Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)
01-24-2019, 11:50 PM,
#1
Thumbs Up  Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)
अपडेट 1


मेरा नाम अफ़ताब है | मेरी उम्र इस वक़्त 27 साल है | मैं एक गोरा चिट्टा तंदरुस्त बांका जवान हूँ और इस वक़्त अपनी फैमिली के साथ मैं कराची में रहता हूँ |

आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ , उस का आगाज़ पाकिस्तान के सूबे पंजाब के शहर गुजरात सिटी के पास वाकीया एक छोटे से गाँव में हुआ | 

आज से चंद साल पहले ज़मींदारा कॉलेज गुजरात से ग्रेजुएट करने के बाद जब मुझे एक जानने वाले की मेहरबानी से लाहौर में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब मिली तो मैं अपने गाँव को खुदा हाफ़िज़ कह कर लाहौर चला आया और अपने दो दोस्तों के साथ एक फ्लैट में रहने लगा |

मुझे लाहौर में जॉब शुरू किए अभी तक़रीबन 6 महीने ही हुए थे कि गाँव से आने वाली एक मनहूस खबर ने मेरे दिल को तोड़ दिया |

खबर यह थी कि गुजरात शहर से अपने गाँव जाते हुए मेरे अब्बू के ट्रेक्टर का एक ट्रक से एक्सीडेंट हो गया है और इस एक्सीडेंट में मेरा 23 साला छोटा भाई इजाज़ और मेरे 55 साला अब्बू चौधरी क़ादिर दोनो का इंतकाल हो गया था |

यह खबर 50 साल से कुछ ऊपर मेरी अम्मी फख़ीरा और मेरी 24 साला छोटी बहन संध्या के लिए तो बुरी थी ही | मगर उन दोनों के साथ मेरे लिए ज्यादा बुरी इसलिए थी कि ना सिर्फ़ अब मुझे लाहौर जैसी बड़ी सिटी को छोड़ कर वापिस अपने गाँव जाना पड़ गया था बल्कि साथ ही साथ अपने वालिद की सारी ज़मीन की देखभाल और अपने घर को संभालने की सारी ज़िम्मेदारी मेरे कंधों पर आन पड़ी थी |

बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेटर में ग्रॅजुयेशन करने के बाद खेतीबाड़ी करने को मेरी हरगिज़ दिल नही था |

मगर अपने वालिद का एकलौता बेटा रह जाने की वजह से अपनी ज़मीन की देखभाल चाहे मजबूरी में ही सही अब मुझे ही करनी थी |

इसलिए अपने भाई और वालिद के कफ़न दफ़न के बाद मैंने अपनी ज़मीन को संभाल लिया और अब मैं पिछले 6 महीने से दिन रात खेती बाड़ी में मसरूफ़ हो गया |

वैसे तो अपनी ज़िंदगी में मेरे वालिद हमारी ज़मीन पर ज्यादातर सब्ज़िया ही उगाते थे | मगर उनकी मौत के बाद मैंने कोई अलग फसल लगाने के लिए सोचा और चंद दूसरे लोगों से स्लाह मशवरा करने के बाद मैंने अपनी ज़मीन पर गन्ना लगा दिया |

अगस्त के महीने में गन्ने की फसल खड़ी तो हो गई मगर इसके बावजूद उसे काटने के लिए मुझे एक महीना और इंतज़ार करना था |

इस दौरान चूँकि फसल की रखवाली के इलावा मुझे खेतों पर और कोई काम नही था | इसलिए मैंने अपने कुछ नौकरों को कुछ टाइम के लिए छुट्टी दे दी और सिर्फ़ रात की निगरानी के लिए दो आदमियों को रख लिया | जोकि रात को डेरे पर रहते और सुबह होते ही अपने घर वापिस चले जाते | 

चूँकि हमारी ज़मीन हमारे गाँव के बाकी लोगों की ज़मीनों और मकानों से काफ़ी हट कर दूर थी | इसलिए मैं एक बार जब अपने घर से निकल कर अपनी ज़मीन पा आ जाता तो फिर मेरी घर वापसी शाम से पहले नही होती थी | 

गन्ने की काशत के बाद अब मेरी रुटीन यह बन गई थी कि सुबह सुबह डेरे पर चला आता और मैं सारा दिन अपने उस डेरे पर बैठकर अपने खेतों की निगरानी करता जिसे मेरे वालिद ने अपनी ज़िन्दगी में बनाया था |

अब्बू ने यह डेरा हमारी सारी ज़मीन के बिल्कुल सेंटर में बनाया था | जिसमें दो कमरे बने हुए थे |

उन दोनो कमरों में से एक में ट्यूबवेल लगा हुआ था जिससे मैं अपनी सारी फसल को पानी देता था | इस कमरे की छत की उचाई कम थी | 

जबकि दूसरा कमरा आराम करने के लिए बनाया गया था और इस कमरे की छत ट्यूबवेल वाले कमरे से काफ़ी उँची थी |

ट्यूबवेल वाले कमरे की पिछली तरफ लकड़ी की एक सीड़ी लगी हुई थी जिसके ज़रिये ऊपर चढ़कर ट्यूबवेल की छत पर जाया जा सकता था |

यहाँ पर एक रोशनदान भी बना हुआ था जोकि आराम करने वाले बड़े कमरे को हवादार बनाने के लिए था |

इस रोशनदान पर लकड़ी की एक छोटी सी खिड़की लगी हुई थी जो हमेशा बंद ही रहती | जबकि रोशनदान के बाहर की तरफ स्टील की एक जाली भी लगी हुई थी |

इस रोशनदान की बनावट कुछ इस तरह की थी कि अगर कोई इंसान ट्यूबवेल की छत पर खड़े होकर बड़े कमरे के अंदर झाँकता तो कमरे के अंदर मौजूद लोगों को बाहर खड़े शक्स की मौजूदगी का इल्म नही हो सकता था |

ट्यूबवेल की छत पर भी एक सीढ़ी रखी हुई थी | जिसके जरिए आराम वाले कमरे की उँची छत पर चढ़ा जा सकता था |

इस छत से चूँकि हमारी पूरी ज़मीन पर नज़र रखी जा सकती थी | इसलिए दिन में अक्सर मैं सीढ़ियों के जरिए ऊपर चला जाता और छत पर बैठ कर अपनी फसल की हिफ़ाज़त करता रहता |

हर रोज़ दोपहर में मेरी छोटी बहन संध्या मेरे लिए घर से खाना लाती और जब तक मैं खाने से फ़ारिग ना हो जाता वो भी मेरे साथ ही कमरे में सामने वाली चारपाई पर बैठ कर अपने मोबाइल फोन से खेलती रहती |

जब मैं खाना खा कर फारिग हो जाता तो संध्या बर्तन समेट कर घर वापिस चली जाती और मैं कमरे में जा कर आराम कर लेता | 

यह रुटीन पिछले दो महीने से चल रही थी | कभी कभार ऐसा भी होता कि संध्या की जगह मेरी अम्मी रुखसाना मेरे लिए खाना ले आतीं |

लाहौर से वापिस अपने गाँव आ कर अब पिछले 6 मंथ से मेरी ज़िंदगी एक ही डगर पर चल रही थी | जिसकी वजह से मैं अब थोड़ा बोर होने लगा था और मेरी इस बोरियत की सब से बड़ी वजह चूत से महरूमी थी | 

असल में लाहौर में काम के दौरान मैंने अपने रूम मेट्स के साथ मिल कर बड़ी उम्र की दो गश्तियों का बंदोबस्त कर लिया था और फिर जितना अर्सा मैं वहाँ रहा, हफ्ते में कम से कम दो दफ़ा तो उन औरतों में से एक की चूत का ज़ायक़ा चख़ ही लेता था |

इस लिए यह ही वजह थी कि गाँव में आकर मैं औरत के मज़े से महरूम हो गया था |

वैसे तो मैंने डेरे पर दो तीन नंगी फोटोस वाले मैग्ज़िनस छुपा कर रखे हुए थे जिनको मैं लाहौर से अपने साथ लाया था |

इसलिए जब भी मेरा दिल चाहता तो मैं मौका पाकर डेरे पर बने कमरे में जाता और चारपाई पर लेट कर उन मैग्ज़िनस में मौजूद लड़कियों की गंदी फोटोस को देख देखकर मुट्ठ लगाता और अपने जिस्म की आग को हल्का कर लेता था |

बेशक़ मैं मुट्ठ लगा कर फ़ारिग तो हो जाता मगर मेरे लौड़े को औरत की चूत का ऐसा नशा लग चूका था कि अब मेरे लौड़े को एक गरम फुद्दी की शिद्दत से तलब हो रही थी |
मेरा लौड़ा मेरी शलवार में सुबह सुबह खड़ा होकर हर रोज़ किसी गरम फुद्दी की माँग करता मगर मैं थप्पड़ मार मार कर अपने लौड़े को खामोश कर देता था |

वो कहते हैं ना कि “सौ साल बाद तो रुड़ी की भी सुनी जाती है” बिल्कुल यह मेरे साथ हुआ कि जिस गरम और प्यासी चूत की मेरे लौड़े को तलाश थी | 

वो उसे मेरी बहन संध्या की सहेली ज़ाकिया की शकल में आख़िर एक दिन मिल ही गई |

ज़ाकिया वैसे तो मेरी बहन संध्या से उम्र में एक साल बड़ी थी मगर गाँव में हमारे घर साथ साथ होने की वजह से उन दोनो में बचपन ही से बहुत अच्छी दोस्ती थी |

जबकि स्कूल की पहली क्लास से लेकर मेट्रिक तक इकट्ठे एक ही क्लास में पड़ने की वजह से जवान होते होते उन दोनो की दोस्ती ज्यादा गहरी होती चली गई |

मेरी बहन की सहेली होने की हैसियत से ज़ाकिया का अक्सर हमारे घर आना जाना लगा रहता था |

ज़ाकिया जब भी मेरी बहन संध्या को मिलने हमारे घर आती तो संध्या उसे लेकर अपने कमरे में चली जाती | जहाँ दोनो सहेलियाँ बैठ कर काफ़ी देर तक गपशप करती रहती थीं |
ज़ाकिया चूँकि उम्र में संध्या से एक साल बड़ी थी | इसलिए उसके घर वालों को उसकी शादी की शायद कुछ ज्यादा ही जल्दी थी |

यही वजह थी कि जिन दिनों मैं जिम्मीदारा कॉलेज में ब.ए. कर रहा था तो उसी दौरान ज़ाकिया की शादी हो गई |

उसके सुसराल वाले चूँकि मुल्तान के पास एक गाँव में रहते थे इसलिए शादी के बाद ज़ाकिया हमारे गाँव से रुखसत हो कर अपने शोहर के साथ मुल्तान में रहने लगी |

अब जिन दिनों मेरा लौड़ा किसी औरत की फुद्दी में जाने के लिए तडप रहा था तो उनी दिनों ज़ाकिया अपने माँ बाप को मिलने अपने गाँव वापिस आई तो उस दौरान वो मेरी बहन संध्या को भी मिलने हमारे घर चली आई |

उस दिन मैं भी इतफ़ाक से डेरे से जल्दी घर वापिस आ गया था | इसलिए संध्या के साथ ज़ाकिया के साथ मेरी भी मुलाक़ात हो गई |

मैंने उस दिन ज़ाकिया को तक़रीबन दो साल बाद देखा तो उस को देखती ही मैं उसके हुस्न का दीवाना हो गया |

ज़ाकिया शादी के इन दो सालों में लड़की से एक भरपूर औरत बन चुकी थी | उसकी कमीज़ में से उसके गोल गोल मोटे मुम्मे बहुत ही मज़ेदार नज़र आ रहे थे | जिनको देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया था |

जबकि ज़ाकिया की शलवार में पोषीदा उस की लम्बी गुंदाज राणों को देखते ही मेरा लौड़ा उस की राणों के दरमियाँ मौजूद चूत के बारे में सोचकर एकदम मेरी शलवार में हिलने लगा था |

संध्या और ज़ाकिया हमारे घर के सेहन में ही बैठकर आपस में बातों में मशगुल हो गईं थी | जबकि इस मौके का फ़ायदा उठाते हुए मैं इस दौरान ज़ाकिया के जिस्म को भूखी नजरों से देखाने में लगा रहा |

ज़ाकिया ने संध्या से बातों के दौरान अपने जिस्म पर पड़ने वाली मेरी गरम नजरों को महसूस तो कर लिया था | मगर उसने अपने चेहरे से मुझे यह महसूस नही होने दिया कि मेरा यूँ ताड़ना उसे अच्छा लगा है या नही |

दूसरे दिन दोपहर को मैं डेरे के कमरे में चारपाई पर लेट कर आराम कर रहा था तो संध्या मेरे लिए खाना ले कर आई तो उस दिन मेरी बहन संध्या के साथ उस वक़्त ज़ाकिया भी थी | ज़ाकिया को यूँ दुबारा अपने सामने देख कर मेरे लौड़े में एक अजीब सी हलचल मच गई |

मैं जब खाना खाने बैठा तो संध्या और ज़ाकिया सामने वाली चारपाई पर बैठ कर आपस में बातें करने लगा | 

इस दौरान मैंने महसूस किया कि संध्या से बातों के दौरान ज़ाकिया चोरी चोरी मेरी तरफ भी देख रही थी |

इस दौरान मेरी नज़र एक दो दफ़ा ज़ाकिया की नज़र से मिली | तो उसकी नजरों में मेरे लिए जो हवस का पैगाम था उसे पड़ना मेरे लिए कुछ मुश्किल नही था |

“हाईईईईईईईईई लगता है कि ज़ाकिया भी मेरी तरह चुदाई की आग में जल रही है” अपनी बहन की सहेली की आखों में चुदाई की प्यास देख कर मेरे दिल में ख्याल आया और मेरी शलवार में मेरा लौड़ा गरम हो गया |

मैं रोटी से फारिग हुआ तो संध्या ने बर्तन उठाए और ज़ाकिया को साथ लेकर घर चली गई | जबकि मैं चारपाई पर लेट कर ज़ाकिया के बारे में सोचने लगा |

दूसरे दिन ज़ाकिया फिर मेरी बहन संध्या के साथ मुझे रोटी देने आई | उस दिन खाने के बाद संध्या ने बर्तन समेटे और उन्हें धोने के लिए अकेली ही बाहर ट्यूबवेल की तरफ चली गई | जिसकी वजह से अब कमरे में सिर्फ़ मैं और ज़ाकिया ही रह गए थे |

संध्या के बाहर जाते ही मैंने मौका गनीमत जाना और ज़ाकिया की तरफ देखा तो वो भी मेरी तरफ ही देख रही थी |

“तुम्हारा शोहर कैसा है ज़ाकिया” ज़ाकिया को अपनी तरफ देखते ही मैंने अपने आप में हिम्मत पैदा की और अपनी चारपाई सरकाकर उसके नज़दीक होते हुए यह सवाल कर दिया |

“ठीक हैं वो” ज़ाकिया ने जवाब तो दिया मगर मुझे अपने नज़दीक आते देख ज़ाकिया एकदम घबरा गई और उस की साँसें ऊपर नीचे होने लगीं |

“तू खुश तो है ना उसके साथ” मैंने ज़ाकिया के करीब होते हुए उसके नरम हाथ को अपने हाथ में पकड़ते हुए पूछा |

ज़ाकिया ने कोई जवाब नही दिया तो मेरा हौसला बढ़ा और मैंने उस की कमर में हाथ डाल कर उसके गुंदाज जिस्म को अपने करीब खींच लिया | अब उसका जिस्म मेरे जिस्म से जुड़ गया और हम दोनो के मुँह एक दूसरे के आमने सामने आ गए |

“छोड़ो मुझे संध्या आती ही होगी” अपने आपको मेरी बाहों के घेरे में आते देखकर ज़ाकिया एकदम घबरा गई और मेरी बाहों से निकलने की कोशिश करते हुए बोली |

ज़ाकिया की बात को नज़रअंदाज़ करते हुए मैंने अपने मुँह को आगे बढ़ाया और अपने होंठ ज़ाकिया के गरम होंठों पर रख दिए |

एक लम्हे के लिए ज़ाकिया ने छुडवाने की नाकाम सी कोशिश की मगर इसके साथ ही उसने अपने मुँह को खोला तो मेरी ज़ुबान उसके मुँह में दाखिल हो कर उसकी ज़ुबान से टकराने लगी |

आज इतने महीने बाद एक औरत के जिस्म को छूने और लबों को चाटते हुए मुझे बहुत मज़ा आया तो मैंने मस्ती में आते हुए ज़ाकिया के जिस्म के गिर्द अपनी बाहों को कसा | जिसकी वजह ज़ाकिया का जिस्म मेरे जिस्म के साथ चिमटता चला गया और साथ ही उसके गुंदाज मुम्मे मेरी छाती में दबते चले गए |

इससे पहले के मैं और आगे बढ़ता ज़ाकिया ने एकदम मुझे धक्का देते हुए अपने आपको मेरे बाजुओं की ग्रिफ्त से अलग किया और फिर जल्दी से कमरे के दरवाज़े के पास जाकर कांपती आवाज़ में बोली “तुम्हे तमीज़ होनी चाहिए कि शादीशुदा औरतों से कैसे पेश आते हैं” |

“अगर एक चांस दो तो मैं तुम्हे बता सकता हूँ कि शादीशुदा औरतों के साथ पेश आने की मुझे कितनी तमीज़ है, वैसे अब दुबारा कब मिलोगी मुझे” ज़ाकिया की बात का जवाब देते हुए मैंने उसकी तरफ देख कर बेशर्मी से शलवार में खड़े हुए अपने लौड़े पर हाथ फेरा और उससे सवाल किया | 

“कल, इसी वक़्त और इसी जगह” मेरी इस हरकत पर ज़ाकिया ने शर्माते हुए एकदम अपनी नज़रें नीचे कीं और फिर मेरी बात का जवाब देते हुए तेज़ी के साथ कमरे से बाहर निकल गई |
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01-24-2019, 11:51 PM,
#2
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Part 2

ज़ाकिया के कमरे से बाहर निकलते ही मैंने शलवार में खड़े हुए लौड़े को हाथ में थामा और ख़ुशी से झूमते हुए कहा “ले भाई तेरी तो सुन ली गई है यार”|

मेरा लौड़ा इस वक़्त पत्थर की तरह सख्त हो चूका था इसलिए मेरे लिए सब्र करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था |

थोड़ी देर बाद जब कमरे की खिड़की से मैंने ज़ाकिया को मेरी बहन संध्या के साथ घर वापिस जाता देखा तो मैंने फ़ोरन दरवाज़े को कुण्डी लगाई और अपनी शलवार उतार कर ज़ाकिया के नाम की मुट्ठ लगाने लगा |

