Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
11-11-2017, 12:08 PM,
#1
Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट -1

मेरा नाम मानसी हैं. मैं 24 साल की हूँ. मुंबई के एक मशहूर और बहुत राईस परिवार में मेरी 6 साल पहले शादी हुई. मेरे घर में मेरे ससुर जो 66 साल के हैं, मेरे पति जो 44 साल के हैं और मेरा सौतेला बेटा जो अब 17 साल का हैं रहतें हैं. नौकर चाकर तो इतने हैं कि मैं गिनने की कोशिश भी नहीं करती. मेरे पति का नाम देश के टॉप राईसो मैं आता है.

में दिखने में बहुत ही गोरी और क्यूट हूँ. लोग कहते है कि में बिल्कुल कटरीना कैफ़ जैसी दिखती हूँ. मेरा फिगर भी एक मॉडेल की तरह सेक्सी हैं. मेरे बूब्स बड़े हैं और मेरी कमर पतली. में अपने फिगर का बहुत ख़याल रखती हूँ और हर रोज़ एक घंटा उसको मेनटेन करने के लिए एक्सर्साइज़ करती हूँ. मुझे बचपन से ही मेरी सुंदरता पे नाज़ रहा हैं. सारे लड़के मुझ पे मरते थे और मुझ से बातें करने की कोशिश करते थे. मेरी मा ने मुझे बचपन से सीखा के रखा था कि ‘किसी भी लड़के के चक्कर में मत पड़ना, तू इतनी सुंदर है कि बड़ी होकर तुझे बहुत अछा और राईस पति में ढूंड के दूँगी. मेरी बात याद रखना बेटी. यह सेक्स वेक्स से शादी से पहले दूर ही रहना. यह सेक्स एक गहरी खाई की तरह हैं. अगर इस में गिरगी तो गिरती ही चली जाऊगी’. मुझे अपने आप पर पूरा विश्वास था. में अपने मा से कहती ‘फिकर मत करो मा. तुम्हारी बेटी बहुत स्ट्रॉंग हैं. मेरे मनोबल को कोई नही तोड़ सकता’ . उस वक़्त मुझे वासना की ताक़त का अंदाज़ा नही था. आज जब मैं उस समय के बारे में सोचती हूँ तो लगता हैं कि कितनी बेवकूफ़ थी में. मेरी मा की सलाह कोई आम लड़की के लिए ठीक होगी लेकिन में आम लड़कियों के जैसे नही हूँ. में सेक्स की पुजारन हूँ. मेरा ज़िंदगी का एक ही मकसद हैं और वो हैं चुदाई.

यह कहानी तब से शुरू होती हैं जब मैं 16 साल की थी और 10थ क्लास में पढ़ती थी. मैं एक अमीर घर में बड़ी हुई थी. मेरे घर में सिर्फ़ मैं और मेरी मा थे. पिताजी का स्वरगवास कई साल पहले हो चुक्का था. पढ़ाई में ठीक ठाक ही थी लेकिन मेरी मा की तरह दुनियादारी के मामले काफ़ी होशियार थी. उस वक़्त सारी लड़कियों की तरह मुझे भी सेक्स मैं बहुत इंटेरेस्ट था पर में अपनी मा की सलाह मानते हुए लड़को से दूर ही रहती थी. मेरी सारी सहेली कहती थी की मेरा फिगर बहुत ही सेक्सी हैं. मेरे बड़े बूब्स और पतली कमर काफ़ी लड़को को पागल कर रहा था पर मेने मेरी मा की बात मान कर ठान लिया था के शादी से पहले में लड़को के चक्कर में नहीं पाड़ूँगी. मेरी सारी सहेली अपनी अपनी चुदाई की बातें करती थी. दो लड़कियाँ ने तो अपने बाप के साथ भी चुदाई का मज़ा लिया था. उनकी बातें सुनकर मुझे बहुत जलन होती थी. में उन सबसे से कई ज़्यादा सेक्सी थी फिर भी में ने आज तक किसी लड़के को कपड़े बिना नही देखा था. मुझे कई बार अपनी सहेली के सेक्स के किस्से सुन कर बहुत सेक्स चढ़ जाता. ऐसे मोके पे में अपने आप को अपनी उंगलियाँ से संतुष्ट कर लेती. पर में जानती थी के जो मज़ा किसी मर्द के लॉड से मिल सकता हैं वो उंगलियों से कभी नही मिल सकता हैं. मैं कई बार सारी सारी रात सेक्स के बारे में सोच कर अपनी चूत से खेलती रहती लेकिन हमेशा मन मे यह बात रखती की कुछ भी हो जाए शादी से पहले में किसी लड़के को हाथ नहीं लगाने दूँगी और अपने होने वाले पति के लिए बिल्कुल कुँवारी रहूंगी.

एक दिन में स्कूल से निकल कर घर जा रही थी. मुझे बहुत ही जोरो से मूत लगी थी. मुझे स्कूल के मूत्रालय में जाना अछा नही लगता था क्यों कि वहाँ बहुत बदबू आती थी. मेने सोचा कि स्कूल के बगल में ही पब्लिक टाय्लेट था में वाहा मूत लूँगी. वाहा जाने पर पता चला कि लॅडीस टाय्लेट पे ताला लगा था. मुझसे अब रुका नही जा रहा था. मेने सोचा क्यों ना जेंट मूत्रालय में मूत लूँ अगर कोई अंदर ना हो तो किसी को पता नही चले गा. मेने जेंट्स मूत्रालय के पास जा कर उसका दरवाज़ा खोल दिया. वहाँ अंदर काफ़ी अंधेरा था और में 1 मीं. तक दरवाज़े पर ही खड़ी रही. धीरे धीरे मुझे दिखाई देने लगा. अंदर सामने तीन टाय्लेट थे. तीन मैं से एक कोने वाला टाय्लेट बंद था और उसके अंदर से कुछ अजीब सी आवाज़ आ रही थी. मुझे और कोई नज़र नही आया तो मैने 2 कदम अंदर बढ़ा लिए. अंदर जाने पे पता चला के दूसरे कोने में एक और आदमी मूत रहा था, उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और वो हस्ते हुए बोला ‘कुछ चाहिए बेबी?’

यह कह हर वो मेरी तरफ मूड गया. मेरी नज़र उसके लंड पे गिरी जो उसके पॅंट के ज़िप से बाहर लटक रहा था. वो आदमी लगभग 50 साल की उमर का होगा और दिखने में मुझे कादर ख़ान जैसा लग रहा था. उस आदमी का लंड खड़ा नही था पर फिर भी इतना बड़ा था कि मुझे यकीन नही हुआ. मैने आज तक किसी आदमी का लंड नहीं देखा था. में डर गयी और डर के मारे भाग के बीच वाले टाय्लेट में जा कर दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.

अंदर जा कर में चुप चाप 2 मिनिट खड़ी रही. फिर में ने मूत लिया. मुझे बाजू वाले टाय्लेट की आवाज़ अब सॉफ सुनाई दे रही थी. ऐसा लग रहा था कि कोई चीखने की कोशिश कर रहा हो पर उसका मूह किसी ने दबा के रखा हो. मैने देखा कि टाय्लेट के साइड में कई बड़े छेद थे. में अपने हाथ और घुटनो के बल कुत्ति की तरह ज़मीन पर बैठ कर आपनी आँखे ऐसे ही एक छेद पर लगा कर बाजू की टाय्लेट के अंदर का नज़ारा देखने लगी. अंदर मैने जो देखा वो देख कर मेरे होश उड़ गये. मेने देखा की अंदर एक लड़का जो मेरी क्लास में पढ़ता है और लगभग मेरी ही उमर का होगा, अपने घुटनो तले ज़मीन पर बैठा था. लड़के का नाम विवेक था. उसके सामने हमारा स्पोर्ट्स का टीचर जो एक बड़ा काला सा मोटा आदमी हैं अपने लंड को उसके मूह में घुसेडे हुए था. विवेक एक दम ही गोरा और चिकना था और पूरा नंगा था. मेने देखा कि उसका का छोटा सा लंड खड़ा था. वो अपने हाथो से टीचर को दूर धकेलने की कोशिश कर रहा था. लेकिन टीचर ने अपने दोनो हाथ लड़के के सर पे रख के उसके सर को अपने लंड की ओर खीच लिया था और पूरा लंड उसके मूह में घुसेडे हुआ था. दो मिनिट बाद किसी तरह से विवेक ने अपना मूह टीचर के लंड से दूर किया. जब स्पोर्ट्स टीचर का लंड उसके के मूह से निकला तो में दंग रह गयी. वो लगभग 8” लंबा होगा और मोटा भी बहुत था और एकदम काला था. मुझे यकीन नही हो रहा था कि इतना बड़ा लंड उस लड़के के मूह में समा केसे गया. विवेक अब ख़ास रहा था. इतना बड़ा लंड मूह में लेकर उसका हाल बहाल हो गया था. उसने कहा ‘बस अब और नही होगा टीचर जी’. टीचर ने कहा ‘साले मदारचोड़ चुप चाप मेरा लंड चूस वरना तुझे फैल कर दूँगा’. लड़के ने उपर देखते कहा ‘नही टीचर मुते फैल कर दोगे तो ....’. लड़के की बात पूरी होने से पहले ही टीचर ने अपना लंड उसके मूह मे फिरसे डाल दिया. टीचर ने फिर से उसके सर को अपने हाथो से पकड़ा और अपना लंड उसके मूह में अंदर बाहर करने लगा. मुझे विवेक का खड़ा लंड देख कर लग रहा था कि शायद लड़के को भी मज़ा आ रहा था.

मुझे ये सारा नज़ारा देख कर बहुत मज़ा आ रहा था. मैने आज तक किसी भी आदमी का लंड नही देखा था. और अब मेरे सामने दो लंड थे. मेरे बदन में एक गर्मी सी छा गई थी. हैरत की बात तो मुझे ये लगी की विवेक से ज़्यादा मुझे वो काले टीचर का बड़ा लंड अच्छा लग रहा था. मेरी नज़र वो मोटे लंड से हट नही पा रही थी. में मन ही मन में सोच रही थी कि काश मुझे वो काला लंड चूसने को मिल जाए. में वाहा टाय्लेट में कुत्ति की तरह ज़मीन पर बैठी थी. मेरी पॅंटी पूरी गीली हो गयी थी. मैने अपनी स्कर्ट उपर कर ली और पॅंटी उतार दी. मेने एक हाथ से अपने चूत को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ की उंगली को अपने गांद के छेद पे फिराने लगी. मुझे ये बिलकूल खबर नही थी कि जिस तरह में बाजू की टाय्लेट में झाक रही थी वैसे हे तीसरी टाय्लेट के छेद से मुझे कोई झाक रहा था. जिस आदमी ने मूत्रालय में आते ही मुझे आपना लंड दिखाया था वो मेरे पीछे मेरे बाजू के टाय्लेट में घुस गया था. उसे पता था की टाय्लेट के बीच में छेद हैं. अब उसे जो नज़ारा दिख रहा था वो उससे पागल हो रहा था. उसके सामने में घूम के पॅंटी निकाल के बैठी थी, मेरी चिकनी, गोरी गांद और चूत उसे साफ दिखाई दे रही थी. वो देख रहा था कि में अपनी चूत में दो उंगली डाल के ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी और अपनी गांद के छेद पे उंगली घुमा रही थी. उसका लंड खड़ा हो गया और वो उसे सहलाने लगा.

यहाँ टीचर और तेज़ी से विवेक का मूह चोद रहा था. विवेक भी अपना लंड ज़ोर से हिला रहा था. दो मिनिट मे टीचर ज़ोर से आवाज़ करने लगा ‘आआआआआअहह, आआआआआआः’ और पागल की तरह बहुत तेज़ी से लड़के के मूह में आपना लंड अंदर बाहर करने लगा. विवेक का बुरा हाल था. मैं अपने आप को झरने के करीब पा रही थी और ज़ॉरो से अपनी उंगलियाँ चूत के अंदर बाहर करने लगी. टीचर झड़ने के बहुत करीब था. ‘साले . के आआआअहह... आआआआआआः पी जा मेरा पानी आआअहह’ टीचर ने यह कहते अपना सारा पानी लड़के के मूह मे निकालना शुरू कर दिया. टीचर के साथ में भी अब झार रही थी. लड़के के लंड से भी फुवरे के जैसे पानी निकल रहा था. टीचर के लंड से इतना विर्य निकला के लड़का पूरा पी नही पाया और कुछ पानी उसके मूह के साइड से निकल कर नीचे बहने लगा. यह देख मेरा झरना और तीव्र हो गया. टीचर का झार ना ख़तम हो गया था पर उसने थोड़ी और देर तक अपना पूरा लंड लड़के के मूह में ही रखा. जब उसका लंड पूरा बैठ गया तब उसने उसको निकाला. उसका बैठा हुआ काला लंड भी बहुत बड़ा था और वीर्य और विवेक की थूक से चमक रहा था. लड़का नीचे देख कर ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहा था और खास रहा था. टीचर के काले लंड ने उसकी हालत बूरी कर दी थी. टीचर के मोटे लंड पे काफ़ी सफेद वीर्य अभी भी चिपका हुआ था. टीचर ने विवेक से कहा ‘मेरा लंड कौन साफ करेगा ? तेरा बाप. चल इसको ठीक से चाट कर साफ कर’. लड़का उस काले लंड को पकड़ अपनी जीब निकाल के चाटने लगा और पूरा वीर्य लंड से साफ कर दिया. टीचर ने अब उसका हाथ हटा के पॅंट पहेनना शुरू किया और कहा ‘कल इसी वक़्त यहाँ मिलना. कल में तेरी गांद मारूँगा’ यह कह कर टीचर बाहर चला गया. लड़का भी अपने कपड़े पहन के वहाँ से चला गया.

वो दोनो चले गये थे पर मेरी बदन की आग अभी भी भड़की हुई थी. में टाय्लेट के ज़मीन पे लेट गयी. मेने अपने टॉप के उपर से ही एक हाथ से अपने बूब्स को दबा दबा कर उंगलियों से निपल को खीच रही थी. दूसरे हाथ से में अपनी चूत में दो उंगलियों डाल कर अंदर बाहर कर रही थी. मेरी मूह से सिसकियारी निकल रही थी ‘उम्म्म्ममम.... आआहह’. वो काला लंड मेरे दिल और दिमाग़ पर छा गया था.

तब अचानक मैने आवाज़ सुनी ‘मज़ा आ रहा है बेबी ?’. मेने आँख उठा कर देखा तो मुझे पता चला कि टाय्लेट के दूसरी साइड पे भी कई छेद थे और वैसे ही एक छेद से मुझे उस आदमी की आँखे दिखाई दी. में एक सेकेंड के लिए डर गयी खड़ी हो गयी. ‘डरो मत बेबी, तुम इतनी गरम हो गयी हो मेरे पास तुम्हे ठंडा करने के लिए कुछ हैं’ ऐसा कह कर उसने अपना लंड एक छेद में डाल दिया. उसका लंड भी वो काले टीचर की तरह मोटा और लंबा था.

‘यह लो बेबी तुम अपनी चूत के साथ साथ इस से भी खेलो. तुम्हे और मज़ा आएगा’. में तो वो लंड को देख के पागल सी हो गयी. मेरा सिर चकराना शुरू हो गया. मेरा सारा बदन एकदम गरम सा हो गया था. में लंड को छूना चाहती थी पर डर भी बहुत लग रहा था. मेरा दिमाग़ मुझसे कह रहा था कि में वहाँ से भाग कर घर चली जाउ पर मेरी नज़र उस लंड से नही हट रही थी. मैने अपने आप से कहा कि ‘ऐसा तो नही कि मैं किसी लंड से चुदवा रही हूँ. इस लंड से थोड़ा खेल लूँ फिर भी मैं कुँवारी ही रहूंगी’. एक बड़े लंड को अपने इतने करीब पा कर में अपनी मा की सलाह को बिल्कुल भूल गयी और धीरे से अपना हाथ उस लंड की तरफ बढ़ाने लगी. मुझे तब यह नही पता था कि जिस गहरी खाई से मेरी मा दूर रहने को कहती थी मैं उसी में कूदने जा रही थी. और एक बार कूदने के बाद में गिरती चली जाउन्गि.

मेरा हाथ मैने धीरे से बढ़ा कर वो लंड पे रख दिया. वो लंड गरम था और कड़क भी और मेरे हाथो में थोड़े हल्के से झटके खा रहा था. मेरे छूते ही उस आदमी के मूह से आवाज़ निकल गयी ‘आआआहह... क्या मुलायम हाथ है तुम्हारा बेबी. इसे पकड़ कर थोड़ा हिलाओ’. मुझे यह पता था कि लड़के अपने लंड को हिलाते हैं, पर यह नहीं पता था कि कैसे हिलाना चाहिए लंड को. मैने लंड को पकड़ लिया और लंड को उपर नीचे करने लगी.

‘ऐसे नहीं करते बेबी. हाथ को आगे पीछे करो उपर नीचे नहीं.’ मैने हाथ आगे पीछे करना शुरू कर दिया. हाथ पीछे करने से लंड की चमड़ी पीछे हो गयी और लंड का गुलाबी हिस्सा मुझे दिखाई दे रहा था. मेरा जी कर रहा था कि में उसे मेरे होंठो के बीच में ले लू और अपनी जीब से उसे चाटू, मेरे मूह में पानी आ गया. लेकिन में काफ़ी डरी हुई भी थी. मैने हिलाना ज़ारी रखा.

‘वेरी गुड बेबी आआआअहह.... तुम तो बिल्कुल कटरीना कैफ़ जैसे दिखती हो बेबी. मेरी तरफ़ ज़रा देखो. शरमाओ मत’. मुझे बहुत शरम आ रही थी और डर भी बहुत लग रहा था लेकिन मेने हिम्मत कर के अपनी आँखे लंड पे से ले कर उस आदमी की आँखों से मिला ली और हिलाते रही.

क्रमशः..........
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11-11-2017, 12:08 PM,
#2
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सेक्स की पुजारन पार्ट- 2

गतान्क से आगे............

‘थोडा ज़ोर से हिलाओ बेबी, बहुत मज़ा आ रहा हैं’. में अब काफ़ी ज़ोर से हिलने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेने अपने दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दी थी और अंदर बाहर कर रही थी.

वो आदमी अब आवाज़ करने लगा ‘आआअहह... बेबी... और ज़ोर से हिलाओ. आआआआआअहह’. उसका लंड मेरे हाथो में थोड़ा और फूल गया और मेरे चेहरे पे उसका थोड़ा गरम वीर्य गिर गया. में चोंक गयी और लंड हिलाना रोक दिया.

‘रोको मत बेबी पूरे ज़ोर से हिलाओ, पूरी ताक़त से हिलाओ. आआआहह…..’ मैने पूरे ज़ोर से अब हिलाने लगी. वो आदमी अब आवाज़े निकाल रहा था. ‘आआआअहह… आआआआआआहह अपने मूह पे गिरने दो पानी बेबी आआआआअहह’ यह कहने के तुरंत ही उसके लंड से पानी छूटने लगा. उसके लंड से एक के बाद एक वीर्य के फव्वारे छूट रहे थे और हरेक फव्वारे से पहले उसका लंड थोड़ा मेरे हाथो में एक झटका देता. उसके कहने के मुताबिक मैने पानी अपने चेहरे पे गिरने दिया. उसके लंड से ढेर सारा पानी निकल रहा था और वो ‘आआआआआहह. …..आआआआआआआआअहह’ की आवाज़े निकाल रहा था. दो या तीन मिनिट तक लगातार वो ऐसे आवाज़े करता रहा और झरता रहा. मेरा सारा चेहरा वीर्य से गीला हो गया था. फिर उसकी आवाज़ से मुझे पता लगा कि मैं अब हिलना बंद कर सकती हूँ. मेरे चेहरे पेसे वीर्य सरकते हुए मेरे पूरे गले को भी गीला कर दिया था.

मुझे यकीन नही हो रहा था कि लंड से इतना सारा पानी निकलता हैं. वो लंड अब धीरे धीरे छोटा हो रहा था पर मुझे और लंड की तलब थी. मैने अपने चेहरे को टाय्लेट पेपर से साफ किया.

‘मज़ा आया बेबी ? और लंड चाहिए ? मेरा दोस्त मिस्टर डिज़िल्वा यही खड़ा है. उसे भी खुश कर दो प्लीज़.’ यह कह कर उस आदमी ने अपना छोटा हुआ लंड बाहर निकाल दिया.

‘डरना मत उनके लंड से’ उसने हस्ते हुए कहा. मुझे समझ में नहीं आया कि उनका मतलब क्या था.

तब मैने डिज़िल्वा की पहली बार आवाज़ सुनी. ‘यह ले’ उसने कहते हुए अपना लंड धीरे धीरे छेद में डाला. छेद से निकलते लंड की मोटाई को देख में चोंक गयी. धीरे धीरे वो लंड को छेद में डालता रहा और मेरी आँखें फैलती गयी. 5 इंच, 6 इंच ... ऐसा लग रहा था जैसे कोई इंसान नही कोई घोड़ा हो. 7 इंच, 8 इंच लंड की मोटाई और बढ़ती लंबाई से मैं असल मे डर रही थी जैसे लंड नही कोई भयानक जानवर हो. 9 इंच , 10 इंच. आख़िर 10 इंच के बाद लंड छेद से बाहर आने से बंद हुआ. में तो उसे छूने से भी डर रही थी.

‘हाई क्या चिकनी है तू. उपर देख. ज़रा ठीक से चेहरा देखने दे तेरा’ डिज़िल्वा ने कहा. मैने उपर डिज़िल्वा की आँखों में देखा और फिर उसके लंड को. इतना बड़ा लंड देख के मेरे होश उड़ गये थे. दो मिनिट तक में वो लंड को ही देखती रही.

‘देख क्या रही हैं अब हिला इसको’. मैने हिम्मत करके उसके लंड को एक हाथ से पकड़ा. उसका लंड बहुत गरम लग रहा था मेरे हाथो में. मेरे सारे बदन में उसे छूते ही एक गरमी सी छा गयी. उसका लंड इतना मोटा था कि मेरे हाथ की उंगलियाँ अंगूठे को छू भी नही पा रही थी. मैने उसके लंड को हिलाना शूरू किया. उसके मोटे लंड से बास आ रही थी. उसकी चमड़ी पीछे जाने पे मैने देखा कि उस पर काफ़ी सूखा वीर्य चिपका हुआ था. लेकिन ये सब बातें वो लंड के मोटापे और लंबाई के आगे कुछ भी नहीं थे. मुझे उसके लंड से पहली ही नज़र मे प्यार हो गया था.

मैने अब अपना दूसरा हाथ भी लंड पे रख दिया और दोनो हाथो से लंड को हिलाने लगी. अब मुझ में बहुत सेक्स आ गया था. इतने बड़े लंड को देख में पागल हो गयी थी. मेरे दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था. मैं अपना चेहरा लंड के करीब ला कर हिलाते हिलाते उसको अपने पूरे चेहरे पे लगा के रगड़ने लगी. लंड की गर्माहट को अपने होंठो, गाल, नाक और माथे पे एक साथ महसूस करके बहुत मज़ा आ रहा था. मैने अपनी झीभ होंठो के बाहर निकाल दी और लंड को चेहरें पे रगड़ती रही. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. कुछ मिनिट तक में ऐसे ही लंड रगड़ती रही.

