Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
02-10-2018, 12:06 PM,
#21
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
मेरा बच्चों जैसा छोटा हाथ स्वतः मामाजी के मोटे शिथिल लंड पर चला गया. मैंने अपनी ठोढ़ी बड़े मामा जी के सीने पर रख कर उनके प्यारे मूंह को निहारती, लेटी रही. कुछ ही देर में बड़े मामा का लंड धीरे-धीरे मेरे हाथ के सहलाने से सूज कर सख्त और खड़ा होने लगा. मेरा पूरा हाथ उनके लंड के सिर्फ आधी परिधी को ही घेर पाता था. बड़े मामा ने नीद में मुझे बाँहों में भरकर अपने ऊपर खींच लिया. मैं हलके से हंसी और बड़े मामा के खुले मुंह को चूम लिया. बड़े मामा की नीद थोड़ी हल्की होने लगी.
मैंने संतुष्टी से गहरी सांस ली और मामा के बालों से भरे सीने पर अपना चेहरा रख कर आँखे बंद कर ली. मेरा हाथ मामाजी के लंड को निरंतर सहलाता रहा. शायद मैं फिर से सो गयी थी. मेरी आँख खुली तो बड़े मामा जगे हुए थे और मुझे प्यार से पकड़ कर मेरे मूंह को चूम रहे थे. "मम्म्मम्म.. बड़े मामा आप तो बहुत थक गए," मैंने प्यार से मामाजी की नाक को चूमा.
"नेहा बेटा, यह थकान नहीं, अपनी बेटी की चूत मारने के बाद के आनंद और संतुष्टी के घोषणा थी," बड़े मामा ने हमेशा की तरह मेरे सवाल को मरोड़ दिया. "अब क्या प्लान है, मामाजी," मैंने अल्ल्हड़पन से पूछा. बड़े मामा ने मेरी नाक की नोक की चुटकी लेकर बोले, "पहले नेहा बेटी की चूत मारेंगें, फिर नहा धोकर देर का लंच खायेंगे," बड़े मामा ने अपने वाक्य के बीच में मुझे अपने से लिपटा कर करवट बदल कर मेरे ऊपर लेट गए, " उसके आगे की योजना हम आपके ऊपर छोड़ते हैं." बड़े मामा ने मेरे खिलखिला कर हँसते हुए मुंह पर अपना मुंह रख कर मुझे चूमने लगे.
मेरी अपेक्षा अनुसार बड़े मामा ने अपनी टांगों से मेरे दोनों टांगों को अलग कर फैला दिया. मामाजी ने अपना लोहे जैसा कठोड़ लंड मेरी चूत के द्वार पर टिका कर हलके धक्के से अपना बड़ा सुपाड़ा मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. मेरी ऊंची सिसकारी ने बड़े मामा के लंड का मेरी चूत पर सन्निकट हमले की घोषणा सी कर दी.
बड़े मामा ने दृढ़ता से अपने विशाल लंड को मेरे फड़कती हुई चूत में डाल दिया. मैंने अपने होंठ कस कर दातों में दबा लिए. मुझे आनंदायक आश्चर्य हुआ की बड़े मामा के हल्लवी मूसल से मुझे सिवाय बर्दाश्त कर सकने वाले दर्द के अलावा जान निकल देने वाली पीड़ा नहीं हुई. मेरी चूत में बड़े मामा के लंड के प्रवेश ने मेरी वासना की आग को हिमालय की चोटी तक पहुचा दिया.
मेरे बाँहों ने बड़े मामा की गर्दन को जकड़ लिया. मामाजी ने मेरे कोमल कमसिन बदन के ऊपर अपना भारी-भरकम शरीर का पूरा वज़न डाल कर मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी. बड़े मामा के लंड ने मेरी सिस्कारियों से कमरा भर दिया. बड़े मामा ने मेरी चूत को आधा घंटा अपने मोटे लंड से सटासट धक्कों से चोदा. मेरी चूत तीन बार झड गयी. बड़े मामा ने आखिर टक्कर से मेर्रे चूत में अपना लंड जड़ तक घुसेड कर मेरी चूत में झड़ गयी. बड़े मामा और में एक दूसरे को बाँहों में पकड़ कर चुदाई के बाद के आनंद के रसास्वाद से मगन हो गए. बड़े मामा ने प्यार से मुझे अपनी बाँहों में उठा कर स्नानघर में ले गए.
बड़े मामा जब पेशाब करने खड़े हुए तो मैंने उनका लंड अपने हाथ में लेकर उनकी पेशाब की धार को सब तरफ घुमाते हुए शौचालय में पेशाब कराया. बड़े मामा का शिथिल लंड भी बहुत भारी और प्यारा था. मैंने उनके भीगे लंड को प्यार से चूमा. मुझे मामाजी के पेशाब का स्वाद बिलकुल भी बुरा नहीं लगा. मैं जैसे ही शौचालय की सीट पर बैठने लगी बड़े मामा ने मुझे बाँहों में उठा कर नहाने के टब में खड़े हो गए. बड़े मामा ने अपने शक्तिशाली भुजाओं से मुझे अपने कन्धों तक उठा कर मेरी टाँगें अपने कन्धों पर डालने को कहा. मेरा बड़े मामा की हरकतों से हसंते-हंसते पेट में दर्द हो गया. इस अवस्था में मेरी गीली चूत ठीक मामाजी के मुंह के सामने थी. मैं बड़े मामा से अपनी चूत चटवाने के विचार से रोमांचित हो गयी, "बड़े मामा मेरी वस्ति पूरी भरी हुई है. मेरा पेशाब निकलने वाला है."
"नेहा बेटा, मुझे अपना मीठा मूत्र पिला दो. कुंवारी चूत की चुदाई के बाद पहला मूत तो प्रसाद की तरह होता है." बड़े मामा ने मेरी रेशमी बालों से ढकी चूत को चूम मुझे उन्हें अपना मूत्र-पान कराने के लिए उत्साहित किया.
मेरा पेशाब अब वैसे ही नहीं रुक सकता था. मेरे मूत की धार तेज़ी से बड़े मामा के खुले मूंह में प्रवाहित हो गयी. बड़े मामा ने मुंह में भरे मूत्र को जल्दी से सटक लिया, पर तब तक मेरे पेशाब की तीव्र धार ने उनके मुंह का पूरा 'मूत्र स्नान' कर दिया. बड़े मामा ने कम से कम मेरे आधे पेशाब को पीने में सफल हो गए. उनका मुंह, सीना और पेट मेरे मूत से भीग गया था. सारे स्नानघर में मेरे मूत्र की तेज़ सुगंध फ़ैल गयी.

"बड़े मामा, मुझे प्लीज़ शौचासन पर बैठना है." बड़े मामा ने मुझे प्यार से कमोड पर बिठा दिया. मैंने बड़े मामा के आधे-सख्त लंड को मूंह में ले कर मलोत्सर्ग करने लगी. मेरे पखाने की महक स्नानघर में फ़ैल गयी. बड़े माम ने गहरी सांस ली, मेरा शरीर रोमांच से भर गया, कि बड़े मामा को मेरा मलोत्सर्जन भी वासनामयी लगता था. मेरे मल-विसर्जन की पाने में गिरने की आवाज़ से बड़े मामा का लंड और भी सख्त हो गया. जब मेरा मलोत्सर्ग समाप्त हो गया तो मामाजी ने मुझे अपने को साफ़ किये बिना उठा कर, बिना फ्लश किये, शौचाल्या पर खुद बैठ गए.
बड़े मामा ने मुझे मोड़ कर झुका दिया. बड़े मामा ने मेरे गुदाज़ चूतड़ फैला कर गुदा-छिद्र को अपने मूंह से चाट कर साफ़ करने लगे. मेरी चूत में से रस बहने लगा. मेरी नाबालिग जीवन में एक दिन में ही सहवास की वासना के कितने रूप बड़े मामा ने दिखला दिये थे. बड़े मामा की जीभ ने मेरी गांड को चाट कर मुझे गरम कर दिया. मेरे साँसों में बड़े मामा के मलोत्सर्ग की गन्ध भर गयी. बड़े मामा जब मलोत्स्र्जन समाप्त कर रोल की तरफ हाथ बड़ाया तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें खींचा. मेरा मुंह, जो मैं उनको अर्पण करना चाहती थी उसके विचार से ही लाल हो गया. बड़े मामा को मेरी इच्छा समझने में कुछ क्षण ही लगे और मामाजी मुड़ कर अपने दोनों हाथो को घुटनों पर रख कर आगे झुक गए.
मैंने बड़े मामा के विशाल घने बालों से ढके चूतड़ों को फैला कर मामाजी की गुदा के बालों से भरे छल्ले को जीभ से चाटने लगी. मुझे मामाजी की गांड में से मर्दों वाली सुगंध और स्वाद से आनंद आने लगा. मुझे मामाजी की गांड चाटने में बहुत मज़ा आया. मुझे अब मामाजी की अजीब इच्छाओं का महत्व समझ आने लगा.
मैंने मामाजी की गांड अपने थूक से गीली कर बिलकुल साफ़ कर दी. बड़े मामा और मैंने पहले दातों को ब्रश किया फिर इकट्ठे स्नान करने के लिए शावर के लिए चल पड़े. बड़े मामा ने मुझे प्यार से साबुन लगाया. उनके हाथों ने मेरी उरोजों, चूत और गांड को खूब तरसाया. मामाजी ने मेरे बालों को में शेम्पू भी लगाया. मेरी शरीर में वासना की आग भड़कने लगी. मैंने भी बड़े मामा को सहला कर साबुन लगाया.मेरे हाथों ने उनके खड़े मूसल लंड को खूब सहलाया, मैंने उनकी विशाल बहुत नीचे तक लटके अंडकोष को भी अपने हाथों में भरकर साफ़ करने के बहाने सहला कर मामजी की कामंगना को भड़का दिया.
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02-10-2018, 12:07 PM,
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मैंने उसके बाद साबुन भरे हाथों से मामाजी के विशाल बालों से भरे चूतड़ों को मसला और अपनी उंगली से उनकी चूतड़ों के बीच की दरार को सहलाया, मेरी उंगली बड़ी देर तक उनके गांड के छेद पर टिकी रही. बड़े मामा ने मुझे मुड़ कर अपनी बाँहों में उठा लिया. मैं खिलखिला कर हंस पड़ी, मेरे बाहें मामाजी की गर्दन से लिपट गयीं और मेरी टांगों ने मामाजी की चौड़ी कमर के उभार को जकड़ लिया. बड़े मामा ने मेरे साबुन लगे चिकने चूतड़ों को अपने हाथों में संभाला और अपने घुटने झुका कर अपना अमानवीय अकार के घोड़े जैसे साबुन से लस्त लंड के अत्यंत मोटे सुपाड़े को मेरी चूत में घुसेड़ दिया. हम दोनो के बदन साबुन के चिकने थे. मामाजी ने मेरा वज़न की सहायता से मेरी चूत में अपने विशाल लंड को मोटे खूंटे की तरह धकेल दिया. मेरी चीख से स्नानघर गूँज उठा. बड़े मामा ने मेरे चूतड़ ऊपर उठा और फिर मेरे वज़न का इस्तेमाल कर के नीचे गिरा कर अपने लंड से मेरी चूत बिजली की तेज़ी से मारने लगे. बड़े मामा ने भयंकर तीव्रता से मेरी चूत मारनी शुरू कर दी. मेरे सांस एक बार भी संतुलित नहीं हो पायी. बड़े मामा ने अपने विशाल लोहे जैसे सख्त लंड को स्थिर रख, मेरे चूतड़ों से आगे पीछे कर के वास्तव में मेरी चूत से अपना लंड मार रहे थे. मेरी सिस्कारियों से दीवारें बहरी हो गयीं. बड़े मामा ने मुझे अपनी और अपने महाकाय लंड की मर्दानी ताकत का फिर से आभास कराया. मैंने अपना खुला सिसकता हुआ मुंह बड़े मामा की गर्दन में छुपा लिया.बड़े मामा की वहशी चुदाई ने मेरी चूत को पांच बार झाड़ दिया. बड़े मामा की इतनी उत्तेजना भरी चुदाई ने मेरी हालत बेहाल कर दी. मेरी किशोर शरीर बड़े मामा के लंड से उपजी महा-कामेच्छा को संभालने के लिए अभी बहुत अल्पव्यस्क था. मैंने अपने आपको बड़े मामा और अपनी धधकती वासना के ऊपर छोड़ दिया.
