Kamukta Kahani दामिनी
11-17-2018, 12:45 AM,
#11
RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--6

गतान्क से आगे…………………..

हाँ तो सलिल मेरा चहेता था ..हम दोनों हमेशा साथ रहते , उसे भी चालू टाइप लड़कियाँ पसंद नहीं थी ..क्लास में भी हम दोनों साथ ही बैठते .लड़कियाँ जलती थी मुझ से और लड़कों का खून खौलता था सलिल को देख कर ..के साले ने कॉलेज की सब से फाटका माल पटा रखी है ...और हम दोनों इन सब बातों की परवाह किए बगैर अपने में मस्त रहते .

तो ये सलिल था हमारी लिस्ट में तीसरा .... कभी कभी मैं जब मूड में रहती तो उस दिन क्लास में मैं सलिल पीछे की बेंच पर जा कर बैठ जाते ..और सलिल को मालूम पड जाता के अब क्या होनेवाला है उसके साथ .

सलिल हमेशा मुझ से कहता " दामिनी ..यार ये क्या है..? तुम्हें मेरे लौडे से खेलना ही है ना..? चलो ना कहीं और चलते हैं ...पिक्चर हॉल है..पार्क है ..मेरा घर है ..हम कहीं भी जा सकते हैं ..पर तुम भी ना ...बस तुम्हें तो क्लास रूम में मेरे लौडे को छेड़ना है..कभी किसी दिन सर ने देख लिया तो फिर क्या होगा ..??"

"येई तो मज़ा है सलिल ....जो थ्रिल मुझे यहाँ मिलता है ..किसी और जागेह नहीं ...इतने सारे लोगों के बीच ..फिर पकड़े जाने का डर ..ऊओह सलिल ,सलिल ये थ्रिल कहीं और नहीं मिलेगा ...तुम मुझे इतना भी थ्रिल नहीं दे सकते ? सलिल प्ल्ज़्ज़ ..आइ लव यू बेबी ..लव यू सो मच.." और फिर एक सेक्सी लुक उसकी ओर काफ़ी होता उसे हथियार डालने को .

मेरी चूतड़ पिंच करते हुए वो बोल उठता " अरे मेरी अम्मा ...तुम ना ....ठीक है बाबा तुम और तुम्हारा थ्रिल ...अब चलो जल्दी चलो क्लास शुरू होनेवाला है..."

और फिर हम दोनों पीछे की बेंच में सब से किनारे बैठ जाते ...सलिल सामने देखता रहता जैसे ध्यान से सर का लेक्चर सुन रहा हो..और मेरे हाथ बिज़ी हो जाते ...

वैसे थ्रिल के अलावा एक और कारण था मेरा उसके लंड से क्लास रूम में ही खेलने का ...पिक्चर हॉल के अंधेरे में थ्रिल नहीं रहता और किसी दूसरी जागेह मैं उसके मोटे लंड से अपने आप को शायद चुद्ने से रोक नहीं पाती .... सलिल इस बात से अंजान था ..मैने कभी बताया नहीं...

क्लास में लेक्चर चालू था और इधर मेरे हाथों का कमाल ....मैने सलिल के पॉकेट में अपनी हथेली डाल दी ..उसके अंडरवेर की साइड की फाँक से उसका लौडा फुन्कारता हुआ बाहर आ गया था ..पॉकेट में उसके हमेशा एक बड़ा सा होल रहता था...मेरी स्पेशल फरमाइश ... ...और उस होल से उंगलियाँ अंदर घुसा कर मैं उसका लंड पकड़ लेती और मुट्ठी में जाकड़ धीरे धीरे सहलाती रहती ..सलिल ..आँखें बंद कर मज़ा लेता रहता ...अगर कोई देखे तो समझेगा वो आँखें बंद कर बड़े ध्यान से लेक्चर सुन रहा है..पर ध्यान तो उसका मेरी उंगलियों की हरकत पे होता ..मुझे भी कड़क और मोटा लंड हाथ से सहलाने में बड़ा मज़ा आता है...मैं कभी सहलाती ... .भींचती ..कभी अपने नाइल्स से उसके सुपाडे को हल्के हल्के कुरेदती ..दूसरा हाथ मेरा अपनी चूत में हरकतें करता ..और थोड़ी देर बाद सलिल अपनी लंड से पिचकारी मेरे हाथ में छोड़ देता ...मेरे दोनों हाथ गीले हो जाते ...जिन्हें मैं बाद में पूरे का पूरा चाट जाती ...स्वाद के साथ...!

अब ऐसे लंड को चूत में लेने की मुझे बहुत जल्दी थी ..और भैया का लंड तो पहले से दस्तक मार रहा था ..उफफफफफफफफ्फ़ ..और सब कुछ पापा पर डिपेंड था ..मैने अब मन बना लिया था इस बार पापा के टूर में जाने से पहले ही उन से चुद्ना ही है ..बस अब और देर नहीं कर सकती..पापा अब और नहीं ..तुम चोदो यह फिर मैं चोद्ति हूँ आप को ....

कहते हैं ना अगर दिल से कुछ करो तो भगवान भी मदद करते हैं ....हाँ मैने भी अपने दिल से पापा के लंड की ख्वाहिश की थी , और शायद अब पूरा होनेवाला था ..पापा का लंड अंदर लेते ही मेरे लिए लंड लेने के सारे दरवाज़े खूल जाते ..ये ख़याल आते ही मेरे पूरे शरीर में झूरजूरी सी होने लगी थी...ऊहह भैया ...अब आपका लंड मेरी टाइट चूत में दस्तक दे कर आकड़ेगा नहीं ..टूटेगा नहीं , पूरे का पूरा अंदर जाएगा ....सलिल डार्लिंग अब क्लास रूम में मैं तुम्हें परेशान नहीं करूँगी मेरे राजा ...बेड रूम में सीधा चुदवाउन्गि ...अयाया ..ऊवू ..पापा ..पापा ..

और मैने अपना मन बना लिया था ....

मेरी चूत भी अब भैया के लंड की घिसाई और अपनी उंगलियाँ मसल्ने से उतनी टाइट नहीं थी ..एक पतली सी फाँक बन गयी थी मेरे चूत के होंठों के बीच ..उसके अंदर का गुलाबी देखते ही बनता ..

अब मैं तैय्यार थी और बस मौके की तलाश थी मुझे ... बस एक मौका ...और फिर....ऊवू ...आआआआः पापा का मदमस्त लौडा होगा और मेरी फुद्दि ....हाँ फुद्दि .....पापा तो इसे चोद कर चूत बनाएँगे ना ...

जैसे जैसे दिन निकलते जाते मेरा उतावलापन बढ़ता जाता ....मेरी प्यास बढ़ती जाती ...मुझे जब भी मौका मिलता मैं पापा से लिपट जाती ..उन्हें चूमने लग जाती ... पर अभी तक उन्होने इसे सेक्स की नज़रों से नहीं देखा था ...वो इसे सिर्फ़ एक बेटी का प्यार और आकर्षण समझते ..जब के उनकी पॅंट के अंदर भी हलचल होता था ...पर वो उसे नज़र अंदाज़ कर देते ..पर इस से साफ ज़ाहिर था मैं उनमें सेक्स की भावना जगा सकती थी , और जागता भी था ..पर उनमें एक बाप और बेटी के रिश्ते की लक्ष्मण रेखा लाँघने की हिम्मत नही थी...

मुझे ही कुछ करना पड़ेगा ..मुझे ही पहेल करनी पडेगि ..वरना मेरी फुद्दि , फुद्दि ही रह जाएगी ...

और एक दिन :

मैं जब शाम को कॉलेज से वापस आई..देखा घर में एक सन्नाटा सा है ...पापा ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर लेटे कुछ पढ़ रहे थे ... उन से पूछा तो पता चला मम्मी गयीं हैं अपने सहेली के साथ किटी पार्टी में ..और उनकी पार्टी का मतलब रात 8-9 बजे तक आने की कोई गुंजाइश नहीं ..और भैया के तो एक्सट्रा क्लास चल ही रहे थे ..उनका भी आना देर सी ही होता .....मैं झूम उठी ....आज का मौका जाने नहीं देना दामिनी ..बस आज अपनी फुद्दि की चुदाई करवा लो ..चूत बनवा लो फुद्दि का..

मैं फ़ौरन अपने बेड रूम में गयी ..ब्रा और पैंटी निकाल दी...सिर्फ़ शॉर्ट्स और टॉप में थी मैं ...पापा भी सिर्फ़ शॉर्ट्स में ही थे .गर्मियों में घर में हमेशा शॉर्ट्स ही पेहेन्ते ..मेरा काम आसान था...

मैं अपनी कमर लचकाते , चूतड़ मटकाते सोफे के पास आई अओर पापा के बगल लेट गयी ,और बड़े प्यार और रोमॅंटिक अंदाज़ में उन से कहा:

"पापा ..आपको अपनी बेटी का ज़रा भी ख़याल नहीं.." और मैने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया..

पापा मुस्कुराने लगे और मेरे चेहरे को अपनी तरफ बड़े प्यार से खींचते हुआ कहा:

"ज़रा मैं भी तो सुनू मेरी प्यारी बेटी ने ये इल्ज़ाम मुझ पर क्यूँ लगाया..? " और मेरे गालों को चूम लिया ..मैं सिहर उठी ...मैने अपने पैर उनके पैर पर रख दिया और हल्के हल्के उनके पैर घिसना शुरू कर दिया ...फिर अपने हाथों को उनके सीने पर रख दिया और सीना सहलाते हुए कहा :

"पापा ..एक तो आप हमेशा टूर पे रहते हो ....हम लोग आपको कितना मिस करते हैं ..ख़ास कर मैं ..और जब आते हो तो यह टीवी यह फिर किताब ....ये क्या है ...?? आइ रियली मिस यू सो मच पापा ..कभी तो मेरी तरफ भी देखा करो ना .." और मैं उनके हाथ से किताब छीनते हुए उन से लिपट गयी ...उनके होंठ चूमने लगी ... मेरे होंठों में अजीब भूख ..ललक , लालसा , बेचैनी थी ...पापा चौंक पड़े ...

उन्होने मुझे अपनी बाहों में ले कर बड़े प्यार से अलग किया ..और मेरी आँखों में देखते हुए कहा :

"दामिनी बेटी ..मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ ..तू क्या समझती है मैं मिस नहीं करता ..बताओ मैं क्या करूँ के तुम्हें ये फील हो मैं भी तुम से उतना ही प्यार करता हूँ..बोलो ..." उनकी आवाज़ भर्राई थी ..मेरे पैर लगातार उनकी जंघें घिस रहे थे ..उसका असर साफ दीखलाई पड रहा था पापा के पॅंट के उभार से ..तंबू काफ़ी उँचा था ..मैं सिहर उठी ..मेरी फुद्दि गीली हो रही थी..

