Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
09-24-2019, 02:12 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
कंचन और विजय कुछ देर तक आपस में बाते करने के बाद एक दुसरे से गले लगकर यो ही नंगे सो गये । इधर शीला अपने भाई का इंतज़ार करते करते थक गयी और अपने हाथों से ही अपने आपको शांत करने लगी, वह कुछ देर की मेंहनत के बाद झड गयी और अपनी नाइटी को पहनकर बेड पर सो गयी ।
नरेश अपनी माँ को दो बार चोदने के बाद थक हारकर उसके कमरे से निकलते हुए अपने कमरे में आ गया। नरेश ने अपने कमरे में आते ही देखा की उसकी बहन सो चुकी है, नरेश भी बुहत थका हुआ था। वह अपनी दीदी के बगल में लेट गया और कुछ ही देर में वह नींद के आग़ोश में चला गया।

मानिषा भी अपने बेटे से दो बार चुदवाने के बाद आराम की नींद करने लगी । विजय की मोबाइल का अलारम बजने लगा वह चौँककर उठ गया और अपनी मोबाइल के अलारम को बंद करते हुए बाथरूम में चला गया। विजय उठकर पेशाब करने के लिए बाथरूम में चला गया ।
विजय ने सुबह के ५ बजे का अलारम अपनी मोबाइल पर सेट किया था, बाथरूम से लौटते ही वह अपनी बहन के जिस्म से चादर हटाकर उसे देखने लगा, विजय अपनी बहन के पैरों से होता हुआ उसकी दोनों टांगों को आपस में से अलग कर दिया।

कंचन की चूत के छेद को देखकर विजय का लंड तनने लगा, क्योंकी चुदाई से पहले कंचन की चूत के दोनों होंठ आपस में मिले हुए थे। मगर अब उसकी चूत का मूह थोडा खुल गया था । विजय अपने मूह को अपनी दीदी की चूत के पास ले जाकर सूँघने लगा ।
विजय की आँखें अपनी दीदी की चूत की गंध सूंघकर बंद होने लगी । क्योंकी उसे अपनी दीदी की चूत की गंध बुहत अच्छी लग रही थी । विजय को कंचन की चूत से उसके वीर्य और उसकी दीदी की चूत के पानी की मिली जुली ख़ुश्बू आ रही थी।

विजय कुछ देर तक अपनी दीदी की चूत को सूँघने के बाद अपनी जीभ को निकालकर अपनी बहन की चूत को चाटने लगा, कंचन जो गहरी नींद में थी अपने भैया की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करके हिलने लगी ।विजय अपनी बहन की चूत को चाटते हुए अचानक अपनी जीभ को कडा करते हुए अपनी दीदी की चूत में डाल दिया ।
कंचन का जिस्म अपने भाई की जीभ के घुसते ही ज़ोर से काम्पने लगा, विजय अपनी बहन की चूत में पूरी तेज़ी के साथ अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा। कंचन की नींद टूटने लगी और उसने अपनी आँखें खोलकर ज़ोर से सिसकते हुए अपने हाथों को नीचे करते हुए अपने भाई के सर को पकडकर अपनी चूत पर दबाने लगी।
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09-24-2019, 02:13 PM,
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विजय ने कुछ देर तक अपनी दीदी की चूत को अपनी जीभ से चोदने के बाद उसकी चूत से अपनी जीभ को निकाल दिया और सीधा होते हुए अपना तना हुआ लंड उसकी चूत पर रखते हुए एक ही झटके में उसे पूरा अपनी बहन की चूत में घुसा दिया।
"हाहहहहह भैया ओह्ह्ह्हह फिर से कर रहे हो" कंचन ने अपने भाई का लंड एक ही झटके में अपनी चूत में घूसने से दर्द से चीखते हुए कहा ।
"दीदी मेरा मन तो आपको सारी ज़िंदगी चोदने से भी नहीं भरेंगा" विजय यह कहते हुए अपनी दीदी की चूत में अपने लंड को ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा।
"आआह्ह्ह्ह भैया आप ओह्ह्ह्हह ज़ोर से करो फ़ाड़ दो अपनी बहन की चूत को । बुहत मज़ा आ रहा है" कंचन भी अपने भाई की चुदाई से पूरी तरह नींद से जागते हुए चिल्लाकर अपने भाई को जोश दिलाते हुए कहने लगी।