‘आआआआहह........मूह में ले साली रांड़’ डिज़िल्वा ने कहा. मुझे उसने ऐसे गंदी तरह से बात की और रांड़ कह कर बुलाया यह मुझे अछा नहीं लगा, लेकिन मुझे कोई परवाह नहीं थी. मुझे क़िस्सी भी हाल मे वो लंड चाहिए था.

मैने अपने मूह खोलके लंड अंदर डालना चाहा पर लंड इतना मोटा था कि मेरा मूह उतना खुल नहीं पाया. मैने अब पूरे ज़ोर से अपना मूह जितना खोल सकु उतना खोला और लंड को अंदर लिया. लंड के स्वाद से मैं मदमस्त हो रही थी. मेने लगभग 3 इंच तक लंड अपने मूह में ले लिया और फिर उसे अपने मूह के अंदर बाहर करके चूसने लगी. में इतनी पागल हो रही थी कि मुझे लग रहा था कि अपनी चूत को छुए बिना ही शायद में झार जाउन्गि. मैने एक हाथ ले कर अपनी चूत मैं झट से दो उंगली डाल ज़ॉरो से हिलाने लगी.

‘ज़ोर से चूस साली कुतिया, और मूह में ले’ डिज़िल्वा ने चिल्ला के कहा. उसका कहना मान मेने अपनी पूरी ताक़त लगाके उसका लंड मूह मे लेना शुरू किया और पूरा 6 इंच तक ले गयी. मुझे यकीन नही हो रहा था के में इतना सारा लंड मेरे मूह में ले सकती हूँ.

‘आआअहह... साली टॉप की रंडी हैं तू तो’. वो ऐसी बेशरम बाते कर रहा था और मुझे गंदी गाली दे रहा था पर हैरत की बात यह थी कि मुझे बुरा नही पर अछा लग रहा था की ये आदमी मेरे चूसने की तारीफ़ कर रहा था. अब वो झरने के बहुत करीबथा मैने पूरे ज़ॉरो से चूसना चालू रखा.

अब डिज़िल्वा ज़ॉरो से चिल्ला रहा था ‘आआआआआआआअहह आआआआआआआआआहह……’ और झरने ही वाला था. सारे वक़्त मैने अपनी आँखें डिज़िल्वा की आँखें से मिला कर रखी थी.

डिज़िल्वा का लंड मेरे मूह में थोडा और घुसा मुझे पता था कि उसका झरना शुरू हो गया हैं और अब इसका पानी मेरे मूह में निकलने वाला हैं अगले ही पल ‘आअहह.. आआअहह पी ले मेरा पानी रॅंड आआआअहह पूरा पी ले’ डिज़िल्वा चिल्लाया और उसके लंड से वीर्य निकलना शुरू हो गया. उसका वीर्य बिल्कुल गरम नमकीन लस्सी जैसा था और मैने पूरा पीने की ठान ली थी. मैं पागलो के तरह उसका लंड ज़ॉरो से चूस रही थी और वीर्य पी रही थी और में भी अब झार रही थी.डिज़िल्वा चिल्ला रहा था ‘पी ले साली रांड़ आआआआआआआहह....’ मैने पूरा पानी पीने की कोशिश की मगर बहुत ज़्यादा पानी था. दो या तीन मिनिट तक डिज़िल्वा चिल्लाता रहा. वो कहता रहा ‘रुक मत और ज़ोर से चूस आआआआआआहह....’ में भी सारे वक़्त ज़ॉरो से झार रही थी. इतनी देर तक मैं कभी नही झड़ी. में इतनी ज़ॉरो से झार रही थी की मेरी नज़र धुंधली हो गयी थी. डिज़िल्वा का इतना सारा वीर्य मैं पी गयी थी और वो फिर भी मेरे मूह में और निकाल रहा था. चूस्ते चूस्ते जब में उसका 6 इंच तक लंड मूह में लेती तो मूह मे वीर्य दबाव से मूह के साइड से बाहर निकलता और नीचे सरकने लगा. मेरा पूरा गला ऐसे गीला हो गया. मुझे वक़्त का कोई अंदाज़ा नही था. पता नहीं कितनी देर तक डिज़िल्वा अपना गाढ़ा वीर्य मेरे मूह में निकालता रहा और में पीती गयी. पर आख़िर उसके लंड ने झरना बंद किया और मेरा भी झरना बंद हुआ. मैने उसका लंड मूह से निकाला. उसके लंड पे काफ़ी सारा गाढ़ा वीर्य चिपका हुआ था. पता नही क्यूँ मगर मेरा दिल किया कि मैं वो सारा वीर्य चाट चाट कर उसका लंड सॉफ कर दू और मैने ऐसा ही किया. मैने उसके खड़े लंड को पड़के बिना अपनी जीब पूरी बाहर निकाल नीचे से उपर तक उसके सारे लंड को चाटने लगी. उसका लंड दो मिनिट मैं मैने पूरा सॉफ कर दिया पर फिर भी मैं उसे चाट ती रही. उसका लंड धीरे धीरे नरम हो गया में फिर भी चाट ती रही. मैं जैसे लंड की दीवानी हो गयी थी. लंड पूरा बैठ गया था और मेरी थूक से चमक रहा था. ‘मज़ा आया मेरी रानी’ यह कह के उसने अपना लंड छेद से निकाल दिया.

में इतनी ज़ोर से कभी नही झारी थी. दो मिनिट तक में ऐसे नीचे बैठी रही. फिर मैने अपना सिर उठा के छेद मे देखा तो पता चला कि डिज़िल्वा चला गया था. अब मैने अकेली टाय्लेट में थी. दो तीन मिनिट मैं मैने अपने कपड़े ठीक कर दिए और धीरे से दरवाज़ा खोल के देखा. टाय्लेट में कोई नहीं था. में दरवाज़ा खोलके ज़ोर से दौड़ पड़ी और मूत्रालय से निकल घर चली गयी. घर पे जाने के बाद मैं तबीयत खराब होने का बहाना कर के अपने बेडरूम में जा के लेट गयी. मेरे दिमाग़ में सिर्फ़ वो बड़े बड़े लंड थे. में चदडार के अंदर लेटी हुई थी और अपनी चूत से खेल रही थी. में सोचती रही के कैसे मैने इतना बड़ा लंड अपने मूह में लिया और कैसे मैने इतना सारा वीर्य पिया. यह सोच सोच कर में अपनी चूत से खेलती रही. पूरी शाम और सारी रात में चूत से खेलती रही, पता नही कितनी बार में झार गयी. इतना चूत को मसल्ने के बावजूद मुझे चैन नहीं आ रहा था.

अगले दिन स्कूल में भी यह ही हाल था. क्लास में बैठे बैठे मैं सिर्फ़ यह सोच ती रही कि कब स्कूल ख़तम हो और में फिर से उस टाय्लेट में जाउ. सारे वक़्त में सोचती रही कि वो टीचर उस लड़के की गांद कैसे मारेगा. आख़िर स्कूल ख़तम हो गयी. मैने देखा कि स्कूल ख़तम होते ही में विवेक के पीछे स्कूल से निकल गयी. पर वो बहुत तेज़ी से चल रहा था और आगे निकल गया. मुझे ऐसा लग रहा था कि उसे भी गांद मरवाने की जल्दी होगी.

मैं वो जेंट्स मूत्रालय तक पहुच गयी. दरवाज़ा खुला था. मैं धीरे से अंदर गयी. अंदर जाते ही मैने आवाज़ सुनी. ‘कैसी हो मेरी जान. फिर से लंड चाट ने आई हैं क्या ?. मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था’ मुझे आवाज़ से पता चल गया कि यह वो डिज़िल्वा था. वो करीब 45 साल का होगा. वो काफ़ी मोटा सा आदमी था. मुझे वो परेश रावल जैसा दिख रहा था. वो मुझे घूर के देख रहा था और में बहुत डर गयी थी. एक सेकेंड के लिए लगा कि में मूड के वाहा से भाग जाउ पर मुझे अंदर जा कर लड़के की गांद मर्राई भी देखनी थी. में झट से भाग के बीच वाले टाय्लेट में घुस गयी और दरवाज़ा बंद कर दिया. मैने अपने पीछे डिज़िल्वा को भी बगल के टाय्लेट में आते सुन लिया.

मैं बहुत डरी हुई थी. मैं फिर से कुतिया की तरह ज़मीन पे बैठ के बगल वाले टाय्लेट में छेद से देखने लगी और अंदर का नज़ारा देखते ही मेरा सारा डर गायब हो गया. विवेक ज़मीन पे बैठ टीचर के बड़े और काले बाल चाट रहा था. टीचर का काला लंड आधा खड़ा था और विवेक के चेहरे पे टीका हुआ था. अपने लंड को विवेक के चेहरे पर घिस रहा था. ‘अया.. ज़ोर से चाट मेरे बॉल को’ टीचर ने कहा. धीरे धीरे वो काला लंड कड़क हो कर खड़ा हो गया. टीचर दिखने में एकदम ही गंदा था, पूरा काला, सारे शरीर पर घने बाल, मोटा पेट, ऐसे आदमी से तो में आज से पहले बात भी नही करती. पर उसका मोटा और लंबा लंड मुझे उसका दीवाना बना रहा था. लंड देख कर मेरा जी चाह रहा था कि काश मुझे उस लंड को चूसने को नसीब हो. ‘चल अब घूम जा’ टीचर ने कहा. लड़का घूम के कुत्ते के जैसे हो गया. टीचर ने अब अपने मूह से अपने लंड पे दो तीन बार थुका और वो थूक अपने हाथ से लंड पे फैलाने लगा. फिर उसने लड़के की गांद को दोनो हाथों से फैलाकर उसके गांद के छेद पे भी थूक दिया. टीचर अब लड़के की गांद दोनो हाथो से मसल रहा था और अपना पूरा लंड गांद के बीच घिस रहा था. विवेक ‘आआआआअहह..... आआआआआहह’ कर के सिसकियारी भर रहा था.

‘मज़ा आ रहा हैं ?’ टीचर बोला

‘हां टीचर जी’

‘लंड चाहिए अपनी गांद में ?’

‘हां टीचर पर धीरे से प्लीज़’

‘तो ये ले’ ......

‘तो यह ले’ ऐसा कह कर टीचर ने अपना लंड विवेक के गांद के छेद पे रख के एक झटका दिया और उसका दो इंच तक लंड गांद में घुस गया.

‘आाऐययईईईईईई’ विवेक ज़ोर से चीखा.

‘आआआआअहह.... क्या टाइट गांद हैं’ यह कह कर टीचर ने और एक धक्का दिया और उसका लंड 4 इंच तक गांद में घुस गया. विवेक फिर से चिल्लाया. ‘चिल्लाना बंद कर साले कुत्ते’. टीचर अब लंड 4 इंच तक अंदर बाहर कर रहा था. मैने देखा कि विवेक का भी लंड खड़ा था. शायद उसे दर्द के साथ साथ मज़ा भी आ रहा होगा.

क्रमशः..........
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11-11-2017, 12:09 PM,
#3
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 3

गतान्क से आगे.............

दस मिनिट तक टीचर ऐसे ही उसकी गांद मारता रहा फिर उसने पूछा ‘अब ठीक हैं?’. विवेक ने सर हां में हिलाया. टीचर ने अपना लंड लगभग पूरा बाहर निकाल एक और धक्का लगाया और उसका 6 इंच तक लंड अंदर घुसेड दिया. विवेक फिर से चिल्लाया अब कुछ देर तक टीचर ने विवेक की 6 इंच तक गांद मारी. ‘अब नहीं रहा जाता’ ऐसे कह कर टीचर ने फिर से लगभग पूरा लंड निकाल के एक तगड़ा झटका और मारा. लंड पूरा विवेक की गांद चीरते हुए अंदर तक चला गया. झटका इतना ज़ोरदार था कि विवेक के हाथ फिसल गये और वो गिर पड़ा. अब वो ज़मीन पर पेट तले सीधा लेटा हुआ था और चीख रहा था. टीचर का पूरा लंड उसके गांद में घुस गया था और वो ‘आआअहह आआआआआआआहह’ की आवाज़े निकाल के मज़े ले रहा था. दो मिनिट तक टीचर ने अपना पूरा लंड विवेक की गांद में रखा, विवेक ने भी चीखना बंद किया. अब टीचर ने लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. टीचर का मोटा लंबा और काला लंड विवेक की छोटी सी गोरी गांद में घुसता देख मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं जानती थी कि वो देसील्वा बाजू की टाय्लेट से मुझे देख रहा हैं पर मुझे अब बहुत सेक्स चढ़ गया था. मैने अपना स्कर्ट उपर कर लिया और अपनी पॅंटी के उपर से ही अपने गांद के छेद पे उंगली रख कर ज़ॉरो से मसल्ने लगी.

टीचर ने अब ज़ोर से विवेक की गंद मारना शुरू कर दिया था. विवेक ज़मीन पे पेट तले सीधा लेटा था और टीचर के धक्कों से ज़मीन पे आगे सरक रहा था. उसको सरकने से रोकने के लिए टीचर ने अपने एक हाथ से उसके बाल पकड़ के उसको खीच लिया. दूसरा हाथ टीचर ने उसके चेहरे पे रख के दो उंगलियाँ उसके मूह में डाल दी ताकि वो चीखना बंद कर दे. अब टीचर ज़ॉरो से विवेक की गांद में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. टीचर कोई जंगली जानवर जैसा लग रहा था. एक तो वो इतना काला, मोटा और घने बाल वाला था उपर से उसका मूह खुला था, जीब थोड़ी सी बाहर थी और उसके मूह से थोड़ी थोड़ी थूक टपक रही थी. ऐसा लग रहा था कि गांद मारके उसे इतना मज़ा मिल रहा हो कि वो बाकी सब सूदबुध गवाँ बैठा हो. वो आवाज़े भी जानवर जैसी निकाल रहा था ‘आआआआआआहह.. आआआआआहह’ . हरेक धक्के पे वो विवेक के बाल खिचके उसे सरकने से रोक लेता. वो विवेक को ऐसे ही ज़ोरदार पंद्रह मिनिट तक चोद्ता रहा. फिर अचानक वो और ज़ोर से ‘आआआआआअहह… आआआआआआअहह’ करके चिल्लाने लगा और बहुत ही तेज़ी से गांद मारने लगा. विवेक का, इतनी ज़ोर की चुदाई ले कर बुरा हाल हो गया था. टीचर अब झार रहा था और अपना वीर्य लड़के की गांद में निकाल रहा था. टीचर ने विवेक के बाल इतनी ज़ोर से खीच के रखे थे कि उसका सर उपर हो गया था और मुझे उसकी छाती और पेट नज़र आ रहा था. वो अपने दोनो हाथ से टीचर का हाथ अपने बालो से हटाने की कोशिश कर रहा था पर टीचर तो अब झार रहा था और विवेक की उसे कोई परवाह नही थी.गांद में लंड इतना टाइट था कि वीर्या के लिए भी जगह नही थी और हरेक धक्के पे वीर्य फुट के पिचकारी की तरह गांद से बाहर निकल आता. टीचर ऐसे ही ज़ॉरो से तीन या चार मिनिट तक लड़के को चोद्ता रहा और झरता रहा. दोनो चिल्लाते रहे. विवेक दर्द से और टीचर खुशी से. आख़िर टीचर ने चोदने का ज़ोर थोडा कम किया और लड़के के बाल छोड़ दिए. विवेक ज़मीन पर अब सीधा लेट गया. टीचर भी झार चुक्का था और विवेक के उपर लेट गया.

दो मिनिट बाद टीचर ने अपना लंड निकाल दिया और साइड पे पीठ लगाके बैठ गया. उसका लंड अभी भी पूरा खड़ा था और अपने वीर्य से चमक रहा था. विवेक का हाल बुरा था फिर भी वो कैसे भी करके ज़ोर लगाके अपने घुटनो और हाथ तले हो कर टीचर के लंड के पास जाके उसका वीर्य लंड से चाट चाट सॉफ करने लगा. अब मुझे लड़के की गांद दिखाई दे रही थी. टीचर की चुदाई से उसकी गांद का छेद और उसके आस पास की सारी चमड़ी टमाटर की तरह लाल हो गयी थी. टीचर का लंड विवेक ने अब चाटके सॉफ कर दिया था. में अब अपनी पॅंटी के उपर से ही अपनी चूत और गांद पे अपना हाथ रगड़ रही थी. में उस काले लंड को चाटना और चूसना चाह ती थी.

तभी वो डिज़िल्वा की आवाज़ सुनाई दी. ‘सुन अकेले अकेले कब तक खुद से खेले गी. तुझे एक बड़े लंड की ज़रूरत है.’

अचानक आवाज़ सुनके मैं खड़ी हो कर घूम गयी.

‘असली मज़ा लेना हैं तो मुझे अंदर आने दे’

‘नहीं’ मैने कहा.

‘तुझे उंगलियों की नहीं इसकी ज़रूरत है’

यह कह के उसने अपना लंबा लंड साइड के छेद में से डाल कर मेरे सामने रख दिया और कहा.

‘यह देख मेरे पास तेरे लिए क्या हैं’

लंड देख के मेरा हाथ अपने आप उसकी तरफ बढ़ गया, लेकिन में उसे पकड़ने ही वाली थी कि उसने लंड पीछे खीच लिया.

‘इतनी आसानी से नहीं मेरी जान, लंड चाहिए तो दरवाज़ा खोल के मुझे अंदर आने दे’

‘नहीं मुझे डर लगता हैं. मैने कभी सेक्स नही किया, मैं कुँवारी हूँ’

‘डरती क्यों हैं मेरी जान, मैं तुझे नहीं चोदुन्गा, मेरा लंड कल चूसा था वैसे ही आज भी चूस लेना. बदले में में भी तेरी चूत चाट लूँगा’. उसकी चूत चाटने की बात सुनकर मेरे मन में एक उत्सुकता सी आ गयी. किसी मर्द की जीब मेरे चूत को चाते ये सोच कर मेरा मनोबल टूट गया.

‘ठीक हैं’ मैने कहा.

मेरी सेक्स की भूक मेरे डर से ज़्यादा थी मैं सेक्स की पुजारन बन चुकी थीऔर मैने घबराते हुए दरवाज़ा खोल दिया.

मैने दरवाज़ा खोल दिया. सामने डिज़िल्वा खड़ा था उसने अपनी पॅंट उपर कर ली थी. मेरे दरवाज़ा खोलने पर तुरंत वो अंदर आ गया और दरवाज़ा बंद कर लिया उसने मुझे अपनी बाँहो में जाकड़ लिया और अपनी जीभ से पागल कुत्ते की तरह मेरे चेहरे को चाटने लगा ‘हाई क्या चिकनी है तू, चखने दे मुझे’. उसके मूह से बदबू आ रही थी फिर भी जाने क्यूँ मुझे एक अलग सा मज़ा आ रहा था. वो अपनी जीब पूरी बाहर कर के मेरे होटो को, मेरे गालों को चाट रहा था. उसने अपनी जीभ से चाट चाट कर मेरा पूरा चेहरा गीला कर डाला. फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठो से लगा दिए और अपनी जीब मेरे मूह में डाल दी. दो मिनिट तक वो मुझे ऐसे ही चूमता रहा. उसने मुझे अपनी बाहों में ले कर ऐसे जकड़ा था कि मेरा सारा बदन उसके बदन से चिपक गया था. मेरे बूब्स उसकी छाती पे दब रहे थे और मुझे उसका लंबा लंड अपने पेट पे महसूर हो रहा था. फिर उसने अपना मूह अलग करके अपनी जीब पूरी बाहर निकाली और कहा ‘यह ले इसे छुओ’. मैने अपने होंठ खोलके उसकी जीब को अपने मूह में अंदर लिया और उसे चूसने लगी. मैं ऐसे ही उसकी जीब को कुछ देर चूस्ति रही. उसने मेरा स्कर्ट उठा कर मेरी पॅंटी में दोनो हाथ डाल दिए और मेरी गांद मसल्ने लगा. फिर उसने मुझे अपनी जीब पूरी बाहर निकालने को कहा. मेरी जीब बाहर निकलते ही उसने अपने होटो से उसको चूसना शुरू कर दिया. फिर उसने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करके मेरे गले को चूमने लगा. मेरे मूह से सिसकारिया निकलने लगी. उसने मेरी पॅंटी खिच के फाड़ दी और फिर से मेरी गांद मसल्ने लगा. उसने अब मेरी गांद मसल्ते मसल्ते एक उंगली गांद के छेद पे रख दी. मेरे सारे बदन मे एक करेंट सा हो गया. उसने एक झटके से मेरी गांद में अपनी उंगली डाल दी. में चीख पड़ी

‘आआऐईई. निकालो अपनी उंगली’.

‘साली नखरे मत दिखा’कहते हुए उसने अपनी उंगली मेरी गांद में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मुझे असल में तो बड़ा मज़ा आ रहा था पर मेने फिर भी कहा

‘प्लीज़ निकालो अपनी उंगली, यह गंदी बात हैं’

‘गंदी बात हैं इसी में तो मज़ा है मेरी जान’

उसने अपने दूसरे हाथ से अपनी पॅंट का बटन खोल कर पॅंट उतार दी, और मेरा हाथ लिए अपने लंड पर रख दिया. मुझे अपने हाथ में इतना बड़ा लंड लेके बहुत आनंद आ रहा था. उसका लंड एकदम गरम और कड़क था. मेने उसके लंड को पकड़ के हिलाना शुरू कर दिया. वो मुझे ज़ोर ज़ोर से चूम और चाट रहा था. कभी मेरे होंठो को चूमता और कभी मेरे चेहरे को चाट लेता. उसकी अब पूरी उंगली मेरी गांद के अंदर बाहर हो रही थी. उसने अब एक हाथ से मेरी टॉप के बटन खोलना शुरू किया. एक हाथ से बटन नही खोल पाने पर वह जंगली की तरह मेरा टॉप खिचने लगा. तीन चार झटके में मेरे बटन टूट गये और मेरा टॉप फॅट गया. उसने मेरे टॉप को मेरी फटी हुई पॅंटी के बाजू में ज़मीन पे डाल दिया. मेरी ब्रा में मेरे बड़े बूब्स देख कर उसकी आँखें फैल गई और उसका चेहरा ऐसा हो गया जैसे कोई भूखा कुत्ता हो. उसने ज़ोर से मेरी ब्रा खिच के निकाल दी. मेरे बूब्स मेरे ब्रा के चंगुल से बाहर हो गये. अब वह मेरा एक बूब अपने मूह मे लेके ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे वो पूरा बूब अपने मूह में समाने की कोशिश कर रहा था. दूसरे बूब को वो जोरो से मसल रहा था. मुझे तो जन्नत मिल गयी थी. अब में ज़ोर ज़ोर से ‘ऊयूयुवयन्न म्‍म्म्ममह’ करके सिसकारिया भर रही थी. मेरी गांद में उंगली और बूब की छूसा से ऐसा मज़ा मिल रहा था जो मैने पहले कभी नही पाया था.

