Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
10-17-2018, 11:34 AM,
#11
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
अब मुझे चलने फिरने मे उतनी दिक्कत नही हो रही थी…..फ्रेश होने के बाद मैं किचन मे गयी….और नाश्ता तैयार करने लगी…..नाश्ता तैयार करते हुए मैं बार-2 किचन के डोर पर आकर सीढ़ियों की तरफ देख रही थी….राज के जॉब पर जाने का टाइम भी हो गया था…जैसे ही मैं नाश्ता तैयार करके बाहर आई तो राज सीढ़ियों से नीचे उतरा…..”अब कैसी तबीयत है भाभी जी….” उसने अपने होंटो पर दिलकश मुस्कान लाते हुए कहा…..बदले मे मेने भी मुस्कुराते हुए कहा….”पहले से बेहतर है….अप डाइनिंग टेबल पर बैठिए……..मैं नाश्ता लेकर आती हूँ……मेने और राज ने एक साथ नाश्ता किया…..और फिर राज जाते हुए मुझसे बोला.

राज: भाभी जी, रात का खाना मैं बाहर से ही लाउन्गा…..आप बनाना नही…..

मैं: ठीक है……

राज: अगर किसी और चीज़ के ज़रूरत हो तो बता दीजिए…..मैं आते समय वो लेता आउन्गा.

मैं: नही अभी किसी और चीज़ की ज़रूरत नही है….

राज के जाने के बाद मैं घर के काम मे लग गयी…..पिछले दो दिन से मेने घर की सफाई भी नही की थी……इसीलिए मेने पहले नीचे के सभी रूम की सफाई की, और फिर ऊपेर आकर राज के रूम के सफाई करने लगी….जब मैं राज के रूम मे फर्श पर पोछा लगा रही थी, तो मुझे उसके बेड के नीचे कुछ पड़ा हुआ नज़र आया…..वो शायद कोई कपड़ा था.. मेने नीचे झुक कर उसे बाहर निकाला, तो मेरी आँखें एक दम से फेल गयी…..वो एक रेड कलर की कॉटन पैंटी थी…..रेड कलर की पैंटी ना तो मेरे पास थी और ना ही नाजिया के , तभी मुझे परसो शाम वाली घटना याद आ गयी….जब राज ने फातिमा को इसी रूम मे चोदा था…..ये ज़रूर फातिमा की ही पैंटी थी….

उस पैंटी पर जगह -2 बुर से निकले पानी और शायद राज के लंड से निकले वीर्य के धब्बे थे….पैंटी का कोई भी हिस्सा ऐसा नही था……जिस पर उस दिन हुई घमसान चुदाई के निशान ना हो…..मेने पैंटी को अपने दोनो हाथों मे लेकर नाक के पास लेजा कर सूँघा तो मंत्रमुग्ध करदेने वाली खुश्बू मेरे जिस्म को झींझोड़ गयी…….मेने पैंटी को लेकर बेड पर बैठ गयी…..और उसकी और देखते हुए, उस दिन देखे हुए दृश्यों को याद करने लगी… राज का मुन्सल जैसा लंड फातिमा की बुर मे अंदर बाहर हो रहा था…..मैं एक बार फिर से अपना आपा खोने लगी…..पर तभी बाहर मेन गेट पर नॉक हुआ, तो मेने उस पैंटी को वही बेड के नीचे फेंक दिया….

और बाहर आकर छत से नीचे गली की तरफ झाँका तो देखा कि पड़ोस मे रहने वाली विमला भाभी खड़ी थी…..”अर्रे विमला भाभी आप…..मैं अभी नीचे आती हूँ…..” मेने जल्दी से राज के रूम को लॉक किया, और नीचे आकर डोर खोला…..विमला भाभी हमारे पड़ोस मे रहती थी….वो दोपहर मे कई बार हमारे घर आ जाया करती थी….और बातें किया करती थी….उस दिन भी मेने और विमला भाभी ने गली मोहाले की ढेरों बातें की…

विमला भाभी के जाने के बाद मेने घर का दूसरा काम भी निपटा लिया…और फिर नहाने चली गयी….जब कभी अंजुम घर पर नही होते थे तो मैं घर मे साड़ी पहन लिया करती थी….क्योंकि अंजुम को मेरा और नाजिया का साड़ी पहनना पसंद नही था....इसलिए मेने उस दिन ब्लू कलर की प्रिंटेड साड़ी पहन ली….राज के आने का टाइम भी हो चला था….राज आज 5:30 बजे ही आ गया……जब मेने डोर खोला तो वो मुझे बड़े गोर से देखने लगा. उसे यूँ अपनी तरफ ऐसे घूरता देख कर मैने शर्मा कर सर झुका लिया और बोली…..”ऐसे क्या देख रहे है आप”

तो वो मुस्कुराता हुआ बोला…”वाउ भाभी आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हो इस साड़ी मे…..” ये कह कर वो अंदर आ गया……वो साथ मे रात का खाना भी ले आया था…..”भाभी ये खाना लो…..और बाद मे गरम कर लेना…..मैं ऊपेर जा रहा हूँ फ्रेश होने के लिए…..आप एक कप चाय बना देंगी…..”

मेने उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा….”हां क्यों नही…”

फिर राज ऊपर चला गया….फ्रेश होकर जब वो नीचे आया तो उसने एक ढीली सी टीशर्ट और हाफ पेंट पहना हुआ था…..मैने चाइ बनाई और उसे बेड रूम मे ले गयी…सोचा चाइ के साथ ही मेडिसिन भी ले लेती हूँ…..राज रूम मे आकर बेड के सामने चेर पर बैठ गया. और मुझे मेडिसिन लेते हुए देख कर बोला…..”भाभी आब आपकी कमर का दर्द कैसा है…..”

मैं: अब ठीक है….बस कल तक पूरी तरह ठीक हो जाएगा…..(मेने मेडिसिन ली और फिर हम दोनो ने चाइ पी……)

राज: (खाली कप टेबल पर रखते हुए) भाभी आप उल्टी लेट जाओ…..मैं एक बार और आख़िरी मालिश बॉम से कर देता हूँ…….

मैं: नही राज मैं अब ठीक हूँ…..

राज: भाभी आप मेरे लिए इतना कुछ करती है…..मैं आपके लिए इतना भी नही कर सकता…. चलाओ लेट जाइए….

मैं राज की बात टाल ना सकी, और बेड पर लेट गयी….क्योंकि आज मेने साड़ी पहनी हुई थी…..इसीलिए मेरी कमर पीछे से पूरी उसकी आँखो के सामने थी….उसने बॉम को पहले अपनी उंगलियों पर लगाया….और बोला……”भाभी बताएँ कि दर्द कहाँ पर है…..” मेने अपने हाथ से अपने कुल्हों की तरफ इशारा किया….पर अपनी चोट की असली जगह बताते हुए मुझे बेहद शरम आ रही थी….उसने पहले मेरी कमर को दोनो हाथों से मालिश करना शुरू किया. और फिर धीरे-2 नीचे की तरफ बढ़ने लगा…..

राज: भाभी…..

मैं: जी……….

राज: भाभी आपकी स्किन कितनी सॉफ्ट है…….एक दम स्मूद…..भाभी आप अपनी साड़ी थोड़ा नीचे सरका दें…..चोट वाली जगह पर भी अच्छे से मालिश हो जाएगी…..

मैने शरमाते हुए, अपनी साड़ी और कमर के बीच मे हाथ डाला और पेटिकोट का नाडा खोल दिया….और पेटिकोट और साड़ी ढीली कर दी….”क्योंकि आज मैने काफ़ी काम किया था….इसीलिए मेरी कमर मे फिर से दर्द बढ़ गया था…इसीलिए सोचा अगर सही जगह बॉम से मालिश हो जाएगी तो दर्द से राहत मिले…..जैसे ही मेरी साड़ी ढीली हुई, तो उसने मेरी साड़ी और पेटिकोट के अंदर अपनी उंगलियों को डाल कर उसे नीचे सरका दिया…..पर मुझे अहसास हुआ मेने बहुत बड़ी ग़लती कर दी है….मेने नीचे पैंटी भी नही पहनी हुई थी….पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी…….मेरे आधे से ज़्यादा नितंब अब उसकी आँखों के सामने थे….

उसने धीरे-2 कमर से मालिश करते हुए, अपने हाथों को मेरे नितंबो की और बढ़ाना शुरू कर दिया…..उसके हाथों का स्पर्श मेरे जिस्म के हर अंग को ऐसा सकून पहुँच रहा था…. जैसे बरसो के प्यासे को पानी पीने के बाद सकून मिलता है…..चाहते हुए भी उसका विरोध नही कर पा रही थी….मैं बस लेटी हुई, उसके स्पर्श का मज़ा उठा रही थी….मेरा विरोध ना पा कर उसकी हिम्मत बढ़ी…..अब उसने मेरे आधे से ज़्यादा नंगे हो चुके चुतड़ों को ज़ोर-2 से मसलना शुरू कर दिया….मेरी साड़ी और पेटिकोट उसके हाथ से टकराते हुए और थोड़ा-2 और नीचे सरक जाते…..मुझे अहसास हो रहा था कि, अब उसे मेरी चुतड़ों के बीच की दरार भी दिखाई दे रही होगी…..
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10-17-2018, 11:34 AM,
#12
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेने शरम के मारे अपने चेहरे को तकिये मे छुपा लिया…..और अपने होंटो को अपने दांतो में भींच लिया….ताकि कही मैं मस्ती मे आकर सिसक ना उठु…..और उसे मेरी बढ़ती हुई कामुकता अहसास हो….वो मेरे दोनो गोरे-2 चुतड़ों को बॉम लगाने के बहाने से सहला रहा था….बॉम कम लगाया….और सहला ज़्यादा रहा था….जब मेने फिर भी विरोध नही किया तो वो और नीचे बढ़ा….यहाँ चोट नही लगी थी वहाँ भी सहलाने लगा…थोड़ी देर बाद उसके हाथों की उंगलियाँ मेरी गान्ड की दरार मे थी….फिर उसने अचानक से मेरी उसने मेरे दोनो चुतड़ों को हाथों से छोड़ा कर फेला कर बीच के जगह देखी, तो मैं साँस लेना ही भूल गयी….शायद उसने मेरे चुतड़ों को फेला कर मेरी गान्ड का छेद और बुर तक देख ली होगी. अब मैं क्या बताऊ उसके हाथों के सपर्श से मैं बहुत ज़्यादा कामुक हो गयी थी…और मेरी बुर गीली और गीली होती चली जा रही थी….मैं ये सोच कर और शरमा गयी कि, वो मेरे काली घनी झान्टो को देख रहा होगा…..जिन्हे मेने पिछले तीन सालो से नही बनाया था…..

आख़िर था ही कॉन जिसके लिए मैं अपनी बुर को सॉफ चिकना रखती…..मेरे घर मे रहने वाला किरायेदार मेरे सभी गुप्तांगो को देख रहा था….और मैं पड़े-2 दिखा रही थी…पर जब उसने जानबूजकर या अंजाने मे मेरी गान्ड के छेद को अपनी उंगली से छुआ तो मैं एक दम से उचक पड़ी…बदन मे जैसे करेंट लग गया हो….जैसे तन्बदन मे आग लग गयी हो….मेने एक दम से उसका हाथ पकड़ कर झटक दिया….और कह उठी….”हाए तोबा क्या करते हो….” साथ ही उससे दूर होते हुए उठ बैठी…..मैं एक दम से घबरा गयी थी….और राज मुझसे भी ज़्यादा घबरा गया था….. मुझे उसका इरादा ठीक नही लगा…..और मैं एक दम से बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी…..

पर मेरे खड़े होने का नीतज़ा ये हुआ कि गजब हो गया….मेरी साड़ी और पेटिकोट कमर से खुला हुआ था…..खड़ी हुई तो साड़ी और पेटिकोट दोनो सरक कर पावं मे जा गिरे….मैं नीचे से एक दम नंगी हो गयी…..इस तरह से अपने किरायेदार और 20 साल के जवान लड़के के सामने नंगी होने मे मेरी शरम की कोई इंतिहा ना रही….मुझे कुछ नही सूझा….दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया….साँस जैसे अटक गयी थी….मैं घबराहट मे वही ज़मीन पर बैठ गयी…

इससे पहले कि मुझे कुछ समझ आता….तब तक उसने मुझे गोद मे उठा कर बेड पर डाल दिया. और अगले ही पल वो हुआ जिसकी मेने कल्पना तक नही की थी कि, आज मेरे साथ ये सब होगा. मुझे पलंग पर पटकते ही वो खुद मुझ पर चढ़ गया….अगले ही पल मैं उसके नीचे थी और वो मेरे ऊपेर था…..उसके बाद अगले ही पल उसने मेरी टाँगों को हवा मे उठा दिया…मुझे वो कुछ भी सोचने समझने का मोका नही दे रहा था…..उसके अगले ही पल वो मेरी टाँगों के बीच मे जगह बना चुका था…..पाँचवे सेकेंड मे ही उसका हाफ पेंट और अंडरवेर उसके बदन से अलग हो गये….और उसके अगले ही पल उसने अपने लंड को हाथ मे लेकर अपने लंड का मोटा सुपाडा मेरी बुर के छेद पर लगा दिया……एक मोटी सी गरम सी कड़क सी चीज़ मेरी बुर के अंदर जाती हुई महसूस हुई…..

