Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
10-17-2018, 11:32 AM,
#1
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एक आहट जिंदगी की


मित्रो मैने यहाँ पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं और एक से बढ़ कर एक कहानियाँ इस फोरम पर हैं आप सब के लिए मैं भी आरएसएस पर ये कहानी शुरू कर रहा हूँ अब ये ना कहना कि कहानी कॉपी की है या चोरी की है इसलिए पहले ही बता देता हूँ ये कहानी तुषार ने लिखी है और मैं इसे हिन्दी मे पोस्ट कर रहा हूँ . इसके बाद मैं अपनी खुद की लिखी कहानी हिन्दी मे पोस्ट करूँगा अगर आपका सहयोग मिला तो जल्द ही शुरू कर दूँगा . मैने इस कहानी के करेक्टर्स के नाम चेंज कर दिए हैं . तो चलिए कहानी पर चलते है .
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10-17-2018, 11:33 AM,
#2
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेरा नाम नजीबा है…..मेरी शादी 19 साल की उम्र मे हुई थी…..पर शादी के कुछ ही महीनो बाद मेरे पति की मौत की आक्सिडेंट मे हो गयी….मैं विधवा बन अपने माँ बाप पर बोझ बनकर उनके घर बैठ गयी…..माँ बाप ने बहुत कॉसिश की, पर कही अच्छा रिश्ता ना मिला…फिर एक दिन मेरे मामा ने मेरी शादी अंजुम नाम के आदमी से तय कर दी. तब अंजुम की उम्र 35 साल थी और मेरी 20 साल. अंजुम की पहली पत्नी का इंतकाल शादी के 13 साल बाद हुआ था…..और उसकी एक *** साल की बेटी भी थी….अंजुम रेलवे मे सरकारी जॉब करते थे. इसलिए घर वालो ने सोचा कि सरकारी नौकरी है….और किसी चीज़ की कमी भी नही….इसीलिए मेरी शादी अंजुम के साथ हो गयी….
शादी कहिए या समझौता….पर सच तो यही था कि, शादी के बाद मुझे किसी तरह की ख़ुसी नसीब ना हुई……ना ही मैं कोई अपना बच्चा पैदा कर सकी, और ना ही ना मुझे पति का प्यार मिला….बस यही था कि, बिना किसी परेशानी के 3 वक़्त की रोटी और कपड़े मिल जाते थे ….शादी के 3-4 साल बाद मुझे अपने पति पर उनके बड़े भाई की पत्नी के साथ कुछ चक्कर है शक होने लगा….और मेरा ये शक भी ठीक ही निकला….एक दिन जब उनके भाई की बीवी हमारे यहाँ आई हुई थी. तब मेने उन्हे ऊपेर वाले रूम रंगरेलियाँ मनाते हुए देख लिया….
जब मेने इसके बारे में अंजुम से बात की, तो वो उल्टा मुझ पर ही बरस उठे. पता नही उस ने उनपर क्या जादू किया था….अंजुम ने मुझे सॉफ-2 बोल दिया कि, अगर ये बात किसी को पता चली तो वो मुझे तलाक़ दे देंगे….और मेरी बुरी हालत कर देंगे…मैं ये सब चुप चाप बर्दस्त कर गयी….जितने दिन फ़ातिमा दीदी हमारे यहा रुकती, अंजुम और फ़ातिमा दोनो शराब के नशे मे धुत होकर वासना का नंगा खेल घर मे खेलते…उन दोनो को मेरी जैसे कोई परवाह ही नही थी….कभी-2 तो मेरी बगल मे ही बेड पर फ़ातिमा को चोदते.
जिसे देख मैं भी गरम हो जाती. पर अपनी ख्वाहिशो को अपने सीने मे दबाए रखती. पर फ़ातिमा ने अंजुम की जिंदगी इस क़दर तबाह कर दी थी कि, वो जो कभी कभार मुझसे सेक्स करते थे….वो भी करना छोड़ दिया…..धीरे-2 उनकी मर्दाना ताक़त शराब मे डूबती चली गयी. कोई दिन ऐसा नही होता जब वो नशे मे धुत गिरते पड़ते घर ना आए हो….
फिर मेने नाजिया अंजुम की पहली पत्नी से जो बेटी थी मेने उसकी परवरिश मे ध्यान लगाया…नाजिया भी 18 साल की हो चुकी थी….कभी -2 अकेले मे बैठ कर सोचती थी कि, यही मेरी इस दुनिया मे आने की वजह है…मेरा दुनिया मे होना ना होना एक बराबर है….. पर कर भी क्या सकती थी….जैसे तैसे जिंदगी कट रही थी…..फिर एक दिन वो हुआ जिसने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी….मेने कभी सोचा भी ना था….कि ये बेरंग दिखने वाली दुनिया इतनी हसीन भी हो सकती है…..पर मुझे इसका अहसास तब हुआ, जब हम सब की जिंदगी मे राज आया.
राज की एज 20 साल की है….20 की उम्र मे ही ग्रॅजुयेशन कर लिया था…उसके घर पर सिर्फ़ राज और उसकी माँ ही रहते थे….बचपन मे ही पिता की मौत के बाद माँ ने राजको पाला पोसा पढ़ाया लिखाया…उसके पापा के गुजरने के बाद माँ को उनकी जगह रेलवे मे नौकरी मिल गयी थी…सिर्फ़ दो जान थे…..इसीलिए पैसो की कभी तंगी महसूस नही हुई…राज की पढ़ी लिखाई भी एक साधारण से स्कूल और फिर गवर्नमेंट कॉलेज से हुई थी..इसीलिए राज की माँ को उसकी पढ़ी लिखाई का ज़्यादा खरच नही उठाना पड़ा….
ग्रॅजुयेशन करने के बाद ही, राज ने रेलवे मे जॉब के लिए फॉर्म भर दिए थे. उसके बाद टेस्ट्स हुए और राज पास हो गया….और जल्द ही राज को नौकरी भी मिल गयी…राज बेहद खुश था….पर एक दुख भी था….क्योंकि राज की पोस्टिंग बिहार मे हुई थी…क्योंकि राज पंजाब का रहने वाला था…इसीलिए वहाँ नही जाना चाहता था…पता नही कैसे लोग होंगे वहाँ के….कैसी उनकी भाषा होगी. बस यही सब ख़याल राज के दिमाग़ मे थे….
राज की माँ भी उदास थी….पर राज के लिए सकून की बात ये थी कि 10 दिन बाद ही राज की माँ की रिटाइयर्मेंट होने वाली थी….इस लिए वो अब सकून के साथ बिना किसी टेन्षन के राज के मामा यानी अपने भाई के घर रह सकती थी….जिस दिन माँ को जॉब से रिटाइयर्मेंट मिला….उससे अगले ही दिन राज बिहार मे सिवान के लिए रवाना हो गया. वहाँ एक छोटे से कस्बे के स्टेशन पर उसे टिकेट काउंटर अपायंट किया गया था… जब राज वहाँ पहुँचा..और स्टेशन मास्टर को रिपोर्टिंग की, तो उन्होने स्टेशन के बाहर ही बने हुए स्टाफ हाउस मे से एक फ्लॅट राज को दे दिया….
जब राज फ्लॅट के अंदर गया तो, अंदर का हाल देख कर परेशान हो गया… फर्श जगह -2 से टूटा हुआ था….दीवारो पर सीलन के निशान थे…बिजली की फिटिंग जगह-2 से उखड़ी हुई थी….जब राज ने स्टेशन मास्टर से इसकी शिकायत की , तो उसने राज से कहा कि, उसके पास और कोई फ्लॅट खाली नही है….अड्जस्ट कर लो यार… स्टेशन मास्टर की एज उस वक़्त 45 साल थी….और उसका नाम रफ़ीक था….
रफ़ीक: यार राज कुछ दिन गुज़ारा कर लो…फिर मैं कुछ इंतज़ाम करता हूँ…
राज: ठीक है सर..
उसके बाद रफ़ीक ने राज को ट्रेन्स का शेड्यूल बताया….जिस स्टेशन पर राज ड्यूटी थी…वहाँ पर सिर्फ़ दिन को ही 5 ट्रेन्स का स्टॉप था..शाम 5 बजे के बाद वहाँ कोई ट्रेन नही रुकती थी…..इसीलिए राज की ड्यूटी 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही थी…. धीरे-2 राज की जान पहचान स्टेशन पर बाकी के एंप्लाय से भी होने लगी… जब कभी राज फ्री होता तो, टिकेट कॅबिन से बाहर निकल कर प्लेट फॉर्म पर घूमने लगता….सब कुछ बहुत अच्छा था….