तभी मेरी नज़र टाय्लेट के साइड के चेड मे पड़ी. दो अलग छेद से दो लोगो की आँखें दिखाई दे रही थी. साइड के टाय्लेट से विवेक और टीचर मुझे देख रहे थे. मैने सोचा कि कैसे मुझे देख कर दोनो अपने लंड को हिला रहें होंगे. यह सोच कर मुझे और मज़ा आने लगा. मैने बेहया होके उन दोनो की आँखों में आँखे मिला दी और देखती रही. मेरी बेशर्मी से में भी हैरान थी. पर वो सब सोच मेरे दिमाग़ से काफ़ी देर पहले ही जा चुकी थी. मुझे तो अब सिर्फ़ अपनी हवस की आग भुजानी थी. में डिज़िल्वा के लंड को और ज़ोर से हिलाने लगी. अब में सिर्फ़ अपने स्कर्ट में थी और डिज़िल्वा सिर्फ़ अपनी शर्ट पहने हुआ था. वो मुझको अपने से दूर हटा कर अपनी शर्ट निकालने लगा. में भी अब उसके लिए पूरी नंगी होना चाहती थी और झट से अपना स्कर्ट निकाल के पूरी नंगी हो गयी. डिज़िल्वा मुझसे दूर खड़ा रहा और अपने लंड को सहलाते हुए मेरे नंगे जवान बदन को उपर से नीचे देखता रहा उसके चेहरे पे एक हल्की सी मुस्कान थी. मेरी नज़र उसके मोटे लंड पे थी. मैने हिम्मत करके अपनी आँखे डिज़िल्वा की आँखों से मिला दी. मेरा सारा बदन गरम हो गया था. डिज़िल्वा को देखते हुए मैं अपने दोनो हाथ अपने बूब्स पे रख अपने बूब्स को मसल्ने लगी और उंगलियो से अपने निपल को खीचने लगी. इतनी बेशरम हरकत करके मुझे मज़ा आ रहा था. तीन लोगों की नज़र मेरे जवान नंगे बदन पे थी और यह सोच कर मेरी गर्मी और बढ़ रही थी.

बगल के टाय्लेट में टीचर और विवेक अपने खड़े लंड को सहला रहे थे. टीचर का एक हाथ विवेक की गांद को मसल रहा था. दोनो मुझे नंगा देख पागल हो रहे थे. विवेक को अपनी आँखों पे विश्वास नही हो रहा था. वो सोच रहा था कि स्कूल की सबसे सुंदर लड़की जिसपे सब लड़के मरते थे और जो किसी भी लड़के से बात भी नही करती थी अब अपने जवान, नंगे बदन की नुमाइश कर रही थी. जैसे कि वो कोई रांड़ हो. और वो भी ऐसे गंदे और मोटे पेट वाले आदमी के लिए.उसके भेजे मे यह बात नहीं आई कि वो मोटे आदमी के पैरों के बीच एक मोटा लंड भी था.

मैं यहाँ अपने बूब्स को दबाती रही और डिज़िल्वा को देखती रही. उसकी नज़रो से नज़रे मिला के अपने बूब्स को दबाना मुझे बहुत अछा लग रहा था.

‘अब मुझसे रहा नही जाता’ यह कह के डिज़िल्वा मेरी तरफ आगे बढ़ा…..

मैं पूरी नंगी हो कर डिज़िल्वा के सामने अपने बूब्स दबा रही थी. ये नज़ारा देख डिज़िल्वा से रहा नही गया और वो ‘अब मुझसे रहा नही जाता’ कह के मेरी तरफ बढ़ा.

मेरे पास आके डिज़िल्वा ने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से जाकड़ लिया. मेरा सोलाह साल का नंगा जिस्म अब डिज़िल्वा के चंगुल में था. दोनो के बदन एक दूसरे से चिपक गये थे. मेरे बड़े बूब्स डिज़िल्वा की छाती से चिपके थे और उसका लंबा लंड मेरे पेट पे चिपका हुआ था. डिज़िल्वा ने अपना एक हाथ मेरी गांद पे रख अपनी एक उंगली गांद के अंदर डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. इस बार मेरे मूह से कोई शिकायत नहीं निकली सिर्फ़ ‘आआआआहह... आआआआआहह’ की सिसकी निकली. वो अपने दूसरे हाथ से मेरे सर को पीछे से पकड़ अपनी तरफ खीच रहा था. उसने अब अपने होंठ को खोल के अपनी जीब थोड़ी बाहर निकाल मेरे होंठो की तरफ लाना शुरू किया मेने भी अपने होंठ थोड़े खोल दिए. उसके होंठ मेरे होंठो को छूते ही मेरे बदन में एक करेंट सा फैल गया. उसने अपने होंठ ज़ोर से मेरे होंठो से लगा दिए थे और चूस रहा था. उसने अपनी जीब पूरी मेरे मूह के अंदर डाल दी. मैं भी अपनी जीब को आगे कर उसकी जीब के साथ रगड़ने लगी. मेरे ऐसा करने से वो और उत्तेजित हो गया और उसने मुझे और ज़ोर से जकड़ा और अपना शरीर मेरे बदन पर घिसने लगा. ऐसा करने से उसका लंड मेरे पेट पे रगड़ने लगा. मेरे बूब्स भी उसकी छाती पे ज़ोर से रगड़ रहे थे और उसकी छाती के बाल मेरे निपल्स को छू रहे थे, इश्स से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. हम दोनो के चूमने और एक दूसरे की जीब को रगड़ने से हमारे मूह से थूक बह रही थी और ये थूक टपक टपक ने नीचे मेरे बूब्स पे गिर रही थी. डिज़िल्वा को मुझ जैसी जवान और चिकनी लड़की को चूमने में बहुत मज़ा आ रहा था और वो ऐसे ही तकरीबन दस मिनिट तक जाकड़ के मुझे ज़ॉरो से चूमता रहा. में भी अब मस्त हो गयी थी और उसकी जीब को अपनी जीब से ज़ोर से रगड़ रही थी. हमारे मूह से इतनी थूक तपकी के मेरे बूब्स और डिज़िल्वा की छाती बहुत गीले हो गये थे. गीले होने के कारण मुझे अब अपने बूब्स का उसकी छाती पे रगड़ना और मज़ा आ रहा था.

दस मिनिट तक मुझे ऐसे चूम्के डिज़िल्वा ने अब मेरे होंठो से अपने मूह अलग किया और मेरे गले को चाटने लगा. में अब बिल्कुल बेकाबू हो गयी थी. मुझे डिज़िल्वा से अपनी चूत चटवानी थी. मैने अपने दोनो हाथ उसके सिर के उपर रख उसका सिर नीचे धकेलना शुरू कर दिया. मुझ में इतनी ताक़त तो थी नही पर डिज़िल्वा समझ गया कि मुझे क्या चाहिए. उसने मेरे गले से मूह हटा दिया.‘चूत चटवानी है ?’ वो मुस्कुरा के बोला

क्रमशः..........
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11-11-2017, 12:09 PM,
#4
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 4

गतान्क से आगे.............

मैने कुछ कहा नहीं पर उसका सर नीचे धकेल्ति रही. आख़िर मुझ पे तरस खा के वो अपने घुटनो तले ज़मीन पे बैठ गया. ज़मीन पे बैठ के उसने अपने होंठो से मेरे पेट को चाटना शुरू कर दिया. मुझसे अब और बर्दाश्त नही हो रहा था और में अपने दोनो हाथो से उसके सिर को नीचे धकेल रही थी और अपने पैरो को उपर कर रही थी. आख़िर डिज़िल्वा ने मुझ पे तरस खा ही लिया और मेरा एक पैर उठा के उसके कंधे पे रख दिया. उसने झट से मेरी चूत पे अपने होठ रख दिए और चूमने लगा. में खुशी से चीख पड़ी ‘आआईयईईईईई..’. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि चूत चटवाने मे इतना मज़ा आता हैं. डिज़िल्वा अब मेरी चूत को चूमे जा रहा था. मैं दोनो हाथो से उसका सर पकड़ मेरी चूत की तरफ खीच रही थी. डिज़िल्वा ने अब अपना मूह खोल के अपनी जीब बाहर निकाली और एक झटके में मेरी चूत में घुसेड दी. मेरी चूत में आज तक मेरी उंगलियो के सिवा कुछ भी नही गया था. डिज़िल्वा की गरम और गीली जीब को अपनी चूत में पा कर मैं पागल हो गयी. मैं ‘आआआआआहह....आआआआआआअहह’ कर के आवाज़े निकालने लगी. डिज़िल्वा ने जीब को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं मदहोश हो गयी थी और उसका सर अपने हाथो से पकड़ अपनी चूत उसके चेहरे पे रगड़ रही थी. मेरे सारे बदन में सनसनी फैल गयी थी. मैं झरने ही वाली थी.

डिज़िल्वा ने अब मेरा दूसरा पर भी उठा लिया और उसके दूसरे कंधे पे रख डाला. मेरी दोनो जांघे अब उसके कंधे पे थी और दोनो पैर हवा में थे, मेरी पीठ दीवार पे थी और मैं जैसे अपनी चूत ठेले उसके चेहरे पे बैठी थी. डिज़िल्वा अब अपनी पूरी जीब मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था. में झार ने लगी. मैने उसका सर अपने हाथो से पकड़ लिया और अपनी गांद उछाल, उछाल के अपनी चूत उसके चेहरे पे ज़ोर से घिसने लगी. मेरे सारे बदन में सनसनी फैल गयी थी. तीन या चार मिनिट तक मैं ऐसे ही ज़ोर से झरती रही. डिज़िल्वा ज़ॉरो से मेरी चूत को अपनी जीब से चोद्ता रहा. आख़िर मेरा झरना बंद हुआ और डिज़िल्वा ने मुझे कंधो से उतार दिया.‘मज़ा आया मेरी जान’ मैने अपना सर हां में हिलाया. मैं ज़ॉरो से साँस ले रही थी. इतनी ज़ोर से झार के में थक गयी थी.

‘अब तेरी बारी हैं मेरी रानी मेरा लंड चुसेगी ?’ मुझे बहुत शरम आ रही थी ऐसी गंदी बात सुनकर. मैने अपना सिर हां में हिलाया. उसने अब मेरे कंधो पे ज़ोर देके नीचे घुटनो तले बैठा दिया. और तुरंत ही अपना लंड मेरे मूह में डाल दिया. मैने अपना मूह पूरा फैलाया और उसका लंड चूसने लगी. पूरा ज़ोर लगा के मैने 6 इंच तक का लंड मूह मे ले लिया और उसे चूसने लगी. डिज़िल्वा ने दोनो हाथ से मेरा सर पकड़ लिया और मुझे रोक कर कहा.

‘पूरा लंड लेगी मेरा मूह में ?’. उसके चेहरे का आभास डरावना था. मुझे समझ में आ गया कि वो मज़ाक नही कर रहा था.

‘कल तूने अछा चूसा था मेरा लंड पर अब में तुझे दिखाता हूँ कि 10 इंच का लंड पूरे का पूरा कैसे चूसा जाता हैं’. यह कह कर डिज़िल्वा ने अपना लंड मेरे मूह में धीरे धीरे घुसेड़ना शुरू किया. मैने उसको अपने हाथो से दूर करने की कोशिश की पर उसने बहुत ज़ोर से मेरा सर पकड़ा था. उसका लंड अब 7 इंच तक मेरे मूह मे था. मूह में ज़रा भी जगाह बाकी नही थी फिर भी डिज़िल्वा मेरा सर पकड़ लंड आगे धकेल्ता रहा. अब लंड मुझे मेरे हलक में घुसते हुए महसूस होने लगा. मैं ज़ोर से डिज़िल्वा को मारती रही पर उसपे कोई असर नही था. उसने अपने लंड को आगे बढ़ाना जारी रखा. मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे पर डिज़िल्वा बेरहमी से लंड आगे धकेलते गया. अब उसका 10 इंच का लंड पूरा मेरे मूह में था. मुझे अपने गले में उसका लंड महसूस हो रहा था. मुझे ख़ासी आ रही थी पर में ख़ास भी नही सकती ती. मेरे जबड़े और मूह में अब बहुत दर्द हो रहा था और मैं चीखना चाहती थी पर चीखती भी कैसे.मैं अपने हाथ ज़ोर ज़ोर से डिज़िल्वा पे मार रही थी और अपना सर उसके लंड से दूर लेने की कोशिश कर रही थी पर उसने अपने दोनो हाथो से मेरा सर पकड़ के रखा था. उसने मेरे सिर को अपनी तरफ इतना खीच लिया था कि मेरा चेहरा अब उसके पेट पे दब रहा था. पूरा लंड मूह में होने के बावजूद भी वो मेरा सर अपनी तरफ ओर खीच रहा था.

वो अब अपने लंड से मेरे मूह में धक्के लगाने लगा. वो सिर्फ़ एक आध इंच लंड बाहर निकालता और फिर उसे अंदर घुसेड देता. वो ऐसा दस मिनिट तक मेरे मूह को चोद्ता रहा. मेरा दर्द कम हनी का नाम नहीं ले रहा था. दस मिनिट बाद अचानक उसने अपना लंड लगभग पूरे का पूरा निकाल दिया. एक सेकेंड के लिए मेरे दिल में थोड़ी सी राहत हुई पर अगले ही पल उसने पूरा लंड फिर से अंदर डाल दिया. अब वो मेरे मूह को अपने पूरे 10 इंच लंड से ऐसे ही चोदने लगा. हर बार वो अपना लंड बाहर लेता मैं ज़ोर से खाँसती पर दूसरे ही सेकेंड वो लंड फिर मेरी मूह में होता. अब मैने हार मान के अपने हाथ नीचे कर लिए थे. दर्द इतना बढ़ गया था कि मुझे लग रहा था कि में शायद बेहोश हो जाऊंगी.

पता नही कितनी देर उसने मेरे मूह को ऐसे ही अपने 10 इंच के लंड से चोदा. आख़िर उसका झरना शुरू हुआ और वो कुत्ते की तरह और तेज़ी से मेरे मूह को चोदने लगा. इससे मेरा दर्द और भी भाड़ गया और मैने फिर से उसको हाथों से मार के दूर करने की कोशिश की. हरेक धक्के पे मेरे जबड़े से होकर मेरे सारे बदन में एक दर्द फैल जाता. वो आवाज़े निकालने लगा ‘आआआआहह…. आआआआआअहह…..’. उसके लंड से वीर्य बहने लगा. उसका लंड झटके मारते मारते वीर्य छोड़ता रहा.उसका लंड मेरे गले के अंदर तक था और मेरे निगले बिना ही सीधा अंदर चला गया. वो तकरीबन 3 या 4 मिनिट तक झरता रहा. सारे वक़्त में डिज़िल्वा को अपने हाथो से मार मार के अपने से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन इससे उसको और मज़ा मिल रहा था. उसके झरने के बाद उसकी पकड़ कुछ कमज़ोर हुई और में अपना मूह उससे दूर करने में कामयाब हो गयी. मूह से लंड निकालने के बाद मैं ज़मीन पर तक के गिर पड़े और अब रो रही थी और ज़ॉरो से खांस रही थी. ख़ास खाते खाते मेरे मूह से थूक के साथ डिज़िल्वा का वीर्य भी निकल रहा था. में कुछ देर ऐसे ही खांस. रही. मेरी खाँसी बंद हुई तो देखा की डिज़िल्वा ने कपड़े पहेन लिए थे. ‘कल यहाँ मिलना इसी वक़्त’ ऐसा कह के वो चला गया. में उसपे चिल्ला ना चाहती थी पर दर्द के मारे मेरे मूह से आवाज़ भी नही निकल रही थी.

में वहाँ ज़मीन पर ही लेटी रही. मुझ में अब खड़े होने की ताक़त नहीं थी. मेरा मूह, जबड़ा और गला ज़ॉरो से दर्द कर रहा था. बाजू की टाय्लेट से मुझे टीचर और लड़के की आवाज़ आई.विवेक मेरे मूह की चुदाई देख झार गया था पर टीचर का लंड अभी भी टाइट हो कर खड़ा था. उसने कहा. ‘चल घूम जा’विवेक की गांद अभी भी चुदाइ से लाल थी.

‘नहीं सर प्लीज़. मुझे अभी भी दर्द हो रहा है’

टीचर अब खड़ा हो गया था. ‘ज़्यादा नखरे मत कर मादेर्चोद’ उसने विवेक को खड़ा कर लिया और उसका हाथ पकड़ के मोड़ दिया. हाथ ऐसे मोड़ने पे वो घूम गया. टीचर ने उसको आगे धकेल के दीवार से चिपका दिया और पीछे से आ कर अपना लंड उसके गांद पे रख ज़ोरदार धक्का लगाया. लंड गांद को चीरते हुए अंदर घुस गया. टीचर अब विवेक की खड़े खड़े गांद मार रहा था. हरेक धक्का इतना ज़ोरदार था कि विवेक के पैर हवा में उछाल. जाते. वो ज़ोर से चीख रहा था...

मैं टाय्लेट की ज़मीन पर लेटी हुई थी और विवेक की चीख सुन रही थी. मेरी ऐसी हालत मे भी मुझे वो चुदाई सुन कर मज़ा आ रहा था. मैं चुदाई सुनते सुनते वैसे ही ज़मीन पर लेटी रही. कुछ देर बाद टीचर लड़के की गांद में झार गया. उस के बाद दो मिनिट बाद दोनो वहाँ से चले गये. कुछ देर और लेटी रहने के बाद मैं धीरे से खड़ी हो गयी और अपने कपड़े पहेन लिए. मेरे शर्ट के एक दो बटन बाकी थे और मैने वो लगा दिए और वहाँ से निकल घर चली गयी. घर जा कर मैने अपने शर्ट के बटन सी लिए और मेरी मा के घर आने से पहले ही सोने को चली गयी. मेरे जबड़े में इतना दर्द था कि मुझे सारी रात नींद नहीं आई. अगले दिन में स्कूल नहीं जा पाई. घर पे कह दिया कि तबीयत नहीं अछी पर असल में दर्द के मारे मेरा हाल बुरा हो रहा था. मेरे मूह और जबड़े में दर्द तो था लेकिन सारे वक़्त मेरे दिमाग़ में सिर्फ़ डिज़िल्वा का मोटा लंड था. घर के नौकर को मैने बाहर भेज दिया और अकेली घर में नंगी हो कर बिस्तर पर अपनी चूत से खेलती रही. मैं सोचती रहती कि अगर डिज़िल्वा का कहना मानकर में टाय्लेट में उससे फिर से मिली होती तो वो मेरे साथ क्या क्या करता. यह सोच सोचते सोचते में झार जाती. झरने के वक़्त में ज़ॉरो से चिल्ला.. ऐसे ही ना जाने कितनी बार में झार गयी. मेरे दिमाग़ में अब सिर्फ़ चुदाई थी.

मेरे मूह और जबड़े का दर्द तीन दिन तक नही गया. आख़िर किसी को शक ना हो इसलिए में डॉक्टर के पास चली गयी. डॉक्टर से कहा कि मेरे पैरों में मोच हैं और दर्द कम करने की दवाई ले ली. आख़िर मुझे थोड़ा अछा लगने लगा. पाँच दिन बाद मेरा दर्द चला गया और में स्कूल जाने के लिए तैयार हो गयी. उन पाँच दिनो मैने सिर्फ़ लंड के बारे मैं सोचा और ना जाने कितनी बार झार गयी. अब सेक्स की पुजारन बन गई थी

में जब स्कूल में अपनी क्लास में पहुचि तो पता चला कि मेरी बगल की सीट विवेक ने ले ली थी. क्लास शुरू होते ही उसने मुझ से कहा ‘सुना हैं तुम्हारी तबीयत खराब थी ? अभी ठीक हो ?’

‘हां अभी ठीक हूँ’

‘तुम्हे पता हैं मैने तुम्हे टाय्लेट मे देखा था’

‘हां पता है’

‘उस मदरचोड़ ने तुम्हारे साथ बहुत गंदा सलूक किया’ ऐसा कह कर विवेक मेरे और नज़दीक आ गया. हम क्लास की पिछली वाली सीट पे बैठे थे इस लिए कोई हमे देख नही सकता था.

‘आज लंच टाइम पे स्पोर्ट्स टीचर ने तुम्हे अपने ऑफीस में बुलाया है’. विवेक के यह कहने से मेरे मन में लड्डू फूटने लगे. टीचर का वो मोटा काला लंड मेरे दिमाग़ में आ गया.

विवेक ने अब मेरा हाथ ले के अपने लंड पे रख दिया. मैं पॅंट के उपर उपर से उसे सहलाने लगी. उसने अपनी ज़िप खोलदी और अपना लंड बाहर निकाला. उसका लंड लगभग 4 इंच का होगा और उसी की तरह पतला था. मैने उसके लंड को पकड़ लिया और उससे धीरे से हिलाने लगी. लंड हिलाते दो मिनिट भी नही हुए थे कि विवेक अपना हाथ मेरे हाथ पे रख ज़ोर से लंड को हिलाने लगा और झार गया.

‘टीचर ने कहा हैं कि लंच टाइम तक मैं तुम्हारा अच्छा ख़याल रखू’ यह कह के विवेक ने अपना हाथ मेरे स्कर्ट के अंदर डाल दिया और मेरी जाँघ. को सहलाते सहलाते मेरी चूत तक पहुच गया. पॅंटी के उपर उपर से वो मेरी चूत को सहलाने लगा. मुझे मज़ा आ रहा था.

लंच टाइम होने तक विवेक ने मेरी चूत को सहला सहला कर मुझे पागल सा कर दिया था. मुझे अब टीचर के लंड की भूक थी. मेरे पूरे बदन में अब सेक्स चढ़ गया था. लंच होने पे विवेक टीचर के ऑफीस में चला गया और मुझसे पाँच मिनिट बाद आने को कहा. पाँच मिनिट में मैने टीचर के ऑफीस में प्रवेश किया.अंदर का नज़ारा देख में दंग रह गयी.....

टीचर अपनी ऑफीस में डेस्क के पीछे बैठा था. उसके साइड में विवेक पूरा नंगा होकर अपने घुटनो तले ज़मीन पे बैठा था. उसके गले में कुत्तो को पहनाने वाला पट्टा था.

‘आओ मानसी. दरवाज़ा ज़रा बंद कर दो.’ मेने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.

‘मेरा नाम. वेंकट हैं. मैं तुम्हारी क्लास को नही पढ़ाता हूँ.’ उसने मुझे विवेक को देखते देखा और मुस्कुरा के कहा

‘और यह मेरा पालतू कुत्ता हैं. अगर तुम्हे अछा लगे तो तुम इससे खेल सकती हो’

मैने कुछ नहीं कहा. मुझे बहुत शरम आ रही थी. ‘बैठो मानसी. अपने जूते उतार दो’ मैने जूते उतार दिए और रूम के दूसरे कोने में जो कुर्सी थी उस पे बैठ गयी. मेरे बैठते ही विवेक अपने हाथ और घुटनो के बल मेरे पास आ गया और मेरे पैर चाटने लगा. मुझे थोड़ी गुदगुदी हो रही थी पर मज़ा भी आ रहा था.

‘लगता हैं तुम मेरे कुत्ते को बहुत अछी लग गयी हो’ टीचर ने हसके कहा ‘पर तुम हो ही ऐसी’. विवेक ने अब मेरे पैर की उंगलियाँ अपने मूह में लेके चूसना शुरू कर दिया था. मुझे अच्छा लग रहा था और मेरी चूत में गर्मी बढ़ रही थी.

