Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
12-09-2019, 12:17 PM,
#11
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट - 11


समीर : अब तो ये ड्रिंक ले लीजिये हमारी दोस्ती के नाम? ये ड्रिंक नही है। और हां ये रहा मेरा कार्ड इसके पीछे मेरे पर्सनल नम्बर है। अगर दिल करे हमसे बात करने का तो कॉल करना। वैसे तुम हो बहुत खूब सूरत।

समीर चंचल से इतना बोलकर तुरंत वहां से निकल गया लेकिन चंचल वहीं खड़े खड़े समीर के बारे में सोचती रही। उसे एक और समीर से हुई ये पहली मुलाकात इंटरेस्टिंग लगी वही दूसरी और वो डर ही रही थी। ये तो खुद चंचल को भी पता नही था कि वो डर क्यों रही है। इसी डर के चलते चंचल कुछ भी समझ नहीं पा रही थी। चंचल ने समीर के दिये हुए कार्ड को फेंकने चाहा लेकिन उसी वक़्त उसके ड्राइवर का कॉल आ गया। ड्राइवर का कॉल देख कर चंचल ने तुरंत समीर का कार्ड अपने पर्स में रखा और ड्राइवर के साथ कार में बैठ कर आफिस गयी। करीब 2 घण्टे बाद चंचल आफिस से सीधे घर निकल गयी।



अब आगे.....


चंचल पूरे दिन की मीटिंग्स और आफिस वर्क से काफी थक गई थी इसलिए घर आते ही सबसे पहले तो चंचल नहाने के लिए वाशरूम चली गयी। नहाते वक्त जब शावर की बूंदे चंचल के बदन को स्पर्श करते हुए नीचे की और रेंगते हुए गिरने लगी तो उन पानी की बुंदिन से चंचल के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी।



चंचल आंखें मूंदे अपने शरीर के हर हिस्से को बड़ी ही नज़ाक़त से सहलाते हुए नहाने लगी।



और बस देखते ही देखते सावन में आग लग गयी। एक तो चंचल और सुरेश के बीच के शारीरिक संबंध बने हुए करीब करीब 15 दिन हो चुके थे। इन 15 दिनों में चंचल को सेक्स की बहुत जरूरत महसूस हुई लेकिन वो कर भी क्या सकती थी। लेकिन आज ये चंचल के बर्दाश्त के बाहर था।



चंचल अपने बदन को सहलाते हुए सुरेश को याद कर रही थी। तकरीबन 10 मिनट बाद चंचल वाशरूम से बाहर निकली। आते ही चंचल ने एक टॉवल अपने चारों और लपेट लिया। जो चंचल के अधकच्चे आमों से लेकर उसकी मांसल जांघों तक था। चंचल के गीले बालों से पानी की बूंदे उसके कंधो पर अपना बसेरा डाल रही थी। चंचल अपने बिस्तर पर लेट कर तुरंत अपना फ़ोन निकाला और सुरेश को कॉल कर दिया।



सुरेश कॉल पर :-

सुरेश : हेलो, डार्लिंग , कैसी हो?

चंचल: बहुत परेशान...

सुरेश: क्यों? क्या हुआ? कोई बिज़नेस प्रॉब्लम?

चंचल: नहीं तुम्हारे बिज़नेस को तो में संभाल लुंगी लेकिन मुझे कौन संभालेगा?

सुरेश: क्या मतलब? तुम्हे क्या हुआ? तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना?

चंचल: सुरेश कम ऑन, मुझे कुछ नहीं हुआ। बस तुम्हारी याद आ रही थी।

सुरेश : वह सॉरी डार्लिंग बस कुछ दिनों की बात और है फिर तो में आ ही रहा हूँ ना।

चंचल: सुरेश..... एक्चुअली ई नीड यु नाउ!

सुरेश: क्या मतलब नाउ? मैं कैसे आ सकता हूँ अभी के अभी?

चंचल: ओह सुरेश ट्रॉय टू अंडर्सटेण्ड

सुरेश: चंचल जो भी कहना है साफ साफ कहो, तुम्हे मालूम है ना मैं अभी आफिस में हूँ। और अभी मीटिंग स्टार्ट होने वाली है।

चंचल: ओके देन लिसेन, मुझे सेक्स चाहिए।

क़रीब 2 मिनेट के सन्नाटे के बाद....

सुरेश: ओह तो मेरी इतनी याद आ रही है। लेकिन मैं कैसे ? अभी ? जान तुम तो जानती हो ना।

चंचल: सुरेश हम फ़ोन सेक्स तो कर ही सकते है ना।

सुरेश: चंचल , कैसी बात कर रही हो? मैं आफिस में हूँ।

(सुरेश को एक लड़की उसकी मीटिंग के लिए सूचित करने आती है।

चंचल: यार थोड़ी ही देर की तो बात है और फिर....

सुरेश: (चंचल की बात काट ते हुए) सॉरी चंचल आई हैव टू गो। और तुम ना ठंडे पानी से नहाओ वरना परेशान होती रहोगी। इन 15 दिनों में बहुत बदमाश बाते तुम्हारे दिमाग मे आने लगी है।

सुरेश चंचल पर हंसते हुए फ़ोन काट देता है और चंचल सुरेश सुरेश करते रह जाती है। बड़े बुझे मन से चंचल अपने बिस्तर पर कपड़े बदल कर लेट जाती है लेकिन आज उसका शरीर उसके बस में नहीं था। चंचल की चूत किसी भट्टी की तरह टप रही थी। चंचल इस वक़्त अपने पति के साथ के लिए तड़प रही थी और उसका पति उसकी परवाह किये बिना उस पर हंसते हुए फ़ोन काट देता है। चंचल ऐसे विचारों से घिर कर सुरेश पर गुस्सा कर रही थी।

सारी रात चंचल बिस्तर पर इधर उधर करवटें बदलती रही। नींद तो जैसे कोशों दूर थी। शरीर की गर्मी में तड़पते हुये चंचल को कब सुबह हो गयी उसे पता तक नही चला। कमरे में लगी एयर कंडिशनर तक चंचल के शरीर के ताप को कम न कर सके।

सुबह चंचल उठी तो जल्दी जल्दी तैयार होने लगी। तैयार होते हुए चंचल बार बार सुरेश की बेरुखी को कोस रही थी।



चंचल हालांकि सुरेश से बहुत प्यार करती है लेकिन फिलहाल वो उन हालतों से गुज़र रही है जिन में उसके लिए कुछ सोच पाना तक मुमकिन नहीं हो पा रहा। चंचल तैयार होने जे साथ ही जब आफिस के लिए जाने लगी ठीक उसी वक़्त नौकरानी लता भी घर मे आ जाती है। चंचल एक बार सरिता के रूम की तरफ जाने लगती है लेकिन फिर कुछ सोच कर वापस घर के बाहर निकलती है।



चंचल का ड्राइवर चंचल का ही इंतजार कर रहा था। चंचल के आटे ही उसने गाड़ी का दरवाजा खोला और चंचल के बैठते ही गाड़ी आफिस की और दौड़ा दी। चंचल गाड़ी की विंडो से बाहर की और देखते हुए कुछ सोच रही थी।

चंचल अपनी सोच में कुछ इस तरह से उलझ गयी कि उसे पता तक नही चला कि वो कब आफिस पहुंच गई। करीब दो मिनेट तक चंचल का ड्राइव चंचल के उतरने का वैट करता रहा लेकिन जब चंचल गाड़ी से नहीं उतरी तो मजबूरन उसे चंचल को पुकार कर उसके ख्यालों से बाहर लाना पड़ा। चंचल जैसे ही ख्यालों से बाहर आती है तुरंत खुद को मानसिक तौर पर आफिस के काम काज के लिए तैयार करती है और आफिस में चल देती है। आफिस में करीब 2-3 मीटिंग पुराने टेंडेरेर और एम्प्लोयी के साथ थी जिन्हें पूरा करने के बाद चंचल कुछ सोचने लगती है।

चंचल कुछ देर सोच कर मुस्कुराकर के सुरेश के पास कॉल लगाती है। करीब 2 बार पूरा फ़ोन करने के बाद भी सुरेश की तरफ से कोई जवाब नही मिलता जिस से चंचल और झुंझला जाती है। चंचल का सर दुखने लगता है। चंचल तुरन्त अपने पर्स से सर दर्द की दवा ढूंढने लगती है। लेकिन दवा की जगह चंचल के हाथ मे समीर का विजिटिंग कार्ड आ जाता है।
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12-09-2019, 12:18 PM,
#12
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट - 12


चंचल अपनी सोच में कुछ इस तरह से उलझ गयी कि उसे पता तक नही चला कि वो कब आफिस पहुंच गई। करीब दो मिनेट तक चंचल का ड्राइव चंचल के उतरने का वैट करता रहा लेकिन जब चंचल गाड़ी से नहीं उतरी तो मजबूरन उसे चंचल को पुकार कर उसके ख्यालों से बाहर लाना पड़ा। चंचल जैसे ही ख्यालों से बाहर आती है तुरंत खुद को मानसिक तौर पर आफिस के काम काज के लिए तैयार करती है और आफिस में चल देती है। आफिस में करीब 2-3 मीटिंग पुराने टेंडेरेर और एम्प्लोयी के साथ थी जिन्हें पूरा करने के बाद चंचल कुछ सोचने लगती है।

चंचल कुछ देर सोच कर मुस्कुराकर के सुरेश के पास कॉल लगाती है। करीब 2 बार पूरा फ़ोन करने के बाद भी सुरेश की तरफ से कोई जवाब नही मिलता जिस से चंचल और झुंझला जाती है। चंचल का सर दुखने लगता है। चंचल तुरन्त अपने पर्स से सर दर्द की दवा ढूंढने लगती है। लेकिन दवा की जगह चंचल के हाथ मे समीर का विजिटिंग कार्ड आ जाता है।



अब आगे.....



