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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
चाची मुंडेर पर पूरी तरह से झुकी हुयी थी.......उनकी गांड इस कदर उभर कर बाहर आ गयी थी की मेरा मन सावन के मौसम में बावला हो गया.
मैं आगे बड़ा और मैंने अपने हाथ चाची के उभरे नितम्बो पर रख दिया. चाची एक दम से चुप हो गयी......नीचे से कोमल भाभी चिल्लाई...."क्या हुआ नीलू चाची...."
चाची क्या बोलती......मैंने धीरे धीरे से चाची के नितम्बो को सहलाना शुरू कर दिया........चाची एक दम कड़क हो गयी और उन्होंने पीछे पलट कर मुझे देखा. मैंने भी बेशरम जैसे उनकी आँखों में ऑंखें डाल कर उनकी मख्खन गांड को दबाना जारी रखा.
कोमल भाभी फिर से चिल्लाई...." अरे क्या हुआ नीलू चाची...."
चाची ने मुझे घूरते हुए कोमल भाभी से कहा "अरे कुछ नहीं......वो एक दो कपडे निचोड़ना भूल गयी........"
मेरा बाबुराव लपलपा कर अंडरवियर से बाहर आ गया था......सावन की ठंडी ठंडी हवा उसको सहला रही थी.......और वो भड़वा मस्ती में ठुनकी पे ठुनकी मारे जा रहा था.
चाची ने कोमल भाभी से पूछा, "वो जैन साहब की बहु......क्या नाम है उसका........हाँ सुषमा.......सच में उसका अपने देवर से चक्कर है क्या ?"
मैंने चाची की साड़ी धीरे धीरे ऊपर करना शुरू कर दी. भरे दिन में चाची की गदरायी टांगो से साड़ी ऐसे उठ रही थी मानो किसी नाटक के स्टेज से पर्दा उठता है. इंच इंच करकर उनकी चिकनी टंगे नंगी होती जा रही थी. चाची के हाथ मुंडेर पर टिके थे और वो कोमल भाभी की बातें सुनने की कोशिश कर रही थी. चाची ने मेरा हाथ अपनी गांड पर से हटाने के लिए अपनी गांड मटकाई......मगर मैंने उनकी साड़ी ऊपर उठाना जारी रखा.
शाम को ६ बजे पता ढूंढता हुआ मैं सरदार प्रताप सिंह के घर पहुंचा. घर तो क्या था.....हवेली थी .....आगे जो लॉन बना था वो ही मेरे घर से बड़ा था. सरदार प्रताप सिंह, दारू और govt का बहुत बड़ा ठेकेदार था. येही समझो की सफ़ेद कपड़ो में डोन.
पुलिस हो या नेता.....सब उसकी जेब में रहते थे. इसीलिए तो नवजोत इतनी माँ चुदाता था.
मैंने बेल बजाई.......दरवाजा खुला और उसके साथ मेरा मुंह ही खुल गया ....
जिसने दरवाजा खोला था......हाईट करीब 5 फुट 8 इंच. दूध में मिले गुलाब के जैसा रंग. काला सलवार सूट बदन पर ऐसा कसा हुआ था की एक एक उभार चीख चीख के बुला रहा था. मस्त गदराया हुआ बदन था यार..........
आँखों में गहरा काजल था.......और बिलकुल गुलाबी होंट........और गले पर चिपके दुप्पट्टे के नीचे एक खाई...जी हाँ....खाई....
दो पहाड़ों के बीच की घाटी......उसके मम्मे इतने बड़े थे की उनको मम्मे नहीं थन कहना चाहिए था........
एक दुधारू भैंस के थन. पर अजीब बात यह थी की इतने बड़े मम्मे भी उस पर फब रहे थे क्योकि वो लम्बी भी थी और चौड़ी भी. डनलप का गद्दा थी साली.....सेक्सी आँखों से वो भी मुझे ऊपर से नीचे तक नाप रही थी और मैं तो उसको कभी से नाप चूका था. बल्कि अब तो मेरा सेकंड रिविजन चालू हो गया था.
उसकी शक्ल नवजोत और पिया से मिलती थी, शायद उनकी बड़ी बहन थी. मैं बोला
मैं : न न नमस्ते जी......म म म शील हूँ....व व
वो मेरी बात बीच में ही काट कर बोली, " हाँ हाँ शील बेटा......आओ आओ, पिया भी अभी आई हैं"
बेटा ??? अबे ये है कोन ? तभी अन्दर से पिया की आवाज़ आई.
पिया : कौन हैं मम्मा ?
मम्मा ? ये पटाखा पिया की माँ ? तभी मुझे समझ में आ गया की जब खेत इतना उपजाऊ है तो फसल तो हरी हरी ही आनी हैं.
उन दोनों ने मुझे ले जा कर सोफे पर बिठा दिया. पिया की माँ मेरे सामने बैठी थी और पिया उसके पीछे सोफे का सहारा लेकर खड़ी थी. दोनों की आँखों में वो चमक थी जिसे मैं न सिर्फ देख रहा था बल्कि अपने रोम रोम पर महसूस भी कर रहा था. पिया की माँ खनकती हुयी आवाज़ में बोली, "कहाँ रहते हो शील ? ", मैं जैसे नींद से जगा मैंने कहा, " गुलमोहर में, आंटी".
वो मुंह बनाती हुयी बोली, "आंटी नहीं, पम्मी नाम हैं मेरा, आंटी वांटी मत कहा करो, यु नो अजीब लगता है".
एक मैंने चाची को आंटी बोल दिया था तो पूरा शरीर नापने को मिल गया था. इसको तो आंटी - आंटी बोल कर चोद ही दूंगा.
वो इधर उधर की बातें करती रही और मैं उसको थनों और बैठने से फैली हुयी गांड की साइज़ नापने में लग गया. उनकी बातों से साफ़ था की सरदार प्रताप सिंह के रुतबे और डर की वजह से दोनों माँ बेटी का कोई सामाजिक जीवन नहीं था. सरदार जी को अपने काले कामो से फुर्सत नहीं थी और यहाँ पर इस दुधारू भैंस को कोई पूछने वाला नहीं था. काफी देर बाद पिया बोली, "ओफ्फो मम्मा, वो मुझे पढ़ाने आया है की आप की गोसिप सुनने, आप को भी गोसिप के अलावा कोई काम नहीं. चलो शील स्टडी करना है." मैंने कहा "ठीक हैं तुम बुक्स ले आओ".
"बुक्स ले आओ मतलब", पिया ने माथे पर सल लाके कहा, " मिस्टर, मेरे रूम में स्टडी टेबल हैं"
यह हसीना मुझे, अपने रूम में ले जा रही थी. और इधर उसकी माँ मुझे ऐसा देख रही थी जैसे मैं कोई दिल्ली दरबार में लटका चिकन हूँ. कसम से, मुझे ऐसा लगने लगा था की मेरी ग्रह दशा में कोई बहुत ही बड़ा बदलाव हुआ है. इतना सब कुछ इतने कम समय में हो रहा था की कुछ समझ नहीं आ रहा था.
रूम में जाते ही पिया ने दरवाजा बंद कर दिया, फिर मुझे देखकर बोली, "अरे यार, सब लोग इतना डिसटर्ब करते की पूछो मत.
इसी लिए डोर बंद कर दिया. अब कोई नहीं आएगा क्योकि अगर मेरे रूम का डोर बंद है तो फिर पापा भी पहले नोक करते है."
मैंने मन ही मन सोचा मेडम ये ज्ञान हमे क्यों दे रही हो. फिर मैंने थोडा सिरियस होके उसे पढने के लिया कहा. उसकी टेबल पर मैगज़ीन का अम्बार लगा हुआ था. वो उन्हें हटाने लगी मैंने उसकी स्टडी टेबल की चेयर खिंची और बैठ गया. बैठते ही मुझे लगा की चेयर पर कुछ रखा था, मैं उठा और मैं उस कपडे को उठा कर उसे देने लगा, "ये लो" और तभी मेरी नज़र उस कपडे पर पड़ी और मेरे कान गरम हो गए. वो एक डिज़ाइनर लेस वाली ब्रा थी, जिसका मटेरियल नेट का था. मतलब पूरा पारदर्शी.
उसने लपक के मेरे हाथो से ब्रा छीन ली और ड्रावर में रख ली. वो शर्म से हौले हौले मुस्कुरा रही थी और मुझे उस से भी ज्यादा शर्म आ रही थी.
