Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी समधन
01-02-2019, 02:35 PM,
#1
Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी समधन
मेरे पिताजी की मस्तानी समधन 

मेरा नाम कामिनी है
ये मेरी कहानी है
मैं अपनी फॅमिली का इंट्रो देती हूँ
मेरे घर मे 4 लोग है
मेरे पिताजी रिटायर्ड आर्मी ऑफीसर है , मैं बचपन से ही उनके बहादुरी के किस्से सुनती आई हूँ ,
मेरे पिताजी छोटे से गाँव से बिलॉंग करते है, गाँव से होने से मेरे पिताजी को कसरत करने का बहुत शौक
था
मेरे पिताजी तो बचपन से कुश्ती खेलते आ रहे थे , जब वो जवान हुए तो सबने कहा कि मेरे पिताजी एक तो
पोलीस बन सकते है या आर्मी मे जा सकते है ,
पिताजी ने पोलीस मे जाने का ट्राइ लिया पर लास्ट स्टेज पर पैसे ना देने से उनका सलेक्शन नही हुआ था तो पिताजी
आर्मी मे चले गये
आर्मी मे जाते ही पिताजी ने अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करके बहुत कारनामे किए , उनके चर्चे शहर मे भी होते
है , सब उनकी बहुत इज़्ज़त करते है ,
पर मैं ने एक बात नोटीस की , जब भी पिताजी छुट्टियों मे घर आते तो सोसाइटी की औरतें अपनी बाल्कनी मे ज़्यादा
देर खड़ी रहती
किसी ना किसी बहाने से औरतें हमारे घर ज़रूर आ जाती , औरतों के आने का टाइम ज़्यादातर सुबह या शाम
के समय होता था जब पिताजी कसरत करते है
मेरी कुछ सहेलियो ने कहा कि मेरे पिताजी का अफियर है सोसायटी की औरत के साथ , मेरी एक सहेली ने कहा कि
उसने अपनी माँ और मेरे पिताजी को कमरे से बाहर निकलते हुए भी देखा
पर मुझे इन बातों पे विश्वास नही था
और अब तो मेरे पिताजी रिटायर्ड भी हो गये है
लेकिन लगते है पूरे फिट
दोपहर मे मेरे पिताजी किसी ना किसी के घर चले जाते थे बाते करने क्यूँ कि उनको अकेले अच्छा नही लगता
मेरी माँ उनका क्या कहना , पिताजी ड्यूटी पर जाते तो वो घर मे पड़ी रहती, पूजापाठ पर ज़्यादा ही विश्वास रखती
थी ,
मेरी माँ और पिताजी की शादी तो जल्दी हो गयी थी पर दोनो मे प्यार बहुत था
जब भी पिताजी छुट्टियो मे घर आते तो माँ कुछ दिन बस सोती ही रहती थी
तब मैं छोटी थी तो समझ ही नही पाई कि पिताजी जब भी घर आते है तो माँ दोपहर मे क्यूँ सोती है
इस का पता जवान होते ही अपने आप चल गया , रात भर प्यार करेंगे तो दोपहर मे तो सोना ही था
लेकिन पिताजी दोपहर मे घूमने जाते उतना ही माँ को आराम मिलता था
माँ देखने मे कुछ खास नही थी फिर भी पिताजी उनको बहुत प्यार करते थे , जब पिताजी घर मे होते तो माँ को
एक पल के लिए चैन नही होता , मैं ने बहुत बार देखा कि पिताजी जिस दिन आते उसके दूसरे दिन माँ लंगड़ा कर
चलती है
माँ तो पिताजी की हर बात मानती थी
इस के बाद मेरा नंबर आता है
मैं कामिनी , मैं अपनी माँ पर नही गयी , दिखने मे सुंदर हूँ , सोसायटी की बहुत से लड़के पीछे पड़े रहते
थे , पर मैं ने किसी को लिफ्ट नही दी
मुझे डर भी था पिताजी का
पिताजी जब गुस्सा होते है तो मैं तो कमरे से बाहर ही नही निकलती
जिस से बाय्फ्रेंड के चक्कर मे कभी पड़ी ही नही
बस अपनी पढ़ाई मे खोई रहती और सहेलियो के साथ हँसी मज़ाक हो जाता
ज़्यादा कुछ बताने लायक नही था मेरी लाइफ के बारे मे
फिगर भी नॉर्मल ही थी ,
फिर नंबर आता है मेरे भाई का
उसको पिताजी गधा कहते थे
बस ज़्यादातर सोता ही रहता था
पिताजी की कोई कमी नही थी उसमे
अपनी ही दुनिया मे खोया रहता था
ऐसी है मेरी फॅमिली
पिताजी ड्यूटी पर रहते थे , माँ मंदिर मे , मैं अपनी पढ़ाई या सहेलियो के साथ मस्ती करती तो मेरा भाई बस
सोता रहता
बड़ी अजीब थी हमारी फॅमिली
हमारे घर मे 2 बेडरूम थे
एक बेडरूम माँ और पिताजी का तो दूसरे बेडरूम को मैं अपने भाई के साथ शेर करती हूँ
प्राइवसी तो कभी मिली ही नही
पर जब से पिताजी ने रिटायरमेंट लिया तब से वो घर मे ही रहते है
उनकी एज भी कुछ ज़्यादा नही थी उनको कोई भी जॉब मिल सकती थी पर वो अब अपनी लाइफ अपने मर्ज़ी से जीना चाहते
थे
पिताजी के घर मे रहने पर माँ तो दोपहर मे
बस सोती ही रहती , अब हर दिन उनके मज़े थे
लेकिन वो भी थक जाती
जिस से उन्होने अपने कुछ काम कम कर दिए , मंदिर मे जाना कीर्तन मे जाना , सब बंद हो गया
मुझे भी अब सलवार कमीज़ से काम चलाना पड़ रहा था
जीन्स और टीशर्ट तो बस अलमारी मे पड़े पड़े खराब हो रहे थे
पता नही पिताजी घर पर क्यूँ है
लेकिन जैसे ही दोपहर के 12 बज जाते तो पिताजी घर से बाहर जाते और बराबर शाम के 5 बजे घर आ जाते
जैसे कोई ड्यूटी हो
पर मुझे क्या है मैं तो अपनी पढ़ाई कर रही थी
ये मेरा लास्ट एअर था ,
और उसके बाद मेरी शादी होगी ये पक्का था

मैं अपनी पढ़ाई मे बिज़ी थी
या फिर अपनी सहेली के यहाँ चली जाती
मेरी सहेलियो से उनके बाय्फ्रेंड के बारे मे सुनती रहती
उनके किस्से सुनकर मेरी चूत गीली हो जाती
मेर सारी सहेलियो की सील तो कब की टूट गयी थी पता नही मेरी सील तोड़ने वाला कब आएगा
ऐसे ही एक दिन मैं अपनी सहेली के यहाँ गयी थी
सहेली- क्या कामिनी तू ये आम बेचने कहाँ निकल पड़ी
कामिनी-कहाँ है आम
सहेली- ये क्या , दो दो पके हुए आम लेकर घूम रही है
कामिनी-क्या करूँ कोई इन आमो को चूसने की हिम्मत ही नही कर पाता
सहेली- मॉका तो दे , देखना लड़को की लाइन लग जाएगी
कामिनी-मुझे तो बस एक ही चाहिए
सहेली- मेरा बाय्फ्रेंड कह रहा था कि एक बार कामिनी को दिलवा दे मेरा गुलाम बन कर रहेगा
कामिनी-बड़ा कमीना है तेरा बाय्फ्रेंड
सहेली- उसकी क्या ग़लती है , तू तो चलता फिरता आम का बगीचा है , और तेरे खरबूजे पे अपना चाकू चलाने
को सब तय्यार रहते है
कामिनी-मेरी छोड़ तू अपनी बता
सहेली- मेरा क्या है कल ही बाय्फ्रेंड के साथ उसके दोस्त से रूम पर जाकर आई हूँ
कामिनी-तुझे शरम नही आती ,
सहेली- इसमे जो मज़ा मिलता है उसके सामने शरम कैसी
कामिनी-पूरी फट गयी होगी , तेरा हज़्बेंड लात मारकर सुहागरात को बाहर निकाल देगा
सहेली- ऐसा नही होगा , उसको तो मैं अपनी उंगली पे नचाउन्गी
कामिनी-तू तो इस मे एक्सपर्ट है
सहेली- वैसे एक बात कहूँ
कामिनी-बोल
सहेली- कल तेरे पिताजी को देखा ,वो मेरी सोसायटी मे आए थे
कामिनी-कब
सहेली- दोपहर को
कामिनी-हाँ वो अपने दोस्तो से मिलने जाते है
सहेली- मुझे तो लगता है दोस्त नही गर्लफ्रेंड से मिलने जाते है
कामिनी-कुछ भी मत बोल
सहेली- तेरे पिताजी की कही सारी गर्लफ्रेंड होगी तभी तो कभी कभी यहाँ आते है
कामिनी-तू मेरे पिताजी की बात करेगी तो मैं जा रही हूँ
सहेली- तू खुद सोच कि तेरे पिताजी ठीक 12 बजे क्यूँ घर से बाहर जाते है
कामिनी-क्यूँ ?
