Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
10-10-2018, 01:36 PM,
#1
Lightbulb  Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
बीबी से प्यारी बहना

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ जिसे पढ़ कर आपको बहुत मज़ा आएगा दोस्तो ये कहानी पाकिस्तानी पृष्ठभूमि की है और इस कहानी का ताना बाना पारवारिक पृष्ठभूमि पर बना हैं जिन दोस्तो को पारवारिक सेक्स की कहानियों से अरुचि होती हो वो कृपया इसे ना पढ़े . दोस्तो ये कहानी एक ऐसे भाई की है जिसे अपनी बीबी से ज़्यादा अपनी बहन पर ज़्यादा ऐतबार होता है दोस्तो ज़्यादा ना कहते हुए ये कहानी शुरू कर रहा हूँ और हमेशा की तरह आपसे उम्मीद करता हूँ आप मेरा हौंसला ज़रूर बढ़ाएँगे आपका दोस्त राज शर्मा


मेरा नाम वसीम है मेरा संबंध मुल्तान के एक छोटे से गांव से है मेरे घर में केवल 5 लोग हैं मैं मेरी अम्मी मेरे अब्बा जी और मेरी दो बहन हैं। पहले मेरी बड़ी बहन है जिसका नाम जमीला है वह शादीशुदा है और दो बच्चों की माँ है। फिर दूसरा नंबर मेरा है मेरी भी शादी हो चुकी है और अंत में मेरी छोटी बहन नबीला है जो अभी अविवाहित है। अब मैं मूल कहानी पर आता हूँ यह उन दिनों की बात है जब मैं मैट्रिक करके फ्री हुआ था और आगे पढ़ने के लिए मुल्तान शहर के एक कॉलेज में जाता था। मेरे अब्बा जी एक जमींदार थे हमारे पास अपनी 10 एकड़ जमीन थी .अब्बा जी एक छोटा भाई था आधी ज़मीन उसकी थी आधी मेरे अब्बा जी की थी मेरे अब्बा जी और चाचा अपने अपने हिस्से की जमीन पे खेती करते थे जिससे हमारे घर का गुज़ारा चलता था। जब मेरा कॉलेज का अंतिम वर्ष चल रहा था तो मेरे छोटे चाचा ने मेरे अब्बा जी को कहा कि वह जमीन बेचकर अपने परिवार के साथ लाहौर शहर में जाकर सेट होना चाहता है और अपनी बेटियों को शहर में ही अच्छा पढ़ाना चाहता है 

मेरे चाचाकी केवल 2 बेटियां ही थीं, इसलिए वो अपने हिस्से की जमीन बेच देना चाहता है। मेरे अब्बा जी ने उसे बहुत समझाया और कहा कि यहाँ ही रहो यहाँ रहकर अपनी बेटियों को पढ़ा लो लेकिन अपनी ज़मीन मत बेचो लेकिन मेरा चाचा नहीं माना और आखिरकार मेरे अब्बा जी ने अपनी भी और चाचा की भी जमीन बेच दी और आधी राशि छोटे चाचा को दे दी और आधी राशि को बैंक में अपना खाता खुलवा कर जमा करा दिया और फिर एक दिन मेरा चाचा अपने परिवार के साथ लाहौर शहर चला गया। और मेरे अब्बा जी भी घर के होकर रह गए। मेरी बड़ी दीदी की उम्र 27 साल हो चुकी थी मेरे अब्बा जी ने जमीन के कुछ पैसों से बाजी की शादी कर दी मेरी बाजी की शादी भी अपने रिश्तेदारों में ही हो रही थी मेरी दीदी का मियां मेरी चाची का ही बेटा था। मैंने जब कॉलेज में बारहवीं जमात पास कर ली तो मेरे घर के हालात अब आगे पढ़ने की अनुमति नहीं देते थे। और मैंने भी अपने घर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने अब्बा जी पे बोझ बनना गवारा न किया और घर को संभालने का सोच लिया। मैं यहाँ वहाँ पे रोजगार के लिए बहुत हाथ पैर मारा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मैंने बाहर के देश जाने का सोचा पहले तो मेरे अब्बा जी ने मना कर दिया लेकिन फिर मैंने उन्हें घर की स्थिति समझाकर राजी कर लिया और अब्बा जी के पास जो बाकी पैसे थे उन पैसों से मुझे बाहर सऊदी भेज दिया और में 22 साल की उम्र में ही रोजगार के लिए सऊदी चला गया। सऊदी आकर पहले तो मुझे बहुत मुश्किल साहनी पड़ी लेकिन फिर कोई 1 साल बाद यहां सेट हो गया मैंने यहाँ आकर ड्राइविंग सीख ली और फिर यहाँ पे ही टैक्सी चलाने लगा। शुरू-शुरू में मुझे टैक्सी के काम का इतना नहीं पता था लेकिन फिर धीरे धीरे मुझे पता चलता गया और मैं एक दिन में 14 घंटे लगातार टैक्सी चलाकर पैसे कमाता था। धीरे धीरे मेरी मेहनत से पाकिस्तान में मेरे घर के हालात ठीक होने लगे और लगभग 5 साल में 2 बार ही पाकिस्तान गया लेकिन इस मेहनत की वजह से मेरे घर के हालात काफी अधिक ठीक हो चुके थे

मैंने अपने घर को बहुत ज्यादा अच्छा और मजबूत बना लिया था हमारा घर एक मरले का था पहले वह एक हवेली नुमा घर ही था 3 कमरे और रसोई और बाथरूम ही था। फिर मैंने सऊदी में रहकर पहले अपने घर को ठीक किया अब वह हवेली नुमा घर पूरा घर बन गया था हमने उसे तोड़ कर 2 स्टोरी वाला घर बना लिया पहली स्टोरी पे 3 ही कमरे थे और दूसरी स्टोरी पे 2 और कमरे बाथरूम और किचन बना लिए थे। मुझे सऊदी में काम करते हुए कोई 6 साल हो चुके थे लेकिन मेरी उम्र 28 साल थी तो मेरे अब्बा जी ने मेरी शादी का सोचा और मुझे पाकिस्तान बुलाकर अपने छोटे भाई यानी मेरी चाचा की बड़ी बेटी ज़ुबैदा से मेरी शादी कर दी। 


ज़ुबैदा की उम्र 25 साल थी वह मेरी छोटी बहन की हमउम्र थी। शहर में रहकर शहर के वातावरण को अधिक पसंद करती थी। इसलिए जब सऊदी चला जाता था तो वह ज्यादातर अपने माता पिता के घर लाहौर में ही रहती थी। जब पाकिस्तान शादी के लिए आया तो अब्बा जी ने मेरी शादी बड़ी धूमधाम से की और मैं भी खुश था मुझे ज़ुबैदा शुरू से ही पसंद थी वह सुंदर भी थी और सुडौल और सेक्सी शरीर की मालिक थी। उसका कद भी ठीक था और गोरा चिट्टा और भरा शरीर रखती थी। सुहाग रात को मैं बहुत खुश था क्योंकि आज से मुझे सारी जिंदगी ज़ुबैदा के शरीर से मज़ा लेना था बरात के दिन सब काम समाप्त हो कर जब रात को अपने कमरे में गया तो ज़ुबैदा दुल्हन बनी बैठी थी। मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और फिर दूसरे लोगों की तरह मैंने भी उससे काफी बातें की और कई प्रकार के वादे और दिए और फिर मैंने अपनी सुहाग रात को ज़ुबैदा को सुबह 4 बजे तक जमकर 3 बार चोदा। वैसे भी जमींदार का बेटा था गांव के वातावरण में ही ज्यादातर रहा था शुद्ध और अच्छी चीजें खाने का शौकीन था मेरा शरीर भी ठीक ठाक था और मेरा हथियार भी काफी मजबूत और लंबा था लगभग 7 इंच लंबा मेरा लंड था। जिसके कारण मैंने ज़ुबैदा को पहली ही रात में जम कर चोदा था जिसका उसे भी ठीक से पता लगा था। क्योंकि सुबह उसकी कमर में दर्द हो रहा था। जो मेरी छोटी बहन नबीला ने महसूस कर लिया था क्योंकि वह ज़ुबैदा की सहेली भी थी। लेकिन जब मैं सुबह सो कर उठा तो ज़ुबैदा मेरे से पहले उठ चुकी थी और वह अंदर बाथरूम में नहा रही थी। मैंने जब बेड की चादर पे नजर मारी तो मुझे आश्चर्य का करारा झटका लगा क्योंकि बेड की सफेद चादर बिल्कुल साफ थी उसके ऊपर ज़ुबैदा की योनी के खून की एक बूंद भी नहीं थी और जहां तक मुझे पता था यह ज़ुबैदा के जीवन की पहली चुदाई थी और मेरे काफी अच्छे और मजबूत लंड से उसकी योनी की सील टूटना चाहिए थी और खून भी निकलना चाहिए था। बस इसी सवाल ने मेरा दिमाग खराब कर दिया था। 


अगले दिन मलाई था और मैं सारा दिन बस सोच में था क्या ज़ुबैदा की योनी सीलबंद नहीं थी। वो पहले भी किसी से करवा चुकी है। या लाहौर में उसका कोई दोस्त है जिससे वह अपनी योनी मरवा चुकी है। बस ये ही सवाल मेरे मन में चल रहे थे। यूं ही मलाई वाला दिन भी बीत गया और रात हो गई और उस रात भी मैंने 2 बार जमकर ज़ुबैदा की योनी मारी लेकिन सीलबंद योनी वाली बात मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रही थी। मैं हैरान था ज़ुबैदा दो दिन से दिल व जान से मुझसे चुद रही है और खुलकर मेरा साथ दे रही है और हंसी खुशी मेरे साथ बात कर रही लेकिन पता नहीं क्यों मेरा मन बस ज़ुबैदा की सीलबंद योनी वाली बात पे ही अटक गया था और मैंने अपने दिल और दिमाग में ही भ्रम पाल लिया था। हर इंसान की इच्छा होती हैकि उसकी होने वाली पत्नी पाक और पवित्र हो और सील पैक हो लेकिन मेरे साथ तो शायद धोखा ही हो गया था। 
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10-10-2018, 01:36 PM,
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RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मलाई वाली रात भी बीत गई और मुझे समझ नहीं आ रही थी मैं करूँ तो क्या करूँ और कैसे अपने दिल की बात करूं। और फिर अगली सुबह ज़ुबैदा के घरवाले आ गए और ज़ुबैदा उस दिन दोपहर को अपने माता पिता के साथ लाहौर अपने घर चली गई। ज़ुबैदा के चले जाने के बाद बस अपने कमरे में ही पड़ा रहा बस अपने भ्रम के बारे में ही सोचता रहा मेरी बड़ी बाजी जमीला भी अपने बच्चों के साथ घर पे ही आई हुई थी शादी के बाद वह अपने घर ससुराल नहीं गई थी। शाम तक अपने कमरे में ही था तो 6 बजे के वक्त होगा जब जमीला बाजी मेरे कमरे में आई और लाइट ऑन कर मेरे बिस्तर के पास आ गई में इस लेकिन जाग रहा था।

बाजी मेरे पास आकर बोली वसीम क्या हुआ यूं कमरे में अकेला क्यों बैठा है बाहर सब से अब्बा जी तुम्हारा पूछ रहे हैं। मैं उठ कर बैठ गया और बोला बाजी बस वैसे ही तबीयत ठीक नहीं थी और लेटा हुआ था। बाजी मेरे बेड पे बैठ गई और मेरे माथे पे हाथ रखा तो मुझे बुखार आदि तो नहीं था इसलिए बाजी बोली तुम्हें बुखार भी नहीं है फिर मन क्यों खराब है। मैंने कहा वैसे ही बाजी थकान सी हो गई थी तो शरीर में दर्द था . बाजी ने कहा चल मेरे भाई लेट जा तेरा शरीर दबा देती हूँ। मैंने कहा नहीं बाजी मैं ठीक हूँ बस थोड़ी सी थकावट के कारण ऐसा हो रहा है आप परेशान न हों। मैं बेड से उठ कर खड़ा हो गया और बाजी से बोला चलो बाजी बाहर ही चलते हैं बाजी और मैं बाहर आ गए बाहर आंगन में सब बैठे चाय पी रहे थे। मैं भी वहां बैठ गया और चाय पीने लगा और यहाँ वहाँ की बातें करने लगा। घर में शायद नबीला ही थी जो मेरी हर परेशानी और बात को समझ जाया करती थी