थोड़ी ही देर में मुझे समझ आ गया की पिया को पढाई में कोई इंटरेस्ट नहीं हैं. मैं जैसे ही कुछ भी एक्सप्लेन करता और वो इधर उधर का टोपिक निकाल लेती. वो बस बातें करना चाहती थी. मुझे समझ आ रहा था की इस के सांड भाई की वजह से ये कभी भी लौन्डों से दोस्ती नहीं कर पाई हैं और अपने माँ बाप को पढाई के नाम पर चुतिया बना कर इस को सिर्फ गप्पे मारनी है.
सिर्फ गप्पे मारनी है या.......
कीड़ा......कुलबुलाने लगा था.
kramashah.............
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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उसने व्हाइट टी शर्ट पहनी थी और उसके नीचे सोफ्ट सा पजामा. जहाँ टी शर्ट ख़तम होती थी और जहा से पजामा शुरू होता था उसके बीच थोड़ी सी जगह थी जहाँ से उसकी संगमरमर जैसे कमर दिख रही थी. वो जैसे ही झुकती, दीदार हो जाता. मैं बैठा बैठा आनंद ले रहा था. उसने अचानक मुझे ताड़ते हुए देख लिया और मैं सकपका कर इधर उधर देखने लगा. वो मुझे देखने लगी और कुछ सोचने लगी. अचानक वो बोली, " शील, तुमसे कुछ पुछु ? बुरा तो नहीं मानोगे ?". मैंने कहा पूछो ना.
वो पूछ पड़ी "तुम्हारी हेल्थ-हाईट अच्छी है, दिखने में बुरे नहीं हो, तुम में तमीज़ है.......तुम ये हकलाने की बीमारी का इलाज क्यों नहीं कराते ?" मैंने ठंडी सांस ली और कहा, " पिया, दरअसल डॉक्टर का कहना है की मेरे गले में कोई दिक्कत नहीं है, मैं सिर्फ गुस्से में या नर्वस होने पर ही हकलाता हूँ" . "हम्म........गुस्से का तो समझ आया......मगर तुम नर्वस कब होते हो ? "
उसने पुछा. मैंने उसे बताया, "जब कोई गलती कर दू या कोई लड़की मुझसे बात कर रही हो या......."
"या मतलब क्या ? मैं तो तुमसे बात कर रही हूँ तो क्या मैं लड़की नहीं हूँ ? ", उसने माथे पर सल लाके पुछा .
यह कहकर उसने मेरे जांघ पर अपने हाथ रख दिया और सीधा मेरी आँखों में देखकर बोली, " ऐसे होते तो क्या नर्वस ?"
यह सुनकर मेरा लंड नींद में से जगा और उसने अपना पूरा फन फैला लिया. मुझे दिक्कत होने लगी मगर पिया का हाथ इतना गरम आनंद दे रहा था की हिलने की इच्छा भी नहीं हो रही थी. ज्यादा प्रोब्लम हुयी तो मैं एकदम हिला और अपने लंड को
एडजस्ट किया. पिया की निगाहे मेरे लंड पे टिक गयी और उसने मेरी पेंट के उभर की तरफ इशारा करके पुछा, " नर्वस होते हो तो ऐसा भी होता है क्या ?" कसम से इच्छा हुयी की इस को यहीं पटक कर अपना लंड पेल दू, मैंने उसकी तरफ हाथ बढाया और तभी किसी ने दरवाजा जोर से खटखटाया.
नवजोत की आवाज़ आई, "पिया.....दरवाजा खोल". पिया का चेहरा एकदम तमतमा गया, वो उठी और पैर पटकती हुयी दरवाजे पर गयी. उसने जोर से दरवाजा खोला, "क्या है भाई ?, आप तो पढ़ते नहीं मुझे तो पढने दो."
नवजोत ने कहा, "हाँ हाँ ...पढ़ ले...,.मैं तो तेरे माट साब से नमस्ते करने आया हूँ. नमस्ते माट साब."
मेरी गांड की फटफटी चल निकली थी. साला मादर चोद.....इसको अभी ही आना था. मैंने कुछ नहीं कहा और घडी देखते हुए उठा और पिया से कहा, "अच्छा मैं चलता हूँ, आप रिवायिस कर लेना."
नीचे आया तो पम्मी आंटी बैठी थी, वो बोली, "जा रहे हो शील, (बेटा लगाना भूल गयी). ध्यान रखना पिया का. अकाउंट में बहुत वीक हैं. कल भी ६ बजे ही आओगे ? " मैंने हाँ कहा और चुप चाप सुमड़ी में निकाल लिया. अचानक पीछे से आवाज़ आई,
" ओये हकले......अबे रुक.....", साला सांड मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा.
मैं रुक गया. नवजोत आया और मुझे घूरने लगा.......मैं उस से नज़रे नहीं मिला रहा था.....उसने कहा ," देख बेटा, पढ़ाने आता है, सिर्फ पढ़ाइयो......कुछ इधर उधर किया तो समझ लियो ....."
मैं हाँ हूँ बुदबुदाते हुए चुप चाप निकाल लिया.
इधर उधर घूम कर घर पहुंचा तो 11 बज गए थे. चाची बैठी बैठी टीवी देख रही थी. मुझे देखकर बोली,
"आ गया लल्ला....चल खाना खा ले.". मेरा सर भारी हो रहा था मैंने मना कर दिया. वो उठ कर मेरे पास आई, "क्या हुआ लल्ला, तबियत ठीक नहीं क्या ? ". मैंने कहा, "चाची सर भारी हो रहा है". वो बोली, "चल सर में तेल मालिश कर दूँ. मैंने मना कर दिया और उनको कहा की वो सो जाए.
तो वो बोली," क्या सो जाऊं लल्ला, आज ३ ट्रक माल आया है, तेरे चाचा खाली करवा कर आयेंगे. फिर उनको खाना देने उठना पड़ेगा और तुझे पता है की मैं एक बार सो गयी तो बम फूट जाये तो भी नहीं उठती. चल तू इधर आ"
कहकर उन्होंने मुझे बैठा दिया. वो सोफे पर बैठी थी और मैं उनके आगे ज़मीं पर. उन्होंने अपने दोनों पेरों को थोडा थोडा खोल कर फैला लिया और मुझे पीछे खिंच कर बैठा लीया. वो ठंडा तेल लगा रही थी, उनके नर्म नर्म उंगलियों से छुने से ही मेरा सर हल्का होने लगा. वो टीवी भी देख रही थी. गोविंदा की मूवी आ रही थी जो उनका फेवरेट हीरो था. अचानक एक कॉमेडी का सीन आया और चाची जोर जोर से हंसने लगी. हँसते हँसते वो आगे झुक गयी और उनके दोनों मम्मे मेरे सर से टकराने लगे.
लंड तुरंत खड़ा हो गया. मैंने थोडा सर घुमाया तो छोटे से ब्लाउस में फंसे बेचारे मम्मे उन्हें बाहर निकालने की फरियाद कर रहे थे. चाची के सोफ्ट मम्मे मेरे मुंह से सिर्फ कुछ इंच दूर थे. लंड ऐसा तना की लगा पैंट में ही छेद कर देगा.चाची ने अपनी टांगो से भी मुझे जकड लिया था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला.
कीड़ा........कुलबुलाने लगा.
मैंने समझ गया की चाचा २-३ घंटे नहीं आएगा और माँ - पापा तो कब के सो चुके होंगे . मैंने चाची से पुछा.
"चाची वो.......आप की खुजली अब ठीक है ?"
एक सेकंड में चाची के हाव भाव बदल गए. उन्होंने एक पल मुझे टेडी नज़र से देखा और फिर बोली,
" नहीं रे लल्ला, थोडा तो आराम है मगर अभी भी हो जाती है. देख ना तुने याद दिला दिया और शुरू हो गयी".
उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी मुनिया को खुजाना शुरू कर दिया. वो बिंदास मेरी आँखों में ऑंखें डाल कर अपनी चूत खुजाले जा रही थी. मेरा सांप ऐसा लहराने लगा जैसे कोई सपेरा बीन बजा रहा हो. मैंने पुछा,
"चाची.....आप पेंटी तो नहीं पहन रही हो ना ?". चाची से एक ठंडी सांस ली, अपने मम्मे और उभारे और बोली, "अरे लल्ला....पेंटी तो कब से ही नहीं पहनी. दिन भर ऐसे ही घुमती हूँ......कभी हवा तेज़ चलती है ना तो वहां तक झोंके आते है"
चाची की ऐसी बातें सुन सुन कर लंड लार टपकाने लगा. मैंने झोंक झोंक में उनसे पुछा....
"चाची, मैं आपको बोलना भूल गया वो दवाई वाले ने ये भी कहा था की ये दवा बाल साफ़ कर के लगानी है, पर आप ने तो साफ़ किये ही नहीं"
ये बोलते ही चाची ने एक दम पलट के मुझे देखा. एक सेकंड तो वो मुझे देखती रही और फिर उन्होंने पुछा...