"ओओह्ह पापा यू आर सो स्वीट ... सो स्वीट " और मैने अब और ज़्यादा समय गँवाना ठीक नहीं समझा ...मैं उठ कर उनके कमर के पास बैठ ते हुए एक झट्के में उनके पॅंट की एलास्टिक खींचते हुए उनके घूटनो से नीचे कर दिया ,,उनका लौडा तनतनाता हुआ सलामी दे रहा था ...

मैने अपने दोनों हाथों से उसे जाकड़ते हुए कहा

"पापा आप जान ना चाहते हो ना मुझे क्या चाहिए ...मुझे ये चाहिए ..हाँ हाँ मुझे ये चाहिए ..."
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11-17-2018, 12:46 AM,
#12
RE: Kamukta Kahani दामिनी
पापा सन्न थे ..उन्हें मानों लकवा मार गया..कुछ देर वो बिल्कुल चूप थे......

मैं उनके लौडे को जोरों से सहलाए जा रही थी दोनों हाथों से और कहती भी जा रही थी " मुझे बस ये चाहिए ..हाँ मुझे ये चाहिए ... "

"तू पागल है दामिनी ..पागल ..तू जानती है तू क्या कह रही है ?? ..क्या करने जा रही है ...तू मेरी बेटी है दामिनी ..मेरी इतनी प्यारी बेटी ....मैने कभी ऐसा सोचा नहीं ... ये ग़लत है ...बेटी ...ग़लत है ..""

"कुछ ग़लत नहीं पापा ..कुछ ग़लत नहीं..मैं एक जवान लड़की हूँ और आप एक मर्द ..बस और कुछ नहीं..मैं कब से आपकी प्यासी हूँ ..मैं आप से कितना प्यार करती हूँ ..क्या प्यार करना ग़लत है ..??" मेरा हाथ उनके लौडे से लगातार खेल रहा था ..उनका लौडा और सख़्त होता जा रहा था ..पापा ने मेरे हाथ हटाने की कोशिश की ..पर आज ना जाने मुझमें इतनी ताक़त कहाँ से आ गयी थी ..पापा मेरे हाथ हटा नहीं सके ...

"बेटी ..मेरी प्यारी ..मेरी अच्छी अच्छी बेटी ..मान जा ..मान जा ..ये सही नहीं .." वो जान गये थे गुस्से से मैं नहीं मान ने वाली ...

मैने अब और ज़्यादा देर करना ठीक नहीं समझा ..मैं एक हाथ से पापा का लंड थामी थी और दूसरे हाथ से झट अपने शॉर्ट्स उतार दी ...उसी हाथ से अपनी फुद्दि फैलते हुए पापा के लंड पर अपनी फुद्दि रख डी , मेरे दोनों पैरों के बीच पापा थे ...मेरी फुद्दि इतनी गीली हो गयी थी के मेरे बैठ ते ही मेरी फुद्दि उनके सुपाडे तक अंदर चली गयी ....ये सब इतनी जल्दी हुआ के पापा भौंचक्के थे ..उनकी आँखें फटी की फटी रह गयीं ... उन्हें मानों लकवा मार गया था...

मैने बिना समय गँवाए अपनी आँखें बंद कर सांस रोकते हुए अपना पूरा वेट अपनी फुद्दि पर डाल दिया ....मेरी गीली फुददी पापा के लंड में ऐसे धँस गयी जैसे किसी छुरी पर खरबूज़ ...

मैं दर्द के मारे चीख उठी , मेरी झील्ली फॅट गयी थी ...

"पपााअ...बहुत दर्द हो रहा है.....मैं मर गइईए ...." पर मैं जानती थी अगर मैं अभी रुक गयी तो फिर कभी भी नहीं मिलेगा मुझे पापा का लंड ..मैने अपने दाँत भींचते हुए अपनी फुद्दि उपर की और फिर आँखें बंद किए एक और जोरदार दबाब डाला अपनी फुद्दि पर और फिर मेरी फुद्दि फत्चाक से पापा के लंड की जड़ तक पहोन्च गयी ...इस बार मेरी जान निकल गयी ...मेरे आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे दर्द के मारे और फुद्दि और लंड के बीच से खून .... पापा की जांघों में गिरते जा रहे थे ..मैं मन ही मन अपने आप को कहती जा रही थे "मत रुक मत रुक ..बस आज से ले , फिर बाज़ी तेरे हाथ है ..." मुझे लगा मैं दर्द से बेहोश हो जाऊंगी ... पर मैने अपने आप को संभाल रखा ...और फिर फुद्दि जो अब चूत बन चूकि थी ..झट उपर किया ..उपर करते ही और खून टपकने लगा ,मैं रोने लगी ..आँखों से आँसू निकल रहे थे ...

पर फिर जो मैने देखा .. मेरी जिंदगी का सब से रोमांचक और खुशी से भरा द्रिश्य था .......

पापा की आँखों में आँसू थे ...लगातार आँखों से उनके गाल पर बहते जा रहे थे ...मेरी ओर बड़ी प्यार से एक तक देखे जा रहे थे और मैं दर्द से सीसक रही थी ..मेरे आँखों में भी आँसू थे ..पर दर्द के ...मेरी चूत से खून रीस रहा था .. उनका लंड भी खून से लाल था ...

उन्होने मुझे मेरे कमर से थामते हुए अपनी ओर खींच लिया और अपने गले से लगाते हुए बार बार कहते जाते " ओओह ..ऊ बेटी , मेरी प्यारी प्यारी बेटी , बहुत दर्द हो रहा है ..??तू मुझे इतना प्यार करती है ...आइ टू लव यू ... बहुत ..बहुत प्यार करता हूँ..तुम्हें दर्द कैसे दे सकता हूँ , मेरी प्यारी बेटी ..कैसे ???"

औरे उन्होने मेरे गाल और आँखों में लगे आँसू अपनी जीभ से चाट ते हुए साफ कर दी , मैं खुशी से पागल हो उठी ....मैं अभी भी सिसक रही थी उनके सीने में सर रखे और फिर फूट पड़ी:

"हाँ ..हाआँ पापा ...आइ लव यू सो मच..मैं आपको पाने के लिए कुछ भी कर सकती थी..कुछ भी ..हाँ पापा ..कुछ भी..."

पापा ने मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामते हुए अपने चेहरे की ओर खींच लिया और बेतहाशा चूमने लगे ..कभी गालों को , कभी होंठों को , कभी गले को ..मैं सिहर रही थी ..कांप रही थी उनके प्यार से... और वो कहते जाते " तुझे बहुत दर्द दिया ना मैने ..चल अब मैं तेरी सारी दर्द ख़त्म कर देता हूँ ..अब तुझे कोई दर्द नहीं होगा ..मुझे माफ़ कर दे बेटी ,,मैने तुम्हें ग़लत समझा ...सही में हमारा रिश्ता कुछ और ही है ..कुछ और ही ... "

और मुझे एक बच्ची की तरह अपनी गोद में उठाते हुए अपने बेड रूम की ओर चल पड़े ...मुझे बड़े प्यार से लिटा दिया ...और एक सॉफ्ट टवल से मेरी चूत में लगे खून साफ किया ...अपने लंड को भी साफ किया ...फिर अपनी उंगलियों में क्रीम लगाई और मेरी चूत के अंदर हल्के हल्के लगा दिया, उनके उंगली की स्पर्श से मेरी चूत में जलन हो रही थी ...

"पापा अंदर जलन हो रही है ..." मैने सिसकते हुए कहा ..

"बस बेटी ..तू ने असली दर्द तो सह लिया बस अब थोड़ा और सह ले मेरी स्वीटी ..."

और उन्होने अपने लौडे पर भी क्रीम लगाई ..मेरी टाँगें फैला दी और मेरी टाँगों के बीच आ गये ..

क्रमशः.…………….
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11-17-2018, 12:46 AM,
#13
RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--7

गतान्क से आगे…………………..

मैने भी जितना फैला सकती अपनी टाँगें फैला दी और आँखें बंद किए करने लगी पापा के लौडे का चूत में अंदर जाने के महसूस का इंतेज़ार ..

उन्होने अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत की मुँह पे टीकाया और बड़े आराम से अंदर एक पुश दिया ... कुछ क्रीम की वजेह से और कुछ पहले से मेरे चूत के अंदर जाने से ..अंदर थोड़ी चूत खूल गयी थी ... उनका लंड फतच से आधा अंदर था ...मैं कराह उठी.."आआह ...ह आय ..दर्द होता है पापा "

पापा आधे में ही रुक गये और वैसे ही पड़े रहे थोड़ी देर ... "हाँ बेटी मैं जानता हूँ ..बस थोड़ा और ...उस के बाद तुम्हें कोई दर्द नहीं होगा ...मेरी स्वीटी स्वीट ..." और मुझे चूमने लगे ..और मेरी टॉप उपर उठा दी ..मेरी चुचियाँ बाहर हो गयीं ...मेरे गोल गोल टाइट चूचियो को हल्के हल्के मसल्ने लगे ..मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ...उनके होंठ चूसने और चुचियाँ मसल्ने से मैं अपनी चूत का दर्द भूल गई और इसका मज़ा लेने लगी ...तभी पापा ने एक और पुश दिया अपने लौडे को और लौडा पूरा अंदर था ..मैं चीहूंक उठी उन से चिपक गयी "अया ...हाँ हाआँ पापा अभी दर्द कम हुआ ..पर रूकना मत ..."

अब पापा ने अपना पूरा लौडा बाहर निकाला ...और फिर चूत में टीकाते हुए पेल दिया ..इस बार एक ही झट्के में अंदर था ..दर्द का अहसास ख़त्म था ... मैं आँखें बंद किए थी , मेरा मुँह आधा खुला था जैसा मम्मी का था उस दिन ...मस्ती में ..पापा समझ गये के अब मैं लंड लेने के क़ाबिल हो गयी थी ..अब उनका धक्का और जल्दी और , और ज़ोर पकड़ता जा रहा था ..मैं हर धक्के में खुशी से चीहूंक उठ ती और मेरा मुँह खूल जाता ...

इतनी टाइट चूत शायद पापा ने कभी नहीं ली थी ...उनके चेहरे पर एक अजीब हैरत थी जैसे मेरी चूत का इतनी टाइट होने का उन्हें असचर्या हो ...टाइट होते हुए भी अब बड़े आराम से अंदर उनका लौडा धक्के पे धक्का लगा रहा था ..हर धक्के पर मैं निहाल हो उठती ...

"हाँ ..आ पापा ..बस ऐसे ही हाँ ...और ज़ोर से ...मैं कितना तडपि हूँ पापा ......ऊवू अयाया ..अब तो चोदोगे ना पापा रोज अपनी बेटी को ..?? बोलो ना पापा ,,बोलो ना ..??'"

"हाँ हाँ मेरी रानी बेटी ..मेरी दामिनी ..हाँ ..हाँ " उनका धक्का ज़ोर और ज़ोर पकड़ता जाता ..मेरी टाइट चूत में उनका लंड ऐसे जा रहा था जैसे बंद टाइट मुट्ठी में कोई लंड पेल रहा हो ..मेरी चूतड़ उछाल रही थी ...मेरा मुँह ख़ूलता जाता ...