वह बाजी के चले जाने के बाद भी मेरा बहुत ध्यान रखती थी घर की सारी जिम्मेदारी उसके ऊपर थी और घर का काम वह अकेले ही करती थी मैं वहाँ काफी देर तक बैठा बाजी और नबीला उठकर किचन में खाना बनाने चली गई। और मैं वहाँ से उठकर सीधा छत पे चला गया और वहाँ चार पायी रखी थी उस पे लेट गया और दुबारा फिर से ज़ुबैदा के बारे में सोचने लगा। । लगभग 1 घंटे बाद नबीला छत पे आई और आकर बोली वसीम भाई खाना तैयार हो गया है नीचे आ जाओ सब इंतजार कर रहे हैं। मैंने कहा ठीक है तुम चलो मैं आता हूँ वह यह कहकर नीचे चली गई और मैं भी वहाँ से उठ कर नीचे आ गया और सभी के साथ मिल बैठ कर खाना खाने लगा खाने के दौरान भी मैं चुप ही था। खाना खाकर मैं थोड़ी देर तक अम्मी और अब्बा जी से बातें करता रहा और फिर उठ कर अपने कमरे में आ गया और आकर बेड पे लेट गया मैं सोचने लगा मुझे ज़ुबैदा से बात करनी चाहिए और अपना कार्यक्रम समाप्त करना चाहिए। फिर मैं यही सोचता सोचता सो गया अगले दिन दोपहर का वक्त था जब मैं अपने कमरे में बैठ कर टीवी देख रहा था तो जमीला बाजी मेरे कमरे में आ गई और आकर मेरे साथ बेड पे बैठ गई। 


कुछ देर तक वे भी चुपचाप टीवी देखती रही फिर कुछ ही देर बाद बोली वसीम मुझे तुमसे एक बात पुछनी है। मैंने टीवी की आवाज धीरे कर दी और बाजी की ओर देखकर बोला कहो बाजी आपको क्या पूछना है। बाजी बोली वसीम में 3 दिन से देख रही हूँ तुम बहुत चुप चुप से रहते हो शादी तक तुम इतना खुश थे और शादी की रात तक इतना खुश नजर आ रहे थे और वैसे भी ज़ुबैदा तुम्हें पसंद भी थी तो आखिर ऐसी क्या बात है तुम शादी रात से लेकर अब तक चुप हो क्या समस्या है मुझे बताओ मैं तुम्हारी बड़ी बाजी हूँ कोई ज़ुबैदा के साथ समस्या हुई है। मुझे बताओ शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूँ। 


में बाजी की बात सुनकर थोड़ा बौखला-सा गया और फिर जल्दी से अपने आप को संभाला और बाजी को कहा बाजी कोई ऐसी बात नहीं है और न ही ज़ुबैदा के साथ कोई समस्या हुई है। आप बेवजह परेशान ना हों। बाजी ने कहा फिर अपने कमरे में ही क्यों बैठे रहते हो बाहर क्यों नहीं निकलते तो बाजी थोड़ा हंस कर बोली लगता मेरे छोटे भाई को ज़ुबैदा की याद बहुत आती होगी। में बाजी की बात सुनकर शर्मा गया और बोला नहीं बाजी ऐसी कोई बात नहीं है। बाजी ने कहा अगर मेरा भाई उदास है तो ज़ुबैदा को फोन करती हूं वह जल्दी वापस आ जाए और आकर मेरे भाई का ख्याल रखे। मैंने तुरंत बोला नहीं बाजी ऐसा मत करो मैं बिल्कुल ठीक हूँ कोई उदास नहीं हूँ आप उसको मत बुलाओ वह अपने माता पिता के घर गई हुई है उसे रहने दो। 

बाजी ने कहा, ठीक है नहीं करती लेकिन तुम अपनी हालत ठीक करो बाहर निकलो किसी से मिलो बात करो। मैंने कहा जी बाजी आप चिंता न करें मैं जैसा आप कह रही हैं, वैसा ही करूंगा। फिर बाजी कुछ देर वहाँ बैठी यहाँ वहाँ की बातें करती रही और फिर उठ कर चली गई। मैंने सोचा मुझे घर में किसी को दुख में नहीं डालना चाहिए जब ज़ुबैदा आएगी तो उससे बात करके ही कुछ आगे विचार होगा 2 दिन के बाद बाजी अपने घर चली गई और दिन यूं ही गुजर रहे थे तो कोई एक सप्ताह बाद ज़ुबैदा वापस आ गई उसके माता पिता ही उसे छोड़ने आए थे वे एक दिन रह कर वापस चले गए। हर रोज़ ही ज़ुबैदा के साथ बात करने का सोचता लेकिन वक्त आने पे मेरी हिम्मत जवाब दे जाती थी। लगभग हर दूसरे दिन ही ज़ुबैदा को चोदता था उसका मेरे साथ खुलकर साथ देना और हंसी खुशी मेरे साथ रहना और बातें करना मेरे दिमाग़ के टेन्षन को समाप्त कर देता था लेकिन अकेले में मेरा ज़मीर मुझसे सवाल करता रहता था। और यूं ही दिन बीतते जा रहे थे और अंत में नौकरी की मेरी छुट्टी खत्म हो गई मुझे पाकिस्तान आए हुए 3 महीने हो गए थे
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10-10-2018, 01:36 PM,
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RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मैं इन 3 महीनों में ज़ुबैदा से बात तक न कर सका और यूं ही वापस सऊदी चला गया। जब सऊदी से घर पे फोन करता तो ज़ुबैदा मेरे साथ हँसी खुशी बात करती रहती थी। मुझे सऊदी वापस आकर 1 साल हो चुका था इस दौरान मैंने नोट किया मेरी छोटी बहन नबीला मुझसे ज्यादा बात करने लगी थी और मुझे घर की एक एक बात बताती थी और मेरे बारे में पूछती रहती थी। मुझे एक वक्त ये अहसास भी हुआ कि शायद नबीला मुझे कुछ कहना चाहती है लेकिन वह कह नहीं पाती और हर बार बस यहाँ वहाँ की बातें कर फोन बंद कर देती थी। 

मेरे सऊदी आ जाने से ज़ुबैदा अधिकांश अपने माता पिता के घर ही रहती थी। कभी 1 महीना अपने माता-पिता के पास कभी अपने ससुराल में बस यूँ ही चल रहा था। यूं ही 2 साल पूरे हुए और मैं फिर पाकिस्तान छुट्टी पे घर आ गया। मुझे आए हुए 1 सप्ताह हो गया था। एक दिन मैंने अपने अब्बा जी और अम्मी से कहा आप नबीला के लिए कोई रिश्ता देखें अब उसकी उम्र बहुत हो गई है। मेरी यह बात करने की देर थी कि वहां पे बैठी नबीला गुस्से से उठी और मुंह बनाती वहां से अपने कमरे में चली गई। फिर अब्बा जी बोले कि वसीम पुत्तर देख लिया है उसका गुस्सा हम तो इसके पीछे 2 साल से लगे हुए हैं, लेकिन यह है बात ही नहीं मानती। रिश्ता तो बहुत ही अच्छा है इसके लिए लेकिन यह मानती ही नहीं है। मैंने कहा अब्बा जी लड़का कौन है मुझे पता है तो अब्बा जी ने कहा लड़का कोई और नहीं तेरी बुआ का बेटा है ज़हूर पढ़ा लिखा है शक्ल सूरत वाला है सरकारी कर्मचारी है। 

मैंने जब ज़हूर का सुना तो सोचने लगा घर वालों ने रिश्ता तो अच्छा देखा हुआ है लेकिन आखिर यह नबीला मानती क्यों नहीं है। फिर मैंने कहा अब्बा जी आप चिंता न करें मैं नबीला खुद बात करूंगा। और अगले दिन शाम को मैं छत पे चार पायी पे लेटा हुआ था तो कुछ देर बाद ही नबीला ऊपर आ गई उसने धुले वाले कपड़े उठा हुए थे शायद वह धोकर ऊपर छत पे डालने आई थी। जब वह कपड़े सुखाने के लिए डाल कर फ्री हो गई तो बाल्टी वहाँ रख कर मेरे पास आ कर खाट पे बैठ गई और बोली वसीम भाई मुझे आपसे एक बात करनी है।


मैं भी उठ कर बैठ गया और बोला नबीला मुझे भी तुमसे एक बात करनी है। तो नबीला बोली भाई आप को मुझ से मेरी शादी की बात करनी है तो आप को साफ साफ बता देती हूँ मुझे शादी नहीं करनी है। में नबीला की बात सुनकर हैरान हो गया और उसकी तरफ देखने लगा तो मैंने कहा नबीला मेरी बहन बता समस्या क्या है तुम्हे शादी क्यों नहीं करनी है। क्या तुम्हें ज़हूर पसंद नहीं है या कोई और है जिसे तुम पसंद करती हो। मुझे बताओ मैं गुस्सा नहीं करूंगा तुम जैसा चाहो वैसा ही होगा। नबीला तुरंत बोली ऐसी कोई बात नहीं है मुझे कोई लड़का पसंद नहीं है और न ही में ज़हूर के साथ शादी करना चाहती हूँ मैं बस अपने घर में ही रहना चाहती हूँ अपने माता पिता के साथ मुझे शादी की कोई जरूरत नहीं है। तो मैंने कहा नबीला मेरी बहन तुम पागल तो नहीं हो देखो अपनी उम्र देखो 27 साल की हो गई हो क्यों अपने ऊपर अत्याचार कर रही हो। अच्छी भली जवान हो सुंदर हो क्यों अपना जीवन तबाह करने तुली हो। तो वह बोली भाई मुझे यह जीवन मंजूर है लेकिन कम से कम आप की तरह तो नहीं होगा न पत्नी हो और आप न हो और बस अंदर ही अंदर घाव खाते रहे। वह इस बात को बोलकर लाल लाल हो चुकी थी और वहां से भागती हुई नीचे चली गई। 

नबीला की इस आखिरी बात ने मुझे करारा झटका दिया और मैं हैरान व परेशान बैठा बैठा सोच रहा था कि नबीला क्या कह कर गई है। वह क्या कहना चाहती थी। क्या मेरे अंदर जो इतने साल से घाव है क्या वह उसे जानती है। क्या वह ज़ुबैदा के बारे में भी जानती है। एक बार फिर मेरे दिलो दिमाग में ज़ुबैदा वाली बात गूंजने लगी। यही सोचता सोचता नीचे अपने कमरे में आ गया और देखा ज़ुबैदा किसी के साथ फोन पे बात कर रही थी। मुझे देखते ही फोन पे बोली अच्छा अम्मी फिर बात करूंगी। और फोन बंद कर दिया। और मुझसे बोली आपके लिए चाय ले आऊँ। मैंने कहा हां लाओ और वह किचन में चली गई। फिर उस रात मैंने ज़ुबैदा के साथ कुछ नहीं किया और जल्दी ही सो गया। मैं अब मौके की तलाश में था मुझे अकेले में मौका मिले तो मैं नबीला से खुलकर बात करूँगा लेकिन शायद मुझे मौका नहीं मिला और एक दिन लाहौर से खबर आई ज़ुबैदा के अबू यानी मेरे चाचा जी बहुत बीमार हैं। में ज़ुबैदा को लेकर लाहौर आ गया चाचा की तबीयत ज्यादा खराब थी वह अस्पताल में एडमिट थे मैं सीधा चाचा के पास अस्पताल चला गया उनके गुर्दे फेल हो चुके थे वे बस अपनी अंतिम सांसें गिन रहे थे। मैंने जब चाचा की यह हालत देखी तो मुझे रोना आ गया क्योंकि मेरा चाचा के साथ बहुत प्यार था बचपन में भी चाचा ने मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी। जब चाचा ने मुझे देखा तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। मैं वहाँ बैठकर चाचा के साथ धीरे धीरे बातें करने लगा।


कुछ देर के लिए बाहर गया और नबीला के नंबर पे कॉल की और उसे बताया अब्बा जी को लेकर तुम सब लाहौर आजाओ चाचा की तबियत ठीक नहीं है। फिर दोबारा आकर चाचा के पास बैठ गया जब मैं अंदर आया तो उस वक्त कोई अंदर नहीं था अकेला ही चाचा के साथ बैठा था। मैंने चाचा का हाथ पकड़ कर अपने माथे पे प्यार किया तो चाचा ने मुझे इशारा किया अपना कान मेरे मुंह के पास लेकर आओ जब चाचा के नजदीक हुआ तो चाचा ने कहा वसीम बेटा मुझे माफ कर देना मैंने तेरे साथ गलत किया है। तेरी चाची और तेरी पत्नी ज़ुबैदा ठीक नहीं हैं और तुम खुदा के लिए मेरी छोटी बेटी को उनसे बचा लेना। मैंने कहा चाचा जी यह आप क्या कह रहे हैं। बस फिर चाचा के मुंह से इतना ही अल्फ़ाज़ निकला नबीला ......और शायद चाचा की सांसों की डोरी टूट चुकी थी। चाचा की सांस उखड़ ने लग गई थी में भागता हुआ बाहर गया डॉक्टर को बुलाने के लिए लेकिन शायद कुदरत को कुछ और ही मंजूर था जब मैं वापस डॉक्टर को लेकर कमरे में दाखिल हुआ तो चाचा जी इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे। 