दूसरे दिन मैं सुबह ही सुबह ज़ाकिया के इंतज़ार में बैठ गया |

मुझे यकीन था कि ज़ाकिया आएगी जरुर मगर इसके साथ मेरा अंदाज़ा यह भी था कि वो मेरी बहन संध्या के घर वापिस जाने के बाद ही मेरे पास आएगी |

लेकिन जब मैंने ज़ाकिया को संध्या के साथ ही आते देखा तो मुझे बहुत की मायूसी हुई और मेरा खड़ा लौड़ा मूत्र की झाग की तरह बैठ गया |

मैंने संध्या के हाथ से खाने के बर्तन लिए और अपनी चारपाई पर खामोशी के साथ बैठ कर खाना खाने में मशरूफ हो गया |

जबकि ज़ाकिया मेरी बहन संध्या के साथ दूसरी चारपाई पर बैठ कर गपशप करने लगी |

अभी मेरा खाना ख़तम होने में थोड़ी ही देर बाकी बची थी कि इतने में संध्या चारपाई से उठी और बोली ”भाई मुझे एक बहुत जरूरी काम याद आ गया है, इसलिए मुझे फ़ोरन ही जाना पड़ेगा, वैसे तो मेरी वापसी 10, 15 मिनिट्स में हो जाएगी, मगर आप फ़िक्र ना करें, आपके खाने के बाद ज़ाकिया बर्तनों को संभाल लेगी” | इतना कहते ही संध्या एकदम चारपाई से उठकर बाहर की तरफ चल पड़ी और जाते जाते वो कमरे के दरवाज़े को अपने पीछे से बंद करती हुई बाहर निकल गई | 

अपनी बहन को यूँ अचानक कमरे से बाहर जाता देखकर मुझे बहुत हैरत हुई और मैंने फौरन ज़ाक्या की तरफ देखा तो वो मेरी ही तरफ देखते हुए मुस्कारने लगी |

“यह क्यों इस तरह अचानक उठ कर बाहर चली गई है, क्या बताया है तुमने संध्या को” ज़ाकिया के चेहरे पर मुस्कराहट देखकर मेरा माथा ठनका और मैंने फौरन उस से पूछा |

“मैं ने कुछ नही बताया उसे, बस इतना ही कहा है कि मैंने तुमसे तन्हाई में कोई जरूरी बात करनी है, तुम जानते हो कि संध्या और मैं बहुत अच्छी सहेलियाँ है” ज़ाकिया ने मेरी बात का जवाब दिया |

“ज़ाकिया ने मेरी बहन को असल बात यक़ीनन नही बताई होगी” | ज़ाकिया के जवाब सुनते ही मैंने अपने आपसे कहा और यह बात सोचकर मेरे दिल को इत्मीनान सा हो गया |
वैसे भी असल बात यह थी कि ज़ाकिया को एक बार फिर अपने साथ कमरे में अकेला पा कर मेरे लौड़े में इतनी गर्मी चड़ गई थी कि अब मेरे दिमाग में फुद्दी लेने के इलावा किसी और बात की सोच ही खत्म हो चुकी थी | 

अभी मैं अपनी सोच में ही गुम था कि इतने में ज़ाकिया अपनी चारपाई से उठी और मेरे करीब आने लगी |

हालांकि मुझे शिद्दत से आज एक चूत की तलब हो रही थी और शायद ज़ाकिया को एक लौड़े की प्यास थी |

मगर इसके बावजूद ज़ाकिया को यूँ अपनी तरफ आते देखकर ना जाने क्यों तो मेरी सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गई और कल के मुकाबले आज मैं खुद घबरा गया |

“क्या बात है तुम इतने परेशान क्यों हो गए हो एकदम” | ज़ाकिया ने चारपाई पर मेरे करीब आकर बैठते हुए पूछा |

ज़ाकिया को यूँ अपने पास बैठा देखकर मुझे इतनी घबराहट हुई कि मैं उसे कोई जवाब नही दे पा रहा था |

“तुम कल मुझ से मेरे शोहर के बारे में पूछ रहे थे ना, तो मैं तुम्हें यह बताना चाहती हूँ कि मैं अपने शोहर को बहुत मिस कर रही हूँ अफ़ताब” ज़ाकिया ने अपने मुँह को मेरे मुँह के नज़दीक करते हुए सरगोशी की और फिर एकदम अपने होंठो को मेरे होंठो पर रख दिया | 

ज़ाकिया के होंठो को अपने होंठों से चिपकते हुए महसूस करते ही मुझे होश आया तो मैं भी ज़ाकिया के गुंदाज जिस्म को अपनी बाहों में कसते हुए उसके लबों को चूमने लगा |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईई मुझे अपने शोहर की शिद्दत से तलब हो रही है, क्या तुम मेरे शोहर की कमी को पूरा करोगे अफ़ताब” मेरी गरमजोशी को देखते हुए ज़ाकिया गरम हो गयी और उसने अपना मुँह खोल कर अपनी ज़ुबान को मेरी ज़ुबान से टकराने के दौरान मुझ से सवाल किया |

“हाँ मैंने कल भी यही कहा था कि अगर तुम मुझे मौका दो तो मैं तुम्हें तुम्हारे शोहर की कमी महसूस नही होने दूंगा मेरी जान” यह कहते हुए मैंने ज़ाकिया के होंठों पर अपने होंठों का दबाव बढ़ाते हुए उसे चारपाई पर लेटा दिया |

इसके साथ ही मैंने ज़ाकिया की मोटी गांड की पहाड़ियों पर हाथ रखते हुए उसके जिस्म को अपनी तरफ खिंचा तो उसकी चूत मेरी शलवार में अकड़े हुए मेरी लौड़े से टकरा गई |

“हाईईईईईईईईईईई क्याआआआआआ गरम और सख्त लौड़ा है तुम्हराआआआआआआ” मेरे सख्त लौड़े को यूँ अपनी प्यासी चूत से टकराते हुए महसूस कर ज़ाकिया के मुँह से सिसकी फूटी |

इधर यूँ ही हमारी क़िस्सिग का सिलसिला तेज़ हुआ तो इसके साथ ही ज़ाकिया ने अपने एक हाथ को नीचे किया और उसने मेरे सख्त लौड़े को श्लवार के ऊपर से अपनी ग्रिफ्त में लेकर किस्सिंग के दौरान ही मेरे लौड़े की मुट्ठ लगाना शुरू कर दी |

“हाआआआआआआआ” आज इतने अरसे बाद अपने तने हुए लौड़े पर किसी औरत के नर्म नाजुक हाथ महसूस करते ही मेरे मुँह से भी सिसकी निकली और मेरा लौड़ा और सख्त हो गया |

अब मैंने भी ज़ाकिया के हाथ के मज़े से होते हुए अपने हाथ को निचे ले जाकर शलवार के ऊपर से ही ज़ाकिया की गरम चूत को अपनी मुट्ठी में दबोचा तो स्वाद के मारे वो भी अपने मुँह से “ओह हाईईईईईईईईईईई” की आवाज़ें निकालने लगी |

थोड़ी देर ज़ाकिया के होंठो को चूमने और उसकी चूत को अपने हाथ से रगड़ने के बाद मैंने उसकी शलवार का नाडा खोलकर पहले उस की शलवार और फिर साथ ही उस की कमीज़ भी उतार कर चारपाई पर फैंक दी और फिर मैं ज़ाकिया से थोड़ा अलग हो कर उसके जिस्म का दीदार करने लगा |

अब कमरे में ज़ाकिया सिर्फ़ अपने ब्रेज़ियर में मेरे सामने अधनंगी पड़ी थी और मैं उसकी हल्के वालों वाली चूत और उसके ब्रेज़ियर में से छलकते अधनंगे मुम्मों का दीदार करते हुए अपने होंठों पर अपनी ज़ुबान फेर रहा था |

“अब सारा दिन यूँ ही मेरे जिस्म को ताड़ते ही रहोगे या मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल कर मेरी फुद्दी की आग को ठंडा भी करोगे” मुझे यूँ बुत बन कर प्यासी नजरों से अपनी तरफ देखती हुए पाकर ज़ाकिया बैचेनी से बोली और उसके साथ ही उस ने अपने हाथों को पीछे ले जाकर अपनी ब्रेज़ियर की हुक भी खोल दी तो उसके मोटे जवान मुम्मे पहली बार मेरी नजरों के सामने नंगे हो गए |

“चुदाई का तो अपना मज़ा होता ही है मगर किसी प्यासी औरत के जवान खुबसूरत जिस्म को ताड़ने का भी अलग ही स्वाद है मेरी जान, वैसे फ़िक्र ना करो आज तुम्हारी चूत चोदे बिना तुम्हे यहाँ से जाने नही दूंगा मैं” ज़ाकिया की बात का जवाब देते हुए मैंने अपने कपड़े उतारे और खुद भी ज़ाकिया के सामने पूरा नंगा हो गया | 

“उफफफफफफफ्फ़ तुम्हारा लौड़ा तो मेरे शोहर से भी थोड़ा मोटा और लंबा है अफ़ताब, हाईईईईईई तुम्हारी बीवी बहुत क़िस्मत वाली होगी जिसे इतना सेहतमंद और जवान लौड़ा ज़िन्दगी भर नसीब होगा” अपनी शलवार कमीज़ उतार कर मैं यूँ ही नंगा हुआ तो मेरे लौड़े को देखकर ज़ाकिया की आँखों में एक चमक आई और वो सिसकरते हुए बोल पड़ी | 

ज़ाकिया की बात सुनते ही मैं आगे बढ़ा और मैंने ज़ाकिया के मोटे मुम्मों को पहली बार अपने हाथ में थाम कर प्यार से उसका मम्मा दबाते हुए एक बार फिर से ज़ाकिया के लबों का रस पीने लगा | 

मैं ने ज़ाकिया के मम्मे दबाते हुए उसके पिंक निप्पल अपने हाथों से मसलते हुए उन्हें अपनी उँगलियों में लेकर खींचा तो वो मेरे हाथ के मज़े से बेहाल होते हुए सिसकियाँ लेते हुए बोली “आअहह आहह दबाओ मेरे मुम्मम्म्मे... आहह... अफ़ताब मेरे मुम्मम्म्मे को चूसूओ” | 

ज़ाकिया की बात सुनते ही मैंने फौरन अमल किया और ज़ाकिया का एक मम्मा पकड़कर उस को पागलों की तरह चूसने लग गया और साथ ही साथ उसके दूसरे मम्मे को भी अपने हाथ से दबाने लग गया और मेरे मुम्मा चूसाई के दौरान ज़ाकिया अपनी आँखें बंद करके सिसकियाँ लेती रही |

ज़ाकिया के मुम्मों को चूसते हुए मैं अपने एक हाथ से उस की फुद्दी को छुआ तो मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरी छेड़छाड की वजह से ज़ाकिया की फुद्दी पानी पानी हो रही थी |

मेरा हाथ चूत से लगते ही ज़ाकिया तो जैसे पागल हो गई और वो मेरे सर को वालों से पकड़ कर अपने मम्मों पर ज़ोर से दबाते हुए बोली “आहह बहुत मज़ा आ रहा है, मेरी चूत में अपनी उंगली डालल्ल्ल्ल्ल्लो अफ़ताब” |

ज़ाकिया की यह फरमाइश सुनते ही मैंने अपने हाथ की उंगली उस की फुद्दी में डाली और उस की फुद्दी को अपने उंगली से चोदने लगा |

अब मैं ज़ाकिया के मम्मे को चूस भी रहा था और साथ साथ ज़ाकिया की फुददी में फिंगरिंग कर रहा था और ज़ाकिया मज़े से चला रही थी “ऊऊऊओह उफफफफफफफफफफफ्फ़, हाईईईईईईई” |

ज़ाकिया की चूत में अपनी उंगली डाल कर अब मैं अपनी उंगली को गोल गोल घूमाने लगा था कि इतने में उसने मेरी हाथ को दोनो टाँगों में ज़ोर से दबाया और लंबा सा साँस ले कर अपनी आँखें बंद करते हुए ऐसे चुप हो गई जैसे उस की साँस ही रुक गई हो |

ज़ाकिया की यह हालत देख कर एक बार तो मैं भी घबरा गया | मगर जब मैंने देखा कि वो अपने होंठ दाँतों में दबा रही है तो मैं समझ गया कि उस को मेरी ऊँगली से अपनी चूत चुदवाते हुए मज़ा आ रहा है | 

कुछ देर बाद ज़ाकिया के मुम्मे से मुँह हटा कर मैं चारपाई से उठ कर ज़मीन पर बैठ गया |

ज़मीन पर बैठते ही मैं ने चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की टांगों को अपने हाथों से चौड़ा किया और एकदम से अपने मुँह को आगे करते हुए अपनी गरम ज़ुबान को चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की पानी छोडती चूत के लबों के दरमियाँ रख दिया |

“ओह यह कियआआआ मज़ा दिया है तुम ने मुझे” अपनी चूत से मेरी गरम ज़ुबान लगते ही ज़ाकिया तडप कर एकदम चारपाई से उछली |

इसके साथ उसने अपने हाथ से मेरे मूँह को हटाते हुए अपनी टाँगों को भींचने की कोशिश की |

लेकिन मैंने उसके दोनो हाथ अपने हाथों में पकड़ लिए और अपने मुँह को ज़ोर से उस की चूत पर प्रेस करते हुए अपनी ज़ुबान उस की चूत के अंदर डाल दी |

ज़ाकिया की गरम फुद्दी मुझे पागल कर रही थी | इसलिए अब मैं चारपाई से नीचे ज़मीन पर बैठ कर चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की चूत को मज़े ले ले कर चाटने मैं मसरूफ़ हो गया |

मेरी ज़ुबान के मज़े से बेहाल होते हुए अब ज़ाकिया ने मुझे सिर से पकड़ा हुआ था और मैं बहुत मज़े से ज़ाकिया की फुददी चूस रहा था |

जबकि ज़ाकिया चारपाई से ऊपर उछल उछल कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर ज़ोर ज़ोर से मारते हुए सिसकियाँ निकाल रही थी “आआआ, हाए, हहियीईई” |

थोड़ी ही देर की चूत चटाई के बाद ज़ाकिया का जिस्म ज़ोर ज़ोर से काँपने लगा और उसकी चूत से पानी का एक झरना बहता हुआ पूरा का पूरा मेरे मूँह में उतर गया और वो फारिग हो गई |

ज़ाकिया को अपने मुँह के मज़े से फारिग करवाते ही मैं एकदम ज़मीन से उठकर चारपाई के साथ खड़ा हुआ और बोला ”अब मैं नीचे लेटता हूँ और तुम मेरे ऊपर बैठ कर मेरे लौड़े को अपनी फुद्दी में डालो”

ज़ाकिया से यह बात कह कर मैं चारपाई पर लेट गया तो मेरा लौड़ा तन कर ऊपर छत की तरफ देखने लगा |

मेरी बात पर अमल करते हुए ज़ाकिया मेरे ऊपर चढ़ गई और फिर अपने जिस्म को ढीला छोड़ते हुए नीचे को हुई तो नीचे से मेरा तना हुआ लौड़ा आहिस्ता आहिस्ता ज़ाकिया की गरम चूत में समाने लगा |

“हाईईईईईईईईईई क्याआ मज़ेदार लौड़ा है तुम्हारा, उउफफफ्फ़ क्या बताऊं कितना मज़ा आ रहा हाईईईईईईई मुझे”

सिसकियाँ लेती ज़ाकिया आहिस्ता आहिस्ता मेरे लौड़े पर बैठ गई तो मेरा लौड़ा उसकी फुद्दी में पूरे का पूरा समा गया |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ किय्आआआआ गरम और तंग चूत है तुम्हारीईईईईईईईईईईईईईईईईईई” इतने महीनो बाद मेरे लौड़े को भी जब एक गरम चूत का स्वाद मिला तो मज़े के मारे मैं भी सिसका उठा |

मेरे लौड़े को अपनी चूत में लेते ही, हवस के मारे ज़ाकिया इतनी गरम हुई कि अब वो मेरे लौड़े पर बैठ कर तेज़ी के साथ ऊपर नीचे होने लगी और अपनी चूत को पागलों की तरह मेरे तने हुए लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से मारने लगी |

जिस की वजह से उसके मोटे बड़े मुम्मे हवा में इधर उधर उछलने लगे |

ज़ाकिया के इस जोश और उसके हवा में उछलते मुम्मे देख कर मुझे भी जोश आया और मैंने भी उसके बड़े मुम्मों को अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए अपनी गांड को चारपाई से उठा उठा कर नीचे से उस की चूत में अपना लौड़ा घुसाना शुरू कर दिया |

ज़ाकिया की बात सुनते ही मैं आगे बढ़ा और मैंने ज़ाकिया के मोटे मुम्मों को पहली बार अपने हाथ में थाम कर प्यार से उसका मम्मा दबाते हुए एक बार फिर से ज़ाकिया के लबों का रस पीने लगा | 

मैंने ज़ाकिया के मम्मे दबाते हुए उसके पिंक निप्पल अपने हाथों से मसलते हुए उन्हें अपनी उँगलियों में लेकर खींचा तो वो मेरे हाथ के मज़े से बेहाल होते हुए सिसकियाँ लेते हुए बोली “आअहह आहह दबाओ मेरे मुम्मम्म्मे... आहह... अफ़ताब मेरे मुम्मम्म्मे को चूसूओ” | 

ज़ाकिया की बात सुनते ही मैंने फौरन अमल किया और ज़ाकिया का एक मम्मा पकड़कर उस को पागलों की तरह चूसने लग गया और साथ ही साथ उसके दूसरे मम्मे को भी अपने हाथ से दबाने लग गया और मेरे मुम्मा चूसाई के दौरान ज़ाकिया अपनी आँखें बंद करके सिसकियाँ लेती रही |

ज़ाकिया के मुम्मों को चूसते हुए मैं अपने एक हाथ से उस की फुद्दी को छुआ तो मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरी छेड़छाड की वजह से ज़ाकिया की फुद्दी पानी पानी हो रही थी |

मेरा हाथ चूत से लगते ही ज़ाकिया तो जैसे पागल हो गई और वो मेरे सर को वालों से पकड़ कर अपने मम्मों पर ज़ोर से दबाते हुए बोली “आहह बहुत मज़ा आ रहा है, मेरी चूत में अपनी उंगली डालल्ल्ल्ल्ल्लो अफ़ताब” |

ज़ाकिया की यह फरमाइश सुनते ही मैंने अपने हाथ की उंगली उस की फुद्दी में डाली और उसकी फुद्दी को अपने उंगली से चोदने लगा |

अब मैं ज़ाकिया के मम्मे को चूस भी रहा था और साथ साथ ज़ाकिया की फुददी में फिंगरिंग कर रहा था और ज़ाकिया मज़े से चिल्ला रही थी “ऊऊऊओह उफफफफफफफफफफफ्फ़, हाईईईईईईई” |

