Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
08-08-2020, 01:50 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 106

दूधवाला दूध देकर चला गया.
मैं भी सिगरेट जलाकर उसी समय बाहर निकला, फर्श काफी गन्दा था पर मेरे सामने ही सलोनी ने बिना कुछ कहे कपड़ा लाकर फर्श को साफ़ कर दिया और कहा- रोज ही दूध गिरा जाता है, पता नहीं कैसे काम करता है.
मैं भी उसकी बात को समझ गया पर क्या कहता?
मैं- हाँ मेरी जान, सही से दूध अपने बर्तन में लिया करो, ऐसे बेकार मत किया करो.
और मुस्कुरा दिया, वो भी मुस्कुरा रही थी.
मैं- अच्छा कितने बजे निकलना होगा?
सलोनी- शायद दोपहर के बाद ही… ऐसा करते हैं हम अपनी गाड़ी लेकर ही निकलते हैं.
मैं- ठीक है, देख लेना, और कोई आना चाहे तो ! मैं ऐसा करता हूँ ऑफिस जाकर सब काम सेट करके आ जाता हूँ.
सलोनी- ठीक है.. पर जल्दी आ जाना.
और मैं जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया यह सोचता हुआ कि बहुत मजा आने वाला था शादी में!!
ऑफिस में कुछ जरुरी काम निबटाकर और शालू को सारे काम समझाकर मैं जल्दी ही वापस आ गया.
यहाँ भी सलोनी ने सभी तैयारी कर ली थी, हम लोग जल्दी ही जाने के लिए तैयार हो गए.
अरविन्द अंकल और नलिनी भाभी भी हमारे साथ ही जा रहे थे.
सलोनी ने लाइट ब्लू जीन के कपडे का फैंसी शॉर्ट और लाल सेंडो टॉप पहना था जबकि नलिनी भाभी ने एक टाइट केप्री और टी शर्ट डाला हुआ था.दोनों ही बहुत सेक्सी दिख रही थी.
मैं और अंकल आगे बैठ गए जबकि वो दोनों पीछे बैठ गई.
तभी मेहता अंकल हमारे पास आये, उन्होंने सलोनी और नलिनी भाभी दोनों की तारीफ की- क्या बात है मेरे बच्चों !! दोनों बहुत सुन्दर लग रही हो… अरे साहिल बेटा, तुम्हारी गाड़ी में तो एक और भी आ सकता है ना?
मैं सोच ही रहा था कि क्या ये खुद हमारे साथ आने वाले हैं या अपनी किसी बेटी को भेजेंगे.मैं- हाँ अंकल कोई पतला दुबला सा हो तो भेज दो… हा हा…
मेहता अंकल- अरे बेटा, वो रिया के ससुराल से है, वो तुम लोगों के साथ एडजस्ट भी हो जायेगा.
मैंने बस हाँ कहा, पता नहीं कौन है यह.
तभी अंकल एक 40-42 साल के आदमी को लेकर आये, नेकर और टी शर्ट में वो कोई एन आर आई ही लग रहा था.
अंकल ने उसको सबसे मिलवाया- ये हैं मि जॉन…
वो लंदन से ही आया था.
अरे ये तो रिया के ससुर निकले, शायद रिया के हस्बैंड नहीं आ पाये थे… या फिर बाद में आएंगे.रिया इन्हीं के साथ आई थी.
इसका मतलब इनकी उम्र तो ज्यादा होगी पर इन्होंने खुद को काफी मेन्टेन कर रखा है.वो खुद ही सलोनी की ओर वाला दरवाजा खोल अंदर बैठ गए.
वो लम्बे चौड़े थे इसलिए सलोनी बीच में पिचक सी गई.
मैंने एक ही बार पीछे घूमकर देखा… सलोनी और उनकी नंगी जांघें आपस में टकरा रही थी.
पर मैंने एक बात नोटिस की, सलोनी अपने पैरों को सिकोड़ रही थी, जबकि वहीं वो उससे चिपकने की कोशिश कर रहे थे.
मगर वो अंकल काफी हंसमुख थे.. कुछ समय में ही वो हमसे घुलमिल गए.
अब सलोनी उनके साथ कम्फर्ट से बैठी थी, उसका संकोच काफी हद तक समाप्त हो गया था.अब दोनों एक दूसरे से हाथ मारकर भी बात कर रहे थे.
बीच में एक जगह जॉन अंकल बहुत ही फॉरमल होकर बोले- साहिल, इधर कहीं टॉयलेट नहीं है क्या?
हम सभी हंस पड़े…
मैं- अरे अंकल यह इंडिया है… यहाँ आप कहीं भी एक किनारे कर सकते हैं… वैसे भी दोनों ओर जंगल ही है.
जॉन अंकल- अरे हाँ… तो फिर कहीं रोको यार… यहाँ तो बहुत प्रेशर लगा है भाई.
मैंने एक जगह चौड़ी जगह देख साइड में गाड़ी लगा दी, जॉन अंकल उतरकर टॉयलेट करने की जगह देखने लगे.
मैंने ध्यान दिया कि उनका नेकर में लण्ड तना खड़ा है, उभार साफ़ महसूस हो रहा था.मतलब सलोनी की रगड़ से उनका यह हाल हुआ है.
तभी नलिनी भाभी बोली- साहिल किसी ऐसी जगह रोकते जहाँ हम भी फ्रेश हो लेते, हमको भी काफी देर हो गई है.
सलोनी- हाँ भाभी कह तो आप सही रही हो.
अरविन्द अंकल- अरे तो इसमें इतना सोचना क्या है? यहाँ भी कौन आ रहा है, जाओ और कर लो ना कहीं एक तरफ.
नलिनी भाभी- पर किसी ने देख लिया तो?
अरविन्द अंकल- पागल है तू तो, अरे कौन देखता है किसी को मूतते हुए… और देख भी लिया तो तेरा क्या चला जायेगा? उधर देख वो कितने मस्त होकर कर रहा है.
सभी ने सामने देखा… गाड़ी से कुछ आगे सामने ही जॉन अंकल मूतने के बाद तेजी से अपने लण्ड को हिला रहे थे, लण्ड अभी भी खड़ा था… इसलिए वहाँ से भी दिख रहा था.
तभी बाइक से एक लड़का वहाँ से गुजरा, उसके पीछे एक लड़की बैठी थी, वो मुस्कुराते हुए जॉन अंकल को देख रही थी.
अरविन्द अंकल- लो देख लो… हम मर्दों का नाम वैसे ही ख़राब कर रखा है. अब ये कैसे मस्ती ले रही है… हा हा हा…
सभी हंस पड़े.
सलोनी- चलो भाभी उतरो नीचे… हम भी देखें कोई जगह…!
नलिनी भाभी- अरे पगला गई है क्या… यहाँ खुले में कैसे?