फिर हम मृतक चाचा को लेकर घर आ गए मेरे अब्बा जी और मेरे घर वाले भी शाम तक आ गए थे। मेरे अब्बा जी बहुत दुखी हुए क्योंकि उनका एक ही भाई था। मैं भी बहुत रोया और सोचता रहा कि चाचा को पता नहीं क्या दुख ज़ुबैदा और चाची ने दिए होंगे जो वह मुझे ठीक से बता भी न सके। जब जनाज़ा आदि हो गया तो चाचाके घर में एक अजनबी सा बंदा देखा उसकी उम्र शायद 29 या 30 साल के लग भग लग रही थी। वह बंदा अजनबी था पर अपने सारे रिश्ते दारों को जानता था। वह बार बार चाची के साथ ही बात करता था और उनके आगे पीछे ही फिर रहा था। एक बात और मैंने नोट की मेरी बहन नबीला उसे बहुत गुस्से से देख रही थी और उसकी हर हरकत पे नजर रखे हुए थी। यहाँ पे चाची के बारे मे बता दूँ मेरे चाचा ने परिवार से बाहर शादी की थी वह थी भी शक्ल सूरत वाली और नाज़ नखरे वाली थी। उसकी उम्र भी लग भाग 37 या 38 साल थी। उसने ही चाचा को जमीन बेचकर लाहौर में रहने के लिए उकसाया था। और मेरा बेचारा चाचा शायद उसकी बातों में आ गया था। खैर वह वक्त वहां गुज़र गया हम चाचा के घर एक सप्ताह रहे और फिर अपने घर वापस आ गए जब हम वापस आने लगे तो ज़ुबैदा ने तो अब कुछ दिन और यही रुकना था लेकिन ज़ुबैदा की छोटी बहन साना जिसकी उम्र 16 साल के करीब थी वह मेरे अब्बा जी से कहने लगी ताया अबू मैंने भी तुम्हारे साथ जाना है

मेरे अब्बा जी तुरंत राजी हो गए और उसे भी हम साथ लाने के लिए लेकिन मैं एक बात पे हैरान था ज़ुबैदा या उसकी माँ ने एक बार भी साना को साथ जाने से मना नहीं किया जो मुझे बहुत अजीब लगा। खैर हम वापस अपने घर आ गए। जब हम घर वापस आ गए तो एक दिन दोपहर को मैं अपने कमरे में बैठ कर टीवी देख रहा था तो नबीला मेरे कमरे में आ गई और आकर मेरे बेड के दूसरे कोनेपे आकर बैठ गई और बोली- भाई मुझे आपसे बहुत सी आवश्यक बातें करनी हैं। 

मैं टीवी बंद कर दिया और बोला हां बोलो नबीला क्या बात करनी है मैं सुन रहा हूँ। नबीला ने कहा भाई साना ने मैट्रिक कर लिया है और वह अब बड़ी हो चुकी है आप इसे अगली पढ़ाई के लिए लाहौर से दूर एक अच्छे कॉलेज में दाखिला करवा दो मैं नहीं चाहती वो अपने घर में और अधिक रहे वह जितना अपने घर से दूर रहेगी तो सुरक्षित रहेगी। मैंने कहा नबीला वह तो ठीक है लेकिन वह अपने घर से बाहर कैसे सुरक्षित रहेगी मुझे तुम्हारी यह बात समझ नहीं आ रही है। चाचा ने भी मरते हुए मुझे चाची और ज़ुबैदा के बारे में कहा था यह दोनों ठीक नहीं है और तुम्हारा भी नाम ले रहे थे और फिर वह आगे कुछ न बोल सके और दुनिया से चले गए। नबीला यह सब क्या है क्या तुम कुछ जानती हो। इस दिन तुमने छत पे जो बात कही थी वह भी तुम ने बोलकर मुझे अजीब भ्रम में डाल दिया है।


नबीला ने कहा भाई आप फिल हाल पहले साना का कुछ करें और थोड़ा इंतजार करें में आप को सब कुछ बता भी दूँगी और समझा दूँगी। मैंने कहा ठीक है लेकिन क्या साना की भी यही इक्षा है। तो नबीला ने कहा वह तो खुश ही खुश है वह खुद अब उस घर में नहीं जाना चाहती है। मैं कहा अच्छा ठीक है कल इस्लामाबाद में किसी से बात करता हूँ वहाँ अच्छे कॉलेज में दाखिला भी करवा देता हूँ और हॉस्टल भी लगवा देता हूँ। नबीला फिर धन्यवाद बोल कर बाहर चली गई जब वो बाहर जा रही थी मेरी नज़र अपनी बहन की गांड पे गई तो देखा उसकी कमीज सलवार के अंदर फंसी हुई थी और उसकी गाण्ड भी काफी बड़ी और मोटी ताज़ी थी। मुझे अपने विवेक ने तुरंत मलामत किया और फिर मैं खुद ही अपनी सोच पे बहुत लज्जित हुआ। फिर मैं अपने बेड पे लेट गया और सोचने लगा नबीला ज़ुबैदा और चाची के बारे में क्या जानती है। क्या इस बात का चाचा को भी पता था कि उसने मुझे अंतिम समय पे बोला था। अगले दिन मैंने अपने एक दोस्त को फोन किया वह मेरे कॉलेज के वक्त का दोस्त था वह अभी इस्लामाबाद शहर में एक सरकारी महकमे में अधिकारी लगा हुआ था। उसने मुझे 2 दिन के भीतर सारी जानकारी इकट्ठी करके दी।

मैं साना को लेकर लाहौर आ गया और उसका सारा समान और साना को लेकर इस्लामाबाद चला गया फिर तो मैं और भी हैरान हुआ इस बार भी चाची या ज़ुबैदा ने साना के लिए मना नहीं किया खैर साना को इस्लामाबाद में आकर कॉलेज और हॉस्टल की सारी व्यवस्था करके फिर वापस लाहौर आ गया और लाहौर से ज़ुबैदा को लिया और अपने घर वापस आ गया जब मैं ज़ुबैदा को लाहौर से लेने गया तो चाची को भी कहा कि आप भी आओ वहाँ कुछ दिन जाकर रह लेना लेकिन चाची का जवाब बहुत ही अजीब और सही था उन्होंने कहा मेरा क्या वहाँ गांव में रखा है और वैसे भी दुनिया का मज़ा तो शहर में ही है। मुझे अब कुछ कुछ अपने चाचा की बात समझ आने लगी थी। घर आकर मौके की तलाश में था में नबीला से खुलकर बात कर सकूँ और सब बातें समझ सकूँ। लेकिन कोई अकेले में मौका नहीं मिल रहा था। मेरी छुट्टी भी 1 महीने की ही रह गई थी और मुझे वापस सऊदी भी जाना था। मेरा और ज़ुबैदा का शारीरिक संबंध तो लगभग चल रहा था लेकिन अब शायद वह बात नहीं रह गई थी क्योंकि मेरा शक विश्वास में बदलता जा रहा था। फिर एक दिन आंगन में बैठकर अखबार पढ़ रहा था तो नबीला शायद फर्श धो रही थी, उसने अपनी शर्ट अपनी सलवार में फँसाई हुई थी और फर्श धो रही थी। मेरी नज़र उस पर गई तो हैरान रह गया और देखा उसकी सलवार पूरी भीगी हुई थी उसने सफेद रंग की सूती सलवार पहनी हुई थी जिसके गीला होने के कारण उसके नीचे पूरी गाण्ड साफ नजर आ रही थी। नबीला का शरीर एकदम कड़क था सफेद रंग भरा सुडौल शरीर था। नबीला की गाण्ड को देखकर मेरी सलवार में बुरा हाल हो गया था। और अपने लंड को अपनी टांगों के बीच में दबा रहा था। मैंने अपनी नज़र अख़बार पर लगा ली लेकिन शैतान बहका रहा था और मैं चोर आँखों से बार बार नबीला को ही देख रहा था। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने अपना लंड अपनी सलवार के ऊपर से ही हाथ में पकड़ लिया था और उसे जोर से मसल रहा था। और नबीला की गाण्ड को ही देख रहा था। मेरी अंतरात्मा मुझे बार बार धिक्कार रही थी कि ये तेरी बहन है। लेकिन शैतान मुझे बहका रहा था। मुझे पता ही नहीं चला कि मेरी बहन ने मुझे एक हाथ से अखबार और दूसरे हाथ से अपना लंड मसलते हुए देख लिया था और मेरी आँखों को भी देख लिया था कि वह नबीला की गाण्ड को ही देख रही हैं। 

मुझे उस वक्त एहसास हुआ जब पानी भरा मग नबीला हाथ से गिरा और मुझे होश आया मैंने नबीला को देखा तो वह मुझे पता नहीं कितनी देर से देख रही थी मुझे बस उसका चेहरा लाल लाल नजर आया और वह सब कुछ छोड़कर अंदर अपने कमरे में भाग गई। मुझे एक तगड़ा झटका लगा और मैं शर्म से पानी पानी हो गया और उठ कर अपने कमरे में आ गया था मेरी पत्नी बाथरूम में नहा रही थी। मैं बेड पर लेट गया और शर्म और मलामत से सोचने लगा यह मुझसे कितनी बड़ी गलती हो गई है। शाम तक अपने कमरे में ही लेटा रहा और अपने कमरे से बाहर नहीं गया और रात को भी तबियत का बहाना बनाकर ज़ुबैदा को बोला मेरा खाना बेडरूम में ही ले आओ। बस यही सोच रहा था मैं किस मुंह से अपनी बहन का सामना करूँगा वह मेरे बारे में क्या सोचती होगी।

बस यही सोच सोच कर मस्तिष्क फटा जा रहा था। फिर रात में खाना खाकर सो गया और उस रात भी मैंने ज़ुबैदा के साथ कुछ नहीं किया। शायद ज़ुबैदा लगातार 3 दिन से मेरे से मज़ा लिए बिना सो रही थी और सोच भी रही होगी आजकल क्या समस्या है। सुबह मैं जब 9 बजे उठा तो देखा ज़ुबैदा बेड पे नहीं थी फिर उठकर बाथरूम में गया नहा धो करबाहर आया अलमारी से अपने कपड़े निकालने लगा इतनी देर में ज़ुबैदा आ गई वो आते ही मेरे साथ चिपक गई मुझे होंठों पे किस किया और नीचे से मेरा लंड सलवार के ऊपर से ही हाथ में पकड़ लिया और बोली वसीम जानू क्या बात है 3 दिन हो गए आप भी नाराज हो और अपना शेर भी नाराज है मुझसे कुछ गलती हो गई है क्या। अभी इतनी ही बात ज़ुबैदा ने की थी कि नबीला अंदर कमरे में आ गई और बोलते बोलते रुक गई शायद वह नाश्ते के वक्त आई थी। लेकिन अंदर आकर जो दृश्य उसकी आँखों ने देखा वह मेरे और नबीला के लिए बहुत शर्मनाक था क्योंकि ज़ुबैदा तो मेरी पत्नी है लेकिन नबीला तो बहन है। नबीला ने ज़ुबैदा को मेरे लंड को पकड़े हुए देख लिया था और ज़ुबैदा ने भी नबीला को देख लिया था। फिर नबीला का चेहरा लाल लाल हो गया और वह भागकर बाहर चली गई। मैंने ज़ुबैदा से कहा कुछ तो ध्यान रखा करो एक जवान लड़की घर में है और वह भी मेरी सागी बहन है और तुम दिन में ही यह हरकत कर रही हो।


