Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
08-04-2018, 12:16 PM,
#51
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
बरसात
दोस्तों में संजय आपके लिए एक नयी कहानी लेकर आया हु बरसात 

यह कहानी मेरी ए दोस्त की ह जो मेरी कहानिया ज्यादातर इस site पर पड़ती है । उसने email पर एक शानदार कहानी भेजी है जो में उसके ही सब्दो में यहाँ भेज रहा हु 

मेरे पति एक सफ़ल व्यापारी हैं। अपने पापा के कारोबार को इन्होंने बहुत आगे बढ़ा दिया है। घर पर बस हम तीन व्यक्ति ही थे, मेरी सास, मेरे पति और और मैं स्वयं। घर उन्होंने बहुत बड़ा बना लिया है। पुराने मुहल्ले में हमारा मकान बिल्कुल ही वैसे ही लगता था जैसे कि टाट में मखमल का पैबन्द ! हमारे मकान भी आपस में एक दूसरे से मिले हुए हैं।

दिन भर मैं घर पर अकेली रहती थी। यह तो आम बात है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। औरों की भांति मैं भी अपने कमरे में अधिकतर इन्टर्नेट पर ब्ल्यू फ़िल्में देखा करती थी। कभी मन होता तो अपने पति से कह कर सीडी भी मंगा लेती थी। पर दिन भर वासना के नशे में रहने के बाद चुदवाती अपने पति से ही थी। वासना में तड़पता मेरा जवान शरीर पति से नुचवा कर और साधारण से लण्ड से चुदवा कर मैं शान्त हो जाती थी।

पर कब तक… !!

मेरे पति भी इस रोज-रोज की चोदा-चोदी से परेशान हो गए थे… या शायद उनका काम बढ़ गया था, वो रात को भी काम में रहते थे। मैं रात को चुदाई ना होने से तड़प सी जाती थी और फिर बिस्तर पर लोट लगा कर, अंगुली चूत में घुसा कर किसी तरह से अपने आप को बहला लेती थी। मेरी ऐशो-आराम की जिन्दगी से मैं कुछ मोटी भी हो गई थी। चुदाई कम होने के कारण अब मेरी निगाहें घर से बाहर भी उठने लगी थी।

मेरा पहला शिकार बना मोनू !!!

बस वही एक था जो मुझे बड़े प्यार से छुप-छुप के देखता रहता था और डर के मारे मुझे दीदी कहता था।

मुझे बरसात में नहाना बहुत अच्छा लगता है। जब भी बरसात होती तो मैं अपनी पेन्टी उतार कर और ब्रा एक तरफ़ फ़ेंक कर छत पर नहाने चली जाती थी। सामने पड़ोस के घर में ऊपर वाला कमरा बन्द ही रहता था। वहाँ मोनू नाम का एक जवान लड़का पढ़ाई करता था। शाम को अक्सर वो मुझसे बात भी करता था। चूंकि मेरे स्तन भारी थे और बड़े बड़े भी थे सो उसकी नजर अधिकतर मेरे स्तनों पर ही टिकी रहती थी। मेरे चूतड़ जो अब कुछ भारी से हो चुके थे और गदराए हुए भी थे, वो भी उसे शायद बहुत भाते थे। वो बड़ी प्यासी निगाहों से मेरे अंगों को निहारता रहता था। मैं भी यदा-कदा उसे देख कर मुस्करा देती थी।

मैं जब भी सुखाए हुए कपड़े ऊपर तार से समेटने आती तो वो किसी ना किसी बहाने मुझे रोक ही लेता था। मैं मन ही मन सब समझती थी कि उसके मन में क्या चल रहा है?

मैंने खिड़की से झांक कर देखा, आसमान पर काले काले बादल उमड़ रहे थे। मेरे मन का मयूर नाच उठा यानि बरसात होने वाली थी। मैं तुरन्त अपनी पेण्टी और ब्रा उतार कर नहाने को तैयार हो गई। तभी ख्याल आया कि कपड़े तो ऊपर छत पर सूख रहे हैं। मैं जल्दी से छत पर गई और कपड़े समेटने लगी।

तभी मोनू ने आवाज दी,”दीदी, बरसात आने वाली है …”

“हाँ, जोर की आयेगी देखना, नहायेगा क्या ?” मैंने उसे हंस कर कहा।

“नहीं, दीदी, बरसात में डर लगता है…”

“अरे पानी से क्या डरना, मजा आयेगा.” मैंने उसे देख कर उसे लालच दिया।

कुछ ही पलों में बूंदा-बांदी चालू हो गई। मैंने समेटे हुए कपड़े सीढ़ियों पर ही डाल दिए और फिर से बाहर आ गई। मोटी मोटी बून्दें गिर रही थी। हवा मेरे पेटीकोट में घुस कर मुझे रोमांचित कर रही थी। मेरी चूत को इस हवा का मधुर सा अहसास सा हो रहा था। लो कट ब्लाऊज में मेरे थोड़े से बाहर झांकते हुए स्तनों पर बूंदें गिर कर मुझे मदहोश बनाने में लगी थी। जैसे पानी नहीं अंगारे गिर रहे हो। बरसात तेज होने लगी थी।

मैं बाहर पड़े एक स्टूल पर नहाने बैठ गई। मैं लगभग पूरी भीग चुकी थी और हाथों से चेहरे का पानी बार बार हटा रही थी। मोनू मंत्रमुग्ध सा मुझे आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर देख रहा था। मेरे उभरे हुए कट गीले कपड़ों में से शरीर के साथ नजारा मार रहे थे। मोनू का पजामा भी उसके भीगे हुए शरीर से चिपक गया था और उसके लटके हुए और कुछ उठे हुए लण्ड की आकृति स्पष्ट सी दिखाई दे रही थी। मेरी दृष्टि ज्यों ही मोनू पर गई, मैं हंस पड़ी।

“तू तो पूरा भीग गया है रे, देख तेरा पजामा कैसे चिपक गया है?” मैं मोनू की ओर बढ़ गई।

“दीदी, वो… वो… अपके कपड़े भी तो कैसे चिपके हुए हैं…” मोनू भी झिझकते हुए बोला।
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08-04-2018, 12:16 PM,
#52
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मुझे एकदम एहसास हुआ कि मेरे कपड़े भी तो … मेरी नजरें जैसे ही अपने बदन पर गई। मैं तो बोखला गई। मेरा तो एक एक अंग साफ़ ही दृष्टिगोचर हो रहा था। सफ़ेद ब्लाऊज और सफ़ेद पेटीकोट तो जैसे बिलकुल पारदर्शी हो गए थे। मुझे लगा कि मैं नंगी खड़ी हूँ।

“मोनू, इधर मत देख, मुझे तो बहुत शरम आ रही है।” मैंने बगलें झांकते हुए कहा।

उसने अपनी कमीज उतारी और कूद कर मेरी छत पर आ गया। अपनी शर्ट मेरी छाती पर डाल दी।

“दीदी, छुपा लो, वर्ना किसी की नजर लग जायेगी।”

