Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
07-12-2018, 12:36 PM,
#11
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--11

गतान्क से आगे..........

टीना: ...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.आह..ह..ह.

राजेश: बेटा यह नया खिलौना कैसा लगा…

टीना:पअ.पा.बह…त…उफ.उ.उ.ल..गर्म…हो रहा है…आह..ह.

राजेश: (अपने को टीना से अलग करते हुए) बेटा एक काम कल पर टाल दिया था…उसे अभी पूरा कर लेते है…

(टीना की मदहोशी टूटती है तो नजर अपने हाथ पर जाती है तो एक आठ-नौ इंच लंबा और तीन इंच का घेराव लिए, उपर की खाल पीछे खिंचने से फूला हुआ लाल रंग का कुकुरमुत्तेनुमा सिर और उसकी आँख के उपर बैठी हुई ओस की बूँद दिखाई देती है। अवाक् हो कर टीना इस रहस्मयी हथियार को अपनी उँगलियों में थाम कर गौर से देखती रह जाती।)

राजेश: टीना क्या यही बदमाश तुम्हें परेशान कर रहा था…

टीना: (बिना गरदन छोड़े)…हूँ…

राजेश: बेटा इसकी सिर पर लगी हुई आँख पर जो मोती पड़ा है…उसे अपनी जुबान से साफ कर दो…यह पहला मोती प्योर प्रोटीन का खजाना होता है…

टीना: (झिझकती है)…न…(लिंगदेव की गरदन छोड़ने लगती है परन्तु राजेश अपने हाथ को टीना के हाथ पर रख कर कस कर अपना लिंग थाम लेता है)

राजेश: बेटा…प्लीज तुमने वादा करा था…

(टीना झुकती हुई अपनी जुबान को लिंगदेव के सिर पर फिरा कर ओस की बूँद को साफ़ कर देती है)

टीना: बस्…अब हो गया…

राजेश: बेटा…तुम्हें अपनी सेहत का ख्याल हो न हो, पर मुझे तो तुम्हारे द्वारा निकाला गया टाक्सिन पीना है…(कहते हुए अपना कुर्ता और लुंगी उतार फेंकता है। दोनों के नग्न जिस्म आमने-सामने है। टीना शर्मा कर नजरें चुराती हुई राजेश के बालिष्ठ शरीर को निहारती है।)

टीना: पापा…यह आप क्या कर रहे…

(राजेश घूम कर अपनी पोजीशन बदल कर टीना के पाँवों की ओर कर लेता है। अपने घुटनों को खोल कर बीच में से टीना के पाँव खींचकर उसकी योनि को अपने मुख के सामने ले आता है।)

राजेश: बेटा इस क्रिया को 69 पोजीशन कहते है… (और कहते हुए अपने जिस्म से टीना का बदन ढक देता है। पहले जुड़ी हुई संतरे की फाँकों चूमता हुआ अपनी गर्म साँसो का वार करता है और फिर उन फाँकों को प्यार से खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपनी जुबान टिका देता है।)

टीना: .उई...माँ….पा.प.…पा…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। बेबस हुई टीना इस वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश अपने होठों से टीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को कड़ा करके योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर तन्नाये हुए लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार चोट मारते है।)

टीना: उ.उई...प.पअ…पा.…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और टीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर टीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पायी और असीम आनंद में झटके खाते हुए अपने होंठ खोल दिये। राजेश तो बस इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से टीना के मुख को सीलबन्द कर दिया। राजेश की जु्बान ने तो अकड़ी हुई घुन्डी को ठोकर मार-मार कर लाल कर दिया था। दूसरी ओर अपनी उँगली को योनि के मुहाने में फँसा कर अन्दर टटोलना आरंभ कर दिया। इस वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पायी और एक बड़ा झटका खा कर बाँध तोड़ कर झरझराती हुई बह निकली।

करीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....

(साँस घुटती हुई लगी तो टीना ने पूरा मुख खोल दिया, राजेश ने वक्त की नजाकत को समझते हुए थोड़ा और अन्दर सरका दिया। बेबस टीना पुरी ताकत से राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, पर राजेश अपने लिंग पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। कुछ मिनट यह मुख के अन्दर-बाहर का दौर चलता रहा और लगातार लिंग के नंगे सिर पर टीना के होंठों के घर्षण से झट्के के साथ उबलता हुआ लावा टीना के गले मे बेरोकटोक बहने लगा। साँस लेने के लिए टीना जल्दी से सारा गटक गयी परन्तु राजेश ने तो नल ही खोल दिया था। टीना तो एक बार पहले भी भुगत चुकी थी इस लिए जल्दी से सारा गटकने में लग गयी। तूफान आ कर थम गया। दो नग्न जिस्म लता कि भाँति एक दूसरे के साथ लिपट कर अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसो को काबू करने मे लग गये। कुछ देर बाद्…)

राजेश: बेटा…थैक्स्…तुमने अपना वादा पूरा किया…

टीना: (राजेश के सीने से लिपट कर)…हूँ…यह बहुत ही…(सिकुड़ते हुए लिंगदेव को सहलाते हुए)…नौटी है।

राजेश: (टीना के सीने के उभारों को सहलाते हुए) बेटा…तुम्हें प्यार की भाषा भी सिखानी पड़ेगी क्योंकि कब तक तुम…इसे, उसको, आदि बोलोगी…

टीना: (शर्माते हुए)…पापा…इसको क्या कहते है…

राजेश: बेटा, कल ट्रेनिंग के दौरान बताऊँगा…अब सो जाओ क्योंकि कल सुबह तुम्हें स्कूल जाना है…

टीना: हाँ…पापा…क्या आप मेरे साथ यहीं पर सोओगे…

राजेश: (एक बार फिर से टीना को कस के बाँहों मे भर कर) हाँ बेटा…कल सुबह तुम्हें जल्दी उठाना है, इस लिए मै यहीं पर सो जाता हूँ…(टीना के होंठों के साथ एक बार फिर से खिलवाड़ करने के बाद)…स्वीट ड्रीम्स…

(राजेश अपने होंठों के बीच एक निप्पल को दबा कर और टीना अपनी मुठ्ठी में लिंगदेव को जकड़ कर एक दुसरे के साथ लिपट कर सो जाते है।)

सीन-19

(सुबह के पाँच बज रहे है। आसमान सूर्य की लालिमा में नहा रहा है। राजेश के मोबाइल का अलार्म बजने से राजेश की नींद टूटती है। नग्न अवस्था में टीना पीठ करके सो रही है और राजेश का एक हाथ टीना के स्तन पर और दूसरा हाथ टीना के सिर के नीचे, एक पाँव टीना के कुल्हे पर और ठीक दो नितंबों के जोड़ के बीचोंबीच फँसे हुए सुबह के प्रेशर में तन्नायें हुए लिंगदेव ने राजेश के लिए बड़ी अजीब स्थिति पैदा कर दी थी। रात की कहानी राजेश की आँखों के सामने एक हसीन ख्वाब की तरह दोहरा गयी। अलार्म की आवाज ने टीना को भी जगा दिया, बिना कुछ बोले अपनी माँसल जाघों के बीच में फँसी हिलकोरे लेती हुई जिवित चीज को हाथ से महसूस करती है।)

राजेश: बेटा…सुबह हो गयी…उठ जाओ…

टीना: (कुनमुनाती हुई) अभी नहीं…(अपनी योनि के सामने निकले हुए अंग को मुठ्ठी में जकड़ कर)……

राजेश: बेटा…आह्…(हाथ में लिए हुए स्तन को जोरों से दबाते हुए धीरे से आगे की ओर धक्का देते हुए)…टीना बेटा स्कूल जाना है…(एक बार फिर से धक्का देता हुआ टीना की मुठ्ठी को अपने हाथ से साधते हुए)…

टीना:…आह्…पापा…

राजेश: (लघुशंका के लिए दबाव बढ़ता हुआ)…बेटा…अभी इस नालायक को जाने दो…प्लीज…

टीना: (करवट ले कर राजेश की ओर मुख करके) क्या हुआ पापा…

राजेश: (जल्दी से उठते हुए) अगर अभी नहीं तो फिर कभी नहीं…

(भाग कर टीना के बाथरूम में जाता है और टीना अंगड़ाई ले कर सामने लगे आईने में अपने नग्न जिस्म को निहारती है। रात की बात को याद कर शर्म से मुख पर लाली बिखर जाती है। थोड़ी देर में राजेश मुँह धो कर बाथरूम से बाहर निकलता है। जमीन पर पड़ी लुंगी को उठा कर अपने इर्द-गिर्द लपेटता है और टीना की ओर बड़ता है।)

राजेश: बेटा…तुम तैयार हो जाओ…मै नीचे जा कर नाश्ता बनाता हूँ क्योंकि तुम्हारी मम्मी अभी सो रही होगी…(कहते हुए टीना के होंठों को चूम कर कमरे के बाहर चले जाता है। टीना बाथरूम की ओर बड़ जाती है।)

(सुबह के आठ बज रहे हैं। राजेश नहा कर तैयार हो गया है और रसोई में नाश्ता बनाने में लीन है। टीना भी अपनी स्कूल की यूनीफार्म में तैयार हो कर नीचे आ कर राजेश का हाथ बटाती है। एक बार राजेश टीना पर नजर डालता है तो उसके अल्हड़ कमसिन बदन को स्कूल युनीफार्म मे देखता रह जाता है। सफेद रंग के टाप मे टीना के उभार बाहर आने के लिए मचलते हुए दिखते है। घुटने से उपर तक की नीली स्कर्ट केले सी चिकनी टाँगों का प्रदर्शन कर रही है। दोनों सारा सामान उठा कर डाईनिंग टेबल पर सजा देते हैं और साथ बैठ कर नाश्ता करते है। बीच-बीच में राजेश और टीना एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है)

राजेश: आज यूनीफार्म तुम बहुत सुन्दर दिख रही हो…कल रात…

टीना: पापा…आज कैसी एक्सरसाईज होगी…

राजेश: आज तुम्हारी छुपी हुई माँसपेशियों की एक्सरसाइज करेंगें…बेटा जल्दी से अपना नाश्ता खत्म करो तुम्हें देर हो रही है…

टीना: पापा…मेरा नाश्ता तो खत्म हो गया…अब कुछ भी नहीं खा सकूँगी…(कहते हुए टेबल से उठ जाती है)

राजेश: ठीक है…सब कुछ ऐसे ही रहने दो…तुम्हारी मम्मी अपने आप साफ कर लेगीं…(कहते हुए वह भी टेबल से उठ खड़ा होता है) जाओ अपना बस्ता उठा कर ले आओ…

(टीना भाग कर अपना बस्ता उठा कर ले आती है और बाहर दरवाजे की ओर जाने लगती है)

राजेश: बेटा…तुम्हारा बिल्…आखिर तुमने नाश्ता किया है…

टीना: (मुस्कुराती हुई राजेश की ओर बढ़ती है) कैश या काईन्ड्…

(राजेश कुछ जवाब न देते हुए टीना का चेहरा अपने हाथों में थाम कर उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त मे ले लेता है। कभी निचले होंठ को चूसता है और कभी अपनी लपलपाती जिबहा को कँपकँपाते हुए लबों पर फिराता है। राजेश के हाथ भी अपने काम में लग जाते है। कभी तो टीना के उन्नत सीने के साथ खिलवाड़ करते है और कभी पीछे नितंबों की मालिश करते है। टीना भी उतने ही उत्साह के साथ पलट कर राजेश का साथ देती हुई लिपट जाती और अपने निचले हिस्से से राजेश के उठते हुए हथियार से रगड़ती और पीसने की कोशिश करती है। राजेश पीछे से नितंबों को दबाते हुए टीना की स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर अपनी दो उंगलियों को टीना की पैन्टी मे फँसा कर पैन्टी को नीचे पिंडुलियों तक घसीट देता है।)

टीना: आ…ई पा…पा यह…क्या किया…अब देर नहीं हो रही है…

राजेश: बेटा… (नीचे जमीन पर पड़ी हुई पैन्टी को अपनी जेब में रखते हुए)…तुम्हारे स्कूल का रास्ता कार से लगभग तीस मिनट में पूरा होगा…तब तक्… अब चलेँ क्या… (दरवाजे की ओर बड़ जाता है।)

(कार की आगे की सीट पर टीना और राजेश बैठे हुए है। टीना की स्कर्ट जाँघों तक खिंचीं हुई और राजेश का एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरा हाथ टीना की योनिच्छेद के साथ छेड़खानी में लगा हुआ है।)

टीना: (छिपे हुए मोती के ऊपर लगातार घर्षण से) .उई... माँ…. पा.प.… पा… उफ.उ.उ.ल .. न्हई… आह.....(झरझरा कर बहने लगी)

राजेश: बेटा…तभी मैने तुम्हारी स्कर्ट को समेट कर अलग कर दी थी कि कोई दाग न लग जाए (योनिमुख पर उँगली फिराते हुए)…तुम अपने हाथ से इस नालायक की भी मालिश कर दो… (टीना अपने हाथ से पैन्ट की जिप खोल कर राजेश के हथियार को बाहर निकालती है। अपनी उँगलियों में थाम कर धीरे से कुकुरमुत्तेनुमा सिर का अनावरण करती है।)

टीना: यह इतना बड़ा कैसे हो जाता है…जब सुबह बाथरूम में गये थे तो बहुत विकराल रूप धारण किये हुए था परन्तु जब बाहर आये थे तो यह सिकुड़ कर छोटा हो गया था…अब फिर से देखो…कैसे तन्नायें हुए है…

राजेश: बेटा, अगर मेरा टाक्सिन निकल गया तो सारा मेरी पैन्ट पर गिरेगा और दाग लग जाएगा…फिर मै दफ्तर कैसे जाउँगा…बेटा तुम अगर मेरी मदद करो तो…

टीना: बताइए …

राजेश: अगर तुम झुक कर अपने मुख से इसको ढक दो तो जैसे ही टाक्सिन निकलेगें तो तुम्हारे मुख में गिरेगें जिसे तुम गटक जाना इस से मेरे कपड़े खराब नहीं होंगें… प्लीज्…यह एक्सरसाईज तो नहीं है परन्तु इस तरअह तुम अपने पापा की मदद कर सकोगी…

टीना: पापा…आप हमेशा मुझको…ठीक है…

(टीना झुक कर लिंगदेव का सिर अपने मुख में ले लेती है और अपनी जुबान से लिंगदेव को सहलाती है। राजेश धीरे से टीना के सिर को पकड़ कर उपर और फिर नीचे का मोशन सिखाता है। टीना इशारा समझ कर धीरे धीरे वही मोशन को दोहराती है। राजेश बामुश्किल अपने को काबू में रख कर कार ड्राइव करता है। लगातार टीना के गुलाबी होंठों और जुबान के घर्षण से राजेश के अन्दर का ज्वालामुखी अपना उग्र रूप धारण कर लेता है।)

राजेश: मर गये… टीना जल्दी से उठो…

टीना: (हड़बड़ाते हुए उठती हुई) क्या हुआ…पापा…

राजेश: सामने देखो…तुम्हारी सहेली ने हमारी कार पहचान ली है…हाथ के इशारे से रुकने के लिए कह रही है…

टीना: करीना…यहाँ पर कैसे…गाड़ी मत रोकना पापा…

राजेश: न बेटा…(कहते हुए करीना के करीब ला कर गाड़ी रोक दी और पीछे का दरवाजा खोल कर अन्दर आने के लिए आमंत्रित किया) …यहाँ कैसे खड़ी हो बेटा…

करीना: हाय अंकल, हाय टीना…थैंक गाड्…आप मिल गये…वर्ना आज बड़ी परेशानी हो जाती…मेरी कार खराब हो गयी और भैया मेकेनिक को लेने गये हुए हैं…

टीना: (कुछ चिड़ते हुए) यार इस खटारा कार को अपने पापा से कह कर बदल दे…

करीना: यार मेरे भैया तो कई बार कह चुके हैं, पर पापा है कि मानते नहीं। सरकारी कार को यूज करने से मना करते हैं…पर यह बता तू नीचे हो कर क्या सो रही थी… मुझे तो सिर्फ अंकल ही दिखे…

टीना: (झेंपते हुए) नहीं यार…मेरे बालों का बैन्ड नीचे गिर गया था वही उठा रही थी। अच्छा अब स्कूल आ गया है…जल्दी से सामान समेट ले…

करीना: हाँ यार्…

(राजेश स्कूल के गेट पर कार रोकता है। दोनों लड़कियाँ अपना-अपना बस्ता उठाए कार से नीचे उतरती हैं। टीना सीधी गेट की तरफ जाती है…राजेश की तरफ करीना आती है)

करीना: थैंक्स…(फुसफुसा कर)…डार्लिंग…

राजेश: (झेंपते हुए)…मेन्शन नाट्…प्रिय्… जरा टीना को रोको और मेरे पास भेजना…पैसे लेना तो भूल गयी…

(करीना भाग कर टीना को रोकती है और राजेश की ओर इशारा कर के उसे वापिस भेजती है। टीना दौड़ कर राजेश के पास आती है।)

राजेश: बेटा तुम पैसे लेना भूल गयीं थी…(हाथ में एक सौ रुपये का नोट थमाते हुए)…एक और जरूरी बात है…अपना हाथ खिड़की के अन्दर डालो…(टीना अपना हाथ बड़ाती है तो राजेश उसके हाथ में सुबह वाली पैन्टी रख देता है…अगर बिना इसको पहने चली जाती तो जो कार की सीट पर फैला हुआ है वही तुम्हारी क्लास की सीट पर फैल जाता।

टीना: पापा, करीना कह रही थी कि आपकी जिप खुली हुई है...

(राजेश हड़बड़ा कर पैन्ट की जिप की ओर देखता है तो झेंप जाता है क्योंकि जिप के मुहाने से लाल टोपी धरे लिंगदेव मुँह निकाले बाहर की हवा खा रहे हैं। टीना यह द्र्श्य देख कर खिलखिला कर हँस पड़ती है। राजेश जल्दी से जिप लगाता है।)

राजेश: बेटा…करीना ने सिर्फ खुली हुई जिप नहीं देखी परन्तु इसको भी देख लिया है…

टीना: तो…

राजेश: वह तुमसे बहुत सारे सवाल करेगी…क्या जवाब दोगी…।

टीना: हम तो सिर्फ लंच टाइम पर ही मिलेंगे…पर अब मुझे भी चिन्ता हो रही है कि वह मुझ पर शक करेगी…।

राजेश: टीना तुम चिन्ता मत करो…बस कहना कि तुमने कुछ भी नहीं देखा…

टीना: ठीक है…पर पापा मै घर कैसे जाऊँगी…आज स्कूल बस भी नहीं चलेगी।

राजेश: जैसे ही तुम्हारा फार्म का काम खत्म हो जाए, तुम मुझे फोन कर देना तो मै तुम्हें घर छोड़ दूँगा।

टीना: हाँ यह ठीक रहेगा…(अपने स्कूल के गेट की तरफ बड़ जाती है)…

(राजेश कार स्टार्ट करता है और अपने आफिस की दिशा में निकल जाता है। स्कूल में…टीना और करीना लंच टाइम में साथ-साथ बैठी हुई हैं।)

क्रमशः
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07-12-2018, 12:37 PM,
#12
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कमसिन कलियाँ--12

गतान्क से आगे..........

करीना: आज मैनें कुछ देखा…क्या तूने भी देखा…

टीना: क्या देखा…

करीना: अंकल की खुली हुई जिप…तुने कुछ नहीं देखा…जब तू नीचे से बैन्ड उठा रही थी तब तूने कुछ भी नहीं देखा…

टीना: नहीं तो…तूने क्या देखा…बता न…

करीना: (शर्म से लाल होती हुई) अगर किसी को नहीं कहेगी तो…

टीना: पागल है, भला मै किसी से क्यों कहूँगी…बता न…

करीना: यार…कैसे बताऊँ…अंकल का टूल खुली हुई जिप में से बाहर झाँक रहा था…बहुत मोटा और लंबा है, यार…

टीना: अच्छा जी, तूने उसकी लंबाई और मोटाई इतनी जल्दी नाप ली…(हँसते हुए)…कहीं मेरे पापा के साथ कुछ…

करीना: (झेंपती हुई) अन्दाजा लगा रही हूँ…मैनें तो यह सोचा कि तू नीचे बैठ कर उसके साथ खेल रही थी…

टीना: पागल है क्या…(बात बदलते हुए) तेरा फार्म का काम खत्म हो गया हो तो मेरे साथ चल…

करीना: यार मैं तो यही सोच रही थी कि वापिस घर कैसे जाऊँगी क्योंकि भैया ने तो पहले ही कह दिया था कि लौट्ने का इंतजाम मुझे खुद ही करना होगा वह नहीं आयेंगे…थैंक्स यार

टीना: एक शर्त पर्…मेरे पापा को सेड्यूस करने की कोशिश मत करना…मैं जानती हूँ तू बहुत दिनों से उनके सपने देख रही है और आज तो तूने उसके साक्षात दर्शन कर लिये हैं…

करीना: क्या कह रही है…पागल हो गयी…भला मै क्यों उनके सपने देखूँगी…

टीना: तो मै अंधी हूँ क्या…हमेशा तेरी नजर पापा की लुंगी के उपर ही रहती है।

(राजेश की कार आते हुए दिखती है। दोनों गेट की ओर भागती है। राजेश दोनों को देख कर अपना हाथ हिला कर इशारा करता है।)

टीना: पापा क्या हम करीना को भी घर पर छोड़ दें उसकी कार नहीं आयी है…

राजेश: क्यों नहीं…लेकिन पहले तुम्हें छोड़ूगाँ फिर लौट कर इसको छोड़ते हुए आफिस निकल जाऊँगा। करीना, तुम्हें जल्दी तो नहीं है…

करीना: नहीं अंकल…आप मुझे बाद में ड्राप कर देना…

टीना: आओ चलें, करीना तू पीछे बैठ जा…

(दोनों को बिठा कर राजेश अपनी कार को घर की ओर मोड़ लेता है।)

राजेश: थैन्क्स करीना…

करीना: किस बात के लिए…पर फिर भी…यू आर वेलकम

राजेश: (मुस्कुराते हुए) सुबह तुमने मुझे शर्मिन्दगी से बचा लिया…अगर तुम्हारी नजर मेरी जिप पर नहीं पड़ती तो दफ़्तर में मेरा बहुत मजाक उड़ता।

टीना: पापा…यह तो इसकी खासियत है…हमेशा इसकी नजरें नीचे की ओर ही रहती है… और जाने क्या-क्या देख लेती है।

करीना: (झेंपते हुए) रहने दे…अंकल यह मजाक कर रही है। मेरी नजर तो अचानक पड़ गयी थी।

राजेश: कोई बात नहीं, आज ज्यादा कुछ नहीं देखा होगा…

टीना: नहीं पापा…(करीना पीछे से टीना की कमर नोचती है)…उई…क्या कर रही है…

करीना: नहीं अंकल…यह तो ऐसे ही बक-बक कर रही है…टीना प्लीज और कोई शैतानी मत कर ओर चुपचाप बैठ जा…

राजेश: टीना…इसने और क्या देख लिया…

टीना: कुछ खास नहीं परन्तु जो भी देखा था उसे बहुत अच्छा लगा…

राजेश: अच्छा भई, ऐसा क्या देख लिया जो करीना को बहुत अच्छा लगा…मुझे भी तो बताओ…ऐसी क्या चीज है मेरे पास करीना जो तुम्हें बहुत अच्छी लगी है…

(करीना का मुख शर्म से लाल हो गया और टीना के होंठों पर एक कुटिल मुस्कान तैर गयी। इसी बीच राजेश नें अपने घर के अहाते में लेजा कर कार खड़ी कर दी और टीना की ओर रुख किया)

राजेश: बेटा मुझे जल्दी से आफिस पहुँचना है…तुम उतरो यहाँ पर्…मै करीना को चोद…सौरी छोड़ कर शाम तक वापिस आता हूँ…

(टीना बाय कहती हुई घर के दरवाजे की ओर जाती है और राजेश कार को बैक कर वापिस सड़क की ओर मुड़ता है।…)

सीन-20

(सड़क पर आने के बाद राजेश कार को स्लो कर के एक पेड़ के नीचे ले जा कर खड़ी कर देता है।)

करीना: आपने कार यहाँ क्यों रोक दी…

राजेश: डार्लिंग अब तो आगे आ जाओ…वर्ना लोग मुझे तुम्हारा ड्राईवर समझेंगे…

करीना: (मुस्कुराते हुए) प्रिय मैं आगे आ गयी तो तुम ड्राईव किये बिना मानोगे तो नहीं…खैर (कहते हुए आगे की सीट पर आ कर बैठ जाती है)…अब बताइए कि क्या अब ड्राईव करेंगें…

राजेश: (अपनी ओर खींचते हुए) अब तो बहुत सारी ड्राईविंग करनी है… (कहते हुए कार को आगे बढ़ाता है)

करीना: प्रिय…आज आपका वह सिर ऊठा कर बाहर की हवा खा रहा था…

राजेश: वह कौन…(जिप खोल कर अपने सुप्त अवस्था में हथियार को बाहर निकाल कर करीना की ओर देखते हुए)…यह…

करीना: डार्लिंग…अब आफिस जाने की जल्दी नहीं है…

राजेश: पहले थी परन्तु अब नहीं है…मैं आफिस से आधे दिन की छुट्टी लेकर आया था…

करीना: अच्छा जी, क्या बात हो गयी…अगर मैं अपने आप घर चली जाती तो आप क्या करते…

राजेश: तुम्हारे को तुम्हारे घर से लेकर कहीं बाहर घुमाने ले जाता…क्यों अगर मैं बुलाता तो नहीं आती क्या…

