Free Sex Kahani काला इश्क़!
10-16-2019, 11:39 PM,
#31
RE: काला इश्क़!
(10-16-2019, 10:35 PM)sexstories Wrote:
Heart nice update

शुक्रिया जी  Heart
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10-17-2019, 10:18 PM,
#32
RE: काला इश्क़!
update 15 (2)

मेरी आँखें नम हो चलीं थीं, पर आंसुओं को मैंने बाहर छलकने नहीं दिया और खुद को संभालते हुए मैं उठ के खड़ा हुआ और बाथरूम में मुँह धोने घुसा| जब बाहर आया तो ऋतू मायूस थी; "जानू! आप मुझसे नाराज हो?"  मैंने ना में सर हिलाया तो वो खुद आ कर मेरे गले लग गई| आगे हम कुछ बात करते उससे पहले ही बॉस का फ़ोन आ गया और वो मुझसे कुछ पूछने लगे| इधर ऋतू ने मेरे बैग में कपडे सेट कर के रख दिए थे और खाने के लिए सैंडविच बना रही थी| बॉस से बात कर के मैं वहीँ पलंग पर बैठ गया और मन ही मन ये उम्मीद करने लगा की ऋतू अभी गर्भवती ना हो जाये| मेरी चिंता मेरे चेहरे से झलक रही थी तो ऋतू मेरे सामने हाथ बांधे कड़ी हो गई और मेरी तरफ बिना कुछ बोले देखने लगी| मैं अपनी चिंता में ही गुम था और जब मैंने पाँच मिनट तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो वो मेरे नजदीक आई, अपने घुटने नीचे टिका कर बैठी और मेरी ठुड्डी ऊपर की| "क्यों चिंता करते हो आप? कुछ नहीं होगा! आप बस जल्दी आना, मैं यहाँ आपका बेसब्री से इंतजार करुँगी|" इतना कह कर उसने मेरे होठों को चूमा और मेरे निचले होंठ को चूसने लगी| मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और ऋतू के होठों को चूसने लगा| दो मिनट बाद मैं उठ खड़ा हुआ, अपने कपडे बदले और फिर ऑटो कर के पहले ऋतू को हॉस्टल छोड़ा| फिर उसी ऑटो में मैं स्टेशन आ गया, पर ऋतू मेरी चिंता भाँप गई थी इसलिए उसने आधे घंटे बाद ही मुझे कॉल कर दिया| पर ये कॉल उसने अपने मोबाइल से नहीं बल्कि मोहिनी के नंबर से किया था; 

मैं: हेल्लो?

ऋतू: आप पहुँच गए स्टेशन?

मैं: हाँ... बस अभी कुछ देर हुई|

ऋतू: अकेले हो? कुछ बात हो सकती है?

मैं: हाँ बोलो?

ऋतू: वो मुझे आपसे कुछ पूछना था, एकाउंट्स को ले कर|

और फिर इस तरह उसने मुझसे सवाल  पूछना शुरू कर दिए| पार्टनरशिप एकाउंट्स में उसे JLP पर डाउट थे| हम दोनों बात ही कर रहे थे की वहाँ सर और मैडम आ गए| अब चूँकि वो मेरे पीछे से आये थे तो उन्होंने मेरी JLP को लेके कुछ बातें सुन ली थी और वो ये समझे की मैं अपने स्टूडेंट से बात कर रहा हूँ| जिस बेंच पर मैं बैठा था उसी पर जब उन्होंने सामान रखा तो मैं चौंक गया और ऋतू को ये बोलके फ़ोन काट दिया की मैं थोड़ी देर बाद कॉल करता हूँ|

अनु मैडम: अरे! तुम तो ऑन-कॉल भी पढ़ाते हो?

ये सुन कर मैं और मैडम दोनों हँसने लगे पर सर को ये हँसी फूटी आँख न भाई|

सर: अच्छा मानु सुनो, मैं नहीं जा पाउँगा तो ऐसा करो तुम और अनु चले जाओ| वहाँ से तुम्हें अँधेरी वेस्ट जाना है, वहाँ तुम्हें Palmer Infotech जाना है जहाँ पर एक टेंडर के लिए मीटिंग रखी गई है| PPTs मैं तुम दोनों को मेल कर दूँगा, ठीक है? राखी तुम दोनों को वहीँ मिलेगी|

मैंने जवाब में सिर्फ हाँ में गर्दन हिलाई और सर ने मुझे टिकट का प्रिंटआउट दे दिया| इतना कह कर सर चले गए और मैडम और मैं उसी बेंच पर बैठ गए| मैडम ने तो कोई नावेल निकाल ली और वो उसे पढ़ने लगी और इधर ऋतू ने फिर से फ़ोन खनखा दिया और मैं थोड़ी दूर जा कर उससे बात करने लगा| जब मैंने उसे बताया की मैडम और मैं एक साथ जा रहे हैं तो वो नाराज हो गई|

ऋतू: आपने तो कहा था सर जा रहे हैं तो ये मैडम कहाँ से आईं?

मैं: यार वो बॉस की वाइफ हैं, कुछ काम से वो नहीं जा रहे इसलिए उन्हें भेजा है|

ऋतू: What’s her name?
मैं: अनु मैडम


ऋतू: Age?

मैं: I don’t know… maybe 30, 35… I don’t know! (मैंने झुंझलाते हुए कहा|)

ऋतू: How does she look like?

मैं: What?

ऋतू: I mean her figure, bust size etc!

मैं: Are you mad? She’s my boss’s wife.

ऋतू: वो सब मुझे नहीं पता, दूर रहने उससे|

मैं: ओह हेल्लो मैडम! मैं उनके साथ ऑफिस ट्रिप पर जा रह हूँ घूमने नहीं जा रहा|

ऋतू: जो तो उसी के साथ रहे हो ना?

मैं: पागल जैसे तुम सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं हैं| वो बस मेरी बॉस है!

ऋतू आगे कुछ बोलने वाली थी पर फिर चुप हो गई और फ़ोन रख दिया| साफ़ था वो जल भून कर राख हो गई थी| मैं वापस बेंच पर बैठने जा रहा था की उसने मुझे वीडियो कॉल कर दिया| मैंने क्योंकि हेडफोन्स पहने थे तो मैंने कॉल उठा लिया|

ऋतू: मुझे देखन है आपकी अनु मैडम को?!

मैं: तू पागल है क्या? किसी ने देख लिया तो?

ऋतू: आपको मेरी कसम!

मैंने हार मानते हुए चुपके से दूर से ऋतू को अनु मैडम का चेहरा दिखाया| ठीक उसी समय मैडम ने मेरी तरफ देखा और हड़बड़ी में मैंने कॉल काट दिया| पर मैडम को लगा की मैं सेल्फी ले रहा हूँ इसलिए उन्होंने बस मुस्कुरा दिया|ऋतू ने आग बबूला हो कर दुबारा कॉल किया और मुझ पर बरस पड़ी;

ऋतू: ये किस एंगल से मैडम लग रही हैं? ये तो मॉडल हैं मॉडल! मैं ना..... आह! (ऋतू गुस्से में चीखी|)

मैं: जान! एक टेंडर के लिए....

ऋतू: (मेरी बात काटते हुए) उससे दूर रहना बातये देती हूँ! वरना उसका मुँह नोच लुंगी!