समीर के दिये हुए विजिटिंग कार्ड को चंचल तकरीबन पांच मिनट तक देखती रहती है। चंचल ये निर्णय नहीं ले पा रही थी कि आखिर वो क्या करे? समीर से बात करे कि नहीं? चंचल को समीर से बात करके अच्छा लगा था लेकिन समीर का बात करने का अंदाज़ बहुत एडवांस और फ्लिर्टी था। जिस कारण से चंचल फिलहाल इस अवस्था मे बात नहीं करना चाहती थी जहां उसकी मनोदशा केवल ओर केवल अपने पति सुरेश के संपर्क को चाहती है।

चंचल एक बार फिर से सुरेश को कॉल लगाती है लेकिन फ़ोन लगने के साथ ही सुरेश चंचल का फ़ोन काट देता है। अब चंचल के लिए ये सब बर्दाश्त के बाहर था। चंचल कुछ देर सोचती है। और समीर के कार्ड को अपने होंठों पर फिराते हुए विचार करने लगती है। कुछ ही क्षणों में चंचल मानसिक तौर पर समीर से बात करने को तैयार हो जाती है और समीर को कॉल लगा देती है।




वहीं दूसरी और समीर अपने कमरे में बैठा हुआ रेड वाइन पी रहा होता है।



समीर जिस कमरे में रह रहा था वो किसी फाइव स्टार होटल से कम नही था। ये समीर का फार्म हाउस था। जैसे ही चंचल का कॉल समीर के फ़ोन पर आता है समीर कुछ देर तक फ़ोन को देखता रहता है। फिर उस फ़ोन को अपने सामने पड़ी टेबल पर से उठा कर कॉल अटेंड करने ही वाला होता है कि समीर कुछ सोच कर मुस्कुरा देता है और फ़ोन को वापस टेबल पर रख देता है। करीब 4 से 5 मिस्ड कॉल लगातार वो भी चंचल की और समीर उस कॉल को देख कर मुस्कुराता रहता है।



समीर अब काफी देर बाद एक गिलास में रेड वाइन डाल कर फिर से पीने ही वाला प है कि फिर से चंचल की कॉल आती है लेकिन समीर इस बार भी अटेंड ना करके मुस्कुराता हुआ रेड वाइन पिने लगता है। तभी जोर से समीर के कमरे का दरवाजा खुलता है।

समीर पीछे की तरफ घूम कर देखता है तो मुस्कुरा पड़ता है।

समीर: अरे आईये आईये मैडम चंचल... आप? यहां? यूँ अचानक? सब खैरियत तो है ना? (मुस्कुराते हुए)



चंचलSadमील जुले भावों से) तुमने कॉल क्यों नही अटेंड किया।

समीर: वो क्या है ना मेरा दिल नही कर रहा था किसी से भी बात करने का तो...

समीर के इस तरह के जवाब से चंचल की आंखों से आंसू छलक आये लेकिन फिर भी कैसे जैसे चंचल उन आंसुओं को छिपाने में सफल हो जाती है। समीर को भी इस बात की भनक पड़ गयी थी लेकिन समीर बिना चंचल की तरफ देखे उसे अपने सामने वाले सोफे पर बैठने का आग्रह करता है।


लेकिन चंचल के पैर तो अब हिल भी नहीं रहे थे। चंचल एक बार फिर से ख्यालों में गुम थी। चंचल को ये समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो समीर के पास क्यों आयी है? और यहां एक अनजान शख्स के पास आकर इस तरह इमोशनल होने का क्या मतलब निकला? मैं कैसे उसे अपना कॉल अटेंड करने के लिए फ़ोर्स कर सकती हूं?

चंचल अभी ख्यालों में गुम थी कि समीर अपनी सीट से उठ कर चंचल की तरफ बढ़ता है। समीर हौले से चंचल के पास जाकर फुसफुसाता हुआ चंचल के कान में बोलता है।

समीर: तो आपको हमारी दोस्ती मंज़ूर नही थी। फिर आप यहां क्यूँ आयी।

(चंचल अब समीर की फ्लर्टी बात पर मुस्कुरा पड़ती है)

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12-09-2019, 12:18 PM,
#13
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
चंचल: वो क्या है ना अब वो अनजान शक़्स हमे दोस्त नज़र आता है।

समीर: नो वे, अब मुझे उसकी दोस्ती मंज़ूर नहीं।

चंचल: (चोंकते हुए) व्हाट? पर क्यों? मैंने क्या गलत किया?


समीर: यु हर्ट माय इगो। इसलिए अब मुझे आपकी दोस्ती मंज़ूर नहीं।


चंचलSad मुस्कुराते हुए) तो अब हमारा दोस्त हमसे क्या चाहता है।


समीर: मेडम चंचल मैंने कहा ना मुझे किसी से दोस्ती नही करनी। और जो मैं चाहता हूं वो आप नही कर सकती सो लीव इट। चलिए ये बताईये चाय लेंगी आप या कॉफी , ठंडा वगैरा।

चंचल: अपने दोस्त को मनाने के लिए जो करना पड़ा वो करूँगी।

समीर: क्यों ज़िद कर रही हो तुम चंचल ये तुम्हारे बस की बात नहीं है। एक तो तुम अमीर परिवार से हो, ऊपर से बिज़नेस वुमन हो।

चंचल: मैं अपनी दोस्ती के लिए कुछ भी कर सकती हूं।

समीर: सोच लो फिर मुकर मत जाना।

चंचल: सोच लिया जब इतनी दूर आयी हूँ तो दोस्ती तो लेकर ही जाउंगी।


समीर: एक बार और सोचलो।


चंचल: अरे बाबा सोच बोलो क्या करना है।


समीर: तुम्हे मेरी ग़ुलाम बनना है। आई वांट यू एज़ माय स्लेव।


चंचल समीर की मुह से निकली बात को सुनकर चोंक जाती है और वही की वही खड़ी रह जाती है। चंचल के मोह से बोल नही फुट रहे थे।


समीर: क्या हुआ? अब नही करनी दोस्ती। अब जाओ अपना बिज़नेस संभालो।

समीर वापस अपने सोफे की तरफ जाने लगता है तभी पीछे से चंचल बोलती है।

चंचल: मुझे मंज़ूर है।

समीर: आर यू स्योर?

चंचल: यस

समीर: देखलो एक बार मेरी स्लेव बनने के बाद तुम्हारे लिए सबसे ज़रूरी सिर्फ में रहूंगा कोई और नहीं।

चंचल: (कुछ देर सोचते हुए) मुझे मंज़ूर है।

समीर सोफे के पास पड़े एक डिब्बे से हाथ पर बांधने वाला बेंड निकालता है और उसे चंचल के हाथ पर पहना देता है।

समीर: ये तुम्हारा मेरी स्लेव होने का प्रूफ है । वादा करो तुम इसे कभी नहीं उतारोगी।

चंचल: ठीक है नहीं उतारूंगी, लेकिन ये मेरे लिए बहुत चीप नही है।

समीर: वो तो वक़्त बताएगा। अभी तुम आफिस जाओ। जब तुम्हारे मालिक को तुम्हारी ज़रूरत होगी तुम्हे कॉल कर दूंगा। और हां आज के बाद तुम्हे हर काम के लिए मुझसे परमिशन लेनी होगी। खाना खाना हो या नहाना धोना हो, कपड़े बदलने से लेकर क्या पहनना है यहां तक भी।

चंचल: व्हाट?

