Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
03-26-2019, 11:55 AM,
#11
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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चाची एकदम से पीछे हुयी उनका बेलेंस बिगड़ा, मगर मैंने थाम लिया. वो संभाली और बोली,


"लल्ला.....बहुत ताकत आ गयी रे तुझ में......., ला वो क्रीम दे दे......"


मैंने ट्यूब उनको दिया और बताया की इसको अच्छी तरह से फैला कर चारो तरफ लगा लो...........


"अरे यह बीच में लग गयी तो जलन ......तो नहीं होगी.......? मैं तो पहले ही खुजली से मरी जा रही हूँ"


मेरी आवाज़ कांपने लगी थी, "नहीं चाची......ब ब ब बीच में मत लगाना, आप तो साफ़ कर लो.....आपकी खुजाल मिट जाएगी"


चाची ने मुझे निहारा और बोली, "ठीक है बाहर जा........तेरे बाथरूम में ही कर लेती हूँ........मेरे बाथरूम में कपडे पड़े है और वहां पर कांच भी नहीं है"


मेरी कनपटी पर हथोड़े पड़ने लगे..........मुंह सुख गया.......


मेरे बाथरूम में दरवाजा टेड़ा होने से सिटकनी नहीं लगती थी.


"जा.......मेरे कमरे से मेरा टोवेल ले आ.",


मैं चाची के कमरे में गया, उनकी अलमारी खोली. इधर उधर देखा, टोवेल दिखा ही नहीं. नीचे ही नीचे के खाने में देखा तो.......

चाची की ब्रा और पेंटी पड़े थे. और वही पर टोवल था, मैंने टोवल उठाया और तभी मुझे एक ब्रा दिखी, चटक लाल रंग की........

बिलकुल जैसी सनी लिओनी को पहने देखा था. वो लिफ्टर ब्रा थी, मगर उसका मटेरिअल पूरा नेट का था.


आर पार.......अगर चाची इसको पहन ले तो ऐसा क़यामत लगे की............चाची कौन सी सनी लिओनी से कम हैं ...........


मैंने ब्रा उठा ली, इतना नरम मटेरिअल था जैसे मखमल हो......टोवेल और ब्रा ले कर आया

(पेंटी नहीं, क्यों की चाची पेंटी तो पहन ही नहीं रही थी. )


चाची तो बाथरूम के बहार ही खड़ी थी. मैंने सोचा की चाची को बोल दू,


"चाची.....वो....दरवाजे की सिटकनी ख़राब है....."


"हाय राम.......ख़राब क्यों है...? अब क्या करे....? तू रूम से बाहर जाके बैठ "


मैंने हिम्मत की....और कहा..."चाची, म म म मुझे कम्प्यूटर पर काम करना है.......अ अ आप कर लो.....मैं......."


"अच्छा .......???", चाची ने मुझे घुरा.


फिर कुछ सोच कर बोली....."ठीक है लल्ला.....तू कम्प्यूटर पर काम कर ले.....मगर तांका झांकी मत करना", चाची ने ऑंखें दिखा कर कहा.


मैंने मन ही मन सोचा की चाची आप जाओ तो सही.......फिर देखते है.


चाची के सामने मैंने भोले बच्चे जैसा सर हिलाया और कम्प्यूटर ऑन कर लिया. कुर्सी खिंची और बैठ गया.


चाची ने टोवेल उठाया, अचानक ब्रा उसमे से गिर गयी, चाची ने ब्रा को देखा फिर मुझे.


"क्यों रे लल्ला.....ये क्या उठा लाया ?", उन्होंने ब्रा हाथ में हिलाते हुए पुछा.


"व व वो चाची......आप ही ने तो कहा था.....लाने को"


"अरे ....मैंने कब कहा की अंगिया भी लाना ?"


"व व व वो चाची .....म म मैंने सोचा की .....आप ने पहनी नहीं है......तो शायद अब पहनोगी"


ये बोलते ही मैंने अपनी जुबान कट ली......शीट....ये क्या बोल दिया.


चाची ने ऑंखें बाहर कर के पुछा, "क्यों रे बेशरम.......तुझे कैसे पता लगा की मैंने.......अंगिया नहीं पहनी", चाची का चेहरा थोडा लाल हो गया.


मेरी फटफटी.......चल निकली......


मैं सकपका गया.....अब क्या बोलू.....?


थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा, "न न न नहीं चाची.....ऐसा नहीं है......व...व....व....वो आप के ब्लाउस.....म म म में से......

द द द दिखा की.....न न न नहीं पहनी होगी.....श श शायद.....इसी लिए ल ल ल ले आया"


"हाय राम.....लाया तो लाया.....मगर ऐसी ? ", चाची ने होंट दबा कर मुझे घुढकी दी.


"ये तो पहनी न पहनी बराबर ही है.......इतने छोटे छोटे तो कप है इसके......लल्ला तू न बहुत बदमाश हो गया है......"


लल्ला क्या बोलता........लल्ला.....का लुल्ला और ज्यादा बदमाश.


"अब सीधे सीधे कम्प्यूटर पर काम करले......", कह कर चाची बाथरूम में घुस गयी. उन्होंने दरवाजा लगाया और सिटकनी लगाने की कोशिश की......मगर भाई साहब......सिटकनी तो कुत्ते की पूंछ थी. नहीं मानी. चाची ने दरवाज ऐसे ही लगा दिया.


कुछ देर बाद अन्दर ले चिल्लाई....."अरे लल्ला......ये क्रीम धो कर लगानी है या ऐसे ही...."
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03-26-2019, 11:55 AM,
#12
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मैं उठ कर दरवाजे के पास गया....चाची तो दरवाजे के पीछे थी.....मगर मेरे बाथरूम की एक दिवार पर पूरा कांच था. चाची उसमे दिखाई दे रही थी. उन्होंने ट्यूब हाथ में पकड़ा था और..............और उनकी साड़ी खुली हुयी थी.


वो सिर्फ ब्लाउस और पेटीकोट में खड़ी थी. मैंने कहा, "चाची पहले अच्छे से वाश कर लो......फिर लगाना, और लगा कर १५ मिनट रखना. फिर धो लेना......बस...."


"हाँ ठीक है......", कहकर चाची ने अपने पेटीकोट का नाडा खोला.


उनका पेटीकोट खुल कर एक टायर की तरह उनके पेरों में इकठ्ठा हो गया.


चाची ने सच मुच पेंटी नहीं पहनी थी.


बाथरूम में ट्यूब लाइट की रौशनी में चाची का अधनंगा बदन चमक रहा था. मेरी ऑंखें चौंधिया गयी,


वो सिर्फ ब्लाउस में खड़ी थी. काले रंग का पतला सा ब्लाउस. उनके गोल गोल मम्मे साफ़ दिख रहे थे और दृष्टिगोचर हो रहे थे उनके वो खड़े हुए निप्पल. क्या नज़ारा था ......


मेरी नज़ारे उनके चिकने बदन पर नीचे फिसलने लगी. उनकी कमर का कटाव देख कर मेरी साँसें रुकने लगी और फिर तेज़ी से चलने लगी. मैं पहली बार उनको नंगा देख रहा था. उनका पेट हल्का सा बड़ा हुआ था. उसमे उनकी नाभि ऐसी लग रही थी मानो मुंह खोले कोई मछली हो. इतनी सेक्सी तो शिल्पा शेट्टी की नाभि भी नहीं है. मेरी नज़रे और नीचे फिसली.........


चाची ने टांगे चिपका रखी थी पर उनकी झांट के बाल काफी ऊपर तक और बहुत थे.

ऐसे गुच्छे खाए हुए थे मानो लुटी हुयी पतंग की डोर हो. ये तो पक्का था की चाची ने कभी बाल साफ़ किये ही नहीं थे.


अचानक वो पलटी और मेरी नसों के गिटार ने झंकार मारी.


चाची के वो खुबसूरत नितम्ब, जिनको मैं आज सुबह ही नाप चुका था. मेरी नज़रों के सामने थे. मेर मुंह खुला का खुला रह गया. चाची की कमर से उठा कटाव उनके नितम्बो पर पुरे शबाब पर आ रहा था.


ऐसा कटाव था मानो शिमला की सड़कों के अंधे मोड़. चाची के नितम्ब बिलकुल गोल थे. मानो दो देसी तरबूज.

दोनों में प्रीति ज़िंटा के गालो जैसे डिम्पल पड़ रहे थे.


और वो दोनों तरबूज टिके थे, चाची की मोटी गदराई जांघो पर. चाची मोटी नहीं थी, बस गदराना शुरू ही किया था.


ऐसा नज़ारा था की जिसने देखा है, वो मेरी हालत समझ सकता है. गांड भी फटे जा रही थी और मज़ा भी आ रहा था.


चाची फिर से घूमी, उन्होंने अपनी टांगे थोड़ी चौड़ी कर ली थी, चूत तो अभी भी झांटो के घूँघट में छुपी थी, मगर मेरी नज़र फिर से चाची की जांघों पर गयी, उनकी दायीं जांघ पर बना हुआ गोदना ( tatoo ), दिखने लगा था. वो जिसे मैंने टंकी के अन्दर से देखा था मगर पढ़ नहीं पा रहा था. मैंने गर्दन थोड़ी टेडी की तो दिखा.....लिखा था.......


ब.......ल........मा...............बलमा ??


बलमा ? मतलब ? ......शायद प्यार से चाची चाचा को बलमा बोलती हो ? मगर वो तो उन्हें ऐ जी.....कहती है.


बॉस.......यह बलमा का सीन क्या है ......? जांघ पर कोई भी औरत कुछ लिखा ले......ये छोटी मोटी बात नहीं....


तभी चाची ने कमोड का ढक्कन गिराया, एक पैर उस पर रखा और हैंड शावर चालू कर के अपनी मुनिया को धोने लगी.


झांटे गीली होते ही चाची के मुनिया का घूँघट खुल गया......चाची के जैसे उनकी मुनिया भी सांवली है....यह तो मैं टंकी के अन्दर से ही देख चुका था.....मगर मुनिया के होंट भी चाची के होटों जैसे रसीले है.....ये मैं अब देख रहा था......


चाची ने अपनी टांगे खोल रखी थी. एक पैर उठा कर कमोड पर रखा हुआ था......ऐसा लग रहा था मानो वो कामदेव की

पत्नी रति है. चाची अपनी मुनिया को ऊँगली से रगड़ रगड़ के धो रही थी. शायद उनको ऐसा करने में मज़ा भी आ रहा था क्योकि उनकी ऑंखें बंद थी और मुंह हल्का सा खुला हुआ था........................


ये नज़ारा देखा तो किसी बुड्ढे का बुझा चिराग भी भभक जाता . मैं तो फिर.....यूँही ठरकी no .1 था.

पजामे में ऐसा तम्बू बना हुआ था की क्या बोलू......उधर चाची भी बड़े इत्मिनान से अपनी मुनिया की धुलाई और रगड़ाई किये जा रही थी. शावर तो बंद कर दिया था मगर रगड़ना नहीं.....उनकी ऑंखें अधखुली थी और मुंह पूरा गोल खुला था जैसे वो "ओ" बोल रही हो.


तभी उनकी ऑंखें एकदम खुली.....मैं फटाफट दरवाजे से थोडा पीछे हट गया. धीरे धीरे से आगे बाद कर देखा तो चाची कमोड पर बैठी थी. उन्होंने कांच की तरफ मुह किया हुआ था और दोनों टांगे फैला ली थी.


कहते है की मुग़ल बादशाह जहाँगीर ने जब कश्मीर देखा था तो कहा था


"गर फिरदौस रॉय -ऐ -ज़मीं अस्त , हमीं अस्त -ओ हमीं अस्त -ओ हमीं अस्त ."


इसका मतलब था की अगर ज़मीं पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है यहीं हैं यहीं हैं .....


मुझे आज चाची की फैली हुयी टाँगें देख कर इन लाइनों का मतलब और भावना समझ आई.


चाची की टांगे खुलने से उनकी चूत का भरपूर दीदार हो रहा था. बिलकुल पनियाई हुयी थी , मुनिया के दोनों होंट खुल गए थे, ऐसा लग रहा था की किस करने का बुलावा दे रहे हो. रगड़ाई और मसलाई से उनकी चूत चमक उठी थी मगर चारो तरफ फैली झांट नज़ारा ख़राब कर रही थी.


