Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:22 PM,
#41
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-39

पूरे रास्ते मैं अपनी गाव की लाइफ ऑर गाव वालों के बारे मे रिज़वाना को बताता रहा. कुछ ही घंटे मे हम मेरे गाव मे आ चुके थे आज इतने दिन बाद अपने गाव मे आके मुझे बहुत खुशी हो रही थी. वैसे तो ये गाव मेरा नही था लेकिन जाने क्यो अब इस गाव से भी प्यार हो गया था इसकी मिट्टी की खुश्बू मुझे एक अजीब सा सुकून देती थी. कुछ ही देर मे मैने मेरे घर के सामने गाड़ी रोकदी जहाँ नाज़ी घर के बाहर बँधे पशुओ को चारा डालने मे मसरूफ़ थी. मैने जल्दी से कार बंद की ऑर एक मुस्कुराहट के साथ गाड़ी का दरवाज़ा खोला. पहले तो नाज़ी मुझे गौर से देखती रही ऑर जब उससे यक़ीन हो गया कि ये मैं ही हूँ तो वो चारे का टोकरा वही फेंक कर मेरी तरफ भागने लगी ऑर आके मुझे गले से लगा लिया. नाज़ी को गले लगाके मैं भी ये भूल गया कि मैं नाज़ी से नाराज़ था. आज तो बस दिल खोलकर सबसे मिलना चाहता था.

नाज़ी : तुम कहाँ से टपक पड़े.....इतने दिन बाद कहाँ से याद आ गई हमारी.

मैं : अर्रे पागल लड़की आस-पास भी देख लिया कर.

नाज़ी : (रिज़वाना को देखकर जल्दी से मुझसे अलग होती हुई) ओह्ह्ह माफ़ कीजिए डॉक्टरनी जी.... मैने आपको देखा नही.
रिज़वाना : (हँसते हुए) कोई बात नई...जब कोई अपना बहुत दिन बाद मिलता है तो काबू नही रहता खुद पर मैं समझ सकती हूँ.

मैं : अब सारी बातें यही करनी है या अंदर भी जाने दोगि.

नाज़ी : (अपने सिर पर हाथ मारते हुए) ओह्ह मैं तो भूल ही गई चलो अंदर आओ.

उसके बाद हम तीनो घर के अंदर आ गये ऑर नाज़ी का शोर सुनकर सबसे पहले फ़िज़ा बाहर आई तो उसकी भी हालत कुछ नाज़ी जैसी ही थी. मुझे देखते ही उसका चेहरा खुशी से खिल उठा जैसे ही वो मेरे पास आने लगी तो मेरे साथ खड़ी रिज़वाना को देखकर उसने अपने कदम वही रोक लिए ऑर डोर से ही मुझे ओर रिज़वाना को सलाम किया. हम-दोनो ने भी फ़िज़ा को अदब से सलाम किया ऑर इतना मे नाज़ी कमरे के अंदर भाग गई जहाँ बाबा होते थे. मैने भी जल्दी से नाज़ी के पीछे-पीछे ही कमरे मे चला गया बाबा से मिलने के लिए. मुझे देखते ही बाबा का चेहरा भी खुशी से खिल उठा मैं अब उनके पास जाके बैठ गया ऑर अदब से उनको सलाम किया उन्होने ने भी मेरे माथे को चूम लिया.

मैं : कैसे हैं आप बाबा.

बाबा : बेटा अब तुम आ गये हो तो अब तंदुरुस्त हो गया हूँ. तुम क्या आ गये ऐसा लगता है घर मे रौनक आ गई. हमने तुमको बहुत याद किया बेटा.

मैं : (मुस्कुराते हुए) इस घर की रौनक तो आप से है बाबा. मैने भी आप सब को बहुत याद किया. ऐसा एक भी दिन नही गया जब आपकी याद ना आई हो.

बाबा : बेटा हमारा तो घर ही सूना हो गया था तुम्हारे जाने के बाद. वो पगली नाज़ी तो दरवाज़ा नही बंद करने देती थी कि नीर ही ना आ जाए.

नाज़ी : क्या बात है आते ही बाबा के पास बैठ गये हो बाहर नही आना क्या जनाब... हम भी आपके इंतज़ार मे हैं.

मैं : हां बस... बाबा को मिलकर आता हूँ.

बाबा : चलो बेटा मैं भी तुम्हारे साथ बाहर ही चलता हूँ.

मैं : जी बाबा चलिए (बाबा को उठाते हुए)

बाबा : क्या बात है बेटा काम बहुत जल्दी ख़तम हो गया तुम्हारा. ख़ान साहब भी आए हैं क्या.

मैं : जी नही बाबा ख़ान साहब नही आए. ऑर वो इतने दिन तो मैं ट्रैनिंग के लिए गया हुआ था. कल मुझे मेरे असल काम पर भेजा जा रहा था तो मैने सोचा जाने से पहले आप सब से मिलकर जाउ. वैसे भी आप - सब की बहुत याद आ रही थी.

बाबा : (उदास होते हुए) अच्छा किया बेटा जो मिलने आ गये.... कल फिर से जा रहे हो बेटा.

मैं : जी बाबा

जब मैं बाबा को लेके बाहर आया तो शायद रिज़वाना ने मेरे जाने के बारे मे फ़िज़ा ऑर नाज़ी को पहले ही बता दिया था इसलिए उनका खुश-हाल चेहरा फिर से उदास हुआ पड़ा था.

मैं : अर्रे क्या हुआ आप सबने मुँह क्यो लटका लिया.

फ़िज़ा : कल तुम फिर से जा रहे हो हमने तो सोचा था कि सारा काम ख़तम करके ही आए हो.

मैं : (कुर्सी पर बाबा को बैठते हुए) हंजी कल निकलना है ओर काम भी जल्दी ही ख़तम कर दूँगा फिकर मत करो.

नाज़ी : वापिस कितने दिन मे आओगे

मैं : पता नही कुछ दिन लग सकते हैं इसलिए मैने सोचा की जाने से पहले सबसे मिलता हुआ चलूं. अच्छा बाबा ये डॉक्टर रिज़वाना है जिनके पास मैं शहर मे रहता हूँ.

रिज़वाना : (बाबा को अदब से सलाम करते हुए)

मैं : बाबा ये भी आज मेरे साथ यही रुक जाए तो आपको कोई ऐतराज़ तो नही बिचारी इतनी दूर से मुझे छोड़ने आई हैं.

बाबा : नही नही बेटा कैसी बातें कर रहे हो भला मुझे क्या ऐतराज़ होगा ये भी तो हमारी नाज़ी जैसी ही है ऑर ये तुम्हारा अपना घर है बेटा रहो जितने दिन तुम चाहो.

रिज़वाना : जी शुक्रिया बाबा जी मैं बस कल नीर के साथ ही चली जाउन्गी.

नाज़ी : वैसे बाबा नीर पहले से काफ़ी बदला हुआ नही लग रहा.

बाबा : नही बेटा ये तो पहले जैसा ही है

नाज़ी : उउउहहुउऊ....कपड़े तो देखो ना नीर के बाबा (मुस्कुराते हुए) गुंडा लग रहा है ना.

फ़िज़ा : (मुस्कुरा कर) चुप कर पागल इतना अच्छा तो लग रहा है वैसे भी शहर मे रहने का कुछ तो असर आएगा.

उसके बाद सारा दिन ऐसे ही गुज़रा रात को बाबा अपनी आदत के मुताबिक़ जल्दी सो गये लेकिन नाज़ी,फ़िज़ा ऑर रिज़वाना को चैन कहाँ था वो तीनो मुझे पूरी रात घेरकर बैठी रही ऑर मेरे गुज़रे 15 दिनो के बारे मे मुझसे पूछती रही ऐसे ही सारी रात बातों का सिल-सिला चलता रहा. तीनो आज खुश भी थी ऑर उदास भी थी. लेकिन मैं मजबूर था ना उनको मुकम्मल खुशी दे सकता था ना ही उनकी उदासी को दूर कर सकता था. बातें करते हुए जाने कब सुबह हो गई पता ही नही चला अब मुझे अपने वादे के मुताबिक़ जाना था. मेरा बिल्कुल जाने दिल नही था ऑर ना ही घर मे किसी को मुझे भेजने का दिल था लेकिन फिर भी बाबा की दी हुई ज़ुबान को मुझे पूरा करने के लिए जाना था. सुबह बाबा भी जल्दी उठ गये ऑर उठ ते ही मुझे अपने कमरे मे बुला लिया मेरे पिछे-पिछे नाज़ी, फ़िज़ा ऑर रिज़वाना भी उसी कमरे मे आ गई.

मैं : जी बाबा आपने मुझे बुलाया था.

बाबा : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) बेटा अब तुम थोड़ी देर मे चले जाओगे इसलिए वहाँ जाके अपना ख़याल रखना.

मैं : जी बाबा... आप सब लोग भी अपना ख्याल रखना

रिज़वाना : (पिछे से मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए) नीर तुम फिकर मत करो मैं हूँ ना तुम्हारी गैर मोजूद्गी मे मैं यहाँ आती रहूंगी ऑर इनको किसी चीज़ की कमी नही होगी ये मेरा तुमसे वादा है.

मैं : (मुस्कुरकर) शुक्रिया बस अब मैं चैन से जा सकता हूँ.

फ़िज़ा : बाबा मुझे डर लग रहा है. पता नही वो लोग कैसे होंगे.... आप एक बार ख़ान साहब से बात करके देखिए ना उन्हे कह दीजिए कि हमे नही नीर को नही भेजना.

मैं : बच्चों जैसी बात मत करो फ़िज़ा तुम जानती हो बाबा ने वादा किया था ऑर वैसे भी ख़ान की मदद करके मैं भी तो हमेशा के लिए आज़ाद हो जाउन्गा फिर तो हमेशा के लिए यहाँ ही रहूँगा ऑर रही मेरी बात तो उपर वाले का करम से मैं अकेला भी पूरी फ़ौज़ पर भारी हूँ.

नाज़ी : बस-बस....जब देखो लड़ने पर आमादा रहते हो. वहाँ जाके अपना खाने पीने का ख्याल रखना ऑर हो सके तो हमे फोन करते रहना ऑर अपनी खैर-खबर देते रहना.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) नही नाज़ी मैं फोन नही कर पाउन्गा.

नाज़ी : (आँखें दिखाते हुए) क्यो... वहाँ फोन नही है क्या....

मैं : ख़ान साहब ने बोला था कि वहाँ जाके जब तक मेरा मिशन पूरा नही हो जाता मैं किसी को नही जानता ऑर मेरा कोई नही.

फ़िज़ा : क्यो कोई नही हम हैं ना....

मैं : (अपने सिर पर हाथ रखते हुए) अर्रे उन लोगो को मैं अपनी कोई कमज़ोरी नही दिखा सकता उनकी नज़र मे तो मैं शेरा ही हूँ ना जिसका आगे-पिछे कोई नही.

बाबा : (अपने दोनो हाथ हवा मे उठाते हुए) मालिक मेरे बेटे की हिफ़ाज़त करना.... नाज़ी बेटा वो मैं जो ताबीज़ लेके आया था नीर के लिए वो ले आओ ज़रा.

नाज़ी : अभी लाई बाबा

मैं : कौनसा ताबीज़ बाबा

बाबा : बेटा ये बहुत मुबारक ताबीज़ है बहुत दुआ के साथ बनाया गया है ये तुम्हारी हर बुरी बला से हिफ़ाज़त करेगा.

नाज़ी : (तेज़ कदमो के साथ कमरे मे आके बाबा को ताबीज़ देते हुए) ये लो बाबा.

बाबा : (मेरे गले मे ताबीज़ बाँध कर मेरा माथा चूमते हुए) खुश रहो बेटा. अब तुम तेयार हो जाओ तुम्हारे जाने का वक़्त हो गया.

मैं : जी बाबा.

उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना जल्दी से तेयार होने मे लग गये ऑर नाज़ी ऑर फ़िज़ा मेरे ऑर रिज़वाना के लिए नाश्ता बनाने लग गई. तेयार होके हम सब ने साथ मे नाश्ता किया ऑर उसके बाद फिर वही ढेर सारे आँसू ऑर बेश-कीमत दुवाओ के साथ मुझे विदा किया गया. कार मे रिज़वाना भी खुद को रोने से रोक नही पाई ऑर तमाम रास्ते वो भी मेरे कंधे पर सिर रख कर रोती रही. यक़ीनन इन सब के दिल मे जो मेरे लिए प्यार था वही मेरा जाना मुश्किल कर रहा था मेरा दिल चाह रहा था कि मैं ना कर दूं ऑर मैं ना जाउ. लेकिन मैं ऐसा चाह कर भी नही कर सकता था इसलिए अपने दिल को मज़बूत करके मैने कार की रफ़्तार बढ़ा दी अब मैं जल्दी से जल्दी शहर पहुँचना चाहता था. सब घरवाले ऑर रिज़वाना के बारे मे सोचते हुए जल्दी ही मैने कार को शहर तक पहुँचा दिया.

मैं : रिज़वाना हम शहर आ गये हैं अब बताओ तुम भी मेरे साथ हेड-क्वॉर्टर चलोगि या तुमको घर चोद दूँ.

रिज़वाना : (अपने आँसू पोन्छ्ते हुए) मैं भी तुम्हारे साथ ही चलती हूँ ना घर मे कौन है जिसके पास जाउ.

मैं : ठीक है.

उसके बाद हम हेड-क़्वार्टेर पहुँच गये जहाँ ख़ान ओर राणा ह्मारा पहले से इंतज़ार कर रहे थे मैने रिज़वाना को उसके कॅबिन मे जाने का इशारा किया लेकिन वो फिर भी मेरे पिछे-पिछे ख़ान के कॅबिन मे ही आ गई. मेरे कमरे मे घुसते ही ख़ान ने तालियो के साथ मे मेरा स्वागत किया.

ख़ान : (ताली बजाते हुए) वाह भाई वा क्या ज़ुबान का पक्का आदमी है देख राणा तुझे बोला था ना ये सुबह आ जाएगा.

राणा : साहब आपको पक्का यक़ीन है ये शेरा ही है.

ख़ान : मेरा दिमाग़ मत खराब कर तुझे जो बोला वो कर फालतू मे अपना दिमाग़ मत चला समझा.

राणा : जी माफ़ कर दीजिए ग़लती हो गई.

रिज़वाना : ख़ान तुम नीर को कहाँ भेज रहे हो.

ख़ान : सॉरी मेडम ये सीक्रेट है आपको नही बता सकता.

रिज़वाना : (मुझे देखते हुए) अपना ख्याल रखना ऑर जाते हुए मुझे मिलकर जाना.

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) अच्छा.

उसके बाद रिज़वाना कमरे से बाहर चली गई ऑर मैं राणा के साथ वाली कुर्सी पर आके बैठ गया. ख़ान अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ ऑर जल्दी से तेज़ कदमो के साथ कमरे के बाहर खड़े गार्ड की तरफ गया ऑर उससे दूर जाके खड़े होने का बोल दिया ऑर फिर वापिस अपनी कुर्सी पर आके बैठ गया. मैं ऑर राणा दोनो ख़ान को बड़े गौर से देख रहे थे. ख़ान ने मुझे एक मुस्कान के साथ देखा ऑर बोला...

ख़ान : हाँ तो नीर मिल आए घरवालो से.
मैं : जी मिल आया.

ख़ान : अब मेरे काम के लिए तेयार हो.

मैं : हंजी एक दम तेयार हूँ

ख़ान : बहुत खुंब... तो ठीक है फिर अभी थोड़ी देर मे निकलना है उससे पहले मेरे साथ आओ... राणा तुम यही बैठो ऑर हो सके तो अपने लिए चाय कॉफी मंगवा लेना यार.

राणा : जी कोई बात नही मैं ठीक हूँ आप अपना काम ख़तम कर ले.
ख़ान : (मेरे कंधे पर हाथ मरते हुए ) चलो मेरे साथ आओ.

मैं बिना कोई जवाब दिए अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ ऑर सवालिया नज़रों के साथ ख़ान के पिछे-पिछे चलने लगा. ख़ान मुझे एक कमरे मे ले गया जहाँ सिर्फ़ एक टेबल ऑर दो कुर्सियाँ लगी हुई थी.

ख़ान : तुम अंदर बैठो मैं अभी आता हूँ.

मैं : जी अच्छा.

कुछ देर इंतज़ार करने के बाद ख़ान एक बॅग के साथ कमरे मे आ गया ऑर बॅग को टेबल पर मेरे सामने रख दिया ऑर मेरे देखते ही देखते बॅग खोल कर उसमे से समान निकालना शुरू किया.

ख़ान : अपने जूते उतारो ऑर ये जूते पहन लो.

मैं : क्यो... इनमे क्या खराबी है अभी नये ही लिए हैं.

ख़ान : जो मैं जूते तुमको दे रहा हूँ ये फॅशन के लिए नही बल्कि इनमे ट्रांसमेटेर लगा है इससे मुझे पता चलता रहेगा की तुम कहाँ हो.

मैं : (अपने जूते उतारते हुए) अच्छा पहन लेता हूँ.

ख़ान : (टेबल पर एक हॅंड पिस्टल रखते हुए) ये गन है तुम्हारी सेफ्टी के लिए ज़रूरत पड़े तो ही चलाना लेकिन याद रखना अब तुम नीर हो ऑर नीर पेशावॉर क़ातिल नही है.

मैं : (गन उठाते हुए) जी अच्छा.

ख़ान : (एक लॉकेट निकालते हुए) ये देखने मे लॉकेट जैसा है लेकिन असल मे कॅमरा है इससे पहन लो... तुम उन लोगो के साथ जहाँ भी जाओ अपने लॉकेट से खेलने के बहाने उनकी ऑर नये लोगो की तस्वीरे लेते रहना.

मैं : ठीक है.

ख़ान : जो तुमको ट्रैनिंग मे सिखाया था वो सब याद है ना.

मैं : जी सब याद भी है ऑर मैं अब सब डिवाइस इस्तेमाल भी कर सकता हूँ.

ख़ान : ठीक है.

मैं: लेकिन ख़ान साहब वो तस्वीरें मैं आप तक पहुन्चाउन्गा कैसे.

ख़ान : मैं तुमको हर हफ्ते तुम्हारे फाइट क्लब पर मिलूँगा वहाँ हर बार तुम अपना लॉकेट इस दूसरे लॉकेट से बदल देना ताकि तुम्हारे लॉकेट से तस्वीरे लेकर मैं उनको डवलप करवा सकूँ ऑर तुम दूसरे लॉकेट से ऑर नयी तस्वीर ले सको.

मैं : जी अच्छा.... लेकिन मुझे कैसे पता चलेगा कि आप मुझे कब ऑर कहाँ मिलोगे.

ख़ान : तुम बस अपने फाइट क्लब मे आ जया करना वहाँ तुमको मेरा कोई ना कोई आदमी मिल जाएगा जो तुमको मेरा मिलने का वक़्त ऑर जगह बता देगा.

मैं : ठीक है.

ख़ान : वहाँ जाके लड़की ऑर ताक़त के नशे मे मत डूब जाना ऑर जब भी मोक़ा मिले सबूत इकट्ठे करते रहना ताकि मैं उन लोगो को सज़ा दिलवा सकूँ.

मैं : (हां मे सिर हिलाते हुए) जी अच्छा.

ख़ान: अब तुम राणा के साथ जाओ वो तुमको तुम्हारी मंज़िल तक पहुँच देगा ऑर एक ज़रूरी बात तुम मेरे लिए काम करते हो ये बात कभी ग़लती से भी किसी को मत बताना नही तो वो लोग तुमको वही ख़तम कर देंगे.

मैं: हमम्म

ख़ान : अब तुम राणा के साथ जाओ ओर उसके साथ जाके डील करो याद रखना तुमको वहाँ जाके लड़ाई करनी है किसी भी बहाने से समझ गये.

मैं : हाँ सब समझ गया.

ख़ान : कुछ भी समझ नही आया तो फिर से पूछ लो लेकिन वहाँ जाके कोई गड़बड़ मत करना तुम नही जानते तुम पर मैं कितना बड़ा दाव खेल रहा हूँ अगर तुमने कोई ग़लती की तो मेरी जान भी ख़तरे मे आ जाएगी क्योंकि उन लोगो की पहुँच का तुमको अंदाज़ा नही है यहाँ मेरे स्टाफ मे भी उन लोगो ने अपने कुछ कुत्ते पल रखे हैं इसलिए मैने तुम्हारी ट्रैनिंग को एक दम टॉप सीक्रेट ऑर सिर्फ़ अपने भरोसे के आदमियो के साथ पूरा करवाया है.

मैं : आप फिकर ना करें सब वैसे ही होगा जैसा आप चाहते हैं मुझे पर भरोसा किया है तो भरोसा रखिए ऑर मेरे पिछे से मेरे घरवालो को कोई तक़लीफ़ नही होनी चाहिए.

ख़ान : उनकी फिकर तुम मत करो मैं खुद उनका ख्याल रखूँगा ऑर देखूँगा कि उनको किसी भी चीज़ की कमी ना हो.

मैं : जी शुक्रिया.

उसके बाद मैं ओर ख़ान वापिस ख़ान के कॅबिन मे चले गये जहाँ राणा मेरा इंतज़ार कर रहा था.

मैं: ख़ान साहब मैं एक मिंट आया जाने से पहले एक बार डॉक्टर साहिबा से मिल आउ.

ख़ान : जाओ लेकिन जल्दी आना.

उसके बाद मैं रिज़वाना के कॅबिन मे चला गया जहाँ वो शायद मेरा ही इंतज़ार कर रही थी मेरे कॅबिन मे आते ही उसने दरवाज़ा अंदर से बंद किया ऑर मुझे गले लगा लिया.

रिज़वाना : जा रहे हो.

मैं : हमम्म बस तुमको मिलने के लिए ही आया था.

रिज़वाना : कहाँ जा रहे हो.

मैं : पता नही ख़ान ने मुझे भी नही बताया बस इतना पता है राणा के साथ जाना है.

रिज़वाना : ठीक है कोई बात नही. वहाँ अपना ख़याल रखना ऑर अगर मुमकिन हो तो मुझे फोन कर लेना जब भी मोक़ा मिले.

मैं : अच्छा... ठीक है अब मैं जाउ.

रिज़वाना : हम्म जाओ

मैं : मुझे छोड़ॉगी तो जाउन्गा

रिज़वाना : रुक जाओ 2 मिंट ढंग से गले भी नही लगाने देते....(कुछ देर मुझे गले से लगा कर) हमम्म अब ठीक है अब जाओ (मेरे होंठ चूमते हुए)

मैं : तुम भी अपना ख्याल रखना ऑर रोना मत.

रिज़वाना : (मुस्कुरा कर हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
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07-30-2019, 01:23 PM,
#42
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-40

उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना ख़ान के कॅबिन तक आ गये ऑर ख़ान के कॅबिन तक मुझे छोड़कर रिज़वाना हाथ हिलाकर मुझे अलविदा कहती हुई वापिस अपने कॅबिन की तरफ चली गई. मेन गेट खोल कर ख़ान के कॅबिन मे चला गया.

ख़ान : तुम्हारा मिलना-मिलना हो गया.

मैं (हँसते हुए) जी हो गया जनाब.

ख़ान : शूकर है...(हाथ जोड़ते हुए) चल भाई राणा खड़ा हो जा ऑर लग जा कम पर इसको मैने सब समझा दिया है ऑर तू भी कोई लफडा मत करना.

राणा : जनाब आगे कभी गड़-बड हुई है जो अब होगी.

ख़ान : पहले तू अकेला होता था इस बार ये भी तेरे साथ है.

राणा : फिकर ना करे जनाब मैं साथ हूँ ना सब संभाल लूँगा.

ख़ान : इसको वहाँ पहुँचने के बाद मुझे फोन कर देना ऑर मुझे इसके पल-पल की खबर चाहिए समझा.

राणा : (अपना दायां हाथ सिर पर रखते हुए) ओके बॉस.... चलो भाई शेरा आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचाता हूँ.

उसके बाद मैं ऑर राणा एक कार मे बैठे ऑर अपने नये सफ़र के लिए रवाना हो गये मैं नही जानता था कि मुझे कहा भेजा जा रहा है ऑर वो लोग कौन है ऑर कैसे होंगे क्या वो मुझे अपने साथ लेके जाएँगे या नही. मुझे ये भी नही पता था कि जिस सफ़र पर मुझे भेजा गया है वहाँ से मैं ज़िंदा लौटुन्गा भी या नही. ऐसे ही कई सवाल मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे. लेकिन इस वक़्त मेरे पास किसी सवाल का जवाब नही था लेकिन तेज़ी से गुज़रने वाले वक़्त के पास मेरे हर सवाल का जवाब था. अब मैं चुप-चाप बैठा अपनी आने वाली मज़िल का इंतज़ार कर रहा था जहाँ मुझे जाना था.