जब मुझे लगने लगा कि बड़े मामा उस दिन कभी भी नहीं झड़ेंगे, मामाजी ने मेरी चूत और भी तेज़ी से मारनी शुरू कर दी. मेरी सिस्कारियों में अब चरम कामाग्नी के अलावा थोड़ा सा दर्द भी शामिल था. पर मुझे उस दर्द के भीतर छुपे काम-आनंद ने पागल कर दिया. "मामाजी, मुझे चोदिये. और चोदिये. मेरी चूत अपने मोटे लंड से मारिये. आह अंन्ह ...हाय मेरी चूत ...मामाजी... ई..ई ....ई .... ई ....... मर गयी ई ....ई ... ई........ मैं," मेरा मुंह मामाजी कि गर्दन से चुपका हुआ था. बड़े मामा अपने भयंकर लंड से मेरी चूत का विध्वंस निरंतर हिंसक तेज़ी से करते रहे जब तक उनका लंड अचानक मेरी चूत में स्खलित हो गया. मामाजी के गरम वीर्य ने मेरे हलक से जोर की सिसकारी निकाल दी. मेरी चूत ने भी एक बार फिर से रति-रस विसर्जित कर दिया.बड़े मामा का महाकाय लंड ने लगभग तेरह बार झटके मार कर मेरी चूत को अपने मर्दांगनी के निचोड़,संतान उत्पादक, वीर्य से भर दिया.
बड़े मामा ने मुझे जोर से अपने शरीर से भींच लिया. मैं भी उनसे बच्चे की तरह लिपट गयी. हम दोनों को काफी समय लगा अपनी सांसों को संतुलित करने में.


बड़े मामा और मैं नहा धो कर रसोई में खाने के लिए चल दिए. बड़े मामा ने सब नौकरों को छुट्टी दे कर घर हमारी चुदाई के लिए तैयार कर दिया था. पर नौकर शाम को रात के खाने के लिए वापस आने वाले थे. बड़े मामा ने खाना गरम करने की मेज़ से दोनों के लिए खाना परोसा. मेरी सारी पसंद की चींज़े बड़े मामा ने पकवाईं थी. मैनें मामाजी से लिपट कर उन्हें प्यार से कई बार चूमा. बड़े मामा ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. हम दोनों ने निवस्त्र अवस्था में एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाया.
बड़े मामा के हाथ बड़ी मुश्किल से मेरे गुदाज़ स्तनों कुछ क्षणों के लिए ही से दूर जाते थे। मेरे कोमल उरोज यों तो मेरी उम्र की तुलना से बड़े थे पर अभी भी अविकसित थे। बड़े मामा ने उन को रात भर और सुबह मसल, मड़ोड़, और उमेठ कर लाल नीले गुमटों से भर दिया था। बड़े मामा ने मेरी दोनों चुचुक को भींच कर मेरे गाल को चूम कर पूछा, "मेरी बेटी किस विचारों में खो गयी है?" मैं शर्मा कर लाल हो गयी, "मामाजी मैं अपनी चुदाई के बारे में सोच रही थी। आपने कितनी बेदरदी से मेरी चूचियों का मर्दन किया है? देखिये कैसी बुरी तरह से दागी हो गयी हैं?" बड़े मामा ने मुझे कस कर भींच लिया और शैतानी से हँसते हुए मेरे उरोज़ों को और भी कस कर मसल दिया। मैं भी दर्द से सिसकने के बाद हंस पड़ी। मैंने अपने मूंह में भरे चिकन के कुचले हुए टुकड़े को हँसते हुए मामाजी के मूंह से अपना मूंह लगा कर उनके मूंह में डाल दिया। बड़े मामा ने उसे प्यार से और भी चबा कर खा गए। मैं इस साधारण साधारण सी प्यार भरी चुल्ह्ढ़पन से रोमांचित हो गयी।
बड़े मामा और मैं अब अपने मूंह में चबाये हुए भोजन को एक दूसरे को खिलाने लगे। बड़े मामा ने चार गुलाब जामुन मेरी टाँगे चौड़ा कर मेरी चूत में भीतर तक भर भर दिए। मैं मचल उठी, "बड़े मामू मेरी चूत तो यह नहीं खा सकती।" "नेहा बिटिया, आपकी चूत तो इन्हें और भी मीठा कर देगी। फिर हम इनका सेवन करेगें।" बड़े मामा और मैं फिर से अपने मूंह से भोजन चबा आकर एक दूसरे को खिलाने लगे। "बड़े मामा हमें भी तो आपकी मिठास से भरी मिठाई चाहिए।" मैं इठला कर बोली। "यह तो आपकी समस्या है। हमारे पास तो हमारी बेटी की चूत है," बड़े मामा खुल कर हंस पड़े।
पर मैं अब बड़े मामा के परिपक्व अनुभव से तेज़ी से कामानंद की क्रियायें सीख रही थी। मैंने बड़े मामा को हाथ पकड़ कर उठाया और उन्हें आगे झुकने के लिए निवेदन किया। बड़े मामा के विशाल बालों से भरे चूतडों के बीच में छोटी सी गांड का छेड़ मेरे लिए तैय्यार था। मैंने बरगी के चार पांच टुकड़े बड़े मामा की गांड के अंदर अपनी उंगली से घुसा दिये। मैंने फिर उनकी मीठी गांड को प्यार से चूमकर नाटकीय अंदाज़ में कहा, "मेरे प्यारे बड़े मामू की प्यारी प्यारी गांड कृपया मेरी बर्फी को और भी मीठा कर दो।"
बड़े मामा और मेरी चुहल बाजी, हंसी-मज़ाक पूरे खाने के दौरान चलती रही। खाना समाप्त होने के प्रश्च्यात बड़े मामा ने मुस्कुरा कर मुझे मेज पर लिटा दिया। मैं भी वासनामयी मुस्कान से खिल उठी। मैंने जोर लगा कर अपनी चूत में भरे गुलाब जामुनों को बाहर धकेलने का प्रयास किया। बड़े मामा ने अपनी उंगली से मेरी मदद की।

उन्होंने मेरी चूत से निकली मिठाई को लालाचपने से खाया। बड़े मामा ने अपने जीभ और मूंह से मेरी चूत पर लिसी चासनी को साफ़ कर दिया। उनके बाद मेरी बारी थी। बड़े मामा मेज पर हाथ रख कर आगे झुक गए। उन्होंने भी जोर लगा कर मसली कुचली बर्फी अपनी गांड से बाहर निकालने की कोशिश की। धीरे धीरे मिठाई उनकी बालों से ढकी गांड के छेद के बाहर आने लगी। मैंने अपना खुला मूंह बड़े मामा की गांड पर लगा कर मिठाई को अपने मूंह में भर लिया। बर्फी अब झक सफ़ेद तो नहीं रही थी पर उसमे बड़े मामा की गांड की मिठास तो बेशक शामिल हो गयी थी। जो बाक़ी बर्फी बड़े मामा अपनेआप से नहीं निकाल पाए उसे मैंने अपनी कोमल उंगली से कुरेद कर चाट लिया।
बड़े मामा मुझे, ‘खाना खाने के बाद’, गोद में उठा कर कमरे में ले गए, "नेहा बेटा, मुझे गंगा बाबा और दुसरे नौकरों को फोन कर के रात के खाने के लिए आने की इजाज़त देनी पड़ेगी. हम दोनों झील के जंगल में घूमने जा सकते हैं."
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02-10-2018, 12:07 PM, (This post was last modified: 02-10-2018, 12:07 PM by sexstories.)
#23
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जब बड़े मामा गंगा बाबा को फोन कर रहे थे तब मैं अपने कपड़े निकालने लगी. बड़े मामा ने सफ़ेद कुरता पजामा चुना. बड़े मामा पजामे के नीचे कोई कच्छा नहीं पहना. मुझे हंसी आ गयी, "मामाजी, यदि आपका लंड खड़ा हो गया तो पजामा तम्बू की तरह उठ जाएगा."
बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोजों को प्यार से सहलाया, "जंगल में सिर्फ तुम्हारे और कौन इस खड़े लंड को देखेगा? वैसे भी मेरी नेहा बेटी मेरे खड़े लंड को अपनी चूत में छुपा लेगी. नहीं बेटा?" मैं शर्म से लाल हो गयी और धीरे से सर हिला कर हामी भर दी.
बड़े मामा ने मेरी जींस को उठा कर अलग कर दिया. मेरे जिज्ञासु अभिव्यक्ति को देख के मामाजी मुस्कुराये और अलमारी से हलके पीले रंग का पेटीकोट और सफ़ेद ब्लाऊज़ निकल कर मुझे पहनने को दिया, "नेहा बेटी इसमें तुम अत्यंत सुंदर लगोगी," बड़े मामा ने हंस कर कहा, "यदि मेरा लंड खड़ा हो गया तो सिर्फ मुझे तुम्हारा लहंगा ऊपर करने की ही ज़रुरत है और तुम्हारी चूत मेरे लंड के लिए खुल जायेगी."
मैं शर्मा गयी और मामाजी के सीने पर अपने नन्हे हाथों की मुट्ठी से बार बार घूंसे मारने लगी जिसका प्रभाव मेरे विशाल बड़े मामा के ऊपर सिवाय इनको और ज़ोर से हसाने के अलावा निरर्थक था. मैंने लहंगे के नीचे जान्घियाँ और ब्लाऊज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी.