सहेली- उस टाइम सबके हज़्बेंड जॉब पर चले जाते है और बच्चे कॉलेज या स्कूल मे होते है
कामिनी-तू अपना दिमाग़ मत लगा
सहेली- तू सोच , ठीक 5 बजे घर कैसे आ जाते है क्यूँ कि उस समय सबके हज़्बेंड और बच्चे घर आ जाते है
कामिनी-तू मेरे पिताजी पे इलज़ाम मत लगा
सहेली- सच कह रही हूँ तेरे पिताजी को देख कर तो कोई भी अपनी टाँगे खोल देगी उनके सामने
कामिनी-तू खोल , तू तो है ही रंडी
सहेली- तू तो गुस्सा हो गयी
कामिनी-गुस्सा ना करूँ तो क्या करूँ , तूने बात ही ऐसी की है
सहेली- मैं ने जो कहा वो सच है , मैं ने खुद अपनी माँ की बात सुनी है जो एक आंटी से कह रही थी कि
तेरे पिताजी जवान मर्द को हरा दें इतना मज़ा देते है
कामिनी-व्हाट
सहेली- सच यार , मुझे तो मेरी माँ पे भी डाउट है
कामिनी-तू और तेरा घटिया दिमाग़
सहेली- चल जाने दे , तू एक दिन समझ जाएगी , वैसे तेरी माँ बहुत लकी है
कामिनी-क्यूँ वो तो बस सोती रहती है दोपहर मे
सहेली- रात भर चुदाई जो होती होगी
कामिनी- तू भी ना
सहेली- यही सच है मेरी बिल्लो रानी
कामिनी-तू अपना दिमाग़ पढ़ाई पे लगा वरना रंडी खाने बैठना पड़ेगा
सहेली- तू हैना ,, साथ में रंडी खाना सुरू करेंगे
ऐसे इधर उधर की बात हो जाती थी
लेकिन इस से मज़ा बहुत आता था
सेक्स की बाते सुनते ही मैं तो गीली हो जाती थी
पता नही मेरा हज़्बेंड कैसा होगा
दमदार हुआ तो मेरे मज़े होंगे
मैं तो अपने हज़्बेंड के सपने देखने लगी
Reply
01-02-2019, 02:35 PM,
#2
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
बस ऐसे दिन कट रहे थे
कभी कभी उंगली का इस्तेमाल करती
दिन भर सहेली की बाते सुनकर रात मे अपने आप मेरा हाथ चूत पर चला जाता
मेरा भाई मेरे बगल मे ही सोने के बाद भी मैं खुद को रोक नही पाती
पर जैसे ही चूत को टच करती तो मैं गीली गीली हो जाती
डर भी लगा रहता कि कहीं मेरा छोटा भाई उठ ना जाए
वो साइड मे सो रहा होता और मैं चूत मे उंगली करती रहती
उंगली करने के बाद पानी निकलते ही मुझ मे तो ताक़त नही होती कि उठ कर बातरूम मे जाउ
और वैसे ही सो जाती
पर जब सुबह मेरी नींद खुलती तो देखती कि मैं अपने भाई से चिपक कर सो रही हूँ
मेरा भाई तो घोड़े बेच कर सोता था
ऐसे मे मुझे कभी कभी उसका लंड टच हो जाता
जब आँखे खोलती तो अच्छा भी लगता कि किसी मर्द की बाहों मे हूँ
कभी कभी तो मेरा भाई नींद मे होता है तो उसके खड़े लंड को टच भी करती थी
उसको तो पता ही नही चला
बड़ा अच्छा लगता
अब समझ मे आता कि मेरी सहेली हर दूसरे तीसरे दिन अपने बाय्फ्रेंड के साथ चुदाई क्यूँ करती है
काश मेरी भी शादी जल्दी हो
मेरी भी प्यास भुज़ाने वाला जल्दी आ जाए
मैं तो बस सपने ही देख रही थी
मेरी सील टूटने की तरस रही थी
ऐसे मे मेरा ग्रड्यूशन कंप्लीट हो गया
मेरी पढ़ाई पूरी होते ही पिताजी ने मेरी शादी करने की सोची
मैं ने तो शरमाने की जगह हाँ कर दी
मेरे अंदर आग जो लगी हुई थी
उस आग को बुझाना भी तो था
जितनी जल्दी भुजेगी उतना अच्छा था
वरना भीड़ वाली बस मे झटके खाते खाते एक दिन खुद नंगी होकेर लोगो को कहूँगी कि मारो धक्के
बड़ी मुश्किल होती है बस मे
खुल के बोल भी नही सकती कि मेरे अंदर भी आग लगी है , लड़की हूँ ना
पर माँ ने तो मेरे लिए लड़के भी देखने सुरू कर दिए
पिताजी ने ये काम माँ को ही दिया और पिताजी बिज़ी थे दोपहर के कामो मे
माँ ने कई रिश्ते निकाल लिए
पर उसमे टीचर वाला लड़का सबको पसंद आया
टीचर होने से वो भी गॉव कॉलेज मे क्या कहने
ना कोई डिमॅंड थी और ना ज़्यादा उमीदे थी
लड़का अच्छा था , सिंपल था , अकेला था ,, ना कोई शौक था
मेरी माँ को तो लड़का पसंद आ गया
गॉव जॉब जो थी
और अकेला लड़का होने से मैं राज करूँगी घर पर
तो माँ ने लड़के वाले से बात की
पिताजी को भी रिश्ता पसंद आया
पिताजी ने एक झटके मे हाँ कर दी
सब तय होने लगा
मैं तो खुश थी शादी से
अब मेरी उंगली को आराम मिलेगा
मेरी सील भी टूटेगी
मेरी सुहागरात होगी
मेरी सहेली तो मुझे डरा रही थी सुहागरात के लिए
पर मैं इसका ही इंतज़ार कर रही थी
एक अच्छा दिन देख कर मेरी शादी भी कर दी घर वालो ने
मेरी शादी हो गयी ये सपने जैसा ही था
शादी अच्छी हुई पिताजी की एकलौती बेटी जो थी
पर मेरी शादी तो ऐसे लग रही थी जैसे कोई फैशन शो हो
सभी सोसायटी की औरत ऐसे तय्यार होकर आई थी जैसे आज मेरी नही उनकी सुहागरात हो
पर मुझे क्या मैं तो अपने नये घर जाते दूल्हे का कमरे मे आने का इंतज़ार कर रही थी
मेरी दडकने बढ़ रही थी ये सोच कि कैसे होगी मेरी सुहागरात
लेकिन इस प्यार को मुझे पाना ही था चाहे कितना भी दर्द हो
Reply
01-02-2019, 02:35 PM,
#3
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
मेरी आज सुहागरात थी
मैं ने अपने हज़्बेंड के घर का इंट्रो तो दिया ही नही
मेरे हज़्बेंड का नाम रमेश है , वो एक गॉव कॉलेज मे टीचर है , सिंपल से रहते है , ना कोई
शौक है , दिखने मे अच्छे है बिल्कुल पर्फेक्ट थे मेरे लिए
रमेश को एक बड़ी बहन है और दूसरी छोटी बहन है , इनका कोई रोल नही है
तो इनके बारे मे फिर कभी बताउन्गि
रमेश के पिता की डेत कुछ साल पहले हो चुकी थी
रमेश की शादी उसके माँ ने करवाई
जब मैं ने अपनी सास को देखा तो लगा कि ये रमेश की बड़ी बहन होगी
इस उमर ने भी खुद को क्या मेनटेन करके रखा था
इनको देख कर इनकी एज का पता ही नही चलता
जो देखे बस देखता रह जाए
सर से लेकर पैरो तक खुसबसूरती की मूरत थी
इनकी फिगर ऐसी थी कि मुझे भी मात दे
और साड़ी ऐसे पहनती है कि पल्लू नीचे गिरा तो सबके लंड खड़े हो जाए
उनकी कमर ही देख रहे थे पंडितजी ,, और शादी पर तो ध्यान ही नही था पंडित जी का
मेरे पिताजी को समधन अच्छी मिल
मैं तो अपने हज़्बेंड का इंतज़ार कर रही थी
रमेश जैसे ही रूम मे आए तो मैं ने अपने पैरो को सिकोड लिया
मुझे तो पैर खोल कर एंजाय करना था पर पता नही क्यूँ मैं डर रही थी
रमेश आराम से मेरे पास आकर बैठ गये
मेरा घूँघट उठा कर बाते करने लगे
रमेश-कामिनी,तुम्हे पता है आज हमारी सुहागरात है
कामिनी-हाँ,
रमेश-तुम्हे जब से देखा तब से मेरा हाल बुरा है. मैं इस दिन तक कैसे रुका बता नही सकता हूँ.
कामिनी-मैं भी, इसी लिए तो जल्दी शादी करवाने को कहा है पिताजी को
रमेश-तुम समझ नही रही हो
कामिनी-तुम को उस्दिन समझ गयी थी जिस दिन हम मिले थे ,तुम से ज़्यादा मुझे कंट्रोल नही हो रहा.
रमेश-मैं ने तुम्हारे सिवा किसी की तरफ नही देखा , तुम बस मेरा साथ देना
कामिनी-तुम्हे ना करने की ग़लती मैं नही कर सकती ,
मेरे इतना कहते ही रमेश ने मुझे गले लगा लिया.
