hindi kahani तरक्की का सफ़र
06-13-2017, 09:17 PM,
#41
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
“नहीं!!! मुझे और नहीं सुनना और मैं तुम पर अब विश्वास करती हूँ, मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूँ, मुझे बताओ मुझे क्या करना है?” रजनी बोली।

“ये मैंने पहले ही सोच रखा है, मैं एम-डी से कहुँगी कि तुम एक गरीब घर की गाँव की रहने वाली लड़की हो और तुम्हें अपनी विधवा माँ के इलाज के लिये पैसे चाहिये, तुम पैसों की तंगी की वजह से अपनी चूत तो दे चुकी हो लेकिन तुम्हारी गाँड अभी भी कुँवारी है।”

“वो तो अब भी है!” रजनी ने हँसते हुए कहा।

“मैं जानती हूँ, इसलिये जानती हूँ कि एम-डी तैयार हो जायेगा। मैं ये भी शर्त रखुँगी कि तुम अंधेरे में चुदवाना चाहती हो”, प्रीती ने कहा।

“ये सब तो ठीक हो जायेगा पर क्या राज ने आयेशा को चोदा था?”

“हकीकत में हाँ! लेकिन ये अलग कहानी है”, प्रीती ने जवाब दिया।

“बताओ मुझे, मैं जानना चाहती हूँ”, रजनी बोली।

“करीब पंद्रह दिन के बाद आयेशा मेरे घर आयी और बोली कि वो प्रेगनेंट है। मैंने उससे कहा कि अगर वो इस मुश्किल से बचना चाहती है तो उसे राज से चुदवाने पड़ेगा। वो मान गयी क्योंकि उसके पास दूसरा चारा नहीं था”, प्रीती ने कहा, “राज ने उस दिन उसे बड़े ही प्यार से चार बार चोदा। पहले तो वो उसका लौड़ा देख कर डर ही गयी थी, दीदी! इनका लंड तो कितना मोटा और लंबा है..... मैं तो मर ही जाऊँगी? मैं भी तो इनसे रोज़ चुदवाती हूँ और अभी तक जिंदा हूँ मैंने जवाब दिया। राज ने उसे बहुत ही नाजुक्ता और प्यार से चोदा, ऐसा चोदा कि वो इसके लंड कि दिवानी हो गयी। दूसरे दिन मैंने उसे डॉक्टर के पास ले जा कर उसका अबार्शन करा दिया। वो राज के लंड कि इतनी दिवानी हो गयी कि बराबर हमारे घर राज से चुदवाने के लिये आने लगी। इसी बीच राज ने उसकी गाँड का भी उदघाटन कर दिया।”

“क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता कि राज दूसरी लड़कियों को चोदता है?” रजनी ने पूछा।

“नहीं, जब तक वो मुझे बताकर करता है, मैं जानती हूँ वो मुझे भी चुदाई का मज़ा दे सकता है और दूसरों को भी और फिर मैं भी तो दूसरे मर्दों से चुदवाती हूँ”, प्रीती बोली।

“फिर तो मैं भी अपनी गाँड का उदघाटन राज से ही करवाना चाहुँगी!” रजनी उत्सुक्ता से बोली।

“नहीं रजनी! तुम्हारी गाँड तुम्हारे अंकल के लिये ही रहने दो... हाँ तुम राज से अपनी चूत चुदवा सकती हो! एक शर्त पर कि, मेरे सामने चुदवाओ!” प्रीती ने जवाब दिया।

“ये तो बहुत ही अच्छी बात है, हाँ अगर तुम हमारा साथ दो तो और मज़ा आयेगा”, रजनी ने कहा।

थोड़ी ही देर में मैं दो सुंदर औरतों के साथ नंगा बिस्तर पर था जिनकी चूत का उदघाटन मैंने ही किया था।

जैसे ही मेरा लंड रजनी की चूत में दाखिल हुआ, वो कामुक्ता भरी आवाज़ में बोल उठी, “ओहहहहहह राज तुम्हारा लंड कितना अच्छा है।” प्रीती हमें देख रही थी और उसने अपने हाथों को रजनी की चूत के पास रखा हुआ था, जिससे मेरा लंड उसके हाथों से होकर रजनी की चूत में जा रहा था।

थोड़ी ही देर में रजनी मस्ती में आ गयी थी। वो अपने कुल्हे उछाल कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसके मुँह से उन्माद भरी आवाज़ें निकल रही थी, “हाँआँआआआ राज!!! ऐसे ही चोदते जाओ, और तेजी से राआआआजा हाँआँ मज़ाआआआआ आ रहा है...... और जोर से।”

उसकी कामुक्ता भरी बातें सुन कर मेरे लंड में भी उबाल आने लगा। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार धीमी कर दी। तभी उसने कहा, “ओहहहहह राज रुको मत..... मेरा थोड़ी देर में ही छूटने वाला है, हाँआँआँ राजा और जोर से, प्लीज़ और जोर से...... कितना मज़ा आ रहा है।” यह कहते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने भी दो चार धक्के लगा कर अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और हम अपनी अपनी साँसें संभालने लगे।

“तुम दोनों की चुदाई देख कर अब मुझसे रहा नहीं जाता, प्लीज़ राज! मेरी चूत की भी प्यास बुझा दो।” प्रीती ने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा।

“जान मेरी! थोड़ा वक्त तो दो.... फिर मैं तुम्हारी अभी की प्यास तो क्या..... जनमों की प्यास बुझा दूँगा”, मैंने जवाब दिया।

प्रीती मेरा लंड अपने मुँह में लेकर जोर से चूसने लगी। जब मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया तो मैंने इतनी जोर से उसे चोदा कि वो तीन बार झड़ गयी।

हम लोग अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे कि रजनी ने अपने होंठ प्रीती की चूचियों पर रख कर चूसना शुरू कर दिया।

“ऊऊऊऊहहहहह ये क्या कर रही हो?” प्रीती बोली, लेकिन उसकी बातों को अनसुना कर के रजनी नीचे की ओर बढ़ती हुई अपनी जीभ को उसकी चूत पर रख कर चाटने लगी।
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#42
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
प्रीती कि सिसकरियाँ तेज हो रही थी, “हाँआआआआआ ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ माँआँआआआआआआआ ये तुम क्या कर रही हो रजनी...... हाँ और जोर से चाटो”, कहते हुए प्रीती ने अपना पानी रजनी के मुँह में छोड़ दिया। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

इन दोनों की हरकत देख कर मेरा लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया। “तुम में से पहले कौन इसका मज़ा लेना चाहेगा?” मैंने अपना लंड हिलाते हुए कहा।

“पहले प्रीती को चोदो”, कहकर रजनी ने मेरे लंड को प्रीती की चूत के छेद पर लगा दिया।

उस दिन मैंने कई बार बदल-बदल कर दोनों को चोदा।

“तो फिर कब मिलना है?” रजनी ने कपड़े पहनते हुए कहा।

“शनिवार की रात को, क्यों ठीक रहेगा ना?”