बस फिर क्या था शाम के समय मैं मेरे ही रूम मे किरायेदार और मालकिन औरत और मर्द बन गये थे….मेरी तो साँसे उखाड़ने लगी थी….बदन ऐंठ गया था…आँखे झपकना भूल गयी थी….और जीभ सूखने लगी थी…मुझे कुछ होश नही क्या हो रहा है….वो कर रहा था….और मैं चुप चाप पड़ी थी…….मैं ना तो उसका विरोध कर रही थी और ना ही उसका साथ दे रही थी…..मैं बिना कुछ बोले अपनी टाँगों को उठाए लेटी रही….उसका मोटा मुन्सल जैसे लंड मेरी बुर को रौन्दता रहा रगड़ता रहा….पता नही कब तक मुझे चोदता रहा….ये नही था कि मुझे मज़ा नही आ रहा था….पर मैं जैसे सकते मे थी….फिर उसने मेरी बुर को अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया….मैं अपने किरायेदार के लंड के पानी से तरबर्तर हो चुकी थी…..

जैसे ही वो मेरे ऊपेर से उठा….मैं काँपती हुई उठी और नंगी ही बाथरूम मे चली गयी.. मेरे मन उलझने बढ़ने लगी….”हाए ये मेने क्या कर दिया…..शादी शुदा होकर दूसरे मर्द से चुदवा लिया….वो भी नाजिया की उम्र के लड़के से नही ये ग़लत है….सरासर ग़लत है.. जो हुआ नही होना चाहिए था…..अब क्या होगा…..मैं बाथरूम मे गयी, और बैठ कर मूतने लगी….बहुत तेज पेशाब लगी थी…मेने झुक कर देखा तो मेरी झान्टे मेरी बुर के पानी और उसके वीर्य से चिपचिपा रही थी…..मूतने के बाद मेने अपनी बुर की फांको को फेलाया, और बुर की मसपेशियों पर ज़ोर लगाया….तो राज का वीर्य मेरी बुर से बाहर टपकने लगा……एक के बाद एक कई बड़ी-2 बूंदे वीर्य की मेरी बुर से बाहर नीचे फरश पर गिरती रही…..फिर मेरे अपनी झान्टो और जाँघो को पानी सॉफ किया……क्योंकि मेरे मेन्स चार दिन बाद आने वाले थे…….

इसीलिए बच्चा ठहरने का भी डर नही था…..मैं नहाई और फिर सलवार सूट पहन लिया… फिर मैं बातरूम से निकल कर बाहर आई, और अपने बेड पर जाकर गिर पड़ी…..राज ऊपेर जा चुका था. शाम के 6 बज रहे थी…..खुमारी मे नींद आ गयी….मैं आज पूरे 4 साल बाद चुदि थी…चुदाई अंजाने और बेमन से हुई थी….पर चुदाई तो चुदाई है……मैं ऐसी सोई कि रात के 9 बजे बाहर मैन गेट पर हुई नॉक की आवाज़ से उठी….मैने घड़ी मे देखा तो 9 बज रहे थे…..हाए ये क्या 9 बज गये…..मैं जल्दी से उठी और बाहर जाकर गेट खोला तो बाहर विमला भाभी भी खड़ी थी…..उनके साथ मे उनका बेटा सन्नी था…..जो महज ** साल का था….

मैं: विमला आंटी आप इस समाए…खैरायत तो है ना ?

विमला: नजीबा मेरे पिता जी की तबयत बहुत ज़्यादा खराब हो गई है….अभी फोन आया है….मैं और ये (विमला भाभी के हज़्बेंड) अभी वहाँ के लिए रवाना हो रहे है…..तुम सन्नी को दो दिन के लिए अपने पास रख लो……हम दो दिन बाद वापिस आ जाएगे..

मैं: कोई बात नही भाभी ये भी तो आपका अपना ही घर है….आप इसे छोड़ कर बेफिकर होकर जाए……

उसके बाद विमला आंटी सन्नी को हमारे घर छोड़ कर चली गयी…..मैने गेट लॉक किया. और सन्नी के साथ रूम मे आ गयी….मेने एक बार फिर से घड़ी की तरफ नज़र डाली 9::05 हो रहे थे…..मेने टीवी ऑन किया और सन्नी को कहा कि तुमने खाना खाया है कि नही…तो बोला…नही आंटी अभी नही खाया……मेने कहा कि तुम टीवी देखो मैं खाना गरम कर के लाती हूँ…. मैं रूम से बाहर निकल कर किचन मे गयी, और खाना गरम करने लगी….खाना काफ़ी था…इसीलिए किसी बात की परेशानी नही थी….. मेने खाना गरम किया…और फिर डाइनिंग टेबल पर लगा दिया…..और सन्नी को खाना परोस कर उसके साथ चेर पर बैठ गयी….
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10-17-2018, 11:34 AM,
#13
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
राज अभी तक खाना खाने नही आया था…..मैं उसे ऊपेर जाकर भी नही बुलाना चाहती थी. मेरी तो उससे आँखे मिलाने की हिम्मत भी नही होगी…..मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, जो कुछ भी हुआ, उसके पीछे कसूर किसका है, मेरा या राज का….मैं अभी यही सोच रही थी कि, राज के कदमो की आहट सुन कर मेरा ध्यान टूटा…..मेने उसकी तरफ देखे बिना बोला…..”खाना खा लो गरम कर दिया है…..” राज मेरे सामने वाली चेर पर बैठ कर खाना खाने लगा…..मैं भी बेमन से खाना खा रही थी….मैं अपनी नज़रें भी नही उठा पा रही थी….बार-2 मन मे यही ख़याल आ रहा था कि, शादी शुदा होते हुए भी मेने ये कैसा गुनाह कर डाला…..खाना खाते हुए राज बोला “ये साहब कॉन है….”

मेने उसकी तरफ देखे बिना ही बोला दिया……”ये विमला भाभी का बेटा है….उनके पापा की तबीयत खराब हो गयी अचानक तो वो उनका पता लेने गये है” फिर ना वो कुछ बोला और ना ही मैं…..राज ने खाना खाया और मुझे गुड नाइट बोल ऊपेर चला गया……मैने बर्तन उठा कर किचन मे रखे, और अपने रूम मे आकर डोर अंदर से बंद कर लिया…सन्नी के साथ मे होने के कारण मेरा डर थोड़ा कम हो गया था…..सन्नी बेचारा मासूम सा बच्चा था… मैं उसके साथ जाकर बेड पर लेट गयी….सन्नी बेचारा मासूम सा बच्चा जल्द ही सो गया.. मैं अभी तक जाग रही थी…..शाम को 3 घंटे तक सोने के कारण मुझे नींद भी नही आ रही थी….और आज तो मेरी जिंदगी ही बदल गयी थी….

मैं दो हिस्सो बॅट गयी थी दिल और दिमाग़….दिल कह रहा था कि जो हुआ ठीक हुआ, और दिमाग़ ग़लत कह रहा था…दिल कह रहा था कि, शादी शुदा होते हुए भी अपने मर्द के होते हुए भी मैं एक विधवा जैसे जीवन जी रही थी….और अगर खुदा ने मेरी सुन कर मेरे लिए एक लंड का इंतज़ाम कर दिया है तो क्या बुराई है….मैं सही सब सोच रही थी कि रूम के डोर पर नॉक हुई, घर मे मेरे सन्नी और राज के सिवाय कोई नही था….राज ही होगा. पर अब वो क्यों आया है….मैं चुपचाप लेटी रही फिर से नॉक हुआ……


सन्नी कही उठ ना जाए…भले ही वो अबोध था…..पर अगर उसे किसी तरह का शक हो गया तो, मैं उठी और धीरे से जाकर डोर का लॉक खोला….सामने राज ही था…..उससे देख मैं झेंप गयी…..

मैं: अब क्या है क्यों आए हो यहाँ पर….?

राज: भाभी जी मैं अंदर आ जाउ…..

मैं: नही तुम जाओ यहाँ से…..

मेने डोर बंद कर दिया……मेरी साँसे तेज हो गयी थी…..ये तो अंदर आने को कह रहा है….क्या करेगा अंदर आकर मुझे फिर से चोदेगा…..हाईए सन्नी रूम मे है….दोबारा तोबा मेरी तोबा एक बार ग़लती कर दी अब नही…..तभी दिल के कोने से आवाज़ आई…”तो क्या होगया इसमे सब करते है….अब एक बार तो तू कर चुकी है….एक बार और कर लिया तो क्या है ?

अगर दोबारा भी करवा लिया तो क्या बिगड़ जाएगा….खुदा ने मोका दिया है इसे जाया मत जाने दे…..बार-2 ऐसे मोके नही आने वाले….पिछले 10 सालो से तरसी है इसी के लिए….मैं बेड पर लेटी सोचती रही….मोका मिला है तो नजीबा इसका फ़ायदा उठा….आधी से ज़्यादा जवानी तो यू ही निकल गयी….बाकी भी ऐसे ही निकल जाएगी….

अच्छा भला आया था बेचारा….उसे तो कोई और मिल जाएगी…..वो तो अभी जवान हुआ है शादी भी होगी….तेरा कॉन है वो अंजुम जिसने तुझे कभी प्यार से छुआ तक नही…ये सब गुनाह ये ग़लत है वो ग़लत है…..इन्ही सब मे जिंदगी निकल गयी….थोड़ी देर बीती, मेने सोचा देखो तो सही कि वो ऊपेर गया है कि नही….मेने उठ कर डोर की कुण्डी खोली…..या खुदा वो तो बाहर ही खड़ा है… रूम की दीवार के साथ पीठ सटा कर…..मुझे डोर पर देख कर वो मेरे पास आया….मैं झिझकते हुए अपने दुपपटे के पल्लू को हाथ मे लेकर बोली…..”तुम गये नही अभी तक”

उसने आगे बढ़ कर मेरे हाथ को अपने हाथों मे थाम लिया….उसके मर्दानो हाथो का स्पर्श पाते ही मुझे नशा सा होने लगा….”मुझे यकीन था तुम ज़रूर आओगी….” ये कह कर उसने मुझे अपनी तरफ खेंचा…..और मैं उसकी तरफ खिंचती चली गयी….बिना किसी विरोध की… उसने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया….उसके चौड़े सीने से लग कर मुझे जवानी का अनोखा सुख मिलने लगा….मेने उसके चौड़े सीने मे अपना चेहरा छुपा लिया और बोल पड़ी….”राज मुझे डर लगता है…..” उसने मेरी कमर को अपनी बाहों मे और जाकड़ लिया…..”डर कैसा डर भाभी” मैं उसके बाहों मे कस्मसाइ, अपने जवान बदन को जवान बाहों की जकड़न मे पकड़ मुझे बहुत अच्छा लग रहा था…..

मैं: कोई देख लेगा….

राज: यहा और कॉन है जो देख लेगा….

मैं: अंदर सन्नी है वो….

राज: अर्रे वो तो अभी छोटा है…उसे क्या समझ…..

मैं: और अगर कुछ ठहर गया तो…..?

राज: क्या….?

राज को शायद समझ मे नही आया था…..मैं एक दम से शरमा गयी….थोड़ी देर रुकी और कहा….”अगर मैं पेट से हो गयी तो” राज के द्वारा गर्भवती होने की बात से मेरे बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी….राज मेरी पीठ को सहलाते हुए बोला…..”ऐसा नही होगा…” मेने उसकी आँखों मे देखा कि क्या ऐसा हो सकता है…तो वो मुस्कुराने लगा….तो उसने कहा. “मैं कल बाज़ार से तुम्हे बच्चा ना ठहरने वाली मेडिसिन ला दूँगा….वैसे अगर तुम चाहो तो मेरे बच्चे को पैदा भी कर सकती हो….” मैं उसकी बात सुन कर सर झुका कर मुस्कुराने लगी…..उसने मुझे अपनी बाहों मे और ज़ोर से भींच लिया….मेरी चुचियाँ उसके सीने मे दब गयी…..उसने मेरे चुतड़ों को जैसे ही हाथ लगाया…..मैं एक दम से मचल उठी….

मैं: राज यहाँ नही….

