Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
11-11-2017, 12:14 PM,
#31
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
ससुरजी का लंड अब आधा खड़ा हो गया था, वो जंगली की तराह मेरे मूह में अपना पूरा लंड ठुस कर मेरे मूह को चोद रहे थे. मेरे मूह और जबड़े में बहुत दर्द हो रहा था. में डर रही थी कि अगर लंड पूरा खड़ा होने पे ससुरजी ने मेरे मूह को चोदना जारी रखा तो में तो मर जाऊंगी.
तभी अचानक हमारे घर का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. मेरे पति घर पे आ गये थे. ससुरजी तुरंत खड़े हो के अपने कमरे की और दौड़ पड़े. में भी खड़ी हो गयी और अपने कपड़े इकट्ठे करके बाथरूम में घुस गयी. बाथरूम में जा के में काफ़ी देर तक रोती रही. मैने अपने प्यारे पति को धोका दिया था और मुझे इससे बहुत दुख हो रहा था.
मैने ठान लिया कि में अपने ससुर को आगे जा के कभी भी ऐसा मोका नही दूँगी कि वो मुझे चोद पाए.
अगले दिन सुबह के नाश्ते के वक़्त ससुरजी ने मेरे पति को कहा ‘किशोर बेटा मैं सोच रहा था कि ये जो तीन नर्स तुमने रखें हैं मेरी देखभाल करने के लिए उनको निकाल देते हैं’
‘जी ऐसा क्यूँ पिताजी’
‘ मेरी तबीयत अब काफ़ी बेहतर हो गयी हैं और सिर्फ़ दवाई टाइम पे लेने की बात हैं. इतना तो बहू भी कर सकती हैं’
‘जी ठीक हैं पिताजी, जैसी आप की मर्ज़ी, में आज ही उनको कल से ना आने की बात कह देता हूँ’
मैं समझ रही थी कि ससुरजी के दिमाग़ में क्या चल रहा हैं, पर मैने ठान लिया था कि में अब उनके चंगुल में फँसने वाली नही.
अगले दिन मैं दवाई लेके ससुरजी के पास गयी.
‘पिताजी आपकी दवाई का वक़्त हो गया’
‘अंदर आ जाओ बहू’
मैं कमरे में अंदर गयी तो मैने देखा कि ससुरजी पूरे नंगे हो के ज़मीन पे बैठे थे और मुझे मुस्कुरा कर देख रहे थे. उनका मोटा लंड शान से खड़ा था. वो लंड देख मेरे दिल में फिर से हलचल होने लगी पर मैने अपने आप को संभाला.
‘ये अच्छी बात नहीं ससुरजी, हमारे बीच जो हुआ वो फिर कभी नही होना चाहिए’ मैने ऐसा कह के दवाई उनके बगल पे ज़मीन पे रख दी. दवाई रख के मैं उठने लगी तो ससुरजी ने मेरा हाथ कस के पकड़ लिया. मैं अपना हाथ उनसे छुड़ाने की कोशिश कर रही थी. उन्होने मेरा हाथ खीच के अपने लंड की ओर ला दिया.
‘छोड़िए मुझे पिताजी, ये ग़लत बात हैं’
‘प्लीज़ बहू और कुछ नहीं पर थोड़ा हाथो से ही हिला दो’ ससुरजी मेरा हाथ अपने लंड पे दबा रहें थे, वो चाहते थे कि में उनका लंड अपने हाथो से पकड़लू पर मुझे वो मंज़ूर नहीं था. ससुरजी सुबह से उठके मेरे बारे में सोच के अपना लंड हिला रहें थे और अब बहुत ही उत्तेजित हो गये थे. उन्होने मुझे अब ज़बरदस्ती ज़मीन पे लेटा दिया और मेरे उपर बैठ गये. उनका लंबा लंड अब मेरे चेहरे पे था और वो लंड के उपर के हिस्से से मेरे होंठो पे रगड़ रहें थे. उनके लंड से बहुत ही गंदी बदबू आ रही थी. एक हाथ से उन्होने मेरे बाल पकड़के मेरे सर को मुड़ने से रोके रखा था.
‘ऐसा जुलम मत करो बहू, एक बूढ़े आदमी पे तरस खाओ, मूह खोलो अपना’ ससुरजी बहुत ही उत्तेजित हो गये थे और उनके लंड से अब वीर्य निकलने वाला था.
‘मुझे जाने दो पिताजी वरना में चिल्ला दूँगी’ ससुरजी को लगा कि में झूठ मूठ की धमकी दे रही थी और अब उनका झरना शुरू हो गया था.
‘आआहह बहू रानी तुम कितनी सुंदर हो आआआहह’ वो अपने काले लंड को मेरे चेहरे पे रगड़ते रगड़ते झरने लगे. मेरा गोरा चिकना चेहरा देख उनको बहुत ही मज़ा आ रहा था. मैने ठान लिया था कि में ऐसे पाप का हिस्सा अब नहीं बनने वाली, ससुरजी के लंड से वीर्य की पहली बूँद छूट के मेरे माथे पे गिरी, मैने अब चिल्लाना शुरू कर दिया
‘रामू, रमेश कहाँ हो तुम लोग’ घर के नौकरो को बुलाने से ससुरजी की गांद फॅट गयी. उनको पता था कि नौकर को बुलाने से वो भाग कर आ खड़े हो जाएँगे. उनके लंड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था और मेरे चेहरे पे गिर रहा था. अब डर कर वो खड़े हो गये और अपनी बाथरूम की तरफ जाने लगे. मैने कपड़े से अपना चेहरा सॉफ करना शुरू कर दिया. ससुरजी के लंड से अभी भी पैसाब के जैसे लगातार वीर्य बह रहा था. उनके बाथरूम मे घुसते ही घरके चार नौकर कमरे मैं दौड़े चले आए.
‘क्या हुआ मेम्साब’
‘जी कुछ नही, वो मुझे कॉकरोच दिखाई दिया इस लिए डर गयी थी, तुम लोग अब जाओ’
‘ठीक हैं मेम्साब’
‘अरे रामू, कल से तुम रोज़ सुबह पिताजी को दवाई देना, ठीक हैं ?’
‘ठीक हैं मेम्साब’
उस वक़्त से मैने ससुरजी को अकेले मिलना बंद कर दिया. अपने कमरे में जब भी जाती तो उसको अंदर से ताला लगा देती, और अगर ससुरजी से मिलना होता तो नौकर चाकर के सामने मिलती. मेरे बदन की बैचैनि मुझे बहुत ही सता रही थी. हर रोज़ मैं दो या तीन बार अपनी चूत को सहला सहला कर झरती. झरते वक़्त मेरे दिमाग़ के अंदर ससुरजी का मोटा लॉडा होता था. मैने सोचा कि उनके लंड के बारे में सोचने में कोई पाप नही.
मैं अपना सारा वक़्त अपने पागल बेटे सुभाष के साथ बिताया करती थी. काफ़ी दिन ऐसे ही बीत गये.
कुछ दिनो के बाद में एक दिन सुबह उठी और हर नहा कर नीचे नाश्ता करने गयी. नीचे जा कर देखा तो घर के नौकर दिखाई नही दे रहें थे घर पे कोई नही था. मुझे कुछ समझ में नही आया. तभी मैने ससुर जी की आवाज़ सुनी.
‘मैने सब को आज छुट्टी दे दी हैं, आज मेरा जनमदिन हैं’
मैने मूड के देखा तो ससुर जी पूरे नंगे मेरे सामने खड़े थे. उनका लॉडा पूरा खड़ा था और थोड़े झटके खा रहा था, उनके चेहरे पे मुस्कान थी. उनका बूढ़ा झुरियाँ वाला काला शरीर बहुत ही गंदा दिख रहा था.
‘कई दिनो से इसका इंतेज़ार था मुझे. आओ बहू, मेरे जनमदिन का जश्न मनाते हैं’ ऐसा कह के ससुरजी मेरी ओर बढ़े.... 