“ठीक है! शनिवार को मिलेंगे”, कहकर रजनी अपने घर चली गयी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

शनिवार की शाम को मैंने सूईट के सब बल्ब निकाल दिये और खिड़की पर काले पर्दे चढ़ा दिये जिससे कमरे में अंधेरा हो और एम-डी रजनी को पहचान नहीं पाये।

“सर! आप अपने कपड़े उतार कर रूम में जा सकते हैं, नयी चूत आपका इंतज़ार कर रही है!” प्रीती ने एम-डी से कहा।

अपने कपड़े उतार कर एम-डी बेडरूम में दाखिल हो गया। “राज! मैं सब सुनना चाहती हूँ और रिकॉर्ड भी करना चाहती हूँ”, प्रीती ने अपने लिये एक बड़ा पैग ले कर सोफ़े पर बैठते हुए कहा।

मैंने टीवी का स्विच ऑन किया और देखने लगा। एम-डी अपना लंड रजनी की चूत में घुसा चुका था। “मैं तुम्हारी चूत के भी पैसे दे देता अगर तुम मेरे पास पहले आ जाती”, कहते हुए एम-डी रजनी की चूत को चोद रहा था।

रजनी के मुँह से कामुक सिसकरियाँ निकल रही थी। एम-डी अपना पूरा जोर लगा कर रजनी की चूत को चोद रहा था।

“तुझे चुदाई अच्छी लग रही है ना?” एम-डी ने पूछा।

“हाँआँआआ”, रजनी बोली।

“लगता है रजनी को मज़ा आ रहा है!” मैंने प्रीती से कहा।

“हाँ! एम-डी चुदाई बहुत अच्छे तरीके से करता है”, प्रीती ने सिगरेट का कश लेकर मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही दबाते हुए कहा।

टीवी पर रजनी की सिसकरियाँ गूँज रही थी, “ओहहहहहहह हाँआँआआआआआ जोर से... हाँआँआँ ऐसे ही।”

थोड़ी देर बाद कमरे में एक दम खामोशी सी छा गयी थी। सिर्फ़ उन दोनों की साँसों की आवाज़ आ रही थी।

“लगता है दोनों का काम हो गया है!” प्रीती बोली। प्रीती का तीसरा पैग चल रहा था और वो चेन स्मोकर की तरह लगातार सिगरेट पे सिगरेट फूँक रही थी।

इतने में एम-डी ने कहा, “काश तुम मेरे पास पहले आ जाती तो मैं तुम्हारी कुँवारी चूत चोद पाता, फिर भी तुम्हारी चूत अभी भी कसी हुई है। कोई बात नहीं..... चलो अब घोड़ी बन जाओ, अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा।”

“म....म...म..म...म नहीं!!” रजनी ने थोड़ा विरोध किया।

“तुम डरो मत! मैं धीरे-धीरे करूँगा...... तुम्हें तकलीफ नहीं होगी”, एम-डी ने रजनी की चूचियों को सहलाते हुए कहा।

रजनी घोड़ी बन गयी और एम-डी ने अपना लंड उसकी कुँवारी गाँड में डाल दिया।

“ओहहहहहहह मर गयीईईईईई, निकालो बहुत दर्द हो रहा है, ऊऊऊऊऊऊऊऊ माँआँआआ”, रजनी की चींख सुनाई दी।

“राज! एम-डी ने रजनी की कुँवारी गाँड फाड़ दी लगता है!” अपनी सिगरेट एश-ट्रे में टिका कर और ग्लास टेबल पर रख कर प्रीती मेरे लंड को पैंट में से निकालते हुए बोली। “तुम्हारा लंड कितना तन गया है और मेरी भी चुदाई की इच्छा हो रही है.... मुझे चोदो ना.... देखो मेरी चूत कैसे बह रही है।”

मैं प्रीती को सोफ़े पर लिटा कर, कसके उसकी चुदाई करता रहा।

दो घंटे के बाद एम-डी बेडरूम से बाहर आया और अपने कपड़े पहन लिये। “प्रीती! तुम भी कमाल की औरत हो, कहाँ कहाँ से ढूँढ के लाती हो इतनी कुँवारी चूतों को? मज़ा आ गया!” एम-डी ने कहा, “उससे पूछो कि क्या वो और दस हज़ार कमाना चाहेगी?”

“आप अपने आप क्यों नहीं पूछ लेते?” रजनी ने कमरे में नंगे ही आते हुए पूछा।

“ओह गॉड! ये तुम थीं!” एम-डी ने रजनी को देखते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“हाँ मेरे प्यारे अंकल! ये सुन कर अच्छा लगा कि आपको मुझे चोदने में मज़ा आया.... मैं फिर से चुदवाना चाहती हूँ”, रजनी ने हँसते हुए कहा।

एम-डी धम से सोफ़े पर बैठ गया और अपने आपको कोसने लगा, “ये मैंने क्या किया? अपनी बेटी समान भतीजी को ही चोद दिया, हे भगवान मुझे माफ़ कर देना।” फिर वो प्रीती पर गुस्से से चिल्लाया, “ये सब तुम्हारा किया धरा है.... तुम क्या ये सब मज़ाक समझती हो?”

“हाँ! ये सब मैंने ही किया है। मैंने ही रजनी को तुमसे चुदवाने के लिये तैयार किया। जिस तरह तुमने मुझे चोदने के लिये मेरे पति को ब्लैकमेल किया था.... ये उसका बदला है”, प्रीती जोर जोर से हँस रही थी।

एम-डी प्रीती को गालियाँ दे रहा था, “कुतिया..... रंडी..... साली..... तूने ऐसा क्यों किया?” फिर रजनी की तरफ पलटते हुए बोला, “मैंने तुम्हारे साथ ऐसा क्या किया जो तुम इसके लिये तैयार हो गयी?”

“मेरे साथ नहीं किया, पर दूसरों के साथ तो करते आये हो! असलम को भूल गये? कैसे उसे चोरी के इल्ज़ाम में फँसा कर उसकी बेटी आयेशा को आपने और महेश ने चोदा था”, रजनी खीझती हुई बोली।
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#43
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
“ये सब झूठ है, इन्होंने तुम्हें बहकाया है”, एम-डी ने कहा।

“आप रहने दें, झूठ बोलने से कोई फ़ायदा नहीं है, मुझे सचाई का पता है, आप यहाँ से प्लीज़ जायें, मुझे आपको अपना अंकल कहते हुए भी शरम आ रही है।”

एम-डी चुपचाप उठा और धीमे कदमों से सूईट से बाहर चला गया।

“हम लोगों ने कर दिखाया”, रजनी खुशी से चिल्लाते हुए बोली। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“हाँ कर तो लिया.... पर तुमने देखा एम-डी का चेहरा कैसे उतर गया था, मुझे दुख है लेकिन उसे सबक भी सिखाना जरूरी था”, प्रीती अपना ग्लास हवा में लहराते हुए बोली, “रजनी ये पैसे तुम रख लो... तुम्हारे हैं जो एम-डी ने तुम्हें चोदने के लिये दिये थे।”

“नहीं मुझे इनकी जरूरत नहीं है..... इसे तुम ही रखो”, रजनी ने पैसे लौटाते हुए कहा।

“तो फिर इनका क्या करें, ऐसा करते हैं ये पैसे असलम को दे देते हैं, कहेंगे आयेशा की शादी में काम आयेंगे”, प्रीती ने कहा।

“हाँ! ये ठीक रहेगा! लेकिन अब क्या करें?” रजनी बोली।

“तुम लोगों को जो करना है करो..... मुझे तो एम-डी पर दया आती है, मैं घर जाकर सोना चाहता हूँ।”

“ठीक है”, कहकर प्रीती ने रजनी को भी घर भेज दिया और हम लोग घर आकर सो गये।

दूसरे दिन एम-डी ऑफिस में नहीं आया। घर फोन करने पर पता लगा कि उनकी तबियत खराब है। एम-डी की तबियत दिन पर दिन खराब रहने लगी और उन्हें हॉसपिटल में भरती करना पड़ा।

ऑफिस का काम मैंने संभल लिया था। इसी तरह महीना गुजर गया। सब कुछ वैसे ही चल रहा था। मैं ऑफिस की औरतों को चोदता और प्रीती भी क्लबों और पार्टियों में दूसरे मर्दों से चुदवा कर ऐश कर रही थी।

एक दिन मैंने एम-डी को फोन किया, “सर! मैं राज बोल रहा हूँ, अब आपकी तबियत कैसी है?”