रमेश-आइ लव यू कामिनी
कामिनी-आइ लव यू टू
और हमारी सुहागरात सुरू हो गयी.
शुरुआत वहीं से हुई जहाँ से सब करते है
रमेश ने मेरे होंठो से अपने होंठ मिला दिए.
उनका किस करना मुझे इतना अच्छा लगता था कि लगता है वो दिन रात मुझे किस करते रहे.
वो किस करने के साथ मुझे पूरी दुनिया घुमा लाते थे.
उनका किस करना मेरे बदन को अपने इशारो पे नचाने लगता .
1 महीने पहले तक मैं अपने प्यार के इंतज़ार मे भटकती रहती थी और आज इतनी जल्दी मुझे अपना प्यार मिल
गया .उसका प्यार इतना स्ट्रॉंग था कि प्यार को शादी का नाम जल्दी मिल गया.
शादी का नाम भी मिला पर हमारा प्यार रुकने का नाम नही ले रहा था.
शादी तक हम कैसे रुके ये हमे ही पता था .और आज हम पूरी तरह से एक होने जा रहे थे.
रमेश के साथ आज मेरा मिलन होने जा रहा था .
वो मेरे होंठो को चूसने लगे.जब भी उनको किस करती तो ऐसा लगता कि कुछ नया सुकून मिल रहा हो
वो मेरे होंठो का रस पीने लगे और मैं भी उनको अपना रस पिला कर उनके होंठो को चूसने लगी.
मेरी एज ही क्या थी, फुलो की पंखुड़ियों जैसे मेरे होंठ थे. मेरे होंठ उनको इतने नरम लगते थे कि उनका
किस ख़तम ही नही होता .
रमेश आज सिर्फ़ होंठो को चूस कर रुकने वालो मे से नही थे. वो होंठो को चूस ने साथ ही मेरी जीभ के
साथ खेलने लगे.
मैं उनकी किस के साथ गरम हो रही थी.वो किस करते हुए मेरी जीभ के साथ मे मेरे दूध को
दबाने भी लग रहे थे.
मेरे दूध को पहली बार मेरे अलावा किसी और ने टच किया था. टच क्या दबा रहे थे .
मेरे दूध छोटे थे मैं ने कभी उन पे ध्यान नही दिया पर मुझे पता था कि रमेश इनको दबा दबा कर
बड़े कर देंगे .
मैं उनका पूरा साथ दे रही थी. मेरा सब कुछ उनका था , और वो मुझे ऐसा प्यार कर रहे थे कि मैं ने
उनको रोकने की कोशिस नही की
होंठो को चूसने के साथ वो कपड़ो के उपर से मेरे दूध को दबा रहे थे.
मेरे छोटे संतरो को बड़े रसदार बना ने का काम उनको करना था. वो अपना काम दिल लगा कर कर रहे
थे. मुझे तो लग रहा था क़ि वो आज मेरा पूरा रस निकाल देंगे.
वो मुझे10 मिनिट तक किस करते रहे.और उस 10 मिनिट मे मैं ने खुद को हवा मे उड़ता हुआ पाया था.
वो किस करके और जोश मे आ गये ,मैं तो किस को अभी तक फील कर रही थी.मेरी आँखे बंद थी और इस बीच
रमेश ने मेरी साड़ी और ब्लाउस निकाल दिया .
ब्लाउस निकालने के बाद भी मैं ने आँखे नही खोली.
वो कुछ देर मेरे दूध को जो ब्रा मे छुपे हुए थे उनको देखने लगे .
फिर मेरे पेटीकोत का नाडा एक झटके मे खोल दिया साथ मे मेरी आँखे भी खुल गयी.
मैं पहली बार बिना ब्लाउज के किसी के सामने थी. मैं ने शरम के मारे अपनी ब्रा को अपने हाथो से
छुपा दिया.
दूध छुप गये तो क्या हुआ वो मेरे पेटिकोट को निकालना चाहते थे. मैं वैसी बैठी रही जिस से पेटिकोट
नही निकली.
रमेश ने मुझे फिर किस करना सुरू किया .किस करते कब मेरी गंद उपर हुई और कब पेटिकोट निकल गया
पता नही चला.
अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे उनके सामने बैठी थी.
मुझे अपने नंगेपन का अहसास होते ही अपने बालो से दूध को ,ब्रा को छुपा दिया. और अपने पैरो को मोड़
कर चूत को ,पैंटी को छुपाने लगी
रमेश-कामिनी जो मेरा है वो मुझे लेने दो,
उनकी बात सुनते ही मैं रमेश के गले लग गयी और खुद को छुपाने लगी.
मेरे गले लगने से रमेश मेरे पीठ पर हाथ घुमाने लगे.
और वैसे मुझे गले लगा कर बेड पर लिटा दिया और मेरे बदन पर किस करना सुरू किया.
रमेश ने गालों पे किस करते हुए पूरे चेहरे पे किस करना सुरू किया.
और आख़िर मे मेरे होंठो पे किस करने लगे.और मेरे होंठो को पीर से चूस ना सुरू किया .ताकि मैं उनका
पूरा साथ दूं
कभी मेरे होंठो पे तो कभी गालो पर किस करते गये .मेरे पूरे चेहरे पे किस करने से मैं पागल हो
रही थी .
जिस से मुझे बर्दास्त नही हो रहा था.
रमेश वैसे किस करते हुए मेरे दूध के पास पहुँच गये और मेरी ब्रा निकाल दी.
मेरे दूध को जी भरके देखने लगे.उनको मुझ से जो उम्मीद थी वो सही साबित हुई.
मेरे दूध को देखते ही उनके मूह मे पानी आ गया.और रमेश निपल पे अपनी गीली जीभ घुमाने लगे. जीभ
घुमा कर मेरे निपल को चूसने के लिए तय्यार किए.
और बिना देर किए मेरे दूध पर टूट पड़े और मेरे संतरो को चूस ने लगे .
वो एक साथ दोनो दूध के साथ खेलने लगे.
एक दूध को चूस रहे थे और दूसरे को हाथ से दबा रहे थे.
उनके ऐसा करने से मेरे भी अपने हाथ उनके बालो मे घुमा कर उनको अपना काम करने मे सपोर्ट कर
रहे थे.
उनको मेरे दूध इतने पसंद आए कि वो दोनो दूध को पागलो की तरह चूसने लगे.
साथ मे बीच बीच मे निपल को काट भी रहे थे .जिस से मुझे मीठा सा दर्द होने लगा.
थोड़ी देर मेरे संतरो को चूसने के बाद रमेश दोनो दूध को अपने हाथों से मसल ने लगे. थोड़ी देर
वो ऐसे ही करते रहे जिस से मेरे मूह से शीष्कारी निकलने लगी. मेरे दूध को दबा कर लाल कर दिया.
फिर वो नीचे चले गये.
और एक झटके मे मेरी पैंटी को पकड़ कर निकाल दिया.
पैंटी नीचे जाते ही मैं पूरी नंगी हो गयी,जिस से मैं ने अपने हाथों से चूत को छुपा दिया.
मेरे ऐसा करने से रमेश ने मेरे हाथो पे थप्पड़ मार कर हाथो को चूत के उपर से अलग कर दिया.
रमेश मेरी कुवारि चूत को देखने लगे. मेरी चूत गुलाबी थी और मैं ने शादी के लिए अभी से चूत को
चिकना कर दिया था.
चूत पर बाल ना होने से रमेश को मेरी चूत देखने मे मज़ा आ रहा था. वो मेरी चिकनी चूत
पसंद आ गयी.
मेरी चूत देख कर उनके मूह मे पानी आ गया.और वो मेरी चूत पे टूट पड़े
रमेश ने धीरे से अपना मूह मेरे चूत के पास लाया और ज़ोर से फूँक मार दी.और चूत को फूँक मारने
वो हँसने लगी. चूत को हँसता हुआ देख कर रमेश खुश हो गये
रमेश ने मेरी गुलाबी चूत पर किस करना सुरू किया.
चूत पर वो रमेश का किस मैं आज भी महसूस करती हूँ तो. ऐसा लगता है वो अभी भी मेरी चूत पे किस कर
रहे हो.
फिर रमेश ने अपने हाथों से मेरी चूत के होंठो को खोल कर चूत को देखना सुरू किया.
और अपनी जीभ से मेरी चूत को चाट कर साफ किया और फिर मेरी चूत के अंदर जीभ डाल कर चूस ने के साथ
जीभ से मेरी चूत को चोदने लगे.
जब उनकी जीभ अंदर गयी तो कैसा लगा क्या बताऊ ,ऐसी खुशी मिल रही थी कि मैं बता नही सकती.
मैं अपने मस्ती मे शीष्कारी ले रही थी.
और रमेश मेरी चूत को ज़ोर ज़ोर से चूस रहे थे.
उनके चूसने से मैं इतनी मस्ती मे आ गयी,कि अपनी चूत को उपर करके रमेश के मूह पर दबाने लगी.
मेरे ऐसा करते ही रमेश खुश हो गया और मेरी चूत मे अपनी जीभ घुसा दी मेरी चूत अंदर से काफ़ी गीली थी
जिस से जीभ फिसल कर अंदर गयी.
रमेश जीभ से मेरी चुदाई कर ने लगे .मेरी पहली चुदाई रमेश की जीभ ने की और उसके फल मे मेरा
कुवरा पानी मिल गया.