दोस्तो इस कहानी पर भी अपनी नज़रे इनायत कीजिए 
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11-11-2017, 12:14 PM,
#32
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
ससुरजी का मोटा तगड़ा लंड देख के दो सेकेंड के लिए मेरे मूह में पानी आ गया. पर मैं अपने पति के साथ बेवफ़ाई करने वाली नही थी.
‘ये आप क्या कर रहे हो पिताजी, प्लीज़ आप उसको दूर हटाइए’ मैने उनके लंड की और इशारा करके कहा.
‘ऐसा मत कहो बहू, आज मेरे जनमदिन पे तो कम्सेकम मेरी ख्वाइश पूरी कर दो’ ससुरजी अब मेरे बहुत करीब आ गये थे. मैं समझ गयी कि मेरे रोकने से वो रुकने वाले नही और मैं वहाँ से दौड़ पड़ी. मुझे लगा था कि ससुरजी इतनी उमर पे दौड़ नहीं पाएँगे पर वो मेरे पीछे दौड़ पड़े. पास में ही मेरे पति का कंप्यूटर रूम था, जहाँ मेरे पति बैठ के रात को काम किया करते थे, में दौड़ के उस कमरे में घुस गयी. मैं कमरे में जा कर दरवाज़ा बंद करने लगी. दरवाज़ा बंद ही होने वाला था कि ससुरजी ने अपनी टाँग लगा कर उसे बंद होने से रोक लिया. उन्होने दरवाज़े पे एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उससे दरवाज़ा खुल गया. धक्के के ज़ोर से मैं ज़मीन पे जा के अपनी पीठ पे गिर पड़ी. ससुर जी अब मेरे सामने थे उन्होने अपना पहाड़ जैसा लॉडा अपने हाथ में लेकर कमरे के अंदर आना शुरू किया.
मैं ज़मीन पे सरक सरक के रोते हुए पीछे जा रही थी. ससुरजी हस्ते हुए आगे बढ़ रहे थे. आख़िर में सरक के दीवार तक पहुँच गयी. ससुरजी के चेहरे पे अब बिल्कुल जंगलिपन छा गया था और उन्होने नीचे झुक के मुझे ज़बरदस्ती उठा लिया. मैं अपने हाथ पैर मार के चिल्ला रही थी ‘जाने दो मुझे पिताजी, भगवान के लिए ऐसा मत करो’
मुझे अपने पैरों पे खड़ा करके ससुरजी ने अब मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. मेरा सर सिर्फ़ उनकी छाती तक आ रहा था. उनका गरम लंड मुझे अपने पेट पे रगड़ता महसूस हो रहा था. उनके शरीर की गंदी बदबू से मुझे घिन आ रही थी. ससुरजी ने अब अपने एक हाथ से मेरे बाल खीच के मेरा चेहरा उपर की ओर कर दिया और मेरे सर को हिलने से रोकके रखा. मेरा चेहरा उपर होते ही मैने देखा कि ससुरजी अपना मूह खोलके अपनी जीब बाहर निकालके अपने होंठ मेरे होंठो की ओर लाने लगे, इतना गंदा नज़ारा देख मैने अपनी आँखें बंद करदी.
‘नहियीईई म्‍म्म्मममम.........’ ससुरजी के होंठ मेरे होंठो को लग गये और मेरा चिल्लाना बंद हो गया. मैने अपना मूह कस के बंद रखा. ससुरजी मुझे ज़ोर से चूमते हुए मेरे होंठो को चूस रहें थे और अपनी जीब को मेरे होंठो के बीच दबा के ज़बरदस्ती अंदर घुसाने की कोशिश कर रहें थे, पर मैने अपने होंठ बंद रखें.
ससुरजी से अब सबर नही हो रहा था. उन्होने अपना दूसरा हाथ मेरे पीठ पे लगा के मेरा ब्लाउस पीछे से पकड़ा और उससे ज़ोर से खीचने लगे, दो तीन झटके में ही मेरे ब्लाउस के सारे बटन फॅट गये. मेरी साड़ी का पल्लू तो पहले से ही गिर पड़ा था. ससुरजी ने मेरा ब्लाउस पीछे से फाड़ के मेरी ब्रा का हुक निकाल दिया. उन्होने मुझे ऐसे जकड़के रखा था कि में कुछ नही कर पा रही थी. सारे वक़्त वो मेरे गोरे चेहरे को अपनी जीब से चाट रहें थे.
ससुरजी ने मुझे अब अपने से दूर कर के मुझे साइड के बिस्तर पे लेटा दिया. उन्होने एक हाथ से मुझे उठने से रोके रखा और दूसरे हाथ से मेरा ब्लाउस और ब्रा एक झटके से निकाल के ज़मीन पे फैक दी. मेरे बड़े गोरे बूब्स और उनके बीच मेरे गुलाबी निपल्स देख ससुरजी हँसने लगे
‘हहेहहे’ करते हुए उन्होने अपना शरीर नीचे झुकाया और अपने दोनो हाथो से मेरे बूब्स को अपने बड़े हाथो से मसलना शुरू किया. मसल्ते मसल्ते वो बीच बीच में मेरे निपल्स को अपनी उंगलियाँ से थोड़ा दबा देते. मैं रोते रोते ससुरजी से भीक मांगती रही. मेरे निपल के दबने से मेरे बदन में एक करेंट सा फैल रहा था. मेरी सेक्स की भूक फिर से आगे आ रही थी. मुझे अपने आप पे गुस्सा आ रहा था कि में अपने हवस को काबू में रख नही पा रही थी. ससुरजी अब और झुक के मेरे बूब्स को अपने मूह में लेके उसको ज़ोर से चूसने लगे. उनके गरम साँसें और गीली जीब का मेरे निपल पे एहसास पा के मेरे अंदर हलचल हो रही थी. मुझे मेरी चूत गीली होती हुई महसूस हो रही थी. मुझे अपने आप पे शरम आ रही थी कि मेरा जिस्म एक ऐसे गंदे आदमी के हाथों इस्तेमाल हो के भी ऐसे उत्तेजित हो रहा था. मुझे दुख बहुत हो रहा था कि मेरे ससुरजी जो मेरे पिता समान थे मेरे साथ ऐसा कर रहें हैं और अपने प्यारे पति के बारे मैं सोच मेरे आँसू बह रहें थे पर मेरा बदन मुझे धोका दे रहा था. ससुरज़िने एक हाथ से मेरे बाकी के कपड़े निकाल दिए और में अब सिर्फ़ अपनी पैंटी में थी.
ससुरजी बिल्कुल पागल की तरह मेरे दोनो बूब्स एक के बाद एक चूस रहें थे. मेरे दोनो बूब्स अब उनकी थूक से गीले हो के चमक रहें थे, मेरे निपल्स खड़े हो गये थे.
ससुरजी अब मेरी पैंटी को नीचे करने की कोशिश कर रहें थे. मैं ज़ोर से चिल्ला कर उनको रोकने की कोशिश कर रही थी. ‘नहियीईईई ऐसा मत करो पिताजी, जाने दो मुझे प्लीज़’ मैने उनको रोकने के लिए अपने हाथ पैर बहुत चलाए पर सात फुट के आदमी के ज़ोर के सामने मैं बिल्कुल लाचार थी. मेरी पैंटी निकाल के मुझे पूरा नंगा करने के बाद ससुरजी ने मेरे पैर फैला के मेरी चूत के उपर अपना हाथ रगड़ना शुरू कर दिया. मेरी चूत बहुत गीली थी
‘ये क्या बहू रानी, तुम तो बहुत गीली हो गयी हो’
ऐसा कह के ससुरजी ने मेरी चूत में एक उंगली घुसा डाली. उनकी उंगली मेरे पति के लंड जितनी मोटी और लंबी थी. मेरे चूत में गर्मी छा गयी थी. साथ साथ ससुरजी मेरे बूब्स को भी ज़ोर से चूस रहे थे.
‘आआहह प्लीज़ पिताजी आआहह ऐसा मत आआअहह करो’ में ना कर रही थी पर मेरी सिसकारियों से ससुरजी को पता चल रहा था कि मेरा असली हाल कैसा था.
ससुरजी को मेरा गोरा चिकना बदन पागल बना रहा था. उनको अब अपना लंड मेरे अंदर डालना था. अचानक उन्होने मुझे उठा दिया और साइड के टेबल पे कुत्ति की तरह झुका दिया. मैने सोचा कि ससुरजी मुझे डॉगी स्टाइल मे चोदने वाले हैं.
‘प्लीज़ पिताजी मुझे जाने दो’ मैने कहा पर असल में मुझे उनका मोटा लंड अब मेरी चूत के अंदर महसूस करना था. ससुरजी मेरे पीछे आगये और अपना लंबा लॉडा मेरी चूत के उपर रगड़ने लगे.
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11-11-2017, 12:15 PM,
#33
