Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
09-26-2019, 01:24 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
कोमल- भइया आज तो आपने इतनी बेदर्दी से मेरी चुदाई की की मैं बता नहीं सकती।आपको अपनी नई नवेली बीबी पर थोड़ी भी दया नहीं आई।

विजय-अरे मेरी जान सुहागरात को हर लड़की को दर्द सहना पड़ता है।अगर उस दिन सभी लड़के रहम करने लगे तो हो चुकी सुहागरात।


कोमल-अच्छा भाई अब थोड़ी देर दीदी के साथ मजा करो.. मैं बाद में आऊंगी। वैसे भी मैं एक बार अपनी कुँवारी गांड चुदवा चुकी हूँ.. दीदी का आज फर्स्ट-टाइम है।
विजय- तब तक तुम क्या करोगी?
कोमल- लाइव शो का मजा लूँगी.. इतना सेंटी क्यों हो रहे हो.. इसके बाद मैं भी आने वाली हूँ।

विजय- ओके मेरी जान.. लव यू।
कोमल- ओके भाई.. एंजाय करो।

अब कोमल सामने सोफे पर बैठ गई और कंचन दूध का गिलास लेकर विजय के पास आई। विजय ने थोड़ा दूध पिया और थोड़ा उसको भी पिलाया।

फिर विजय ने कंचन को गोद में उठा लिया और बोला-दीदी मुझे तुम्हारे ये वाले दूध पीना है।


विजय कंचन की चोली के ऊपर की खुली जगह पर किस करने लगा.. तो उसके गहने उसे दिक्कत करने लगे। तब विजय ने उसको बिस्तर के पास बैठाया और एक-एक करके उसके सारे गहने उतार दिए।

फिर गर्दन और चूचियों के बीच की जगह पर किस करने लगा.. साथ ही विजय कंचन की कमर को भी सहलाए जा रहा था।

कंचन विजय को पकड़े हुए थी और विजय चोली के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूस रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद विजय उसके पीछे गया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा और आगे हाथ बढ़ा कर उसकी मस्त चूचियों को भी दबाने लगा।

उसकी गर्दन पर किस करते-करते विजय नीचे को बढ़ने लगा और उसकी नंगी पीठ पर किस करने लगा.. साथ ही विजय उसकी चूचियों को भी दबाता रहा।

कुछ देर किस करने के बाद उसकी चोली की कपड़े की चौड़ी पट्टी को अपने दांतों के बीच दबा कर खींच दिया.. चोली एकदम से खुल गई। विजय चोली को हटा दिया और अब वो ऊपर सिर्फ़ रेड ब्रा में थी.. जो पीछे एक पतली सी डोर से बन्धी हुई थी। जिसकी वजह से नीचे से उसकी आधी चूचियों को ऊपर की तरफ़ उठी हुई थीं।
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09-26-2019, 01:24 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
वैसे भी कंचन की चूचियाँ विजय की जिन्दगी की अब तक की सबसे बेस्ट चूचियाँ थीं। एकदम गोल बॉल की तरह.. और दूध की तरह गोरी चूचियां.. एकदम टाइट.. अगर ब्रा नहीं भी पहने.. तब भी एकदम सामने को तनी रहें.. झूलने की कोई गुंजाइश नहीं।

विजय उसकी अधखुली चूचियों को ही चूमने लगा।
कुछ देर किस करने के बाद विजय उसकी ब्रा के अन्दर उंगली डाल कर निप्पल को ढूँढने लगा।
वैसे ढूँढने की ज़रूरत नहीं थी.. निप्पल खुद इतना कड़क था.. जो कि दूर से ही ब्रा के ऊपर दिख रहा था।

विजय उसके निप्पल को पकड़ कर ब्रा से बाहर निकाल लिया। गुलाबी निप्पल को देख कर लग रहा था कि वो बाहर निकलने का इंतज़ार ही कर रहा था.. मानो बुला रहा हो कि आओ और चूसो मुझे..