राज मेरा इशारा समझा और मेरा हाथ पकड़ कर खेंचते हुए, बाहर गेट की तरफ बनी हुई बैठक मे ले गया….ये एक छोटा सा कमरा था…जिसमे एक चारपाई लगी हुई थी….ये रूम पहले अंजुम के अब्बू का था…..एक तरफ दो कुर्सियाँ और एक टेबल था…..बैठक का एक डोर बाहर गली मे भी खुलता था…..और डोर के पास ही एक मोरी सी बनी हुई थी…..जिससे फर्श का पानी बाहर बहता था….जैसे ही मैं रूम मे पहुँची तो मेरी धड़कन बढ़ गयी….शाम को तब सब इतनी जल्दी हुआ था कि कुछ समझ मे ही नही आया था…..

रूम मे आते ही राज ने मुझे पीछे से बाहों मे भर लिया…..मेने चुपचाप अपनी पीठ उसके सीने से सटा ली….और उसने अपने होंटो को मेरी गर्दन पर रख दिया…मेरा तो रोम-2 कांप गया…”नजीबा तुम बहुत खूबसूरत हो…..”उसने बुदबुदाते हुए कहा….राज ने आज पहली बार मुझे नाम से पुकारा था…..उसके हाथ मेरे मांसल पेट और नाभि के आसपास थिरका रहे थे….कुछ देर उसके हाथो के स्पर्श का मज़ा लेती रही…..बहुत अच्छा लग रहा था. शादी के 10 साल बाद पहली बार मुझे ऐसा सुख नसीब हो रहा था….

मैं: राज डोर बंद कर दो…..

राज: अब यहाँ कॉन आ जाएगा….

मैं: ह्म्म्म तुम लगा दो ना ?

राज ने मुझे छोड़ा और डोर लॉक कर दिया…और फिर से मुझे पीछे से जाकड़ लिया…मैं कस्मसाइ और सकपकाई….”राज लाइट…..” मेने उसकी बाहों मे कसमसाते हुए कहा….”रहने दो ना नजीबा…..मैं आज तुम्हारे हुश्न का दीदार करना चाहता हूँ…..” और मेरे पैट से होते हुए उसके हाथ मेरी चुचियों की तरफ बढ़ने लगे……”मुझे शरम आती है…लाइट ऑफ कर दो ना ……” राज ने एक बार फिर से मुझे छोड़ा और लाइट ऑफ कर दी…..पर बेमान से….अंधेरे बंद कमरे मे मेने चैन की साँस ली…..उसने मुझे पकड़ा और खाट पर पटक दिया…और खुद मेरे साथ खाट पर आ गया…..

एक बार फिर से चुदने की घड़ी आ गयी थी…खाट पर आते ही वो मेरे साथ घुतम्घुथा हो गया…उसके हाथ कभी मेरी पीठ पर तो कभी मेरे चुतड़ों पर घूम रहे थे….मैं उससे और वो मुझसे चिपकने लगा…मेरी चुचियाँ बार -2 उसके सीने से दबी जा रही थी….ये मेरा उसके साथ दूसरा मोका था….इसलिए ज़्यादा सहयोग नही कर पा रही थी शरमा रही थी…..चुपचाप पड़ी रही थी…..पहले उसने मेरी कमीज़ उतारी फिर सलवार और फिर पैंटी भी खेंच कर निकाल दी…..मैं बस नही नही करती रही…..पर उसने मेरी एक ना सुनी….अब मेरे बदन सिर्फ़ ब्रा बची थी…..उसने मेरी चुचियों को अभी तक नही छुआ था… और जैसे ही उसने मेरी 38 साइज़ की चुचियों को ब्रा से बाहर निकालना चाहा तो, मेने उसके हाथों को पकड़ लिया….पर राज कहाँ मानने वाला था….

मैं उसे रोकती रही…..इसके चलते उसके हाथ नज़ाने कितनी बार मेरी चुचियों से टकराए उसके हाथ कई बार मेरे मम्मों से छू गये….मुझे बहुत अच्छा लग रहा था,….मेरी हालत खराब हो गयी थी…..जब उसने मेरी ब्रा को खोला तो मेरी साँस तेज चल रही थी दिल धक-2 कर रहा था….बदन का सारा खून बुर की तरफ सिमटता जा रहा था….अब मैं उस खाट पर एक दम नंगी पड़ी थी…..वो भी अपने किरायेदार के साथ, सोच कर ही शरमा जाती, कि मैं अपने से 10 साल छोटे जवान लड़के के साथ एक खाट पे एक दम नंगी लेटी हुई हूँ,

अगले ही पल वो मेरे ऊपेर आ चुका था…..उसने मेरी टाँगों को उठाया, और अपना मुनसल जैसा सख़्त लंड मेरी बुर के छेद पर लगा दिया….और फिर धीरे-2 दबाते हुए लंड को अंदर घुसेड़ने लगा… वो घुसेड़ता गया, और मैं उसके लंड को अंदर समेटती गयी…..

जैसे ही उसका लंड मेरी बुर की गहराइयों मे पहुँचा, तो मैं एक दम मस्त हो गयी. वो एक पल ना रुका, और अपने लंड को मेरी बुर के अंदर बाहर करने लगा….मानो जैसे स्वर्ग की वादियों मे उड़ रही हूँ….ऐसा सकून आज तक नही मिला, जैसे ही वो अगला शॉट लगाने के लिए अपना लंड मेरी फुद्दि से बाहर निकालता, मेरी कमर उसके लंड को अपनी फुद्दि मे लेने के लिए अपने आप ऊपेर की तरफ उठ जाती……उसका लंड फिर से मेरी बुर की गहराइयों मे उतर जाता….
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10-17-2018, 11:34 AM,
#14
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
वो एक स्पीड से बिना रुके अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा…..ना ही उसने मेरे मम्मोन से खेला और ना ही कोई चूमा चाटी की, 10 मिनिट बाद मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी बुर की नसें टाइट होने लगी हों…..मुझे अपनी बुर की दीवारे राज के लंड के इर्द गिर्द कस्ति हुई महसूस होने लगी…..और फिर मेरी बुर से पानी की नदी बह निकली…..मैं झाड़ कर बहाल हो गयी…”ओह्ह मेरे राजा अहह” मेने राज को अपनी बाहों मे कस लिया…..राज ने मेरी बुर मे अपना लंड पेलते हुए कहा…..”क्या कहा नजीबा तुमने….” आह्ह्ह्ह मैं अभी भी झाड़ रही थी….बुर मे अभी भी सकुंचन हो रहा था…..

मैं उस आनंद के चर्म पर थी……मेने मस्ती मे आकर उसके होंटो को चूम लिया….”मेरा राजा…..” मैं उसके सीने मे सिमटती चली गयी….” उसने फिर तेज़ी से धक्के मारे, और मेरी बुर के अंदर अपने वीर्य की बोछार करने लगा….झड़ते हुए उसने झुक कर मेरे एक मम्मे को मूह मे भर लिया….राज के मूह और जीभ का सपर्श अपने मम्मे अंगूर के दाने जितने बड़े निपल पर पाकर एक बार फिर से मेरी बुर ने झड़ना शुरू कर दिया…..मेरी बुर ने पता नही उसके लंड पर कितना पानी बहाया…..हम दोनो उसी तरह नज़ाने कितनी देर लेटे रहे…..

राज मेरे नंगे अंगो को सहलाता रहा….और मैं उससे सहल्वाती रही…..मैं खाट से उठी, और अंधेरे मे अपने कपड़े ढूँढ कर लाइट ऑन की, और कपड़े पहनने लगी……राज चारपाई से उठा…और मेरा हाथ पकड़ कर बोला…..”क्या हुआ”….मेने उसकी तरफ देखा और फिर शरमा कर नज़रें झुका ली……”सन्नी अकेला है मुझे जाने दो……”

राज: थोड़ी देर और रूको ना……

मैं: नही मुझे जाने दो…….अगर वो उठ गया तो…..

राज चुप हो गया…..मैं अपने कपड़े पहने बिना रूम से बाहर निकली और अपने रूम का डोर खोल कर अंदर झाँका अंदर सन्नी अभी भी सो रहा था…..मैं रूम मे आई, और डोर लॉक किया….और अपने कपड़े पहन कर लेट गये……रात कब नींद आई पता नही चला…सुबह जब उठी तो नाश्ता तैयार किया…..राज नाश्ता करने नीचे आया…..मैं अभी भी उसके साथ नज़रें नही मिल पा रही थी, और सन्नी की मज़ूदगी मे वो कुछ बोला भी नही बस चुपचाप नाश्ता किया, और चला गया….

पूरा दिन सन्नी की बच्कानी बातें सुन कर हँसते खेलते निकल गया…शायद आज मेरे खुश होने का कारण और भी था….मुझे नही पता था कि, मेरा ये उठाया हुआ कदम मुझे किस मुकाम की और ले जाएगा…..या आने वाले वक़्त मे मेरी तक़दीर मे क्या लिखा हुआ है…..शाम को किसी ने गेट के सामने हॉर्न बजाया….मेने सोचा ये कॉन है जो हमारे घर गाड़ी ले कर आया. जब मेने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा कि, बाहर राज बाइक पर बैठा था….वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया….और उसने बाइक घर के अंदर की स्टॅंड पर लगाई…..मैं अभी कुण्डी लगा ही रही थी कि, उसने मुझे पीछे से बाहों मे दबोच लिया……”आह क्या करते हो…कोई देख लेगा….” मैं कस्मसाइ…..”कॉन देखेगा हमे यहाँ….” राज ने मुझसे अलग होते हुए कहा.

मैं: सन्नी है ना घर पर……

राज: उसे क्या समझ वो तो बच्चा है…….

मैं: नही मुझे डर लगता है…..कुछ गड़बड़ ना हो जाए……

राज: अच्छा रात को आऊगा ना…..बैठक मे…..

मैं: ये बाइक किसकी है……

राज: आज ही खरीदी है नयी है……

मैं: हां वो तो देख ही रही हूँ……

मैं चुप रही….राज ने हाथ मे खाना पकड़ा हुआ था….जो वो ढाबे से लेकर आया था… “अब मैं ठीक हूँ…घर पर बना लेती इसकी क्या ज़रूरत थी……” मेने राज के हाथों से खाने के पॅकेट लेते हुए कहा…..”तुम बना तो लेती…….पर मैं तुम्हे काम करके थकाना नही चाहता था…….रात को तुम्हे और मेहनत करनी पड़ेगी…..” ये सुनते ही मेरे गाल शरम से लाल होकर दहकने लगे….मैं दौड़ती हुई किचन मे चली गयी…सन्नी टीवी पर कार्टून देख रहा था…..राज सीधा पहले अपने रूम मे ऊपेर चला गया…… वो काफ़ी देर ऊपेर ही रहा…….रात के करीब 9 बजे राज नीचे आया…..और मेने खाना गरम टेबल पर लगाया…..राज सन्नी के साथ वाली चेर पर बैठा था…..”आज बड़ी देर कर दी नीचे आने मे” मेने राज की ओर देखा और फिर नज़रें झुका ली…..”वो रात को जागना है तो सोचा कुछ देर सो लेता हूँ………”


फिर कुछ ख़ास बात ना हुई, राज खाना खा कर ऊपेर चला गया…..मैं सन्नी के साथ अपने रूम मे जाकर लेट गये……सन्नी थोड़ी देर मे ही सो गया….आधे घंटे बाद डोर पर नॉक हुई….मैं जानती थी कि ये राज ही है……मेरा दिल फिर से जोरो से धड़कने लगा…..मैं धीरे से बेड से नीचे उतरी….और डोर खोला…..बाहर राज खड़ा था……मुझे देखते ही, उसने मेरा हाथ पकड़ा और खेंचते हुए, बैठक की तरफ लेजाने लगा……मैं भी बिना किसी ना नुकर के खिंचती चली गयी…….रूम मे पहुँचने के बाद राज ने डोर लॉक किया, और मुझे बाहों मे भर लिया……मेरे तनी हुई चुचियाँ राज के सीने मे दबने लगी..

मैं: उनन्ं क्या कर रहे हो लाइट तो बंद कर दो ना ?

राज ने बेमन से मुझे छोड़ा और लाइट ऑफ कर दी, और फिर से मुझे बाहों मे भर कर मेरी पीठ को सहलाते हुए, मुझे अपने से चिपका लिया…….मैं भी उसके बदन से साँप की तरफ लिपटती चली गयी……सरूर मे मस्त हो चुकी थी….उसके हाथ मेरे बदन पीठ हर हिस्से को जैसे जाँच रहे थे……एक पराए मर्द के हाथों से ऐसा सकून मिलेगा….जिंदगी मे कभी सोचा नही था….फिर वही….उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए…..इस बार खड़े खड़े ही, मैं फिर से ना ना करती रही…..पर उसने मुझे एक दम नंगी कर छोड़ा……फिर वो मुझसे अलग हुआ, फिर कुछ सरसराहट सुनाई देने लगी…..दिल सोच कर धोन्कनि की तरहा बजने लगा कि राज अपने कपढ़े उतार रहा है…..फिर एक सख़्त सी चीज़ मुझे अपनी जाँघो पर चुभती हुई महसूस हुई…..मेरा बदन एक दम से थरथरा गया……ये सोच कर राज का लंड मेरी जाँघो से रगड़ खा रहा था…..