"क्यों रे लल्ला....तुझे क्या पता की मैंने...........वहां के बाल साफ़ नहीं किये"
मेरी गांड की फटफटी फिर चल निकली.
मुझे काटो तो खून नहीं. मेरा दिल सीने से उतर के गांड में चला गया था. जैसे दिल धड़कता है वैसे मेरी गांड धड़क रही थी. शायद इसी को गांड फटना कहते हैं.
चाची ने आज मुझे दूसरी बार रंगे हाथों पकड़ लिया था. मैंने कुछ नहीं कहा और सर नीचे कर लिया.
चाची ने मेरे यह हाव भाव देखे तो आवाज कड़क कर के बोली, "बोल लल्ला, तुझे क्या पता की मैंने बाल साफ़ नहीं किये"
मैंने चाची को घुमाने के लिए बोल दिया, "न न न नहीं च च च चाची.....व व वो ....म म म मैं ......म म मैंने ऐसे ही बोल दिया"
उन्होंने फिर से कड़क आवाज़ में पूछा,"बताता हैं की मैं........तेरे चाचा को बोल दूँ"
भाई साहब अपनी तो सांस ही रुक गयी.......सारी गांड मस्ती निकल गयी. मैं चूतिये जैसे मुंह नीचे कर के खड़ा था और वो मेरे सामने अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़ी थी. जैसे कोई दरोगा किसी चोर को चोरी करते पकड़ ले. मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. उन्होंने फिर पूछा,
"बता लल्ला......कहीं तू मेरे कमरे और बाथरूम में ताक झांक तो नहीं करता ? अरे कहीं तू हिरसू तो नहीं है रे ???"
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
"न न नहीं च च चाची.......म म मैं ताक झांक नहीं करता. वो आज सुबह टंकी में था न......ज ज जब आप टंकी के ऊपर दोनों टाँगें चौड़ी कर के खड़ी थी........तो दिख गया था........मम्मी की कसम चाची......मैं ताक झांक नहीं करता. प प प प्लीज़ आ आ आ आप किसी को म म म मत बोलना.....", मैं रुवांसा हो गया.
उस कमीनी ने फिर पलटा खाया और धीरे धीरे मुस्कुराने लगी.......बोली,
" हाय राम......ये मरी खुजली......न ये होती.....न मैं ऐसी नंगी घुमती......न मेरी फूल कुंवर ज़माने को दिखती"
सीन चेंज हो गया था. चाची के मुंह से उनकी चुत का नाम सुन के मेरे लौड़े ने तुरंत सलामी दी. मैंने हिम्मत की......
"च च चाची.....आप चिंता मत करो. ज़माने ने थोड़ी ही देखा, वो तो मुझे दिख गयी गलती से....."
"अरे लल्ला मैं सब जानती हूँ, मैं तभी सोची थी की ये लल्ला टोर्च की रौशनी मेरी साड़ी में क्यों मार रहा है", चाची ने आखें तरेर के कहा.
"और तभी तू टंकी से बाहर नहीं आ रहा था, क्योकि ये खड़ा हो गया था." वो मेरे लंड की तरफ इशारा कर के बोली.
मैंने भी ढीली बाल देख के बल्ला घुमाया, "अब चाची इसमें इसका क्या दोष, बेचारे को इसकी साथीन दिखी तो यह खड़ा हो गया, हाल चाल पूछने के लिए"
चाची ने वो तिरछी नज़र मारी की दिल से लेकर मेरे गोटों तक सनसनी मच गयी.
चाची मंद मंद मुस्कुराते हुए देख रही थी. बड़ी अदा से इतरा कर बोली, " हाय राम....लल्ला......बहुत बदमाश हो गया है, तेरे लिए तो लड़की मैं ही ढूंढ़ कर लाऊंगी"
मैंने ने कहा, "हाँ चाची, अपने जैसी ही ढूंढ़ कर लाना", बेचारी का एकदम से चेहरा उतर गया. ठंडी सांस लेकर बोली, " मेरे जैसी ला कर क्या करेगा लल्ला, न मैं तेरे चाचा को बच्चा दे पाई ना तेरी माँ जैसा खूब दहेज़ लायी, मुझे तो लगता है की तेरे चाचा भी मुझसे प्यार नहीं करते......ऐसी लड़की का क्या करेगा रे...."
माहोल एक दम बदल गया. उनका चेहरा ही उतर गया था. अचानक मेरे मन में इस दुखियारी के लिए दया आ गयी. मैंने उनको खुश करने के लिए कहा,
" नहीं चाची, आप जैसी ही लाना, इतना सब होने के बाद भी आप कितनी हंसमुख हो, घर के सारे काम संभालती हो, आपके यहाँ आने के बाद से माँ को तो बस मंदिर दीखता है मगर आप फिर भी उनको इतनी इज्ज्ज़त देती हो..... चाचा अगर आपका ख्याल नही रखता और अगर बच्चा ना हुआ तो इसमें आपका क्या दोष ?
खराबी तो चाचा में है." वो एकदम आँखों गोल करके बोली, " क्या बोल रहा है रे लल्ला...." . मैंने और हिम्मत करते हुए कहा, " मुझे पता है की चाचा में शुक्राणु की कमी है, वो रिपोर्ट मैंने पढ़ ली थी"
चाची ने एक ठंडी गहरी सांस ली......उनका ब्लाउस ऐसा तना की लगा आज सारे हुक टूट जायेंगे. फिर बोली, " इसीलिए कहती हूँ लल्ला कि बुरी आदतों से दूर रह, कल तेरी बीवी को भी येही दुःख भोगना पड़ेगा. ना मन में शांति रहेगी ना ....तन में."
मैंने बात काटी, "नहीं चाची ऐसा नहीं हैं, मैं भी कोई रोज़ रोज़ नहीं करता, वो तो आजकल... , और वैसे भी डाक्टर चाचा ने बताया हैं कि कभी कभी करने से कुछ नहीं होता."
"आज कल क्या रे लल्ला......", चाची ने ऑंखें सिकोड़ के पूछा. मैंने हिम्मत जुटाई और पाँसा फेका, "न न न नहीं क क कुछ नहीं..... "
चाची ने आवाज़ कड़क कर के बोला, "बता ना ....आज कल क्या ? "
"वो च च चाची .....आप मजाक करती हो ना...तो मुझे करना पड़ता है"
"हाय राम......बेशरम. तो तू क्या मेरे बारे में सोच सोच कर........हाय राम....उठ यहाँ से.........खड़ा हो जा "
मेरी गांड फटी......"न न नहीं च च चाची.....म म मेरा मतलब है कि मुझे सपने आते है अजीब से......और वो सोचने से ये ऐसा हो जाता हैं, इ इ इस लिए करना पड़ता है"
चाची मुझे घुर रही थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करू ? फिर वो बोली, "देख लल्ला....मैं तुझ से बड़ी हु....तेरी चाची हूँ, ये गन्दा गन्दा मत सोचा कर, मैं तो समझ भी जाउंगी कि तू अभी बच्चा है मगर दुनिया क्या कहेगी....."
साली को ये दिक्कत नहीं कि मैं उसके बारे में सोच सोच कर लंड हिलाता हूँ, उसकी तो इज्ज्ज़त के नाम फटी है. मैंने कहा, " चाची मैं कभी किसी से कुछ नहीं बोलूँगा,
माँ की कसम, आप ही तो है घर में जो मुझको समझती है, बात करती हैं, इतना ध्यान रखती हैं, माँ को तो भगवान् और भजन से फुर्सत नहीं और पापा को तो ये भी नहीं पता होगा की मैं कौन सी क्लास में और कौन से कॉलेज में हूँ. चाचा तो यूँही काम में इतना बिजी रहते हैं.
इतनी भारी सेंटी मारी की चाची एकदम पसीज गयी और बोली, "नहीं रे लल्ला.....ऐसा मत बोल रे ...मैं हूँ ना.....तेरा पूरा ख्याल रखूंगी......तेरा मेरा दर्द एक जैसा ही है रे......" कह कर उन्होंने मुझे गले लगा लिया. उनकी हाईट तो कम थी मगर वो बैठी थी सोफे पर और मैं था निचे. मेरा सर सीधा उनके मम्मो के तकिये पर टिका.
एक पसीने और साबुन की खुशबु का मिला जुला झोंका मेरी नाक में आया और मेरा लंड जो उनके पैरों से चिपका था, सर उठाने लगा.