उन्होंने ट्यूब हाथ में ली और थोडा सा आगे सरक के अपनी टांगो को और फैला लिया.

दबा दबा कर निकालने लगी , उन्होंने अच्छे से क्रीम को चूत के उपरी हिस्से पर फैला लिया और चूत के साइड के हिस्से में लगाने लगी ……उनकी गर्दन निचे झुकी थी और बड़े गौर से अपनी चूत की आस पास क्रीम लगा रही थी .


मुझे लगा की मेरी साँसें ही रुक जाएगी....


चाची के बारे में कुछ भी सोचना और बात थी और उनको सामने ऐसी हालत में देखना और बात. दिल इतनी जोर से धड़क रहा था की मुझे डर था की चाची को मेरी धड़कने ना सुने दे जाए. चाची तो पुरे मन से क्रीम लगा रही थी. उन्होंने पूरा ट्यूब ख़तम कर दिया और क्रीम को फैला रही थी. मुझे तो उनको क्रीम फैलाते देख कर ठरक चढ़ गयी. उन्होंने अपनी मुनिया के चारो तरफ अच्छे से क्रीम लगा ली थी. आज चाची मुनिया को चिकनी चमेली बनाकर ही छोड़ेगी.


चाची ने क्रीम लगा ली और पीछे टिक कर बैठ गयी. तभी उन्होंने अपने ब्लाउस के हुक खोलना शुरू किये और बड़ी अदा से ब्लाउस भी उतार दिया. मेरा बचा खुचा धैर्य भी ख़तम हो गया. चाची ने आज तो मेरे प्रेशर कुकर की सीटी बजाने का सोच ही लिया था.


हाय क्या सीन था........


उपरवाले ने इतने दिनों तक बूंद बूंद देने के बाद आज तो झमाझम बारिश ही कर दी.


चाची ने ब्लाउस क्या उतारा मेरे दिल दिमाग में भूकंप आ गया. उन्होंने अपने दोनों हाथ ऊपर उठा के अंगड़ाई ली और इधर मेरे डंडे ने भी मुसल का रूप धारण कर लिया.


लंड भी साला इच्छाधारी नाग जैसा है........कभी तो इतना सा रहता है कमज़ोर और मासूम बन के......कोई लड़की गलती से देख ले तो जैसे छोटे बच्चो और कुत्ते के पिल्लो को देख कर जैसे उछल उछल कर खुश होती है वैसे ही छोटी ली लुल्ली को देख कर भी शायद खुश हो जाये ......wow कितना क्यूट है और जहाँ गलती से लुल्ली को हाथ लगाया तो ये रूप बदलकर ऐसा नागराज बनता है की देख के लौंडिया दौड़ लगा दे.


चाची के दोनों हाथ ऊपर होने से उनके दोनों मम्मे ऐसे तन गए जैसे कुंवारी कन्या के हो. चाची भले ही अभी माँ नहीं बनी थी मगर उनके निप्पल अच्छे खासे बड़े थे और क्या तने हुए थे .....


क्या नज़ारा था......चाची दोनों टांगे फैलाये कमोड पर पूरी नंगी बैठी थी....चूत के चारो तरफ क्रीम लगी थी......बैठने से उनकी जांघें और पिछवाडा फ़ैल गए थे और ऐसा घुमाव और कटाव दिखा रहे थे की नजरे नहीं हट पा रही थी. चाची के दोनों हाथ अभी भी ऊपर ही थे , ऐसा करने से उनका पेट अन्दर खिंच गया था और एक दम सपाट दिख रहा था और उनके मम्मे तो ऐसे तीखे तीखे दिख रहे थे मानो किसी राजपूत के भाले की नोक हो.


चाची ने हाथ नीचे किये और एक हाथ अपने मम्मे के नीचे लगा कर धीरे से सहला लिया.....उनके मुंह से सिसकारी फुट गयी......स्स्स् अआह.......बस मैं भी इंसान हूँ यार.

बहुत देर से झेले जा रहा था अब कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैंने पजामा निचे सरकाकर अपने महाराज को खुली हवा दिखा दी. ऐसा लगता है मानो लंड की भी ऑंखें होती है बाहर निकलते लंड ने ऐसा नज़ारा देखा तो लंड तो और तन गया. मैंने धीरे से लंड को सहलाया और जैसे रेस के घोड़े को रेस शुरू होने के पहले सहलाओ तो वो हिनहिनाता है वैसे ही लंड ने चाची को एक ठुनकी मार कर सलाम किया


अन्दर चाची ऑंखें बंद किये पूरा आनंद ले रही थी. उनको शायद याद नहीं था की वो मेरे रूम के बाथरूम में पूरी तरह ने नग्न बैठी है या फिर..........


या फिर.......उनको परवाह ही नहीं थी......जो भी हो भाई अपनी तो छप्पर फाड़ के खुल गयी थी. वो भी बड़े इत्मिनान से बाथरूम में कमोड पर बैठे बैठे अपने स्तनों की सहला रही थी और ये नज़ारा देख देख कर बाहर मेरा दिल दहल रहा था. जिस तरह वो मम्मे पर हाथ फेरती वैसे ही मैं अपने हिनहिनाते घोड़े को सहलाता.

कसम से अभी तो हिलाना भी शुरू नहीं किया और ऐसा मज़ा आ रहा था की क्या बोलू...........बस ऑंखें फाड़ फाड़ कर देख रहा था.


अचानक चाची की ऑंखें खुली, जैसे मानो उनको होश आ गया हो, वो अन्दर से चिल्लाई....."अरे लल्ला......कितनी देर लगा के रखना है इसको......."


मैं एक दम उछल गया.

kramashah.............
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03-26-2019, 11:55 AM,
#13
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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मैं एक दम से घबरा गया........और बिना सोचे मैंने बोल दिया.."चाची 15 मिनट रखना है"


मैंने दरवाजे के बाहर ही खड़ा था, मेरे एकदम बोल देने से कहीं चाची को शक तो नहीं हो गया ? चाची अन्दर से चिल्लाई, "अरे ....तो 15 मिनट हुए की नहीं"


अब की बार मैं थोडा पीछे गया और बोला, "हाँ चाची......म म म मेरा मतलब है की थोड़ी देर और रख लो......"


चाची ने दरवाजे पर हाथ रखा और थोडा सा दरवाजा खुल गया. मैं भाग कर कम्पुटर चेयर पर बैठ गया, दरवाजा मेरी पीठ की तरफ था इस लिए चाची को सिर्फ मेरी पीठ दिखती, यह नहीं दीखता की मेरा पजामा नीचे है और मेरा बाबुराव झूम रहा है.


उन्होंने दरवाजे से सिर्फ मुंह बाहर निकालकर कहा, "अरे लल्ला.....इतनी देर तो हो गयी.....ज्यादा देर लगा के रखने से कहीं और कुछ न हो जाए....पहले ही खुजली के मारे दुखी हूँ "


मैंने कहा, " न न न नहीं चाची.......1 2 मिनट और रख लो......." यह कहकर मैं गर्दन घुमाने लगा तो चाची वहीँ से चिल्लाई......"हाय राम......इधर मत देख"


और उन्होंने दरवाजा फिर से बंद करने की कोशिश की........मैंने जैसे तैसे थोड़ी हिम्मत और जुटाई और सोचा की चलो कुछ मिनट और शो देख लेंगे.


नल चलने की आवाज़ आने लगी......मैंने सोचा शायद चाची अपने हाथ धो रही होगी.


एक हाथ से अपने बेकाबू घोड़े को पुचकारते पुचकारते मैंने धीरे से बाथरूम की तरफ फिर कदम बढाये तभी भड़ाक से बाथरूम का दरवाज़ा खुला और चाची टॉवेल लपेटे और अपने कंधो पर साड़ी डाले बाहर आ गयी.


मैं वहीँ पर उनके सामने खड़ा था........मेरा पजामा घुटने तक गिरा था और मेरा हाथ मेरे बाबुराव पर था जिसको मैं बड़े प्यार से धीरे धीरे हिला रहा था.


चाची ने सीधा मेरे लैंड को देखा और उनकी ऑंखें फटती चली गयी.....उनका मुंह खुला का खुला ही रह गया......


मुझे तो हार्ट अटैक ही आ गया.......इतनी जोर से चमका की क्या बोलू.......


मेरी गांड की फटफटी........................................................फुल स्पीड में चालू. ........


चाची जोर से चिल्लाई...."हाय राम.....बेशरम क्या कर रहा है ? "


मेरी तो डर के मारे आवाज़ ही बंद हो गयी.......मैंने पहले तो अपने बाबुराव को हाथ से ढकने की कोशिश की मगर

उस साले को तो चिकनी चूत की खुशबु आ गयी.....जैसे कुत्ते को हड्डी की खुशबु मिल जाये तो वो अपने मालिक की नहीं सुनता और खोदता चला जाता है वैसे ही बाबुराव ने मेरे हाथों में छुपने से मानो इनकार ही कर दिया और जोर जोर से ठुनकी मारने लगा जैसे चाची की चूत को आवाज़ लगा रहा हो.......


उधर चाची की तो नज़रे ही नहीं हट रही थी बाबुराव के ऊपर से. वो ऑंखें खड़े बाबुराव को नजरो से सहला रही थी.

मेरे हिलाने और चाची को इस हालत में देख कर बाबुराव ने एक चमकती हुयी चिकनी बूँद बाहर निकाल दी थी.

ऐसी लग रहा था मानो ख़ुशी के मारे बाबुराव के आंसु निकल आये हो . वो बार बार ठुनकी मार रहा था मानो चाची से बोल रहा हो, " क्या बोलती तू ? "


चाची के चिल्लाने से मेरी गांड तो फट ही गयी थी उसके ऊपर से मेरे लंड ने भी अपनी औकात दिखा दी. मैं समझ गया की यह तो आज कहना नहीं मानेगा. मेरा पजामा मेरे पैरों में आकर इकठा हो गया था तो उसे भी ऊपर चडाने का कोई सवाल नहीं था. कुछ समझ नहीं आया तो मैं घूम गया और चाची की तरफ पीठ कर ली.


चाची गुस्से से बोली, "अरे बेशरम.......क्या कर रहा है ? "


मैं तो कुछ बोल नहीं पा रहा था. मगर मेरा हाथ अभी भी धीरे धीरे लंड को मसल रहा था.


चाची थोड़ी जोर से बोली, "हट जा मेरे रस्ते से....बेशरम"


मैं तो बिना रुके हिला रहा था. जैसे ढलान पर एक बार दौड़ना शुरू करो तो रुकना मुश्किल हो जाता है वैसे ही मुझे लंड हिलाने में वो आनंद आ रहा था की अब रुकना मुश्किल था.


मैंने बड़ी मुश्किल से बोला, " च च च चाची मुझे म म म माफ़ कर दो, प्लीज़ आप इधर मत आओ. मुझे बहुत शर्म आ रही है"


चाची गुस्से से बोली, "हाय राम....शर्म आ रही है ?....ऐसी हरकते करने में लाज नहीं आई और अब बड़ा लजा रहा है, हट जा....जाने दे मुझे"


मैंने कहा,"च च चाची......प्लीज़......इधर मत आओ......म म म म मेरा निकलने वाला है.....कहीं अ अ आप पर न गिर जाए...."


चाची जहाँ थी वहीँ पर रुक गयी, शायद उन्हें याद आ गया था की मेरा अमृत कैसे रोकेट जैसा उड़ता है.....पिछली बार भी उनके पैरों के पास जा गिरा था.


वो ठंडी सांस लेकर बोली, "हे भगवन......इतना बेशरम है रे.......जल्दी ख़त्म कर ....."


यह सुनते ही मैंने जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया.......


ख़ुशी की वो आंसु जो लंड ने निकाले थे वो अब सैलाब बन गए थे......बहुत सारा रस निकल कर मेरे लंड के चारो और फ़ैल गया था.......जिस से फच फच की आवाज़ आ रही थी.


मैं राजधानी ट्रेन की स्पीड से हिलाए जा रहा था......आनंद के मारे मेरी ऑंखें बंद हुयी जा रही थी मगर आज बाबुराव ठान कर आया था की मैदान-ऐ-जंग में आसानी से हार नहीं मानेगा. सारे राउंड खेलेगा.