रमेश ने मेरा कुँवारा पानी पी लिया .पहली और आख़िरी बार मेरा कुँवारा पानी रमेश ने पिया था
फिर रमेश ने अपने कपड़े निकाल दिए.और मेरे हाथ मे अपने लंड को पकड़ा दिया.
उनका लंड उस दिन काफ़ी गरम था .मेरा पहला लंड ,मेरे हाथ मे था.मैं लंड को हाथों मे पकड़ कर
अच्छे से देखने लगी .
मेरी ज़िंदगी का पहला लंड था इस लिए मैं उसको देखती रह गयी. मैं ने सुना था लंड चूसा भी जाता है.
पर पहली बार होने की वजह से रमेश ने मुझे चूसने को बोला नही.
Reply
01-02-2019, 02:36 PM,
#4
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
रमेश ने थोड़ी देर लंड को मेरे हाथ मे रखने दिया फिर चूत मे रखने के लिए मेरे हाथ से छिन लिया.
रमेश ने अपने लंड पर थूक लगा कर चिकना किया और लंड को मेरी चूत के छेद पे रख दिया.
लंड चूत पे टच होते ही मेरा बदन मेरा साथ खोता चला गया.
थोड़ी देर रमेश ने लंड को चूत को किस करने दिया. थोड़ी देर चूत को लंड से रगड़ ते रहे .
फिर लंड को मेरी चूत की लाइन पे रगड़ ना शुरू किया .
रमेश ने लंड को मेरी चूत के छेद पे दबा दिया और हल्का सा धक्का दिया लंड का आधा टोपा मेरे
अंदर गया
मैं पूरे लंड को अंदर लेने का इंतज़ार कर रही थी.
रमेश भी कुछ सोच रहे थे
रमेश ने अपने लंड पर इतना ज़ोर लगाया कि जिस से टोपा मेरी चूत मे चला जाए. टोपा चूत मे जाते ही मेरे
मूह से चीख निकल गयी.
चूत के होंठ रमेश के लंड के टोपे से खुल गये और मुझे हल्का सा दर्द हुआ.
अभी तो सिर्फ़ टोपा अंदर गया था .पूरा लंड चूत मे जाने से तो मैं मर जाउन्गी. फिर भी मैं लंड को चूत
मे लेने को तैयार थी.
रमेश धक्का मारने की जगह अपने होंठो को मेरे होंठो पे रख कर चूस ने लगे.
मुझे पता नही था कि रमेश ऐसा क्यूँ कर रहे है .पर जल्दी पता चल गया.
उनके ऐसा करने से मेरी चीख नही निकलेगी और मुझे इस से ज़्यादा दर्द भी नही होगा
थोड़ी देर रमेश ने मेरे होंठो को चूसने के बाद जब उनका लगा कि मैं धक्का लेने को तैयार हूँ तो
रमेश ने एक बोहत जोरदार धक्का मारा जिस से आधा लंड चूत मे घुस गया.
लंड अंदर जाते ही मुझे बहुत दर्द हुआ ,पर रमेश ने मेरे होंठो को छोड़ा नही और चूस्ते गये.
रमेश का लंड जब अंदर घुसा तब मुझे अपनी चूत मे कुछ गीला सा महसूस हुआ.
रमेश ने मेरी सील तोड़ दी. मेरी सील टूट गयी है.मैं औरत बन गयी.
मैं आज से रमेश की हो गयी. मेरी चूत ने रमेश के लंड को अपना लिया
रमेश ने मेरा काफ़ी खून निकाला .लंड के उपर से होते हुए चूत का खून बाहर आने लगा. .चूत से
खून निकल ने लगा.
मैं दर्द से तड़फ़ रही थी और रमेश मेरा दर्द कम करते गये.
रमेश ने लंड बाहर निकाला तो मैं ने देखा कि उनके लंड पे काफ़ी खून लगा हुआ था.और मेरी चूत पर
भी खून लगा हुआ था.
मेरी आँखो से पानी निकल रहा था .
रमेश मुझे समझा रहे थे कि जितना दर्द होना था वो हो गया. अब तुम्हे सिर्फ़ मज़ा ही मज़ा मिलेगा.
बस थोड़ी देर दर्द होगा.
रमेश की बात मैं ना मानु ऐसा हो नही सकता .
रमेश मेरा दर्द कम करने लगे.मैं उनके प्यार मे जल्दी अपना दर्द भूल गयी.
मुझे ठीक देख कर रमेश ने अपने लंड को वापस चूत मे डाला .
इस बार रमेश ने धीरे से डाला और अपने लंड से ही मेरी चुदाई करनी शुरू की.
रमेश बड़े प्यार से मेरी चूत मे धक्के मार रहे थे.
उनका प्यार देख कर मैं जल्दी उनका साथ देने लगी.
रमेश धीरे धीरे धक्के मार कर मेरा बचा हुआ दर्द जो हो रहा था उसे कम करने लगे.
मेरी पहली चुदाई मे मुझे सबकुछ मिल गया.
रमेश का प्यार मेरे दर्द को मलम लगा रहा था.
जैसे जैसे चुदाई आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे मेरा पूरा दर्द कम हो गया.
और रमेश के साथ मुझे मज़ा ना आए ऐरा हो ही नही सकता .
उनके धक्को से मुझे मज़ा मिल रहा था.
रमेश के धक्को के साथ मैं अपनी गंद हिला कर उनका जोश बढ़ा रही थी.
रमेश के धक्को से मैं ने जलदी ही शीष्कारिया लेना शुरू किया.
मैं शीष्कारिया ले रही थी. और रमेश धक्के मार रहे थे.
मेरी चूत पानी छोड़ रही थी. और रमेश का लंड मेरा पानी पीता गया.
वो एक ही पोज़िशन मे मेरी चुदाई कर रहे थे और यही मेरे लिए अच्छा था.
मैं अगर हिली तो मुझे दर्द होगा.
रमेश ने धीरे धीरे अपनी गति बढ़ा दी क्यूँ कि मेरा पानी निकल गया था.
रमेश का लंड फुल स्पीड से अंदर बाहर हो रहा था.
रमेश बीच बीच मे लंड बाहर निकाल कर एक ही झटके मे पूरा लंड अंदर डालने लगे.
रमेश के ऐसा करने से लंड अंदर जाते ही मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया.
लंड का क्या मज़ा होता है वो रमेश का लंड मुझे बता रहा था.
धक्के पे धक्के लग रहे थे मेरे मूह से आवाज़ पे आवाज़ निकल रही थी.
जब भी मेरा पानी निकलने वाला होता तो मैं ज़ोर से धक्के मारने को कहती .
और रमेश भी ज़ोर दार धक्के मारने लग जाते..
इसी तरह कभी धीरे,कभी लंबे तो कभी ज़ोर दार धक्के मार कर मेरी पहली चुदाई हो रही थी.
रमेश ने मेरा 3 बार पानी निकाला .और अपना वीर्य मेरी चूत मे डाल दिया.
मेरी चूत ने रमेश का वीर्य खुशी खुशी स्वीकार किया.
रमेश अपना वीर्य मेरी चूत मे डाल कर मेरे उपर गिर गये.
______________________________
Reply
01-02-2019, 02:36 PM,
#5
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 5
रमेश ने मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया
और हम दोनो एक दूसरे से चिपक कर खुद को नॉर्मल होने लगे
रमेश-कामिनी
कामिनी-ह्म
रमेश-तुम्हारी चूत ने मुझे दीवाना बना दिया
कामिनी-आपके भी लंड का जवाब नही
रमेश-अभी भी सोच लो
कामिनी-किस बारे मे
रमेश-मुझसे शादी की है अब तो हर रात ऐसी ही होगी
कामिनी-उसमे क्या सोचना है
रमेश-फिर तो तुम्हारी चूत को रोज रुलाउन्गा.
कामिनी-मेरी चूत रोने को तैयार है
रमेश-मुझे ऐसी चूत चाहिए थी, अब देखो मैं तुम्हे कितना प्यार देता हूँ.
कामिनी-देखना पड़ेगा ,अब उठो दर्द हो रहा है
रमेश-अभी से दूर करना चाहती हो
कामिनी-मैं तो आपके लिए हमेशा के लिए ऐसे रहने को तैयार हूँ .पर सुबह उठना भी है वरना तुम्हारी
बहनें क्या कहेंगी
रमेश-यही कि उसके भाभी को उनके भैया बहुत प्यार करते है.
कामिनी-प्यार दिखाने की ज़रूरत नही है
रमेश-थोड़ी देर ऐसे रहने दो ना.
कामिनी-क्यूँ?
रमेश-तुम्हारे साथ बिना कपड़ो के सोने से अच्छा लग रहा है.
कामिनी-जैसा आप कहे
रमेश-पक्का ना, फिर मना मत करना
कामिनी-आप को मना कर ही नही सकती.
रमेश-फिर तो हर रात सुहागरात करेंगे .अब बताओ पहली सुहागरात कैसी लगी
कामिनी-क्या बताऊ, ऐसा लगता है हर रोज ऐसी सुहागरात हो
रमेश-इसी बात पे एक किस हो जाए
और रमेश ने मुझे किस किया .
किस करने के बाद रमेश मेरे उपर से अलग हो कर बाजू मे लेट गया.
मैं ने अपनी चूत पर हाथ लगा कर देखा.
