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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
शाम को 5 बजे मेरी आँख खुलती है। बारिश रुक चुकी थी। मैं वही दुकान के बाथरूम में फ्रेश होकर मनोज को फ़ोन करता हु और उसको।अपने रूम पर बुलाता हु। मैं भी बाइक लेकर दुकान से निकल लेता हूं।
रास्ते मे वाइन शॉप से एक वाइन बोतल और दो बियर और कुछ खाने का सामान लेकर कमरे पर पहुचता हूं।
थोड़ी देर में मनोज भी आ जाता है ।उसके साथ मे उसके मोहल्ले के एक लड़का राजेश भी था।
,और भाई क्या हाल चाल है आपके , मिलते ही नही काफी बिजी रहने लगे हो" राजेश बोला
"कही नही यार बस घर और दुकान में बिजी हु थोड़ा" मैने जवाब दिया।
और बताओ कोई नई मछली फाँसी जाल में----राजेश
मैं-- नही यार ये तो मनोज का काम है हमारी कहा किस्मत।
र---- हा सही कह रहा है तू, अभी भी एक नई चिड़िया के लिए जाल बिछा रहा। मेरा मोबाइल लिया है दो दिन के लिए बोल रहा है किसी से फसबूक पर बात करनी है।
मेरा दिमाग ठनक गया। साला बहन चोद मेरी बहन को चोदने की पूरी तैयारी में है कमीना। लेपटॉप नही दिया तो इसका फोन मांग लिया।
चुतिये कहा तक बात बनी, मैंने मनोज से पूछा।
यार आज ही लिया है फ़ोन रात को देखता हूं कुछ बात बने तो--मनोज
मैंने भी सोच लिया कि आज रात जग कर देखूंगा की कौन रात को बात करता है इससे।
फिर ड्रिंक करके मैं घर आ गया और सीधा अपने रूम में आ गया ऊपर।
बस मेरे दिमाग मे आज रात की बात ही घूम रही थी।
रोशनी आयी खाने का पूछने एक बार तो आया मन मे के इस साली को अभी नँगा करके गांड में लण्ड गुसा कर पुछु की बात क्या है।
किरण को लेकर झूठ क्यो बोला।
लेकिन मेने रात का वैट करने की सोची। और मना कर दिया खाने को।
मैंने लेपटॉप पर पूरे कैमेरे का व्यू देखने लगा।
किरण अभी हाल में टीवी देख रही थी। रीटा रूम में कोई बुक पढ़ रही थी। मम्मी भी कमरे में लेट चुकी थी।
रोशनी रसोई में थी।
मैने फोन में फसबूक id ओपन की फेक वाली और देखा कि मेरी फ्रेंड रिकवेस्ट एक्सेप्ट नही हुई है।
मैं अपनी रियल id से ऑनलाइन हुआ और देखा कि मनोज ऑनलाइन है
मैंने मसेज किया ..... गांडू क्या कर रहा है।
कुछ देर में उसका रिप्लाई आया---साले डिस्टर्ब न कर अभी उससे बात चल रही है। कल अपने प्लाट की चाभी देना वो आ रही है।
मेरी गांड के नीचे आग लग गयी। मैंने कैमरे देखे---- किरण तो tv देख रही है। फिर इस लोड़ू से कौन बात कर रहा है।
मैं तुरन्त नीचे गया छुपके , पहले रीटा दीदी को चेक किया। वो सो चुकी थी। फिर धीरे से नीचे आया और पिलर के पीछे जाके देखा कि किरण क्या कर रही है वहा से नजर आया कि वो सोफे पर लेट कर tv देख रही है।
मैं अपना सिर खुजाने लगा साला चक्कर क्या है। ये मनोज से बात कौन कर रहा है।
मैं वापिश ऊप्पर जाने के लिए मुड़ा ही था कि मुझे गुग्गुगु की आवाज हुई जैसे मोबाइल वाइब्रेट कर रहा हो मैने नजर दोबारा किरण की तरफ की, उसकी साइड में हल्की लाइट सफेद कलर की पड रही थी। शायद मोबाइल की । अब कन्फर्म हो चुका था कि किरण ही मनोज से बात कर रही है और बाहर जाकर चुदवाना चाहती है।
मैं ने कुछ सोचा और एक दम से रसोई में जाकर फ्रीज़ ओपन किया और कुछ आवाज की जिससे कि किरण दी हड़बड़ा सी गयी और एक दम से रसोई में देखा---
मुझे देख कर घबरा गई।
मैंने पूछा दीदी सोई नही अभी तक।
नही संजू वो में tv देख रही थी धीमे से दीदी ने जवाब दिया।
दीदी ने अपनी कमर के नीचे मोबाइल दबा लिया था लकीन उसमे अभी भी वाइब्रेट और रोशनी हो रही थी।
मैने इग्नोर किया और दीदी के पैरों की साइड सोफे पर बैठ गया।
Tv पर निगाह रखते हुए कहा-- दीदी , आज बाहर खाना खा लिया था तो आकर सीधा सो गया। अब कुछ प्यास लगी तो देखा रूम में पानी नही था तो नीचे आना पड़ा।
दीदी ऐसे हो गयी जैसे सांप सूंघ गया हो पास में बैठने पर।
हम्म्म्म दीदी के मुह से निकला।
दीदी यार चाय पीने की इच्छा हो रही है, अगर आपको प्रोब्लम न हो तो एक कप चाय बना दो।
अब दीदी बोलती भी क्या
हां बनाती हु।
और दीदी उठकर रसोई में चली गयी। दीदी के जाते ही मैने फ़ोन उठाया और अपनी जेब मे रख लिया।
दीदी चाय बना कर ले आयी । एक कप मुझे पकड़ा दिया और दूसरा खुद पिने लगी।
मैं चाय पीते हुए मामा के घर की बात छेड़ दी। दीदी भी अब नार्मल बात कर रही थी। फिर मैंने चाय ख़त्म की और दीदी से बोला कि मैं ऊपर जा रहा हु और टाइम भी ज्यादा हो गया है आप भी सो जाओ।
दीदी हम्म करके उठी और अपने रूम में चली गयी। मैं ऊपर आकर दीदी वाले फ्लोर पर ही रुक गया।
दीदी थोड़ी देर में वापिश रूम से बाहर आई और उप्पेर देखा और वापिश सोफे पर जाकर फोन ढूढ़ने लगी।
दीदी की जब फोन नही मिला तो वो घबरा सी गयी और मायूश होकर सोफे पर बैठ गयी।
फिर कुछ देर में उठकर अपने रूम में चली गयी।
मैं अपने रूम में आ गया
और फोन चेक किया।
फ़ोन पर दीदी की id स्टार्ट थी रेड एंजेल के नाम से ।
मनोज के 10 मैसेज आये हुए थे hello , r there, kya huaa jan, kha ho, naraj ho gyi kya, sorry yar sirf milne aa jaoo aur kuchh nhi kruga. इत्यादि।
मैने बैक मैसेज चेक किया ।
ज्यादतर नार्मल मैसेज थे लकीन आज कुछ ज्यादा ही सेक्सी बातें मनोज ने की थी और दीदी ने भी खुल कर चुदाई की बातें की हुई थी।
काल दीदी मिलने वाली थी मनोज से , दीदी की बात से लगा कि वो चुदाई के लिए रेडी है। दीदी ने बताया कि दीदी ने कभी लड़के से सेक्स नही किया लेकिन उनकी चुत कुँवारी नही है उनकी सील टूट चुकी है और वो लड़के से सेक्स का मजा लेना चाहती है।
दीदी ने मनोज को अपना पता थोड़ा घूमा कर बताया हुआ था। अगर सीधा बताती तो वो जान चुका होता कि वो मेरे घर की ही किसी लड़की से बात कर रहा है।
मैंने सब मैसेज का बैकअप अपनी मेल id पर ले लिया और नीचे जाकर फ़ोन वापिश सोफे की साइड में फसा दिया ताकि दीदी को मालुम न चले कि फ़ोन मैं ने उठाया था।
और अपना नया प्लान बनाते हुए सो गया।
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
अगले दिन उठ कर में नीचे आकर नास्ता किया और मम्मी से बोला कि मुझे अपने किसी काम से पास के शहर में पूरे दिन के लिए अपने एक दोस्त के साथ जाना है।
फिर में तैयार होकर में अपने काम से जाने लगा तो किरण दी ने मुझसे पूछा कि में कब तक आ जाऊंगा?