करीना: हाँ…(राजेश के हथियार को सहलाते हुए) प्रिय तुम्हें तो पता है कि अब मैं तुम्हारे प्यार में पूरी तरह से पागल हो चुकी हूँ…

राजेश: कहाँ चले…तुम्हें देर तो नहीं होगी…कब तक घर पहुँचना है…

करीना: जहाँ भी ले चलो…सात बजे शाम तक…क्योंकि मेरी कोचिंग क्लास है…

राजेश: (खुशी से) ग्रेट्…आज तुम्हें मैं एक ऐसी जगह ले चलता हूँ कि तुम्हें लगेगा कि स्वर्ग में आ गयी हो…। अब दर्द तो नहीं है…

करीना: अगर हो भी तो क्या तुम मानोगे…

राजेश: प्रिय ऐसा फिर कभी न कहना…मेरे लिए तुम बहुमूल्य हो और तुम्हारी हल्की सी खरोंच भी मेरे लिए बहुत तकलीफदेह है…

करीना: (राजेश के गले लिपटते हुए) सौरी…मुझे मालूम है। उस रात को अपने गेस्ट रूम में जिस तरीके से आपने मुझे ट्रीट किया मै तो उसी दिन से आपकी हो गयी थी। अब दर्द तो नहीं है परन्तु जरा डर लगता है…

राजेश: (करीना के गालों को चूमते हुए) देखो अब कभी भी तुम्हें दर्द नहीं होगा…पहली बार सभी को इस दर्द को सहना पड़ता है बस उसके बाद जीवन भर का मजा है…करीना डार्लिंग जब तक हम उस जगह पहुँचते तुम इस को प्यार तो कर लो…

(करीना झुक कर अर्धसुप्त लिंगदेव को मुख मे ले कर जगाने में लग जाती है। राजेश का एक हाथ सरक कर स्कर्ट के अन्दर चला जाता है। करीना अपने होंठों से कुकुरमुत्तेनुमा सिर का अनावरण करती है और पंखुड़ियों से कोमल होंठों का स्पर्श पा कर लिंगदेव भी धीरे से अपना रौद्र रूप धारण कर लेते है। इधर राजेश की उँगली भी संतरें की फांको को खोल कर सख्त हुए बीज पर जोर आजमइश शुरू कर देती है। दोनों जिस्मों में बस लपटें नहीं निकल रहीं है बाकी वासना की आग में पूरे झुलस रहे है।)

राजेश: करीना तुम्हारें होंठों में तो जादू है…जैसे ही तुम्हारे होंठों का स्पर्श होता है मेरा फौलादी लौ…अंग पिघलने लगता है…आह्…ऐस्…से ही…

(करीना ने अपना पुरा ध्यान सिर्फ एक ही कार्य पर केन्द्रित कर रखा है। अपनी लपलपाती जीभ से सिर से लेकर पुरे गरदन तक की मालिश कर रही है और होंठों से सिर के उठे हुए भाग को घिस रही है। लिंगदेव के पोर-पोर की मालिश और लगातार सिर पर वार से तीसरी आँख खुलने को बेताब हो रही है। करीना का सिर पकड़ कर राजेश एक झटके के साथ नीचे की ओर दबा देता है जिस से पुरा नौ इंची हथियार मुख से होता हुआ गले तक धँस जाता है और करीना के गले की माँसपेशियाँ का कँपकँपाता स्पर्श लिंगदेव के सिर को जकड़ कर सोखने से सुबह से दबा हुआ ज्वालामुखी फट पड़ता है और बहुत देर से उबलता हुआ लावा करीना के गले में झरझरा कर बहने लगता है। इस प्रकार के विस्फोट का एहसास राजेश को अपने जीवन में पहली बार हुआ है। काफी देर तक लगातार बहने के बाद राजेश अपना शिश्न करीना के मुख से निकालता है। करीना अलग हो कर राजेश कि ओर देखते हुए अपने होंठों पर जुबान फिराती है।)

करीना: (राजेश को आँखे मूंदे और निढाल पड़े हुए देख कर)…अंकल क्या हुआ?

राजेश: (धीरे से आँख खोलते हुए) करीना आज का दिन मुझे हमेशा याद रहेगा…पहले एकाकार में जो स्तिथि तुम्हारी थी आज वह मैनें महसूस की है…हाँ अब पूरे होश में हूँ…चलो चलते है

करीना: प्रिय…यह तुम्हारा प्यार है…

(राजेश अपनी सीट को ठीक करता है और कार स्टार्ट करके आगे बढ़ाता है। कुछ देर के बाद अपने फार्महाउस पर पहुँचकर बन्द गेट के सामने ले जा कर रोकता है और हार्न बजा कर गेट खुलवाता है। कार को अपनी कोटेज के सामने लेजा कर रोकता है और फिर करीना को नीचे उतरने का इशारा करते हुए जल्दी से जा कर दरवाजे पर पड़ा ताला खोलता है। पीछे-पीछे करीना भी आकर खड़ी हो जाती है। दोनों काटेज के अन्दर प्रवेश करते है)

करीना: अंक…डार्लिंग यह किसकी जगह है…बहुत सुन्दर नजारा है…

राजेश: (करीना को अपने आगोश में ले कर) प्रिय्…यह किस की जगह नहीं है…यह सिर्फ चुदाई की जगह है। किस तो (करीना के होंठों पर उँगली फिराते हुए) कहीं पर भी कर सकते है…

करीना: यह चु…ई, क्या कहा था आपने…

राजेश: काम-क्रीड़ा को चुदाई कहते है। जो कि आज हम शाम के सात बजे तक यहाँ पर करेंगें। डार्लिंग… सबसे पहले…भूख लग रही है, तुम्हारा क्या हाल है…

करीना: जो आपने पिलाया है उस से तो मेरी भूख बढ़ गयी है…परन्तु यहाँ पर खाने का क्या इंतजाम है…

राजेश: यहाँ पर सब कुछ का इंतजाम है…तुम बोलो तो सही…

(दीवार पर लगी हुई बेल बजाता है। कुछ देर में एक देहाती सी नवयौवना आती है। करीना को स्कूल यूनीफार्म में देख कर ठिठक कर दरवाजे पर रुक जाती है। करीना भी उसको देख कर झेंप जाती है। दोनों एक दूसरे को आँखों से नापती है। जहाँ करीना अभी जिस्मानी परिपक्वता की ओर बड़ रही थी वहाँ नवयौवना का जिस्म अपने पूरे यौवन पर था। बदन पर छोटी सी लो कट चोली और लहराता हुआ लहँगा, गले मे एक चाँदी की हँसुली और नाक मे गोल सी नथ पहने हुए अपने उभरे हुए सीने को झीने से दुप्पटे से ढकती हुई करीना की ओर टिकटिकी लगा कर देख रही थी।)

राजेश: सुन्दरी…क्या हुआ। यह करीना है। और करीना यह सुन्दरी है। यह हमारे केअरटेकर की लड़की है। अन्दर आजा…

सुन्दरी: (झिझकते हुए अन्दर आ कर) काहे…बाबू बहुत दिनों में आए…(जरा आँखे मटकाती और मुस्कुराती हुई)…अब स्कूल की तितलियों का स्वाद लग गया है…

राजेश: (आँखे तरेरते हुए)…हाँ तेरी जुबान कैची की तरह चलती है। जल्दी से खाने का इंतजाम कर, हमें भूख लग रही है। जब तक खाना आता है…कुछ अभी पीने का इंतजाम कर… करीना, क्या पीना चाहोगी- हार्ड या सोफ्ट्…

करीना: (आँखों मे शैतानी भर कर)…हार्ड तो पी कर आई हूँ, कुछ सोफ्ट हो जाए।

राजेश: (सुन्दरी को आँख मार कर) इनके लिए कोक आन द राक्स और मेरे लिए वोद्का…जल्दी से ले कर आ।

(सुन्दरी मुस्कुरा कर इठलाती हुई बाहर निकल जाती है। राजेश अपनी ओर करीना को खींचकर सीने से लगा लेता है और धीरे से उसके होंठों को चूमता है। करीना भी उसका बड़े उत्साह से साथ देती है। दोनों अपने कार्य में लीन हो कर बेड पर लेट जाते है।)

राजेश: करीना…इस जगह का कभी भी टीना या उसकी मम्मी से जिकर नहीं करना। यह मेरी प्राइवेट जगह है। आज के बाद…हम यहीं पर मिला करेंगें।

करीना: यह सुन्दरी कैसी बातें करती है…क्या आपने इसके साथ भी…

राजेश: मै तुमसे झूठ नहीं बोलूँगा। हाँ मैनें इसके साथ भी कभी-कभी कर लेता हूँ। इसके बाप ने इसे अपनी पत्नी बना कर रखा हुआ है।

करीना: ओ गाड…इसके फादर ने…क्यों

राजेश: सेक्स एक जरूरत है। इसकी माँ नहीं है…जब यह दस साल की थी तब से यह अपने बाप के साथ उसकी दुलहन कि तरह रहती है।

करीना: वेरी स्ट्रेंज्…फिर आपके साथ कैसे…इसके बाप नें मना नहीं किया।

राजेश: छोड़ो यह सब…इसके बारे में फिर कभी बताऊँगा, आज हमारे पास समय कम है। जब कभी तुम एक दो दिन के लिए यहाँ पर रुकोगी तो विस्तार से इसकी कहानी सुनाऊँगा। (करीना के ब्लाउज के हुक खोलते हुए) तुम अपनी यूनीफार्म बदल लो और एक साड़ी लपेट लो। अगली बार मै तुम्हारे साईज के कपड़े ला कर रख दूँगा…

(दरवाजे पर हल्के से खंखारने की आवाज होती है। करीना जल्दी से अपने कपड़े ठीक करते हुए बेड से उतरती है। सुन्दरी हाथ में ट्रे लिए खड़ी हुई मुस्कुरा रही है।)

राजेश: आजा…बेड पर ही लगा दे।

सुन्दरी: (आँखे मटकाती हुई) आप नाह्क ही…आप आराम से लेटी रहो…(कहते हुए राजेश के करीब आ जाती है)

राजेश: सुन्दरी…तेरे पास कोई साड़ी है क्या, करीना कुछ देर कपड़े बदल कर आराम करेगी…

सुन्दरी: मेरे पास तो सिर्फ लहंगा और चोली है। एक दुपट्टा भी है। मालकिन तो इस दुपट्टे से भी काम चला लेंगीं। (बड़ी बेशर्मी से सुन्दरी अपने दुप्पटे को अपने सीने से उतार कर करीना की ओर फेंक देती है। राजेश की नजर उसकी चोली मे बाहर झाँकते हुए नग्न वक्षस्थल पर पड़ती है तो वह एक गहरी साँस लेते हुए धीरे से अपने हथियार को पकड़ कर दबाते हुए सुन्दरी को घूरता है)… आप अपना गला तर करिए मै खाना ले कर आती हूँ।

(राजेश कोक की बोतल करीना के हाथ में थमाता है। अपना ग्लास उठा कर वोदका का सिप लेता है।)

राजेश: कैसा लग रहा है…

करीना: बिलकुल घर जैसा…कुछ अजीब सा टेस्ट है…

राजेश: इसमें मैनें थोड़ी वोदका मिलवा दी है…इस की वजह से तुम्हारी टेन्शन थोड़ी कम हो जाएगी…(राजेश के हाथ एक बार फिर से करीने के जिस्म की हर गोलाई को नापने मे लग जाते है)

करीना: (धीरे से कोक का सिप लेती हुई) आप मुझसे सच में प्यार करते है कि सिर्फ मेरे शरीर को भोगना चाहते हैं…।

राजेश: (करीना के होंठों को चूमते हुए) करीना डार्लिंग तुम्हारा भोग तो मै झुरमुटों के पीछे कर चुका हूँ। आज तुम्हारा यहाँ पर होना मेरे प्यार की निशानी है…

करीना: (थोड़ी सी वोदका के सुरूर में) तो फिर हम किस का इंतजार कर रहे है…(कहते हुए अपना अधखुले ब्लाउज को खोलती हुई)…अब मुझसे यह दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही है।

राजेश: तुम से क्या…(हाथ में खाने की ट्रे लिए तभी सुन्दरी का आगमन)…सारा सामान मेज पर लगा दे और फिर तेरी छुट्टी…जब जरूरत होगी बुला लेंगें…

(सुन्दरी जल्दी से सारा सामान मेज पर लगा देती है और कमरे के बाहर अपने कूल्हे मटकाती हुई निकल जाती है। राजेश अपनी बाँहों मे ब्रा और स्कर्ट पहने करीना को उठा कर मेज पर ले आता है। राजेश मेज पर बैठी करीना की स्कर्ट के पीछे के हुक खोल कर नीचे सरका देता है और फिर अपने कपड़े भी उतार फेंकता है। पूरी तरह नग्न अवस्था में बेड के पास जा कर ड्रिंक्स की ट्रे उठा कर ला कर मेज पर रख देता है। करीना सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी हो कर चुपचाप देखती है। राजेश कुर्सी पर बैठ कर करीना को अपनी गोदी में बिठाता है और फिर दोनों पुष्ट गोलाईयों को सहलाता है।)

राजेश: प्रिय…अब खाना खा लेते हैं क्योंकि अब आगे लम्बी रेस दौड़नी है…

करीना: हाँ, बिलकुल…

(थोड़ा दबता हुआ गेहुँआ रंग, तीखे नयन-नक्श, सफेद ब्रा में अधढके 38’ साइज के उन्नत और सुडौल उरोज, भरपूर कटाव लेती हुई कमर और वी-शेप कि सफेद रंग की काटन पैन्टी, करीना के अंग-अंग से कमसिन जवानी बेकरारी से मचलती हुई प्रतीत हो रही है। पूरी तरह से नग्न गोरा और बालिष्ट जिस्म, घुंघराले बालों के बीच में मोटे से पाईप की तरह बाहर लटकता हुआ अर्धसुप्त अवस्था में गुप्तांग, सब कुछ मिला कर राजेश कामदेव का स्वरूप लग रहा है। दोनों नये युगल जोड़े की तरह प्यार से एक दूसरे के साथ चुहल करते हुए खाना खाते है। बीच-बीच में अपनी ड्रिंक्स से सिप लेते है। खाने के बाद राजेश अपनी बाँहों मे भर कर करीना को बेड पर ले आता है।)

राजेश: डार्लिंग, अपनी-अपनी ड्रिंक्स अब बाट्म्स अप कर लेते है…नहीं ठहरो…ऐसे नहीं…

(राजेश ब्रा के हुक खोल कर करीना के पुष्ट उरोजों का अनावरण करता है। बची हुई वोदका को धीरे से बाँये स्तन पर उँडेलता है और बड़ी शीघ्रता से स्तनाग्र को अपने मुख में भर कर बहती हुई वोदका को पीने की कोशिश करता है। परन्तु पीता कम है, लेकिन स्तनाग्र को अपने मुख से सोखता ज्यादा है। ऐसा ही वह दाँयें स्तन के साथ दोहराता है। थोड़ी देर तक क्रमवार करीना के स्तनों के साथ खेलता है। हर्षोन्मत हो कर करीना की सिस्कारियाँ भी कमरे में गूँजने लगती हैं।)

करीना: प्रि…य… उह्…उह्…आ…आह्…यह क्य्…या क…र न न…हीं रहे

(राजेश सरकते हुए पैन्टी के सिरे में उँगलियॉ अटकाते हुए नीचे की ओर खींचता हुआ बाहर निकाल फेंकता है। केले जैसी चिकनी टांगों पर अपने होंठों की मौहर लगाता हुआ जांघो को चूमता हुआ योनिद्वार पर अपनी जुबान से ठोकर मारता है। अपनी उंगलियों से संतरे की फांकों सी होंठों को धीरे से खोल कर अकड़े हुए गुलाबी बीज को बची हुई वोदका से नहलाता है फिर उसको अपनी जुबान से चाट-चाट कर लाल कर देता। मोती सा सीप इस वार से रोद्र रूप लेकर फूल कर कुप्पा हो जाता है। करीना भावातिरेक हो कर राजेश का सिर पकड़ कर अपनी योनिमुख पर कस दबाती है और अपने अन्दर उफनते हुए ज्वालामुखी रोकने की कोशिश करती है। लेकिन राजेश है कि पूरी उघड़ी हुई दरार पर अपने मुख से वार पर वार किये जा रहा है)

करीना: नहीं…न…हीं, उह्…उह्…आ…आह्…यह क्य्…या क…र न न…हीं…

(करीना आनंदातिरेक की सारी हदें पार करती हुई एक झटके के साथ ढेर हो जाती है और फिर कई सारे हल्के झटके लेते हुए योनिमुख से प्रेमरस की वर्षा कर देती है। राजेश भी गिद्ध की तरह सहस्त्र्धारा पर टूट पड़ता है और प्रेमरस की एक-एक बूँद को वोदका की तरह गटक जाता है। करीना अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में करती है और राजेश के सिर को अपनी गोद में रख कर उसके होठों को चूमते हुए अपने प्रेमरस का स्वाद चखती है।)

राजेश: जानेमन…कैसा लगा। आज मैं बहुत नशे में हूँ…पहले वोदका और उस पर तुम्हारे प्रेमरस का काकटेल…

करीना: (भावावेश में) स्वर्गिम…खुले आसमान में उड़ रही हूँ…अब मेरी बारी है…(कहते हुए राजेश के तन्नायें हुए हथियार को प्यार से सहलाती है और कुकुरमुत्ते से सुपाड़े को अपने मुख में भरती है।)

राजेश: जानेमन…इसको अपने मुख से अच्छी तरह नहला दो…(कहते हुए अपना आधा लिंग करीना के गले में धँसा देता है।)

(करीना लिंगदेव की गरदन को पकड़ कर सोखना आरंभ करती है। बहुत देर से उफनता हुआ लावा इस वार से धधक उठता है। राजेश धीरे से करीना को अपने से अलग करता है और अपने को शान्त करने का प्रयत्न करता है।)

क्रमशः
Reply
07-12-2018, 12:37 PM,
#13
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--13

गतान्क से आगे..........

राजेश: डार्लिंग…बस बहुत नहला दिया है…अगर अब इस को इसकी जगह पर नहीं बिठाया तो यह यहीं पर ढेर हो जाएगा।

(करीना को अपने अगोश में लेकर प्यार से चूमते हुए बेड पर लिटा देता है। नग्नता में भी करीना गजब की सुन्दर दिखती है। वासना के उन्माद में कमसिन जवानी बेड पर अपनी ही लगाई हुई आग में तड़पती हुई बार-बार अपनी टांगों को खोलती है और अपने ही हाथों से अपने स्तनों को पीसती हुई राजेश को आमंत्रित करती है। करीना के आग से तपते हुए जिस्म को अपने जिस्म से ढक देता है।)

राजेश: लव…अबकी बार हमारा मिलन बेरोकटोक होगा और दर्द भी नही होगा…तैयार हो…

करीना: प्रिय…अब देर मत करो…आह…मेरा शरीर आग में तप रहा है…

(यह सुन कर राजेश बालोंरहित कटिप्रदेश और योनिमुख को अपनी उंगलियों से टटोलने में लग जाता है। राजेश की उँगलियाँ जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को खोल कर अलग करती है। अपनी उंगली से अकड़ी हुई घुन्डी को छेड़ता है। गीली होने की वजह से अकड़ी हुई घुन्डी और भी ज्यादा संवेदनशील हो चुकी है।)

करीना: .उई...माँ….उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली से घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों की गिरफ्त में करीना के होंठों को ले लेता है। एक हाथ से कभी उन्नत और सुडौल स्तनों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे स्तनाग्र को फँसा कर तरेड़ता, कभी एक कलश को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। करीना भी असीम आनंद में लिप्त होती जा रही हैं।)

राजेश: (करीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) करीना…करीना…

(राजेश अपने तन्नायें हुए लिंग मुठ्ठी में लेकर एक दो झट्के देकर योनिमुख पर टिका देता है। जलती हुई सलाख एहसास होते ही करीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद के मुख पर लगा कर अपने लिंग को ठेलता है। संकरी परन्तु गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ सुपाड़ा फिसल कर जगह बनाते हुए अन्दर घुस जाता है।)

करीना: …उ.उई.माँ..अँ.उ… उक.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश धीरे-धीरे आगे पीछे होते हुए लिंग का घिसाव अन्दर तक करीना को विचलित कर देता है। उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती करीना के होंठों को राजेश अपने होंठों से सीलबंद कर देता है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लिंग प्रेम रस से सरोबर जड़ तक धँस जाता है। करीना की आँखें एक बार फिर से खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी। पर इस बार की चीख प्यार के एकाकार की है।)

करीना: …आह..ह..ह.…हाय

राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) करीना…करी…ना अब की बार दर्द तो नहीं हुआ…

करीना: न…हीं…उफ..ए…आह..ह..हा.य

(करीना की योनि ने भी राजेश के लिंग को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ रखा है। क्षण भर रुक कर, राजेश ने करीना के नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सुपाड़ा करीना की बच्चेदानी के मुहाने को खोलता हुआ अन्दर तक धँस कर बैठ जाता है। धीरे से राजेश लिंगदेव को गरदन तक बाहर निकालता है और फिर उतनी ताकत से अन्दर धकेल देता है। करीना की योनि भी अब इस प्रकार के दखल की आदि हो गयी है।)

राजेश: (गति कम करते हुए) करीना अब दर्द तो नहीं हो रहा है…

करीना: नहीं…बहुत अच्छा और मीठा सा दर्द हो रहा है…ऐसा लगता है कि मै पूरी तरह से भर गयी हूँ…

राजेश: (रोक कर)…तुम्हारी चू…त बहुत टाईट है…मेरे लं…ड को तो जैसे निचोड़ रही हो। तुम्हें इन नये शब्दों का ज्ञान है कि नहीं?

करीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) आह…न…हीं…नही…

(पन्द्रह-बीस धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया है और ज्वालामुखी फटने से पहले आखिरी वार करते हुए अपने लिंग के सुपाड़े को बच्चेदानी के अन्दर धँसा देता है। इस वार को करीना बरदाश्त नहीं कर पाती और धनुषाकार बनाती हुई करीना की योनि झरझरा कर बहने लगती है। उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगते हैं और राजेश के लिंग को गरदन से जकड़ कर योनिच्छेद दुहना शुरु कर देते है। इसका एहसास होते ही सारे बाँध तोड़ते हुए लिंगदेव भी बिना रुके लावा उगलना शुरु कर देते है। करीना की योनि को राजेश अपने प्रेमरस से लबालब भरने के बाद निढाल होकर पड़ जाता है। राजेश अपने लिंग को फँसाये रखता है और नई-नवेली संकरी जगह का लुत्फ लेता है। एक बार फिर करीना भावविभोर होकर बेहोश हो जाती है।)

राजेश: (उपर से हटते हुए अपने सिकुड़ते हुए लिंग को बाहर निकालते समय कार्क खुलने की आवाज का एहसास होता है) करीना…करीना…

करीना: (कुछ क्षणों के बाद)….गअँ.न्ई…आह..... (अपनी आँखें खोलती हुई) डार्लिंग…

राजेश: (करीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) करीना…आज एक बार फिर…।

करीना: (पल्कें झपकाती हुई) हाँ, एक बार फिर से साँस घुटती हुई लगी और मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया।

राजेश: बहुत कामुक हो…अगर इस उमर में यह हाल है तो आगे क्या होगा…।

करीना: यह तो आपके एक आँख वाले अजगर का कमाल है…पता नहीं पर ऐसा लगता है कि मेरे पेट को भेद कर सीधे ह्र्दय पर वार करता है…(अपना हाथ नीचे की ओर ले जाकर योनिमुख से रिसते हुए प्रेमरस को पौंछती है।)

राजेश: पहले कुछ देर आराम कर लो फिर अगले राउन्ड की तैयारी करेंगे…

(राजेश प्यार से करीना को बाँहों मे भर कर उसके होंठों को चूमता है। दो नग्न जिस्म एक दूसरे के साथ लिपटे हुए पड़े है…कि दरवाजे पर आहट होती है।)

सीन-21

(आहट सुन कर राजेश जल्दी से करीना के नग्न जिस्म को सुन्दरी के दुपट्टे से ढक देता है और अपने उपर पास पड़ी हुई चादर को डाल कर, आवाज देता है।)

राजेश: कौन है…अन्दर आ जाओ…

(एक अच्छी कद काठी का वृद्ध हाथ में चाय की ट्रे लेकर अन्दर आता है और उसके पीछे भजिया-पकौड़े की प्लेट थामे सुन्दरी आती है।)

राजेश: आओ शमशेर सिंह…कैसे हो…यहीं बेड पर रख दो।

शमशेर सिंह: ठीक हूँ मालिक…(अपनी गिद्ध सी पैनी नजर से करीना को घूरता हुआ बेड पर सामान सजाता है)

(उसकी नजर दुपट्टे के नीचे करीना के कमसिन नग्न जिस्म को नापने मे लग जाती है। झीने से दुपट्टे के नीचे करीना का जिस्म की गोलाईयाँ और कमर के कटाव शमशेर सिंह की आँखों के सामने विदित हो रहे है। सीने पर खड़े हुए भूरे शिखर दुपट्टे को टेन्ट बनाते हुए और नग्न केले सी चिकनी पिंडुलियाँ दुपट्टे के बाहर निकली हुई शमशेर सिंह के सीने मे अजीब सा हौल पैदा कर देती है।) राजेश: तुम्हारी बिटिया बहुत खुश है…और सुनाओ खेती का काम कैसा चल रहा है…

शमशेर सिंह: ठीक चल रहा है मालिक…बहुत दिन हुए उस को देखा नहीं अगर आप आज्ञा दें तो हम दोनों उस से शहर जा कर मिल आये…

राजेश: हाँ भई, वह तुम्हारी बेटी है क्यों नहीं परन्तु आजकल बहुत व्यस्त रहती है। उसके पास मेरे लिए भी टाइम नहीं है…ऐसा करना पहले फोन कर लेना और फिर चले जाना…

शमशेर सिंह: ठीक है मालिक…आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो घंटी बजा देना…(कह कर बाहर की ओर निकल जाता है)…सुन्दरी तू भी जल्दी से सामान रख कर वापिस आजा…मुझे कुछ काम है।

सुन्दरी: (मुँह बिचका कर)…हाँ आती हूँ…लगता है कि मालकिन के जिस्म को देख कर बुढ्ढे के जिस्म मे आग लग गयी है। मालिक…इनके क्या हाल हैं…(थोड़ी आँखे मटका कर) कुछ मालिश वगैराह की जरूरत तो नहीं है…

राजेश: तू इनकी फिकर मत कर…जब जरूरत होगी यह अपने आप बता देगी…इनकी मालिश के लिए मै ही काफी हूँ…अब जा…देख रही है न (अपनी चादर को उघाड़ कर लिंगदेव के दर्शन कराते हुए) की मेरा फिर से मचल रहा है…(करीना भी एकटक सारी स्तिथि का चुपचाप जायजा लेती है)

सुन्दरी: अगर ऐसी बात है तो…मै यहीं रुक जाती हूँ…लेकिन पता नहीं फिर पिताजी क्या करेंगें। मैनें कटोरी मै तेल गुनगुना करके रख दिया है…अगर (करीना की ओर रुख करके) आप ज्यादा थक जाएँ तो मुझे बुलवा भेजिएगा मै आपकी मालिश कर दूँगी…(कह कर बाहर निकल जाती है।)

(राजेश और करीना चुपचाप चाय की चुस्कियाँ लेते हुए एक दूसरे को निहारते है)

करीना: आप बड़े बेशर्म हो…सुन्दरी को इसे दिखाने की क्या जरूरत है?

