Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
08-20-2017, 10:48 AM,
#51
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
सभी लड़कियों को चूत का पाठ पढ़ाया

आज मैं आपको अपनी आत्मकथा के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसमें मैं आपको बड़ी दिलचस्प चुदाई के बारे में आप खूब उत्तेजित हो उठेगे | दोस्तों मैं काफी समय से लड़कियों के मौहोल में पला – बड़ा हूँ इसिलए मुझसे बेहतर लड़कियों को और उनकी चूत चुदाई के आभास कोई नहीं समझ सकता | मैं जब अपने कॉलेज में कदम रखा तो मैं कई लड़कियों से दोस्ती कर ली थी जिसके कारण अब उन लौंडियों के साथ कुछ ज्यादा ही उठना – बैठना शुर हो गया था | एक दिन हम अपने घर पर ही कुछ काम के सिलसिले में आये हुए थे जिसमें मेरी एक खास सहेली और कुछ लकड़ी सहेलियां भी थी | मैं उनके बीच अकेला ही था और खूब मज़े भी ले रहा था |

हमने पहले तो खूब काम करते हुए मजाक मस्ती और उसके बाद मैंने सब बीच कामुक विषय छेड दिए जिसपर सब शान्ति से चुदाई के आलम को लड़कों के लिंग के बारे में मेरी ज़बानी सुन रही थी | मैंने उन्हें काफी बातें बताते हुए अपने लिंग की ओर इशारा किया जिसपर मेरी खास सहेली मेरे लंड को उभार को देख उसे अपने हाथ से छू रही थी | मैंने उन् सब को उत्तेजना का पाठ पढ़ाते हुए अपनी खास सहेली को उसे चूमता हुआ उसुके होंठों को चूसता हुआ उसकी चुचियाँ भींच रहा था | जिसपर सभी मनोरंजन की भावना से हमें देख रही तभी मैंने सबको कार्य का असली मुकाम दिखाते हुए अपने आप को नंगा कर दिया और उसे भी नंगी कर दिया | मैं उसके उप्पर लेटकर मस्त में उसके होठों को चूसते हुए उसके उसके चूत को निकाल कर रगड़ने लगा |

वो भी इतनी बुरी तरह से गरमा चुकी थी मुझसे कसकर लिपट गयी जिसपर मैंने सांवली चूत में अपनी उँगलियाँ देना चालू कर दिया जिससे अब उसकी चूत गीली हो गयी तभी मैंने अपने तने हुए लंड को उसकी चूत में टिकाते हुए हलके – हलके धक्कों से अंदर घुसाने लगा जिसपर उसकी दर्द भरी सिकारियां निकलने लगीं और मैं उसकी चूत पर काबू करने के लिए उसे चोदे जा रहा था | जब मैं १५ मिनट तक उसकी चूत को चोदते हुए चला गया तो अब उसकी चींखें भी कम होती जा रही थी | मैं उसकी चूत को मसलते हुए और लड़कियों को मेरे पास आने के लिए कहने लगा जिसपर इतना बढ़िया कारनामा देखे उनमें से कोई भी नंगी होने से ना चुकी |

अब उनमें से एक ने मेरी गाडं को पकड़ लिया और जब मैं पहली वाली को चोद रहा था तो पीछे से उसने मेरी गांड पर थूक लगाते हुए मेरी गांड को चाटना शुर कर दिया | अब कुछ नंगी लड़कियां मेरे सामने आकर अपने चुचों को मेरे मुंह में भर देती जिससे मैं उनके चूचकों के सतह खिलवाड़ करता रह था कोई अपने होंठों को मेरे मुंह से लगा देती और मैं उसे भी उत्तेजित करते हुए उसके होंठों अपने दाँतों से मिस्मिसाने लगता | इसी तरह मैंने अकेले ही सभी लड़कियों को गरमा करते हुए धीरे – धीरे और बारी बारी उनकी चूत से रस निकलकर चाटा और अलग – अलग मुद्रा में उनकी चूत को भी चोदा |
Reply
08-20-2017, 10:48 AM,
#52
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
वीरानी की चूत तेल लगाकर चोदी

मैं वैसे इतना कमीना तो नहीं हूँ पर दोस्तों आपको बता दूँ की मैंने वीरानी के साथ कुछ हद्द से ज्यादा ही कमीनापन धिक्लाया जोकि शायद मुझे नहीं दिखलाना चाहिए था पर क्या चूत का भुत तो वोही जानता है जिसे अरसों तक किसी भी चूत का स्वाद नहीं आया होगा | मैंने कई बार अपने घर के सामने २१ वर्षीय पकड़म – पकडाई खेलने वाली लौंडिया को रिझाते हुए अपने खाली कमरे में बुलाने की कोशिस की पर वो कभी भी मेरे घर नहीं आती और दूर से से ही खेलते हुए मुझे मौक मुस्कान दे देती और जानबूझ कर अपने मोटे चुचों को हिलाती हुई मुझे अपना दीवाना बनाने की कोशिश करती | मैं जब भी उसम अपने घर के बहार घूमते हुए देखता तो मेरा हमेशा एक हाथ मेरे लंड के सुपाडे को मसल रहा होता था |

मैंने कई बार तो उसकी चूत के ख्याल को दिमाक में लाते हुए अपने लंड पर सरसों का तेल लगाकर हस्तमैथुन किया था | एक रोज जब मैं भरी दोपहर को अपने टी.वि पर कुछ मनोरंजन देख रह आता तो अचानक मेरे घर पर वीरानी आई जिसे देख मैं चौंक गया | उसने आती ही कहा की क्यूँ .. आज क्या बात है मुझे निहारने नहीं आये हाँ .. ?? जिसपर मैंने इतराते हुए कहा की क्या करें जब किसी को हमारा घर ही नहीं पसंद तो . . ! ! वो मेरे कामुक इरादों को समझती हुई कहने लगी लो . .अब अब आ गए . . अब बताओ ऐसी क्या बात करनी है आपको . . मैंने भी उसका हाथ पकड़ अंदर को खींच लिया और खेने लगा बस ज़रा सा सबर करो सब पता चल जाएगा . .! !

अब वो बैठ चुकी थी मेरे घर के अंदर तभी मैं फिर अंदर को जाकर अपने लंड पर सरसों का तेल लगाकर नंगा ही सुके सामने आया और उससे कहने लगा की यह जो लंड है . . तुम्हारी याद में बुरी तड़पा जा रहा और उसने कहा यह लो इसे तो अं संवारा देती हूँ . . वीरानी ने तभी मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया जिसपर मुझे अरसों पुराना सुख मिल रहा था और मैं अपने हाथ से उसके बालों को खोल सहला रहा था | मैं भी भी अब उसके कपड़ों को खोल कतई नंगी कर उसे चूमना फिर उसके होंठों को दबोचते हुए चूचकों को मसलकर गरम करना शुरू कर दिया | अब मैंने नीचे को झुका और उसकी चूत को सूंघते उसमें हलके – हलके से अपनी ऊँगली से मसलने लगा जिसपर वो अपने दाँतों को आपस में घिसने लगी | मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए अपने गीले लंड को निकाला और उसकी चूत के उप्पर टिकाते हुए जोर का धक्का मारा जिससे मेरे लंड एक बार में ही उसकी चूत में आगे – पीछे होने लगा |

हम दोनों एक बार में इसी तरह अनंत मज़े का एहसास करने लगे थे | कुछ पल में मैंने अपने लंड को रौधाते हुए उसे जमकर चोदना शुर कर दिया जिसपर वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी और साथ ही वीरानी की चूत का पानी भी निकला | अब मेरा लंड तो ओर ही आराम से उसकी चूत में फिसलता हुआ अंदर – बहार हो रहा था जिससे मैं उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए अपने लंड के धक्के उसकी मस्तानी चूत में दिए जा रहा था | चुदाई के इस सिलसिले को मैंने उसी मुद्रा में शाम तक चलाया जिससे आखिरकार उसकी चूत के उप्पर ही गाढ़ा पीला वीर्य निकल पड़ा और वीरानी ने थक – हार कर मुझे बहुत “कमीना” बन्दा कहते हुए आखिरी चैन भरी साँस ली |
Reply
08-20-2017, 10:48 AM,
#53
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
दोस्त सब कुछ शेयर करते हैं

मैं बी एस सी के दूसरे साल में था. मेरे मौसी के लड़के की नई नई शादी हुई थी. वो मेरे से पांच साल बड़ा था. बैंक में नौकरी करता था. मैं अक्सर ही कॉलेज से आते वक्त मौसी से रोज मिलने जाता था. ये सिलसिला स्कुल के दिनों से चलता आ रहा था. भैया की शादी के बाद भी मैंने यह सिलसिला शुरू रखा. सुमित्रा भाभी मुझसे जल्दी ही घुलमिल गई. आखिर मेरी हमउम्र थी. सुमित्रा दिखने में बहुत ही खुबसूरत थी और उसका कद भी काफी छोटा था. ऐसा लगता था जैसे कोई दसवीं क्लास की लड़की खड़ी हो. एकदम गोरा रंग और तीखे नाक-नख्श. हम दोनों मौसी के साथ खूब बातें करते और मजाकें भी.
भैया और भाभी हनीमून मनाकर लौट आये थे. मैं भाभी को अक्सर हनीमून को लेकर छेड़ने लगा. लेकिन भाभी मुस्कुराकर रह जाती. कुछ महीने बीत गए. मुझे अचानक ही यह लगने लगा कि इन दिनों भाभी मुझसे कुछ ज्यादा ही मुस्कुराकर मिलती है और मेरे करीब बैठने की कोशिश करती है. कॉलेज में होने के कारण यूँ तो ज्यादातर लड़के सब कुछ जान जाते हैं लेकिन मेरा स्वभाव ऐसा नहीं था और मैं केवल मजाक तक ही सिमित था.
एक दिन मैं मौसी के घर बड़े सवेरे मेरे जन्मदिन का न्यौता देने के लिए गया. मौसी घर पर नहीं थी. भैय्या और मौसाजी अपने अपने काम के लिए निकल चुके थे. जब मैं भाभी के कमरे में पहुंचा तो भाभी नहाकर बाथरूम से निकल रही थी. मुझे यह पता नहीं था और ना ही भाभी को. भाभी ने उस वक्त अपने बदन पर केवल एक तौलिया लपेट रखा था. मेरी और भाभी की नजरें आपस में मिल गई और मैं "सॉरी" बोलकर तुरंत बाहर निकलकर आ गया. भाभी ने कुछ ही देर के बाद मुझे अन्दर बुला लिया. भाभी के बाल खुले हुए थे और जल्दी जल्दी में उन्होंने जो साड़ी पहनी थी उसका पल्लू नीचे ही था. उनका नीला ब्लाउज साफ़ नजर आ रहा था और साथ ही ब्लाउज के अन्दर आ खजाना भी. मैंने पहली बार किसी औरत को इस तरह से इतने नजदीक से देखा था. मैं उन्हें देखने लगा. भाभी भी मुझे मुस्कुराते हुए देखने लगी. हम दोनों की नजरें मिली. मैं शरमाया और अपनी नजरें झुका ली . लेकिन भाभी मुझे उसी तरह से मुस्कुराते हुए देखती रही.
