Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
06-21-2018, 12:04 PM,
#31
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
जब उन्होंने मुझे छोड़ा तो मैं उठ कर बैठ गया. चाची का जोरदार स्खलन हुआ था, वे निढाल होकर पीछे टिक कर बैठी थीं. उनकी बुर एकदम गीली थी, यहां तक कि एक दो बूंदें नीचे चादर पर भी टपक गयी थीं. मैंने धीरे से उनकी टांगें फैलायीं और उस अमरित को चखने के लिये उनकी टांगों के बीच घुसने की कोशिश की तो उन्होंने रोक दिया.

"चाची ... प्लीज़ ..." मैंने तड़प कर कहा. सामने रस टपक रहा था और चाची मुझे चाटने से मना कर रही थीं.

"अरे रुक, अभी देती हूं तेरे को तेरी पसंद की चीज. विनय बेटे, आज ये करके बहुत अच्छा लगा, मैं भूल ही गयी थी यह सुख, और खास कर आज मुझे जो मजा आया, वो तू देख रहा था और तेरी फ़रमाइश पर मैं कर रही थी, इसलिये आया. तुझे इनाम देना चाहती हूं, और अभी मेरा भी मन नहीं भरा, तूने भी बड़े दम से कंट्रोल किया खुद को, उसका फल तो मिलना ही चाहिये तेरे को और साथ ही साथ थोड़ा और आनन्द लूटना चाहती हूं. जा जल्दी से नीच किचन में जा और वहां वो केले पड़े हैं वो ले आ"

मैं समझ गया, दिल झूम उठा. कोई नंगी हस्तमैथुन करती महिला केले मांगे तो उसका क्या मतलब हो सकता है! वैसे ही भाग कर नीचे गया, नंगा. किसी के देख लेने का कोई खतरा नहीं था, बंगले का दरवाजा बंद था, नीलिमा के बिना कोई लैच खोल कर आ भी नहीं सकता था. किचन में चार पांच केलों का बंच था, मैंने पूरा उठा लिया और भाग कर ऊपर आ गया.

चाची फ़िर से कुरसी में बैठ गयी थीं, और अपनी बुर सहला रही थीं लगता है फ़िर से गरम हो गयी थीं दो मिनिट में ही, या फ़िर कह सकते हैं कि ठंडी हुई ही नहीं थीं. "ये क्या? तू सब उठा लाया? अरे एक चाहिये था." वे मेरी ओर देखकर बोलीं.

मैं क्या कहता. केले से काम उनको करना था, मुझे नहीं. चाची ने केले देखकर उनमें से एक चुना, मुझे लगा था कि सबसे बड़ा चुनेंगी पर उन्होंने लिया सबसे कम पका हुआ, थोड़ा कच्चा. मेरी नजर केले की ओर लगी देखकर वे मुस्करायीं "तूने तो देखी होंगी ऐसी ब्ल्यू फ़िल्म? मजा आत है ना?"

"हां चाची" मैंने स्वीकार किया. चाची ने अब वो केला छीला. यह जरा मेरे लिये नया था याने अब तक मैंने जो फ़िल्में देखी थीं उनमें की स्त्रियां केले को वैसे ही बिना छीले अंदर डालती थीं. चाची ने मुझे इशारा किया कि उनके सामने जमीन पर बैठूं. शायद उन्हें मुझे पास से बाल्कनी व्यू देना था. फ़िर उन्होंने अपनी टांगें खोलीं और पैर थोड़े ऊपर किये और केले के छिले हिस्से की नोक को अपने क्लिट पर धीरे धीरे रगड़ने लगीं. केले का दूसरा सिरा उन्होंने बिना छिले छोड़ दिया था ताकि पकड़ने में आसानी हो.

चाची के सामने मैं पास ही बैठा था. केले से हस्तमैथुन का वह नजारा मुझे साफ़ दिख रहा था. और उनके पैर भी मेरे बिलकुल पास थे जिनमें अब वे गुलाबी चप्पलें झूल रही थीं. उनकी बुर अब एकदम गीली हो गयी थी, रस चमक रहा था, क्लिट भी एकदम लाल हो गया था. थोड़ी देर केले से अपना क्लिट रगड़ने के बाद उन्होंने एक हाथ की उंगलियों से अपनी चूत खोली और दूसरे से केला धीरे धीरे अंदर कर दिया. अब मुझे समझ में आया कि उन्होंने आधा पका केला क्यों चुना था. पका हुआ तो अब तक टूट चुका होता. मेरी ओर देखकर वे मुस्करायीं पर अब उनकी मुस्कराहट में टेंशन था, वासना का टेंशन. हौले हौले वे केला अंदर बाहर करने लगीं.

केले से मुठ्ठ मारने का वह करम बस दस मिनिट चला होगा पर मेरा हालत खराब कर गया. केला जल्दी ही गीला होकर चमकने लगा था, जैसे शहद में डुबोया हो. अब उस गीले केले के अंदर बाहर होने से ’पुच’ ’पुच’ ’पुच’ की आवाज भी आ रही थी. जब भी वे केला बाहर खींचतीं तो रस की की कुछ बूंदें बाहर छलक छलक आतीं. लगता है रस अब नल के पानी की तरह बह रहा था उनकी चूत से. चाची जिस तरह से सांस ले रही थीं, उससे लगता था कि इस बार वे ज्यादा नहीं टिकेंगीं. मेरा मन हो रहा था कि लंड को पकड़कर मुठ्ठ मार लूं पर ऐसा करना याने अपनी दुर्गत को आमंत्रण देना था. चाची ने मेरी हालत देखी तो मुझे सांत्वना पुरस्कार दे दिया, अपना एक पैर थोड़ा बढ़ाकर अपनी लटकती चप्पल के पंजे को मेरे होंठों पर रगड़ने लगीं. उनकी वे नेल पेंट लगी हुईं गोरी सुडौल उंगलियां, मेरे मुंह में घुस रही थीं. आज तो मेरी किस्मत जोर पर थी, चाची एक के बाद एक उपहार मुझे दे रही थीं. मेरी क्या हालत हुए होगी, आप ही अंदाजा लगा सकते हैं. मैंने मुंह खोल कर उस मुलायम गुलाबी रबर की स्लीपर का सिरा और उनकी एक दो उंगलियां मुंह में लीं और चूसने लगा. किसी भी मिठाई से उन चीजों का स्वाद मेरे लिये ज्यादा जायकेदार था.

चाची का आखिर आखिर में संयम जाता ही रहा, वे अचानक लगातार केला अंदर बाहर पेलने लगीं. फ़िर एक सिसकी के साथ एकदम ढेर हो गयीं. वह केला भी टूट गया पर उसको उन्होंने अपनी उंगली से पूरा अपनी बुर के अंदर घुसेड़ दिया.

दो मिनिट वे थोड़ा हांफ़ते बैठी रहीं फ़िर अपनी बुर को हथेली से बंद करके उठकर बोलीं "अब ले अपना इनाम, अब काफ़ी होगा तेरे जैसे जवान बच्चे के लिये, नहीं तो बस कुछ चम्मच रस से हा काम चलाना पड़ता तेरे को. अब तो चाटने चूसने के अलावा खाने वाला प्तसाद भी है तेरे लिये" उठ कर उन्होंने अपनी चप्पलें निकाली और नीचे रख दीं. मुझे उनका सिरहाना करके लिटाया और फ़िर उलटी तरफ़ से मेरे ऊपर लेट गयीं. बिना कुछ कहे उन्होंने मेरे मुंह पर अपनी चूत जमाई और खुद मेरा लंड पूरा निगल लिया. मैं पागलों की तरह वह मिठाई खाने में लग गया, चूत की चासनी और बुर के शहद में बनाया हुआ केले का फ़्रूट सलाड उनकी बुर के कटोरे में से खाने मिलना, इससे ज्यादा लाजवाब लज्जतदार डिश और क्या हो सकती थी!

केले को मैंने बुर के अंदर से चूस चूस कर निकाला, केला खतम होने पर भी चूसता रहा क्योंकि अब भी तन मन में आग लगी थी. क्या भाग थे मेरे, चाची से लंड चुसवा रहा था, उनकी बुर में से मीठा केला खा रहा था और मेरे सिर के नीचे उनकी मुलायम खूबसूरत रबर की स्लीपरों का तकिया था. यह आग तब अचानक ठंडी हुई जब चाची ने मेरा लंड चूस कर उसमें की मलाई निकाल ली.

कुछ देर हम पड़े रहे फ़िर चाची उठ कर बैठ गयीं. अपने बाल ठीक करके बोलीं "मन भरा तेरा?"

मैंने उनके पांव चूम लिये. कुछ बोलने की जरूरत नहीं थी. मेरी आंखों में जो भक्तिभाव उमड़ आया होगा उसी से चाची को पता चल गया होगा. उन्होंने लाड़ से मेरे गाल सहला कर बोलीं "बहुत कंट्रोल किया तूने, मुझे भी बड़े दिनों के बाद हस्तमैथुन में इतना आनन्द आया. तभी तो कहती हूं कि तू याने एकदम गुड्डा है मेरा. पहले रोम की रानियां मैंने सुना है अपनी सेवा में खास लड़के रखती थीं, अब तूने मुझे सच में महारानी बना दिया विनय"

वह दोपहर मुझे हमेशा याद रहेगी क्योंकि वह दोपहर आगे मेरे साथ होने वाले किस्सों की रंगबिरंगी मूवी का ट्रेलर मात्र थी, वैसे यह मुझे बहुत बाद में समझ आया. और चाची के जाने के पहले फ़िर से वैसी शनिवार की दोपहर मुझे नहीं मिली. मेरे उस अद्भुत नाश्ते के बाद चाची को चोदने में भी जो मजा आया उसकी कोई गिनती नहीं है. केले से गीली हुई एकदम चिकनी चिपचिपी चूत में लंड ऐसे फ़िसल रहा था जैसे बढ़िया ऑइल डाले हुए एन्जिन में पिस्टन फिसलता है. चुदाई की आवाज भी अलग थी ’फच’ ’फच’ ’फच’, खास कर जब मैं कस के चोदता था.

उस दोपहर की चुदाई खतम होने के बाद को जब मैं अपने कमरे में जा रहा था तब चाची ने अचानक पूछा "विनय बेटे, तूने डिसाइड किया कि ट्रेनिंग के बाद कहां प्लेसमेंट लेगा? याने गोआ या नासिक?"

मैंने बिना सोचे तुरंत कह दिया "चाची, मैं तो कल ही उनको राइटिंग में देने वाला हूं कि मुझे गोआ की ही पोस्टिंग दी जाये" चाची बड़े प्यार से मुस्करायीं जैसे उन्हें यही अपेक्षित था.

बाद में जरूर मुझे लगा कि अगर चाची चली गयीं तो मैं यहां क्या झक मारूंगा! पर चाची पर मुझे पूरा भरोसा था, एक महारानी अपने प्यारे गुलाम को ऐसे नहीं छोड़ने वाली थी यह मेरा विश्वास था.
Reply
06-21-2018, 12:04 PM,
#32
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
उस दोपहर वाली मस्ती के बारे में मैंने नीलिमा भाभी को कुछ न बताने का फ़ैसला किया, उस दिन हुए रंगीन अजीब संभोग के बारे में बताना मुझे थोड़ा खल रहा थ, वह चाची और मेरे बीच की बात थी, नहीं तो चाची ने मेरे साथ अकेले में वह न किया होता. नीलिमा के साथ फ़िर से अकेले में गप्पें लड़ाने का मौका मुझे तीन चार दिन बाद मिला. उस दिन बड़ा सुहाना मौसम था, मैं जल्दी ट्रेनिंग से वापस आ गया था, नीलिमा ने रिज़ाइन कर दिया था इसलिये अब वह घर पर ही रहती थी. मैं, नीलिमा और चाची बाहर बगीचे में गार्डन चेयर्स पर बैठे थे. उतने में बाजू के बंगले की बूढ़ी महिला किसी काम से आयीं तो वो उठ कर उनके साथ अंदर चली गयीं.

