Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
06-19-2018, 12:29 PM,
#1
Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
दोस्तो मेरे पास कुछ पुराना नेट कलेक्शन है जिसमें बहुत सी छोटी छोटी चुदाई से भरपूर कहानियाँ हैं जिसे मैं आपसे से शेयर करने जा रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ आपको मेरी ये कोशिस ज़रूर पसंद आएगी 

दो कामुक हसीना





करीब नौल साल पहले की बात है। उस समय मेरी उम्र बाईस साल थी और मैं पी-दब्ल्यू-डी डिपार्टमेंट में नया-नया भर्ती हुआ था। चुनाव आयोग की ओर से फोटो वाले कार्ड बाँटने थे। ये काम हमारे डिपार्टमेंट के पास भी था ओर ये कार्ड बाँटने का काममेरे साथ दो और साथियों को दिया गया। मेरे पास जो कार्ड थे वो उस इल्लाके के थे जो रईस पैसे वालों का था। मैं दो दिन तक घरों में जा-जा कर कार्ड बाँटता रहा। गर्मी के दिनों में ये काम आसान नहीं था।

तीसरे दिन भी मैं कार्ड बाँट रहा था। एक घर में गया तो गेट पे खटखटाने पर कोई नहीं आया। मुझे लगा कि घर में कोई तो मौजूद होना ही चाहिये क्योंकि गेट के अंदर होंडा सिटी कार खड़ी थी और गेट के बाहर भी एक स्कोडा कार मौजूद थी। हिम्मत करके अंदर घुसा और चारों ओर नज़र मारी कि कहीं से कोई कुत्ता ना आ जाये क्योंकि अमीरों के घरों में अक्सर कुत्तों से सावधान रहना पड़ता है। जैसे तैसे घए के मुख्य-दरवाजे पे जाकर घंटी बजायी लेकिन कोई आवाज नहीं सुनी। शायद घंटी खराब थी। दरवाज़ाठोंका तो कोई नहीं आया। कुछ देर मैं वहाँ खड़ा रहा। फिर वापस आने लगा कि तभी मैंने ध्यान दिया कि अंदर से अंग्रेज़ी गाना बजने की आवाज़ आ रही है। मैंने हिम्मत की और बगल में जा कर खिड़की से अंदर देखने गया। खिड़की ऊँची थी तो मैंने वहीं पड़ी एक बाल्टी को उल्टा करके उस पर चढ़ गया।

अंदर देखा तो देखता ही रह गया। मेरे हाथ पैर सुन्न हो गये थे। अंदर दो औरतें पूरी तरह से नंगी थीं और सोफे पर एक-दूसरे से चिपक कर बैठी सिगरेट और शराब पी रही थीं। वहीं मेज पर आधी भरी शराब की बोतल और एक विदेशी सिगरेट का पैकेट और ऐश-ट्रे भी रखी थी। सिगरेट की हल्की सी बू तो मुझे खिड़की के बाहर तक आ रही थी। ये औरतें लगभग पैंतीस साल की रही होंगी। दिखने में दोनों ही बिकुल पटाखा थीं। दोनों के लंबे घने काले बाल, कजरारी आँखें, लिपस्टिक लगे लाल-लाल होंठ। दोनों का नंगा जिस्म बहुत ही सैक्सी और सुडौल था। ज़ाहिर था कि दोनों काफी अमीर थीं क्योंकि उनमें से एक के गले में कीमती मोतियों का हार था और दूसरी के गले में हीरों का नेकलेस था। दोनों की कलाइयों में कीमती कंगन और फैंसी घड़ियाँ भी थीं। एक के पैरों में सफेद रंग के ऊँची पेंसिल हील के सैण्डल थे और दूसरी ने अपने पैरों में लाल रंग के वैसे ही पेंसिल हील के सैण्डल पहने हुए थे। दोनों के मम्मे भी काफी बड़े-बड़े थे और दोनों की चूतें भी बिल्कुल साफ सुथरी और चिकनी थीं। झाँटों का नामोनिशान नहीं था।

वो औरतें शराब पीते हुए बार-बार एक दूसरे को चूम रही थीं और चिपक कर एक दूसरे के मम्मे भी सहला रही थीं। उन औरतों के शराब के ग्लास जब खाली हुए तो दोनों एक बार फिर होंठों से होंठ चिपका कर एक दूसरे को चूमने लगीं। कुछ देर ऐसे ही चूमने के बाद सफेद सैंडल वाली औरत खड़ी हुई और झूमती हुई कमरे से बाहर निकल गयी। उसके लड़खड़ाते कदमों से साफ ज़ाहिर था कि वो नशे में थी। दूसरी औरत सोफे पर पीछे टिक कर बैठ के टाँगें फैलाये अपनी चूत सहलाने लगी। इतने में ही पहले वाली औरत अपने साथ डोबरमैन नस्ल का एक बड़ा सा कुत्ता अपने साथ लेकर वापिस आ गयी।

दूसरी औरत भी नशे में झूमती हुई सोफे से उठी और फिर दोनों औरतें उस कुत्ते को पकड़ कर उसे पुचकारने और दुलारने लगीं और वो कुत्ता उनसे बचने की कोशिश कर रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत ने कुत्ते को पकड़ा ओर दूसरी अपनी टाँग फैला कर बैठ गयी। मेरा लण्ड हरकत कर रहा था। फिर दोनों औरतों ने कुत्ते के सिर को पकड़ कर टाँगें फैला कर बैठी हुई औरत की चूत में कुत्ते का मुँह लगाया। लेकिन कुत्ता अब भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत ने एक हाथ से कुत्ते का लण्ड सहलाना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड अपने पूरे तेवर पर आ गया था। पैंट फाड़ कर बाहर आने को मचलने लगा। कुछ देर में ही कुत्ता शाँत हो गया और टाँगें फैलाये बैठी हुई लाल सैंडल वाली औरत की चूत को चाटने लगा। वो औरत बहुत मस्त हो रही थी और अपनी चूत को रुक-रुक कर ऊपर उठा रही थी। कुत्ता उसकी चूत ज़ोर-ज़ोर से चाट रहा था। दूसरी औरत उसके लण्ड पर हाथ फेर रही थी। कुत्ते का लण्ड थोड़ा-थोड़ा करके बाहर आ रहा था और वो औरत उसके लण्ड को सहला रही थी। फिर जब कुत्ते से अपनी चूत चटवा रही लाल सैण्डल वाली औरत उठने लगी तो कुत्ता उस पर उछलने लगा। वो औरत घूम कर कुत्तिया कि तरह हो गयी। उसकी गाँड कुत्ते के मुँह पर थी और कुत्ता उसको चाटने लगा।

दूसरी औरत ने कुत्ते के आगे के दोनों पैर उठाये और लाल सैंडल वाली औरत के ऊपर चढ़ा दिया। कुत्ते को भी समझ में आ गया कि उसे क्या करना है। शायद वो कुत्ता उन औरतों के साथ पहले भी चुदाई में शामिल हो चुका था। वो जोर-जोर से झटके मारने लगा पर उसका लण्ड बाहर ही था। दूसरी औरत ने कुत्ते का लण्ड पकड़ा और नीचे कुत्तिया बनी लाल सैण्डल वाली औरत की चूत के पास ले गयी। कुत्ता झटके मार रहा था और कईं झटकों के बाद उसका निशाना लग गया ओर कुत्ते का लण्ड लाल सैण्डल वाली औरत की चूत में घुस गया।

वो औरत मस्त हो गयी। कुत्ता झटके मार रहा था। वो औरत कुत्ते के झटकों से पूरी हिल रही थी। दूसरी औरत लड़खड़ाती हुई उठी और कुत्तिया बनी औरत के आगे खड़ी हो गयी और अपनी टाँगें फैला कर झुक गयी। कुत्तिया बनी औरत के मुँह के सामने अब उसकी चूत थी। कुत्ते से चुद रही औरत ने अब सफेद सैंडल वाली औरत की चूत चाटना शुरू किया। खड़ी हुई औरत भी मस्त हो रही थी। वो अब अपने बड़े-बड़े मम्मे अपने ही हाथों से दबाने लगी। कुत्तिया बनी औरत उसकी चूत में कभी अपनी जीभ डालने की कोशिश करती तो कभी उसको चाटने लगती। उधर कुत्ता भी धक्के मार-मार कर चोद रहा था। खड़ी हुई औरत भी नशे में ज्यादा खड़ी नहीं रह सकी और बैठ गयी ओर कुत्ते से चुद रही औरत के खरबूजे जैसे मम्मे दबाने लगी। दोनों शराब और चुदाई की मदहोशी में थीं और उनकी चूत से निकला पानी फ़र्श पर बिखर रहा था।

कुत्ता अब ढीला पड़ गया था पर वो उस औरत की कमर से नीचे नहीं उतरा था। कुछ देर बाद कुत्ता उतरा ओर एक तरफ़ हट कर अपने लण्ड को चाटने लगा। कुत्तिया बनी औरत भी बैठ कर अपनी कमर सीधी करने लगी। वो पीछे की ओर झुकी तो उसकी चूत आगे की ओर निकल गयी। उसकी चूत में से कुत्ते के लण्ड का सफेद माल निकल रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत झुक कर उसकी चूत को चाटते हुए कुत्ते का वीर्य पीने लगी। फिर उसके पूरे बदन को चाटते हुए वो ऊपर पहुँच गयी और अब उसके मुँह में लाल सैंडल वाली औरत के खरबूजे जैसे मम्मे थे जिन्हें वो जोर-जोर से चूस रही थी। लाल सैंडल वाली ने भी सामने वाली के बड़े बड़े मम्मे दबाने शुरू किये ओर फिर दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाते हुए खड़ी हो गयीं। खड़े-खड़े एक दूसरे का बदन सहलाते सहलाते दोनों ने एक दूसरे की चूतों में उंगली डाल दी। दोनों का एक हाथ एक दूसरे के मम्मों पर था ओर दूसरा हाथ एक दूसरे की चूत पर था। वो अपनी उंगलियाँ एक दूसरे की चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगी। दोनों की चूत लाल हो गयी थीं। उंगलियों के अंदर बाहर होने से दोनों की चूतों से पानी निकल रहा था जो उनकी उंगलियों के झटके के कारण छिटक-छिटक कर नीचे गिर रहा था।

दोनों ने अब अपनी उंगलियाँ चूतों से निकाल लीं। दोनों अब एक दूसरे को अपनी बाँहों में भर कर चिपक गयी और दोनों के मम्मे आपस में एक दूसरे से ऐसे दब गये जैसे कि दोनों के मम्मे अपनी अपनी ताकत दिखा रहे हों। दोनों औरतें अब एक दूसरे के नंगे जिस्मों को सहला रही थीं। उनके हाथ कुछ देर एक दूसरे के बालों को सहलाते तो कभी पीठ को तो कभी गाँड को। कुत्ता भी बीच-बीच में उन दोनों को आ कर चाट जाता ओर फिर दूर जा कर अपने लण्ड को चाटने लगता। दोनों औरतें एक दूसरे से चिपकी हुई थीं ओर बीच-बीच में एक दूसरे के मम्मे दबा लेती तो कभी चूत ओर गाँड तो कभी पीठ सहला रही थीं। मेरे लण्ड का पानी इस एक घंटे में निकल चुका था ओर वो फिर टनटनाने लगा था। करीब दस मिनट बाद दोनों नंगी ही उस कमरे से बाहर चली गयीं और उनके पीछे कुत्ता भी निकल गया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। हाथ-पैर में जैसे जान ही नहीं थी। मैं चार पाँच मिनट वहँ रुका कि शायद वो औरतें कमरे में वापस आयें पर जब वो नहीं आयीं तो मैं वहाँ से निकल गया। वो पूरा दिन और रात मेरी आँखों के सामने दोनों औरतों की नंगी तस्वीर दिखायी देती रही। मेरा मन उन औरतों में ही अटक गया था। कम उम्र के बावजूद चुदाई के खेल में मैं काफी अनुभवी था लेकिन उन औरतों को आपस में लेस्बियन चुदाई और खासकर के कुत्ते के साथ चुदाई करते हुए देखना मेरे लिये नयी बात थी।

दूसरे दिन मैं फिर कार्ड बाँटने गया ओर पहले दिन के ही समय पर उसी घर में गया। मुझे लगा कि शायद आज भी मुझे वो दोनों औरतें दिखें। मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे उन्हें कुत्ते से चुदते देखने के लिये।

मैं उस घर मैं गया ओर गेट खोल कर पहले खिड़की पर गया पर अंदर कुछ नहीं दिखा। मैं निराश हो गया कि आज कुछ नहीं दिखेगा। मैं मन मार कर कार्ड देने की सोच कर दरवाजे पर लगी घंटी बजायी। अंदर से कुत्ते के भोंकने की आवाज़ से मैं डर गया पर तभी एक औरत की आवाज़ आयी जो कुत्ते को चुप करा रही थी। दरवाज़ा खुला तो एक औरत मेरे सामने खड़ी थी। ये उनमें से एक थी जिसने पिछले दिन लाल सैंडल पहने हुए थे। मैं उसको देखता ही रह गया। मेरे मुँह से आवाज नहीं निकली। तभी उसने मुझसे पूछा कहो,“क्या काम है… कौन हो तुम?”