थोड़ी देर में चाची बोली," अरे जल्दी कर ना......मुझे जाना है........मैं ऐसे ही टोवेल लपेट के खड़ी हूँ"


कहते है की लंड खड़ा होने के बाद आदमी का दिमाग काम करना बंद कर देता है. चाची टोवेल लपेट कर खड़ी है ये सुनकर मुझसे रहा नहीं गया. अभी तक मैं चाची की तरफ पीठ करके ही खड़ा था. चाची भी सिर्फ मेरा हिलता हुआ हाथ ही देख पा रही थी मगर वो सिर्फ टोवेल में है ये सुनकर मैं पलट गया.


कश्मीर मेरे सामने था.


चाची ने जल्दी जल्दी में टोवेल लपेट तो लिया था....मगर वो टोवेल उनके हुस्न को छुपाने की जगह चीख चीख कर बता रहा था. उन्होंने टोवेल को अपने मम्मो के ऊपर ऐसा बांधा था की वो छुपने की जगह उबल उबल कर बाहर आ रहे थे. सिर्फ निप्पल छुपे थे वर्ना पूरा भूगोल दिखाई दे रहा था. टोवेल उन्ही जांघों के आधे हिस्से को ही ढक पा रहा था.


चाची की जांघ पर बना "बलमा" का टेटू साफ़ दिखा रहा था. वैसे तो उन्होंने अपने कंधे पर सदी डाली हुयी थी मगर क्या फायदा......वैसे ही सब छन छन कर दिख रहा था.


इधर मैं तो चाही का मुआयना कर रहा था मगर चाची की नज़रे मेरे लपलपाते लंड पर थी. उनका मुंह आश्चर्य से खुला हुआ था.....आज वो पहली बार अपने लल्ला के लुल्ले का दीदार कर रही थी. उन्होंने अपने होंठ.....जो सुख गए थे..उनपर जुबान फेरी और मैंने जोर से आह भरी....


चाची बोली, "हाय राम....निकल रहा है क्या.,....? "


मैंने ना में सर हिलाया और जोर जोर से हिलाता ही रहा......चाची कुछ देर तक मुंह खोले मेरे लंड को देखती रही फिर अचानक उन्होंने नज़रे उठाई और मुझे उनके मम्मो को घूरता पा कर शर्मा कर नज़रे इधर उधर कर ली.


चाची ने कहा, " लल्ला....प्लीज़....जल्दी कर ले.......प्लीज़"


चाची विनती कर रही थी.....या तो घबराई हुयी थी या फिर उनका संयम टूट रहा था. मैं जोर जोर से हिलाता ही जा रहा था मगर बाबुराव भी पक्का पहलवान था......नहीं माना.


चाची ने फिर इधर उधर देखा और कनखियों से लंड को टापने लगी.


वो धीरे से बोली, "हाय राम....इतनी देर में तो सब का निकल जाता है......निकलता क्यों नहीं"


मेरे हाथ हिलाते हिलाते दुखने लगे थे.....मगर बाबुराव अब भी फुफकारी मार रहा था. आखिर मैंने हाथ हटा लिया.


चाची बोली, "अरे क्या हुआ......?"


मैंने कहा, "च च च च चाची म म म मेरे हाथ दुखने लगे है"


चाची ने बोला, "अरे .....जल्दी निकाल ले मुझे जाने दे......."


मैंने हिम्मत करके कहा, "च च च चाची......आप हिला द द द दो ना.....प्लीज़....."


चाची की ऑंखें बाहर ही आ गयी.....


चाची की ऑंखें बाहर ही आ गयी.....


चाची का मुंह बिलकुल लाल सुर्ख हो गया और उनकी साँसें तेज़ चलने लगी.....मेरी गांड फटी की शायद मैंने अब अति कर ही दी.


चाची बोली, "नासपीटे.....बेशरम......शर्म नहीं आती ऐसी बात बोलते हुए"
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03-26-2019, 11:56 AM,
#14
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मगर उनकी ऑंखें मेरे बाबुराव पर ही थी. और वो चाची के सामने फुल की कुप्पा हुआ जा रहा था. मैं हिलाते हुए जैसे ही हाथ पीछे ले जाता......बाबुराव के सुपाड़े से स्किन उतर जाती और बिलकुल बिलकुल लाल लाल सुपाडा, मदन रस में भीगा हुआ चमकने लगता. सुपाडा भी लाल लाल...चाची का मुंह भी लाल लाल........


लग रहा था मानो आज मेरे लंड को भी गुस्सा आ गया है. चाची की नज़रे अब तो लंड पर से हट ही नहीं पा रही थी.


मैंने फिर से चाची को पुचकारा, "चाची प प प्लीज़.....अब मुझे दुखने लगा है........."


दुखता वुखता तो क्या, मुझे तो मजा आ रहा था. आज इतनी हिम्मत कर लेने के बाद मैं मौका छोड़ना नहीं चाहता था.


चाची धीरे से बोली, "हाय राम.....दुःख रहा है क्या ? लल्ला तुझे कोई बीमारी है क्या ? इतनी देर से नहीं निकला ?"


मैंने सिसकारी मरते हुए कहा, "न न नहीं चाची......मुझे हमेशा इतनी ही द द द देर लगती है......."


चाची ने फिर धीरे से कहा, "मगर तेरे चाचा तो 1 - 2 मिनट में ही................निपट जाते है "


मेरे मुंह से निकल गया, "मुझे प प प पता है......."


साला कहते है की इंसान को बनाने या बर्बाद करने में सबसे बड़ा हाथ उसकी जुबां का होता है. मेरे मुंह से हमेशा गलत समय पर गलत बात निकलती है.


चाची ने अपनों होटों को चबा कर कहा, "हाय राम........तू पागल तो नहीं हो गया छोरे.....म म म म मैं कैसे हिला दूँ ......?"


मैंने हिलाते हिलाते ही चाची की आँखों में देखा मगर वो तो बाबुराव के दीदार में लगी थी.


मैंने कहा, "चाची.....प्लीज़.....म म म मैं किसी से नहीं कहूँगा ........"


चाची ने मेरी बात सुनकर झटके से सर उठाया और ऑंखें सिकोड़ कर मुझे घूरने लगी.


हिलाने में इतना मज़ा आ रहा था की ऑंखें खुल ही नहीं पा रही थी. मैं कनखियों से उनको देख रहा था , वो अब सोच में पड़ गयी थी की क्या करे..........


घी सीधी उंगली से नहीं निकलता. थोडा सा हुल देना जरुरी था. मैंने ताबूत में आखिरी कील ठोक ही दी.


मैंने कहा, "च च च चाची मै किसी को नहीं बताऊंगा की आपने मेरे बाथरूम मे बाल साफ़ किये और आपकी ज ज ज ज जांघ पर क्या लिखा है"


चाची ने मुंह पर हाथ रख लिया, "हाय राम.......नासपीटे........तू ताक झांक कर रहा था हरामी"


चाची को गुस्सा तो आया था, मगर उनकी ऑंखें मेरे लंड पर ही लगी थी. मैंने हिलाना बंद किया और हाथ पूरा पीछे तक ले गया. मेरे लंड का सुपाडा रोशनी मे चमकने लगा. इतना लाल हो गया था मानो गुस्से से फट पड़ेगा.


चाची ने फिर से अपने होटों पर जुबान फेरी. और मैं उनकी तरफ धीरे से बड़ा. चलने से मेरा लंड दाये बाए हो रहा था. मैं सीधा चाची के सामने खड़ा हो गया.


अब हिम्मत की ज़रूरत थी और अपुन दुनिया के सबसे बड़े गांडफट. मुझे कुछ समझ नहीं आया की क्या करू.......


मैंने धीरे से चाची का हाथ पकड़ा. उन्होंने झटके से छुड़ा लिया....


मैंने फिर उनका हाथ पकड़ा......उन्होंने फिर छुड़ा लिया............


मैंने उनका हाथ फिर से पकड़ कर सीधा लंड पर रख दिया...और जोर से सिसकारी मार दी. मेरी सिसकारी सुनते ही चाची का हाथ मेरे लंड पर कस गया.


मैंने मन ही मन सोचा......."शील बेटा तू तो गया काम से.....हसते हसते लग गए रस्ते".


चाची के लंड पकड़ने से ही मुझे इतना मज़ा आया की मेरी ऑंखें बंद हो गयी. मैंने एक और सिसकारी मारी, "स स सस चाची प्लीज़ हिलाओ न........"


चाची के हाथ ने हरकत शुरू कर दी.....धीरे धीरे उनका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा.....जैसे कोई सपेरन जहरीले काले नाग को वश मे करने के लिए सहलाती है.

चाची के सहलाने से ही इतना मज़ा आया की मुझे लगा की बॉस अब तो निकला......मगर मैंने बड़ी मुश्किल से अपने जज्बातों का समुन्द्र अपने सीने मे ....मेरा मतलब है की अपने गोटो मे रोक लिया. मैं धीरे धीरे सिसकार रहा था........


मैंने धीरे से आंख खोली...देखा चाची मुझे ही देख रही है.......उनका चेहरा एकदम तना हुआ था......नाक के कोने फुले हुए थे.....ऐसा लग रहा था जैसे गुस्से मे हो.

जैसे ही हमारी नज़ारे मिली.....चाची ने लंड को उमेठना शुरू कर दिया......वो ऐसे कर रही थी मानो गाय का दूध निकाल रही हो.


हम दोनों की नज़रे आपस मे मिली हुयी थी. चाची मेरे लंड को हिलाए जा रही थी और मैं एकटक उनकी आँखों मे देखकर सिसकारी मारे जा रहा था.


मैंने धीरे से चाची की कमर पर हाथ रख दिया. चाची ने बिना मुझ पर से नज़ारे हटाये मेरा हाथ हटा दिया. अब तक उन्होंने दुसरे हाथ से अपने टोवेल संभाल रखा था. टॉवेल थोडा सा निचे सरक गया.....उनके मम्मे थोड़े और बाहर निकल आये......


मैंने फिर से हाथ उनकी कमर पर रखा.......अब की बार उन्होंने नहीं हटाया.....मेरा हाथ धीरे से उनके नितम्बो की तरफ गया.......मैंने टॉवेल के ऊपर से ही उनके नितम्बो को सहलाना शुरू कर दिया......वो अब भी मेरी आँखों मे ही देखे जा रही थी. उनका मुंह हल्का सा खुल गया था......


मैंने अपने हाथ थोडा निचे ले जाकर पीछे ने उनके टॉवेल के अन्दर घुसाने की कोशिश की. उन्होंने तुरंत मेरा हाथ फिर झटक दिया. उनका टॉवेल उनके सीने से और निचे ढलक आया....अब तो ऐसा लग रहा था मानो चाची के निप्पल ही उनकी इज्ज़त का पर्दा, वो टॉवेल संभाले हुए है.


मैंने फिर से चाची के जांघो पर हाथ रख कर ऊपर ले गया. अबकी बार उन्होंने हाथ नहीं झटका.....शायद वो समझ गयी थी की अगर उन्होंने अपने टॉवेल छोड़ा तो पर्दा उठ जायेगा. मैं हाथ धीरे धीरे सरकते हुय्र उनके तरबूज जैसे नितम्बो पर ले गया......अब तक हमारी नज़रे मिली हुयी थी हम दोनों एक दुसरे की आँखों मे देख रहे थे.

चाची अपने हाथ से मेरा लंड हिलाए जा रही थी. जैसे ही मैंने उनके नितम्बो पर हाथ रख कर दबाया और सहलाया.......


उन्होंने ने ऑंखें बंद कर ली और जिस तरह रानी मुखर्जी अपने होंट दबाये शरमाकर मुस्कुराती है वैसे ही वो भी होंट दबा कर मुस्कुराने लगी.


ओओओओ.हह......क्या सीन था.......उनके चेहरे के expressions ने मुझे पागल कर दिया. मैं उनके नितम्बो को जोर जोर से दबाने लगा.....हाथ मे आना तो दूर मैं उनकी विशाल गदराई गांड का हिसाब ही नहीं लगा पा रहा था.


मेरा हाथ उनकी गांड के सल के ऊपर आया.....और मैं एक उंगली को धीरे धीरे उनके सल को सहलाता हुआ नीचे ले जाने लगा.......उनको एहसास हो गया की मेरे इरादे क्या है.....उन्होंने एक दम अपनी गांड कड़क कर ली......मेरी उंगली उनके विशाल नितम्बो के बीच फंस गयी. मैंने जोर से उंगली नीचे के तरफ दबाई, चाची ने अपना दूसरा हाथ अपने सीने पर संभाले टॉवेल से हटाया और मेरा हाथ को कलाई से पकड़ लिया. मगर दुसरे हाथ से मेरा लंड हिलाना जारी रखा.