विजय कौन सा पीछे रहने वाला था वह भी टूट पड़ा उस पर..विजय उसके एक निप्पल को मसलने लगा और दूसरे को होंठ के बीच दबाने और चूसने लगा।

कुछ देर बाद विजय ने अधखुली चूचियों के ऊपर चिपकी ब्रा भी खोल दिया.. जैसे ही ब्रा को खोला.. उसकी दोनों चूचियाँ छलकते हुए बाहर आ गईं।

विजय के अनुसार कंचन की चूचियाँ उसके चुदाई किये हुए लड़कियों में अब तक की सबसे बेहतरीन चूचियाँ हैं.. तो जैसे ही उसकी मदमस्त चूचियाँ उछलते हुए बाहर आईं.. विजय उन चूचियों पर टूट पड़ा।
विजय उसकी मस्त चूचियों को चूसने और मसलने लगा और पूरी चूचियों को मुँह में लेने की कोशिश करने लगा। वो इतनी बड़ी गेदें थीं.. जिनके साथ खेल तो सकते थे.. लेकिन खा नहीं सकते थे। विजय बस उसकी बड़ी बड़ी चूचियों से दूध निकलने की कोशिश करते रहा। वो भी चूचियों को चुसवाने के मज़े ले रही थीं।

अब तो कंचन ऊपर से पूरी नंगी थी.. एक तो गोरा बदन और दूधिया रोशनी में कयामत लग रही थी। विजय उसके पूरे बदन को चूमता-चाटता रहा।
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09-26-2019, 01:24 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
अब दोनों एक-दूसरे के बदन पर किस करने लगे और एक-दूसरे को जकड़ कर पकड़े हुए थे। अब विजय अपनी दीदी के चूतड़ों को लहंगे के ऊपर से ही मसलने लगा और वो विजय के लंड को सहलाने लगी।

विजय का लंड तो पहले से ही खड़ा था ही.. और उसके पकड़ने के बाद तो और टाइट हो गया.. उसका लौड़ा बिल्कुल लोहे की तरह सख्त हो गया था।

कंचन विजय के लंड को मसलने लगी और वो विजय के पेट पर किस करते हुए नीचे की तरफ़ बढ़ रही थी।
वो विजय के खड़े लंड के आस-पास किस करने लगी।विजय ने तो आज की सुहागरात की तैयारी में पहले से ही झांटों का जंगल साफ़ कर रखा था।

वो अपने मुलायम होंठ से विजय के लंड पर किस करने लगी.. और कुछ देर में लंड के ऊपर वाले भाग को चाटने लगी। वो विजय के लंड को पूरा अन्दर लेने की कोशिश करने लगी, कुछ ही देर के बाद विजय का पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
आज पहली बार विजय को महसूस हो रहा था कि कंचन दिल से लंड चूस रही है.. क्योंकि वह बता नहीं सकता.. कितना मज़ा आ रहा था।

कंचन विजय का लंड चूस रही थी और विजय उसके सिर को सहला रहा था। वो विजय के लंड को मसल-मसल कर चूस रही थी.. जैसे किसी पोर्न मूवी में लंड चूसते हैं। विजय तो अन्दर तक हिल गया था.. उसने विजय के लंड चूस कर ही आधा मज़ा दे दिया था।

कंचन विजय का लौड़ा तब तक चूसती रही.. जब तक वह झड़ नहीं गया।

विजय के झड़ने के बाद कंचन उसका सारा माल पी गई और विजय के लंड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया, फ़िर उसके बगल में लेट गई और विजय के बदन पर उंगली फिराने लगी।
विजय उठा और कंचन के लहँगे को घुटनों तक उठा दिया और उसके पैरों को चूमने लगा।

