Indian Sex Story परिवार हो तो ऐसा
09-20-2018, 02:03 PM,
#41
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
"हाँ मुझे भी ऐसा ही लगा कि उसे खुशी हुई है" कहकर शमा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी और अपनी बेहन के चेहरे पर आए भावों को देखने लगी... "हे भगवान.. में भी कितनी बड़ी बेवकूफ़ हूँ मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था... अब देखना जब प्रीति को पता चलेगा तो वो भी अपनी भाई की तरह तुम्हारी चूत का स्वाद चखना चाहेगी" स्वीटी ने कहा.


"हां लेकिन मुझे नही लगता कि वो ऐसा कर पाएगी" शमा ने जवाब दिया. "अरे तुझे उसकी जीब का कमाल नही पता... एक बार उससे चूत चूस्वा लेगी तो दोबारा ना नही कर पाएगी." स्वीटी ने कहा, "या फिर लगता है कि मुझे तुम्हे सीखाना पड़ेगा की चूत कैसे चूसी जाती है ?"


"देखो स्वीटी किसी लड़के चुदवाना अलग बात है और किसी लड़की के साथ सेक्स ये में सोच भी नही सकती.. प्लीज़ ज़िद मत करना हाँ भविश्य का में कह नही सकती" शमा ने अपनी छोटी बेहन से कहा. तभी उनके मम्मी पापा घर आ गये और दोनो बहने अपने अपने काम मे लग गयी.राज और प्रीति जब घर पहुँचे तो उनके मम्मी डॅडी घर पर उनका इंतेज़ार कर रहे थे. और दोनो ही खुश नज़र आ रहे थे...


राज और प्रीति घर मे कुछ बँध से गये थे.. मम्मी पापा के घर मे होते हुए उन्हे मन मानी करने के आज़ादी नही मिल पा रही थी... अब वो इंतेज़ार कर रहे थे उस दिन का जब उन्हे एक बार फिर घर मे एकांत मिले... प्रीति सोचने लगी कि कैसे उसने स्वीटी की झांते सॉफ की थी और जब वो दोबारा उससे मिलेगी तो क्या उसकी चूत वैसे ही होगी... और क्या उसकी नई बिना बालों वाली चूत देख पाएगा... उसे चोद पाएगा...


कुछ दीनो बाद नाश्ते की टेबल पर वसुंधरा ने कहा, "मुझे एक हफ्ते के लिए काम से सहर के बाहर जाना है" राज और प्रीति की नज़रे एक दूसरे की ओर गयी...बड़ी मुश्किल से दोनो ने अपनी मुस्कान छुपाई... अब उन्हे किसी तरह अपने पिताजी को रास्ते से अलग करना था फिर वो दोनो खुल कर मज़ा कर सकते थे.. राज ने अपना ईमेल चेक किया तो उसने देखा कि गीली चूत से ईमेल आया था कि कल की रात वो दिन है जब वो दोनो मिलकर चुदाई कर सकते है... उसने प्रीति से कह दिया कि कल की रात वो अपने दोस्त के यहाँ गुज़ारेगा.... प्रीति को राज की बात सुनकर थोड़ी निराशा हुई.. लेकिन वो कुछ कर भी तो नही सकते थे.. उनके पिताजी थे कि घर से बाहर ही नही जा रहे थे.. गीली चूत ने अपने होटेल का नाम पता और रूम नंबर उसे लीख भेजा था.


अगले दिन राज प्रीति से विदा लेकर निकल गया.. और प्रीति अपने कमरे मे आ गयी और उसने अपने चाचा वाली कहानी को पूरा करने की सोच लिया....वो सिर्फ़ लाल रंग का छोटा टॉप और पॅंटी पहने कुर्सी पर बैठ

कहानी को पूरा करने मे लग गयी... वो जैसे जैसे लिखती जा रही थी वो खुद गरमा रही थी...और आख़िर वो कहानी को एक ऐसे मोड़ पे लाई..जहाँ वो छोटी लड़की उत्तेजना और गर्मी से एक छीनाल बन अपने

बाप का लंड चूस्ति है और फिर जहाँ वो बैठ कर कहानी लीखा करता था उसी टेबल पर उसे चोदने देती है.... कहानी लीखते हुए वो अपनी चूत मे उंगली करती रही कि क्या उसे ये कहानी अपने चाचा

को वापस भेजनी चाहिए.. वो क्या सोचेंगे... क्या वो पढ़ कर खुश होंगे या फिर गुस्से से भर जाएँगे... वो थोडा और सोचना चाहती थी इसलिए वो अपने कमरे से निकल किचन से अपने लिए कुछ ड्रिंक लाने के लिए उठी... देव उस समय किचन मे था..जब उसकी बेटी ने किचन मे कदम रखा...देव ने देखा कि उसकी बेटी के खड़े निपल उसकी पतली टी-शर्ट से छलक रहे थे... उसे लगा कि उसे इस तरह अपनी बेटी को नही देखना चाहिए... लेकिन वो अपनी निगाहों को हटा नही पाया.... प्रीति के तो तन बदन मे आग लगी हुई थी.. उसे पता था कि उसके पिताजी तिरछी नज़रों से उसे देख रहे है... और ना जाने क्यो वो अपनी हरकतों से उन्हे चिढ़ाने लगी.. देव के कड़क होते लंड का उभार उससे छिपा ना रहा... उसे पता था कि घर मे वो दोनो अकेले ही है... उसका दिल तो कर रहा था कि वो रात को अचानक अपने बाप के कमरे मे जाकर उनका लंड पकड़ ले और ज़ोर से चूसे.... पर वो ऐसा कर नही सकती थी...
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09-20-2018, 02:03 PM,
#42
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--13

गतान्क से आगे........

प्रीति अपने पिता के नज़दीक गयी और उन्हे अपनी बाहों के घेरे मे ले गुड नाइट कहा....इसी बीच उसने अपनी चुचियों का भार उनकी छाती पर डाल दिया... देव तो अपनी बेटी के इस अचानक व्यवहार से घबरा सा गया उसे पता था कि जब प्रीति ने उसे बाहों मे लिया था तो ज़रूर उसका खड़ा लंड उसकी जांघों से टकराया होगा... उसने अपने आप को प्रीति से अलग किया और उसे गुड नाइट कह अपने कमरे मे आ गया. राज ने अपनी गाड़ी होटेल के बाहर रोकी और थोड़ी देर सोचने लगा कि उसे आगे बढ़ कर होटेल के अंदर जाना चाहिए या फिर वापस लौट जाना चाहिए... पर उसने अपना मन पक्का किया और गाड़ी से उत्तर होटेल के अंदर चला गया..