इतना कह कर उसने फ़ोन काट दिया| मुझे उसकी इस नादानी पर प्यार आ रहा था और मैंने उसे दुबारा फ़ोन किया और उसके कुछ बोलने से पहले ही मैंने उसे फ़ोन ओर एक जोरदार "उउउउम्मम्मम्मम्माआआअह्ह्ह्हह" दिया| ये सुनते ही वो पिघल गई और मैंने उसे यक़ीन दिला दिया की उसे चिंता करने की कोई जर्रूरत नहीं है| मुझ पर सिर्फ और सिर्फ उसका अधिकार है!
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10-18-2019, 05:00 PM,
#33
RE: काला इश्क़!
Interesting update, waiting for next
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10-18-2019, 05:28 PM,
#34
RE: काला इश्क़!
update 16 

ऋतू से बात करके मैं वापस बेंच पर बैठ गया और फ़ोन में गेम खेलने लगा, मेरे और मैडम के बीच अब भी कोई बातचीत नहीं हो रही थी| कुछ देर बाद ट्रैन आ गई और प्लेटफार्म पर लग गई, पर दिक्कत ये थी की मेरी टिकट कन्फर्म नहीं थी और मैडम वाली टिकट कन्फर्म तो हुई पर वो सर के नाम पर थी| कंजूस सर ने स्लीपर की टिकट बुक की थी, जबकि फर्स्ट ऐ.सी. में टिकट्स खाली थी| लखनऊ से मुंबई की 32 घंटे की यात्रा वो भी बिना कन्फर्म टिकट के, ये सोच कर ही थकावट होने लगी थी मुझे| जैसे-तैसे मैंने मैडम का बैग तो उनकी सीट पर रख दिया और मैं इधर-उधर जा कर कोई खाली सीट खोजने लगा| दूसरे कोच में मुझे एक सीट खाली मिली और मैं उधर ही अपना बैग ले कर बैठ गया| करीब पंद्रह मिनट बाद मुझे मैडम का कॉल आया;

अनु मैडम: मानु? कहाँ हो तुम?       

मैं: जी...मैं S2 में हूँ, वहाँ कोई सीट खाली नहीं थी इसलिए|

अनु मैडम: अरे गाडी चलने वाली है, आप जल्दी आओ यहाँ!

मुझे बड़ा अजीब लगा पर मैंने उनसे कोई बहस नहीं की और उठ कर चल दिया| अब मैं जहाँ बैठा था वहाँ शायद मुझे बर्थ मिल भी जाती पर मैडम ने बुलाया तो मुझे अपनी विंडो सीट छोड़के मैडम के पास वापस जाना पड़ा| जब में S1 कोच में पहुँचा तो देखा वहाँ दो हट्टे-कट्टे आदमी मैडम की बर्थ पर बैठे हैं, तब मुझे समझ आया की वो क्या कह रहीं थी| मैं वहाँ पहुँचा तो मुझे देखते ही वो दोनों आदमी समझे की मैं मैडम का बॉयफ्रेंड हूँ और उनमें से एक उठ कर कहीं चला गया| में ठीक मैडम की बगल में बैठ गया पर मेरे और उनके जिस्म के बीच गैप था| "ये बैग आप सीट के नीचे रख दो|" मैडम ने कहा तो मैंने वैसा ही किया और चुप-चाप दूसरी खिड़की से बाहर देखने लगा| ट्रैन चल पड़ी और इधर मैडम मेरे बिलकुल नजदीक आ गईं और मेरे कान में खुसफुसाईं; "आपकी सीट कन्फर्म हुई?" मैं उनकी इस हरकत से चौंक गया और मैंने ना में सर हिलाया| "TTE से बात करें?" मैडम ने कहा तो मैंने हाँ में सर हिलाया| मैडम के इतना करीब आने से मुझे उनके परफ्यूम की महक आने लगी थी और वो बहुत जबरदस्त थी| मदहोश कर देने वाली, पर ये ऋतू का प्यार था जो मुझे बहकने नहीं दे रहा था| कुछ देर बाद TTE आया और उसे देखते ही वो आदमी जो मेरी बगल में बैठा था उठ के भाग खड़ा हुआ| मैडम ने चुपके से मेरे हाथ में 500 के चार नोट पकड़ा दिए थे और मुझे ये देख कर बहुत हैरानी हो रही थी| इधर TTE ने जब हम से टिकट माँगी तो मैंने उसे टिकट दिखाई तो वो बोला की; "मानु कौन है?" मैंने हाँ में सर हिला कर बताया| फिर उसने कहा; "आप मैडम किसी और की टिकट पर सफर कर रही हैं?" अब मुझे कैसे भी बात संभालनी थी, तो मैंने ही कहा; "सर वो दरसल एक गड़बड़ हो गई थी, मैंने मैडम की जगह सर का नाम लिख दिया था? आप चाहे तो देख लीजिये मैडम का PAN Card उसमें इनके हस्बैंड का नाम वही है जो टिकट में लिखा है|”  वो तुरंत मेरी चालाकी भाँप गया और बोला; "बेटा, चलो तुमने नाम गलत भरा पर लिंग भी गलत भर दिया? महिला को पुरुष लिख दिया?" अब ये सुन कर तो सब हँस पड़े| उन्होंने हँसते हुए कहा; "कोई बात नहीं, पति की टिकट पर पत्नी ही तो सफर कर रही है|" अब वो जाने लगा तो मैडम ने ही उन्हें रोका; "सर दो मैं से एक ही टिकट कन्फर्म हुई है आप प्लीज देख लीजिये एक और टिकट कन्फर्म हो जाए?"