ज़ुबैदा तो शायद गुस्से में थी आगे बोली वह कौन सा बच्ची है उसे भी सब पता है अंत में उसने भी किसी न किसी दिन लंड लेना ही है तो इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है मैं तो कहती हूँ तुम नबीला की शादी करवा दो वह बेचारी भी किसी लंड के लिए तरस रही होगी मैंने गुस्से से ज़ुबैदा को देखा और बोला तुम से तो बात करना ही व्यर्थ है और कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गया और कपड़े बदलने लगा। कपड़े बदल कर घर से बाहर निकल गया और अपने कुछ मित्रों से जाकर गपशप लगाने लगा लगभग 2 बजे के करीब घर वापस आया तो दरवाजा नबीला ने ही खोला और दरवाजा खोलकर अंदर चली गई। जब मैं अंदर गया तो देखा सबसे बैठे खाना शुरू करने लगे थे भी मजबूरन वहां ही बैठ गया और खाना खाने लगा। मैं तिर्छि नज़रों से नबीला देखा लेकिन वह खाना खाने में व्यस्त थी। फिर जब सबने खाना खा लिया तो नबीला और ज़ुबैदा ने बर्तन उठाना शुरू कर दिए और मैं आकर अपने कमरे में आकर बेड पे लेट गया और कुछ ही देर में मेरी आंख लग गई। 
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10-10-2018, 01:36 PM,
#4
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
शाम को सो कर उठा तो ज़ुबैदा चाय बना कर ले आई और। यहाँ वहाँ की बातें करने लगी और मुझे कहने लगी आप और मैं कुछ दिन लाहौर में अम्मी के पास रह आएँ मैंने कहा ज़ुबैदा अब थोड़े दिन पहले तुम आई हो और अब फिर लाहौर जाने का कह रही हो। मेरी छुट्टी थोड़ी रह गई है मेरे चले जाने के बाद खुद चली जाना और जितने दिन इच्छा हो रह लेना। वह मेरी बात सुनकर चुप हो गई। फिर ऐसे ही कुछ दिन बीत गए नबीला मुझे और मैं नबीला से कतरा रहे थे फिर जब मेरा 1 सप्ताह शेष रह गया तो एक दिन मेरी अम्मी और ज़ुबैदा मेरी मौसी के घर गए हुए थे मौसी का घर दूर नहीं था पास में ही था। और अब्बा जी बाहर किसी काम से गए हुए थे और घर पे शायद मैं और नबीला अकेले ही थे। लेकिन मुझे बाद में पता चला हम दोनों घर में अकेले हैं क्योंकि सुबह अपने कमरे में ही था। फिर लगभग 11 बजे का वक्त था नहाने के लिए अपने अटैच बाथरूम में घुस गया मुझे पता था मेरे कमरे के बाथरूम में मेरे या मेरी पत्नी के अलावा कोई नहीं आता था। इसलिए मैंने दरवाज़ा बंद नहीं किया और बाथरूम में जाकर नहाने लगा। जब मैं ने बाथरूम में प्रवेश करके अपने कपड़े उतार लिए और शावर चला दिया फिर अपने शरीर पे साबुन लगाने लगा जब मैं अपने लंड पे साबुन लगा रहा था तो मेरा लंड खड़ा होने लगा और कुछ देर साबुन लगाने से मेरा लंड तन के खड़ा हो गया और धीरे धीरे मुठ वाले स्टाइल में साबुन लंड पे लगाने लगा मुझे पता ही नहीं चला कि कब नबीला मेरे बाथरूम में आ गई और उसकी सीधी नजर मेरे लंड पै गई तो वह एक बार फिर शर्म से लाल हो गई और दरवाजा बंद करके बाहर से बस इतना ही बोला कि सॉरी भाई मेरा शैम्पू समाप्त हो गया था इसलिए भाभी का लेने के लिए आई थी और यह बोल कर वो चली गई। 


मैं भी जल्दी से नहाया और और नहाकर कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गया यह 3सरी बार मेरे और नबीला के बीच हो चुका था। और मुझे तो अब अपने आप पर भी शर्म आने लगी थी हर बार मेरी बहन के साथ ही क्यों हो जाता है वह बेचारी क्या सोचती होगी। मैं सारा दिन बाहर घूम-फिर कर शाम को घर वापस आया और आकर सीधा अपने कमरे में लेट गया। अब तो मेरी पूरी हिम्मत जवाब दे चुकी थी अगर मेरा सामना नबीला से होता है या वह मुझे यह 3 बार की दुर्घटना के बारे में कोई सवाल पूछेगी तो किस मुंह से और क्या जवाब दूंगा। अगले 2 से 3 दिन तक नबीला का सामना नहीं किया और यूं ही दिन बीत गए। वापसी से दो दिन पहले शाम के वक्त छत पे बैठा हुआ था और सऊदी में किसी से फोन पे बात कर रहा था। तो नबीला मेरी चाय लेकर ऊपर आ गई नबीला को देखने में थोड़ा घबरा सा गया क्योंकि मुझे इसका सामना करते हुए शर्म आ रही थी। नबीला आकर खाट पे बैठ गई और चाय मेरी आगे रक्खदी मेंने भी कोई 2 मिनट बात करके कॉल कट कर दिया। फिर नबीला बोली भाई आप अब कब वापस आएंगे। तो मैंने कहा नबीला तुम्हें तो पता है छुट्टी 2 साल बाद ही मिलती है अब 2 साल बाद ही आऊँगा। तो नबीला बोली भाई अब तो हमारे पास खुदा का दिया सब कुछ है तो आप पक्के पक्के वापस पाकिस्तान क्यों नहीं आ जाते और यहां आकर अपना कोई व्यवसाय शुरू कर दें। आपकी यहाँ ज्यादा जरूरत है और अपना घर भी बच जाएगा। मैंने कहा हां नबीला कहती तो तुम ठीक हो लेकिन अब मैं वहां जाकर पैसे जोड़कर पाकिस्तान ही आने की कोशिश करूँगा 

मैंने नबीला से कहा मेरा घर कैसे बच जाएगा यह बात तुम क्यों कह रही हो। तो नबीला ने कहा कुछ नहीं वो आपको बताना चाहूंगी। मैंने नबीला को कहा तुमने मुझे कहा था साना की कुछ व्यवस्था कर दो तुम मुझे ज़ुबैदा और चाची के बारे में कुछ बताओगी तुम मुझे अब बताओ भी दो आख़िर समस्या क्या है। 

मेरी बात सुनकर वह एकदम लाल लाल हो गई और बोली भाई मैं आपके सामने नहीं बता सकती मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं है। जब आप वापस सऊदी जाओगे तो यहाँ मेरे सामने नहीं होगे तो मैं आप को सब कुछ फोन पे बता दूंगी। मैंने कहा नबीला तुम मुझसे वादा करो तुम मुझे एकएक बात विस्तार से और सच सच बताओगी तो नबीला बोली भाई आप कैसी बात कर रहे हो तुम्हारे अंदर तो हमारी जान है। मैं तुम्हारे साथ कभी झूठ नहीं बोल सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच सच बताना चाहूंगी। फिर मैंने कहा नबीला तुमसे माफी मांगनी है। तो नबीला तुरंत बोली भाई किस बात की माफी। तो मैंने कहा मुझसे उस दिन बहुत गलत हो गया था जब तुम फर्श धो रही थी और ज़ुबैदा वाली हरकत और बाथरूम वाली हरकत पे मैं तुमसे माफी माँगता हूँ मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। नबीला मेरी बात सुनकर शर्मा के लाल लाल हो गई और चुप कर नीचे चली गई। 

फिर वह दो दिन भी बीत गए और मैं वापसी के लिए जब एयरपोर्ट आया तो मुझे ज़ुबैदा और नबीला और अब्बा जी छोड़ने के लिए आए जब मैं अंदर जाने लगा तो मेरे अब्बा जी मुझे गले लगाकर मिले और फिर ज़ुबैदा भी मुझे मिली, लेकिन जो मुझे अजीब और आश्चर्यजनक बात लगी जब नबीला आगे हो कर मुझे गले मिली तो उसका कद मेरे से थोड़ा ही छोटा था तो उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे जोर की झप्पी डाली मुझे उसके मोटे और नरम नरम मम्मे मुझे अपने सीने पे महसूस किया। और धीरे से मेरे कान में बोला भाई मेरी वापसी वाली बात पे ध्यान देना और फिर नबीला के बारे में ही सोचते सोचते एयरपोर्ट के अंदर चला गया और वापस सऊदी आ गया। मुझे वापस आए कोई 3 महीने से अधिक समय गुजर चुका था और जीवन अपने सामान्य रूप मे चल रही थी मेरी घर भी बात होती रहती थी। लेकिन मेरी नबीला से अब तक ज़ुबैदा और चाची के विषय पे बात ही नहीं हो रही थी। ज्यादातर अब्बा जी और ज़ुबैदा से बात होकर कॉल कट हो जाती थी। 

फिर एक दिन रात को लगभग 10 बजे का समय था और पाकिस्तान में 12 का समय था मुझे नबीला के नंबर से कॉल आई। पहले मैं थोड़ा हैरान हुआ आज इतने टाइम नबीला कॉल क्यों कर रही है। मैंने उसकी कॉल कट कर खुद कॉल मिलाई और तो नबीला से अभिवादन किया तो वह मेरा हाल पूछने लगी। वह शायद मेरे से कोई बात करना चाहती थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रही थी बात कैसे शुरू करे। फिर मैंने ही थोड़ी देर यहाँ वहाँ की बात करके पूछा कि ज़ुबैदा कैसी है तो वह बोली वह आज लाहौर चली गई है।


मैंने कहा नबीला आज समय मिला है तो मुझे आज ज़ुबैदा और चाची के बारे में बताओ। ताकि मेरे दिल को कुछ आराम हो। फिर नबीला बोली भाई आप से चाचा ने आखिरी बार क्या कहा था। मैं उसे चाचा से हुई बात बता दी। तो नबीला बोली भाई चाचा ने बहुत मुश्किल वक्त देखा है ज़ुबैदा और चाची ने चाचा को आख़िरी वक्त में बहुत यातना दी और बेचारे दुनिया में अपनी पत्नी और बेटी की करतूत की वजह से घुट घुट कर दुनिया से चले गए। मैंने नबीला से पूछा नबीला साफ सॉफ बताओ तुम कहना क्या चाहती हो क्यों घुमा फिरा कर बात कर रही हो। तो नबीला बोली भाई चाची और ज़ुबैदा दोनों ठीक औरतें नही हैं ज़ुबैदा का शादी से पहले ही किसी के साथ चक्कर था और वह उसके साथ शादी से पहले ही सो चुकी है। और चाची का भी नौकर के साथ चक्कर है और वह भी नौकर के साथ सब कुछ करती है जैसे ज़ुबैदा करती है और दोनों माँ बेटी को एक दूसरे का पता है। और चाची के 2 दोस्त हैं जिनके साथ उसका चक्कर है। इसलिए मैंने साना को उस घर से निकाला है ताकि उसका जीवन बर्बाद न हो।
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10-10-2018, 01:36 PM,
#5
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
नबीला की बात सुनकर मेरे सिर में चक्कर आ गया था और मुझे करारा झटका लगा था। मुझे अपनी हनीमून वाली रात की घटना याद आ रही थी और मेरा उस दिन वाला शक आज नबीला की बातें सुनकर विश्वास में बदल चुका था। कुछ देर मुझे चुपचाप देख नबीला बोली भाई आप मेरी बात सुन रहे हैं न। तो मैं उसकी आवाज सुनकर चौंक गया और बोला हां हां नबीला सुन रहा हूँ।

नबीला बोली- आप क्या सोच रहे हैं। मैंने कहा नबीला मुझे अपनी शादी की पहली रात याद आ रही है मुझे उस रात के गुजर ने के बाद सुबह से ही मेरे दिल मे शक आ गया था जो आज तुम्हारी बातों से विश्वास में बदल गया है। तो नबीला बोली भाई मुझे पता है आप उस रात क्यों और कैसे परेशान थे .


उस रात मैंने सफेद चादर जानबूझ कर डाली थी ताकि हम सब को ज़ुबैदा की सच्चाई पता चल सके। मैंने कहा नबीला तुम्हें पता था ख़ून नहीं निकला जो इस बात का सबूत है ज़ुबैदा ठीक लड़की नहीं थी। तो नबीला ने कहा भाई मुझे भी बस शक था। आपने तो सिर्फ सफेद चादर का राज देखा है लेकिन चाची का तो मुझे आपकी शादी से पहले ही पता था कि चाची का चाचा के अलावा भी एक और दोस्त है। मुझे जमीला बाजी ने बताया था क्योंकि जमीला बाजी को भी चाची की अपनी भाभी ने ही चाची और उसके दोस्त का बताया था। और चाची की भाबी जमीला बाजी की सहेली भी है और बाजी के घर के पास केसर ली मोहल्ले में चाची की भाभी की अम्मी का घर भी है। लेकिन बाद में मैंने ज़ुबैदा और चाची को अपनी आँखों से देखा हुआ है। 