मैंने जब उन्हें अपने जन्मदिन की दावत के लिए शाम को घर आने की बात कही तो अचानक भाभी ने कहा " आप का जन्मदिन है!!! मेनी हैप्पी रिटर्न्स ऑफ़ दी डे. मुझे पता ही नहीं था." भाभी आगे बढ़ी और मेरे गालों पर अपने होंठों से एक बहुत ही हल्का सा चुम्बन दिया. मैं भीतर तक सिहर गया. किसी महिला का ये मेरे जिस्म पर पहला स्पर्श था. मेरे डरे हुए चेहरे को देखकर भाभी ने कहा " ये क्या! आप इतना डर गए! " मैं सर झुकाए खड़ा रहा. अब भाभी मेरे और भी करीब आ गई. उनके बदन से चन्दन के साबुन की महक आ रही थी. भाभी ने एक बार फिर मेरे गालों को चूमा और बोली " जन्मदिन बहुत मुबारक. मैंने आपको विश किया. मुझे थैंक्स तो दो." मैं बहुत धीरे से बोला " थैंक्स भाभी" भाभी ने कहा " ये क्या भाभी भाभी लगा रखा है. हम दोनों एक ही उमर के हैं और दोस्त हैं. तुम मुझे सुमी कहोगे. मुझसे बिलकुल भी नहीं शरमाओगे. दोस्तों में शर्म कुछ नहीं होनी चाहिये. दोस्त लोग तो आपस में सब कुछ बांटते हैं. मुझे तुम्हारा शर्माना दूर करना पडेगा. ऐसे थोड़े हो कोई काम चलता है." अब भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया. फिर डरे हाथ से मेरे हाथ को जोर से दबा दिया और मुझे हंसकर देखने लगी.
मुझे लगा कि इससे पहले कोई अनहोनी हो जाए यहाँ से खिसक लेना ही बेहतर होगा क्यूंकि भाभी की नजरें कुछ और ही कह रही थी. मैं जैसे ही जाने के लिए पलता भाभी ने मुझे पीठ पीछे से बाहों में भर लिया. उनके सीने का दबाव मुझे महसूस होने लगा. हभी लगातार मुझे दबाये जा रही थी. मुझे भी ना जाने क्यूँ यह अब कुछ कुछ अच्छा लगने लगा. सुमी अब घूमकर मेरे सामने आ गई. वो अभी भी मुस्कुरा रही थी..अभी भी उनका पल्लू नीचे था. अब सुमी ने मुझे फिर अपनी बाहों में भर लिया. उसका गोरा मुख मेरे सामने था. एकदम से किसी कच्ची कली से कम नजर नहीं आ रही थी सुमी भाभी. एक बार फिर सुमी ने मुझे गालों पर चूमा. इसके बाद उसने मेरे गरदन के नीचे के हिस्से को चूमा. फिर उन्होंने मेरे सीने पर चूमा और बनावटी गुस्से से बोली " ये क्या बात है यार! जन्मदिन है इसका मतलब ये तो नहीं कि तुम चुपचाप खड़े रहो. मुझे रिटर्न गिफ्ट कौन देगा हाँ.? चलो मेरी गिफ्ट वापस करो." मेरे सामने अब कोई चारा नहीं था. मैंने सुमी के दोनों गालों पर बारी बारी से चूमा. मुझे ऐसा लगा जैसे ढेर सारी शक्कर मेरे मुंह में घुल गई हो. अब सुमी और मैंने एक दूसरे को धीरे धीरे गालों पर ; गरदन पर ; सीने के उपरी हिस्सों पर चूमना शुरू किया. सुमी ने अपने हाथों से अब मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए. मैंने इसका विरोध किया. सुमी ने कहा " मैंने कहा ना दोस्त सब कुछ बांटते हैं." अब मैं मूर्ति जैसे खडा था. सुमी ने मेरा शर्ट और बनियान खोल दिए. फिर उसने मुझे कहा " अब मेरे कपडे क्या मैं खुद उतारूंगी! " मैं आश्चर्य में पड़ गया. ये कौनसी दोस्ती हुई. ये कैसा बांटना हुआ. लेकिन क्या करता अब मेरा मन भी डोल उठा था.
मैंने सुमी के ब्लाउज को खोला. फिर सुमी ने मेरे हाथ को अपनी पीठ के पीछे लेजाकर अपनी ब्रा का हुक पकडवा दिया. मैंने वो हुक भी खोल दिए. सुमी ने जैसे ही ब्रा को हटाकर दूर फेंका मैं सुमी की नंगी छाती को देखने लगा. एकदम चिकनी चमड़ी और मध्यम उंचाई में उभरे हुए स्तन. सुमी ने अब मुझे अपने सीने से लगा लिया. मेरी धड़कने अब काबू के बाहर हो रही थी. सुमी ने अपने हाथ नीचे किये और मेरी जींस के बटन खोले और उसे नीचे खींच दिया.मेरे हाथ खुद-बा-खुद सुमी की कमर के नीचे चले गए. उसके पेटीकोट का नाडा खुल गया. अब हम दोनों केवल अपने अंतर वस्त्रों में रह गए थे. सुमी ने मुझे इशारा किया और हम दोनों पलंग पर आ आगये. सुमी ने पलंग के पास के स्टूल पर रखी प्लेट में से अंगूर का गुच्छा उठाया. सुमी ने वो गुछ्छा हम दोनों के मुंह के बीच ले लिया. हम दोनों ने एक एक दाना मुंह में रखा. सुमी ने गुच्छा हटा दिया और अपना मुंह मेरे सामने कर दिया. सुमी ने अंगूर के दाने को अपने होंठों के बीच दबा लिया और मेरे होंठों की तरफ बढ़ा दिया मैंने भी ऐसा ही किया. अब हमने अपने अंगूर के दाने को आपस में मुंह ही मुंह में बदल लिया. दोनों ने अंगूर को चबाया और फिर अपने अपने होंठ आमने सामने किये और एक दूजे के होंठ चूम लिए. अंगूर का रस हमारे मुंह की लार ,में घुलकर हमारे मुंह में गया और हम दोनों को नशा सा आ गया.
अब हम दोनों पलंग पर लेट गए और एक दूजे से लिपट कर चिपट गए. अब हम दोनों आपस में लगातार जल्दी जल्दी यहाँ वहाँ चूमने लगे. सुमी ने अब जल्दी जल्दी अपनी पैंटी और मेरी अंडर वेअर खोल दी. मैंने उसे बहुत मना किया लेकिन सुमी नहीं मानी. सुमी ने मेरे बड़े और कड़क होकर लम्बे हो गए मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़ा और उसे सीधे अपने जननांग में जोर लगाकर घुसा दिया. मेरे लिंग पर कंडोम भी नहीं था. करीब पांच मिनट के अन्दर ही मुझे सुमी के जननांग के भीतर गीलापन लगने लगा. सुमी ने तुरंत मेरे लिंग को खींच कर बाहर कर दिया..उसने मेरे लिंग को अपने दोनों हाथों से धीरे से दबा दबाकर सहलाना शुरू किया. दो मिनट के अन्दर ही मेरे लिंग ने एक सफ़ेद रंग का गाढा रस छोड़ना शुरू कर दिया. सुमी ने उस रस को अपने गुप्तांग पर लगाया और मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा. अब मैंने अपने हाथ से उस रस को उसके गुप्तांग पर फैला कर धीरे धीरे मसाज करना शुरू किया. दो-तीन मिनट के बाद सुमी के जननांग के अन्दर से भी वैसा ही सफ़ेद गाढा रस बहने लगा. मैंने उस रस को अपने हाथ में लिया और अपने लिंग पर लगा दिया. अब हम दोनों उस रस से गीले हो चुके गुप्तांग और जननांग की लगातार मसाज एक दूसरे के हाथों से करने लगे. सुमी ने मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड़कर चूसना शुरू कर दिया था.
अब हम दोनों एक बार फिर आपस में लिपट गए . मैंने इस बार अपना लिंग सुमी की टांगों के बीच में फंसा दिया. सुमी अपनी जाँघों के दबाव से मेरे लिंग का मसाज करने लगी. सुमी के गुप्तांग और जननांग के बीच का हिस्सा हम दोनों के गाढे रस से पूरी तरह से गीला हो चुका था. मैं जैसे जैसे अपने लिंग को सुमी के गुप्तांग और जननांग से टच कराकर जोर से दबाता सुमी मेरे होंठों को जोर से चूस लेती. हम दोनों इसी तरह से करीब आधे घंटे तक लेते रहे. आखिर में सुमी ने मुझे फ्रेंच किस सिखाया. वो अपनी जीभ मेरे मुंह के अन्दर ले गई और मेरे मुंह की लार को अपनी जीभ से पी गई. मैंने भी ऐसे ही किया. पूरे दस मिनट तक हम दोनों ने फ्रेंच किस किया. इसके बाद सुमी ने कहा " तुम्हारी मौसी के आने का समय हो गया है." सुमी और मैं बाथरूम में आये. पानी से पूरी सफाई की और एक दूसरे को एक लंबा फ्रेंच किस दिया और मैं कपडे पहन कर रवाना होने लगा. सुमी ने कहा " दोस्ती की शुरुवात है. इसलिए हमने ये शेयर किया है. तुम इसका मतलब ये मत निकालना कि तुम्हें ऐसा मौका बार बार मिलता रहेगा." मैंने सुमी के होंठों को एक बार फिर जोर से चूमा और बोला " जब तक दोस्ती रहेगी तब तक हम दोनों सब कुछ शेयर करते रहेंगे..मैं ये भी जनता हूँ कि तुम मना भी नहीं कर पाओगी." सुमी मुस्कुराई . मेरे होंठों को एक बार फिर जोर से खींचा और बोली " अगर ऐसी बात है तो हम लगातार शेयर करते रहेंगे." मैंने फिर एक बार सुमी के होंठों को जोर से चूमा और बाहर निकलकर घर लौट आया.
उस दिन के बाद मैं सुमी से एक बार और अकेले में मिला. सुमी ने उस दिन कंडोम के साथ सेक्स किया. अब जब भी मौक़ा मिलता है हम दोनों घंटों सेक्स करते हैं. आखिर दोस्त सब शेयर करते है ना.
Reply
08-20-2017, 10:48 AM,
#54
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
भाभीयों ने मुझे बर्बाद और फिर आबाद भी किया


मैं अपने तायाजी के यहाँ मुंबई में पढने के लिए आया था आज से दो साल पहले. मेरे तायाजी के दो लड़के हैं. दोनों शादी शुदा. बड़े भैया की बीवी है रजनी और छोटे भैया की रीता. मैं रीता की उमर काहूँ. रजनी मुझसे कल दो साल बड़ी है. मेरे तायाजी का ट्रेडिंग का बहुत बड़ा व्यवसाय है. दोनों भैय्या तायाजी के साथ ही काम करते हैं.ताईजी का देहांत हो चुका है. तीनों जाने केवल रुपया कमाने में लगे रहते हैं. बड़े भैया की तीन साल पहले और छोटे भैया की दो साल पहले शादी हो चुकी है लेकिअभी तक दोनों के कोई बच्चा नहीं है. मैं बहुत खुबसूरत हूँ. बहत जल्द रजनी भाभी और रीता भाभी दोनों मेरे से बहुत हिलमिल गई.
वे दोनों मुझे बहत मज़ाक करती. धीरे धीरे मैंने नोट करना शुरू किया कि वे दोनों मुझे कई बार छूने की कोशिश भी करती. कभी मुझे गुदगुदी कर देती. माभी मेरे गालों पर चिकोटी काट लेती. मैंने ध्यान नहीं दिया. मैंने यह भी नोट किया कि दोनों के पति अपनी से बिलकुल भी दोस्ताना नहीं थे. रजनी और रीता दोनों अपने पतियों के जाने के बाद खिल जाती और मेरे साथ खूब बातें करती. मेरी कॉलेज सवेरे सात बजे से बारह बजे तक थी. मैं दस मिनट में घर आ जाता. उसी वक्त तायाजी और दोनों भैया काम पर निकल जाते. रात को करीब दस बजे तक लौटते.
एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था. तभी मैं पानी पीने के लिए किचन में गया. जब मैं पानी पीकर वापस अपने कमरे में लौटने लगा तो मैंने देखा कि रजनी अपने कमरे में कांच के सामने केवल ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी. वो अपने हाथों से अपने स्तनों को मसलती और फिर एक आह निकालती. मैं वहीँ खडा होकर देखने लगा. मैं तुरंत समझ गया कि यह सब सेक्स की कमी के कारण है. तभी रजनी की नजर मुझ पर पड़ गई. उसने तुरंत एक तकिया अपने सीने पर रखा और मुझे अन्दर आने का इशारा किया. मैं अन्दर आ गया. रजनी मेरे सामने उसी तह बैठ गई. उसने तकिये से सीना छुपा रखा था. वो बोली " वे मेरी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देते. महीने में एकाध बार ही मेरे साथ सोते हैं. मैं इसी तरह से तड़पती रहती हूँ. अब तुम ही बताओ एक औरत इस तरह से कैसे रह सकती है. रीता की भी यही हालत है." मैं सोच में पड़ गया. मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई और अपने कमरे में आ गया.
मुझे रजनी का इस तरह से देखना अच्छा लगा था. अब मैं उसे इस तरह से देखने की कोशिश करता. वो अक्सर इस तरह से मुझे खड़ी मिल जाती. कभी कभी रजनी की मुझसे नजर मिल जाती तो वो बिलकुल भी बुरा नहीं मानती. एक दिन रजनी मेरे कमरे में आ गई. मैं बैठा हुआ पढ़ रहा था. उस वक्त घर में कोई नहीं था. रीता भी कहीं बाहर गई हुई थी. रजनी मेरे पास बैठ गई. हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे. ताहि रजनी बोली " अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं कुछ कहना चाहती हूँ." मैं कुछ नहीं बोला. रजनी ने कहा " तुम मेरा साथ दो. मैं अब इस तरह से नहीं रह सकती.मैं पागल हो जाउंगी. मेरा सीना धडकता है. दिल घबराता रहता है. मैं सारी सारी रात तड़पती हूँ." मैं रजनी की तरफ देखने लगा. ये क्या कह रही है रजनी भाभी! ऐसा कभी होता है क्या? अचानक रजनी का जिस्म थर थर कांपने लगा. उसने मुझे पकड़ लिया. ना जाने क्यूँ मुझे उस पर तरस आ गया और मैंने भी उसे अपनी बाँहों में लिया. अब रजनी ने मेरे गालों पर अपने हाथ फिराए और आँखों में आंसू लाते हुए बोली " मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी" रजनी ने मेरे गाल चूम लिए. मैंने भी उसके गालों को चूम लिया. बस इसी चुम्बन ने मेरी जिंदगी बदल डाली. रजनी ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. उसने अपने सारे कपडे उतार डाले. फिर मेरे पास आकर मेरी भी सभी कपडे खोल दिए. मुझे अपनी बाहों में लिया और पलंग की तरफ बढ़ने लगी. उसकी गर्म गर्म साँसें मुझे मदहोश करने लगी थी.दो मिनट बाद हम दोनों पलंग पर लेते हुए थे. रजनी मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी. धीरे धीरे हम दोनों पर नशा इतना छा गया कि रजनी ने मुझे वश में कर लिया. रजनी ने मेरे गुप्तांग को इतना सहलाया कि वो एकदम कड़क हो गया. अब उसने अपनी टांगें फैलाकर मुझे अपना जननांग दिखलाया. मैंने उसके जननांग को हाथों से सहलाया और फिर चूमा. रजनी मीठी मीठी आहें भरने लगी. अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने रजनी के जननांग को अपने गुप्तांग से पाट दिया. अब उसके जननांग में मेरा गुप्तांग ऐसे घुसा हुआ था जैसे बोल्ट में कोई नट घुसा दिया गया हो. रजनी ने मुझसे कहा " जल्दी कोई आनेवाला नहीं है. तुम लगे रहो." रजनी ने पहले ही दिन पूरे एक घन्टे अपने जननांग की प्यास बुझाई. उसने मुझे इसके बाद मेरे जिस्म के हर हिस्से को चूमा. वो बहुत ही खुश नजर आ रही थी. उसने आखिर में अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए.
मुझे पता नहीं था कि रजनी रीता को सब कुछ बता देगी. रात को जब मैं सो गया तो ना जाने कब रीता मेरे कमरे में आ गई. वो मेरे पास लेट गई और मुझे चूमने लगी. मेरी आँख खुल गई. मैं रीता को देख हिरन हो गया.रीता ने कहा कि रजनी ने उसे सब कुछ बता दिया है. अब मैं पूरी तरह से मुसीबत में फंस चुका था. रीता थोड़ी देर ही मेरे साथ रही लेकिन उसने मुझे गालोपर चूम चूमकर मेरा सारा मुंह गीला कर दिया था. उसने मुझसे कहा " आधी रात बाद मैं लौट कर आउंगी. तुम तैयार रहना. आज से तुम मेरे और रजनी दीदी के हो."
करीब दो बजे रजनी फिर आई. इस बार वो एक नाईटी में थी. उसने आते ही कमरे की लाईट लगा दी. मैंने देखा उसने एक पारदर्शी नाइटी पहनी हुई थी. उसका हर अंग उससे बाहर झाँक रहा था. उसका सांवला रंग गज़ब ढा रहा था. उसने एक कंडोम मेरी तरफ उछाला और एक ही झटके में नाईटी को खोल कर फेंक दिया. उसने लाईट बंद नहीं की और पलंग पर कूद गई. मैंने रीता को अपि बाहों में कसकर भींच लिया. कुछ देर तक हम एकदूसरे के जिस्म से खेलते रहे. फिर रीता ने मुझे लिटाकर कंडोम खोला और मेरे कड़क हो चुके गुप्तांग पर लगा दिया. रीता ने अब अपने जननांग को मेरे मुंह के करीब ले आई. उसका चिकना जननांग बहुत खुबसूरत लग रहा था. मैंने उसे जोर से चूम लिया.रीता तड़पकर एक सिसकी के साथ दबी आवाज में चीख उठी. मैंने रीता को नीचे लिटाया और उस खुबसूरत गुफा में अपने गुप्तांग को अन्दर तक घूमने के लिए घुसेड दिया. रीता को अब आनंद आए लगा था. मुझे भी रीता का जननांग बहुत गीला और गुदगुदा लग रहा था. मैंने रीता ओ भी रजनी की तरह एक घंटे तक प्यास बुझाने के बाद ही छोड़ा.
सवेरे मैं कॉलेज चला गया. लेकिन कॉलेज में भी रजनी और रीता के साथ किये गए संभोग याद आते रहे. दोपहर को मैं लौट कर घर आ गया. आते ही रजनी ने मुझे पकड़ लिया. रीता भी घर पर थी. रजनी मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई. एक बार फिर मैं रजनी के साथ बिस्तर में था. मैंने रजनी की प्यास को आज लगातार दो घंटों से भी अधिक समय तक बुझाया. इसके बाद रीता मेरे कमरे में आ गई. रीता ने भी रजनी की तरह अपनी प्यास दो घंटों से कुछ ज्यादा ही देर तक बुझ्वाई.
अब यह सिलसिला लगातार होने लगा. मेरी पढ़ाई अब पूरी तरह से छूटने लगी थी. जब भी समय मिलता मैं इन दोनों में से किसी के भी साथ संभोग करने लग जाता. मैं पूरी तरह से भटक चुका था. रजनी और रीता जहाँ खुश थी वहीँ मेरी बिगडती पढ़ाई के कारण मैं परेशान और तनाव में रहने लगा था.
रजनी और रीता को मैंने सारी बात बताई. वे दोनों भी इस बात से चिंतित हो गई. उनकी चिंता अलग थी. उन्होंने ओछा कि अगर मैं फेल हो गया तो मुझे वापस घर लौट जाना पडेगा. फिर उन दोनों का क्या होगा. उन द्नोंने आपस में ना जाने क्या सोचा.
अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैंने देखा कि रजनी और रीता दोनों मेरे कमरे में थी. उन दोनों ने मुझे अपने बीच में बिठाया और दोनों ही मेरे गालों और गरदन के आसपास चूमने लगी. अब एक और नयी मुसीबत पैदा हो रही थी. रजनी और रीता ने मेरे सभी कपडे उतार दिए.इसके बाद वे दोनों मेरे सामने खड़ी हो गई. उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतारकर इधर उधर फेंकना शुरू किया. जब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गई तो उन दोनों ने अब एक दूसरे को बाहों में भरा और मुझे ललचाने के लिए अपने स्तनों को आपस में रगड़कर उन्हें दबाने लगी. कब्जी वे दुए को चूमती तो कभी आपस में एक मर्द और एक औरत की तरह से अलग अलग सेक्स पोझिशन बनाकर मुझे दिखाती. मेरे ऊपर ऐसा नशा छाया जैसे मैंने बेहिसाब शराब पी ली हो.
अब रजनी और रीता दोनों ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. दोनों ने मेरे लिंग को अपने होंठों से चूमना शुरू किया. जब वो एकदम कड़क और बड़ा हो गया तो उन्होंने उस पर कंडोम लगा दिया. अब वे दोनों पलंग पर साथ साथ सीधी लेट गई और अपनी अपनी टांगें फैला दी. मैंने उन दोनों के जननांगों को देखा. मेरे मुंह में पानी भर आया. मैं झुक गया. मैंने दोनों के जननांगों को चूमना शुरू किया. फिर मैंने उनके गुप्तांगों को भी चूमा. इसके बाद मैंने उनके गुप्तांगों जननांगों का एक पूरी बोतल क्रीम लगाकर मसाज किया. अब दोनों के वो हिस्से बहुत ही मुलायम और गीले गीले हो चुके थे. सारा कीम उन्क्गुप्तान्गों ; जननांगों और आस पास के हिस्से पर फ़ैल गया था. मैं एक बार फिर उस क्रीम से अपने हाटों से मालिश करने लगा. रीता ने मुझे एक और बड़ी बोतल थमा दी. मैंने वो सारी बोतल रजनी और रीता के स्तनों पर उंडेल दी. मैंने उस सारे क्रीम से उनके स्तनों की खूब मालिश की. अब उन दोनों के पूरे जिस्म पर क्रीम फ़ैल गया था. मैंने उन दोनों को एक बार फिर आपस में अपने स्तनों को मिलाकर आपस में ही मसाज करने को कहा. उनकी चतीयाँ जब आपस में मिली तो क्रीम दूं के स्तनों के बीच में से बूंद बूंद रिसने ;लगा. मैंने वो क्रीम हाथ में लिया ऊँके गालों पर लगा दिया. अब तो रजनी और रीता दोनों मारे उत्तेजना के पागल हो उठी थी. मैंने भी अपनी उत्तेजना चरम पर पहुंची देखा उन दोनों को साथ साथ सीधा लिटाया. दोनों ने अपनी अपनी टांगें फिर फैला दी. मैंने एक एक को लिया और उनके जननांगों को अपने कड़क और लम्बे हो गए लिंग से बारे बारी से भेदने लगा. क्रीम के कारण चिकनाई हो गई थी और हमें बहुत मजा आ रहा था. दोपहर को एक बजे से हम तीनों शुरू हुए थे और अब शाम के सात बजे थे. तब से लगातार मैं कभी रजनी तो कभी रीता के जननांग को लिंग से भेदे जा रहा था. साढे सात के करीब दोनों पूरी तरह से चित्त हो गई. मैंने घडी देखी. आठ बज चुके थे. अभी भी करीब दो घन्टे बाकी थे सभी के लौट कर आने में.