बड़े मामा और मैं हँसते, बाते करते हुए झील की तरफ चल दिए. एक बार जब हम जंगल के घने पेड़ों से घिर गए तो मैंने अपनी बांह बड़े मामा की विशाल कमर के ऊपर डाल दी. हम दोनों झील के शांत विलक्षण वातावरण में एक दुसरे की बाँहों में खुश, छोटी-छोटी बातें कर रहे थे. "बड़े मामा हमें सुरेश अंकल और नम्रता आंटी के बारे में झूठ बोलना पडेगा?" मैंने अपना गाल बड़े मामा की चौड़ी मांस-पेशियों से भरी भुजा पर रगड़ कर अपना डर में मामाजी को शामिल करना चाहा. बड़े मामा ने अपना हाथ मेरे चूची के ऊपर रख कर मुझे आश्वासित किया, "नेहा बेटा हमें कोई झूठ नहीं बोलना पडेगा. आप सब चिंता मुझ पर छोड़ दो." मैंने मुस्कुरा कर अपना अधखुला मूंह ऊपर कर बड़े मामा को चुम्बन का निमंत्रण दिया. बड़े मामा ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और शीघ्र हमारे खुले मुंह एक दुसरे के मूंह से चुपक गए. हमारी झीभ एक दुसरे के मुंह में अंदर-बाहर जाने लगी. हमारी लार एक मुंह से दुसरे मुंह में जा रही थी. बड़े मामा का प्रचंड लंड मेरे गुदाज़ नितिम्बों को कुरेदने लगा. बड़े मामा ने मेरे ब्लाऊज़ के बटन खोल कर मेरे संवेदनशील उरोज़ों को मुक्त कर दिया. मामाजी ने मेरे सख्त चूचुक अपनी चुटकी में भर मसलने लगे. बड़े मामा के मजबूत हाथों में मेरे दोनों स्तनों को मसलने और गून्दने लगे। मेरी सिस्कारियां बड़े मामा को और भी उत्साहित कर रहीं थीं। मैंने अपने नाज़ुक नन्हे हाथों से बड़े मामा के लंड को पहले पजामे के ऊपर से रगड़ा, पर मुझे मामाजी के विशाल लंड की गर्मी अपने हाथों में महसूस करनी थी. मैंने बड़े मामा के पजामे का नाड़ा खोल कमरबंद ढीला कर दिया. मामाजी का महाकाय प्रचंड लंड ने मेरे नन्हे हाथों को भर दिया. मैंने हलके से अपने को बड़े मामा की बाँहों से मुक्त कर उनकी झांगों के बीच में झुक गयी। मैंने बड़े मामा का विशाल सुपाड़े को अपना गर्म थूक से भरे मुंह को पूरा खोल कर अंदर ले लिया। बड़े मामा मेरे घुंघराले घने बालों को सहलाने लगे। मैंने बड़ी मुश्किल से बड़े मामा के लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने की कोशिश करने लगी। बड़े मामा की हल्की सी सिसकारी ने मुझे और भी उत्साहित कर दिया। मैं दिल लगा कर उनके लंड को जितना अच्छे से हो सकता था चूसने लगी। बड़े मामा ने मेरे लहंगे के अंदर हाथ डाल कर मेरी गीली चूत को सहलाने लगे। यदि मेरा मुंह बड़े मामा के लंड से नहीं भरा होता तो मेरी सिसकारी जंगल में गूँज जाती। मैं बड़े मामा के लंड को अपने मुंह से चूस कर लोहे की तरह सख्त कर दिया। उनकी अनुभवी उँगलियों ने मेरी चूत को सहला कर मुझे झड़ने के बहुत निकट तक ले आये। बड़े मामा ने वासना की उत्तेजना में गुर्रा कर कहा, "नेहा बेटा मेरे लंड को आपकी चूत चाहिए. क्या मैं आपकी चूत मारूं?" नेकी और पूछ-पूछ! बड़े मामा मुझे तरसा रहे थे. मैंने अपनी सिस्कारियों से उनकी इच्छा के सामने अपने नाबालिग, किशोर शरीर का एक बार फिर से समर्पण कर दिया. मैंने अपने लहंगा अपने हांथों से ऊपर उठा लिया, जैसे मामाजी ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर खड़े हुए. मामाजी का खुला पजामा उनके टखनों के इर्दगिर्द गिर गया. "बड़े मामा प्लीज़ गिर नहीं जाईयेगा," मुझे मामाजी की फ़िक्र लग रही थी. मामाजी ने मेरी चिंता की उपेक्षा कर अपने प्रचंड लंड के सुपाड़े से मेरी चूत ढूँढने लगे. मैंने अपने नन्हे हाथ से मामाजी के विशाल लंड को अपनी तंग किशोर कमसिन यौनी के द्वार की सीध पर रख दिया. मामाजी ने चार भयंकर धक्कों में अपना महाकाय लंड मेरी चुस्त चूत में जड़ तक अंदर डाल दिया. झील के मीलों तक सुनसान किनारे पहले मेरी चीखों और फिर मेरी ऊंची सिस्कारियों से गूँज उठे. बड़े मामा के बड़े शक्तिशाली हाथ मेरे भारी गुदाज़ नितिम्बों को संभाल कर मुझे अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगे। मेरी चूत उनके भीमकाय लंड के ऊपर अप्राकृतिक आकार में फ़ैल गयी थी। शीघ्र ही मेरी रति-रस से भरी चूत सपक- सपक की आवाज़ कर बड़े मामा के लंड से चुद रही थी। मैंने बड़े मामा की सीने में अपना सिसकता मुंह छिपा लिया। "आह .. बड़े मामा मुझे चोदिये। आपका लंड कितना बड़ा है। आह .. ओह ... ब .. ऊंह ... ड़े मा ... ऊन्न्ह्ह्ह .... मा ..आ ...ऒन्न्ह ऊन्न्नग्ग्ग," मै बड़े मामा के भयंकर धक्कों से बुरी तरह से हिल रही थी। मेरी चूचियां बड़े मामा के हर भीषण धक्के से ऊपर नीचे मादक नाच कर रहीं थीं। मैं कुछ ही देर में झड़ने के लिए तैयार थी। मैं एक जोर की चीख के साथ बड़े मामा के वृहत लंड के ऊपर झड़ गयी। बड़े मामा ने मुझे ऊपर उठा कर मेरे थरकते हुए चूची को अपने मुंह में खींच कर चूसने लगे। मेरे कामोन्माद की चीख में मेरे स्तन में बड़े मामा के चूसने के दर्द भी मिल गया। बड़े मामा ने स्नानगृह के सामान मेरी चूत लम्बे प्रचंड धक्कों से मार कर मेरी हालत खराब कर दी. मेरी कामेच्छा प्रज्जवलित हो मेरे शरीर में आग लगाने लगी. बड़े मामा ने मुझे उसी भयंकर तेज़ी से क़रीब एक घंटा मुझे चोदा. ****************** मैंने शैतानी से मुस्कराते हुए बड़े मामा का पजामा लपेट कर अपने लहंगे के कमर बंद में घुसा दिया। बड़े मामा ने भी मुस्करा कर मेरा ब्लाउज रूमाल की तरह तह मार कर अपने कुर्ते की जेब में रख लिया। मेरा एक हाथ बार बार बड़े मामा के लंड को सहला देता था। हम आधा घंटा धीरे धीरे घुमते हुए हम एक सुंदर घने पेड़ों से घिरी एक जगह पे रुक गए। हरी-भरी मुलायम घास एक गुदगुदे गलीचे के सामान थी। मेरी वासना अब फिर से बड़े मामा के लंड के लिए जागृत हो गयी। मै घास पर घुटने पर बैठ कर बड़े मामा के आधे खड़े मेरे चूत के रस से भीगे लंड को चूसने लगी। बड़े माम का लंड कुछ क्षड़ों के चूसने से ही लोहे के डंडे की तरह खडा हो गया। बड़े मामा ने मुझे ऊपर उठा कर अपनी बाँहों में भर लिया। उनका खुला मुंह मेरे मुंह के ऊपर चुपक गया। मेरी भूखी जीभ उनके मुंह के अंदर हर जगह जा कर उनकी जीभ से भिड़ गयी। मैंने बड़े मामा के कुर्ते के बटन खोल दिए। मैंने उनकी सीने की घने बालों में अपनी उँगलियों घुमाने लगी। बड़े मामा ने मुझे प्यार से घास के बिस्तर पर लिटा दिया। उन्होंने मेरे लहंगे का नाड़ा खोल कर उसे मेरे शरीर से अलग कर पास में रख दिया। बड़े मामा का पजामा भी मेरे लहंगे के साथ ही चला गया। बड़े मामा ने मेरी आँखों की प्रार्थना को समझ कर अपना कुर्ता भी उतार दिया।
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02-10-2018, 12:07 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
बड़े मामा ने अपना विकराल लोहे से भी सख्त पर रेशम जैसा मुलायम लंड मेरी छूट के द्वार पर रगड़ने लगे। मेरी सिसकारी उन्हें मेरे अविकसित स्त्री-गृह की नाज़ुक सुगन्धित सुरंग के अंदर आने के लिए उत्साहित कर रही थी। बड़े मामा की झिलमिलाती हल्की भूरी आँखें मेरी वासना भरी आँखों से अटक गयीं। उनके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी। मैं समझ गयी कि बड़े मामा अपनी बेटी जैसी भांजी के होंठों से सम्भोग के अश्लील शब्दों को सुनना चाहते थे। मैं भी अब उन्हें बोलने से बहुत नहीं शर्माती थी। "बड़े मामा अपनी बेटी जैसी भांजी की चूत में अपना पितातुल्य विशाल लंड डाल दीजिये। मामू अपने विकराल लंड से अपनी बेटी की मासूम चूत को फाड़ दीजिये," मैं पहले धीरे फिर जोर से बोली। बड़े मामा ने चार भयंकर धक्कों से अपना पूरा भीमकाय लंड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया। मेरी चीख मेरे हलक में ही अटक गयी क्योंकि बड़े मामा ने मुझे एक क्षण भी दिए बिना मेरी चूत को भीषण रफ़्तार से चोदने लगे। उनका विकराल लंड मेरी चूत को रेल के इंजिन के पिस्टन की रफ़्तार और शक्ति से चोद रहा था। मेरे गले से जब आवाज़ निकली तो पहले मैं बिलबिला कर चीखी पर कुछ ही क्षणों में मे मैं ऊंची सिस्कारियों से अपने बड़े मामा की शक्तिशाली चुदाई के लिए आभार प्रकट करने लगी। बड़े मामा के विशाल हाथों ने मेरी चूचियों का मर्दन निर्ममता से किया, पर मैं उन्हें और भी बेदर्दी से मसलवाना चाहती थी। "बड़े मामू ... ओओओण्ण्ण्ण्ण आँ ...आँ ....आँ .....आअह ...और ज़ोर से। मैं आने वाली हूँ। मामा जी ... ई .... ई .... ई .......अंअंअंअंअंअं। मर गयी मैं तो ....आआआ ह्हूम।" 'चपक-चपक' की सुंदर ध्वनि मेरे चूत के मर्दन की घोषणा कर रहीं थी। बड़े मामा ने मुझे चार बार झाड़ कर मेरी चूत अपने मर्दाने संतान-उत्पादक गरम वीर्य से भर दी. मैं बड़े मामा से छोटी बच्ची की तरह लिपट गयी. हम दोनों कुछ देर उसी तरह लेटे रहे. बड़े मामा ने मुझे कई बार प्यार से चूम कर अपने लंड से मुक्त कर दिया. हम धीरे-धीरे जंगल में घूमने लगे. हम दोनों एक दुसरे के शरीर के आकर्षण से अपने को मुक्त नहीं कर सके। बड़े मामा के हाथ मेरे चूचियों, नितिम्बों से एक पल भी नहीं हते। मेरा हाथ भी उनके शिथिल पर भरी विशाल लंड से अलग होने में अक्षम था। बड़े मामा का अत्रिप्य मांसल लोह पुरुष लिंग तनतना कर फिर से उदंग हो गया। बड़े मामा ने झील के किनारे एक लकड़ी की बेंच को देख कर मुझे बेसब्री से उसकी और खीचने लगे। बड़े मामा ने मुझे उस खुरदुरी बेंच पर लिटा दिया। बड़े मामा ने मेरी भारी गुदाज़ झांगों को अपनी बाँहों में उठा कर मेरी चूत के मुहाने पर अपना वृहत्काय लंड का सेब जैसा सुपाड़ा लगा कर एक हल्का सा धक्का दिया। उनका सुपाड़ा मेरी संकरी चूत में प्रविष्ट हो गया। मेरी हल्की सी सिसकारी ने बड़े मामा के लंड का स्वागत किया। बड़े मामा कुछ देर तक अपने सुपाड़े को धीरे धीरे मेरी चूत में हिलाते रहे। मेरी चूत बड़ी तेजी से रस से भर गयी। बड़े मामा ने अपने सुपाड़े को गोल-गोल घुमा के मेरी चूत कर तंग छिद्र को चौड़ाने लगे। मेरी सिसकारी ने मेरी जलती हुई कामवासना की स्तिथी की घोषणा कर दी। मैंने अपने गांड को ऊपर उठा कर बड़े मामा का लंड अपनी चूत में लीलने की कोशिश की। "नेहा, बेटा आप क्या कर रहे हैं?" बड़े मामा ने मुझे चिड़ाते हुए बच्चों जैसी मासूम मुस्कान से पूछा। मैं समझ गयी थी कि एक बार फिर से बड़े मामा अपनी बेटी सामान भांजी के मुंह से अश्लील शब्दों को सुनना चाहते थे। मेरी चूत में जोर से आग लगी थे औए उसे बुझाने का अस्त्र बड़े मामा के पास था। "बड़े मामा मुझे क्यों तरसा रहें हैं? मुझे अपने घोड़े जैसे लंड से चोदिये। अपनी बेटी की चूत में अपना भीमकाय लंड पूरा अंदर तक डाल दीजिये," मैं वासना के ज्वार से धधक रही थी, "बड़े मामा मेरी चूत अपने मोटे लम्बे लंड से फाड़ दीजिये।" बड़े मामा ने अपने दोनों हाथों को मेरे कमसिन पर बड़े मोटे स्तनों से भर लिया। बड़े मामा ने बेदर्दी से मेरे दोनों चूचियों को मसल कर अपनी ताकतवर नितिम्बों की सयाहता से एक विध्वंसक धक्के से लगभग आधा लंड मेरी अविकसित चूत के संकरी सुरंग में धकेल दिया। मैं ज़ोरों से चीख पड़ी, " बड़े मामा, आह ... कितना दर्द ... ऊन्न्ह ... मेरी चूत फट गयी। ओह .. आह ... ऒन्न्ह्ह्ह ...