और फिर मैने पापा को जाकड़ लिया और मेरी चूतड़ उछल रही थी ..अपने आप ...बिना मेरे कोशिश के ..तीन चार उछाल के बाद मैं ढीली पड गयी और पापा भी ""ओओओओओओह हहााअ दामिनी , दामिनी " करते हुए मेरी कुँवारी चूत में अपने लंड से पिचकारी छोड़ना शुरू कर दिया ...ये मेरी चूत में पहली फुहार थी ..कितना प्यारा था ..कितना गर्म पर फिर भी अंदर एक ठंडक का अहेसास ..

पापा एक बच्चे की तरह अपनी बेटी के सीने पर सर रखे हानफते हुए पड़े थे ...मैं उनका सर सहला रही थी ...........

थोड़ी देर बाद पापा की साँसें नॉर्मल हुई ..पर वो वैसे ही लेटे थे मेरे सीने पर ..पर अब उन्होने मेरी चूचियों से खेलना शुरू कर दिया था .हल्के हल्के दबाते जाते और मेरी निपल्स को अपनी उंगलियों से भींचते ...अयाया मैं जैसे हवा में उड़ रही थी ...और कभी कभी दूसरी वाली चूची अपने होंठों से चूस लेते ...मैं मस्ती में सिहर रही थी ..

"अच्छा लग रहा है ना दामिनी..? अब तेरी चूत का क्या हाल है बेटी..? दर्द तो नहीं हो रहा ना..??"

उनके चूचियों से खेलने की वजेह से मैं सारा दर्द भूल चूकि थी और एक नशीले और मदहोशी के सागर में गोते लगा रही थी ..

"नहीं पापा ..बिल्कुल नहीं ..अब मुझे कोई दर्द नहीं है ..आआआः ..ऊवू हाँ पापा चूसो ना मेरी चुचियाँ , और ज़ोर से चूसो ना खा जाओ ना इन्हें ..ऊऊओह .."

ये कहते कहते मैं उन से लिपट गयी ..अपनी टाँगें उनकी कमर के गिर्द रखते हुए उन्हें जाकड़ लिया ..अपने हाथ उनके गले के गिर्द डालते हुए उनका चेहरा अपनी ओर खींच लिया और उनके होंठ चूसने लगी ..जैसे कोई भूखा बच्चा माँ की चुचियाँ चूस रहा हो....उन्होने भी अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था ...मैं पागलों की तरह उनके होंठ चूस रही थी , चाट रही थी ..अपनी जीएभ अंदर डाल कर उनकी जीभ चूस रही थी .. हम दोनों एक दूसरे को जैसे खा जाना चाहते थे ... चप ..चाप..पच पूच की आवाज़ आ रही थी..

थोड़ी देर बाद उन्होने अपने को मुझ से अलग किया और मेरी टाँगों के बीच आ गये ..मेरी टाँगें फैला दी उन्होने और अपनी उंगलियों से मेरी चूत फैलाते हुए उसके अंदर देखने लगे ....पापा बस देखते ही जा रहे थे ....मेरी गुलाबी चूत ...गीली चूत ..उनके वीर्य , मेरे रस और कुछ खून के कतरे ....पापा बस देखते जा रहे थे ...

"पापा ..क्या देख रहे हो आप ..मैने इसे कितना संभाल के रखा था आपके लिए ..अच्छी है ना पापा ...??"

पापा ने झूकते हुए मेरी चूत चूम ली ..मैं कांप उठी उनके होंठों के स्पर्श से

"अच्छी .? .दामिनी तेरी चूत में बहुत दम है बेटी ... अभी भी मेरे जैसे मोटे और लंबे लौडे के अंदर जाने के बाद भी कितनी टाइट और फ्रेश है ...अया ..ऐसी चूत रोज नहीं मिलती बिटिया रानी ... मेरी जिंदगी की सब से नायाब चूत है ये...सब से नायाब .... " और उन्होने एक टवल को थोड़ा गीला कर उसे अच्छी तरह पोंछ दिया ....थोड़े बहुत खून के कतरे थे उन्हें भी अच्छी तरह साफ कर दिया ..उनके चूत पोंछने के अहेसास से मैं झूम उठी थी ..मेरा पूरा बदन सिहर उठा था ..मैं कांप रही थी और चूत से फिर पानी रीस रहा था ...

गुलाबी चूत में मोतियों जैसे पानी की बूँदें..पापा रुक नहीं सके ..उन्होने अपना पूरा मुँह मेरी चूत को उंगलियों से फैलाते हुए मेरी चूत में डाल दिया और बुरी तरह चूसने लगे ... उन्होने मेरी चूत की फाँक अपने होंठों से जाकड़ ली थी और चूसे जा रहे थे ....

"अयाया ...ऊऊओ ...माआअँ ...पपाााआअ ...बहुत अच्छा लग रहा है ....ऊऊऊओ "
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11-17-2018, 12:46 AM,
#14
RE: Kamukta Kahani दामिनी
मैं मज़े में कराह रही थी , मेरे चूतड़ उछल रहे थे ..पापा चूसे जा रहे थे ..पूरे का पूरा रस निगलते जा रहे थे ,जैसे कोई स्ट्रॉ से कोल्ड ड्रिंक सक करता है ..पापा मेरी चूत सक कर रहे थे .... और जीभ भी चूत की पूरी लंबाई तक फिराते जाते ..मैं उछल रही थी ..मेरी जंघें थर थारा रही थी और फिर मैं अपने आप को रोक ना सकी....मेरे चूतड़ एक जोरदार झट्के से उपर उठे और मैं पापा के मुँह में झड़ती गाईए ..झड़ती गयी ..पापा ने भी मेरी चूत को अपने मुँह से लगाए रखा ....पुर का पूरा पानी उनके मुँह में खाली हो रहा था ..और वे पीते जा रहे थे .... आँखें बंद किए ..अपनी बेटी की चूत का पानी ..

पर पापा का लंड मेरी चूत चूसने की मस्ती से एक दम तननाया खड़ा था , इतना कड़ा हो गया था के हिल रहा था ..कडेपन की वाज़ेह से ..और उनके सुपाडे के च्छेद से पानी की बूँदें रीस रहीं थी ...जैसे आइस क्रीम की टॉप से पानी धीरे धीरे पीघलता हुआ रीस्ता है ....मुझ से रूका नहीं गया ..मैने अपनी चूत पापा के मुँह की तरफ कर दी और अपने दोनो हाथों से उनके लंड को जोरों से थामते हुए पहले तो जीभ से सुपाडे को चाट ने लगी फिर पूरे का पूरा लंड मुँह के अंदर ले चूसने लगी ..कभी होठों से चूस्ति ..कभी दाँतों से काट लेती ..पापा उछल रहे थे ...और मेरी चूत फिर से चाटे जा रहे थे , और बीच बीच में उंगलियों से मसल्ते भी जाते ...दोनों एक दूसरे से खेल रहे थे ..पापा कभी कभी अपनी उंगली भी मेरी चूत में घुसेड देते ..मैं चीहूंक उठती ...."अयाया ..हाऐी ..." अब उनकी उंगली बड़े आराम से अंदर जा रही थी . दर्द की जागेह अब मुझे गूद गूदि हो रही थी..पापा तो मेरी लंड चुसाइ से निहाल हो रहे थे ...उनका लंड लगातार पानी छोड़ रहा था , मैं पूरा पानी अंदर ले लेती और पापा चिल्ला रहे थे

""आआआह ..हाँ बेटी चूसो ..चूसो अपने पापा का लंड ..ऊऊहह ऊहह ..."

मैं भी कितनी ख़ूसनसीब थी , जिस लंड से मेरा जन्म हुआ ,उसी को मैं आज चूसे जा रही थी ...ऐसी कल्पना से ही मैं सिहर उठी थी ...मुझे ऐसा आहेसस हुआ मैं खुद को चूस रही हूँ ..मेरी चूत फडक रही थी ....चूत का मुँह अब और खूल गया था ...

मैं अब पापा के लंड को हाथों से थामे रही और चूसना बंद कर दिया ..उनका लंड फडक रहा था .. झट्के खा रहा था ...ऐसे लंड को चूत में लेना ..अयाया ..मज़ा आ जाएगा ...मैं पापा के मुँह से अपनी चूत हटा ली और अपने दोनों पैर पापा के जांघों के दोनों ओर रखे , अपनी चूत उंगलियों से फैलाते हुए उनके तननाए लंड पर बैठ गयी ... इस बार एक ही झट्के में मेरी चूत फिसलती हुई उनके लंड पर उतर गयी ..एक टाइट फिट... मुझे ज़रा भी दर्द नहीं हुआ ..मेरा पूरा बदन मस्ती में झूम उठा ..पापा भी आहें भर रहे थे ...

मैने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए ..फतच फतच की आवाज़ आ रहही थी ..पापा भी नीचे से चूत में अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे धक्कों से धक्का मिलाते पेलते जा रहे थे ..दोनों मस्ती में थे ....मैं अपना सर झटक रही थी पागलों की तरह और धक्के लगाए जा रही थी , मेरी चूत इतनी गीली थी के हर धक्के में पानी चूत कर पापा की जांघों में गिर रहा था ...पापा भी निहाल थे मेरी पागल चुदाई से ..दोनों कराह रहे थे ..दोनों सिसकियाँ ले रहे थे ....

"बेटी ...ऊवू दामिनी बेटी ..मेरी रानी बेटी ....अयाया ..ऊवू मैं गया ..आआआः "

मैं फ़ौरन धक्के लगाना बंद कर दिए और पापा के लंड को अपने मुँह में ले लिया ....और पापा मेरे जीभ के स्पर्श से ही मुँह में झडने लगे ..झाड़ते गये ..मैं उनका वीर्य पीती गयी ...वो झट्के ले ले कर झाड़ रहे थे और मैं उनका पूरे का पूरा वीर्य अपने अंदर ले लिया ...और साथ में मैं भी पापा के गर्म गर्म वीर्य के गर्म अहसास से झड़ती जा रही थी .... सिर्फ़ ये अहस के जिस रस से मैं पैदा हुई आज उसे चूस रही हूँ ..पी रही हूँ ..मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गये थे ..मैं झड़ती जाती ..झड़ती जाती ...

मैं बिल्कुल निढाल हो कर पापा के सीने पर सर रख पडि थी ..लंबी लंबी साँसें ले रही थी ..और पापा मेरे बलों को सहलाते हुए मुझे चूमे जा रहे थे ..चाटे जा रहे थे ...

मैने अपने जीवन का एक बड़ा , मोटा और लंबा पर शायद सब से अहेम कदम आगे ले लिया था...

उस दिन पापा से चुदाई के बाद मेरे कदम ज़मीन पर नहीं पड्ते ..कुछ तो उनकी धक्कम्पेल चुदाई के दर्द के मारे और ज़्यादा , खुशी के चलते . मैं बहुत खुश थी. एक बहुत बड़ा कदम हम ने आगे बढ़ा लिया था ... मेरी चूत के लिए एक बड़ा मुकाम मैने पार कर लिया था ...मैने अपनी कसम पूरी कर ली ....अब मेरी चूत के दरवाज़े खूल गये थे ...अब मुझे और लौन्डो को अंदर लेने में कोई रुकावट नहीं थी ..किसी तरह की कोई हिचकिचाहट नहीं कोई बाधा नहीं.....मैं अपने कसम से आज़ाद थी......ऊह मैं कितना हल्का फील कर रही थी....