तब टीचर ने कहा ‘कुछ दिन पहले में जेंट्स टाय्लेट में अपने कुत्ते को ट्रैनिंग दे रहा था तो मैने देखा कि तुम भी वाहा थी. तुम भी शायद कुछ ट्रैनिंग ही ले रही थी’ टीचर मे मुस्कुराते हुए कहा. ‘क्या तुम्हे पता हैं कि हम तुम्हे देख रहे थे’. मेने अपना सिर हां में हिलाया. ‘क्या तुमने मुझे कुत्ते को ट्रैनिंग देते हुए देखा’. मैने फिर से हां में सिर हिलाया.

‘मज़ा आया हमे देख के ?’

‘जी हां’. टीचर ने अपना एक हाथ डेस्क के पीछे ले लिया. मुझे पता था कि वो ज़रूर अपने लंड से खेल रहा होगा. विवेक अब ज़ोर ज़ोर से मेरे पैर चाटते चाटते मेरे घुटनो तक आ गया था. उसकी जीब के एहसास से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

‘क्या तुमने मेरा लंड देखा’

‘जी’

‘अछा लगा तुम्हे’

मेने कुछ नहीं कहा.

‘शरमाओ मत मानसी. बोलो. क्या तुम्हे अच्छा लगा’

मैने कुछ कहे बिना अपना सर हां में हिलाया.

दोस्तो मानसी सेक्स की पुजारन बन चुकी थी आगे उसने क्या क्या गुल खिलाए ये जानने के लिए पढ़ते रहिए

इस कहानी के अगले भाग आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः..........
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11-11-2017, 12:09 PM,
#5
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 5

गतान्क से आगे.............

‘फिर से देखो गी’ यह कह के टीचर खड़ा हो गया. खड़े होते ही मुझे पता चला कि उसने शर्ट के नीचे कुछ नही पहना था. उसका काला मोटा लंड कड़क हो के शान से खड़ा था. लंड को देख मेरे बदन में एक हुलचूल सी हो गयी. मैं उस काले लंड को छूना चाहती थी. पर टीचर वही पर खड़ा रहा. उसने अपना शर्ट के बटन खोलना शुरू किया. विवेक यहाँ अब मेरी जांघे चाट रहा था. मैं बैचैन हो रही थी और मैने उसका सर उसके बालों से पकड़ और उपर कर लिया. अब उसका सर पूरा मेरे स्कर्ट के नीचे था और वो मेरी चूत मेरी पॅंटी के उपर से चाट रहा था. मुझे अब ऐसी बेशर्मी करने मे कोई खिचक नही थी. मेरी हवस की आग भड़क उठी थी. में अपने दोनो हाथो से उसका सर नीचे दबा रही थी और टीचर के लंड को देख रही थी. टीचर अब पूरा नंगा था. उसका काला और बालों से भरा मोटा बदन दिखने में एकदम ही गंदा लग रहा था. पर मेरे शरीर की भूक इतनी थी कि मुझे सिर्फ़ वो लंड दिखाई दे रहा था. मैं अब विवेक का सर नीचे और दबा रही थी और साथ ही साथ अपनी गांद उठा उठा के उसके चेहरे पे अपनी चूत रगड़ रही थी.

टीचर सामने का नज़ारा देख कर खुश हो गया. उसने मन में ठान लिया ‘कुछ भी हो जाए आज इसको चोदे बिना जाने नहीं दूँगा’. उसने इतनी चिकनी लड़की नही देखी थी और वो भी इतनी जवान. में उसके सामने रांड़ की तरह गांद उपर करके चूत चटवा रही थी.

‘बहुत अच्छे मानसी. यह मेरा कुत्ता बहुत वफ़ादार है. तुम जितना चाहो खेल सकती हो’ टीचर ने कहा. दस मिनिट तक में वैसे ही ज़ॉरो से अपनी चूत विवेक के मूह पर रगड़ती रही और पूरे ज़ोर से विवेक का सर नीचे दबाती रही.में झर ने ही वाली थी कि टीचर ने विवेक से कहा. ‘बहुत हो गया कुत्ते, अपना सर उठा’. पर मुझे और चूत चटवानी थी मेने विवेक के बॉल पकड़ उससे रोकने की कोशिश की पर वो मेरे चंगुल से निकल के साइड पे हो गया.

टीचर हसके बोला ‘डोंट वरी मानसी अभी तो हम शुरू हो रहे हैं. ऐसा करते हैं कि में मेरे कुत्ते के साथ तुम्हारी भी थोड़ी ट्रैनिंग कर देता हूँ. तुम मेरा कुत्ता करता हैं वैसा ही करो. ठीक हैं ?’

मैने अपना सिर हां में हिल्ला दिया. विवेक अब हाथ और घुटनो पे ज़मीन पर बैठा था. मैं भी कुतिया की तरह ज़मीन पे बैठ गयी.

विवेक अब अपने हाथों और घुटनों तले टीचर की ओर चलने लगा. मेने भी वैसे ही किया. हम दोनो अब अपने हाथो और घुटनूं तले कुत्टून की तरह ज़मीन पर टीचर के लंड की तरफ चल पड़े. ‘वेरी गुड. गुड डॉगी’ टीचर ने मुस्कुराते हुए कहा. वो एक हाथ से लंड सहला रहा था और दूसरे हाथ से अपने बॉल दबा रहा था. हम दोनो लंड तक पहुच गये.

‘मानसी अब तुम वैसा करो जैसे मेरा कुत्ता करता हैं’

विवेक ने अपनी जीब पूरी निकालके टीचर का पूरा लंड नीचे से उपर चाटने लगा. मैने भी ऐसा ही किया. अब टीचर के लंड को हम दोनो एक साथ पूरी जीब निकाल के चाट रहे थे.

‘आआआआआअहह....’ टीचर के मूह से आवाज़ निकल गयी. हम दोनो टीचर का लंड ऐसे ही 10 मिनिट तक चाटते रहे. मुझे अब लंड को अपने मूह में लेके चूसना था. टीचर का काला मोटा लंड मुझे पागल बना रहा था. टीचर ने तभी एक कदम पीछे ले कर अपना लंड हम दोनो से अलग किया और हमारे दोनो के सर के पीछे के बाल पकड़ हमारे सर एक दूसरे के नज़दीक लाना शुरू कर दिया. ‘किस करो एक दूसरे को, और मूह खोल के किस करो’ टीचर ने कहा. विवेक के होठ मेरे होठ के नज़दीक आ रहे थे, मैने अपने होठ खोल अपनी जीब थोड़ी बाहर निकाल उनका स्वागत किया. होठ मिलते ही मैने अपनी जीब उसके मूह में डाल दी. विवेक ने भी अपनी जीब मेरी जीब से मिला दी. मुझे किस करने में बड़ा मज़ा आ रहा था.

टीचर ने अब साइड से अपना लंड हम दोनो के किस करते होठों के बीच डाल दिया और आगे पीछे करने लगा. मेरे और विवेक के होंठ खुले थे और जीब बाहर थी और टीचर का गीला लंड अब हमारे होटो के बीच आगे पीछे हो रहा था. अपने हाथों से टीचर हम दोनो के बाल पकड़ के हमारे सर उसके लंड पे दबा रहा था. गरम गरम कड़क लंड मेरे होटो को छूने से मेरी चूत में हुलचूल हो रही थी. मैं अपना हाथ आगे कर के विवेक के छोटे से लंड को पकड़ के हिलाने लगी. लंड को दो तीन झटके ही मारे थे कि विवेक झरने लगा और उसके लंड से वीर्य निकलने लगा.

झरते वक़्त विवेक ने अपना सर पीछे कर ‘आआआआआहह....’ की आवाज़ निकाली. ऐसा करने से उसका मूह टीचर के लंड से दूर हो गया. टीचर को गुस्सा आ गया. ‘साले चूतिए. किसने कहा लंड से मूह निकालने को’

‘सॉरी टीचर’

‘सॉरी के बच्चे ये ले’ ऐसा कह कर टीचर ने अपना लंड उसके मूह में डाल दिया और ज़ोर से उसके मूह को बेरहमी से चोदने लगा. टीचर पूरा लंड विवेक के मूह में घुसता और पूरा बाहर निकलता. मुझे विवेक का यह हाल देख मज़ा आ रहा था. मैने पीछे से विवेक के सर के बाल पकड़ लिए और उसका सर टीचर के लंड पे धकेलना शुरू कर दिया.

‘वेरी गुड मानसी. इस कुत्ते को मिलके तमीज़ सिखाते हैं’ टीचर ने अब अपने लंड से विवेक के मूह को चोदना बंद कर दिया और ऐसे ही खड़ा रहा. मैं विवेक के सर के बाल पकड़ दोनो हाथों से उसका सर टीचर के लंड पे ज़ॉरो से उपर नीचे करने लगी.

मैने अब बेशरम हो कर टीचर की आँखों में आँखे डाल, देख रही थी. टीचर मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था. वो सोच रहा था ‘क्या चीनी रांड़ हैं, मेरे तो नसीब खुल गये’

अब वो झरने वाला था ‘और ज़ोर से मानसी आआआआअहह...’ कह कर टीचर ने झरना शुरू कर दिया. मैं अपनी पूरी ताक़त लगा कर विवेक का सर टीचर के लंड पे धकेल्ति रही. टीचर चिल्ला चिल्ला कर झार रहा था. हर बार जब टीचर का लंड विवेक के मूह में पूरा जाता उसके मूह के साइड से थूक और वीर्य निकल जाता. टीचर दो-तीन मिनिट तक झरता रहा. जब उसने चिल्लाना बंद किया तो मैने विवेक का सर छोड़ा. टीचर ने लंड बाहर निकाला. ‘साफ़ कर इसे’ टीचर ने विवेक से कहा. विवेक अपनी जीब निकाल के आगे बढ़ रहा था कि मैने ‘चल हट कुत्ते’ कह कर उसे धक्का मार के हटा दिया. मैं अपनी जीब निकाल टीचर की आँखों में आँखें डाल लंड को चाटने लगी और वीर्य लंड से चाट चाट के सॉफ कर दिया.

‘वा मानसी तुम्हे तो ट्रैनिंग की कोई ज़रूरत नही. चलो अब में तुम्हे भी खुश कर देता हूँ’ यह कह के टीचर ने मुझे ज़मीन पे लेटा दिया. उसने मेरा स्कर्ट उठा के मेरी पॅंटी एक झटके में निकाल दी. मुझसे अब रहा नही जा रहा था. मुझे अब टीचर का मूह अपनी चूत पे चाहिए था. टीचर ने भी मुझे इंतेज़ार नही करवाया और अपनी मोटी जीब पूरी मूह से निकाल मेरी पूरी चूत को नीचे से उपर तक चाटना शुरू किया. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने अपने दोनो पैर जीतने फैल सके उतने फैला दिए. टीचर वैसे ही चाट ता रहा. चाटते चाटते टीचर घूम गया. अब में ज़मीन पे लेटी थी और टीचर मेरे उपर ऐसे लेटा था की उसका मूह मेरी चूत पे और उसका लंड मेरे मूह के नज़दीक था.

‘इसे चूस के खड़ा कर दो मानसी’ टीचर का लंड बैठा हुआ था और मेरी आँखो के सामने लटक रहा था. बैठा हुआ लंड भी काफ़ी मोटा और लंबा था और उससे देख मेरे मूह में पानी आ गया. मैने अपने दोनो हाथ टीचर के गांद पे रख उसको नीचे खीचा. उनका बैठा हुआ लंड मैने पूरा का पूरा मूह में ले लिया और उसे चूसने लगी. टीचर अब मेरी चूत को मस्त होके तेज़ी से चाट रहा था. और उतनी ही तेज़ी से में उसका लंड चूस रही थी.

हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे को मज़े देते रहे. टीचर अब अपनी गांद उपर नीचे कर अपने लंड से मेरा मूह चोद रहा था. लंड अब आधा खड़ा हो चुक्का था और बड़ी मुश्किल से मेरे मूह मे पूरा समा रहा था. गरम लंड मेरे मूह में ले कर बड़ा मज़ा आ रहा था. जैसे जैसे टीचर का लंड बड़ा होता गया मुझे पूरा लंड लेने में तकलीफ़ होती गयी पर टीचर अपना पूरा लंड मेरे मूह में घुसेड़ता रहा. मैने अपने एक हाथ से टीचर का लंड पकड़ लिया ताकि टीचर अपना पूरा लंड मेरे मूह में ना डाल पाए. दो मिनिट बाद टीचर का लंड पूरा खड़ा हो गया था. मैने एक हाथ से लंड पकड़ा हुआ था और बाकी का 6 इंच का लंड मेरे मूह में टीचर तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. सारे वक़्त टीचर मेरे चूत को चाट रहा था. में चाहती थी की वो अपनी जीब मेरी चूत में डाल दे पर वो ऐसा नहीं कर रहा था. फिर कोई भी चेतावनी बिना टीचर ने अपने हाथ से मेरा हाथ उसके लंड से हटा डाला और अपना पूरा लंड मेरे मूह में घुसेड दिया ‘म्‍म्म्मह म्‍म्म्मममममममह’ कर के में चिल्ला रही थी पर टीचर अब पूरे लंड से मेरे मूह को चोद रहा था. 8 इंच वाला मोटा लंड मेरे मूह में समा नहीं सकता था फिर भी टीचर मुजसे ज़बरदस्ती कर रहा था. में अपना सर एक साइड से दूसरी साइड कर रही थी पर टीचर चोदे जा रहा था. आख़िर कैसे भी करके मैं टीचर के लंड को बाहर निकालने में कामयाब हो गयी.

टीचर ने अब मुझे पकड़ साइड से घूमा दिया ताकि में अब उसके उपर आ गयी. उसने अब दोनो हाथ मेरे गांद पे रख मेरी गांद ज़ोर से मसलने लगा. मैने अपनी चूत और नीचे करके उसके होंठो पे रख दी. उसने अब फिर से ज़ोर से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया. में लंड को दोनो हाथ से पकड़ के हिला रही थी और साथ साथ लंड के उपर वाले हिस्से को मूह में ले कर चूस रही थी. में झरने के काफ़ी करीब थी.

विवेक का लंड अब ये सब देख फिरसे खड़ा हो गया था. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि मुझ जैसी सेक्सी लड़की उसके सामने नंगी थी और टीचर जैसे गंदे आदमी से चुदवा रही थी. वो मेरे पीछे खड़ा था और उसको मेरी गोरी चिकनी गांद साफ दिखाई दे रही थी. जैसे जैसे टीचर मेरी गांद मसलता विवेक को मेरी गांद का गुलाबी छेद दिख जाता. मेरी गांद का छेद देख वो पागल हो रहा था. वो अब आगे बढ़ के अपने होठ मेरे गांद के छेद को लगा कर उसे चूमने लगा.

मैं चोंक उठी ‘आए ये क्या कर रहा है साले कुत्ते. हट यहाँ से’

यह देख टीचर ने कहा ‘फिकर मत करो मानसी.थोड़ा उसे अपना काम करने दो और देखो कि मज़ा आता हैं की नहीं. मैने इसे गांद चाटने में एक्सपर्ट बना दिया हैं.’

मैने सोचा कि क्या पता शायद मुझे इसमे मज़ा आएगा.मैने कुछ कहे बिना फिर से लंड चूसने लगी. विवेक ने अब मेरे गांद के छेद पे फिर से होठ लगा दिए. वो धीरे धीरे उसे चूमता रहा और अपनी जीब निकाल कर चाट्ता रहा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. दोनो ने मेरी चूत और गांद ऐसे ही दस मिनिट तक चॅटी. में अब झरने ही वाली थी. फिर अचानक दोनो ने एक साथ अपनी जीब मेरे अंदर डाल दी. विवेक ने अपनी जीब मेरी गांद में दो इंच तक डाल दी और टीचर ने भी अपनी मोटी जीब मेरी चूत में पूरी चार इंच तक डाल दी.

मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं मरके स्वर्ग में पहुच गयी थी. मैने अपने हाथ लंड से निकाल पूरा 6 इंच तक लंड मूह में ले लिया. टीचर ने मौका पा के अपने दोनो हाथ मेरे सर पर रख मेरे सर को ज़ोर ने नीचे धकेला और पूरा 8 इंच का लंड अब मेरे मूह के अंदर था. में खांस रही थी और मुझे तकलीफ़ हो रही थी पर साथ ही दोनो की जीब मुझ को पागल कर रही थी. मेरा झरना शुरू हो गया. मैने अपनी चूत और नीचे कर ली और टीचर ने अब ज़ोर से अपनी जीब मेरी चूत के अंदर बाहर करनी कर दी. विवेक भी आछे कुत्ते के तरह ज़ोर से अपनी जीब मेरी गांद के अंदर बाहर कर रहा था. टीचर अपनी गांद उछाल के मेरे मूह को अपने 8 इंच लंड से चोद रहे थे. में लगभग 5 मिनिट तक ऐसे ही झरती रही. उन दोनो ने सारे वक़्त तेज़ी से अपनी जीब चलाई. 5 मिनिट बाद मेरा झरना आख़िर बंद हुआ और मैं टीचर पे लेट गयी.

‘मज़ा आया मानसी ? अब फिर से तुम्हारी बारी मुझे खुश करने की’ ये कह कर टीचर ने अब मुझे नीचे लेटा दिया और मेरे दोनो पैर के बीच मे आकर कहा ‘अब में तुम्हें चोदुन्गा…’

टीचर ने यह कह कर अपने मोटे लंड को मेरी चूत के उपर रगड़ना शुरू किया. इतना बड़ा लंड मेरी चूत से रगड़ रहा था. इसका एहसास मुझे पागल कर रहा था अब मुझे सिर्फ़ यह बड़ा लंड मेरी चूत में चाहिए था.

‘सर धीरे से करना मैं कुँवारी हूँ’ मैने कहा

‘मज़ाक क्यूँ कर रही हो मानसी’ टीचर ने हस्ते हुए कहा

‘नहीं में सच कह रही हूँ’. यह सुनते ही टीचर के चेहरे से हँसी गायब हो गयी. उसको अपने नसीब पर विश्वास नही हो रहा था. उसने आज तक किसी कुँवारी को नही चोदा था. उसकी बीवी भी शादी से पहले चुदवा चुकी थी. और अब उसके सामने एक कुँवारी चूत थी वो भी मुझ जैसी लड़की की. उसने जब से मुझे स्कूल में देखा था मेरे बारे मैं सोच सोच के कई बार मूठ मारी थी और अब वो मेरी कुँवारी चूत को चोदने वाला था. उसके आखों में चमक आ गयी थी.

‘फिकर मत करो में तुम्हे धीरे से चोदुन्गा’. टीचर बोला और मंन में सोचा ‘आज तो साली की चूत फाड़ के रख दूँगा’. टीचर के अंदर का जानवर जाग गया था. उसे सोलाह साल की कुँवारी चूत मिल रही थी.

टीचर ने मेरी चूत के मूह पे अपने लंड रखा. मुझे डर के मारे पसीना आ गया था और साथ ही लंड चूत में लेने की बैचैनि भी हो रही थी.

एक ज़ोरदार धक्का लगा के साथ टीचर ने अपना लंड मेरी चूत में 3 इंच तक घुसा डाला. मैं इतने दर्द के लिए तैयार नहीं थी और चीख पड़ी.

‘अभी तो शुरुआत है मानसी’ टीचर ने कहा. उसे देख के लग रहा था कि उसे मेरी तकलीफ़ से मज़ा आ रहा था. टीचर 3 इंच लंड अंदर बाहर कर रहा था. धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ.

‘और लंड चाहिए मानसी’ टीचर ने हंसते हुए पूछा.

‘नही टीचर. बहुत बड़ा है’

‘अरे अभी तो आधा भी नही गया’

‘प्लीज़ नही टीचर. आप और अंदर डालोगे तो मुझे बहुत दर्द होगा’

‘अरे दर्द होगा लेकिन बादमें मज़ा भी बहुत आएगा मेरी जान’. उसके चेहरे पे मुस्कुराहट थी. उसको अभी मेरी कोई परवाह नही थी सिर्फ़ अपनी हवस का ख़याल था. उसने और एक धक्का लगाया और 6 इंच तक मेरी चूत में घुस गया. मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे अंदर चाकू मार दिया हो. मैं अब चीख रही थी.

‘आआआआआईयईईईईईईई.... निकालो इसे .. आआआआआईयईईईईईईईई........’ मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे.

टीचर ‘आआआआअहह. .......आआआआआआआआहह’ कर रहा था. मुझे जितना दर्द हो रहा था टीचर को इतना ही मज़ा आ रहा था.

विवेक आँखें फाड़ के देख रहा था. उसके सामने सेक्सी कटरीना कैफ़ जैसी बहुत ही खूबसूरत जवान लड़की ज़मीन पे पैर फैला कर लेटी थी और चिल्ला रही थी और उसके उपर था एक गेंड जैसा काला मोटा आदमी जिसका लंबा लंड उसकी छोटी सी चूत में था. टीचर अब सब सुध्बुध गवा बैठा था उसकी आँखे आधी बंद थी, उसका मूह आधा खुला था, उसकी जीब थोड़ी सी बाहर थी और क़िस्सी जानवर की तराह जीब से थूक टपक के नीचे मेरे गालों पे गिर रही थी. नीचे में दर्द के मारे चिल्ला रही थी और अपने दोनो हाथो को टीचर की छाती पे मार उससे दूर हटाने की कोशिश कर रही थी. मेरे मारने से टीचर को कुछ असर नही हो रहा था. वो अपना लंड एक आध इंच बाहर निकालता और फिर से अंदर डाल देता.

तो भाई लोगो आख़िर सेक्स की पुजारन की चूत मे पहला लंड चला ही गया आगे उसने क्या क्या कारनामे दिखाए जानने के किए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः..........
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11-11-2017, 12:09 PM,
#6
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 6

गतान्क से आगे.............

फिर अचानक टीचर ने एक धक्के में पूरा 8 इंच का मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में घुसेड दिया. इतना दर्द हुआ कि मेरा चिल्ला ना बंद हो गया. मेरी आँखों के सामने एक ढुँधलापन छाने लगा और मैं बेहोश होने वाली थी. तभी टीचर नीचे झुक अपनी मोटी जीब मूह से निकाल मेरे चेहरे को नीचे से उपर चाटने लगा. मेरी आँखे खुल गयी और मेने टीचर से रोते रोते भीक माँगी

‘प्लीज़ टीचर, अब और नही सहा जाता’. पर टीचर तो जैसे अपनी ही दुनिया में था. उसे कुछ सुनाई या देखाई नही दे रहा था. सिर्फ़ अपने मोटे लंड पे एक टाइट चूत का एहसास हो रहा था.

टीचर अब पूरा मुझ पे लेट गया था और मेरे चेहरे को कुत्ते के जैसे चाट रहा था. मुझे उसके पूरे शरीर का वज़न अपने पर महसूस हो रहा था.