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08-08-2020, 01:50 PM,
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सलोनी- अरे आप उतरो तो… वो पीछे शायद जगह है… वहाँ झाड़ियों में देखते हैं. पहले आप कर लेना, मैं बाहर देखती रहूंगी, फिर मैं कर लूंगी… चलो तो!
और दोनों नीचे उतर कर गाड़ी के पीछे की ओर चले गए.
अरविन्द अंकल- चल साहिल, हम भी कर लेते हैं.
फिर हम दोनों भी बाहर आ गए.
तब तक जॉन अंकल हमारी ओर ही आ रहे थे, बोले- अच्छा हुआ… तुम दोनों भी कर लो, जाओ.
हम दोनों भी एक ओर मूतने लगे…
मैंने देखा जॉन अंकल गाड़ी से पानी की बोतल निकाल, पानी पीते हुए उधर ही देख रहे हैं जिधर वो दोनों शू शू करने गई थी.
तभी मुझे उस ओर नलिनी भाभी दिखाई दी, वो पेशाब करने के बाद उठ रही थी, मुझे दूर से साफ़ साफ़ तो नहीं… पर इतना पक्का था कि जॉन अंकल ने उनके मस्त गदराये चूतड़ जरूर देख लिए होंगे.
नलिनी भाभी ने भी अपने चूतड़ों को कई बार इधर उधर मटकाकर ही अपनी कैप्री को ऊपर किया.
फिर मैंने देखा कि सलोनी भी उधर ही चली गई और अपने शॉर्ट्स को नीचे करते हुए बैठ गई.
तभी जॉन अंकल पानी की बोतल लिए उधर ही चले गए, नलिनी भाभी हाथ से उनको मना कर रही थी, मगर वो उनके पास ही चले गए, मेरा भी हो गया था तो मैं भी जल्दी से उनके पास पहुँच गया.मुझे उनकी बात सुननी थी.
जॉन अंकल- अरे बेटा.. मैं ये पानी लाया हूँ… लो अपनी उस जगह को अच्छी तरह साफ़ कर लो.
जब भी ऐसे बाहर टॉयलेट करते हैं तो जर्म्स लग जाते हैं, उसको धोना बहुत जरूरी होता है.
और नलिनी भाभी ने बोतल ले ली- ठीक है, अब आप तो जाइये, हम कर लेंगे.
जॉन अंकल भी ढीठता से हँसते हुए वहीं खड़े रहे.
मैंने देखा तभी सलोनी भी उन झाड़ियों से उठ खड़ी हुई, उसके तो चूतड़ बिल्कुल ही साफ दिख रहे थे.
उसने अपने हाथ में किसी कपड़े से ही अपनी चूत को साफ किया और फिर झुककर अपने शॉर्ट्स को ऊपर किया.
मैंने देखा जॉन अंकल घूर कर वहीं देख रहे थे. हो सकता है कि उनको सलोनी की चूतड़ों से झांकती चूत भी दिख गई हो क्योंकि वापस आते हुए उनका नेकर उनके लण्ड के उभार को अच्छी तरह दिखा रहा था और उनका चेहरा भी पूरा लाल था.
फिर ऐसे ही मस्ती करते हुए हम शादी वाली जगह पहुँच गए.यहाँ तो चारों ओर मस्ती ही मस्ती नजर आ रही थी, बहुत ही शानदार होटल था, सभी कमरे ए सी थे और 3-4 लोगों के लिये एक कमरा सेट था.
हम चारों ने अपना सामान एक कमरे में सेट कर लिया था, अरविन्द अंकल और हम..!!

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:50 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 107

फिर ऐसे ही मस्ती करते हुए हम शादी वाली जगह पहुँच गए.
यहाँ तो चारों ओर मस्ती ही मस्ती नजर आ रही थी, बहुत ही शानदार होटल था, सभी कमरे ए सी थे और 3-4 लोगों के लिये एक कमरा सेट था.
हम चारों ने अपना सामान एक कमरे में सेट कर लिया था, अरविन्द अंकल और हम..!!
वहाँ पहुँचते हुए रात तो हो ही गई थी और थकान भी हो रही थी, खाना हम सबने वहीं मंगवाया और जल्दी ही खा लिया.
फ़िर सभी ने कपड़े बदले और सो गए.
एक बेड पर हम दोनों और दूसरे पर अरविन्द अंकल, भाभी जी सो गए.
सलोनी और भाभी दोनों ने ही सेक्सी नाइटी ही पहनी थी, मगर सही ही लग रही थी.
नलिनी भाभी के तो अंडरगार्मेंट्स दिख रहे थे पर सलोनी ने यकीनन अंदर कुछ नहीं पहना था पर गहरी रंग की नाइटी होने से कुछ ज्यादा पता नहीं चल रहा था.
हम शरीफ जोड़े की तरह दोनों सो गए, शायद सभी बहुत थक गए थे.
लम्बी ड्राइव ने मुझे कुछ ज्यादा ही थका दिया था इसलिए नींद भी सही से नहीं आ रही थी.
मैंने उठकर देखा, हल्की रोशनी में दिखा कि सभी सो रहे थे.
सलोनी के ऊपर तो चादर थी पर नलिनी भाभी की पैर नंगे दिख रहे थे, शायद उनकी नाइटी ऊपर तक चढ़ गई थी.
मुझे पेशाब की हाजत महसूस हुई इसलिए बाथरूम में आ गया, फ्रेश होने के बाद देखा कि बाथरूम में पीछे की ओर एक दरवाजा था, मैंने सोचा कि देखूँ क्या है इसके पीछे !
वो पीछे की एक पतली गैलरी थी, सारे पाइप और ए सी वहाँ ही लगे थे.
वापस आने की सोच ही रहा था कि आगे एक कमरे से रोशनी बाहर आती नजर आई.
बस मन में शैतानी आ गई कि देखूँ कौन है उसमें…वैसे भी इस फ्लोर के तो सभी कमरे हमारे लिए ही बुक थे.
चुपके से वहाँ जाकर देखा तो एक खिड़की खुली हुई थी.अरे यह तो मेहता अंकल का कमरा था. अंकल तो रिया के साथ थे, दोनों पूरे नंगे थे, शायद रिया की कमर पर कच्छी थी, वो घुटनों के बल झुकी हुई अंकल के लण्ड से खेल रही थी.
कभी हाथ से पकड़कर हिलाती तो कभी अपने होंठों से रगड़ती !
मैं कुछ और पास को आया जिससे उनकी आवाज सुन सकूँ…तभी मुझे ऋतु भी दिख गई, वो दूसरे बिस्तर पर सो रही थी.
मैंने अपने दिल में सोचा काश इसको भी नंगी देख पाता.
उधर वो दोनों मस्ती में लीन थे!
रिया- ओह डैड… मान जाओ ना ..लाओ हाथ से ही कर देती हूँ. मुझे क्या पता था कि इतनी जल्दी हो जायेगा, मुझे तो आपसे भी ज्यादा बुरा लग रहा है.
अरे इसका क्या हो गया यार? क्यों मना कर रही है चुदवाने से?
मेहता अंकल- अरे तू भी ना… खुद तो डेट से हो गई और ऋतु को चोदने को मना कर रही है? करने दे ना, बहुत जल्दी हो जायेगा!
रिया- नहीं, बिलकुल नहीं… मुझे पता है कि कितनी देर लगती है आपको! वैसे भी बड़ी मुश्किल से उसकी फ़ुद्दी को कुछ टाइट किया है!आपने तो उसके दोनों छेदों का कबाड़ा ही कर दिया था. कितनी फैल गई थी उसकी चूत… वो तो मैंने कैसे-कैसे करके उसको टाइट किया है. और चूतड़ का छेद तो अभी भी सही नहीं हुआ है.
.!
मेहता अंकल- अरे यार कुछ नहीं होता, वो बहुत समझदार है, सब संभाल लेगी. चल गांड में ही हल्का सा डाल कर फ्री हो जाता हूँ वरना परेशान हो जाऊँगा.
रिया- ओह आप समझते क्यों नहीं? उसको तो अभी आप भूल ही जाओ. जब शादी के बाद वो पहली बार आये तभी उसको चोद पाओगे! अभी के लिए सलोनी भाभी को बुला लो.
मेहता अंकल- अरे यार साहिल उसके साथ है… ऐसे में कैसे होगा? मुझे क्या पता था कि वो इतनी छुट्टी निकल लेगा? मैंने तो सोचा था कि सलोनी अकेली आएगी, खूब मस्ती करूँगा. अह्हाआ… आहआ अब तो सब गड़बड़ हो गई..
तभी रिया उठकर अपना गाउन पहनते हुए बोली- रुको मैं देखती हूँ, शायद कुछ हो जाये.
और वो कमरे से बाहर को चली गई, मैं भी जल्दी से बाथरूम में आ गया, हल्का सा दरवाजा खोलकर देखा, रिया हमारे कमरे में आ गई थी और वो सलोनी को उठा रही थी.
अरविन्द अंकल भी वहीं खड़े थे, शायद उन्होंने ही दरवाजा खोला होगा.
रिया- सलोनी भाभी, प्लीज बहुत जरूरी काम है… आप आओ ना!
सलोनी ने जैसे ही चादर हटाई तो उसका गाउन कमर से भी ऊपर था जो उसने बिस्तर से नीचे आकर ही सही किया.
सलोनी- रुक तो, कुछ चेंज तो कर लूँ…
रिया- अरे नहीं भाभी, वहाँ हम दोनों ही हैं, ऐसे ही आ जाओ…
और वो सलोनी को वैसे ही गाउन में ही अपने साथ ले गई.
मैं फिर से पीछे से उसी कमरे में पहुँच गया. रिया तो सलोनी को कमरे में छोड़कर वापस चली गई.
बहुत समझदार थी वो, शायद सलोनी को खुलकर मजा लेने के लिए ही उसने ऐसा किया था.
सलोनी- क्या हुआ अंकल? कहाँ है ऋतु?
मेहता अंकल ने सलोनी को चुप रहने का इशारा किया और उसको सोती हुई ऋतु को दिखाया.
फिर उन्होंने कसकर सलोनी का हाथ पकड़ा और उसको अपने बिस्तर की ओर ले गए.
सलोनी बहुत डरी हुई सी बार बार ऋतु की ओर देख रही थी, वो केवल अपना सर हिलाकर मना कर रही थी.