“मैं ठीक हूँ राज! एक काम करो... आज रात आठ बजे तुम मुझे मेरे सूईट में मिलो? ठीक टाईम पर पहुँच जाना, तुम आओगे ना?” एम-डी ने कहा।

“बिल्कुल पहुँच जाऊँगा सर”, मैंने जवाब दिया।

ठीक टाईम पर मैं सूईट में दाखिल हुआ तो क्या देखता हूँ कि एम-डी एकदम नंगा सोफ़े पर बैठा था, और दो औरतें, जो कि बिल्कुल नंगी थीं, उसके लंड को चूस और चूम रही थी।

“आओ राज!” एम-डी ने मेरी तरफ हाथ हिलाते हुए कहा।

एम-डी को बोलते सुन दोनों औरतें अपना नंगा बदन छुपाने के लिये सोफ़े के पीछे जा छुपीं। उनका सिर्फ़ चेहरा दिखायी दे रहा था। मैंने उन दोनों को पहचान लिया। एक एम-डी की पत्नी मिली थी और दूसरी रजनी कि मम्मी, मिसेज योगिता थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“रजनीश! ये कौन है और यहाँ क्यों आया है? इसे फ़ौरन यहाँ से जाने को बोलो!” मिसेज मिली चिल्लाते हुए बोली और मिसेज योगिता ने शरमा कर अपनी गर्दन झुका रखी थी।

उसकी बातों को अनसुना कर के एम-डी ने कहा “राज! तुम इन दोनों से पहले भी मिल चुके हो..... लेकिन फिर भी मैं इनसे तुम्हारा परिचय कराता हूँ। ये मेरी बीवी मिली है और बिस्तर में भी उतना ही मिल जाती है, और ये मेरी दूर की कज़िन योगिता है...... ये थोड़ी शर्मिली है, लेकिन इसकी चूत एक दम आग का गोला है..... योगिता ये मिस्टर राज हैं...... हमारे अकाऊँट्स के जनरल मैनेजर।”

“आप दोनों से मिलकर खुशी हुई”, मैंने कहा।

दोनों औरतों ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप रही।

एम-डी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, “राज! मैंने तुम्हारी पत्नी और बहनों को चोदा है, आज मैं हिसाब बराबर कर देना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि मेरी पत्नी और बहन तुम्हारी बीवी और बहनों जितनी यंग तो नहीं है, लेकिन जैसी हैं तुम्हारी हैं। तुम चाहो जैसे इन्हें चोद सकते हो।”

“तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? तुम अपने नौकर से अपनी बीवी और बहन को चुदवाना चाहते हो?” मिली चिल्लाते हुए बोली। उसकी आवाज से साफ ज़ाहिर था कि उसने शराब पी रखी थी।

“इसके नौकर होने की तुम्हें तकलीफ हो रही है तो ठीक है..... इसे मैं आज से डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त करता हूँ, अब तो तुम्हें तकलीफ नहीं?” एम-डी ने हँसते हुए कहा।

“नहीं! मैं तैयार नहीं हूँ!” मिली वापस चिल्लायी। इतनी देर योगिता चुपचाप सब सुन देख रही थी।

“तुम तैयार हो कि नहीं...... बाद में देखेंगे।” एम-डी हँसा, “राज जरा इन्हें अपना लंड तो दिखाना!”

दोनों औरतें ४० साल के ऊपर थीं, फिर भी उनका बदन गदराया हुआ था और उन्हें चोदने को मेरा दिल मचल उठ था। मैंने अपने कपड़े उतारते हुए अपना लंड दिखाया।

“ओह गॉड! कितना मोटा और लंबा लौड़ा है तुम्हारा”, मिली ने अब आगे आकर मेरे लंड को अपने हाथों में जकड़ते हुए कहा। “तुम्हारा लंड तो महेश से भी लंबा है।”

“साली कुत्तिया! मेरे पीछे तुम महेश से चुदवाती रही हो?” एम-डी ने हँसते हुए कहा।

“हाँ... उसी तरह जैसे तुम उसकी बीवी को चोदते रहते थे”, कहकर मिली मेरे लंड को हिलाने लगी।
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#44
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
“योगिता क्या तुम इसके लिये तैयार हो?”

“नहीं! बिल्कुल नहीं!” योगिता बोली।

“योगिता प्लीज़ मान जाओ! नहीं तो मुझे राज के लिये किसी और चूत का इंतज़ाम करना होगा, रजनी की चूत कैसी रहेगी? मुझे मालूम है कि राज को रजनी की कुँवारी चूत चोदने में मज़ा आयेगा।” एम-डी हँसते हुए बोला।

“मेरी बेटी को इन सबसे दूर रखो! समझे?” योगिता जोर से चिल्लायी।

“तुम सोच लो, या तो तुम्हारी चूत या फिर रजनी की चूत, फैसला तुम्हारे हाथ में है।”

एम-डी की बात सुन कर योगिता भी सोफ़े के पीछे से बाहर आ गयी। सिर्फ काले रंग के हाई हील के सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, योगिता बहुत ही सैक्सी लग रही थी। एम-डी उसे देख कर बोला, “अच्छा अब तुम मान ही गयी हो तो राज का जरा अलग अंदाज़ में स्वागत करो।”

योगिता घुटने के बल मेरे पास बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने और चाटने लगी।

“चलो अब बेडरूम में चलते हैं”, एम-डी सोफ़े पर से उठते हुए बोला। हम चारों बेडरूम में आ गये। पहले हम सबने दो-दो पैग पीये और फिर मैंने दोनों को खूब चोदा। इतनी उम्र होने के बाद भी दोनों में सैक्स की आग भरी हुई थी। एम-डी सब कुछ देखता रहा। फिर एम-डी के कहने पर मैंने उन दोनों की गाँड भी मारी।

मैंने रात को घर पहुँच कर प्रीती को सब बताया तो वो खुश हुई और बोली, “अच्छा है! आज से एम-डी तुम्हें अपने बराबर समझेगा..... नौकर नहीं।”

एम-डी जब बिमार था तो रजनी बराबर आती रहती थी और मैं प्रीती के साथ उसकी भी जम कर चुदाई करता था, लेकिन जबसे मैंने उसकी माँ योगिता को चोदा, उसने आना बंद कर दिया था। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

एक दिन मैं घर पहुँचा तो देखता हूँ कि रजनी और प्रीती शराब की चुस्कियाँ लेती हुई बातें कर रही हैं।

“हाय राज! कैसे हो और आज कल क्या कर रहे हो.... मेरी मम्मी को चोदने के अलावा?” रजनी बोली।

“तो तुम्हें पता चल गया”, मैंने कहा।

“तुम्हें कैसे पता चला?” प्रीती ने पूछा।

“वही तो बताने आयी हूँ, राज का ही इंतज़ार कर रही थी”, रजनी बोली।

“अब तो राज आ गया है..... चलो शुरू हो जाओ।”

“कुछ दिनों से मैं देख रही थी कि मम्मी कुछ खोयी-खोयी सी रहती थी। अब ना तो वो पहले के जैसे हँसती थी और ना ही उनका काम में मन लगता था। पहले वो कभी-कभी ही, पार्टी वगैरह में ड्रिंक करती थीं पर अब कुछ दिनों से रोज़ ड्रिंक करने लगी थीं।”

“मेरे बहुत जोर देने पे वो बोलीं, रजनी मेरी बातें सुनकर हो सके तो मुझे माफ़ कर देना..... रजनी! मैं बचपन से ही बहुत सैक्सी थी, मुझे सैक्स हमेशा चाहिये होता था, तुम्हारे पिताजी के मरने के बाद मैं अकेली पड़ गयी और मेरी सैक्स की भूख शाँत नहीं होती थी। एक दिन मेरी एक सहेली ने मुझे रबड़ का नकली लंड खरीद कर लाके दिया।”

“मम्मी! आपके पास क्या नकली लंड है? मुझे दिखाओ ना! मैं बीच में बोली।”

“अभी नहीं बाद में, मम्मी बोली पर मैंने जोर दिया तो मम्मी बेडरूम से नकली लंड ले आयी.... प्रीती! पूरा दस इंच का काला और मोटा लंड है, अच्छा है पर राज के असली लंड जैसा नहीं।”