मैं उस गद्देदार तकिये के मज़े ले रहा था, ऐसा लग रहा था की बस यहीं पर समय रुक जाये. चाची ने मुझे धीरे से पीछे किया, और बोली, " लल्ला....तेरी लुगाई बहुत खुश रहेगी रे....तू अब समझदार हो गया हैं. तभी मैंने कहा, "और जवान भी". हम दोनों हंसने लगे.....तभी उनकी नज़र मेरी पेंट के उभर पर गयी जहाँ पर मेरा बाबुराव कसमसा रहा था. मुंह पर हाथ रख पर बोली," राम राम .....लड़का है की सांड है रे ?"
मैंने अनजान बनकर पूछा, "क्यों चाची, सांड क्यों ?"
चाची ने अपना निचला होंट मुंह में दबाया और बोली, "क्योकि सांड भी ऐसे ही होते हैं" . मैंने फिर कुरेदा, " मैं समझा नहीं"
"अरे लल्ला.....वो गाँव में अपने घर एक सांड पाला था.....6 -7 फुट ऊँचा और ऐसा भारी था की 100 गाँव तक उसकी बातें होती थी, वो तेरे चाचा ने उसको गाय गाभिन करने के काम पर ही लगा दिया था, लोग अपनी अपनी गाये लाते, गाय को स्टैंड में खड़ा करते और अपने सांड को उसके पीछे खड़ा कर के कुलहो पर एक लट्ठ मारते.
लठ खाते ही उसका ........वो....... तलवार जैसे बाहर निकलता और वो गाय पर चढ़ जाता. ऐसे वो एक दिन में 6 -7 बार कर लेता था. गाय गाभिन हो जाती, किसानों को अच्छे नस्ल के बछड़े मिल जाते और तेरे चाचा को हर बार के 500 रूपये. तेरे चाचा उस सांड से ही कुछ सीख लेते........"
चाची की आँखों में लाल लाल डोरे दिखने लगे थे, शायद सांड के तलवार जैसे लंड की याद आ गयी थी. मैंने कल्पना की की चाची घोड़ी बनी हुयी हैं और पीछे से मैं उनकी मार रहा हूँ . शायद इसलिए चाची मुझे सांड बोल रही थी.......
मतलब क्या चाची ...................
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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तभी मेरा मोबाइल बजा, मैं और चाची जैसे नींद से जागे. इतनी रात को कौन उंगली कर रहा था ? मैंने फ़ोन देखा.....
पिया का था. मेरी गांड फटी की अगर चाची ने पूछा की कौन है तो क्या बोलूँगा.
मैंने फ़ोन उठाया , "हाँ बोल..". मेरे ऐसे उत्तर से शायद को सकपका गयी, "ह ह ह हेलो, शील ?"
वाह रे ऊपर वाले, कभी मैं इस लड़की से बात करने समय हकलाता था, और आज यह मुझसे बात करने में हकला रही हैं.
मैंने कहा, "क्या हुआ भाई, सोया नहीं क्या अभी तक".
थी तो पिया भी शातिर, एक सेकंड में माजरा समझ गयी, " अरे कोई बैठा है क्या तुम्हारे पास ?". मैंने कहा, "हाँ यार, बस चाची के साथ बैठा था, गप्पे मार रहा था"
ऐसी गप्पे ही मारने को मिल जाये तो इंसान "दूसरी चीज़े मारने की क्यों सोचे ?? "
चाची ने इशारो से पूछा की कौन है, मैंने ऐसे ही चुतिया बनाया और पिया से बोला, "और बोल, पढाई वगेरह ठीक चल रही है"
"अरे मत पूछो, तुम्हारे जाने के बाद से फिर वोही हालत हो गयी, कुछ समझ नहीं आ रहा. मेरा मन आज तो पढ़ने का भी नहीं हो रहा.", वो बोली.
उसका यह कहना हुआ और मुझे उसका नरम और गरम हाथ का स्पर्श याद आ गया, हाय रे......वो सांड नवजोत नहीं आता तो क्या पता कुछ और होता.
यह सोचते ही ठरक जगी और सिग्नल खड़ा हो गया. साली जींस इतनी टाईट होती है की कोई ध्यान से देखे तो लंड क्या गोटे भी नाप ले. और वो ही काम चाची कर रही थी. मैंने सर उठाया और चाची को देखा तो उनकी टेडी नज़ारे मेरे तने हुए तम्बू पर ही थी. पहले ही पिया की हरकत याद करके मेरा हाल बुरा था उसके ऊपर से चाची की टेडी नज़ारे क़यामत ढा रही थी. धीरे धीरे उनके चेहरे पर वो ही मंद मंद मुस्कान आ गयी. उधर पिया जाने क्या बोले जा रही थी. मैंने कहा, "क्या ? क्या बोला ?"
वो एक दम चुप हो गयी.
मैंने कहा, "हेल्लो ....? आर यु देयर ? "
वो धीरे से बोली, "मैं तुम से बात कर रहू हूँ और तुम्हारा ध्यान ही नहीं हैं, अगर बिजी हो तो कोई बात नहीं"
"अ अ अरे ....क क कुछ नहीं यार...तू बोल ना"
"नहीं, मुझे बात नहीं करनी"
"अरे क्या हुआ" मैंने पूछा. उसका जवाब आये उसके पहले चाची मुझे घुर रही थी.
मैंने सोचा की पहले इसको कल्टी कर दू . नहीं तो चाची को शक हो जायेगा.
" .....अच्छा सुन, मैं तुझे कॉल करता हूँ...थोड़ी देर में.", मैंने उसको पुचकारने की कोशिश की.
"नहीं मत करना, फोन भाई के पास रहेगा.......".
जैसे किसी ने भरे बाज़ार में मेरी पेंट उतार ली हो. मेरी आवाज़ एक दम बंद हो गयी.
फिर मैंने कहा, "अ अ अच्छा.....त त त तो..... ठ ठ ठीक है नहीं क क करूँगा."
अचानक फ़ोन उसके खिलखिलाने की आवाज़ से गूंज उठा, वो जोर जोर से हंस रही थी और मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की हुआ क्या ????
" अरे बुद्धू......फोन मेरे पास ही रहेगा, बिलकुल दिल से लगा के रख्खा है ....तुम फ्री हो कर फोन कर लेना..........तुम कितना डरते हो भाई से ......", और फिर जोर जोर से हंसने लगी.
साली .......इसको तो मैं रगड़ रगड़ के..........
मैंने बाय बाय करके फोन रखा
"कौन था लल्ला....."
"कोई नहीं चाची......दोस्त है"
"दोस्त या दोस्तनी ?"
"न न न नहीं चाची दोस्त है......."
"अच्छा .......आवाज़ तो लड़की की लग रही थी"
"न न नहीं चाची व् वो उसकी आवाज़ पतली है"
"लल्ला......पतली आवाज़ वाले दोस्तों से यारी करने से अच्छा हैं की लड़कियों से ही कर ले", कहकर वो भी खिलखिलाने लगी.
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मैं भी हंसने लगा.....मैंने कहा, "क्या चाची आप भी.........आप को लगता है की मैं वैसे लडको से दोस्ती करूँगा ? "
"नहीं रे लल्ला....क्या पता........ज़माना ख़राब है, वैसे तू ऐसा करने का सोचता भी तो उसको पहले ही मैं तुझे सुधार देती"
मैंने भोला बन के पूछा...."कैसे चाची......."
"वो तो लल्ला अगर ऐसा कुछ होता तो तुझे पता लग ही जाता", चाची ऑंखें नचाती हुयी बोली.
"बताओं ना चाची.....देखो आप और मैं दोनों दोस्त जैसे ही तो है." मैंने जिद की.
"अरे लल्ला....क्या बताऊ तुझे.......औरत त्रिया चरित्र से हर मर्द से मनचाहा काम करा सकती हैं"
"त्रिया चरित्र ???? ये क्या है.....कोई दवाई है क्या ?", मैंने भोला बन के पूछा.......
ऐडा बन के पेड़ा खाने में तो अपन भी उस्ताद है.
"अरे लल्ला......त्रिया चरित्र मतलब........मतलब ........औरत जो अपने रूप और नखरो से किसी से कुछ भी करा लेती है ना.......उसको कहते हैं त्रिया चरित्र", चाची ने समझाया.
फास्ट बोलर के ओवर ख़तम.........स्पिन चालू. अपना बल्ला भी तैयार हो गया.
मैंने फिर कुरेदा, "चाची ......रूप और नखरे से क्या ? मतलब की...क्या करा ले ?
"अरे लल्ला, कुछ भी करवा सकती है औरत.....आदमी को ज़रा सा इशारा करते है उसके दिमाग का सारा खून वहां से, नीचे चला जाता है, औरत की बातों के आगे अच्छे अच्छे हर मान लेते है", चाची ने गुगली मारी.
"अच्छा चाची....अगर मैं ऐसे लडको से दोस्ती कर लेता, जो लडको को ही पसंद करते हैं तो क्या करती आप ?" , मैंने भी पूछ लिया.