"सॉरी मैडम पर सिवाए फर्स्ट ऐ.सी. के सारे फुल हैं| कहो तो मैं फर्स्ट ऐ.सी. की दो टिकट बना दूँ?" अब ये सुन के तो मैं ने सोचा की भाई ये 32 घंटे बैठे-बैठे ही निकलेंगे| पर मैडम तपाक से बोलीं; "ठीक है TTE साहब आप दो टिकट बना दीजिये|" अब ये देख मैं हैरानी से मैडम को देखने लगा| उसने मैडम से 7800/- माँगे, तो मैडम ये सुन कर थोड़ा सोच में पड़ गईं| अब मैं उठ खड़ा हुआ और TTE साहब को थोड़ा मस्का लगाने लगा और उन्हें थोड़ा दूर ले जा कर कहा; "सर प्लीज थोड़ा रहम करो! देखो यही टिकट लेनी होती तो मैं बुक करा देता| कुछ तो कन्सेशन करो? मैं अयोध्या रहता हूँ, आपको कुछ भी काम हो तो आप कहना| प्लीज सर!" अब ये सुन कर वो थोड़ा तो नरम हो गया| "अरे तुम तो हमारे गाँव वाले निकले!" ये कहते हुए हमारी बातें शुरू हुई, फिर मैने उसकी बात अपनी पिताजी से करवाई और तब पता चला की ये मेरे दोस्त संकेत तिवारी के छोटे चाचा हैं| उन्होंने  मुझसे मेरा मोबाइल नंबर लिया और अपना नंबर भी दिया और फिर दो टिकट भी बना दिए जब पैसे की बात आई तो उन्होंने कहा है जो मन करे वो दे दो| मैंने दो हजार मैडम वाले और हजार अपनी जेब से उन्हें दे दिए और वो आगे चले गए| वापस आ कर मैंने मैडम से कहा की हमें आगे जाना है, इधर मैडम भी होशियार निकली उन्होंने 500/- में अपनी टिकट एक आंटी को बेच दे दी| हम फर्स्ट ऐ.सी में अपने कम्पार्टमेंट में घुसे तो अंदर घुसते ही मैडम घबरा गईं| अंदर दो लौंडे बैठे थे और शक्ल से ही चरसी लग रहे थे| मैडम की घबराहट उनके चेहरे से ही झलक रही थी तो मुझे ही आगे आना पड़ा| मैंने मैडम को बहार रुकने का इशारा किया और सामान उठा कर सीट के नीचे डाला और फिर उन्हें अंदर आने को कहा| जैसे ही दोनों ने मैडम को देखा तो ठरक्पना उनके चेहरे पर आ गया और उनकी शक़्लें देख मैं गंभीर हो गया| "आप दोनों झाँसी जा रहे हैं?" उनमें से एक ने बात शुरू की तो मैंने जवाब देते हुए नहीं कहा और बात आगे बढे उसके पहले ही मैडम मुझसे सट कर बैठ गईं और खिड़की के बाहर देखने लगीं| फिर मेरी तरफ मुँह कर के धीमी आवाज में बोलीं की उन्हें भूक लगी है| उनका व्यवहार अचानक से गर्लफ्रेंड वाला हो गया था और मुझसे इससे बहुत अनकम्फर्टेबले महसूस हो रहा था| मैंने बैग से ऋतू के पैक किये हुए सैंडविच निकला और उन्हें दे दिया| वो बाहर मुँह कर के खाने लगीं, इधर उन दोनों कमीनों की नजर अभी भी उन पर टिकी हुई थी| मैं समझ सकता था की उन्हें कितना अनकम्फर्टेबले महसूस हो रहा है पर मैं इस समय कुछ नहीं कर सकता था, बस हर थोड़ी-थोड़ी देर में उन दोनों की हरकत पर नजर रखे हुए था| वो दोनों भी कभी फ़ोन में कुछ देखते, कभी एक दूसरे से बात करते और मेरी नजर बचा-बचा के अनु मैडम को देखते| मैडम उनकी सारी हरकतें कनखी नजरों से देख रही थी और गुस्सा उनके चेहरे पर झलक रहा था| उनमें से एक ने मैडम की तरफ देखते हुए अपने लंड पर हाथ रख दिया और उसे दबाने लगा| इससे पहले की मैं उसे कुछ कहता मैडम को अचानक से क्या सुझा की उन्होंने अपना सर मेरी जांघ पर रख दिया और उन दोनों की तरफ पीठ कर के लेट गईं| इससे पहले की वो मैडम को पीछे से देख पाते मैंने उनपर एक चादर डाल दी| पर मेरी हालत ख़राब हो गई थी, मैडम का सर मेरे लंड से कुछ सेंटीमीटर दूर था और उनकी सांसें मुझे उस पर साफ़ महसूस हो रही थी| लंड अब फुल ताव में अकड़ने लगा था और मुझे डर लग रहा था की अगर मैडम को ये महसूस हो गया तो वो मेरे बारे में क्या सोचेंगी| मैं मन ही मन उन कमीनों को गाली दे रहा था, न वो हरामी यहाँ होते और ना ही मैं इस परिस्थिति में फँसता| मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं अपने दोनों हाथों को कहाँ रखूँ? दायाँ हाथ तो मैंने अपने दायीं तरफ सीट पर रख लिया पर बायाँ हाथ कहाँ रखूँ? मैडम के सर पर रख नहीं सकता था और न ही उसे अपने बाएं घुटने पर रख सकता था| तो मैंने उसे मोड़ के अपने सर के पीछे रख लिया और पीछे तक लगा कर बैठ गया| मेरे मन में मैडम के लिए कोई गंदे विचार नहीं थे पर लंड का दिमाग तो होता नहीं, उसे गर्मी मिली नहीं की वो टनटनाते हुए अकड़ गया| इधर ये दोनों जल भून के राख हो चुके थे और मन ही मन मुझे गाली दे रहे होंगे की क्यों मैंने मैडम के जिस्म को ढक दिया| थोड़ी देर में ऋतू का फ़ोन आया और अब मैं अजब दुविधा में फँस गया था! अगर उठ के जाऊँ तो मैडम अकेली रह जाएँगी और ये भूखे भेड़िये कोई बदसलूकी न करें उनके साथ और यहाँ बैठा रहा तो फ़ोन पर बात कैसे करूँ| आखिर मैंने फ़ोन उठा लिया और हेडफोन्स कान में लगाए हुए ही उससे बात करने लगा, पर वो मेरी हालत समझ गई और पूछने लगी की मैं क्या कर रहूँ? मैंने बस 'कुछ नहीं' कहा, पर वो समझ गई और जोर देने लगी की मैं उसे बताऊँ तो मैंने उसे बस ये कह के टाल दिया की मैं "बाद में कॉल करता हूँ|" उसने फिर से मुझे कॉल कर दिया पर मैंने उठाया नहीं|

नौ बजे एक अटेंडें आया और उसने मुझसे खाने को पूछा तो मैंने उसे दो थाली बोल दी और सामने वाले एक लड़के ने भी दो थाली बोल दी| उनमें से एक बाहर गया हुआ था और जब वो आया तो उसकी आँखें सुर्ख लाल थी, मतलब साफ़ था की वो अभी माल फूँक कर आया है| मैंने अभी तक मैडम को छुआ नहीं था पर जब अटेंड खाना ले कर आया तो मुझे उन्हें उठाना था| अब मैं उनका नाम नहीं ले सकता था, भले ही वो उन दोनों को ये जता रहीं हों की हम दोनों पति-पत्नी हैं| उन्हें छू भी नहीं सकता था अब हार मानते हुए मैंने सोचा की उनकी दायीं बाजू को छू कर उन्हें उठाऊँ की तभी TTE वहाँ से गुजरे और उन्होंने हम दोनों को इस हालत में देख लिया| मेरी बुरी तरह फटी की अब मैं गया काम से पर उन्होंने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दिए और चले गए| मैंने मैडम के बाजू को थोड़ा हिलाया और उन्हें उठा दिया| वो उठीं और अपने होठों को पोछने लगी, मैंने अपनी पैंट पर देखा तो मेरे लंड के पास से गीली हो चुकी थी| सोते समय मैडम के मुँह से लार निकली थी जिसने मेरे लंड के पास गीला निशान बना दिया था| जब उनकी नजर वहाँ पड़ी तो वो बुरी तरह झेंप गईं और नजर चुरा कर बाथरूम चली गईं| इधर उन दोनों छिछोरों ने जब ये देखा तो वो भी गन्दी हंसी हँसने लगे| मैंने मैडम वाली चादर ही उठा ली और पैंट के ऊपर डाल ली| जब मैडम आ गईं तो मैं हाथ धोने जाने लगा तो मैडम मुझे देख कर फिर से शर्मा गईं और वापस सीट पर सर झुका कर बैठ गईं| मैं हाथ धो कर आया तो देखा वो दोनों हरामी खुसफुसा रहे थे; "देख रहा है?! मियाँ-बीवी का प्यार? इसीलिए कह रहा था की तू भी शादी कर ले!" मैं आगे कुछ बोलता उससे पहले ही मैडम ने इशारे से मुझे अपने पास बैठने को कहा और हम दोनों खाना खाने लगे|
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10-18-2019, 05:29 PM,
#35
RE: काला इश्क़!
(10-18-2019, 05:00 PM)Game888 Wrote: Interesting update, waiting for next

Thanks dear!
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10-19-2019, 07:49 PM,
#36
RE: काला इश्क़!
Interesting update excellent writing superb
Waiting for next
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10-19-2019, 07:50 PM,
#37
RE: काला इश्क़!
update 17 