उसके एकदम चिकने पैरों को चूमते-चूमते विजय ऊपर को बढ़ने लगा और अपने सिर को उसके लहँगे के अन्दर घुसेड़ दिया। अब विजय कंचन के मखमली जाँघों को चूमने लगा। कुछ देर तक ऐसा करने के बाद उसके हाथ कंचन की पैन्टी पर गए.. जो गीली हो चुकी थी। विजय से अब बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हुआ और वह उसकी भीगी पैन्टी को चाटने लगा।
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09-26-2019, 01:24 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय को नमकीन सा स्वाद लग रहा था.. और कुछ देर यूं ही पैन्टी के ऊपर से चाटने के बाद मुँह से ही पैन्टी को साइड कर दिया और उसकी गुलाबी चूत को जीभ से चाटने लगा।
कंचन ने भी आज ही चूत को साफ़ किया था.. एक भी बाल नहीं था और ऊपर से इतनी मखमल सी मुलायम चूत.. आह्ह.. मजा आ गया।

आप सोच सकते हो विजय को उसकी चूत को चाटने में कितना मजा आ रहा होगा। लेकिन उसकी पैन्टी बार-बार बीच में आ जा रही थी.. तो विजय ने अपनी बहन या बीबी की पैन्टी को उतार दिया।

अब नंगी चूत देख कर विजय उसको किस करने लगा और अपनी पूरी जीभ चूत के अन्दर डाल कर चूसने लगा। विजय की पूरी जीभ चूत के बहुत अन्दर तक चली जा रही थी.. कंचन भी मस्त हो कर अपनी चूत को उठा रही थी।

कुछ देर ऐसा चला.. फिर विजय ने उंगली से चूत की फांकों को अलग किया और जीभ को और अन्दर तक ले गया।
कंचन की ‘आह्ह..’ निकल गई.. विजय ने पूरी मस्ती से जीभ को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।

कंचन के मुँह से सिसकारी निकल रही थी। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और उसने अपनी जांघों से विजय के सिर को दबा लिया.. तभी अचानक उसकी चूत ने एक जोरदार पानी की धार छोड़ दी.. जिससे विजय का पूरा चेहरा भीग गया।अब कंचन झटके ले-ले कर पानी छोड़ती रही और फिर निढाल हो कर लेट गई।

कुछ देर बाद विजय ने भी उसको छोड़ दिया करीब 5 मिनट के बाद विजय फिर से हरकत में आ गया और उसकी नाभि पर उंगली घुमाने लगा.. तो कंचन खुद विजय के ऊपर लेट गई और ‘लिप किस’ करने लगी।

कुछ देर ‘लिप किस’ करने के बाद दोनों एक-दूसरे के बदन पर किस करने लगे और एक-दूसरे को चूसने लगे। विजय ने कुछ देर ऐसा करने के बाद उसके लहँगे के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके भरे हुए चूतड़ों को दबाने लगा।

कुछ देर दबाने के बाद विजय ने कंचन के लहँगे को नीचे कर दिया और उसके चूतड़ों को क़ैद से आज़ाद करवा दिया।
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09-26-2019, 01:25 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
कंचन ने भी चुदास से भरते हुए अपने लहँगे को पूरा बाहर ही कर दिया और अब वो भी पूरी नंगी हो गई.. विजय तो पहले से ही नंगा था।

अब दोनों ही नंगे हो चुके थे और कंचन विजय के ऊपर लेटी हुई थी.. सो विजय का लंड उसकी चूत से सटा हुआ था.. और लंड खुद ही अपना रास्ता ढूँढ रहा था।
विजय का कड़क लौड़ा उसकी चूत के दरवाजे को खटख़टा रहा था।

विजय अभी सोच ही रहा था कि तभी कंचन ने विजय के लंड को पकड़ कर चूत का रास्ता दिखा दिया, लंड ने भी जरा सी मदद मिलते ही अपना रास्ता ढूँढ लिया.. और विजय का लंड सीधा आधा भाग कंचन की रसीली चूत के अन्दर घुसता चला गया।