राणा गाड़ी को तेज़ रफ़्तार से भगा रहा था ऑर मैं खिड़की से अपना चेहरा बाहर निकाले ठंडी हवा का मज़ा ले रहा था. मुझे नही पता कब मेरी आँख लग गई ऑर मैं सो गया. जाने मैं कितनी देर सोता रहा लेकिन राणा के हिलाने से मेरी आँख खुल गई...

राणा : शेरा भाई एरपोर्ट आ गया है उतरो...

मैं : (दोनो हाथो से आँखें मलते हुए) क्या....

राणा : भाई एरपोर्ट आ गया फ्लाइट पकड़नी है ना गाड़ी से उतरो....

मैं : (अपने दोनो हाथ अपने मुँह पर फेरते हुए) हाँ चलो...

उसके बाद मैं ऑर राणा गाड़ी से उतर गये राणा ने जल्दी से गाड़ी की पिच्छली सीट से उसका ऑर मेरा सूट केस निकाला ऑर मेरी तरफ बढ़ने लगा. मैने अपना सूट केस पकड़ लिया ऑर उसने अपना. फिर हमने गाड़ी को वही छोड़ दिया ऑर हम दोनो एरपोर्ट के अंदर आ गये. ये जगह मेरे लिए एक दम नयी थी मैं ठीक होने के बाद पहले कभी ऐसी जगह पर नही आया था. राणा ने मुझे एक जगह की तरफ इशारा करके बैठने को कहा ऑर खुद किसी से मिलने चला गया. मैं एरपोर्ट पर एक खाली जगह पर बैठ गया ऑर चारो तरफ देख रहा था वहाँ के लोग जो घूम रहे थे ओर सेक्यूरिटी गार्ड जो लोगो को चेक कर रहे थे. एक जगह पर सबके समान को एक मशीन (स्केनर) मे डाल कर चेक किया जा रहा था इसलिए मुझे अपने समान की फिकर होने लगी क्योंकि इतना तो मुझे देख कर ही समझ आ गया था कि मेरा समान भी ज़रूर चेक होगा ऑर मेरे पास पिस्टल भी थी ऑर ख़ान के दिए हुए ट्रांसमेटेर्स भी जिससे ख़ान मुझ तक पहुँच सके. अभी मैं सोच ही रहा था कि राणा 2 गार्ड जिनके पास हथियार थे उनके साथ मेरी तरफ आ रहे थे मुझे लगा शायद उन लोगो ने राणा को पकड़ लिया. इसलिए मैने जल्दी से अपना एक हाथ जॅकेट मे डाल लिया जिस तरफ पिस्टल थी ऑर अपना हाथ पिस्टल पर रख लिया.

राणा : चलो भाई काम हो गया 10 मिंट बाद फ्लाइट है अपनी...

मैं : (चैन की साँस लेकर अपना हाथ जॅकेट से बाहर निकालते हुए ) अच्छा... लेकिन ये लोग कौन है.

राणा : भाई ये ख़ान साहब के ही लोग हैं हम को यहाँ कोई परेशानी ना हो इसलिए...

मैं : अच्छा... मैं तो समझा तुमको इन्होने पकड़ लिया.

राणा : (मुस्कुरा कर) नही भाई सब ठीक है आप बे-फिकर हो जाए.

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म यार राणा वैसे हम क्या शहर से बाहर जा रहे हैं.

राणा : (हँसते हुए) भाई आपको ख़ान साहब ने कुछ नही बताया.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए)

राणा : कोई बात नही.... चलो चलें देर हो रही है.

उसके बाद कोई खास बात नही हुई जल्दी ही हम रनवे पर आ गये जहाँ हमारा छोटा सा प्लेन ऑलरेडी तेयार खड़ा था. हम दोनो को वो दोनो लोग बिना सेक्यूरिटी चेक के एक छोटे से प्लेन तक छोड़ गये जहाँ सिर्फ़ मैं ऑर राणा ही बैठे थे बाकी तमाम प्लेन खाली पड़ा था. मैं हर चीज़ को बड़ी हैरानी से देख रहा था क्योंकि ये सब कुछ मेरे लिए एक दम नया था. खैर कुछ ही घंटे के बाद हम हमारी मंज़िल तक पहुँच गये. फ्लाइट से उतरने के बाद मैं राणा के पिछे-पिछे ही चल पड़ा क्योंकि मैं नही जानता था कि उसके बाद कहाँ जाना है. फ्लाइट से उतरने के बाद एरपोर्ट पर एक कार पहले से मोजूद थी जिसमे मैं ऑर राणा बैठ गये. बाहर रात हो गई थी लेकिन इतनी ज़्यादा रोशनी ऑर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स थी जो मैने पहले कभी नही देखी थी मैने जल्दी से कार का ग्लास नीचे किया ऑर बाहर देखने लगा.

राणा : भाई क्या कर रहे हो शीशा बंद करो कोई देख सकता है.

मैं : यहाँ हम को कौन जानता है यार देखने दो ना अच्छा लग रहा है.

राणा : भाई आपके लिए ये शहर अजनबी है लेकिन आप इस शहर के लिए अजनबी नही हो आपके इस शहर मे सिर्फ़ दोस्त ही नही दुश्मन भी बहुत है. मैं आपके लिए ही कह रहा हूँ.

मैं : (बिना कुछ बोले शीशा उपर करते हुए) ठीक है.... वैसे क्या तुम मेरे बारे मे सब कुछ जानते हो.

राणा : भाई इस शहर मे शायद ही कोई ऐसा हो जिसने शेरा भाई का नाम नही सुना हो.

मैं : वैसे अब हम जा कहाँ रहे हैं.

राणा : होटेल मे जहाँ हमने रुकना है फिर कल शाम को डील है तो वहाँ जाना है.

मैं : अच्छा...

उसके बाद हम दोनो कार मे खामोश बैठे रहे ऑर कुछ देर बाद कार ने हम को एक बहुत ऊँची बिल्डिंग के सामने उतार दिया ये एक बेहद शानदार होटेल था. अंदर राणा के साथ मैं होटेल के अंदर चला गया वहाँ हम दोनो के लिए पहले से रूम बुक थे. राणा मुझे शाम को तेयार रहने का बोलकर अपने कमरे मे चला गया. मैं भी सफ़र से थक गया था इसलिए रूम मे आते ही सो गया. सुबह मैं देर से उठा ऑर नाश्ता मंगवाने के बाद मेरे पास अब करने को कोई काम नही था इसलिए अपना वक़्त टीवी देखकर गुज़ारने की कोशिश करने लगा. लेकिन आज मुझसे वक़्त काटे नही काट रहा था. मैं अकेला बहुत ज़्यादा बोर हो रहा था इसलिए वक़्त से पहले ही नहा कर तेयार हो गया ऑर शाम को राणा का इंतज़ार करने लगा. खैर शाम को राणा ने मेरा दरवाज़ा खत-खाटाया ऑर इस बार उसके साथ कुछ ऑर लोग भी थे. वो सब लोग मुझे बड़ी हैरानी से देख रहे थे लेकिन मुझे किसी का भी चेहरा याद नही था शायद राणा सही था यहाँ के काफ़ी लोग मुझे जानते थे. हम सब तेज़ कदमो के साथ लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगे. लिफ्ट मे राणा के साथ खड़े लोग मुझे बड़ी हैरानी से देख रहे थे. कुछ देर बाद हम होटेल से निकले ऑर कार मे बैठ गये. कार मे बैठने के बाद आगे जाने क्या होने वाला है ये सोच कर मेरी दिल की धड़कन काफ़ी तेज़ हो गई थी ऑर मुझे घबराहट सी हो रही थी इसलिए मैं पानी की बोटल से बार-बार पानी पी रहा था.

कुछ ही देर बाद गाड़ी एक अज़ीब सी जगह आके रुक गई. ये जगह बाहर से किसी खंडहर जैसी लग रही थी ऑर काफ़ी पुरानी सी इमारत थी जो लगता था कि बहुत वक़्त से बंद पड़ी हो आस-पास काफ़ी कचरा जमा हुआ पड़ा था. मैं उस जगह को गौर से देखने लग गया. उसके बाद सब लोग गाड़ी से उतर गये लेकिन जब मैं भी गाड़ी से उतरने लगा तो राणा ने मुझे रोक दिया.

राणा : भाई आप कार मे ही बैठो.. अगर हम लोग 5 मिंट मे वापिस नही आए तो आप अंदर आ जाना ऑर जो भी मिले मिले ठोक देना साले को ऑर याद रखना आपको पैसे ऑर ड्रूग्स दोनो उठाने हैं.

मैं : ठीक है याद रखूँगा.

फिर वो लोग चले गये ऑर मैं गाड़ी मे बैठा हुआ अपनी घड़ी मे वक़्त देखने लगा. अब मुझे 15 मिंट गुज़रने का इंतज़ार था. मैने जल्दी से एक बार फिर अपनी कोट की जेब मे हाथ डाला ऑर पिस्टल को निकाल कर अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर उसमे से मेग्ज़ीन निकाल कर गोलियाँ चेक की ऑर फिर से मॅग्ज़िन को पिस्टल मे डाल दिया ऑर अपनी पिस्टल को लोड कर लिया साथ ही दूसरी जेब से साइलेनसर निकाल कर पिस्टल की नली पर लगा दिया ताकि गोली चलने की आवाज़ कम से कम हो. मैं अंदर से घबरा भी रहा था ऑर उन लोगो से सामना करने के लिए बे-क़रार भी था. मैं कभी घड़ी की तरफ देख रहा था कभी उस टूटी सी इमारत की तरफ. अब मुझसे इंतज़ार करना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैने जल्द बाज़ी मे गाड़ी का गेट खोला ऑर 10 मिंट होने पर ही अपनी पिस्टल हाथ मे लिए उस इमारत मे घुस गया लेकिन अंदर घुसते ही मुझे समझ नही आ रहा था कि किस तरफ जाना है क्योंकि वहाँ से 3 रास्ते निकल रहे थे ऑर अंधेरा भी काफ़ी था क्योंकि रात होने लगी थी. थोड़ा आगे जाने पर मुझे सामने वाले रास्ते पर कुछ रोशनी नज़र आई इसलिए मैं दीवार का सहारा लेके सामने वाले रास्ते की तरफ बढ़ने लगा.

वहाँ मुझे सामने 2 लोग नज़र आए जो मेरी तरफ पीठ करके खड़े थे. मैने अपनी बंदूक का पहला निशाना बाएँ तरफ खड़े आदमी की खोपड़ी पर लगाया ऑर पिस्टल का ट्रिग्गर दबा दिया एक झटके के साथ पिस्टल से गोली निकली ऑर उस आदमी के भेजे से आर-पार हो गई वो आदमी वही ज़मीन पर गिर गया. इतने मे दूसरा आदमी जो उसकी दूसरी तरफ खड़ा था उसको गिरता देख कर उसकी तरफ बढ़ा तो मैने अपना दूसरा निशाना उसके सिर मे लगाया लेकिन वो झुक कर थोड़ा उपर को देखने लगा ऑर अपनी गर्दन चारो तरफ घुमाने लगा. इसलिए गोली उसके सिर की जगह उसके गले मे लगी जिससे वो ज़मीन पर गिर गया ऑर तड़पने लगा. मैं जल्दी से उसके पास गया ऑर एक गोली ऑर उसके सिर मे मार दी. उस आदमी के पास जाना ही मेरी सबसे बड़ी ग़लती थी. वहाँ जाते ही मेरी तरफ गोलियाँ चलने लगी. मैं जल्दी से खुद को बचाने के लिए दीवार के पिछे हो गया. कुछ देर गोलियाँ चलाने के बाद वो लोग रुक गये मैने धीरे से अपनी गर्दन बाहर निकाली ओ उन्न लोगो की पोज़ीशन चेक करने लगा. उनमे से 3 लोग जिस बँच पर ड्रूग्स ऑर पैसे पड़े थे उसके पिछे छुपे हुए थे ऑर 2 लोग एक खंबे के पिछे थे जहाँ मैं खड़ा था वहाँ से उन पर निशाना लगाना बहुत मुश्किल था. बाकी राणा ऑर जो लोग मेरे साथ कार मे यहाँ आए थे उनका कोई नाम-ओ-निशान नही था.

मेरी नज़रें राणा ऑर उसके साथ आए लोगो को तलाश कर रही थी लेकिन वहाँ कोई भी मुझे नज़र नही आ रहा था. तभी उन लोगो ने फिर से गोलियाँ चलानी शुरू करदी इसलिए मुझे फिर से दीवार के पिछे जाना पड़ा. अब मैं उस जगह पर अकेला था ऑर वो 5 लोग थे मैं सोच रहा था कि इनको कैसे ख़तम करूँ इसलिए अपनी नज़र चारो तरफ दौड़ा रहा था कि लेकिन वहाँ मुझे कुछ भी ऐसा नज़र नही आ रहा था जिससे मैं उनको बाहर निकाल सकूँ. तभी मुझे ख्याल आया मैने ज़मीन से एक पत्थर उठाया ऑर उपर बंद पड़े लटकते हुए पंखे पर निशाना लगा के ज़ोर से पत्थर मारा. पत्थर की टॅन्न्न्न्न की आवाज़ से सबकी नज़र उपर चली गई जिससे मुझे मेरी पोज़ीशन बदलने का मोक़ा मिल गया. मैने जल्दी से छलाँग लगाकर एक खंबे के पीछे चला गया. यहाँ से मैं सिर्फ़ 2 लोगो पर सही निशाना लगा सकता था मैने जल्दी से टेबल के नीचे बैठे आदमी पर निशाना लगाया ऑर गोली चला दी गोली सीधा उसके पेट मे लगी ऑर वो गिर गया ऑर तड़पने लगा. उसके पास जो दूसरा आदमी वो अपने साथ वाले को गोली लगने से शायद डर गया इसलिए खड़ा होके अपने दूसरे साथी की तरफ भागने लगा मैने जल्दी से अपना निशाना लगाया ऑर उसको दूसरी तरफ पहुँचने से पहले ही ढेर कर दिया. अब मुझे बाकी 3 को भी मारना था. लेकिन जहाँ मैं खड़ा था वहाँ से मैं उन तक नही पहुँच सकता था इसलिए मैने गोलियाँ ज़ाया करना मुनासिब नही समझा ऑर वही खड़े होकर उनकी अगली चाल का इंतज़ार करने लगा. तभी उनमे से एक की आवाज़ आई...

आदमी : ओये कौन है तू साले....क्यो गोली चला रहा है...पोलीसवाला है क्या...साले हर बार हड्डी पहुँचती तो हैं इस बार तुझे तेरा हिस्सा नही मिला जो यहाँ मुँह मारने आ गया है. साले हम शेख साहब के लोग है ऑर ये माल भी उनका है हम को जाने दे वरना तेरी लाश का भी पता नही चलेगा.

मैं खामोश रहा ऑर चुप चाप उनके बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. वो लोग कुछ देर ऐसे ही चिल्लाते रहे. काफ़ी देर बाद जब मेरी तरफ से कोई आवाज़ नही आई तो उन लोगो ने फिर से गोलियाँ चलानी शुरू करदी अब की बार मैने जवाब मे कोई गोली नही चलाई ऑर उनके बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद उनमे से एक आदमी खंबे के पिछे से बाहर आया ऑर मेज़ के पास आके रुक गया ऑर इधर-उधर देखने लगा. अब की बार मैने उसे पूरा मोक़ा दिया कि वो बॅग को बंद कर सके. फिर उसने अपने दूसरे साथी को भी हाथ से इशारा किया ऑर वो भागता हुआ बंदूक ताने मेरी तरफ बढ़ने लगा. मैं यही चाहता था मैं जल्दी से खंबे के पिछे से बाहर निकला ऑर सबसे पहले जो मेरी तरफ आ रहा था उसके पैर मे गोली मारी वो वही गिर गया ऑर तड़पने लगा इतना मे जो दूसरा आदमी मेज़ के पास खड़ा उसने दोनो बॅग उठाए ऑर खंबे की तरफ भागने लगा मैने उसकी पीठ मे 2 गोली मारी वो भी वही गिर गया अब मैने अपना निशाना उस लेटे हुए आदमी पर लगाया जिसके पैर मे गोली लगी थी इस बार मैने सीधा उसके माथे पर गोली मारी. दोनो आदमी ख़तम हो चुके थे ऑर अब सिर्फ़ एक आदमी बचा था ऑर मेज़ के पास ही पैसे वाला ऑर ड्रूग्स वाला बॅग गिरे पड़े थे. इस बार मैने आवाज़ लगाई...

मैं : मुझे पता है तू अकेला ही बचा है अगर यहाँ से निकलना चाहता है तो निकल जा माल को भूलजा वो मेरा हुआ.

वो आदमी : लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि तुम गोली नही चलाओगे.

मैं : साले मैं तुझे टीवी बेच रहा हूँ जो गारंटी चाहिए..... निकलना है तो निकल जा नही तो तुझे मार कर तो मैं ये माल हासिल कर ही लूँगा.

वो आदमी : ठीक है माल तुम रख लो लेकिन गोली मत चलना.

मैं : मंज़ूर है अपनी पिस्टल फैंक कर बाहर आजा.

उसके बाद उस आदमी ने मेज़ की तरफ अपनी पिस्टल फेंक दी ऑर सिर पर हाथ रख कर बाहर आ गया. मैने जल्दी से थोड़ा सा बाहर निकलकर अपनी पिस्टल का निशाना उसके दिल पर लगाया ऑर गोली चला दी वो आदमी भी वही ख़तम हो गया. उसके बाद मैं धीरे से बाहर आया ऑर झुक कर धीरे-धीरे आगे मेज़ की तरफ बढ़ने लगा जिसके पास दोनो बॅग गिरे पड़े थे मैने चारो तरफ देखा वहाँ मुझे कोई भी नज़र नही आ रहा था इसलिए मैने जल्दी से दोनो बॅग उठाए ऑर राणा ऑर उसके लोगो को ढूँढने लगा लेकिन मुझे वो कही नज़र नही आए इसलिए मैं उस खंडहर से बाहर निकल आया. अब मैने चारो तरफ देखा लेकिन बाहर भी सिवाए गाड़ी के कोई नही था. मैने दोनो बॅग गाड़ी मे रखे ओर कार स्टार्ट की ताकि वापिस होटेल जा साकु. तभी कार के केबिनेट मे किसी फोन की घंटी की आवाज़ सुनाई दी जो शायद काफ़ी देर से बज रहा था. मैने जल्दी से केबिनेट खोला ऑर फोन बाहर निकाला ऑर फोन उठा कर अपने कान से लगाया दूसरी तरफ से जो आवाज़ सुनाई दी वो जानी-पहचानी सी लगी. ये तो ख़ान था.....

मैं : हेल्लो....

ख़ान : हां भाई शेरा क्या खबर है.

मैं : ख़ान साहब मुझे राणा एक डील पर लेके गया था जहाँ एक समस्या हो गयी है
ख़ान : वो सब मुझे पता है ये बताओ दोनो बॅग कहाँ है.
मैं : मेरे पास...
ख़ान : उनमे से कोई ज़िंदा तो नही बचा.
मैं : नही मैने सबको ख़तम कर दिया...
ख़ान : अच्छा किया.... अब तुम यहाँ से अपने होटेल चले जाओ जहाँ तुम रुके हुए हो.
मैं : लेकिन राणा ऑर उसके लोग जाने कहाँ चले गया हैं मैने उनको सब जगह ढूँढ लिया है कोई भी नही मिला मुझे.
ख़ान : कोई बात नही उनको मैने ही बोला था कि निकल जाने को वहाँ से.
मैं : ठीक है फिर अब मेरे लिए क्या हुकुम है.
ख़ान : तुम बस अपने होटेल जाओ ऑर कल रात तक इंतज़ार करो राणा खुद ही तुम्हारे पास आ जाएगा... वैसे तुम्हारा निशाना बहुत अच्छा है.

मैं : शुक्रिया... वैसे आपको कैसे पता कि मेरा निशाना अच्छा है.

ख़ान : मैं तुमसे दूर ज़रूर हूँ लेकिन तुम्हारी पल-पल की खबर मेरे पास पहुचती है ऑर वैसे भी ये तो पूरे अंडरवर्ल्ड मे मशहूर है कि शेरा का निशाना कभी नही चुकता... नही तो पहली बार हथियार उठाने वाला आदमी ढंग से गोली भी नही चला सकता ऑर तुमने सबको 8 गोली मे ही ख़तम कर दिया. ये जान कर अच्छा लगा कि तुम्हारा निशाना अब भी जबरदस्त है.

मैं : शुक्रिया.... जनाब ये पैसे ऑर ड्रग्स का क्या करना है.
ख़ान : अभी तुम इसको अपने पास ही रखो होटेल मे जब कल रात को राणा आएगा तो उसको दे देना ऑर तुम अब मेरी इजाज़त के बिना होटेल से बाहर मत जाना ये फोन भी मुझसे बात करने के बाद तोड़ देना समझ गये.
मैं : ठीक है.
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07-30-2019, 01:23 PM,
#43
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-41

उसके बाद ख़ान ने फोन बंद कर दिया ऑर मैने उस फोन को वही तोड़कर फैंक दिया फिर मैं वापिस होटेल मे आ गया. अब मुझे अगले दिन तक सिर्फ़ इंतज़ार करना था क्योंकि ऑर कोई कम मेरे पास करने को नही था. मैं बाहर भी नही जा सकता था क्योंकि ख़ान ने मुझे बाहर जाने से मना किया था. ऐसे ही मैने अगला सारा दिन सिर्फ़ टीवी देख कर ऑर सो कर ही गुज़ारा. अगली शाम को किसी ने मेरे रूम का दरवाज़ा खट-खाटाया तो मैने जल्दी से पहले अपनी पिस्टल निकाली ऑर उसको अपनी कमर के पिछे टाँग लिया ऑर आहिस्ता से दरवाज़ा खोल दिया सामने राणा खड़ा था जिसके साथ 2 ऑर आदमी थे.

मैं : तुम हो... यार कल कहाँ चले गये थे कुछ बताया भी नही.

राणा : भाई ख़ान साहब का ऑर्डर था कि अगर वो लोग कुछ नाटक करे तो पैसे वही छोड़कर चले जाना.

मैं : ठीक है

राणा : भाई वो दोनो बॅग कहाँ है.

मैं : (उंगली से इशारा करते हुए) बेड के नीचे पड़े है निकाल लो.

राणा : (झुक कर बेड के नीचे देखते हुए) ठीक है.... भाई आप जल्दी से तेयार हो जाओ अभी निकलना है.

मैं : अब कहाँ जाना है.

राणा : (दोनो बॅग बाहर निकलते हुए)भाई वो लोग जिनका ये माल है वो उस आदमी का चेहरा देखना चाहते हैं जिसने उनका माल लूटा था ऑर उनके लोग मारे थे.

मैं : मतलब मुझे... कुछ गड़-बॅड तो नही होगी.

राणा : भाई फिकर मत करो आपके ही पुराने साथी हैं आपको क्या होना है. वैसे भी शीक साहब का माल हर कोई नही लूट सकता.

मैं : तो क्या मैं अब शीक साहब से मिलने वाला हूँ.

राणा : नही भाई अभी तो आपको बस लाला भाई ऑर गानी भाई ही मिलेंगे.

मैं : ठीक है... जाना कहाँ है

राणा : आपके पुराने क्लब मे जाना है भाई

मैं : ठीक है

उसके बाद मैं जल्दी से बाथरूम मे गया ऑर तेयार हो के बाहर आ गया. फिर मैं राणा ऑर बाकी वो 2 लोग कार मे बैठ कर निकल पड़े. कुछ देर बाद कार पार्किंग वाली जगह पर रोक दी गई ऑर हम सब बाहर निकल आए. राणा मुझे एक अजीब सी जगह लेके गया जहाँ बहुत तेज़ म्यूज़िक बज रहा था. हमे वहाँ खड़े 2 लोगो ने दूसरे गेट से अंदर जाने का इशारा किया तो हम लोग दूसरी तरफ से अंदर चले गये. वहाँ गेट पर हम सबकी अच्छे से तलाशी ली गई ऑर मेरी पिस्टल वही बाहर ही निकाल ली गई. अब मुझे सच मे डर लग रहा था क्योंकि अब हम मे से किसी के पास भी हथियार नही थे. बढ़ते हुए हर कदम के साथ मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ रही थी. लेकिन राणा एक दम खुश ऑर बहुत सुकून से मुस्कुराता हुआ चल रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो. हम लोगो के पिछे 4 लोग गन्स लिए चल रहे थे उन्होने हमे एक कॅबिन मे बिठा दिया जिसके सामने वाली कुर्सी खाली पड़ी थी. हम चारो अपने सामने पड़ी कुर्सियो पर बैठ गये. मैं कमरे को देखने लगा जो काफ़ी शानदार तरीके से सजाया गया था उसकी हर चीज़ काफ़ी कीमती लग रही थी. तभी राणा की आवाज़ आई...

राणा : भाई अब सब आपके उपर ही है संभाल लेना.

मैं : भेन्चोद वो जो बाहर तेरा बाप खड़ा था उसने मेरी पिस्टल ले ली हैं अब इनको क्या मैं टेबल कुर्सी से संभालूँगा चूतिए....

