचकिचाई की मेरे खाने पीने का क्या होगा. मैने कहा की थोड़ा बहुत तो खाना बनाना आता है, खुद बना लूँगा. टाइम नहीं मिला तो कभी कभी ढाबा या होटेल मे खा लूँगा.

मैं वापस पुणे लौट गया. 3 दिन ताक़ सब ठीक ठाक चलता रहा. डेली 1-2 बार डॉली से फोन पे बात कर लेता. लेकिन 3 दिन बाद मेरी हालत खराब. रोज़ 2 चुदाई करने वाले को 3 दिन तक़ चुदाई ना मिले तो क्या होगा!! दिन तो किसी तरहा गुजर जाता, पर रात को नींद नहीं आती, डॉली की याद आने लगती. फिर मुझे मूठ मारना ही पड़ जाता.

5थ डे की शाम को मैं 04:30 बजे ही ऑफीस से लौटा. सीधी चढ़ते समय देखा, ललिता किचन मे थी. घर आकर मैने नहाया. नहाते समय ललिता भाभी को याद करके मूठ मारा. फ्रेश होकर मैने टी-शर्ट और बरमूडा पहन लिया कि अब कहीं नहीं जाना, मैं अकेला ही हूँ और टीवी देखने लगा. 05:30 बजे करीब डोर बेल बजी तो मैने दरवाजा खोला, आश्चर्या से मेरी आँखें खुली रह गयी, सामने ललिता भाभी थी. उसको मैने अंदर आने को कहा और सोफे पे बैठने को कहा. मैने कहा, “भाभी आप बैठो, मैं चाय बनाकर लता हूँ उसके बाद बात करते हैं.” मैं चाय बनाकर ले आया और पूछा “भाभी कैसे आना हुआ? डॉली तो नहीं है.” वो बोली, “हां, यही पूछने के लिए आई. कल भी मैने ट्राइ किया और आज भी पर घर पे कोई नहीं था यहाँ!! सब ठीक तो है!!” मैने उनको सारी बातें बताई और ये भी बताया कि डॉली तो 1-2 महीने के लिए अपनी मा यानी मेरी सास के पास रहेगी. उसने कहा, “ये आपने बहुत अच्छा किया. लेकिन खाने पीने का दिक्कत तो नहीं?” मैने कहा, “नहीं भाभी, थोड़ा बहुत बना लेता हूँ, अच्छा तो नहीं पर अपने लिए खाने लायक बन जाता है, उसी से काम चल रहा है.” उसने कहा, “चाय तो आपने बहुत अच्छा बनाया है.” मैने उसको पूछा कि ज़य कहाँ गये. उसने बताया, “उनका अभी फोन आया कि वो आज 9 बजे के बाद आएँगे.” मैने कहा, “आप ने अच्छा किया, मैं भी जब से अकेला हूँ, बोर हो रहा हूँ. डॉली होती तो उसके साथ वक़्त गुजर जाता है.” उसने घर देखा, घर थोड़ा गंदा दिख रहा था. चाय ख़तम होने के बाद मेरे मना करने के बावजूद, उसने झाड़ू उठाया और घर को सॉफ कर दिया.

क्रमशः…………………….
Reply
06-28-2017, 10:54 AM,
#2
RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--2

गतान्क से आगे……………………….

फिर मैने पूछा, “आप भी आज कल अकेली रहती हैं दिन भर, डॉली भी नहीं है, बोर नहीं हो जाती हैं?” उसने तुरंत उत्तर दिया, “बोर तो बहुत हो जाती हूँ, सीरियल भी कितना देखूँगी, सेकेंड हाफ मे तो सोते रहती हूँ, अभी अभी सो कर उठी हूँ. इसीलिए तो आई हूँ यहाँ, कि कुच्छ पता तो चले कि डॉली कहाँ चली गयी.” फिर मैने पूछा, “भाभी, उस दिन मूवी आपको कैसी लगी?” वो बोली, बहुत अच्छा. मैने कहा, “लेकिन भाभी आप तो फिल्म कम और सामने की सीट पर बैठे लड़का-लड़की को ज़्यादा देख रही थीं!!” वो मुस्कुरा दी. वो उस समय ग्रीन कलर की सारी पहन रखी थी जो उस पर बहुत अच्छा लग रहा था. मैने कहा, “भाभी आज कल तो सिनिमा हॉल्स मे ऐसी सीन्स कामन हो गये हैं. आपको क्या लगता है, ये प्रेमी जोड़ा पिक्चर देखने आते हैं? नहीं भाभी, वो तो पिक्चर बनाने आते हैं, देखना तो एक बहाना है.” वो बोली, “हां ये तो है, पर तुम्हारे जयजी तो मेरे साथ पिक्चर जाते ही नहीं!!” मैने कहा, “भाभी, ऐसा नहीं है, उनको टाइम नहीं मिलता होगा, उनका जॉब ही ऐसा है. हम लोग भी तो साल मे 5-6 बार ही जाते हैं. वैसे आप लोग कितनी बार जाते हैं?” उसने कहा, “शादी हुए 10 साल हो गये, अभी तक सिर्फ़ 2 बार गये हैं हम. बच्चे भी नहीं हैं, और मैं बोर होते रहती हूँ.” मैने मज़ाक किया, “बच्चे होते नहीं हैं भाभी, बनाए जाते हैं. और बच्चा बनाने के लिए मेहनत करना पड़ता है, इसके लिए आपको जयजी के साथ पिक्चर देखने की ज़रूरत नहीं, पिक्चर बनाने की ज़रूरत है.” ये सुनकर वो थोड़ी मायूस हो गयी. ये देखकर मैने कहा, “छोड़िए भाभी, इन सब चीज़ों का टेन्षन मत लीजिए, जो भगवान ने दिया उसका आनंद लीजिए. जयजी आपको हर सुख देते हैं, क्या कमी है आपके पास!! अच्छा ख़ासा रहन सहन है.” उसने कहा, “आशिषजी, ये सब ही सब कुच्छ नहीं होता है.”

फिर मैने बोला, “भाभी, उस दिन पिक्चर हॉल मे मैं थोड़ा बहक गया था, माफ़ कर दीजिए.” उसने कहा, “नहीं आशीष, मैं भी तो बहक गयी थी, वैसे बाद मे मैने सोचा तो मुझे अच्छा ही लगा. होता है, अभी आप जवान हो ना. दो खूबसूरत महिलाएँ अगल बगल हों, तो वैसा हो जाना स्वाभाविक है. वैसे आपने कुच्छ किया भी तो नहीं, देवर भाभी मे उतना तो चलना ही चाहिए.” मैने कहा, “वो तो है भाभी, लेकिन आप भी शादी शुदा हैं और मैं भी. एक लिमिट तो रहना ही चाहिए. 5 दिन हो गये, मुझे डॉली की याद बहुत आती है.” वो बोली, “हां, आप उनके बगैर रह नहीं पाते होंगे, रात कैसे काटते होंगे!!” मैने कहा, “भाभी आप भी तो जवान हैं, आप खुद को बूढ़ी ना समझिए, आप बहुत खूबसूरत हैं, अच्छी लगती हैं आप मुझे, आपकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी है, मैं चाहता हूँ आप ऐसे ही मुस्कुराती रहें.”

उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर चुपचाप रहे. फिर भाभी बोली, “आशीष, मैं मोटी हो गयी हूँ, कहाँ से खूबसूरत लगूंगी!!” मैने कहा, “तो क्या हुआ, आप फिर भी बहुत सुंदर दिखती हैं, आपको देखकर कोई लड़का या मर्द आपको प्यार करना चाहेगा.” वो बोली, “लेकिन आप तो नहीं प्यार करोगे.!!” मैं बोला, “यदि शादी शुदा ना होता तो आप को ज़रूर प्यार करता, लाइन मारता. आप मोटी नहीं, हेल्ती हैं.” उसने कहा, “बहुत डरते हो आप!! डरपोक मर्द हो!!” मैं बोला, “भाभी आप मेरे अंदर के शैतान को मत जगइए, वरना गड़बड़ हो जाएगा.”

वो चुपचाप रही. मैने सोचा, “यार आशीष, क्या सोचते हो? सामने से भाभी चॅलेंज कर रही है, आक्सेप्ट करो!” फिर मैने उसकी ठोडी पकड़कर उपर उठाया और उसकी आँखों मे देखने लगा. सचमुच वो गजब की सुंदर लग रही थी. इधर उनको छूते ही मेरे पॅंट के अंदर का शैतान जागने लगा. उसकी आँखों मे प्यार और सेक्स की भूक नज़र आने लगी. और मेरे बदन मे भी सिहरन दौड़ने लगी. हालाँकि डॉली के साथ हज़ारों बार सेक्स कर चुका हूँ पिच्छले 4 साल मे, ऐसा सिहरन सिर्फ़ शुरुआती दिनों मे होता था.

मैने हिम्मत करके अपने होंठ को उसके होंठ पर रख कर एक हल्का सा चुंबन दिया. उसने आँखें बंद कर ली. लेकिन वो भी शायद डर रही थी, उसने कहा, “आशीष ये ग़लत हो रहा है.” मैने उसको छोड़ दिया और कहा, “भाभी, आप ही तो कह रही थीं, कि मैं डरपोक हूँ, और जब अब मैं हिम्मत कर रहा हू तो आप डर रही है!!” वो चुप रही. उसकी आवाज़ से मैं समझ गया कि वो खुद को मेरे हवाले भी करना चाहती है और डर भी रही है. मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “भाभी यदि जो मेरी हालत है वही आपकी भी है तो हो जाने दीजिए, मैं भी जानता हूँ ये ग़लत है, पर पिछले 5 दिन से डॉली के बगैर हूँ तो मेरी इच्छा बहक चुकी है. आप चाहें तो घर जा सकती हैं.” और मैने उसका हाथ छोड़ दिया. वो कुच्छ सोचती रही. शायद किसी कसम्कस मे थी. मैने ठोडी को उपर उठाकर उसके होंठ को फिर से किस किया, उसने आँख बंद कर लिया. फिर मैने उसके माथे को चूमा. उसने भी मेरा दूसरा हाथ पकड़ लिया. इसी तरहा मैने उसके चेहरे को 2-3 मिनट हौले किस किया. समझ गया कि ललिता समर्पण कर चुकी है.

मैने पूछा, “भाभी, बेड रूम चलें क्या?” उसने कोई जवाब नहीं दिया. तो मैने उसका हाथ पकड़कर उठाया और उसकी कमर मे हाथ डालकर उसको अपने बेड रूम मे ले आया और उसको मैने बेड पे बैठाया और उसकी बगल मे बैठ कर उसकी होंठ पे अपना होंठ रख दिया. इस बार उसने भी जवाब दिया, एक हल्का किस के साथ. फिर मैने उसको धीरे से बेड पर लिटाया. फिर उसके माथे को किस किया, फिर आँखों को, कान को, उसके झुमके को, उसके गालों को फिर वापस होंठों को किस किया. मैने कहा, “आप बहुत खूबसूरत लग रहीं हैं इस सारी में.” वो आँखें बंद की हुई थी. फिर मैं उसके बालों को सहलाने लगा. उसको शायद बहुत अच्छा लग रहा था. उसके चेहरे और होंठों को किस करता रहा 5-6 मिनट तक़. फिर एक हाथ से उसके आँचल को उसकी छाती से हटा दिया तो उसकी मॅचिंग कलर की ग्रीन ब्लौज के अंदर उसके हेल्ती उभार देखकर मेरी आँखें फटी रह गयी. उसके बूब्स गोल और सुडौल लग रहे थे. उमर 34 है लेकिन कोई बच्चा नहीं है, शायद इसीलिए बदन पे कसाव अभी भी है. मैने ब्लौज के बटन खोल कर उसके ब्लौज को हटाया और फिर उसकी सफेद ब्रा भी हटा दिया. और धीरे धीरे उसके उभारों से खेलने लगा, संहलाने लगा. उसकी चूचियों को बीच बीच मे किस करने लगा. निपल्स को चूसने लगा. धीरे धीरे मैं नीचे आया, उसकी नाभि को छूने लगा, सहलाने लगा. उसकी नाभि के चारों ओर जीव को हल्का हल्का फिराया तो वो सी-सी-सी की आवाज़ करने लगी.