उनके चेहरे पर खुशी झलक रही थी कि मैं शहर से बाहर जा रहा हु और वो आसानी से अपने यार से मिलने जा सकती है।
मैंने उसको बता दिया कि में रात के आठ बजे से पहले नहीं आऊंगा और हो सकता है कि में लेट भी हो जाऊं. फिर किरण दीदी मम्मी से कहने लगी कि आज उसको भी अपनी सहेली से मिलने जाना है आने में थोड़ी सी देरी हो जाएगी. अब में भी अपने काम से निकल गया, लेकिन जिस लड़के के साथ मुझे जाना था, में जब अपने रूम पर गया तो मैंने देखा कि मनोज पहले से ही रूम के बाहर खड़ा है।
गांडू क्या कर रहा है यहा सुबह सुबह, मैं मनोज से बोला।
मनोज---- साले चुतिये काल बताया तो था कि मैंने उस लड़की को आज मिलने बुलाया है , वो थोड़ी देर में आएगी। तू रूम की चाभी दे और खिसक जा।
मैं--/ साले गांडू अकेले अकेले मजजे लेगा। मैं भी रुकता हु दोनो मजजे लेंगे लौंडिया के ।
मनोज--- यार आज पकका नही है वो चुदाई करवाईगी बस वो मिलने के लिए बोली है। एक बार शीशे में उतारने दे फिर दोनों मजे करेंगे। और राजेश को भी करवाने है मजे। मोबाइल के बदले में।
मैं अंदर ही अंदर सुलग उठा । साला मेरी बहन की रंडी बनाने की सोच रहा है।
मैं आज ही अपनी बहन को रंगे हाथ पकड़ कर बात करना चाह रहा था ताकि वो आगे ककोई हरकत न करे।
इसलिए मैंने रूम की चाभी दे दी और बोला साले ले मजा कर लेकिन मैं बाहर रुकूँगा और देखूंगा की चिड़िया कैसी है?
मनोज----यार बात ऐसे है कि शायद वो तेरे ही घर के पास से है कही तुझे पहचानती न हो। इसलिये यार निकल जा न यहाँ से। बाद में तो मज़े करने ही है तुझे।
ठीक है गांडू, बोल कर
और मैं वहा से निकल गया। कुछ दूरी पर जाकर एक पनवारी की दुकान खड़ा हो गया।
वहा से मेरे उस घर पर नजर रखी जा सकती थी।
करीब 40 मिनेट बाद एक ऑटो आकर उस पनवारी की दुकान से पीछे रूका।
मैंने खुद को थोड़ा साइड में कर लिया। ऑटो से एक लड़की निकली। उसने एक टाइट टीशर्ट और नीचे मस्त जीन्स डाली हुई थी। और जबरदस्त माल लग रही थी।
देखने से लग नही रहा था कि किरण दीदी है।
आंखों पर ब्लैक गूगल्स ,चेहरे पर स्कार्फ़ डाल कर छुपा रखा था।
फिर उसने इधर उधर देख कर मकान की और चली गयी।
और वहा पहुच कर फ़ोन निकाल कर काल की।
तभी मैंने देखा कि घर की दरवाजा ओपन हो गया है।
और मनोज ने अपना फेस निकाल कर उसे इशारा किया। वो आगे बढ़ी और अन्दर चली गयीं।
थोड़ी देर बाद जब में अपने मकान पर पहुंचा तो मैंने देखा कि मेरे मकान का दरवाजा बंद था, तो में समझ गया कि मेरी बहन उसके साथ होगी. फिर मैंने पीछे से दीवार कूद कर चुपके से अंदर घुसा। फिर मैं सीड़ियाँ के पास जाने लगा. तभी मुझे दरवाजे के अंदर से कुछ आवाज़ सुनाई देने लगी और अब में रोशनदान के पास पहुंच गया, जहाँ से में बड़े आराम से सब कुछ देख सकता था.
मैंने जब उस छोटी सी खिड़की से अंदर झांककर देखा तो मैंने पाया कि मेरी बहन किरण उस समय रूम में ही थी. वो बेड पर बैठी हुई थी. उसने अपना स्कार्फ़ हटा दिया था और गूगल्स भी निकाल दिए थे।उसके एक मिनट के बाद मनोज भी दूसरे रूम से निकलकर उसी कमरे में आ गया.
जब मैंने उसको देखा तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो अभी कुछ देर पहले ही नहाकर आया था. उसने बेड पर बैठकर अपने जूतों को उतारा. इसके बाद टावल लेकर अपनी पेंट को भी उतारकर टावल को लपेटते हुए वो दोबारा बैठ गया.
साला ये तो कह रहा था कि दीदी आज सिर्फ बात करने के लिए मिल रही है और यहा ऐसे तैयारी कर रहा है कि पहले से चुदाई का प्रोग्राम हो।
अब वो दोनों कुछ देर तक हंस हंसकर बातें करते रहे. इसके बाद मैंने देखा कि मनोज ने किरण के बूब्स पर अपना एक हाथ रखा और मुस्कुराते हुए उसको दबाया तो किरण ने उसके हाथ को एक झटका देकर हटा दिया.
अब मनोज ने दोबारा उसके बूब्स पर हाथ रख दिया, तो किरण ने उसको कुछ भी जबाब नहीं दिया. फिर कुछ देर तक मनोज किरण के बूब्स को ऐसे ही दबाता रहा. अब उसने किरण को बेड पर लेटा दिया. किरण उसकी तरफ अपनी पीठ को करके लेट गयी.
अब मेरे बर्दाश्त से बाहर हो गया और मैं नीचे उतर कर दरवाजे के पास पहुच कर दरवाजा खटखटाया जोर से।
मनोज की आवाज आई हड़बड़ी की, कौन है?
साले गांडू दरवाजा खोल हरामखोर, मैंने आवाज लगाई।
मनोज ने सोचा कि मुझसे रुका नही गया और मैं आज ही लड़की चोदने आ गया।
उसने दरवाजे को थोड़ा खोल मुझसे बोला कि यार देख आज बड़ी मुश्किल से मानी है अगली बार तेरा नंबर लगवा दूंगा। प्लीज् यार समझ न।
मेरे तो दिमाग़ में बस दीदी ही घूम रही थी। मैंने बिना कोई जवाब दिए मनोज को धक्का देकर अंदर घुस गया।
अंदर जाकर देखा तो दीदी अपने को बेड की चद्दर से ढककर मुह छिपा कर बैठी थी।
उन्होंने मेरा चेहरा नही देखा था अभी तक।
दीदी की आवाज आई चद्दर के अंदर से , मनोज कौन है और तुमसे पहले ही कहा था कि मुझे बदनाम नही होना। सेफ जगह चुनना।
मेरे गांड के बाल सुलग गए।
मनोज मुझे खिंच कर बाहर ले गया दूसरे कमरे में ।
और बोला---- साले गांडू क्या चुतियापा कर रहा है।
मैं---- साले गांडू जानता है ये लड़की कौन है?
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
मैंने दीदी को उठाया और एक चैय्यर पर बैठाया।
और पूछा की क्यो वो बाहर गलत करणा चाहती है।
दीदी ने काफी फ़ोर्स देने पर अपनी प्रॉब्लम बताई।
फिर दीदी बोली कि मेरे बूर में बहुत ही खुजली होती है, मुझे लंड चाहिए, पहले तो मैं बैगन से ही काम चला लेती थी पर आज कल मेरे से काबू नही रहता.मैं दिन भर तड़पती रहती हूं। एक दिन आप, दीदी ,मम्मी और रानी सभी शादी में गए हुए थे, उस दिन घर पर मैं और रोशनी थे, हम दोनों खाना खाके सो गए, मेरी एक आदत है या यु कहिये की एक बीमारी है, जब मैं सोती हु, करीब आंध्र घंटे तक अपने बूब को प्रेस करती हु, जब तक बूब को नहीं दबाती और बूर में ऊँगली दाल दाल के पानी पानी नहीं कर देती तब तक मुझे नींद नै आती, उस रात को मैं काफी कामुक हो गयी थी, मेरे चूत में काफी खुजली होने लगी, मैं हौले हौले से सहलाने लगी, पर धीरे धीरे वैचेन हो गयी, मैं रसोई में गयी वह एक बैगन था, मैंने उस बैगन से अपने चूत में घुसाने लगी पर किस्मत ने साथ नहीं दिया और बैगन के दो टुकड़े हो गए और मेरी चीख निकल गयी। और रोशनि आ गयी। रोशनी ने मुझे इस हालत में देखा और मेरी चुत से बैंगन बाहर निकाला और मेरे से लैस्बियन संबंध बनाकर मुझे शांत किया। लेकिन अब मुझसे ओर नही रुका जा रहा है।
दीदी आपको ये आदत कैसे हुई जो इतना बढ़ गयी है----- मैने पूछा
दीदी खामोश हो गयी।
मैने उनको फ़ोर्स किया और अपनी कसम देकर पूछा। तो उन्होंने अपनी कहानी सुनाई।
ये घटना आज से 2 साल पहले की है जब मैंने जवानी में नया नया कदम रखा था | मैं स्कूल में थी तो वो एक गर्ल्स स्कूल था | आप समझ सकते हैं कि गर्ल्स स्कूल में लडकिया क्या क्या करती हैं | हम अपनी क्लास में बहुत मस्तियाँ किया करते थे | कभी एक दूसरे की स्कर्ट उठा देना कभी एक दूसरे के दूध दबा देना लेस्बियन किस्सिंग | ये सब हम किया करते थे | पर स्कूल ख़त्म होने के बाद ये सब खत्म हो चुका था | अब मैं अपनी सीधी सादी जिन्दगी जी रही थी | अब बस मैं घर में ही अपनी चूत में उंगलिया डाल कर हिला लेती थी
एक दिन की बात है स्कूल से छूटने के बाद मैं घर पर ही थी तभी फ़ोन की घंटी बजी | मैंने फ़ोन उठाया तो सामने मामा जी थे | उन्होंने कहा कि मैं स्टेशन में हूँ और घर आ रहा हूँ | मैंने भी हाँ में जवाब दे दिया | फिर मैं जल्दी से बाथरूम गयी हाँथ मुंह धोयी और फिर अपने रूम में जा कर ड्रेस चेंज की | आधे के घंटे के बाद मामा जी घर आ गये थे | मैंने मामा जी से नमस्ते किया उन्होंने भी नमस्ते किया और हम दोनों एक दूसरे हालचाल पूछने लगे | फिर ऐसे ही हम दोनों नॉर्मली बात करने लगे | यही कोई दो बज रहे होंगे तो मैंने कहा कि मामा जी मुझे नींद आ रही है | तो उन्होंने कहा कि ठीक है तुम सो जाओ अपने कमरे में जा कर । मैं भी कुछ देर आराम कर लेता हूँ |