चाची ने अपनी टांगो के बीच में खुजाते खुजाते कहा.
"अरे लल्ला......जो भी करती बस तुझे यह समझा देती की लडको के साथ वो बात नहीं जो एक औरत के साथ है",
अब मैंने भी अपनी नज़रे चाची की टांगो के बीच लगा दी. "चाची......अ अ आप ने वो साफ़ किया की नहीं......."
"क्या रे लल्ला.......", चाची ने ऑंखें तरेरी.
"व व व वोही......वो .....बाल......"
चाची ने धीमे से मुस्कुरा कर ऑंखें सिकोड़ कर सर हिला दिया.
हाय रे.....साला इतने में तो अपने पुरे बदन में सन सनन साय साय होने लगी.
"त त त तो च च चाची........फिर आपकी य य यह ख ख ख खुजली.......की दवाई कैसे काम करेगी.......?
चाची ने ठंडी सांस भरी, "अरे तो अब मैं क्या करू......मुझे बहुत डर लगता है.....ऐसे कैसे साफ़ करू......साफ़ करने के चक्कर में ब्लेड से कट लग गया तो....?"
तभी चाची के खेत के चारो तरफ, उजाड़ बंगले के बगीचे जैसे झाड़-झुरमुट उगा हुआ था. चाची ने कभी नीचे के बाल साफ़ किये ही नहीं थे.
"अरे क्या चाची.....आप भी.......रेज़र से थोड़ी साफ़ करते हैं. हेयर रिमूविंग क्रीम आती है, वो लगा लो. १० मिनट में सब साफ़."
"हे भगवान.....क्या क्या चीज़े आने लगी हैं.........बिलकुल साफ़ हो जायेगा ???"
"हाँ चाची......एकदम साफ हो जाता है....और एक दम चिकनी स्किन हो जाएगी..........आपके गाल जैसी"
"चल हट बदमाश........."
मगर उन्होंने हलके से अपने गालो को सहलाया और जायजा लिया की बाल साफ़ होने के बाद उनकी मुनिया कैसी चिकनी लगेगी.
चाची की आँखों में देखकर ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने पी रखी हो.
ठंडी सांस ले कर बोली, "ठीक है लल्ला.....कल क्रीम ला देना.....अभी तो बहुत रात हो गयी....."
"च च चाची अ अ आप बोलो तो मेरे पास रखी हैं........वो क्रीम...", मैंने कहा.
"हाय राम......तुझे क्या काम उसका ? ", ऑंखें गोल गोल कर के उन्होंने पूछा.
"च च चाची........म म म मुझे वहां पर बाल पसंद नहीं......साफ़ रखो तो ख ख ख खुजली भी नहीं होती.......इ इ इसलिए"
चाची उठी और बोली, "चल .....दे दे...."
मैं अपने रूम में गया.......बाथरूम में जाके ट्यूब उठाई.....चाची मेरे पीछे पीछे वहां तक आ गयी थी.....मैं पलटा तो एकदम से हम टकरा गए......
मेरा सीना सीधा चाची के बिने ब्रा में कैद मम्मो से जा टकराया.......साली ये ब्रा क्यों नहीं पहनती. मेरा टी शर्त का कपडा भी पतला था. मुझे उनके खड़े हुए निप्पल महसूस हो गए थे. साली ........मस्ती इसको भी चढ़ रही थी.
चाची एकदम से पीछे हुयी उनका बेलेंस बिगड़ा, मगर मैंने थाम लिया. वो संभाली और बोली,
"लल्ला.....बहुत ताकत आ गयी रे तुझ में......., ला वो क्रीम दे दे......"
मैंने ट्यूब उनको दिया और बताया की इसको अच्छी तरह से फैला कर चारो तरफ लगा लो...........
"अरे यह बीच में लग गयी तो जलन ......तो नहीं होगी.......? मैं तो पहले ही खुजली से मरी जा रही हूँ"
मेरी आवाज़ कांपने लगी थी, "नहीं चाची......ब ब ब बीच में मत लगाना, आप तो साफ़ कर लो.....आपकी खुजाल मिट जाएगी"
चाची ने मुझे निहारा और बोली, "ठीक है बाहर जा........तेरे बाथरूम में ही कर लेती हूँ........मेरे बाथरूम में कपडे पड़े है और वहां पर कांच भी नहीं है"
मेरी कनपटी पर हथोड़े पड़ने लगे..........मुंह सुख गया.......
मेरे बाथरूम में दरवाजा टेड़ा होने से सिटकनी नहीं लगती थी.
"जा.......मेरे कमरे से मेरा टोवेल ले आ.",
मैं चाची के कमरे में गया, उनकी अलमारी खोली. इधर उधर देखा, टोवेल दिखा ही नहीं. नीचे ही नीचे के खाने में देखा तो.......
चाची की ब्रा और पेंटी पड़े थे. और वही पर टोवल था, मैंने टोवल उठाया और तभी मुझे एक ब्रा दिखी, चटक लाल रंग की........
बिलकुल जैसी सनी लिओनी को पहने देखा था. वो लिफ्टर ब्रा थी, मगर उसका मटेरिअल पूरा नेट का था.
आर पार.......अगर चाची इसको पहन ले तो ऐसा क़यामत लगे की............चाची कौन सी सनी लिओनी से कम हैं ...........
मैंने ब्रा उठा ली, इतना नरम मटेरिअल था जैसे मखमल हो......टोवेल और ब्रा ले कर आया
(पेंटी नहीं, क्यों की चाची पेंटी तो पहन ही नहीं रही थी. )
चाची तो बाथरूम के बहार ही खड़ी थी. मैंने सोचा की चाची को बोल दू,
"चाची.....वो....दरवाजे की सिटकनी ख़राब है....."
"हाय राम.......ख़राब क्यों है...? अब क्या करे....? तू रूम से बाहर जाके बैठ "
मैंने हिम्मत की....और कहा..."चाची, म म म मुझे कम्प्यूटर पर काम करना है.......अ अ आप कर लो.....मैं......."
"अच्छा .......???", चाची ने मुझे घुरा.
फिर कुछ सोच कर बोली....."ठीक है लल्ला.....तू कम्प्यूटर पर काम कर ले.....मगर तांका झांकी मत करना", चाची ने ऑंखें दिखा कर कहा.
मैंने मन ही मन सोचा की चाची आप जाओ तो सही.......फिर देखते है.
चाची के सामने मैंने भोले बच्चे जैसा सर हिलाया और कम्प्यूटर ऑन कर लिया. कुर्सी खिंची और बैठ गया.
चाची ने टोवेल उठाया, अचानक ब्रा उसमे से गिर गयी, चाची ने ब्रा को देखा फिर मुझे.
"क्यों रे लल्ला.....ये क्या उठा लाया ?", उन्होंने ब्रा हाथ में हिलाते हुए पुछा.
"व व वो चाची......आप ही ने तो कहा था.....लाने को"
"अरे ....मैंने कब कहा की अंगिया भी लाना ?"
"व व व वो चाची .....म म मैंने सोचा की .....आप ने पहनी नहीं है......तो शायद अब पहनोगी"
ये बोलते ही मैंने अपनी जुबान कट ली......शीट....ये क्या बोल दिया.
चाची ने ऑंखें बाहर कर के पुछा, "क्यों रे बेशरम.......तुझे कैसे पता लगा की मैंने.......अंगिया नहीं पहनी", चाची का चेहरा थोडा लाल हो गया.
मेरी फटफटी.......चल निकली......
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
16
मैं सकपका गया.....अब क्या बोलू.....?
थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा, "न न न नहीं चाची.....ऐसा नहीं है......व...व....व....वो आप के ब्लाउस.....म म म में से......
द द द दिखा की.....न न न नहीं पहनी होगी.....श श शायद.....इसी लिए ल ल ल ले आया"
"हाय राम.....लाया तो लाया.....मगर ऐसी ? ", चाची ने होंट दबा कर मुझे घुढकी दी.
"ये तो पहनी न पहनी बराबर ही है.......इतने छोटे छोटे तो कप है इसके......लल्ला तू न बहुत बदमाश हो गया है......"
लल्ला क्या बोलता........लल्ला.....का लुल्ला और ज्यादा बदमाश.
"अब सीधे सीधे कम्प्यूटर पर काम करले......", कह कर चाची बाथरूम में घुस गयी. उन्होंने दरवाजा लगाया और सिटकनी लगाने की कोशिश की......मगर भाई साहब......सिटकनी तो कुत्ते की पूंछ थी. नहीं मानी. चाची ने दरवाज ऐसे ही लगा दिया.