हाथ हटते ही निप्पलो ने बगावत कर दी. अब तक तो टॉवेल चाची के निप्पलो और हाथ के दम पर टिका था वो सेंसेक्स (sensex) की तरह एक झटके मे नीचे आ गया.


मुझ से एक सांस की दुरी पर चाची के मम्मे बड़ी शान से पर्वतों के जैसे सर उठा कर खड़े थे. मैं अपने हाथ चाची के नितम्बो से हटा कर उनके मम्मो की तरफ ले गया.

जैसे ही मैंने कांपते हाथों को चाची के मम्मो पर रखा ......चाची के मुंह ऐसी सिसकारी निकली की मेरा लंड उनके हाथ मे ही ठुनकी मारने लगा.


उन्होंने ने अपने मुंह थोडा सा मोड़ा कर ऊपर किया हुआ था..... उनकी ऑंखें बंद थी मगर मैं मेरी आँखों से उनके हुस्न का जाम भर भर के पी रहा था.....


चाची के निप्पल ऐसे लग रहे थे मानो डेरी मिल्क का पीस हो.....मखमली ....मगर कड़क. मैं अपनी हथेली उनके निप्पल पर रगडने लगा....और उन के मुंह से सिसकारी पर सिसकारी फुट रही थी........मगर इतना सब होने के बाद भी उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा था.......हिलाए चली जा रही थी.......


मैंने चाची के दोनों मम्मे अपनों हाथों में थाम लिए...........इतने नरम थे की मेरे पकड़ते ही मेरे हाथों में समा गए.......


मैंने चाची के मम्मो को धीरे धीरे मसलना शुरू किया और चाची के मुंह से आवाज निकली ...... " आ आ अह हह हह हहा आ आ म म म म "

और चाची ने मेरे लंड को हिलाना बंद कर दिया.......अब वो सिर्फ मम्मे दबाने के आनंद ले रही थी........मैं भी बरसो से अपने अरमान दिल में दबाये बैठा था, बड़े मज़े से चाची की चुचे दबा रहा था.......चाची की गरम साँसें मेरे चेहरे से टकरा रही थी. ऐसा लग रहा था की चाची सांस नहीं गरमा गरम भाप छोड़ रही है.


उनकी ऑंखें अभी भी बंद थी और उनका मुंह ऐसा खुला हुआ था मानो पानी से बाहर निकली मछली हो........

kramashah.............
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03-26-2019, 11:56 AM,
#15
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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मैंने चाची के मम्मे दबाते दबाते ही उनके निप्पल जो बादाम जैसे बड़े और कड़क हो गए थे, उनको अपनी ऊँगली और अंगूठे के बीच ले कर धीरे से मसल दिया, चाची ने अपनी ऑंखें खोली और मुझसे नज़र मिला कर ऐसी सिसकारी मारी की मेरे पुरे शरीर में सनसनी मच गयी. उनकी नज़ारे तो मुझसे मिली हुयी थी मगर उनकी ऑंखें अब आधी ही खुली थी, वो पूरी तरह से मस्ता गयी थी. मैंने फिर चाची के दोनों निप्पलो को अपनी ऊँगली और अंगूठे के बिच लेकर मसला. उनका पूरा शरीर कांप गया.


तभी उन्होंने मेरे लंड के छेद को धीरे से अपने नाख़ून से रगड़ दिया. अब झटका खाने की बारी मेरी थी. मेरा मुंह खुल गया. चाची मेरी आँखों में ही देख रही थी.

उनके चेहरे पर वो ही टेडी मुस्कान नाचने लगी थी........वो समझ गयी की लोंडे को क्या पसंद है.


मैंने फिर से उनके निपल को रगडा उन्होंने फिर से नाख़ून से मेरे सुपाड़े के छेद को रगड़कर अपना नाख़ून लंड के छेद से धीरे धीरे रगड़ती हुयी मेरे गोटे तक ले आई. मेरा पूरा बदन मस्ती की लहर में कांपने लगा. अब वो मेरे गोटो को अपने नाखुनो से धीरे धीरे रगड़ने लगी.....


कोई देखता तो शायद उसका बिना हिलाए ही निकल जाता......मैं और चाची, रूम के ठीक बिच में खड़े.........चाची के खुबसूरत गदराये बदन पर एक कपडा नहीं.......उनके तरबूज जैसे उभरे हुए नितम्ब.......उनकी चिकनी चिकनी टांगे........मस्त मोटी मोटी जांघे......नितम्ब और कमर के बीच का कटाव........उनका जोबन जो मेरे हाथों में मसला जा रहा था.......और उनका हाथ तो मेरे गोटो को ऐसे रगड़ रहा था जैसे कद्दूकस पर नारियल घिस रही हो. और हम दोनों की एक दुसरे से मिली हुयी नज़र.......मुझे लंड हिलवाने से ज्यादा मज़ा चाची के आँखों में देखकर आ रहा था.........चाची की आँखों में कोई शर्म नहीं थी.......उनकी आँखों में तो बस एक भूख थी ....एक प्यास थी.......और...........वासना थी.


मैं अपना एक हाथ चाची के मम्मे से नीचे लाने लगा.....उनके चिकने बदन पर मेरा हाथ ऐसा फिसल रहा था जैसे कांच पर पानी की बुँदे. मैंने उनकी गोल नाभि को धीरे से छेड़ दिया......एक उंगली से में उनके कमर और पेट पर कलम की तरह फिराने लगा.....मानो मैं एक पेंटर हूँ और उनका पेट मेरा केनवास .........जो पेंटिंग बन रही थी वो दुनिया की सबसे मादक तस्वीर थी.


अब मेरी उंगलिया...धीरे धीरे और नीचे जाने लगी..


चाची को एहसास हो गया था की मेरी उंगलियों की मंजिल कहाँ है.........


उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ लिया और धीरे से गर्दन हिला के मना करने लगी.......मैंने भी अपने हाथ को रोक लिया और चाची की आँखों में देखते हुए धीरे से गर्दन हिला दी. अब तो कोई मेरे सर पर बन्दुक रख देता तो भी मैं रुकने वाला नहीं था.


चाची के मखमली पेट से फिसलता हुआ मेरा हाथ वहां जा रहा था, जहाँ के सिर्फ सपने ही मैंने देखे थे. हाँ टंकी में से और चाची को धोते हुए देख लिया था...मगर अब वक़्त था चाची की चिकनी चमेली की चिकनाहट देखने का.......


चाची थोडा सा घबरा गयी और पीछे हटने लगी, मैंने अपने दूसरा हाथ उनके मम्मे पर से हटाया और चाची की कमर में डाल कर चाची को अपनी तरफ खिंच लिया. अपनी चाची फस गयी थी. उनके दोनों मम्मे मेरे सीने में गड़ रहे थे और मेरा हाथ एक कीड़े की तरह कुल्बुलालाता हुआ उनकी मुनिया की तरफ बढ रहा था.


मैं चाची से थोडा सा लम्बा हूँ......चाची को जब मैंने अपने से चिपका लिया तो उनका उनका सर मेरे होटों के सामने आ गया.......मैंने उनका माथा चूम लिया......

मगर मेरी उंगलियों का तो अपने खुद का दिमाग था. चाची ने भले ही मेरे हाथ को पकड़ रखा था मगर मेरा हाथ उनके पेट के निचले हिस्से पर पहुँच चूका था.


मेरी उंगलिया उनकी गरमा गरम चूत तक पहुँचने ही वाली थी........मैंने अपनी उंगलियों को और नीचे किया और उनको जन्नत मिल गयी.


कभी आपने अपनी ऊँगली से चाट कर हलवा खाया हो तो ही आप समझ सकते है की मेरी उंगलियों की क्या महसूस हुआ. चाची की चूत का सल जहाँ से शुरू होता है वो ही ऐसा लबालब चिकना था की मेरी उंगली ही फिसल गयी.......मेरी उंगली लगते ही चाची ने वो सिसकारी भरी की मेरे लंड ने उनके पेट पर जोर से ठुनकी मार दी.

लंड ऐसे झटके मार रहा था जैसे स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस का गेअर हो.


चाची ने मेरे लंड को फिर से पकड़ लिया. मेरी उंगलिया चाची की चूत का पूरा मुआयना कर रही थी, चाची की झांट पूरी तरह से साफ़ हो गयी थी, एक भी बाल नहीं बचा था. रस में डूबी चूत केटरीना के गालो से ज्यादा चिकनी हो गयी थी. आज मुझे पता लगा की चिकनी चमेली का मतलब क्या होता है.


इधर मैं अपनी उंगली उनके चूत के सल पर फिरा रहा था.......उनकी चूत का सल इतना मोटा और कसा हुआ था की मेरी उंगली उसके ऊपर ही घूम रही थी......मगर चाची की चूत ऐसे चासनी छोड़ रही थी मानो जलेबी हो. मैंने ऊँगली को थोडा सा दबाया और चाची की चूत के पट खोल दिए. जैसे से ही मेरी उंगलियों ने चाची के दाने को मतलब clit को छुआ चाची ने वो मादक सिसकारी मारी की अपने तो लंड का एक एक बाल खड़ा हो गया. मैंने फिर से दाने को रगडा और चाची ने जोश में आकर मेरे लंड को जोर जोर से दबाकर हिलाना शुरू कर दिया. वो इतनी उत्तेजित थी की लगतार सिस्कारिया मार रही थी. चाची थोड़ी से पीछे हुयी और उन्होंने मेरा हाथ छोड़ दिया. वो अपने दुसरे हाथ से मेरे नितम्बो पर नाख़ून चलाने लगी......मेरे नितम्बो पर नाख़ून रगड़ने से मुझे ऐसा आनंद आया की मैंने अपनी उंगली थोड़ी सी और दबा दी. मेरी उंगली सीधी फिसलती हुयी चाची की मुनिया के मुंह पर चली गयी. चाची ने अपनी चूत को मेरे हाथ पर दबा दिया और खड़े खड़े ही अपनी कमर हिलाने लगी.

साली.....मेरी उंगली को चोद रही थी. मैंने थोडा सा उंगली को और दबाया और मेरी उंगली चाची के स्वर्ग में दाखिल हो गयी. चाची की चूत में लबालब पानी था. इतनी चिकनी होने से मेरी उंगली फिसल रही थी और मेरी हथेली उनकी clit को रगड़ रही थी. चाची पुरे जोर शोर से मेरा लंड हिला रही थी. जैसे साप पकड़ने वाले उसकी गर्दन नहीं छोड़ते वैसे चाची ने मेरे लंड को इतना कास के पकड़ा था की छूट न जाए.
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03-26-2019, 11:56 AM,
#16
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
उनके हाथ मेरे नितम्बो को सहला रहे थे और थोड़ी थोड़ी देर में वो नाख़ून से रगड़ भी रही थी. उन्होंने अपने चेहरा उठाया और मेरी आँखों में देखा, मैंने अपनी उंगली को उनकी चूत में और अन्दर तक पेला और अचानक ही वो जोर जोर से सिसकारी मारने लगी......इनकी चूत अन्दर से इतनी गरम और चिकनी थी की मुझे लगने लगा की मेरी उंगली जल जाएगी, मैं तेज़ी से अपनी उंगली अन्दर बाहर करने लगा और हथेली उनकी clit पर रगड़ने लगा. उनकी कमर भी तेज़ तेज़ हिलने लगी. चाची की ऑंखें आधी बंद थी मगर उनकी नज़र मुझ पर ही थी. अचानक उनका मुंह खुला....."आ आ आ आ ह हह ....उ उ उ उह ......." और चाची के पैर कांपने लगे....

उनकी चूत मेरे उंगली को ऐसे दबाने लगी जैसे वो मेरी उंगली को चूस रही हो. चाची का पानी सैलाब की तरह निकलने लगा........और मेरे हाथ से होता हुआ उनकी जांघ भिगोने लगा. चाची एक दम से ढीली पड़ गयी.