पापा तो एक दम रिलॅक्स्ड मूड में लेटे थे ..मैं बाथ रूम गयी और फ्रेश हो कर अपने रूम में लेटी थी, मेरी चाल पहली चुदाई से थोड़ी लड़खड़ा रही थी..एक मीठा सा दर्द था चूत में.

देर शाम को जब भैया आए तो मैं उनसे बुरी तरह चिपक गयी और उन्हें चूमने लगी ...

"भैया ..भैया बताओ ,,बताओ आज मैं इतना खुश क्यूँ हूँ..बताओ ना ....""

"अरे दामिनी सही में ..इतना खुश तो मैने तुझे आज तक नहीं देखा ...ह्म्म्म ज़रा सोचने दो ...पापा ने कोई नयी गिफ्ट दी..??"

"हाँ ...."..मैने अपनी नज़रें झूकाते हुए कहा...

"क्या दी यार...कोई नयी सेक्सी ड्रेस ..??"

"नहीं.... और सोचो ..सोचो मेरे प्यारे भैया ..सोचो .." ये कहते हुए मैं उन से हट ते हुए आगे बढ़ने लगी सोफे पर बैठ ने ..पर मेरी चल में लड़खड़ाहट थी ..मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी ...चूत में अब कुछ हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था..

भैया थोड़ा घबडाये और पूछा " आरीईई ये क्या ..क्या हुआ तुम्हें ...तुम्हारी चाल ..?? "

मैं उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देख रही थी ..और गालों में उनके चिकोटी काट ते हुए कहा

"अरे मेरे भोले भले बूधू भैया ..येई तो है तोहफा पापा का ..मेरी जिंदगी का सब से अज़ीज़ और नायाब तोहफा ..कुछ समझे आप..???"
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11-17-2018, 12:46 AM,
#15
RE: Kamukta Kahani दामिनी
भैया की भौहें सिकूड गयीं ,,उन्होने दिमाग़ पर ज़ोर लगाया और फिर एक दम से चौंकते हुए उन्होने कहा ...

"ओह माइ गॉड ...ओह माइ गॉड .......तो क्या ...??? ओह माइ गॉड ..मतलब मेरी बहना ने अपनी कसम पूरी कर ली ....ऊऊहह ...ईज़ इट दामिनी ..???"

"हाँ भैया..." मैने उनके चौड़े सीने पर अपना मुँह छिपाते हुए कहा "हाँ भैया ....आज मैं पापा से चुद गयी.."

उन्होने मेरा चेहरा उपर उठा लिया , मेरी आँखों में बड़े प्यार से झाँकते हुए कहा ..

" यू आर रियली ग्रेट दामिनी ..ऊऊओ अब मैं भी तुम्हें चोद सकता हूँ ...अयाया मैं भी कितना खुश हूँ आज ...." और मुझे चूमने लगे ..

"अब छोड़ो भी ना भैया ,,मम्मी कभी भी आ सकती हैं ....बाद में मैं आऊँगी ना ...अभी छोड़ो ..ना ..प्ल्ज़्ज़.."

भैया ने मुझे छोड़ दिया पर थोड़ा सीरीयस होते हुए कहा :

"पर लगता है पापा ने बड़ी बेरहमी से तुम्हें चोदा ...तुम्हारी चाल से साफ जाहिर है..बहुत दर्द है क्या ..??"

क्रमशः.…………….
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11-17-2018, 12:46 AM,
#16
RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--8

गतान्क से आगे…………………..

"नहीं भैया ..उन्होने तो बड़े प्यार से और बड़ा ख़याल रखते हुए चोदा ..पर पहली चुदाई और उनका मोटा लंड ..थोड़ा असर तो होना ही था ना ..और मुझे भी कितना अच्छा लग रहा है..ऐसा दर्द किस्मेत वालों को ही नसीब होता है ...अब आप के लिए रास्ता साफ है ..आप का लंड तो पापा से भी मोटा और लंबा है भैया ...मुझे अब कोई तक़लीफ़ नहीं होगी आपका लंड लेने में...ऊऊओ भैया ..भैया ...बस आप भी मुझे आज रात चोद ही दो..."

"अरे पागल हो गयी है क्या.....आज नहीं बहना ..आज तेरी चूत को आराम चाहिए ..कल करेंगे ..आज मेरे रूम में आ जाना ..मैं तेरी चूत की सींकाई कर दूँगा ...फिर तुम्हें चोदून्गा ..अच्छे से ...तुम्हें भी अच्छा लगेगा ..."

भैया का प्यार देख मैं निहाल हो गयी और उन्हें चूमते हुए कहा "भैया ..आप भी मुझे बहुत प्यार करते हो ना ..?? आप देखना मैं कितना प्यार दूँगी आप को ...."

और मैं अपनी लड़खड़ाती चाल से अपने बेड रूम में जा कर लेट गयी..

थोड़ी देर बाद मम्मी भी आ गयीं ...और उनकी चाल में भी लड़खड़ाहट थी .... पर चुदाई की नहीं ..नशे की...उनकी किटी पार्टी का आफ्टर एफेक्ट...

"ऊवू... भाड़ ..में जाए.. ये पार्टी .....शब ने... मुझे इतना पीला दिया ... उफ़फ्फ़... " उनकी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही थी ..."दामिनी ..दामिनी ..कहाँ है बेटी ....शब कहाँ मर गये..??"

मैं बाहर आती उसके पहले ही भैया उन्हें अपने कंधों का सहारा देते हुए उनके बेड रूम की ओर उन्हें ले जाने लगे..उनका पूरा वेट भैया के कंधों पर था ..उनकी चुचियाँ उनके सीने से चिपकी थी ..उनकी साँसें आल्कोहॉल की खुश्बू से भरी ...भैया के गालों को छू रही थी ...और उनकी शेप्ली कमर भैया ने हाथों से जाकड़ रखा था ...भैया पर मम्मी के नशे की मदहोशी छाई थी...उनकी चाल में भी लड़खड़ाहट थी ..मदहोशी की.....

"हाँ मेरा राजा बेटा ... तू मेरा कितना ख़याल रखता है ना....तू सही में राजा बेटा है ..." मम्मी भैया से लिपट गयीं ..उनकी चूत को उनकी सारी के उपर से भैया का लंड दस्तक दे रहा था ...

भैया धीरे धीरे उन्हें उनके पलंग पर पापा के बगल लीटा दिया ..पापा अभी भी नींद में ही थे ..

उफफफ्फ़..पलंग पर लेटे मम्मी क्या गजब ढा रहीं थी...भैया अगर उन पर मरते थे तो कोई ग़लत नही था....उनकी सारी अस्त व्यस्त थी...गोरा , चीकना पेट , ज़रा भी बाहर नहीं सही उभार ..और नाभि का गोल सूराख....आँचल नीचे गिरा ..उनकी चुचियाँ लगभग बाहर ...दूधिया ...आँखें बंद किए लंबी लंबी साँसें ले रही थी ..उनकी चुचियाँ उपर नीचे , उपर नीचे हो रही थी .....भैया एक टक उन्हें देखे जा रहे थे ....मैं अगर भैया की जागेह होती .उसी समय मम्मी को चोद डालती ....

तभी उनकी आँखें खूलीं , भैया उन्हें देखे जा रहे थे ....

"अरे क्या देख रहा है मुझे अभी ..?? "

और उन्होने अपने हाथ उपर कर अपनी चुचियाँ ढँकने की कोशिश की ,पर हुआ ठीक उल्टा ...सिल्क की सारी ..हाथ की हरकत से बजाय सीने पर जाने के..उनका आँचल सरकते हुए पलंग से नीचे जा गिरा ..,,भैया और भी मुश्किल में आ गये ..मम्मी की भारी और भारी भारी चूचियों के उभार से.... ब्लाउस इतनी तंग थी मम्मी की ..सिर्फ़ निपल्स ढँके थे ...और बाकी सब आँखों के सामने ...मम्मी आँखें बंद किए भैया की हालत पर धीरे धीरे मुस्कुरा रहीं थी ...

फिर पता नहीं उनके दिमाग़ में क्या आया . फ़ौरन सीरीयस हो गयीं और मुझे कहा

"दामिनी बेटी ......तुम दोनों भाई बहेन फ्रिज से कुछ ले कर गरम कर लेना ..और खा लेना...ऊवू मैं भी ना .... " और वो आँखें बंद कर बिस्तर पर टाँगें फैलाए पड गयीं..

किटी पार्टी से जब भी आतीं मम्मी का येई हाल रहता था .

खाते वक़्त मैने भैया से कहा .." भैया ..आप मेरे रूम में आ जाना ना,..प्ल्ज़्ज़ ..वही जो करना है कर लेना .."

"हाँ दामिनी ..ठीक है ..मैं वही आता हूँ थोड़ी देर में ..कुछ पढ़ाई कर लूँ ..तू जा और चूप चाप लेट जा.."

उस रात भैया ने मेरी चूत की खूब अच्छे से सिकाई की .. ..खूब चूसा , खूब चाटा ,,अच्छे से सहलाया ...मुझे इतना रिलॅक्स्ड फील हुआ , मेरी आँख कब लग गयी मुझे पता ही नहीं चला ......

सुबह जब मैं उठी , मेरी दुनिया ही अलग थी ..मैं जैसे हवा में उड़ रही थी ..मुझे एक अजीब खुशी थी ...जैसे मैने सब कुछ हासिल कर लिया .....हाँ पापा से चुद्ना कोई कम बड़ी कामयाबी नहीं थी..उनको राज़ी करना ,फिर इतने ख़ूले ढंग से चुदवाना ....ऊवू कल की चुदाई याद आते ही मेरा रोम रोम सिहर उठता था ....आज भी मेरे कदम ज़मीन पर नहीं पड रहे थे ..पर सिर्फ़ खुशी थी ..सिर्फ़ एक रोमांच था ...एक अजीब हलकापन था इसके पीछे ...और फिर जब रात को भैया ने मेरी चूत की सिकाई की ,इतने प्यार और स्नेह से ..मैं बस मदहोशी की ल़हेर में उछल रही थी ..उपर नीचे ...नीचे उपर ....

भैया ...अयाया आपका लंड भी क्या मस्त है..पापा का लंड अगर रब्बर की तरह कड़ा था ..तो आपका लंड एक स्टील का रोड.....आआआः एक दम जवान , कड़क और कुँवारा ....मेरी चूत में जब ये जाएगा ....ऊवू ..मैं तो पागल हो रही थे अभी से .....मेरी चूत सिर्फ़ भैया के लंड की कल्पना से ही पानी छोड़ रही थी.....ऊ भैया ..भैया ...