फिर मैं अपने रूम में चली गयी और थोड़ी देर के बाद मुझे नींद भी आ गयी थी | जब मेरी नींद खुली तो मुझे बहुत जोर से सुसु आई थी, तो मैं टॉयलेट जाने लगी | जैसे ही मैंने टॉयलेट का दरवाजा खोला तो अन्दर मामा जी थे और वो एक दम से मुड़े जिस वजह से उनकी टॉयलेट मेरे कपड़ो में हो गयी | मुझे बहुत गन्दा लग रहा था | मम्मी के आने का भी टाइम हो गया था | मैं परेशान होने लगी थी | मामा जी मुझे सॉरी बोलने लगे तो मैंने उनसे कहा कि कोई बात नहीं मामा जी आपकी गलती नहीं है | मैंने उनका लंड देख लिया था | उनका लंड भी खड़ा हुआ था और कड़क था | फिर मैंने बाथरूम में जा कर नहाया और कपडे बदले |
शाम को 5 बजे मम्मी आ गयी और आधे घंटे के बाद पापा भी आ गये | मैंने सबके लिए चाय बनायीं और सबको दी | मैंने मम्मी से कहा कि मम्मी मैं सहेली के पास जा रही हूँ | सहेली के पास से आने के बाद मैं सीधा अपने रूम गयी तो मैंने देखा कि मामा जी मेरी आलमारी चेक कर रहे थे | मैंने मामा जी से पूछा मामा जी आप ये क्या कर रहे है ? तो उन्होंने कहा कि कुछ नहीं किरण बस युही ! मैंने मामा जी को गुस्सा दिखाते हुए कहने वाली थी कि आइन्दा आप मेरी बिना इजाजत के मेरे रूम में नहीं आना | उतने में मम्मी ने आवाज़ लगा दी खाना बन गया है नीचे आ जाओ | फिर हम सब नीचे खाना खाने गये | खाना खाने के बाद मामा ने मुझे icecream दी मैं वो लेकर अपने रूम में चली गयी और सब अपने अपने रूम में | मैंने अपने रूम का दरवाजा बंद कर दिया | मैंने आइस क्रीम खाकर सोचा कि चलो सोने से पहले अपनी चूत का पानी निकाल लूं | मैंने कपड़े बदलने के लिए अपनी आलमारी का दरवाजा खोली जहा मेने बैगन छुपा कर रखती थी तो देखा कि वहा से मेरी पेंटी गायब थी| मुझे समझते ज्यादा देर न लगी और मैं समझ गयी थी कि ये सब मामा जी का किया धरा है |
उसके बाद मैं मामा जी के रूम गयी जो कि खुला हुआ था | मैं सीधा अन्दर धडधडाते हुए चली गयी तो देखा कि मामा जी पेंटी चाट रहे थे शायद वो मेरी चूत का स्वाद ले रहे होंगे | मैंने उनसे पूछा कि आप ये क्या कर रहे हो ? तो उन्होंने बेझिझक कहा मैं तो कुछ भी करू तुम मेरे रूम में क्या कर रहे हो तो मैंने मामा जी से कहा कि आप को मेरी चीजों से कोई मतलब नहीं होना चाहिए | आप मुझे मेरी पैंटी दे दो बस बात खत्म | वो मुझे नहीं दे रहे थे मना कर रहे थे देने से | मेरा दिमाग ख़राब होने लगा था तो मैंने मामा जी से कहा कि अगर आप मुझे नहीं दोगे तो मैं मम्मी को बता दूंगी कि आप ने मेरे साथ गलत हरकत की है | तो उन्होंने साफ़ कह दिया कि जाओ बता दो मैं उन्हें कह दुगा की तुम बाहर लड़को से मिलती हो | उसके बाद वो मेरे सामने ही अपना लम्बा लंड निकाल के मुठ मरने लगे जिसे देख कर मैं नशे में हो गयी थी | तो मैंने मामा जी प्लीज दे दीजिये न प्लीज ! तो उन्होंने कहा कि मैं एक ही शर्त में तुमको ये पेंटी दूंगा | तो मैंने पूछा हाँ बोलिए | तो उन्होंने कहा कि तुम्झे एक बार मेरा लंड चूसना पड़ेगा | मैंने मना कर दिया क्यूंकि मैंने कभी किसी लड़के का लंड नहीं चूसा था | तो वो बार बार मुझे बोलने लगे कि अगर ये चाहिए है तुम्हे ये तो करना ही होगा |
आखिरकार मुझे मानना ही पड़ा उनका कहना क्योकि मेरा शरीर मेरे साथ नही था अजीब सी बेचैनी हो रही थी |
अब मैंने उनका लंड अपने हाँथ से पकड़ के ऊपर नीचे करने लगी और वो आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ कर रहे थे | उनका लंड पकड़ने में ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा लोहा हो | अब मैं उनका लंड चाटने लगी हिला हिला के ऊपर नीचे करते हुए और वो मस्त हो कर आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ सिस्कारिया भर रहे थे |
कुछ देर उनका लंड चाटने के बाद मैं उनका लंड अपने मुंह में ले कर चूसने लगी जोर जोर से और वो आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करने लगे | वो मेरे सिर को दबा रहे थे ताकि मैं उनका लंड अपने गले तक ले लूं | मैं ले सकती थी पर मैं लेना नहीं चाहती थी | मैं उनका लंड जोर जोर से हिलाते हुए चूसे जा रही थी और वो आआहाआ ऊऊन्न्ह ऊऊम्म्ह ऊउम्म ऊउन्न्ह अहहाआअहाअ अहहहा हहहाआअ अहहहाआ ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह ऊनंह ऊउम्म्म्ह अहहहाआआअ आहाआआउन्ह ऊउन्न्ह ऊउम्म्ह आहा आआआहा ऊउम्म्ह ऊउन्न्ह आअहाआअ करते हुए मेरे मुंह कि चुदाई करने लगे |
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
दीदी की आप बीती सुनकर मुझे दुख भी हुआ लकीन मैं दिदी को बाहर चुदने नही दे सकता।
मैंने दीदी को बोला कि आपने इतने दिन इंतज़ार किया अब एक सप्ताह और इंतज़ार करें। मैं कुछ न कुछ जरूर सोचता हूं। अगर उनकी इच्छाओं को पूरा करवाना है तो तीन ही रस्ते है
पहला उनको बाहर जाने दु।
दूसरा मैं उनकी जरूरत पूरी करू।
तीसरा उनकी शादी।
पहले वाला मुझे मंजूर नही था और शादी अभी दीदी करना नही चाहती।
अब एक ही रस्ता था वो की मैं अपनी दिदी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाऊ। वैसे मुझे ऐतराज नही था बस दीदी अभी कंफर्टेबल नही थी। उसको तो बस बाहर का नशा चढ़ा था।
मैं दीदी को समझा कर घर ले आया। और उनको घर छोड़कर वापिश बाहर आ गया।
और मनोज को फ़ोन किया। उसने फोन नही उठाया। मैं वाइन शॉप पहुच गया और वाइन की बोतल लेकर फिर मनोज को फोन किया। उसने फ़ोन उठाया और बोला--- अब क्या है चुतिये क्यो मा चुदवा रहा है?
मैं कुछ नही कहा बस उसको कमरे पर आने को बोला।
वो नखरा करके आने को मान गया।
मैं जानता था इन सबमे मनोज की कोई ग़लती नही है। अगर मुझे कोई लड़की खुद से चुदाई के लिए मिलती तो मैं कोनसा उसको छोड़ देता।
मैं कमरे पे पहुच गया और वाइन पाइन लगा और साथ मे सिगरेट सुलगा ली। और सोचने लगा कि क्या मनोज को बता दु ताकि वो किरण दी के साथ बात ना करें।
मैं आपनी सोच की दुनिया में घूम रहा था कि मनोज आ गया और मुह फूलाकर बैठ गया।
मैंने एक पैक बनाया और उसकी तरफ़ सरका दिया। उसने मूझे खा जाने वाली नजरो से देखा और पैक गटक गया।
मैंने एक एक पैक और बनाये। और पी गए।
दो पैक अंदर जाते ही मनोज का गुस्सा बाहर आया और बोलने लगा---- साले दिन में अपनी औकात दिखा दी न तूने । साले बाद में अकेले ने चोदी होगी तूने।
साले गंडवे तुझे बताया था न कि वो मेरी दीदी लगती है, मैंने भी तुनक कर जवाब दिया।
बहन चोद अगर तो कहे की वो तेरी सगी दीदी है तो भी यकीन न करू की लड़की खुद चुदवाने आये और तु ने चोदा नही होगा, मनोज ने अपने भडास निकाली।
साले तेरी तरह बहनचोद नही हु मै। अगर उसकी जगह तेरी बहन होती तो भी तु यही कहता, मे बोला।
हाँ चोद देता साली बाहर चुदे उससे तो अच्छा है, साले ने वही बात बोली जो मैं सोच रहा था।
ठीक है गंड्वे मै तेरी बहन को पटाता हु फिर देखता हु, क्या कहता है, मैंने कहा।
पटा ले अगर तुझसे पट् गयि तो खुद तेरे पास लेकर आउगा। ये मेरा वादा है, मनोज ने कहा।
मै साले का मुह टकता रह गया।
मेरे मे इतनी हिम्मत नही है मनोज की अपनी बह्न् को बाहर चुदवा सकू, मैंने जैसे तैसे जवाब दिया।
साले वो कोनसा तेरी बहन् है जो इमोशनल हो रहा है............. मनोज
हां मेरी बहन है वो सगी बड़ी बहन, मैंने गुस्से मे बोल दिया।
एकदम सन्नाटा छा गया।
मैंने चुपी तोड़ी और बोला----अब बोल क्या करता मै, नही देखा गया मुझसे। तेरे साथ करते हुए।
साला कुत्ता फिर भोंक ने लगा, देख संजु माना की तेरी बहन् है लकिन् है तो लड़की, आज तो तूने बचा लिया, लकीन अगर दोबारा कहि किसी और के पास गई तो क्या करेगा। और जितना मै जान पाया उस हिसाब से तेरी बहन कहि न कही किसी न किसी से तो चुद......