राणा : भाई आपके हाथ जोड़ता हूँ यहाँ हाथ मत उठाना नही तो बहुत समस्या हो जाएगा हम मे से कोई भी ज़िंदा बाहर नही जाएगा.

मैं : तो साले यहाँ मेरी क्या क़ुर्बानी देने के लिए लाया है मुझे.

तभी पिछे से कॅबिन का गेट खुला ऑर 5-6 लोग अंदर आए जिन्होने हम सबके सिर पर बंदूक तान दी इसलिए हम सब लोग हाथ उपर करके अपनी-अपनी जगह से खड़े हो गये. मैं अभी सोच ही रहा था कि इनको कैसे संभालू कि तभी दुबारा कॅबिन का दरवाज़ा खुला ऑर 2 ऑर लोग अंदर आ गये इनको मैं पहले देख चुका था ये लाला ऑर गानी थे जो शीक के होटेल्स ऑर क्लब्स संभालते थे. वो दोनो शायद भाग कर आए थे इसलिए उनकी साँस फूली हुई थी. आते ही वो दोनो मुझे बड़े गौर से देखने लगे ऑर मेरे पास आके मेरे सिर पर लगी बंदूक को झटके से उधर कर दिया ऑर जिसने मेरे सिर पर बंदूक तान रखी थी उसको थप्पड़ मार कर गालियाँ देने लगे....

गानी : भेन्चोद इतना भी नही पता अपने लोगो पर बंदूक नही तानते ये तो अपना भाई है शेरा (मुझे गले लगाते हुए)
लाला : (मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए) ओये तू कहाँ था यारा इतने वक़्त से हम सब ने तुझे कितना ढूँढा. जापानी तो तेरे पिछे पागल सा हुआ पड़ा था शीक साहब भी परेशान हो गये थे हमने तो सोचा तू मर मूक गया होगा.

गानी : क्या हुआ यार तू हम को ऐसे क्यो देख रहा है.

राणा : मैने अपना वादा पूरा किया अब माल मैं रख सकता हूँ.

लाला : ओये तू नही जानता तूने हम को हमारी ताक़त दे दी है जा रख ले शीक साहब का इनाम समझ कर.

गानी : राणा रुक ओये... तूने बताया नही हमारा माल लूटने की हिम्मत किसने की थी.

मैं : मैने....
लाला : ओये तूने.... वही मैं सोच रहा था ये शेर का शिकार कौन खा गया.

मैं : शेर का शिकार सिर्फ़ शेरा ही खा सकता है.

गानी : सच कहा यार तूने....लेकिन यार तू इतने वक़्त तक था कहाँ पर.

राणा : भाई जान इनको पिच्छला कुछ भी याद नही है याददाश्त एक दम सॉफ हो चुकी है.

लाला : तुझे ये मिला कहाँ पर ये बता.

मैं : कुछ महीने पहले मैं एक ग़रीब किसान को मिला था अधमरी ऑर ज़ख्मी हालत मे जिन्होने ना सिर्फ़ मुझे बचाया बल्कि मेरी मरहम पट्टी भी की मगर जब तक मुझे होश आया तो मुझे कुछ भी याद नही था. (मैने उनको वही बताया जो ख़ान ने मुझे कहने को बोला था)

गानी : यार कहाँ रहता है वो ग़रीब किसान हम को बता उसका घर भर देंगे नोटो से जिसने हमारे यार हम को लौटा दिया उसकी 7 पुश्तो को काम नही करना पड़ेगा.

राणा : वो अब इस दुनिया मे नही रहे भाई जान. इसलिए ये शहर आए थे काम की तलाश मे मेरे एक आदमी ने इनको पहचान लिया तो हमने इनको अपने साथ काम पर लगा लिया.

लाला : (राणा को धक्का देते हुए) ओये भेन्चोद तुउउउ काम देगा शेरा को... साले औकात क्या है तेरी... 2 टके का डीलर है. गानी ठोक दे इस मदर्चोद को.

राणा : (लाला के पैर पकड़ते हुए) माफी भाई जान मैं तो बस इनको आप तक ही पहुँचाना चाहता था ऑर कुछ नही.

गानी : तेरा मकसद नेक़ था लेकिन तूने हमारा माल लूटने की ऑर हमारे आदमी मरवाने की ग़लती कैसे की इसको तो कुछ याद नही है लेकिन तू तो सब जानता था ना.

लाला : (मुझे कॅबिन से बाहर लेके जाते हुए) चल आ भाई तुझे तेरी असल जगह दिखाऊ इसको गानी संभाल लेगा.

मैं : पहले इसको जाने दो इसने कुछ नही किया उन लोगो को मैने मारा था.

गानी : ठीक है भाई तू कहता है तो माफ़ किया (राणा को लात मारते हुए) चल भाग जा भोसड़ी के ऑर दुबारा नज़र मत आना मुझे... इस बार तू शेरा की वजह से बच गया अगली बार हमारे माल पर हाथ डालने के बारे मे सोचा भी याद रखना जो बक्ष्णा जानते हैं वो जान लेना भी जानते हैं.

राणा : (मेरे पैर पकड़ते हुए) आपका बहुत-बहुत शुक्रिया शेरा भाई.

मैं : चल जा यहाँ से.

लाला : यार गानी तू शेरा को लेके चल मैं ये खुश खबरी अभी सबको देके आता हूँ.

उसके बाद मैं ओर गानी कॅबिन के बाहर क्लब मे उपर आ गये. जहाँ एक काँच के ग्लास से नीचे का तमाम नज़ारा दिखाई दे रहा था. मैं उस काँच के पास खड़ा होके नीचे नाचते लड़के-लड़कियो को देखने लगा जो म्यूज़िक की रिदम पर थिरक रहे थे.

गानी : (शराब का ग्लास मेरी तरफ करते हुए) ये ले भाई तेरे मिलने की खुशी मे

मैं : नही शुक्रिया मैं पीता नही हूँ.

गानी : (हैरान होते हुए) ओये मेरे दारू के टॅंकर तेरी तबीयत तो ठीक है तू तो कूरली भी दारू से करता था तुझे क्या हो गया यार.

मैं : मुझे कुछ याद नही है ऑर मैं जब से ठीक हुआ हूँ तब से मैने दारू को हाथ तक नही लगाया इसको पीना तो दूर की बात है.

गानी : ठीक है भाई तेरी मर्ज़ी.... वैसे क्या देख रहा है नीचे.... कोई पाटोला (सुंदर लड़की) पसंद आया है तो बता उठा लेते हैं साली को.... (मेरे कंधे पर हाथ मारकर हँसते हुए)

मैं : नही यार मैं तो ऐसे ही देख रहा था (मुस्कुराते हुए)

तभी लाला भी वहाँ आ गया.

लाला : बता मेरे यार क्या सेवा करे तेरी... ओये तेरा हाथ अभी तक खाली है यार गानी दारू दे भाई को.... इतनी मुद्दत बाद अपने ग़रीब खाने मे आया है शेरा.

गानी : (ना मे सिर हिलाते हुए) साहब ने छोड़ दी है यार

लाला : हैंन्न्न्..... ओये साची... ज़रा मुँह इधर करना शेरा...हाहहहहाहा

मैं : हाँ मैं दारू नही पीता

लाला : भाई शेर खून ना पीए तो हम मान सकते हैं लेकिन शेरा दारू ना पिए ये बात तो हमारी भी समझ से बाहर है... क्या यार उस बूढ़े ने हमारे यार का बेड़ा-गर्क कर दिया है.

मैं : दुबारा उस बुजुर्ग के लिए कभी ग़लत लफ्ज़ मत निकालना.... उस इंसान ने मुझे नयी जिंदगी दी है समझे...

गानी : अर्रे यार गुस्सा क्यो होता है भाई लाला तो मज़ाक कर रहा था चल अब नही बोलेगा जाने दे... माफ़ कर दे यार.

लाला : (कान पकड़ कर उठक-बैठक निकालते हुए ) लेह भाई बसस्सस्स

तभी एक आदमी वहाँ आया ऑर उसने गानी के कान मे कुछ कहा ओर चला गया.

गानी : यार शेरा तुझे जापानी ऑर सूमा बुला रहे हैं.

मैं : कहाँ पर...

गानी : वही.... यार तेरी पुरानी मान-पसंद जगह पर ऑर कहाँ....

लाला : तू भी ना गानी यार उसको कुछ याद नही है ऑर तू लगा है अपनी चावल मारने. (मेरी बाजू पकड़ते हुए) चल भाई मैं तुझे लेके चलता हूँ.

मैं : ठीक है चलो लेकिन यार मेरी गन तो वापिस कर दो तुम्हारे आदमियो ने तलाशी लेते हुए निकाल ली थी. (हँसते हुए)

गानी : अर्रे यार इतनी सी बात ये ले तू मेरा घोड़ा (गन) रख ले मैने कल ही नया खरीदा है अगर पता होता तू आ रहा है तो तेरे लिए भी एक ऐसी मंगवा लेता.

मैं : नही यार तूने अपने लिए मँगवाई है तो मैं ये नही ले सकता इसको तू ही रख.

गानी : अर्रे यार क्या लड़की जैसे नाटक कर रहा है ये ले रख चला के देखना एक दम माखन है माखन रेपिड फाइयर है
जर्मन ऑटोमॅटिक 12 राउंड है जब तक सामने वाले की एक गोली निकलेगी तेरी 6 गोलियाँ निकल चुकी होंगी.... ये ले रख (ज़बरदस्ती मेरी बेल्ट मे फसाते हुए)

मैं : शुक्रिया गानी भाई....

गानी : ओये ये शरीफो के चोंचले कहाँ से सीख कर आया है यार चल इधर आ यारो को शुकरिया ऐसे बोलते हैं... (मुझे गले लगाते हुए)

लाला : अगर तुम्हारा लैला मजनू का रोमॅन्स ख़तम हो गया हो तो हम लोग चलें.

मैं : हाँ...हाँ...चलो....
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07-30-2019, 01:24 PM,
#44
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-42

उसके बाद मैं ऑर लाला दोनो कार मे बैठ कर निकल पड़े. कुछ ही देर मे लाला मुझे आबादी से निकाल कर ऐसी जगह ले गया जहाँ ना तो कोई ऊँची बिल्डिंग थी ना हो कोई चका-चोंध थी. रास्ता एक दम सुनसान था अंधेरी रात अपने पूरे शबाब पर थी. सिर्फ़ हेड लाइट ही थी जिसकी रोशनी से हमे सामने का नज़र आ रहा था वरना आस-पास कही कोई आबादी नही थी इसलिए मुझसे रहा नही गया ऑर मैने पूछ लिया...

मैं : लाला हम कहाँ जा रहे हैं?

लाला : भाई तुमको बताया तो था कि जापानी ऑर सूमा भी तुझसे मिलना चाहते हैं.

मैं : ऑर कितना दूर है....

लाला : बस 15 मिंट आँख बंद करके बैठ ऑर समझ पहुँच ही गये (गाड़ी की स्पीड बढ़ाते हुए)

कुछ ही देर मे गाड़ी अपनी फुल स्पीड पर थी ऐसा लग रहा था जैसे गाड़ी दौड़ नही रही बल्कि उड़ रही है लाला एक दम मेरे जैसे गाड़ी चला रहा था. शायद इसलिए मुझे भी ऐसी तेज़ गाड़ी चलाने की आदत थी. लाला ने 15 मिंट से भी कम वक़्त मे एक बस्ती मे गाड़ी को घुसा दिया जहाँ गलियाँ बेहद तंग थी लोग सड़को पर ही बैठ कर अपना समान बेच रहे थे लाला को ऑर मुझे देख कर सब लोग हैरान हो रहे थे ऑर हाथ उठा कर मुझे सलाम कर रहे थे मुझे बार-बार सबके सलाम का जवाब देना पड़ रहा था इसलिए जब तक गाड़ी उस गली से गुज़रती रही मैने अपना हाथ हवा मे उठा कर ही रखा. कुछ ही देर मे एक ऐसी जगह लाला ने गाड़ी रोक दी जो बाहर से देखने मे किसी गॉडाउन जैसा लग रहा था लेकिन अंदर से बहुत शोर आ रहा था. मैं बड़े गौर से उस जगह को देखने लगा मुझे जाने क्यो वो जगह मुझे जानी-पहचानी सी लग रही थी.

मैं : लाला ये कौनसी जगह है...

लाला : चल भाई तुझे मर्दो वाला खेल दिखाता हूँ (कार रोकते हुए)

मैं : (कार का गेट खोलते हुए) चल....

उसके बाद मैं ऑर लाला उस जगह के अंदर चले गये वहाँ बहुत ज़्यादा भीढ़ थी यहाँ तक कि सही से खड़े होने की भी जगह नही थी लोग एक दूसरे पर चढ़ रहे थे इतना बूरा हाल था तभी लाला ने अपनी जेब से फोन निकाला ऑर किसी को फोन किया....

लाला : हल्लो....भेन्चोद बुलाने से पहले ये तो बता देता कि यहाँ दबा के मारना है हम को....

लाला : हाँ साथ ही आया है...यार कहाँ से आएँ यहाँ पैर रखने की जगह नही है....

लाला : साला इसी लिए मैं यहाँ आता नही हूँ....
लाला : अच्छा ठीक है....
लाला : ओके भाई 5 मिंट मे मिलते हैं बस

उसके बाद उसने फोन काट दिया.....

लाला : चल भाई शेरा इसके बीच मे से ही निकलना पड़ेगा.... जानता है तेरी ऑर जापानी की ये मनपसंद जगह है तुम दोनो सारा दिन यही पड़े रहते थे.... (हँसते हुए) यार तू यहाँ सारा दिन रहता कैसे था मुझे तो ये समझ नही आ रहा ये भीढ़ मे निकलते हुए मेरी तो जान निकल जाएगी तू पता नही कैसे जाता था.

लाला की ये बात सुनकर जाने मुझे ऐसा क्यो लगा कि मैं पहले भी हवा मे फाइयर निकाल कर रास्ता सॉफ कर चुका हूँ इसलिए मैने फॉरन लाला से कह दिया...

मैं : तू बोले तो रास्ता मैं सॉफ करूँ....

लाला : (हैरान होते हुए) कैसे....

मैं : (अपनी गन निकालते हुए) तू बस देखता जा...

मैं उस गेट के सामने जाके खड़ा हो गया ऑर सब लोग शोर मचा रहे थे कोई जाने का रास्ता नही दे रहा था मैने 2-3 बार आवाज़ लगाई लेकिन कोई नही सुना इसलिए मैने गन को हवा मे उपर उठाया ऑर एक फाइयर निकाल दिया. सबकी नज़र पिछे मेरी तरफ देखने लगी ऑर मुझे देखते ही सब ने हाथ उठा कर शेरा.... शेरा.... शेरा.... करने लगे ऑर मेरे लिए रास्ता छोड़ दिया मैने पलटकर लाला की तरफ देखा ऑर बस मुस्कुरा दिया. जवाब मे वो भी मुझे देख कर मुस्कुराया ऑर मेरे कंधे पर थपकी मारते हुए मुझे शाबाशी देने लगा. उसके बाद मैने जैसे ही चलना शुरू किया वहाँ पर कुछ लोगो ने हवा मे अपनी बंदूके तान ली ऑर गोलियाँ चलानी शुरू कर दी साथ सारी भीढ़ मेरे नाम का नारा बुलंद करने लगी. मैं ऑर लाला जब आगे गये तो सामने मुझे एक बड़ा सा पिंजरा नज़र आया जिसमे 2 लोग आपस मे लड़ रहे थे. आगे जाते ही मेरे ऑर लाला के लिए वहाँ बैठे लोगो ने कुर्सियाँ खाली करदी ऑर सब लोग वहाँ मेरा हाल-चाल पुछ्ने लगे हम दोनो वहाँ कुर्सी पर बैठ कर उन दोनो लड़ने वाले आदमियो का मॅच देखने लगे. जाने क्यो मुझे यहाँ आके एक अजीब सी खुशी हो रही थी जैसे मुझे गाँव जाते खुशी होती थी मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने घर ही आ गया हूँ.

मैं कुर्सी पर आराम से बैठा था कि इतने मे एक घंटी की टॅनन्न्न की आवाज़ से फाइट शुरू हो गई. सब लोगो ने दोनो फाइटर्स पर अपना दाव लगाना शुरू कर दिया. मैं बड़े गौर से दोनो फाइटर्स को देख रहा था जो घंटी की आवाज़ से ही एक दूसरे पर टूट पड़े थे ऑर लड़ना शुरू हो गये थे. कुछ देर फाइट ऐसे ही चलती रही तभी फाइट के बीच मे पिछे से मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा. मैने पलट कर देखा तो ये जापानी था जैसा की मुझे ख़ान ने बताया था की इश्स पुर गांग मे यही मेरा सबसे जिगरी दोस्त था. मैं उसको देखते ही फॉरन अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया ऑर उसको मुस्कुरा कर देखने लगा. वो बिना कुछ बोले मुझे गौर से देख रहा था वो मुझे देखकर रो भी रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था ऑर फिर उसने मुझे अपनी तरफ खींच कर गले से लगा लिया.

जापानी : (रोते हुए ओर मुस्कुरकर) भाई तू कहाँ चला गया था यार तुझे कितना ढूँढा मैने.

मैं : बस यार क्या बताऊ जाने दे बहुत लंबी कहानी है फिर कभी बताउन्गा.

जापानी : शेरा तू यहाँ क्यो बैठा है चल उपर आजा अपने ऑफीस मे वहाँ से फाइट देखेंगे.
मैं : (लाला को देखते हुए) चल लाला चलते हैं.

उसके बाद हम तीनो वहाँ से उठे ऑर सीढ़िया चढ़ते हुए एक आलीशान से कमरे मे आ गये जिसकी सामने की पूरी दीवार किसी काँच के ग्लास की बनी थी जिससे हम आर-पार देख सकते थे मैं कॅबिन मे घुसते ही ग्लास के पास जाके खड़ा हो गया ऑर नीचे हो रही फाइट देखने लगा. उपर से नीचे का नज़ारा ऑर भी शानदार दिखाई दे रहा था. तभी मुझे जापानी की आवाज़ आई.

जापानी : शेरा भाई यहाँ क्यो खड़ा है ये ले ये टी.वी मे लाइव फाइट देख ले. (बड़ा सा टीवी ऑन करते हुए)
मैं : (पलटकर टीवी मे देखते हुए) ये तो ऑर भी सॉफ नज़र आ रहा है.
जापानी : भाई अब तू बैठ कर फाइट देख मैं थोड़ा काम कर लूँ (परेशान होते हुए)

उसके बाद वो लोग बैठकर बाते करने लगे ऑर मैं बैठा आराम से टीवी मे फाइट देखने लगा. फाइट ख़तम होते ही कुछ लोग जापानी के कॅबिन मे आ गये ऑर आते ही 1 आदमी ने ज़ोर-ज़ोर से हँसना शुरू कर दिया. मैने नोट किया कि उन लोगो के आने से जापानी कुछ ऑर ज़्यादा परेशान हो गया था.

उनमे से एक आदमी जापानी से : जापानी भाई तेरा फाइटर आज फिर से हार रहा है.
जापानी : छोड़ ना यार साली तक़दीर ही खराब है (कुछ काग़ज़ के टुकड़ो को फाड़ते हुए)
मैं : क्या हुआ जापानी परेशान लग रहा है भाई
जापानी : कुछ नही यार ये तो चलता रहता है तू आराम से फाइट देख मैं थोड़ी देर मे आता हूँ लाला इसका ख्याल रखना.
लाला : (हाथ हिलाते हुए ) ओके....
मैं : क्या हुआ लाला ये परेशान क्यो लग रहा था सब ठीक तो है.
लाला : कुछ नही यार इसने अपना बेड़ा-गर्क खुद किया है कितनी बार बोला है कि ये फाइट क्लब इसके बस का नही है. इस धंधे को छोड़कर मेरे साथ क्लब मे आ जाए लेकिन ये मानता ही नही.

मैं : ये बता समस्या क्या है.

लाला : होना क्या है यार अभी जो लोग आए थे ना उनके साथ इसकी बेट्टिंग चलती है करोड़ो रूपिया दाव पर लगता है ऑर हर बार इसका फाइटर हार जाता है जापानी इस वक़्त काफ़ी लॉस मे चल रहा है अब अगले हफ्ते बाबा को हिसाब देना है बस इसलिए ये परेशान है.
मैं : क्या हम जापानी की मदद नही कर सकते.
लाला : (अपनी कुर्सी मेरे पास करते हुए) मेरी जान अभी तो तू आया है इतनी जल्दी ये सब पंगे मे मत पड़ तू बस ऐश कर यार.
मैं : लेकिन यार जब मैं था तब भी क्या ये फाइट क्लब ऐसे ही लॉस मे चलता था?
लाला : नही यार जब तू था.... तब तो यही बाबा का टॉप बिज़्नेस होता था उस वक़्त यहाँ सब अच्छा था लेकिन आज तेरे ही बनाए हुए सब फाइटर शम्मी के लिए काम करते हैं ऑर उसकी तरफ से फाइट करते हैं. इसलिए तो जापानी के पास लड़ने के लिए स्ट्रॉंग फाइटर नही है.
मैं : ये शम्मी कौन है.
लाला : वही बंदा जो अभी हँस रहा था पागलो की तरह.
मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है... अच्छा मुझे फाइट के रूल्स बता मेरे पास एक फाइटर है.
लाला : (ज़ोर से हँसते हुए) रूल्स कौन्से यार.... कोई रूल नही है जब तक सामने वाला फाइटर अपने पैरो पर खड़ा होने लायक है तब तक फाइट चलती रहती है.
मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) समझ गया... एक काम कर शम्मी को बोल एक ऑर फाइट रख ले ऑर यहाँ के फेव फाइटर को बुला ले जो भी उसके पास है.
लाला : (हैरानी से मुझे देखते हुए) भाई तू क्या करने वाला है.
मैं : हिसाब बराबर करने का वक़्त आ गया है.
लाला : (परेशान होते हुए ऑर साथ ही फोन उठा कर किसी को फोन लगाते हुए ) जल्दी उपर आ यार शेरा का कुछ समस्या है...

उसके बाद कुछ देर कॅबिन मे खामोशी छाई रही ऑर थोड़ी देर मे जापानी उपर आ गया.

जापानी : हाँ क्या हुआ
लाला : शेरा भाई जान कुछ फर्मा रहे हैं.
जापानी : (सवालिया नज़रों से मुझे देखते हुए ) क्या बात है शेरा....

मैं : शम्मी को बोल अपने बेस्ट फाइटर को लेके आए आज यहाँ फिर से फाइट होगी.
जापानी : नही यार आगे ही बहुत पैसा हार चुका हूँ बाबा मेरी जान ले लेंगे अगर उनको पता चल गया तो....
मैं : मुझे पर ऐतबार है तो फाइट रख ले तुझे हारने नही दूँगा
जापानी : तुझ पर तो जान से ज़्यादा ऐतबार है यार लेकिन ये तो बता फाइटर कौन है.
मैं : रिंग मे देख लेना... अभी जितना बोला है उतना कर.

उसके बाद जापानी कुछ देर मेरे सामने खामोश खड़ा कुछ सोचता रहा ऑर फिर बिना कुछ बोले वापिस नीचे चला गया ऑर कुछ देर बाद उसके साथ शमी ऑर उसके आदमियो के साथ दुबारा उपर आ गया.

शमी : (मुझसे हाथ मिलाते हुए) क्या हाल है शेरा भाई आपका नाम बहुत सुना था दर्शन पहली बार हुए हैं.

मैं : जनाब आज की एक फाइट ऑर रख लेते हैं

शमी : आपका हुकुम सिर आँखो पर लेकिन बाबा का हुकुम है कि यहाँ हफ्ते मे एक ही फाइट होगी दूसरी फाइट की इजाज़त नही है मुझे बाबा से पुछ्ना पड़ेगा.

मैं : बाबा से पुच्छने की ज़रूरत नही है जब मैं कह रहा हूँ तो गारंटी भी मेरी है.

शमी : वो तो ठीक है लेकिन दाव पर क्या लगाओगे आप लोगो का आज का कलेक्षन तो जापानी हार चुका है (मुस्कुराते हुए)

मैं : अगर मैं हार गया तो मैं सामने बैठा हूँ तुम्हारे जो चाहे कर सकते हो लेकिन अगर जीत गया तो मेरे जीतने के बाद तुमने जो भी जापानी से जीता है सब वापिस करना पड़ेगा.

शम्मी : (हँसते हुए) मैं इतना चूतिया लगता हूँ क्या जो एक जान का सौदा करोड़ो मे करूँगा.

जापानी : (बीच मे बोलते हुए) अगर हम ये फाइट हार गये तो हमारा फाइट क्लब आपका.

शम्मी : ये हुई ना मर्दो वाली बात मुझे मंज़ूर है

लाला : घंटा मंज़ूर है.... तुम दोनो पागल तो नही हो गये हो इतना बड़ा दाँव खेल रहे हो वो भी बाबा से इजाज़त लिए बगैर.

