Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
12-09-2018, 01:43 PM,
#11
RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
सलमा आंटी ने 10 मिनट तक लगातार मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसा कर अपनी चूत पर रगड़ा जिससे मुझे बहुत आराम मिल रहा था। फिर अचानक ही सलमा आंटी की गति में थोड़ी तेजी आ गई, सलमा आंटी अब पहले से ज्यादा आगे पीछे रही थीं और मुझे डर लगने लगा कि सलमा आंटी की इस हरकत से किसी ना किसी का ध्यान हमारी ओर हो जाएगा और फिर बहुत छतरोल होगी, मगर इससे पहले कि कोई हमारी इस हरकत को नोट करता मुझे अपने लंड टोपी पर गर्म पानी का एहसास हुआ और सलमा आंटी मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर लगा कर एकदम स्तब्ध हो गईं और अपने चूतड़ों को मेरे लंड पर मज़बूती से जमाए रखा। सलमा आंटी की चूत ने 10 मिनट की लगातार रगड़ से पानी छोड़ दिया था। सलमा आंटी के शरीर को कुछ देर झटके लगते रहे और फिर उनका शरीर शांत होने लगा। जब उनकी चूत ने सारा पानी छोड़ दिया तो उन्होंने अपने चूतड़ों की पकड़ ढीली की और मेरा लंड अपनी गाण्ड से निकाल दिया और मेरे से कुछ दूरी पर खड़ी हो गईं, मुझे उनकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया क्योंकि अब मेरे लंड आराम नहीं मिला था, लेकिन ऐसी हालत में सलमा आंटी से कुछ नहीं कह सकता था। बस दिल ही दिल में कुढता रहा और परिणाम के रूप में कुछ ही देर में मेरा लंड बैठ गया। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं 

5 मिनट बाद ही मुल्तान चौक पर बस रुकी तो सलमा आंटी ने साथ वाली सीट से शमीना उठाया जो सो चुकी थी, वह जागी तो सलमा आंटी के आगे आकर खड़ी हो गई, जबकि छोटी सायरा अब तक सोई हुई थी, सलमा आंटी ने मुझे कहा कि तुम सायरा उठाओ उसकी नींद बहुत गहरी है, शायरा वह 10 साल की थी और थोड़ी वजनदार भी थी मगर बहरहाल वह एक बच्ची थी तो मैने मुश्किल से उसे गोद में उठाया और बस से नीचे उतर गया। वहाँ से हम ने एक रिक्शा लिया और उसमें बैठकर आंटी के घर की ओर चलने लगे। रिक्शे में सायरा मेरी गोद में ही थी जबकि सलमा आंटी मेरे साथ बैठी थीं, मैंने सलमा आंटी के पास होकर उनके कान में कहा आंटी आप ने तो मज़ा ले लिया मगर मेरा मज़ा अधूरा रह गया। आंटी ने मेरी तरफ देखा और हल्की आवाज में बोली चुप रहो, और खबरदार जो इस बारे में किसी को बताया या इस बारे में फिर से बात की। सलमा आंटी का लहजा बहुत कर्कश था, मैं कुछ नहीं कह सका और अपना सा मुंह लेकर बैठ गया। कुछ ही देर बाद हम सलमा आंटी के घर पहुंच चुके थे जहां मैंने सायरा को उनके कमरे में जाकर लिटा दिया और सलमा आंटी शमीना को लिए अंदर आ गई। मुनब्बर अंकल ने मुझे धन्यवाद दिया और सलमा आंटी ने भी बहुत सुंदर मुस्कान के साथ मुझे धन्यवाद करते हुए कहा बेटा तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद, तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए खाना बना लूँ, फिर खाना खाकर अपने घर जाना। मैंने कहा नहीं आंटी आप भी थकी हुई हैं, घर चलता हूँ अम्मी ने खाना बनाया हुआ है घर जाकर ही खाना खा लूँगा और यह कह कर मैं वहाँ से वापस अपने घर चला आया, और खाना खाने से पहले एक बार फिर शौचालय जाकर सलमा आंटी की गाण्ड और चूत को याद करके मुठ मार कर अपने लंड आराम पहुंचाया। उसके बाद अम्मी के हाथ का बना हुआ खाना खाया और सलमा आंटी को चोदने की योजना बनाता हुआ रात के पिछले पहर सो गया दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं 

रात को सोते हुए तो मैंने सपने में खूब सलमा आंटी की चौदाई और सलमा आंटी ने भी मेरा लंड मुंह में डाल कर मुझे खूब मजे दिए, मगर उनके मज़ों नतीजा यह निकला कि आधी रात को ही आंख खुल गई, और आंख खुली क्योंकि सलमा आंटी के लंड चूसने के दौरान लंड को वीर्य छोड़ना था, जैसे ही सपना मे मेरे लंड ने सलमा आंटी के मुंह में शुक्राणु की धाराए बहाई तभी वास्तव में भी मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया और मेरी सारी सलवार को खराब कर दिया। मजबूरन आधी रात को उठकर नहाना पड़ा और कपड़े बदलने पड़े, इसके बाद काफी देर सलमा आंटी की गाण्ड के बारे में ही सोचता रहा और नींद आंखों से कोसों दूर रही। फिर नींद आई तो ऐसी शुक्रवार का समय गुजर चुका था और दोपहर 3 के पास में बिस्तर से उठा। आम दिनों में ऐसी हरकत पर अम्मी जान से खूब डांट पड़ती थी मगर आज बचत हो गई थी क्योंकि वे जानती थीं कल का दिन यात्रा में गुज़रा है तो थकान हो गई होगी। 

अगले दिन फिर सामान्य जीवन शुरू हो गया, इस दौरान सलमा आंटी फोन के इंतजार करता रहा कि कभी तो वह अपने लिए फिर ब्रा मँगवाएँगी और तब फिर उनकी नरम नरम गाण्ड में अपना लंड फंसाकर खूब मजे करूंगा मगर यह इंतजार लंबा होता चला गया और काफी महीने बीत गए मगर सलमा आंटी का कोई फोन नहीं आया। अब तो मुझे लगने लगा था कि शायद मुल्तान से कबीर वाला तक का सफर भी मैंने सपने में ही किया था और सलमा आंटी ने मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसाकर भी मेरे सपने में मजे किए थे वास्तव में शायद ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था । मगर एक दिन फिर किस्मत की देवी मेहरबान हुई, मेरे फोन की घंटी बजी और नंबर सलमा आंटी का था, दिल के तार बजने के साथ लंड ने भी अंगड़ाइयाँ लेनी शुरू कर दीं और फिर उम्मीद के मुताबिक सलमा आंटी ने ब्रा घर लाने को कहा। मैंने एक बार फिर शुक्रवार का दिन ही चुना क्योंकि इस दिन छुट्टी होती थी दुकान से तो मैं आराम से सलमा आंटी के घर जा सकता था। उस दिन भी मैं फिर से 5, 6 सेक्सी ब्रा शापर में डालकर सुबह 10 बजे सलमा आंटी के घर जा पहुंचा। दिल में कितने ही अरमान थे कि आज तो सलमा आंटी की गाण्ड मेरे लंड से नहीं बच सकेगी, लेकिन तब मेरी सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब मैं घर में दाखिल होकर देखा कि आज न केवल शमीना घर पर थी बल्कि जाग भी रही थी और सायरा भी वहीं थी। इन दोनों के होते हुए मेरा कुछ भी होने वाला नहीं था। वही हुआ, सलमा आंटी ने पानी पिलाया, और फिर शापर उठाकर मुझे वहीं इंतजार करने को कहा और सायरा और शमीना को मेरे पास बिठा कर अन्दर कमरे में चले गई, जबकि बाहर सोफे पर बैठा कुढता रहा। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )

इस दौरान मैंने शमीना के शरीर का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया लेकिन फिर सोचा कि नहीं अभी वह बहुत छोटी है। अभी तो उसके स्तन के उभार भी सही तरह से नहीं बने थे, लेकिन छोटे छोटे नुकीले निशान स्पष्ट हो रहे थे जिसमें उभार बढ़ना शुरू हो रहा था कि शमीना ने अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा है, और अब वह पूरी तरह से चुदाई के लिए सक्षम नहीं हुई। फिर शमीना से नजरें हटाकर में सायरा और शमीना दोनों को दिल ही दिल में कोसने लगा। कोई 15 मिनट बाद सलमा आंटी बाहर आई तो उन्होंने शापर मुझे वापस पकड़ा दिया जिसमें कुछ ब्रा मौजूद थे। साथ ही सलमा आंटी ने मुझे बताया कि उन्होंने 2 पीस रखे हैं और शमीना से पानी लाने को कहा, शमीना किचन में गई तो सलमा आंटी ने मुझे उनके ब्रा के बारे में बताया जो उन्होंने रखे थे, एक शुद्ध था और एक फोम वाला। फिर सलमा आंटी ने उनकी कीमत पूछी तो मैं बता दी, सलमा आंटी ने पैसे दे दिए तभी किचन से शमीना मीठा सिरप ले आई। मैंने बुझे हुए दिल के साथ 2 गिलास पानी पिया कि चलो अगर सलमा आंटी की गाण्ड नहीं मिली तो ठंडे पानी से अपनी मेहनत का प्रतिफल तो प्राप्त करें। पानी पीकर कुछ देर ज़बरदस्ती में बैठा रहा, लेकिन जब देखा कि अब सलमा आंटी मुझे ज्यादा लिफ्ट नहीं करवा रही तो मैंने वापस आने में ही अपनी भलाई समझी और और अपना शापर उठाकर वापस घर आ गया और सलमा आंटी की दोनों बेटियों को कोसने लगा। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )

मगर कुछ हद तक मुझे सलमा आंटी पर भी आश्चर्य था कि उस दिन बस में तो खुद अपने हाथ से मेरा लंड पकड़कर उन्होंने अपने चूतड़ों में फंसाया था, फिर आखिर ऐसी क्या बात हुई कि उन्होंने कोई संकेत तक नहीं किया मुझे आज जिस तरह उन्होने व्यवहार किया उससे मेरा हौसला ही जाता रहा कि यह गाण्ड मुझे मिलनी वाली है। मगर किस्मत में ये गाण्ड अभी नहीं लिखी थी सो नहीं मिली। और जिंदगी एक बार फिर सामान्य हो गई। इस घटना के कारण सलमा आंटी की गाण्ड का भूत काफी हद तक मेरे मन से उतर चुका था मगर मेरे लंड को किसी की गाण्ड की खोज आज भी थी। दोस्तो मोहल्ले की एक लड़की से मेरी सेटिंग थी और मुझे जब ज़रूरत होती में किसी न किसी तरह से अकेले में मिलकर अपने लंड की प्यास बुझा लेता था, मगर न जाने क्यों जब से मैंने ब्रा बेचने शुरू किए थे, मेरा दिल करता था कि जो मुझसे ब्रा खरीद रही है उसी को चोद दूँ, उसके मम्मे दबाऊ, उनको मुंह में लेकर चुसूँ, उनके मुंह में अपना लंड डाल दूं। इसीलिए मेरी प्यास किसी तरह कम नहीं हो रही थी। 
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12-09-2018, 01:43 PM,
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RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
अब मुझे दुकान पर काम करते करीब 2 साल से अधिक का समय हो चुका था। और मेरा वेतन भी अब दस हजार तक पहुंच चुका था और बहुत अच्छा गुजारा हो रहा था। साथ ही मैंने अपनी नौकरी के 5 महीने बाद ही एक कमेटी भी डाल ली थी और इस कमेटी के अलावा भी पैसे जोड़ रहा था। अब मेरा अपनी दुकान बनाने का इरादा था। मेरे पास अब 2 लाख से अधिक की राशि मौजूद थी, कुछ अब्बा की पेंशन कुछ मेरी कमेटी और कुछ मेरी अपनी बचत जो हर महीने करता था वह मिल मिलाकर उतनी थी कि मैं एक छोटी दुकान को सामान से भर सकता था, मगर मुद्दा था दुकान लेने का। दुकान की पगड़ी ही इतनी थी कि आम आदमी तो दुकान बनाने की सोच भी नहीं सकता था इसलिए मैं किसी छोटी बाजार के बारे में सोच रहा था, जैसे शाह सदस्य मौलवी गुलशन बाजार या फिर गलगशत द्वारा गरदीज़ी बाजार। यह दोनों बाजार थीं तो छोटी मगर यहां जरा मॉर्डन लड़कियाँ खरीदारी के लिए आती थी। फिर एक दिन मेरी किस्मत जागी और फिर से वही लैला आंटी जिन्हें पहली बार मैने ब्रा बेचा था वह मेरी दुकान पर आईं तो बातों ही बातों में मेरी उनसे बात हुई कि मैं अपनी दुकान बनाने के बारे में सोच रहा हूँ, बस दुकान लेने की समस्या है। 

जिस समय यह बात हुई तब हाजी साहब दुकान पर मौजूद नहीं थे। मेरी बात सुनकर लैला मेडम ने पूछा कि कहां पर करेंगे दुकान? और कितने पैसे चाहिए होते हैं दुकान के लिए ?? तो मैंने मेडम को दोनों बाजारों के बारे में बता दिया और बताया कि माल लाने के लिए जो मेरे पास पैसे है इतनी ही राशि दुकान को भी चाहिए। तब मेडम मुझे कहा तुम मेरी बात मानो तो मैं तुम्हारी मुश्किल आसान कर सकती हूँ ... मेरे कान तुरंत खड़े हो गए और मैंने कहा जी मेडम बताओ ऐसी कौन सी बात है जो मानने पर आप मेरी मदद करेंगे ??? लैला मेडम ने कहा अगर तुम गुलशन बाजार या गरदीज़ी बाजार की बजाय शरीफ प्लाजा में दुकान बना लो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ ... शरीफ प्लाजा कचहरी के पास है जहां एक फ्लाईओवर भी गुजरता है। शरीफ प्लाजा नाम सुनकर हंसा और कहा मेडम मेरी इतनी सामर्थ्य कहां कि वहाँ दुकान बना सकूँ वहां तो बहुत बड़ी बड़ी और महंगी दुकानें हैं। लैला मेडम कहा वही तो मैं तुम्हें कह रही हूँ तुम वहाँ दुकान खोलना तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। अगर आप पूरी बात सुन लोगे तो शायद हम दोनों का काम आसान हो सके। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )

मैंने कहा जी मेडम बताएं। उन्होंने कहा शरीफ प्लाजा में एक दुकान है जो मेरी अपनी है, वह हम ने किसी को किराए पर दी हुई थी, मगर फिर मेरे पति ने वहां अपना कारोबार बनाने का सोचा तो जिन्हें दुकान दी थी उन्होने दुकान खाली करने से इनकार कर दिया । काफी प्रयास के बावजूद भी जब वे दुकान खाली न हुई तो हम ने उन्हें न्यायिक नोटिस भिजवा दिया जिस पर उन्होंने मेरे पति को धमकी देना शुरू कर दिया मैंने अपने शोहर से कहा छोड़ो उस दुकान को अपना नोटिस वापस ले लो हम कोई और काम करेंगे उन गुण्डों से टक्कर लेने का कोई फायदा नहीं। मगर मेरे पति नही माने और उन्होंने कहा, हम किसी को इस तरह अपनी संपत्ति पर कब्जा करने नहीं देंगे। केस चला और अदालत ने हमारी पक्ष में फैसला दिया और पुलिस को कहा कि दुकान खाली करवाई जाए। पुलिस ने 2 दिन में ही दुकान तो खाली करवा दी मगर उन लोगों ने अपना गुस्सा निकालने के लिए कुछ गुण्डों को भेजा जिन्होंने मेरे पति को डराया और इतना प्रताड़ित किया कि वह पिछले 6 महीने से बिस्तर पर हैं और अभी कुछ और साल तक वह उठ कर बैठ नहीं सकेंगे उनकी कमर की हड्डी को काफी नुकसान पहुंचा है। वैसे तो हमें पैसे की कमी नहीं, ज़मीन से काफी पैसा आ जाता है मगर वह दुकान खाली नहीं रखना चाह रही, क्या पता उधर फिर कोई कब्जा कर ले खाली दुकान देखकर। 