मैं सकपका कर बोला,“जी वो, कार्ड देना था!” वो बोली, “कौन सा कार्ड?”मैंने उसको बताया और तभी दूसरी औरत पीछे से आयी और पहली औरत से बोली, “क्या हुआ अलीशा?”अब मुझे पता चला कि जिसने दरवाज़ा खोला था उसका नाम अलीशा है।
Reply
06-19-2018, 12:29 PM,
#2
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
अलीशा बोली,“कुछ नहीं रज़िया! ये कार्ड देने आया है!” फिर अलीशा मुझसे बोली,“आओ अंदर आ जाओ!” मैं अंदर गया और दोनों मेरे सामने सोफ़े पेर बैठ गयीं। कुत्ता भी एक तरफ बैठा था। दोनों ने सलवार-सूट पहना हुआ था। अलीशा ने आज भी वही लाल रंग के ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने रखे थे लेकिन रज़िया ने आज काले रंग के ऊँची हील वाले सैंडल पहने हुए थे। वो दोनों मेरे सामने सोफे पर बैठी थीं फिर भी मुझे उनके मुँह से शराब की बू आ गयी। मैं सोच रहा था कि कैसी औरतें हैं जो दिन में ही शराब पीना शुरू कर देती हैं।
मैं उन्हें कार्ड के बारे में बताने लगा। मैंने कार्ड निकाले तो वो अलीशा और उसके पति के कार्ड थे। मैं समझ गया कि ये घर अलीशा का है। मैंने पुष्टिकरण के लिये उसके पति के बारे में पूछा तो अलीशा बोली कि वो दुबई में काम करते हैं। मैंने उसके पति का कोई पहचान पत्र दिखाने को कहा तो दोनों औरतें अंदर की ओर जाने लगीं। रज़िया मुझसे बोली “तुम रुको हम अभी आते हैं!” वो अंदर चली गयीं। मैं अपने आप पर गुस्सा कर रहा था कि थोड़ा देर से आता तो आज फिर कुछ देखने को मिलता। हो सकता है ये दोनों अंदर कुछ कर रही हों पर मैं देखूँ कैसे।
तभी दोनों औरतें बाहर आयीं ओर अलीशा दरवाजे की तरफ़ गयी ओर उसने दरवाजा बंद कर दिया। मैंने पूछा कि “आपने दरवाज़ा क्यों बंद कर दिया?”
तो वो बोली,“ये टायसन (कुत्ता) बाहर भाग जायेगा इसलिये इसे बंद रखते हैं!”मैं रज़िया की ओर देख कर बोला, “आप कहाँ रहती हैं? आप के कार्ड भी दे दूँ!” वो बोली, “अभी जल्दी क्या है?”मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा कि ये हो क्या रहा है! एक दरवाज़ा बंद कर रही है ओर एक कह रही है कि ‘जल्दी क्या है’। दोनों फिर अंदर के कमरे में मुस्कुराते हुए चली गयीं। कुछ देर बाद अलीशा ने मुझे आवाज दी कि “अंदर आ जाओ… मैं अपने हसबैंड का आई-डी दिखा देती हूँ!” मैं सोचने लगा कि ये औरत अपने शौहर का पहचान-पत्र बाहर ला कर क्यों नहीं दिखा सकती जो मुझे अंदर बुला रही है।
मैं अंदर दूसरे कमरे में गया। पर्दा हटाया तो लगा कि मेरा दिल सीने से बाहर आ गया। मेरे दिल की धड़कन काफी तेज़ हो गयी और मुँह सूख गया। मैं सन्न रह गया था क्योंकि मेरे सामने दोनों औरतें नंगी थीं। सिर्फ़ ब्रा ओर पैंटी और ऊँची हील के सैंडल उनके बदन पर बचे थे। मैं अपनी जगह पर जम गया। वो क्या बोल रही थीं मेरा ध्यान नहीं था। मैं उनके नंगे बदन को आँखें फाड़े देख रहा था।
वो दोनों इठलाती हुई मेरे पास आयीं ओर मुझे पकड़ कर बिस्तर पर ले गयीं। मैं उन्हें बस देखता रहा। मैं कुछ कर नहीं पा रहा था। पिर उन्होंने मेरे हाथ ओर पैर बाँध दिये। फिर अलीशा ने मेरी शर्ट खोलनी शुरू की। वो एक-एक बटन धीरे-धीरे खोल रही थी जबकि रज़िया मेरी पैंट खोल रही थी। अब मेरे बदन पर सिर्फ़ अंडरवीयर थी। अलीशा ने मुझे छोड़ा और कुछ दूर जाकर अपनी ब्रा मेरी ओर देखते हुए उतारनी शुरू की। वो साथ में धीर-धीरे हिल रही थी जैसे नाच रही हो। मेरे देखते ही देखते उसने पैंटी भी उतार दी। मेरे सामने उसकी फूली हुई गुलाबी चूत थी जिस पर एक भी बाल नहीं था। क्या खूबसूरत नज़ारा था। फिर वो मेरे पस आयी और मेरे बदन को चाटने लगी जैसे कल कुत्ता चाट रहा था उनकी चूत को। रज़िया भी अब अपनी ब्रा ओर पैंटी उतार रही थी। मैं तो ये नज़ारा देख कर अपना आपा खो चुका था। रज़िया मेरे पस आयी ओर उसने मेरी कमर के नीचे के हिस्से को चूमना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड अब तक खड़ा हो चुका था और अंडरवीयर में उसका दम घुट रहा था। उसे बाहर आने की पड़ी थी। तभी रज़िया ने मेरी अंडरवीयर पकड़ी और धीरे-धीरे उतारने लगी।
दोनों रंडियों का भोग लिया मैंने
अलीशा मेरे होंठों पर किस करने लगी। फिर वो मेरे होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। रज़िया ने मेरी अंडरवीयर उतारी और मेरी गोलियों को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। एक हाथ से उसने मेरा लण्ड पकड़ रखा था जिसे वो धीरे-धीरे सहला रही थी। अलीशा ने मेरे होंठ चूसना बंद किया और फिर वो अपने बड़े-बड़े गोल मम्मे मेरे चेहरे पर घूमाने लगी। कुछ देर बाद वो अपने मम्मे की चूची मेरे होंठ के पस रख कर बोली, “चूस ना!” मैंने अपना मुँह खोला ओर उसकी चूची चूसने लगा। अलीशा “आआहहहहहहह ऊऊऊऊऊऊईईईईई अल्लाहहऽऽऽ” करने लगी। रज़िया मेरी गोलियों को मुँह से निकाल कर मेरे लण्ड को आईसक्रीम की तरह चाट रही थी। फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में रख लिया और उसे मुँह में अंदर-बाहर करने लगी। तभी दोनों ने एक दूसरे को देखा और कुछ इशारा किया और दोनों खड़ी हो गयीं और अपनी जगह बदल ली। अब अलीशा नीचे मेरे लण्ड को पकड़ेहुए थी ओर रज़िया मेरे सीने पर दोनों ओर पैर डाल कर बैठ गयी। उसके बैठते ही मुझे लगा कि कुछ गीला-गीला है। मैने देखा उसकी चूत से पानी गिर रहा था। वो मेरे मुँह पर झुकी और एक मम्मे की चूची मेरे मुँह में दे दी। मैं उसे चूसने लगा। वो भी “आआआहहहह ऊऊईईईई बहुत मजा आ रहा है अलीशाआऽऽऽ!” इसी तरह बड़बड़ाने लगी।
अलीशा मेरा लण्ड अपने मुँह में ले कर उसे चूस रही थी। मेरा लण्ड अब पानी छोडने वाला था। मैंने सोचा कि उसे बता दूँ। मैंने रज़िया का मम्मा मुँह से निकाला तो रज़िया ने फिर उसे मेरे मुँह में ठूँस दिया। मैं बोल नहीं पाया और मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया। पर अलीशा को तो जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा। वो अब भी मेरा लण्ड चूस रही थी। अब उसकी मुँह से ‘पच-पच’ की आवाज आ रही थी।
मेरा लण्ड धीरे-धीरे मुर्झाने लगा था जिसे अलीशा ने छोड़ा तो रज़िया ने झुक कर अपने मुँह में ले लिया। अलीशा अब मेरे सीने ओर पेट पर किस कर रही थी और साथ में चाट भी रही थी। मेरे लण्ड के झड़ने के कुछ देर बाद मैं सामान्य होने लगा। वो दोनों मेरे लण्ड ओर पूरे बदन को चाट रही थीं। मैंने अलीशा से कहा “आपने मुझे बाँधा क्यों?” वो बोली “हमने एक ब्लू-फिल्म में देखा था! और हमें डर था कि तुम भाग ना जाओ!”
मैंने उसे फिर कहा, “अब तो खोल दो… मैं कहीं नहीं भागुँगा!” दोनों ने मेरे हाथ और पैर खोल दिये ओर बगल में बैठ गयीं। मैं उठकर बैठा तो दोनों औरतें मेरे दोनों तरफ़ बैठी सिगरेट पी रही थीं ओर मेरे बदन को सहला रही थीं। मैंने देखा कि कुत्ता भी कोने में बहुत ही सुस्त सा बैठा देख रहा था। मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा था ओर मेरी हिम्मत भी बढ़ गयी थी। मेरा मन भी उनको चोदने का हो रहा था। मैंने अलीशा की दोनों टाँगें फैलायी ओर अपना लण्ड उसकी चूत में डालने लगा तो वो बोली, “नहीं बिना कंडोम के ऐसे नहीं! कुछ हो गया तो?” उसकी बात सुनकर मैं रुक गया। मेरा लण्ड ओर मन उन दोनों को चोदने को हो रहा था और क्या करूँ ये सोच रहा था। फिर मैंने दोनों से कहा, “कंडोम तो इस वक्त मेरे पास है नहीं! तुम दोनों को चुदवाने की इच्छा नहीं हो रही है क्या?”
वो बोली, “इच्छा तो बहुत हो रही है… दो बार पानी भी गिर गया लेकिन क्या करें… जोखिम नहीं ले सकते!” रज़िया बोली कि “तू कल कंडोम ले कर आना… फिर चुदाई करेंगे! और हाँ इसी वक्त आना!” मैं बहुत मायूस हो गया और सोचने लगा कि ये दोनों तो मेरे जाने के बाद आपस में या फिर इस कुत्ते से अपनी इच्छा पूरी कर लेंगी और मुझे मुठ मार कर काम चलाना पड़ेगा।
मुझे निराश देख कर और मेरा खड़ा लण्ड देखकर उन दोनों ने एक दूसरे को आँखों ही आँखों में कुछ इशारा किया। अलीशा बेड पर कुत्तिया कि तरह झुक गयी और रज़िया ने मेरा लण्ड पकड़ कर अलीशा की गाँड के छेद पर रख दिया। मैं समझ गया और बोला कि “दर्द होगा तो?” अलीशा बोली, “थोड़ा सा तो होगा पर गाँड मरवाने का भी अपना ही मज़ा है! फिर भी तू धीरे से करना… तेरा लण्ड कुछ ज्यादा ही लंबा-मोटा है! और हाँ… मैं कितनी भी चींखूँ या छटपटाऊँ… तू रुकना मत!”