जापानी : जो होगा मैं देख लूँगा मुझे मेरे यार पर आज भी पूरा ऐतबार है (मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए)

लाला : तुम दोनो पागल हो गये हो जापानी यार एक बार फिर सोच ले बहुत लफडा हो जाएगा.

मैं : कुछ नही होगा यार भरोसा कर मुझ पर

लाला : (सिर झटकते हुए) तुम जो मर्ज़ी करो लेकिन याद रखना कुछ पंगा हुआ तो बाबा को जवाब तुम दोनो दोगे मैने बोल देना है कि मैने मना किया था तुम दोनो को.

जापानी : ठीक है.... जो होगा देखा जाएगा (मुस्कुराते हुए)

शमी : ठीक है फिर स्पेशल फाइट है तो स्पेशल रिंग भी होना चाहिए क्या कहते हो...

जापानी : स्पेशल रिंग ही होगा शम्मी भाई (मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए)

उसके बाद शम्मी वहाँ से चला गया ऑर मैं ऑर जापानी नीचे रिंग मे चले गये जहाँ हमने एक स्पेशल फाइट अनाउन्स कर दी. जिसके जवाब मे वहाँ के लोगो ने शोर मचा कर अपनी खुशी का इज़हार किया. उसके बाद जापानी अपने लोगो को कुछ समझाने चला गया ऑर मैं वापिस उपर कॅबिन मे आके बैठ गया. आते ही लाला फिर से मेरे पास आ गया ऑर मुझे समझाने मे लग गया.

लाला : यार एक बार फिर सोच लो तुम बहुत जल्दबाज़ी कर रहे हो कुछ समस्या ना हो जाए.

मैं : कुछ नही होगा यार फिकर मत कर.

लाला : लेकिन तुम जिस फाइटर पर इतना बड़ा दाँव खेल रहे हो वो फाइटर हैं कौन मिलवा तो दे यार.

मैं : (मुस्कुरकर ) ले मिल ले फिर... फाइटर तेरे सामने बैठा है.

लाला : (हड-बडाकर खड़ा होते हुए) शेरा तेरा दिमाग़ तो ठीक है यार तू अभी इतनी बड़ी बीमारी से वापिस आया है.... नही...नही.... यार तू रहने दे तू इन फाइटर्स का मुक़ाबला नही कर पाएगा ऑर वैसे भी जापानी भी तुझे लड़ने की इजाज़त नही देगा.

मैं : तू फिकर मत कर कुछ नही होगा यार मैं हूँ ना सब संभाल लूँगा ऑर अपने यार को इतना कमज़ोर मत समझ....
अपन ही जीतेंगे.... आज साला चंगेज़ ख़ान भी क्यो ना आ जाए साला अपने पैरो पर चलकर नही जाएगा.

लाला : देख यार तू हमारा यार है इसलिए रोक रहे हैं हमारा काम पैसा लगाना है यार खुद रिंग मे उतरकर लड़ना नही है.

मैं : क्या मैने पहले कभी फाइट नही की इस रिंग मे?

लाला : की है यार बहुत फाइट की है ऑर आज तक तू कभी हारा भी नही लेकिन पहले ऑर अब मे बहुत फरक है यार अब तो तुझे कुछ याद भी नही है तू कैसे लड़ेगा उसके फाइटर के साथ.

मैं : (कुछ सोचते हुए) अभी फाइट मे बहुत वक़्त है.... एक काम कर अगर मेरी पुरानी फाइट की कोई वीडियो पड़ी है तो लेके आ मैं देखना चाहता हूँ.

लाला : अच्छा अभी लाता हूँ
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07-30-2019, 01:24 PM,
#45
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-43

उसके बाद मैं अकेला कॅबिन मे बैठा था इसलिए वापिस शीशे के पास आके नीचे देखने लगा जहाँ जापानी के तमाम लोग लगे हुए थे नया रिंग तेयार करने मे. मैं बस यही सोच रहा था कि मैने लड़ने के लिए हाँ तो बोल दिया है लेकिन क्या मैं लड़ भी सकता हूँ या नही. अंदर से मुझे भी डर लग रहा था लेकिन इन लोगो के दिल मे जगह बनाने का मेरे पास इससे अच्छा मोक़ा नही था इसलिए मैने लड़ाई के लिए हाँ बोल दिया था. कुछ ही देर बाद लाला वापिस आया उसके हाथ मे एक बड़ा सा कार्टून था जिसमे बहुत सी सी.डी पड़ी थी.

लाला : ले भाई तेरा काम कर दिया है आज तक तूने जितनी भी फाइट लड़ी है उन सब की वीडियो फुटेज इसमे मोजूद है आराम से बैठ कर देखता रह.

मैं : ठीक है

लाला : ऑर कुछ चाहिए....
मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) शुक्रिया.

उसके बाद मैं वो कार्टून मे से वीडियो सीडी निकाल कर प्लेयर मे लगाने लगा ओर अपनी पुरानी जिंदगी को याद करने की कोशिश करने लगा. लेकिन अफ़सोस मुझे कुछ भी याद नही आ रहा था इसलिए मैं बस अपने दाव-पेच ही गौर से देखने लगा जो शायद मेरी फाइट मे काम आ सकते थे मुझे नही पता था कि ये दाव- पेच मेरे किसी काम भी आ सकते हैं या नही लेकिन फिर भी मैं इस फाइट को जीतने के लिए सब को बड़े गौर से देख रहा था. उसके बाद फाइट शुरू होने का वक़्त आ गया नीचे लोगो की भीढ़ भी बढ़ने लगी थी ऑर सब तेयारियाँ भी मुकम्मल हो चुकी थी रिंग भी तेयार था ऑर शम्मी का फाइटर ऑर शम्मी भी नीचे आ चुके थे. लेकिन मैं अभी तक उन्ही वीडियो फुटेज को ही देख रहा था तभी लाला कॅबिन मे आ गया.

लाला : भाई सब कुछ रेडी है.

मैं : हाँ चलो मैं भी रेडी हूँ.

लाला : यार एक बात फिर सोच ले तुझे ये फाइट लड़ने की कोई ज़रूरत नही है

मैं : ज़रूरत है लाला अपने लिए नही अपने यारो के लिए आज शेरा लड़ेगा ऑर ना सिर्फ़ लड़ेगा बल्कि जीतेगा भी.

लाला : (मुझे गले लगाते हुए) कौन बोलता है तू पहले जैसा नही रहा.

उसके बाद मैने अपनी शर्ट उतार दी ऑर सिर्फ़ जीन्स पेंट पहना हुआ सीढ़ियो से नीचे उतर गया तब तक शमी का फाइटर भी रिंग मे आ चुका था जो इस रिंग का अब फेव. बन चुका था ऑर एक भी फाइट नही हारा था. मेरे नीचे उतरते ही रेफ़री ने मेरा नाम पुकारा जिस पर सब लोग ने हाथ हवा मे उठा कर मेरे नाम का नारा बुलंद कर दिया. लाला मेरे पिछे मेरा नाम पुकारते हुए आ रहा था लेकिन मुझे जापानी कहीं भी नज़र नही आ रहा था मेरी नज़रे चारो तरफ जापानी को ढूँढ रही थी इसलिए मैने लाला को इशारे से जापानी के बारे मे पूछा तो उसने रिंग के अंदर इशारा किया. उसके बाद मैं बिना कोई जवाब दिए रिंग की तरफ बढ़ गया जहाँ शमी ऑर शमी का फाइटर मोजूद थे. मेरे रिंग के पास आते ही जापानी मेरे पास आके खड़ा हो गया ऑर मेरा एक हाथ पकड़ कर हवा मे उपर उठा दिया....

जापानी : भाई आज दिखा दे पुराना शेरा....

मैं : (मुस्कुरा कर जापानी को गले लगाते हुए) कोशिश करूँगा...

उसके बाद मैं रिंग के अंदर चला गया जहाँ शमी का फाइटर मेरे सामने आके खड़ा हो गया वो क़द मे ऑर शरीर मे मुझसे लग-भग दोगुना था लेकिन फिर भी वहाँ पर मोजूद तमाम लोग शेरा...शेरा....शेरा..... नाम पुकार रहे थे जिससे मुझे बहुत होसला मिल रहा था.

फाइटर : शम्मी साहब ये लड़ेगा मेरे साथ.

शमी : हाँ भाई क्या करें कुछ लोगो को शहीद होने का शॉंक होता है.

फाइटर : (हँसते हुए) लोगो ने तुझे शेर बोला ऑर तू आ गया पिंजरे मे मरने के लिए, आज तो इस शेर की भी क़ुर्बानी होगी....

मैं : (हँसते हुए) हाथी कितना भी बड़ा हो जाए शेर का शिकार नही कर सकता मुन्ना ऑर वैसे भी क़ुर्बानी बकरे की दी जाती है शेर की नही शेर अपनी खुराक खुद ढूँढ लेता है.

फाइटर : देखते हैं आज कौन किसको खुराक बनाता है तेरे जैसे कितने ही आए ऑर धुंल चाट कर चले भी गये. लेकिन मैं वही का वही खड़ा हूँ.

मैं : तू खड़ा है क्योंकि तेरा शेरा से सामना नही हुआ था आज तेरा ये खड़े रहने का वेहम भी दूर हो जाएगा क्योंकि फाइट के बाद तू खड़ा होना तो दूर की बात है कीड़े की तरह रेंगने लायक भी नही बचेगा.

उसके बाद शम्मी ऑर जापानी रिंग से बाहर चले गये ऑर रेफरी हम दोनो का नाम एलान करने के बाद वो भी रिंग से बाहर चला गया. अब रिंग का दरवाज़ा बाहर से बंद हो गया था ऑर मैं घंटी बजने का इंतज़ार करने लगा तभी उपर से पानी बरसने लगा जैसे बारीष हो रही हो. मैने सिर उठा कर उपर देखा तो उपर बहुत सारे फुव्वारे लगे हुए थे जिनसे बारीष जैसे पानी निकल रहा था कुछ ही देर मे रिंग की ज़मीन पूरी तरह गीली हो गई. अब मैं ऑर वो फाइटर दोनो रिंग के अलग-अलग कौने मे खड़े थे. तभी घंटी की टॅन से आवाज़ हुई ऑर वो फाइटर मेरी तरफ भागा ऑर जंप लगाके मेरे उपर कूद पड़ा. उससे बचने के लिए मैने अपनी करवट बदल ली जिससे वो जाके लोहे की जाली से टकरा गया. मैने जल्दी से पलटकर एक टाँग हवा मे उठाई ऑर उसकी पीठ मे मार दी. जब मैं दुबारा उसको टाँग मारने लगा तो वो पलट गया ऑर उसने मेरी टाँग पकड़ ली इससे पहले कि वो कुछ कर पाता मैने अपनी बॉडी का सारा वेट उसी पकड़ी हुई टाँग पर डाल दिया ऑर उसके हाथ पर खड़ा होके उपर को उछल गया साथ ही अपना घुटना उसके मुँह पर मारा जिससे उसकी नाक से खून निकलने लगा. अब मैं उससे कुछ दूर खड़ा था ऑर उसके अगले हमले का इंतज़ार कर रहा था. वो अपने हाथ से अपना नाक सॉफ करते हुए फिर से मेरी तरफ गुस्से से बढ़ने लगा. मैने गीली ज़मीन का फ़ायदा उठाया ऑर जल्दी से नीचे ज़मीन पर फिसल गया जिससे मेरी दोनो टांगे उसकी टाँगो के सामने आ गई मैने अपनी एक टाँग उसके घुटने के जोड़ पर ज़ोर से मारी जिससे वो खुद को संभाल नही पाया ऑर मेरे उपर ही गिर गया. मेरे उपर गिरते ही उसने मेरा गला पकड़ लिया ऑर मेरा गला दबाने लगा. मैने काफ़ी कोशिश की लेकिन उसके हाथ की पकड़ काफ़ी मज़बूत थी. उसके गला दबाने से नीचे पड़े पानी से मुझे साँस लेने मे तक़लीफ़ हो रही थी. मैने जल्दी से अपने दोनो हाथ उसके मुँह पर रखे ऑर अपने हाथ की 2 उंगालिया उसकी आँखों पर मार दी जिससे कुछ पल के लिए उससे दिखना बंद हो गया मेरे लिए इतना वक़्त काफ़ी था मैने जल्दी से उसको पलट दिया ऑर खुद उसके उपर आ गया था अब मैने उसकी एक हाथ से गर्दन पकड़ी ऑर दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर मुक्के मारने लगा लेकिन शायद मेरे मुक्को से उसके चेहरे पर कुछ खास असर नही हो रहा था इसलिए मैने अपनी कोहनी को उसके सिर मे ज़ोर से मारा जिससे उसके सिर से खून निकलने लगा.

मुझे मेरा ये दाव काम का लगा इसलिए मैने बार-बार अपनी कोहनी उसके सिर मे मारनी शुरू करदी. 5-6 बार सिर मे चोट खाने के बाद उसने अपनी दोनो बाजू उपर कर लिए ऑर अपना सिर बचा लिया अब मैने अपनी जगह बदली ऑर उसका पैर पकड़ लिया ऑर उल्टी डाइरेक्षन मे घुमाने लगा जिससे शायद उसको इंतेहा दर्द हुआ था इसलिए उसने अपना दूसरा पैर ज़ोर से मेरे पेट मे मारा ऑर मैं दूर जाके गिर गया. मैं फिर से खड़ा हो गया ऑर उसके खड़े होने का इंतज़ार करने लगा इस बार उसने कुछ वक़्त लिया खड़ा होने मे ऑर लोहे की जाली को पकड़ कर वो फिर से खड़ा हो गया मैं अब उससे काफ़ी फ़ासले पर था मैं अब सोच रहा था कि इसको कैसे दुबारा गिराऊ तभी मुझे वीडियो फुटेज का एक मूव याद आया जो मैने काफ़ी वीडियो मे इस्तेमाल किया था मैं दूर जाके खड़ा हो गया ऑर किसी जानवर की तरह अपने दोनो हाथो पर ऑर घुटनो पर बैठ गया वो पूरे गुस्से के साथ मेरी तरफ बढ़ने लगा. वो जैसे ही मेरी तरफ भागा मैं भी नीचे झुक कर भागने लगा ऑर हवा मे उच्छल कर किसी मेंढक की तरह उस पर कूद पड़ा मेरा कंधा उसके पेट मे लगा जिससे वो वही ज़मीन पर गिर गया. अब मैं उसको उठने नही देना चाहता था इसलिए जल्दी से उसके पास गया ऑर उसका सिर अपनी दोनो टाँगो मे दबा कर ज़ोर से खींच दिया इससे डेथ लॉक कहा जाता है. वो कुछ देर अपने हाथ-पैर हिलाता रहा लेकिन अब उसकी साँस टूटने लगी थी मैने जब देखा कि वो एक दम बेजान सा होने लगा है तो मैने अपनी पकड़ से उसको आज़ाद कर दिया. इस बार वो खड़ा नही हो सकता था काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद भी जब वो खड़ा नही हुआ तो रिंग का गेट खुल गया ऑर जापानी ऑर लाला रिंग मे आ गये ऑर मुझे अपने कंधो पर उठा लिया. वो दोनो मेरे जीतने से बहुत खुश थे ऑर बाहर लोगो की भीढ़ सिर्फ़ मेरा ही नाम पुकार रही थी. तभी रिंग मे शम्मी आ गया...

शम्मी : (फीकी हँसी के साथ) मुबारक हो शेरा भाई

जापानी : अब बोलो शम्मी भाई क्या कहते हो... अफ़सोस !!! आपका पैसा ऑर आपका फाइटर दोनो काम से गये. अब अपना अगला पिच्छला सब हिसाब बराबर.

शमी : (अपने माथे से पसीना सॉफ करते हुए) ठीक है....

उसके बाद शम्मी अपने ज़मीन पर पड़े फाइटर को एक लात मार कर रिंग से चला गया ऑर मेरे दोस्त मेरे आने की ऑर जीतने की खुशी मे लग गये. फिर जैसे ही मैं रिंग से बाहर आया तो वहाँ पर खड़े लोगो ने मुझे उपर उठा दिया ऑर पूरे फाइट क्लब मे मेरा नाम पुकारा जाने लगा. कुछ देर मैं ऐसे ही उन लोगो के साथ अपनी खुशी मनाता रहा फिर उपर से मुझे लाला ने इशारा किया ऑर उपर आने को कहा तो मैं वहाँ के लोगो का शुक्रिया अदा करके वापिस उपर आ गया.

लाला : आजा मेरे शेर आज तो तूने कमाल कर दिया यार तू नही जानता तूने शम्मी को कितना बड़ा लॉस दिया है.

मैं : मैने ये फाइट लॉस या प्रॉफिट के लिए नही दोस्ती के लिए की थी.

जापानी : (ग्लास मे शराब डालते हुए) जानता हूँ यार लेकिन कुछ भी बोल साले शम्मी की शक़ल देखने वाली थी ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी इज़्ज़त लूट ली हो...

मैं : चल अब जो होना था हो गया कल से तू यहाँ नये लड़के बुला जिनको मैं फिर से ट्रैनिंग दूँगा.

लाला : लेकिन यार तू कैसे.....

मैं : क्यो मुझे क्या है मैं अगर लड़ सकता हूँ तो लड़ना नही सीखा सकता क्या.

जापानी : वो बात नही है यार लेकिन पहले तू बाबा से इजाज़त ले लेगा तो बेहतर होगा.

मैं : हाँ यार ये बाबा का नाम बहुत सुना है कौन है ये बाबा इनसे कब मिलूँगा मैं.

लाला : शेरा बाबा वो है जिन्होने तेरी मेरी हम सबकी परवरिश की है ये सब कुछ बाबा का ही तो है.

मैं : क्या बाबा जानते हैं मैं वापिस आ गया हूँ.

जापानी : मेरे दोस्त जो भी होता है वो सब कुछ बाबा को पता होता है

मैं : तो मुझे बाबा से भी मिलवओ ना यार

लाला : अभी नही यार कुछ दिन तू हमारे साथ ही रह फिर बाबा से भी मिल लेना क्योंकि अभी बाबा मुल्क़ से बाहर गये हुए हैं.

उसके बाद मैं कुछ दिन वहाँ रहा ऑर सब लोगो के साथ घुलने मिलने की कोशिश करने लगा मैं वहाँ के तमाम लोगो का दिल जीत भी लिया था लेकिन मेरा मकसद यहाँ से इन्फर्मेशन कलेक्ट करना था इसलिए अब मेरा सारा दिन होटेल्स मे ऑर रात फाइट क्लब मे गुज़रने लगी थी. मेरे बहुत कोशिश करने के बाद भी मैं किसी भी तरह की इन्फर्मेशन नही निकाल पा रहा था क्योंकि सब मुझे किसी मेहमान की तरह ट्रीट कर रहे थे वो लोग मुझे अपने जशन मे ऑर पार्टी मे तो शामिल करते थे लेकिन अपने बिज़्नेस की कोई भी बात मेरे सामने नही करते थे. कुछ दिन ऐसे ही गुज़रने के बाद एक दिन मुझे लाला से पता लगा कि छोटे शीक (शीक साहब का बेटा) वापिस आ रहा है ऑर मुझसे मिलना चाहता है. क्योंकि मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही था इसलिए मैं उसे भी अपना दोस्त ऑर हमदर्द ही समझ रहा था यही आगे चलकर मेरी सबसे बड़ी ग़लती साबित हुई.

मैं रोज़ की तरह अपने होटेल के रूम मे तेयार हो रहा था कि किसी ने मेरा रूम नॉक किया जब दरवाज़ा खोला तो मुझे पता चला कि छोटा शीक ने मुझे नीचे लाला के कॅबिन मे बुलाया है. मैं फॉरन तेयार होके नीचे चला गया. नीचे जाते ही 2 गार्ड ने मुझे रोक लिया ऑर मेरी तलाशी लेने लगे. ये दोनो लोग मेरे लिए नये थे क्योंकि लाला के सब आदमियो को मैं जानता था. मेरी तलाशी लेने के बाद उन्होने मेरी गन निकाल ली ऑर मेरे लिए कॅबिन का दरवाज़ा खोल दिया ऑर मैं बिना कुछ बोले चुप-चाप अंदर चला गया. अंदर कुर्सी पर एक आदमी बैठा जिसने टेबल पर अपनी दोनो टांगे रखी हुई थी ऑर उसके पास ही लाला अपने दोनो हाथ बाँधे खड़ा था. सबसे अजीब बात तो ये थी कि आज वहाँ रोज़ की तरह लाला का एक भी आदमी मोजूद नही था सब लोग हाथ मे हथियार पकड़े थे ऑर सब नये चेहरे थे.

छोटा शीक : (अपनी सिग्रेट जलाते हुए) ओह्हुनो.... तो मेरे आदमी सही कह रहे थे शेरा सच मे वापिस आ गया है भाई वाहह.

मैं : (अदब से सलाम करते हुए) जी... आपने मुझे याद किया था.

छोटा : अर्रे ये सलाम करना कब से सीख लिया अपन तो पुराने दोस्त हैं यार... चलो यहाँ आओ बैठो.

मैं : (कुर्सी पर बैठ ते हुए) जी शुक्रिया....

छोटा : तो तुमको पुराना कुछ भी याद नही है हमम्म.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) जी नही....

छोटा : हम्म.... तो ये बात है.... (अपने आदमियो को इशारा करते हुए)

मैं : (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे ) मुझे कुछ समझ नही आ रहा आपने बस मुझसे यही पुच्छना था.

छोटा : नही यार मैं तो तुम्हारे लिए एक तोहफा लाया था सोचा तुमको पसंद आएगा.

मैं : जी कौनसा तोहफा

छोटा : चलो आओ तुमको तुम्हारा तोहफा दिखाऊ.... (मेरे पास आते हुए) तुम जानना नही चाहोगे तुमको गोली किसने मारी थी.

मैं : (चोन्क्ते हुए) क्या.... आप जानते हैं.... कौन है वो कमीना उस साले को तो मैं ज़िंदा दफ़न कर दूँगा जिसने मेरी ये हालत की है. (गुस्से से)

छोटा : भाई तुम्हारा दुश्मन हमारा दुश्मन.... मेरे आदमी तो उसको वही ठोक देते जहाँ वो हम को मिला था फिर सोचा तुमको पहली बार मिल रहा हूँ ठीक होने के बाद खाली हाथ जाउन्गा तो तुमको अच्छा नही लगेगा इसलिए तुम्हारे लिए इससे आला तोहफा नही हो सकता था इसलिए तुम्हारे लिए बचा के रखा है.

मैं : कौन है वो हरम्खोर क्या नाम है उसका बताओ मुझे शीक साहब आपका अहसानमंद रहेगा ये शेरा.

छोटा : खुद ही चलकर देख लेना.

उसके बाद छोटा शीक,मैं ऑर लाला साथ मे शीक के आदमी नीचे चले गये ऑर फिर हमारे लिए कार्स आ गई मैं, लाला ऑर छोटा शीक एक गाड़ी मे बैठे थे बाकी सब आदमी पिछे दूसरी गाडियो मे आ रहे थे. मेरे बार-बार पुच्छने पर भी छोटा शीक मुझे उस आदमी का नाम नही बता रहा था. इधर मेरे अंदर एक अजीब सा तूफान जाग गया था मैं बे-क़रार हुआ जा रहा था उस आदमी को अपने हाथो से गोली मारने के लिए जिसने मेरा अतीत मेरी शक्सियत मुझसे छीन ली थी. आज अगर मुझे मेरे बारे मे कुछ भी याद नही था तो उसका ज़िम्मेदार वही आदमी था. अब मुझे इंतज़ार था उस पल का जब मेरा ऑर उस आदमी का सामना होगा जिसने मुझे गोली मारी थी.

कुछ देर बाद हमारी कार एक आलीशान मकान के सामने रुक गई. गाड़ी के रुकते ही लोग गाड़ी से उतर गये मैने अपनी कोट के साइड मे हाथ डाला ताकि मैं गन निकाल सकूँ ऑर जाते ही उस आदमी पर गोली चला सकूँ जिसने मेरी ये हालत की थी. लेकिन कोट मे हाथ डालते ही मुझे याद आया कि मेरी पिस्टल तो छोटे शीक के आदमियो ने ले ली थी.