मैंने कहा तूने चाची और ज़ुबैदा को कहाँ देखा था और किसके साथ देखा था। तो नबीला ने कहा भाई जब आप शादी करके वापस सऊदी चले गए थे तो एक बार ज़ुबैदा अब्बा जी को बोल कर मुझे भी अपने साथ लाहौर अपनी माँ के घर ले गई थी और वहां 15 दिन उनके घर में रही थी। एक दिन दोपहर को जब सब सोए हुए थे तो मैं साना के साथ उसके कमरे में सोई हुई थी तो मैं पेशाब के लिए उठी और बाथरूम में गई उनका बाथरूम ऊपर वाली स्टोरी की जो सीढ़ियों हैं इसके नीचे ही बना हुआ था जब उसके पास पहुंची तो मुझे ऊपर वाले कमरे से चाची के सिसकने की आवाज सुनाई दी। मैं फिर भी बाथरूम में चली गई जब बाथरूम से फारिग हो कर बाहर निकली तो मुझे चाची के सिसकने की आवाज बदस्तूर आ रही थी मैं हैरान भी थी और डर भी रही थी .चाची को क्या हुआ है वह अजीब अजीब आवाज़ें क्यों निकाल रही है। मैं धीरे धीरे चलती हुई ऊपर चली गई ऊपर एक ही कमरे का बना हुआ स्टोर टाइप कमरा था और उसका एक दरवाजा बंद था और और एक साइड का दरवाजा थोड़ा खुला था मैं उस कमरे के पास गई और जाकर अंदर देखा तो अंदर का दृश्य देख कर मेरे पैरों तले जमीन निकल गई क्योंकि अंदर एक जवान 29 या 30 साल का लड़का पूरा नंगा था और चाची भी पूरी नंगी थी और वह ज़मीन पर ही गद्दा डाला हुआ था और वह लड़का चाची को उल्टा लेटा कर चाची को कर रहा था और चाची वहाँ सिसक रही थी। मैंने बस 2 या 3 मिनट ही उन्हें इस हालत में देखा तो मेरा सिर चकरा गया था मैं तेजी के साथ चलती नीचे आ गई और आकर कमरे में साना के साथ लेट गई। मेरा दिमाग घूम रहा था।


चाचा तो अपनी दुकान पे ही होता था और ज़ुबैदा अपनी मां के कमरे में सोती थी। उस दिन रात तक मैं सोचती रही में चाची के बारे में किससे बात करूँ। फिर मैंने ज़ुबैदा से ही बात करने का सोचा उसे बता दूंगी कि उसकी माँ क्या गुल खिला रही है। 2 से 3 दिन तक मौका तलाश करती रही कि अकेले में ज़ुबैदा से बात कर लूँ। लेकिन कोई मौका नहीं मिला तो एक दिन चाचा चाची को लेकर अस्पताल गया था। और ज़ुबैदा और साना घर पे अकेली ही थी। तो मैंने सोचा जब साना दोपहर में सो जाएगी तो ज़ुबैदा कमरे में जाकर उससे बात करूँगी। और फिर दोपहर को जब साना सो गई तो मैं धीरे से उठी और कमरे से निकल कर ज़ुबैदा की माँ के कमरे में गई क्योंकि ज़ुबैदा वहाँ ही सोती थी मैंने दरवाजे पे धीरे दस्तक दी लेकिन कोई अंदर से कोई जवाब नहीं आया और फिर मैंने धीरे से दरवाजा खोला तो वह खुल गया अंदर झांक कर देखा तो कमरा खाली था मैं हैरान थी यह ज़ुबैदा कहाँ गई है फिर वहां से बाथरूम के दरवाजे पे गई तो वह भी खुला था और खाली था। मैं सोचने लगी वह इतनी दोपहर में कहाँ चली गई है। फिर मैंने सोचा शायद वो ऊपर छत पे किसी काम से गई हो। मैं धीरे धीरे ऊपर गई और जब मैं कमरे के पास पहुंची तो अंदर का दृश्य देखा तो मुझे एक गहरा झटका लगा क्योंकि उसी गद्दे पर ज़ुबैदा और वो ही लड़का जो चाची को कर रहा था वह अब ज़ुबैदा के साथ था और वह पैर खोलकर बैठा हुआ था और ज़ुबैदा आगे झुक कर उसका वो मुँह में लेकर चूस रही थी। और मेरा तो यह देखकर ही सिर घूम गया और गिरने लगी और तेज़ी से अपने आप को संभाल लिया तो उस लड़के ने कहा ज़ुबैदा चल जल्दी से घोड़ी बन जा आज पहले तेरी पीछे वाली मारनेका दिल पहले कर रहा है। और ज़ुबैदा ने अपने हाथों से उसका वो निकाला और बोली क्यों नहीं मेरी जान ये तो मैने सिर्फ रखी ही तुम्हारे लिए है। मेरा हॅज़्बेंड तो मुझे बहुत बार पीछे का कह चुका है लेकिन मैं उसे हर बार मना कर देती हूँ में नहीं करवा सकती मुझे दर्द होता है। उस पागल को क्या पता आगे की सील भी किसी और ने तोड़ी है और पीछे वाली तो केवल मेरे जानू इमरान के लिए है। और दोनों खिलखिला कर हँसने लगे। और बाहर मैं उनकी बातें सुनकर पागल हो गई थी और मेरा बस नहीं चल रहा था अंदर जाकर ज़ुबैदा का मुंह तोड़ दूं उसने मेरे परिवार और मेरे भाई के साथ कितना बड़ा धोखा किया है। और फिर अचानक मुझे मेरे कंधे पे किसी का हाथ लगा तो मैं डर गई और पीछे मुड़ कर देखा तो साना खड़ी थी और मुझे उंगली से चुप रहने के लिए कहा और मुझे लेकर नीचे अपने कमरे में आ गई। और भाई उसीने मुझे अपनी माँ और बहन के बारे में बताया कि वे दोनों यह काम कितने साल से कर रही हैं। 



वह लड़का ज़ुबैदा बाजी के विश्वविद्यालय के समय का साथी है और बाजी और अम्मी के साथ कई बार मिलकर भी यह काम कर चुका है। और बाजी वसीम भाई के बाहर सऊदी चले जाने के बाद यहां आती ही केवल इस लड़के के लिए है और यह खेल लगभग हर दूसरे दिन इस घर में खेला जाता है। और भाई यह वही लड़का है जो चाचा की फूतगी पे भी घर में नजर आ रहा था और चाची के आगे पीछे ही घूम रहा था। भाई इसलिए मैंने साना को इस घर से दूर रखने के लिए कहा था। क्योंकि उस बेचारी का भी जीवन उन माँ बेटी ने खराब कर देना था 

में नबीला की बात सुनकर सदमे की हालत में था और मेरा अपना दिमाग सारी बातें सुनकर घूम चुका था। मैं काफी देर चुप रहा और नबीला की कही हुई बातों पे विचार कर रहा था। इस दौरान नबीला मुझे 2 बार कह चुकी थी भाई आप सुन रहे हैं न। और फिर मैंने धीरे और दुखी मन से कहा हां नबीला में सुन रहा हूँ। नबीला शायद मेरी हालत समझ चुकी थी। उसने कहा भाई मुझे पता है तुम इस वक्त बहुत दुखी हो मैं तुम्हें इसलिए ये बातें नहीं बता रही थी मैंने ये बातें बहुत समय तक अपने दिल में रखी हुई थीं उन बातों को मैंने केवल जमीला बाजी को ही बताया था और आज आपको बता रही हूँ। फिर मैंने कुछ देर बाद हिम्मत करके नबीला से पूछा कि नबीला एक बात बताओ यह लड़का तो ज़ुबैदा और चाची का यार था। लेकिन चाची का पहला यार कौन था जिसकी बात तुमने मुझे पहले बताई थी। नबीला मेरी बात सुनकर चुप हो गई। मैंने कुछ देर इंतजार किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया तो मैंने फिर नबीला से पूछा बताओ न वह कौन है। तो नबीला धीरे से बोली भाई में नहीं बता सकती मेरे अंदर बताने के लिए हिम्मत नहीं है मुझे शर्म आ रही है। मैंने कहा नबीला जब तुमने इतना मुझे बता दिया है और अब मुझसे क्या शर्म बाकी रह गई है। और तुमने मुझसे वादा किया था तुम मुझे सारी बात सच बताओगी

। नबीला बोली हां भाई मुझे पता है लेकिन अगर आप को यह बता दूंगी तो आप को यकीन नहीं होगा मैंने कहा नबीला न तुम मुझे देख रही हो और न मैं तुम्हें देख सकता हूँ तुम मुझे बताओ कौन है इतना सच सच बता दिया है तो दूसरे आदमी का भी बता दो। तो नबीला कुछ देर चुप रही और फिर बोली भाई वह चाची का अपना छोटा सगा भाई है और वह चाची की भाभी का शौहर भी है। मेरे मुँह से बेख्याली मे निकल गया क्या कह रही हो नबीला तुम होश में तो हो। नबीला कुछ देर के लिए चुप हो गई और फिर बोली भाई हाँ यह सच है और मैं अपने होश में हूं और बिल्कुल सच सच बता रही हूँ। क्योंकि मैंने तो चाची और उसके भाई को करते हुए नहीं देखा लेकिन चाची की भाभी ने खुद कई बार अपने घर में ही देखा था। और फिर उसने बाजी जमीला को बताया था। । भाई मुझे साना ने यह भी बताया था कि ज़ुबैदा का दोस्त पहले केवल ज़ुबैदा के साथ ही करता था लेकिन फिर उसने ज़ुबैदा को ब्लैकमेल करके चाची को भी शामिल कर लिया और अब दोनों माँ बेटी मिलकर काम करती हैं।


और भाई जब मैं और ज़ुबैदा लाहौर से वापस आ रहे थे तो उसके बाद ज़ुबैदा और मेरा ठीक ठाक झगड़ा हुआ था मैने उसे बहुत बुरा भला कहा और उसे सब कुछ बता दिया जो उसकी माँ के घर देख कर आई थी । मेरे अंदर गुस्से की आग ही शांत नहीं हो रही थी। मैंने उससे कहा कि तुम्हें शर्म नहीं आई शादी से पहले ही मुंह काला करवा लिया और फिर शादी के बाद भी अब तक इससे मुंह काला करवा रही हो और साथ में अपने माँ को भी शामिल कर लिया है। कुछ तो अपने पिता या परिवार की इज्जत का ख्याल तो रखा होता। अगर दोनों माँ बेटी में इतनी ही आग भरी हुई थी तो तुम्हारी माँ तो अपने सगे भाई से अपनी आग शांत करवा लेती थी। तुम्हे भी अपनी माँ से कहकर अपने मामे के नीचे लेट जाना था। और अपनी आग शांत करवा लेनी थी कम से कम घर की बात घर में ही रहती और घर के लोगों तक ही रहती। लेकिन तुम तो माँ से भी आगे निकली पढ़ाई के बहाने यार बना लिए पहले ही उनके नीचे लेट गई तो माँ को भी शामिल कर लिया और माँ को देखो अपने सगे भाई से दिल नहीं भरा तो अपनी बेटी के दोस्त को अपना यार बना लिया। और अब पता नहीं जैसे वह तुम्हें ब्लैकमेल करके अपनी माँ को आपने नीचे ला चुका है वैसे ही तेरी माँ को ब्लैकमेल करके पता नहीं किन किन अपने नीचे चुका होगा। क्योंकि तुम तो यहाँ आ गई हो अब पता नहीं पीछे तुम्हारी माँ किस किस को घर बुलाकर अपनी आग शांत करती होगी। उसने तो सगे भाई को नहीं छोड़ा तो और किसी की क्या उम्मीद बाकी रह जाती है।
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10-10-2018, 01:36 PM,
#6
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
भाई मैंने अपने दिल का सारा गुबार निकाल दिया और आज तक वह मेरी दुश्मन है और अब तो वह शेरनी हो चुकी है क्योंकि उसने देख लिया था मैंने ये सारी बातें आप को नहीं बताई है लेकिन उसे यह नहीं पता था मेरे बीमार और बूढ़े माता पिता है अगर उनके कान तक कोई बात भी पहुंची तो वह तो जीते जी मर जाएँगे इसलिए उसे खुली छुट्टी मिल गई थी वह सब कुछ तो करती ही थी। लेकिन उसके बाद वह मुझे भी आते जाते घर में अकेले में जहां देख लेती मुझे कभी किसी का और कभी आपका नाम ले तंग करती रहती टोक बोली मारती रहती थी। और बेहूदा बेहूदा बातें करती थी।

में नबीला बातें सुनकर फिर चुप हो गया और ज़ुबैदा और चाची के बारे में सोचने लगा। यह क्या से क्या हो गया। फिर नबीला बोली भाई इसलिए मैंने तुम्हें उस दिन इसीलिए ये कहा था कि आप पक्के तौर पर पाकिस्तान आ जाओ और इस समस्या को हल करो। । मुझे चुप समझकर नबीला ने पूछा भाई आप क्या सोच रहे हैं। तो मैं चौंक गया और नबीला से पूछा कि तुम्हे ज़ुबैदा किस बात पर तंग करती है मुझे बताओ मैं इस कंजरी की खाल उतार के रख दूंगा। तो नबीला फिर चुप हो गई और उसने कुछ नही कहा मैंने फिर कहा बताओ न वह तुमसे क्या कहती है। तो नबीला ने कहा भाई वो बातें मैं नहीं बता सकती आपकी बहन हूँ मुझे बताते हुए शर्म आती है। मैंने कहा नबीला जिस तरह तुमने बेबाकी से पहले मुझे सब कुछ बताया है और ज़ुबैदा के साथ झगड़ा करके उस खरीखोती सुनाई हैं उसी हिम्मत से मुझे बताओ तुम्हें वो क्या कहती है नहीं तो मैं यहाँ बेचैन रहूंगा मेरी बहन कुछ सह कर रही है। फिर नबीला नेकहा भाई वह बहुत गंदी गंदी बातें कहती है मुझे आपको बताते हुए शर्म आ रही है कैसे आपको बताऊँ।