फिर उसको पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया और मैं उसके पीठ को सहलाने लगा. पीठ के हर हिस्से को चूमने लगा. पीठ के चारों ओर जीव फिराया. उसकी कांख को भी चूमा. वो निढाल होते जा रही थी. फिर वही हुआ जो मैं चाहता था, वो उठकर बैठ गयी और बाहें फैलाकर मुझे अपने आगोश मे आने का इशारा किया. मैं उसके पास जाकर बैठ गया. उसने भी मेरे चेहरे को अपने पास खींच कर मेरे लिप्स मे एक हल्का सा किस किया, फिर उसने भी मेरे चेहरे पे हल्के किस बरसाने लगी. उसका ये मूव मुझे बहुत अच्छा लगा. उसने फिर मेरा टी-शर्ट भी उतार दिया और फिर मुझे बेड पे लिटा कर वही करने लगी जो मैने उसके किया था. मेरे पूरे शरीर को सहलाने लगी, चूमने लगी. शरीर के हर हिस्से पे जीव चलाने लगी. मेरे बदन पे सनसनी सी दौड़ रही थी. सचमुच, दूसरों की बीबी का प्यार बहुत अच्छा लगता है.

फिर मैने उसको बेड मे वापस लिटा दिया. और पैरों के पास आकर उसके पैरों को चूमा और एक हाथ से उसकी सारी को ऊपर को ओर सरकते हुए किस करता गया. जब सारी जांघों तक उठी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. शायद वासना और शर्म था उसका. मैं वहीं रुका. उसकी जांघों को देखा, एकदम चिकनी, गोरी और मांसल जंघें किसी कमजोर मर्द के लंड से तो रस टपक जाता. मैने उसकी जांघों को सहलाया और जीव से हौले हौले गुदगुदी किया.

इसी बीच उसके हाथ हरकत मे आए और उसने मेरे बरमूडा को नीचे खिसका कर हटा दिया. तब तक वो सारी मे ही थी. मैने उठकर उसको अपने बाहों मे भर लिया और दोनों के होंठ फिर सिल गये. एक हाथ से उसके सिर को पकड़ कर रखा, उसके लिप्स को किस करता रहा और दूसरे हाथ से मैने उसके सारी का आँचल खींच कर सारी खोल दिया फिर मैने उसके पेटिकोट का नारा भी खोलकर नीचे गिरा दिया. उसने हल्की डिज़ाइन की पैंटी पहन रखी थी. फिर मैने उसके गोलाकार चूतड़ को हौले हौले सहलाने लगा. उसको अपने शरीर से चिप्टा के रखा रहा. उसकी गांद सहलाते सहलाते मैने उसकी पैंटी भी नीचे खिसका दी. मैने देखा कि उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी. इसी बीच उसने भी मेरी नकल करते हुए मेरा चड्डी नीचे खिसका दिया और मेरा 5.5” लंबा लंड तन्कर उसकी चुनमुनियाँ को सलाम करने लगा. इसके पहले कि मैं कुच्छ सोचता उसने मेरा लंड पकड़ लिया. ऊफ्फ, दूसरे की बीबी के हाथ से अपना लंड पकड़वाना कितना अच्छा लगा ये मैं बयान नहीं कर सकता. मैने ललिता से पूछा, “भाभी, ऐसे मत नापीए साइज़ ज़्यादा बड़ा नहीं है.” उसने हंसकर कहा, “मेरे लिए ये साइज़ काफ़ी है, ठीक है.”

उसे लिपट कर मैं उसकी शरीर की गर्मी महसूस करता रहा थोड़ी देर. मैने घड़ी ओर देखा, 7:00 बज रहे थे. यानी पहले किस से अब तक 20 मिनट बीत चुके थे. बेड रूम के ट्यूबलाइज्ट की रोस्नी मे मैने उसके शरीर को ध्यान से देखा तो थोड़ी देर देखता ही रहा गया. गोरी और थोड़ी हेल्ती महिलाएँ नंगी कितनी अच्छी लगती है ये तब पता चला. उसका शरीर ट्यूबलाइज्ट की रोस्नी मे चमक रहा था. मैने उसको बेड पे पेट के बल लिटाया और उसके गांद को सहलाने लगा, उसके चूतड़ को चूमने लगा, उसकी पीठ को सहलाया. डॉली के ड्रेसिंग टेबल से मालिश तेल निकाल कर ललिता की चूतड़ और पीठ पे लगाकर उसको मालिश किया 10 मिनट जैसा.

फिर मैने उसको पलट दिया और माथे को किस किया .. फिर पहले की तरहा धीरे धीरे नीचे सरकाता गया .. फोर्हेड, आइज़, नोस, चीक्स, लिप्स, तोड़ी, नेक, बूब्स, स्टमक, नेवेल को हल्के हल्के किस करता हुआ आया. फिर मैं नीचे पैरों के पास पहुँचा. हाथों से उसके जांघों को सहलाने लगा. और उसके टोस, लेग्स नीस, थाइस को चूमता हुआ नाभि तक आया. उसकी जांघे एकदम चिकनी थी. मैने उसके चुनमुनियाँ को देखा हल्के हल्के बाल थे, शायद कभी कभी ट्रिम करती है. फिर मैने उसके चेहरे को देखा, उसने आँखें बंद की हुई थी. शायद उसे बहुत अच्छा लग रहा था. मैने उसके टाँगों को फैला और घुटनों पर मोड़ दिया ताकि वो एकदम आराम से रहे. मैं उसके जाँघो के बीच बैठा और फिर उसकी नाभि को किस करने लगा. फिर धीरे धीरे नीचे आया और उसकी चुनमुनियाँ के पंखुड़ियों पर एक हल्का सा चुंबन दिया. ललिता सीत्कार कर उठी. वो बोली, “आशीष.., ये आपने क्या किया, सिरसिरी सी लग गयी. ज़य तो कभी ऐसा नहीं करते. वो तो सीधा मेरे उपर चढ़ जाते हैं और 3-4 मिनट मे ख़तम हो जाते हैं और आप तो पिच्छले 30-35 मिनट से प्यार कर रहे हैं.” मैने कहा , “भाभी आप यहाँ ध्यान दो, उन बातों पे नहीं. सबका अपना अपना स्टाइल होता है, जयजी का अपना अंदाज़ होगा.” फिर मैने उसकी गीली हो चुकी चुनमुनियाँ को किस करके उसके चारों ओर जीभ फिराने लगा, वो कसमसाने लगी, उसने मेरा सिर पकड़ लिया. मैने उसकी चुनमुनियाँ के बीचो बीच जीभ भिड़ा दिया और उसकी चुनमुनियाँ को चाटने लगा. मैने डॉली की चुनमुनियाँ भी कई बार चाती है, लेकिन आज ललिता के चुनमुनियाँ का स्वाद थोड़ा अलग लग रहा था, और ना जाने क्यूँ और अच्छा लग रहा था. मैने उकी चुनमुनियाँ को 12-15 मिनट तक चटा. चाटते समय ऐसा लगा कि उसकी चुनमुनियाँ का रस ख़तम ही नहीं हो रहा था. चुनमुनियाँ से रस झरने की तरहा रिस रहा था. और मैं उस रस को चूस्ता रहा चाटता रहा. मेरी नाक भी चुनमुनियाँ रस से गीली हो चुकी थी.

मैं चाहता था कि ललिता भी मेरे लंड को चूसे, लेकिन डर रहा था कि वो कहीं नापसन्द तो नही करेगी, उसको लंड का गंध अच्छा लगेगा कि नहीं. मैने उसको पूछा, “ललिता भाभी, आपका पीरियड रेग्युलर रहता है, लास्ट कब ख़तम हुआ?” उसने कहा, “मेरा पीरियड रेग्युलर रहता है, 1-3 दिन आगे पीछे होता है, 28-31 दिन का साइकल चलता है और लास्ट मेरा 20 दिन पहले ख़तम हुआ है.” “तब तो भाभी ठीक है, प्रेग्नेंट होने का चान्स थोड़ा कम है.” मैने कहा.

मैं उसके जाँघो के बीच बैठकर उसकी पूरी तरहा गीली हो चुकी चुनमुनियाँ पे लंड भिड़ा दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था की उसने मुझे रोका और कहा, “रूको आशीष, आप ज़रा नीचे लेटो मैं थोड़ा आपके शरीर से खेलती हूँ.” फिर उसने मुझे लिटा दिया और उसने मुझे किस करना शुरू किया, माथा, नाक, कान, होंठ छाती और फिर पैरों से उपर उठते हुए मेरी जांघों को किस किया उसने और फिर उसने मेरा लंड पकड़कर उसको सहलाया, सूपदे को उपर नीचे किया, अंडों से खेलने लगी. फिर उसने लंड के सूपदे को नीचे तक़ किस कर थोड़ा सूँघा और फिर उसने लंड को मुँह मे ले लिया. मैं उसकी लंड चुसाई का आनंद लेने लगा. मैने कहा, “भाभी, आप धीरे चूसो, नहीं तो लंड का रस आपके मुँह मे ही निकल जाएगा.” वो मुझे 5-6 मिनट तक चूस कर सुख देती रही. ये उन मर्दों को ही पता है जिसने अपना लंड किसी लड़की या औरत से चुस्वाया है की लंड चुसवाना लंड को चुनमुनियाँ मे डालने के मज़े से ज़्यादा मज़ा देता है. इसी बीच मैने उसकी चुनमुनियाँ को सहलाते रहा और उंगली से उसकी चुनमुनियाँ को चोदा. वो बहुत गीली लग रही थी. मैने फिर अपना सिर उसकी जांघों के नीचे ले जाकर उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा. वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसका चुनमुनियाँ चाट रहा था.

तभी मुझे अपना लंड थोड़ा गरम गरम लगा. मैने ललिता को रुकने का इशारा किया और बाथरूम जाकर पेसाब करके आया और लंड को साबुन से धोके लाया.

मैने घड़ी देखी 7:30 हो चुके थे. मैं और देर करना नहीं चाहता था. फोरप्ले, चूसा चूसी बहुत हो गया था. मैने ललिता को बेड पे दुबारा लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटना शुरू किया जिससे उसकी चुनमुनियाँ फिर से गीली हो गयी थी. मैने अब अपना लंड उसकी चुनमुनियाँ से लगाया तो उसने मेरा लंड को पकड़कर चुनमुनियाँ के दरवाजे पर लगाया और मेरे चूतड़ को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और मेरा लंड उसके चुनमुनियाँ के अंदर चला गया. मैं धीर धीरे उसको चोद्ने लगा. कोई जल्दबाज़ी नहीं, पूरी कंट्रोल के साथ चोद्ता रहा. इसी तरहा 15 मिनट जैसा चोद्ता रहा. फिर उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर उसके उपर ही लेट गया, 2 मिनट जैसा आराम किया और फिर मैने 8-10 धक्के मारे हौले हौले. उसके चुनमुनियाँ को मैने छुकर देखा .. बहुत गीली लग रही थी. इतनी गीली की लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था. चुनमुनियाँ जब इस तरहा गीली होती है तो लंड आराम से आता जाता है तो कंट्रोल बहुत देर तक़ होता है, और चुदाई का आनंद भी ज़्यादा आता है. उसको मैने फिर से चूमा, उसकी चुचियों को हौले हौले सहलाया. फिर मैने लंड चुनमुनियाँ मे डाले ही उसको मेरे उपर ले लिया और मेरा लंड कीली बन कर उसकी चुनमुनियाँ के अंदर जड़ तक समा गया. वो बोली, “आशिषजी, आपका लंड तो बहुत अंदर चला गया, पेट मे टच हो रहा लगता है.” मैने कहा, “भाभी, आप देखते जाओ मज़े लेते जाओ. दर्द हो तो बताईएएगा.” वो बोली, “फिलहाल आप लगे रहिए, ऐसा मज़ा तो आज तक ज़य जी ने भी नहीं दिया मुझे. हल्का दर्द तो होता है इस तरहा पर इस दर्द मे भी बहुत मज़ा है. आप चोदते रहिए.” मैं उसको नीचे से ठप-ठप चोद्ने लगा, कमरे मे चुदाइ की आवाज़ गूंजने लगी. उसको इसी अवस्था मे 4-5 मिनट चोदा.