समीर: चंचल का हाथ पकड़ कर उसे दरवाजे के बाहर धकेल देता है । अब जाओ और आज पहली गलती थी इसलिए माफ किया। अगली बार पनिशमेंट दूंगा। और सुनो अगर मेरे कहे अनुसार नही किया तो तुम मेरी स्लाव नहीं मैं तेरा मालिक नहीं। उस दिन के बाद से तुम मुझसे कोई बात नहीं करोगी।

चंचल कुछ बोलना चाहती लेकिन समीर ने उसके मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया। चंचल काफी कोशिश करती है समीर से बात करने की लेकिन समीर चंचल से कोई बात नही करता। चंचल बन्द दरवाजे से अपने ऑफिस की और चली जाती है।

करीब 2 से ढाई घंटे तक चंचल ये विचार करती रहती है कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। क्या समीर की स्लेव बनना?? मैंने ऐसा कैसे कर दिया? और क्यों? ओह शिट अब क्या करूँ। चंचल का एक मन तो समीर के प्रपोजल को स्वीकार कर चुका था लेकिन एक मन उसे अभी भी रोक रहा था। चंचल थक हार कर अपने घर की और निकलने लगती है कि तभी चंचल के पास एक पार्सल लेकर कोई लड़की आती है और चंचल को देकर वापस चली जाए है पार्सल पर समीर का नाम लिखा हुआ था और साथ ही एक चिट्ठी भी थी।

चंचल जल्दी से पार्सल को हाथ मे लेकर अपनी गाड़ी में बैठ जाती है और घर निकल जाती है। रात का खाना सबके साथ खा कर चंचल अपने कमरे में जाति है। बार बार चंचल की नज़र उस पार्सल पर जाती है जो कि समीर ने चंचल के लिए भेजा था। चंचल डरे हुए मन से उस पार्सल को उठती है और उसपर लगी चिट्टी को पढ़ने लगती है।

चिट्ठी:-

चंचल तुमने मेरी स्लेव होने का जो निर्णय किया है , में देखना चाहता हूं कि तुम उसके लायक भी हो या नहीं। इसलिए तुम्हे ये पार्सल भेज रहा हूँ । अगर काल तुम ऑफिस में ये कपड़े पहन कर आओगी तो में समझूँगा तुम पूरी तरह से मेरी स्लेव बनने के लायक हो और अगर नहीं पहना तो इस बात को यहीं खत्म कर दूंगा। ना में तुम्हे जानता हूँ और ना ही तुम मुझे।


चंचल चिट्ठी को पढ़ कर पार्सल को खोलती है तो चोंक जाती है। पार्सल में मॉडर्न कपड़े थे। जो कि अभी तक चंचल पहन कर आफिस में नहीं गयी थी। न ही उसके घर मे ये सब जायज थे। चंचल विचार करती है कि वो ये सब नहीं करेगी। अपने मन को पक्का कर के मन ही मन कहती है वो सिर्फ सुरेश की ग़ुलाम है और किसी की नही।

चंचल सुरेश को कॉल करती है करीब 3 कॉल काटने के बाद सुरेश चंचल की कॉल रात को 1 बजे अटेंड करता है।

सुरेश: क्या यार चंचल कितना परेशान करने लगी हो तुम। जब एक बार कॉल काट दिया तो समझ नही आ रहा कि मैं बिजी हूँ।

चंचल: प्लीज सुरेश ऐसे मत बात करो। तुम जानते हो न मैं तुम्हे कितना प्यार करती हूं। तुम्हे बहुत याद करती हूँ।

सुरेश: तो क्या करूँ काम धाम छोड़ कर चढ़ जाऊं तुम पर। अगर इतनी ही आग है तू किसी और को चढ़ा लो। मुझे काम के वक़्त परेशान करना भगवान के लिए बंद करो।

चंचल: सुरेश बकवास बैंड करो। मैं तुम्हारी बीवी हूँ। और तुम किस बात का गुस्सा मुझ पर उतार रहे हो। क्या एक बीवी अपने पति को कॉल भी नही कर सकती।

सुरेश: ( अपनी गलती का एहसास करते हुए) देखो चंचल...

चंचल: बस बहुत हुआ मिस्टर सुरेश, में आपकी पत्नी हूँ कोई ग़ुलाम नहीं।

सुरेश: चंचल... सुनो तो।

चंचल गुस्से में फ़ोन काट देती है और बिस्तर पर उल्टी लेट कर रोने लगती है। सुरेश के एक एक शब्द चंचल के सीने को छल्ली कर रहे थे। रोते रोते कब सुबह हो गयी चंचल को भी पता नहीं चला। चंचल ने जब अपना मोबाइल देखा तो उसमें सुरेश की तकरीबन 10 से 12 मिस्ड कॉल थी। चंचल गुस्से में फ़ोन को बिस्तर पर पटक कर बाथरूम में नहाने चली जाती है।
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12-09-2019, 12:18 PM,
#14
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट - 13




सुरेश: ( अपनी गलती का एहसास करते हुए) देखो चंचल...

चंचल: बस बहुत हुआ मिस्टर सुरेश, में आपकी पत्नी हूँ कोई ग़ुलाम नहीं।

सुरेश: चंचल... सुनो तो।

चंचल गुस्से में फ़ोन काट देती है और बिस्तर पर उल्टी लेट कर रोने लगती है। सुरेश के एक एक शब्द चंचल के सीने को छल्ली कर रहे थे। रोते रोते कब सुबह हो गयी चंचल को भी पता नहीं चला। चंचल ने जब अपना मोबाइल देखा तो उसमें सुरेश की तकरीबन 10 से 12 मिस्ड कॉल थी। चंचल गुस्से में फ़ोन को बिस्तर पर पटक कर बाथरूम में नहाने चली जाती है।



अब आगे...



चंचल नहा कर एक टॉवल अपने बदन पर लपेट कर अपने बेडरूम में आ जाती है।



अपना हेयर ड्रायर निकाल कर अपने बालों को सुखाते हुए बार बार सुरेश के रवैये के बारे में सोच रही थी। और उसी सोच में चंचल को कभी रौना आ रहा था तो कभी सुरेश पर गुस्सा।


चंचल अपने बाल सूखा कर जैसे ही अपने कपड़ों के ड्रॉर को खोलती है तो उसकी नज़र उस पार्सल पर पड़ती है जो कल समीर ने चंचल को दिया था। चंचल करीब पांच मिनट तक उस पार्सल को देखती रहती है लेकिन फिर उस पार्सल को उठा कर वो कपड़े पहनने लगती है।



कुछ ज्यादा मॉडर्न कपड़े तो थे नही न ही छोटे थे जिन्हें पहनने में चंचल को कोई आपत्ति होती। एक पेंसिल स्कर्ट और टॉप था।




चंचल ने उसे पहना और थोड़ा सा मेकअप किया फिर खुद को एक बार फिर से आईने में देखा तो चंचल शर्मा कर रह गयी। दर असल चंचल अपने मासूम चेहरे के कारण 21-22 साल की लड़की लग रही थी। लेकिन अपने फिगर के कारण वो 25 - 26 साल की कॉलेज गर्ल लग रही थी जिसकी शादी की उम्र हो। और इस मॉडर्न ड्रेस में चंचल बहुत ग्लैमरस लग रही थी। चंचल अपने बेडरूम से बाहर निकलती है तो देखती है सरिता और बाहर खाने पर उसका इंतजार कर रही थी। और उसकी नौकरानी घर का काम। सरिता की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है तो सरिता एक बार तो देखते ही रह जाती है।


सरिता: वाव दीदी यु लुक सो अमेज़िंग आमद सो ब्यूटीफुल।


चंचल: हट पगली, कब मुझे सताएगी तू।

दोनो बहने मिलकर हसने लगती है।

सरिता: लेकिन दीदी आज अचानक मॉडर्न ड्रेस कैसे? मैंने आपसे कहा था तब तो...

चंचल: वो क्या है ना अब आफिस में मुझे हर तरफ़ से एक्टिव रहना होगा ना। अंगार हर बार साड़ी में जाउंगी तो मेरे अपने आफिस वाले मुझे ओल्ड फैशनड नहीं समझेंगे।


सरिता: वो तो है दीदी। लेकिन क्या एक ही ड्रेस रोज रोज पहनोगे या फिर और भी लायी है आप।


चंचल: (कुछ सोच कर) अरे नहीं नहीं एक ही ड्रेस क्यों और भी है। और कम पड़ी तो तू है ना ले आना।


एक फिर से दोनों मुस्कुरा पड़ी। चंचल अपना खाना खत्म करके आफिस की और निकल पड़ती है। आज पहली बार ड्राइवर ने चंचल को इन कपड़ो में देखा था। लेकिन ड्राइवर ने तुरंत अपनी नज़रें फेर ली। चंचल का इस बात पर कोई खास ध्यान नही था।



चंचल कार में बैठे बैठे समीर को कॉल करती है लेकिन समीर कॉल अटेंड नहीं करता बल्कि चंचल का कॉल काट देता है। करीब पांच मिनट बाद चंचल के फ़ोन पर एक मैसेज आता है। ये समीर का मैसेज था। चंचल तुरन्त मैसेज को पढ़ती है।


मैसेज:-
देर चंचल मैंने तुम्हें जो पार्सल दिया था यदि तुम वो कोड़े पहन कर आई हो तो सीधे आफिस निकल जाना। मैं वही पर मिलूंगा। अगर उन कपड़ों में तुम नहीं आयी हो तो में तुम्हारे आफिस से बिना तुमसे मिले निकल जाऊंगा।


चंचल वो मैसेज पढ़ कर एक बार तो बहुत कन्फ्यूज्ड होती है लेकिन अगले ही पल चंचल खुद को समझा लेती है। ड्राइवर कार को आफिस के सामने रोक देता है। कार के रुकते ही चंचल उतर कर अपने आफिस में जाने लगती है। जैसे ही चंचल आफिस में एंटर करती है सारा स्टाफ चंचल को गुड मोर्निंग विश करता है साथ ही चंचल का लुक देख कर सरप्राइज भी होता है। हक़ीक़त तो ये थी कि सारा स्टॉफ चंचल को अब तक ओल्ड फैशनड समझने लगा था लेकिन आज का लूके देख कर आफिस स्टाफ का पॉइंट ऑफ व्यू बदल गया।


करीब 15 या 20 मिनट के चंचल के केबिन में रघु आता है।


रघु: हेलो मैडम, अभी मिस्टर समीर का अपॉइंटमेंट है।


चंचल: समीर ... ओके... उन्हें मेरे केबिन में भेज दो।


रघु: जी मेडम...


