08-08-2020, 01:08 PM,
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desiaks
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 35
मधु ने अपना बिस्तर बाहर के कमरे में ही लगाया था..मैं यही सोच रहा था कि रात को एक बार कोशिश तो जरूर करूँगा… यह अच्छा ही था कि सलोनी बैडरूम में रहेगी और मैं आसानी से मधु की बन्द चूत खोल पाऊँगा.मगर फिर एक डर भी सता रहा था कि अगर वो ज़ोर से चिल्ला दी तो क्या होगा !बहुत से विचार मेरे दिल में आ जा रहे थे… मैं बहुत सारी बातें सोच रहा था… कि मधु को ऐसे करके चोदूंगा, वैसे चोदूंगा..यहाँ तक कि मैंने दो तीन चिकनी क्रीम भी ढूंढ कर पास रख ली थीं… मेरे शैतानी लण्ड ने आज एक क़त्ल का पूरा इंतजाम कर लिया था और वो हर हाल में इस काण्ड को करने के लिए तैयार था…फिर काम निपटाकर सलोनी अंदर आई और उसने मेरे पुराने सभी विचारों पर बिंदु लगा दिया..अहा… सलोनी ने यह क्या कर दिया…पता नहीं मेरे फायदे के लिए किया… या सब कुछ रोकने के लिए… मगर मुझे बहुत बुरा लगा…दरअसल हमारे घर में ऐ सी केवल बैडरूम में ही लगा है…बाहर के कमरे में केवल छत का पंखा है जो सोफे वाली तरफ है, जहाँ मधु ने बिस्तर लगाया था वहाँ हवा बिल्कुल नहीं पहुँचती.सलोनी ने वहाँ आते ही उसको कहा- अरे मधु, यहाँ तू कैसे सोयेगी? रात को गर्मी में मर जाएगी… चल अंदर ही सो जाना…लगता है जैसे मधु मेरे से उल्टा सोच रही थी… जहाँ मैं उसको अलग आराम से चोदना चाह रहा था.. वहीं वो शायद मेरे पास लेटने की सोच रही थी.. क्योंकि वो एकदम से तैयार हो गई, उसने फटाफट अपना बिस्तर उठाया और बैडरूम में आ देखने लगी कि किस तरफ लगाना है..मैं कुछ कहना ही चाह रहा था मगर तभी सलोनी ने एक और बम छोड़ दिया- यह कहाँ ले आई बेवकूफ, इसको बाहर ही रख दे.. यहीं बेड पर ही सो जाना…अब मुझसे नहीं रुक गया, मैं बोला- अरे जान यहाँ..कैसे…सलोनी- अरे सो जाएगी एक तरफ को जानू… वहाँ गर्मी में तो मर जायेगी सुबह तक…मैं चुप करके अब इस स्थिति के बारे में विचार करने लगता हूँ… पता नहीं यह अच्छा हुआ या गलत…पर जब मधु सलोनी के पास ही सोयेगी तब तो मैं हाथ भी नहीं लगा पाऊँगा…मेरा दिल कहीं न कहीं डूबने लगा था और सलोनी को बुरा-भला भी कह रहा था.हम तीनों बिस्तर पर आ गए, एक ओर मैं था, बीच में सलोनी एवं दूसरी तरफ मधु लेट गई… ऐ सी मधु वाली साइड में लगा था…मैंने कमर में एक पतला कपड़ा बाँध लिया था और पूरा नंगा था… वैसे मैं नंगा ही सोता था पर आज मधु के कारण मैंने वो कपड़ा बाँध लिया था.सलोनी अपनी उसी शार्ट नाइटी में थी जो उसके पैर मोड़ने से उसके कमर से भी ऊपर चली गई थी.. उसके मस्त नंगे चूतड़ मेरे से चिपके थे…उधर मधु केवल एक समीज में लेटी थी..हाँ उसमे अभी भी शर्म थी.. या वाकयी ठण्ड के कारण वहाँ रखी पतली चादर ओढ़ ली थी… उसका केवल सीने तक का ही बदन मुझे दिख रहा था..करीब आधे घंटे तक मैं सोचता रहा कि यार क्या करूँ…एक तो सलोनी के मस्त नंगे चूतड़ मेरे लण्ड को आमंत्रण दे रहे थे.. मगर उसे तो आज नई डिश दिख रही थी…मेरा कपड़ा खुल कर एक ओर हो गया था और अब नंगा लण्ड छत की ओर तना खड़ा था, मेरे बस करवट लेते ही वो सलोनी के नंगे चूतड़ से चिपक जाता …मगर ना जाने क्यों मैं सीधा लेटा मधु के बारे में सोच रहा था कि क्या रिस्क लूँ, उस तरफ जा मधु को दबोच लूँ..