विजय अपनी बहन की बात सुनकर उसे बुहत तेज़ी के साथ चोदने लगा । कंचन ने अपनी दोनों टांगों को अपने भाई की कमर में डाल दिया और बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने भाई के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में रगड देता हुआ महसूस करने लगी ।
विजय अपनी बहन को 15 मिनट तक कई एंगल्स में छोड़ते रहने के बाद हाँफते हुए उसकी चूत में झडने लगा । कंचन अपने भाई का वीर्य अपनी चूत में गिरता हुआ महसूस करके दूसरी बार झरने लगी। विजय पूरी तरह झरने के बाद अपने दीदी की चूत से अपना लंड निकालते हुए उसकी साइड में लेट गया।

"दीदी मैं अब अपने कमरे में जा रहा हूँ सुबह होने वाली है" विजय ने कुछ देर लेटे रहने के बाद बेड से उठकर अपने कपडे पहनते हुए कहा।
"भइया आपने तो मुझे चलने के क़ाबिल नहीं छोड़ा। किसी को पता चल गया तो" कंचन ने अपने भाई की बात को सुनकर उसे अपनी चिंता के बारे में बताते हुए कहा ।
"अरे पगली अब तुम चल सकती हो । वह तो पहली चुदाई की वजह से तुम्हें तकलीफ हो रही थी । मगर अब तुम्हारी चूत पूरी तरह खुल चूकी है । ज़रा उठकर देखो" विजय ने अपने कपड़े पहनने के बाद अपनी बहन के हाथ को पकडते हुए कहा।

कंचन अपने भाई की बात सुनने के बाद अपने भाई के हाथ को पकडकर उठने लगी । कंचन ने उठते हुए महसूस किया की उसे अब तकलीफ नहीं हो रही थी ।कंचन ने उठने के बाद अपने भाई के हाथ को छोडते हुए थोडा आगे चलि गयी और वापस आते हुए अपने भाई को गले लगाते हुए उसके होंठो को चूम लिया।
"भाइ आपने सही कहा था हमें बिलकुल तकलीफ नहीं हो रही है" कंचन ने खुश होते हुए कहा।
"ठीक है दीदी मैं जा रहा हू" विजय ने भी अपनी दीदी को एक चुम्मा देते हुए कहा और वहां से निकलकर अपने कमरे की तरफ जाने लगा।
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09-24-2019, 02:13 PM,
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विजय अपने कमरे के पास आकर दरवाज़े को खटकाने लगा, दरवाज़े के खटकाने से शीला की नींद टूट गयी और वह हडबडाकर उठते हुए दरवाज़ा खोलने चली गई।
"क्या हुआ भैया" दरवाज़ा खोलते ही शीला ने एक अँगड़ाई लेते हुए कहा ।
"दीदी आप कंचन दीदी के पास जाओ ना" विजय ने शीला को गौर से देखते हुए कहा।
"क्यों भैया पेट भर गया क्या। कैसी लगी हमारी कंचन दीदी आपको" शीला ने विजय की बात सुनकर उसे टोकते हुए कहा।

"क्या दीदी में समझा नही" विजय का लंड शीला के मूह से ऐसी बात सुनकर फिर से तनने लगा, विजय ने अपने लंड को आगे से दबाते हुए शीला से कहा।
"भइया अब इतने भोले भी मत बनो । तुम ने तो दीदी को खूब मजा दिए होंगे हमारी तरह थोडी सो गये होगे" शीला ने विजय की तरफ देखते हुए कहा ।
"क्यों दीदी नरेश भैया तो थे यहाँ फिर आप" विजय इतना कहकर चुप हो गया। शीला के मूह से ऐसी बातें सुनकर विजय का लंड अब झटके मारने लगा था।
"भइया माँ की तबीयत खराब थी तो वह भैया को अपने कमरे में ले गयी सर दबाने के लिए । पता नहीं वह कब उसके कमरे से निकलकर यहाँ आये" शीला ने फिर से अंगड़ाई लेते हुए कहा । शीला ने इस बार जानबूझकर अपनी चुचियों को जितना हो सकता था । आगे करते हुए अंगड़ाई ली ताकी उसका भाई उसकी चुचियों का फिगर सही तरीके से जान सके।

