Hot stories घर का बिजनिस
06-23-2017, 10:32 AM,
#21
RE: Hot stories घर का बिजनिस
मैं पायल की बात मान गया और वहाँ रखी एक चेयर पे बैठ गया और उन दोनों के लिए शराब बनाने लगा। शराब का एक और पेग लगाने के बाद समीर फिर से पायल के साथ लिपट गया और किस करने लगा और उसकी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।

ये नजारा देखकर मेरा लण्ड जो कि पहले से ही खड़ा था मेरी शलवार को फाड़कर बाहर निकलने के लिए बेचैन होने लगा। कुछ देर की चूमा चाटी के बाद समीर बेड पे लेट गया और पायल को बोला- “चल साली चूस मेरे लौड़े को…” और पायल को पकड़कर उसका सर अपने लण्ड की तरफ दबा दिया।

मेरी बहन ने एक बार आँखें उठाकर मेरी तरफ देखा और हल्का सा मुश्कुरा उठी और समीर के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी और साथ ही उसकी गोलियों को अपने हाथों से सहलाने लगी। कुछ देर तक समीर पायल के सर के बालों में हाथ फेरता रहा और- “आअह्ह… हाँ… साली उन्म्मह… मजा आ गया…” की आवाज करता रहा।

फिर उसने पायल के मुँह से अपना लण्ड निकाल लिया और पायल को झटके से बेड पे गिरा दिया और मेरी बहन की टाँगों को उठा लिया और उसकी फुद्दी के साथ अपना लण्ड लगाते हुये झटका दिया और पूरा लण्ड मेरे सामने मेरी बहन की फुद्दी में घुसा दिया। समीर का लण्ड भी मेरे लण्ड जितना ही बड़ा और मोटा था जिससे पायल पूरी तरह मजा ले रही थी और- आऐ… उन्म्मह… भाई ऊओ देखो कितना मजा आ रहा है?

मैं अब पूरे मजे से अपनी छोटी बहन को समीर से चुदवाते हुये देख रहा था जो कि समीर के हर झटके के साथ ही आअह्ह… उन्म्मह… और तेज़्ज़ करो… ऊओ… हाँ… अब ठीक है…” की आवाजें कर रही थी और अपनी गाण्ड को समीर के लण्ड की तरफ उछाल रही थी।

अब पायल बुरी तरह समीर से लिपट गई थी और अपनी आँखें बंद किए मजे से चुदवा रही थी और मेरा गला सूख चुका था। अपनी बहन को इस तरह चुदवाते हुये देखकर अचानक मेरे दिल में आया कि क्यों ना एक पेग शराब का ही और लगा लूँ और वहाँ से शराब की तरफ मुड़ा तो मेरी नजर ऋतु पे पड़ी जो कि दरवाजा में खड़ी आँखें फाड़े पायल को इस तरह चुदवाते हुये देख रही थी।

जैसे ही मेरी नजर ऋतु की तरफ गई तो उसने भी इस तरह मुझे अपनी तरफ देखते हुये देख लिया और वो सटपटा गई और वहाँ से भाग गई।

एक बार तो दिल में आया कि मुझे ऋतु के पास जाना चाहिए लेकिन फिर ये सोचकर कि चलो आखिर उसने भी तो एक दिन इसी तरह चुदवाना ही है ना… कोई बात नहीं और वहाँ ही बैठा रहा और पायल की चुदाई देखने लगा। कुछ देर के बाद पायल और समीर फारिग़ हो गये।

तो पायल उठी और बाथरूम में घुस गई तो समीर ने मेरी तरफ देखा और बोला- “यार तेरी बहन है बड़ी गरम माल, साली की फुद्दी में बड़ी गर्मी है…”

उसकी बात सुनकर मैं बस हल्का सा मुश्कुरा दिया और कुछ नहीं बोला। फिर पायल के बाद समीर बाथरूम में गया और पायल अपनी ड्रेस पहनकर घर की तरफ चली गई और मैं समीर को रवाना करने के लिए वहीं रुक गया।

समीर को रवाना करने के बाद जब मैं घर आया तो देखा कि अम्मी और बुआ सोफे पे बैठी हुई मेरा ही इंतेजार कर रही थी। मैंने अम्मी के पास जाकर कहा- ऋतु कहाँ गई है?

अम्मी- अपने रूम में घुस गई है… क्यों कुछ हुआ है क्या?

मैं- अम्मी, वो ऋतु ने वहाँ गेस्टरूम में पायल को करवाते हुये देख लिया है।

अम्मी- ओह्ह्ह… तो इसीलिए भागती हुई आई है। मैं भी कहूं कि इसे हुआ क्या है?

बुआ- भाभी, आओ पता तो करें कि ऋतु ने इस तरह रूम में क्यों बंद होकर बैठ गई है?

अम्मी- नहीं तुम बैठो यहाँ, आलोक को ही उसके पास जाने दो। वो खुद ही बात करेगा। हम इसकी किसी बात में नहीं बोलेंगी।

मैं- लेकिन अम्मी, मैं क्या बात करूंगा ऋतु के साथ और किस तरह?

अम्मी- देखो आलोक हम यहाँ जितनी भी ओरतें हैं, तुम्हारी जिम्मेदारी हैं कि तुम किससे और क्या करवाते हो? ये हमारा काम नहीं है जाओ और देखो कि ऋतु क्या चाहती है?

मैं- ठीक है अम्मी, फिर बाद में मुझे नहीं बोलना कि ये मैंने क्या कर दिया?

अम्मी- हम कुछ नहीं बोलेंगे तुम्हें।

मैं अम्मी और बुआ के पास से उठा और ऋतु के रूम की तरफ चल पड़ा लेकिन सच तो ये था कि मैं खुद भी काफी परेशान था कि आखिर अपनी सबसे छोटी बहन के साथ क्या बात करूंगा? और किस तरह? जब मैं ऋतु के रूम में घुसा तो देखा की रूम में कोई भी नहीं है। तो मैं रूम में बने हुये वाश-रूम की तरफ गया और खटखटाने लगा तो मुझे अंदर से उन्म्मह… की हल्की सी आवाज सुनाई दी। जिसे सुनकर मैं चौंक गया और साथ ही हल्का से जोर दिया जिससे वाश-रूम का दरवाजा खुल गया तो जो नजारा मैंने अपनी आँखों के सामने देखा उससे मेरे होश ही उड़ गये।

वाश-रूम में उस वक़्त ऋतु बिल्कुल नंगी फर्श पे लेटी अपनी टाँगों को खोलकर अपनी दो उंगलियों को अपनी फुद्दी में अंदर-बाहर कर रही थी और दरवाजा खुलने की वजह से चौंक गई थी।

जैसे ही ऋतु की नजर मुझ पे पड़ी तो उसके मुँह से बस “भाई आप” की आवाज ही निकल सकी। ऋतु की आवाज से मुझे कुछ होश आया लेकिन मैंने अपनी आँखों को उसकी फुद्दी जो कि उसने अपनी रानों में दबा ली थी से नहीं हटाया और वहीं देखता रहा और थोड़ा मुश्कुरा दिया और बोला- “सारी बेटा मुझे नहीं पता था कि तुम यहाँ जरा व्यस्त हो…” और उसकी तरफ एक मुश्कान देता हुआ वापिस हो गया।

ऋतु के रूम से मैं सीधा अपने रूम में आया और आकर बेड पे लेट गया और ऋतु की छोटी और कम उम्र फुद्दी जिसपे हल्के भूरे बाल भी थे, के बारे में सोचने लगा कि क्या वो चुदाई के लिए तैयार है?

मुझे अपने रूम में आए हुये अभी कोई 10 मिनट ही हुये थे कि अम्मी भी मेरे पास ही आ गई और आते ही बोली- आलोक, क्या बात है? बेटा किन सोचों में गुम हो?

मैंने अम्मी को ऋतु के रूम में जो कुछ भी देखा था सब बता दिया तो अम्मी ने एक हूंन की आवाज निकाली और कहा- “लगता है कि ऋतु भी तैयार हो चुकी है… अब उसके लिए भी कोई इंतजाम करना ही पड़ेगा…”

मैंने अम्मी को कोई जवाब नहीं दिया और उठकर पायल के रूम की तरफ चला गया क्योंकि मेरा लण्ड फटने के करीब था और इसे अब मैं अपनी बहन को चोदकर ही ठंडा करना चाहता था। जैसे ही मैं पायल के रूम में आया तो वहाँ पायल के साथ ऋतु भी थी और वो कुछ बातों में लगी हुई थी और मुझे देखते ही चुप हो गई।

पायल ने मेरी तरफ देखा और कहा- हाँ भाई, कहो क्या बात है? कोई काम था क्या?

मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- “ऐसा करो मेरे रूम में आ जाओ काम है तुम्हारे साथ…”

पायल समझ गई कि मुझे अभी उसके साथ क्या काम हो सकता है इसीलिए फौरन बोल पड़ी- “भाई, आप अभी दीदी से अपना काम करवा लो, मैं थक गई हूँ। मेरे साथ बाद में कर लेना प्लीज़्ज़…”

मैं वहाँ से फिर अपने रूम में आ गया क्योंकि मेरा मूड खराब हो गया था। बाकी का सारा दिन भी गुजर गया और दिन में बुआ और पायल के साथ अम्मी ने भी एक बार चुदवा लिया था।

रात का खाना खाने के बाद दीदी मेरे रूम में आ गई और बोली- “आलोक, कुछ बात करनी है तुमसे…”

मैंने कहा- हाँ दीदी, आओ यहाँ बैठो मेरे पास, बोलो क्या बात है?