वो दुकान तुम्हें किराए पर दे सकती हूँ, तुम वहाँ अपना काम करो, तुम मुझे शरीफ इंसान लगते हैं, हमारा अनुबंध होगा कि 5 साल से पहले हम तुम्हें दुकान खाली करने के लिए नहीं कहेंगे। उसके बाद अगर दुकान खाली करवानी हुई तो हम तुम्हें 3 महीने पहले बता देंगे ताकि आप अपनी व्यवस्था कर सको। लैला मेडम शांत हुईं तो मेरे जवाब का इंतजार करने लगीं। मैंने कुछ सोचते हुए कहा वह तो ठीक है मेडम मगर जितना किराया हैं शरीफ प्लाजा का में वह कैसे दूंगा ??? और फिर दुकान की पगड़ी भी होती है जो शरीफ प्लाजा में 5 लाख से कम नहीं। मेडम ने कहा उसकी तुम चिंता मत करो, हमे अभी में पैसे नहीं चाहिए, बस दुकान पर कोई काम होना चाहिए ताकि खाली दुकान देखकर उस पर कोई कब्जा न करे। पगड़ी तुम मत देना और दुकान किराया 15 हजार होगा मगर वह भी पहले 6 महीने आप कोई किराया मत देना। जब तुम्हारा काम चल पड़ेगा तो 6 महीने बाद आप 15 हज़ारा मासिक के हिसाब से किराया देते रहना। और दुकान का जो भी काम करवाना हो वह हम तुम्हें करवा देंगे। काफी देर सोचता रहा और फिर मेडम से पूछा मगर मेडम आप मुझ पर ही क्यों इतना ऐतबार कर रही हैं? हो सकता है मैं भी आपकी दुकान पर कब्जा कर लूँ। इस पर लैला मेडम मुस्कुराई और बोली तुम मेहनत करने वाले लड़के हो, नौकरी करते हो यहाँ, 8 से 10 हजार तुम्हारी वेतन होगी तुम हम लोगों से पंगा नहीं ले सकते। जिन्हें पहले दुकान दी थी वह बड़ी पार्टी थी और उनका राजनीतिक लोगों से संबंध था जिसकी वजह से हमें मुश्किल हुई। तुम जैसे शरीफ़ आदमी से हमें कोई खतरा नहीं। 

मैंने कहा ठीक है मेडम में आपको सोचकर बताउन्गा, तो मुझे दुकान बता दें कि मैं जाकर देख सकूं, उसके बाद घर वालों से परामर्श करके आपको बता दूँगा कि मेरा क्या कार्यक्रम है। मेडम ने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और घर का पता बता दिया कि यहां आकर तुम दुकान की चाबी ले जाना ताकि दुकान देख सको और फिर सलाह करके मुझे बता देना। मैंने कहा ठीक है और उनका नंबर और पता मोबाइल में सेव किया और 8 बजे हाजी साहब से छुट्टी लेकर जल्दी जल्दी घर पहुंचा और अम्मी से इस बारे में बात की, अम्मी ने लैला मेडम को ढेरों आशीर्वाद दिए और कहा बेटा तुम्हें वह दुकान ले लेनी चाहिए इसमें तुम्हारा भी लाभ है ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ) और तुम्हारी लैला आंटी की भी सहायता हो जाएगी। लेकिन अपने मुनब्बर अंकल से भी परामर्श कर लेना। फिर मैंने अम्मी से अपनी परेशानी व्यक्त करते हुए उन्हें बताया कि अम्मी वहां पर काम करने के लिए मेरे पास पैसे अभी भी कम हैं वहाँ कम से कम इतने ही पैसे और चाहिए होंगे क्योंकि सब कुछ अच्छी गुणवत्ता का सामान रखना होगा यह सुनकर अम्मी ने कुछ देर सोचा और फिर उठ कर अपने कमरे में गई और एक छोटी सी पोटली मेरे सामने रख दी और कहा बेटा यह मेरा छोटा सा गहना है जो मैंने मिनी के लिए रखा था कि जब उसकी शादी होगी तो दहेज बनाने के काम आएगा। मगर अब तुम अपना काम शुरू करने जा रहे हो तो इसका उपयोग करो। 

मैंने मना कर दिया कि नहीं अम्मी यह आप मिनी के लिए ही रखें मेरी कोई न कोई व्यवस्था हो जाएगी में बैंक से लोन ले लूँगा। अम्मी ने सख्ती से मना कर दिया कि नहीं बेटा ब्याज पर काम करना अच्छा नहीं, बैंक तो ब्याज लेगा और जो काम ब्याज से शुरू किया जाय उसमें बरकत नहीं होती। ये गहना हमारा अपना है, इसमे तुम्हारा भी हिस्सा है और तुम्हारे भाई बहनों का भी है। उसे अपने भाई और बहनों की अमानत समझकर इस्तेमाल करो, जब तुम्हारा काम चल पड़े तो पैसे जोड़ते रहना, मिनी के बड़े होने तक तुम्हारे पास इतने पैसे जमा हो जाएंगे कि तुम फिर से इतना जेवर बनवा कर सको। मैंने कुछ देर सोचा और फिर अम्मी से वह गहने ले लिया। अगले दिन मैंने हाजी साहब को जाकर अपने इरादे के बारे में बताया तो वे थोड़े परेशान हो गए क्योंकि उनकी दुकान इस समय मेरे सिर पर चल रही थी। उनका मुझ पर एहसान था इसलिए मैंने उन्हें पहले बता देना उचित समझा कि वे तब तक किसी और लड़के की व्यवस्था कर सकें, हाजी साहब ने मुझे मना तो नहीं किया मगर मुझे यह जरूर कहा कि बेटा कम से कम आप 2 महीने तक मेरे पास ही काम करो और अपनी जगह कोई अपने विश्वास वाला लड़का भी लेकर आओ जिसको तुम्हे खुद ही प्रशिक्षण भी देना होगा। उसके बाद तुम अपना काम भगवान का नाम लेकर शुरू करना ऊपर वाला आशीर्वाद देगा 

मैंने हाजी साहब को आश्वासन दिया कि यहां से रवाना होने से पहले अपनी जगह उन्हें कोई अच्छा लड़का दे दूँगा जो उनकी दुकान संभाल सके और फिर उस दिन की छुट्टी लेकर मेडम के दिए हुए पते पर चाबी लेने पहुंच गया। उनके घर के सामने जाकर मैंने मेडम के नंबर पर कॉल की तो उन्होंने चौकीदार को गेट खोलकर मुझे अंदर बुलवा लिया। यह एक आलीशान घर था, देखने से ही रहने वालों के ठाट-बाट का अनुमान हो रहा था। बड़े हॉल में चौकीदार ने मुझे बिठा दिया जहां 2 मिनट बाद ही लैला मेडम आईं और मुझे अंदर अपने बेड रूम में ले गई। बेडरूम में टीवी चल रहा था, अंदर गया तो सामने बेड पर एक व्यक्ति लेटा हुआ था, जबकि उसके साथ मेडम का छोटा बेटा खेल रहा था, मैं समझ गया कि यह मेडम पति होगा। मैंने उन्हें सलाम किया तो मेडम ने अपने पति को बताया कि सलमान है जिसके बारे में आपको बताया था। ये दुकान की चाबी लेने आया है। मेडम के पति ने कुछ देर मुझसे बातचीत की और मेरे से कुछ मेरे बारे में प्रश्न किए जैसे मैं कौन हूँ, कहाँ आवास है, पिताजी क्या करते हैं, घर में पिताजी के जाने के बाद किसने जिम्मेदारी ली आदि आदि। उनकी बातों से मैं समझ गया था कि वह जोखिम नहीं लेना चाह रहे और मेरे बारे मे पूरी तसल्ली करना चाह रहे हैं। 

कुछ देर की पूछताछ के बाद उन्होंने कहा लैला इसे चाबी दे दो, बल्कि ऐसा करो खुद साथ जाओ और उसे दुकान दिखाना है, और वहाँ जो कुछ काम करवाना है वह खुद समझ लेना हम जल्द ही वहां मिस्त्री लगवा कर काम करवा देंगे। लैला मेडम ने कहा ठीक है साथ चली जाती हूँ। फिर मेडम बाहर आईं और उन्होंने मेरे से पूछा किस पर बैठ कर आए हो तो मैं उन्हें बताया कि रिक्शा पर आया, तो मेडम ने पूछा गाड़ी चला लेते हो ??? मैं इनकार में सिर हिलाया तो मेडम ने खुद एक गाड़ी चाबी उठाई और मुझे लेकर बाहर आ गई जहां एक होंडा सिविक और एक छोटी सुजुकी कलटस खड़ी थी। मेडम ने कलटस का दरवाजा खोला और ड्राइविंग सीट पर बैठ गईं, मैंने पिछला दरवाजा खोला और बैठने लगा तो मेडम ने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और बोलीं आगे आकर बैठ जाओ।

मैंने दरवाजा बंद किया और अगली सीट पर बैठ गया। कुछ ही देर बाद मेडम ने शरीफ प्लाजा में पहुँच कर गाड़ी रोक दी। शरीफ प्लाजा में प्रवेश करते ही सीधे हाथ पर यह आखिरी दुकान थी जो महत्वपूर्ण थी। बाहर एक कैंची गेट था और एक शटर लगा हुआ था। अंदर काफी काठ कबाड़ पड़ा था जो दुकान छोड़ने वालों का था। दुकान शुरू से करीब 12 फुट चौड़ी थी जो आगे तक इसी चौड़ाई थी मगर करीब 20 फीट आगे जाकर एक दम से 20 फुट चौड़ी हो गई थी। यानी फ्रंट पर एक ही दुकान थी जबकि दुकान के भीतरी भाग में दुकान चौड़ाई के आधार पर करीब 2 दुकानों के बराबर थी और भाग करीब 8 फुट लंबा था। 

दुकान मुझे खासी पसंद आई और मैंने अनुमान लगा लिया था कि इस दुकान को भरने के लिए कम से कम भी 7 से 8 लाख रुपये चाहिए होंगे। मैंने मेडम को यह बात कही तो उन्होंने कहा, तुम चिंता मत करो हम दुकान ऐसी करवा देंगे कि आप कम समान मे भी दुकान भर सकते हो, और जैसे ही आप के पास ज्यादा पैसे आएंगे तुम इसी सेटिंग से अनावश्यक अलमारी हटा कर उपकरणों के लिए जगह ले जा सकते हो। बस तुम यह बताओ तुम यहाँ दुकान बनाना पसंद करोगे या नहीं? मैंने कहा जरूर मेडम, भला इतनी अच्छी दुकान कौन छोड़ सकता है, तो आपका बड़ा आभारी रहूँगा आपने मुझे यह जगह डी काम शुरू करने के लिये। लैला मेडम मुस्कुराई और बोली बस तुम यहाँ काम शुरू कर दो तो हम भी तुम्हारे आभारी होंगे। मैंने आंटी को कहा बस में अंतिम बार अपने एक चाचा से परामर्श कर लूँ, मगर वह भी औपचारिक ही होगा मुझे यकीन है वह मना नहीं करेंगे आप मेरी ओर से 90 प्रतिशत हां ही समझें। फिर कुछ मैंने मेडम को समझाया कि मुझे कैसी सेटिंग चाहिए और कुछ मेडम ने मुझे सलाह दी, उनके सुझावों से लग रहा था जैसे वह काफी समझदार महिला हैं। उनका कोई सलाह नहीं था जो मुझे अनावश्यक लगा हो, मेडम ने अपनी कार से एक बड़ा कागज और पेंसिल भी निकाल ली थी जिससे वह हमारी होने वाली बातचीत के बारे में लिख रही थीं कि दुकान को कैसे सेट करना है। 

हम करीब आधा घंटा दुकान में रुके और आवश्यक बातचीत करने के बाद फिर से कार में बैठ कर केंट की ओर चल दिए। मैंने मेडम से पूछा कि मेडम यह हम कहाँ जा रहे हैं ?? तो उन्होंने कहा केंट में कुछ अच्छी दुकानें हैं जो अंडर गारमेंट्स ही बेचती हैं, आप इन दुकानों की आंतरिक सेटिंग देख लो ताकि तुम्हें पता रहे कि कितना माल लाना है और कैसा माल लाना है। कुछ ही देर में केंट की एक छोटी मगर अच्छी दुकान पर मौजूद थे, लैला मेडम मुझे अंदर लेकर गईं और कहा तुम ध्यानपूर्वक देख लेना दुकान। दुकान में गए तो लैला मेडम ने दुकानदार से बातचीत शुरू कर दिया और आभूषण देखनी शुरू कर दी, जबकि मैंने दुकान पर गहरी नजर डाली और उनकी सेटिंग देखी तो यह वास्तव में एक अच्छी दुकान थी जिन्होंने कम समान होने के बावजूद इस तरह रखा हुआ था कि दुकान भरी हुई लग रही थी। एक साइड पर प्लास्टिक स्त्री ढांचे यानी स्टेचू भी पड़े थे जिन पर महिलाओं की नाइटी पहना कर प्रदर्शन किया गया था ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ), 3 से 4 पुतलो ने दुकान का बड़ा हिस्सा भर दिया था और आगे एक कोठरी में महिला के सीने की संरचनाओं के स्टेचू मौजूद थे जिन पर ब्रा ऐसे लटकाए गए थे जैसे कोई औरत पहन कर खड़ी हो। यह भी एक अच्छी बात थी कि महिलाओं को पता हो जाता था कि यह ब्रा उनके बदन पर कैसा लगेगा। 

कुछ देर बाद हम इस दुकान से निकल आए और ऐसी ही 2, 3 और दुकानों पर गए, हर जगह लगभग ऐसी ही बातें पड़ी थीं और एक जैसी ही सेटिंग थी बस छोटी मोटी बातों का अंतर था। यहाँ से हम करीब शाम 5 बजे फ्री हुए मेडम ने कहा चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ आऊँ, मैंने शर्मिंदा होते हुए कहा नही मेडम आप घर जाएं आपके पति अकेले हैं खुद चला जाऊंगा। मेडम ने कहा उनकी चिंता तुम मत करो घर नर्स मौजूद है जो उनकी देखभाल करती है, और तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ने का उद्देश्य तुम्हारा घर देखना और तुम्हारी माँ से मिलना है। इस पर मैंने कहा ठीक है मेडम और साथ ही अपने मोबाइल से अपनी पड़ोसी जो अक्सर ही मेरे लंड के नीचे होती थी उसको मैसेज कर दिया कि अभी मेरे घर जाकर अम्मी को मेडम के आने की सूचना दे ताकि वे मेडम के लिए व्यवस्था कर सकें। 20 मिनट के बाद हम घर पहुंचे और जैसी उम्मीद थी अम्मी ने थोड़े से समय में ही चाय भी रख दी थी और साथ ही मौजूद बेकरी से अच्छी गुणवत्ता वाले बिस्कुट, फ्रूट केक और सैंडविच आदि मंगवा लिया था। मैं अम्मी से मेडम परिचय करवाया तो अम्मी ने मेडम के सिर पर प्यार दिया और उनको बहुत बहुत आशीर्वाद दिया। मेडम करीब आधा घंटा मेरे घर बैठी रहीं, वह मेरी छोटी बहनों से भी मिलीं और उन्हें अपने पर्स से 500 के नोट निकाल कर दिए, मैंने मेडम को बहुत मना किया लेकिन उन्होंने जबरन मेरी तीनों छोटी बहनों को 500, 500 का एक नोट थमा दिया। इस दौरान मेरी अम्मी ने मेडम से आभूषण की भी बात की तो मेडम ने कहा आप मुझे जेवर दिखा दें और बेचने की बजाय मेरे पास रखवा दें, मैं उसकी कीमत के अनुसार सलमान पैसे दे दूंगी। क्योंकि अगर यह बाजार मे बेच देगा तो सोने की काट में काफी पैसे कम हो जाएंगे। ऊपर सोना मेरे पास गिरवी रख कर उसके बदले पैसे ले ले, और जब आपके पास पैसे आ फिर से तो मुझे पैसे देकर मेरे से अपनी अमानत वापस ले सकते हैं। 