पर फिर अचानक से पता नही क्या हुआ, मेने अंधेरे बंद कमरे मे अपने आप को अकेला पाया… मुझे समझ मे नही आया आख़िर हुआ क्या है…..”राज” मैं धीरे से फुस्फुसाइ… पर कोई आवाज़ आ नही आई…..एक अजीब सा डर मेरे जेहन मे उतरने लगा…..तभी जैसे मेरे ऊपेर फाड़ टूट पड़ा हो…..रूम की लाइट ऑन हो गयी…..और मैं रूम मे ठीक बीचो-2 एक दम मादरजात नंगी खड़ी थी…राज लाइट के स्विच के पास खड़ा मेरी ओर देखते हुए अपने मुनसल जैसे लंड को हाथ मे लेकर मूठ मार रहा था…..मैं शरम से पानी-2 हो गयी….और अपनी चुचियों को अपने हाथों से छुपाती, तो कभी अपनी हथेली फेला कर अपनी झान्टो से भरी बुर को…..फिर जब मेरी शरम की इंतिहा ना रही तो…..मैं पैरों के बल नीचे बैठ गयी… अपने घुटनो को अपनी छाती से चिपका कर….और सर को घुटनो के बीच मे छुपा लिया……
राज मेरी तरफ बढ़ा……मेरी बुर मेरी जाँघो और टाँगों के बीच दबी हुई धुनक-2 करने लगी…..राज मेरी तरफ बढ़ रहा था…..पर मैं उसकी तरफ देख भी नही पा रही थी….राज मेरे पास आया…और उसने मुझे एक बार फिर से गोद मे उठा लिया…..मेने राज के सीने मे अपना चेहरा छुपा लिया….उसने मुझे खाट पर पटका…..और मेरे ऊपेर छाता चला गया…..थोड़ी देर मे ही वो मेरी टाँगों के बीच मे था….मेरी टाँगें उसकी जाँघो के ऊपेर थी….उसने अपनी हथेली मेरी बुर पर रखी, तो मेरे मूह से आह निकल गयी….मेने अपनी बुर को छुपाने की कॉसिश के तो, उसने मेरे हाथों को हटा दिया….

उसका स्पर्श इतना उतेजक था कि, मेने खाट पर पड़ी चद्दर को दोनो हाथों मे थाम लिया…. नीचे से मेरी बुर भी पानी -2 हो गयी थी…..राज का लंड मेरी बुर की फांको पर रगड़ खा रहा था……”नजीबा तुम्हारी बुर बहुत खूबसूरत है…..” उसने मेरी बुर की फांको को हाथों से फैलाया…..तो मुझे ऐसा लगा कि, मैं शरम के मारे ज़मीन मे गढ़ जाउन्गी…..खुदा के लिए ऐसी बातें ना करे राज…..” मेने बंद आँखें किए हुए लड़खड़ाती ज़ुबान मे कहा

…”क्यों ना करूँ……ऐसी बातें सुन कर ही तो चुदाई का मज़ा आता है…..” उसने अपने लंड के सुपाडे से मेरी बुर की फांको के बीच मे रगड़ा, तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा दिल अभी धड़कना बंद कर देगा…..”उफ़फ्फ़ “ राज के मूह से निकाला…पर मैं कुछ ना बोली……राज ने अपने लंड के सुपाडे को ठीक मेरी बुर के ऊपेर रखा……

और मेरे ऊपेर झुकते हुए मेरे गालो को चूमा………”सीईइ मेरे तो रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ गयी……फिर वो मेरे गालो को चूमते हुए, मेरे होंटो पर आ गया……ये पहला मोका था जब राज मेरे होंटो को चूमने वाला था….ये सोचते ही, मेरी बुर फुदकने लगी. लंड को जैसे अंदर लेने के लिए मचल रही हो…..फिर तो जैसे राज मेरे होंटो पर टूट पड़ा……और मेरे होंटो को चूसने लगा….आज तक मुझे इतना मज़ा कभी नही आया था…..सेक्स सिर्फ़ लंड बुर तक नही सिमटता…..पर ये बात मुझे आज पता चल रही थी….क्यों कि अंजुम के साथ मेने सेक्स तो ज़रूर किया था…..उन्होने मेरे होंटो को भी चूसा था….पर उनके मूह से हमेशा बीड़ी जरदे और दारू की स्मेल आती रहती थी….मेरा तो दम घुटने लगता था…

पर आज राज ने मुझे ये सुख दिया था….मैं भी बहाल होकर उससे लिपटती चली गयी….और राज का लंड धीरे-2 मेरी बुर की गहराइयों मे उतरता चला गया…..जैसे ही राज का लंड मेरी बुर की गहराइयों मे उतरा…..उसने मेरे होंटो को छोड़ दिया…..और फिर झुक कर मेरे राइट मम्मे की निपल को मूह मे भर लिया….और ज़ोर-2 से चूसने लगा…..मैं एक दम मस्त हो गयी…..मेरी बाहें राज की पीठ पर थिरकने लगी…..राज कल की तरह जल्दबाज़ी मे नही था……वो कभी मेरे होंटो को चूस्ता तो कभी मेरे मम्मों को उसने मेरे निपल्स को निचोड़-2 कर लाल कर दिया…..
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10-17-2018, 11:34 AM,
#15
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेरे होंटो मे भी सरसराहट होने लगी….जब मेरे होंटो को चूसना छोड़ता, तो खून का दोरा होंटो मे तेज होता, और तेज सरसहराहट होने लगती…..दिल करता कि राज फिर से मेरे होंटो को चूसे…..मेरी चुचियों और दोनो निपल्स का भी यही हाल था….नीचे मेरी फूदी सुबक रही रही थी….मैं इतनी मस्त हो गयी थी…..मेरी फुदी ऐंठने लगी….जब कि अभी तक राज ने एक भी बार अपने मुनसल लंड से मेरी बुर मे वार नही किया था….वो मेरे मम्मों को चूस्ता गया….और मैं आँखे बंद किए हुए चुस्वाती रही…और फिर मेरी बुर के सबर का बाँध टूट गया….मैं काँपते हुए झड़ने लगी…..पर राज तो अभी मेरे मम्मों का स्वाद लेने मे ही मगन था…वो भी जान चुका था कि मैं एक बार झाड़ चुकी हूँ….

फिर वो उठा और घुटनो के बल बैठ गया…..और अपने लंड को सुपाडे तक मेरी बुर से बाहर निकाल-2 कर अंदर बाहर करने लगा…..लंड बुर के पानी से चिकना होकर ऐसे अंदर जाने लगा. जैसे मक्खन मे छुरी……”नजीबा देखो ना तुम्हारी बुर मेरे लंड को कैसे चूस रही है आह देखो ना…..” मैं शरम के मारे पानी -2 हो रही थी……मैं पूरी रोशनी मे उसके सामने अपनी टाँगे फेलाए हुए एक दम नंगी होकर उसका लंड अपनी बुर मे ले रही थी…. और वो मेरी बुर मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था…..”आह देखो ना नजीबा…. तुम्हारी बुर कैसे मेरे लंड को चूम रही है…..देखो आह सच नजीबा तुम्हारी बुर बहुत गरम है……” राज ने झटके मारते हुए कहा……

मेरे 36 साइज़ के पर्वतों की तरहा तनी हुई चुचियाँ उसके धक्कों के साथ ऊपेर नीचे हो रही थी…..मैं जब भी अपनी चुचियों को छुपाने के कॉसिश करती, तो राज मेरे हाथो को झटक देता…….”ऐसे ना कहिए राज मुझे शरम आती है…..” राज ने मेरी ये बात सुन कर दो तीन ज़ोर दार झटके मारे…..और अपना लंड मेरी बुर से बाहर निकाल लिया…..”देखो ना नजीबा….तुम्हारी बुर की गरमी ने मेरे लंड के टोपे को लाल कर दिया है……” राज की ये बात सुन कर मैं और शरमा गयी……और मन ही मन सोचने लगी कि, सच मे बुर की गरमी से उसके लंड का टोपा लाल हो सकता है…..”देखो ना प्लीज़ एक बार….”

मेने अपनी मस्ती से भरी हुई आँखो को खोल कर राज की जाँघो की तरफ नज़र डाली, तो मुझे उसके लंड का सुपाडा नज़र आया, जो किसी टमाटर की तरहा फूला हुआ एक दम लाल हो रखा था….”या खुदा हइई माँ मुझे शरम आती है…..” ये कह कर मेने फिर से आँखे बंद कर ली “नजीबा तुम्हे मेरी कसम…अब अगर तुमने आँखे बंद करी तो…” राज की बात ने तो जैसे मेरे दिल पर ही छुरी चला दी हो…..”राज ये क्या कह रहे है आप….मुझसे नही होगा. अपनी कसम तो ना दो…..”

राज: तो फिर अपनी आँखे खोलो…..

मेने बड़ी मुस्किल से अपनी आँखे खोली……राज अभी भी मेरी बुर की फांको पर अपने लंड को रगड़ रहा था….राज के लंड का सुपाडा मुझे सॉफ नज़र आ रहा था…फिर राज ने अपने लंड को हाथ से पकड़ा और मेरी आँखों मे झाँका……और फिर लंड को बुर के छेद पर टिकाते हुए जोरदार झटका मारा……”हाईए सामीएर धीरे करो ना.,……..” फुद्दि की दीवारे जैसे मस्ती मे झूम उठी हों….मर्द क्या होता है…..ये आज मुझे पता चल रहा था…मेने राज को अपने ऊपेर खेंचा….और उसके फेस को अपने हाथों मे लेकर बोली……”राज मुझे प्यार करो…….इतना प्यार करो कि मेरा बदन पिघल जाए….” ये कहते हुए मेरे होंठ थरथराए, और बुर ऐंठी…..जैसे आज बुर ने अपने अंदर समाए लंड को अपना मान लिया हो….

मैं चाहती थी कि राज मेरे होंटो को बुरी तरह से चूसे….और ये सोच कर मेरे होंटो कांप रहे थे….शायद राज भी मेरे दिल की बात समझ गया था…..वो मेरे होंटो पर टूट पड़ा……और अपने . से चबाने लगा हल्के-2 धीरे कभी चूस्ता तो कभी होंटो से काटता….दर्द होता तो होता…..और मज़े की लहर बुर मे दौड़ जाती….मैं उससे चिपकी हुई, उसके बदन मे घुसती जा रही थी दिल कर रहा था कि दोनो बदन एक हो जाए….एक दो ना हो.. लंड फिर मेरी बुर की गहराइयों को नापने लगा था…..लंड के सुपाडे का घर्षण कितना सुखदाई होता है…..ये मैने पहले नही महसूस किया था…..मेरी सिसकियाँ और बढ़ने लगी.

मैं अब खुद अपनी टाँगों को उठाए हुए उससे चुदवा रही थी…..मस्ती के पल एक के बाद एक आते जा रहे थे…..राज के धक्कों से मेरा पूरा बदन हिल रहा था…और फिर से वही मुकाम बुर ने लंड को चारो ओर से कस लिया…..और अपना प्यार भरा रस लंड पर चढ़ाने लगी….राज के वीर्य ने भी मानो मेरी बंजर बुर की ज़मीन पर बारिश कर दी हो… पूरा बदन झटके खाने लगा….मुझे राज का वीर्य अपनी बच्चेदानी की तरफ जाता हुआ महसूस होने लगा….कैसा सुखद अनुभव था…..क्यों मेने आज तक अपनी जवानी जाया की…..

मैं दो बार झाड़ चुकी थी…..राज अब मेरे बगल मे लेटा हुआ मेरे अंगो को सहला रहा था…..मैं चारपाई से उठने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया…..”कहाँ जा रही हो ?” उसने मुझे अपनी तरफ खेंचते हुए पूछा….”अब हो गया ना…मुझे जाने दो….सन्नी उठ ना जाए…..”

राज: एक बार और करने दो ना ?

मैं: (इनका एक बार मे मान नही भरता मैने मन मे सोचा….) उफ्फ मुझे पेशाब लगी है….पेशाब तो करके आने दो ना……

राज: यही मोरी पर ही मूत लोना…..

मैं: हाए खुदा तोबा मुझे शरम नही आएगी…..

राज: अभी शरमाने के लिए बचा ही क्या है……

मैं: पर तुम दूसरी तरफ मूह करो मुझसे नही होगा…..