उसने अपना 8 इंच का लंड धीरे से आधा बाहर खीचा और वापस अंदर डाला. में फिर से चीख पड़ी. मेरी चीख रोकने के लिए टीचर ने अब अपने होंठ मेरे होठों को लगा दिए और चूसने लगा. मैं अपने सारे शरीर से टीचर को अपने उपर से धकेलने की कोशिश कर रही थी. लेकिन इतनी तो मुझ में ताक़त थी नही. विवेक अपने छोटे से लंड को सहला कर नज़रो का मज़ा ले रहा था.

टीचर अब मेरी चुदाई की रफ़्तार बढ़ाने लगा और खटखट मेरी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा. मैं उसके नीचे फड़फड़ाती रही और चीखने की कोशिश करती रही पर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पे ज़ोर से चिपका के रखे. 15 मिनिट तक टीचर मुझे ऐसे ही चोद्ता रहा. आख़िर मेरा दर्द थोड़ा कम होने लगा और मैने चीख ने की कोशिश करना बंद कर दिया. मैने रोना भी अब बंद कर दिया था. टीचर ने अपने होंठ मेरे होठों से दूर ले कर कहा

‘अब मज़ा लेना शुरू कर’

मुझे अब थोड़ा थोड़ा मज़ा आ रहा था. टीचर ने अचानक अपना लगभग पूरा लंड बाहर निकाल के फिर से अंदर डाला और मुझे ऐसे चोदने लगा. मेरा मज़ा और बढ़ गया.

मुझे अभी भी काफ़ी दर्द हो रहा था पर बहुत मज़ा आ रहा था. टीचर का गरम लंड मेरे चूत में अंदर बाहर हो रहा था. हरेक धक्के पे मेरा दर्द कम और मज़ा ज़्यादा हो रहा था. में सिसकारियाँ भरने लगी ‘आआआआआअहह.... .आआआआआआआहह... म्‍म्म्ममममम............. आआआआआआआआअहह......’ टीचर जम कर मेरी चुदाई कर रहा था. कुछ देर चुदाई होने के बाद टीचर ने लंड निकाले बिना मुझे अपने उपर ले लिया. मैं अब टीचर के उपर लेटी मेरे बूब्स टीचर के चाहती पे थे और में टीचर के लंड पे उपर नीचे हो रही थी. मेरे बूब्स टीचर के चाहती पे रगड़ रहे थे. टीचर ने अपने दोनो हाथो से मेरी गांद मसलना शुरू कर दिया. टीचर के मोटे शरीर पे मेरा छोटा सा बदन था. टीचर का काला लंड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. मैं अब मस्त हो गयी थी और चुदाई का मज़ा ले रही थी. मैने कभी ज़िंदगी में इतना आनंद नहीं पाया था. मैने अब टीचर का पूरा लंड अपनी चूत में ले कर अपनी कमर गोल गोल घुमाने लगी

‘आआआआहह...... बहुत खूब मानसी’

टीचर अब झरने के बहुत करीब था. अचानक टीचर ने अपने दोनो हाथों से मुझे ज़ोर से जाकड़ लिया. मैं हिल नही पा रही थी और टीचर भी लंड अंदर बाहर नही कर रहा था. मुझे कुछ समझ नही आया. तभी मैने विवेक के हाथों को मेरी गांद मसल्ते हुए महसूस किया. फिर उसने अपना छोटा सा लंड मेरी गांद के छेद पे लगा दिया. मैं समझ गयी कि ज़रूर टीचर और विवेक ने पहले से ये प्लान बनाया होगा.

‘साले कुत्ते ये क्या कर रहा है’ मैं चिल्लाई विवेक पर.

‘वाह मेरे चेले. चोद डाल इसकी गांद को जैसे मैं तेरी चोद्ता हू. कोई रहम मत करना’ टीचर ने कहा

‘नही प्लीज़, मुझे जाने दो’ मैं बहुत डर गयी थी अब. विवेक ने दोनो हाथो से मेरी गांद फैलाई हुई थी और अपने लंड को मेरी गांद के छेद में घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था.

‘ज़ोर लगा साले कुत्ते’ टीचर ने उसको चिल्ला के कहा. विवेक ने एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उसके लंड का उपर का हिस्सा मेरी गांद में घुस गया

‘आआआआऐययईईईईईईई’ में ज़ोर से चीख पड़ी. मुझे बेहद दर्द हो रहा था. मैने आज तक गांद में उंगली भी नही डाली थी. विवेक ने और एक धक्का लगाया और एक और इंच लंड अंदर चला गया.

‘आआऐईईई.... प्लीज़ जाने दो...आआऐईई’ में चिल्ला रही थी. टीचर को मेरा हाल देख और सेक्स चढ़ गया और उसने मेरी चूत में अपना लंड ज़ोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. वो झरने के बहुत करीब था. टीचर के धक्के से मेरी गांद आगे पीछे हो रही थी और विवेक का दो इंच तक घुसा लंड बाहर निकल गया. विवेक ने फिर से मेरी हिलती गांद को फैलाया और अपना लंड एक ज़ोरदार झटके से पूरा अंदर घुसेड दिया.

‘आाआऐययईईईई जाने दो मुझे प्लीज़..’ में चिल्लाई. विवेक लंड पूरा अंदर डाल ऐसे ही खड़ा रहा. टीचर के ज़ोरदार धक्के से मेरी गांद आगे पीछे हो रही थी और उसके वजह से विवेक का लंड भी अंदर बाहर हो रहा था.

‘आआआआहह...... आआआआआआअहह’ कर के टीचर ने झरना शुरू किया.

‘आआईयईईईई मेरे अंदर पानी मत निकालना सर आऐईयईईईई’ मैने टीचर से विनती की. पर उसने मेरी एक ना सुनी. और अपना वीर्य मेरी चूत में निकालना शुरू कर दिया. मुझे अपनी चूत में गरम वीर्य का एख्सास हो रहा था. मुझे ये अछा लग रहा था पर गांद के दर्द से मेरा सारा मज़ा दूर हो गया था.

विवेक भी आवाज़े निकाल कर मेरी गांद में झार रहा था. मुझे उसका वीर्य मेरी गांद में निकलता महसूस हो रहा था. झारके उसने लंड बाहर निकाल दिया पर मेरा दर्द अभी भी बहुत था. टीचर ऐसे ही पागल की तराह मुझे ज़ोर से तीन चार मिनिट और चोद्ता रहा और झरता रहा. आख़िर उसका झर ना बंद हो गया. उसने मुझे ज़मीन पे लेटा दिया. मेरा थकान से और दर्द से बुरा हाल था. टीचर ने मेरे पैर फैला कर उपर कर दिए और नीचे झुक के मेरी चूत और गांद के छेद को देखने लगा. विवेक भी उसके बगल में आ गया. मेरी गांद और चूत से थोड़ा सा वीर्य बाहर बह रहा था.

‘ऐसे मत देखो प्लीज़’ पर वो दोनो ने मेरी नही सुनी. कुछ देर वो ऐसे ही देखते रहे. फिर टीचर ने मुझे क्लास में जाने को कहा. में बहुत ही मुश्किल से खड़ी हुई. नीचे देखा तो ज़मीन पे काफ़ी खून था. ‘डर मत पहली बार खून निकलता हैं’ टीचर ने मुझे कहा. में कपड़े पहन कर लूड़कते लूड़कते अपनी क्लास में जाने लगी. क्लास में जाते वक़्त मैने प्रिन्सिपल को टीचर के ऑफीस में जाते देखा. मैने सोचा पता नही अब क्या होगा, वो दोनो तो अभी भी नंगे ज़मीन पे थे. मेरे क्लास में जाने के आधे घंटे बाद पोलीस को स्कूल में आते देखा. प्रिन्सिपल ने टीचर को विवेक के साथ नंगा देख लिया था और पोलीस को बुला लिया था. टीचर को पोलीस जैल ले गयी. मैने सोचा पता नही टीचर का क्या होगा.

टीचर के जैल जाने के बाद दो तीन दिन मे ही मुझे बैचानी होने लगी मैं सेक्स के लिए पागल हो रही थी. मैने विवेक के साथ चुदाई शुरू कर ली. पर वो चुदाई में बिल्कुल अनाड़ी था. एक तो छोटा सा लंड और वो कभी भी 5 मिनिट से ज़्यादा टिकता नही था. और इसके उपर वो सारे स्कूल में यह कहता फिर रहा था कि मैं उसकी गर्लफ्रेंड हूँ और उसने मुझे पटा लिया हैं. मुझे उस पर बहुत गुस्सा आता पर मेरी चूत की प्यास भी ऐसे थी कि हर रोज़ में उससे चुड़वाती. मेरी सेक्स की भूक बहुत बढ़ गयी थी. मैं अब सेक्स की पुजारन बन चुकी थी सेक्स के बिना रहना अब मुझे अच्छा नही लग रहा था

एक दिन स्कूल से घर जाते रास्ते में डिज़िल्वा मेरे सामने आ गया और मुझे रोक लिया.

‘कैसी हो जानेमन’. मैने कुछ कहे बिना वहाँ से चलने लगी. तभी विवेक ने डिज़िल्वा को मुझे छेड़ते देख लिया.

‘आए मिस्‍टेर क्या हो रहा हैं यहा’ विवेक ने गुस्से से कहा. असल में विवेक का गुस्सा ऐसा था कि कोई बच्चा भी ना डरे. मुझे तो हँसी आ रही थी. मैने अपनी हँसी रोक ली पर डिज़िल्वा खुले आम हँस पड़ा.

‘हस्ता क्या हैं. मज़ाक समझ के रखा हैं क्या. ज़्यादा नाटक नही करना समझे. यह मेरी गर्लफ्रेंड हैं’. मैने सोचा साले 5 मिनिट लंड खड़ा रख नही पाता और मुझे गर्लफ्रेंड बनाने चला. डिज़िल्वा अब हसना बंद कर के मुस्कुरा कर विवेक को देख रहा था.

‘अगर आज के बाद अगर उससे बात भी करने की कोशिश की तो तेरा बुरा हाल कर के रखूँगा.तेरी हेसियत ही क्या हैं’ पता नहीं क्यूँ पर हेसियत की बात सुन के डिज़िल्वा के चेहरे से हँसी उड़ गयी.

‘क्या करोगे’ डिज़िल्वा ने पूछा.

‘क्या करूँगा? साले तू मेरेको पहचानता नही है. मैं तेरी...’ विवेक की बात पूरी होने के पहले ही डिज़िल्वा ने अपना हाथ उठा के विवेक को एक ज़ोरदार तमाचा मारा. तमाचा इतना ज़ोरदार था कि विवेक ज़मीन पर गिर पड़ा.

‘चल घर भाग जा. और अपनी मम्मी के निपल मूह में लेके बैठ जा’ विवेक का मूह रोने जैसा था और वो डर के मारे खड़ा हो के वहाँ से भाग गया. मुझे विवेक की यह हालत देख हँसी आ गयी मैं डिज़िल्वा के सामने हसना नही चाहती थी पर मुझसे हँसी रोकी नही गयी. डिज़िल्वा ने मुझे देख कर कहा

‘ऐसे चुतिये को क्यूँ बाय्फ्रेंड बनाया ? मैं तुझे टाय्लेट मे ही पहचान गया था. तेरी प्यास ऐसा चूतिया कभी पूरा नहीं कर सकता’

मैं डिज़िल्वा की बात का जवाब दिए बिना वहाँ से घर की ओर चलने लगी. वो मेरे बगल में चलने लगा और बातें करने लगा.

‘तुझे एक तगड़े लंड की ज़रूरत हैं. चल मेरे साथ तुझे मैं ऐश कराता हूँ’

‘नहीं’

‘अरे इतनी नाराज़ क्यूँ हैं. मैने तेरा मूह चोदा था इसलिए क्या ?’

‘हां’

‘अरे तो ठीक हैं आज के बाद ऐसा नहीं करूँगा. मैं जानता हूँ तुझे मेरा लंड पसंद आया है’

‘मैं तुम्हारे साथ कभी सेक्स नहीं करूँगी’ मैने कह डाला.

‘अरे इतनी भी क्यों ज़िद करती हो.’

टीचर को जैल गये अब महीना हो गया था और एक तगड़े लंड की प्यास मुझे बहुत सता रही थी. पर मैं जानती थी कि मेने डिज़िल्वा से सेक्स किया तो वो ज़रूर मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती करेगा और मैने ये उसे कह डाला.

‘तुम्हारा क्या भरोसा अगर फिर से तुमने ऐसा कर डाला तो मैं तो मर भी सकती हूँ’

देसील्वा को अब मोका मिल गया था. उसने मुझे से प्यार से कहा

‘ठीक है. ऐसा करते है मेरे दो दोस्त है. दोनो जवान हैं और एक दम सलमान ख़ान जैसे दिखते हैं और एक दम गेंटल्मन. दोनो के 8 इंच लंबे लंड है. मैं उनसे बात कर लेता हूँ. तुम उनसे चुदवा कर ऐश करो मैं तुम्हे देख के मज़े ले लूँगा’

यह बात सुन के मेरे मूह मे पानी आ गया. टीचर और विवेक ने मुझे मिलके चोदा था तब मुझे कितना मज़ा आया था वो मुझे याद था. और विवेक का तो लंड छोटा सा था. दो जवान और 8 इंच लंबे लंड से चुद कर कितना मज़ा आएगा यह मैं सोचने लगी. डिज़िल्वा मुझे देख जान गया कि मुझे दो लंड से चुदवाना था.

‘चल अभी टॅक्सी कर के होटेल निकल लेते हैं. मैं उनको फोन कर के वहाँ बुला लेता हूँ’ यह कह के उसने टॅक्सी बुला ली. मैं कुछ भी कहे बिना टॅक्सी मे उसके साथ बैठ गयी और हम एक 5 स्टार होटेल की ओर चल पड़े. मेरा जो हाल होने वाला था उसका मुझे कोई अंदेशा नही था...

टॅक्सी मैं बैठ डिज़िल्वा ने किसी मिस्टर शर्मा और मिस्टर. वेर्मा को होटेल बुला लिया. मैने भी अपने घर फोन करके कह दिया कि मैं दोस्त के घर जा रही हूँ और तीन चार घंटे बाद आऊँगी. फोन रखते ही डिज़िल्वा ने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और मेरे पूरे चेहरे को चूमने लगा और मेरे शर्ट के उपर से ही मेरे बूब्स को मसल्ने लगा.

‘कितने दिनो से इसका इंतेज़ार था मेरी रानी’

टॅक्सी ड्राइवर ने अपने काँच में देखा एक मोटा गेंड जैसा आदमी एक जवान स्कूल की लड़की को दबोच रहा था. काँच में मेरी आँखें ड्राइवर की आँखों से मिली. मैं बेशरम की तरह उसे देखती रही. उसके सामने ऐसी गंदी हरकत करने से मुझे मज़ा आने लगा.

डिज़िल्वा ने मेरा हाथ ले कर अपने लंड पे रख दिया. मैं लंड को पॅंट के उपर से सहलाती रही. लंड की लंबाई महसूस कर मुझे बहुत सेक्स चढ़ गया. इतने दिनो बाद कोई असली मर्द मेरा इस्तामाल कर रहा था और इससे मुझे बहुत मज़्ज़ा आ रहा था. मैने डिज़िल्वा का हाथ ले अपने स्कर्ट के अंदर डाल दिया.

‘बहुत सेक्स चढ़ गया है?’ वो मुस्कुरा के बोला. उसने अब मेरी पॅंटी के उपर मेरी चूत पे उंगलियाँ फिराना शुरू कर दिया. मैं पागल हो रही थी. मुझे अभी के अभी चुदाई करनी थी. मैने डिज़िल्वा की पॅंट को खोलने की कोशिश की. डिज़िल्वा हँसने लगा ‘इतनी उतावली मत हो मेरी जान. होटेल आ ही गया हैं. अंदर रूम में दो लौडे तेरा इंतेज़ार कर रहे हे’. अब मैं चुदाई के लिए पागल हो रही थी. होटेल पे पहुच के हम तुरंत अपने सूयीट में पहुच गये. सूयीट के अंदर घुसते ही डिज़िल्वा ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया. उसका एक हाथ मेरे बूब्स मसल रहा था और दूसरा हाथ स्कर्ट के अंदर जा कर मेरी चूत मसल रहा था. मैने होटो से ‘आआआअहह....सस्स्स्सस्स...’ की सिसकारी निकल रही थी. डिसिल्वा दस मिनिट तक मुझे मसलता रहा. मैं पागल हो रही थी. मुझे अब उसके मोटे लंड से चुदाई करनी थी. उसने अचानक मुझे छोड़ दिया और कहा.

‘बेडरूम में दो लोग तेरा इंतेज़ार कर रहे हैं. दोनो जंगली कुत्ते हैं तुझे बहुत मज़ा आएगा’ ये कह कर डिज़िल्वा मुझे बेडरूम तक ले गया. मैं अब बेकाबू हो रही थी. डिज़िल्वा बाहर ही रहा और मुझे बेडरूम में भेज दिया.

मैं रूम में गयी तो अंदर जो आदमी थे वो डिज़िल्वा के कहने से बिल्कुल अलग थे, वो जवान लड़के नहीं पर दो बूढ़े थे. वो दिखने में सलमान ख़ान नही पर शक्ति कपूर जैसे थे. दोनो के चेहरे पे काफ़ी झुर्रिया थी, मेरे हिसाब से वो करीब 60 साल के होंगे और सोफा पे बैठे थे. मुझे उनको देख के लगा कि ये तो बहुत बूढ़े हैं, ये क्या चुदाई करेंगे.

वो दोनो मुस्कुरा कर मुझे नीचे से उपर घूर रहे थे. उनमे से एक ने दूसरे से मुस्कुरा कर कहा ‘यह तो बिल्कुल मेरी पोती की उमर की हैं’. दूसरे ने कहा ‘बिल्कुल कटरीना कैफ़ दिखती हैं’ मेरी तरफ मूड के कहा ‘क्या नाम हैं तुम्हारा बेटी ?’.

‘मानसी’

’मानसी बेटी आओ यहाँ सोफा पर आके हमारे बीच में बैठो. मेरा नाम राज. शर्मा हैं और यह मेरे दोस्त मिस्टर. वेर्मा’

डिज़िल्वा ने मेरी चूत से खेल खेल के मुझे सेक्स के लिए भूका कर दिया था. मेने सोचा कि ये दो को 15 मिनिट में खुश करके में बाहर जा के डिज़िल्वा के साथ सेक्स करूँगी. मैं उनके बीच जाके बैठ गयी.

मैं अब दो 60 साल के बूढो के बीच बैठी थी. सोलाह साल का मेरा जवान जिस्म देख दोनो के लंड में हुलचूल हो रही थी. मुझे भी ऐसी गंदी चीज़ करने से मज़ा आ रहा था.

‘तुम्हारी उमर क्या है बेटी’ मिस्टर. वेर्मा ने कहा

‘में सोलाह साल की हूँ’

अब दोनो ने अपने हाथ मेरी जाँघो पे रख दिए थे और उसे सहला रहे थे.

‘स्कूल से सीधी आई हो ?’

‘जी हां’

दोनो के हाथ अब मेरी स्कर्ट के नीचे से हो कर सहलाते सहलाते मेरी पॅंटी तक पहुच गये थे. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

‘वेरी गुड. यह बताओ बिटियाँ रानी तुम कौनसी क्लास में पढ़ती हो’

‘जी में 10थ क्लास में पड़ती हूँ’

वो दोनो बुड्ढे पता नहीं क्यूँ मुझे बेटी और बिटियाँ कह रहे थे. मुझे लगा कि शायद उन दोनो को मुझे बेटी कह कर चोदने में और भी मज़ा आएगा.

मिस्टर. वेर्मा ने अब अपने हाथ से मेरी चूत को पॅंटी के उपर से सहलाना शुरू कर दिया. मैने अपनी टांगे फैला दी.

‘लगता हैं कि सोलाह साल की लड़की के हिसाब से तुम्हारे बूब्स काफ़ी बड़े हैं’ मिस्टर. राज शर्मा ने मेरे बूब्स को देखते हुए कहा.

‘जी हां मिस्टर. शर्मा’

तो दोस्तो आपने देख की हमारी सेक्स की पुजारन अपनी हवस की वजह से बूढो के पास अपनी जवानी लुटाने को बेताब है दोस्तो आगे और क्या क्या हुआ जानने के लिए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः..........
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11-11-2017, 12:10 PM,
#7
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 7

गतान्क से आगे.............

मिस्टर वेर्मा ने अब मेरी पॅंटी के अंदर हाथ डाल दिया था और मेरी चूत को उपर उपर से सहला रहे थे. उनकी उंगलियाँ और मिस्टर शर्मा की बातें से में बहुत गरम हो रही थी.

‘तुम्हारा कप साइज़ क्या हैं बेटी’

‘जी डबल डी’

‘वाह बहुत खूब. हमे दिखाओ गी ?’ यह कह के मेरे जवाब देने से पहले उन्होने मेरे बटन फटाफट खोल दिए और मेरा शर्ट खोल दिया. मैने ब्रा नहीं पहनी थी मेरी शर्ट के खुलने से मेरे बूब्स दोनो के सामने आ गये. दोनो की आँखों में चमक आ गयी. कुछ कहे बिना ही दोनो मेरे बूब्स पे टूट पड़े. दोनो बूढ़े मेरे बूब्स को ज़ोर से चाटने और चूसने लगे. उनके मूह से ‘स्ल्ल्ल्ल्लर्र्र्र्र्र्र्र्रप्प्प्प्प्प... स्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लर्र्र्र्र्र्र्र्रप्प्प्प्प्प्प’ की आवाज़े आ रही थी, मेरे दोनो बूब्स उनकी थूक से पूरे गीले हो कर चमक रहे थे. बीच बीच में वो मेरे निपल को दांतो तले काट लेते तो मेरे सारे बदन में करेंट दौड़ जाता. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैने अपने हाथ बढ़ा कर दोनो के पॅंट के उपर से उनके लंड को पकड़ खिच ने लगी. उन्होने तुरंत अपना मूह मेरे बूब्स से हटाए बिना अपनी पॅंट उतार दी.