अम्मी और मैंने एक मत होकर मेडम के इस ऑफर को स्वीकार कर लिया। मुझे काफी आश्चर्य हो रहा था कि मेडम मुझ पर इतनी मेहरबान क्यों हो रही हैं, मन में कुछ विचार भी आया कि कहीं मेडम बाद में मुझे कोई अवैध काम करवाने की कोशिश नहीं करेंगी , मगर जल्द ही मैंने इस विचार को अपने मन से झटक दिया और सकारात्मक सोचने लगा कि इस दुनिया में आज भी ऐसे लोग हैं जो गरीबों की हर संभव मदद करने को तैयार हैं। और आज भी इस बात पर कायम हूं कि मेडम ने बिना किसी लालच के मेरी मदद की, और आज मैं जो कुछ हूं अपनी लैला मेडम की मेहरबानियों की वजह से ही हूं।( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ) अगले ही दिन मुनब्बर अंकल को मैंने न केवल दुकान दिखा दी थी बल्कि उनसे सलाह भी ले लिया था और उन्होंने कहा था कि बेफिक्र होकर शुरू करो काम। यह समस्या भी हल हो गया था अब। संक्षेप में मैं कुछ दिनों में ही अपने एक दोस्त जो मेरे मोहल्ले का ही था हाजी साहब के पास काम करने के लिए बुला लिया, उसे भी नौकरी की जरूरत थी, मैं दिन-रात एक करके हाजी साहब की दुकान पर अंतिम दो महीने बिताए और इस दौरान अपने दोस्त को सारा काम अच्छी तरह सिखा दिया और हाजी साहब भी इससे खुश थे क्योंकि वह पहले भी एक कपड़ों वाली दुकान पर काम कर चुका था इसलिए यहां भी वह बहुत जल्दी सीख गया था। इस दो महीने के दौरान पूरे दिन में हाजी साहब की दुकान पर काम करता और शाम को छुट्टी के बाद शरीफ प्लाजा जाकर वहां होने वाले काम की निगरानी करता, लैला मेडम ने अपने दो आदमी भी वहां पर रखे हुए थे जिनकी निगरानी में दुकान काम हो रहा था। 
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12-09-2018, 01:43 PM,
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RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
फिर इसी दौरान कराची गया और वहां से सस्ते दामों मेंअच्छी गुणवत्ता वाले, पेंट नाईटीज़, नाइट गाउन लीग स्टाकनग आदि खरीद लाया और मुल्तान से ही एक स्थानीय दुकान से कुछ गहने और सौंदर्य प्रसाधन का सामान खरीद लिया। दुकान मे नाइट डिस्ले गह लगाने को भी स्टेचू मुझे मुल्तान से ही मिल गए। लैला मेडम ने दुकान का शटर उतरवा कर एक ब्लैक शीशा लगवा दिया था फ्रंट और उसके सामने वही कैंची गेट मौजूद था, जबकि दुकान के अंदर सुरक्षा के लिए कैमराज़ भी लगाए गए थे और एक छोटा ट्राई रूम भी था। ट्राई रूम दुकान के अगले भाग में था जिसकी चौड़ाई 20 फुट थी और सामने से नजर नहीं आता था सीधे हाथ पर 3, 4 कदम चलकर छोटा केबिन बनाकर उसे ट्राई रूम का नाम दिया गया था। दुकान के प्रवेश द्वार पर ही एक स्टेचू रख दिया गया था जिस पर एक देवी को नाइट गाऊन पहनाया गया था ताकि बाहर से देखकर महिलाओं को अनुमान हो सके कि उस दुकान पर उनके अंडर गारमेंट्स उपलब्ध होंगे, जबकि 3 स्टेचू अंदर रखे गए थे जिनमें एक पर लाल नेट वाली नाइटी, दूसरे पर एक वायर्ड हरी नाइटी और तीसरे स्टेचू पर एक अरबी शैली का सेक्सी ड्रेस पहनाया गया था। दुकान का उद्घाटन तो नहीं किया गया लेकिन यहाँ पर मेरी पहली ग्राहक लैला मेडम ही थीं जिन्होंने मुझ से एक सेक्सी निघट्य खरीदी जिसकी कीमत 2000 रुपए थी और एक ब्रा और पैन्टी का 1500 रुपये का सेट खरीदा। पहले ही दिन मुझे काफी अच्छा रिस्पांस मिला और मैंने काफी कमाई कर ली थी। अच्छे घरों की मॉर्डन लड़कियों आंटी, स्कूल कॉलेज की किशोर लड़कियां मेरी ग्राहक थीं। पहले सप्ताह में ही इतना प्रॉफ़िट कमा चुका था जितना मुझे हाजी साहब से वेतन मिलता था। 

अम्मी की दुआओं धन्यवाद और लैला मेडम की मेहरबानी से काम अच्छा चल पड़ा था और मुझे उम्मीद थी कि लैला मेडम के दिए गए 6 महीने में कमाए गए प्रॉफ़िट से दुकान पूरी तरह से भर लूँगा और दुकान का किराया भी आसानी से निकल जाया करेगा। यहां एक बात बताता चलूं कि मैंने लैला मैम को बताए बिना ट्राई रूम में भी एक कैमरा लगवा लिया था। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )इस कैमरे का कतई यह मतलब नहीं था कि मुझे लड़कियों को ब्रा पहनते हुए नंगा देखना है, बल्कि उसका उद्देश्य यह था कि अगर कोई लड़का और लड़की, या फिर दो लड़कियाँ ट्राई रूम में जाती हैं तो वह वहाँ गलत हरकतें न कर सकें मेरे बैठने की जगह पर काउन्टर के अंदर ही एक कंप्यूटर स्क्रीन थी जिस पर दुकान में मौजूद 4 कैमरों की वीडियो आती थी। दोपहर 2 बजे बाहर काले शीशे पर दुकान बंद है का साइन बोर्ड लगा देता था और 2 बजे से लेकर 4 बजे तक रेस्ट करता खाना ख़ाता और रात 11 से 12 बजे तक दुकान खुली रहती थी। 

सुबह 11 बजे शरीफ प्लाजा में दुकानें खुलना शुरू होती थीं, मैं भी 11 बजे से कुछ पहले ही आकर दुकान खोल लेता था। एक दिन जब मैं एक आंटी को उनकी पसंद का ब्रा दिखा रहा था तो दुकान में 3 युवा लड़कियाँ दाख़िल हुईं और मेरे फ्री होने का इंतजार करने लगीं। आंटी को ब्रा दिखाते हुए मैंने उनसे भी पूछा मिस आपको क्या चाहिए ??? उनमें से एक लड़की जो काफी तेज लग रही थी वो बोली पहले आंटी को फ्री कर लें तो फिर बताते हैं कि क्या चाहिए। मैं फिर से आंटी को ब्रा दिखाने में व्यस्त हो गया और वह कुछ ही देर में ब्रा पसंदीदा करके चली गईं। अब मैं उन लड़कियों के लिए उनके पास गया और उनका सरसरी नज़र से देखा ये कॉलेज की लड़कियां थीं। कचहरी चौक जो शरीफ प्लाजा के बिल्कुल करीब था वहीं लड़कियों के 2 कॉलेज थे शायद वहीं से ये लड़कियां आई थीं। इन तीनों की उम्र 18 या 19 के लगभग रही होगी, लेकिन उनके सीने देखने लायक थे कि आदमी एक बार नज़र डाल ले तो नज़रें हटाना मुश्किल हो जाए। इन लड़कियों में से एक लड़की खासी चिप चिप थी और उसने सिर पर चादर ली हुई थी, बाकी शेष 2 लड़कियों के सिर पर या गले में कोई चादर नहीं थी, बस एक दुपट्टा था जो गले में डाला हुआ था और उनके कॉलेज वर्दी की फिटिंग से उनके मम्मे स्पष्ट नजर आ रहे थे। यह शायद बीए की छात्राएँ थीं। 

तीनों लड़कियों की समीक्षा के बाद मैंने उनसे पूछा जी मिस क्या चाहिए आपको? उनमें से वही लड़की जिसने पहले कहा था वो बोली मुझे कोई अच्छा सा ब्रा दिखा दें इपोर्टेड 

मैंने उसके सीने पर नजर डालते हुए पूछा मिस आपका आकार ??? लड़की ने कहा 36 नंबर में दिखा दो। मैंने पूछा मिस कॉटन या फोम वाला ??? उसने कहा फोम वाला दिखाओ। यह सुनकर चादर वाली लड़की जो अब तक चुप थी वह हल्की सी आवाज में बोली नीलोफर अपने पास पहले ही इतने पड़े हैं फोम वाला ले क्या करोगी ??? इससे मुझे इतना तो पता लगा कि इस तेज तर्रार लड़की का नाम नीलोफर है और मम्मों का आकार तो उसने खुद ही बता दिया था 36 का अच्छा आकार। मैं इसे एक पॉइंट जहां मैंने लड़कियों के सीने के प्लास्टिक के स्टेचू रखे हुए थे। ये स्टेचू मेरे सामने यानी ग्राहकों की एक साइड पर बनी एक कोठरी में थे। मैंने नीलोफर को कहा मिस आप अपने पीछे यह शैली देख लें फोम वाले ब्रा की और मुझे शैली बता दें में और भी कलर आपको दिखा दूंगा। 

नीलोफर दूसरी ओर मुड़ी और अलमारी के पास होकर ब्रा देखने लगी, साथ ही उसकी दूसरी दोस्त भी उसके साथ ब्रा देखने लगी जबकि चादर वाली लड़की वहीं पर खड़ी रही। नीलोफर ने मुंह दूसरी तरफ किया तो मेरी नज़रें तो नीलोफर की गाण्ड में ही जम गईं। क्या गांड थी उसकी, गाण्ड का तो वैसे ही दीवाना था मैने अनुमान लगा लिया था कि उसकी गाण्ड 34 आकार की है जबकि उसकी दूसरी दोस्त गाण्ड भी थी तो मस्त, मगर इससे थोड़ी सी छोटी 32 आकार की थी। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )कुछ देर ब्रा देखने के बाद नीलोफर वापस मुड़ी और उसने एक शैली की ओर इशारा करते हुए कहा इस शैली में दिखा दें ब्रा। यह एक काले रंग का फोम वाला ब्रा था, उसके कप्स के ऊपर कपड़े से ही 3 प्लेट्स बनी हुई थीं। और दोनों कप्स के बीच में एक छोटा सा गोल्डन कलर का नगीना लगा हुआ था। मैंने अपने पास मौजूद स्टॉक में वही ब्रा काले, लाल और नीले रंग में निकाल कर दिखा दिए नीलोफर ने मेरे हाथ से ब्रा पकड़ा तो मेरा हाथ नीलोफर की नरम और नाजुक हाथों की उंगलियों को छू गया जिसका स्पर्श बहुत ग्लैमरस था। शायद उसकी जवानी का ही असर था कि उसकी उंगलियों को छूते ही मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया था। नीलोफर ने ब्रा पकड़ा और उसका डिजाइन देखने लगी,


उसने ब्रा के कप को अपनी नाजुक उंगलियों से दबाकर उसकी मोटाई का अनुमान लिया और फिर खुश होते हुए अपने साथ खड़ी दूसरी लड़की से बोली शाज़िया देख यार, ब्रा तो कमाल का है। उसका नाम भी मुझे मालूम हो गया था, और देखने में उसका ब्रा आकार भी 36 ही लग रहा था। शाज़िया ने भी ब्रा हाथ में पकड़ कर देखा और बोली हां अच्छा है। फिर उन्होंने तीनों कलर को देखा और उनमें से पसंद करने लगीं। नीलोफर ने चादर वाली लड़की को बुलाया और कहा राफिया देखो यार कौन सा कलर लूँ? चादर वाली लड़की जिसका नाम राफिया था उसने तीनों कलर देखे मगर उनको हाथ लगाए बिना बोली तुम्हारी इच्छा जो इच्छा लो तीनों ही अच्छे हैं। फिर नीलोफर शाज़िया की ओर मुड़ी और बोली तुम बताओ कौन सा कलर लूँ। शाज़िया ने कहा ब्लैक और लाल में देख लो कोई सा। 

नीलोफर ने अब नीले रंग का ब्रा रख दिया और काले और लाल को देखने लगी तो मैंने उसे कहा मिस ब्लैक अधिक सूट करेगा ब्लैक ले, नीलोफर ने मेरी ओर आँख उठाकर देखा, मुझे लगा कि मेरे इस साहस पर अब वह मुझे 2, 3 मीठी मीठी गालियां देगी, मगर उसने आराम से कहा मेरा भी ब्लैक का ही मूड बन रहा है लेकिन यह कलर पहले भी है मेरे पास। मैंने पूछा पहले जो ब्लैक कलर है वह भी फोम वाला ही है ??? तो नीलोफर ने कहा नहीं वो तो कपास का है गंदा सा, माँ ने लाकर दिया था जरा भी कंफर्ट नहीं है। मैंने कहा अगर वह कंफर्ट नहीं तो जाहिर बात है वो तो अब नहीं पहनेंगी इस ब्लैक कलर में ले, और ये बहुत सुंदर है, वैसे भी आपका रंग काफी साफ है तो इस पर ब्लैक अच्छा लगेगा। मेरी इस बात पर राफिया मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखा मगर नीलोफर ने ऐसी कोई अभिव्यक्ति नहीं दी और बोली चलो ठीक है। फिर नीलोफर ने शाज़िया को कहा तुम भी ले लो कोई ब्रा। इस पर शाज़िया ने कहा मेरे लिए भी दिखा दें, लेकिन नेट में दिखना फोम वाला नहीं। मैंने शाज़िया से उसका ब्रा नहीं पूछा तो उसने भी मेरे अनुमान के विपरीत 34 डी आकार बताया। 34 डी सुनकर मेरे दिल में शाज़िया के मम्मे देखने की इच्छा पैदा हुई। 34 डी का मतलब था कि शाज़िया की कमर नीलोफर की कमर से थोड़ी कम थी उसका बैंड 34 का था मगर उसका कप आकार बड़ा था। यानी शाज़िया के मम्मों का आकार नीलोफर के मम्मों से बड़ा था। कमीज के ऊपर से देखने में दोनों का आकार बराबर था लेकिन अगर मैं शाज़िया को भी 36 का आकार देता तो वह उसके मम्मों पर तो फिट आ जाता मगर उसकी कमर के आसपास ब्रा की पकड़ कमजोर रहती। 

ब्रा निकालने के लिए जैसे ही मैं मुड़ा तो शाज़िया की आवाज आई 36 ना दिखाएगा, 34 डी ही दिखाएँ 36 मुझे ढीली होगी। मैंने कहा मिस आप बेफिक्र हो जाएं जो आकार आपने बताया है वही दिखाऊंगा और अच्छी फिटिंग होगी उसकी। यह कह कर जब मैंने एक सफेद रंग का नेट का ब्रा निकाला जिस पर लाल और सफेद रंग के छोटे फूल बने हुए थे, एक काले रंग का ब्रा निकाला और एक स्किन कलर का कॉटन का ब्रा निकाल दिया। शाजिया ने सफेद रंग का ब्रा देखा जो उसे बहुत पसंद आया और उसके बाद उसने स्किन कलर का भी ब्रा देखा। दोनों को ध्यानपूर्वक देखने के बाद शाजिया ने सफेद रंग का ब्रा पसंद कर लिया और मेरे से पैसे पूछे, मैं ने दोनों के अलग पैसे बताए तो नीलोफर ने कंधे पर झूलता हुआ बैग खोला और उसमें से पैसे निकालने लगी, मैंने इस दौरान राफिया से पूछा मिस आपको भी दिखाऊ कोई ब्रा ??? मेरी बात पर राफिया ने मुंह दूसरी तरफ कर लिया और हल्की आवाज में बोली नहीं मुझे नहीं चाहिए। नीलोफर ने दोनों ब्रा का भुगतान किया और फिर मुझसे पूछा अगर आकार ठीक न लगे तो बदल तो जाएगा ना ??? मैंने कहा मिस ट्राई रूम मौजूद है आप ट्राई करना चाहें तो कर सकते हैं। नीलोफर ने शाजिया को देखा जैसे यह पूछना चाह रही हो कि ट्राई किया जाए या नहीं ??? शाजिया ने अपने कंधे उचकाये और बोली देख लो इच्छा है तुम्हारी में तो नहीं करूंगी, तो नीलोफर ने राफिया को देखा उसने सख्ती से मना कर दिया। मैं समझ गया कि ये यहाँ ट्राई नहीं करना चाह रही, तो मैं नीलोफर को कहा आप बेफिक्र हो जाएं अगर आकार ठीक न हुआ तो आप बदली भी करवा सकती हैं मगर ब्रा खराब नहीं होना चाहिए बस एक बार पहन कर देखें अगर सही न लगे तो तुरंत उतार दें और कल मुझे वापस कर के कोई और ले जाएं। इस पर नीलोफर संतुष्ट हो गई और तीनो लड़कियाँ दुकान से चली गईं। 

उनके जाने के बाद और भी महिलाए और लड़कियाँ ब्रा देखने आईं मगर मेरे मन में बार बार शाजिया के मम्मे देखने की तड़प थी, जबकि मेरा दिल राफिया के मासूम रूप को भी बार बार याद कर रहा था। वह लड़की बिल्कुल कुछ नहीं बोली थी और काफी अंतर्मुखी थी। उसकी आकृति बार बार मेरी आँखों में आ रही थी। रात को दुकान बंद करने से पहले एक बार मैंने अपने कंप्यूटर पर दोपहर के समय का वीडियो निकालकर वीडियो का वह हिस्सा देखा जहां यह तीनो लड़कियां अपने लिए ब्रा खरीद रही थीं। एक कैमरा उनके ठीक सामने लगा हुआ था जिसमें राफिया और नीलोफर काफी स्पष्ट दिख रही थी जबकि शाजिया तो नज़र नहीं आ रही थी( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ) मगर उसके 34 डी मम्मे कैमरे में स्पष्ट थे। काफी देर तक राफिया को देखता रहा और 2 से 3 बार वीडियो देखने के बाद मैंने दुकान बंद की और घर वापस आ गया। रात भर मेरी सोच में कभी राफिया की मासूमियत घूमती रही तो कभी शाज़िया मम्मे। अगले दिन दुकान पर गया तो दुकान खोलने के थोड़ी देर बाद ही तीनों लड़कियां फिर से मेरी दुकान पर आ धमकी राफिया ने कल की तरह ही चादर ले रखी थी जबकि नीलोफर और शाज़िया के गले में महज दुपट्टा ही था। 