राज मुस्कुराया और दीवार की तरफ मूह करके लेट गया…..मुझे बहुत तेज पेशाब आया था…दो बार झड़ी जो थी…..मैं मोरी के पास गयी….और मूतने बैठ गयी……और जैसे ही मेरी बुर से मूत की धार निकली, तो बहुत तेज आवाज़ हुई…..”तोबा” मेने अपने चेहरे को हाथो मे छुपा लिया…..राज भी तो रूम मे है….इतनी तेज आवाज़ वो ज़रूर सुन रहा होगा….मेरी रूह जैसे कांप गयी हो….एक दम शर्मसार होकर मूतति रही…..करीब 1 मिनिट तक मेरी बुर से मूत के धार बहती रही….आज तक कभी इतना नही मूता था…..

जब मूतना ख़तम हुआ तो चैन के साँस ली….फिर मैं धीरे-2 चारपाई पर गयी. और अपनी पैंटी से ही अपनी बुर को सॉफ किया….राज मेरी तरफ पलटा और मेरा हाथ पकड़ कर ऊपेर खेंच लिया…..उस रात उसने मुझे फिर से चोदा…..रात को 1 बजे मैं अपने रूम मे आई और सो गयी….सुबह उठी तो बदन मे मीठा-2 दर्द हो रहा था…..सुबह राज नाश्ता कर चला गया…सन्नी की मम्मी भी आ गयी…..और सन्नी को ले गयी…दोपहर का वक़्त था कि, डोर बेल बजी…..

मेने जाकर गेट खोला तो बाहर नाजिया और उसके मामा खड़े थे….मेने सलाम किया और उनको अंदर आने को कहा….नाजिया के मामा और उनके घर का हाल चाल पूछने के बाद मेने उनके लिए चाइ नाश्ते के इंतज़ाम किया…..चाइ नाश्ते के बाद नाजिया के मामा ने वापिस जाने को कहा तो मेने कहा कि, वो आज रात रुक जाए….पर वो नही माने……उन्होने कहा कि वो स्पेशली नाजिया को छोड़ने आए थे….क्योंकि नाजिया की जून की छुट्टियाँ ख़तम हो गयी थी…. और कल से उसकी क्लासस भी स्टार्ट होने वाली थी…………

नाजिया अभी 11थ क्लास मे हुई थी….जवानी भी उस पर खूब आई थी…..पर अभी कच्ची थी…. नाजिया के आने से घर मे रोनक सी आ गयी थी……पर एक दुख था कि, अब मुझे राज को मोका आसानी से नही मिलेगा…दो रातो मे चार बार चुदने के बाद, मुझे तो जैसे राज के लंड की आदत सी लग गयी थी…..शाम को जब बाहर डोर बेल बजी तो जाकर नाजिया ने डोर खोला, नाजिया ने राज को सलाम कहा….और फिर अंदर आ गयी…..राज ने बाइक अंदर की, और ऊपेर चला गया……उस दिन कुछ ख़ास ना हुआ…..नाजिया का स्कूल घर से बहुत दूर था…..उसे बस से जाना पड़ता था……कई बार वो लेट भी हो जाती थी….

उस दिन कुछ ख़ास ना हुआ….अगले दिन राज सुबह जब नाश्ता करने नीचे आया तो, मेने गोर क्या कि, नाजिया बार-2 चोर नज़रों से राज को देख रही थी….नाजिया उस समय स्कूल यूनिफॉर्म मे थी…..उसने वाइट कलर की शर्ट और ब्लू कलर की स्कर्ट पहनी हुई थी..जो उसके घुटनो तक आती थी….उसके गोरी टाँगे देख किसी का भी मन उस पर फिदा हो जाए….
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10-17-2018, 11:34 AM,
#16
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
दोस्तो यहाँ तक आपने जो भी सुना मेरी ज़ुबानी सुना….कि मेरे साथ क्या हुआ….अब मैं जो सुनाने जा रही हूँ….वो राज और नाजिया के बीच मे हुआ था….जो बाद मे मुझे पता चला. अब मैं उनके बारे मे आपको बताने जा रही हूँ….हां तो उस दिन नाजिया कुछ ज़्यादा ही राज की तरफ देख रही थी…..बीच मे कभी जब राज नाजिया की तरफ देखता तो वो नज़रें झुका कर मुस्कुराने लग जाती……राज ने पहले फातिमा की फुद्दि मारी थी और फिर बाद मे मेरी…..राज ने उससे पहले सेक्स नही किया था….पर कुछ नालेज उसे थी…एक बात का उसे और पता चल गया था कि, औरत जिसके बच्चे ना हो और जो कम चुदि हो उनकी बुर ज़्यादा टाइट होती है….

और आप तो जानते ही हो जब एक जवान लड़के को सेक्स की लत लग जाती है….तो वो कही नही ठहरती.. ख़ासतौर पर उन लड़कों के लिए जिन्होने ऐसी औरतों से सेक्स संबंध बनाए हों….जो उन्हे किसी तरह के बंधन मे ना बाँध सकती हो….जैसे कि मैं….वो जानता था कि, मैं उसे किसी तरह अपने साथ बाँध कर नही रख सकती….अब वो उस आवारा सांड़ की तारह हो गया था…जिसे सिर्फ़ चूत चाहिए थी….हर बार नयी…बिना किसी बंधन के…

उस दिन भले ही मेरे दिमाग़ मे ये सब बातें नही थी…..वरना जो हुआ शायद ना होता…. और अगर ना होता तो शायद आज हम इतने खुशहाल ना होते….मेने सोचा कि उम्र ही ऐसी है…चलो छोड़ो मैं काम मे लग गयी…..राज ने नाश्ता किया…..और बाइक बाहर निकालने लगा. नाजिया दौड़ी किचन मे आए और बोली…..”अम्मी राज से कह दीजिए ना कि वो मुझे स्कूल छोड़ आए…” मैं बाहर आई और राज से कहा कि, क्या वो नाजिया को स्कूल छोड़ सकते है तो राज ने हां कर दी….राज ने बाइक स्टार्ट की और नाजिया उसके पीछे बैठ गयी….और फिर जो हुआ वो मुझे नाजिया से पता चला……

राज के पीछे बैठी, नाजिया बहुत खुश थी…..भले ही दोनो मे अभी कुछ नही था…..पर नाजिया राज की पर्सनॅलिटी से उसकी तरफ बहुत आकर्षित थी….दोनो मे कोई भी बात चीत नही हो रही थी…..नाजिया का स्कूल घर से काफ़ी दूर था….स्कूल से घर तक के रास्ते मे बहुत सी ऐसी जगह भी आती…..जहाँ पर एक दम वीराना सा होता…..थोड़ी देर बाद स्कूल पहुँचे, तो नाजिया बाइक से नीचे उतरी, और अपने बॅग को अपने कंधे पर लटकाते हुए राज से बोली….”थॅंक्स” राज ने नाजिया की तरफ नज़र डाली, उसकी स्कर्ट से उसकी मांसल गोरी चिकनी जांघे सॉफ नज़र आ रही थी….उसके मम्मे उसकी शर्ट के अंदर ब्रा मे एक दम कसे हुए पर्वतों की तरह तने हुए थे…..नाजिया अपनी जिंदगी के सबसे नाज़ुक मोड़ पर थी…..

जब उसने राज को अपनी तरफ यूँ घूरता पाया, तो वो सर झुका कर मुस्कुराने लगी….और फिर पलट कर स्कूल की तरफ जाने लगी…..राज वहाँ खड़ा नाजिया को अंदर जाते हुए देख रहा था….शायद पीछे नाजिया के चुतड़ों को घूर रहा था…..नाजिया ने अंदर जाते हुए तीन-2 चार बार पलट कर राज को देखा….और हर बार वो शरमा कर मुस्कुरा देती…..तभी नाजिया के सामने से दो लड़के गुज़रे और स्कूल से बाहर आए…..दोनो आपस मे बात कर रहे थे….उन्हे नही पता था कि, आज नाजिया राज के साथ आई है……


उनमे से एक लड़का बोला… “यार नाजिया तो एक दम पटाखा होती जा रही है….श्ह्ह साली की जांघे देखी, कैसी मोटी-2 और गोरी हो गयी है…..”तो दूसरा बोला……”हां यार साली की गान्ड पर भी अब बहुत चर्बी चढ़ने लागी है….देखा नही साली जब चलती है, तो कैसे उसकी गान्ड मटकती है…बस एक बार बात बन जाए तो उसकी गान्ड ही सबसे पहले मारूँगा…”

राज खड़ा उन दोनो की बातें सुन रहा था……पर राज कुछ ना बोला, उसने बाइक स्टार्ट की, और जॉब पर चला गया…..राज के दिमाग़ उन लड़को की बातें घूम रही थी…और उनकी बातें याद करते हुए, उसका लंड उसकी पेंट में अकड़ने लगा था….राज ने करीब 1 बजे तक काम किया, और फिर लंच किया…..अगली ट्रेन शाम 4 बजे की थी….और स्टेशन पर रुकने वाली आखरी ट्रेन थी….जब उसे अपना टिकेट काउंटर 3 बजे खोलना था…..और वो दो घंटो के लिए फ्री था…..सुबह से उसका लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था….

राज ने एक बार घड़ी की तरफ नज़र डाली, और फिर उठ कर बाहर आ गया…..उसने अपनी बाइक स्टार्ट की, और घर की तरफ चल पड़ा….उन लड़को की बातों ने राज का दिमाग़ सुबह से खराब कर रखा था….वो जानता था कि, नाजिया का स्कूल 3 बजे ऑफ होगा……और उसे घर पहुँचने मे भी बस से आधा घंटा लगेगा…..इसीलिए नजीबा इस समय अकेली होगी…..राज की बाइक हवा से बातें कर रही थी…..और 1:15 पर वो घर के बाहर था…….उसने घर की दीवार के साथ बाइक लगाई, और डोर बेल बजाई….थोड़ी देर बाद मेने गेट खोला तो, सामने राज को खड़े देख कर हैरान होते हुए बोली…..”क्या हुआ आज इस समय….” राज ने मेरी बात का जवाब नही दिया. और घर के अंदर आ गया……मैं गेट लॉक करने लगी…

जैसे ही मेने गेट लॉक किया…..राज ने मुझे पीछे से अपनी बाहों मे भर लिया. “अह्ह्ह्ह क्या करते हो……कोई देख लेगा…..” राज मेरी ये बात सुन कर झुंजला गया. पर अपने आप पर कंट्रोल करते हुए बोला…..”अब बंद घर के अंदर हमे कॉन देख सकता है…” ये कहते हुए, उसने मुझे बाहों मे उठा लिया….मैं ना ना करती ही रह गयी……वो मुझे उठा कर मेरे रूम मे ले आया, और मुझे सोफे के सामने खड़ा करते हुए, मुझे पीछे से बाहों मे भर लिया, और मेरी गर्दन पर अपने होंटो को रगड़ने लगा….मैने मस्ती मे आकर अपनी आँखे बंद कर ली……”छोड़ो ना राज ये कॉन सा वक़्त है…..” पर राज शायद किसी और ही धुन मे था…उसने मेरी गर्दन पर अपने होंटो को रगड़ना जारी रखा….और फिर एक हाथ से मेरी गान्ड को पकड़ कर मसलने लगा……

जैसे ही उसने अपने हाथों से मेरे चुतड़ों को दोबच कर मसला, तो मेरी तो साँसे ही उखड़ गयी….आज वो बड़ी बेदर्दी से मेरे दोनो चुतड़ों को अलग करके फेला रहा था…और मसल रहा था…..उसके कड़क मर्दाना हाथों से अपनी गान्ड को यूँ मसलवा कर मैं एक दम कामविहल हो गयी…..मेरी आँखे बंद होने लगी…..दिल धक-2 करने लगा……फिर अचानक ही उसने अपने दोनो हाथों को आगे मेरी सलवार के जबरन तक पहुँचा दिया….जब मैं राज आया था, तो मैं सो रही थी….इसीलिए मेने एक पतली सी इलास्टिक वाली सलवार पहनी हुई थी…. जैसे ही उसे अहसास हुआ कि, मेने इलास्टिक वाली सलवार पहनी है, तो उसने दोनो तरफ सलवार मे अपनी उंगलियों को फँसा कर….मेरी सलवार नीचे सरका दी…..

नीचे पैंटी भी नही पहनी थी……जैसे ही सलवार नीचे हुई, राज ने मुझे सोफे की ओर धकेला….और मैं सोफे की ओर लूड़क गयी……मेने सोफे के बॅक पर अपने दोनो हाथों को जमा लिया, और दोनो घुटनो को सोफे पर रख लिया…..”हाई क्या आज राज मेरी पीछे से लेगा.” ऐसे करने से तो उसे पीछे से मेरी गान्ड का सिकुड़ता और फेलता हुआ छेद भी नज़र आएगा……” ये सोच कर मैं शरमसार हो गयी…….”ओह्ह्ह्ह राज मत करो ना….बेड पर चलते है….” मेने लड़खड़ाती हुई ज़ुबान से राज को कहा……..