बाथरूम में मैने अपनी चूत में एक दो बार उंगली डाली ..रास्ता बिल्कुल सॉफ था ... चूत कुछ फूली फूली सी थी ..और चूत के होंठों के बीच थोड़ी से फाँक थी ..जिसके अंदर से मेरी गुलाबी पंखुड़ीयाँ झाँक रहीं थी ....ओह क्या चूत थी मेरी ..थॅंक यू पापा ..आज मेरी चूत इतनी मस्त सिर्फ़ आप की चुदाई की वाज़ेह से थी....आप ने इसे इतना संभाल संभाल कर कितने प्यार से चोदा है .....तभी तो मैने अपनी पहली चुदाई आप से करवाई....ऊऊओ पापा आइ लोवे यू सो मच ...

मैं नाश्ते के लिए तैयार हो कर आज भैया के बगल बैठ गयी ..सोचा उन से चुद्ने के पहले ज़रा उनका लंड हाथ से तो सहला लूं और उन्हें भी ज़रा मस्त कर दूं ...

पापा भी बड़े खुश थे और मुझे बड़े प्यार से देख रहे थे और अंदर ही अंदर मुस्कुराए जा रहे थे

मम्मी इन सब बातों से अंजान सब को नाश्ता सर्व कर रही थी ..बीच बीच में भैया कभी उनकी चूतड़ , तो कभी उनकी कमर पर हाथ फिराते रहते और हर बार मम्मी के चेहरे पर एक अजीब मुस्कान आ जाती ,..जैसे उन्हें भैया के मंसूबों का अंदाज़ा हो गया हो....

मैने भी टेबल के अंदर से उनके पॅंट के उपर से उनका लंड सहला रही थी .... उनके तो मज़े थे मम्मी और मेरा दोनों के मज़े ले रहे थे ..उनका लंड तो बस जैसे पॅंट चीर कर बाहर ही आनेवाला हो...

कॉलेज जाते जाते मैने भैया को एक बार गले से लगाया :

"भैया ....आज रात को ...उफफफ्फ़ ..मैं अब और रुक नहीं सकती ..मेरी चूत फाड़ देना ..हाँ ..?? " और ये कहते बाहर निकल गयी..

भैया ने भी थंब्स अप कर दिया ....और हँसने लगे ....
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11-17-2018, 12:46 AM,
#17
RE: Kamukta Kahani दामिनी
शाम को घर वापस आ कर मैं पापा और मम्मी सब बैठे चाइ पी रहे थे ...भैया अभी तक नहीं आए थे ..और मम्मी बड़ी मस्ती में गुनगुनाए जा रही थी ...मैने मन ही मन कहा ""ह्म्‍म्म ..लगता है आज पापा के साथ दिन में जम कर चुदाई हुई है ..."और मम्मी की तरेफ देख कर मुस्कुराने लगी..

'"पापा .." मैने पापा की ओर देखते हुए कहा " देखो ना आप जब भी टूर से आते हो मम्मी कितना खुश रहती हैं ..इनके होंठों पे हमेशा गीत रहता है ...आप क्या जादू करते हो ..बताओ ना ..प्ल्ज़्ज़ बताओ.."

"हा ! हा! जादू...अरे मैं कोई जादूगर थोड़ी हूँ ..आब तुम इन्ही से पूछ लो ना...मेरी प्यारी प्यारी बेटी ..."

और उन्होने मुझे अपनी ओर खींचते हुए अपने सीने से चिपका लिया ..मेरी पीठ उनके सीने से चिपकी थी और उनके हाथ मेरे पेट के गिर्द था ...मेरे मुलायम पेट को सहलाता हुआ ...और मैं अपने दोनों हाथ उपर किए उनके गाल सहला रही थी...

"देख खुद तो अपने पापा से चिपकी जा रही है ..तू क्या खुश नहीं रहती इनके आने से दामिनी..?? सिर्फ़ मुझे क्यूँ बोलती है..??"

मैने पापा के गालों को उंगलियों से हल्के से कचोट ते हुए कहा

"हाँ मम्मी बात तो सही है ...पापा हैं ही ऐसे ...ऊवू पापा अब आप टूर पर मत जाइए ..हमेशा हमारे साथ रहिए ना ..."

"बेटी मैं खुशी से थोड़ी जाता हूँ ..अब काम ही ऐसा है क्या करूँ ...ठीक है एक काम करते हैं.जब नेक्स्ट टाइम तेरे कॉलेज की छुट्टी रहेगी मैं तुझे भी साथ ले चलूँगा ,,चलेगी ना ...?"

"ओओओओओओओओह्ह्ह दट विल बी जस्ट ग्रेट ....पापा ऊओह पापा....आप ने मेरे दिल की बात कह दी .ऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आइ लव यू ..." और मैने उनके होंठ चूम लिए ....

मम्मी भी लगातार बाप-बेटी का प्यार देख हँसे जा रही थी.

क्रमशः……………………..
कर बाहर ही आनेवाला हो...

कॉलेज जाते जाते मैने भैया को एक बार गले से लगाया :

"भैया ....आज रात को ...उफफफ्फ़ ..मैं अब और रुक नहीं सकती ..मेरी चूत फाड़ देना ..हाँ ..?? " और ये कहते बाहर निकल गयी..

भैया ने भी थंब्स अप कर दिया ....और हँसने लगे ....
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11-17-2018, 12:46 AM,
#18
RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--9

गतान्क से आगे…………………..

मैं पापा के इस प्लान से झूम उठी ..किस खूबी से उन्होने हमारी चुदाई का रास्ता साफ कर दिया था ....

और ऐसे ही हँसी मज़ाक के माहौल में हम ने चाइ पी .

मैं बाथ रूम जा कर फ्रेश हुई और भैया के आने का इंतेज़ार करने लगी.

भैया आते ही सीधे मेरे रूम में आए और मुझे गले लगाते हुए कहा

"दामिनी ..कैसी है तेरी चूत ....मेरा लौडा तो फडक रहा है बहना ....ऊ आज तेरी चूत में घिसाई नहीं करनी पडेगि सीधा अंदर डालूँगा ...." और वो मुझे बेतहाशा चूम रहे थे ...

" अरे बाबा इतने उतावले क्यूँ हो रहे हो भैया ...मैं भी यही हूँ ..मेरी चूत भी मेरे साथ ही है ....रात तो होने दो ना ...फिर जितनी चाहे चोद लेना ..मेरी चूत भी तो कितना तारसी आपके लौडे के लिए ..देखो ना अभी से कितनी गीली है ..." और मैने अपनी टाँगें फैला दी ...पैंटी पूरी गीली थी ...भैया ने झुकते हुए पैंटी के उपर से मेरी चूत का गीला पन चाट लिया ..मैं सिहर उठी ..

फिर वो उठ गये और "ओके दामिनी ..डिन्नर के बाद मिलते हैं ... तुम्हारे रूम में .."कहते हुए बाहर निकल गये.

मैने अपना सर हिला दिया हाँ में..

हम सब जल्दी डिन्नर ले कर अपने अपने कमरे में घुस गये ....मम्मी भी रोज की तरह जल्दी काम निबटा कर घुस गयीं अपने रूम में पापा के पास ..

थोड़ी देर बाद मेरे रूम का दरवाज़ा खुला ..भैया सिर्फ़ शॉर्ट्स में थे ...दरवाज़ा बंद किया और मेरी ओर देख रहे थे ..क्या लग रहे थे ...पूरे 6 ' की हाइट ..चौड़ा सीना मस्क्युलर बॉडी ,,,मैं तो देखते ही सिहर उठी ..मेरी चूत में हलचल मची थी..

भैया भी मुझे एक टक देख रहे थे ...मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी .... उनके होठों से सीटी निकल गयी ......

धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए मेरे बगल में आ गये ... और मेरी नंगी जांघों में अपनी जाँघ रख दी और मुझे अपनी ओर खींच मेरे होंठों को चूसने लगे ...और हथेली से पेट सहलाने लगे ..मैं आँखें बंद किए मदहोशी के आलम में थी ... आज उनके होंठ चूसने में एक अजीब पागलपन था ..एक जुनून था ..जो पहले कभी नहीं था ... लग रहा था मुझे खा जाएँगे ..मुझे अपने में समान लेंगे ..मैं भी बस इसी पागलपन से उनका साथ दे रहे थी .....एक दूसरे से बुरी तरह चिपके थे ....जैसे पहली बार मिले हों ...और कभी अलग ना होंगे

दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे ..चिहूंक रहे थे ..सिसकारियाँ ले रहे थे .... कराह रहे थे ... रो रहे थे ....सिसक रहे थे ..पागलों की तरह कुछ भी बोले जा रहे थे... उन्होने मेरी ब्रा और पैंटी भी खोल दी थी ..और मैने उनके शॉर्ट्स उतार दिए थे ....दो जवान और एक दूसरे के भूखे , नंगे बदन एक दूसरे का जायज़ा ले रहे थे ....एक दूसरे को घिस रहे थे ..चिपक रहे थे , चूम रहे थे ..चाट रहे थे ....चूस रहे थे ...दोनों के बदन एक दूसरे की थूक और लार से गीले थे ...उन्हें फिर से चाट चाट कर साफ कर देते , फिर गीली कर देते .....अया ..ऊ ये क्या था ..मेरी समझ से परे ....बस एक दूसरे में शायद घुस जाना चाहते थे ...

मेरी चूत से लगातार पानी रीस रहा था ....उनके लौडे से लगातार प्री-कम ...दोनों बद हाल थे ..मुझ से रहा नहीं जा रहा था ..मैं उनका लौडा अपने हाथ से थामे सहला रही थी ....कितना कड़ा था ..आज जैसा कड़ा कभी नहीं था ...मेरे एक हथेली में समा भी नहीं रहा था ... मेरी हथेली गीली हो गयी थी उनके लंड के पानी से , मेरी जाँघ मेरे चूत के पानी से ...

तभी उन्होने मुझे अपने सामने करते हुए अपनी गोद में बिठा लिया ....मेरी चूतड़ उनके लौडे पर थी , और भैया मेरी चुचियाँ मसल रहे थे ..चूस रहे थे ..मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकी ..मैने अपने चूतड़ उपर उठाए ..उनका लंड अपने हाथों से थामा . अपनी चूत फैलाए दूसरे हाथ से और अपनी गीली चूत लौडे पर रखते हुए उनके गोद में बैठ गयी .....".आआआआआः " मेरे मुँह से निकली और मेरी चूत उनके लंड से फिट होते हुए धँस गयी ..भैया भी सिहर उठे ...मैने अपने हाथ उनकी गर्दन के गिर्द रखते हुए चूत उपर उठाई और फिर बैठ गयी ..हल्के हल्के धक्के लगा रही थी मैं ..उन्हें चोद रही थी ...भैया कांप रहे थे .....मैं चोद रही थी ..चूम रही थी ...चाट रही थी और उनका लौडा मेरे चूत के अंदर तक ठोकर मार रहा था ...