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08-08-2020, 01:50 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
मेहता अंकल- अरे यार, बहुत परेशान हूँ, बहुत मुश्किल से तुमको बहाने से बुलाया है, बस जरा देर की बात है, साहिल तो अभी सो ही रहा होगा?सलोनी- उफ़्फ़्फ़ क्या करते हो अंकल… वो उठ गए हैं, बाथरूम गए हैं.
मेहता अंकल ने सलोनी की हाफ नाइटी को नीचे से पकड़ का उसके सर से निकाल दिया, सलोनी के हाथ अपने आप ही ऊपर को हो गए थे.
अब केवल एक छोटी सी धानी रंग की ब्रा में वो वहाँ खड़ी थी. कच्छी तो वो वैसे भी नहीं पहनती थी.
सलोनी- ओह क्या कर रहे हो अंकल? ऋतु भी यही है और ये भी आ सकते हैं!
मेहता अंकल ने उसकी एक नहीं सुनी, उन्होंने अपनी हथेली से सलोनी की चूत को सहलाया और पीछे से ही अपना लण्ड वहाँ फिट कर दिया.
सलोनी ने अपना एक पैर बिस्तर के ऊपर रख दिया, शायद वो समझ गई थी कि अंकल मानेंगे तो है नहीं… तो जल्दी से ही उनको निबटा दिया जाये.
मेहता अंकल- अरे कोई नहीं आएगा, तू बस जरा देर रुक जा… बहुत देर से परेशान हूँ.
‘आअह्ह्हा…आआ…आआआ…’
और उन्होंने अपना लण्ड सलोनी की चूत में प्रवेश करा दिया.
‘अह्ह्ह अह्ह्हाआआ अह्ह्हाआआ आह्ह्हा…’
कमरे में दोनों की सिसकारियाँ गूंज रही थी.
अंकल ने अपना एक हाथ सलोनी की ब्रा में डाल उसकी चूची को भी बाहर निकाल लिया था.
मेरा यहाँ बुरा हाल था, अब मेरा लण्ड भी चूत चाहने लगा था.
सलोनी की यह जल्दी जल्दी की चुदाई देखने में ज्यादा मजा नहीं आ रहा था.
मैं यह सोचने लगा कि रिया कहाँ है, कहीं वो मुझे ही तो नहीं खोज रही? चलो उसी से कुछ मस्ती कर ली जाये.
मेहता अंकल भले ही उसको ना चोद पाये हों पर मैंने तो मेंसिस में भी गाण्ड मारी है.
सोचा, चलो आज रिया की गांड ही मारी जाये.
मैं जल्दी से अपने बाथरूम में आकर अपने कमरे में आया…अरे रिया तो यहाँ भी नहीं थी!
अरविन्द अंकल- ओह ..बड़ी देर लगा दी बेटा… लगता है मेरी तरह तुमको भी देर लगती है?
मुझे पता था अरविन्द अंकल को टॉयलेट में बहुत देर लगती है.
मैं- हाँ कुछ कांस्टीपेशन हो गया है.
अरविन्द अंकल जल्दी से बाथरूम में घुस गए और बोले- सलोनी अभी आ रही है, वो रिया के साथ किसी काम से गई है.
मुझे हंसी आ गई, मुझे तो पता था कि वो किस काम से गई है.
मैंने दरवाजा खोलकर गैलरी में झाँका, रिया कहीं नजर नहीं आई.
अब अपने लण्ड का इलाज केवल नलिनी भाभी ही दिखी, अरविन्द अंकल को तो अंदर देर लगने वाली ही थी.
मैंने भाभी के ऊपर पड़ी चादर हटा दी…
वाह… क्या नजारा था!भाभी अपनी बाईं करवट से लेटी थी, उनकी नाइटी पेट से भी ऊपर थी, एक पैर मुड़ा हुआ आगे की ओर रखा था, कमर में आसमानी रंग की कच्छी थी पर वो चूतड़ एक ओर को सरक गई थी.
उनके विशाल चूतड़ और बीच की गुलाबी लाइन… सुरमई द्वार.. सब कुछ साफ साफ़ दिख रहा था.
मेरे पास भी ज्यादा समय तो था नहीं, सलोनी या रिया और अरविन्द अंकल कोई भी आ सकता था.
मैंने जल्दी से ही जरा सा अपना ही थूक हाथ में लिया, उसको उँगलियों की सहायता से भाभी की बीच से झांकती चूत पर लगाया, फिर अपना शॉर्ट्स उतार कर अपने लण्ड के टॉप पर लगाया.
मुझे ऑफिस से ही ऐसे थूक लगाकर चोदने में बहुत मजा आता है.
फिर मैंने अपना खड़े खड़े ही अपना लण्ड भाभी की चूत में खिसका दिया.
‘अह्ह्हा…आआआ…’
इस पोजीशन में चूत काफी टाइट लग रही थी.
मैंने पहले हल्के हल्के धक्के लगाये और जैसे ही चूत ने पानी छोड़ना शुरू किया, मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ने लगी.
नलिनी भाभी वैसे ही लेटी थी, जरा भी नहीं हिल रही थी पर उनके मुख से निकलने वाली सिसकारियाँ बता रही थीं कि वो जाग चुकी हैं और पूरा मजा ले रही हैं.
क्या मजेदार चुदाई मैं आज कर रहा था, नलिनी भाभी का पति वहीं उसी कमरे के बाथरूम में था और यहाँ मैं उनकी सोती हुई बीवी को चोद रहा था.
यह सोचकर ही मेरा लण्ड और भी ज्यादा टाइट हो रहा था.
करीब 15 मिनट तक मैंने उनको जमकर चोदा.. फिर अपना गीला लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाल कर उनके चूतड़ को हाथ से फैलाकर उनकी गांड में डाल दिया.
और तभी मेरे लण्ड ने ढेर सारा पानी उनके गांड के छेद में भर दिया.
यही वो क्षण था जब कमरे का दरवाजा खुला…और…??