पर राज नही माना…..उसने पीछे से मेरी कमीज़ का पल्ला उठा कर मेरी कमर पर चढ़ा दिया…..मेरी सलवार पहले से ही मेरी जाँघो मे अटकी हुई थी….फिर मुझे कुछ सरसराह की आवाज़ हुई…..राज थोड़ा पीछे हटा….और पास मे ही ड्रेसिंग टेबल पर पड़े हेरआयिल को उठा लिया….उसने अपनी पेंट और अंडरवेर नीचे किया…..और ढेर सारा तेल अपने लंड पर गिरा कर उसे मलने लगा…..मैं अपने चेहरे को पीछे घुमा कर अपनी नशीली आँखों से उसे ये सब करता हुआ देख रही थी….फिर उसने वो आयिल की बोतल को टेबल पर रखा….मेरे पीछे आकर खड़ा हुआ, अपने घुटनो को थोड़ा सा मोड़ कर झुका…..और अगले ही पल उसके लंड का मोटा गरम सुपाडा मेरी बुर की फांको को फेलाता हुआ, मेरी बुर के छेद पर आ लगा…..
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10-17-2018, 11:35 AM,
#17
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
ऐसा लगा मानो बुर पर किसी ने सुलगती हुई सलाख रख दी हो……मेने सोफे की बॅक को कस्के पकड़ लिया….राज ने मेरे दोनो चुतड़ों को पकड़ कर ज़ोर से फेलाते हुए, एक ज़ोर दार धक्का मारा…राज का लंड मेरी बुर को चीरता हुआ, अंदर घुसता चला गया…..मैं एक दम से सिसक उठी……”हाईए माँ मरी……..” राज ने अपना लंड जड तक मेरी बुर मे घुसेड़ा हुआ था…..उसने वैसे ही झुक कर फिर से वो तेल वाली बोतल उठाई….और मेरी गान्ड के ऊपेर करते हुए, आयिल को गिराने लगा…जैसे ही आयिल की धार मेरी गान्ड के छेद पर पड़ी……मैं बुरी तरह से मचल उठी…..राज ने बोतल को नीचे रखा. और फिर अपना लंड धीरे-2 अंदर बाहर करने लगा…..
गान्ड से बहता हुआ तैल नीचे राज के लंड और मेरी बुर पर आने लगा….तभी उसने वो किया जिससे मैं एक दम से उचक से गयी…..पर राज ने मुझे मेरी कमर से कस्के पकड़ लिया, राज ने अपनी उंगली को मेरी गान्ड के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया….मेरी कमर को पकड़ते ही, उसने तीन चार जबरदस्त वार मेरी बुर पर किए, चूत बहाल हो उठी, और मुझ मे विरोध करने की शक्ति ना बची….उसने फिर से मेरी गान्ड को दोनो हाथों से दबोच कर फैलाया, और फिर अपने दाएँ हाथ के अंगूठे से मेरी गान्ड के छेद को कुरदेने लगा…..

एक के बाद एक मेरी कमर उसके अंगूठे की हरकत के साथ झटके खाने लगी….उसका लंड एक रफतार से मेरी बुर के अंदर बाहर हो रहा था….और उसका अंगूठा अब मेरी गान्ड के छेद को और ज़ोर से चौड़ाने लगा था….मैं इतनी गरम हो चुकी थी कि, अब मैं राज का विरोध करने की हालत मे नही थी….वो जो भी कर रहा था….मैं चुप चाप उसका लंड अपनी चुनमुनियाँ मे लेते हुए करवा रही थी…उसने मेरी गान्ड के छेद को अब उंगली से दबाना शुरू कर दिया…..तैल की वजह से और उसकी उंगली रगड़ के कारण मेरी गान्ड का कुँवारा छेद नरम होने लगा…

और मुझे अपनी गान्ड के छेद पर मस्ती से भरी हुई गुदगुदी होने लगी थी…..जिसे महसूस करके मेरी बुर और पानी बहा रही थी…..फिर उसने अपनी उंगली को धीरे-2 से मेरी गान्ड के छेद पर दबाया….और उंगली का अगला भाग मेरी गान्ड के छेद मे उतरता चला गया…पहले तो कुछ खास महसूस नही हुआ….पर जैसे ही उसकी आधे से थोड़ी कम उंगली मेरी गान्ड के छेद मे घुसी, तो मुझे तेज दर्द महसूस हुआ…..”आहह राज मत करो दर्द हो रहा है…” राज शायद समझ गया था कि, मेरी गान्ड का छेद एक दम कोरा है…..वो कुछ पलों को रुका और फिर उतनी ही उंगली मेरी गान्ड के छेद के अंदर बाहर करने लगा……

उसने मेरी बुर से अपने लंड को बाहर निकाला, और फिर गान्ड के छेद से उंगली को निकाल कर बुर मे पेल दिया…और बुर मे अंदर बाहर करते हुए घूमने लगा….”हाई राज ये क्या क्या कर रहे है आप ओह्ह्ह्ह ऐसे मत करिए…..” राज ने फिर से मेरी बुर से उंगली बाहर निकाली, और बुर मे अपना मुन्सल लंड घुसेड कर धक्के लगाने शुरू कर दिए… उसके उंगली मेरी बुर के पानी से एक दम तरबतर हो चुकी थी…..उसने फिर उसी उंगली को मेरी गान्ड के छेद पर लगाया….और मेरी बुर के पानी को गान्ड के छेद पर लगाते हुए तर करने लगा….मुझे ये सब बड़ा अजीब सा लग रहा था…..राज ने फिर से अपनी उंगली मेरी गान्ड के छेद मे घुसेड दी….इस बार राज ने कुछ ज़्यादा ही जल्दबाजी दिखाई…..

अगले ही पल उसकी पूरी उंगली मेरी गान्ड के छेद मे थी….मैं दर्द से एक दम कराह उठी..” भले दर्द बहुत ज़्यादा नही था…..” पर मुझे अब तक राज के इरादे समझ आ चुके थे. और मैं उसके इस इरादे से घबरा गयी थी….”हाई राज ईए क्या कर रहे है…..वहाँ से उंगली निकाल लो……बहुत दर्द हो रहा है……” पर राज ने मेरी कहाँ सुनी…वो अब अपनी एक उंगली को मेरी गान्ड के छेद मे अंदर बाहर करने लगा…..मुझे दर्द हो रहा था….पर कुछ पल और कुछ पल और मेरी गान्ड का छेद और नरम और नरम पड़ता गया….मेरी बुर के पानी और तैल ने गान्ड के छेद के छल्ले की सख्ती बहुत कम दी थी…..

अब तो राज बिना किसी रोक टोक के मेरी गान्ड के छेद को अपनी उंगली से चोद रहा था…..मैं एक दम मस्त हो गयी…..मुझे पता नही चला कि, कब राज की दो उंगलियाँ मेरी गान्ड के छेद के अंदर बाहर होने लगी……तभी दर्द तो कभी मज़ा कैसा अजीब है ये सेक्स का मज़ा….. फिर राज ने अपना लंड मेरी बुर के छेद से बाहर निकाला, और मेरी गान्ड के छेद पर टिका दिया. उसकी इस हरकत से मैं एक दम दहल गयी……”नही राज ये ऐसा मत करो…..मैं दर्द सहन नही कर पाउन्गी…….” पर राज तो जैसे मेरी बात सुनने को तैयार ही नही था….

उसने दो तीन बार अपने लंड के सुपाडे को मेरी गान्ड के छेद पर रगड़ा, और फिर धीरे-2 मेरी गान्ड के छेद पर दबाता चला गया…..जैसे ही उसके सुपाडे का अगला हिस्सा मेरी गान्ड के छेद मे उतरा…..मैं बिचक कर आगे हो गयी….दर्द बहुत तेज था……”नही राज मुझसे नही होगा…..तुम्हे हो क्या गया है….” मेने अपनी गान्ड के छेद को अपनी उंगलियों से सहलाते हुए कहा….”चुप कर मुझे आज तेरे गान्ड मारनी ही है……..” ये कह कर उसने मुझे सोफे से खड़ा किया, और खेंचते हुए बेड पर लेजा कर पटक दिया…..

फिर उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर उठाया और अपने कंधे पर रखा लिया….और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर मेरी गान्ड के छेद पर टिका दिया…..मैं समझ चुकी थी…अब राज एक नही सुनने वाला…..”धीरे से करना राज” मेने अपने हाथों मे बेडशीट को दोबचते हुए कहा……और अगले ही पल “गच” एक तेज आवाज़ के साथ उसका लौडा मेरी गान्ड के छेद को चीरता हुआ, आधे से ज़्यादा अंदर घुस गया…..दर्द के मारे मेरा पूरा बदन ऐंठ गया….आँखे जैसे पथरा गयी….मूह खुल गया….और मैं साँस लेने के लिए तड़पने लगी. मुझे यकीन नही हो रहा था कि, राज मेरे साथ इतनी वहसियत से पेश आएगा…

“बस नजीबा हो गया……..बस हो गया……..” और उसने उतने ही लंड को मेरी गान्ड के छेद के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….उसके हर धक्के के साथ मुझे अपनी गान्ड के छेद का माँस भी अंदर बाहर खींचता हुआ महसूस हो रहा था……पर उसका लंड तैल और मेरी बुर के पानी से एक दम भीगा हुआ था…..इसलिए गान्ड का छेद थोड़ा नरम हो गया था… 1 मिनिट 2 मिनिट 3 मिनिट बीते किसी तरह और मेरी गान्ड मे उठा दर्द अब ना के बराबर रह गया था…..अब उसके लंड के सुपाडे की रगड़ मुझे अपनी गान्ड के अंदर की दीवारो पर सुखद अहसास कराने लगी थी…..मैं आहह ओह्ह करने लगी….

.”दर्द हो रहा है अभी भी….” उसने अपने लंड को और अंदर की ओर धकेलते हुए कहा

……”आह थोड़ा सा हो रहा है……तुम जल्दी करो…..” मेने उसे जल्द से पानी छोड़ने के लिए कहा…..धीरे-2 अब उसका पूरा लंड मेरी गान्ड के छेद के अंदर बाहर होने लगा….दर्द और मस्ती की तेज लहर बदन मे दौड़ रही थी……ढेरे-2 उसके धक्को की रफतार बढ़ने लगी….और फिर वो मेरी गान्ड के छेद में झड़ने लगा….. पिछला एक घंटा बहुत मुस्किल से बीता था…..राज ने अपना लंड बाहर निकाला….और मेरी सलवार से सॉफ करके बाहर चला गया…..

मैं किसी तरह उठी, और बाथरूम मे गयी…..अपनी बुर और गान्ड को अच्छे से धोया…और फिर कपड़े पहन कर बाहर आई…..राज वापिस चला गया….अब राज जब स्टेशन पर पहुँचा तो 3 बजे चुके थे……राज ने टिकेट काउंटर खोला और काम मे बिज़ी हो गया. स्टेशन पर सिर्फ़ एक टिकेट विंडो थी…..जो मेन कंट्रोल रूम मे ही थी…


राज से कुछ ही दूरी पर एक टेबल अनीता नाम की औरत का था…..उसकी उम्र उस समय लगभग 40 साल की थी….उसके बच्चे अब्रॉड मे स्टडी कर रहे थे…..और हज़्बेंड की पोस्टिंग दूसरे सहर के स्टेशन पर थी……अनीता अपनी साँस के साथ रेलवे कॉलोनी मे बने फ्लॅट मे रहती थी. उसके पास 3 रूम का फ्लॅट था……

उसके हज़्बेंड महीने मे दो बार आते थे…..अनीता पढ़ी लिखी और खुले विचारो वाली औरत थी….और बेहद रंगीन मिज़ाज थी…..शादी शुदा जिंदगी के 20 सालो मे वो 5-6 लंड तो ले ही चुकी थी….पर वो हरकीसी ऐरे गैरे के साथ ही संबंध नही बनाती थी….
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10-17-2018, 11:35 AM,
#18
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
अनीता से आगे रुक्मणी का टेबल था…..रुक्मणी का रुक्मणी भी 40 साल की थी…..रुक्मणी का एक ही बेटा था…..जो देल्ही मे रह कर पढ़ रहा था….उसके हज़्बेंड का तीन साल पहले बहुत बुरा आक्सिडेंट हो गया था….जिसके कारण उसके हज़्बेंड पॅरलेलिज़्ड हो गये थे…..और बेड पर पड़े रहते थे…..उनकी देख भाल के लिए उन्होने एक कामवाली को रखा हुआ था…जो उनके सारे काम करती थी….रुक्मणी के हज़्बेंड को भी गवर्नमेंट जॉब से रेटायरमेंट मिली हुई थी…दोनो की कमाई काफ़ी थी…..इसीलिए सुख की जिंदगी जी रही थी….वो शहर से थोड़ा सा बाहर अपने खुद के मकान मे रहती थी….जो उसके पति का पुस्तैनी घर था…..घर काफ़ी बड़ा था….रुक्मणी के घर मे 6 बेड रूम थे…..तीन नीचे और तीन पहली मंज़िल पर……

शाम के समय तक लगभग सारा स्टाफ फ्री हो जाता था….राज अभी अपने काम मे वयस्त था…..धीरे-2 मुसाफिर जो टिकेट लेने के लाइन मे खड़े थे, कम हो गये. राज अपनी चेअर पर आँखे मूंद कर बैठ गया….स्टेशन मास्टर अंजुम बाहर निकल गये…..