मगर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी… फिर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया.. मैंने सलोनी की ओर करवट ले ली और सलोनी से पीछे से चिपक गया..मेरे लण्ड ने सलोनी के चूतड़ के बीचों बीच अपनी जगह बना ली….सलोनी ने भी थोड़ा सा खिसक कर अपने चूतड़ों को हिलाकर लण्ड को सही जगह सेट कर लिया.[/i][/b]
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 38
मधु ने सलोनी की ओर देखते हुए अपने चूतड़ को उठाकर अपने हाथ और पैर से समीज को पूरा निकाल दिया…सलोनी अपने नंगे चूतड़ को उठा हमारी ओर करवट लिए वैसे ही लेटी थी… उसकी साँसें बता रही थी कि वो सो गई है या सोने का नाटक कर रही है…मेरा कमर से लिपटा कपड़ा तो कब का खुलकर बिस्तर से नीचे गिर गया था…अब मधु भी पूरी नंगी हो गई थी…नाईट बल्ब की नीली रोशनी में उसका नंगा बदन गजब लग रहा था…मैंने नीचे झुककर उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में ले लिया…उसकी पूरी चूची मेरे मुँह में आ गई… मैं उसको हल्के हल्के चूसते हुए अपनी जीभ की नोक से उसके नन्हे से निप्पल को कुरेदने लगा…मधु पागल सी हो गई… उसने अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ उमेठ सा दिया…मैंने अपना बायां हाथ उसकी जांघों के बीच ले जाकर सीधे उसकी फ़ुद्दी पर रखा और अपनी उंगली से उसके छेद को कुरेदते हुए ही एक उंगली अंदर डालने का प्रयास करने लगा…मधु कुनमुनाने लगी…लगता है उसको दर्द का अहसास हो रहा था…मुझे संशय होने लगा कि इतने टाइट छेद में मेरा लण्ड कैसे जायेगा…वाकयी उसका छेद बहुत टाइट था… मेरी उंगली जरा भी उसमें नहीं जा पा रही थी…मैंने अपनी उंगली मधु के मुँह में डाली… उसके थूक से गीली कर फिर से उसके चूत में डालने का प्रयास किया..मेरा बैडरूम मुझे कभी इतना प्यारा नहीं लगा… मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ज़िंदगी इतनी रंगीन हो सकती है…मेरे सामने ही बेड के दूसरे छोर पर मेरी सेक्सी बीवी लगभग नंगी करवट लिए लेटी है… उसकी अति पारदर्शी नाइटी जो खड़े होने पर उसके घुटनो से 6 इंच ऊपर तक आती थी… इस समय सिमट कर उसके पेट से भी ऊपर थी… और मेरी जान अपने गोरे बदन पर कच्छी तो पहनती ही नहीं थी… उसके मस्त चूतड़ पीछे को उठे हुए मेरे सेक्स को कहीं अधिक भड़का रहे थे…अब तक मजेदार भोजन खिलाने वाली मेरी बीवी ने आज एक ऐसी मीठी डिश मेरे सामने रख दी थी कि जिसकी कल्पना शायद हर पति करता होगा मगर उसे मायूसी ही मिलती होगी…और खुद सोने का नाटक कर रही थी…मधु के रसीले बदन से खेलते हुए मैं अपनी किस्मत पर रश्क कर रहा था…इस छोटी सी लोंडिया को देख मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतनी गर्म होगी और चुदाई के बारे में इतना जानती होगी…मेरा लण्ड उसके हाथों में मस्ती से अंगड़ाई ले रहा था और बार-बार मुँह उठाकर