तब तक मैं उसकी गाँड में लण्ड घुसाने की शुरुआत कर चुका था और मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा उसकी गाँड में था। वो जोर से चिल्लायी, “अल्लाऽऽऽह!”मैंने उसके दोनों मम्मे पकड़ लिये ओर उसके ऊपर झुक गया और उसे उठने नहीं दिया। फिर मैंने उसके मम्म्मे जोर से दबाने शुरू किये और वो “आआआआहह ऊऊऊईईईई अम्मीईईईऽऽऽ” करने लगी। मैंने तभी जोर से लण्ड को झटका मारा और लण्ड आधा अंदर घुस गया। वो चींखी “आँआँईईईईई फट गयी रेऽऽऽ अम्मीईईई फाड़ डाला!” उसकी हिदायत के मुताबिक मैं रुका नहीं और मैंने झटके मारने शुरू किये तो वो भी शाँत हो गयी और मेरा साथ देने लगी। रज़िया सिगरेट के कश लगाती हुई हमें देख रही थी और अपनी चूत सहला रही थी।
कुछ देर बाद मैंने अलीशा की गाँड से लण्ड निकाला तो अलीशा फिर “आआआहहह ऊऊहहह” करने लगी। मैं रज़िया की तरफ़ गया तो रज़िया नखरा करते हुए बोली, “नहीं मुझे डर लग रहा है… मैं इतना बड़ा लण्ड अपनी गाँड में नहीं लुँगी!” उसकी आवाज़ में किसी डर या चिंता की जगह शोखी ज्यादा थी और आँखों में भी वासना ही भरी थी।
अलीशा बोली, “महारानी की तरह नखरे मत कर… मैंने भी तो करवाया और देख कितना मज़ा आया!”
“पर तू तो गाँड मरवाने में माहिर है…. आज तक कितने ही लण्ड ले चुकी है तू अपनी गाँड में!” रज़िया सिगरेट का धुँआ उड़ाती हुई बोली।
“तेरी गाँड भी कुँवारी नहीं है… पहले मरवायी है तूने भी!” अलीशा बोली, “और फिर इसका दर्द भी बहुत मीठा होता है!”
“ठीक है लेकिन ज़रा एहतियात से करना…. मेरी गाँड अलीशा मैडम की खेली-खायी गाँड की तरह नहीं है!” रज़िया शोखी से मुस्कुराती हुई तैयार हो गयी। अपनी सिगरेट ऐश-ट्रे में बुझा कर वो भी कुत्तिया बन गयी। अब उसकी गाँड मेरे सामने थी। मैंने पहले उसकी गाँड को अपने हाथों से सहलाया जिससे वो गरम होने लगी। फिर मैंने उसकी गाँड के मुँह पर अपना लण्ड रख कर धक्का दिया। उसकी गाँड का छेद थोड़ा छोटा था और लण्ड को जाने के लिये आसानी से रास्ता नहीं मिल रहा था। मैं अपने लण्ड को उसकी गाँड के छेद पर रख कर धीरे-धीरे जोर लगाने लगा और जैसे-जैसे मैं जोर लगाता, रज़िया मचल जाती। वो अपना सिर इधर-उधर हिलाने लगी थी। अपने होंठ उसने दाँतों में दबा लिये जिससे चींख ना निकले। अलीशा उठी ओर उसके सामने बैठ गयी और पैर फैला कर अपनी चूत रज़िया के मुँह के सामने पेश कर दी। अलीशा ने अपनी सहेली का सिर पकड़ा ओर उसका मुँह अपनी चूत पर ले गयी। रज़िया अब उसकी चूत चाटने लगी ओर अलीशा रज़िया के मम्मे दबा रही थी। अलीशा ने मुझे आँख मारी और मैं समझ गया कि ये लण्ड अंदर डालने को कह रही है।
Reply
06-19-2018, 12:29 PM,
#3
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
मैंने लण्ड पर अपना थूक लगाया ओर रज़िया की गाँड पर रख कर जोर से झटका दिया। अब मेरे लण्ड का टोपा उसकी गाँड में था। रज़िया चींखने को हुई तो अलीशा ने उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया जिससे रज़िया की चींख अंदर ही रह गयी। रज़िया भी मचल रही थी और अलीशा भी मजे ले रही थी। मैंने मौका देखा और पूरे जोर से लण्ड को धक्का दिया। रज़िया इतने जोर से धक्के के लिये तयार नहीं थी। वो आगे कीओर नीचे गिरी जिससे अलीशा भी पीछे की ओर गिर गयी। रज़िया के ऊपर मेरे नीचे गिरते ही मेरा लण्ड रज़िया की गाँड में पूरा घुस गया। रज़िया जोर से चिल्लायी, “आआआऊऊऊईईईईई….. अम्मीईईईईई, छोड़ो फट गयीऽऽऽ निकालो फट गयीऽऽऽऽ।” मैं कुछ देर शाँत रहा और थोड़ी देर रुककर मैं अपने लण्ड को उसकी गाँड में अंदर-बाहर करने लगा। अब रज़िया को मजा आने लगा। वो बोली, “आआआहहहह, मजा आ रहा है…. थोड़ा जोर से अंदर करो! जोर-जोर से! मजा आ रहा है!”उधर अलीशा रज़िया के मम्मे जोर-जोर से दबा रही थी। कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और मैं रज़िया के ऊपर लेट गया। अलीशा उठी और वो पीछे से मेरे ऊपर आ कर लेट गयी। रज़िया बोली, “अलीशा क्या कर रही है? मुझे मारेगी क्या? गाँड में लण्ड है…. ऊपर से ये ओर उसके ऊपर तू!”
कुछ देर बाद हम अलग हुए। मैंने कपड़े पहनने शुरू किये तो कपड़े पहनते-पहनते भी उन दोनों ने मेरे लण्ड को एक-एक बार चूसा। फिर मैं दूसरे दिन का आने का वादा करके अपने कार्ड ले कर वापस आ गया। वो दोनों नंगी ही सिर्फ सैंडल पहने-पहने ही दरवाजे तक मुझे छोड़ने आयीं। उनके चेहरे पर अब भी वासना की झलक थी।
दूसरे दिन मैं दोपहर में तीन बजे मैं अलीशा के घर तय वक्त पर पहुँच गया। उसके पहले मैंने काफी घरों में कार्ड बाँट लिये थे। अलीशा ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर मुस्करायी और मुझे खींच कर अंदर ले गयी। अंदर वो अकेली ही थी। मैंने उससे रज़िया के बरे में पूछा तो वो बोली कि वो तो एक घंटा पहले आने वाली थी पर कुछ काम की वजह से नहीं आयी लेकिन थोड़ी में आ जायेगी। दिखने में वो कयामत लग रही थी। उसने काले रंग की सिल्क की झीनी कमीज़ और घूटनों तक का सफेद स्कर्ट पहन हुआ था जिस पर काले फूलों का डिज़ाइन था। उसने कमीज़ नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसके कारण उसके मम्मे झीनी कमीज़ के बाहर से साफ दिख रहे थे।
दूसरे दिन मैं दोपहर में तीन बजे मैं अलीशा के घर तय वक्त पर पहुँच गया। उसके पहले मैंने काफी घरों में कार्ड बाँट लिये थे। अलीशा ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर मुस्करायी और मुझे खींच कर अंदर ले गयी। अंदर वो अकेली ही थी। मैंने उससे रज़िया के बरे में पूछा तो वो बोली कि वो तो एक घंटा पहले आने वाली थी पर कुछ काम की वजह से नहीं आयी लेकिन थोड़ी में आ जायेगी। दिखने में वो कयामत लग रही थी। उसने काले रंग की सिल्क की झीनी कमीज़ और घूटनों तक का सफेद स्कर्ट पहन हुआ था जिस पर काले फूलों का डिज़ाइन था। उसने कमीज़ नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसके कारण उसके मम्मे झीनी कमीज़ के बाहर से साफ दिख रहे थे।
उसने मुझे सोफे पर बिठाया और बोली, “क्या पियोगे तुम… व्हिस्की… बियर..?” मैंने कहा, “जी बस एक छोटा सा पैग व्हिस्की का ले लुँगा!” ऊँची पतली हील के सैंडल खटखटाती हुई अलीशा किचन में चली गयी। अलीशा की लड़खड़ाती चाल और हाव-भाव से मुझे अंदाज़ा हो गया कि उसने आज पहले से ही कुछ ज्यादा शराब पी रखी थी। उसके कदमों के साथ-साथ ज़ुबान भी थोड़ी सी बहक रही थी। वो व्ह्सिकी और सोडे की बोतलें, बर्फ की बाल्टी और दो ग्लास ले आयी और दोनों के लिये पैग बनाये। फिर वो मुझसे सट कर बैठ गयी और हम ड्रिंक पीने लगे। उसने मुझे सिगरेट पेश की तो मैंने मना कर दिया कि मैं स्मोक नहीं करता। वो अपनी सिगरेट जलाती हुई बोली, “अच्छी बात है… पहले मैं भी स्मोक नहीं करती थी और ड्रिंक भी कभी-कभार ही लेती थी लेकिन जब से मेरे हसबैंड दुबई गये हैं, तो कुछ अकेलेपन की वजह से और कुछ रज़िया जैसी सहेलियों की सोहबत में ये सब आदतें पड़ गयीं।“
हमारे ग्लास खाली हुए तो अलीशा मुझसे और चिपक गयी और मेरी जाँघ सहलाने लगी और उसका हाथ मेरी पैंट की जेब में रखे कंडोम के पैकेट पर पड़ा। “ये क्या है?” उसने पूछा।“जी वो आपने कहा था ना… इसलिये आज मैं कंडोम लेकर लाया हूँ!”मैंने कहा तो उसने मेरी जेब में हाथ डाल कर कंडोम का पैकेट बाहर निकाला और फिर बे-परवाही मेज पर पटक दिया और मुझसे चिपकते हुए बोली, “इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी!” मैंने चौंक कर हैरान नज़रों से उसे देखते हुए पूछा, “आपने ही तो कल…” मेरी बात बीच में ही काट कर अलीशा चहकते हुए बोली, “वो क्या है कि कल हम दोनों पहले ही अपनी चूत टायसन… उम्म्म मेरा मतलब है कल हमारा मन गाँड मरवाने का था इसलिये कंडोम का बहाना बनाया था!”अपनी समझ में तो उसने बात तो संभाल ली पर मैं समझ गया कि पिछले दिन मेरे आने के पहले ही दोनों कुत्ते से चुद चुकी थीं। तो इसी लिये कल वो कुत्ता इतना थका हुआ और सुस्त सा लग रहा था।
इतने में उसने पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड दबोच लिया और वो बोली, “अरे ये तो हरकत कर रहा है!” मैंने कहा, “आपकी चूत भी तो हरकत कर रही है!” वो बोली, “तुझे कैसे मालुम…? और ये आप-आप क्या लगा रखा है तूने?” तो मैं बोला, “तुम्हारे निप्पल जो खड़े हो रहे हैं! वो तुम्हारी पोल खोल रहे हैं!” वो अपने निप्पल दबाते हुए बोली, “तू तो छुपा रुस्तम है… रखता है तू!”फिर वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। एक-एक करके उसने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिये ओर मेरी शर्ट निकाल दी। अब उसका हाथ मेरी पैंट पर था। वो घुटनों के बल नीचे बैठ गयी। उसने मेरी पैंट का हुक खोला और अपना मुँह आगे करके ज़िप को अपने मुँह से खोलने लगी। ज़िप खोलते ही पैंट नीचे गिर गयी। मेरा लण्ड और भी हरकत में आ गया जो अंडरवीयर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था। उसने अंडरवीयर के ऊपर से ही लण्ड को किस किया ओर मुँह से अंडरवीयर उतारने लगी। मुँह में दाँतों से पकड़ कर उसने मेरे अंडरवीयर खींच कर उतार दी।
अलीशा की कातिल अदा
मेरा लण्ड टन्ना गया था। वो खड़ी हुई और अपने साथ मुझे भी खड़ा करके मेरा सिर पीछे से पकड़ कर मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिये और चूसने लगी। मैंने भी उसकी गर्दन के पीछे उसके बालों को पकड़ लिया। हम दोनों की साँसें जोर-जोर से चल रही थी। मैंने उसकी कमीज़ के हुक खोल कर कमीज़ उतार दी। अब वो ऊपर से पूरी नंगी थी उसके मम्मे मेरे सीने से टकरा रहे थे। उसको मैंने और नज़दीक किया ओर उसकी स्कर्ट की पीछे की ज़िप खोल दी। स्कर्ट के नीचे कुछ नहीं था। अब वो ओर मैं दोनों बिल्कुल नंगे थे। उसने बस ऊँची पेंसिलहील वाले काले सैंडल पहन रखे थे। मेरा लण्ड उसकी चूत के आसपास टकरा रहा था। उसके गुलाबी होंठ मेरे मुँह में थे। दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा-टकरा कर आवाज़ कर रही थीं। मैं एक हाथ उसकी गाँड पर रख कर फेरने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूची दबा रहा था। उसकी नशीली साँसें और भी तेज हो गयी। उसकी आँखें बंद हो गयीं और उसकी चूत भी गीली हो गयी जिसका एहसास मेरे लण्ड को हो रहा था।