दीदी- “भाई, आज पायल ने मुझे बताया है कि ऋतु भी करवाना चाहती है…”

मैं- “अच्छा… तो फिर अच्छी बात है, बापू को बता दूँगा… वो उसका भी कोई इंतजाम कर देंगे…”

दीदी- “नहीं भाई, हम सबने ये सोचा है कि उसे पूरी तरह ट्रैनिंग दें क्योंकि अभी उसकी उम्र काफी कम है और वो जब भी किसी के साथ सोएगी तो उसे पागल कर देगी…”

मैं- ठीक है, जैसे आप लोगों की मर्ज़ी। लेकिन ट्रैनिंग देगा कौन? क्या आप या बुआ?

दीदी- “नहीं भाई, उसे आप ट्रैनिंग दोगे…”

मैं- क्या दीदी? मैं ऋतु को भला कैसे ट्रैनिंग दे सकता हूँ? मुझे क्या पता है कि किस तरह ट्रैनिंग होनी है?

दीदी- “भाई, तुम उसे लण्ड चुसाई का एक्सपर्ट बनाओगे और जरा उसकी मालिश भी कर दिया करोगे…”

मैं- लेकिन दीदी, इस तरह तो अगर मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने ही कुछ कर डाला तो क्या होगा?

दीदी- तुम उसकी गाण्ड मार सकते हो, लेकिन फुद्दी नहीं समझे?

मैं- “ठीक है बाजी, जैसे आप कहो…” और इसके साथ ही दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला- “पहले आप तो मुझे ट्रंड करो ना…”

वो रात मैंने दीदी की चुदाई में गुजारी। सुबह जब मैं उठा तो 10:00 बज चुके थे और मैं इसी तरह बेड पे नंगा ही पड़ा हुआ था। मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। मैंने नहाकर कपड़े पहन लिए और नाश्ते के लिए बाहर निकला तो देखा कि अरविंद साहब भी आए बैठे थे और दीदी को सोफे पे ही किस कर रहे थे और ऋतु रूम से उन दोनों के लिए शराब लेकर आ रही थी। जो कि उसने टेबल पे रख दी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दी और सर झुकाकर वहाँ से चली गई।
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06-23-2017, 10:32 AM,
#22
RE: Hot stories घर का बिजनिस
वो रात मैंने दीदी की चुदाई में गुजारी। सुबह जब मैं उठा तो 10:00 बज चुके थे और मैं इसी तरह बेड पे नंगा ही पड़ा हुआ था। मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। मैंने नहाकर कपड़े पहन लिए और नाश्ते के लिए बाहर निकला तो देखा कि अरविंद साहब भी आए बैठे थे और दीदी को सोफे पे ही किस कर रहे थे और ऋतु रूम से उन दोनों के लिए शराब लेकर आ रही थी। जो कि उसने टेबल पे रख दी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दी और सर झुकाकर वहाँ से चली गई।

ऋतु के जाते ही मैंने किचेन में अम्मी को आवाज दी- “अम्मी प्लीज़्ज़ बहुत भूख लगी है नाश्ता दे दो…”

मेरी आवाज सुनकर अरविंद साहब ने अपना सर उठाया और मेरी तरफ देखकर हँसते हुये बोले- अरे यार, क्या इतनी देर तक सोते रहते हो?

मैंने भी हँसते हुये कहा- “क्या करूं अरविंद साहब? काम ही ऐसा है हमें रात-रात भर जागना पड़ता है…”

अरविंद साहब भी हँस पड़े और बोले- हाँ यार, ये तो है। अच्छा एक बात पूछूं गुस्सा तो नहीं करोगे?

मैं- अरे नहीं सर, आप बोलो क्या बोलना है, मैं भला गुस्सा क्यों करूंगा?

अरविंद- अच्छा, जब तुम अपनी बहनों को इस तरह चुदवाते हुये देखते हो तो क्या तुम्हारा दिल नहीं करता कि तुम भी इनकी चुदाई करो?

मैं- “अरविंद साहब, बात ये है कि अगर दिल करता भी है तो क्या हुआ? हमें पैसे खुद चोदने के लिए नहीं मिलते बलकि आप जैसों से चुदवाने के मिलते हैं…”

अरविंद शराब का पेग दीदी के हाथ से लेकर एक ही सांस में पीते हुये बोला- और अगर मैं कहूं कि तुम मेरे साथ मिल के अपनी बड़ी बहन की चुदाई करो तो?

मैं- नहीं सर, ऐसा किस तरह हो सकता है भला?

अरविंद- यार, तुम सिर्फ़ इतना बताओ, जितना मैं पूछ रहा हूँ बाकी मेरा काम है?

मैं- “ठीक है सर, भला मैं आपको नाराज तो नहीं कर सकता। लेकिन आप ऐसा क्यों चाहते हैं ये समझ में नहीं आ रहा…”

अरविंद- सच तो ये है कि मैं देखना चाहता हूँ कि बहन भाई या खूनी रिश्तों में चुदाई से कितना मजा आता है?
मैं- “ओके सर, आप जब चाहो मैं मना नहीं करूंगा आपको…”

अरविंद मेरी बात सुनकर कुछ सोच में पड़ गये और बोले- “तो ऐसा है कि जब मैं कहूं और जहाँ कहूं तुम अंजली को अपने साथ ले आना और फिर वहाँ इसकी चुदाई करोगे…”

मैं- “ठीक है, मैं तैयार हूँ…” और तब तक मेरा नाश्ता भी आ चुका था और मैं नाश्ता करने में लग गया।

और अरविंद दीदी की चूचियां को मसलने में लग गया। नाश्ता करने के बाद मैं वहाँ से उठ गया और ऋतु के रूम की तरफ चल पड़ा। जैसे ही मैं रूम में दाखिल हुआ तो मुझे अपने रूम में आता देखकर ऋतु थोड़ा घबरा गई और खड़ी हो गई।

मैं- क्या हुआ ऋतु? तुम मुझे देखकर खड़ी क्यों हो गई?

ऋतु- “न…नहीं तो भाई, बस ऐसे ही आओ बैठो…”

मैं ऋतु के पास जाकर बेड पे बैठ गया और ऋतु का हाथ पकड़कर नीचे की तरफ खींचा और बोला- तुम भी बैठो ना खड़ी क्यों हो? ऋतु सर झुकाकर बैठ गई और अपने होंठ काटने लगी। उस वक़्त ऋतु का जिश्म हल्का सा कांप भी रहा था।

मैं- ऋतु मेरी जान, क्या बात है? मेरा यहाँ आना तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या?

ऋतु- नहीं तो भाई, आपने ऐसा क्यों सोचा है?

मैं- “यार, मेरे रूम में आने से तुम घबरा रही हो ना इसलिए पूछ लिया…”

ऋतु- नहीं भाई, ऐसी कोई बात नहीं है। भला मैं क्यों घबराऊँगी आपसे?

मैं- “अच्छा, ऐसा है कि जब तुम्हारा डर खतम हो जाए तो मेरे रूम में आ जाना ओके…” मैं इतना बोलकर वहाँ से उठा और अपने रूम की तरफ चल पड़ा।

जैसे ही मैं ऋतु के रूम से बाहर आया तो पायल ने मुझे देख लिया और मेरा हाथ पकड़कर अपने रूम में ले गई और बोली- हाँ भाई, क्या बात हुई ऋतु से?

मैंने कहा- पहले तुम बताओ, कल वो तुम्हें क्या बोल रही थी?

पायल ने मेरी तरफ देखा और नाराज होते हुये बोली- “भाई जब तक आप नहीं बताओगे मैं भी नहीं बताऊँगी…”

मैंने पायल को अपनी तरफ खींच लिया और अपने सीने से लगाकर बोला- “जान, क्यों नाराज हो रही हो अपने भाई से? चल बताता हूँ…” और जो दीदी और ऋतु के साथ बातें हुई थी सब बता दिया।

पायल मेरी बातें सुनकर सोच में पड़ गई और कुछ देर के बाद बोली- भाई, अगर मैं आपको एक काम कहूं तो आप करोगे क्या?

मैं- हाँ पायल, क्यों नहीं? तुम बताओ तो सही क्या काम है?

पायल- “भाई, आप कसम खाओ… जिससे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हो उसकी कसम खाओ कि आप मेरी बात मानोगे…”

मैं- अरे यार, जब मैंने बोल दिया है कि मैं तुम्हारी बात मानूंगा तो फिर कसम कहाँ से आ गई?

पायल- “भाई, आप मेरे इतमीनान के लिए ही कसम खा लो प्लीज़्ज़…”

मैं- “ओके बाबा, और पायल के सर पे ही हाथ रखकर कसम खा ली…” जिससे पायल भी खुश हो गई।

पायल- “थैंक्स भाई, आपने आज ये तो बता दिया कि आप सबसे ज्यादा मेरे साथ प्यार करते हो…” और मेरे साथ और भी ज्यादा लिपट गई और मुझे किस करने लगी।

कुछ देर के बाद मैंने पायल को खुद से अलहदा किया और उसे बेड पे बिठा दिया और कहा- “हाँ, अब बताओ क्या बात थी? जिसके लिए तुमने मुझसे कसम ली है…”

पायल- “भाई, मैं चाहती हूँ कि आप पहली बार खुद करो ऋतु के साथ…”

मैं हैरानी से पायल की तरफ देखते हुये बोला- पायल, ये क्या बोल रही हो तुम? तुम्हें पता है कि इस काम के लिए घर में कोई भी नहीं मानेगा?