“आगे क्या हुआ, वो बता”, प्रीती सिगरेट का धुँआ छोड़ती हुई रजनी से बोली।

“मम्मी ने बताया कि एक दिन शाम को वो अपने नकली लंड से मज़े ले रही थी कि मेरी आँटी मिली ने उन्हें देख लिया और बोली, ‘योगिता नकली लंड से कुछ नहीं होगा, मेरे पास आओ मैं तुम्हें असली मज़ा दूँगी।’ उसकी बातें सुन कर मम्मी आगे बढ़ी तो उसने उन्हें बाँहों में भर कर चूमना शुरू कर दिया। मम्मी को भी मज़ा आने लगा और थोड़ी ही देर में दोनों एक दूसरे की चूत चाट रही थीं, जब उनका पानी छूट गया तो मम्मी ने मिली आँटी से पूछा, ‘मिली! तुम्हें भी चुदाई का बड़ा शौक है ना?’ ‘हाँ! योगिता बहुत है लेकिन रजनीश मुझे कभी-कभी ही चोदता है।’ उस दिन के बाद से वो दोनों रोज़ एक दूसरे को नकली लंड से चोद कर मज़ा लेतीं और एक दूसरे की चूत को खूब चाटतीं।”

“एक दिन मम्मी बिस्तर पर आँखें बंद किये लेटी थी। उनकी टाँगें हवा में उठी हुई थी और मिली आँटी के चोदने का इंतज़ार कर रही थी। ‘मिली! अब जल्दी भी करो मेरी चूत में आग लगी हुई है.... मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।’ मम्मी की बात सुन कर मिली आँटी ने नकली लंड उनकी चूत में घुसा दिया, लेकिन जैसे ही लंड घुसा कि मम्मी समझ गयी कि नकली नहीं असली लंड है। मम्मी ने आँखें खोली तो देखा कि रजनीश अंकल अपना लंड घुसाये उन्हें चोद रहे थे। मम्मी ने बिस्तर से उठना चाहा तो अंकल ने उन्हें कस कर बाँहों में पकड़ कर चोदते हुए कहा, ‘योगिता! जब ये असली लंड है तो तुम्हें नकली लंड से चुदवाने की क्या जरूरत है?’ मम्मी ने भी कई दिनों से असली लंड का मज़ा नहीं लिया था। मम्मी भी उनका साथ देने लगी और मस्ती में चुदवाने लगी। बाद में मम्मी को पता लगा कि ये दोनों की मिली भगत थी। मम्मी ने बुरा नहीं माना। उस दिन से रजनीश अंकल मम्मी को अकसर चोदने लगे।”

“एक दिन अंकल मम्मी और मिली आँटी को होटल के सूईट में ले आये और बोले कि आज यहाँ मज़े करेंगे। अंकल ने मम्मी और मिली आँटी को खूब शराब पिलायी। मम्मी ने मुझे आगे बताया कि हम लोग मस्ती कर रहे थे कि हमारी कंपनी से कोई राज आया और तुम्हारे अंकल ने हम दोनों को उसे सौंप दिया.... चोदने के लिये क्योंकि तुम्हारे अंकल ने उसकी बीवी और बहन को चोदा था। मैं साथ नहीं देना चाहती थी लेकिन जब मिली ने राज के लंड को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया। मैंने मना करना चाहा तो तुम्हारे अंकल ने कहा कि या तो मैं मन जाऊँ नहीं तो वो तुम्हारी चूत राज को दे देंगे। फिर मैं भी मान गयी और राज ने एम-डी के सामने ही हम दोनों को चोदा, उसने हमारी गाँड भी मारी। बस उस दिन से मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं रंडी बन गयी हूँ।” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“मम्मी! राज का लंड बहुत मोटा और लंबा है ना? चुदवाने में बहुत मज़ा आता है ना? मैंने मम्मी से कहा। तुमने राज का लंड कब देखा और चखा? मम्मी ने पूछा। तब मैंने मम्मी को पूरी कहानी सुनाई, राज से चुदवाने से लेकर अंकल से चुदवाने तक। मेरी कहानी सुन कर मम्मी बोल पड़ी कि काश मैं भी प्रीती कि तरह तुम्हारे अंकल से बदला ले सकूँ। ‘मम्मी! आप चिंता ना करें..... मैं आपके साथ हूँ’, ‘मगर हम किस तरह बदला लेंगे?’ मम्मी ने पूछा। अंकल की दोनों बेटियाँ है ना! ६ महीने बाद बड़ी बेटी इक्कीस साल की हो जायेगी और छोटी वाली एक साल के बाद। उनके इक्कीस्वें जन्मदिन पर उनका तोहफा होगा..... मोटा और लम्बा लंड उनकी चूत और गाँड में।”

“तुम्हारे दिमाग में कोई इंसान है? मम्मी ने पूछा। हाँ! मैं राज को तैयार कर लूँगी.... अब तुम लोग समझ गये होगे कि मुझे कैसे पता चला और क्या तुम दोनों मेरा साथ दोगे?”

“रजनी! एम-डी से बदला लेने में हम तुम्हारा पूरा साथ देंगे.....” मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।

“तुम्हारा प्लैन क्या है?” प्रीती ने पूछा।

“मेरा प्लैन ये है कि....”

!!! क्रमशः !!!
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06-13-2017, 09:17 PM,
#45
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
रजनी अपना प्लैन बतानी लगी, “राज! तुम्हें मेरी और मेरी मम्मी की हेल्प करनी होगी, हम दोनों एम-डी से बदला लेना चाहते हैं। राज, तुम्हें एम-डी की दोनों बेटियाँ टीना और रीना की कुँवारी चूत चोदनी होगी। दोनों देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं...... बस एवरेज ही हैं।”

“रजनी, तुम्हारी सहायता के लिये मुझे कुछ कुरबानी देनी होगी..... लगता है!” मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

“रजनी! तुम इसकी बातों पे मत जाना, मैं शर्त लगा सकती हूँ कि कुँवारी चूत की बात सुनते ही इसके लंड ने पानी छोड़ दिया होगा”, प्रीती हँसते हुए बोली, “रजनी! राज ऐसा नहीं है! सुंदरता से या गोरे पन से इसे कुछ फ़रक नहीं पड़ता, जब तक उनके पास चूत और गाँड है मरवाने के लिये, क्यों सही है ना राज?”

“तुम सही कह रही हो प्रीती! जब तक उनके पास चूत है मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ता”, मैंने जवाब दिया, “तुम खुद भी तो ऐसी ही हो.... जब तक सामने वाले के पास लंड है चोदने के लिये.... बस चूत में खुजली होने लगती है चुदने के लिये..... फिर वो चाहे एम-डी हो या सड़क पर भीख माँगता भिखारी।”

“ये सब तुम्हारे एम-डी का ही किया-धरा है.... उसने ही मुझे इस दलदल में धकेला है.... और मुझे चुदाई, शराब सिगरेट की लत पड़ गयी.... खैर छोड़ो... तो ठीक है, रजनी! तुम्हें क्या लगता है दोनों लड़कियाँ मान जायेंगी?” प्रीती ने पूछा।

“अभी तो कुछ पक्का सोचा नहीं है पर मैं कोशिश करूँगी कि उनसे ज्यादा से ज्यादा चुदाई की बातें करूँ और फिर बाद में उन्हें चूत चाटना और चूसना सिखा दूँ, फ़िर तैयार करने में आसानी हो जायेगी।”

“हाँ! ये ठीक रहेगा, और अगर मुश्किल आये तो मुझे कहना”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“तुम कैसे मेरी मदद कर सकती हो?” रजनी ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“रजनी! तुम्हें याद है जब मैंने तुम्हें बताया था कि किस तरह एम-डी ने मुझे चोदा था.... तुमने कहा कि अगर मैं चाहती तो ना कर सकती थी, पर मैं चाहते हुए भी उस रात ना, ना कर सकी, कारण: एम-डी ने मुझे कोक में एक ऐसी दवा मिलाकर पिला दी थी जिससे मेरे चूत में खुजली होने लगी, मुझे चुदाई के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था।”

“मैं उन दोनों को कोक में मिलाकर वही दवा पिला दूँगी जिसके बाद उनकी चूत में इतनी खुजली होगी कि राज का इंतज़ार नहीं करेंगी बल्कि खुद उसके लंड पर चढ़ कर चुदाई करने लगेंगी”, प्रीती ने कहा।

“मुझे विश्वास नहीं होता”, रजनी ने चौंकते हुए पूछा, “क्या तुम्हारे पास वो दवा की शीशी है?”