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08-08-2020, 01:50 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 108

क्या मजेदार चुदाई मैं आज कर रहा था, नलिनी भाभी का पति वहीं उसी कमरे के बाथरूम में था और यहाँ मैं उनकी सोती हुई बीवी को चोद रहा था.
यह सोचकर ही मेरा लण्ड और भी ज्यादा टाइट हो रहा था.
करीब 15 मिनट तक मैंने उनको जमकर चोदा, फिर अपना गीला लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाल कर उनके चूतड़ को हाथ से फैलाकर उनकी गांड में डाल दिया.
और तभी मेरे लण्ड ने ढेर सारा पानी उनके गांड के छेद में भर दिया.
यही वो क्षण था जब कमरे का दरवाजा खुला… और…
मैंने तुरंत लण्ड भाभी की गांड से बाहर निकाल लिया और चादर को उनके नंगे चूतड़ों पर डाल दिया.
लेकिन अपना लण्ड को अंदर नहीं कर पाया… मेरे शॉर्ट्स नीचे पड़े थे.
ओह! यह तो सलोनी है!
अंदर आते ही उसने सीधे मुझे ही देखा, कोई भी देखकर एक नजर में समझ जाता कि मैं क्या कर रहा था मगर सलोनी के चेहरे पर एक सेक्सी सी मुस्कुराहट ही थी.
सलोनी- क्या हुआ जानू? मेरे बिना परेशान हो गए क्या?
मैं- हाँ जानेमन… मैं भी और मेरा लण्ड भी!
सलोनी के मूड को देख मेरा मन भी हल्का हो गया, मैंने उस पर ध्यान दिया…
सिमटी हुई नाइटी और बगल में दबी हुई उसकी ब्रा…वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
मैं- अरे यह क्या हुआ?मैंने उसकी ब्रा की ओर इशारा किया.
सलोनी के चहरे पर कोई शिकन नहीं थी- अरे पता नहीं कैसे एकमम ही टूट गई, शायद रात सोते हुए इसकी तनी टूट गई होगी.
मैं- इसमें इस बेचारी का क्या दोष है? तुम्हारे हो भी तो भारी रहे हैं. बेचारी इतनी छोटी… कैसे सहती इतना भार?मैंने सलोनी की दोनों चूची को अच्छी तरह मसलते हुए कहा.
सलोनी ने भी मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भर लिया- अरे मेरे लाल… तुम तो पहले गीले ही हो गए हो.उसने मेरे लण्ड को पुचकारते हुए कहा- चलो तुमको थोड़ा सा प्यार कर देते हैं.
उसने मुझे बिस्तर पर चलने को कहा. हम दोनों ही बिल्कुल भूल गए कि बराबर में नलिनी भाभी सोने की एक्टिंग करती हुई लेटी हैं और बाथरूम में अरविन्द अंकल भी हैं.
मैं बिस्तर पर पीछे को लेट गया, सलोनी ने अपनी नाइटी भी उतार कर एक ओर डाल दी, वो पूरी नंगी बिस्तर पर आई.
मैं- जानू लाइट बंद कर दो!
वो फिर से नीचे उतरी, पूरी नंगी ही स्विच ऑफ करने गई.स्विच नलिनी भाभी के बेड के ऊपर थे.
वो स्विच ऑफ कर भी नहीं पाई थी कि तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और अरविन्द अंकल बाहर निकल आये.
सलोनी भी स्विच ऑफ करना भूल गई और पीछे को देखने लगी.
मैंने देखा कि अरविन्द अंकल आँखें फाड़े सलोनी को घूर रहे थे.
फिर जैसे ही उसको याद आया, उसने स्विच ऑफ किया और अपने बिस्तर पर आकर तुरंत मेरी चादर में आ गई.
मैंने भी चादर ओढ़ ली थी, पर इतनी देर में उन्होंने सलोनी के नंगे बदन के भरपूर दर्शन कर लिए थे.
हम दोनों ही शांत हो गए, कोई नहीं बोल रहा था, अंकल भी जाकर नलिनी भाभी की बगल में लेट गए.
तभी मुझे सलोनी का हाथ अपने लण्ड पर महसूस हुआ, उसको शायद ज्यादा फर्क नहीं पड़ा था.
मैंने भी मजा लेने की सोची और सलोनी की चूची को दबाने लगा.
मैंने आँख खोलकर देखा, अरविन्द अंकल हमारी ओर ही देख रहे थे.
उनसे बाथरूम का दरवाजा कुछ खुला रह गया था जिससे अंदर की लाइट से कुछ रोशनी हमारे कमरे में भी हो रही थी.
पता चल रहा था कि कौन कहाँ है.. और क्या कर रहा है.
मेरे दिमाग में भी एक रोमांच सा छा रहा था, मैंने भी सोचा जो हो रहा है, अच्छा ही हो रहा है, इसका भी मजा लिया जाये!
अभी कुछ देर पहले ही मेहता अंकल से चुदकर आई मेरी बीवी पूरे मूड में ही… अभी कुछ देर पहले ही नलिनी भाभी की चूत और गाण्ड से निकले मेरे लण्ड से खेल रही थी.मेरे दिमाग में एक शैतानी सी आई… क्यों न आज इससे इसी लण्ड को चुसवाऊँ… देखूँ नलिनी भाभी की चूत की खुशबू यह पहचान पाती है या नहीं?
मैंने सलोनी को अपने लण्ड की ओर किया और वो तुरंत समझ गई…सच इस मामले में सलोनी जैसा कोई नहीं हो सकता… ना तो वो किसी बात के लिए मना करती है और ना ही नखरे दिखाती है.बल्कि मेरी हर बात बिना कहे समझ जाती है.इसीलिए सलोनी मुझे बहुत पसंद है और मैं उसको बहुत प्यार करता हूँ.
सलोनी अपने ऊपर पड़ी चादर की परवाह ना करते हुए मेरे लण्ड की ओर चली गई और उसको अपने मुख में ले लिया.

