Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:26 PM,
#51
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-49


कुछ देर होंठ चूसने के बाद उसने मुझे अपने उपर से उठा दिया जिससे लंड बाहर निकल गया. मुझे समझ नही आया कि उसने लंड क्यो बाहर निकाल दिया इसलिए सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखने लगा. उसने एक नज़र मुझे मुस्कुरा कर देखा ऑर फिर वो भी बेड पर उठ कर बैठ गई ऑर मेरे देखते ही देखते अब वो किसी जानवर की तरह अपने दोनो हाथो ऑर दोनो घुटनो के बल बेड पर खड़ी हो गई. मैं उसको खड़ा देख रहा था कि अब वो क्या करती है. उसने अपनी गर्दन को पिछे घुमाया ऑर एक मुस्कान के साथ मुझे पिछे आने का इशारा किया. मैं मुस्कुरा कर उसके पिछे आ गया ऑर जल्दी से अपनी शर्ट-पेंट ऑर अंडरवेर को अपने जिस्म से आज़ाद किया. अब मैने अपना पूरा लंड पिछे से एक ही झटके मे उसकी चूत मे डाल दिया ऑर उसको कमर से पकड़ कर झटके मारने लगा अब वो बुलंद आवाज़ मे सस्सस्स ससस्स कर रही थी. कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद उसने मेरा एक हाथ अपनी कमर से हटाया ऑर अपने सिर पर रख दिया साथ मे मेरे हाथ मे अपने बाल पकड़ा दिए अब मैं समझ चुका था कि वो क्या चाहती है इसलिए मैने उसको बालो से पकड़ लिया ऑर तेज़-तेज़ झटके मारने लगा... उसकी ससस्स... ससस्स... अब आआहह ऊऊओ आायईयीई मे बदल चुकी थी पूरे कमर मे उसकी आवाज़ ऑर झटको की थप्प्प.... थप्प्प... की आवाज़ ही गूँज रही थी. अचानक उसको चोदते हुए मुझे याद आया कि फ़िज़ा को चोदते हुए भी मैने यही तस्वीर देखी थी इसलिए मैने अपना दूसरा हाथ जो उसकी कमर पर था उसकी गान्ड पर रखा ऑर एक ज़ोर दार थप्पड़ उसकी गान्ड पर मारा. उसने हैरानी से मेरी तरफ पलटकर देखा ऑर एक क़ातिलाना मुस्कान के साथ मुझे सिर हिला कर दुबारा मारने को कहा.

अब मैने एक हाथ से उसके बाल पकड़े हुए थे ऑर दूसरी हाथ से उसकी गान्ड पर थप्पड़ की बरसात कर रहा था कुछ ही देर मे वो दूसरी बार भी फारिग हो चुकी थी इसलिए हाफ्ते हुए वो बेड पर गिर गई थी. मैं भी उसके उपर ही लेटा हुआ था हम दोनो का जिस्म पसीने से नहाया हुआ था. कुछ देर मे जब उसकी साँस दुरुस्त हो गई तो मैने उसके उपर लेटे लेटे ही झटके मारने शुरू कर दिए इसलिए उसने उसी पोज़ीशन मे अपनी दोनो टांगे फैला ली ताकि लंड जड़ तक पूरा अंदर जा सके. इस पोज़ीशन मे मुझे ऑर रूबी दोनो को बेहद मज़ा आ रहा था इसलिए मैने तेज़ रफ़्तार से झटके लगाने शुरू कर दिया कुछ ही देर मे मैं भी अपनी मंज़िल के करीब पहुँच गया ऑर मेरे साथ ही रूबी तीसरी बार फिर से फारिग हो गई. मेरे लंड पूरे प्रेशर से उसकी चूत मे मेरा माल छोड़ रहा था. हम दोनो अब बुरी तरह थक चुके थे ऑर एक दूसरे के उपर पड़े अपनी साँस को दुरुस्त कर रहे थे. हम दोनो ही इतनी जबरदस्त चुदाई से इतना ज़्यादा थक चुके थे कि दोनो मे से किसी की भी कपड़े पहन ने कि हिम्मत नही थी इसलिए हम दोनो ऐसे ही एक चद्दर अपने उपर लेकर लेट गये. रूबी बहुत खुश थी ऑर मुझे मुस्कुरा कर देख रही थी मैने उसको एक बार फिर से गले से लगा लिया. वो गले लगी हुई ही मेरे उपर आके लेट गई अब हम दोनो ही खामोश थे ऑर थके हुए थे इसलिए कुछ ही देर मे ही रूबी मेरे उपर ही सो गई मुझे गले लगाके ऑर मैं भी उसकी कमर पर हाथ फेरता हुआ जाने कब नींद की वादियो मे खो गया.

हम दोनो सुकून से सोए पड़े थे कि किसी ने आधा रात को हमारा दरवाज़ा खट-खाटाया जिससे रूबी की नींद खुल गई उसने फॉरन मुझे उठाया ऑर कपड़े पहनने का कहा मैने जल्दी मे सिर्फ़ पेंट पहनी ऑर दरवाज़ा खोलने चला गया. इतनी देर मे रूबी ने ज़मीन पर बिखरे अपने कपड़े उठाए ऑर बाथरूम मे भाग गई. मैं आँखें मलता हुआ दरवाज़ा खोला तो सामने रसूल ऑर मेरा ड्राइवर खड़े थे.

मैं : क्या है यार इतनी रात तुमको क्या काम पड़ गया, इतनी अच्छी नींद आ रही थी बेकार मे खराब कर दी.

रसूल : भाई बाबा की तबीयत बहुत खराब हो गई है वो आपको बुला रहे हैं.

ये बात सुन कर मेरी झटके से आँखें खुल गई ऑर मैं बिना कुछ बोले अंदर शर्ट पहन ने चला गया. तब तक रूबी भी कपड़े पहनकर बाहर आ चुकी थी.

रूबी : (दरवाज़े पर देखते हुए) कौन है बाहर शेरा....

मैं : रसूल है... बाबा की तबीयत खराब हो गई है इसलिए मुझे याद कर रहे हैं

रूबी : ओह्ह्ह.... मैं भी चलती हूँ आपके साथ.

मैं : नही तुम रहने दो मैं थोड़ी देर मे आ जाउन्गा तुम दरवाज़ा बंद करके आराम से सो जाओ

रूबी : कोई सीरीयस बात तो नही है ना

मैं : ये तो वहाँ जाके ही पता चलेगा.

रूबी : ठीक है... अगर मेरी ज़रूरत हो तो ड्राइवर को भेज देना.

मैं : (रूबी का सिर चूमते हुए) ठीक है अब तुम आराम करो ऑर सो जाना.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) हमम्म ठीक है.

उसके बाद मैं तेज़ कदमो के साथ घर से बाहर निकल गया ऑर रसूल के साथ गाड़ी मे बैठ कर जल्दी से अपने ठिकाने पर पहुँच गया. वहाँ लाला, गानी ऑर सूमा पहले से मोजूद थे. मैं जल्दी से जाके बाबा के पास बैठ गया.

बाबा : आ गया तू शेरा...

मैं : जी बाबा... आप आराम कीजिए मैं डॉक्टर से बात करके आता हूँ (डॉक्टर को देखते हुए) क्या हुआ है बाबा को?

बाबा : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) अच्छा...

डॉक्टर : इनको साँस लेने मे तक़लीफ़ हो रही है

मैं : ये ठीक तो हो जाएँगे ना.... अगर आप कहे तो मैं शहर से ऑर डॉक्टर बुलवा लेता हूँ.

डॉक्टर : उसकी कोई ज़रूरत नही है आप ज़रा मेरे साथ आइए आप से बात करनी थी.

मैं : (डॉक्टर को कमरे से बाहर लेके जाते हुए) चलिए....

उसके बाद मैं ऑर डॉक्टर बाहर हॉल मे आ गये मेरे पिछे-पिछे लाला, गानी ऑर सूमा भी आ गये जबकि रसूल बाबा के पास ही बैठ गया.

मैं : कहिए डॉक्टर क्या बात है.

डॉक्टर : देखिए मैं आपको कोई झूठा दिलासा नही देना चाहता इसलिए आपको सच बता रहा हूँ. इनके बॉडी मे काफ़ी गोलियाँ लगी थी कुछ वक़्त पहले आपको तो पता ही होगा.

मैं : ये तो हम जानते हैं इसमे नयी बता क्या है.

डॉक्टर : शायद आपको पता नही है लेकिन 6 गोलियो मे से 5 गोलियाँ तो ऑपरेशन से निकाल दी थी लेकिन 1 गोली इनके दिल के पिछे चली गई थी अगर वो गोली निकलते तो उनकी जान को ख़तरा हो सकता था इसलिए डॉक्टर्स ने वो गोली नही निकाली अब इतने दिन से वो गोली वहाँ रहने की वजह से पूरी बॉडी मे ज़हर फैल गया है इसलिए अब इनका बचना बहुत मुश्किल है. माफ़ कीजिए लेकिन अब इनके पास अब ज़्यादा वक़्त नही है.

मैं : देखिए डॉक्टर साहब आप पैसे की फिकर मत कीजिए पानी की तरह पैसा बहा दूँगा लेकिन वो जो अंदर लेता है वो मेरे लिए मेरा बाप है उनको कैसे भी करके बचा लीजिए मैने आज तक किसी के सामने हाथ नही जोड़े लेकिन आज जोड़ रहा हूँ प्लज़्ज़्ज़्ज़.

डॉक्टर : सॉरी मैं कुछ नही कर सकता अब काफ़ी देर हो गई है.

मैं : अगर बाबा को कुछ हुआ तो तू भी नही बचेगा ये बात समझ ले... लाला ले जा . साले को ऑर इसको डॉक्टरी सीखा.

उसके बाद हम वापिस मायूस दिल के साथ बाबा के पास आके बैठ गये.

बाबा : क्या कहा डॉक्टर ने.

मैं : बाबा आप ठीक हो जाएँगे कुछ नही होगा

बाबा : (मुस्कुराते हुए) तुझे झूठ बोलना भी नही आता. किसको झूठ बोला रहा है शेरा मुझे तेरी रग-रग पता है. मैं जानता हूँ कि अब मेरा आखरी वक़्त आ गया है इसलिए अब जो मैं कहूँगा वो बहुत ध्यान से सुनना तुम सब.

मैं : (रोते हुए) ऐसा मत बोलो बाबा आप बहुत जल्द अच्छे हो जाओगे... एह रसूल फॉरन दूसरे डॉक्टर का इंतज़ाम कर.

रसूल : हाँ अभी जाता हूँ.

बाबा : उसकी कोई ज़रूरत नही है मेरे पास बैठो तुम सारे.

मैं : (बाबा का हाथ पकड़ कर उनके पास बैठ ते हुए ) जी बाबा हुकुम कीजिए.

बाबा : बेटा शेरा अब ये सब कारोबार ये सारे लोग सब तेरी ज़िम्मेदारी है मैं तेरे कंधो पर ये सब कुछ छोड़ कर जा रहा हूँ.

मैं : जी बाबा...

बाबा : लाला, रसूल, सूमा ऑर गानी आज से तेरे दोस्त नही भाई हैं इनका ख़याल तुझे रखना है बस्ती मे जो लोग हैं वो भी तेरे अपने हैं उनको कभी किसी चीज़ की कमी ना होने पाए.

मैं : जी बाबा....

बाबा : तुम चारो भी इसकी हर बात मानना जो ये कहेगा वो मेरा हुकुम समझ कर हर बात की तामील करना हमेशा इसका साथ देना. हमेशा इसके साथ वफ़ादार रहना.

रसूल, लाला, गानी ओर सूमा : जी बाबा.... हम हमेशा हर कदम पर शेरा के साथ हैं.

इतनी बात करके बाबा की साँस उखड़ने लगी ऑर मेरी आँखो के सामने आखरी कलमा पढ़ते हुए मुस्कुरकर वो दुनिया से रुखसत हो गये. हम उनके पास बैठे रात भर रोते रहे लेकिन अब कुछ भी नही हो सकता था. जो चला गया वो अब वापिस नही आ सकता था आज हम सब एक बार फिर से यतीम हो गये थे क्योंकि जिसने सारी उम्र हम को पाला था इस क़ाबिल बनाया था वो इंसान हम को छोड़ कर जा चुका था ऑर उनके जाने की वजह उपर वाला नही था बल्कि उनका ही बेटा छोटा था ये बात याद आते ही मेरा खून खोलने लगा. बाबा के पास बैठे तमाम लोग रो रहे थे लेकिन वो वक़्त रोने का नही खुद को संभालने का था इसलिए मैने अपनी आँख से आँसू सॉफ किए ऑर सब को होसला देने लगा ऑर चुप करवाने लगा. सुबह हमने उनका कफ़न दफ़न का इंतज़ाम किया ऑर उनको आखरी कदम देके रोते हुए वापिस आ गये उनके जनाज़े मे सारी बस्ती के लोग मोजूद थे एक-एक बड़ा ऑर एक-एक बुजुर्ग रो रहा था क्योंकि आज वो इंसान उनको छोड़ कर चला गया था जो हमेशा उनका ख़याल रखता था अब हर इंसान मुझे एक उम्मीद की नज़र से देख रहा था ऑर ये बात अब सच भी थी क्योंकि बाबा की जगह अब मैं था उनके सारे काम अब मुझे ही पूरे करने थे हमारे तमाम दुश्मनो को अब मुझे ही ख़तम करना था. अपनी इन्ही सोचो के साथ मैं वापिस ठिकाने पर आ गया ऑर अकेला उनके बेड के पास आके बैठ गया ऑर बाबा की सिखाई हुई बातो को याद करने लगा.

कुछ देर बाबा के कमरे मे गुज़ारने के बाद मैं वापिस लाला, सूमा, गानी ऑर रसूल के पास आके बैठ गया वो लोग अब भी बुरी तरह रो रहे थे इसलिए सबको चुप करवाता रहा. हमारे कुछ दिन ऐसे ही मातम मे गुज़रे. इस वजह से हम सबका ध्यान अपने-अपने धंधो से हट गया था जिसका फायेदा छोटे ने उठाया. एक दिन मुझे फोन पर मेरे आदमी ने खबर दी कि हमारे विदेश के तमाम क्लाइंट्स ने हमारा माल खरीदने से मना कर दिया है क्योंकि अब वो तमाम गन्स ऑर ड्रग्स का बिज़्नेस हमारे साथ नही बल्कि छोटे के साथ करेंगे. बाबा के जाने की वजह से हम वैसे ही टूट चुके थे उपर से छोटे ने मोक़े पर ऐसी चाल चल कर हम सब का बिज़्नेस भी ख़तम कर दिया था. मुझे जिस दिन ये खबर मिली मेरे दिल मे दबी हुई नफ़रत ऑर गुस्सा उफान पर पा पहुँच गये लेकिन इस वक़्त मैं जोश मे आके कोई कदम नही उठाना चाहता था इसलिए अपने दिमाग़ से काम लिया. मैं चाहे कुछ भी था लेकिन बाबा जो ज़िम्मेदारी मुझे सौंप कर गये थे उसे अब मुझे ही पूरा करना था. मैने फॉरन सारे गॅंग को खंडहर पर बुलाया. कुछ ही देर मे गॅंग के तमाम लोग जो हमारे साथ थे वो वहाँ मोजूद हो गये. मैने सबको एक नज़र देखा ऑर फिर जाके अपनी कुर्सी पर बैठ गया मेरे बैठने के बाद सब लोग अपनी-अपनी कुर्सियो पर जाके बैठ गये. उसके बाद मैने बोला शुरू किया.

मैं : मैने ये मीटिंग इसलिए बुलाई है कि जितने दिन हम सब मातम मे थे छोटे ने हमारा सारा बिज़्नेस टेक-ओवर कर लिया है हमारे तमाम विदेशी क्लाइंट्स ने हम से माल खरीदने से मना कर दिया है क्योंकि छोटा उनको हम से कम कीमत मे माल सप्लाइ कर रहा है.

रसूल : साला कमीना अपने बाप की मौत का भी लिहाज नही रख सका. मैं सोच भी नही सकता था छोटा इतना गिर सकता है.

मैं : रसूल जो इंसान अपने ही बाप पर गोली चला सकता है उसके घटियापन की हद का अंदाज़ा तुम तो क्या कोई भी नही लगा सकता.

सूमा : भाई हमारे लिए बाबा की जगह अब तुम ही हो... तुम बस हुकुम करो कि क्या करना है... हम सब लोग तुम्हारे एक इशारे पर मौत बन कर छोटे ऑर उसके गॅंग पर टूट पड़ेंगे ऑर आज ही साले का किस्सा ख़तम कर देंगे.

मैं : नही सूमा... छोटा अभी तक चुप है क्योंकि वो जानता है कि बाबा के मरते ही हम लोग उस पर पूरी ताक़त के साथ अटॅक करेंगे इसलिए जब हम वहाँ जाएँगे तो वो भी हमारा ही इंतज़ार कर रहा होगा. अगर हम अभी गये तो हम मे से कोई भी वापिस नही आएगा. बाबा ने सिखाया था अगर दुश्मन को ख़तम करना है तो उसकी ताक़त ख़तम करदो फिर दुश्मन भी ख़तम हो जाएगा. हम को इंतज़ार करना होगा सही वक़्त का.

रसूल : तो तुम क्या चाहते हो वो साला वहाँ बाबा की मौत का जशन मनाए हमारा सारा बिज़्नेस ले जाए ऑर हम यहाँ मातम मनाते रहे हिजड़ो की तरह.

मैं : सबसे पहले ये पता करो कि उसके पास माल आया कहाँ से है जहाँ तक मुझे पता है अफ़ीम के सारे खेत तो हमारे क़ब्ज़े मे है ओर दूसरा कौन है जो उसको माल दे रहा है.

लाला : मैने सब पता करवा लिया है उसका एक खास आदमी है पोलीस मे जो उसको हमारा ही पकड़ा हुआ माल सप्लाइ करता है.

मैं : कौन है वो आदमी...

लाला : पता नही कोई इनस्पेक्टर ख़ान करके है नारकोटिक्स डिपार्टमेंट मे उसकी अच्छी चलती है. साला हमारा पकड़ा हुआ माल ही उसको बेच रहा है ऑर छोटा वही माल आगे विदेशो मे बेच रहा है.

रसूल : यार हम को क्या वो साला किसी से भी माल खरीदे हमारे धंधे की तो ऐसी-तैसी हो गई ना अब आगे क्या करना है ये सोचो.

मैं : अगर ख़ान ख़तम हो गया तो समझो छोटे को माल मिलना भी बंद हो जाएगा इसलिए हम को पहले ख़ान को ख़तम करना होगा.

सूमा : शेरा सही कह रहा है साले इस ख़ान का ही कुछ करना पड़ेगा.

रसूल : शेरा भाई हुकुम करो मैं जाता हूँ इस ख़ान को ठोकने के लिए.

मैं : (उंगली से ना का इशारा करते हुए) तुमको क्या लगता है ख़ान अकेला होगा ऑर तुम को बोलेगा आओ भाई मैं तुम्हारे बाप का माल हूँ मुझे ठोक दो.... तुम मे से कोई कही नही जाएगा तुम लोग सिर्फ़ बचा हुआ धंधा सम्भालो ओर उसको ठोकने मैं खुद जाउन्गा.

लाला : ठीक है लेकिन उसके साथ पोलीस वाले भी तो होंगे ना तू उसको मारेगा कैसे.

मैं : फिकर मत कर वो पोलीस वाला अभी तक पैदा नही हुआ जो शेरा को ठोक सके उस हरामखोर को तो मैं ही मारूँगा उसका भी तोड़ मैने सोच लिया है ऑर इस काम के लिए मैं आज ही निकालूँगा.

रसूल : ठीक है जैसा तुम ठीक समझो.
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07-30-2019, 01:26 PM,
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अपडेट-50

उसके बाद कुछ देर ऐसे ही बाते चलती रही फिर आख़िर तय ये हुआ कि बाकी सब लोग धंधा संभालेंगे ऑर मैं ख़ान को मारने जाउन्गा. उसके बाद मैने मीटिंग बर्खास्त की ऑर सब को उनके काम पर लगा दिया ऑर खुद अपनी कार मे बैठकर घर आ गया जहाँ मैने जल्दी से कपड़े पॅक करने लगा. अचानक मुझे रूबी का ख्याल आया जो घर मे नही थी उसको बताए बिना जाना मुझे सही नही लगा इसलिए मैने सोचा जाते हुए उससे भी मिल कर जाउन्गा मैं जानता था वो दिन भर कहाँ होती है. इसलिए मैने जल्दी से अपने कपड़े बॅग मे डाले ऑर साथ मे कुछ हथियार ऑर पैसे भी रख लिए. फिर मैं घर के बाहर आ गया जहाँ गॅंग के तमाम लोग मोजूद थे ऑर मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे.

रसूल : ये क्या शेरा तुम अभी ही जा रहे हो.

मैं : हां मुझे अभी जाना है लेकिन पहले मैं रूबी से मिलना चाहता हूँ उसके बाद जाउन्गा.

लाला : ठीक है फिर हम भी तुम्हारे साथ ही चलते हैं.

उसके बाद मैं अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर मेरे पिछे तमाम गाडियो का क़ाफ़िला चल पड़ा. कुछ ही देर मे हम यतीम खाने के बाहर थे. वहाँ कुछ बच्चे इधर-उधर घूम रहे थे. मैने बच्चो को देख कर बाकी सब लोगो को बाहर ही रुकने का इशारा किया ऑर खुद यतीम खाने के अंदर चला गया जहाँ बाहर बच्चों को पढ़ाया जा रहा था वहाँ बहुत सी लड़कियाँ ऑर औरते बच्चों को पढ़ा रही थी. मैने चारो तरफ नज़र घुमाई तो एक पेड़ के नीचे कुछ बच्चों को पढ़ाती हुई मुझे रूबी नज़र आई. रूबी को देखकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई. उस वक़्त उसका चेहरा ब्लॅकबोर्ड की तरफ था मैं चुप चाप जाके बच्चों के साथ बैठ गया जिस पर सब बच्चे मुझे देख कर हँसने लगे. रूबी बच्चों को कुछ पढ़ा रही थी ऑर मैं बस खामोशी से बैठा उसको देख रहा था तभी उसकी आवाज़ आई.

रूबी : सबको समझ आ गया ना.

मैं : मुझे समझ नही आया मेडम जी...

रूबी : (पलट ते हुए) शेरा तुम यहाँ....

मैं : मेडम क्वेस्चन मुझे समझ नही आया दुबारा समझाओ.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) आप ऑफीस मे चलिए मैं अभी आती हूँ.

मैं : (सल्यूट करते हुए) यस मेडम....

मेरी इस हरकत पर सब बच्चे हँसने लग गये ऑर रूबी मुझे आँखें दिखाने लग गई इसलिए मैं चुप चाप वहाँ से उठा ऑर जाके उसके ऑफीस मे बैठ गया ऑफीस मे घुसते ही सामने बाबा की तस्वीर लगी थी मैं उनके नूरानी चेहरे को देख रहा था तभी अचानक एक हाथ मेरे कंधे पर आके रुक गया साथ ही एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई.

रूबी : आज क्या बात है सूरज कहीं ग़लत साइड से तो नही निकल गया जो तुमने यहाँ दर्शन दे दिए.

मैं : ऐसी कोई बात नही है मैं बस तुमसे मिलने के लिए आया था.