फिर भैया मुझे गोद में लिए ही खड़े हो गये , मेरे चूतड़ जोरों से थाम लिए ..चूतड़ पकड़ मुझे उठा लिया , मैं उनकी गर्दन थामे उन से चिपकी थी , उनकी गोद में थी . और वो नीचे से अपने लौडे का धक्का लगा रहे थे ..भैया मुझे खड़े खड़े गोद में लिए चोद रहे थे ..हर धक्के में मेरा पूरा बदन ऐंठ जाता ....उनका लौडा मेरी चूत का हलवा बना रहा था ..ठप ठप आवाज़ आ रही थी ..उनकी जाँघ मेरी चूतड़ से टकरा रही थी ...हम दोनों हवा में उड़ रहे थे ...मस्ती की उँचाइयाँ नाप रहे थे ..

."अयाया ऊवू ....भैया ..भैया .."मैं चीख रही थी , सिसक रही थी "हाँ मेरे राजा भैया ..हाआँ ..हाँ ..ऊवू ..ओह मेरे राजा भैया ..अयाया ..."

भैया भी धक्के पे धक्का लगा रहे थे और मैं पूरी तरह उनसे चिपकी थी ...दोनों के बदन के बीच हवा भी नहीं जा सकती .....दोनों की साँसें टकरा रही थी

"दामिनी ..दामिनी मेरी बहाना ..मेरी रानी बहना ..आआअह आआआह "

"अब और नहीं भैया ,,,मैं छूटने वाली हूँ ..ऊवू ऊ "

भैया ने मुझे फ़ौरन बेड पर लिटा दिया और मेरी चूत फैला कर अपना मुँह वहाँ डाल दिया और होठों से जाकड़ लिया मेरी चूत को ......

"आआआआआआआआआह भाययययययाआआआआआअ ..." मैं जोरों से चिल्ला उठी और अपनी चूतड़ उछालते हुए उनके मुँह में पानी का फवारा छोड़ने लगी ..जैसे कोई जोरों से पेशाब करता है ......मैं बहाल थी इतने जोरों से मेरा ऑर्गॅज़म हुआ उस दिन ....मैं सुस्त पड गयी ..तीन चार झटकों के बाद

भैया भी झडने की कगार पर थे ..मैने झट उनका लौडा अपने मुँह में डाला और जीभ फिराने लगी उनके सुपाडे पर ..मेरे पानी से कितना गीला था ...मैं चूस रही थी और भैया भी झड़ते जा रहे थे मेरे मुँह में ..झट्के पे झटका ..मेरे मुँह में पिचकारी छोड़ रहे थे भैया , वीर्य की पिचकारी ..मैं पूरे का पूरा गटक गयी .... मेरे होंठों पर ...ठोडी पर लगे थे ..मैने जीभ फिराते हुए उन्हे भी साफ कर लिया ...

हम दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे ...निहारे जा रहे थे .... मैने उन्हें आपनी बाहों में ले लिया और अपने सीने से लगाते हुए अपने उपर लीटा लिया ...दोनों एक दूसरे की बाहों में पड़े थे .. हानफते हुए ..लंबी लंबी साँसें लेते हुए ....

पहले पापा और अब भैया से चुद्वाने के बाद मैं बता नहीं सकती मैं कितना खुश थी ..पता नहीं मेरे दिल में ये बात कब से बैठी थी... सच पूछिए तो इसके पीछे सिर्फ़ सेक्स की भावना नहीं थी ..इसमें मेरे लिए इन दोनों का प्यार भी छुपा था....मेरे ख़याल से किसी के प्यार को सेक्स के बंधन में बंधना उस प्यार की सब से मजबूत कड़ी होती है.. आप इसे पागलपन समझें ..मेरी कामुकता समझें या कुछ और ..पर अब मैं हूँ ही ऐसी तो फिर हूँ ..

मैने अपने घर में तो अपनी चूत के डंके बजा दिए थे ....दोनों लंड मेरी चूत के दीवाने थे ...और मेरी चूत भी इन दोनों लंड की भूखी ..अब तो यहे हाल था के बिना इनके मुझे चैन ही नहीं आता ...

मैने तो दोनों लंड की फ़तेह कर ली..पर बीचारे भैया .....मम्मी की चूत अभी भी उनसे कोसों दूर थी..और वो उनके नाम की मूठ मुझे अपनी गोद में ले कर रोज ही मारा करते ... हैं ना अजीब बात....मम्मी के सामने उन्हें मेरी चूत भी फीकी लगती .....पर मुझे बुरा नहीं लगता ..क्यूंकी हम एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे ..और एक दूसरे की जज़बातों का पूरा ख़याल भी करते ...

एक दिन मैं उनकी गोद में उन का हसीन लौडा हाथ मे लिए सहला रही थी और वो मेरी चूचियों से खेल रहे थे के मैने उन से कहा :

"भैया ..देखो मैने तो अपने घर के दोनों हसीन लंड अपनी चूत में डाल दिए ..पर आप अभी भी मम्मी की चूत जीत नहीं सके ..क्या भैया कुछ करो ना ..."

"हाँ दामिनी " उन्होने मेरी चूची सहलाते हुए कहा ...मैं आआआः कर उठी ...""ऊ भैया ज़रा धीरे ""

"मैं क्या करूँ ..? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ....और मौका भी तो नहीं मिलता ना... अभी पापा भी हैं ...उनको तो पापा के सामने और कोई दीखता नहीं ..जब देखो उन्ही से चुद्वाती रहती हैं .."

" अच्छा भैया एक काम करते हैं .."

"अरे बोलो बोलो जल्दी बोलो दामिनी ...तुम्हारा नुस्ख़ा हमेशा काम आता है .." और उन्होने मेरी चूत अपनी उंगलियों से दबा डी....

"उफफफफफ्फ़ ..आप भी ना भैया ...अरे मेरी चूत नहीं मम्मी की चूत दबाओ...ही ही ही.... अच्छा एक काम करो ..इस बार जब पापा टूर पर जाएँगे और मम्मी जब नशे में होंगी ना अपने क्लब यह किटी पार्टी से आने के बाद ..आप अपना चक्कर चलाओ... " और मैने उनका लौडा जोरों से दबा दिया .....

"ओओओओह क्या करती ही दामिनी... हाँ यार तुम ने बात तो पते की की है.... पिछली बार देखा नहीं कैसे मुझ से चिपकी जा रहीं थी मम्मी ..?? मान गये दामिनी तुम्हारी चूत ही नहीं तुम्हारा दिमाग़ भी कितना मस्त है ...." और उन्होने मुझे चूम लिया ...

तभी बाहर से मम्मी की आवाज़ आई "दोनों जाने क्या खुसुर पुशुर करते हैं आज कल ...अर्रे कॉलेज जाना है या नहीं ,? नाश्ता कब से ठंडा हो रहा है..मैं दुबारा गरम नहीं करनेवाली ....आ जाओ जल्दी.."

और फिर हम दोनों नाश्ते के टेबल पर बैठ गये ...

"मम्मी आप ने नाश्ता कर लिया..?? " भैया ने पूछा ..मैं मुस्कुराए जा रही थी...

"ह्म्‍म्म....आज अपनी मम्मी का बड़ा ख़याल आ रहा है मेरे पुत्तर को ..??क्या बात है ..??"

"ओओह मम्मी आप भी क्या बात करती हो..आप तो हमेशा मेर ख़यालों में रहती हो .. "

" अरी घोन्चू ..अपने ख़यालों में इस बूढ़ी मम्मी को तू हमेशा रखता है..? तू तो बस पागल है ..कोई गर्ल फ्रेंड नहीं बनाई अब तक ? ..उसे ख़याल में रख.. तेरे काम आएगी..." उन्होने भैया के गालों पर हल्की चपत लगाते हुए कहा..

"मम्मी सच बोलूं..?? आप और बूढ़ी ??.... अरे आपके सामने तो जवान लड़कियाँ भी पानी भरें ....आप ने अपने आप को कितने अच्छे से मेनटेन किया है ..अभी भी क्या फिगर है आपकी ... क्यूँ दामिनी मैं झूट बोल रहा हूँ..??"

"अरे नहीं भैया ..सच्ची मम्मी यू लुक ग्रेट ....एक दम मस्त ...!" और मैने भैया की ओर आँख मार दी.

"लगता है दोनों भाई बहेन कुछ खिचड़ी पका रहे हैं ..." मम्मी ने हंसते हुए कहा

क्रमशः……………………..
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11-17-2018, 12:47 AM,
#19
RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--10

गतान्क से आगे…………………..

अब भैया की हिम्मत कुछ बढ़ी उन्होने मम्मी को बड़े प्यार से अपनी ओर खींचते हुए कहा

"मोम मेरी सब से बड़ी गर्ल फ्रेंड तो आप हो ... आप के सामने मुझे कोई और जाँचती ही नहीं ..." और हँसने लगे

मम्मी ने अपने को छुड़ाते हुए कहा

" बस बस अब बहुत हो गया ..ये आज कल के बच्चे ... बेटी अपने बाप को बॉय फ्रेंड बोलती है और ये बेटा है मुझे ही गर्ल फ्रेंड बना रहा है ... " और वो मुस्कुराते हुए किचन की ओर चल पडी ..पर साफ ज़हीर था अंदर ही अंदर अपनी तारीफ सुन उनके मन में भी लड्डू फूट रहे थे.

"ह्म्‍म्म्मम..भैया कुछ बात समझ में आई..?? " मैने उन्हें आँख मारते हुए कहा .

"कुछ , कुछ .." उन्होने हंसते हुए कहा.

"हाँ भैया ...आइ आम शुवर मम्मी की चूत भी आपकी बातों से गीली हो गयी है.."

और हम दोनों जोरों से हँसने लगे..

उस दिन शाम को चाइ पे हम सभी थे..ऐसा कोयिन्सिडेन्स कभी कभी होता था ... कभी भैया गायब तो कभी पापा ....हँसी मज़ाक चल रही थी ...के पापा ने बातया उन्हें अगले दिन ही टूर पर जाना है...

मम्मी का चेहरा उतर गया ...भैया की बाँछें खिल गयीं ..उन्होने मेरी ओर देख मुस्कुरा दिया ...

"आरीए आरीई ओओह मम्मी ....आप उदास क्यूँ हो गयीं... पापा कोई हमेशा के लिए थोड़ी जा रहें हैं ...और हम सब तो हैं ना आप के साथ ...मेरी भी एक्सट्रा क्लासस अब ख़त्म होनेवाले हैं ..मैं जल्दी आ जाया करूँगा ... मम्मी आप उदास मत हों ..प्ल्ज़्ज़ ... " उन्होने मम्मी के कंधों को दबाते हुए कहा ..

"वाह ..वाह ..बेटा है आख़िर मेरा ..देख कम्मो कितना प्यार है इसे तुझ से..तेरी कितनी चीन्ता है.... हाँ बेटा अभी ..तू अपनी मम्मी का पूरा ख़याल रखना ..देखना इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए... " पापा ने बड़े फक्र से कहा .