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मैं अब बेसब्री से ससुरजी का लंड मेरी चूत में महसूस करना चाहती थी. पर ससुरजी के गंदे दिमाग़ में कुछ और था. मेरी चूत पे अपना लंड रगड़ते रगड़ते ससुरजी अपने दोनो हाथों से मेरी गोल गोल गोरी गान्ड को मसल रहें थे. गान्ड मसल्ते वक़्त उनको मेरी गान्ड का गुलाबी छेद नज़र आ रहा था. ये नज़ारा उनको पागल बना रहा था. उनका लंड अब मेरी चूत के पानी से पूरा गीला हो गया था. उन्होने गीले लंड को अचानक मेरी गान्ड के छेद पे रख एक ज़ोरदार धक्का लगाया.
‘आआआआऐययईईईईईईईईईईई’ में ज़ोर्से चीख पड़ी. उनका लंड दो इंच तक मेरी गान्ड में घुस गया था.
‘आआअहह..... बहू राआनी आआआहह’ ससुरजी को मेरी छोटी सी गान्ड में अपने लंड के उपर का हिस्सा डाल के बहुत मज़ा आ गया था. इतनी टाइट गान्ड उन्होने ज़िंदगी में कभी नही चोदि थी. वो पूरा ज़ोर लगा कर अपना मोटा लंड धीरे धीरे मेरी गान्ड के अंदर डाल रहे थे.
में दर्द के मारे चिल्ला चिल्ला कर रो रही थी. ‘नहियिइ... मुझे जाने दो आाऐययईई’ ससुरजी का गरम लंड मेरी गान्ड के छोटे से छेद को फैला रहा था.
टेबल पे कुत्ति की तरह होने के कारण मुझे टेबल पे रखी मेरे पति की सारी चीज़े दिखाई दे रही थी. उनके टेबल पे उन्होने बड़े प्यार से अपने बेटे और हमारी शादी की तस्वीरे रखी थी. मेरी आँखों के सामने मेरे प्यारे पति की तस्वीर देख मेरे आँसू बहने लगे और में और ज़ोर लगा के ससुरजी के चंगुल से निकलने की कोशिश करने लगी. लेकिन ससुरजी अब हवस से बिल्कुल पागल हो चुके थे, उनको सिर्फ़ अपने लंड की प्यास भुजानी थी और उनके ज़ोर के सामने मेरी ताक़त कुछ भी नही थी.
धीरे धीरे ससुरजी ने अपना पूरा दस इंच का लंड मेरी गान्ड में घुसा डाला. मेरी गान्ड का दर्द इतना था कि मुझे लगा कि में बेहोश हो जाउन्गि. उन्होने अब अपना लंड दो या तीन इंच अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. अंदर बाहर करने से उनके लंबे बॉल्स मेरी चूत से टकराने लगे. इतने दर्द में होने के बावजूद मुझे इससे मज़ा आने लगा.
ससुरजी को इतनी टाइट गान्ड में अपना लंड डालके अब रहा नही जा रहा था और वो झरने के बहुत ही करीब आ गये थे. उन्होने मेरी गान्ड को अब तेज़ी से मारना शुरू कर दिया.
‘आआआहह... बहू रानी, तुम्हारी गान्ड तो बहुत छोटी हैं आआआअहह.....’ वो अब अपने पूरे लंड से मेरी गान्ड की बेरहमी से चुदाई कर रहें थे. मुझे पूरा दस इंच का लंड मुझे मेरी गान्ड में अंदर बाहर होते हुए महसूस हो रहा था. लंड बाहर जाते ही मेरी गान्ड का छेद सिकुड जाता और ससुरजी फिर से ज़ोर लगा कर लंड अंदर घुसेड देते. आख़िर ससुरजी के लंड से वीर्य छूटना शुरू हो गया. ‘आआहह...’ ससुरजी पागल की तरह चिल्ला रहे थे.
वो अपने दोनो हाथो से मेरे बाल खीच रहें थे और कुत्ते के जैसे तेज़ी से मेरी गान्ड मार रहें थे. उनके लंड से गरम गरम वीर्य निकलता हुए मुझे मेरी गान्ड में महसूस हो रहा था. हरेक धक्के पे ससुरजी के लंड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था. उनका लंड झरते वक़्त झटके खा रहा था और इसी मेरा दर्द और बढ़ गया था. ससुरजी चार पाँच मिनिट तक ऐसे ही झरते रहें. आख़िर उनका झरना बंद हुआ.
झरना ख़तम होने के बाद ससुरजी ने अपना पूरा लंड मेरी गान्ड के अंदर ही रखा और वो झुक के मेरे उपर लेट गये. वो ज़ोर से साँसें ले रहें थे. उनका शरीर पसीने से पूरा गीला हो गया था और मुझे वो पसीने के गंदी बदबू आ रही थी.
‘प्लीज़ पिताजी, आप उठिए मेरे उपर से’
‘हहेहहे बहू. अब इतना सब होने के बाद मुझे दूर क्यूँ कर रही हो. आज पूरा दिन हैं हमारे पास. अभी तो मैं शुरू हुआ हूँ’ मैं ये बात सुनकर डर गयी. पता नहीं ससुरजी ने मेरे लिए क्या क्या प्लान बनाय होंगे. मेरा सारा बदन पसीने से लत्पथ हो गया था.
‘अरे बहू तुम्हारे बदन पे तो बहुत पसीना छा गया हैं, लाओ में सॉफ कर देता हूँ’ ऐसा कह के ससुरजी ने मेरी पीठ पे अपनी जीब निकाल के चाटना शुरू कर दिया. में रोती रही और उनको रोकने की नाकाम कोशिश करती रही.
तभी अचानक, घर का दरवाज़ा खुला. ससुरजी झट से मेरे उपर से उठके अपने कमरे में दौड़के घुस गये.
मेरे पति घर आ गये थे. ‘मानसी, मानसी, कहाँ हो तुम’
मेरी गान्ड का दर्द बहुत ज़्यादा था. फिर भी में कैसे भी करके अपने कपड़े पहेन ने लगी. ‘कहाँ हो डार्लिंग ?, ये नौकर सब कहाँ गये’ मेरे पति सारे कमरे में मुझे ढूँढ रहें थे और में फटाफट अपने कपड़े पहेन रही थी. मैने अपने कपड़े ठीक ही किए थे कि वो कंप्यूटर रूम में आ गये. ‘अरे यहाँ क्या कर रही हो तुम’
‘जी में थोड़ी सॉफ सफाई कर रही थी, पिताजी ने नौकरों को अपने जनमदिन पे छुट्टी दे दी हैं. आप इतनी जल्दी घर आ गये ?’
‘हान, आज हमे बहुत बड़ा कांट्रॅक्ट मिला हैं, इसलिए में खुश हूँ, चलो बाहर जा कर सेलेब्रेट करते हैं, मैं तैयार हो कर आता हूँ, तुम भी तैयार हो जाओ’ ये कह के मेरे पति बाहर चले गये. उनकी आँखों में मेरे लिए प्यार देख मुझे बहुत दुख हुआ और में फिर से रोने लगी. मैने सोचा कि अगर उनको पता चला कि उनके पुज्य पिताजी ने उनकी प्यारी पत्नी का गंदी तरह से बलात्कार किया हैं तो शायद वो अपनी जान ले लेंगे. मैने चुप रहने का फ़ैसला कर दिया.
मैं जानती थी कि ससुरजी ज़रूर फिर से नौकरों को बाहर भेज के मेरा बलात्कार करने की कोशिश करेंगे. इसीलिए मैने दूसरे ही दिन रामू से बात करली
‘अगर ससुरजी कहे फिर भी तुम मुझे पूछे बिना छुट्टी नही लोगे, ठीक हैं, घर का सारा काम और ससुरजी की देखभाल मुझ से अकेले नही होता’
‘जी ठीक हैं मालकिन’
मेरे हिसाब से अब ससुरजी के पास कोई तरकीब नहीं थी जिससे वो मेरे जिस्म को हाथ लगा सके. काफ़ी दिन ऐसे ही बीत गये. ससुरजी ने कई बार नौकरों को जाने को कहा पर वो हमेशा मुझ से पूछते और में उनको मना कर देती.
फिर एक दिन मैं हमारे बगीचे मे गार्डेनिंग कर रही थी. हमारा बहुत ही बड़ा बगीचा था और बगीचे के पीछे की ओर एक छोटा सा कमरा था. मैं गार्डेनिंग कर रही थी कि अचानक ससुरजी वहाँ आ गये और कहा
‘बहू जल्दी आओ, सुभाष कमरे में गिर गया हैं और उसे बहुत चोट आई हैं’. मैं अपने लाड़ले बेटे को देखने भाग के गार्डेन के पीछे वाले कमरे में घुस गयी. ससुरजी मेरे पीछे आ गये थे. मैने कमरे में झाँक के देखा तो वहाँ कोई नही था. तभी अचानक ससुरजी ने पीछे से आ कर मुझे जाकड़ लिया और मेरे मूह पे कपड़ा लगा दिया.... 