मगर उन्होंने मेरे लंड को नहीं छोड़ा था. उन्होंने नशीली आँखों से मुझे देखा और बोली...."बरसो बाद आज तर हुयी हूँ .........लल्ला....." उनकी आवाज़ अभी तक कांप रही थी. उन्होंने फिर से मेरे लंड के छेद पर उंगली घुमाई...........मेरे खुद के हाल बुरे थे.......इतना सब एकसाथ होने से मैं भी आखिरी मुकाम पर ही खड़ा था.


चाची ने मेरे लंड को उमेठना शुरू किया और मेरी ऑंखें बंद हो गयी..........


चाची बोली, "इस हरामी की सारी अकड़ निकलती हु..........."


उन्होंने मेरे गोटो को अपने दुसरे हाथ से पकड़ा और धीरे से दबा दिया, मैंने उछल गया. मेरे लंड की लार ऐसे टपक रही थी जैसे किसी भूखे को बरसो बाद रोटी मिली हो.

चाची ने जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया........मैं समझ गया की अब ज्यादा खेल नहीं बचा है.....तभी उन्होंने अपनी उंगली से मेरे गोटो के पीछे नाख़ून से रगडा.


गांड के छेद और गोटों के बिच की वो जगह सबसे कोमल और कामुक होती है. अब सिसकारी मारने की बारी मेरी थी. चाची मेरी आँखों में देखते ही मस्त मुस्कान के साथ मेरी मूठ मार रही थी. उन्होंने फिर से वहीँ पर नाख़ून से रगडा और मेरा लावा मेरे गोटों में उबलने लगा.


चाची बोली, "हाय राम.....कुत्ते की तरह क्या देख रहा है......निकाल दे अब........"


यह कहकर जैसे ही उन्होंने फिर से मेरे लंड के छेद को छेड़ा मेरे गोटों में सनसनी होने लगी मेरी ऑंखें बंद होने लगी ......एक पल में तारे दिख गए......


"फच" की आवाज़ के साथ मेरे लंड ने गोला दाग दिया. मेरा वीर्य उड़ता हुआ सीधा चाची के पेट पर गया तभी एक धार और निकली, चाची के मम्मो के निचले हिस्से पर जा गिरी.......एक धार उनकी जांघो पर गिरी. लंड तो मानो रिवाल्वर बन गया था.......एक के बाद एक 6 गोले छोड़े. चाची हैरत भरी नज़रो से कभी मेरे लंड को तो कभी मेरे चेहरे को देख रही थी. मेरे पुरे शरीर में आनंद की लहरें दौड़ रही थी......मैंने दोनों हाथ से चाची के मम्मे थाम लिया और कस के पकड़ लिए.


चाची ने लंड को दबाकर उसमे से आखिरी बूंद भी निकाल दी. वाह.....ऐसा मज़ा आज तक नहीं आया था.


तभी घडी ने 12 का घंटा बजा दिया. चाची ने चौंक कर घडी देखि और अपने कपडे समेटने लगी. मैंने वहीँ पर पड़ा कागज़ उठाया और अपने लंड को साफ़ किया और टेबल पर रख दिया. चाची मुस्कुराती हुयी अपने नितम्ब हिलाती हुयी चली गयी. मैंने लम्बी सांस ली. मेरा अच्छा समय शुरू हो गया था


सुबह नींद खुली तो पुरे बदन में मीठा मीठा दर्द था.


उठते ही रात की बातें मेरी आँखों के सामने घूम गयी, मैं सोच में पड़ गया की वो सपना था की हकीकत.

तभी मेरी नज़र सामने पड़े कागज़ पर पड़ी और मुझे याद आया की मैंने रात को अपना मुन्ना इसी से साफ़ किया था.


तभी दरवाज़ा खुला और चाची हाथ में झाड़ू लिए रूम में आई, चाची और मेरी नज़रे मिली. चाची ने बहुत ही कमीनी स्माइल दी और मैं समझ गया की रात को हुयी बात सपना नहीं हकीकत थी.


मेरा बाबुराव जो सुबह होने से आधा तैयार था ही , ये सोचते ही उसने अपना सर सिपाही की तरह शान से उठा लिया.

चाची मेरे बेड के पास ही झाड़ू निकलने लगी, वो झुकी हुयी थी और उनका विशाल गोल पिछवाडा मेरी नज़रों के सामने था.


कीड़ा कुलबुलाने लगा........



मैंने अपने हाथ बड़ा कर चाची की नितम्बो पर रख दिया,


जिस तरह "हम आपके हैं कौन" में जैसे माधुरी सलमान की गुलेल की मार खा कर पीछे देखती है वैसे ही चाची ने पलट कर मुझे देखा. हैरत से उनकी ऑंखें बड़ी बड़ी हो गयी थी.


मैंने चाची को एक कमीनी मुस्कान मारी. चाची का चेहरा एक दम लाल हो गया और उन्होंने जोर से मेरा हाथ झटका और रूम के बाहर चली गयी.


गांड की फटफटी चल निकली.


मैंने सोचा बॉस.....कल रात की बात से चाची नाराज़ है ?? , अब जा कर अगर घरवालो को बता दिया तो अपनी इस दुनिया से विदाई पक्की.

बाप गोटों में रस्सी बांध कर छत से लटका देगा. मैंने तुरंत टी शर्ट डाला और बाहर गया. पापा और चाचा दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे.


मैं भी जाकर बैठ गया. दोनों ने नाश्ता निपटाया और दुकान जाने लगे.....मेरा चाचा रहता तो गाँव में था मगर बेचारे को टु व्हीलर भी चलाना नहीं आता था. इसीलिए पापा से साथ स्कूटर पर बैठ कर जाता था. चाचा बाहर से अंदर आया और चाची को आवाज़ लगाई, "अरे नीलू......वो.......दवाई........लानी है ना ?"


मैं एक पल में समझ गया कोनसी दवाई. "खुजली वाली"......चाची ने अन्दर से बोला, "नहीं.....अब मेरे सर में दर्द नहीं है......मत लाना"


चाचा को कुछ समझ नहीं आया.....फिर वो समझ गया की चाची सब के सामने कोड वर्ड में बोल रही है..........उसने बैल जैसे सर हिलाया और चला गया. चाची ने मुझे चाय लाके दी ....तभी मोंम ने किचन से पूछा...... "अरे नीलू.....तेरा सर दुख रहा है ????? दवाई क्यों मंगा रही है .......क्रोसीन पड़ी है खा ले........"


चाची ने बोला, "अरे नहीं भाभी ....अब ठीक है......."


चाची की दवाई तो मेरे पजामे में छुपी थी. मेरी और चाची की नज़रे मिली और चाची मुस्कुरा दी......धीरे से बोली ...

"अब दवाई की ज़रूरत नहीं है......."


मुझे समझ नहीं आ रहा था की साली अभी तो अन्दर गुस्सा दिखा रही थी और अभी फिर से उंगली शुरू कर दी. फिर उसने बड़ी अदा से अपना पल्लू ठीक किया...... साड़ी सही करने के बहाने से मुझे अपनी चिकनी कमर दिखाई और नितम्ब मटकाती हुयी किचन में चली गयी.


साला.......ये चल क्या रहा है ??????
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03-26-2019, 11:56 AM,
#17
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
कॉलेज में मन ही नहीं लग रहा था.......इच्छा हो रही थी की दौड़ के घर पर जाओ और चाची की पकड़ के........पकड़ के.........ठोक दू बस......मगर चाची गुस्सा क्यों हुयी ?


खैर... ....क्लास में तो मन लगा नहीं......बाहर निकला और नवजोत मिल गया.......आज का साला दिन ही ख़राब था.


"न न न नमस्ते माट साब..........क क क कैसे है आप......", मेरी नक़ल निकालते हुए नवजोत ने कहा.


" ठ ठीक हूँ", मैंने अपने हक्लेपन को कंट्रोल किया.


"आज आप पढ़ाने नहीं आयेंगे ?", नवजोत ने फिर मसखरी की.


अब मैंने सोच लिया की इस भेन्चोद को औकात दिखानी ही पड़ेगी. मैंने बूंद बूंद करके हिम्मत बटोरी और कहा, "देखो......पिया.....मेरा मतलब है की आपकी सिस्टर अकाउंट में बहुत ही कमज़ोर है........मुझे फीस से कोई मतलब नहीं है...मैं उसकी मदद सर के कहने पर कर रहा था.....अगर आपको प्रोब्लम है तो ठीक है..... आप देख लो...."


मैंने मेरे जीवन में नवजोत से इतनी बात नहीं की थी.....उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया......मगर मेरी बात उसके मोटे भेजे में आ गयी थी. उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुंह बंद किया और धीरे से बोला.... "आय एम् सोरी......देखना यार......वो फेल नहीं हो जाए.....पापा बहुत गुस्सा होंगे...."


ये बोल कर वो खिसक लिया......और मेरी तो खुद की फटी पड़ी थी.....मुझे तो लगा था की आज यह सूअर मुझ पर ही हमला ना कर दे.


तभी मेरा मोबाइल बजा......पिया का फोन था......"कहाँ हो तुम.....?"


मैंने कहा, "पार्किंग में.....", वो बोली, "चलो मैं वही आ रही हूँ......" और फोन काट दिया.


मैं अपने मोबाइल में SMS पढ़ रहा था. नज़रे उठाई तो सामने से पिया आती दिखी, मेरी साँसे सीने में ही रुक गयी. उसने ब्लू कलर की लो वेस्ट जींस पहनी थी, उसके ऊपर एक ब्लेक टॉप था जो उसने जींस में इन किया हुआ था, जींस ठीक उसकी कमर के घुमाव पर टिकी थी और उसका टॉप बड़े गले का था जिससे उसका एक कन्धा पूरा पूरा बाहर आ रहा था. चिकना चिकना कन्धा धुप में ऐसे चमक रहा था मानों संगमरमर हो.......उसने ब्लैक गोगल लगा रखा था. उसके गोरे बदन पर ब्लैक टॉप क़यामत लग रहा था. साली बहुत ही कटीली दिख रही थी.


वो सीधी मेरे पास आई और बोली, "क्या यार तुमको क्लास में भी आवाज़ लगाई, सुनते ही नहीं हो ? कहा रहतो हो ? सची सची बताओ GF के बारे में सोच रहे थे न ?"


अब मैं उसको क्या बोलता की मैं GF के बारे में नहीं, चाची की मटकती गांड के बारे में सोच रहा था. मैंने कहा, "न न नहीं यार.....व व वो ...रात को नींद नहीं आई थी इसलिए.......". उसने ऑंखें गोल गोल नचा के कहा, "ओ हो......मिस्टर......क्या बात है ? अब तो बता दो की कोन है वो ?"


साला.......मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की चाची को गुस्सा क्यों आया.....और इधर इस बात की दुकान का मुंह बंद नहीं हो रहा था......भेन्चोद पटर पटर बोले ही जा रही थी......ठीक है .....सुंदर है......सेक्सी है.........मगर मेरा दिमाग चाची में इतना उलझा था कि मैं पिया की बात ही नहीं समझ पा रहा था. और वो बोले ही जा रही थी...


"अरे मिस्टर.....नाम तो बता दो...", उसने फिर उंगली की.


मेरा ध्यान था नहीं. मैंने उस को चुप रहने के लिया कहा, "पिया.........".


मैं आगे कुछ बोलता इस के पहले उसने एक दम अपने मुंह पर हाथ रख लिया....और उसका मुंह शर्म से लाल हो गया......


उसने धीरे से कहा, "क्या...ये......सच....है......शील"


अब मुझे समझ में आया की यह क्या हुआ. मेरी गांड की फटफटी का इंजन ही फेल हो गया. मैंने उसको चुप करने के लिया उसका नाम लिया था और वो समझी मैं उस के बारे में सोच रहा था. मैंने बात सँभालने की कोशिश की, "अ अ अ अरे.....न न न नहीं.....व. व.वव.वो.....म म म मैं तो तुम को......"


मेरी बात कट के वो धीरे से बोली, "अब कुछ मत कहो.....मैं तुम्हारी बात समझ गयी......"


इसकी माँ की ........हम हकले बिचारे जितनी देर में एक शब्द कहते है जमाना उतनी देर में महाभारत दो बार पढ़ लेता है.


साली मुझे बोलने ही नहीं दे रही थी. मगर ये तो था की वो बहुत खुश हो गयी थी. उसने मुझे धीरे से कहा, "मुझे चोकलेट खाना है"


मैंने उसको घुरा और पूछा, "म म म मतलब ?? "


उसने बड़ी अदा से मुझे देखा और बोली, "अरे बुद्धू मुझे डेरी मिल्क नहीं खिलाओगे क्या ? आज शुभारम्भ है ना ......"