ऊन्नग्ग्ग।" मेरे बिलबिलाने को अनसुना कर बड़े मामा ने एक गहरी सांस भर कर एक दूसरा भयंकर धक्का लगाया। उनका तीन- चौथाई विशालकाय लंड मेरी चूत में दनदना कर प्रविष्ट हो गया। मेरी छूट मानों जल रही थी। दर्द के मारे मेरी चीख फिर से जंगल में गूँज उठी। बड़े मामा ने अपने हाथों से मेरे दोनों उरोजों का लतमर्दन करते हुए तीसरे भीषण धक्के से अपना पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में डाल दिया। बड़े मामा ने मेरी चीख की एक बार फिर से उपेक्षा कर मुझे अपने घोड़े जैसे लम्बे मोटे लंड से चोदने लगे। दस बारह धक्कों के बाद ही मेरा सारा दर्द गायब हो गया और मेरी चीखों की जगह अब मेरे मुंह से लगातार सिस्कारियां उबल रही थीं। बड़े मामा ने मेरी चूचियों को उतनी ही बेदर्दी से मसला और नोचा जितनी निर्ममता से वो मेरी कमसिन चूत मार रहे थे। मामाजी के लम्बे जोरदार धक्कों से मैं पांच मिनट में ही झड गयी। बड़े मामा ने बिना धीरे हुए आधे घंटे से भी ऊपर मुझे चोद कर तीन बार कामोन्माद के द्वार पर ला कर पटक दिया। जब मैं तीसरी बार सिसकारते हुए झड़ रही थी तब बड़े मामा के भीमकाय लंड ने भी मेरी रस उगलती कमसिन चूत में मीठा गाड़ा जनक्षम वीर्य उलेढ़ दिया। बड़े मामा अपना भारी-भरकम बदन मेरे ऊपर डाल कर निढाल हो गए। मैंने प्यार से उनको अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उनके मुंह को गीले चुम्बनों से भर दिया। हम दोनों काफी देर तक एक दुसरे की बाँहों में पड़े मुस्करा कर एक दुसरे को चूमते रहे। आखिर कर हम दोनों उठे और फिर से झील के अगले किनारे की तरफ चल दिए। बड़े मामा ने वापिस जाने के लिए दूसरा रास्ता चुना। हम दोनों पहाड़ी के किनारे के बहुत पास थे। हरी वादी का घुला नज़ारा किसी को भी विस्मित कर सकता था। बड़े मामा ने मुझे बाँहों में भर कर ज़ोर से भींच लिया। उनका लंड पूरा खड़ा था। पास में एक बड़ा पेड़ गिर पड़ा था। बड़े मामा ने मुझे उस पेड़ के तने पर हाथ टिका कर झुका दिया। हम दोनों के सामने खुली वादी का नज़ारा था। बड़े मामा ने मेरी चौड़ी खुली झांगों के पीछे जा कर अपना लंड एक बार फिर से मेरी फड़कती हुई चूत के ऊपर टिका दिया। मैंने अपना निचला होंठ दांतों के बीच दबा लिया। जैसे मैंने सोचा था उसी तरह बड़े मामा ने मेरे दोनों चूतड़ कस के पकड़ कर चार दर्द भरे धक्कों से अपने अमानवीय लंड को मेरी चूत में जड़ तक डाल कर मेरी अस्थी-पंजर हिला देने वाली भीषण चुदाई शुरू कर दी। मेरी वासना भरी चीखों से खुली वादी गूँज उठी। मैं सिसक सिसक कर बड़े मामा की विध्वंसक चुदाई से कई बार झड़ गयी। बड़े मामा ने उस बार मुझे एक घंटे तक बुरी तरह रगड़ कर चोदा। मेरे दोनों चूचियों की कोमल त्वचा पर बड़े मामा के निर्मम मर्दन से नीले निशान उभर आये। जब बड़े मामा ने अपना लंड मेरी थकी मांदी चूत में खोल। तब तक मैं इतनी शिथिल हो गयी थी की मेरे दोनों टांगें बड़ी मुश्किल से मेरा वज़न संभाल पा रहीं थीं। हम जब शाम का अन्धेरा छाने लगा तो घर की तरफ चल दिए.


गंगा बाबा हमारा इंतज़ार कर रहे थे. गंगा बाबा एक पहलवान के जिस्म के मालिक थे. उनका ६’१” ऊंचा शरीर अत्यंत चौड़ा और विशाल था. उनकी घनी मूंछें उनके असम सुन्दर चेहरे को और भी निखार देतीं थीं. गंगा बाबा ४२ साल के विधुर थे और अपनी अत्यंत सुंदर बेटी जानकी के साथ हमारे परिवार की विसायत के मैनेजर थे. दोनों हमारे परिवार की सारी*जागीर की देखबाल करते थे. जानकी २१ साल के थोड़े भरे हुए शरीर की बेहद सुंदर स्त्री थी. गंगा बाबा ने मुझे प्यार से गले लगा लिया. रात का खाना और भी स्वादिष्ट था. बड़े मामा ने इटली की विंटेज लाल अंगूरी मदिरा, बरोलो, की बोतल खोली. हम दोनों ने गंगा बाबा और जानकी दीदी के साथ खाना खाया. गंगा बाबा ने खाने के ठीक बाद सारे नौकरों को भगा दिया. जानकी दीदी ने मुझे गले लगा कर शुभरात्री की इच्छा व्यक्त की,"वैसे यदि रवि चाचा जैसे मर्द का लंड पास हो तो कोई भी रात शुभ ही होगी." मेरी शर्म से आवाज़ बंद हो गयी,जानकी दीदी को कैसे पता* चला? "दीदी आपको कैसे पता चला? क्या गंगा बाबा को भी पता है? " "घबराओ नहीं, नेहा, पापा और रवि चाचू के बीच में कोई बात गुप्त नहीं रहती. पर घर की बात घर में ही रहेगी. रवि चाचू का लंड मैंने भी झेला है.पहली बार की चुदाई करीब साल ६-७ साल पहले थी. फिर पापा और रवि चाचू ने मिल कर मुझे सारी रात चोदा। अगले दिन मैं मुश्किल से खड़ी हो पाई चलना तो बहुत दूर रहा।" जानकी दीदी ने मुझे प्यार से चूम कर आश्वासन दिया. बड़े मामा ने जानकी दीदी को भी चोदा था, इस विचार से ही मैं गरम हो गयी. आखिर में नौ बजे तक घर में बड़े मामा और मैं फिर से अकेले थे. बड़े मामा ने स्कॉच के गिलास के साथ मुझे बाँहों में भर कर सिनेमाघर वाले कमरे में सेक्स की अश्लील चलचित्र लगाया. "नेहा बेटा, यह सारे चलचित्र यथार्थ हैं और वास्तविक परिवारों के निजी जीवन की कहानियां हैं." बड़े मामा ने मुझे बताया.


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02-10-2018, 12:08 PM,
#25
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
सुनील ने सिसकारी भरती हुई अपनी माँ के पीछे जा कर उसका गाउन खोल दिया। सुनील ने अपने हाथ अपने भाई ओर माँ के शरीर के बीच में डाल कर अपनी माँ के दोनों उरोज़ों को अपने हाथों में भर लिया। माँ की एक और सिसकारी ने उसे और भी उत्साहित कर दिया। सुनील ने अपनी माँ की चूचियां मसलनी शुरू कर दीं। सुधा अपने छोटे बेटे की बाँहों में मचलने लगी। उसका मुंह अभी भी अपने बेटे के मुंह से चिपका हुआ था। अनिल ने सुधा का गाउन उसके कन्धों से गिर दिया। सुनील ने जल्दी से उसे अलग कर फर्श पर फेंक दिया और फिर से अपनी सिसकती माँ के उरोज़ों का मर्दन करने लगा। सुधा को अपने दोनों बेटों के सख्त लंड आगे-पीछे चुभ रहे थे। वैसे तो दोनों अभी किशोर थे पर उनका शारीरिक विकास अपेक्षा से बहुत पहले ही बढ चला था। "बेटा, चलो पहले नाश्ता कर लो," सुधा का शरीर अब अन्तरंग रूप से परिचित अग्नि में जल रहा था। पर माँ की ज़िम्मेदारी उसे स्त्री की वासना को दबाने के लिए बुला रही थी। दोनों बेटों ने कुनमुना कर कहा, "मम्मी, पहले हम दोनों पहले आपका नाश्ता करेंगें, फिर ही कुछ और खायेंगें।" सुधा जानती थी की जब उसके बेटों को माँ के शरीर की भूख लग जाती है तो कुछ भी उन्हें अपने माँ को भोगने से नहीं रोक सकता था। सुधा ने अपना शरीर अपने बेटों के बाँहों में ढीला छोड़ दिया। सुनील ने अपनी माँ की चूचियों को ज़ोरों से मसलना और गूंदना शुरू कर दिया। सुधा के मुंह से दर्द और वासनामयी सीत्कारी उबल कर रसोई में गूँज रहीं थीं। अब तक सुधा भी कामोन्माद में डूब गयी थी। उसके दोनों बेटे बहुत आसानी से अपनी माँ की वासना की अग्नि प्रज्ज्वलित कर सकते थे। और उस सुबह भी वही हुआ। सुधा ने बेसब्री से अनिल के शॉर्ट्स को नीचे करना शुरू कर दिया। उसका मुंह अभी भी अपने बेटे के मीठे मुंह से चिपका हुआ था। अनिल ने एक हाथ से अपनी माँ की मदद कर अपने शॉर्ट्स तो नीचे कर अपनी टांगों से दूर फ़ेंक दिया। सुधा का कोमल छोटा मुलायम हाथ अपने बेटे के स्पात जैसे सख्त, रेशम जैसे चिकने लंड से भर गया। सुधा के दोनों बेटों की तब तक झांटे नहीं उगी थी। उनके विशाल लंड और मोटे बड़े विर्यकोश से भरे अंडकोष भी झांटों के बिना बिलकुल मुंह में पानी लाने जैसे साफ़ और चिकने थे। उस छोटी उम्र में भी सुधा के दोनों बेटों के लंड अमानवीय रूप से बहुत लम्बे और मोटे थे। सुधा कुछ सालों से अपने बेटों से चुदवा रही थी पर अब भी हर साल उनका लंड और भी बड़ा और मोटा हो जाता था। दोनों बेटों की राय थी की वोह सब माँ को प्यार करना और रोज़ चोदने का पुरूस्कार था। सुधा यह सब सोच आकर अनिल के मुंह में मुस्करा दी। उसके दोनों बेटे बहुत ही आज्ञाकारी, पढाई में अच्छे और भद्र लड़के थे। सुधा ने अपने को अनिल से मुक्त कर फर्श पर घुटनों पर बैठ गयी। तब तक सुनील भी नग्न हो गया था। सुधा ने अनिल के मोटे लंड को अपने हाथों में ले आर उसके सेज जैसे सुपाड़े को अपने मुंह में ले लय। अपनी माँ के गर्म मुंह में अपना लंड जाते ही अनिल के मुंह से सिसकारी फूट पडी, "आह मम्मी ..." सुधा के हाथ अपने बेटे के लंड की पूरी मोटाई को पकड़ने के लिया काफी छोटे थे। कुछ देर अनिल का लंड चूस कर सुधा ने अपने बड़े बेटे का लंड अपने मुंह में ले लिया सुनील का लंड अनिल से थोडा सा बड़ा था। उसके मुलायम हाथ बारी बारी से अपने दोनों बेटों के अंडकोष को सहला रहे थे। सुनील ने थोड़ी देर में कहा, "मम्मी, मुझे अब आपकी चूत मारनी है।" अनिल ने कुनमुना कर पर भलेपन और प्यार से शिकायत