आगे मनोज नही बोल पाया। उसे मेरा ग़ुस्सा मालूम था।
उसकी बात सच थी। लेकिन क्या कहता कि मैं खुद उसकी प्यास मिटाऊंगा। किसी और के साथ सोच सोच कर ही मेरी जली पड़ी थी।
मैंने मनोज को इस बात को यही खत्म करने और आगे किसी को भी न बताने को कहा। एक अच्छे दोस्त की तरह उसने मुझे यकीन दिलाया कि जब तक मैं खुद उसे नही बोलूंगा तब तक वो किरण से नही मिलेगा। और ना ही किसी को मालूम चलने देगा।
हमने दारू खत्म की और अपने अपने घर आ गये।
मैं आज भी बिना खाना खाएं अपने रूम में आ गया।
और बिस्तर पर लेट गया ।
थोड़ी देर में रीटा दीदी मेरे कमरे में आई और पूछने लगी कि मैं दो दिन से खाना क्यो नही खा रहा हु।
दीदी बाहर दोस्त के साथ खा कर आया हु, मैंने कहा।
दीदी मेरे पास आकर लेट गयी। और लेटते ही उनको वाइन की स्मेल आयी। उन्होंने एक दम से पूछा कि क्या तुम शराब पी कर आये हो।
नही दीदी वो आज एक दोस्त की पार्टी थी तो जबरदस्ती उन लोगों ने एक पेक पिला दिया,मेने बहाना बनाया।
दीदी मेरे साथ लेट गयी और मुझसे लिपट गयी। हालांकि मेरा मूड नही था फिर भी कुछ वाइन का नशा और कुछ दीदी की जवानी का नशा और दिन में किरन दीदी का नंगा बदन देखने से मेरा मूड बन गया।
उसके बाद दीदी मुझे किश करने लगी, मैं भी उनको किश करने लगा, धीरे धीरे करके हम दोनों एक दूसरे के कपडे उतार दिए, कमरे में हलकी हलकी रोशनी जल रही थी , कमरे में से गुलाब की खुसबू आ रही थी, दीदी का होठ भी किसी गुलाब की पंखुड़ी से काम नहीं था मैंने चूसना शुरू किया ऐसा लग रहा था जैसा की मधु को चूस रहा था, उनकी गोल गोल चूचियाँ और उनपर छोटा छोटा निप्पल गजब ढा रही थी, मैंने उनके बाल खोल दिए उनका बाल कमर तक लता हुआ था, गोरा बदन एक दम संगमरमर की तरह, मैंने ऊपर से निचे तक चाटने लगा,
फिर मैंने दीदी की दोनों टांगो को फैलाकर दीदी की चूत की बीच में आ गया, चूत एकदम शेवड था मैंने पूछा दीदी इतना साफ़ है क्या बाल नहीं है तुम्हारे चूत पे, तो बोली नहीं नहीं तुमारे लिए ही काटे है आज वो मुझे चूत को चाटबाना है, आज तू मुझे चोद दे इतना चोद की मैं तृप्त हो जाऊं, मैंने कहा हां दीदी मेरा लंड भी दो दिनों से प्यास है आज मेरे लंड को भी अपनी प्यास बुझाने दो, उसके बाद मैंने अपने लंड को दीदी के चूत के ऊपर रखा और जोर से धक्का मार पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया, फिर क्या था मैंने दीदी को चूच के निप्पल को दांत से दबा दबा के चोदे जा रहा था वो भी मुझे अपनी बाहों में भरकर गांड उठा उठा के चुदवा रही थी, इस तरह रात भर दीदी मेरे से चुदी |
और हम चिपक कर सो गए।
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
सुबह उठ कर मैं फ्रेश होकर जब नीचे आया तो सभी नास्ते के लिए बैठे थे। मम्मी ने मुझे भी नास्ता करने को कहा, मैं भी नास्ता करने के लिए बैठ गया।
किरण दीदी मुझे अजीब की नजरों से देख रही थी। मैं खुद को असहज महसूस कर रहा था। रीटॉ दी भी हमारी तरफ ही देख रही थी।
तभी मम्मी ने पूछा कि रानी कब वापिश आ रही है टूर से।
सायद आज मम्मी, अभी पूछता हूं उनके सर् से फ़ोन पर । मैंने कहा।
और उठ कर अपना फ़ोन लिया और रानी के सर् की फ़ोन किया।
कुछ रिंग जाने पर उन्होंने फ़ोन उठाया, मैने उनको गुड़ मॉर्निंग विश किया, उन्होंने कुछ देर रुक कर जवाब दिया जैसे अपनी सांसे समभाल रहे हो। और तेज़ सासों के साथ जवाब दिया।
मैंने वापिश आने का पूछा तो बताया काल सुबह 10 बजे तक पहुच जाएंगे। अभी रास्ते मे रुके है और नास्ता कर रहे है सभी। मैंने रानी से बात के लिए बोला तो उन्होंने कहा कि वो थोड़ा दूर है ।
चहु तो 5 मिनेट बाद बात करा देता हूं,
मैंने कोई बात नही कह के फोन काट दिया।
और सोचने लगा कि ये सर् इतनी तेज सांसो में क्यो बात कर रहै थे जैसे कि दौड़ लगा कर आये हो।
मैंने मम्मी को बोल दिया कि रानी काल सुबह आ जायेगी।
और दुकान पर जाने के लिए निकलने लगा तो रीटा दीदी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया। मैं ऊपर चला गया।
कमरे में पहुचने पर दिदी ने मुझे बैठने को कहा। मैं बेड पर बैठ गया। दीदी मेरे पास आकर बैठ गयी और मेरे हाथ को पकड़ते हुए बोली.......संजू, क्या हुआ है तीन चार दिन से तुम बहुत परेशान हो।
कुछ नही दीदी ऐसी कोई बात नही है , मैं बोला
देखो संजू तुमारी बड़ी बहन हु मुझसे नही छुपा सकते और अब तो हम ओर भी करिब आ गए है इसलिए मुझसे कुछ नही छिप सकता, बता अब क्या बात है। दीदी फिर से पूछने लगी।
मैं कुछ देर ख़ामोश रहा । दीदी मेरे चहेरे को पढ़ने की कोशिश करती रही।
फिर मैंने दीदी को सब बात बताने का फैशला कर लिया। आखिर मुझसे बड़ी थी और समझदार भी वो ही सही राह दिखा सकती थी।
मैंने दीदी को किरण दीदी के बारे में बता दिया कि कैसे वो मेरे दोस्त के साथ सेक्स करना चाहती है। और खुद को मज्ज्बुर बता रही ही कि सेक्स उनकी जरूरत है।
इससे आगे की मैं दीदी को मामा के बारे में बताता दीदी खुद ही बोल पड़ी------ संजू ये सब मम्मी और मामा का किया धरा है।
मेरी तो जैसे बोलती बंद हो गयी।
हां संजू मामा और मम्मी के नाजायज संबंध है। और मामा ने मम्मी की रजामंदी से मुझे और फिर किरण दीदी को खराब किया। लेकिन बाद में पापा को मालूम चल गया। उन्होंने मामा से खूब झगड़ा किया और तब से मामा का हमारे घर आना बंध है, लेकिन अभी फिर से मम्मी ने मामा के घर जाना शुरू कर दिया है। और मुझे लगता है कि कहि अब मामा फिर घर ना आने लगे। वो अपने पास किसी साधु की कोई दवा या जड़ी बूटी रखते है जिसको खिलाने से कोई भी लडंकी खुद उनसे चुदवाने लगे।
अब हम मामा के घर गए थे तो शायद उन्होंने हमें फिर वो दवा दी है। जिससे ये सब हो रहा है। मैं तो पहले अपनी शादी और अब तुमारे कारण सही रह पाती हूँ, लेकिन किरण का क्या?