अब मैं उसको क्या कहता की मेरा शुभारम्भ तो कल रात को ही हो गया.


कॉलेज की कैंटीन से उसको डेरी मिल्क दिलवाई. साली......हाथ पकड़ के चल रही थी और मेरी गांड फटे जा रही थी की कही इसका वो सांड भाई मिल गया तो ये शुभारम्भ सीधा THE - END में बदल जायेगा. खैर गांडफटो की किस्मत जोरदार होती है ये तो आप जानते ही है.......वो तो नहीं मिला मगर इसको इसकी दो तीन फ्रेंड्स मिल गयी.


लड़कियां यूँ तो इतना बोलती हैं मगर वक़्त आने पर इशारो में ही बात कर लेती है, पिया ने सबको नज़र नज़र में ही बता दिया. मेरी गांड फटे ही जा रही थी.


बड़ी इज्ज़त और प्यार से उसने डेरी मिल्क मेरे साथ शेयर की. अपुन तो बिलकुल सुन्न हो गए थे. हां....हुन्न....में ही टाइम निकल गया. वो बोली, "चलो मुझे घर छोड़ दो"


मैंने हकलाते हुए कहा, "त त तुम्हारी गाड़ी क क को क्या ह ह हुआ "


"अरे वो अभी तक पंचर है"


मैं अपने बाप का स्कूटर लाया था. उसी पर हम दोनों निकले, बार बार "रब ने बना दी जोड़ी" याद आ रही थी. फर्क ये था की उसने पीछे से मेरे जांघ पर हाथ रखा हुआ था. बाबुराव में दिमाग तो होता नहीं......उसने तुरंत सर उठा कर सलाम दे दी...........एक दो स्पीड ब्रेकर कूदे तो उसके सोफ्ट सोफ्ट मम्मे भी मेरी पीठ पर आ धमके.


भले ही नवजोत की बहन थी....मगर थी तो पटाका......धीरे धीरे मैं भी रिलेक्स हो गया और जान बुझ कर एक दो बार जोर से ब्रेक मार दिया. वो तो जैसे ब्रेक लगने का ही इंतज़ार कर रही थी, मैं ब्रेक लगाता और वो अपना जोबन सीधे मेरी पीठ पर चिपका देती. उसके घर पहुँचते पहुँचते तो बाबुराव बगावत पर उतारू था. बड़ी मुश्किल से पेंट में बने तम्बू को सेट किया. वो उतरी और बोली, "जा रहे हो.....यार.......टाइम का पता ही नहीं चला.....भाई आनेवाला है ......मुझे फ़ोन लगाना.....प्लीज़ ??? बाय "


मैं बड़ी शान से "तुझ में रब दीखता है" गुनगुनाते हुए अपने स्कूटर से घर आ गया. पूरा घर अँधेरे में डूबा था. मुझे समझ नहीं आया की क्या हुआ ?


अपनी चाबी से मैंने दरवाजा खोला, अन्दर गया तो देखा डायनिंग टेबल पर एक मोम बत्ती रखी है और चाची वहीँ पर बैठी थी. मैंने पूछा, "क्या हुआ चाची ?"


चाची से लम्बी सांस ली और बोली, "राम...गाँव में बिजली नहीं रहती समझ आता है, यहाँ तो इतने बड़े शहर में भी डब्बा गोल है. कुछ ट्रांसफार्मर ख़राब हो गया है. अब तो कल सुबह ही बिजली आएगी."


मैंने इधर उधर देखा और पूछा, "सब लोग कहाँ है ? "


चाची बोली, "राम राम लल्ला......इस उम्र में ही तेरी तो याददाश्त ख़तम हो गयी, अरे पड़ोस वाले सक्सेना जी के यहाँ शादी नहीं है क्या ? मरा तेरे चाचा का एक ही तो दोस्त है......विनोद सक्सेना......उसी के भाई की शादी है.......होटल राज विलास में है........ठाठ है ..........बिजली नहीं थी तो भाभी ने मुझे बोल दिया की जमाना ख़राब है, चोरी चकारी का डर है........और तू भी नहीं आया तो तुझे खाना भी खिलाना था......इसीलिए भई मैं तो नहीं गयी.........गए भी इतनी दूर है..........एक डेड़ घंटा तो आने जाने में ही लग जाता है......"


चाची का मुंह भी फुल स्पीड में ही चलता है. १ मिनट का न्यूज़ अपडेट चाची से अच्छा तो स्टार न्यूज़ भी नहीं दे सकता. मुझे हंसी आ गयी.......


चाची बोली, " हें लल्ला.....इस में हंसने की क्या बात हुयी ? "


मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं चाची आज ऐसे ही हंसी आ रही है"


मोमबत्ती की टिमटिमाती हुयी रोशनी में चाची का चेहरा किसी कमसिन लड़की के जैसा मासूम लग रहा था. वो मेरे लिया खाना लेन उठी तो रौशनी से उनकी कमर चमकने लगी और धीरे धीरे मेरे अन्दर का शैतान जागने लगा.....


चाची ने खाना दिया और मेरे सामने अपने हाथो पर अपनी मुंह टिका कर बैठ गयी. मैंने देखा की रोटियों पर आज भी घी बहुत था. मैंने सोचा थोडा छेड़ लू......


मैंने कहा, "चाची क्या सच में घी खाने से सेहत ठीक रहती है.....?


चाची बोली, " लो......तो फिर ? अरे लल्ला....घी तो अमृत है अमृत.......खाओ तो तो शरीर मजबूत......आँखों पर लगाओ तो आंखे साफ़......बालों पर लगाओ तो बाल काले और घने......गाँव में तो घी बहुत काम में आता है......तू तो घी खाया कर....."


मैंने कहा, " क्या होगा इतना घी खाने से......?"

kramashah.............
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03-26-2019, 11:56 AM,
#18
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
9

चाची टेडी मुस्कान के साथ बोली, "तेरी लुगाई खुश रहेगी और क्या........मैंने भी तुझे घी खिला खिला के सांड न बनाया तो बोलना.... "


मैंने भी जवाब फेंका, " कोनसा सांड, वो चाचा वाला.......जो दिन भर में 4 -5 गायों को ठोक देता था ? "


चाची ने जोर से मेरे कंधे पर हाथ मारा और बेशर्मो की तरह हंसने लगी.


मैंने सोचा चाची से पूछ लूँ की सुबह किस बात पर नाराज़ हो गयी थी.


मैंने कहा, "चाची......व व व वो......स स सुबह........आप गुस्सा हो गयी थी .......क्या हुआ ....?


चाची ने एक प् मुझे निहारा और फिर धीरे से बोली, "लल्ला......कल जो हो गया वो तो ठीक पर आज सुबह मैं तेरे कमरे में थी ये सब को पता था.....भाभी जी बाहर ही थी......कहीं अन्दर आ जाती तो......तू तो पूरा नादान ही है....मजाक हमेशा अच्छे नहीं लगते...."


साला......इसको कल रात की बात से दिक्कत नहीं......कहीं मेरी माँ हम दोनों को न पकड़ ले......इस डर से सुबह चाची गुस्सा हुयी.........चलो...मैंने भी ठंडी सांस ली.


मैंने सोचा की चाची से पूछ ही लूँ........की आखिर उनकी जांघ पर बने "बलमा" गोदने (tatoo) ..का क्या सीन है.


मैंने कहा, "चाची.....ए ए एक बात पुछु.....?"


चाची ने ऑंखें सिकोड़ कर मुझे देखा और बोली, "हम्म्म......पूछ ...."


"अ अ आप न न नाराज़ तो नहीं हो जाओगी ?


चाची ने मुझे टेडी नज़र से देखा और बोली, "नाराज़ होने की बात हुयी तो हो भी सकती हूँ.......बोल क्या बात है ?"


मेरी गांड फटी........मैंने कहा, "न न नहीं.....व व वो.....ऐसे ही......कुछ नहीं ......"


चाची ने अपनी आखें तरेरी और थोड़ी कड़क आवाज़ में बोली....." बता क्या बात है......? की करू तेरी शिकायत की तू हर रात जो कागज़ गंदे करता है....."


भेन्चोद यह कहाँ फंस गया.........


मैंने हिम्मत बटोरी, "व व व्वो.......आप नाराज़ मत होना.....प्लीज़..."


चाची ने गर्दन हिलाई......मैंने धीरे से कहा, "अ अ अ आपकी ज ज जांघ पर क्या लिखा है......."


अब तीर कमान से निकल गया था. मैं अपने गांड की फटफटी पर ब्रेक लगाये बैठा था......फट तो रही थी मगर मैं कंट्रोल कर रहा था.


चाची की आंखे फ़ैल गयी. बोली, "राम.....कितना बेशरम है रे लल्ला.......बेशरम भी है और हिरसु भी.....ताका झांकी करने से बाज़ नहीं आया न तू........"


गांड की फटफटी फुल स्पीड में निकल ली.........


मैं सकपकाया..... "न न नहीं....चाची.......म म म मैं......नहीं करता .......ताक झांक......व व वो तो .....म म मुझे ......दिखा था......क क कुछ लिखा......था......इ इसलिए पूछ लिया.............प्लीज़.......पापा से मत बोल देना.........प्लीज़...."


चाची ने फिर कातिल मुस्कान मारी....."अरे मैं नाराज़ नहीं हुयी......मगर मुझे लगा की तू कहीं बिगड़ तो नहीं रहा...इस लिए तुझे डांट देती हूँ......बेकार चीजों में दिमाग लगाएगा तो फिर अपनी लुगाई का ध्यान कैसे रखेगा....."


मेरी जान में जान आ गयी......मैंने कहा, "आप सिखाओगी तो सीख लूँगा की किस तरह ध्यान रखते है........"


चाची ने मेरी नाक पकड़ कर कहा, " समय आने पर सब सिखा दूंगी"


फिर वो उठी और बोली, "......चल मोमबत्ती अन्दर मेरे वाले कमरे में ले चल.......मुझे कपडे समेटने है. वहीँ मेरे पास बैठ कर बाते करना...मेरा काम भी हो जायेगा और मन भी बहलता रहेगा......"


बहुत शानी है.......पूरी बात ही गोल कर गयी.......मेरे दिमाग में कीड़ा कुलबुलाये जा रहा था की साला....यह जांघ पर लिखे बलमा का सीन क्या है.......


मैंने मोमबत्ती उठाई और चाची के रूम में चला गया, मोमबत्ती बेड के पास वाली टेबल पर रखी और बेड पर बेठ गया. चाची हाथ में धोये हुए कपडे लिए अन्दर आई और बेड के पास पटक कर निचे ही बैठ गयी. मोमबत्ती की टिमटिम रोशनी से पुरे रूम में अलग ही नज़ारा बन रहा था. अब मुझे समझ मे आया की केंडल लाइट डीनर इतना रोमांटिक क्यों होता है. मोमबत्ती की लो धीरे धीरे हिल रही थी और पुरे रूम में परछाईया बना रही थी. चाची का चेहरा भी मोमबती की टिमटिमाती रोशनी में बहुत ही मादक और सेक्सी लग रहा था.


कीड़ा कुलबुलाने लगा.......


मैंने पूछा, "चाची.......सब लोग कब तक आयेंगे....?"


चाची ने ठंडी सांस ली, "राम जाने लल्ला......भाभी कह रही थी की संगीत और नाच गाना है......अभी आधे घंटे पहले तो गए ही है.......अभी तो पहुंचे ही नहीं होगे.......12 -1 तो बज ही जाएगी......राम....अँधेरे में 4 घंटे क्या करेंगे......मरी इस गर्मी में तो नींद भी नहीं आएगी.....गाँव होता तो साड़ी खोल कर छत पर जाके लेट जाती.....यहाँ तो.... "


मैंने सोचा चाची आप तो बस साड़ी खोल दो.....बाकि मैं संभाल लूँगा.....ये सोच कर मुझे हंसी आ गयी.....


"क्यों रे......आज बहुत हंसी छुट रही है.......क्या हुआ ?", चाची ने मुस्कुराते हुए पूछा.


मेरी चोरी पकड़ी गयी, "न न नहीं......म म..मैं ....वो......कुछ नहीं चाची....."