मैंने उन दोनों के होंठों को खूब चूमा और फिर जोर जोर से चूसा. उन दोनों के ढीले पड़ गए जिस्मों में इससे एक बार फिर हलचल होने लगी. मैंने उन दोनों को एक बार फिर अपने पास ले लिया. इस बार मैंने बाथरूम से शम्पू लिया और एक स्पोंज पर लगाकर उनके जिस्म पर पानी कि थोड़ी बूंदों के साथ रगडा. थोड़ी ही देर में उन दोनों के जिस्म पर ढेर सारा झाग बन गया. हम तीनों जमीन पर चटाई पर लेट गए. अब हम तीनों उस झाग से एक दूसरे के बदन पर मलने और खेलने लगे. झाग से खेलते खेलत एक बार फिर मैंने रजनी और रीता के साथ संभोग किया. हमने घडी देखी साढे नौ बज चुके थे. हम तीनों बड़ी मुश्किल से अलग अलग हुए. सारी रात मैं भी अपने कमरे में तडपता रहा और दूसरी तरफ रजनी और रीता दोनों भी तड़पती रही. मैं अब दलदल में फंस गया था. मुझे अपनी बर्बादी साफ साफ़ नजर आने लगी थी.
मैंने अब रजनी और रीता को अपनी परेशानी खुलकर बता दी. रजनी और रीता ने अपना दिमाग दौड़ाया. रजनी के पिता का भी अपना कारोबार था. रजनी अपने पिता की अकेली संतान थी. रजनी के पति को अपने ससुर के कारोबार में कोई रूचि नहीं थी. रजनी और रीता ने अपने जिस्म का स्वार्थ देखा और दोनोंने रजनी के पिता से मुझे मिलवाया. उन्होंने मुझे अपने साथ तुरंत शामिल कर लिया अब मेरे और रजनी-रीता के लिए रास्ता सा हो चुका था. मेरे घरवाले भी खुश हो गए. उन्होंने भी मुझे पढ़ाई छोड़ कर इसी कारोबार में शामिल होने की मंज़ूर दे दी.
आज उस बात को पूरा एक साल बीत चुका है. पिछले एक साल से रजनी और रीता मुझसे सेक्स सम्बन्ध रखे हुए हैं. मैं कई बार उन्हें अब होटल में भी ले जाता हूँ. वहां भी हमारे बीच संभोग होता रहता है. सबसे आखिर में एक बात बता रहा हूँ. रजनी चार माह से और रीता तीन माह से गर्भवती है. दोनों के पति और तायाजी बहुत खुश है. लेकिन राज की बात यह है कि दोनों के होनेवाले बच्चे मेरी ही देन है.
Reply
08-20-2017, 10:48 AM,
#55
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
होटल में मंगल

मेरा नाम सरयू है . मैं एक होटल में मेनेजर के पोस्ट पर काम करती हूँ. मेरी असिस्टंट हैं जुली. हम दोनों आपस में बहुत अच्छी दोस्त है. हम दोनों को सेक्स से जुडी हर बात बहुत ही पसंद है. हम कई बार होटल के किसी भी खाली कमरे में चली जाती हैं और अपने सभी कपडे उतारकर एक दूसरे के शरीर के हिस्सों को अपने हाथों से मसलने लग जाती हैं. जब ज्यादा वक्त मिलता है तो हम आपस में लिपटकर एक दूसरे को हर जगह चूमने लग जाती है.
कुछ दिन पहले हमारे होटल में एक पहाडी लड़का किचन में ज्वाइन हुआ था. वो बहुत ही सीधा और खुबसूरत है. हम दोनों उस पर मरने लगी. एक बार हम दोनों उसे लेकर एक खाली कमरे में ले गई. हम दोनों नंगी हो गई. फिर उसे भी नंगा कर दिया. वो लड़का घबरा गया. हम दोनों ने उसे अपने बीच में दबाकर उसे बेतहाशा इतना चूमा की उसकी अंडर वेअर गीली हो गई. वो ऐसा घबराया कि अपने कपडे पहने और भाग गया. इसके बाद वो कभी हमारे हाथ नहीं लग सका क्यूंकि वो दूसरी होटल में चला गया,
कुछ दिन के बाद एक और हमारी उमर का युवक रिसेप्शन में लगा. वो भी खुबसूरत था. हम दोनों ने उसे पटा लिया. उसे दो-टीन बार खाली कमरे में ले गई और हम दोनों ने उसे अपने बीच में दबाकर खूब चूमा और दोनों-तीनों बार उसे गीली अंडर वेअर होने के बाद ही छोड़ा. उसे यह पसंद आ गया. अब हम जब भी इशारा करते वो आ जाता. लेकिन उसे हम इससे आगे नहीं बढ़ने देते थे. हम दोनों ये तय कर रखा था कि कोई भी हम दोनों के जननांगों को नहीं भेदेगा. धीरे धीरे इस तय बात से यह हुआ कि तीन-चार युवक हम दोनों के साथ तो हुए लेकिन दो तीन मीटिंग के बाद हमसे दूर रहने लगे.
जुली ने इसका भी रास्ता निकाल लिया. उसने इन्टरनेट से एक सेक्स टॉय मंगवाया. जुली ने मुझे दिखाते हुए कहा कि इसे डिल्डो कहते हैं. जब दो लडकीयाँ आपस में सेक्स करती हैं तो यही इस्तेमाल करती हैं. लेकिन ना जाने क्यूँ हमें एक मर्द की कमी महसूस होने लगी थी. ये कमी यहीं तक थी कि हम उसे चूमे. इसके बाद जब हम आपस में लिपटें तो वो हमें देखता रहे. ये बड़ा अजीब था लेकिन क्या करते हम दोनों. हमें यही पसंद था.
एक बार एक जोड़ा हनीमून मानाने हमारी होटल में ठहरा. मैं और जुली जब राउंड ले रही थी तो अचानक ही हम दोनों उनके कमरे में घुस गई. उस वक्त वे दोनों बिस्तर में थे और सेक्स करने में इतने मशगुल थे कि हम दोनों कब अन्दर आकर पलंग के सामने की कुर्सी पर आपस में एक दूसरे को बाहों में लेकर बैठ गई उन दोनों को पता ही नहीं चला. करीब दस मिनट के बाद उन दोनों की नजर हम पर पड़ी. वो डर गए. मैंने उन्हें मेरे और जुली के बारे में पूरी बात विस्तार से कह दी. उस लड़के ने हमसे कहा - "इसका मतलब है आप दोनों ही लेस्बियन हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है. लेस्बियन को अपनी तरह से जीने का हक़ है. आप आज की रात हमारे कमरे में हमें ज्वाइन कर लेना. आप दोनों अपना काम कर लेना और हम दोनों हमारा काम करते रहेंगे. बीच बीच में हम दोनों आपको भी पूरी मदद करते रहेंगे." हम दोनों खुश होकर उनके कमरे के बाहर आ गई. हम दोनों ने मन में सोचा कि आज हमारा डिल्डो पहली बार काम में आयेगा.
रात को हम दोनों ड्यूटी के बाद उस कमरे में पहुँच गई. वे दोनों पहले से ही तैयार थे. हम चारों ने अपने अपने कपडे उतार दिए. हम दोनों ने पहले उसे अपने बीच में लेकर उसे खूब चूमा. उसकी बीवी ने भी हमें मदद की. एक बार वो भी हम दोनों के बीच में आई और हम दोनों ने उसे भी खूब चूमा. इसके बाद जुली ने डिल्डो निकाल लिया. वे दोनों अब आपस में लिपटकर सेक्स करने लगे. हम दोनों ने उन्हें काफी देर तक देखा. फिर उसकी बीवी ने हम दोनों को नीचे जमीन पर लिटा दिया. हम दोनों के जननांग अब आमने सामने थे. उस ने अब डिल्डो का एक तरफ का हिस्सा पहले मेरे जननांग में धीरे से घुसेड दिया. फिर दूसरी तरफ का हिस्सा जुली के जननांग में घुसाया. अब हम दोनों आपस में जोर लगाकर अपने अपने जननांग एक दूसरे के करीब लाने में लग गई. धीरे धीरे डिल्डो हमारे जननांग में अन्दर जाता चला गया और हम दोनों एक दूसरे के एकदम करीब आ गई. अब उन दोनों में से एक यानि कि वो युवक जुली के ऊपर लेट गया और उसकी बीवी मेरे ऊपर लेट गई. अब वे दोनों हम दोनों के ऊपर हिल हिलकर हमें सेक्स करने में मदद करने लगे. हम दोनों ने अब उन दोनों की मदद की. मैंने अब उन दोनों को जमीन पर उसी तरह से लिटाया जैसे मैं और जुली लेटे थे. मैं एधीरे धीरे उस युवक के लिंग को उसकी बीवी के जननांग में घुसेड दिया. उन्हें थोड़ी तकलीफ हुई लेकिन वो हो गया.
फिर मैं और जुली के उन दोनों के ऊपर लेट गई. अब हम दोनों हिल हिलकर उनकी मदद करने लगे. लेकिन उन्हें बहुत दर्द होने लगा तो हम हट गए.
अब उस युवक ने अपना लिंग अपनी बीवी की उस गीली गुफा में डाल दिया और ऊपर लेट गया. हम दोनों जननांगों में अभी भी डिल्डो फंसा हुआ था. अब मैं जुली के ऊपर आ गई और हम दोनों भी उन दोनों की तरह लेट गए उनके बिलकुल बगल में. अब हम हिल हिलकर सेक्स का मजा ले रहे थे. अचानक मैंने और जुली ने उन दोनों को भी उनके मुंह ; गालों और होंठों पर चूमना शुरू किया.
सेक्स का ये नया तजुर्बा बहुत ही कामयाब रहा था. वे दोनों इसके बाद दो रात और रुके. दोनों रात हम दोनों ने उन दोनों के सहयोग से भरपूर सेक्स का मजा लिया.
तब से हम ऐसे ही जोड़े की तलाश में हैं. क्या आप में से कोई जोड़ा हमारी मदद करेगा??????????
Reply
08-20-2017, 10:49 AM,
#56
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
जन्नत

देहरादून का गेलार्ड क्लब. इस क्लब की मेम्बर्स केवल सेना के अफसरों की बीवियां ही है. मैं इस क्लब में बार काउंटर संभालता हूँ और साथ ही इस क्लब की कार का ड्राईवर भी हूँ. मेरा काम बार पर सभी महिलाओं को ड्रिंक्स सर्व करना और जो भी कहे उसे उसके घर तक छोड़ना है. मैं अभी तक कुंवारा ही हूँ.
मेरी किस्मत है कि सेना के अफसरों की इन खुबसूरत बीवियों को बहुत करीब से देखने का मौका मिलता रहता है. जा किसी को घर चोदता हूँ तो अच्छी टिप भी मिल जाती है. दोपहर को एक ग्रुप आता है. इसमें दो मेजर की बीवियां है और तीन अन्य अच्छी पोस्ट वाले अफसरों की. एक है मेजर आनंद की पत्नी माया मैडम . माया गज़ब की खुबसूरत है. एकदम लाल गोरा रंग. एक एक हिस्सा जैसे तराशा हुआ संगमरमर की कोई मूरत. दूसरी थी सीमा मैडम; मेजर सिंह की पत्नी. सीमा अपनी उमर से बहुत छोटी नजर आती थी. उसकी आवाज भी किसी कॉलेज जानेवाली लड़की जैसी थी. सीमा यूँ तो दुबली थी लेकिन उसके बूब्स बड़े थे. अन्य तीन थी हीना ; गुलनार और चित्रा. पाँचों आपस में बहुत ही अच्छी सहेलीयां. ताश की बाजियां चलती रहती और मैं लगातार उनके ग्लास भरते रहता. मैं अक्सर इन्हें इनके घर छोड़ने जाया करता.