उसके मुँह से ‘आह्ह.. उई.. माँ..’ की आवाज़ आई।

विजय कंचन के चूतड़ सहलाने लगा और चूचियों को मुँह में लेकर एक जोरदार झटका मारा और पूरा लौड़ा उसकी बहन की चूत के अन्दर घुसता चला गया।

कंचन की ‘ऊऊहह आहूऊऊहह..’ की तेज आवाज़ आने लगी.. तो विजय रुक गया और कुछ देर चूचियों को दबाता रहा.. चूमा.. फिर से लण्ड के झटके मारने लगा।

अब कंचन भी दर्द नहीं हो रहा था.. बल्कि कुछ ही देर में उसको भी मजा ही आने लगा था।

क्योंकि वो इसी लंड से पिछले कई दिनों से चुद रही थी.. सो ये दर्द कम और मजा ज्यादा दे रही थी और पिछले कुछ दिनों में विजय को भी पता लग गया था कि इस चूत को कैसे चोदना है।

खैर.. विजय झटके मार रहा था और उसके मुँह से सीत्कार निकल रही थी। इतनी मादक सीत्कार थी.. जिसको सुन कर कोई भी पागल हो जाए। विजय तो इस सीत्कार का दीवाना था ही।

कुछ देर ये सब चलता रहा.. फिर विजय ने उसको गोद में उठा लिया और उसकी रसीली चूत में ‘घपाघप..’धक्के मारकर पेलने लगा।

अपने लंड से कुछ देर ऐसा करने के बाद विजय उसको पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया.. जिसमें वो कमर से ऊपर बिस्तर पर थी.. और उसके चूतड़ और पैर नीचे थे।
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09-26-2019, 01:25 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय भी बिस्तर के नीचे ही खड़ा रहा। अब विजय उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और उसके एक पैर को अपने कंधों पर उठा लिया.. जिससे उसकी चूत विजय के सामने खुल उठी थी।

फिर विजय ने उसकी चूत में लंड पेल दिया और झटके मारने लगा। अब विजय के इन झटकों से उसका पूरा जिस्म हिल रहा था।

सबसे ज्यादा मजा कंचन के अमृत फलों को चूसने में आ रहा था.. खास करके निप्पलों को चबाने में.. मानो वे खुद ही चूसने को बुला रहे हों। उसकी हिलती हुई चूचियाँ तो ऐसे लग रही थीं.. जैसे पानी में कोई दो बड़े से नारियल तैर रहे हों।

जब विजय झटका मारता था.. तो चूचियाँ उसके सिर की तरफ़ को उछलती थीं और फिर से नीचे की तरफ़ को आ जाती थीं। नीचे से उसकी चूत में विजय का लंड तो अपना काम कर ही रहा था.. लेकिन जब भी विजय झटके मारता.. उसके पैर भी कंचन के मुलायम और गुदाज चूतड़ों को छू कर मज़े लेने लगते थे।

कुछ देर इसी तरह चोदने के बाद विजय ने उसको बिस्तर से उतार कर पूरा खड़ा कर दिया। अब विजय कंचन पीछे से चूमने लगा.. पहले चूतड़ों को चुम्बन करने लगा और दबाने लगा। फिर उसके एक पैर को बिस्तर पर रख दिया और अपने लंड के सुपारे को फिर से कंचन की गीली चूत के मुँह पर लगाया और अन्दर तक पेल दिया।

अब तो विजय का लंड बड़ी आसानी से अन्दर चला गया.. बिना किसी परेशानी के.. और विजय भी उसकी चूचियों को पकड़ कर हचक कर अपना लौड़ा पेलने लगा.. साथ ही लौड़ा अन्दर ठेलते समय विजय उसकी चूचियों को भी जोर से भींचने लगा।