मैं : (पलट ते हुए) शीक साहब मुझे मेरी गन चाहिए

छोटा : अर्रे भाई इतनी भी क्या बे-सबरी पहले अंदर तो चलो तुमको तुम्हारी गन भी मिल जाएगी. फिर जो दिल चाहे कर लेना उसके साथ.
मैं : ठीक है

उसके बाद हम सब लोग घर के अंदर चले गये. अंदर जाने के बाद हम सब को शीक ने सोफे पर बैठने का इशारा किया ऑर खुद अपने दो गार्ड्स के साथ सीढ़ियो से उपर चला गया. उस वक़्त इंतज़ार का एक-एक पल मेरे लिए कई साल के इंतजार जैसा हो रहा था मैं चाहता था कि जल्दी से जल्दी वो इंसान मेरे सामने आ जाए ऑर उसकी जान ले लूँ ताकि मेरे दिल को कुछ क़रार आ सके. मैं खामोश होके गर्दन नीचे लटकाए बैठा था मेरे साथ लाला ऑर जापानी बैठे थे बाकी के तमाम लोग सोफे के आस-पास खड़े हुए थे. कुछ ही देर मे छोटा शीक एक मुस्कान के साथ सीढ़ियो से नीचे उतरता हुआ नज़र आया. उसके पिछे कुछ लोग एक आदमी को पकड़ कर नीचे ला रहे थे उसके चेहरे को एक काले नक़ाब से ढका हुआ था ऑर देखने से लग रहा था जैसे वो आदमी उसको घसीट कर नीचे ला रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे वो बेहोश हो. कुछ ही देर मे वो लोग उसको उठाके नीचे ले आए ऑर एक कुर्सी पर बिठा दिया. तभी छोटा शीक मेरे पास आया ऑर गन निकाल कर मुझे पकड़ा दी.
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07-30-2019, 01:24 PM,
#46
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-44

छोटा : (मुझे गन देते हुए) ले भाई शेरा अपना तोहफा क़बूल कर ऑर थोक दे साले को.

मैं : (गन पकड़ते हुए) शीक साहब क्या मैं इस हरंखोर का चेहरा देख सकता हूँ एक बार अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो.

छोटा : ज़रूर यार क्यो नही..... (अपने आदमी को इशारा करते हुए) नक़ाब हटाओ इसका.

मैं : (चोन्क्ते हुए) ये तो राणा है शीक साब.

छोटा : ठीक पहचाना ये राणा ही है साला पोलीस का खबरी है मुझे पता चला है कि इसी ने तुम्हारी इन्फर्मेशन पोलीस तक पहुँचाई थी.

मैं : (गन नीचे करते हुए) लेकिन शीक साहब यही तो मुझे यहाँ तक लेके आया था ये कैसे पोलीस का खबरी हो सकता है अगर ये पोलीस का खबरी होता तो मुझे पोलीस तक लेके जाता यहाँ क्यों लाता.... आपको किसी ने ग़लत इन्फर्मेशन दी है.

लाला : हाँ शीक साहब शेरा सही कह रहा है

छोटा : (अपनी गन निकालते हुए) मैने जो बोला वो करो... तुम लोग अपना भेजा मत चलाओ समझे.

मैं : ख़ान साहब आपको इतना यक़ीन कैसे हैं.

छोटा : (गुस्से से अपनी पिस्टल मेरे सिर पर रखते हुए) तुझे सुना नही मैने क्या बोला तू इसको ठोक नही तो मैं तुझे ठोक दूँगा. 3 गिनने तक का वक़्त देता हूँ तुझे... अगर तेरी गोली नही चली तो मेरी चलेगी.

मैं : शीक साहब मेरी बात सुनिए एक बार....
छोटा : 1........
जापानी : यार तू पागल हो गया है ठोक देना साले को इसके लिए क्यो अपनी जान से खेल रहा है.

मैं गहरी सोच मे डूबा हुआ था ऑर फ़ैसला नही कर पा रहा था कि राणा को बचाऊ या खुद को अगर मैं राणा पर गोली नही चलाता तो शीक मुझे मार देता लेकिन अब मैं कोई अपराधी नही था इसलिए चाह कर भी उस पर गोली नही चला सकता था. अभी मैं अपनी ही सोचो मे गुम था कि शीक की आवाज़ मेरे कानो से टकराई.

छोटा : 2........
मैं : (अपनी गन नीचे करते हुए)

शीक : तुझसे गोली नही चलेगी नीर.... (मेरे हाथ से गन लेते हुए ऑर राणा को अपनी पिस्टल से गोली मारते हुए)

शीक ने मेरे सामने राणा को मार दिया. लेकिन ये बात मेरे लिए किसी झटके से कम नही थी कि शीक को मेरी असलियत पता थी क्योंकि उसने मुझे शेरा नही नीर कहकर पुकारा था. इसका मतलब ख़ान के दफ़्तर मे कोई था जो शीक का आदमी था ऑर उसको मेरे बारे मे सब कुछ बता रहा था.

जापानी : शीक साहब ये नीर नही शेरा है.

शीक : खा गये ना धोखा तुम सब भी.... जिसको तुम शेरा समझ रहे हो वो शेरा नही नीर है इसको हमारा काम तमाम करने के लिए ही पोलीस ने यहाँ भेजा है....

जापानी : (चोन्क्ते हुए) क्याआ.... नही... नही... शीक साहब आपको किसी ने ग़लत इन्फर्मेशन दी है ये शेरा ही है मैं अपने दोस्त को पहचानने मे धोखा नही खा सकता....

शीक : जो गया था वो शेरा था लेकिन अब जो वापिस आया है ये शेरा नही नीर है समझा...

लाला : लेकिन ये कैसे हो सकता है शेरा मर जाएगा लेकिन पोलीस का साथ कभी नही देगा आप से ज़्यादा हम शेरा को जानते हैं.

शीक : ठीक है अगर ये शेरा है तो पुछो इसको बाबा का सेफ कहाँ है ऑर उन्होने सारा सोना कहाँ रखा हुआ है... अब ये बात तो सिर्फ़ शेरा ही जानता है ना... अगर ये शेरा है तो इसको साबित करनी होगी ये बात.

मैं : मेरा यक़ीन करो शीक साहब मैं शेरा ही हूँ लेकिन मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही है मैं सच कह रहा हूँ.

शीक : ठीक है फिर याद कर लो आराम से जब तक तुमको याद नही आ जाता तब तक तुम इस घर से बाहर नही जा सकते ( अपने आदमियो को इशारा करते हुए) डाल दो इसको राणा की जगह पर ऑर इसको तब तक मारो जब तक ये सब कुछ बता नही देता.

उसके बाद शीक के आदमियो ने मुझे पकड़ लिया ऑर उपर एक कमरे मे ले गये जहाँ मुझे एक कमरे मे बंद कर दिया गया जिसका दरवाज़ा लोहे का बना था. मैं अंदर से चिल्लाता रहा ऑर दरवाज़ा खोलने की नाकाम कोशिश करता रहा. लेकिन दरवाज़ा बंद होने के बाद किसी ने मेरी बात नही सुनी. अभी मुझे कमरे मे दाखिल हुए कुछ ही देर हुई थी कि दरवाज़े के नीचे से धुआँ आने लगा जिससे मुझे अज़ीब सी घुटन होने लगी ऑर लगातार खाँसी आने लगी. वो अज़ीब किस्म की गॅस थी जिससे कुछ ही देर मे मेरी आँखो के सामने अंधेरा छा गया ऑर मैं बेहोश हो गया. मुझे नही पता मैं कितनी देर वहाँ ज़मीन पर बेहोश पड़ा रहा लेकिन जब मुझे होश आया तो मैं कुर्सी से बँधा पड़ा था. मेरे चारो तरफ बहुत सारे लोग खड़े थे ऑर एक अँग्रेज़ आदमी मेरी बाजू को रूई (कॉटन) से सॉफ कर रहा था.

मैं : कौन हो तुम ऑर मुझे बाँधा क्यो है खोलो मुझे...

अँग्रेज़ : रिलॅक्स !!! अभी सब ठीक हो जाएगा. (दूसरे आदमी से एक इंजेक्षन लेते हुए)

मैं : हरामखोर खोल मुझे... (अपने आप को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए)

अँग्रेज़ : कम डाउन !!! अभी सब ठीक हो जाएगा.

शीक : आखरी बार पूछ रहा हूँ बाबा का सेफ कहाँ है ऑर उसको कैसे खोलते हैं बता नही तो कुछ देर बाद तू सब कुछ खुद ही बता देगा.

मैं : मैने बोला ना मुझे कुछ याद नही एक बार बात समझ मे नही आती.

शीक : डॉक्टर यू कॅन कंटिन्यू ये ऐसे नही बताएगा साला बहुत पुराना पापी है.

उसके बाद वो अँग्रेज़ डॉक्टर ने मुझे वो इंजेक्षन लगा दिया जिससे मुझे एक अजीब सा नशा छाने लगा मेरे चारो तरफ की चीज़े मुझे गोल-गोल घूमती हुई नज़र आने लगी मैं बोलना चाह रहा था लेकिन मुझसे बोला नही जा रहा था ऑर बहुत तेज़ नींद आ रही थी.

अँग्रेज़ : (मेरे गाल थप-थपाते हुए) क्या नाम है तुम्हारा.

मैं : (अँग्रेज़ को गौर से देखते हुए) हमम्म्म...

अँग्रेज़ : क्या नाम है तुम्हारा.

मैं : कभी शेरा कभी नीर मैं दोनो हूँ हाहहहहहहाहा

अँग्रेज़ : तुमको यहाँ किसने भेजा है

मैं : (ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए)

अँग्रेज़ : तुमको यहाँ किसने भेजा है

मैं : तेरी माँ ने.... हाहहहहहहाहा

शीक : (मुझे थप्पड़ मारते हुए) डोज बढ़ाओ डॉक्टर...

अँग्रेज़ : (एक ऑर इंजेक्षन मुझे लगाते हुए) तुमको यहाँ किसने भेजा है

मैं : बाबा ने (यहाँ मे गाव वाले बाबा का ज़िक्र कर रहा हूँ) हाहहहहहाहा

शीक : (चोन्क्ते हुए) तुमको बाबा ने किस लिए यहाँ भेजा है

मैं : तेरी मारने के लिए भोसड़ी के.... हाहहहहहहाहा

उसके बाद मुझे कुछ याद नही क्योंकि मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया ऑर मैं फिर से बेहोश हो गया. जब आँख खुली तो मैं वापिस उसी कमरे मे था जहाँ मुझे पहले रखा गया था ऑर मेरे सामने जापानी बैठा था ऑर मेरे मुँह पर पानी मार रहा था.

जापानी : उठ जा मेरे बाप साला कब्से सोया पड़ा है.

मैं : (अपनी आँखें सॉफ करते हुए) जापानी तू यहाँ...

जापानी : हाँ मैं... अब बात सुन मेरी ये सब साले पागल हो गये हैं लेकिन मैं जानता हूँ तू मेरा भाई है मेरा शेरा.


मैं : तू यहाँ कैसे आया.

जापानी : वो सब छोड़ ये ले मेरी गन ऑर ये कुछ पैसे रख ले तेरे काम आएँगे ऑर ये ले मेरी गाड़ी की चाबी... अब तू यहाँ से निकल जा तेरा यहाँ रहना ठीक नही वरना छोटा शीक ऑर उसके आदमी तुझे ठोक देंगे.

मैं : लेकिन तू....

जापानी : मेरी फिकर मत कर यार तेरे वैसे ही मुझ पर बहुत अहसान है आज बहुत मुद्दत के बाद मोक़ा मिला है यारी का हक़ अदा करने का अब तू यहाँ से जा ऑर यहाँ से चले जाना यहाँ तू एक दम सेफ रहेगा ऑर तुझे तेरे हर सवाल का जवाब भी मिल जाएगा जो तू अक्सर सबसे पुछ्ता रहता है ऑर इस जगह के बारे मे किसी को कुछ भी मत बताना ( एक पर्ची मेरे हाथ मे देते हुए)

उसके बाद मुझे कमरे के बाहर फाइयर की आवाज़ सुनाई देने लगी. मैं पूरी तरह होश मे तो नही था फिर भी चलने के क़ाबिल था मुझे जापानी ने पकड़कर जल्दी से खड़ा किया ऑर अपनी कोट की जेब से एक ऑर गन निकाल ली ऑर मेरे आगे आके खड़ा हो गया. ऑर कमरे के बाहर मेरा हाथ पकड़कर ले गया बाहर नीचे बहुत से लोग थे जो फाइयर कर रहे थे. वही बाल्कनी मे कुछ जापानी के लोग भी थे जो जवाब मे फाइयर कर रहे थे लेकिन नीचे खड़े लोगो की तादाद बहुत ज़्यादा थी ऑर उपर खड़े लोग गिनती मे बस 5-6 ही थे. तभी एक गोली आके जापानी के पेट मे लगी. जिससे वो वही गिर गया मैने उसको जल्दी से संभाला ऑर जापानी की दी हुई पिस्टल से मैने भी नीचे खड़े लोगो पर फाइयर करना शुरू कर दिया.

जापानी : तू रहने दे शेरा तू जा यहाँ से हम लोग संभाल लेंगे.

मैं : पागल हो गया तुझे गोली लगी तू चल मेरे साथ जो होगा देखा जाएगा.

जापानी : नही यार अपना साथ यही तक था अब तू जा मैं इनको ज़्यादा देर नही रोक पाउन्गा ऑर याद रखना छोटा शीक तुझ पर मेरा उधार है जब हाथ लगे तो साले के भेजे मे गोली मारना मेरी तरफ से. यहाँ किसी पर भी भरोसा मत करना सब साले कुत्ते हैं मेरी बात याद रखना.

मैं : (रोते हुए) यार तू कैसी बात कर रहा है तुझे कुछ नही होगा तू चल मेरे साथ इन सब को मैं अकेला ही देख लूँगा ऑर शीक को तू खुद मारेगा.

जापानी : (हँसते हुए) शेर की आँख मे आँसू अच्छे नही लगते तू जा यहाँ से.

तभी एक गोली मेरी गर्दन को छू कर निकल गई जिससे मेरी गर्दन से खून निकलने लगा ऑर दर्द की एक तेज़ लहर मेरे पूरे बदन मे दौड़ गई. ये देखकर जाने जापानी को क्या हुआ उसने मुझे पिछे धक्का दे दिया जिससे मैं ज़मीन पर गिर गया ऑर खुद खड़ा होके अँधा-धुन्ध नीचे खड़े लोगो पर गोलियाँ बरसाने लगा. नशे के इंजेक्षन की वजह से मैं चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था इससे पहले कि मैं खड़ा होता जापानी सीढ़ियो से नीचे उतरने लग गया ऑर उन लोगो पर अपनी दूसरी पिस्टल से भी गोलियाँ चलाने लगा. जब तक मैं वापिस अपने पैरो पर खड़ा हुआ नीचे सब लोग मर चुके थे. ऑर जापानी सीढ़ियो मे पड़ा तड़प रहा था उसके पूरे बदन से पानी की तरह खून निकल रहा था. मैं दवाई के नशे मे लड़-खडाता हुआ सीढ़ियो से नीचे की तरफ आया ऑर जाके जापानी को देखा तो वो भी मुझे छोड़ कर जा चुका था. मैने आज अपनी जिंदगी का सबसे कीमती दोस्त खो दिया था जिसने जिंदगी के हर मोड़ पर मेरा साथ दिया था. मेरी आँखो मे आँसू ऑर दिल मे छोटे शीक के लिए बे-इंतेहा नफ़रत थी. मैने अपने आँसू सॉफ किए ऑर अपने दोस्त जापानी का स्काफ जो वो हमेशा अपने हाथ पर बांधता था उसे उतार कर अपने हाथ पर बाँध लिया ऑर वहाँ से सीधा घर के बाहर निकल गया ऑर जल्दी से जापानी की कार मे बैठ गया.

मैने कार स्टार्ट की ऑर अपनी जेब मे हाथ डाल कर जापानी की दी हुई पर्ची को देखने लगा. उसमे लिखा पता देखा ऑर अपनी कार को तेज़ रफ़्तार से दौड़ा दिया मैं नही जानता था कि जापानी ने मुझे कहाँ भेजा है. मैं काफ़ी देर से गाड़ी चला रहा था ऑर अब मैं उस इलाक़े से काफ़ी दूर भी निकल आया था अचानक मुझे याद आया कि आज के हुए इस हादसे के बारे मे ख़ान को बता दूं ऑर अब आगे क्या करना है ये भी पूछ सकूँ. लेकिन फिर मुझे राणा की याद आई ऑर इतना तो मैं समझ गया कि ज़रूर ख़ान के ऑफीस मे ही कोई खबरी है जो मेरी पल-पल की खबर छोटे शीक तक पहुँचा रहा है इसलिए मैने ख़ान को भी उस ठिकाने के बारे मे बताना ठीक नही समझा क्योंकि ये मुमकिन था कि कोई ख़ान का फोन भी टॅप कर रहा हो. यही सब सोचता हुआ मैं लगातार गाड़ी को दौड़ाता रहा कुछ घंटे की ड्राइव के बाद मुझे हाइवे पर एक पेट्रोल पंप नज़र आया वहाँ मैने रुक कर अपनी गाड़ी मे फ़्यूल भरवाया.

मैं : सुनिए यहाँ कोई टेलिफोन है मुझे एक फोन करना है.

लड़का : जी साहब अंदर है कर लीजिए फोन.

मैं : (गाड़ी से बाहर निकलते हुए) शुक्रिया.

लड़का : साहब आपको तो बहुत चोट लगी है ऑर आपकी गर्दन से खून भी निकल रहा है.

मैं : कोई बात नही ये ठीक हो जाएगा मेरा छोटा सा एक्सीडेंट हुआ था.

लड़का : बुरा ना मानो साहब तो मेरा घर पास ही है अगर आप चाहे तो मैं आपकी पट्टी करवा सकता हूँ.
मैं : नही कोई बात नही शुक्रिया.

उसके बाद वहाँ पड़े एक पानी के घड़े से पहले मैने अपना मुँह धोया ऑर अपनी गर्दन पर लगा खून सॉफ किया. क्योंकि इस बात को आब काफ़ी वक़्त हो गया था इसलिए जखम से खून निकलना बंद हो गया था ऑर मेरी गर्दन पर लगा खून भी सूख गया था. उसके बाद मैं पेट्रोल पंप के अंदर चला गया ऑर ख़ान का नंबर डायल किया.

ख़ान : हल्लो....

मैं : हल्लो ख़ान साहब मैं नीर बोल रहा हूँ.

ख़ान : नीर तुम... ये किसका नंबर है

मैं : ख़ान साहब ये एक पेट्रोल पंप का नंबर है ऑर यहाँ बहुत गड़बड़ हो गई है

ख़ान : क्या हुआ....

उसके बाद मैने सारी बात तफ़सील से ख़ान को बता दी...

ख़ान : हमम्म यार ये तो बहुत गड़बड़ हो गई है ऑर तुम्हारी बात एक दम सही है मुझे भी लगता है कोई ना कोई मेरे दफ़्तर मे ही है जो छोटा शीक से मिला हुआ है. उस कमीने खबरी की वजह से ही मेरे सबसे खास इनफॉर्मर राणा की जान गई है. खैर कोई बात नही वो सब मैं संभाल लूँगा. अब तुम ये बताओ कि अब तुम कहाँ हो.

मैं : पता नही ख़ान साहब अभी तो मैं उसी शहर मे हूँ ( मैने झूठ बोला क्योंकि जापानी ने मुझे उस जगह के बारे मे किसी को भी बताने से मना किया था)

ख़ान : तुम कुछ दिन के लिए अंडर-ग्राउंड हो जाओ कुछ दिन बाद मुझसे कॉंटॅक्ट करना ऑर मेरे मोबाइल पर फोन करके बताना कि तुम कहाँ हो फिर मैं तुमको तुम्हारा अगला कदम बताउन्गा तब तक छोटे शीक को भूल जाओ.

मैं : जी ठीक है...

उसके बाद मैने फोन बंद किया ऑर बाहर आ गया जहाँ वो लड़का खड़ा मेरा ही इंतज़ार कर रहा था. मैने उसको फ़्यूल के पैसे दिए ऑर वापिस अपनी कार मे आके बैठ गया. ऑर वापिस अपनी कार को तेज़ रफ़्तार से दौड़ा दिया. मुझे मेरी मज़िल पर पहुँचते-पहुँचते रात हो गई थी. जापानी ने जहाँ का मुझे पता दिया था मैं नही जानता था कि उसने मुझे कहाँ भेजा है इसलिए मेरे दिमाग़ मे अब भी कई सवाल घूम रहे थे. कुछ ही देर मे मैं अपनी मंज़िल पर पहुँच गया जो एक बस्ती सी लग रही थी. वहाँ काफ़ी घरो मे रोशनी नज़र आ रही थी लेकिन मुझे जितना पता दिया गया था वो सिर्फ़ उस बस्ती तक का ही था आगे मुझे पता नही था कि कौन्से घर मे जाना है क्योंकि वहाँ मुझे बहुत से घर नज़र आ रहे थे. मैं कार से उतरा ऑर एक घर का दरवाज़ा खट-खाटाया. कुछ ही देर मे दरवाज़ा खुल गया. उस घर मे से एक आदमी बाहर आया.

मैं : जी इतनी रात को आपको तक़लीफ़ देने के लिए माफी चाहता हूँ दर-असल मुझे रसूल से मिलना था.

अभी मैने अपनी बात भी मुक़ाम्मल नही की थी कि मेरे सामने खड़ा आदमी मुझे देख कर खुश हो गया ऑर मेरे गले से लग गया.

आदमी : शेरा भाई तुम ज़िंदा हो.

मेरे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये आदमी मुझे कैसे जनता है.

मैं : क्या आप मुझे जानते हैं.

आदमी : कैसी बातें कर रहे हो भाई तुमको यहाँ कौन नही जानता तुम तो हमारे अपने हो. बाहर क्यो खड़े हो अंदर आओ.

मैं : जी शुक्रिया.

मेरी कुछ भी समझ नही आ रहा था कि ये मेरे साथ क्या हो रहा है ये आदमी मुझे कैसे जानता है. तभी एक औरत मेरी तरफ आई ऑर अदब से मुझे सलाम किया ऑर मेरे सामने पानी का एक ग्लास रख दिया ऑर वापिस अंदर चली गई. उस ख़ातून ने नक़ाब किया हुआ था इसलिए मैं उसका चेहरा नही देख पाया. तभी वो आदमी मेरे पास आया.

आदमी : तुम यही बैठो मैं सारी बस्ती को बताके आता हूँ कि हमारा शेरा वापिस आ गया है ऑर हमारी दुआ रंग ले आई है.
मैं : अच्छा लेकिन तुम्हारा नाम क्या है

आदमी : कमाल है 4 दिन हम से दूर क्या हुए अब तुम मेरा नाम भी भूल गये हो. मैं रसूल हूँ तुम्हारे बचपन का साथी. तुम बैठो मैं अभी आया.
Reply
07-30-2019, 01:25 PM,
#47
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-45

मैं चुप-चाप वहाँ बैठा रहा साथ ही पानी पीने लगा ऑर चारो तरफ नज़र दौड़ा कर उस घर को देखने लगा घर कुछ खास नही बना हुआ था एक दम मेरे गाव के घर जैसा था. तभी एक छोटा सा बच्चा मेरे पास आया.

बच्चा : आप शेरा चाचा हो ना.

मैं : (उस बच्चे को उठा कर अपनी गोद मे बिठाते हुए) हंजी बेटा मैं शेरा हूँ लेकिन आप मुझे कैसे जानते हो.

बच्चा : (उंगली से एक कमरे मे इशारा करते हुए) अम्मी ने बताया मुझे कि आप मेरे शेरा चाचा हो.

मैं : अच्छा.... ये तो बहुत अच्छी बात है ऑर आपका नाम क्या है.

बच्चा : मेरा नाम अली है आपका नाम क्या है शेरा चाचा.

मैं : (हँसते हुए) अच्छा जी.... तुम तो बहुत प्यारी बाते करते हो.

अभी मैं उस बच्चे से बात ही कर रहा था कि बाहर मुझे लोगो का शोर सुनाई दिया इसलिए मैने उस बच्चे को अपनी गोद मे उठाया ऑर बाहर जाके देखने लगा. बाहर बहुत से लोग जमा हो गये थे जो मुझे बड़ी हैरानी से देख रहे थे. तभी उस भीड़ मे से एक बूढ़ी सी औरत मेरे सामने आके खड़ी हो गई ऑर मुझे बड़े गौर से देखने लगी. फिर बड़े प्यार से मुझे गले से लगा लिया ऑर मेरा माथा चूम लिया साथ ही मुझे दुआ देने लगी.

अम्मा : (रोते हुए) कहाँ चला गया था बेटा अपनी अम्मा को छोड़ कर ऑर इतना वक़्त तू था कहाँ जानता है हमने तुझे कितना याद किया ऑर तेरी सलामती के लिए कितनी दुआएँ की थी.

मैं : मेरा आक्सिडेंट हो गया था जिससे मेरी याददाश्त चली गई थी. आप लोग कौन है ऑर मुझे कैसे जानते हैं.

अम्मा : मुझे पहचाना नही शेरा मैं अम्मा हूँ.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे यहाँ जापानी ने भेजा है.

अम्मा : जापानी.... है कहाँ वो ना-मुराद तू वापिस आ गया है ऑर उसने हमे बताना भी ज़रूरी नही समझा.

उसके बाद मैने अपनी सारी कहानी अम्मा को ऑर वहाँ खड़े तमाम लोगो को सुना दी ऑर साथ ही ये भी बता दिया कि जापानी के साथ क्या हुआ ये सुनकर सब लोग बेहद दुखी हो गये.