रघु बाहर जाकर समीर को चंचल के केबिन में भेज देता है।


समीर: गुड मॉर्निंग मेडम


चंचलSadमुस्कुराते हुए) गुड मॉर्निंग माय मास्टर समीर....
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12-09-2019, 12:18 PM,
#15
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
समीर: अरे नहीं नहीं मैडम मैं आपका अभी मास्टर नहीं हुआ हूँ । ये कपड़े पहन कर तो आपने अभी तक ये साबित किया है कि आप दिल से मेरी स्लेव बनना चाहती है। लेकिन अभी तो आपको ये साबित करना है कि क्या आप मेरी स्लाव बनने के लायक है भी की नहीं।

चंचल: और वो सब साबित करने के लिए मुझे क्या करना होगा।


समीर: मेरे चार काम करने होंगे आपको। और वो ऐसे काम होंगे जो केवल मेरी पक्की स्लेव कर सकती है जिसके लिए मैं भी कुछ भी कर सकता हूँ।


चंचल: अच्छा बोलो क्या करना है।


समीर: ये लो (एक पैकेट चंचल की तरफ बढ़ाते हुए) इस आफिस से बाहर निकल कर ये कपड़े पहनना और सीधे मेरे फार्म हाउस पर आ जाना। और हाँ चंचल के कान के पास जाकर । नो इनरवेयर ओनली ड्रेस। याद रखना वरना वही से वापस लौट जाना और मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।


समीर बिना चंचल की बात सुने मुस्कुराता हुआ चंचल के केबिन से बाहर निकल जाता है।

चंचल ने समीर के पहले पैकेट को स्वीकार करके ये साबित कर दिया था कि वो जल्दी से समीर को किसी बात के लिए इनकार नहीं कर सकती


चंचल: समीर समीर (समीर को चंचल रोकने का असफल प्रयास करती है)


अब चंचल के लिए ये नई मुसीबत थी। लेकिन चंचल को ये पता नहीं था कि वो क्या करे। समीर ने उसे कैसे कपड़े दिए है। आखिर समीर चाहता क्या है?



करीब चार घंटे बाद समीर का कॉल चंचल के पास आता है।


समीर: अगर मेरी स्लेव बनना है तो आ जाओ, अभी


चंचल: लेकिन समीर (फ़ोन काट)


चंचल फ़ोन को एक टक देखती रहती है। उसे समीर का सुरेश की तरह फ़ोन काटना बिल्ककुल पसंद नहीं आता। चंचल कैसे - जैसे हिम्मत करके आफिस से बाहर निकलती है। और पास के बने मॉल में जाकर चेंजिंग रूम में घुस जाती है। चेंजिंग रूम में चंचल समीर का दिया हुआ पैकेट खोलती है। चंचल के लिए सब बिल्कुल सामान्य नहीं था। कल जो पैकेट दिया था उसमें और आज के पैकेट में बहुत अंतर था। इस तरह के कपड़े चंचल ने ना तो कभी पहने थे ना ही वो पहन सकती थी। इस तरह के कपड़े केवल और केवल अंग प्रदर्शन और अश्लीलता को भड़काने के काम आते है।



ये एक टॉप था जो कि बैकलैस था। लेकिन चंचल ने फिर भी पता नही क्या सोच कर उस कपड़े को पहनने का निर्णय ले लिया। चंचल चेंजिंग रूम में वो कपड़े पहन कर बाहर अपने को सामने लगे आईने में निहारती है। चंचल इस वक़्त वाकई में ऐसी लग रही थी जैसे कई पुरुषों को आकर्षित करने के उदेश्य से उसने अपने जीवन मे पहली बार सेक्सी कपड़ो को पहना है। चंचल वो कपड़े पहनने के बाद एक तरफ एक्साइटेड थी तो दूसरी तरफ थोड़ा घबरा भी रही थी।


चंचल कपड़े बदल कर फिर से समीर के फार्महाउस की और निकल पड़ती है। चंचल कुछ देर बाद समीर के फार्महाउस पर जाकर डोर बेल बजाती है। समीर खुद आकर डोर खोलता है। समीर की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है समीर मुस्कुरा पड़ता है।


समीर: आज से तुम मेरी स्लेव हुई। अब तुम्हे वो हर काम करना होगा जो मैं तुमसे कहूंगा। मंज़ूर है।


चंचल: जब तुम्हारी स्लाव बन ही गयी हूँ तो मुझे सब मंज़ूर है।


समीर: आओ अंदर आओ। आज तुम्हे में तुम्हारे मालिक की असली दुनिया से रूबरू करवाता हूँ। याद रखना यहां इस दुनिया मे आने वाला वापस अपनी दुनिया मे तब तक नहीं जा सकता जब तक वो खुद मालिक बनने की औकात नहीं रखता।

चंचल: मंज़ूर है। (चंचल समीर के साथ फार्महाउस में अंदर जाती है।)
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12-09-2019, 12:18 PM,
#16
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट - 14



चंचल कपड़े बदल कर फिर से समीर के फार्महाउस की और निकल पड़ती है। चंचल कुछ देर बाद समीर के फार्महाउस पर जाकर डोर बेल बजाती है। समीर खुद आकर डोर खोलता है। समीर की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है समीर मुस्कुरा पड़ता है।

समीर: आज से तुम मेरी स्लेव हुई। अब तुम्हे वो हर काम करना होगा जो मैं तुमसे कहूंगा। मंज़ूर है।

चंचल: जब तुम्हारी स्लाव बन ही गयी हूँ तो मुझे सब मंज़ूर है।

समीर: आओ अंदर आओ। आज तुम्हे में तुम्हारे मालिक की असली दुनिया से रूबरू करवाता हूँ। याद रखना यहां इस दुनिया मे आने वाला वापस अपनी दुनिया मे तब तक नहीं जा सकता जब तक वो खुद मालिक बनने की औकात नहीं रखता।

चंचल: मंज़ूर है। (चंचल समीर के साथ फार्महाउस में अंदर जाती है।)



अब आगे....


समीर: रुको

चंचल: अब क्या हुआ?

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समीर: कुछ नहीं, चलो आ जाओ।

चंचल समीर के साथ अंदर आ जाती है। समीर चंचल को सोफे पर बैठने का इशारा करता है।

समीर: बोलो क्या लोगी। ठंडा या गर्म।

चंचल समीर के इस सवाल पर मुस्कुरा पड़ती है।

चंचल: : फिलहाल तो कॉफ़ी चलेगी।

समीर चंचल के सामने वाले सोफे पर बैठते हुए।

समीर: तो जाओ लेफ्ट में किचन है। दो कॉफ़ी बना कर ले आओ।

चंचल: व्हाट?

समीर: (चिल्लाते हुए ) गो... गेट उप....

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चंचल समीर के चिल्लाने से डर जाती है।

चंचल तुरंत उठ कर किचन में जाति है और कॉफ़ी बनाने लगती है। तभी समीर सोफे मैं लगे एक ड्रॉर से ड्रग्स निकालता है।

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और उस ड्रग्स को अपने जेब मे रख लेता है। जब तक चंचल कफ बनाती है समीर उस दिन में एंटर हो जाता है जब चंचल की पहली मुलाकात समीर से होती है और वो एक ड्रिंक चंचल को आफर करता है। ये वही ड्रग था जो समीर एक बार चंचल को उस दिन उसकी मीटिंग के दौरान ड्रिंक में मिलाकर पिला चुका था। और उसी दिन दूसरी बार उसने खुद ड्रिंक आफर कर के चंचल को पिला दी थी। उस ड्रग के बाद चंचल की सेक्स डिजायर बढ़ चुकी थी। जिसके कारण से चंचल और सुरेश में झगड़ा हुआ था। लेकिन अभी तक चंचल को इस बात का एहसास नही हुआ था।


करीब 10 मिनट बाद चंचल दो कप कॉफ़ी बना कर समीर के सामने आ जाती है। चंचल दोनो कॉफ़ी के कप सोफे के सामने लगे टेबल पर रख कर सोफे ओर बैठ जाती है।

समीर : एक काम करो , फ्रीज़ में कुछ खाने को होगा ले आओ।

चंचल एक बार फिर से किचन की और चली जाती है और इसी दौरान समीर वो ड्रग चंचल की कॉफ़ी में मिला देता है लेकिन इस बार ड्रग की मात्रा थोड़ी ज्यादा थी। ये ड्रग aphrodisiac के नाम से जाना जाता है। जिसका हिंदी में मतलब है कामोद्दीपक। ये कई प्रकार की फॉर्म में मिलता है जैसे पीने के लिए, टेबलेट में, या फिर ट्यूब की तरह लगाने में या फिर परफ्यूम की फॉर्म में और तम्बाखू की फॉर्म में भी।