ज़ाकिया की चूत में अपनी उंगली डाल कर अब मैं अपनी उंगली को गोल गोल घूमाने लगा था कि इतने में उसने मेरी हाथ को दोनो टाँगों में ज़ोर से दबाया और लंबा सा साँस ले कर अपनी आँखें बंद करते हुए ऐसे चुप हो गई जैसे उसकी साँस ही रुक गई हो |

ज़ाकिया की यह हालत देख कर एक बार तो मैं भी घबरा गया | मगर जब मैंने देखा कि वो अपने होंठ दाँतों में दबा रही है तो मैं समझ गया कि उसको मेरी ऊँगली से अपनी चूत चुदवाते हुए मज़ा आ रहा है | 

कुछ देर बाद ज़ाकिया के मुम्मे से मुँह हटा कर मैं चारपाई से उठ कर ज़मीन पर बैठ गया |

ज़मीन पर बैठते ही मैं ने चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की टांगों को अपने हाथों से चौड़ा किया और एकदम से अपने मुँह को आगे करते हुए अपनी गरम ज़ुबान को चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की पानी छोडती चूत के लबों के दरमियाँ रख दिया |

“ओह यह कियआआआ मज़ा दिया है तुमने मुझे” अपनी चूत से मेरी गरम ज़ुबान लगते ही ज़ाकिया तडप कर एकदम चारपाई से उछली |

इसके साथ उसने अपने हाथ से मेरे मूँह को हटाते हुए अपनी टाँगों को भींचने की कोशिश की |

लेकिन मैंने उसके दोनो हाथ अपने हाथों में पकड़ लिए और अपने मुँह को ज़ोर से उसकी चूत पर प्रेस करते हुए अपनी ज़ुबान उसकी चूत के अंदर डाल दी |

ज़ाकिया की गरम फुद्दी मुझे पागल कर रही थी | इसलिए अब मैं चारपाई से नीचे ज़मीन पर बैठ कर चारपाई पर लेटी ज़ाकिया की चूत को मज़े ले ले कर चाटने में मसरूफ़ हो गया |

मेरी ज़ुबान के मज़े से बेहाल होते हुए अब ज़ाकिया ने मुझे सिर से पकड़ा हुआ था और मैं बहुत मज़े से ज़ाकिया की फुददी चूस रहा था |

जबकि ज़ाकिया चारपाई से ऊपर उछल उछल कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर ज़ोर ज़ोर से मारते हुए सिसकियाँ निकाल रही थी “आआआ, हाए, हहियीईई” |

थोड़ी ही देर की चूत चटाई के बाद ज़ाकिया का जिस्म ज़ोर ज़ोर से काँपने लगा और उसकी चूत से पानी का एक झरना बहता हुआ पूरा का पूरा मेरे मूँह में उतर गया और वो फारिग हो गई |

ज़ाकिया को अपने मुँह के मज़े से फारिग करवाते ही मैं एकदम ज़मीन से उठकर चारपाई के साथ खड़ा हुआ और बोला ”अब मैं नीचे लेटता हूँ और तुम मेरे ऊपर बैठ कर मेरे लौड़े को अपनी फुद्दी में डालो”

ज़ाकिया से यह बात कह कर मैं चारपाई पर लेट गया तो मेरा लौड़ा तन कर ऊपर छत की तरफ देखने लगा |

मेरी बात पर अमल करते हुए ज़ाकिया मेरे ऊपर चढ़ गई और फिर अपने जिस्म को ढीला छोड़ते हुए नीचे को हुई तो नीचे से मेरा तना हुआ लौड़ा आहिस्ता आहिस्ता ज़ाकिया की गरम चूत में समाने लगा |

“हाईईईईईईईईईई क्याआ मज़ेदार लौड़ा है तुम्हारा, उउफफफ्फ़ क्या बताऊं कितना मज़ा आ रहा हाईईईईईईई मुझे”

सिसकियाँ लेती ज़ाकिया आहिस्ता आहिस्ता मेरे लौड़े पर बैठ गई तो मेरा लौड़ा उसकी फुद्दी में पूरे का पूरा समा गया |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ कियआआआआ गरम और तंग चूत है तुम्हारीईईईईईईईईईईईईईईईईईई” इतने महीनो बाद मेरे लौड़े को भी जब एक गरम चूत का स्वाद मिला तो मज़े के मारे मैं भी सिसका उठा |

मेरे लौड़े को अपनी चूत में लेते ही, हवस के मारे ज़ाकिया इतनी गरम हुई कि अब वो मेरे लौड़े पर बैठ कर तेज़ी के साथ ऊपर नीचे होने लगी और अपनी चूत को पागलों की तरह मेरे तने हुए लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से मारने लगी |

जिसकी वजह से उसके मोटे बड़े मुम्मे हवा में इधर उधर उछलने लगे |

ज़ाकिया के इस जोश और उसके हवा में उछलते मुम्मे देखकर मुझे भी जोश आया और मैंने भी उसके बड़े मुम्मों को अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए अपनी गांड को चारपाई से उठा उठा कर नीचे से उस की चूत में अपना लौड़ा घुसाना शुरू कर दिया |

अब कमरे में आलम यह था कि ज़ाकिया मेरे लौड़े पर बैठ कर ज़ोरदार तरीके से ऊपर नीचे हो रही थी |

जबकि मैं अपनी गांड को उठा उठा कर नीचे से अपनी बहन की सहेली की ज़ोरदार तरीके से चुदाई कर रहा था |

ज़ाकिया की मोटी गांड के मेरे टांगों से टकराने और नीचे से मेरा लौड़ा भी ज़ोरदार तरीके से उसकी फुद्दी में घुसने की वजह से “थप थप” की आवाज़ें कमरे में गूंज गूंज कर हम दोनो के जोश में इज़ाफा कर रही थीं |

थोड़ी देर ज़ाकिया को इस तरीके से चोदने के बाद मैं बोला “अब तुम नीचे लेटो और मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ कर तुम्हारी फुद्दी को चोदुंगा मेरी जान” |
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01-24-2019, 11:51 PM,
#3
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
मेरी बात सुनते ही ज़ाकिया ने मेरे लौड़े को अपनी फुद्दी से निकाला और चारपाई पर मेरे बराबर लेट गई |

चारपाई पर ज़ाकिया के लेटते ही मैंने उठकर उसकी टांगों को अपने हाथों में थाम कर खोला और उसकी चूत को देखने लगा |

“उउफफफफफफफफ्फ़ ज़ाकिया की फुददी मेरी चुदाई की वजह से काफ़ी गीली हो चुकी थी और उसमें से चूत का पानी टपक टपक कर उसकी राणों को भिगो रहा था |

ज़ाकिया की टांगों को अपने सामने चौड़ा करते हुए मैं अपना लौड़ा अपने हाथ में पकड़ा और अपना टोप्पा ज़ाकिया की फुददी पर रख कर उसकी चूत के दाने को लौड़े की टोपी से मसलने लगा |

“हाईईईईईईईईईई क्यों तडपा रहे हो मुझे, अब्ब्ब्ब्बब्ब्ब्ब्बब्बबब डाल भी दो अंदरररर” मेरे लौड़े की रगड़ को अपनी चूत के भीगे लबों पर महसूस करते ही ज़ाकिया मचल उठी |

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ तुम्हारी चूत वाक्या ही मेरे लौड़े के लिए तडप रही है, तो यह लो मेरी रानी” ज़ाकिया की सिसकी भरी इल्तिज़ा सुनते ही मैं आगे बढ़ा और एक झटके में अपना पूरा लौड़ा एक बार फिर ज़ाकिया की प्यासी चूत में उतार दिया |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मारर्र्रररर दिया तुम ने ज़ालिमम्म्ममममममम” |

मेरे ज़ोरदार घस्से की वजह से जैसे ही मेरा लौड़ा फिसलता हुआ ज़ाकिया की फुद्दी की तह तक पहुंचा तो मज़े के मारे ज़ाकिया एक बार फिर सिसक उठी |

अब मैंने ज़ाकिया की दोनो टांगों को चौड़ा कर अपने कंधों पर रखा और उसके ऊपर चढ़ का ज़ोर ज़ोर से उसकी फुद्दी की चुदाई में मसरूफ़ हो गया |

मैं अब तेज़ी के साथ अपना लौड़ा ज़ाकिया की फुददी में डाल रहा था और वो नीचे से अपनी गांड को ऊपर उठा उठा कर मेरे लौड़े को अपनी प्यासी चूत में जज़ब करती जा रही थी |

कमरे में हमारी चुदाई की वजह से पैदा होने वाली “पूच पुच और थप थप की आवाजों के साथ चारपाई की “चें चें” भी माहौल को बहुत की रंगीन बना रही थी |

अब हम दोनो हर बात से बेफ़िक्र हो कर सिर्फ़ अपनी अपनी जिन्सी हवस को मिटाने के जोश में अपने लौड़े और फुद्दी का मिलाप करवाने में मगन थे |

थोड़ी ही देर बाद ज़ाकिया ने अपने हाथ मेरे बालों में फेरते हुए मुझे ज़ोर से पकड़ा और अपने सीने से लगा लिया |

इतने में एक “अहहहहहः हुनननननणणन” की टूटती हुई आवाज़ उसके मूँह से निकली और वो ज़ोर से काँपी और फिर साथ ही उसका जिस्म एकदम ढीला पड़ गया और वो एक बार फिर फारिग हो गई |

ज़ाकिया को यूँ फारिग होते देखकर मेरे लौड़े को भी जोश आया और मैंने भी एक झटके में “आअहह” करते हुए अपने सारा पानी ज़ाकिया की गरम प्यासी फुद्दी में खारिज़ कर दिया |

मेरे लौड़े से बहुत पानी निकला जिससे ज़ाकिया की सारी चूत भर गई और मैं एकदम निढाल होकर ज़ाकिया के ऊपर ही लेट गया |

थोड़ी देर मैं और ज़ाकिया इस तरह लेट कर अपनी अपनी बिखरी साँसों को बहाल करते रहे |

“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ अफ़ताब यकीन मानो मेरे शोहर ने मुझे आज तक इतने मज़ेदार तरीके से नही कभी चोदा, जितने मज़ेदार अंदाज़ में तुमने मेरी फुद्दी मारी है, तुम्हारे अंदाज़ा से लगता है कि तुम आज से पहले भी काफ़ी दफ़ा किसी की चूत मार चुके हो, कहाँ से सिखा है यह सब” अपनी बिखरी साँसों की संभलते ही ज़ाकिया मेरे जिस्म के नीचे से बोली और उसने एक ही साँस में इतने सारे सवाल एक साथ कर दिए |

“तुम्हारे सारे सवालों का जवाब मैं बाद में दूंगा, अब जल्दी से अपने कपड़े पहन लो, क्योंकि संध्या अभी वापिस आती ही होगी” अपने लौड़े की गर्मी दूर करते ही मुझे अपनी बहन संध्या का ख्याल दिमाग में एकदम आया और मैं तेज़ी के साथ चारपाई से उठकर अपने कपड़े पहनते हुए ज़ाकिया से बोला |

“तुम उसकी फ़िक्र मत करो, उसकी वापसी में अभी आधा घंटा बाकी है” मेरी बात सुनकर ज़ाकिया ने बड़ी आराम से मेरी बात का जवाब दिया और उसी तरह नंगी हालत में चारपाई पर लेटी रही |

ज़ाकिया की बात और उसका बेफिक्री अंदाज़ देखते हुए मुझे बहुत ही हैरानी हुई तो मैं सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखते हुए पूछा “क्याआआआ तुमने संध्या को यह सब कुछ बताया है ज़ाकिया” |

“नही मैंने उससे ऐसी कोई बात नही की, मगर मैं जानती हूँ कि वो एक समझदार लड़की है” मेरी बात का जवाब देते हुए ज़ाकिया के चेहरे पर एक मुस्कराहट फैलती चली गई |

ज़ाकिया की बात सुनकर मैंने एक बार फिर हैरानी के साथ उसे देखा | मगर अबकी बार मैं खामोश रहा क्योंकि उसकी बात का मेरे पास कोई जवाब नही था |

“असल में ग़लती मेरी ही है, मुझे यह अंदाज़ा नही था कि संध्या को इस बात की भीनक पड़ जाएगी, कि मैं उसकी सहेली के साथ क्या हरकत करने जा रहा हूँ, मुझे चाहिए था कि मैं ज़ाकिया को किसी और वक़्त डेरे पर बुलाता” अपने लौड़े का पानी निकल जाने के बाद जब मेरे दिमाग से मनी उतरी तो मेरे ज़ेहन में अब यह बात आई, मगर अब पछताने के सिवा क्या हो सकता था |

“अफ़ताब तुम्हारी बहन अब बच्ची नही कि इन बातों को ना समझ सके, मगर यह बात मत भूलो कि संध्या तुम्हारी बहन होने के साथ साथ मेरी एक बहुत अच्छी सहेली भी है, इसलिए तुम फ़िक्र मत करो” मेरे चेहरे पर फैली परेशानी को देखते हुए ज़ाकिया चारपाई से उठी और अपने कपड़े पहनते हुए इत्मीनान भरे लहजे में मुझे समझाने लगी |

वो कहते हैं ना कि “अब पछताए क्या होत, जब चिड़िया चुग गई खेत”

इसलिए मैंने भी इस बारे में परेशान होना मुनासिब ना समझा और ख़ामोशी के साथ वापिस चारपाई पर आ बैठा |

ज़ाकिया ने इस दौरान अपने कपड़े पहने और फिर कमरे का दरवाज़ा खोल कर खुद भी सामने वाली चारपाई पर आ बैठी और मेरे साथ इधर उधर की बातें करने लगी |

संध्या के बारे में ज़ाकिया का अंदाज़ा सही था क्योंकि वाक्या ही संध्या की वापसी हमारी चुदाई के खत्म होने के ठीक आधे घंटे बाद ही हुई |

संध्या को कमरे में आता देखकर ना चाहने के बावजूद मैंने उसके चेहरे को पढने की कोशिश की मगर अपनी बहन संध्या के चेहरे पर छाई संजीदगी को देख कर मुझे किसी भी किस्म का अंदाज़ा लगाने में बहुत दिक्कत हुई |

ज़ाकिया की संध्या के बारे में कही जाने वाली बात के बाद ज़ाकिया के सामने अपनी बहन का सामना करना मेरे लिए एक मुश्किल काम था |


इसलिए संध्या के कमरे में आते ही मैं दूसरे ही लम्हे खुद उठ कर कमरे से बाहर निकल गया |

मेरे कमरे से बाहर जाने के बाद संध्या ने सारे बर्तन समेटे और फिर वो दोनो भी कमरे से निकल कर चुप चाप वापिस गाँव की तरफ चल पड़ीं |

फिर ज़ाकिया उसके बाद मेरी बहन संध्या के साथ रोज़ाना ही हमारी डेरे पर आने लगी |

यह सच बात है कि ज़ाकिया से चुदाई के पहले दिन के बाद मैं अपनी बहन संध्या की तरफ़ से फ़िक्रमंद था कि वो मेरे बारे में क्या सोचेगी |

मगर संध्या ने पहले दिन के वाक्या के बाद अपनी किसी बात से मुझे अपनी नाराज़गी का इज़हार नही करवाया तो उसकी इस बात से मेरा हौसला और बढ़ गया |

और फिर उस दिन के बाद संध्या और मेरे दरमियाँ ज़ाकिया को लेकर एक खामोश अंडरस्टैंडिंग पैदा हो गई |

उस दिन के बाद मैं यूँ ही खाने से फ़ारिग होता तो संध्या बर्तन धोने के बहाने कमरे से निकल कर अपनी सहेली ज़ाकिया को मेरे साथ कमरे में अकेला छोड़ जाती |

तो मैं और ज़ाकिया इस सुनहरी मौके से फ़ायदा उठाते हुए आपस मैं चुदाई करते और फिर संध्या की “वापसी” के बाद ज़ाकिया ख़ामोशी के साथ मेरी बहन के साथ घर वापिस चली जाती |

यह सिलसिला तक़रीबन दो हफ्ते तक चलता रहा और मुझे यह वक़्त अपनी ज़िंदगी का एक हसीन वक़्त लग रहा था |

मगर वो कहते हैं ना कि “खुशी के दिन चंद ही होते हैं”

इसलिए दो हफ्ते बाद एक दिन संध्या मेरे लिए खाना ले कर आई तो उस दिन वो अकेली ही थी |

“क्या बात है आज तुम्हारी सहेली नही साथ आई तुम्हारे” ज़ाकिया को संध्या के साथ ना देख कर मैंने अपनी बहन से पूछा |

“रात को उस का शोहर आया था और वो उसे अपने साथ वापिस मुल्तान ले गया है” मेरी बात को सुनकर संध्या ने जवाब दिया तो चूत से महरुमियत की यह खबर दिल के साथ साथ मेरे लौड़े पर बिजली बन कर गिरी |

उस दिन के बाद तो मेरे लिए एक बार फिरसे ख़िज़ाँ का ही मौसम आ गया था और अब ज़ाकिया के जाने के बाद मैं एक बार फिर अपने पुराने नंगे सेक्सी रसालों का सहारा लेने पर मजबूर हो गया |

मगर इस दौरान मैं एक बात को महसूस करने में फैल हो गया था या इस बात को महसूस करने में शायद काफ़ी देर कर दी थी और वो बात थी मेरी बहन संध्या का मेरे साथ पेश आने वाला रवैया |

जो ज़ाकिया के जाने के बाद एकदम से तब्दील हो चूका था मगर मुझे इस बात को नोट करने में थोड़ी देर लग गई |
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01-24-2019, 11:51 PM,
#4
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
Part 3

संध्या अब मेरे लिए हर रोज़ खाना लाती और जब तक मैं खाना खत्म ना कर देता वो मेरे साथ वाली चारपाई पर बैठ कर चोरी चोरी मुझे देखती रहती |

खाने कि दौरान जब भी मुझे महसूस होता कि संध्या की नज़रें मेरे जिस्म पर गड़ी हुई हैं तो मैं रोटी से नज़र हटा कर उसकी तरफ देखता तो वो एकदम अपनी नज़रें चुरा कर कमरे से बाहर देखने लगती |

“यह मेरी बहन संध्या को क्या हो गया है, यह अब मेरे साथ पहले की तरह गपशप क्यों नही करती आजकल, और उसकी आँखें मुझे क्या पैगाम देना चाह रही हैं” | संध्या की आँखों में जो बात छुपी थी वो मुझे जानी पहचानी लग रही थी | मगर इसके बावजूद मैं संध्या की आँखों में पोषीदा पैगाम को पढ़ने में असमर्थ था |