राजेश: उस को जला रहा हूँ…बहुत नखरे दिखा रही थी पिछ्ली बार…तुम्हारे हुस्न को देख कर बैचेन हुए जा रही है…(पकड़ कर दुपट्टा करीना के उपर से खींच कर हटा देता है। निर्वस्त्र करीना जल्दी से अपने हाथ से सीने को ढकती है)

करीना: क्या कर रहे हो…

राजेश: (अपने उपर पड़ी चादर हटा देता है) जो मैनें तुम्हारे साथ किया वही अपने साथ कर रहा हूँ…क्या गलत है…(अपने लिंग को मुठ्ठी मे पकड़ कर अपनी फोरस्किन को हटा कर कुकुरमुत्ते सा सिर के उपर अपने अँगूठे को फिराता है)…देखो यह अब दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार हो गया है…

करीना: आप इस…(लिंगदेव को अपने कोमल हाथों में थाम कर सुपाड़े पर अपनी उँगलियॉ फिराते हुए)… को क्या कहते हो?

राजेश: जब सुप्त अवस्था मे हो तो लंड और जब अजगर की तरह फुफकार रहा हो तो लौड़ा…पर इस भाषा का प्रयोग हम दूसरों के सामने नहीं कर सकते…यह सिर्फ दो प्यार करने वाले अकेले में करते है।

करीना: मै इसे क्या बुलाऊँगी…लंड या लौड़ा

राजेश: जब इसके साथ तुम हाथों से या अपने मुख से खेलती हो तो लंड और जब तुम्हारे अन्दर तक धँसा हुआ हो तो लौड़ा…यह सब छोड़ो…तुम्हारा जो भी मन हो वह बोलो…

करीना: अब आगे क्या…(राजेश के लिंग को सहलाते हुए)

राजेश: अभी तुम्हारी मालिश कर देते है…जिससे दूसरा दौर काफी लंबा चल सके…क्या कहती हो…

करीना: पर पहले मैं आपके लंड की मालिश करुँगी…(कहते हुए बेड से उतर कर मेज तक जाती है। राजेश की निगाह उसके स्पंदन करते हुए नितंबों पर जा कर टिक जाती है। पतली कमर और गोल भरे हुए नितंब और उनमे पड़े हुए गड्डे उसके हर कदम काँपते हुए प्रतीत होते है। तेल से भरी कटोरी ले कर जब वह मुड़ कर राजेश की ओर आती है तो राजेश की नजरें करीना के सीने पर आते हुए भूचाल की ओर आकृष्ट हो जाती है। पहली बार राजेश को करीना के कमसिन नग्न जिस्म को दिन की रौशनी मे देखने का मौका मिला है।)

करीना का यह रूप देख कर राजेश का हथियार एक ठुमका लगाता है)

करीना: इस को क्या हुआ…यह क्यों झटके खा रहा है? अब क्या करना है, मुझे बताइए…

राजेश: यह तुम्हारे प्यार में पागल हो गया है…तुम आज मुझे देख लो फिर अगली बार जब हम यहाँ पर मिलेंगे तब तुम मेरी मालिश कर देना…अब तुम सीने के बल बेड पर आराम से लेट जाओ।

(करीना सीने के बल लेट जाती है। राजेश गुनगुने सरसों के तेल को अपनी हथेली पर डाल कर रगड़ता है और फिर कुछ तेल की बूँदें करीना की पीठ पर टपका देता है। करीना की दोनों टांगों को फैला कर और उनके बीच में अपने घुटनों के बल पर बैठ कर पीठ की मालिश आरंभ करता है। पीठ पर दबाव देकर अपनी दोनों हथेलियाँ से कोमल काया को रगड़ता है। कुछ घर्षण की गर्मी और कुछ तेल गरम, करीना के पोर-पोर खोल देती है। हथेली जब फिसलती हुई साइड में उभरे हुए स्तन के भाग पर पहुँचती तो वह अपना हाथ अन्दर सरका कर पुरे कलश को अपनी गिरफ्त में ले कर मसक देता है। अजगर की तरह फनफनाते हुए लिंगदेव भी नितंबो के बीच में बनी दरार में मालिश करने में लगे हुए है।)

करीना: (हर घिसाव पर) आह…हा…य…आ…ह

(थोड़ी देर तक पूरी पीठ मालिश से लाल हो उठी है। राजेश सरक कर पीछे होता है और दोनों नितंबों और जांघों पर थोड़ा सा तेल फैला देता है। अब बड़ी बेदर्दी से जाघों से नितंबो तक रगड़ता है। कभी-कभी अपनी उँगली को दरार में छिपे सूरजमुखी फूल जैसे छिद्र के मुख पर फिराता है। कुछ ही देर में करीना के अंग-अंग का दर्द पुरी तरह से निचोड़ देता है और एक नयी स्फूर्ती सारे शरीर में भर जाती है। राजेश अपनी बीच की उँगली तेल में डुबो कर सूरजमुखी छिद्र के भीतर डालने की कोशिश करता है। करीना अचकचा कर उठती है परन्तु राजेश के दबाव के कारण उठ नहीं पाती है। राजेश एक झटके से अपनी उँगली को अन्दर तक धँसा देता है।)

करीना: उई…ई…ई यह क्या

राजेश: यह तुम्हारा तीसरा मुख है…पहला तुम्हारा मुख, दूसरी तुम्हारी प्यारी सी चूत और तीसरी तुम्हारी गाँड…तुम्हारे दो मुख तो मेरे लंड को निगल चुके है अब तीसरे की बारी है।

करीना: न्…हीं…मुझे…नहीं करना…(अचकचा कर उठने का यत्न करती है)

(राजेश अपनी उंगली को एक बार फिर से तेल में डुबो कर छिद्र में धँसा कर उसके कसाव को अपनी उँगली का आदि करता है। करीना बेहाल हो जाती है और हर वार पर चिहुँक उठती है। राजेश थोड़ी देर के बाद अपने अँगूठे को उँगली की जगह इस्तेमाल करने लगता है। थोड़ा सा छिद्र और खुल जाता है। अब तक करीना का सारा उफ़ान ठंडा पड़ जाता है। राजेश अब अपना पैंतरा बदलता है और अपनी उँगली से करीना की योनिमुख पर वार करता है। दोनों फांकों के बीच में से उँगली सीधी चीरती हुई सीप में छिपी हुई मोती के उपर वार करती है। करीना के मुख से एक लम्बी सिस्कारी निकल जाती है।)

करीना: आ…ह

राजेश: अब बताओ कि कैसा लग रहा है…

करीना: (सिर पटकते हुए) हा…य क्या…हु…आ

(राजेश अपने दो-तरफा वार की गति बढ़ाता है। अपने अँगूठे से छिद्र का मुहाना धीरे से खोलता है और अपनी उँगली से एंठीं हुई घुन्डी को रगड़ता है। दूसरे हाथ से राजेश नितंबों को गूँधता और मसकता है और कभी-कभी दाँतों में दबा कर धीरे से काट लेता है। करीना इन वारों को झेलने में अस्मर्थ पाती है और अचानक योनि में छोटे-छोटे विस्फोट होने लगते है।)

करीना: न…हीं…उफ..ए…आह..ह..हा.य

(राजेश का लिंग भी उन्माद में लार टपकाने लगता है। एक हाथ से करीना को नाभि पकड़ के उठाता है और अपने तन्नायें हुए लिंग को योनिमुख पर लगा कर एक भरपूर वार करता है। लिंगदेव बिना रुके सीधे बच्चेदानी के मुहाने पर वार करते हुए अन्दर तक धँस जाते है। करीना के प्रेमरस में नहाये हुए लिंगदेव धीरे से गति पकड़ते है। अभी भी योनि का संकरापन वैसा ही बना हुआ है जैसा कि पहले दिन था। राजेश एक दो गहरे धक्के मार कर अपने हथियार को बाहर निकाल लेता है और खुले हुए सूरजमुखी आकार के छिद्र के मुहाने पर बिठाता है और फिर धीरे से अन्दर की ओर ढकेलता है। छिद्र के मुहाने को लिंगदेव का सिर धीरे से खोल कर अन्दर जा बैठता है।)

करीना: आ…ईईइ म…र ग…यी…म…आआ…

राजेश: करीना अपने को ढीला छोड़ दो तो कष्ट नहीं होगा…इसे अपने अन्दर आने दो…जितना रोकने की कोशिश करोगी उतना ही ज्यादा कष्ट होगा।

करीना: (शरीर को अकड़ाती हुई) बहुत बेदर्दी हो…मुझे दर्द हो रहा है…

राजेश: (लिंगदेव के सिर पर फन्दा कसता हुआ महसूस करता हुआ) आ…ईइ…ऐसा लगता है कि तुम मेरे लंड का सिर धड़ से अलग कर दोगी…ढीला छोड़ो प्लीज…दर्द हो रहा है…

(करीना अपने शरीर को ढीला छोड़ती है। दर्द से छ्टपटाते हुए राजेश अपने लिंग को बाहर निकाल लेता है। धम्म से करीना बेड पर गिर जाती है छिद्र का मुहाना अब खुला हुआ है। राजेश की नजर अपने लिंग पर पड़ती है। पुरा सुपाड़ा सूज कर लाल हो गया है जैसे कि सारे खून का बहाव कट गया हो…)

राजेश: जानेमन…अगर आज तुम्हारा बस चलता तो मेरा एक तिहाई लंड कट कर कार्क की तरह तुम्हारे अन्दर फिट हो जाता।

करीना: (खिलखिलाती हुई) जान…बहुत दर्द हो रहा है…लाओ इस पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूँ।

राजेश: (प्यार से करीना को अपने नीचे लेते हुए) करीना की बच्ची आज मै तेरा तीसरा मुख खोल कर ही दम लूँगा…(और करीना के नग्न जिस्म पर अपने होंठों की मौहर लगाने लगता है)

करीना: प्रिय तीसरे मुख का उदघाटन अगली बार कर लेना…आज…मेरे दूसरे मुख को तृप्त कर दिजिए…न

राजेश: जानेमन तुम कहती हो यही सही (अचानक किसी के हँसने की आवाज आती है)…कौन है…सुन्दरी…यहाँ आ…

(धीरे से दरवाजे के खुलने की आहट आती है और सुन्दरी अन्दर आ जाती है। लता कि तरह लिपटे हुए दो नग्न जिस्मों को नीची निगाह करके घूरती हुई बेड के पास खड़ी हो जाती है। करीना शर्माते हुए अपनी नग्नता छिपाने की कोशिश करती है परन्तु राजेश उसे रोकता है।)

राजेश: तुम नाह्क ही इससे शर्मा रही हो। जब यह बेशर्म दरवाजे की ओट से हमारी काम-क्रीड़ा बड़े चाव से देख रही है तो हम इस से क्यों शर्मायें…क्यों री क्या कर रही है दरवाजे के पीछे खड़ी हो कर…(करीना के उन्नत स्तनों को सहलाते हुए सुन्दरी को घूरता है)…तुझसे जाने को कहा था न…तेरे बाप को पता है कि तू क्या कर रही है…

सुन्दरी: न मालिक…मुझे लगा कि आप मुझे बुलाएँगें तो मैं बाहर आकर खड़ी हो गयी थी…

क्रमशः
Reply
07-12-2018, 12:37 PM,
#14
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--14

गतान्क से आगे..........

(राजेश गुस्से से सुन्दरी को घूरता है। सुन्दरी के आधे बाहर झाँकते हूई गोलाईयों मे उसकी नजर पल भर के लिए उलझ कर रह जाती है। फिर कुछ सोच कर करीना के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले कर चूमने और चूसने का दौर शुरू करता है। अपने तन्नाते हुए लिंग को करीना की योनिच्छेद पर रगड़ता हुआ एक झटके से अन्दर कर देता है।)

राजेश: (लिंगदेव को पूरा धंसा देने के बाद रुक कर) सुन्दरी देख ले इसने पूरा ले लिया। यही तेरी कमर तोड़ देता था…तू कई दिन चल नही पाती थी। इस को देख ले, यह उमर में यह तेरे से बहुत छोटी है परन्तु कितने प्यार से इसने मुझे अपना लिया है…(पीछे की ओर अपने को खींच कर फनफनाते हुए प्रेमरस में नहायें लिंगदेव को बाहर निकाल लेता है)…इस को कहते है कामदेव कि रति…

करीना: (भावतिरेक में मुंदी आँखों से) डार्लिंग…प्लीज मत तड़पाओ…अन्दर डालो न…

(सुन्दरी का चेहरा वासना की आग में लाल हो गया और सारे शरीर में चींटियॉ सी चलने लगी है। तेज चलती हुई साँसें भारी सीने में कम्पन पैदा कर रही है। किसी नशे में चलती हुई बेड के सिरहाने बैठ कर करीना और राजेश के प्रेमरस मे डूबे हुए लिंगदेव को मुख मे भर कर साफ करती है। राजेश एक झटके से सुन्दरी के मुख से निकाल लेता है और फिर करीना की योनि की गहराई नापने लगता है। सुन्दरी अपने होंठों को चाटती रह जाती है और बड़ी हसरत भरी निगाहों से सामने काम-क्रीड़ा में मस्त युगल जोड़े को घूरती है। राजेश भी नये जोश में तीन-चार करारे धक्के देता है और करीना का ज्वालामुखी फट पड़ता है और योनिमुख से प्रेमरस रिसना शुरु कर देता है। करीना आँखे मूंद कर अपनी टांगे फैलाये बेड पर निढाल पड़ जाती है।)

राजेश: करीना…मेरा क्या होगा…यह तो नाइन्साफी है…

सुन्दरी: मालिक…मेरे उपर दया करिए…मालकिन को आराम करने दें…मेरे अन्दर ज्वर बैठ रहा है…कुछ दया करिए…

राजेश: ठीक है…पहले इसको साफ कर फिर सोचता हूँ…

(झपट कर पूरा लिंग अपने गले तक उतार कर साफ करती है। इधर करीना भी होश में आती है और यह द्र्श्य देख कर हतप्रभ रह जाती है और प्रश्नवाचक द्रष्टि से राजेश की ओर देखती है। राजेश उसे चुप रहने का इशारा करता है।)

राजेश: (लिंग पर से सुन्दरी का सिर हटाते हुए) देख तेरी मालकिन को होश आ गया है…उससे पूछ ले…

सुन्दरी: (घिघियाते हुए स्वर में) मालकिन मर जाऊँगी…मेरी मदद करो…सिर्फ मालिक ही मेरी आग बुझा सकते है…मालकिन…

(करीना को कुछ समझ नहीं आ रहा और वह राजेश की ओर देखती है।)

राजेश: बताओ करीना कि क्या करना है…तुम मेरी बराबर की जोड़ीदार हो…जो तुम कहोगी मै वही करूँगा…

करीना: (थोड़ी असमंजस में) क्या कहूं…(राजेश सिर हिला कर इशारा करता है)…ठीक है…आप इसकी आग बुझा दिजीए…वर्ना यह मर जाएगी…परन्तु इसके पति का क्या होगा…

राजेश: ठीक है। मै इसकी आग तो शान्त कर दूँगा परन्तु मेरी भी एक शर्त है…यह तुम्हारी योनि को अपने मुख से साफ करेगी और मै इसके पीछे से दोनों द्वार खोलूँगा…मंजूर हो तो ठीक है अपितु कुछ नहीं…

सुन्दरी: मालिक मुझे सब मंजूर है…

राजेश: तो अपने कपड़े तो उतार ले…तेरी मालकिन को भी तो तेरा हुस्न दिखा दे…

(सुन्दरी जल्दी से अपनी चोली और लहंगा उतार फेंकती है। तीखे नयन-नक्श, गेहुआं रंग, भरे हुए सुडौल स्तन और उनके शिखर पर भूरे फूले हुए दो निप्पल, घुंघराले बालों से ढका हुआ पागल हो जाये। गले मे पड़ी हुई चेन दोनों स्तनों के बीच की खायी मे झूल रही है। कमर पर चाँदी की करघनी की वजह से उठते हुए गोल नितंब ज्यादा उभरे हुए दिखते है। पाँव की पाजेब उसके जरा से हिलने पर एक संगीतमय ध्वनि छेड़ते हुए लग रहे है। करीना की बात सुनते ही सुन्दरी लेटी हुई करीना के योनिमुख की ओर झपटती है और अपना मुख योनिच्छद पर लगा कर रिस्ता हुआ प्रेमरस को सोखती है और अपनी जुबान से उठी हुई लाल घुंडी को चाटती है। जब तक करीना कुछ समझती, तब तक तो अपनी जुबान को कड़ा कर के मुहाने के भीतर डालने की कोशिश में लग जाती है। एक स्त्री द्वारा ऐसा कार्य का पहला अनुभव करीना को भावविभोर कर देता है।)

राजेश: सुन्दरी तेरी मालकिन की जांघों से उपर और नाभि से नीचे की कोई भी जगह अनछूई नहीं रहनी चाहिए…(कहते हुए सुन्दरी के पीछे की ओर बढ़ जाता है)… और तू तब तक नहीं हटेगी जब तक मैं नहीं हटता।

(राजेश अपने लिंग को मुठ्ठी में लेकर एक दो करारे झटके मारता है। अपने सुपाड़े को सुन्दरी की योनि के मुहाने पर लगा कर आगे की ओर ठेलता है। तन्नायें हुए लिंगदेव अपनी जगह बनाते हुए अन्दर घुस जाते हैं। आधा लिंग घुसाने के बाद राजेश झुक कर सुन्दरी के दोनों स्तनों को अपने हाथों मे लेकर कुछ देर मसकता है और कभी निप्प्लों को तरेड़ता है और कभी खींचता है। इधर करीना सुन्दरी के मुख और जुबान की हरकतों से एक नये प्रकार का अनुभव करती है। वासना की आग में तीन जिस्म भभक उठते हैं। करीना हर्षोन्माद में सिर पटकती है और सुन्दरी की योनि धीरे-धीरे तपते हुए लिंगदेव के अन्दर घुसने का एहसास करती है। राजेश इस नये अनुभव का पूरा लुत्फ लेते हुए करीना के चेहरे पर बदलते हुए भाव को निहारता हुआ एक करारा धक्का देता है और जड़ तक अन्दर धँसा देता है।)

सुन्दरी: (दर्द से बिलबिलाती हुई) हाय…मर गयी दैया री…(औंधे मुँह करीना के उपर गिर जाती है और मुँह खुला का खुला रह जाता है)

राजेश: अरी क्या हुआ…क्या पहली बार लिया है जो इतना शोर मचा रही है।

(सुन्दरी को नितंबों से पकड़ कर पीछे की ओर खींच लेता है। सुन्दरी अपने काम मे वापिस लग जाती है। कमरे में सिस्कारियाँ गूँज रही है और वातावरण को मादक और विलासपूर्ण बना रही हैं। राजेश भी अब लय में पूरी तरह आ गया है। दो चार हल्के धक्के के बाद दो चार करारे धक्के मारता और सुन्दरी के स्तनों को गूँधता हुआ राजेश अपने उफनते हुए लावा को खौलने पर मजबूर कर देता है। इस बीच करीना तीन बार झरझरा कर बह निकली और एक्साइटमेन्ट में बेहोश हो गयी। सुन्दरी की योनि दो बार लावा उगल चुकी और अब तीसरी बार उफान फिर से जोर पकड़ रहा है। एक और करारा धक्का सुन्दरी की योनि में बिजली कड़क गयी और झरझरा कर बह निकली।)

सुन्दरी: मा…लि…क…ह्हा…यउह्…आ…आह्…यह…म्…ररर…ग्…यी…दैया री (कहते हुए निढाल हो कर औंधे मुँह करीना के उपर लेट गयी। राजेश का लिंग अभी भी भन्नायें हुए हवा में लहरा रहा था।)…

राजेश: सुन्दरी…सुन्दरी…इस का क्या करूँ…

सुन्दरी: मालिक…मै इस अजगर से भर पाई…

(राजेश सिरहाने से तीन तकिये ला कर सुन्दरी के पेट नीचे लगा कर उसके नितंबो को उपर उठाता है। अपने लिंग को सरसों के तेल मे नहला कर सुन्दरी के सुरजमुखी छिद्र के मुहाने पर टिका कर एक भरपूर धक्का देता है। तेल की चिकनाई और करारा धक्का लिंगदेव सारी बाधाएं पार करके आधे से ज्यादा अन्दर धँस कर बैठ जाते है।)

सुन्दरी: (बेबसी में चीखती हुई) ममम…र ग्…यीई…ईई…इ मालि…क इसे नि…का…लिए…

राजेश: अब तो गया…अब तू सिर्फ मजे ले…(चीख से करीना को होश आता है और उठ बैठती है)…करीना यहाँ आओ और देखो…(करीना अपने को धीरे से सुन्दरी के नीचे से निकाल कर राजेश के निकट आती है और इस नये आसन को ध्यान से देखती है…राजेश का अभी एक तिहाई लिंग बाहर है)

करीना: अंकल…इसे बहुत दर्द हो रहा है…आप इसको बाहर निकाल लो…

राजेश: यह इसके साथ पहली बार नहीं हुआ है…इसका बाप आगे से नहीं परन्तु पीछे का शौकीन है। तुमने पूछा था कि इस के बाप ने मुझे इसके साथ करने दिया…यही वजह थी। पीछे की आग तो वह बुझा देता था लेकिन अपनी औरत की आगे की आग बुझाने के लिए मेरे पास भेज देता था…समझी कुछ…यह त्रिया-चरित्र कहलाता है…

(राजेश थोड़ा सा पीछे हो कर दो चार छोटे छोटे धक्के लगाता है जैसे कि जगह रमा कर रहा हो। जब आराम से लिंग अन्दर-बाहर होने लगा तो एक और करारा धक्का लगाता है और जड़ तक फँसा देता है। करीना को अपनी ओर खींच कर उसके होंठों को अपने होंठों मे दबा कर उनका गुलाबीपन सोखने लगता है और अपनी हथेली से करीना के स्तन और उन पर विराजमान गुलाबी शिखर को अपनी उंगलियों में फँसा कर तरेड़ता है। सुन्दरी अब शान्त हो कर राजेश के लिंग की लंबाई और मोटाई को महसूस करने की कोशिश करती है। कुछ देर करीना के अंगो के साथ खिलवाड़ करके एक बार फिर से दो चार छोटे छोटे धक्के लगाता है और फिर धीरे-धीरे अपने लिंग की पूरी लंबाई को नापते हुए तेज धक्के देता है। काफी देर से दूध में उफान आ रहा है और दो चार लंबे धक्के लगाते ही जव्लामुखी फट पड़ता है और काफी देर तक झटके लेते हुए अपने प्रेम रस से सुन्दरी की सुरंग भर देता है।)

राजेश: आ…आह्…(करते हुए सुन्दरी के जिस्म को अपने बदन से ढक देता है)

(बिना निकाले करीना के मोहक बदन के साथ फिर से छेड़खानी करने लगता है। एक पट की आवाज के साथ सिकुड़ा हुए लिंगदेव कार्क की तरह बाहर निकल आते है और सुन्दरी का पीछे का सुराख खुला का खुला रह जाता है और धीमी गति से बहुत गाड़ा सफेद रंग का द्र्व्य बाहर रिस कर जांघों से होता हुआ चादर पर फैलने लगता है।)

राजेश (अपनी घड़ी की ओर देखते हुए): जानेमन करीना…आज बहुत देर लग गयी। तुम जल्दी से बाथरूम में जा कर शावर ले लो उसके बाद मै शावर ले कर जल्दी से तैयार हो कर सात बजे तक तुम्हें घर छोड़ दूँगा।