चंचल फ्रीज़ में बहुत देखती है लेकिन चंचल बियर और शराब के सिवा वहाँ पर और कुछ भी नज़र नहीं आता। जब समीर चंचल को खाली हाथ आते देखता है तो।

समीर: खाने को कुछ नही है फ्रीज़ में है ना। कोई बात नही आओ कॉफ़ी पी लो। फिर तुम्हे मैं एक ऐसी दुनिया मे लेकर जाऊंगा जो तुम्हारे इस मालिक की दुनिया है। पूरी तरह से प्लेज़र और आनंद से भरी हुई। कॉफ़ी जल्दी खत्म करो।

चंचल समीर के सामने सोफे पर बैठ कर कॉफ़ी पीने लगती है। चंचल के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था जिस कारण से वो ठीक तरह से किसी एक बात पर विचार तक करने में पूरी तरह से असमर्थ थी।

चंचल और समीर दोनो की कॉफी खत्म जो जाती है। समीर अंदर ही अंदर बहुत खुश था। क्यों कि वो चंचल को ड्रग देने में सफल हो चुका था।

करीब 10 मिनट में दोनों कपनी कॉफ़ी खत्म कर देते है।


समीर चंचल को अपने साथ आने को बोल कर अपने कपड़ों की एक ड्रॉर खोलता है और कपड़े साइड के करके एक बटन दबाता है। बटन के दबते ही उसी दरवार के पीछे की दीवार किसी दरवाजे की तरह खुल जाती है। ये एक सीक्रेट कमरा था।

समीर अब ड्रॉर से दूर हट जाता है और चंचल को अंदर जाने को बोलता है। चंचल जैसे ही अंदर जाती है तो देखती है कि अंदर बहुत अंधेरा है। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा। तभी समीर अंदर आता है और लाइट ऑन करता है। जैसे ही लाइट ऑन होती है चंचल चोंक जाती है।

ये कोई ख़ुफ़िया सुरंग वगैरा या कोई तहखाना नहीं था जहां कोई पुरानी पीढ़ी के राज़ दफ़न हो। ये तो बस एक साधारण सा कमरा था जिसमे कई ऐसे सामान रखे थे जिन्हें देख कर एक बार तो हर कोई चकरा जाए। दरअसल उस कमरे में अलग अलग किस्म और साइज के डिलडो,
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12-09-2019, 12:19 PM,
#17
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
सेक्स टॉयज, बी. ड़ी. एस. ऍम. के ट्रैप्स रखे थे।




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रस्सी से लेकर हथकड़ी और कपड़ों से लेकर के जूतों तक।

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वहीं दूसरी और कुछ बोतल भी थी। इन बोतलों में रखे पानी से ऐसे धुंआ निकल रहा था जैसे लैब कर कोई केमिकल हों। पास मैं कुछ हुक्के , अलग अलग रंग की मोमबत्तियां, तेल, इंजेक्शन्स, गद्दे, कैमरा और कैमरा स्टैंड, और भी बहुत कुछ जो लिखने बैठूंगा तो अगले तीन चार पन्ने उन्हें लिखने में ही भर जाएंगे।


चंचल के लिए ऐसा दृश्य पहली बार वास्तविकता में सामने आया था। किसी फिल्म में उसने कभी देखा हो तो मैं कह नही सकता। लेकिन वास्तविकता में किसी इंसान कर पास ये सब सामन उसने अपने जीवन भर पहली बार देखा था। उस सामान को देखते ही चंचल का दिल घबरा जाता है । चंचल अचानक से समीर की और देखती है।


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समीर: डरो मत ! मैं जानता हूँ मेरी स्लेव इस सब से आसानी से गुजर सकती है। इसलिए इनमे से तुम्हारे काम का कुछ नहीं। ये तो मेरी उन स्लेव के लिए है जो तुम्हारी तरह मेरी अपनी नहीं है। अच्छा एक काम करो। बाहर एक सूटकेस है सोफे के पीछे उसे लेकर घर चली जाना। आज के बाद तुम वही पहनोगी जो मैं कहुंगा और वही खाओगी जिसके लिए तुम्हे मेरी इजाज़त होगी। अगर उसके अलावा कुछ किया तो ध्यान रखना तुम्हे उसकी पनिशमेंट मिलेगी। और पनिशमेंट ऐसी होगी जिसके बारे में तुम कभी सोच भी नहीं सकती।


चंचल एक टक समीर को देखती रह जाती है। लेकिन समीर बस मुस्कुराता हुआ चंचल को देखता रहता है। चंचल धीरे धीरे उस कमरे से बाहर निकल जाती है और समीर का बताया हुआ सूटकेस उठा कर घर निकल जाती है।
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12-09-2019, 12:19 PM,
#18
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट - 15


समीर: डरो मत ! मैं जानता हूँ मेरी स्लेव इस सब से आसानी से गुजर सकती है। इसलिए इनमे से तुम्हारे काम का कुछ नहीं। ये तो मेरी उन स्लेव के लिए है जो तुम्हारी तरह मेरी अपनी नहीं है। अच्छा एक काम करो। बाहर एक सूटकेस है सोफे के पीछे उसे लेकर घर चली जाना। आज के बाद तुम वही पहनोगी जो मैं कहुंगा और वही खाओगी जिसके लिए तुम्हे मेरी इजाज़त होगी। अगर उसके अलावा कुछ किया तो ध्यान रखना तुम्हे उसकी पनिशमेंट मिलेगी। और पनिशमेंट ऐसी होगी जिसके बारे में तुम कभी सोच भी नहीं सकती।


चंचल एक टक समीर को देखती रह जाती है। लेकिन समीर बस मुस्कुराता हुआ चंचल को देखता रहता है। चंचल धीरे धीरे उस कमरे से बाहर निकल जाती है और समीर का बताया हुआ सूटकेस उठा कर घर निकल जाती है।



अब आगे.....


चंचल ड्राइवर के साथ अपने घर को निकल जाती है। चंचल घर पहुँचती है मगर सारे रास्ते बड़ी बैचैन रहती है। उसे बार - बार अपने अंदर एक अजीब सी बैचैनी महसूस हो रही थी। उसके ललाट पर पसीना था जिसकी वजह से उसकी गर्दन पर उसके बाल चिपके पड़े थे। जब चंचल अपने घर पहुँचती है तो समीर का दिया हुआ सूटकेस उठाकर सीधे अपने कमरे की और जाने लगती है।


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सरिता भी चंचल को इस तरह से पसीने में देख लेती है। लेकिन सरिता इस बात को सीरियस ना लेकर के नार्मल समझ कर टाल देती है।


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चंचल जैसे ही अपने कमरे में पहुंचती है। दरवाजा बंद करके बाथरूम में चली जाती है। चंचल अपना मुंह धोती है। और नहाने की तैयारी करती है। इस वक़्त चंचल के पसीने सुख चुके थे। चंचल अपनी ड्रॉर से कपड़े निकल रही थी कि कोई सरिता चंचल के लिए कॉफी लेकर दरवाजा नॉक करती है। चंचल जल्दी से दरवाजा खोलती है।

सरिता: दीदी मुझे आपसे कुछ बात करनी थी।

चंचल: क्यों नही आओ ना । अंदर आ जाओ।

सरिता चंचल के रूम में आजाती है। चंचल अपने रूम कर दरवाजा बंद करके अपने बैड पर बैठ जाती है। और साथ ही सरिता भी बैड पर बैठ जाती है।

चंचल: आज क्या बात है? तुमने कॉफ़ी बनाई है? नौकरानी कहाँ है?