“हाँ! मैंने २५ शीशी जमा कर रखी हैं, मैं कई बार खुद अपनी ड्रिंक में मिला कर पी लेती हूँ और फिर बहुत मस्त होकर चुदवाती हूँ”, प्रीती ने जवाब दिया।

“तो फिर मैं चाहती हूँ कि आज की रात हम दोनों वो दवा अपनी ड्रिंक्स में मिलाकर पियें, और जब हमारी चूतों में जोरों की खुजली होने लगे तो राज अपने लंड से हमारी खुजली मिटा सकता है”, रजनी मेरे लंड पर हाथ रखते हुए बोली।

“ऑयडिया अच्छा है..... लेकिन मुझे शक है कि राज में ताकत बची होगी खुजली मिटाने की, लेकिन हम अपनी जीभों और अंगुलियों से तो मिटा सकते हैं”, प्रीती बोली।

“हाँ! जीभ से और इससे!” रजनी ने अपने पर्स में से रबड़ का लंड निकाला।

“ओह! तुम इसे साथ लायी हो”, प्रीती नकली लंड को हाथ में लेकर देखने लगी।

“रजनी! मुझे लगता है कि तुम्हें अपनी मम्मी को फोन करके बता देना चाहिये कि आज की रात तुम घर नहीं पहुँचोगी”, प्रीती ने कहा।

रजनी ने घर फोन लगाया और मैंने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया जिससे उसकी बातें सुन सकें।

“मम्मी! मैं रजनी बोल रही हूँ! मैं प्रीती के घर पर हूँ और आज की रात उसी के साथ सोऊँगी.... तुम चिंता मत करना”, रजनी ने कहा।

“प्रीती के साथ सोऊँगी या राज के साथ?” उसकी मम्मी ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“दोनों के साथ!” रजनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “आपका क्या विचार है?”

“कुछ खास नहीं, आज कि रात मैं अपने काले दोस्त (यानी नकली लंड) के साथ बिताऊँगी।”

“सॉरी मम्मी! आज तुम वो भी नहीं कर पाओगी..... कारण, इस समय प्रीती आपके काले दोस्त को हाथ में पकड़े हुए प्यार से देख रही है”, रजनी ने कहा।

“कितनी मतलबी हो तुम! तुम्हें मेरा जरा भी खयाल नहीं आया?” योगिता ने कहा, “लगता है मुझे राजू {एम-डी} के पास जा कर उसे मिन्नत करके अपनी चूत और गाँड की प्यास बुझानी पड़ेगी। ठीक है देखा जायेगा...... तुम मज़े लो”, कहकर योगिता ने फोन रख दिया।

“प्रीती! मैं तैयार हूँ”, रजनी ने कहा।

“रजनी! मैं चाहती हूँ कि हम पहले अपने कपड़े उतार कर नंगे हो जायें और फिर स्पेशल ड्रिंक पियें जिससे जब हमारी चूत में खुजली हो रही हो तो कपड़े निकालने का झंझट ना रहे”, प्रीती ने सलाह दी।

यही उन दोनों ने किया। अपने हाई-हील सैंडलों को छोड़कर दोनों ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और उन्होंने व्हिस्की के नीट पैग बनाकर उसमें दवा की एक-एक शीशी मिला ली और पीने बैठ गयीं। मैंने भी बिना दवा का व्हिस्की का पैग बनाया और उन्हें देखने लगा और उनकी चूत में खुजली होने का इंतज़ार करने लगा।

आधे घंटे में ही व्हिस्की और दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया। अब वो अपनी चूत घिस रही थीं। थोड़ी देर में ही वो इतनी गर्मा गयी कि दोनों ने मुझे पकड़ कर मेरे कपड़े फाड़ डाले और मुझे नंगा कर दिया।

प्रीती ने सच कहा था। दो घंटे में ही लंड का पानी खत्म हो चुका था और उसमें उठने की बिल्कुल जान नहीं थी, चाहे डंडे के जोर से या पैसे के जोर से। इस का एहसास होते ही वो एक दूसरे की चूत चाटने लगीं।

मैं थक कर सो गया। रात में मेरी नींद खुली तो मुझे उन दोनों की सिसकरियाँ सुनायी दे रही थी। अभी रात बाकी थी। मैंने देखा कि रजनी नकली लंड को पकड़े प्रीती की गुलाबी चूत के अंदर बाहर कर रही थी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

उन्हें देख कर मेरे लौड़े में जान आनी शुरू हो गयी। पर मैंने चोदने कि कोशिश नहीं की और वापस लेट गया और सोचने लगा।
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06-13-2017, 09:18 PM,
#46
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
दो साल में ही मैंने काफी तरक्की कर ली थी। आज मैं कंपनी का डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर हूँ, अपना बंगला है, गाड़ी है। सब कुछ तो है मेरे पास। प्रीती जैसी सुंदर और सैक्सी चुदक्कड़ बीवी और साथ में कंपनी की हर महिला करमचारी है चोदने के लिये। मैं भविष्य के बारे में सोचने लगा। आने वाले दिनों में दो कुँवारी चूतों का मौका मिलने वाला था, ये सोच कर ही मन में लड्डू फुट रहे थे। उन दोनों की कुँवारी चूत के बारे में सोचते हुए ही मैं गहरी नींद में सो गया।

सुबह मैं सो कर उठा तो देखा कि मेरी दोनों रानियाँ, सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी, एक दूसरे की बंहों में गहरी नींद में सोयी पड़ी थी, और उनका काला दोस्त रजनी की चूत में घुसा हुआ था।

दोनों को इस अवस्था में देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। लेकिन मैंने सोच कि पूरा दिन पड़ा है चुदाई के लिये..... क्यों ना पहले चाय बना ली जाये।

उन्हें बिना सताये मैं कमरे से बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगा। चाय लेकर मैंने उनके बिस्तर के पास जा कर उन्हें उठाया, “उठो मेरी रानियों! गरम चाय पियो पहले, मेरा लंड तुम लोगों का इंतज़ार कर रहा है।”

प्रीती अंगड़ाई लेते हुई बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी, “थैंक यू डार्लिंग, तुम कितने अच्छे हो, सारा बदन दर्द कर रहा है, कल काफी शराब पी ली थी और रात भर चुदाई की हम दोनों ने”, और उसने रजनी के निप्पल को धीरे से भींच दिया, “उठ आलसी लड़की! देख चाय तैयार है।”

“अरे बाबा उठ रही हूँ! उसके लिये मेरे निप्पल को इतनी जोर से दबाने की जरूरत नहीं है”, रजनी ने उठते हुए कहा, “अब बताओ! क्या प्रोग्राम है?”