मेरे हाथ पे अपनी चूत का पानी, रमेश का वीर्य और खून लगा हुआ था.
मैं धीरे से खड़ी हो गयी .तो चूत पे दर्द होने लगा.
मैं लंगड़ा कर बाथरूम की तरफ जा रही थी कि रमेश मेरे पास आ गया.
और मुझे उठा कर बाथरूम मे ले गये.
उनका प्यार देख कर मैं सारा दर्द भूल गयी.
फिर क्या था हर रात सुहाग रात चलती रही
मैं तो रमेश का साथ पाकर खुश थी
मेरे तो सारे सपने पूरे हो गये
रमेश का प्यार हर रात को मिलता
सारी आग बुझ जाती
रमेश का प्यार बहुत मिला जिसका नतीज़ा ये हुआ कि मैं प्रेगनेंट हो गयी
ये न्यूज़ सुनकर तो रमेश बहुत खुश हुए
मेरी सास तो सबसे ज़्यादा खुश थी
वो दादी बनने वाली थी
Reply
01-02-2019, 02:36 PM,
#6
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 6
शादी के 6 महीने बाद मैं ने सबको खुश खबरी सुनाई
मैं प्रेगेनॅट थी
रमेश मेरी ननद और मेरी सास तो बहुत ज़्यादा खुश थे
मेरी सास ने तो सबको ये बात बताई
मेरे पड़ोसी मेरी सास को कहते थे कि वो किसी भी आंगल से दादी नही दिखती
मेरे माँ बनने की बात सुनते ही माँ और पिताजी मुझसे मिलने आ गये
मेरे शादी के बाद पहली बार पिताजी मेरे ससुराल मे आए थे
वरना हमेशा माँ ही आती थी मिलने
पता नही पिताजी मना क्यूँ करते थे
पर अब वो नाना बनने वाले थे तो उनको आना ही पड़ा मेरे ससुराल मे
मेरी शादी के समय पिताजी शादी की तैयारी मे इतने खोए थे कि ठीक से किसी से बात भी नही हुई उनकी
समधी तो थे नही ऐसे मे रमेश के मामा से ही बात हुई
रमेश की तरफ से रमेश के मामा और मामी ही सब देख रहे थे
ऐसे मे पिताजी की मेरी सास से कभी बात ही नही हुई
पर आज पिताजी मुझसे मिलने आ गये
माँ तो मुझे देखते ही मेरे गले लग गयी
मेरे पिताजी वो भी खुश थे
लेकिन जैसे ही मेरी सास उनके कमरे से बाहर आई तो पिताजी बस उनको ही देखते ही रह गये
शादी मे कभी ठीक से देख भी नही पाए
पर अब पिताजी तो जैसे मेरी सास को ही देखे जा रहे थे
मेरी सास तो मेरी माँ से बात कर रही थी
पर मेरे पिताजी ने मेरे घर आने के बाद मुझसे बात भी नही की वो तो मेरी सास के सामने वाली चेयर पर
जाकर बैठ गये ताकि मेरी सास को देख सकें
मेरी सास तो मेरी माँ से बाते करने मे खोई हुई थी जिस से उनका ध्यान मेरे पिताजी पर नही गया
पर थोड़ी देर बाद माँ फ्रेश होने के लिए चली गयी
मैं तो किचन मे चाइ बना रही थी
पर मेरा ध्यान पिताजी की तरफ ही था
मेरी माँ के बातरूम मे जाते ही मेरी सास का ध्यान मेरे पिताजी पर गया
पर उनसे बात कैसे करे समझ नही आ रहा था
पिताजी- नमस्ते
समधन-जी , आपने कुछ कहा
पिताजी- नमस्ते ,
समधन-नमस्ते
पिताजी- आप तो अपनी समधन मे खोई हुई थी
समधन-हाँ वो इतने दिनो बाद मिली तो बहू के बारे मे बता रही थी
पिताजी- क्यूँ क्या हुआ , मेरी बेटी ने कुछ गुस्ताख़ी की हो तो बताइए , अगर आपको परेशन किया हो तो उससे मैं
बात करता हूँ
समधन-जी नही ऐसी कोई बात नही ,बहू तो मेरा पूरा ध्यान रखती है
पिताजी- अगर कुछ बात हो तो आप मुझे बता सकती है , उसको तो आपकी सेवा करनी चाहिए ,
समधन-जी ऐसी कोई बात नही है
पिताजी- वैसे आप को देख कर लगता है मेरी बेटी ने घर को अच्छे से संभाला है
समधन-हाँ अब तो बहू घर का काम करती है मुझे तो आराम मिलता है
पिताजी- ये क्या बोल रही है आप , आराम हराम होता है , अगर आप आराम करेगी तो आपके सुंदर बदन पर
चर्बी दिखने लगेगी
समधन-क्या?
पिताजी- मेरा मतलब है कि आराम करते रहने से बीमारी लग जाती है
समधन-ऐसा कुछ नही होगा , मैं रोज सुबह योगा करती हूँ
पिताजी- ये तो अच्छी बात है ,मैं भी सुबह कसरत करता हूँ
समधन-हाँ बताया था बहू ने कि आप खुद को फिट रखते है
पिताजी- फिट रहना पड़ता है वैसे आपने भी खुद को अच्छे से मेनटेन किया है ,
समधन-जी शुक्रिया
पिताजी- वैसे एक बात कहूँ तो बुरा नही लगेगा आपको
समधन-कहिए
पिताजी- आप इस एज मे भी जवान लड़की से ज़्यादा खूबसूरत लगती है
इस बात से मेरी सास शॉक्ड हो गयी
और शरमाने लगी
औरतें तो तारीफ की भूकी होती है
पिताजी- आप तो शर्मा गयी
समधन-आप भी ना , मैं अब दादी बनने वाली हूँ
पिताजी- मैं तो आपको माँ बनाने का सोच रहा हूँ
ये बात पिताजी ने धीरे से कही
समधन-कुछ कहा आपने
पिताजी- एक बार आप खुद को मिरर मे देखना तो पता चलेगा आपको
समधन-आप भी ना , बस भी कीजिए , बच्चे सुन लेंगे तो क्या कहेंगे
पिताजी- यही कहेंगे कि भगवान की बनाई हुई खूबसूरत मूरत की तारीफ कर रहा हूँ
समधन-ऐसा कुछ नही है , और लगता है आपको आदत है औरतों की तारीफ करने की
पिताजी- हमारी किस्मत इतनी अच्छी कहाँ है , मेरी बीवी की तारीफ करूँगा तो आपकी बेइज़्ज़ती हो जाएगी , सालो हो गये
किसी की तारीफ किए
समधन-तभी आज रुक नही रहे हो
पिताजी- शुरू तो करने दो आप खुद कहेंगी रूको मत
धीरे से कहा
समधन-कुछ कहा आपने
पिताजी- आपकी तारीफ तो दिल से निकली है
समधन-बड़े आशिक़ मज़ाक के लगते हो आप
पिताजी- आपको बुरा लगता होगा तो सॉरी बोल देता हूँ , पर क्या करूँ पहली बार किसी से ऐसे बात कर रहा हूँ ,
वरना आर्मी वालो का तो पता ही है लेफ्ट राइट करते रहना पड़ता है
समधन-समझ सकती हूँ , उसी लिए कुछ कहा नही
पिताजी- ऐसे तो हमारी अच्छी जमेगी
समधन-क्या ?