अचानक चाची की नज़र मेरी शर्ट के पॉकेट पर पड़ी. "यह क्या लल्ला......तेरी जेब में क्या है.....?"


मैंने नज़र झुका कर देखा. पिया ने जाते जाते मुझे "डेरी मिल्क सिल्क" दी थी. मैंने जेब में रख ली थी.....मोमबती की रोशनी में नीले रंग का रेपर चमक रहा था.

मैंने उसे बाहर निकला, पूरी नरम हो गयी थी......मैं समझ गया की यह तो पिघल गयी......


चाची बोली, "वाह रे लल्ला.....बचपना अभी तक गया नहीं तेरा.......टॉफी चोकलेट लिए घूमता है......राम....कोनसी चोकलेट है"


मैंने कहा, "डेरी मिल्क सिल्क". चाची उछली, "अरे वोही जो चाट चाट कर खाते है........टीवी पर दिखाते हैं न........ला मुझे भी चखा न......."


नेकी और पूछ पूछ........चाची चाटने चाहे तो मैं कैसे मना कर सकता हूँ.


चाची ने रेपर खोला......चोकलेट सच में पिघल चुकी थी.......जैसे ही अन्दर का रेपर खोला........चोकलेट का एक कतरा उसमे से निकल कर निचे गिरने लगा......चाची ने झट अपने मुंह खोला और टप से अपने मुंह में ले लिया......थोड़ी चोकलेट उनके होटों पर भी लग गयी.


एक और कतरा गिरा सीधा उनके सीने पर......जहाँ ब्लाउस शुरू होता है बस उसके १ इंच ऊपर.........चाची ने अपने होटों पर लगी चोकलेट जुबान फेर कर साफ़ की.

अब "डेरी मिल्क सिल्क" तो "डेरी मिल्क सिल्क" है. पिघल तो चुकी ही थी .........जो रेले निकलना शुरू हुए.......चाची चाटे जा रही थी मगर चोकलेट भी टपके ही जा रही थी. दो तिन बार उनकी साड़ी पर गिर गयी...........चाची ने लालच छोड़ा और पास में पड़ी प्लेट में चोकलेट रख दी......


देखने लायक सीन हो गया था, चाची अपने दोनों हाथ फैलाये बैठी थी.....दोनों हाथों में चोकलेट लगी थी.....थोड़ी सी चाची के होटों पर और होटों के किनारे लगी थी और एक बेशरम चोकलेट की बूंद उनके उभारो के सल से 1 इंच ऊपर पड़ी इठला रही थी.
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03-26-2019, 11:56 AM,
#19
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
जिस तरह औरते मुंह सिकोड़ कर नीचे देखते हुए अपने ब्लाउस के हुक लगाती है वैसे ही चाची ने निचे देखा. मम्मो के थोडा सा ऊपर पड़ी चोकलेट उन्हें मुंह चिड़ा रही थी.

उन्होंने दोनों हाथ ऊपर उठा कर फैला लिए थे ताकि हाथों से चोकलेट कपड़ो और साड़ी पर न गिर जाये.....मगर इस चक्कर में उनका आंचल पूरा ढल गया था.............


मोमबत्ती की टिमटिमाती रोशनी में ब्लाउस में कसे दोनो मम्मे बाहर आने की जिद कर रहे थे. शायद उनको भी चोकलेट खानी थी. मैं तो बिंदास चाची के मम्मे निहार रहा था. चाची ने इधर उधर करके अपने दोनों हाथो को देखा और फिर अपने सीने पर पड़ी चोकलेट की बूंद को देखा.......


चाची के बदन की गर्मी से वो पिघल कर धीरे धीरे चाची के मम्मो के बिच की गली में जाने लगी थी.......


चाची ने कहा, "हाय राम......ये मरी सिल्क.......ऊई.....लल्ला.......अरे ये चोकलेट साफ़ कर दे.......नहीं तो अभी नहाना ही पड़ेगा......"


कुत्तो के दिन बदलते देर नहीं लगती........


मैं थोडा आगे सरका......चोकलेट पिघल के करीब एक इंच नीचे आ गयी थी.......बस चाची के मम्मो के सल पर अटकी थी......मनो इज़ाज़त का इंतज़ार कर रही हो. मैं तो उपरवाले से प्रार्थना कर रहा था की साली चोकलेट घुस जाये चाची के सलों में. फिर मैं आराम से साफ़ कर दूंगा.......


नंगो के नौ ग्रह बलवान..........चोकलेट को मानो उपरवाले का आदेश हुआ. वो बड़े शान से चाची के मम्मो की घाटी में घुस गयी.


चाची जोर से चिल्लाई..."अरे गयी वो ....लल्ला देखता नहीं मेरे हाथों में चोकलेट लगी है...साफ़ कर न...."


मैं जैसे नींद से जगा, अपने सूखे होटों पर जुबान फेरते हुए मैंने कांपता हुआ अपना हाथ बढाया और जिस तरह तिलक लगाते है वैसे उल्टा किया......


पहले अंगूठा जहाँ बूंद गिरी थी वहां रखा और धीरे से निचे ले गया. चाची बोली, "हें लल्ला....साफ़ कर रहा है की फैला रहा है......"

मैंने चाची की बात अनसुनी कर दी और अपना अंगूठा उनके मम्मो के सल के बिच फसा दिया.....फिर मैंने धीरे से अपना पूरा हाथ उनके गले और मम्मो के बिच रख दिया. मैंने कहा, "चाची......ब ब बहुत स स सारी ....चोकलेट गिरी है......." चाची ने बड़े आराम से कहा, "हाँ रे.....तू तो कर दे साफ़.....


अपनी ट्रेन को खुद रेल मंत्री से ग्रीन सिग्नल दे दिया तो फिर कहा रुकने वाले थे.......अपने हाथ से पहले चाची के गले के निचले हिस्से को सहलाया.....जो की औरतों का वीक स्पोट होता है.......शाहरुख़ खान भी तो काजोल की गर्दन पर ही किस करता है.......चाची की आंखे हलकी सी बंद हो गयी.....मोमबत्ती की लो फड़फडा रही थी और मेरी गांड और बाबुराव के बीच जंग हो रही थी. फटती हुयी गांड कह रही थी कि मत कर....मरेगा......और खड़ा हुआ बाबुराव कह रहा था कि चूतिये निशाना मत चुक.


जैस कि दुनिया जानती है कि चूल...यानि.....ठरक......का कोई इलाज नहीं है.......तो अपनी चूल जीत गयी और अपुन ने चाची के गले को सहलाते सहलाते धीरे से उनके मम्मे पर हाथ रख ही दिया.......


चाची ने एक दम से झटका खाया, मेरी तरफ देख कर बोली, "क्या कर रहा है लल्ला....." . मैंने भी चाची कि आँखों में देखते हुए उनके ब्लाउस में हाथ डाला और उनके मम्मे को सहलाते हुए कहा. "चोकलेट साफ़ कर रहा हूँ चाची.......आप भी बच्चो जैसे चोकलेट खाती हो......" मेरे हाथ फेरने से चोकलेट पूरी तरह से चाची के मम्मे पर लग गयी थी. चाची की ऑंखें धीरे धीरे नशीली हो गयी........वो धीरे से बोली, "ब ब बस लल्ला.......हो गयी साफ़......." मगर उनकी आवाज़ में ताक़त नहीं थी......चाची का सोफ्ट सोफ्ट मम्मा मेरे हाथ में था और मैं चोकलेट से उसकी मालिश कर रहा था.......मेरी हथेली बार बार चाची के निप्पल से रगड़ खाती थी और उनके मुंह से आह निकल जाती थी........मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने चाची की चूची जोर से दबा ली.......चाची की जैसे नींद खुली और वो जोर से बोली, "क्या कर रहा है हरामी.......हाथ बाहर निकाल...."


फटती हुयी गांड ने चिल्ला चिल्ला कर मना किया था की मत कर..........मगर बाबुराव के कहने पर ये सब हुआ......और अब जब चोरी पकड़ा गयी तो बाबुराव चुपचाप सिमट गया और उसने मुंह लटका लिया........


चाची जोर से बोली, " राम....बहुत ही बिगड़ गया है रे छोरे.....कोई शर्म लिहाज है की नहीं ?"


मैंने कहा, "च च च चाची.....आ आ आप ही ने तो क क क कहा था.......स स स साफ करने को........"


चाची ने ऑंखें तरेरी, "साले हरामी......साफ़ करने को कहा था.......तू तो दबाने लगा......पुरे पर चोकलेट लगा दी.....अब नहाना ही पड़ेगा....."


मैं तो कुछ बोलने की हालत में ही नहीं था.......चाची उठी और बाथरूम में गयी......मैं वहीँ उनके बेड पर बैठा रहा......१-२ मिनट बाद पानी की आवाज़ आई और चाची अन्दर से चिल्लाई....."हे राम....कितना अँधेरा है.....कुछ भी नहीं दीखता......मरी ये बिजली भी आज ही जानी थी.......लल्ला.....अरे ओ....लल्ला...."


मैं फिर हकलाया....."ह ह ह हाँ चाची......"


"अरे वो मोमबत्ती तो ला इधर........", चाची अन्दर से बोली.


मैंने कांपते हाथों से मोमबत्ती उठाई और बाथरूम की तरफ बड़ा. बाथरूम का डोर खुला था, और चाची मेरी ओर पीठ करके खड़ी थी. उन्होंने साडी उतार दी थी और सिर्फ ब्लाउस और पेटीकोट में खड़ी थी. मोमबत्ती की टिमटिमाती रोशनी में उनकी पेटीकोट में छुपे नितम्ब बहुत ही मारू लग रहे थे. उनका पेटीकोट उनके कमर के कटाव के सबसे बड़े हिस्से पर टिका था. ऐसा लग रहा था मानो पेटीकोट बस उनकी गांड की गोलों के दम पर ही टिका था वर्ना कब का गिर जाता. चाची अपना ब्लाउस खोल रही थी. मेरी तरफ पीठ होने से मुझे दिख तो कुछ भी नहीं रहा था मगर उनके हाथ चलने से उनकी विशाल गांड थरथरा रही थी. और उसको ऐसे हिलते देख मेरा मुंह खुला का खुला ही रह गया.


चाची बोली, "हाय राम....तू अन्दर क्यों आया ?"

मैं बोला, "च च च चाची.......आ आ आपने ही तो मोमबत्ती मांगी थी........"


चाची बोली, " हें....हाँ रे.....वो वहां पर रख दे.......हाँ.......अरे वो जहाँ शेम्पू रखा है......बस उसके पास.......हाय राम इधर मत देख बेशरम"


मैंने बहुत कोशिश की मगर पापी मन नहीं मान रहा था....... बार बार मेरी नज़र चाची की तरफ ही जा रही थी.


चाची का ब्लाउस आधा खुल चूका था.......जैसे ही वो यह सब बोलने के लिए मुड़ी मेरी नज़र सीधे चुम्बक के जैसे उनके आधे खुले ब्लाउस में से झांकते मम्मो पर जा चिपकी.


किसी ने सत्य ही कहा है की औरत के बदन की असकी कामुकता आधे ढके होने में है.....


पूरी नग्न औरत से तो आधी ढकी औरत ही ज्यादा सेक्सी लगती है......


चाची के ब्लाउस को सिर्फ दो हुक पूरी हिम्मत और ताकत के साथ संभाले हुए थे वर्ना वो तो फटने के लिए बेताब था. हमेशा की तरह चाची ने आज भी ब्रा नहीं पहनी थी, जो नज़ारा उभर के आया था वो किसी मरते आदमी की साँसें चालू कर देता और जिन्दा इंसान की साँसे बंद, मम्मे ब्लाउस में कसे इस कदर कसमसा रहे थे मनो हुको को तोड़ डालेंगे.


मोमबत्ती मेरे हाथ में थी और मेरा मुंह खुला का खुला ही था. चाची अब पूरी पलट के खड़ी हो गयी. उनका तराशा हुआ बदन सिर्फ ब्लाउस और पेटीकोट में मेरे सामने था. ब्लाउस के तो हाल आप जानते ही हो.....पेटीकोट चाची ने काफी नीचे बांधा था...उनकी मद मस्त नाभि मोमबत्ती की रौशनी में कुए जैसी दिख रही थी. चाची ने अपने हाथ अपने मम्मो के ऊपर रख लिए और चिल्लाई...."अरे हरामी......बाहर क्यों नहीं जाता......निकल बाहर....." और पलट के अपने ब्लाउस के बचे खुचे हुक खोलने लगी.