रूबी : (मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए) नियत तो ठीक है जनाब की... आज दिन मे भी बड़ा रोमेंटिक मूड बना हुआ है.

मैं : (हँसते हुए) नही यार मूड वाली कोई बात नही आक्च्युयली मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा था सोचा तुमसे मिल कर नही जाउन्गा तो तुमको बुरा लगेगा.

रूबी : (अपनी कुर्सी से खड़ी होके मेरे गाल खिचते हुए) हाए मेरी जान बड़ा ख़याल रखने लग गये हो मेरा.

मैं : (अपने गाल छुड़ाते हुए) क्या कर रही हो यार बच्चे देखेंगे तो क्या सोचेंगे.

रूबी : आए... हाए तुम कब्से लोगो की परवाह करने लग गये.

मैं : ज़्यादा शहद मत टपकाओ ऑर मेरी बात सुनो तुमको हर वक़्त मज़ाक ही सूझता है.

रूबी : अच्छा मुझे मज़ाक सूझता है... ऑर वो जो तुम बाहर करके आए हो वो बड़ी सयानी हरकत थी ना यस मेडम...यस मेडम..... तब बच्चों ने नही देखा होगा क्या.

मैं : (कान पकड़ते हुए) अच्छा बाबा ग़लती हो गई माफ़ कर दो आगे से नही करूँगा.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) थ्ट्स लाइक आ गुड बॉय.... अच्छा बताओ यहाँ कैसे आना हुआ.

मैं : मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ

रूबी : (उदास होते हुए) फिर से जा रहे हो.

मैं : अर्रे मैं हमेशा के लिए नही जा रहा बस कुछ दिन की बात है फिर वापिस आ जाउन्गा.

रूबी : मोबाइल साथ लेके जा रहे हो ना.

मैं : हम्म... क्यो...

रूबी : ठीक है जल्दी वापिस आ जाना ऑर अपना ख़याल रखना ऑर मुझसे रोज़ बात करनी पड़ेगी.

मैं : (हाथ जोड़ते हुए) ऑर कोई हुकुम सरकार.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) अब जल्दी से इधर आओ ऑर पप्पी दो फिर जाओ... बस इतना ही....

मैं : (हैरान होते हुए) अभी.... यहाँ पर....

रूबी : क्यो यहाँ कोई परेशानी है क्या.

मैं : नही परेशानी तो नही है लेकिन कोई बच्चा देख सकता है ना...

रूबी : (अपनी कुर्सी से उठ ते हुए) एक मिंट रूको...

रूबी ने जल्दी से जाके दोनो पर्दो को दरवाज़े के आगे कर दिया जिससे बाहर से कोई भी हम को नही देख सकता था फिर वो जल्दी से आके मेरी गोद मे बैठ गई ऑर अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे हार की तरह डाल ली.

मैं : इरादा क्या है सरकार.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) कुछ खास नही तुम्हारी पप्पी लेने का दिल कर रहा है.

मैं : मुझसे तो ऐसे पूछ रही हो जैसे मैं नही कर दूँगा तो नही लोगि....

मेरे इतना कहते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों से जोड़ दिए ऑर एक दिल-क़श अंदाज़ से मेरे होंठ चूसने लगी मैने भी अपनी दोनो बाजू उसकी कमर मे लपेट ली ऑर उसको अपने साथ अच्छी तरह चिपका लिया जिससे उसके मम्मे मुझे मेरी छाती पर चुभने लगे. हम दोनो बड़ी शिद्दत से एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे ऑर हम दोनो की मज़े से आँखें बंद थी.

अचानक मुझे ख़याल आया कि सब लोग बाहर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं इसलिए ना चाहते हुए भी मैने रूबी को खुद से अलग किया. रूबी कुछ देर वैसे ही मेरे गले मे अपनी दोनो बाजू डाले मेरी छाती पर सिर रख कर बैठी रही. फिर वो मेरे उपर से उठ गई ऑर साइड पर खड़ी हो गई. उसके बाद मैं अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ ऑर एक बार फिर से रूबी को गले से लगा लिया उसके बाद हम दोनो अलग हुए ऑर बाहर आ गये जहाँ बच्चे इधर-उधर भाग रहे थे. रूबी ने सबको डाँट कर उनकी जगह पर वापिस भेज दिया ऑर खुद मेरे साथ यतीम खाने के गेट तक बाहर आ गई जहाँ पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहे थे. उसके बाद सबसे गले मिलने के बाद सबको उनके हिस्से का काम दुबारा याद करवा दिया फिर आख़िर मे मैं रूबी के पास आया ऑर उसको भी गले लगा लिया.

रूबी : जल्दी आ जाना मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी.

मैं : हमम्म अपना ख़याल रखना.

रूबी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) तुम भी अपना ख़याल रखना ऑर मुझे फोन करते रहना.

मैं : (मुस्कुराते हुए) ठीक है.

उसके बाद सबको अलविदा कह कर मैं वापिस अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर अपने सफ़र के लिए रवाना हो गया. रूबी गेट पर खड़ी मुझे जाता हुआ देखती रही. आज इतने वक़्त के बाद मैं वापिस उसी जगह जा रहा था जहाँ मुझे नयी जिंदगी मिली थी. मुझे अपने गाँव गये पूरे सवा साल हो चुके थे ऑर इन सवा सालो मे जाने क्या-क्या बदल गया होगा. मैं तेज़ रफ़्तार से गाड़ी भगा रहा था साथ मे बाबा, फ़िज़ा, नाज़ी ऑर हीना के बारे मे भी सोच रहा था जाने वो लोग मेरे बिना कैसे होंगे. रास्ता लंबा था ऑर वक़्त था जो बीतने का नाम ही नही ले रहा था एक-एक पल मेरे लिए एक सदी जैसा हो गया था. मैं गाड़ी भी चला रहा था ऑर अपनी बीती हुई जिंदगी को भी याद कर रहा था. अचानक मेरी नज़र उसी पेट्रोल पंप पर पड़ी जिस पेट्रोल पंप से मैने पेट्रोल भरवाया था ऑर जब मैं घायल था तो वहाँ पर खड़े लड़के ने मेरी मदद करने की कोशिश भी की थी. वहाँ कुछ लोग तोड़-फोड़ कर रहे थे. मैने उन लोगो को देख कर गाड़ी वही रोक दी ऑर गाड़ी से बाहर निकल आया. वहाँ पर कुछ लोग उस लड़के को बुरी तरह मार रहे थे. मैं तेज़ कदमो के साथ वहाँ गया ऑर जाते ही सामने खड़े हुए आदमी को लात मारी जो उस लड़के को बुरी तरह पीट रहा था मेरी लात खाते ही वो दूर जाके ज़मीन पर गिर गया.

आदमी : कौन है ओये तू...

मैं : क्यो मार रहे हो इस लड़के को....

आदमी : साले ने हम से ब्याज पर पैसा लिया था अपनी माँ के इलाज के लिए अब इसकी माँ को मरे को इतना वक़्त हो गया है ऑर अभी तक हमारा पैसा वापिस नही किया.

मैं : कितना पैसा है...

आदमी : 20,000 ऑर उपर से 15,000 ब्याज.

मैने बिना कोई सवाल जवाब किए अपने जेब मे हाथ डाला ऑर 50,000 रुपये के नोट का बंडल उस आदमी के मुँह पर फैंक दिया.

मैं : (अपनी जेब से गन निकाल कर उसको लोड करते हुए) अब दफ़ा हो जाओ यहाँ से नही तो तुम मे से कोई भी अपनी टाँगो पर चल कर यहाँ से नही जाएगा.

आदमी : बादशाहो हम को हमारे पैसे मिल गये अब हमने इससे क्या लेना है... शुक्रिया.

मैं : (उंगली से जाने का इशारा करते हुए) दफ़ा हो जाओ.

उसके बाद मैने नीचे पड़े उस लड़के को उठाया ऑर पेट्रोल पंप के अंदर ले गया.

मैं : (घड़े से पानी भरते हुए) तुम ठीक हो.

लड़का : जी साहब मैं ठीक हूँ... मुझे समझ नही आ रहा आपका ये अहसान मैं कैसे उतारूँगा.

मैं : मैने तुम पर कोई अहसान नही किया यही समझ लो तुम्हारी अम्मी ने तुम्हारे लिए पैसे भेजे थे.

लड़का : शुक्रिया साहब.

मैं : (लड़के को पानी देते हुए) क्या नाम है तुम्हारा.

लड़का : (पानी पीते हुए) जी... रुस्तम....

मैं : एक बात समझ नही आई तुम्हारा तो ये पेट्रोल पंप है ना फिर तुम्हारे पास पैसे की क्या कमी है.

लड़का : साहब ये पेट्रोल पंप मेरा नही शेरा भाई जान का है मैं तो यहाँ मुलाज़िम हूँ.

मैं : (हैरान होते हुए) क्या शेरा का है ये पेट्रोल पंप.

लड़का : जी साहब पहले शीक साहब का होता था लेकिन आज कल इस पेट्रोल पंप के मैल्क शेरा भाई जान हैं.

मैं : (मुस्कुराते हुए) तुमने देखा है शेरा को.

रुस्तम : जी नही साहब... बस नाम ही सुना है... बाबा के जनाज़े पर दूर से देखा था एक बार उसके बाद कभी नही देखा.

मैं : (मुस्कुराते हुए) तो अब नज़दीक से भी देख लो....

रुस्तम : (अपनी जगह से खड़ा होते हुए) आप शेरा भाई हो साहब जी...

मैं : (हां मे सिर हिलाते हुए) दुनिया तो यही कहती है...

रुस्तम : (हाथ जोड़ते हुए) आप एक दम बाबा जैसे हो साहब बाबा ने मुझे रोज़ी दी ऑर आपने आज मेरी जान बचाई. मेरी ये जान आज से आपकी अमानत है अगर कभी मैं आपके काम आ सकूँ तो अपनी खुश नसीबी समझूंगा..
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07-30-2019, 01:26 PM,
#53
RE: Kamukta Kahani अहसान
उसके बाद हम कुछ देर बाते करते रहे फिर वहाँ से पेट्रोल भरवा कर उसको कुछ पैसे दिए पेट्रोल पंप की मरम्मत के लिए ऑर कुछ पैसे उसके खुद के इलाज के लिए. फिर मैं अपने सफ़र के लिए वापिस निकल पड़ा. मैं करीब 9 घंटे से लगातार गाड़ी चला रहा था इसलिए बुरी तरह थक गया था ऑर मुझे भूख भी बहुत लग रही थी लेकिन आस-पास कही भी कोई होटेल या ढाबा नही खुला था जहाँ मैं खाना खा सकूँ इसलिए मैने गाड़ी चलाते रहना ही मुनासिब समझा मैं सुबह तक लगातार गाड़ी चलाता रहा. सुबह मैं उस शहर मे आ गया था जहाँ हीना अक्सर मुझे इलाज के लिए लाया करती थी. इसलिए गाड़ी को मैने उसी शॉपिंग माल के सामने रोक दिया जहाँ से रिज़वाना ने मुझे कपड़े दिलवाए थे मैने जल्दी से गाड़ी को पार्क किया ऑर उस माल मे चला गया सुबह का वक़्त था इसलिए पूरा माल खाली नज़र आ रहा था वहाँ कोई भी नही था बस दुकान वाले ही आए हुए थे जो अपना-अपना माल सेट कर रहे थे मैने एक दुकान मे जाके नाज़ी, फ़िज़ा, हीना ऑर बाबा के लिए नये कपड़े लिए ऑर कुछ ऑर समान लेके वापिस गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर फिर से अपना सफ़र शुरू कर दिया. उस शहर से मेरा गाँव पास ही था इसलिए जल्दी ही मैं अपने गाव की सरहद मे घुस चुका था जहाँ से मेरा गाव शुरू होता था.

कुछ ही देर मे मैं मेरे गाव के काफ़ी करीब तक पहुँच गया था. लह-लहाते खेत ऑर ताज़ी हवा ने मेरी सारी थकान को एक दम गायब कर दिया गाव की ताज़ी हवा मे साँस लेते ही जैसे मेरा रोम-रोम खिल उठा. मैने गाड़ी साइड पर रोक दी ऑर कुछ देर बाहर आके गाव की ताज़ा हवा ऑर खेतो की हरियाली का मज़ा लेने लगा वही पास ही एक सॉफ पानी का ट्यूब-वेल था जहाँ मैने पानी पीया ऑर चेहरे को धो कर वापिस अपने सफ़र के लिए निकल पड़ा. अब कुछ ही दूरी रह गई थी ऑर अब मैं किसी भी वक़्त मैं मेरे गाव तक पहुँच सकता था इसलिए अब मैने अपनी गाड़ी की रफ़्तार भी बढ़ा दी . मुझे गाव मे घुसते ही एक अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी एस लग रहा था जैसे मैं अपने घर वापिस आ गया हूँ. कुछ ही दूरी पर मुझे मेरा खेत नज़र आया जहाँ मैं काम किया करता था. मैने फॉरन गाड़ी रोकी ऑर सबसे पहले अपने खेत मे चला गया वहाँ गन्ने की फसल एक दम तैयार खड़ी थी. मैं कुछ देर अपने खेत मे रुका ऑर फसल का जायेज़ा लेने लगा ऑर सोचने लगा की ज़रूर ये फसल नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने उगाई होगी फिर वापिस आके अपनी गाड़ी मे बैठ गया ऑर अपनी गाड़ी को अपने घर की तरह दौड़ा दिया आज मैं बेहद खुश था इसलिए बार-बार अपने घरवालो के लिए खरीदे हुए समान को बार-बार देख रहा था ऑर चूम रहा था.

कुछ ही देर मे मैने मेरी गाड़ी मेरे घर के सामने रोक दी. मैं जल्दी से गाड़ी से उतरा ऑर अपना बॅग ऑर घरवालो के लिए खरीदा हुआ समान निकाला ऑर तेज़ कदमो के साथ अपना घर के दरवाज़े के बाहर खड़ा हो गया. मैं बेहद खुश भी था ऑर डर भी रहा था कि जाने इतने वक़्त के बाद सब लोग मुझे देख कर कैसा बर्ताव करेंगे. फ़िज़ा तो ज़रूर मुझसे नाराज़ होगी ऑर नाज़ी तो ज़रूर मेरे साथ झगड़ा तक कर लेगी लेकिन हाँ बाबा ज़रूर मेरा साथ देंगे ऑर उन दोनो को चुप करवा देंगे ऐसे ही काई अन-गिनत ख़याल ऑर अपने ज़ोर-ज़ोर से धड़कते दिल के साथ मैने दरवाज़ा खट-खाटाया. कुछ देर बाद एक औरत ने दरवाज़ा खोला ऑर मेरे सामने आके खड़ी हो गई.

औरत : हाँ क्या काम है.
मैं : जी मैं नीर हुन्न...
औरत : (बेरूख़ी से) कौन नीर ... किससे मिलना है तुमको.
मैं : आप कौन हो ओर यहाँ क्या कर रही हो.
औरत : अरे अजीब आदमी हो मेरे घर मे मुझ से ही पूछ रहे हो कि यहाँ क्या कर रही हूँ... तुम हो कौन ऑर किससे मिलना है.

मैं : जी आप बाबा नाज़ी या फ़िज़ा मे से किसी को भी बुला दीजिए वो मुझे जानते हैं.

औरत : यहाँ इस नाम का कोई नही है दफ़ा हो जाओ यहाँ से.

इतना कह कर उसने मेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दिया. मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि ये क्या हुआ सब लोग कहाँ गये ऑर ये कौन औरत थी जो इतनी बेरूख़ी से मुझसे बात कर रही थी. बाबा कहाँ है, फ़िज़ा कहाँ है, नाज़ी कहाँ है ऐसे ही कई सवाल एक साथ मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे जिनका मुझे जवाब ढूँढना था. मैं वापिस उदास ऑर परेशान हालत मे वापिस अपनी गाड़ी के पास आ गया ऑर सारा समान वापिस गाड़ी मे रख दिया. कुछ देर गाड़ी मे बैठने के बाद मैं सोचने लगा कि अब मैं कहा जाउ ऑर किससे पुछु इन्न सब लोगो के बारे मे तभी अचानक मुझे याद आया कि हीना मुझे इन सबके बारे मे बता सकती है. मैने फॉरन गाड़ी स्टार्ट की ऑर गाड़ी को हीना की हवेली की तरफ घुमा दिया. मैं उस वक़्त काफ़ी परेशान था इसलिए बहुत तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था. कुछ ही मिनिट मे मैने गाड़ी को चौधरी की हवेली के सामने रोक दिया. सामने मुझे 2 दरबान बैठे नज़र आए. मैं फॉरन गाड़ी से उतरा ऑर उन दोनो के पास जाके खड़ा हो गया. इन दोनो दरबानो को मैं जानता था इसलिए उनको देखते ही मैने फॉरन पहचान लिया.

दरबान : कौन हो भाई क्या काम है.

मैं : अर्रे भाई मुझे भूल गये क्या मैं नीर हूँ याद आया.

दरबान : (सवालिया नज़रों से मुझे देखते हुए) कौन नीर ... क्या काम है.

मैं : यार भूल गये मैं तुम्हारी छोटी मालकिन को गाड़ी चलानी सिखाता था याद है.

दरबान : (कुछ याद करते हुए) हाँ... हाँ... याद आ गया तुम हैदर बाबा के छोटे बेटे हो ना.

मैं : हाँ मैं उन्ही का बेटा हूँ... मुझे तुम्हारी मेम्साब से मिलना है

दरबान : (हँसते हुए) पागल हो क्या खुद भी मार खाओगे हम को भी मार खिलवाओगे उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है.

मैं : लेकिन समस्या क्या है यार पहले भी तो मैं उनसे मिलता ही था ना.

दरबान : आज छोटी मालकिन की शादी है इसलिए आज उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है.

मैं : क्या... आज हीना की शादी है.

दरबान : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हाँ

मैं : देखो यार मेरा उससे मिलना बहुत ज़रूरी है मेरी मजबूरी को समझो.

दरबान : (आपस मे बात करते हुए) ठीक है लेकिन इसमे हमारा क्या फ़ायदा.

मैं : (अपनी जेब से कुछ पैसे निकाल कर दरबान को देते हुए) अब तो मिल सकता हूँ ना.

दरबान : (खुश हो कर नोट गिनते हुए) कितना वक़्त लगेगा.

मैं : बस 10-15 मिनिट ज़्यादा से ज़्यादा नही.

दरबान : ठीक है लेकिन ज़्यादा वक़्त मत लगाना ये मेरा साथी तुमको पिछे के रास्ते से हवेली मे ले जाएगा लेकिन अगर किसी ने तुमको पकड़ लिया तो हम तुमको नही जानते तुम हम को नही जानते बोलो मंज़ूर है.

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) मंज़ूर है अब चलो जल्दी.

उसके बाद एक दरबान मुझे हवेली के पिछे की तरफ ले गया जहाँ से एक छोटा सा दरवाज़ा था जिस पर ताला लगा हुआ था उसने मेरे सामने जल्दी से ताला खोला ऑर फिर हम दोनो अंदर चले गये वो चारो तरफ देखता हुआ ऑर लोगो की नज़रों से बचा कर उपर तक ले आया ऑर उंगली से हीना के कमरे की तरफ इशारा कर दिया.

दरबान : (उंगली से इशारा करते हुए) ये वाला कमरा है छोटी मालकिन का अब जल्दी जाओ ओर ज़्यादा वक़्त मत लगाना कही कोई आ ना जाए नही तो दोनो मरेंगे.

मैं : शुक्रिया... मैं जल्दी आ जाउन्गा.

मैं दबे पाँव हीना के कमरे मे चला गया ऑर कमरे को अंदर से कुण्डी लगा ली ताकि कोई भी बाहर का अंदर ना आ सके. मैं जैसे ही कमरे मे घुसा मुझे सामने बेड पर हीना लेटी हुई नज़र आई जिसकी हालत देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि या तो वो बीमार है या फिर वो सो रही है. उसके पास ही मेरा कुर्ता पाजामा पड़ा था जो उसको मैने पहनने के लिए दिया था जिसे मैने फॉरन पहचान लिया. मैं जल्दी से उसके पास गया ऑर उसको कंधे से हिला कर उठाया.

मैं : (दबी हुई आवाज़ मे)उठो हीना.... हीना.... हीनाअ

हीना : (बिना मेरी तरफ देखे) दफ़ा हो जाओ यहाँ से मैने कहा ना मैं ये शादी नही करूँगी.

ये बात सुनकर मुझे भी झटका लगा कि ये हीना क्या कह रही है. लेकिन मैं जानना चाहता था कि असल माजरा क्या है हीना क्यो शादी से मना कर रही है.

मैं : (हीना को पकड़कर उठाते हुए) हीना मैं हूँ देखो मुझे एक बार...

हीना : (थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ उठाते हुए) नीर तूमम्म... तुम वापिस आ गये.

मैं : (मुस्कुराते हुए) हाँ मैं वापिस आ गया हूँ क्या हुआ है... तुमने ये क्या हालत बना रखी है अपनी. (अपने हाथ से हीना के बिखरे हुए बाल संवारते हुए)

हीना : (रोते हुए मुझे गले लगाकर) मुझे ले चलो यहाँ से नीर मैं यहाँ एक पल भी अब रहना नही चाहती.

मैं कुछ समझ नही पा रहा था कि हुआ क्या है. इसलिए बिना उससे कोई ऑर सवाल किए मैं उसको चुप करवाने लगा. कुछ देर रोने के बाद वो चुप हो गई फिर मैने पास पड़े ग्लास से उसको पानी पिलाया.

मैं : अब ठीक हो.

हीना : (पानी पीते हुए हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म.....

मैं : अब मुझे बताओ क्या हुआ है यहाँ.

हीना : तुम्हारे जाने के बाद तुम नही जानते यहाँ बहुत कुछ हो गया है मेरे साथ भी ऑर तुम्हारे घरवालो के साथ भी.

मैं : क्या हुआ है बताओ तो सही...

हीना : तुम्हारे वालिद ऑर फ़िज़ा अब इस दुनिया मे नही हैं.

मैं : (हैरानी से) क्या... कब हुआ ये सब कैसे हुआ.

हीना : तुम्हारे जाने के बाद बाबा की तबीयत बहुत खराब रहने लगी थी इसलिए मैने ऑर नाज़ी ने मिलकर उनको हॉस्पिटल अड्मिट करवा दिया बिचारी नाज़ी ने बहुत उनकी खिदमत की आखरी वक़्त मे लेकिन उपर वाले की मर्ज़ी के आगे किया भी क्या जा सकता है वो नाज़ी ऑर फ़िज़ा को रोता हुआ छोड़ कर चले गये.

मैं : (अपनी आँख से आँसू सॉफ करते हुए) ऑर फ़िज़ाअ...