क्या बात है दोस्तो ये कहानी आप को पसंद नही आ रही क्या जो किसी का कोई भी कमेंट इस कहानी को नही मिला
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11-11-2017, 12:15 PM,
#34
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मेरा प्यारा बेटा सुभाष

‘हहेहेहहे’ ससुरजी हंस रहे थे. उन्होने पीछे से आकर एक हाथ से मुझे जाकड़ लिया था और दूसरे हाथ से मेरा मूह कपड़े से बंद किया हुआ था. मैं ‘म्‍म्म्मममम एम्म्म’ करके चिल्लाने की कोशिश कर रही थी. ससुरजी जानते थे कि इस कमरे मैं कोई आता जाता नही इसीलिए उन्होने ये प्लान बनाया था. मैं हवा मैं अपने हाथ मार रही थी और अपने बदन को हिला कर ससुरजी के चंगुल से निकलने की कोशिश कर रही थी, पर सात फुट के ससुरजी के सामने मेरी ताक़त नही चलने वाली थी. मेरे हिलने से मेरी गान्ड ससुरजी के लंड पे रगड़ रही थी और इसी उनका लॉडा खड़ा हो रहा था. मुझे उनका लंड बड़ा होते हुए महसूस हो रहा था.
ससुरजी ने मेरे मूह पे से हाथ हटाया बिना मुझे आगे धकेलके ज़मीन पे मेरे पेट पे लेटा दिया और वो मेरे उपर बैठ गये. में अब बिल्कुल लाचार थी. उन्होने अब कपड़े को मेरे मूह पे बाँध दिया और मेरे हाथ पकड़ मेरे पीठ पीछे बाँध दिए. ऐसा कर के वो खड़े हो गये.
मैं घुमा के अपनी पीठ पे हो गयी और उपर उठने की कोशिश करने लगी. ससुरजी मुझे देख रहे थे और अपने कपड़े आराम से निकाल रहे थे.
‘इस बार कोई हमे डिस्टर्ब नही करेगा. पूरा दिन हैं हमारे पास’ ससुरजी ने हँसते हुए कहा.
ससुरजी ने अब अपने पूरे कपड़े निकाल दिए थे और उनका मोटा लॉडा शान से खड़ा था. मैं कैसे भी करके अब खड़ी हो गयी थी और दरवाज़े की ओर भागने लगी, लेकिन ससुरजी रास्ते मैं खड़े थे और उन्होने मुझे फिर से अपनी बाँहो में जाकड़ लिया.
‘हहहे’ ससुरजी को मेरी लाचारी पे बहुत मज़ा आ रहा था. मुझे जाकड़ के वो अपना नंगा शरीर मेरे उपर रगड़ रहें थे. ऐसा करने से ससुरजी को बहुत सेक्स चढ़ गया. और वो पागल के जैसे मेरे कपड़े को खीच खीच के फाड़ने लगे. दो ही मिनिट में मेरे फटे कपड़े ज़मीन पे थे और में सिर्फ़ अपनी ब्रा और पैंटी में थी.
‘आज तो बहुत मज़ा आएगा’ कह के ससुरजी मे मुझे फिर से बाहों में ले लिया. दोनो हाथो से वो मेरी गान्ड को ज़ोर्से मसल रहें थे. उनका कड़क लॉडा मुझे मेरे पेट पे महसूस हो रहा था. उन्होने अब एक झटके से मेरी पैंटी निकाल दी और मेरी गोरी गान्ड को मसल्ते मसल्ते एक उंगली अंदर डाल दी.
‘म्‍म्म्मम… म्‍म्म्ममम’ करके में चिल्लाने की कोशिश कर रही थी.
गार्डेनिंग करते समय मुझे बहुत पसीना आ गया था ‘अरे बहू तुम्हे तो बहुत पसीना आ गया हैं, लाओ में सॉफ करदेता हूँ’ ऐसा कह के ससुरजी ने झुक के अपनी जीब को मेरे चेहरे पे कुत्ते के जैसे चलाना शुरू कर दिया. वो ज़ोर से मेरे चेहरे और गले को चाटते रहें और अपनी मोटी उंगली मेरी गान्ड में अंदर बाहर करते रहे. असल में गान्ड में उंगली का एहसास मुझे अच्छा लग रहा था और मेरे बदन में उससे हलचल होने लगी. मैं अपने प्यारे पति के साथ में धोका करना नही चाहती थी पर जैसे जैसे ससुरजी मेरी गान्ड को उंगली से चोदते रहें वैसे ही मेरे जिस्म की आग ने मेरे दिमाग़ को चलने से रोक लिया. जब कुछ मिनिट बाद आख़िर ससुरजी ने अपनी मोटी उंगली बाहर निकाली तो मुझे असल में अफ़सोस हुआ. मेरा बदन अब जलने लगा था और मुझे ससुरजी का मोटा लंड अपनी चूत के अंदर महसूस करना था.
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11-11-2017, 12:15 PM,
#35
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मेरी आँखें बाहर सुभाष पे थी, वो अपनी मा का बलात्कार देख अपना लंड हिला रहा था. मेरी आँखों से दुख और दर्द से आँसू बह रहे थे. मेरी हालत देख ससुरजी बहुत उत्तेजित हो गये थे. उनका लंड अब पूरा टाइट हो चुका था. ससुरजी का लंड मुश्किल से 6 इंच तक मेरे मूह में समा सकता था फिर भी वो बहरहमी से पूरा ज़ोर लगा कर मेरे मूह में पूरा 10 इंच का लॉडा ठूँसने की कोशिश कर रहे थे. में ज़ोर से खांस रही थी और मेरी हालत पे उनको तरस नही आया. उपर से मेरी बुरी हालत करने में उनको मज़ा आ रहा था. मेरे मूह का रेप करने में उनको बहुत ही मज़ा आ रहा था और आख़िर उनका झरना शुरू हो गया,
‘ये लो बहू मेरा पानी, आआआआआआहह पीलो सारे पानी को आआआहह’ मेरे पास पीने के सिवाय कोई चारा ही नही था. उनका गाढ़ा वीर्य मैं निगलती गयी और ससुरजी जंगली कुत्ते की तरह झरते हुए मेरे मूह को चोदते हुए अपना वीर्य लगातार निकालते गये. कुछ ही मिनिट पहले ससुरजी झर चुके थे फिर भी पता नही कैसे उनके बॉल्स में अभी भी बहुत ही वीर्य भरा हुआ था. झरते वक़्त ससुरजी ने मेरे मूह को इतनी बुरी तरह से चोदा की मुझे लगा कि दर्द के मारे में शायद बेहोश हो जाउन्गि, लेकिन आख़िर उनका झरना बंद हुआ और उन्होने धक्के लगाना बंद किया.
‘सच कहता हूँ बहू ज़िंदगी में मैने तुम्हारी जैसी लड़की नही देखी आआआअहह… बहुत मज़ा आया’ ससुरजी का लंड धीरे धीरे मेरे मूह के अंदर छोटा हो रहा था, उन्होने मेरा सर अभी भी कस के पकड़ा हुआ था. आख़िर उन्होने अपना लंड बाहर निकाला तो मुझे ठीक से खाँसने का मोका मिला, में ज़ोर्से खांस रही थी, और ससुरजी अपना गंदा लंड मेरे चेहरे पे रगड़ रग़ाद के सॉफ कर रहें थे. मेरे जबड़े में इतना दर्द था कि मैं कुछ बोल नही पा रही थी. में उनको कह नही पा रही थी कि बाहर सुभाष सब कुछ देख रहा था. ससुरजी ने मेरे हाथ मेरे सर के उपर बाँध, रस्सी को सीलिंग पे बाँध दिया.
‘हहेहहे, मेरी दवाई का वक़्त हो गया हैं, मैं बस अभी आया, तुम कही जाना मत हहेहहे’ उन्होने मेरी गान्ड पे हाथ फिराते हुए कहा ‘वापस आकर मुझे तुम्हारी छोटी सी गान्ड से भी तो खेलना हैं, आज तो पूरा दिन हम बहुत मज़ा करेंगे हहहे’
ससुरजी चले गये. उनके जाने के दो ही मिनिट बाद सुभाष अंदर आ गया. उसने अपनी पैंट पहेनली थी. मुझमे अब बोलने की थोड़ी ताक़त आ गयी थी.
‘प्लीज़ सुभाष बेटे मेरा हाथ खोल दो’ अपने सौतेले बेटे के सामने पूरी नंगी खड़ी थी मैं. मुझे इससे बहुत शरम आ रही थी. सुभाष मेरे नज़दीक आ कर खड़ा हो गया.
‘जल्दी करो सुभाष, तुम्हारे दादाजी आते ही होंगे’ पर सुभाष ने रस्सी नही खोली. उसने अपने दोनो हाथ आगे लाकर मेरे बूब्स पे रख दिए.
‘ये क्या कर रहा हैं तू, छोड़ मुझे वरना बहुत मार पड़ेगी’ मेरे चिल्लाने से सुभाष डर गया और एक सेकेंड के लिए उसने अपने हाथ नीचे कर दिए, लेकिन दूसरे ही पल उसने गुस्से से कहा ‘तुम दादाजी के साथ खेल सकती हो तो मेरे साथ क्यूँ नही खेलती, मैं नही छोड़ूँगा तुमको’ ऐसा बोलके सुभाष ने अपने हाथ फिरसे मेरे बूब्स पे रख दिए और उनको बहरहमी से मसल्ने लगा. बिना कोई चेतावनी उसने मेरे निपल अपनी उंगलियों से खीच दिए, मेरे सारे बदन में सनसनी फैल गयी. अपने बेटे के हाथो ऐसे इस्तेमाल हो के मुझे बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन मेरा बदन मुझे धोका दे रहा था. सुभाष अब नीचे झुक गया और अपना मूह खोलके मेरे बूब्स चूसने लगा. मेरे जिस्म में आग लग चुकी थी. सुभाष को सेक्स का एहसास पागल बना रहा था. बहुत देर तक सुभाष मेरे बूब्स को ऐसे ही चूस्ता रहा.
‘आआहह… प्लीज़ सुभाष आआआअहह.. अब मुझे जाने दो’ मुझे अब बहुत ही सेक्स चढ़ गया था. मुझे पता नही चला लेकिन ससुरजी अपनी दवाई लेकर वापस आ गये थे और चुपकेसे हम दोनो को देख रहे थे.
सुभाष ने आख़िर मेरे बूब्स को चूसना बंद किया, उसने जब अपना मूह मेरे बूब्स पे से हटाया तो मेरा जी कर रहा था कि मैं उसको और बूब्स चूसने को कहु, लेकिन मैने ऐसा नही किया.
‘मैने देखा कि दादाजी तुम्हारे साथ क्या कर रहें थे, वो अपनी लुल्ली को तुम्हारे अंदर पीछे से डाल रहें थे, मुझे भी वैसा करना हैं’ ऐसा बोल के सुभाष ने अपनी पॅंट नीचे करदी. मैं उसका लंड देख हैरान रह गयी. उसके दादा की तरह उसका लंड पूरा 10 इंच लंबा और मोटा था. लंड को देख मेरे दिल में हलचल होने लगी. सुभाष दिमाग़ से छोटा बच्चा था इसलिए मैं उसको हमेशा एक बच्चे के जैसे देखती थी पर उमर से तो वो जवान था. उसका जवान तगड़ा लंड देख में बिल्कुल पागल हो गयी.
‘ठीक हैं सुभाष मेरे पीछे आजाओ में तुम्हे दिखाती हूँ कि दादाजी जो कर रहे थे वो कैसे करते हैं, पर तुम किसी को बताना मत, ठीक हैं ?’
‘ठीक हैं मम्मी’. सुभाष मेरे पीछे आ गया. मैं थोडा आगे की ओर झुक गयी और अपनी गोरी गान्ड और चूत को पीछे की ओर कर दिया, मुझ मैं अब बहुत सेक्स चढ़ गया था और सुभाष का लंड मुझे मेरी चूत मे महसूस करना था. बाहर ससुरजी सब देखते हुए अपना लंड हिला रहे थे.
पीछे आके सुभाष अपने दोनो हाथो से मेरी गान्ड मसल्ने लगा और अपने लंड को मेरी गान्ड के छेद पे लगा दिया. ‘वो ग़लत छेद हैं सुभाष, दूसरे छेद में डालो’
‘नही, उस छेद पे बाल हैं, मुझे ये छोटे और गुलाबी छेद में लंड डालना हैं’
में अब डर गयी ‘देखो सुभाष, अच्छे बेटे की तरह अपनी मम्मी की बात मानो’
‘नही मैं इसमे ही डालूँगा’ कह के सुभाष ने अपने हाथो से मेरी गान्ड फैला के अपना मोटा लॉडा मेरी गान्ड के छेद में घुस्साना शुरू कर दिया….
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11-11-2017, 12:16 PM,
#36
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मेरी छोटी सी टाइट गान्ड में अपने लंड का उपर का हिस्सा डालसुभाष को इतना मज़ा आया कि वो बिल्कुल बेकाबू हो गया और पूरे ज़ोर से अपना लंड आगे धकेलने लगा, उसका मोटा लॉडा अब धीरे धीरे मेरी गान्ड कोचीरते हुए आगे जा रहा था.