चाहे संध्या ने मुझसे बातचीत करनी कम कर दी थी मगर उसके बावजूद मैंने उसमें एक और तब्दीली महसूस की कि अब वो ना सिर्फ़ खाना पकाने में मेरी पसंद और नापसंद का ख्याल रखने लगी थी बल्कि वो मेरे कहे बगैर ही घर में मेरे कपड़ों को धोने और उनको इस्त्री करके मेरे कमरे की अलमारी में रखने लगी थी |

साथ ही साथ मेरे खाना खाने के बाद भी वो डेरे पर भी पहले के मुक़ाबले ज्यादा देर रुक कर इस इंतज़ार में बैठी रहती कि मैं कब उसे किसी बात का हुक्म दूँ तो वो फौरन उठ कर मेरा वो काम कर दे |

मुझे अपनी बहन के रवैय में आती हुई इस तब्दीली पर हैरत तो हुई मगर मैंने उससे इस बारे में कोई बात नही की |

ज़ाकिया को गाँव से गए हुए अब एक महीना होने को था मगर ज़ाकिया के जाने के बाद से मैंने अपनी बहन संध्या से उसकी सहेली के बारे में कोई बात करना मुनासीब नही समझा था |

फिर एक दिन जब मैं खाना खाने में मसरूफ़ था कि इस दौरान संध्या कमरे से बाहर निकल गई |

खाने से फ़ारिग हो कर मैंने गंदे बर्तन उठाए और उन्हें खुद ही धोने के लिए ट्यूबवेल के साथ बनी हुई पानी की होद्दी पर लौट आया | 

ट्यूबवेल से निकलने वाला पानी इसी होद्दी में जमा होता रहता और फिर होद्दी में जमा होने के बाद वो पानी यहाँ से निकलकर हमारे सारे खेतों में जाता था |

पानी की यह होद्दी इतनी बड़ी और गहरी थी कि इसमें तीन चार इंसान इकट्ठे खड़े हो कर बहुत आराम से एक साथ नहा भी सकते थे |

होद्दी में खड़े पानी में बर्तन धोते हुए मेरी नजरों ने संध्या को ढूँढने की कोशिश की तो इधर उधर देखने के बाद मुझे अपनी बहन डेरे के बड़े कमरे की छत पर खड़ी नज़र आ ही गई |

संध्या बड़े कमरे की छत पर खड़ी अपने खेतों का नज़ारा करने में मसरूफ़ थी |

“मैं तुम्हें नीचे तलाश कर रहा हूँ और तुम ऊपर छत पर हो, मैंने बर्तन धो दिए हैं इन लेकर घर चली जाओ, अम्मी इंतज़ार कर रही होंगीं तुम्हारा” मैंने संध्या को छत पर खड़े देख कर उसे आवाज़ दी |

“अच्छा भाई मैं अभी आई” मेरी बात सुनते ही संध्या ने जवाब दिया और छत पर लगी सीढ़ी के रास्ते नीचे उतरनी लगी |

बड़ी छत से उतर कर संध्या पहले ट्यूबवेल की छत पर आई और फिर ट्यूबवेल की छत से भी दुबारा सीढ़ी के जरिए उतरकर उसने नीचे ज़मीन पर आना था |

बर्तन धोने के बाद नाजाने मुझे क्या सूझी कि मैं ट्यूबवेल के साथ लगी सीढ़ी के नीचे आ खड़ा हुआ | और अपनी बहन का छत से नीचे उतरने का इंतज़ार करने लगा |

ट्यूबवेल के साथ लगी सीढ़ी पर आकर संध्या ने अपना मुँह छत की तरफ किया और खुद सीढ़ी पर लगे डंडे पर पैर रखकर उल्टी हालत में सीढ़ी से नीचे उतरनी लगी |

इधर संध्या ने छत से उल्टा होकर सीढ़ी से उतरना शुरू किया और उधर मैंने नीचे से अपने सिर ऊपर उठाकर संध्या की तरफ देखा तो सीढ़ी के ऊपर का नज़ारा देखते ही मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं |

असल में सीढ़ी से नीचे उतरते हुए संध्या को गिरने का डर लगा हुआ था इसलिए नीचे उतरते वक़्त उस ने आगे को झुकते हुए सीढ़ी के बांस को मजबूती से पकड़ लिया था इसलिए झुककर नीचे उतरने के इस तरीके में अब संध्या की भारी गांड पीछे से हवा में उठ गई थी |

मेरा लौड़ा तो एक महीना चूत से दुरी की वजह से किसी औरत की फुद्दी का पहले ही प्यासा हो रहा था | जबकि संध्या बेशक़ मेरी बहन थी मगर बहन होने से पहले वो एक जवान लड़की भी थी |

इसलिए आज हवा में उठी हुई अपनी ही बहन की मोटी भारी गांड को देखते ही मेरे लौड़े में एक जोश सा आ गया और मेरे ना चाहने के बावजूद मेरे लौड़े ने मेरी शलवार में अपनी ही बहन की मोटी गांड के लिए हिलना शुरू कर दिया | 

अब संध्या उल्टी हालत में सीढ़ी से नीचे उतर कर यूँ यूँ मेरे नज़दीक आ रही थी |

त्यों त्यों मेरी शलवार में मौजूद मेरे लौड़े में अपनी बहन की उठी हुई मस्तानी गांड को देखते हुए सख्ती आती जा रही थी |

फिर संध्या सीढ़ी से उतर कर जैसे ही ज़मीन पर आई तो मैं एकदम वहाँ से हटकर दुबारा कमरे की तरफ चल पड़ा |

क्योंकि मैं नही चाहता था कि मेरी बहन की नज़र मेरी शलवार में खड़े हुए मेरे लौड़े पर पड़े | 

“अच्छा भाई मैं घर जा रही हूँ” छत से नीचे आते ही संध्या ने ट्यूबवेल की होद्दी के पास पड़े बर्तन उठाए और घर की तरफ चल पड़ी |

“ठीक है” मैंने संध्या को हल्की आवाज़ में जवाब दिया और धडकते दिल के साथ कमरे के दरवाज़े पर खड़ा होकर अपनी बहन को घर जाता देखता रहा |

मेरे दिल-ओ-दिमाग में इस वक़्त एक अजीब सा तूफान मचा हुआ था |

आज मुझे अंजाने में अपनी ही बहन की भारी गुंदाज गांड का दीदार हुआ था और मेरे ना चाहने के बावजूद मेरे लौड़े को अपनी ही बहन की गांड की गर्मी चढ़ चुकी थी |

संध्या के डेरे से चले जाने के बावजूद मेरे लौड़े में आई हुई यह गर्मी अभी तक कम नही हुई थी |

जिसकी वजह से मेरा लौड़ा तन कर मेरी शलवार में अभी तक शान से अकड़ कर खड़ा था |

मैं कमरे के दरवाज़े पर खड़े होकर संध्या को दूर तक जाता देखता रहा |

फिर जैसे ही संध्या का वजूद मेरी नजरों से ओझल हुआ तो मैंने एकदम से कमरे में दाखिल होकर अपनी शलवार उतार दी |

मेरे लौड़ा में इस वक़्त बहुत गर्मी चढ़ चुकी थी और इस गर्मी को अपने हाथ से ठंडा करने के सिवा मेरे पास और कोई चारा नही था | 

इसलिए अपने लौड़े को हाथ में थामते हुए मैंने अपनी आँखें बंद कीं और अपने ज़ेहन में ज़ाकिया के जिस्म को लाकर अपने लौड़े की मुट्ठ लगाना शुरू कर दी |

“हाईईईईईईईईईईईईई ज़ाकि...या..आआअह्हह्हह” मैं आँखें बंद करके अपनी बहन की सहेली ज़ाकिया की चूत की मुट्ठ लगा रहा था |

कि मुट्ठ लगाते लगाते अचानक मेरे ज़ेहन में सीढ़ी उतरती हुई अपनी बहन संध्या की मोटी और भारी गांड का तसुवर एक बार फिर से आ गया |

“ना कर बहनचोद वो बहन है मेरी” मुट्ठ लगते वक़्त यूँ ही मेरे ज़ेहन में संध्या के बारे ख्याल आया तो मैंने एकदम अपनी आँखें खोल कर अपने ज़ेहन में आते इस ख्याल को झटकते हुए अपने दिल और लौड़े को समझाने की कोशिश की |

मगर फिर अपनी आँखों को दुबारा से बंद करते हुए मैंने जैसे ही ज़ाकिया के बारे में सोचना चाहा तो मेरी बहन संध्या की बाहर को निकली गांड एक बार फिर मेरे होश-ओ-हवास में छाती चली गई |

चूँकि लौड़े की गर्मी के हाथों मैं अब पागल हो चूका था इसलिए अब की बार अपनी बहन की भारी गांड के तसुवर को अपने ज़ेहन से निकालना मेरे लिए नामुमकिन हो गया और फिर नतीजे की परवाह किए बगैर मैंने अपने लौड़े पर तेज़ी के साथ हाथ मारा और कुछ ही देर बाद जोश से चिल्ला उठा |

“हाईईईईईईईईईईई संध्याआआआआआआआआआ” |

इसके साथ ही मेरे लौड़े को एक ज़ोरदार झटका लगा और मेरे लौड़े से पानी का एक फव्वारा उबल पड़ा जिसके साथ ही मेरे लौड़े से मनी निकल निकल कर कमरे के फर्श पर गिरने लगी |

आज पहली बार अपनी बहन के नाम की मुट्ठ लगाने के बाद मेरे दिमाग ने मुझे तो लाहनत (बुरा भला कहा) की और अपने लौड़े को पास पड़े एक गंदे टॉवल से सफ करने के बाद मैंने चारपाई पर पड़ी अपनी शलवार वापिस तो पहन ली मगर मेरी शलवार में मेरा लौड़ा कुछ सकूंन मिलने के बावजूद हल्के हल्के झटके ख़ाता हुआ अब भी मुझे बदस्तूर यह ही कहे जा रहा था कि “यानी यह लौड़ा मांगे मोर” |

फिर उस रात घर वापिस आकर जब मैं सोने के लिए अपने बिस्तर पर लेटा तो दिन को पेश आने वाला वाक्या मेरे दिमाग में अभी तक घूम रहा था |

जिसकी वजह से बिस्तर पर काफ़ी देर इधर उधर करवटें बदलने के बावजूद मुझे नींद नही आ रही थी |

मैं बिस्तर पर अपनी आँखें बंद किए लेटा हुआ सोने की कोशिश कर रहा था मगर नींद आने की बजाए मेरी बहन संध्या का चेहरा मेरी आँखों के सामने बार बार घूम रहा था |

मेरी बार बार की कोशिश के बावजूद मेरी बहन का खुबसूरत और जवान जिस्म मेरे होशो हवास पर छाता चला गया तो फिर उस रात अपने बिस्तर पर लेटकर मैं एक बार फिर से अपनी बहन संध्या के बारे सोचने लगा |

“ हाईईईईईईईई अपना सारा वक़्त खेतीबाड़ी में खराब करने के दौरान मुझे तो यह अहसास ही नही हुआ कि मेरी बहन संध्या अब बच्ची नही रही बल्कि वो तो 24 साल की एक मदमस्त जवान लड़की बन चुकी है, उसकी साँवली रंगत के बावजूद उसके जिस्म में एक अजीब सी कशिश है, ऊपर से संध्या का बढ़ा हुआ जिस्म, रसीले होंठ, पतली कमर, उसके सीने पर उसकी भरी हुई सडौल छातियाँ और सब से बढ़ कर उसकी बाहर को निकली हुई गांड की वजह से मेरी बहन संध्या एक क़यामत चीज़ बन चुकी है” |

मैं आज एक बार अपनी ही बहन की जवानी के मुल्त्क ना सिर्फ़ यूँ सोच रहा था बल्कि अपनी बहन की जवानी को सोचते हुए साथ ही साथ अपने लौड़े को भी हाथ में पकड़ कर आहिस्ता आहिस्ता मसलने भी लगा था |

अभी मैं संध्या के बारे में यह सब कुछ सोचते हुए गर्म हो रहा था कि इतने में ज़ाकिया की कही हुई एक बात दुबारा से मेरे कानों में गूंज उठी कि “अफ़ताब तुम्हारी बहन अब बच्ची नही कि इन बातों को ना समझ सके” |

यह बात सोचते हुए एक लम्हे कि लिए मेरी आँखें बंद हुईं तो मेरी बंद आँखों के सामने अचानक ही संध्या की आँखें आ गईं “उफफफफफफफफफ्फ़ जिस तरह की जिन्सी हवस मैंने पहली मुलाकात में ज़ाकिया की आँखों में देखी थी, उसी तरह की प्यास तो मेरी अपनी बहन संध्या की आँखों से झलक रही है, जिसे पढने में अभी तक नाकाम ही रहा हूँ” |

इस बात का ख्याल आते ही मैंने एकदम अपनी आँखें खोलीं तो एक और बात मेरे ज़ेहन में दौड़ गई कि “एक लड़की होने की हैसियत से मेरी बहन संध्या में भी जवानी के जज़्बात तो होंगे, तो अगर मैं कोशिश करके संध्या से ज़ाकिया की तरह तालुक़ात कायम करने में कामयाब हो जाऊं तो मुझे अपने ही घर में एक जवान और गरम चूत नसीब हो सकती है” |

यह बात सोचते ही मैंने अपने दिल में इस बात पर जल्द अमल करने का इरादा किया और फिर अपनी आँखें बंद करके सो गया |
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01-24-2019, 11:52 PM,
#5
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Part 4

दूसरे दिन मैं खाने से फ़ारिग हुआ तो संध्या ने घर वापिस जाने कि लिए गंदे बर्तन समेटना शुरू कर दिए |

“संध्या घर वापिस जाने से पहले तुम आज मेरी बात सुन कर जाना” संध्या को बर्तन इकट्ठे करते देखा तो अपनी बहन से कहा |

संध्या ने बर्तन समेटते हुए बहुत गौर से मेरी तरफ देखा और जवाब दिए बगैर बर्तन धोने बाहर चली गई |

थोड़ी देर बाद अपने गीले हाथों को टॉवल से सफ करते हुए संध्या दुबारा वापिस कमरे में दाखिल हुई और दरवाज़े पर खड़ी होकर मेरी तरफ देखते हुआ कहा “जी भाई” |

“इधर आओ और मेरे पास बैठ कर मेरी बात सुनो संध्या” मैंने संध्या को अपने पास चारपाई पर आकर बैठने का इशारा करते हुए बोला |

मेरी बात सुनते हुए संध्या कमरे में दाखिल हुई और खामोशी से मेरे पास चारपाई पर आकर बैठ गई |

“उम्म, संध्या क्या तुम्हे कुछ खबर है कि ज़ाकिया कब तक दुबारा गाँव वापिस आएगी” मुझे समझ नही आई कि अपनी बहन से बात कैसे शुरू करूँ इसलिए मैंने हिचकिचाते हुए पूछा | 

“क्यों खैरियत है”, मेरे सवाल के जवाब में संध्या ने मासूम अंदाज़ में उल्टा मुझ से सवाल किया |

“नही बस ऐसे ही पूछ रहा हूँ” संध्या के जवाबी सवाल पर एकदम बुखलाते हुए मैं बोला |

“मैं यकीन से तो नही कह सकती, मगर ज़ाकिया अब अगली सर्दियों में ही गाँव आएगी शायद” संध्या ने मेरी बात का जवाब तो मुँह से बोल कर ही दिया मगर उसकी तरफ देखते हुए मुझे ऐसा लगा जैसे मुँह के साथ साथ उसकी आँखें भी मुझे कुछ बताना चाह रही थीं | 

“ओह नो, सर्दियाँ आने में तो अभी 6 महीने बाकी हैं” संध्या की बात सुनते ही मैं बेसब्री से बोला |

“भाई आज आप बार बार ज़ाकिया का ही पूछे जा रहे हैं, कोई ख़ास काम है उससे क्या” मेरी बेचैनी को महसूस करते हुए संध्या ने मेरी तरफ देखा और झुंझलाते हुए फिर सवाल किया तो इस बार मुझे अपनी बहन के लहजे में थोड़ी जेलसी सी महसूस हुई |


“असल में बात यह है कि मैं ज़ाकिया को बहुत ज्यादा मिस कर रहा हूँ” अबकी बार मैंने झिझकते हुए अपनी बहन संध्या से यह बात कह ही दी |

संध्या ने मेरी बात सुन तो ली मगर इस बार उसने मुझे कोई जवाब नही दिया |

“संध्या तुम्हे पता है कि मैं तुम्हारी सहेली को मिस क्यों कर रहा हूँ” संध्या की खामोशी देखते हुए धड़कते दिल के साथ मैं दुबारा बोला | मगर मेरी बात के जवाब में संध्या इस बार भी खामोश ही रही |

“मैं जानता हूँ कि कुछ अरसा पहले मेरे और ज़ाकिया के दरमियाँ जो कुछ हुआ, उसके बारे में ना सिर्फ़ तुम्हें सब पता है, बल्कि मुझे यकीन भी है, कि तुम छूप कर मेरी और ज़ाकिया की सारी मुलाक़ातों को देखती भी रही हो संध्या” संध्या की ख़ामोशी को देखते हुए मैंने डरते डरते अपनी बहन से इस बार आख़िर अपने दिल की बात कर ही दी |

संध्या से यह बात कहते ही मैंने अपनी बहन के चेहरे की तरफ देखा तो संध्या के चेहरे का बदलता हुआ रंग देख कर मैं फौरन समझ गया कि ना सिर्फ़ अपनी बहन संध्या के बारे में मेरा अंदाज़ा बिल्कुल सही था बल्कि अब संध्या के साथ बातें करने के दौरान ज़ाकिया के हवाले से मैंने अपनी बहन पर सही वार किया था |

संध्या ने अबकी बार भी मुझे कोई जवाब नही दिया | जिसकी वजह से मेरा हौसला बढ़ा और मैं एक बार फिर बोला “तो तुम वाक्या ही मेरी और ज़ाकिया की जासूसी करती रही हो ना संध्या” |

मेरी इस बात को सुनते ही संध्या ने एकदम घबरा कर मेरी तरह देखा और फिर इसी घबराहट और बेईख्तियारी के आलम में उसने कमरे छत की तरफ देखना शुरू कर दिया |

अपनी बहन की आँखों का पीछा करते हुए मेरी अपनी आँखें भी कमरे में बने हुए उस रोशनदान पर जा अटकीं | जिसकी खिड़की ट्यूबवेल की छत पर खुलती थी |

इस रोशनदान की बनावट ऐसी थी कि ट्यूबवेल की छत पर बैठकर रोशनदान के जरिए बड़े कमरे के अंदर तो देखा जा सकता था |

मगर कमरे के अंदर से खिड़की को देखकर यह अंदाज़ा नही लगाया जा सकता था कि कोई शक्स बाहर बैठकर कमरे में झाँक रहा है |