जैसे ही अजमल बाहर गया तो दोनो औरतें शुरू हो गयी…..रुक्मणी अनीता के पास आकर बैठ गयी…..”और अनीता कल तो तेरा पति आया था…..खूब चुदाई की होगे तुम लोगो ने…..”

अनीता: अर्रे धीरे बोल वो राज भी है….अगर उसने सुन लिया तो…..

रुक्मणी: अर्रे सुन लेगा तो क्या होगा……उसके पास भी तो लंड है…..और सारी दुनिया करती है ये काम…..हम क्यों किसी से डरे…..

अनीता: अर्रे नही यार अच्छा नही लगता…..अगर सुन लेगा तो क्या सोचेगा बेचारा…..

रुक्मणी: तू वो छोड़ बता ना कल तो ज़रूर तेरी गान्ड का बॅंड बजाया होगा भाईसहाब ने..

अनीता: अर्रे कहाँ….अब उनमे वो बात नही रही……ऊपेर से इतनी तोंद (पेट बाहर निकाल लिया है…..कि दो तीन धक्को मे ही उनकी साँस फूलने लगती है…..)

रुक्मणी: तो मतल्ब कुछ नही हुआ हाँ….?

अनीता: अर्रे नही वो बात नही है…..पर अब वो मज़ा नही रहा….एक तो उनका मोटापा और अब उम्र का असर भी होने लगा है…..कितनी बार कह चुकी हूँ कि सुबह जिम मे जाया करें कसरत वसरत कर करें…..पर मेरी सुनते ही कहाँ है वो…..

रुक्मणी: मतलब तेरी गान्ड का बॅंड नही बजा इस बार हाहाहा……

अनीता: अर्रे कहाँ गान्ड तो मारी…पर लंड बड़ी मुस्किल से घुसा पाते है अब गान्ड मे. अब तो उनका लौडा भी ढीला पड़ने लगा है……तुम्हे तो सब पता है….जब तक गान्ड से पुर्र्रर-2 की आवाज़ ना आए, तो मज़ा कहाँ आता है……और उसके लिए मोटा सख़्त लंड चाहिए….तू सुना तेरी कैसे चल रही है…तेरा भतीजा तो तेरी गान्ड की बॅंड तो बजा ही रहा होगा…..

रुक्मणी: ह्म्म क्या यार क्यों दुखती रग पर हाथ रखती हो…..यार उसकी माँ ने एक दिन देख लिया था….तब से वो घर नही आया…..

अनीता: चल पहले तो बहुत ऐश कर ली तूने…..देख कितनी मोटी गान्ड हो गयी है तेरी….

रुक्मणी: यार बुर तक तो ठीक था लड़का……पर साले का 5 इंच का लंड क्या खाक मेरी गान्ड की बॅंड बजाता…..सिर्फ़ 2 इंच ही अंदर जाता था…..बाकी 2-3 इंच तो चुतड़ों मे ही फँस कर रह जाता था…….

रुक्मणी की ये बात सुन कर अनीता खिलखिला कर हँसने लगी…..”अनीता तुम्हे वो आदमी याद है…..जो उस दिन इस स्टेशन पर ग़लती से उतार गया था…..” रुक्मणी की बात सुनते ही, अनीता की बुर से पानी बाहर आकर उसकी कच्छि को भिगोने लगा…..

अनीता: यार मत याद दिला उसकी…..साले का क्या लंड था…..एक दम मुनसल था मुनसल…

रुक्मणी: हां यार मर्द हो तो वैसा….साले ने हम दोनो की गान्ड रात भर बजाई थी…गान्ड और बुर दोनो का ढोल बजा दिया….कैसे गान्ड से पर-2 की आवाज़ आ रही थी तेरे….

अनीता: और तेरी गान्ड ने क्या कम पाद मारे थे…..साले के धक्के थे ही इतने जबरदस्त कि, साली गान्ड हवा छोड़ ही देती थी….

रुक्मणी: हां अन्नू यार मेरी तो अभी से गान्ड और चूत मे खुजली होने लगी है….कुछ कर ना….यार कहीं से लंड का इंतज़ाम कर……

अनीता: यार वैसे लौन्डे तो बहुत पीछे है……पर साला काम का कॉन सा है….पता नही लग रहा…अब हर किसी को तो ये कहने नही लगी कि, पहले अपना लंड दिखा….किसी साले को घर बुला लिया….और बाद मे 5 इंच की नुन्नि निकली तो फिर सारा काम बिगड़ ना जाए…..

रुक्मणी: यार मैं तो नज़रें जमाए हुए हूँ….तू भी देख शायद कोई काम का लौंडा मिल जाए…..
उधर उन दोनो से थोड़ी दूर बैठा राज उनकी बातों को सुन कर एक दम हैरान था….उनकी बातें सुन कर उसका लंड एक दम तन चुका था….और अब दर्द भी करने लगा था….राज इतना तो जान गया था कि, ये साली दोनो शरीफ दिखने वाली औरतें कितनी चुदेल है….और उसे अब उनकी दुखती रग का भी पता था…..रुक्मणी और अनीता दोनो उँची कद काठी की औरतें थी…..दोनो की हाइट 5 फुट 6 इंच के करीब थी…..दोनो के गान्ड बहुत बड़ी और बाहर की ओर निकली हुई थी….दोनो ज़्यादातर साड़ी ही पहनती थी….

शाम को राज घर वापिस आया, और ऊपेर चला गया….शाम के 5:30 हो रहे थे…लाइट एक बार फिर से गुल थी….नाजिया पढ़ने के बहाने ऊपेर छत पर आकर चेर पर बैठ गये. नजीबा नीचे काम में बिज़ी थी….जब राज ने नाजिया को बाहर छत पर देखा तो वो भी रूम से निकल कर बाहर आ गया……और इधर उधर टहलने लगा….नाजिया चोर नज़रों से बार-2 राज की और देख रही थी….”कैसे रहा आज स्कूल में” राज ने नाजिया के पास से गुज़रते हुए कहा…..नाजिया राज की आवाज़ सुन कर एक दम चोन्कि, और फिर नज़रें झुका कर मुस्कुराते हुए बोली….”जी अच्छा रहा….”

राज: (फिर से नाजिया के पास से गुज़रते हुए) एक बात पूछूँ……

नाजिया: (नज़रे किताब में गढ़ाए हुए) जी…….

राज: क्या स्कूल मे स्कर्ट पहन कर जाना ज़रूरी है…..?

नाजिया: (नाजिया को राज के ये सवाल अजीब सा लगा) जी स्कूल मे यही ड्रेस है….

राज: क्यों सलवार कमीज़ में नही जा सकते…….

नाजिया: नही स्कूल वाले अलाउ नही करते….पर आप क्यों पूछ रहे है….क्या कुछ ग़लत है.

राज: नही स्कर्ट पहनना तो ग़लत नही है…..पर जब तुम स्कूल के अंदर गयी तो, तुम्हे याद है तुम्हारे सामने से दो लड़के आ रहे थे बाहर की तरफ….

नाजिया: हां वो तो मेरी ही क्लास में है…..तो क्या हुआ…..?

राज: कुछ नही वो बस तुम्हारे बारे में कुछ ग़लत कह रहे थे……

नाजिया: क्या बोल रहे थे….वो……

राज: छोड़ो त तुम्हे नही बता सकता…कि कैसे कैसे गंदे वर्ड्स बोल रहे थे तुम्हारी बारी…..

नाजिया: वो है ही ऐसे आवारा……..उनके तो कोई मुँह भी नही लगता……

राज: वैसे वो जो भी बोल रहे थी तुम्हारे बारे है तो वो सच…

नाजिया: (राज की बात सुन कर हैरान परेशान रह गयी….) क्या ?

राज: हां सच कह रहा हूँ……अगर टाइम आया तो तुम्हे जरूआर बताउन्गा…..

ये कह कर राज अपने रूम मे चला गया…..नाजिया लड़को की बातों से अंज़ान नही थी. कुछ तो उसे भी मालूम ही था…..उस रात कुछ ख़ास नही हुआ, नाजिया की मौजूदगी में राज और में दूर -2 ही रहे…..मैं उस रात खूब सोया……अगले दिन भी राज ही नाजिया को चोदने को गया……उस दिन राज सिर्फ़ एक लोवर और टी-शर्ट पहन कर ही स्टेशन पर गया… ये राज ने पहले से प्लान कर रखा था…..जब राज स्टेशन पर पहुँचा तो, आजमल ने राज से कहा…..”अर्रे यार क्या बात है…..आज नाइट सूट में ही चले आए हो….ख़ैरयत तो है…..”

राज: हाँ सिर सब ठीक है बस थोड़ी सी तबीयत खराब थी….इसलिए नहाने और तैयार होने का मन नही किया….ऐसे ही चला आया…..

आजमल: यार अगर तबीयत खराब थी तो फोन कर देते….और आज घर पर रेस्ट कर लेते…

राज: सर घर में पड़ा-2 बोर हो जाता…..और वैशे भी यहाँ काम होता ही कितना है….

आजमल: हाँ वो तो है, वैसे मेडिसिन ली ना ?

राज: जी सर खाई है…..

राज जाकर अपनी चेर पर बैठ गया….उसने टिकेट काउंटर खोला और पहली ट्रेन के मुसफ़ीरों को टिकेट देने लगा…..थोड़ी देर बाद रुक्मणी और अनीता भी आ गयी…..राज से हाए हेलो बोल कर वो अपने कामो में लग गयी……
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10-17-2018, 11:35 AM,
#19
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
अगली ट्रेन एक घंटे बाद थी….कुछ मुसाफिर तो अगली ट्रेन के टिकेट पहले से ही ले चुके थे….राज चेर पर बैठा-2 कल की तरह रुक्मणी और औराधा की बातों को सुनने लगा…..कंट्रोल रूम में पीछे की तरफ बाथरूम थे……जिनमे एक लॅडीस था और एक जेंट्स….तभी अनीता उठ कर बाथरूम की तरफ गयी….तो वो राज के पीछे से गुज़री…..राज की जैसे ही नज़र साड़ी में क़ैद अनीता की गान्ड पर पड़ी….राज का लंड तुनक उठा…..और उसका लंड पाजामे में कुलाँचे भरने लगा…..राज ने जो प्लान सोचा था….अब उसको काम में लाने का टाइम आ गया था….”आहह कैसे दिखती होगी अनीता की गान्ड कितनी मोटी है साली के एक बार मिल जाए तो आह….” ये सोचते हुए राज का लंड पूरी औकात में आ गया…..

राज के लंड ने उसके पाजामे में तन कर तंबू सा बना दिया….जो बाहर से देखने से सॉफ पता चल रहा था….थोड़ी देर बाद अनीता के कदमो की आवाज़ आई…..राज अपनी पीठ पीछे टिका कर चेर पर लेट सा गया….और अपने पायजामे के ऊपेर से अपने लंड को जड से पकड़ लिया….ताकि वो ज़्यादा से ज़्यादा बड़ा दिख सके….उसने अपनी आँखें बंद कर ली, और वोही हुआ जो राज चाहता था….जब अनीता वापिस आई, और राज के पीछे से गुजरने लगी, तो उसकी नज़र राज पर पड़ी…जो अपने हाथ से अपने लंड को पाजामे के ऊपेर से पकड़े हुए था….अनीता एक दम धीरे-2 चलाने लगी…..और राज के लंड का मुयायना करने लगी….

पर वो रुक नही सकती थी….वो वापिस अपने टेबल पर आए और चेर पर बैठ कर सोचने लगी. थोड़ी देर सोचने के बाद, उसने रुक्मणी को धीरे से बुलाया, और अपने पास आने को कहा.. रुक्मणी उठी, और चेर खिसका कर अनीता के पास करके बैठ गयी….

अनीता: (एक बार इधर उधर देख कर) अये रुक्मणी वो देख लगता है, आज राज हीरो का लंड उसे तंग कर रहा है….देख साला कैसे अपने लंड को पकड़ कर बैठा है….

रुक्मणी: तुमने देखा उसे अपना पकड़े हुए….?

अनीता: हां अभी देखा है…..ये देख तो सही….