खाना खाने के बाद भी उन कमीने लड़कों की नजरें मैडम पर बानी हुई थी और मैडम बस खिड़की से बाहर देखे जा रही थी| मुझे अब उन पर तरस आने लगा था और मैं मन ही मन सोचने लगा की क्या करूँ? मैंने अपने बैग से लैपटॉप निकाला और उसमें हेडफोन्स कनेक्ट कर के उन्हें दिया| वो हैरानी से मुझे देखने लगी पर जब मैंने उन्हें मूवी देखने को कहा तो वो मुस्कुरा दीं और मूवी प्ले करके देखने लगी| मैंने ऊपर से दो तकिये उतार के अदम को दे दिए जिन्हें मैडम ने अपनी गोद में एक के ऊपर एक रख लिया और सबसे ऊपर उन्होंने लैपटॉप रख लिया| इतनी ऊंचाई होगई थी की मैडम आराम से मूवी देख सकें और उन लड़कों की आँखों से अपने जिस्म को बचा सकें| अब तो वो दोनों मुझे देखने लगे की क्यों मैंने उनके हुस्न के दीदार में बाधा डाल दी| मैडम भी मेरी चालाकी समझ चुकी थी और उन्होंने मुझे नजर बचा के दबी आवाज में थैंक यू और मैंने बस हाँ में गर्दन हिला दी| मैं भी पाँव ऊपर कर के बैठ गया और ऋतू को मैसेज करने लगा| मैंने उसे अभी जो भी कुछ हुआ उसके बारे में कुछ नहीं बताया था वर्ण वो फिर कोई काण्ड कर देती| मैंने उसे सॉरी कहा की दरसल मैं उस समय मैडम से बात कर रहा था इसलिए फ़ोन नहीं उठा पाया पर वो मुझसे रूठ चुकी थी और थोड़ी ही देर में ऑफलाइन चली गई| मूवी देख कर मैडम हँस रही थी और उनकी हंसी मन्त्र-मुग्ध करने वाली थी पर मेरा दिल तो अब किसी और का हो चूका था| इतने साल से ऑफिस में काम कर रहा था पर मैडम को कभी इस तरह मैंने मुस्कुराते हुए नहीं देखा था| वो हमेशा ही ऑफिस में काम करती रहती थी और शायद ही कभी मुस्कुराईं हो! खेर अब चूँकि ऋतू मुझसे नाराज थी तो बात करने वाला कोई था नहीं मेरे पास, तो मैं बैठे-बैठे ऊबने लगा था| मैडम ने मेरी परेशानी भाँप ली और वो मेरे कंधे पर सर रख चिपक गईं और लैपटॉप को थोड़ा टेढ़ा कर लिया, हेडफोन्स का एक सिरा उन्होंने मुझे दे दिया| आज तक सिर्फ एक ऋतू थी जिसने कभी मेरे कंधे पर अपना सर रखा हो अब ऐसे में  मैडम के सर रखने से मुझे बहुत ही अजीब महसूस हो रहा था| वो दोनों लड़के मैडम के इस तरह से बैठने से आहें भरने लगे और मैंने गौर किया तो पाया की मैडम की एक जाँघ उन्हें दिखने लगी थी|  अब चूँकि मैडम ने चूड़ीदार पहना था और उनकी कुर्ती शॉर्ट थी तो उनके जिस्म का उभार उन्हें साफ़ दिख रहा था| मैंने मेरे बगल में पड़ी चादर को उठा के उन पर डाला और तब मैडम को एहसास हुआ की वो लौंडे क्या देख रहे थे और उन्हें बहुत मायूसी होने लगी| मैंने मूवी को फ़ास्ट-फॉरवर्ड कर के हँसी वाला सीन लगा दिया जिसे देख कर मैडम मुस्कुरा दी| वो समझ गईं थीं की मैंने ये सिर्फ उन्हें खुश करने के लिए किया था| रात के बारह बजे होंगे और अब मुझ पर नींद हावी होने लगी थी, अब मैडम तो सो चुकी थीं पर मुझे बड़ी जोर से नींद आ रही थी| मेरी उबासी सुन कर वो समझ गईं और उन्होंने मुझे अपनी गोद में सर रख कर लेटने को कहा तो मैं फिर से हैरान हो गया| मैंने ना में सर हिलाया और वैसे ही बैठा रहा, जेब से एक च्युइंग गम निकाली और चबाने लगा| रैपर मैंने जेब में डाल लिया, फिर मैडम ने भी एक गम माँगी तो मैंने उन्हें भी दे दी| उनका ध्यान मूवी में लगने से उनका अनकम्फर्टेबले लेवल कम हो चूका था|


रात एक बजे गाडी झाँसी पहुँची और ये दोनों लौंडे अपना सामान ले कर उत्तर गए और तब जा कर मैडम का सर मेरे कंधे से उठा| उनके जाते ही दो ऑन्टी केबिन में घुसीं और सामने वाली बर्थ पर बैठ गईं और अपना सामान सेट करने लगीं| मैंने भी मैडम से ऊपर जा के सोने की इजाजत माँगी तो उन्होंने हँसते हुए इजाजत दे दी| सामने वाली एक आंटी भी हँसने लगी| मैंने चादर बिछाई और लेट गया और घोड़े बेच के सो गया| पौने तीन बजे मैडम ने मुझे उठाया तो मैं चौंक कर उठ गया; "सॉरी मानु! वो मुझे ....जाना है|" मैं तुरंत समझ गया की उन्हें वाशरूम जाना है और इतनी रात को ट्रैन में उन्हें अकेले जाने से डर लग रहा है| मैं जूते पहनके उनके साथ बाथरूम तक गया और फिर वापस उन्ही के साथ आ गया| वापस आने के रास्ते में वो शर्मिंदा महसूस कर रहीं थीं पर मैंने ''its alright mam, I can understand.” कह के बात खत्म कर दी| सुबह 8 बजे मैं उठा और अभी इटारसी स्टेशन आया था और अटेंड चाय ले कर आया था| मैडम ने उसे रात के खाने और चाय के पैसे दिए और मैं भी नीचे उतर आया|

फ्रेश हो कर मैं चाय पीने लगा;

अनु मैडम: वो टिकट कितने की थी?

मैं: 3,०००/- की| (मैंने चाय की चुस्की लेते हुए कहा|)

अनु मैडम: वो तो 8,०००/- माँग रहा था?

मैं: वो दरसल उनसे बात की तो पता चला की वो मेरे ही गाँव के हैं और मेरे ही दोस्त के चाचा हैं|

अनु मैडम: आपका गाँव कहाँ है?

मैं: अयोध्या

अनु मैडम: अरे वाह! कभी बताया नहीं आपने?

मैं: जी कभी टॉपिक ही नहीं छिड़ा| पर मैडम सर को पता चला तो वो बहुत गुस्सा होंगे?

अनु मैडम: उन्हें बोलने की कोई जर्रूरत नहीं| उन्हें जरा भी समझ नहीं है, बस सारा टाइम हुक्म चलाते रहते हैं| अचनक से मुझे कहा की तुम चली जाओ, भला ये कोई बात हुई?

उन्हें सर पर बहुत गुस्सा आ रहा था और मैं उनकी किसी भी बात का जवाब हाँ या नहीं में दे रहा था बस चुप-चाप सुने जा रहा था| दस मिनट तक उनके मन की भड़ास निकलती रही और मैं सर झुकाये सुनता रहा की तभी वो दोनों आंटी आ गईं जो फ्रेश होने गईं थी| उनके आते ही मैडम चुप हो गईं और मेरा सर झुका होने से उन्हें लगा की मैडम मुझे हिओ डाँट रही हैं| "अरे बेटा क्या हुआ? काहे झगड़ रहे हो?" पहली आंटी बोलीं|

"अरे मियाँ-बीवी तो ये खट-पट चलती रहती है|" ये कह के दूसरी आंटी हँसने लगी, और ठीक उसी समय वही TTE आ गया और उसने ये मियाँ-बीवी वाली बात सुन ली| अब इससे पहले मैं कुछ बोलता मैडम ही बोल पड़ी; "आंटी मैं झगड़ नहीं रही थी, आपके आने से पहले यहाँ दो छिछोरे बैठे थे और वो बस मुझे घूरे ही जा रहे थे|" मैं बिना कुछ बोले ही वहाँ से उठ के बाहर आ गया और ऋतू को फ़ोन करने लगा|

मैं: Good Morning जान!