उसने मुझे सोफे पर बिठाया और खुद नीचे बैठ कर मेरे लण्ड को चूसने लगी। बीच में रुककर उसने एक ग्लास में व्हिस्की भरी और फिर मेरा लण्ड उसमें डुबो-डुबो कर चूसने लगी। उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था और मेरा पानी छूटने ही वाला था कि तभी दरवाजे की घंटी बज गयी। मेरे तो होश गुम हो गये। वो भी डर गयी। मैंने इशारे से पूछा कि कौन है तो वो बोली, “पता नहीं इस वक्त कौन मादरचोद मर गया… रज़िया होती तो आवाज़ देती… युँ घंटी ना बजाती!” उसके मुँह से गाली सुनकर मुझे थोड़ा अजीब लगा।
दरवाजे की घंटी लगातार बज रही थी। अलीशा अपने कपड़े पहनने के लिये उठाये और मुझे भी अपने कपड़े लेकर दूसरे कमरे मे जाने को कहा। वो अपने कपड़े पहन ही रही थी कि तभी बाहर से आवाज़ आयी, “अलीशा डार्लिंग! मैं रज़िया… दरवाजा खोल!” हम दोनों की जान में जान आ गयी। अलीशा सैंडलों में लड़खड़ाती दरवाजे तक नंगी ही गयी और दरवाजे की आड़ लेकर दरवाज़ा खोला ओर रज़िया अंदर आ गयी। उसने बुर्का पहन रखा था लेकिन चेहरे पर से नकाब उठा रखा था। सिर्फ उसके पैर दिख रहे थे जिनमें उसने सुनहरी रंग के काफी ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए थे।
Reply
06-19-2018, 12:29 PM,
#4
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
हम दोनों को नंगा देख कर वो बोली, “मैं ज्यादा लेट हो गयी क्या?” अलीशा बोली, “नहीं अभी नहीं! पर तूने तो जान ही निकाल दी थी! पहले आवाज़ नहीं दे सकती थी क्या? तेरी कार की भी आवाज़ नहीं सुनायी दी!” रज़िया मुस्कुरा दी और अलीशा को बाँहों में लेकर उसके होंठ चूम लिये। रज़िया बोली, “कार की आवाज़ कैसे सुनायी देती… तुम दोनों अपने काम में जो मसरूफ थे!” रज़िया ने अपना बुर्का उतार कर एक तरफ फेंक दिया। अब वो बहुत ही हॉट लग रही थी। उसने गहरे गले वाला हल्के नीले रंग का कमीज़ पहना था जो स्लीवलेस था और सफेद रंग की चूड़ीदार सलवार पहनी हुई थी।
फिर रज़िया मेरे पास आयी और मेरे लण्ड को चूसने लगी। अलीशा भी मेरे पास आ गयी और रज़िया से बोली, “कपड़े उतार ओर पहले तू ही मरवा ले।” रज़िया मुस्कुराते हुए बोली, “हाय अल्लाह… आज तो कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रही है… क्या बात है? वैसे फिलहाल तो तुम दोनों ही जो कर रहे थे वो ज़ारी रखो.. मैं ज़रा बाथरूम में फ्रेश होकर आती हूँ!” अलीशा बोली, “ठीक है तेरी मरज़ी…!” मुझे देख कर रज़िया आँख मारते हुए बोली, “बस अभी आयी!” और अंदर चली गयी।
अलीशा मेरी गोद में बैठ कर फिर मेरे होंठ चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबाने लगा। रज़िया के सैंडलों की खटखटाहट सुनकर उस तरफ मेरा ध्यान गया तो देखा कि रज़िया ने अपनी कमीज़ और ब्रा दोनों उतार दी थी। हमारे पास आकर उसने मेज पर रखी व्हिस्की की बोतल उठायी और सीधे उसमें से पीने लगी। उसे देख कर अलीशा बोली, “अरे ये क्या! सीधे बोतल से ही पीने लगी! इरादा क्या है?”
रज़िया ने जवाब दिया, “बस जल्दी से तेरी ही तरह मदहोश होने का इरादा है मेरी जान!”और हंसते हुए फिर बोतल से पीने लगी। दो-तीन मिनट में ही उसने काफी शराबपी ली। फिर वो सोफे के पीछे आ कर मेरे ऊपर झुक गयी और अपने मम्मे मेरे मुँह पर रख दिये। मैं उसके मम्मे चूसने लगा। शराब की बोतल अभी भी उसके हाथ में थी और वो बीच-बीच में चुसकियाँ ले रही थी। बीच-बीच में वो थोड़ी शराब अपने मम्मों पर भी डाल देती थी जिसे मैं उसके मम्मों से चाटने लगा। कभी-कभी मेरे दाँत उसके मम्मों में गढ़ जाते तो उसके मुँह से “आआआआहहहह ऊऊऊईईईई” जैसी चुदासी आवाजें निकल जाती।
अलीशा मेरी दोनों टाँगों के आरपार अपनी टाँग फैला कर खड़ी हो गयी। उसने अब मेरे लण्ड को पकड़ कर सीधा किया ओर अपनी चूत के निशाने पर रख कर बैठ गयी। पहले वो हल्का वजन डाल कर बैठी थी और मेरे लण्ड का टोपा ही उसकी चूत में घुसा था। उसकी आँखें बंद थीं और मुँह खुला था। धीरे-धीरे उसने और वजन डालना शुरू किया और मेरा लण्ड उसकी चूत में जाने लगा। जैसे-जैसे लण्ड उसकी चूत में जाने लगा तो उसके मुँह से निकलने वाली मस्ती भरी आवाजें तेज होने लगीं,उसकी आँखें और जोर से बंद हो गयीं। रज़िया ने अब अलीशा के बड़े बड़े मम्मे पकड़ लिये ओर उन्हें दबाने लगी। अलीशा की साँसें तेज चलने लगीं और उसकी मस्ती भरी आवाजें भी और बड़ गयी थी।
अलीशा ने अपना पूरा भार छोड़ दिया और मेरा लण्ड उसकी चूत मैं पूरा घुस गया। अलीशा जोर से चींखी, “आआआआहहह अल्लाऽऽहहह , ऊऊऊऊईईईईई, मेरी चूऽऽऽत…. हायऽऽऽ अम्मीईईई आँईईईईई ऊँहहह!” रज़िया उसके मम्मे और जोर से दबाने लगी। अलीशा की आँखें पूरी तरह से बंद थीं। उसका चेहरा लाल हो गया और उसके मम्मे रज़िया ने दबा- दबा कर लाल कर दिये। अलीशा के मुँह से निकलने वाली चींखें और तेज़ हो गयीं और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जो मेरे लण्ड के आसपास जमा हो गया, जिसकी गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मैंने अलीशा की नंगी गाँड को पकड़ा ओर उसे इशारे से ऊपर-नीचे करने को कहा क्योंकि मेरे मुँह में रज़िया ने अपने मम्मे ठूँस रखे थे। अलीशा पहले धीरे-धीरे झटके मारने लगी। फिर धीरे-धीरे उसने झटकों को तेज किया ओर फिर जोर-जोर से ऊपर-नीचे उछलने लगी। मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया लेकिन अलीशा जोर-जोर से झटके मारती रही। कुछ देर बाद वो फिर एक और बार चींखते हुए झड़ गयी और मेरी गोद में से फिसल कर नीचे बैठ गयी और हाँफने लगी।
रज़िया भी अब सामने आ गयी थी। रज़िया के मम्मे भी लाल-लाल हो गये थे और उन पर मेरे दाँतों के निशान भी थे। अलीशा का बुरा हाल था। वो जोर-जोर से हाँफ रही थी और माथे पर पसीना था। उसकी चूत गीली थी पर गुलाबी थी। अलीशा घूम कर मेरे पैरों के पास आयी ओर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चाटते हुए हम दोनों के पानी का स्वाद लेने लगी। फिर धीरे-धीरे अलीशा मेरे पूरे शरीर पर किस करने लगी। ये देख रज़िया ने भी मेरे शरीर से खेलना शुरू कर दिया। उसका एक हाथ सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहला रहा था। फिर वो मेरे लण्ड को जो कि निढाल हो गया था, अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। धीरे-धीरे मेरा लण्ड फिर टनटनाने लगा था। रज़िया भी अब नशे में चूर थी जिस वजह से वो अपनी सलवार का नाड़ा नहीं खोल पा रही थी। अलीशा भी उसकी मदद करने लगी और आखिर में जैसे ही नाड़ा खुला, दरवाजे पर घंटी बज गयी।
हम तीनों डर गये। अलीशा ने उठ कर वहाँ पड़ा रज़िया का बुर्का नंगे जिस्म पर पहन लिया। इतने में रज़िया ने फटाफट शराब की बोतल और ग्लास उठायीऔर मैंने सब कपड़े समेटे और हम दोनों अंदर कमरे में आ गये। रज़िया बहुत गुस्से में नज़र आ रही थी।
दो मिनट बाद ही आने वाले को सोफे पर बिठा कर अलीशा भी अंदर कमरे में आयी और फुसफुसाते हुए हमें बताया कि उसकी कोई बुजुर्ग रिश्तेदार आयी है जो एक घंटे के पहले जाने का नाम नहीं लेगी। उसने रज़िया से कहा कि मुझे पीछे के दरवाज़े से बाहर कर दे। फिर अलीशा ने बुर्का उतार कर जल्दी से कपड़े पहने और खुद को ठीकठाक करके बाहर चली गयी। लेकिन उसके कदम अभी भी लड़खड़ा रहे थे। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये थे लेकिन रज़िया अभी भी उसी हालत में बैठी थी और बुदबुदाती हुई अपनी किस्मत को कोस रही थी।
मैंने इशारे से रज़िया को कहा कि मुझे बाहर निकलने में मदद कर दे तो वो लड़खड़ाती हुई खड़ी हुई। उसका नशा इतनी देर में पहले से काफी बढ़ गया था। उसी कमरे से घर के पीछे की तरफ दरवाजा था जिससे हम दोनों बाहर निकले। घर के पीछे ऊँची बाउन्ड्री-वाल थी और पेड़-पौधे थे और कुछ पुराना सामान मौजूद था। उसी बाउन्ड्री-वाल में छोटा सा लोहे का दरवाज़ा था जिसके ज़रिये मैं घर के पीछे मैदान में निकल सकता था। मैं जैसे ही वो दरवाज़ा खोलने के लिये आगे बढ़ा, रज़िया ने अचानक मुझे धक्का दे कर अलीशार के सहारे सटा दिया और मुझसे चिपट गयी। वो बोली, “साली अलीशा ने तो मज़े ले लिये… मेरी बारी आयी तो… खैर मैं भी तुझे ऐसे जाने नहीं दूँगी…!”और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी। कुछ देर इसी तरह हम दोनों एक दूसरे को चूमते और सहलाते रहे। फिर उसने अपनी सलवार घूटनों के नीचे सरका दी और अलीशार की तरफ मुँह करके टाँगें चौड़ी करके अलीशार के सहारे आगे झुककर खड़ी हो गयी
मैंने भी अपनी पैंट और अंडर्वीयर नीचे खिसकाये और पीछे से उसकी कमर में हाथ डाल कर अपना लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया और धक्के मारने लगा। वो बेशरम औरत ज़ोर-ज़ोर से मस्ती भरी आवाज़ें निकालने लगी। नशे में उसे इस बात की भी फिक्र नहीं थी कि कहीं उसकी ये चीखें और सितकारें कोई सुन ना ले। मेरे पानी छोड़ने से पहले उसकी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा । जब मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वो बुरी तरह हाँफ रही थी और घूम कर मुझसे चिपक गयी।
थोड़ा संभलने के बाद मैंने अपने कपड़े ठीक किये और वहाँ से रवाना हो गया।
——-समाप्त——–
Reply
06-19-2018, 12:30 PM,
#5
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
ससुर बहू के अनौखे अंदाज--1

मैं आपको एक बहुत ही रोचक घटना बताने जा रहा हूँ| मैंने कैसे अपनी नयी नवेली बहू की चुदाई कर डाली| मेरा नाम मस्ताना सिंह है और मेरी उम्र 48 साल है| मेरी पत्नी का देहांत करीब 5 साल पहले हो गया था| फिटनेस फ्रिक होने की वजह से मैं अभी तक बहुत फिट रहता हूँ| पत्नी के जाने के बाद मेरे कई औरतों और कम उम्र की लड़कियों से शारीरिक सम्बन्ध रहे हैं|
मेरा एक ही बेटा है और कोई औलाद नहीं| घर में हम 2 लोग ही थे| पर अभी 2 महीने पहले मैंने मेरे बेटे रंगीला की शादी करवा दी| मेरी बहु मिनी बहुत सुन्दर, आकर्षक और अच्छे स्वाभाव की लड़की है|
अब चूंकि रंगीला अपने काम में इतना व्यस्त है कि मिनी पूरे दिन में कई
घण्टे मेरे साथ ही बिताती है। उसने मुझसे पूछा भी कि क्या वह मेरे साथ मेरे
जिम में, टेनिस, तैराकी में साथ आ सकती है तो मुझे उसे अपने साथ रखने में
कुछ ज्यादा ही खुशी का अनुभव हुआ। हम अक्सर साथ साथ शॉपिंग के लिए भी जाते
तो एक बार क्या हुआ कि-
मिनी-रंगीला की शादी को दो महीने ही हुए थे, हम मत्लब मिनी और मैं एक
मॉल में स्विम सूट देख रहे थे, थोड़ा मुस्कुराते हुए, थोड़ा शरमाते हुए मिनी
ने मुझे एक छोटी सी टू पीस बिकिनी दिखाई और पूछा- यह कैसी है पापा?