कुछ देर बाद अन्दर ले चिल्लाई....."अरे लल्ला......ये क्रीम धो कर लगानी है या ऐसे ही...."
मैं उठ कर दरवाजे के पास गया....चाची तो दरवाजे के पीछे थी.....मगर मेरे बाथरूम की एक दिवार पर पूरा कांच था. चाची उसमे दिखाई दे रही थी. उन्होंने ट्यूब हाथ में पकड़ा था और..............और उनकी साड़ी खुली हुयी थी.
वो सिर्फ ब्लाउस और पेटीकोट में खड़ी थी. मैंने कहा, "चाची पहले अच्छे से वाश कर लो......फिर लगाना, और लगा कर १५ मिनट रखना. फिर धो लेना......बस...."
"हाँ ठीक है......", कहकर चाची ने अपने पेटीकोट का नाडा खोला.
उनका पेटीकोट खुल कर एक टायर की तरह उनके पेरों में इकठ्ठा हो गया.
चाची ने सच मुच पेंटी नहीं पहनी थी.
बाथरूम में ट्यूब लाइट की रौशनी में चाची का अधनंगा बदन चमक रहा था. मेरी ऑंखें चौंधिया गयी,
वो सिर्फ ब्लाउस में खड़ी थी. काले रंग का पतला सा ब्लाउस. उनके गोल गोल मम्मे साफ़ दिख रहे थे और दृष्टिगोचर हो रहे थे उनके वो खड़े हुए निप्पल. क्या नज़ारा था ......
मेरी नज़ारे उनके चिकने बदन पर नीचे फिसलने लगी. उनकी कमर का कटाव देख कर मेरी साँसें रुकने लगी और फिर तेज़ी से चलने लगी. मैं पहली बार उनको नंगा देख रहा था. उनका पेट हल्का सा बड़ा हुआ था. उसमे उनकी नाभि ऐसी लग रही थी मानो मुंह खोले कोई मछली हो. इतनी सेक्सी तो शिल्पा शेट्टी की नाभि भी नहीं है. मेरी नज़रे और नीचे फिसली.........
चाची ने टांगे चिपका रखी थी पर उनकी झांट के बाल काफी ऊपर तक और बहुत थे.
ऐसे गुच्छे खाए हुए थे मानो लुटी हुयी पतंग की डोर हो. ये तो पक्का था की चाची ने कभी बाल साफ़ किये ही नहीं थे.
अचानक वो पलटी और मेरी नसों के गिटार ने झंकार मारी.
चाची के वो खुबसूरत नितम्ब, जिनको मैं आज सुबह ही नाप चुका था. मेरी नज़रों के सामने थे. मेर मुंह खुला का खुला रह गया. चाची की कमर से उठा कटाव उनके नितम्बो पर पुरे शबाब पर आ रहा था.
ऐसा कटाव था मानो शिमला की सड़कों के अंधे मोड़. चाची के नितम्ब बिलकुल गोल थे. मानो दो देसी तरबूज.
दोनों में प्रीति ज़िंटा के गालो जैसे डिम्पल पड़ रहे थे.
और वो दोनों तरबूज टिके थे, चाची की मोटी गदराई जांघो पर. चाची मोटी नहीं थी, बस गदराना शुरू ही किया था.
ऐसा नज़ारा था की जिसने देखा है, वो मेरी हालत समझ सकता है. गांड भी फटे जा रही थी और मज़ा भी आ रहा था.
चाची फिर से घूमी, उन्होंने अपनी टांगे थोड़ी चौड़ी कर ली थी, चूत तो अभी भी झांटो के घूँघट में छुपी थी, मगर मेरी नज़र फिर से चाची की जांघों पर गयी, उनकी दायीं जांघ पर बना हुआ गोदना ( tatoo ), दिखने लगा था. वो जिसे मैंने टंकी के अन्दर से देखा था मगर पढ़ नहीं पा रहा था. मैंने गर्दन थोड़ी टेडी की तो दिखा.....लिखा था.......
ब.......ल........मा...............बलमा ??
बलमा ? मतलब ? ......शायद प्यार से चाची चाचा को बलमा बोलती हो ? मगर वो तो उन्हें ऐ जी.....कहती है.
बॉस.......यह बलमा का सीन क्या है ......? जांघ पर कोई भी औरत कुछ लिखा ले......ये छोटी मोटी बात नहीं....
तभी चाची ने कमोड का ढक्कन गिराया, एक पैर उस पर रखा और हैंड शावर चालू कर के अपनी मुनिया को धोने लगी.
झांटे गीली होते ही चाची के मुनिया का घूँघट खुल गया......चाची के जैसे उनकी मुनिया भी सांवली है....यह तो मैं टंकी के अन्दर से ही देख चुका था.....मगर मुनिया के होंट भी चाची के होटों जैसे रसीले है.....ये मैं अब देख रहा था......
चाची ने अपनी टांगे खोल रखी थी. एक पैर उठा कर कमोड पर रखा हुआ था......ऐसा लग रहा था मानो वो कामदेव की
पत्नी रति है. चाची अपनी मुनिया को ऊँगली से रगड़ रगड़ के धो रही थी. शायद उनको ऐसा करने में मज़ा भी आ रहा था क्योकि उनकी ऑंखें बंद थी और मुंह हल्का सा खुला हुआ था..........
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
अन्दर चाची ऑंखें बंद किये पूरा आनंद ले रही थी. उनको शायद याद नहीं था की वो मेरे रूम के बाथरूम में पूरी तरह ने नग्न बैठी है या फिर..........
या फिर.......उनको परवाह ही नहीं थी......जो भी हो भाई अपनी तो छप्पर फाड़ के खुल गयी थी. वो भी बड़े इत्मिनान से बाथरूम में कमोड पर बैठे बैठे अपने स्तनों की सहला रही थी और ये नज़ारा देख देख कर बाहर मेरा दिल दहल रहा था. जिस तरह वो मम्मे पर हाथ फेरती वैसे ही मैं अपने हिनहिनाते घोड़े को सहलाता.
कसम से अभी तो हिलाना भी शुरू नहीं किया और ऐसा मज़ा आ रहा था की क्या बोलू...........बस ऑंखें फाड़ फाड़ कर देख रहा था.
अचानक चाची की ऑंखें खुली, जैसे मानो उनको होश आ गया हो, वो अन्दर से चिल्लाई....."अरे लल्ला......कितनी देर लगा के रखना है इसको......."
मैं एक दम उछल गया.
मैं एक दम से घबरा गया........और बिना सोचे मैंने बोल दिया.."चाची 15 मिनट रखना है"
मैंने दरवाजे के बाहर ही खड़ा था, मेरे एकदम बोल देने से कहीं चाची को शक तो नहीं हो गया ? चाची अन्दर से चिल्लाई, "अरे ....तो 15 मिनट हुए की नहीं"
अब की बार मैं थोडा पीछे गया और बोला, "हाँ चाची......म म म मेरा मतलब है की थोड़ी देर और रख लो......"
चाची ने दरवाजे पर हाथ रखा और थोडा सा दरवाजा खुल गया. मैं भाग कर कम्पुटर चेयर पर बैठ गया, दरवाजा मेरी पीठ की तरफ था इस लिए चाची को सिर्फ मेरी पीठ दिखती, यह नहीं दीखता की मेरा पजामा नीचे है और मेरा बाबुराव झूम रहा है.
उन्होंने दरवाजे से सिर्फ मुंह बाहर निकालकर कहा, "अरे लल्ला.....इतनी देर तो हो गयी.....ज्यादा देर लगा के रखने से कहीं और कुछ न हो जाए....पहले ही खुजली के मारे दुखी हूँ "
मैंने कहा, " न न न नहीं चाची.......1 2 मिनट और रख लो......." यह कहकर मैं गर्दन घुमाने लगा तो चाची वहीँ से चिल्लाई......"हाय राम......इधर मत देख"
और उन्होंने दरवाजा फिर से बंद करने की कोशिश की........मैंने जैसे तैसे थोड़ी हिम्मत और जुटाई और सोचा की चलो कुछ मिनट और शो देख लेंगे.
नल चलने की आवाज़ आने लगी......मैंने सोचा शायद चाची अपने हाथ धो रही होगी.
एक हाथ से अपने बेकाबू घोड़े को पुचकारते पुचकारते मैंने धीरे से बाथरूम की तरफ फिर कदम बढाये तभी भड़ाक से बाथरूम का दरवाज़ा खुला और चाची टॉवेल लपेटे और अपने कंधो पर साड़ी डाले बाहर आ गयी.
मैं वहीँ पर उनके सामने खड़ा था........मेरा पजामा घुटने तक गिरा था और मेरा हाथ मेरे बाबुराव पर था जिसको मैं बड़े प्यार से धीरे धीरे हिला रहा था.