सरिता : दीदी कॉफ़ी तो उसने ही बनाई है मैं तो बस आपके लिए लेकर आई हूँ। मुझे आपसे बात भी तो करनी थी।

चंचल: (मुस्कुराते हुए) अच्छा । कहो क्या बात करनी है। (कॉफ़ी की चुस्की लेते हुए)

सरिता: वो दीदी...... (घर्रर्रर्रर्रर्रर्रर, घर्रर्रर्रर्रर्ररर, घर्रर्रर्रर्रर, घर्रर्रर्रर्ररर)

चंचल का मोबाइल वाइब्रेट होता है। जैसे ही चंचल का मोबाइल वाइब्रेट होता है चंचल एक लंबी सी सिसकारी के साथ कांपने लगती है। चंचल की जाँघे ऐसे कांप रही थी जैसे वाइब्रेशन मोड पर चली गयी हो। चंचल की आंखें बंद हो गयी थी।



सरिता: (चंचल के पैरों को हिलाते हुए) दीदी ? दीदी? आप ठीक तो है ना। बाप रे आपके पैर तो बुरी तरह से तप रहे है।

चंचल: (कांपती आवाज में) हम्म हाँ.... नहीं वो मैं.... मैं.... मैं ठीक हूँ।

सरिता : दीदी डॉक्टर को बुला लेती हूं। मुझे नहीं लगता आप ठीक है। मुझे लगता है आपको बुखार है।

चंचल: नहीं वो सरिता बुखार नहीं है। ये तो नॉर्मली ऐसा ही होता है। चलो मेयो बाद में बात करती हूं फिलहाल मुझे नहाने जाना है।

सरिता: जी ठीक है। फिर में बाद में बात करती हूँ।

सरिता चंचल के रूम से बाहर निकल जाती है लेकिन चंचल एक अजीब सी सोच में डूब जाती है। चंचल जब खड़ी होती है तो देखती है कि वो जहां बैठी थी वहां बैड शीट पूरी तरह से गीली हो चुकी है। चंचल की साड़ी भी पीछे से पूरी गीली है। मतलब फ़ोन के वाइब्रेशन से जो चंचल के बैड में वाइब्रेशन हुआ उस से चंचल अभी अभी झड़ गयी थी। चंचल को यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसा भी कुछ उसके साथ हो सकता है।

चंचल जब फ़ोन देखती है तो सुरेश का कॉल था। चंचल सुरेश को कॉल लगाती है। 2- 3 बेल् बजने के बाद सुरेश तुरन्त कॉल अटेंड करता है।

सुरेश: हेलो चंचल!

चंचल: हेलो सुरेश। कैसे हो?

सुरेश: आई एम गुड जान। तुम कैसी हो? और सरिता कैसी है?

चंचल: नॉट गुड। आई मिस यू अलॉट। बाकी सब बढ़िया है।


सुरेश: मिस यू टू यार। बस दस पन्द्रह दिन की बात और है फिर लौट रहा हूँ।

चंचल: तुम्हारा इंतजार रहेगा।

सुरेश: अच्छा चलो मेरे आफिस जाने का वक़्त हो गया है। मैं तुम्हे बाद में कॉल करता हूँ।

चंचल: ओके जान


फ़ोन कट जाता है....

चंचल एक मिनेट तक फ़ोन को देखती रहती है फिर उठ कर नहाने के लिए बाथरूम में चली जाती है। चंचल करीब आधे घण्टे बाद नहा कर बाहर निकलती है।

चंचल एक नाइटी पहन लेती है। नाइटी के नीचे कुछ भी नहीं पहनती। इस वक़्त चंचल की चुंचिया एक दम कड़क तने हुए थी। और चूत भी हल्की हल्की बारिश कर रही थी। दरअसल ये सब चंचल के साथ समीर के दिये हुए APHRODISIAC का कमाल था। ये किसी भी ठंडी ठण्डी से औरत में भी सेक्स के प्रति तलब बढ़ा देता है। इसकी ज्यादा मात्रा एक तरफ जान ले सकती है तो दूसरी और सेक्स की इच्छा को प्रबल कर देती है।

चंचल अपने रूम का दरवाजा खोलने ही वाली थी कि चंचल का फ़ोन बजने लगता है। चंचल जैसे ही बैड की और जाती है और अपने फोन को देखती है तो पाती है कि समीर का कॉल है।

चंचल फ़ोन अटेंड करती है।

समीर: हेsssलो sssss चंचल

चंचल: हेलो समीर....

समीर: वीडियो कॉल करो अभी!

चंचल: अभी??? लेकिन..... (फ़ोन कट)

चंचल कुछ सोचती है लेकिन फिर तुरंत समीर को वीडियो कॉल करती है।


समीर: वाह क्या बात है! यू आर लुकिंग सो गोर्जीयस।

चंचल शरमा जाती है

समीर : अच्छा सुनो काल तुम्हे क्या ड्रेस पहननी है वो तुम्हे कल बात दूंगा। और हाँ एक बात और तुम काल मेरी बताई हुई ड्रेस के सिवा कुछ नहीं पहनोगी वरना पनिशमेंट.... समझी


चंचल: हम्म
फ़ोन कट...

अब चंचल की हालत में पहले से सुधार था। चंचल नीचे हाल में जाति है और सरिता के साथ मिलकर खाना खाने लगती है।

सरिता: दीदी आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है!

चंचल: हाँ तुम कुछ बोल भी रही थी। बताओ ना क्या बात है?

सरिता: दीदी ये जो अपनी पड़ोसन आंटी है ना आपको लेकर बहुत गलत ओर गन्दी बातें करती है। हमारी नौकरानी बात रही थी कि वो आंटी बोल रही थी कि " ये जो इस घर की बड़ी बहू है ना चंचल जब तक नौकरी पर नहीं जाती थी और इसकी सात्ज और पति यहां थे तब तक बहुत संस्कारी बनती थी। इसके संस्कारों को लेकर इसकी सास कई बार हमें बहुत कुछ सुना देती थी। लेकिन अभी देखो इसके संस्कार। अजीब से कपड़े पहन ने लगी है। मुझे तो लगता है इसका किसी के साथ चक्कर भी है...."

चंचल: व्हाट???? इस बुढ़िया की इतनी हिम्मत, मेरे कैरेक्टर पर उंगली उठा रही है। उसने इतना भी नहीं सोचा कि उसकी भी एक बेटी है।

सरिता: दीदी शांत हो जाओ। अगर हमने कुछ उनको बोला तो हम ही गक्त लगेंगे। और वैसे भी उसकी बेटी की अभी उम्र ही क्या है आठवीं या नवीं मैं पढ़ रही है। बच्ची है अभी तो...

चंचल: बच्ची माय फूट.... आजकल उसकी उम्र की लड़कियां बच्चे निकालती घूमती है।
सरिता: (पूरी तरह से शॉक्ड) दीदी आप क्या बोल रही है। आपको मालूम भी है।

चंचल: ( अपनी कही बात का एहसास करते हुए) आई डोंट नॉ।

सरिता: है है है है लेकिन जो भी बोल मस्त था। दीदी आपका गुस्सा मैंने आज पहली बार देखा।

सरिता को हंसता देख कर चंचल भी हसने लगती है।

चंचल: अभी तूने गुस्सा देखा कहाँ है सरिता अभी तो तुम देखोगी की चंचल से उस आंटी ने उलझ कर गलती कर दी।

सरिता: क्या करने का इरादा है दीदी?

चंचल : कुछ नहीं बस.... ऐसे ही.... चलो फिलहाल तो सोते है।

चंचल उठ कर अपने कमरे में चली जाती है और सरिता अपने कमरे में...

चंचल: हेलो समीर....

समीर: क्या बात है मेरी स्लेव मुझे अब नाम से बुलाएगी?

चंचल: सॉरी...... मास्टर मुझे आपकी मदद चाहिए। चंचल समीर को कुछ बताती है।

समीर: ठीक है मैं देख लूंगा लेकिन तुम्हे मेरी मदद करनी होगी।

चंचल: ठीक है । डन....
समीर: कल मिलते है बाय...
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12-09-2019, 12:19 PM,
#19
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट - 16



चंचल: सॉरी...... मास्टर मुझे आपकी मदद चाहिए। चंचल समीर को कुछ बताती है।

समीर: ठीक है मैं देख लूंगा लेकिन तुम्हे मेरी मदद करनी होगी।

चंचल: ठीक है । डन....
समीर: कल मिलते है बाय...


अब आगे.....




चंचल आफिस पहुंचती है। जहां पर समीर पहले से चंचल का वैट कर रहा था। चंचल जैसे ही आफिस पहुंचती है उसे सामने समीर दिखाई देता है। समीर को देखते ही चंचल समीर से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ती है। समीर भी चंचल से हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ता है। लेकिन अचानक समीर चंचल का हाथ पकड़ कर अपनी और खींचता है। समीर के ऐसा करते ही चंचल समीर के गले लग जाती है। एक पल को चंचल डर भी जाति है लेकिन उसके मन में एक अजीब सा सुकून था। तभी समीर के हाथ चंचल की कमर पर रेंगने लगतार है। धीरे धीरे समीर चंचल को अपने करीब और करीब ले आता है। चंचल समीर ले इतना करीब थी कि उसे समीर की सांस अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी। चंचल एक टक समीर की आंखों में देखती रहती है। तभी समीर हल्के से झुक कर चंचल के होंठों को अपने होंठों मैं कैद कर लेता है।



चंचल और समीर इस लंबे चुम्बन मैं इतना गुम थे कि उन्हें ये भी एहसास नही हुआ कि ऑफिस में चंचल का स्टाफ उन्हें देख रहा है। तभी चंचल के केबिन का डोर नॉक होता है। एक बार- दो बार तीसरी बार और अचानक से चंचल की आंख खुल जाती है।

सुबह : 7 बजे....

चंचल पुरो तरह से पसीनों में भीगी हुई थी। जोर जोर से हांफ रही थी। तभी बाहर से आवाज आती है।

सरिता: दीदी दीदी?? क्या आप आज आफिस नहीं जाएंगी?

चंचल: हम्म हाँ नहीं वो मैं बस आ रही हूँ। तुम चलो मैं अभी आयी।

चंचल मन ही मन सोचती है... ओह गॉड तो ये सब मेरे ड्रीम में चल रहा था। उफ़्फ़ समीर तुमने क्या कर दिया है मुझे...