उनको देखकर मैंने एक मुस्कान से उनका स्वागत किया तो शाजिया ने कहा भाई यह नीलोफर का ब्रा तो ठीक था मगर मेरे ब्रा की थोड़ा फिटिंग सही नहीं कोई और दिखा सकते हैं ?? मैंने पूछा कि पहनने में जहां समस्या है बैंड छोटा है क्या? शाजिया कहा नहीं बैंड तो ठीक है मगर उसके कप एक समस्या कर रहे हैं, फिटिंग ठीक नहीं है उनकी। मैंने ब्रा पकड़ा और कहा आपने उसकी फिटिंग स्ट्रिप सेटिंग बदल कर चेक किया तो शाजिया कहा नहीं वो तो नहीं किया। मैंने पूछा कि फिटिंग सही न होने से आपका यही मतलब है न कि आपके बूब्स थोड़े लुढ़के हुए हैं इसमें ??? तो शाजिया ने थोड़ा शरमाते हुए और दबे होंठ मुस्कुराते हुए कहा हां यही मतलब है। मैंने ब्रा स्ट्रिप को सेट किया जो कंधे के पीछे मौजूद होती है। और शाज़िया को कहा अभी पहन कर देख लें अब यह सही रहेंगे शाज़िया ने कहा ठीक न हुआ तो मुझे फिर से आना होगा ??? मैंने कहा मिस मैंने आपको कल भी बताया था ट्राई रूम मौजूद है। आप बेफिक्र होकर ट्राई करें, मेरी और ग्राहक भी ट्राई कर ले जाती हैं। शाजिया ने नीलोफर को देखा जैसे उसकी सलाह लेना चाह रही हो नीलोफर ने कहा बंद रूम मे ट्राई इसमें कौन सी गलत बात है, चलो साथ चलती हूँ तुम्हारे शाजिया तुरंत चल पड़ी और उसने राफिया भी आवाज़ दी मगर राफिया कहा तुम जाओ मैं यहीं बैठी हूँ। 

वे दोनों ब्रा चेक करने चली गईं जबकि राफिया मेरे सामने सिर झुकाए खड़ी थी। मैंने कुछ देर उसको देखा तो उसको संबोधित किया कि आपको कुछ चाहिए ?? राफिया ने सिर उठा कर मेरी तरफ देखा और इनकार में सिर हिला कर पुनः नीचे सिर कर लिया। मैंने कहा कोई आभूषण आदि या सौंदर्य प्रसाधन का सामान? राफिया ने एक बार फिर ऊपर मेरी ओर देखा और बोली नहीं भाई मुझे कुछ नहीं चाहिए बस हम तीनों की दोस्ती है तो उनके साथ आ जाती हूँ, कुछ चाहिए होगा तो मैं बता दूंगी आपको। फिर मैंने राफिया को पीछे पड़े सोफे की ओर इशारा किया और कहा कि उन्हें थोड़ा समय लगेगा आप बैठ जाएं। राफिया ने छोटे सोफे देख कर जिसके दाएं और बाएं 2 स्टेचू पड़े थे जिनमें से एक पर सेक्सी अरबी पोशाक मौजूद था और दूसरे पर मॉर्डन नाइटी थी। राफिया ने कुछ सेकंड के लिए सेक्सी अरबी पोशाक वाले स्टेचू को देखा और फिर उससे कुछ दूरी रखते हुए सोफे के बीच में बैठ गई। मैंने पूछा मिस आपके लिए पानी मँगाऊ ??? राफिया ने अपने होंठों पर जीभ फेरी और बोली अगर सादा पानी पड़ा है तो वह पिला दें। मैंने साथ पड़े कूलर में से एक गिलास पानी भरा और काउन्टर से बाहर निकल कर राफिया के सामने आकर उसको पेश किया और खुद वहीं पर खड़ा उसको पानी पीते देखता रहा। राफिया ने आधा गिलास पानी पीकर पानी का गिलास वापस मुझे पकड़ा दिया और मैं वापस काउन्टर पर आकर खड़ा हो गया। 

फिर मैं राफिया से पूछा मिस आप कौन से कॉलेज में पढ़ती हैं ??? राफिया ने मेरी ओर देखा जैसे मुझे बताना न चाहती हो तो हल्की आवाज में बोली यहीं साथ ही कॉलेज है वहीं पढ़ती हैं हम। मैं ने भी पूछना उचित नहीं समझा। और अपने कंप्यूटर पर गेम खेलने बैठ गया। खाली समय में मेरा यही काम होता था। ट्राई रूम की मुझे कोई चिंता नहीं थी, क्योंकि मेरी आदत नहीं थी किसी भी ग्राहक को ब्रा ट्राई करते हुए देखने की, और दूसरी खास बात सभी कैमरों की रिकॉर्डिंग सुरक्षित होती थी मगर ट्राई रूम रिकॉर्डिंग में सुरक्षित नहीं करता था ताकि उसका मुझ सहित कोई दुरुपयोग न कर सके वह केवल लाइव देखने का विकल्प था और लाइव भी तब तक नहीं देखा था जब तक अंदर कोई गलत काम होने का शक न हो।


इसलिए शाजिया के मम्मे देखने की इच्छा होने के बावजूद मैंने ट्राई रूम गुप्त कैमरा ऑन नहीं किया और खेल खेलने में व्यस्त रहा। कुछ ही देर के बाद शाजिया और नीलोफर ट्राई रूम से बाहर आ गई तो मैंने पूछा जी अब सही है? तो शाजिया ने मुस्कुराते हुए कहा अब तो बहुत अच्छी फिटिंग बन गई है, बिल्कुल ठीक है। मैंने कहा यही फायदा होता है यहाँ पर ट्राई करने का अगर किसी को ब्रा फिट नहीं आता तो मैं उससे पूछ कर उसे यहीं फिटिंग कर देता हूँ और वही ब्रा जो पहले उन्हें फिट नहीं आ रहा होता वह फिट आ जाता है। उन दोनों को देखकर राफिया भी अपनी सीट से खड़ी हो गई और उसने भी पूछा कि ठीक हो गया, ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )नीलोफर ने उसके कान में हल्की आवाज में कहा अब तो बड़ी सेक्सी क्लीवेज़ भी बन रही है। राफिया ने उसे घूर कर देखा और दबे शब्दों में कहा धीरे बोलो। मगर वह खुद भी इतनी जोर बोली थी कि मुझे उसकी आवाज सुनाई दी थी। वह जाने लगी तो उनका शापर मेरे हाथ में ही था जिसमें वह ब्रा डाल कर लाई थीं, मैंने कहा मिस लाइए ब्रा इसी में डाल दूं, शाज़िया ने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर बोली वह तो मैंने पहना हुआ है तो यह पहले वाला इस मे डाल दो, यह कह कर उसने अपनी कमीज के नीचे हाथ डाला और वहाँ से ब्रा निकालकर मुझे पकड़ा दिया जो शायद उसने अपनी सलवार में फँसा लिया था यह देखकर मेरी हँसी निकलने को हो रही थी मगर मैंने बड़ी मुश्किल से हंसी पर काबू पाया लेकिन फिर भी मेरे चेहरे पर मुस्कान स्पष्ट थी जिसको महसूस करके भी शाजिया भी हल्की सी मुस्कुरा दी और खुद ही बोली कोई और जगह नहीं थी यह रखने के लिए। यह कह कर उसने मेरे हाथ से शापर पकड़ा और तीनों दुकान से चली गईं। फिर बहुत दिनों तक इन तीनों में से कोई मेरी दुकान पर नहीं आया लेकिन एक दिन फिर से सलमा आंटी फोन मुझे आया सलमा आंटी को तो भूल ही गया था और उनकी तरफ से काफी निराश था। सलमा आंटी ने एक बार फिर ब्रा लेने की फरमाइश की तो मैंने कहा आंटी अब तो आपकी अपनी दुकान है आप दुकान पर ही आकर देख लें। आंटी ने कहा नहीं बेटा तुम्हें तो पता ही है दुकानों पर नहीं जाती। मैंने कहा अरे आंटी यहाँ कोई गैर मर्द नही ही होगा, बस में होता हूँ और मेरी सभी ग्राहक औरतें हैं। और वैसे भी आप 2 बजे आ जाना , मैं 2 बजे ब्रेक करता हूँ और इस समय कोई ग्राहक नहीं होता दुकान पर तो तसल्ली से अपने लिए न केवल ब्रा देख सकती हैं बल्कि ट्राई रूम मे ब्रा पहनकर जाँच भी कर सकती हैं। सलमा आंटी ने कुछ देर सोचा और फिर कहा चलो कल ही आना होगा फिर, मैंने कहा जी जरूर आंटी आपकी अपनी दुकान है जब मर्जी आ जाना आप।


आंटी का फोन बंद हुआ तो मुझे एक बार फिर से बस वाली घटना याद आ गई जब सलमा आंटी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ कर अपनी गाण्ड में डाल लिया था। अगले दिन दुकान पर जाने से पहले मैंने विशेष स्नान किया और अपने लंड से अनावश्यक बालों की सफाई। की . न जाने क्यों मुझे लग रहा था कि आज सलमा आंटी की गाण्ड मारने का मौका मुझे मिलेगा। दुकान पर पहुंचकर मेरा लंड दोपहर तक खड़ा रहा। अलग अलग औरतें आती रहीं लेकिन मेरा लंड लगातार सलमा आंटी की चूत और गाण्ड को सलामी देने के लिए खड़ा ही रहा। दोपहर 2 बजने से कुछ देर पहले ही सलमा आंटी दुकान में आ गई तब दुकान में एक लड़की भी मौजूद थी जो अपने लिए एक नाइटी खरीद रही थी उसकी शायद शादी होने वाली थी इसलिए हनीमून के लिए वे अपने लिए सेक्सी नाइट खरीद रही थी। सलमा आंटी इस दौरान दुकान का निरीक्षण करती रहीं। कुछ देर बाद वह लड़की चली गई तो मैं काउन्टर से बाहर आया और काले शीशे का दरवाजा बंद करके मैंने दुकान बंद है का साइन बोर्ड लगा दिया। वापस आया तो सलमा आंटी वही स्टेचू देख रही थीं जो अरबी शैली की सेक्सी ड्रेस पहना हुआ था। मुझे वापस आता देखकर सलमा आंटी बोलीं, वाह भई तुम्हारे तो मजे हैं, कैसी कैसी जवान लड़कियाँ आपसे नाइटी खरीदने आती हैं। मैंने तुर्की ब तुर्की उत्तर दिया, क्या खाक मज़े हैं आंटी, वह बस वाली घटना अब तक नहीं भुला में, बस का आनंद तो तब होता जब आप फिर भी ........ यह सुनकर आंटी थोड़ा शर्मिंदा होते हुए बोलीं, वह तो बस में झटके काफी लग रहे थे इसलिए।
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12-09-2018, 01:43 PM,
#14
RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
आंटी थोड़ा शर्मिंदा होते हुए बोलीं, वह तो बस में झटके काफी लग रहे थे इसलिए।। । । । वरना मैं कभी किसी के साथ ऐसी हरकतें नहीं की। उनकी बात सुनकर मैंने मन ही मन में आंटी की शालीनता की दाद दी और फिर आंटी से पानी का आदि पूछा, लेकिन आंटी ने कहा नहीं पानी नहीं बस तुम मुझे अच्छे-अच्छे ब्रा दिखा दो। फिर आंटी ने बाहर देखा और बोलीं कब तक दुकान बंद रखे हो तुम? मैंने कहा आंटी आप बेफिक्र हो जाएं जब तक आप दुकान में हैं दुकान नहीं खुलेगी। वैसे 4 बजे तक खोलता हूँ फिर से तसल्ली से चेक करें। यह कह कर मैंने एक स्टेचू बताया जिस पर लाल रंग की पट्टी लगी हुई थी, मैंने कहा आंटी कोई ऐसी नाइटी आदि भी लेंगे आप या बस ब्रा ही लेने हैं। आंटी ने पहले नाइटी देखी और फिर मेरी सलवार को देखा जहां लंड सिर उठाए खड़ा था और बोलीं नहीं ऐसी नाइट तो नहीं लेकिन यह जो अरबी शैली की है यह मुझे पसंद आ रही है। मैंने कहा आंटी यह तो बहुत अच्छी है, मुनब्बर अंकल के होश उड़ जाएंगे। आंटी हंसी और कहा चल शैतान ... फिर बोलीं ले तो लूं, लेकिन मेरा शरीर थोड़ा वजनी है यह अच्छी नहीं लगेगी मेरे शरीर पर। मैंने कहा अरे आंटी ऐसे कैसे आपको आपके आकार के अनुसार दिखाऊंगा, अच्छी लगेगी आप पर। यह कह कर वापस काउन्टर पर आ गया, आंटी की नजरें तो मैंने देख ही ली थीं जो मेरे लंड को देख रही थीं जो सुबह से ही सलमा आंटी के इंतजार में खड़ा था, मगर आज मुझे लंड खड़ा होने से कोई हिचक नहीं थी क्योंकि मैं जानता था कि जो मज़ा सलमा आंटी ने बस में मेरे लंड से लिया था ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )वह मज़ा वह कभी भूली नहीं होंगी और मौका मिलने पर फिर भी मज़ा ज़रूर लेंगी और आज भी उनकी प्यासी नज़रें मेरी सलवार मे मेरे लंड का उभार देख रही थीं। मुझे आंटी के आकार का तो पता ही था, मैंने 38 आकार के ब्रा निकाल कर आंटी के सामने रखे और आंटी को कहा पसंद कर लें इसमें से फिर आपको ट्राई भी करवाता हूँ। आंटी ने उनमें से एक ब्रा उठाया और बोलीं कहां है तुम्हारा ट्राई रूम ?? मैंने आंटी को कहा आंटी दुकान में आपके और मेरे अलावा कोई नहीं यहाँ तो ट्राई रूम में मुंह दूसरी तरफ करता हूँ ब्रा चेक कर लें। आंटी ने मेरी ओर देखा और बोलीं आप अधिक चालाक नहीं बन रहे ??? मैं जोर से हंसा और बोला बस आंटी आप हैं ही इतनी सुंदर आपके साथ चालाकियाँ करने का मन करता है। यह कह कर मैंने आंटी को ट्राई रूम दिखाया, आंटी ट्राई रूम मे गईं और मैंने काउन्टर में आकर ट्राई रूम का कैमरा ऑन कर लिया। जैसे ही कंप्यूटर स्क्रीन पर ट्राई रूम दृश्य आया ... मेरे होश उड़ गये



आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या अहसास था, आंटी का चेहरा छिपे हुए कैमरे से ही था और इस बात से बेखबर कि अंदर कैमरा लगा हुआ है आंटी ब्रा उतार कर नंगे मम्मे मे दूसरे ब्रा को पलट कर देख रही थीं। 40 साल की उम्र में भी आंटी के 38 साइज़ के मम्मे काफी तने हुए थे और उन पर बड़े बड़े निपल्स .... उफ़ एफ एफ एफ ...... मेरा हाथ सीधा अपने लंड पर चला गया था। फिर आंटी ने वह ब्रा पहना और सामने लगे शीशे में उसकी फिटिंग देखने लगीं। मैं यह सारा दृश्य देख रहा था। और मेरा लंड आंटी के तने हुए मम्मों को सलामी दे रहा था। मैंने नोट किया कि यह ब्रा थोड़ा लुढ़का हुआ लग रहा था इतने में आंटी की आवाज़ भी आ गई कि बेटा यह थोड़ा ढीला है। इससे थोड़ा छोटा आकार दिखा। मैं तुरंत ट्राई रूम के पास पहुंच गया और कहा आंटी यह बिल्कुल ठीक है आप के आकार के अनुसार है बस आप उसकी स्ट्रिप सेटिंग,कर लें तो फिट हो जाएगा आगे। आंटी ने कहा कि तुम पहले लाए थे वे ठीक थे, यह सही नहीं लग रहा मुझे। मैंने बाहर खड़े होकर ही कहा आंटी जो पहले लाया था वे लोकल थे उनमे ब्रा फिट करने की स्ट्रिप नहीं होती ये इपोर्टेड ब्रा है इसको अपने आप फिट कर सकते हैं। आंटी ने कहा मुझे तो पता नहीं लग रहा कैसे करना है।