उसकी कोमल फ़ुद्दी को देख रहा था, जैसे बोल रहा हो कि आज तुझे जन्नत की सैर कराऊँगा…उसकी फ़ुद्दी भी मेरी उँगलियों के नीचे बुरी तरह मचल रही थी… वो सब कुछ कर गुजरने को आतुर थी…शायद उसकी फ़ुद्दी होने वाले कत्लेआम से अनभिज्ञ थी…मेरे और मधु के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, मधु बार-बार मेरे गठीले एवं संतुलित बदन से कसकर चिपकी जा रही थी…मेरा मुँह उसकी दोनों रसीली अम्बियों को निचोड़ने में ही लगा था… मैं कभी दाईं तो कभी बायीं चूची को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था…मधु कुछ ज्यादा ही मचल रही थी… उसने मेरी तरफ घूम कर अपना सीधा पैर मेरी कमर पर रख दिया…मैंने भी अपना हाथ आगे उसकी फ़ुद्दी से हटा कर उसके मांसल चूतड़ों पर रख उसको अपने से चिपका लिया.इस अवस्था में उसकी रसीली चूत मेरे लण्ड से चिपक गई…शाम से हो रहे घटनाक्रम से मधु सच में सेक्स लिए पागल हो रही थी… वो अपनी चूत को मेरे लण्ड से सटा खुद ही अपनी कमर हिला रही थी.. उसकी रस छोड़ रही चूत मेरे लण्ड को और भी ज्यादा भड़का रही थी…मैंने एक बात और भी गौर की कि मधु शुरू शुरू में बार बार सलोनी की ओर घूमकर देख रही थी, उसको भी कुछ डर सलोनी का था…मगर अब बहुत देर से वो मेरे से हर प्रकार से खेल रही थी, उसने एक बार भी सलोनी की ओर ध्यान नहीं दिया था… या तो वासना उस पर इस कदर हावी हो चुकी थी कि वो सब कुछ भूल चुकी थी या अब वो सलोनी के प्रति निश्चिंत हो चुकी थी !हाँ, मैं उसी की ओर करवट से लेटा था तो मेरी नजर बार बार सलोनी पर जा रही थी…कमाल है.. उसने एक बार भी ना तो गर्दन घुमाई थी और ना उसका बदन जरा भी हिला था…सलोनी पूरी तरह से मधु का उद्घाटन करवाने को तैयार थी…मेरा लण्ड इस तरह की मस्ती से और भी लम्बा, मोटा हो गया था…मैं अपने हाथ से उसके चूतड़ों को मसलते हुए अपनी ओर दबा रहा था और मधु अपने कमर को हिलाते हुए मखमली चूत को मेरे लण्ड पर मसल रही थी…मेरे मुँह में उसकी चूची थी… हम दोनों बिल्कुल नहीं बोल रहे थे..मगर फिर भी मेरे द्वारा चूची चूसने की ‘पुच पिच’ जैसी आवाजे हो ही रही थीं…मधु की बेकरारी मुझे उसके साथ और भी ज्यादा खेलने को मजबूर कर रही थी…मैंने उसको सीधा करके बिस्तर पर लिटा दिया…मगर इस बार अब मैं उसके ऊपर आ गया, एक बार उसके कंपकंपाते होठो को चूमा, फिर उसकी गर्दन को चूमते हुए जरा सा उठकर नजर भर मधु की मस्त उठानों को देखा…दोनों चूचियाँ छोटे आम की तरह उठी हुई जबरदस्त टाइट और उन पर पूरे गुलाबी छोटे से निप्पल…जानलेवा नजारा था…मैंने दोनों निप्पल को बारी बारी से अपने होंटों से सहलाया..फिर नीचे सरकते हुए उसके पतले पेट तक पहुँचा, अब मैंने उसके पेट को चूमते हुए अपनी जीभ उसकी प्यारी सी नाभि पर रख दी…मैं जीभ को नाभि के चारों ओर घुमाने लगा…मधु मचल रही थी, उसके मुख से अब हल्की हल्की आहें निकलने लगी- अह्ह्हाआ… ह्ह्ह्ह… आ…मैं थोड़ा और नीचे हुआ… मैंने मधु के पैरों को फैलाया और उसकी कोमल कच्ची कली फ़ुद्दी को पहली बार इतनी नजदीक से देखा…उसकी दोनों पत्तियाँ कस कर एक दूसरे से चिपकी