क्रमशः…………………….
Reply
06-28-2017, 10:54 AM,
#3
RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--3

गतान्क से आगे……………………….

फिर उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर थोड़ी देरी साँस ली और उसको गोदी मे लेकर मैं पद्म-आसन मे बैठ गया. और वो मेरे लंड के उपर, लंड उसकी चुनमुनियाँ के अंदर, उसकी टाँगें मेरी पीठ की तरफ कर ली. इस तरहा हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे. मैं उसकी तुलना मे पतला हूँ, फिर भी उसका वजन ज़्यादा नहीं लग रहा था. मैं उसकी चुचियों से खेलने लगा, होंठ का चुंबन लेता रहा. फिर उसकी कमर को पकड़ कर उसको लंड के उपर नीचे करने लगा. थोडी थकावट लगी तो 1-2 मिनट फिर से साँस लिया. फिर मैने उसकी बाहों को मेरे गले मे लिपटाया और उसके चुनमुनियाँ मे लंड डाले ही उठ खड़ा हुआ. और उसको खड़े खड़े चोद्ने लगा. उसकी चुनमुनियाँ इतनी गीली हो चुकी थी कि स्टॅंडिंग पोज़िशन मे मे लंड आराम से चुनमुनियाँ के अंदर जा रहा था. फिर मैने घड़ी की ओर देखा 7:50 हो रहे थे.

मैने उसको ले जाकर सामने के टेबल पर बैठा दिया, और उसकी चुनमुनियाँ को फिर चाटना शुरू किया. इतनी देर की चुदाई के बाद उसकी चुनमुनियाँ के चारों ओर बहुत सारा रस और सफेद लिक्विड इकठ्ठा हो गया था .. उसको मैने चाट चाट कर सॉफ कर दिया लेकिन उसकी चुनमुनियाँ से रस निकलना बंद नहीं हुआ. डॉली की चुनमुनियाँ भी मैने बहुत बार चाटा है, लेकिन आज ललिता के चुनमुनियाँ का स्वाद अलग सा लग रहा था. फिर मैने बिना देरी किए अपने लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे पेल दिया और ढपाधप उसको चोद्ने लगा. टेबल की हाइट मेरी कमर की हाइट का था इसलिए वो पोज़िशन मेरे लिए बहुत कॉनवीनेंट लगती है. डॉली को भी मैं वही टेबल पर पर बैठके कई बार चोदा था. मैं उसको 8-10 मिनट तक जोरों से तेज़ी से चोद्ता रहा. वो सिसकारियाँ लेती रही, “आशीष आपने मुझे आज सेक्स क्या होता है ये बता दिया. आप सचमुच दिखने मे बच्चे लगते हो पर सेक्स के मामले मे आपको मानना पड़ेगा. डॉली बहुत किस्मेत वाली है. धन के साथ तन का भी सुख सभी महिलाओं को नहीं मिलता.” मैने कहा, “भाभी, चुदाई सिर्फ़ मर्द के लिए नहीं होती, ये बात मैं समझता हूँ. मैं तो यही सोचता हूँ कि चुदाई का आनंद लेना है तो चुदाई का आनंद चुदने वाली को देना भी चाहिए.” इसी बीच मुझे लगा कि उसकी चुनमुनियाँ से गरम लिक्विड निकल रहा है और वो थोड़ी ढीली पड़ गयी है, उसने आँखें बंद कर ली और दाँत दबा दिए. मैं समझ गया कि ये उसका ऑर्गॅज़म है. तब उसको मैं ज़ोर ज़ोर से चोद्ने लगा. मैं भी बहुत थक गया था. ढपाधप ढपाधप 4-5 मिनट ज़ोर के झटके ज़ोर से लगाने के बाद मैं भी छूटने को होने लगा तो मैने भाभी से पूछा, “भाभी मेरा निकलने वाला है … अंदर चोदु या लंड निकाल लूँ?” उसने मुझे बाहों मे ज़ोर से झाकड़ लिया, और बोली, “अंदर ही छोड़ दीजिए .. कुच्छ नहीं होगा.” और मैं उसकी चुनमुनियाँ के अंदर ही लंड को अंदर तक पूरा पेल कर झाड़ गया. उसी दशा मे हम दोनों थोड़ी देर चिपके रहे. दोनों की लंबी लंबी सांस चलने लगी. 2-3 मिनट बाद हम दोनों अलग हुए, उसको मैने होंठ मे हल्का सा चुंबन दिया और जवाब मे उसने भी मुझे एक चुंबन दिया. मैने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए दिखाया, “भाभी ये देखिए लंड के उपर सफेद सफेद कुच्छ लगा हुआ है.” वो हंस पड़ी. उसने घड़ी देखा तो बोली, “अरे, बहुत देर हो गयी, इतना मज़ा आया कि पता ही नहीं चला कि 8:20 बज गये हैं. आप ने मुझे सन्तुस्त कर दिया.” मैने भी कहा, “भाभी आपने भी आज डॉली की कमी पूरी कर दी. मैने नहीं सोचा था कि आप के साथ कभी ऐसी चुदाई कर पाउन्गा.”

उसको मैने एक टवल दिया. वो टवल लप्पेट कर बाथरूम मे गयी और नाहकार बाहर निकली. जब वो बाथरूम से टवल लप्पेट कर बाहर निकली तो मन किया कि उसको फिर से चोद दूं, लेकिन ज़य के घर आने से पहले उसको घर जाना भी तो था. मैं भी अपना लंड पोंछकर, एक बार पेसाब किया और हाथ मुँह धोया. अच्छा हुआ जो मैं नहाने के टाइम मूठ मार लिया था, वरना इतनी लंबी कामलीला नहीं कर पाता. 10-15 मिनट मे ही झाड़ जाता.

उसने अपनी पैंटी पहनी, मैं उसके पास गया और उसको मैने ब्रा पहनाई, उसके हुक लगाए. उसने फिर ब्लौज पहना, पेटिकोट पहना और सारी पहन ली. उसके चेहरे मे संतूस्ती के भाव झलक रहे थे. और होंठ पे मुस्कान थी. मैं भी अपने कपड़े पहन लिया. उसने कहा, “आशीष, मैं अब जाती हूँ, यहाँ डॉली के बारे पूछने आई थी लेकिन कुच्छ और वो गया. लेकिन जो भी हुआ अच्छा हुआ.” मैने कहा, “भाभी, डॉली तो एक महीने बाद आएगी. तब तक हो सके तो आप ही डॉली बन कर उसकी कमी पूरा करने की कृपा कीजिएगा.” वो बोली, “ठीक है, लेकिन जयजी से बचकर करेंगे. उसको मैं बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन क्या करूँ, मैं भी औरत हूँ.” मैने भी कहा, “मैं भी डॉली को बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन मैं चुदाई किए बगैर नहीं रह सकता.”

उसके बाद हमारे होंठ कुच्छ सेकेंड्स के लिए फिर से जुड़ गये. और वो दरवाजा खोलकर चली गयी.

मैं किचन मे गया, खाना पकाया. खाने के बाद थोड़ी देर टीवी देखा और 10:30 बेड रूम मे आ गया. इतने मे डॉली का फोन आया. हमने बहुत देर बातें की. वो भी अकेले कमरे मे लेटी हुई थी. उधर उसकी माता जी, भैया-भाभी सभी अपने अपने कमरे मे सो गये थे. पता चला वो वहाँ देल्ही मे बिना चुदाई के तड़प रही है. मैने बोला, “जल्दी आ जाओ, डॉल्ल, तुम्हारे बिना टाइम नहीं गुज़रता यहाँ. लंड महाराज का हाल बुरा है बेचारा.” वो बोली, “आपने ही तो यहाँ रहने को कहा था!! अब सुलगते रहिए. वैसे मेरी चुनमुनियाँ देवी भी आपके लंड को अंदर लेने के तरसती है.” मैने कहा, “बिना चुदाई के रहा नहीं जाता, 1 महीना तक सहना पड़ेगा.” डॉली ने मज़ाक मे बोला, “ऐसा है तो अगल बगल वाली से काम चलाते रहिए.” मैं थोड़ा चौंका, “अगल बगल कहाँ, अरे मुझसे कौन चुद्वायेगि तुम्हारे सिवा? मैं ठहरा हुआ पहलवान!!” वो बोली, “ये तो मुझे ही मालूम है मेरे हवाई पहलवान कि आप चुदाई मे जबरदस्त हो. अगल बगल बोले तो ललिता भाभी.” मैं फिर चौंका, “अरे, वो!! ना बाबा ना, ग़लती से मैं उसके नीचे आ गया तो मैं पापड बन जाउन्गा. उसके लिए जयजी ही ठीक हैं. और, फिर इधर उधर मुँह मार भी लिया तो तुम मुझे छोड़ के चली जाओगी, तो मैं तो आजीवन बिना चुदाई के रह जाउन्गि.” वो बोली, “अरे बाबा, नहीं छोड़ूँगी, आपको छोड़कर कहाँ जाउन्गि. आइ लव यू आशीष!! आप कुच्छ भी कीजिए, आप मेरे ही रहेंगे.” मैं बोला, “ठीक है, तुम आ जाओ, इंतेज़ार कर रहा हूँ. अभी भी तुम्हारी याद मे लंड खड़ा है, बस तुम्हारी रसीली चुनमुनियाँ ही नहीं है.” वो बोली, “एक बात बताऊ, ललिता भाभी की चुदाई ठीक से नहीं होती है, आप चाहो तो उसे ट्राइ कीजिए, शायद सफल हो जाएँगे!!” मैं बोला, “ठीक है, तुम कहती हो ट्राइ कर लेता हूँ!! लेकिन अभी तुम सो जाओ. ठीक है?” उसने कहा, “ठीक है बाबा, कुच्छ नही बोलूँगी. अपना ध्यान रखिए, ठीक से खाइएगा. गुड नाइट.” और हमने एक दूसरे को मोबाइल के माध्यम से चुंबन दिया और सो गये. उसको क्या मालूम कि मैं ललिता भाभी को चोद चुका था. उसके बाद मैने सोचा कि ललिता को फिर चोदुन्गा और बाद मे डॉली को शामिल करूँगा. यही सोचते सोचते नींद आ गयी. कभी दोनों को साथ चोद पाया तो बताउन्गा.

इसी तरहा से 2 साप्ताह और गुजर गये. डॉली की अनुपस्थिति मे मैं किसी तरहा वक़्त गुज़ारता रहा. सुबह उठ के नाश्ता बनाना, फिर नहाते समय एक बार मूठ मार लेना, फिर नाश्ता करके ऑफीस जाना. और शाम को ऑफीस से आकर फिर से नहाना और नहाते समय मूठ मारना. खाना पकाना और खाकर टीवी देखना और फिर सोने से पहले डॉली से फोन पे बात करना और मूठ मार कर सो जाना. यही रुटीन बन गया था मेरा. लेकिन अब मूठ मारते समय मेरे ख्यालों मे डॉली नहीं, बल्कि ललिता भाभी होती थी. उसके साथ किए गये चुदाई की सीन्स मेरे सामने मूवी बनकर घूमते और मूठ मार कर लंड को शांत करने की कोशिश करता. लेकिन जो मज़ा औरत के साथ चुदाई करने मे होता है वो मूठ मारने मे कभी नहीं हो सकता है

. मूठ मारकर सिर्फ़ झाड़ा जा सकता है, लेकिन असली चुदाई मे झड़ना तो अल्टिमेट सिचुयेशन है, झड़ने से पहले जो आक्टिविटी होती है, किस्सिंग, सहलाना, चाटना, चुसवाना इत्यादि वो तन-मन को सन्तुस्त कर देते हैं, रिलॅक्स कर देते हैं.