ऋतू: जा के अपनी अनु मैडम को बोलिये|

मैं: यार... प्लीज .... बात तो....

ऋतू: बात भी आप जाके अनु मैडम से करिये| मुझे कॉलेज जाना है|

इतना बोल कर उसने कॉल काट दिया, मैं जानता था की वो फ़ोन पर नहीं मानने वाली| TTE ने पीछे से मेरी बातें सुन ली थी और वो आ कर मुझसे चुटकी लेने लगे; "लगे रहो!" मेरा जवाब सुनने से पहले ही वो आगे चले गए| खेर रात दस बजे ट्रैन मुंबई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पहुँची और मैं दोनों का सामान ले कर उतर गया| टैक्सी वाले से अँधेरी वेस्ट के लिए पूछा तो कोई भी जाने को तैयार नहीं था, मैंने ओला पर ढूंढा तो एक मिल गया पर अब स्टे की दिक्कत थी| टैक्सी वाले ने अपने जान-पहचान के 6-7  होटल दिखाए पर कहीं भी रूम खाली नहीं था और जहाँ था भी वो सिर्फ सिंगल रूम था| बड़ी मुश्किल से एक होटल मिला और मैडम वहाँ पूछताछ करने गईं और मैं बाहर ही रुक गया टैक्सी वाले के पास| मैडम ने अंदर से मुझे आवाज दी; "मानु जी आ जाइये|" मैंने शुक्र मनाया की कम से कम कमरा मिल गया वर्ण रात के 1 बजे कहाँ मारे-मारे फिरते| टैक्सी वाले को पैसे दे कर मैं उनके पास आया तो उन्होंने मुझे रजिस्टर में साइन करने को कहा| जब मैंने डिटेल पढ़ी तो मैं हैरान रह गया| मैडम ने Mr. Manu Maurya and Mrs. Anu Maurya लिखा था| अब ये देख कर मैंने मैडम की तरफ देखा तो वो बड़ी नार्मल लगीं मुझे! मैंने साइन तो कर दिया पर दिल अंदर से धक-धक करने लगा था| कमरे के अंदर पहुँचा तो लाइट्स मध्यम थीं, बिलकुल रोमांटिक वाली| मैंने तुरंत ही कमरे की ट्यूब लाइट जला दी और जब मैडम की तरफ देखा तो उनकी सांसें बहुत तेज थीं| वो सीधा बाथरूम में घुस गईं और आधे घंटे तक वहीँ रहीं| अब ज्यादा सोचने की जर्रूरत नहीं थी की वो वहाँ क्या कर रहीं हैं, मैंने इस मौके का फायदा उठाया और तुरंत अपने कपडे चेंज कर लिए| फिर मैं सोफे पर अपना बिस्तर लगाने लगा| जब मैडम बाहर आईं तो वो मुझसे नजरें चुरा रहीं थीं और मेरी तरफ पीठ किये हुए ही बोलीं; "आप यहाँ बेड पर सो जाओ वहाँ सोफे पर कैसे सोओगे?"

"It’s alright mam! I’ll manage.” मैंने भी उनकी तरफ देखे बिना ही कहा|

“um.. actually they had just one room and we’ve been searching for an hour… it was very late so… I…” मैडम को आगे बोलने में बहुत हिचकिचाहट हो रही थी|  
“I can understand mam!” इतना कह कर मैंने कमरे की लाइट बंद की और लेट गया| कुछ देर बाद मैडम उठीं और कपडे बदलने के लिए बाथरूम में घुस गईं, लाइट के स्विच की आवाज से मैं चौंक कर उठ गया और देखा तो मैडम अभी बाहर आईं थीं और वो सिल्क की शॉर्ट नाइटी  जो उनके जिस्म से इस कदर चिपकी हुई थी की क्या कहूँ? उनके कंधे नंगे थे और उन पर बस एक पतली सी स्ट्रिंग थी| डीप कट जिससे उनकी छातियों की घाटी साफ़ दिख रही होगी| अब चूँकि मैं दूर था तो वो घाटियाँ नहीं देख सकता था| अब ये सब देखते ही मेरे लंड में तनाव आने लगा था और मैं मुँह दूसरी तरफ कर के खुद पर काबू करने लगा| मैंने ऋतू के बारे में सोचना शुरू कर दिया| उसका मासूम चेहरा याद करने लगा, पर उसे याद करते ही मुझे कल शाम का वाक्य याद आ गया| अब तो लंड अकड़ के पूरा खड़ा हो गया और मैंने जान बुझ कर दूसरी तरफ करवट ली और मैं लंड की अकड़न छुपाने लगा| दस मिनट बाद मुझे कमरे में शराब की महक आने लगी और ये ऐसी महक थी जिसने मेरे दिमाग में कोहराम मचा दिया| मन बेचैन होने लगा और मैं उस खुशबु का पीछा करते हुए उठ बैठा और देखा मैडम बिस्तर पर बैठीं और उनके हाथ में एक पेग है! अब ये देखते ही मुझे डर लगने लगा की कहीं कुछ गलत न हो जाए| मैडम ने जब मुझे बैठे हुए देखा तो वहीँ से मुझसे पूछा; "आप पियोगे?" मैंने ना में सर  हिलाया पर कमरे में इतनी रौशनी नहीं थी की वो मेरी गर्दन हिलती हुई देख सकें| इसलिए उन्होंने दुबारा पूछा पर मेरे जवाब देने से पहले ही मेरे क़दमों में जैसे जान आ गई और वो अपने आप ही उनकी तरफ चल पड़े| पर दिमाग ने जैसे अंतर् आत्मा को झिंझोड़ा और अपना वादा याद दिलाया| मैंने “no thank you mam” कहा और बाथरूम में घुस गया, वाशबेसिन के सामने खड़े हो कर अपने आप को देखने लगा और अपने मन पर काबू करने लगा" बार-बात खुद को ऋतू को किया वादा याद दिलाने लगा, पर मन शर्म की खुशबु से बावरा हो गया था| मन कह रहा था की एक बार चीट करने में दिक्कत ही क्या है?! मैंने अपने मुँह पर पानी मारना शुरू कर दिया ताकि खुद को किसी तरह संभाल सकूँ| एक दृढ निश्चय कर मैं बाहर आया और वापस सोफे पर लेट गया और चादर ओढ़ ली पर मन साला काबू में नहीं आ रहा था| मैंने करवटें बदलनी शुरू कर दीं| मैडम ने इसका कुछ अलग ही मतलब निकाला, "Manu the couch’s not comfortable come and sleep on the other side, its not like I need the whole bed to myself! We are grownups and know our limits. No need to be afraid of me!”             


                                          “No mam, its okay… it’s a new place….umm….” मुझसे बोला नहीं जा रहा था| “Then come we’ll talk.” उन्होंने बात शुरू करने के लिए कहा|
अब मैं उठा और जा कर उनके सामने खड़ा हो गया तो उन्होंने अपने पास बैठने को कहा तो मैंने पास पड़ी कुर्सी उठा ली और उसे घुमा कर बैठ गया| 


अनु मैडम: आप बहुत फॉर्मेलिटी दिखाते हो?

मैं: umm… you’re my boss, I’m your employee. How can I sit or sleep next to you on a bed?

अनु मैडम: chivalry  ???

मैं: yes mam!

अनु मैडम: That’s the first time….. For me! (उन्होंने एक सिप लिया|)
मैं अब उनसे नजरें चुरा के इधर-उधर देख रहा था|
अनु मैडम: So do you have a girlfriend?