पायल- हाँ भाई पता है, लेकिन आपको उसकी गाण्ड मारने की इजाजत तो मिल ही चुकी है ना उसके बाद अगर मोका मिले तो चोद डालो साली को, बाद में कोई क्या कर सकता है?

मैं पायल की बात सुनकर अंदर से खुश हो गया। क्योंकि बात तो पायल ने ठीक ही कही थी कि जब फुद्दी खुल ही गई हो तो कोई क्या कर सकता है? लेकिन पायल से बोला- लेकिन पायल, तुम ऐसा क्यों चाहती हो?

पायल- “भाई, मैं आपसे कुछ भी नहीं छुपाऊँगी। लेकिन अभी आप मुझसे कुछ नहीं पूछो प्लीज़्ज़…”

मैं- ठीक है पायल, मैं कोशिश करूंगा कि ये काम कर सकूं…” और वहाँ से उठकर सीधा अपने रूम में आ गया।

रूम में आया तो अम्मी ऋतु के साथ मेरे बेड पे बैठी हुई थी। मुझे देखते ही अम्मी ने कहा- “आलोक बेटा, मैं चाहती हूँ कि आज से तुम अपनी छोटी बहन की रोजाना मालिश कर दिया करो ताकि इसका जिश्म भी थोड़ा सेट हो जाए…”

मैंने ऋतु की तरफ देखा जो कि सर को झुकाकर अपनी उंगलियों को मरोड़ रही थी और कहा- “जी अम्मी, जैसे आप कहो। मैं ऋतु की रोजाना मालिश कर दिया करूंगा…”

मेरी बात सुनकर अम्मी मेरे रूम से निकल गई और जाते वक़्त आँख भी मार गई जिससे मैं समझ गया कि अम्मी क्या चाहती हैं। अम्मी के जाने के बाद मैंने ऋतु से कहा- “चलो अलमारी से कोई चादर निकालो और बेड पे बिछा दो ताकि तेल से बेडशीट खराब ना हो जाये…”

ऋतु फौरन उठी और अलमारी से एक चादर निकालकर बेड पे बिछाने लगी और मैं वहाँ खड़ा उसे ये सब करता देखता रहा।

चादर बिछाने के बाद ऋतु अपना सर झुकाकर बेड के पास ही खड़ी हो गई। लेकिन अब मुझे समझ में नहीं आ रहा थी कि मैं क्या करूं? और ऋतु को क्या कहूं? खैर मैंने अपनी हिम्मत बढ़ाई और वापिस मुड़ा और दरवाजा लाक कर दिया और फिर अलमारी से एक चादर निकालकर अपने कपड़े उतार के चादर बाँध ली और ऋतु की तरफ देखे बिना ही लाइट आफ कर दी जिससे रूम में काफी अंधेरा हो गया था। लेकिन खिड़की से आने वाली रोशनी भी इतनी थी कि हम एक दूसरे को देख सकते थे।

मैंने ऋतु से कहा- “चलो अपने कपड़े उतारो और बेड पे लेट जाओ ताकि मैं तुम्हारी मालिश कर दूँ…”

ऋतु ने मेरी बात सुनी लेकिन कुछ नहीं बोली और सर झुकाकर चुपचाप खड़ी रही तो मैं आगे बढ़ा और जाकर ऋतु के कंधों पे अपने हाथ रख दिए और कहा- “देखो ऋतु, तुम बहन हो मेरी और मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ। मुझसे इतना क्यों शर्मा रही हो? चलो शाबाश जल्दी से कपड़े उतारो अपने…”

जब ऋतु फिर भी नहीं हिली तो मैंने कहा- “चलो ऐसा करो कि तुम यहाँ अपने कपड़े उतार के अपने ऊपर एक चादर ले लो मैं तब तक बाथरूम से होकर आता हूँ…”

जब मैं बाथरूम से वापिस आया तो देखा कि ऋतु बेड पे उल्टी लेटी हुई थी और उसके ऊपर एक चादर थी जो कि उसने मुझसे शरम की वजह से ओढ़ रखी थी और उसके कपड़े बेड के साथ ही रखी चेयर पे पड़े हुये थे। मैंने बगल से तेल की बोतल उठा ली और ऋतु के पास बेड पे बैठ गया और अपने काँपते हाथों से ऋतु के ऊपर पड़ी चादर को हटाने लगा लेकिन ऋतु ने ऊपर के दोनों किनारे अपने हाथों में पकड़ रखे थे जिससे चादर नीचे नहीं हुई तो मैंने बगल से पकड़कर चादर उसके ऊपर से हटा दी जिससे ऋतु का नंगा और सफेद जिश्म और उसकी सेक्सी गाण्ड मेरी आँखों के सामने बिल्कुल नंगी हालत में आ गई जो कि मुझे पागल कर देने के लिए काफी थी।

अब मैंने अपना हाथ बढ़ा के ऋतु की गाण्ड पे रखा तो मेरी छोटी और मासूम बहन जिसको हम सब घर वाले इस गंदगी में घसीट रहे थे एकदम से काँप गई।

अब मैंने अपना हाथ अपनी बहन की गाण्ड से हटा लिया और तेल की बोतल से तेल उसकी कमर और गाण्ड पे गिराने लगा। क्योंकि तेल हल्का सा ठंडा था जिससे ऋतु के जिश्म में झुरझुरी सी हुई लेकिन फिर से ऋतु आराम से लेट गई।

अब मैं ऋतु की बगल में बैठा अपने हाथों को आजादी से अपनी छोटी बहन की कमर और गाण्ड पे घुमाने लगा और तेल मलने लगा। मेरे इस तरह मालिश करने से ऋतु को अब सकून के साथ मजा भी आ रहा था, जिसका अंदाजा मुझे उसकी हल्की आवाज में निकलने वाली सिसकियों से हो रहा था।

कुछ देर तक इसी तरह तेल मलने के बाद मैं उठा और ऋतु की टाँगों के ऊपर घुटनों के करीब बैठ गया और अपने हाथों से उसकी गाण्ड को अच्छे से मसलने लगा जिससे कभी मेरे हाथ अपनी छोटी बहन की गाण्ड के सुराख को भी छू जाते लेकिन ऋतु अब किसी भी किश्म का ऐतराज नहीं कर रही थी लेकिन हाँ मजा जरूर ले रही थी अपने बड़े भाई के हाथों अपनी गाण्ड की मालिश करवाकर। फिर मैंने अपने हाथ ऋतु की गाण्ड से हटा लिए और उसके कंधों की तरफ बढ़ा दिए, जिसके लिए मुझे भी घुटनों से ऊपर होना पड़ा जिससे मेरा खड़ा और पूरा टाइट लौड़ा अपनी बहन की गाण्ड को छूने लगा तो मैंने अपने लण्ड के ऊपर पड़े कपड़े को हटा दिया। जिससे मेरा लण्ड ऋतु की गाण्ड को सही से छुआ तो हम दोनों बहन भाई के मुँह से एक साथ आअह्ह… की हल्की सी आवाज निकल गई। अब मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा अपनी बहन की गाण्ड के सुराख पे सेट किया और उसकी कमर और कंधों की मालिश करने लगा जिससे ऋतु के साथ मेरा भी मजे से बुरा हाल हो रहा था।

मैंने अचानक ऋतु से कहा- ऋतु मजा आ रहा है ना मालिश में?

ऋतु ने भी बस- “हाँ भाई, बहुत अच्छा लग रहा है… बस इसी तरह करो, रुको नहीं प्लीज़्ज़…”

ऋतु की बात सुनकर मैं समझ गया कि लौंडिया तैयार है तो मैं थोड़ा पीछे हटा और ऋतु की गाण्ड को अपने दोनों हाथों से थोड़ा खोल दिया और ठीक उसकी गाण्ड के सुराख पे अच्छा खासा थूक फेंक दिया। एक तो तेल और दूसरा थूक लगाकर मैंने फिर से अपने लण्ड को ऋतु की गाण्ड के सुराख पे रख दिया और हल्का सा दबाने लगा।

लण्ड को ऋतु की गाण्ड पे दबाते ही मेरे लण्ड का आधा सुपाड़ा ऋतु की गाण्ड को खोलकर अंदर घुस गया तो ऋतु के मुँह से सस्सीई… की हल्की सी आवाज निकली। लेकिन उसने कुछ बोला नहीं तो मैंने फिर से दबाव बढ़ा दिया। जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपनी छोटी बहन की गाण्ड को खोलकर घुस गया। सुपाड़े के घुसने के बाद मैं वहीं रुक गया। क्योंकि मैं जानता था कि ऋतु इस वक़्त काफी तकलीफ में होगी। कुछ देर के बाद मैं फिर से अपने लण्ड को जोर देने लगा जिससे मेरा लण्ड फिर से आगे जाने लगा।

और करीब एक इंच और घुसा होगा कि ऋतु के मुँह से- “सस्स्सीई… भाई प्लीज़्ज़… रुको…” की आवाज निकल गई।