चाची ने सीधा मेरे लैंड को देखा और उनकी ऑंखें फटती चली गयी.....उनका मुंह खुला का खुला ही रह गया......
मुझे तो हार्ट अटैक ही आ गया.......इतनी जोर से चमका की क्या बोलू.......
मेरी गांड की फटफटी........................................................फुल स्पीड में चालू. ...........
चाची जोर से चिल्लाई...."हाय राम.....बेशरम क्या कर रहा है ? "
मेरी तो डर के मारे आवाज़ ही बंद हो गयी.......मैंने पहले तो अपने बाबुराव को हाथ से ढकने की कोशिश की मगर
उस साले को तो चिकनी चूत की खुशबु आ गयी.....जैसे कुत्ते को हड्डी की खुशबु मिल जाये तो वो अपने मालिक की नहीं सुनता और खोदता चला जाता है वैसे ही बाबुराव ने मेरे हाथों में छुपने से मानो इनकार ही कर दिया और जोर जोर से ठुनकी मारने लगा जैसे चाची की चूत को आवाज़ लगा रहा हो.......
उधर चाची की तो नज़रे ही नहीं हट रही थी बाबुराव के ऊपर से. वो ऑंखें खड़े बाबुराव को नजरो से सहला रही थी.
मेरे हिलाने और चाची को इस हालत में देख कर बाबुराव ने एक चमकती हुयी चिकनी बूँद बाहर निकाल दी थी.
ऐसी लग रहा था मानो ख़ुशी के मारे बाबुराव के आंसु निकल आये हो . वो बार बार ठुनकी मार रहा था मानो चाची से बोल रहा हो, " क्या बोलती तू ? "
चाची के चिल्लाने से मेरी गांड तो फट ही गयी थी उसके ऊपर से मेरे लंड ने भी अपनी औकात दिखा दी. मैं समझ गया की यह तो आज कहना नहीं मानेगा. मेरा पजामा मेरे पैरों में आकर इकठा हो गया था तो उसे भी ऊपर चडाने का कोई सवाल नहीं था. कुछ समझ नहीं आया तो मैं घूम गया और चाची की तरफ पीठ कर ली.
चाची गुस्से से बोली, "अरे बेशरम.......क्या कर रहा है ? "
मैं तो कुछ बोल नहीं पा रहा था. मगर मेरा हाथ अभी भी धीरे धीरे लंड को मसल रहा था.
चाची थोड़ी जोर से बोली, "हट जा मेरे रस्ते से....बेशरम"
मैं तो बिना रुके हिला रहा था. जैसे ढलान पर एक बार दौड़ना शुरू करो तो रुकना मुश्किल हो जाता है वैसे ही मुझे लंड हिलाने में वो आनंद आ रहा था की अब रुकना मुश्किल था.
मैंने बड़ी मुश्किल से बोला, " च च च चाची मुझे म म म माफ़ कर दो, प्लीज़ आप इधर मत आओ. मुझे बहुत शर्म आ रही है"
चाची गुस्से से बोली, "हाय राम....शर्म आ रही है ?....ऐसी हरकते करने में लाज नहीं आई और अब बड़ा लजा रहा है, हट जा....जाने दे मुझे"
मैंने कहा,"च च चाची......प्लीज़......इधर मत आओ......म म म म मेरा निकलने वाला है.....कहीं अ अ आप पर न गिर जाए...."
चाची जहाँ थी वहीँ पर रुक गयी, शायद उन्हें याद आ गया था की मेरा अमृत कैसे रोकेट जैसा उड़ता है.....पिछली बार भी उनके पैरों के पास जा गिरा था.
वो ठंडी सांस लेकर बोली, "हे भगवन......इतना बेशरम है रे.......जल्दी ख़त्म कर ....."
यह सुनते ही मैंने जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया.......
ख़ुशी की वो आंसु जो लंड ने निकाले थे वो अब सैलाब बन गए थे......बहुत सारा रस निकल कर मेरे लंड के चारो और फ़ैल गया था.......जिस से फच फच की आवाज़ आ रही थी.
मैं राजधानी ट्रेन की स्पीड से हिलाए जा रहा था......आनंद के मारे मेरी ऑंखें बंद हुयी जा रही थी मगर आज बाबुराव ठान कर आया था की मैदान-ऐ-जंग में आसानी से हार नहीं मानेगा. सारे राउंड खेलेगा.
थोड़ी देर में चाची बोली," अरे जल्दी कर ना......मुझे जाना है........मैं ऐसे ही टोवेल लपेट के खड़ी हूँ"
कहते है की लंड खड़ा होने के बाद आदमी का दिमाग काम करना बंद कर देता है. चाची टोवेल लपेट कर खड़ी है ये सुनकर मुझसे रहा नहीं गया. अभी तक मैं चाची की तरफ पीठ करके ही खड़ा था. चाची भी सिर्फ मेरा हिलता हुआ हाथ ही देख पा रही थी मगर वो सिर्फ टोवेल में है ये सुनकर मैं पलट गया.
कश्मीर मेरे सामने था.
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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चाची ने जल्दी जल्दी में टोवेल लपेट तो लिया था....मगर वो टोवेल उनके हुस्न को छुपाने की जगह चीख चीख कर बता रहा था. उन्होंने टोवेल को अपने मम्मो के ऊपर ऐसा बांधा था की वो छुपने की जगह उबल उबल कर बाहर आ रहे थे. सिर्फ निप्पल छुपे थे वर्ना पूरा भूगोल दिखाई दे रहा था. टोवेल उन्ही जांघों के आधे हिस्से को ही ढक पा रहा था.
चाची की जांघ पर बना "बलमा" का टेटू साफ़ दिखा रहा था. वैसे तो उन्होंने अपने कंधे पर सदी डाली हुयी थी मगर क्या फायदा......वैसे ही सब छन छन कर दिख रहा था.
इधर मैं तो चाही का मुआयना कर रहा था मगर चाची की नज़रे मेरे लपलपाते लंड पर थी. उनका मुंह आश्चर्य से खुला हुआ था.....आज वो पहली बार अपने लल्ला के लुल्ले का दीदार कर रही थी. उन्होंने अपने होंठ.....जो सुख गए थे..उनपर जुबान फेरी और मैंने जोर से आह भरी....
चाची बोली, "हाय राम....निकल रहा है क्या.,....? "
मैंने ना में सर हिलाया और जोर जोर से हिलाता ही रहा......चाची कुछ देर तक मुंह खोले मेरे लंड को देखती रही फिर अचानक उन्होंने नज़रे उठाई और मुझे उनके मम्मो को घूरता पा कर शर्मा कर नज़रे इधर उधर कर ली.
चाची ने कहा, " लल्ला....प्लीज़....जल्दी कर ले.......प्लीज़"
चाची विनती कर रही थी.....या तो घबराई हुयी थी या फिर उनका संयम टूट रहा था. मैं जोर जोर से हिलाता ही जा रहा था मगर बाबुराव भी पक्का पहलवान था......नहीं माना.
चाची ने फिर इधर उधर देखा और कनखियों से लंड को टापने लगी.
वो धीरे से बोली, "हाय राम....इतनी देर में तो सब का निकल जाता है......निकलता क्यों नहीं"
मेरे हाथ हिलाते हिलाते दुखने लगे थे.....मगर बाबुराव अब भी फुफकारी मार रहा था. आखिर मैंने हाथ हटा लिया.
चाची बोली, "अरे क्या हुआ......?"
मैंने कहा, "च च च च चाची म म म मेरे हाथ दुखने लगे है"
चाची ने बोला, "अरे .....जल्दी निकाल ले मुझे जाने दे......."
मैंने हिम्मत करके कहा, "च च च चाची......आप हिला द द द दो ना.....प्लीज़....."
चाची की ऑंखें बाहर ही आ गयी.....
चाची की ऑंखें बाहर ही आ गयी.....
चाची का मुंह बिलकुल लाल सुर्ख हो गया और उनकी साँसें तेज़ चलने लगी.....मेरी गांड फटी की शायद मैंने अब अति कर ही दी.
चाची बोली, "नासपीटे.....बेशरम......शर्म नहीं आती ऐसी बात बोलते हुए"
मगर उनकी ऑंखें मेरे बाबुराव पर ही थी. और वो चाची के सामने फुल की कुप्पा हुआ जा रहा था. मैं हिलाते हुए जैसे ही हाथ पीछे ले जाता......बाबुराव के सुपाड़े से स्किन उतर जाती और बिलकुल बिलकुल लाल लाल सुपाडा, मदन रस में भीगा हुआ चमकने लगता. सुपाडा भी लाल लाल...चाची का मुंह भी लाल लाल........