“अच्छा तो मेरी बहन ट्यूबवेल की छत पर चढ़ कर ज़ाकिया के साथ मेरी चुदाई के खैल को देखती रही है” अपनी बहन की नजरों का पीछा करते हुए मेरी नज़र जैसे ही कमरे के रोशनदान पर पड़ी तो मुझे फौरन सारी बात समझ आ गई |

यह ख्याल ज़ेहन में आते ही मैंने रोशनदान से नज़रें हटाकर एक बार दुबारा संध्या के चेहरे की तरफ देखा तो मैंने संध्या को अपनी तरफ देखता हुआ पाया |

इस बार जब हम दोनो बहन भाई की नज़रें आपस में मिलीं तो अपनी चोरी पकड़े जाने की वजह से मेरी बहन संध्या का चेहरा शरम से लाल हो चूका था |

“मैं घर जा रही हूँ” फिर यूँ ही मेरी और संध्या की नजरों का मिलाप हुआ तो वो मुझसे नज़रें चुराते और साथ ही चारपाई से एकदम उठती हुए बोली |

“अभी नही जाओ ना” संध्या को चारपाई से उठते देखकर मैंने एकदम से उसकी हाथ की कलाई को अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा तो मेरी शलवार में मेरा लौड़ा गरम हो कर हिलने लगा |

“मेरा हाथ छोड़ो भाई मुझे जाना है” मुझे यूँ अचानक अपना हाथ पकड़ते हुए देख कर संध्या ने और घबराते हुए मेरी तरफ देखा और साथ ही उसने अपने हाथ को मेरे हाथ की ग्रिफ्त से छुड़ाने की कोशिश की मगर मैंने उसकी कलाई को नही छोड़ा |

आज मैंने हिम्मत करके अपनी ही जवान बहन की कलाई पकड़ तो ली थी मगर मेरी इस हरक़त पर मेरे दिमाग ने मुझे उसी वक़्त गुर्राते हुए कहा “ शरम कर बेगैरत, जाने दे इसे आख़िर बहन है यह तेरी” |

अभी मैं अपने दिमाग की बात सुन ही रहा था कि इतने में मेरे दिल और लौड़े ने मेरे अंदर के शैतान को एकदम झाड़ते हुए मुझे कहा “आज अगर तुम ने हिम्मत करके अपनी बहन की कलाई पकड़ ही ली है, तो इसे छोड़ना मत, क्योंकि आज अपनी बहन की इज्ज़त पर हाथ डालने का तुम्हारे लिए एक बहुत ही सुनहरी मौका है, और अगर तुमने आज भी इस मौके से फ़ायदा नही उठाया, तो याद रखो ज़िंदगी भर पछताओगे अफ़ताब” |

मेरे अंदर के शैतान ने यूँ ही मुझे अपनी ही बहन की इज्ज़त से खेलने के लिए उकसाया तो किसी जवान और गरम चूत की तलब में खड़ा होकर मेरी शलवार में पागलों की तरह मेरे लौड़े ने खुशी से धमाल मचानी शुरू कर दी | 

इसके साथ ही मेरे लौड़े से गर्मी की एक लहर उठी जो मेरे सर में घुसकर मेरे दिमाग को क्लोज़ कर गई जिसकी वजह से मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया |
अब अपनी जिन्सी हवस के हाथों मजबूर होकर में चारपाई से उठा और फिर अपनी बाहें फ़ैलाते हुए एकदम अपनी बहन के जवान गुंदाज जिस्म को अपनी बाहों के घेरे में कस लिया |

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी बहन के जिस्म में तो जैसे आग ही भरी हुई है” अपनी बहन के जिस्म को अपनी बाहों में लेते ही मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने रेगिस्तान की तपती रेत को हाथ में ले लिया हो |
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01-24-2019, 11:52 PM,
#6
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
Part 5

संध्या के जिस्म से निकलती आग ने मेरे अंदर की आग को और बढ़ा दिया जिसकी वजह से अब मेरा लौड़ा एक अंगडाई लेकर पूरे जोश से मेरी शलवार में अकड़ चुका था |

“भाईईईईई यह क्याआआआअ कर रहें हैं आप मेरे साथ” मेरे इस अचानक हमले से संध्या एकदम बोख्लाते हुए बोली और उसने अपने आप को मेरी बाहों के शिकंजे से छुड़ाने की कोशिश भी की मगर मैंने उसे अपनी बाहों से निकलने का मौक़ा नही दिया |

“मैं तुम्हारे साथ भी वो सब कुछ करना चाहता हूँ, जो तुम मुझे ज़ाकिया के साथ करता हुआ देख चुकी हो संध्या” यह कहने के साथ ही अपनी बहन संध्या के जिस्म के गिर्द कसते हुए मैं अपना चेहरा उसके चेहरे के इतने करीब ले आया कि हम दोनो के मुँह से निकलने वाली गरम साँसें अब एक दूसरे की साँसों से टकराने लगी थीं |

“नहींईईई नहींईईईईई, मैं आपकी बहन हूँ और हमारे दरमियाँ यह सब सही नही है भाईईईईईईईईईई” मेरी बात सुनते ही संध्या बोली और उसने मेरी बाहों की ग्रिफ्त से निकलने की एक बार फिर से कोशिश की |

मगर संध्या के जिस्म के गिर्द मेरी बाहों का घेरा तंग होने की बजाए अब तंग होता गया जिसकी वजह से मेरी बहन के मोटे गुंदाज मुम्मे मेरी चौड़ी छाती में धंसते चले गए |

यह मेरी ज़िंदगी में पहला मौक़ा था जब मैं अपनी बहन संध्या को इतने करीब से देख और टच कर रहा था और अब अपनी बहन के नरम मुम्मों के लम्स और उसकी चूत की प्यास की वजह से मैं इस वक़्त “अभी नही तो कभी नही” वाली सुरते हाल में फंस चूका था जिसकी वजह से मेरे लिए अब पीछे हटना एक नामुमकिन सी बात हो गई थी |

यही बात ज़ेहन में लेकर मैंने अपने मुँह को थोड़ा और आगे बढ़ाया और एकदम से अपनी सग़ी बहन के नरम और मुलायम होंठों को पहली बार हल्के से चूम लिया |

मेरे होंठों के अपने होंठों से छूते ही मेरी बहन संध्या ने इस अचानक हल्ले से बुखला कर शरम के मारे ना सिर्फ़ अपनी आँखें फौरन बंद कर लीं बल्कि अपने भाई के लबों का लम्स पहली बार अपने जवान कंवारे होंठो पर महसूस करते ही शरम के मारे संध्या के जिस्म में कंपकंपहाट सी होने लगी |

“भाईईईईईईईईईई क्यों तंग कर रहे हो, जानेएएएए दो ना मुझे” मेरी बेशर्म हरकत को रोकने में नाकाम होने के बावजूद संध्या ने एक बार फिर मेरी बाहों से निकलने की कोशिश की मगर पहले की निस्बत अबकी बार उसकी मज़मत में ज्यादा ज़ोर नही था |

“हाईईईईईईईई लगता है कि मेरे लबों की गरमी ने मेरी बहन की जवानी में भी आग लगानी शुरू कर दी है” पहली बार यूँ अपनी सग़ी बहन के लबों की चुम्मी लेने के बाद उसकी ढीली पड़ती मज़मत को महसूस करते हुए मेरा हौसला और बढ़ता चला गया |

इसके साथ ही मैंने अपने होंठों को संध्या के होंठो से अलग करते हुए अपने गरम होंठो को अपनी बहन के मोटे गालों पर रख दिया |

“नाआआआआ करो..ओ... नाआआ... भाईईईईईईई” मेरी गरम ज़ुबान को अपने गोरे गालों पर चलता महसूस करके संध्या ने एक बार मेरी मिन्नत की |

मगर अपनी बहन की बात अनसुनी करते हुए मैं संध्या के फूले हुए सॉफ्ट गालों पर हल्के हल्के अपनी ज़ुबान घुमाता हुआ अपना मुँह अपनी बहन के कान के नज़दीक लाया और फिर अपनी बहन के कान में आहिस्ता से सरगोशी की “तुम बहुत ही खुबसूरत हो संध्याआआआआ, शायद तुम्हें यकीन ना आए, मगर मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ मेरी जान” 

यह कहते हुए मैं संध्या के दाएं कान को अपने मुँह में भरा और अपनी बहन के कान की लौ के ऊपर अपनी गरम ज़ुबान फेरने लगा |

“ओह नहींईईईईईईईईई” मेरी गरम ज़ुबान के मज़े से बेहाल होते हुए मेरी बहन सिसकी मगर उसने अपनी आँखें बदस्तूर बंद ही रखीं |

“संध्या की बंद आँखों और उसके चेहरे को देख यूँ लगता है कि जैसे मेरी बहन इस वक़्त किसी गहरी सोच में है, बेशक़ संध्या मेरी बहन है लेकिन उससे पहले वो एक जवान लड़की भी है, एक लड़की की हैसियत से अपनी सहेली ज़ाकिया की तरह शायद वो मेरे साथ सब कुछ करना तो चाह रही हो, मगर बहन होने के नाते उसे अपने ही भाई से यह सब करते हुए शरम भी महसूस हो रही है शायद” अपनी बाहों मैं क़ैद अपनी छोटी बहन संध्या को अपनी बंद आँखों से किसी सोच में डूबा देख कर मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया | 

अब एक तरफ मेरी बाहों में जकड़ी संध्या अपनी बंद आँखों के साथ अपनी सोच में मगन थी मगर दूसरी तरफ अपनी बहन के जिस्म की हरक़त और उसके चेहरे की तासुरात से मैं यह अंदाज़ा लगा सकता था कि अपनी बहन संध्या के साथ की जाने वाली मेरी छेड़खानी अब आहिस्ता आहिस्ता अपना कमाल दिखाने लगी है |

इसीलिए संध्या के चेहरे के तासुरात पड़ते हुए मैंने अपना काम जारी रखा और फिर अपने हाथों को संध्या की कमर से आहिस्ता आहिस्ता नीचे लाते हुए मैंने अपनी बहन की चौड़ी गांड की पहाड़ियों को पहली बार अपने हाथों में दवोच लिया |

“ओह क्याआआआअ मज़ेदार जिस्म है तुम्हारा मेरी बहन” |

अपनी बहन की गांड को अपने हाथों में कसते हुए मैंने संध्या के जिस्म को ज़ोर से अपनी तरफ खिंचा तो मेरी शलवार में खड़ा हुआ मेरा लौड़ा मेरी बहन की गुंदाज राणों में से सरकता हुआ पहली बार शलवार के ऊपर से ही मेरी बहन की कंवारी चूत से जा टकराया |

“ओह” भाई के सख्त लौड़े की अपनी बहन की मुलायम कंवारी चूत पर पहली दस्तक होते ही, हम दोनो बहन भाई के मुँह से सिसकीयाँ निकल पडीं तो साथ ही मज़े के मारे संध्या ने अपनी टांगों को आपस में जकड़ लिया जिसकी वजह से मेरा लौड़ा अब उसकी गुंदाज राणों में फंस कर रह गया |

“हाईईईईईईईईईईई मज़ेएएएऐ.... दारररर” अपने लौड़े को पहली बार यूँ अपनी सग़ी बहन की राणों में फंसा हुआ महसूस करते ही मैंने अपने जिस्म को थोड़ा से पीछे करते हुए फिर हल्का सा झटका दिया |

तो शलवार के अंदर से मेरा लौड़ा एक बार फिर मेरी बहन की गोश्त भरी राणों में सरकता हुआ दुबारा उसकी चूत से टच हो गया |

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़..... भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई... जाननननननननन” अपनी कुंवारी चूत के साथ अपने ही सगे भाई के गरम और सख्त लौड़े के लम्स को महसूस करते ही संध्या के सब्र का पैमाना भी टूट गया और फिर खुद सपुर्दगी के आलम में अपनी बाहों को मेरी गरदन के गिर्द कसते हुए मेरी बहन चिल्ला उठी और जोश के मारे संध्या ने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेते हुए गरम जोशी से मेरे लबों को चुसना शुरू कर दिया |

“ओह मेरे होंठो और लौड़े की गरमी की बदौलत मेरी बहन की कंवारी चूत भी मचल ही गई आख़िर” अपनी बहन संध्या को अपने जिन्सी जज़्बात के हाथों मजबूर हो कर मुझे यूँ दीवाना वार चाटते हुए देख कर मेरा दिल और लौड़ा दोनो बाग़ बाग़ हो गए | 

अब एक तरफ संध्या मस्त हो कर मेरे होंठो को चूसने लगी तो दूसरी तरफ मैं भी उसकी गरम जोशी का जवाब देते हुए दीवाना वार अपनी बहन के होंठों का रस पीने लगा |

अपनी बहन के वजूद पर जवानी की गरमी का असर देखते हुए मुझे और जोश आया और इसी जोश में इजाफा करते हुए मैंने संध्या के जिस्म को ज़मीन से थोड़ा ऊपर उठा और फिर संध्या के मुँह में जुबां डाल कर उसकी जीभ चूसते हुए मैंने संध्या की कमीज़ के ऊपर से उसके गोल गोल मुम्मे को अपने हाथ में थामा तो बहन के मुम्मों की मोटाई की वजह से मुझे यूँ लगा जैसे मैंने अपने हाथ में कोई कद्दू पकड़ लिया हो |

अपनी बहन की जवान कुंवारी छाती को पहली बार अपने हाथ में लेते हुए मैंने संध्या के मोटे मुम्मे को जोश से मसला तो दर्द और स्वाद की मिली जुली कैफ़ियत से संध्या के मुँह से आवाज़ निकली “उच, ओह” |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ आज ज़िन्दगी में पहली बार एक मर्द मेरी बहन की जवान छातियों को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा रहा है, और वो मर्द कोई और नही बल्कि खुद उस का अपना सगा भाई है” अपनी बहन के गुंदाज मुम्मे को अपनी मुट्ठी में लेकर प्यार से आहिस्ता आहिस्ता मसलते हुए मेरे दिमाग में यह ख्याल आया तो मेरे लौड़े की गरमी और बढ़ने लगी |

कमीज़ के ऊपर से संध्या के मुम्मे को मसलने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था |

इसलिए किस्सिंग के साथ साथ मैं अपनी बहन के जवान और भारी मुम्मों को अपने हाथों में लेकर काफ़ी देर तक दबाता और मसलता रहा और मेरे हाथों के स्वाद से संध्या के मुँह से सिसकीयाँ निकलती रहीं “ओह हाईईईईईईईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफ्फ़” |

फिर कुछ देर अपनी बहन के होंठों को चूसते और उसके मोटे मुम्मों से खेलने के बाद मैं संध्या की कमर से अपना एक हाथ हटा कर संध्या की शलवार पर लाया और फिर अपने हाथ को शलवार के ऊपर से ही अपनी बहन की फूली हुई कुंवारी चूत पर रख दिया |

शलवार के ऊपर से अपनी बहन की चूत पर हाथ रखते ही मुझे महसूस हुआ कि अपनी जिन्सी हवस की आग में जलने की वजह से इस वक़्त मेरी बहन की कुंवारी चूत पानी पानी हो रही थी और गीलेपन की वजह से संध्या की शलवार का अगला हिस्सा भी काफ़ी गिला हो चुका था |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई” यूँ ही मेरे हाथ ने अपनी बहन की अनछुई चूत को टच किया तो लज्ज़त के मारे संध्या के मुँह से सिसकीयाँ सी फूटने लगीं और जोश में आकर वो मेरे लबों को अपने दांतों से काटने लगी |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईई क्यायययययययययया मुलायम फुद्दी है तुम्हारी” शलवार पहने होने के बावजूद अपनी बहन की सॉफ्टनेस का मुझे भी खूब अंदाज़ा हो गया इसलिए संध्या की शलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को आहिस्ता आहिस्ता मसलते हुए मैंने कहा |

इसी दौरान मैंने संध्या का हाथ पकड़ा और उसे ला कर शलवार में तने हुए अपने मोटे सख्त लौड़े पर रख दिया |

“कैसा है मेरा लौड़ा संध्या” अपने तने हुए लौड़े को अपनी सग़ी बहन के हाथ में पहली बार देते हुए मैंने संध्या से सरगोशी के अंदाज़ में सवाल किया |

“ओह भाईईईईईईईईईई ऐसी गंदीईईईईईई बातें तो ना करोओ ना प्लीज़” संध्या ने शलवार में खड़े मेरे लौड़े से एकदम अपना हाथ अलग करते हुए जवाब दिया |

“हाईईईईईईई अब अपने आपको ऐसी गंदी बातें सुनने का आदि कर लो, क्योंकि आज के बाद मैंने ऐसी कई गंदी बातें तुमसे करनी भी हैं और तुम्हारे मुँह से सुननी भी हैं मेरी जान” संध्या की बात का जवाब देते मैं बोला और फिर अपनी बहन की शलवार के नाड़े को पकड़कर झटके से खीँच दिया |

जिसकी वजह से मेरी बहन संध्या की शलवार उसकी कमर से ढ़ीली होकर कमरे के फ़र्श पर जा गिरी |

आज अपने ही हाथ से अपनी बहन की शलवार का नाड़ा खोल कर उसे नंगा करने के बाद मैंने एक बार फिर संध्या का हाथ पकड़ कर उसे दुवारा अपने लौड़े पर रखा और साथ ही अपने हाथ से अपनी बहन की चिकनी गुंदाज राणों को अपनी मुट्ठी में दबोच कर मसलना शुरू कर दिया |

“ओह भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई जाननननननननननन” अपनी सॉफ्ट गुंदाज राण पर पहली बार अपने जवान सगे भाई के हाथों की गर्मी महसूस करते ही संध्या ने मज़े से चिल्लाते हुए मेरे कहे बगैर ही जोश से मेरे लौड़े को अपनी ग्रिफ्त में लिया और साथ ही नीचे से अपनी टांगें मेरे हाथ के लिए और खोल दीं |

अपनी बहन की इस मेहरबानी से खुश होते हुए मैंने संध्या की गुंदाज राणों पर हाथ फ़ेरते हुए हाथ को आहिस्ता आहिस्ता ऊपर ले जाकर अपने हाथ को दुवारा से अपनी बहन की नंगी चूत पर रख दिया |

“ओह लगता है तुमने मुझसे चुद्वाने के लिए ही, आज ही अपनी फुद्दी की ताज़ा ताज़ा सफ़ाई की है शायददददद...” अपनी बहन की बिना वालों वाली मखमली चूत पर पहली बार अपना हाथ फ़ेरते हुए मैं मज़े से बोला और फिर संध्या की पानी पानी होती चूत पर हाथ फ़ेरते हुए मैं अपनी उंगली को अपनी बहन की चूत के कुंवारी लबों पर आहिस्ता आहिस्ता फैरने लगा |