जिसे सुनते ही मैं वहीं रुक गया और ऋतु का दर्द खतम होने का इंतेजार करने लगा। कोई एक मिनट के बाद ही ऋतु ने अपने जिश्म को ढीला छोड़ दिया तो मैंने एक हल्का सा झटका दिया जिससे मेरा कोई 3” के करीब लण्ड अपनी बहन की गाण्ड में चला गया। इतना लण्ड घुसते ही ऋतु ने- “आऐ माँ… बस करो भाई… और नहीं करना… प्लीज़्ज़… मैं मर गई… ऊओ बस भाई… अभी निकालो बाहर दर्द हो रहा है…”

मैं अब वहीं रुका रहा और ऋतु के कंधों और कमर पे हाथ घुमाने लगा और कहा- “बस मेरी जान, आज इससे ज्यादा नहीं करूंगा। डरो नहीं बस आज के लिए इतना ही बर्दाश्त कर लो। ठीक है…”

मेरी बात सुनकर ऋतु ने हाँ में सर हिला दिया तो मैंने अपने लण्ड को वहीं जितना अंदर जा चुका था अंदर-बाहर करने लगा जिससे मैं कोई 3 मिनट में ही ऋतु की गाण्ड में ही फारिग़ हो गया, क्योंकि ऋतु की गाण्ड बड़ी टाइट थी और ऐसे लग रहा था कि जैसे वो मेरे लण्ड को भींच रही हो।

फारिग़ होने के बाद ऋतु ने उठकर अपनी गाण्ड को अच्छी तरह साफ किया और अपने कपड़े पहनकर मेरे रूम में से निकल गई।
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06-23-2017, 10:33 AM,
#23
RE: Hot stories घर का बिजनिस
अगले दिन जब में सोकर उठा और अपने रूम से बाहर आया तो अम्मी ने मुझे देखते ही ऋतु को आवाज दी और कहा- चलो बेटी, तुम्हारा भाई उठ गया है नाश्ता दे दो भाई को…”

कुछ ही देर के बाद जब ऋतु मेरे लिए नाश्ता लेकर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया क्योंकि उस वक़्त ऋतु ने हल्का सा काटन का पाजामा पहन रखा था और उसके ऊपर एक ढीली सी शर्ट थी जिसमें मेरी छोटी बहन का जिश्म गजब ढा रहा था। क्योंकि ऋतु को इस ड्रेस में देखते ही मेरा लण्ड पूरा हार्ड हो गया था और दिल कर रहा था कि अभी पकड़ लूँ और यहाँ सबके सामने ही साली की फुद्दी को खोलकर रख दूँ।

अम्मी- बेटा, क्या देख रहे हो अपनी बहन को? नजर लगानी है क्या इसे?
मैं- “अरे अम्मी, मेरी नजर का तो पता नहीं पर लगता है किसी और की नजर लग जाएगी इसे…”

अम्मी- “चल कमीना कहीं का, कुछ तो ख्याल रख। अभी मेरी बच्ची बहुत छोटी है उसकी नजर बर्दाश्त नहीं कर सकती…”

मैं- “नहीं अम्मी, अब इतनी छोटी भी नहीं है हमारी बहना, जितना आप इसे बना रही हैं…”

ऋतु हमारी इन बातों से लाल हो रही थी बोली- “भाई नाश्ता तो कर लो…”

मैं- “मेरी जान, अपने हाथों से करवा दो ना आज अपने भाई को…”

अम्मी- “चल ऋतु, तू जा अभी यहाँ से। नहीं तो ये कमीना तो अभी नाश्ते के साथ तुझे भी खा जाएगा…”

ऋतु अम्मी की बात सुनते ही वहाँ से चली गई और मैं उसे जाते हुये उसकी गाण्ड को घूरने लगा जो कि बारीक पाजामे की वजह से साफ नजर आ रही थी और मेरे लण्ड को तड़पा रही थी।

अम्मी- “चल आलोक, नाश्ता कर ले फिर बाजार से कुछ सामान ले आना और वापिस आकर ऋतु की मालिश आज पूरी कर देना…”

मैं अम्मी की बात समझ गया और बोला- “अम्मी, क्यों ना मैं पहले ऋतु की मालिश कर दूँ। सामान तो आप भी ले ही आओगी…”

अम्मी हँसते हुये बोली- “अच्छा ठीक है, मैं चली जाती हूँ लेकिन याद रखना सिर्फ़ पीछे से ही करना जितना भी करना है क्योंकि ऋतु की जवानी को देखकर काफी लोग तैयार हो चुके हैं पैसे देने को। लगता है कि अब इसकी बोली ही लगेगी…”

मैंने नाश्ता किया और उठकर ऋतु के रूम की तरफ चला गया, जहाँ दीदी और बुआ भी बैठी हुई थीं। मुझे देखते ही दीदी ने कहा- हाँ भाई, क्या बात है? कोई काम था क्या?

मैं- “नहीं दीदी, काम तो कोई नहीं था। बस अम्मी ने कहा है कि ऋतु की मालिश कर दूँ अभी…”

बुआ- ओहोहो, तो मेरा भतीजा अपनी बहन की मालिश करने आया है। चलो भाई, हम जाते हैं फिर यहाँ से…”

दीदी- बैठो ना बुआ, हमसे क्या शरमाना है भाई को। क्यों भाई? हमारे सामने ही कर सकोगे ना आप ऋतु की… चू… ओह सारी मालिश

ऋतु दीदी की बात से बुरी तरह शर्मा गई और उठकर वाश-रूम में घुस गई। ऋतु के इस तरह शरमाने से दीदी और बुआ भी हेहेहेहेहे करके हँसने लगी और फिर वहाँ से उठकर बाहर की तरफ चल पड़ी।

तो बाजी ने मेरी तरफ मुड़ के कहा- देखो आलोक, आज इसे तैयार करो क्योंकि कल इसे काम पे लगना है समझ गये…”

मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- “जी दीदी, मैं कोशिश करूंगा, अगर मान गई तो ठीक है…”

दीदी ने कहा- मैंने और बुआ ने उसे अच्छी तरह समझा दिया है। वो तुम्हें परेशान नहीं करेगी और जो कहोगे करेगी…” दीदी इतना बोलकर रूम से निकल गई।

तो मैंने ऋतु को आवाज दी और कहा- चलो ऋतु, दीदी और बुआ चली गई हैं। आ जाओ रूम में, मालिश नहीं करनी क्या?

जब ऋतु वाश-रूम में से बाहर आई तो उसने सिर्फ़ एक चादर लपेट रखी थी अपने ऊपर और आकर बेड के पास खड़ी हो गई और आहिस्ता सी आवाज में बोली- भाई, लाइट बंद कर दें?

मैंने कहा- क्यों? लाइट चलने दो ना प्लीज़्ज़… आओ ऐसे अच्छी तरह तेल लगा सकूंगा मैं…”

ऋतु ने नजर उठाकर मेरी तरफ देखा और कुछ बोले बिना ही बेड पे लेट गई तो मैं आगे बढ़ा और अपनी कमीज उतार के बगल में रख दी और तेल की बोतल पकड़कर बेड पे बैठ गया। फिर मैंने ऋतु की बगल से चादर का किनारा पकड़ा और ऋतु के ऊपर से चादर को खींच लिया।

चादर के हटते ही मेरी आँखों के सामने मेरी बहन की कमर और गाण्ड जो कि बिल्कुल नंगी थी सामने आ गई और मैं कुछ देर तक इस नजारे को देखता ही रह गया। फिर अचानक मैं थोड़ा सा नीचे झुका और ऋतु की गाण्ड पे हल्की सी किस कर दी।

जिससे ऋतु तड़प गई और- “आअह्ह… भाई, ये आप क्या कर रहे हो? प्लीज़्ज़ ये नहीं करो…”

मैंने ऋतु को कहा- “ऋतु कुछ नहीं होता मेरी जान, मैं भाई हूँ तुम्हारा, तुम्हारे साथ जो भी करूंगा तुम्हें मजा और सकून देने के लिए ही करूंगा…”

अबकी बार ऋतु चुप रही और कुछ नहीं बोली। तो मैंने ऋतु की बाडी पे तेल लगाने की बजाये उसकी कमर पे हाथ फेरना और गाण्ड को सहलाना शुरू कर दिया। मेरे इस तरह करने से ऋतु के मुँह से हल्की आवाज में सिसकियां निकलने लगी थीं जिससे साफ पता चल रहा था कि ऋतु को इससे मजा आ रहा है और वो काफी गरम भी हो गई है।

फिर अचानक मैंने ऋतु को एक झटके से सीधा कर दिया और उसकी छोटी-छोटी चूचियों को अपने हाथों में भर लिया। लेकिन ऋतु ने अपनी आँखों को बंद कर लिया और अपने होंठों को काटने लगी और साथ ही मुँह से उन्म्मह की हल्की आवाज में सिसकियां भरने लगी लेकिन मुझे मना नहीं किया।

अब मैं थोड़ा आगे हुआ और ऋतु के होंठ, जो कि मजे की वजह से लरज़ रहे थे, से अपने होंठ लगा दिए जिसे ऋतु ने अपने होंठों में भर लिया और किस करने लगी और साथ ही मुझे अपनी तरफ खींच लिया। ऋतु की किस में बड़ी शिद्दत थी, कभी वो अपनी जुबान को मेरे मुँह में घुसाकर किस करती, और कभी मेरी जुबान को अपने मुँह में भर के चूसने लगती। जिससे मैं भी मजे से पागल होने लगा। कुछ देर तक हम दोनों बहन भाई इसी तरह किस करते रहे और फिर मैंने अपने होंठ अपनी बहन के होंठों से अलग किए और उसकी चूचियों पे रख दिए और चूसने लगा।