वो कमरे के बाहर पहुँचा तो देखा कि कमरे का दरवाज़ा खुला था.. वो कमरा खोल अंदर आ गया.. कमरे के अंदर पलंग के बीचों बीच एक चादर बँधी हुई थी... इस तरह पलंग दो हिस्सों मे बँट गया था...उसने आवाज़ देकर ये जानना चाहा कि क्या गीली चूत कमरे मे ही है.


"हां में यही हूँ राज और तुम्हारे इंतेज़ार मे मेरी चूत गीली हो रही है" वासू ने भारी आवाज़ बना कहा... उसने जान बुझ कर अपनी आवाज़ बदली हुई थी... जिससे कि राज उसकी आवाज़ को पहचान ना पाए... वासू ने राज को कपड़े उतार नंगा हो जाने को कहा और कहा कि वो अपने लंड को चादर के दूरी और रख दबाया... राज ने वैसे ही किया... तभी दो हाथों ने उसके चादर से लिपटे लंड को अपने हाथों मे पकड़ लिया...


वासू चादर की दूसरी ओर खड़ी अपने ही हाथ का चादर से लिपटा लंड पकड़ मसल्ने लगी.. अपने हाथों से उसकी मोटाई और लंबाई मापने लगी.. जिस लंड को उसने कई बार कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखा था आज वही लंड उसके सामने उसके हाथो मे था... कितने सपने देखे थे उसने इस लंड के...वो राज से कह रही थी कि कितना शानदार और मर्दाना लंड था उसका..."तुम्हे पता नही में तुम्हारी सपाट और चिकनी चूत का कितना दीवाना हूँ.. में कितने दीनो से इसे चूसने के लिए मरा जा रहा

हूँ" राज ने जवाब दिया.


"और आज में भी चाहती हूँ कि तुम्हारा ये मोटा लंड मेरी चूत को फाड़ दे" गीली चूत ने उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से मसल्ते हुए कहा.. "लेकिन पहले में देखना चाहूँगी कि में इस लंबे लंड को

कितना अपने मुँह मे ले चूस सकती हूँ" राज ने देखा कि उन दोनो के बीच बँधी चादर थोड़ी उठी और उसका लंड दूसरी ओर खो गया.. तभी उसे एक गरम जीब का एहसास अपने लंड पर हुआ... और जैसे की किसी गरम भट्टी ने उसके लंड को जाकड़ लिया हो.. गीली चूत का गरम मुँह उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगा था... उसे विश्वास नही हो रहा था कि कभी ऐसा भी हो सकता है.. आज एक अंजान औरत एक अंजान होटेल के कमरे मे उसका लंड चूस रही थी... और वो उसका चेहरा तक नही देख पा रहा था.. ना ही उसके बदन की झलक ले पा रहा था.. उत्तेजना मे उसका लंड और अकड़ने आगा.. गीली चूत उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूस रही थी.. हर बार वो उसके लंड को और ज़्यादा गले तक लेने की कोशिश करने लगी.. राज की सिसकारियाँ बढ़ने लगी...
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09-20-2018, 02:03 PM,
#43
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
वासू को भी अपने बेटे का लंड चूसने मे बहोत मज़ा आ रहा था.. उसे भी यकीन नही हो रहा था कि मज़ाक मज़ाक मे बात इतनी आगे बढ़ जाएगी.. वो और ज़ोर ज़ोर से अपने बेटे का लंड चूसने लगी. उसे और अपने गले तक लेने लगी... "में तुम्हारी चूत चूसना चाहता हूँ" वासू को अपने बेटे की आवाज़ दूसरी ओर से सुनाई पड़ी.. उसने उससे कहा कि वो चादर के नीचे पलंग पर उसके लिए जगह बनाए...फिर उसने अपनी टाँगे पलंग पर चादर के नीचे से खिसका दी...अब चादर उसके पेट पर ठहर गयी.. उसका कमर के नीचे का हिस्सा अब राज की तरफ था... वासू ने महसूस किया कि दो हाथ उसकी टाँगो को पकड़ फैला रहे है तो उसने अपनी टाँगे पूरी तरह चौड़ी कर दी..... तभी गीली और गरम जीब उसकी चूत पर चलने लगी... उसकी चूत को चाटने लगी.


वासू के बदन मे एक मस्ती की लहर दौड़ गयी. उत्तेजना मे वो अपनी चुचियों को पकड़ मसल्ने लगी.. उसके ख़यालो मे उसके बेटे का चेहरा आने लगा... और राज हक़ीकत से अंजन उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर

से चूसने लगा चाटने लगा...वासू सिसकने लगी.. "ओ हां चूसो और ज़ोर से चूसो ऑश हाँ खा जा मेरी चूत को में कब से तड़प रही थी तुम्हारी जीब के स्पर्श को ऑश"


राज और ज़ोर ज़ोर से अपनी जीब उसकी चूत मे चलाने लगा... अपना पूरा मुँह खोल उसकी चूत को मुँह मे ले चूसने लगा... "ऑश ऑश प्लीज़ रुक जाओ वरना मेरी चूत तुम्हारे मुँह मे पानी छोड़ देगी" राज ने अपना मुँह थोड़ी देर के लिए उसकी चूत से हटाया और बोला, "हां आज तुम मुझे तुम्हारा ये अमृत पीला ही दो.. में भी तुम्हारे इस रस का स्वाद चखना चाहता हूँ" कहकर वो वापस उसकी चूत को चूसने लगा... और तभी गीली चूत की चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे राज अपनी जीब से चाटने लगा और पीने लगा...


वासू की चूत मे अंगार लग हुई थी.. अब तो उसकी चूत भी चादर के दूसरी तरफ अपने बेटे के लंड के सामने थी. वो अपने बेट्रे के लंड को अपनी चूत मे लेना चाहती थी... "अपने लंड को अब मेरी छूत मे घुसाओ राज.. में तुम्हारे लंड की लंबाई और मोटाई को अपनी चूत मे महसूस करना चाहती हूं" राज तो खुद बेसबरा हुआ जा रहा था.. उसने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और घिसने लगा.. फिर धीरे धीर उसे अंदर घुसाने लगा....गीली चूत की चूत प्रीति और स्वीटी की चूत जितनी कसी हुई थी नही थी..लेकिन फिर भी राज को बहोत मज़ा आने लगा... वासू तो जैसे पागल सी हो गयी... उसने कई बड़े नकली लंड और मूली ग़ज़र अपनी चूत मे घुसाए थे.. लेकिन ये सबसे लंबा और मोटा लंड था जो उसकी चूत मे घुसा था... इतने सालों की शादी के बाद आज फिर उसे अपनी चूत मे हल्का दर्द का एहसास हुआ...