यूँ ही मेरी हाथ की उंगलियाँ अपनी बहन की चूत के लबों पर चलीं तो मेरी उँगलियों के मज़े से बेहाल होकर संध्या का जिस्म काँप उठा और वो सिसकियाँ भरते हुए मुझ से चिपकती चली गई |

“क्यायाआआआ तुम वाकियाआआआअ ही छुप छुप कर मेरी और ज़ाकिया की चुदाई का नज़ारा करती रही हो संध्या” अपनी बहन की चूत को अपने हाथ से हल्के हल्के मसलते हुए मैंने संध्या से पूछा |

“हाआाआआं भाईईईईईईईईईईईईईई” मेरे हाथ की लज्ज़त से मदहोश होते हुए संध्या ने जवाब दिया |

“तो अपनी सहेली की चूत में मेरा लौड़ा जाता देख कर क्या तुम्हारी चूत भी गरम होती थी संध्या” अपनी बहन की बात सुनकर मैंने जोश में अपने हाथ से उसकी चूत ज़ोर से मसलते हुए फिर सवाल किया |

“ओह... जीईईईईईई... भाईईईईईईईईईईईईईईई” मेरे हाथ के स्वाद से संध्या और गरम होते हुए बोली |

“तो फिर मेरी और ज़ाकिया की चुदाई देखने के दौरान तुम कया सोचा करती थी मेरी जान” अपनी बहन का जवाब सुनते ही मैंने उससे एक और सवाल पूछ लिया |

“प्लीज़ ऐसे सवाल ना करें ना मुझसे भाई” मेरे इस सवाल का डाइरेक्ट जवाब देने की बजाए संध्या ने बात टलने की कोशिश की |

“बताओ ना, मैं तुम्हारे मुँह से यह बात जानना चाहता हूँ मेरी जान” अपनी बहन की चूत के छोल्ले पर अपनी उंगली फ़ेरते हुए मैंने संध्या से दुबारा वही सवाल पूछा |

“ऑश ज़ाकिया की चुदाई देख कर मेरा दिल चाहता था, कि उसकी जगह मैं अपनी टांगें खोलकर आपके सामने लेट जाऊं, और ज़ाकिया की तरह मैं भी आपसे अपनी चूत को चुद्वा लूँ.... भाईईईईईईई” अपनी फुद्दी पर चलने वाले मेरे हाथ की गर्मी से बेहाल होते हुए संध्या ने दिल में छुपी ख्वाहिश का पहली बार अपनी ज़ुबान से इज़हार कर लिया |

इसके साथ ही संध्या ने अपने हाथ में पकड़े मेरे लौड़े की शलवार के ऊपर से ही बेशर्मी के साथ मुट्ठ लगाना शुरू कर दी |
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01-24-2019, 11:52 PM,
#7
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
अपनी बहन की बात के साथ साथ अपने लौड़े पर चलने वाले बहन के हाथ के कमाल की वजह से मेरा रोम रोम खिल उठा और मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा |

जोश में आकर मैंने अपनी उंगली अपनी प्यारी बहन की कुंवारी चूत के गुलाबी होंठो पर ज़ोर से रगड़ी और साथ ही मज़े से सिसकते हुए कहा “हाईईईईईईईईईईईईईईई अगर इस बात का मुझे पहले इल्म होता, कि ज़ाकिया के साथ साथ मेरी बहन की चूत भी मेरे लौड़े की तलबगार है, तो यकीन मानो मैं अब तक नाजाने कितनी बार तुम्हें चोद चुका होता मेरी बहन” अपनी बहन की फूली हुई चूत के ऊपर उंगलियाँ फ़ेरते हुए मैं बोला |

तो संध्या का मखमली जिस्म मेरी बाहों में मचल उठा और वो भी सिसकते हुए बोल पड़ी “उफफफफफफफफफफफफ्फ़ आपने अपनी हरकतों के साथ ही साथ अपनी बातों से भी मेरी चूत में आग लगा दी है भाईईईईईईईईईईईईईईई”

अपनी बहन की यह गरम बात सुनते ही मैंने अपनी बहन की चूत को अपनी मुट्ठी में दबोचा तो दूसरी तरफ संध्या के हाथ की ग्रिफ्त मेरे लौड़े के गिर्द मज़बूत होती चली गई और फिर सब रिश्ते नाते बुला कर हम दोनो बहन भाई ने एक दूसरे के लौड़े और फुद्दी पर अपने अपने हाथ तेज़ी के साथ चलाना शुरू कर दिए |

कुछ देर अपने हाथ से अपनी बहन की चूत को और गरम करने के बाद मैंने संध्या की कमीज़ को उसके कोनों से पकड़ा और फिर पहले अपनी बहन की कमीज़ और साथ ही उसका ब्रेज़ियर भी उतार कर अपने हाथ से अपनी सग़ी बहन को मुकम्मल नंगा कर दिया | 

अपने हाथों अपनी बहन के जिस्म से एक एक कर के सारे कपड़े उतारने के बाद मैं संध्या से अलग हुआ और थोड़ा पीछे होकर कमरे में खड़ी अपनी बहन की नंगी जवानी का नज़ारा करने लगा | 

वाहह इस वक़्त डेरे के कमरे में क्या ग़ज़ब का नज़ारा था | मेरी अपनी सग़ी बहन मेरी प्यासी आँखों के सामने कमरे में पूरी नंगी हालत में खड़ी थी और कमरे की खिड़की से आती रोशनी में चमकते हुआ मेरी सग़ी बहन संध्या का दूधिया जिस्म इस वक़्त मुझे दावत-ए-गुनाह दे रहा था |

मेरी बहन संध्या की बड़ी और गोल गोल छाती बहुत सफ़ेद थी जिसपर ब्राउन रंग के मोटे मोटे निपल्स थे और जो इस वक़्त मेरी बहन की चूत की गरमी के असर की वजह से अकड़ कर उसकी जवान छातियों पर खड़े हो चुके थे |

अपनी बहन की रस भरी छातियों पर निगाह डालने के बाद संध्या के पेट से नीचे आते हुए मैं यूँ ही अपनी नजरों को अपनी बहन की टांगों पर लाया तो अपनी बहन की गोश्त भारी राणों के दरमियाँ छुपे हुए अपनी बहन के पोषीदा ख़ज़ाने पर मेरी नज़र जम गई |

“हाईईईईईईई मैं ही वो पहला खोजी हूँ, जिसने आज अपनी ही जवान सग़ी बहन की टांगों में छुपे कुबेर के खज़ाने का पता चला लिया हाईईईईईईईईईईई” अपनी बहन की कुंवारी चूत के फूले लबों को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया |

मेरी बहन की टांगों के दरमियाँ उस अनछुई शेव्ड चूत मेरे हाथों की गरमी से बेहाल होकर हल्के हल्के पानी छोड़ रही थी और यह पानी इस वक़्त संध्या की चूत से टपक कर उसकी गोश्त भरी राणों पर बह रहा था |

“हाईईईई दूध की तरह यह सफैद बाज़ू, बगैर किसी दाग के सॉफ सुथरा ऐसा जिस्म, और ऊपर से रेशम की तरह नरम स्किन उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या ग़ज़ब का खूबसूरत जिस्म है मेरी बहन का” मैं अपने सामने खड़ी अपनी बहन की जवानी को देखते हुए यह सब सोच रहा था |

अपनी बहन को उसके कपड़ों की क़ैद से आज़ाद करने और अपनी आँखों को अपनी बहन के नंगे हुस्न से अच्छी तरह सेकने के बाद मैंने भी अपनी शलवार कमीज़ उतारी और फिर मैं खुद भी अपनी बहन के सामने पूरा नंगा खड़ा हो गया |

“कैसाआ लगाआआआआ मेरा लौड़ा संध्या” अपनी सग़ी बहन की नजरों के सामने मुकम्मल नंगा हो कर मैंने अपने हाथ से अपने खड़े हुए नंगे लौड़े को मसलते हुए पूछा |

“ नानाआआआअ पूछें मुझसे ऐसे सवाल भाईईईईईई, मुझे शरम्म्म्ममममममम आती है ऐसी बातें करते हुए” मेरे सामने पूरी नंगी हालत में खड़े होकर भी मेरे सवाल पर संध्या शर्माते हुए बोली |

“हम दोनो के दरमियाँ अब इतना सब कुछ होने के बाद भी तुम इतना क्यों शरमा रही हो मेरी जान” संध्या की बात के जवाब में झुंझलाते हुए मैंने कहा |

“अच्छा भाई अगर आप मजबूर करते हैं तो बता देती हूँ, कि आप का लौड़ा दूर से देखने में भी मोटा और लंबा नज़र आता था, मगर आज इतने नज़दीक से देखने में तो यह और भी बहुत बड़ा लग रहा है, वैसे मुझे समझ नही आ रही कि यह इतना मोटा और लंबा लौड़ा मेरी सहेली ज़ाकिया के अंदर जाता कैसा था भाईईईईईईईईईईई” मेरे नंगे लौड़े को प्यासी नजरों से देखते हुए मेरी सग़ी जवान बहन ने यूँ ही बेशर्मी से यह बात कहते हुए मेरे लौड़े की तारीफ की तो फख्र और गरूर के मारे मेरा लौड़ा और अकड़ता चला गया |

“अभी चंद लम्हों बाद जब मेरा लौड़ा तुम्हारी चूत में जाएगा ना, तो तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा, कि तुम्हारी सहेली मेरे लौड़े को कैसे अपनी चूत में ले लेती थी मेरी जान” अपनी बहन के सवाल पर मस्त होते हुए मैंने जवाब दिया |

इसके साथ ही मस्ती में आते हुए मैंने संध्या को चारपाई पर लेटाया और उसके मखमली चूतड़ के निचे एक तकिया रख दिया जिसकी वजह से मेरी प्यारी बहन की चूत उप्पर को उठ गई |

संध्या को चारपाई पर लेटाने के बाद मैं भी चारपाई पर आया और फिर अपनी बहन की टांगों के दरमियाँ बैठ कर मैंने अपनी ही सगी बहन की कुंवारी चूत के लबों को अपने हाथों से खोल दिया |

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ कितनी दिलकश और हसीन चूत है मेरी बहन की” अपनी बहन की चूत के अंदर का गुलाबी हिस्सा मेरी नजरों के सामने आया तो अपनी बहन की चूत की अंदरूनी खूबसूरती देख कर मेरी लार टपक पड़ी |

“हाईईईईई चुदाई से पहले क्यों ना अपनी बहन की इस प्यारी और कुंवारी चूत का स्वाद चखने के साथ अपनी बहन की अनचुदी फुद्दी की थोड़ी सी महक भी सूंघ लूँ मैं” अपनी नजरों के सामने खुली फुद्दी को देख कर मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया तो इसके साथ अपने सिर को नीचे झुकाते हुए मैं फौरन अपना मुँह अपनी बहन की चूत के एन ऊपर ले आया |

“हूऊऊऊऊओ क्याआआआअह्हह्हह खुश्बूरदार फुद्दी है तुम्हारी संध्या” अपनी बहन की चूत के लबों के नज़दीक अपनी नाक लाते हुए मैंने संध्या की कुंवारी चूत की खुशबू को सूँघा और साथ ही अपनी बहन के मुम्मे को अपने हाथ से दबाते हुए अपना मुँह अपनी बहन की चूत पर चिपका कर अपनी बहन की चूत को मज़े से चाटने लगा |

“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़..... भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई... यहह कैसीईईईईईईईईईई आगगगगगगगगगगग.. लगाआआआ.... दीईईईईईईई हाईईईईईईईईईईई तूमम्म्ममममममम ने..... मुझे” अपनी चूत पर पहली बार किसी मर्द के गरम होंठो के लबों से चिपकने और चूत पर चलती गरम ज़ुबान के मज़े से बेहाल होकर संध्या मज़े से चिल्लाती हुई बोली |

अब कमरे में यह हालत थी कि मेरे मुँह और ज़ुबान की गर्मी से बेहाल हो कर मेरी बहन संध्या तो जैसे बेसुध हो चुकी थी और इसी बेखुदी के आलम में वो चारपाई पर नीचे से अपनी गांड को ऊपर उठा उठा कर मेरे मुँह पर मार रही थी |

जबकि मैं चारपाई पर लेटी हुई अपनी बहन की खुली टांगों के दरमियाँ लेट कर अपनी बहन की चूत को अपने मुँह और ज़ुबान से चाट रहा था और साथ ही साथ अपनी बहन की चूत से निकलने वाले गरम पानी को शरवत समझ कर पीने में मसरूफ़ था |

कुछ देर यूँ ही अपनी बहन की चूत का पानी पीने के बाद अब मेरा दिल अपनी बहन की चूत को चोदने को मचल उठा तो अपने मुँह को संध्या की चूत से अलग करने के बाद मैं अपनी बहन की टांगों के दरमियाँ बैठा और बोला “तैयार हो जाओओ संध्या,अब मैं तुम्हें एक लड़की से औरत बनाने जा रहा हूँ, और वो भी अपनीईईईईईईईईई औरतततत” 

“हाईईईईईईईईईईईईईईई जब से आपको अपनी सहेली की चुदाई करते देखा है, मैं तो उसी वक्त इस लम्हे के इंतज़ार में तरस रहीईईईई हूँ, कि कब तुम मुझे अपनी औरत बनाओगे भाईईईईईईईईईईई” मेरी बात सुनते ही संध्या की जिन्सी भूख अपने सिखर पर जा पहुंची और मेरे लौड़े को भूखी नजरों से देखते हुए वो सिसकार उठी |

अब चारपाई पर अपनी बहन की खुली टांगों के दरमियाँ बैठ कर मैं भी हवस भरी नज़र से अपनी बहन के नंगे हुस्न को निहारते हुए आगे को झुका और अपने लौड़े को पहली बार अपनी बहन की चूत पर रख कर अपने लौड़े के मोटे टोपे को अपनी बहन की कुंवारी चूत पर रगड़ने लगा |

“ओह” अपनी बहन की कुंवारी चूत पर मेरे लौड़े की रगड़ से हम दोनो बहन भाई के मुँह से लज़्ज़त भरी सिसकी फूट पड़ी |

अपनी बहन की यह सिसकी सुन कर मैं मस्त हुआ और इसी मस्ती के आलम में मैंने संध्या की चूत पर फिरने वाले अपने लौड़े पर दबाव बढ़ा दिया |

जिसकी वजह से मेरे लौड़े का टोपा मेरी बहन संध्या की कुंवारी चूत के लबों में धंसता चला गया |

“उफफफफफफफफ्फ़ क्यों तडपा रहे हो मुझे, अब डाल भी दो ना अंदर भाईईईईईईईईई” अपनी फुद्दी के लबों में फँसे हुए मेरे लौड़े की गरमी से बेहाल होते हुए संध्या चिल्लाई और इसके साथ ही उसने चारपाई से अपनी गांड को उठा कर मेरे लौड़े को अपनी कुंवारी चूत के अंदर लेने की कोशिश की |

“ठीक है तो फिर अब अपनी फुद्दी को मेरे लौड़े के इस्तक़बाल के लिए तैयार कर लो मेरी बहन” अपनी बहन की बात का जवाब देते हुए मैंने कहा और इसके साथ मैंने संध्या के जिस्म से थोड़ा ऊपर होते हुए अपने लौड़े को अपनी बहन की चूत के लबों से बाहर निकाल लिया |

मुझे अपने लौड़े को उसकी चूत से यूँ अलग करते देख कर संध्या ने हैरत के आलम में मेरी तरफ देखा | मगर इससे पहले के वो कुछ बोल सकती मैं अपने जिस्म को तेज़ी के साथ नीचे ला कर एक झटका मारा तो लोहे की तरह सखत मेरा लौड़ा संध्या की चूत के गुलाबी लबों को चीरता हुआ मेरी बहन की चूत में घुसता चला गया |

मेरे लौड़े ने मेरी बहन की चूत के कुंवारे परदे को फाड़ कर यूँ ही अपनी ही बहन की “नथ” खोली तो दर्द और मज़े के मिले जुले अहसास से संध्या चीख पड़ी ““हाईईईईईईईईईईई मरर गईईईईई” और इसके साथ ही उस का जिस्म अकड़ता चला गया |

“अपनी जिस्म को ढीला छोड़ दो, अभी थोड़ी ही देर में दर्द कम होता चला जाएगा मेरी जान” अपने लौड़े से अपनी बहन को अपनी औरत बनाने और उसकी चूत को जिन्सी दर्द से रोशणास करवाने के दौरान मैंने संध्या को तसल्ली देते हुए समझाया और इसके साथ ही अपने लौड़े को और आगे बढ़ाने की बजाए मैंने थोड़ा रुकते हुए अपनी बहन के चेहरे की तरफ देखा तो पता चला के मेरे लौड़े के ज़ोरदार झटके की वजह से दर्द के मारे ना सिर्फ़ मेरी बहन संध्या के चेहरे का रंग बदल गया था बल्कि साथ ही साथ उसकी आँखों में आंसू भी तैरने लगे थे |

“ओह मुझे बहुत अफ़सोस है कि मैंने अपनी प्यारी बहन को इतनी तकलीफ़ दी है आज, कि दर्द के मारे तुम्हारे आँसू निकल पड़े हैं मेरी बहन” अपनी बहन की आँखों में से बहते आंसुओं को देखते हुए मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होने लगी तो मैं संध्या से बोला |

“अपने ही सगे भाई से अपनी कुंवारी चूत की सील तुड़वाने का एहसास किसी क़िस्मत वाली को ही नसीब होता है, इसलिए यह दर्द के नही बल्कि खुशी के आँसू हैं भाईईईईईईईईई”

मेरी बात के जवाब में नीचे से अपनी चूत उठाकर मेरे लौड़े को अपने अंदर और जज़ब करते हुए संध्या बोली तो अपनी बहन के इस जवाब से मुझे हौसला मिला और साथ ही मेरी लौड़े को और जोश आता चला गया फिर इसी जोश के साथ मैं अपने मुँह को नीचे लाया और अपनी बहन की जवान छातियों को अपने मुँह में भर लिया |

“बहुत प्यासे हैं मेरे मुम्मे तुम्हारे होंठों के लिए, ओह चूसो मेरे मुम्मों को, चूसो मेरे निपल्स मेरे भाईईईईईईईईईईई” |

मैंने यूँ ही अपनी बहन के निप्पल पर अपनी गरम ज़ुबान फेरी तो मज़े के मारे संध्या चिल्ला उठी |

थोड़ी देर अपनी बहन के मोटे मुम्मो को चूसने के बाद मैंने अपने मुँह को अपनी बहन के रस भरे निपल्स से अलग किया और संध्या की आँखों में आँखें डाल कर देखते हुए बोला “मैं तुम्हारा बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि तुमने अपनी यह कुंवारी चूत चोदने का मौक़ा मुझे दिया है संध्या” |