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08-08-2020, 01:51 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
मैंने अरविन्द अंकल की ओर देखा… वाह… उन्होंने नलिनी भाभी की चादर उनके ऊपर से हटा दी थी, उनके नंगे चूतड़ मुझे साफ़ दिख रहे थे, इसका मतलब सलोनी भी उनको साफ़ साफ़ दिख रही होगी.
तभी अरविन्द अंकल भी नलिनी भाभी के चूतड़ की ओर आये और वहाँ अपना मुँह लगा दिया.
पता नहीं वो केवल चूम ही रहे थे या फिर चाट भी रहे थे.
मेरे दिल में एक हल्का सा डर सा लगा कि कहीं उनको मेरे वीर्य की महक ना आ जाये.
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, जरा सी देर में ही मैंने देखा नलिनी भाभी सीधी हो अपनी दोनों टाँगें खोले अंकल को अपनी चूत चटवा रही थी और इधर सलोनी मेरे लण्ड को अपने गले तक अंदर ले रही थी, बहुत ही हॉट तरीके से चूस रही थी.
क्या मजेदार नज़ारा था.
नलिनी भाभी की चूत के पानी से सना लण्ड सलोनी के मुँह में था और मेरे वीर्य से भीगी चुदी हुई चूत को अंकल चाट रहे थे.
और फिर बिना एक दूसरे कि परवाह किये हुए ही मैंने सलोनी को वहीं घोड़ी बना कर पीछे से ही अपना लण्ड उसकी चुदी हुई चूत में घुसेड़ दिया, अभी कुछ देर पहले चुदी हुई चूत भी बहुत प्यारी दिख रही थी.
उधर अंकल भी नलिनी भाभी के ऊपर चिपके हुए थे, शायद उन्होंने भी अपना लण्ड उनकी चूत में प्रवेश करा दिया था.
बस अंतर केवल इतना था कि वो बहुत धीरे धीरे ही चोद रहे थे और हमारी चुदाई से बहुत तेज आवाजें आ रही थी.
मेरी जांघें तेजी से सलोनी के गद्देदार चूतड़ से टकरा रही थी जिनकी आवाज कमरे में गूंज रही थी.
सलोनी को देखकर मुझे लगा कि वो मेहता अंकल से चुदवा कर तो आई है मगर संतुष्ट नहीं हो पाई थी क्योंकि वो बहुत ही ज्यादा रोमांचित हो रही थी.शायद मेहता अंकल जल्दी ही ढेर हो गए होंगे…
मैंने भी उसकी भावनाओं का पूरा सम्मान किया और उसको जमकर चोद रहा था.
करीब 15 मिनट तक मैंने उसको बहुत ही तेजी से तीन आसनों में चोदा.
हमको नहीं पता कि अरविन्द अंकल कब चोद कर सो भी गए थे, जब मैंने उधर देखा तो कोई हलचल नहीं थी.
हम दोनों को भी नींद आ रही थी, मैंने सलोनी को बाहों में लिया और दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपककर सो गए.
सुबह खटपट से पहले मेरी आँख खुली. सलोनी दूसरी ओर करवट लिए लेटी थी, हमारे ऊपर एक चादर थी, पता नहीं सलोनी ने ही ढकी थी या फिर अंकल ने?
मैं उठकर बैठ गया- गुड मॉर्निंग अंकल…
अरविन्द अंकल- गुड मॉर्निंग बेटा…मैंने चाय मंगवा ली है… अच्छा हुआ कि तुम जाग गए.
हम दोनों के बीच रात को लेकर कोई बात नहीं हुई… शायद वो रात का नशा था जो अब उतर चुका था.
नलिनी भाभी शायद बाथरूम में थी, अरविन्द अंकल भी अपनी लुंगी पहने हुए थे पर मेरे जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था.
मैंने देखा पास ही मेरा शॉर्ट्स रखा था, मैंने संभलकर उसको पहन लिया.
बिस्तर के ऊपर ही सलोनी की नाइटी और ब्रा रखी थी, ये कपड़े शायद नलिनी भाभी ने ही रखे होंगे.
तभी एक वेटर कमरे में आ गया, वो वहाँ रखी मेज पर चाय बनाने लगा, मैं भी उठकर थोड़ा सा इधर उधर टहलने लगा.
वेटर का चेहरा हमारे बिस्तर की ओर ही था, वो चाय बनाते हुए ही सलोनी को तिरछी नजर से देख रहा था.
चादर में सिमटा सलोनी का चिकना जिस्म भी बहुत सेक्सी लग रहा था.
मैं बस इतना सोच रहा था कि सलोनी एक जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं है और वो इसी कमरे में केवल एक चादर ओढ़े लेटी है जिसमें मेरे अलावा दो और आदमी भी हैं.एक अरविन्द अंकल… चलो उनकी तो कोई बात नहीं… वो तो काफी कुछ देख और कर चुके हैं, मगर एक अनजान वेटर? यह पता नहीं क्या क्या सोच रहा होगा?
वेटर भी 25-28 साल का लम्बा और काला सा आदमी था पर बहुत ही साफ सुथरा और पढ़ा लिखा भी जान पड़ता था.
अरविन्द अंकल भी ना जाने क्या सोच रहे थे? उन्होंने भी वेटर को घूरते हुए देख लिया, उन्होंने सलोनी की भलाई करनी चाही, सोचा जगा दूंगा तो वेटर उसको नहीं घूर पायेगा, पर ऐसा हो जायेगा यह उन्होंने भी नहीं सोचा होगा.उन्होंने सलोनी को आवाज लगा दी- अरे सलोनी बेटा… तुम भी चाय ले लो… ठंडी हो जाएगी.
और तभी सलोनी ने एक ओर करवट ले ली…‘ओह माय गॉड… यह क्या हो गया…’

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:51 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 109