अम्मा : क्या तक़दीर मिली है हमे एक बेटा वापिस मिला तो दूसरा बेटा दूर चल गया.

मैं : अम्मा मैने उससे बहुत कहा था साथ चलने के लिए लेकिन वो माना ही नही ऑर खुद उन लोगो से मेरे लिया लड़ता रहा. मेरे लिए अपनी जान क़ुरबान कर दी.

अम्मा : ऐसा ही था वो तुझ पर तो जान देता था ऑर तुम दोनो की दोस्ती को कौन नही जानता.

मैं : (रोते हुए) अम्मा मुझे बहुत अफ़सोस है कि मैं जापानी के लिए कुछ कर नही पाया.

उसके बाद काफ़ी देर वहाँ सब लोग खड़े रहे ऑर सब लोग मुझसे तरह-तरह के सवाल पुछ्ते रहे रात काफ़ी हो गई थी इसलिए अम्मा ने सबको जाने का कह दिया ऑर मुझे वापिस रसूल के साथ एक घर मे भेज दिया जो मुझे बताया गया कि ये मेरा ही घर है. उसके बाद मैं उस घर के अंदर चला गया ऑर पूरे घर को बड़े गौर से देखने लगा. घर काफ़ी शानदार था ऑर वहाँ रखी हर चीज़ काफ़ी कीमती लग रही थी. उस घर की एक-एक चीज़ मुझसे जुड़ी थी लेकिन जाने क्यो मुझे कुछ भी याद नही था. मैं उस घर की एक-एक चीज़ को बड़े गौर से देख रहा था ऑर पहचाने की कोशिश कर रहा था. कुछ देर यहाँ-वहाँ घूमने के बाद मैं अपने बिस्तर पर आके लेट गया ऑर दिन भर हुए तमाम हादसो के बारे मे सोचने लगा. कुछ ही देर मे मुझे नींद आ गई ऑर मैं सुकून की नींद सो गया.

सुबह अपनी आदत के मुताबिक़ मैं जल्दी उठ गया ऑर नहा-धो कर तेयार हो गया उसके बाद रसूल का बेटा अली मुझे उसके घर बुलाने के लिए आ गया वहाँ मैने रसूल ने ऑर अली ने साथ मिल कर नाश्ता किया. फिर रसूल मुझे वही बैठने का कह कर खुद कहीं चला गया. मैं भी अब एक दम फारिग था इसलिए अली के साथ खेलने मे लग गया. कुछ देर बाद रसूल वापिस आ गया.

रसूल : चलो शेरा चलें.

मैं : कहाँ चलना है.

रसूल : तुम चलो तो सही बहुत से लोग हैं जो तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं.

मैं : अच्छा चलो....

रसूल : सुनो पहले ये कपड़े बदल लो ऑर ये जूते ऑर लॉकेट भी उतार दो.

मैं : लेकिन क्यो
रसूल : सबर करो तुमको तुम्हारे सब सवालो का जवाब मिल जाएगा.

उसके बाद मैं कपड़े बदलकर ऑर रसूल के दिए कपड़े पहनकर रसूल के साथ घर से बाहर निकल गया जहाँ बाहर एक कार हमारा इंतज़ार कर रही थी हम दोनो चुप-चाप उस कार मे जाके बैठ गये. कुछ देर बाद कार ने हम को एक खंडहर के बाहर उतार दिया.

मैं : रसूल ये कौनसी जगह है.

रसूल : (खुश होते हुए) तुम चलो तो सही

मैं सवालिया नज़रों से रसूल को देखता हुआ उसके पीछे-पीछे चलने लगा. खंडहर के अंदर घुसते ही बाहर मुझे बाहर कुछ लोग खड़े नज़र आए जिनके हाथ मे बंदूकें थी. उनको देखते ही मैं अलर्ट हो गया ऑर अपना हाथ पीछे अपनी गन के उपर रख लिया ताकि ज़रूरत पड़ने पर मैं जल्दी से गन निकाल सकूँ. लेकिन वहाँ तो सब उल्टा हो गया था वो लोग मुझे देखते ही खुश हो गये ऑर बारी-बारी मुझसे गले मिलने लगे. वो सब लोग मुझे देख कर बहुत खुश थे. उसके बाद एक आदमी जल्दी से एक क़बर के सामने जाके खड़ा हो गया उसने एक नज़र मुझे मुस्कुरा कर देखा ऑर फिर क़बर पर लगे एक पत्थर को घुमा दिया जिससे क़बर किसी दरवाज़े की तरह खुल गई फिर वो आदमी मुझे पिछे आने का इशारा करके नीचे उतर गया. मैं भी बाकी लोगो के साथ उस क़बर के अंदर उतर गया जो कि बाहर से क़बर जैसी लगती थी लेकिन अंदर से एक ख़ुफ़िया रास्ता थी लेकिन मुझे ये नही पता था कि ये रास्ता जाता कहाँ है मैं बस उनके पीछे-पीछे चल रहा था.

कुछ ही देर मे हम एक आलीशान जगह पर खड़े थे वहाँ नीचे बहुत से लोग पहले से मोजूद थे सब ने बारी-बारी आके मुझे गले से लगाया ऑर जापानी का अफ़सोस किया मेरे साथ. उसके बाद वो लोग मुझे एक कमरे मे ले गये जहाँ एक बुजुर्ग बेड पर लेटे हुए थे जिनके एक तरफ खून की बोतल लगी थी शायद वो बहुत ज़्यादा घायल थे ऑर उनके बाजू मे सूमा, गानी ऑर लाला भी बैठे थे. उनको वहाँ देख कर मैं बेहद हैरान था कि ये लोग यहाँ कैसे हैं.

मैं : तुम दोनो यहाँ कैसे.

लाला : सब बताते हैं पहले बाबा से तो मिल ले यार.

मैं : (चोन्क्ते हुए) क्या ये बड़े शीक साहब है?

सूमा : हाँ भाई

बाबा : (हाथ उठाकर मुझे पास आने का इशारा करते हुए) यहाँ आओ बेटा.

मैं : (बाबा का हाथ चूमते हुए) लेकिन छोटा तो बोल रहा था ये दुबई मे हैं.

बाबा : (मेरा हाथ पकड़ते हुए) यहाँ बैठो बेटा मैं जानता हूँ तुम्हारे दिमाग़ मे बहुत से सवाल है ऑर आज मैं तुमको तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूँगा. उसने तुम्हारे साथ ही नही बल्कि हम सब के साथ भी धोखा किया है. लेकिन पहले ये बताओ तुम इतना वक़्त तक थे कहाँ पर ऑर वो कौन फरिश्ते थे जिन्होने तुमको बचाया.

मैने बाबा को अपनी गुज़री हुई तमाम जिंदगी के बारे मे सच-सच बता दिया. उसके बाद मैं अपने सवालो के जवाब चाहता था इसलिए मैने बारी-बारी बाबा से सवाल पुच्छने शुरू कर दिए.

बाबा : अब पुछो बेटा क्या पुच्छना चाहते हो

मैं : बाबा आप तो छोटे के वालिद हैं फिर आपके साथ उसने धोखा किसलिए किया....

बाबा : वो इंसान किसी का वफ़ादार नही उसका पैसा ही मज़हब है ऑर मक्कारी ही ईमान है.

मैं : लेकिन बाबा आपकी ऐसी हालत कैसे हुई.

बाबा : बेटा मैं बहुत पहले जान गया था कि वो मेरी जगह लेने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है इसलिए मैने अपनी कुर्सी का वारिस उसे नही बल्कि तुम्हे बनाना चाहता था. लेकिन उस को ये बात पता चल गई ऑर उसने दुनिया को ये बताया कि मैं दुबई मे हूँ जबकि मुझे अपने ही क़िले मे क़ैद कर दिया कुछ दिन बाद उसने मेरी तमाम दोलत के बारे मे मुझसे पूछा जब मैने नही बताया तो उसने मुझे भी गोली मार दी अब मेरे बाद मेरे वारिस तुम थे इसलिए उसने तुम पर भी धोखे से हमला करवा दिया तुमको अपने रास्ते से हटाने के लिए. जिसमे तुम तो बच गये लेकिन तुम्हारी याददाश्त ख़तम हो गई उपर वाले के करम से मैं भी बच गया फिर मेरे ये बच्चे तुमको बहुत दिन तक तलाश करते रहे लेकिन तुम्हारी कोई खबर नही मिली... छोटे को शक़ ना हो इसलिए सूमा, लाला, गानी ऑर जापानी उसकी गॅंग मे काम करते रहे सिर्फ़ इसलिए कि उसकी सारी खबर मुझ तक पहुँचती रहे. फिर एक दिन अचानक से तुम भी वापिस आ गये लेकिन तुमको किसी की कोई खबर नही थी तुम्हारे वापिस आ जाने से छोटे की कुर्सी को सबसे बड़ा ख़तरा हो गया इसलिए उसने हर तरीके से तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश की... रिंग मे भी तुम्हारे खिलाफ जो फाइटर खड़ा हुआ था उसको तुम्हे मारने के लिए कहा गया था लेकिन तुमने उसे ही मार दिया फिर तुम्हारी कार मे उसने बॉम लगवाया लेकिन तुम उस दिन घर से बाहर ही नही निकले ऑर तुम फिर बच गये जब जापानी को ये बात पता चली तो उसने तुमको कभी अकेला नही छोड़ा बहाने से हमेशा लाला या जापानी तुम्हारे साथ रहे. उसके बाद जापानी ने तुम्हे अपने साथ रख लिया ऑर हर क़दम पर बिना तुम्हे पता चले तुम्हारी हिफ़ाज़त करता रहा.


मैं : लेकिन बाबा इन्होने तो मुझे भी कभी कुछ नही बताया.

बाबा : बेटा जैसे तुम वापिस आए थे तुमको ये सब बताना ख़तरे से खाली नही था क्योंकि तुम पर नज़र रखी जा रही थी इसलिए मैने ही इनको तुम्हे कुछ बताने से मना किया था.

मैं : एक बात समझ नही आई आपको मेरा पता कैसे चला.

बाबा : (मुस्कुराते हुए) बेटा तुम लोगो को मैने पैदा नही किया तो क्या हुआ लेकिन तुमको मैने पाला है ऑर तुम सब की मैं रग-रग जानता हूँ.

मैं : बाबा अब मेरे लिए क्या हुकुम है.

बाबा : (अपने तकिये के नीचे हाथ डाल कर गन निकालते हुए) एक म्यान मे 2 तलवारे नही रह सकती शेरा तुमको उसे ख़तम करना होगा ऑर मेरी कुर्सी संभालनी होगी.

मैं : बाबा वो आपका बेटा है

बाबा : मेरे बेटे इस वक़्त मेरे साथ मोजूद हैं. जिसको मैं तुम्हे ख़तम करने के लिए बोल रहा हूँ वो मेरा तो क्या किसी का भी बेटा नही है. मुझे अफ़सोस होता है ऐसी औलाद पर, एक तुम लोग हो जो सिर्फ़ मेरी परवरिश के लिए अपनी जान तक दाँव पर लगाने को तेयार रहते हो मेरे लिए एक वो है जो कुर्सी के लिए अपने ही बाप को मारना चाहता है.

मैं : जी बाबा जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा.

बाबा : (मुस्कुराते हुए) मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा.

उसके बाद बाबा को हमने आराम करने दिया ऑर हम सब बाहर आके बैठ गये आज मैं बहुत खुश था क्योंकि एक मुद्दत के बाद मुझे सुकून मिला था मैं अब अपने बारे मे सब कुछ जान चुका था.

मैं : यार लाला तुम लोगो से मैं अक्सर इतने सवाल पुछ्ता था कभी तो मुझे बता देते

लाला : यार हम क्या करते बाबा का हुकुम था जब तक तू ठीक नही हो जाता तुझे कुछ ना बताया जाए जानता है अगर छोटे को तेरे बारे मे पता ना चलता तो अब भी तुझे हम लोगो ने कुछ नही बताना था लेकिन अफ़सोस उस कमीने को तेरे बारे मे सब पता चल गया ऑर इसी चक्कर मे जापानी को अपनी जान गँवानी पड़ी.

मैं : यार मैं सच कहता हूँ अगर मुझ पर नशे का असर नही होता तो मैं जापानी को खरॉच भी नही आने देता.

सूमा : हम जानते हैं यार तू हम सब के लिए अपनी जान भी दाव पर लगा सकता है लेकिन क्या करते दोस्त तू एक क़ोरा काग़ज़ बनके वापिस आया था तुझे ये सब कुछ बताते भी तो कैसे.

मैं : कोई बात नही यार तुम लोगो ने ठीक किया

उसके बाद बाकी का दिन ऐसे ही गुज़रा लेकिन आज मैं बहुत खुश था ऑर दिल को एक तसल्ली थी कि मेरा भी कोई है. ऑर सबसे बड़ी बात मुझे मेरा सुकून मिल गया था क्योंकि जो सवाल हमेशा मेरे दिमाग़ मे घूमते रहते थे ऑर मुझे परेशान करते थे उनसे आज मुझे निजात मिल गई थी मेरा दिल चाह रहा था कि मैं अपनी ये खुशी बाबा, नाज़ी, फ़िज़ा, हीना ऑर रिज़वाना के साथ भी बांटु लेकिन अफ़सोस मैं उन लोगो से बहुत दूर था. मेरा दिल चाह रहा था कि काश वो भी आज मेरे साथ होते तो ये देख कर कितना खुश होते कि मेरा भी एक परिवार है जिसमे उन सब लोगो की तरह ये लोग भी बे-इंतेहा प्यार करते हैं. ऐसी सोचो के साथ मेरा पूरा दिन गुज़र गया शाम को रसूल हम सब के लिए खाना ले आया जो हम सब ने मिलकर खाया. उसके बाद मैं रसूल के साथ वापिस अपनी बस्ती मे आ गया ऑर अपने घर मे जाके सुकून से सो गया.

रात को मैं सुकून से सोया पड़ा था कि अचानक किसी ने मेरा दरवाज़ा खट-खाटाया जिससे एक दम से मेरी नींद खुल गई. मैं अपनी आँखें मलता हुआ दरवाज़े के पास पहुँचा ऑर दरवाज़ा खोल दिया सामने एक लड़की खड़ी थी जो मुझे आँखें फाडे घूर-घूर कर देख रही थी. उसके पिछे रसूल ऑर बाकी कुछ ऑर लोग खड़े थे. वो लड़की शायद कही बाहर से आई थी क्योंकि उसके हाथ मे एक छोटा सा बॅग था ऑर बाकी के कुछ बड़े बॅग्स रसूल ने उठा रखे थे.

मैं : रसूल तुम इतनी रात को यहाँ... ऑर ये कौन है...

रसूल : ये... वो... (नीचे देख कर मुस्कुराते हुए)

इससे पहले कि रसूल अपनी बात पूरी करता वो लड़की ने बिना कुछ बोले मुझे अपने गले से लगा लिया ऑर रोना शुरू कर दिया. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये लड़की कौन है ऑर मुझे इस तरह गले लगाकर क्यो रो रही है.

रसूल : (अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए) अहम्...अहम्... अच्छा शेरा भाई सुबह मिलेंगे.

लड़की : (मुझे गले लगाए हुए ही) चलो अंदर....

मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि इतनी रात को ये कौन लड़की है जो इस तरह मेरे घर मे घुस आई है ऑर मुझे पर इतना हक़ जता रही है. वो लड़की मेरे देखते-देखते घर के अंदर चली गई ऑर मैं उसके बाकी बॅग्स उठा कर घर के अंदर ले आया. इससे पहले कि मैं उस लड़की से कुछ पुछ्ता वो फिर से आके मुझसे चिपक गई ऑर उसने एक साथ मुझसे कई सवाल पूछ लिए.

लड़की : (मेरा चेहरा पकड़कर चूमते हुए) कहाँ चले गये थे मुझे छोड़कर, मेरी याद नही आई तुमको, जानते हो तुमने मुझे कितना रुलाया है, क्या हुआ ऐसा क्यो देख रहे हो मुझे जैसे पहली बार देखा हो.

मैं : (उसको खुद से दूर करते हुए) ये क्या बेहूदगी है कौन हो तुम....

लड़की : अच्छा... तो अब मैं कौन हो गई हूँ.... शाबाश... क्या बात है कोई नयी ढूँढ ली है क्या जो अब मुझे पहचानना भी बंद कर दिया है.

मैं : देखिए मुझे कुछ भी याद नही है आक्सिडेंट के बाद से मेरी याददाश्त जा चुकी है.

लड़की : (बेड से उठकर मेरे पास आते हुए) हाए.... ये कैसे हो गया.

उसके बाद मैने उसको सारी बात फिर से बता दी जिसको वो बड़े गौर से सुन रही थी.

लड़की : शेरा तुमको मैं भी नही याद.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) नही... मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही है.

लड़की : (परेशान होते हुए) ऊओ..... माफ़ करना मुझे पता नही था... मुझे सिर्फ़ इतना ही बताया गया कि मेरा शेरा वापिस आ गया है तो मैं खुशी से पागल हो गई थी ऑर मुझसे सुबह तक भी इंतज़ार नही हुआ इसलिए मैं फॉरन चली आई.

मैं : आपका नाम क्या है.

लड़की : मेरा नाम रुबीना है लेकिन सिर्फ़ तुम मुझे प्यार से रूबी बुलाते थे.

मैं : अच्छा... तुम करती क्या हो

रूबी : मैं यतीम बच्चों की देखभाल करती हूँ ऑर उनको पढ़ाती हूँ.... तुम्हारे जाने के बाद यही मेरी जिंदगी थी.

मैं : क्या तुम मेरी बीवी हो.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) कह तो तुम बहुत साल से रहे हो कि शादी करेंगे लेकिन अभी तक वो दिन आया नही है.

मैं : तुमने खाना खा लिया...

रूबी : तुमको देखते ही सारी भूख मिट गई.... अब तो सुबह ही खाएँगे दोनो साथ मे... खैर जाने दो ये सब... अब काफ़ी रात हो गई है बाकी बातें सुबह करेंगे... मैं कपड़े बदलने जा रही हूँ उसके बाद सो जाते हैं ठीक है.

मैं : ठीक है
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07-30-2019, 01:25 PM,
#48
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-46

मेरे घर मे एक ही बेड था इसलिए मैने उसको अपने बिस्तर पर सुलाना ही मुनासिब समझा ऑर खुद अपना बिस्तर सोफे पर लगा लिया. इतनी देर मे रूबी भी कपड़े बदलकर आ गई थी जो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी.

रूबी : क्या कर रहे हो जनाब.
मैं : बिस्तर कर रहा हूँ अपना.
रूबी : सोफे पर....
मैं : हंजी बेड पर आप सो जाना मैं सोफे पर सो जाउन्गा.
रूबी : (मुस्कुराते हुए) हाए तुम इतने शरीफ कब्से हो गये... कोई ज़रूरत नही सोफे पर सोने की चलो यहाँ आओ ऑर मेरे साथ आके सो जाओ.
मैं : क्या पहले भी हम साथ मे सोते थे.
रूबी : हां बाबा.... पहले भी साथ मे ही सोते थे अब चलो आओ यहाँ ऑर आके सो जाओ मैं तुमको खा नही जाउन्गी.
मैं : ठीक है

उसके बाद मैं उसके साथ जाके लेट गया वो मेरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी ऑर मुझे ही देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी. मैं उसको बड़े गौर से देख रहा था ऑर याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन अफ़सोस मुझे कुछ भी याद नही आ रहा था. लड़की देखने मे काफ़ी खूबसूरत थी बड़ी-बड़ी आँखें, पतले से होंठ, तीखा सा लेकिन बहुत छोटा सा नाक ऑर गालो पर पड़ने वाली बालो की छोटी सी लट तो उउफफफ्फ़ एक दम जानलेवा थी. मैं काफ़ी देर उसको देखता रहा ऑर वो मुझे देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी इसलिए मैने ही बात शुरू की.

मैं : क्या हुआ रूबी.
रूबी : (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे अपनी किस्मत पर यक़ीन नही हो रहा कि तुम वापिस आ गये हो जानते हो तुम्हारे बिना एक-एक दिन मैने मौत जैसा गुज़ारा है.
मैं : अब तो वापिस आ गया हूँ ना
रूबी : लेकिन अब तुम पहले जैसे नही हो.
मैं : क्यो पहले मे ऑर अब मे क्या फरक पड़ा है ओर मैं पहले कैसा था.
रूबी : एम्म्म... पहले बहुत बदमाश थे हमेशा मुझे सताते रहते थे अब तो....
मैं : अब तो क्या....
रूबी : (मुस्कुराते हुए) कुछ नही जाने दो... एक बात बोलूं अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो.
मैं : हमम्म बोलो.
रूबी : तुमको गले लगने का बहुत दिल कर रहा है अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो.

ये बात सुनकर जाने क्यो मैने खुद उसे गले लगा लिया. ये पहली बार था जब मैं खुद उसको अपने गले से लगाया था. मेरे बिना कुछ बोले इस तरह गले लगाने से वो भी बहुत खुश हो गई ऑर उसने भी अपनी उपर वाली बाजू मेरी कमर मे डालकर मुझे ज़ोर से पकड़ लिया. कुछ देर वो ऐसे ही मेरे साथ गले लगी लेटी रही फिर अचानक मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो रो रही हो इसलिए मैने फॉरन उसका चेहरा अपने हाथो से पकड़कर उपर किया तो वो सच मे रो रही थी.

मैं : (उठकर बैठते हुए) क्या हुआ रो क्यो रही हो... मेरा तुमको गले लगाना बुरा लगा?

रूबी : (आँसू साफ करते हुए ऑर ना मे सिर हिलाते हुए) नही बहुत अच्छा लगा ऑर ये तो खुशी के आँसू हैं... जानते हो इस पल का मैने कितना इंतज़ार किया है.

मैं : मुझे माफ़ कर दो मैं भी तुमको छोड़ कर नही जाना चाहता था लेकिन उस दिन जाने मे क्यो चला गया ऑर उसके बाद मेरे साथ ये सब हो गया. मैं तो तुम्हारा दर्द भी नही बाँट सकता क्योंकि मुझे कुछ भी याद नही है.

रूबी : कोई बात नही अब मैं आ गई हूँ ना तुमको सब याद आ जाएगा. ऑर आगे से मुझे कभी छोड़कर कभी मत जाना.
मैं : (कान पकड़ते हुए) नही जाउन्गा.

उसके बाद हम दोनो फिर से लेट गये इस बार वो मेरे उपर लेटी थी ओर मेरी गाल पर अपने नाज़ुक से हाथ फेर रही थी.

रूबी : तुमने मूच्छे सॉफ करदी अपनी.

मैं : हमम्म क्यो अच्छा नही लग रहा.

रूबी : नही... नही... बहुत अच्छे लग रहे हो. उल्टा मैं तो खुद तुमको इससे सॉफ करने को कहती थी लेकिन तुम हमेशा ये कहकर मना कर देते थे कि मूछ के बिना शेर अच्छा नही लगेगा. अब खुद ही देखो मेरा शेर क्लीन शेव कितना सेक्शी लगता है. (मेरी गाल चूमते हुए)

मैं : (बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए) कमाल है आज तक तो लड़कियाँ ही सेक्सी होती थी अब लड़के भी सेक्सी हो गये हैं...

रूबी : (मुस्कुराते हुए) तुम तो मेरे सब कुछ हो.... मेरी जान हो.
मैं : जानती हो मुझे 2 दिन हो गये यहाँ आए हुए ऑर तुम मुझे आज मिलने आई हो.
रूबी : मैं क्या करती मुझे रसूल भाई जान ने बताया ही आज है नही तो तुमको क्या लगता है मैं रुकने वाली थी क्या. तुमको नही पता मैने तुम्हारे बिना ये वक़्त कैसे निकाला है तुम साथ होते थे तो ऐसा लगता था मेरी हर खुशी मेरे पास है मैं हमेशा महफूज़ हूँ लेकिन तुम्हारे जाने के बाद तो जैसे मेरी दुनिया ही लूट गई थी मैं सारा दिन रोती रहती थी ऑर यही तुम्हारे घर मे ही पड़ी रहती थी फिर एक दिन रसूल भाई जान की बीवी असमा भाभी ने मुझे समझाया ओर मैने तुम्हारे अधुरे सपने को ही अपना मक़सद बना लिया.

मैं : मेरा सपना.... कौनसा.
रूबी : तुम्हारी ख्वाहिश थी कि तुम अपना एक यतीम खाना खोलो जहाँ तमाम बे-घर बच्चो को अच्छी तालीम ऑर अच्छा खाना पीना मिल सके इसलिए मैने बाबा की इजाज़त से तुम्हारा सपना पूरा किया ऑर तुम्हारे नाम से एक यतीम खाना खोल दिया बस अब मैं सारा दिन उन्ही बच्चो को पढ़ती रहती हूँ.
मैं : ये तो तुम बहुत नेक़ काम कर रही हो.