सिर्फ़ राज के फ्लॅट को लेकर……रफ़ीक भी अभी तक कुछ नही कर पाया था…..राज उस से बार-2 शिकायत नही करना चाहता था….एक दिन राज दोपहर को जब फ्री था, वो अपने कॅबिन से निकल कर बाहर आया तो देखा रफ़ीक भी प्लॅटफॉर्म पर चेअर पर बैठे हुए थे….राज को देख कर उन्होने उसे अपने पास बुला लिया…
रफ़ीक: सॉरी राज यार…..तुम्हारे फ्लॅट का कुछ कर नही पा रहा हूँ…
राज: कोई बात नही सर….अब सब कुछ तो आपके हाथ मे नही है….ये मुझे भी पता है…..
रफ़ीक: और बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ….अगर किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो बेझिजक बोल देना…
राज : सर जब तक मेरे फ्लॅट का इंतज़ाम नही हो जाता….आप मुझे कही रेंट पर ही रूम दिलवा दो…
रफ़ीक: (थोड़ी देर सोचने के बाद) अच्छा देखता हूँ….(तभी रफ़ीक की नज़र, रेल की पटरियों पर काम कर रहे मेरे पति अंजुम पर पड़ी….अंजुम स्टेशन पर गॅंग मॅन का काम करते थे….वो यहाँ रुकने वाली ट्रेन्स के डिब्बो मे पानी भरने और पटरियों की निगरानी का काम करते थे…..उसे देख रफ़ीक ने अंजुम को आवाज़ लगाई…)
रफ़ीक: अर्रे ओई अंजुम ज़रा इधर आ….
अंजुम:आया बड़े बाबू….
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10-17-2018, 11:33 AM,
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RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
अंजुम उन्दोनो के सामने आकर खड़ा हो गया……और रफ़ीक से बुलाने के कारण पूछने लगा….
रफ़ीक: अंजुम बाबू जी के लिए कोई रूम रेंट पर ढूँढ दे…..
अंजुम: जी बड़े साहब….मैं जल्द ही ढूँढ देता हूँ….कितनी रेंज चलेगी.
राज : अगर 2-3 हज़ार रेंट भी होगा तो भी चलेगा….
रफ़ीक: और हां रूम के पास कोई अच्छा सा ढाबा ज़रूर होना चाहिए. ताकि बाबू जी को खाने पीने की तकलीफ़ ना हो….
अंजुम: (थोड़ी देर सोचने के बाद) बाबू जी अगर आप चाहे तो….मेरे घर मे भी एक रूम खाली है ऊपेर छत पर…..बाथरूम टाय्लेट सब अलग है ऊपेर. और रही खाने की बात तो…आपको मेरे घर पर घर का बना खाना भी मिल जाएगा…क्या कहते है आप. ?
राज: ठीक है मैं तुम्हे शाम को बताउन्गा…
अंजुम के जाने के बाद राज ने रफ़ीक से पूछा कि, क्या अंजुम के घर पर रहना ठीक होगा….तो उसने हंसते हुए बोला….यार राज तू आराम से वहाँ रह सकता है…वैसे तुझे पता है कि, ये जो अंजुम है ना बड़ा पियाक्कड किसम का आदमी है. रोज रात को दारू पीए बिना नही सोता….और जब तुमने 3 हज़ार देने की बात की तो साले ने सोचा होगा….चलो दारू के पैसो का अलग से इंतज़ाम हो गया….
शाम को जैसे ही राज अपने कॅबिन से बाहर निकला. तो अंजुम बाहर डोर पर ही खड़ा था….वो राज को देखते ही बोल पड़ा….साहब चलिए आप मेरे घर पर. रूम देख लेना….अगर आपको पसंद आए तो रह लेना वहाँ पर…..राज ने अंजुम की बात मान ली. और उसके साथ उसके घर की तरफ चल पड़ा… खैर वो दोनो ऑटो से घर पहुँचे…तो अंजुम ने, डोर बेल बजाई. बाहर से घर की हालत से पता चल रहा था कि, उसका ये मकान काफ़ी पुराना है….बाहर दीवारो पर सीमेंट नही था….एंत सॉफ दिखाई दे रही थी….जिस पर फ़रोज़ी कलर का पैंट था……थोड़ी देर बाद डोर खुला…..तो अंजुम ने थोड़ा गुस्से से डोर खोलने वाले को कहा….”क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा दी “ राज बाहर से घर की हालत को देख रहा था….अंजुम की आवाज़ सुन कर राज ने डोर पर नज़र डाली.
सामने 1**** साल की बेहद ही खूबसूरत गोरे रंग की लड़की खड़ी थी….उसके बाल खुले हुए थे…..और भीगे हुए थे…..शायद उसने थोड़ी देर पहले ही. बाल धोए थे….उसने वाइट कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था…..जिसमे उसका बदन कयामत ढा रहा था…..राज को अपनी तरफ यूँ घुरता देख वो लड़की अंदर चली गयी……तभी अंजुम ने राज से कहा….”बाबू जी मेरी बेटी नाजिया है…..आइए अंदर चलते है…..” राज उसके साथ अंदर चला गया…..अंदर जाकर उसने राज को एक रूम मे चेर पर बैठाया……और बाहर डोर पर जाकर आवाज़ दी….”रुकसाना ओह्ह रुकसाना कहाँ मर गयी….जल्दी इधर आ…..” और फिर अंजुम राज के पास जाकर बैठ गया….मैं जैसे ही रूम मे पहुँची तो अंजुम मुझे देख कर बोले….
अंजुम: ये बाबू जी हमारे स्टेशन पर नये है…..इनको ऊपेर वाला कमरा दिखाने लाया था….अगर इनको रूम पसंद आया तो. कल से ये ऊपेर वाले रूम में रहेंगे….जा कुछ चाइ नाश्ते का इंतज़ाम कर…..
राज: अरी नही अंजुम भाई….इसकी कोई ज़रूरत नही है….
अंजुम: चलो बाबू जी चाइ ना सही एक-2 पेग हो जाए…..
राज : नही मैं पीटा नही….मुझे बस रूम दिखा दो….
राज ने अंजुम से झूट बोला था…..कि वो ड्रिंक नही करता…पर असल मे वो भी कभी-2 ड्रिंक कर लिया करता था….उसने एक बार मेरी तरफ देखा…..मैं सर झुकाए हुए उनकी बातें सुन रही थी…. अंजुम बोले चलिए बाबू जी आप को रूम दिखा देता हूँ….फिर राज अंजुम के साथ छत पर चला गया………
भले ही घर बहुत अच्छी हालत मे नही था….पर राज को रहने के लिए सही लगा. सोचा जब तक किसी अच्छी जगह का इंतज़ाम नही हो जाता….तब तक यही रह लेता हूँ. रूम देखने के बाद राज ने अंजुम से पूछा….”बताइए अंजुम भाई…कितना किराया लेंगे आप….” अंजुम ने राज की तरफ देखते हुए कहा….”बाबू जी रूम का 2 हज़ार और अगर घर का खन्ना चाहिए तो टोटल 4000 ……
राज ने खुशी-2 अंजुम को हाँ बोल दी….फिर राज अंजुम से मेरे उसके रिश्ते के बारे में पूछा….तो अंजुम ने बताया कि, मैं उसकी पत्नी हूँ…..
अंजुम: वो दरअसल बाबू ये बात ये है कि, नजीबा मेरी दूसरी बीवी है….जब मैं 25 साल का था….तब मेरी पहली शादी हुई थी…..और पहली बीवी से नाजिया का जनम हुआ…..लेकिन नाजिया के जनम के 13 साल बाद मेरी पहली पत्नी की मौत हो गयी.. फिर मेने अपनी बीवी की मौत के बाद 35 साल की उम्र मे नजीबा से शादी की. नजीबा की भी पहले शादी हुई थी…..लेकिन उसके पति की मौत हो गयी….. और बाद मे जब नजीबा 20 साल की थी….तब मेरी और नजीबा की शादी हुई…..