मैंने कहा चलो ठीक है जैसी तुम्हारी इच्छा अगर अपने भाई पे विश्वास नहीं है या पराया समझती हो तो वास्तव में मत बताओ।


नबीला तुरंत बोली भाई उस कंजरी के लिए मैं अपने इतने प्यारे भाई को कैसे पराया समझ सकती हूँ। यह आप सोचना भी नहीं। आप हमारे लिए सब कुछ हैं। मैं आपको बताती हूँ कि वह क्या कहती है थोड़ा इंतजार करें मैं छत पे जाती हूँ और वहाँ जा के आसानी से आप से बात करती हूँ। मैंने कहा ठीक है मैं इंतज़ार कर रहा हूँ। फिर कोई 2 मिनट के बाद ही नबीला की आवाज आई हां भाई छत पे आ गई हूँ। मैंने कहा अच्छा अब बताओ ज़ुबैदा तुम्हें क्या कहती है और क्यों तंग करती है।


फिर नबीला कुछ देर चुप रही फिर वो बोली कि भाई जब भी मैं उसे ताने मारती हूँ या उसे उसकी असलियत बताती हूँ तो वो मुझसे गंदी गंदी बातें कहती है। कहती है नबीला तू भी कोई दूध की धुली हुई नहीं है मुझे पता है तेरी इस उम्र में क्या स्थिति है कि तू भी एक अच्छे और मजबूत लंड के लिए तरसती है तुम्हारे अंदर भी आग भरी हुई है तुम्हारा शरीर बताता है तुम्हें किसी मजबूत पुरुष की जरूरत है जिससे दिन रात अपने अंदर लंड करवा सको। और कहती है नबीला यदि मेरा साथ दे तो मैं तेरा साथ दे सकती हूं तेरी मदद कर सकती हूँ तुम्हें भी अच्छे और तगड़े लंड तेरे अंदर करवा सकती हूँ। अभी तू मेरा साथ दे और मैं तेरा साथ दूंगी और चुपचाप दोनों मजे करते हैं। और भाई आप और बाजी के बारे में बहुत बुरा बुरा कहती है।

मैंने कहा मेरे और दीदी के बारे में क्या कहती है। तो नबीला कुछ देर चुप होकर बोली भाई वह कहती है नबीला तू अगर मेरा साथ दे तो तेरे भाई का लंड भी तेरे अंदर करवा सकती हूं तेरे भाई का लंड मोटा और लंबा है मेरे यार इमरान से भी बड़ा है। वह तो तेरा भाई 2 साल अकेला छोड़ कर चला जाता है तो मैं अपने दोस्त इमरान से मज़ा लेने लाहौर चली जाती हूं नहीं तो यदि तेरा भाई यहां रहे तो मैं कभी भी लाहौर ही ना जाऊं कहती है तेरा भाई जमकर चोदता है। हर तरह से उसका लंड लेकर मज़ा आ जाता है। तेरे अंदर जाएगा तो सारी ज़िंदगी मुझे दुआ देगी और घर में ही जब दिल करे सुबह शाम लंड लेती रहेगी भाई उसने एक तस्वीर मुझे दिखाई थी और फिर नबीला चुप हो गई।

मैंने तुरंत पूछा कौन सी तस्वीर और किस तरह की तस्वीर दिखाई है। तो नबीला बोली भाई वो .. मैंने कहा नबीला अभी भी कोई बात रह गई है जिससे तुम शर्मा रही हो। तो नबीला ने कहा भाई ज़ुबैदा ने आपके लंड की मोबाइल में फोटो बनाई हुई थी शायद आप सुबह के वक्त सोए हुए थे तो उसने आपकी सलवार उतार कर आपके लंड की तस्वीर बनाई हुई थी और मुझे दिखाकर कहती है यह देख अपने भाई का लंड कितना लंबा और मोटा है
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10-10-2018, 01:37 PM,
#7
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
देखो कैसे लोहे की रॉड की तरह खड़ा है मोटा ताजा खुद सोच तेरे अंदर जाएगा तो दुनिया का असली मज़ा मिल जाएगा। और कहती है एक तुम हो जो इतना मोटा लंड पसंद नहीं आ रहा और नखरे कर रही है दूसरी ओर मेरी माँ है जब से मैंने उसे तस्वीर दिखाई है वह पागल हो गई है मुझे बार बार कहती है कि वसीम को मेरे लिए तैयार कर मुझे उसका लंड अपने अंदर लेना है वो तेरे भाई लंड के लिए मर रही है। भाई मैंने उसे गुस्से में कहा तेरी माँ ने तो अपने सगे भाई को भी नहीं छोड़ा और संतान होने के बाद भी अपने भाई के नीचे आराम से लेट जाती है तो अपने दामाद मेरे भाई का लंड तो अच्छा लगेगा ही इसमें हैरान होने वाली कौन सी बात है। तो भाई फिर वो मुझे बाजी के बारे में गंदी गंदी बातें बोलने लगी। 

मैंने कहा बाजी के बारे में क्या कहती है। तो नबीला ने कहा भाई वो कहती है हां तो तेरी बड़ी बहन भी कौन सी पवित्र है। शादी से पहले ही अपने पति को छिप-छिपकर मिलती थी कभी उसके घर चली जाती थी कभी अपने घर बुला लेती थी उसने भी तो शादी से पहले ही अपने पति का लंड कितनी बार अंदर करवा लिया था। 1 बार तो मैंने खुद उसे रंगे हाथ पकड़ा था। जब वह मजे से लंड गाण्ड में लेकर उछल रही थी। और मुझे देखकर शर्मिंदा होने की बजाय मुझे कहती है कौन सा किसी गैर करवा रही हूँ मेरा होने वाला जीवन साथी ही है ना। 

भाई मैंने उसे कहा इस में कौन सी इतनी बड़ी बात है वह कोई गैर तो नहीं था मामू का बेटा था और बाद में उसकी शादी भी तो उसके साथ ही हो गई थी। तुम्हारी तरह तो नहीं कि शादी से पहले अपने किसी गैर और बाहर के यार के साथ मुंह काला किया फिर मेरे भाई के जीवन में आ गई और उसे भी धोखा दिया और अपने साथ अपनी माँ को भी अपने यार के नीचे लेटा दिया। इतना ही अपनी इज़्ज़त और परिवार का ख्याल होता तो तुम माँ बेटी बाहर किसी गैर के आगे मुँह मारने और फिर उनके हाथों ब्लैकमेल होने से बेहतर था जैसे तेरी माँ ने अपने सगे भाई को ही अपना दोस्त बना लिया था तुम्हें भी नीचे लेटा देती कम से कम घर का बंदा और सगा होने के नाते तुम लोगों को ब्लैकमेल तो नहीं करता जैसे आज वो हरामी तुम माँ बेटी का यार इमरान तुम दोनों को ब्लैकमेल करके खुद भी मज़ा लूट रहा है और दूसरों को भी लुटा रहा होगा। अब तो तुम दोनों माँ बेटी पे विश्वास ही नहीं रहा था पता नहीं कितने लोगों से करवा चुकी होंगी।

भाई मुझे आगे कहती है बस बस कर मैं तुम्हें भी और तेरी बहन को अच्छी तरह जानती हूँ। भाई मेरी गाण्ड पर हाथ मार कर कहती है यह जो इतनी बड़ी गाण्ड बना ली है यह ऐसे ही नहीं बन जाती उसे ऐसा करने के लिए कितना समय लंड अंदर लेना पड़ता है फिर जाकर ऐसी गाण्ड बनती है। मुझे तो शक है तू भी यहां गांव में किसी के साथ चुपचाप चक्कर चला कर बैठी है और छुप छुप कर लंड अंदर बाहर करवा रही है इसलिए तो तेरा शरीर इतना भर गया और गाण्ड भी मस्त हो गई है। कहती है आने दे इस बार तेरे भाई को कैसे उसे उकसाती हूँ तेरी बहन का किसी के साथ चक्कर है और वह छुप-छुप कर किसी से मिलकर मज़ा लूट रही है जरा उसका शरीर तो देख उसका फिर देखना तेरी कैसी शामत आती है। 


भाई मैंने आगे कहा, तुम जो इच्छा हो कर लो मेरे माता पिता और मेरे भाई का मुझे अच्छी तरह पता है तुम खुद ही मुश्किल में आ जाओगी क्योंकि अब तो मुझे पता है फिर भाई और अब्बा जी अम्मी और सारे परिवार को तेरी और तेरी माँ की करतूत पता चलेंगी तो भाई वो कहती है देखा जाएगा और मुझे कहती है तेरी बड़ी बहन एक नंबर की कंजरी है जब मलाई के अगले दिन अपने माता पिता के घर गई थी तो मुझे फोन करके कहती है ज़ुबैदा सुनाओ क्या हाल है और सुनाओ सुहाग रात कैसी गुज़री थी। मेरे भाई ने ज़्यादा तंग तो नहीं किया था। और मैंने तेरी बहन को बताया था कि बाजी आपके भाई बहुत क्रूर है उसने पहली रात को 3 बार चोद कर रख दिया था सुबह मेरी कमर में इतना दर्द था कि मुझ से चला भी नहीं जा रहा था। तो आगे तेरी पाक बहन कहती है ज़ुबैदा ऐसा नहीं हो सकता मेरा भाई बहुत अच्छा बन्दा है वह किसी पे अत्याचार कर ही नहीं सकता। तुम पे ऐसा कौन सा अत्याचार कर दिया तुम्हारी कमर में दर्द शुरू हो गया था और तुम चल भी नहीं सकती थी। फिर मैंने तेरी बहन को बताया कि बाजी यह तुम कह सकती हो मुझसे पूछो जिसने उस रात को 3 बार उसे सहन किया है आपने तो अपने भाई का लंड देखा भी नहीं होगा मैंने पूरा अन्दर लिया था वह भी एक रात में 3 बार मेरी जान निकल गई थी। लगभग 7 इंच लंबा और मोटा लंड था। तेरे भाई का मैंने तो लिया है इसलिए बता रही हूँ . आपने तो नहीं लिया है न इसलिए उसका अत्याचार तुम्हें कैसे महसूस होगा। और पता है आगे तेरी कंजरी बहन क्या कहती है ज़ुबैदा पहली बार ऐसा ही होता है और मज़ा भी तो मजबूत और मोटे लंड से ही आता है जब पूरा अंदर जड़ तक जाता है। तो मज़ा आ जाता है और मजे में दुनिया भूल जाती है। और तुम खुशनसीब हो मेरे भाई के जैसा मजबूत लंड वाला जीवन साथी मिला है। सारा जीवन मज़ा करोगी। अगर वह मेरा जीवन होता तो सुबह शाम उसका लंड अंदर लेती और कभी अपने कमरे से भी निकलने न दें। फिर मैंने तेरी दीदी को कहा था बाजी अगर इतना ही तुम्हें अनुभव है तो तुम क्यों नहीं एक बार अपने भाई से करवा कर देख लेती जब वह पूरा अंदर डालेगा तो एक बार में ही आपको पता चल जाएगा तुम्हारा भाई कितना अत्याचार करता है। अगर यकीन नहीं आता एक बार अपने भाई से करवा कर देख लो खुद ही पता चल जाएगा। तो पता है तेरी बहन आगे कहती है। ज़ुबैदा में तो लगभग रोज ही अपने पति का अंदर लेती हूँ तो गाण्ड में भी लेती हूँ मुझे तो असली मज़ा आता है हाँ यह अलग बात है जितना तुम मेरे भाई का मोटा और मजबूत लंड बता रही हो इतना तो मेरे पति का नहीं है इससे छोटा है लेकिन फिर भी मैं तो योनी में और गाण्ड में आसानी से अपने भाई के लंड को ले लूँगी पहली बार थोड़ा मुश्किल होगी लेकिन उसके बाद तो मज़ा ही मज़ा होगा। लेकिन मेरी किस्मत में शायद ऐसा लंड नहीं लिखा है। वह अब तेरे नसीब में है। मैं तो कहती हूँ तुम सहन कर लिया करो फिर कुछ दिन बाद तुम्हें आदत हो जाएगी तो खुद ही मेरे भाई को दिन मे भी लंड डालने के लिए कहा करोगी अभी तो शायद वह तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता होगा अगर वह मारता तो शायद तुम फिर मर ही गई होती। तो मैंने कहा तुम्हारे भाई ने मुझ से फरमाइश की थी लेकिन मैंने खुद मना कर दिया था योनी को ही रगड़ कर रख देता है तो गाण्ड में तो मार ही डालेगा। फिर तेरी बाजी ने आगे कहा ज़ुबैदा देख लो भले ही मेरे पति का लंड मेरे भाई जैसा लंबा नहीं लेकिन फिर भी योनी में और गाण्ड में हर दिन पूरा अंदर लेती हूँ मैं भी तो हिम्मत करती हूँ तुम भी कर लिया करो। और मेरे भाई को खुश कर दिया करो और खुद भी हुआ करो आगे तुम्हारी इक्षा है। 
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10-10-2018, 01:37 PM,
#8
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
भाई मैंने उसे कहा तुम यह सब बकवास कर रही हो मेरी बहन इतना तुम से नहीं बोल सकती। तो ज़ुबैदा आगे कहती है ठीक है आने दो तुम्हारी बहन को फिर तुम्हें खुद ही उसके सामने करवा दूंगी तो पूछ लेना और मैं बकवास कर रही हूं या सच बोल रही हूँ।