एक दिन ये सभी कुछ ज्यादा ही खुश थी. उस दिन माया मैडम ने खूब चढ़ा ली. उनके कदम डगमगा रहे थे. सीमा ने मुझे माया मैडम को घर छोड़ने के लिए कहा. मैं उन्हें सहारा डॉ कार में बैठाया और उनके घर के तरफ चलने लगा. माया का घर आ गया. मैंने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभालते हुए उनके घर में ले गया. उन्होंने मुझे नशे में ही कहा " मेरे बे रूम में पहुंचा दो." मैंने उन्हें उनके बेडरूम में ले गया. उन्हें पलंग पर बिठा दिया. अचानक माया मैडम पलंग पर ही ढेर हो गई. जब माया पलंग पर गिरी तो उनके द्वारा पहनी हुई लॉन्ग ड्रेस थोड़ी खिंच गई और उनकी गोरी टांगें घुटनों तक नंगी हो गई. उनकी मजबूत टांगें चमक रही थी. मैंने उनके सैंडल उतारने शुरू किये जिससे कि वो आराम से लेट जाय. मैंने एक सैंडल उतार दिया. जैसे ही दूसरे सैंडल को उतारने लगा माया के पैर में हलचल हुई और उसका पैर ऊपर उठाकर मेरे गालों से टकरा गया. मेरे जिस्म में एक बिजली सी दौड़ी. मैंने माया की मजबूत पिंडलीयों को अपने हाथ से दबाया और पता नहीं क्या मेरे मना में आया मैंने उस पिंडली को अपने होंठों से हलके से चूम लिया. माया थोडा हिली और नशे में ही बड़बड़ाई " नौटी बॉय." मैं वापस क्लब लौट आया.
अगले दिन जब वे पाँचों आई तो मैंने माया मैडम से नजरें चुराता रहा. माया कुछ नहीं बोली. जब सभी घर रवाना होने लगी तो अचानक माया ने मुझसे कहा " तुम्हें आज भी तकलीफ होगी. मेरा बायाँ पैर बहुत दर्द कर रहा है. आते वक्त भी बड़ी मुश्किल से कार चला पाई थी. तुम ड्राइव करो. वापसी में तुम तक्सी से आ जाना मैं अलग से पैसे दे दूंगी." मैं माया मैडम के साथ चला गया. जब हम घर पहुंचे तो माया बेडरूम में चली गई. मैं बाहर ही खड़ा रहा.माया ने आवाज देकर मुझे अन्दर बुलाया. मुझे सौ रुपये का एक नोट दिया. मैंने अहा " मैडम तक्सी के तो केवल बीस रुपये लगेंगे. " माया ने कहा " बाकी के रुपयों के लिए तुम्हें एक काम और करना होगा और वो भी अभी और यहीं." मैं बोला " जी मैं समझा नहीं." माया पलंग पर बैठ गई. उन्होंने आज साड़ी पहन रखी थी. उन्होंने साड़ी को पकड़ा और घुटनों तक ऊपर कर दिया. फिर मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली " कल भी तुमने इन्हें चूमा था. आज भी चूमोगे. मुझे बहुत अच्छा लगा था. इसके साथ साथ तुम यहाँ पर थोड़ी मसाज भी करा देना." मैं अब कुछ नहीं कर सकता था. मैं जमीन पर बैठ गया और माया के दोनों पैरों की पिंडलीयां चूमने लगा. बीच बीच में अपने दोनों हाथों से उनकी मसाज भी करने लगा. माया मैडम को गुदगुदी सी हुई लेकिन उन्होंने अपनी दोनों टांगों से एक क्रोस बनाया और मेरे मुंह को उसमे जकड लिया. मैंने कुछ देर लगातार चूमा; मसाज किया और फिर माया ने कहा " अब तुम जा सकते हो." मैं सारे रास्ते अपने होंठों पर एक मिठास महसूस करता रहा.
अब तो लगभग हर दूसरे - तीसरे दिन माया मैडम मुझे अपने साथ ले जाती और अपनी टाँगें चुमवाती ; मसाज करवाती और फिर एक सौ रुपये का नोट हाथ में थमा देती. एक दिन सीमा मैडम भी माया की कार में आई हुई थी. वापसी में उन दोनों को माया मैडम की कार में लेकर उन्हें घर छोड़ने गया. सीमा मैडम का घर माया मैडम से कुछ कदम की ही दूरी पर था. हमने सीमा मैडम को उनके घर छोड़ा और माया मैडम के घर आ गए. हमेशा की तरह मैं माया मैडम के बेडरूम में था. माया मैडम सोफे पर बैठी हुई थी. आज माया मैडम ने अपनी ड्रेस को घुटनों से भी थोडा सा ऊपर किया हुआ था. मैं उनकी टांगों की मसाज करते हुए बीच बीच उन्हें चूम रहा था. तभी सीमा मैडम भीतर आ गई. उसने मुझे माया मैडम के पैरों को चूमते हुए देख लिया. माया मैडम तो यह बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए उनकी आँखें बंद थी. मेरी और सीमा मैडम की ऑंखें मिल गई. सीमा मैडम ने में चुप रहने और माया मैडम को यह बात ना बताने का इशारा किया और मेरे करीब आकर मेरे हाथ में एक सौ रूपये का नोट रख दिया.
अब अगले दिन मेरी हालत बुरी हो रही थी. सीमा मैडम मुझे बार बार तिरछी नज़रों से देखती; फिर मुस्कुराती और फिर अपने होंठों को गोल कर के चूमने का इशारा करती. जब सभी रवाना होने लगी तो माया मैडम तो सीधी अपनी कार में चली गई. उनका ड्राईवर आया था. सीमा मैडम रुक गई. हीना ; गुलनार और चित्रा मैडम के जाने के बाद सीमा मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " आज तुम मुझे छोड़ने चल रहे हो. जाओ गाडी निकालो और मेरा इंतज़ार करो." अब मेरे पसीने छुटने लगे. सीमा मैडम घर पहुँचने के बाद बोली " तुम रुको मैं अभी आई." कुछ देर के बाद सीमा मैडम की अपने बेड रूम में से आवाज आई " सुनो , तुम अन्दर आ जाओ ." मैं जब अन्दर गया तो सीमा मैडम पलंग पर बैठी हुई थी और मुस्कुरा रही थी. उसने मुझसे कहा " अब तुम्हें वही करना है जो तुम माया के साथ करते हो. मेरी टांगें दर्द कर रही है. अपने होंठों से जरा मालिश कर दो." अब मेरी हालत खराब हो गई. लेकिन मन ही मन मैं खुश भी हो रहा था कि जिन टांगों को केवल उनके पति ही टच करते हैं मैं आज ना सिर्फ उन्हें अपने हाथों से मसल रहा था बल्कि उन्हें चूम भी रहा था. सीमा ने पलंग के सामने एक स्टूल रख दिया और उस पर अपनी टांगें फैलाकर रख दी. फिर मुझे उन दोनों टांगों के बीच में बैठ जानेको कह दिया. अब मेरा काम शुरू हो चुका था. सीमा बार बार अपने मुंह से कुछ मीठी मीठी आवाजें आह आह करके निकालती और मुझे यह सुन मजा और जोश आ जाता. सीमा मैडम ने मुझे करीब आधे घंटे के बाद छुट्टी दी और मेरे हाथ में सौ रुपये दे दिए.
अब मेरा रोज का काम हो गया था. कभी कभी दोनों के यहाँ एक ही दिन मसाज और चूमने के मौके से मुझे दो सौ रुपये मिल जाते और साथ हो दो जोड़ी गोरी चिकनी टांगों को हाथ से छूने और होंठों से चूमने का मौका भी. मेरे लिए तो अब यही जन्नत थी.
एक दिन उन पांच के अलावा और काफी सारी आर्मी की महिलाओं ने एक बड़ी पार्टी रखी. उन सभी ने जमकर मजा किया. बहुत इ औरतों ने शराब पी और इधर उधर कदम फेंककर उलटा सीधा नाच भी किया. इस शोर शाराबे में सीमा मैडम ने मुझसे एक जाम भरवाया और पीते हुए मुझे एक आँख मारी. मैं एकदम हंस पडा. सीमा मैडम ने मेरा हाथ पकड़ा और क्लब के एक कोने में खम्बे के पीछे ले गई. सीमा मैडम ने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बाहों में जकड लिया. अपने मुंह से एक फूंक मेरे मुंह पर मारी और बोली " आज तो तुम बहुत ही हॉट और सेक्सी लग रहे हो " मैं कुछ ना बोला और इधर उधर यह देखने लगा कि कोई हमें देख ना ले. तभी समा मैडम ने तेजी से मेरे गालों को चूमा और बोली " अब तुम भी जल्दी से एक प्यारा सा किस दो. जल्दी कोई भी आ सकता है." मैं पहले तो थोडा डरा लेकिन फिर ऐसे सुनहरे मौके को ना गंवाते हुए सी मैडम के गालों पर एक चुम्बन जड़ दिया.
नाच गाना काफी देर तक चलता रहा. इस बीच सीमा मैडम ने मुझे दो बार और इसी तरह से कोने में लिया और मुझे भी चूमा और खुद को भी चुमवाया.
जब पार्टी ख़त्म हुई तो एक भी औरत अपने होश में नहीं थी. सीमा और माया मैडम बुरी तरह से लड़खड़ा रही थी. मैं दोनों को सीमा की कार में बिठाया और कार चला दी. पहले माया मैडम को उनके घर में छोड़ा. माया मैडम तो बाहर सोफे पर ही लेट गई. मैं सीमा मैडम कौंके घर में ले आया. सीमा मैडम थोड़े होश में थी. मैंने उन्हें जैसे ही उनके बेडरूम में उनके पलंग पर लेटते उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया.फिर अपनी आँखें घुमती हुई बोली " तुम कहा चल दिए जोंनी. मेरा पूरा बदन अज टूट रहा है. मसाज कौन करेगा!" मैं समझ गया. सीमा मैडम ने सीधे अपनी जींस खोल दी और अपन्खुब्सुरत टांगें फैलाते हुए बोली " प्लीज मसाज कर दो." मैंने उन खुबसूरत टांगों पर अपने हाथ रखे और धीरे धीरे मसाज शुरू कर दिया. सीमा मैडम ने मेरे हाथों को अपने हाथों से खींचते हुए आज पहली बार अपनी जाघों तक ले गई. मेरे हाथ कांपने लगे. सीमा मैडम की जांघें बहुत ही मुलायम और जबरदस्त चिकनी थी. मुझे मजा आने लगा. सीमा मैडम ने मुझे कहा " जॉनी मेरी कमर पर भी मसाज करो आज." सीमा मैडम पलंग पर बैठ गई. उन्होंने अपनी कुर्ती उतार दी. अब सीमा मैडम केवल ब्रा और पंटी में ही थी. उनका भरा हुआ जिस्म मेरे सामने था. उनके अंग अंग से खुशबू आ रही थी. मैंने उनकी पीठ और बाहों पर भी मसाज की. अब सीमा मैडम पीठ केबल लेट गई. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पेट पर रख दिया. मैंने उनके पेट और कमर के आसपास भी काफी देर तक मसाज की. करीब पौन घंटे की मसाज के बाद सीमा मैडम उठी. उन्होंने एक चद्दर अपने बदन पर लपेट ली. अपने पर्स में से उन्होंने सौ सौ के तीन नोट निकाले और मेरे हाथ में रखते हुए बोली " किसी को मत कहना कि तुमने मेरे बदन पर जगह जगह मसाज किया है." मैंने हाँ कहा. सीमा मैडम ने आगे बढाकर मेरे गालों पर छोटे छोटे दो चुम्बन रख इए उर बोली " दो दिन बाद हम तुमसे मसाज करवाएंगे. तैयार रहना जॉनी." मैं लगभग नाचता हुआ क्लब लौट आया.