अब सारा मसला राज के सामने था…..थोड़ी देर बाद राज वापिस चला गया…अगले दिन अंजुम सुबह काम पर चले गये……दोपहर को अंजुम राज का सारा समान लेकर वापिस आए, और फिर राज का समान ऊपेर वाले रूम मे रख कर मुझसे कहा…..कि मैं और नाजिया दोनो मिल कर राज का समान सेट कर दें…..मेने और नाजिया ने ऊपेर वाले रूम मे राज का समान सेट कर दिया….और अच्छे से सॉफ- सफाई भी कर दी…..

फिर अंजुम शाम को राज के साथ घर वापिस आए, और उन्हे ऊपेर रूम मे ले गये….राज ने अपने रूम को देखा….जो शायद उसे पसंद आ गया था…..उनका पूरा समान पूरे तरीके से रख दिया था….

अंजुम: क्यों बाबू जी रूम पसंद आया ना…..

राज: हां ठीक है…..

अंजुम: अच्छा बाबू जी गरमी बहुत है…..आप नहा धो लो….फिर रात के खाने पर मिलते है…..उसके बाद हम नीचे आ गये….नीचे आने के बाद अंजुम ने मुझसे बोला कि जल्दी से रात का खाना तैयार कर दो…..मैं थोड़ी देर बाहर टहल कर आता हूँ,….ये कह कर अंजुम बाहर चले गये…..मैं जानती थी कि, अंजुम अब कही जाकर दारू पीने बैठ जाएँगे. और पता नही कब वापिस आएँगे….इसीलिए मेने खाना तैयार करना शुरू कर दिया….आधे घंटे मे मेने और नाजिया ने मिल कर खाना तैयार कर लिया….अभी मैं खाना प्लेट्स मे डाल ही रही थी कि, लाइट चली गयी…..ऊपेर से इतनी गरमी थी कि, नीचे तो साँस लेना भी मुस्किल हो रहा था…
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10-17-2018, 11:33 AM,
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RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेने सोचा कि, क्यों ना राज को ऊपेर ही खाना दे आउ…..इसीलिए मेने खाना थाली मे डाला और ऊपेर ले गयी….जैसे ही मैं ऊपेर पहुँची तो लाइट भी आ गयी….राज के रूम की तरफ बढ़ते हुए मेरे जेहन मे अजीब सा डर उमड़ रहा था…..रूम का डोर खुला हुआ था. मैं सर को झुकाए हुए रूम मे दाखिल हुई, तो मेरे कदमो के आहट सुन कर राज ने पीछे पलट कर मेरी तरफ देखा…..”हाई तोबा…..” राज सिर्फ़ लोवर पहने खड़ा था… उसने ऊपेर बनियान वहगरा कुछ नही पहना हुआ था….मेरी नज़रें उसकी चौड़ी छाती पर ही जम गयी…..एक दम चौड़ा सीना मांसल बाहें…..एक दम कसरती बदन….मेने अपनी नज़रों को बहुत हटाने की कॉसिश की….पर नज़ाने क्यों बार-2 मेरी नज़रें राज की चौड़ी छाती पर जाकर टिक जाती….

मैं: जी वो मैं आपके लिए खाना लाई थी……

अभी राज कुछ बोलने ही वाला था कि, एक बार फिर से लाइट ऑफ हो गयी…..रूम मे एक दम से घुप अंधेरा च्छा गया…..एक जवान लड़के के साथ अपने आप को अंधेरे रूम मे पा कर मैं एक दम से घबरा गयी…मेने हड़बड़ाते हुए कहा…..”मैं लालटेन जला देती हूँ….” पर राज ने मुझे रोक दिया……”अर्रे नही आप वही खड़ी रहिए….आपके हाथ मे खाना है.. मैं लालटेन जला देता हूँ….” ये कह कर राज लालटेन और माचिस ढूँढने लगा….फिर थोड़ी देर बाद राज ने लालटेन जला कर टेबल पर रख दी….

जैसे ही लालटेन की रोशनी रूम मे फेली, मेरी नज़र एक बार उसके गठीले बदन पर जा ठहरी, पसीने से भीगा हुआ उसका कसरती बदन लालटेन की रोशनी मे ऐसे चमक रहा था मानो जैसे सोना हो…..तभी राज मेरी तरफ बढ़ा, और मेरी आँखो मे झाँकते हुए मेरे हाथ से खाने की थाली पकड़ ली…..मेने शर्मा कर नज़रें झुका ली, और हड़बड़ाते हुए बोली. “मैं बाहर चारपाई बिछा देती हूँ….आप बाहर बैठ कर आराम से खाना खा लीजिए….”

मैं बाहर आई, और बाहर चारपाई बिछा दी, राज भी खाने की थाली लेकर चारपाई पर बैठ गया…..”अंजुम भाई कहाँ है….” राज ने खाने की थाली अपने सामने रखते हुए कहा…पर मेने राज की आवाज़ नही सुनी….मैं तो अभी भी उसके बाइसेप्स देख रही थी…. जब मेने उसकी बात का जवाब नही दिया, तो वो मेरी ओर देखते हुए दोबारा अंजुम के बारे मे पूछने लगा…..राज की आवाज़ सुन कर मैं होश मे आई….और एक दम से झेंप गयी. और सर झुका कर बोली…….”पता नही कही पी रहे होंगे….रात को देर से ही घर आते है….”

राज : अच्छा कोई बात नही….उफ़फ्फ़ ये गरमी….इतनी गरमी मे खाना खाना भी मुस्किल हो जाता है…..

मैं राज के बाथ रूम मे चली गयी….और हाथ से हिलाने वाला पंखा लेकर बाहर आ गयी……और राज के पास जाकर बोली…”आप खाना खा लीजिए. मैं हवा कर देती हूँ……”

राज: अर्रे नही -2 मैं खा लूँगा…..आप क्यों तकलीफ़ कर रही है…..

मैं : इसमे तकलीफ़ की क्या बात है….आप खाना खा लीजिए ….

राज चारपाई पर बैठ कर खाना खाने लगा….और मैं राज के साथ चारपाई के बगल मे खड़ी होकर पंखा हिलाने लगी…..”अर्रे आप खड़ी क्यों है….बैठिए ना…” राज ने मुझ को यूँ खड़ा हुआ देख कर कहा….

मैं : नही कोई बात नही मैं ठीक हूँ….(मेने अपने सर को झुकाए हुए कहा)

राज : नही नजीबा जी ऐसे अच्छा नही लगता मुझे कि मैं आराम से खाना खाऊ. और आप खड़ी होकर मुझे पंखे से हवा दें….मुझे अच्छा नही लगता…आप बैठिए ना….(अंजाने मे ही उसने मेरा नाम बोल दिया था….पर उसे जलद ही अहसास हो गया)सॉरी मैने आप का नाम लेकर बुलाया…वो जल्दबाज़ी मे बोल गया…

मैं : कोई बात नही….

राज: अच्छा ठीक है…अगर आपको इतराज ना हो तो आज से मैं आपको भाभी कहूँगा… क्योंकि मैं अंजुम को भाई कहता हूँ….अगर आप को बुरा ना लगे.

मैं : जी मुझे क्यो बुरा लगेगा…

राज : अच्छा भाभी जी….अब ज़रा आप बैठने की तकलीफ़ करेंगी….