चाची अपनी शांत धीमी चाल से, जिसे ’गजगामिनी’ कहा गया है, जब अंदर जा रही थीं तो पीछे से उनके उन हौले हौले डोलते हुए विशाल नितंबों को देखकर नीलिमा धीरे से मुझे बोली "क्या मस्त गांड है ना ममी की, एकदम मोटी ताजी! अरुण का अब तक इनपर ध्यान नहीं गया, यह बड़े अचरज की बात है, वो तो दीवाना है इस चीज का."

नीलिमा ने मेरी दुखती रग पर मानों उंगली रख दी थी. चाची की गांड के बारे में मुझे बताने की जरूरत नहीं थी, मैं वैसे ही दूर से चातक जैसा उसे देख देख कर आहें भरा करता था. पर अभी अपना दुखड़ा रोने का कोई मतलब नहीं था, इसलिये मैंने कहा "क्या बात करती हो भाभी! अरे वो मां हैं अरुण भैया की, ऐसा विचार भी अरुण के मन में नहीं आयेगा"

"तो क्या हुआ. ऐसा मतवाला पिछवाड़ा देखा है कभी और किसी का? अब ये बड़े बड़े कलाकंद के गोले तो गोले ही हैं, किसी के भी हों, स्वाद तो वही है ना?" नीलिमा बड़ी शैतानी के अंदाज में बोली "चलो जाने दो, तेरे को यह कल्पना सहन नहीं होती तो भूल जा, पर तुझे मालूम है ना कि अरुण उनका गोद लिया हुआ लड़का है? वैसे जो यह मैं कह रही हूं वह तब भी सच होती अगर उनका सगा बेटा होता"

मैंने मुंडी डुलाकर समर्थन किया. नीलिमा ने अपनी कुरसी मेरे और समीप सरकायी और धीरे से बोली "और उन महाशय की नजर जाती है ममी की तरफ़, ये मुझे पक्का मालूम है. पिछली बार वह ऑफ़िस के काम से चार दिन को आया था, तब तक मेरा और ममी का यह लफ़ड़ा भी शुरू हो चुका था. मैंने उसे बताया तो नहीं था पर काफ़ी हिंट देती थी, एक रात अरुण मेरी गांड मार रहा था और मेरे मम्मे दबा रहा था, मेरी खुशामद भी कर रहा था, बोला कि नीलिमा डार्लिंग, क्या कसे हुए मम्मे हैं तेरे, रबर की गेंद जैसे और ये चूतड़ याने स्पंज भरे हुए मुलायम तकिये तो मेरे मुंह से निकल गया कि मेरे राजा, ये तो कुछ भी नहीं ममीजी के सामने. मेरे मम्मे गेंद तो उनके वॉलीबॉल, मेरी गांड मुलायम तकिये तो उनकी डनलोपिलो के गद्दे. सुनकर अरुण बोला तो कुछ नहीं पर अचानक कस कस के मेरी मारने लगा. फ़िर बाद में बोला कि रानी, जरा ज्यादा ही हरामी सी हो गयी है तू, कुछ भी बोलती है, किस वक्त किस का नाम लेना यह भी तेरे ध्यान में नहीं रहता. मैंने उसे जरा सताया, बोली कि अरे ममी का नाम लिया तो तेरे धक्के क्यों तेज हो गये तो कुछ बोला नहीं, बस मुंह छिपा कर शरमा सा गया."

नीलिमा ने फिर मुड़ कर देखा कि स्नेहल चाची तो आस पास नहीं हैं. फ़िर बोली "दूसरे दिन मैंने फ़िर सताया उसको. धोने के कपड़ों की बास्केट में ममी की ब्रा पैंटी देखकर अरुण को बोली कि देख, तू ही देख, ममी की ब्रा और पैंटी की साइज़ क्या है. तो पहले थोड़ा शर्माया, फ़िर चिढ़ कर मेरे कान पकड़े. बाद में जब मैं किचन से आ रही थी कि अब कपड़े मशीन में डाल दूं तो देखा कि जनाब उस ब्रा और पैंटी को उठाकर सच में साइज़ देख रहे थे, फ़िर हाथ में लेकर अपनी नाक के पास ले जाने लगे. मेरी आहट सुनी तो उनको वैसे ही बास्केट में डाला और खिसक लिये.

थोड़ी देर नीलिमा चुप रही, फ़िर बोली "अब पता चला ना तेरे को? अरुण को हन्ड्रेड परसेंट अपनी मां में इंटरेस्ट है. अब देखो, वहां अमेरिका में मैं कैसे फंसाती हूं इन दोनों को! ऐसा जाल डालूंगी कि ... देखना विनय, वहां जाने के दो हफ़्ते के अंदर ना मैंने बेटे को मां पर चढ़ाया तो ..."

"भाभी, अब इतनी क्या पड़ी है तुमको ये सब करने की, तुम तो आम खाने से मतलब रखो, तुम्हारे पास तो तुम्हारे दोनों प्रियजन रहेंगे ही ना वहां? एक दोपहर में एक रात को सही, उन दोनों को जीने दो अपने तरीके से"

"मुझे दोनों साथ चाहिये. तेरे और ममी के साथ तिरंगी बाजियां खेलने की आदत पड़ गयी है मेरे को" नीलिमा मुझे आंख मार कर बोली. दो तीन मिनिट वह चुप रही, कुछ सोच रही थी. फ़िर बोली "यार विनय, मुझे कभी कभी संदेह होता है कि मैं फालतू उचक रही हूं, अरुण और ममी में पहले से ही कुछ तो चलता है!"

मैं चौंक गया. याने अब स्नेहल चाची और नीलिमा को इतने पास से जानकर, उनके दिल की गहराई में छुपी वासना का अंदाज होने पर भी इस बारे में मुझे ऐसा नहीं लगता था. आखिर बचपन से अरुण को उन्होंने गोद में खिलाया था. "कुछ भी कहती हो आप नीलिमा भाभी, ऐसा हो ही नहीं सकता"

"क्यों नहीं हो सकता? वो अरुण इतना ... एक नंबर का चोदू ... गांड मारू ..." नीलिमा अपने ही पति को प्यार में गाली देते हुए बोली "और ममी, इतनी सेक्सी, दिल में तरह तरह की चाहत लिये हुए ... और वे दोनों इतने साल अकेले रहते थे गोआ में ससुरजी के आस्ट्रेलिया जाने के बाद ... फ़िर उनको रोकने वाला कौन था?"

"अरे भाभी, पर हैं तो वे आखिर मां बेटे, अब माधव चाचा यहां नहीं थे तो वे अकेले ही रहेंगे ना, उसमें उनकी क्या गलती है!" मैंने कहा जरूर पर मेरे मन में भी एक गुदगुदी भरा शक पैदा होने लगा. "चलो भाभी, मान लिया पर फ़िर शादी होने पर ये सब एकदम बंद तो नहीं हो जाता? अरुण अगर चाची का सच में दीवाना होता तो तुमको जरूर पता चलता, आखिर वह उनसे बिलकुल अलग कैसे रहता, कभी ना कभी तो पकड़ा जाता!"

"अरे शादी होने के दस दिन बाद तो वह चला गया नाइजीरिया. फ़िर मैं वहां गयी. तब तो ममी थी ही नहीं हमारे साथ. जब से मैं वापस आयी हूं, वो बस तीन चार बार आया है वो भी चार पांच दिन को" नीलिमा बोली "वैसे जो तू कह रहा है वो भी सच है और एक बार शायद पकड़ा जाने वाला था वो ..."

मैंने नीलिमा की ओर देखा. उसने मेरी ओर देखकर कहा "एक दिन मैं अपनी सहेली के यहां गई थी, चार पांच घंटे के लिये, बहुत दिन बाद वह गोआ आई थी. अरुण दूसरे दिन वापस जाने वाला था और सामान वगैरह पैक कर रहा था. मैंने बताया था उसके जरा पहले वापस आ गयी थी. आकर बेल बजाई तो बहुत देर दरवाजा नहीं खुला. फ़िर से बेल बजाई तब आकर अरुण ने दरवाजा खोला. हांफ़ रहा था और पसीना पसीना था. बोला कि म्यूज़िक लगाकर व्यायाम कर रहा था इसलिये सुनाई नहीं दिया. अब शाम को कोई व्यायाम करता है क्या, और इसके पहले तो मैंने कभी उसे म्यूज़िक लगाकर उठक बैठक करते नहीं देखा. फ़िर अंदर आयी तो ममी नहाने को चली गयी थीं. अब शाम को नहाने का क्या तुक है? बाहर आकर बोलीं कि वे भी दो घंटे को बाहर गयी थीं, और पसीना पसीना हो गयी थीं इसलिये नहा लिया. तेरे को क्या लगता है? मुझे तो बहाना लगा. मेरा तो पक्का विश्वास है कि मां बेटे में कुश्ती चल रही थी"
Reply
06-21-2018, 12:04 PM,
#33
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
अब मैं क्या कहता, चुप रहा. फ़िर बोला "हां हो सकता है, यह भी हो सकता है कि यह सब आपका वहम हो भाभी. मुझे नहीं लगता कि चाची को सब से छुपा कर इतने दिन तक अपने बेटे के साथ ये सब करना संभव हो पाया होगा"

"अरे तू नहीं जानता, ममी इस मामले में ... महा चालू हैं" नीलिमा आंखें झपकाकर बोली. वैसे उसके स्वर में गुस्सा या त्रास नहीं था, एक तरह की प्रशंसा ही थी, चाची की मादकता का उद्घोष था.

हम कहां से कहा पहुंच गये थे यह देख कर मैंने वातावरण थोड़ा शांत करने को कहा "ठीक है नीलिमा भाभी, हो सकता है यह सब सच हो पर आप को क्या फरक पड़ता है? आप तो खुद ही यह सब करवाने वाली हैं मां बेटे के बीच में, अब पहले वो होता था या नहीं होता था इससे ..."

"हां तू ठीक कह रहा है विनय. मुझे गुस्सा नहीं आया, वो तो ऐसे ही मैं जरा गरम हो गयी थी, अरुण ने बताना चाहिये था मुझे, बाकी सब वो मुझसे शेयर करता है ना! पर जाने दे, अगर यह सच है तो मेरी मेहनत बच जायेगी, डायरेक्ट शुरू हो जायेगा हमारा तिरंगा सामना! जिस दिन वहां पहुंचेंगे उसी रात से ... पर विनय, मेरी कसम, ममी को कुछ मत बताना इसके बारे में, अगर सच में मां बेटे के बीच कुछ नहीं है और उन्हें पता चल गया कि मैं क्या गुल खिलाने वाली हूं, तो कहीं वे मेरे साथ वहां जाने का ही कैंसल ना कर दें. वैसे ही तुझपर अब वे इतनी मरती हैं कि तुझे छोड़कर जाने का मन नहीं है उनका. मैं चाहती हूं कि वहां वे आयें, फ़िर कहां जायेंगी मुझसे बच कर? अब प्रॉमिस कर कि तू कुछ नहीं कहेगा"

"मैं कुछ नहीं कहूंगा भाभी" मैंने कान पकड़कर कहा "वैसे भी चाची कोड़े ही लगायेंगीं अगर मैं ऐसा कुछ ऊल जलूल बोला तो"

नीलिमा हंस कर बोली "अरे घबरा मत, ममी सच में बहुत अच्छी हैं और रंगीली भी हैं एक नंबर की. मैं इसीलिये तो ये सब करने वाली हूं कि उनको एकदम मन भर कर कामसुख मिले जैसा उन्हें चाहिये. वैसे वे भी सोच रही होंगीं कि तू अकेला रह जायेगा, कुछ तो इन्तजाम करना पड़ेगा तेरा. वैसे तेरा कहना ममी के बारे में मुझे ठीक लगता है, अगर उनके बीच कुछ होता तो अरुण यहीं नौकरी नहीं करता? ऐसा उन्हें छोड़कर बाहर क्यों चला जाता!"

मैंने मजाक में कहा "अपनी मां की गरमी सहन नहीं होती होगी बेचारे को"

नीलिमा मेरी ओर देख कर सीरियसली बोली "है तू मूरख पर ममी की गरमी के बारे में पहली बार कुछ काम का बोला है"

मैं उसके इस कथन के बारे में सोच ही रहा था कि आखिर उसने ऐसा क्यों कहा, तभी चाची उन पड़ोसी महिला के साथ बाहर आयीं. हमारे पास आकर बोलीं कि मैं दो घंटे में आती हूं. उन दोनों के जाने के बाद हम अंदर चले गये. वैसे भाभी के साथ मस्ती का अच्छा मौका था पर फ़िर रात को हमारे जोश में कमी से चाची जरूर पहचान लेतीं, कि उनकी दो घंटे आंख फिरी और यहां हम चोदने बैठ गये. उस दिन के केले वाले एपिसोड के बाद तो चाची को नाराज करने का मेरा कतई इरादा नहीं था. इसलिये हमने कुछ नहीं किया.