और अगर मामा की नजर अब रानी पर पड़ गयी तो उसको भी खराब करने की सोचेंगे।
मैंने दीदी से खुल कर पूरी बात बताने को कहा हालांकि मैं अभी खुद सदमे में था कि मेरे करिब इतना सब हो गया लेकिन मुझे कुछ भी मालूम नही चला।
तब दीदी ने पूरी बात बतानी शुरू की-------- जब उन्होंने पहली बार मामा और मम्मी को चुदाई करते हुए देखा।
उस वक्त मैं स्कूल में पढ़ती थी, और तुम और रानी का जन्म नही हुआ था ये तब की बात है।
मेरी छुटियाँ चल रही थीं.. तब मामा ने हम सभी को दो दिन के लिए उनके घर बुलाया। पापा को उनके घर जाना पसंद नहीं था, इसलिए हम सब ही उनके घर चले गए थे। मामा खुद कार में हमें लेने घर आए।
मामा कार ड्राइव कर रहे थे और मम्मी उनके साथ वाली सीट पर बैठी थी। तब मैंने देखा कि मामाजी मम्मी के एक हाथ को पकड़ कर हाथ मसल रहे थे.. पर मैं तब अनजान थी। मुझे कुछ पता नहीं चला कि मम्मी और मामाजी के इरादे क्या थे।
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
हम उनके घर पहुँचे, उनकी फैमिली ने हमारा स्वागत किया।
इंट्रोडक्शन---
मामा---राघवेंद्र सिंह
मामी---प्रोमिला देवी
बड़ी बेटी प्रियंका
छोटी बेटी सीमा
मामीजी और प्रिंयका और सीमा(मामा की बेटियां)हमसे मिलकर बहुत खुश हुई।
रात का भोजन हमने कर लिया था अब सोने की तैयारी होने लगी।
रात को हम सब 12 बजे तक जाग कर बातें करते रहे। उनकी दोनों बेटी तो दस बजे ही सो गई थीं। अपने सोने का बंदोबस्त मामा-मामी ने अपने बेडरूम के साथ वाले रूम में किया था। किरण ,मै और मम्मी कब सोये.. वो मुझे पता नहीं चला।
मम्मी और मामाजी तो शायद सबके सोने का इंतजार कर रहे होंगे।
रात में अचानक किसी ने मेरा मुँह कम्बल से ढक दिया, मुझे मुँह ढक कर सोने की आदत नहीं है इसलिए मेरी आँख खुल गई। तब मैंने देखा कि मामाजी मेरा मुँह ढक रहे थे। मैंने मुँह ढक कर सोने का नाटक किया।
थोड़ी देर में मामाजी मम्मी के पास गए और मम्मी को हिलाते हुए जगाया।
मम्मी उठ गईं तो वे मम्मी के होंठों को चूमने लगे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये तो भाई-बहन हैं और ऐसा कर रहे थे।
काफी देर तक मामाजी ने मम्मी के होंठों को चूमा.. मम्मी भी मामाजी का साथ दे रही थीं।
बाद में मामाजी मम्मी को घर के छत पर ले गए, साथ में चादर भी ले गए। तब मैं उन लोगों का इरादा समझ गयी। मैंने भी उन लोगों का छुप कर पीछा किया। मैंने देखा कि मम्मी और मामाजी एक-दूजे को चूम रहे थे। मामाजी मम्मी के शरीर पर हाथ घुमा रहे थे। मम्मी ने नाईट ड्रेस पहनी थी। कुछ ही पलों बाद मामाजी ने मम्मी की नाईट ड्रेस निकाल दी। अब मम्मी सिर्फ ब्रा पेंटी में थीं। तभी मामा जी ने मम्मी को एक गिलाश में पानी और कुछ दिया। मम्मी ने मामा जी की तरफ देखा और वो चीज अपने मुह में रख कर उप्पेर पानी पी लिया।
मामाजी ने मम्मी की ब्रा निकाली और मम्मी के बड़े-बड़े मम्मों को मसलने लगे.. और चूम भी रहे थे। मम्मी के चूचे तो एकदम ताजा आम की तरह थे.. और मामाजी उन दोनों आमों को निचोड़-निचोड़ कर रस पी रहे थे।
मम्मी के मुँह से निकलती कामुक सिसकारियां मुझे सुनाई दे रही थीं। मम्मी को भी बड़ा मज़ा आ रहा था, मम्मी अपना हाथ मामाजी के चड्डी में डाले हुए थीं। कुछ देर बाद शायद मम्मी से रहा नहीं गया तो मम्मी ने खुद मामाजी जी की चड्डी निकाल दी और मामाजी का लंड को हिलाकर मुँह में घुसेड़ लिया।
मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि ये हकीकत है।
अब मेरी मम्मी मामा जी का लंड जोर-जोर से चूसने लगीं.. जैसे प्यासे को पानी मिल गया हो।
मम्मी और मामाजी बेकाबू हो रहे थे। मामाजी भी जोर-जोर से अपना लंड मम्मी के मुँह में धकेल रहे थे। मम्मी तो जैसे लॉलीपॉप चूस रही थीं। उनको लंड चूसने में इतना मजा आ रहा था कि वे तो मामाजी के लंड को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थीं।
फिर मामाजी ने चादर बिछाई और मम्मी को उस पर लेटा दिया। बाद में मामाजी ने मम्मी की की पेंटी निकाली। मम्मी मेरे सामने मामाजी के साथ पूरी नंगी पड़ी थीं। मम्मी को नंगी देख कर मैं भी दंग रह गयी ।
मामाजी बेकाबू हो कर मम्मी की टांगों के बीच में घुस कर मम्मी की चूत को चाटने लगे।
मम्मी जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगीं- उउस्स.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स्स्स आआअह्ह..
मामाजी कभी मम्मी की चूत में उंगली डालते और कभी चूमते। मामाजी ने ऐसे करके मम्मी के पूरे शरीर को अपनी जीभ से चाट लिया।
मामाजी ने चूत में घुसेड़ने के लिए लंड को हिलाया और मम्मी ने भी अपनी टाँगे फैला दीं और मामाजी को लंड घुसेड़ने का सिग्नल दिया।
इस वक्त मम्मी की चूत मुझे साफ़ दिख रही थी.. मम्मी की चूत एकदम चिकनी थी। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. शायद वे पहले से ही चुत की शेविंग करके आई थीं। मामाजी ने चूत को चाट-चाट कर गीली कर दी थी। मामाजी मम्मी के चूत पर जितना अपना लंड रगड़ रहे थे, उतनी ही मम्मी बेकाबू होती जा रही थीं। फिर मामाजी ने अपना लंड मम्मी के चूत में घुसेड़ दिया। मम्मी के मुँह से जोर से आवाज निकल गई- आआह्ह्ह्ह..
तभी मम्मी ने अपने हाथों से मुँह को बंद कर दिया। मामाजी ने अपना पूरा लंड धीरे से मम्मी के चूत में पेल दिया और मम्मी के मुँह को दबा लिया ताकि चीख न निकले। अब मामाजी लंड को अन्दर-बाहर करने लगे। पहले तो धीमे से ही कर रहे थे, बाद में तो जैसे घोड़ा सरपट दौड़ा दिया।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं अपनी मम्मी की चूत चुदाई होते हुए देख रही हूँ।
अचानक दोनों बेकाबू हो गए। मामाजी ने मम्मी की दोनों टाँगे कंधे पर रख लीं और जोर-जोर से चोदने लगे। मम्मी भी बहुत मज़ा ले रही थीं.... मामाजी जितने जोर से अन्दर डालते उतनी ही जोर से मम्मी की मुँह से सिसकारियां निकाल रही थीं ‘आह अहह आह.. आआह्ह उह्ह्ह स्स्स्स..’