(करीना निर्वस्त्र हो कर कुल्हे मटकाती हुई, इठलाती और बल खाती हुई बाथरूम की ओर रुख करती है। राजेश प्यार से सुन्दरी को उठाता है और उसके होंठों को चूमता हुआ उसके नग्न बदन के साथ कुछ देर खिलवाड़ करता है। थोड़ी देर के बाद सुन्दरी लहंगा और चोली पहन कर अपने घर का रुख करती है।)

राजेश: करीना…जरा दरवाजा खोलो…मुझे बहुत तेज पेशाब लगा है…खोलो…

करीना: वह तो पहले से ही खुला है…

(राजेश बाथरूम का दरवाजा खोल कर सीधा कमोड पर जा कर एक मोटी धार के साथ अपने को हल्का करता है। करीना शावर लेते हुए सब कुछ बड़े ध्यान लगा कर देखती है। हल्का होने के पशचात राजेश की नजर करीना पर पड़ती है। करीना की जवानी का शबाब को एकटक देखता हुआ कमोड पर बैठ जाता है। शावर की तेज धार में करीना अपने अंग-अंग को साफ करती हुई देख कर राजेश से रहा नहीं जाता और करीना के करीब जा कर उसे अपने आगोश मे लेकर साथ-साथ नहाता है। उसके कोमल अंगो के साथ खिलवाड़ करता है। काफी देर पानी में चुहलबाजी करने के बाद दोनों एक दूसरे को बड़े प्यार से टावल से सुखाते है और झटपट कपड़े पहन कर तैयार हो जाते है। करीना और राजेश के चेहरे पर संतुष्टि की आभा झलक रही है। कमरे के बाहर शमशेर सिंह और सुन्दरी खड़े हुए है।)

शमशेर सिंह: मालिक जल्दी वापिस आईए…(स्कूल यूनीफार्म में खड़ी करीना को घूरता है)

राजेश: हाँ अब जल्दी चक्कर लगा करेंगें। सुन्दरी अच्छी तरह साफ-सफाई करके रखना।

सुन्दरी: जी मालिक…

(चलते हुए दो पाँच सौ के नोट शमशेर के हाथों मे रख कर अपनी कार में बैठ जाता है। सुन्दरी की ओर हाथ हिला कर करीना दूसरी ओर से कार में बैठ जाती है। राजेश कार बढ़ा कर सड़क पर ले आता है और एक हाथ करीना के गले में डाल कर अपनी ओर खींच कर उसके होंठों को चूम लेता है।)

राजेश: जानेमन…कैसा रहा आज का दिन…

करीना: स्वप्निल…मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था।

(ऐसे ही बात करते हुए घर का रास्ता तय करते हैं। राजेश पगडंडी के पास कार खड़ी कर के करीना को छोड़ देता है। करीना भागती हुई अपने घर का रुख करती है। राजेश कार को खड़ी कर के करीना को तब तक देखता है जब तक वह अपने घर का गेट खोल कर अन्दर चली जाती है। राजेश अपने घर की ओर रुख करता है…।)

(राजेश के घर पर सन्नाटा छाया हुआ है। कार खड़ी कर के दरवाजे पर लगी हुई घंटी बजाता है। कुछ देर बाद मुमु दरवाजा खोलती है।उसका गुस्से से मुँख लाल है और मुमु के पीछे टीना खड़ी हुई है। राजेश घर के अन्दर प्रवेश करता है और सीधा जा कर सोफे पर निढाल सा हो कर बैठ जाता है।)

मुमु: कहाँ गये थे…इतनी देर लगा दी…

राजेश: सो सौरी यार…शहर के बाहर गया था क्लाईन्ट से मिलने…पर क्या हुआ…

मुमु: तुम भूल गये कि मुझे इस हफ्ते रोज ट्रेनिंग के लिए जाना है।

राजेश: तो फोन किस लिए है…मुझे फोन कर देती

टीना: (बीच में बात काटते हुए) शाम से फोन मिला रहे है पर आउट ओफ़ रीच आ रहा है।

राजेश: तो कोई बात नहीं…टीना को छोड़ कर टैक्सी ले कर चलीं जाती…तुम्हें लेने के लिए मै और टीना आ जाते…खैर कोई बात नहीं आज रेस्ट कर लो…इसी बहाने आज घर का खाना मिल जाएगा।

टीना: पर मेरा क्या…मेरी तो शाम खराब हो गयी।

राजेश: मेरी प्यारी बेटी…मै कल शाम को आज और कल का हिसाब पूरा कर दूँगा…प्लीज सौरी…माफ कर दो।

मुमु: जल्दी से मुँह-हाथ धो लो…मै खाना लगाती हूँ। टीना तुम जा कर मेज पर सामान लगाओ।

(मुमु और टीना रसोई की ओर रुख करती है। राजेश अपने कमरे की ओर रुख करता है। थोड़ी देर में कुर्ता और लुंगी पहने टीना और मुमु के साथ डाईनिंग टेबल पर आ कर बैठ जाता है। मुमु सब का खाना परोसती है और पूरा परिवार साथ बैठ कर खाना खाता है। खाना खाने के बाद राजेश और टीना टीवी के सामने जा कर बैठ जाते है और मुमु बरतन समेट कर रसोई मे रख कर दोनों के साथ जा बैठती है)

मुमु: क्या टीना आज बोर्ड के फार्म भर दिये…

टीना: हाँ मम्मी। आज ही हमारी सारी क्लास के फार्म भर दिये गये।

मुमु: अब पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरु कर दो…वक्त निकलते हुए पता भी नहीं चलेगा।

राजेश: अब बस भी करो…जब देखो पढ़ाई…अभी बहुत समय है। पढ़ लेगी जब वक्त आएगा।

मुमु: हाँ बिगाड़ो मुझे क्या…आज मिसेज शर्मा मिली थी बता रहीं थी कि करीना ने कोई कोचिंग क्लास जोइन कर रखीं है। मै सोच रही हूँ कि टीना को भी उसी क्लास में भर्ती करा दूँ।

टीना: मुझे नहीं जाना। टाइम खराब करना है तो जाओ…

राजेश: मेरे ख्याल में टीना सही कह रही है। करीना ने बताया था कि साइंस में कमजोर होने की वजह से उसने यह क्लास चुनी है। अपनी टीना तो साइंस में अच्छी है पर वैसे भी आगे चल कर इसे साइंस में कोई रुचि नही है। तो क्या फायदा…

मुमु: ठीक है…कुछ तुम सही हो और कुछ तुम्हारी लाडली…मै ही गलत हूँ

टीना: मम्मी का रेकार्ड शुरु हो गया…

राजेश: ठीक है भई, अगली बार करीना आएगी तो पूछूँगा कि इन क्लासेज से उसे कोई फायदा हुआ क्या…अगर वह हाँ कहती है तो टीना को भी भर्ती करा दूँगा…ठीक है

मुमु: हाँ अब ठीक है…तुम्हें बताना भूल गयी की लीना अपनी क्लास के साथ इतवार को सुबह की फ्लाइट से आ रही है। जरा पता करना की इन्डिगो की फ्लाइट कब आती है।

टीना: मै और आप दीदी को लेने जाएगें…

राजेश: हाँ…ठीक है। परन्तु मुमु तुम भी घर पर क्या करोगी…तुम भी चलना…

मुमु: देखूंगी…

राजेश: मै थक गया हूँ…सोने जा रहा हूँ…टीना बेटा तुम भी आराम कर लो…

मुमु: हाँ बहुत रात हो गयी…चलो सोने पर कल जल्दी आना और भूलना नहीं…

(कहते हुए तीनों उठ कर खड़े हो जाते है। मुमु और राजेश अपने कमरे मे जाते हैं और टीना अपने कमरे मे चली जाती है…।)

(राजेश कुछ देर के बिस्तर पर करवटें बदलने के बाद साथ में लेटी हुई मुमु को सोता देख कर उठता है। आज दोपहर की क्रीड़ा से थका हुआ है लेकिन टीना के बारे में सोच कर थोड़ा बेचैन है। चुपचाप उठ कर टीना के कमरे की ओर रुख करता है।)

राजेश: (दरवाजे पर कान लगा कर ठकठकाता है) टीना…टीना…

टीना: …हूँ

राजेश: (कमरे मे घुसते हुए) बेटा…अभी सोई नहीँ क्यों…

(गुलाबी रंग की लम्बी सी टी-शर्ट पहने टीना बेड पर अधलेटी अवस्था में नावल पढ़ रही है। टी-शर्ट जांघों तक खिंचने से केले सी चिकनी दूधिया टांगें कमरे की रौशनी में चमक रही है। पुष्ट सीने की पहाड़ियाँ राजेश की आँखों के सामने हर श्वास के साथ काँपती हुई लगती है।)

टीना: (अंगड़ाई लेते हुए) कुछ नहीं ऐसे ही नावल पढ़ रही थी…

राजेश: (सिरहाने के निकट बैठते हुए) अरे मैनें तो सोचा कि मेरे लिए जाग रही हो…

टीना: मै आपके लिए क्यों जागूँगी… मै तो आपसे बात नहीं करती। मै गुस्सा हूँ।

राजेश: (नजदीक सरकते हुए अपनी एक बाँह टीना की गरदन में डालते हुए) क्यों बेटा… मुझसे क्यों नाराज हो मैनें ऐसा क्या कर दिया…

टीना: आज की एक्सरसाइज नहीं हो पाई… शाम से ही मै आपकी राह देख रही थी…लेकिन आप न…

राजेश: (उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाते हुए) सच बताओ… सिर्फ एक्सरसाईज के लिए या फिर जो काम सुबह अधूरा रह गया था उस के लिए…

टीना: (शर्मा कर आँखे झुकाते हुए) पापा… आप बड़े खराब हो।

राजेश: (कन्धे से हाथ हटा कर कमर मेँ डाल कर अपनी ओर खींचते हुए) क्यों तुम्हारे दिल में हलचल नहीं हो रही है… (अपना दूसरा हाथ टीना की जांघों के अन्दरूनी भाग पर फिराते हुए धीरे से योनिमुख की ओर ले जाते हुए)… क्या तुम्हारी पैन्टी के भीतर सुबह से आग नहीं सुलग रही है? अरररे… यह क्या (अपनी उंगलियों को योनि की दरार पर फिराते हुए) पैन्टी नहीं पहनी आज……

टीना: (कसमसाती हुई) पापा… नहीं करिए…(हाथ को पकड़ते हुए)

राजेश: (धीरे-धीरे संतरे सी फांकों को खोलते हुए और खड़े हुए बीज को रगड़ते हुए) क्यों आग बुझानी है कि नहीं…

टीना: आअ…अआह… हूँ।

राजेश: (कमर पर पड़े हुए हाथ को टी-शर्ट के भीतर डाल कर नग्न स्तन को हौले से दबाते हुए) जब तक तुम नहीं बोलोगी मै कुछ भी नहीं करूँगा… और तुम रात भर यूहीं जलती रह जाओगी…

टीना: (गरदन हिला कर हामी भरते हुए) पाप…आह्…नन…हीं

राजेश: (नीचे से अपनी उँगलियों से खिलवाड़ करते हुए) ठीक है…तुम कहती तो मै… (झूठे को अपना हाथ निकालते हुए)… जाता हूँ

टीना: (राजेश के हाथ को अपनी जांघों से भींचते हुए) न…नहीं प्लीज पापा

राजेश: तो बोलो…

टीना: (धीरे से) प्लीज पापा… (सिसकारी भरते हुए) आप को जो करना है करो प्लीज…

राजेश: (शिखर कलश को तरेड़ते हुए) क्या करूँ… अपनी उँगली से या फिर अपने मुख से… (कहते हुए टीना के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त मे ले कर चूमते और कुछ देर तक पंखुड़ियों से होंठों के रस को सोखते हुए) …बोलो

टीना: (वासना की आग मे तड़पते हुए) पापा, कुछ भी…

राजेश: नहीं… पहले बताओ

टीना: पापा दोनों से… मैं मर जाऊँगी… (कहते हुए अपनी टी-शर्ट उतार फेंकती है और राजेश से लिपट जाती है)

राजेश: बेटा… इस आग को बुझाना बहुत जरूरी है… पर मेरी एक शर्त है मानो तो बोलूँ…

टीना: (एक्साइटिड हो कर) मुझे सब मंजूर है और भी कुछ हो तो वह भी मंजूर है…

राजेश: सोच लो… (कहते हुए टीना के नग्न जिस्म को अपने नीचे लेते हुए)

टीना: मुझे सब मंजूर है।

(ब्लेंक चैक मिलते ही राजेश ने टीना के कमसिन नग्न जिस्म पर छा गया। टीना के होठों को अपने होंठों मे दबा कर चूमने और चूसने लगता है। टीना भी अपने होंठों के साथ अठ्खेलियों करते हुए राजेश का पूरा साथ देती है। टीना की जुबान अपने होठों मे दबा कर चूसता है और कभी अपनी जुबान टीना के होंठों के हवाले कर देता है। काफी देर टीना के गुलाबी होंठों को सोखने के बाद राजेश अपना ध्यान नग्न सीने पर केन्द्रित हो जाता है। टीना के सुडौल स्तनों को अपने हाथों में भरकर बड़े प्यार से दबाने का क्रम शुरु करता है। टीना के अन्दर की धीमी सुलगती हुई वासना की आग अब भड़कने लगी है।)

टीना: प्पा.उई...पअआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…आह..ह..ह.

(तेज चलती हुई साँसें फूले हुए शिखर कलश में अजीब सी कँपन ला रहे है और लगातार राजेश की जुबान के मर्दन से लाल हो गये है। मुख से निकलती हुई लार पुरे पुष्ट स्तन को नहला देती है। कभी नग्न निप्पल को निशाना बनाता है और कभी पूरे स्तन को निगलने की कोशिश करता है। कभी लम्बवत्त निप्पल को अपनी जुबान के अग्र भाग से छेड़ता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है।)

क्रमशः
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07-12-2018, 12:37 PM,
#15
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--15

गतान्क से आगे..........

टीना: (भावविभोर हो कर) प्पा.उई...प लीज…काटिएआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…दर्द्…हो…ओ…ता है…

राजेश: …टाक्सिन बना रहा हूँ।

(एक स्तन छोड़ कर अपना ध्यान दूसरे स्तन पर केन्द्रित करता है। फिर वही चूमने और चूसने के कार्यक्रम को दोहराता है। टीना हर्षोन्मत्त हो कर सिर पटकती है। अबकी बार नग्न होने के कारण टीना के सीने का पोर-पोर अतिसंवेदनशील हो गया है। राजेश का मुख सुडौल स्तनों को पूरी तरह से अपने कब्जे मे ले कर सोखने में लग जाता है। कभी-कभी अपनी जुबान से फुले हुए निप्पलों से छेड़खानी करता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है। टीना का शरीर अब उसके काबू मे न रह कर किसी गहरे उन्माद में तड़पता है और उसकी योनिमुख भी फिर से एक बार हरकत मे आ कर अपने आप खुल-बन्द होने लगती है। पिघलता हुआ लावा बाहर की ओर बह कर चादर को गीला कर रहा है।)

टीन: उ.उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.

(राजेश नीचे की ओर रुख करता है। राजेश अपने होंठ नग्न योनिमुख के होंठों पर लगा देता है। अपनी उंगलियों से थोड़ा सा योनिमुख को खोलता है और अपनी जुबान से एंठीं हुई घुन्डी को सहलाता है। इस वार से तिलमिला कर एंठीं हुई घुन्डी रक्तिम लालिमा लिए सिर उठा कर खड़ी हो जाती है। कभी अपनी उंगलियों से योनिच्छेद को छेड़ता और कभी जुबान के अग्र भाग से एंठीं हुई घुन्डी को सहला कर ठोकर मारता है। इस दो तरफा वार को ज्यादा टीना बर्दाश्त नहीं कर पाती और उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगते है। एक झटका ले कर उसकी योनि झरझरा कर बहने लगती है। राजेश की जुबान भी चटखारे ले कर प्रेम का अम्रित पीने में लग जाती है।)

टीना: (जैसे नशे में हो).उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.

(टीना के योनिच्छेद पर मुख लगा कर राजेश सारा अम्रित सोखने मे लग जाता है। अपनी जुबान के अग्र भाग को कड़ा कर के अन्दर डालने की कोशिश करता है। कुछ क्षणों में एक बार फिर से लगातार झटके ले कर टीना की योनि में सैलाब आ जाता है जिसको राजेश फिर से चटखारे ले कर पी जाता है। दोनों थकान से निढाल हो कर बेड पर पड़ जाते हैं और अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में लाने की कोशिश करते है।)

टीना: (गहरी साँसे लेती हुई) पापा… अब मेरा हिस्से का टाक्सिन निकालने का समय आ गया है…

(अब तक दोनों की सारी शर्म काफूर हो चुकी है। टीना अपनी नग्नता को छुपाए बगैर राजेश की लुंगी को हटाती हुई लिंगदेव को अपनी मुट्ठी में ले कर सुपाड़े को उघाड़ती है। आज दोपहर की एक्सरसाइज के बाद फूला हुआ सुपाड़ा लाल से बैंगनी रंग का हो चुका है। कुकुरमुत्ते सामान सिर पर एक आँख के कोर से ओस की बूँद टपक कर टीना की उँगलियों पर गिरती है। टीना शीघ्रता से लिंगदेव के सिर को अपने मुँह में रख कर लोलीपाप की तरह चूसती है। टीना के सिर को पकड़ कर सहारा देते हुए ज्यादा से ज्यादा लिंगदेव को भीतर डालने के लिए प्रेरित करता है। इधर टीना भी अपने होंठों में सुपाड़े को फँसा कर उपर नीचे का खेल बड़ी तन्मयता से खेलने मे मस्त है। धीरे धीरे राजेश अपना नौ इंची हथियार टीना के गले तक उतार देता है। अब टीना की गले की माँसपेशियाँ लिंगदेव के सिर को जकड़ कर मालिश करना आरंभ कर देती है। दो सुन्दरियों को भोगने के बाद भी अब लिंगदेव के अन्दर लावा उफनते हुए छलकने लगता है और धीरे से झटके खाते हुए टीना के गले में बहने लगता है।)

राजेश: आह..ह..ह.हाँ…बेटा टाक्सिन की एक भी बूँद को बर्बाद न करना।

टीना: (सारा प्रेम रस गटकने के बाद सुपाड़े को चूसती हुई)…कैसा लग रहा है पापा

राजेश: स्वप्निल… तुम्हारे गुलाबी होंठों में इसे फँसा हुआ देख कर मै तो निहाल हो गया।

टीना: (राजेश के सीने से लिपटते हुए) पापा…कल आप मुझे इसका (वासना की आग से पिघले हुए लिंगदेव की ओर इशारा करते हुए)…नाम बताने का वादा किया था।

राजेश: हाँ बेटा…इसको इस हालत में लंड कहते है…

टीना: लंड… ऐसा लगता है की लंडन से आया है…

राजेश: जब यह अजगर की तरह फुफकारता है तब इसे लौड़ा कहते है।

टीना: लंड और लौड़ा… आपने क्या नाम दिए हैं।

राजेश: यही नहीं, बेटा यह कुकुरमुत्ते जैसे सिर को टोपी या सुपाड़ा कहते है और दो नीचे अण्डाकार जैसी लटकती हुई वस्तुओं को टट्टे या आँड कहते है। सारा सफेद रंग का गाड़ा द्र्व्य इन्हीं अण्डों में बनता है।

टीना: यह नाम आपने दिए है…

राजेश: न बेटा… यह नाम तो जग प्रचिलित है। सभी इन को इसी नाम से पुकारते है।

राजेश: बेटा तुम्हारे शरीर के संवेदनशील अंगों के भी नाम है…जैसे (स्तन को अपने हथेली से मसकते हुए) इस को चूचक या बोबे या कभी मुम्में भी कहते है। और इसे (तने हुए सिर उठाए शिखर कलश को अपनी उंगलियों के बीच में फँसा कर तरेड़ते हुए) चूची या निप्पल कहते है।

टीना: आपको कौन सा शब्द इनके लिए अच्छा लगता है।

राजेश: (मुस्कुराते हुए) मुझे तो बस इन्हें अपने मुँह मे दबा कर रखना अच्छा लगता है… तुम चाहे इन्हें फिर किसी भी नाम से पुकारो… अब नीचे की ओर रुख करते हैं। बेटा तुम कुछ देर के लिए खड़ी हो जाओ।

(टीना बेड पर खड़ी हो जाती है)

राजेश: (कटिप्रदेश पर अपनी उँगलियॉ फिराते हुए) बेटा…(योनिमुख पर उँगली रख कर) इसे चूत कहते है। (दो जुड़ी हुई फाँकों को खोल कर सिर उठाते हुए बीज पर उँगली रगड़ते हुए) इसको चूत का दाना या क्लिट या कभी बीज कहते है।

टीना: बड़े अजीब नाम है…

राजेश: बेटा जरा घूम जाओ…(राजेश की ओर पीठ करके टीना खड़ी हो जाती है) बेटा तुम्हारा यह तीसरा मुख है…(टीना के सूरजमुखी छिद्र के मुख पर अपनी उँगली फेरते हुए) इसे गाँड कहते है…

टीना: पापा… छि: क्या इसका भी कोई उपयोग है?

राजेश: टीना…एक लड़की के पास एक लौड़े को निगलने के लिए तीन मुख होते है- पहला तुम्हारे चेहरे के होंठों के बीच में है, दूसरा तुम्हारे नीचे के होंठों के बीच में है जिसे सब चूत कहते है और तीसरा तुम्हारे नितंबों के बीच मे छुपा हुआ है जिसे गाँड कहते है। एक लड़की यह पूँजी सिर्फ उसको देती है जिससे वह सबसे ज्यादा प्यार करती है और उस पर सबसे ज्यादा विश्वास करती है।

टीना: पापा मै सबसे ज्यादा आप पर विश्वास और प्यार करती हूँ…

राजेश: बेटा मैं धन्य हो गया… थैंक्स… तुम्हें मेरी शर्त वाली बात याद है न…

टीना: कौन सी शर्त… अच्छा वह… बताईए क्या शर्त थी…मुझे क्या करना होगा।

राजेश: ज्यादा कुछ नहीं… बस… इस (अपने लंड की ओर दिखाते हुए) को अपने तीनों मुख में बारी-बारी से निगलना होगा।

टीना: नहीं…ऐसा नहीं हो सकता

राजेश: क्यों नहीं… क्या मुझसे प्यार नहीं करती

टीना: (राजेश से लिपटते हुए) मै आपसे बहुत प्यार करती हूँ। पर डरती हूँ कि……

राजेश: तुम अपनी बात से मुकर रही हो……याद है न……“मुझे सब मंजूर है”

टीना: (कुछ सोच कर) ठीक है…परन्तु सिर्फ एक बार

राजेश: नहीं…हमारी शर्त में कितनी बार की कोई बात नहीं थी।

टीना: पापा…यह गलत है…

राजेश: हाँ कि नहीं…। मैं तुम्हें सब से ज्यादा प्यार करता हूँ। अगर तुम नहीं चाहोगी तो मैं जबरदस्ती नहीं करूँगा। यह प्यार का खेल है और मै चाहता हूँ कि मेरी बेटी इस खेल में मेरा साथ दे।

टीना: पापा… (कुछ सोचते हुए)… क्या आप मुझे कुछ समय देंगे? मै सोच कर बताऊँगी…

राजेश: ठीक है… मुझे कल सुबह तक बता देना…(टीना अपनी गरदन हिला कर मना करती है) खैर हमारी ट्रेनिंग के टाइम पर बता देना।

टीना: ठीक है…

(राजेश एक बार फिर से टीना के नग्न जिस्म को छेड़ते है। उसके होंठों को चूमता है और उन्नत स्तनों को सहलाता है।)

राजेश: बेटा सोचना…मै चलता हूँ मुझे अब नींद आ रही है…तुम भी थक गयी हो तुम भी सो जाओ…

(राजेश बेड से उतर कर अपनी लुंगी ठीक करता है और कमरे से बाहर चला जाता है। टीना भी थकान से बोझिल आँखों को मूंद कर यथावत सो जाती है…)

(सुबह का समय। राजेश चाय की चुस्कियॉ लेते हुए बेडरूम में मुमु से बात कर रहा है।)

राजेश: मुमु…आज मैं पाँच बजे तक आऊँगा तुम तैयार रहना।

मुमु: ठीक है। मगर मुझे आज देर हो जाएगी क्योंकि कल वाला रूटीन भी मुझे आज पूरा करना होगा।

राजेश: ठीक है। कैसा चल रहा है तुम्हारा प्रोग्राम… अच्छा लग रहा है? तुम्हारे चेहरे पर संतुष्टि की रौनक और बदन भी खिला-खिला सा प्रतीत होता है।

मुमु: सच मै सोच भी नहीं सकती थी कि मुझे इस ट्रेनिंग करने से कितना आत्मिक सुख मिलेगा। …खैर छोड़ो। जो भी तुमने मेरे लिए किया वह क्या कम है।

राजेश: भूल जाओ…सब कुछ। बस ऐसे ही खुश रहा करो और वैसे भी इस जीवन में बहुत टेन्शन है। मुझे जल्दी निकलना है मै तैयार होने जा रहा हूँ…तुम नाश्ता वगैरह की तैयारी करो।

(कहते हुए राजेश बाथरूम में घुस जाता है और मुमु बेड से उतर कर रसोई में चली जाती है। थोड़ी देर में राजेश आफिस जाने के लिए तैयार हो कर डाईनिंग टेबल पर आता है। मुमु झटपट उसके लिए नाश्ता टेबल पर सजाती है। अखबार पड़ते हुए राजेश नाश्ता करता है और फिर अपने आफिस की ओर निकल पड़ता है। मुमु भी तैयार होने के लिए बाथरूम की ओर रुख करती है।)

टीना: मम्मी…मम्मी कहाँ पर हो…बड़े जोरों की भूख लग रही है।

मुमु: (कमरे से निकलती हुई) तुम बैठो मै मेज पर नाश्ता लगाती हूँ…

टीना: मम्मी मै कुछ देर के लिए करीना के पास जाना चाहती हूं…

मुमु: ठीक है पर जल्दी आ जाना…

(दोनों माँ और बेटी साथ बैठ कर नाश्ता करते है। थोड़ी देर के बाद, टीना तैयार हो कर करीना के घर चली जाती है। फोन की घंटी बजती है और मुमु फोन पर किसी से गुस्से से बात करती है और फिर बहुत गुस्से से फोन को पटक देती है और रसोई में खाना बनाने के लिए चली जाती है…। शाम के पाँच बज गये है। मुमु जिम जाने के लिए तैयार बैठी हुई है। सामने टीना घड़ी की ओर टिकटिकी लगा कर देख रही है। कार रुकने की आवाज आती है।)

टीना: लगता है पापा आज टाइम से आ गये…(कहते हुए दरवाजा खोलती है और सामने राजेश कार से उतरता हुआ दिखता है।)

राजेश: हाय्…बेटा आज मेरे लिए बड़ी बेचैनी से इंतजार कर रही हो…क्या बात है?