राज की बात सुन कर मुझे हँसी आ गयी….और फिर सामने चारपाई पैर नीचे लटका कर बैठ गयी…और पंखा हिलाने लगी….राज ने खाना खाना शुरू कर दिया…..राज खाना खाते हुए बार-2 मुझे चोर नज़रों से देख रहा था. लालटेन की रोशनी मे मेरा हुश्न भी दमक रहा था…..बड़ी-2 भूरे रंग की आँखे….तीखे नैन नक्श गुलाब के रसीले होन्ट….लंबे खुले हुए बाल…. सुराही दार गर्दन….भले ही लाखों मे ना सही पर हज़ारो मे तो एक हूँ ही…
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10-17-2018, 11:33 AM,
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RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेने गौर क्या कि राज की नज़र मेरी चुचियों पर बार-2 रुक जाती…ब्लॅक कलर की कमीज़ मे मेरे गोरे रंग की चुचियाँ गजब ढा रही थी…बड़ी-2 और गोल-2 गुदाज चुचियाँ…..इसका अहसास तब मुझे हुआ जब मेने उसके पयज़ामे मे तन रहे लंड की हल चल को देखा….. खैर राज ने जैसे तैसे खाना खाया…..और हाथ धोने के लिए बाथरूम मे चला गया…..जब वो बाथरूम मे गया, मेने बर्तन उठाए और नीचे आ गयी….नीचे आकर मेने बर्तन किचिन मे रखे और अपने बेड पर आकर लेट गयी….ओह्ह्ह्ह आज नजाने मुझे क्या हो रहा है…. ऐसी बेचैनी मेने कभी जिंदगी मे महसूस नही की थी…बेड पर लेटे हुए मेने जैसे ही अपनी आँखे बंद की, तो राज का चेहरा और उसकी चौड़ी छाती और बालिस्ट बाइसेप्स मेरे आँखो के सामने आ गये…..पेट के नीचले हिस्से मे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा था….रह-2 कर राज की छवि आँखों के सामने से घूम जाती….

मैं पेट के बल लेटी हुई, अपनी चूत को अपनी टाँगो में दबा कर अपनी उमँगो को दबाने की कॉसिश कर रही थी…..पर ये करना इतना आसान नही था…..तभी मैं सपनो की दुनिया से बाहर आई, तब जब नाजिया रूम मे अंदर आई और बोली…..”मम्मी क्या हुआ खाना नही खाना क्या” मैं एक दम से बेड पर उठ कर बैठ गयी….और अपनी सांसो को संभालते हुए अपने बिखरे हुए बालो को ठीक करने लगी….नाजिया मेरे पास आकर बेड पर बैठ गयी…..और मेरे माथे पर हाथ लगा कर देखते हुए बोली…..”अम्मी आप ठीक तो हो ना ?”

मैं: हां ठीक हूँ….मुझे क्या हुआ है ?

नाजिया: नही आपका बदन बहुत गरम है…..और ऊपेर से आपका चेहरा भी एक दम लाल है.

मैं: नही कुछ नही हुआ….वो शायद गरमी की वजह से है….तू चल मैं खाना लगाती हूँ.

फिर मेने और नाजिया ने मिल कर खाना खाया….और बर्तन वेघरा सॉफ करने लगी, तभी अंजुम भी आ गये….जब मेने उनसे खाने का पूछा तो, उन्होने कहा कि, वो बाहर से ही खाना खा कर आए है…..अंजुम शराब के नशे मे एक दम धुत बेड पर जाकर लेट गये..और बेड पर लेटते ही सो गये…..मैने अपना काम ख़तम किया और मैं भी सो गयी….

खैर करवटें बदलते कब नींद आई पता नही चला….सुबह-2 अंजुम ने ऊपेर जाकर राज का रूम का डोर नॉक किया…..राज ने डोर खोला तो अंजुम शर्मिंदगी से सर झुकाए बाहर खड़ा था….राज को देखते हुए अंजुम बोला…”बाबू जी मुझे माफ़ कर दीजिए….कल आप का यहा पहला दिन था….और मेरी वजह से…”

राज : अर्रे अंजुम भाई कोई बात नही….अब जबकि मैं आपके घर रह रहा हूँ. तो मुझे बेगाना ना समझे…..

अंजुम: अच्छा आप तैयार होकर आ जाइए…आज नाश्ता नीचे मेरे साथ कीजिए..

अच्छा : अच्छा ठीक है मैं तैयार होकर आता हूँ…..

अंजुम नीचे आ गये, और मुझसे जल्दी खाना तैयार करने को कहा….थोड़ी देर बाद राज तैयार होकर नीचे आ गया……मेने नाश्ता टेबल पर रखा और राज की ओर देखा तो उसने मुझे सलाम किया…मेने नाश्ता रखा और फिर से किचन मे आ गयी…..नाश्ते के बाद राज और अंजुम स्टेशन पर चले गये…..शाम के 6 बजे डोर बेल बजी….मेने सोचा कि राज और अंजुम आ गये है….मैने नाजिया को आवाज़ लगा कर कहा कि, तुम्हारे अबू आ गये है, जाकर डोर खोल दो….

नाजिया बाहर डोर खोलने चली गयी……मुझे याद है कि नाजिया ने उस दिन पिंक कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था….जो उसके गोरे रंग पर कहर ढा रहा था….गरमी होने की वजह से वो अभी थोड़ी देर पहले नहा कर आई थी…..उसके बाल खुले हुए थे….बला की कयामत लग रही थी मेरी नाजिया उस दिन…..मुझे यकीन है कि, जब राज ने उसे देखा होगा, तो उसके दिल पर भी नाजिया के हुश्न ने कहर बरपाया होगा……

नाजिया डोर खोलने चली गयी…..मैं रूम मे बैठी सब्जी काट रही थी……और आँखे रूम के डोर पर लगी हुई थी….तभी मुझे बाहर से राज की हल्की सी आवाज़ सुनाई दी….वो शायद नाजिया को कुछ कह रहा था….पता नही मुझे नाजिया का इतनी देर तक राज के साथ बातें करना खलने लगा…..मैं उठ कर बाहर जाने ही वाली थी, कि राज डोर के सामने से गुज़रा, और ऊपेर चला गया……उसके पीछे नाजिया भी आ गयी, और सीधा मेरे रूम मे चली आई..
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10-17-2018, 11:33 AM,
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RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
इससे पहले कि मैं नाजिया से कुछ पूछ पाती, वो खुद ही बोल पड़ी…..”अम्मी आज अबू घर नही आएँगे….वो राज बोल रहे थे कि, आज उनकी नाइट ड्यूटी है….” नाजिया सब्जी काटने मे मेरी मदद करने लगी…..मैं सोच मे पड़ गयी कि, आख़िर मुझे हो क्या गया है…..राज तो शायद इसलिए नाजिया से बात कर रहा था कि, आज अंजुम घर पर नही आएँगे….यही बताना होगा उसे…..पर मुझे क्या हुआ था कि मैं इस कदर बेचैन हो उठी….अगर वैसे भी नाजिया और राज आपस मे कुछ बात कर भी लेते है तो इसमे हर्ज ही क्या है….वो दोनो तो हम उम्र है, कुंवारे है और मैं एक शादीशुदा औरत हूँ…..

मुझे नाजिया और राज का बात करना इस लिए भी अच्छा नही लगा था कि, जब से राज हमारे यहाँ रहने आया था. तब से नाजिया की चाल चलन बदल गयी थी…..कहाँ तो मुझे उसके पीछे घूम घूम कर उसके बालो को संवारना पड़ता था…और कहाँ वो अब कितनी-2 देर तक आयने के सामने से नही हटती थी….राज के आने के बाद से उसका पहनावा भी बदल गया था…वो अब अपने आप को बहुत सवार कर रखती थी….यही सब करना था कि, मुझे नाजिया के ऊपेर शक सा होने लग गया था……

खैर मैने सोच लिया था कि, राज एक अच्छा लड़का है…..अगर हमारी नाजिया उसे पसंद करती भी है तो उसमे नाजिया की क्या ग़लती है…..राज था ही इतना हॅंडसम लड़का कि, जो भी लड़की उसे देखे उस पर फिदा हो जाए…..मैने उठी और नाजिया को सब्जी काट कर किचन मे रखने के लिए कहा…और फिर एक ग्लास मे पानी लेकर ऊपेर चली गयी…..सोचा कि गरमी बहुत है…राज को प्यास लगी होगी…..मैं जैसे ही ऊपेर राज के रूम के डोर पर पहुची, तो राज अचानक से बाहर आ गया….उसके बदन पर सिर्फ़ एक टवल था..जो उसने कमर पर लपेट रखा था…..शायद वो नहाने के लिए बाथरूम मे जा रहा था……

मैने उसकी तरफ पानी का ग्लास बढ़ाया…..और उसने पानी का ग्लास लेते हुए पानी पीना शुरू कर दिया…..मेरी नज़र फिर से राज की चौड़ी छाती पर अटक गयी…..पसीने की कुछ बूंदे उसकी छाती से बह कर उसके पेट की तरफ बह रही थी…..जिसे देख मेरे होंठ थरथराने लगी…. राज ने पानी ख़तम किया, और मेरी तरफ ग्लास बढ़ा दिया…..मेने नोटीस किया कि, राज मेरे कांप रहे होंटो को बड़ी ही हसरत भरी निगाहों से देख रहा है….मेने अपने सर को शरमा कर झुका लिया….और ग्लास लेकर नीचे आ गयी…..