और जिस तरह से यह पूछते हुए उसने मेरी ओर देखा, तो दोस्तो, मेरे
जीवन में शायद इससे उत्तेजक अदा किसी लड़की या औरत ने नहीं दिखाई थी। उसके
चेहरे पर मुस्कान थी, आँखों में शरारत भरा प्रश्न था, उसकी यह कामुक अदा
मुझे मेरे अन्दर तक हिला गई।
मैंने बिना एक भी पल गंवाए उसकी कमर पर अपने दोनों हाथ रखे और दबाते
हुए कहा- हाँ ! इसमें तुम लाजवाब लगोगी, तुम्हारी ही फ़िगर है इसे पहनने के
लिए एकदम उपयुक्त !
वो खिलखिलाई- मैं तो बस मजाक कर रही थी पापा ! मैं इसे आम स्विमिंगपूल में कैसे पहन सकती हूँ.
“लेकिन जान ! मैं मजाक नहीं कर रहा !” मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर
के पीछे लेजा कर, दूसरा हाथ उसके कूल्हे पर रखकर उसे अपनी तरफ़ दबाते हुए
कहा- हमारा क्लब एक विशिष्ट क्लब है और यहाँ पर काफ़ी लड़कियाँ और महिलाएँ
ऐसे कपड़े पहनती हैं। और वीक-एण्ड्स को छोड़ कर अंधेरा होने के बाद तो शायद
ही कोई क्लब में होता हो ! तुम इसे उस वक्त तो पहन ही सकती हो !
अब तक मेरा ऊपर वाला हाथ भी नीचे फ़िसल कर उसके चूतड़ों पर आ टिका था।
मैंने सेलगर्ल की ओर घूमते हुए वो बिकिनी भी पैक करने को कह दिया।
अगली सुबह मिनी मेरे साथ ज़िम में थी, उसकी छरहरी-सुडौल काया से मेरी
नजर तो हट ही नहीं रही थी। उसने भी शायद मेरी घूरती नजर को पहचान लिया था,
तभी तो उसके गुलाबी गाल और लाल लाल से हो गए थे, और ज्यादा प्यारे हो गए
थे। वो मेरे पास आकर मेरे गले में एक बाजू डालते हुए बोली- जब आप मेरी तरफ़
इस तरह से देखते हैं ना पापा ! मुझे बहुत शर्म आती है पर अच्छा भी बहुत
लगता है।
उसने अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा लिया, मैं उसकी पीठ थपथपाते हुए
उससे जिम में रखी मशीनों के बारे में बात करने लगा कि उन्हें कैसे
इस्तेमाल करना है और उनसे क्या नहीं करना है।
उसे मेरी बातें तुरन्त समझ आ जाती थी और अपनी बात भी मुझसे कह देती थी।
हमने ज़िम में थोड़ी वर्जिश करने के बाद आराम किया, फ़िर नाश्ता करके टेनिस के लिये क्लब आ गये।
उसे टेनिस बिल्कुल नहीं आता था तो मैंने उसे रैकेट पकड़ना आदि बता कर
शुरु में अलीशार पर कुछ शॉट मार कर कुछ सीखने को कहा। गयारह बजे तक हम
वापिस घर आ गए और आते ही वो तो बगीचे में ही कुर्सी पर ढेर हो गई।
मैं उसके पास वाली कुर्सी पर बैठ गया और पूछा- क्या मैंने तुझे ज्यादा ही थका दिया?
उसने कहा- नहीं पापा, ऐसी कोई बात नहीं !
पर उसके चेहरे के हाव भाव से साफ़ नजर आ रहा था कि वो थक चुकी है,
मैं उसकी कुर्सी के पीछे खड़ा हुआ और उसके कंधे और ऊपरी बाजुएँ सहलाते हुए
बोला- टेनिस प्रैक्टिस कुछ ज्यादा हो गई !
वो बोली- पापा, कई महीनों से मैंने कसरत आदि नहीं की थी ना, शायद इसलिए !
मैंने कुछ देर उसकी बाजू, कन्धे और पीठ सहलाई तो वो कुर्सी छोड़ खड़े होते हुए बोली- पापा, आप कितने अच्छे हैं।
यह कहते हुए उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया। मैंने भी उसके बदन
को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और कहा- मेरी मिनी भी तो कितनी प्यारी
है !
कहते हुए मैंने उसके माथे का चुम्बन लिया और जानबूझ कर अपनी जीभ से मुख का थोड़ा गीलापन उसके माथे पर छोड़ दिया।
“पापा, मैं कितनी खुशनसीब हूँ जो मैं आपकी बहू बन कर इस घर में आई !”
“आप यहीं बैठ कर आराम कीजिए, मैं चाय बना कर लाती हूँ !” कहते हुए मिनी मुड़ी।
मैं कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा- मैं भी कितना खुश हूँ मिनी जैसी बहू पाकर ! आज कितना अच्छा लगा मिनी के साथ !
तभी मन में यह विचार भी आया कि उसके वक्ष कैसे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे जब वो मेरी बाहों में थी।
ओह ! जब मिनी चाय बनाने के लिए जाने लगी तो मेरी नजर उसके चूतड़ों पर
पड़ी, उसका टॉप थोड़ा ऊपर सरक गया था और शायद टेनिस खेलने से उसकी सफ़ेद
निक्कर थोड़ी नीचे होकर मुझे उसके चूतड़ों की घाटी का दीदार करा रही थी। अब
या तो उसने पैंटी पहनी ही नहीं था या फ़िर पैन्टी निक्कर के साथ नीचे खिसक
गई थी।
अब तो यह देखते ही छलांगें मारने लगी।
Reply
06-19-2018, 12:30 PM,
#6
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
मैं भूल गया कि यह मेरी पुत्र वधू है, मैं उठ कर उसके पीछे रसोई में
गया, उसके पीछे खड़े होकर उसे चाय बनाते देखने लगा। मेरी निक्कर का उभार
उसके कूल्हों के मध्य में छू रहा था !
उसने पीछे मुड़ कर अपने कन्धे के ऊपर से मेरी आँखों में झांका और बोली- पापा, मैं तो चाय लेकर बाहर ही आने वाली थी।
उसने मेरे लिंग के पड़ रहे दबाव से मुक्त होने के लिए अपने चूतड़ थोड़े
अन्दर दबा लिए और मैं उसकी टॉप और निक्कर के बीच चमक रही नंगी कमर पर अपनी
दोनों हथेलियाँ रख कर बोला- मैं कुछ मदद करूँ?
मेरे इस स्पर्श से उसे एक झटका सा लगा और वो मेरी ओर देखने के लिए
मुड़ी कि उसके चूतड़ मेरे लिंग पर दब गए, मेरा उत्थित लिंग उसके पृष्ठ उभारों
के बिल्कुल बीच में जैसे घुस सा गया।
उसे मेरी उत्तेजना का आभास हो चुका था पर कोई प्रतिक्रिया दिखाए बिना वो बोली- चलिए पापा ! चाय तैयार है।
वो मेरे आगे आगे चलने लगी और मैं उसके पीछे पीछे उसकी नंगी कमर और ऊपर नीचे होते कूल्हों पर नजर गड़ाए चलने लगा।
बाहर पहुँचते पहुँचते मैं अपने को रोक नहीं पाया और जैसे ही मिनी चाय
स्टूल पर रखने के लिए झुकी, मैं अपनी दोनों हथेलियाँ उसके कूल्हों पर
टिकाते हुए बोला- नाइस बम्स !
इसी के साथ मैंने अपनी दोनों कन्नी उंगलियाँ कूल्हों की दरार में दबा दी।
“ओह पापा ! आप भी ना ! अभी चाय छलक जाती !” चाय रखने के बाद वो मेरी तरफ़ घूमते हुए बोली और मेरे हाथ फ़िर से उसकी कमर पर आ गये।
“तुम्हारे कूल्हे बहुत लाजवाब हैं मिनी ! आई लाइक दैम !” पता नहीं
मैं कैसे बोल गया और इसी के साथ मेरी आठों उंगलियाँ उसकी निक्कर की
इलास्टिक को खींचते हुए उसके चूतड़ों के नंगे मांस में गड़ गई।
मिनी के बदन में जैसी बिजली सी दौड़ गई और थोड़ी लज्जा मिश्रित मुस्कान के साथ बोली- सच में पापा?
हाँ मिनी ! तुम्हारे चूतड़ एकदम परफ़ेक्ट हैं ! इससे बढ़िया चूतड़ मैंने
शायद किसी के नहीं देखे !” कहले हुए मैंने अपनी हथेलियाँ कुछ इस तरह नीचे
फ़िसलाई कि सफ़ेद निक्कर उसकी जांघों में लटक गई।
मिनी अपनी जगह से हिली नहीं और अब मैं उसके नंगे चूतड़ अपने हाथों में मसल रहा था।
मैंने फ़ुसफ़ुसाते हुए उससे कहा- मिनी ! मैंने बहुत सारे चूतड़ इस तरह
नंगे देखे हैं, सहलाए हैं, चाटे भी हैं पर… कहते कहते मैंने अपनी उंगलियों
के पोर उन दोनों कूल्हों के बीच की दरार में घुसा दिए।
हाँ पापा ! मैंने सुना है कि आपने खूब… !” कहते हुए वो कामुक मुस्कान के साथ शरमा गई।
“तुम्हें किसने बताया?”