मैंने पूछा नबीला आप फिर ज़ुबैदा आगे क्या जवाब दिया। तो नबीला कहा भाई खुद तो शायद बाजी अकेले ये बातें पूछ सकती थी लेकिन ज़ुबैदा आगे नहीं पूछ सकती थी हम दोनों बहन एक दूसरे के सामने इज्जत नहीं रहनी थी। लेकिन भाई फिर ज़ुबैदा ने उस दिन मेरे साथ इतना बुरा वर्ताव किया कि में आपको बता नहीं सकती।

मैंने कहा नबीला जितना कुछ तुमने सुना और बोल चुकी हो अब तुम्हें कुछ अभी छुपा ना नहीं चाहिए। बता दो उसने क्या किया तुम्हारे साथ। । 

नबीला आगे बोली वह भाई वह भाई। । 

मैंने कहा क्या वो में वो लगाई हुई है सीधी तरह बताओ क्या हुआ था। तो नबीला कहा भाई ज़ुबैदा ने अपना हाथ नीचे ले जाकर सलवार के ऊपर से ही मेरी योनी वाली जगह पे रख दिया और थोड़ा मसला तो उसका हाथ गीला हो गया और अपने गीले हाथों को अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने लगी और बोली वाह मेरी नबीला रानी मुझे तो पाक प्रसार व्याख्यान ऐसे दे रही थी और अपने आप को देखा है अपने भाई के लंड और अपनी बहन की योनी और गाण्ड की गर्म गर्म बातें सुनकर तुम भी नीचे झड हो चुकी हो इसका मतलब है तुम्हे अपने भाई का लंड बहुत पसंद है और मैं ज़ुबैदा बात सुनकर ही अपने कमरे में भाग गई और नबीला ने यह बात कहकर फोन काट दिया था। और नबीला की सारी बातें सुनकर मेरा मन तो भटक ही गया था

लेकिन जब मेरी नज़र नीचे अपनी सलवार पै गई तो मेरा लंड तन के फुल खड़ा था और मेरी सलवार भी गीली हुई थी शायद मेरा अपना भी कुछ वीर्य निकल चुका था मैंने समय देखा तो 12 बज चुके थे और पाकिस्तान में 2 बज गए थे। अब अपनी बहन और ज़ुबैदा से सब कुछ जान चुका था और मेरी चिंता खत्म हो चुकी थी लेकिन इन सब बातों के कारण मेरा रिएक्शन यानी मेरे लंड का खड़ा होना और पानी छोड़ना यह मुझे अजीब भी और मजेदार भी लगा । फिर मैं उठ कर नहाया कपड़े बदल दिए और फिर अपने बेड पे लेट गया और सोचते सोचते पता नहीं कब नींद आ गई और सो गया। उस दिन के बाद मुझे और नबीला को फिर इस विषय पे बात करने का मौका न मिला जब भी पाकिस्तान घर में बात होती तो नबीला से भी बस थोड़ी बहुत हाल हवाले पूछ कर बात समाप्त हो जाती थी। मुझे अब नबीला से इस विषय पे बात किए हुए कोई 4 महीने बीत चुके थे। और मुझे पाकिस्तान से वापस सऊदी आए हुए भी लगभग 8 महीने बीत चुके थे समय तेजी से गुजर रहा था मुझे सऊदी में रहते हुए लगभग 8 साल हो चुके थे मैंने बहुत ज्यादा पैसा कमाया था और उसे अपनी और घर की जरूरतों पे खर्च भी किया था और काफी सारा पैसा जमा भी किया था कुछ पाकिस्तान में बैंक में रखा था अब्बा जी के खाते में जो बाद में संयुक्त खाता बन गया था। और कुछ पैसा सऊदी में ही बैंक में जमा किया हुआ था जब से मेरी नबीला से उस विषय पे बातें हुई थी मैंने पक्के तौर पर पाकिस्तान जाने की योजना बनाना शुरू कर दिया था और यह भी प्लान करने लगा था कि पाकिस्तान जाकर अपना व्यवसाय शुरू करूँगा। और ज़ुबैदा और नबीला और बाजी जमीला की समस्या भी घर में रह कर हल कर सकता था। और फिर मैंने काफी सोच विचार के बाद फैसला कर लिया मुझे बाकी 1 साल और कुछ महीने और मेहनत करनी होगी और फिर अपना सारा पैसा लेकर इस बार 2 साल पूरे होने पे हमेशा के लिए सऊदी से वापस अपने देश पाकिस्तान चला जाऊँ जाएगा। इसलिए मैंने अपने बाकी समय में अधिक मेहनत शुरू कर दी और एक बार फिर 14 घंटे टैक्सी चलाने की ड्यूटी देने लगा अब मैं आधा वक्त दिन और आधा वक्त रात को टैक्सी चलाता था। और इस तरह ही मुझे 1 साल पूरा हो गया। और मेरा 1 साल और बाकी सऊदी में रह गया था। एक दिन रात को अपनी टैक्सी में ही बाहर खड़ा एक सवारी का इंतजार कर रहा था लगभग 10: 40 का समय होगा मुझे नबीला के नंबर्स से मिस कॉल आई। मैं थोड़ा परेशान हो गया इतनी रात खैर ही हो कुछ समस्या तो नही हो गई मैंने तुरंत कॉल मिलाई तो नबीला मुझे अभिवादन किया और बोली भाई माफी चाहती हूँ इतनी रात को आप को तंग किया है। दरअसल वो आज ज़ुबैदा फिर अचानक लाहौर चली गई है दोपहर 2 बजे उसकी अम्मी का फोन आया था तो मैं अचानक ज़ुबैदा कमरे के आगे से गुजर रही थी तो मुझे हल्की हल्की ज़ुबैदा की फोन पे बात करने की आवाज़ आ रही थी मैं ने बस यह सुना था केउम्मी आप चिंता न करें कोई भी बहाना बनाकर आ जाऊँगी। आप इसे कहो मेरा स्टेशन पे इंतजार करे और जब तक मैं घर से निकल नहीं आती तो मेरे नंबर पे कॉल ना करे। और फिर फोन बंद हो गया बाहर खड़ी मैं सोचने लगी यह कंजरी फिर किसी चक्कर में ही अपनी माँ के पास जा रही है। 

मैंने कमरे में देखा ज़ुबैदा अपने कपड़े बैग में रख रही थी तो कोई 15 मिनट बाद फिर ज़ुबैदा के नंबर पे कॉल आई शायद इस बार किसी और की कॉल थी बाद में पता चला वह उसके दोस्त इमरान की कॉल थी वह उसका मुल्तान स्टेशन पे इंतजार कर रहा था और उसे लाहौर लेने आया था ज़ुबैदा ने थोड़ा गुस्सा करते हुए अपने दोस्त को फोन पे कहा इमरान आप धैर्य नहीं होता मैंने अम्मी को फोन किया था न मुझे तुम फोन न करना जब तक मैं घर से निकल नहीं आती और तुम बाज नहीं आए भाई उसका यार पता नहीं आगे क्या बात कर रहा था। लेकिन ज़ुबैदा ने उससे कहा अच्छा अच्छा ज़्यादा बकवास मत करो ट्रेन में कर लेना। और इंतजार करो में बस 6 बजे तक वहां आ जाऊँगी और ज़ुबैदा ने अपना फोन बंद कर दिया। 

वह घर से 5 बजे निकली थी और 7 बजे ट्रेन का समय था मुझे लगता है वो अभी भी वह शायद ट्रेन में ही होगी आप उसे कॉल करो और अपने साथ लो और पूछो कि वह रात के समय में लाहौर के लिए अकेली क्यों निकली है । मैंने कहा नबीला मेरी बात सुनो मेरी यहाँ से क्लास लेने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उल्टा शायद वह कोई और बकवास करे और मैं गुस्से में आ जाऊंगा तो समस्या हो जाएगी तो उस कंजरी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उसकी माँ गाँव से सब कुछ छोड़कर लाहौर में रहती है यह भी उसके पास चली जाएगी और उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन हमारे घर पे बहुत फर्क पड़ेगा । क्योंकि जब दूसरों से अम्मी को बाजी को उसके ससुराल वालों को और परिवार के लोगों को सारी सच्चाई पता चलेगी तो हमारे घर की बदनामी ज्यादा होगी सब यही कहेंगे इतने सालों से ज़ुबैदा और उसकी माँ यह सब कुछ कर रही और क्यों हमने पहले दिन से ही परिवार में किसी को उनकी असलियत नहीं बताई। इसलिए मेरी बहन जोश से नहीं होश से काम लेना है। और वह मेरी पत्नी भी है और सबसे बड़ी बात चाचा की बेटी है। मुझे उसे और उसकी माँ को उनकी ही भाषा में जवाब देना होगा और दोनों माँ बेटी को परिवार के योग्य और ठीक करना होगा। और यह मत भूलो कि साना बेचारी भी परिवार का हिस्सा है। इसका भी सोचना है। ज़ुबैदा ने तो अपनी जवानी में गलत काम किया है लेकिन चाची को उसके भाई तक तो मैं कुछ हद तक सहन कर ही लेता लेकिन वह अपनी बेटी के हमउम्र गैर लड़के को अपना सम्मान लूटा रही है और यह पहले ठीक करना है। 
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10-10-2018, 01:37 PM,
#9
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मेरी बात सुनकर नबीला बोली भाई लेकिन ज़ुबैदा को किसी न किसी दिन तो उस लड़के से मिलने से रोकना है और चाची को भी रोकना है। लेकिन यह कैसे होगा और कब होगा। आप तो वहां बैठे हैं खुद ही यह समस्या ठीक कैसे होगा। और मैं आपकी बात नहीं समझ सकी आप कह रहे थे चाची और ज़ुबैदा को उनकी भाषा में ही समझा ना होगा। मैं आपकी बात को समझ नहीं पारही हूँ।

मैंने कहा देखो नबीला यह समस्या कब और कैसे हल होगी मैं खुद यह तय करूंगा और ठीक भी करूँगा और दूसरी बात मैं तुम्हें बता रहा हूँ मेरा यह यही साल है सऊदी में और मैंने अभी पक्का पक्का पाकिस्तान आने का कार्यक्रम बना लिया है इस बार पक्का आऊँगा। और फिर खुद घर आकर यह सब समस्या हल करूँगा 

नबीला मेरी बात सुन कर खुश हो गई और तुरंत बोली भाई आप सच कह रहे हैं आप अपने घर लौट रहे हैं। 

मैंने कहा हां मेरी बहन बिल्कुल सच कह रहा हूँ

लेकिन अब्बा जी और अम्मी को या बाजी किसी को भी यह बात अब पता न चले में वक्त आने पे खुद सबको बता दूंगा। तो नबीला बोली भाई आप बेफिक्र हो जाएं मैं किसी से भी बात नहीं करूंगी। लेकिन आप ने मुझे बहुत अच्छा सुसमाचार सुनाया है मेरा ज़ुबैदा के कारण बहुत मूड खराब था लेकिन आपने खुशख़बरी सुना कर मुझे खुश कर दिया है। फिर मैंने कहा नबीला मैं तुमसे एक बात करनी है तुम नाराज तो नही होगी तो नबीला ने कहा भाई आप कैसी बात करते हैं मैं आप से कभी भी नाराज नहीं हो सकती आप तो मेरी जान है। 

मैंने कहा अच्छा यह बताओ ज़ुबैदा ने जो बाजी जमीला के बारे में बातें बताई थीं क्या बाजी से इस बारे में कोई बात हुई थी। अगर हुई थी तो बाजी ने आगे क्या कहा था। नबीला ने कहा भाई मैंने बहुत बार कोशिश की कि किसी दिन अकेले में बैठकर बाजी से ज़ुबैदा की सारी बात करूं बाजी भी कई बार घर में आकर रहती हैं लेकिन मेरी हिम्मत ही नहीं बनती उनसे बात करने की लेकिन भाई आप क्यों पूछ रहे हैं। 