लग रहा था मानो आज मेरे लंड को भी गुस्सा आ गया है. चाची की नज़रे अब तो लंड पर से हट ही नहीं पा रही थी.
मैंने फिर से चाची को पुचकारा, "चाची प प प्लीज़.....अब मुझे दुखने लगा है........."
दुखता वुखता तो क्या, मुझे तो मजा आ रहा था. आज इतनी हिम्मत कर लेने के बाद मैं मौका छोड़ना नहीं चाहता था.
चाची धीरे से बोली, "हाय राम.....दुःख रहा है क्या ? लल्ला तुझे कोई बीमारी है क्या ? इतनी देर से नहीं निकला ?"
मैंने सिसकारी मरते हुए कहा, "न न नहीं चाची......मुझे हमेशा इतनी ही द द द देर लगती है......."
चाची ने फिर धीरे से कहा, "मगर तेरे चाचा तो 1 - 2 मिनट में ही................निपट जाते है "
मेरे मुंह से निकल गया, "मुझे प प प पता है......."
साला कहते है की इंसान को बनाने या बर्बाद करने में सबसे बड़ा हाथ उसकी जुबां का होता है. मेरे मुंह से हमेशा गलत समय पर गलत बात निकलती है.
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चाची ने अपनों होटों को चबा कर कहा, "हाय राम........तू पागल तो नहीं हो गया छोरे.....म म म म मैं कैसे हिला दूँ ......?"
मैंने हिलाते हिलाते ही चाची की आँखों में देखा मगर वो तो बाबुराव के दीदार में लगी थी.
मैंने कहा, "चाची.....प्लीज़.....म म म मैं किसी से नहीं कहूँगा ........"
चाची ने मेरी बात सुनकर झटके से सर उठाया और ऑंखें सिकोड़ कर मुझे घूरने लगी.
हिलाने में इतना मज़ा आ रहा था की ऑंखें खुल ही नहीं पा रही थी. मैं कनखियों से उनको देख रहा था , वो अब सोच में पड़ गयी थी की क्या करे..........
घी सीधी उंगली से नहीं निकलता. थोडा सा हुल देना जरुरी था. मैंने ताबूत में आखिरी कील ठोक ही दी.
मैंने कहा, "च च च चाची मै किसी को नहीं बताऊंगा की आपने मेरे बाथरूम मे बाल साफ़ किये और आपकी ज ज ज ज जांघ पर क्या लिखा है"
चाची ने मुंह पर हाथ रख लिया, "हाय राम.......नासपीटे........तू ताक झांक कर रहा था हरामी"
चाची को गुस्सा तो आया था, मगर उनकी ऑंखें मेरे लंड पर ही लगी थी. मैंने हिलाना बंद किया और हाथ पूरा पीछे तक ले गया. मेरे लंड का सुपाडा रोशनी मे चमकने लगा. इतना लाल हो गया था मानो गुस्से से फट पड़ेगा.
चाची ने फिर से अपने होटों पर जुबान फेरी. और मैं उनकी तरफ धीरे से बड़ा. चलने से मेरा लंड दाये बाए हो रहा था. मैं सीधा चाची के सामने खड़ा हो गया.
अब हिम्मत की ज़रूरत थी और अपुन दुनिया के सबसे बड़े गांडफट. मुझे कुछ समझ नहीं आया की क्या करू.......
मैंने धीरे से चाची का हाथ पकड़ा. उन्होंने झटके से छुड़ा लिया....
मैंने फिर उनका हाथ पकड़ा......उन्होंने फिर छुड़ा लिया............
मैंने उनका हाथ फिर से पकड़ कर सीधा लंड पर रख दिया...और जोर से सिसकारी मार दी. मेरी सिसकारी सुनते ही चाची का हाथ मेरे लंड पर कस गया.
मैंने मन ही मन सोचा......."शील बेटा तू तो गया काम से.....हसते हसते लग गए रस्ते".
चाची के लंड पकड़ने से ही मुझे इतना मज़ा आया की मेरी ऑंखें बंद हो गयी. मैंने एक और सिसकारी मारी, "स स सस चाची प्लीज़ हिलाओ न........"
चाची के हाथ ने हरकत शुरू कर दी.....धीरे धीरे उनका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा.....जैसे कोई सपेरन जहरीले काले नाग को वश मे करने के लिए सहलाती है.
चाची के सहलाने से ही इतना मज़ा आया की मुझे लगा की बॉस अब तो निकला......मगर मैंने बड़ी मुश्किल से अपने जज्बातों का समुन्द्र अपने सीने मे ....मेरा मतलब है की अपने गोटो मे रोक लिया. मैं धीरे धीरे सिसकार रहा था........
मैंने धीरे से आंख खोली...देखा चाची मुझे ही देख रही है.......उनका चेहरा एकदम तना हुआ था......नाक के कोने फुले हुए थे.....ऐसा लग रहा था जैसे गुस्से मे हो.
जैसे ही हमारी नज़ारे मिली.....चाची ने लंड को उमेठना शुरू कर दिया......वो ऐसे कर रही थी मानो गाय का दूध निकाल रही हो.
हम दोनों की नज़रे आपस मे मिली हुयी थी. चाची मेरे लंड को हिलाए जा रही थी और मैं एकटक उनकी आँखों मे देखकर सिसकारी मारे जा रहा था.
मैंने धीरे से चाची की कमर पर हाथ रख दिया. चाची ने बिना मुझ पर से नज़ारे हटाये मेरा हाथ हटा दिया. अब तक उन्होंने दुसरे हाथ से अपने टोवेल संभाल रखा था. टॉवेल थोडा सा निचे सरक गया.....उनके मम्मे थोड़े और बाहर निकल आये......
मैंने फिर से हाथ उनकी कमर पर रखा.......अब की बार उन्होंने नहीं हटाया.....मेरा हाथ धीरे से उनके नितम्बो की तरफ गया.......मैंने टॉवेल के ऊपर से ही उनके नितम्बो को सहलाना शुरू कर दिया......वो अब भी मेरी आँखों मे ही देखे जा रही थी. उनका मुंह हल्का सा खुल गया था......
मैंने अपने हाथ थोडा निचे ले जाकर पीछे ने उनके टॉवेल के अन्दर घुसाने की कोशिश की. उन्होंने तुरंत मेरा हाथ फिर झटक दिया. उनका टॉवेल उनके सीने से और निचे ढलक आया....अब तो ऐसा लग रहा था मानो चाची के निप्पल ही उनकी इज्ज़त का पर्दा, वो टॉवेल संभाले हुए है.
मैंने फिर से चाची के जांघो पर हाथ रख कर ऊपर ले गया. अबकी बार उन्होंने हाथ नहीं झटका.....शायद वो समझ गयी थी की अगर उन्होंने अपने टॉवेल छोड़ा तो पर्दा उठ जायेगा. मैं हाथ धीरे धीरे सरकते हुय्र उनके तरबूज जैसे नितम्बो पर ले गया......अब तक हमारी नज़रे मिली हुयी थी हम दोनों एक दुसरे की आँखों मे देख रहे थे.
चाची अपने हाथ से मेरा लंड हिलाए जा रही थी. जैसे ही मैंने उनके नितम्बो पर हाथ रख कर दबाया और सहलाया.......
उन्होंने ने ऑंखें बंद कर ली और जिस तरह रानी मुखर्जी अपने होंट दबाये शरमाकर मुस्कुराती है वैसे ही वो भी होंट दबा कर मुस्कुराने लगी.
ओओओओ.हह......क्या सीन था.......उनके चेहरे के expressions ने मुझे पागल कर दिया. मैं उनके नितम्बो को जोर जोर से दबाने लगा.....हाथ मे आना तो दूर मैं उनकी विशाल गदराई गांड का हिसाब ही नहीं लगा पा रहा था.
मेरा हाथ उनकी गांड के सल के ऊपर आया.....और मैं एक उंगली को धीरे धीरे उनके सल को सहलाता हुआ नीचे ले जाने लगा.......उनको एहसास हो गया की मेरे इरादे क्या है.....उन्होंने एक दम अपनी गांड कड़क कर ली......मेरी उंगली उनके विशाल नितम्बो के बीच फंस गयी. मैंने जोर से उंगली नीचे के तरफ दबाई, चाची ने अपना दूसरा हाथ अपने सीने पर संभाले टॉवेल से हटाया और मेरा हाथ को कलाई से पकड़ लिया. मगर दुसरे हाथ से मेरा लंड हिलाना जारी रखा.
हाथ हटते ही निप्पलो ने बगावत कर दी. अब तक तो टॉवेल चाची के निप्पलो और हाथ के दम पर टिका था वो सेंसेक्स (sensex) की तरह एक झटके मे नीचे आ गया.
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