"अरे हाँ पापा ..यू डॉन'त वरी ...आप बेफिक्र रहो ..मैं मम्मी का पूरा ख़याल रखूँगा और दामिनी भी तो है ना साथ..क्यूँ दामिनी है ना..???"

"बिल्कुल भैया ..हम साथ साथ है ..... " और हमारी आँखें चमक रही थी एक दूसरे को देख .... !

और उस रात जब मम्मी और पापा अपने रूम में गुड - बाइ चुदाई कर रहे थे , भैया ने पापा के जाने की खुशी में मुझे ही मम्मी समझ खूब मस्ती में चोदा ..खूब प्यार से ...वह अपना लौडा मेरी चूत में डाले पड़े रहते और हम बातें करते ,,बीच बीच में हल्के हल्के पुश लगाते रहते .... मैं भी बातें करते करते उनके होंठ चूस लेती ...उनके सीने में हाथ फिराती ...उनकी निपल्स उंगलियों से सहलाती ....और बातें भी करते ..हमें कोई जल्दी नहीं थी ...कोई टेन्षन नहीं था ...

"दामिनी ..."उन्होने अपना लौडा मेरी चूत में घूमाते हुए कहा ..अंदर ही था ...उनकी चूतड़ गोल गोल घूम रही थी ....

"उईईईई...अया ...हाँ भैया बोलो ना ..."

उन्होने मेरे गाल पर हाथ फिराते हुए कहा " अगर मम्मी राज़ी नहीं हुई तो....??" उन्होने अपने लौडे का अंदर घिसना बंद कर पूछा..

"भैया ..प्ल्ज़्ज़ घिसते रहो ना ..अच्छा लग रहा है.....मानेंगी कैसे नहीं मेरे भोले भैया ...उनकी चूत भी फड़फदा रही हैं ना तुम्हारे जैसे जवान और कड़क लंड के लिए..."

उन्होने घिसाई फिर से शुरू कर दी ..अब भैया भी एक्सपर्ट हो रहे थे और हम दोनों का एक बहुत ही अच्छा अंडरस्टॅंडिंग बनता जा रहा था चुदाई का....हम दोनों को एक दूसरे की इच्छाओं का पता चल जाता ..

"पर बहना ये तुम कैसे कह सकती हो ...?"

"अरे बाबा भैया तुम उनकी आँखें देखते नहीं..?? कैसे चमक उठती हैं ..? और चाल कैसी मदमस्त हो जाती हैं ...और होंठों पे कैसी सेक्सी मुस्कुराहट आ जाती है ..?? और भैया अब तो आप भी सेडक्षन में एक्सपर्ट हो ...देखना ना तुम्हारा लौडा जाते ही मम्मी कैसी पागल हो जाती हैं ..कैसे उनकी चूत से पानी की नदी बहती है ..."

ये बात सुनते ही शायद भैया काफ़ी एग्ज़ाइटेड हो गये ..उनका लौडा मेरी चूत के अंदर ही और कड़ा हो गया , और लंबा हो गया..मुझे लगा जैसे कोई साँप अंदर ही अंदर बढ़ता जा रहा है ..मेरे बदन में झूरजूरी हो रही थी ..

भैया ने भी मुझे मेरी चुटडो को अपनी हथेलियों से जकड़ते हुए अपनी ओर खिचा और लौडा पूरा बाहर निकाला और एक झट्के में अंदर पेल दिया ..फतच की आवाज़ हुई और अंदर का अब तक का जमा पानी उनके लौडे और मेरी चूत की दीवार के बीच से बाहर पिचकारी की तरह उनकी जांघों पर पड़ा ...

भैया ने मुझे चूम लिया और होंठ चूसते हुए कहा ..."दामिनी तेरी चूत कितनी गीली रहती है बहना ...आह्ह्ह्ह मुझे इतना अच्छा लगता है तेरी चूत के अंदर ..मन करता ही हमेशा अंदर डाले पड़ा रहूं .."

'हाँ भैया तुम्हारा लंड भी कितना कड़क है ..बस मुझे भी मन करता है इसे अपनी चूत में डाले रहूं ...ऊवू भैया ...उईईईईई ....अया ..हाँ ऐसे ही धक्का लगाओ ना ...और ज़ोर से .....अया ..हाँ ...बस ऐसे ही मम्मी को भी चोद्ना ...मेरे राजा भैया ...हाआँ ....अया .."

और भैया मेरी चूतड़ उठा उठा कर अपना कड़क लौडा पेले जाते ..मैं कराह उठती ...सीसक उठती हर धक्के में ...अब हर धक्का मुझे मस्ती और मदहोशी की नयी उँचाइयों की ओर ले जाता ...

हम दोनों मदहोशी की लहर में झूम रहे थे ...

"दामिनी तुम कितने प्यार से चुद्ति हो....मम्मी भी इतने प्यार से चुदेन्गि ना बहना ..?? "

"हाँ भैया तुम देखना ना वो कितना प्यार देंगी तुम को ..भैया तुम जब उनको चोद्ना ना तो दरवाज़ा खुला रखना मैं तुम दोनो की चुदाई देखूँगी ...अपनी आँखों से .....आ कितना मज़ा आएगा ना भैया ..उनकी फूली फूली चूत ..मुलायम चूत तुम्हारे स्टील रोड से चुदेन्गि ....आ भैया तुम उन्हें रौंद देना ...हाँ मेरे राजा भैया .......ऊऊओ ....आआआः भैया ..भैया ..उफफफफफ्फ़ ..आज तुम्हें क्या हो गया है ..कैसे धक्के पे धक्का लगा रहे हो .......अयाया ..हाँ मेरे राजा ...बस चोद्ते जाओ .....पेलते जाओ ..."

मेरी बात सुन सुन उनका धक्का ज़ोर और ज़ोर पकड़ता जाता .वो पागलों की तरह मुझे चोदे जा रहे .

"हाँ बहना .... हाँ मैं उन्हें भी ऐसे ही चोदून्गा ....बिल्कुल ऐसे ही..मेरे हर धक्के में उनकी चूत फैलेगी और रस की पिचकारी निकलेगी ....ऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दामिनी .."

और मैने महसूस किया उनका लौडा मेरी चूत में और कड़ा और लंबा होता जा रहा था ....ओए मेरी चूत की गहराइयों में घुसता जा रहा था..उन गहराइयों में जो आज तक अनछुई थी ..मैं कांप रही थी ..मेरी जाँघ थर थारा रही थी ....मैं एक अजीब ही मदहोशी में थी ..जैसे आज भी मेरी पहली चुदाई हो..मैं उनके हर धक्के में निहाल हो रही थी ...

"हाँ हाँ ..भैया ..मम्मी की चूत रौंद देना तुम अपने स्टील रोड से .. उनकी फूली फूली चूत ..मुलायम चूत , रस से भरी चूत ....चोद चोद कर उनका पूरा पानी निकाल देना ..ऊवू ...उईईईईईईईईईई ..ओह्ह गॉड ..हाँ भैया बस ऐसे ही ....हााईयईई ....." उनके हर धक्के में आज एक अजीब पागलपन था मम्मी की बात से वह और भी एग्ज़ाइटेड हो गये थे और मुझे चोद्ते जा रहे थे .....ज़ोर से और ज़ोर से ..मेरे चूतड़ थामे ..उपर उठा उठा के धक्का लगाते ..हर धक्के में मैं चीहूंक उठती ..कराह उठती ..मेरी चूत रब्बर की तरह फैलती जा रही थी ....

उनका धक्का इतना जोरदार था के उनके लौडे और मेरी चूत की दीवारों के बीच से मेरे रस की पिचकारी छूट रही थी ..इतना मोटा हो गया था उनका लंड ....

मैं अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर उनका लौडा अंदर ले रही थी ....और फिर

"आआआआआआआआआह दामिनी.....आआआआः ........ऊऊऊऊऊऊओ..हाईईईई करते हुए भैया ने मुझे जाकड़ लिया ..." और मैने अपने अंदर पिघले लावा की पिचकारी महसूस की..अया गरम तो था पर अंदर इसकी गर्मी से मैं सिहर उठी ..मेरा पूरा बदन झन झना गया ...मैं कांप उठी ....और मैं भी अपने आप को रोक नहीं सकी और साथ ही झड़ती गयी //कमर और चूतड़ उछाल उछाल कर ..दोनों एक दूसरे के बाहों में झाड़ रहे थे , हिचकोले ले रहे थे ..एक बार ..दो बार ,बार बार बार ..झट्के पे झटका .....थोड़ी देर बाद सब कुछ शांत था ..शीतल था ....जैसे दोनों के अंदर का तूफान , अंदर की ज्वालामुखी एक दूसरे में फूट कर शांत हो गया ..

सुख और मस्ती की चरम सीमा थी ... हम दोनों एक दूसरे की बाहों में थे ...एक दूसरे को महसूस कर रहे थे ....उनका लौडा मेरी चूत में था सिकुडा हुआ ..पर अंदर ..हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे काफ़ी देर ..

भैया की सांस जब नॉर्मल हुई वे वैसे ही पड़े रहे मेरे पर और मुझे चूमने लगे ..मेरी आँखें खुली ..मैं मुस्कुराते हुए उन्हें देख रही थी ..मैने उन्हें अपनी तरफ खींच लिया अपने सीने से चिपका लिया ..और अपनी चूची अपने हाथों से उनके मुँह में डाल दिया ..भैया उन्हें चूस रहे थे ...मैं उन्हें अपनी चूची पीला रही थे ,उन्हें निहारे जा रही थी ....

भाई -बहेन का ये प्यार बड़ा ही सम्पूर्न प्यार है .... हर तरह से परिपूर्न ... कोई बंधन नहीं ..कोई सीमा नहीं .... हम दोनों इस असीम प्यार में खोए थे ..और उनके चूची चूसने से मैं भी आनंद विभोर हो उठती .....और फिर ऐसे ही चूस्ते चूस्ते वो मेरे सीने में सर रखे और मैं अपनी बाहें उनके गर्दन के गिर्द डाले , कब हमारी आँखें लग गयीं पता नहीं..हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे ..नंगे ....उनका लौडा मेरी चूत में ...हर अंग एक दूसरे से लिपटा था ....

सुबह जब मेरी नींद खुली तो देखा हम दोनों वैसे ही एक दूसरे से चिपके सो रहे थे ..एक दूसरे की बाहों में ..भैया की सीकूडी लंड मेरी चूत के मुँह से लगी थी ...उसमें वीर्य और मेरे रस की पपडि जमी थे... और उनका च्चेहरा मेरे सीने से लगा था ...

मैने उन्हें जगाया "भैया उठो ..जल्दी उठो ..अरे बाबा मम्मी कभी भी आपके रूमे में आ सकती हैं ..आप को चाई देने ...उठो जल्दी करो...."

भैया अंगडायाँ लेते हुए उठे और बड़बड़ाने लगे.."ये क्या दामिनी ..चैन से सोने भी नहीं देती ..कितना हसीन सपना था ....अयाया मैं मम्मी को चोद रहा था....."