थी…पूरे वस्तिक्षेत्र पर एक भी बाल नहीं था… कुछ रोयें से थे बस…सलोनी की चूत भी गजब की है बिल्कुल छोटी बच्ची जैसी, मगर उस पर बाल तो आ चुके ही थी… भले ही वो कीमती हेयर रेमूवर से उनको साफ़ कर अपनी चूत को चिकना बनाये रखती थी…और फिर लण्ड खाने से उसकी चूत कुछ तो अलग हो गई थी…मगर मधु की चूत बिलकुल अनछुई थी, उस पर अभी बालों ने आना शुरू ही किया था… जिस चूत में अंगुली भी अंदर नहीं जा रही थी उसका तो कहना ही क्या…इतनी प्यारी कोमल मधु की चूत इस समय मेरी नाक के नीचे थी… उसकी चूत से निकल रहे कामरस की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी…मैंने अपनी नाक उसकी चूत के ऊपर रख दी…
कहानी जारी रहेगी.
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 39
मगर मधु की चूत बिलकुल अनछुई थी, उस पर अभी बालों ने आना शुरू ही किया था…
जिस चूत में अंगुली भी अंदर नहीं जा रही थी उसका तो कहना ही क्या…इतनी प्यारी कोमल मधु की चूत इस समय मेरी नाक के नीचे थी… उसकी चूत से निकल रहे कामरस की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी…मैंने अपनी नाक उसकी चूत के ऊपर रख दी…मधु- अह्ह्हा… आआआ… स्श…वो जोर से तड़फी… उसने अपनी कमर उठा बेकरारी का सबूत दिया…मैं उस खुशबू से बैचेन हो गया और मैंने अपनी जीभ उसके चूत के मुँह पर रख दी…बहुत मजेदार स्वाद था… मैं पूरी जीभ निकाल चाटने लगा… मुझे चूत चाटने में वैसे भी बहुत मजा आता था…और मधु जैसी कमसिन चूत तो मक्खन से भी ज्यादा मजेदार थी…मैं उसकी दोनों टाँगें पकड़ पूरी तरह से खोलकर उसकी चूत को चाट रहा था… मेरी जीभ मधु के चूत के छेद को कुरेदती हुई अब अंदर भी जा रही थी…उसकी चूत के पानी का नमकीन स्वाद मुझे मदहोश किये जा रहा था… मैं इतना मदहोश हो गया कि मैंने मधु की टाँगें ऊपर को उठाकर उसके चूतड़ तक चाटने लगा…कई बार मेरी जीभ ने उसके चूतड़ के छेद को भी चाटा…मधु बार बार सिसकारियाँ लिए जा रही थी…हम दोनों को ही अब सलोनी की कोई परवाह नहीं थी…मैंने चाट चाट कर उसका निचला हिस्सा पूरा गीला कर दिया था… मधु की चूत और गांड दोनों ही मेरे थूक से सने थे…मेरा लण्ड बुरी तरह फुफकार रहा था…मैंने एक कोशिश करने की सोची… मैंने मधु को ठीक पोजीशन में कर उसके पैरों को फैला लिया… और अपना लण्ड का अग्रमुण्ड उसकी लपलपाती चूत के मुख पर टिका दिया…यह मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीं पल था…एक अनछुई कली… पूरी नग्न… मेरे नीचे दबी थी…उसके चिकने कोमल बदन पर एक चिंदी वस्त्र नहीं था…मैंने उसके दोनों पैरों को मोड़कर फैलाकर चौड़ा कर दिया… उसकी छोटी सी चूत एकदम से खिलकर सामने आ गई…मैंने अपनी कमर को आगे कर अपना तनतनाते लण्ड को उन कलियों से चिपका दिया…मेरे गर्म सुपारे का स्पर्श अपने चूत के महाने पर होते ही मधु सिसकार उठी…मैं धीरे धीरे उसी अवस्था में लण्ड को घिसने लगा..दिल कर रहा था कि एक ही झटके में पूरा लण्ड अंदर डाल दूँ…मगर यही एक शादीशुदा मर्द का अनुभव होता है कि वो जल्दबाजी नहीं करता…मैंने बाएं हाथ को नीचे ले जाकर लण्ड को पकड़ लिया, फिर कुछ पीछे को होकर लण्ड को चूत के मुख को खोलते हुए अंदर सरकाने की कोशिश करने लगा.