जिससे ऋतु को और भी मजा आने लगा और वो- “ऊओ भाई… उन्म्मह… पी लो भाई आज अपनी बहन की चूचियों को हूंणमम…”

अब मैं ऋतु की चूचियों को चूसने के साथ हल्का-हल्का दबा भी रहा था और कुछ देर के बाद मैं ऋतु की चूचियों से नीचे की तरफ हुआ और उसके पेट और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसकी फुद्दी के ऊपर की तरफ भूरे बालों के पास अपनी जुबान घुमाने लगा तो ऋतु पागल ही हो उठी और मेरे सर को अपनी फुद्दी की तरफ दबाने लगी और आअह्ह… भाई नहीं प्लीज़्ज़… ये क्या कर दिया आपने… उन्म्मह… की आवाज से मेरे सर को भी अपनी फुद्दी की तरफ दबाने लगी। अब मैंने जैसे ही ऋतु की फुद्दी के ऊपर अपनी जुबान को घुमाया तो ऋतु के जिश्म को एक झटका सा लगा और इसके साथ ही ऋतु ने अपने हाथों के साथ मेरे सर को अपनी फुद्दी के साथ दबा लिया और- “हाँ भाई… यहाँ से चाटो प्लीज़्ज़… यहाँ ज्यादा मजा आ रहा है… उन्म्मह…”

ऋतु की फुद्दी काफी ज्यादा गरम और गीली हो चुकी थी और उसमें से निकलने वाला गाढ़ा सा नमकीन पानी मुझे बड़ा मजा दे रहा था और मैं अपनी जुबान को ऊपर से नीचे की तरफ चलाने लगा जिससे ऋतु और भी तड़पने लगी और- “आअह्ह… भाई, खा जाओ अपनी बहन की फुद्दी को… ऊओ… भाई मुझे कुछ हो रहा है… ऊओ… भाई…” की आवाज के साथ ही ऋतु का जिश्म अकड़ने लगा और फिर उसे 3-4 झटके लगे और उसकी फुद्दी से पानी का सैलाब सा निकलकर मेरे मुँह में जाने लगा जिसे मैं मजे से पी गया।

ऋतु फारिग़ होने के बाद कुछ निढाल सी हो गई और अपनी आँखों को बंद किए लंबी सांसें भरने लगी तो मैं उसकी टाँगों में से उठकर बगल में बैठ गया और अपना मुँह उसके करीब करके बोला- ऋतु मेरी जान मजा आया तुम्हें?

मेरी बात सुनते ही ऋतु ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा उठी और फिर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगी।

हम दोनों ने कुछ देर किस की और फिर मैं उठा और अपने लण्ड को उसके मुँह के पास कर दिया और बोला- “चलो अब इसे भी अपने मुँह में लेकर प्यार करो…”

ऋतु ने कहा- “भाई इसे प्यार करना जरूरी है क्या?

तो मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- “हाँ मेरी जान, असल मजा तो इसे प्यार करने से ही आता है…”

ऋतु कुछ देर तक मेरी तरफ देखती रही और फिर आहिस्ता से अपना मुँह खोल दिया और मेरे लण्ड का सुपाड़ा को अपने मुँह में भर लिया और चाटने लगी जिससे मुझे भी मजा आने लगा। लेकिन क्योंकि ऋतु ने कभी किसी का लण्ड अपने मुँह में नहीं लिया था और ऊपर से मेरे इतना बड़ा और मोटा लण्ड वो अपने मुँह में लेने की कोशिश में अपने दाँत मेरे लण्ड के साथ रगड़ रही थी जिससे मुझे हल्की तकलीफ भी हो रही थी। जिसकी वजह से मैंने ऋतु के मुँह से अपना लण्ड निकाल लिया।
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06-23-2017, 10:33 AM,
#24
RE: Hot stories घर का बिजनिस
अब मैंने ऋतु को उल्टा लिटा दिया और उसके पेट के नीचे एक तकिया रख दिया और बगल से तेल उठाकर अपने लण्ड और ऋतु की गाण्ड पे अच्छी तरह से लगा दिया और अपने लण्ड को ऋतु की गाण्ड पे रगड़ने लगा। फिर मैंने अपने लण्ड और ऋतु की गाण्ड पे थूक भी लगा दिया कि आसानी रहे और लण्ड को अपनी सबसे छोटी बहन की गाण्ड के सुराख पे सेट कर दिया और जोर लगाने लगा। जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा मेरी बहन की गाण्ड में उतर गया। सुपाड़े के घुसते ही मैं रुक गया और ऋतु के कान के पास कहा- जान, आज अपने भाई का पूरा लण्ड लोगी ना?

ऋतु ने हल्की सी हूंन की आवाज निकाली और फिर से चुप हो गई तो मैंने ऋतु की गाण्ड को अपने दोनों हाथों से खोल दिया और कहा- “जान, जितना अपनी गाण्ड को खुला रखोगी, उतना ही दर्द कम होगा। ठीक है ना…”

ऋतु ने मेरी बात सुनते ही हाँ में सर हिला दिया तो मैंने अपने लण्ड को गाण्ड में दबाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड आहिस्ता से मेरी बहन की गाण्ड में घुसने लगा और जैसे ही मेरा लण्ड कोई 4” के करीब ऋतु की गाण्ड में गया था कि ऋतु ने- “ऊओ… भाई, प्लीज़्ज़… रुक जाओ…” कहा।

तो मैं रुक गया और कहा- “जान करने दो, जो भी दर्द होना है एक बार ही हो जाने दो…”

ऋतु ने कुछ देर के बाद कहा- “भाई, जो भी करना है एक बार ही कर डालो प्लीज़्ज़… इस तरह बार-बार दर्द होता है…”

मैंने ऋतु की बात पूरी होते ही उसकी कमर को जोर से पकड़ लिया और पूरी ताकत से झटका लगाया जिससे मेरा लण्ड ऋतु की गाण्ड को खोलता हुआ पूरा घुस गया और ऋतु के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गई- “आऐ अम्मीईई… प्लीज़्ज़… भाई बाहर निकालो… मेरी फट गई है… मुझे नहीं करना है कुछ भी… ऊओ… प्लीज़्ज़… भाई बाहर निकालो… नहीं तो मैं मर जाऊँगी…”

ऋतु की चीखों को सुनकर अम्मी और दीदी फौरन ऋतु के रूम में आ गई और हमें इस हालत में देखकर अम्मी और दीदी जल्दी से ऋतु के दोनों तरफ बैठ गई और उसके बालों को सहलाने लगी और अम्मी ने कहा- “बस मेरी बच्ची, अब हो गया है जो होना था बस थोड़ा सा सबर करो…”

ऋतु को क्योंकि काफी ज्यादा दर्द हो रहा था और उसकी आँखों से आँसू भी निकल रहे थे तो वो रोते हुये बोली- “अम्मी, प्लीज़्ज़… भाई को बोलो कि बाहर निकाल ले, मेरी फट गई है…”

अम्मी ने मुझे आँख से इशारा किया और कहा- “चलो आलोक, निकालो बाहर, कुछ ख्याल करो बहन है ये तुम्हारी…”

मैं अम्मी के इशारे को समझ गया और कहा- “ओके अम्मी, लेकिन आप इसे भी तो बोलो ना कि अपनी गाण्ड को ढीला करे ताकि मैं अपने लण्ड को बाहर निकालूं…”

मेरी बात सुनते ही ऋतु ने अपना जिश्म ढीला कर दिया तो मैंने अपने लण्ड को हल्का सा बाहर खींचा और फिर आराम से घुसा दिया। मेरे इस तरह करने से अम्मी ने कहा- “हाँ, इसे ज्यादा जोर से नहीं करो… वरना मेरी बेटी को दर्द होगा… बस इसी तरह आराम-आराम से कर लो तुम और फिर जाओ यहाँ से…”

मेरी बात सुनते ही ऋतु ने अपना जिश्म ढीला कर दिया तो मैंने अपने लण्ड को हल्का सा बाहर खींचा और फिर आराम से घुसा दिया। मेरे इस तरह करने से अम्मी ने कहा- “हाँ, इसे ज्यादा जोर से नहीं करो… वरना मेरी बेटी को दर्द होगा… बस इसी तरह आराम-आराम से कर लो तुम और फिर जाओ यहाँ से…”

अब मैं ऋतु की गाण्ड में इतने आराम और प्यार से अंदर-बाहर कर रहा था कि ऋतु कुछ ही देर में रोना और चिल्लाना खतम करके आराम से लेट गई और अपना जिश्म भी पूरी तरह से ढीला कर दिया। जिश्म को ढीला छोड़ते ही मेरा लण्ड कुछ आसानी से अंदर-बाहर होने लगा जिससे मेरा मजा भी बढ़ गया था और अब तो ऋतु भी कभी-कभी अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ दबा देती थी जिससे मैं और भी मजे से पागल होने लगा।
अम्मी और दीदी ऋतु के दोनों तरफ से बैठी उसके बालों और चूचियों को सहला रही थी जिससे ऋतु को भी अब मजा आ रहा था लेकिन क्योंकि ऋतु का पहली बार था और वो भी इतने बड़े लौड़े से तो दर्द तो होना ही था।