मामाजी के लंड और चूत के बीच में से ‘फचक.. फचक..’ की आवाज आ रही थी। ऐसा लगता था जैसे कई दिनों से दोनों एक-दूजे के लिए प्यासे हों। काफी देर तक मामाजी मम्मी को चोदते रहे और मम्मी चुदवाती रहीं।
तभी मामाजी अचानक जोर-जोर से मम्मी को झटका देने लगे और मम्मी की चूत में लंड का सारा रस डाल दिया। मम्मी भी शांत हो गई थीं।
कुछ पल बाद वे दोनों अपने कपड़े पहने बिना ही कमरे की तरफ आ रहे थे, मैं जल्दी से दौड़ कर बेड पर आयी और सोने की एक्टिंग करने लगी। मैं सोच रही थी कि इन दोनों ने अभी भी कपड़े क्यों नहीं पहने हुए हैं.. चुदाई तो ख़त्म हो गई।
चुदाई का घंटा बीत गया.. रात के 3 बज गए.. मामाजी और मम्मी सोए नहीं थे.. मेरी तो आँख लग गई। अचानक सिसकारियों की आवाज सुनाई दी, मैंने आँखे खोली तो देखा कि मामाजी मेरे बाजू में थे और मम्मी को चूम रहे थे। तब पता चला कि दोनों ने कपड़े क्यों नहीं पहने थे। पहली चुदाई के बाद भी की दोनों को एक बार सेक्स करके प्यास नहीं बुझी थी.. वे दोनों फिर से वही कर रहे थे जो छत पर किया था। पर इस बार मम्मी और मामाजी कमरे में ही थे। मैं मम्मी के बाजू में ही थीं।
फिर भी बिना डरे ये दोनों चुदाई कर रहे थे। मामाजी मम्मी के ऊपर आ गए और मम्मी की चुदाई करने लगे और कमरा फच फच, फच, फच, आवाज से गूंज उठा। हमारा बेड भी हिल रहा था। पता नहीं मामी जी को साथ वाले रूम में क्यों कुछ नहीं सुनाई दे रहा था, थोड़ी देर बाद फिर से मामाजी ने अपने लंड का पानी चूत में डाल दिया और दोनों ठंडे हो गए। बाद में मामाजी बाजू वाले कमरे में जाकर सो गए और मम्मी बाथरूम में अपनी चूत साफ करने के लिए चली गईं।
मैं बस सोचते सोचते सो गई।
इस तरह मम्मी और मामाजी ने भाई-बहन के रिश्ते को तोड़ा और नाजायज़ रिश्ता जोड़ते हुये मैने देखा। मामाजी अक्सर मम्मी को चोदने के लिए घर आया करते हैं या मम्मी उनके घर जाती हैं।
जब भी मामा घर आते थे तो मम्मी की चूत जरुर मारते थे। धीरे धीरे मैं बड़ी हो गयी और 17 साल की जवान लड़की हो चुकी थी। वक्त के साथ मेरे जिस्म में अब बहुत बदलाव आ गया था। मेरा कद भी अब काफी लम्बा हो गया था। मैं अब 5 फुट 4 इंच लम्बी हो गयी थी। इसके अलावा मेरे बदन में अब काफी बदलाव हो चुका था। मेरी छाती अब काफी चौड़ी हो चुकी थी और मम्मे फूलकर बड़े बड़े गुब्बारे जैसे दिखने लगे थे। मेरे बूब्स का साइज अब 32” का हो गया था। मेरी कमर 28 और चुतड 32इंच के हो गये थे। मेरे स्कूल के लड़के अब मुझे घूर घूर दे देखने लगे थे। मैं जींस टॉप और टी शर्ट पहनती थी। टी शर्ट में मेरे बड़े बड़े बूब्स बहुत रसीले लगते थे जिसे देखकर सभी लड़को के लंड खड़े हो जाते थे।
वो सब मुझे कसके चोदना चाहते थे। क्यूंकि मैं उन लकड़ों से काफी डरती थी। मुझे डर था की कहीं वो मुझे पकड़ कर चोद ना ले। एक दिन मामा घर पर आये थे। काफी देर तक उन्होंने मम्मी को कमरे में चोदा फिर बाहर निकल आये। मैं कुछ देर बाद मामा के लिए खाना ले गयी और जैसे ही मैंने खाने की थाली रखी मेरे टॉप से मेरे बड़े बड़े 32” के शानदार दूध दिखने लगे। मामा की नियत मुझ पर खराब हो गयी थी। वो अब मुझे कसके चोदना चाहते थे। उसकी आँखें सब कह रही थी।
“आओ रीटा बेटी, मैंने तुम्हारा हाल चाल तो पूछा ही नहीं!!” मामा बोले और मेरा हाथ पकड़कर उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। मुझे ये सब कुछ ठीक नही लग रहा था। अब मैं कोई छोटी बच्ची नही थी। अब मैं 18 साल की जवान लड़की हो गयी थी। फिर मामा तरह तरह की उलटी सीधी बाते करने लगे और मुझे गोद में बिठाकर मेरी कमर में हाथ डाल दिया। फिर उन्होंने मुझे मेरे गाल पर चुम्मा ले लिया। मुझे ये सब बहुत अजीब लग रहा था। धीरे धीरे उनके हाथ मेरे बूब्स पर चले गये और मेरे सगे मामा तेज तेज मेरे मम्मे दबाने लगा। फिर बहाने से मैं वहां से भाग आई।
“यार बबली!! कल मेरे मामा मुझे हर जगह हाथ लगा रहे थे। वो बार बार मेरे गाल पर चुम्मा ले रहे थे!!” मैंने अपनी ख़ास सहेलियों बबली और रीना से कहा
“रीटा!! फिर तो इसका मतलब है की तेरे मामा का दिल तुझ पर आ गया है। वो तुझे कसके चोदना चाहते है!!” बबली और रीना एक साथ बोली।
उसी शाम को मैंने एक बंद कमरे में अपनी माँ और मामा की आवाज सुनी।
“बहन! मुझे रीटा की चूत मारनी है!!” मामा बोल रहे थे
“नही भाई !! ये गलत है। ऐसा तो बिलकुल पाप और अधर्म होगा। नही नही तुम ऐसा कोई काम नही करोगे। जब मैं तुम्हारे पास हूँ तो तुम मुझे कसके चोद लो, पर प्लीस मेरी जवान और कुवारी लड़की को बक्श दो। उससे कुछ मत करना!!!” मेरी माँ मामा ने दबी हुई आवाज में बात कर रही थी जैसे विनती कर रही थी।
“बहन!! मत भूलो की तुमारा राज मैंने ही छुपा कर रखा है अभी तक, तुमारी शादी भी मैंने भी बचा कर रखी है।अगर मैं तुम्हारी मदद नही करता तो तुम इस घर में नही आ पाती!!इसलिए मेरा रीटा पर हक बनता है। मैं उसकी चूत कसके के मारूंगा और फाड़ के रख दूंगा!! जैसे तुमारी फाड़ता हु!!!!हा हां हा” मामा ने कर्कश हंसी के साथ तानाशाही आवाज में अपना फैसला सुनाया।
रात में मेरी माँ ने मुझसे मेरी सहेली बबली के घर कुछ दिन रहने को बोल दिया। किसी तरह मैंने डर में रात गुजारी।
सुबह के 4 बजे मेरी आँख खुली। मैंने देखा की मामा अभी सो रहे थे। मैं दबे पाँव बाथरूम में नहाने चली गयी। कुछ ही देर में मैं बबली के घर जाने वाली थी।
ये सब काम मुझे अपने कंश मामा से छुपकर करना था। मैंने बाथरूम में कुण्डी नही मारी थी। मैंने नहा रही थी। तभी अचानक से मेरे कपटी मामा पेशाब करने उठे और शोवर की आवाज सुनकर वो मेरे बाथरूम में घुस आये। मैं नहाने में मस्त थी और बालों को शम्पू कर रही थी। मैं पूरी तरह से नंगी थी और मेरे जिस्म पर एक कपड़ा भी नहीं था। मैंने अपनी पेंटी उतार दी थी। क्यूंकि चूत में भी मैं शैम्पू लगा रही थी जिससे चूत के सारे बैकटीरिया मर जाएं और मेरी चूत अच्छे से साफ़ हो जाए।
“भई वाह!! मेरी बहन ने जीजा से चुदवा चुदवाकर क्या मस्त माल भांजी पैदा की है!! मेरा तो मूड ही बन गया!!” पीछे से आवाज आई।
मैंने पलटी तो देखा की मामा मेरे बाथरूम में घुस जाए थे। ट्यूबलाईट की तेज रौशनी में मैं पूरी तरह से नंगी थी। मेरा खूबसूरत जिस्म चांदी की तरह चमक रहा था, मामा बाथरूम में अंदर घुस आये और हँसने लगे। फिर उन्होंने कुण्डी अंदर से बंद कर दी और अपने सारे कपड़े निकाल दिए।
“नही मामा नही!!” मैं चिल्लाई
पर मामा ने मुझे गोद में उठा लिया। अब वो भी नंगे थे और मैं भी नंगी थी। शावर का पानी हम दोनों पर भिगाने लगा। मामा ने मुझे गोद में उठा लिया और मेरे गाल पर चुम्मा लेने लगे। अब तक शोवर का पानी हम दोनों को भीगा चुका था। आज सुबह के 4 बजे ही मैं चुदने वाली थी। मामा फिर मेरे भीगे और पानी में नहाए मम्मो को मुंह में लगाकर पीने लगे। मेरे मामा 6 फिट के गबरू जवान आदमी थे। इसलिए उन्होंने एक मिनट में मुझे अपनी गोद में उठा लिया था। हम दोनों शोवर के नीचे खड़े थे और भीग रहे थे। “नही मामा!! प्लीस!! मुझे छोड़ दो!!” मैंने बार बार कह रही थी। तभी मामा ने नीचे पड़ी अपनी पेंट की जेब से एक पुड़िया से दो काली गोली निकली और जबरदस्ती मेरे मुह में ठूस दी और मेरी नाक बीच ली जिससे मुझसे उन्हें गटकना पड़ा। फिर पकड़ ढीली पड़ते ही मैने टूंटी से पानी पिया और जोर जोर से हाँफने लगी। उनके बाद जब मामा बड़ी देर तक मेरे दोनों बूब्स को पीते ही रहे तो मैं चुप हो गयी थी। क्यूंकि मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मामा ने मेरी 32” के बड़े बड़े मम्मो को जी भरकर चूसा। मेरे मम्मो के निपल्स के चारो ओर बड़े बड़े काले काले घेरे थे जो बहुत सेक्सी लग रहे थे।
मामा तो बस उन काले काले घेरे को चूसे जा रहे थे। उनकी हालत बता रही थी की उसको बेहद मजा मिल रहा है। फिर मेरे मामा ने मुझे हवा में कलाबाजियां खिला दी और बिलकुल उल्टा कर दिया। मेरा सिर नीचे था और दोनों पैर उपर। अब मेरी चुद्दी [चूत] ठीक उनके सामने थी। मेरे मुंह के सामने अब मामा का बड़ा सा 8” का लौड़ा था। मामा ने जल्दी से मेरे मुंह में लौड़ा घुसेड़ दिया और मुझसे चुसाने लगे। खुद मेरी चूत चाटने लगे। मैंने तो बिलकुल पागल हुई जा रही थी। मैं “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकाल रही थी। फिर मैंने भी जल्दी जल्दी मामा का लंड चूसना शुरू कर दिया था। मैंने हवा में मामा के हाथो में जकड़ी हुई थी। उलटा हवा में लटकी हुई थी। मेरी मस्त जवान चुत को वो जल्दी जल्दी चाटे जा रहे थे। शावर का पानी सीधा मेरी चूत पर गिर रहा था। मुझे बहुत सेक्सी महसूस हो रहा था। लग रहा था की पानी ही मेरी चूत मार रहा है।
फिर मेरे ठरकी मामा ने और तेज शावर खोल दिया और जल्दी जल्दी मेरी चूत को चाटने लगे और पीने लगे। उधर मैं हवा में उलटी लटकी हुई थी। मामा के लौड़े को मैं मुंह में लेकर जल्दी जल्दी चूस रही थी। ओह्ह गॉड!! कितना मोटा और लम्बा लंड था मामा का। काफी देर हम दोनों की रासलीला चलती रही। मम्मी और तुम लोग अपने कमरे में सो रहै थे। तूम लोगो को हमारी रासलीला के बारे में कुछ नही मालुम था। 15 मिनट तक मामा मुझे उलटा लटकाए रहे। फिर उन्होंने सीधा किया और मुझे बाथरूम के फर्श पर लिटा दिया। मामा भी मेरे उपर लेट गये और मेरे मम्मे मुंह में लेकर चूसने लगे। मैं बार बार “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्हह्ह….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” की आवाज निकाल रही थी। क्यूंकि मुझे बहुत जादा सेक्स उत्तेजना हो रही थी।
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
दीदी के पास से मैं दुकान पर चला गया और आगे का सोचने लगा। मामा के लिए फूल प्रोफ प्लान चाहिए था और किरण का भी इंतजाम करना था।
तभी मुझे रीटा दी का फ़ोन आता है और बताती है कि मम्मी और रीटा को मोशी के घर जा कर आना है, किरण घर पर अकेली है, मैं थोड़ा जल्दी घर आ जाओ।
फिर उस दिन मैंने दुकान से घर पर जल्दी आने का प्लान बनाया और फिर में उस दिन घर पर जल्दी आ गया.