हीना : बाबा के जाने के कुछ दिन बाद ही क़ासिम जैल से रिहा होके वापिस आ गया ऑर आते ही उसने दोनो लड़कियो पर ज़ुल्म करने शुरू कर दिए. वो पैसे के लिए रोज़ फ़िज़ा को मारता था उस बेगैरत को इतना भी तरस नही आया कि फ़िज़ा माँ बनने वाली है उसने तो यहाँ तक इनकार कर दिया था कि वो बच्चा उसका नही है ऑर वो फ़िज़ा पर गंदे-गंदे इल्ज़ाम लगा के रोज़ उसको मारता था. ऐसे ही एक बार उसने फ़िज़ा के पेट मे लात मार दी जिससे उसकी तबीयत बहुत ज़्यादा खराब हो गई बिचारी नाज़ी भागी-भागी मेरे पास आई हम दोनो मिलकर उसको शहर लेके गये लेकिन डॉक्टर ने कहा कि फ़िज़ा को बचना बहुत मुश्किल है ऑर बच्चे की जान को भी ख़तरा है इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा लेकिन ऑपरेशन के बाद बच्चा तो बच गया लेकिन फ़िज़ा को डॉक्टर बचा नही सके. लेकिन उसकी निशानी आज भी नाज़ी के पास है. फ़िज़ा के कफ़न दफ़न के बाद क़ासिम ने मकान ऑर खेत पर क़ब्ज़ा कर लिया उसके बाद उसने एक तवायफ़ से शादी कर ली

बिचारी नाज़ी उस बच्चे को भी संभालती थी ऑर दिन भर घर का काम भी करती थी बदले मे उसको 2 वक़्त का खाना भी पूरा नही दिया जाता था क़ासिम की नयी बीवी रोज़ नाज़ी को बहुत मारती थी. फिर एक दिन उस बद-ज़ात औरत ने नाज़ी को भी घर निकाल दिया. क़ासिम के पास जब पैसे ख़तम हो गये तो उसने तुम्हारे खेत मेरे अब्बू को बेच दिए.

मैं : (रोते हुए) नाज़ी ऑर फ़िज़ा का बच्चा कहाँ है.

हीना : (अपने आँसू पोंछते हुए) यही हैं मेरे पास नाज़ी अब हवेली मे ही काम करती है.

मैं : क्या मैं मिल सकता हूँ उन दोनो से.

हीना : हाँ ज़रूर मिल सकते हो लेकिन मुझे नीचे जाने की इजाज़त नही है तुम रूको मैं किसी को भेज कर नाज़ी को बुल्वाती हूँ.

उसके बाद हीना ने मुझे पर्दे के पिछे छुपने को कहा ऑर खुद बाहर खड़े दरबान से नाज़ी को बुला कर लाने का कहा ऑर वापिस आके गेट बंद कर लिया ऑर फिर से आके मेरे पास बेड पर बैठ गई.

मैं : हीना मुझे समझ नही आ रहा मैं ये तुम्हारा अहसान कैसे उतारूँगा तुम नही जानती तुमने मेरे लिए क्या किया है.

हीना : पागल हो क्या मैने कुछ नही किया... ये तो मेरा फ़र्ज़ था तुम्हारे बाद उनका ख़याल मुझे ही तो रखना था ना.

मैं : (हीना के दोनो हाथ चूमते हुए) शुक्रिया... तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया अगर मैं कभी तुम्हारे किसी काम आ सकूँ तो खुद को बहुत खुश नसीब समझूंगा.

हीना : नीर जानना नही चाहोगे मेरी शादी किससे हो रही है.

मैं : (सवालिया नज़रों से हीना को देखते हुए) किस के साथ..?
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07-30-2019, 01:27 PM,
#54
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-51

ये मेरे लिए एक ऑर बड़ा झटका था क्योंकि उसी को तो मैं यहाँ मारने आया था.

मैं : क्य्ाआ...

हीना : मैं उस बेगैरत इंसान से शादी नही करना चाहती नीर क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ उस कमीने ने मेरे अब्बू को भी पता नही कैसे शादी के लिए राज़ी कर लिया है जानते हो जिस कमीने पर तुम अपने परिवार की ज़िम्मेदारी छोड़ कर गये थे उसने एक बार भी आके ये नही देखा कि वो लोग ज़िंदा है या मर गये. बस डॉक्टर रिज़वाना कभी-कभी आती थी जो नाज़ी ऑर फ़िज़ा को कुछ पैसे दे जाया करती थी घर खर्च के लिए उसके बाद उसने भी आना बंद कर दिया सुना है उसकी किसी कार आक्सिडेंट मे मौत हो गई थी. मुझे वो इंसान बिल्कुल पसंद नही है जो इंसान अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से नही संभाल सकता क्या गारंटी है कि वो मेरा ख़याल रख लेगा.

मैं : तुम मुझसे प्यार करती हो हीना...??

हीना : (मुस्कुरा कर नज़रें नीचे करके हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म... क्या तुम्हारी जिंदगी मे कोई ऑर लड़की है.

मैं : (मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि मैं क्या जवाब दूं लेकिन हीना का मुझ पर अहसान था इसलिए मैने बिना कुछ सोचे समझा उसको हाँ कहने का फ़ैसला कर लिया) नही यार ऐसी कोई बात नही है मुझे भी तुम बहुत पसंद हो. लेकिन तुम मेरी जिंदगी के बारे मे कुछ नही जानती एक बार मेरा सच सुन लो उसके बाद जो तुम्हारा फ़ैसला होगा मुझे मंज़ूर होगा.

हीना : मुझे कुछ नही पता मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ तुम मुझे जिस हाल मे भी रखोगे मैं रह लूँगी ऑर बहुत खुश रहूंगी तुम्हारे साथ.

मैं : लेकिन मैं एक गॅंग्स्टर हूँ ऑर मेरा नाम नीर नही शेरा है.

हीना : तो क्या हुआ गॅंग्स्टर शादी नही करते क्या. मुझे उससे कोई फरक नही पड़ता मैं बस तुमसे प्यार करती हूँ इससे ज़्यादा मुझे कुछ नही पता अब बोलो मुझसे शादी करोगे या नही.

मैं : (बिना कुछ बोले हीना का चेहरा पकड़ कर उसके होंठ चूमते हुए) मिल गया जवाब.

हीना : (आँखें फाड़-फाड़ कर मुझे देखते हुए) हाँ....

तभी किसी ने दरवाज़ा खट-खाटाया तो हम लोग दूर होके बैठ गये. हीना ने मुझे दुबारा पर्दे के पिछे छुप जाने का इशारा किया ऑर खुद दरवाज़ा खोलने चली गई. उसके बाद मुझे 2 आवाज़े सुनाई देने लगी क्योंकि मैं पर्दे के पिछे था इसलिए कुछ भी देख नही पा रहा था इनमे से एक आवाज़ हीना की थी ऑर दूसरी नाज़ी की थी.

नाज़ी : अपने मुझे बुलाया छोटी मालकिन.

हीना : कहाँ थी इतनी देर चल अंदर आ तेरे लिए एक तोहफा है मेरे पास.

नाज़ी : कौनसा तोहफा मालकिन?

हीना : पहले तू अंदर तो आ फिर दिखाती हूँ ऑर आते हुए दरवाज़ा बंद कर देना अंदर से.

नाज़ी : अच्छा.

उसके बाद कुछ देर कमरे मे खामोशी छा गई फिर मैं बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा कि कब हीना मुझे आवाज़ दे ऑर मैं बाहर निकलु.

नाज़ी : बंद कर दिया दरवाज़ा छोटी मालकिन.

हीना : तुझे एक जादू दिखाऊ.

नाज़ी : कौनसा जादू.

हीना : शर्त लगा ले तेरी आँखें बाहर आने को हो जाएँगी मेरा जादू देख कर.

नाज़ी : मैं कुछ समझी नही मालकिन.

हीना : समझती हूँ रुक... अब देख मेरा जादू... 1.... 2.... 3.....

3 कहने के साथ ही झटके से हीना ने मेरे सामने आया हुआ परदा हटा दिया. नाज़ी मुझे आँखें फाड़-फाड़ कर देखने लगी ऑर मैं भी इतने वक़्त के बाद नाज़ी को देख रहा था इसलिए उसी जगह पर किसी पत्थर की तरह खड़ा उसको देखने लगा. नाज़ी पहले से बहुत कमज़ोर हो गई थी ऑर शायद रो-रो कर उसके आँखो के नीचे काले दाग पड़ गये थे. हम दोनो की ही आँखों मे आँसू थे ऑर बिना पलक झपकाए एक दूसरे को देख रहे थे. नाज़ी बिना कुछ सोचे समझे भाग कर मेरे पास आई ऑर मेरे गले से लग कर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. मैं भी उसके सिर पर हाथ फेर कर उसको चुप करवाने लगा मुझे समझ नही आ रहा था कि उसको क्या कहूँ ऑर कहाँ से बात शुरू करू. वो किसी छोटे बच्चे की तरह लगातार सिसक-सिसक कर मुझसे लिपट कर रो रही थी. मैने हीना को इशारा से पानी लाने को कहा तो वो भागती हुई बेड के पास पड़ा आधा ग्लास पानी ही उठा लाई मैने वो पानी नाज़ी को पिलाया ऑर चुप करवाया ऑर उसको पकड़ कर बेड तक ले आया ऑर उसको बेड पर बिठा दिया ऑर खुद भी उसके साथ बैठ गया. काफ़ी देर रोने के बाद नाज़ी का मन हल्का हो गया था इसलिए अब वो बेहतर लग रही थी.

नाज़ी : तुम कहाँ थे इतने दिन नीर तुम नही जानते तुम्हारे पिछे हमारे साथ क्या-क्या हो गया बाबा ऑर फ़िज़ा भाभी... (उसने फिर से रोना शुरू कर दिया)

मैं : मैं सब जान गया हूँ नाज़ी मुझे हीना ने सब बता दिया है. फिकर मत करो मैं अब आ गया हूँ ना तुम्हारे साथ जो बुरा होना था हो गया अब रोने की उनकी बारी है जिन्होने हमारे परिवार को इतना रुलाया है.

हीना : नाज़ी अकेली आई हो नीर कहाँ है.

मैं : तुम्हारे सामने तो बैठा हूँ.

हीना : (हँसते हुए) तुम नही हमारा छोटा नीर .

मैं : (सवालिया नज़रों से हीना को ऑर नाज़ी को देखते हुए) छोटा नीर ...???

हीना : फ़िज़ा के बेटे का नाम भी हमने नीर ही रखा है क्योंकि ये नाम हमने नही बल्कि खुद फ़िज़ा ने ही रखा है वो चाहती थी कि उसका बेटा बड़ा होके तुम जैसा बने.

नाज़ी : (अपने आँसू सॉफ करते हुए) मैं अभी लेके आती हूँ.

हीना : यहाँ मत लेके आना उसको... तुम ऐसा करो हवेली के पिछे वाले रास्ते पर पहुँचो हम दोनो अभी वही आ रहे हैं.

मैं : अभी नही शाम को जाएँगे.

हीना : पागल हो गये हो शाम को ख़ान ऑर उसके लोग यहाँ आ जाएँगे तब निकलना ना-मुमकिन होगा.

मैं : कुछ नही होगा मुझ पर भरोसा रखो आज ख़ान को मारे बिना मैं भी यहाँ से जाने वाला नही हूँ.

हीना : वो पोलीस वाला है उसको मारोगे तो सारे पोलीस वाले हमारे पिछे पड़ जाएँगे.

मैं : वो पोलीस वाला है तो अब मैं भी कोई मामूली आदमी नही हूँ पोलीस के हर रेकॉर्ड मे हमारा नाम शान से मोस्ट वांटेड की लिस्ट मे टॉप पर लिखा जाता है (मुस्कुरा कर) अब चाहे कुछ भी हो जाए उसको मारे बिना मुझे चैन नही आएगा या तो मर जाउन्गा या उस हरामखोर को मार दूँगा. हीना मैने मेरे परिवार के 2 अज़ीज़ लोग खोए हैं ऑर वो सब उस कमीने की वजह से क्योंकि मैं जाने से पहले अपने परिवार की ज़िम्मेदारी उसको देके गया था. वैसे भी उसके साथ मेरा कुछ पुराना हिसाब भी है वो नुकसान तो मैं उसको माफ़ भी कर देता अगर उसने मेरे परिवार का ख़याल रखा होता. लेकिन यहाँ आके जो मुझे पता चला है उसके बाद अगर मैने उसको ज़िंदा छोड़ दिया तो लानत है मुझ जैसे बेटे पर जो अपने बाप की मौत का बदला भी नही ले सका.

हीना : मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ.

नाज़ी : नीर तुमको क्या लगता है सिर्फ़ ख़ान ही दोषी है बाबा की ऑर फ़िज़ा भाभी की मौत का.... तुम नही जानते क़ासिम ने भी हम पर कम ज़ुल्म नही किए आज अगर फ़िज़ा भाभी हमारे बीच नही है तो वो सिर्फ़ उस कमीने की वजह से नही है.

मैं : (नाज़ी का हाथ पकड़कर उसको खड़ा करते हुए) चलो पहले ये हिसाब ही बराबर कर लेते हैं.

हीना : अब तुम कहाँ जा रहे हो.

मैं : मैं ज़रा क़ासिम से मिल कर आता हूँ... तब तक तुम किसी से कुछ मत कहना बस शादी के लिए तेयार हो जाओ.

हीना : ठीक है लेकिन शाम तक तुम आ जाओगे ना.

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म... फिकर मत करो.

हीना : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है जैसे तुम कहो.

मैं : नाज़ी तुम नीचे जाओ ऑर छोटे नीर को लेके तुम मुझे हवेली के पिछे वाले गेट पर मिलो.

नाज़ी : अच्छा...

उसके बाद नाज़ी ऑर मैं हीना के कमरे से बाहर निकल आए. नाज़ी वापिस तेज कदमो के साथ सीढ़ियो से नीचे उतर गई ऑर मैं उस दरबान के साथ दूसरी सीढ़िया उतरता हुआ हवेली के दरवाज़े के पिछे के रास्ते पर आ गया.

दरबान : क्या भाई कितनी देर लगा दी तुमने मेरी तो जान निकल रही थी डर से.

मैं : तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया तुमने मेरी बहुत मदद की है ( अपनी जेब से कुछ ऑर पैसे निकालते हुए) ये लो रखो.

दरबान : नही भाई तुमने पहले ही काफ़ी पैसे दे दिए हैं

मैं : अर्रे रख ले यार तेरे काम आएँगे.

दरबान : (नज़रे नीचे करके मुस्कुराते हुए) शुक्रिया... ऑर कोई काम हो तो याद कर लेना.

मैं : फिकर मत करो शाम को ही तुमसे एक ऑर काम है मुझे.

दरबान : अच्छा...

उसके बाद हम दोनो पिच्चे के रास्ते से हवेली के बाहर निकल गये ऑर वापिस हवेली के सामने वाले दरवाज़े पर आ गये वहाँ से मैं अपनी गाड़ी मे बैठ गया ऑर वो दरबान अपनी जगह पर जाके बैठ गया. मैने गाड़ी स्टार्ट की ऑर वापिस हवेली के पिछे के दरवाज़े की तरफ ले गया वहाँ नाज़ी पहले से खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी उसने एक छोटे से बच्चे को भी पकड़ रखा था. मैने जल्दी से गाड़ी का दरवाज़ा खोला ऑर उसको अंदर आने का इशारा किया वो बिना कुछ बोले मुस्कुरा कर गाड़ी के अंदर बैठ गई.

नाज़ी : (मुस्कुराते हुए) ये देखो हमारा छोटा नीर ... सुंदर है ना

मैं बिना कुछ बोले उस बच्चे को अपने गोद मे उठाया ऑर उसको देखने लगा बहुत ही मासूम ऑर खूबसूरत था उसका नाक एक दम फ़िज़ा जैसा था ऑर आँखें एक दम मेरे जैसी. आख़िर था भी तो मेरा खून उसको मैं जी भर के देखता रहा ऑर खुशी से मेरी आँखो मे आँसू आ गये मैने उसको अपने चेहरे के करीब किया ऑर उसका माथा चूम लिया ऑर वापिस नाज़ी को पकड़ा दिया. उसके बाद मैने गाड़ी को अपने पुराने घर की तरफ वापिस घुमा दिया जहाँ अब क़ासिम रहता था.

नाज़ी : हम कहाँ जा रहे हैं नीर .

मैं : हम क़ासिम से मिलने जा रहे है.

नाज़ी : नही मैं वहाँ कभी नही जाउन्गी उस ज़लील इंसान का मैं मुँह भी नही देखना चाहती.

मैं : तुम्हारे सामने ही सारा हिसाब बराबर करके जाउन्गा मैं.

नाज़ी बिना कुछ बोले नज़रे झुका कर बैठ गई. कुछ ही देर मे मैने घर के सामने गाड़ी को रोक दिया.

मैं : नाज़ी तुम यही बैठो मैं अभी आता हूँ.

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए ) अच्छा.

उसके बाद मैं गाड़ी से उतरा ऑर जाके घर के दरवाज़े के सामने खड़ा हो गया. मैने 1-2 बार दरवाज़ा खट-खाटाया जब किसी ने दरवाज़ा नही खोला तो मैने एक जोरदार लात दरवाज़े पर मारी जिससे झटके से दरवाज़े का एक हिस्सा टूट गया ऑर हवा मे लटकने लगा दरवाज़ा खुल गया था मैं बिना कुछ बोले अंदर चला गया ऑर चारो तरफ देखने लगा पूरा घर वैसे का वैसा था लेकिन समान काफ़ी बदल गया था टूटी-फूटी चीज़ो की जगह नयी ऑर महँगी चीज़े आ गई थी. अभी मैं घर को देख ही रहा था कि एक औरत मेरी तरफ भाग कर आई.

औरत : कौन है तू ऑर इस तरह मेरे घर मे घुसने की तेरी हिम्मत कैसे हुई.

मैं : (उस औरत को गर्दन से पकड़ कर उपर हवा मे उठाते हुए) जिस घर को तू अपना कह रही है वो मेरा घर है मेरे बाबा का घर जिस पर तू ऑर तेरे मादरचोद शोहार ने क़ब्ज़ा किया है अब या तो तू उसको बाहर निकाल नही तो मैं तेरी जान ले लूँगा.

औरत : (हवा मे पैर चलाते हुए ऑर उंगली से बाबा के कमरे की तरफ इशारा करते हुए) उधर... उधहाअ...उधाअरररर....

मैं : (बिना कुछ बोले उस औरत को छोड़ते हुए) क़ास्स्सिईइम्म्म्म..... बाहर निकल.

मेरे ज़ोर से उसका नाम पुकारने पर क़ासिम शराब के नशे मे धुत्त लड़-खडाता हुआ बाहर आया उसके हाथ मे अब भी शराब की बोतल थी.

क़ासिम : कौन है ओये... नीर तू यहानाअ....

मैं : मेरे घरवाले कहाँ है क़ासिम.

क़ासिम : क्या बताऊ यार सब मर गये मैने उनको बचाने की बहुत कोशिश की बाबा तो मेरे आने से पहले ही गुज़र चुके थे फ़िज़ा ऑर नाज़ी भी एक दिन मर गई.

मैं : (गुस्से मे तेज़ कदमो के साथ क़ासिम के पास जाके उसके मुँह पर थप्पड़ मारते हुए) मादरचोद झूठ बोलता है तूने मारा है मेरी फ़िज़ा को तूने घर से निकाला नाज़ी को दर-दर की ठोकर खाने के लिए साले शरम आती है कि तू उस फरिश्ते जैसे इंसान का बेटा है.

क़ासिम : मैं... मैं... मैं क्या करता मुझे नबीला से प्यार जो था ऑर वैसे भी फ़िज़ा बहुत गिरी हुई लड़की थी साली मेरे जैल जाने के बाद दूसरो के साथ सोती थी हरामजादी.

मैं : भेन्चोद एक बार ऑर तूने फ़िज़ा को गाली निकली तो यही गाढ दूँगा तुझे.

क़ासिम : साली बाज़ारु को बाज़ारु ही कहूँगा ना पता नही किसका पाप मेरे गले डाल रही थी कमीनी.... अच्छा हुआ मर गई. (हँसते हुए)

मैं : (बिना कुछ बोले अपनी गन निकाली ऑर उसके सिर मे 2 फाइयर कर दिए) मादरचोद.... अब बोल... बोल हरामख़ोर फ़िज़ा के बारे मे क्या बोलेगा तू.... (क़ासिम की लाश को लात मारते हुए) ऐसे ही लात मारी थी ना फ़िज़ा को अब मार लात दिखा कितनी ताक़त है तुझ मे दिखा मुझे.

मैं गुस्से मे पागल हो चुका था ऑर लगातार उसके पेट मे ठोकर मार रहा था मुझे इस बात की भी परवाह नही थी कि वो मर चुका है. तभी मुझे नाज़ी की आवाज़ सुनाई दी...

नाज़ी : (रोते हुए) बस करो नीर वो मर चुका है.

मैं : हरामख़ोर फ़िज़ा को बाज़ारु बोलता है.

नाज़ी : चलो यहाँ से तुमको मेरी कसम है चलो.

मैं बिना कुछ बोले हाथ मे गन पकड़े वहाँ से चलने लगा तभी मेरी नज़र उस औरत पर पड़ी जो ज़मीन पर गिरी पड़ी थी मुझे देखते ही वो रेंगते हुए मेरे पास आ गई ऑर मेरे पैर पकड़ लिए.

औरत : मुझे माफ़ कर दो मुझे जाने दो मैने तो कुछ नही किया.

नाज़ी : (उस औरत को लात मारते हुए) क़ासिम को इंसान से जानवर बनाने वाली तू ही है कमीनी.

मैं : (बिना कुछ बोले अपनी गन को दुबारा लोड करते हुए ) चलो नाज़ी... (ये बोलते ही मैने 1 गोली उस औरत के सिर मे भी मार दी ऑर नाज़ी को लेके घर से बाहर निकल आया)

उसके बाद हम दोनो गाड़ी मे आके बैठ गये ऑर नाज़ी ने बच्चे को अपनी गोदी मे रख लिया ऑर फिर से मेरे कंधे पर सिर रख कर रोने लगी.

मैं : चुप हो जाओ नाज़ी सब ठीक हो जाएगा मैं हूँ ना.

नाज़ी : मुझे समझ नही आ रहा मैं क्या कहूँ नीर एक तुम हो जो गैर होके भी हमारे अपने से बढ़कर निकले ऑर एक ये क़ासिम था जो मेरा सगा भाई होके भी इतना बेगैरत निकला.

मैं : (नाज़ी के आँसू सॉफ करते हुए) चलो चुप हो जाओ ऑर मुझे बाबा ऑर फ़िज़ा के पास ले चलो उनको मिट्टी देना तो मेरे नसीब मे नही था कम से कम एक बार उनको देख कर आना चाहता हूँ.

नाज़ी : (चुप होते हुए) चलो गाँव के पुराने कब्रस्तान की तरफ गाड़ी घुमा लो.

उसके बाद हम दोनो पुराने कब्रिस्तान की तरफ चले गये वहाँ बाबा ऑर फ़िज़ा की कब्र के पास बैठ कर मैं काफ़ी देर तक रोता रहा. कुछ देर जी भर के रो लेने के बाद अब काफ़ी बेहतर महसूस कर रहे था मैने उनके लिए खरीदे हुए कपड़े उनकी क़ब्र पर ही रख दिए ऑर नाज़ी के पास वापिस आ गया. नाज़ी गाड़ी के पास खड़ी थी ऑर बच्चे को चुप करवा रही थी क्योंकि शायद बच्चा गोली की आवाज़ से डर गया था ऑर लगातार रो रहा था.

नाज़ी : नीर बहुत भूखा है काफ़ी देर से इसको दूध नही मिला है इसलिए.

मैं : तो अब क्या करे.

नाज़ी : हमें हवेली वापिस जाना होगा वहाँ मेरे कमरे मे इसकी दूध की बोतल है.