"दीदी आपका फिगर तो बुहत बढ़िया है, मगर नरेश भाई ने आपको जगाया नही" विजय ने शीला की चुचियों को बाहर की तरफ आने से गौर से देखकर उसकी तारीफ करते हुए उससे पूछा।
"नही भैया जाने क्या हो गया उसे" शीला ने यह कहते हुए बाथरूम का दरवाज़ा खोलते हुए उसमें घुस गयी। शीला ने बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया और अपनी नाइटी को उतार दिया ।
विजय के दिल की धडकनें शीला के जिस्म को सिर्फ छोटी सी पेंटी और ब्रा में देखकर ज़ोर से धडकने लगी और वह ज़ोर से साँसें लेते हुए शीला को देखने लगा। विजय का लंड उसकी पेंट में झटके मारते हुए इतना अकड़ चूका था की उसे अब अपने लंड में दर्द महसूस होने लगा था।

"क्या भैया कंचन को देखकर आपका मन नहीं भरा क्या जो मुझे देख रहे हो" शीला ने मुसकुराकर अपने भाई को अपनी तरफ देखते हुए टोक कर कहा।
"शीला दीदी आप बुहत सूंदर हो" विजय के मूह से सिर्फ इतना निकला ।
"क्यों झूठी तारीफ कर रहे हो, कंचन के सामने तो हम पानी भरेंगी" शीला ने नीचे झुककर अपने एक पाँव को खुजाते हुए कहा।
"दीदी सच में आप बुहत सूंदर हो" शीला के नीचे झुकने से विजय ने उसकी चुचियों को आधा नंगा होकर अपने सामने आने से अपने गले में थूक को गटकते हुए कहा।
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09-24-2019, 02:13 PM,
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भइया हमें पता है आप हमें खुश करने के लिए हमारी झूठी तारीफ कर रहे हो। अब अपना मूह दूसरी तरफ करो हम अपनी पेंटी उतारकर मूतने वाले हैं" शीला ने विजय को मुस्कराते हुए कहा ।
विजय को अपने कानों पर इतबार नहीं आ रहा था। शीला की बात सुनकर उत्तेजना के मारे उसका पूरा जिस्म काम्पने लगा। वह सोच रहा था की शीला बाथरूम का दरवाज़ा बंद क्यों नहीं कर रही है। इसका मतलब वह जानबूझकर उसपर लाइन मार रही है। मगर शीला की कुंवारी चूत देखने के ख़याल से ही विजय का पूरा जिस्म गुदगुदी करने लगा।

"ओहहहहह भैया आप नहीं मानेगे। चलो आपसे क्या शरमाना" शीला यह कहते हुए अपनी पेंटी को अपने चूतडों से नीचे करते हुए नीचे बैठकर मूतने लगी । विजय शीला के नंगे चूतडों और उसकी गुलाबी हलके बालों वाली चूत को देखकर बूत की तरह खडा होकर शीला को मूतते हुए देखने लगा ।
विजय का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था । उसका लंड उसकी पेंट में ही उत्तेजना के मारे वीर्य की बूँदे टपका रहा था, विजय की बर्दाशत जवाब देने लगी थी । उसे अपने लंड में बुहत दर्द महसूस हो रहा था। उसने अपने हाथ से अपनी पेण्ट की ज़िप खोल दी और अपनी आँखें शीला की नंगी चूत पर टिका दी । शीला की चूत से मूतते हुए मधुर आवज़ आ रही थी।

"भइया आप तो सच में बुहत बदमाश हैं सारी रात अपनी बहन से मजा लेने के बाद भी हमारी चूत को देख रहे हैं" शीला ने मूतने के बाद सीधा होते हुए कहा और अपनी चूत विजय को सही तरीके से दिखाने के बाद अपनी पेंटी को ऊपर खीँच लिया ।
विजय बिना बोले बस बूत की तरह खडा था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे । उसके अंडरवियर में बुहत बड़ा उभार बना हुआ था।
"भइया इसे आपने अपनी दीदी का रस नहीं पिलाया क्या। फिर यह क्यों प्यासा है" शीला ने बाथरूम से निकालते हुए विजय के लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही अपने हाथ से दबाकर हँसते हुए कहा और कमरे से निकलकर चलि गयी।