Reply
08-20-2017, 10:49 AM,
#57
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
करीब तीन दिन के बाद मैं माया मैडम को उनके घर छोड़ने गया. माया मैडम आज बहुत ही ज्यादा बहक चुकी थी. मैंने उन्हें बड़ी मुश्किल से कार से उअतारा और घर में ले आया. उन्होंने मुझे कसकर पकड़ रखा था. मैंने उन्हें पलंग पर लिटाया.उनके सैंडल खोले. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ रखा था. मैंने जैसे ही अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की उन्होंने एक झटके से मुझे खुद पर गिरा लिया. मेरी साँसें उनके गालों से टकरा रही थी. माया ने मुझे अपनी बाहों में भरा और बोली "आज तुम मेरे सारे शरीरी की मसाज करो मेरा बदन टूट रहा है." मैंने माया मैडम की भिईमा मैडम की तरह मसाज की. माया मैडम का सीना सीमा मैडम से बड़ा था लेकिन टांगें सीमा मैडम की ज्यादा रसीली थी. माया मैडम का व्यवहार ज्यादा खुला हुआ लगा. जब काफी मसाज हो गई तो मैं रुक गया.माया मैडम भी पलंग पर बैठ गई. उन्होंने अपनी टांगें मेरी गोद में रख दी. मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली " एक औरत इस तरह से तुम्हारे सामने है और तुम शर्मा रहे हो." मैंने उनकी टांगें हटाई. अब माया मैडम ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ा और मेरे मुंह पर चुम्बनों की बौछार कर दी. मैं तुरंत हुए इस हमले से अपना होश खो बैठा. माया मैडम ने मेरे सारे कपडे उतार दिए. उन्होंने मेरे पूरी मसाज की और बाद में मुझे पकड़कर पलंग पर ही लेट गई. मेरी उत्तेजना अब काबू से बाहर थी. माया ने तभी मेरे होंठ चूम लिए. मैंने भी इसी तरह जवाब दिया. अब हम आपस में गूँथ गए थे. माया और मैं एक दूसरे को चूमने लगे. तभी अचानक मैडम ने घडी देखी और मुझे कहा " अब तुम तुरंत भाग जाओ मेजर के आने का समय हो गया है." मैं क्लब लौट आया .
मैं अब जब भी सीमा और माया मैडम को देखता तो मुझे उनके जिस्म का एक एक मोड़ और गोलाई नजर आने लगती. एक दिन सीमा मैडम ने मुझे रविवार को बड़े सवेरे घर पर बुलाया. घर पहुँचने पर पता चला कि सीमा मैडम के पति मेजर दो दिन के लिए कहीं बाहर गया है. सीमा मैडम ने पहले मुझसे अपने पूरे जिस्म पर मसाज करवाया और उसके बाद मुझे अपनी बाहों में लिया और बिस्तर में आ गई. आज सीमा मैडम ने मुझे जगह जगह बहुत जोश के साथ चूमा. जब मुझ पर नशा छाने लगा तो सीमा मैडम ने अपने और मेरे सारे कपडे उतार दिए. अब उन्होंने मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया जब वो उत्तेजित होकर कड़क और सीधा हो गया तो तुरंत उस पर एक कंडोम चढ़ाया और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए मेरे लिंकों अपनी दोनों टांगों के बीच में फंसा लिया. अब धीरे धीरे मेरा लिंग सीमा मैडम के जननांग की तरफ बढ़ा और फिर उस बाहर से छोटे और कड़क लेकिन अन्दर से बहुत ही गुदगुदे छिद्र यानि कि जननांग में घुस गया.एक झटका सा लगा और हम दोनों पूरे आनंद में थे. सीमा मैडम ने मेरे लिंग को अपने जननांग में करीब आधे घंटे तक फंसाए रखा. जब मेरा लिंग ठंडा होने लगा तब मुझे छोड़ा. मुझे अगले दिन फिर इसी वक्त आने का कहकर सीमा मैडम ने मेरी ख़ुशी को दोगुना कर दिया था. इन सबसे बढ़कर बात यह थी कि सीमा मैडम ने मुझे पूरे चार सौ रुपये भी दिए थे. मैं मन ही मन जबरदस्त खुश होकर सीमा मैडम के घर से निकला. माया मैडम अपने घर के बाहर ही खड़ी थी. उन्होंने मुझे देख लिया. लेकिन मुझे पता नहीं चल पाया कि माया मैडम ने मुझे देखा है. दोपहर को क्लब में माया मैडम ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली " आज सवेरे तुम सीमा के घर क्या करने आये थे?" मैं इस सवाल से घबरा गया. माया ने मेरे घबराये हुए चेहरे को दखा और बोली " तुम्हारी घबराहट सब बता रही है कि तुमने क्या किया है? चलो बताओ मुझे कि तुमने वहां क्या किया?" मैंने इस से कि मैं एक बहुत ही छोटा नौकर हूँ और कुछ ना कहने से मेरी नौकरी भी जा सकती है. साथ ही इन दोनों से मिल रही कमाई भी बंद हो सकती है; मैंने सीमा के घर हुई सारी घटना बता दी. माया ने मेरे गाल पर एक चिकोटी कटी और बोली " एक बहुत ही छोटा मुलाजिम और किस्मत तो देखो! तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारे काम आ रही है. अब तो तुम्हें मेरे घर भी आना पडेगा!"
अगले दिन मैं पहले माया मैडम के घर गया. उनके पति तब तक ड्यूटी पर जा चुके थे. माया मैडम मुझे लेकर घर के पिछवाड़े सर्वेंट क्वार्टर में ले आई. उस छोटे से कमरे में एक बिस्तर बिछा हुआ था. माया मैडम ने अपने और मेरे सारे कपडे उतार दिए. फिर इसके बाद हम दोनों उस बिस्तर पर लेट गए. मैंने माया मैडम के सारे जिस्म की मसाज की. माया मैडम का गोरा और मजबूत जिस्म सीमा मैडम से कहीं ज्यादा गरम और आकर्षक था. माया मैडम की कमर औए बाहें ऐसी थी कि कोई भी पिघले बिना ना रहे. अब मैंने माय्म्दम के कहने पर उनके एक एक अंग को चूमना शुरू कर दिया था. माया मैडम बहुत ही आराम से मुझसे यह काम करवा रही थी. मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था. मैंने माया मैडम की सुराहीदार गरदन के नीचे चूमा तो मेरे सारे बदन में आग लग गई. माया मैडम का सारा जिस्म जैसे मलाई था. मैं माया मैडम को अब हर जगह चूमने लगा. माया मैडम ने भी मुझे गालों पर चूमा और मुझे अपने से कसकर लिपटा लिया. आखिर में माया मैडम ने एक कंडोम मेरे हाथों में दिया. मैंने तुरंत अपने तने हुए लिंग पर चढ़ा लिया. अब माया मैडम ने अपनी दोनों टांगों अंग्रेजी के वी की तरह फैला दी. मैं माया मैडम के गोरे गुलाबी और घुंघराले बालों से ढके हुए जननांग को देख अपना होश गँवा बैठा. माया मैडम ने इशारा किया और मैं उन पर लेट गया. जैसे ही ने माया मैडम के जननांग से अपना लिंग स्पर्श कराया हम दोनों के जिस्म में बिजलीयाँ दौड़ गई. मैंने धीरे धीरे अपने लिंग को उनके जननांग पर मसाज जैसे किया. फिर माया मैडम ने मेरे लिंग को अकडा और धीरे से अपने मखमली और रस से लबालब भरे हुए जननांग में डाल दिया. मैंने थोडा जोर लगाया और मेरा लिंग माया मैडम के जननांग के भीतर था. माया मैडम का जननांग सीमा मैडम के जननांग से कहीं ज्यादा गुदगुदा और गीला था. मुझे बहुत मजा आने लगा. ना तो मुझे और ना ही माया मैडम को समय का पता चल पाया. करीब एक घंटे से भी ज्यादा देर तक मैंने माया मैडम के जननांग को भेद भेद कर गरम का दिया. माया मैडम का गोरा जननांग इस से गहरा लाल हो गया था. माया मैडम ने मुझे मेरे होंठों पर अपने नम नरम और रसीले होंठों से बहुत ही नाजुकता से चूमा. न्होंने जैसे ही मुझे इस तरह से चूमा मेरे लिंग से अचानक ही गाढे रस की धार बहकर कंडोम में भरने लगी. कंडोम फैलने लगा और माया मैडम के जननांग में जोर की गुदगुदी होने लगी. माया मैडम ने मुझे जोर से पकड़ लिया. हम दोनों तडपे और फिर दो मिनट के बाद सब शांत हो गया. हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे.
Reply
08-20-2017, 10:49 AM,
#58
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
उधर सीमा मैडम दरवाजे के बाहर खड़ी मेरे आने की राह देख रही थी. जब सीमा ने मुझे आते नहीं देखा तो वो अपने घर की छत पर युहीं आकर खड़ी हो गई. वो अब इधर उधर देखने लगी. सीमा जिस जगह खड़ी थी वहां से माया मैडम के पिछवाड़े वाला सर्वेंट क्वार्टर साफ़ दिखाई दे रहा था. तभी माया मैडम ने दरवाजे को थोडा सा खोल दिया जिससे कि थोड़ी हवा आने लग जाय. हम दोनों को बहुत गर्मी लग रही थी. इधर माया का दरवाजा खोलना हुआ और उधर सीमा का उसी दरवाजे की तरफ देखना हुआ. सीमा ने माया के नगे जिस्म की एक झलक देख ली. सीमा को ना जाने कैसे थोडा शक हो गया और वो तुरंत अपने घर से बाहर निकालकर माया के घर की तरफ आ गई. उसने बगीचे का दरवाजा खोला और दबे पाँव पिछवाड़े की तरफ आ गई. थोडा सा दरवाजा खुला और अन्दथानी हवा आने लगी. इससे माया मैडम को एक बार फिर थोडा नशा आ गया और उन्होंने मुझे फिर से लिपटा लिया. मैं भी उन्हें फिर से चूमने लगा. सीमा ने तभी दरवाज के ओट से अन्दर झांका और हम दोनों को इस हालत में देख लिया. मैं माया मैडम के नीचे था और वो मेरे ऊपर इसलिए मैं सीमा को नहीं देख पाया. सीमा और माया की अज्रें आपस में मिल गई. दोनों ने आपस में कोई इशारा किया और सीमा उस कमरे में आ गई. माया ने मेरी पकड़ ढीली की तब मुझे पता चला कि सीमा अन्दर आ चुकी है. मैं कुछ समझ पाटा सीमा ने अपने कपडे उतार दिए. माया ने मुझे गालों पर चूमा और बोली " अब सीमा तुम्हे अपना शिकार बनाएगी. आज तुम्हें बिलकुल आराम नहीं मिलने वाला." सीमा नीचे बैठ गई. उसने माया के स्तनों को चुमौर बोली " अब तो हट जाओ यार. अब मेरी बारी है." माया ने भी सीमा के गालों को चूमा और बोली " तुम्हें किसने रोका है? चलो शुरू हो आओ." सीमा ने मुझे अपनी बाहों में लिया और मुझे अपने जिस्म का मसाज करने को कहा. मैंने सीमा के जिस्म की मसाज करना शुरू किया. माया मैडम भी हमारे पास ही बैठी थी. मुझे बहुत अटपटा लग रहा था. तभी माया मैडम ने थोड़ी थोड़ी देर से मुझे गालों पर चूमना शुरू कर दिया. सीमा ने आया की तरफ देखा और बोली " ये क्या बात हुई! मैंने कहा ना कि मेरी बारी है." माया ने हँसते हुए कहा " अगर ये अपना काम बराबर कर रहा है तो करने दो ना. तुम्हें मजा आ रहा है. इसे भी मजा आ रहा है और मुझे भी. सब चलने दो." सीमा मुस्कुराने लगी.