टीना: (झेंप कर) हाय पापा…

(दोनों अन्दर आते है। मुमु सोफे पर बैठी हुई है। राजेश को देख कर उठती है और बाहर निकलती हुई राजेश से कहती है)

मुमु: आप जरा मेरे साथ बाहर आएँगे…

राजेश: (अचंभे में) हाँ क्यों नहीं… (कहते हुए बाहर की ओर मुमु के साथ निकलता है।)

मुमु: आज कितने साल बाद मेरे परिवार को मेरी याद आयी है। पिताजी का फोन आया था मिलने के लिए कह रहे थे…

राजेश: तो मिल लो…इसमें क्या बुराई है। आखिर उन्हें तुम्हारी याद तो आयी।

मुमु: तुम्हें तो सब पता है…फिर भी

राजेश: यह तुम्हारा परिवार है। यह तुम्हें सोचना है कि कैसे इस रिश्ते को निभाओगी। मुझे तो बस अपना वचन याद है…(मुस्कुराते हुए)

मुमु: आप भी न…मै उनसे कोई भी रिश्ता नहीं रखना चाहती… वैसे भी… आज कल तुम्हें पता है कि पिताजी ने स्वर्णआभा की भी जिंदगी बर्बाद कर दी है। …न मैनें सोच लिया है कि मुझे उन के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना है।

राजेश: तुम नाहक ही गुस्सा कर रही हो… खुशी-खुशी जिम जा कर ट्रेनिंग करो और मौज करो। भाड़ में जाने दो अपने पिताजी को… जाओ (कहता हुआ मुमु को कार में धकेलता है।)

मुमु: बाय… (कहते हुए कार आगे बढ़ाती है)।

राजेश: बाय… (कहते हुए अपने घर में प्रवेश करता है)

टीना: (खुशी से चहकते हुए) पापा आज का क्या रूटीन है…

राजेश: पहले मेरी शर्त… क्या सोचा?

टीना: (ठुनकते हुए) पहले आप…

राजेश: बेटा आज कोई भी कास्ट्यूम नहीं है… आज सिर्फ तुम्हारे सारे अंगों की एक्सरसाईज होगी।

टीना: तो क्या पहने… क्या वही पुराने कपड़े…

राजेश: नहीं… आज की एक्सरसाईज में कपड़े वर्जित है।

टीना: तो फिर…

राजेश: तुम बिल्कुल ठीक समझ रही हो… इधर आओ (टीना को खींच कर अपने पास बुलाता है) आज का रूटीन हम तुम्हारे कमरे मे करेंगें। चलो…

टीना: क्यों आपके कमरे क्यों नहीं… आपका कमरा बड़ा है और उसमें बहुत विभिन्न प्रकार के मिरर लगे हुए है…

राजेश: तुम्हारी मर्जी…ठीक है मेरे कमरे मे सही। चलें…

(दोनों राजेश के बेडरूम में जाते है। राजेश अपने कमरे पहुँच कर टीना को घुमा कर अपने सामने खड़ा करता है। धीरे से अपनी ओर खींचकर उसके होंठों का रसपान करता है। कभी नीचे के और कभी उपर के होंठ को अपने मुँह में ले कर चूसता है और कभी अपनी जुबान से टीना के गले की गहराई नापता है। टीना कसमसा कर अलग होने की कोशिश करती है।)

राजेश के भी जिस्म मे धीरे-धीरे उत्तेजना से मचल उठता है। वह टीना के नीचे के और कभी उपर के होंठ को अपने मुँह में ले कर चूसता है और कभी अपनी जुबान से टीना के गले की गहराई नापता है। टीना कसमसा कर उससे अलग होने की कोशिश करती है।)

टीना: पापा…पापा हम अपना रूटीन कब करेंगे…

राजेश: अभी करते हैं… पहले मै अपना आज का टैक्स तो वसूल कर लूँ…(कहते हुए फिर से एक बार टीना के गुलाबी होंठों को लाल करने में लग जाता है)

टीना: (सब कुछ जान कर भी अनजान बनते हुए) हूँ…पापा आप…

(टीना के होठों का रसपान करते हुए राजेश अपने हाथ टी-शर्ट के भीतर डाल कर ब्रा को टटोलता है। पर कुछ न पा कर टीना के उन्नत स्तनों को अपनी हथेली में लेकर धीरे से दबाता है। इस हरकत से टीना चिहुँकती है मगर कुछ कह पाने से पहले ही राजेश टी-शर्ट को उतार फेंकता है। टीना का सीना पूर्णता नग्न हो गया है और अब राजेश होंठों को छोड़ कर अपनी हथेली से स्तनों की सुडौलता को नापता हुआ अपने मुख में गुलाबी निप्प्ल को लेकर उनका रस सोखने की कोशिश करता है।)

टीना: आ…ह पापा…

(राजेश स्तनों को अपने मुख के रस से नहलाता हुआ टीना कि स्कर्ट के हुक खोल देता है। ढीली हो जाने से स्कर्ट जांघो से फिसल कर जमीन पर आ जाती है। इन प्ररंभिक वारों से टीना की जवानी भी आवेश में आ जाती है। राजेश स्तनपान करता हुआ टीना की पैन्टी की इलास्टिक मे अपनी उँगलियॉ को फँसा कर उतार देता है। टीना अब पूर्णतः नग्न हो कर राजेश से लिपट जाती है।)

क्रमशः
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07-12-2018, 12:38 PM,
#16
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--16

गतान्क से आगे..........

राजेश: बेटा…देखो कितने सेक्सी तरीके से मैनें तुम्हारे कपड़े तुम्हारे जिस्म से अलग कर दिए। अब इसी तरह तुम मेरे कपड़े भी उतार दो…

टीना: (थोड़ा सकुचाते हुए) पापा प्लीज आप ही उतार लो… (और कह कर अपने बालरहित कटिप्रदेश को हाथों से ढकने की नाकाम चेष्टा करती है)

राजेश: न बेटा… यह तुम्हें करना है। हाँ जो तुम ढकने की कोशिश कर रही हो उस को मै अपने हाथों से ढक देता हूँ…(कहते हुए अपनी एक हथेली टीना की नग्न योनि पर रख देता है)

(टीना धीरे से राजेश के शर्ट के बटन खोलती है। राजेश अपनी शर्ट को उतार फेंकता है। उसकी बालिष्ट छाती पर टीना प्यार से अपनी कोमल उंगलियों को फिराती है। फिर वह बेल्ट को ढीला करके राजेश की पैन्ट की जिप को खोलती है। पैन्ट ढीली हो कर कमर से सरक कर जमीन पर आ जाती है। अब टीना के हाथों का निशाना राजेश के वी-शेप जांघिया पर है और एक झटके के साथ उसे भी शरीर से अलग कर देती है। दोनों थोड़ा सा हट कर एक दूसरे का नग्न जिस्म को अपनी-अपनी आँखों से पीते है।)

टीना: आपके…(लिंग की ओर इशारा करते हुए) ल्ड क्या हुआ है। यह ऐसे कैसे लटका हुआ है… पहले तो यह इतना कठोर होता था।

राजेश: बेटा इसको ल्ड नहीं लंड या लौड़ा कहते है। इस बेचारे की हालत तुम्हारी वजह से ऐसी है। आज सारे दिन यह सिर्फ तुम्हारे नीचे वाले मुख में विराजमान होना चाह रहा था परन्तु तुम इतनी कठोर हो गयी तो इसकी सारी कठोरता समाप्त हो गयी है।

टीना: पापा छोड़िए सब कुछ्…आइए हम अपना रूटीन करते है। बताइए क्या करना है।

राजेश: बेटा…सब से पहले हम लूजनिंग एक्सरसाइज करेंगें… जा कर बेड पर सीधी हो कर लेट जाओ और अपने जिस्म को उपर लगे हुए आईने में निहारों। (टीना के नग्न कमसिन जिस्म को सहलाते हुए) …बेटा तुम बिल्कुल अजन्ता की मुर्ती दिखती हो…

(टीना सामने पड़े किंग साइज बेड पर जा कर लेट जाती है। उपर लगे हुए मिरर में अपने उमड़ते हुए यौवन को निहारती है। पुष्ट सीने पर ताज की तरह गुलाबी चूचियाँ एक अजीब सी अकड़न के कारण तड़क रही है। टीना की मासूम आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। अजीब बैचैनी और कश्मकश में टीना अपनी आँखे मूंद लेती है। छातियों की घुन्डियों मे से करन्ट फिर से प्रावाहित होना शुरु कर देता है। राजेश की निगाह कटिप्रदेश पर पड़ती है तो चूत की दो फांकों के बीच से लाल घुन्डी अपना मुख बाहर निकालती हुई दिखाई देती है।)

राजेश: (अपनी उँगली से बाहर झाँकती हुई घुन्डी पर वार करता हुआ) टीना… तुम्हारी क्लिट मेरे लौड़े को ढूँढ रही है…तुम्हारी चूत इसको पूरा निगलना चाहती है…

टीना: नहीं पापा…यह सब गलत है…

(राजेश अपने हाथों में टीना का चेहरा ले कर, बड़े प्यार से अपने होंठ टीना के होठों पर रख देता है और धीरे से अपनी जुबान का अग्र भाग टीना के निचले होंठ पर फिराता है। इस खेल में पूर्णतः निपुण टीना के होंठ थोड़े से अपनेआप खुल जाते है। उसी क्षण राजेश के होंठ टीना के निचले होंठ को अपने कब्जे मे ले लेते है और धीरे-धीरे निचले होंठ को चूसना शुरु कर देता है और बीच-बीच में अपनी जुबान टीना के उपरी होंठ पर फिराता है।टीना अपने आपे में नहीं रह पाती और अपने होठों को पूरा खोल देती है पर राजेश टीना से अलग हो जाता है। टीना आँखे मूंदें अपने झोंक में राजेश के होंठों को छूने के लिये आगे को झुकती है पर कुछ न पा कर आँखें खोलती है तो राजेश से आँख मिलते ही झेंप जाती है।)

राजेश: बेटा… यह वो आग है जिसमें मै इतने सालों से झुलस रहा हूँ… और तुम हो कि…

टीना: (अन्दर लगी हुई आग में बेचैन होते हुए) पापा…

(टीना की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से उसे अपने नीचे ले लेता है। दोनों की दिल की धड़कने बड़ने लगती हैं क्योंकि अब दोनों के गुप्तांग अपने-अपने दिमाग से सोच रहें है। टीना के स्तन राजेश के सीने में गड़ जाते है और नीचे से लिंगदेव भी हरकत में आ कर बहती हुई योनिद्वार पर ठोकर मारते है। बार-बार राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर और कभी ज़ाँघो के अन्द्रुनी हिस्सों पर फनफनाते हुए एक आँख वाले अजगर के एहसास ने टीना को विचलित कर रखा है। राजेश धीरे से पंखुडी से होठों पर अपने होंठों से लगातार प्रहार करता है। थोड़ा रुक कर, फिर गले से होता हुआ दो हसीन पहाड़ियॉ के बीचोंबीच बनी खाई पर आ कर रुक जाता है। इधर टीना भी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचने को हो रही है, कभी गुदगुदी का एहसास, कभी शरीर मे सिहरन, कभी अनजानी राह की अनिश्चितता, और इन सब में धीमी आँच मे जलता हुआ उसका कमसिन बदन राजेश के फौलादी जिस्म के नीचे दब कर तड़प रहा है।)

राजेश धीरे से लाल हुए मुकुट मटर को अपनी उँगली से छेड़ देता है। टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.पाआह....

राजेश: बेटा तुम्हारी चूत को अपनी आग ठंडी करने के लिए मेरा लंड चाहिए… इस वक्त तुम्हारी…चूत को एक सख्त हथौड़े…नहीं लौड़े की जरुरत है। क्या कहती हो…चाहिए कि नहीं?

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह.... (योनिद्वार के मुहाने पर लिंगदेव के फूले हुए सिर को महसूस करती हुई) प…आपा… यह गलत…है

राजेश: (अपना पैंतरा बदलते हुए) बेटा यह गलत नहीं है…हम एक्सरसाइज कर रहें…हमारे शरीर में टाक्सिन बन रहें है…इसमें क्या गलत है। जब तुम बीमार होती हो तब तुम्हें दवाई पीनी पड़ती है या उसका इन्जेक्शन लगता है… तुम मेरे बनाए गए टाक्सिन बहुत बार अपने मुख से ले चुकी हो…परन्तु जो आग तुम्हारे अन्दर भड़क चुकी है उसके लिए इन्जेक्शन जरूरी है… तो इसमें क्या गलत है।

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह....हम एक्सरसाइज कर रहें है।

राजेश: हाँ… और क्या कर रहें है…

(राजेश का एक हाथ एक बार फिर से टीना की गोरी पहाड़ियों के मर्दन में और उसका मुख गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाते है। हल्के हाथ से नग्न नितंबो को सहलाते हुए, कुछ दबाते हुए और अपने हथियार को बेरोकटोक योनिच्छेद पर घिसते हुए राजेश पूरी हरकत मे आ गया है। अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से उत्तेजना से बेबस टीना का बायां पाँव उपर उठा कर अपने लिंग को ढकेलता है। एक हल्की सिसकारी के साथ टीना कस के राजेश को चिपट जाती है।)

टीना: पा .उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...आह.....

राजेश: बेटा…(टीना के थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर लगातार चूमता हुआ और दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों को सहलाते हुए कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे घुन्डियों को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। उधर आँखे मुदें हुए टीना का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा है।)

राजेश: टीना अब आगे बढ़ा जाए…

टीना: हुं….उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....

(राजेश बालोंरहित कटिप्रदेश और योनिमुख को अपनी उंगलियों से टटोलता है और अपनी उँगलियों जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करता है। राजेश की उंगली योनिच्छेद में जगह बनाती अकड़ी हुई घुन्डी पर जा टिकती है।)

टीना: .उई...माँ….पअ.पा.……उफ.उ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली से सिर उठाती हुई घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों से टीना के होंठों को सीलबन्द कर देता है। नये उन्माद में टीना की सिसकारियाँ बढ़ती जाती हैं।)

राजेश: (टीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) टीना…टीना…

टीना: (शर्म से अधमरी हुई जा रही) हुं…

राजेश: क्या हुआ…अब कैसा लग रहा है?

टीना: हुं…(एक सिसकारी भरती हुई)…ठीक हूँ…

(एक बार फिर से कभी जुबान से फूले हुए निप्पल को छेड़ता और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है। राजेश अपने तन्नायें हुए हथियार को मुठ्ठी में लेकर धीरे से एक-दो बार हिलाता है और फिर टीना की चूत पर टिका देता है। लोहे सी गर्म राड का एहसास होते ही टीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपने फनफनाते हुए अजगर से रगड़ता है और फिर धीरे-धीरे रगड़ाई की लम्बाई बढ़ाता है)

टीना: (आँखें मूदें महसूस करती हुई कि एक गर्म सलाख सिर उठाती घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद को छेड़ते हुए नीचे की ओर बड़ती हुई नितंबों के बीच में छुपे हुए छिद्र पर जा कर टिक गयी और जैसे ही वापस होने को हुई)…उ.उई...पापा.उ… उक.……उफ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से टीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापता है। घुन्डी के उपर लिंगदेव का घिसाव अन्दर तक टीना को विचलित कर देता है। राजेश तन्नाये हुए लिंगदेव को टीना की चूत के अन्दर डालने का प्रयास करता है और उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है।)

राजेश: टीना… आज तुम्हारी पहली बार है…याद है कि पहली बार तुम्हें इन्जेक्शन लगा था तो बहुत दर्द हुआ था परन्तु बाद में सब ठीक हो गया था…अपने आप को ढीला छोड़ दो और मेरे लंड को अपने भीतर जाते हुए मह्सूस करो…

(राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद के मुख पर लगा कर अपने कड़कते हुए लंड को धीरे से ठेलता है। संकरी और गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ कुकुरमुत्तेनुमा लाल सुपाड़ा फिसल कर जगह बनाते हुए कमसिन चूत के दोनों होंठों को खोल कर अन्दर घुस जाता है।)

टीना: …उ.उई.माँ..पाअ.…पा.……उफ...न्हई…आह.....

(टीना के स्तन को अपने मुख में भर कर राजेश रसपान करने मे लग जाता है। लिंगदेव अपना सिर अटकाए शान्ति से इन्तजार करते है कि अनछुई चूत इस नये प्राणी की आदि हो जाए। राजेश के धीरे-धीरे आगे पीछे होने से सिर का घिसाव अन्दर तक टीना को विचलित कर देता है। इधर चूत मे फँसे हुए लिंगदेव अपने सिर की जगह बन जाने के बाद और अन्दर जाने मे प्रयासरत हो जाते है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती टीना अपने होंठ काटती हुई कसमसाती है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लौड़ा प्रेम रस से सरोबर सारे संकरेपन को खोलता हुआ और टीना के कौमर्य को भंग करता हुआ जड़ तक जा कर अन्दर फँस जाता है। टीना की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।)

टीना: उ.उई.माँ..उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.

राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…टीना…ना

टीना: पापा निका…उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररगय…यईई…निक्…उफ..लि…ए…आह..ह..ह.

राजेश: शश…श…बस अब सारा कष्ट खत्म, बस आगे आनंद ही आनंद…।

(टीना की चूत ने भी राजेश के लिंग को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ रखा है। चूत की गहराई नापने की कोशिश मे टीना की चूत में कैद राजेश का लंड भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह निचुड़ा हुआ पा रहा है। क्षण भर रुक कर, राजेश ने टीना के गोल सुडौल नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। एक तरफ लंड का फूला हुआ नंगा सिर टीना की बच्चेदानी के मुहाने पर चोट मार कर खोलने पर आमादा हो जाता है और फिर वापिस आते हुआ कुकुरमुत्ते समान सिर छिली हुई जगह पर रगड़ मारते हुए बाहर की ओर आता। धीरे से बाहर खींचते हुए जैसे ही लंड की गरदन तक निकलता, एक बार फिर से उतनी ही स्पीड से अन्दर का रास्ता तय करता। टीना की चूत भी अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी है।)

राजेश: (गति कम करते हुए) टीना… बेटा अब दर्द तो नहीं हो रहा है…

टीना: हाँ …पापा बहुत दर्द हो रहा है…

राजेश: (रोक कर)… ठीक है मै फिर निकाल देता हूँ… (और अपने को पीछे खींचता है)

टीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) …न…हीं, अभी नही…

राजेश: अगर मजा आ रहा है तो …

टीना: पापा प्लीज्…

(ऐसे ही जबरदस्त धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया। वह अपने आप को कंट्रोल मे करने के लिए एक पल के लिए रुक जाता है। वह टीना के जिस्म को सहलाते हुए अपनी उत्तेजना को काबू मे लाने की कोशिश करता है। कभी टीना के गुलाबी गालों को चूमता है और कभी अपने मुख मे भर कर चूसने मे लग जाता है। कभी वह कमसिन चूचियों को चूसता है और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है। इसी बीच टीना की कमसिन चूत मे एक बार भूचाल आता है और अपनी चूत को हिलाने की कोशिश करती है। परन्तु राजेश के नीचे दबी होने के कारण वह हिल नहीं पाती। राजेश उसके मचलते हुए जिस्म की आग को महसूस करते हुए एक बार फिर से धीरे-धीरे धक्के लगाना आरंभ कर देता है। अबकी बार टीना मस्ती मे राजेश का साथ देने लगती है। धक्कों का सिलसिला अब धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगता है और एक वक्त ऐसा आता है कि दोनों अपनी आग बुझाने के लिए तड़प उठते है। राजेश अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी वार करता है। नौ इंची का अजगर अपनी जगह बनाते हुए बच्चेदानी का मुख खोल कर गरदन तक जा कर अन्दर धँस जाता है। इस वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पाती और मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन आग मे घी का काम करते हुए धनुषाकार बनाती हुई टीना की चूत झरझरा कर बहने लगती है और राजेश के लंड को जकड़ कर झट्के लेते हुए दुहना शुरु कर देती है। हर्षोन्मत्त टीना की आँखों के सामने तारे नाँचने लगते हैं। राजेश को इसका एहसास होते ही उसका लंड भी सारे बाँध तोड़ते हुए बिना रुके अपने मुख से लावा उगलना शुरु कर देता है। टीना की चूत को अपने प्रेमरस से लबालब भरने के बाद भी राजेश अपने लंड को फँसाये रखता है और नई-नवेली संकरी चूत का कुछ देर लुत्फ लेता है। राजेश बड़े प्यार से टीना को चूमता है। टीना शिथिल अवस्था मे उसके नीचे दबी पड़ी हुई है। एक बार फिर से राजेश दो चार धक्के देकर अपने ढीले पड़ते हुए लंड को जगाने की कोशिश करता है लेकिन हारे हुए सैनिक की तरह उसका लंड शहीद हुए सैनिक की तरह अपने आप बाहर सरक कर निकल आता है। लंड के निकलते ही, टीना की चूत से प्रेमरस धीरे से रिसता हुआ नीचे बिछी हुई सफेद बेड-शीट पर हल्के गुलाबी रंग से टीना के प्रथम एकाकार की कहानी लिखता हुआ प्रतीत होता है।)

राजेश: (गालों को सहलाते हुए) टीना…टीना…

टीना: (कुछ क्षणों के बाद)….गअँ.न्ई…आह..... (अपनी आँखें खोलती हुई) पापा…

राजेश: (टीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) क्या हुआ टीना…।

टीना: (पल्कें झपकाती हुई) कुछ नहीं पापा, साँस घुटती हुई लगी और मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया।

राजेश: इस स्तिथि को सातवें आसमान पर कहते हैं।

टीना: (खुश हो कर) अच्छा…

राजेश: (अपने सीने से लगाते हुए) जो लड़की बहुत कामुक, संवेदनशील और रोमांटिक प्रवऋत्ति की होती हैं वही इस स्तिथि का बोध कर पाती है। टीना तुम तो गजब हो… क्या एक बार फिर से…।

टीना: नहीं पापा…कुछ देर के बाद। अभी बहुत दुख रहा है…

राजेश: बेटा तुम जरा थोड़ी देर ऐसे ही लेटी रहोगी तो सब कुछ जम जाएगा। ऐसा करो कुछ तकलीफ़ तो होगी परन्तु तुम्हारी चूत को इससे बहुत फायदा होगा अगर तुम पालथी मार कर बैठ जाओ…

टीना: अच्छा… पर आप मेरी मदद करो क्योंकि मुझसे हिला भी नहीं जा रहा है।

(राजेश धीरे से टीना को बैठाता है और फिर दोनों पाँवों को पकड़ कर पालथी मारता है। जैसे ही पाँव मोड़ता है टीना के मुख से चीख निकल जाती है। लेकिन पालथी मारते ही की चूत की अधखुली सुरंग पूरी तरह खुल जाती है और गाड़े गुलाबी रंग का प्रेमरस उबल कर बेड-शीट को रंगता हुआ सारी ओर फैल जाता है।)

टीना: (घबराहट में) पापा…यह क्या हुआ…यह खून कैसा…

राजेश: बेटा घबराने की कोई बात नहीं है। यह हमारे पहले एकाकार की कहानी है…अब कैसा लग रहा है।

टीना: हाँ…अब दर्द कम हो गया है…

राजेश: बेटा तुम इस तरफ आ कर लेट जाओ और आराम करो…मै यह चादर बदल देता हूँ।

(राजेश यह कहते हुए उठता है और एक नयी चादर लेने के लिए अलमारी की ओर बढ़ जाता है। टीना बेड पर से उतर कर सोफे के पास आ कर खड़ी हो जाती है। अभी भी प्रेमरस धीरे से रिसते हुए टीना की जांघ पर आकर सूख गया है। राजेश रंगी हुई चादर को निकाल देता है और एक नयी सफेद चादर बिछा देता है। राजेश अपनी बाँहों मे टीना को उठाता है और फिर धीरे से ला कर उसे बेड पर लिटा देता है।)

राजेश: बेटा तुम आराम कर लो मै कुछ तुम्हारे लिए एनर्जी ड्रिंक और खाने के लिए सनैक्स ले कर आता हूँ।