मैंने आंटी को कहा तो दरवाजा खोलो में सेट कर देता हूँ। आंटी ने कहा रुको में उतारकर तुम्हें देती हूँ। मैंने कहा नहीं आंटी उतारकर नहीं, आप पहने रखें, मैं ऐसे ही फिट कर दूंगा। चिंता मत करो अंदर नहीं आता पर। यह सुनकर अंदर कुछ देर सन्नाटा रहा और फिर आंटी ने हल्का सा दरवाजा खोल दिया। दरवाजा इतना खुला था कि मैं में अंदर प्रवेश नहीं कर सकता था। मैंने आंटी को कहा आंटी थोड़ा तो खोलिए दरवाजा ताकि मैं फिटिंग तो कर सकूँ। अब आंटी ने मुंह दूसरी तरफ कर लिया और कमर मेरी ओर करके थोड़ा सा दरवाजा और खोला। आंटी की पूरी कमर मेरे सामने नंगी थी, कंधे से लेकर नीचे सलवार तक आंटी की गोरी गोरी कमर देखकर दिल किया कि अब अपनी जीब निकालकर उसकी कमर को चाटना शुरू कर दूं, लेकिन मैंने अपने ऊपर नियंत्रण रखा और आंटी को कहा आंटी आगे ढीली है न? आंटी ने कहा हां। उनकी आवाज कांप रही थी। मैंने कहा आंटी अपना सीना मेरी ओर करो मैं देखूं तो सही कि कितना ढीला है। आंटी ने एक अनिच्छासे मुंह मेरी ओर किया तो मैंने बिना समय बर्बाद किए अपने दोनों हाथ उनके बड़े बड़े मम्मों पर रख दिए,( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम ) मैं जानता था कि ऐसा मेरे लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन जो औरत खुद मेरा लंड पकड़ कर अपने चूतड़ों में फंसाकर अपनी चूत का पानी निकलवा ले भला उससे डरने की क्या जरूरत थी। मैंने जैसे ही आंटी के बूब्स पर हाथ रखा उनके मुंह से एक सिसकी निकली और उन्होंने मेरे हाथों पर हाथ रखकर उन्हें हटाना चाहा और बोली नहीं करो सलमान ऐसे। मैंने कहा आंटी मैं देख रहा हूँ कितना ढीला है। यह कह कर मैंने धीरे से आंटी के बूब्स को दबा दिया। वाह क्या मम्मे थे, दिल किया कि अब ब्रा उतारूँ और अपना लंड इन नरम नरम मम्मों में डाल चुदाई शुरू कर दूं। फिर मैंने आंटी को कहा आंटी अब अपना मुंह दूसरी तरफ कर लें। मैंने आंटी के बूब्स से हाथ हटा लिए थे, आंटी ने मुँह दूसरी ओर किया तो मैंने आंटी के ब्रा स्ट्रिप कंधों से थोड़ी टाइट कर दी जिससे ब्रा ने आंटी के बूब्स को आराम देना शुरू कर दिया। मैंने पीछे खड़े खड़े ही आंटी के पास होकर हाथ आगे किया और उनके मम्मे पकड़ कर धीरे से दबाए और कहा आंटी अब ठीक है फिटिंग ??? आंटी ने काँपती हुई आवाज कहा अब सही है।



इस दौरान मेरी सलवार मे मेरालंड जो सुबह से ही खड़ा था उसने आंटी की गाण्ड पर दस्तक देना शुरू कर दिया था। अब पता नहीं आंटी ने ब्रा फिटिंग के बारे में कहा था कि सही है या फिर अपनी गाण्ड पर मेरे लंड को महसूस करके कहा था कि यह ठीक है। मैं आंटी से पूछे बिना ही पीछे से उनके ब्रा हुक खोल कर ब्रा उतार दिया। और कहा आंटी आप यहीं रुकिये मैं और ब्रा लेकर आता हूँ। वह ब्रा मैंने अंदर ट्राई रूम में ही हुक पर लटका दिया और बाहर से एक और सेक्सी नेट वाला ब्रा उठा लाया। आंटी अपने बूब्स पर हाथ रखकर उन्हें छिपाने की कोशिश कर रही थीं मगर उनके बड़े बड़े मम्मे इस तरह छुपा पाना संभव नहीं था। मैंने आंटी के बूब्स पर ब्रा कपस रखे और खुद आंटी को ब्रा पहना कर उनकी हुक बंद किए और फिर से आंटी का चेहरा अपनी ओर किया और उनका सीना देखने लगा। ब्रा तो उनके सीने पर बहुत सुंदर लग रहा था और ऊपर से उनके बड़े बड़े मम्मों में गहरी लाइन जो क्लीवेज़ बना रही थी वो मेरे होश उड़ा रही थी। एक बार फिर से मैं आंटी के पीछे गया और उनके ब्रा स्ट्रिप को अकारण ही टाइट कर दिया हालांकि इस ब्रा की फिटिंग सही थी। ब्रा थोड़ा टाइट करके मैंने फिर अपने दोनों हाथ पीछे से ही उनके मम्मों पर रख दिए और इस दौरान अपने लंड का रुख आंटी की गाण्ड से कर लंड आंटी के चूतड़ों में डाल दिया जिससे आंटी की एक बार फिर सिसकी निकली।


मैंने आंटी की गाण्ड पर अपने लंड का दबाव बढ़ाया और आंटी के मम्मे दबाते हुए बोला आंटी यह ब्रा ठीक लग रहा है ??? आंटी ने सिसकते हुए कहा हां बेटा, मगर थोड़ा अधिक टाइट हो गया है। मैंने कहा कोई बात नहीं आंटी इस तरह आपके मम्मे ऊपर उठे रहेंगे और कमीज से आपके उठे हुए मम्मे नजर आएंगे तो मुनब्बर अंकल का तो तुरंत ही खड़ा हो जाएगा। मैंने जानबूझकर मम्मों शब्द का इस्तेमाल किया था आंटी के सामने ताकि जो थोड़ा बहुत नाटक वह कर रही थीं वह भी खत्म हो जाए। मेरी बात सुनकर आंटी बोलीं, वह तो ठीक है मगर तुम्हारे अंकल के पास इतना समय ही नहीं होता कि मुझे देखकर उनका खड़ा हो ... ..... यह सुनकर मुझे समझ लग गई थी कि उस दिन बस में आंटी को इतनी मस्ती क्यों चढ़ी थी, मुनब्बर अंकल आंटी की चुदाई पूरी तरह नहीं करते थे इसलिए आंटी ने उस दिन सार्वजनिक जगह पर मेरा लंड पकड़ कर अपने चूतड़ों में फंसा लिया था। आंटी की बात सुनकर मैंने कहा चलिए अंकल को छोड़ दो आपने पीछे लग रहा है, मेरा लंड आपके मम्मे देख कर खड़ा हो चुका है। आंटी ने हल्की सी आवाज़ से कहा, हां वह तो महसूस हो ही रहा है मुझे, तुम्हें शर्म नहीं अपनी आंटी को देख कर खड़ा कर लेते हो।
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12-09-2018, 01:44 PM,
#15
RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान

मैंने कहा आंटी उस दिन बस में जब से आप ने अपने हाथ में पकड़ा है तब से मेरी और मेरे लंड की तो हालत बुरी है, कैसे न खड़ा हो तो आपको देखकर। इस बीच आंटी के चूतड़ों को पकड़ कर अपना लंड आगे कर चुका था, आंटी ने मेरी बात सुन कर कहा, तुम्हारा पहले से ही खड़ा था और बार बार मेरे पीछे स्पर्श हो रहा था इसीलिए तो पकड़ा था। मैंने कहा आंटी आपके नितंबों हैं ही इतने जबरदस्त कि हर आदमी का लंड आपको देख कर खड़ा हो जाए, यह कह कर मैंने अपने दोनों हाथों से एक बार फिर आंटी के मम्मे पकड़ लिए और उन्हें जोर से दबा दिया और अपनी जीभ निकाल कर आंटी की कमर को चाटना शुरू कर दिया। मेरी इस हरकत से आंटी को मस्ती चढ़ गई थी, आंटी ने कहा अभी तो मेरी उम्र अधिक हो गई है तुम मुझे जवानी में देख लेते तो मेरे पतले शरीर पर मेरे ये बड़े मम्मे और बाहर निकले हुए चूतड़ देख कर तुम सलवार में ही झड जाते, अब तो मेरा बदन काफी मोटा हो गया है। 


मैंने कहा आंटी आपकी जवानी का तो पता नहीं, मगर आज भी आप किसी जवान हसीना से कम नहीं, आपके निकले हुए चूतड़ देख कर तो आपकी गाण्ड मारने का मन करता है और आपके 38 मम्मे देख कर मुंह में तो पानी आता ही है, लंड पर भी पानी की बूंदे आना शुरू हो जाती हैं। यह कह कर मैंने के आंटी ब्रा की हुक खोल दी और आंटी का ब्रा उतार दिया। ब्रा उतार कर मैंने पीछे खड़े खड़े ही आंटी के बूब्स को अपने हाथ में पकड़ लिया और उन्हें धीरे धीरे मसलने लगा। जिससे आंटी की मस्ती में अधिक वृद्धि हो रही थी मैं आंटी की कमर चाटने के साथ साथ अपने लंड को धीरे धीरे आंटी के चूतड़ों में हल्के हल्के धक्के भी लगा रहा था और आंटी के बूब्स को भी हाथ में पकड़ कर दबा रहा था। आंटी के मम्मे इतने बड़े थे कि मेरे हाथों में पूरे नहीं आ रहे थे। मगर एक बात थी कि आंटी के चूतड़ों में फंसा लंड और आंटी के नरम नरम मम्मे जो मज़ा दे रहे थे वह मजा तो मेरी पड़ोसी लड़की को चोदने मे भी नहीं आता था जिसकी उम्र अभी सिर्फ 20 या 21 साल थी और जवानी की आग उसकी चूत में लगी हुई थी। मगर उसको चोदने मे भी कभी ऐसा मज़ा नहीं आया था जो अभी कपड़े उतारे बिना ही आंटी से सेक्स करने मे आ रहा था। कुछ देर तक आंटी अपने चूतड़ों में लंड के मजे लेती रही, इस दौरान आंटी की सांसें अभी से बहाल हो चुकी थी और उन्हें जो पहले थोड़ी झिझक थी अब वह नहीं रही थी बल्कि वह अब रिलैक्स हो गईं थीं। फिर आंटी ने अपने मम्मों से मेरा हाथ हटाया और मेरी ओर मुड़ कर बोलीं उन्हें दबाते ही रहोगे या इनमे से दूध भी पीओगे ? 


मैंने कहा क्यों नहीं आंटी, मैं तो पता नहीं कब से आपके मम्मों से दूध पीने के लिए तरस रहा हूँ, यह कह कर मैं थोड़ा नीचे झुका और आंटी के बूब्स पर अपना मुँह रख कर उनके निपल्स को चूसने लगा। आंटी के बूब्स पर निपल्स जवान लड़कियों की तरह छोटे नहीं थे वे आकार में थोड़े बड़े थे, मगर उन्हें चूसने का मज़ा बहुत आ रहा था। जैसे ही मैंने आंटी के मम्मे चूसना शुरू किए आंटी ने मेरे लंड पर अपना हाथ रख लिया और बोलीं लगता है तेरी सलवार में यह हथियार खासा मजबूत और बड़ा है, एक बार चेक तो करने दे कि कैसा माल है तेरी सलवार में। मैं आंटी के बूब्स से मुंह हटाया और कहा आंटी आप पहले एक बार यह हथियार चेक करो फिर आपकी चूत और गांड दोनों ही इस हथियार की दीवानी हो जाएंगी और आप बार बार मेरे पास आकर चुदाई करवाया करोगी। यह कह कर मैंने फिर से अपना मुंह आंटी के बूब्स पर रख कर उनके निपल्स चूसना शुरू कर दिए और आंटी ने सलवार के ऊपर से ही मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसकी पैमाइश शुरू कर दी। मेरे लंड को अच्छी तरह टटोलने के बाद आंटी ने पूछा तेरा आकार तो किसी हटे कटे पुरुष के लंड के आकार जितना लगता है मगर तेरा रूप देखकर नहीं लगता कि तुम्हारे पास इतना बड़ा लोड़ा होगा। आंटी ने थोड़ी देर मेरे लंड को सलवार के ऊपर से ही मुठ मारी और फिर बोलीं, तेरे अंकलसे तो बड़ा ही लग रहा है यह क्या आकार है उसका ?? मैंने फिर आंटी के निपल्स छोड़े और आंटी को कहा केवल 8 इंच का है आंटी यह।

8 इंच सुनकर आंटी की आँखें खुली की खुली रह गईं और बोलीं बाप रे, तेरे अंकल का तो केवल 6 इंच का है, दिखा तो सही जरा वाकई 8 या ऐसे ही बकवास कर रहा है, यह कह कर आंटी ने खुद ही मेरी सलवार का नाड़ा खोला, सलवार एक झटके से नीचे उतर गई तो आंटी ने मेरी कमीज ऊपर उठा कर मेरे 8 इंच के लंड पर नज़र मारी। कुछ देर वह बिना आंखें झपकाए मेरे लंड को देखती रहीं, फिर उन्होंने मेरी ओर देखा और उसके बाद फिर से लंड को देखने लगीं। मैंने कहा क्यों आंटी कैसा लगा आपको मेरा लंड?

आंटी ने कहा बहुत ही मस्त है यह तो आज तक ऐसा लंड नहीं देखा मैंने, यहाँ तो तेरे अंकल के 6 इंच लंड है, वो भी काफी समय से नसीब नहीं हुआ, या फिर उनके छोटे भाई का 7 इंच का लंड है जो 3, 4 महीनों के बाद एक बार मिलता है। मैंने आश्चर्य से आंटी को देखा और आश्चर्य से पूछा आंटी क्या आप अपने देवर से भी चुदाई करवाती हैं ?? आंटी ने कहा हां तो और जब तेरे अंकल महीनों महीनों मेरी चूत को देखेंगे ही नहीं तो किसी ना किसी के लंड से तो मुझे अपनी प्यास बुझानी ही है न। मैंने कहा आंटी पहले बताती न तुम, मेरे होते हुए आपको इतना इंतजार करने की क्या जरूरत थी, बस अब आपका जब मन करे, तो यहाँ आकर मुझ से चुदाई करवा सकती हैं। इस लंड को अपना लंड ही समझें। आंटी ने कहा अब तेरे लंड की खैर नहीं, ऐसे सवारी करूंगी तेरे लंड पर कि तू जवान और गर्म चूतों को भूल जाएगा और अपनी आंटी की चूत का दीवाना हो जाएगा। 


यह कह कर आंटी नीचे बैठ गई और मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। मैंने कहा आंटी यहाँ ठीक से मज़ा नही आ रहा है, बाहर चलते हैं। आंटी ने कहा पागल हो? लोग बाहर से अंदर देखेंगे, मैंने कहा आंटी बेफिक्र हो जाओ, अंदर से तो बाहर दिखाई देता है पर बाहर से अंदर दिखाई नहीं देगा। आंटी ने कहा सोच लो, अगर कहीं से भी अंदर नजर पड़ गई तो यहीं जूते पड़ जाने हैं तुम्हें भी और मुझे भी। मैंने कहा आंटी बेफिक्र हो जाओ कुछ नही होता, यह कह कर मैंने अपनी कमीज उतार दी और नंगा ही बाहर आने लगा। आंटी भी मेरी पीछे बाहर आ गई, बाहर आकर सोफे पर पैर फैलाकर बैठ गया, आंटी मेरे सामने जमीन पर बैठ गई और मेरा लंड पकड़ कर उस पर पहले अपने मुंह में थूक का गोला बनाकर उस पर फेंका और फिर दोनों हाथों से मेरा 8 इंची लंड पकड़ कर उसे अपने थूक से मालिश देने लगीं। थोड़ी देर तक आंटी अपने दोनों हाथों को घुमा घुमा कर मुझे मज़ा देती रही, आंटी का एक हाथ लंड की टोपी को पकड़ता और दूसरा हाथ नीचे होता,और फिर अपने दोनों हाथों को ऐसे घुमाती जैसे कपड़े निचोड़ने के लिए हाथ घुमाया जाता है, और इसी तरह हाथ घुमा कर नीचे ले आतीं। आंटी यह काम बहुत कौशल से कर रही थीं। 