उसके कनखियों से मेरी तरफ़ देखा और अर्थपूर्ण मुस्कुराहट के साथ
बोली- काम्या ने ! वो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी, वो मेरी सहेली थी और
चटखारे ले ले कर आपकी रसीली कहानियाँ मुझे सुनाया करती थी।
इसी के साथ वो खिलखिला कर हंस पड़ी।
अब यह मेरे लिए परेशानी वाली बात थी, मैंने पूछा- काम्या ने तुम्हें क्या क्या बताया?
अब मेरे हाथ खुल्लमखुल्ला मिनी के चूतड़ों से खेल रहे थे।
वो फ़िर खिलखिलाई- ये लड़कियों की आपस की बातें हैं ! मैं आपको नहीं बताऊँगी।
“लेकिन ना कभी काम्या ने ना कभी तुमने बताया कि तुम सहेलियाँ थी?”
“रंगीला से मेरी शादी करवाने में काम्या का ही तो हाथ है ! दो साल
पहले जब एक बार आप लन्दन गये हुए थे तो काम्या मुझे यहाँ इस घर में लेकर आई थी। उस समय सुमन मौसी भी यहीं थी। तो काम्या ने ही मौसी को बीच में डाल कर रंगीला की शादी मुझसे करवाई।”
“ओह ! तो सुमन भी तुम्हारे साथ मिली हुई है?”
“तो क्या पापा? सुमन मौसी तो आपके साथ भी… है ना?”
“ह्म्म !”
“सुमन मौसी ने ही तो बताया था कि…!!”
“क्या बताया था उसने? बोलो !?!”
“उन्होंने बताया था कि आप किसी भी लड़की को अपने चुम्बन से पागल कर सकते हो !”
“सुमन से भी ना चुप नहीं रहा जाता… तो अब तुम भी पागल…? हंह…?” मैंने उसके टॉप के अन्दर उसकी पीठ पर एक हाथ फ़िराते हुए कहा।
“हाँ पापा, मुझे भी अपने होंठों का जादू दिखाइए ना !” मिनी ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठों को गोल करते हुए कहा।
मैं अपना हाथ उसकी पीठ से सरका कर गर्दन तक ले आया और उसके सिर को पीछे के जकड़ते हुए अपने होंठ उसके रसीले होंठों पर रख दिये।
मेरे हाथ के उसके सिर पर जाने से हुआ यह कि उसका टॉप भी मेरे हाथ के साथ मिनी के कन्धों में आकर रुका।
मेरा दूसरा हाथ जो अभी तक उसके चूतड़ों पर था, वो फ़िसल कर उसकी जांघ तक चला गया और उसकी जांघ को उठा कर मैंने अपनी बाजू पर ले लिया।
मिनी ने अपने को मुझसे छुटवाते हुए कहा- पापा, अन्दर चलते हैं।
मैंने उसे छोड़ते हुए कहा- चलो ड्राइंग रूम में चलो !
जैसे ही वो सीधी खड़ी हुई, उसकी निक्कर उसके पैरों में ढेर हो गई।
मैंने निक्कर को पकड़ कर उसके पैरों से निकाल कर कहा- चलो, मैं इसे सम्भालता हूँ।
वो आगे आगे, मैं पीछे पीछे उसकी निक्कर को हाथ में लेकर सूंघते हुए
चल रहा था, उसकी जांघों और योनि की गन्ध उस निक्कर में रमी हुई थी। कपड़ों
के नाम पर मिनी के गले में उसका टॉप एक घेरा सा बनाए पड़ा था। निक्कर मेरे
हाथ में थी, ब्रा पैन्टी पहनना शायद उसे भाता नहीं था।
अन्दर ड्राइंग रूम में जाकर मिनी ने ऐ सी और सारी बत्तियाँ जला दी। पूरा कमरा रोशनी से नहा गया।
और जैसे ही मिनी बत्तियाँ जला कर मेरी तरफ़ घूमी, उसने अपने गले से वो टॉप निकाल कर मेरे मुँह पर फ़ेंक दिया।
लेकिन मेरी नजर तो उसकी नाभि पर थी, उसमें उसने एक बाली पहनी हुई
थी। उसके बाद मेरी निगाहें सरक कर नीचे गई तो देखा योनि ने घने सुनहरे-भूरे
बालों का घूंघट औढ़ा हुआ था।
मिनी ने मेरी तरफ़ अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- आओ ना पापा ! मुझे अपने होंठों से पागल करो ना !
मिनी अपने होंठों पर जीभ फ़िरा रही थी, उसके गीले होंठ मुझे निमंत्रण दे रहे थे।
मैंने उसके गालों को अपनी हथेलियों में पकड़ कर उसकी गहरी आँखों में झांका और अपने होंठ उसके होंठों पर हल्के से रगड़ दिया।
उसके मुख से सिसकारी फ़ूटी- पापा ! और करो ! प्लीज़ !
“जानू… अब तुम्हारी बारी है !” मैं उसके नंगे चूतड़ों को अपने हाथों में सहेजते हुए फ़ुसफ़ुसाया।
“पापा…प्लीज़ आप करो ना ! प्लीज़ पापा ! करो !” वो एक छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए बोली- जन्नत का मजा तो आप ही मुझे देंगे ना पापा !
“ओ… ठीक है ! मेरे सिर को आपने हाथों में थाम लो मिनी !”
बिना एक भी शब्द बोले उसने मेरा सिर पकड़ कर अपने चेहरे पर झुका
लिया, हमारे होंठों ने एक दूसरे को छुआ और मैं उसे अपने होंठों से सताने
लगा।
मिनी का पूरा बदन काम्प रहा था और उसके मुख से कामुक सीत्कारें निकल रही थी।
और तभी अचानक एकदम से उसने मेरे होंठों को चॉकलेट की तरह चूसना-खाना शुरु कर दिया।
Reply
06-19-2018, 12:30 PM,
#7
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
मिनी की इस हरकत ने मुझे भी पागल सा कर दिया, मैंने उसके चूतड़ों के
नीचे अपने दोनों हाथ ले जा कर उसे ऊपर को उठाया तो उसने अपनी टांगें मेरे
कूल्हों के पीछे जकड़ ली।
इससे उसके चूतड़ों के बीच की दरार चौड़ी हो गई और मेरा मध्यमा उंगली उसकी गाण्ड के छिद्र को कुरेदने लगी।
लड़की मेरे बदन पर सांप की तरह लहरा कर रह गई और मेरी उंगली उस कसे छिद्र को भेदते हुए लगभग एक इंच तक अन्दर घुस गई।
मिनी हांफ़ रही थी- ऊ… पापा… उह पा…आह… ना…
मुझे याद नहीं हम कितनी देर तक इस हालत में रहे होंगे कि तभी उसका मोबाइल घनघना उठा।
और इस आवाज से हमारे प्यार के रंग में भंग हो गया।
उसने एक हल्के से झटके के साथ अपनी टांगें मेरी कमर से नीचे उतारी और बोली- पापा, जरा उंगली निकालो, मैं फ़ोन देख लूँ !
जैसे ही मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड से निकाली उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने नाक तक ले जा कर मेरी उंगली सूंघने लगi।
उसने पीछे हटकर फ़ोन उठाकर देखा तो उसके पति यानि मेरे बेटे रंगीला का फ़ोन
था।
मैंने मिनी की आँखों में देखा तो वो शर्म के मारे मुझसे नजरें चुराने लगी।
मैं इसके पास गया और मिनी से सट कर फ़ोन पर अपना कान लगा दिया।
रंगीला उससे पूछ रहा था कि सुबह क्या क्या किया और मिनी ने भी अभी आखिर की कुछ घटनाओं को छोड़ कर उसे सब बता दिया।
रंगीला ने पूछा कि वो हांफ़ क्यों रही है तो मिनी ने बताया कि वो नीचे
थी और फ़ोन ऊपर, फ़ोन की घण्टी सुन कर वो भाग कर ऊपर आई तो उसकी सांस फ़ूल गई।
सच में मेरी पुत्र-वधू काफ़ी चतुर है ! मैंने मन ही मन भगवान को इसके लिये धन्यवाद किया।
मैं अपने बीते अनुभवों से जानता था कि गर्म लोहे पर चोट करने का
कितना फ़ायदा होता है। मेरे बेटे का फ़ोन बहुत गलत समय पर आया था, बिल्कुल उस
समय जब मैं अपने बहू की योनि तक पहुँच ही रहा था और वो भी मेरी हरकतों का
माकूल जवाब दे रही थी।
अगर रंगीला का फ़ोन बीस मिनट भी बाद में आया होता तो मेरी बहू अपने ससुर के अनुभवी लौड़े का पूरा मजा ले रही होती।
लेकिन शायद भाग्य को यह मंजूर नहीं था !
मैं फ़ोन पर कान लगाए सुन रहा था– मेरे बेट-बहू लगातार ‘लव यू !’ और चुम्बनों का आदान प्रदान कर रहे थे फ़ोन पर !
और मुझे महसूस हो रहा था कि जितनी देर फ़ोन पर मेरे बेटे बहू की यह
रासलीला चलती रहेगी, मेरे लण्ड और मेरी बहू मिनी की चूत के बीच की दूरी
बढ़ती जाएगी। और शायद रंगीला को बातचीत खत्म करने की कोई जल्दी भी नहीं थी।
मुझे आज मिले इस अनमोल अवसर को मैं व्यर्थ ही नहीं गंवा देना चाहता था, तो मैंने अपनी बहू को उसके पीछे आकर अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मिनी मेरे बेटे के साथ प्यार भरी बातों में मस्त थी और उसने मेरी
हरकत पर ज्यादा गौर नहीं किया, वो अपने पति से बिना रुके बातें करती रही
लेकिन उसकी आवाज में एक कम्पकंपाहट आ गई थी !
“क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?” मेरे बेटे रंगीला ने थोड़ी चिन्ता जताते हुए पूछा।
थोड़ा रुकते हुए मिनी ने जवाब दिया- उंह… हाँ ! ठीक हूँ… जरा हिचकी आ गई थी।
मैंने मिनी के जवाब की प्रशंसा में उसके एक उरोज को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए दूसरा हाथ उसके गाल पर फ़िरा दिया।
रंगीला अपनी पत्नी और मेरी बहू मिनी से कुछ इधर उधर की बातें करने लगा।
लेकिन उसे लगा कि मिनी की आवाज में वो जोश नहीं है जो कुछ पल पहले
था क्योंकि मिनी हाँ हूँ में जवाब दे रही थी और अपने बदन को थिरका कर, लचका
कर मेरी तरफ़ देख देख कर मेरी हरकतों का यथोचित उत्तर दे रही थी।
इससे मुझे यकीन हो गया था कि वो वास्तव में अपने पति के साथ मेरे सामने प्रेम-प्यार की बातें करने में आनन्द अनुभव कर रही थी।
जरा सोच कर देखिए जिस लड़की की शादी को अभी दो महीने ही हुए हों वो
अपने पति से प्यार भरी बातें करते हुए अपने ससुर के सामने पूर्ण नग्न हो और
उसका ससुर उसकी चूचियों से खेल रहा हो !
अब मैं समझ चुका था कि मेरी बहू मुझसे इसके अलावा भी बहुत कुछ पाना चाह रही है तो मैंने भी और आगे बढ़ने का फैसला कर लिया।
मैंने फोन के माउथपीस पर हाथ रखा और फुसफुसाया- बात चालू रखना, फोन बंद मत होने देना ! ठीक है?
उसने मेरी तरफ वासनामयी नजरों से देखा और हाँ में सर हिलाया। मिनी भी अब खुल कर इस खेल में घुस गई थी।
अब मैं उसके सामने आया और नीचे अपने घुटनों पर बैठ कर अपने हाथ उसके
चूतड़ों पर रख कर उसे अपने पास खींचा और अपने होंठ उसके योनि लबों पर टिका
दिए !
“ओअ अयाह ऊउह !!!” मिनी के होंठों से प्यास भरी सिसकारी निकली !