‘नहियीई सुभाष आाआऐययईईईईई…..’

‘आआआअहह मम्मी आआआहह’ सुभाष ने अपना पूरा लंड मेरी गान्ड में घुसेड दिया और अपने मोटे लंड से मेरी गान्ड की चुदाई शुरू कर दी.

‘प्लीज़ सुभाष इसको अंदर से निकालो, दूसरे छेद में डालने से भी मज़ा आएगा’ मैने अपने बेटे को मनाने की कोशिश की.

‘नही मम्मी आआआअहह…. बहुत मज़ाआआआआहह आ रहा हैं’सुभाष को ज़िंदगी में इतना मज़ा नही आया था.

‘प्लीज़ सुभाष थोड़ा धीरे से करो, इतनी ज़ोर से नही’ मेरी ये बात सुभाष ने मान ली और अपने धक्के की रफ़्तार कम करदी और मुझे थोड़ी शांति मिली. मेरे ससुरजी के हाथो मेरा रेप देखते हुए सुभाष दो बार झरचुक्का था और वो आसानी से झरने वाला नही था. सुभाष का लंड एक्दम्गरम और तगड़ा था, में उस लंड को अपनी चूत में महसूस करना चाहती थी और सुभाष को ऐसा करने की मिन्नत कर रही थी, पर उसको मेरी गान्ड मार केबहुत मज़ा आ रहा था और वो ऐसे ही करता रहा. मेरा दर्द धीरे धीरेकम हो गया था.

‘आअहह आआआअहह सुभाष प्लीज़ दूसरे छेद में कम से कम अपनी उंगली तो डालो, तुम्हारी मम्मी को भी थोड़ा मज़ा दो’. बाहर सासुरजी सब देख रहे थे ‘हहहे साली रंडी अपने बेटे से गान्ड मरवा के मज़ा ले रही है और अपने ससुर के सामने नखरे करती हैं’

सुभाष ने अपना हाथ आगे ले कर दो उंगलिया मेरी चूत में डाल दी.

‘आआआअहह सुभाष आआआआहह बहुत अच्छे बेटॅयायात्त्त…थोड़ा अंदर बाहर करूऊऊओह..’

सुभाष ने अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अंदर बाहर करना शुरूकिया और साथ ही मेरी गान्ड मारना जारी रखा. अब मुझे गान्ड में सुभाष के लंड के एहसास से भी मज़ा आ रहा था. अपने सौतेले बेटे के साथ इतनाबड़ा पाप कर रही थी लेकिन मेरे बदन की भूक और सुभाष के तगड़े लंड ने मुझे पागल कर दिया था. में अब अपनी गान्ड पीछे धकेल के सुभाष से चुदवा रही थी. हम दोनों अब झरने के बहुत करीब आ गये थे. सुभाषबिल्कुल पागल की तरह बहुत ही बहरहमी से मेरी गान्ड में अपना लंड घुसेड रहा था और एक आग्याकारी बेटा बन के मेरी चूत में भी उंगलियाँ तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था.

मुझसे अब रहा नही गया ‘आआआहह और ज़ोर से सुभाष आआआहह और ज़ोर से’मेरा झरना शुरू हो गया. झरते हुए मेरी गान्ड का छेद सुभाष के लंड पे सिकुड रहा था और इसी सुभाष का झरना शुरू हो गया.

‘आआआहह मुम्मय्ययययययययी आआआआआआहह………’

सुभाष के लंड से ढेर सारा गाढ़ा वीर्य छूटने लगा. उसका गरम गरम पानी मेरी गान्ड में निकल रहा था और हरेक्धक्के पे पच पच की आवाज़ आ रही थी. सुभाष ज़िंदगी में इतनी ज़ोर सेकभी नही झरा था, झरते हुए उसका मोटा लंड झटके मार रहा था और इससे मुझे और मज़ा आ रहा था. तीन चार मिनिट बाद हम दोनो का झरना आख़िर बंद हुआ. बाहर ससुरजी भी हमे देख कर अपना लंड हिला चुके थे.

में थकान सेचुर चूर हो गयी थी. मेरे बदन की भूक मिटने पे मुझे अब अपनी ग़लती काएहसास हो रहा था. मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे और मेरा रोना शुरूहो गया. अपने खुद के सौतेले बेटे और पिता समान ससुरजी के साथ मैने एक रंडी के जैसे सेक्स किया था. मुझे अपने आप पे घिन आ रही थी. अपने सीधे साधे पति के बारे में सोच मुझे बहुत दुख हो रहा था.

‘क्या हुआ मम्मी बहुत दर्द हो रहा हैं’ सुभाष ने मुझे रोते हुए देख कर के पूछा.

‘नही बेटे,प्लीज़ अब मेरे हाथ खोल दो’ सुभाष ने मेरे हाथ खोल दिया. में अपने कपड़े जल्दी से पहेन के वहाँ से अपने कमरे में चली गयी. उस रात मैनेबहुत सोचा और फ़ैसला किया कि मैं सुभाष को संजा दूँगी कि हमारे सेक्स की बात वो किसी से ना कहें और साथ ही में उसको मुझे ससुरजी से सुरक्षितरखने के लिए कहूँगी. वो दिमाग़ से बच्चा था लेकिन उसका शरीर तो किसी हट्टे कट्टे मर्द जैसा था. उसके शरीर के बारे में सोच के मेरे बदन्में हलचल होने लगी. में यहाँ अपना प्लान बना रही थी लेकिन मुझे पता नही था कि ससुरजी भी अपना एक और गंदा प्लान बना चुके थे.

अगले दिन रोज़ की तरह मेरे पति मेरे उठने से पहले ही काम पे चले गये. कुछ देर बादमें उठी और सोचने लगी कि किस तरह से में सुभाष को अपने दादाजी के खिलाफ कर सकु ताकि वो मुझे उनसे बचा के रखे. में ये सोच ही रही थी कि मेरे बेडरूम का दरवाज़ा किसी ने खटखटाया.

मैने दरवाजा खोला और बाहर देखा तो मैं दंग रह गयी. बाहर ससुरजी और सुभाष खड़े थे. दोनो बिल्कुल नंगे थे और उनके मोटे लंड पूरे शान से खड़े थे.ससुरजी के चेहरे पे हँसी थी. ‘ये तुम दोनो क्या कर रहे हो?’ मैने डरते हुए पूछा. ‘कल मैने तुमको और सुभाष को खेलते हुए देखा तो मैने सोचा क्यू ना हम तीनो एक साथ खेले हहेहहे’

में कुछ औरकहु उससे पहले ही दोनो अंदर आ गये और ससुरजी ने दरवाज़ा अंदर से बंदकरके मुझे जाकड़ लिया, में उनके चंगुल से निकलने की कोशिश कर रही थी.‘हहेहहे आज तो मज़ा आजाएगा हहहे’ ससुरजी ने हस्ते हुए मुझे हवा मे उठा लिया और बिस्तर की ओर ले जाने लगे

‘नही जाने दो मुझे पिताजी ये क्या कर रहे हो’ मैं अपने पैर हवा में मार रही थी परससुरजी के सामने मेरी ताक़त नही चल रही थी. ससुरजी ने मुझे ले जाकरबीस्तर पे फेक दिया. मेरे बिस्तर पे गिरते ही वो दोनो ने पागलो की तरहमेरे कपड़ो को फाड़ना शुरू कर दिया. मैने वैसे भी ब्रा और पैंटी नहीपेहनी थी. एक मिनिट मैं ही में पूरी नंगी हो गयी थी. मेरे छटपटाने सेससुरजी को बड़ा मज़ा आ रहा था. उन्होने अब मुझे मेरी पीठ पे लेटा दिया और अपने दोनों हाथ मेरी जाँघो पे रख कर अपना सर मेरी चूत के नज़दीकला दिया. में अब अपने पैर हिला नही पा रही, मुझे ससुरजी की गरम साँसे मेरी चूत पे महसूस हो रही थी. सुभाष मुझे नंगी देख बहुत ही उत्तेजित हो गया था. ‘अब हिलना बंद भी करदो मानसी, देखो तुम्हारा बेटातूमसे कितना प्यार करता हैं’ ससुरजी ने सुभाष के लंड पे इशारा करते हुए कहा.