मैं दोनो के लंड देख के खुश हो गयी. लंड 8 इंच लंबे और मोटे थे बिल्कुल टीचर के लंड जैसे और पूरे टाइट हो कर खड़े हुए थे. दोनो के लंड के बाल पूरे सफेद थे. लंड पर भी काफ़ी झुर्रियाँ(रिंकल्स) थी. मुझे ये लौडे देख के बहुत मज़ा आ रहा था. मुझे दोनो लंड अपने मूह में लेके चूसने का मन कर रहा था. मैने दोनो लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया. वो दोनो मेरे बूब्स को पागल कुत्तों की तरह नोच रहे थे. मिस्टर वेर्मा मेरी पॅंटी निकाल कर मेरी चूत में अब दो उंगलियाँ डाल कर अंदर बाहर कर रहे थे. उनकी उंगलियाँ मेरी चूत में और दोनो के होठ और जीब मेरे बूब्स पे मुझे दीवाना बना रहा था और में झरने के बहुत करीब थी. अचानक मैने मिस्टर वेर्मा का लंड और ज़्यादा सूजता महसूस किया, वो झरने वाले थे. मैं उनका लंड पूरी ज़ोर से हिलाने लगी, उनके लंड से पानी फव्वारे की तरह निकलना शुरू हो गया. लंड से बहुत सारा पानी निकल रहा था, उनका पूरा लंड और मेरा हाथ गीला हो गया था, धीरे धीरे पानी नीचे बह कर उनके बल्ल को भी पूरा गीला कर दिया. सारे वक़्त उन्होने मेरी चूत में उंगलियाँ हिलाना ज़ारी रखा था अब में झरने के बिल्कुल पास थी. यहा मिस्टर शर्मा भी झरने वाले थे. उन्होने मेरा हाथ उनके लंड से अलग कर दिया और मेरे सामने खड़े होकर अपना लंड मेरे चेहरे के नज़दीक लाकर ज़ोर से उसे हिलाने लगे. में अब झार रही थी. मिस्टर वेर्मा ने तीसरी उंगली मेरी चूत में डाल दी और एक दम तेज़ी से उसे अंदर बाहर करने लगे. मेरे सारे बदन में सनसनी फेल गयी. मैं अपना मूह खोल कर ‘आआअहह.. आआआआआअहह’ करके सिसकियारी भर रही थी और ज़ोर से झार रही थी. उसी वक़्त मिस्टर. शर्मा भी झरने लगे ‘आआहह.... आआआआआआआआहह’ उनके लंड से वीर्य की मेरे चेहरे पे जैसे बारिश होने लगी. उनका वीर्य कुछ मेरे चेहरे पे और कुछ मेरे खुले मूह में गिर रहा था. में अभी भी झार रही थी और ये सारा वीर्य मुझ पर गिरने से में और ज़ोरो से झरने लगी. मिस्टर शर्मा ने ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पे निकाल दिया. अब वो पूरा झार गये थे और अपने लंड को धीरे धीरे हिला रहे थे. में भी झार चुकी थी. मेरे झार जाने के बाद भी मेरा सारा बदन कपकपा रहा था.

मिस्टर शर्मा के लंड से इतना वीर्य निकला के मेरा सारा चेहरा गीला हो गया और मेरे मूह में भी काफ़ी वीर्य पड़ गया था. मेने मेरे मूह के अंदर के वीर्य एक घुट में पी लिया और शर्मा जी के लंड पे जो थोड़ा वीर्य चिपक के रह गया था उसे मैने अपनी जीब निकाल कर चाट चाट कर सॉफ कर लिया. मिस्टर वर्मा ने मुझे लंड चाट ते देखा और कहा ‘तुम तो बहुत सेक्सी हो बेटी, पर मेरा लंड तो पूरा वीर्य से गीला है. इसको भी चाट के सॉफ करदो’. यह कह कर वो मेरे सामने आ कर खड़े हो गये. उनका लंड अब पूरी तरह बैठ गया था. मैने उनके लंड को हाथ में ले के चाटना शुरू कर दिया. दो मिनूट मैं लंड का सारा वीर्य सॉफ हो गया. इसी दौरान मिस्टर शर्मा ने खड़े हो कर अपने सारे कपड़े उतार दिए थे. उन्होने मेरा शर्ट और स्कर्ट भी उतार कर मुझे पूरा नंगा कर दिया. मिस्टर. वेर्मा ने कहा ‘अब मेरे बॉल से भी वीर्य सॉफ कर दो बेटी’

‘ठीक हैं’ मैने कहा

‘ज़मीन पर बैठों गी तो आसानी होगी’

में ज़मीन पर घुटनो तले बैठ गई. मिस्टर वेर्मा ने अपना एक पैर सोफा पर रख दिया ताकि मुझे उनके बॉल चाटने में आसानी हो. मैने जीब निकाल कर उनके बॉल चूमते और चाटते सॉफ करना शुरू कर दिया. मिस्टर शर्मा मुझे बॉल चाटते देख अपने लंड को हिला कर धीरे धीरे खड़ा कर रहे थे. मिस्टर. वेर्मा भी अपने लॉड को धीरे धीरे हिला कर खड़ा कर रहे थे. मेने चाटते हुए अब मिस्टर वेर्मा के बॉल सॉफ कर दिए और अपना सिर उपर किया. शर्मा जी और वेर्मा जी के लंड अब आधे खड़े हो गये थे.शर्मा जी ने मेरा स्कर्ट अपने हाथों में ले कर मेरे चेहरे से अपना वीर्य सॉफ कर दिया. दोनो ने अपने लंड मेरे चेहरे के नज़दीक ला कर मेरे गालो पर रगड़ने लगे. दो बड़े बड़े गरम लंड मेरे चेहरे पर एक साथ महसूस कर के मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैने अपना मूह खोल के अपनी जीब पूरी बाहर कर दी. ‘लगता हैं बिटियाँ रानी को लंड चखना हैं’ यह कह के मिस्टर शर्मा ने अपना आधा खड़ा लंड मेरे मूह में दे दिया और में उसे मस्त होके चूसने लगी. मेरे चूसने से उनका लंड मेरे मूह मे मैने सुजता महसूस किया. एक ही मिनिट में लंड पूरा कड़क हो गया था. मैने उसे मूह से निकाल कर मिस्टर वेर्मा का लंड चूसने लगी. उनका भी लंड मेरे मूह में जाते ही सूजने लगा और पूरा टाइट हो गया.

अब दोनो के लंड पूरे टाइट हो गये थे. मिस्टर शर्मा ने तुरंत ही मुझे खड़ा कर लिया.

मिस्टर. वेर्मा को देखते हुए उन्होने कहा ‘अब हम बिटियाँ रानी की चुदाई करेंगे’.

उन्होने मुझे सोफा पर कुतिया की तरह बिठा दिया. और मेरे पीछे बैठ के मेरी चूत को चाटने लगे. इस तरह से चूत चटवा कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरी चूत चाटते चाटते वो अपनी नाक मेरे गांद के छेद पे रगड़ रहे थे. में पागल हो रही थी मुझे अब अपनी चूत में लंड चाहिए था. में आँखें बंद कर के ‘आआअहह.... आआआआआहह’ कर रही थी . में मिस्टर शर्मा को मुझे चोदने को कहना चाहती थी पर मुझे शरम आ रही थी.

मिस्टर. शर्मा ने आख़िर चूत चाटना बंद कर दिया. मेरी चूत पूरी गीली हो गयी थी. उन्होने अपना लंड मेरी चूत के छेद पे रखा. मैने 8 इंच के लंड से सिर्फ़ एक बार चुदाई की थी उसके अलावा तो सिर्फ़ विवक के 4 इंच के लंड के साथ खेली थी. मैं भूल गयी थी कि मेरी छोटी सी चूत में 8 इंच का लंड जाने से कितना दर्द होता हैं. शर्मा जी ने एक ज़ोरदार धक्के से अपने आधा लंड मेरी चूत में डाल दिया. में चिल्ला उठी ‘आआऐईइ’. शर्मा जी ने अपने मोटे लंड से मुझे 4 इंच तक चोदना शुरू किया. दो मिनिट में ही मेरा दर्द चला गया और मुझे मज़ा आने लगा. ‘अब दर्द कम हुआ बेटी?’ शर्मा जी ने पूछा.

‘हां’

मैं सोच रही थी कि कितने आछे गेंटल्मन हैं कि मेरे दर्द का ख्याल रख रहे हैं. असल में वो सिर्फ़ इसलिए जानना चाहते थे ताकि वो और लंड घुसेड के मुझे और दर्द दे. मेरे हां कहते ही उन्होने और एक ज़ोरदार धक्का मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत को चीरते हुए अंदर घुस गया. में दर्द से ज़ोर से चिल्ला बैठी ‘आआऐईईइ.....’. तभी मिस्टर. वेर्मा मेरे सामने आ गये और मेरे बाल पकड़ के मेरा सर उपर कर दिया और अपना लंड मेरे मूह में डाल दिया. में अब ‘म्‍म्म्मममममम.. म्‍म्म्मममम’ कर चिल्लाने की कोशिश कर रही थी. मिस्टर. शर्मा अब मुझे लगातार धक्के लगा रहे थे.

‘आआअहह.. बहुत टाइट हो तुम बेटी आआआआअहह’

मिस्टर वेर्मा अपना पूरा लंड मेरे मूह में ठुसने की कोशिश कर रहे थे. मेरे बॉल पकड़ के उन्होने मेरा सर हिलने से रोक लिया था. आख़िर थोड़ी देर ज़ोर लगाने के बाद उनका पूरा लंड मेरे मूह में घुस गया. सारे वक़्त मिस्टर. शर्मा अपने तगड़े लंड से मेरी चूत को चोद रहें थे. मेरा दर्द अब कम होने लगा. मुझे डॉग्गी स्टाइल में चुदाई का अब बहुत मज़ा आ रहा था. पूरे 8 इंच का लंड मेरे अंदर बाहर हो रहा था इससे मुझे पता चला कि विवेक से चुदाई कर के मैने भूल की थी. मेरा चूत का दर्द अब बिल्कुल चला गया था और ज़िंदगी में पहली बार असली चुदाई का मज़ा आ रहा था. मिस्टर वेर्मा मेरे मूह को ज़ॉरो से पूरे 8 इंच लंड से चोद रहे थे. इससे मुझे तकलीफ़ तो हो रही थी पर चुदाई का मज़ा इतना था कि मुझे इसकी कोई परवाह नही थी.

मिस्टर शर्मा अपने दोनो हाथो से मेरी गांद मसल रहें थे. उन्होने ऐसा करते करते अपनी एक उंगली मेरी गांद में डाल दी. उंगली डाल के उन्होने अपने लंड के धक्कों के साथ उंगली भी अंदर बाहर करने लगे. इस से मेरा मज़ा और भी बढ़ गया और में अपनी गांद पीछे धकेल धकेल के मिस्टर शर्मा के धक्को का जवाब देने लगी. ‘लगता हैं बिटिया रानी को बहुत मज़ा आ रहा हैं’

ये कह के मिस्टर शर्मा ने धक्को की रफ़्तार और बढ़ा दी. में झार ने के बहुत करीब थी और मिस्टर शर्मा की इस हरकत से अब मेरा झरना शुरू हो गया. मिस्टर वेर्मा और मिस्टर शर्मा का भी झरना शुरू हो गया था. दोनो ‘आआआआअहह..... आआआआअहह’ करके आवाज़े निकाल रहें थे.

मिस्टर. वेर्मा ज़ॉरो से अपना लंड मेरे मूह में अंदर बाहर कर रहें थे और पानी निकाल रहें थे, इतना ढेर सारा पानी निकल रहा था कि में पूरा निगल नही पाई और मेरे मूह के साइड से वो नीचे बहने लगा. मिस्टर. शर्मा का लंड भी मेरी चूत में वीर्य निकाल रहा था. चूत में गरम वीर्य का एहसास हो के मेरा झरना और बढ़ गया. में जैसे जन्नत में पहुच गयी थी. लगभग 5 मिनिट तक हम तीनो ऐसे ही झरते रहें. मिस्टर शर्मा ने इतना सारा वीर्य निकाला कि वीर्य मेरी चूत से निकल के मेरे पैरो पे नीचे बहने लगा.

आख़िर तीनो का झरना बंद हुआ. दोनो नें अपना लंड मेरे अंदर ही रखा. कुछ देर बाद दोनो के लंड बैठ गये और दोनो ने लंड बाहर निकाले. में थक के सोफा पे लेट गयी. मिस्टर शर्मा और मिस्टर वेर्मा भी थक के सोफा पे बैठ गये.

कुछ देर बाद मिस्टर. वेर्मा ने मुझ से कहा

‘अरे बेटी तुम्हारे तो सारे शरीर पे वीर्य चिपक के सूख गया हैं. तुम ऐसा करो जल्दी से शवर लेलो’

‘ठीक हैं’

में शवर की तरफ जाने लगी. दोनो मेरे जवान नंगे जिस्म को देख रहे थे. में सोच रही थी कि ये दोनो कितने आछे गेंटल्मन थे और मुझे कितना मज़ा दिया दोनो ने. पता नही क्यूँ डिज़िल्वा ने कहा कि दोनो जंगली जानवर हैं. में जानती नही थी कि मिस्टर शर्मा मेरी छोटी सी गोरी गांद को देख कर क्या प्लान बना रहें थे और कुछ ही देर में मुझे पता चलने वाला था कि वो कितने जंगली थे और में उन जानवरों का शिकार बनने वाली थी...

में शवर के नीचे जा कर खड़ी हो गयी और अपने आप को पानी से सॉफ करने लगी. मेने अपने पूरे बदन पर साबून रगड़ रगड़ के ठीक से सॉफ किया. दस एक मिनिट में पूरी सॉफ हो कर में शवर से निकलने के लिए तैयार हो गयी. मैं मूडी तो मैने देखा कि मिस्टर वेर्मा और मिस्टर शर्मा दोनो बाथरूम में आ गये थे और मुझे नहाते हुए मेरा नंगा जवान जिस्म अपनी आखों से पी रहे थे. दोनो के चेहरे से एक हल्की सी मुस्कान और आँखों में हवस थी. उनके लंड आधे खड़े थे. उनको मुझे घूरते देख मैने सोचा क्यों ना में उनको थोड़ा और मज़ा दूं. मैने दूसरी तरफ मूड गयी और झुक के उनके सामने अपनी गांद को दोनो हाथो से फैला कर मसल्ने लगी. मेरी पानी से चमकती गांद दोनो को पागल बना रही थी. मुझे दोनो के सामने अपने नंगे बदन की नुमाइश करके बहुत मज़ा आ रहा था. मैने एक उंगली अपनी गांद में डाल दी तो मेरे मूह से ‘आआआहह… म्‍म्म्मममममम…’ की सिसकियारी निकल गयी. अब में अपनी उंगली को अपनी गांद में अंदर बाहर करने लगी. मुझे अब बहुत सेक्स चढ़ गया था दोस्तो मैं सेक्स की पुजारन तो बन ही चुकी थी कुछ देर ऐसा करने के बाद मैने गांद से उंगली निकाल दोनो की तरफ मूड गयी. मैने देखा तो दोनो के लंड अब पूरे कड़क हो कर खड़े थे और वो अपने लंड को धीरे धीरे सहला रहें थे. मैं दोनो हाथों से अपने बूब्स दबाने लगी और अपने निपल को खीचती रही. में अब बिल्कुल पागल हो रही थी. मुझे फिर से चुदाई करनी थी. वहाँ मिस्टर शर्मा और मिस्टर वेर्मा भी मेरी जवानी लूटने के लिए उतावले हो रहे थे. दोस्तो कैसा लगा ये पार्ट हमारी सेक्स की पुजारन और भी मस्ती मे आती जेया रही मुझे तो लगता है अब शरमाजी और वर्मा जी इसकी गान्ड का भी उद्घाटन करने वाले है आगे जानने के पढ़ते रहिए सेक्स की पुजारन आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः..........
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11-11-2017, 12:10 PM,
#8
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 8

गतान्क से आगे.............

मिस्टर शर्मा मेरी नज़दीक आ गये और ‘अब मुजसे नहीं रहा जाता’ कह के मुझे उठा लिया. उठा के वो मुझे कमरे में ले जाने लगे. कमरे में जाने से पहले मैने देखा के मिस्टर वेर्मा शवर के नीचे खड़े हो कर साबुन से अपनी गांद सॉफ कर रहे थे. मुझे समझ में नहीं आया कि वो ऐसा क्यूँ कर रहें हैं. बेडरूम में आ के मिस्टर शर्मा ने मुझे बिस्तर पे फेक दिया और सीधे मेरे पैर फैला कर मेरी चूत को उपर उपर से चाटने लगे. मिस्टर वेर्मा भी दो मिनिट में आ गये और मेरे बूब्स चूसने लगे.

कुछ मिनिट ऐसा करने के बाद मिस्टर वेर्मा ने अपने घुटनो तले मेरे सर के बाजू में बैठ के अपना लंड मेरे होटो पे रगड़ ने लगे. मैने अपने होठ खोलके अपनी जीब बाहर निकाल दी ताकि वेर्मा जी अपना लंड उस पे रगड़ सके. ऐसा कुछ मिनूटों तक चलता रहा में बहुत गरम हो गयी थी. मिस्टर वेर्मा ने अब हट के अपना एक पैर उठा कर मेरे सिर को दोसरे साइड पे कर दिया. अब उनके बॉल मेरे माथे को छू रहे था और उनका लंबा लंड मेरी नाक, खुले होंठ और जीब पे रगड़ रहा था. शर्मा जी ने अपनी जीभ अब एक झटके में पूरी मेरी चूत में डाल दी, मैं ‘आआआहह…. म्‍म्म्ममममममममम’ करके ज़ोर से सिसकारिया भरने लगी. उनकी जीब पूरी मेरी चूत में घुसी हुई थी और वो अपनी जीब को उपर नीचे हिला रहे थे. में पागल हो रही थी. मिस्टर वेर्मा यहा मेरे उपर थोड़ा और आगे बढ़े और अपने बड़े बॉल्स मेरे होटो पे रख दिए. मैं अपने होठ खोल के उनके बॉल चूमने और चाटने लगी. उन्हों ने अपने दोनो हाथो से मेरे बूब्स दबोचना शुरू कर दिया और मैने अपना मूह पूरा फैला कर उनके बॉल जितने समा सके उतने अपने मूह मे लेके ज़ोर से चूसने लगी. मेरा ऐसा करने पर मिस्टर वेर्मा के मूह से आअहह निकल पड़ी. कुछ मिनूटों तक में उनके बॉल इसी तरह चूस्ते रही, मिस्टर. शर्मा मेरी चूत अब और ज़ोरो से चाट रहे थे और मेरे मूह से ‘म्‍म्म्मममह. ...म्‍म्म्मममह’ की सिसकियारी निकल रही थी. फिर अचानक मिस्टर वेर्मा ने अपने बॉल मेरे मूह से निकाल दिए और थोड़ा उपर होके अपने गांद का छेद मेरे होटो के नज़दीक ला कर नीचे बैठने लगे.

मुझे पता चल गया के वो चाहते थे कि मैं उनके गांद के छेद को चाटलू. पर ये मुझे नही करना था और मैने अपना सिर मोड़ लिया.

‘क्या हुआ बेटी ’

‘मैं ऐसा नहीं करूँगी, मुझे गंदा लगता हैं’

‘फिकर मत करो बेटी. मैने स्नान करने के वक़्त इससे साबुन से बहुत साफ कर के रखा हैं’. तब मुझे समझ में आया की मिस्टर. वेर्मा अपनी गांद पे साबुन क्यूँ लगा रहें थे.

’नहीं यानी नही. में नही करूँगी

यह सुन कर मिस्टर. शर्मा ने मेरी चूत से अपनी जीब निकाल दी और कहा ‘बेटी यह ग़लत बात हैं. ऐसे ज़िद नहीं करते. अगर तुम वेर्मा की गांद नहीं चाटोगी तो में भी तुम्हारी चूत नहीं चाटूंगा’

‘प्लीज़ मिस्टर शर्मा, अपनी जीब फिर से अंदर डालो मुझे बहुत मज़ा आ रहा हैं’

‘मज़ा आ रहा हैं ना. अगर तुम्हे मज़ा लेना हैं तो मज़ा देना भी तो पड़ता हैं ना. ऐसा करो मैं तुम्हारी चूत चाटू तब तक तुम उसकी गांद के छेद को थोड़ा थोड़ा उपर से चाट लो, ठीक हैं’

‘मैने कह दिया ना नहीं मतलब नहीं’.

‘देखो बेटी ज़िद नही करते. अगर तुम वेर्मा की गांद चॅटो गी तो वेर्मा तुम्हारे बूब्स को अच्छी तरह से चोदेगा’

मुझे समझ में नहीं आया की बूब्स को कैसे चूदेन्गे ? ’वो कैसे होता हैं’ मैने पूछा

‘तुम उसकी गांद को चॅटो और वो तुम्हे तुम्हारे बूब्स चोद के दिखाता हैं. ठीक हैं ?’

‘ठीक हैं’ मैने कहा. ‘लेकिन अगर आप बंद करदेंगे तो मैं भी बंद कर दूँगी’

‘ठीक है बेटी. चलो शुरू हो जाओ’ यह कह के मिस्टर शर्मा ने मेरी चूत को फिरसे चाटना शुरू कर दिया.

मैने अपना सिर सीधा कर लिया. मिस्टर वेर्मा ने अपनी गांद धीरे से नीचे कर ली और गांद का छेद मेरे होंठो के करीब ला दिया. मैने अपने होठ खोल के अपनी जीभ धीरे से बाहर कर ली और धीरे से उपर उपर से थोड़ा थोड़ा चाटना शुरू कर दिया. ‘थोड़ा ज़ोर से चॅटो बिटियाँ’ मिस्टर वेर्मा ने कहा. ‘नहीं पहले आप करने वाले थे वो करिए‘. ‘ठीक हैं’ यह कह के मिस्टर वेर्मा ने अपना लंड मेरे दोनो बूब्स के बीच में रख कर मेरे दोनो बूब्स अपने हाथो से साइड से उनके लंड पे दबा दिए और धीरे धीरे अपना लंड बूब्स के बीच रगड़ने लगे. अपनी उंगलियों से वो मेरे निपल खिच रहे थे. उनका गरम गरम लंड मेरे बूब्स के बीच और मेरे निपल का खिचना और साथ ही मिस्टर शर्मा का ज़ॉरो से मेरी चूत चाटना, ये सब एक साथ महसूस कर के मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने सोचा कि ये दोनो मुझे इतना मज़ा दे रहे हैं तो मेरा भी फर्ज़ हैं की मैं उनको खुश करू. यह सोच के मैने मिस्टर वेर्मा की गांद को थोड़ा ज़ोर से चाटना शुरू कर दिया, उनके गांद के छेद में भी काफ़ी सफेद बाल थे और उन बाल से मुझे थोड़ी गुदगुदी हो रही थी. उन्होने वाकेइ अपनी गांद अछी तरह से सॉफ की थी. मिस्टर. शर्मा अब ज़ोरो से मेरी चूत चाट रहे थे. में पागल सी हो रही थी. मैने भी अपनी जीब को मिस्टर. वेर्मा की गांद के छेद पे ज़ोर दे कर अंदर डाल दिया. मिस्टर. वेर्मा के मूह से ‘आआआआआआआहह’ करके आवाज़ निकल गयी ‘बहुत अच्छे बेटी, और ज़ोर से चॅटो’. मैने अपनी जीब को मिस्टर. वेर्मा की गांद में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मिस्टर. वेर्मा पागल हो रहे थे और ‘आआआहह....आआआआहह’ की आवाज़े निकाल रहे थे. मुझे आश्चर्या हो रहा था कि में इस बुड्ढे आदमी की गांद में अपनी जीब डाल के हिला रही थी पर मुझे ज़रा भी बुरा नहीं लग रहा था. उपर से मुझे मज़ा आ रहा था. कुछ मिनूटों तक हम तीनो ऐसा ही करते रहे. मिस्टर. वेर्मा मेरे बूब्स के बीच लंड रगड़ते रहे और में अपनी जीब उनकी गांद में पूरा डाल के हिलाती रही. इतनी देर जीब को कड़क रख के गंद के छेद में रखने से अब मेरी जीब में दर्द होने लगा था. मैने उसे बाहर निकाला. मिस्टर वेर्मा ने कहाँ ‘अंदर से मत निकालो बेटी, बहुत मज़ा आ रहा हैं’

‘अब मुझ से और नही होगा, जीब को कड़क रखते रखते मुझे दर्द हो रहा हैं’

‘ठीक हैं मेरी गांद के अंदर नहीं लेकिन छेद को चाटना बंद मत करो’

‘ठीक हैं’ कहके मैने उनके गांद के छेद को चाटना ज़ारी रखा.