अपनी बहन से यह बात कहते हुए मैं फिर पीछे हटा और अपने लौड़े को बहन की चूत से बाहर निकाल कर फिर तेज़ी के साथ एक और झटका लगाया तो इस बार मेरी बहन संध्या की चूत से बहने वाले खून और बहन की चूत के रस ने मेरे लौड़े का रास्ता बहुत आसान बना दिया और मेरा लौड़ा फिसलते हुए मेरी बहन की फुद्दी में पूरा जड़ तक घुस गया |

मेरे लौड़े के अंदर जाते ही मेरी बहन संध्या की मखमली चूत की मुलायम दीवारों ने मेरे लौड़े को अपने आगोश में ऐसे जकड़ा कि जैसे मेरी बहन की चूत की दीवारें सदियों से मेरे लौड़े के इस्तक़बाल की मुंतीज़र थीं |

“हाईईईईईईईईईईईईई ज़ाकिया की चूत अच्छी है या मेरी भाईईईईईईईईईई” अपनी चूत में मेरे लौड़े को पूरी तरह जज़्ब करते ही मेरी बहन संध्या ने मज़े से कराहते हुए मुझेसे सवाल किया |

“अपनी सग़ी बहन की चूत में जो मज़ा है, वो ज़ाकिया तो क्या दूनिया की किसी और चूत में नही है मेरी जान” अपनी बहन की बात सुन कर मैंने जवाब दिया और अपना सिर झुकाकर संध्या की खुली टांगों की तरफ नज़र डाली जहाँ मेरा लौड़ा इस वक़्त अपनी बहन की चूत में मुकम्मल तौर पर दाखिल हो चुका था |

अपने लौड़े के गिर्द लिपटे अपनी बहन की चूत के लबों की गरमी महसूस करके मुझे इस वक़्त यूँ महसूस हो रहा था कि जैसे मेरा लौड़ा आग की भट्ठी में घुस गया हो मगर चूत की इतनी तपिस और गरमेश के बावजूद भी मुझे अपनी बहन की चूत में अपना लौड़ा डाल कर इस वक़्त जन्नत का मज़ा मिल रहा था |
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01-24-2019, 11:52 PM,
#8
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
अब मैं अपनी बहन की चूत का पूरा मज़ा लेने के मूड में आ गया और फिर अपनी बहन के गुलाबी होंठो को अपने होंठो से चाटा और अपनी बहन संध्या की चूत में ज़ोरदार घस्से मारते हुए मैं अपनी बहन की टाइट चूत को अपने लौड़े से और खोलने में लग गया | 

“हाईईईईईईईईईईईईईई आज अपनी ही सग़ी बहन की कुंवारी चूत की सील खोल कर आपने यह बात सच साबित कर दी है, कि मर्द और औरत का एक ही रिश्ता होता है और वो है लौड़े और चूत का रिश्ता, और इस रिश्ते के आगे बाकी सब रिश्ते बेकार हैं” |

मेरी चुदाई के ज़ोरदार घस्से का मज़ा लेते हुए संध्या बोली और इसके साथ ही उसने चारपाई से अपनी गांड उठाई और नीचे से अपने चूतड़ ऊपर उठा उठा कर मेरे ज़ोरदार घस्सों का जवाब देने लगी |

अब मेरी बहन चारपाई से अपने चूतड़ उठा कर मुझे से चुद्वा रही थी जबकि मेरे हाथ संध्या के चूतड़ को थाम कर इस दौरान संध्या को अपने जिस्म से चिपका रहे थे |

“उफफफफफफफफफ्फ़ संध्या, तुम्हारी चुदाई का यह अंदाज़ा देखते हुए तो नही लगता कि तुम एक कुंवारी लड़की हो, जो आज पहली बार अपनी चुद्वाई करवा रही है” अपनी बहन को यूँ चारपाई से अपनी गांड उठा कर अपनी फुद्दी को मेरे लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से मारते देख कर मुझे हैरत हुई और मैंने चोदाई के दौरान संध्या से सवाल किया |

“हाँ अभी चंद लम्हे तक बेशक़ मैं कुंवारी जरुर थी, मगर चुदाई के यह तरीके मैंने किसी और से नही, बल्कि आप और ज़ाकिया की चुदाई को देखते हुए ही सीखे हैं भाईईईईईईईईईई” मेरे सवाल का जवाब देते हुए संध्या ने अपनी गांड को एक बार फिर ऊपर किया और मेरे लौड़े को अपनी चूत में ज़ज्ब कर लिया |

“ओह मुझे ख़ुशीईई है कि मेरी बहन ने कमरे के रोशनदान से छूप छूप कर देखते हुए प्यार का यह सबक ना सिर्फ़ मुझसे सिखा है, बल्कि उसी सबक का स्वाद मुझे पिला भी रही है हाईईईईईईईईईईईई” अपनी बहन की बात सुनते ही मेरे लौड़े में और जोश आया और मैं चारपाई पर लेटी अपनी बहन की टांगों को खोल कर अपनी बहन की चूत में अपने लौड़े के घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा |

मैं अब अपनी कमर हिला हिला कर अपनी सग़ी बहन को चोदने में मसरूफ़ था | मैं चुदाई के नशे में इस वक़्त बिल्कुल जानवर बना हुआ था और शायद संध्या भी |

संध्या को अब मेरी चुदाई से दर्द नही हो रहा था बल्कि अब वो फुल मज़े में थी और मेरे धक्कों का जवाब ऊपर की तरफ उछाल कर अपनी चूत मेरे लौड़े की तरफ धक्का मार कर दे रही थी |

संध्या को चोदने के दौरान मैंने चुदाई की स्पीड में तेज़ी कर दी और इसी तेज़ी की वजह सेई मेरे टट्टे मेरी बहन की गांड की पहाड़ियों पर ज़ोर से टकराते तो कमरे में “फ़चक्क फ़चक्क” की आवाज़ पैदा हो रही थी |

हम दोनो बहन भाई की चुदाई इस वक़्त अपनी इंतहा तक पहुँच चुकी थी |

ज़ोर दार चुदाई की वजह से हमारे जिस्म पसीना पसीना हो चुके थे मगर इसके बावजूद हम एक दूसरे को पागलों की तरह चोद रहे थे |

इस ज़बरदस्त चुदाई के असर की वजह से मेरे ट्टटों में मेरे लौड़े का रस इस वक़्त इतने ज़ोर से उबल रहा था कि मैं अब किसी भी वक़्त अपने लौड़े का रस अपनी बहन की चूत में छोड़ सकता था |

उधर दूसरी तरफ संध्या भी जिस रफ़्तार से अपनी गांड उछाल रही थी | उसे देखकर मेरे लिए यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि अब उसकी फुद्दी भी फारिग होने के नज़दीक पहुँच चुकी थी |

“ हाईईईईईईई मैं तुम्हारी चूत में फ़ारिग होने लगा हूँ संध्याआआआआअ” अपनी बहन की चूत में ज़ोरदार घस्से मारते हुए मैंने अपनी बहन से कहा |

“हाँ... डालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल... दो मेरी चूत में अपने लौड़े का पानीईईई भाईईईईईईईईईईईई” मेरी बात सुनते ही संध्या मज़े से सिसकते हुए बोली और अपनी चूत के लबों को मेरे लौड़े के गिर्द और कस लिया |

अपनी बहन की चूत को यूँ अपने लौड़े के गिर्द कसता हुआ महसूस करते ही मेरी लौड़े का बंद टूट गया और मैंने अपने रस का फ्वारा अपनी सग़ी बहन की चूत में छोड़ दिया |

मेरे लौड़े से गरम मनी निकल कर यूँ ही संध्या की चूत के अंदर गिरा तो मेरे लौड़े के गरम पानी से संध्या के जिस्म को एक झटका लगा और इसके साथ वो भी चिल्ला उठी “मैंएएए भीईईईईईई गई, मेरी चूत भीईईईईईई फ़ारिग होने लगीईईईईईई है भाईईईईईईईईई” | 

अब कमरे में हम दोनो बहन भाई के झटके खाते जवान जिस्म अपना अपना गरम पानी खारिज़ कर रहे थे जिसकी वजह से अब एक सगे भाई के लौड़े का गरम मवाद अपनी बहन की चूत की तह में गिरकर बहन की चूत के रस में मिक्स हो रहा था |

अपने लौड़े का सारा जूस अपनी बहन की फुद्दी में छोड़कर मैंने अपना मुँह नीचे किया और अपनी बहन के मोटे मुम्मों को अपने मुँह में भर कर चूसते हुए कहने लगा 
“उफफफफफफफफ्फ़ संध्याआ, लोग सही कहते फॉरबिडन फ्रूट्स खाने का एक अलग ही मज़ा है और आज अपने ही घर का सबसे फॉरबिडन फ्रूट् खा कर मुझे जो मज़ा मिला है वो आज से पहले कभी ज़िन्दगी में नही मिला मेरी बहन” |

“हाईईईईईईई मुझे भी ख़ुशी है कि मेरी चूत से आप के लौड़े को एक नई राहत मिली है, इसलिए अब मेरा आपसे वादा है कि आज के बाद आपकी बहन की चूत आप के लौड़े के लिए हमेशा तैयार रहेगी और मैं आप को ज़ाकिया की कमी कभी महसूस नही होने दूँगी भाईईईईईईईईईईई” मेरी बात का जवाब देते हुए संध्या ने अपनी छाती पर झुके मेरे सिर को अपने हाथों से नीचे दबाते हुए मेरे मुँह में अपना मोटा निप्पल फंसा दिया तो मैं भी जोश में आते हुए मज़े ले लेकर अपनी बहन की जवानी का रस पीने लगा |

“भाईईईईई अब बस करो और मुझे घर जाने दो, अम्मी मेरा इंतज़ार कर रही होंगी” अपनी बहन की चूत में फ़ारिग होने के बाद भी जब मैं काफ़ी देर तक अपनी बहन के मुम्मों को चूमता चाटता रहा तो फिर तंग आकर मुझे अपने आपसे ज़बरदस्ती अलग करते हुए संध्या आख़िर बोल ही पड़ी |

अपनी बहन के गरम और हसीन बदन से अलग होने को मेरा दिल तो नही चाह रहा था मगर हमारी चुदाई की वजह से संध्या को घर जाने में वाकिया ही आज काफ़ी देर हो गई थी, इसलिए ना चाहते हुए भी मैं संध्या से अलग हो कर चारपाई पर लेट गया |

संध्या बिस्तर से उठी और उसने उठकर कमरे के एक कोने में पड़े एक पुराने तोलिए से अपनी चूत से निकलने वाले खून और मेरे लौड़े के पानी को अच्छी तरह साफ किया और फिर उसने कमरे के फर्श पर बिखरे हुए अपने कपड़े उठा कर पहन लिए |

इस दौरान मैं चारपाई पर लेटकर अपनी बहन को खामोशी से देखता रहा |

कपड़े पहनने के बाद संध्या ने खाने के बर्तन उठाये और खोमाशी से कमरे से बाहर निकलने लगी |

“संध्या बात सुनो” अपनी बहन को कमरे से बाहर जाते देख कर मैंने चारपाई पर बदस्तूर लेटे लेटे संध्या को आवाज़ दी |

“जीईईई भाईईईईईईईई” संध्या ने मुड़ कर मेरी तरफ देखा तो शरम से उस का मुँह लाल हो रहा था और अब वो मुझसे नज़रें मिलाने से कतरा रही थी |

“अभी चंद लम्हे पहले मेरी बहन अपनी गांड उठा उठा कर मज़े से अपनी चूत को पहली बार मुझसे चुद्वा रही थी, और अब मेरी वही बहन शरम के मारे मुझसे नज़रें चुरा रही है, वाह री औरत, तुझे समझना कितना मुश्किल है” संध्या के इस अंदाज़ को देखते हुए मेरे होंठो पर हँसी फैलती चली गई |

“आज रात अपने कमरे में मेरा इंतज़ार करना” मैं कमरे के दरवाज़े पर इंतज़ार करती अपनी बहन की तरफ देखते हुए बोला और साथ ही अपने ढीले लौड़े पर अपना हाथ फ़ेरते हुए अपनी बहन को “आँख” भी मार दी |

“मेरी बात और मेरी आँख की हरकत मतलब समझते ही संध्या के चेहरे पर भी एक म्हीन सी मुस्कुराहट फ़ैली और वो मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर दौड़ गई |
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01-24-2019, 11:53 PM,
#9
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
Part6

“हाए मैंने अपनी ही सग़ी बहन की कुंवारी चूत को चोद कर उसकी फुद्दी में अपने लौड़े का पानी छोड़ तो दिया है, लेकिन अगर वो पेट से हो गई तो अम्मी और गाँव के बाकी लोगों को क्या जवाब दूंगा मैं” अपनी जिन्सी हवस के हाथों मजबूर होकर मैं आज अपनी सग़ी बहन की चूत का स्वाद तो चख़ चुका था | मगर अब अपने लौड़े की गरमी कम होने के बाद मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो रहा था |

“तूझे आइन्दा हर सूरत इस बारे में बहुत एहतियात करने पड़ेगी अफ़ताब” अपनी ग़लती का अहसास होने के बाद मैंने सोचा तो मेरे ज़ेहन में एक आइडिया आया और फिर मैं भी अपने कपड़े पहन कर मोटर साइकिल पर गुजरात सिटी चला गया |

गुजरात शहर पहुँच कर मैंने वहाँ एक मेडिकल स्टोर से अपने लिए कंडोम का एक पूरा डिब्बा लिया और साथ में अपनी बहन संध्या के लिए हमल रोकने वाली गोलियाँ भी खरीद लीं |

“मैं आज घर जाते ही संध्या को एक गोली खाने के लिए दे दूंगा, ताकि हमारी चुदाई के दौरान मेरी बहन प्रेग्नेंट होने से बच सके” अपनी ही बहन के लिए हमल गोलियाँ खरीदते वक़्त मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया तो आने वाली रात के तसुवर से ही मेरे लौड़े में दुबारा से हलचल होने लगी |

चूँकि कंडोम के साथ चुदाई की वजह से लौड़े और चूत की स्किन आपस में रगड़ नही खाती जिसकी वजह से कंडोम पहनकर चुदाई करने में मुझे ज्यादा मज़ा नही आता |

मगर मुझे पता था कि प्रेगेंसी रोकने वाली इन गोलियाँ का असर उन्हें खाने के कुछ दिन बाद होता है | इसलिए जब तक हमल रोकने वाली गोलियाँ अपना असर दिखाना शुरू ना कर देतीं उस वक़्त तक कंडोम इस्तेमाल करना अब मेरी मजबूरी ही थी |

उस शाम घर वापसी पर मेरी नज़रें अपनी बहन के जवान जिस्म को ढूंड रहीं थीं लेकिन शायद वो मुझे तडपाना चाह रही थी | इसलिए संध्या जानबूझ कर फौरन मेरे सामने नही आई बल्कि वो काफ़ी देर अपने कमरे में ही बैठ कर मेरा सामना करने से कतराती रही मगर घर में सिर्फ़ तीन लोग होने की वजह से उसके लिए बहुत देर तक मुझसे छुप कर रहना एक नामुमकिन सी बात थी | 

इसलिए मेरे घर आने के दो घंटे बाद आख़िर संध्या को मेरा सामना करना ही पड़ गया मगर अपनी बहन की चुदाई के बाद पहली दफ़ा अपने घर में हमारा आमना सामना होने के बावजूद मैंने अपनी अम्मी के सामने उसे ऐसे ही शो किया जैसे हमारे दरमियाँ कभी कुछ हुआ ही नही था | 

फिर जब अम्मी किसी काम के लिए किचन में गईं तो मैंने अपनी पॉकेट से निकाल कर संध्या को गोलियों का पैकेट दिया और बोला “खाने के फ़ौरन बाद इस पैकेट में से एक गोली निकाल कर खा लेना संध्या” |

मेरी बात सुनते हुए संध्या ने अपने हाथ में थमी गोलियों की तरफ देखा और फिर हैरत से मुझे देखने लगी इससे पहले कि वो मुझसे कोई सवाल कर पाती अम्मी दुवारा कमरे में दाखिल हो गईं | जिसकी वजह से मेरी बहन गोलियों को अपनी मुट्ठी में दबाते हुए कमरे से बहार चली गई |

फिर अम्मी के सोने के बाद रात के एक बजे मैं अपने कमरे से उठकर दबे पाँव अपनी बहन संध्या के कमरे में दाखिल हुआ तो बिस्तर पर चादर डाल कर लेटी अपनी बहन संध्या को अपना मुंतज़ीर पाया |

“आप रात के 1 बजे अपनी जवान बहन के कमरे में किया करने आए हैं भाई” मुझे आहिस्ता से दरवाज़ा खोल कर चोरों की तरह अपने कमरे में आता देख कर बिस्तर पर लेटी मेरी बहन ने मुझे छेड़ते हुए पूछा |

“रात की तन्हाई में इस वक़्त तुम्हारा भैया नही बल्कि तुम्हारा सैयाँ तुमसे मिलने आया है मेरी जान” संध्या की शोख़ी भरी बात का जवाब देते हुए मैंने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और अपने कपड़े उतार कर बिस्तर पर मौजूद अपनी गरम बहन के पहलु में जा लेटा तो चादर के नीचे संध्या पहले ही से नंगी हालत में लेटी हुई थी |

“हाईईईईईईईईईईईई तुम तो अपने सारे कपड़े उतार कर पहले से ही चुद्वाने के लिए तैयार लेटी हुई हो संध्या” मेरे हाथों ने चादर के नीचे से अपनी बहन के गरम जिस्म को यूँ ही छुआ तो अपनी बहन को मेरे इंतज़ार में यूँ नंगा लेटा हुआ पाकर मुझे खुश्गुवार हैरत हुई तो मैंने खुशी के आलम में अपनी बहन के कान में सरगोशी की |

“आज दिन में अपनी चूत आपसे चुद्वाने के बाद से अब तक मेरी फुद्दी आप के लौड़े की तलब में पागल हो रही है, इसलिए बिना कोई वक़्त ज़ाया किए बगैर मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दो भाईईईईईईईईई” मेरी बात के जवाब में संध्या ने निहायत बेशर्मी से फ़रमाइश की तो मेरे लिए भी अपनी बहन से और दूर रहना नामुमकिन हो गया |

“इस का मतलब है कि जवानी की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है मेरी जान” अपनी बहन की बात का जवाब देते हुए मैंने संध्या को उल्टा किया और फिर अपने लौड़े पर कंडोम चड़ा कर घोड़ी बनी अपनी बहन की चूत में अपना लौड़ा डाल दिया |

उस रात मैंने दो बार अपनी बहन संध्या की चूत का मज़ा लिया और फिर अपने लौड़े का पानी आख़िरकार कंडोम में ही निकाला और उसके बाद अपने कमरे में आकर सकूँ की नींद सो गया |