मैं सुन नहीं पाया कि उसके पति ने क्या कहा लेकिन वो उत्तर में
बोली- ना नहीं ! मैं ठीक हूँ.. बस मुझे ऐसा लगा कि मेरी जांघ पर कुछ रेंग
रहा था…
एक बार रंगीला ने शायद कुछ कहा जिसके जवाब में मिनी ने कहा- शायद मेरी
पैंटी में कुछ घुस गया है… चींटी या कुछ… मैं टेनिस लॉन में घास पर बैठ
गई थी तो…
मेरे बेटा जरूर कुछ गन्दी बात बोला होगा, तभी तो मिनी ने कहा- धत्त !
गंदे कहीं के ! अच्छा ठीक है ! मैं पैंटी उतार कर अंदर देखती हूँ…तो मैं
पांच मिनट बाद फोन करूँ?
उसने हाँ कहा होगा तभी तो उसके बाद मिनी ने मेरे बेटे को फ़ोन पर एक
चुम्मी देकर फ़ोन बन्द कर दिया और फ़ोन को सोफ़े पर उछालते हुए मुझसे बोली-
पापा !
मैं खड़ा हो गया और मिनी को अपनी बाहों मे ले लिया।
मिनी भी मेरी छाती पर अपना चेहरा टिका कर मुझे बाहों के घेरे में लेते हुए धीमी आवाज में बोली- आप बहुत गन्दे हैं पापा !
उसने अपने कूल्हे आगे की तरफ़ धकेल कर मेरी पैन्ट के उभार पर अपनी योनि टिका ली थी।
मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके होंठों को चूमते
हुए बोला- हाँ ! सही कह रही हो मिनी ! मैं असल में बहुत गन्दा हूँ जान !
अगर मैं गन्दा ना होता तो अपनी प्यारी बहू सोमन को मजा कैसे दे पाता?
मिनी मेरी आँखों में झांकते हुए बोली- अगर रंगीला को पता लगा तो क्या होगा?
मैंने उसके चूतड़ों को थपथपाते हुए कहा- तुम बहुत समझदार हो जानम ! तुम उसे हमेशा खुश और संतुष्ट रखोगी !
मैंने उसके होंठों को फ़िर चूमा, बोला- और मैं तुम्हें हमेशा खुश और संतुष्ट रखूँगा !
“मुझे पता है पापा… ” उसने मुझे कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया-
मैं रंगीला से फ़ोन पर बात कर रही थी और आप मुझे वहाँ चूम रहे थे ! कितने
उत्तेजना भरे थे ना वो पल ! मैं तो बस ओर्गैस्म तक पहुँचने ही वाली थी !
मैंने मिनी को सुझाव दिया- अपना फ़ोन उठाओ और बेडरूम में चलो ! वहाँ जा कर आराम से रंगीला से फ़ोन पर बातें करना !
मिनी खिलखिलाते हुए बोली- मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रही थी पापा !
उसने मेरी आँखों में झान्कते हुए कहा- पापा ! मुझे सुमन मौसी ने
बताया था कि आप किसी भी लड़की के मन की बात जान सकते हैं। अब मुझे पता लगा
कि मौसी सही कह रही थी।
हम दोनों खूब हंसे और हंसते हंसते मिनी ने मेरी पैन्ट के उभार को
अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए कहा- क्या मैं इस शरारती को देख सकती हूँ?
“हाँ बिल्कुल ! यह तुम्हारा ही तो है ! मैंने फ़टाफ़ट अपनी पैंट उतारी !
मिनी ने लपक कर नीचे बैठ कर मेरा अन्डरवीयर नीचे खींच दिया। एक झटके
से अन्डवीयर उरतने से मेरा सात इन्च लम्बा तना हुआ लिंग ने जोर से उठ कर
सलामी दी तो वो सामने बैठी मिनी के नाक से जा टकराया।
मिनी जैसे घबरा कर पीछे हटी, फ़िर तुरन्त आगे बढ़ कर उसने एक हाथ से मेरे लटकते अण्डकोषों को सम्भाला औए बहुत हल्के से
अपने होंठ लिंग की नोक पर छुआ दिए।
काफ़ी समय से खड़े लण्ड को गीला तो होना ही था, उसके होंठ छुआने से
मेरे लण्ड का लेस उसके होंठों पर लग गया और एक तार सी उसके होंठों और मेरे
लण्ड की नोक के बीच बन गई।
मिनी ने दूसरे हाथ मेरे लण्ड की लम्बाई को पकड़ा और अपने होंठों पर जीभ फ़िराती हुए बोली- अम्मांह… बहुत प्यारा है !
“जानू, तुम्हें पसन्द आया?” मैं थोड़ा आगे होकर फ़िर से अपने लण्ड को उसके होंठों पर रखते हुए बोला।
“हाँ पापा !” कहते हुए उसने अपनी जीभ मेरे लिंग के अगले मोटे भाग पर फ़िराई। फ़िर एक लम्बी सांस भर कर उसे सूघते हुए बोली- और इसमें से कितनी अच्छी खुशबू आ रही है !
मैंने उसे कन्धों से पकड़ कर उठाया और कहा- चलो बिस्तर पर चलते हैं।
“एक मिनट !” मिनी ने मेरी शर्ट ऊपर उठा कर उतार दी, फ़िर मेरे लण्ड को पकड़ कर मुझे बिस्तर की तरफ़ खींचते हुए बोली- अब चलो !
अब हम दोनों बिल्कुल प्राकृतिक अवस्था में थे, मैंने उसके कूल्हे पर एक हाथ रख कर उसे बिस्तर की तरफ़ धकेलते हुए कहा- चलो !
Reply
06-19-2018, 12:30 PM,
#8
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
हम दोनों बिस्तर पर आ गए, मिनी के हाथ में फ़ोन था, वो बिस्तर पर
अपनी टाँगें थोड़ी फ़ैला कर पीठ के बल लेट गई और अपनी जांघों के बीच में
उंगली से इशारा करते हुए मुझसे बोली- पापा, थोड़ा चाटो ना प्लीज़ !
मैंने अपना चेहरा उसकी चिकनी जाँघों के बीच में टिका लिया और अपने होंठों में उसकी झाँटे दबा कर खींचने लगा।
“ओ पापा ! आप बाद में खेल लेना, मेरी … गीली हो रही है, एक बार मेरे अन्दर से चाट लीजिए !
मैं थोड़ा सीधा हुआ और अपनी उंगलियों से बालों के जंगल में उसकी योनि के लबों को खोजने लगा।
“तुम इन्हें साफ़ क्यों नहीं करती मिनी?”
“रंगीला को ऐसे ही पसंद है ना !”
मैंने मिनी को जांघों से पकड़ कर ऊंचा उठाया तो उसकी योनि मेरे
होंठों के पास थी और वो खुद अपने कन्धों के ऊपर टिकी हुई थी, उसका सिर और
कन्धें बिस्तर पर शेष बदन मेरी बाहों में मेरे ऊपर था।
मैंने अपने दोनों अंगूठों और दो साथ वाली उंगगियों से उसकी योनि के
लबों को अलग अलग किया तो अन्दर गुलाबी भूरी पंखुड़ियाँ काम रस से भीग कर आपस
में चिपक गई थी।
मैंने अपनी जीभ से उन पर लगे रस को चाटा और उनकी चिपकन हटा कर जीभ अन्दर घुसा दी। मेरी जीभ एक इन्च से ज्यादा अन्दर चली गई थी।
मिनी के मुख से निकला- पापा… ओ पापा… आपका जवाब नहीं ! अम्मंअह…
मेरी बहू मिनी के बदन और योनि की मिली जुली गंध मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी।
तभी उसने रंगीला का नम्बर मिला दिया।
उसने एकदम से फ़ोन उथाया जैसे वो मिनी के फ़ोन का ही इन्तजार कर रहा था, वो भी अपनी पत्नी से काम-वार्ता को उत्सुक लग रहा था।
मेरी चतुर बहू ने फ़ोन का लाउडस्पीकर ऑन कर दिया ताकि मैं भी उन
दोनों की पूरी बात सुन सकूँ।
रंगीला ने पूछा- बताओ कि क्या हुआ था?
मिनी हंसते हुए बोली- वही हुआ था जानू ! मेरी पैंटी में चींटी घुस
गई थी, वो तो शुक्र है कि काली वाली थी, अगर कहीं लाल चींटी होती तो पता
नहीं मेरा क्या हाल होता?
“तुम्हारा या तुम्हारी चूत का?” मेरे बेटे ने पूछा।
“हाँ हाँ ! चूत का ! पता है कि मैंने चींटी को कहाँ से निकाला?”
“कहाँ से?”
“बिल्कुल क्लिट के ऊपर से !””ओह ! साली चींटी ! मेरी घरवाली की चूत
का मजा ले रही थी? मिनी… तुमने अच्छी तरह देख तो लिया था ना कि वो चींटी ही
थी? कहीं चींटा हुआ तो? और उसने तुम्हें… हा…हा… !”
“सुनो रंगीला ! इस समय मैं बिल्कुल नंगी बिस्तर में लेटी हुई हूँ और उस
जगह को रगड़ रही हूँ जहाँ उस चींटी…ना… ना…उस चींटे ने मुझे काटा था !”
ऊओअह्ह ! तो तुम अपने हाथ से अपनी क्लित मसल रही हो? अपनी फ़ुद्दी में उंगली कर रही हो?”
“हाँ मेरे यार ! अगर तुम होते तो उंगली की जगह तुम्हारा लौड़ा होता !
तुम्हारा लण्ड मेरी चूत की खुजली मिटा रहा होता !” मेरी चालू बहू ने कहा।
लेकिन अभी तो मुझे सिर्फ़ उंगली से ही गुजारा करना पड़ेगा !”
“और वो डिल्डो कब काम आएगा जो हमने पेरिस में खरीदा था? तुम उसे इस्तेमाल करो ना !” मेरे बेटे ने सुझाव दिया।
” अरे हाँ ! वो तो मैं भूल ही गई थी ! अभी निकालती हूँ उसे !” मिनी
ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ़ देखा और फ़िर फ़ोन के माइक को हाथ से ढकते हुए
मुझसे फ़ुसफ़ुसाई- आप ही मेरे डिल्डो हो आज ! घुसा दो अपना डिल्डो मेरे अन्दर
! मैं आपके बेटे से कहूँगी कि मैंने डिल्डो ले लिया अपने अन्दर !
मेरी समझदार बहू ने कनखियों से मुझे देखा और फ़िर कुछ देर बाद फ़ोन में बोली- हाँ जानू ! ले आई मैं ! डाल लूँ अन्दर?
“हाँ… हाँ… घुसा ले ना ! पूरा बाड़ना !”
मिनी ने मुझे इशारा किया कि अब घुसाना शुरु करो !
“लेकिन रंगीला ! यह तो बहुत बड़ा है ! मेरी चूत जरा सी है, यह कैसे पूरा
जाएगा अन्दर?” उसने सिसियाते हुए कहा।
“अरे चला जाएगा रानी… पूरा जाएगा… तू कोशिश तो कर ! बड़ा है तभी तो तुझे
असली मज़ा आएगा ना ! घुसा कर देख ! सुमन मौसी के पास तो इससे भी बड़ा डिल्डो
है ! तुमने तो देखा है कि वो कैसे चला जाता है मौसी की चूत में !”
“अरे ! सुमन मौसी की चूत को तो तुम्हारे पापा ने चोद चोद कर फ़ुद्दा
बना रखा है ! मौसी बता रही थी ना कि तुम्हारे पापा का तुमसे भी बड़ा है !
चलो… कोशिश करके देखती हूँ !”
मैं तो रंगीला और मिनी का वार्तालाप सुन कर हतप्रभ रह गया !
मैं तो खुद को ही चुदाई का महान खिलाड़ी समझ रहा था पर यहाँ तो सभी
एक से बढ़ कर एक निकल रहे हैं। लेकिन परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं कुछ ना कह
पाया और चुपचाप मैंने बिल्कुल शान्ति से बिना कोई आवाज किए मिनी की जाँघों
को फ़ैलाया और अपने लिंगमुण्ड को योनि के मुख पर टिकाया तो मिनी ने
लिंगदण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे अनुए अन्दर सरकाने का यत्न करने लगी।
मिनी की चूत खूब गीली हो कर चिकनी हो रही थी, उसने मेरे लिंग के
सुपारे को अपने योनि-लबों के बीच में रगड़ कर उन्हें फ़ैलाया और मेरे हल्के
से दबाव से मेरा सुपारा अन्दर फ़िसल गया।
“अओह…हा…आ…अई…” मिनी ने जोर से एक चीख मारी।
उधर से आवाज आई रंगीला की- वाह मिनी ! बहुत अच्छे ! कितना अन्दर गया?