मधु बार-बार कमर उचकाकर अपनी बेचैनी जाहिर कर रही थी…शायद दस मिनट तक मैं लण्ड को चोदने वाले स्टाइल में ही चूत के ऊपर घिसता रहा…1-2 बार सुपारा जरा जरा… सा ही चूत को खोल अंदर जाने का प्रयास भी कर रहा था..मगर मधु का जिस्म अभी बिल्कुल दर्द सहने का आदि नहीं था… वो खुद उसे हटा देती थी…शायद उसको हल्के सी भी दर्द का अंदाजा नहीं था… उसको केवल आनन्द चाहिए था ..इसलिए हल्का सा भी दर्द होते ही वो पीछे हट जाती थी..इससे पहले भी मैंने 4-5 लड़कियों की कुंवारी झिल्ली को भंग किया था और उस हर अवस्था का अच्छा अनुभव रखता था ..जिन 4-5 लड़कियों की मैंने झिल्ली तोड़ी थी उनमें एक तो बहुत चिल्लाई थी, उसने पूरा घर सर पर उठा लिया था..मुझे यकीन था कि मधु अभी तक कुंवारी है..उस सबको याद करके एवं सलोनी के इतना निकट होने से मैं यह काम आसानी से नहीं कर पा रहा था…मुझे पता था कि मधु आसानी से मेरे लण्ड को नहीं ले पायेगी और अगर ज़ोर से झटके से अंदर घुसाता हूँ तो बहुत बवाल हो सकता है…
खून-खराबा, चीख चिल्लाहट.. और ना जाने कितनी परेशानी आ सकती है…हो सकता है सलोनी भी इसी सबका इन्तजार कर रही हो…फिर वो मेरे ऊपर हावी होकर अपनी रंगरलियों के साथ-साथ दबाव भी बना सकती है…मेरा ज़मीर खुद उसके सामने कभी नीचे दिखने को राजी नहीं था…वो भी एक चुदाई के लिए… क्या मुझे अपने लण्ड पर काबू नहीं है..??मुझे खुद पर पूरा भरोसा है, मैं अपने लण्ड को अपने हिसाब से ही चुदाई के लिए इस्तेमाल करता हूँ…. ज़बरदस्ती कभी करता मैं…और जो तैयार हो उसको छोड़ता नहीं…मधु के साथ भी मैं वैसे ही मजे ले रहा था… मुझे पता था कि लौंडिया घर की ही है… और बहुत से मौके आएँगे… जब कभी अकेला मिला तब ठोक दूँगा…और अगर प्यार से ले गई तो ठीक.. वरना खून खराबा तो होगा ही….मधु की नाचती कमर बता रही थी कि उसको इस सब में भी चुदाई का मजा आ रहा है…खुद को मजा देने के लिए मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के पूरा लेटी अवस्था में चिपका दिया और मैं ऊपर-नीचे होकर मजा लेने लगा…लण्ड पूरा मधु की चूत से चिपककर उसके पेट तक जा रहा था…उसकी चूत की गर्मी से मेरा लण्ड लावा छोड़ने को तैयार था पर लगता है कि मधु की चूत के छेद पर अब लण्ड छू नहीं पा रहा था या
उसको पहले टॉप के धक्कों से ज्यादा आनन्द आ रहा था…उसने कसमसाकर मुझे ऊपर को कर दिया, फिर खुद अपने पैरों को मेरी कमर से बांधकर अपना हाथ नीचे कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया…उसके पसीने से भीगे नरम छोटे हाथों में आकर लण्ड और मेरी हालत ख़राब होने लगी…उसने लण्ड के सुपारे को फिर अपनी चूत के छेद से चिपकाया और कमर हिलाने लगी…अब मैं भी कमर को थोड़ा कसकर आगे पीछे करने लगा…उसके कसे हुए हाथों में मुझे ऐसा ही लग रहा था कि मेरा लण्ड चूत के अंदर ही है…मैं जोर जोर से कमर हिलाने लगा जैसे चुदाई ही कर रहा हूँ…मधु लण्ड को छोड़ ही नहीं रही थी कि कहीं मैं फिर से लण्ड को वहाँ से हटा न लूँ…
कहानी जारी रहेगी.