‘थोड़ा ज़ोर से चॅटो बेटी. और अपने होठ भी लगाओ उससे’. मेने अपने होंठ आगे कर के उनके गांद के छेद को होंठो से चूमने लगी और ज़ोर से चाटने लगी.

कुछ मिनूटों के बाद मिस्टर. शर्मा ने मेरी चूत से जीब निकाल दी. मैं सोच ही रही थी की वो अब क्या करेंगे की उन्होने मेरी दोनो टांगे उठा कर अपने कंधे पे डाल दी और मुझे अपनी गांद के छेद पे उनका लंड रगड़ता महसूस हुआ.

मैने सोचा के अगर उनका इतना बड़ा लंड मेरी गांद में घुसा तो में तो मर जाऊंगी. मैने तो सिर्फ़ एक बार विवेक का छोटा सा लंड अपनी गांद में लिया था और वो भी बहुत मुश्किल से. मुझे पता नही चला लेकिन वेर्मा और शर्मा ने एक दूसरे को इशारा कर के तैयार कर दिया था. में कुछ कहूँ उससे पहले ही मिस्टर. वेर्मा ने अपनी गांद और नीचे कर ली और पूरी तरह मेरे चेहरे पर बैठ गये और अपनी गांद का छेद मेरे चेहरे पे रगड़ने लगे. मैने अपना सर हटाने या मोड़ ने की कोशिश की पर उनका पूरा वजन मुझ पे था और मैं अपना सर बिल्कुल हिला नही पा रही थी. मिस्टर. शर्मा ने एक बहुत ज़ोर का धक्का मारा और मुझे उनका लंड 4 इंच तक मेरे गांद मे जाता महसूस हुआ. मे ज़ोर से चीखना चाहती थी पर मेरा मूह तो मिस्टर वेर्मा की गंद से दब गया था. मिस्टर शर्मा ने अपने लंड को थोड़ा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और मेरा दर्द कम हो गया. लेकिन में जानती थी के किसी भी वक़्त वो अपना बाकी का लंड भी मेरी गांद में डाल ही देंगे. और ऐसा ही हुआ. उन्होने और एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उनका लंड पूरा का पूरा मेरी गांद में चला गया. मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे, में अपने हाथो से कभी मिस्टर शर्मा तो कभी मिस्टर वेर्मा को मार के हटाने की कोशिश कर रही थी पर उनपर कोई असर नही हुआ, में दर्द से छटपटा रही थी. वो अब खुशी से ‘आआआआअहह... आआआआआआआअहह’ चिल्ला कर मेरी गांद में अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे. ‘बहुत टाइट हैं बिटियाँ रानी, लगता हैं कभी गांद नही मरवाई आआआआहह..’.

यहाँ मिस्टर वेर्मा ज़ोर से मेरे दोनो बूब्स को दबा कर बीच में अपना लंड रगड़ रहे थे, इस रगड़ने के साथ उनका गंद का छेद भी मेरे होटो और नाक पे ज़ॉरो से रगड़ रहा था. इस रगड़ने से मेरी नाक थोड़ी सी उनके गांद के छेद मे घुस जाती. मेरी जीब अभी भी मेरे मूह से बाहर थी और इसकी वजह से उनका छेद और मेरा मूह गीला हो गया था.

मिस्टर शर्मा का लंड, अब मेरी गांद को चीरते हुए तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. मुझे उन दोनो को रोकना था लेकिन उन दोनो ने मुझे ऐसे जाकड़ के रखा था के में कुछ नहीं कर पा रही थी. वो दोनो दस मिनिट तक मुझे इसी तरह से चोदते रहे. मेरा दर्द थोड़ा कम होने ही लगा था कि मिस्टर शर्मा झरने के करीब आ गये और जंगली जानवर की तरह मेरी गांद को और ज़ोर से चोदने लगे. मेरा दर्द दो गुना बढ़ गया. वो ज़ोर से चिल्ला रहे थे ‘आआआअहह..... आआआआआआअहह’ उनके लंड से पानी निकलना शुरू हो गया. मिस्टर वेर्मा के मेरे बूब्स दबाने से मुझे अब बूब्स में भी दर्द हो रहा था और अब वो भी झरने लगे थे, उन्होने मेरे बूब्स और ज़ोर से साइड से दबाए और ज़ोर से मेरे बूब्स चोदने लगे. उन्होने अपनी गांद भी और ज़ोरो से मेरे चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया. अब हरेक धक्के पे मेरा पूरा नाक उनके गंद के छेद में चला जाता था. वो भी ‘आआआअहह..... आआआआआआअहह’ चिल्ला रहे थे और उनके लंड से भी पानी निकल के मेरे पेट पे गिरने लगा. दोनो तकरीबन तीन या चार मिनिट तक ऐसे ही चिल्लाते रहे और झरते रहे और ढेर सारा वीर्य निकालते रहे. फिर दोनो ने धक्का लगा ना बंद किया. मिस्टर शर्मा ने फिर भी अपना लंड मेरी गांद से नही निकाला और अंदर ही रखा. मिस्टर वेर्मा ने आख़िर मेरे चेहरे से अपनी गांद हटा दी. उन्होने अपने लंड पे लगा बाकी वीर्य मेरे एक बूब पे घिस के सॉफ किया. दो मिनिट बाद जब मिस्टर शर्मा का लंड पूरा बैठ गया तो मेरी गांद से निकाला और उन्होने मेरे दूसरे बूब पे लंड को घिस के सॉफ कर दिया. मेरा चेहरा पूरा लाल था और मेरे आखों से अभी भी दर्द के आसू बह रहे थे लेकिन वेर्मा और शर्मा मे से किसी ने मुझे कोई सहानीभूति दिखाई. उन्होने मुझे कोई इस्तेमाल की गयी चीज़ की तरह वहाँ ही छोड़ के, अपने कपड़े उठा के बगल की रूम में चले गये जहाँ डिज़िल्वा बैठा था. में दर्द के मारे वाहा पर ही पड़ी रही.

मुझे बाजू के कमरे से आवाज़ सुनाई दे रही थी.

‘मान गये डिज़िल्वा. क्या लड़की है. आज तक तूने ऐसा माल कभी डेलिवर नही किया, ज़्यादातर तू कोई सस्ती रांड़ को स्कूल की ड्रेस में ले आता हैं. दो या तीन बार स्कूल की लड़की लाया भी हैं तो बिल्कुल काली कलूटी. पर ये मानसी की तो तारीफ करू उतनी कम हैं. इतनी टाइट चूत और गांद और क्या चिकनी सूरत. कितने पैसे हुए’

‘बस दोनो बीस बीस हज़ार दे दो’

‘बीस हज़ार? बात तो पाँच की हुई थी’

‘हुई तो थी पर वो तो एक घंटे के लिए. तुम दोनो तो उसको चार घंटे से चोद रहे हो’

ये बात सुनकर शर्मा और वेर्मा हँसने लगे.

’क्या करे माल ही कुछ ऐसा हैं. अगर घर पे बीवी इंतेज़ार ना करती होती तो हम यहाँ पर ही रह जाते. तुम बीस बीस हज़्ज़ार हमारे खाते मे जोड़ दो’

‘ओके जी. आप लोगो से बिज़्नेस करने में यह ही अछी बात हैं. आप लोगो को माल की कीमत का अंदाज़ा लगाना आता हैं, अगर इससे फिर कभी चोदना हो तो सिर्फ़ एक फोन करदेना’

मैं ये बातें सुन कर हैरान हो गयी. डिज़िल्वा ने मुझे बेवकूफ़ बनाया था. पहले तो उसने मुझे दो जवान मर्द का लालच दे के मनाया. फिर टॅक्सी में मेरी चूत से खेल के मुझे गरम कर दिया ताकि में किसी से भी चुदवाने को तैयार हो जाउ. और फिर ये पैसे की बात. साले ने मुझे रांड़ बना दिया था.

शर्मा जी और वेर्मा जी के जाने के बाद डिज़िल्वा कमरे में आया.

‘कैसा लगा मेरी जान, मज़ा आया’.

मैने डिज़िल्वा को चिल्ला कर कहा ‘साले कुत्ते, तूने मुझे बेवकूफ़ बनाया और मेरा फयडा उठाया और उन दोनो से पैसे लिए’

डिज़िल्वा बेफिकर हो कर बोला ‘अरे वाह, बहुत नखरे मत कर. में सब सुन रहा था. उन दोनो से ज़्यादा तो तूने मज़े लिए हैं तू तो ऐसे बात कर रही हैं जैसे तुझे मज़ा नहीं आया.’

‘कुछ भी हो तुमने मुझे झूट कहा और उनसे पैसे लिए. ऐसे गंदी चीज़ मैं फिर कभी नही करूँगी. और में तुमसे अब कभी नहीं मिलूँगी. तुझ जैसे आदमी की मुझ से मिलने की हसियत ही नहीं हैं’. मेरे मूह से बात निकलते ही मुझे पछतावा हो गया. में जानती थी कि डिज़िल्वा ने हेसियत की बात सुन के विवेक को कैसे मारा था.

हेसियत की बात सुनते ही देसील्वा गुस्से से लाल हो गया था.

‘साली अब दिखा ता हूँ मैं तुझे मेरी हसियत.’ ये कह के डिज़िल्वा ने अपना पॅंट नीचे कर दिया और अपना दस इंच का मोटा लंबा लंड बाहर निकाला....क्या बात है दोस्तो अपनी सेक्स की पुजारन अब तक तो आठ इंच के लंड से चुदति आई है क्या वो दस इंच का लंड बर्दास्त कर पाएगी जानने के लिए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन

वैसे दोस्तो किसी ने एक शेर कहा है

चूत री चूत तूने खाए बेगाने पूत

जो होती बीघा चार तो देती देश उजाड़

इस शेर के बारे मे आपकी क्या राय है ज़रूर बताना

आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः..........
Reply
11-11-2017, 12:10 PM,
#9
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 9

गतान्क से आगे.............

चार घंटे तक मेरी चुदाई सुनते सुनते डिज़िल्वा ने ठान लिया था की वो मुझे ज़रूर चोदेगा. उपर से मेने हेसियत की बात करके उससे गुस्सा दिला दिया था. में अब डर गयी थी की डिज़िल्वा अपने लंड से मेरा क्या हाल करेगा.

‘बहुत नखरे दिखाती हैं. जेंट्स टाय्लेट में अंजान मर्द का लंड चूस्ति हैं और फिर हसियत की बात करती हैं’

यह कह कर वो नीचे मेरी टाँगो के बीच में बैठ गया. मेरे सारे बदन में दर्द था और मुझे गुस्सा भी बहुत था लेकिन फिर भी ऐसे तगड़े लंड को देख मेरा मन उछाल रहा था. अब डिज़िल्वा पूरा नंगा था और ज़मीन पे बैठा था. उसने मेरे दोनो हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ उपर कर लिया. मैं अब ज़मीन पर बैठी थी, डिज़िल्वा ने मेरे दोनो हाथ मेरे सर के उपर पकड़ के रखे थे और मेरे नंगे जिस्म को देख रहा था.

‘चार घंटे से तेरी चुदाई सुन के लंड से खेल रहा था मैं, अब तुझे चोद चोद के अपनी भाड़ास निकालूँगा’

उसने मुझे ज़मीन पे धक्का मार के लेटा दिया. उसने मेरे पैर फैला कर उसका लंड मेरी चूत पे रख एक ज़ोरदार झटका दिया. उसका लंड चीरते हुए पूरा मेरी चूत में घुस गया. में ज़ोर से चीख पड़ी ‘आआईयईई... प्लीज़ निकालो इसे. बहुत बड़ा हैं’.

‘अब में तुझे दिखा ता हूँ तेरी हेसियत. साली रांड़’

उसने अब एक जंगली जानवर के जैसे मुझे ज़ोर ज़ोर सेचोदना शुरू कर दिया. उसकी आँखों में बहुत गुस्सा था. वो झुक कर मेरा एक बूब अपने मूह मे लेकर उसे अपने दातों से काटने लगा. में और चीख पड़ी. ‘आाआईयईईई.... रहम करो में माफी मांगती हूँ’ मैने कहा. पर वो कुछ सुनने को तैयार नही था. वो लगातार ज़ोर से धक्के लगाता रहा और में चिल्लाति रही. कुछ देर बाद मेरा दर्द धीरे धीरे कम होता गया और मज़ा बढ़ता गया. मेरी चूत में फिर से गर्मी बढ़ गयी.

मुझे अब डिज़िल्वा के ज़ोरदार धक्के में मज़ा आने लगा. में भी अपनी गांद उछाल उछाल के उसके धक्के का जवाब देने लगी.

‘अब मज़ा आ रहा मेरी रांड़’ डिज़िल्वा ने कहा. मेने कुछ नहीं कहाँ. मुझे गुस्सा आ रहा था कि मैं अपने आप पे काबू रख नही पा रही थी और अपने जिस्म की भूक की गुलाम हो गयी थी.

अचानक डिज़िल्वा ने धक्के मारना बंद कर दिया. मेरे मूह से ‘प्लीज़ अब मत रोको’ निकल गयी.

‘क्यूँ’

‘क्यूंकी मुझे मज़ा आ रहा हैं’ मुझे ऐसा कहने में बहुत शरम आ रही थी.

‘क्या करने में मज़ा आ रहा हैं ?’

में कुछ नहीं बोली. डिज़िल्वा ने तब कहा ‘अगर लंड से चुदवाने में मज़ा आता है तो बोलो मुझे तुम्हारा लंड चाहिए’

‘मुझे तुम्हारा लंड चाहिए’ मैने दबी हुई आवाज़ मैं कहा.

वो जान भुज कर मुझे ज़लील करना चाहता था.

‘मुझे सुनाई नही दिया, ज़ोर से बोल’

मैने फिर से कहा ‘मुझे तुम्हारा लंड चाहिए’ मैने ज़िंदगी में कभी ऐसी गंदी बातें नही कही थी.

उसने अब धीरे से मुझे चोदना शुरू कर दिया. ‘ज़ोर से करो प्लीज़’ मैने कहा

‘क्यूँ तू रंडी है क्या कि तुझे ज़ोर से चुदवाना हैं’

में कुछ नहीं बोली तो उसने चोदना फिर से बंद कर दिया.

में समझ गयी की वो क्या सुन ना चाहता हैं. ‘हां हां में रांड़ हूँ मुझे ज़ोर से चोदो’ मैने कहा.

ये सुनकर उसने फिर से चोदना शुरू कर दिया.

‘यह हुई ना बात, जब तक तू यह बोलती रहेगी में तेरी चुदाई चालू रखूँगा. और धीरे से नहीं चिल्ला कर बोल’

मुझे उसके मोटे लंड से ज़ोर से चुदवाने की बहुत तलब हो गयी थी. मेरा दिमाग़ ने अब काम करना बंद कर दिया था.

मैने अब चिल्ला चिल्ला कर उसे सुनना था वो बोलने लगी.

‘चोदो मुझे अपने लंड से’. उसने यह सुनकर ज़ोरदार झटके मारना शुरू कर दिया

में ज़ॉरो से सिसकियारी भर रही थी ‘आआआआआहह......आआआआआअहह’ और सिसकियारीओं के बीच में गंदी बातें कर रही थी

‘तू मेरी रांड़ हैं समझी’

‘हां आआअहह...... चोदो मुझे..... चोदो अपनी रांड़ को..... आआअहह’

‘मज़ा आ रहा हैं मेरा लंड ले के’ डिज़िल्वा हरेक धक्के पे लगभग पूरा लंड बाहर निकाल के उसे फिर से अंदर घुसेड रहा था.

‘आआआआहह..... आआआआआआअहह. .... गधे जैसा लंड हैं तुम्हारा बहुत मज़ा आ रहा हैं. और ज़ोर से चोदो मुझे’

आधे घंटे तक हम ऐसे ही ज़ोरदार चुदाई करते रहें और में ऐसी गंदी बातें करती रही. हम दोनो का सारा बदन पसीने से लत पथ हो गया था.

में अब झरने के बहुत करीब आ चुकी थी. डिज़िल्वा भी झरने वाला था.

वो अब पूरे ज़ोर से मेरी चुदाई करने लगा. चार घंटे हिलाते हिलाते डिज़िल्वा के बॉल पूरे भर गये थे और अब वो सारा वीर्य मुझ में निकालने वाला था.

‘आआअहह.........आआआआआआआहह साली गटर की रांड़. यह ले मेरा पानी’ यह कह के उसने अपना वीर्य मेरी चूत में निकालना शुरू कर दिया.

‘आआआआहह...... हां में गटर की रंडी हूँ, निकाल दो अपना पानी मेरी चूत में... आआआआहह....’ मेरा भी झरना शुरू हो गया था. हरेक धक्के पे डिज़िल्वा के लंड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था. हम दोनो 5 मिनिट तक यूँ ही कुत्तों की तरह चोद्ते रहें और झरते रहे. डिज़िल्वा ने इतना सारा वीर्य निकाला की वो अब मेरी चूत से बह कर बाहर आ रहा था और हरेक धक्के पे ‘चुप चुप’ की आवाज़ आ रही थी. वीर्य निकालते निकालते डिज़िल्वा का लंड झटके खा रहा था और उससे मुझे और मज़ा मिल रहा था. आख़िर हम दोनो का झरना बंद हुआ. डिज़िल्वा अपना लंड धीरे से अंदर बाहर करता रहा. हम दोनो ज़ोर से साँसें ले रहे थे. डिज़िल्वा का लंड अभी भी झटके खा रहा था. में इतनी ज़ोर से झार गयी थी की मेरा सारा बदन अभी भी काँप रहा था. मुझे डिज़िल्वा के लंड से प्यार तो पहले से ही हो गया था, पर अब तो में इस लंड की गुलाम हो गयी थी. डिज़िल्वा मुझ पर पूरा लेट गया था. धीरे धीरे उसका लंड मेरी चूत में ही छोटा हो रहा था.

आख़िर उसने अपना लंड बाहर निकाला और खड़ा हुआ.

‘तुम्हारा लंड तो कमाल हैं’ मैने शरमाते हुआ कहा.

‘सच कहता हूँ मानसी. सारी ज़िंदगी में आज तक तेरे जैसी सेक्सी लड़की नही देखी और नही तेरे जैसी रांड़. चल अभी में चलता हूँ फिर मिलेंगे. तू थोड़ा आराम कर और ये ले अपने मूह में’ डिज़िल्वा ये कह के मेरे पास में पड़ी मेरी गीली पॅंटी को मेरे मूह में ठूंस दिया. सारी पॅंटी मेरे मूह में ठूंस दी और खड़ा हो के वहाँ से चला गया.

में अब होटेल की ज़मीन पर अकेली पड़ी थी. मेरा सारा बदन इतनी सारी चुदाई से दर्द कर रहा था. में किसी भी तरह खड़ी हो कर शीशे के सामने आ गयी. शीशे मैं मेने अपनी हालत को देखा. मेरे बाल बिखरे हुए थे मेरे चेहरा पूरा लाल हो गया था मिस्टर वेर्मा की गांद के रगड़ने से, मेरी गांद और चूत से अभी भी वीर्य निकल रहा था और मेरे पैरों से बह कर नीचे जा रहा था, मेरे बदन के दूसरी जगह पे वीर्य सूख चुक्का था और मुझे सूखे हुए वीर्य की बास आ रही थी और मेरे मूह में मेरी पॅंटी थुसि हुई थी.

मेरे सारे बदन में दर्द था जो अगले दिन थोड़ा कम हो गया लेकिन सिवाय मेरी गांद का. मिस्टर शर्मा ने मेरी छोटी सी गांद की ऐसी हालत की थी की मुझे चलने में और बैठने मैं तकलीफ़ हो रही थी. मैने बुखार का बहाना बना के कुछ दिन स्कूल जाना बंद कर दिया और डॉक्टर से दर्द की दवाई लेने लगी. एक हफ्ते बाद मेरा दर्द कम हो गया और में स्कूल जाने के काबिल हो गयी. सारे हफ्ते मुझे सिर्फ़ डिज़िल्वा का लंड ही दिमाग़ में आ रहा था. में अब उस लंड की गुलाम हो गयी थी.

अगले दिन से में स्कूल जाने लगी. जब में स्कूल से घर जा रही थी तो मेने देखा के बाहर डिज़िल्वा खड़ा था. पर में अपनी कुछ सहेलिओं के साथ थी इसलिए उसने कुछ नही कहा और चुप चाप मेरे पीछे चलता रहा. थोड़ा चलने के बाद मैने सहेलिओं को बहाना बनाया की में स्कूल में किताब भूल गयी और पीछे रह गयी और उनको आगे जाने दिया. अब डिज़िल्वा मेरे बगल में आ गया और मुझे खीच के एक पास वाले मकान के पीछे ले गया. मकान पुराना सा और बंजर था और उसमे कोई नही रहता था.

उसने मुझे बाहो में जाकड़ लिया और कहा ‘कैसी हो जानेमन, इतने दिनो से कहा थी, मेरी चुदाई से मज़ा आया ?’

मैने कुछ नही कहा. उसने मेरे बाल खीच लिए जिस से मेरा सर उपर हो गया और वो मेरे गले को चूमने और चाटने लगा. में ‘आआअहह….. सस्स्स्स्स्स्सस्स……. ’ करके सिसकियारी भर रही थी.

अब उसने मेरा हाथ पकड़ के मोड़ दिया. में दर्द से ‘आआईयईईई…’ कर के घूम गयी. मेरे घूमने पे उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और अपनी ओर खीच लिया. दोनो हाथ उसके मेरे बूब्स पे थे और वो उनको मसल रहा था. उसने मुझे कस के पकड़ा था और अपना लंड मेरी गांद पे घिस रहा था. मुझे उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होते महसूस हो रहा था. दो मिनिट में उसका लंड एक दम खड़ा हो गया था. वो अपनी जीब निकाल साइड से मेरे गले और गालो को चाट रहा था. मैने अपना सर मोड़ दिया और उसकी बाहर निकली मोटी जीब को अपने होंठो के बीच ले कर चूसने लगी.

डिज़िल्वा सोच रहा था की कैसे मैं अब कुछ भी कहे बिना उसके साथ सेक्स करने लगी थी. ऐसी सोलह साल की जवान लड़की, वो भी इतने उचे घराने की. उसने ज़िंदगी में इतनी खूबसूरत लड़की नहीं देखी थी बिल्कुल कटरीना कैफ़ जैसी. और अब वो लड़की वो जब चाहे इस्तेमाल कर सकता था उसे अपने नसीब पे विश्वास नहीं हो रहा था.