(राजेश यह कहते हुए बाहर रसोई में जाता है। टीना को थकान की वजह से नींद आ जाती है। रसोई से राजेश अपने हाथ में गर्म दूध लिए बेडरूम में आता है। कुछ देर पूर्व हुई काम क्रीड़ा के पश्चात, सामने पूर्णता निर्वस्त्र टीना बेड पर गहरी नींद में सो रही है। उसके चेहरे पर संतुष्टि की आभा है और होंठों पर चिरपरिचित मुस्कुराहट जो उसके हुस्न को चार चाँद लगा रही है। धीरे से राजेश बेड के सिरहाने आ कर खड़ा हो जाता है।)

राजेश: टीना…टीना बेटे…

टीना: (अधखुली आँखों से) हूँ…

राजेश: बेटा उठ कर दूध पी लो…

टीना: (नींद में बुदबुदाते हुए)…नहीं, मुझे नहीं पीना…सोने दिजीए (कहते हुए करवट बदलती है और पीठ कर के फिर से सो जाती है)

राजेश: (सिरहाने रखी साइड टेबल पर गिलास रखता है और टीना के साथ लेट कर टीना को अपनी ओर घुमाता है) बेटा… उठो, यह दूध इस वक्त पीने से शरीर के लिए बहुत लाभदायक है। उठो…(जबरदस्ती पकड़ कर टीना को बैठाता है)…

टीना: पापा…(कुनमुनाते हुए दूध पीती है। अचानक अपनी नग्नता का आभास होते ही हाथ मे थामा गिलास छलक जाता है और थोड़ा सा दूध टीना के नग्न सीने से बहता हुआ नाभि और फिर उसके नीचे कटिप्रदेश से होता हुआ चादर पर टपक जाता है)…ओह शिट……सौरी

राजेश: (टीना के कंधे को पकड़ कर)…क्या हुआ…

टीना: (कुछ देर पहले का घमासान एक चलचित्र की भाँति कुछ क्षणों में आँखों के सामने से गुजर जाता है) …पापा (कहते हुए राजेश से शर्मा कर लिपट जाती है)।

राजेश: अब कैसा लग रहा है… दर्द तो नहीं है।

टीना: (गरदन हिला कर मना करते हुए) इतना नहीं…परन्तु नीचे हल्की सी पीड़ा हो रही है।

राजेश: कहाँ पर भीतर या बाहर…

टीना: भीतर…(अपनी उँगलियों से महसूस करती हुई)

राजेश: बेटा…(टीना के उँगलियों को रोकते हुए)…अब हम दोनों का टाक्सिन तुम्हारे अन्दर मिल गया है (अपनी एक उँगली से योनिमुख को सहलाता हुआ) अब तुम बड़ी हो गयी हो क्योंकि तुम्हारी चूत मेरा पूरा लंड निगल गयी थी।

टीना: अब मै बड़ी हो गयी हूँ…पापा मेरी चूत में कुछ हो रहा है

राजेश: बेटा यह आग की जलन है। अभी आग पूरी तरह से बुझी नहीं है और अगर जल्दी से तुमने मेरे लंड को नहीं निगला तो यह आग फिर से भड़क जाएगी…(कहते हुए अपनी लुंगी खोल कर पास ही फेंक देता है)

(यह कहते हुए राजेश ने टीना को एक बार फिर से बेड पर लिटा कर उसके नग्न जिस्म को अपने जिस्म से ढक देता है। राजेश धीरे से अपने होंठ टीना के होठों पर रख देता है और धीरे से अपनी जुबान का अग्र भाग टीना के निचले होंठ पर फिराता है। टीना भी इस खेल में राजेश का साथ भरपूर देती है)

राजेश: बेटा…जब मेरा लंड तुम्हारी चूत के मुहाने पर दस्तक देता है तो तुम्हारी आग से बेचारा झुलस जाता है…

टीना: पापा…

(टीना की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से अपने नीचे लेता है। टीना के उन्नत स्तनों को अपनी हथेली में लेकर कर मसकता है। राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर महसूस करते हुए टीना अधिक उत्साह से अपनी टांगों को राजेश की कमर पर लपेट देती है। भावतिरेक हो कर राजेश का लंड अपना भयावह रूप धारण कर लेता है और टीना की ज़ाँघो के अन्द्रुनी हिस्सों पर से सरकता हुआ चूत के मुहाने पर जा कर ठोकर मारता है। राजेश धीरे से पंखुड़ियों से होठों पर अपने होंठों से लगातार उनका रस निचोड़ता है। थोड़ा रुक कर, फिर गले से होता हुआ दो हसीन पहाड़ियॉ के बीचोंबीच बनी खाई पर अपने होंठों की मौहर अंकित करता है। इधर टीना भी उत्तेजना में अपना सिर इधर-उधर पटकती है।)

क्रमशः
Reply
07-12-2018, 12:38 PM,
#17
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--17

गतान्क से आगे..........

टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.पाआह....

राजेश: बेटा…तुम्हारी चूत को मेरा लंड चाहिए… इस वक्त तुम्हारी…चूत को मेरे लौड़े की जरुरत है।

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह.... (योनिद्वार के मुहाने पर राजेश के चिरपरिचित लंड के फूले हुए सुपाड़े को महसूस करती हुई) प…आपा… जल्दी से डालो न…

राजेश: (अपना पैंतरा बदलते हुए) बेटा…इस आग को और भड़कने दो…

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह....प्लीज (अपनी चूत से टटोलते हुए नीचे से राजेश के लंड पर दबाव बना कर अन्दर डालने की चेष्टा करती है)

राजेश: क्या कर रही हो…टीना…(थोड़ा सा पीछे हटते हुए परन्तु टीना की टांगों से जकड़े होने के कारण टीना भी खिंचती हुई पीछे हो गयी)

(राजेश का एक हाथ एक बार फिर से टीना की गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाते है। कभी पूरा स्तन अपने मुख मे भर कर निचोड़ता है और कभी स्तन पर विराजमान अंगूर के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसता है। हल्के हाथ से नग्न नितंबो को सहलाते हुए, फिर कुछ दबाते हुए और अपने लंड के सुपाड़े को बेरोकटोक चूत के मुहाने को खोल कर सिर उठाये बीज पर घिसता है)

टीना: (एक्साइट्मेंट में चीखते हुए) पा…अ.उउआ.पाआह....प्लीज

(अब राजेश से भी नहीं रुका जा रहा। उसका लंड भी अकड़ कर अपनी लार टीना के चूत के मुहाने पर टपकाने लगा है। राजेश अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से टीना का बायां पाँव उपर उठा कर अपने लंड को अन्दर की ओर ढकेलता है। जैसे ही लंड का पुरा सुपाड़ा सरक कर चूत के मुहाने में जाता है, एक लम्बी सी सिसकारी के साथ टीना कस के राजेश को जकड़ लेती है।)

टीना: .उउआ.पाआह...पा.उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...आह.....

राजेश: बेटा…(टीना के थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर लगातार चूमता हुआ और दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों को सहलाते हुए कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे घुन्डियों को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। उधर आँखे मुदें हुए टीना का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा है।)

टीना: (मस्ती भरी अवाज में) हुं….उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगलियों से टीना की गाँड के छिद्र को टटोलता है और अपनी उँगली को मुहाने पर रख दबाव डालता है। इस वार से अचकचा कर टीना हड़बड़ा कर आँखे खोलती हुई उठने की कोशिश करती है। राजेश एक झटके से अपनी उँगली वहाँ से हटा लेता है।)

टीना: .उई...माँ….पअ.पा.……उफ.उ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली टीना के होंठों पर फिराता है। हर्षोन्मत्त हुई टीना अपने होंठों को थोड़ा सा खोल देती है। राजेश अपनी उंगली टीना के होंठों पर फिरता हुआ मुख के भीतर डाल कर जुबान से छेड़छाड़ शुरू करता है। राजेश की उंगली को लेकर टीना अपनी जुबान से खेलती हुई चूसती है। नये उन्माद में टीना की सिसकारियाँ बढ़ती जाती हैं।)

राजेश: (टीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) टीना…टीना…

टीना: (अपने कुल्हे को जोर से राजेश की ओर धक्का देते हुए ) हुं…आहह

राजेश: (थोड़ा सा लंड को भीतर करते हुए)…अब कैसा लग रहा है?

टीना: हुं…(एक सिसकारी भरती हुई)…बहुत अच्छा……(आँखें मूदें महसूस करती हुई कि एक गर्म सलाख अन्दर धँसती जा रही है। राजेश एक बार फिर से अपनी उँगली से नितंबों के बीच में छुपे हुए छिद्र के मुख पर जा कर टिका देता है)…उ.उई...पापा.उ… उक.……उफ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से टीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापता है। राजेश अपने तन्नाये हुए लंड को टीना की संकरी चूत में तीन-चौथाई धँसा देता है। कुकुरमुत्ते सा फूला हुआ सुपाड़ा बच्चेदानी के मुख पर आ कर रुक जाता है। उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है और अपनी उंगली गाँड के मुहाने पर फिरा रहा है।)

टीना: …उ.उई.माँ..पाअ.…पा.……उफ...न्हई…आह.....

(टीना के स्तन को अपने मुख में भर कर रसपान करता है। राजेश अपने लंड को अन्दर धँसा कर शान्ति से इन्तजार करता है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती टीना अपने होंठ काटती हुई कसमसाती है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लौड़ा प्रेम रस से सरोबर सारे संकरेपन को खोलता हुआ जड़ तक धँस कर फँस गया है। टीना की आँखें खुली की खुली रह जाती है और मुख से दबी हुई चीख निकल जाती है।)

टीना: उ.उई.माँ..उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.

राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…टीना…ना

(टीना की चूत ने भी राजेश के लिंग को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ रखा है। चूत की गहराई नापने की कोशिश मे टीना की चूत में कैद राजेश का लंड भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह निचुड़ा हुआ पा रहा है। क्षण भर रुक कर, राजेश ने टीना के नितंबो को दोनों हाथों से पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर अपना वार शुरु करता है। एक तरफ लंड का फूला हुआ नंगा सिर टीना की बच्चेदानी के भीतर जा कर फँस जाता है और दूसरी ओर गाँड के छिद्र के मुहाने को खोल कर राजेश की उँगली पूरी अन्दर तक धँस जाती है। धीरे से बाहर खींचते हुए जैसे ही लंड गरदन तक बाहर आता है, एक बार फिर से दुगनी स्पीड से अन्दर का रास्ता तय करता। ऐसा करते हुए राजेश गाँड में फँसी हुई उँगली को भी अन्दर-बाहर करते हुए छिद्र का मुख खोलता है। टीना की चूत और गाँड अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गये है)

राजेश: (गति बढ़ाते हुए) टीना……

टीना: हाँ…पापा प्लीज्…

(काफी देर तक ऐसे ही जबरदस्त धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे ज्वालामुखी फटने को तैयार हो गया और धीरे-धीरे वह अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी दोहरा वार करता है। इक तरफ अपने लंड के सुपाड़े को बच्चेदानी का मुख खोल कर भीतर फँसा देता है और दूसरी तरफ अपनी उँगली को कड़ा करके टीना की गाँड में पूरा धँसा देता है। इस दो तरफा वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पाती और धनुषाकार बनाती हुई टीना की चूत झरझरा कर बहने लगती है। टीना की चूत झट्के लेते हुए राजेश के लंड को दुहना शुरु कर देती है। राजेश का लंड सारे बाँध तोड़ते हुए बिना रुके टीना की बच्चेदानी मे लावा उगलना शुरु कर देता है। टीना की चूत को अपने प्रेमरस से लबालब भरने के बाद राजेश बड़े प्यार से टीना को चूमता है)

राजेश: (गालों को सहलाते हुए) टीना…टीना…

टीना: (कुछ क्षणों के बाद)…..न्ई…आह...(अपनी आँखें खोलती हुई) पापा…

राजेश: (टीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) टीना…क्या एक बार फिर सांतवें आसमान का चक्कर लगाने चली गयी थी।

टीना: पापा…मेरे अच्छे पापा… मुझे ऐसा लगा कि मै आसमान में उड़ रही हूँ…

राजेश: (टीना के उपर से हटते हुए)…बेटा तुम्हारा जिस्म मेरा था और आज से मेरा ही हो कर रहेगा…तुम्हारी आग को बुझाने के लिए यह (प्रेमरस से नहाए हुए लिंगदेव को हिलाते हुए) हमेशा तैयार खड़ा हुआ मिलेगा।

टीना: पापा… आपसे अच्छा कोई नहीं (कहते हुए राजेश के होंठ चूम लेती है)

राजेश: बेटा…तुम्हारे दो मुख तो मेरा लंड निगल चुके…अब तीसरे मुख की बारी है। (अपनी उँगली को टीना की गाँड के छिद्र पर फिराते हुए)…इस का कब उद्घाटन करना है…

टीना: अभी नहीं… आपकी उँगली ने तो आज इसका उद्घाटन कर दिया है। फिर किसी और दिन यह आपके लंड को भी निगल जाएगी। अभी तो दूसरे मुख से काम चलाईए…

राजेश: आज मेरी उँगली अन्दर का जायजा ले कर आई है और इसके बाद मै ज्यादा इंतजार नहीं कर सकूँगा। कल इसका भी उद्घाटन कर देते है…

टीना: (राजेश के लंड को सहलाती हुई) पापा पहले इसको …छोड़िए भी…कर लेना…अच्छा अब मुझे प्यार करिए…(कहते हुए राजेश के साथ एक बेल की भाँति लिपट गयी)…

राजेश: (टीना को अपने आगोश में जकड़ कर) मेरा प्यारा बेटा…(कहते हुए टीना के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले कर उनका रस सोखने में लग गया)

टीना: (गहरी साँस छोड़ते हुए) पापा…आपको करीना कैसी लगती है…

राजेश: (चौंकते हुए) इस वक्त ऐसा सवाल क्यों…

टीना: बताईए न…

राजेश: बहुत सुन्दर… मगर तुमसे ज्यादा नहीं।

टीना: थैंक्स पापा…

राजेश: (टीना के स्तन के साथ खेलते हुए) पर आज हमारे मिलन के क्षणों में करीना को क्यों याद कर रही हो…।

टीना: ऐसे ही…उसकी याद आ गयी…

राजेश: उसे देखता हूँ तो… (दरवाजे की घंटी बजती है। दोनों हड़बड़ा कर उठते है। जल्दी-जल्दी अपने-अपने कपड़े पहनते है।)

टीना: पापा…आप पैन्ट क्यों पहन रहे हो…सामने लुंगी पड़ी हुई है…

राजेश: (घबराहट में) सौरी बेटा…थैंक्स फ़ोर एड्वाईस (लुंगी बाँध कर दरवाजे की ओर बढ़ता है)

टीना: पापा… प्लीज मेरी ब्रा का हुक लगा दिजीए…

(राजेश वापिस आता है। हुक लगाते हुए घंटी एक बार फिर से बज उठती है। राजेश सब कुछ छोड़ कर दरवाजे की ओर भागता है और जा कर खोलता है। सामने करीना खड़ी हुई है)

राजेश: करीना इस वक्त… कैसे

करीना: नमस्ते (हल्के स्वर में) डार्लिंग… अंकल

राजेश: नमस्ते…(झेंपते हुए)

करीना: टीना है…मुझे कुछ उससे काम था…

राजेश: हाँ…आओ…(तभी टीना राजेश के बेडरूम से बाहर निकलती हुई)

टीना: हाय करीना…

करीना: (टीना की ओर जाते हुए) हाय… क्या बिजी है… तेरे को क्या हुआ

टीना: (झेंपती हुई) क्यों क्या हुआ…।

करीना: (मुस्कुराती हुई) बाल फैले हुए है…उल्टी टी-शर्ट… क्या चक्कर है…

(राजेश पीछे खड़ा हुआ सारी बातें सुन रहा है। बात को संभालता हुआ…)

राजेश: कुछ खास चक्कर नहीं…टीना मेरे साथ बेडरूम साफ करा रही है… अब तुम आ गयी हो तो तुम भी कुछ मदद करो…

करीना: सौरी अंकल…मैनें नाहक ही आप दोनों को डिसटर्ब किया…

राजेश: न बेटा… अभी टीना और मैं तुम्हारी बात ही कर रहे थे… बहुत लम्बी उमर पायी है।

करीना: (कुछ शैतानी की मुस्कुराहट लाते हुए) अच्छा जी… टीना मेरे पीछे मेरी क्या बुराई कर रही थी…

टीना: तू पापा को बहुत सुन्दर लगती है…

करीना: (खिसिया कर) अच्छा…

राजेश: (घबरा कर)…नहीं मै तो यह कह रहा था कि…।

टीना: आप झूठ बोल रहें है…आपने ही कहा था कि करीना आपको बहुत सुन्दर लगती है…

राजेश: हाँ…ठीक तो है। करीना बहुत सुन्दर है… परन्तु…

करीना: परन्तु क्या…(चिड़ाते हुए)…अंकल

टीना: तू बस अब रहने दे… चल मेरे रूम में

(कहते हुए टीना और करीना सीड़ीयाँ चड़ते हुए टीना के रूम में प्रवेश कर गयीं। राजेश टकटकी लगा कर दोनों को देखता रह गया। पिछ्ले तीन दिनों में इन्हीं दोनों कमसिन हसीन लड़कियों को पुरे तन और मन से भोग चुका था। दोनों अपने आप में एक से बढ़ कर एक थी। जहाँ टीना का छरहरा बदन है, वहीं पर करीना का कटाव लेता हुआ भरा हुआ जिस्म है। दोनों के अंग-अंग से वाकिफ, राजेश इस दुविधा में कि कौन ज्यादा खूबसूरत है। अगर टीना को पा कर एक पेग विह्स्की का नशा है तो करीना वोदका की तरह किक देता हुआ नशा है। कुछ सोच कर राजेश चुपचाप बिना आहट किये उपर का रुख करता है। अन्दर से दोनों के खिलखिलाने की आवाज आ रही है। टीना के दरवाजे पर राजेश कान लगा कर सुनने का प्रयत्न करता है।)

करीना: मुझे तो प्यार हो गया है।

टीना: मै तो कहती थी कि तू मरती है…अगर तेरे उपर हाथ रख दें तू पिघल जाएगी…

करीना: हाँ यार… तू सच कहती थी। आज तूने भी देख लिया…पूरा अजगर की भाँति है…

टीना: हाँ यार…पर तूने तो मुझे बहुत डरा दिया था…

(इतना ही सुन कर राजेश को कुछ-कुछ समझ आ गया था। बिना देर किए जल्दी से नीचे उतर कर अपने बेडरूम मे आ जाता है। तभी दरवाजे की घंटी बजती है। राजेश जा कर दरवाजा खोलता है। सामने मुमु खड़ी हुई है और चेहरा गुस्से से तमतमा रहा है।)

राजेश: (अन्दर आते हुए) क्यों क्या हुआ…

मुमु: (रुआँसी आवाज में) क्या तुम ने पिताजी को मेरा मोबाइल नम्बर दिया था…

राजेश: क्यों क्या फिर से उन्होंने काल किया…

मुमु: मै उनसे कोई सबंन्ध नहीं रखना चाहती हूं पर मेरे को चैन से जीने नहीं देते…

राजेश: चलो खाक डालो…खाने का क्या करना है? उपर टीना और करीना बैठे हुए है…यह बात हम बाद में भी कर सकते हैं।

मुमु: मै तैयारी कर के गयी थी…खाने मे कुछ टाइम लगेगा। पहले मै फ्रेश हो कर आती हूँ।

(इतना कह कर मुमु बेडरूम जाती है। राजेश टीवी के सामने बैठ कर न्यूज सुनता है। कुछ देर के बाद मुमु तैयार हो कर बाहर आती है और रसोई की ओर रुख करती है। टीना और करीना नीचे उतर कर दरवाजे का रुख करती है।)

राजेश: मेरी दुनिया की सबसे हसीन अप्सारायें रात में किधर चल दी…

टीना: मै करीना को घर छोड़ने जा रही हूँ।

राजेश: अर…रे खाना लग गया है…खाना खा कर जाना…करीना तुम भी

मुमु: (रसोई से आवाज देते हुए) टीना कहीं नहीं जाना। पहले खाना खा लो फिर जाना कहीं पर्…(कहते हुए रसोई से खाना ला कर मेज पर सजा देती है)

(टीना और करीना मेज पर आ कर बैठ जाते है। राजेश भी सब को डाईनिंग टेबल पर जौइन करता है। मुमु सबके लिए खाना परोसती है। सब मिल कर खाना खाते है। खाना खाने के बाद टीना और करीना बाहर का रुख करती हैं। राजेश और मुमु बेडरूम कि ओर चले जाते हैं।)

क्रमशः
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07-12-2018, 12:38 PM,
#18
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--18

गतान्क से आगे..........

टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.

नी जुबान पर लगाम रखेंगें।

मुमु: हाँ तुम ठीक कह रहे हो उन्हें यहीं पर बुला लेती हूँ… पता तो चले आखिर चाहते क्या है…

राजेश: हाँ और यह भी देख ले कि उसकी बेटी आज शहर के गणमान्य लोगों के साथ उठ्ती बैठ्ती है…

मुमु: तुम भी न …

राजेश: (उठ कर मुमु को अपने आगोश में ले लेता है) तुम भूल सकती हो… परन्तु मै अपना अपमान और तुम्हारी छोटी बहन तनवी को कभी भी नहीं भूल सकता…

मुमु: आज भी तनु की याद करके आप की आँखें नम हो जाती है…(गाल को सहलाती है और राजेश के होंठों को चूम लेती है)

राजेश: (मुमु को अपने निकट खींचकर) सिर्फ तुम्हारी वजह से आज मै इन्सान हूँ वर्ना तुम्हारे पिताजी ने तो मुझे हैवान बनाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी थी…

मुमु: तुम नाहक ही उनके बारे में सोच रहे हो…

राजेश: तुम्हारी सबसे छोटी बहन आज कल उनके साथ रह रही है…

मुमु: हाँ बता रहे थे… और हँसते हुए बता रहे थे तुम्हारे और उसके बारे में…

राजेश: ठीक ही तो है… मेरा जन्म तो सिर्फ तुम्हारे पिताजी की लड़कियों के लिए हुआ है। याद है न मैनें तुम्हारे पिताजी से वादा किया था कि उन्होंने मेरे प्यार को मुझसे छीना है और एक दिन उनकी सारी बेटियों को मै अपनी बना कर रखूँगा। मैने तो स्वर्णाआभा से भी कहा था कि मेरे साथ चल परन्तु शायद अपने पिताजी की मर्दानगी से ज्यादा ही प्रभावित है या डर के कारण उसने मना कर दिया…

मुमु: मै जानती हूँ…तुम्हारे दिल का दर्द्। आखिर हम सब का बचपन साथ बीता है। काश मेरी माँ जिन्दा होतीं तो यह सब तो न होता…

राजेश: रहने दो… अच्छा है कि वह नहीं रही वरना अपनी बेटियों का जीवन बर्बाद होते हुए देख कर जीते जी मर जाती।

मुमु: माँ के मरने के बाद तो…

राजेश: मुमु मैनें तुमसे यह बात कभी भी पहले नहीं पूछी कि तुम्हारे संबन्ध अपने पिताजी के साथ कैसे और कब बन गये… क्या इस के बारे में बात करना चाहोगी।

मुमु: (राजेश के सीने से लगते हुए) आज तुम्हारे साथ रहते हुए चौदह साल हो गये है… सब कुछ जानते हुए भी तुमने कभी भी मुझसे इस बारे में नहीं पूछा फिर आज अचानक क्यूँ ?