चादर में सिमटा सलोनी का चिकना जिस्म भी बहुत सेक्सी लग रहा था.
मैं बस इतना सोच रहा था कि सलोनी एक जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं है और वो इसी कमरे में केवल एक चादर ओढ़े लेटी है जिसमें मेरे अलावा दो और आदमी भी हैं.एक अरविन्द अंकल… चलो उनकी तो कोई बात नहीं… वो तो काफी कुछ देख और कर चुके हैं, मगर एक अनजान वेटर? यह पता नहीं क्या क्या सोच रहा होगा?
वेटर भी 25-28 साल का लम्बा और काला सा आदमी था पर बहुत ही साफ सुथरा और पढ़ा लिखा भी जान पड़ता था.
अरविन्द अंकल भी ना जाने क्या सोच रहे थे? उन्होंने भी वेटर को घूरते हुए देख लिया, उन्होंने सलोनी की भलाई करनी चाही, सोचा जगा दूंगा तो वेटर उसको नहीं घूर पायेगा, पर ऐसा हो जायेगा यह उन्होंने भी नहीं सोचा होगा.
उन्होंने सलोनी को आवाज लगा दी- अरे सलोनी बेटा… तुम भी चाय ले लो… ठंडी हो जाएगी.
और तभी सलोनी ने एक ओर करवट ले ली…
‘ओह माय गॉड… यह क्या हो गया…?’
सलोनी का पूरा नंगा बदन जो अभी तक कम से कम अभी तक एक पतली चादर से ढका था, उसके चूतड़ों का आकार उस सिल्की चादर से पता तो चल रहा था मगर फिर भी उस पर एक परदा था.
सलोनी के करवट लेते ही चादर काफी हद तक उसके बदन से हट गई.
अरविन्द अंकल, मेरी और उस वेटर तीनों की नजर केवल सलोनी पर ही थी तो हम सबने ही भरपूर उस दृश्य को देखा.
अपनी बायीं करवट से सीधा होते हुए सबसे पहले चादर उसके कंधे से नीचे आई, फिर उसके दाईं ओर को सरक गई.
सलोनी का मस्त और रस से सराबोर जिस्म लगभग पूरा ही नंगा हो गया था.
[Image: images?q=tbn%3AANd9GcTFm49XN7o-lAGSt7TWl...EbUC-YOVfm]
चादर केवल उसकी दायीं चूची पर रुक गई थी जिसका ऊपरी भाग नंगा था, बायीं चूची पूरी बाहर आकर रात भर अपने मसले जाने की कहानी बयां कर रही थी.
उसकी गोरी गोलाई पर लाल लाल उँगलियों के निशान नजर आ रहे थे, गुलाबी निप्पल भी सिमटा सा एक ओर को ढलका हुआ था.
सलोनी की बायीं टांग भी चादर से पूरी तरह बाहर आ गई थी. शुक्र इतना था कि सलोनी की रात दो लण्ड से चुदी हुई चूत अभी चादर से ढकी हुई थी.
मगर साइड से साफ़ पता चल रहा था कि उसने कुछ भी नहीं पहना है, वो पूरी नंगी है.
हम तीनों इस मनुहारी दृश्य को देख ही रहे थे, मेरे दिमाग में बिल्कुल यह नहीं आया कि जाकर उसको आगाह कर दूँ या चादर सही कर दूँ.
तभी एक और धमाका हुआ…सलोनी ने अभी तक अपनी आँखें नहीं खोली थी, वो शायद बहुत थकी थी और खुद को अपने ही बेडरूम में समझ रही थी.उसने लेटे लेटे ही एक जोरदार अंगराई ली और जो ढका था वो भी नुमाया हो गया.चादर दूसरी चूची को भी नंगी करते हुए पेट पर आ गई और चूत के ऊपर से भी सरक कर दूसरी टांग पर रह गई.
वो तो भला हो अरविन्द अंकल का जो तुरंत उठकर सलोनी के पास पहुँच गए और चादर को उसके ऊपर को करते हुए- अर्र रईईए क्या करती हो बेटा… कपड़े कहाँ है तेरे?
और जैसे सलोनी को होश आ गया हो!
उसने तुरंत उठकर खुद को ठीक किया है मगर वो पतली चादर उसके इस मस्ताने सुबह सुबह झलकते हुए जिस्म को कहाँ तक छुपाती.
उसका अंग अंग चादर से झांक रहा था, सलोनी बहुत ही मस्त दिख रही थी.
अरविन्द अंकल और मेरा तो फिर भी सही था मगर वेटर भी इस दृश्य का पूरा मजा ले रहा था, चाय बनाने के बाद भी वो कमरे से नहीं जा रहा था बल्कि कुछ न कुछ करने का बहाना किये वहीं खड़ा लगातार सलोनी के हुस्न को निहार रहा था.
कुछ ही देर में सलोनी की नींद पूरी तरह खुल गई और वो समझ गई कि वो कहाँ है और कमरे में सभी को उसने एक बार देखा, अंकल को गुड मॉर्निंग बोला, फिर अपनी नाइटी उठाकर वहीं सबके सामने पहनने लगी.
उसने नाइटी का निचला भाग गले में डाला और उसको नीचे करते हुए ही चादर को नीचे कर दिया हमेशा की तरह, सलोनी कपड़े पहनते हुए कभी सावधानी नहीं रखती.
इस समय भी चादर तो पहले नीचे हो गई और उसने नाइटी बाद में चूची के ऊपर की, एक बार फिर उसके ये यौवन कपोप सभी को नजर आ गए.
फिर खुद ही चादर को पूरी तरह हटा उसने बिस्तर से उतरने के लिए पैर नीचे लटका दिए.
अभी भी उसकी नाइटी कमर तक ही आई थी और वो नीचे अपनी चप्पल को देखती हुई खड़ी हो गई.
इस समय उसकी पीठ हमारी ओर थी, चप्पल को देखती हुए ही उसने अपनी नाइटी पीछे से अपने चूतड़ों से नीचे की.
इस दौरान जो अभी तक उस वेटर ने नहीं देखा था, वो भी उसने देख लिया.
सलोनी के चूतड़ों का हर कटाव जब मुझे दिख गया तो उसने तो आसानी से सब साफ-साफ़ देखा होगा क्योंकि वो तो मेरे आगे खड़ा था.
सलोनी की चप्पल कुछ बिस्तर के नीचे को हो गई थी और फिर सलोनी ने बिना किसी से कुछ कहे नीचे झुककर चप्पल निकाली तो एक बार फिर उसके चूतड़ का ओर भी खुला रूप सबके सामने था.
सुबह सुबह सलोनी ने सभी का दिन बहुत ही सुन्दर बना दिया था.
वेटर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि आज के दिन की शुरुआत उसकी ऐसे मजेदार ढंग से होने वाली है.
फिर तो उस वेटर ने हमारी बहुत सेवा की.
बस ऐसे ही हम लोग वहाँ खूब मजा कर रहे थे.
उसी शादी में अगले दिन किसी और जगह कोई बड़ा कार्यक्रम था, मुझे बहुत थकान हो गई थी, वहीं दूल्हे के मामा से मेरी अच्छी दोस्ती सी हो गई, हम दोनों वहीं एक दूसरी जगह एक कमरे में बैठे बात कर रहे थे.
मामाजी कर्नल थे इसलिए अपनी बहादुरी के किस्से ही सुना रहे थे, मैंने उनको सलोनी से भी मिलवा दिया था.