कुछ दिन पहले मैंने अलमारी के ऊपर पड़ा एक फोटो एलबम देखा था. बहुत दिन से देखने की इच्छा थी. कुरसी पर खड़ा होकर मैंने वह निकाला. फ़िर झटककर देखने लगा. मुझे भरोसा था कि उसमें चाची के पुराने फोटो होंगे. स्नेहल चाची - मेरी मलिका - मेरी मालकिन - मेरी देवी - जवानी में कैसी दिखती थीं, देखने की बड़ी उत्सुकता थी.

"जरा पुराना है, चार पांच साल पहले तक के फोटो हैं" नीलिमा ने मुझे बताया.

"और आपकी शादी के फोटो?" मैंने एलबम खोलते हुए कहा. "वैसे मुझे चाची के जवानी के ही फोटो देखने थे भाभी"

"ओह ऽ हो ... याने मर मिटे हो ममी पर? देख लो, वैसे वे बहुत सीदी सादी थीं जवानी में, और अभी भी हैं, पहनावे और रहन सहन से कोई कह सकता है कि उनके अंदर ऐसी अगन जलती होगी? मेरी शादी का एलबम नहीं है मेरे राजा, मेरी मौसी ले गयी थी, जब पिछले साल आयी थी. अब तक नहीं लौटाया"

मैं वही पुराना एलबम देखने लगा. चाची के कई फोटो थे. जवान थीं तब जरा स्लिम भी थीं. पर सब फोटो सादी पुराने किस्म की साड़ियों में थे. ज्यादा मजा नहीं आया, सब में बस गंभीर चेहरा लेकर आदर्श भारतीय नारी जैसी खड़ी थीं. बस एक फोटो में उनकी छुपी सेक्स अपील जरा दिख रही थी. उसमें वे किसी बात पर हंस रही थीं, उनके वे दो क्यूट टेढ़े दांत और ऊपर का मसूड़ा दिख रहा था, जरा बाजू का पोज़ होने से पल्लू के नीचे के स्तनों का उभार उनके उस पुराने कट के ब्लाउज़ में से भी दिख रहा था.

नीलिमा बोली "लगता नहीं ना वही चाची हैं तेरी? कोई सादी भोली युवती दिखती है इन फोटो में."

मेरे मन में आया कि शायद चाची की सेक्स अपील उमर के ढलने के साथ साथ घटने के बजाय बढ़ी थी और अब अपनी चरम सीमा पर थी.

आगे पन्ने पलटने पर दो तीन साल पहले की एक फोटो थी. उसको देखकर जरा मजा आया. उसमें आज की ही चाची थीं, थोड़ी कम मोटी पर एकदम सेक्सी. साड़ी ही पहने थीं पर साड़ी और ब्लाउज़ के बीच दिखते कमर और पेट एकदम मस्त लग रहे थे, जैसे उनके असल में हैं. आंचल के नीचे का उभार भी जोरदार था. मैं सोचने लगा कि सेक्स अपील भी बड़ी उलझाने वाली चीज है, कभी सुंदर से सुंदर अर्धनग्न या पूरी नग्न जवान नारी में भी नहीं होती और उलटे एकदम सादे रूप वाली अधेड़ उमर की साड़ी पहने औरत ऐसी दिल में उतर जाती है कि लगे कि यहीं पटक कर चोद लिया जाये. फ़िर मेरे मन में आया कि चाची की सेक्स अपील का शायद यह कारण था कि ऊपर से वे इतनी सात्विक लगती थीं पर उनके मन के अंदर वासना का एक तूफ़ान सा उमड़ता था. चाची की सेक्स अपील के बारे में मेरा विचार मंथन चल ही रहा था कि अचानक नीलिमा ने मेरा हाथ पकड़ा. मैं उसकी ओर देखने लगा.

"इससे मजेदार एक एलबम दिखाऊं?" नीलिमा ने शैतानी भरी नजर से मुझे देखते हुए कहा.
Reply
06-21-2018, 12:04 PM,
#34
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
"हां भाभी दिखाओ ना" मैंने कहा. मन में आया कि नीलिमा जिस तरह से कह रही है, जरूर कुछ खास ह्ही होगा.

"मैं थोड़ा गलत बोली, एलबम से तुझे लगेगा कि किसी ने ली हुई हमारी या चाची की प्राइवेट तस्वीरें हैं तो वैसा नहीं है, प्रिन्टेड मेगेज़ीन है, रंगीन फोटो वाली, बहुत ही मस्त अलग से फोटो!" नीलिमा बोली.

"तो दिखाओ ना भाभी." मैं समझ गया कि कैसे फोटो होंगे. "तुम्हारे पास है? जरूर अरुण भैया लाये होंगे. अब इतने दिन क्यों नहीं दिखाया भाभी?" मैंने शिकायत की.

नीलिमा कुछ नहीं बोली. मुझे हाथ से पकड़कर अंदर अपने और चाची के बेडरूम में ले गयीं. वहां चाची की अलमारी खोलकर उनकी बहुत पुरानी साड़ियों के गठ्ठे के नीचे से एक मेगेज़ीन निकाली. "यहां क्यों रखी है ये मेगेज़ीन भाभी, आप की है ना?" मैंने पूछा. "चाची को पता चल गया तो?"

"अरे मूरख, मेरी नहीं है, मुझे यहां मिली एक दिन जब मैं ममी की साड़ियां जमा रही थी कि एकाध मेरे पहनने लायक हैं क्या? उनके पास कुछ बहुत अच्छी साड़ियां हैं, मुझे कह रही थीं कि तुझे चाहिये वे ले जा अपने साथ. उनकी अच्छी साड़ियां सब ऊपर के दराज में हैं. फ़िर मैं ऐसे ही उनकी ये सब पुरानी साड़ियां भी देखने लगी तो एक साड़ी के अंदर फ़ोल्ड की हुई यह मेगेज़ीन थी, छिपा कर रखी हुई" मुझे मेगेज़ीन देकर नीलिमा बोली. खुद अपनी अलमारी खोलकर उसे जमाने में लग गयी पर कनखियों से मेरी ओर देख रही थी. "जरा जल्दी कर, ममी आ जायेंगी तो ..."

मैं वहीं चाची के बिस्तर पर बैठ गया. इम्पोर्टेड प्रिन्टेड मेगेज़ीन थी, याने गोरे विदेशी मॉडल्स थे मॉडल्स या पॉर्न स्टार्स कह लीजिये. मेगेज़ीन के कवर पर एक तस्वीर थी जिसमें तीन औरतें और एक जवान लड़का पूरी ड्रेस में बड़े फ़ॉर्मल अंदाज में बैठे थे. एक अधेड़ पचास के ऊपर की महिला, उसके बाजूमें एक पैंतीस चालीस के आस पास की औरत सोफ़े पर बैठे थे. पीछे एक जवान लड़की और एक जवान लड़का खड़े थे. मुझे मजा आ गया, कोई फ़ैमिली वाली पॉन्डी लगती थी. अधिकतर लोग यही मानकर चलते कि नानी और मां बैठे हैं और जवान पोता पोती पीछे खड़े हैं. या कोई आंटी नीस नेफ़्यू भी समझ सकता था.

अंदर जाकर उनके ऐसे ऐसे फोटो थे कि मेरा दिल धड़कने लगा. शुरुआत तो सादे सेक्स से हुई, पहले जवान लड़का लड़की, फ़िर उसमें शामिल उनकी मां और अंत में नानी. नानी के आने के बाद के फोटो में सब मिलकर ऑर्जी कर रहे थे. पहले नानी को मुख्य पात्र बनाकर चुदाई चल रही थी, उसकी गांड में लड़के का लंड, नानी की चूत चूसती मां और नानी अपनी पोती से किसिंग करते हुए. दो तीन ऐसे फोटो के बाद धीरे धीरे उस लड़के के पीछे सब औरतें मिलकर लगते दिखाये गये थे, एक उसके लंड पर चढ़ कर चोद रही थी, एक उसके मुंह पर बैठी थी और वह लड़की बाजू में एक स्ट्रैप ऑन डिल्डो बांधते हुए अपनी बारी का इंतजार कर रही थी. जल्दी ही बी डी एस एम तरीके के फोटो शुरू हो गये, उस लड़के के हाथ पैर बांध दिये गये, और उसकी तरह तरह से दुर्गति चालू हो गयी.

देख कर मेरी सांस जोर से चलने लगी. कलर में बढ़िया प्रिन्ट वाली इस तरह की विकृत सेक्स वाली मेगेज़ीन मैं पहली बार देख रहा था. लंड कस के खड़ा हो गया पर किसी तरह मैंने सबर रखा क्योंकि नीलिमा भाभी जो अब भी कपड़े जमाने में लगी थी, बीच बीच में कनखियों से मेरे हाल देख रही थी. वह जरूर मेरा मजाक उड़ाती.

पर आखरी दो तीन तस्वीर देखकर मुझसे नहीं रहा गया, ऐसा भी कोई एक दूसरे के साथ कर सकता है, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था. एक में वह जवान लड़की अपना महाकाय स्ट्रैप ऑन डिल्डो उस लड़के की गांड में डाल कर उसकी गांड मार रही थी और नानी उसके लंड को बाजू से दांतों में दबाये बैठी थी जैसे खा जाना चाहती हो. बीच वाली औरत जिसे मां कह सकते हैं, बाजू में खड़े होकर अपनी हाई हील सैंडल उससे चटवा रही थी, उसके मुंह में वह हाइ हील डाल कर. आखरी तस्वीर में उस लड़के को नीचे लिटाकर उस जवान लड़की ने अपनी मां की सैंडल की हील उस जवान की गांड में घुसेड़ दी थी. मां अपनी चूत में उसका लंड लिये ऊपर बैठी थी और तमाशा देख रही थी. और नानी उस लड़के के सिर के दोनों और पैर जमाये अपनी बुर उसके मुंह से लगाये मूत रही थी. वह मेगेज़ीन वहीं खतम होती थी पर पीछे के कवर पर भाग एक दो तीन के ऐड थे. मैंने सोचा कि पहले भाग में इतना कुछ है तो न जाने क्या क्या होगा उन भागों में!

मुझसे नहीं रहा गया और मैंने अपना थरथराता लंड पकड़ लिया.

नीलिमा ने मुझे चिढ़ाया "क्या हो गया, पगला गये? कभी देखी नहीं ऐसी तस्वीरें? अरे आज कल के लड़के हो, इन्टरनेट पर इतना कुछ होता है, इतने में बौरा गये?"

मैंने बड़ी मुश्किल से लंड से हाथ हटाया "भाभी ... तुमने देखीं ये वाली? क्या अजीब अजीब चीजें करते हैं लोग"

"अरे सब फ़ेंटसी है, सच में थोड़े कोई ऐसा करता है. अब मजा लेने के लिये देखते हैं लोग."

"पर ये चाची लाईं कहां से? उनको तो इन्टरनेट वगैरह भी लगाते नहीं देखा मैंने"

नीलिमा मेरे हाथ से मेगेज़ीन लेकर फ़िर अपनी जगह छुपाते हुए बोली "अब मुझे दे दे नहीं तो मुठ्ठ मार लेगा और डांट मुझे पड़ेगी ममी के आने के बाद. अब ममी लाई होंगी कहीं से, या बहुत पहले से उनके पास होगी, और कहीं रखी होगी, अभी उन्होंने पुराने सामान में से निकालकर यहां रख दी होगी फ़िर से देखने के लिये, जो भी हो अपने को क्या करना!"

"बाप रे, क्या चीज हैं चाची. तभी इतनी गरम तबियत की हैं शायद!"