पिताजी- मेरी बीवी को इस तारा बात करना पसंद नही , पर अब आप मिल गयी है तो अपनी ये इच्छा पूरी कर लूँगा
समधन-क्यूँ नही ,मैं भी बोर हो जाती हूँ बैठ बैठ तो कुछ दिन आपका साथ मिल जाएगा
पिताजी- कुछ दिन क्या पूरी ज़िंदगी आपके साथ बिता दूं
समधन-क्या कहा
मैं ने आकर बीच मे उनको रोक लिया
कामिनी- पिताजी नाश्ता ,
समधन-लीजिए नाश्ता कर लीजिए
पिताजी- आप नही लेंगी
समधन-मैं ज़्यादा आयिली नही खाती
पिताजी- देखो कामिनी कुछ सीखो अपनी सास से ,
पिताजी अपनी सास की तारीफ करने का कोई मोका नही छोड़ रहे थे
समधन-वो भी सीख जाएगी , अभी तो वो माँ बन रही है
पिताजी- पर आप ने तो तीन बच्चो के बाद भी अपना कितना ख़याल रखा , वो भी आप अकेली थी फिर भी
समधन-जी हालात सिखा देते है
पिताजी- पर आपने अकेली ने बच्चों को पढ़ाया लिखाया ये क़ाबिले तारीफ है
समधन-मुश्किले बहुत आई पर मैं डरती नही मुश्किलो से
पिताजी- ये हुई ना बात , ये आर्मी वाली बात कही
समधन-जी शुक्रिया
ऐसे इधर उधर की बाते हुई
पहले दिन ही पिताजी ने मेरी सास की इतनी तारीफ की जैसे आज ही उनको जीत लेना चाहते हो
______________________________
Reply
01-02-2019, 02:36 PM,
#7
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 7
इस तरह पिताजी और मेरी सास की कहानी शुरू हो गयी
पिताजी तो कोई चान्स नही छोड़ते थे मेरी सास से बात करने का
जब भी मेरी सास अकेली मिलती तो उनकी मीठी मीठी बाते शुरू हो जाती
पर मेरी माँ के सामने बिल्कुल चुप रहते
रात के खाने पर भी पिताजी ने तारीफ के फूल बाँध दिए
जो सब्जी मेरी सास ने बनाई उसकी तारीफ सबसे ज़्यादा हो रही थी
और पिताजी ने बस उसी सब्जी पे हाथ सॉफ किया
मेरे हॅज़्बेंड भी अपने सास ससुर को देख कर खुश लगे
पर उनके कॉलेज मे एग्ज़ॅम चलने से वो थोड़े बिज़ी थे
पिताजी और माँ तो गेस्ट रूम मे सो गये
फिर नेक्स्ट दिन
मैं तो दिन भर काम करने से सोती रही
पर मेरी सास जिनको सुबह सुबह योगा करने की आदत थी तो वो जल्दी उठ कर योगा करने को तैयार हुई
वही मेरे पिताजी को भी सुबह कसरत करना था पर यहाँ मेरे ससुराल मे
एक दिन से ऐसी क्या नुकसान होगा
पर उनको तो मेरी सास को योगा करते हुए देखना था
तो पिताजी भी उठ कर कसरत करने को छत पर चले गये
हम सब तो सोते रहे लेकिन पिताजी इसका पूरा फ़ायदा उठा रहे थे
मेरी सास तो पहले से योगा कर रही थी
जब से रमेश कमाई करने लगा था तो मेरी सास खुद का ध्यान रखती अच्छे से रहती आराम करती लाइफ को अपने
तरह से जी रही थी
मेरी सास तो सलवार कमीज़ पहन कर योगा कर रही थी
जैसे पिताजी छत पर आए तो उनकी आँखो मे चमक आ गयी
मेरी सास को इस तरह नये आसान मे देख कर जैसे पटाखे फूटने लगे
मेरी सास सुर्य नमस्कार कर रही थी जहाँ वो झुक कर अपने पैरो को छु रही थी
इस पोज़ीशन मे मेरी सास के कमीज़ उपर हो गयी तो उनकी गंद का शेप अच्छे से पिताजी को दिख रहा था
पिताजी को इतने अच्छे नज़ारे की उम्मीद नही थी
पर आज की सुबह तो बन गयी
पिताजी वैसे ही मेरी सास को देखने लगे
जब मेरी सास को लगा कि कोई उनके पीछे है तो वो पलट गयी
पिताजी को देख कर नॉर्मल हो गयी
समधन-आप
पिताजी- आप अपना योगा करते रहिए ,
समधन-पर आप यहाँ , इतनी सुबह
पिताजी- आपको बताया था ना ,कि मैं कसरत करता हूँ सुबह उठ कर ,
समधन-सॉरी भूल गयी थी
पिताजी- आज भी मेरी नींद जल्दी खुल गयी तो सोचा ताज़ी हवा का आनद लिया जाए इस लिए छत पर आया तो आप
मिल गयी
समधन-हाँ वो मैं भी ताज़ी हवा मे योगा कर रही थी , आप भी अपनी कसरत कीजिए
पिताजी- यहाँ कहाँ , यहाँ कुछ समान नही है
समधन-तो फिर
पिताजी- आप अपना योगा लीजिए ,, मैं बस टहल लूँगा
समधन-मैं आपके सामने ,,
पिताजी- कोई बात नही , हम तो एक फॅमिली हैना
समधन-पर
पिताजी- चलो आपकी मुश्किल आसान करता हूँ , आप सूर्य नमस्कार कर रही थी ना
समधन-हां
पिताजी- तो मैं भी वही करता हूँ , आपको कंपनी मिल जाएगी , और कोई परेशानी नही होगी
समधन-ठीक है
और मेरी सास ने पिताजी के लिए जगा बना दी
पिताजी ने अपनी शर्ट निकाल दिया और बनियान मे आ गये
इस से तो मेरी सास थोड़ी शरमाने लगी
पर उननो देखा कि पिताजी नॉर्मल थे तो वो भी योगा करने लगे
दोनो साथ साथ योगा करने लगे
पर पिताजी को तो बस मेरी सास को देखना था
मेरी सास के बदन को अपने आँखो मे बंद करना था
लेकिन वो योगा करते हुए भी मेरी सास को ही देख रहे थे
फिर अचानक मेरी सास की कमीज़ उनके गान्ड मे फस गयी
ये देख कर तो पिताजी का लंड खड़ा हो गया
उन्होने अपनी योगा करना बंद कर दिया
और जब मेरी सास नयी पोज़ीशन मे आई जहाँ उनका एक पैर मुड़ा हुआ था और मेरी सास उपर देख रही थी
उस वक्त पिताजी से कंट्रोल नही हुआ और उन्होने मेरे सास के बदन को टच कर दिया
इस से तो मेरी सास शॉक्ड हो गयी और उतने वाली थी कि पिताजी ने उनको रोक दिया
पिताजी समझ गये थे कि उनसे ग़लती हो गयी
पर पिताजी तो उस खेल मे मास्टर थे
उन्होने बात संभाल ली
पिताजी- आप ग़लत कर रही है
समधन-क्या
पिताजी- आपकी कमर को और मुड़ना चाहिए
समधन-मैं जवान नही हूँ जो इतनी झुक जाउ
पिताजी- पर आप कर सकती है , इस से आपके पीट का दर्द ख़तम हो जाएगा
समधन-मुझसे इस से ज़्यादा नही होता
पिताजी- आप वैसे ही रहिए मैं आपकी मदद करता ही
मेरी सास कुछ कर पाती उस से पहले पिताजी ने उनकी कमर अपने हाथो से पकड़ ली
मेरी सास की पतली कमर पकड़ते ही पिताजी तो जैसे खो ही गये
उनके हाथ तो फिसला कर नीचे जाना चाहता था पर पिताजी ने कंट्रोल किया
और मेरे सास को पीछे की तरफ झुकने मे मदद की
मेरी सास को इस से आराम मिला
और जब आसान पूरा हुआ तो मेरी सास को हल्का हल्का लगने लगा
समधन-अब अच्छा लग रहा है
पिताजी- देखा , अब आपको पीठ मे दर्द नही होगा
समधन-बड़ा अच्छा लग रहा है
पिताजी- आप ना सब आसन अच्छे से नही कर रही है जिस से आपको अच्छे रिज़ल्ट जल्दी नही मिल रहे है
समधन-क्या मतलब
पिताजी- देखा कैसे मैं ने आपको एक मिनिट मे अच्छा रिज़ल्ट दिलाया
समधन-पर मुझसे जितना होता है उतना करती हूँ
पिताजी- मैं आपको बताता हूँ ,, अगर आप चाहे तो
समधन-आपको बहुत कुछ पता है , मुझे बताइए ताकि आगे जाकर मैं अकेली योगा कर सकूँ
पिताजी- ठीक है , आपके बाकी के आसान तो ठीक है पर जब आप झुकती है तब अच्छे से नही करती
समधन-ठीक ही तो करती हूँ , मेरे हाथ पैरो को टच हो जाते है
पिताजी- उतना ही नही होता इस आसान मे , देखिए मैं दिखाता हूँ
और पिताजी ने आगे झुक कर हाथो से पैरो को पकड़ लिया
फिर पिताजी ने अपने सर को घुटनों से चिपका दिया
ये देख कर मेरी सास देखती रह गयी
इस एज मे भी मेरे पिताजी सारे आसन कितने अच्छे से करते है
पिताजी- देखा , इस आसन मे सर को घुटनों से लगाना पड़ता है
समधन-मुझसे नही होगा
पिताजी- धीरे धीरे करना पड़ता है
समधन-ट्राइ करती हूँ
पिताजी- आप कीजिए मैं मदद करूँगा
और मेरी सास ने आसन ले लिया हाथो से पैरो को पकड़ कर झुक गयी
पर सर घुटनों तक जा नही रहा था
पिताजी ने मेरी सास के सर को थोड़ा दबाया
और वैसे ही मेरे सास के सर को दबा कर छोड़ देते
इस से मेरी सास को अच्छा लगने लगा
फिर मेरे पिताजी मेरी सास के पीछे आ गये
तभी मैं मेरी सास के लिए दूध लेकर उपर आ गयी थी पर सीडियो पर ही रुक कर देखने लगी
पिताजी मेरी सास के पीछे आ गये