की, 'मम्मी सुनील को ही क्यों पहले आपकी चूत मिलेगी। मैं भी तो आपकी चूत मार सकता हूँ?" सुधा को पता था की दोनों भाइयों के एक-दूसरे के लिए प्यार की कोई सीमा नहीं थी पर वो दोनों मीठी लड़ाई करने से नहीं रुकते थे। सुधा ने उठ कर अनिल को प्यार से चूमा और अपने माँ होने का एहसास कराया, "बड़े भाई का माँ पे पहला हक होता है। अनिल बेटा ये तो तुम्हे अच्छे से पता है।" अनिल ने अपनी माँ के सुंदर नाक की नोक को प्यार से काट कर धीरे से 'सौरी' बोल दिया। अनिल जल्दी से डाइनिंग टेबल पर जांघें फैला कर बैठ गया। उसका माहकाय लंड तनतना कर अपनी माँ को आकर्षित कर रहा था। सुधा ने अपने दोनों हाथ अनिल के जांघों के दोनों तरफ डाइनिंग टेबल पर रख, झुक कर घोड़ी की तरह बन गयी। सुनील ने अपनी माँ के गोरे विशाल रेशम से मुलायम कूल्हों को प्यार से सहलाया और फिर अपनी माँ की जांघों को चौड़ा कर फैला दिया। सुधा ने अनिल के लंड को अपने नाजुक हाथों से सहला कर उसके सुपाड़े को चुम्बन देना शुरू कर दिया। सुनील अपनी माँ के गुदाज़ गांड को चूमने के बाद उसके गीली घुंगराले झांटों से ढकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। सुधा की सिसकारी की ऊँची आवाज़ उसके बेटों के लिए जलतरंग का संगीत था। अपनी माँ की चूत रस से भरी पा कर सुनील ने अपना विशाल वृहत लंड अपनी माँ के फड़कती हुई चूत के द्वार पे लगा दिया। इसी तंग संकरी मखमली सुरंग से दोनों भाई इस दुनिया में अवतरित हुए थे। अब सुनील फिर से अपने जन्मस्थान में प्रवेश होने वाला था। माँ और बेटे के संसर्ग से बड़ा शायद कोइ और कामुक और वर्जित संसर्ग नहीं होता। सुनील ने अपने मोटे सुपाड़े को जोर से अपनी माँ की चूत की तंग योनि में धकेल दिया। सुधा अपने छोटे बेटे के लंड के पेशाब के छिद्र को अपनी जीभ की नोक से सता रही थी। उसकी चूत इतने सालों के बाद भी बेटों के लम्बे मोटे लंड लेते हुए तड़प जाती थी। सुधा की सिसकारी ने दोनों बेटों के लंड को और भी सख्त कर दिया। सुनील ने अपने मजबूत हाथों से अपनी माँ के कूल्हों को कस के पकड़ कर एक बेदर्द भीषण धक्का लगाया। उसका मोटा मूसल जैसा लंड एक ही धक्के में लगभग चार इंच उसकी माँ की चूत में दाखिल हो गया। सुधा दर्द से बिखल उठी, "सूनी .......ई ...ई .... आहह मर गयी बेटा। अनिल ने अपनी सुंदर माँ का खुला मुंह अपने लंड से भर दिया। सुनील ने अपनी माँ के बिलखने की परवाह किये बिना तीन और चार भयंकर धक्कों से अपना पूरा लंड माँ की चूत में डाल दिया। सुनील ने अपने लंड को आधा भार खींच कर बिना रुके हचक कर फिर से अपनी माँ के जननी-सुरंग में धकेल दिया। अनिल अपनी माँ के घुंघराले घने लटों को मुठी में भर कर उसका मुंह अपने मोटे गोरे चिकने लंड के उपर नीचे करने लगा। सुधा के मुंह से 'गों ..गों 'की आवाज़ निकलने लगी। अनिल बेरहमी से अपनी माँ के मुंह में ज़्यादा से ज़्यादा लंड डालने की कोशिश कर रहा था। सुनील ने अपनी माँ की चूत को लम्बे ताकतवर धक्कों से चोदने लगा। रसोई में सुधा की घुटी-घुटी सिस्कारियां गूँज उठी। उसमे दो बेटों की घुरघुराहट की आवाज़े भी शामिल थीं। सुनील और अनिल जानते थे की उनकी माँ को उनका उसे बेदर्दी से चोदना अच्छा लगता था। सुधा की चूत अपने बेटे के लंड को व्याकुल हो कर ले रही थी। उसकी फूली विपुल गांड अपने बेटे के हर धक्के से थरथरा जाती थी। सुनील को अपनी माँ के चूतड़ों का फिरकना बहुत उत्तेजित कर देता था। वोह और भी ताकत लगा कर अपनी माँ की चूत में धक्के लगाने लगा। सुधा अपने छोटे बेटे के लंड को जितना हो सकता था उतने कौशल से चूस रही थी। उसकी लार मुंह से निकल अनिल के लंड को नेहला रही थी। पांच दस मिनट के बाद सुधा का सार बदन अकड़ गया। दोनों बेटे समझ गए की उनकी माँ झड़ रही थी। सुनील और अनिल अब अपनी माँ की लम्बी चुदाई के लए तैयार थे। सुनील ने आगे झुक कर अपनी माँ के लटके हुए विशाल उरोज़ों को मसलना शुरू कर दिया। उसके लंड की हर टक्कर उसकी माँ के सारे शरीर को हिला देती थी। सुधा के दोनों बेटे उसका मुंह और चूत प्यार भरी निर्ममता से चोद रहे थे। सुधा तीन बार झड़ चुकी थी। उसे पता था की उसके दोनों बेटे रति-संसर्ग में निपुड़ थे। जैसे ही उन्हें लगा की वो झड़ने वाले थे उन्होंने अपनी जगह बदल ली। अब अनिल अपनी माँ की चूत को अपने साड़े-सात इंच के लंड से चोद रहा था और अनिल का आठ इंच का लंड उनकी माँ के मुंह में समाया हुआ था।
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02-10-2018, 12:08 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
दोनों बेटों ने तीन बार अदला बदली कर एक घंटे तक अपनी माँ को चोद कई बार झाड दिया था। आखिर में स्त्री ही जीतती है। दोनों बेटों के लंड माँ के मुंह और चूत में फट पड़े। सुधा का मुंह अपने बड़े बेटे के गर्म गाढ़े वीर्य से भर गया। अनिल ने भी अपनी माँ की चूत को अपने जनक्षम पानी से भर दिया। उसका लंड सुधा के गर्भाशय से लग कर अपने वीर्य से नहला रहा था। तीनो धीरे-धीरे अलग हुए और सुधा ने दोनों बेटों को नाश्ता परोसा सुनील ने अपनी माँ को अपनी गोद में खींच कर बिठा लिया और प्यार से उसे भी नाश्ता खिलाने लगा। सुधा बार बार नाश्ते को अपने मुंह से चबा कर अपने बेटों के मुंह में डाल देती थी। सुनील और अनिल भी अपनी माँ के मुंह में कुचला चब्या हुआ खाना प्यार से डाल कर अपनी माँ को आधे चबाये हुए खाने को निगलते हुए देख कर प्रसन्न हो रहे थे। तीनो की हंसी और खिलखिलाते हुए वार्तालाप से रसोई गूँज रही थी। नाश्ते के बाद भी बेटों की कामाग्नी शांत नहीं हुई थी। दोनों बेटे सुधा के स्तनों को मसल कर उसे बारी-बारी से चुम्बन देने लगे। अनिल की उंगलिया माँ की गीली चूत में दाखिल हो गयी। अनिले अपने अगुंठे से अपनी माँ के भग-शिश्न [ क्लिटोरिस ] को रगड़ और मसल रहा था। सुधा का शरीर फिर से अपने बेटों के लंड की भूख से जगमगा उठा। अनिल इस बार भोजन मेज पर चित लेट गया। उसकी टांगें मेज के किनारे पर लटकी हुईं थी। सुधा सुनील की मदद से मेज पर चढ़ गयी और अपनी दोनों विपुल जांघों को अनिल की जांघों के दोनों तरफ रख कर उसके लोहे के समान सख्त लंड को मुश्किल से सीधा कर अपनी चूत के दहाने से लगा लिया। उसकी आँखे स्वतः अत्यंत आनंद के प्रभाव से आधी बंद हो गयीं। उसका मुंह वासना के ज्वार से थोडा सा खुला हुआ था और उसके सुंदर नथुने गहरी साँसों से फड़क रहे थे। सुधा ने अपने भारी आकर्षक गांड को अपने बेटे के मोटे लंड के के सुपाड़े को अपनी चूत में फसा कर नीचे दबाने लगी। अनिल का मोटा लंबा लंड इंच-इंच कर उसकी माँ की गीली रसभरी चूत के अंदर गायब हो गया। सुधा ने अपने छोटे बेटे का पूरा लंड अपनी चूत में छुपा लिया। उसका सुंदर मुंह वासना भरे दर्द और आनंद के मिश्रण के प्रभाव से आधा खुला हुआ था। सुनील के ऊंचाई अपनी माँ की गांड मारने के लियी बिलकुल ठीक थी। सुनील नीचे झुक कर माँ के गांड को चुम्बन कर अपनी जीभ से कुरेदने लगा। सुधा की आँखे कामवासना से बंद होने लगीं। उसके एक बेटे का मोटा लम्बा लंड अपने माँ की चूत में धंसा हुआ था और उसका दूसरा बेटा अपनी जीभ से अपनी माँ के गुदा-छिद्र को प्यार से कुरेद कर उसे अपने विशाल लंड के लिए तैयार कर रहा था। एक चुदासी माँ की उत्तेजना को भड़काने के लिए इससे ज़्यादा और क्या चाहिए। सुधा की सिसकारी उसके आनंद को घोषित कर रही थी। सुनील ने अपना दानवीय लंड अपनी माँ की गुदा के छोटे से छिद्र पर लगा कर जोर से अंदर डालने की उत्सुकता से दबाने लगा। सुधा ने आने वाले दर्द के पूर्वानुमान से अपने होंठ दांतों से दबा लिए। सुनील ने अपनी माँ के विपुल, गोल भरी कमर को कस कर पकड़ एक भीषण धक्के से अपने लंड का सुपाडा अपनी माँ के गुदा-द्वार के अंदर घुस दिया। सुधा के मुंह से न चाहते हुए भी चीख निकल पड़ी , "सुनील आह ... धीरे ... ऊउन्न्न्न्न कितना मोटा है बेटा तुम्हारा लंड। सुनील ने अपनी माँ की गोर सुकोमल कमर को चुम्बन दे कर अपने विशाल लंड को भयंकर धक्कों से अपनी माँ की गांड में अपना पूरा आठ इंच का मोटा लंड जड़ तक डाल दिया। सुधा के चीखों ने रसोई को गूंजित कर दिया। अनिल अपनी माँ के लटके हुए कोमल विशाल चूचियों को मसल कर उसके दर्द को कम करने का प्रयास करने लगा। अनिल ने माँ के तने हुए चूचुक को मसल कर खीचने लगा। सुधा की चींखे सित्कारियों में बदल गयीं। उसके दोनों बेटे अपनी माँ को काम वासना का आनंद देने में बहुत परिपक्व हो गए थे। सुनील और अनिल ने अपने माँ की चूत और गांड मारना प्रारंभ कर दिया। उनके मोटे लम्बे लंड उनकी माँ की दोनों सुरंगों का प्यारभरी बेदर्दी से मर्दन कर रहे थे। सुधा ने अपने शरीर को अपने बेटों के शक्तिशाली हाथों में छोड़ दिया। अनिल अपनी मजबूत कमर को उठा अपना लंड अपनी माँ की चूत में जोर से धक्का दे कर धकेल रहा था। उसका बड़ा भाई उतनी ही ताकत से अपनी माँ की गांड मार रहा था। सुनील का लंड शीघ्र ही अपनी माँ के मलाशय के रस से सराबोर हो कर और भी आसानी से सुधा की गांड में अंदर-बाहर हो रहा था। रसोई में सुधा की गांड की सुगंध फ़ैल गयी। उस सुगंध ने हमेशा की तरह उसके बेटों की कामोत्तेजना को और भी बढ़ा दिया। सुधा के दोनों बेटे जोर से धक्के लगा कर सिस्कारती हुई माँ को चोदने लगे। सुधा जल्दी ही चरमावस्था के सन्निकट पहुँच गयी। अनिल ने अपनी माँ के झड़ने के स्तिथी भांप कर जोर से उसके निप्पल को मसलने लगा। सुनील ने अपना हाथ माँ के नीचे डाल कर उसका क्लिट कस कर मसला और फिर उसे अंगूठे और उंगली के बीच दबा कर निर्ममता से मरोड़ने लगा। सुधा जोर से चीख मार कर झड़ गयी। उसके दोनों बेटे बिना थके और धीरे हुए अपनी माँ की चूत और गांड को भीषण धक्कों से चोदने लगे। सुधा अपने बेटों के विशाल लंड पर अटकी सिस्कारती हुई बार-बार झड़ कर फिर से कामोन्माद के पर्वत पर चढ़ जाती थी। सुधा जानती थी की दोनों उसे इस तरह बड़ी देर तक चोद सकते थे। आधे घंटे के बाद सुधा जब चौथी बार झड़ रही थी तो भाईयों ने माँ के छेद बदलने का इशारा किया। सुधा के मुंह के सामने उसके बड़े बेटे का लंड था जो उसकी गांड के रस से लिपा हुआ था। सुधा ने सुनील की मनोकामना समझ के उसका लंड चूस और चाट कर साफ़ कर दिया। अनिल ने बेसब्री से अपना खूंटे जैसा सख्त लंड अपनी माँ के अब गांड के ढीले और खुले छेद में दाल कर तीन जानदार धक्कों से पूरा लंड अंदर डाल दिया। सुधा की सिसकारी अनिल के प्रयासों का इनाम थी। सुनील ने अपनी माँ के शरीर के नीचे सरक कर अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर लगा दिया। अनिल ने थोड़ा रुक कर अपने भाई को माँ की चूत भरने का अवसर दिया। कुछ देर बाद दोनों बेटे एक बार फिर से अपनी माँ को दोनों छेदों को जोर से चोदने लगे। सुधा के सिस्कारियां और घुटी-घुटी चीखें उसके परमानद की घोषणा कर रहीं थीं। दोनों बेटों में अपनी माँ की प्रबल चुदाई से बिलकुल क्षीण कर दिया। सुधा इतनी बार झड़ चुकी थी की उसने गिनना ही छोड़ दिया। सुधा का आखरी रति-निष्पति इतनी तीव्र थी की उसकी चीख रसोई में गूँज उठी, "अह अह ह ह ...