विजय की हालत बुहत बुरी थी । उसने शीला के जाते ही अंडरवियर को उतार दिया और बाथरूम में घुस गया, विजय ने उत्तेजना के मारे अपने लंड को अपने हाथों में लेकर ज़ोर से हिलाने लगा । विजय मुठ मारते हुए शीला की चूत को याद कर रहा था ।
विजय को अब भी शीला का हाथ अपने लंड पर पडा महसूस हो रहा था । विजय का जिस्म अचानक अकड़ने लगा और वह ज़ोर से काम्पने लगा।
"ओहहहह शीला दीदी" विजय के लंड से ज़ोर से पिचकारियां निकलकर बाथरूम में नीचे गिरने लगी और वह शीला को याद करते हुए झडने लगा ।
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09-24-2019, 02:13 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय शांत होने के बाद बाथरूम में अपने कपडे उतार कर नहाने लगा । विजय नहाने के बाद बाथरुम से निकलकर नरेश की साइड में लेट गया, विजय को कुछ ही देर में नींद आ गयी ।
आज संडे था तो रेखा आज सवेरे नहीं उठी थी और उठते ही किसी को उठाया भी नहीं । वह खुद नहाने बाथरूम में चलि गई, रेखा ने नहाने के बाद कपडे पहन कर सीधा कीचन में चलि गयी और नाश्ते का इन्तज़ाम करने लगी।

रेखा को नाश्ता तैयार करते हुए अचानक दिमाग में आया वह जाकर सभी को उठा दे । जब तक सभी फ्रेश हो जाएंगे वह नाश्ता बना लेगी । रेखा ने यह सोचते हुए कीचन से निकलते हुए सीधा अपने बेटे के कमरे में आ गयी, रेखा की नज़र कमरे में दाखिल होते ही अपने बेटे और भांजे पर पडी जो दोनों सीधा होकर बेखबर सिर्फ एक अंडरवियर में सो रहे थे ।
रेखा की नज़र सीधा अपने बेटे और भांजे के अंडरवियर में बने उभारों पर पडी, रेखा अपने बेटे और भांजे के खडे लन्डों को अंडरवियर में क़ैद देखकर ही गरम होने लगी । रेखा दोनों के लन्डों को देखकर एक दुसरे से मिलाने लगी।

रेखा ने अपने भांजे का लंड तो देखा भी था और अपनी चूत में लिया भी था । मगर उसके बेटे का लंड इस वक्त उसे नरेश के लंड से थोडा बड़ा और मोटा लग रहा था। रेखा की चूत अपने बेटे के लंड को देखते हुए उत्तेजना के मारे पानी टपकाने लगी ।
रेखा सोचने लगी जब उसे अपने भान्जे से चढ़वाते हुए इतना मज़ा आया था तो अगर उसे उसका बेटा चोदेगा तो वह तो स्वर्ग की ही सैर करेगी । रेखा का हाथ यह सोचते हुए अपनी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत तक आ गया और वह अपने बेटे के लंड को देखकर अपनी चूत को सहलाने लगी।

रेखा के जिस्म की आग उसका हाथ अपनी चूत पर आते ही ख़तम होने के बजाये और ज़्यादा बढ़ने लगी ।रेखा आगे बढ़्ते हुए अपने बेटे के साइड में जाकर बैठ गई और उसके अंडरवियर के उभार को गोर से देखते हुए अपनी चूत को सहलाने लगी ।
रेखा के मन में आया की वह अपने बेटे के लंड को अपने हाथ से छु कर देखे । मगर वह ऐसा कर नहीं पा रही थी । रेखा ने आखिरकार अपने मन की बात मानते हुए अपना हाथ को आगे बढाकर अपने बेटे के अंडरवियर के ऊपर से ही विजय के लंड को पकार लिया। रेखा का पूरा जिस्म अपने बेटे के लंड पर अपना हाथ पड़ते ही ज़ोर से काम्पने लगा।
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09-24-2019, 02:13 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
रेखा ज़ोर की साँसें लेते हुए अपने हाथ को अपने बेटे के अंडरवीयर पर थोडा आगे पीछे करने लगी । रेखा का दूसरा हाथ अपने आप उसकी चूत पर चला गया, एक हाथ से अपने बेटे के लंड को महसूस करते हुए दुसरे हाथ से अपनी चूत सहलाने में रेखा को इतना मज़ा आ रहा था की वह बुहत ज़ोर से साँसें लेकर अपने हाथ को जितना हो सकता था तेज़ी के साथ अपनी चूत को सहला रही थी ।