"ही ही ही...."मैं हंस पडि ..."अरे भैया ..जल्दी जाओ अपने रूम..वरना अभी जब हक़ीक़त में आप को मम्मी दिखाएँगी ना ..तो उनका रूप उतना हसीन नहीं होगा ...."

" हाँ यार बात तो सही है ...." वो बौखलाते हुए उठे ..और जाने लगे ...

मैं और जोरों से हंस पडि ...." अरे भोले भैया ..अपने कपड़े तो पहनते जाओ....""

फिर जल्दी जल्दी उन्होने अपनी शॉर्ट्स टाँगों के बीच डालते हुए मेरी ओर बड़े प्यार से देखा और बाहर निकल गये..

क्रमशः……………………..
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11-17-2018, 12:47 AM,
#20
RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--11

गतान्क से आगे…………………..

आज तो भैया चहक रहे थे नाश्ते के टेबल पर ....हम नाश्ते के टेबल पर बैठे मम्मी का इंतेज़ार कर रहे थे ...

पापा दीख नहीं रहे थे ....

मम्मी जैसे आईं नाश्ते का ट्रे हाथ में लिए ..भैया झट आगे बढ़ कर उन के हाथ से ट्रे ले लिए ...प्लेट में टोस्ट और फ्राइड एग्स थे ..भैया का फवर्ट ...

देखते ही भैया उछल पड़े " मम्मी जी तुस्सी ग्रेट हो...आह आज मेरी पसंद का नाश्ता ...." और उन्होने मम्मी के हाथ पकड़ कर उनके हाथ चूम लिया ..."ह्म्‍म्म ..पर मोम ..पापा कहाँ हैं .... अब तक सो रहे हैं क्या ..??"

मम्मी ने हाथ छुड़ाते हुए कहा .." वो तो मॉर्निंग फ्लाइट से गये ... तुम लोग सो रहे थे ,इसलिए जगाया नहीं ..चलो जल्दी दोनों नाश्ता करो ...कॉलेज का टाइम हो रहा है.."

भैया ने एक बीते ली टोस्ट और एग्स की ...फिर उन्होने मम्मी के हाथ चूम लिए ..

" वाह मों ..कितना राइट टोस्ट किया आप ने...इतना क्रिस्प ...ऊवू मोम यू आर दा ग्रेटेस्ट मोम .."" और उनका हाथ चूमते रहे ...

" अरे बाबा नाश्ता क्या मेरे हाथ का ही करेगा तू ..?? हाथ छोड़ और नाश्ता कर ..." उन्होने हंसते हुए कहा .

" सही में मम्मी ..मन करता है तुम्हारे हाथ ही खा जाऊं ..तुम्हारे हाथों में जादू है..."

" हाँ हाँ रहने दे रहने दे..जब तेरी बीबी आएगी ना ...फिर उसके हाथ ही थामे रहेगा तू..मेरी हाथ की याद भी ना आएगी तुझे..."

"अरे बीबी आएगी तब ना ..मेरी मोम के सामने दुनिया की किसी भी लड़की की कोई औकात नही ..हाँ दामिनी को छोड़ ..मेरी जिंदगी में बस तुम दोनों हो ..और कोई नहीं ..." और उन्होने मम्मी को गले लगा लिया ..और उनके गालों को चूमने लगे ...

" अरे बेवक़ूफ़ ..तू क्या बोल रहा है कुछ समझ में आती भी है ...तुझे ..? तुम दोनों भाई बहेन से भगवान ही बचाए ...वो है के बाप से लीपटि रहती है..और तू मेरे से ...छोड़ मुझे ..कितना काम पड़ा है ....जल्दी नाश्ता कर और कॉलेज जा.." उहोने हंसते हुए कहा ..और उनके गालों में चपत लगाते हुए अपने को छुड़ाते हुए किचन की ओर चली गयीं ..

"वाह भैया वाह ...बिल्कुल सही जा रहे हो ...लगे रहो ...मम्मी की चूत अब फ़तेह होनी ही वाली है ..." मैने उनके लौडे को टेबल के नीचे से दबाते हुए कहा ...पर उनका लौडा तो मम्मी ने पहले ही खड़ा कर दिया था ,,,पॅंट के अंदर तननया था ...

" दामिनी ..मैं सही में पागल हो जाऊँगा ..कितनी सॉफ्ट हैं मम्मी ... उनका पूरा बदन कितना खुश्बुदार है ...उनको दबाता हूँ तो ऐसा फील होता है मानों किसी सॉफ्ट स्पंजी गद्दे में धंसता जा रहा हूँ .."

" और मुझे दबाने से कैसा फील होता है मेरे भैया को ...? " मैने शरारत भरी मुस्कान अपने होंठों पे लाते हुए कहा ..

" तुम दोनों नायाब हो ...तुम्हें दबाने से फील होता है किसी सॉफ्ट रूई (कॉटन) के गद्दे का..सॉफ्ट भी ..हार्ड भी ...ऊवू दामिनी ... मेरी जिंदगी में तुम दोनों मेरे लिए नायाब तोहफा हो ... " और उन्होने मुझे अपने से चिपका लिया ...मैं आँखें बंद किए इस प्यार का मज़ा ले रही थी ...

तभी मम्मी के किचन से बाहर आने की आहट हुई..हम दोनों झट से अलग होते हुए अपनी अपनी जागेह बैठ ..नाश्ता करने लगे...

" ये लड़का तो बस सही में दीवाना है ..पागल है ..कहता है मेरे और दामिनी के सामने कोई लड़की ही नहीं ..." और फिर फ्रेश गरम और क्रिस्प टोस्ट्स मेरे और भैया के प्लेट्स में रखते हुए कहा " ओये ...मम्मी और बहेन के आशिक ..क्या जिंदगी भर कुँवारा ही रहने का ख़याल है ..??"

" हाँ मम्मी फिलहाल तो कुछ ऐसा ही है मेरे मन में ..." उन्होने मुस्कुराते हुए मम्मी की ओर एक तक देखते हुए कहा..

" ये लड़का सही में पागल है ... " पर अंदर ही अंदर उनके गुब्बारे फूट रहे थे ..ये भी हम महसूस कर रहे थे ..फिर उन्होने कहा " देख अभी आज शाम को ज़रा जल्दी आ जाना ..मुझे क्लब जाना है.."

ये सुनते ही भैया तो जैसे उछल पड़े ...उन्होने मुझे आँखें मारते हुए मम्मी से कहा " शुवर मोम ... बंदा हाज़िर हो जाएगा अपनी मोम के कदमों में..." और उनके कदमों में झूकते हुए उनको सलाम किया ...

मम्मी का हंसते हंसते बुरा हाल तहा " ये लड़का .....सुधरेगा नहीं ..लगता है अब कुछ तो करना ही पड़ेगा ... "

थोड़ी देर बाद हमारा नाश्ता हो गया ..मम्मी किचन में थी..

" भैया ...मान गये आपको ..आप का तीर निसाने पे लग गया .....आज तो बस आपका लंड होगा और मम्मी की चूत होगी.....ऊवू मज़ा आ जाएगा आज के शो में ..." मैने चहकते हुए कहा ...

" ओओह्ह्ह दामिनी तेरी मुँह में घी शक्कर ..." और ये कहते हुए उन्होने घी शक्कर तो नहीं ..पर अपनी जीभ ज़रूर डाल दी मेरे मुँह में और मेरी जीभ चूसने लगे ...

" आहह..भैया छोड़ो ना मुझे ....रात को मम्मी की जितनी चाहे चूसना ...." और मैं उन से अलग हुई..बड़ी मुश्किल से ...

और शाम को भैया कॉलेज से जब आए तो मम्मी को बस देखते ही रहे ..क्या सेक्सी लग रहीं थी ...उन्होने सारी नाभि से नीचे बाँध रखी थी ..ब्लाउस क्या था सिर्फ़ ब्रा ढकने भर ..उनके चूचियों की उभार ..लग रहा था अब उछल कर बाहर आई ... नाभि से ब्लाउस तक पेट बिल्कुल नंगा ..जैसे सफेद संगमरमर ....

भैया की मुँह से सीटी निकल गयी .... वो आँखें फाड़ फाड़ देखते रहे ...

" अरे आँखें फाड़ फाड़ क्या देख रहा है..कभी कोई लड़की नहीं देखी क्या ..??? जा जल्दी कार निकल ..मुझे देर हो रही है...और हाँ मुझे लाने की ज़रूरत नहीं ...म्र्स वेर्मा मुझे छोड़ देंगी...चल अब जल्दी कर .."

भैया मम्मी को क्लब ड्रॉप कर सीधे घर आ गये ..और हम दोनों बेसब्री से मम्मी के आने का इंतेज़ार कर रहे थे.....

मैं भैया के सीने में अपनी पीठ रखे और अपनी टाँगें उनकी जांघों पर रखे अपनी फॅवुरेट सीरियल टीवी पर देख रही ठेए ..और भैया मेरे बाल सहला रहे थे ओउर मेरी चुचियाँ भी मसल देते बीच बीच मैं ...हम दोनों को मम्मी के आने का बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार था ..

तभी कार रूकने की आवाज़ आई..फिर कार का दरवाज़ा खुला ..हम बाहर आए ...मम्मी आ चूकी थी..पर जिस रूप में वो खड़ी थी ..हम बस आँखें फाडे देख रहे थे ...

उनका आँचल नीचे था ..उपर सिर्फ़ ब्लाउस ,उसके अंदर से झाँकति उनकी सुडौल चुचियाँ .. एक हाथ से आँचल उपर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी..चाल में लड़कड़ाहट .. आँचल बार बार गिर जाता ..नंगा पेट ...नाभि की सुराख ...अयाया क्या सेक्सी लुक था मम्मी का ...पूरा का पूरा 5'6'' सेक्स , संगमरमर की मूर्ति सामने खड़ी थी ...उन्होने अंदर आने को अपने लड़खड़ाते कदम बढ़ाए ..पर इस से पहले की गिर पड़ती ..भैया ने उन्हें झट बढ़ उनको कमर से पकड़ लिया ...और मम्मी ने उनके कंधों पर अपना सर रखे उन्हें थाम लिया...भैया ने उन्हें और अपने करीब चिपका लिया .उनकी चुचियाँ उनके सीने से चिपकी थी ...

" अरे ...तुम लोग अभी तक जागे हो.." उनकी आवाज़ लड़खड़ा रही थी.." एयेए हह .ये मुझे किस ने थामा हुआ है...बेटा अभी ..तू है ...?? अरे तू तो पूरा मर्द लग रहा है रे..अपने बाप की तरह मुझे सीने से लगा रखा है....ऊऊओ ...हाँ बेटा तू बिल्कुल अभय की तरह लग रहा है आज ...हाां अयाया .." और उन्होने अपना सर उनके कंधे पर रख आँखें बंद कर लीं...और नशे में बड़बड़ाई जा रहीं थी ..

भैया ने उन्हें अपनी मजबूत बाहों से उठा लिया अपने कंधे पर और उन्हें उनके बेड रूम में ले जा कर बेड पर लीटा दीया ..
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