मैंने कहा अगर ज़ुबैदा की कही हुई बातें सच हैं तो ज़ुबैदा बाजी को भी ब्लैकमेल कर सकती है और अपनी दुश्मनी में उन्हें भी तंग कर सकती है। और शायद ज़ुबैदा को कुछ और भी बाजी के बारे में पता हो इसलिए मैं चाहता था कि तुम बाजी से खुलकर बात करो और उन्हें ज़ुबैदा वाली सारी बातें बता दो। लेकिन एक बात का मुझसे वादा करना होगा कि तुमने बाजी को जरा सा भी आभास नहीं होने देना है कि यह सब बातें मुझे भी पता है। बस ये ही शो करवाना है कि यह बातें सिर्फ तुम्हें या बाजी को ही पता है। 

नबीला ने कहा भाई मैं वादा करती हूँ कि मैं बाजी को अपना पता ही नहीं लगने दूंगी और दूसरा बाजी को अगले सप्ताह आना है इस बार विस्तार से बात करूंगी और ज़ुबैदा की सारी बात उन्हें बताना चाहूंगी और यह भी पता चल जाएगा कि बाजी ने ज़ुबैदा से वो बातें की थीं या वह झूठ बोल रही थी।

मैंने कहा ठीक है। मैं इंतजार करूंगा। नबीला ने कहा जब बाजी से बात हो जाएगी तो आप को रात के वक्त ही मिस कॉल करूंगी और पूरा विवरण बता दूंगी। मैंने कहा ठीक है। फिर जब मैं कॉल कट करने लगा तो नबीला ने कहा भाई आप को एक बात बतानी थी। और यह बोल कर चुप हो गई मैने कुछ देर इस बात के लिए इंतजार किया लेकिन वह चुप थी मैंने कहा नबीला बताओ ना क्या बात बतानी थी। तो नबीला बोली भाई आप को उस दिन वाली बात याद है जब सुबह में आप को नाश्ते के लिए बुलाने आई तो ज़ुबैदा और आप खड़े थे। तो मुझे याद आया तो मैंने कहा नबीला मैंने इस घटना की तुमसे माफी मांगी थी तो क्यों फिर से पूछ रही हो। तो नबीला बोली भाई वह बात नहीं कर रही वास्तव में एक महीने पहले मुझे एक दिन ज़ुबैदा ने फिर अकेले में तंग किया अम्मी और अब्बा जी बुआ के घर गए हुए थे मैं अकेले थी। तो वो मुझे तंग करने लगी। कि नबीला याद है उस दिन जब मैंने तुम्हारे भाई का लंड कमरे में पकड़ा हुआ था और तुम नाश्ते की कहने के लिए आई थी। उस दिन तो तुमने अपने भाई का सलवार में खड़ा लंड वास्तव में देखा था बताओ ना तुम्हें अपने भाई का लंड कैसा लगा और मुझे तंग करने लगी। और बार बार आपका नाम लेकर और भाई आप के लंड की प्रशंसा करके मेरी गाण्ड हाथ से मसल रही थी। भाई मैं उसकी इन हरकतों से बहुत तंग हूँ। में भी जीती जागती इंसान हूँ मेरे भी भावनाए है मैं आप बताइए मैं उसे क्या जवाब दूँ। या आप खुद ही समझा दो कि वो मुझे तंग न करे। 


मैंने कहा नबीला एक बात सच सच बताएगी। तो नबीला ने कहा जी भाई पूछो क्या पूछना है। मैंने कहा जब तुम्हे ज़ुबैदा मेरा नाम लेकर या मेरी किसी चीज़ का नाम लेकर तंग करती है तो तुम्हारे मन में क्या ख्याल आता है। मेरी बात सुनकर नबीला चुप हो गई 2 बार उससे कहा कुछ तो बोलो फिर मैंने कहा अच्छा मेरी बात बुरी लगी है तो माफी चाहता हूँ और फोन बंद कर देता हूँ।


वह बोली नहीं भाई माफी किस बात की मांग कर रहे हैं। भाई माना मैं औरत हूँ जवान हूँ भावनाओं रखती हूँ, लेकिन मैं उसे अपने ही भाई के बारे में क्या जवाब दूं। मैंने कहा देखो अगर तुम उससे अपनी जान छुड़वाना चाहती हो तो जब भी वो तुम्हें तंग करे तुम आगे से हँस दिया करो और उसे तंग करने के लिए कभी कभी बोल दिया करो तुम अपनी माँ को मेरे भाई के नीचेलेटा दो ना वह तो वैसे भी मर रही है। और खुद भी अपनी गाण्ड में मेरे भाई का मोटा लंड लिया करो अपने यार से तो बड़े मजे से अंदर करवाती हो।

नबीला ने कहा भाई यह कैसे बोल सकती हूँ।

मैंने कहा मुझे थोड़ी बोलना है तुम्हें तो ज़ुबैदा को बोलना है जब तुम्हें तंग करे तुम उसे ये बातें सुना दिया करो फिर देखो वह खुद ही तुम्हारी जान छोड़ देगी।
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10-10-2018, 01:37 PM,
#10
RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
नबीला ने कहा भाई मैं कोशिश करूंगी। फिर मैंने कहा बाजी से बात करके मुझे बता देना मैं अब फोन बंद कर रहा हूँ। फिर मैं फिर से अपने काम में व्यस्त हो गया मुझे 2 सप्ताह हो गए थे नबीला से बात किए हुए जब मैं घर फोन करता था तो उससे बात हुई लेकिन बाजी के विषय पे कोई बात नहीं हुई तो एक दिन रात को अपने कमरे में लेटा हुआ था रात के 11 बज रहे थे कि अचानक मेरे मोबाइल पे मिस कॉल आई मैंने देखा यह नबीला का ही नंबर था। मैंने सोचा पाकिस्तान में तो 1 बजे होंगे आज इतनी लेट क्यों मिस कॉल है। मैं कॉल मिलाई तो नबीला धीमी सी आवाज में कहा भाई क्या हाल है। मैंने कहा मैं ठीक हूँ। तुम कैसी हो इतनी लेट कॉल और इतना धीरे क्यों बोल रही हो। तो वह बोली वह आपकी पत्नी कंजरी आ गई है और साथ वाले अपने कमरे में है अभी उसके कमरे की लाइट बंद हुई है तो मैंने आपको कॉल मिलाई है। लेकिन अगर आपको मेरी आवाज नहीं आ रही तो थोड़ा इंतजार करो मैं ऊपर छत पे जा कर बात करती हूँ।

मैंने कहा अगर कोई ज्यादा समस्या नहीं है तो ठीक है अन्यथा कोई बात नहीं ऐसे ही बात कर लो। तो वह बोली नहीं कोई समस्या नहीं है छत पे ही जा कर बात करती हूँ होल्ड करो मैंने कहा ठीक है मैं इंतज़ार करता हूँ। फिर कुछ ही देर बाद नबीला बोली भाई अब आवाज आ रही है मैंने कहा हां आ रही है अब बोलो किसलिए फोन किया था। तो नबीला ने कहा भाई दीदी घर आई हुई थी और 3 दिन रहकर कल ही घर गई हैं मेरी उनसे 2 दिन पहले रात लगभग 3 घंटे तक ज़ुबैदा के विषय पे बात हुई थी। मैंने आपके कहने पे बिल्कुल खुलकर बात की शुरुआत में मेरे इतना खुलकर बात करने पे बाजी भी थोड़ा हैरान हुई लेकिन फिर वह कुछ देर बाद सामान्य हो गई और फिर वह भी खुल गई और उनके साथ खुली गप्प की शर्त लगी थी तो और कई नई बातें पता चली थीं।


मैंने नबीला से कहा वाह क्या बात है मेरी बहन अब तेज हो गई है 

नबीला आगे बोली भाई आपने और ज़ुबैदा ने कर दिया है। और मैं उसकी बात सुनकर हंसने लगा। फिर मैंने कहा बताओ क्या बात हुई है। तो वह बोली भाई पहले तो बाजी को जब चाची और ज़ुबैदा का पता लगा तो वह हक्का बक्का रह गई। और दोनों माँ बेटी को गालियां देने लगी। फिर मैंने दीदी को जब ज़ुबैदा की बातें बताई जो उसने बाजी से संबंधित बोली थीं तो बाजी पहले तो सारी बातें सुनकर चुप हो गई। और फिर बोली नबीला यह सच है मैंने ज़ुबैदा से ये सारी बातें की थीं लेकिन मैंने तो एक औरत बन कर अपने भाई की खातिर उसे समझाया था ज़ुबैदा भी कोई बच्चा तो नहीं थी शादीशुदा थी इसलिए मैंने शादीशुदा भाषा में ही और एक औरत बन कर समझाया था। लेकिन मुझे क्या पता था वह तो अपनी माँ से बड़ी कंजरी निकलेगी। माँ तो भाई से ही करवाती थी लेकिन बेटी ने तो यार बनाया और फिर अपनी ही माँ को भी अपने यार के नीचे लेटा दिया बड़ी कंजरी है ज़ुबैदा और मुझे कहती है बाजी तेरे भाई का लंड बहुत लंबा और मोटा है वह मुझ पे ज़ुल्म करता है उससे गाण्ड मरवाने पर तो मर ही जाऊंगी। लेकिन मुझे क्या पता था वह तो मेरे भाई को तरसा कर अपने यार का लंड गाण्ड के अंदर भी लेती है

मैंने कहा अच्छा तो ये बात है। भाई एक बात और थी वह मैंने अपने दम पे बाजी से पूछा था लेकिन मुझे बाजी पे हैरानगी भी हुई और तरस भी आया कि मैने बाजी को ऊपर से जितना खुश देखा अंदर से वो कितनी ज़यादती का सामना कर रही है। 

मैंने पूछा कैसी ज़यादती नबीला मुझे खुलकर बताओ। तो नबीला ने कहा भाई मैंने वैसे ही बाजी को कहा कि बाजी आपने जो भाई के बारे में अपनी भावनाएँ ज़ुबैदा को बताई थी वह आपके दिल की बात थी या वैसे ही ज़ुबैदा को समझा ने के लिए बोली थी तो बाजी की आंख से आंसू आ गए और बाजी फिर कुछ देर बाद बोली कि नबीला सच कहूँ तो मेरे दिल की भावनाएँ थी क्योंकि मैं भी औरत हूँ भावनाओं रखती हूँ इसलिए जब ज़ुबैदा ने वसीम के बारे में मुझे बताया और लंड के बारे में बताया तो मेरा दिल भर आया था क्योंकि मेरा जीवन तो शुरू-शुरू में बहुत अच्छा था और मेरा पति मुझे खूब प्यार करता था। सच बताऊँ तो शुरू के महीनों में तो वह पूरी पूरी रात मुझे कपड़े नहीं पहनने देता था पूरी रात नंगा रहता था और हर रात 3 बार मेरी जमकर मारता था। लेकिन फिर पहला बच्चा हुआ तो वह सप्ताह में 2 या 3 बार ही बस करता था तो दूसरा बच्चा हुआ तो सप्ताह में 1 बार करने लगा और अब यह हाल है कि महीने में एक बार करता है लेकिन मेरे आगे और पीछे में खुद 2 बार जल्दी जल्दी झड जाता है और मुझे रास्ते में छोड़ देता है। और मैं बस 3 साल से ऐसे ही गुज़ारा कर रही हूँ इसलिए जब ज़ुबैदा ने मुझे वसीम की दिनचर्या और लंड के बारे में बताया तो मुझे अपने नसीब पे दुख हुआ और मैंने अपने दिल की भावनाएँ उससे कह दीं लेकिन नबीला खुद बता वसीम मेरा छोटा भाई है तुम या मैं कुछ कर तो नहीं सकती न। 


भाई फिर मैंने दीदी को अपनी वह बाथरूम वाली बात बता दी थी मैंने कहा बाजी मैंने वसीम भाई का लंड देखा हुआ है ज़ुबैदा ठीक कहती है भाई का लंड काफी मोटा भी है लंबा भी है और मैंने बाथरूम वाली घटना को बता दिया। बाजी ने मेरी बात सुनकर लंबी सी आह भरी और बोली लेकिन नबीला कुछ भी हो वसीम हमारा भाई है। हम सुनकर या देखकर भी अपना नसीब तो नहीं बदल सकते। भाई मुझे जो नई बात बाजी से पता चला उसे सुनकर तो मैं भी हैरान और हक्का बक्का रह गई थी।

मैंने कहा वह कौन सी बात है। जो बाजी ने बताया कि मेरी नंद यानी हमारी मौसी की बेटी शाजिया वह बहुत बड़ी छिनाल औरत निकली है। क्योंकि बाजी ने बताया कि वह अक्सर अपने ससुराल में लड़ाई करके अपने यानी हमारी मौसी के घर आ जाती है। और कितने कितने दिन यहाँ ही रहती है। मैंने कहा नबीला इसमें हैरान होने वाली कौन सी बात है। तो नबीला ने कहा भाई आप पहले पूरी बात सुन लें तो फिर बताना 
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