"मैंने पहले ही कहा था ना विनय कि ममी बहुत रसिक है. अब बाहर चल और खबरदार, खुद आकर कभी अकेले में यह नहीं देखना, पकड़ा गया तो तुझे भगवान ही बचाये ममी के गुस्से से. उनको अच्छा नहीं लगेगा कि कोई उनकी प्राइवेट अलमारी में ऐसे देखे"

उस रात की सामूहिक चुदाई जरा ज्यादा ही मसालेदार हुई. आज मेरा कंट्रोल जाता रहा, मैं जल्दी झड़ गया क्योंकि बार बार वह मेगेज़ीन याद आ रही थी. डांट भी खानी पड़ी और फ़िर सजा भी मिली, मुझे लिटाकर रखा गया कि खबरदार चुपचाप पड़ा रहूं और बाकी कार्यवाही उन दोनों सास बहू ने मिलकर मुझपर की. वैसे सजा भी प्यार भरी थी, लिटा कर बड़े लाड़ हुए मेरे. बीच बीच में जब चाची का ध्यान दूसरी तरफ़ था, तब नीलिमा मुझे आंख मार कर चिढ़ाते हुए हंसने लगती थी.
Reply
06-21-2018, 12:04 PM,
#35
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
इसके बाद के बचे थोड़े से दिन जल्दी जल्दी गुजर गये. जोर शोर से पैकिंग चल रही थी. नीलिमा के तीन सूटकेस थे और चाची का एक. इससे मुझे थोड़ी उम्मीद बंधी कि हो सकता है चाची कुछ दिन के लिये वापस आयेंगी और फ़िर फ़ाइनल वीसा मिलने पर जायेंगी. और मुझे अब यह भी प्रश्न सता रहा था कि अगर चाची जल्दी नहीं वापस आयीं तो मैं कहां रहूंगा. ट्रेनिंग खतम होने को आई थी, गेस्ट हाउस मिलने का सवाल ही नहीं था, गोआ में घर ढूंढा जाये यही एक उपाय था.

बीच बीच में सगे संबंधी आते थे नीलिमा और चाची को मिलने और शुभ यात्रा कहने. उसमें भी काफ़ी समय जाता था, दिन और रातों की उस निरंतर चुदाई पर थोड़ा अंकुश लग गया था.

जाने के दो दिन पहले जब मैं ऑफ़िस से वापस आया तो कंपाउंड में एक कार खड़ी थी. अंदर आया तो ड्राइंग रूम में चाची के साथ एक बड़ी आकर्षक महिला बैठी थीं. एकदम मॉडर्न पहनावा था, पैंट सूट, जैसा प्राइवेट कंपनियों में ऊंचे ओहदे पर कार्यरत मॉडर्न महिलायें कभी कभी पहनती हैं.

मैं ठिठक गया. फ़िर हेलो किया. वे महिला मेरी ओर देखकर मुस्करायीं, उनकी आंखों में काफ़ी फ़्रेन्डली से भाव थे. लगता है मेरे बारे में जानती थीं. चाची ने कहा "अरे लता यह विनय है, मेरा भतीजा. मैंने तुझे बताया ना कि मेरे साथ यहीं गोआ में है. पहले आ नहीं रहा था गोआ, अब गोआ इतना पसंद आ गया कि यहीं की पोस्टिंग ले ली है. और विनय, यह है लता, मेरी बड़ी पुरानी सहेली. तू इसे लता चाची कह सकता है पर यह है इतनी मॉडर्न, लता आंटी कहेगा तो ज्यादा अच्छा होगा"

लता आंटी हंस कर बोलीं "स्नेहल मजाक कर रही है तेरे साथ, तू मुझे कुछ भी कह, सिर्फ़ लता भी कह सकता है"

मैं कुछ देर बैठा और इधर उधर की बातें की. बीच बीच में लता आंटी की ओर देख रहा था. उमर करीब चालीस के आस पास की होगी. हो सकता है कि पैंतालीस हो पर मुझे चालीस लग रही थी. एक बार लगा कि उमर में दस साल फरक होने पर भी चाची के साथ इतनी गहरी मित्रता है, यह जरा बिरले किस्म की घटना है. लता आंटी की पर्सनालिटी बहुत इम्प्रेसिव थी, याने बहुत खूबसूरत तो थी हीं, एकदम मॉडर्न किस्म का पहनावा और चालचलन था. बाल शोल्डर लेंग्थ थे और उनमें एक दो हल्की सफ़ेद लटें थीं, उन लटों की वाजह से न जाने क्यों वे और खूबसूरत लग रही थीं. मेकप हल्का था, होंठों पर बहुत हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक थी. बाद में पता चला कि वे वहीं गोआ में नाइक अंड सन्स माइनिंग कॉर्पोरेशन में एच.आर. डायरेक्टर थीं.

मुझसे बड़े फ़्रेन्डली अंदाज में बोल रही थीं. बीच बीच में मेरी तरफ़ नजर गड़ाकर देखतीं. उनकी उस काली खूबसूरत आंखों को अपने पर जमा देख कर मुझे थोड़ी परेशानी सी हो रही थी क्योंकि धीरे धीरे उनकी सुंदरता का जादू मुझपर चढ़ता जा रहा था और मुझे डर लग रहा था कि कहीं उनकी ओर घूरने ना लग जाऊं.

फ़िर मैं किसी बहाने से वहां से चला आया. लता आंटी बोलीं "इतना बड़ा गार्डन का स्पेस है, यहां तो एक बहुत बड़ा बगीचा लग सकता है" चाची कुछ बोलीं और फ़िर लता आंटी के साथ बाहर बगीचे में घूमने चली गयीं. मैं ऊपर से अपने कमरे की खिड़की से उन्हें बीच बीच में देख रहा था. दोनों कुछ बातें कर रही थीं, चाची बीच बीच में घर की ओर देखकर मुस्करा देती थीं. मैं नहाने चला गया. बाद में जब खिड़की से देखा तो वे शायद वे दोनों वापस अन्दर आकर बैठ गयी थीं क्योंकि लता आंटी की कार अभी वहीं खड़ी थी.

मैं जब फ़िर से नीचे आया, तब वे निकल ही रही थीं. मेरी ओर देखकर आंटी मुस्कराईं और बोली "तुमसे मिल कर अच्छा लगा विनय. सी यू अगेन. अच्छा स्नेहल, मैं चलती हूं."

"ठीक है लता, टाइम याद है ना, जल्दी ही आ जाना. वैसे यहां कोई न कोई तो होगा" चाची ने कहा.

लता आंटी ने जाते जाते कहा "चिंता न करो. और वो मैंने जो कहा, वह जरूर कर लेना मुम्बई में"

"उसकी याद दिलाने की जरूरत नहीं है लता, ऐसी चीज मैं भूलूंगी क्या?’

लता आंटी जब जा रही थीं तो मैं उनके बदन को पीछे से देख रहा था. क्या फ़िगर थी, एकदम मॉडल्स जैसी. लगता है काफ़ी जिम वगैरह जाती होंगी, तभी तो अपने आप को इतना मेन्टेन करके रखा था.

अब तक नीलिमा भी आ गयी थी, कहीं बाहर गयी थी. उसने बस रास्ते में रुक कर लता आंटी से दो मिनिट बातें की और फ़िर उनके जाने के बाद घर में आयी. अंदर आकर उसने मेरी ओर देखा, आंखों में कुछ ऐसे नटखट भाव थे जैसे किसी शैतान बच्चे के कुछ बदमाशी करने के पहले होते हैं. चाची को उसके चेहरे के भाव नहीं दिखाई दिये क्योंकि वे मेरी ओर देख कर मुझसे बोल रही थीं. "विनय बेटे, लता का बंगला बहुत दिन से खाली पड़ा था ना, इसलिये रहने के लिये काफ़ी रिपेयर और साफ़ सफ़ाई करवानी पड़ेगी. वह होटल में रुकने वाली थी पर फ़िर मैंने उसे कहा कि यहां हमारे बंगले में रहो ना, इतना बड़ा बंगला है. और विनय भी है, एक दूसरे को कंपनी रहेगी. वैसे भी दिन में तो ऑफ़िस ही रहेगा दोनों का. वो विमला बाई को कह देंगे कि दिन भर रहा कर और खाना वाना बना दिया कर. तुझे ऑड तो नहीं लगेगा?" फ़िर उन्होंने मेरी ओर देखा.
Reply
06-21-2018, 12:05 PM,
#36
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
अब मैं क्या कहता. किसी को लगेगा कि मेरे मन में लड्डू फूट रहे होंगे पर ऐसा नहीं है. लता आंटी थीं तो बड़ी खूबसूरत पर उनके बारे में ऐसे वैसे खयाल, याने नीलिमा और स्नेहल चाची की तरह रिश्ते के खयाल मेरे मन में नहीं आये. मेरे हिसाब से उनका लेवल बहुत अलग था, गोआ के अच्छी खासी वेल-टु-डू परिवारों में एक परिवार था उनका. मुझे तो यह भी आश्चर्य लगा कि इस बंगले में आकर रहने को वे कैसे तैयार हो गयीं, उन्हें तो किसी अच्छे होटल में रुकना चाहिये था. फ़िर मन में आया कि वैसे चाची का बंगला भी कोई कम नहीं था, पुराना जरूर था पर हेरिटेज बंगला था, आजकल बड़ी महंगी प्रॉपर्टीज़ में गिना जाता था.

अब चाची से क्या कहूं इस पशोपेश में पड़ गया. और मैं कौन होता था कहने वाला कि किसे वे अपना घर दें रहने के लिये और किसे नहीं. वैसे मुझे ऑड जरूर लग रहा था पर सोचा कि अभी चाची को कह दूं कि मैं और कहीं जगह देख लूंगा तो वे बुरा ना मान जायें. अभी तो उन्होंने मुझे यह भी नहीं बताया था कि वे कब तक वापस आयेंगी. सोचा कि अभी कुछ न कहूं, एक हफ़्ते के बाद कोई बहाना बनाकर खिसक लूंगा.

"हां चाची, अच्छा आइडिया है आपका. पर वे इतनी बड़ी कंपनी में ऊंचे ओहदे पर हैं, उनको मेरी कंपनी न जाने कैसी लगेगी"

"अरे लता बहुत अच्छी है इस मामले में, उसे अपने धन दौलत का जरा घमंड नहीं है. बहुत मिलनसार है. घर में वहां कंपनी का सब भूल जाती है. और मैं भी एक महने के अंदर आ ही जाऊंगी, ठीक है ना?"

मुझे जो रिलीफ़ लगी वह मेरे चेहरे पर दिख आयी होगी क्योंकि चाची हंसने लगी "अब जरा मन शांत हुआ तेरा? आराम से रहना यहां बिना टेंशन के, समझा. लता दो साल बाहर थी, अब वापस आकर गोआ में ही रहने वाली है, आखिर यहां उसका पुश्तैनी मकान है, इतना ही नहीं, उसकी भांजी दीपिका भी दो महने के बाद यहीं गोआ आकर रहेगी उसके साथ, वह भी बचपन से यहीं रही है, बस पिछले दो तीन साल से मुंबई चली गयी थी सेंट ज़ेवियर्स में पढने. "

मैंने पूछा "उसके पेरेंट्स कहां हैं चाची? यहीं गोआ में हैं?"

"वे पंधरा साल से दुबाई में हैं, मुझे नहीं लगता कि दस साल और वापस आयेंगे. दीपिका को वहां बिलकुल अच्छा नहीं लगा इसलिये वह छोटी थी तभी से लता के साथ रह रही है. लता ने भी शादी नहीं की थी पर अपनी भांजी को बिलकुल अपनी बेटी जैसा पाला पोसा है उसने. तेरे बाईस बरस कंप्लीट हो गये हैं ना?"

मैंने हां कहा. "तेरे से तीन साल बड़ी है दीपिका, बारा तेरा साल की थी तब से लता के पास है"

नीलिमा सब सुन रही थी. बीच में किचन में चली जाती थी, खाने की तैयारी करने. उसने आवाज लगाई "ममी ... जरा देखिये इतना चावल ठीक रहेगा?"

चाची अंदर चली गयीं, मैंने टी वी लगा लिया. चाची वापस आ रही हैं यह सुनकर मुझे बहुत शांति मिली थी. तभी अंदर किचन से कुछ आवाज आई. मैंने सहज मुड कर देखा तो नीलिमा मुंह पर हाथ रखकर अपनी हंसी दबाने की कोशिश कर रही थी.