सीमा की पूरी मसाज करने के बाद माया ने एक और कंडोम निकला और मेरे लिंग पर चढ़ा दिया. फिर मुझे सीमा पर धकेलते हुए बोली चलो शुरू हो जाओ." सीमा ने मेरे लिंग को पकड़ा और अपने जननांग में धकेलते हुए बोली " अब तुम माया और मुझे बता दो कि तुममे इतनी ताकत है कि तुम हम दोनों का एक साथ शिकार बनने के काबिल हो." मैंने अपनी सारी ताकत लगा दी और सीमा के जननांग की आखिरी गहराई तक पहुंचा दिया. सीमा के गालों और होठों पर पसीने की बूंदें दिखने लगी. माया नीचे झुकी और मुझसे बोली " देखो इस गालों और होंठों पर कितनी नमी हो गई है. चलो. इसे चूम कर साफ़ करो." मैंने समा के गालों पर का पसीना चूम कर साफ़ किया. फिर माया ने मेरे मुंह को सीमा के मुंह की तरफ धकेला. सीमा ने अपने गीले और नाजुक होंठ खोल दिए. मैंने उन होंठों को भी चूमा. अब सीमा ने मुझे कहा " अब तुम थोड़ा और तेज करो. " मैंने थोडा जोर और लगाया ही था कि एक घन्टे के अन्दर दोबारा मेरा लिंग एक बार फिर गाढ़ा रस बहाने लगा. एक बार फिर कंडोम फैला और इस बार सीमा ने मुझे कसकर पकड़ा. उसे माया से भी ज्यादा गुदगुदी हुई थी. मैं और सीमा सब तरफ से एक दूजे से लिपट गए. मैंने देखा कि माया उठी और वो मेरे ऊपर लेट गई. सीमा थोडा उछली और कुछ ऐसा हुआ कि मैं टेढा लेट गया और सीमा और माया मेरे ओनों तरफ आ गई. माया ने मुझसे कहा " तुम्हें पता है थाईलैंड में इसे संद्विच मसाज कहा जाता है. हम दोनों तुम्हारा सैंडविच मसाज कर रही है. समझे तुम बुद्धू कहीं के." मैं इसके बाद अपने चुदै कोशिश करने लगा. सीमा ने मेरे लिंग को छोड़ दिया. माया ने मुझे अपनी तरफ किया और मुझे एक और कंडोम थमाते हुए कहा " चलो फिर से सुरु ओ जाओ." मुझे अब बिलकुल हिम्मत नहीं थी. लेकिन मेरी मज़बूरी थी. मैंने एक बार फिर माया के जननांग में अपना लिंग फंसाया. माया ने एक बार फिर मुझे कसकर पकड़ा और मुझे ऐसा लगा कि आज मेरा लिसमे से बाहर आ ही नहीं पायेगा और अगर आ गया तो एक बार सीमा उसे अपने अन्दर फंसा लेगी.
जैसा मैंने सोचा वैसा ही हुआ. जैसे ही माया ने अपनी पकड़ ढीली कर मेरा लिंग अपने जननांग से बाहर निकलने दिया तो सीमा ने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और अपनी एक टांग ऊँची की और मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़कर अपने पूरी तरह से गीले हो चुके जननांग के भीतर फंसा लिया. अब मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मुझे चक्कर से आ रहे हैं. माया ने सीमा से कहा " अब इस बिचारे को थोडा ब्रेक दे देते हैं. नहीं तो ये बेहोश हो जाएगा." सीमा मां गई. उन दोनों ने मुझे सीधा लेटने को कहा. मेरी सांस बहुत तेज चल रही थी. सीमा और माया ने दोनों ने अपने नाजुक नाजुक हाथों से मेरे जिस्म पर हौले हौले मसाज आ शुरू किया. मुझे बहुर अच्छा लगा. करीब दस मिनट के मसाज के बाद मुझे अपनी कमजोरी कम लगने लगी. अब माया ने अपनी टांग ऊपर क मेरे लीं को पकड़कर अपने जननांग के अन्दर डाल दिया. इस तरह सीमा और माया ने अगले दो घंटों तक और मेरे लिंग को अपने अपने जननांगों के भीतर पांच पांच बार और डाला. अंत में उन दोनों ने मेरे होंठों को चूसा और मेरे हाथ में एक हजार रूपये रख दिए. मैं हर तरह से थका हारा अपने घर आ गया. उस दिन मैं क्लब नहीं जा पाया.
Reply
08-20-2017, 10:49 AM,
#59
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
यह दिन मेरी जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा मैंने नहीं सोचा था.मैं एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाऊंगा कि उससे निकलना नामुमकिन हो जाएगा ये भी मैंने नहीं सोचा था. दो दिन के बाद मुझे माया ने क्लब में टेबल के पास बुलाया. उस वक्त माया और सीमा के अलावा हीना ; गुलनार और चित्रा मदमें भी थी. माया ने मुझसे कहा " जॉनी ; हम जानती है तुम बहुत ही सीधे लड़के हो. मैं और सीमा तो तुम्हारी मदद कर ही रही है. अब हीना ; गुलनार औए चित्रा भी तुम्हारी मदद करने को तैयार हो गई है. तुम्हारा जीवन संवर जाएगा. " माया मैडम की इस बात से मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई.
दो दिन बाद सीमा ने क्लब में ही बने एक रेस्ट रूम में मुझे बुलाया और चित्रा के सामने खडा करते हुए बोली " चित्रा मैडम का पूरा ध्यान रखना." सीमा बाहर चली गई. चित्रा मदुरै की रहनेवाली थी. उनकी उम्र तो केवल तीस साल ही थी लेकिन जैसा कि दक्षिण भारत की महिलाओं का होता उनका भी जिस्म जबरदस्त भरा हुआ था. था मेरे कहने का मतलब हर जगह मांसलता झलक करा बाहर आ रही थी उनके होंठ थोड़े मोटे थे लेकिन थे बहुत ही ज्यादा रसवाले. सीना भी जबरदस्त चोडा. चित्रा मैडम ने मेरे सारे कपडे खुलवा लिए. फिर उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी. जैसे ही मैंने उन्हें ब्लाउज उतारने के बाद देखा तो मैं काँप उठा. उनका सीना मेरे अंदाज से भी कहीं ज्यादा उभरा हुआ और फैला हुआ था. एक एक स्तन एक बम के जैसा दिखाई दे रहा था कि इस बम से अब कोई नहीं बचने वाला. चित्रा ने मुझे अपने पेटीकोट के नाड़े को खोलने के लिए कहा. मैंने कांपते हाथों से नाडा खोल दिया. अब चित्रा का करीब करीब नब्बे फ़ीसदी नंगा जिस्म मेरे सामने था. उस रेस्ट रूम में सिर्फ इतनी जगह थी कि कोई एक अकेला ही वहां बिछे तीन फुट चौड़े सोफे पर लेट सकता था. बस इसके आवा और कोई जगह नहीं थी. वो कमरा चार फुट चोडा और सात फुट लम्बा था. चित्रा उस रेस्ट रूम के सोफे पर लेट गई. मैं उनके जिस्म की मसाज करने लगा. मुझे चित्रा मैडम का जिस्म बहुत गरम लग रहा था. उनकी सांसें भी गरम गरम थी. ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग के पास बैठा हुआ हो. जैसे ही मैंने उनके सीने पर मसाज के लिए हाथ रखा तो मेरे हाथ उस गुदगुदे और उभरे हुए गोल गोल स्तन के स्पर्श से मेरे पसीने छुट गए. चित्रा को यह मसाज बहुत अच्छा लगा. अब चित्रा मैडम ने अपनी ब्रा उतार दी. अब तो मेरी हालत ऐसी हो गई कि मैं किस तरह से अपने पर काबू रखूं. चित्रा मम के दोंन स्तन इतने बड़े थे कि मेरे दोनों हाथ मिलकर भी उनमे से एक को भी पूरा ढक नहीं पा रहे थे. चित्रा ने मुझे अचानक अपनी तरफ खीच लिया और मैं उन पर गिर गया. चित्रा ने मुझे अपने ऊपर अच्छी तरह से लिटा लिया. मैं चित्रा मैडम के गद्दे जैसे जिस्म पर लेट कर बड़ा अच्छा महसूस कर रहा था. अब मैंने चित्रा मैडम के कहे अनुसार उन्हें शुरू किया. सी तरह चित्रा मैडम भी मुझे चूमती रही. करीब दस मिनट क एबाद चित्रा ने मुझसे अपना जिस्म अगभाग हर जगह से चुमवाया और फिर मेरे हाथ में एक सौ रुपये का नोट रखा और मुझे छोड़ दिया.
जब मैं बहार आया रो माया मैडम ने मुझे देखा और बोली " कहाँ जा रहे हो. वापस रेस्ट रूम में जाओ. हीना भी आ रही है." तभी हीना मैडम उठी और मेरे साथ रेस्ट रूम में आ गई. हीना ने मुझे अपने कपडे उतारने को कहा. मैंने हीना मैडम के एक एक कर सभिकप्दे उतार दिए केवल ब्रा और पैंटी को छोड़कर. हीना उस सोफे पर उलटा लेट गई. इसके बाद मैंने चित्रा मैडम की तरह उनके भी जिस्म का मसाज किया. हीना का जिस्म ठीक ठाक था. ना ज्यादा मोटी और ना ही ज्यादा दुबली. बस उनकी कमर जबरदस्त घुमावदार थी. इसके बाद हीना उठी और मुझे सोफे पर लेटने को कहा. फिर वो मेरे ऊपर लेट गई और अपने जिस्म को मेरे जिस्म से रगडने लगी. उसने इस मसाज का भी पूरा मजा लिया और फिर मुझे बिना अपना जिस्म चुम्वाये एक सुआ रूपये देकर बाहर जाने को कहा.
माँ ने मुझे कहा कि गुलनार को मुझे उसके घर छोड़ना है.
मैं गुलनार मैडम को लेकर माया मैडम की कार में उनके घर चल पडा. माया मैडम भी हमारे साथ थी लेकिन वो बीच रास्ते में किसी दुकान पर उतर गई. गुलनार मैडम ने बड़े तड़क भड़क कपडे पहन रखे थे. काले रंग की सलमा सितारों वाली कुर्ती और उसके नीचे काला लेकिन सफ़ेद छापा हुआ लहंगा. गुलनार मैडम ने होंठों पर गहरा बैंगनी रंग कि लिपस्टिक भी लगा रखी थी. वैसे मुझे सुरु से गुलनार मैडम सबसे ज्यादा पसंद थी. ये पसंद उनके अलग अलग रंग के गहरे शेड्स के लिपस्टिक की वजह से थी. मैं कार चलाते चलाते उनके बैंगनी होंठों को ही देख रहा था.