मेरी नजरें तो शरम से झुकी जा रही थी। पीछे घूमने में भी डर लग रहा था कि मेरे सुडौल चूतड़ भी उसे दिख जायेंगे।

“तुम तो अपनी अपनी आँखें बन्द करो ना…!!” मुझे अपनी हालत पर बहुत लज्जा आने लगी थी। पर मोनू तो मुझे अब भी मेरे एक एक अंग को गहराई से देख रहा था।

“कोई फ़ायदा नहीं है दीदी, ये तो सब मेरी आँखों में और मन में बस गया है।” उसका वासनायुक्त स्वर जैसे दूर से आता हुआ सुनाई दिया। अचानक मेरी नजर उसके पजामे पर पड़ी। उसका लण्ड उठान पर था। मेरे भी मन का शैतान जाग उठा। उसकी वासना से भरी नजरें मेरे दिल में भी उफ़ान पैदा करने लगी। मैंने अपनी बड़ी बड़ी गुलाबी नजरें उसके चेहरे पर गड़ा दी। उसके चेहरे पर शरारत के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे। मेरा यूँ देखना उसे घायल कर गया। मेरा दिल मचल उठा, मुझे लगा कि मेरा जादू मोनू पर अनजाने में चल गया है।

मैंने शरारत से एक जलवा और बिखेरा …”लो ये अपनी कमीज, जब देख ही लिया है तो अब क्या है, मैं जाती हूँ।” मेरे सुन्दर पृष्ट उभारों को उसकी नजर ने देख ही लिया। मैं ज्योंही मुड़ी, मोनू के मुख से एक आह निकल गई।

मैंने भी शरारत से मुड़ कर उसे देखा और हंस दी। उसकी नजरें मेरे चूतड़ों को बड़ी ही बेताबी से घूर रही थी। उसका लण्ड कड़े डन्डे की भांति तन गया था। उसने मुझे खुद के लण्ड की तरफ़ देखता पाया तो उसने शरारतवश अपने लण्ड को हाथ से मसल दिया।

मुझे और जोर से हंसी आ गई। मेरे चेहरे पर हंसी देख कर शायद उसने सोचा होगा कि हंसी तो फ़ंसी… उसने अपने हाथ मेरी ओर बढ़ा दिये। बरसात और तेज हो चुकी थी। मैं जैसे शावर के नीचे खड़ी होकर नहा रही हूँ ऐसा लग रहा था।

उसने अपना हाथ ज्यों ही मेरी तरफ़ बढाया, मैंने उसे रोक दिया,”अरे यह क्या कर रहे हो … हाथ दूर रखो… क्या इरादा है?” मैं फिर से जान कर खिलखिला उठी।

मैं मुड़ कर दो कदम ही गई थी कि उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच लिया।

“नहीं मोनू नहीं … ” उसके मर्द वाले हाथों की कसावट से सिहर उठी।

“दीदी, देखो ना कैसी बरसात हो रही है … ऐसे में…” उसके कठोर लण्ड के चुभन का अहसास मेरे नितम्बों पर होने लगा था। उसके हाथ मेरे पेट पर आ गये और मेरे छोटे से ब्लाऊज के इर्द गिर्द सहलाने लगे। मुझे जैसे तेज वासनायुक्त कंपन होने लगी। तभी उसके तने हुआ लण्ड ने मेरी पिछाड़ी पर दस्तक दी। मैं मचल कर अपने आप को इस तरह छुड़ाने लगी कि उसके मर्दाने लण्ड की रगड़ मेरे चूतड़ों पर अच्छे से हो जाये। मैं उससे छूट कर सामने की दीवार से चिपक कर उल्टी खड़ी हो गई, शायद इस इन्तज़ार में कि मोनू मेरी पीठ से अभी आकर चिपक जायेगा और अपने लण्ड को मेरी चूतड़ की दरार में दबा कर मुझे स्वर्ग में पहुँचा देगा !

पर नहीं … ! वो मेरे पास आया और मेरे चूतड़ों को निहारा और एक ठण्डी आह भरते हुए अपने दोनों हाथों से मेरे नंगे से चूतड़ो की गोलाइयों को अपने हाथो में भर लिया। मेरे दोनों नरम चूतड़ दब गये, मोनू की आहें भी निकलने लगी, मेरे मुख से भी सिसकारी निकल गई। वो चूतड़ों को जोर जोर से दबाता चला गया। मेरे शरीर में एक मीठी सी गुदगुदी भरने लगी।

“मोनू, बस कर ना, कोई देख लेगा …” मेरी सांसें तेज होने लगी थी।

“दीदी, सीधे से कहो ना, छिप कर करें !” उसके शरारती स्वर ने मुझे लजा ही दिया।

“धत्त, बहुत शरीर हो… अपनी दीदी के साथ भी ऐसा कोई करता है भला ?” लजाते हुए मैंने कहा।

“कौन सी वास्तव में तुम मेरी दीदी हो, तुम तो एटम-बम्ब हो” मोनू ने अपने दिल की बात निकाली।

मैंने उसे धीरे से दूर कर दिया। दीवार के पास पानी भी कम गिर रहा था। मैं फिर से बरसात में आ गई। तेज बरसात में आस पास के मकान भी नहीं नजर आ रहे थे। मेरी चूत में मोनू ने आग लगा दी थी। अचानक मोनू ने मुझे कस कर अपनी ओर खींच लिया और अपना चेहरा मेरे नजदीक ले आया। मैं निश्चल सी हो गई और उसकी आँखों में झांकने लगी। कुछ झुकी हुई, कुछ लजाती आंखें उसे मदहोश कर रही थी। उसके होंठ मेरे लरजते हुए भीगे होठों से छू गये, कोमल पत्तियों से मेरे होठ थरथरा गये, कांपते होंठ आपस में जुड़ गए। मैंने अपने आप को मोनू के हवाले कर दिया। मेरे भीगे हुए स्तनों पर उसके हाथ आ गए और मेरे मुख से एक सिसकारी निकल पड़ी। मैं शरम के मारे सिमट सी गई।
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08-04-2018, 12:16 PM,
#53
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
मेरे सीने को उसने दबा दबा कर मसलना जारी रखा। मैं शरम के मारे उससे छुड़ा कर नीचे बैठने का प्रयास करने लगी। जैसे ही मैं कुछ नीचे बैठ सी गई कि मोनू का कड़कता लण्ड मेरे मुख से आ लगा। आह, कैसा प्यारा सा भीगा हुआ लण्ड, एकदम कड़क, सीधा तना हुआ, मेरे मुख में जाने को तैयार था। पर मैंने शरम से अपनी आँखें बंद कर ली … और … और नीचे झुक गई।

मोनू ने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे सीधे नीचे चिकनी जमीन पर लेटा दिया और अपने पजामे को नीचे खिसका कर अपना तन्नाया हुआ लण्ड मेरे मुख पर दबा दिया। मैंने थोड़ा सा नखरा दिखाया और अपना मुख खोल दिया। बरसात के पानी से भीगी हुई उसकी लाल रसीली टोपी को मैंने एक बार जीभ निकाल कर चाट लिया। उसने अपने हाथ से लण्ड पकड़ा और दो तीन बार उसे मेरे चेहरे पर मारा और लाल टोपी को मेरे मुख में घुसेड़ दिया। उसका गरम जलता हुआ लण्ड मेरे मुख में प्रवेश कर गया। पहले तो मुझे उसका भीगा हुआ लण्ड बड़ा रसदार लगा फिर उसका लाल सुपारा मैंने अपने मुख में दबा लिया। उसके गोल लाल छल्ले को मैंने जीभ और होंठों से दबा दबा कर चूसा।