सीढ़ियाँ उतरते चढ़ते ललिता भाभी यदि दिखती तो अब सिर्फ़ एक दूसरे को देखकर मुस्कुराना भर नहीं होता, अब हम मुस्कुराने के साथ आँख भी मारने लगे. मैं कभी ज़य के घर नहीं जाता था, अब भी नहीं जाता क्यूंकी वैसा करने से रिस्क फॅक्टर ज़्यादा होता. ज़य कब जाता है, कब घर पे रहता है एग्ज़ॅक्ट्ली पता ही नहीं होता मुझे. इसीलिए मैं एक्सपेक्ट करता कि ललिता ही सही टाइम देख कर चुदने के लिए आए, और मुझे यकीन भी था कि वो मौका देखकर ज़रूर आएगी.

ललिता के साथ की पहली चुदाई के बाद के तीसरी सॅटर्डे को मैं घर पे ही था. अगले साप्ताह तो डॉली वापस आने वाली थी. उस दिन क्यूंकी ऑफीस नहीं जाना था, सो मैं थोड़ा लेट ही उठा, करीब 9 बजे. उठा तो लंड महाराज खड़ा मिला, और मैं बेड मे ही मूठ मारने लगा. क्या हालत हो गयी थी मेरी! डॉली होती तो दिन की सुरुआत चुदाई से करता था, अब मूठ मारकर शुरू करना पड़ रहा था!! सुबह क्यूंकी बॉडी पूरी रिलॅक्स हो जाती है, इसीलये मूठ मारने की क्रिया भी बहुत देरी तक़ हो जाती है. थोड़ी देर अपने गरम और कड़क लंड को सहलाता रहा. डॉली के ड्रेसिंग टेबल से उसका खुसबूदार हेर आयिल निकाला और लंड मे लगाकर मूठ मारा 15 मिनट और. झड़ने के बाद मैं थोड़ी देर बेड पे ही लेटा रहा और फिर उठकर ब्रश किया. फिर रोटी बनाया और दूध के साथ खाया. फिर बर्तन धोया.

घर की एक साफ्ताह से सफाई नहीं किया था, गंदा लग रहा था. मैने झाड़ू उठाया और पूरे घर को सॉफ किया. पोंचा भी मारा. अपना घर है, और अपना घर सॉफ करने से अच्छा ही लगता है. वैसे बचपन से अपने काम खुद ही करता आया हूँ तो झाड़ू मारने मे भी कोई हिचक नहीं हुई. क्यूंकी मैं अकेला था, इसलिए चड्डी के उपर सिर्फ़ टवल लपेटा हुआ था और उपर गांजी पहिना हुआ था.

11 बजे करीब मैं नहाने के लिए तैयार हुआ. मैं बाथरूम के अंदर जाने वाला ही था कि डोर बेल बजी. मैने जल्दी से टी-शर्ट पहना और दरवाजे की तरफ लपका, कि इस समय कौन टपक गया, कौरीएर एट्सेटरा तो नहीं है. मैने दरवाजा खोला तो ललिता भाभी थी और मुस्कुरा रही थी. मैने कहा, “अरे, भाभी आप?” वो बोली, “हां, लेकिन क्या मैं नहीं आ सकती हूँ!!” मैने उनको अंदर आने को कहा और बैठने का इशारा किया, “भाभी, आप बैठो यहाँ, मैं कपड़े चेंज कर आता हूँ.” और मैं बेड रूम मे जाकर लोंग निकार पहनकर आया. उनको मैने टीवी का रिमोट थमाया और किचन की ओर लपका. लेकिन उसने मुझे रोका, “रहने दो आशीष, आज मैं ही चाय बनाती हूँ.” और वो भी मेरे पिछे ही किचन मे आई, उसने चाय बनाया और हम दोनों मिलकर चाय पीने लगे.

मैने पूछा, “भाभी, आज कैसे आना हुआ, ज़य जी की भी तो छुट्टी रहती है सॅटार्डे को, वो कहाँ गये? उनको भी साथ ले आते!!” वो बोली, “वो आज भी ऑफीस गये हैं, उनका आज भी कोई अर्जेंट काम आ गया था, बोलके गये कि शाम 4-5 बजे तक़ लौटेंगे.” मैं समझ गया कि मौका देखके भाभी चुदने के लिए आई है. मैने कहा, “क्या कीजिएगा, जॉब के सामने तो हम लोग मज़बूर रहते हैं, ड्यूटी तो ड्यूटी होता है. मैं भी तो कभी कभी लेट आता हूँ. कभी कभी मैं भी छुट्टी के दिन ऑफीस जाता हूँ.” मैने इधर उधर की बातें की. उसके घर के बारे पूछा. ये भी पता चला कि जयजी और ललिता का लव मॅरेज था. दोनों अल्लहाबाद मे एक ही कॉलेज मे पढ़ते थे. वहीं उनकी मुलाकात हुई और समय गुज़रते साथ उनमे प्यार हो गया. पोस्ट ग्रॅजुयेशन के बाद ज़य जी का जॉब लग गया. उसके 1 साल बाद दोनों की शादी हो गयी, तब ललिता का भी ग्रॅजुयेशन हो गया था. लेकिन शादी से पहले उन्होने कभी चुदाई नहीं किया था. ज़य और ललिता दोनों के परिवार कन्सर्वेटिव थे, शायद इसलिए उन्होने अपने प्यार को शादी से पहले पवित्र ही रखा.

ललिता भाभी ने आज साधारण सारी ही पहनी हुई थी, जो अक्सर वो घर मे पहनती थी, लेकिन वो उसमे भी अच्छि ही लग रही थी. औरत यदि सुंदर वो तो हर ड्रेस मे आकर्षक लगती है. वैसे औरत को देखते समय उसकी बुराइयाँ देखें तो कोई भी सुंदर नहीं लगेगी. ललिता को भी मैं यदि सोचता कि वो थोड़ी हेवी है तो मैं उसे काफ़ी चोद नहीं पाता. मैं औरत की शारीरिक सुंदरता को उतना इंपॉर्टेन्स नहीं देता, वो तो सिर्फ़ इनिशियल आकर्षण के लिए होता है, बल्कि ज़्यादा इंपॉर्टेंट होता है वो औरत कैसे चुदाई मे देती है, किस अंदाज़ मे चुदति है. मैं भी तो आवरेज आदमी हूँ, साधारण सा दिखता हूँ. मैने उनसे कहा, “आप 34 साल की हैं पर आप अपनी उमर से ज़्यादा जवान लगती हैं. आप कोई-सा भी ड्रेस पहनिए, आप बहुत अच्छि लगती हैं. आज भी आप गजब ढा रहीं हैं.” औरतों को अपनी सुंदरता की तारीफ बहुत अच्छी लगती है, ये मुझे भी मालूम है. वो बोली, “गजब तो आपने ढाया है, मुझ पर. उस दिन जो आपने मुझे प्यार किया, उसके बाद तो मैं आपकी कायल हो गयी हूँ.” मैने कहा, “रहने दीजिए भाभी, उसमे मुझे भी तो मज़ा आया. लेकिन भाभी, आपने भी मुझपे गहरा असर डाल दिया है.” ऐसे ही बातों बातों मे 30-35 मिनट गुजर गये.

अचानक मुझे ध्यान आया कि मुझे तो नहाना बाकी है. मैने कहा, “भाभी, आप बैठिए, मैं नहा के आता हूँ. मैं नहाने ही जाने वाला था कि आप आ गयी.” वो बोली, “आशीष, मैं यहाँ क्या करूँगी!!” मैने तुरंत मज़ाक किया, “एक काम कर सकती हैं, आप भी मेरे साथ नहा लीजिए!” वो बोली, “मैं तो नहा के आई हूँ.” मैं बोला, “तो क्या हुआ, मेरे साथ फिर से नहा लीजिए या तो मुझे ही नहला दीजिए!!” वो बोली, “ठीक है, लेकिन कोई बदमाशी नहीं कीजिएगा.” मैं सिर्फ़ मुस्कुराया, कुच्छ नहीं कहा और उठकर मैं बाथरूम मे घुस गया. मैने दरवाजा बंद नहीं किया. मुझे यकीन था कि ललिता भाभी चुदने के लिए ही आई है. वो ज़रूर बाथरूम मे आएगी. इसी बीच मैने कॅल्क्युलेशन लगाया, कि पिछली चुदाई के टाइम उसके लास्ट पीरियड से 20 दिन हुए थे, उसके बाद अब 16 दिन हो गये, इसका मतलब अब उसका पीरियड ख़तम हो चुका है, 3-4 दिन तो हो गया होगा.

मैं बाल्टी मे पानी भर लिया. टी-शर्ट और गांजी खोल दिया और सिर्फ़ चड्डी मे रह गया. कुच्छ कपड़े धोए. तभी दरवाजा खुला. भाभी अंदर आ गयी और कहा, “लाइए मैं आपको नहला ही देती हूँ.” मैं चुपचाप बैठा रहा. उसने मग उठाया और मेरे बदन पे पानी डालने लगी. उसने साबुन पकड़ा और मेरे बदन पे साबुन मलने लगी. अब तो मेरे लंड को खड़ा होना ही था. चड्डी के अंदर ही उठने लगा. ललिता ने देख लिए, “उसने चड्डी के उपर से ही उसको सहलाया और बोली, “ये क्यूँ उठ रहा है, लाइए इसको फ्री कर देती हूँ.” और उसने मेरा चड्डी नीचे खिसका कर खोल दी.

लेकिन मैं तो लंबा खेल खेलना चाहता था. तब तक भाभी सारी मे ही थी. मैने कहा, “भाभी ये तो ना-इंसाफी है, आपने मुझे नंगा कर दिया और आप फुल सारी मे! आप भी दोबारा नहा लीजिए.” वो बोली, “मेरे कपड़े गीली हो जाएँगे.” मैने कहा, “चिंता ना करो भाभी, डॉली की सारी पहन लीजिएगा.”

इतना कहकर मैने उसको अपनी ओर खींच लिया और अपने नंगे बदन से चिपका लिया. और मैने उसकी माथे पे एक हल्का किस किया, और पहले की तरहा हौले हौले उसकी आँखों को, गालों को, कानों को, झुमके को, गर्दन को किस किया. फिर मैने उसके लिप्स से अपने लिप्स मिलाए, और एक लंबा किस किया उसको. मुझे मालूम है कि औरतों को सलीके से किया गया किस ज़्यादा उतेज़ित करता है. उसपर टूट पड़ने से उसका समर्पण ठीक नहीं रहता. औरत यदि पूरे समर्पण के साथ चुदाई करे तो सेक्स का मज़ा ही धरती का स्वर्ग बन जाता है.

क्रमशः…………………….
Reply
06-28-2017, 10:54 AM,
#4
RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--4

गतान्क से आगे……………………….

मैने ललिता के मुँह के अंदर अपना जीव घुसा दिया, उसने भी जवाब दिया, हमारी जीव आपस मे खेलने लगी. क्यूंकी मैं भींग चुका था, तो मेरे से चिपकने से उसके कपड़े भी भींग गये. वो बोली, “आशीष, मेरी सारी भींग रही है.” ये सुनकर मैने कहा, “ऐसी बात है तो इसे उतार ही देता हूँ.” और मैं उसकी सारी उतार कर बाथरूम से बाहर फेंक दिया. फिर उसके ब्लौज और ब्रा को भी खोल दिया. ब्रा के खुलते ही उसके बड़े बड़े बूब्स आज़ाद हो गये. मैं उसके बूब्स को थोड़ी देर सहलाया और चूसा.