मैं : ठीक है हम पहले हवेली ही चलते हैं.
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07-30-2019, 01:28 PM,
#55
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-52

उसके बाद मैं ओर नाज़ी वापिस हवेली के पिछे वेल गेट पर चले गये वहाँ मैने अपनी गाड़ी खड़ी की ऑर नाज़ी के पीछे-पीछे उसके कमरे तक आ गया. हवेली का पिच्छला हिस्सा एक दम खाली रहता था इसलिए वहाँ किसी के आने का भी डर नही था. इसलिए हम बे-ख़ौफ्फ होके नाज़ी के कमरे मे चले गये. नाज़ी का कमरा कुछ ख़ास नही था बहुत छ्होटा सा कमरा था ऑर एक चारपाई के अलावा गिनती का समान था ऑर एक पुराना सा संदूक था जिसमे शायद नाज़ी ऑर बच्चे के कपड़े थे. मैं जाके सामने पड़ी चारपाई पर बैठ गया ऑर नाज़ी बच्चे को बोतल से दूध पिलाने लगी. दूध पी कर कुछ ही देर मे वो सो गया. इसलिए नाज़ी ने बच्चे को चारपाई पर मेरे साथ ही लिटा दिया.

मैं : नाज़ी मुझे भी भूख लगी है कुछ खाने को मिल सकता है.

नाज़ी : (यहाँ वहाँ देखते हुए) तुम रूको मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूँ.

उसके बाद मैं वहाँ आराम से बैठ गया अपने बच्चे को देखने लगा ऑर नाज़ी के आने का इंतज़ार करने लगा. कुछ ही देर मे नाज़ी एक प्लेट के साथ कमरे मे वापिस आ गई.

नाज़ी : (मुस्कुराते हुए कमरे मे घुसते हुए)ये लो जी खाना आ गया.

मैं : (बिना कुछ बोले मुस्कुरा कर नाज़ी से प्लेट लेते हुए) बहुत भूख लगी है यार कल रात से कुछ नही खाया मैने.

नाज़ी : (मुझसे प्लेट लेते हुए) हटो... मैं खिलाती हूँ.

नाज़ी ने मुझसे प्लेट लेली ऑर खुद मुझे अपने हाथो से खाना खिलाने लगी. मैने भी प्लेट से एक रोटी उठाई ऑर सालान के साथ रोटी लगाकर नाज़ी को खिलाने लगा. हम दोनो मुस्कुरा रहे थे ऑर एक दूसरे को खाना खिला रहे थे. खाना खाने के बाद नाज़ी ने बर्तन चारपाई के नीचे रख दिए ऑर हम हाथ मुँह धो कर वापिस चारपाई के पास आ गये ऑर बच्चा सोया हुआ था इस वजह से मैं ज़मीन पर ही लेट गया.

नाज़ी : अर्रे ज़मीन पर क्यो लेट रहे हो.
मैं : बच्चा जाग जाएगा इसलिए...
नाज़ी : रूको मैं नीचे चद्दर बिच्छा देती हूँ फिर तुम आराम से लेट जाओ.

उसके बाद नाज़ी ने ज़मीन पर मेरे लिए पुरानी सी चद्दर बिछा दी ऑर मैं उस पर लेट गया कुछ देर बाद नाज़ी भी मेरे साथ आके लेट गई ऑर मुझे गले से लगा लिया. मैने बिना कुछ बोले उसको एक नज़र देखा ऑर उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको अपने उपर लिटा लिया वो बिना कुछ बोले मेरे उपर आ गई ऑर मेरे चेहरे को देखने लगी.

नाज़ी : नीर तुम इतना वक़्त कहाँ थे.

मैं : (मैने अपनी सारी असलियत नाज़ी को बता दी)

नाज़ी : हमम्म तभी मैं सोचु इतनी आसानी से गोली कैसे चला दी तुमने.

मैं : क्या तुम मुझसे नाराज़ हो.

नाज़ी : क्यो नाराज़ क्यो होना है.

मैं : मैने क़ासिम को मार दिया इसलिए...

नाज़ी : मेरे बस मे होता तो मैं उसको कब की मार चुकी होती ऑर तुमने कोई ग़लत काम नही किया उसके जैसे घटिया इंसान को जीने का कोई हक़ नही था. लेकिन नीर एक परेशानी हो सकती है.

मैं : क्या....

नाज़ी : आज हीना की शादी है तो यहाँ बहुत से पोलीस वाले आएँगे ना अगर किसी को पता चल गया कि तुमने क़ासिम को मारा है तो वो लोग तुमको पकड़ लेंगे ना...

मैं : (मुस्कुराते हुए) आज कोई भी आ जाए मुझे पकड़ नही पाएगा ऑर तुम देखना शाम को तुम्हारे सामने कितने पोलीस वालों को मार कर जाउन्गा मैं यहाँ से.

नाज़ी : अपना भी ख़याल रखा करो तुमको कुछ हो गया तो तुम्हारे बाद मेरा इस दुनिया मे कौन है बताओ...

मैं : (मुस्कुराते हुए) क्यो ये छोटा नीर है ना...

नाज़ी : मज़ाक मत करो ना तुम्हारी जगह वो थोड़ी ले सकता है. अच्छा हाँ याद आया तुम तो मुझसे नाराज़ थे ना.

मैं : किस बात पर नाराज़ था मुझे तो याद नही.

नाज़ी : भूल गये....

मैं : (सवालिया नज़रों से नाज़ी को देखते हुए) नही... मुझे नही याद...

नाज़ी : तुमको मैने थप्पड़ मारा था अब याद आया.

मैं : (कुछ याद करते हुए) हाँ यार मैं तो भूल ही गया मैं अब भी तुमसे नाराज़ हूँ.

नाज़ी : अच्छा जी तो मनाने के लिए क्या करना पड़ेगा.(मेरे सिर मे अपनी उंगालिया घूमाते हुए)

मैं : जो पहले करती थी. (मुस्कुरा कर)

नाज़ी : तुम कभी नही सुधर सकते ना...

मैं : अब क्या करे फ़ितरत ही कुछ एसी है.

नाज़ी : अच्छा ठीक है लेकिन सिर्फ़ एक मिलेगा.

मैं : ठीक है तुम एक ही दे दो बाकी मैं खुद ले लूँगा.

नाज़ी : पहले अपनी आँखें बंद करो मुझे शरम आती है.

मैं : (आँखें बंद करते हुए) ठीक है....

उसके बाद नाज़ी ने बिना कुछ कहे अपने रसीले होंठ मेरे होंठ पर रख दिए धीरे-धीरे मैने अपने होंठ थोड़े से खोले ऑर उसके होंठों को अपने मुँह मे आने का रास्ता दे दिया ऑर धीरे-धीरे उसके होंठ को चूसने लगा. साथ ही अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख दिए. हम काफ़ी देर एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे. नाज़ी की ऑर मेरी दोनो की साँसे काफ़ी तेज़ हो गई थी इसलिए हमारे चूमने मे भी शिद्दत सी आ गई थी हम दोनो एक दूसरे मे समा जाने को तेयार थे लेकिन वो जगह ऐसी नही थी कि मैं उसके साथ कुछ कर सकता इसलिए ना चाहते हुए भी मैने खुद को काबू किया ऑर उसका चेहरा पकड़ कर खुद से अलग किया लेकिन नाज़ी की आँखें बंद थी ऑर वो बहुत ज़्यादा गरम हो गई थी इसलिए बार-बार मेरे हाथ अपने चेहरे से हटा कर मेरे होंठ चूस रही थी. इसलिए मुझे भी खुद को काबू करना मुश्किल हो रहा था नीचे से मेरा लंड भी पेंट फाड़ने को तेयार था . मैने नाज़ी को कमर से पकड़ कर नीचे लिटा दिया ऑर खुद उसके उपर आ गया. अब मैने उसको शिद्दत से चूम रहा था. वो मुझे चूम रही थी ऑर बॅड-बड़ा रही थी.

नाज़ी : मैने बहुत इंतज़ार किया है तुम्हारा अब मुझसे कभी दूर मत जाना.

मैं : (नाज़ी के होंठ चूमते हुए) नही जाउन्गा.

उसके बाद मैने नाज़ी का चेहरा चूमना शुरू कर दिया ऑर चेहरे से होते हुए मैं उसके गले को चूमने ऑर चूसने लगा. उसने एक नज़र मुझे देखा ऑर खुद ही मेरा एक हाथ अपने मम्मे पर रख दिया ऑर फिर से आँखें बंद कर ली. उसके बाद मैं उसके गले को चूस्ते हुए उसके मम्मे दबाने लगा नाज़ी की सांस अब काफ़ी तेज़ हो गई थी ऑर वो अपने दोनो हाथो से मेरे चेहरे को अपने मम्मों पर दबा रही थी. मैने एक हाथ से कंधे के एक साइड से उसकी कमीज़ को नीचे कर दिया ऑर उसके कंधे को चूमने ऑर चूसने लगा साथ ही अपने एक हाथ उसकी कमीज़ के अंदर डाल कर उसके पेट पर अपना हाथ फेरने लगा. कुछ ही देर मे मेरा हाथ बढ़ते हुए उसके मम्मों के उपर आ चुका था अब मैं उसकी ब्रा के उपर से ही उसके मम्मों को दबा रहा था. नाज़ी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर मेरे लंड पर अपनी चूत को रगड़ रही थी जिससे मेरा लंड भी खड़ा होने की वजह से दुखने लगा था. मैने अपना दूसरा हाथ भी उसकी कमीज़ मे डाल दिया ऑर उसकी ब्रा को एक झटके से कमीज़ के अंदर से उपर कर दिया जिससे उसके आधे मम्मे बाहर आ गये. उसके निपल किसी तलवार की तरह एक दम सख़्त हो चुके थे मैने अपनी एक उंगली से उसके एक निपल को हल्का सा हिलाया ऑर फिर अपनी उंगली ऑर अंगूठे की मदद से उसके निपल को पकड़ लिया ऑर मरोड़ने लगा. इससे शायद नाज़ी को बहुत मज़ा आया था इसलिए उसके मुँह से एक तेज़ आआहह निकल गई. उसने जल्दी से दोनो हाथ मेरी पीठ पर रखे ऑर पिछे से मेरी कमीज़ को पेंट मे से बाहर खींचने लगे थोड़े से खिचाव से मेरी कमीज़ पेंट से बाहर आ गई. अब उसने अपने दोनो हाथ मेरी कमीज़ के अंदर डाल कर मेरी पीठ पर अपने दोनो हाथ फेरने ऑर नाख़ून मारने शुरू कर दिए. मैने जल्दी से उसकी कमीज़ सामने से उपर करदी जिसमे नाज़ी ने अपनी गान्ड उठा कर मेरी मदद की .


कमीज़ उपर होते ही उसके गोल-गोल मम्मे बाहर आ गये जिस पर किसी भूखे बच्चे की तरफ मैं टूट पड़ा ऑर उन्हे चूसना शुरू कर दिया. नाज़ी आअहह ओह्ह्ह सस्स्सिईइ करती हुई मेरा सिर अपने मम्मों पर दबा रही थी. मैं उसकी निपल को चूस ऑर काट रहा था. मुझे उसके निपल चूसने मे परेशानी हो रही थी इसलिए मैने अपने हाथ दोनो पिछे ले जाकर उसकी ब्रा के स्टाप को खोल दिया ऑर फिर से उसके निपल चूसने मे लग गया. मैं जाने कितनी देर तक उसके मम्मों को चूस्ता रहा तभी उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा ऑर मुझे रुकने का इशारा किया. मैने अपने चहरा उपर करके उसको देखा ऑर रुक गया ओर उसके उपर से उठ गया मेरे साथ ही वो भी उठ गई ऑर मेरे चेहरे को पकड़ कर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी ऑर साथ ही मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी उसका एक हाथ मेरी शर्ट के बटन खोल रहा था ऑर दूसरा हाथ मेरी छाती पर घूम रहा था शर्ट खुलते ही उसने झटके से मेरी शर्ट उतार दी ऑर मेरी छाती पर चूमने लगी.

मैने भी उसकी कमीज़ के दोनो सिरों को पकड़ा ऑर उपर की तरफ खींचा जिस पर उसने अपनी दोनो बाज़ू हवा मे उपर उठा दी पिछे से ब्रा खुली होने की वजह से उसकी कमीज़ के साथ उसकी ब्रा भी उतर गई. उसने एक नज़र मुझे देखा ऑर नज़रे नीची करके अपने दोनो हाथ अपनी छाती पर रख लिए ओर फिर से नीचे लेट गई ऑर अपनी आँखें बंद कर ली. मैं वापिस उसके उपर लेट गया ऑर उसके दोनो हाथ उसकी छाती से हटा कर अपनी पीठ पर रख लिए अब उसके दोनो मम्मे मेरी छाती के नीचे दबे हुए थे ऑर उसके तीखे निपल मुझे अपनी छाती पर चुभ रहे थे. मैं उसका चेहरा चूम रहा था. कुछ देर बाद मैं फिर से नीचे की तरफ बढ़ने लगा ऑर उसके कंधो को चूमने ऑर चूसने लगा. उसका अब एक हाथ मेरी पीठ पर था ऑर दूसरा हाथ पिछे से मेरे सिर को सहला रहा था. उसके निपल इस वक़्त एक दम सख़्त हुए पड़े थे ऑर बाहर को निकले हुए थे. मैने अपना एक हाथ उसके एक मम्मे पर रखा ऑर उसके मम्मों को अपने हाथ से पकड़ लिया. अब मैने पकड़े हुए मम्मे पर अपना चेहरा रखा ऑर उसे शिद्दत से चूसने लगा मैं उसके निपल को मुँह से पकड़ कर चूस रहा था ऑर अपने मुँह मे अंदर की तरफ खींच रहा था जिसकी वजह से उसको इंतेहा मज़ा आ रहा था ऑर उसके मुँह से सस्सस्स सस्स्सस्स निकल रहा था. नीचे से उसने अपनी दोनो टांगे मेरी कमर पर रख ली थी ऑर अपनी टाँगो की मदद से मेरी कमर को जकड लिया था अब पेंट के उपर से मेरे लंड का निशाना उसकी चूत के उपर था जिसको कि वो अपनी गीली हुई चूत से बुरी तरह से रगड़ रही थी. इधर मेरा लंड भी अब बाहर निकलने का रास्ता तलाश कर रहा था इसलिए मैने अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठा कर अपनी बेल्ट ऑर पेंट के बटन को एक साथ खोल दिया जिसको नाज़ी ने अपनी टाँगो की मदद से मेरे घुटने तक नीचे कर दिया. मेरे लंड ने आज़ाद होते ही अंडरवेर मे एक टेंट सा बना लिया था जो सीधा नाज़ी की सलवार के उपर से उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था. नाज़ी को शायद इस ठोकर से बे-इंतेहा मज़ा मिल रहा था इसलिए उसने अपने दोनो हाथ मेरी गान्ड पर रखे ऑर मेरी गान्ड को अपनी चूत पर दबाने लगी. मैने धीरे से नाज़ी के कान मे कहा....

मैं : सलवार भी उतार दूं....

नाज़ी : (बिना कुछ बोले हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म

उसके बाद मैने जल्दी से अपना अंडरवेर ऑर पेंट दोनो को अपनी टाँगो से आज़ाद किया ऑर उसकी सलवार को नीचे खींचने लगा नाज़ी ने भी अपनी गान्ड उठा कर सलवार उतारने मे मदद की. अब मैं ऑर नाज़ी दोनो एक दम जनम-जात वाली हालत मे थे. नाज़ी के उपर दुबारा लेट ते ही मुझे ऐसा लगा जैसे लंड को पानी मे डुबो दिया हो क्योंकि नाज़ी की चूत बुरी तरह पानी छोड़ रही थी ऑर पूरी गीली हुई पड़ी थी जिसमे मेरे लंड के उपर वाले हिस्सो को भी अपनी पानी से नहला दिया था मैने थोड़ी सी अपनी गान्ड उपर की ऑर अपने लंड को चूत की छेद पर सेट किया ऑर नाज़ी की तरफ देखने लगा.

नाज़ी : दर्द नही होगा मैने सुना है पहली बार बहुत दर्द होता है?

मैं : हमम्म पहली बार दर्द होता है उसके बाद सब ठीक हो जाता फिर भी तुमको दर्द हो तो बता देना मैं रुक जाउन्गा ठीक है.
नाज़ी : अच्छा....

उसके बाद मैने वापिस अपने लंड को चूत के निशाने पर रखा ऑर चूत की छेद पर लंड से दबाव बनाने लगा. चूत सच मे बहुत टाइट थी मेरे लंड की टोपी भी अंदर नही जा रही थी लंड बार-बार फिसल कर उपर को चला जाता था. इसलिए मैने नाज़ी की दोनो टाँगो को फैला दिया ऑर लंड पर ढेर सारा थूक लगा कर चूत पर थोड़ा सा जोरदार निशाना लगाया जिससे लंड की टोपी अंदर चली गई ऑर नाज़ी के मुँह से एक तेज़ सस्स्स्सस्स की आवाज़ निकली. मैं कुछ देर रुक गया ऑर नाज़ी का दर्द कम होने का इंतज़ार करने लगा साथ ही नाज़ी का चेहरा चूमने लगा. कुछ ही देर मे उसका दर्द गायब हो गया ऑर वो फिर से मेरे होंठों पर टूट पड़ी ऑर बुरी तरह चूसने लगी. जब मैने उसे बेहतर हालत मे महसूस किया तो मैने थोड़ा जोरदार एक ऑर झटका मारा जिससे 1/4 लंड अंदर दाखिल हो गया उसने फिर से दर्द के मारे अपनी आँखें बंद कर ली ऑर मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया. मैं फिर से कुछ देर रुक गया ऑर उसके निपल्स को चूसने लगा कुछ ही देर मे वो थोड़ी बेहतर लगने लगी ऑर नीचे से गान्ड हिलाने लगी जिससे मुझे अंदाज़ा हो गया कि अब उसको पहले से बहुत कम दर्द हो रहा है. अब मैं आगे को ज़ोर दे रहा था लेकिन लंड आगे नही जा पा रहा था इसलिए मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया ऑर फिर से ढेर सारा थूक लंड पर लगाया ऑर लंड को चूत मे दाखिल कर दिया लंड के अंदर जाते ही उसके मुँह से फिर से एक दर्द भरी सस्स्सस्स आयईयीई की आवाज़ निकली लेकिन अब पहले जितना दर्द नही था अब मैं अगले झटके के लिए कुछ देर रुक गया ऑर उसके नॉर्मल होने का इंतज़ार करने लगा


जब उसका दर्द पहले से काफ़ी कम हो गया तो मैने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए ऑर उसके होंठ चूसने लगा क्योंकि मैं नही चाहता था कि अगले झटके से वो चीख पड़े ऑर उसकी आवाज़ बाहर कोई सुन ले इसलिए मैने उसको होंठों को अपने होंठों से जकड लिया ऑर नीचे लंड का एक जोरदार झटका मारा जिससे लंड उसकी चूत की सील को तोड़ता हुआ अंदर दाखिल हो गया अब करीब आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत के अंदर था ऑर चूत की दीवारों ने उसे बुरी तरह जकड रखा था. मेरा अंदाज़ा सही था लंड के अंदर जाते ही उसने चीखना चाहा था लेकिन मेरे होंठ उसके होंठ के उपर होने की वजह से उसकी आवाज़ मेरी मुँह मे ही दब गई. वो मेरे कंधे पर ज़ोर-ज़ोर से मारने लगी ऑर साथ मे रोने लगी.

मैं : बस...बस... हो गया पूरा चला गया.

नाज़ी : ससस्स आईइ... बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा

मैं : बस 5 मिंट वेट कर लो लंड अंदर जगह बना लेगा तो दर्द भी ख़तम हो जाएगा.

नाज़ी : ससस्स थोड़ी देर के लिए बाहर निकाल लो मेरी दर्द से जान जा रही है.

मैं : (नाज़ी के आँसू सॉफ करते हुए) बस हो गया ना अभी ठीक हो जाएगा मैने बोला था ना पहली बार दर्द होता है उसके बाद मज़ा आएगा.

उसका ध्यान दर्द से हटाने के लिए मैं वापिस उसके होंठ ऑर चेहरे को चूमने लगा उसको शायद काफ़ी दर्द हो रहा था इसलिए अब वो मेरा साथ नही दे रही थी मैं बिना हिले उसके उपर लेटा रहा ऑर एक बार फिर से उसके निपल्स को चूसने लगा क्योंकि मैं जानता था उसके मम्मे ही उसका सबसे वीक पार्ट है जहाँ उसको सबसे ज़्यादा मज़ा आता है. कुछ ही देर मे उसका दर्द अब पहले से कम हो गया ऑर उसने भी नीचे से अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया.

नाज़ी : अब ऑर अंदर मत करना आगे ही बहुत दर्द हो रहा है बस इतने से ही कर लो.

मैं : अच्छा ठीक है ऑर अंदर नही करूँगा.

अब मेरा लंड जितना अंदर था मैने उसी को थोड़ा सा बाहर निकलता ऑर फिर से पहले जितना ही अंदर कर देता कुछ देर उसको झटको से दर्द होता रहा लेकिन फिर उसकी चूत ने मेरे लंड के लिए रास्ता खोल दिया ऑर उसकी चूत की दीवारो की पकड़ भी पहले से ढीली हो गई थी. कुछ ही देर मे उसको भी मज़ा आने लगा अब वो भी मेरा थोड़ा-थोड़ा साथ देने लगी थी लेकिन ज़ोर से झटका नही मारने दे रही थी शायद उसको दर्द हो रहा था. मैं अब अपने लंड को उसकी चूत मे जहाँ तक जा सकता था बिना दर्द के डाला ऑर अपनी गान्ड को गोल-गोल घुमाने लगा जिससे उसको बेहद मज़ा आने लगा. अब उसने भी अपनी दोनो टांगे उठा ली थी ऑर वापिस मेरी कमर पर अपनी दोनो टाँगो को लपेट लिया था.

नाज़ी : हाँ ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है झटका मत मारना दर्द होता है.

मैं : हमम्म्मम

कुछ ही देर मे उसको बेहद मज़ा आने लगा ऑर वो फारिग होने के करीब पहुँच गई.

नाज़ी : तेज़ करो मुझे मज़ा आ रहा है.
मैं : हमम्म्म

उसके बाद मैने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू कर दिए कुछ देर झटके लगने के बाद अब उसको भी मज़ा आने लगा था इसलिए अब मैं थोड़ा तेज़-तेज़ झटके मारने लगा ऑर लंड को भी जितना हो सकता था अंदर से अंदर तक डालने लगा. कुछ ही देर मे वो फारिग हो गई उसकी गान्ड हवा मे अकड़ गई ऑर फिर धडाम से ज़मीन पर गिर गई शायद वो फारिग हो चुकी थी इसलिए अब उसकी टांगे भी काँप रही थी. मैं कुछ देर उसकी कमर पर हाथ फेरता रहा ऑर उसके निपल को चूस कर फिर से उससे गरम करने लगा साथ-साथ नीचे से झटके भी मारता रहा. अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे जा रहा था लेकिन उसको दर्द नही हो रहा था बल्कि मज़ा आ रहा था इसलिए मैने उसकी कमर के नीचे हाथ डाला ऑर चूत मे लंड डाले ही पलट गया अब वो मेरे उपर थी ऑर मैं उसके नीचे था उसको कुछ समझ नही आया कि क्या करना है इसलिए वो मुझे सवालिया नज़रों से देखने लगी.