हाँ जी, लण्ड चूसने में तो मैं अभ्यस्त थी, गाण्ड मराने के पूर्व मैं अपने पति के लण्ड को चूस चूस कर इतना कठोर कर देती थी कि वो लोहे की छड़ की भांति कड़ा हो जाता था।

अब बरसात के साथ साथ तेज हवा भी चल निकली थी। इन हवाओं से मुझे बार बार तीखी ठण्डी सी लगने लगी थी। शायद उसे भी ठण्ड के मारे कंपकंपी सी छूट रही थी।

“दीदी, चलो अन्दर चलें… ” वो जल्दी से खड़ा हो गया और मेरा भारी बदन उसने अपनी बाहों में उठा लिया। उसने जवान वासना भरे शरीर में अभी गजब की ताकत आ गई थी।

“अरे रे … गिरायेगा क्या… चल उतार मुझे…” मैं घबरा सी गई।

उसने धीरे से मुझे उतार दिया और दीवार फ़ांद गया। मैंने भी उसके पीछे पीछे दीवार कूद गई। मोनू ने अपना कमरा जल्दी से खोल दिया। हम दोनों उसमे समा गये। मैंने अपने आप को देखा फिर मोनू को देखा और मेरी हंसी फ़ूट पड़ी। हम दोनों का क्या हाल हो रहा था। उसका खड़ा हुआ पजामे में से निकला हुआ लण्ड, मेरा अध खुला ब्लाऊज… पेटीकोट आधा उतरा हुआ… मोनू तो मुझे देख देख कर बेहाल हो रहा था। मैं अपना बदन छिपाने का भरकस प्रयत्न कर रही थी, पर क्या क्या छुपाती। उसने मेरे नीचे सरके हुए गीले पेटीकोट को नीचे खींच दिया और मेरी पीठ से चिपक गया। मेरे पृष्ट भाग के दोनों गोलों के मध्य दरार में उसने अपना लण्ड जैसे ठूंस सा दिया। यही तो मैं भी चाहती थी … उसका मदमस्त लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर जम कर दबाव डाल रहा था।

मैं अपनी गाण्ड के छेद को ढीला छोड़ने की कोशिश करने लगी और उसके हेयर ऑयल की शीशी उसे थमा दी। उसे समझ में आ गया और मेरी गीली गाण्ड को चीर कर उसमे वो तेल भर दिया। अब उसने दुबारा अपना लाल टोपा मेरे चूतड़ों की दरार में घुसा डाला।

“मोनू… हाय रे दूर हट … मुझे मार डालेगा क्या ?” मैंने उसका लण्ड अपनी गाण्ड में सेट करते हुए कहा।

“बस दीदी, मुझे मार लेने दे तेरी… साली ने बहुत तड़पाया है मुझे !”

उसने मुझे अपने बिस्तर पर गिरा दिया और मेरी पीठ के ऊपर चढ़ गया। उसका लण्ड गाण्ड के काले भूरे छेद पर जम कर जोर लगाने लगा। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी और लण्ड को घुसने दिया।

“किसने तड़पाया है तुझे…” मैंने उसे छेड़ा।

“तेरी इस प्यारी सी, गोल गोल सी गाण्ड ने … अब जी भर कर इसे चोद लेने दे।”

उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुस गया और अन्दर घुसता ही चला गया। मुझे उसके लण्ड का मजा आने लगा। उसने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और एक जोर के धक्के से पूरा फ़िट कर दिया। मुझे दर्द सा हुआ, पर चिकना लण्ड खाने का मजा अधिक था।

“साली को मचक मचक के चोदूंगा … गाण्ड फ़ाड़ डालूंगा … आह्ह … दीदी तू भी क्या चीज़ है… ” वो मेरी पीठ से चिपक कर लण्ड का पूरा जोर लगा रहा था। एक बार लण्ड गाण्ड में सेट हो गया फिर धीरे धीरे उसके धक्के चल पड़े। उसके हाथों ने मेरी भारी सी चूचियों को थाम लिया। कभी वो मेरे कड़े चुचूक मसलता और कभी वो पूरे संतरों को दबा कर मसल देता था।

मेरी गाण्ड में भी मिठास सी भरने लगी थी। मैंने अपनी टांगे और फ़ैला ली थी। वो भरपूर जोर लगा कर मेरी गाण्ड चोदे जा रहा था। मुझे बहुत मजा आने लगा था। मुझे लगा कि कहीं मैं झड़ ना जाऊँ …
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08-04-2018, 12:16 PM,
#54
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
“जरा धीरे कर ना … फ़ट जायेगी ना … बस बहुत मार ली … अब हट ऊपर से !”

“दीदी, नहीं हटूंगा, इसकी तो मैं मां चोद दूंगा …” उसकी आहें बढ़ती जा रही थी। तभी उसने लण्ड गाण्ड से बाहर निकाल लिया।

“आह्ह्ह क्या हुआ मोनू … मार ना मेरी …”

“तेरी भोसड़ी कौन चोदेगा फिर … चल सीधी हो जा।” उसकी गालियाँ उसका उतावलापन दर्शाने लगी थी। मैं जल्दी से सीधी हो गई। मुझे मेरी गाण्ड में लण्ड के बिना खाली खाली सा लगने लगा था। मोनू की आँखें वासना से गुलाबी हो गई थी। मेरा भी हाल कुछ कुछ वैसा ही था। मैंने अपने पांव पसार दिए और अपनी चूत बेशर्मी से खोल दी। मोनू मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे शरीर पर अपना भार डाल दिया, मेरे अधरों से अपने अधर मिला दिये, नीचे लण्ड को मेरी चूत पर घुसाने का यत्न करने लगा।

मेरे स्तन उसकी छाती से भिंच गये। उसका तेलयुक्त लण्ड मेरी चूत के आस पास फ़िसल रहा था। मैं अपनी चूत भी उसके निशाने पर लाने यत्न कर रही थी। उसने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से सहलाया और मेरी आँखों में देखा।

“दीदी, तू बहुत प्यारी है … अब तक तेरी चुदाई क्यूँ नहीं की…”

“मोनू, हाय रे … तुझे देख कर मैं कितना तड़प जाती थी … तूने कभी कोई इशारा भी नहीं किया … और मेरा इशारा तो तू समझता ही नहीं…”

“दीदी, ना रे …तूने कभी भी इशारा नहीं किया … वर्ना अब तक जाने कितनी बार चुदाई कर चुके होते।”

“बुद्धू राम, ओह्ह्… अब चोद ले, आह घुसा ना… आईईईई मर गई … धीरे से … लग जायेगी।”