रेखा का जिस्म कुछ ही देर में आखिरकार झटके मारने लगा।
"आआह्ह्ह्हहहहहः" रेखा सिसकते हुए झरने लगी और उसे झरते हुए इतना मज़ा आने लगा की उसके हाथ ने अपने बेटे के लंड को ज़ोर से पकड लिया । रेखा की चूत से झरते हुए बुहत सारा पानी निकलने लगा। इसीलिए वह मज़े के मारे अपनी आँखें बंद करते हुए झरने का मज़ा लेने लगी, विजय गहरी नींद में था फिर भी उसका लंड दबने से उसे थोडी तकलीफ हुई और वह घबराकर अपनी आँखें मलते हुए उठने लगा।

रेखा ने जैसे ही अपनी आँखें खोली। उसका बेटा अपनी आँखें मल रहा था।
"क्या हुआ मम्मी" विजय ने हैंरानी से अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"क्या बेटे सुबह सुबह किसका सपना देख रहे थे। जो यह ऐसे सीना तानकर खडा था" रेखा ने अपने बेटे को उठता हुआ देखकर अपने हाथ से फिर से उसके लंड को दबाकर उसकी तरफ देखते हुए कहा । नरेश अपनी माँ की बात सुनकर जल्दी से सीधा हो गया और अपनी माँ के हाथ के हटते ही अपने लंड को वहां पर पडी चादर से ढकने लगा।

"बेटा अब इसे क्यों छुपा रहे हो। मैं तुम्हारी माँ हूँ मुझे सब कुछ पता है और बचपन से मैंने तुझे नंगा देखा है" रेखा ने चादर को अपने बेटे के ऊपर से उठाते हुए कहा।
"हाँ मगर माँ बचपन और अब में फर्क है" विजय ने शरमाते हुए कहा ।
"बेटा मुझे कोई फर्क नहीं पडता । तुम तो मेरे लिए वही छोटे विजु हो। जिसे मैं बचपन में नंगा नहलाती थी, अब तुम्हारी लूली बड़ी हुयी तो क्या हुआ हो तो तुम मेरे बेटे ही" रेखा ने विजय के लंड की तरफ देखते हुए कहा।

"माँ आप आई किसलिए थी" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर अब शरमाना छोडकर कहा।
"बेटे आई तो तुम्हें उठाने थी । मगर तुम्हारे इस शैतान को देखकर में यहीं बैठ गई, सच बता सपने में किसे चोद रहा था" रेखा ने बड़ी बेशरमी से अपने बेटे से बात करते हुए कहा ।
"माँ आप क्या कह रही हैं मुझे कोई सपना नहीं आया था" विजय अपनी माँ के मुँह से ऐसी बात सुनकर हैंरान होते हुए बोला।
"बेटा मैं तुम्हारी माँ हूँ । सब जानती हूँ अगर तुम्हे कोई सपना नहीं आया था तो फिर यह ऐसा खडा होकर क्यों झटके मार रहा था" रेखा ने इस बार अपने बेटे के लंड पर एक चिकोटी लेते हुए कहा।
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09-24-2019, 02:16 PM,
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"ओहहहहह माँ सच्ची मुझे पता नहीं मगर मैं सपना नहीं देख रहा था" विजय अपनी माँ के हाथ से अपने लंड की चिकोटी लेने से हल्का चिल्लाते हुए बोला।
"लगता है तुम्हारी शादी करनी पड़ेगी। तुझे अब यह सताने लगा है, मगर जिस लड़की से तू शादी करेगा वह बुहत ख़ुशनसीब होगी" रेखा ने अपने बेटे की बात सुनने के बाद उसकी तारीफ करते हुए कहा ।
"माँ मुझ में ऐसा क्या है। जो मुझसे शादी करने वाली ख़ुशनसीब होगी" विजय ने अपनी माँ की बात सुनने के बाद हँसते हुए कहा।
"बेटा जो चीज़ तुमहारे पास है उसकी तम्मना हर औरत करती है मगर यह किसी किसी के नसीब में आती है" रेखा ने वैसे ही अपने बेटे को समझाते हुए कहा।