राजेश: एकाएक तनवी जहन में आ गयी… खून में लथपथ फर्श पर पड़ी थी और… (राजेश फफक कर रो पड़ता है)…

मुमु: पुराने जख्म को मत कुरेदो…सोच कर दर्द ही होगा। परन्तु आज तक मैने किसी को भी अपनी आप बीती नहीं सुनाई। सारा जहर इतने साल मैने अपने सीने में दबा कर रखा…

राजेश: जितनी नफरत मै तुम्हारे पिता से करता हूँ उस से कहीं ज्यादा मोहब्बत मै तुमसे और तनवी से करता हूँ। आज भावनाओं मे बह कर तुम से पूछ बैठा… मुझे माफ कर दो…तुम सही कह रही हो पुराने घाव कुरेदने से सिर्फ पस ही निकलेगा…

मुमु: (राजेश से लिपट कर उसके सीने में मुँह छुपाते हुए) राजू आज मै अपनी आत्मा पर बहुत सालों से पड़े हुए बोझ को हटाना चाहती हूँ… मुझे मत रोको… माँ की मौत पर मै सिर्फ तेरह वर्ष की थी। मेरे शरीर में बदलाव आना शुरु हो गया था। सीने के उभार दिखने लगे था और कुल्हे और नितंबों मे भराव आना शुरु हो गया था। जब भी मै चलती तो सीने के उभार हिलते और देखने वाले मेरे सीने पर ही अपनी नजर गड़ाये रखते थे। मुझे बड़ा अजीब सा लगता था। उन्हीं दिनों में पिताजी जब शाम को घर पर लौट कर आते लड़खड़ाते हुए नशे में सीधे अपने कमरे में चले जाते थे। माँ के मरने के बाद कुछ दिनों तक तो क्रमवार यही चलता रहा परन्तु पिताजी का मेरे प्रति रवैया बदलने लगा। जब भी मन करता या कोई काम होता तभी किसी नौकर द्वारा बुला भेजते। अपने एकाकीपन को दूर करने के लिए मुझे अपने साथ सोने के लिए कहते थे। दो छोटी बहनों के देख रेख के लिए एक दाई माँ रख ली थी।

राजेश: मुमु तुम्हारे घर में तो बहुत सारे नौकर-चाकर हुआ करते थे फिर तुम्हारे पिताजी तुम्हें ही क्यों बुलाते थे…

मुमु: पहले कुछ समय तो मुझे भी नहीं समझ आया परन्तु एक लड़की पर चड़ती हुई जवानी उसे बहुत संवेदनशील बना देती है। लोगों की निगाह और उनके बात करने के हाव भाव से ही उनकी नीयत का आभास हो जाता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ क्योंकि जब भी मै पिताजी के कमरे में जाती तो पिताजी रेस्टिंग चेयर पर बैठे होते और जबरदस्ती मुझे अपनी गोदी में बिठा लेते और फिर मेरे शरीर को प्यार से सहलाते हुए माँ को याद करते थे और रात को मुझसे लिपट कर सोते थे। मुझे भी अच्छा लगता था कि मेरे पिताजी मुझसे कितना प्यार करते है। लेकिन एक बार बीच रात में मेरी नींद टूट गयी क्योंकि मुझे अपनी जांघों के बीच में कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ था। मेरे पिताजी ने अपना लंड मेरी जांघों के बीच मे फँसा कर मेरे नाजुक उभारों को अपने हाथों से दबा रहे थे। पिताजी के डर की वजह से कुछ देर मै चुपचाप पड़ी रही पर अंधेरे में उत्सुकतावश मैनें अपनी जांघों के बीच फँसी हुई वस्तु को अपने हाथ से पहचानने की कोशिश की तो पिताजी ने मेरा हाथ को दिशा दे कर अपने तन्नायें हुए लंड को पकड़ा दिया और पीछे से धीरे-धीरे धक्के लगाने लगे। यह सब मेरे लिए एक स्वप्न भाँति लग रहा था। एकाएक पिताजी के लंड ने कँपकँपी लेते हुए अपना सारा रस मेरी हथेली पर उंडेल दिया। कुछ ही देर में पिताजी के खर्राटें कमरे में गूँजने लगे परन्तु काफी देर तब इस नवीन अनुभव को मेरा नासमझ दिमाग समझने की कोशिश करता रहा। उसी रात को पहली बार मुझे अपनी चूत में खुजली महसूस हुई थी…

राजेश: तुम नाहक ही…।

मुमु: नहीं… तुम नहीं समझोगे क्योंकि तुम मर्द हो… तुम्हें क्या पता कि एक कमसिन कली पर ऐसे एहसास का क्या असर होता है। फिर कई दिनों तक यही खेल रात को बिस्तर पर चलता रहा। हम दोनों एक दूसरे को रात के खेल के बारे में अपनी अनिभिज्ञता दर्शाते थे पर दिल ही दिल में रात की बात को याद करके रोमांचित हो जाती थी। एक रात को सोने से पहले पिताजी के हाथ से पानी का गिलास फिसल कर मेरी गोदी में गिर जाने से मेरी फ्राक और जांघिया भीग गये थे। पिताजी ने कहा कि गीले कपड़े उतार कर सुखाने के लिए रख दो अगर ऐसे ही गीले कपड़े पहने सो गयी तो बीमार पड़ने का खतरा रहेगा। मै कुछ न नुकर करती, पिताजी ने जबरदस्ती मेरे सारे कपड़े उतार दिए और सूखने के लिए अपनी कुर्सी पर फैला दिए। पहली बार मेरा नग्न जिस्म मेरे पिताजी के सामने उदित हुआ था। मै शर्म के मारे मरी जा रही थी परन्तु पिताजी मुझे अपनी बाँहों मे भर कर बिस्तर पर ले जा कर लिटा दिया। पिताजी ने अपना कुर्ता उतार दिया और धोती पहने बिस्तर पर आकर मुझे अपनी बाँहो में ले कर लेट गये और मेरे सीने के उभारों के साथ खेलना शुरु कर दिया। लगातार छेड़खानी से मेरे निप्पल फूल कर खड़े हो गये थे और किसी शातिर खिलाड़ी की तरह उनहोंने मुझे अपनी ओर मोड़ कर मेरे निप्प्लों को अंगूर की तरह अपने होंठों मे दबा कर चूसने लगे और धीरे से मेरी अनछुई चूत की दरार में उँगली फिराने लगे।

राजेश: मुमु तुमने मना नहीं किया…

मुमु: क्या बताऊँ एक तरफ डर और दूसरी ओर जवानी की दहलीज पर कदम रखते हुए जिस्म की अनजान भूख… उस समय कुछ समझ नही आ रहा था। उस रात मैनें हिम्मत करके पिताजी को रुकने को कहा तो पिताजी ने धोती में से अपना काला भुजंग फनफनाता हुआ लंड निकाल कर मेरे हाथ में देते हुए कहा कि यह तेरी अम्मा की धरोहर है अब उसके जाने के बाद से यह तेरी है। जो तेरी माँ इसके साथ करती थी अब से तुझे करना होगा और यह कह कर मुझे नोचना-खसोटना शुरु कर दिया।

राजेश: पर मुमु तुम चुप क्यों रही… रोकने के लिए चीखँती…कोई तो नौकर आता बचाने को…

मुमु: तुम मेरे पिताजी के खौफ से क्या वाकिफ नहीं हो… किसी नौकर में इतना दम नहीं था कि मेरे पिताजी की आज्ञा की अवेहलना करें…पिताजी ने मुझे अपने नीचे दबा लिया और धीरे धीरे मेरे होंठों और गालों को चूसना शुरु कर दिया… फिर मेरे सीने के उभारों को अपने मुख में भर कर आम की तरह चूसना शुरु कर दिया…मेरे अन्दर भी अजीब सी आग जलने लगी थी… पिताजी को अपनी मर्दानगी पर बड़ा घमंड था और मेरे हाथ में अपने लंड को पकड़ा कर कहा की यह तेरी माँ की धरोहर है और आज से तू इसका ख्याल रखा करेगी। द्स इंच लम्बा और तीन इंच की गोलाई लिए लंड को मेरे हाथ में थमा दिया… और मुझे सरसों का तेल दे दिया और कहा की इसकी मालिश करूँ … कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ परन्तु जैसा पिताजी ने कहा मैने वैसा करना आरंभ कर दिया… पिताजी मेरे नाजुक अंगों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे और मै उस काले भुजंग की मालिश कर रही थी… तुम्हें नहीं मालूम होगा परन्तु उनके लंड का अग्र भाग एक फूले हुए बैगंन की तरह दिखता है।

राजेश: मुमु…

मुमु: नहीं आज मुझे कहने दो… पिताजी कुछ देर तक मेरे स्तनों को नीबू की तरह निचोड़ते हुए चूसते थे और कभी अपने दाँतों में दबा कर कचकचा कर काट देते थे। मेरे स्तन पर आज तक उनके दाँतों के निशान है…(मुमु अपने नाइट गाउन को उतार कर अपने दोनों स्तनों पर कुछ निशान दिखाती है। राजेश प्यार से स्तन को अपने हाथों मे ले कर सहलाता है।)… मै दर्द से छ्टपटाती हुई पिताजी से अपने स्तन छुड़ाने का प्रयास करती तो और जोर से काट देते थे… काफी देर तक मेरे होंठों और स्तनों के साथ खेल कर उन्होनें मेरी गरदन पकड़ कर मेरे मुँह में अपना लंड जबरदस्ती धँसा दिया…और मुझसे चूसने को कहा। तुम सोच सकते हो कि एक तेरह वर्ष की नादान लड़की का पहला अनुभव कैसा रहा होगा…कि एक तरफ से उनका लंड मेरे गले में धँस कर मेरा दम घोट रहा था और दूसरी ओर से मेरे पिताजी अपनी मोटी उँगलियों से मेरी चूत को खोल कर मेरे दाने को रगड़ने में लगे हुए थे। मेरा शरीर मेरे काबू में नहीं रह गया था और कुछ ही क्षणों मेरा पहला स्खलन हो गया था…

मुमु: राजू उस वक्त मै नासमझ और बेबस थी… मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। पिताजी मुझे एक गुड़िया की भाँति इस्तेमाल कर रहे थे… अचानक मेरे पिताजी ने अपना लंड मेरे मुख से निकाल कर मुझे गोदी मे ले लिया तो मुझे साँस लेने में कुछ राहत महसूस हुई। पुचकारते हुए पिताजी ने मुझे अपनी ओर खींचकर मेरी चूत के मुहाने पर अपना लंड रख घिसना आरंभ कर दिया और मेरी कमर को कस कर पकड़ कर अपनी ओर धक्का दिया। सरसों के तेल से भीगा हुआ लंड का अग्र भाग मेरी चूत के मुख को जबरदस्ती खोल कर अन्दर जा कर फँस गया। मेरी आँखों के आगे अंधेरा छाता चला गया… और मै दर्द के मारे बेहोश हो गयी…जब तक मुझे होश आया तब तक मेरा कौमर्य भंग हो चुका था। मेरे पिताजी अपना लंड मेरी चूत में फँसा कर मेरे उपर लेटे हुए थे। मेरी चूत में बर्छियाँ चल रही थी और मैं पीड़ा से छटपटा रही थी। मेरा बाप मेरे शरीर को रौंदने में लगा हुआ था। मेरी परवाह किए बिना, पिताजी लम्बे और गहरे धक्के लगाते हुए जल्दी ही अपना सारा रस मेरी चूत में उंडेल कर एक तरफ पड़ गये… मेरा क्या हाल था मै क्या बयान करूँ…

राजेश: मुमु मै समझ सकता हूँ… (अपनी उँगली मुमु की चूत की दरार पर फिराते हुए) मुझे पता है इस ने कितनी यातनाएँ सही है… (और चूत के होंठों को उँगलियों से खोल कर उठे हुए बीज को चूमते हुए अपने होंठों में दबा लेता है।)

मुमु: अ आह्… नहीं प्लीज। आज मै तुम्हें सब कुछ बता कर अपना बोझ हलका करना चाहती हूँ (कहती हूई राजेश के चेहरे को अपने नग्न सीने पर रख कर) पुरे चार दिन तक मै अपने बिस्तर से नहीं उठ पाई और सारे दिन मै पीड़ा से तड़पती रहती थी। पिताजी रोज मेरे पास आकर प्यार से बात करते थे पर डर के कारण उस रात का कोई जिकर नहीं होता था। पिताजी ने मेरी हालत देख कर दाई माँ को बुलाया और उसे मेरा इलाज करने के लिए छोड़ दिया और गाँव भर में मेरी चरित्रहीनता की खबर फैला दी। एक हफ्ते बाद मेरे पिताजी ने रात को मुझे अपने कमरे में फिर से बुलाया तो दाई अम्मा मुझे अपने साथ ले कर उनके कमरे मे छोड़ आयीं।

राजेश: मुमु तुम्हें याद होगा जब मै पहली बार तुम्हारे घर आया था तो तुम मुझे एक दुखी और मासूम परन्तु बहुत नकचड़ी और घमंडी सी लड़की लगी थी।

मुमु: मेरे भाग्य की विडम्बना थी… एक तरफ मेरा डर और दूसरी ओर यौन शोषण ने मुझे बहुत चिड़चिड़ी बना दिया था। रोज रात को पिताजी मेरा को हर तरह से भोगते थे। अब मेरा शरीर भी इस खेल का आदि हो चुका था। पहले मै डर के मारे पिताजी का इस काम में साथ देती थी परन्तु कुछ समय बाद पिताजी के लंड को लिए बिना मुझे नींद नहीं आती थी। कुछ ही दिनों में पिताजी ने मेरे शरीर के सारे छेदों का अपने प्रेमरस से भर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि मेरे पेट में लीना आ गयी। पहले तो पिताजी दाई अम्मा से बच्चे को गिराने की बात करते रहे पर ज्यादा दिन होने की वजह से जान को खतरा था इस लिए बच्चे को गिराने का ख्याल दिल से निकाल दिया। माँ बनने के कारण अब मै पिताजी की आग शान्त करने में अस्मर्थ थी। अब तक तनवी ने जवानी की दहलीज पर पहला कदम रख दिया था। देखने मे तो वह हम सब से सुन्दर थी और उसके कमसिन बदन में भी भराव आने लगा था। मैनें गौर किया कि अब पिताजी की नजर उस पर लगी हुई थी।

राजेश: (मुमु के सीने की दोनों पहाड़ियों के बीच मे से मुख निकाल कर) तुम्हें कब मालूम हुआ कि मेरे और तनवी के बीच में प्रगाड़ संबन्ध है…

मुमु: जब पिताजी ने पहली बार तनवी को रात में अपने साथ सोने के लिए बुलवाया था और तनवी ने साफ मना कर दिया था। वह मेरे पास रोती हुई आई थी कि वह किसी और की अमानत है की… बहुत पूछने पर भी जब उसने कोई नाम नहीं लिया तो मै यह तो समझ गयी थी कोई जानकार है परन्तु तुम दोनों के बारे में पहली बार पिताजी के मुख से सुना था।

राजेश: फिर क्या हुआ… (मुमु के उन्नत उभारों से खेलते हुए)

मुमु: जब तनवी मेरे पास अपना दुखड़ा सुना कर गयी तब मैने पहली बार पिताजी की खिलाफत की थी। उनके पास जा कर मैने साफ लफ्जों में कह दिया कि मेरी बहनों मे से किसी के एक के साथ भी उन्होंने कुछ करने की कोशिश की तो मै सब को होने वाले बच्चे के पिता का नाम बता दूँगी… मेरी धमकी से पिताजी डर गये और फिर जब तक लीना हुई उन्होंने तनवी पर कोई दबाव नहीं डाला… राजू तुम बताओ तनु के साथ तुम्हारा प्यार कब और कैसे हुआ… तुम तो होस्टल मे रहा करते थे और हमारे घर सिर्फ छुट्टियों में खेलने आते थे…

राजेश: मुमु यह उन दिनों की बात है जब तुम्हारे पेट में लीना थी… मै अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करके कुछ समय के लिए घर पर रहने आया था… तीन महीने बाद मुझे अमरीका आगे पढ़ने के लिए जाना था… उन दिनों मै अपने खेतों पर रह कर इधर-उधर घूमता रहता था। एक दिन तनवी अकेली लंगड़ाती हुई स्कूल से लौट रही थी। हम पहले से एक दूसरे को जानते थे क्योंकि तुम्हारे घर मे मेरे परिवार का आना-जाना था। उसकी यह हालत देख कर मुझ से रहा नहीं गया सो मैनें उसे रोका और अपनी बाँहों मे ले कर इधर-उधर की बात करते हुए उसे घर पर छोड़ दिया। मै हमेशा उसे छोटी बच्ची की तरह देखा था इसी लिए उसमें मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी। मैं अठारह का हो चुका था और वह मुश्किल से तेरहवें वर्ष में लगी थी या लगने वाली थी।

क्रमशः
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07-12-2018, 12:38 PM,
#19
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--19

गतान्क से आगे..........

मुमु: हाँ…लीना के टाईम वह मुश्किल से बारह की होगी…या तेरह मे लगने वाली होगी।

राजेश: परन्तु कद काठी से तेरह की लगती थी। मेरे पास कुछ करने को नही था तो मै अगले रोज उसी रास्ते से चिठ्ठी डालने पोस्ट आफिस जा रहा था कि तनवी स्कूल से लौटती हुई दिखायी दी… मुझको देख कर मेरी ओर आ गयी और कहने लगी राजू भैया मुझसे चला नहीं जा रहा… तो मैनें हँसते हुए कहा कि क्या तुमने मुझे अपनी स्कूल बस समझ लिया है…अभी तो ठीक ठाक चलती हुई दिख रही थी और अब मुझे देख कर अपना बोझा ढोने के लिए ऐसा बहाना बना रही हो… तो अचानक उसके चेहरे पर मायूसी आ गयी…मुमु तुम्हें तो पता है कि उसका चेहरा मासूम होते हुए भी कितना एक्सप्रेसिव था…मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और मैनें एक बार फिर से उसे अपनी बाहों मे उठा लिया और तुम्हारे घर का रुख करने को हुआ तो तनवी ने मुझे रोका और बोली कि क्या कुछ देर हम वहीं पर बैठ सकते है… मुझे पोस्ट करने की जल्दी थी आखिर वह मेरे अमरीका मे दाखिले के पेपर्स थे… पर उसकी आवाज में जो भाव थे मुझसे आगे नहीं बढ़ा गया…

मुमु: यही तनवी की खूबी थी…वह जो भी बोलती ऐसा लगता था कि दिल से बोल रही है…

राजेश: उसे अपनी बाहों मे उठा कर मै नहर के किनारे ले जा कर बैठ गया… तनवी मुझे देख रही थी और मै अपनी झेंप मिटाने के लिए अनाप-शनाप बकता चला जा रहा था… अचानक तनवी ने मेरे होंठों पर उंगली रख कर चुप कर दिया और कहा कि तुम मेरा बोझ कितनी देर तक उठा सकते हो…। उसे खुश करने के लिए मैने मजाक मे कह दिया कि तुम कहो तो सारी जिन्दगी मै तुम्हारा बोझ ऐसे ही उठा सकता हूँ। परन्तु मै उस वक्त यह नहीं जानता था कि ऐसा करके मैनें उसके डेथ वारन्ट पर दस्तखत कर दियें है…(कुछ देर चुप हो कर राजेश अपनी भावनाओं को सँभालने की कोशिश करता है)… मुमु यह सुनते ही तनवी ने जिस तरीके से मुझे देखा तो पहली बार मुझे लगा कि उसकी आंखे जैसे मेरी आत्मा से सीधे कुछ कह रही है। उस समय तो मुझे कुछ समझ नहीं आया परन्तु जब उसे तुम्हारे घर पर छोड़ कर लौट रहा था तो मुझे लगा जैसे मेरा कुछ पीछे छूट गया है… सारे रास्ते अपने आप को यकीन दिलाता रहा कि वह तो बहुत छोटी है परन्तु दिल में तो जैसे उसकी वह आँखे मेरे दिल में घर कर चुकीं थी… उस रात को मै सो नहीं सका। पहली बार अपने को बेबस पा रहा था…

मुमु: यही तो पहली नजर की मोहब्ब्त कहलाती है…

राजेश: तुम नहीं मानोगी तब तक मैं स्त्री सुख भोग चुका था आखिर होस्टल में रहता था और जमींदार परिवार का इक्लौता वारिस था… परन्तु पहली बार एक बारह वर्षीय लड़की के मोहपाश में पागल हो गया था। अगले दिन मै सीधा स्कूल पहुँच गया और तनवी का इंतजार करने लगा…स्कूल की छुट्टी हुई कि सामने तनवी अपनी सहेलियों के साथ बाहर आती हुई दिखाई दी तो मै थोड़ा सा दीवार की आड़ ले कर खड़ा हो गया। हाँलाकि तनवी अपनी सहेलियों के साथ थी परन्तु वह बार-बार इधर-उधर कुछ ढूँढती हुई दिखी… कुछ देर बात कर के उसने अपने घर की ओर चलना शुरु किया…और मै कुछ दूरी बना कर उसके पीछे-पीछे चलने लगा… एक सुनसान जगह पर मैने उसे आवाज दे कर रोका तो मुझे देख कर भाग कर आकर मुझसे लिपट कर रोने लगी। मै डर के मारे जल्दी से उसे सड़क से उतार कर झुरमुटों के पीछे ले गया जिस से कोई कुछ गलत न समझ लें… तनवी जब शान्त हुई तो मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए पूछा कि तुम मुझे लेने क्यों नहीं आए… हतप्रभ हो कर मुझे तो जैसे साँप सूँघ गया… कोई जवाब नहीं बन पड़ा और वह रोती हुई कहे जा रही थी कि वह मुझे स्कूल के बाहर ढूँढ रही थी। बात बनाते हुए मैने कहा कि मैने कब कहा था कि मै उसे लेने स्कूल आऊँगा तो उसने जवाब दिया कि कल ही तो कहा था कि आज से तुम मेरा बोझ सारे जीवन भर उठाओगे…कल तुम्हारी आँखों ने मुझसे कहा था कि आज से तुम रोज मुझे स्कूल से लेने आओगे…फिर क्या हुआ कह कर लड़ने लगी। उसकी यह बातें सुन कर मै हैरानी भरे स्वर में बताया कि मै उसके स्कूल के गेट पर खड़ा हो कर पिछले आधे घंटे से उसका इंतजार कर रहा था पर जब उसको सहेलियों के साथ देखा तो शर्म के कारण छिप गया था…

मुमु: (राजेश के बालों मे अपनी उँगलियॉ फिराते हुए) इसको कहते दिल से दिल की राह…

राजेश: सच में मुमु… प्यार की पराकाष्ठा ही कह सकता हूँ कि मोहब्बत का इजहार किये बिना बस मेरी आँखों में सब पढ़ लिया था और उसने मुझे अपना मान लिया था। उसको अपनी बाँहों मे उठा कर वहीं नहर के किनारे ले जा कर बैठ गया। हम बिना कुछ बोले एक दूसरे को देख रहे थे और मुझे आज भी विश्वास है कि हमारे बीच जैसे कुछ बात हो रही थी। काफी देर के बाद मैनें झिझकते हुए कहा कि तनवी मै उम्र में तुमसे बहुत बड़ा हूँ परन्तु मुझे तुमसे मोहब्ब्त हो गयी है… तनवी का जवाब था कि मै जानती हूँ पर क्या तुम जानते हो कि मै तुमसे बहुत दिनों से प्यार करती हूँ… इस प्यार में वासना नहीं थी… मुमु वह पहला दिन था जब हमने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसम खायी थी।

मुमु: तभी…जब तनवी मेरे पास आयी थी पिताजी की शिकायत करने तब तक यह बात हो चुकी थी…

राजेश: नही… यह वाला वाक्या तो पहले हो चुका था…मुझे तनवी ने बताया था।

मुमु: अच्छा… कमाल है कि बिना इजहारे इश्क तनवी को पहले से विश्वास था कि वह तुम्हारी है… फिर पिताजी को कब और कैसे पता चला…

राजेश: जैसे तुमने आज अपना दिल खोल कर रख दिया वैसे आज मै भी सारे दिल के राज तुम्हें बता देता हूँ… उस दिन के बाद हम रोज नहर पर अपना समय बिताते थे… तनवी अब तक मुझे अपना पति मान चुकी थी। मेरे अमरीका जाने का टाइम नजदीक आ चुका था… अमरीका जाने से एक दिन पहले जिद्द करके मुझे मन्दिर ले गयी और भगवान की मूर्ती के सामने हमने एक दूसरे के गले में फूलमाला डाल कर विवाह कर लिया… तुम्हें याद होगा कि तनवी एक पूरी रात घर नहीं आयी थी क्योंकि उस रात हम दोनों आसमान के नीचे तारों की छाँव में नहर के किनारे अपनी सुहाग रात मना रहे थे।

मुमु: कमाल है…तनु ने इस बात की कानोकान खबर नहीं लगने दी… उसने तो बताया था कि वह टेस्ट के चक्कर में सुनीता के घर पर रुक गयी थी… वाह रे मोहब्ब्त… तो पिताजी को कैसे पता चला…

राजेश: अब सो जाओ… इसकी भी एक कहानी है… कल दफ्तर भी जाना है…

मुमु: राजेश… आज हमारे बीच कोई हिचक नहीं है… आज सब बता दो…फिर क्या पता कल हो न हो…

राजेश: शायद तुम सही कह रही हो… मै कल की छुट्टी ले लेता हूँ। परन्तु आगे कुछ बताऊँ इससे पहले जरा गला तर कर लेते है… क्या कहती हो… मेरे लिए वोदका तुम्हारे लिए ब्लडी मैरी…

(कहते हुए कमरे के बाहर चला जाता है और फ्रिज खोल कर ड्रिंक्स बनाता है।राजेश अपने हाथों में ड्रिंक्स की ट्रे लिए बेडरूम में आता है। बेड पर निर्वस्त्र लेटी हुई मुमु को देख कर ठिठक कर रुक जाता है और उसके के अंग-अंग को निहारता है। गोल चेहरा, तीखे नाक-नक्श, भरपूर गोलाई लिये सुडौल नितंब, बालोंरहित कटिप्रदेश, बल खाती हुई कमर और कटाव लेते हुए कुल्हे, उन्नत और भारी स्तन और उनके शिखर पर काले अंगूर सिर उठा कर बैठे हुए। राजेश के शरीर में एक बार फिर से खून का बहाव तेज होता है पर कुछ सोच कर अपने उपर काबू करता है। मुमु भी राजेश को निहारती हुई एक बदन तोड़ने वाली अंगड़ाई लेती है।)

राजेश: (मुमु की ओर बढ़ते हुए) अ…ररे क्या कत्ल करने का इरादा है

मुमु: (मुस्कुराते हुए) हाँ बिल्कुल…

राजेश: (हँसते हुए) तुम कहो तो…

मुमु: नहीं। आज नहीं… आज से पहले हम कितनी बार एक दूसरे के शरीर मे समा चुके है। परन्तु आज से पहले हम एक दूसरे के इतने निकट नही आ सके… जितना आज रात को बिना कुछ किए आ गये…

राजेश: तुम सही कह रही हो… इतने साल से तुम मेरे साथ रह रही हो पर हमारे बीच में हमेशा एक दूरी या दीवार रही है जिसे हम दोनों ने कभी लांघने की कोशिश नहीं की बस अपने पास्ट को सीने से लगाए चलते जा रहे थे…

मुमु: (अपनी ड्रिंक की चुस्की ले कर) हाँ… मेरे पिताजी को तुम्हारी मोहब्बत का कब और कैसे पता चला?