अब मैं भी फारिग़ होने ही वाला था कि मैंने अपने लण्ड को तेजी के साथ अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया जिससे ऋतु फिर दर्द की वजह से- “आअह्ह… भाई प्लीज़्ज़… आहिस्ता करो… इस तरह दर्द हो रहा है… अम्मी प्लीज़्ज़ भाई को मना करो ना… उन्म्मह…” की आवाज करने लगी।

लेकिन क्योंकि मैं अब अंत पे था इसलिए रुका नहीं और धक्के मारता रहा और कुछ ही झटकों में फारिग़ होकर ऋतु की गाण्ड के ऊपर ही गिर गया।

कुछ देर तक मैं इसी तरह अपनी बहन की गाण्ड में लण्ड घुसाये लेटा रहा कि तभी अम्मी ने कहा- “चलो आलोक, अब उठो भी… देखो तो सही ऋतु की क्या हालत हो गई है…”

मैं जैसे ही उठा और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और देखा तो मुझे अपने लण्ड के ऊपर हल्की सी लाली नजर आई और जब मेरी नजर अपनी छोटी बहन ऋतु की गाण्ड पे पड़ी तो मैं थोड़ा परेशान हो गया।

लेकिन तभी अम्मी ने कहा- “कुछ नहीं हुआ बस थोड़ा सूज गई है और बस अभी थोड़ा गरम पानी से टिकोर करूंगी तो ठीक होना शुरू हो जाएगी…”

अम्मी की बात सुनकर मैं वहाँ से उठा और वाश-रूम की तरफ चल पड़ा और साफ सफाई के बाद वापिस आया तो, तब तक अम्मी ने ऋतु को बेड पे बिठा दिया था।

जैसे ही ऋतु की नजर मेरे लण्ड पे पड़ी तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं जैसे उसे यकीन नहीं आ रहा हो मेरे लण्ड पे।

अम्मी ने कहा- बेटी, क्या देख रही हो? इस तरह मेरे बेटे को नजर लगाओगी क्या?

ऋतु अम्मी की बात सुनकर बुरी तरह शर्मा गई और सर झुकाकर बैठ गई।

तो दीदी ने हँसते हुये कहा- “अरे मेरी जान बहना, ये हमारा भाई नहीं बलकि हमारा शौहर भी है तो फिर इससे क्या शरमाना…”

दीदी की बात सुनकर मैं हँस पड़ा और बोला- “हाँ ऋतु, दीदी सही बोल रही हैं लेकिन मैं ऐसा शौहर हूँ कि जिसे अपनी इन गश्तियों की खुली फुद्दी ही मिलती है, सील-पैक नहीं…”

दीदी- अच्छा भाई, तो अभी जो तुमने मेरी इस मासूम बहन की गाण्ड को खोला है इसका क्या?

अम्मी- “अरे बेटा, अगर तुम इनकी फुद्दी की सील खोलोगे तो हम क्या करेंगे? कोई इतने पैसे नहीं देगा, जितने अभी हम लेते हैं…”

दीदी- “हाँ भाई, लेकिन तुम्हें मना भी कोई नहीं करता है। जब दिल करे जिसके साथ दिल करे, करो…”
मैं- “अच्छा बाबा, मैं कब बोल रहा हूँ कि तुम लोग मुझसे अपनी सील खुलवाओ…”

अम्मी- अच्छा ऋतु, चलो उठो बेटी। अब मैं तुम्हें बाथरूम ले चलूं…” और इसके साथ ही ऋतु को अपने साथ उठाकर बाथरूम की तरफ चली गई।

अम्मी के जाते ही दीदी मेरे करीब हो गई और मेरे लण्ड को अपने हाथ में पकड़कर बोली- भाई सच बताना, ऋतु के साथ मजा आया है क्या आपको?

मैं- “हाँ दीदी, सच तो ये है कि ऋतु की गाण्ड बहुत टाइट थी और उसने मुझे मजा भी दिया है…”

दीदी- “अच्छा तो फिर कहीं अब उसकी सील-पैक फुद्दी खोलने का दिल तो नहीं कर रहा मेरे भाई का…”

दीदी की बात सुनते ही मेरे लण्ड में फिर से जान आना शुरू हो गई जिसे महसूस करते ही दीदी हँस पड़ी और बोली- “नहीं भाई, समझाओ इसे। अभी नहीं कल की रात सबर करो उसके बाद जितना दिल चाहे चोद लेना ऋतु को कोई भी तुम्हें ऋतु की चुदाई से मना नहीं करेगा…”

अगले दिन रात के 8:00 बजे ही बापू ने मुझसे कहा- “आलोक, आज रात तुमने सारा टाइम गेस्ट-रूम के दरवाजे के बाहर ही बैठना है क्योंकि अगर रूम में किसी भी चीज की जरूरत हुई तो तुम उन्हें दे सको…”

मैं- ठीक है बापू, लेकिन आज आ कौन रहा है?

बापू- बेटा एक एम॰पी॰ है। गुजरानवाला से आ रहा है। अभी दो घंटे तक आ जाएगा, बूढ़ा आदमी है (नाम नहीं लिखूंगा उस एम॰पी॰ का)

मैं- “ठीक है बापू, उसे किसी भी चीज की कमी नहीं होगी आप टेंशन नहीं लो…”

बापू- “अच्छा आलोक, मैं अभी चलता हूँ और हाँ मैंने वहाँ गेस्ट-रूम में शराब की नयी बोतल भी रख दी है…”
मैं- “ठीक है बापू, मैं ले लूँगा आप परेशान नहीं हों…”

बापू- “बेटा, तुम समझ नहीं रहे हो? ये ही एम॰पी॰ है हमारे पास कि हम अब इस पैसे वालों की दुनियां में घुस कर पैसा कमा सकें और इस काम में ये एम॰पी॰ हमारे बहुत काम आएगा…” बापू की बात भी सही थी क्योंकि इन लोगों के पास ही तो सारा पैसा होता है जो कि हम गरीबों की खून की कमाई का पैसा ही होता है।

मैंने सर हिला दिया तो बापू वहाँ से उठे और बाहर निकल गये। और उनके जाने के बाद मैं उठा और ऋतु के रूम की तरफ चल पड़ा, जहाँ ऋतु के साथ अम्मी और बुआ भी थीं।

मुझे देखते ही अम्मी ने कहा- आओ आलोक बैठो, क्या बात है? क्या आ गये हैं वो लोग?

मैं- “नहीं अम्मी, अभी नहीं। अभी कुछ टाइम है। मैं तो बस वैसे ही आ गया था यहाँ…”

बुआ- “हाँ, तो आओ ना यहाँ बैठो हमारे पास और देखो कि किस तरह हम ऋतु को तैयार करती हैं…”

मैं- “नहीं बुआ, आप लोग ही बैठो मैं दीदी की तरफ जा रहा हूँ…”

अम्मी- “आलोक, तुम ऐसा करो कि अभी जब तक वो लोग आ नहीं जाते गेस्ट-रूम को देख लो कि किसी चीज की कमी ना हो…”

मैं- “ठीक है अम्मी, मैं दीदी और पायल को ले जाता हूँ अपने साथ…”

अम्मी- “नहीं आलोक, उनको भी तैयार होने दो। ये काम तुम खुद ही देख लो अभी…”

मैं- क्यों अम्मी? दीदी और पायल ने कहाँ जाना है?

अम्मी- “बेटा, आज जो एम॰पी॰ आ रहा है उसके दोस्तों को तुम्हारी दीदी और पायल ही संभालेंगी…”

मैंने हाँ में सर हिला दिया और वहाँ से उठकर गेस्ट-रूम की तरफ चल पड़ा और सोचने लगा कि आज मेरी तीनों बहनों की जम के चुदाई होने वाली है और वो भी कमाल की होगी। क्योंकि ऋतु के साथ तो एक ही आदमी करेगा लेकिन पता नहीं दीदी और पायल के साथ कितने लोग चुदाई करेंगे?
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06-23-2017, 10:33 AM,
#25
RE: Hot stories घर का बिजनिस
ये सब सोचते हुये मेरा लण्ड जोश से खड़ा हो गया और मैं आने वाले क्षणों के बारे में सोच के ही मस्त हो रहा था।

अम्मी से बातें करने के बाद मैं अपने रूम में चला गया और आने वालों का इंतेजार करने लगा। क्योंकि अभी मुझे और कोई काम तो था नहीं, इसीलिए।

कोई एक घंटे के बाद बापू मेरे रूम में आ गये और बोले- “चलो आलोक, वो लोग आ गये हैं। जाओ तुम उन्हें शराब की बोतल और गिलास वगैरा दे दो तब तक मैं तुम्हारी बहनों को भी भेज देता हूँ…”

मैं बापू की बात सुनकर फौरन वहाँ से उठा और सीधा गेस्टरूम की तरफ चल पड़ा जहाँ 4 लोग थे जिनमें एक एम॰पी॰ और उसके साथ 3 लोग और भी थे।

मैंने अलमारी से दो बोतल निकाली और गिलास भी निकालकर उनके सामने रखे तो उनमें से एक जो कि एम॰पी॰ के पास ही बैठा हुआ था बोला- क्या नाम है तेरा जवान?