थोड़ी देर तक मेरे लंड की घुमा घुमा कर मुठ मारने के बाद आंटी डागी स्टाइल में मेरे सामने बैठ गईं, उन्होंने अपने दोनों हाथ जमीन पर रख लिए थे और घुटने भी जमीन पर लगे हुए थे और मेरा लंड अब आंटी के मुँह में था। आंटी को चुसाइ लगाने में भी खासी महारत हासिल थी। आंटी शरप शरप की आवाज के साथ मेरे लंड पर अपना मुँह ऊपर नीचे करके सेक्सी दुकान के वातावरण को और सेक्सी बना रही थीं। मैंने आंटी के बाल उनकी गर्दन पर इकट्ठे करके अपने हाथ में पकड़ लिए थे और मैं भी आंटी के बाल खींच खींच कर उन्हें चुसाइ लगाने पर उकसा रहा था जिससे आंटी की मस्ती में अधिक वृद्धि हो रही थी आंटी की गर्म गर्म सांसें, और थूक से भरा मुंह, मेरे लंड को बहुत मज़ा दे रहे थे। फिर आंटी ने अपनी जीभ बाहर निकाली और मेरे लंड की टोपी पर अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगी। मेरी टोपी की बनावट भी बहुत अच्छी थी जिस पर आंटी अपनी जीब फेर फेर कर मुझे मज़ा दे रही थीं, 5 मिनट तक आंटी मेरे लंड की चुसाइ लगाती रहीं तब मैंने आंटी को कहा आंटी अब अपनी चूत भी दिखा दें मुझे तो मैं भी उसे थोड़ा प्यार कर सकूँ। आंटी ने कहा पहले मुझे इस जवान घोड़े को दिल खोलकर प्यार करने दे, तू ने सिर्फ़ मेरे लिए अपने बाल साफ किए हैं ना आज? मैंने कहा जी आंटी मुझे पूरा यकीन था कि आज मेरा इंतजार खत्म होगा और आपकी चिकनी चूत और टाइट गाण्ड में मेरा यह घोड़ा सरपट दौड़ कर जाएगा। आंटी ने फिर से लंड चूसा और बोलीं दुर्लभ का लंड तो हमेशा बालों से भरा रहता है उसको चूसने में बहुत मज़ा नहीं आता जितना मज़ा आज तेरा यह तगड़ा और सॉफ सुथरा घोड़ा दे रहा है। 

मैंने कहा आंटी आपका अपना ही लंड है जब आप आदेश करेंगी आप से चुसाइ लगवा लूँगा मगर इस समय मुझे आपकी चूत देखनी है। यह सुनकर आंटी ने मेरा लंड छोड़ा और मेरे सामने खड़ी हो गईं। मैं थोड़ा आगे बढ़ा और आंटी की सलवार एक ही झटके में उनके घुटनों तक उतार दी। मेरे चेहरे के बिलकुल सामने आंटी की चूत थी जो बिल्कुल साफ था, आंटी ने भी शायद यहाँ आने से पहले ही अपनी चूत की सफाई की थी, मैंने आंटी की तरफ देखा और फिर आंटी की चूत पर एक प्यार भरा चुंबन करके आंटी को कहा आंटी आप ने भी ख़ास मेरे लिए ही अपनी चूत की सफाई की है ना ?? आंटी ने कहा, हां, दुर्लभ और मुनब्बर ने तो कभी चूत देखी ही नहीं वह तो सीधा अपना लंड ही चूत में डालते हैं, लेकिन मुझे पता है आजकल के नौजवानों को चूत चाटने का बहुत शौक होता है इसलिए ख़ास तेरे लिये चूत को बालों से साफ करके आई हूँ। मैंने आंटी की तरफ देखा और कहा आंटी आपको कैसे पता कि युवाओं को चूत चाटना पसंद है ?? दुर्लभ अंकल के अलावा भी है कोई ??? आंटी खिसियानी होकर हँसी और बोलीं हां मोहल्ले का एक लड़का है, सप्ताह मे आकर मेरी चूत को प्यार करता है और गांड को चोदता है। मगर उसका लंड भी तेरे लंड जैसा नहीं। 6 इंच का ही है उसका लंड मगर चूत की प्यास बुझ जाती है उससे . 

मुझे भला इससे क्या लेना देना था कि आंटी किस किस से चुदवाती हैं, मैंने मन ही मन में अपनी चुदक्कड़ आंटी को दाद दी और अपनी जीभ निकाल कर उनकी चूत पर फेरने लगा। आंटी की नरम और मुलायम चूत पर अपनी जीभ फेरने के बाद मैंने अपनी ज़ुबान आंटी की चूत के लबों में प्रवेश करा दी जहां आंटी की चूत का गाढ़ा पानी लगा हुआ था। स्वाद तो इतना अच्छा नहीं था, थोड़ा कड़वा और कसैला स्वाद था आंटी की चूत का, परंतु उसकी गर्मी ने मुझे अपनी जीब हटाने नहीं दी और लगातार आंटी की चूत को चाटता रहा। आंटी की मस्ती बढ़ती जा रही थी और आंटी ने अब मुझे सिर से पकड़ रखा था और मुझे अपनी चूत की तरफ धकेल कर सिसकियाँ ले रही थीं। आह ह ह ह ... आह ह ह ह ... जोर से चूस बेटे मेरी चूत को अपनी आंटी की चूत को आह ह ह ह ह ..... जीब फेर अंदर जोर से ..... और जोर से .... आह ह ह ह ह ह ह एफ एफ एफ एफ .... आह ह ह ह ह, आह ह ह ह आह ह ह ह ... आंटी की सिसकियाँ तेज होती जा रही थीं और फिर अचानक आंटी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत के साथ लगा लिया और तभी आंटी के ज्वालामुखी ने लावा उगलना शुरू कर दिया। मैं समझ गया था कि आंटी छूटने वाली हैं लेकिन मैंने पहले ही अपना मुंह बंद कर लिया था क्योंकि आंटी की चूत का पानी पीने का मेरा कोई इरादा नहीं था। मगर आंटी के गरम पानी ने मेरा सारा चेहरा भिगो दिया था कि मैं ने आंटी की सलवार से ही साफ किया जो कि अभी तक उन्होंने पहन रखी थी।
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12-09-2018, 01:44 PM,
#16
RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
चेहरा साफ करने के बाद मैं खड़ा हो गया और आंटी को कहा आंटी अब तैयार हो जाएं आपकी चूत आज पहली बार 8 इंच लंड लेने के लिए तैयार है। आंटी ने तुरंत ही अपनी सलवार उतार दी और कहा, बिल्कुल भी लिहाज नहीं करना मेरा, बस पहले धक्के से ही जानदार चुदाई शुरू कर दे कि तेरी आंटी तेरी दासी बन जाए। मैंने आंटी को काउन्टर की तरफ मुँह करने को कहा, आंटी ने अपना मुँह काउन्टर की ओर मुंह किया और काउन्टर पर अपनी कोहनी लगाकर थोड़ा झुक गई और अपने चूतड़ बाहर निकाल लिए। मैंने अपना 8 इंच का लंड अपने हाथ में पकड़ और टोपी आंटी की चूत पर सेट की और एक जोरदार धक्का लगाया तो मेरा 6 इंच लंड आंटी की चूत में उतर गया और महज 2 इंच ही बाहर रहा, मेरे धक्के के साथ ही आंटी ने एक चीख मारी, मगर चीख मारने के तुरंत बाद आंटी बोलीं, शाबाश बेटा, बहुत जान है तेरे लंड में चोद आज अपनी आंटी को जोर से। मैंने कहा आंटी अभी तो पूरा लंड अंदर नहीं गया, अगले धक्के में पूरा लंड जाएगा अंदर। आंटी बोलीं फिर इंतजार क्यों कर रहा है डाल दे न पूरा लंड अपनी आंटी की प्यासी चूत में। 


मैंने लंड बाहर निकाला महज टोपी ही चूत के अंदर रहने दी और आंटी को चूत टाइट करने को कहा। आंटी ने चूत को टाइट किया तो मैंने पूरे जोर के साथ आंटी की चूत में धक्का लगाया। आंटी की चूत की पकड़ में वह मजबूती नहीं थी जो मेरी पड़ोसन की चूत में थी, मगर फिर भी चूत टाइट करने का यह फायदा हुआ कि मेरा 8 इंच लंड आंटी की चूत को चीरता हुआ उनकी गहराई तक उतर गया और उसके बाद फिर से आंटी की चीख निकली। इस चीख में पहले की तुलना में दर्द थोड़ी अधिक थी। मगर मैंने बिना रुके फिर लंड वापस खींचा और अगला जानदार धक्का लगाया जिससे आंटी की फिर चीख निकले। फिर मैंने बिना रुके आंटी की चूत में अपना इंजन स्टार्ट करके लंड चौथे गियर में डाल दिया और धक्के पे धक्का लगाना शुरू कर दिया जिससे कुछ देर हल्की चीखें मारने के बाद अब आंटी की सिसकियों से मेरी दुकान गूंज रही थी। 

मेरे हर धक्के पर आंटी के मोटे चूतड़ मेरे शरीर से टकराते तो कमरे में धुप्प धुप्प की आवाज पैदा होती। धुप्प धुप्प की आवाज के साथ आंटी की चिकनी चूत में मेरा लंड पिचक पिचक की आवाजें भी उसके मुँह से निकलवा रहा था और इन दोनों आवाज के साथ आंटी आह ह ह ह, आह ह ह ह ह, आह ह ह ह आह, आह, आह आह, उफ़ एफ एफ एफ एफ एफ, उफ़ एफ एफ एफ एफ, आह ह ह ह, आह ह ह ह ह, आह ह ह ह ह की आवाजों ने माहौल को बहुत सेक्सी बना दिया था। 5 मिनट तक मैं आंटी को इसी तरह फुल स्पीड से चोदता रहा। फिर मैंने आंटी की चूत से लंड निकाल लिया और खुद सोफे पर बैठ गया। सोफे पर बैठ कर मैंने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला ली और आंटी को कहा कि मेरी गोद में बैठ जाएं। आंटी ने मेरी बात समझी और सोफे पर चढ़ कर मेरी गोद में बैठने लगीं तो मैंने कहा नहीं आंटी ऐसे नहीं, दूसरी ओर मुंह कर लें अपना और बस अपनी गाण्ड मेरी गोद में रख दें। आंटी मेरी फैली हुई टांगों के बीच आ गई और मेरी तरफ अपनी कमर करके अपनी गाण्ड मेरे लोड़े ऊपर रख दी। मैंने अपने लंड की टोपी को आंटी की चूत के निशाने पर रखा और उन्हें चूतड़ों से पकड़ कर एकदम नीचे गिरा दिया जिससे मेरा सारा लंड आंटी की चूत में उतर गया। फिर मैंने आंटी को उछलने को कहा तो आंटी ने अपने दोनों हाथ मेरे मज़बूत पैरों पर रख दिए और थोड़ा ऊपर होकर अपनी गाण्ड को हवा में उछालने लगी। आंटी की गति तो ज्यादा तेज नहीं थी, मगर मुझे इस तरह चोदने में बहुत मज़ा आता था कि जब औरत खुद मेरी गोद में बैठ कर अपनी चुदाई करवाए। 

आंटी शायद 2 मिनट ही इस तरह अपनी चुदाई करवा पाईं और फिर उनकी पैर थक गये तो वह मेरी गोद में बैठ गईं, मगर मेरे लंड ने उनको चैन से नहीं बैठने दिया, उन्होने खुद ही अपनी गाण्ड को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया जिस मेरा लंड उनकी चूत में चक्र की तरह घूमने लगा। और उनकी चूत की हरसाईड पर रगड़ लगने से मेरी टोपी को भी मज़ा आने लगा। कुछ देर आंटी इसी तरह अपनी गाण्ड घुमा घुमा कर मेरे लंड के मजे लेते रहीं फिर मैंने आंटी को अपनी गाण्ड ऊपर उठाने को कहा तो आंटी ने फिर मेरे पैरों का सहारा लेकर अपनी गाण्ड ऊपर उठाई तो मैं नीचे से अपने चूतड़ हिलाने किया और आंटी की चूत में अपने लंड मशीन चला दी। इस तरह आंटी को चुदाई का अधिक मज़ा आ रहा था क्योंकि खड़ा होकर चुदाई के समय आंटी ने अपनी टाँगें खोल रखी थी, लेकिन अब मेरी गोद में बैठ कर आंटी पैर आपस में मिली हुई थी जिसकी वजह से उनकी चूत टाइट हो रही थी और टाइट चूत में जब 8 इंच का लोड़ा अपने धक्के लगाएगा तो मजे की तीव्रता से सिसकियाँ तो निकलेंगी ही यही हाल सलमा आंटी का हो रहा था। अब मेरे धक्कों की गति तूफानी हद तक तेज हो चुकी थी। और आंटी की चिकनी चूत टाइट होने के कारण मेरे लंड की रगड़ से आग का गोला बनी हुई थी। और अगले 2 मिनट से अधिक धक्कों के कारण आंटी की चूत ने आग पर पानी डालकर बुझाने की कोशिश की। आंटी की चूत ने गरम पानी से मेरे लंड को नहला दिया था। आंटी की चूत से पानी वर्षा मेरे काउन्टर तक गई और काउन्टर पर अपने प्यार की निशान छोड़ गया। 

अब मैंने आंटी को अपनी गोद से उठाया और उन्हें सोफे पर घोड़ी बनने को कहा। आंटी सोफे पर बैठ गई और अपने हाथों और घुटनों के सहारे सोफे पर घोड़ी बन गई और अपनी गाण्ड बाहर निकाल ली। मैंने आंटी के मोटे-मोटे चूतड़ों को हाथ से पकड़ कर उन पर 2,4 हाथ मारे जिनकी गूंज पूरी दुकान में सुनाई दी। फिर मैंने आंटी की गाण्ड में उंगली डाल कर उसके आकार का अनुमान लगाया आंटी की गाण्ड थी तो काफी टाइट मगर कुंवारी बिल्कुल नहीं था, उसमें जाने कितने पहले भी लंड जा चुके थे इसलिए मैंने अपने आपको उसको अधिक चिकना करने मे परेशान नहीं किया, बल्कि अपने लंड ऐसे ही आंटी की गाण्ड के छेद पर रख दिया, मुझे पता था कि लंड बहुत आसानी से अंदर चला जाएगा क्योंकि मेरे लंड पर आंटी की चूत से निकलने वाला पानी भी था जिसकी वजह से मेरा लंड बहुत चिकना हो रहा था, और हुआ भी यही, मेरे पहले ही धक्के से लंड की टोपी आंटी की गाण्ड में घुस गई थी , आंटी की एक हल्की सी चीख निकली मगर उन्होंने मुझे गाण्ड मारने से मना नहीं किया। फिर मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा आधा लंड आंटी की गांड में चला गया। इस पर भी आंटी की एक जोरदार आह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह निकली और उन्होंने पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखा और बोलीं तेरा लोड़ा तो गाण्ड में लेकर ऐसे लग रहा है जैसे किसी घोड़े का लंड ले लिया हो मैंने गाण्ड में। मैंने आंटी को कहा, घोड़ी बनी हुई हो तो लंड भी तो घोड़े का ही मिलना चाहिए कि नहीं, यह कह कर मैंने एक और धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड आंटी की गाण्ड में उतर गया। आंटी की गाण्ड काफी चिकनी थी, और उसमें लंड डाल कर आराम मिला था। गाण्ड की पकड़ लंड को दर्द पहुंचा रही थी। फिर मैंने धीरे धीरे गाण्ड में धक्के मारने शुरू किए। शुरू-शुरू में तो लंड फस फस कर गाण्ड में जाता रहा, लेकिन 2 मिनट बाद लंड बहुत तेज़ी के साथ आंटी की चिकनी और टाइट गाण्ड में जा रहा था, 

आंटी के 38 आकार के मम्मे मेरे हर धक्के के साथ आगे पीछे हिलते थे। मुझे आंटी के हिलते हुए मम्मे बहुत सुंदर लग रहे थे, कुछ देर तो मैं थोड़ा साइड पर झुक कर धक्के भी लगाता रहा और आंटी के बूब्स को हिलाता हुआ देखता रहा, फिर थोड़ा आगे झुका और आंटी के बूब्स को अपने हाथों में पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया, जबकि गाण्ड में लंड भी पूरी गति से अपना काम कर रहा था। आंटी की सिसकियों से मेरी दुकान गूंज रही थी और वह मुझे अधिक गति से चोदने पर उकसा रही थीं। चोद अपनी चाची को, जोर से चोद। मारदे अपनी आंटी की गाण्ड आह ह ह ह ह, आह ह ह ह। । । आह ह ह ह ह ह ह ह चोद बेटा चोद ..... आह ह ह ह आह ह ह ह, आह ह ह ह .... आह ह ह ह शाबाश बेटा ऐसे ही चोदता रह अपनी आंटी को ..... आंटी की बातों से मेरे लंड की कठोरता और गति दोनों ही बढ़ते जा रहे थे। 5 मिनट तक गाण्ड मरवाने के बाद आंटी थक गई तो उन्होंने मुझे कहा कि अब लिटा कर गाण्ड मार लो मैं बहुत थक गई हूँ। मैंने आंटी की गाण्ड से लंड निकाला और उन्हें नीचे लिटा दिया जमीन पर ही . आंटी को जमीन पर लिटाने के बाद आंटी के ऊपर आया और उनकी दोनों टांगों को उठाकर पीछे की ओर यानी उनके सिर की ओर मोड़ दिया जिससे आंटी की गाण्ड मेरे लंड के निशाने पर आ गई, मैंने लंड टोपी को आंटी की गाण्ड पर सेट किया और फिर आंटी की गाण्ड में अपना लंड उतार कर चोदना शुरू कर दिया। 

