03-06-2019, 10:25 PM,
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
जगदीश राय: पर…क्यों…बेटी…कुछ नहीं होगा…डरो मत…।
निशा (फिर हँस्ते हुए): अब आप एक बच्चे की तरह सो जाईये…चलिये।।
जगदीश राय: पर…
निशा(दरवाज़ा बंद करते हुए): गुड नाईट…स्वीट ड्रीम्स।।हे हे…
जगदीश राय रात भर करवटें बदलता रहा।
दिन में हुई घटनाओ, निशा की गिली चूत, उसपर लगी लाल बड़ी क्लिटोरिस, चूचे, गुलाबी निप्पल , मुलायम चमड़ी उसे सोने नहीं दे रहे थे।
वह खुद निशा के रूम में जाना चाहता था। कोई 4 बजे उसकी आँख लगी।
सूबह 8 बजे जगदीश राय की नींद बर्तनो की आवाज़ से खुली।
जगदीश राय मुह हाथ धोकर हॉल में पहूंच गया। निशा एक लूज मैक्सि, जो पैरो तक ढकी हुई थी, पहनी नास्ता बना रही थी।
निशा ने अपने गीले बाल एक सफ़ेद टॉवल में बांध रखे थे। और पानी की कुछ बूँदे बालों से गिरकर निशा के गर्दन पर फिसल रहा था।
जगदीश राय निशा का यह रूप देखकर बहुत उत्तेजित हो गया था।
निशा: अरे पापा।।आ गए…रुको मैं अभी चाय लेकर आती हूँ।
जगदीश राय: ओह्ह्ह्हह
जगदीश राय , रूठे हुए अंदाज़ में निशा की तरफ देखा।
निशा (मुस्कुराते हुए): क्या हुआ पापा…नाराज़ हो…मुझपर…
जगदीश राय: और नहीं तो क्या…।कल सारी रात मुझे नींद नहीं आई।
निशा (मुस्कुराते हुए): क्यूँउउ?
जगदीश राय: अब बनो मत…तुम जानती हो…क्यो?
निशा (मुस्कुराते हुए): अच्छा जी…तो सारी रात किया क्या …हे हे…
जगदीश राय (बच्चे की तरह रूठे हुए): और क्या …तुम्हारा हर अंग मेरे आखौं के सामने झलक रहा था।।नीन्द कैसे आती…
निशा (चिढ़ाते हुए):ओह ओह …सो सैड।।।
जगदीश राय: वह छोडो।।नाशता तैयार है या नहीं…
निशा: आपके लिए तो दो दो नाश्ता तैयार है…
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RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
जगदीश राय: दो दो नाश्ता है…
निशा: एक जो कढाई में उबल रही है… और दूसरे जो यहाँ नीचे उबली हुई है।।
यह कहकर निशा ने अपनी मैक्सी घूटनों तक उठा ली।
जगदीश राय , कुछ पल तक मतलब नहीं सम्झा। और युही निशा को ताकता रहा।
निशा: सोच लो…यह ऑफर की लिमिटिड वैलिडिटी है।। एक बार आशा-सशा उठ गई तो आज सैटरडे तो कुछ नहीं मिलेंगा।
जगदीश राय की हालत प्यासे-को-कुवाँ-मिलने लायक हो गयी।
उसने बिना एक सेक्ण्ड गवाये निशा के सामने झूक गया और मैक्सी में घूस गया।
निशा अपने पापा का यह उतावलापन देखकर हँस पडी।
निशा: ओह ओह …धीरे धीरे पापा।।मैं यही हु…हे ह
और फिर निशा ने मैक्सी को गिरा दिया और जगदीश राय अंदर समां गया।
जगदीश राय मैक्सी के अंदर घूसते ही , थोड़ी बहुत रौशनी से जाना की निशा ने पेंटी नहीं पहनी है।
चूत से बहुत ही मादक सुगंध आ रहा था जो निशा की चूत की गंध और कोई मॉइस्चराइजिंग लोशन का वीर्य था।
जगदीश राय एक भूखे कुते की तरह निशा की गुलाबी चूत पर टूट पडा।
पर निशा के पैरो के बीच ज्यादा जगह न होने के कारण , जगदीश राय , कोशिश करने के बावजूद, सिर्फ निशा की जाँघे ही चाट पा रहा था।
निशा: रुक जाओ पापा…जो आपको चाहिये वह देती हु…
और फिर निशा , अपने दोनों पैर फैलायी और अपने हाथो को किचन प्लेटफार्म पर सहारा देते हुए, अपने दोनों पैरो को घूटने से मोड़ दिया।
निशा: अब ठीक है पापा।
जवाब मैं जगदीश राय ने अपने कापते होटों से निशा की खुली हुई गिली चूत को दबोच लिया।
निशा: ओह…।आआह्ह्ह्ह…पापा…धीरे…।
जगदीश राय निशा की चूत को पागलो की तरह खा रहा था, चाट रहा था। क्लाइटोरस को होटों से खीच खीच कर उसने लाल कर दिया था, सुजा दिया था।
वहाँ चाय उबल रहा था और यहाँ निशा अपने पापा से चूत चुस्वाकर झडने के कगार पर थी।
अब जगदीश राय ने अपनी जीभ को निशा के चूत के अंदर सरका दिया, निशा से रहा नहीं गया।
उसके लिए अब अपने पैरो को फैलाकर और मोड़कर खड़ा रहना , मुश्किल हो चला था। पैर कांप रहे थे।
वही जगदीश राय रुक्ने का नाम नहीं ले रहा था।
निशा: पापा मैं अब रोक नहीं सकती…।
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