मैंने कहा- “जी मेरा नाम आलोक है और यहाँ आप लोगों को हर चीज पहुँचना ही मेरा काम है…”

उसने कहा- अच्छा, तो इस तरह बोल ना कि कंजर है तू और कब से है यहाँ इनके घर में…”

मुझे उसकी बात से इतना गुस्सा तो नहीं आया लेकिन बुरा लगा और मैंने कहा- “जी जब से पैदा हुआ हूँ इनके साथ ही हूँ…”

एम॰पी॰ मेरी बात सुनकर हँस पड़ा और बोला- “साले, बात तो इस तरह कर रहा है जैसे तेरी बहनें हों ये गश्तियां…”

मैंने हाँ में सर हिला दिया और बोला- “जी सर, ये मेरी सगी बहनें ही हैं…”

इससे पहले कि उनमें से कोई और भी कुछ बोलता दीदी, पायल और ऋतु भी रूम में आ गईं और वो लोग मेरी बहनों का जलवा देखकर मुझे भूल गये और उनको देखने लगे। एम॰पी॰ मेरी तरफ देखे बिना ही बोला- “यार आलोक, तेरी बहनें तो साली सच में रंडी नहीं लगती यार…”

मैं- “सर, हम ये काम खानदानी करने वाले नहीं हैं इसलिए…”

एम॰पी॰- “तो साले, मेरी वाली कौन सी है लेकर आ ना उसे मेरे पास… मैं उसे अपनी गोदी में बिठाकर अपने हाथों से पिलाऊँगा…”

उसकी बात सुनकर सबसे पीछे खड़ी ऋतु को मैंने इशारा किया जो कि काफी ज्यादा घबरा रही थी और उस वक़्त राजस्थानी शलवार और फिटिंग वाली कमीज में कयामत ही लग रही थी। ऋतु कांपती टाँगों और तेजी के साथ धड़कते दिल के साथ आगे बढ़ी और एम॰पी॰ के पास जाकर खड़ी हो गई।

एम॰पी॰ जो कि ऋतु को आँखें फाड़े देख रहा था फौरन उठा और ऋतु को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके गालों पे हाथ फेरने लगा और बोला- “कसम से आज तक इतनी प्यारी लड़की नहीं देखी है…”

मैं- “सर, आज तक किसी ने इसे हाथ भी नहीं लगाया है। आप ही पहले इंसान हो जो इसे हाथ लगा रहे हो…”

एम॰पी॰- “यार, सच में तेरी बहन को देखकर ही मैं दीवाना हो गया हूँ। बस समझ लो कि तुम्हारी बहन आज मुझसे नहीं बचने वाली, साली को फाड़कर रख दूँगा…”

ऋतु जो कि एम॰पी॰ के पास ही खड़ी हुई थी। उसकी बात सुनकर घबरा गई और दो कदम पीछे हट गई जिस पे एम॰पी॰ गला फाड़कर हाहाहाहा करके हँसने लगा और बोला- “जान, इतना क्यों घबरा रही हो? अभी तो मैंने तुम्हें कुछ कहा भी नहीं है…”

दीदी जो कि उस एम॰पी॰ के एक चमचे को शराब पिला रही थी बोली- “सर, अभी बच्ची है ना इसीलिए डर रही है। कुछ देर बाद जब थोड़ी शराब पिलाओगे और प्यार करोगे तो खुद ही ठीक हो जाएगी…”

(चमचा- एम॰पी॰ के साथ आने वालों को मैं चमचा 1, 2, और 3 ही लिखूंगा)

चमचा1- “साली तू उसे छोड़ और मुझे पिला। उसे तो एम॰पी॰ साहब खुद ही सिखा लेंगे…”

दीदी- “जो आप कहो जान…” और साथ ही उसके लिए एक पेग और बनाने लगी।

एम॰पी॰- “चलो यार, तुम लोग यहाँ से किसी रूम में जाओ, जो भी करना है रूम में करो…”

चमचा2- क्यों सर? आप नहीं जाओगे क्या किसी रूम अ?

एम॰पी॰- “नहीं, मैं आज एक नया मजा लेना चाहता हूँ और आज मैं इस कली को इसके बड़े भाई के सामने ही फूल बनाऊँगा…”

चमचा1- “वाउ सर, अगर आप नाराज नहीं हों तो क्या हम भी यहाँ आपके पास ही रुक जायें…”

एम॰पी॰- क्यों? क्या मैं तेरी बेटी को चोद रहा हूँ साले जो तुमने यहाँ रुकना है? जब अपनी बेटी को मुझसे चुदवाएगा तब तू भी देख लेना कि मैं कैसे चोदता हूँ। चलो जाओ यहाँ से…”

एम॰पी॰ की बात सुनकर वो तीनों दीदी और पायल को अपने साथ लेकर एक रूम में चले गये।

तो उस एम॰पी॰ ने कहा- “चल भाई, तू मेरे साथ इस दूसरे रूम में आ जा…”

मैं शराब की बोतल और गिलास लेकर ऋतु और उस एम॰पी॰ के पीछे रूम में आ गया तो उसने कहा- “यहाँ बेड के पास एक कुर्सी रखो और यहाँ बैठ जाओ और आज अपनी बहन की पहली चुदाई का मजा लो…”

जिस तरह उस एम॰पी॰ ने कहा, मैंने वैसे ही किया और बेड के पास एक कुर्सी रख ली और बैठ गया तो उसने शराब के पेग बनाने के लिए कहा तो मैंने 3 गिलास बनाकर दो उसे और ऋतु को पकड़ा दिए और एक खुद पकड़ लिया और पीने लगा।

एम॰पी॰ गिलास पकड़ते हुये ऋतु को बोला- “चलो रानी, हमें अपने हाथों से पिलाओ आज…”

ऋतु थोड़ा झिझकी तो मैंने उसे इशारे से वैसे ही करने को कहा। तो ऋतु ने गिलास को उसके होंठों से साथ लगा दिया और पिलाने लगी।

एम॰पी॰ ने शराब पीने के बाद ऋतु को अपनी तरफ खींच लिया और अपनी गोदी में बिठा लिया और खुद उसे पिलाने लगा। क्योंकि ऋतु ने पहले भी दो पेग लगा लिए थे और एक रूम में आकर लगाया था जिसकी वजह से उसकी आँखों में सेक्स और नशा साफ नजर आ रहा था।

अब एम॰पी॰ ने मेरी तरफ देखा और बोला- क्यों बे? क्या अपनी बहन को मेरे लिए नंगा नहीं करेगा?

मैंने कहा- “सर, आप जो बोलोगे मैं मना नहीं करूंगा…”

एम॰पी॰ ने हँसते हुये कहा- “चल फिर आ जा और अपनी बहन को नंगा कर जल्दी से…”

एम॰पी॰ की बात सुनते ही में झट से बेड पे आ गया और ऋतु की कमीज को पकड़ लिया और आराम से उसके जिश्म से अलग करने लगा। ऋतु क्योंकि इस वक़्त काफी ज्यादा नशे में थी और शराब के साथ सेक्स भी उस पे सवार हो चुका था तो वो मेरे साथ लिपट गई और किस करने लगी।

एम॰पी॰ ने जब देखा कि ऋतु मेरे साथ ही लिपट रही है तो उसने ऋतु को बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और बोला- “साली, मैंने तेरे बाप को तुझे चोदने के पैसे दिए हैं और तू अपने भाई से लिपट रही है हरामजादी…”

ऋतु जो कि काफी नशे में आ चुकी थी बोली- “तो फिर तुम ही कर लो लेकिन जल्दी करो मुझे कुछ हो रहा है…”

एम॰पी॰ ने कहा- “साली, अभी जब मैं तेरी फुद्दी में अपना लण्ड घुसाऊँगा ना तब पता चलेगा तुझे… साली कुतिया की बच्ची…” और इसके साथ ही उसने ऋतु की ब्रा पे हाथ डाला और एक ही झटके से ब्रा को फाड़ डाला और बोला- “साली, आज तेरी फुद्दी को भी इसी तरह फाड़ूंगा… और तेरे भाई के सामने ही फाडूंगा…”

ब्रा के फटते ही मेरी छोटी बहन की चूचियां एकदम से आजाद हो गयीं जिन्हें देखते ही वो एम॰पी॰ ऋतु की चूचियों पे टूट पड़ा और उन्हें चूसने लगा और साथ ही जोर-जोर से दबाने लगा। इस अचानक हमले से और चूचियों को जोर से दबाने की वजह से ऋतु थोड़ा बौखला गई।

ऋतु- आऐ आराम से प्लीज़्ज़… दर्द होता है।

एम॰पी॰- “चुप साली, दर्द हो रहा है तो यहाँ मुझसे क्या माँ चुदवाने आई है? हाँ…” और इतना बोलते ही वो बुरी तरह से ऋतु की चूचियों को दबाने लगा।

उस एम॰पी॰ के इस तरह चूचियों को दबाने और मसलने की वजह से ऋतु बुरी तरह मचल रही थी और साथ ही- “उउन्नमह… भाई इसे रोको प्लीज़्ज़… दर्द हो रहा है आअह्ह…”

अब एम॰पी॰ ने ऋतु की चूचियों को छोड़ दिया और एक ही झटके से ऋतु की शलवार भी निकाल दी जिससे ऋतु बिल्कुल नंगी हो गई और मैं और एम॰पी॰ ऋतु के गोरे और नंगे जिश्म को निहारने लगे। ये नजारा देखकर मेरा लण्ड तो सलामी देने लगा था और पैंट फाड़ने की कोशिश कर रहा था।