"ओह राज कितना मोटा और लंबा लंड है तुम्हारा कितना अछा लग रहा है." उसने कहा.


राज अब अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा...अपनी कमर को चला वो ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा... "ओ हां राज चोदो मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो आज फाड़ दो मेरी

चूत को श हां भर दो मेरी चूत को अपने रस से" गीली चूत सिसकने लगी...


राज ने देखा कि एक हाथ चादर के नीचे से आया और चूत को मसल्ने लगा.. वो और ज़ोर ज़ोर से उछाल कर धक्के लगाने लगा... तभी उसका लंड अकड़ने लगा.. उसने अपने लंड को उसकी चूत की गहराइयों मे पेलते हुए पानी छोड़ दिया... और साथ ही वासू का बदन भी ज़ोर से कंपा और उसकी चूत ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया. वासू ही अपने काँपते और थाराते बदन को लेटे हुए संभालने लगी...राज लुढ़क कर उसके बगल मे हो गया वो देख रहा था कि गीली चूत की चूत से किस तरह दोनो का मिश्रित रस बह रहा था... "सही मे बहोत मज़ा आ गया राज" गीली चूत ने कहा.


राज वैसे ही बैठा सोचता रहा कि पता नही आगे क्या होगा.. लेकिन तभी उसके सामने लेटा वो अंजान शरीर वापस चादर की दूसरी और खिसक गया... तभी उसने देखा कि चादर के दूसरी ओर से वो अपनी दोनो चुचियों के उभार को चादर पर दबा रही थी.. "राज मुझे छुओ मेरे नंगे बदन को चादर के नीचे हाथ डाल मस्लो मेरे बदन को सहलाओ.." गीली चूत ने उससे कहा. राज घुटनो के बल पलंग पर खिस्सक चादर के नज़दीक आया और अपना हाथ चादर के नीचे से डाल उसकी चुचियो को मुट्ठी मे भर लिया.. उसकी चुचिया प्रीति जितनी बड़ी तो नही थी लेकिन फिर भी काफ़ी भारी थी..वो उन्हे मसल्ने लगा.. भींचने लगा.. फिर अपने हाथों को उसके नंगे बदन पर फिराने लगा एक हाथ से चुचि को मसल्ते हुए उसने अपने दूसरे हाथ से पहले उसकी कमर को सहालाया फिर उसकी सपाट पेट को फिर हाथ को नीचे लेजाकार उसकी चूत को मुट्ठी मे भर मसल दिया...


"राज मेरी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से मसल्ते हुए अपनी उंगली मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करो" गीली चूत ने अपनी टाँगे थोड़ी फैलाते हुए कहा. राज ने अपनी उंगली उसकी चूत पर फिराते हुए अंदर घुसा दी.. गीली चूत चिहुक पड़ी.. राज अब एक हाथ से उसकी चुचियों को बेरहमी से मसल रहा था और

दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ उसकी चूत मे डाल अंदर बाहर कर रहा था... वो उसके निपल को पकड़ खिच देता तो कभी ज़ोर की चिकोटी काट देता.. तभी गीली चूत ने उसके हाथ को पकड़ा और अपनी गंद

पर रख दिया.. राज को विश्वास नही हम की जिस गंद को उसने कंप्यूटर पर देखा था आज वो उसकी गंद मे उंगली घुसाने जा रहा है.. अब राज ने अपनी एक उंगली उसकी चूत मे डाले दूसरी उंगली उसकी गंद के छेद मे घुसा दी... और अंदर बाहर करने लगा. चादर की दूसरी और से आती सिसकियाँ और उखड़ी साँसों की आवाज़ से राज समझ गया कि गीली चूत एक बार फिर झड़ने वाली है.. तभी गीली चूत ने अपनी टाँगों को जाकड़ उसकी उंगली को अपनी चूत मे जाकड़ लिया...और उसकी उंगली उसके रस से भर गयी..वो अपनी उंगली को उसकी चूत मे घूमाता रहा और गीली चूत का बदन हल्के हल्के

काँपने लगा...
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09-20-2018, 02:04 PM,
#44
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
तभी गीली चूत ने चादर के नीचे से हाथ डाल उसके लंड को पकड़ खींच लिया..राज ने अपना लंड और चादर की दूसरी ओर कर दिया.. गीली चूत एक बार फिर उसके खड़े लंड को मुँह मे ले चूसने

लगी... "तुम बहोत ही अछा लंड चूस्ति हो" राज ने कहा. "सच, लेकिन एक बात सच सच बताना तुमने अपनी बेहन से भी लंड चूस्वाया है ना.. देखो झूठ मत बोलना.." वासू ने उसके लंड को

मुँह से बाहर निकाल कहा और फिर उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी... "हाँ चुस्वाया है" राज ने जवाब दिया. "क्या में तुम्हारी बेहन से भी अछा लंड चूस्ति हूँ?" गीली चूत ने पूछा.


"एम्म इतना बुरा भी नही चूस्ति..बस जब में ये सोचता हूँ कि मेरी बेहन मेरा लंड चूस रही है. इस बात से ज़्यादा उत्तेजित हो जाता हूँ" राज ने जवाब दिया.. वासू अब और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूसने लगी और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगी.. राज से सहन नही हुआ और उसका लंड वीर्य की पूछकारी

उसके मुँह मे छोड़ने लगा और वो उसके पानी को पीने लगी.... "राज इससे पहले कि हम जुदा हो क्या तुम्हारी और कोई इच्छा है?" गीली चूत ने पूछा... "हां है तो" राज ने जवाब दिया... ज


राज अपनी मा की हक़ीकत से अंजान उसके साथ होटेल के कमरे मे था.. वो अब भी उसे एक अंजान गरम औरत ही समझ रहा था.. उसकी आँखों के सामने वो द्रिस्य आ गया जब गीली चूत ने अपनी गंद मे

उंगली कर उसे दीखया था... "एक काम है अगर तुम मेरे लिए करो तो मुझे खुशी होगी" राज थोडा

हिचकिचाते हुए कहा. "और वो क्या है?" "अगर तुम आज फिर मुझे अपनी गंद मे उंगली घुसा के दिखाओ तो मुझे बहोत अछा लगेगा." राज ने जवाब दिया.