उसके बाद मैं नीचे बैठा और उसकी पेटिकोट के अंदर घुस गया और उसकी जांघों को सहलाने लगा. वो बोली, “अरे, आप कहाँ घुस गये, निकलिये गुदगुदी होती है.” मैने चुनमुनियाँ की ओर देखा तो मैं बहुत खुश हुआ. ललिता ने आज पैंटी नहीं पहना था, मतलब वो चुदने का मन बनाके आई थी. फिर उसकी पेटिकोट से बाहर निकला और पेटिकोट का नाडा खोल कर उसको भी नंगा कर दिया. अरे ये क्या!! उसकी चुनमुनियाँ पे आज एक भी बाल नहीं था!! उसकी चुनमुनियाँ एकदम चिकनी लग रही थी, पिछली बार की चुदाई के टाइम तो बाल थे उसकी चुनमुनियाँ पर!! मतलब वो पूरी तैयारी के साथ आई हुई है!! मैने पूछा, “भाभी यहाँ के जंगल कौन काट गया?” वो बोली, “मैने कल ही सॉफ कर दिया था हेर रिमूवर लगाके. ज़य जी को रिझाने के लिए, लेकिन उनको क्या फ़र्क पड़ता है, चुनमुनियाँ देवी के वो ठीक से दर्शन ही नहीं करते हैं!” जहाँ तक मेरी पसंद का सवाल है, मुझे बिना झांट वाली चुनमुनियाँ ज़्यादा आकर्षित करती है, ज़्यादा सुंदर लगती है और चिकनी, सॉफ-सुथरी चुनमुनियाँ की चटाई और चुदाई मे ज़्यादा आनंद आता है. ये सब पर्सनल टेस्ट होते हैं, किसी को झांतदार चुनमुनियाँ ज़्यादा भाती है. मैने कहा, “डॉली भी अपनी चुनमुनियाँ का बाल सॉफ करते रहती है, इसलिए मैं उसकी चुनमुनियाँ का पुजारी हूँ. सॉफ चुनमुनियाँ को चाटने और चोद्ने मे आसानी होती है.” उसने मेरे लंड की ओर इशारा करते हुए कहा, “तो आपके लंड के आस-पास ये हल्के बाल क्यूँ हैं?” मैने कहा, “भाभी, ऐसे तो मैं हमेशा झांट सॉफ करते रहता हूँ, रोज़ नहाते समय अपने रेज़र से सॉफ करता हूँ. सॉफ लंड ही अच्छा लगता है. लेकिन डॉली जब से गयी है, मैने सॉफ नहीं किया.” मैने दरवाजा खोला और वॉश बेसिन के पास से अपना सेविंग क्रीम लाया और झांतो मे लगा दिया. मैं अपना रेज़र ललिता को देते हुए कहा, “आज तो आप ही सॉफ कर दीजिए, लेकिन ज़रा संभलके, झांट के बदले लंड ना काट दीजिएगा!!” वो मुस्कुराइ और रेज़र हाथ मे ली और धीरे धीरे उसने मेरे झांट सॉफ कर दिए.

झांट की सफाई के बाद मैं उसके साथ फिर से चिपक गया. और मग से पानी लेकर उसके बदन पे डालने लगा. पानी की बूँदें उसके बदन पे चमकने लगी. मैने भी उसके बदन पे खूब साबुन लगाया, उसके बूब्स पे साबुन मलकर झाग-झाग कर दिया. उसने भी दूसरा साबुन पकड़ा और मेरे छाती पे साबुन लगाया. हमारे बाथरूम मे दो अलग साबुन रहते हैं. मैं उससे फिर लिपट गया, उसकी बूब्स और मेरी छाती चिपक गये और मैं अपनी छाती को उसके बूब्स पे रगड़ने लगा. फिर अपने हाथों से हौले हौले उसकी मांसल, गोल चूतड़ को सहलाने, दबाने लगा. फिर मैं नीचे बैठा और उसकी टाँगों पे भी साबुन लगाया. और फिर मैने उसकी चुनमुनियाँ पे साबुन लगाकर सॉफ किया.

मैने अपनी बीबी डॉली के साथ भी बाथरूम मे चुदाई किया है. ऐसा मैं डॉली के साथ हर वीकेंड मे नहाता हूँ, वो मुझे सॉफ करती और मैं उसको सॉफ करता. गर्मियों मे तो हम दोनों रात को भी साथ नाहकार चुदाई करते थे. फ्रेश होने के बाद चुदाई करना बहुत रेफ्रेशिंग सा लगता है. ओरल सेक्स का मज़ा दोगुना हो जाता है, एक दूसरे के बदन को किस करने, चाटने का भी मज़ा ज़्यादा हो जाता है.

औरत के कोमल शरीर से खेलना अच्छा लगता है, वो भी दूसरे की बीबी हो तो और अच्छा लगता है. चेंज सबको अच्छा ही लगता है. खाना चाहे जितना भी अच्छा हो, रोज़ वही खाना खाएँगे तो उतना अच्छा नहीं लगता, पर एक दिन आप दूसरे टाइप का खाना खाएँगे तो बेटर ही लगेगा. मेरी बीबी डॉली, ललिता से तो बेटर ही है हर लिहाज से, पर आज ललिता भी बहुत अच्छी लग रही थी. मैने ललिता की बूब्स और चूतड़ को भी सहला सहला कर सॉफ किया. उसने भी मेरे लंड पे साबुन लगाकर अच्छी तरहा सॉफ किया.

फिर मैने वहीं बाथरूम मे उसको नीचे लिटा दिया. उसकी टाँगों के पास बैठा और उसके पैरों को उठाकर उसके अंगूठे को किस करने लगा, मैं धीरे धीरे उपर जांघों की ओर जीव चलाता हुआ आया. वो लेटी रही. फिर उसकी चुनमुनियाँ के आस-पास जीव चलाने लगा. थोड़ी देर जांघों को, नाभि को हल्के हल्के चाटने के बाद मैने उसकी चुनमुनियाँ मे जीव घुसेडि. चुनमुनियाँ मे जीव लगते ही उसने मेरे सिर को पकड़ लिया. और उसके मुँह से आवाज़ निकली, “आ..ह आशीष, अच्छा लग रहा है. और चाटिये ना इसी तरहा.” मैं उसकी चिकनी चुनमुनियाँ को मज़े से चाट्ता रहा बहुत देर तक़. धीरे धीरे जीव फेरता रहा. क्यूंकी चुनमुनियाँ की सफाई अभी हुई थी इसीलिए कोई गंध नहीं आ रही थी.

मैने एक मग पानी लिया और उसकी चुनमुनियाँ पे डाल दिया, फिर अपनी उंगलियों से चुनमुनियाँ की पखुड़ियों को फैलाकर अपना जीव चुनमुनियाँ के अंदर डालकर लॅप-लापाने लगा. वो भी नीचे से कमर हिलाने लगी. 5-6 मिनट आराम से चुनमुनियाँ चटवाने का मज़ा लेने के बाद वो उठ कर बैठ गयी और मैं खड़ा हो गया. उसने मेरा लंड पकड़ लिया और हौले हौले मुठियाने लगी. और देखते ही देखते उसने मेरा लंड मुँह मे ले लिया और मुझे लंड चुसाई का मज़ा देने लगी. मैं चुप-चाप दीवार के सहारे खड़े होकर मज़ा लेने लगा. फिर मुझसे रहा नहीं गया, मैने उसका सिर पकड़ा और उसके मुँह को ही हौले हौले चोद्ने लगा.

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैने वहीं ललिता को फिर से लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ मे लंड लगाकर अंदर धकेलने लगा. ललिता ने लंड का सूपड़ा चुनमुनियाँ के सही जगह पे लगाया तो लंड चुनमुनियाँ के अंदर घुस गया. वैसे ही लंड चुनमुनियाँ मे डालकर थोडी देर उसके उपर लिपटा रहा. छाती को उसके बूब्स के उपर रगड़ते हुए उसके चुनमुनियाँ की गर्मी को लंड के सुपाडे के उपर महसूस करता रहा. फिर मैं धीरे धीरे कमर हिलाने लगा. साथ साथ मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा. आज भी कोई जल्दबाज़ी नहीं, क्यूंकी मुझे चुदाई लीला लंबा खींचना था. 6-8 मिनट उसी पोज़िशन मे उसको चोदा.

क्यूंकी बाथरूम थोड़ा छोटा था, चोद्ने के लिए स्पेस कम पड़ रहा था, सो मैने भाभी से कहा, “भाभी, यहाँ थोड़ा अनकंफर्टबल लग रहा है, इसीलिए बेड रूम मे चलें क्या?” वो बोली, “ठीक है, मुझे क्या, चुद्ना ही है ना, यहाँ भी मज़ा आ ही रहा है.” मैने उसकी चुनमुनियाँ से लंड निकाला और पेसाब किया. उसने भी पेसाब किया वहीं. मैने साबुन लेकर अपना लंड और उसकी चुनमुनियाँ फिर से सॉफ की. दोनों के बदन पे फिर से पानी डाला और उसके साथ बेड रूम मे आ गया.

बेड रूम के वॉल क्लॉक मे 12 बज रहे थे. मतलब भाभी के साथ बाथरूम मे आधे घंटे की लीला चली. ललिता की कमर पे हाथ डालकर उसको अपने बराबर खड़ा किया और ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो गये. और भाभी को सामने आईने मे दिखाते हुए कहा, “देखिए भाभी, हम दोनों की जोड़ी कैसी लग रही है?” वो मुस्कुराइ. वो क्या बोलेगी!! मेरी और भाभी ललिता की जोड़ी थोड़ी अजीब सी लग रही थी. उमर और वजन मे बड़ी ललिता और साधारण कद-काठी का जवान लड़का मैं!! लेकिन हमे इससे क्या, हम दोनों जानते थे कि ये जोड़ा जबरदस्त मज़ा ले चुका है और आज भी लेगा. मैने वहीं भाभी को अपनी ओर खींचा, लंड उसकी नाभि पे टच हो रहा था. मैने उसकी मुँह के अंदर अपनी जीव घुसेड दी और उसकी जीव को चाटने लगा. हमारी जीव थोड़ी देर सलाइवा का आदान-प्रदान करती रही.

इससे पहले कि मैं ललिता को बेड पे पटकता, उसने मुझे उठाया और बेड पर फेंक कर लिटा दिया और वो मेरे उपर झुक गयी. उसने मेरे बदन पे किस बरसाना फिर से शुरू किया. पूरे बदन को किस की, पूरे बदन पे जीव चलाई, अपने कोमल हाथों से सहलाती रही. बहुत सिर-सिरी हो रही थी मुझे. बस आँखें बंद करके उसकी इस हरकत का मज़ा लेता रहा.

इसी बीच मैने उसको पलटकर अपने नीचे लाया और मैं उसके उपर आ गया. उसके बूब्स को सहलाते हुए, पेट और नाभि को चाटते हुए, चुनमुनियाँ के चारों ओर जीव फेरा. मुझे पता है, ऐसा करने से औरतों को बहुत आनंद आता है. मैने उसकी मांसल जांघों को सहलाया. मैं उसके चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा, उसकी चुनमुनियाँ से रस निकलने लगा और मैं चुनमुनियाँ के रस को चूस्ता गया. मेरी बीबी डॉली की बात कहु तो उसने मुझे कई बार कहा है कि चुनमुनियाँ चटवाना और चुसवाना, लंड से चुदने से भी ज़्यादा मज़ा देता है और उस समय ललिता की हालत देखके यही लग रहा था कि ललिता भी चुनमुनियाँ चटवाने का मज़ा ले रही है. खैर, मैं चिकनी चुनमुनियाँ के रस को 5-6 मिनट जैसा चाट्ता-चूस्ता रहा.

इतने मे ललिता ने कहा, “आप अपना लंड मेरे चेहरे के उपर लाइए. आपने मुझे बहुत मज़ा दे दिया, मैं भी चुस्ती हूँ लंड को.” मैं घूमकर उसके उपर आ गया. इस तरहा उसका सिर मेरी जाँघो के नीचे आ गया और वो मेरे लंड से थोड़ी देर खेली, हल्का हल्का सहलाई, मुठियाई और फिर लंड को मुँह मे दुबारा ले लिया. ललिता नीचे लेट कर मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसके उपर से चुनमुनियाँ चाट रहा था. बीच बीच मे 1-2 अंगुली भी घुसा देता था चुनमुनियाँ के अंदर. मैं अपनी उंगलियों के नाख़ून अक्सर काटते रहता हूँ. डॉली की अक्सर उंगली से चुदाई करता हूँ. इससे चुनमुनियाँ के अंदर नाख़ून से चोट लगने की संभावना नहीं रहती है. चुनमुनियाँ के अंदर का टेंपरेचर शरीर के बाकी अंगों से थोड़ा ज़्यादा रहता है, ये उंगली को चुनमुनियाँ के अंदर डालने से ही पता चलता है.