जब मैं नीचे पहुची तो नाजिया खाना तैयार कर रही थी….नाजिया को पहले कभी इतनी लगन और प्यार से खाना बनाते मेने कभी नही देखा था….वो भी इतनी गरमी मे….नाजिया का चेहरा गरमी के कारण लाल होकर दहक रहा था…..थोड़ी देर मे ही खाना तैयार हो गया. मैने राज के लिए खाना थाली मे डाला, और मेने सोचा क्यों ना आज राज को खाने के लिए नीचे ही बुला लूँ…..पता नही उसे अकेले मे खाना खाने की आदत है भी या नही… मैने नाजिया से कहा कि, वो खाना टेबल पर लगा दे, मैं ऊपेर से राज को बुला कर लाती हूँ. मेरी बात सुन कर नाजिया एक दम चहक से उठी……

नाजिया: अम्मी स्मीर आज खाना नीचे खाएँगे ?

मैं: हां मैं बुला कर लाती हूँ…..
मैं ऊपेर की तरफ गयी…..ऊपेर सन्नाटा पसरा हुआ था….बस राज के रूम से उसके गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दे रही थी….मैं धीरे-2 कदमो के साथ राज के रूम की तरफ बढ़ी…..और जैसे ही मैं राज के रूम के डोर पर पहुची, तो मेरी तो साँस ही अटक गयी….राज बेड के सामने एक दम नंगा खड़ा हुआ था…..उसका बदन बॉडी लोशन के कारण एक दम चमक रहा था……और वो अपने लंड को बॉडी लोशन लगा कर मूठ मारने वाले अंदाज़ मे हिला रहा था…..राज का 8 इंच लंबा और मोटा लंड देख मेरे साँसे अटक गयी. उसके लंड का सुपाडा किसी साँप कर तरफ फूँकार रहा था….

क्या सुपाडा था उसके लंड का एक दम लाल टमाटर की तरह इतना मोटा सुपाडा उफ्फ हाई मेरी बुर तो जैसे उसी पल मूत देती….मैं बुत सी बनी राज के लंड को हवा मे झटके खाते हुए देखने लगी….इस बात से अंजान कि मैं पराए जवान लड़के के सामने उसके रूम मे खड़ी हूँ….जो इस वक़्त एक दम नंगा खड़ा है…..तभी राज एक दम मेरी तरफ पलटा, और उसके हाथ से लोशन की बोतल नीचे गिर गयी….एक पल के लिए वो भी सकते मे आ गया…..फिर जैसे उसे होश आया, उसने बेड पर पड़े टवल को पकड़ कर जल्दी से कमर पर लपेट लिया….और बोला “सॉरी वो मैं डोर बंद करना भूल गया था….” अभी तक यूँ बुत बन कर खड़ी थी. राज की आवाज़ सुन कर मैं इस दुनिया मे वापिस लॉटी, “तोबा “ मेरे मूह से निकाला और मैं तेज़ी से बाहर की तरफ भागी और वापिस नीचे आ गयी……

मैं नीचे आकर चेर पर बैठ गयी…..और तेज़ी से साँसे लेने लगी…..जो कुछ मेने थोड़ी देर पहले देखा था…..मुझे यकीन नही हो रहा था…..मुझे अब राज की नियत पर भी शक होने लगा था….जिस तरह से वो अपने लंड को हिला रहा था….उसे देख कर तो मेरे रोंगटे ही खड़े हो गये थे……तभी नाजिया अंदर आई, और मेरे साथ वाली चेर पर बैठते हुए बोली. “अम्मी राज नही आए क्या ……”

मैं: नही वो कह रहा है की, वो ऊपेर ही खाना खाएगा…..

नाजिया: ठीक है अम्मी मैं खाना डाल देती हूँ…..आप खाना दे आओ…..

मैं: नाजिया तुम खुद ही देकर आ जाओ….मेरी तबीयत ठीक नही है…..
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10-17-2018, 11:33 AM,
#7
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
नाजिया बिना कुछ कहे खाना थाली मे डाल कर ऊपेर चली गयी…..और राज को खाना देकर वापिस आ गयी और बोली……”अम्मी राज कह रहा था कि, आप खाना देने ऊपेर नही आई….आप ठीक तो हो ना…..” मेने एक बार नाजिया की तरफ देखा और फिर कहा…….”मैं ठीक हूँ…चलो अब खाना खाते है……” खाना खाने के बाद हमने घर का काम निपटाया और सो गये….अगले दिन सुबह अंजुम वापिस आ गये, और नाजिया और मुझसे कहा कि, नाजिया की मामी की तबीयत खराब है. इसीलिए वो नाजिया को कुछ दिनो के लिए अपने पास बुलाना चाहती है….अंजुम ने नाजिया को तैयार होने के लिए कहा……मेने जल्दी से नाश्ता तैयार क्या, और नाश्ते की ट्राइ लगाकर नाजिया से कहा कि, वो ऊपेर राज को नाश्ता दे आए….आज हमारी नाजिया और ज़्यादा कह ढा रही थी….

उसने महरूण कलर का सुर्ख सलवार कमीज़ पहना हुआ था….उसका गोरा रंग उस सुर्ख जोड़े मे और खिल रहा था….ज़रूर राज बाबू हमारी नाजिया की खूबसूरती को देख कर घायल हो गये होंगे……..नाजिया नाश्ता देकर वापिस आई तो उसके चेहरे पर बहुत ही प्यारी से मुस्कान थी…..फिर थोड़ी देर बाद राज भी नीचे आ गया….मैं किचन मे ही काम कर रही थी, कि अंजुम किचन मे आए और बोले….

नजीबा: मैं शाम तक वापिस आ जाउन्गा…..और हां आज फातिमा भाभी आने वाली है… उनकी अच्छे से मेहमान नवाज़ी करना…..

ये कह कर नाजिया और अंजुम चले गये….मैने मन ही मन सोचा अच्छा तो इसलिए अंजुम नाजिया को उसकी मामी के घर छोड़ने जा रहे थे, ताकि वो अपनी भाभी फातिमा के साथ खुल कर रंगरलियाँ मना सके…..क्योंकि अब नाजिया समझदार हो चुकी थी…..इसलिए अंजुम नाजिया को उसकी मामी के यहाँ छोड़ने गये थे….
अभी कुछ ही वक़्त गुजरा था कि, डोर बेल बजी, जब मेने गेट खोला तो बाहर फातिमा खड़ी थी. मुझे देख कर उसने एक कमीनी मुस्कान के साथ सलाम कहा, और अंदर चली आई. मेने गेट बंद किया, और रूम मे आकर फातिमा को सोफे पर बैठा दिया….”और सूनाओ फातिमा दीदी कैसे है आप” मेने किचन से पानी लाकर फातिमा को देते हुए कहा…..

फातिमा: मैं ठीक हूँ…..तुम सूनाओ तुम कैसी हो….?

मैं: मैं ठीक हूँ भाबी जिंदगी कट रही है…..अच्छा क्या लेंगी आप चाइ या शरबत…

फातिमा: तोबा नजीबा इतनी गरमी मे चाइ, तुम एक काम करो शरबत ही बना लो….

मैं किचन मे गये और शरबत बना कर ले आई, और शरबत फातिमा को देकर बोली, “भाभी आप बैठिए, मैं ऊपेर से कपड़े उतार लाती हूँ…..” मैं ऊपेर छत पर गयी, और कपड़े उतार कर नीचे आने लगी….कुछ ही सीढ़ियाँ बची थी कि अचानक से मेरा बॅलेन्स बिगड़ गया, और मैं सीढ़ियों से नीचे गिर गयी….गिरने की आवाज़ सुनते ही, फातिमा दौड़ कर बाहर आई, और मुझे यूँ नीचे गिरा देख कर उसने मुझे जल्दी से सहारा देकर उठाया और रूम मे लेजा कर बेड पर लेटा दिया…..”या खुदा ज़्यादा चोट तो नही लगी नजीबा…..”