पूरे कमरे में फिर से एक बार मादक सीत्कारें गूँजने लगीं। कुछ देर दोनों ऐसे ही चुदाई का खेल करते रहे.. फिर कंचन दीवार से सटा कर विजय उसकी चूत का मजा लेने लगा।

कुछ देर चूत का मजा लेते-लेते कंचन का शरीर अकड़ने लगा और विजय से एकदम से चिपक गई।
विजय समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है.. सो विजय ने अपना लंड निकाल कर उसको अपने से चिपकाए रखा.. और वो झड़ने लगी और विजय ने उसको नंगा ही उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।

तब तक कोमल भी चूत में उंगली करके खुद को झाड़ चुकी थी। फिर कुछ देर बाद विजय उनके पास गया और बोला।
Reply
09-26-2019, 01:25 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
मेरा लंड पहले कौन चुसेगा,

उसकी बात सुनते ही दोनो उठ कर खड़ी हो जाती है और फिर विजय जब अपने लंड को दिखता है तो कंचन और कोमल दोनो उसके लंड के गुलाबी टोपे को अपनी जीभ से सहलाने लगती है और विजय मस्ती मे आकर दोनो को चूम लेता है

कंचन और कोमल दोनो बेड के नीचे घुटनो के बल बैठ कर विजय के लंड को कभी कंचन अपने मुँह मे भर लेती है और जब वह बाहर निकालती है तो कोमल उसे अपने मुँह मे भर लेती है, दोनो पागल कुतिया की तरह
विजय के मोटे लंड को झपट-झपट कर चूसने लगती है और विजय अपने दोनो हाथो मे उन दोनो के कसे हुए दूध को दबोचने लगता है।

दोनो बहनों के दूध खूब कसे हुए और सख़्त थे जिन्हे मसलने मे विजय को बड़ा मज़ा आ रहा था, विजय कभी कंचन की चुचि और कभी कोमल की चुचि को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगा था।

कुछ देर बाद विजय दोनो को बेड के ऊपर ले जाकर पहले कंचन को बेड पर पीठ के बल लेटा देता है और फिर कोमल को भी कंचन के उपर उल्टा सुला देता है।

अब विजय के सामने नीचे उसकी बड़ी बहन की खुली हुई गुलाबी चूत और उसके उपर छोटी बहन कोमल की मस्तानी गान्ड और चूत नज़र आ जाती है और विजय अपनी लंबी जीभ निकाल कर दोनो की चूत और गान्ड को पागलो की तरह खूब ज़ोर-ज़ोर से चाटने और चूसने लगता है, दोनो बहनें एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे के होंठो को चूसने लगती है।

कंचन- हाय भैया ऐसे ही चाटो।
कोमल तेरी जीभ का स्वाद तो बड़ा रसीला है।

कोमल- आह दीदी तो दीदी मेरी जीभ को अपने मुँह मे भर कर चूसो ना जब नीचे से विजय भैया मेरी चूत चूस्ते है और उपर से तुम मेरी जीभ चुस्ती हो तो बड़ा मज़ा आता है आह आह ओह मा मर गई रे।

विजय लगातार दोनो की चूत और गान्ड का छेद फैला-फैला कर अपनी जीभ से खूब कस-कस कर चूस रहा था और दोनो लोंड़िया एक दूसरे से पूरी तरह चिपकी हुई एक दूसरे की जीभ चूस रही थी।

तभी विजय ने पास मे रखा तेल अपने लंड पर लगा कर अपने लंड के सूपाड़े को कोमल की चूत मे लगा कर एक कस कर धक्का मार दिया और विजय का लंड खच की आवाज़ के साथ कोमल की चूत को फाड़ता हुआ अंदर समा गया और कोमल के मुँह से ओह मा मर गई रे जैसे शब्द निकलने लगे।
Reply
09-26-2019, 01:25 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय ने देर ना करते हुए दोनो लोंडियो को कस कर थामते हुए दूसरा झटका इस कदर मारा कि उसका मोटा लंड कोमल की चूत मे पूरा फिट हो गया और कोमल ने कस कर अपनी दीदी को जकड़ लिया।