‘जाओ सुभाष अपनी मम्मी को दिखाओ तुम उससे कितना प्यार करते हो’ ये बात सुनकर सुभाषमेरे नज़दीक आ गया, वो मेरे उपर आ कर बैठ गया, उसने मेरे हाथ अपने पैरों के नीचे दबा दिए और अपना लंबा लंड मेरे दोनो बूब्स के बीच रख दिया. मुझे पता चल गया कि ज़रूर ससुरजी ने उसको ऐसा करने को कहा होगा.

‘आआआहह…मम्मी आआआआआहह….’ करते हुए सुभाष अपने दोनो हाथो से मेरे बूब्स मसल्ने लगा और मेरे बूब्स से अपने लंड को घेर दिया. उसी वक़्त ससुरजी ने अपना मूह मेरी चूत पे लगा दिया और उसको उपर उपर से चाटनाशुरू कर दिया. सुभाष का काला लंड बहुत ही गरम था और उसका एहसास मेरे बूब्स पे मुझे अच्छा लग रहा था, साथ ही ससुरजी की जीब मेरी चूत पे तेज़ी से मेरे बदन में गर्मी बढ़ रही थी. एक बार फिर मेरे बदन की गर्मीमेरे दिमाग़ को चलने से रोक रही थी. ससुरजी मेरी चूत चाटते हुए अपने लंड को ज़ोर से हिला रहें थे.

सुभाष ने अब अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया, उसका लंड इतना बड़ा था कि उसका उपर का हिस्सा मेरे होंठो पे टकरा रहा था. मेरी आँखों के इतने नज़दीक उसका 10 इंच का लंड मुझे और भी बड़ा लग रहा था, हरेक धक्के पे उसका लंड मेरे बंद होंठो पे टकरा रहा था. ससुरजी ने आप अपनी जीब निकालकेमेरी चूत के अंदर डाल दी, उनकी गीली मोटी जीब के एहसास से तो में पागल होगयि, ‘म्‍म्म्ममममममम…… एम्म्म’ मेरे मूह से आवाज़ निकल पड़ी.

मेरे बदन मे अब आग लग गयी थी. सुभाष का मोटा लंड मेरे होंठो पे लगातार टकरा रहा था और मुझे पागल बना रहा था. मैने फ़ैसला कर दिया कि मेरे माना करने पर भी ये दोनो मुझे छोड़ने वाले नही तो क्यूँ ना मैं मज़ा ही लेलू. ये सोच के मैने छटपटाना बंद कर्दिया. मेरे ऐसे करने पे तुरंत ससुरजी ने मेरी चूत से अपनी जीब निकाल दी और मेरे पैरो के बीच आके अपना लंबा लंड मेरी चूत पे रख दिया. मैने अपने पैर पूरे फैला दिए, मुझे उनका मोटा लंड चाहिए था. ससुरजी मेरी हालत समझ गये और ‘हहेहहे ये लो मेरी प्यारी बहू’ कहते हुए अपना लंड धीरे से मेरिचूत में घुसेड़ने लगे.
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11-11-2017, 12:16 PM,
#37
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मैने अपना मुँह खोल के, अपनी जीब बाहर कर दी. सुभाष के लंड का उपर का हिस्सा अब मेरी जीब पे रगड़ने लगा, मेरी गीली जीब का एहसास उसको पागल कर रहा था. उसने अपने लंड की रफ़्तार और बढ़ा दी और मेरे बूब्स को और ज़ोर सेमसल्ने लगा. ससुरजी का अब पूरा लंड मेरे अंदर था और उन्होने मुझेलगातार धक्के लगाना शुरू कर दिया.

मैने अपने हाथ सुभाष के पैरों के नीचे से निकाल दिए और अपने बूब्स को खुद ही मसल्मसल के अपने निपल्स को खीचने लगी. में झरने के बहुत करीब थी.

सुभाष का भी ये ही हाल था ‘आआहह…. मम्मी प्लीज़ अपने मूह में लो आआआआहह’ मैने अपने प्यारे बेटे को खुश करने के लिए अपना मूह खोल दिया. अगले ही सेकेंड शुभाष के मोटे लंड का उपर का हिस्सा मेरे मूह के अंदर बाहर होने लगा.मैं ज़ोर लगा के उसके लंड को चूस रही थी और अपनी उंगलियों से अपने निप्पल्स को खीच रही थी. हम तीनो अब बहुत ही उत्तेजित हो गये थे और आख़िर हमारा झरना शुरू हो गया. ससुरजी ने मुझे चोदने की रफ़्तार तेज़कर्दी और मेरी चूत में अपना वीर्य निकालना शुरू कर दिया. सुभाष के लंड से भी अब वीर्य निकलना शुरू हो गया.

‘आआआआआआआहह…. बहू आआआआहह….’

‘आआआआआआआहह…. मम्मी आआअहह….’

ससुरजी के लंड का गरम पानी मुझे अपने चूत में निकलते हुए महसूस हो रहा था. सुभाष के लंड से तो ऐसे लगातार पानी निकल रहा था जैसे नल मे से पानी. दोनो के तगड़े लंड झरते हुए झटके खा रहे थे. सुभाष का लंड चूस्ते चूस्ते में उसका गाढ़ा वीर्य निगलने लगी. ऐसी गंदी हरकत करने से मेरा झरना और तीव्र हो गया. मेरे मूह के अंदर इतना वीर्य निकल रहा था कि मुझसे सारा निगला नही जा रहा था और काफ़ी सारा वीर्य बह के बाहर निकल रहा था. कुछ देर झरने के बाद आख़िर हम तीनो का झरना बंद हुआ.

ससुरजी औरसूभाष ने अपना लंड बाहर निकाला और बिस्तर के साइड पे खड़े हो गये, दोनोके लंड धीरे धीरे छोटे हो रहें थे. में बिस्तर पे थकि हुई लेटिरही. इतनी ज़ोर से झर के में बहुत थक गयी थी और मेरे बदन पे पसीना छा गया था. मेरे गोरे नंगे जिस्म को ससुरजी भूके कुत्ते की तरह देख रहे थे. मुझे लगा कि शायद वो दोनो अब वहाँ से चले जाएँगे, लेकिनससुरजी का प्लान कुछ और ही था. उन्होने आगे झुक के मुझे मेरे बाल सेपकड़ लिया और मेरे बाल खीच मुझे बैठने पे मजबूर कर दिया.

ससुरजी और सुभाष के बैठे हुए लंड अब मेरे सामने थे. दोनो पूरे गीले थे.ससुरजी ने सुभाष से कहा ‘सुभाष बेटे ज़रा अपनी मम्मी का मूह खोलो,हमने उसको सिखाना हैं कि लंड को कैसे ठीक तरह से सॉफ करते हैं’

सुभाष नेनीचे झुक के मेरे गालों को अपनी मोटी उंगलिया से दबा के मुझे मेरा मूह खोले पे मजबूर कर दिया. मेरा मूह खोलते ही ससुरजी ने अपना गंदा लंड मेरे मूह में ठूंस दिया. उनका बैठा हुआ लंड भी बहुत ही मोटा था और मुश्किल से मेरे मूह में समा रहा था.

‘हहेहहे थोड़ा चूसो बहू, अपने बहू होने का फ़र्ज़ अदा करो हहहे’ ससरजी अपने बैठे हुए लंड से मेरे मूह को चोद रहे थे. सुभाष को ये सब देख बहुत मज़ा आरहा था.

अचानक उसने मेरे बाल पकड़ पीछे खीच लिए और इससे ससुरजी का लंड मेरे मूह सेनिकल गया. लंड निकलने से मुझे राहत मिली और में खाँसने लगी. लेकिन अगले ही पल सुभाष ने अपना मोटा लॉडा मेरे होंठो के बीच ठूंस दिया ‘मुझेभी खेलना हैं’ सुभाष का वीर्य और थूक से गीला लंड मेरे मूह में पूरा समा गया. उसने अब दोनो हाथो से मेरे बाल पकड़के रखें थे ओरबेरहमी से मेरे मूह के अंदर अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. उसका लंड धीरे धीरे मेरे मूह के अंदर मुझे खड़ा होता महसूस हो रहा था.मेने कैसे भी करके अपना मूह मोडके उसका लंड बाहर निकाला.

‘प्लीज़ सुभाष इतना ज़ोर से मत करो, तुम चाहते हो तो में धीरे धीरे इसको किस करती हूँ’

‘ठीक हैं मम्मी तुम कहती हो तो में मान जाता हूँ, पर दादाजी ने कहा था कि जब हम तुम्हारे मुहमें डाले तो पूरे ज़ोर से अंदर बाहर करे’ में समझ गयी कि ये सारीचाल ससुरजी की हैं.