हमारा घर आखरी तरफ पर है और बिल्डिंग एकदम नई जगह थी.. इसलिए बहुत कम लोग ही रहने आए थे इस तरफ। फिर में अपने घर पर पहुंच गया और मैंने वहां पर पहुंच कर बहुत धीरे से घर का दरवाज़ा खोला और अंदर घुसते ही मुझे उस रात की तरह वही आवाज़ आ रही थी. तो मैंने सोचा कि शायद दीदी आज फिर से अपनी चूत में रोशनी से उंगली डलवा रही है?
तभी मैंने एक नाटक करने के बारे में सोचा और अपनी बहन के बेडरूम में अंजाने में जाने का प्लान बनाया और जब कमरे की तरफ जाने लगा तो मुझे रोशनी वही खडी मिली जो रूम में झांक रही थी। मैंने धीरे से उसको छुआ तो वो मुझे देख कर डर गई। मैंने उसके मुह पर हाथ रख दिया वर्ना चीख पड़ती। मैंने उससे पूछा क्या चल रहा है तो उसके मुह से कुछ भी नही निकला। मैं उसको साइड करके जब में कमरे के अंदर गया तो नज़ारा और भी चौंकाने वाला था.
मेरी बहन रंडी की तरह अपने दोनों पैरों को फैलाए हुए बेड पर पड़ी हुई थी और रोशन ड्राइवर( रोशनी का पति) नीचे जमीन पर खड़ा हुआ अपना लंड मेरी रंडी बहन की चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रहा था और यह सब देखकर मेरा लंड तो एकदम खड़ा हो गया.. लेकिन अब मुझे बहुत गुस्सा भी आ रहा था कि वो ड्राइवर मेरी बहन की चूत मारकर जा सकता है और अब तक में कुछ नहीं कर पाया. फिर मेने ध्यान दिया कि रोशन का लण्ड अभी तक ढ़ीला है और मेरी बहन की चूत में नही घुस पा रहा है।.. वो दीदी की चुत पर सिर्फ रगड रहा है और दीदी नीचे पड़ी पड़ी सिसकियाँ ले रही थी. तभी अचानक से उसने रगडने की अपनी स्पीड और बड़ा दी और कुछ देर के बाद उसने अपना वीर्य मेरी बहन की चूत के ऊपर डाल दिया और वो सब द्रश्य देखकर मुझे बहुत गुस्सा आया।
फिर में कमरे से बाहर आकर और रोशनी को साइड में लेजाकर पूछा कि क्या है ये सब।
रोशनी रोने लगी और बताने लगी कि किरण दीदी पर पता नही क्या जनून सवार होता है और वो ये हरकते करने लग जाती है। आज वो मुझसे बोली कि उसको किसी मर्द का लण्ड चाहिए किसी भी कीमत पर ।
मालकिन और रीटा जी के जाते ही ये मेरे पास आई और मुझे किसी को बुलाने को कहने लगी।
संजू मुझे मालूम थाकि अगर किसी और को बुलाया तो क्या हो सकता है इसलिए मैं रोशन से कहा। वो काफी मना किया लेकिन फिर मेरे समझने पर मान गया। मैं जानती थी कि उसका खड़ा नही होता है और किरण कितनी भी कोशिश कर ले कुछ नही होगा।
और रोशनी चुप हो गयी। कहा मैं रोशनी को गलत समझ रहा था और यहा वो मेरे ही बहन को बचाने की कोसिस कर ही है।
मैं वही जमीन पर बैठ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ अब मै?
तभी रोशनी बोली कि संजू तुम्हे ही किरण को रोकना होगा चाहे जैसे भी।
मैं उनकी बात का मतलब समझ गया और वापिश घर से बाहर आ गया। थोड़ी देर बाद वापिश घर गया और बेल बजायी।
मेरी दीदी ने दरवाज़ा खोला और वो मुझे देखकर एकदम चकित हो गई.. लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली और में भी उसे देखकर समझ गया कि यह अपनी रंगरलियों से बहुत थक चुकी है.. वो उसके चेहरे से झलक रहा था.. उसके बिखरे हुए बाल और चेहरे का उड़ा हुआ रंग साफ साफ बता रहा था कि वो अभी अभी क्या करके आ रही है और फिर वो मेरे आगे आगे अपनी गांड मटकाती हुई चलने लगी और में उसके पीछे पीछे उसकी गांड को देखता हुआ अंदर चला आया. फिर मैंने थोड़ा लंच किया और हॉल में दीदी और में साथ बैठकर फिल्म देखने लगे और मैंने सोच ही लिया था कि आज इस साली रंडी को में किसी भी हालत में जरुर चोदूंगा.
फिर वो उठकर वापिश अपने कमरे में चली गयी।
थोड़ी देर बाद में उठकर जब उसके रूम के पास पहुचा तो वो मम्मी के मोबाइल में लीड लगा कर कुछ देखने मे मस्त थी।
पहले तो मैं चुपचाप नजारा देख रहा था वो कान में लिड लगा रखी थी और आह आह कर रही थी। मैं खड़ा था साइड में और देख रहा था मेरी धड़कन बढ़ गई थी। मैं अपना लौड़ा अपने हाथ में ले लिया था और हिलाने लगा और मेरी भी सिसकियाँ निकलने लगी थी। मेरी बहन अपने बूर में ऊँगली डाल दी और आह आह आह चोद दो मनोज मुझे चोद दो मुझे। भाई का क्या है मेरे सपने में तुम ही आते हो।
मैं समझ गया वो मनोज को याद करके अपने बूर में ऊँगली कर रही थी। मुझसे रहा नहीं गया और उसके सामने नंगा ही खड़ा हो गया वो देख कर अचानक खड़ी हो गई और डर गई
लेकिन उसकी नजर मेरे खड़े हुये लंड पर थी और मेरी उसके बड़े बड़े बूब्स पर.. जो मुझे अपनी और आकर्षित कर रहे थे.
मेरी बहन एकदम उठकर खड़ी हुई और वो बनावटी गुस्से में मुझसे बोली कि यह क्या बदतमीजी है? यह तुम मुझे क्या दिखा रहे हो.. में तुम्हारी बड़ी बहन हूँ और अभी के अभी इसे अंदर करो. फिर में उठकर खड़ा हुआ और मैंने सबसे पहले उसकी चूत में उंगली डाल दी .. वो उसे देखकर एकदम भड़क गयी और उसने मुझे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया और कहा कि तुम भी तो बाथरूम में जाकर अपना लंड हिलाते हो.....? और हिलाते तो सब ही है और हाँ, में भी कभी कभी चूत में ऊँगली करती हूँ.. लेकिन मैंने किसी के साथ सेक्स किया नहीं है. तो मैंने फिर उसे रोशन से उसकी चुदाई वाली बात बताई और फिर पूछा कि अब बोल साली रंडी तब तो पैर फैलाकर बड़े मज़े से लंड ले रही थी और जब मैंने कुछ सेक्स की बात की तो मेरे ऊपर भड़क गयी? मैंने तुझे तीन दिन रुकने को कहा था लकीन तुम तो ड्राइवर के नीचे ही लेट गयी। इतना सुनकर वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और मेरे पैरों पर गिर पड़ी और वो मुझसे माफ़ी मांगने लगी.. बोली कि प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने बहुत बड़ी ग़लती कर दी.