मैं : मेरे लंड पर उपर नीचे करो अपनी चूत को

वो काफ़ी देर कोशिश करती रही लेकिन उससे हुआ नही सही से इसलिए मैने उसको अपने उपर लिटा लिया ऑर उसकी गान्ड पर हाथ रख कर उसकी गान्ड को थोड़ा सा उपर को उठा दिया जिससे मैं नीचे से झटके लगा सकूँ मेरे ऐसा करने से शायद उसको ऑर भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था इसलिए वो मेरे उपर लेटी मेरी छाती को चूम रही थी. कुछ ही देर मे वो फिर से अपनी मंज़िल के करीब आ गई ऑर झटके खाते हुए मेरे उपर ही फारिग होके मेरी छाती पर ढेर हो गई ऑर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी. मैं भी अपनी मज़िल के करीब ही था इसलिए मैं रुकना नही चाहता था इसलिए तेज़-तेज़ झटके मारने जारी रखे लेकिन शायद अब उसको दर्द हो रहा था.

नाज़ी : झटके मत दो अब दर्द हो रहा है वैसे ही पहले जैसे गोल-गोल करो उसमे मज़ा आता है.
मैं : ठीक है

उसके बाद मैं अपनी गान्ड को गोल-गोल घुमाने लगा जिससे लंड अंदर चूत की दीवारो टकरा रहा था.

नाज़ी : अंदर जलन हो रही है इसको फिर से गीला कर लो ना.
मैं : हमम्म

मैं लंड को चूत से बाहर निकाला ऑर अपने हाथ पर ढेर सारा थूक इकट्ठा करके अपने लंड पर लगा लिया अब मैने लंड को फिर से चूत के निशाने पर रखा ऑर धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा जिससे नाज़ी को फिर से दर्द होने लगा इसलिए उसने सस्सस्स के साथ अपनी फिर से आँखें बंद कर ली.

लंड डालने के बाद मैं कुछ देर वैसे ही चूत मे लंड डाले पड़ा रहा जब नाज़ी का दर्द कम हो गया तो मैने फिर से झटके लगाने शुरू कर दिए इस बार नाज़ी भी अपनी गान्ड को नीचे की तरफ दबा रही थी ऑर साथ मे मेरे होंठ चूस रही थी हम दोनो ही अब मज़िल के करीब थे कुछ तेज़ ऑर ज़ोरदार झटको के साथ मैं ऑर नाज़ी दोनो एक साथ अपनी मज़िल के करीब पहुँच गये मेरा लंड एक के बाद एक झटके से पिचकारियाँ मारने लगा ऑर मेरा सारा माल नाज़ी की चूत की गहराइयो मे उतरने लगा मेरे लंड की हर पिचकारी के साथ वो मज़े से सस्सस्स अहह सस्स्सस्स ऊओह कर रही थी हम दोनो बुरी तरह हाँफ रहे थे ऑर पसीने से भीगे पड़े थे वो मेरी छाती पर सिर रख कर अपनी साँस को दुरुस्त करने लगी कुछ देर मे ही हम दोनो एक दम नॉर्मल हो गये थे ऑर मेरा लंड भी अपनी खुंराक मिलने के बाद शांत होके बैठ चुका था. साँस के दुरुस्त होने के बाद नाज़ी मेरे उपर से उठी ऑर मेरा लंड पुउउक्ककक की आवाज़ से उसकी चूत से बाहर निकल आया साथ ही मेरा ऑर उसका माल भी उसकी चूत से बहता हुआ मेरी रान पर गिरने लगा. साथ ही मेरे कानो मे नाज़ी की आवाज़ टकराई....

नाज़ी : हाए ये खून कहाँ से आ गया.

मैं : तुम्हारा निकला है... जब पहली बार करते हैं तो निकलता है.

नाज़ी : इतना सारा खून.

मैं : कुछ नही होता पहली बार आता है.

उसके बाद वो बिना कुछ कहे खड़ी हुई ऑर इधर उधर देखने लगी ऑर फिर संदूक खोलकर एक कपड़ा उठा लाई जिससे पहले उसने मेरी रान सॉफ की ऑर फिर उसी कपड़े से अपनी चूत को अच्छे से सॉफ किया मैं लेटा उसको देख रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था. वो भी मुझे देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी.

नाज़ी : ये क्या किया है.... गंदे कही के.... (मुँह बना कर)

मैं बिना कुछ बोले उसको देख कर मुस्कुरा रहा था. फिर उसने जल्दी से अपने कपड़े उठाए ऑर कमरे मे ही एक कौने पर जाके अपनी चूत को पानी से धो कर सॉफ करने लगी. मैं भी खड़ा हुआ ऑर उसके पिछे चला गया उसने पानी डाल कर मेरे लंड को भी अच्छे से सॉफ किया जो कि उसके खून ऑर हम दोनो के माल से भरा पड़ा था. उसके बाद हमने कपड़े पहने ऑर वापिस उसी चद्दर की एक तरफ जहाँ सॉफ थी वहाँ जाके लेट गये नाज़ी इस बार भी मेरे उपर ही लेटी थी ऑर मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी. अब मैं आँखें बंद किए लेटा था ऑर ख़ान के आने का इंतज़ार कर रहा था कि कब ख़ान आए ऑर उसको मार कर मैं अपने बिज़्नेस का लॉस ऑर मेरे परिवार के साथ हुई ज़्यादती का बदला ले सकूँ.

मैं नाज़ी के साथ सेक्स करके काफ़ी थक गया था इसलिए कुछ ही देर मे मुझे नींद ने अपनी आगोश मे ले लिया. अभी मुझे सोए हुए कुछ ही देर हुई थी कि मेरी जेब मे पड़ा मेरा फोन बजने लगा जिससे अचानक मेरी आँख खुल गई. मैने अपने उपर लेटी नाज़ी को जल्दी से साइड पर किया ऑर खुद बैठ कर जेब मे हाथ डाल कर फोन देखने लगा. मैने फोन देखा तो डिसप्ले पर रसूल लिखा था. मैने जल्दी से फोन कान को लगाया ऑर नाज़ी के पास बैठकर ही रसूल से बात करने लगा.

मैं : हां रसूल भाई क्या हाल है.

रसूल: मैं खेरियत से हूँ भाई तुम कैसे हो.

मैं : मैं भी ठीक हूँ. बताओ कैसे फोन किया था.

रसूल : भाई मुझे अभी खबर मिली है कि तुम्हारे शिकार ख़ान की आज शादी है ऑर वो एक गाव मे जा रहा है.

मैं : (हँसते हुए) यार तुम्हारी गर्दन बड़ी लंबी है वहाँ बैठे हुए भी सब जगह मुँह मारते रहते हो.

रसूल: (हँसते हुए) भाई मैं तो तुम्हारा काम ही आसान कर रहा हूँ जल्दी से सुल्तानपूरा के लिए निकल जाओ वहाँ आज ख़ान ज़रूर आएगा शादी करने के लिए.

मैं : तुम्हारे खबरी ने तुमको ये नही बताया कि मैं कहाँ हूँ.

रसूल : कहाँ हो भाई...?

मैं : मैं इस वक़्त ख़ान के कभी ना होने वाले ससुराल मे बैठा उसका इंतज़ार कर रहा हूँ.

रसूल : वाह... क्या बात है च्छा गये यार शेरा भाई.... लेकिन यार तुमको पता कैसे चला कि ख़ान आज सुल्तानपूरा आएगा.

मैं : किस्मत भी कोई चीज़ होती है यार मैं तो यहाँ कुछ ऑर काम से आया था लेकिन साला पंगा कुछ ऑर ही हो गया फिर मुझे ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया.

रसूल : भाई तुमको वहाँ किस आदमी से काम पड़ गया ऑर वहाँ तुम्हारा कौन है.

मैं : यार ये वही गाव है जहाँ मुझे नयी ज़िंदगी मिली थी मैं तो यहाँ उन फरिश्तो से मिलने आया था लेकिन यहाँ जब ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया.

रसूल : अच्छा... तो ये बात है.... भाई आपको कुछ बताना था.

मैं : वो छोड़ पहले मेरी बात सुन... तुझसे एक काम था यार

रसूल : हुकुम करो भाई जान हाज़िर है.

मैं : असल मे यार एक पंगा हो गया है.

रसूल : क्या हुआ भाई सब ख़ैरियत तो है.

मैं : (खड़ा होके कमरे से बाहर जाते हुए) यार एक मिंट होल्ड कर...

(नाज़ी को देखते हुए) नाज़ी तुम रूको मैं ज़रा बात करके आया

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म

मैं : यार रसूल दरअसल पंगा ये हुआ है कि जिस लड़की से ख़ान की शादी होने वाली है वो लड़की मुझसे प्यार करती है ऑर वो मुझसे शादी करना चाहती है ऑर जिन्होने मेरी जान बचाई थी वो भी अब इस दुनिया मे नही रहे बिचारी उनकी लड़की एक दम अकेली हो गई है.

रसूल : भाई तो इसमे सोचना कैसा आप उनको भी यही ले आओ ना ख़ान को मारने के बाद.

मैं : वही तो बता रहा हूँ ना यार....

रसूल : जी भाई बोलो...

मैं : ख़ान यहाँ अकेला नही आएगा उसके साथ काफ़ी लोग होंगे अगर मुझे कुछ हो जाए तो इन दोनो को मैं वहाँ गाव मे तुम्हारे पास भेज दूँगा तुम इनका ख़याल रखना.

रसूल : भाई कैसी बात कर रहे हो तुमको कुछ नही होगा तुम इनको खुद लेके आओगे ऑर मुझे तुम्हारे निशाने पर पूरा ऐतबार है ऑर फिर मुझे लगा शायद तुमको पता नही होगा इसलिए मैने उस गाव मे अपने कुछ आदमी भी भेजे हैं जो आपकी मदद कर सके.

मैं : (हैरान होते हुए) क्या.... कौन्से आदमी कौन लोग आ रहे हैं यहाँ...

रसूल : भाई मुझे लगा आपको शायद पता नही होगा इसलिए हम ही ख़ान का गेम बजा देंगे इसलिए मैने वहाँ अपने लोग भेज दिए हैं.

मैं : अच्छा किया अब मुक़ाबला बराबरी का होगा वो लोग कब तक यहाँ पहुँच जाएँगे.

रसूल : भाई आप लाला को फोन करके पूछ लो ना अपने तमाम लोगो के साथ वही आ रहा है अब तो शायद पहुँचने वाले भी होंगे.

मैं : अच्छा... चलो ठीक है अब तुम फोन मत करना.... हम जल्द ही मिलेंगे.
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07-30-2019, 01:28 PM,
#56
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-53

उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर आने वाले लम्हे के बारे मे सोचने लगा शाम हो चुकी थी पूरी हवेली किसी नयी-नवेली दुल्हन की तरह रोशनी से जग-मगा रही थी ख़ान के भी आने का वक़्त हो गया था. अभी मैं अपनी सोचो मे गुम था कि पिछे से अचानक मुझे नाज़ी ने पकड़ लिया ऑर मेरी पीठ पर अपना सिर रख लिया ओर वैसे ही मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई.

नाज़ी : मैने सब सुन लिया है... जो कुछ तुम अपने दोस्त को कह रहे थे

मैं : (पलट ते हुए) क्या सुन लिया है...

नाज़ी : मैं तुमको एक बात बहुत अच्छे से बता देती हूँ मेरा इस दुनिया मे तुम्हारे ऑर नीर के सिवाए कोई नही है अगर तुमने मुझे अकेले कही भेजने का सोचा भी तो मैं खुद अपनी जान ले लूँगी.

मैं : बकवास मत करो.... मैने जो भी किया वो सिर्फ़ तुम्हारी हीना की ऑर नीर की सेफ्टी के लिए किया तुम जानती हो बाहर ख़ान के कितने लोग आ गये होंगे. बाहर कुछ भी हो सकता है यार.

नाज़ी : मुझे नही पता जाएँगे तो सब साथ जाएँगे नही तो मैं भी नही जाउन्गी.

मैं : यार नीचे जब गोलियाँ चलना शुरू होंगी तो मैं तुम तीनो को संभालूँगा या उनका मुक़ाबला करूँगा.

नाज़ी : (मुँह फेरते हुए) मुझे कुछ नही पता...

मैं : अच्छा बाबा ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी... अब तो खुश....

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाके मुस्कुराते हुए मुझे गले से लगा कर) हमम्म...

तभी पटाखो की ऑर ढोल के नगाडो की आवाज़ सुनाई देने लगी ऑर लोगो का शोर-शराबा भी सुनाई देने लगा.

मैं : लगता है वो लोग आ गये हैं... चलो अब तुम जल्दी से तेयार हो जाओ तब तक मैं गाड़ी मे से असला ऑर गोलियाँ ले आता हूँ ठीक है.

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) अच्छा...

मैं : कुछ भी हो जाए तुम हवेली की उस तरफ नही आओगी समझ गई तुम नीर को लेके गाड़ी मे बैठो मैं हीना को लेके आता हूँ तुम गाड़ी के पास ही हमारा इंतज़ार करना....

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है.... अपना ख़याल रखना.

मैने बिना कुछ बोले एक नज़र नाज़ी को मुस्कुरा कर देखा फिर पलटकर जहाँ नीर सोया हुआ था वहाँ गया उसके माथे को चूमा ऑर वापिस दरवाज़ा खोलकर तेज़ कदमो के साथ बाहर की तरफ निकल गया. छोटे गेट से बाहर जाने से पहले मैने एक बार फिर पलट कर देखा नाज़ी अब भी मुझे ही देख रही थी उसके चेहरे से मेरे लिए फिकर सॉफ दिखाई दे रहा था. उसके बाद मैं बाहर आया ऑर अपनी गाड़ी की डिग्जी मे से हथियार निकालने लगा. मैने जल्दी से अपना बॅग खोला उसमे से जल्दी से एक पेन ऑर एक काग़ज़ का टुकड़ा निकाला जिस पर मैने अपने गाव तक जाने का पता ऑर रास्ता लिखा ऑर उससे अपनी जेब मे डाल लिया. मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि इसकी ज़रूरत ना पड़े. अब मेरा एक ही टारगेट था ख़ान ऑर उसके आदमी इसलिए अब मेरी कही हुई बात पूरी करने का वक़्त आ गया था.... या तो मरना था या मार देना था. मैने अपने बॅग मे से अपने कपड़े एक साइड पर किए ऑर जल्दी से 2 पिस्टल उठाई ऑर उसकी मग्जिन चेक करके मैने दोनो पिस्टल को अपने जूतो की ज़ुराबो मे डाल लिया एक रिवॉल्वार मे मैने गोलियाँ भरी ऑर उसके अपनी पेंट मे बेल्ट के पास फिट कर लिया. अब मेरे पास बॅग मे सिर्फ़ 3 पिस्टल ही बची जिनमे से एक को मैने कार के आगे वाले हिस्से मे स्टारिंग व्हील के पास रख दिया ऑर बाकी 2 पिस्टल को मैने अपनी पेंट के पिछे वाले हिस्से मे टाँग लिया ऑर अपनी शर्ट बाहर निकाल ली जिससे किसी को मेरी पिस्टल नज़र ना आए. उसके बाद मैने गाड़ी की डिग्जी को बंद किया फिर मैने जल्दी से लाला को फोन किया कुछ ही पल मे उसने फोन उठा लिया.

मैं : कहाँ है लाला...
लाला Sadखुश होते हुए) भाई ख़ान का काम करने जा रहा हूँ... सुल्तानपूरा गाव मे.

मैं : ख़ान को मारने के लिए...

लाला : हाँ भाई... क्यो मानते हो ना अपने भाई के दिमाग़ को... तुम उसको कहाँ-कहाँ ढूँढ रहे थे ऑर मैने उसको एक झटके मे ढूँढ लिया.

मैं : मैं सुल्तानपूरा मे ही हूँ तुम जल्दी से जल्दी यहाँ पहुँचो शाम होने वाली है ऑर मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा हूँ.

लाला : भाई इसका मतलब तुम पहले से वही मोजूद हो.

मैं : लाले जिस स्कूल मे तू मुझे पढ़ा रहा है वहाँ का प्रिन्सिपल आज तक मुझसे ट्यूशन लेता है जो तुम लोग सोचते हो उससे पहले वो बात मैं सोच चुका होता हूँ.

लाला : (हँसते हुए) बस भाई अब तो गाव के पास ही हैं हम कुछ ही देर मे पहुँच जाएँगे आप बस हमारा इंतज़ार करो हम कुछ ही देर मे आ रहे हैं.

मैं : ठीक है तुम अंदर ही आ जाना मैं अंदर जा रहा हूँ.

लाला : पागल जैसी बात मत कर यार भाई तू अकेला है अंदर ख़ान के बहुत लोग होंगे.

मैं : अब तो कितने भी लोग हो... बाबा की दुआ से आज मैं सब पर अकेला भी भारी हूँ.

लाला : भाई बात तो सुनो...

उसके बाद मैने बिना उसकी कोई बात सुने फोन रख दिया ऑर भागता हुआ हवेली की आगे की तरफ चला गया जहाँ गेट पहले से खुला हुआ था ऑर काफ़ी लोग दरवाज़े के सामने खड़े थे. मैं इन लोगो के होते हुए अंदर नही जा सकता था क्योंकि लोग मेरी उम्मीद से भी ज़्यादा थे. मैं जल्दी से एक पेड़ के पिछे छिप गया ऑर सही मोक़े का इंतज़ार करने लगा. थोड़ी देर बाद एक पोलीस वाला मुझे पेड़ की जानिब आता हुआ दिखाई दिया इसलिए मैं जल्दी से पेड़ का तना पकड़कर उपर चढ़ गया. वो आदमी झून्मता हुआ आ रहा था शायद वो नशे मे था उसने चारो तरफ देखा ऑर फिर अपनी पेंट की ज़िप्प खोलकर उसी पेड़ के सामने पेशाब करने लगा जिसके उपर मैं बैठा था. मुझे एक तरक़ीब सूझी मैने जल्दी से अपनी टांगे पेड़ की शाख मे फसाई ऑर उल्टा होके उस आदमी को गर्दन से पकड़ लिया ऑर उपर को खींचकर उसकी गर्दन को झटके से मरोड़ दिया वो आदमी बिना कोई आवाज़ किए वही मर गया उसके बाद मैने उस आदमी को भी पेड़ के उपर खींच लिया. फिर उसके सारे कपड़े उतारे ऑर उसके कपड़े खुद पहन लिए वो आदमी वर्दी मे था इसलिए अगर उसकी वर्दी मैं पहन लेता तो मुझ पर कोई भी शक़ नही कर सकता था. लेकिन समस्या अब पिस्टल को रखने का था क्योंकि शर्ट अंदर करने की वजह से पिस्टल बाहर से दिखाई दे सकती थी इसलिए मैने 2 पिस्टल को वापिस अपने जूतो मे डाल लिया ऑर 2 पिस्टल को शर्ट के अंदर वैसे ही रख लिया ऑर 1 पिस्टल को मैने अपनी टोपी के नीचे रख लिया. अब 3 पिस्टल बची थी 2 मेरी खुद की ऑर एक उस पोलिसेवाले की सर्विस रिवॉल्वार जो शायद अंदर मेरे काम आ सकती थी. मैं जल्दी से पेड़ से नीचे उतरा ऑर 2 रिवॉल्वार को वही पास ही एक झाड़ियो मे रख दिया ऑर 1 उस पोलिसेवाले की रिवॉल्वार जो उसकी वर्दी मे ही फिट थी उसको वैसे ही रहने दिया. अब मैं बिना कोई आवाज़ किए सामने खड़ी भीड़ मे शामिल हो गया ऑर उन लोगो के साथ मैं भी अंदर घुस गया अब मैं चारो तरफ देख रहा था लेकिन मेरी नज़रें सिर्फ़ ख़ान को ही ढूँढ रही थी. तभी एक पोलीसवाला मेरे पास आया ऑर मेरे कंधे पर हाथ रख दिया.

आदमी: भाई माचिस है क्या सिग्रेट जलानी है.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) नही... (मैं नही चाहता था कि वो पोलिसेवला मेरा चेहरा देखे इसलिए उसकी तरफ पीठ करके ही खड़ा रहा)

आदमी : कौन्से डिपार्टमेंट से हो जनाब....

मैं : नारकॉटैक्स डिपार्टमेंट

आदमी : नारकॉटैक्स से तो मैं भी हूँ क्या नाम है भाई (मुझे पलट ते हुए)

मैं : (उसकी तरफ पलट ते हुए) शेराअ....

आदमी : (अपनी पिस्टल निकाल कर मेरे सिर पर तानते हुए) कौन है ओये तू...

मैं : (उसके मुँह पर हाथ रख कर उसके सिर मे ज़ोर से कोहनी मारते हुए) तेरा बाप...

वो आदमी बेहोश होके वही गिर गया वहाँ काफ़ी लोग थे इसलिए मैने उसको कंधे का सहारा देके अपने साथ खड़ा कर लिया ऑर उसको कही गिराने की जगह देखने लगा. पास ही मुझे एक बड़ा सा फूल दान नज़र आया मैने उसको उसके पीछे गिरा दिया ऑर अंदर चला गया जहाँ जशन का महॉल था सब लोग हाथ मे जाम लिए खड़े थे. मेरी नज़रें चारो तरफ ख़ान को ढूँढ रही थी लेकिन ख़ान मुझे कही भी नज़र नही आ रहा था. मैं वक़्त ज़ाया नही करना चाहता था इसलिए हॉल के चारो तरफ घूमने लगा ऑर वहाँ खड़े लोगो के हथियारो का जायेज़ा लेने लगा जिससे मुझे ये पता चल सके कि मुझ पर कितने लोग गोलियाँ चला सकते हैं. वहाँ ज़्यादातर लोग तो सादे कपड़े मे ही नज़र आ रहे थे सिर्फ़ गिनती के कुछ ही लोग थे जो मेरी तरह वर्दी मे मोजूद थे. मैं नही चाहता था कि जब मैं ख़ान पर गोली चलाऊ तो मुझ पर भी गोलियो की बारिस शुरू हो जाए इसलिए मैने एक-एक करके सबको खामोशी से ख़तम करने का सोचा. मैं जल्दी से जाके एक पर्दे के पिछे छिप गया जहाँ 2 पोलिसेवाले खड़े थे. मैं उनके पिछे से गया उनके मुँह पर हाथ रखा ऑर ज़ोर से उनका सिरों को खंबे मे मारा जिससे वो दोनो बेहोश हो गये उसके बाद मैने दोनो को पर्दे के पिछे ही खींच लिया ऑर वही गिरा दिया उसके बाद मैं पर्दे के पिछे से होता हुआ आगे बढ़ा तो मुझे एक ऑर आदमी वर्दी मे नज़र आया. मैने जल्दी से जाके उसको भी पिछे से पकड़ लिया ऑर अपनी दोनो बाजू मे उसकी गर्दन को पकड़ कर झटके से तोड़ दिया ओर उसको भी पर्दे के पिछे कर दिया.