"में समझ सकती हूँ कि जब में अपनी गंद मे उंगली अंदर बाहर करती हूँ तो तुम बहोत उत्तेजित हो जाते होगे.." वासू ने चादर की दूसरी ओर से राज से कहा, "और जहाँ तक में समझ रही हूँ आज तक तुमने कभी किसी की गंद नही मारी है.. है ना?" वासू ने राज से पूछा. "हाँ तुम सही कह रही हो..मुझे आज तक किसी की गंद मारने का मौका नही मिला और जब तुम अपनी गंद को फैला उसमे जब उंगली अंदर बाहर करती हो तो जैसे में पागल हो जाता हूँ..मेरे लंड इतना अकड़ जाता है कि में बता नही सकता" राज ने जवाब दिया. "फिर तो तुम्हारी इच्छा पूरी करते हुए मुझे ज़्यादा खुशी होगी"


राज ने देखा कि पहले गीली चूत के पैर चादर के नीचे नज़र आए फिर वो घूम कर झुक गयी और पीछे होने लगी.. अब उसके चूतड़ चादर के किस तरफ आ गये.. और राज ललचाई नज़रों से उसकी गंद और चूत को देखने लगा... फिर राज को टाँगो के बीच से एक हाथ नज़र आया वो चूत को सहलाने

लगा...फिर दो उंगलियाँ चूत के अंदर बाहर होने लगी.. और फिर थोड़ी देर के लिए हाथ गायब हो गया और वापस आ अब गंद के छेद को कुरेदने लगा.. राज गीली चूत की गंद और चूत देखते हुए अपने लंड को मसल्ने लगा और तनता जा रहा था... फिर उसने देखा की गीली चूत अपनी दो उंगलिया अपनी गंद मे घुसा घूमाने लगी....और थोड़ी देर बाद बोली..

"राज अब तुम अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दो." राज ने गीली चूत को कहते हुए सुना राज आगे बढ़ा और उसने अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया.. गीली चूत ने अपनी गंद थोड़ी सी पीछे धकेल उसके लंड को अपनी चूत मे ले लिया... "ऑश भगवान तुम्हारा लंड कितना बड़ा महसूस हो रहा है" गीली छूट सिसक पड़ी.. "ऑश राज चोदो मुझे के बार फिर से भर दो मेरी चूत को अपने लंड से" वासू अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए सिसकने लगी.. राज अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर होते देखता रहा और साथ ही गीली चूत की उंगली उसकी गंद के अंदर बाहर हो रही थी.. थोड़ी देर अपनी उंगली को गंद के अंदर बाहर कर वासू ने अपनी उंगली बाहर निकाल ली और राज से कहा कि अब वो अपनी उंगली को उसकी गंद के अंदर बाहर करे. राज ने अपनी दो उंगलियाँ अपने लंड के साथ साथ उसकी चूत मे घुसा दी.. जब उसकी उंगलियाँ अछी तरह से गीली हो गयी तो वो उन्हे उसकी गंद के छेद पर फिराने लगा... फिर धीरे से उंगलियों को उसकी गंद के अंदर ठेलने लगा... राज को मज़ा आने लगा.. एक छेद मे उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था तो दूसरे छेद मे उसकी उंगलियाँ ....
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09-20-2018, 02:04 PM,
#45
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
तभी गीली चूत ने अपना एक हाथ को पीछे लाकर राज के लंड को अपने मुट्ठी मे कस लिया.. अब उसका लंड उसकी मुट्ठी से रगड़ खाते हुए उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा... गीली चूत उसके लंड को पकड़ मसल देती....एक उत्तेजना की लहर राज के शरीर मे दौड़ जाती... "राज अब सहन नही होता प्लीज़ अपना लंड मेरी गंद मे घुसा कर आज इसे फाड़ दो... चिथड़े चिथड़े कर दो मेरी गंद के आज" राज गीली चूत के शब्दों को सुन चौंक पड़ा.. उसे उमीद नही थी की पहली ही मुलाकात मे वो उसे अपनी गंद मारने को कहेगी... वैसे भी उसने अभी तक किसी की गंद मे लंड नही पेला था.. इसलिए वो हर नये मज़े का आनंद लेने को तय्यार था... वो समझ गया कि इस

उम्रदराज़ औरत से उसे बहोत कुछ सीखने को मिलेगा...


राज ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसकी गंद के छेद पर रख अपने लंड को घिसने लगा.... "राज थोड़ा धीरे धीरे करना .... इतना मोटा लंड मेने पहले कभी गंद मे नही लिया है..." वासू ने अपने बेटे से कहा... राज ने अपने लंड को धीरे धीरे उसकी गंद के अंदर घुसाना शुरू किया.. एक दर्द की मीठी लहर दौड़ गयी वासू के शरीर मे.... वासू का बदन काँप उठा.. उसे लगा कि जैसे कोई लोहे की कोई सख़्त सलाख उसकी गंद को और चौड़ा कर रही है.. उसने अपनी गंद को

खूब फैलाता हुआ महसूस किया....

क्रमशः.......
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09-20-2018, 02:04 PM,
#46
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--14

गतान्क से आगे........

थोड़ी ही देर मे वासू को भी मज़ा आने लगा.. वो अपनी कमर को आगे पीछे कर राज के धक्कों का साथ देने लगी... राज ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ लिया और धक्के लगाने लगा था... वासू ने अब अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत मे डाल दी और राज के धक्कों का साथ देते हुए उंगलियों को अंदर बाहर करने लगी... 'हां राज ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से अंदर घुसाओ...ओह हां मारो मेरी गंद को ज़ोर ज़ोर से ओ हां"


राज का लंड और अकड़ने लगा... और नसों मे उबाल तेज हो गया... राज और कस कस के धक्के लगाकर उसने अपने वीर्य से अपनी ही मा की गंद भर दी.... राज अपने लंड का पानी गीरा अपने लंड को बाहर निकालना चाहता था लेकिन गीली चूत अपनी कमर को और जोरों से आगे पीछे कर उसके लंड पर धक्के मारने लगी.. साथ ही वो तेज़ी से अपनी उंगलियों को चूत के अंदर बाहर कर रही थी.. थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया....जब उसका शरीर ढीला पड़ गया तो राज ने अपना लंड बाहर निकाला और पलंग पर लुढ़क गया... और गीली चूत खिसक कर चादर की दूसरी ओर चली गयी...