अब मेरी गांड और चूत में आ जाओ। अपने लंड अपनी माँ की चूत और गांड में खोल दो बेटा।" उसके आज्ञाकारी बेटों ने सुधा की चूचियों को मसल कर अपने लंड पूरी ताकत से उसके शरीर में धक्के से अदर तक डाल कर स्खलित हो गए। तीनो बड़ी देर तक शिथिल लिपटे हुए पड़े रहे। सुनील ने अपना लंड अपनी माँ की नर्म दहकती हुई गांड से बाहर निकाल लिया।उसने माँ का हाथ पकड़ उसे अनिल के लंड से उठ कर उतरने में मदद की।
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02-10-2018, 12:08 PM,
#27
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हमारा छोटा सा परिवार--8


सुधा ने थके हुए होते भी सुनील के लंड तो चाट के साफ़ कर दिया। तीनो पसीने से तरबतर थे। सुधा ने स्नान-गृह में नहाने का निर्देश दिया। दोनों बेटों ने अपनी माँ को पेशाब करते हुए देखा। सुनील ने माँ के मीठे मूत्र को ओख में भर कर पी लिया। अनिल ने भी माँ के सुनहरे प्रसाद को प्यार से चखा। बेटों ने अपनी माँ के देवियों जैसे सुंदर शरीर को शावर में भी अकेला नहीं छोड़ा। बेटों की अठखेलियों से तीनो फिर से वासना के समुन्द्र में गोते लगाने लगे। इस बार दोनों ने बारी बारी से माँ को दीवार से लगा कर चोदा। सुधा जब तीन बार झड़ गयी तो सुनील ने माँ को अपनी मजबूत बाँहों में उठा कर उसकी चूत को अपने लंड पर टिका कर नीचे गिरा दिया। सुधा की लम्बी घुटी चीख ने उसकी चूत में उसके बेटे के लम्बे मोटे लंडे के प्रवेश की घोषणा कर दी। अनिल ने अपनी माँ की गांड में उतनी ही तेजी से अपना लंड डाल दिया। दोनों ने अब अपने स्वार्थ के लिए माँ को चोदा। सुधा फिर भी दो बार झड़ गयी। दोनों ने भी एक बार फिर से अपने गर्म गाढ़े वीर्य की बौछार से अपनी माँ की गांड और चूत को ठंडक प्रदान की। तीन घंटे की चुदाई के बाद माँ और बेटे अस्थायी संतुष्टी से भर गए. दोनों थकी लगती माँ को नहाने के टब में सुगन्धित पानी में बिठा कर तैयार हो दोस्तों के साथ खेलने के लिए निकल पड़े। सुधा कौटुम्बिक सम्भोग के बाद थकन भरी संतुष्टी का आनंद लेते हुए टब में लेती रही। उसके सुंदर चेहरे पर मातृत्व प्रेम की मुस्कान थी जो उसे और भी सुंदर बना रही थी। ****************** आखिर आधे घंटे बाद सुधा टब से निकली और उसने अपना गदराया हुआ बदन मुलायम तौलिया से पौंछ कर सुखाया। जब सुधा का ध्यान अपने शरीर को तौलिया से सुखाने पर था तब उसके ससुर चुप चाप से उसके शयनकक्ष में दाखिल हो गए। उनकी आँखें अपनी बहु के गदराये सुंदर नग्न शरीर को देख कर चमक उठीं। सुधा के ससुर हौले-हौले चलते हुए अपनी बहु के पीछे तक पहुँच गए। उसके ससुर छः फुट ऊँचे भारीभरकम पुरुष थे। उन्होंने सुधा के नग्न शरीर को अपनी बाँहों में भर लिया। सुधा अपने आप को अपने ससुर की शक्तिशाली बुझायों में पा कर खिलखिला कर हंस दी, "बाबूजी, मेरे ससुर जी ने चोरों की तरह कबसे अपनी बहु को पकड़ना शुरू कर दिया?" सुधा प्यार से कुनमुनाई और पलट कर अपने ससुर की मजबूत बाँहों में समा गयी। सुधा के ससुर ने उसे प्यार से कई बार चूम कर उसे खुशखबरी दी, "सुधा बेटा तुम्हारे पापा आज आज शाम को आने वाले हैं." सुधा खुशी से खिलखिला उठी. उसके ससुर खुश बहु के थिरकते हुए भारी विशाल उरोजों को सहलाने लगे। उनका भीमकाय लंड पतलून के भीतर कसा हुआ सख्त होने लगा। अपनी सुंदर बहु का नग्न गुदाज़ शरीर देख कर हमेशा उनका लंड कुछ ही क्षड़ों में फूल जाता था। "सुधा बेटी, मेरे पोतों ने अपनी माँ को चोद कर थका तो नहीं दिया?" सुधा के ससुर ने अपनी बहु के होंठों को प्यार से चूसते हुए कहा। "बाबूजी आपके पोतों ने अपने माँ की चूत और गांड सुबह बुरी तरह से तो मारी है ।" सुधा ने भी अपने मर्दाने ससुर के होंठों को वापस चूसा। "इसका मतलब है कि मेरी थकी बहु अपने ससुर से चुदवाने के लिए अभी तैयार नहीं है," सुधा के ससुर ने उसके एक निप्पल की जोर से चुटकी भर दी। "ऊईई .. बाबूजी," सुधा की दर्द भरे आनंद से सिसकारी निकल गयी, "आपकी बहु क्या कभी भी आपसे चुदवाने के लिए तैयार नहीं मिली ?" सुधा का मुलायम हाथ ने अपने ससुर के विशाल लंड को उनकी पतलून के ऊपर से सहलाया। ससुर के चेहरे पे अपनी बहु के प्यार को देख कर खुशी की मुस्कान छा गयी। उनका दूसरा हाथ अपनी बहु की घुंघराली झांटों से ढकी छोट पर चला गया। उनकी उँगलियों ने उन्हें अपनी बहु की गीली तैयार चूत की सूचना दे दी। उन्होंने अपनी नंगी बहु को अपनी बाँहों में उठा कर पलंग पर पटक दिया। सुधा के ससुर बच्ची की तरह खिलखिला के हंसती हुई बहु को एकटक देखते हुए अपने कपडे बेसब्री से उतारने लगे। सुधा की साँसे तेज़ तेज़ चलने लगीं। उसकी आँखे अपने ससुर के वृहत लंड को कच्छे से बाहर आने के लिए उत्सुक थीं। शीघ्र ही उसके ससुर का भीमकाय दस इंच लम्बा बोतल के जैसा मोटा लोहे की तरह सख्त लंड उनके घने बालों से भरे मर्दाने बदन की शान बड़ा रहा था। सुधा के ससुर ने अपनी बहु की भारी खुली जांघों के बीच बैठ कर अपना अमानुषिक लंड सुधा की कोमल रेशमी चूत के द्वार पर टिका दिया। सुधा की सांस कुछ देर के लिए उसके गले में अटक गयी। सुधा के ससुर ने अपनी अप्सरा जैसी बहु की मोटी गुदाज़ जांघें अपनी शक्तिशाली बाँहों के उपर रख कर उसके गुदाज़ बदन के उपर झुक गए। सुधा की हलके भूरे रंग की सुंदर आँखे अपने ससुर की वासना से भरी आँखों से अटक गयीं। सुधा के ससुर ने अपने शक्तिशाली कमर की ताकत से प्रचंड धक्का लगाया। सुधा की चीख कमरे में गूँज उठी। सुधा के ससुर ने अपना अमानवीय लंड अपनी बहु की कोमल चूत में डाल दिया। सुधा पांच बार और चीखी। उसकी हर चीख ससुर के खूंखार धक्के से शामिल थी। सुधा रिरयायी, "बाबूजी , मार डाला आपने। धीरे बाबूजी! कितना मोटा लंड है आपका? हाय कितना दर्द करता है इतने सालों के बाद भी?" सुधा के ससुर ने अपनी बहु की गुहार सूनी तो उसे अनसुनी कर दी। ससुर ने बिस्तर पर चित टांगें पसारे लेती अपनी अप्सरा सामान बहू की चूत में अपना विध्वंसक लंड भयंकर धक्कों से जड़ तक डाल कर सुधा की चूत की वहशी अंदाज़ में चुदाई शुरू कर दी। उनके बड़े जालिम हाथ सुधा की हिलती फड़कती चूचियों का मर्दन करने लगे। सुधा की सिस्कारियां कमरे में गूँज रही थीं। सुधा के ससुर का भीमकाय लंड उसकी गीली चूत में 'सपक-सपक' की आवाज़ के साथ रेल इंजिन के पिस्टन की तरह बिजली की तेजी से अंदर बहर जा रहा था। सुधा दर्द भरे आनंद से अभिभूत हो चली। सुधा के ससुर की प्रचंड चुदाई से सुधा की चूत चरमरा गयी। उसके स्तन ससुर के बेदर्दी भरे मर्दन से दर्द से भर गए। पर सारा दर्द सुधा के सिसकारी भरते हुए बदन में परम आनंद की आग लगा रहा था। जल्दी ही सुधा का शरीर एन्थ कर झड़ गया। उसके ससुर ने अपनी बहु के रति-निष्पति की उपेक्षा कर उसको तूफानी रफ़्तार से चोदते रहे। अगले आधे घंटे में सुधा चार बार और झड गयी। सुधा अब वासना के आनंद से अभिभूत अपना सर इधर-उधर फेंक रही थी। उसके रेशमी घुंघराले बाल सब तरफ समुन्द्र की लहरों की तरह बिस्तर पर फ़ैल गए। सुधा के ससुर ने अपनी बहु के कोमल विशाल चूचियों को अपनी मुठी में भर कर कुचलना शुरू कर दिया। उनका लंड पिस्टन की तरह सुधा की चूत मार रहा था।
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02-10-2018, 12:08 PM,
#28