“प्रोग्राम ये है कि पहले गरम-गरम चाय अपने पेट में डालो और फिर मेरा गरम लंड अपनी चूत में डालो”, मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा।

“राज, मेरी चूत में तो बिल्कुल नहीं! बहुत दर्द हो रहा है”, प्रीती ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“और मेरी चूत में भी नहीं, देखो कितनी सूजी हुई है”, रजनी ने अपनी चूत का मुँह खोल कर दिखाते हुए कहा।

“फिर तो तुम दोनों की गाँड मारनी पड़ेगी”, मैंने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“नहीं! गाँड भी सूजी पड़ी है और दर्द हो रहा है, तुम चाहो तो हम तुम्हारा लंड चूस सकते हैं”, रजनी ने कहा।

चाय पीने के बाद उन्होंने मेरे लंड को बारी-बारी से चूसा और मेरा पानी निकाल दिया। उन दोनों को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा।

“गुड मोर्निंग आयेशा, क्या एक कप गरम कॉफी लाओगी मेरे लिये”, मैंने अपनी सेक्रेटरी से कहा।

“गुड मोर्निंग सर! मैं आपके लिये अभी कॉफी बना कर लाती हूँ”, आयेशा ने कहा।

हाँ दोस्तों! ये वो ही आयेशा है जिसे एम-डी और महेश ने उसके बाप की जान बख्शने के एवज में उसे खूब कसके चोदा था। आयेशा मेरी सेक्रेटरी कैसे बनी उसकी कहानी कुछ ऐसी है।

मेरे डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाये जाने के दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मेरे लिये नया केबिन तैयार था। मेरा केबिन ठीक एम-डी के केबिन के जैसा था। मैं एम-डी के केबिन में गया तो देखा कि एम-डी ने अपने लिये सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है। “सर! ये क्या आपने कोई सेक्रेटरी नहीं रखी हुई है?” मैंने पूछा।

“राज! मैंने पहले नसरीन को अपनी सेक्रेटरी बनाया था, लेकिन मिली ने जलन की वजह से उसे हटवा दिया। मुझे इससे कोई फ़रक नहीं पड़ा कि चुदाई मेरी सेक्रेटरी की हो या दूसरे डिपार्टमेंट की लड़की की, इसलिये मैंने उसे शिफ़्ट कर दिया, तुम चाहो तो अपने लिये नयी सेक्रेटरी रख सकते हो। हम उसे मिलकर चोदा करेंगे”, एम-डी ने जवाब दिया।

मैंने सेक्रेटरी के लिये पेपर में इश्तहार दे दिया। एक दिन एम-डी का पुराना नौकर असलम मेरे पास आया, “सर मैंने सुना है कि आप नयी सेक्रेटरी की खोज में हैं। सर! मेरी बेटी आयेशा ने अभी सेक्रेटरी कोर्स का डिप्लोमा लिया है। आप उसे रख लिजिये ना।”

उसकी बातें सुन आयेशा का चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया। उसकी गुलाबी चूत मेरे खयालों में आ गयी... जब मैंने उसे चोदा था। मेरा उसे फिर चोदने को मन करने लगा। “ठीक है! उसे सब अच्छी तरह समझा देना कि खूब मेहनत करनी पड़ेगी? और उसे सुबह सब सर्टिफिकेट्स के साथ भेज देना..... उसका इंटरव्यू लिया जायेगा?”

“थैंक यू सर”, असलम ये कहकर चला गया।

उसकी जाते ही मैंने एम-डी को इंटरकॉम पर फोन किया, “सर! मैंने सेक्रेटरी रख ली है..... अपने असलम कि बेटी..... आयेशा को।”

“ये तुमने अच्छा किया! मैं भी उसे दोबारा चोदना चाहता था”, एम-डी ने खुश होते हुए कहा, “कल जब वो आये तो मुझे बुला लेना.... साथ में इंटरव्यू लेंगे।”

दूसरे दिन आयेशा अपने सब सर्टिफिकेट लेकर ऑफिस पहुँची। मैंने एम-डी को उसके आने की खबर दी और उसके सर्टिफिकेट चेक किये। सब बराबर थे। “आयेशा! अब तुम्हारा असली इंटरव्यू शुरू होगा, अपने कपड़े उतारो”, मैंने कहा।

“ओ!!! तो अब आप मुझे चोदेंगे, बहुत दिन हो गये जब आपने मुझे चोदा था, है ना?” आयेशा हँसते हुए बोली।

अपने कपड़े उतारते हुए जब उसने एम-डी को अंदर आते देखा तो बोली, “सर! ये भी मुझे चोदेंगे? फिर से दर्द नहीं सहन कर पाऊँगी।”
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06-13-2017, 09:18 PM,
#47
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
“तुम डरो मत..... ये तुम्हें दर्द नहीं होने देंगे, तुम अपने कपड़े उतारो”, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।

सफ़ेद रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों को छोड़ कर वो अपने बाकी सब कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयी तो एम-डी उसका इंटरव्यू शुरू किया।

“ओहहह सर! कितना अच्छा लग रहा है”, आयेशा ने सिसकरी भरी, जैसे ही एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत में डाला।

“हाँआँआँआँ जो...उउ...र से.... और जोर से , मज़ा आ रहा है......... हाँआँआँ किये जाओ...... मज़ा आ रहा है..... मेराआआआ छूट रहा है.......” चिल्लाते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।

“ओह सर! मज़ा आ गया! आप कितनी अच्छी चुदाई करते हैं”, आयेशा ने एम-डी को चूमते हुए कहा, “आपने पहली बार मुझे इतने प्यार से क्यों नहीं चोदा।”

“वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है”, एम-डी ने हँसते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

मैंने और एम-डी ने बारी-बारी से आयेशा को कई बार चोदा। एक बार तो हम ने उसे साथ साथ चोदा। तीन घंटे की चुदाई के बाद हम थक चुके थे। मैंने पूछा, “सर! क्या सोचा इसके बारे में?”

“कुछ फैसला करने के पहले मैं आयेशा से एक सवाल करना चाहता हूँ?” एम-डी ने कहा।

“सर.... मैं आपके सवाल का जवाब कल दूँगी.... अभी मेरी चूत सुज़ चुकी है”, आयेशा बोली।

“नहीं! सवाल का जवाब तो तुम्हें देना ही होगा”, एम-डी ने उसकी बात काटते हुए कहा, “क्या तुम अच्छी कॉफी बनाना जानती हो?”

“दुनिया में सबसे अच्छी सर!” आयेशा ने हँसते हुए कहा।

“ठीक है राज! इसे रख लो और चुदवाना इसका सबसे जरूरी काम होगा!” एम-डी ने कहा।

“ठीक है सर!”

इस तरह आयेशा मेरी सेक्रेटरी बन गयी।

“ये आपकी कॉफी सर!” आयेशा कॉफी लाकर बोली।

“थैंक यू, अब तुम जा सकती हो?” मैंने आयेशा से कहा।

“सर! पक्का आपको कुछ और नहीं चाहिये?” आयेशा ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“नहीं! अभी तो कुछ नहीं चाहिये बाद में देखेंगे”, मैं उसका इशारा समझता हुआ बोला, “हाँ! जरा मीना को भेज दो!”

“मीना को क्यों? उसमें ऐसा क्या है जो मेरे में नहीं?” आयेशा की आवाज़ में जलन की बू आ रही थी।

मैं अपनी सीट से उठा और उसके पास आकर उसके दोनों मम्मों को जोर से भींच दिया। “छोड़िये सर! दर्द होता है!” आयेशा दर्द से बोली।

“दबाया ही इसलिये था, सुनो आयेशा! इस कंपनी में जलन की कोई जगह नहीं है, तुम मुझे पसंद हो इसलिये तुम यहाँ पर हो, समझी? मुझे ऑफिस की दूसरी लड़कियों का भी खयाल रखना पड़ता है...... समझ गयी? अब जाओ और मीना को भेज दो।”

मैंने मीना को एक जरूरी काम दिया और अपने काम में जुट गया। काम खत्म करके मैं एम-डी के केबिन में पहुँचा और उसे रिपोर्ट दी।

“तुमने अच्छा काम किया है राज! आओ सुस्ता लो और एक कप कॉफी मेरे साथ पी लो।” एम-डी ने मुझे बैठने को कहा।

“सर! आपने कभी मिली और योगिता को वो स्पेशल दवा पिलायी है?” एम-डी ने ना में गर्दन हिला दी।

“सर! पिला के देखिये...... सही में काफी मज़ा आयेगा!” मैंने कहा।

“मुझे शक है कि वो दवाई के बारे में जानती हैं.... इसलिये शायद पीने से इनकार कर दें”, एम-डी ने कहा।

“फिर हमें कोई दूसरा तरीका निकालना होगा...” मैंने सोचते हुए कहा, “सर आपके पास वो उत्तेजना वाली दवाई तो होगी ना?”