रुक्मणी उठी, और बाथरूम की तरफ जाने लगी…..जब वो राज के पीछे से गुज़री, तो उसने पलट कर तिरछी नज़रों से राज की तरफ देखा, जो अभी भी अपने आँखे बंद किए हुए, लेटा हुआ था….राज ने अभी भी अपने लंड को हाथ में पाजामे के ऊपेर से थाम रखा था….रुक्मणी अच्छे से तो नही देख पे…..पर वो बाथरूम में चली गयी…रुक्मणी के जाने के बाद, राज उठा और बाथरूम की तरफ चला गया….वो बाथरूम में घुसा, और जान बूझ कर कुछ आहह अह्ह्ह की आवाज़ की, और अपने पाजामे को नीचे सरका दिया….

राज ने अपने बाथरूम का डोर थोड़ा सा खोल रखा था….और दीवार की तरफ देखते हुए, अपने लंड को हाथ से सहलाने लगा….रुक्मणी उससे अगले बाथरूम में बैठी हुई राज की आवाज़ सुन कर चोंक गयी….वो बाथरूम से बाहर आई तो उसने देखा कि साथ वाले जेंट्स बाथरूम का डोर हलका सा खुला हुआ था….अंदर लाइट जल रही थी…..जिससे अंदर का नज़ारा सॉफ दिखाई दे रहा था…..रुक्मणी धीरे से थोड़ा आगे बढ़ी….और दीवार से सटते हुए अंदर झाँका…..उसके हाथों मे पहनी हुई चूड़ियों की आवाज़ ने उसकी मौजूदगी से राज को आगाह करवा दिया…..राज ने अपने लंड को जड से पकड़ कर दबाया, और उसका लंड और लंबा हो गया…..जैसे ही रुक्मणी ने अंदर देखा तो उसका केलज़ा मुँह को आ गया…..

अंदर राज अपने मुनसल जैसे लंड को हिला रहा था…..राज के लंड की लंबाई और मोटाई देख कर रुक्मणी की गान्ड का छेद फुदकने लगा….बुर कुलबुलाने लगी…..राज ने थोड़ी देर अपने लंड का दीदार रुक्मणी को करवाया, और अपना पाजामा ऊपेर करने लगा…. रुक्मणी जल्दी से वापिस आ गयी…..और अनीता के पासकर बैठ गयी….उसकी साँसे उखड़ी हुई थी. और आँखो में जैसे वासना का नशा भरा हो…..”क्या हुआ रुक्मणी…तेरी साँस क्यों फूली है….” अनीता ने रुक्मणी के लाल चेहरे और उखड़ी हुई सांसो को देख कर पूछा….”पूछ मत यार, क्या लौडा है साले अपने हीरो का…..बाप रे बाद इतना बड़ा और मुनसल जैसा लंड साला जैसे गधे का लंड हो….”

अनीता: क्या बोल रही है तू…..?

रुक्मणी: सच कर रही हूँ अनु……तू अगर एक बार देख लेती, तेरी बुर की धुनकि बजने लगती….साले का ये लंबा लंड है….(रुक्मणी ने हाथ से इशारा करते हुए दिखाया…) और इतना मोटा….मेने तो इतना मोटा लंड कभी नही देखा…

अनीता: सच कह रही है तू ?

रुक्मणी: हां सच में तेरी इस मोटी गान्ड की कसम….

अनीता: चुप कर रंडी साली जब देखती हूँ….मेरी गान्ड के पीछे ही पड़ी रहती है.

रुक्मणी: तो क्या बोलती है…..साले चिकने को फँसाया जाए…..

अनीता: नही रुक्मणी ये ठीक नही……देख वो हमारे साथ जॉब करता है….जवान खून है अगर साले ने बाहर किसी के सामने कुछ बक दिया तो ख़ामाखाँ बदनामी हो जाएगी…

रुक्मणी: अर्रे यार कुछ नही होता साले को सॉफ -2 बोल देंगे मज़ा लो और अपना -2 रास्ता नापो. और तू तो है ही समझदार….यार पटा ना उसे….

अनीता: अच्छा -2 देखती हूँ…पहले ये तो पता चले साले का लौडा बुर और गान्ड मारने के लिए उतावला है भी या नही….

रुक्मणी: यार कुछ भी कर पर जल्दी कर…..मेरी बुर और गान्ड दोनो छेद में खुजली हो रही है….जब से उसका लंड देखा है…..

अनीता: अच्छा तू बैठ अपनी टेबल पर जाकर….देखती हूँ कि, अपना चिकना हाथ आने वाला है कि नही….

रुक्मणी अपने टेबल पर जाकर बैठ गयी….और अनीता उठ कर राज के पास गयी…और राज के पास जाकर चेर पर बैठते हुए बोली…..”और राज बाबू कैसे हो…..क्या बात है आज बड़े फॉर्मल कपड़ो में जॉब पर चले आए…..”

राज: वो बस ऐसे आज तबियत थोड़ी खराब थी…..नहाने और तैयार होने का मन नही किया, तो ऐसे ही चला आया…..

अनीता: ( थोड़ा सा झुक कर उसे अपने ब्लाउज के अंदर क़ैद दोनो तरबूजों के बीच की घाटी के दर्शन करवाती हुई) उफ्फ ये गरमी भी ना…..और कहाँ पर रह रहे हो……

राज: ये वो जो अपने यहाँ काम करता है ना अंजुम उसी के घर पर किराए पर रह रहा हूँ.

अनीता: अच्छा कितना किराया ले रहा है वो तुमसे….

राज: ये खाने का मिला कर 4000 रुपये दे रहा हूँ…..

अनीता: ये तो बहुत ज़्यादा है….पहले बताया होता तो तुम्हे रुक्मणी के घर मे रूम दिलवा देती…..उसका इतना बड़ा घर है….और रहने वाले सिर्फ़ दो जने है बेटा उनका बाहर देल्ही में पढ़ रहा है…..

राज: कोई बात नही में ठीक हूँ….

अनीता: और कभी हमारे साथ भी बैठ कर बातें वाते कर लिया करो…..यूँ अकेले बैठे-2 बोर नही हो जाते……

राज: जी ज़रूर….में सोचता था कि शायद आप दोनो को बुरा ना लगे कि में आपके साथ ही चिपका रहता हूँ……

अनीता: अर्रे चिपकने को थोड़ा ही बोला है…बातें करने को कह रही हूँ…..
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10-17-2018, 11:35 AM,
#20
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
राज: ओह्ह सॉरी मेरा मतलब वो नही था…..वैसे में भी बोर हो जाता हूँ….घर जाकर भी अकेले रूम मे बैठा-2 उकता जाता हूँ…..

अनीता: तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है कि नही…..

राज: नही….

अनीता: क्यों हॅंडसम अच्छी शक्ल सूरत है बॉडी भी अच्छी बनाई हुई है…..फिर क्यों नही है…..

राज : वैसे और भी एक बहुत खूबी है मुझमे…..पर आप तो जानती है ना…आज कल की लड़कियों को….बस महँगे-2 गिफ्ट और बदले में क्या….बस पैसे बर्बाद…..

अनीता: अच्छा शाम को क्या कर रहे हो…..?

राज: कुछ ख़ास नही….

अनीता: तो चलो आज रुक्मणी के घर मे पार्टी करते है….ड्रिंक तो कर ही लेते हो ना.

राज: जी कभी-2

अनीता: और कोई शौक भी है तो बता दो…..उसका अरेंज्मेंट भी कर लेंगे…

राज: जी शौक तो बहुत है…..जैसे-2 जान पहचान बढ़ेगी…..आपको पता चल जाएगा…

अनीता: अच्छा ऐसी बात है…चलो देखते है…..
इस दौरान राज बार-2 अनीता की बड़ी-2 चुचियों को उसके ब्लाउज मे देख रहा था…और अनीता राज के लंड को उसके पाजामे मे झटके ख़ाता हुआ सॉफ देख रही थी…. अनीता उठी, और अपनी मोटी गान्ड मटकाते हुए जाने लगी…..”भूलना नही आज शाम रुक्मणी के घर पर……रुकमणी से घर का अड्रेस समझ लेना….” अनीता ने जाते हुए कहा. थोड़ी देर बाद रुक्मणी उसके पास आई…..”तो क्या इरादा है राज” राज ने चोंक कर रुक्मणी की तरफ देखा…..”जी इरादा तो नेक है……बस आपके हुकम का इंतजार है….” रुक्मणी ने अपने होंटो को दाँतों से काटते हुए कहा…..”अच्छा ये लो इसमे मेरा अड्रेस लिखा है….और मोबाइल नंबर. भी घर आ जाना अगर रास्ता ढूँढने में तकलीफ़ हो तो फोन कर देना…

राज: जी ठीक है….वैसे आपके घर वाले मतलब आपके हज़्बेंड कोई ऐतराज तो नही होगा.

रुक्मणी: अर्रे कहाँ वो तो ना ही उठ सकते है, और ना ही चल फिर सकते है…

ये कह कर रुक्मणी भी चली गयी….दोनो ने 1 घंटा पहले ही, छुट्टी ले ली…..रुक्मणी पहले अनीता के साथ उसके फ्लॅट मे गयी….वहाँ पर से अनीता ने अपनी एक साड़ी एक नाइटी और कुछ समान लिया….और फिर अपनी सास को बोला कि वो आज रुक्मणी के घर पर ही रहेगी.. वो पहले भी कई बार रुक्मणी के घर रात बिता चुकी थी…..फिर दोनो रुक्मणी के घर की तरफ ऑटो से चली गयी….रुक्मणी ने रास्ते मे से, खाने पीने की कुछ चीज़ें खरीदी और फिर घर पहुँच गई….

घर मे आकर उसने अपनी नौकरानी बिमला को बुलाया…..जब बिमला आई तो उसने उसे रात का खाना तैयार करने के लिए कहा…..और उसे कहा कि, वो 2 बोतल वाइन की अपनी पति से मंगवा दे…रुक्मणी ने उसे पैसे दिए….और बिमला पास ही के घर में चली गयी….जहा पर वो किराए पर रहती थी…..उसका पति दो बोतल वाइन ले आया….और बिमला ने वो वाइन रुक्मणी को लाकर दी…..रात की चुदाई की पार्टी का इंतज़ाम हो चुका था…..

दूसरी तरफ राज ने भी अपना काम ख़तम किया, और स्टेशन से बाहर आकर अपना मोबाइल निकाला , और घर पर फोन किया….फोन नाजिया ने उठाया….राज ने उससे कहा कि, आज रात कुछ ज़रूरी काम से उसे स्टेशन पर ही रुकना पड़ेगा….राज कुछ देर मार्केट मे घमता रहा….जब अंधेरा होने लगा तो, उसका फोन बजने लगा…..फोन अनीता का था….

अनीता: हेलो राज कहाँ रह गये……

राज: जी अभी आ रहा हूँ….थोड़ी देर मे पहुँच जाउन्गा….

अनीता: ठीक है…..जल्दी आओ…..

फोन कट…..राज ने बाइक रुक्मणी के दिए हुए पते की तरफ घमा दी….राज जानता था कि आज रात बहुत लंबी होने वाली है….इसलिए वो एक मेडिसिन की दुकान पर रुका और एक दो गोली वियाग्रा की ले ली….वैसे तो राज के जिस्म और लंड मे इतनी जान थी कि, वो एक साथ रुक्मणी और अनीता की चुदाई तसल्ली से कर सकता था…..पर राज आज उन्दोनो की गान्ड और बुर पर अपने लंड की ऐसी छाप छोड़ना चाहता था कि वो दोनो उसकी गुलाम हो जाए….और राज ये भी जानता था कि, रुक्मणी और अनीता दोनो मालदार औरतें है…..दोनो के पास बहुत पैसा है…..वो वक़्त आने पर राज की कोई भी जोरूरत पूरी कर सकती थी…

पर उसके लिए राज को उन दोनो को अपने लंड का आदी बनाना था…यही सोच कर उसने वियाग्रा खरीद ली फिर रुक्मणी के घर की तरफ चल पड़ा…..थोड़ी ही देर में वो रुक्मणी के घर के पास पहुँच गया….उसने अनीता को फोन किया, और अनीता ने फोन उठाया….

अनीता: हां बोलो राज कहाँ पहुँचे……

राज: जी मे उस गली मे पहुँच गया हूँ….पर समझ में नही आ रहा कि घर कॉन सा है…

अनीता : देखो तुम सीधा गली के एंड में आ जाओ…..राइट साइड पर सबसे आखरी घर है….उसके सामने खाली प्लॉट है…..

अनीता: ठीक है समझ गया……

और राज ने फोन काटा….”अनीता क्या हुआ पहुँचा कि नही अभी तक”

अनीता: हां पहुँच गया है….तू जाकर गेट खोल और उसकी बाइक अंदर करवा ली….साला आज मुर्गा हाथ में आया है…..
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