मैं: No

अनु मैडम: Wow! How come you’re single? You’re such a gentleman?
मैं: umm… I don’t get time!
अनु मैडम: I know… I know…. That asshole husband of mine is always yelling on you! I know….. bloody bastard! Ruining everyone’s life…. But I…(hic) … won’t let… (hic)


शराब अब मैडम पर अपने जादू दिखाने लगी थी और उन्होंने हिचकी लेना शुरू कर दिया था|

मैं:  ummm… mam… its getting late… we’ll talk tomorrow!

पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और आखरी घूँट जैसे तैसे पिया और बाथरूम जाने को उठीं और लड़खड़ाने लगीं| मैंने कमरे की लाइट्स जला दी ताकि उन्हें ठीक से दिखाई दे और तब मैंने उन्हें ठीक से देखा और जो शराब का जादू मेरे मन पर हावी था वो खत्म हो गया और लंड अकड़ने लगा| मैडम अब बाथरूम में घुस गईं थीं, तो मैंने एक गहरी साँस ली और अपने जज्बातों पर काबू करने लगा और सोफे की तरफ घुमा और तभी मेरी नजर बोतल पर पड़ी| मैडम ने कम से कम तीन पेग मारे थे व्हिस्की के वो भी नीट! अब तो मुझे डर लगने लगा की आज रात जर्रूर कुछ होगा? ये सोचते हुए मैं एक कदम चला हूँगा की मुझे मैडम के बाथरूम से बाहर आने की आवाज आई और वो गिरने लगी| मैंने भाग कर उन्हें तुरंत थाम लिया पर अब तो गजब ही सीन था! मैंने मैडम को कमर से पकड़ रखा था और वो नीचे को झुकी हुई थीं| उनकी नाइटी बिलकुल उनके शरीर से चिपकी हुई थी, जिससे उनके सारे के सारे उभार दिखने लगे थे| उनके वो 38D के वक्ष! 30 इंची कमर मुझे उनकी तरफ खींचने लगी थी| लंड तो फूल चूका था और पूरी तैयारी में था की आज उसे कुछ नया मिलेगा चखने को मर मन मेरे काबू में था| मैंने उन्हें सहारा दे कर खड़ा किया, पर मैडम के मन में मेरे लिए कुछ गंदे विचार नहीं थे इसलिए उन्होंने किसी भी तरह की पहल नहीं की थी| मुझे लग रहा था की वो शायद इतने होश में तो हैं की सही और गलत पहचान सकें| खेर मैं उन्हें पलंग तक ले आया और उन्हें लिटा दिया और उनके ऊपर चादर डाल दी और वापस आ कर अपने पलंग पर लेट गया| मैं लेटे-लेटे सींचने लगा की ये आखिर हो क्या रहा था मेरे साथ? मेरे मन में उनके लिए कोई गंदे विचार नहीं हैं फिर भी किस्मत क्यों मेरे साथ ऐसा कर रही थी? ट्रैन में उनका मुझे पति बनाने का नाटक! मेरी गोद में सर रख लेट जाना वो भी बिना मुझसे पूछे? ठीक है की उन्हें उन लड़कों की गन्दी नजरों से बचना था पर एटलीस्ट मुझसे पूछा तो होता? फिर होटल के रजिस्टर में Mr. Manu Maurya nad Mrs. Anu Maurya लिखना? मुझे अपने साथ बिस्तर पर लेटने को कहना? फिर भले ही वो इसलिए कहा हो की मैं आराम से सो सकूँ! पर हूँ तो मैं पराया ही ना? ऑफिस में उन्होंने सिवाए काम के कभी मुझसे कोई बात नहीं की, प्लेटफार्म पर भी वो कुछ नहीं बोल रहीं थी, पर ट्रैन में बैठते ही वो इतना कैसे बदल गईं? हम दोनों में तो दोस्ती भी नहीं है की मैं इस साब को ये मान कर टाल दूँ की दोस्तों में ये सब चलता है| ये सोचते-सोचते मैं सो गया और सुबह 8 बजे उठा और देखा तो मैडम अब भी सो रही हैं| मैं नाहा-धो के तैयार हो गया| पर मैडम अब भी नहीं उठीं थी, मैंने एक ब्लैक कॉफ़ी आर्डर की और मैडम को उठाने के लिए उनके कन्धर पर दो उँगलियों से ना चाहते हुए छुआ| पर मैडम नहीं उठीं तो मजबूरन मुझे उन्हें थोड़ा हिलाना पड़ा और वो थोड़ा कुनमुनाने लगीं और अपनी आँखें खोलीं जो ठीक से खुल भी नहीं रही थीं; “ Good Morning Mam!” मेरा मुस्कुराता हुआ चेहरा देख कर उन्हें होश आया और उन्होंने साइड टेबल पर पड़ी अपनी घडी उठाई और टाइम देखा| मैं तुरंत घूम गया क्योंकि मुझे पता था उन्होंने बहुत तंग नाइटी पहनी है और उन्हें इस हालत में शर्म आना तय है| मेरे घूमते ही मैडम तुरंत बाथरूम में घुस गईं और मैं अपने बैग में लैपटॉप और कुछ फाइल रखने लगा| मेरी पीठ अब भी बाथरूम की तरफ थी, मैडम फटाफट बहार आईं और अपने कपडे ढूंढने लगीं| मैं बिना उनकी तरफ मुड़े ही दरवाजा खोल कर बाहर चला गया|


दस मिनट ही मैडम की ब्लैक कॉफ़ी आ गई जिसे मैंने चुप-चाप कमरे में रख दिया और बाहर लॉबी में बैग ले कर आगया| आधे घंटे बाद मैडम भी अपना बैग और लैपटॉप ले कर बाहर आ गईं और मुझसे नजरें चुराती हुई बाहर आ गईं और फ़ोन कर के राखी से पूछने लगीं की वो कहाँ है| मैडम ने इस समय बिज़नेस सूट पहन रखा था और वो बहुत सुन्दर लग रहीं थी, पर मुझे क्या? मेरे पास तो मेरा प्यार था; ऋतू! उसके आगे सब फीका था! मैंने ओला बुला ली थी और उसने हमें Palmer Infotech छोड़ा| वो एक बहुत बड़ी बिल्डिंग थी, जैसे की फिल्मों में दिखाया जाता है| दसवीं मंजिल पर पहुँचे तो वहां का नजारा बिलकुल कॉर्पोरेट वाला था| सभी लोग वहाँ बिज़नेस सूट पहने थे, एक मैं ही था जो वहाँ सिर्फ टाई पहने आया था| मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे की मैं वहाँ इंटरव्यू दे ने आया हूँ| मैं अभी उस कॉर्पोरेट कल्चर को महसूस करने में बिजी था की पीछे से राखी ने आ कर मेरी पीठ पर हाथ रखा और मैं एक दम से पलटा|

ये राखी वही लड़की थी जो पहले मेरे ऑफिस में काम करती थी और जिसे मैं ऋतू से प्यार होने से पहले पसंद करता था| "Hi Maanu! How’re you?”