उसका मोटा लण्ड मेरी चूत में उतर चुका था। शरीर में एक वासना भरी मीठी सी उत्तेजना भरने लगी। वो लण्ड पूरा घुसाने में लगा था और मैं अपनी चूत उठा कर उसे पूरा निगल लेना चाह रही थी। हम दोनों के अधर फिर से मिल गए और इस जहां से दूर स्वर्ग में विचरण करने लगे। उसके शरीर का भार मुझे फ़ूलों जैसा लग रहा था। वो कमर अब तेजी से मेरी चूत पर पटक रहा था। उसकी गति के बराबर मेरी चूत भी उसका साथ दे रही थी। कैसा सुहाना सा मधुर आनन्द आ रहा था।

आनन्द के मारे मेरी आँखें बंद हो गई और टांगें पसारे जाने कितनी देर तक चुदती रही। उसके मर्दाने हाथ मेरे उभारों को बड़े प्यार से दबा रहे थे, सहला रहे थे, मेरे तन में वासना का मीठा मीठा जहर भर भर रहे थे। सारा शरीर मेरा उत्तेजना से भर चुका था। मेरा एक एक अंग मधुर टीस से लौकने लगा था। यूँ लग रहा था काश मुझे दस बारह मर्द आकर चोद जाएँ और मेरे इस जहर को उतार दें। अब समय आ गया था मेरे चरम बिन्दु पर पहुंचने का। मेरे शरीर में ऐठन सी होने लगी थी। तेज मीठी सी गुदगुदी ने मुझे आत्मविभोर कर दिया था। सारा जहां मेरी चूत में सिमट रहा था। तभी जैसे मेरी बड़ी बड़ी आँखें उबल सी पड़ी … मैं अपने आपको सम्भाल नहीं पाई और जोर से स्खलित होने लगी। मेरा रज छूट गया था … मैं झड़ने लगी थी।

तभी मोनू भी एक सीत्कार के साथ झड़ने को हो गया,”दीदी मैं तो गया…” उसकी उखड़ी हुई सांसें उसका हाल दर्शा रही थी।

“बाहर निकाल अपना लण्ड … जल्दी कर ना…” मैंने उसे अपनी ओर दबाते हुए कहा।

उसने ज्यों ही अपना लौड़ा बाहर निकाला … उसके लण्ड से एक तेज धार निकल पड़ी।

“ये… ये … हुई ना बात … साला सही मर्द है … निकला ना ढेर सारा…”

“आह … उफ़्फ़्फ़्फ़्… तेरी तो … मर गया तेरी मां की चूत … एह्ह्ह्ह्ह्ह”

“पूरा निकाल दे … ला मैं निचोड़ दूँ …” मैंने उसके लण्ड को गाय का दूध निकालने की तरह दुह कर उसके वीर्य की एक एक बूंद बाहर निकाल दी। बाहर का वातावरण शान्त हो चुका था। तेज हवाएँ बादल को उड़ा कर ले गई थी। अब शान्त और मधुर हवा चल रही थी।

“अरे कहां चली जाती है बहू … कितनी देर से आवाज लगा रही हूँ !”

“अरे नहा कर आ रही हूँ माता जी …” हड़बड़ाहट में जल्दी से पानी डाल कर अपने बदन पर एक बड़ा सा तौलिया लपेट कर नीचे आ गई।

मेरी सास ने मुझे आँखें फ़ाड़ कर ऊपर से नीचे तक शक की निगाहों से देखा और बड़बड़ाने लगी,”जरा देखो तो इसे, जवानी तो देखो इसी मुई पर आई हुई है ?”

“जब देखो तब बड़बड़ाती रहती हो, बोलो क्या काम है, यूँ तो होता नहीं कि चुपचाप बिस्तर पर पड़ी रहो, बस जरा जरा सी बात पर…।”
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08-04-2018, 12:17 PM,
#55
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
सास बहू की रोज रोज वाली खिच-खिच आरम्भ हो चुकी थी … पर मेरा ध्यान तो मोनू पर था। हाय, क्या भरा पूरा मुस्टण्डा था, साले का लण्ड खाने का मजा आ गया। जवानी तो उस पर टूट कर आई थी। भरी वर्षा में उसकी चुदाई मुझे आज तक याद आती है। काश आज पचास की उमर में भी ऐसा ही कोई हरा भरा जवान आ कर मुझे मस्त चोद डाले … मेरे मन की आग बुझा दे …



बीबी की चहेती सहेली



दोस्तों में संजय अपनी नही कहानी जो की किसी दोस्त की कहानी ह लिख रहा हु। उसने हे कहानी english में लिखी उसका हिंदी ट्रांसलेट मैंने किया ह कृपा कोई गलती हो तो सुधार कर पद लेना। thanks





उस दिन जब हम बाज़ार में थे तो अचानक मेरी पत्नी की नज़र एक सुंदर सी औरत पर पड़ी और उसने आवाज़ लगाई- रागिनी !



सुन कर उस औरत ने पीछे मुड़ कर देखा और मेरी बीवी को देख कर जोर से चिल्लाई- हाय संगीता.. कितने दिनों के बाद मिली तू !



दोनों सहेलियाँ एक दूसरे से बात करती रही और मैं रागिनी को देख रहा था.. मैं तो अपनी पलक झपकाना ही भूल गया था.. इतनी खूबसूरत.. क्या फिगर है.. ऐसा लगा जैसे सब कुछ एकदम सांचे में तराश कर लगाया हो ! उसकी नोकदार चूचियाँ.. पतली कमर और उभरे हुए नितम्ब.. उफ़ एक तो मैं वैसे ही बहुत सेक्सी हूँ और ऐसे फिगर वाली सुंदर औरतें मेरी कमजोरी है।



उसने काले रंग का सलवार सूट पहना था, जिसमें से उसके बदन का हर कटाव एक दम साफ़ नज़र आ रहा था। उसके गोरे रंग पर काला ड्रेस मानो उसके बदन की रेखाओं को उजागर कर रहा था, उसकी गोलाई और उभार से मेरी नज़र हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।



तभी मेरी बीवी ने पलट कर मेरी तरफ़ देखा और कहा- यह रागिनी है मेरी कॉलेज की दोस्त !

मैंने हेलो कहा, उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया।



अब मैंने उसने होंठो को देखा.. एकदम रस भरे गुलाबी होंठ. मानो कह रहे हो- आओ मेरा रस चूस लो !