मैं सोच रहा था कि एक कन्सर्वेटिव फॅमिली मे पाली हुई औरत, जो दिखने मे भोली और शरीफ लगती है, जो अपने पति को बहुत प्यार करती है; वो भी इस तरहा खुलकर दूसरे मर्द से चुद्वा सकती है!! खुद दूसरे मर्द के घर चुदने के लिए आने लगी!! दूसरे मर्द का लंड बेशर्मी से चूस रही है!! लेकिन शायद ये उसकी अतृप्त वासना ही उसे ऐसा करने पे मज़बूर कर रही है. शायद ऐसा हर औरत चाहती होगी कि उसको प्यार और धन-दौलत के साथ चुदाई का भी भरपूर आनंद मिले.

ज़्यादा देरी तक लगातार लंड चूसने से कंट्रोल नहीं होता है, झाड़ जाता है. इसलिए मैने भाभी को रोका, “भाभी, ज़रा रुकिये.” उसने मुँह से लंड हटाया. तभी उसकी नज़र क्लॉक पे गयी, 12:20 बज रहे थे. वो बोली, “अरे बाप रे, टाइम बहुत हो गया! आशीष, अब अपना लंड मेरी चुनमुनियाँ मे पेलिए और जल्दी ख़तम कीजिए. खाना भी बनाना है. ज़्यादा लेट होगा तो भूक लगेगी.” मैने कहा, “कोई बात नहीं भाभी, आज हम यहीं खाना खा लेंगे. ज़य तो 4 बजे के बाद आएँगे ना!”

उसने कहा, “रुकिये थोड़ा कन्फर्म कर लेती हूँ. कहीं वो जल्दी काम निपटाकर घर आ जाएँगे तो गड़बड़ हो जाएगी.” उसने अपना मोबाइल उठाया और ज़य को फोन लगाया. उसने स्पीकर फोन चालू कर दिया था. “हेलो! ललिता बोल रही हूँ. कहाँ हैं आप? खाना खाने आएँगे ना आप? आपके लिए भी खाना बना लूँ?” उधर से ज़य की आवाज़ सुनाई थी, “अरे यार ऑफीस मे ही हूँ, काम बहुत ज़्यादा है, लगता नहीं कि 5 बजे से पहले आ पाउन्गा. तुम खाना खा लेना. मैं इधर ही लंच कर लूँगा.” ललिता बोली, “ठीक है, एक काम कीजिए, शाम को सब्जी लेते आईएगा.” ज़य बोला, “ठीक है, आके बात करेंगे, बाइ.” उसके बाद ललिता ने फोन रख दिया.

अब मैं निसचिंत हो गया. अब मैने सोच लिया कि आज ललिता की चुनमुनियाँ इतना चाटूँगा कि वो झाड़ जाए, फिर उसकी चुनमुनियाँ लंड पेल कर खुद झदूँगा. ये चुदाई सेशन कंप्लीट करने के बाद भाभी को यहीं खाना बनाकर खिलाउन्गा और फिर कुच्छ देर रिलॅक्स कर एक क्विक राउंड लगाउँगा. मैं फिर पेसाब करने गया और लंड धोकर लाया. बेड के बगल के टेबल पे रखा जग उठाया और पानी पिया. हम अपने बेड रूम मे पानी हमेशा रखते हैं. रात को जब भी प्यास लगती है पानी पीते हैं. मेरी और डॉली की चुदाई अक्सर लंबी ही चलती है तो बीच मे प्यास लगती ही है. ललिता ने भी पानी पिया.

मैने ललिता से पूछा, “भाभी, अब तो कोई दुविधा नहीं है ना! डर त्याग दीजिए और चुदाई का मज़ा लीजिए!” उसने अपनी बाँहे फैलाई और मुझसे लिपट गयी और मेरी गर्दन पे किस करने लगी. शायद वो भी निसचिंत हो गयी थी. वो बोली, “अब आराम से करते हैं, खाना लेट ही चलेगा.” मैने भी उसके माथे को किस किया, फिर गालों और गर्दन को किस किया.

मैने भाभी को बेड पे लिटाकर सीधा किया. उसके अंगूठे को फिर से किस करते हुए उपर आया, टाँगों को, जांघों को, पेट को, बूब्स को, गर्दन को किस करते हुए लिप्स तक़ आया. उसको पलट कर उसकी पीठ के चारों तरफ जीव चलाया, हाथों से बूब्स सहलाया, चूतड़ सहलाया. उसके चिकने, गोल चूतड़ को किस किया.

उसको वापस पीठ के बल लिटाया. मैं बेड से उतरा और डॉली की ड्रेसिंग टेबल का ड्रॉयर खोला और उसमे से शहद की सीसी ले आया और भाभी की टाँगे फैलाकर उन्हे घुटनों पे मोड़ा. मैने 2 चम्मच जैसा शहद निकाला और उसकी चुनमुनियाँ और चुनमुनियाँ के चारों ओर शहद लगाया. मैं उसकी जांघों के बीच आया और अपनी जीव से चुनमुनियाँ पे लगे शहद को चाटने लगा. शहद के स्वाद से चुनमुनियाँ चाटने और चूसने का मज़ा बहुत बाद गया. उसकी चुनमुनियाँ अब मीठी मीठी लगने लगी.

शहद लगाकर मैने डॉली की चुनमुनियाँ को भी बहुत बार चटा है, उसे चाटने वाले को भी मीठा और चटवाने वाली को मज़ा बहुत आता है. चुनमुनियाँ मे शहद लगाकर मैने डॉली को अक्सर इतना चाट्ता कि वो झाड़ जाती थी. ऐसे तो मार्केट मे ड्यूर्क्स एट्सेटरा के ओरल-सेक्स क्रीम मिलते हैं, लेकिन शहद ईज़िली अवेलबल होता है, सस्ता भी होता है.

क्रमशः…………………….
Reply
06-28-2017, 10:55 AM,
#5
RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--5

गतान्क से आगे……………………….

मैं भाभी की चुनमुनियाँ को बहुत देर तक़ चाटा. एक तो उसकी चुनमुनियाँ बिना झांट के थी, उपर से मीठी शहद का चिकनापन. जीव चुनमुनियाँ के उपर आराम से फिसल रही थी. बीच-बीच मे चुनमुनियाँ की पंखुड़ियों को होंठों से खींच लेता. उसने भी मेरे सिर को चुनमुनियाँ मे दबाए रखा. 10-12 मिनट मे वो शहद ख़तम हो गया था. मैने फिर से उसकी चुनमुनियाँ पे शहद लगाया और खुद नीचे लेट गया और कहा, “भाभी, अपना चुनमुनियाँ मेरे मुँह के उपर लगाइए.” वो तुरंत अपने चुनमुनियाँ को मेरे मुँह पे लगा दी और मैं सुरूफ़-सुरूफ़ चाटने लगा. वो पोज़िशन उतना कन्वीनियेंट नहीं लगा क्यूंकी उसके नीचे मैं दब रहा था.

मैने उसको फिर से नीचे लिटाया और फिर से शहद भरे चुनमुनियाँ को चूसने का आनंद लेने लगा. वो भी जोश मे आने लगी, अपनी चुनमुनियाँ उपर नीचे करने लगी, कमर हिलाने लगी. 4-5 मिनट के बाद लगा कि उसकी उत्तेजना चरम पे पहुँचने लगी है. मैं तेज़ी से जीव और होंठ चलाने लगा. और अगले 2-3 मिनट मे ऐसा लगा कि शहद के साथ उसके चुनमुनियाँ से कुच्छ गरम गरम लिक्विड रिसने लगा. मैं उस लिक्विड को चूस्ता गया और उसने भी मेरे सिर को दोनों हाथों से चुनमुनियाँ पे दबा दिया. और वो थोड़ी ढीली हो गयी. मैं समझ गया कि वो झाड़ गयी है. उसने कहा, “आशीष, ये आपने क्या कर दिया, ऐसा भी मज़ा मिल सकता है!” वो थोड़ी देर चित लेटी रही. करीब 12:40 बज चुके थे.

अब भाभी ने मुझे नीचे लेटने का इशारा किया. उसने भी शहद निकाल कर मेरे लंड, अंडकोष और सूपदे पे लगाया. और वो उस शहद को चाटने लगी. फिर सूपदे को मुँह मे लेकर चूसने लगी. मैने भाभी से कहा, “भाभी बहुत अच्छा लग रहा है, पर धीरे कीजिए नहीं तो आपके मुँह मे ही झाड़ जाउन्गा.” 2 मिनट चुसवाने के बाद मैने उसको रोका.

मैने उसको बेड पे लिटाया और उसके बगल मे खुद लेट कर उसकी चुचि और नाभि और जगहों को सहलाया. ऐसा करते हुए मैं रेस्ट ले रहा था. अब आगे के लिए तैयार था. मैं उठा, उसकी जांघों के बीच आया, चुनमुनियाँ को एक किस दिया और चुनमुनियाँ पे निशाना लगाकर अपने कमर को एक झटका मारा. मेरा लंड चुनमुनियाँ मे आराम से पूरा घुस गया. 5.5” लंबा लंड और बड़ी चुनमुनियाँ हो तो ऐसा होना ही था! ये पोज़िशन सबसे कामन होता है, लेकिन सबसे कंफर्टबल भी, और इस पोज़िशन मे लंड भी अंदर तक़ जाता है. मैं एकदम आराम से आहिस्ता आहिस्ता कमर हिलाने लगा. धीरे धीरे उसकी चुनमुनियाँ चिकनी और रसीली होती गयी.

4-5 मिनट बाद मैने अपना दायां पैर उसकी बायें पैर के नीचे सरकाया, अपना बाईं टाँग उसकी टाँगों के बीच लगाई और उसकी दाईं पैर को मेरे कमर के उपर रख दिया. वो पीठ के बल लेटी थी और मैं अपने बाएँ साइड पे. मैने फिर से अपने लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे फिर से पेल दिया. ये पोज़िशन भी काफ़ी कंफर्टबल होता है, लेकिन इसमे डीप पेनेट्रेशन नहीं होता, लेकिन मज़ा डीप पेनेट्रेशन से नहीं होता, लंड का सिर्फ़ सूपड़ा सेन्सिटिव होता है और चुनमुनियाँ का सिर्फ़ बाहर के और 1-2 इंच अंदर वाले हिस्से ही सेन्सिटिव होते हैं. उसी पोज़िशन मे 40-50 स्लो मूव्स लगाया. उस समय मैं उसकी दाईं जाँघ को सहलाता रहा.

इसी बीच वो उठी और उसने मुझे लिटा दिया. उसने थोड़ी देर लंड को फिर से चूसा और वो मेरी तरफ मुँह करके लंड को चुनमुनियाँ से लगाकर उसके उपर बैठ गयी और लंड उसकी चुनमुनियाँ मे समा गया. वो लंड को किसी राजगद्दी की तरहा समझ रही थी शायद, तभी तो वो उसी अवस्था मे 1-2 मिनट बैठी रही, “आशीष जी पूरा घुस गया आपका लंड महाराज तो!!” मैने कहा, “आपको ये बात समझना चाहिए कि तरबूज चाकू पे गिरेगा, तब भी क़ाटना तो तरबूज ही को है ना!” वो बोली, “हां ये तो है.” वो मुझे उपर से 4-5 मिनट चोदि. मैं भी बीच-बीच मे नीचे से झटके मार लेता था, उसकी बूब्स को सहला देता था. वो मेरा छाती सहलाती रही. कभी कभी झुक कर मुझे किस करने लगी. वो मुझसे भारी थी लेकिन तब मुझे उसका वजन महसूस नहीं हो रहा था. वो लंड को चुनमुनियाँ मे लेकर ही पीछे घूम गयी और फिर लंड के उपर नीचे होने लगी. मैं तब उसकी पीठ सहला रहा था. किसी औरत से इस तरहा चुद्वाना, उसको चोद्ने से ज़्यादा संतूस्ती देता है. ये उन्ही लोगों को पता होगा, जिन्होने अपनी गर्लफ्रेंड या बीबी से इस तरहा चुद्वाया हो. पीछे से उसकी गोल गोल गांद को देखना बड़ा अच्छा लग रहा था.