राजेश: (ड्रिंक की चुस्की ले कर) अच्छा तो फिर हमारी सुहाग रात के बाद अगले दिन मै अमरीका चला गया… तनवी अपनी पढ़ाई में जुट गयी आखिर उसे परीक्षा में भी पास होना था… लेकिन हर हफ्ते वह मुझे एक खत लिखती थी… मेरी मजबूरी थी कि मै उस को जवाब नहीं दे सकता था… तनवी बहुत साफ दिल और मिलनसार थी।

मुमु: क्यों नहीं लिख देते… पिताजी को कौन सी अंग्रेजी आती है…

राजेश: तुम नहीं जानती हो अपने पिताजी को… जब से तनवी ने खिलाफत की थी वह इसी ताक मे थे कि कैसे उसे दंडित करें… तनवी अपने खतों में यहाँ की सब बातों का जिकर करती थी। लीना के पैदा होने की खबर भी मुझे उसने दी थी… बच्ची को जन्म देने के बाद जब तुम अपने पिताजी के कमरे मे रहने चली गयी तो उसने मुझे लिखा था कि पिताजी सबसे ज्यादा मुमु को प्यार करते है… और बहुत सारी यहाँ की बातें लिखती थी। एक बार मुझसे नहीं रहा गया… तो मैनें तनवी से बात करने के लिए स्कूल मे फोन किया… समझ सकती हो तुम कि यहाँ के दिन के एक बजे वहाँ पर रात के एक बज रहा होता है। पर प्यार अंधा होता है, तनवी की आवाज सुनने के लिए मै तीन मील चल कर रात के एक बजे अपने होस्टल से फोन बूथ पर आया था। उसके साथ बात करके मुझे कुछ दिन के लिए चैन हो गया परन्तु उसकी आवाज सुनने के लिए मै हर दम बेचैन रहता था। मैनें एक दिन फिर से तनवी से बात करने के लिए स्कूल फोन किया… और फिर हर हफ्ते हम फोन पर बात करने लगे… यह मेरी पहली गलती थी

मुमु: हाँ स्कूल से तनवी के खिलाफ शिकायत आई थी और पिताजी ने उसे बुला कर बहुत बुरा भला कहा था… बहुत पूछने के बाद भी उसने तुम्हारा नाम नहीं बताया था…

राजेश: इसके बाद से तुम्हारे पिताजी ने तनवी के प्रति ज्यादा सजग हो गये थे… उसके आने-जाने, किस से मिलती है और उसकी कौन सहेलियाँ है, सब पर नजर रखने लगे थे… फिर एक साल बाद मै अपनी छुट्टियाँ बीताने घर आया था… तुम्हारे पिताजी ने शायद तनवी के चेहरे पर आयी खुशी पढ़ ली थी… तनवी को जबरद्स्ती उन्होंने मामा के घर भेज दिया था। इस बात का बड़ी मुश्किल से मुझे पता चला तो उस से मिलने तुम्हारे मामा के गाँव चला गया। तनवी बहाना लगा कर मेरे साथ वापिस आ गयी और वह मेरे खेत वाले मकान मे रहने लगी। अब हमारे दिन और रात साथ-साथ बीतने लगी थी। मेरे पापा और मम्मी ने जब इसके बारे में मुझ से पूछा तब तनवी को उनके सामने ला कर मैने उनको सच-सच सारी बात बता दी। यह मेरी दूसरी गलती थी।

मुमु: मुझे उस वक्त मामला तो समझ नहीं आया अपितु यह पता चला कि तुम्हारे पापा ने हमें बहुत बड़ा नुकसान दिया था और दुश्मनी निभाई थी… एक या दो बार तो पिताजी अपनी गन ले कर तुम्हारे पिताजी को मारने के लिए गये थे…

राजेश: हाँ परन्तु यह सब बात मेरे जाने के बाद हुई थी… उस दिन के बाद तनवी हमारे घर पर ही रहने लगी थी… मेरी मम्मी के साथ उसकी काफी घनिष्टता हो गयी थी। मेरे जाने के बाद मेरे पापा तुम्हारे पिताजी के पास गये थे और उन्हें सारी बातों से अवगत करा दिया तो तुम्हारे पिताजी आग-बबूला हो कर जबरदस्ती तनवी को अपने साथ रास्ते भर मारते हुए ले जा कर खेत पर बने गोदाम में बन्द कर दिया था। इसके बाद से हमारे परिवारों मे दुश्मनी हो गयी कभी तुम्हारे पिताजी के गुंडे हमारे खेतों में आग लगा देते और कभी मेरे पापा के गुंडे तुम्हारे खेतों को नुक्सान पहुँचाते थे। इन्ही दिनों में टीना तुम्हारे पेट में आ गयी थी… और तुम अपने पिताजी के काम की नहीं रह गयी थी… तनवी की पढ़ाई भी तुम्हारे पिताजी छुड़वा दी थी… तुम्हारे पिताजी ने तनवी का जीना दूभर कर रखा था। बेचारी इतने दुख में भी अपनी चिठ्ठी मेरे पास भिजवाना नहीं भूलती थी। तुम्हें पता है कि कौन तुम्हारे घर से तनवी की चिठ्ठी मेरी मम्मी के पास पहुँचाता था…

मुमु: पता नहीं

राजेश: दाई अम्मा… तनवी के एक-एक आँसू की वही अकेली गवाह थी। दाई अम्मा ने तुम्हारे बारे मे भी तनवी को बता दिया था… उसे यह भी बताया था कि कैसे तुमने अपने पिताजी को धमकी दे कर तनवी को बचाया था। बेचारी उसने कभी भी अपने उपर होते हुए जुल्मों को अपनी चिठ्ठी मे नहीं लिखा था। हाँ बस एक बार हमारे परिवारों के बीच हुई दुश्मनी का जिकर किया था… बहुत बार उसने तुम्हारे बारे में लिखा था। हर चिठ्ठी में लीना का जिकर करती थी… लीना से बहुत प्यार करती थी उसने मुझे एक लिस्ट भेजी थी कि अगली बार जब मै वापिस आऊँगा तब इन सब चीजों को लेता हुआ आँऊ… टीना के जन्म पर तनवी ने एक ऐसी ही लिस्ट और भेजी थी… तुम विश्वास नहीं करोगी कि दो साल से बाहर रह रहा था परन्तु एक बार भी मेरे जहन में किसी और लड़की का ख्याल नहीं आया। ऐसे ही रस्साकशी में दूसरा साल भी निकल गया। पढ़ाई के जोर की वजह से उस बार छुट्टियों में नहीं आ सका था। तुम्हारे पिताजी ने मेरे खिलाफ न जाने तनवी से क्या-क्या कहा मगर उसने कभी भी उन बातों का जिक्र नहीं किया… मुझे हर बात दाई अम्मा की जुबानी पता चली थी।

मुमु: तुम्हें पता है जब टीना हुई तो पिताजी गुस्से से बिफर गये और उन्होंने मुझे छिनाल कह कर घर से निकाल दिया था… मै दूध पीती हुई बच्चियों को ले कर कहाँ जाती… तो बेचारी तनवी ने मुझे अपने कमरे में ही रख लिया था। बेचारी कभी मुझे संभालती कभी बच्चियों को संभालती…जैसे तैसे तुम्हारी पढ़ाई खत्म होने की खबर आयी तो तनवी के चेहरे पर पहली बार इतने दिनों के बाद रौनक देखने को मिली थी… जब तुम लौट के वापिस आ गये तो एक दिन पिताजी हमारे कमरे में आकर तनवी को चेतावनी दे कर गये कि अगर तुम उनके घर के आस-पास भी दिखे तो तुम्हें गोली मार देंगें… हम दोनों बहुत डर गये थे क्योंकि तनवी को विश्वास था कि तुम वापिस आकर जरूर उसको लेने आओगे…

राजेश: दुश्मनी बहुत आगे तक जा चुकी थी और मेरे और तनवी के पिताजी का आमना-सामना बहुत घातक होगा…इसलिए मेरे पापा ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया था… बहुत कोशिश के बाद दाई अम्मा ने मुझे बता दिया था। मैने तनवी को बचाने की योजना अपने दोस्तों के साथ मिल कर बनाई और उसी रात को गोदाम पर पहुँच गये और तुम्हें और तनवी को लेकर अपने घर ले कर आये थे। यह मेरी तीसरी गलती थी… हमारे घर पर तुम्हारे पिताजी अपने गुंडों को ले कर पहले से ही बैठे थे… मुझे देखते ही मुझ पर गोली चला दी परन्तु तनवी अपने पिताजी को रोकती हुई मेरे सामने आ गयी… तुमने तो सारा कुछ अपनी आँखों से देखा था। मेरे पापा जब मुझे बचाने के लिए आगे बढ़े तब पास खड़े जगबीर ने उन्हें भी गोली मार दी थी। मुझे तो होश ही नहीं था एक तरफ तनवी खून में लथपथ मेरी बाँहों में तड़प रही थी और दूसरी ओर मेरे पापा की लाश पड़ी हुई थी। उस दिन मैनें तुम्हारा असली रूप देखा था (राजेश डबडबाती हुई पलकों से मुमु की ओर देखते हुए)… जब तुमने तनवी का हाथ पकड़ कर अपने पिताजी का खुलेआम विरोध किया और उनको छोड़ने का निश्चय करते हुए कहा था कि आज के बाद तुम और तुम्हारी बच्चियाँ उनके लिए मर गये… और तनवी ने अपने आखिरी वक्त में मुझे तुम्हारी और बच्चियों की जिम्मेदारी दे कर हमेशा के लिए छोड़ कर चली गयी।

मुमु: हाँ मुझे मालूम है… तुमने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे पिताजी को कहा था कि तुमने अपनी एक बेटी को इस लिए मार दिया कि वह मेरी पत्नी थी पर अब क्या करोगे जब तुम्हारी सारी बेटियों को मै सिर्फ मेरी हमबिस्तर बना कर रखूंगा… मुझे रोक सको तो रोक लेना। मेरे पिताजी को पुलिस पकड़ कर ले गयी थी और कुछ दिन गाँव मे ठहर कर तुमने अपने और हमारे खेतों की जिम्मेदारी अपने पुराने नौकर पर डाल कर इस शहर आने का फैसला लिया था। पिताजी को बारह वर्ष की सजा हो गयी और हम इस शहर में आकर बस गये। तुमने तो स्वर्णाआभा को भी साथ चलने को कहा था… परन्तु पिताजी के बहकावे में आ कर वह दाई अम्मा के साथ ही रह गयी थी। हमारा किसी रीति-रिवाज से विवाह तो नहीं हुआ परन्तु आज तक हम पति-पत्नी की तरह रह रहें है। मेरी बच्चियाँ के लिए तुम ही उनके बाप हो… और मै अपनी बच्चियों के उपर उस जालिम आदमी का साया भी पड़ने नहीं देना चाहती…

राजेश: (मुमु को अपने सीने से लगाते हुए) मुमु… तुम यह नहीं जानती कि मैने तुम्हारे पिताजी को फाँसी से बचाने के लिए वकील किया और हर महीने स्वर्णाआभा को जेब खर्च के लिए पैसे भेजता था… जब तुम्हारे पिताजी अपनी सजा काट कर पिछले साल मेरे पास तुम्हारी जानकारी लेने आये तो बहुत बुरी हालत में थे… कोर्ट-कचहरी के चक्कर में उनका सब कुछ लुट चुका था। पर उनको देख कर मुझे उन पर गुस्सा नहीं आया अपितु उन पर द्या करते हुए मैनें उन्हें किसी से कह कर काम पर लगा दिया था…।

मुमु: यह क्या किया तुमने… वह आदमी भरोसे के काबिल नहीं है।

राजेश: (मुमु के होंठों को चूम कर अपने जिस्म से उसके नग्न जिस्म को ढकते हुए) मुमु क्या तुम एक और बच्चे के लिए तैयार हो…

मुमु: राजू (भावविह्ल हो कर) अब तक याद नहीं हमने कितनी रातें साथ बिताई है पर तुमने ने कभी भी यह प्रश्न पहले नहीं किया… न ही तुमने तनवी के बाद कभी बच्चे की चाहत दिखाई है…

क्रमशः
Reply
07-12-2018, 12:39 PM,
#20
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--20

गतान्क से आगे..........

राजेश: (अपनी लुंगी को खोलते हुए)… आज मुझे लगता है कि मुझे तनवी की यादों से बाहर आ जाना चाहिए… अब तक मै सोचता था कि तनवी के बाद मेरे दिल में कोई उसकी जगह नहीं ले सकेगी… जहाँ तक सेक्स की भूख मिटाने की बात थी तो उसके लिए तो इस दुनिया में बहुत नवयौवना है… परन्तु आज से हम…

मुमु: (अपने हाथों में राजेश के लंड को पकड़ कर सहलाते हुए) अभी कुछ न कहो… पहले हम पिताजी वाली गुत्थी को सुलझा लें… क्योंकि पिछले कुछ दिनों में बहुत बदल गया है…

राजेश: (मुमु की बात को अनसुना करते हुए मुमु की चूत में अपने लंड को पूरी तरह से बिठा कर) मुझे मालूम है…

(दोनों के नग्न जिस्म एक दूसरे में पूरी तरह गुथे हुए है। राजेश अपने मुख से मुमु की गोलाईयों को निचोड़ रहा है। अंगूर से शिखर कलश को होंठों में दबा कर मुमु की आग को भड़काने में लगा हुआ है। मुमु की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से एक भरपूर धक्का देता हुआ उन्नत स्तनों को अपनी हथेली में लेकर कर मसकता है। राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर महसूस करते हुए मुमु और अधिक उत्साह से अपनी टांगों को राजेश की कमर पर लपेट देती है। भावतिरेक हो कर राजेश का लंड अपना भयावह रूप धारण कर लेता है और मुमु के चूत की दीवार पर जोर अजमाईश करता है। मुमु के अर्ध खुले होठों पर अपने होंठों लगा कर उनका रस निचोड़ता है। इधर मुमु भी उत्तेजना में अपना सिर इधर-उधर पटकती है।)

मुमु: .उ.अ..आह.राजे…शअ.उउआ.…आह....

राजेश: जान… तुम्हारी चूत को मेरे फनफनाते हुए लौड़े की जरुरत है… क्या कहती हो…

मुमु: राजेश…अ.उउआ....(अपनी बच्चेदानी के मुहाने पर राजेश के चिरपरिचित लंड के फूले हुए सुपाड़े को महसूस करती हुई) राजेश्……आ…हन…

(राजेश एक हाथ से मुमु की गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाता है। कभी पूरा स्तन अपने मुख मे भर कर निचोड़ता है और कभी स्तन पर विराजमान अंगूर के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसता है।)

मुमु: आह....प्लीज

(अब राजेश से भी नहीं रुका जा रहा। मुमु को अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से मुमु के पाँवों को अपने कन्धे पर रख कर अपने लंड को पुरी ताकत से अन्दर की ओर ढकेलता है। जैसे ही लंड का पुरा सुपाड़ा सरक कर बच्चेदानी का मुहाना खोल कर अन्दर धँस जाता है, एक लम्बी सी सिसकारी के साथ मुमु अपना शिकंजा कसती हुई राजेश को जकड़ लेती है।)

मुमु: .उउआ.आह....उई...आ...उ.उ.उ...आह.....

(राजेश अपनी उंगलियों से मुमु की गाँड के छिद्र को टटोलता है और अपनी उँगली को मुहाने पर रख दबाव डालता है। उत्तेजना में तड़पती मुमु के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है और अपनी उंगली गाँड के मुहाने पर फिरा रहा है।)

मुमु: …उ.उई.माँ.....न्हई…आह.....

(क्षण भर रुक कर, राजेश ने मुमु के नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है और पीछे से गाँड के छिद्र के मुहाने को खोल कर अपनी उँगली अन्दर तक धँसा देता है। दोनों जिस्म वासना की आग में जल रहे है।)

राजेश: (गति बढ़ाते हुए) मुमु……

मुमु: हूँ…हाँ…

(ऐसे ही कुछ देर तक जबरदस्त धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया है। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी वार करता है। इस वार को मुमु बरदाश्त नहीं कर पाती और उसकी चूत झरझरा कर बहने लगती है। राजेश का लंड भी सारे बाँध तोड़ते हुए बिना रुके मुमु की बच्चेदानी मे लावा उगलना शुरु कर देता है। कुछ देर लिपटे हुए पड़े रहने के बाद दोनों एक दूसरे से अलग होते है।)

राजेश: मुमु… आज क्या हो गया था तुम्हें…

मुमु: (शर्माते हुए) कुछ नही…

राजेश: अरे आज बहुत दिनों के बाद तुम्हें शर्माते हुए देखा है… देखो तुम्हारे गाल कैसे लाल हो गये है…

मुमु: (नजरे चुराती हुई) अब सो जाओ… कल दफ़्तर नहीं जाना है क्या…

राजेश: यह तो पहले ही तय हो गया था कि कल मै छुट्टी पर हूँ…

मुमु: तो पिताजी का क्या करना है… अगली बार फोन करें तो यहाँ बुला लूँ…

राजेश: (मुमु से लिपटते हुए) हाँ… अच्छा बताओ एलन का प्रोग्राम कैसा चल रहा है…

मुमु: (झिझकते हुए) अच्छा है… हर रोज की ट्रेनिंग मेरे शरीर को तोड़ कर रख देती है परन्तु (हल्की मुस्कुराहट लिए) यह एक नया अनुभव है।

राजेश: मुमु… तुम्हें डौली कैसी लगती है…

मुमु: (चौंक कर) क्यों… मतलब यह कैसा सवाल है…

राजेश: देखो…मुझे डौली ने बताया है कि वह तुमसे मोहब्ब्त करने लगी है…

मुमु: (झेंप कर) वह पागल है… हाँ हम एक दूसरे को चाहते हैं पर मैने उसे साफ शब्दों में समझाया है कि मैं तुम्हारी पत्नी और उसकी दोस्त हूँ… इससे ज्यादा कुछ नहीं…

राजेश: ठीक है… मै उसे बता दूँगा कि वह तुमसे कुछ ज्यादा एक्सपेक्ट न करें…

मुमु: तुम रहने दो… मै ही समझा दूँगी…

राजेश: ठीक है… चलो सो लेते है… सुबह के पाँच बज रहे हैं… सारी दुनिया के जागने का टाईम हो रहा है…और हम सोने की तैयारी कर रहे हैं।

(कुछ देर पहले की एक्सरसाइज से दोनों थके हुए होने के कारण एक दूसरे से लिपट कर सो जाते है…)

(शाम का समय। मुमु अपनी ट्रेनिंग करने के लिये जा चुकी है। टीना अपनी सहेली करीना के घर गयी हुई है। राजेश ड्राईंगरूम में बैठ कर टीना की राह देख रहा है। दरवाजे की घंटी बजती है। राजेश झपट कर दरवाजे की ओर जा कर दरवाजा खोलता है। सामने टीना और करीना मुस्कुराती हुई घर में प्रवेश करती है। दोनों ने आज बड़े सेक्सी वस्त्र पहने हुए हैं। टीना और करीना, दो जुड़वाँ बहनों की तरह, महीन सी लो कट टी-शर्ट और मिनी स्कर्ट पहनें हुए है। सीने की गोलाईयाँ आधी टी-शर्ट के बाहर झाँकती हुई और तन्नाते हुए शिखर कलश टी-शर्ट के नीचे साफ विदित होते हुए और मिनी स्कर्ट से निकलती हुई मांसल चिकनी गोरी टाँगे देख कर राजेश का मुँह खुला का खुला रह गया।)

टीना: पापा…आज बहुत थके-थके हुए दिख रहे हैं।

करीना: नमस्ते अंकल… (कहते हुए खिलखिला कर हँस पड़ी)

राजेश: (मुस्कुरा कर) नमस्ते…

टीना: मम्मी गयी क्या…

राजेश: हाँ… अभी थोड़ी देर पहले ही गयी है। तुम दोनों इस हालत में कहाँ से घूम कर आ रही हो… टीना कुछ खाने के लिये बनाऊँ क्या?

टीना: पापा मुझे कुछ नहीं खाना है… करीना तुझे कुछ खाना हो तो बता दे

करीना: मुझे भी कुछ नहीं चाहिए… पर जल्दी कर तुझे मेरे नोट्स उतारने में एक घंटे ज्यादा लग जाएगा…

टीना: करीना मै उपर जा कर नोट्स उतारती हूँ… तू तब तक टीवी देख और पापा से बात कर… (कुल्हें को मटकाते हुए अपने रूम की ओर रुख करती है)

करीना: (अपनी जगह से उठ कर राजेश के निकट बैठते हुए) जानू… आज कैसी लग रही हूँ?

राजेश: क्या चक्कर है आज… किसी को मारने का इरादा है (करीना को अपने नजदीक लाते हुए)… दोनों किसी शैतानी के मूड में हो…

करीना: (राजेश का हाथ पकड़ कर खींचती हुई) डार्लिंग हमारे पास एक घंटा है… कुछ मीठा हो जाये…

राजेश: करीना आज तुमको क्या हो गया है… अगर टीना नीचे आ गयी तो गजब हो जाएगा।

करीना: मुझे मालूम है कि टीना इतनी जल्दी नीचे नहीं आएगी… चलो न (कहते हुए राजेश के बेडरूम की ओर चल पड़ी। करीना के पीछे-पीछे राजेश भी बेडरूम में चला गया।)

राजेश: (करीना को पीछे से अपनी बाँहों में भर कर)… तुम सिर्फ मेरी हो…जो कार्य फ़ार्म पर अधुरा रह गया था कहो तो आज पूरा कर लें… (कहते हुए पीछे की दरार में अपना हथियार गड़ाता है)… आज हमारा तुम्हारा मिलन इस बेड पर होगा… (कहते हुए करीना की अधखुली टी-शर्ट में अपना हाथ डाल कर दोनों पहाड़ियों की चोटीयों को सहलाता है)

करीना: आ…ह… मैं तो आपकी हूँ। जैसे चाहो प्यार करो…परन्तु पीछे की तिजोरी आपको फार्म पर ही खोलने दूँगी…(कहते हुए करीना अपनी टी-शर्ट उतार फेंकती है)

राजेश: जैसा तुम चाहो… मैं तो तुम्हारे हर अंग का दीवाना हूँ देखो तुम्हें देखते ही मेरे लंड में आग लग जाती है… (इतना कहते ही अपना पजामा उतार कर एक तरफ रख देता है)।

करीना: अं…(राजेश के लंड को अपने हाथ मे ले कर) लवली… अच्छा सच बोलिएगा कि यह मुझे देख कर या टीना को देख कर ऐसे अकड़ गया…

राजेश: सच पूछो तो यह तुम दोनों को देख कर ऐसा हो गया था… जितना तुममें नशा है उतनी ही टीना में कशिश है।

करीना: अच्छा जी… क्या आप टीना को भी ऐसे ही प्यार करते हैं…

राजेश: (करीना की मिनी स्कर्ट की ज़िप को खोल कर नीचे की ओर सरका देता है) मै टीना को एक बेटी और प्रेमिका के रूप में प्यार करता हूँ…(कहते हुए करीना के चिकने कटिप्रदेश और नितंबो पर हाथ फिराता हुआ)…अर…रे आज पैन्टी पहनना भूल गयीं… (कहते हुए अपनी उँगलियों से चूत की फाँकों को खोल कर छिपे हुए मोती से आकार लिए घुंडी को छेड़ता है)

करीना: हा…य माँ… तो आप मुझसे कैसा प्यार करते हैं?

राजेश: एक प्रेमिका और दोस्त की तरह… आह

करीना: मेरे प्रीतम… मेरी जल्दी से आग बुझाओ वरना…(करीना को राजेश अपनी बाँहों में उठा कर बेड की ओर ले जाता है)

राजेश: वरना क्या…(कहते हुए बेड पर लिटा देता है और अपने होंठों से करीना के होंठों का रसपान करता है। करीना का नग्न जिस्म राजेश के नीचे दबा हुआ है। करीना अपनी टांगों को राजेश की कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मचलती है। दोनों नग्न अवस्था में एक दूसरे की आग को भड़काने में लगे हुए है। राजेश के निशाने पर अब करीना के सीने की गोलाईयाँ है। कभी पूरा स्तन मुख में भर कर उनका रस निचोड़ता और कभी उत्तेजना से फूले हुए शिखर कलश को होंठों में दबा कर सोखता।)

करीना: अंकल…प्लीज (अपने हाथ से राजेश के लिंग को सही दिशा दे कर योनिमुख पर लगाती हुई)

(राजेश भी पूरे जोश मे आकर एक करारा धक्का देकर अपना लिंग अन्दर तक बैठा देता है। राजेश का नौ इंची हथियार चीरता हुआ अन्दर जा कर बच्चेदानी का मुख खोल कर गले तक जा कर फँस जाता है। एक क्षण के लिए तो करीना की साँस रुक जाती है परन्तु दूसरे ही क्षण अन्दर धँसती हुई गर्म राड कि लम्बाई और मोटाई को महसूस करती हुई एक लम्बी सिसकारी लेती है।)

करीना: अ…आह…हाय

राजेश: करीना तुम्हें उपरवाले ने मेरे लिए बनाया है…

करीना: हूँ…आह

(राजेश एक लय के साथ अपनी गति बढ़ाता है और हर धक्के पर करीना के मुख से निकलती हुई सिसकारी कमरे के माहौल को अति विलासमय बना देती है। करीना के कोमल अंगो के साथ निरन्तर खिलवाड़ करते हुए राजेश भी अपने होशोहवास खो कर कमसिन जवानी को भोगने का आनंद लेता है। पर्दे के पीछे से टीना बेड पर दो जिस्मों को एक दूसरे के साथ गुथे हुए चुपचाप खड़ी देखती है।)

क्रमशः
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