"राज मुझे लगता है कि तुम्हारे जाने का वक्त हो गया है" गीली चूत ने राज से कहा. "हां.. वैसे बहोत बहोत शुक्रिया... सही मे मज़ा आ गया " राज ने जवाब दिया. "शुक्रिया तो मुझे तुम्हारा करना चाहिए... सही मे बहोत ही मस्त लंड है तुम्हारा... इससे पहले कि तुम जाओ में तुम्हे चूमना चाहती हूं" गीली चूत ने कहा. दोनो चादर की एक दूसरी ओर इस तरह बैठ गये कि उनके मुँह आमने सामने थे... दोनो के मुँह की भाप चादर को गीला कर रही थी.. लेकिन इस की परवाह ना करते हुए दोनो ने एक दूसरे के होठों को अपने मुँह मे ले लिया.... चादर बीच मे होने की वजह से थोड़ी तकलीफ़ तो ज़रूर हुई लेकिन फिर भी दोनो को मज़ा आया... "क्या हम फिर कभी इस तरह मिल सकते है?" राज ने अपने कपड़े पहन दरवाज़े की ओर बढ़ते हुए पूछा. "हां ज़रूर हम कोई रास्ता निकाल लेंगे.. और शायद में तुमसे अपना परिचय भी करवा दूँ.. बस मुझे थोड़ा वक्त दो" वासू ने जवाब दिया. "तब तो और मज़ा आ जाएगा" राज ने खुशी खुशी कहा... "हां और अब तुम घर जाओ और मज़े करो... लेकिन ज़्यादा मज़ा मत करना" वासू ने हंसते हुए जवाब दिया.... राज भी मुस्कुराते हुए होटेल के कमरे से बाहर निकला और घर कीओर जाते हुए सोचने लगा.... गीली चूत की कसी हुई गंद उसके दिमाग़ मे बस सी गयी थी.. वो सोच रहा था क्या उसकी बेहन प्रीति की गंद भी इतनी ही कसी हुई होगी.. या फिर उसकी दोनो चचेरी बहनो की गंद

कैसी होगी....


वसुंधरा अपने घर पहुँची और अपने फ्रेश होने के बाद घर के काम काज़ मे जुट गयी.. रात को सभी खाने की टेबल पर इकट्ठा हुए तो वो तीर्चि नज़रों से अपने बेटे को देखने लगी.. उसके साथ बीताए पल उसके दिमाग़ मे घूमने लगे..अपनी ही सोच से वो शर्मा गयी और उसकी चूत हरकत करने लगी... वो शरमाते हुए अपने कमरे आ गयी और सोचने लगी कि वो किस तरह अपने बेटे को बताए कि जिस गीली चूत से वो होटेल के कमरे मे मिला था वो और कोई नही उसकी अपनी मा है..
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09-20-2018, 02:04 PM,
#47
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
राज और प्रीति आने वाले दीनो मे एकांत का इंतेज़ार करने लगे... कि कब उन्हे चुदाई करने का मौका मिले.. शनिवार के दिन स्वीटी का फोन आया और उसने उन्हे अपने साथ बाहर चलने को कहा.. तो दोनो खुशी खुशी तय्यार हो गये. और रात को उसी के घर पर रुकने का भी प्रोग्राम बना लिया..


तीनो ने मिलकर रात मे काफ़ी मस्ती की... खूब घूमे फिरे.. पब मे जाकर खूब नाचे और जब सुबह होने को आई तो तीनो थक कर स्वीटी के घर आ गये.... तीनो हॉल मे आ गये और स्वीटी ने टीवी पर म्यूज़िक वीडियो की सीडी लगा दी... और थोड़ी ही देर मे तीनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे... "तुम दोनो को में बता नही सकती कि मेरी चूत मे कितनी आग लगी हुई है" प्रीति ने अपने भाई और अपनी चचेरी बेहन से कहा... "मुझे बार बार अपनी चूत की गर्मी अपने ही हाथों से शांत

करनी पड़ती थी.. क्या करती जब भी रात मे में राज के कमरे मे चुदाई के लिए घुसना चाहती तो देखती थी कि डॅडी पेशाब के लिए उठे हुए है..मेरी तो हिम्मत ही नही हुई"


"ओहंम कितने दुख की बात है" कहकर स्वीटी ने अपनी बेहन को अपने पास खींचा और उसके होठों को अपने होठों से भींच चूसने लगी... "फिर तो मुझे लगता है की तुम्हे इसी वक्त राज से चुदवा लेना चाहिए... है ना?" ऐसा कहकर वो राज की और झुकी जो प्रीति के बगल मे बैठा था और उसकी जीन्स खींच कर उतारने लगी... "अगर मेरा चोदने का मूड ना हो तो?" राज ने मुकुराते हुए कहा.

"बस बस रहने दो.. ज़्यादा नखरे मत दीखाओ समझे ना" स्वीटी ने हंसते हुए कहा और उसके खुले लंड को अपने हाथो से पकड़ लिया... प्रीति के पैरों पर से झुकते हुए उसने राज के लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी...


प्रीति अपना हाथ स्वीटी के कुल्हों पर फिराने लगी.. उसकी टाँगो को सहलाते हुए वो उसकी चूत को उसकी पॅंटी के उपर से कुरेदने लगी.... और अपना मुँह राज की ओर कर दिया... राज उसकी चुचियों को

पकड़ते हुए उसके होठों को चूसने लगा... प्रीति ने स्वीटी के टॉप को पकड़ उपर उठाना चाहा तो स्वीटी ने राज का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया जिससे प्रीति उसके टॉप को उतार सके.... और तभी राज ने प्रीति के टॉप को भी उतार दिया... स्वीटी फिर से राज का लंड चूसने लगी और राज ने अपना हाथ प्रीति की टाँगो के बीच उसकी चूत पर रख दिया... प्रीति ने स्वीटी की चूत को कुरेदते हुए पॅंटी के बगल से अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसा दी...उसकी बिना बालों की चूत प्रीति को

मज़ा दे रही थी.. वो अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी.... वहीं राज प्रीति के निपल को भींच रहा था काट रहा था.. उसकी चूत मे और जोरों की खुजली मचने लगी.. उसे अब राज के लंड की चाहत होने

लगी...

"स्वीटी मुझे से अब सहन नही हो रहा प्लीज़ थोड़ा खिसक जाओ जिससे में इस के लंड पर चढ़ इसके लंड को अपनी चूत मे ले सकूँ" प्रीति ने स्वीटी की चूत मे उंगली अंदर बाहर करते हुए कहा. "नही एक काम करते है राज को नीचे ज़मीन पर लीटा देते है फिर तुम इसके लंड पर चढ़ जाना और में अपनी चूत इसके मुँह पर रख चढ़ जाउन्गि इससे मेरा भी काम हो जाएगा" स्वीटी ने राज के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर कहा.. राज दीवान पर से खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतारने लगा... नंगा हो कर वो लेट गया.... प्रीति झुक कर उसके लंड को चूसने लगी... फिर खड़ी हो कर अपनी दोनो टाँगे उसके बगल मे रख वो उसके लंड को पकड़ अपनी चूत पर लगा...नीचे बैठती गयी... राज का लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया...