चाची की आवाज आई "अब तुझे हंसने जैसा क्या हो गया यहां?"

नीलिमा की दबे स्वर में आवाज आई "आप भी ग्रेट हैं ममी ...मुझे लगा ही था कि .... बेचारा ... आप के सामने अब कौन ..." आगे सुनाई नहीं दिया और फ़िर वह दबी आवाज में हंसने लगी.

चाची अब चिढ़ गयीं "पहले हंसना बंद कर. फालतू ही ही करती रहती है, और चुप रह, जहां तुझे समझ में नहीं आता वहां टांग मत अड़ाया कर"

दूसरे दिन चाची और नीलिमा जाने वाले थे. वह रात हमारी साथ की आखरी रात थी. उस दिन की चुदाई जरा अलग ही थी, रोज जैसा जोश नहीं था. बस प्यार भरे किस और लिपटना वगैरह ज्यादा हुआ. दूसरे दिन सफ़र करना है इसकी वजह से वे दोनों थोड़ी टेंस भी थीं.

आखरी दिन भाग दौड में ही गया. चाची और नीलिमा शाम की फ़्लाइट से मुंबई जाने वाले थे. दूसरे दिन वीसा के लिये जाना था और उनकी अमेरिका की फ़्लाइट दो दिन बाद थी. तब तक वे मुंबई में ही रुकने वाली थीं.

जब चाची नहा रही थीं तो नीलिमा ने मुझे पूछा "क्यों रे विनय, लता आंटी पसंद आयीं? कैसा इम्प्रेशन हुआ तेरे पर?

मैं कहने वाला था कि बहुत सुंदर हैं पर फ़िर अपने आप को रोक लिया, एक सुन्दर जवान स्त्री के सामने दूसरी की सुन्दरता की प्रशंसा नहीं करनी चाहिये ऐसा कहीं पढ़ा था. इसलिये बोला "बहुत स्मार्ट हैं काफ़ी इन्टेलिजेंट भी लगती हैं, क्यों न हों, इतने ऊंचे ओहदे पर हैं. मुझे तो अभी से उनसे थोड़ा डर लगने लगा है"

"लगना ही चहिये, अब अकेले उनके चंगुल में रहोगे इतने दिन, तो तेरे बचने की उम्मीद कम ही है. और बाद में तो वो दीपिका भी रहेगी, उनकी भांजी."

"अरे पर वो तो दो महने बाद आयेगी, तब तक तो उनका घर रिपेयर हो जायेगा ना?"

"कहां रिपेयर होगा? बहुत काम निकाला है उन्होंने, अंदर से पूरा रीकन्स्ट्रक्ट करने वाले हैं. चार पांच महने तो लगेंगे, तब तक वे दोनों मिल कर तेरे क्या हाल कर डालेंगी तुझे पता है? वैसे ऐसी खूबसूरत बलाओं से दुर्गति कराने में भी तेरे को मजा ही आयेगा, ऐसा मुझे लगता है"

"अब भाभी, क्यों मेरे को फालतू डराती हो. मेरा और उनका संबंध ही क्या है, याने चाची की बात और थी, उनकी तो मेरी मां के साथ भी इतनी अच्छी पटती है इसीलिये तो मां ने यहां रहने दिया मुझे, लता आंटी के बारे में ऐसा थोड़े होगा"

"तू मूरख है, असल में लता आंटी भी तेरी मां की बहुत दूर की रिश्तेदार हैं, तुझे मालूम नहीं है, वे सालों में मिले नही होंगे ये बात अलग है"

मैं उसकी ओर देखता रहा. फ़िर अस्पष्ट सी याद आयी कि पूना में एक दिन मां ने गप्पें लगाते हुए चाची से दो तीन दूर के रिश्तेदारों के बारे में पूछा था उनमें एक नाम लता का भी था. याने यह वही लता थी?
Reply
06-21-2018, 12:05 PM,
#37
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
नीलिमा ने तो मुझे सताने का जैसे बीड़ा ही उठा लिया था. "वो जाने दे, लता आंटी भी नहीं बोली उस बारे में, बहुत बहुत दूर का रिश्ता होगा, उसका आजकल क्या मतलब है! असल बात यह है कि लता और ममी खास सहेलियां हैं. याने मैं कैसे ममी की खास सहेली बनी थी, वो तो तेरे को मालूम ही है. वैसी खास!!" फ़िर नीलिमा शैतानी से हंसने लगी. अब मुझे समझ में आया कि कल किचन में उसे हंसी क्यों आ रही थी.

"तुमको कैसे मालूम भाभी? चाची ने बताया?" मैंने धड़कते दिल से पूछा.

"ऐसी चीजें बिन बताये ही समझ में आ जाती हैं बच्चे. और ये लता आंटी को अपने घर रहने बुलाने का निर्णय तो बहुत पहले ले लिया था ममीने, मुझे भी नहीं बताया था, कल ही पता चला, बोलीं कि पहले बता कर क्या फायदा, बेचारा विनय फालतू कॉन्शस हो जायेगा. वैसे ममी ने तेरे और लता आंटी के बारे में कुछ नहीं कहा विनय, वह सब मेरे इस शैतान दिमाग की उपज है. पर मुझे लगता है मैं कह रही हूं, वैसा होने का चांस है"

"अच्छा!" मैंने कहा "और वो उनकी भांजी ... वो दीपिका ... वो क्या चक्कर है?"

"ममी ने बताया वो सब सही है कि लता आंटी ने ही उसे पाल पोसकर बड़ा किया है, लता उसकी सगी मौसी है और दीपिका के पेरेंट्स दुबाई में हैं. हां तेरी चाची, हमारी ममी जान ने तुझे यह नहीं बताया होगा कि लता और दीपिका का भी वैसा ही संबंध है जैसा तेरा और चाची का. अनोखा अनूठा प्यार ... प्यार जो उमर, लिंग, स्त्री, पुरुष ... ऐसा कोई भेद नहीं मानता, दो पीढ़ियों के बीच का प्यार !!!"

मैं चुप रहा. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं.

मुझे लकवा सा मार गया देखकर नीलिमा ने मेरे बाल सहला कर कहा "सॉरी विनय, मैं भी कुछ ज्यादा ही बक बक करती हूं, लता आंटी के बारे में या दीपिका के बारे में इस तरह मेरा बोलना ठीक नहीं है. यह सब तेरे को फ़ेंटसी जैसा लग रहा होगा ना? अब यह सब किसी ने बताया थोड़े ही है मुझे, मैंने अपना अंदाजा बनाया है ममी के साथ गप्पों में सुनी कुछ बातों से. हो सकता है गलत भी हों" न जाने क्यों मुझे लगा कि यह वह मुझे सिर्फ़ समझाने को कह रही है, यह सोचकर कि वह जरा ज्यादा ही बोल गयी है.

"वे शायद सच में बहुत प्यार करती होंगी अपनी भांजी से, अब एक मौसी भांजी से आगे अगर उनका रिश्ता बढ़ गया है तो उसमें हम क्या कह सकते हैं. अपनी अपनी चॉइस है. और वैसे वो लड़की - दीपिका - भी अच्छी है, मैं एक बार मिली थी उससे. और क्या पता, चाची के मन में यह भी आया होगा कि अगर तुम दोनों की शादी हो जाये तो उनके लिये तो सोने में सुहागा है, उनके सब चाहने वाले उन्हें करीबी रिश्तेदार के रूप में मिल जायेंगे, गोआ में रहने का फैसला तो तूने कर ही लिया है. अब तू ही देख, एक बड़ी फ़ैमिली, एक दूसरे से बहुत बहुत बहुत ... याने बहुत ... प्यार करने वाली, दो सासें और नवविवाहित जोड़ा एक साथ एक बंगले में रह सकते हैं, तुम दोनों भी खुश और वहां वे दोनों सहेलियां भी खुश!"

मैं कोई जवाब दूं उसके पहले चाची नीचे आईं, नहा कर तैयार होकर आई थीं. फ़ाइनल पैकिंग चेक कर रही थीं तभी एक टैक्सी में लता आंटी भी सामान लेकर आ गयीं. तीन चार बड़े सूटकेस थे और एक पैक किया हुआ ब्राउन बॉक्स था. आज उन्होंने एक जीन और सफ़ेद टॉप पहना था. बाल खुले छोड़ दिये थे, मेकप भी बिलकुल नहीं किया था. पैर में नाजुक पट्टे के सफ़ेद हाइ हील सैंडल थे. उस टॉप में से उनके उन्नत उरोजों का उभार साफ़ दिख रहा था, लो कट ब्रा का शेप भी दिख रहा था. टाइट जीन्स में से उनके भरे हुए गोल नितंबों का और पुष्ट स्लिम जांघों का भी आकार दिख रहा था.

मेरी नजर उनपर जैसे टिक गयी थी, लगता था देखता रहूं. उनको भी पता चल गया कि मैं देख रहा हूं, पर बिना कॉन्शस हुए उन्होंने बड़ी अदा से एक झटके से अपने गाल पर उड़ आये बाल पीछे किये. तब मेरे होश ठिकाने आये और मैंने जल्दी से अपनी नजर फ़ेर ली. पर उनको मेरी उस नजर में छुपे आकर्षण और वासना का अंदाजा हो गया होगा. हंस कर वे बोलीं "हेलो विनय, मैंने सोचा कि आज ही चलते हैं स्नेहल के घर, फालतू टाइम बरबाद करने का क्या फायदा! और स्नेहल भी शांति से यूएस जा सकेगी कि उसका लाड़ला भतीजा अकेला बोर नहीं होगा"

"ये अच्छा किया तूने, दीपिका भी दो महने से आ रही है ना?" चाची ने कहा.

"हां, कल ही आई है फ़्रान्स से, घूमने गयी थी. फोटो भेजे हैं, मैंने प्रिन्ट भी कर लिये. वैसे तू भी वहां बंबई में उससे मिल ही ले, उसके कॉलेज की छुट्टी होगी अभी." चाची को एक छोटा फोटो एलबम देती हुई लता आंटी बोलीं.

चाची ने जल्दी जल्दी वह एलबम देखा और नीलिमा को दे दिया "वा, कितनी सुंदर दिखने लगी है अब. और ये स्विमसूट वाला फोटो ... चलो ये अच्छा है कि सादा स्विमसूट ही पहना है नहीं तो मुझे लगा था कि यह लड़की भी बिकिनी विकिनी पहनने लगी है क्या!"

"अरे अब इन मॉडर्न बच्चों का क्या कह सकते हैं स्नेहल. वे मानेंगे थोड़े! उनकी जिंदगी है! उसने असल में टू पीस बिकिनी भी पहनी थी वहां बीच पर, मैंने फोटो प्रिन्ट नहीं किये जानबूझकर"

चाची लता आंटी के साथ अंदर गयीं. जाते जाते मुझे बोलीं "विनय बेटा, बाद में जरा हेल्प कर देना लता आंटी के ये सूटकेस ऊपर लाने में"

"अभी आता हूं चाची" मैंने कहा.

नीलिमा ने एलबम देखा और मेरे हाथ में दे दिया. "देख ... माल है!" आंख मार कर मुझे बोली.

मैं फोटो देखने लगा. दीपिका अच्छी ऊंची पूरी थी. चेहरा साधारण प्लेज़ेन्ट था, याने बहुत सुंदर वगैरह नहीं था पर आकर्षित कर ले ऐसा जरूर था. बाकी फोटो में तो बस उसके एक टूरिस्ट जैसे फोटो थे, अलग अलग ड्रेस में, कभी हंसते, कभी पोज़ बनाकर. आखिरी दो फोटो बीच पर स्विम सूट में थे. सादा वन पीस स्विम सूट था, बिकिनी नहीं थी. पर उस टाइट वन पीस में उसका फ़िगर निखर आया था, कमर कोई बहुत पतली नहीं थी पर कूल्हे चौड़े थे और छाती कम से कम ३६ होगी, स्विम सूट के अंदर से दो आधे नारियलों जैसे उसके कड़क स्तनों का आकार दिख रहा था. जांघें भी कसी हुई मजबूत थीं, लगता है जिम वाली थी और अच्छा स्ट्रॉंग बदन होगा.
Reply
06-21-2018, 12:05 PM,
#38
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
"विनय, कुश्ती में ये तेरे को जरूर हरा देगी, इसके पल्ले तू न पड़ तो ही अच्छा है. वैसे मुझे नहीं लगता तेरे हाथ में अब कुछ है, तेरी किस्मत का फैसला अब दूसरों के हाथ में दे दिया है तूने" नीलिमा ने चुपके से अकेले में मौका देखकर खेल खेल में मेरे पैंट की क्रॉच को सहला कर कहा.