मैने सुभाषका आधा खड़ा लंड हाथ में पकड़ उसके लंड के उपर का हिस्सा अपने मुहमें ले कर प्यार से चूसने लगी. इतना तगड़ा और जवान लंड मूह में ले करमुझे मज़ा आने लगा. ससुरजी साइड पे खड़े हो कर अपना बैठा हुआ लंड मेरे गालों पे घिस रहे थे. सुभाष का लंड एक ही मिनिट में पूरा टाइट हो के खड़ा हो गया. मैं पूरा ज़ोर लगा के 6 इंच तक उसका लंड ज़ोर से चूस चूस के मज़ा ले रही थी. मेरे बदन में भी फिर से गर्मी छा गयी थी.
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11-11-2017, 12:24 PM,
#38
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
‘मम्मी मम्मी मुझे कल की तरह तुम्हारी गान्ड में डालना हैं’

‘नही सुभाषबेटे तुम दूसरे छेद में डालोगे तो तुम्हे और मज़ा आएगा’

‘नही मुझेगांद में ही डालना हैं’

‘देख तू ज़्यादा ज़िद मत कर वरना तुझे मार पड़ेगी’

‘फिकर मत कर सुभाष, मम्मी अगर मना करे तो मैं तेरी मदद करूँगा’ ये बात सुनके सुभाष ने मुझे जाकड़ लिया.

‘नही सुभाष जाने दे मुझे’

‘देखा सुभाष मेने कहा था तुझे, तेरी मम्मी तेरे साथ ठीक सेनही खेलेगी, लेकिन मेरे साथ रहेगा तो हम दोनो मिलके तेरी मम्मी को ठीक सेखेलने को सीखा देंगे हहेहहे’ ससुरजी मेरे बलात्कार का मज़ा ले रहे थे. दोनो ने मिलके मुझे अपने पेट पे लेटा दिया और सुभाष मेरी जांघे केउपर बैठके मेरी गान्ड पे अपने लंड को रगड़ने लगा.

‘नहीसूभाष प्लीज़ जाने दे मुझे प्लीज़’ में विनती करती गयी लेकिन सुभाष को बहुत सेक्स चढ़ गया था और उसने अपने मोटे लंड के उपर का हिस्सा मेरी गान्ड के छेद पे लगा के एक ज़ोरदार धक्का लगाया. उसके लंड का उपर का हिस्सा मेरी गान्ड में घुस गया.

‘आाआआईयईईईईईईईई सुभाष नहियीईईईई ऐसा मत करो प्लीईएआसए’ससुरजी को मेरा ऐसा हाल देख मज़ा आ रहा था.

‘हहेहहे, बहुत अच्छे सुभाष फिकर मत कर कुछ देर में तेरी मम्मी को खेलने में मज़ा आने लगेगा, ’ ऐसा कह के ससुरजी मेरे सामने आ कर बैठ गये और अपना लंड मेरे मूह में दे दिया. उनका लंड अब धीरे धीरेकड़ा हो रहा था. सुभाष धीरे धीरे ज़ोर लगा कर अपना लंड मेरी गांदमें घुसेड रहा था. ससुरजी मेरा सर नीचे अपने लंड पे दबा रहें थे.

दो ही मिनिट में सुभाष का पूरा लंड मेरी टाइट गान्ड में पूरा घुस्गया था.

‘प्लीज़ सुभाष ज़ोर से मत करना’ मेरी बात मान सुभाष धीरे धीरे से मेरी छोटी सी गान्ड में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा. मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा. मेरे जिस्म की गर्मी बढ़ने लगी. ससुरजी का लंड अब पूरा टाइट हो कर खड़ा हो गया था और उस मोटे लंड का स्वाद मुझे अच्छा लगने लगा था. मैने अब उनका मोटे लंड को अपने होंठो से चूसना शुरू कर दिया और अपनी जीब उनके लंड के उपर के हिस्से पे हिलाने लगी.

‘आआआहह बहू, बहुत अच्छे आआआहह और ज़ोर से चूसो’

कुछ देर तक ऐसे ही ससुरजी का मोटा लंड ज़ोर से चुस्ती रही, सुभाषका लंबा लंड मेरी गान्ड में मुझे अब अच्छा लगने लगा था और में अपनी गान्ड को पीछे धकेल के उससे चुदवा रही थी. ससुरजी को अब मुझे चोदना था.

‘ऐसा करते हैं सुभाष हम दोनो एक साथ मम्मी के दोनो छेद में डालते हैं, मज़ा आएगा, तू एक मिनट के लिए अपना बाहर निकाल’ मेरे दिल में ये बात सुन कर हलचल होने लगी.मुझे भी ये दोनो तगड़े लंड एक साथ अपने अंदर महसूस करने थे.

‘ठीक हैं दादाजी’ ऐसा बोल के सुभाष ने अपना लंड बाहर निकाला.

ससुरजी बिस्तर पे लेट गये और मुझे मुस्कुराते हुए कहा, ‘आओ बहू अपने ससुर की सेवा करो हहहे’

अब तो में सारी शरम गवाँ बैठी थी और बिल्कु सेक्स के लिए पागल होगयि थी. ससुरजी मेरे सामने बैठे थे और उनका काला लंड शान से खड़ा था और मेरी थूक से चमक रहा था. में जा के उनके उपर बैठ गयी और धीरे से उस मोटे लंड को अपनी चूत के अंदर धीरे धीरे लेती गयी.ससुरजी का गरम लंड मेरी चूत को फैला के अंदर जा रहा था, में आगे की ओर झुक गयी और ससुरजी के मूह के आगे रंडी की तरह अपने बूब्स ला दिए.ससुरजी ने अगले ही पल मेरे बूब्स को दबा दबा के चूसना शुरू कर दिया.बूब्स को चूस्ते हुए ससुरजी मेरे निपल्स को अपने दातों के बीच लेके काट्देते और इससे मेरे सारे बदन में सनसनी फैल जाती.

अब ससुरजी का पूरा लंबा लॉडा मेरी चूत के अंदर समा गया था‘आआआआअहह पिताजी आआअहह’ में उनके लंड पे अब उपर नीचे होने लगी. इतने मोटे लंड का एहसास मुझे पागल बना रहा था.

सुभाष ये नज़ारा देख अपने लंड को सहला रहा था. मैने अब अपने दोनो हाथो से अपनी गान्ड को फैला के पीछे सुभाष को देख के कहा ‘आओ सुभाष आआहह अपनी मम्मी के साथ आआआहह…. जी भर के खेलो’. मेरी छोटी सी गान्ड कागुलाबी छेद देख सुभाष खुश हो गया. उसने बिस्तर पे आकर झट से अपना लंड मेरी गान्ड के छेद पे रख ज़ोरदार धक्का लगाया.

‘आआईयईईई’ करके में आगे ससुरजी पे गिर पड़ी. मेरे बड़े . . छाती पे थे. ससुरजी को मेरा नंगा बदन अपने शरीर से चिपका हुआमहसूस करके बहुत मज़ा आ रहा था. सुभाष बहुत उत्तेजित जो गया था और बेरहमी से मेरी गान्ड में धक्के लगा रहा था, मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन मज़ा बहुत ही ज़्यादा आ रहा था. मेरे बूब्स ससुरजी की छाती पर घिस रहें थे और उनकी छाती के बाल मेरे निपल्स पे लगने से मुझे बहुतमज़ा आ रहा था. ससुरजी भी बहुत उत्तेजित हो गये थे और मेरा सर पकड़केमेरे होंठो पे अपने होंठ लगाके अपनी जीब पूरी मेरे मूह के अंदर डाल केघुमा रहें थे. में भी रंडी की तरह उनके जीब पे अपनी जीब रगड़ रही थी. दोनो तगड़े लंड मेरे अंदर एकदम टाइट हो कर घुसे हुए थे. में तो बिल्लकुल जन्नत में पहुँच गयी थी, ज़िंदगी में इतना मज़ा मुझे पहले नही मिला था. हम तीनो अपने बदन को आगे पीछे कर के चुदाई का भरपूर्मज़ा ले रहे थे. में अब झरने के बहुत करीब थी और ससुरजी को ज़ोर से चूम रही थी. कटरीना कैफ़ जैसी बहू उनको कोई गंदी रांड़ के जैसे चूम रही थी, इससे ससुरजी को बहुत मज़ा आ रहा था. अचानक सुभाष ने मेरी गांदमारना रोक दिया.

‘रोको मत सुभाष बेटे प्लीज़ अपनी मम्मी की गान्ड को ज़ोर से चोदो’मैने मूड के सुभाष को देखा. वो कमरे के दरवाज़े की और देख रहा था और उसके चेहरे पे बहुत डर था. मैने दरवाज़े पे देखा, मेरे पति वहाँ पर खड़े थे, वो ऑफीस से मुझे सर्प्राइज़ देने के लिए जल्दी आ गये थे,उनके हाथो में मेरे लिए एक फूलों का गुलदस्ता था. वो हमारी और देख रहे थे, उनके चेहरे पे गुस्सा नही पर बहुत ही ज़्यादा दर्द था. बिना कुछ कहे वो वहाँ से मूड के अपने कंप्यूटर वाले कमरे में चले गये. में वहाँ से उठके अपने कपड़े फटाफट पहेन के उनके पीछे गयी, मुझे समझ में नही आ रहा था कि में क्या कहूँगी उनको, बहुत डर लग रहा था.

कमरे में जाके मैने देखा कि मेरे पति अपनी कुर्सी पे बैठे थे,उनकी आँखें लाल थी पर उसमे एक भी आँसू नही था. उनके हाथ में थी उनकी रेवोल्वेर. उन्होने रेवोल्वेर मेरी तरफ तान के रखी थी.