मैं: अहह हाई बहुत दर्द हो रहा है भाभी….आहह आप जल्दी से डॉक्टर बुला लाओ…

फातिमा फॉरन बाहर चली गयी, और गली के नुकड पर डॉक्टर का क्लिनिक था….वहाँ से डॉक्टर को बुला लाई….डॉक्टर ने चेकप किया और कहा…”घबराने की बात नही है….” कमर मे हल्की सी मोच है…आप ये दवाई खाए और ये बॉम दिन मे तीन चार बार लगा कर मालिश करे, आपकी चोट जल्द ही ठीक हो जाएगी…….

डॉक्टर के जाने के बाद फातिमा ने मुझे दवाई दी, और बॉम से मालिश की……शाम को अंजुम और राज घर वापिस आए तो फातिमा ने डोर खोला…..अंजुम बाहर से भड़क उठे….मुझे रूम मे उनकी आवाज़ सुनाई दे रही थी…

अंजुम: भाभी जान आपने क्यों तकलीफ़ की, वो नजीबा कहाँ मर गयी…..वो डोर नही खोल सकती थी क्या…..

फातिमा: अर्रे अंजुम भाई इतना क्यों भड़क रहे हो…..वो बेचारी तो सीढ़ियों से गिर गयी थी. चोट आई है उसे डॉक्टर ने आराम करने को कहा था….उसके बाद राज एक बार रूम मे आया, और मेरा हालचाल पूछ कर ऊपेर चला गया….और एक मेरे शोहार थे कि, उन्होने मेरा हाल चाल भी पूछना ज़रूरी नही समझा….रात का खाना फातिमा ने तैयार किया…..और अंजुम राज को ऊपेर खाना दे आए….अंजुम आज मटन लाए थे…..जिसे फातिमा ने बनाया था.

रात के 11 बजे अंजुम और फातिमा अपनी रंगरेलियों मे मसगूल हो गये……मैं बेड पर लेटी उनकी सब हरकतों को देख कर खून के आँसू पी रही थी…..फातिमा सोच रही थी कि, मैं सो चुकी हूँ…पर दरअसल मैं जाग रही थी…..पर मेरी मौजूदगी से उन्हे क्या फरक पड़ता था…..”अंजुम मियाँ अब आप मे वो बात नही रही…..” फातिमा ने अंजुम के लंड को चूस्ते हुए कहा…

अंजुम: क्या हुआ फातिमा रानी किस बात की कमी है….

फातिमा: ह्म्म्मत देखो ना पहले तो ये मेरी फुद्दि को देखते ही खड़ा हो जाता था… और अब देखो 10 मिनिट हो गये इसके चुप्पे लगाते हुए, अभी तक सही से खड़ा नही हुआ है….

अंजुम: आह तो जल्दी कैसी है मेरे जान थोड़ी देर और चूस ले, फिर मैं तेरे बुर की आग भी बुझाता हूँ…..

थोड़ी देर बाद फातिमा अंजुम के लंड पर सवार हो गयी…..और ऊपेर नीचे होने लगी…थोड़ी देर बाद दोनो शांत हो गये……”अंजुम मैं कल घर वापिस जा रही हूँ….”

अंजुम: क्यों अब क्या हो गया…….

फातिमा: मैं यहाँ तुम्हारे घर का काम करने नही आई……ये तुम्हारी बीवी जो अपनी कमर तुड़वा कर बेड पर पसर गयी है…..मुझे इसकी चाकरी नही करनी मैं घर जा रही हूँ कल…

अंजुम: फातिमा मेरे जान कल मत जाना…..

फातिमा: क्यों मेने कहा नही था तुम्हे कि, तुम मेरे घर आ जाओ…..तुम्हे तो पता है तुम्हारे भाई जान देल्ही गये है….10 दिनो के लिए वहाँ पर कोई नही है…..बच्चे है स्कूल चले जाते है. और शाम को 5 बजे आते है….

अंजुम: तो ठीक है ना कल तक रुक जाओ…..मैं कल बड़े साहब से छुट्टी ले लेता हूँ…फिर परसो साथ मे चलेंगे…..

उसके बाद दोनो सो गये…..मैं भी करवटें बदलते-2 सो गयी….अगली सुबह जब उठी तो देखा फातिमा ने नाश्ता तैयार किया हुआ था….और अंजुम बेड पर बैठे ही नाश्ता कर रहे थे….अंजुम ने फातिमा से कहा कि, ऊपेर राज बाबू को थोड़ी देर बाद नाश्ता दे आएँ…..क्योंकि आज राज ने छुट्टी ले रखी थी…..राज ने कुछ ज़रूरी समान जो खरीदना था….अंजुम के जाने के बाद फातिमा ने नाश्ता ट्रे मे डाला और ऊपेर चली गयी…..थोड़ी देर बाद जब फातिमा नीचे आई तो उसके होंटो पर कमीनी मुस्कान थी…..पता नही क्यों पर मुझे फातिमा की नीयत ठीक नही लग रही थी…..

आज मेरी कमर मे दर्द कुछ कम हुआ था…..पर अभी भी उठने बैठने मे परेशानी हो रही थी…..फातिमा ने दिन मे तीन बार मेरी बॉम से मालिश की, डॉक्टर भी एक बार फिर से चेक करके दवाई दे गया….इस दौरान मेने नोटीस किया कि, फातिमा बार-2 किसी ना किसी बहाने दोपहर तक चार पाँच बार ऊपेर जा चुकी थी…..मुझे कुछ गड़बड़ लग रही थी….फिर राज नीचे आया, और मेरे रूम मे आकर मेरा हाल चाल पूछा…..मैं बेड से उठने लगी तो उसने मुझे लेटे रहने को कहा….और कहा कि वो बाज़ार जा रहा है, अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो बता दें…..वो साथ मे लेता आएगा…..मैने कहा कि, किसी चीज़ की ज़रूरत नही है…..राज बाहर चला गया….शाम के करीब 4 बजे राज वापिस आया…..दवाई की वजह से मेरा सर भारी हो रहा था….थोड़ी -2 देर बाद मुझे नींद आ रही थी……
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10-17-2018, 11:33 AM,
#8
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
लेटे-2 मेरी आँख लग गयी…..अभी सोए हुए 20 मिनिट ही गुज़रे थी कि तेज प्यास लगने से मेरी आँख खुली…..मेने बेड से उठना चाहा तो दर्द की तेज टीस कमर मे उठी….मेने फातिमा को आवाज़ लगाई….पर वो नही आई……मैं किसी तरह से खड़ी हुई, और किचन मे पहुँची, पानी पिया, और फिर दूसरे रूम्स मे देखा पर फातिमा नज़र नही आई…बाहर मेन डोर भी अंदर से बंद था…फिर फातिमा गयी कहाँ…..तभी मुझे फातिमा की सुबह वाली हरकतें याद आ गयी…..हो ना हो डाल मे ज़रूर कुछ काला है….कही वो राज पर डोरे तो नही डाल रही……

ये सोचते ही पता नही क्यों मेरा खून खोल उठा…..मैं बड़ी मुस्किल से पर हिम्मत करके सीढ़ियाँ चढ़ि और ऊपेर आ गयी….जैसे ही मैं राज के डोर के पास पहुँची, तो मुझे अंदर से फातिमा की आहों की पुकार सुनाई दी…….”अह्ह्ह्ह आह धीरे सामीएर बाबू अहह मुझसे भूल हो गयी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह हाईए मेरी फुद्दि फाड़ दी रे अहह मेरी बुर ओह फॅट गाईए राजररर”

ये सब सुन कर मैं तो जैसे साँस लेना ही भूल गयी…..क्या मैं जो सुन रही थी वो सच है…. मैं राज के रूम के डोर की तरफ बढ़ी…..जो लॉक नही था और थोड़ा सा खुला हुआ था….अभी मैं डोर की तरफ बढ़ ही रही थी कि, मुझे राज की आवाज़ सुनाई दी…..”साली मुझे नामर्द कहती है……आह आहह ईए ले और ले ले मेरा लौडा अपनी बुर मे साली……अगर नजीबा भाभी घर पर ना होती तो आज तेरी बुर मे लौडा घुसा -2 कर सूजा देता…..”

फातिमा: ह्म्म्म्म हइई सूजा दे मेरीए शेर ओह तेरी ही बुर है…..और तू उस गश्ती की फिकर ना कर मेरे राजा वो ऊपेर चढ़ कर नही आ सकती…..