उसके बाद हम सुबह तक ऐसे ही बातें करते रहे सुबह कब हुई हम दोनो को पता ही नही चला लेकिन एक रात मे मैं रूबी के बहुत नज़दीक आ गया था उसमे एक अजीब सा अपनापन था जिसने मेरे दिल मे उसके लिए जगह बना दी थी. कुछ देर ऐसे ही बातें करने के बाद हम दोनो सुबह जल्दी तेयार हो गये क्योंकि हमे बड़े शीक साहब (बाबा) से मिलने भी जाना था. उसके बाद हम सुबह बाबा से मिलने चले गये वहाँ कोई ख़ास बात नही हुई बाबा रूबी से यतीम खाने के बारे मे पूछते रहे. बाबा हम दोनो को एक बार फिर साथ देखकर बहुत खुश थे. उसके बाद रूबी मुझसे कही घूमने चलने की ज़िद्द करने लगी इसलिए बाबा से मिलकर वहाँ से हम एक जीप मे बैठे ऑर घूमने चले गये. मैं रूबी से बातें करते हुए गाड़ी चला रहा था कि अचानक एक कार तेज़ रफ़्तार से मेरे पास से गुज़र गई ऑर आगे जाके कुछ दूरी पर सड़क के बीच मे रुक गई जिसने मुझे भी चोन्का दिया ऑर मैने भी अपनी जीप रोक दी. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पता सामने खड़ी कार का दरवाज़ा खुला ऑर उसमे से कुछ लोग निकले ऑर मेरी जीप पर अँधा-धुन्ध गोलियाँ चलाने लगे. मैं इस अचानक हमले के लिए तेयार नही था ना ही उनसे मुक़ाबला करने के लिए उस वक़्त मेरे पास कोई हथियार था. 1 गोली जब जीप के सामने वाले काँच पर लगी तो मैने रूबी को पकड़कर नीचे कर दिया ताकि गोली रूबी को ना लग जाए ऑर जीप को रिवर्स मे पिछे की तरफ चलाने लगा.

रूबी : शेरा ये कौन लोग है जो पागलो की तरह हम पर गोलियाँ चला रहे हैं.

मैं : पता नही शायद छोटे शीक के लोग हैं.

रूबी इस तरह अचानक हुआ हमले से बहुत ज़्यादा डर गई थी इसलिए मैने वहाँ से निकलना ही मुनासिब समझा. मैं पूरी रफ़्तार से गाड़ी पिछे की तरफ दौड़ा रहा था ऑर वो लोग लगातार हमारी जीप पर गोलियाँ चला रहे थे. अब हम उनसे काफ़ी दूर आ गये थे इसलिए वो लोग वापिस कार मे बैठ गये ऑर कार को हमारी तरफ भगाने लगे. मैने भी गाड़ी घुमा कर रोड की जगह जंगल मे जीप को घुसा दिया था. मैने अपनी जीप बंद की ऑर रूबी को जीप से उतारकर थोड़ी दूरी पर एक पेड़ के पीछे खड़ा कर दिया जिससे सामने से वो किसी को नज़र नही आ सकती थी.

मैं: तुम यही रूको मैं अभी आता हूँ.

रूबी : कहाँ जा रहे हो शेरा उनके पास हथियार है.

मैं : डरो मत कुछ नही होता उनके पास हथियार है तो शेरा खुद एक हथियार का नाम है.

रूबी : मत जाओ ना... मुझे डर लग रहा है.

मैं : (उसका गाल को सहलाते हुए) कुछ नही होगा फिकर मत करो मैं बस अभी आ रहा हूँ.

तब तक वो कार भी जंगल के बाहर रुक चुकी थी ऑर उसमे बैठे तमाम लोग जंगल के अंदर आ चुके थे. वो 5 लोग थे ऑर सबके हाथ मे पिस्टल थी इसलिए मैं सामने से उनका मुक़ाबला नही कर सकता था. इसलिए मैने एक तरकीब सोची ऑर एक पेड़ पर चढ़ गया जिसकी लताये नीचे ज़मीन पर लटक रही थी. मैने पेड़ पर चढ़ कर कुछ लताओ को पकड़ा ऑर उनका एक फँदा बना लिया. पेड़ बहुत घना था इसलिए नीचे से मुझे कोई देख नही सकता था लेकिन मैं सबको देख पा रहा था उनमे से 2 लोग जल्दी से जीप के पास आए ऑर अंदर देखने लगे जब जीप खाली मिली तो 1 आदमी वही खड़ा हो गया ऑर बाकी 4 लोग इधर उधर मुझे ढूँढने लगे. जो 1 आदमी जीप के पास खड़ा था उस तक मैं आराम से पहुन्च सकता था इसलिए मैने वो लताओ का बनाया हुआ फँदा नीचे फैंका ऑर उस आदमी के गले मे डाल कर झटके से उपर खींच लिया वो आदमी वही मर गया. फिर मैने पेड़ से नीचे छलाँग लगाई ऑर जीप के नीचे घुस गया ऑर बाकी के लोगो का इंतज़ार करने लगा तभी 2 लोग वापिस आते हुए नज़र आए. मुझे नीचे से सिर्फ़ 4 टांगे ही नज़र आ रही थी इसलिए मैने नीचे से वो दोनो लोगो की टाँगो को पकड़ कर खींच दिया जिससे वो दोनो गिर गये. मैं जल्दी से बाहर निकला ऑर पूरी ताक़त के साथ अपने दोनो घुटने उन दोनो के सिर मे मारे जिससे वो दोनो भी वही ढेर हो गये. मैने जल्दी से उन दोनो को धकेल कर जीप के नीचे कर दिया ताकि उनके साथी उनको देख ना सके.

अब सिर्फ़ 2 लोग बचे थे जो ना-जाने कहाँ चले गये थे. मैं वापिस पेड़ पर चढ़ कर उनका इंतज़ार करने लगा कुछ देर इंतज़ार करने के बाद जब कोई नही आया तो मैने पेड़ से नीचे उतरने का सोचा. तभी 1 आदमी सामने से आता हुआ नज़र आया इसलिए मैं वही रुक गया. वो आदमी चारो तरफ देखने लगा शायद वो अपने साथियो को तलाश कर रहा था. मैं उस पर भी हमला करना चाहता था लेकिन वो आदमी मुझसे कुछ दूरी पर खड़ा था इसलिए उसको पास बुलाने के लिए मैने उस आदमी को नीचे फैंक दिया जिसको मैने लताओ का फँदा लगाके मारा था. मेरी ये तरकीब काम कर गई वो दौड़ता हुआ आया ऑर अपने आदमी को देखने लगा इससे पहले कि वो उपर देखता मैने उसके उपर छलाँग लगा दी. लेकिन इस अचानक हमले से उसकी गन से फाइयर निकल गया जिसकी आवाज़ पूरे जुंगल मे गूज़ गई. मैने जल्दी से उसकी गन पकड़ी ऑर उसके मुँह मे उसकी पिस्टल डाल कर फाइयर कर दिया वो भी वही ढेर हो गया. लेकिन अब जो आखरी बचा था वो शायद अलर्ट हो गया था गोली की आवाज़ सुनकर इसलिए मैं जानता था कि वो अपनी कार के पास ही भागेगा इसलिए मैं फॉरन तेज़ी से भागता हुआ उसकी कार के पास चला गया. मैं उसको मारने के चक्कर मे ये भी भूल गया कि रूबी मेरे साथ थी जिसको मैने जंगल मे अकेला छोड़ दिया है. कुछ ही देर मे वो आदमी मुझे रूबी के साथ नज़र आया उसने रूबी के सिर पर गन लगा रखी थी ओर मुझे आवाज़ लगा रहा था.

आदमी : शेरा जहाँ भी है बाहर आजा नही तो ये लड़की गई समझ.

मेरे पास भी अब एक पिस्टल थी लेकिन मैं रूबी की जान का जोखिम नही ले सकता था इसलिए चुप-चाप बाहर आ गया ओर पिस्टल को पिछे अपनी बेल्ट मे सेट कर लिया ताकि उसको पिस्टल नज़र ना आए.

आदमी : सामने आके खड़ा होज़ा.

मैं : लड़की को छोड़ दे.

आदमी : नही तो क्या कर लेगा अगर मैं चाहूं तो तुम दोनो को यही दफ़न कर सकता हूँ.

मैं : तेरे जैसे कितने ही आए ऑर आज ज़मीन के 4 फीट नीचे पड़े हैं इसलिए मुझे गुस्सा मत दिला ऑर इसको छोड़ दे तेरी जान बक्ष दूँगा नही तो साले तडपा-तडपा कर मारूँगा.

आदमी : (हँसते हुए) रस्सी जल गई लेकिन बल नही गया गुस्सा आ गया तो क्या कर लेगा.... लगता है तुझे गोली मार कर ही यहाँ से लेके जाना पड़ेगा तू ज़िंदा तो चलेगा नही.
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07-30-2019, 01:25 PM,
#49
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-47

ये सुनकर रूबी को जाने क्या हुआ उसने उस आदमी की कलाई पकड़ी जिसमे उसने गन पकड़ी थी ऑर झटके से घुमा दिया ऑर भाग कर मेरी तरफ आ गई. अब वो आदमी अकेला था ऑर उसके हाथ से गन गिर चुकी थी मैने जल्दी से ज़मीन पर गिरी उसकी पिस्टल को ठोकर मार कर दूर फैंक दिया ऑर उसकी तरफ गुस्से से बढ़ा ऑर जाते ही मैने उसकी नाक पर अपने सिर की टक्कर मारी जिससे उसके नाक से खून निकलने लगा. अब मैने उसकी एक बाजू को पकड़ा ऑर सीधा करके घुमा दिया ऑर अपने घुटने के जोड़ मे फसा लिया ऑर उल्टी तरफ खींच दिया जिससे उसका हाथ टूट गया वो दर्द से चीख ऑर चिल्ला रहा था. अब यही मैने उसके दूसरे हाथ के साथ भी किया ऑर अब उसके दोनो हाथ टूट चुके थे वो ज़मीन पर गिरा हुआ रो रहा था ऑर चिल्ला रहा था मैं जल्दी से उस पेड़ के पास गया जहाँ वो लताये लटक रही थी वहाँ से मैने कुछ लताये तोड़ी ऑर उनका एक फँदा बना लिया ऑर वापिस आके उसके एक पैर मे डाल दिया जबकि दूसरा सीरा मैने जीप के पिछे बाँध दिया. मैने रूबी को साथ लिया ऑर हम दोनो जल्दी से जीप मे बैठ गये. अब मैं तेज़ रफ़्तार से जीप चलानी शुरू कर दी ऑर बँधा होने की वजह से वो आदमी भी सड़क पर घसीट ता हुआ हमारे साथ आ रहा था. कुछ ही देर मे हम अपने इलाक़े मे पहुँच चुके थे जहाँ सब लोग उसको गौर से देख रहे थे. तभी रसूल ऑर मेरे कुछ लोग दौड़ते हुए मेरी जीप के पास आए.

रसूल : शेरा ये आदमी कौन है.

मैं : मुझ पर हमला हुआ था आज... 5 लोग थे बस यही बचा है.

रसूल : क्या बात कर रहा है तुम दोनो ठीक तो हो.

मैं : हम ठीक है.... लेकिन इसका क्या करना है अब.

रसूल : करना क्या है इसको तो मेरे हवाले कर्दे.

रूबी : भाई जान ज़्यादा मत मारना पहले ही शेरा ने इसको बहुत मारा है.

रसूल : (हँसते हुए) अच्छा भाभी.... शेरा तू खंडहर पर चला जाना बाबा के पास इसको मैं देख लूँगा.
मैं : ठीक है...

उसके बाद मैने फिर से जीप दौड़ा दी ऑर अपने घर के सामने लाके जीप को रोक दिया. फिर हम दोनो जैसे ही जीप से उतरे तो बाकी के लोग हमारे पास आ गये ऑर हमारा हाल-चाल पुच्छने लगे. मैने रूबी को अम्मा के पास छोड़ा ऑर खुद खंडहर पर चला गया. वहाँ लाला पहले से मोजूद था जिसने मुझे गले लगाकर मेरा इस्तक़्बाल किया. फिर हम दोनो बाबा के पास चले गये. बाबा को मैने तमाम हादसे के बारे मे बता दिया.

बाबा : हमम्म तो वो ज़लील इंसान यहाँ तक पहुँच गया है बेटा इसलिए मैं तुमको कहता था कि तुम अब अपनी कुर्सी संभाल ही लो ताकि ये रोज़-रोज़ का खून खराब तो बंद हो जाए. जब तक मेरी कुर्सी खाली रहेगी कोई ना कोई उसको हासिल करने की कोशिश करता रहेगा.

मैं : तो बाबा मेरे लिए क्या हुकुम है.

बाबा : मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी कुर्सी को संभाल लो... पता नही अब मैं ओर कितने दिन हूँ मैं चाहता हूँ कि मेरे होते हुए ही तुम मेरी कुर्सी पर बैठ जाओ.

मैं : लेकिन बाबा अभी मैं ठीक कहाँ हुआ हूँ मुझे कुछ भी याद नही है.

बाबा : नही ठीक हुए तो ना सही... तुम्हे अब तक का तो सब कुछ याद है ना बस उतना ही काफ़ी है बाकी मैं तुमको सब बता दूँगा.

लाला : हाँ शेरा बाबा ठीक कह रहे हैं.

मैं : ठीक है बाबा.... जैसा आप बेहतर समझे.

मेरी ये बात सुनकर बाबा बहुत खुश हुए ओर मुझे गले से लगा लिया.

बाबा : लाला जाओ जाके मीटिंग का एलान करो ओर सबको यहाँ बुलाओ ऑर बता दो कि मेरा वारिस आ गया है अपनी कुर्सी संभालने के लिए.

लाला : जी बाबा अभी सबको फोन कर देता हूँ.

बाबा : शेरा बेटा मेरे पास आओ ऑर मैं तुमको हमारे बिज़्नेस का तमाम राज़ बता देता हूँ लेकिन पहले जाके दरवाज़ा बंद करके आओ.

उसके बाद मैने दरवाज़ा बंद कर दिया ऑर बाबा के पास जाके बैठ गया बाबा ने मुझे तमाम बिज़्नेस के बारे मे बताया ऑर ये भी बताया कि कौनसा बिज़्नेस कैसे चलाना है ऑर उसको कौन आदमी बेहतर चला सकता है. साथ ही उन्होने मुझे तमाम दौलत ऑर पैसे के बारे मे बताया फिर उन्होने आज तक कमाए तमाम सोने के बारे मे मुझे बताया जिसके पिछे छोटा पड़ा था ऑर मुझे बाबा ने ये भी बताया कि तमाम दौलत कहाँ पर पड़ी है ऑर हर सेफ को खोलने का तरीका क्या है.

शाम होने तक हमारे धंधे से जुड़े तमाम लोग वहाँ मोजूद थे जिनमे छोटा शीक ऑर शम्मी भी था. सबका इज़्ज़त के साथ इस्तक़्बाल हुआ ऑर उनको हॉल मे बिठा दिया गया. मैं बाबा के साथ ही था क्योंकि बाबा अब चल नही पाते थे इसलिए हमने उन्हे व्हील चेयर पर बिठा दिया ऑर मैं खुद व्हील चेयर को चला कर बाबा को हॉल तक लेकर गया. बाबा के आते ही सब लोग बाबा के लिए खड़े हो गये ऑर बाबा ने हाथ के इशारे से सबको बैठने को कहा. कुछ देर सब लोग बाबा की तबीयत पुछ्ते रहे. उसके बाद बाबा ने काम की बात शुरू की.

बाबा : आप सब इतने कम वक़्त मे यहाँ आए उसका शुक्रिया.

1 आदमी : बाबा लेकिन आपने आज इतने दिन बाद हम सब को एक साथ कैसे याद फरमाया.

बाबा : आप सब तो जानते ही हैं कि अब मुझ मे वो ताक़त नही रही कि मैं अपना इतना फैला हुआ बिज़्नेस एंपाइयर संभाल सकूँ इसलिए मैने अपना ये सारा बिज़्नेस आप मे से ही किसी एक को देने का फ़ैसला किया है.

छोटा : इसमे फ़ैसला क्या करना है बाबा आपका बेटा मैं हूँ तो आपकी कुर्सी पर पहला हक़ भी मेरा है.

बाबा : बेटा हो जाने से काबिलियत नही आ जाती. मैं अपनी कुर्सी उसको दूँगा जो ना सिर्फ़ मेरी कुर्सी को संभाल सके बल्कि मेरे बनाए बिज़्नेस को बढ़ा भी सके.

आदमी : अगर छोटा नही है तो फिर वो कौन है बाबा.

बाबा : आज के बाद से शेरा ही मेरी कुर्सी संभालेगा इसका हर हुकुम मेरा हुकुम है अब से ये जिसको जो भी धंधा देगा उसको वही संभालना होगा ऑर महीने की सारी कमाई लाके तुम सब पहले की तरह अब शेरा को दोगे जिसमे से शेरा तुम लोगो का हिस्सा तुमको देगा.

मेरा नाम सुनते ही वहाँ बैठे तमाम लोग खुश हो गये ऑर मेरे लिए तालियाँ बजाने लगे तभी शम्मी ऑर छोटे का मुँह गुस्से से लाल हो गया.

छोटा : बाबा आप ये ठीक नही कर रहे मेरा हक़ आप किसी ऑर को कैसे दे सकते हैं.

बाबा : मुझे तुमसे सीखने की ज़रूरत नही है कि मुझे क्या करना चाहिए ऑर क्या नही समझे तुमको जो मिला है उसी से काम चलाओ क्योंकि तुम उसके ही लायक हो.

छोटा : (गुस्सा होते हुए) मुझे आपकी खैरात नही चाहिए जो आपने मुझे दिया है वो भी संभाल कर रखू मैं जा रहा हूँ यहाँ
से आपको क्या लगता है आपकी कुर्सी पर अगर ये बैठ जाएगा तो ये मुझसे बेहतर बिज़्नेस को संभाल पाएगा.

बाबा : मुझे लगता नही है मैं जानता हूँ ये मेरा हर बिज़्नेस को दोगुना कर देगा.

छोटा : ज़िंदा रहेगा तब करेगा ना...

लाला : यहाँ से दफ्फा हो जा नही तो तेरा फ़ैसला मैं यही कर दूँगा.

बाबा : (हाथ से लाला को इशारा करते हुए ) मैने जो कहा है वो मेरा आखरी फ़ैसला है जिसको भी मेरा फ़ैसला मंजूर है वो यहाँ शॉंक से बैठा रह सकता है जिसको ऐतराज़ है वो छोटे ऑर शम्मी के साथ जा सकता है

बाकी के तमाम मोजूद लोगो ने एक आवाज़ मे एक साथ कहा " हमे आपके फ़ैसले से कोई ऐतराज़ नही है" उसके बाद बाबा के इसरार पर आज पहली बार मैं बाबा की कुर्सी पर जाके बैठ गया ऑर मुझे जैसा बाबा ने समझाया था मैने सबको उनके हिस्से के बिज़्नेस चलाने को दे दिए. कुछ देर वहाँ बैठने बाद बाबा आराम करने के लिए चले गये इसलिए मैं उनको वापिस उनके कमरे मे छोड़ आया ऑर खुद वापिस आके अपने बाकी लोगो के पास जाके बैठ गया ऑर हम सब को उनके काम को चलाने के बारे मे समझाने लगा. रात को सब ज़िद्द करने लगे कि मेरे कुर्सी संभालने की खुशी मे जशन होना चाहिए इसलिए रात को लड़कियो को बुलाया जिन्होने महफ़िल मे चार-चाँद लगा दिए ओर तमाम आए मेहमानो को मदहोश कर दिया.

ऐसे ही कुछ दिन गुज़र गये अब मैं सारा काम सीख चुका था. हर काम को मैं बहुत अच्छे से मुक़ाम्मल कर रहा था जिसे देख कर बाबा भी बहुत खुश हो रहे थे कि उनका फ़ैसला सही था. मैं सोच भी नही सकता था कि जहाँ मुझे एक इनफॉर्मर बनाके भेजा गया था वहाँ के तमाम गिरोह का अब मैं हेड बन गया था. अब मैं मेरी मर्ज़ी का मालिक था इसलिए अपने तरीके से अपने बिज़्नेस को चलाने मे लग गया कुछ ही दिन मे मैने बिज़्नेस को बढ़ाना शुरू कर दिया. मेरे बिज़्नेस मे जितनी भी रुकावट थी सबको मैने हटा दिया था क्योंकि जो भी मेरे काम के बीच मे आ रहा था मेरे लोग उसे ख़तम करते जा रहे थे. अब तो ये आलम था कि छोटा ऑर शम्मी भी डर कर कही अंडरग्राउंड हो गये थे मेरी ताक़त दिन-ओ-दिन बढ़ती जा रही ऑर मेरा गॅंग भी बड़ा होता जा रहा था जिसमे मैने हर काम के लिए स्पेशलिस्ट रखे हुए थे जो मेरे एक हुकुम के गुलाम थे. मैं ताक़त के नशे मे ये भी भूल चुका था कि मुझे ख़ान ने किस मक़सद से यहाँ भेजा था. ना तो मेरे दिमाग़ मे नाज़ी थी ना ही हीना ऑर नाही फ़िज़ा थी यहाँ तक की मुझे बेटा मानने वाले बाबा को भी मैं भूल गया. ऐसे ही मुझे काम करते हुए 1 महीना हो गया था.

लेकिन महीने के आखरी दिन जब तमाम लोग अपने बिज़्नेस की कमाई मेरे पास लेके आए तो मैने उन सबको उनका हिस्सा वापिस दे दिया ऑर बाकी का तमाम पैसा बाबा की ही तरह सेफ मे रखने चला गया जो नीचे बाबा के कमरे के नीचे जाती एक सुरंग मे बना हुआ था जहाँ सिर्फ़ मैं ही जा सकता था क्योंकि बाबा ने सिर्फ़ मुझे ही वहाँ जाने का रास्ता बताया था. सबसे पहले मैं सारा पैसा लेके बाबा के पास गया ऑर उनको हिसाब दिया.

मैं : बाबा ये तमाम महीने की कलेक्षन है.

बाबा : बेटा ये तो पहले से काफ़ी ज़्यादा लग रही है तुमने सबको उनका हिस्सा तो दे दिया है ना.

मैं : जी बाबा सबको दे दिया है.

बाबा : ठीक है बेटा... अब मुझे नीचे लेके चलो ऑर एक बार मेरे सामने तुम मुझे सेफ खोल कर दिखा दो तो मुझे भी तसल्ली हो जाएगी.

मैं : जी बाबा.

उसके बाद मैने बाबा को उनकी व्हील चेयर पर बिठाया ऑर उनको नीचे बनी सुरंग मे ले गया ऑर उनको तमाम सेफ खोल कर दिखा दिए जिसे देखकर वो बहुत खुश हुए. बाबा तमाम सेफ के बारे मे मुझे साथ-साथ बताते भी जा रहे थे कि कहाँ कौनसी चीज़ पड़ी है. तभी एक छोटे से लॉकर पर मेरी नज़र गई.

मैं : बाबा उसमे क्या है.(छोटे लॉकर की तरफ इशारा करते हुए)

बाबा : बेटा उसमे हमारे बिज़्नेस की ही फाइल्स है जिसमे हमारे तमाम दुश्मनो के नाम हैं साथ ही कुछ फाइल्स ऐसी है जिसमे हमारे पोलीस मे कौन-कौन से लोग काम करते हैं उनके नाम हैं ऑर बाकी कुछ हमारे विदेशो मे जो लोग कॉंटॅक्ट्स है उनकी डीटेल्स हैं.

मैं : तो बाबा अपने वो फाइल मुझे पहले क्यो नही दी दुश्मनो का भी इलाज कर देते.

बाबा : नही बेटा अभी वो लोग अंडरग्राउंड है तो रहने दो तुम अपने काम पर ध्यान दो जब वो लोग अपनी टाँग अड़ाएँगे तो उनको रास्ते से हटा देना.

मैं : जी बाबा जैसा आप कहे.... बाबा आपको ऐतराज़ ना हो तो क्या मैं वो लॉकर भी खोल कर देख लूँ. (छोटे लॉकर की तरफ इशारा करते हुए)

बाबा Sadमुस्कुराते हुए) ऐतराज़ कैसा बेटा अब तो सब तुम्हारा है जो चाहे करो.