"माँ आप किस चीज़ की बात कर रही हो" विजय समझ चूका था की उसकी माँ उसके लंड की बात कर रही है। जिसे देखकर वह मदहोश हो गई थी मगर फिर भी वह अपनी माँ के मूह से सुनना चाहता था इसीलिए वह अन्जान बनने का नाटक करते हुए बोला।
"बेटा तुम तो बुहत बुधु हो। मैं तुम्हारे इस लंड की बात कर रही हूँ । इतना बड़ा और मोटा ख़ुशनसीब औरत को ही मिलता है" रेखा ने एक बार फिर अपने बेटे के लंड को अपने हाथ में पकडते हुए कहा।

"माँ सच में मुझे कुछ पता नहीं है । इससे औरत को क्या मिलता है" विजय को अपनी माँ के मुँह से ऐसी बाते सुनते हुए बुहत अच्छा लग रहा था । इसीलिए वह फिर से अन्जान बनने का ढ़ोंग करते हुए बोला।
"वाह री किस्मत जिसे आता है उसके पास ऐसी चीज़ नहीं और जिसके पास इतनी क़ीमती चीज़ है वही इसका इस्तमाल करना नहीं जानता" रेखा ने अपने माथे को पकडकर कहा ।
"माँ आप बताओ न मैं समझ नहीं पा रहा हू" विजय ने अपनी माँ को फिर से कहा।
"बेटे यह जो तुम्हारा लंड है इसे औरत की चूत में डालकर उसे चोदा जाता है । जिससे औरत को बुहत ज्यादा सुख मिलता है" रेखा ने फिर से अपने बेटे के लंड को पकडते हुए कहा।

"माँ मगर यह तो हर मरद के पास होता है" विजय ने फिर से अपनी माँ से कहा।
"हाँ बेटा होता तो सभी के पास है । मगर औरत को जितना बाद और मोटा लंड हो उतना ज्यादा मज़ा आता है जो हर किसी के पास नहीं होता और तुम्हारा तो बुहत ही तगडा लंड है इसीलिए कह रही थी जिसे तू एक बार चोदेगा । वह फिर से तुझसे चुदवाने के लिए भीख मांगेगी" रेखा ने अपने बेटे को एक ही बार में समझाते हुए कहा ।
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09-24-2019, 02:16 PM,
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बेटा अब देर हो रही है। तुम ऐसा करो किचन में आ जाओ मैं वहां पर तुम्हारे बाकी सवालों का जवाब दूंगी और नरेश को भी उठा लेना" रेखा यह कहते हुए वहां से उठते हुए अपनी बड़ी बेटी कंचन के कमरे में आ गयी। रेखा ने देखा की कंचन और शीला दोनों गहरी नींद में थी । रेखा ने आगे जाते हुए कंचन को अपने हाथों से झझोडते हुए उठा दिया ।
"कोन है" कंचन अपनी आँखें मलकर उठते हुए बोली,
"बेटी क्या सारा दिन सोयेगी। उठ और शीला को भी उठा देना" रेखा यह कहते हुए वहां से जाने लगी । रेखा ने अपनी छोटी बेटी और मनीषा को भी उठा दिया और आखिर में अपने ससुर के कमरे में आ गयी।

"बाबूजी उठो बुहत देर हो गई है" रेखा ने अपने ससुर को उठाते हुए कहा।
"हाँ बेटी तुम। मुझे बुखार है मुझसे उठा नहीं जा रहा है" अनिल ने अपनी बहु की तरफ आघी आँखें खोलकर देखते हुए कहा।
"क्या हुआ बाबूजी आपने कोई दवाई ली है" रेखा ने परेशान होते हुए कहा ।
"बेटी तुम चिंता मत करो हल्का बुखार है । मैंने गोलियां खा ली है" अनिल ने अपनी बहु को परेशान होते हुए देखकर कहा।
"ठीक है बाबूजी मैं आपका नाशता यहीं लाती हूँ" रेखा ने अपने ससुर से कहा।
"नही बेटी तुम नाश्ता कर लो । मेरा मन नहीं है अभी" अनिल ने अपनी बहु से कहा।
"ठीक है बाबुजी आप आराम कर लो" यह कहते हुए रेखा अपने ससुर के कमरे से निकलकर किचन की तरफ जाने लगी।