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08-08-2020, 01:51 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
इस समय उसकी पीठ हमारी ओर थी, चप्पल को देखती हुए ही उसने अपनी नाइटी पीछे से अपने चूतड़ों से नीचे की.
इस दौरान जो अभी तक उस वेटर ने नहीं देखा था, वो भी उसने देख लिया.
सलोनी के चूतड़ों का हर कटाव जब मुझे दिख गया तो उसने तो आसानी से सब साफ-साफ़ देखा होगा क्योंकि वो तो मेरे आगे खड़ा था.
सलोनी की चप्पल कुछ बिस्तर के नीचे को हो गई थी और फिर सलोनी ने बिना किसी से कुछ कहे नीचे झुककर चप्पल निकाली तो एक बार फिर उसके चूतड़ का ओर भी खुला रूप सबके सामने था.
सुबह सुबह सलोनी ने सभी का दिन बहुत ही सुन्दर बना दिया था.
वेटर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि आज के दिन की शुरुआत उसकी ऐसे मजेदार ढंग से होने वाली है.
फिर तो उस वेटर ने हमारी बहुत सेवा की.
बस ऐसे ही हम लोग वहाँ खूब मजा कर रहे थे.
उसी शादी में अगले दिन किसी और जगह कोई बड़ा कार्यक्रम था, मुझे बहुत थकान हो गई थी, वहीं दूल्हे के मामा से मेरी अच्छी दोस्ती सी हो गई, हम दोनों वहीं एक दूसरी जगह एक कमरे में बैठे बात कर रहे थे.
मामाजी कर्नल थे इसलिए अपनी बहादुरी के किस्से ही सुना रहे थे, मैंने उनको सलोनी से भी मिलवा दिया था.
सलोनी ने उस दिन सिल्वर कलर की साड़ी और फैंसी ब्लाउज़ पहना था.
साड़ी उसके चूतड़ों पर बहुत कसी हुई थी, सलोनी उसमें बहुत ही सेक्सी दिख रही थी.
मामाजी और मैं बात करते हुए ही वहीं सो गए, कमरे में जमीन पर ही गद्दे लगे थे, एक ओर दीवार की तरफ मैं था और दूसरी ओर वो लेटे थे.
कुछ देर बाद सलोनी भी वहीँ आ गई, वो भी शायद ज्यादा थक गई थी.
वो मेरे दायीं ओर ही लेट गई, मैं दीवार से चिपका था तो उधर जगह नहीं थी.
अब सलोनी के बायीं ओर मैं लेटा था और दायीं ओर मामा जी थे.
मुझे कोई दस मिनट ही तेज झपकी लगी थी पर सलोनी के कमरे में आने के बाद मेरा ध्यान सेक्स की ओर चला गया.
कुछ देर बाद सलोनी फिर से कुनमुनाती हुई उठी, फिर मेरे से चिपक गई.
मैंने भी मामा जी की ओर देखा, वो गहरी नींद में ही दिखे.
मैंने सलोनी को अपनी चादर के अंदर ले लिया तो सलोनी ने खुद अपने रसीले होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए, मैं भी उनके रस को चूसने लगा.
सलोनी ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख दी.
मुझे नहीं पता कि सलोनी का मूड क्या था? केवल हल्का फुल्का प्यार का या फिर पूरी चुदाई के मूड में थी?
पर इतना पक्का था कि अगर मैं हाँ करता तो वो किसी भी बात के लिए मना नहीं करती.
कुछ देर सलोनी के होंठो का रस पीते हुए ही मैंने देखा कि मामाजी अब सोने का नाटक कर रहे हैं और चादर की ओट से वो हमको ही देख रहे थे.
सलोनी के होंठ चूसने का मजा कई गुना बढ़ गया, मैंने कुछ और मजा लेने की सोची, मुझे मामाजी की बातें याद आ गई, वो मुझसे कुछ ज्यादा ही खुल गए थे.
उनकी बीवी का देहांत हुए तीन साल हो गए थे, वो वहाँ औरतों को देखकर मेरे से उनके बारे में तरह तरह की सेक्सी बात कर रहे थे.
उन्होंने यह भी कहा था कि उनको चुदाई किये तीन साल से भी ज्यादा समय हो गया क्योंकि कोठे पर जाना उनको पसंद नहीं और कॉल गर्ल भी बीमारी के डर से वो नहीं बुलाते.
उन्होंने कहा था कि यार साहिल, यहाँ तो नंगी लड़की देखे अरसा गुजर गया.
उनकी ये बातें मेरे दिमाग में थी, मैंने सोचा क्यों ना मामाजी को आज कुछ दर्शन करा दिए जाएँ.
बस यह ख्याल आते ही शैतानी मेरे दिमाग पर हावी हो गई.
मैंने सलोनी के होंठ चूसते हुए ही साड़ी के ऊपर से उसके मखमली चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया.
पर सलोनी की साड़ी बहुत भारी थी और चुभ रही थी, मैंने फुसफुसाते हुए ही उससे कहा- यार, यह इतनी भारी साड़ी कैसे पहने हो? तुमको चुभ नहीं रही?
वो मेरा इशारा एक दम से ही समझ गई, सलोनी मुस्कुराते हुए उठी, उसने एक बार मामाजी की ओर देखा, पता नहीं उसको उनकी आँखें दिखी या नहीं पर वो संतुष्ट हो गई, वो अपने कपड़े उतारने के लिए वहीं एक ओर हो गई.
अब पता नहीं मामाजी को क्या क्या दर्शन होने वाले थे

कहानी जारी रहेगी.....
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08-08-2020, 01:51 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 110

मामा जी कहा था कि यार साहिल, यहाँ तो नंगी लड़की देखे अरसा गुजर गया.
उनकी ये बातें मेरे दिमाग में थी, मैंने सोचा क्यों ना मामाजी को आज कुछ दर्शन करा दिए जाएँ.
बस यह ख्याल आते ही शैतानी मेरे दिमाग पर हावी हो गई.
मैंने सलोनी के होंठ चूसते हुए ही साड़ी के ऊपर से उसके मखमली चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया.
पर सलोनी की साड़ी बहुत भारी थी और चुभ रही थी, मैंने फुसफुसाते हुए ही उससे कहा- यार, यह इतनी भारी साड़ी कैसे पहने हो? तुमको चुभ नहीं रही?
वो मेरा इशारा एक दम से ही समझ गई, सलोनी मुस्कुराते हुए उठी, उसने एक बार मामाजी की ओर देखा, पता नहीं उसको उनकी आँखें दिखी या नहीं पर वो संतुष्ट हो गई, वो अपने कपड़े उतारने के लिए वहीं एक ओर हो गई.
अब पता नहीं मामाजी को क्या क्या दर्शन होने वाले थे??
वैसे भी सलोनी तो बहुत ही बोल्ड किस्म की लड़की है, उसको किसी के होने या ना होने से कुछ फर्क नहीं पड़ता..
मैं सलोनी की ओर ना देखकर मामाजी की ओर ही देख रहा था.
मैंने अपने चेहरे पर एक तकिया रख लिया जिससे उनको कुछ पता नहीं लगे… और मैं तकिये के बीच से ही उनको देख रहा था.
मामाजी को वैसे भी मेरी कोई फ़िक्र नहीं थी, वो तो लगातार सलोनी को ही देख रहे थे.शायद वो एक भी ऐसा पल खोना नहीं चाहते थे.
मैंने धीरे से सलोनी की ओर देखा, उसने अपनी साड़ी निकाल दी थी और उसको सही से तह करके एक ओर रख रही थी.उसकी पीठ हमारी ओर थी.
वैसे तो उसने कमरे की लाइट बंद कर दी थी परन्तु कमरे के ऊपर के रोशनदान और दरवाजे से बाहर की रोशनी अंदर आ रही थी.वो जिस जगह खड़ी थी, वहाँ लाइट सीधे पड़ रही थी जिससे उसके झीने और बहुत ही पतले पेटीकोट से अंदर का पूरा नजारा मिल रहा था.
सच कह रहा हूँ, उसकी साँचे में ढली हुई केले के तने जैसी दोनों चिकनी टाँगें ऊपर तक पेटीकोट के अंदर साफ दिख रही थी.फिर उसके चूतड़ों पर कसे हुए पेटीकोट से उसके इन मखमली चूतड़ों का आकार भी साफ़ दिख रहा था और फिर ऊपर बैकलेस ब्लाउज, उसकी साफ़ सफ्फाक और चिकनी पीठ पर केवल एक ही तनी थी, उसकी पूरी नंगी पीठ और चूतड़ के कटाव पर बंधा पेटीकोट सलोनी की पतली कमर को अच्छी तरह से दिखा रहा था.
यह दृश्य सलोनी के पूर्णतया नंगे खड़े होने से भी कहीं ज्यादा सेक्सी लग रहा था.
मुझे लगा अभी सलोनी ये कपड़े भी उतारकर अभी मामाजी की हर इच्छा पूरी कर देगी.
मगर ऐसा नहीं हुआ…
साड़ी को तह करके सही से रखने के बाद वो फिर मेरे पास आकर लेट गई. हाँ, उसने एक बार हल्का सा अपना पेटीकोट का नाड़ा जरूर सही किया था जिससे चूतड़ों का कटाव कुछ अधिक नुमाया हो गया था.
अब मैं भी उससे कुछ नहीं कह सकता था पर सलोनी थी तो मेरे पास ही, मैं वैसे भी कुछ ना कुछ तो मामाजी को दिखा ही सकता था.
मैंने उसको बाहों में भरकर फिर से प्यार करना शुरू कर दिया.
चादर उसके ऊपर कम मेरे ऊपर ही ज्यादा थी.
मैंने सलोनी को चूमते हुए पीछे से उसके पेटीकोट को ऊपर करना शुरू कर दिया, पेटीकोट वैसे भी काफी पतले और सिल्की कपड़े का था, सलोनी के चूतड़ मसले जाने से ही वो ऊपर को सिमटा जा रहा था.
मैंने आँख खोलकर सलोनी के साइड से देखा, मामाजी पूरी आँख खोले हमको ही घूर रहे थे.
सलोनी के पीछे के भाग पर केवल कंधे और पैरों पर ही चादर थी, बाकी चादर काफी हटी हुई थी.सलोनी की नंगी पीठ और मेरे द्वारा मसले जा रहे चूतड़ उनको दिख रहे होंगे.
कुछ ही देर में वो समय भी आ गया जिसका इन्तजार हम दोनों से ज्यादा मामाजी ज्यादा बेसब्री से कर रहे थे.
सलोनी के पेटीकोट का निचला सिर मेरे हाथ तक पहुँच गया, मैंने तुरंत उसके पेटीकोट को कमर तक उठा दिया और सलोनी के सफेद, चिकने गद्देदार नंगे चूतड़ मेरे हाथों के नीचे थे.
मामाजी भी आँखें फाड़े उनको घूर रहे थे.
मैं भी बड़ी ही तन्मयता से उनको सहला और मसल रहा था. जब भी मैं सलोनी के चूतड़ के एक भाग को मुट्ठी में लेकर भींचता तो मेरी उंगलियाँ उसकी रस से भरी हुई चूत में भी चली जाती.
सलोनी की चूत से बराबर रस टपक रहा था.
इतनी देर में सलोनी ने भी अपने मुलायम हाथों से मेरी पैंट को खोलकर लण्ड अपने हाथों में ले लिया था.
वो बहुत ही सेक्सी अंदाज़ से अपनी गर्म हथेली में लिए लण्ड की खाल को ऊपर नीचे कर रही थी.
मैंने बहुत हल्के से मगर इतनी आवाज में कहा जिससे मामाजी भी सुन सकें- जानू तुम्हारी चूत तो पानी छोड़ने लगी… क्या यहीं एक बार हो जाए?
सलोनी- अह्ह्हाआ नहीं प्लीज.. अभी नहीं… यहाँ कोई भी आ सकता है. फिर ये भी तो सो रहे हैं, अभी ऐसे ही कर लेते हैं, बाद में होटल में जाकर आराम से ..प्लीज…!!
मैं- जैसी तुम्हारी मर्जी मेरी जान!
तभी मैंने ध्यान दिया कि सलोनी और मामाजी के बीच की दूरी कम हो गई है.इसका मतलब मामाजी सलोनी के पास को खिसक कर आ रहे थे.