तभी चंचल की नज़र घड़ी पर पड़ती है जिसमे 7.10 का समय हो रहा था। चंचल तुरन्त अपने बिस्तर से उठ कर वाशरूम में चली जाती है। जल्दी जल्दी तैयार हो कर चंचल टॉवल लपेट कर अपने बेडरूम में आती है। तभी चन्चल को एक कॉल आता है। चंचल कॉल देखती है तो समीर का था। समीर चंचल को एक ड्रेस पहन ने को बोलता है और साथ ही कुछ हिदायत भी देता है और फ़ोन काट देता है।

चंचल तुरंत समीर के दिये हुए सूट केस को खोलकर वो ड्रेस निकालती है। एक पल को चंचल उस ड्रेस को देखती रहती है लेकिन अगले ही पल चंचल मुस्कुराते हुए ड्रेस लेकर वाशरूम में चली जाती है। करीब पांच मिनट बाद चंचल वापस टॉवल लपेटे ही वापस आ जाती है।



लेकिन अचानक से चन्चल उस टॉवल को हटा देती है। उस टॉवल के नीचे चंचल समीर की बताई हुई ड्रेस पहन रखी थी।




चंचल: (मन ही मन) ये कैसी ड्रेस बताई है समीर ने, मैं क्या कोई स्कूल कॉलेज की लड़की थोड़े न हूँ। फिर एक बार खुद को आईने में निहारती है और शर्माते हुए अपने बेडरूम से बाहर निकलती है। चंचल के बाहर आते ही चंचल का सामना सरिता से होता है। सरिता नाश्ते के साथ चंचल का इंतज़ार कर रही थी।

सरिता: वाव दीदी यु लुकिंग सो यंग एंड सेक्सी...

चंचल: (आंखे निकालते हुए) चुप हो जा सुबह सुबह मत छेड़ मुझे

सरिता: दीदी अगर में लड़का होती तो पक्का आपका पीछा करती।
सरिता की इस बात पर चंचल और सरिता दोनो हसने लगती है। दोनो यूँही हँसी मज़ाक करते हुए नास्ता करती है। और चंचल अपने आफिस के लिए रवाना हो जाती है।

वहीं दूसरी और समीर के पास एक कॉल आता है।

समीर: हेलो....

कॉल: साहब बात करना चाहते है।

समीर: जी....

कॉल: तुम्हारे पास एक हफ्ते का वक़्त है। अगर इस एक हफ्ते में हमारा काम नहीं किया तो याद रखना हम क्या कर सकते है। और फिर अपने करोड़ों के नुकसान को भुगतने के लिए तैयार भी रहना।

समीर: जी एक हफ्ता लेकिन....

कॉल काट दी जाती है...

समीर: (झुंझलाकर) इसकी माँ की... अपने पैसे ऐसे ही नही डूबने दे सकता नहीं तो मेरा सब किया कराया मिट्टी में मिल जाएगा।

समीर कुछ सोच कर मन ही मन सोचता है कि जो होगा देखा जाएगा अब तो मुझे आगे कदम बढ़ाना ही पड़ेगा।


चंचल करीब आधा पौन घंटे में आफिस पहुँच जाती है। आफिस आते ही चंचल समीर को कॉल करती है।

समीर: हेलो, माय स्लेव..

चंचल: हेलो...

समीर : में आ रहा हूँ अपने पालतू कुत्तों को बोल दे मुझे ना रोके वरना तुम्हे सज़ा मिलेगी।

चंचल तुरंत फ़ोन काट कर एक कॉल करती है और बोल देती है कि मिस्टर समीर के साथ उसका आज का पहला अपॉइंटमेंट लिखें।

समीर चंचल के आफिस पहुंचता है। समीर के आटे ही उसे चुपचाप चंचल के आफिस में छोड़ दिया जाता है।

समीर जैसे ही चन्चल के आफिस में पहुंचता है चंचल को देख कर बहुत खुश होता है। चंचल उसकी दी हुई ड्रेस में बाकई बहुत खूबसूरत लग रही थी।

समीर आगे बढ़ कर चंचल को चूमने की कोशिश करता है। मगर चंचल समीर के सीने पर हाथ रख कर उसे दूर कर देती है।

चंचल: फर्स्ट ऑफ़ ऑल आप मुझे ये बताईये की कल जो मैंने कहा था वो आप कर सकते है या नहीं।

समीर एक टक चंचल की नज़रों में देखता रहता है। फिर बोलता है।

समीर: अगर तुम वो जानना चाहती हो तो सबके जाने के बाद तुम मुझे यहां आफिस में अकेले मिलना।

चंचल: अगर ऐसा है हुजूर तो सिर्फ दो घंटों की बात है आज आफिस का हाफ ड़े है। सभी निकल जाएंगे। ये तो और भी अच्छा है।

समीर: ठीक है मैं दो घंटों के बाद आऊंगा और फिर तुम बताना की मैं तुम्हारा काम कर सकता हूँ कि नहीं। लेकिन याद रखना हर काम की कीमत होती है। और तुमसे तो बहोत मोती कीमत वसूल करूँगा मैं।

चंचल: मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूँ। अगर मेरी पड़ोसन मेरे बारे में मेरी सास से कुछ कहेंगी तो सच मे मेरी ये जो थोड़ी सी आज़ादी है वो भी खत्म हो जाएगी। लेकिन अगर तुमने मेरे काम कर दिया तो वो अपना मुंह किसी के सामने खोलने लायक ही नहीं रहेगी।

समीर: ठीक है दो घंटे बाद मिलता हूँ। लेकिन मुझे उस लड़की के बारे में कुछ तो बताओ।

चंचल: हम्म ज़रूर मेरे पास उसकी कुछ तस्वीरें है। मगर कुछ पुरानी है।

समीर: कोई बात नहीं मैं देख लूँगा।

चंचल : ठीक है

चंचल तुरंत अपने लैपटॉप मैं अपना आई डी डाल कर कुछ ओपन करती है उसमें कुछ तस्वीरें आती है। चंचल समीर की तरफ लैपटॉप घुमाकर समीर को दिखाती है।



समीर: ये ......? लेकिन ये तो बहुत छोटी है।


चंचल: छोटी है? कोई छोटी नहीं है इसकी उम्र की लड़कियां तो बहुत आगे है। ये तो फिर भी 5 या 6 महीने पूरानी फ़ोटो है। चंचल कुछ फोटोज को जल्दी जल्दी स्क्रोल करती है और फिर एक फोटो समीर को दिखाती है फिलहाल ये ऐसी है।



चंचल: इसकी लंबाई पर मत जाओ। ये अभी नवीं मैं पढ़ रही है। और मजे की बात बताऊं ये ना हिन्दू है ना मुस्लिम , ये क्रिस्टन है। इनका परिवार क्रिस्टन है। तुम्हे अब तो कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।


समीर एक टक उस फोटो को देखता रहता है फिर बोलता है।



समीर: इसकी उम्र के हिसाब से तो इसकी झांटें भी अभी मुह नही दिखाई होंगी। और इसके अमरूद तो अभी निकलने लगे है। इसके फेस की बनावट से तो लगता है जैसे अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे और तुम इसे दुधारू बनाना चाहती हो।

समीर: तुम वास्तव में चाहती क्या हो?

चंचल: इस शहर की सबसे मशहूर रंडी बनाना चाहती हूं इसे।और रही बात दूध के दांत टूटने के अगर ये इस उम्र में नहीं करेगी तो क्या अपनी माँ की उम्र में आकर करेगी।


समीर एक टक चंचल की और देखता रहता है ।


समीर: एक औरत होकर तुम ऐसी बात.... खेर जाने दो । मैं इसे ऐसा उइ बनाऊंगा। लेकिन तुम्हे मेरी मदद करनी होगी इसे कल तीन घंटों के लिए मेरे पास ले आना।

चंचल : लेकिन मैं कैसे?

समीर: ( चंचल की बात काटते हुए) वो सब तुम जानो। मैं तीन घंटों में इसे ऐसी बना दूंगा की 24 घंटे लुंड मांगेगी। और हां 2 घंटे बाद तुम तैयार रहना। क्योंकि अगले 2 घंटे बाद जो तुमसे मिलेगा वो समीर नहीं बल्कि तुम्हारा मालिक होगा।


समीर अपनी बात खत्म करके वहां से चल देता है।
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12-09-2019, 12:19 PM,
#20
RE: Kamukta kahani बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट - 17


समीर: एक औरत होकर तुम ऐसी बात.... खेर जाने दो । मैं इसे ऐसा उइ बनाऊंगा। लेकिन तुम्हे मेरी मदद करनी होगी इसे कल तीन घंटों के लिए मेरे पास ले आना।

चंचल : लेकिन मैं कैसे?

समीर: ( चंचल की बात काटते हुए) वो सब तुम जानो। मैं तीन घंटों में इसे ऐसी बना दूंगा की 24 घंटे लुंड मांगेगी। और हां 2 घंटे बाद तुम तैयार रहना। क्योंकि अगले 2 घंटे बाद जो तुमसे मिलेगा वो समीर नहीं बल्कि तुम्हारा मालिक होगा।


समीर अपनी बात खत्म करके वहां से चल देता है।



अब आगे....