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 41
मुझे उसकी चूत पर कुछ अलग ही गन्ध आई..अरे यह तो बोरोप्लस की खुशबू थी…इसका मतलब मधु ने रात को बोरोप्लस भी लगाया… इसने एक बार भी मुझे अपने दर्द के बारे में नहीं बताया…मुझे उसके इस दर्द को छुपाने पर बहुत प्यार आया… मैंने उसके होंठों को चूम लिया..तभी मुझे सलोनी के कमरे में आने की आवाज आई…उसके पैरों की आवाज आ रही थी…मैंने जल्दी से मधु को चादर से ढका और बाथरूम में घुस गया…सलोनी कमरे में आकर- अरे आप कहाँ हो जानू…मैं- बोलो जान… बाथरूम में हूँ…सलोनी- ओह ठीक है.. मैं आपको उठाने ही आई थी…उसकी आवाज में कहीं कोई नाराजगी या कुछ अलग नजर नहीं आया… वो हर रोज की तरह ही व्यवहार कर रही थी…मुझे बहुत सुकून सा महसूस हुआ… फिर मुझे लगा कि शायद वो मधु को उठा रही है…अब ये सब मैं नहीं देख सकता था… क्योंकि बाथरूम से केवल बाहर का कमरा या रसोई ही देखी जा सकती है… बैडरूम में नहीं…हाँ मैं दरवाजा खोल देख सकता था मगर मैंने इसमें कोई रूचि नहीं ली.. मेरे दिल को सुकून था कि इतने बड़े कांड के बाद भी सब कुछ ठीक था…मैं नहाकर बाहर आया तो बेडरूम पूरी तरह से व्यवस्थित था, कमरे में कोई नहीं था, मधु और सलोनी दोनों ही रसोई में थी…मैं तैयार हुआ… दस से भी ऊपर हो गए थे… मैं रसोई में ही चला गया…दोनों काम में लगी थीं, दोनों ने रात वाले कपड़े ही पहन रखे थे…मधु ने मुझे देखकर सलोनी से बचकर एक बहुत सेक्सी मुस्कान दी…मैंने भी उसको आँख मार दी तो उसने शरमाकर अपनी गर्दन नीचे कर ली…मैं सलोनी के पास जाकर उसके गोलों मटोल चूतड़ों को सहलाकर बोला- क्या बात जान… आज अभी तक तैयार नहीं हुई?सलोनी नहीं जानू.. मैं भी देर से ही उठी… वो तो भला हो दूध वाले का जिसने उठा दिया सुबह आकर… वरना इतनी थकी थी कि सोती ही रहती…मेरे जरा से सहलाने से ही उसकी पतली नाइटी खिसकी और सलोनी के नंगे चूतड़ मेरे हाथों में थे…मैं सोचने लगा कि सुबह से सलोनी ऐसे ही सब काम कर रही है? वो लगभग नंगी ही दिख रही है उस पतली सी आधी नाइटी में…
जिसके नीचे उसने ब्रा या कच्छी कुछ भी नहीं पहना था… क्या सबके सामने वो ऐसे ही आ-जा रही है?सभी के खूब मजे होंगे…पहले तो मैं उसको कुछ नहीं कहता था मगर अब उसको छेड़ने के लिए मैं बात करने लगा था, मैंने उसके चूतड़ सहलाते हुए ही कहा- क्या बात जानू… कुछ पहन कर दूध लिया या ऐसे ही दूधवाले को जलवा दिखा दिया? वो तो मर गया होगा बेचारा…मधु हमको देखकर मुस्कुरा रही थी…सलोनी भी मस्ती के मूड में ही लग रही थी, अपने चूतड़ों को हिलाये जा रही थी, वो कोई विरोध नहीं कर रही थी- …नहीं जी… दूध लेने के बाद ही यह नाइटी पहनी मैंने !