एम॰पी॰ ने कुछ देर तक इसी तरह मेरी बहन को निहारा और फिर मेरी बहन की टाँगों को उठा दिया और अपना मुँह मेरी छोटी और कुँवारी बहन की फुद्दी के साथ लगा दिया और सर्ल्लप्प की आवाज के साथ चाटने लगा। एम॰पी॰ के इस तरह करते ही ऋतु के जिश्म को एक झटका सा लगा और उसके मुँह से एक मजे की वजह से सिसकी निकल गई और वो उन्म्मह… ससीई… की आवाज करने लगी और साथ ही उस एम॰पी॰ के सर को अपनी फुद्दी की तरफ दबाने लगी।

मैं ये सब देखकर काफी बेचैन हो रहा था और अपने लण्ड को पैंट की जिप खोलकर बाहर निकाल लिया था और मसलने लगा था।
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06-23-2017, 10:33 AM,
#26
RE: Hot stories घर का बिजनिस
उस वक़्त मेरे लण्ड को ऋतु की फुद्दी ने पूरी तरह से भींचा हुआ था जिससे मुझे भी हल्का सा दर्द हो रहा था। तभी बाजी थोड़ा आगे बढ़ी और ऋतु की फुद्दी की तरफ देखने लगी और फिर मेरे कान में कहा- “आलोक थोड़ा सा बाहर निकालकर पूरा घुसा दो। इस तरह इसे ज्यादा दर्द हो रही है…”

मैंने बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने हाँ में सर हिला दिया। तो मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकालकर फिर से ऋतु को थोड़ा मजबूती से जकड़ लिया और पूरी ताकत का एक तेज झटका लगा दिया। मेरे इस तूफानी झटके से लण्ड ऋतु की फुद्दी को पूरी तरह से खोलते हुये जड़ तक घुस गया। लण्ड के पूरा घुसते ही ऋतु के मुँह से- “अम्मी जीए आअह्ह… भाई निकालो बाहर… ऊओ मेरी फट गई भाई… मुझे नहीं करना है भाई… प्लीज़्ज़ बाहर निकालो… ऊओ बाजी… भाई को रोको प्लीज़्ज़…”

ऋतु उस वक़्त बुरी तरह से चिल्लाने के साथ रो भी रही थी कि तभी बाजी आगे बढ़ी और ऋतु की चूचियों को अपने मुँह में भर के चूसने लगी और दबाने लगी। जिससे ऋतु कुछ ही देर में शांत हो गई। लेकिन उसकी आँखों से अभी भी पानी निकल रहा था।

अब मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर से अंदर घुसा दिया जिससे ऋतु के मुँह से सस्सीए की आवाज निकल गई लेकिन वो और कुछ नहीं बोली। अभी मेरा लण्ड ऋतु की फुद्दी में पूरी तरह से फँस के जा रहा था।

कोई दो मिनट तक आराम-आराम से चुदाई करने के बाद ऋतु ने भी अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ दबाना शुरू कर दिया। ऋतु के इस तरह गाण्ड हिला के मेरा साथ देते ही मैं समझ गया कि अब ऋतु को दर्द नहीं हो रहा, बलकि वो भी अब मजा ले रही है। तो मैंने अपनी स्पीड को थोड़ा सा बढ़ा दिया।

जिससे ऋतु के मुँह से- “आअह्ह… भाई जोर से नहीं… उंनमह… हाँ भाई बस इसी तरह प्यार से करो… उन्म्मह… ऊओ… भाई अब अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… भाई ऊओ… मुझे कुछ हो रहा है आअह्ह…” की आवाज के साथ ही मेरे साथ लिपट गई और अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ जोर से दबाने लगी और कुछ ही देर में- “ऊओ भाई आअह्ह… मेरा हो गया…” की आवाज के साथ ही ऋतु का जिश्म अकड़ने लगा और फिर मुझे ऋतु की फुद्दी में अपने लण्ड पे गरम लावा सा गिरता महसूस हुआ और इसके साथ ही ऋतु बेड पे गिर गई और अपनी आँखें बंद करके लंबी-लंबी सांसें लेनी लगी।

ऋतु के फारिग़ होते ही मेरे लण्ड को भी ऋतु की फुद्दी ने आसानी से जगह देना शुरू कर दिया जिससे मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही देर में मैं भी अपनी छोटी बहन की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और ऋतु ने मुझे बड़ी जोर से अपने साथ भींच लिया और हम दोनों कुछ देर तक इसी तरह एक दूसरे के साथ लिपट के लेटे रहे।

कुछ देर के बाद बाजी ने मुझे हिलाया और कहा- “भाई चलो, अब उठो काफी देर हो रही है…”

मैं ऋतु के ऊपर से उठा और जैसे ही मेरा लण्ड मेरी प्यारी छोटी बहन की फुद्दी से पुच्चहक की आवाज के साथ बाहर निकला और मैं खड़ा हुआ तो मेरी नजर ऋतु की लाल और खून और मेरी मनी से सनी हुई फुद्दी पे पड़ी तो मैं काफी परेशान हो गया।

जब बाजी ने मुझे ऋतु की फुद्दी की तरफ परेशानी से देखते हुये पाया तो तो बाजी ने कहा- “आलोक, परेशानी की कोई बात नहीं है। ये सब नार्मल है। तुम चलो अपने कपड़े पहनो मैं देखती हूँ…”

मैं बाजी की बात सुनकर अपने कपड़े पहनकर खड़ा हो गया और बोला- बाजी, अब क्या करना है?

पायल- “कमीने, अभी जो तुमने अपनी मासूम बहन के साथ जुल्म किया है उसकी सफाई करनी है…” और हेहेहेहे करके हँसने लगी।

बाजी- “पायल, क्यों आलोक को परेशान कर रही हो? आलोक तुम जाओ घर, मैं अभी इसे नहला के अपने साथ लाती हूँ…?

मैं बाजी की बात सुनकर बोला- “जी बाजी, जैसे आप कहो…” और रूम से निकलकर घर आ गया जहाँ अम्मी और बुआ बैठी हमारा इंतजार कर रही थीं।

अम्मी- आलोक, क्या बात है? तुम अकेले आए हो? सब ठीक तो है ना? तुम्हारी बहनें कहाँ हैं?

मैं- “अम्मी, वो भी आ रही हैं और बाकी सब ठीक है…”

बुआ- आलोक, क्या बात है जानू? तुम कुछ परेशान लग रहे हो? कोई मसला है क्या?

मैं- “अरे नहीं बुआ, ऐसी कोई बात नहीं है बस जरा थक गया हूँ…”

बुआ- “क्यों? क्या आज उस एम॰पी॰ की जगह तू ने अपनी बहन की सील तोड़ी है जो थक गया है…” और हेहेहेहे करके हँसने लगी।

अम्मी- “चल चुप कर कमीनी, हर वक़्त मेरे बेटे को तंग करती रहती है। मेरी तीनो बेटियां मेरे इस शेर के लिए ही तो हैं जब चाहे, जिसे चाहे, अपने पास सुला ले। इसे कोई भी मना नहीं करेगा…”

बुआ- “भाभी, मना तो मैंने भी कभी नहीं किया… लेकिन अब हमारा शेर हमारी तरफ देखता ही कहाँ हैं? जवान लौंडियों के पीछे पड़ा रहता है…”

मैं- “नहीं बुआ, ऐसी कोई बात नहीं है जैसा आप समझ रही हो…”

अम्मी- अच्छा, तो फिर कैसी बात है बता तो जरा?

मैं- “अम्मी, बस आपको तो पता ही है कि मैं खुद थक जाता हूँ इसीलिए आप लोगों को ज्यादा टाइम नहीं दे सका…?

बुआ- अच्छा जी, तो फिर कोई बात नहीं… वैसे बात क्या है? अभी तक तेरी बहनें नहीं आईं?

बाजी- “बुआ, आप कहीं और देखो तो हम नजर आयें ना…” बाजी और पायल ने जो कि ऋतु को सहारा देकर अभी रूम में दाखिल ही हुई थीं, बुआ को जवाब दिया।

अम्मी फौरन अपनी जगह से उठी और ऋतु को सहारा देकर अपने साथ ही बिठा लिया और बोली- “क्या हुआ? मेरी बच्ची ठीक तो हो ना?

पायल- “हाँ अम्मी, वैसे जिसकी सील आपका बेटा तोड़ेगा उसका हाल ये ही होना था ना…”

अम्मी हैरानी से मेरी और ऋतु की तरफ देखते हुये बोली- आलोक, पायल क्या बोल रही है? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही?

बाजी- “अम्मी, उस एम॰पी॰ हरामी से तो कुछ हुआ नहीं और ऋतु की हालत खराब कर दी थी उसने तो हमने ऋतु को ठंडा करने के लिए भाई को बोल दिया…”

बुआ- लो भाई आलोक, तुम बड़े लकी निकले पैसे किसी ने दिए और सील तुमने खोली। हाँ और हमें बताया भी नहीं कमीने…”

अम्मी- “चलो कोई बात नहीं… लेकिन अपने बापू को नहीं बताना, समझ गये तुम लोग…”

मैं- “जी अम्मी, जैसे आप बोलो…” फिर हम वहाँ से उठे और अपने-अपने रूम में आ गये।
ये कहानी यहाँ खतम होती है।

*****समाप्त *****
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