“I’m fine, how you doing? How’s your new job?” मैंने पूछा|

“I already resigned, I’ll be joining sir again!” उसने कहा पर आगे कुछ बात होने से पहले ही मैडम आ गईं और वो अब भी मुझसे नजरें चुरा रही थीं| "मानु....अ...आप... यहीं वेट करो!" इतना कह कर मैडम और राखी दोनों अंदर चले गए| मैं सोचने लगा की ये सब हो क्या रहा है? मुझे अगर मीटिंग में शामिल ही नहीं करना था तो मुझे यहाँ लाये ही क्यों? पर फिर मुझे समझ आया की सबने बिज़नेस सूट पहना है और ऐसे में मैं ही सब से अलग दिख रहा था? मुझे ये सोच कर बड़ी निराशा हुई की मेरे पास कोई बिज़नेस सूट नहीं है| मैं वहीँ वेटिंग एरिया में चुप-चाप बैठ गया और ऋतू को फ़ोन किया पर उसने फ़ोन काट दिया! मुझे लगा की शायद क्लास में होगी, पर जब वो क्लास में होती तो कॉल काटते समय वो मैसेज कर देती थी| इसबार उसका कोई मैसेज नहीं आया था, मतलब साफ़ था की वो बहुत नाराज है| पर मैंने जब वहाँ लड़के-लड़कियों को आपस में खुल कर बातें करते देखा तो मैं सोचने लगा की जब वो जॉब करेगी तभी ये सब समझेगी| खेर मीटिंग 3 घंटे चली और मैं बुरी तरह बोर हो चूका था| जब मैडम और राखी बाहर आये तो वो काफी खुश दिखे पर मुझे मायूस देख राख ने पूछा; "क्या हुआ मानु?" मैडम फिर से नजरें चुरा कर दूसरी तरफ मुँह कर के जाने लगीं| "कुछ नहीं यार, आज पता चला की इंसान की जिंदगी में कपड़ों की क्या वैल्यू होती है!" ये मैडम ने सुन लिया पर वो कुछ नहीं बोलीं और रिसेप्शन की तरफ चली गईं| राखी मेरे पास आ कर बैठ गई और डिटेल पूछने लगी पर मैंने उसकी बात टाल दी| उसने बताय की प्रेजेंटेशन सक्सेसफुल रही और शायद कॉन्ट्रैक्ट हमें ही मिलेगा| तभी मैडम आ गईं और उन्होंने हमें कैफेट्रेरिअ चलने को कहा| वहाँ जा कर उन्होंने खाना आर्डर किया पर मेरा मन अब भी बुझा हुआ|


मैडम और राखी मीटिंग के बारे में बात कर रहे थे और मैं बस खिड़की से बाहर देख रहा था, वैसे भी मैं क्या इनपुट देता जब मुझे ये ही नहीं पता था की वहाँ हुआ क्या है? मैं अपनी कॉफ़ी ले कर चुप-चाप उठा और एक काँच की खिड़की के पास आ कर खड़ा हो गया| मेरा बयां हाथ मेरी पैंट की पॉकेट में था और मैं बस वो हरा-भरा नजारा देख रहा था| उम्मीद कर रहा था की शायद ऋतू कॉल कर दे, उसकी आवाज सुने हुए बहुत टाइम हो गया था| मैंने फ़ोन निकाला और दुबारा मिलाया पर एक घंटी बजते ही उसने फ़ोन काट दिया| आगे मैं कुछ सोचता उससे पहले ही राखी आ गई; "मानु! Come yaar! Let’s celebrate?” मैडम ने लंच आर्डर कर दिया था, मैं वापस आ कर बैठ गया और फिर राखी ने अपनी बातों से मेरा ध्यान लगाए रखा| मैं बस हाँ-ना में मुस्कुरा कर जवाब दे रहा था| लंच के बाद राखी की ट्रैन थी तो वो निकल गई, पर मेरी और मैडम की ट्रैन रात 11 बजे की थी जो हमें लखनऊ अगले दिन रात 3 बजे छोड़ती| राखी के जाने के बाद हम दोनों अकेले उसी टेबल पर बैठे थे, मैडम अब भी मुझसे नजरें चुरा रही थीं और मुझे रह-रह कर ऋतू की याद आ रही थी| अब वापस होटल भी नहीं जा सकते थे क्योंकि वहाँ एक कमरे में हम दोनों ही ऑक्वर्ड हो जाते| बात शुरू करते हुए मैंने मैडम से कहा; “congratulations mam … for the contract!” जवाब में उन्होंने बीएस मुस्कुरा दिया और "thank you" कहा| “so mam….should we just sit here…. Or go out?” मैडम ये सुन कर हैरानी से मेरी तरफ देखने लगीं| “Go out? Where?” उन्होंने पूछा| “ummm… how about beach?” मैंने थोड़ा उत्साह दिखते हुए कहा| तो उन्होंने वही प्यारी सी मुस्कान दी और वो उठ कड़ी हुईं| उनकी awkwardness अब खत्म हो गई थी| मैंने ओला बुक की और और उसने हमें जुहू बीच छोड़ा|                  
Reply
10-19-2019, 07:52 PM,
#38
RE: काला इश्क़!
(10-19-2019, 07:49 PM)Game888 Wrote: Interesting update excellent writing superb
Waiting for next

Thank You  Heart Heart Heart
Reply
10-20-2019, 07:38 PM, (This post was last modified: 10-21-2019, 11:32 AM by kw8890.)
#39
RE: काला इश्क़!
update 18

वहाँ पहुँच कर मैं एक्सपेक्ट कर रहा था की बिलकुल खाली जगह होगी पर ये तो भीड़-भाड़ वाली जगह निकली| मैडम तो जा कर रेत में लगे पाँव बैठ गईं और मैं इधर-उधर टहलता रहा और फोटो क्लिक करता रहा, कुछ सेल्फी भी ली और सब फोटो ऋतू को भेज दी| उसने सब फोटो देख ली पर जवाब कुछ नहीं दिया| मैं वापस मैडम के पास आया तो वो ढलते हुए सूरज को देख रही थीं और मंद-मंद मुस्कुरा रही थी| मैंने दो नारियल लिए और मैडम की तरफ बढ़ाया, मैडम एक डीएम से चौंक गईं पर बोली कुछ नहीं| एक सिप नारियल पानी पीने के बाद मुझे इशारे से वहीँ रेट में बैठने को कहा| मैं भी उन्हीं के साथ बैठ गया पर थोड़ी दूर और ढलते हुए सूरज को देखने लगा| फिर बैठे-बैठे कुछ फोटो खींची और उन्हें एडिट करने लगा| मैडम ने ये देख लिया पर कुछ बोली नहीं, फिर वो कुछ सोचने लगी और अपना मुँह झुका लिया| “Manu… I….I’m sorry for whatever happened last night? I misbehaved…” उन्होंने सर झुकाये हुए कहा, पर इससे पहले वो कुछ आगे कहती मैंने उनकी बात काट दी| "But nothing happened mam! I mean we had a lil chat and then you were kindaa drunked and said a lot of things about sir and then I said good night. That’s it…. Well you did almost fell down.” ये सुन कर मैडम के मन से गिलटी वाली फीलिंग खत्म हुई और वो गिरने वाली बात से तो वो थोड़ा हँस भी दी| 

“Thank God! I’ve been living in guilt since morning. I thought I may have done something which was…..” वो आगे कहते-कहते रुक गईं| उन्हें डर था की नशे की हालत में शायद हम दोनों ने सेक्स किया होगा|

“I’ve another confession to make, I kindaa took advantage of your chivalry in the past 48 hours! I mean that train incident, writing our names as Mr. and Mrs. Maurya… I’m really sorry! I was so scared in train… I’ve never travelled alone in my entire life and ….” उन्होंने सर झुकाये हुए कहा|

“Its okay mam… I can understand… I know it wasn’t intentional or anything.”