अब मैं आगे नही जा सकता था क्योंकि आगे परदा नही था ऑर लोगो की काफ़ी भीड़ भी थी इसलिए मैने चारो तरफ नज़र दौड़ाई ऑर सामने मुझे कुछ लोग बैठे हुए नज़र आए मैं चुप-चाप जाके उन लोगो मे ही बैठ गया ऑर किसी को शक़ ना हो इसलिए एक जाम अपने हाथ मे लोगो को दिखाने के लिए पकड़ लिया. कुछ देर वहाँ बैठे रहने के बाद मुझे सीढ़ियो से नीचे उतरता हुआ ख़ान नज़र आया वो सामने जाके स्टेज पर बैठ गया उसके पास ही चौधरी (हीना का बाप) भी खड़ा था. मेरे पास अच्छा मोक़ा था उससे मारने का लेकिन मैं चाहता था कि उसको पहले पता चले कि उसको क्यो मारा गया इसलिए मैने अपना हाथ पिस्टल से हटा लिया ऑर मुँह नीचे करके बैठ गया ताकि वो मुझे देख ना सके. अभी मुझे वहाँ बैठे कुछ ही देर हुई थी कि एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा ऑर पिछे से आवाज़ आई...

आदमी : ओये खाबीज़ तुझे यहाँ बड़े लोगो मे बैठने को किसने बोला है चल बाहर दफ्फा हो ऑर सेक्यूरिटी का ख़याल रख साले को दारू पीने की पड़ी है.

मैं : (बिन कुछ बोले अपनी कुर्सी से खड़ा होते हुए) जी जनाब.

मैं उठकर बाहर जाने लगा तो उस आदमी ने पिछे से एक पिस्टल मेरी पीठ पर रख दी.

आदमी : अपने आप को बहुत होशियार समझता है शेरा... तुझे क्या लगता है तू यहाँ आके हमारे लोगो को मारेगा ऑर हम को पता भी नही चलेगा अब बिना कोई आवाज़ किए चुप-चाप मेरे साथ चल नही तो यही गोली मार दूँगा.

मैं बिना कुछ बोले उसके आगे चलने लगा. वो मुझे सीढ़ियो से उपर की तरफ ले गया मैं नही जानता था कि वो आदमी कौन है ऑर मुझे कैसे जानता है. मेरे सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उसने मेरी कमर पर लटकी पिस्टल भी उतार ली ऑर मेरी कमर पर हाथ रख कर चेक करते हुए मेरी कमीज़ मे मोजूद 2 पिस्टल भी निकाल ली अब मेरे पास सिर्फ़ 3 पिस्टल थी 1 जो मेरी टोपी मे मोजूद थी ऑर बाकी 2 मेरे जुत्तो मे थी. मैं चुप चाप धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ रहा था ऑर उस आदमी से नीज़ात पाने का रास्ता सोच रहा था.

आदमी : ख़ान भाई सही थे तू साला यहाँ ज़रूर आएगा ऑर देखो आ भी गया यहाँ मरने के लिए.

मैं : मदारचोड़ ठोकना है तो गोली चला दिमाग़ मत चाट मेरा.

आदमी : तू चल तो सही बेटा इतनी भी क्या जल्दी है मरने की... एक बार ख़ान भाई का निकाह हो लेने दे तुझे तो फ़ुर्सत से मारेंगे साले गद्दार.

मैं : गद्दार मैं नही तेरा हरामखोर ख़ान है जिसने हर कदम पर मेरे साथ फरेब किया है.

हम लोग बातें करते हुए उपर आ गये वो आदमी मुझे एक कमरे मे ले गया जहाँ पहले से कुछ लोग मोजूद थे. उन्होने मुझे एक कुर्सी पर बिठाया ओर बाँध दिया साथ ही मेरे सिर से टोपी उतार दी जिसमे मैने एक पिस्टल भी रखी हुई थी.

आदमी : ओये नवाब ये ले ख़ान भाईजान का तोहफा संभाल कर रख मैं उनको बताके आता हूँ कि आशिक़ कुत्ते की मौत मरने को खुद ही आ गया है.

मैं : मरने नही भेन्चोद तुम्हारी मारने आया हूँ अगर एक बाप का है तो खोल मेरे हाथ फिर तुझे बताता हूँ कि मैं यहाँ मारने आया हूँ या तुम सब की क़बर बनाने आया हूँ.

आदमी : मेरे मुँह पर मुक्का मारते हुए.... सस्स्सस्स ज़ोर से तो नही लगी शेरा.

मैं : अगर मेरे हाथ आज़ाद हो गये तो तुझे फ़ुर्सत से मारूँगा भेन्चोद शेर को बाँध कर मर्दानगी दिखाता है साले ना-मर्द.

नवाब: (मुझे लात मारते हुए) साले मे गर्मी बहुत है यार इसका तो इलाज मैं करता हूँ तू जा फ़ारूख़ यहाँ से ऑर ख़ान भाई को लेके आ.

उसके बाद वो फ़ारूख़ नाम का आदमी कमरे से बाहर चला गया अब मेरे आस-पास कुछ लोग मोजूद थे जिन्होने मुझ पर लातों ऑर मुक्को की बरसात शुरू करदी. मैं बँधा हुआ था इसलिए जवाब भी नही दे सकता था लिहाजा पड़ा रहा ऑर उनकी मार ख़ाता रहा. कुछ देर मुझे मारने के बाद वो लोग वापिस बेड पर जाके बैठ गये ऑर शराब पीने लगे. मैने ज़मीन पर कुर्सी से बँधा हुआ गिरा पड़ा था ऑर वो लोग मुझसे एक दम बे-फिकर थे मैने अच्छा मोक़ा जान कर अपने बँधे हुए हाथो पर पूरा ज़ोर लगा दिया जिससे मेरे हाथो पर बँधी रस्सी टूट गई ऑर मेरा एक हाथ आज़ाद हो गया मैने जल्दी से अपने दूसरे हाथ की रस्सी भी खोली ऑर वैसे ही पड़ा रहा. अब मैं सही मोक़े के इंतज़ार मे था कि कब उनकी मुझसे नज़र हटे ताकि मैं अपने पैरो की रस्सी खोल सकूँ. लेकिन कुछ ही देर मे फ़ारूख़ वहाँ वापिस आ गया इसलिए मैं वापिस बँधी हुई हालत मे ही रस्सी को अपने दोनो हाथो से पकड़े हुए लेटा रहा.

फ़ारूख़ : ओये कमीनो अपने बाप को उठा तो देते सालो इतना मारने को किसने बोला था.

आदमी : यार हम क्या करते साला बहुत कड़वा बोलता है हमारा भेजा घुमा रहा था अब देख कैसे खामोश होके पड़ा है.

फ़ारूख़ : ख़ान भाई ने बोला है कि निकाह के बाद वो इसका भी काम कर देंगे तब तक इसको बाँध कर रखो.

आदमी : ठीक है...

उसके बाद अचानक फ़ारूख़ के पिछे-पिछे वहाँ ख़ान भी आ गया...

ख़ान : अर्रे वाह आप भी शरीक है जनाब इस मुबारक मोक़े पर... बताने की ज़हमत उठाएँगे कि किस खुशी मे यहाँ आना हुआ.

मैं : तेरी मारने आया हूँ मादरचोद.

ख़ान : (हँसते हुए) साले तेरी गर्मी कभी नही जाएगी ना... (मेरा मुँह पकड़ते हुए) तू चीज़ क्या है यार साला तुझे 5-5 गोली मारो तब भी तू बच जाता है. कोई भी लड़की हो साला तुझे देखते ही कपड़े उतार कर खड़ी हो जाती है वो साली डॉक्टर्नी.... क्या नाम था उसका.... हाँ याद आया रिज़वाना.... वो भी साले तेरे चक्कर मे फस गई ऑर मुझसे बग़ावत कर गई ऑर राणा को भेज दिया तेरे पास मेरी सच्चाई बताने को... ये तो अच्छा हुआ कि वक़्त पर मुझे पता चल गया ऑर मैने राणा ऑर रिज़वाना को वक़्त पर ख़तम करवा दिया वरना मेरा काम तो बहुत खराब हो जाना था.


मैं : क्या रिज़वाना ऑर राणा को तूने मरवाया था ऑर मुझे गोली तुमने मारी थी? (मतलब रिज़वाना का प्यार झूठ नही सच था ऑर मैं उस बिचारी को कितना ग़लत समझ रहा था जिसने मेरे लिए अपनी जान दे दी)

ख़ान : हाँ... छोटे के साथ पार्ट्नरशिप जो करनी थी. चल आज लगे हाथ तेरी याददाश्त को भी थोड़ा सा ताज़ा कर देता हूँ.

मैं : लेकिन मेरे साथ तूने धोखा क्यो किया मैं तो तेरा साथ देने तक को राज़ी था ऑर मुझे कुछ याद भी नही था.

ख़ान : देख यार बुरा मत मान लेकिन बिज़्नेस का असूल है अगर खुद उपर जाना है तो किसी ना किसी को तो नीचे गिराना ही पड़ेगा मेरे पास माल था लेकिन कोई तगड़ी कीमत देने वाला बाइयर नही था इसलिए मैने छोटे से हाथ मिला लिया. लेकिन तेरा शीक बाबा इस बात की इजाज़त कभी नही देता क्योंकि ड्रग्स का सारा धंधा तू संभालता था ऑर जब तक तू था तेरे बाबा शीक को भी हम रास्ते से नही हटा सकते थे क्योंकि उनकी ढाल तू था. इसलिए हमने सोचा कि पहले तुझे ही रास्ते से हटा देते हैं फिर बूढ़ा तो तेरे गम मे ही मर जाएगा ऑर छोटे भी बाबा शीक की कुर्सी पर बैठ जाएगा लेकिन अफ़सोस वो साला भी बच गया.

मैं : (ख़ान की बात सुन कर मुझे सब याद आने लगा कि कैसे मैं उस दिन डील करने के लिए जा रहा था जब पोलीस की एक जीप मेरे पिछे पड़ गई ऑर मुझ पर अँधा-धुन्ध गोलियाँ चलाने लगी जिससे एक गोली मेरी गाड़ी के टाइयर पर लगी ऑर गाड़ी का बॅलेन्स बिगड़ गया गाड़ी एक चट्टान के साथ जाके टकराई ऑर मेरा स्टारिंग व्हील से सिर टकरा गया ऑर वो ख़ान ही था जिसने मुझे गाड़ी से निकाल कर मुझ पर गोलियाँ चलाई थी ऑर फिर मुझे मरा हुआ समझ कर गाड़ी समेत खाई से नीचे धक्का दे दिया. मुझे सब कुछ याद आ गया था कि यही वो हरामखोर था जिसने मुझ पर गोली चलाई थी)

मादरचोद आज तक वो गोली नही बनी जो शेरा को मार सके ऑर हीना से निकाह के सपने देखना छोड़ दे उससे पहले ही मैं तुझे जहन्न्नुम पहुँचा दूँगा ऑर याद रखना मेरी एक गोली भी तेरी गान्ड फाड़ने के लिए काफ़ी है... क्योंकि शेरा की मार ऑर शेरा का वार कभी खाली नही जाता ऑर जिस पर पड़ता है वो आदमी सारी जिंदगी उठ नही सकता.


ख़ान : (हँसते हुए) सपना अच्छा है... साले तू तो खुद मेरे रहम-ओ-करम पर है तू मुझे मारेगा... मैं चाहूं तो तुझे अभी मसल सकता हूँ लेकिन पहले निकाह हो जाए फिर आके तेरी खबर लेता हूँ. वैसे भी वो हीना साली बहुत तारीफ करती है तेरी... तू देखना तेरे सामने हीना को नंगी करके सुहागरात मनाउन्गा ऑर फिर उसकी आँखो के सामने तुझे गोली मारूँगा. ओये नवाब इसका ख़याल रखना बहुत हरामी है देखना ये खुलने ना पाए.

नॉवब : जी ख़ान साहब.

उसके बाद ख़ान कमरे से बाहर चला गया ऑर फ़ारूख़ को मेरे सामने बिठा कर चला गया.

मैं : ओये चूतिए... मुझे पानी पिला भोसड़ी के...

फ़ारूख़ : (गुस्से से मेरा कॉलर पकड़ते हुए) साले चूतिया किसको बोला....

मैं : तेरे को बोला गंदी नाली के कीड़े...

फ़ारूख़ : (गुस्से ) आआववव.... क्यो मरना चाहता है साले ख़ान भाई का हुकुम नही होता तो अभी तुझे गोली मार देता.

मैं : साले हर काम ख़ान की गान्ड मे घुस कर ही करता है या खुद मे भी दम है.

फ़ारूख़ : (मेरे पेट मे मुक्का मारते हुए) साले दम देखना है तुझे मेरा दिखाता हूँ तुझे दम ... (ये बोलने के साथ ही उसने 2 मुक्के ऑर मेरे पेट मारे) हवा निकली साले...

मैं : क्यो भोसड़ी के थक गया या गान्ड फॅट गई....

फ़ारूख़ : ये मरेगा आज मेरे हाथ से... (ये बोलते ही उसने मेरे मुँह पर मुक्का मारा)

मैने तेज़ी से अपना हाथ आगे कर लिया ऑर उसका मुक्का हवा मे ही पकड़ लिया. जिसे देखकर उसकी आँखें बाहर आने को हो गई.

मैं : मादरचोद बोला था तुझे कि मुझे ठोक दे तू नही माना.... अब देख मैं तुम सबकी यहाँ कैसे क़बर बनाता हूँ.


मैं कुर्सी से बँधा हुआ ही खड़ा हो गया ऑर फ़ारूख़ को बालो से पकड़ कर उसका सिर कुर्सी पर ज़ोर से मारा जिससे कुर्सी बैठने वाली जगह से टूट गई ऑर फ़ारूख़ ज़मीन पर अपना सिर पकड़ कर गिर गया. अब सिर्फ़ कुर्सी की आगे वाली टांगे ही मेरी टाँगो से बँधी हुई थी. इतने मे वहाँ बैठे सब लोग खड़े हो गये ऑर मुझे पकड़ने के लिए मेरी तरफ लपके जिनमे से एक को मैने गर्दन से पकड़ कर दूसरे के सिर मे पकड़े हुए आदमी का सिर मारा वो दोनो वही गिर गये. तभी एक आदमी छलाँग लगाके मेरे उपर गिर गया जिससे मैं खुद को संभाल नही सका ऑर मैं भी ज़मीन पर उसके साथ ही गिर गया. मैने जल्दी से उसका एक बाजू पकड़ा ऑर अपनी टाँग के नीचे से निकाल कर टाँग को मोड़ दिया जिससे उसकी गर्दन मेरे घुटने पर आ गई मेरे पैर के साथ कुर्सी की टाँग बँधे होने की वजह से मैं टाँग को मोड़ नही सकता था इसलिए मैने उसकी गर्दन को अपनी सीधी हुई टाँग पर ही दबा दिया ऑर गर्दन के पिछे की तरफ अपने हाथ का ज़ोर से वार किया जिससे उसकी गर्दन टूट गई ऑर उसके मुँह से खून निकलने लगा इतनी देर मे बाकी बचे 2 लोगो ने मेरे सिर मे शराब की बोतल फोड़नी शुरू करदी जिससे मेरे सिर मे से भी खून आने लगा.

उनमे से एक आदमी का मैने हाथ पकड़ा ऑर नीचे की तरफ खींच लिया जिससे वो आदमी मेरे उपर ही गिर गया मैने शराब की टूटी हुई बोतल उसके हाथ से छीन ली ऑर उसके गले मे टूटे हुए हिस्से से वार किया जिससे उसकी गर्दन मे काँच धँसते चले गये ऑर उसमे से पानी की तरह खून निकलने लगा जबकि दूसरा आदमी दरवाज़े की तरफ भागा मैने हाथ मे पकड़ी बोतल हवा मे उछाल कर उसके सिर मे मारी जिससे बोतल फुट गई ऑर वो दरवाज़े मे जाके लगा मैने बेड का सहारा लेके खुद को खड़ा किया ऑर जल्दी से अपनी टाँग से बँधी कुर्सी की टाँग की रस्सी को खोल दिया अब मैने वही कुर्सी की टाँग उठाई ऑर उसके सिर मे मारी जिससे कुर्सी की टाँग टूट गई ऑर उसके सिर से भी खून निकलने लगा. वो आदमी ज़मीन पर गिर गया ऑर मुझसे रहम की भीख माँगने लगा मैने टूटी हुई कुर्सी का टुकड़ा उठाया ऑर उसके मुँह मे डाल कर ज़ोर से पैर को कुर्सी के बाहर निकले हिस्से पर दबा दिया जिससे कुर्सी का नीचे वाला हिस्सा जो उसके मुँह मे घुसा हुआ हलक तक को चीर गया ऑर वो वही तड़प-तड़प के मर गया. अब मैने जल्दी से दूसरी टाँग पर बँधी कुर्सी भी खोली ऑर कमरे मे बने बाथरूम मे चला गया खुद के चेहरे पर लगे ज़ख़्म को देखने लगा फिर मैने अपने सिर को पानी से धोया ऑर चेहरे पर लगा खून सॉफ किया. उसके बाद मैं जल्दी से बाहर आया ऑर पोलीस वाली वर्दी उतार कर उन मरे हुए लोगो का कोट-पेंट पहन लिया क्योंकि लड़ाई के दोरान उन लोगो का काफ़ी खून वर्दी पर लग गया था. मैं हवेली के इस वक़्त आखरी हिस्से मे खड़ा था जहाँ से हीना का कमरा काफ़ी दूर था इसलिए मैं बाल्कनी के रास्ते से पाइप पर लटक कर हीना के कमरे की तरफ चला गया. जहाँ पहले से काफ़ी लड़कियाँ मोजूद थी ऑर हीना को तेयार कर रही थी.
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07-30-2019, 01:29 PM,
#57
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-54


अब मैं हीना के कमरे मे भी नही जा सकता था इसलिए पाइप के सहारे ही लटकता हुआ आगे की तरफ बढ़ने लगा जहाँ नीचे मुझे हॉल ऑर स्टेज नज़र आया जहाँ पर ख़ान बैठा था. उँचाई काफ़ी ज़्यादा थी इसलिए मैं सीधा नीचे छलाँग नही लगा सकता था इसलिए मैं इधर उधर कोई रस्सी देखने लगा जिससे लटक कर मैं नीचे तक जा सकूँ क्योंकि अब मुझे सिर्फ़ ख़ान को ही मारना था. तभी मुझे सामने एक झुम्मर लटका हुआ नज़र आया मुझे बस वहाँ तक किसी भी तरह से पहुँचना था क्योंकि वहाँ से स्टेज की उँचाई काफ़ी कम थी ऑर मैं आसानी से छलाँग भी लगा सकता था. मैने इधर उधर देखा ऑर पाइप के सहारे हवेली की छत की तरफ बढ़ने लगा जिससे लटक कर मैं उपर की एक बाल्कनी मे पहुँच गया बाल्कनी से झूमर पर छलाँग लगाना आसान था इसलिए मैं बाल्कनी की रेलिंग पर पैर रख के खड़ा हो गया ऑर नीचे झूमर के उपर छलाँग लगा दी. झूमर ज़ंजीरो से बँधा हुआ था इसलिए उसने मेरा वजन तो उठा लिया लेकिन मेरे गिरने से बहुत ज़ोर की आवाज़ हुई ऑर काफ़ी बल्ब भी टूट गये जिससे सबका ध्यान उपर की तरफ चला गया.

चौधरी : ओये कौन है उपर....

झूमर से नीचे की दूरी काफ़ी कम थी इसलिए मैने बिना कोई जवाब दिए नीचे स्टेज पर छलाँग लगा दी ऑर मैं सीधा ख़ान के उपर आके गिर गया जिससे उसकी कुर्सी टूट गई ऑर ख़ान को काफ़ी चोट आई मैने जल्दी से अपने दाए पैर को उपर उठाया ऑर उसमे फँसी एक पिस्टल निकाल कर ख़ान के सिर पर रख दी.

मैं : मादरचोद मैने कहा था ना आज तू निकाह नही जहन्न्नुम क़बूल करेगा.

ख़ान : गन नीचे कर ले शेरा नही तो मेरे लोग यहाँ खड़े तमाम लोगो को मार डालेंगे.

मैं : अगर तेरे एक आदमी की भी गोली चली तो तेरा भेजा यही बाहर निकाल दूँगा इसलिए अपने कुत्तो से बोल बंदूक नीचे रख दें नही तो तेरा पोस्टमॉर्टम मैं यही खड़े-खड़े कर दूँगा.

ख़ान : (अपने लोगो को गन नीचे करने का इशारा करते हुए) नीचे करो...

मैं : ये हुई ना बात चल अब शराफ़त से मुझे बाहर लेके चल तुझे तो मैं अपने गाँव लेके जाउन्गा जहाँ सब तेरा सीक कबाब बनाएँगे साले...

तभी फ़ारूख़ हीना के सिर पर बंदूक लगाए सीढ़ियो से उतरता हुआ नज़र आया.

फ़ारूख़ : इतनी जल्दी भी क्या है शेरा... गन नीचे कर नही तो तेरी डार्लिंग तो गई.

चौधरी : ये क्या बदतमीज़ी है ख़ान साहब अपने आदमी से कहो छोड़ दे मेरी बेटी को नही तो अच्छा नही होगा.

ख़ान : वाह फ़ारूख़ वाह... चुप कर बूढ़े... साले तेरी बेटी के चक्कर मे हम अपनी क़ुर्बानी तो नही दे सकते ना....

हीना : (चलते हुए स्टेज के पास आते हुए) सुन लिया अब्बू.... यही वो लड़का था ना जो आपने मेरे लिए चुना था.

चौधरी : मुझे माफ़ कर दे बेटी...

फ़ारूख़ : ओये तुम बाप-बेटी अपना ड्रामा बंद करो... शेरा तुमने सुना नही मैने क्या बोला घोड़ा नीचे कर नही तो मैं इस लड़की को गोली मार दूँगा.

चौधरी ये सब देख नही सका ऑर जल्दी से फ़ारूख़ से पिस्टल छीन ने लगा. तभी ख़ान ने अपनी जेब से पिस्टल निकाल कर चौधरी को 3 गोली मार दी जिससे चौधरी वही ज़मीन पर गिर गया ढेर हो गया.

ख़ान : शेरा अपनी पिस्टल नीचे कर नही तो अगली गोली हीना पर चलेगी.

मैं अब मजबूर था इसलिए चाह कर भी ख़ान पर गोली नही चला सकता था इसलिए अपनी पिस्टल ख़ान को दे दी.

हीना : (रोते हुए) नही नीर ऐसा मत करो मार दो इस कुत्ते को इसने मेरे अब्बू को मारा है.

ख़ान ने मुझसे पिस्टल ले ली ऑर एक ज़ोरदार तमाचा मेरे मुँह पर मारा तभी ख़ान के कुछ आदमियो ने मुझे पिछे से आके पकड़ लिया ऑर एक रस्सी से दुबारा मेरे हाथ बाँध दिए. ख़ान ने अपनी पिस्टल वापिस अपनी जेब मे डाली ऑर क़ाज़ी को आवाज़ लगाई.

ख़ान : क़ाज़ी साहब कहाँ हो यार जल्दी करो निकाह नही करवाना क्या हमारा.

क़ाज़ी : मैं लड़की की मर्ज़ी के खिलाफ उसकी शादी नही करवा सकता ये गुनाह है.

ख़ान : गुनाह किस बात का क़ाज़ी साहब आप देखना ये लड़की आपके सामने मुझे क़बूल करेगी नही तो मैं इसके आशिक़ को गोली मार दूँगा.

हीना : (रोते हुए) नही... नीर को कुछ मत करना तुम जो बोलोगे मैं वो करूँगी.

ख़ान : देखा क़ाज़ी साहब मैं ना कहता था... चलिए निकाह की तेयारी कीजिए अभी ऑर भी बहुत से काम ख़तम करने हैं.