मैं धीरे-2 काँपते हुए कदमो के साथ डोर के पास पहुँची और अंदर झाँका….. अंदर का नज़ारा देख मेरे होश ही उड़ गये…..अंदर फातिमा बेड पर घोड़ी बनी हुई झुकी हुई थी…और राज उसके पीछे से अपना मुनसल जैसा लंड तेज़ी फातिमा की बुर के अंदर बाहर कर रहा था… फातिमा ने अपना चेहरा बिस्तर मे दबाया हुआ था…उसका पूरा बदन राज के झटको से हिल रहा था…….”अह्ह्ह्ह अहह सामीएरर बाबू मैने तो सारी दुनिया पा ली आह ऐसा लंड आज तक नही देखा अह्ह्ह्ह एक दम जड तक अंदर घुसता है तेरा लौडा अह्ह्ह्ह मेरी बुर के अंदर जाकर बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है…..आह चोद मुझे फाड़ दे मेरी बुर को मेरे राजा”

राज ने अपना लंड फातिमा की बुर से बाहर निकाला और बेड पर लेट गया….फिर उसने फातिमा को उसके खुले हुए बालो से पकड़ कर अपने ऊपेर चढ़ा लिया….फातिमा ने ऊपेर आते ही राज के लंड अपने हाथ मे थाम लिया…..और उसके लंड के सुपाडे को अपनी बुर के छेद पर लगा कर उसके लंड पर बैठ गयी…..और तेज़ी से अपनी गान्ड ऊपेर नीचे उछलाते हुए चुदने लगी…. राज का फेस डोर की तरफ था…..तभी उसकी नज़र अचानक से मुझ पर पड़ी….हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे देख रहे थे….मुझे लगा कि अब गड़बड़ हो गयी है….पर राज ने ना तो कुछ कहा और ना ही बोला…..उसने मेरी और देखते हुए फातिमा के चुतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ कर दोनो तरफ फेला दिया…..

फातिमा की गान्ड का छेद मेरी आँखो की सामने आ गया…..जो फातिमा की बुर से निकले पानी से एक गीला हुआ था…..राज ने मेरी तरफ देखते हुए अपनी कमर को ऊपेर की तरफ उछालना शुरू कर दिया….राज का 8 इंच का लंड फातिमा की गीली बुर के अंदर बाहर होना शुरू हो गया…..राज बार-2 फातिमा की गान्ड के छेद को फेला कर मेरी ओर दिखा रहा था…मेरे तो जैसे पैर वही जाम गये थे……मैं कभी फातिमा की बुर मे राज के लंड को अंदर बाहर होता देखती तो कभी राज की आँखो मे …….

राज: बोल रांड़ मज़ा आ रहा है ना ?

फातिमा: हां राज बाबू बहुत मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्ह दिल कर रहा है कि मैं सारा दिन तुमसे अपनी बुर ऐसे पेलवाती रहूं…..अह्ह्ह्ह सच मे बहुत मज़ा आ रहा है…..
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10-17-2018, 11:33 AM,
#9
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
राज अभी भी मेरी आँखो मे देख रहा था….फिर मुझे अचानक से अहसास हुआ कि, ये मैं क्या कर रही हूँ…..मैं वहाँ से हट कर नीचे आ गयी…..कुछ पलों के लिए मैं अपनी कमर का दर्द भी भूल गयी…..मेरी पैंटी अंदर से एक दम गीली हो चुकी थी…..ऐसा लग रहा था कि, बदन का सारा खून और गरमी बुर की तरफ सिमटती जा रही हो…..मैं बेड पर निढाल से होकर गिर पड़ी…..अपनी टाँगों के बीच तकिया दबा लिया….और अपनी बुर को तकिये पर रगड़ने लगी….पर बुर मे सरसराहट और बढ़ती जा रहा थी…..मेरी खुली हुई आँखों के सामने फातिमा की बुर मे अंदर बाहर होता राज का 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड अभी भी था….मैं तब तक अपनी बुर को तकिये से रगड़ती रही…..

जब तक कि मेरी बुर के अंदर से बरसो का जमा हुआ लावा नही उगल पड़ा…..मेरा पूरा बदन थरथरा गया….मेरी कमर झटके खाने लगी…..मैं झड़ने के कारण एक दम निढाल से हो गयी….और करीब 15 मिनिट तक बेसूध लेटी रही….फिर मैं उठ कर बातरूम मे आई, और अपने कपड़े उतारने शुरू किए….मेने अपनी सलवार कमीज़ को उतार कर टंगा और फिर ब्रा को उतार कर बालटी मे डाल दिया…..फिर जैसे ही मेने अपनी पैंटी को नीचे सरकाया, मेने जाँघो से नीचे तो सरक गयी….पर मेरी पैंटी नीचे से बेहद गीली थी….

और गीले पन की वजह से वो बुर की फांको पर चिपक सी गयी….मेने फिर से अपनी पैंटी को नीचे सरकाया, और फिर किसी तरह उसे उतार कर देखा….मेरी पैंटी मेरी बुर के लैस्दार पानी से एक दम सनी हुई थी…..मेने पैंटी को बालटी मे डाल दिया…..और फिर नहाने लगी. दोपहर की तेज धूप के कारण पानी की टंकी मे जमा पानी एक दम गरम था…नहाने से मुझे बहुत सकून मिला…..नहाने के बाद मेने दूसरे कपड़े पहने और अपने रूम मे आई, तो मेने देखा कि, फातिमा बेड पर लेटी हुई थी….और धीरे-2 अपनी बुर को सहला रही थी…

मुझे देख कर उसने अपनी बुर से हाथ हटा लिया……फिर कुछ खास बात नही हुई…..रात को अंजुम घर वापिस आ गये….वो बहुत खुश लग रहे थे….शायद उन्हे छुट्टी मिल गयी थी. रात को अंजुम ही राज का खाना उसे ऊपेर दे आए…मुझे यकीन था कि, अब फातिमा शायद जाने से मना कर दे…..क्योंकि अब उसे अंजुम के लंड की क्या ज़रूरत थी….जब उसे यहाँ पर तगड़ा जवान लंड मिल रहा था…..और मेरा अंदाज़ा सही भी निकाला….जब अंजुम ने उसे बताया कि, उसे छुट्टी मिल गयी है…..तो फातिमा ने ये कह कर मना कर दिया कि, मेरी तबीयत अभी ठीक नही है…..

पर शायद किस्मत फातिमा के साथ नही थी…..देल्ही से उसके शोहार का फोन आ गया…..कि उनके बेटे की तबीयत खराब है….और वो जल्द से जल्द घर पहुचे….फातिमा बेमन से मान गयी. और अगले दिन अंजुम के साथ उसके गाओं चली गयी….अब मुझे राज से चिढ़ सी होने लगी थी. मैने कभी सोचा ना था कि वो मासूम सा दिखने वाला राज इस कदर तक गिर सकता है कि, अपने से दुगनी उम्र से भी ज़्यादा उम्र की औरत के साथ ऐसी गिरी हुई हरकत कर सकता है….राज भी अंजुम के साथ स्टेशन पर चला गया था……

शाम को जब राज के आने का टाइम हुआ तो मेने पहले से मैन डोर को अनलॉक कर दिया था. ताकि मुझे उसकी शक्ल ना देखनी पड़े…..मैं अपने रूम मे आकर लेट गयी….थोड़ी देर बाद मुझे बाहर के गेट के खुलने की आवाज़ आई…..और फिर अंदर गेट लॉक होने की….मैं अपने रूम मे लेटी हुई अंदाज़ा लगा रही थी कि राज घर पर आ चुका है…..थोड़ी देर बाद राज मेरे रूम मे दाखिल हुआ….मैं दर्द की वजह से पेट के बल लेटी हुई थी… वो जैसे ही रूम मे दाखिल हुआ, मैं उठ कर बैठ गयी….वो सीधा मेरी तरफ ही बढ़ रहा था. मैं डर के मारे सिमट कर बैठ गयी….वो पास आकर चेर पर बैठ गया….
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10-17-2018, 11:34 AM,
#10
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
राज: आपका दर्द अब कैसा है…..?

मैं: (घबराते हुए) अब पहले से बेहतर है…..

राज: आप दवाई तो टाइम से ले रही है ना ?