तो मैंने कहा कि में तुम्हें एक ही शर्त पर माफ़ करूँगा.. अगर तुम जो काम उस ड्राइवर के साथ कर रही थी वही काम मेरे साथ करो तो? तो यह बात सुनकर वो एकदम दंग रह गयी और मुझसे दूर जाकर खड़ी हो गयी. फिर उसने मुझसे कहा कि में उसका भाई होकर उसके बारें में ऐसा कैसे सोच सकता हूँ?
मैंने कहा कि जब तू उस ड्राइवर से पूरी तरह से जोश में आकर चुदवा रही थी.. तब तो तुझे बड़ा मज़ा आ रहा था ना? तो अब मुझसे चुदवाने में क्या प्राब्लम है? और में यह बात किसी को नहीं बताऊंगा और एक भाई, बहन का रिश्ता हम लोग घर के बाहर रखेंगे और घर में दिनभर चुदाई करते रहेंगे.. इसकी वजह से तुझे भी बाहर किसी और से चुदवाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और में घर पर ही तुझे चोदता रहूँगा.. इससे तेरा भी काम चलेगा और मेरा भी चलता रहेगा ।
मैंने कहा देख बहन मैं भी प्यासा हु और तुम भी प्यासी हो, क्यों ना हम दोनों आपस में ही रिश्ता रख लें घर का माल घर में रह जाये इससे बढ़िया और कुछ भी नहीं हो सकता है इसलिए हम दोनों आपस में ही सम्बन्ध बना लें ताकि बाद में तेरा बाहर जाने का मन न करे।
इतना कहते ही मेरी बहन बोल उठी और ये बात कभी मम्मी को पता चला तो?
तो मैं बोला क्या तुम मम्मी को अपनी चुदाई की कहानी बताने बाली हो तो उसने कहा नहीं। तो मैंने कहा फिर कैसे पता चलेगा?
और इस तरह से बहुत देर तक समझने पर वो आख़िर समझ गई.. बोली ठीक है।
फिर वो बोली अगर हम दोनों ऐसे ही चुदाई करेंगे तो दीदी को भी मालूम चल सकता है। उसकी चिंता न करें मे संभाल लूंगा।
मैंने फिर अपने कपड़े उतारे और में उसके सामने पूरा नंगा हो गया और उसके बहुत करीब गया और उसकी चूत का आकार उसकी पेंटी से पूरा साफ साफ दिखाई दे रहा था और उसके बूब्स के निप्पल भी अब उभर रहे थे और मेरा लंड तनकर खड़ा हो चुका था. तो मैंने उसकी पेंटी पर ही अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर चिपकाना शुरू कर दिया. फिर सबसे पहले मैंने उसकी ब्रा को उतारा और उसके बूब्स देखकर में तो बिल्कुल पागल सा हो गया और मैंने तुरंत बूब्स को चूसना शुरू कर दिया. में अपनी दीदी के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से चूसता रहा
फिर मैंने उसकी गांड पर पेंटी के ऊपर से ही अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया.. तो मैंने कहा कि ठीक है तो तू अपनी पेंटी को उतार और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर मुठ मार. फिर उसने धीरे से अपनी पेंटी को उतारा.. वाह क्या चूत थी? मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था और हम दोनों बेड पर बैठ गये और वो मेरा लंड अपने हाथ में पकड़कर हिलाने लगी.
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि में अपनी बहन के साथ ऐसे बिल्कुल नंगा बैठकर उसके हाथ से अपनी मुठ मारवाऊंगा और फिर जब वो मेरा लंड हिला रही थी.. तब मैंने उसकी चूत पर उंगली करना शूरु कर दिया. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था..
मैंने फिर उसके बाल पकड़े और उसका मुहं अपने लंड की तरफ लाया. मैंने कहा कि अब तुम मेरे लंड को अपने मुहं से हिलाओ.. फिर उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और लंड को चूसने लगी और मैंने उससे अपना लंड बड़े मज़े से चुसवाया.
फिर मैंने उसका सर अपने दोनों हाथों से पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से अपना लंड उसके मुहं में डालता रहा.. वाह क्या मज़ा आ रहा था? फिर मैंने अपना कंट्रोल खो दिया और उसको पकड़कर बेड पर पटक दिया. तो वो एकदम से डर गयी और अब मेरा लंड एकदम जोश में आ चुका था और मेरे लंड को उसकी चूत की ज़रूरत थी और में इतना खुश कभी नहीं था.. मेरी बहन मेरे सामने एकदम नंगी लेटी हुई थी
फिर क्या था वो मेरे में लिपट गई और मैं भी अपने बहन से लिपट गया. मैं चूचियां दबाने लगा वो मेरे लौड़े को सहलाने लगी। धीरे धीरे हम दोनों वाइल्ड हो गए और मैं फिर अपने बहन का बूर चाटने लगा और फिर गांड में ऊँगली करने लगा। वो खूब मजे लेने लगी उसने अपने बाल खोल दिए वो गजब की लग रही थी। फिर मैं उसको बेड लिटा दिया और अपना लौड़ा उसके बूर पर लगा कर अंदर पेल दिया।
वो दर्द से कराह उठी, वो बोली लौड़ा दूसरी बार इतने दिनों बाद डलवाई हु अपने बूर में इससे पहले तो ऊँगली से ही काम चला रही थी। उसके बाद फिर क्या था मैं जोर जोर से अपने लौड़े को अपने बहन के बूर में डालने और वो भी अपने गांड को उठा उठा कर चुदबाने लगी। करीब 30 मिनेट तक चोदने के बाद मैं झड़ गया और वो भी शांत हो गई। फिर हम दोनों साथ में नहाये मैंने उसके चूचियों पर खूब साबुन लगाया और बूर में ऊँगली किया और साबुन लगाया। हम दोनों फिर से तैयार हो गए और अब हम दोनों बाथरूम में ही सेक्स करने लगे, अब तो और भी मज्जा आने लगा। दिन भर मैं अपने बहन को चोदा और उसकी कामपिपासा को शांत किया।
किरण दी मुझे छोड़ने को तैयार ही नही थी। फिर मैंने कहा कि दीदी और मम्मी आने वाली है अब ये सब बंध करना होगा।
तब जाके मुझे छोड़ा और हमने कपड़े पहने और बात करने लगे।
फिर मैंने दिदी से कहा कि अबसे उनको खुद पर कंट्रोल करना होगा वो अब किसी भी बाहर वाले से संपर्क नही करेगी। मैने उनको ये भी बता दिया कि मैंने आज उसको और रोशन को भी देख लिया था तो उनकी नजर नीची हो गयी। उन्होंने वादा किया कि वो पूरी कोशिश करेगी अब से । अगर नही कंट्रोल हुआ तो मुझसे बोलेंगी।
मैने उनको गले से लगा लिया और फिर उनको ले कर बाहर आ गया।
रोशनी रसोई में थी। हमे देख कर उसने चाय के लिए पूछा। मैंने कहा बना लो और हाल में बैठकर टीवी देखने लगा।
तभी मम्मी और दीदी भी आ गयी वापिश। दोनो आकर मेरे पास सोफे पर बैठ गयी।
मैं शांत बैठा रहा कुछ नही बोल रहा था। मम्मी ने मुझे टोका क्या हुआ संजू इतना क्यो चुप चुप है?
मैंने कहा---//कहा गयी थी मम्मी?
मम्मी---रीता ने फ़ोन तो किया था तेरी मोशी से मिलने गए थे।
मैं-----क्यों?
मम्मी---क्यो क्या ऐसे ही मन किया।
मैं----- मम्मी अगर अब पापा नही रहै तो इसका ये मतलब नही की इस घर मे अब मर्द नही रहा।
मम्मी का मुह खुला का खुला रह गया। उनको समझ ही नही आ रहा था कि मैं ऐसे क्यो बात कर रहा हु।
मम्मी--- हां तो मैं घर मे बड़ी हु और कहि आ जा भी नही सकती। तुम बच्चे हो और बडे न बनो।
मैं--- मम्मी पापा के जाने के बाद मैं इस घर का वारिश हु और मालिक भी। सब रिस्तेदारो ने उनके देहान्त के बाद मुझे पापा की पगड़ी पहनाई थी उसका मतलब यही था कि अब इस घर का मालिक हु मैं। और अब इस घर मे मेरी मर्जी से सब होगा। मेरी नोलेज के बिना न कोई कहि ज्यायेगा और न ही आएगा।
मम्मी गम्भीर हो गयी और कुछ न बोली। दीदी मुझे देख कर मुस्करा रही थी।
हा, मम्मी मामा का क्या करना है?
मामा का नाम सुनते ही जैसे मम्मी की हालत ऐसे हो गयी जैसे बिजली का झकटा लगा हो।
पापा ने मामा से सब रिश्ते तोड़ लिए थे। क्यो तोड़े मुझे नही मालूम लेकिन अब उनके जाते है आप उनके घर जाने लगी। ऐसा क्यों?
मम्मी बगले झांकने लगी।
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