तभी पिछे से अँधा-धुन्ध गोलियाँ चलने की आवाज़ आने लगी ऑर एक-एक करके ख़ान के सब आदमियो पर गोलियाँ चलने लगी. मुझे ये समझते एक पल भी नही लगा कि मेरा यार लाला आ गया है ऑर मेरे आदमियो ने पूरी हवेली को चारो तरफ से घेर लिया है अब हवेली के चप्पे-चप्पे पर मेरे आदमी बंदूक लिए खड़े थे ऑर सारी बाज़ी ही पलट गई थी.

लाला : (ताली बजाते हुए) क्या बात है भाई यहाँ तो पूरी महफ़िल लगी है लगता है मैं वक़्त पर ही आ गया... मैने कहा ख़ान साहब सलाम क़बूल कीजिए लाला का... अगर आप नही चाहते कि मैं आपकी गान्ड पर लात मारूं तो अपने आदमियो को प्यार से बोलो कि मेरे भाई ऑर भाभी को शराफ़त से खोल दे नही तो ये आपकी सेहत के लिए अच्छा नही होगा.... (मुस्कुराते हुए)

मैं : (मुस्कुराते हुए) कहाँ मार गया था साले 5 मिनिट ऑर नही आता तो हमारी लाशे मिलनी थी तुझे साला कोई काम का नही है तू.....

लाला : (स्टेज पर चढ़ते हुए) ओये क्या आदमी है साला अहसान तो मानता ही नही किसी का... अब फँस गया तो सारा बिल मेरे नाम पर फाड़ रहा है... मैने नही बोला था कि कुछ देर रुक जा मैं आ जाउ फिर साथ मे मिलकर इस कुत्ते की गान्ड मारेंगे तब तो बड़ा चौड़ा होके अकेला ही भिड़ गया था सबके साथ.

मैं : अच्छा ठीक है अब नाटक मत चोद ऑर आके मेरे हाथ खोल.

लाला : (अदब से मेरे सामने झुकते हुए) जो हुकुम मेरे आका...

उसके बाद लाला ने पहले ख़ान को एक ज़ोरदार तमाचा मारा ऑर फिर मेरी रस्सी भी खोल दी. हीना जल्दी से भाग कर मेरे पास आई ऑर मेरे गले से लग कर रोने लगी.

लाला : (मुस्कुराते हुए हीना को देख कर) मैने कहा सलाम क़बूल करो अपने देवर का होने वाली भाभी जी.

हीना : (मुझे गले से लगाए हुए लाला को देखने लगी) नीर ये कौन है.

मैं : (मुस्कुरा कर) मेरा बचपन का दोस्त है

लाला : चलो ख़ान साहब मरने के लिए रेडी हो जाओ ऑर हमने तो अपने ग़रीब खाने मे काफ़ी इंतज़ाम किया था लेकिन शेरा भाई का हुकुम है कि आपको ठोकना है... ये लैला मजनू को लगे रहने दो आप फिलहाल मेरे साथ ही काम चलाओ अभी तो सिर्फ़ मैं ही आपकी मारूँगा. (ख़ान की गान्ड पर लात मारते हुए) चल भोसड़ी के देखता क्या है... शेरा को भाभी से फ्री होने दे तेरी तो यही मारेगा... बोल भाई शेरा इसका क्या करना है.... ठोक दूं क्या...

मैं : नही... इसको गाड़ी मे डाल ऑर लेके चल अपने ठिकाने पर मेरा मूड बदल गया है अब इसको मारेंगे नही बल्कि इसकी मारेंगे (आँख मारते हुए) ऑर फिर अभी तो इससे छोटे के भी बहुत से राज़ उगलवाने हैं.

लाला : (पलट ते हुए) मुझे आज तू कुछ बदला-बदला सा लग रहा है यार...

मैं : (मुस्कुराते हुए) साले मुझे सब कुछ याद आ गया है...

लाला : (हवा मे फाइयर करते हुए) ओये यारा खुश कर दिया.... ब्बबुऊउर्र्रााहह... चल तू भाभी को लेके बाहर आजा फिर देखते हैं क्या करना है.

मैं : तुम लोग चलो मैं अपनी गाड़ी मे ही आउन्गा.

लाला : ओये मैं बाहर से ही आया हूँ वहाँ तेरी गाड़ी नही खड़ी.

मैं : यार मेरी गाड़ी हवेली के पिछे खड़ी है ऑर साथ मे मेरे कुछ ऑर लोग भी हैं जिनको साथ ही लेके जाना है.

लाला : अच्छा तो तू चल मैं ज़रा अपने हाथ की खुजली ख़तम कर लून.... (अपना हाथ खुजाते हुए)

मैं : ठीक है लेकिन साले ज़्यादा मत मारना ये अपने जैसा नही है... ज़रा करारे 4 हाथ पड़ गये तो मर ही ना जाए....

लाला : (ख़ान के मुँह पर मुक्का मारते हुए) तू जा यार मुझे डिस्टर्ब मत कर अभी मैं बिजी हूँ देखता नही इतने दिन बाद तो किसी को तसल्ली से धोने का मोक़ा मिला है...

मैं : अच्छा ठीक है लेकिन 5 मिनिट मे बाहर आ जाना इसको लेकर ज़्यादा देर नही करना.

लाला : (ख़ान के पेट मे लात मारते हुए) तू जा ना यार मैं आ जाउन्गा इसके लिए तो 5 मिनिट भी बहुत है उसमे ही इसकी फॅट के हाथ मे आ जाएगी... (ज़ोर से हँसते हुए)

हीना अपने अब्बू को गले लगा कर काफ़ी देर रोती रही फिर जब मैने उसके पास जाके उसके आगे हाथ बढ़ाया तो वो बिन कुछ बोले मेरा हाथ पकड़कर खड़ी हो गई. मैने सबसे पहले हीना के आँसू सॉफ किए उसके बाद मैं ऑर हीना जल्दी से हवेली से बाहर निकले ऑर हवेली के पिछे की तरफ चले गये जहाँ पर मैने अपनी गाड़ी खड़ी की थी गाड़ी के पास ही मुझे नाज़ी बैठी हुई नज़र आई जो बार-बार इधर उधर देख रही थी उसके चेहरे से मेरे लिए फिकर दूर से ही दिखाई दे रही थी. मुझे ऑर हीना को दूर से आता हुआ देखकर जैसे उसका चेहरा खुशी से खिल गया वो तेज़ कदमों के साथ नीर को गोद मे उठाए हमारी तरफ बढ़ने लगी ऑर आते ही मुझे गले से लगा लिया ऑर खुशी से मुस्कुराने लगी.

नाज़ी : कितनी देर कर दी आने मे मैं तो बहुत डर गई थी... तुम ठीक तो हो ना....

मैं : कैसा लगता हूँ...

नाज़ी : ये सिर मे चोट कैसे लगी...

मैं : वो सब जाने दो ये थोड़ा बहुत तो चलता रहता है अब तुम जल्दी से गाड़ी मे बैठो हम को हमारे नये घर जाना है.

नाज़ी : (खुश होके हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म चलो...

हीना : लाओ छोटा नीर मुझे दे दो ऑर तुम आगे बड़े वाले नीर के साथ बैठ जाओ.

उसके बाद मैं ऑर नाज़ी आगे बैठ गये ऑर नीर को हीना ने पकड़ लिया ऑर वो खुद ही पिछे बैठ गई. मैने जल्दी से गाड़ी स्टार्ट की ऑर उसको हवेली के अगली तरफ ले आया ऑर हवेली के बड़े गेट के सामने रोक दिया जहाँ मेरे साथियो की गाडियो का क़ाफ़िला पहले से मोजूद था. उसके बाद मैने अपने आदमियो से चलने का इशारा किया ऑर वो लोग मेरा इशारा पाते ही अंदर गये ऑर लाला ऑर ख़ान को ले आए. लाला ने कुछ ही देर मे ख़ान की बहुत बुरी हालत कर दी थी. ख़ान के चेहरे से ऑर सिर से पानी की तरफ खून टपक रहा था ऑर कुछ आदमी उसको ज़मीन पर घसीटकर ला रहे थे.

मैं : ओये साले मार तो नही दिया उसको.

लाला : (अपना हाथ रुमाल से सॉफ करते हुए) नही भाई ज़िंदा है कुत्ता... इसको तो अड्डे पर ले-जाकर तसल्ली से सब भाई मिल कर मारेंगे.

मैं : चल गाड़ी मे बैठ चलने का वक़्त हो गया है.

लाला : (मुझे सल्यूट करते हुए) ओके बॉस...

उसके बाद हम सब गाड़ी मे बैठे ऑर अपने गाँव, अपने घर की तरफ गाडियो के क़ाफ़िले को बढ़ा दिया. हीना मुझे कुछ उदास लग रही थी लेकिन नाज़ी बहुत खुश थी ऑर अपने नये घर का सुनकर बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड थी.

मेरी गाड़ी सबसे आगे थी ऑर बाकी गाड़ियाँ मेरी गाड़ी के पिछे चल रही थी ऑर कुछ फ़ासले पर थी कुछ ही देर मे हम अपनी गाँव की सरहद से काफ़ी दूर निकल आए थे. हम को गाँव से निकले अब काफ़ी वक़्त हो गया था लेकिन हीना मुझे अब भी उदास लग रही थी इसलिए मैने इशारे से अपने साथ बैठी नाज़ी को अपने पास किया ऑर उसको पिछे जाने का इशारा किया ताकि दोनो बातें कर सके ऑर हीना का भी मन बहल जाए. नाज़ी चलती हुई गाड़ी मे ही सीट को नीचे करके पिछे चली गई ऑर हीना के साथ बैठ गई ऑर कुछ ही देर मे दोनो की बाते शुरू हो गई ऑर अब हीना भी पहले से काफ़ी बेहतर नज़र आ रही थी. मेरी तरक़ीब ने अपना कम दिखा दिया था क्योंकि 2 औरते एक साथ चुप तो कभी बैठ ही नही सकती इसलिए बात होना लाज़मी था इसी तरह हीना का मूड भी अब अच्छा हो गया था. ऐसे ही गुज़रते वक़्त के साथ हम अपनी रफ़्तार से मंज़िल को बढ़ रहे थे कि अचानक मुझे सामने एक चेक पोस्ट नज़र आई हम वो क्रॉस करके नही जा सकते थे क्योंकि हम सब के पास काफ़ी असला था ऑर ख़ान के साथ होने की वजह से हमारे पकड़े जाने का भी डर था
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07-30-2019, 01:32 PM,
#58
RE: Kamukta Kahani अहसान
54A


इसलिए मैने जल्दी से अपनी जेब से अपना फोन निकाला ऑर लाला को फोन करके अपनी गाड़ी के पिछे आने का हुकुम दिया ऑर अपनी गाड़ी को एक जंगल की तरफ घुमा दिया मेरे पिछे-पिछे ही बाकी गाडिया भी जंगल मे घुस गई कुछ दूर जाके मैने गाड़ी को रोक दिया क्योंकि मुझे आगे किस तरफ जाना है ये समझ मे नही आ रहा था इसलिए मैने गाड़ी से बाहर निकल कर लाला की गाड़ी को भी रुकने का इशारा किया मेरे नज़दीक आके उसकी गाड़ी भी रुक गई ऑर लाला गाड़ी से बाहर आ गया.

लाला : हाँ भाई यहाँ बीच जंगल मे कहाँ ले आया यार अब आगे कहाँ जाना है.

मैं : यार आगे चेक पोस्ट थी इसलिए मैने गाड़ी को जंगल मे घुमा लिया लेकिन अब आगे किस तरफ जाना है ये मुझे भी समझ नही आ रहा शायद हम भटक गये हैं.

लाला : लो जी कर लो बात... अब बीच जंगल मे क्या करेंगे यार दिन भी ढलने वाला है ऐसा करते हैं वापिस चलते हैं वहाँ से हाइवे पर हो जाएँगे.

मैयाँ : पागल हो गया है क्या... आगे चेक पोस्ट थी इसलिए तो मैने गाड़ी जंगल मे घुसा दी थी ऑर तू फिर से वही जाने की बात कर रहा है अब तक ये कुत्ते (ख़ान) के चमचे भी इसको ढूँढने निकल पड़े होंगे.

लाला : फिर क्या है यार साला डरता कौन है अपने पास हथियार की कमी है क्या साला जो भी आएगा मार कर निकल जाएँगे ऑर क्या चल भाई वापिस ही चलते हैं.

अभी हम दोनो बात ही कर रहे थे की अचानक ख़ान गाड़ी से मुँह बाहर निकाल कर चिल्लाया...

ख़ान : कमीनो तुम यहाँ से ज़िंदा नही जा सकते तुमने मुझे अगवा करके अपनी मौत को दावत दी है अभी तुम मुझे जानते नही हो.

लाला : (गुस्से मे ) अर्रे यार भाई तू तो भाभी के साथ मज़े से बैठ गया ऑर ये हरामी को मेरे साथ डाल दिया साला भेजा खा गया मेरा कितना बोलता है ये.... (अपने आदमियो से) यार कोई गंदा कपड़ा ढुंढ़ो इसका मुँह बाँधने को...

मुन्ना (हमारा आदमी) : भाई एक ही पट्टी थी वो भी ये साला कुत्ता काट गया ऑर पट्टी फॅट गई.

लाला : (कुछ सोचते हुए ऑर हँस कर) इसका इलाज तो मैं करता हूँ...

मैं : (सवालिया नज़रों से लाला को देखते हुए) ओये मार मत देना ये ज़िंदा चाहिए मुझे समझा अभी इससे बहुत कुछ उगलवाना है.

लाला : भाई फिकर मत कर मार कौन रहा है मेरा तो कुछ ऑर ही मूड है (आँख मारते हुए).

मैं : क्या करने जा रहा है तू...

लाला : (हँसते हुए) तू बस भाभी को गाड़ी से बाहर मत आने देना इसकी ऐसी-तैसी तो मैं करता हूँ साला मुँह खोलने के लायक नही रहेगा....

इतना कह कर वो अपना जूता उतारने लगा ऑर फिर अपनी ज़ुराब भी उतार ली ऑर फिर से जूता पहन लिया ऑर अपनी गंदी बद-बू-दार ज़ुराब उठा कर एक झाड़ी के पिछे चला गया मैने भी नाज़ी ऑर हीना को गाड़ी से बाहर निकलने से मना कर दिया. कुछ देर बाद लाला जब हँसता हुआ वापिस आया तो उसकी ज़ुराब गीली थी ऑर उससे पानी टपक रहा था.

मैं : (हँसते हुए) ये क्या है कमीने...

लाला : (हँसते हुए) इस कुत्ते का मुँह बंद करने का इलाज... चल भाई मुँह खोल इसका... लगे हाथ दोनो काम हो गये साला मेरा भी काफ़ी देर से प्रेशर बना हुआ था साला पेट भी खाली हो गया ऑर इसका भी इलाज हो गया.

लाला के साथ बैठे आदमियो ने ख़ान का मुँह पकड़ लिया ऑर ज़बरदस्ती पेशाब से गीली की हुई ज़ुराब ख़ान के मुँह मे डाल दी ऑर उसी फटी हुई पट्टी को दुबारा उसके मुँह पर बाँध दिया वो किसी बिन पानी की मछली की तरफ छट-पटा रहा था ऑर अपनी गर्दन को हवा मे इधर उधर कर रहा था. सब ये देख कर ज़ोर-ज़ोर से हँस रहे थे ऑर हीना ऑर नाज़ी जो कि अब भी गाड़ी मे बैठी थी वो मुझे सवालिया नज़रों से देख रही थी.

हीना : क्या हुआ सब हँस क्यो रहे हैं.

मैं : (हँसते हुए) कुछ नही तुम्हारे काम की बात नही है.... यार हम रास्ता भटक गये हैं आगे किस तरफ जाना है समझ नही आ रहा तुमको यहाँ से आगे जाने का रास्ता पता है क्या.

नाज़ी : (बीच मे बोलते हुए) मुझे पता है किस तरफ जाना है मैं बचपन मे स्कूल इसी रास्ते से जाया करती थी.

मैं : तो पहले बताया क्यो नही कितनी देर से हम बेकार मे भटक रहे हैं.

नाज़ी : (मुँह बनाते हुए) तुमने पूछा ही नही...

मैं : क्या यार तुम भी कमाल हो... (अपने सारे आदमियो से) चलो ओये गाड़ी मे बैठो सारे रास्ते का पता लग गया है.

उसके बाद सब आदमी वापिस गाडियो मे बैठ गये ऑर ख़ान को भी वापिस गाड़ी मे डाल लिया ऑर हम सब नाज़ी के बताए रास्ते पर आगे बढ़ने लगे ऑर कुछ ही देर मे हम हाइवे पर आ गये अभी हमें कुछ ही देर हुई थी कि मेरा फोन बजने लगा. मैने जेब से फोन निकाला तो स्क्रीन पर रूबी लिखा आ रहा था. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि नाज़ी ऑर हीना के सामने रूबी से बात कैसे करूँ लेकिन फोन उठाना भी ज़रूरी था इसलिए कुछ सोचकर मैने फोन उठा लिया.

मैं : हंजी सरकार हुकुम कीजिए...

रूबी : कहाँ हो तुम... मुझे फोन क्यो नही किया... मैने कहा था ना पहुँच कर मुझे फोन कर देना... जानते हो कितनी फिकर हो गई थी तुम्हारी....

मैं : बस... बस... बस... साँस तो लेलो... एक ही साँस मे सब कुछ पूछ लिया... यार मुझे बोलने का मोक़ा तो दो...

रूबी : ठीक है बोलो... फोन क्यो नही किया ऑर वापिस कब आ रहे हो.

मैं : मैं कल सुबह तक वापिस आ जाउन्गा ऑर जिस काम के लिए गया था वो पूरा हो गया है...

रूबी : सच्ची.... कमाल है इतनी जल्दी वापिस आ रहे हो...

मैं : तुम कहो तो 4-5 दिन ऑर रुक जाता हूँ

रूबी : नही... मेरे कहने का वो मतलब नही था....

मैं : अच्छा एक काम की बात सुनो...

रूबी : हम्म.... बोलो...

मैं : मेरे साथ कुछ मेहमान भी आ रहे हैं जो हमारे घर मे ही रहेंगे हमारे साथ...

रूबी : मेहमान है तो उनको हवेली मे रखो ना घर लाने की क्या ज़रूरत है.

मैं : अर्रे यार वो काम वाले मेहमान नही है मेरे मेहमान है ऑर बहुत ख़ास है अब से वो भी हमारे साथ ही रहेंगे तो तुम उन लोगो के रहने का इंतज़ाम कर देना ठीक है...

रूबी : हम्म ठीक है लेकिन तुमने ये तो बताया ही नही कितने लोग हैं.

मैं : (हँसते हुए) 2 औरत है ऑर एक छोटा सा शेर भी है उनके साथ.

रूबी : औरत कौन है...

मैं : अर्रे यार तुमको आके सब बताउन्गा बस अभी जितना कह रहा हूँ उतना कर लो.

रूबी : अच्छा... जल्दी आ जाना मैं इंतज़ार करूँगी...

मैं : हमम्म चलो अब फोन रख दो मैं गाड़ी चला रहा हूँ...

रूबी : उउउहहुउ.... कितनी बार कहा है गाड़ी चलाते हुए बात ना किया करो....

मैं : तुम्हारा भी पता नही चलता यार फोन उठा लो तो मुसीबत ना उठाओ तो मुसीबत...

रूबी : अच्छा अब फोन बंद करो ऑर ध्यान से गाड़ी चलाओ.

उसके बाद मैने फोन रख दिया अब मुझे एक नयी फिकर होने लगी थी कि मैं घर जाके रूबी को इन दोनो के बारे मे क्या बताउन्गा इसलिए आगे के बारे मे सोचने लगा ऑर चुप-चाप गाड़ी चलाने लगा. कुछ देर बाद हम एक ढाबे पर रुके जहाँ हम सब ने मिलकर खाना खाया. खाना खाते हुए कुछ लोग हमें अज़ीब नज़रों से घूर-घूर कर देख रहे थे लेकिन मैने नज़र अंदाज़ कर दिया ऑर खाने पर ध्यान देने लगा क्योंकि उस वक़्त हम सब को बहुत ज़ोर की भूख लगी हुई थी. खाना खाने के बाद हम सब वापिस अपनी गाडियो मे बैठ कर अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ने लगे. कुछ दूर जाने के बाद मुझे लाला का फोन आया कि पोलीस की कुछ गाड़ियाँ हमारी गाडियो के पिछे आ रही हैं. ये सुनकर मुझे समझ आ गया कि ढाबे पर वो कौन लोग थे जो हम को घूर-घूर कर देख रहे थे. इसलिए मैने सबको बिना कोई खून-खराब किए वहाँ से शांति से चलने का हुकुम दे दिया क्योंकि अब रात के वक़्त मैं एक ऑर खून-ख़राबा नही चाहता था इसलिए मैने सबको गोली चलाने से मना कर दिया. लेकिन वो पोलीस की गाड़ियाँ लगातार अपना साइरन बजाते हुए हमारी गाडियो के पिछे आ रही थी ऑर हम को रुकने के लिए कह रही थी. कुछ देर बाद हमारी सबसे पिछे वाली गाड़ी पर फाइयर होने शुरू हो गये.

अब हम लोग कुछ नही कर सकते थे ना चाहते हुए भी हम को जवाब मे गोली चलानी ही थी इसलिए अब चलती गाडियो मे ही दोनो तरफ से फाइयर होना शुरू हो गये मेरी गाड़ी उस वक़्त सबसे आगे थी ऑर मेरे साथ नाज़ी, छोटा नीर ऑर हीना भी थी इसलिए मैं सिर्फ़ गाड़ी चलाने पर ही ध्यान देने लगा. कुछ देर बाद एक पोलीस की जीप पिछे की तमाम गाडियो को ओवर टेक करती हुई एक दम मेरे बराबर मे आ गई ऑर लगातार मेरी कार पर गोलियाँ चलाने लगी मैने जल्दी से हीना ऑर नाज़ी को नीचे झुका दिया ताकि उनको गोली ना लग जाए लेकिन एक गोली मेरे कंधे पर लग गई ऑर गाड़ी का बॅलेन्स बिगड़ने लगा. मैने जल्दी से स्टेरिंग के सामने रखी अपनी रेवोल्वर उठाई ऑर सामने वाली जीप पर जवाबी गोलियाँ चलाने लगा 5 ही फाइयर मे मेरी रेवोल्वर खाली हो गई थी ऑर अब मेरे पास कारतूस भी नही थे क्योंकि बाकी हथियार ऑर कारतूस कार की दिग्गी मे पड़े थे ऑर कार रोकने का मेरे पास मोक़ा नही था. लेकिन जीप मे से अब भी फाइरिंग जारी थी अब मेरे पास दूसरा कोई असला नही था इसलिए मैने एक रिस्क उठाया मैने अपनी गाड़ी की स्पीड कम की ऑर अपनी गाड़ी को उस जीप के एक दम साथ मे कर लिया ऑर नाज़ी ऑर हीना को झुके रहने का कहकर ज़ोर से अपनी गाड़ी को उस जीप मे धकेल दिया जिससे उनकी जीप का बॅलेन्स बिगड़ गया ऑर वो सामने वाली चट्टान मे जाके टकरा गई ऑर जीप पलट गई. अब मेरा उस जीप से तो पीछा छूट गया था लेकिन मेरे आदमियो की गाडियो के पिछे अब भी काफ़ी पोलीस की जीप लगी हुई थी ऑर दोनो तरफ से फाइयर हो रहे थे. मेरे कंधे मे भी गोली लग चुकी थी जिस वजह से तेज़ दर्द उठ रहा था ऑर अब मुझसे गाड़ी भी नही चलाई जा रही थी लेकिन फिर भी मैं हिम्मत करके गाड़ी चलाता रहा. मेरी अब हिम्मत जवाब दे रही थी क्योंकि बाजू से काफ़ी खून निकल रहा था इसलिए मैने लाला की गाड़ी को हाथ से इशारा करके मेरी गाड़ी के बराबर आने को कहा कुछ ही सेकेंड्स मे उसकी गाड़ी रफ़्तार पकड़ती हुई एक दम मेरी गाड़ी के साथ आ गई.....