"भाभी, मुझे यहां से भागना ही पड़ेगा. प्लीज़ चाची को मत बताना, पर यह शेरनी यहां आने के पहले मैं दूसरा घर देख लेता हूं" मैंने कहा और फ़िर से दीपिका का फोटो देखने लगा. नीलिमा ने एलबम लेना चाहा तो उसे जरा जोर लगाना पड़ा, मैं उसे छोड़ ही नहीं रहा था.

"एक तरफ़ कहता है कि भागना पड़ेगा और एक तरफ़ अपनी सजनी की फोटो छोड़ने तक को तैयार नहीं है. और इसको देख ..." मेरी पैंट में अब तंबू बना रहे लंड को रगड़कर नीलिमा एक गाना गाते हुए बोली "ये क्या हुआ ऽ, किसकी वजह से हुआ ऽ आंटी की वजह से हुआ या भांजी पर मर गया ऽ"

मैं बगलें झांकने लगा, आखिर क्या जवाब देता. मन में हां या ना दोनों हो रही थी. दीपिका याने कोई नाजुक सुन्दरी नहीं थी, जैसी पहले मेरे ख्वाबों में आया करती थी. अच्छी खासी मजबूत स्वस्थ एथेलेटिक लड़की लग रही थी, ऊंची पूरी, शायद मेरे इतनी ही ऊंची. पर सेक्स अपील जबरदस्त थी. नीलिमा बोली "अरे मजाक कर रही थी. अच्छी लड़की है, बहुत मजा आयेगा इसके हसबैंड को. है जरा शैतान और नकचढ़ी होगी. बड़े लाड़ प्यार से पली है और इकलौती है पर मैंने जहां तक सुना है, अपनी मौसी की पूरी मुठ्ठी में है. अब किसी की मुठ्ठी में होना कोई खराब बात नहीं है, मैं भी किसी को जानती हूं अपनी उमर में इतनी बड़ी चाची पर इतना मरता है कि पूरा उनकी मुठ्ठी में है ... कौन है भला ... जरा बता ना विनय .... तेरे को नाम पता होगा ना ..." नीलिमा फ़िर मेरी टांग खींचने पर उतर आयी थी.

मैं कुछ कहता इसके पहले ही ऊपर से चाची की आवाज आयी "विनय बेटे ... वो आंटी के सूटकेस .."

"लाया चाची" मैंने कहा और एक एक करके वे सूटकेस और बॉक्स ऊपर ले गया. लता आंटी ने कहा कि चाची के कमरे में ही रख दूं. शायद चाची और नीलिमा के ही कमरे में वे रहने वाली थीं. लता आंटी ने बड़े प्यार से थैन्क यू कहा. अब उनके बारे में और दीपिका के बारे में जानने के बाद मुझे ठीक से उनसे आंखें मिलाने में भी कैसा तो भी होता था. वे बस हंसीं और चाची से बोलीं "मैं जाकर थोड़ा और सामान ले आती हूं, मैं मैनेज करूंगी, हल्का ही बचा सामान है अब लाने को. और मैं शाम को डिनर करके ही आऊंगी"

"ठीक है लता, विनय हमें छोड़ने एयरपोर्ट जा रहा है, वह भी बाहर डिनर लेकर आयेगा, वैसे भी आज कुछ बनाने का मौका नहीं मिला, कल से विमला बाई आयेगी ही."

मेरी नजर चाची और लता आंटी के पैरों पर गयी. दोनों स्त्रियों में वैसे बहुत भिन्नता थी, चाची नाटी और थोड़ी खाये पिये बदन की थीं, लता आंटी ऊंची और स्लिम थीं. चाची के बाल लंबे थे जिन्हें वे जूड़े में बांध कर रखती थीं, आंटी के शोल्डर लेन्ग्थ थे, खुले हुए. चाची जरा ही मेकप नहीं करती थीं, आंटी हल्का मेकप करती थीं, चाची के पांव छोटे थे, याने लता आंटी से एक साइज़ कम ही होंगे. पर दोनों में जबरदस्त सेक्स अपील थी. मैं फ़िर से सोचने लगा कि इतनी अलग होते हुए मेरे दिल में दोनों ने जगह बना ली थी.

हम सब नीचे आये. लता आंटी ने चाची और नीलिमा को विश किया और निकल गयीं. चाची भी उनके साथ बहर गयीं. "अरे लता वह बॉक्स ..." और वे लता आंटी से कुछ कहने लगीं. मैं दूर पर नीलिमा के साथ खड़ा था पर कान लता आंटी और चाची की बात सुन रहे थे. नीलिमा भी कुछ कह रही थी इसलिये चाची और लता आंटी की बातें ठीक से सुनाई नहीं दे रही थीं.

"स्नेहल उसमें तेरे वो ... जो तूने मुझे ..."

"तो तू ले भी आयी? चलो अच्छा हुआ, अभी तो जा रही हूं, बाद में यूज़ करूंगी"

"और वो मेरी बुक जो तेरे को पसंद .... आगे के पार्ट ... और वो कैटेलॉग से जो चीजें ... मैंने ऑर्डर .... एक महने में आ जायेंगी" लता आंटी आगे कुछ बोलीं, और चाची के कंधे पर हाथ रखकर हंसने लगीं. चाची बस अपनी स्टाइल में मुस्करायीं.

नीलिमा बोली "अरे ओ लड़के, ध्यान किधर है तेरा?"

मैं सॉरी बोला. नीलिमा ने ताना मारा "कोई बात नहीं, कोई बात नहीं, दो दो खूबसूरत आंटियां दिख रही हैं तो ऐसा ही होगा"

"नहीं भाभी ऐसा नहीं है, वे दोनों क्या बातें कर रही हैं, ये जरा समझने की कोशिश कर रहा था."

"तुझे क्या करना है? उनकी प्राइवेट बातें भी हो सकती हैं, अब जरा मेरी सुन, मैं नंबर देती हूं, वो टैक्सी बुक हुई या नहीं वो कन्फ़र्म कर ले"

और एक दो बातें करके चाची अंदर आ गयीं. उनके चेहरे पर एक अनूठी मुस्कान थी जैसे कोई रंगीन सपना देख रही हों.

शाम को हम निकले. बड़ी एस यू वी थी क्योंकि सामान बहुत था. नीलिमा आगे बैठी और मैं और चाची बिलकुल पीछे की सीटों पर. मैं कहना चाहता था कि भाभी आप चाची के साथ बैठो, मैं ड्राइवर के साथ बैठता हूं पर चाची ने हाथ पकड़ लिया, धीरे से बोलीं तू मेरे साथ बैठ, इतनी भगदड़ में तेरे से ठीक से बातें भी नहीं कीं.

कार चल पड़ने के बाद चाची ने बाजू से अपनी शाल उठाई. मैं देखता रह गया, वही शाल थी, बस वाली. उन्होंने मेरी ओर मुस्करा कर देखा और फ़िर अपने घुटनों पर शाल ओढ़ ली, साथ ही मेरे ऊपर भी डाल दी. जल्दी ही उनका हाथ मेरे लंड से खेलने लगा, लगता था कि जाते वक्त हमारी पहली रति को वे दुहराना चाहती थीं. पर इस बार उन्होंने लंड ज़िप के बाहर नहीं निकाला, अंदर ही रहने दिया.

शाल के नीचे मेरे लंड को बड़े लाड़ से पैंट के ऊपर से सहलाते हुए चाची धीमी आवाज में बोलीं "लता आंटी पसंद आयी बेटे?

"हां चाची, बहुत खुशमिजाज और अच्छे नेचर की लगती हैं"

"तेरा ध्यान रखेगी देखना, बहुत प्यार से रखेगी तेरे को. उसे भी तो कंपनी चाहिये, अब दीपिका भी अभी यहां नहीं है. दीपिका वैसे अच्छी लड़की है, बस जरा लड़ियाई हुई है, स्पॉइल्ड!" वे अब मेरे सुपाड़े को मस्त घिस रही थीं. लगता है यह कला उनकी खास स्पेशलिटी थी. मेरा लंड अपने आप ऊपर नीचे होने लगा, जैसे पूरा मजा लेना चाहता हो. मैंने कनखियों से चाची की ओर देखा कि उनका इरादा क्या है. जाते वक्त मुझे ऐसा अराउज़ करने का क्या तुक है! फ़िर ड्राइवर और नीलिमा की ओर देखा, ड्राइवर ने म्यूज़िक लगा दिया था इसलिये आगे की सीट पर हमारी बातें सुनाई पड़ने का अंदेशा नहीं था, सारा करम छिपा कर शांति से हो रहा था. पर यह डर तो था की कि अंदर ही झड़ गया तो मुश्किल हो जायेगी.

"घबरा मत" चाची बोलीं "उस दिन बस में किया था वैसा नहीं करूंगी, लता गाली देगी कि इतने प्यारे लड़के को मेरे पास आधे जोश में भेजा, वो भी पहली रात को. उसे तू बहुत पसंद आया है. ऐसा कर, जाते वक्त एक अच्छी वाइन की बॉटल ले जाना, वह शौकीन है. अब तेरे को बस इतना करना है कि लता कहेगी, वैसा कर. मेरी जगह समझ ले लता आंटी ही तेरी गार्जियन है गोआ में. वैसे मैं एक महने में आ ही जाउंगी, फ़िर हम दोनों आंटियों का प्रेम मिलेगा तुझे, नीलिमा की कमी महसूस नहीं होगी तुझे. और बाइ चांस अगर मेरे आने में देरी हुई और दीपिका ही पहले गोआ आ गयी तो वो भी यहीं रहेगी. उससे ठीक से पेश आना, कुछ उल्टा सीधा बोले तो नजरंदाज कर देना, लता की लाड़ली है, लता को खुश रखना हो तो दीपिका की हर बात मानना"

नीलिमा भाभी के मैंने मन ही मन चरण स्पर्ष किये, धन्यवाद स्वरूप, उनकी कही हर बात अब तक मेरे लिये फायदेमंद साबित हुई थी. चाची के मेरे लंड मसाज की क्रिया से मैं इतने सुख में डूबा हुआ था, कि चाची बोलतीं कि बेटा, रोज लता और दीपिका के लिये अंगारों पर चलना, तो भी हां कर देता. चाची आगे बोलीं "मेरे आने तक के ये एक दो महने कैसे जायेंगे, तुझे पता भी नहीं चलेगा."