घर आते ही गुलनार मुझे अपने कमरे में ले गई. उनके कमरे से लग गया कि गुलनार बहुत रंगीन जाज की औरत है. कमरे में सभी खिड़की दरवाजों पर परदे टंगे हुए थे और तेज लाल बल्ब की रौशनी थी. इस रौशनी में गुलनार किसी गुलाब जामुन से कम नहीं लग रही थी. गुलनार ने अपना एक पैर उठाया और मुझे इशारा किया. मैंने उनका पैर पकड़ा और सामने की स्टूल पर रख दिया. अब गुलनार ने धीरे धीरे अपना लहंगा ऊपर उठाना शुरू किया. मैं उनके पैर देखकर दंग रह गया. मैंने आज तक इतना गोरा रंग किसी भी औरत का नहीं देखा था. सुर्ख गुलाबी और चमकदार गोरा रंग और लम्बी तराशी हुई टांगें. उतनी ही घुमावदार जांघें. किसी के भी मुंह में पानी आ जाये. मैंने अब गुलनार मैडम की उस टांग का मसाज करना शुरू किया. मेरे हाथ फिसलने लगे अपने आप. ऐसा लगा जैसे किसी ने ढेर सारा क्रीम पहले से ही उस टांग पर लगा रखा हो. फिर गुलनार ने अपनी दूसरी तंग स्टूल पर रख दी. मेरे अर्मानाब मचलने लगे थे. गुलनार मैडम ने शायद यह सब भांप लिया. उसने कब दस मिनट तक अपनी टांगों का मसाज करवाया औए फिर मेरे हाथ में एक सौ रूपये रखे और बोली " बाकी माज कल करना. वैसे तुम मसाज बहुत ही अच्छा करते हो. माया ने ठीक ही कहा था." मैं सच कहता हूँ उस रात मैं बिलकुल नहीं सोया. मुझे रह रहकर गुलनार मैडम की टांगें दिखती रही.
अगले दिन जब मैं क्लब पहुंचा तो हीना के अलावा कोई भी आया हुआ नहीं था. हीना मुझे लेकर रेस्ट रूम में आ गई. हीना ने मुझे धीमी आवाज में कहा " माया ने बता कि तुमने माया की भूख भी मिटाई है. आज सभी थोड़ी देर से आनेवाली है.तुम आज मेरी भी भूख मिटा दो ना ." मैं तुरंत तैयार हो गया., हीना ने पहले मेरे और फिर बाद में कहके सभी कपडे उत दिए. अब हम दोनों पूरी तरह से बिना कपड़ों में थे. हीना ने मुझे यहाँ हाँ चूमा और मेरा लिंग तुरंत कड़क होकर खडा हो गया. हीना ने तुरंत उस पर कंडोम लगा दिया और मुझे लेकर उस संकरे सोफे पर लेट गई. मैंने थोड़ा डरते डरते कि कहीं कोई आ ना जाए और हमें देख ना लें; अपना लिंग उसके जननांग की तरफ बढ़ा दिया. हीना ने तुरंत अपने हाथ से मेर अलिंग पकड़ा और अपने जननांग में घुसेड दिया. कुछ ही संमे हम दोनों बादलों में उड़ने लगे. हीना ने मुझे बहुत तंग किया. मुझे पता था कि मुझे पूरे दिन क्लब में काम करना है लेकिन हीना मैडम मुझे बार बार जोर लगाने को कहती रही और मुझे मजबूरी में उनकी इच्छा पूरी करनी पड़ी. हीना मैडम ने मुझे पूरे एक घंटे के बाद जब चोडा तब मेरे लिंग ने मेरा सारा रस उस कंडोम में छोड़ कर भर दिया था जो कि हीना मैडम के जननांग में दूर तक घुसा हुआ था और हीना मैडम ने अपनी टांगों को जोर से दबाकर मेरे लिंग को फंसा रखा था. मैं बहुत तडपा लेकिन हीना मैडम ने मुझे करीब आधे घंटे तक तड़पाया और फिर बाद में मुझे छोड़ा. अब मेरी सारी ताकत ख़त्म हो चुकी थी.
Reply
08-20-2017, 10:49 AM,
#60
RE: Hindi Porn Stories हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
इस दिन के बाद मैं अगले दो दिन कब नहीं जा पाया. मुझे बुखार आ गया. मेरा सारा बदन टूट रहा थ. मैंने देहरादून से भागने का सोचा लेकिन फिर यह दिमाग में आते ही कि मैं अपनी मां को लेकर कहाँ कहाँ भटकुंगा और उसे क्या खिलाउंगा मैंने सारे इरादे छोड़ दिए और ये ठान ल्या कि अब मैं कहीं नहीं जाऊँगा. मैं अपनी ताकत बढ़ाऊंगा और उन पांचो से ढेर सारा पैसा कमाऊँगा. अब मैंने उन से मिले हुए रुपयों से फल और दूध रोज लेने लगा. करीब एक सप्ताह के बाद जब मैं क्लब पौंचा तो मैं बहुत कुछ संभल चुका था. एक सप्ताह के इस खाने पीने ने मेरी ताकत थोड़ी सी ही सही लेकिन बढ़ा दी थी अब मैं उन पाँचों से मिलने को तैयार था और संभालने को भी तैयार था.
मैं जैसे ही क्लब पहुंचा वे पाँचों मुझे देख बहुत खुश हो गई. मेरा हाल चाल पूछा. जब मैंने खुलकर उन्हें सारी बात बताई तो माया ने मुझसे कहा " तुमने बहुत सही फैसला किया है जॉनी.. ये तुम जब हम पाँचों के लिए इतना कुछ सोच रहे हो तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है तुम्हारे लिए. ये लो पूरे एक हजार रुपये. ये हम तुम्हें हर महीने अलग से देंगे. इससे तुम अच्छी खुराक लेते रहना. " मैंने खुश होकर रुपये ले लिए. सीमा मैडम ने मुझे रेस्ट रूम में जाने का इशारा किया. मैं रेस्ट रूम में गया. तभी चित्रा मैडम भीतर आ गई. पहले ही दिन मुझे चित्रा मैडम का भरा हुआ जिस्म मिला. मैंने कंडोम लगाकर अपने लिंग को चित्रा मैडम के उस बड़े और ढीले दरवाजे वाले जननांग को करीब आधे घंटे तक अंतिम दूरी तक भेदा. चित्रा मैडम उस छोटे सोफे पर बड़ी मुश्किल से आ पाई थी लेकिन उसने मुझे ऐसा जकड़ा कि मुझे लगने लगा कि अब और कितनी दूर तक मेरा लिंग आगे जा सकता है. चित्रा मैडम ने मुझे सौ रुपये थमाए और मुझे चूमते हुए बोली " आज बहुत मजा आया जॉनी. अब जब कभी कर्नल बाहर जाएगा तो तुम आने के लिए तैयार रहना."
दूसरे दिन गुलनार मैडम मुझे ले माया मैडम के घर आई. मैंने देखा कि हीना मैडम पहले से ही वहां मौजूद थी. गुलनार और हीना मैडम मुझे माया मैडम के सर्वेंट क्वार्टर में आ गई. आज मैंने गुलनार मैडम का अंग अंग ध्यान से देखा. उस जैसी कोई दूसरी कहीं नहीं है. गुलनार से पता चला उनके पति सेक्स में बिलकुल ही रूचि नहीं लेते हैं. आज गुलनार मैडम ने जब अपने सारे कपडे उतार दिए तो मैं और हीना मैडम दोनों उन्हें निहारने लग गए. हीना मैडम खुद केवल ब्रा और पैंटी में ही थी. हीना ने मुझे गुलानर को मसाज के लिए कहा. मैंने पूरे तन मन से गुलनार के जिस्म पर मसाज करना आरम्भ किया. गुलनार मैडम का सारा जिस्म फिसल रहा था. हीना मैडम ने भी मेरे साथ गुलनार मैडम के जिस्म पर मसाज किया. गुलनार मैडम के मुंह से आहें निकलने लगी थी. हीना मैडम ने गुलनार मदम के गालोपर एक चुम्बन दिया. गुलनार तड़प उठी. गुलनार मैडम ने हीना मैडम के गाल चूमे. हीना मैडम ने मुझे गुलनार मैडम के ऊपर लेटने को कहा और वो गुलनार के गालों और गरदन के नीचे छोटे छोटे चुम्बन देने लगी. गुलनार मैडम लगातार तड़प रही थी. मैंने हीना मदम के इशाए से अपने लिंग पर कंडोम चढ़ा लिया. हीना ने गुलनार के होठों पर एक नाजुक सा चुम्बन दिया और मुझे अपना लिंग उसकी टांगों के बीच ले जाने को कहा. गुलनार मैडम का अंग इतना फिसलन भरा था कि मुझे एकही टच में गर्मी आ गई. गुलनार मैडम ने मुहे कसकर पकड़ लिया. हीना मैडम ने अपने हाथ से मेरा लिंग पकड़ा और गुलनार मैडम के जननांग की तरफ बढ़ाया. गुलनार मैडम का गला सूखने लगा था. हीना मैडम ने उन्हें पानी पिलाया. जब गुलनार वापस लेटने लगी तो हीना ने गुलनार की टांगें फैला दी. मैंने और हीना ने उनके गुप्तांग और जननांग को देखा. एकदम साफ़ सुथा शावे किया हुआ. गुलाबी गुलाबी चमड़ी जो चिकनी ही और चमक रही थी. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने आगे बढाकर अपने हाथ से उसे छुआ. मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई मखमल का कपड़ा छु लिया हो. हीना ने मेरा हाथ वहाँ से हटाया और अपने होंठों से गुलनार माम के गुप्तांग को चूम लिया. मेरे मुंह से एक आह निकल गई. मेरे बदन में बिजली सी फ़ैल गई. मैंने भी अपना मुंह आगे किया और गुलनार मैडम के गुप्तांग पर अपने होंठों से एक चुम्बन रख दिया. गुलनार ने मेरे सर को पकड़ा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. अब हीना मैडम ने मेरे लंग को पकड़ा और गुलनार मैडम के जननांग के अन्दर ठूंस दिया और मेरे कमर पर अपने हाथों से जोर लगाने लगी. थोडा सा समय लगा लेकिन मेरा लिंग गुलनार के मलाईदार जननांग के भीतर पहुँच गया. मैंने गुलनार के गुलाब जननांग को आधे घंटे के बेरोक मेहनत से पूरा गहरा लाल कर दिया.
गुलनार मैडम के हटते ही हीना मैडम लेट गई. हीना मैडम ने अपने आप ही मेरा लिंग पकड़ा और तुरंत ही जोर लगाकर और दबाकर अपने जननांग में एकदम गहराई तक घुसा दिया. मैंने हीना मैडम की इच्छा के हिसाब से करीब आधा घंटा अपना लिंग उनके जननांग में ही घुसाए रखा और रुक रुक कर अन्दर बाहर करता रहा. उस छोटे क्वार्टर में हम तीनों काफी करीब करीब केते हुए थे. हीना मैडम की जब प्यास बुझ गई तो मैं खडा हो गया. अब उन दोनों ने भी कपडे पहन लिए. सीमा मैडम ने एक आवाज माया मैडम को दी. माया भी अन्दर आ गई. वो कमरा था सात फुट चौड़ा और आठ फुट लंबा और उसमे चार फुट चौड़ा और सात फुट लंबा पलंग बिछा हुआ था. उस पर मारे अलावा माया ; हीना और गुलनार मैडम भी आ गई थी. वो अब एक अच्छा खासा मसाज पार्लर लग रहा था. अब माया मैडम की बारी थी. हीना और गुलनार कपडे पहनकर बाहर चली गई.
अब माया मैडम ने मुझे पकड़ लिया. मैं थोडा थक गया था और इसका पूरा फायदा माया मैडम उठा रही थी. वो अब मेरे ऊपर बैठ गई. मेरे लिंग को अपने जननांग में घुसाया और खुद ही अपने पैरों के बल ऊपर नीचे होकर मेरे ली को जानांग से अन्दर बाहर करने लगी. मुझे माया मैडम का यह अंदाज बहुत पसंद आया. माया मैडम ने पूरे आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक इसी अंदाज में मेरे साथ मजा किया. जब मैंने माया मैडम के सामने अपने हाथ खड़े कर दिए तो माया मैडम मेरे ऊपर से उठ गई. तीनों ने मुझे रूपये दिए औरन अपनी ड्यूटी पर क्लब आ गया.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,500,118 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,263 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,231,319 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 931,285 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,653,093 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,080,074 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,950,207 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,052,235 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,030,851 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,757 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)