“हाँ! वो तो मेरे पास काफी स्टोक में है, क्यों क्या करना चाहते हो?” एम-डी ने पूछा।

“सर! आप अपने घर पर शनिवार को एक पार्टी रखें जिसमें मैं और प्रीती भी शामिल हो जायेंगे। मैं प्रीती को प्याज के पकोड़े बनाने को बोल दूँगा और वो इसमें वो दवाई मिला देगी”, मैंने कहा।

“प्याज के पकोड़े? हाँ ये चलेगा! उन्हें पकोड़े पसंद भी बहुत हैं, लेकिन राज तुम्हें मेरी मदद करनी पड़ेगी। तुम्हें मालूम है कि दोनों कितनी चुदकाड़ हैं, और इस दवाई के बाद मैं तो उन्हें एक साथ नहीं संभल पाऊँगा, दोनों एक दम भूखी शेरनी बन जायेंगी”, एम-डी ने कहा।

“सर! आप चिंता ना करें! मैं उन्हें संभाल लूँगा”, मैंने एम-डी को आशवासन दिया।

शनिवार की शाम को हम एम-डी के घर पहुँचे। प्रीती ने सब को ड्रिंक्स सौंपी और नाश्ते के साथ प्याज के पकोड़े भी स्नैक में टेबल पर रख दिये।

“प्याज के पकोड़े....! ये तो मुझे और योगिता को बहुत पसंद हैं”, इतना कह कर मिली ने प्लेट योगिता की तरफ कर दी। हम सब अपनी ड्रिंक पी रहे थे। योगिता और मिली ड्रिंक्स के साथ मजे से पकोड़े खा रही थी। थोड़ी देर में दवाई और ड्रिंक्स ने अपना असर एक साथ दिखाना शुरू किया और उनके माथे पर पसीने की बूँदें छलकने लगी।

मैंने देखा कि दोनों अपनी चूत साड़ी के ऊपर से खुजा रही थी। “सर! क्यों ना हम वो काम डिसकस कर लें जो आपने ऑफिस में बताया था”, मैंने एम-डी से कहा।

“हाँ! तुम सही कहते हो, चलो सब स्टडी में चलते हैं”, एम-डी अपनी सीट से उठते हुए बोला।

जब तक दोनों औरतें स्टडी में दाखिल होतीं, दोनों जोर-जोर से अपनी चूत खुजला रही थी।

“क्या हुआ तुम दोनों को? चूत में कुछ ज्यादा ही खुजली मच रही लगती है?” एम-डी जोर से हंसता हुआ बोला।

“योगिता! मुझे विश्वास है ये सब इसी का किया हुआ है, जरूर इसने अपनी वो दवाई किसी चीज़ में मिला दी है”, मिली बोली।

“जरूर दवाई पकोड़ों में मिलायी होगी, इसका मतलब राज और प्रीती भी मिले हुए हैं”, योगिता बोली।

“अब इन बातों को छोड़ो! मेरी चूत में तो आग लगी हुई है”, मिली ने बे-शरमी से अपनी सड़ी उठा कर चूत में अँगुली करते हुए कहा, “योगिता! तुम राजू को लो..... मैं देखती हूँ राज क्या कर सकता है।” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
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06-13-2017, 09:18 PM,
#48
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
दोनों मिल कर हमारे कपड़े फाड़ने लगीं। “इतनी जल्दी क्या है मेरी रानी?” एम-डी ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा।

“साले हरामी... तूने ही मेरी चूत में इतनी आग लगा दी है और तुझे ही अपने लंड के पानी से इसे बुझाना होगा”, मिली जोर से चिल्लाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर मुझे सोफ़े पर खींच के ले गयी।

“आआआहहहहह!!!” मिली सिसकी जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत में प्रवेश किया। कुछ सैकेंड में एम-डी भी मेरी बगल में आकर योगिता को जोर से चोद रहा था। हम दोनों की रफ़्तार काफी तेज थी और थाप से थाप भी मिल रही थी।

“हाँआँआआआआआआ राज!!!!!!! और जोर से चोदो”, मिली मेरी थाप से थाप मिला रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी।

“रा......आआआआआआ......ज साले....... मैंने कहा ना कि मुझे जोर से चोद......., हाँ ऐसे और जोर से...... हाआँआँआँ ये मेरा छूटा........” कहते हुए उसका बदन ढीला पड़ गया।

थोड़ी देर बाद योगिता भी “ओहहहहहहह आआहहहहहहहहह” करती हुई झड़ गयी। हमने भी अपना लंड उनकी चूतों में खाली कर दिया। तीन घंटे तक हुम चुदाई करते रहे और हमारे लौड़ों में बिल्कुल भी जान नहीं बची थी।

मगर उनकी चूत की खाज नहीं मिटी थी। “योगिता अब क्या करें! मेरी चूत में तो अब भी खुजली हो रही है”, मिली ने पूछा।

“खुजली तो मेरी चूत में भी हो रही है, आओ मेरे कमरे में चलते हैं, और मेरे काले लंड से खुजली मिटाते हैं,” योगिता ने मिली का हाथ पकड़ कर कहा और दोनों ऊँची हील की सैंडलें खटखटाती दूसरे कमरे में चली गयीं।।

“सर! कैसा रहा?” मैंने एम-डी से पूछा।

“बहुत ही अच्छा, आज पहली बार मैंने एक बार में इतनी चुदाई की है, बिना साँस लिये। दोबारा फिर ऐसा ही प्रोग्राम बनायेंगे”, एम-डी ने जवाब दिया।

जब हम घर जाने के लिये तैयार हुए तो रास्ते में प्रीती ने पूछा, “कैसा रहा राज?”

“बहुत अच्छा रहा..... तुम बताओ क्या खबर है?” मैंने उससे पूछा।

“खबर कुछ अच्छी भी है और कुछ बुरी भी! ये सब तुम्हें रजनी कल बतायेगी... मेरा तो इस समय नशे में सिर घूम रहा है...।”

अगले दिन रजनी घर आयी तो मैंने उससे पूछा, “अब बताओ कल क्या हुआ था?”

“तुम्हारे स्टडी में जाने के बाद मैंने और प्रीती ने सोच क्यों ना थोड़ा समय टीना और रीना के साथ बिताया जाये”, रजनी ने बताना शुरू किया, “इतने में हमें मिली आँटी की चींख सुनाई दी।” 

“ये मम्मी इतना चींख क्यों रही है.... टीना ने पूछा।” हम तो उनके चींखने की वजह जानते थे लेकिन प्रीती ने सलाह दी कि चलो चल कर देखते हैं वहाँ क्या हो रहा है। 

टीना, प्रीती और मैं खड़े हो गये पर रीना हिली नहीं..... “क्या तुम्हें नहीं चलना है?” टीना ने पूछा। रीना ने जवाब दिया कि “तुम चलो दीदी, मैं आपके पीछे पीछे आ रही हूँ।”

हमने स्टडी की खिड़की में से झाँक कर देखा तो दोनों औरतें सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी होकर तुम लोगों से चुदाई में मस्त थीं। तुम दोनों का लंड दोनों की चूत के अंदर बाहर होता साफ दिख रहा था। ये नज़ारा देख टीना शर्मा गयी और उसके चेहरे पे लाली आ गयी। थोड़ी देर में उसके शरीर में गर्मी भर गयी और उसकी साँसें फूलने लगीं।