उस दिन के बाद तो जैसे मेरी ज़िंदगी में बहार ही आ गई थी | क्योंकि अगले एक हफ्ते के दौरान मैं और संध्या ने अपनी रही सही शर्म भी उतार फैंकी और हम दोनो बहन भाई आपस में काफ़ी खुल गए | जिसकी वजह से हमें जब भी मौक़ा मिलता तो हम घर और डेरा दोनो जगह पर खुल कर चुदाई में मशरूफ़ हो जाते थे और मैं अपनी बहन को हर अंदाज़ में चोदने के साथ साथ मैंने ना सिर्फ़ संध्या को अपने लौड़े की चुसाई पर मनाया बल्कि साथ ही साथ अपनी बहन को 69 स्टाइल से भी ओरल सेक्स करवा कर उसकी चूत को जिन्सी मज़े की एक नई मंज़िल पर पहुँचा दिया | 

चूँकि हमारा डेरा गाँव से काफ़ी हटकर था यहाँ पर चारों तरफ सिर्फ़ हमारी अपनी ज़मीन थी जिसकी वजह से हमारे डेरे की तरफ गाँव के आम लोगों का आना जाना बहुत ही कम था |

इसलिए संध्या के साथ डेरे पर किसी रोक टोक और डर के बगैर चुदाई करने में मुझे ज्यादा मज़ा आता था |

एक दिन जब संध्या डेरे पर आई तो मेरे दिमाग को ना जाने क्या सुझा कि मैं अपने और संध्या के सारे कपड़े उतार कर अपनी बहन के साथ नंगी हालत में ट्यूबवेल की छत पर चढ़ गया |

चूँकि ट्यूबवेल की छत पर से हमारे खेतों के चारों तरफ बड़ी आसानी से देखा जा सकता था |

इसलिए मैंने बिना किसी खौफ़ और खतरे के अपनी बहन को दिन की रोशनी में अपने ट्यूबवेल की छत पर ही चोद डाला |

उस रोज़ खुले आसमान तले दिन की रोशनी में अपनी ही बहन से रंग रलियाँ मनाते हुए मुझे बहुत मज़ा आया |

ट्यूबवेल की चुदाई के दूसरे दिन संध्या डेरे पर आई और मुझे खाना देकर खुद कमरे से बाहर निकल गई | खाने से फ़ारिग हो कर मैंने अपने खेतों को पानी देने के लिए ट्यूबवेल को ओंन किया और फिर खुद भी कमरे से बाहर आ गया | 

तो अपनी बहन संध्या को ट्यूबवेल के साथ बनी हुई पानी की होद्दी में कपड़ों समेट नहाते हुए देखा |

“खैरियत तो है आज घर की बजाए ट्यूबवेल पर ही नहाना शुरू कर दिया है तुमने संध्या” अपनी बहन को उसके कपड़ों समेत पानी की होद्दी में मज़े से उछलते कूदते देखकर मैंने संध्या से सवाल किया |

“जब आप मुझे अपने घर के कमरे की बजाए ट्यूबवेल की छत पर चढ़ कर चोद सकते हैं, तो मैं घर की बजाए अपने ट्यूबवेल पर नहा क्यों नही सकती भाई” |

मेरे सवाल के जवाब में मस्ती से पानी में अपने हाथ मारते हुए संध्या ने जवाब दिया तो अपनी बहन के गीले बदन को देख कर मेरे लौड़े में भी जोश आ गया |

“अच्छा तो चलो दोनो मिल कर नहाते हैं फिर” संध्या की बात के जवाब में बोलते हुए मैंने अपने कपड़े उतारे और फिर दौड़ते हुए मैं भी पानी की होद्दी में चला गया |

पानी की होद्दी में आते ही मैंने एक एक कर अपने हाथ से अपनी बहन के सारे कपड़े उतार कर होद्दी से बाहर फ़ेंके और फिर हम दोनो बहन भाई मिल कर पानी की होद्दी में एक साथ नहाने लगे |

ट्यूबवेल से आते तेज़ पानी के नीचे नहाते हुए हमें बहुत मज़ा आ रहा था |

नहाने के दौरान मैं संध्या के जिस्म से चिमटते हुए अपनी बहन के मुम्मों और चूत को छेड़ रहा था जबकि जवाब में संध्या भी मेरे लौड़े से छेड़छाड़ करने में मसरूफ़ थी |

जिसकी वजह से ट्यूबवेल के ठंडे पानी में नहाने के बावजूद हमारे जिस्मों में जवानी की गर्मी चड़ती जा रही थी |

“अच्छा संध्या तुम मेरी गोद में बैठ कर अपनी चूत में मेरा लौड़ा डालो और मेरे लौड़े और अपनी चूत में लगी आग को ठंडा करो मेरी जान” थोड़ी देर की छेडछाड के बाद जब हम दोनो बहन भाई बहुत गरम हो गए तो होद्दी के एक कोने में बैठते हुए मैंने संध्या से कहा |

“ठीक है आप नीचे बैठें मैं आपके ऊपर चढ़ कर आप के लौड़े की गर्मी निकालती हूँ भाईईईईई” मेरी बात का जवाब देते हुए संध्या ने अपना मुँह डेरे के दरवाज़े की तरफ और अपनी कमर मेरी तरफ करते हुए मेरे तने हुए लौड़े को अपनी टाँगों के बीच में इस तरह अड्जस्ट किया कि जिसकी वजह से मेरा लौड़ा अब अपनी बहन की गिली चूत के फूले हुए लबों से रगड़ खाने लगा था | 

“ओह आपके सख्त लौड़े का क्याआआआअह्हह्हह मज़ाआआआअ है भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई” अपनी टांगों के दरमियाँ फँसे हुए मेरे मोटे सख्त लौड़े के ऊपर अपनी चूत को तेज़ी से सरकाते हुए संध्या ने सिसकी भरे लहजे में मुझे कहा |

इसके साथ संध्या ने अपनी गांड को हल्के से नीचे लाते हुए होद्दी के पानी में खड़े मेरे लौड़े को अपनी मुट्ठी में काबू किया और साथ ही मेरे मोटे सख्त लौड़े को पानी में अपनी पानी पानी होती हुई प्यासी चूत पर टिका दिया |

“उफफफफफफ्फ़ कयाआआआ गरम चूत हाईईईईईईईईईईईई तुम्हारीईईईईई संध्या” ट्यूबवेल की होद्दी के ठंडे पानी में भी अपनी बहन की चूत की तपिस को अपने लौड़े पर महसूस करते ही मैंने नीचे से ऊपर की तरफ धक्का मारा |

तो एक मिसाइल की तरह तेज़ी के साथ ऊपर को उठ कर मेरा लौड़ा अपनी बहन की चूत के निशाने पर जा लगा और मेरे लौड़े के साथ साथ होद्दी का थोड़ा सा पानी भी मेरी बहन की चूत में दाखिल हो गया |

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आपसे अपनी चूत मरवा कर हर बार एक नया मज़ा मिलता है मुझे” मेरे लौड़े के झटके के साथ साथ चूत के छोल्ले और फुद्दी की दीवारों से टकराने वाले होद्दी के पानी से पैदा होने वाली लज्ज़त की वजह से संध्या ल्ज्ज्तों की नई मंज़िल पर पहुँचते हुए चिल्ला उठी |

इसके साथ ही संध्या मेरी गोद में बैठ कर ऊपर नीचे होते हुए मुझसे अपनी चूत चुद्वाने लगी और मैं पानी में बैठ कर अपनी बहन की चूत को मज़े से चोदने लगा |

अब ट्यूबवेल के पानी में दो जवान नंगे जिस्म जल रहे थे और हम दोनो बहन भाई एक दूसरे को चोद कर अपने जिस्म की गर्मी को कम करने की कोशिश करने लगे |

ट्यूबवेल की होद्दी के बहते पानी में हमारी चुदाई की वजह से “फ़चा फॅच फ़चा फॅच, फका फक फका फक” की आवाज़ें पैदा हो रही थीं |

कुछ देर यूँ ही अपनी बहन की ज़ोरदार चुदाई के बाद मुझे यूँ लगा कि जैसे मैं अपने लौड़े का पानी छोड़ने वाला हूँ चूँकि मैंने आज अपनी बहन संध्या की चुदाई के दौरान कंडोम नही पहना हुआ था |

इसलिए मैं अपने लौड़े के पानी को अपनी बहन की चूत में छोड़ने की ग़लती दुबारा नही दोहराना चाहता था |

“संध्या मैं चाहता हूँ कि तुम अब मेरे लौड़े को अपनी चूत से निकाल कर इसे अपने मुँह में लो, और मेरे लौड़े की चुसाई लगा कर मेरा पानी निकाल दो मेरी जान” थोड़ी देर और अपनी बहन को चोदने के बाद मैंने संध्या को अपने लौड़े से उतारा और फिर अपनी बहन से फ़रमाइश की |

“अच्छा लो मैं अभी अपने मुँह से अपने भाई के लौड़े को ठंडा कर देती हूँ” मेरी बात सुनते ही संध्या मेरी गोद से उठी और मेरी खुली टांगों के दरमियाँ में बैठ कर उसने अपना मुँह खोला और अपनी चूत के जूस से भरे हुए मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर मज़े से मेरा लौड़ा चूसने लगी |

“ओह चुसोऊऊऊओ मेरे लौड़े को मेरी बहन मेरी जाननननणणन” अपनी गांड को उठाकर अपनी बहन के गरम मुँह में अपने लौड़े को ज़ोर से ठोंस्ते हुए मैं मज़े से चिल्ला रहा था और मेरी टांगों के दरमियाँ बैठ कर मेरी सग़ी बहन अपने भाई के सख्त लौड़े को सक करने में मशगुल हो गई |

मेरी बहन का मेरे लौड़े को चुप्पा लगाने का अंदाज़ा इतना सेक्सी और मज़ेदार था कि थोड़ी ही देर बाद मेरा लौड़ा जोश के आल्म मे झटके खाने लगा और साथ ही मेरे मुँह से खुद बा खुद सिसकीयाँ जारी हो रही थीं “ओह हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई” |

अब ट्यूबवेल की होद्दी में सुरते हाल यह थी कि इधर अपनी बहन के मुँह के स्वाद की वजह से यूँ यूँ मेरे मुँह से निकलने वाली सिसकियों की रफ़्तार तेज़ हो रही थी, त्यों त्यों मेरी बहन के चुप्पा लगाने की रफ़्तार भी तेज़ से तेज़ होती जा रही थी |

जिसकी वजह से चंद ही लम्हों बाद मैं एक तेज़ “आहह” भर कर अपनी सग़ी बहन के मुँह के अंदर ही डिसचार्ज हो गया तो मेरे लौड़े के गरम मादे से मेरी बहन का मुँह और होंठ पूरी तरह भर गए |

“ओह कैसा लगा मेरे लौड़े का पानी मेरी जान” अपने लौड़े के मादे को अपनी बहन के मुँह में चोते हुए मैंने संध्या से पूछा |

“ओह आपके लौड़े का यह नमकीन पानी बहुत ही स्वादला है भाईईईईईईईईईईई” मेरे लौड़े के लेसदार मादे को अपने ह्ल्क में उतारते हुए संध्या ने जवाब दिया और फिर उठकर मेरे पहलू में आ बैठी |

उस दिन चुदाई के दौरान हम दोनो बहन भाई इतने मग्न हुए कि वक़्त गुज़रने का अहसास ही नही हुआ |

फिर अपनी चुदाई के बाद हम दोनो बहन भाई जब थक हार कर पानी की होद्दी में बैठ कर आपस में बातें कर रहे थे कि इतने में अपने पीछे से हमें गुस्से भरी एक आवाज़ सुनाई दी “यह क्या चल रहा है यहाँ” |

यह आवाज़ सुनते ही हम दोनों ने अपने पीछे की तरफ मुड़ कर देखा तो पीछे देखते साथ ही ट्यूबवेल के ठंडे पानी में बैठे होने के बावजूद हम दोनों बहन भाई के पसीने छुट गए |

क्योंकि उधर उस वक़्त कोई और नही बल्कि हमारी अपनी सग़ी अम्मी हमारे सामने खड़ी थीं और गुस्से से लाल सुर्ख मुँह के साथ वो अपनी आँखें फाड़ फाड़ कर हमें देख रही थीं |

“ओह अम्मी आप और यहाँ” अपनी अम्मी के हाथों अपने ही सगे भाई के साथ यूँ नंगे नहाते हुए पकड़े जाने पर संध्या के मुँह से एकदम निकला और इसके साथ ही वो पानी से निकल कर पास पड़े अपने गीले कपड़ों से अपने नंगे जिस्म को छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए कमरे की तरफ दौड़ गई |

“ले भाई अफ़ताब पुत्र आज तो तू लौड़ा लग गया है दोस्त” संध्या के कमरे में जाते ही मेरे ज़ेहन में यह ख्याल आया और इसके साथ ही मैंने अम्मी को आहिस्ता आहिस्ता पानी की होद्दी के नज़दीक आते देखा |

“अच्छा हुआ कि अम्मी ने हम दोनों को चुदाई करते हुए नही पकड़ लिया, वरना आज तो अम्मी के हाथों हम दोनों ने क़त्ल ही हो जाना था” अम्मी को गुस्से भरी हालत में अपने नज़दीक आता देखकर मैंने सोचा |

मगर इसके साथ ही मेरे ज़ेहन में एक और बात आई कि “जवान बहन के साथ डेरे पर यूँ खुलेआम नंगा नहाना भी तो कोई कम जुर्म नही, जिसकी सज़ा अम्मी से जरुर मिलेगी मुझे, मगर अब जो भी हो मुझे हर हालत में मर्दानावर अपनी अम्मी का सामना तो करना ही पड़ेगा” |

मैं अपनी इन्ही सोचों में मग्न था कि इतने में अम्मी होद्दी के किनारे के बिल्कुल करीब आकर खड़ी हो गईं |
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01-24-2019, 11:53 PM,
#10
RE: Incest Porn Kahani वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्�...
मैं इस दौरान अभी तक पानी में नंगा ही बैठा हुआ था लेकिन मुझे पता था कि मेरा जिस्म पानी में होने के बावजूद भी मेरे इतने नज़दीक खड़े होने की वजह से अम्मी को मेरे जिस्म का निचला हिसा और ख़ास तौर पर मेरा निचे खड़ा हुआ लौड़ा होद्दी के साफ़ पानी में पूरा नज़र आ सकता था |

“तुम दोनों क्या कर रहे थे” अम्मी ने मेरे करीब आकर खड़े होते हुए मुझसे सवाल किया |

“कुछ नही हम तो दोनों बस नहा रहे थे अम्मी” अपनी अम्मी के सवाल का जवाब देते हुए मैं बोला |

“वको मत और उठकर पानी से फौरन बाहर निकलो खबीस इंसान” मेरे बात के जवाब में अम्मी ने गुस्से से मेरी तरफ देखा और चीखते हुए बोलीं |

अम्मी की बात सुनते ही मैं घबरा कर एकदम पानी से निकला और उसी तरह अपनी नंगी हालत में ही अपनी अम्मी के सामने खड़ा हो गया |

मुझे पानी से निकल कर अपने सामने खड़ा होते देखते ही अम्मी की नज़र मेरे गीले जिस्म पर पड़ी और फिर मेरे जिस्म को देखते देखते उन की नज़र मेरी टांगों के दरमियाँ ढीले पड़ते मेरे लौड़े पर भी जा टिकी |

“अब इधर खड़े खड़े मेरा मुंह क्या देख रहे हो, जाओ और जाकर अपने कपडे बेगैरत” मेरी टांगों के दरमियाँ मेरे लौड़े को एक शान से इधर उधर झूलता देख कर अम्मी को अपनी ग़लती का अहसास हुआ और उन्होंने फ़ोरन ही मुझसे नज़रें चुराते हुए एक बार फिर चीखते हुए मुझे कहा |

अम्मी का गुस्से भरा हुक्म सुनते ही मैं अपनी जगह से हिला और ज़मीन पर बिखरे अपने कपड़े उठा कर संध्या की तरह मैंने भी डेरे के कमरे की तरफ दौड़ लगा दी |

दौड़ते हुए मैं अभी कमरे के दरवाज़े पर ही पहुंचा था कि मेरी नज़र संध्या पर पड़ी जो अपने कपड़े पहन कर खाने के बर्तन उठाए कमरे से बाहर निकल रही थी |

शर्म के मारे संध्या की आँखें इस वक़्त झुकी हुई थी | इसलिए उस वो मेरी तरफ देखे और कोई बात किए बिना ही खामोशी से घर की तरफ चल पड़ी |

अपनी बहन के बाहर जाते ही मैं कमरे में दाखिल हुआ और जिस्म को खुशक किए बगैर ही मैंने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन लिए |

कपड़े पहन कर मैं बाहर आया तो देखा कि संध्या के साथ साथ अम्मी भी घर वापिस जा चुकी थीं |

“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ शुक्र है कि अम्मी चली गईं हैं, वरना उन्होंने तो मार मार मेरा क़त्ल कर देना था आज” डेरे के कमरे से बाहर आकर मैंने जब अम्मी को मौजूद नही पाया तो दिल में यह बात सोचते हुए मैंने सुख का साँस लिया |

“चाहे अम्मी यहाँ से घर चली गई हैं, लेकिन पता नही घर जाने जे बाद अम्मी संध्या से ना जाने क्या सलूक करेंगी, और उसके बाद जब शाम को मैं घर लौटूंगा, मेरी फिर वापसी पर ना जाने वो मेरे साथ क्या सलूक करेंगीं आज” अपनी अम्मी और बहन के घर जाने के बाद मेरा किसी काम में दिल नही लग रहा था | इसलिए बाकी का सारा दिन चारपाई पर लेटकर मैं आने वाले वक़्त के बारे में सोच कर फ़िक्रमंद होता रहा |

मुझे उस दिन को होने वाले वाक्य के बारे में सोचते सोचती शाम हो गई तो फिर मैं ना चाहते हुए भी घर जाने के लिए तैयार हो गया |

“तुझे बड़ा शोंक था ना अपनी ही बहन की कुंवारी चूत को चोदने का, अब बहन चोद तो ली है, तो अब इस का नतीजा भी भुगतो बेटा” अपने घर के दरवज़े पर खड़े होकर मेरे दिल में यह बात आई तो आने वाले लम्हे को सोचते हुए मेरा दिल ज़ोर से धक धक करने लगा |

“जब उड़ता तीर बंद में लिया है तो अंजाम तो भूगतना ही पड़ेगा तुम्हे बच्चे, इसलिए अब सोच मत और हालात का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर लो अफ़ताब” अपने घर के दरवाज़े पर खड़े मेरे दिल में यह दूसरा ख्याल आया तो फिर धड़कते दिल के साथ मैंने ना चाहते हुए भी अपने घर के दरवाज़े पर दस्तक दे ही दी |
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