इस पहली मुलाकात में ही रागिनी ने मेरे लंड को मानो चोदने की दावत दे दी थी। यह सोच मुझे परेशान करने लगी कि इसे कैसे चोदा जाए ! एक तरफ़ मैं सोच रहा था कि ये मेरी बीवी की ख़ास सहेली है.. कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए इसे चोदने के चक्कर में।



सच तो यह था कि मेरी बीवी भी काफी सेक्सी है लेकिन रागिनी उससे भी ज्यादा सेक्सी और सुंदर थी। उसे मेरे बिस्तर में ले कर नंगी करके चोदना ही मेरा सपना बन गया उस पहली मुलाकात के बाद।



उस दिन तो दोनों ने मिलकर ही शौपिंग की लेकिन उसके बाद भी अक्सर दोनों साथ साथ ही घूमने जाती



रागिनी को नंगी करके चोदने का सपना सपना ही रहेगा, ऐसा मुझे लगने लगा था क्योंकि वो बहुत ही नपे तुले स्टाइल में बात करती थी, कभी कोई वाहियात बात या कोई गन्दा मजाक नहीं करती थी। उसकी बातों से पता चलता था कि वो अपने पति को भी बहुत प्यार करती है और उसके साथ खुश भी है।

कभी कभी रात में अपनी बीवी को चोदते हुए मैं कल्पना करता था कि मेरी बांहों में रागिनी है और मैं उसे चोद रहा हूँ। रागिनी की बातों से लगता था कि वो थोड़ी पुराने ख्यालात की है और बहुत ही शर्मीली भारतीय गृहिणी है।

उसके बाल बहुत लंबे थे जो मुझे ज्यादा पसंद हैं। शरीर मानो अजंता की कोई मूर्ति हो। उसकी चूचियाँ, उसके चूतड़ और उसकी गदराई जांघें जो उसकी सलवार से महसूस होती थी। उसका चेहरा अंडाकृति था, गोरा और भरा हुआ।



सबसे बड़ी बात जो मुझे बाद में पता चली कि उसके दो बच्चे हैं। उसके शरीर की बनावट से वो 25 साल की युवती लगती थी जबकि उसकी उमर थी 35 साल। मुझे उसके पतली कमर के साथ डोलते हुए चूतड़ बहुत विचलित करते थे, मैं सोचता था कि उसे नंगी करने के बाद उसके गोरे गदराये चूतड़ कितने प्यारे लगेंगे.. उन्हें सहलाने में और दबाने में कितना मजा आएगा !



और कमर से ऊपर नज़र जाते ही.. उफ़ उसकी भरी हुई छातियाँ.. उसके स्तन एकदम कसे हुए थे.. दो बच्चों की माँ लेकिन स्तन जैसे बीस साल की कुंवारी लड़की के.. 36 साइज़ होगा उनका.. दोनों उसके ब्लाऊज़ या कुरते के अन्दर एक दूसरे से चिपके हुए रहते थे.. जिसके कारण उसके बीच की घाटी बहुत ही उत्तेजक दिखाई देती थी। सब कुछ मिला कर मेरे जैसे कामी पुरूष के लिए वो एक विस्फोटक औरत थी…



ऐसे ही दिन गुजर रहे थे। अचानक मेरी बीवी के पिताजी की तबियत ख़राब होने का समाचार आया, उसने मेरे बेटे को साथ लिया और दूसरे दिन सुबह की बस से चली गई।



इस बात को करीब एक हफ्ता हो गया। मैं घर में अकेला ही था। मेरे ऑफिस में भी मार्च के महीने के लिए बहुत काम था, मुझे छुट्टी भी नहीं मिली थी इसलिए सुबह जल्दी ही ऑफिस जाना पड़ता था।


एक दिन सुबह प्रात: कालीन विधि व स्नान करने के बाद मैं काफी की चुस्की ले रहा था कि दरवाजे की घण्टी बजी। मैंने हाथ में लिया हुआ पेपर रखा, मैं सोच रहा था कि इतने सुबह कौन आ गया। दरवाजे पर जाकर पहले खिड़की से बाहर देखा.. वहां और कोई नहीं, मेरे सपनों की मलिका रागिनी खड़ी थी
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08-04-2018, 12:17 PM,
#56
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
मैंने दरवाजा खोला, मैं सोच रहा था कि इतनी सुबह वो मेरी बीवी से मिलने क्यों आई है जबकि उसे मालूम था कि मेरी बीवी पिछले हफ्ते अपने पिता के यहाँ गई हुई है और अभी वहीं रहेगी।
मैंने दरवाजा खोला और कहा,” गुड मोर्निंग रागिनी !”

वो वहीं चुपचाप खड़ी रही..

मैंने कहा,”वहीं खड़ी रहोगी क्या? हेल्लो भी नहीं कहोगी?”

“हाय” उसने कहा।

वो मुस्कुराई,” संगीता कहाँ है? रागिनी ने पूछा।

“तुम्हें संगीता ने पिछले हफ्ते फोन करके बताया था ना कि वो अपने पिता के यहाँ जा रही है, उसके पिताजी की तबियत ठीक नहीं थी। खैर तुम इतनी सुबह सुबह कैसे आई?” उससे बात करते हुए मेरी नज़रें उसकी उभरी हुई चूचियों पर बार बार जा रही थी और नीचे मेरे लंड में तनाव आ रहा था। वो मेरे शोर्ट में टेंट न बना ले इसलिए मैं एक हाथ से उसे दबाने की कोशिश में लगा था और हल्के से मसल भी रहा था।

वो अन्दर आई, मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा। फ़िर अन्दर जाकर उसके लिए एक कप काफ़ी ले कर आया और उसे दिया। फ़िर उसके सामने बैठते हुए मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए कहा,”इतनी सुबह सुबह भी तुम काफी खूबसूरत लग रही हो ! और मजाक में कहा,”शायद मुझे कुछ हो जाए तुम्हें देख कर !”

रागिनी मेरे इस दुस्साहस पर कुछ बोली नहीं, इसलिए मुझे भी आश्चर्य हुआ। मेरी हिम्मत और बढ़ी, उसने काफ़ी ख़त्म की और कहा,”मै चलती हूँ।”

मैंने कहा,”तो आप यहाँ सिर्फ़ अपनी सहेली से मिलने आई थी? वो नहीं है तो एक बुढ्ढे को अकेला छोड़ कर जा रही हो?”

“ओह, आप बुढ्ढे हो?” और वो मुस्कुराई।

मैंने उसे मुस्कुराते देखा, उसकी यह मुस्कराहट कुछ अलग थी।

“क्या यही मौका है.. जिसका मैं इंतज़ार कर रहा था.. क्या मेरा सपना सच होने वाला है?” मैंने सोचा।
वो उठी और कमरे में घूम कर देखा. मैंने अब बाहर का दरवाजा बंद कर दिया। यह पहला मौका था कि हम दोनों एक बंद कमरे में अकेले थे। मैं सोफे पर उसके साथ बैठ गया। हम अपनी घर की बातें करने लगे। कुछ इधर उधर की बात करने के बाद बात मेरी बीवी के बारे में होने लगी। हमारी शादी को 15 साल हो चुके थे। मैंने बताया कि अब वो अपने बच्चे में ज्यादा ख्याल देती है, मेरी जरुरत को इनता महत्व नहीं देती और सेक्स के प्रति भी बहुत उदासीन हो चुकी है। अब हमारे बीच में कुछ नया नहीं है जिसके लिए हम ज्यादा परेशान हों या व्याकुल रहें।

रागिनी ने कहा- फ़िर भी आप अपनी बीवी और बच्चे का बहुत ख्याल रखते हो और संगीता भी खुश है।
मैं उसकी इस बात पर खुश हुआ और उसे धन्यवाद दिया। फ़िर मैंने उससे पूछा,”रागिनी अब तुम अपने परिवार के बारे में बताओ, तुम्हारे पति भी तुम लोगों का बहुत ख्याल रखते हैं, तुम्हें खुश रखते हैं ! है ना?” मैंने कहा।
मैंने रागिनी के चेहरे पर उदासी देखी I

एक गहरी साँस लेकर उसने कहा- सभी यही सोचते हैं कि हम लोग खुश हैं।
“रागिनी क्या बात है? तुम दुःखी लग रही हो, तुम्हारे चेहरे से लग रहा है कि तुम खुश नहीं हो?”
“नहीं.. नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. सब कुछ ठीक ही है।” उसने कहा।

“नहीं रागिनी.. तुम कुछ छुपा रही हो ! क्या तुम मुझे बताना नहीं चाहोगी?”