जैसे जैसे मैं आंटी को चोदता जा रहा था वैसे-वैसे आंटी अपनी चूत पर हाथ फेर फेर कर उसे भी गर्म कर रही थीं। मैंने आंटी को अधिक 5 मिनट उसी स्थिति में चोदा और खूब दिल खोलकर उनकी गाण्ड मारी। मगर मेरी आदत थी कि पानी हमेशा या तो चूत में छोड़ता हूँ यह फिर मम्मों पर। इसलिए मैंने अपना लंड सलमा आंटी की चिकनी गाण्ड से बाहर निकाल लिया और बिना समय बर्बाद किए उनकी चिकनी और गीली चूत में लंड एक ही धक्के में डाल दिया। अब मैं खुद आंटी के ऊपर लेट गया और आंटी के मम्मे एक बार फिर मेरे मुँह में थे जिन्हें मैं चूसने के साथ साथ उनकी चूत भी पूरे जोर से चोद रहा था। 5 मिनट तक उनकी चूत में लंड से धक्के मारने के बाद आंटी की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया और मेरा लंड उनकी चूत के पानी से गीला हो गया। मगर अब मुझे भी लग रहा था कि मैं अब छूटने वाला हूँ, मैं आंटी से पूछा आंटी आपकी चूत में वीर्य निकाल दूँ या फिर आपके मम्मों पर निकालूं ???
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12-09-2018, 01:45 PM,
#17
RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
आंटी ने कहा मम्मों पर निकाल दे और मम्मों को चोद दे। मैंने अभी आंटी की चूत से अपना लंड निकाल लिया और उसको टों के पास जड़ पकड़ कर थोड़ी देर दबाए रखा, उसका फायदा यह होता है कि अगर वीर्य निकलती हो तो थोड़ी देर के लिए रुक जाती है। जब मुझे लगा कि अब वीर्य नहीं निकलेगी तो मैं ऐसे ही आंटी के सीने पर आकर बैठ गया और अपना लंड आंटी के 38 इंच के मम्मों के बीच रख दिया, आंटी ने अपने दोनों बूब्स को अपने हाथों से आपस में मिलाकर मेरे लंड के ऊपर मम्मों की मजबूत पकड़ बना ली तो मैंने आंटी के बूब्स में अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया। आंटी की चूत का पानी मेरे लंड पर लगा हुआ था जिससे आंटी के मम्मे भी चिकने हो गए थे। आंटी के नरम नरम मम्मों को चोदने का भी अपना ही एक मजेदार अनुभव था। जब मैं पीछे की ओर अपनी गाण्ड लेकर जाता तो मेरा 8 इंच लंड आंटी के बूब्स में गायब हो जाता और जब मैं वापस आगे की ओर होता तो आंटी के बूब्स की क्लीवेज़ से मेरे की लंड टोपी बाहर निकलती जिसको आंटी बड़े शौक से देख रही थीं । 2 मिनट तक चाची के 38 इंच के मम्मे चोदता रहा तो मुझे लगा कि मेरा लंड अब अपने प्यार का रस निकालने वाला है, मैंने आंटी को इशारा किया तो आंटी ने कहा रुकना नहीं बस ऐसे ही मम्मों पर लंड के घस्से मारता रह ताकि तेरी वीर्य की धार मेरे मुंह तक आए, मैंने धक्के लगाना जारी यहाँ तक कि मेरे टट्टों से एक पतली सी धार निकल कर मेरे लंड से होते हुए मेरे लंडकी टोपी तक आ गई, और फिर एक दम से मेरे लंड ने वीर्य की एक गर्म धार निकाल दी। जब मेरे लंड की धार निकली तो मेरा लंड आंटी के बूब्स की क्लीवेज़ से बाहर निकला हुआ था जिसकी वजह से शुक्राणु की धार सीधी आंटी के खुले मुंह में गई और फिर एक के बाद दूसरी और फिर तीसरी धार निकली जिससे आंटी का मुंह भी भर गया इसके अलावा कुछ वीर्य आंटी के चेहरे और कुछ होठों पर और कुछ आँखों पर गिरा कुछ वीर्य आंटी के चेहरे से आगे जाकर मेरी दुकान के फर्श पर भी गिर गई। कुछ देर मेरे लंड मे झटके लगते रहे, जब सारा वीर्य निकल गया तो मैंने अपना लंड आंटी के बूब्स से साफ किया और आंटी के ऊपर से नीचे उतर आया। आंटी ने अपनी आंखों से और अपने सीने से वीर्य साफ किया और अपनी उंगलियां चाटने लग गईं। जो वीर्य आंटी के मुंह में थी आंटी उसको भी पी गईं, उसी तरह अपने गालों से भी आंटी ने वीर्य साफ करके अपनी जीभ से उंगली चाट ली। फिर आंटी ने मेरा लंड देखा जो वीर्य छोड़ने के बावजूद अब तक खड़ा था और उस पर आंटी की चूत का और मेरे लंड के पानी का मिश्रण मौजूद था। आंटी ने आगे बढ़ कर मेरे लंड हाथ में पकड़ा और उसे अपने मुंह में डाल कर एक बार फिर उसकी छूसा लगाना शुरू कर दी 

जब आंटी मेरे लंड की सारी वीर्य चूस चुकीं तो उन्होंने मुझसे सफाई वाला कपड़ा मांगा। मैंने अपने काउन्टर से एक कपड़ा निकाल कर आंटी को दिया तो उन्होंने पहले अपनी चूत को साफ किया और फिर काउन्टर और फर्श पर गिरे हुए चूत और लंड के पानी को साफ किया कि मैं नंगा ही सोफे पर बैठ गया। आंटी ने पानी का पूछा तो मैंने आंटी को बताया कि ट्राई रूम से थोड़ा आगे वॉश बेसिन लगा हुआ है। आंटी वॉश बेसिन पर जाकर अपना मुंह को अच्छी तरह साफ कर आईं और थोड़ी देर बाद ही आंटी अपने कपड़े पहन कर मेरे साथ बैठ चुकी थीं। मैंने आंटी की तरफ देखा और फिर उनके बूब्स को देखने लगा, 


आंटी ने भी मेरी ओर मुंह कर लिया और मेरे सोए हुए लंड पर हाथ फेर कर कहने लगीं लगता है अब तक तुम्हारा मन नहीं भरा मेरी चुदाई से। मैं हंसा और कहा आंटी भला वह आदमी ही क्या जिसका चुदाई से दिल भर जाए, लेकिन मैं जानता हूँ अब दूसरा राउंड लगाना संभव नहीं क्योंकि ब्रेक का समय समाप्त होने वाला है, और वैसे भी आप काफी थक गई होंगी। आंटी ने कहा हां आज तो तेरे धक्कों ने मेरा अंग अंग हिलाकर रख दिया है। फिर कभी दुबारा तेरे से चुदाई करवाने जरूर आउन्गी मैंने आंटी से पूछा आंटी गांड की चुदाई कैसे लगी आपको? आंटी ने नीचे झुककर मेरे मुरझाए हुए लंड पर एक पप्पी और बोलीं, तेरे लंड ने तो मजे करवा दिए आज। इतना ज़बरदस्त मज़ा तो असंभव ही था फिर पड़ोस वाला लड़का भी इतना नहीं चोदता। 10, 15 मिनट में ही इन दोनों लंड जवाब दे जाता है। मगर तू ने खूब जमकर चुदाई है अपनी आंटी की। चिंता न कर अब तेरे लंड को मैं अपनी गाण्ड और चूत में लेती रहूँगी। उसके बाद मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए आंटी को उनके आकार के अनुसार 2 ब्रा दे दिए और 4 बजने से कुछ देर पहले दरवाजे पर लगा साइन बोर्ड बदल दिया। मगर आंटी को अब बाहर निकलने से मना कर दिया ताकि देखने वालों को यह न लगे कि साइन बोर्ड परिवर्तित होते ही अंदर से महिला निकली है। कुछ देर बाद निकलेंगी तो लोगों को शक नहीं होगा

फिर कुछ देर के बाद आंटी मुझे फिर चुदाई करवाने का वादा करके चली गईं और सलमा आंटी की गाण्ड को याद करता रहा। 3 से 4 दिन अधिक बीत गए मगर सलमा आंटी का न तो फिर से फोन आया और नही सलमा आंटी खुद आईं, मैंने भी सलमा आंटी को तंग करना उचित नहीं समझा, जब उनकी चूत में खुजली होगी वो खुद ही मेरे से चुदाई करवाने आ जाएगी यही सोचकर मैंने सलमा आंटी का इंतजार करने की बजाय अपनी पड़ोसी को घर बुला कर उसकी खूब चुदाई कर डाली। जिस दिन अपनी पड़ोसी की चुदाई की इससे अगले दिन दुकान पर बैठा था कि नीलोफर और शाज़िया मेरी दुकान पर फिर से आईं। वही कॉलेज वर्दी और गले में कैथेटर दुपट्टा जिससे फिटिंग वाली कमीज से मम्मों का आकार बड़ा स्पष्ट नजर आता था। मगर आज इन दोनों के साथ राफिया नहीं थी जिसको देखने के लिए में खासा बेताब था। 
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12-09-2018, 01:45 PM,
#18
RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
मैंने एक मुस्कान के साथ नीलोफर और शाज़िया हेल्लो किया। आज दोनों काफी खुश नजर आ रही थीं। मैंने दोनों से पानी पूछा लेकिन उन्होंने मना कर दिया और मुझसे कहा आज कोई नई और अच्छी ब्रा दिखाएं। मैंने उनसे पूछा, किस प्रकार का ब्रा चाहिए आपको? उन्होंने कहा बस कोई नया और जबरदस्त शैली का हो। में थोड़ा थोड़ा समझ गया था कि वह क्या कहना चाह रही है। मैंने पूछा आपका मतलब है कोई सेक्सी शैली में हो ??? इस पर शाज़िया थोड़ा हिचकी मगर नीलोफर ने मुस्कुराते हुए कहा, हां सेक्सी हो। मैंने नीलोफर ने मम्मों पर नजर डालते हुए कहा क्या आप शादीशुदा हैं ??? नीलोफर ने कहा नहीं, लेकिन तुम क्यों पूछ रहे हो ??? मैंने कहा कुछ नहीं, अक्सर शादीशुदा लड़कियाँ सेक्सी ब्रा की मांग करती हैं ताकि वह अपने पति को दिखा सकें इसलिए पूछ लिया, खैर मैं आपको दिखा देता हूँ। मेरी इस बात पर नीलोफर भी थोड़ी हड़बड़ा गई थी। जैसे मैंने उसकी चोरी पकड़ ली हो। 


दरअसल नीलोफर को सेक्सी ब्रा इसीलिए चाहिए था कि वह उसे अपने प्रेमी को दिखा सके और मैं ने पहली शादी का पूछकर और फिर पति को बनाने के लिए कह कर उसको यह एहसास दिला दिया था कि वह अपने प्रेमी को दिखाने के लिए सेक्सी ब्रा मांग रही है। खैर मैंने एक लाल रंग का ब्रा निकाला जिस पर सफेद रंग के सितारे लगे हुए थे। ये एक हाफ कप ब्रा था, अर्थात इससे मम्मों के ऊपर का हिस्सा स्पष्ट नजर आता था, यह ब्रा न केवल मम्मों को उठा कर रखता था बल्कि बूब्स को बहुत स्पष्ट कर देखने वाले को दिखाता था। ये ब्रा मम्मों पर केवल निपल तक ही आता था, निपल्स ऊपर का हिस्सा नंगा था। मैंने यह ब्रा दिखाते हुए नीलोफर को बताया कि यह आधे कप का ब्रा है जो आपके साथी निश्चित रूप से पसंद करेंगे और आपके सीने को भी एक्सपोज करेगा। मेरी बात सुनकर शाज़िया थोड़ा परेशान दिख रही थी मगर नीलोफर को जैसे कोई चिंता नही थी। नीलोफर ने ब्रा पलट कर देखा और बोली, इसके अलावा भी दिखाओ ना मैंने कहा मिस आपको ब्रा और पैन्टी सेट दिखा दूँ ?? नीलोफर ने कहा हां अगर अच्छा है तो दिखाओ। मैंने एक और ब्रा दिखाया। इस काले रंग वायर्ड ब्रा था, उसके दाहिने मम्मे के कप से स्ट्रिप कंधे के ऊपर से होकर बाईं हुक में लगती थी और बाएँ मम्मे के कप की स्ट्रिप कंधे से होकर दाँये हुक पर लगी थी। यानी कमर पर ब्रा स्ट्रिप से पार हो जाता था। इसके अलावा उसके साथ एक पैन्टी भी थी। यह रंग भी ब्लैक कलर की ही थी। पैंटी और ब्रा आपस में मिले हुए थे। दाएँ मम्मे के कप से एक स्ट्रिप पेट से होती हुई पैन्टी के बाईं ओर लगी हुक से मिलती थी और बाएँ मम्मे के कप से स्ट्रिप निकलकर पैंटी मे राइट साइड पर हुक से मिलती थी। 

एक क्रॉस कमर पर बनता था तो एक क्रॉस पेट पर बनता था। इसके अलावा इस ब्रा पैन्टी सेट के साथ एक ब्लैक कलर का वीर्य स्कर्ट भी था जो पैन्टी के ऊपर से पहनने के लिए था। यह पूरा सेट मैंने नीलोफर को दिखाया तो उसे बहुत पसंद आया। फिर मैंने इसी तरह एक और ब्रा और पैन्टी का सेट निकाल कर नीलोफर को दिखाया जो हल्के गुलाबी रंग का था, उस पर छोटे नगीने लगे हुए थे और ब्रा के दोनों कप्स पर गोल्डन कलर की छोटी चैन भी बनी हुई थी जो चादी की थी। और इस ब्रा के पीछे कमर पर कोई हुक मौजूद नहीं थी, बल्कि दोनों कपस के बीच में जहां दोनों मम्मों का मिलान होता है वहां पर एक क्लिप लगा हुआ था जिसको खोलकर ब्रा उतारा जाता था। इसके अलावा उसके साथ पैन्टी भी हल्के गुलाबी रंग की थी और यह थॉंग शैली पैन्टी थी। उसकी एक साइड जी स्ट्रिंग पैन्टी से ज़रा चौड़ी होती है मगर आम पैन्टी से ठीक होता है। और पैन्टी के फ्रंट पर ब्रा जैसे छोटे नगीने और चांदी की चेन लगी हुई थी। उसके साथ गुलाबी रंग की ही लीग स्टाकनग भी थीं जो मोजे की तरह पहनी जाती है लेकिन यह ठीक जालीदार कपड़े की होती है जो पैर से लेकर घुटनों तक आती है। फिर घुटनों से क्लिप लगे होते हैं जो स्टाकनग से लेकर पैन्टी तक स्ट्रिप के माध्यम आपस में मिले हैं। 

ये ब्रा दिखाते हुए मैंने नीलोफर को जोर देकर कहा कि नवविवाहित जोड़े अपने हनीमून के लिए इस तरह के ब्रा पैन्टी सेट पसंद करते हैं और यह उनके प्यार में बेहद अच्छा लगता है। इस ड्रेस को देखकर भी नीलोफर की आंखों में एक चमक आ गई थी। उसने शाज़िया को देखा और बोली कि बहुत सुंदर हैं यह तो और कहीं से भी मुझे ऐसी ब्रा नहीं मिलीं। फिर उसके अलावा मैंने नीलोफर को कुछ अधिक सेक्सी ब्रा और पैन्टी सेट दिखाए। सभी सेट सुंदर और सेक्सी थे जिन्हें देखकर नीलोफर और शाज़िया दोनों ही खुश हो रही थीं। फिर मुझे नीलोफर ने कहा कि वह ट्राई करना चाहती है, मगर उन्हें ट्राई करने मे में थोड़ी देर हो सकती है, क्योंकि उनकी सेटिंग थोड़ी मुश्किल होती है और सारे कपड़े उतारने पड़ते हैं उनके लिए। मैंने नीलोफर को कहा क्यों नहीं आप जरूर ट्राई करें। फिर मैंने शाज़िया से पूछा आपको भी इस तरह के ब्रा पैन्टी सेट चाहिए ??? इस पर शाज़िया ने कहा नहीं मुझे अभी नहीं चाहिए मगर कुछ दिन बाद लूँगी आप से। आप अधिक से अधिक अच्छी शैली में मंगवा कर रखें। मैंने कहा ठीक है, अभी और भी अच्छी शैली के पड़े हैं, उसके अलावा कल नया माल आना है यह इस तरह के और भी अच्छे-अच्छे और सेक्सी शैली के ब्रा होंगे जिन्हें जब आप पहन कर अपने प्रेमी के सामने जाएंगी तो वह पागल हो जाएगा। मेरी यह बात सुनकर नीलोफर हंसी और बोली, उसका प्रेमी तो उसे वैसे ही देख ले तब भी पागल हो जाता है। यह कह कर शाज़िया और नीलोफर दोनों ही जोर से हंसने लगीं तो नीलोफर ने कहा, भाई यह ट्राई करने जा रही हूँ थोड़ा समय लग जाएगा प्लीज़ टेन्षन मत लेना मैंने कहा ठीक है आप तसल्ली से ट्राई करें। 