मैं: हां…

राज: अच्छा मैं अभी फ्रेश होकर बाहर से खाना ले आता हूँ…..आप क्या खाएँगी….

मैं: कुछ भी ले आएँ….

राज उठ कर बाहर जाने लगा…..तो नज़ाने मेरे दिमाग़ मे क्या आया……और मैं उससे पूछ बैठी…..”तुम ने ऐसी हरकत क्यों की….” मेरी बात सुन कर राज फिर से चेर पर बैठ गया. और सर को झुकाते हुए बोला…..” मुझे माफ़ कर दीजिए…..मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी….ये सब अंजाने मे हो गया……” उसने एक बार मेरी आँखों मे देखा और फिर से झुका लिया…..

“अंजाने मे ग़लती हो गयी….तुम तो पढ़े लिखे हो….समझदार हो……अच्छे घराने से हो…..तुम उस कंजरी फातिमा की बातों मे कैसे आ गये….” राज ने एक बार फिर से मेरी आँखों मे देखा. इस बार मेरी आँखों मे शिकायत नही बल्कि उसके लिए फिकर्मन्दि थी…..”

राज: भाभी सच कहूँ तो आप नही मानेगी…..पर सच यही है कि इसमे मेरी कोई ग़लती नही है…….दरअसल कल फातिमा बार-2 ऊपेर आकर मुझे उकसा रही थी….मेने इन सब बातों से अपना दिमाग़ हटाना चाहा और बाहर बाज़ार चला गया……बाज़ार मे मेने ड्रिंक भी कर ली. और जब शाम को मैं घर वापिस आया तो फातिमा ऊपेर मेरे रूम मे ज़बरदस्ती घुस्स आई… मेने उसे बहुत मना किया….पर उसने एक नही मानी और मुझे नामर्द कहा…मैं फिर भी चुप रहा तो उसने मुझे फिर से ये कह कर उकसाया कि, तू अपने बाप की औलाद हो ही नही सकता, ज़रूर तेरी माँ का ख़सम भी नामर्द रहा होगा….अपनी माँ से जाकर पूछना कि तेरा असली बाप कॉन है………..भाभी आप यकीन करे कि मैं इतना भड़क गया कि, मुझसे बर्दास्त नही हुआ…..पर फिर भी मैं चुप रहा तो उसने मेरे सामने कपड़े उतार दिए और बोली अगर तू अपने ही बाप की औलाद है तो दिखा अपना दम

ये कहते हुए राज चुप हो गया……मैं अब उसकी हालत समझ सकती थी….आख़िर एक जवान लड़के के सामने अगर एक औरत नंगी होकर उकसाए तो उसका नीतज़ा वही होना था….जो मेने अपनी आँखों से देखा था…….”भाभी मैं सच कह रहा हूँ…..ये सब उस की वजह से हुआ… आप मुझे माफ़ कर दें…..” ये कह कर राज ऊपेर चला गया…..फिर वो फ्रेश होकर नीचे आया, और बोला भाभी मैं ढाबे से खाना लेने जा रहा हूँ….” फिर राज चला गया. मैं उठी और टेबल पर थाली और पानी वेग़ैरह रखा….. थोड़ी देर बाद राज खाना लेकर आया…आज पहली बार राज नीचे खाना खा रहा था…..खाना खाते हुए हम दोनो चुप रहे कोई बात नही हुई………

खाना ख़तम करने के बाद जब मैं बर्तन उठाने के लिए उठी, तो राज ने मुझे रोक दिया और बोला …..”रहने दें भाभी मैं कर देता हूँ….”

मेने कहा नही मैं कर लूँगी…”पर उसने मेरे एक ना सुनी….और मुझे बेड पर रेस्ट करने को कह कर खुद बर्तन लेकर किचन मे चला गया….और बर्तन सॉफ करके सारा काम ख़तम कर दिया…..राज फिर से मेरे रूम मे आया. मैं बेड पर उल्टी लेटी हुई थी…..क्योंकि पीठ के बल लेटने मे अभी थोड़ी दिक्कत होती थी….

उसने एक ग्लास पानी मुझे दिया….और बोला “भाभी जी बताए कॉन से वाली दवाई लेनी है आप ने” मेने उसे दवाई के बारे मे बताया और उसने मुझे वो दवाई निकाल कर डी…..मेने दवाई ली और फिर से पेट के बल लेट गयी…..तभी राज की नज़र मेडिसिन के बीच मे रखे हुए बॉम पर गयी…..और वो बोला…….

राज: क्या आप ने इस बॉम से मालिश की थी…..इससे आपकी तकलीफ़ जल्दी ठीक हो जाएगी….

मैं: जी कल दीदी ने की थी….पर आज कोई नही है…..इसलिए खुद ही थोड़ी सी की है.

राज : चलिए आप लेट जाएँ मैं आपकी कमर पर बॉम लगा कर मालिश कर देता हूँ…..

मैं: नही रहने दीजिए……मैं खुद कर लूँगी….

राज: आप लगा तो खुद लेंगी……..पर मालिश नही कर पायंगी…..मैं आपकी मालिश कर देता हूँ….आप जल्द ही ठीक हो जाएँगी…….

ये कह कर राज चेर से उठ कर बेड पर आकर मेरी जाँघो के पास बैठ गया…….”चलाओ भाभी जी बताएँ कहाँ लगाना है…..” मेने शरमाते हुए अपनी कमीज़ को ऊपेर उठा लिया… और कहा “यहाँ कमर पर……” राज ने थोड़ा सा बॉम अपनी उंगलियों पर लगाया और फिर मेरी कमर पर मलने लगा……जैसे ही उसके हाथ का स्पर्श मेने अपनी नंगी कमर पर महसूस किया……मेरा पूरा बदन कांप गया…..मेरी सिसकारी निकलते-2 रह गयी……राज ने धीरे-2 दोनो हाथों से मेरी कमर की मालिश करनी शुरू कर दी….उसके हाथों का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था……कई बार उसके हाथों की उंगलियाँ मेरी सलवार के जबरबंद से टकरा जाती तो मेरा दिल जोरो से धड़कने लगता…..पर असल मे दर्द मुझे थोड़ा और नीचे था….पर मैं कुछ कह भी नही पा रही थी…..

राज: भाभी ज़्यादा दर्द कहाँ पर है……

मैं: थोड़ा सा नीचे है……

राज ने फिर थोड़ा और नीचे बॉम लगाना शुरू कर दिया….भले ही उस मालिश से कोई फ़ायदा नही होने वाला था…..क्योंकि चोट नीचे चुतड़ों के पास आई थी…पर फिर भी मुझे उसके हाथों के सपर्श से जो सकून मिल रहा था…..मैं उसको बयान नही कर सकती……”भाभी जी थोड़ी सलवार नीचे सरका दो….ताकि अच्छे से बॉम लगा सके….” राज की बात सुन कर मेरा जहन मेरा वजूद कांप उठा….पर मुझे उसका सपर्श अच्छा लग रहा था…और मुझे सकून भी मिल रहा था…..मेने तुनकते हुए अपनी सलवार को और नीचे की तरफ सरकाया. क्योंकि मेने नाडा बाँधा हुआ था…इसलिए सलवार पूरा नीचे नही हो सकती थी….पर फिर भी काफ़ी हद तक नीचे हो गयी…..”भाभी जी आप तो बहुत गोरी है…मेने इतना गोरा बदन आज तक नही देखा….” वो तो अच्छा था कि मैं उलटी लेटी हुई थी……

उसकी बात सुन कर मेरे गाल शरम के मारे लाल हो गये थे…..मुझे यकीन है कि अकेले कमरे मे वो मुझे अपने इस तरह पास पाकर पागल हो गया होगा….उसने थोड़ी देर और मालिश की और मेने उससे कहा कि अब बस करे…..वो चुप चाप उठ कर ऊपेर चला गया…..मुझे आज बहुत सकून मिल रहा था…..आज कई सालो बाद मेरे जिस्म को ऐसे हाथों ने छुआ था…जिसके स्पर्श मे प्यार मिला हुआ था…..राज के बारे मे सोचते हुए मुझे कब नींद आ गयी मुझे पता ही नही चला….. अगली सुबह जब मैं उठी तो मेरी कमर का दर्द अब बहुत कम हो गया था…..
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