मैं- हा हा हा… फिर तो ठीक है…
सलोनी- हे हे… आपको तो बस हर समय मजाक ही सूझता है…मैंने उसके नाइटी के गले की ओर देखा… उसके जरा से झुकने से ही उसके दोनों मस्त गोलाइयाँ पूरी नंगी दिख रही थी… उनके निप्पल तक बाहर आ-जा रहे थे…मैं समझ सकता था कि सलोनी के दर्शन कर कॉलोनी वालों के मजे आ जाते होंगे…ना जाने दूधवाले, अंडे वाले और भी किसी ने क्या क्या देखा होगा…अब जब सलोनी को दिखाने में मजा आता है तो मैं उसके इस आनन्द को नहीं छीन सकता था, उसको भी मजे लेने का पूरा हक़ है…नाश्ता करते हुए रात की किसी बात का कोई जिक्र ना तो सलोनी ने किया और ना ही मधु ने…मेरे दिल में जो थोड़ा बहुत डर था वो भी निकल गया…हाँ सलोनी ने एक बात की जिसके लिए मुझे कोई ऐतराज नहीं था- जानू एक बात कहनी है…
मैं- बोलो… आज बाजार जाना है, पैसे चाहिएँ?
सलोनी- नहीं…हाँ…अरे वो तो है… पर एक और बात भी है…मैं- तो बोलो न जानू… मैंने कभी तुमको किसी भी बात के लिए मना किया है क्या?
सलोनी- वो विनोद को तो जानते हो ना आप? मेरे साथ जो पढ़ते थे…मैंने दिमाग पर जोर डाला पर कुछ याद नहीं आया… हाँ उसने एक बार बताया तो था…वैसे सलोनी ने एम० ए० किया है… और एम० एड० भी… उस समय उसके साथ कुछ लड़के भी पढ़ते थे पर मुझे उनके नाम याद नहीं आ रहे थे…एक बार उसने मुझे मिलवाया भी था… हो सकता है…उन्ही में कोई हो…
मैं- हाँ यार…पर कुछ याद नहीं आ रहा…
सलोनी- विनोद भाईजी ने यहाँ एक स्कूल में जगह बताई है… उसका कॉल लेटर भी आया है… मैं पूरे दिन बोर हो जाती हूँ.. क्या मैं यह जॉब कर लूँ?मैं उसकी किसी बात को मना नहीं कर सकता था फिर भी- यार, तुम घर के काम में ही इतना थक जाती हो, फिर ये सब कैसे कर पाओगी?
सलोनी- आपको तो पता ही है… मुझे जॉब करना कितना पसंद है… प्लीज हाँ कर दो ना… मैं मधु को यहाँ ही काम पर रख लूँगी, यह मेरी बहुत सहायता कर देती है, मैंने इसके मां से भी बात कर ली है…सलोनी पूरी तरह मेरे ऊपर आ मुझे चूमकर मनाने में लगी थी…मैं कौन सा उसको मना कर रहा था- अरे जान… मैं कोई मना थोड़े ही कर रहा हूँ… पर कैसे कर पाओगी इतना सब? बस इसीलिए… मुझे तुम्हारा बहुत ख्याल है जान
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