नीलोफर और शाज़िया दोनों ही ट्राई रूम की तरफ चली गईं और अगले ग्राहकों का इंतजार करने लगा। नीलोफर और शाज़िया को ट्राई रूम में गए अब 2 से 3 मिनट ही हुए होंगे कि मेरे दिमाग की घंटी बजी। इस ब्रा पैन्टी की ट्राई मे तो लड़की को पूरा नंगा होना पड़ता है। अगर खाली ब्रा चेक करना हो तो केवल ऊपर से नंगा होना पड़ता है मगर ब्रा पैन्टी सेट ट्राई करने के लिए ऊपरी भाग के साथ निचले हिस्से को भी उजागर करना पड़ता है। और लड़कियां आमतौर तौर पर एक दूसरे के सामने अपने मम्मे तो दिखा देती हैं मगर अपनी चूत और गाण्ड नंगे नहीं करती। जबकि यहाँ शाज़िया और नीलोफर दोनों ही ट्राई रूम में मौजूद थीं। एक पल के हजारवें हिस्से में मेरे मन में कई विचार आए और चले गए मैंने अपने विचारों को गलत करने की कोशिश की मगर ऐसा न हो सका। अंत में मुझसे रहा नहीं गया और मैंने सोचा देखूँ तो सही कि अंदर दोनों क्या कर रही हैं ??? यह सोच कर मैंने अपने कंप्यूटर से ट्राई रूम का कैमरा ऑन किया और अपनी कंप्यूटर स्क्रीन ऑन कर ली। जैसे ही कैमरा चलाया अंदर का दृश्य देख मेरे 8 इंच के लंड ने अंगड़ाइयाँ लेना शुरू कर दीं अंदर नीलोफर काले रंग के ब्रा मे थी जो उसका अपना ही था जबकि शाज़िया बिल्कुल नंगी अपने 34 डी के मम्मे नंगे किए हुए थी और नीलोफर उसके बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी जबकि शाज़िया सिसकियाँ ले रही थी और उसकी आँखें बंद हुए जा रही थीं। 
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12-09-2018, 01:45 PM,
#19
RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
शाज़िया के छोटे हल्के ब्राउन रंग के निपल कड़े हो रहे थे उन पर नीलोफर अपनी ज़ुबान फेर फेर कर उसको और मजे दे रही थी। थोड़ी देर तक नीलोफर शाज़िया के बड़े मम्मों को प्यार करती रही फिर दोनों सीधी खड़ी हो गईं और शाज़िया ने नीलोफर का ब्रा भी उतार दिया। दोनों आपस में धीमी आवाज में बातें कर रही थीं जिसका मुझे कुछ पता नहीं लग रहा था क्योंकि अंदर कैमरा तो लगा था मगर माइक आदि नहीं था कि जिससे मुझे कुछ समझ आती कि दोनों क्या बात कर रही हैं। शाज़िया ने नीलोफर का काले रंग का ब्रा उतारा तो नीचे से 36 आकार के गोल और सुडौल गोरे चिट्टे मम्मे उछलकर निकले। नीलोफर के मम्मे एक जेली की तरह हिल रहे थे और उसके निप्पल भी शाज़िया की तरह छोटे ही थे और नपल्स के आसपास ब्राउन रंग का दायरा भी छोटा था। अब शाज़िया की बारी थी नीलोफर ने निपल्स को चाटने को कहा और शाज़िया भी नीलोफर की तरह बहुत प्यार और कौशल के साथ नीलोफर के मम्मों को चूस रही थी। शाज़िया थोड़ी सी झुकी हुई थी और एक मम्मा अपने मुँह में ले रखा था जबकि दूसरे मम्मे के नपल्स को शाज़िया अपने हाथों की उंगलियों से धीरे धीरे मसल रही थी जिससे नीलोफर की सिसकियाँ निकल रही थीं। कैमरे में उसके चेहरे के भाव से अनुमान लगा सकता था कि नीलोफर बहुत मुश्किल से अपनी सिसकियों को रोक रही थी उसे निश्चित रूप से इस बात का भी डर था कि कहीं उसकी सिसकियाँ निकल कर मेरे कानों तक न पहुंच जाए। 


कुछ देर नीलोफर के मम्मे चूसने के बाद अब दोनों सीधी खड़ी हो गईं थी और दोनों एक दूसरे के गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों को चूस रही थीं। कभी नीलोफर शाज़िया के पतले-पतले सुंदर होठों को अपने होठों से और जीभ से चूसती तो कभी शाज़िया नीलोफर के थोड़ा मोटे एंजेलीना जोली जैसे होंठों को अपने मुँह में लेकर उनको चूसने लगी। फिर नीलोफर ने अपनी ज़ुबान निकाली और शाज़िया ने होठों पर अपनी जीभ का दबाव बढ़ाया तो शाज़िया ने अपना मुंह खोल दिया जिसके बाद नीलोफर ने अपनी ज़ुबान शाज़िया मुँह में प्रवेश करा दी और उसको गोल गोल घुमाने लगी। शाज़िया भी नीलोफर की ज़ुबान को अपनी जीभ से चूसने लगी थी। थोड़ी देर के बाद शाज़िया की ज़ुबान नीलोफर के मुंह में पहुंच चुकी थी। कुछ देर बाद मैंने देखा कि नीलोफर नीचे बैठ गई थी और उसने शाज़िया की सलवार उतार दी थी। शाज़िया ने पैन्टी नहीं पहनी थी, मुझे कैमरे में उसकी चूत तो नज़र नहीं आई क्योंकि कैमरे का एंगल ऐसा था कि शाज़िया जिस साइड पर खड़ी थी वहाँ से उसकी चूत कैमरे में नहीं आ सकती थी लेकिन उसकी गोरी गोरी टाँगें और पूरा शरीर कैमरे में नज़र आ रहा था, लेकिन कैमरा ऊपर होने के कारण उसकी चूत नज़र नहीं आ रही थी। नीलोफर ने शाज़िया की सलवार उतार ही अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी चूत पर रख दी थी और उसको चाटने लगी थी, शाज़िया ने अपना हाथ नीलोफर सिर पर रख लिया था और मुंह ऊपर की ओर करके आंखे बंद कर अपनी सिसकियाँ नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी। इधर मेरा हाथ अपनी सलवार के ऊपर से ही लंड को पकड़ कर उसकी मुठ मारने में व्यस्त था।


मैं बड़ी एकाग्रता के साथ शाज़िया और नीलोफर का सेक्स देख रहा था कि अचानक मुझे एक झटका लगा जब मुझे राफिया की आवाज़ सुनाई दी, न जाने वो कब अंदर आई और अंदर आकर मेरे सामने खड़ी हो गई, उसने मुझे सलाम किया था। उसकी आवाज सुनते ही मुझे एक झटका लगा। मैंने ऊपर मुंह करके देखा तो वह मुझे काफी परेशान नजर आ रही थी। शायद उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि मैं इस समय अपने लंड के साथ खेलने में व्यस्त था। राफिया को देखकर जो मुझे झटका लगा था इस पर मैने कुछ सेकंड में ही काबू पा लिया था और अपना हाथ लंड से हटाकर कंप्यूटर स्क्रीन भी बंद कर दी थी। चूँकि कंप्यूटर स्क्रीन काउन्टर के अंदर नीचे इस तरह पड़ी थी कि सामने खड़े व्यक्ति की उस पर नजर नहीं पड़ सकती थी कि मैं क्या देख रहा हूँ, लेकिन फिर भी दिल में चोर था इसलिए मैंने स्क्रीन बंद कर दिया और मुस्कुराते हुए राफिया की ओर देखा। मैंने पूछा जी राफिया जी क्या हाल हैं आपके। उसने कहा मुझे वास्तव में वह चाहिए था। मैंने कहा वह क्या ?? राफिया की कपकपाती आवाज आई वह ...... वह वास्तव में मुझे ..... वह ...... ब्रा चाहिए था। अंतिम शब्द उसने काफी जल्दी में चुकाए जैसे उसको कठिनाई हो रही हो ब्रा शब्द बोलते हुए। इससे मुझे पता चल गया था कि राफिया एक शरीफ और सुलझी हुई लड़की है और वह नीलोफर और शाज़िया की तरह बोल्ड नहीं है। 

मैंने कहा जी राफिया जी में आपको ब्रा दिखा देता हूँ, आपका आकार क्या है ??? मेरी इस बात पर राफिया चुप खड़ी रही .... मैंने एक बार फिर से बोला कि राफिया आपका आकार क्या है ??? इस पर राफिया की घुटी-घुटी आवाज़ आई और वह बोली मुझे नहीं पता। मैं उसकी इस बात पर हैरान हुआ और कहा क्या मतलब ??? आपको अपने ब्रा के आकार नहीं पता ?? इस पर राफिया ने फिर से घटी हुई आवाज में कहा, पहले अम्मी ला देती थी मुझे, मैंने कभी नहीं लिया न मुझे आकार पता है अपना। फिर मैंने राफिया को रिलैक्स करने के लिए कहा चलिए कोई समस्या नहीं मगर ये बताएँ आज आप अकेले आईं हैं नीलोफर और शाज़िया के साथ क्यों नहीं आईं ??? तो राफिया कहा बस ऐसे ही अगर मैं उनके साथ आती तो वह मुझे चिड़ाती, और वैसे भी वे महंगे महंगे ब्रा लेती हैं मेरे पास इतने पैसे नहीं कि महंगा ब्रा ले सकूँ, मुझे बस एक साधारण सा दे दीजिए उनके साथ मैंने कभी खरीदारी नहीं की। राफिया की इस बात से मुझे पता चल गया था कि उसका संबंध मेरी तरह ग़रीब परिवार से है और वह एक अभिमानी लड़की है, जबकि नीलोफर और शाज़िया उसकी गरीबी का मजाक उड़ाती होंगी जिसकी वजह से राफिया ने उनके सामने ब्रा नहीं खरीदा। यह सोच कर मैंने ठान लिया था कि राफिया को शाज़िया और नीलोफर से भी अच्छा और महंगा अच्छी गुणवत्ता का ब्रा दूंगा मगर इससे कीमत आम ब्रा वाली ही लूँगा। 

फिर मैंने कहा कोई बात नहीं राफिया जी, इंसान अपने चरित्र और सीरत से बड़ा बनता है, पैसे से नहीं। अगर आपके पास ज्यादा पैसे नहीं तो आपको इन दोनों से दबने या उनसे प्रभावित होने की जरूरत नहीं है। मैं आपको अच्छे वाले ब्रा ही दिखाऊंगा, और पैसे की आप चिंता न करें, मैंने उन पर सेल लगानी है अगले सप्ताह से, तो आपके लिए यह कर सकता हूं कि अगले सप्ताह के बजाय आज ही आपको इस सेल वाली कीमत पर ब्रा दे दूंगा। इस पर राफिया को थोड़ी खुशी हुई मगर फिर अपनी खुशी छिपाते हुए बोली कि मगर सेल अगले सप्ताह लगनी है तो मुझ से आज क्यों सेल वाली कीमत लेंगे आप ??? मैंने कहा कुछ नहीं बस वैसे ही। तुम और मैं ग़रीब परिवार से हैं, और अभिमानी भी हैं, तो यह तो नहीं कर सकता कि यही ब्रा जो पूरी कीमत पर बेच रहा हूँ वह आपको आधी कीमत पर दूँ क्योंकि मुझे पता है आपको यह अच्छा नहीं लगेगा। अलबत्ता जिन ब्रा पर मैंने सेल लगानी है उसमें से ही मैं आपको आज दे देता हूँ, वैसे भी एक सप्ताह तक वह बंद पड़े रहेंगे सेल तो करनी नहीं अभी तो उम्मीद है आपको इस बात पर आपत्ति नहीं होगी। इस पर राफिया कहा ठीक है मगर शाज़िया और नीलोफर को न पता लगे कि मैंने सेल वाले माल में से ब्रा खरीदा था वरना वह मेरा मजाक उड़ाएँगी 
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12-09-2018, 01:45 PM,
#20
RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
मुझे यह बात सुनकर राफिया की मासूमियत पर बहुत प्यार आया और शाज़िया और नीलोफर पर गुस्सा भी आया। मगर मैंने राफिया पर प्रकट नहीं होने दिया कि वे दोनों इस समय अंदर ट्राई रूम में हैं और क्या हरकतें कर रही हैं। मैंने फिर राफिया पूछा कि अब आपका आकार क्या है? अगर आपके पास कोई पुराना ब्रा पड़ा है तो मुझे दिखा दें में उससे अनुमान लगा लूँगा आपका आकार। राफिया ने कहा मेरे पास 2 ही ब्रा है, एक घर पड़ा है और एक मैंने पहन रखा है। फिर मैंने राफिया के सीने पर एक सरसरी सी नजर डाली, लेकिन उसके बूब्स का अनुमान लगाना मुश्किल था क्योंकि उसने ऊपर एक चादर ली हुई थी। फिर मैंने राफिया के शरीर पर एक नज़र डाली, मेरे अनुसार उसकी कमर 27 या 28 की थी, वो बहुत दुबली सुंदर लड़की थी, लेकिन उसके सीने पर नजर डालने से लगता नहीं था कि उसका ब्रा आकार भी छोटा होगा, फिर भी एक 32 नंबर वाला ब्रा निकाला और राफिया को दिखाकर कहा यह देखना क्या यह ब्रा आपके आकार के अनुरूप होगा? राफिया ने ब्रा पर एक नज़र डाली और बोली सेल में केवल ऐसे ही ब्रा है? कोई अच्छे वाले नहीं? मैंने कहा अरे राफिया जी आपको अच्छे वाले ब्रा ही दिखाऊंगा यह तो आपको इसीलिए दिखा रहा हूँ ताकि आप अपने आकार के बारे में बता सकें। मेरी बात सुनकर राफिया ने ब्रा को ध्यानपूर्वक देखा, इस दौरान मैंने नोट किया कि वह ब्रा पर नज़र डालते हुए भी शर्मा रही थी। फिर उसने कहा कि नहीं यह छोटा होगा मुझे। मैंने मन ही मन सोचा वाह जी वाह, इस दुबली पतली लड़की के भी मम्मे तो बड़े होंगे। 

फिर मैंने एक 36 नंबर का ब्रा उठाया और वह दिखाया, उसको देखकर राफिया ने कहा नहीं यह बड़ा होगा मेरे। मैंने अनुमान लगा लिया था कि उसका आकार 34 होगा, लेकिन मैंने जानबूझ कर 36 नंबर दिखाया था। फिर मैंने राफिया को कहा, अगर आप बुरा न मानें तो एक बार अपनी चादर थोड़ी सी हटा लें सामने से, मुझे देख कर अनुमान हो जाएगा आपके आकार का फिर मैं आपको ऐसे जबरदस्त ब्रा दिखाऊंगा जो नीलोफर और शाज़िया के पास भी नहीं होंगे ... मेरी बात सुनकर राफिया ने बुरा सा मुँह बनाया, लेकिन शुक्र है मुझे कुछ कहा नहीं उसने और फिर बोली नहीं आप इससे छोटा दिखा दें जो आप ने अभी दिखाया है। और जो पहले दिखाया था उससे थोड़ा बड़ा हो। मैं समझ गया कि राफिया के मम्मों पर नज़र डालना अब मेरी किस्मत में नहीं। कोई और लड़की होती तो मैं उसे मना कर देता उसको मगर न जाने क्यों राफिया की मासूमियत मुझे अच्छी लगी थी और मैंने उसे तंग करना उचित नहीं समझा। मैंने अपने पास पड़ा सबसे अच्छी गुणवत्ता का ब्रा राफिया को दिखाया जो 2000 रुपये में सेल करता था। 34 आकार का यह ब्रा नीले रंग का था, वायर्ड कपड़ा था मगर कप के अंदर फोम मौजूद था, और कप के तले में एक छोटी सी तार भी लगी हुई थी जिसे रंग बोलते हैं। इस रंग की वजह से ब्रा बूब्स को बहुत अच्छा कंफर्ट देता है और उन्हें ऊपर उठाकर गोल शेप भी देता है और फोम के कारण मम्मे भी बड़े लगते हैं। मैं ने यह ब्रा राफिया दिखाया और कहा देखो, कितना प्यारा ब्रा है, बहुत अच्छा लगेगा आप पर। इस ब्रा पर छोटे चौटे गोल्डन स्टार भी लगे हुए थे जो बहुत सुंदर लग रहे थे। राफिया ने ब्रा देखा तो उसकी आंखों में एक चमक सी आ गई। उसने कहा लेकिन यह तो बहुत महंगा होगा। मैंने पूछा तुम तो ये बताओ यह आकार सही रहेगा आपके लिए ??? इस पर राफिया ने कहा जी यह सही है। मैंने कहा बस फिर तुम ले लो, महंगे की चिंता न करें, यह सेल में अगले सप्ताह लगाने हैं। 
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