और मेरी सास की गंद को देखने लगे
मैं पिताजी को मेरी सास की गंद को घूरते हुए देखने लगी
पिताजी का तो हाथ अपने लंड पर था
मेरी सास अभी भी उसी आसन मे थी
तभी मेरे पिताजी ने कुछ सोचा
पिताजी- अब खड़ी होकर फिर से ट्राइ करना इस बार सर को पहले घुटने को लगाने का ट्राइ करना
समधन-जी
और मेरी सास जब झुकने को तैयार हुई तो मेरे पिताजी एक स्टेप आगे आ गये
जैसे मेरी सास झुक गयी तो पीछे से पिताजी को चिपक गयी
पिताजी का खड़ा लंड रगड़ते हुए मेरी सास की गंद मे फस गया
इस से तो मेरी सास शॉक्ड हो गयी
उनको इस बात की उम्मीद नही थी
वो उठने वाली थी कि पिताजी ने पीछे से उनके सर को दबाए रखा
पिताजी- वैसे ही रहिए
समधन-एक मिनिट ,, मुझे प्राब्लम हो रही है
पिताजी- देखिए बस हो गया
और पिताजी भी मेरी सास के उपर झुक गये
ऐसा करते ही उनका लंड तो अच्छे से मेरी सास की गंद पर रगड़ने लगा
मेरी सास को पिताजी का लंड फील हो रहा था
उनको कुछ समझ नही आ रहा था
पिताजी मेरी सास के उपर झुके हुए थे
पर पिताजी मेरी सास की गंद को फील कर रहे थे
अपने लंड की ताक़त दिखा रहे थे
पर इतनी जल्दबाज़ी अच्छी नही थी
तो पिताजी ने उनको छोड़ दिया
पर मेरी सास सोक्ड थी
उनको समझ मे नही आया कि ये जान बुझ कर हुआ कि अंजाने मे
जब वो खड़ी हुई तो पिताजी से अबखे नही मिला रही थी
पर पिताजी नॉर्मल होकर बात कर रहे थे
पिताजी- देखा , आप तो जल्दी सीख गयी
समधन-ह्म्म्म्मम
पिताजी- क्यूँ क्या हुआ ,
समधन-कुछ नही
पिताजी- अब बताइए कैसा लग रहा है
समधन-अच्छााअ
पिताजी- क्यूँ क्या हुआ , आपकी आवज़ बदल गयी है
समधन-लगता है आज के लिए इतना योगा काफ़ी है
पिताजी- ऐसे करते रहना योगा , देखना बीमारी दूर रहेंगी
मेरी सास ने जवाब नही दिया
और सीडियो की तरफ आ रही थी कि मैं उपर आ गयी
कामिनी- माजी आपका दूध
समधन- रहने दे , मेरे लिए नहाने का पानी डाल
पिताजी- बेटा मुझे दो समधन का दूध , मैं पी लेता हूँ
समधन का दूध
इस बात पर ज़्यादा ही ज़ोर दिया
पर मेरी सास वहाँ से चली गयी
और पिताजी अपनी समधन का दूध पी कर अपनी क्रीम निकालने के लिए नीचे चले गये
मैं तो बस देखती रह गयी
Reply
01-02-2019, 02:36 PM,
#8
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 8
मेरे पिताजी ऐसे होंगे सोचा नही था
पिताजी तो मेरी सास से मस्ती करना चाहते थे
खुले आसमान के नीचे मेरी सास को अपने लंड की ताक़त दिखा दी
और चालाकी तो देखो कि पिताजी बिल्कुल नॉर्मल थे
और मेरे सामने समधन का दूध पी लिया
मैं तो पिताजी की बात समझ गयी पर पता नही मेरी सास समझी कि नही
मेरी सास तो कन्फ्यूज़ थी शायद
इतने सालो बाद किसी लंड का टच किसी भी औरत को घायल कर सकता है
और औरत मेरी सास जैसी हॉट हो तो उनका पानी निकल जाए
मेरी सास के साथ थोड़ी छेड़ छाड़ से पिताजी खुश थे
पिताजी काफ़ी देर तक छत पर रहे
फिर नाश्ता करते हुए मेरी सास पिताजी से नज़रें नही मिला पाई
मेरी सास ट्राइ कर रही थी कि वो पिताजी से दूर रहे
पिताजी भी स्टेप बाइ स्टेप चल रहे थे
मेरी माँ तो इस बात से अंजान थी
फिर दिन तो कैसे निकल गया पता ही नही चला
पिताजी दिनभर कमरे मे ही थे
वो मेरी सास के सामने नही आए
पिताजी बहुत चालाक थे वो जानबूझ कर मेरी सास से दूर रह रहे थे ताकि मेरी सास को लगे कि सब कुछ
अचानक हो रहा है
पिताजी बस खाने के समय ही मेरी सास से मिल पाए
पर रात का खाना कुछ नया अड्वेंचर लेकर आया
रात मे खाने के लिए मेरे हज़्बेंड के साथ सब थे
मेरी माँ और सास एक दूसरे के पास बैठे थे तो पिताजी दोनो के सामने थे
पिताजी ने जानबूझ कर अपनी चेयर दोनो के सामने अड्जस्ट की
खाना शुरू हो गया
रमेश तो अपने ही धुन मे थे तो मेरी ननद तो अपनी ही दुनिया मे रहती है
इस बीच मेरा स्पून नीचे गिर गया , मुझे डाइनिंग टेबल की आदत नही थी जिस से ऐसी ग़लती हो जाती है
पर जब मैं नीचे झुकी तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गई
पिताजी का पैर आगे चला गया था
पिताजी अपने पैर से सामने वाले के पैर को रगड़ रहे थे
सामने वाले की साड़ी के अंदर पैर था पिताजी का
और धीरे धीरे सहला रहे थे
तभी सोचु पिताजी की हाइट इतनी कम कैसे हो गयी , वो झुक कर बैठे थे ताकि खाते हुए मज़ा ले सके
मुझे लगा कि पिताजी माँ के पैर को सहला रहे थे
पर जब ठीक से देखा तो वो मेरी सास के पैर थे
और मेरी सास भी कुछ नही बोल रही थी
वो चुप छाप खाना खा रही थी
उनको क्या हो गया
उनको ये सब रोकना चाहिए था
शायद वो डर की वजह से चुप रही
मेरी सास के एक्सप्रेशन बदल रहे थे
क्या उनको मज़ा आ रहा था
पिताजी माँ का पैर समझ कर ये सब कर रहे थे
पिताजी बड़े चालाक निकले , माँ का नाम लेकर मेरी सास को सिड्यूस कर रहे है
मुझे पता था कि इस्पे पिताजी क्या कहेंगे कि सॉरी समधन जी मुझे लगा कि ये कामिनी की माँ है
और मेरी सास कहेंगी कि ग़लती आपकी नही है पर आगे से ध्यान रखा कीजिए
यही होगा
पर डाइनिंग टेबल के नीचे पिताजी पूरा मज़ा ले रहे थे
उनके पैर तो घुटने तक गये थे मेरी सास के
पिताजी बस अपने ही मज़े मे खोए थे
मेरी सास बड़ी मुश्किल से खाना खा रही थी
उनकी चूत से पानी निकल रहा होगा
पर पिताजी घुटने से उपर नही गये और जा भी नही सकते थे
पर मेरी माँ का खाना जल्दी हो गया
ये पिताजी को पसंद नही आया अभी तो मज़ा आ रहा था
लेकिन माँ के खड़े होते ही पिताजी समझ गये कि वो फस सकते है
इस लिए पिताजी ने अपने पैर पीछे ले लिए
पिताजी के पैर अलग होते ही मेरी सास रिलॅक्स हो गयी
वरना उनके अंदर की प्यासी औरत जाग जाती
पर पिताजी समझ गये कि उनको मेरी सास से माफी माँगनी पड़ेगी
सबका खाना हो गया
खाना होते ही रमेश सबके लिए पान लाने चले गये
फिर सास थोड़ा रिलॅक्स होने के लिए छत पर चली गयी
ये मोका देख कर पिताजी भी छत पर गये
पिताजी को उपर जाते हुए देख कर मैं भी देखने गयी की क्या होगा
मेरी सास तो पिताजी को देखते ही हड़बड़ा गयी
पिताजी- सुनिए
समधन-आप यहाँ
पिताजी- मुझे माफ़ कर दीजिए
समधन-माफी , किस लिए
पिताजी- वो खाना खाते हुए , मुझे लगा मेरी बीवी है , पर ग़लती से आप के साथ , मैं बहुत शर्मिंदा हूँ
समधन-( ये तो माफी माँग रहे है , शायद ग़लती से हुआ होगा ) कोई बात नही
पिताजी- मैं बहुत शर्मिंदा हूँ , प्लीज़ इसके लिए मेरी बेटी को तंग मत करना
समधन-ये आप क्या बोल रहे है , शायद वो ग़लती से हो गया होगा
पिताजी- मुझे लगा कि मेरी बीवी है , जिस से मैं
समधन-लार आपको ध्यान रखना चाहिए , अपने घर मे ठीक है पर दूसरो के यहाँ ये ठीक नही होता
पिताजी- जी , ये पहली और आख़िरी ग़लती होगी ,मुझे ऐसा नही करना चाहिए था
समधन-आपको ऐसा नही करना चाहिए वो भी दूसरो के घर मे
पिताजी- ग़लती हो गयी , पर क्या करूँ कुछ दिनो से
समधन-कुछ दिनो से क्या
पिताजी- वो एक हफ्ते से मेरी बीवी ने मना किया था , और अब जाके उसने हाँ कहा तो मैं खुद को रोक नही
पाया
समधन-मना किया था
पिताजी- वो होता हैना कि हर महीने औरते एक हफ्ते के लिए मना करती है
समधन-समझ गयी , पर थोड़ा ध्यान रखा कीजिए , और आपको शर्मिंदा होने की ज़रूरत नही है ( इसमे इनकी
ग़लती नही है )
पिताजी- सुक्रिया ,
और पिताजी वहाँ से नीचे आ गये
बड़े भोले बन गये थे मेरे पिताजी
और इस भोलेपन पर मेरी सास नरम पड़ गयी