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सुधा का जब चौथा चरम-आनंद उसकी चूत में रस की बौछार ला रहा था तो उसकी सिस्कारियों ने अनर्गल बातें का रूप ले लिया, "बाबूजी, मेरी चूत फाड़ दीजिये। अपनी बहु की चूत के चिथड़े उड़ा दीजिये। आपकी बहु की चूत आपके लंड की हमेशा भूखी रहेगी। अह ... बाबु ....अनंह ......मैं फिर से झड गयी बाबू ..ऊ ..ऊ ... जी ...ई ई ... ऊउन्न्ह।" सुधा के ससुर ने अपने विध्वंसक लंड को काबू में रख अपनी बहु को शांत होने का मौक़ा दिए बिना उसकी भारी गुदाज़ टांगें उसके सर की तरफ कर उसे लगभग दोहरा कर दिया। सुधा की गांड बिस्तर से उपर उठ गयी। सुधा के ससुर ने अपना रति-रस से लिप्सा लंड सुधा की चूत से निकाल कर उसकी छोटी सी गांड के ऊपर लगा दिया। सुधा जब तक संभले उसके ससुर ने आदिमानव की तरह निर्दयी भाव में अपना लंड गांड फाड़ने के अंदाज़ में सुधा की गांड में दर्द भरे धक्के से अंदर डाल दिया। जैसे ही ससुर के भीमकाय लंड का सुपाड़ा सुधा की गांड की छल्ली को चीरता हुआ सुधा की गांड में दाखिल हुआ सुधा के गले से दर्द से भरी चीख निकल गयी। उसके ससुर ने चार बेदर्द धक्कों से अपना पूरा लंड अपनी बहु की गांड में जड़ तक अंदर डाल दिया। सुधा दर्द से बिलबिला कर चीख उठी, "आह बाबूजी ऊउन्न्न्न्नग मेरी गा ...आं .....आं ....आं ....ड फाड़ दी आपने।" सुधा की दर्द से भरी चीख अभी शांत ही हुई थी कि उसके ससुर ने उसकी गांड की प्रचंड चुदाई की शुरुआत कर दी। सुधा पहले तो दर्द से बिलबिला उठी पर कुछ ही देर में उसकी गांड में आनंद की लहरें खेलने लगीं। उसके ससुर के लंड ने शीघ्र ही सुधा के मखमली मलाशय के रस की परत इकठी कर ली। अब उनका लंड उनकी बहु की संकरी गर्म गांड में और भी तेज़ी से अंदर-बाहर जा रहा था। सुधा का का ताज़ा ओर्गास्म [चरम-आनंद] उसके शरीर में बिजली की तरह दौड़ उठा। सुधा की साँसे बड़ी मुश्किल से काबू में हो पा रहीं थीं। "बाबूजी आपने मुझे फिर से झाड़ दिया। मेरी गांड मारिये, बाबूजी। आपका मोटा लंड मेरी गांड फाड़ के ही मानेगा।" सुधा वासना के आनंद के प्रभाव में अनर्गल बकने लगी। सुधा के ससुर ने अपनी बहु की गांड की भीषण चुदाई बदस्तूर बिना धीमे हुए जारी राखी। आखिर में उन्होंने अपना मुंह अपनी बहु के खुले हुए मुंह से लगा कर अपने लंड को सुधा की गांड में खोल दिया। सुधा ससुर के स्खलन को अपनी गांड में महसूस कर फिर से झड़ गयी। सुधा लगभग बेहोशी के आलम में निश्चल हो गयी। सुधा के ससुर एक घंटे बाद ढीली थकी सुधा की गांड में अपना लंड स्खलित कर अपनी बहु के उपर निढाल हो कर अपने पूरे वज़न के साथ गिर पड़े।. काफी देर बाद सुधा के ससुर ने अपनी बहु की गांड से अपना लंड बहिर निकाल। उनके गोल्फ खेलने का टाइम भी हो गया था। "बहू मैं गोल्फ खेलने जा रहा हूँ," ससुर गहरी सांस भरती सात यौन चरमोत्कर्ष से थकी बहू को प्यार से चूम कर तैयार हो गोल्फ-कोर्स के लिए रवाना हो गए. सुधा एक घंटे के लिए सो गयी.


मेरी चूत समरक्त व्यभिचार की अश्लील सिनेमा देख कर गीली हो गयी. मेरे नन्हे मुलायम हाथ बड़े मामा के प्रचंड विशाल लंड को सहला कर उसे और भी प्रचंड बनाने लगे। बड़े मामा का लंड फिल्म के ससुर से बहुत मोटा और कम से कम दो-तीन इंच लंबा था. "नेहा बेटा, हम लोग बिस्तर में चलें?| बड़े मामा ने मेरी कामवासना लिप्त चेहरा देख कर शरारत से पूछा. शयनकक्ष में पहुँचते ही बड़े मामा ने मुझे प्यार से वस्त्रहीन कर दिया। शीघ्र ही मैं निवस्त्र बिस्तर में लेती बड़े मामा को कपड़े उतारते हुए देख रही थी. बड़े मामा भी निवस्त्र हो कर मेरे साथ बिस्तर में लेट गए. हम दोनों ने एक दुसरे को बाँहों में भर कर खुले मुंह से चूमने लगे. बड़े मामा ने मेरे गुदाज़ नितिम्बों को मसलते हुए मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे सारे मुंह के अंदर सब तरफ घूमा दी. मैंने भी अपने जीभ बड़े मामा की जीभ से भीड़ा कर उनके मीठे मुंह के स्वाद का आनंद लेने लगी. बड़े मामा ने मुझे चित लिटा कर मेरे मुलायम बड़ी चूचियों को अपने मूंह से उत्तेजित करने लगे. बड़े मामा ने मेरे चूचुक अपने मूंह में भर कर उनको पहले धीरे-धीरे फिर ज़ोर से चूस-चूस कर मेरी सिसकारी निकल दी. बड़े मामा ने मेरे गोल भरे हुए पेट को चूमते हुए मेरी गीली चूत के ऊपर अपना मूंह रख कर मेरी हल्की सुनहरी झांटों को अपने जीभ से भाग कर मेरी चूत के द्वार के अंदर डाल दी. मेरी ज़ोर की सिसकारी ने बड़े मामा को भी उत्तेजित कर दिया. बड़े मामा ने मेरी चूत और भगशिश्निका को अपनी जीभ और मुंह से सता कर मेरी वासना को चरम सीमा तक पहुंचा दिया. बड़े मामा ने अपनी खुरदुरी जीभ से मेरे क्लीटोरिस को चाट कर मुझे बिलकुल पागल सा कर दिया। उनकी एक उंगली अहिस्ता से मेरी गीली मचलती चूत में फिसल कर अंदर चली गयी। उन्होंने अपनी उंगली को टेड़ा कर के मेरी योनी के सुरंग के आगे की दीवार को रगड़ने लगे। उनकी जीभ और उंगली दोनों ही मुझे एक बराबर का आनंद दे रहीं थीं। अचानक बड़े मामा ने अपने होंठों में मेरा भग-शिश्न को भींच कर अपनी उंगली को तेजी से मेरी चूत की दीवार को रगड़ना शुरू कर दिया। उनकी अभ्यस्त जीभ और उंगली ने मेरे कमसिन कच्चे शरीर को वासना के समुन्द्र में फैंक दिया। मैं ज़ोर से सिसक उठी। मैं अब झड़ने के लिए व्याकुल थी। यदि बड़े मामा मेरे क्लिटोरिस अपने दाँतों से चबा भी डालते तो मैं कोई शिकायत नहीं करती। "आह...मामाजी...आंह ...ऊम्म्म्म...हं..हं.. आ..आ...आह्ह्ह मेरी चू..ऊ..ऊ...त आह्ह.मैं आने वाली हूँ," मेरी सिस्कारियों ने बड़े मामा को मेरे सन्निकट रति-निष्पत्ति की घोषणा कर दी. बड़े मामा ने मेरी चूत चूसना रोक दिया. बड़े मामा ने मुझे मेरे यौन चरमोत्कर्ष के द्वार से पीछे खींच कर मुझे आश्चर्यचकित कर दिया. मैं वासना के अतिरेक से बिलबिला रही थी। बड़े मामा ने मेरी दोनों भरी-भरी गोल झांघें उठा कर फैला दीं. बड़े मामा ने अपना मूंह मेरी गांड के ऊपर रख उसको प्यार से चूमा. मेरे मूंह से घुटी-घुटी सिसकारी निकल पड़ी. बड़े मामा की जीभ शीघ्र ही मेरी गांड के छिद्र को तड़पाने तरसाने लगी.
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02-10-2018, 12:08 PM,
#29
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मेरी गांड का छल्ला बारी-बारी से शिथिल और संकुचित होने लगा. बड़े मामा ने मेरी गांड के मलद्वार को अपनी जीभ से चूम कर मेरी वासना को और भी प्रज्ज्वलित कर दिया. बड़े मामा की जीभ की नोक आखिरकार मेरी गुदा-द्वार के अंदर दाखिल हो गयी. मेरी सिस्कारियों ने बड़े मामा को मेरी गांड को और भी चूसने-चूमने का निमंत्रण भेजा. मेरा कुछ देर पहले का सन्निकट चरम-आनंद मेरे अविकसित शरीर को फिर से उमेठने लगा. मेरी गांड स्वतः बड़े मामा के मूंह से चुपकने का प्रयास करने लगी. बड़े मामा ने पहले की तरह मेरे चूत को रति-निष्पत्ति होने से पहले ही मेरी गांड से अपना मूंह हटा लिया. मेरी वासना के अनबुझी आग ने मेरे मस्तिष्क को पागल कर दिया. मैं बड़े मामा के सामने गिड़गिड़ाने लगी,"बड़े मामा आप मुझे इतना क्यों तरसा रहें हैं? मेरी चूत झाड़ दीजिये. प्लीज़." मैं अपने चूतड़ पलंग से उठा कर अपनी गांड और चूत अपने बड़े मामा के मुंह के पास ले जाने का प्रयास कर रही थी। बड़े मामा ने अपने तने हुए हल्लवी लंड से मेरी चूत रगड़ और *मेरे ऊपर नीचे गिरते-उठते पेट पर को अपने हाथ से मसल कर बोले, "नेहा बेटा मुझे आपकी गांड मारनी है." "बड़े मामा, मुझे बहुत दर्द होगा?" बड़े मामा ने गौर किया होगा िक मैंने मना नहीं किया. इस वक़्त मैं बड़े मामा की हर शर्त मान लेती. मेरी वासना की संतुष्टी की चाभी बड़े मामा का महाकाय लंड था. मेरी छोटी सी गांड के अंदर बड़े मामा के विकराल स्थूल लंड के जाने के विचार से ही मैं सिहर गयी। बड़े मामा ने आश्वासन दिया,"नेहा बेटा दर्द तो होगा. दर्द तो चूत मरवाने में भी हुआ था. पर अब आप चूत मरवाने से कितने खुश हैं." बड़े मामा मेरे दोनों उरोज़ों को हलके हलके सहलाने लगे। मैंने अपना निचला होंठ वासना के उबलते ज्वार को नियंत्रित करने के प्रयास करते हुए अपने दांतों के बीच में भींच लिया। बड़े मामा ने अपने विशाल लंड को मोटे डंडे की तरह मेरी चूत के द्वार के उपर रगड़ने लगे। मेरा जलता हुआ अल्पव्यस्क शरीर चर्मॉनन्द की खोज में भभक उठा। बड़े मामा का रेशम जैसा चिकना पर लोहे जैसा सख्त वृहत लिंग मेरे भाग-शिश्न को रगड़ कर मेरी काम वासना की प्रज्जवलित अग्नि को और भी भड़काने लगा। "नेहा बेटी, जब तक आप स्वयं हमसे अपनी गांड मारने को नहीं कहेंगी हम तब तक कुछ भी नहीं करेंगें," बड़े मामा के मर्दाने हाथ मेरी चूचियों को प्यार भरा अमरदान कर रहे थे। मेरा मस्तिष्क बड़े मामा के विकराल लंड से गांड मरवाने के विचार से डर के मारे कांप रहा था। पर मेरा विश्वासघाती सम्भोग कामना से कम्पित शरीर बड़े मामा के अविश्वसनीय अमानवीय लंड से गान मरवाने के लिए उत्सुक हो उठा था। मेरे कमसिन नाबालिग शरीर में जलती आग भुजाने का यंत्र बड़े मामा की विशाल झांगों के बीच में मोटे खम्बे की तरह फड़क रहा था। मेरे शरीर की वासना और उसकी संतुष्टि की कामना ने मेरे मस्तिष्क के भीतर भरे भय के उपर विजय पा ली। मैंने कम्पित स्वर में बड़े मामा की वासना भरे प्यार से चमकती हल्की भूरी आँखों में देख कर हलके से कहा, "बड़े मामा आप मेरी गांड मार लीजिये। पर प्लीज़ मुझे बहुत दर्द नहीं कीजिएगा।" बड़े मामा ने निर्ममता से उत्तर दिया, "नेहा बेटी दर्द तो होगा और उसे आपको सेहना पड़ेगा। पर मुझसे जितना हो सकेगा उतना प्रयास मैं ज़रूर करूंगा।" मेरा भय और वासना से कम्पित अल्पव्यस्क शरीर अब बड़े मामा की कृपा के उपर निर्भर था। बड़े मामा ने अपना लंड को मेरे गीली चूत में डाल कर मेरे यौन-रस से लेप लिया. बड़े मामा ने अपना मुंह को थूक से भर मेरी गांड पर रख कर अपनी लार गांड पर डाल दी. बड़े मामा ने अपना विशाल लंड को मेरी गांड के छोटे तंग छल्ले के ऊपर रख कर दबाया,"नेहा बेटा, अपनी गांड पूरी ढीली छोड़ दो. जब मैं अपना लंड अंदर की तरफ डालूँ तो आप अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर नीचे की तरफ ज़ोर लगायें. जैसे आप बड़ी सख्त टट्टी निकालते हुए करती हैं." मैंने वासना में जलते अपने अविकसित शरीर से परेशान हो कर बड़े मामा के सुझाव को ठीक से समझे बिना अपना सर हिला कर समर्थन दे दिया. बड़े मामा ने मुझे अपने बड़े हाथों से जकड़ कर मुझे बिस्तर पर दबा दिया. बड़े मामा ने अपने विशाल लंड के विकराल सुपाड़े को मेरी नन्ही सी गांड के छिद्र पर दबाना शुरू कर दिया। मेरी तंग कसी गांड का छल्ला बड़े मामा के लंड के प्रविष्टी के रास्ते में था। मेरी गांड की कसी हुई वलय ने बड़े मामा के भीमकाय लिंग के आक्रमण को पीछे धकेलने का निरर्थक प्रयास किया। बड़े मामा के विशाल लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छोटे से छेद को खोलने के लिए बेचैन था. बड़े मामा ने हचक कर एक ज़ोर से धक्का लगाया. बड़े मामा के, छोटे सेब जितने बड़े लंड के सुपाड़े ने मेरी गांड के छिद्र को बेदर्दी से चौड़ा कर दिया. मेरे गले से निकली दर्द भरी चीख से कमरा गूँज उठा.
