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sexstories
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RE: Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
गतान्क से आगे……………………………………
चेतन ने अपनी ताक़त दिखाते हुए सोफे को धक्का देते हुए हटाया और आकांक्षा को वहाँ बैठे हुए
लाचार देखने लगा... वो फर्श पे बैठा और अपने सीधे हाथ से आकांक्षा के मम्मो को हल्के से दबाया...
उस चुअन के असर की वजह से आकांक्षा ने अपनी आखें बंद करली... चेतन ने अपनी मासी की काली स्कर्ट उठाया और
उसकी मलाई जाँघो को देखने लगा...अपना हाथ उन जाँघो पे वो फेरने लगा और आकांक्षा की टाँगें कापने लगी....
उसने आकांक्षा की स्कर्ट और उठाया और उसकी चूत एक पीली रंग की पैंटी से धकि हुई थी और पीला रंग काफ़ी
हल्का होता है जिस वजह से चेतन को अपनी मासी की चूत की नमी सॉफ दिखाई दे रही थी और बोला
"अपनी बहन को चुद्ते हुए देख काफ़ी गीली हो गई है आपकी चूत मासी"
अपनी उगली वो आकांक्षा की चूत पे उपर नीचे करने लग गया... जब उसे आकांक्षा पे पूरा भरोसा हो गया तो
उसने उसकी टाँग पे बँधी रस्सी को खोल दिया और उसको कोने से उठाकर थोड़ा बाहर की तरफ ले आया....
आकांक्षा के चेहरे पे घबराहट, उत्सुकता, डर, रोना सब झलक रहे थे मगर चेतन को किसी चीज़ की कुच्छ
परवाह नहीं था.... चेतन ने आकांक्षा की सीधी टाँग को पकड़ा और उसको चूमने लग गया और चूमता चूमता
उसकी जाँघो तक पहुच गया... अपने उल्टे हाथ से चेतन शन्नो के मम्मो को दबाने लग गया...
आकांक्षा के नज़रे चेतन के लंड पे थी जोकि फिर से बड़ा होने लगा था... चेतन ने आकांक्षा की नज़रो को अपने लंड पे
देखा और हँस कर बोला "क्या चूसने का मन है" ये कहकर अपना लंड आकांक्षा के मुँह की तरफ ले गया और
आकांक्षा ने ना चाहते हुए भी अपना मुँह खोला और चेतन के लंड को अपने मुँह में लिया... धीरे धीरे उसने चूसना
शुरू करा और फिर अच्छे तरीके से लंड को चूसने लगी... चेतन आकांक्षा को देख कर बोला
"अपनी पति के बाद कितनो के लंड को चूस चुकी हो क्यूंकी इसमे तो तुम मा से बेहतर हो" आकांक्षा को ये सुनके शरम
भी आई और अजीब सी खुशी भी मिली... उसने जवाब नहीं दिया और बस लंड चूस्ति रही....
चेतन का लंड ढकने लगा तो उसने अपने लंड को आकांक्षा के मुँह से आज़ाद कराया और आकांक्षा को खड़े होने को कहा....
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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rajsharmaSuper memberPosts: 6568Joined: 10 Oct 2014 07:07Contact:
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Re: जिस्म की प्यास
Post by rajsharma » 31 Oct 2014 10:08
सोफे पे हाथ रख के आकांक्षा चेतन के लंड का इंतजार करने लगी.... चेतन ने आकांक्षा की स्कर्ट को उपर उठा दिया
और उसकी पीली कच्छि को उतार फेका.... चेतन ने आकांक्षा के नितंब पे हाथ गढ़ाए और अपना लंड आकांक्षा की
चूत में डालने लगा... मगर उसने अंदर डाला नहीं बल्कि आकांक्षा की पीठ के निचले हिस्से पर अपना लंड हिलाने लग गया... आकांक्षा की चूत में से पानी टपक रहा था जिससे चेतन को सॉफ पता चल गया था कि उसकी मासी को कितनी
तड़प है लंड की... चेतन ने आकांक्षा से पूछा "अगर मेरा सख़्त लंड चाहिए तो उसके लिए तुम्हे भीक माँगनी पड़ेगी"
और जब आकांक्षा ने कहा "प्लीज़ अपने लंड से मेरी चुदाई करो चेतन... मैं और नहीं रुक सकती"
तो शन्नो के कान फटे के फटे रह गये... उसने अपनी चूत को देखा जोकि अभी भी गीली लंड की फरियाद कर रही थी
मगर वो लंड अब उसकी बहन की चूत में जाने वाला था... आकांक्षा के गिद्गिडाने पर आख़िर कार चेतन ने
अपना लंड अपनी मासी की चूत में डाला और आकांक्षा खुशी के मारे पागल हो गयी... चेतन उसको चोद्ने लगा और
आकांक्षा उसका भरपूर आनंद लेती रही.... चेतन ने आकांक्षा के टॉप को भी उतार दिया जिसमें उसकी मासी ने
खुद उसकी मदद करी... उसकी ब्रा के हुक्स खोलके जब चेतन ने आकांक्षा के मम्मे देख कर तो उसने आकांक्षा को
सोफे पे बिठा दिया और उसकी टाँगें चौड़ी करके चोद्ना फिरसे शुरू करा... आकांक्षा के मम्मे शन्नो के जितने बड़े
नहीं थे मगर उनको ज़रूर टक्कर दे सकते थे ख़ासतौर पे चुचियाँ की निप्पल इतनी मुलायम थी कि छुते ही
आकांक्षा मस्ती में काप उठती.... आकांक्षा के मम्मो उपर नीचे हीले जा रहे थे जिनको पकड़के चेतन ज़ोर से दबाए जा रहा था....
शन्नो फर्श से उठी और हार कर अपने कमरे में चली गयी... चेतन और आकांक्षा को कुच्छ फरक नहीं पड़ा और
उन्होने चुदाई को जारी रखा और फिर चोद्ते चोद्ते चेतन ने अपना सारा वीर्य अपनी मासी के बड़े मुलायम
मम्मो पे डाल दिया...
कुच्छ देर बाद आकांक्षा अपने आपको सॉफ कर के वहाँ से चली गयी और चेतन भी कहीं घर से बाहर चले गया....
शन्नो अभी भी नंगी थी और अपने कमरे से बाहर निकलके वो चेतन को ढूँढने लगी... वो नंगी अपने पूरे घर में
चेतन को ढूँढती रही मगर उसको उसका बेटा कही नहीं दिखा.... हारकर वो वापस अपने कमरे के बिस्तर पे
जाके बैठ गयी.... उसे यकीन हो गया था कि चेतन उसकी बहन आकांक्षा के साथ कहीं गया है...
उसे ज़रा सा भी गुस्सा चेतन पे नहीं आ रहा था मगर अपनी बहन से वो काफ़ी गुस्सा हो गयी थी या फिर ये कहो कि
जल गयी थी... उसके दिमाग़ में चलने लगा कि आकांक्षा उसे उम्र में छोटी है और ज़्यादा सुंदर भी दिखती है
तभी चेतन ने आकांक्षा के लिए उसको छोड़ दिया....
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