समीर अपने फार्महाउस पर पहुंच कर एक कॉल करता है।

समीर: हेलो , हाँ मैं बोल रहा हूँ। मुझे 1 घंटे में सारा सामान चाहिए। मैंने तुझे मेल किया है। और हाँ इस बात की भनक किसी को भी ना लगे। किसीको भी मतलब किसी को भी नहीं।

समीर कॉल काट देता है। और उस फ़ोन की सिम तोड़ कर एसिड से जला देता है।


वहीं दूसरी और चंचल परेशान हो रही थी। उसे समझ नही आ रहा था कि आखिर समीर क्या करेगा। लेकिन मन ही मन वो आने वाले लम्हों के लिए तैयार थी। सबसे बड़ी बात सुबह से चंचल की चूत से पानी टपक रहा था। ऐसा होना लाजमी भी था। आखिर कर सेक्स ड्रग का असर तो होना ही था।




करीब दो घंटों में चंचल का आफिस पूरी तरह से खाली हो जाता है।

करीब पंद्रह मिनट बाद चंचल के पास एक कॉल आता है।

चंचल: हेलो.... हाँ समीर....

समीर: हरामजादी, रंडी मुझे नाम से बुलाने की हिम्मत कैसे की तूने। मालिक बोल.... (चिल्ला कर)

चंचल: जी मालिक माफ कर दीजिए।

समीर: मैं आ रहा हूँ

चंचल: जी आजाइये।

फ़ोन कट.....


करीब 30 मिनट बाद समीर चंचल के आफिस में जाता है।

समीर: हेलो ब्यूटीफुल.... कैसी हो? अपने मालिक की याद आयी..

चंचल: (मुस्कुराते हुए) जी मालिक बहुत याद आयी। आपने बताया नही आप को जो मैंने कहा था कब और कैसे करेंगे?

समीर: वो सब तुझे जानने की ज़रूरत नहीं उसका में हमेशा के लिए इंतेजाम कर दूंगा। लेकिन फिलहाल तो तेरे साथ मजे करने है।

चंचल: क्या मतलब?

समीर: तेरे पति का केबिन कहाँ है ?

चंचल: जी उस तरफ..

समीर: तो फिर चलो... मुझे तुम्हारे पति का आफिस देखना है।

चंचल: हम्म तो ये लीजिये ये है मेरे हस्बैंड का केबिन।

समीर Sadअपनी पॉकेट से कुछ निकाल कर चंचल को बोलता है) इसकी महक देखो कैसी है?

चंचल : क्या मतलब?

समीर उस चीज को चंचल की नाक के पास करके उसे सांस लेने को बोलता है। चंचल भी डरते हुए उसे हल्के से सूंघ ने लगती है। चंचल को उसकी खुशबू हल्की अजीब से सेंट जैसी लगती है लेकिन अच्छी लगती है।



समीर चंचल के चेहरे को देखते हुए उसे कमर से उठा कर सुरेश की टेबल पर बिठा डेता है। चंचल कुछ समझपाती उस से पहले अचानक से चंचल के निप्पल हार्ड होने लगते है। उसके दिल में अजीब सी बैचैनी उठने लगती है। समीर अपने हाथों को हल्के से जैसे गुदगुदा रहा हो , इस तरह से चंचल के पूरे शरीर पर घुमाने लगता है। चंचल अपनी आंखें बंद करके उस लम्हे को एन्जॉय कर रही थी। उसका दिमाग सोचने समझने की शक्ति उस क्षण के लिए पूरी तरह से कहो चुका था। समीर उसी वक़्त चंचल के पैरों को हवा में उठा कर चंचल की पेंटी निकालने लगता है। चंचल का इस पर बिल्कुल भी विरोध नहीं था। वो तो बस खामोशी स्व आंखें बंद किये जो हो रहा था उसे होने दे रही थी। समीर होले होले बड़े ही प्यार से चंचल की पेंटी निकाल देता है।



चंचल की पेंटी जैसे ही उसके पैरों से बाहर निकलती है समीर चंचल को धक्का दे कर उसी टेबल पर लिटा देता है और चंचल की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख कर चंचल की टांगों के बीच चला जाता है।




समीर: वाह ! बेहद खूब सूरत नज़ारा है। ऊपर वाले ने जन्नत की सारी खूबसूरती शायद यही डाल दी। हल्के हल्के रोएं से ढकी रेशम की चादर जैसे चूत की फांकें। आपस मे जुड़ी हुई जैसे जन्मों से मिली हो। समीर मुस्कुराता हुआ एक किश चंचल की चूत पर करता है।



समीर के चूमते ही चंचल की चूत से हल्का सा पानी छलक आया। समीर ने जो चंचल को सुंघाया था वो एक ड्रग था aphrodisiac . चंचल ना चाहते हुए भी गर्म हुए जा रही थी। अचानक से समीर चंचल की चूत पर टूट पड़ता है। उसे बुरी तरह से चाटने लगता है।



लेकिन अपने हाथ चंचल की चूत को स्पर्श तक नही करता। सिर्फ अपनी जुबान को चंचल की चूत के जायके से जान पहचान करवा रहा था।


चंचल की आहें ,सिसकारियां और चरमोत्सर्ग का सबूत इस समय चंचल की गहरी मगर अटकती हुई सांसें दे रही थी। तकरीबन दस मिनट तक चंचल की चूत चुसाई के साथ जोबन मर्दन चलता रहा इस दौरान चंचल ने बहुत पानी बहाया। ज्यादा पानी बहने के कारण से चंचल की जांघें कांप रही थी।


समीर के चंचल की टांगों के बीच से हट जाने के बाद भी चंचल की कमर हवा में ऊपर की तरफ उछल थी और टांगे खुद ब खुद खुल रही थी। चंचल अभी तक अपने आनन्द से उभरी भी नही थी कि समीर अपने कपड़े निकाल देता है।




चंचल की आंखें अभी भी बंद थी। समीर चुपचाप चंचल के3 सर की तरफ चल जाता है जहां चंचल का सर सुरेश की टेबल से नीचे की और झुका हुआ था। और चंचल अभी भी पीठ के बल ही लेटी हुई थी। समीर बिना देर किए अपने लन्ड को सीधा चँचल के मुह में घुसा देता है।




चँचल इसके लिए तैयार नहीं थी। समीर का लंड चँचल के हलक तक जा रहा था जो कि साफ नजर आ रहा था। चँचल अचानक हुए इस हमले से बोखला कर आंखें खोलते है तो उसे सिर्फ समीर के आंड और गांड ही नज़र आती है। चँचल के हाथ पैरों में इतनी जान भी नहीं थी कि वो समीर को रोक सके। चँचल की आंखों से आंसू निकल आये थे। चँचल इस समय उस दौर से गुजर रही थी जहां नीचे तो आग लगी थी और ऊपर लंड पड़ रहा था।


समीर बीच बीच में लन्ड बाहर निकाल कर चँचल को सांस लेने तक का मौका दे रहा था । करीब दस मिनट की इस हार्डकोर डीप थ्रोट के बाद समीर गहरे धक्के लगाते हुए चँचल के हलक में अपने माल की बरसात करने लगता है। चँचल को इस वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे कोई सीधा उसके पेट मे कुछ डाल रहा हो। समीर का माल चँचल के हलक से होते हुए सीधे उसके पेट मे जा रहा था।




समीर अपना माल खाली करके एक क्रीम निकालता है और उसे अपने लंड पर मलने लगता है। देखते ही देखते समीर का लन्ड एक बार फिर से खड़ा हो जाता है। लेकिन इस बार उसका लन्ड अजीब सा लग रहा था। दरअसल ये भी एक ड्रग ही था। ये लन्ड को ड्राई करने के साथ साथ सेक्सुअल इरेक्शन भी देता है। समीर अपने लंड को हल्का सा लुब्रिकेटे करता है तो देखता है कि 5 से 8 सेकंड मैं उसका लन्ड फिर से ड्राई हो जाता है।


समीर हल्की सी मुस्कान के साथ चनाचल कि दोनों टांगों के बीच जाकर अपने लन्ड को चँचल की चूत पर रगड़ने लगता है। ड्रग के कारण चँचल की चूत बार बार पानी छोड़ रही थी। और समीर के लैंड को गीला कर रही थी। समीर भी देख रहा था कि उसका लन्ड गीला होने के बाद फिर से धीरे धीरे सुख रहा है। समीर चँचल की गर्दन ऊपर उठा कर उसकी आँखों मे आंखें डाल कर देखता है। चँचल की आंखें इस वक़्त सुर्ख लाल थी। ऐसा लग रहा था जैसे चँचल आने वाले लम्हों के लिए पूरी तरह से तैयार थी। समीर ने अपने लन्ड के सुपडे को चँचल की पानी छोड़ती चूत के मुंह पर लगा दिया। चँचल की कमर समीर के लन्ड के स्पर्श मात्र से हवा में उठ गई।
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