मैं : (खुश होते हुए) शुक्रिया बाबा.
Reply
07-30-2019, 01:25 PM,
#50
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-48

उसके बाद मैने जल्दी से लॉकर खोला ऑर अपने दुश्मनो की फाइल खोल कर देखने लगा उसमे हर आदमी की फोटो के साथ तमाम डीटेल भी साथ दर्ज थी जिनमे तक़रीबन लोगो को मेरे लोग ख़तम कर चुके थे. उसके बाद मैने दूसरी फाइल उठाई जिसमे हमारे दूसरे मुल्क़ो मे कहाँ-कहाँ कॉंटॅक्ट्स है उन सब के बारे मे था. लेकिन तीसरी फाइल वो थी जिसमे हमारे पोलीस मे कितने लोग काम करते थे उनके बारे मे लिखा था. मैने जल्दी से वो फाइल भी निकाली ऑर 1-1 पेज पलटकर देखने लगा लेकिन एक पेज के आते ही मेरे होश उड़ गये क्योंकि मैं कभी सोच भी नही सकता कि ये इंसान भी धोखेबाज़ निकलेगा मतलब इसी ने राणा की ओर मेरी खबर छोटे तक पहुँचाई थी.

मैं हैरान परेशान उस फाइल मे लगी तस्वीर को देख रहा था. मेरा सारा बदन ठंडा पड़ गया था ऑर मैं समझ नही पा रहा था कि मेरे साथ ये क्या हो गया है. क्योंकि वो तस्वीर किसी ऑर की नही बल्कि इनस्पेक्टर ख़ान ऑर रिज़वाना की थी. इन दोनो पर ही मैने ऐतबार किया था ऑर आज मुझे दोनो तरफ से एक साथ धोखे का झटका लगा था. क्योंकि ख़ान वो इंसान था जिसने मुझे यहाँ भेजा था इस गांग को ख़तम करने के लिए ऑर रिज़वाना वो थी जो मेरे लिए सब कुछ छोड़ने का दावा करती थी मुझसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करने का दावा करती थी. अब मुझे सारी कहानी समझ मे आ रही थी कि क्यो रिज़वाना मेरे इतने करीब आई क्यो ख़ान ने मुझे रिज़वाना के पास ही रहने को कहा ऑर क्यो मुझे तेयार करके यहाँ भेजा गया. राणा की मौत, क़ानून की वफ़ादारी, ज़ुर्म का ख़ात्मा सब नाटक था ख़ान का. उन दोनो की तस्वीर देख कर मैं गुस्से से पागल हुआ जा रहा था लेकिन ये बात मैं बड़े शीक साहब (बाबा) को ज़ाहिर नही कर सकता था कि मैं उन दोनो को जानता हूँ ऑर मुझे यहाँ एक इनफॉर्मर बनाके उन्होने ही भेजा है. मेरा दिमाग़ सुन्न हो गया था कुछ समझ नही आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ कहाँ जाउ क्योंकि मैं उनके बनाए हुए जाल मे फस गया था ये एक ऐसा दल-दल था जहाँ रह कर ही मैं ज़िंदा रह सकता था क्योंकि अगर अब मैं इस गॅंग को छोड़ता तो मेरे लोग ही मुझे ख़तम कर देते इनसे बच भी जाता तो अब मैं भी क़ानून का मुजरिम था क़ानून मुझे कभी माफ़ नही करता ऑर ज़ाहिर सी बात है अब मुझे क़ानून से माफी मिलने का भी कोई रास्ता नही था. इसलिए जिन लोगो ने मुझे इस मुसीबत मे फसाया था उनको ख़तम करने के बारे मे सोचने लगा. अब मैं ये काम कर भी सकता था क्योंकि अब मैं इस गॅंग का लीडर था. लेकिन इनको अब मैं इनके ही हथियार से मारना चाहता था जैसा धोखा इन्होने मेरे साथ किया था वैसा ही धोखा इनको देना चाहता था. मैं अपने ही ख़यालो मे खोया हुआ था कि अचानक बाबा की आवाज़ मेरे कानो से टकराई...

बाबा : क्या हुआ बेटा कहाँ खो गये...

मैं Sadचोन्क्ते हुए) जी... जी कुछ नही बाबा.

बाबा : क्या सोचने लगे....

मैं : कुछ नही बाबा मैं बस तस्वीरे देख रहा था. क्या ये पोलीस मे सब कम करने वाले लोग हमारे हैं.

बाबा : बेटा किसी ज़माने मे ये सब लोग हमारे ही थे लेकिन जब से छोटा अलग हुआ है गॅंग से तो उसके लोग उसके लिए काम करते हैं ऑर हमारे लोग हमारे लिए.

मैं : क्या बाबा उस डिपार्टमेंट मे हमारे लोग भी है.

बाबा : हाँ बेटा अब भी हमारे लोग वहाँ मोजूद है.

मैने ये बात सुनते ही जल्दी से लॉकर बंद किया ऑर वो फाइल उठा के ले आया जिसमे तमाम इनफॉर्मर्स की इन्फर्मेशन थी....

मैं : बताओ बाबा इसमे हमारे लोग कौन है.

बाबा : लेकिन तुम्हे आज पोलीस मे हमारे इनफॉर्मर की क्या ज़रूरत पड़ गई अचानक.

मैं : बाबा मैं हर जगह से गॅंग को मजबूत करना चाहता हूँ कही कोई कमज़ोरी बाकी नही रहने देना चाहता इसलिए जो छोटे के लिए काम करते हैं उनको ख़तम करवा दूँगा जिससे छोटे का इन्फर्मेशन रॅकेट टूट जाएगा.

बाबा : (खुश होते हुए) ये हुई ना बात... तुमने ठीक कहा अगर उसका धंधा ख़तम कर दिया तो वो भी ख़तम हो जाएगा... लेकिन बेटा ये तुम करोगे कैसे.

मैं : बाबा आप बस देखते जाइए मैं क्या-क्या करता हूँ.

बाबा : (मुस्कुराते हुए) आज क्या बात है बहुत दिन बाद मुझे मेरे पुराना शेरा नज़र आ रहा है तुम्हारे अंदर.

मैं : बस बाबा अब तो आपको पुराने वेल शेरा से भी क़ाबिल ओर ख़तरनाक बनके दिखौँगा.

उसके बाद मैने वो फाइल को पकड़ा ऑर बाबा को उपर उनके कमरे मे ले गया ऑर बेड पर लिटा कर खुद अपने ऑफीस मे आ गया. कुछ देर फाइल को अच्छे से देखने के बाद मैं याद करने लगा कि हेड क्वॉर्टर्स मे मैने इन सब लोगो मे से किसको देखा है जो हमारे लिए काम करता है. लेकिन अफ़सोस कोई भी चेहरा मेरे देखे हुए चेहरो से नही मिलता था सब नये ही चेहरे थे. इसका मतलब ख़ान ने सिर्फ़ अपने लोगो से ही मुझे मिलवाया था जो उसके लिए काम करते थे. मैं अब आगे क्या करना है उसके बारे मे ही सोच रहा था. आज के इस हादसे ने कई राज़ खोल दिए थे. अब मुझे इतना तो पता चल ही गया था कि कौन मेरा अपना है ओर कौन अपना होने का दिखावा कर रहा है एक तरफ ख़ान ऑर रिज़वाना थे जो मुझसे शीक साहब की दौलत का पता निकलवाने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे ऑर मेरे सामने मेरे हम दर्द बन रहे थे.

दूसरी तरफ बाबा थे फ़िज़ा थी नाज़ी थी हीना थी जिन्होने बिना किसी लालच के मेरी देख भाल की मुझे इतना प्यार दिया ऑर मैं ताक़त के नशे मे चूर सब अहसान भूल गया मेरे बिना जाने वो कैसे होंगे ऑर मुझे कितना याद करते होंगे. मैं तो उन लोगो की ज़िम्मेवारी भी ख़ान को दे आया था जाने उन लोगो का मेरे बिना क्या हाल होगा. यहाँ आने के बाद मैने एक बार भी उनके बारे मे जानना ज़रूरी नही समझा ना ही ख़ान ने मुझे उनके बारे मे कुछ बताया. अब मुझे खुद की खुद-गर्जी पर गुस्सा आ रहा था कि मैं उनका प्यार भूल गया उनके किए हुए मुझ पर अहसान भूल गया. फिर मुझे मेरी उनके साथ गुज़री हुई ज़िंदगी का एक-एक लम्हा याद आने लगा.

कैसे बाबा फ़िज़ा ऑर नाज़ी ने मेरी जान बचाई मेरी इतने वक़्त तक देख-भाल की कैसे बाबा ने मुझे अपना बेटा बना लिया ऑर मुझ पर अपने बेटे से भी ज़्यादा ऐतबार किया. कैसे जब मैं बीमार हुआ था तो हीना मेरे लिए शहर से डॉक्टर लेके आई थी ऑर मेरे बीमार होने पर अपने अब्बू से झगड़ा करके अपने मुलाज़िम मेरे खेतो मे लगा दिए थे. वो सब कुछ किसी फिल्म की तरह मेरे आँखो के सामने चलने लगा. अब मैं अकेला बैठा रो भी रहा था ऑर उन सब को याद भी कर रहा था. वो दिन मेरा उदासी के साथ ही गुज़रा मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो रहा था कि जाने-अंजाने मैने उनको भी मुसीबत मे डाल दिया है. रात काफ़ी हो गई थी इसलिए मैने घर जाने का सोचा ऑर अपनी सोचो के साथ मैं गाड़ी मे बैठ गया. ड्राइवर ने मुझे मेरे घर के सामने उतार दिया. मैने बुझे हुए दिल के साथ दरवाज़ा खट-खाटाया तो रूबी ने जल्दी से दरवाज़ा खोला ऑर एक दिल-क़श मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया.

रूबी : आज बहुत देर कर दी तुमने कहाँ थे इतनी देर.

मैं : कही नही बस ऐसे ही बैठा था ऑफीस मे.

रूबी : (मेरा हाथ पकड़कर मुझे घर के अंदर ले जाते हुए) क्या बात है आज मेरा शेर उदास लग रहा है कुछ हुआ क्या.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) बस ऐसे ही आज दिल उदास है

रूबी : (मुझे बेड पर बिठा कर गले से लगते हुए) अगर तुमको बुरा ना लगे तो तुम मुझे अपनी परेशानी की वजह बता सकते हो इससे मन हल्का हो जाएगा तुम्हारा.

मैं : नही कुछ नही हुआ बस वैसे ही सिर मे ज़रा दर्द है. (मैं रूबी को अपना बीता हुआ कल नही बताना चाहता था इसलिए बात को घुमा दिया)

रूबी : अच्छा ऐसा करो खाना खा लो फिर मैं तुम्हारा मूड ऑर सिर दर्द दोनो ठीक कर दूँगी.

मैं : मुझे भूख नही है तुम खा लो.

रूबी : अर्रे... ऐसे कैसे भूख नही है. भूखे रहने से भी सिर मे दर्द होता है जानते हो... तुम यही बैठो मैं खाना लेके आती हूँ तुम्हारे लिए आज मैं मेरी जान को अपने हाथो से खिलाउन्गी (मुस्कुराते हुए वो रसोई मे चली गई)

मैं कुछ देर उसको जाते हुए देखता रहा फिर मैं वापिस अपनी सोचो मे गुम्म हो गया. कुछ ही देर मे रूबी खाना ले आई ऑर मेरे साथ आके बैठ गई ऑर अपने हाथो से मुझे खाना खिलाने लगी. उसको इस तरह खाना खिलाता देख कर मुझे नाज़ी ऑर फ़िज़ा की याद आ गई क्योंकि जब मैं नाराज़ हो जाता था तो वो भी मुझे ऐसे ही खाना खिलाती थी. उसको इतने प्यार से खाना खिलाते देख कर मैं रूबी को ना नही कह पाया ऑर भूख ना होने के बावजूद मैं खाना खाने लगा साथ ही मैने भी रोटी उठाई ओर अपने हाथ से रूबी को खिलाने लगा. ये पहली बार था जब मैं रूबी को इतने प्यार से देख रहा था वो मुझे इस तरह खाना खिलाते देख कर बहुत हेरान थी ऑर बिना कुछ बोले वो भी खाना खाने लगी अब हम दोनो एक दूसरे को खाना खिला रहे थे.

खाने के बाद मैं बिस्तर पर लेट गया ऑर रूबी हमेशा की तरह अपना नाइट गाउन पहनकर आ गई ऑर मेरे साथ आके लेट गई. वो आज भी मुझे वैसे ही प्यार से देख रही थी जैसे पहले दिन मिली थी तब देख रही थी.

मैं : क्या देख रही हो.

रूबी : देख रही हूँ तुम कितने बदल गये हो

मैं : क्या बदल गया.

रूबी : पहले तुमने कभी मुझसे ये भी नही पूछा था कि मैने खाया या नही ऑर आज तुमने खुद मुझे खाना खिलाया.

मैं : आज इसलिए खिलाया क्योंकि मेरा मन था तुमको खाना खिलाने का मैं जानता हूँ तुम मेरे बाद ही खाना खाती हो.

रूबी : (बिना कुछ बोले मुझे गले से लगते हुए) मुझे ये वाला शेरा बहुत पसंद है ऑर इसको मैं पहले से भी ज़्यादा प्यार करने लगी हूँ. मुझे तुम्हारी सबसे अच्छी बात जानते हो क्या लगी.

मैं : क्या....

रूबी : तुम अब दूसरो का बहुत सोचते हो पहले ऐसे नही थे.

मैं : रूबी तुमको एक सवाल पुच्छू अगर बुरा ना मानो तो...

रूबी : तुम्हारी कभी कोई बात बुरी नही लगती मेरी जान पुछो क्या पुच्छना है.

मैं : तुम मुझे इतना प्यार करती हो फिर भी कभी अपना हक़ नही जमाती मुझ पर ना ही तुमने कभी मेरे काम के बारे मे पूछा ना कभी ये पूछा कि मैं कहाँ था किसके साथ था ऐसा क्यो.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) क्योंकि एक बार तुमने ही कहा थे कि अपनी औकात मे रहा करो मैं कहाँ जाता हूँ क्या करता हूँ इससे तुमको कोई मतलब नही है ऑर हर बात तुमको बतानी मैं ज़रूरी नही समझता इसलिए तब से मैं हमेशा अपनी औकात मे ही रहती हूँ.

मैं : पहले जो भी बोला था उसको भूल जाओ ऑर मुझे माफ़ कर दो... अब जो कह रहा हूँ वो याद रखना तुम जब हक़ जमाती हो तो अच्छा लगता है ऐसा लगता है मेरा भी कोई अपना है.

रूबी : (खुश होके मुझे ज़ोर से गले लगाते हुए) हाए मैं मर जाउ.... आज तुम मेरी जान लेके रहोगे.... ऐसी बाते ना करो कही मैं पागल ही ना हो जाउ खुशी से.

मैं : (रूबी का चेहरा अपने दोनो हाथो से पकड़ते हुए) तुम जब हँसती हो तो बहुत अच्छी लगती हो इसलिए हँसती रहा करो.

रूबी : (खामोश होके हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म

मैं : तुमको पता है तुम बहुत अच्छी हो... (रूबी का माथा चूमते हुए)

रूबी : (बिना कुछ बोले मेरे ऑर पास सरकते हुए ऑर अपनी आँखें बंद करते हुए) हमम्म

मैने अपना चेहरा उसके चेहरे के एक दम सामने कर दिया ऑर हल्के से उसके गाल को चूम लिया उसने अपनी आँखें खोली ऑर मुझे मुस्कुरा कर देखने लगी. मैने एक बार फिर से उसकी गाल को चूम लिया. इस बार उसने भी मेरा चेहरा अपने दोनो हाथो मे थाम लिया ऑर बड़े प्यार से मेरे माथे पर ऑर गालो को चूम लिया. अब मैने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए जिससे मैं एक दम मदहोश सा हो गया हम दोनो की आँखें अपने आप बंद हो गई. कुछ देर हम दोनो एक दूसरे के होंठों के साथ अपने होंठ जोड़कर लेटे रहे फिर उसने धीरे-धीरे अपने होंठों को हरकत दी ओर हल्के से अपने होंठ खोलकर मेरे नीचे वाले होंठों को अपने होंठों मे समा लिया ऑर धीरे-धीरे चूसने लगी. मैने भी धीरे-धीरे उसके उपर वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया कुछ ही देर मे हमारे चूमने मे कशिश आने लगी हम दोनो एक दूसरे के शिद्दत से होंठ चूसने लगे. अब हम दोनो की साँसे भी तेज़ होने लगी थी.


हम दोनो ने एक दूसरे को इतनी कसकर गले से लगा रखा था जैसे एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते हो. उसके होंठ चूस्ते हुए मैने उसकी पीठ पर अपने हाथ फेरने शुरू कर दिए इस पर वो भी अपना एक हाथ मेरे गले मे डाले लेटी रही ऑर दूसरा हाथ मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी. साथ ही उसने अपनी दोनो टाँगो मे मेरी टाँगो को जाकड़ लिया. कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो मेरे उपर आके लेट गई ऑर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी. मैं मज़े से मदहोश हो गया था इसलिए अपने पूरा जिस्म ढीला छोड़ दिया. अब रूबी मुझे प्यार कर रही थी वो कभी मेरे पूरे चेहरे को चूमती कभी होंठों को. उसने मेरे उपर बैठे-बैठे ही अपना गाउन उतार दिया अब वो सिर्फ़ ब्रा ऑर अंडरवेर मे थी. कुछ देर मुझे चूमने के बाद उसने मेरे सिर के नीचे अपना हाथ रखा ऑर मुझे थोड़ा सा उपर की तरफ उठा दिया. उसका इशारा समझते हुए मैं जल्दी से उठ गया उसने मेरे होंठ चूस्ते हुए ही मेरी शर्ट के बटन खोले ऑर फिर दुबारा मेरी छाती पर हाथ रख कर नीचे को दबा दिया जिससे मैं वापिस बेड पर लेट गया. अब वो दुबारा मेरे चेहरे को चूम रही थी ऑर नीचे के तरफ आ रही थी. मेरे चेहरे को चूमते हुए पहले वो गर्दन तक आई ओर फिर मेरी छाती पर आके चूमने ऑर चूसने लगी. मैं मज़े से मधहोश हुआ पड़ा था मुझे उसके छाती पर चूमने ऑर चूसने से बे-इंतेहा मज़ा आ रहा था अब वो ओर नीचे की तरफ बढ़ रही थी. अब उसके हाथ मेरी पेंट बेल्ट पर थे लेकिन उसके होंठ मेरे पेट पर अपना कमाल दिखा रहे थे. उसने जल्दी से मेरी पेंट की बेल्ट का बक्कल खोला ओर फिर एक ही झटके मे बेल्ट को खींच का पेंट से जुदा कर दिया ऑर उसको बेड से नीचे फेंक दिया.

अब उसने जल्दी से मेरी पेंट के हुक्क खोले ऑर झटके से पेंट को घुटने तक नीचे कर दिया. अब वो अंडरवेर के उपर से ही मेरे लंड को चूम रही थी ऑर उस पर हाथ फेर रही थी. मैं मज़े की दुनिया मे सैर कर रहा था तभी उसने मेरे पेट पर चूमते-चूमते जीभ फेरना शुरू कर दिया ऑर धीरे-धीरे नीचे को आने लगी. अब उसने अपने दोनो हाथो की उंगालियाँ मेरे अंडरवेर मे फसा ली ऑर उसको धीरे-धीरे नीचे की तरफ खींचने लगी. कुछ ही देर मे मेरा अंडरवेर भी घुटने तक आ गया था. मेरा लंड लोहे की तरह सख़्त हुआ पड़ा था. वो मेरे लंड के चारो तरफ चूम रही थी ऑर अपनी जीभ फेर रही थी जिससे मुझे बेहद मज़ा आ रहा था. उसके बाद उसने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा ऑर लंड की टोपी पर हल्के-हल्के चूमने लगी. मैने मज़े से अपना हाथ उसके सिर पा रख दिया ताकि वो मेरे पूरे लंड को मुँह मे ले सके लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर वापिस बेड पर रख दिया वो ऐसे ही कुछ देर तक मेरे लंड को चूमती रही अब उसने अपना थोड़ा सा मुँह खोला ऑर टोपी के चारो तरफ ज़ुबान को गोल-गोल घुमाने लगी. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद उसने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा ऑर एक दम से अपना मुँह खोल के मेरा आधा लंड अपने मुँह मे डाल लिया जो उसके हलक तक जा रहा था कुछ देर वैसे ही रहने के बाद उसके लंड को थोड़ा मुँह से बाहर निकाला ऑर मुँह के अंदर भी वो लंड पर अपनी ज़ुबान को गोल-गोल घुमाने लगी. साथ ही अपने मुँह को भी अब उसने हिलाना शुरू कर दिया था. कुछ देर ऐसे करने के बाद वो तेज़-तेज़ मेरे लंड को चूस रही थी ऑर अपने दोनो हाथ मेरी छाती पर फेर रही थी. मैं मज़े की वादियो मे खो चुका था इसलिए मुझे नही पता कब उसने अपनी ब्रा ऑर अंडरवेर उतार दी थी.

कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद रूबी वापिस मेरे उपर आके लेट गई ऑर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी साथ ही अपनी चूत को मेरे लंड के उपर रगड़ने लगी. मैने जल्दी से अपने हाथ नीचे किया ऑर लंड को पकड़ कर चूत की छेद पर अड्जस्ट किया लेकिन रूबी ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर होंठ चुस्ते हुए ही ना मे सिर हिला दिया. उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी जिससे मेरा लंड भी पूरा गीला हो गया था. अब शायद उससे भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था इसलिए उसने खुद अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड को पकड़ा ऑर उसको अपनी चूत के छेद पर सेट कर दिया ऑर वापिस मेरे गाल को चूमने लगी साथ ही उसके होंठ मेरे कान के एक दम पास आ गया. इतने वक़्त मे ये पहला अल्फ़ाज़ था जो उसके मुँह से निकला था.

रूबी : आराम से डालना धीरे-धीरे झटका मत मारना.

मैं : हमम्म्म

रूबी : जब मैं रुकने को कहूँ तो रुक जाना ठीक है

मैं : हमम्म

उसके बाद उसने मेरे लंड पर अपनी चूत का दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया ऑर खुद साथ-साथ उपर नीचे भी होने लगी लेकिन उसकी रफ़्तार बहुत धीरे थी. कुछ ही देर मे मेरा आधा लंड उसकी चूत मे उतर चुका था. वो आधे लंड को ही धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रही थी. अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था इसलिए उसके मना करने के बावजूद मैने अपने दोनो हाथ उसकी गान्ड पर रख दिए ऑर एक जोरदार नीचे से झटका मारा जिससे मेरा लंड जड़ तक पूरा उसकी चूत मे उतर गया. साथ ही एक तेज़ सस्सस्स आअहह आयययययीीईई रूबी के मुँह से निकल गई.

रूबी : कहा था ना झटका मत मारना... जंगली कही के....

मैं : (मुस्कुराते हुए) सॉरी.... मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था.

वो बिन कुछ बोले वापिस मेरे होंठ चूसने लगी ऑर अब वैसे ही मेरे लंड पर बैठी थी अब वो सिर्फ़ मेरे होंठ चूस रही थी नीचे से अपनी गान्ड नही हिला रही थी. मेरा पूरा लंड उसके अंदर ही था जिसको उसकी चूत की दीवारो ने सख्ती से जकड़ा हुआ था. थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद अब उसने धीरे-धीरे हिलना शुरू कर दिया जिससे मेरा लंड भी उसकी चूत मे अंदर बाहर होने लगा. अब वो मेरी छाती को बार-बार चूम रही थी ऑर साथ मे अपनी गान्ड भी हिला रही थी. अब उसने मेरे दोनो हाथो को अपने हाथो से पकड़ा ऑर मेरे हाथ अपने मम्मों पर रख दिए जिन्हे मैने थाम लिया ऑर दबाने लगा अब उसका उछल्ना भी तेज़ हो गया था शायद वो फारिग होने के करीब थी इसलिए उसने तेज़-तेज़ अपनी गान्ड को हिलाना शुरू कर दिया उसके मुँह से निकलने वाली सस्सस्स सस्सस्स भी अब काफ़ी तेज़ आवाज़ मे निकल रही थी. मैने भी उसके मम्मों को छोड़कर सिर्फ़ उसके निपल्स को पकड़ लिया ऑर अपनी उंगलियो से दबाने ऑर मरोड़ने लगा. कुछ देर ऐसे ही उपर नीचे होने के बाद रूबी का पूरा बदन झटके खाने लगा ऑर उसका मुँह खुल गया कुछ देर के लिए वो फिर से मेरे उपर बैठ गई ऑर हिलना बंद कर दिया थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद वो मेरे उपर लेट गई ऑर तेज़-तेज़ सांस लेने लगी साथ ही मेरी छाती पर अपना हाथ फेरने लगी. मुझे अपने लंड पर पहले से ज़्यादा गीलापन महसूस हो रहा था. अब उसने मेरे दोनो हाथ जो उसके मम्मों पर थे वहाँ से उठा कर अपनी कमर पर रख दिए ऑर खुद घूम कर बेड पर आ गई ऑर मुझे उपर आने का इशारा किया. मैं बिना चूत से लंड को बाहर निकाले वैसे ही घूम कर उसके उपर आ गया अब उसने फिर से मेरे होंठों पर हमला कर दिया ऑर बुरी तरह से मेरे होंठ चूसने लगी.
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