पिताजी ने मज़ा भी ले लिया और अच्छे भी बने रहे
______________________________
Reply
01-02-2019, 02:38 PM,
#9
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 9
ये तो बस शुरुआत थी
पहला दिन तो बड़ा अच्छा गया पिताजी के लिए
पर उनको यहाँ से जल्दी जाना था
ऐसे मे पिताजी कुछ ज़्यादा नही कर पाएँगे
लेकिन नेक्स्ट दिन रमेश की छुट्टी थी
और माँ पिताजी पहली बार घर आए तो उनको ड्रेस लेकर देने का सोचा रमेश ने
पिताजी भी अपने दामाद को गिफ्ट देना चाहते थे
सबकी रज़ामंदी से हम दोपहर को शॉपिंग करने चले गये
मेरी ननद तो कुछ ज़्यादा ही खुश थी
उनको शॉपिंग करने जो मिलेगा
रमेश कुछ काम से पहले मार्केट चले गये उन्होने कहा कि वो हमे वही मिलेंगे
हम सब बस से मार्केट चले गये
और आज मार्केट दिन था तो भीड़ ज़्यादा थी
पर कोई बात नही
मार्केट आते ही हमे रमेश मिल गये और हम शॉपिंग करने लगे
पहले रमेश को ड्रेस खरीद कर दिया पिताजी ने
फिर उसी शॉप से पिताजी के लिए रमेश ने गिफ्ट लिया
जेंट्स की शॉपिंग होते ही बच गयी हम लेडीस
हमारी शॉपिंग तो एक साथ होगी
हम सब बड़े शॉप मे गये
मेरी ननद तो अपने भाई को अपने साथ मॉडर्न कपड़ो के शॉप मे ले जाना चाहती थी
और हमें साड़ी की शॉप मे जाना था
तो पिताजी ने कहा कि रमेश तुम मेरी ननद को ड्रेस दिलाओ मैं इनके साथ साड़ी की शॉप मे जाता हूँ
रमेश को आइडिया अच्छा लगा
हम डिवाइड हो गये
फिर सारी की शॉप मे मैं माँ को सारी लेकर देने लगी
पिताजी और मेरी सास थोड़ी दूर ही थे
पिताजी- आप नही लेंगी साड़ी
समधन-मैं , मैं ऐसी साड़ी नही पहनती
पिताजी- पर क्यूँ
समधन-मैं विधवा हूँ
पिताजी- ये कोई बात नही हुई , हल्के कलर की साड़ी लेनी चाहिए
समधन-जी नही मैं ऐसी ठीक हूँ
पिताजी- तो सफेद साड़ी मे भी डिज़ाइन होती है , आपको ट्राइ करना चाहिए ,,
समधन-इनको तो लेने दीजिए
पिताजी- मुझे पता है आप नही लेंगी ,, चलिए मेरे साथ
और मेरी सास के कुछ कहने से पहले पिताजी उनका हाथ पकड़ कर शॉप की दूसरी तरफ गये
मेरी सास तो शॉक्ड ही थी
समधन-ये आप क्या कर रहे है
पिताजी- देखिए बहनजी , आप समधन है और आपको मेरी तरफ से एक गिफ्ट लेना ही होगा
समधन-( बहनजी ) ठीक है
फिर पिताजी शॉप वाले को वाइट साड़ी दिखाने को बोलने लगे
पिताजी- भैया वाइट साड़ी मे कुछ दिखाना
और शॉप वाले ने अच्छी अच्छी साड़ी निकाल ली
जो सिंपल के साथ अच्छी भी थी
पिताजी अपनी समधन को साड़ी दिखाने लगे
समधन ने एक दो साड़ी सेलेक्ट की
शॉपवाला- आपकी बीवी पे ये साड़ी अच्छी दिखेगी
शॉपवाला तो पिताजी और मेरी सास को पति पत्नी समझने लगे
मेरी सास उसकी ग़लतफहमी दूर करने वाली थी कि पिताजी ने उनको रोक लिया
पिताजी- ये आप क्या कर रही है
समधन- वो हमे
पिताजी- जाने दीजिए उसके कहने से हम पति पत्नी थोड़े बन जाएँगे
समधन- पर ,
पिताजी- आपको साड़ी पसंद हैना
समधन-हाँ
पिताजी- तो चलिए
और पिताजी ने मेरी सास को साड़ी खरीद कर दी
पिताजी मन ही मन मे खुश थे कि शॉप वाले ने उनको पति पत्नी समझा
मेरी सास को अच्छा नही लगा ये
पर पिताजी खुश थे कि समधन को उन्हे साड़ी दी
फिर हम ने शॉपिंग पूरी कर ली
पर समान बहुत हो गया
और अंधेरा भी हो गया
ऐसे मे घर जाने का प्राब्लम हमारे सामने था
रमेश के पास बाइक थी
तो सबने कहा कि मुझे और रमेश को बाइक से जाना चाहिए
पर मैं पिताजी और मेरी सास को अकेला नही छोड़ना चाहती थी
इस लिए मेरे दोनो ननद को रमेश के साथ भेजा
साथ ही उनके पास आधे से ज़्यादा बॅग दिए ताकि हम आराम से घर आ सके
रमेश अपनी बहनों के साथ घर चले गये
और हम.बस से घर जाने वाले थे
______________________________
Reply
01-02-2019, 02:38 PM,
#10
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 10
हमने शॉपिंग कर ली
और रमेश को उनकी बहनों के साथ बाइक पर घर भेज दिया
मुझे देखना था कि पिताजी अब क्या करेंगे मेरी सास के साथ
हम तो एक बात भूल ही गये कि अंधेरा हो गया था और आज मार्केट दिन था
ये बात हमारे दिमाग़ मे तब आई जब बस स्टॉप पे सारी बसें फुल भरके आने लगी
हर बस देखते ही उसके अंदर जाने का मन नही कर रहा था
खचाखच भरी हुई थी बस
समधन- लगता है हमने ग़लती की , आज कोई बस खाली नही मिलेंगी
कामिनी- आज मार्केट दिन और फेस्टिवल होने से भीड़ ज़्यादा है
पिताजी- अब क्या करे
माँ- कोई टॅक्सी ले
कामिनी- यहाँ से हमारे एरिया तक टॅक्सी को दूसरा पर्मिट लेना पड़ता है जिस से कोई टॅक्सी उधर नही जाती
समधन- हमे बस से ही जाना होगा
पिताजी- सब साथ रहना , नेक्स्ट बस मे चढ़ना होगा वरना अंधेरा बढ़ता जाएगा
कामिनी- सबको पता हैना कहाँ उतरना है, क्यूँ कि शायद हमे दूर दूर खड़ा होना पड़ेगा बस मे
सब ने हाँ मे गर्दन घुमा दी
और नेक्स्ट बस आते ही हम बस मे चढ़ गये
बस मे जाना मुश्कूल था फिर भी हम अंदर चले गये
अंदर भी भीड़ ज़्यादा थी पर हम अंदर आ गये
मैं ने देखा कि माँ मेरे आगे ही खड़ी थी पर मेरी सास और पिताजी मेरे पीछे थे पर बीच मे कुछ लोग आ
गये थे
ये तो मेरे पिताजी के लिए गोल्डन चान्स था
पर मैं ने देखा कि पिताजी थोड़े दूर ही थे मेरी सास से
मैं ने सबको आवज़ दी तो सब ने हाँ ने जवाब दिया
और हम घर के लिए निकल पड़े
मैं माँ के पास थी क्यूँ कि उनको इतनी भीड़ की आदत नही थी
और मेरी सास आराम से इस भीड़ को संभाल सकती है
बस चालू हो गयी
पर बस के अंदर सिर्फ़ एक लाइट थी जो आगे की तरफ थी और बाकी की रोशनी बाहर से आ रही थी दूसरी गाडियो की
हर स्टॉप पे कुछ लोग उपर आ जाते
ऐसा करते करते पिताजी मेरी सा के पास आकर खड़े हुए
पर मेरी सास को ये पता नही था वो तो बस अपना स्टॉप आने का इंतज़ार कर रही थी
सब अच्छा ही चल रहा था
लेकिन जब बस एक टनल से जा रही थी तो आगे भीड़ होने से बस बीच मे रुक गयी
टनल के बीच मे बस रुकने से बस मे ज़्यादा रोशनी नही थी
इस तरह बस रुकने से सारे पॅसेंजर गुस्सा हो गये
पर आगे ट्रफ़िक जाम हो गया था
जिस से कुछ देर बस टनल के बीच मे फसि रहेगी
ये देख कर मैं ने माँ को कहा कि यहीं आंटी के पास बैठ जाओ तो आंटी ने जगह दी , और मैं मेरी सास को
देखने आई
जब मैं अपनी सास के पास आई तो मेरी सास की आँखे बंद थी और वो पोल को पकड़े हुए थी
मैं ने ठीक से देखा तो इनकी साड़ी घुटने तक उपर थी
पर मुझे कुछ दिख नही रहा था
पर जब एक आदमी ने अपना मोबाइल फोन करने के लिए निकाला तो देखा कि मेरी सास के पीछे मेरे पिताजी
खड़े थे
सारी पिक्चर मेरे सामने आ गयी
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,447,849 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,309 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,210,560 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 915,082 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,622,271 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,054,997 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,908,146 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,914,106 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,976,468 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,842 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)