स्वीटी खड़ी हो कर राज के चेहरे पर खड़ी हो गयी और किसी रंडी की तरह अपनी कमर मटका अपने कपड़े उतारने लगी.. पहले उसने अपनी स्कर्ट उतारी और अपनी लाल रंग की पॅंटी के उपर से अपनी चूत को

मसल्ने लगी... प्रीति उछल उछल कर राज के लंड को अपनी चूत मे ले रही थी... थोड़ी देर इसी तरह नाचने के बाद स्वीटी धीरे धीरे अपनी पॅंटी को नीचे खिसकाने लगी... राज की आँखे उसी पर टीकी हुई थी.. उसकी बिना बालों की सपाट चूत देख उसके मुँह मे पानी आ गया और वो उसे चूसने और चाटने को मचल उठा... "अरे तुम्हारी चूत पर तो एक भी बाल नही है.. तुम्हारी बिना बालों

की चूत तो बहोत सुन्दर है ठीक मेरी बेहन की तरह" राज बोल पड़ा...


"ये सब तुम्हारी बेहन का ही कमाल है.. उस दिन जब तुम मेरी बेहन शमा को चोद रहे थे तब तुम्हारी बेहन ने मेरी झांते सॉफ की थी..." स्वीटी ने जवाब दिया... राज अपनी उंगलियों को उसकी चूत पर फिराने लगा था... "क्या उस दिन तुमने सही मे शमा को चोदा था..?" प्रीति ने पूछा. "हां" राज ने जवाब दिया... प्रीति के चेहरे पर आए नागावरी के भाव उससे छिपे ना रह सके.. "ओह में ही पागल थी.. मुझे समझ जाना चाहिए था.. मेने तो सोचा था कि वो सिर्फ़ तुम्हारे लिए झदेगी...लेकिन तुम दोनो चुदाई भी कर सकते हो ये मुझे समझ लेना चाहिए था" प्रीति ने उछलते हुए कहा.
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09-20-2018, 02:04 PM,
#48
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
अब ये बातें फिर कभी करेंगे.. इस समय मेरी चूत को तुम्हारी जीब की ज़रूरत है राज" स्वीटी ने अपनी चूत को उसके मुँह पर टीकाते हुए कहा. राज ने अपना मुँह खोला और अपनी जीब को उसकी चूत पर फिरा चाटने लगा.... प्रीति ने आगे से उसकी चुचियों को पकड़ लिया और राज के लंड पर उछलते हुए उन्हे मसल्ने लगी...


स्वीटी आगे बढ़ कर प्रीति के होठों को छूने लगी.. फिर धीरे से बोली.. "अपने भाई के इतना ना निचोड़ लेना कि मेरे लिए कुछ बचे ही नही... मेरी भी चूत इसके मोटे लंड के लिए तरस रही है."

"अरे मेरी जान बाद मे क्यों तुम अभी मेरे भाई के लंड को अभी अपनी चूत मे ले सकती हो.... तुम दोनो को चुदाई करते देख मुझे खुशी ही होगी..." प्रीति राज के लंड पर से खड़ी होती हुई बोली.


स्वीटी राज के शरीर पर नीचे खिसकने लगी.. और जब वो ठीक उस जगह पर आ गयी जहाँ थोड़ी देर पहले प्रीति बैठी थी तो वो थोड़ा सा उपर उठी और राज के लंड को अपनी चूत के मुँह से लगा लिया और ज़ोर से उछलते हुए नीचे बैठी.. एक ही झटके मे राज का लंड उसकी चूत की जड़ों तक घुस गया...


थोड़ी देर उछल उछल कर राज के लंड को अपनी चूत मे लेने के बाद स्वीटी ने कहा कि वो ज़मीन पर लेट राज के बदन को अपने बदन पर गिरता महसूस करना चाहती है...एक बार फिर दोनो अलग हुए और स्वीटी जब सीधी लेट गयी तो राज उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपने लंड को फिर उसकी चूत मे घुसा धक्के मारने लगा... प्रीति राज के पीछे आ गयी और राज के लंड के साथ साथ उसने अपनी दो उंगलियाँ स्वीटी की चूत मे दे दी... अब राज के लंड के साथ उसकी उंगलिया भी अंदर बाहर होने लगी...


"ओह राज हाआह चोदो मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो... ओह हां...श और ज़ोर से" स्वीटी अपनी कमर उपर को उछाल सिसक रही थी... राज और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और उसके लंड की नसें तनने लगी... "ऑश स्वीटी तुम्हारी चूत कितनी अछी है.. ओह मेरा छूटने वाला है"


"राज तुम अपना पानी मेरी चूत के उपर छोड़ दो और में चाहती हूँ की प्रीति इसे चाट कर सॉफ करे" स्वीटी ने राज से कहा. राज ने तीन चार ज़ोर के धक्के अपनी चचेरी बेहन की चूत मे लगाए और फिर अपने लंड को बाहर निकाल उसकी चूत पर मसल्ने लगा.... उसके लंड से वीर्य की फौहर छूट स्वीटी की चूत और पेट को भिगोने लगी...


"आओ प्रीति तुम्हारा नाश्ता तय्यार है" स्वीटी ने कहा.. राज उसके पैरों के बीच से हट गया और उसकी जगन प्रीति ने ले ली.... उसने स्वीटी की टाँगो को और फैलाया और अपनी जीब उसकी चूत पर फिरा राज

के वीर्य को चाट ने लगी जैसे की कोई बिल्ली दूध की मलाई चाट रही हो... राज अपनी बेहन के पीछे आ गया और चूत मे अपनी उंगली डाल अंदर बाहर करने लगा....साथ ही उसकी चूत की पंखुड़ियों को

मसल्ने लगा... "प्रीति तुम अपना नाश्ता पूरा कर लो फिर में तुम्हारी चूत की मलाई चाट अपना नाश्ता पूरा करूँगा.." राज ने कहा. स्वीटी की चूत पर बिखरी सारी मलाई चाटने के बाद प्रीति अपनी जीब उसकी चूत मे घुसा गोल गोल घूमाने लगी..जैसे की अंदर के रस को चाट रही हो... स्वीटी की चूत इस प्रहार से थिरकने लगी..

स्वीटी ने उसके सिर को पकड़ अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया...और उसकी चूत ने अमृत की बरसात प्रीति की मुँह मे कर दी.... प्रीति करवट बदल कर वहीं लेट गयी जिससे की राज अपना नाश्ता कर

सके... राज ने उसकी पैरों को फैलाया और झुक कर उसकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया... और जीब से जोरों से चाटने लगा और चूसने लगा... कुछ ही पलों मे प्रीति की चूत से रस की धारा बहने लगी...