मेरे मन में आया कि चाची, आपको नीलिमा के प्लान मालूम नहीं हैं, अगर वह सफ़ल हो गयी तो बहू बेटे के साथ ये तीन महने कब जायेंगे, आप को भी पता नहीं चलेगा. मुझे तो डर है कि फ़िर आप छह महने को न रुक जायें!
Reply
06-21-2018, 12:05 PM,
#39
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
एयरपोर्ट आने के दस मिनिट पहले चाची ने अपना काम बंद कर दिया कि मुझे संभलने का मौका मिले नहीं तो तंबू लेकर सबसे सामने उतरना पड़ता. एयरपोर्ट पर चेक इन होने के बाद चाची और नीलिमा वहां दर्शक दीर्घा के पास आयीं जहां मैं इंतजार कर रहा था. नीलिमा पास के शॉप में घुस गयी, काजू के पैकेट लेने, जो वह साथ लेना भूल गयी थी. अकेले में चाची ने धीरे से मुझे कहा "विनय बेटे, तूने मुझे इन दो महनों में बहुत सुख दिया है, इतना सुख कि उतना शायद अरुण ने भी न दिया हो. तू था तो अरुण की यादें भुलाना मेरे लिय जरा आसान हो गया"

मैं उनकी ओर देखने लगा. चाची क्या नीलिमा के नहले पर दहला मार रही थीं! वे मुस्करायीं "सच कहती हूं, तूने इतनी सेवा की है मेरी कि उतनी तो शायद अरुण ने भी नहीं की. नीलिमा इस बारे में जरा भोली है, उसे अरुण के साथ मेरे संबंध के बारे में मालूम नहीं है, याने हम मां बेटे में कितने करीब का नाता है, इसका उसे जरा भी अंदाज नहीं है. मैंने भी नहीं बताया, सोचा जब तक अरुण यहां हमारे साथ नहीं है, ऐसा ही चलने दो. वैसे नीलिमा थोड़ी चतुर होती, तो उसको जरूर संदेह हुआ होता पर अब तक तो वो कुछ बोली नहीं. अब तीनों वहां रहने पर शायद अपने आप ही राज खुल जायेगा, पर अब जब मेरी बहू ही मेरे इतने पास आ चुकी है, अब गुस्सा वगैरह आने का सवाल ही नहीं है"

मेरे चेहरे के भाव देखकर फिर चाची बोलीं "वापस आने के बाद पूरी कहानी प्यार से बताऊंगी तेरे को, बहुत मतवाली कहानी है हम मां बेटे की. अब तू ही देख, जब तेरे माधव चाचा आस्ट्रेलिया गये, तब मैं थी छत्तीस साल की और अरुण अठारह साल का, एकदम नयी जवानी थी उसकी. दोनों का नेचर इतना .... अब क्या कहूं, तू जानता है मेरा स्वभाव, मेरी पसंद .... अब अकेले रहने पर यह होना ही था. अरुण की वजह से मेरे वे दिन बहुत सुख आनन्द में गये. उसने भी मुझपर बहुत प्यार किया, वो तो शादी भी नहीं कर रहा था, इसीलिये तो इतनी लेट मैरिज की. फ़िर मैंने समझाया, नीलिमा को देखकर मुझे उसकी छुपी कामुकता का अंदाजा हो गया, मैंने ठान ली कि इसीसे अरुण की शादी करूंगी और अरुण ने भी मेरी बात मानी, अब देखो कैसी मस्ती में रहेंगे वे दोनों वहां अमेरिका में"

मैंने चाची का हाथ थपथपाकर संकेत दिया कि मैंने उनके मन की बात समझ ली है.

"तुझे मैंने काफ़ी सताया है, वैसे तेरे साथ और बहुत कुछ करने का, बहुत तरीके से तुझपर प्यार करने का मन था मेरा पर उसके लिये समय चाहिये, जो अब मेरे वापस आने के बाद जरूर मिलेगा. तेरे भी मन में बहुत सी इच्छायें होंगी अपनी इस चाची के प्रति, अब जब मैं वापस आऊं तब करेंगे, ठीक है ना? तब तक लता का खयाल रख, वो तेरा खयाल रखेगी"

नीलिमा काजू लेकर आयी और फ़िर फ़ाइनल बाइ कहकर चाची और नीलिमा अंदर चले गये. मैंने हाथ हिला कर बिदाई दी, जाते जाते नीलिमा ने जब मुड़ कर देखा तो उसको एक बड़ी स्माइल दी, करीब करेब उसी अंदाज में जिसमें कभी कभी भाभी मेरी टांग खींचती थी. उस स्माइल के हाव भाव देखकर उसने भोंहें चढ़ा कर इशारे से पूछा कि क्या बात है पर मैं कुछ नहीं बोला. मन ही मन कहा कि भाभी, तुम सेर हो तो तुम्हारी सास सवा सेर है, तेरे को जल्दी ही पता चल जायेगा.

फ़्लाइट जाने तक मैं रुका, फ़्लाइट आधा घंटा लेट थी इसलिये बीच रास्ते में खाना खाकर घर आते आते साढ़े नौ बज गये. चाची ने जताया था, उसके अनुसार मैं एक अच्छी महंगी वाली वाइन भी लेता आया.

घर आकर बेल बजाई. थोड़ी देर से लता आंटी ने दरवाजा खोला, मैं उनकी ओर देखता ही रह गया. वे शायद अभी अभी नहा कर आयी थीं, बाल थोड़े गीले थे और उन्होंने वैसे ही खुले छोड़ दिये थे. एक आसमानी कलर की नाइटी पहनी थी, बहुत महंगी वाली लग रही थी, और थी भी बड़ी आकर्षक, पर पारदर्शक नहीं थी इसलिये अंदर क्या पहना था, यह नहीं दिख रहा था. कमर पर सिल्क का बेल्ट बंधा था और उससे उनका अवर-ग्लास फ़िगर एकदम उठ कर दिख रहा था. मेरे अंदर आने के बाद जब दरवाजा लगाकर वे मुड़ीं तो उनके गोरी गोरी डार्क ब्राउन नेल पेंट लगी उंगलियां और संगमरमर जैसे पांव दिखे, पैरों में वे एक लाल रंग की थोड़ी हाई हील वाली रबर की स्लीपर पहने थीं.

"लेट हो गये विनय? लगता है फ़्लाइट लेट थी. मुझे लगा ही. पहले सोचा था कि तू आने के बाद पास वाले सीसीडी में जाकर कॉफ़ी पियेंगे पर अब रहने दे. मुझे गरमी भी हो रही थी, दोपहर को ही नहायी थी फ़िर भी यहां आकर फ़िर से नहाने का मन हो लिया"

"आंटी ... वो मैं ये वाइन लाया था ... याने आप को चलेगा ना ..?" मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा.

"बहुत अच्छा किया, मैं आइस पर रख देती हूं"

"बस आंटी मैं भी नहा कर आता हूं" कहकर मैं ऊपर चला गया. जाते जाते लता आंटी ने नीचे से आवाज दी "अरे विनय, मेरा सब सामान बुरी तरह बिखरा पड़ा है स्नेहल के कमरे में. इसलिये नहाने को फ़िर तेरे कमरे के बाथरूम में चली गयी. तुझे चलेगा ना?"

यह क्या पूछने की बात थी, इतनी सुंदर नारी मेरे बाथरूम में नहाये और फ़िर मुझे पूछे कि चलेगा ना. मैं बोला "आप भी आंटी ... यह कोई पूछने की बात है" आगे बोलने वाला था कि मेरा बाथरूम क्या, मैं पूरा खुद आपका हूं आंती पर चुप रहा कि उन्हें न लगे कि लड़का ओवरस्मार्ट है.

ऊपर आकर कुतूहल से मैं पहले चाची के कमरे में गया. लता आंटी के सब सूटकेस खुले पड़े थे, कपड़े आधे अंदर और आधे बिस्तर पर थे, बाकी चीजें भी इधर उधर बिखरी हुई थीं. तीन चार चप्पल और सैंडल के जोड़े जमीन पर इधर उधर पड़े थे. एक खुले सूटकेस में उनकी और सैंडलें और चप्पलें भरी हुई थीं. एक से एक पेयर्स थे, अच्छी क्वालिटी के और खूबसूरत. चार पांच जोड़ तो रबर की स्लीपरें ही थीं, अलग अलग कलर की, शायद नाइटी से मैच करके पहनती होंगी. सैंडल हर किस्म के थे, हाइल हील, पीप टो, प्लेटफ़ॉर्म. वैसे भी सुंदर स्त्रियों के पास अक्सर जूते चप्पल के जरूरत से ज्यादा जोड़ होते ही हैं, और यहां तो वे बड़ी ऑफ़िसर भी थीं.

मेरा बहुत मन आया कि उनको जरा ठीक से देखूं, आज कल ऐसी खूबसूरत चप्पलें और सैंडलें देख कर मेरा मन बहुत बहकता था. मैं कभी कभी सोचता था कि आखिर ऐसा क्यों हो गया! तीन चार महने पहले तक तो ऐसा नहीं था, याने खूबसूरत पांव और आकर्षक सैंडल तो सभी मर्दों को लुभाते हैं, पर यह सादा आकर्षण ऑब्सेशन में कब तब्दील हो गया? शायद चाची के प्रति वासना जागने के बाद, जब उनपर निगाहें जाने लगीं तो उनके साड़ी से ढके बदन में देखने लायक गिने चुने अंग ही थे, उनमें से उनके पांव जरा ज्यादा खूबसूरत निकल आये इसलिये मेरे मन ने खूबसूरत पैरों, चप्पलों और सेक्स को आपस में जोड़ लिया. यह मेरी खुद की अमेचर साइकोएनालिसिस थी, और मुझे उसपर हंसी भी आ गयी.

खैर, उनके सैंडलों पर समय बिताने का खयाल मैंने छोड़ दिया. अभी अगर आंटी बाइ चांस ऊपर आ गयीं और मुझे अपनी सैंडलों से खेलते देख लिया तो? फ़िर लगा कि हो सकता है वे कुछ नहीं कहेंगी, बल्कि मुस्कराकर मुझे मेरे रंगीन मिजाज पर शाबासी देंगीं.

चाची के कमरे से मैं अपने कमरे में आया. आंटी का कुछ सामान वहां भी था. ड्रेसिंग टेबल पर उनके क्रीम, लोशन, सेंट, डीओ इत्यादि इत्यादि पड़े थे. नीचे उनके दोपहर को पहने वाले सफ़ेद हाई हील सैंडल उलटे सुलटे पड़े थे. मेरा कुरता पायजामा मेरे बिस्तर पर रखा था. याने आंटी ने बड़े प्यार से अधिकार जमाते हुए मेरे बेडरूम पर भी कब्जा कर लिया था.

मैंने उनके सैंडल उठाये और ठीक से रख दिये, उनके सोल के मुलायम स्पर्ष से रोम रोम में एक सिहरन दौड़ गयी. मैंने नाक के पास ले जाकर उन्हें सूंघा. महंगे लेदर के साथ साथ आंटी के पांवों की खुशबू भी थी उनमें. अचानक मन में आया कि उन्हें किस कर लूं. बड़ी मुश्किल से अपने आप को मैंने रोका. एक बार शुरू हुआ तो मेरा रहा सहा कंट्रोल जाता रहेगा, ये मुझे मालूम था.

कपड़े उतार कर मैं बाथरूम में गया. वहां रॉड पर उनकी काली ब्रा और पैंटी लटकी हुई थी. एकदम नाजुक लेस की बनी वह लिंगरी देखकर मेरे लंड ने तुरंत खड़े होकर उन्हें सलामी दी. मैंने उन्हें हाथ में लिया और फ़िर नाक के पास ले गया. सेंट के साथ साथ आंटी के बदन के पसीने की खुशबू थी उनमें. ब्रा एकदम सूखी थी पर पैंटी की क्रॉच थोड़ी गीली थी. पहले मुझे लगा कि पानी लग गया होगा पर फ़िर जब सूंघा तो नारी योनि की तेज गंध उसमें से आयी. याने आंटी की चूत का रस उसमें टपक गया था. अब आंटी इतनी मस्त क्यों हो गयी होंगी अकेले में कि उनकी पैंटी गीली हो जाये, यह सवाल मेरे मन में आया. फ़िर एक मीठी सी आवाज आयी, यार विनय तेरे बारे में सोच कर तो नहीं! याने तेरे साथ क्या प्लान बन रहे होंगे आंटी के मन में. फ़िर अपने आप को संभाला कि विनय राजा, ऐसा न उचक, हो सकता है कि दीपिका की याद आ रही होगी उन्हें.

चाची को मैंने मन ही मन नमस्कार किया कि वे मेरा इस तरह से इंतजाम करके गयीं. मैं नहाने लगा. साला लंड ऐसा खड़ा था कि बैठ ही नहीं रहा था. उसको वैसे ही तन्नाया लिये हुए मैं बदन पोछते नंगा ही बाहर आया तो ठिठक गया. लता आंटी वहीं मेरे कमरे में दीवार से टिक कर मेरा इंतजार कर रही थीं.
Reply
06-21-2018, 12:06 PM,
#40
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
उन्होंने मेरी ओर मुस्करा कर देखा, फ़िर उनकी नजर मेरे तन्नाये लंड पर आ टिकी. शॉक से मैं भोंचक्का सा खड़ा था, मैंने यह एक्सपेक्ट नहीं किया था कि वे सीधे मेरे बेडरूम में आ जायेंगी. मेरे इस तरह नंगे लंड तन्ना कर उनके सामने अचानक आ जाने से थोड़ी शर्म भी लगी और मेरा लंड धीरे धीरे गर्दन झुकाने लगा.

