RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
फिर मेने कविता जी को पूरा अड्रेस्स समझाया….और फोन रख दिया….उस दिन घर का महॉल ऐसा रहा जैसे किसी का मातम हो रहा हो…..अगले दिन सुबह मेने नाजिया को स्कूल नही जाने दिया…..राज और अंजुम जा चुके थे…में कविता जी के आने का वेट कर रही थी. और 4 बजे कविता जी हमारे घर आ गयी….मेने और नाजिया ने उनकी मेहमान नवाज़ी की और फिर में कविता जी को लेकर अपने रूम में आ गयी…..
कविता: हां नजीबा अब कहो क्या बात है…..?
में: कविता जी दरअसल बात ये है कि, आपके बेटे ने मेरे बेटी के साथ….( और में बोलते -2 चुप हो गयी)
कविता: तुम सच कह रही हो….और तुम्हे पूरा यकीन है कि मेरे बेटे ने….
में: जी…..नाजिया को दूसरा महीना चल रहा है…..
कविता: (एक दम से चोन्कते हुए) क्या हाए मेरी माँ….उस नलायक ने….उसने तो मुझे कही मुँह दिखाने लायक नही छोड़ा….पर आपकी बेटी भी तो समझदार है ना….उसने ये सब क्यों होने दिया….
में: जी में नही जानती पर दोनो बच्चे है अभी…..
कविता: देखो में अभी कुछ नही कह सकती….और मेरा बेटा मुझसे कभी झूठ नही बोलता….तुम नाजिया को यहाँ बुला कर लाओ….
मेने नाजिया को आवाज़ दी और नाजिया रूम में आ गयी……”तुम मेरे बेटे से प्यार करती हो…” नाजिया सहमी सी कभी मेरी तरफ देखती तो कभी ज़मीन की तरफ….”घबराओ नही….जो सच है बताओ….”
नाजिया: (हां में सर हिलाते हुए) जी…..
कविता: और ये बच्चा…..
नाजिया: जी…..
कविता: हे भगवान….ये आज कल के बच्चे….माँ बाप के लिए कही ना कही कोई ना कोई मुसीबत खड़ी कर देते है….आने दो उस नलायक को…..
अभी हम बात ही कर रहे थी कि, बाहर डोर बेल बजी…..”सुनो अगर राज होगा तो उसे यही बुला लाना…और नाजिया तुम अपने रूम में जाओ….” मेने कविता जी की बात सुन कर हां में सर हिलाया और बाहर आकर गेट खोला तो देखा सामने राज खड़ा था….उसके अंदर आने के बाद मेने डोर लॉक किया…और राज के पीछे चलने लगी….जैसे ही राज ऊपेर जाने लगा तो मेने उसे रोक लिया….”आपकी मम्मी आई है….अंदर बैठी है…..”
राज ने मेरी तरफ देखा उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था…वो तेज़ी से रूम में गया. में भी उसके पीछे रूम में चली गयी…नाजिया अपने रूम में जा चुकी थी….राज ने जाते ही अपनी मम्मी के पैर छुए…..”मम्मी आप यहाँ अचानक से…..”
कविता: जब बच्चे अपने आप को इतना बड़ा समझने लगें कि, उनको किसी और की परवाह ना रहे तो माँ बाप को ही देखना पड़ता है….क्यों रे राज इसलिए तुझे पढ़ा लिखा कर बड़ा किया था…इसलिए तुझे अपने से इतनी दूर भेजा था कि, तुम बाहर जाकर अपने खानदान का नाम मिट्टी में मिलाओ…..”
कविता: राज जो कुछ भी नजीबा ने मुझे बताया है क्या वो सच है….
राज: (सर को नीचे झुकाते हुए) जी….
कविता: और जो बच्चा नाजिया के पेट में है वो तुम्हारा है….तुमने उसके साथ ग़लत किया ?
राज: जी….
कविता: शादी भी करना चाहते होगे तुम अब उससे…..
राज: जी जी नही…..
कविता: (उठ कर खड़ी होजाती है….और एक जोरदार थप्पड़ राज के गाल पर जडती है) नलायक ये सब करने से पहले नही सोचा तुमने…..किसने हक़ दिया तुझे किसी की जिंदगी की बर्बाद करने का….हां बोल अब बुत बन कर क्यों खड़ा है…..
राज: मम्मी मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी…..मुझे माफ़ कर दो…भले ही मुझे जो मर्ज़ी सज़ा दो….
कविता: ग़लती तूने की है….और ग़लती कबूल भी की है…..अगर तेरी बेहन होती और अगर नाजिया की जगह तेरी बेहन के साथ ऐसा होता….तो तुझ पर क्या बीतती….कभी सोचा भी है. कि किसी की जिंदगी से कैसे खिलवाड़ करते है….
कविता: देखो नजीबा बच्चों ने जो ग़लती करनी थी कर दी….पर अब हमे इनकी ग़लती को सुधारना है……में अभी इसके मामा जी को फोन करके बुलाती हूँ….और कल ही इन दोनो की शादी करवाती हूँ…..क्यों राज तुझे कोई एतराज तो नही है….
कविता जी ने बड़े कड़क लहजे में राज को कहा…..”और हां नाजिया को बोलो कि कोई अबॉर्षन करवाने की ज़रूरत नही है……”
में: कविता जी में आपका ये अहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी……
तो दोस्तो ये थी मेरी दास्तान……एक मजबूर औरत की दास्तान……जिसके अंत में एक और औरत ने आकर मेरी सभी मजबूरियाँ जड से मिटा दी….नाजिया और राज की शादी हो गयी….नाजिया इस शादी से बहुत खुश है…..और अब वो दो बच्चों की माँ बन चुकी है….में भी खुश हूँ. क्योंकि राज और नाजिया अपने बच्चों के साथ मेरे पास ही रहते है…..
हॅपी एंडिंग
दोस्तो ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना मुझे आपके जबाब का इंतजार रहेगा
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