कंचन सबसे नीचे लेटी थी और कोमल उसके उपर पेट के बल लेटी थी और उसकी मोटी गान्ड के उपर चढ़ कर विजय अपने लंड को उसकी गुलाबी चूत मे पेल रहा था जब कोमल की चूत मे कुछ चिकनाहट हो गई तब विजय ने अपने लंड को निकाल कर सीधे अपनी बड़ी बहन कंचन की गुलाबी चूत मे पेल दिया और कंचन की चूत मे जैसे ही उसके भाई का लंड घुसा कंचन ने कस कर कोमल को अपनी बाँहो मे जकड़ लिया और उसे चूमने लगी।

विजय अब कस-कस कर कंचन की चूत मारने लगा जब कंचन की चूत मे भी पानी की चिकनाहट आ गई तब विजय ने अपने लंड को निकाल कर फिर से कोमल की चूत मे पेल दिया, और कोमल को खूब कस-कस कर ठोकने लगा, अब कभी विजय अपने लंड को कोमल की चूत मे और कभी कंचन की चूत मे पेलने लगा वह बीच-बीच मे दोनो की कसी हुई चुचियो को भी दबोचते हुए उन्हे पेल रहा था।

अप कंचन की चूत इतना पानी छोड़ रही थी की उसकी चूत से पानी धीरे-धीरे उसकी गांड की तरफ जा रहा था। विजय का लंड कंचन की गांड के छेद को देख कर और ज्यादा अकडने लगा। विजय का लंड भी पूरी तरह से चूत की पानी में भीगा हुआ था इसीलिए विजय ने अपने लंड को कंचन की गांड के छेद पर रखा और एक जोर का झटका मार दिया ।


कंचन दर्द से चिल्लाने लगी लेकिन तब तक विजय ने अपना पूरा लंड कंचन की गांड में पेल दिया था। कुछ देर तक कंचन की गांड मारने के बाद विजय ने फिर से अपना लंड अपनी छोटी बहन कोमल की चूत में पेल दिया । कुछ देर तक कोमल की चूत मारने के बाद विजय ने अपना लंड कोमल की चूत के पानी से भीगे हुए लंड को निकाल कर कोमल की गाँड के भूरे छेद में लगाया । लेकिन कोमल मना करने लगी लेकिन विजय नहीं माना और उसने अपने लंड को कोमल की गांड में पेल दिया पहले तो कोमल को बहुत दर्द हुआ लेकिन कुछ देर के बाद ही उसे भी मजा आने लगा और वह भी अपने गांड उठाकर अपने भाई का लंड लेने लगी ।

अब विजय के लंड के पास चार होल थे । वह बारी बारी से कभी कंचन की चूत और गांड में तो कभी कोमल की चूत और गांड में पेलने लगा ।विजय को बहुत मजा आ रहा था।


विजय ने दोनो लोंडियो की चूत और गाँड मार-मार कर लाल कर दी और उसकी रफ़्तार बहुत तेज हो चुकी थी वह जब कंचन की चूत मे लंड डालता तो खूब कस-कस कर चोदना शुरू कर देता और फिर जब कोमल की चूत मे लंड डालता तब वह कोमल की गान्ड के उपर पूरी तरह लेट कर उसकी चूत चोदने लगता था।

लगभग आधे घंटे तक विजय कभी इसकी कभी उसकी चूत और गांड मार-मार कर दोनो लोंडियो को मस्त कर चुका था, कोमल और कंचन दोनो का पानी लगभग दो-दो बार छूट चुका था और अब उनकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी।

कोमल- विजय भैया अब उठ जाओ बहुत दर्द हो रहा है।

कंचन- हाँ भाई अब देर से चोद लेना । आज तुमने बहुत जोरदार चुदाई की है पूरा बदन दर्द कर रहा है,