मैं सकपकाते हुए बाहर जाने लगा तो वो फिर चिल्लाई "अरे ये मरी मोमबत्ती तो रखता जा...."


मैंने कांपते हुए हाथों से मोमबत्ती को ग्लास की रेक पर रखा और पलट के जाने लगा. मोमबत्ती ढंग से टिकी नहीं थी.

जैसे ही मैं मुड़ा. मोमबत्ती नीचे गिरी और बुझ गयी.


पूरा बाथरूम घुप्प अँधेरे में हो गया. कुछ भी नहीं दिख रहा था.


चाची जोर से चिल्लाई. " हाय राम......जान नहीं है क्या हाथों में......जा माचिस ला.....कहा गयी मोमबत्ती...."


मैं माचिस लेन की बजाये फर्श पर टटोल टटोल के मोमबत्ती ढूंढ़ने लगा......तभी मेरा हाथ चाची के हाथ से टकराया...चाची भी मोमबत्ती ढूंढ़ रही थी.


कीड़ा कुलबुलाने लगा.....


मैंने थोडा हाथ आगे बढाया और चाची की तरह आगे बड़ा.......अचानक मेरे हाथ से कुछ कड़क सा टकराया.....मुझे समझ नहीं आया की ये क्या है.....मैं बैठा था और मेरे हाथ चाची के सीने की ओर थे.......मुझे लगा शायद चाची का मंगल सूत्र है.....मैंने फिर हाथ बढाया और अब की बार मेरे हाथ से कुछ नरम नरम सा टकराया.......


मैं वहीं पर रुक गया.......मेरी नसे सनसनाने लगी.......जो मेरे हाथ से टकराया था वो चाची का खड़ा हुआ निप्पल था.

चाची ने अपना ब्लाउस पूरा खोल लिया था.


मैंने हिम्मत की और फिर से अपने हाथ बढाया......मेरा हाथ सीधे लेजर बोम्ब की तरह निशाने पर गया और चाची के मम्मे से जा टकराया.....मैंने अपने हाथ वही पर रख दिया और चुतिया बनाने के लिए कहने लगा.....

"अरे च च चाची......आ आ आप हो क्या..."


चाची दबी हुयी जुबान से बोली, "ओर क्या हरामी यहाँ पे माधुरी दीक्षीत थोड़ी बैठी है. हाथ हटा......"

मैंने हाथ नहीं हटाया और चाची के मम्मे को हाथ में ले लिया और धीर धीर दबाते हुए बोला, "न न नहीं च च चाची आप थोड़ी हो......ये तो शायद नहाने का स्पंज है......" मैंने दबाना बंद नहीं किया.......


मेरी गांड फटे जा रही थी मगर खुदा की कसम क्या मज़ा आ रहा था.....चाची का मम्मा मेरे हाथो में तो समां नहीं पा रहा था मगर इतना सोफ्ट था की सचमुच का स्पंज हो.


चाची जोर से बोली, " हरामी छोड़....."

मैंने भी हिम्मत पकड़ी, "क्या छोडू च च चाची......."


चाची ने अब आवाज़ धीरे की और बोली, "मेरा बोबा........छोड़ हरामी.........मेरा मम्मा .....छोड़ कमीने...."


मैंने समझ लिया की चाची को गुस्सा आ गया है........मैंने बहुत मुश्किल से चाची के मम्मो को छोड़ दिया.


चाची ने अब आवाज़ धीरे की और बोली, "मेरा बोबा........छोड़ हरामी.........मेरा मम्मा .....छोड़ कमीने...."


मैंने समझ लिया की चाची को गुस्सा आ गया है........मैंने बहुत मुश्किल से चाची के मम्मो को छोड़ दिया.

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चाची बोली, "लल्ला......बहुत ही बेशरम हो गया है रे........कुछ लाज शरम है की नहीं........"


पूरा घुप्प अँधेरा था. मुझे लगा की चाची मुस्कुरा रही है मगर साला कन्फर्म नहीं था.........अगर सच में गुस्सा हुयी तो.....ये सोच कर मेरी गांड फटने लगी.


मैंने कहा, "च च च चाची म म मैं माचिस ले आता हूँ........"


चाची बोली, "नहीं.....तू यहीं पर रुक......अँधेरे में न जाने क्या गिराएगा क्या तोड़ेगा.......मुझे पता है माचिस कहाँ है.......यहीं रुक जा....."

kramashah.............
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03-26-2019, 11:57 AM,
#20
RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
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मैं कुछ बोलता उसके पहले चाची के आगे बड़ने की आवाज़ आई और वो अँधेरे में टटोलते टटोलते बाथरूम से बहार जाने लगी. बहुत ही हलकी सी रोशनी रोशनदान से आ रही थी. मुझे सिर्फ चाची कहाँ है ये दिखाई दे रहा था मगर उनके नंगे मम्मे और चिकनी कमर अँधेरे में छुपे बैठे थे. चाची ने अपने दोनों हाथ आगे बढाकर चलना शुरू किया और उनका हाथ मेरे बेल्ट के बक्कल से जा टकराया. वो बोली, " हें ये मरा नल यहाँ कहाँ से आ गया" और उन्होंने अपने हाथ सीधा मेरे जींस की चेन पर रख दिया. जी हाँ.....सीधा मेरे मासूम बाबुराव पर.......मैंने और बाबुराव दोनों ने झटका खाया........तभी चाची ने जोर से मेरा बाबुराव जींस के ऊपर से ही दबा दिया, मेरे मुंह से आह निकल गयी, चाची बोली, " हाय राम.......ये तू है क्या लल्ला ? मुझे लगा की नल है और उसपे कपडा पड़ा है........परे हट......."


साली चाची मेरे साथ मेरा ही गेम खेल गयी. मुझे तो ये ही समझ नहीं आ रहा था की वो चाहती क्या है ? उनकी बातों से कभी लगता की ठुकवाने को बेकरार है और कभी एकदम सती सावित्री बन जाती.


चाची बाथरूम से बाहर निकल गयी और मैं गंगू गमने जैसा बाथरूम में ही खड़ा रहा.


सच में त्रिया चरित्र किसी के बाप के समझ में नहीं आया होगा. साली....चाची की सारे हाव भाव येही बताते है की उनकी क्या इच्छा है.......मैं उनकी आँखों के वो गुलाबी डोरे और उनकी वो टेडी मुस्कान नहीं भूल पा रहा था जब उन्होंने मेरा लंड हिला हिला कर मेरा पानी निकाल दिया था. मगर वो नाराज़ होती तो मेरी गांड की फटफटी स्टार्ट हो जाती.........


बाहर रूम से बर्तन गिरने की आवाज़ आई. अँधेरे में उस आवाज़ से मानो पूरा घर कांप गया. मैंने पूछा, "चाची......क .क...क्या हुआ......"


कोई जवाब नहीं आया......मैं धीरे धीरे बाथरूम से निकला और चाची के बेड के पास से टटोलता टटोलता आगे गया तभी चाची बोली, "लल्ला......दूध का ग्लास गिर गया" मैंने कहाँ, "चाची आ आ आपको लगी तो नहीं..........".


चाची बोली, " नहीं रे.......मरा मेरा पेटीकोट मेरे पाँव में उलझा और मेरा बेलेंस बिगड़ गया........पूरा पेटीकोट दूध में हो गया.......हाय राम यह मरी बिजली भी......"


तभी कपडा सरकने की आवाज़ आई. मैं समझ गया की चाची ने अपना गीला पेटीकोट भी उतार दिया था.


इसका मतलब चाची सिर्फ पेंटी में थी. सिर्फ पेंटी में.......और मैं उनसे कुछ कदम की दुरी पर था. बाबुराव ऐसा उफान पर आया जैसे सुनामी हो......मुझे लगा की मेरी जींस ही फटेगी आज तो....


ये तो पक्का था की मेरी किस्मत भले ही गधे के लंड से लिखी है मगर वो गधा जरुर बड़े लंड वाला था .


मैंने पूछा, "च च चाची.....मा मा माचिस मिली क्या ?"


चाची की आवाज़ ठीक मेरे सामने से ही आई. "नहीं रे लल्ला.......नहीं मिली......तेरे चाचा भी तो रात में बीडी पीते है.....कहीं रख दी होगी........"


मुझे एहसास हुआ की चाची ठीक मेरे सामने से निकली, बहुत ही हलकी सी रौशनी थी......मैं उनके पीछे पीछे गया.


मुझे बहुत ही हल्का सा दिख रहा था मैं चाची के ठीक पीछे था. अचानक चाची रुक गयी और मैं उनके पिछवाड़े से जा टकराया. मेरा भी बेलेंस बिगड़ा और सँभालने के लिया मैंने चाची को पकड़ा. चाची ने सिवाय पेंटी के कुछ भी नहीं पहना था. मेरा हाथ सीधे उनके कंधे पर पड़ा और मैंने उनका कन्धा पकड़ लिया. इस कशमकश में चाची का भी बेलेंस बिगड़ा और हम दोनों निचे आ गिरे.


पहले मैं गिरा और चाची मेरे ऊपर. चाची मुझे पर इस तरह से गिरी की उनके मम्मे सीधे मेरे हाथो पर फिट हो गए.


चाची जोर से चिल्लाई, "हाय राम.........."


मैं भी जोर से चिल्लाया, "आ आ आ आह...."


चाची मुझ पर से उठने लगी और मैं भी उन्हें उठाने लगा. चाची ने पूछा, "क्या हुआ लल्ला.......गिरा कैसे..."


मैं न तो चाची तो जवाब दे पा रहा था और न ही उनके नमकीन बदन का आनंद ले पा रहा था. मैंने अपने निचे टटोल कर देखा, दूध का ग्लास था.

भेनचोद.......मैं सीधा दूध के ग्लास पर गिरा था. ग्लास तो चकनाचूर हो गया था मगर मेरी गांड पर बहुत जोर से लगी थी. मैं फिर से चिल्लाया,

"चाची पीछे हटो........ग्लास फुट गया है......आपको कांच चुभ जायेगा"


चाची बोली, "हाय राम लल्ला......तुझे लगी तो नहीं.......तू ग्लास पर ही गिरा क्या ? रुक हिलना मत मैं माचिस लायी...."


ऐसे अँधेरे में हिल कर भी क्या करता. मेरी गांड फट रही थी की मैं टूटे कांच पर बैठा हूँ कहीं इधर उधर घुस गया तो............??


अबकी बार चाची को माचिस मिल गयी. चाची ने झट से माचिस जलाई और रूम में हलकी हलकी रौशनी हो गयी. भले ही मेरी गांड जोर से दुःख रही थी मगर जो नज़ारा दिखा उसको देख के तो इंसान बिना बेहोशी की दवा के भी ओपरेशन करा ले.......अभी तक तो मैं गेस कर रहा था की चाची ने ब्लाउस और पेटीकोट खोल लिया है और उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है सिर्फ पेंटी में है. मगर रोशनी आने के बाद तो मेरे सिस्टम ही हेंग हो गया.


चाची के मम्मे रोशनी में मुस्कुरा उठे......उनकी कमर पर थोड़ी ही रौशनी और थोडा सा अँधेरा था. अजंता की मूरत लग रही थी. मेरी नज़र निचे और निचे गयी.


चाची ने सिर्फ पेंटी पहनी हुयी थी. मगर वो फूल पत्तो की प्रिंट वाली नहीं बल्कि लेस वाली थी. काफी छोटी और घुमाव वाली. सामान्य कोटन पेंटी तो काफी बड़ी होती है मगर ये ब्लेक कलर की पेंटी तो बड़ी मुश्किल से चाची की मुनिया को छुपाये थी. चाची की मुनिया........यानि चिकनी चमेली.......वो जिसको चाची ने थोड़े समय पहले ही साफ़ किया था.......


सन सनन साय साय फिर से होने लगी. मेरी नज़र उनके बदन को सहलाने लगी. तभी मेरी गांड में शीशे का टुकड़ा चुभ गया और मेरे मुंह से फिर से आह निकल गयी.


चाची के चेहरे कर चिंता के भाव आ गए. वो बोली, "लल्ला.......बिलकुल मत हिलना रे.........कांच है........घुस गए तो मुसीबत हो जाएगी......रुक जा मैं मोम्बाती लाती हूँ."
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