रेखा जैसे ही किचन में दाखिल हुई उसने देखा की उसका बेटा पहले से वहां मौजूद था।
"बेते तुम कुर्सी ले आओ और यहां पर बैठ जाओ" रेखा ने अपने बेटे को देखकर मन ही मन में हँसते हुए कहा।

विजय बाहर जाकर एक कुर्सी ले आया और किचन में आकर बैठ गया।
"बेटे बुहत जल्दी आ गया" रेखा ने किचन में काम करते हुए कहा।
"माँ आपसे बुहत कुछ जानना है इसीलिए आया हूँ" विजय ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"बेटे जो पूछ्ना है जल्दी पूछो" रेखा ने अपने बेटे की बात को सुनकर कहा ।
"माँ आप कह रही थी की इसे औरत की चूत में ड़ाला जाता है तो औरत को बुहत मजा आता है यह मुझे समझ में नहीं आया" विजय ने अपनी माँ को देखते हुए कहा।
"क्यों बेटे इस में समझने की क्या बात है" रेखा ने हैंरान होते हुए कहा।

"माँ मैंने एक दफ़ा एक फिल्म में देखा था । जब एक गोरा एक गोरी लड़की की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था तो वह बुहत ज़ोर से चिल्ला रही थी। अगर औरत को मजा आता है तो वह चिल्ला क्यों रही थी" विजय ने अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए अपनी माँ से कहा।
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09-24-2019, 02:16 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
बेटा फिल्मों में यह लड़कियां मरद को उत्तेजिन करने के लिए चिल्लाती हैं। वैसे औरत को जो सुख चुदाई से मिलता है वह शायद उसे दुनिया की किसी चीज़ में नही मिलता" रेखा ने अपने बेटे को समझाते हुए कहा।

"माँ एक और बात आप ने कहा मेरा लंड बड़ा और मोटा है और मैं जिस लड़की को इससे चोदुँगा वह मेरी गुलाम बन जायेगी। क्या औरत को सिर्फ बड़े और मोटे लंड से ही मजा आता है" विजय ने भोला बनने का नाटक करते हुए अपनी माँ से कहा ।
"बेटा मजा तो औरत को हर लंड से आता है मगर तुम्हारे जैसे लंड मिल जाए तो औरत की प्यास पूरी तरह बूझ जाती है" रेखा ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा।
"माँ क्या बापू का लंड भी मेरी तरह लम्बा और मोटा है" विजय ने फिर से अपनी माँ से पूछा।

"बेटे मैंने कहा न हर औरत के नसीब में इतना भाग्य नहीं होता" रेखा ने मायूस होते हुए कहा।
"माँ क्या बापू का लंड छोटा है" विजय ने फिर से अपनी माँ से कहा।
"बेटा तुम्हारे बापू का लंड छोटा भी है और अब तो कमज़ोर भी हो गया है । इसीलिए वह मेरी प्यास नहीं बूझ पाते" रेखा ने वैसे ही मायूसी से कहा ।
"माँ आप इतनी मायूस मत हो। मैं हूँ ना" विजय के मूह से अपनी माँ को दिलासा देते हुए निकल गया।
"बेटे मैं जानती हूँ तुम मुझे दुखि नहीं देख सकते। मगर जो सुख मुझे चाहिए वह मैं अपने पति से नहीं ले पा रही हूँ और तुम मेरे बेटे हो" रेखा ने विजय की बात सुनकर अपनी आँखों से आंसू बहाते हुए कहा।