“मेरी समस्या यह है कि मेरी बीवी अब मुझमें रुचि नहीं लेती। तुम समझ रही हो न कि मैं क्या कहना चाहता हूँ? उसे मेरी फिकर करनी चाहिए लेकिन फ़िर भी हम दोनों के बीच कोई तनाव नहीं है, हालाँकि हमारे बीच प्यार और सेक्स वाली बात अब इतनी ज्यादा नहीं है, मैं उससे दूर जाना चाहता हूँ, लेकिन जा नहीं पाता। मुझे लगता है कि शायद वो फ़िर से मुझे समझ ले !”

रागिनी मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रही थी, उसने कहा- मैं सब समझ रही हूँ !

कुछ देर में हमारी बातें बहुत गंभीर होने लगी, भावुकता आने लगी बातचीत में ! मैं थोड़ा भावुक होने लगा। तब रागिनी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और मुझे समझाने की कोशिश करने लगी। उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में गर्मी सी आने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा।

अब मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा,”रागिनी, मैं यह कहना नहीं चाहता था लेकिन अब बिना कहे रहा नहीं जाता, जिस दिन पहली बार मैंने तुम्हें देखा था, उसी दिन से मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ, और यही सच है !”

यह सुनते ही उसने मेरी तरफ़ देखा उसकी नज़रों में थोड़ा आश्चर्य था, उसने कहा,” तुम बहुत बदमाश हो ! अच्छा हुआ कि यहाँ तुम्हारी बीवी नहीं है और उसने यह सुना नही ! अगर वो यह सुन लेती तो मुझसे बात करना बंद कर देती और मुझे ग़लत समझती !”
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08-04-2018, 12:17 PM,
#57
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
क्या तुम उसे यह बताने वाली हो?” मैंने उससे मजाक में पूछा।

“मैं नहीं कहूँगी लेकिन……” उसने अपना वाक्य पूरा नहीं किया।

“रागिनी क्या मैं तुमसे कुछ रिक्वेस्ट कर सकता हूँ? तुम उसे मानोगी?”

“यह तो आपके रिक्वेस्ट पर निर्भर करता है !”

“अगर मैं तुमसे कुछ मांगू तो?”

“क्या?”

“क्या तुम मुझे एक चुम्बन दोगी? अगर मैं मांगू तो?”

“यह आप क्या कह रहे हैं? मैंने आपके लिए ऐसा कभी सोचा भी नहीं !” उसने गुस्से से नहीं लेकिन बहुत धीमे से और मेरी बात पर चौंकते हुए कहा।

“प्लीज़ रागिनी सिर्फ़ एक.. तुम्हारे इन रस भरे होंठो का एक चुम्बन ही तो मांग रहा हूँ मैं ! समझो मैं भीख मांग रहा हूँ।”

“भीख मांगने से कोई फायदा नहीं है, मैं इसके लिए आपको मना करने वाली नही !” और वो मुस्कुरा दी।
उसके सफ़ेद दांत उसके सुंदर चेहरे पर और चार चाँद लगते हुए दिखे,” ठीक है ! लेकिन सिर्फ़ एक ही दूंगी.. और इस बात का पता न तो आपकी बीवी को और ना मेरे पति को चले ! आप वादा करो कि किसी से यह बात नहीं कहोगे !” उसने कहा।

मेरी हिम्मत बढ़ी मैं उठा और उसके बाजू में जा कर बैठ गया, उसके एकदम करीब। मैंने देखा मेरी इस हरकत से वो थोड़ी सी सिमट गई। मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसने नज़रें झुका ली और अपने दोनों हाथ मसलने लगी।

मैंने अपना चेहरा बढ़ाया और उसके गालों पर से बालों को एक ऊँगली से हटाया, वो सिहर उठी।

मैंने तभी अपने होंठ उसके फूले हुए गालों पर रख दिए और “पुच्च” से एक चुम्बन लिया।

वो कसमसाई और तिरछी नज़र से सिर्फ़ मेरी तरफ़ देखा उसने किसी प्रकार का विरोध या सहमति नहीं दिखाई। मैं जब उसके और करीब खिसका तो उसने कहा,”बस !”

मैंने कहा- यह चुम्बन नहीं था, यह तो सिर्फ़ तुम्हें छू कर देखा मैंने होंठों से !

अब मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा, मैं उसके दाहिने तरफ़ बैठा था, मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा। वो शायद इसके लिए तैयार नहीं थी, वो मेरी गोद में गिरने लगी। मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए। अब वो मुझे आगे बढ़ने से रोकने का हल्का प्रयास कर रही थी।

मैंने कहा- तुम्हें तो मालूम है कि असली चुम्बन कैसे और कहाँ लिया जाता है.. और तुम ख़ुद यह करने के लिए तैयार हुई हो..

कहते हुए मैं उसकी बांहों को अपनी ऊँगली से हल्के हल्के नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाने लगा। उसके कंधे पर दबाव बढ़ाते हुए फ़िर से उसके गालों पर कान के ठीक पास में चूमा और जीभ से उसके कान को सहलाया..

उसकी सांसे बिखरने लगी, वो मेरी तरफ़ शरमाई नज़र से देख रही थी..

उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला। अब मैंने उसके चेहरे की तरफ़ अपना चेहरा किया और उसके थरथराते लाल रसीले लरज़ते होंठो पर अपने होंठ रख दिए। मैंने बहुत हल्के से उसके होंठों पर “चु..ऊ..क.,” करके चुम्बन कर दिया।

मैं उसकी बांहों को सहला रहा था.. और उन्हें सहलाते हुए मैंने उसका आँचल धीरे से कंधे से हटा दिया। उसके दोनों हाथ मैंने पकड़ रखे थे इसलिए वो अपना आँचल संवार नहीं पाई और मेरे सामने उसके पीन पयोधर आमंत्रण देते हुए महसूस हुए ! वैसे मैं उसकी बांहों की सहलाते हुए उसकी चूचियों को बाजू से स्पर्श कर रहा था. मैंने उसके गालों को हल्के हल्के “पुच्च.. पुच्च.. ” करते हुए चूमना जारी रखा था… फ़िर मैंने अपने होंठ उसके कानों की तरफ़ बढाये.. और उसके कान में फ़ुसफुसाकर कहा.. “रागिनी तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हें पाने के लिए मैं बहुत बेताब हूँ !”