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02-10-2018, 12:09 PM,
#30
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
हमारा छोटा सा परिवार--9

बड़े मामा ने मौका देख कर अपने लोहे जैसे सख्त मोटे लंड की तीन इंच मेरी गांड में बलपूर्वक ठूंस दीं. मैं दर्द से बिलबिला कर चीख पड़ी. मेरे नाखून बड़े मामा की बाँहों में गड़ गए. मैंने बड़े मामा की बाँहों की खाल से अपने नाखूनों से खरोंच कर खून निकाल दिया. बड़े मामा ने एक बार भी उफ तक नहीं की. मेरी चीख रोने में बदल गयी.मेरी आँखों से आंसूं बहने लगे. मुझे ऐसा लगा जैसे किसीने मेरी गांड के ऊपर चाक़ू चला दिया हो. मैं सुबक-सुबक कर रो रही थी. बड़े मामा बेदर्दी से मेरी गांड में अपने अमानवीय विशाल लंड की एक इंच के बाद दूसरी इंच मेरी दर्द से बिलखती गांड की गहराइयों में डालते रहे जब तक उनके पेड़ के तने जितना मोटा लंड जड़ तक मेरी गांड में नहीं समा गया. मेरी गांड में उठे भयंकर दर्द से से बिलबिला उठी. मेरा शरीर पानी से बाहर फिकी मछली के समान तड़प रहा था. बड़े मामा के विशाल भारी शरीर ने मेरे थरथराते हुए नाबालिग शरीर को अपने नीचे कस दबा लिया. मैं सुबकियां और हिचकी मार मार कर रो रही थी. "नहीं...नहीं...बड़े..मा..आ..मा..मेरी गांड फट गयी..ई...अपना लंड बाहर निका..आ..ल..लिजी ..आ..आ..ये. मैं मर जाऊंगी , मामाजी,” मैं सुबक सुबक कर हिचकियों के बीच में से बड़ी मुश्किल से बोल पा रही थी, “मुझे हुंह ....नहीं आन्नंह ....मरवानी ....अपनी गांड।” बड़े मामा ने अपने मुंह से मेरा मुंह दबोच लिया. मामाजी ने बेदर्दी से मेरे रोने की उपेक्षा कर मेरी गांड अपने लंड से मारने लगे. मेरी घुटी-घुटी चीखों और सिस्कारियों कमरे की दीवारों से टकरा कर मेरे कानों में गूँज रहीं थी. बड़े मामा ने अपने विशाल लंड की आधी लम्बाई अंदर बाहर कर मेरी गांड की चुदाई शुरू कर दी. बड़े मामा की बेरहमी ने मुझे दर्द से व्याकुल कर दिया। मेरे आंसूओं ने मेरे चेहरे को बिलकुल भिगो दिया। मुझे पता नहीं की कितनी देर तक मैं रो रो कर अपनी गांड फटने की दुहाई देती रही पर बड़े मामा का विशाल लंड मेरी मेरी गांड को निरंतर चोदता रहा. मेरे आंसूओं ने मेरा चेहरा गीला कर दिया. थोड़ी देर में मेरी नाक बहने लगी. मेरी सुबकिया मेरे दर्द की कहानी सुना रहीं थीं। बड़े मामा ने मेरा मुंह अभी भी अपने मुंह से दबा रखा था. बड़े मामा ने मेरी गांड मारना एक क्षण के लिए भी बंद नहीं किया. मैं न जाने कितनी देर तक दर्द से बिलबिलाती हुई बड़े मामा के विशाल शरीर के नीचे दबी सुबकती रही। मुझे लगा कि एक जनम जितने समय के बाद मेरी सुबकियां थोड़ी हल्की होने लगीं। मुझे बड़ी देर लगी समझने में कि मैंने रोना बंद कर दिया था। मेरा हिचकियाँ ले कर सुबकना भी बंद हो गया था। जब बड़े मामा को लगा िक मैंने रोना बंद कर दिया था तो उन्होंने मेरा मुंह मुक्त कर मेरे आंसू और नाक से गंदे चेहरे को चाट कर साफ़ करने लगे. बड़े मामा की जीभ मेरी नाक के अंदर समा गयी. बड़े मामा का लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर-बाहर जा रहा था. मुझे विश्वास नहीं हुआ कि मेरी गांड अब बड़े मामा के लंड को बिना तीव्र पीढ़ा के संभाल रही थी. बड़े मामा ने मेरी नाक को अपने मूंह में भर कर ज़ोर से चूसा. मामाजी ने मेरे दोनों नथुनों में अपने जीभ अंदर डाल कर मुझे हंसा दिया. "नेहा बेटा, अब कितना दर्द हो रहा है?" बड़े मामा ने चेहरे पर शैतानी भरी मुस्कान थी. मैं शर्मा गयी, "बड़े मामा मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था. आप कितने बेदर्द हैं. एक क्षण भी आप ने अपना लंड को मेरी गांड मारने से नहीं रोका." "नेहा बेटा, ऐसा दर्द तो सिर्फ पहली बार ही होता है. मुझे लगा कि जितनी जल्दी आपकी गांड मेरे लंड की आदी हो जाये आपका दर्द उतनी ही जल्दी कम हो जाएगा." बड़े मामा ने प्यार से मेरी नाक की नोक को अपने दाँतों से काटा. मैंने बड़े मामा की बाँहों पर गहरे खरोंचो को प्यार से चूम कर खून चाट लिया, "सॉरी मामाजी, मैंने आपके बाहें खरोंच डाली." बड़े मामा ने मुस्कुरा कर मुझे प्यार से चूम लिया। बड़े मामा ने मुझे चूम कर मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. मेरी गांड अब बड़े मामा के विशाल लंड के अनुकूल रूप से चौड़ गयी थी. उनका अमानवीय लंड मेरी गांड के छेड़ को रगड़ कर अंडर बाहर जा रहा था। मेरे गांड मानों सुन्न हो चुकी थी। मेरी गांड का दर्द पूरा तो ठीक नहीं हुआ पर मुझे अब उस दर्द से कोई बहुत परेशानी नहीं हो रही थी। बड़े मामा ने अपने भीमाकार लंड को अविरत मेरी गांड के भीतर-बाहर करते रहे। मामू मेरी गांड को अपने लंड से बहुत जल्दी परिचित कराने के लिये उत्सुक थे। बड़े मामा ने अपने भारीभरकम कूल्हों का इस्तमाल कर अपनी कच्ची भांजी की गांड का मरदन निर्ममता से करना शुरू कर दिया। बड़े मामा अपने वृहत्काय लंड के सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकालने के बाद एक भीषण धक्के से उसे वापस मेरी गांड में ठूंस रहे थे। उनके जोरदार धक्कों से मेरी पूरा शरीर हिल रहा था। मेरी सिसकियाँ उनके मुंह में संगीत सा बजा रहीं थी। मैं अपनी गांड में बड़े मामा के लंड के हर धक्के को अपनी सिसकारी से स्वागत कर रही थी. बड़े मामा ने मेरी गांड की चुदाई के गति बड़ा दी. बड़े मामा अपना लंड सिवाय मोटे सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाल कर एक भयंकर ठोकर से मेरी गांड की भीतरी गहराइयों में ठूंस रहे थे. कमरे की हवा मेरी गांड की मधहोश सुगंध से भर गयी. बड़े मामा का लंड मेरी गांड को चौड़ा कर आराम से अंदर बाहर जा रहा था. बड़े मामा ने मेरे दोनों चूचियों को मसलना शुरू कर दिया. मेरी सिस्कारियां अब अविरत मेरे मूंह से उबल रहीं थीं.बड़े मामा का लंड डेढ़ घंटे से मेरी गांड मार रहा था. अचानक मेरी सिसकारी मेरे दर्द भरे यौन चरमोत्कर्ष के तूफ़ान से और भी ऊंची हो गयी. बड़े मामा का वृहत्काय लंड अब मेरी गांड में रेल के इंजन की गति से अंदर बाहर हो रहा था. बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोज़ों को बेदर्दी से मसल कर अपना लंड मेरी गांड में जड़ तक अंदर दबा कर मेरे ऊपर लेट गए. मैंने अपनी गुदाज़ गोल जांघें बड़े मामा की कमर इर्दगिर्द डाल कर अपनी एड़ियां मामाजी के विशाल कूल्हों पर कस कर दबा दीं.

बड़े मामा ने मेरे मुंह को चूमते हुए मेरी गांड मारना फिर से शुरू कर दिया. बड़े मामा का लंड ने मेरी गांड को फिर से मथ कर मेरे दुसरे कामोन्माद को परवान चड़ा दिया. बड़े मामा और मैं एक साथ अपने आनंद की पराकाष्ठा पर पहुँच गए. मेरा सारा शरीर कामुकता की मदहोशी में अकड़ गया. बड़े मामा का लंड मेरी गांड में झटके मार-मार कर स्खलित होने लगा. मेरी आँखे मादक चरम-आनंद की उन्मत्तता से बंद हो गयीं. बड़े मामा और मैं बड़ी देर तक अपने यौन स्खलन के आनंद से एक दुसरे की बाँहों में लेते रहे.
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