"माँ आप रो मत मैं आपको रोता हुआ नहीं देख सकता" विजय ने अपनी माँ को रोता हुआ देखकर जज़्बाती होते हुए कहा और कुर्सी से उठते हुए अपनी माँ के पास जाते हुए अपने हाथ से उसके बहते हुए आंसूं को पोंछने लगा।
"बेटे यह तो सब भाग्य का लिखा है तुम और मैं इसे नहीं बदल सकते हैं । मेरे नसीब में यह सुख शायद लिखा ही नहीं था" रेखा ने अपने बेटे को अपने पास खडा देखकर उसके गले लगते हुए कहा ।
"माँ मैं आपको दुखी नहीं देख सकता। मैं हूँ न आपको खुश रखने के लिये" विजय ने फिर से जज़्बाती होते हुए कहा।
"ओहहहह बेटे में जानती हूँ । तुम मुझसे प्यार करते हो मगर तुम मेरे सगे बेटे हो । इसीलिए तुमसे मैं वह सुख नहीं ले सकती जिसकी मुझे ज़रुरत है" रेखा ने अपने बेटे के काँधे पर अपना सर रखकर फिर से रोते हुए कहा।
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09-24-2019, 02:16 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
माँ में कुछ नहीं जानता। बस मैं आपको खुश देखना चाहता हूँ" विजय ने अपनी रोती हुई माँ के सर में हाथ डालकर उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
"बेटे मगर यह ज़माना क्या कहेंगा" रेखा इतना कहकर रुक गई।
"माँ जब मुझे कोई ऐतराज़ नहीं और आप भी राज़ी हो तो क्यों आप अपने आप को ज़माने की खातिर तडपा रही हो और वैसे भी हम किसी को नहीं बताएँगे अपने बारे में" विजय ने अपने हाथ को अपनी माँ के बालों से हटाकर उसकी पीठ को सहलाते हुए कहा ।

"आआह्ह्ह्ह बेटे सच बताना क्या मैं तुम्हें अच्छी लगती हू" रेखा ने भी अब रोना बंद करके अपने हाथों को अपने बेटे की पीठ को पकडते हुए अपनी चुचियों को उसके सीने से सटाते हुए कहा।
"माँ क्या कहा। आप तो मुझे दुनिया की सब से ख़ूबसूरत औरत दिखती हो" विजय ने भी अपनी माँ को ज़ोर से अपने सीने में दबाकर सिसकते हुए कहा।
"बेटे फिर आज तक तुमने मुझसे कहा क्यों नही" रेखा ने भी अपने बेटे के जवान सीने में अपनी चुचियों के दबने से मज़ा लेते हुए कहा।
"माँ मैं क्या कहता मुझे तो डर लगता था की कहीं आप बुरा न मान जाए" विजय ने अपनी माँ के पीठ से अपने हाथ को आगे ले आते हुए उसके गोरे पेट को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा।
"ओहहहह बेटे क्या कर रहे हो गुदगुदी हो रही है" रेखा ने अपने बेटे का हाथ अपने पेट पर लगते ही सिहरते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह माँ आपका जिस्म कितना चिकना और नरम है मुझे इसे महसूस करने दो ना" विजय ने सिसकते हुए कहा और अपने हाथ को अपनी माँ के चिकने पेट पर फिराते हुए ऊपर ले जाते हुए कहा।
"ओहहहहह बेटे मुझे कुछ हो रहा है । अपना हाथ कहाँ ले जा रहे हो" रेखा ने अपने बेटे के हाथ को अपनी चूचि की तरफ जाता हुआ देखकर सिसकते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह माँ मुझे भी कुछ हो रहा है। मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा हू" विजय अपने हाथ को अपनी माँ के ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को पकडते हुए कहा ।

"आह्ह्ह्ह बेटा क्या कर रहे हो कोई आ जायेगा" रेखा ने अपने बेटे के हाथ को अपने ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी चूचि पर पड़ने से सिसकते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह माँ आपकी चूची कितनी बड़ी और नरम है" विजय ने अपनी माँ की चुचियों को उसके ब्लाउज के ऊपर से सहलाते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह बेटा इस वक्त कोई भी आ सकता है तुम कुर्सी पर जाकर बैठ जाओ" रेखा ने यह कहते हुए विजय को अपने आप से दूर कर दिया और खुद नाश्ता बनाने का इन्तज़ाम करने लगी ।
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