डिज़िल्वा अब अपना एक हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर ले कर मेरी पॅंटी को नीचे उतार ने लगा. उसने मेरी पॅंटी मेरे घुटनो तक उतारी और फिर अपनी उंगलियाँ मेरी चूत पे लगा दी. दूसरे हाथ से उसने अपनी पॅंट का बटन खोल दिया. उसका पॅंट नीचे गिर पड़ा. उसने मेरा स्कर्ट उठा के अपना लंड मेरे गांद पे लगा दिया और रगड़ना शुरू कर दिया. सारे वक़्त में अपने होंठो से उसकी पूरी जीब को चूस रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. डिज़िल्वा ने अपनी बीच वाली उंगली ले कर मेरी चूत में डाल दी. उसका लंड के मेरी गांद पे महसूस करके मेरे बदन में सनसनी फैल गयी. मैने ब्रा नहीं पहनी थी और डिज़िल्वा मेरी शर्ट के उपर से ही मेरा एक निपल अपनी उंगलियो के बीच ले कर उससे मसल्ने लगा. में पागल हो रही थी. उसका गरम विशाल लंड मेरे गांद पे रगड़ रहा था. में झरने के बहुत करीब आ गयी थी. डिज़िल्वा को पता चल गया था और अब उसने और एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अपनी दोनो उंगलियाँ पूरी मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा और साथ ही मेरे निपल को भी ज़ोर से खीचता रहा. मेरा झरना शुरू हो गया. में अपनी गांद ज़ोर से आगे पीछे करने लगी. मेरा सारे बदन में सनसनी फैल रही थी. में ज़ोर से डिज़िल्वा को चूम रही थी और ‘म्‍म्म्ममममम……. ……म्‍म्म्मममममम………’ की आवाज़े मेरे मूह से निकालते हुए झार रही थी. डिज़िल्वा अपने हाथ से मेरा बूब दबा रहा था और अपनी उंगलियो से मेरे निपल मसल के खीच रहा था. दो तीन मिनिट तक में ऐसे ही झरती रही. आख़िर मेरा झरना ख़तम हुआ.

‘अब मेरी बारी’ ये कह के उसने मुझे उसकी तरफ घूमा दिया और नीचे झुक के मेरी शर्ट के उपर से ही मेरे बूब को मूह में ले के चूसने लगा. एक के बाद दूसरा, वो पागल की तरह मेरे दोनो बूब्स को चूस रहा था. मेरा शर्ट उसके थूक से गीला हो गया था और मेरे बूब्स से चिपक रहा था. गीले शर्ट से मेरे निपल साफ दिखाई दे रहे थे

मैं ज़मीन पे घुटनो तले बैठ गयी. डिज़िल्वा का मोटा लंबा लंड मेरे सामने था. उसे देख मेरे मूह में पानी आ गया. मुझे उससे मूह में लेना था पर में डर रही थी कि वो अगर मेरे मूह को पूरे 10 इंच से चोदेगा तो में मर जाउन्गि. मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया. मैने अपना शर्ट निकाल दिया और उसका लंड मेरे दो बूब्स के बीच लगा दिया. डिज़िल्वा ने अपना लंड उपर नीचे करना शुरू कर दिया.

‘क्या बूब्स है तेरे मेरी जान आआआआहह’

डिज़िल्वा का लंबा लंड मेरे बूब्स के बीच रगड़ रहा था. में उसकी आँखो में आँखें मिला के देख रही थी

‘हाई क्या चिकनी हैं तू मेरी रानी’ मुझे ऐसे गंदी बातें सुन के अच्छा लग रहा था.

डिज़िल्वा का गरम लंड मेरे बूब्स के बीच रगड़ रहा था. 10 मिनिट तक वो मेरे बूब्स को ऐसे ही चोद्ता रहा. तभी मैने अपना सर नीचे की ओर मोड़ा और अपना मूह खोल दिया और डिज़िल्वा के लंड का उपर का हिस्सा अपने मूह में ले लिया. मेरे बूब्स चोद्ते चोद्ते डिज़िल्वा के लंड का उपर का हिस्सा मेरे मूह के अंदर बाहर हो रहा था. मेरा ऐसा करने से डिज़िल्वा से रहा नही गया और वो झरने लगा

‘हाई तू तो पूरी रांड़ बन गई हैं आआआआहह…. ये ले आआआअहह…’ करके उसने अपना वीर्य निकालने लगा. वो मेरे बूब्स को ज़ोर से दबा रहा था और अपना लंड तेज़ी से उपर नीचे कर रहा था

उसके लंड से इतना वीर्य निकला कि मुझे यकीन नहीं हो रहा था. इतना सारा वीर्य तो मिस्टर शर्मा और वेर्मा ने मिलके भी नहीं निकाला था. इतनी तेज़ी से वीर्य निकल रहा था की मुझे पिया नही जा रहा था और मेरे मूह से थोड़ा वीर्य निकल कर मेरे बूब्स पे गिर रहा था. डिज़िल्वा चार पाँच मिनिट तक वीर्य निकालता रहा और झरता रहा. मेरे बूब्स भी मेरे मूह से गिरे वीर्य से गीले हो गये थे. आख़िर उसका झरना ख़तम हुआ और उसने अपनी पॅंट चढ़ा ली. मैं अपने बूब्स और गले से वीर्य सॉफ करने लगी. तब वो बोला

‘सुन ऐश्वर्या का नाम सुना हैं तूने’

‘हां ऐश्वर्या राई का नाम किसने नहीं सुना’

‘तू जानती हैं उसे मर्द नहीं पर लड़कियाँ ज़्यादा पसंद हैं ?’

‘तुम्हे कैसे पता’

‘अरे मेरा तो काम ही ये हैं. मैने उसके लिए कई लड़कियों का इंतज़ाम किया हैं. तूने कभी दूसरी लड़की के साथ सेक्स किया हैं’

‘नहीं’

‘ऐश्वर्या के साथ सेक्स करेगी’

अरेरेरेरेरे भाई ये क्या कह रहा है क्या वास्तव मे ऐश्वर्या राय मेरा मतलब ऐश्वर्या बच्चन को मर्द नही लड़कियाँ पसंद है सेक्स के लिए दोस्तो हमारी ये सेक्स की पुजारन क्या ऐश्वर्या के साथ मस्ती करेगी या डिसिल्वा वैसे ही लंबी लंबी फैंक रहा है ये जानने के लिए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः..........
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11-11-2017, 12:10 PM,
#10
RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 10

गतान्क से आगे.............

मैने ज़िंदगी मे कभी भी दूसरी लड़की के साथ सेक्स के बारे मे सोचा नही था. पर ऐश्वर्या राई की बात सुन कर मैं सोच में पड़ गयी.

‘तुम सच में ऐश्वर्या राई को जानते हो’

‘तो में कब का क्या कह रहा हूँ. तुझे पता नहीं कितनी सेक्सी हैं वो. टी. वी. में दिखती हैं उससे भी सेक्सी. और एक नंबर की चुड़क्कड. साली घंटो तक लड़कियो की चूत चाट्ती रहती हैं. बहुत मज़ा आएगा तुझे. ज़रा सोच तू अपने पैर फैला कर बैठी हैं और नीचे देख रही हैं कि ऐश्वर्या अपनी जीब निकाले तेरी चूत चाट रही हैं’

डिज़िल्वा की ऐसी बातें सुन कर मेरा मन ललचा गया. मैं सोचने लगी कि ऐश्वर्या राई के साथ सेक्स करने में कितना मज़ा आए गेया. ‘तू सिर्फ़ हां कर, में कल ही उसे मिलने का इंतज़ाम कर लेता हूँ’

‘ठीक हैं…’

अगले दिन स्कूल के बाहर डिज़िल्वा अपनी गाड़ी में मेरा इंतेज़ार कर रहा था. मुझे पता नहीं था पर गाड़ी उसने मेरी चुदाई के पैसे से ही खरीदी थी. हम ड्राइव करके एक बड़े से घर में आए. मुझे ऐश्वर्या राई से मिलने की बहुत जल्दी हो रही थी. में बहुत खुश थी. हम उस मकान के अंदर चले गये.

अंदर हम एक कमरे में गये. वहाँ एक औरत थी. मैने सोचा की शायद कोई नौकरानी होगी. दिखने में मायावती जैसी थी. मोटी और एक दम काली कलूटी, उसके होठ पान ख़ाके लाल हो गये थे.

‘जी नमस्ते मेडम’ देसील्वा ने कहा. ये कोई नौकरानी नही थी.

‘हां नमस्ते नमस्ते’ वो औरत मुझे घूर रही थी.

डिज़िल्वा ने मुझे देख के कहा ‘यह हैं ऐश्वर्या मेडम. नमस्ते करो इनको’

‘मेडम ये हैं मानसी, जिसके बारे मैं मैने आपको फोन पे बताया था’ मेरा दिल बैठ गया. डिज़िल्वा ने मुझे फिर से बेवकूफ़ बनाया था.

‘बहुत प्यारी लड़की हैं. बिल्कुल कटरीना कैफ़ दिखती हैं. क्या उमर है इसकी’

‘जी सोलाह साल’

वो औरत हस पड़ी. हँसने से उसके दाँत दिखाई दे रहे थे. सड़े हुए काले दाँत थे उसके. ऐसी बदसूरत औरत मैने ज़िंदगी में नही देखी थी. मैने ठान लिया कि कुछ भी हो जाए में ऐसी गंदी औरत के साथ कुछ नहीं करूँगी.

औरत खड़ी हो के मेरे पास आ गयी. उसके मूह से बहुत बदबू आ रही थी. वो मुझे उपर से नीचे देख रही थी. वो चल के मेरे पीछे आ गयी और डिज़िल्वा को कहा ‘वाह देसील्वा, मान गये’

मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. मेरे पीछे आ कर वो औरत अपना एक हाथ मेरी गांद पे रख कर उसे मसल्ने लगी ने लगी और कहा ‘वह क्या टाइट गांद हैं’. बाज़ार में कोई माल इस्तेमाल करने से पहले तराष्ता हो वो मुझे वैसे ही कोई चीज़ की तरह तलाश रही थी. मेरा गुस्सा उबल पड़ा. मैने उसके हाथ को अपने हाथ से मार के हटा दिया.

‘मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ. मैं जेया रही हूँ यहाँ से’ मैने गुस्से से कहा.

मैं घूम से वहाँ से चलने लगी तो डिज़िल्वा ने मुझे कमर से पकड़ के उठा लिया. मैं चीख पड़ी और अपने हाथ और पैर हवा में मारते हुए चिल्ला रही थी.

‘जाने दे मुझे, छोड़ दे मुझे’ वो औरत मुझे देख मुस्कुरा रही थी. मेरी ऐसी हालत देख के उसे मज़ा आ रहा था.

‘हाथ बाँध दू मेडम ?’ डिज़िल्वा ने उसे पूछा

‘नहीं रे. छटपटाने दे साली को. इसी में तो मज़ा हैं.’

‘जाने दो मुझे वरना में पोलीस में तुम लोगों की कंप्लेंट कर दूँगी’

दोनो हंस पड़े. डिज़िल्वा ने कहा ‘पोलीस में कंप्लेन करनी हैं तो मेडम से ही कर ले. यह पोलीस कमिशनर हैं’

में हैरान हो गयी. और मेरी हैरानी में मेने अपने हाथ पैर चलाना बंद कर दिया. इसका मौका ले कर डिज़िल्वा ने मुझे नीचे कर दिया और मुझे एक पास वाले टेबल के साइड पे खड़ा कर के आगे की तरफ झुका दिया. में अब टेबल पे पेट तले लेटी थी और मेरे पेर ज़मीन पे थे.

डिज़िल्वा ने मेरी पीठ पर एक हाथ रख के मुझे हिलने से रोक लिया.

डिज़िल्वा ने दूसरे हाथ से मेरा स्कर्ट उपर उठा के कहा ‘ये लो मेडम. माल तैयार हैं’

वो औरत अब मेरे पीछे आ गयी और ज़मीन पे बैठ गयी.

‘साली क्या गांद हैं इसकी’

मैं डिज़िल्वा के चंगुल से निकल ने की कोशिश कर रही थी और खड़ी होने की कोशिश कर रही थी, इससे मेरी गांद थोड़ी हिल रही थी.

ये नज़ारा देख उस औरत से रहा नही गया और वो मेरी गांद पे टूट पड़ी. उसने दोनो हाथो से मेरी गांद ज़ॉरो से मसलना शुरू कर दिया और अपना मूह मेरी पॅंटी के उपर से ही मेरी गांद के छेद पे लगा कर पूरा नीचे से उपर चाटने लगी.

दो/तीन मिनिट तक वो ऐसे ही मेरी गांद को मसल्ति और चाट्ती रही. चाटने से मेरी पॅंटी पूरी गीली हो गयी थी. अचानक बिना कोई चेतावनी उस औरत ने मेरी पॅंटी नीचे करदी और अपनी जीब को टाइट कर मेरी गांद में डाल दिया. में चोंक गयी. अचानक गांद में गीली जीब के एहसास से मुझे बहुत मज़ा आ गया और मेरे मूह से ‘आआआआहह’ करके सिसकियारी निकल गयी. वो दोनो हाथों से मेरी गांद फैला कर अपना मूह पूरा मेरी गांद के छेद पे दबा कर अपनी पूरी जीब लगभग 4 इंच तक मेरी गांद में घुसेड के उसे उपर नीचे कर रही थी.

मुझे पता भी नही चला कि कब डिज़िल्वा ने अपना हाथ मुझ पे से हटा दिया और साइड पे जा कर अपनी पॅंट उतारके अपने लंड को हिलाने लगा. मेडम अब अपनी जीब से मेरी गांद को चोद रही थी. दोनो हाथों से मेरी गांद मसल्ते मसल्ते वो अपनी जीभ तेज़ी से मेरी गांद में अंदर बाहर कर रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मोका देख डिज़िल्वा ने मेरा स्कर्ट निकाल दिया और मेरा शर्ट भी निकाल मुझे नंगा कर दिया. मेडम भी मेरी गांद चाटते चाटते नंगी हो गयी थी. कुछ देर तक जीभ से गांद की चुदाई ले कर मुझे बहुत मज़ा आने लगा था और मेरी चूत गीली हो गयी थी. मेडम ने मेरी गीली चूत देख ली.

‘ये देख डिज़िल्वा साली की चूत गीली हो गयी. एक नंबर की रांड़ हैं साली’ ये कह के वो खड़ी हो गयी. उसने एक हाथ से मेरे बाल पकड़ के ज़ोर से खीच के मुझे खड़ा कर लिया, मेरा सर उपर की तरफ हो गया और में दोनो हाथो से उसका हाथ मेरे बालो से हटाने की कोशिश कर रही थी.

‘आआऐईईई… प्लीज़ बाल छोड़ो मेरे’

दूसरे हाथ से उसने मुझे पीछे से खीच के मेरा नंगा जिस्म अपने नंगे बदन से लगा दिया.

‘साली रांड़, गांद चटवाने में मज़ा आता हैं ? अब में तुझे दिखाती हूँ हम पोलिसेवाले रंडियों का क्या हाल करते हैं.’ ये कह के वो घूम के मेरे सामने आ गयी. उसने अभी भी मेरे बाल एक हाथ से खीचे हुए रखे थे. में दोनो हाथो से उसका हाथ मेरे बालों से निकालने की कोशिश कर रही थी.

मैने मेडम का नंगा शरीर देखा. मुझे यकीन नही हो रहा था की कोई औरत इतनी बदसूरत हो सकती हैं. उसके बूब्स बहुत बड़े और बिल्कुल ढीले थे, उसके पेट तक पहुच रहे थे, उसका पेट मोटा था और उसके शरीर से पसीने की बदबू आ रही थी. उसने मेरे बाल खीचना छोड़ दिया और अपने दोनो हाथो से मुझे जाकड़ लिया. मेरा नंगा बदन उसके शरीर से चिपका हुआ था मैं उसके चंगुल से निकलने की कोशिश कर रही थी पर उसने मुझे कस के पकड़ा था में जितनी कोशिश ज़्यादा करती उतना ही उसको ज़्यादा मज़ा आ रहा था.

‘जाने दो मुझे प्लीज़’ मैं अब रोने लगी थी और मेरी आखों से आँसू निकल के मेरे गालों पे बह रहे थे. पर इससे मेडम पे कुछ असर नही था.

‘साली क्या चीनी हैं तू’ ऐसा कह के वो अपना मूह खोल के अपनी जीब बाहर निकाल मेरे मूह के पास ला दी. उसके मूह से गंदी बदबू आ रही थी. मैने अपना चेहरा मोड़ दिया. मेरे मूह मोड़ने से उसने अपनी जीब मेरे गालों से लगा दी और मेरे गालों से मेरे आँसू चाटने लगी.

‘साली रांड़ नखरे मत दिखा आज तो कुछ भी हो जाए तुझे पूरी मसल मसल के इस्तेमाल करूँगी’

डिज़िल्वा मेरे पीछे आ गया और अपने दोनो हाथो से मेरा चेहरा सीधा कर दिया. मेडम मुस्करा दी और फिर से अपनी जीब निकाल मेरे मूह की तरफ ले आई. मैने अपना मूह पूरी ज़ोर से बंद कर दिया था. मेडम ने अपने होंठ मेरे होंठ पे लगा दिए और ज़ोर से चूसने लगी. वो अपनी जीब ज़बरदस्ती मेरे मूह में ठुसने की कोशिश कर रही थी पर मैने अपना मूह बंद रखा.

‘डिज़िल्वा ये ऐसे नही माने गी’ यह कहके वो एक कदम पीछे लेकर मेरे दोनो निपल को अपनी उंगलियों के बीच ले कर ज़ोर से दबा दिया.

‘आआऐईईई……’ में ज़ोर से चीख पड़ी. मुझे इतना दर्द कभी नही हुआ था.

‘प्लीज़ छोड़ो मुझे’

‘मेडम की बात मानले और ठीक से उनको मज़ा लेने दे, वरना तू तो जानती हैं पोलीस वाले रंडियों का क्या हाल करते हैं’ डिज़िल्वा ने कहा

‘ठीक हैं, ठीक हैं, प्लीज़ मेरे निपल को छोड़ दो’

यह सुनके मेडम ने मेरे निपल छोड़ दिए. ‘अपना मूह खोल और जीब बाहर निकाल और ठीक से मुझे किस कर वरना अगली बार निपल और ज़ोर से दबाउउंगी’ मेडम ने मुझे कहा. में अब रो रही थी और मेडम ने कहा वैसा मैने कर दिया. मेरे जीब निकालते ही वो मेरी जीब अपने मूह में ले के उसे चूसने और चाटने लगी. उसने अपनी जीब मेरी जीब से रगड़ना शुरू कर दिया. मैं भी डर के मारे अपनी जीब हिला के उसकी जीब के साथ रगड़ने लगी. उसने मुझे अब कस के पकड़ा था और अपने होंठ को मेरे होंठो से ज़ोर से दबा कर मुझे चूम रही थी. मैं रो रही थी और मेरे आखों से आँसू बह रहे थे पर डर रही थी कि अगर मैने मेडम को चूमना बंद किया तो वो फिर से मेरे निपल दबा देगी. उसके मूह की बदबू से मुझे घिन हो रही थी. वो मुझे ऐसे ही चूमती और चाट्ती रही. हमारे जीब के रगड़ने से हमारे दोनो के मूह से थूक बह रही थी. मेडम को तो जन्नत मिल गयी थी. इतनी चिकनी लड़की तो उसने आज तक देखी भी नही थी. वो लगभग आधे घंटे तक मुझे ऐसे ही पागल की तराह चूमती और चाट्ती रही. मेरे होंठो और जीब में दर्द भी शुरू हो गया था. इतनी थूक मेरे मूह से निकल चुकी थी कि थूक ने बह के मेरे बूब्स को भी गीला कर दिया था. सारा वक़्त में रोती रही. आख़िर उसने मुझे चूमना बंद किया और कहा ‘बिस्तर पे लेट जा’. मुझे डर था कि वो मुझसे अब क्या करवाएगी. मैं वही खड़ी रही और रोती रही.

‘मैने कहा लेट जा’ ऐसा कह के मेडम ने मेरे गाल पे एक कस के थप्पड़ मार दिया. मुझे ज़िंदगी में कभी किसी ने मारा नही था, मेरी ऐसे अपमान से मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था और डर भी बहुत था मेडम का. गुस्से और दर्द के मारे में रोती रही और वही खड़ी रही.

‘बहरी हैं क्या साली’ ऐसा कह के मेडम ने मुझे दोनो गालों पे तमाचे मार दिए.

में रोते रोते ज़मीन पे लेट गयी.

‘यह हुई ना बात’

उसने अपने घुटनो को मेरे सर के दोनो बाजू मे रख के अपनी चूत मेरे चेहरे के नज़दीक ला दी.

उसकी चूत पे घने बाल थे.

‘अब तू मेरी चूत चाटेगी’ ऐसा कह के मेडम ने अपनी उंगलियाँ से अपनी चूत फैला दी और धीरे से नीचे मेरे होंठो के पास लाना शुरू किया.

मैं ऐसी गंदी चीज़ करने को तैयार नही थी और मैने अपना सर मोड़ लिया. मेडम की चूत मेरे गाल को छू रही थी और वो अपनी गांद हिलाके चूत को मेरे गाल पे घिस रही थी.

‘साली सीधे से मान कर चूत चाट ले’

‘प्लीज़ मुझे बहुत गंदा लगता हैं’ मैने रोते रोते उससे भीक माँगी.

बिना कोई चेतावनी मेडम ने मेरे दोनो निपल अपनी उंगलियों के बीच ले कर ज़ोर से दबा दिए.

‘आऐईयईईईई.. ’ में चीख पड़ी.

‘चाटना शुरू कर’

मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैने अपना मूह सीधा कर अपनी जीब मूह से निकाल मेडम की चूत चाटना शुरू कर दिया. मेडम ने मेरे निपल दबाना बंद कर दिया.

‘ज़ोर से चाट और अपने होंठ लगा’ मैने उसका कहना मान कर अपने होंठ उसके चूत से लगा दिए और अपनी जीब उसकी चूत में पूरी डालके चाटने लगी. मेरी आँखे बंद थी.

‘अपनी आँखें खोल के रख’ मैने अपनी आँखें खोल दी. इतना घिनोना नज़ारा मैने आज तक नही देखा था. मेडम नीचे मुझे देख मुस्कुरा रही थी और मुझे उसके सड़े हुए दाँत दिख रहे थे. एक तो इतनी बदसूरत औरत और उतना ही बदसूरत उसका नंगा शरीर. और में ज़मीन पे लेटी रोते रोते उसकी चूत ज़ॉरो से चाट रही थी.

दस पन्द्राह मिनिट तक में ऐसे ही मेडम की चूत चाट्ती रही. कभी चूत में जीब डाल के उपर नीचे करती और कभी जीब को चूत के अंदर बाहर करके चूत को चोदती. मुझे ऐसी बुरी चीज़ करने में बहुत बुरा लग रहा था पर जानती थी कि ना करने पे ये औरत मेरा क्या हाल कर सकती हैं. अब उसकी चूत से पानी भी बह रहा था. उसने मेरे दोनो हाथ ले कर मुझे उसकी गांद मसल्ने को कहा. मैने दोनो हाथो से मेडम की गांद मसलना शुरू कर दिया.

तो दोस्तो आपने देख लिया होगा की साला डिसिल्वा हमारी सेक्स की पुजारन को फिल्मी हीरोइन ऐश्वर्या की बजाय पुलिस वाली ऐश्वरया के पास ले गया था अब बिचारी सुमन का क्या हाल होगा ये जानने के लिए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः..........
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