विजय- पर मेरा पानी तो अभी तक निकला ही नही।

कंचन- भाई तुम्हारा पानी हम दोनो तुम्हारे लंड को एक साथ चाट-चाट कर निकाल देते है।
Reply
09-26-2019, 01:25 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
विजय- अच्छा ठीक है मैं भी चोद-चोद के थक गया हू तुम दोनो मेरे लंड को खूब ज़ोर-ज़ोर से चूस कर इसका सारा पानी चाट लो, और फिर कंचन और कोमल दोनो ने विजय के मोटे लंड को चाटना शुरू कर दिया उन दोनो की रसीली जीभ के स्पर्श से विजय का लंड और मोटा होकर तन गया और उसके लंड की नसे उभर कर नज़र आने लगी।

दोनो लोंडियो ने विजय के लंड को खूब दबा-दबा कर चूसना शुरू कर दिया और फिर एक दम से विजय ने पानी छोड दिया और कंचन और कोमल पागल कुतिया की तरह उसके लंड का पानी चाटने लगी, विजय के लंड ने जितना पानी छोड़ा कंचन और कोमल पूरा चाट गई और फिर तीनो मस्त होकर वही लेट गये।


तीनों नंगे ही एक ही बिस्तर पर सो गए। विजय बीच में लेटा था और उसकी दोनों बहनें सॉरी दोनों बीबियाँ दोनों तरफ सोई थीं।

अब हमारी कहानी के तीनों परिवार जो एक दूसरे से जुड़े हुए है।पूरी हंसी ख़ुशी अपनी ज़िन्दगी बिता रहे है और सेक्स का भरपूर आनंद उठा रहे है।




समाप्त
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10-29-2019, 09:45 PM,
RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
(09-24-2019, 02:17 PM)sexstories Wrote: "माँ मैं कुछ गलत नहीं करूँगा। मगर कम से कम एक बार मुझे अपने प्यार का जिस्म देखने का तो हक़ है" विजय ने अपनी आखरी कोशिश करते हुए कहा।
"बेटे अब मैं तुझे कैसे समझाऊँ मैं मजबूर हू" रेखा ने अपना कन्धा नीचे करते हुए कहा।
"माँ मैं समझ गया की आप अब तक मेरे प्यार को समझी ही नहीं है" विजय ने कुर्सी से उठते हुए कहा ।

विजय कुर्सी से उठते हुए जाने लगा।
"बेटे कहाँ जा रहे हो" रेखा ने अपने बेटे को जाता हुआ देखकर कहा।
"माँ मैं आज के बाद आप से कभी बात नहीं करूंगा" विजय यह कहकर वहां से जाने लगा।
"बेटे ज़रा इधर तो देख तेरी माँ तुम्हारे प्यार की खातिर हार मान गई" रेखा ने विजय को जाता हुआ देखकर कहा ।

विजय ने जैसे ही अपना मूह घुमा कर अपनी माँ को देखा । वह हैंरान रह गया उसकी माँ अपनी साड़ी उतारकर सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट में खड़ी थी और वह अपनी बाहों को अपने बेटे को अपने गले लगाने के लिए खोले हुए थी और उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे । विजय अपनी माँ को इस हालत में देखकर भागता हुआ उसके पास जाकर उसके गले लग गया।

"माँ आप रो क्यों रही हो आई लव यू" विजय ने अपनी माँ को अपनी बाहों में भरते हुए उसके गालों पर अपने होंठो को रखकर उसके निकलते हुए आंसू को पीते हुए कहा।
"बेटा मैं कितनी खुशनसीब हूँ । मुझे तुम्हारे जैसे प्यार करने वाला बेटा मिला" रेखा ने वैसे ही अपने बेटे की बाहों में रोते हुए कहा ।
ऐसे सब की बहन बाट रही है। और अपनी बहन बैगन से चुदा रही है
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