इतने में प्रीती ने पीछे से उसकी छाती पर हाथ रख कर उसके मम्मे भींचने शुरू कर दिये। रीना अभी तक आयी नहीं थी, मैं प्रीती को वहाँ अकेले छोड़ कर रीना को बुलाने चली गयी, “प्रीती तुम चालू रखो।”

प्रीती ने बात को चालू रखते हुए कहा: टीना की साँसें फूल रही थीं...... “मैं उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी कुँवारी चूत को सहलाने लगी।”

“ओह दीदी..... अच्छा लग रहा है”, उसकी सिसकरी निकल पड़ी।

“अच्छा लगता है ना… और करूँ?” मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“हाँ दीदी!!!!! बहुत अच्छा लग रहा है..... और करो।” वो सिसकी, मैं उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगी।

“ओह दीदी !!!!!!” वो जोर से चींखी। 

“ज़रा धीरे वरना कोई सुन लेगा.....” कहकर मैं अपनी अँगुली से उसे चोदने लगी और तब तक चोदती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी।

“चुदाई अच्छी लग रही है ना?” मैंने पूछा।

“हाँ दीदी! बहुत अच्छी लग रही है”, उसने शर्माते हुए कहा। मैंने उसकी चूत को रगड़ना चालू रखा।

“चुदवाने को दिल करता है? मैंने पूछा।

“हाँ दीदी!!!! मुझे चुदवाने को बहुत दिल करता है।” टीना ने शर्माते हुए कहा।

उसी समय तुम योगिता की चूत में अपना लंड पेलने जा रहे थे, “दीदी देखो ना राज का लंड कितना मोटा और लंबा है.....” उसने कहा।

“तुम कहो तो तुझे भी राज से चुदवा दूँ....” मैंने उसकी चूत को और रगड़ते हुए पूछा।

“राज जैसा सुंदर मर्द मुझ जैसी साधारण दिखने वाली लड़की को भला क्यों चोदेग?” उसने कहा।
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06-13-2017, 09:18 PM,
#49
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
“मैं कहुँगी तो तुम्हें चोदेगा....” मैंने जवाब दिया।

“तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो.....” वो खुश होते हुए बोली।

“इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?”

“छोटी कहाँ दीदी!!!!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी....” उसने जवाब दिया।

“इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो”, मैंने उसे समझाया।

“प्रॉमिस?” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। “प्रॉमिस! मेरी जान, राज का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे........ ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा.......” मैंने उसे चूमते हुए कहा।

रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही रीना आयी थी, “टीना! चलो रजनी और रीना को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं.....” कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।

“रजनी! अब तुम राज को बताओ क्या हुआ”, प्रीती ने कहा।

रजनी ने कहना शुरू किया, “राज!!! जब मैं रीना के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।”

“रीना हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?” मैंने उससे कहा।

“क्या मिस कर दिया?” उसने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और राज हमारी मम्मियों को चोद रहे थे.....” मैंने हँसते हुए कहा।

“दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!” उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।

“चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?” मैंने कहा।

“मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं”, वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ रेप तो नहीं कर दिया।

“तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?” मैंने पूछा।

“नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा..... मैं अभी तक कुँवारी हूँ!” उसने जवाब दिया।

“तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?”

“मेरी इंगलिश टीचर ने!!!” उसने जवाब दिया।

“तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?” मैंने कहा।

“उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है..... मुझे मालूम है”, उसने जवाब दिया।

“तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?” मैंने पूछा।

उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, “हाँ ऐसे ही!”

“क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?” मैंने फिर पूछा।

“नहीं वो मेरी.....” कहते हुए रीना रुक गयी।

“चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?” मैंने उसे दोबारा पूछा।

“हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!” रीना थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।

“क्या ऐसे?” मैंने पूछा।

“ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!” वो कामुक होकर बोली।

“वो और क्या करती है?” मैंने फिर पूछा।

“कभी वो मुझे चूमती है और कभी....” इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।

“ओहहहह दीदीईईई!!!!” उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीती और टीना रूम में आ गये।

“क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?” मैंने रजनी से पूछा।

“आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो रीना की चूचियों को भी चुसती थी और रीना को भी मज़ा आता था और रीना भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। राज!! टीना तो तैयार है पर रीना नहीं मानेगी लगता है।”

“अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है..... तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी”, प्रीती ने कहा।

समय गुज़रता गया.............

!!! क्रमशः !!!
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06-13-2017, 09:18 PM,
#50
RE: hindi kahani तरक्की का सफ़र
एक दिन ऑफिस में शाम को जब काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है...... इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।”

“अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।”

“नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।”

“मैं इस बारे में सोचुँगा”, मैंने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”

“तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।

“तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता”, मैंने जवाब दिया, “लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना...... मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।”

मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा।

“सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।”

“ठीक है! तुम उसे कल बुला लो”, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।

शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था.... प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।”

“तुम्हारे लिये भी मेरे पास एक खबर है, लेकिन पहले तुम बोलो!” प्रीती बोली।

“मीना ने सिफ़ारिश की है कि मैं उसकी माँ को काम पर रख लूँ...... एम-डी ने भी हाँ कर दी है।”

“जाहिर है तुम उसे चोदोगे!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“तुम्हें कंपनी की पॉलिसी का तो पता है!”

“राज! मैं देख रही हूँ कि इन दिनो तुम चुदी हुई चूतों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हो, इसमें कहीं मुझे ना भूल जाना”, प्रीती हँसी।

“तुम्हें और तुम्हारी चूत को कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरे लिये स्पेशल हो। तुम तो जानती हो कि मुझे चोदने में कितना मज़ा आता है। अगर मेरे पास साठ साल की बुढ़िया भी काम माँगने आये तो मैं उसे भी बिना चोदे काम नहीं दूँ। हाँ... अब तुम बताओ क्या खबर है?”

“घर से खत आया है.... राम और श्याम की शादी पक्की हो गयी है”, प्रीती खुश होते हुए बोली।

“मुबारक हो तुम्हें! क्या वो दो बहनों से शादी कर रहे हैं?”

“नहीं दोनों अलग परिवार कि लड़कियाँ हैं”, प्रीती बोली।

“तुम कितने दिन के लिये जाना चाहती हो?” मैंने पूछा।

“एक महीना तो लग ही जायेगा।” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“एक महीना! इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकुँगा।”

“ऑफिस में इतनी सारी लड़कियाँ हैं चोदने के लिये, एक महीना कहाँ बीत जायेगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।

“लड़कियाँ तो आज भी हैं.... पर तुम तो जानती हो कि रात को मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”

“मेरे बिना या मेरी चूत के बिना!” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।

“प्रीती! अब ये अच्छी बात नहीं है....” मैंने नाराज़गी जाहिर की।

“अरे बाबा! नाराज़ मत हो..... मैं जानती हूँ, इसलिये मैंने रजनी से कह दिया है कि वो रोज़ शाम को तुम्हारे पास आ जाया करेगी और कभी-कभी रात को भी रुकेगी।”

“ठीक है!!! कब जाना चाहती हो?”

“मैंने कल सुबह की फ्लाइट की टिकट बुक करा ली है”, प्रीती ने जवाब दिया।

दूसरे दिन प्रीती को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा तो मिसेज महेश को मेरी वेट करते देखा, “आयेशा!! जरा मिसेज महेश को मेरे केबिन में भेजना?”

मिसेज महेश वाकय काफी आकर्शित महिला थी। उनकी उम्र पैंतालीस के आसपास होने के बावजूद शरीर गठीला था, भरे हुए मम्मे और लंबे बाल। उन्होंने काली रंग की साड़ी, मैचिंग का ब्लाऊज़ और काले ही रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे था। दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।

मैं उनके सर्टिफिकेट्स देखने लगा। इतने में एम-डी ने केबिन में कदम रखा।
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