कहते हुए उसके कान के लैब अपने होंठो में लिए .. उसके मुँह से सी.आह्ह..की आवाज़ निकली। मैं उसकी गर्दन और कंधे मसल रहा था। वो थोड़ा सा कसमसाई।

अब मैंने उसकी साड़ी को उसके वक्ष से पूरी तरह हटा दिया। वो हल्का विरोध कर रही थी.. “नहीं..संजय.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. किसी को पता चल गया तो !”

मैंने उसकी बात नहीं सुनी.. मैंने अपना हाथ उसकी बांई चूची पर ब्लाउज के ऊपर से रख दिया और गोलाई को सहलाया.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और दबा लिया.. मैंने पंजे में चूची पकड़ी और हल्के से दबाया तो उसके मुँह से आ…आ..आह.. निकल पड़ी…

मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसने कहा,”बस संजय.. इसके आगे नहीं.. ! इसके आगे जाने से हम दोनों बदनाम हो सकते हैं…!”

मैंने उसकी बात नहीं सुनी.. मेरे हाथ तो उसके ब्लाउज के बटन खोल रहे थे। उसका हाथ मेरे हाथ पर था। लेकिन कोई हरकत नहीं थी..

ब्लाउज के दोनों पल्ले खोल कर मैंने देखा अन्दर काले रंग की ब्रा है, मैंने जल्दी से उसके स्तनों पर मेरे होंठ रखे और उसके उरोजों की गर्मी महसूस की… आह्ह..
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08-04-2018, 12:17 PM,
#58
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूचियों पर काले रंग का ब्रा..

मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया, वो सोफे पर पीछे झुक गई जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर आए थे। मैंने उसकी चूची पर चूमा और उसके मुँह सेसी. .सी.. स्..स्.. स्. आह.. ऐसी कराहें निकलने लगी..

उसकी लाजवाब चूचियां मेरे सामने थी जिनके मैं सपने देखा करता था..
मैंने उसके गालों पर फ़िर से चूमते हुए उसके कान में कहा,”रागिनी मैं तुम्हें प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़ !”

उसने कुछ कहा नहीं.. वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी होगा, यह मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना..

अब मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को ढकना चाहा लेकिन मैंने उसके हाथ पकड़ लिए। मैं उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था.. उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है .. यह सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे।

कहा,”रागिनी, मुझे इन्हें जी भर के देखने और प्यार करने दो..

कहते हुए मैंने उसके गुलाबी चुचूक को हाथ लगाया, मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुँह से आउच.. की आवाज़ निकली..

मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी… मेरे हाथ की उँगलियाँ उसकी चूचियों पर भ्रमण कर रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साड़ी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था।

“संजय अभी अगर कोई आ जाए और हमें इस तरह देख ले तो? क्या होगा ? बोलो !

“फिकर मत करो इतनी सुबह कोई नहीं आयेगा ! और फ़िर मैंने बाहर का दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया है इसलिए अगर कोई आयेगा तो उसे वैसे ही दरवाजे से वापस जाना होगा।” कहते हुए अब मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर एक लंबा चुम्बन लिया..

उसने भी अब मेरा साथ दिया.. उसकी साँस फूलने से उसने मुझे धकेला और बहुत ही सेक्सी नज़र से देखा..
आह क्या दिख रही थी वो.. गोल गोल गोरे गोरे उरोज.. एकदम तने हुए और गुलाबी चुचूक…
मैंने अपनी बनियान निकाल दी। मेरे बालों से भरे सीने में उसके गुलाबी स्तनाग्र रगड़ने खाने लगे…
उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा,”तुम बहुत बदमाश हो ! एक दम गंदे !” और फ़िर मेरे सीने से लग गई..
वो अपनी चूचियों को मेरे नज़रों से छुपाने की कोशिश कर रही थी, मैंने उसे थोड़ा परे किया और अब मैंने अपना चेहरा उसकी चूचियों पर रखा और उसके निपल मुँह में लिया. दुसरे को उँगलियों से मसल रहा था..

उसने मेरा सर जोर से अपनी छाती पर दबाया.. और “आह्ह..बस..उफ़.. संजय..” करने लगी..

लेकिन मुझे तो नशा हो रहा था.. उसके मदमस्त स्तन.. चूसने में मुझे किसी शहद या मिठाई से ज्यादा मीठापन महसूस हो रहा था.. मैं अब जोर से चूसने लगा.. मैंने हल्के से उसके बाएँ निपल में काट लिया ..ऊईई…उफ्फ्फ्फ़…बस संजय.. रुक जाओ.. अब और नहीं..” कहते हुए वो उठने लगी।
मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा,”नहीं रागिनी मुझे मत रोको प्लीज़.. मुझे आज मेरे सपनो की रानी को जी भर कर प्यार करने दो !”

और मैं फ़िर से उसके निपल मुँह में लेकर एक एक कर चूसने लगा।

“आआआआआह्ह्ह..हाँ..संजय.. जोर से… उफ़. बहुत अच्छा लग रहा है..” कहते हुए मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी।

मैंने अब उसकी साड़ी को निकालना शुरू किया.. वो उठने लगी..मैंने साड़ी निकाल कर फेंक दी.. अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी… कमर पर थोड़ा गदरायापन था. उसकी नाभि बहुत गहरी थी. मैंने उसकी नाभि पर हाथ फेरा… वो मचल उठी.. मैंने फ़िर से उसके गालों को चूमा.. फ़िर उसके कान पर गीली जीभ फेरी.. वो उछल पड़ी.. मैं चाहता था कि उसके उछलने से उसकी चूचियाँ भी उछलें .. लेकिन नही.. वो तो जैसे उसके सीने पर चिपकी हुई थी.. जैसे किसी मूर्ति के स्तन हो ! एकदम सख्त.. !

दोस्तों आप सोच सकते हो मेरी क्या हालत हो रही थी उसके इस रूप को देख कर…

उसके निपल मानो स्ट्राबेरी हों इस तरह गुलाबी से लाल हो रहे थे… मेरे चूसने से और कड़क हो गए थे.. मैंने उसके एक स्तन को पंजे से पकड़ा और ज्यादा से ज्यादा मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगा… आह..आह.. ओह्ह.. संजय.. उफ़.. तुम बहुत बदमाश हो.. आह.. उफ़.. मुझे क्या हो रहा..इश..इश्ह.. कहते हुए वो अपनी दोनों जांघों को रगड़ने लगी.. संजय.. क्या कर रहे हो.. आ..आह्ह..बस.. हाँ दबाओ.. चूसो.. और उसने एक हाथ से अपनी चूची पकड़ी और मेरे मुँह में डालने लगी….
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08-04-2018, 12:17 PM,
#59
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
मैं समझ गया कि वो झड़ गई है..

अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और अपना मुँह उसकी बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वो मादक खुशबू.. पसीने और पाऊडर की मिली-जुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर जीभ फेरते हुए चाटने लगा।
उसे गुदगुदी होने लगी..