थोड़ी देर सुसताने के बाद तीनो अपनी अपनी जगह जाकर पलंग पर गिर सो गये... सुबह सबसे पहले प्रीति की आँख खुली.. उसे पेशाब जाने की इच्छा हो रही थी.. वो चुप चाप बिना आवाज़ किए टोलीलेट की ओर बढ़ी...जैसे ही वो अपने चाचा की स्टडी रूम से गुज़री तो देख कर चौंक पड़ी कि उसके चाचा कंप्यूटर के सामने बैठे थे... प्रीति ने तिरछी नज़रों से कंप्यूटर स्क्रीन पर अपनी नज़रे डाली तो

उसने देखा की चाचा पॉर्न तस्वीरें देख रहे थे और साथ ही अपने लंड को मसल रहे थे... और साथ ही कुछ लिखते जा रहे थे शायद वो अपनी उस कहानी को पूरा कर रहे थे जो प्रीति ने थोड़े दिन

पहले पढ़ी थी.. वो और आगे देखना चाहती थी पर पेशाब की इच्छा की वजह से वो रुकी नही और बाथरूम की ओर बढ़ गयी.
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09-20-2018, 02:04 PM,
#49
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
प्रीति ने टाय्लेट की फ्लश खींची और वापस बाहर आ गयी.. वो जानती थी कि फ्लश की आवाज़ से उसके चाचा जान जाएँगे की कोई बाहर है.. और जैसे ही वो वापस स्टडी रूम से गुज़री तो उसका अंदाज़ा

सही था.. चाचा ने कंप्यूटर से पॉर्न तस्वीरें बंद कर दी थी और जैसे वो देखना चाहते थे कि बाहर कौन है... "ओह्ह प्रीति.. है कैसी हो" प्रीति के बदन को नज़रों से घूरते हुए बोले...


"हाई मोहन चाचा.. आप इतनी सुबह उठ कर क्या कर रहे है?" प्रीति ने पूछा.. और स्टडी रूम के अंदर दाखिल हो गयी...और अपनी नज़रें अपने चचे के खड़े लंड पर गढ़ा दी.. "कुछ ख़ास नही बस अगले हफ्ते की कुछ टायारी कर रहा था.." मोहन ने जवाब दिया और उसकी नज़रे प्रीति की भारी चुचियों से लेकर उसकी नंगी टाँगो तक घूम गयी.. "आप भी क्या चाचा में तो समझी थी कितनी सुबह आप नेट पर कुछ सर्फ कर रहे होंगे..." प्रीति ने हंसते हुए जवाब दिया.. उसकी नज़रे अब भी चाचा के लंड पर गढ़ी हुई थी... "कोई बात नही आप अपना काम करिए और में चली फिर से सोने अपने कमरे मे" कहकर प्रीति कमरे से बाहर आ गयी. मोहन अचंभित नज़र से प्रीति को कमरे से जाते देखता रहा.. एक तो पहले ही से वो कंप्यूटर पर नंगी तस्वीरे देखते हुए उत्तेजित था और उसपर से उसकी भतीजी का जानलेवा हुस्न... वो पागल सा हो गया.. उसके आने से पहले वो अपनी कहानी लीखने मे मस्त था और साथ ही काफ़ी उत्तेजित हो गया था...


मोहन को विश्वास हो गया कि उसकी भतीजी वापस अपने कमरे मे चली गयी है तो वापस अपने काम मे जुट गया.. वहीं प्रीति अपने कमरे मे आकर सोचने लगी कि क्या उसे वो कहानी जो उसने पूरी की थी अपने चाचा को भेजनी चाहिए कि नही... रह रह कर उसके चाचा का ढीली पॅंट मे छुपा तगड़ा लंड उसकी आँखों के सामने आ जाता.

रविवार को बलदेव और वसुंधरा ने अपने कुछ दोस्तों से मिलने का मन बनाया तो राज और प्रीति खुशी के मारे उछल पड़े.. उन्हे कई दीनो से मौका नही मिला था और आज वो इस मौके का भरपूर फ़ायदा उठना चाहते थे...

राज पर कुर्सी पर अपनी पॅंट नीचे खिसकाये... बैठा था और प्रीति उसकी टाँगो के बीच बैठी उसके लंड को मुँह मे ले चूस रही थी की तभी डोर बैल बजी.. राज और प्रीति उछल पड़े...लेकिन दोनो ने

बेल की ओर ध्यान नही दिया.. प्रीति अपने काम मे लगी रही की तभी उन्हे स्वीटी के चिल्लाने की बाहर से आवाज़ सुनाई पड़ी... "राज प्रीति.. तुम दोनो घर मे हो कि नही?" स्वीटी की आवास सुन कर प्रीति ने दरवाज़ा खोल दिया और स्वीटी उन दोनो के साथ उनके कमरे मे आ गयी... कमरे मे घुसते ही स्वीटी ने देखा कि राज नंगा कुर्सी पर बैठा था और उसका खड़ा लंड आसमान की ओर मुँह किए था.... राज के खड़े लंड को देख स्वीटी की चूत चोने लगी... स्वीटी राज की टाँगो के बीच बैठ गयी और राज के खड़े लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.. प्रीति भी कहाँ पीछे रहने वाली

थी.. वो भी स्वीटी के बगल मे बैठ गयी.. और अब दोनो बहने बारी बारी अपने भाई का लंड चूसने लगी... तभी प्रीति स्वीटी के कपड़े उतारने लगी.. थोड़ी ही देर में तीनो बिल्कुल नंगे हो गये... इस बार प्रीति कुर्सी पर बैठ गयी और राज उसके बगल मे आ कर खड़ा हो गया... प्रीति ने उसके लंड को पकड़ अपनी ओर खींचा और मुँह मे ले चूसने लगी.. और स्वीटी ने प्रीति की टांगो को फैलाते हुए अपनी जीब उसकी सपाट चूत पर रख दी...

क्रमशः.......
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09-20-2018, 02:04 PM,
#50
RE: Indian Sex Story वपरिवार हो तो ऐसा
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--15

गतान्क से आगे........