‘ठहरिए में आप को सब बताना…’ मेरी बात ख़तम होने से पहले ही उन्होने रेवोल्वेर को अपने मूह में लेके घोड़ा दबा दिया. ठाआआआआण…… करके गॉलींके मूह के अंदर से होती हुई उनके भेजे को चीरती हुई पीछे की दीवार मे जड़ गयी. दीवार पे गोली के साथ खून की पिचकारी और उनका आधा भेजा गिरा.
‘नहियीईईई…’
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11-11-2017, 12:25 PM,
#39
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
‘नहियीईईई…’

एक ही पल में मेरी दुनिया उजड़ गयी.मेरी आँखों के सामने मेरे प्यारे पति की मौत हो गयी. गोली की आवाज़ सुनके ससुरजी और सुभाष नंगे ही कमरे में दौड़ के आ गये. दोनो ने किशोर जी की लाश देख के रोना शुरू कर दिया.

मेरे पति ने मेरे सामने आत्मा हत्या कर दी. 18 साल की कमसिन उमर में ही मैं विधवा हो गयी. एक ही पल में मेरिदुनिया उजड़ गयी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि में क्या करूँ और मेरे जीवन का क्या होगा.

पति के मरने के कुछ दिन बाद मेंअपने कमरे में बैठे रो रही थी. मुझे नीचे से ज़ोर से आवाज़े सुनाई दी. मेने कमरे का दरवाज़ा खोल नीचे देखा. ससुरजी नौकरो को बहुत हीगूस्सा हो कर डाट रहे थे. मैने उनको इतना गुस्से में कभी नही देखा था.

‘साले हरामी, मैने कहा कि घर जा तो घर जा, मालकिन से पूछने की क्या ज़रूरत हैं’

मंगु ने घबराते हुए कहा ‘जी साब वो छोटी मालकिन ने कहा था कि …’

‘साले मदेर्चोद, ज़बान चलाता हैं’ऐसा बोलके ससुरजी ने एक ज़ोर का तमाचा लगा दिया. मंगु बेचारा ज़मीन पेगिर पड़ा.

‘बहन चोद तेरी ये मज़ाल’ बोलके ससुरजी ने ज़मीन पे पड़े मंगु को दो तीन ज़ोरदार लात मार दी. बेटे की मौत सेससुरजी का दिमागी संतुलन बिगड़ गया था.

‘तुम सब हरामी सुन लो अगर तुम सब केसब घर नही गये तो सबको नौकरी से निकाल दूँगा, तुम लोगो की तन्खा अबमें देता हूँ समझे, मेरे बेटे के स्वरगवास का शोक मनाने के लिए तुमलोगो को छुट्टी देना ज़रूरी हैं, चलो अब तुम सब यहाँ से दफ़ा हो जाओ, और दस दिन तक कोई नज़र नही आना चाहिए मुझे’ ये बात सुनकर सारे नौकरघर से निकल गये. मुझे कुछ समझ में नही आया, में नीचे गयी. मुझे थोड़ा डर था कि शायद ससुरजी पहले की तरह घर पे कोई ना होने से मेरी इज़्ज़त पे हाथ डालेंगे. लेकिन ऐसे दुख के समय पे वो ऐसी गंदी चीज़ थोड़ी ना करेंगे और फिर अगर कुछ हुआ तो में आपने बेटे सुभाष को बुला लूँगी.

‘जी पिताजी आपने सब को दस दिन की छुट्टी क्यू दे दी ?’

ससुरजी ने मुझे मूड के देखा.

उनकी आँखें गुस्से से लाल थी, उनका चेहरा देख में डर गयी ‘साली कुत्ति, तेरी वजह से मेरा बेटा मर गया,तुझे क्या लगा में तुझे इसकी सज़ा नही दूँगा ?’

‘ये आप क्या कह रहें हो पिताजी’

‘अगर तूने अपने रंग रूप से मुझेफ़साया नही होता तो आज मेरा बेटा ज़िंदा होता, अब तो तेरी खैर नही’

ससुरजी सच में ही पागल गये थे. मेरे पास आकर उन्होने मुझेज़ोर से एक तमाचा लगा दिया. तमाचा इतना तगड़ा था कि में नीचे ज़मीन पेगीर पड़ी, मेरा गाल पहले गुलाबी फिर लाल हो गया और दर्द से मेरे आँसू निकालने लगे. मेरे गिरने से मेरा स्कर्ट उपर हो गया और मेरे गोरे पैर और मेरी सफेद पैंटी ससुरजी को दिख गये. ‘तू सुधरेगी नही साली कमिनि,अपने ससुर को चड्डी दिखा के फिरसे फ़सा रही हैं, अब में दिखता हूँ की तुझ जैसी लड़की के साथ क्या सलूक किया जाना चाहिए’ ऐसा कह के ससुरजी ने अपनी बनियान और लूँगी निकाल दी और पूरे नंगे हो गये.उनका लंड पूरा खड़ा हो चुका था. मैं घुमके खड़ी होने ही वाली थी कि ससुरजी ने अचानक मुझे पीछे से जाकड़ लिए और किसी जंगली की तरह मेरे कपड़े फाड़ के निकालने लगे, में उनके चंगुल से निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन ससुरजी के सर पर भूत सवार था. दो ही मिनिट में ससुरजी ने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. में अब सिर्फ़ मेरी पैंटी में थी और ससुरजी पूरेनंगे थे. अब उन्होने मुझे पकड़ कर उठा लिया और पास में पड़े बिस्तर पे पटक दिया.
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11-11-2017, 12:25 PM,
#40
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
‘आाऐययईईईई’ में अपने पेट तले बिस्तर पर गिर पड़ी. मेरी पैंटी के अंदर मेरी गान्ड का आकर ससुरजी के लंड में हलचल कर रहा था. ससुरजी आकर मेरी जाँघो पे बैठ गये. उनका भारी लंड मेरी गान्ड पे टिका हुआ था. मुझे यकीन नही हो रहा था कि अपने बेटे के मरने के कुछ ही दिन बाद ससुरजी इतनी गंदी हरकत कर सकते हैं.

‘सुभाआआससह’ मैने अपने बेटे को बुलाया, वो ज़रूर ससुरजी को रोक लेगा.

‘सुभाष को तो मैने कल ही पागलख़ाने भेज दिया, अब दस दिन तक सिर्फ़ हम दोनो हैं इस घर में, इन दस दिनोमें तेरी चूत और गान्ड को फाड़ के रख दूँगा.’ ऐसा कह के ससुरजी ने अपने हाथो से मेरी पैंटी को खीच खींच के फाड़ दिया. अब मेरी छोटी सी गोरी गान्ड ससुरजी के सामने थी. उन्होने दोनो हाथो से मेरी गान्ड को मसलनाशुरू कर दिया और मसल्ते मसलते अपनी दो उंगलियाँ मेरी गान्ड में घुसा डाली

‘आाऐययईईईईई’ में चिल्ला बैठी.

‘चिल्लाति क्यूँ हैं साली रंडी, मैने देखा था कि कैसे तू बेशरम होके अपने बेटे का लंड गान्ड में लेके मज़ा ले रही थी’ ससुरजी ने दोनो उंगलियाँ पूरी अंदर डाल दी थी. अब वो उंगलियो को अंदर बाहर करने लगे.

मेरा रोना अब शुरू हो गया था ‘प्लीज़ पिताजी मुझे जाने दो, रेहेम करो मुझपे’

‘चुप बैठ, अभी तो में शुरू हुआ हूँ,में जानता हूँ तुझे मज़ा आ रहा हैं’

ससुरजी का कहना ठीक था. उनकी उंगलियोंका एहसास मेरी छोटी सी गान्ड में मुझे अच्छा लग रहा था लेकिन मैनेफसला किया था कि इतना सब हो जाने के बाद में अब उनके साथ सेक्स करने का पाप नही करूँगी.

ससुरजी अपनी उंगलिया को अंदर बाहर करते हुए उनको गोल गोल घुमा भी रहें थे. इसके एहसास से मेरी चूत मे हलचल होने लगी. मुझे अपनी चूत थोड़ी गीली होती हुई महसूस हो रही थी.

‘हहेहहे’ ससुरजी मज़ा ले रहें थे

‘प्लीज़ पिताजी आपको किशोर जी का वास्ता’ बेटे का नाम सुनके ससुरजी को फिर से गुस्सा आ गया. और उन्होने मेरे बाल ज़ोर्से खीचते हुए कहा

‘अपने गंदे मूह से मेरे बेटे का नाम मत निकाल समझी साली दो कौड़ी की रांड़ हैं तू, अब दिखाता हूँ रांड़ के साथ क्या सलूक किया जाता है’

ऐसा बोल के ससुरजी ने अपनी उंगलियाँ निकाल दी और उन उंगलियो को मेरे मूह में ठूंस दिया.

उन्होने अब अपना मोटा लंड मेरी गान्ड केछेद पे लगा दिया. ‘प्लीज़ पिताजी प्लीज़’ मेरा रोना शुरू हो गया. इतने मोटे लंड से मुझे डर लग रहा था.

ससुरजी ने एक ज़ोरदार धक्का लगाया और आधे से ज़्यादा लंड मेरी गान्ड में घुस गया. उनको लेकिन पूरा लंड घुसेड़ना था, और अपनी गान्ड थोड़ी पीछे ले कर फिरसे तगड़ा धक्का लगाके अपना पूरा लॉडा मेरी छोटी सी गान्ड मे गाढ दिया.

‘आआआआआईयईईईईईईईई’
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