फिर मैने उसको फिर से नीचे किया और उसको इस तराहा घुमाया कि उसकी चुनमुनियाँ बेड के बगल मे रखे आईने की तरफ हो गयी. मैं उसको फिर से चोद्ने लगा. और उसे कहा, “भाभी, आप अपने चुनमुनियाँ को आईने मे देखिए कि मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसे अंदर-बाहर हो रहा है.” मैने भी मूड के देखा. बहुत सुंदर द्रिश्य था. एक दुबला सा युवक का लंड, गोरी मांसल जाँघ वाली की चिकनी चुनमुनियाँ मे आराम से अंदर बाहर हो रहा था और चुनमुनियाँ के चारों ओर सफेद सा लिक्विड फैला हुआ था. वो बोली, “चुनमुनियाँ तो मेरी बहुत लस्लसि दिख रही है, और आपका लंड चुनमुनियाँ को कैसे चीरते हुए अंदर चला जा रहा है!” फिर मैने अपने पैरों को उसकी कमर के साइड मे रखा और अपना लंड उसकी गीली चुनमुनियाँ मे फिर से पेल कर चुनमुनियाँ के उपर ही बैठ गया. थोड़ा देरी इसी पोज़िशन मे बैठा रहा और उसको चोद्ने लगा. उसके बाद मैने उसकी टाँगे सटा कर सीधी कर दी और लंड फिर से चुनमुनियाँ मे घुसा दिया. अब लंड थोड़ा टाइट जा रहा था. लेकिन मैं जानता था कि इस पोज़िशन मे ज़्यादा कंटिन्यू करना मतलब लंड का झड़ना है. मैने 15-20 हल्के धक्के के बाद लंड निकाला.

घड़ी मे 12:55 हो गये थे. मैने भाभी को बेड से उठाकर बगल के टेबल पे बैठने का इशारा किया. वो इशारा समझ गयी और चुनमुनियाँ सामने कर के टाँगें फैलाकर आराम से बैठ गयी. वो मेरा फॅवुरेट पोज़िशन है और अक्सर मैं चुदाई के लास्ट स्टेज के लिए बचा के रखता हूँ. उस टेबल की हाइट मेरी कमर के बराबर है. पिछली बार भी भाभी को उसी पोज़िशन मे चोद कर झाड़ा था. वो पोज़िशन बहुत कंफर्टबल लगता है. चुदवाने वाली भी आराम से बैठी रहती है और चोद्ने वाला भी आराम से खड़े होके चोद सकता है.

मैने भाभी की चुनमुनियाँ मे फिर से शहद लगाया और उसको दुबारा चाटना शुरू किया. 8-10 मिनट तक़ चपर-चपार करके खूब चाटा, शहद और चुनमुनियाँ रस का खूब चूसा. उसको शायद कुच्छ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था, तभी तो उसने मेरे सिर को ज़ोरों से जाकड़ रखा था. वो बहुत उत्तेजित सी लग रही थी, बोली, “आशीष, अब लंड चुनमुनियाँ मे पेलिए ना!”

मैं उठा और लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे घुसेड दिया और हौले हौले चोद्ने लगा. 40-50 स्लो मूव्स के बाद मैने स्पीड बढ़ाई. मैं भी अब जोश कंट्रोल से बाहर हो रहा था. ढप-डप चोद्ने लगा. कभी कभी लंड पूरा खींच कर निकाल कर तेज़ी से घुसेड देता, लंड पूरा समा जाता, ऐसा लग रहा था कि लंड चुनमुनियाँ के अंदर किसी दीवार पे टकरा रहा है. वो मुझसे ज़ोर से चिपक गयी और चिल्लाने लगी, “आशीष, आपने मुझे चुदक्कड बना दिया, चोदिये… चोदते रहिए.” मैने पूछा, “भाभी आपका पीरियड ख़तम हुए 3-4 दिन हुए है ना!!” वो बोली, “ठीक 4 दिन. लेकिन आप को कैसे मालूम?” मैने कहा, “कॅल्क्युलेशन करके भाभी.”

ऐसे पीरियड के 6 दिन तक प्रेग्नेन्सी का ज़्यादा चान्स नहीं होता, फिर भी मैने सोचा कि यहाँ रिस्क नहीं लेना चाहिए. कहीं बच्चा ठहर गया तो हम दोनों के फ्यूचर के लिए ठीक नहीं होता.

मैं ललिता भाभी को चोद्ता रहा. मेरे अंडकोष उसकी गांद और थाइ से टकरा रहे थे, धप-धप की आवाज़ उसी से आ रही थी. वो बोली, “ये कैसी आवाज़ आ रही है!!” वो मुझे बेतहासा चूमने लगी. मैं उसकी चुनमुनियाँ मे धक्के मारता रहा. लेकिन चूँकि चुनमुनियाँ काफ़ी गीली और गीली हो गयी थी, घर्सन कम होने से आनंद तो आ ही रहा था, लेकिन लंड झाड़ ही नहीं रहा था. इसी बीच ऐसा लगा कि चुनमुनियाँ से रस बहुत निकल रहा है. वो फिर से झाड़ गयी थी. वो मुझसे चिपक गयी. मैं थोड़ी देर शांत रहा. उसकी चुनमुनियाँ की ओर इशारा करते हुए बोला, “देखिए भाभी, मेरा लंड आपकी चुनमुनियाँ मे कैसा धन्सा है.” ट्यूब लाइट की रोशनी मे गीली चुनमुनियाँ चमक रही थी.

मैं फिर से धक्के मारने लगा. उच्छल उछल कर धक्के मारता रहा. मैं भी अब बहुत थक गया था. बड़ी मेहनत के बाद 4-5 मिनट मे मेरा अल्टिमेट सिचुयेशन आने को हुआ. मैने अपना लंड उसकी चुनमुनियाँ से खींच लिया और अपना सारा लंड-रस उसकी चुनमुनियाँ के उपर नाभि और पेट पे गिरा दिया.

हम दोनों उसी अवस्था मे थोड़ी देर चिपके रहे. दोनों की साँसे लंबी लंबी चलने लगी. 1:15 बज चुके थे. मैने भाभी के होंठो को किस किया और अलग हुए. ललिता टेबल से उतर कर नगी ही बाथरूम की ओर चली. मैने पीछे से उसकी चाल देखी, उसके गोल-गोल चूतड़ बड़े शानदार अंदाज़ मे हिल रहे थे. मैं भी उसके पीछे नंगा ही बाथरूम मे गया. बाथरूम मे दोनों दुबारा नहाए और नंगे ही बाहर निकले. उसने बाथरूम के दरवाजे के पास पड़ी अपनी सारी और ब्लौज उठाया और पहन लिए. ब्रा ज़्यादा भींग गयी थी, इसीलिए उसने ब्रा नहीं पहना. मैने भी टी-शर्ट और लोंग निकर पहन लिया. मैने भाभी से कहा, “भाभी आज मैं आपको खाना बनाके खिलाता हूँ.” वो बोली “ठीक है.”

मैं किचन मे गया, चावल और दाल चढ़ा कर आया. हम टीवी देखने लगे. फिर मैं किचन मे गया. चावल, दाल तैयार हो गये थे. 4 अंडे (एग्स) बचे हुए थे रेफ्रिजरेटर मे, मैने सबका एग-बुरजी बनाया. और हम दोनों ने साथ खाया. मैने भाभी को बोला, “जैसा भी है, खा लीजिए. बस इतना ही जानता हूँ खाना बनाना. मसाला, आयिल ज़्यादा नहीं यूज़ करता हूँ मैं.” वो खाते हुए बोली, “खराब भी तो नहीं बनाया आपने, अच्छा ही लग रहा है. आप मसाला और आयिल ज़्यादा नहीं खाते ये तो आपको और डॉली को देखके ही पता चलता है.” खाना 2:15 मे कंप्लीट हो गया. ललिता ने बर्तन मांझ दिए.

वो थोड़ी देर बैठने के बाद बोली, “आशीष मैं अब जाती हूँ.” मैने तुरंत कहा, “घर जाकर क्या कीजिएगा अभी. थोड़ा बैठिए, बातें करते हैं, फिर ना जाने मौका मिलेगा कि नहीं, क्यूंकी अगले साप्ताह तो डॉली आ जाएगी.” वो रुक गयी. मैने पूछा, “ज़य जी तो बहुत स्वस्थ दिखते हैं, उसका लंड भी मोटा-तगड़ा होगा!!” मैने यूँ ही कहा था, जबकि मुझे हक़ीकत मालूम था, मैं बस उसके मुँह से सुनना चाहता था. उसने बताया, “क्या बताऊ, आशीष! हमारी लव मॅरेज है, इन फॅक्ट आज भी हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं, आदमी वो बहुत अच्छे हैं, बहुत ध्यान रखते हैं मेरा, सभी सुख-सुविधाएँ हैं हमारे पास, लेकिन वो बस चुदाई करने मे मार खा गये. वो बहुत कन्सर्वेटिव वे मे चोदते हैं, जबकि आप तो बड़े सलीके से चुदाई करते हैं. कहाँ से सीखा आपने? ज़य जी तो कपड़े भी पूरा नहीं खोलते, लगता है वो चुदाई सिर्फ़ फॉरमॅलिटी के लिए करते हैं, सहलाते भी नहीं हैं, सारी उपर सरका कर लंड चुनमुनियाँ मे जल्दी से डाल देते हैं और मेरे जोश मे आने से पहले ही जल्दी ही झाड़ जाते हैं. और मैं तड़प्ती रहती हूँ. और आगे भी मैं ऐसे ही तड़प्ते रहूंगी.”

क्रमशः…………………….
Reply
06-28-2017, 10:55 AM,
#6
RE: Kamukta Kahani बीबी की सहेली
बीबी की सहेली--6

गतान्क से आगे……………………….

मैने कहा, “भाभी दिल छोटा ना कीजिए, ये कमज़ोरी मन से पनपती है, उनको कॉन्फिडेन्स नहीं होगा. इसीलिए ठीक से कर नहीं पाते हैं. चुदाई हमेशा आराम से की जाती है, जल्दबाज़ी मे नहीं. लेकिन मैं ज़य जी की कमज़ोरी के बारे कुच्छ नहीं बोलूँगा. जहाँ तक़ मेरा सवाल है, ये सब हमारे एक्सपेरिमेंट्स और एक्सपीरियेन्स से आया है. इसमे डॉली का भी बहुत सहयोग रहा. इंटरनेट से भी बहुत ज्ञान प्राप्त किया है. मैं चुदाई सिर्फ़ मज़ा लेने के लिए नहीं, अपने पार्ट्नर को मज़ा देने के लिए करता हूँ.” मैं ज़य के बारे नेगेटिव नहीं बोलना चाहता था, क्यूंकी वो अपने पति को बहुत प्यार करती है. मैने फिर पूछा, “ज़य जी ने कभी आपकी चुनमुनियाँ चाटि है या आपने उसका लंड कभी चूसा है?” उसने बताया, “नहीं, आज तक ऐसा नहीं किया. उन्होने कभी इसके लिए इनिशियेटिव नही लिया. वो चुनमुनियाँ चाटना तो दूर, चुनमुनियाँ भी नहीं सहलाते हैं. सिर्फ़ डाइरेक्ट चुनमुनियाँ मे लंड पेलते हैं. शायद उनको घृणा लगती होगी की चुनमुनियाँ पे हाथ और मुँह क्या मारना, उसके जस्ट उपर से तो पेसाब भी निकलता है, और नीचे गुदा भी है.” मैने कहा, “भाभी, मैं डॉली को प्यार करता हूँ. उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर मज़ा लेता हूँ तो मैं उसकी चुनमुनियाँ के स्वाद और गंध से भी प्यार करता हूँ.” ये सुनकर वो हँसी, “ढत्त!”