लता आंटी बोलीं "ये भी शर्मीला है बड़ा, तेरी तरह, याने जैसा तू पहले था. स्नेहल ने बताया था." फ़िर वे मेरे पास आयीं, मुझे बाहों में लिया और मेरा एक गहरा चुंबन लिया "बहुत क्यूट है तू विनय, मैं तो कब से इंतजार कर रही थी. फ़िर रहा नहीं गया, सोचा तू नीचे आयेगा, हम कुछ फ़ॉर्मल बोलेंगे, फालतू में टाइम वेस्ट करेंगे. वैसे तू मेरे बारे में क्या सोचता है ये तेरी आंखों में ही दिख गया था मुझे पहले दिन"

कहते कहते वे मुझे पकड़कर पलंग तक ले गयीं और मुझे उसपर गिराकर मेरे ऊपर लेट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगीं. उनका एक हाथ मेरे लंड को कस के पकड़ा था. उनके बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी, चुंबन लेते हुए उनके नरम होंठ एकदम कोमल गुलाब की कलियों जैसे लग रहे थे. उनके मुलायम स्तन मेरी छाती पर स्पंज के गोलों जैसे दबे हुए थे.

जल्दी ही मेरा कस के खड़ा हो गया, इतना कस के कि कांपने सा लगा. मैं सातवें आसमान में था, बस सीधे इस जन्नत की हूर जैसी खूबसूरत आंटी के आलिंगन में इस तरह बंध जाऊंगा, यह कभी सोचा भी नहीं था, सब चाची का कमाल था. आंटी की जीभ अब मेरे मुंह में घुस गयी थी और उस गीली रसभरी जुबान का स्वाद लेकर मेरा लंड लोहे की सलाख जैसा तन गया था.

अब लता आंटी की भी सांसें जोर से चल रही थीं. वे उठ बैठीं और अपनी नाइटी निकाल दी. अंदर उन्होंने ब्रा और पैंटी पहनी थी. उनके बदन पर वो पर्पल क्वार्टर कप ब्रा और एकदम छोटी पर्पल पैंटी कितनी जच रही थी, वह ठीक से बताना भी मुश्किल है. ब्रा के कप बस उनके आधे स्तनों को ही ढके थे और उनका गोरा उभरा वक्षस्थल अपनी पूरी सुंदरता में मेरे सामने था. पैंटी एकदम छोटी और तंग थी, उसकी बीच की पट्टी इतनी पतली थी कि बस उनकी बुर की लकीर को भर ढके हुए थी. और उस पट्टी के बाजू से उनकी बुर के काले रेशमी बाल बाहर झांक रहे थे. चाची और नीलिमा की शेव्ड चूत के बाद चाची की सहेली की घनी काली झांटें, क्या कन्ट्रास्ट था!!! अचानक मेरे मन में आया, दीपिका की भी ऐसी ही होंगी क्या? या और घनी होंगी, वो हेयरी गर्ल्स के फोटो होते हैं वैसे!

आंटी फ़िर मेरे लंड पर टूट पड़ीं, जल्दी में थीं, इसलिये पहले हौले हौले चूमना, किस करना, चाटना वगैरह कुछ नहीं किया, सीधे मेरा पूरा लंड निगल कर चूसने लगीं. उनकी जल्दबाजी देखकर मुझे लगा कि शायद लंड को चखे अरसा हो गया होगा उनको. अगर नीलिमा की गप्पें सच थीं तो इसके पहले काफ़ी दिन उन्हें बस लेस्बियन सेक्स ही मिला होगा. मैं सांस रोके उस मीठे असहनीय आनन्द को चखते हुए झड़ न जाऊं, बस इसकी कोशिश करता खड़ा रहा, चाची ने मुझे इतने दिन यही सिखाया था कि असली रसिक पुरुष को झड़ने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिये, अपनी प्रेमिका को अपने खड़े लंड का भरपूर आनंद लेने का मौका देना चाहिये. लता आंटी भी जैसे मेरी परीक्षा ले रही थीं, बीच बीच में नजर उठाकर मेरी आंखों में देखतीं कि हाल कैसा है जनाब का और फ़िर लंड चूसने में लग जातीं.

थोड़ी देर को रुक कर वे उठ कर बैठीं और अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी. मुझे लगा था कि जब हमारी पहली चुदाई होगी तो आंटी बड़े नखरे दिखायेंगी, धीरे धीरे तरसा तरसा कर अपने कपड़े उतारेंगीं. अपने खास अंगों के प्रदर्शन के लिये मुझे वेट करने को मजबू करेंगीं, शायद उन्होंने ऐसा प्लान भी किया होगा पर खुद अपनी वासना के आगे विवश हो गयीं. लगता है उन्हीं को ज्यादा जल्दी थी. उनका नग्न बदन मैंने कल्पना की थी वैसा ही जोबन से खचाखच भरा हुआ था. सच में किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग लेतीं तो इस उमर में भी तीसरा चौथा नंबर तो आ ही जाता. एकदम प्रमाणबद्ध शरीर, सुडौल स्तन, न बड़े न छोटे और शेपली जांघें.

यह सब ठीक से देख पाता इसके पहले ही लता आंटी मुझपर चढ़ कर बैठ गयीं. अपनी बुर में मेरा लंड घुसेड़ा और मुझे चोदने लगीं. एकदम गीली मखमली म्यान जैसी चुदने को तैयार बुर थी, वो मुझे पहले ही अंदाजा हो गया था जब मैंने उनकी गीली पैंटी बाथरूम में देखी थी.

आंटी मुझे चोदने लगीं. बड़े सधे तरीके से ऊपर नीचे होते हुए वे अपनी चूत से मेरे लंड को निगल और निकाल रही थीं. मैंने हाथ बढ़ाकर उनके मम्मे पकड़ लिये और दबाते हुए नीचे से उनका साथ देने लगा. वे बड़े रुबाब से, बड़ी एरोगेंस के साथ नीचे मेरी ओर देखते हुए चोद रही थीं. आंखों में कुछ ऐसे भाव थे जैसे कह रहे हों कि लड़के, तेरी जगह यही है, ऐसे मेरे नीचे, मेरे अधीन, अब मेरी गिरफ़्त में आ गया है तो अब मुझे खुश करने के अलावा तुझे कुछ सोचना भी नहीं चाहिये.

वह संभोग करीब बीस मिनिट चला. दस मिनिट तो मैंने सह लिया उसके बाद मेरी हालत खराब हो गयी. मैं झड़ने को आ गया. आंटी एक बार झड़ चुकी थीं पर सिर्फ़ दो मिनिट के आराम के बाद उन्होंने मुझे फ़िर चोदना शुरू कर दिया था. एक दो बार जब मैं झड़ने को आ गया तो मुझे लगा था कि जैसे चाची या नीलिमा मुझे संभलने का टाइम देकर रुक जाती थीं, वैसे ही लता आंटी भी रुकेंगीं पर उन्होंने मुझे चोदना चालू रखा. वे बस अपने मन जैसी चुदाई कर रही थीं, मैं उसे कैसे सहता हूं या क्या चाहता हूं, इससे उनका कोई सरोकार नहीम था. उनका भी स्टेमिना गजब का था, कम से कम एक चालीस साल की औरत के हिसाब से तो बहुत अच्छा. चाची भी इसीलिये मुझे ऊपर से बहुत कम चोदती थीं, ज्यादा देर तक ऐसी उठक बैठक के लायक पचास की उमर में उनके पास एनर्जी नहीं थी. पर यहां लता आंटी लगातार बीस मिनिट मुझे चोद रही थीं, किसी एथेलीट की तरह.

आखिर मैंने घुटने टेक दिये, एक हल्की हुंकार के साथ झड़ गया. लता आंटी ने फ़िर भी चोदना बंद नहीं किया, मेरा लंड झड़ने के बाद भी दो तीन मिनिट आधा कड़ा रहता है, उतनी देर वे लगातार चोदती रहीं. झड़े हुए लंड के सुपाड़े की स्किन बहुत सेन्सिटिव हो जाती है, झड़ने के बाद उसपर कोई भी स्पर्ष सहन नहीं होता है इसलिये आप मेरी हालत समझ सकते हैं. मेरा बदन कांपने लगा, मैंने मिन्नत भी की कि ’आंटी प्लीज़ ... बस ..’ तो उन्होंने अपनी हथेली मेरे मुंह पर भींच कर मेरी आवाज बंद कर दी और चोदती रहीं. उस वक्त उनकी आंखों में बड़े सेक्सी भाव थे, प्यार भरी पर एक दुष्ट मुसकान चेहरे पर थी जैसे वे मुझे तड़पाना भी चाहती हों, और सुख भी देना चाहती हों, कह रही हों कि तेरे को सहा नहीं जाता, तो मेरे को फरक नहीं पड़ता, मुझे तो अभी मजा लेना है.

आखिर मेरा लंड एकदम लस्त होकर नुन्नी बनकर उनकी बुर से निकल आया तब उन्होंने चोदना बंद किया. पर लंड को पकड़कर उसे वे अपने क्लिट पर रगड़ती रहीं, शायस उनका दूसरा ऑर्गे़ज़म नहीं हुआ था इसलिये. मैं दांतों तले होंठ दबाये उस मीठे दर्द को सहता रहा. जब उनकी बुर भी स्खलित हो गयी तब वे लंबी सांस छोड़कर मुझपर लेट गयीं.

जब हम अलग हुए तो वे बोलीं. "नॉट बैड विनय बेटे, इतनी यंग एज में काफ़ी सीख गया है तू" लता आंटी मेरी प्रशंसा करते हुए बोलीं. "बहुत कम होते हैं जो इतना टिक पाते हैं."

"आंटी आप भी बहुत अच्छा चोदती हैं, मुझे नहीं लगता कि आप से कोई जीत पायेगा इस खेल में, पर बाद बाद में बहुत सता रही थीं आप आंटी, रहा नहीं जा रहा था"

"ऐसी पीड़ा सहने में भी एक तरह का लुत्फ़ है विनय, वैसे भी यह दर्द एक मीठा दर्द ही होता है, है ना? अभी तू छोटा है, बाद में समझ जायेगा. पेन और प्लेज़र में करीबी नाता है! चल छोड़ ये बातें, तेरी वाइन है ना, कब से आइस में पड़ी हमारा इंतजार कर रही है. अब एक एक पेग तो लेना चाहिये ना" आंटी जाकर वाइन और दो ग्लास ले आयीं. हमने वाइन पी. आंटी चुपचाप मेरी ओर देखती हुई वाइन टेस्ट कर रही थीं. उनकी आंखों में एक वैसा ही सैटिस्फ़ैक्शन था जैसा किसी की आंखों में तब होता है जब किसी मनचाही वस्तु को खरीद के लाने के बाद और चला कर देखने के बाद वह ठीक अपने एक्सपेक्टेशन जैसी चलती है.

वाइन पीते पीते आंटी मेरे लंड से खिलवाड कर रही थीं. कभी हौले हौले मेरी गोटियों को पुचकारतीं. दस मिनिट में फ़िर से मेरा झंडा ऊंचा हो गया.

"शाबास, कितना अच्छा आज्ञाकारी बंदा है ये" आंटी हंस कर लंड को पुचकारती हुई बोलीं. "इतनी जल्दी तैयार हो गया अपनी मालकिन की सेवा करने के लिये. चलो विनय, जरा लंबी बाजी हो जाये अब, ऐसे थोड़ा सा खेल कर मेरा मन नहीं भरता. और आज पहली बार है तो तेरे साथ जरा लंबा मैच खेलना चाअती हूं"

उस रात हमने बस चुदाई की. करने को इतने चीजें थीं, आंटी का अंग अंग प्यार करने जैसा था, हर अंग के रस का स्वाद लेने जैसा था, खास कर उनकी उस रस से भरी बुर के तो मैं जीभ लगाने इतना पास भी नहीं पहुंच पाया था, ... और उनके वो परफ़ेक्ट गोल नितंब! वैसे उनतक पहुंचने में टाइम लगेगा मैं जानता था. सब रह गया, बस चूत और लंड की रात भर कुश्ती होती रही.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,462,342 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 540,003 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,216,420 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 919,953 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,630,735 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,062,404 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,919,739 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,953,819 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,991,875 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,195 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)