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08-08-2020, 01:51 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
मैंने भी इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, मैं नहीं समझता कि मेरे रहते मामाजी इतनी हिम्मत होगी कि वो सलोनी को कुछ करने का प्रयास करेंगे.
मैं बदस्तूर सलोनी के होंठों को चूसता हुआ उसके चूतड़ सहला रहा था, कभी कभी अपनी उँगलियाँ चूतड़ के बीच से उसकी चूत में भी डाल देता था.सलोनी लगातार मेरे लण्ड को सहला रही थी.
फिर मैं सीधा हो गया परन्तु अपनी गर्दन सलोनी के साइड में ही रखी जिससे मामाजी की हर हरकत पर नजर रख सकूँ.
अब सलोनी अपने हाथ को तेजी से मेरे लण्ड पर चला रही थी.
तभी मैंने महसूस किया कि मामाजी अपने हाथ को सलोनी के पास को ला रहे हैं.
माय गॉड… क्या मेरे रहते भी मामाजी इतनी हिम्मत कर सकते हैं? क्या वो सलोनी को छूने जा रहे हैं? क्या करूँ… क्या उनको रोकूँ?अगर सलोनी ने कुछ ऐतराज किया तो क्या होगा? फालतू में यहाँ पंगा हो जायेगा.
फिर सोचा कि रहने दूँ, जो होगा देखा जायेगा.
मैं अपने काम में लगा रहा, मैंने अपना हाथ जैसे ही सलोनी के चूतड़ों से हटाया, आश्चर्य रूप से मामाजी ने तुरन्त ही अपना हाथ वहाँ रख दिया.
मैंने सोचा अब पंगा होने वाला है मगर कुछ नहीं हुआ, सलोनी ने कुछ भी नहीं बोला.
मामा जी का हाथ अब सलोनी के चूतड़ के ऊपर था, मुझको यह भी अहसास हो रहा था कि उन्होंने हाथ को केवल रखा ही नहीं था बल्कि वो अपने हाथ को चारों ओर घुमा भी रहे थे.
मेरे दोनों हाथ का पता सलोनी को होगा तो जरूर पर वो फिर भी मामा जी के हाथ के बारे में जानबूझ कर भी कुछ नहीं बोल रही थी.
मैंने देखा कि मामाजी वैसे सलोनी से कुछ दूर ही लेटे थे परन्तु उनका हाथ आसानी से सलोनी के चूतड़ पर पहुँच रहा था और उनकी इतनी हिम्मत भी हो गई थी कि वो उसको केवल रखे हुए ही नहीं थे बल्कि इधर उधर घुमा भी रहे थे.
सलोनी की ओर से कोई विरोध ना होते देख मैंने भी कुछ ऐसे ही मजा लेने की सोची.
मैं अपने हाथ को सलोनी की पीठ पर बंधी डोरी पर ले गया और डोरी का सिरा ढूंढ कर खींच दिया.
ब्लाउज का बंधन ढीला होते ही उसके सुकोमल चूची आज़ाद हो गई, अब सलोनी की चूची ब्लाउज के नीचे से बाहर आकर मेरे सीने से लग रही थी.
मैंने एक चूची पूरी बाहर निकाली, उसको अपने हाथ में ले मसलने लगा.
अब बड़ा ही मजेदार नजारा बन चुका था…
मेरे हाथ में सलोनी की चूची थी जिसको मैं मसल रहा था, सलोनी के हाथ में मेरा लण्ड था जिसे वो हिला रही थी और उसके पीछे मामाजी का हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था जिनको वो ना जाने कैसे कैसे मसल रहे थे.
तभी मैंने सलोनी के होंठों के बीच अपने एक हाथ का अंगूठा डाल उसको लण्ड चूसने को बोला.
सलोनी बिना किसी शर्म के पूरी तरह चादर से बाहर आ अपने घुटनों के बल होकर मेरे लण्ड को अपने मुँह में दबा कर चूसने लगी.
वो बहुत ही सेक्सी तरीके से बैठी थी, उसकी पीथ ठीक मामाजी की ओर थी.
मैंने ध्यान दिया कि सलोनी का पेटीकोट सरककर उसके चूतड़ के ऊपर को हो गया है फिर भी मामाजी के लेटे होने से उनको नीचे से काफी कुछ दिख रहा होगा.
सलोनी मेरे लण्ड को पूरा अपने मुँह में दबाकर बहुत ही आवाज करते हुए उसको चूस रही थी.
मैंने भी अपना हाथ एक बार फिर से उसके चूतड़ पर रख सलोनी के पेटीकोट को खींच कर कमर से भी ज्यादा ऊपर कर दिया.
अब तो मामाजी को उसके चूतड़ और बीच की दरार के अलावा चूत के दर्शन भी हो रहे होंगे.
मैं बस इन्तजार कर रहा था कि क्या वो अब कुछ करेंगे?या फिर देखते ही रहेंगे??

कहानी जारी रहेगी.

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