करीब 40 मिनट जैसा ऐसे ही बात करते रहे. इतना समय मेरे लिए रिलॅक्स करने के लिए बहुत था. मैं चाहता था कि ललिता भाभी के अपने घर जाने से पहले एक क्विक ट्रिप मार लूँ. इसीलिए मैने उसे पूछा, “भाभी, एक क्विक राउंड मार लेते हैं?” वो बोली, “अभी!! फिर से!! … आप बहुत टाइम लगा दोगे!” मैं बोला, “चिंता मत कीजिए, ये क्विक राउंड ही होगा, विस्वास कीजिए. अभी 3 बज रहे हैं. 3:30 बजे तक़ निपटा दूँगा. ज़य जी तो 5 बजे आएँगे ना!” वो कुकछ सोचने लगी. मैने फिर कहा, “सोचिए मत, इसके बाद मौका शायद ही मिलेगा. डॉली के आने के बाद तो मुझसे चुद्वाने के लिए डॉली को ही मानाना पड़ेगा आपको, पता नहीं वो ये पसंद करेगी कि नहीं!” उसने कहा, “ठीक है, लेकिन जल्दी ख़तम कीजिए.”

मैं उठा और टीवी बंद कर दिया. और मैने भाभी के लिप्स पे एक किस दिया और उसके पैरों के पास बैठ गया. उसकी सारी उपर सरकाते हुए, उसकी टाँगों को सहलाया. उसने आँखें बंद कर ली. ये देखकर मैं उसकी सारी के अंदर घुस गया. उसने पैंटी नहीं थी आज. उसकी चुनमुनियाँ के चोंचले को हाथ से हल्के हल्के मसल्ने लगा. उसकी टाँगों को सहलाया और चाटने लगा. इसी बीच उसकी सारी को नाभि तक उठा दिया और 1-2 मिनट उसकी गोरी चिकनी मांसल जांघों को देखने लगा, की फिर इनके दर्शन होंगे कि नहीं. मैने उसकी टाँगों को फैलाकर उसकी चुनमुनियाँ को दुबारा चाटना शुरू कर दिया. चुनमुनियाँ लसलसाने लगी. और मैं चाट्ता रहा. 5-6 मिनट बाद मैं वहाँ से हटा. उसने भी मेरा निक्कर और अंडरवेर उतार दिया और वो लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी. उसने 3 मिनट लंड चुसाई की.

फिर मैने उसको वही सोफे के बगल वाले छोटे बेड पर लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने के बाद चुनमुनियाँ मे लंड पेल दिया. धीरे धीरे हिलाना शुरू किया, 5-6 मिनट आराम से चोद्ने के बाद मैने उसके उपर ही लेट कर 1-2 मिनट के लिए लंबी सांस ली, रिलॅक्स हुआ.

मैने ललिता को बेड से उठाया और सिंगल सोफे पर बैठाया. सारी उसकी नाभि के उपर उठी हुई थी. उसकी चुनमुनियाँ के दरवाजे खुले हुए थे जैसे कि मेरे लंड को आमंत्रित कर रहे हो! मैने उसकी टाँगों को उठाया और अपनी कंधों पे रखा. ये पोज़ भी बड़ा एरॉटिक लगता है. मैने अपना लंड फिर से चुनमुनियाँ मे धकेल दिया, लंड फ़चक से अंदर गया, लगा कि लंड चुनमुनियाँ के अंदर किसी गरम नरम दीवार से टकराकर ही रुका. मैने लंड पूरा खींच निकाला और वापस तेज़ी से पेल दिया. ज़ोर के झटके से वो चिहुनक जाती थी. उसी पोज़ मे 2-3 मिनट चोदा, क्यूंकी उसकी टाँगे थोड़ी भारी लग रही थी. मैने उसकी टाँगों को नीचे रखा और लंड को चुनमुनियाँ के अंदर रखकर फिर थोड़ा रिलॅक्स किया और फाइनल राउंड के लिए रेडी हो गया.

पिच्छले 4 साल से मैने डॉली को कई डिफरेंट पोज़िशन्स मे चोदा है. और मुझे पता है कि डॉगी स्टाइल मे चोद्ने से लंड जल्दी झड्ता है. ये मेरा पर्सनल एक्सपीरियेन्स है, पता नहीं दूसरों के साथ ऐसा हुआ या नहीं. क्यूंकी पिछे से चोद्ने मे लंड चुनमुनियाँ के अंदर थोड़ा टाइट सा जाता है. और मैं जितना भी कंट्रोल करने की कोशिश करता, उस पोज़िशन मे 5-6 मिनट से ज़्यादा होल्ड नहीं कर पाता.

मैं ललिता के पिछे आया, उसकी पीठ को किस किया, उसके बूब्स को दबाया. फिर उसको धकेल कर आगे झुकाया और घोड़ी जैसा बना दिया. उसकी टाँगों को थोड़ा फैलाकर रखा, जिससे चुनमुनियाँ वाला हिस्सा खुल गया. मैं उसके पैरों और हाथों के बीच घुसकर बैठ गया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा. इसी बीच वो भी अपना मुँह नीचे लाकर मेरे लंड को चूसने लगी.

थोड़ी देर मे उसके नीचे से निकला और उसकी चूतड़ के पिछे खड़ा हुआ. मैने चुनमुनियाँ मे लंड भिड़ा कर लंड को अंदर डालने की कोशिश किया. लेकिन निशाना ग़लत लगा, लंड गांद मे टच हो गया था. ललिता उचक गयी, “अरे आप कहाँ लगा रहे हैं? वहाँ नहीं, थोड़ा नीचे लगाइए.” मैने फिर से निशाना लगाया और बोला, “भाभी आप ही लगा दो निशाना.” उसने मेरा लंड पकड़ा और चुनमुनियाँ से लगाया. मैने धीरे से लंड घुसाना शुरू किया. लंड जब पूरा घुस गया तो मैं भाभी की कमर पकड़ कर धक्के मारने लगा. धीरे धीरे चोद्ता रहा. बीच-बीच मे लंड निकाल लेता था. 3-4 मिनट तक़ धीरे धीरे किया. उसकी फूली हुई चूतड़ को भी खूब सहलाया. फिर मैने स्पीड बढ़ा दी, धाप-धाप धाप-धाप की आवाज़ गूंजने लगी. वो भी अपनी गांद पीछे धकेल कर चुनमुनियाँ मे लंड लेने लगी. वो बोल रही थी, “आप चोदिये, चोदते रहिए, चुनमुनियाँ फाड़ दीजिए आज!” मैं हंसते हुए बोला, “भाभी, मेरे छोटे लंड से आपकी फूली हुई चुनमुनियाँ कैसे फटेगी? आपकी चुनमुनियाँ मे तो मेरे लंड जैसे 5 लंड घुस जाएँगे एक साथ!!” वो बोली, “इतनी भी चौड़ी नहीं है मेरी चुनमुनियाँ!”

मैं उसकी कमर पकड़कर चुनमुनियाँ मे धक्के लगाता रहा. फाइनली, अगले 4-5 मिनट मे मैं बेकाबू हो गया, मैं झड़ने को हुआ तो मैने कहा, “भाभी .. मैं झाड़ रहा हूँ…!” मैने लंड चुनमुनियाँ से बाहर खींच लिया और उसकी गांद और पीठ पे वीर्य गिरा दिया. मैने अपनी चड्डी उठाई और उसकी गांद और पीठ को पोंछ दिया. वो बोली, “आधे घंटे की चुदाई क्या क्विक राउंड होता है! इतने मे तो मेरे प्यारे पातिदेव का 5-6 राउंड हो जाएगे!!”

मैने उसको अपनी ओर घुमाया और उससे लिपट गया. उसको मैने फिर से माथे और होंठ पे एक-एक किस दिया. उसने भी जवाब मे एक किस होंठ पे दिया. उसकी आँखों मे संतोष झलक रहा था. फिर हम अलग हुए. वो तुरंत बाथरूम गयी और चुनमुनियाँ सॉफ करके आई. मैं भी लंड धोकर आया. उसने अपनी सारी ठीक की. शाम के 3:40 बज गये थे.

वो बोली, “आशीष, अब मैं जाती हूँ. आपने मुझे थका दिया.” मैं बोला, “ठीक है भाभी. अब आप जाइए. मैं भी अब थक गया हूँ. थोड़ा देरी सो जाउन्गा. आपने मुझे एक नया अहसास और मज़ा दिया भाभी. सुक्रिया.” वो बेड रूम गयी और अपनी ब्रा उठा लाई. उसके बाद वो अपने घर चली गयी.

मैं दरवाजा बंद करके सो गया. शाम को उठा तो 7 बज चुके थे. आँखों के सामने अब भी दिन मे ललिता भाभी की चुदाई वाले सीन्स घूम रहे थे. मैं उठा और वॉश बेसिन पे जाकर ब्रश किया और चेहरा धोया. मोबाइल देखा तो उसमे डॉली के 4 मिस्ड कॉल थे. मैने डॉली को फोन लगाया, “हेलो!” उधर से उसकी डाँट पड़ी, “कहाँ गये थे, फोन भी नहीं उठाते हैं!!” मैं बोला, “यार, मैं सो रहा था, क्या करूँ जागता हूँ तो तुम्हारी याद आती रहती है. फोन टीवी रूम मे रह गया था. अभी उठा हूँ.” उसने कहा, “मेरी याद या मेरी चुनमुनियाँ की!!” मैं समझ गया वो अकेली है इस समय. मैने तपाक से जवाब दिया, “जो भी समझो यार, चुनमुनियाँ की ही याद आती है, लेकिन चुनमुनियाँ तो तेरी जांघों के बीच ही है ना, इसीलिए तुम्हारी याद आ जाती है. तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता यार. माताजी अब कैसी हैं?” उसने कहा, “माजी ठीक हैं अब. अरे मेरी भी हालत यहाँ खराब है. मन तो करता है आपके पास उड़कर आ जाऊ और आपके लंड को चुनमुनियाँ मे 24 घंटे डालकर 1 महीने की भडास निकाल दूं!” मैने कहा, “ऐसा क्या!! तब तो मुझ जैसे 24 लौन्डे बुलाने पड़ेंगे.” वो बोली, “ढत्त!! आप भी! पता है मैने कल यहाँ क्या देखा!! वो देखके मेरी हालत और खराब हो गयी.” मैने पूछा, “ऐसा क्या देख लिया?” वो बोली, “अरे बाबा, आपके दोस्त मनीष, मेरे भैया और भाभी की चुदाई देख ली थी.” मैने कहा, “यार तुम भी कितनी चुदक्कड हो गयी हो, क्या-क्या देखती हो, छी… कितनी गंदी हो गयी! अपने भैया-भाभी की चुदाई देखती हो!!” वो चहकते हुए बोली, “इसमे छी की क्या बात है, आप डीवीडी मे चुदु-चुदु फिल्म देखते हैं, मुझे लाइव फिल्म देखने का मौका मिल गया और देख ली तो क्या हुआ? मैं आके आपको बताउन्गि तो आप को भी मज़ा आएगा.” मैने कहा, “ठीक है डॉल, फिलहाल तुम फोन रखो, आके सुनाना वो किस्सा. लेकिन जल्दी आओ, अपनी सुंदर सी चिकनी सी गोरी सी प्यारी सी चुनमुनियाँ को जल्दी ले आओ. मेरा लंड उसके इंतेज़ार मे सूख गया है. बाइ!” उसने कहा, “ठीक है, अपना ध्यान रखिए, ठीक से खाइए. आइ लव यू.” फिर हमने एक दूसरे को फोन चुंबन दिया और फोन काट दिया.

समाप्त
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,443,011 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 537,899 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,208,890 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 913,886 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,620,022 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,053,197 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,904,901 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,903,246 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,972,600 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,491 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)