“ऊओह… रंगीला ! अभी तो बास आगे का मोटा सा नॉब ही अन्दर घुसा है… उफ़्फ़्
कितना मोटा है यह ! तुम्हारे लण्ड से तो डेढ़ गुना मोटा और शायद डेढ़ गुना ही
ज्यादा लम्बा है यह !” मिनी मेरी आँखों में झांकते हुए बोली।
और फ़िर एक बार माइक को हाथ से ढकते हुए फ़ुसफ़ुसाई- मैं सही कह रही हूँ पापा ! आपका सच में रंगीला के से ड्योढ़ा तो है ही !
इस बात से बिल्कुल बेखबर कि उसकी पत्नी उसके पिता के लण्ड की बात कर
रही है, रंगीला ने उसे और अंदर तक घुसाने के लिये उकसाया- और अन्दर तक ले ना
मिनी ! पूरा अन्दर घुसा ले !
“हाँ मेरे राजा हाँ !” मिनी हांफ़ते हुए से बोली और मुझे अपना लण्द
उसकी चूत में और अन्दर घुसाने के लिए इशारा किया।
मैंने अपनी जांघों को एक झटका दिया और मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा मेरी बहू मिनी की चूत के अन्दर था।
“ओ… मा… मर गईइ मैं… पापा जी आह मम्मा !”मिनी जोर से सीत्कारते हुए
असली दर्द से चिल्लाई तो उसके मुँह से पापा निकल गया। और शायद अपनी इस भूल
को छिपाने केल इये बाद में मम्मा बोली थी।
उधर मेरे बेटा खिलखिला कर हंसते हुए बोला- अपने मम्मी पापा को क्यों
बुला रही हो? बुलाना है तो मेरे पापा को बुला ले ना ! तेरी फ़ाड़ कर रख
देंगे वो !
“हट… ! बेशरम ! गन्दे कहीं के ! तुम्हारे पापा क्या फ़ाड़ेंगे मेरी
चूत ! अब तो बुड्ढे हो गये वो !” मेरी तरफ़ तिरछी नजर से देख कर आँख़ मारते
हुए मिनी बोली।
“अरे ! इस गलत फ़हमी में मत रहना ! मेरे पापा का लौड़ा इस डिल्डो का भी बाप है !”
“तो सुनो रंगीला ! अब मैं यह कल्पना कर रही हूँ कि मेरी चूत में यह डिल्डो नहीं, तुम्हारे पापा का लौड़ा है !”
रंगीला खिलखिलाया- ठीक है ! तुम यही सोच कर डील्डो से चुदो कि तुम मेरे
पापा से चुद रही हो ! मैं भी सुनूँ कि मेरी रानी कैसे चुदती है अपने ससुर
से !
रंगीला इस मजाक पर मजा लेकर खूब जोर से हंसा।
Reply
06-19-2018, 12:30 PM,
#9
RE: Hindi Sex Kahani हवस का जंजाल
मिनी ने एक वासना भरी सिसकारी लेते हुए कहा- अब मैं अपनी आँखें बन्द
करके तुम्हारे पापा को अपने अन्दर महसूस कर रही हूँ। अरंगीलान्द अब मेरे नंगे
बदन के ऊपर लेटे हुए हैं, उनका लण्ड मैं अपनी चूत में महसूस कर रही हूँ,
पापा के हाथ मेरी चूचियों पर हैं। अब मिनी ने मेरी तरफ़ अधीरता से देखा- हाँ
पापा ! और पेलिये ना॥ रुक क्यों गये ! घुसाइए ! पूरा बाड़ दीजिए !अपने मोटे
लौअड़े से अपने बेटे की पत्नी की चूत की धज्जियाँ उड़ा दीजिए !
मुझे फ़ोन पर अपने बेटे की वासना भरी सिसकारती आवाज सुनाई दी- ओह
मेरी रानी… तुमने मेरा लण्ड पूरा सख्त कर दिया ! क्या कल्पना की है तुमने !
मिनी ने बोलना जारी रखा- नील्… तुम सही कह रहे थे… तुम्हारे पापा का
लण्ड सच में लाजवाब है। इसने मेरी बुर फ़ैला कर रख दी ! और यह अभी भी थोड़ा
मेरी फ़ुद्दी से बाहर दिख रहा है।
तब मिनी ने मुझे देखते हुए कहा- पेलिये ना अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत
के अन्दर पापा ! यह बाकी क्या मेरी ननदों के लिए बचा कर रखा हुआ है?
“पापा आप बड़े हरामी हैं ! आपने अपनी दोनों सालियों की चूत फ़ाड़ी और
अब अपनी बहू की फ़ुद्दी को भी नहीं छोड़ा ! आपको शर्म आनी चाहिए पापा ! आप
बहूचोद बन गए !”
उधर रंगीला सुन सुन कर पागल हुए जा रहा था। उसकी आह ऊह साफ़ सुनाई दे रही थी फ़ोन पर !
“जब आपने अपने बेटे की दुल्हन पर हाथ साफ़ कर ही दिया तो अब अपना पूरा लौड़ा दे दीजिए ना उसे !”
रंगीला उधर से बोला- अरे मिनी ! दरवाजे खिड़कियाँ तो अच्ची तरह बन्द कर
लिए थे ना ! पापा घर में ही होंगे ! कहीं उन्होंने यह सब सुन लिया तो वे सच
में ही ना… !
“घबराओ मत डार्लिंग ! मेरी शातिर बहू ने उत्तर दिया- कोई भी गैर मर्द हमारी बातें नहीं सुन सकता !
“रानी… तुम्हारी कल्पना शक्ति नायाब है ! मेरा लौड़ा तो तुम्हारी बातें सुन कर ऐसे टनटना गया कि क्या बताऊँ !”
“अरे रंगीला राजा… यह तो अभी शुरुआत है ! आगे आगे देखो कि तुम्हारा चुदक्कड़ बाप अपनी बहू को कैसे कैसे चोदता है !”
” ठीक है मिनी… अपनी कल्पना चालू रखो ! और चुदो मेरे पापा से ! उनसे कहो कि तुम्हारी पूरी तसल्ली कर दें !”
अब मिनी ने अपनी चूचियों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- पापा मेरी चूचियाँ अपने मुँह से चूसो ना !
मैंने मिनी की चूचियों को आपस में इस तरह दबाया कि उनके निप्पल पास
पास हो जाएँ और फ़िर मैंने दोनों चुचूकों को एक साथ अपने मुँह में ले लिया।
मिनी चहकी- अबे ओ रंगीला ! देख तेरा बाप कैसे मेरे दोनों निप्पल एक साथ
चूस रहा है। देख कैसे सालीचोद अपनी बहू की चूचियाँ चूस चूस कर उसे चोद रहा
है अपने मोटे लौड़े से !
रंगीला से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था- आज तुम मुझे मार ही दोगी मिनी !
मैं यहाँ अपने ऑफ़िस में बैठ कर मुट्ठ मार रहा हूँ। पर रुकना मत ! तुम बहुत
बढ़िया ड्रामा कर रही हो !
“आई पापा ! काटो मत ! दुखता है !” जैसे ही मैंने मिनी के एक निप्पल को अपने दाँतों से काटा तो वो चिल्लाई।
“पापा… ये अक्षरा या सुमन मौसी के नहीं मेरे चुचूक हैं ! इन्हें
प्यार से चूसो ! और मेरे होंठों को भी तो चूसो पापा ! अपनी जीभ मेरे मुंह
में डाल कर मेरे मुंह की चुदाई करो !”
“सुनो रंगीला ! तुम्हारे पापा अब मेरी चुम्मी ले रहे हैं।” और सच में मिनी ने ऐसी आवाजें निकाली जैसी चूमा चाटी में आती हैं।
और मैं यह सोच रहा था कि कितनी शैतान दिमाग की है मेरी बहू ! अपने
ससुर से सच में चुद रही है और अपने पति को फ़ोन पर अपनी चुदाई का आँखों देखा
हाल सुना रही है। कैसे बाप बेटे दोनों को एक साथ सेक्स का मजा दे रही है।
अब वो खुल कर सिसकारियाँ भर रही थी, आनन्द से चीख रही थी, खुल कर मुझ से चुद रही थी बिना किसी डर के !
मुझे लग रहा था कि वो अब उस शिखर पर पहुँच रही है जिसे प्राप्त करने के लिये उसने इतने पापड़ बेले थे।
अपनी बहू के चरमोत्कर्ष का भान होते ही मेरे अन्दर भी जैसे एक ज्वालामुखी फ़टने को हुआ और मेरा लण्ड और गर्म और फ़ूलने लगा।
मेरे लण्ड की यह हलचल मेरी बहू मिनी ने भांप ली और वो फ़ोन पर बोली-
रंगीला, तेरे पापा मेरी चूत में झड़ना चाहते हैं ! क्या करूँ? झड़ने दूँ अन्दर
या बाहर निकालने को कहूँ?
मेरे बेटे ने आनन्द से कहा- मिनी झड़ने दे पापा को अपनी चूत में ही !
“मगर मेरे को बच्चा ठहर गया तो?”
फ़िर आगे बोली- फ़िर तो मेरी चूत से तुम्हारा भाई पैदा हो जाएगा ! सोच
लो ! रंगीला खुल कर हंसा, फ़िर बोला- कोई बात नहीं ! तू अपनी चूत से मेरा भाई
पैदा कर या मेरा बेटा ! जोरू तो तू मेरी ही रहेगी ना !
” तो ठीक है !”
मिनी मुझे देखते हुए और अपने पति को सुनाते हुए बोली- पापा, आपके
बेटे ने मुझे इज़ाज़त दे दी कि मैं अपनी फ़ुद्दी में से उसका भाई पैदा करूँ !
आप मेरे गर्भ में अपना बीज बो दीजिए ! मेरी चूत अपने वीर्य के सराबोर कर
दीजिए। मुझे गर्भवती कर दीजिए मुझे मेरे पति के भाई की माँ बना दीजिए !
ऐसा कहते हुए मिनी ने अपने पैर बिस्तर पर टिका कर अपने कूल्हे ऊपर
झटकाए ताकि मेरा पूरा लण्ड उसकी पूरी गहराई में जाकर अपना बीज छोड़ सके और
जानबूझ कर जोर से चीखते हुए भद्दी आवाज में बोली- आह पापा ! आपने मुझे चोद
दिया आज ! चुदाई का इत्ना मजा मुझे कभी नहीं मिला ! मुझे आपसे प्यार हो गया
है पापा ! मुझे आपके लौड़े से प्यार हो गया है पापा ! अब से रंगीला के सामने
मैं आपकी बहू हूँ और रंगीला के पीछे आपकी रखैल !
यह बोलते बोलते मिनी एक बार फ़िर झड़ गई और साथ ही मेरे लण्ड ने अपना झरना उसकी योनि के सबसे गहरे स्थान में बहा दिया।
उसने मुझे अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया और चिल्लाई- रंगीला… देखो…
तुम्हारे पापा ने अपना वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया। तेरे बाप ने मुझे चोद
दिया !
मैं फ़ोन की दूसरी तरफ़ से अपने बेटे की वासना भरी सिसकारियाँ सुन पा रहा था, जाहिर था कि वो मुट्ठ मार रहा था।
मैं बड़े आराम से यह अनुमान लगा सकता था कि आज का दिन मेरे लिए, मेरे
बेटे के लिये और सबसे ज्यादा मेरी बहू मिनी के लिए पूरे जीवन में कभी ना
भूलने वाला दिन रहा।


समाप्त
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,301,763 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,475 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,151,848 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 872,423 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,543,246 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,987,640 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,798,214 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,521,361 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,827,562 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,343 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)