मैं : (चिल्लाते हुए) मेरे कारतूस ख़तम हो गये हैं ऑर मुझे गोली भी लगी है मुझे हथियार वाला बॅग दे लाला....
लाला : (हाथ से इशारा करते हुए) देटाअ हुंओ....

हम दोनो ने एक ही वक़्त पर चलती कार का दरवाज़ा खोल दिया ऑर अपनी दोनो गाडियो को बराबर पर लाके मैने एक हाथ से हथियार वाला बॅग अंदर खीच लिया साथ ही मैने अपने एक आदमी को मेरी गाड़ी मे आने को कहा ताकि वो कार चला सके. हम दोनो की गाडियो की रफ़्तार काफ़ी तेज़ थी इसलिए गाड़ी बराबर आने मे दिक्कत हो रही थी कुछ एफर्ट्स के बाद मैने उस आदमी को अपनी गाड़ी मे खींच लिया. अब वो मेरी जगह गाड़ी चला रहा था ऑर मैं साथ वाली सीट पर बैठा बॅग से हथियार निकाल रहा था बॅग खोलते ही मेरी नज़र बाज़्ज़ुक़ा पर पड़ी मैने जल्दी से उसमे बॉम्ब लोड किया ऑर अपनी जेब से फोन निकाला ऑर लाला को फोन किया...
क्रमशः…………
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07-30-2019, 01:32 PM,
#59
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-55

मैं : लाला एक आइडिया आया है मैं गाड़ी की छत पर जा रहा हूँ जब मैं इशारा करूँगा तब अपने आदमियो को बोलना कि सब अपनी अपनी गाड़ियों को बाई तरफ कर ले ऑर एक दम से अपनी सब गाडियो की रफ़्तार बढ़ा दे...

लाला : ठीक है.... भाई मैं अभी सबको फोन करके कह देता हूँ....

उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर लाला के इशारे का इंतज़ार करने लगा क्योंकि उसके बाद ही मैं गाड़ी की छत पर जा सकता था. तभी मुझे हीना की आवाज़ आई...

हीना : नीर तुम ठीक तो हो ना....

मैं : मैं ठीक हूँ फिकर मत करो तुम नीचे रहो....

हीना : तुम्हारी बाजू से तो बहुत खून निकल रहा है...

मैं : कोई बात नही अभी सब ठीक हो जाएगा तुम दोनो नीचे रहो बाहर फाइरिंग हो रही है....

तभी मुझे लाला ने गाड़ी से हाथ बाहर निकाल कर अपने हाथ का अंगूठा दिखाते हुए डन का इशारा किया. मैने जल्दी से गाड़ी का दूसरी तरफ का दरवाज़ा खोला ऑर बाज़्ज़ुक़ा लेकर गाड़ी की छत पर बैठ गया ऑर बाज़्ज़ुक़ा को अपने कंधे पर सेट कर लिया ऑर पोलीस की बीच वाली गाड़ी का निशाना लगाया ताकि धमाके से आगे ऑर पिछे दोनो तरफ की गाड़िया उड़ जाए लेकिन उससे पहले मुझे मेरे आदमियो को इशारा करना था इसलिए मैं कुछ सेकेंड्स के लिए अपना बॅलेन्स बनाता हुआ गाड़ी की छत पर सीधा खड़ा हो गया जिससे मेरे सब आदमियो ने मुझे देख लिया ऑर अपनी सारी गाडियो को एक साथ बाई तरफ कर लिया. मेरे पास यही सही मोक़ा था मेरी इस चाल को कोई भी पोलीस वाला समझ नही पाया ऑर वो एक सीध मे ही गाड़ी चलाते रहे तभी मैने बाज़्ज़ुक़ा का ट्रिग्गर दबा दिया ऑर उनकी बीच वाली जीप पर फाइयर कर दिया.

मेरा आइडिया कामयाब रहा 3 जीप धमाके से एक साथ उड़ गई ऑर बाकी 7 जीपों ने वही अपनी गाड़ी को रोक लिया. लाला ये देख कर काफ़ी खुश लग रहा था ऑर गाड़ी के शीशे से मुँह बाहर निकाल कर ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहा था ऑर उन पोलीस वालों को गालियाँ निकाल रहा था. मैने एक नज़र मुस्कुरा कर उसको देखा ऑर फिर बाज़्ज़ुक़ा गाड़ी के अंदर फैंक कर खुद भी गाड़ी के अंदर जाके बैठ गया. गाड़ी के अंदर आते ही हीना ऑर नाज़ी ने मेरा बाजू पकड़ लिया ऑर देखने लगी...

हीना ऑर नाज़ी : तुम ठीक हो ना...

मैं : मैं एक दम ठीक हूँ तुम दोनो फिकर मत करो यार...

हीना : फिकर कैसे नही करे तुमको गोली लगी है देखो कितना खून निकल रहा है

इतना कह कर उसने खून वाली जगह पर अपना हाथ रख दिया ताकि खून रुक सके...

हीना : (ड्राइवर को देखते हुए) अपने आदमी से कहो किसी डॉक्टर के पास लेके चले खून बहुत निकल रहा है.

मैं : बीच हाइवे मे अब मैं डॉक्टर कहाँ से लेके आउ अब तो शहर जाके ही डॉक्टर मिलेगा ऑर तुम लोग फिकर मत करो यार मैं एक दम ठीक हूँ.

उसके बाद कोई खास बात नही हुई हीना पूरे रास्ते मेरी बाजू पकड़ कर बैठी रही. कुछ ही देर मे शहर आ गया जहाँ लाला गन पॉइंट पर एक डॉक्टर को उठा लाया जिसने मेरी बाजू से गोली निकाली ऑर गाड़ी मे ही मेरी मरहम पट्टी भी करदी. डॉक्टर के दिए हुए पेन किल्लर से दर्द तो कम हुआ ही साथ ही मुझे नींद आने लगी ऑर मैं सो गया. सुबह जब आँख खुली तो हम अपनी बस्ती के काफ़ी करीब थे कुछ ही देर हम बस्ती पहुँच गये जहाँ रसूल हमारे तमाम आदमियो के साथ हमारा इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही मेरी गाड़ी रुकी मेरे सब लोग दौड़कर मेरी गाड़ी के पास आ गये ऑर एक आदमी ने जल्दी से मेरी गाड़ी का दरवाज़ा खोला सामने रसूल अपनी सदा-बाहर मुस्कान के साथ मेरा इंतज़ार कर रहा था उसने आते ही मुझे गले से लगा लिया. वही पास ही मेरे घर के बाहर रूबी भी खड़ी थी जो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.

रसूल : वाह भाई वाह मान गये शेरा... कमाल कर दिया यार तूने....

मैं : मैने क्या किया यार....

रसूल : भाई अकेले ही इस कुत्ते को उठा के वहाँ से ले आया ये क्या छोटी बात है...

लाला : (भाग कर हमारे पास आते हुए) कमीनो मुझे क्यो भूल जाते हो... ऑर ये तुम्हारा शेर वही ढेर हो जाता अगर मैं वक़्त पर नही आता.... बड़ा आया कमाल करने वाला...

रसूल : अच्छाअ.... ठीक है यार.... वैसे वो हमारा नया मेहमान है कहाँ ज़रा दर्शन तो करवाओ.

लाला : होना कहाँ है वही गाड़ी मे पड़ा है.

मैं : रसूल यार तू ज़रा इस ख़ान के बच्चे को देख मैं ज़रा रूबी से मिलकर आता हूँ.

रसूल : ठीक है भाई...

उसके बाद मैने अपनी गाड़ी का पिछे का दरवाज़ा खोला ऑर नाज़ी, नीर ऑर हीना को लेकर अपने घर की तरफ बढ़ने लगा. नाज़ी ऑर हीना दोनो बड़े गौर से चारो तरफ के महॉल ऑर लोगो को देख रही थी.

नाज़ी : हम लोग यही रहेंगे क्या...

मैं : हमम्म क्यो जगह पसंद नही आई क्या...

नाज़ी : नही वो बात नही है लेकिन यहाँ पर बहुत सारे लोग हैं तो इन सबके सामने अजीब सा लगता है. अपने गाँव मे तो हम चन्द ही लोग रहते थे ना.

मैं : (मुस्कुराते हुए) यहाँ के लोग भी बहुत अच्छे हैं ऑर तुम्हारा ख़याल रखेंगे तुम जैसे चाहो यहाँ रह सकती हो तुम यहाँ एक दम महफूज़ हो.

हीना : यहाँ पर सब लोग तुमको शेरा कह कर क्यों बुला रहे हैं.

मैं : क्योंकि मेरा असल नाम शेरा ही है नीर नही भूल गई मैने तुम्हे बताया तो था.

ऐसे ही बाते करते हुए हम सब मेरे घर के सामने पहुँच गये जहाँ रूबी गेट के सामने खड़ी हमारा इंतज़ार कर रही थी. रूबी को देखते ही मैं उसको साइड पर ले गया जहाँ मैने उसको दोनो की सारी कहानी बता दी इसलिए रूबी ने बहुत अच्छे से उनका स्वागत किया ऑर उनको घर के अंदर ले गई. मैं उन तीनो के साथ बैठा था लेकिन मुझे उस वक़्त बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था ऑर मैं एक अजीब सी दिमागी जंग से गुज़र रहा था समझ नही आ रहा था कि इन तीनो को एक साथ यहाँ कैसे रखूं. अगर तीनो मे से किसी ने भी पूछ लिया कि बाकी 2 से तुम्हारा क्या रिश्ता है तो मैं क्या जवाब दूँगा. ऐसे ही कई सवाल अब घर आके एक दम से मेरे दिमाग़ मे चलने लगे थे. अभी तो हम सब साथ मे बैठे थे लेकिन बोलने की हिम्मत कोई भी नही कर पा रहा था हीना ऑर नाज़ी नये महॉल ऑर गुज़रे हुए वक़्त की वजह से चुप थी, रूबी उन दोनो के साथ मेरे रिश्ते को शायद समझ नही पा रही थी इसलिए चुप थी ऑर मैं इन तीनो मे फँस गया था क्योंकि तीनो ही मुझे प्यार करती थी ऑर मैं किसी का भी दिल नही तोड़ना चाहता था. एक तरफ हीना ऑर नाज़ी थी जो मुझ पर भरोसा करके सिर्फ़ मेरे लिए यहाँ तक आ गई थी दूसरी तरफ रूबी थी जो हमेशा से ही मेरे साथ थी ऑर हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश मे लगी रहती थी. ऐसे ही कई सवाल थे जिनके जवाब हम मे से किसी के पास नही थे. तभी रसूल आ गया ऑर उसने हमारे बीच बनी खामोशी को एक दम से तोड़ दिया.
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07-30-2019, 01:32 PM,
#60
RE: Kamukta Kahani अहसान
रसूल : यार तुम लोग यहाँ बैठे एक दूसरे की शक़ल ही देखते रहोगे या कुछ खाने पीने का भी मूड है... भाई इतने लंबे सफ़र से आए हो पहले कुछ खा लो...

रूबी : हाँ भाईजान मैं खाने पीने का ही इंतज़ाम करने जा रही थी...

रसूल : कोई ज़रूरत नही है अली की अम्मी (रसूल की बीवी) ने सब इंतज़ाम कर दिया है शेरा ने आने से पहले बता दिया था इसलिए मैने सब इंतज़ाम करवा दिया है अब आप सब लोग मेरे घर चलिए ऑर दावत क़बूल फरमाये...

उसके बाद हम सब रसूल के घर चले गये जहाँ हमेशा की तरफ अली मेरे साथ आके खेलने लगा ऑर छोटे नीर के आ जाने से वो भी काफ़ी खुश लग रहा था ऑर उसके साथ खेलने मे लग गया. उसके बाद हीना नाज़ी ऑर रूबी को रसूल की बेगम के पास छोड़ कर मैं ऑर रसूल अपने अड्डे पर चले गये जहाँ ख़ान को बाँध रखा था. अड्डे पर सूमा , गानी ऑर लाला पहले से मोजूद थे जो शायद मेरे आने का ही इंतज़ार कर रहे थे.

मैं: लाला ये सूमा कहाँ है नज़र नही आ रहा.

लाला : (मुस्कुरकर) भाई वो अपने नये मेहमान की खातिर मे लगा हुआ है.

मैं : अब्बे... कमीनो जान से मत मार देना अभी उससे छोटे ख़ान का माल कहाँ रखा हुआ है उसका भी पता निकलवाना है.

लाला : भाई अपना काम था ख़ान को सूमा तक पहुँचाना मैने अपना काम कर दिया है अब आगे तू जान सूमा जाने ऑर तेरा ख़ान जाने... मैं तो खाना खाने जा रहा हूँ (रसूल को देखकर) साला भूख से जान निकल रही है ऑर यहाँ तो किसी कमीने ने खाना तक नही पूछा. खुद तो मज़े से बिर्यानी खा आए हैं.

रसूल : साले तू मेहमान है जो तुझे इन्विटेशन कार्ड देके जाउ... जा घर चल जा ऑर जाके खाना ठूंस ले...

मैं Sadहँसते हुए) अच्छा ठीक है जा खाना खा ले जाके तब तक मैं सूमा से मिलकर आता हूँ.

उसके बाद हम उस कमरे मे चले गये जहाँ ख़ान ऑर सूमा थे. सूमा, ख़ान को बुरी तरह मार रहा था ऑर कमरे के बाहर ही ख़ान के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी. हमने जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा ख़ान ज़मीन पर गिरा पड़ा था ऑर सूमा उससे बुरी तरह ठोकर से मार रहा था.

मैं: बस... बस... बस कर सूमा मर जाएगा यार..

सूमा : मरता है तो मर जाए साला लेकिन आज इससे सारे माल का पता निकल्वाके रहूँगा इस हरामी की वजह से सबसे ज़्यादा मेरा नुक़सान हुआ है. इस हरामी के कुत्तो ने मेरे माल पर रेड डाल कर सारा माल पकड़ा था जानता है बाबा से कितनी बार गाली खाई है मैने इस हरामी की वजह से ऑर इस भेन्चोद ने सारा माल अपने बाप छोटे को दे दिया. मादरचोद को पैसे ही चाहिए थे तो मेरे पास नही आ सकता था.



उसके बाद हमारे काफ़ी पुछ्ने पर ख़ान ने अपना मुँह खोल दिया उसने छोटा शीक के सारे अड्डे ऑर गोदाम हम को बता दिए जहाँ वो सारा माल रखता था इसके अलावा पोलीस डिपार्टमेंट मे ख़ान के कितने लोग थे उन सबके बारे मे भी उसने हम को बता दिया. ख़ान की दी हुई इन्फर्मेशन से लाला, गानी ऑर सूमा ने छोटे ख़ान का सारा बिज़्नेस ख़तम कर दिया ऑर उसके लगभग सब आदमियो को मार दिया था. उसके सारे गोदमो का माल मेरे आदमियो ने लूट लिया ऑर यहाँ ले आए जिससे मार्केट मे हम लोगो की मोनोपली हो गई थी. अब हम हर गैर क़ानूनी चीज़ को अपने प्राइस ऑर अपनी कंडीशन पर बेचने लगे थे. ख़ान के डिपार्टमेंट के सब लोगो को हमने अपने पैसे की ताक़त से खरीद लिया ऑर अपनी तरफ कर लिया अब वो लोग दूसरे डीलर्स के पकड़े हुए ड्रग्स ऑर सारे हथियार हम को सप्लाइ करते थे उन लोगो के हमारे साथ मिल जाने से माल पकड़े जाने की टेन्षन भी ख़तम हो गई थी. ख़ान से सारी इन्फर्मेशन निकलवाने के बाद हमने ख़ान को भी ख़तम कर दिया.


देखते ही देखते कुछ ही दिन मे हमने मार्केट मे अपनी पहले से भी मज़बूत पोज़ीशन हासिल कर ली थी अब हमारे विदेशी क्लाइंट्स के पास भी हम से माल खरीदने के अलावा कोई रास्ता नही था इसलिए उन्होने मुझसे माफी माँग कर फिर से मेरे साथ बिज़्नेस शुरू कर दिया. इस तरह हमने छोटे शीक को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था साथ ही जो छोटे-मोटे गॅंग थे वो या तो ख़तम कर दिए थे या अपने साथ मिला लिए थे. अब सिर्फ़ इंतज़ार था तो छोटे शीक को ख़तम करने का लेकिन हमारी बढ़ती हुई ताक़त को देखते हुए वो भी अंडर ग्राउंड हो गया था या मुल्क़ से फरार हो गया था. अब उसके पास ना पैसा था ना ही आदमी थे ऑर ना ही बिज़्नेस था बाबा के सिखाए हुए नियम के दंम पर हम अब अंडरवर्ल्ड मे सबसे उपर आ गये थे. कुछ ही महीनो की मेहनत के बाद एक दिन हम को छोटा शीक भी मिल गया जिसे हम सब भाइयो ने मिलकर बड़ी तसल्ली से तडपा-तडपा कर मार दिया. उसके बाद हमारे सारे अपनेंट ख़तम हो चुके थे अब अंडरवर्ल्ड मे हम ही हम थे. 1 साल के अंदर-अंदर मैने बाबा के फ़ैसले को सही साबित करते हुए अपने हर बिज़्नेस को 100 गुना बढ़ा दिया था अब हमें पहले जितनी पूरे बिज़्नेस मे कमाई होती थी उससे ज़्यादा अब हमें एक-एक बिज़्नेस मे होने लगी थी. वही दूसरी तरफ नाम ऑर बढ़ती हुई शोहरत ने मुझे पूरे मुल्क़ मे मोस्ट-वांटेड क़रार करवा दिया था क्योंकि ख़ान की किडडनपिंग से लेकर मुझ पर कई पोलिसेवालो के मर्डर्स के केस भी चल रहे थे साथ मनी लौंगरी, हथियारो की ऑर ड्रग्स की तस्करी जैसे मामले भी अब मेरे नाम पर थे इसलिए अब मेरा इस मुल्क़ मे रहना सेफ नही था लिहाज़ा मुझे सारा बिज़्नेस रसूल, लाला, गानी ऑर सूमा मे बाँट कर इस मुल्क़ को छोड़ना था क्योंकि अब अगर कुछ दिन ऑर इस मुल्क़ मे मैं रहता तो पोलीस मुझ तक कभी भी पहुँच सकती थी ऑर उनका मुझे गिरफ्तार करने का मूड तो बिल्कुल भी नही था ऑर इस बार मैं एक और पोलीस अनकाउन्तर के लिए मैं राज़ी नही था लिफाज़ा मैने मुल्क़ छोड़ने का फ़ैसला कर लिया.

वही दूसरी तरफ रूबी, नाज़ी ऑर हीना अकेली हो गई थी मैं उनके साथ होके भी पूरी तरह उनके साथ नही था ना तो मैं पूरी तरह से किसी को अपनी कह पा रहा था ऑर ना ही मैं अब उनको छोड़ सकता था इसलिए एक दिन मैने रसूल से अपने दिल बात करने की सोची क्योंकि हम सब मे एक रसूल ही था जो ना सिर्फ़ उमर मे मुझसे बड़ा था बल्कि वो शादी-शुदा भी था इसलिए एक दिन मैने बात करने के लिए रसूल को बुलाया ऑर खुद अपने कॅबिन मे बैठकर उसके आने का इंतज़ार करने लगा.

रसूल : हाँ भाई तुमने मुझे बुलाया था.

मैं : हाँ यार तुमसे एक दिल की बात करना चाहता था समझ नही आ रहा कहाँ से शुरू करू.

रसूल : (मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ ते हुए) बोल भाई क्या बात है

मैं : यार तू तो जानता है कि मैं ये मुल्क़ छोड़ कर जा रहा हूँ लेकिन जाने से पहले मैं एक उलझन मे हूँ.

रसूल : बताना यार कैसी उलझन अब तो अपनी सारी प्रॉब्लम्स भी सॉल्व हो गई है बिज़्नेस भी टॉप पर चल रहा है अब कैसी उलझन.

मैं : यार जब से हीना ऑर नाज़ी यहाँ आई है मैं बहुत उलझ गया हूँ. रूबी , हीना ऑर नाज़ी तीनो ही मुझे बहुत प्यार करती है ऑर उन तीनो ने ही मेरे लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया है अब मुझे समझ नही आ रहा कि अपने मतलब के लिए उनको ऐसे छोड़ कर जाना सही होगा या नही.

रसूल : हमम्म बात तो तुम्हारी सही है... यार मेरी मानो तो तुम शादी कर लो सारी उलझन दूर हो जाएगी.

मैं : लेकिन किससे करूँ शादी यार तीनो ही मुझे प्यार करती हैं ऑर कही ना कही तीनो ही मेरे बुरे वक़्त मे मेरे साथ थी ऑर मेरा हमेशा साथ दिया बिल्कुल तुम सब की तरह.

रसूल : हमम्म मेरी मानेगा तो उससे शादी कर जिससे तू प्यार करता है समझा.... ऑर यार बहुत सोच समझकर फ़ैसला करना.

मैं : ठीक है...

उसके बाद रसूल मुझे मेरी सोच के साथ तन्हा छोड़ कर वो चला गया ऑर मैं सोचने लगा कि प्यार किसको करता हूँ. सच तो ये था कि मैं तीनो से प्यार करता था लेकिन अब मैं तीनो से शादी कैसे करता बस इसी क़श-म-क़श मे मैं उलझा हुआ था लिहाज़ा मैने ये फ़ैसला भी उन तीनो पर ही छोड़ दिया ऑर वहाँ से सीधा घर चला गया. घर पहुँच कर मैने बहुत हिम्मत से घर का दरवाज़ा खट-खाटाया कुछ देर बाद हीना ने एक दिल-क़श मुस्कान के साथ दरवाज़ा खोला.

हीना : आज जल्दी आ गये नीर ...

मैं : हाँ आज कुछ खास काम नही था इसलिए जल्दी आ गया.

उसके बाद मैने चारो तरफ देखा तो मुझे सिर्फ़ नाज़ी नज़र आई जो नीर को बोतल से दूध पिला रही थी. लेकिन मुझे रूबी कही नज़र नही आई...

मैं : रूबी कहाँ है...

हीना : वो यतीम खाने मे हैं अभी बच्चों का स्कूल चल रहा है ना इसलिए शाम को आएगी.

मैं : अच्छा... यार मैं तुम लोगो से एक ज़रूरी बात करना चाहता था

ये सुनकर दोनो मेरे पास आके खड़ी हो गई ऑर सवालिया नज़रों से मुझे देखने लगी. मैने दोनो को एक नज़र देखा ऑर दोनो का हाथ पकड़कर अपने साथ उनको भी बेड पर अपनी दोनो तरफ बिठा लिया.
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