मैंने दोनों बगलों को करीब दस मिनट तक चाटा.. वो मचलती रही..

फ़िर मैं दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मैं पूरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुँह में ले सकता, उतना मुँह में लेता और चूसता.. दोनों चूचियाँ अब लाल हो चुकी थी, दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये, वहां पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे…

रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मैं उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मैं नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर चूमा.. वो थोड़ी उछल पड़ी.. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ के नीचे डाल दिए। उसके चूतड़ किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था… मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नहीं.. बस.. मैं.. मर जाउंगी.इ.इ.इ.इ.” और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई..

मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी… मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुँह में लेकर चूसने लगा.. मुझे मालूम था कि अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से..

मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसकी चूचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर चिपका दिए.. और जोरों से चूसने लगा.. उसके मुँह से उम् ऽऽ उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे.. मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था.. इस पोज़ में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मैं नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई। मैंने दोनों चूचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसके निपल मुँह में लिए.. कभी कभी मैं उसकी कमर को भी सहला देता था.. मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैं अपना मुँह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभि का चुम्बन लेते हुए उसकी जांघों को हाथों से फैलाया.. पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया।

मेरे होंठ उसकी जांघों पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही.. पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुई चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और “पुच्च..पुच्च.” किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी।

अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया,”नहीं संजय.. ये मत करो.. प्लीज़, अपनी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. यह ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे हैं .. रुक जाओ संजय !”

उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया और उठ कर खड़ी होने लगी।

“रागिनी, अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है !” कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया.
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08-04-2018, 12:18 PM,
#60
RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
शालू

दोस्तों में संजय आपके लिए एक नयी कहानी लेकर आया हु जो एक लड़की ने मेरे को email की है उसकी सहेली की कहानी उसकी जुबानी

मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है शालिनी।

उसकी उमर कोई 28 साल, कद 5’6″, फ़ीगर 34-28-36, गुलाबी रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाबी होंठ, खूब फूले हुए स्तन, भरे-भरे चूतड़ और उनसे नीचे उतरती सुडौल जांघें। बहुत ही प्यारी और सेक्सी लड़की है वो।

हम दोनों कॉलेज से एक साथ हैं और कोई बात एक दूसरे से छुपी हुई नहीं है। और हो भी कैसे सकती है क्योंकि कॉलेज के ज़माने से ही हम दोनों के बीच एक रिश्ता और बन गया।

एक रोज़ मैं उसके साथ उसके घर गई तो घर मैं कोई नहीं था। हम दोनों मज़े से बातें कर रहे थे और मैं उसे सता रही थी कि रविवार को तुम कपिल से मिली थी तो तुम दोनों ने क्या किया था 

बताओ न मुझे !

शालू शरमा रही थी। 

कपिल उसका चचेरा भाई था और दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनों अक्सर घूमने और पिक्चर देखने जाते थे। मेरे आग्रह करने पर उसने बड़े शरमाते हुए बताया कि 

उस दिन कपिल ने उसका चुम्बन लिया था।मैंने उसे लिपटा कर उसका गुलाबी गाल चूम लिया-
हे बेईमान ! अब बता रही हो?

तो वो शरमा कर हंस दी।

हे शालू ! बता ना और क्या किया था तुम दोनों ने?

बस ना ! सिर्फ़ चुम्मा लिया था उसने ! 

वो शरमा कर मुस्कराई।ऐ शालू ! बता न प्लीज ! कैसे किया था?

हट बदतमीज़ !

वो प्यार से मुझे धक्का देकर हंस दी।

मैं उसकी भरी-भरी जांघों पर सिर रख कर लेट गई, उसके गोल गोल दूधमेरे चेहरे के ऊपर थे, मैंने धीरे से उसके दाएँ दूध पर उंगली फेरी-

क्यों शालू ! ये नहीं दबाये कपिल ने?

तो उसके चेहरा शरम से लाल हो गया और धीरे से बोली- 

हाँ !

तो मैंने उसका खूबसूरत गुलाबी चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर गाल चूम लिये-

कैसा लगा था शालू?

हाय आइना ! क्या बताऊँ ! मेरी तो जैसे जान निकल गई थी जब उनकी गर्म-गर्म ज़बान मेरे मुँह में आई ! मैं मदहोश हो गई ! उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और एकदम से अपना हाथ यहाँ रख दिया 

!वो आइना का हाथ अपनी बाईं चूची पर रख कर सिसकी।मैं तड़प उठी और बहुत मना किया पर वो न माने और दबाते रहे।

फिर शालू ?

आइना, बड़ी मुश्किल से कपिल ने मुझे छोड़ा।

शालू की बातें सुनकर मेरी हालत अजीब होने लगी, ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरे जिस्म पर चीटियां दौड़ रही हों।मेरा यह हाल देख कर शालू मुस्कुराई और मेरे गाल सहला कर बोली- 

तुमको क्या हो गया आइना?

तो मैंने शरमा कर उसकी जांघों में मुँह छुपा लिया। वो मेरी पीठ सहला रही थी और मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि मेरा चेहरा बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर था जो खूब गर्म हो रही थी और महक रही थी।मैंने धीरे से उसकी चूत पर प्यार कर लिया तो वो सिसक उठी- 

आह ! आह आह ! आइना उफ़ ! नहीं ! ना ! प्लीज मत करो !

और मेरे चेहरा उठाया। हम दोनों के चेहरे लाल हो रहे थे, शालू के गुलाबी होंठ कांप रहे थे, मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर वो सिसकी- 

आइना !और मैं भी अपने को ना रोक सकी और उसके गुलाबी कांपते होंठ चूम लिये।एक आग सी लगी हुई थी हम दोनों के जिस्मों में !मैं उसके होंठों पर होंठ रख कर सिसक उठी- 

शालू ! प्लीज मुझे बताओ न कपिल ने कैसे चूमे थे ये प्यारे होंठ?तो अपने नाज़ुक गुलाबी होंठ दांतों में दबा कर मुस्कुराई- 

आइना, उसके लिये तो तुमको शालू बनना पड़ेगा।मैं हंस दी !उसके गाल चूम कर बोली- 

चलो ठीक है ! तुम कपिल बन जाओ।शालू ने अपनी बाहें फैला दी तो मैं उनमें समा गई और वो मेरे गाल, होंठ, आँखें, नाक और गर्दन पर प्यार करने लगी।तो मैं तड़प उठी- 

आह आ आह शा शाआलू ऐ ए मा नहीं ओह ओह ओह ऐ री उफ़ ये अह ओह ऊ ऊम अह अह क्या कर रही हो अह है है बस बस नहीं न ऊफ और उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये और उसकी गुलाबी ज़बान मेरे होंठों पर मचलने लगी।उसका एक हाथ जैसे ही मेरे दूध पर आया तो मेरी चीख निकल गई- 

नाआ हि आअ ह अह शाअलु ऊफ़ मत करो प्लीज ये आअह क्या कर रही हो, तो मेरे होंठ चूस तु !शालू बोली- वो ही तो कर रही हूँ जो कपिल ने मेरे साथ किया था।
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