तीनो एक दूसरे को चूस चाट कर मज़ा देते रहे.. थोड़ी देर मे प्रीति और स्वीटी ने अपनी अपनी जगह बदल ली.. और इस बार प्रीति स्वीटी की चूत को चूसने लगी.... एक बार फिर तीनो ने अपनी जगह

बदली इस बार राज कुर्सी पर बैठ गया.. और प्रीति उसकी गोद मे चढ़ कर उसके लंड को अपनी चूत से लगा नीचे बैठ गयी.. फिर अपनी गंद को गोल गोल घूमा उसके लंड से खेलने लगी..... स्वीटी ने

अपना मुँह प्रीति की चुचियों पर रख दिया और उसके निपल को चूसने लगी.... तीनो के मुँह से सिसकारियाँ फुट रही थी.... प्रीति और उछल उछल कर उसके लंड को अंदर लेते हुए बड़बड़ाने

लगी... ऑश हाआँ ऑश हाआँ ऑश में तो गयी....." प्रीति की चूत ने पानी छोड़ा था स्वीटी ने उसकी जगह ले ली और फिर राज की गोद मे उछलने लगी.... राज भी उत्तेजना मे नीचे से अपनी

कमर उठा अपने लंड को और अंदर तक घुसाने लगा....


"ओह हां राज और अंदर तक घुसा कर चोदो ऑश हाँ और अंदर तक ..."अपनी चुचियों को मसल्ते हुए स्वीटी सिसकने लगी.... "स्वीटी और प्रीति मेरा छूटने वाला हैऔर आज में तुम दोनो को मेरा वीर्य स्नान कराउँगा" राज ने स्वीटी को अपनी गोद से उतारते हुए कहा... राज उठ कर खड़ा हो गया और प्रीति और स्वीटी नीचे बैठ कर उसके लंड को बारी बारी फिर चूसने लगी.... राज का लंड अकड़ने लगा था.. तभी स्वीटी ने अपना मुँह खोल दिया और प्रीति राज के लंड को स्वीटी के मुँह की ओर कर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगी...


राज के लंड से वीर्य की ज़ोर की पिचकारी छूट कर स्वीटी के मुँह मे गीरी...फिर प्रीति ने राज के लंड को अपने मुँह के ओर किया... फिर से पिचकारी छूटी और प्रीति उसके वीर्य को निगलने की कोशिश करने

लगी..... जब राज के लंड से आखरी बूँद भी निचोड़ गयी तो दोनो बहने अपने अपने होंठ मिला कर राज के वीर्य का आदान प्रदान करने लगी... फिर प्रीति ने स्वीटी को अपने गले लगा लिया.. "मुझे नही पता था कि हम दोनो ये भी कर सकते थे" प्रीति ने कहा. "मुझे लगता है कि ये तो कुछ भी नही है.. हम तीनो आज की तारीख मे कुछ भी कर सकते है" स्वीटी ने राज की ओर देखा की तीनो हँसने लगे..और तीनो पलंग पर लुढ़क गये..... "तुम्हारा कहने का मतलब क्या है?" प्रीति ने पूछा.


"ये तुम राज से पूछा उसने ही तो हमे उकसाया था?" स्वीटी ने जवाब दिया... "ठीक है में बताता हूँ" राज ने कहा

और स्वीटी की ओर देखने लगा और सोचने लगा कि गीली चूत के बारे मे उसे स्वीटी के सामने बताना चाहिए की नही... प्रीति तुम्हे पता ही है कि में ऑनलाइन एक औरत से बात किया करता था..." राज ने कहा. "हां और शायद उसकी आईडी गीली चूत थी" प्रीति ने जवाब दिया... वहीं स्वीटी हैरत भरी नज़रों से अपने चचेरे भाई और बेहन को देख रही थी.... "वो क्या है कुछ दिन पहले में उससे एक होटेल के कमरे मे मिला था और उसकी जम कर चुदाई की थी" राज ने कहा. "ओह राज अब इतना भी मत फैंको...में विश्वास नही करती तुम्हारी बातों का" प्रीति ने कहा. "अरे विश्वास करो मेरा.. और यहाँ तक कि उसने अपनी गंद भी मरवाई थी" प्रीति हैरत से अपने भाई को देख रही थी और स्वीटी को तो जैसे लकवा मार गया था... वो बूत बनी राज की बात सुन रही थी... "एक काम करो तुम हमे खुल कर बताओ कि क्या हुआ..." स्वीटी ने कहा.. वो प्रीति को देख रही थी जिसे अपने भाई की बात पर विश्वास नही हो रहा था, "वैसे भी मुझे कुछ पता नही है कि तुम किस विषय पर बात कर रहे हो" तब राज ने स्वीटी को बताया कि किस तरह चॅट करते हुए उसकी मुलाकात नेट पर गीली चूत से हुई और किस तरह दोनो ने वेब कॅम पर एक दूसरे को अपना लंड और चूत दीखाई... किस तरह दोनो मूठ मारते हुए एक दूसरे का दिल बहलाते थे...फिर उसने बाते की किस तरह एक बार गीली चूत ने अपनी गंद मे उंगली घुसा उसे दीखया था... और फिर उसने एक दिन उसे होटेल के कमरे मे मिलने की पेशकेश की और किस तरह बिना उसकी शकल देखे उसने गीली चूत की चूत और गंद को

जम कर चोदा था..

प्रीति और स्वीटी अपने भाई की कहानी ध्यान से सुन रहे थे.. वो बीच बीच मे उससे सवाल भी कर रहे थे.. उन्हे अब भी विश्वास नही हो रहा था.. कि सही में ऐसा कुछ हुआ होगा... राज ने उन्हे बताया कि किस तरह गीली चूत ने पहले अपनी खुद की उंगलियाँ अपनी गंद के अंदर बाहर की थी और फिर बाद मे राज ने पहले अपनी उंगली से उसकी गंद के छेद को चौड़ाया था और फिर बाद मे अपना लंड उसकी गंद के छेद मे डाल उसकी गंद मारी थी... "तुमने कभी अपनी गंद मे लंड लिया है?" प्रीति ने स्वीटी से पूछा. "नही मेने तो नही लिया है.. और मुझे लगता है कि तुमने भी नही लिया है" स्वीटी ने जवाब दिया. "हां तुम सही कह रही हो" "क्या ये नया अनुभव करना चाहोगी?" स्वीटी ने फिर प्रीति से पूछा. "मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा... राज के कहने के मुताबिक उस औरत को गंद मे लंड लेने मे काफ़ी मज़ा आया लेकिन मुझे तो ये सब गंदा लगता है" प्रीति ने जवाब दिया. "तुम क्या कहती हो?' "सोच तो में भी वही रही हूँ... लेकिन कुछ नया करने के ख़याल से ही मेरी चूत फुदकने लगती है" स्वीटी ने कहा.

ने कहा... प्रीति उठ कर पलंग पर घुटनो के बल लेट गयी.. उसकी चुचियों नीचे टीकी हुई थी ठीक स्वीटी की तरह... अब उसकी गंद भी उसके भाई के तरफ हो गयी...
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