“मेरा इरादा तुम्हें छूने का कतई नहीं था, उस समय तुम मेरे लिए सहारा थे और मुझे तुम पर भरोसा था की तुम मेरा कोई गलत फायदा नहीं उठाओगे| वैसे ही भरोसा जो एक दोस्त को दूसरे दोस्त पर होता है|" ये सुनने के बाद मुझे मेरे रात वाले सवालों का जवाब मिल गया था| मैडम मुझे अपना दोस्त समझती थीं पर ये सब शुरू कैसे हुआ ये जानने को मन बेचैन था| “umm… mam if you don’t mind me asking, in office we barely spoke! I mean we only had conversation regarding work. So h..h.. how did we become friends?”   मैंने थोड़ा झिझकते हुए पूछा| 
“Well I don’t think a conversation is required to start a friendship.” मैडम का ये जवाब मुझे बहुत ही अटपटा लगा क्योंकि बिना बात किये कोई दोस्त कैसे बन सकता है? पर मैंने आगे उनसे इस बारे में कोई बात नहीं की और चुप-चाप सूरज को ढलते हुए देखने लगा| अचानक ही मैडम कड़ी हुईं और मुझे अभी अपने साथ चलने को कहा| मुझे लगा की उनका मन भर गया होगा इसलिए वो अब जाना चाहती हैं पर फिर मेरी नजर उनके पैरों पर पड़ी| मैडम अब भी नंगे पाँव थीं मतलब वो चाहती थी की मैं उनके साथ वॉक करूँ| मैंने भी अपने जूते उतारे और नंगे पाँव हम दोनों रेत पर चलने लगे| “The general traits of a friendship include similar interests, mutual respect and an attachment to each other….” ये कहते हुए मैडम एकदम से रुक गईं, ऐसा लगा जैसे वो कुछ ऐसा बोल गईं जो उन्हें नहीं बोलना चाहिए था| मैं अब कुछ-कुछ समझने लगा था की आखिर मैडम के मन में क्या चल रहा है पर कुछ भी कहने से डर रहा था| डर इसलिए रहा था की कहीं मैं गलत निकला तो मैडम के नजर में जो मेरी इज्जत है वो चली जाएगी और एक डर ये भी था की कहीं मेरे कुछ कहने से उनका दिल न टूट जाए| मैंने सोचा की मैं अपनी बात कुछ इस तरह से रखूँगा की उन्हें ये समझ आ जाये की मैं प्यार क्यों नहीं कर सकता|



“You’re even giving me company in walking!” इतना कह कर वो हँसने लगीं| “So now we’re friends right?” अब मैं इसका जवाब ना तो नहीं दे सकता था, इसलिए मैंने हाँ में सर हिलाया और मैडम ने हाथ मिलाने के लिए अपना दायाँ हाथ आगे बढ़ाया| मैंने अभी उनसे हाथ मिलाया और मुस्कुरा दिया, हम वॉक करते-करते करीबन एक किलोमीटर दूर आ गए तो मैडम ने चाय पीने के लिए कहा| टापरी वाली मस्त चाय पी कर मैडम में शॉपिंग के लिए बोला और हम जुहू मार्किट आ गए वहाँ मैडम ने कुछ बालियाँ खरीदी और खरीदते वक़्त वो बार-बार मुझसे पूछती की ये कैसी है| मैंने भी पूरा इंटरेस्ट लेते हुए उन्हें एक बालियाँ उठा के दीं जो उन पर बहुत जच रही थी| उन्हें पहन के तो मैडम खुश हो गईं और मेरी पसंद की तारीफ करने लगीं| मेरा मन किया की मैं ऋतू के लिए भी एक बाली खरीदूं पर मैडम से क्या कहूँगा ये सोच कर रह गया| कुछ दूर आ कर मैडम ने मॉल जाने के लिए कहा और हम एक मॉल में घुसे| वहाँ एक शोरूम में मैडम ने मुझे एक बिज़नेस सूट दिया और try करने को कहा| अब ये देख कर तो मेरी आँख फटी की फटी रह गई| "I’m sorry mam! I can’t take this.” 


"क्यों?" मैडम ने सवाल पूछा| “Mam its way too costly! I …I can’t afford it!” मैंने दबी हुई आवाज में कहा| “Oh come on! It’s a gift… from a friend to another.” 
“No…No…No… Mam… I can’t… please” मैंने उन्हें मना करते हुए कह| पर उन्होंने कबरदस्ती करते हुए कहा; "इसका मतलब की हम दोस्त नहीं हैं?" "जी मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहा| दोस्ती में जर्रूरी तो नहीं की इतना महँगा गिफ्ट दिया जाए?" मैंने उन्हीं की बात उन पर डालते हुए कहा| "पर मैं अपनी ख़ुशी से दे रही हूँ!"


"जानता हूँ mam पर मैं इतना महँगा गिफ्ट अभी deserve नहीं करता!" मैंने बात खत्म करना चाहा पर मैडम तो जैसे अड़ ही चुकी थी की वो मुझे गिफ्ट दे कर रहेंगी| "क्या deserve नहीं करता?" उन्होंने गुस्से में मेरा हाथ पकड़ के मुझे एक तरफ खड़ा किया और गुस्से में बोली; "एक लड़का जो पिछले दो दिन से मेरा इतना ख्याल रख रहा है, ट्रैन में मुझे उन लफंगों की गन्दी नजरों से बचाता है! होटल के एक कमरे में मैं नशे में थी फिर भी जिसने मेरा कोई गलत फायदा नहीं उठाया वो ये सूट deserve नहीं करता तो फिर इस दुनिया में chivalry की कोई कीमत ही नहीं है|"

"Mam तो आप मुझे ये सब करने की कीमत दे रहे हो? अभी तो आप ने कहा की हम दोस्त हैं और अभी आप कीमत की बात कर रहे हैं?"

"मेरा वो मतलब नहीं था..... उस टाइम आपने राखी से कहा था ना की आज पता चला की इंसान की जिंदगी में कपड़ों की क्या वैल्यू होती है, मुझे बहुत बुरा लगा|"

"Mam वो...." आगे बोलने के लिए मेरे पास शब्द नहीं थे| मैं बहुत ही गैरतमंद इंसान हूँ और उनसे ऐसा कोई भी तोहफा नहीं लेना चाहता था| शायद वो ये समझ गईं थीं इसलिए वो बोलीं; "अच्छा एक शर्ट तो ले लो?" अब मुझे बुरा लग रहा था की मैं भला कब तक उन्हें ऐसे मना करूँ| "ठीक है पर पैसे मैं दूँगा|"

"अरे ये क्या बात हुई? ठीक है! पसंद मैं करुँगी|" उन्होंने हँसते हुए कहा और मैंने भी और मना नहीं किया| फिर मैडम ने एक नेवी ब्लू कलर की एक शर्ट पसंद की जिसे मैंने उन्हें try करके दिखाया और पैसे मैंने दिए|


शाम के 6 बजने लगे थे तो मैडम ने पावभाजी खाने के लिए कहा| मैं इधर सोच रहा था की ऋतू के लिए क्या खरीदूँ, आखिर मुझे याद आया की उसने एक बार मुझसे डायरी माँगी थी| तो पावभाजी खाने के बाद मैंने एक डायरी ली और मैडम ने मुझे वो डायरी लेते देखा तो खुद को पूछने से खुद को रोक पाईं; "आप शायरी करते हो क्या?" अब मुझे कुछ तो जवाब देना ही था सो मैंने हाँ में सर हिला दिया और ये सुन करते वो मुझसे और भी ज्यादा इम्प्रेस हो गईं| तो एक शेर हमें भी सुनाइए! मैडम की फरमाइश पर मुझे ऋतू की याद आ गई और फिर मुझे घुलम अली जी का एक शेर याद आ गया;

"फासले ऐसे भी होंगे,

ये कभी सोचा ना था.

सामने बैठा था मेरे,

और वो मेरा ना था|"

ये सुनते ही मैडम एक दम से चुप हो गईं और एक पल के लिए मेरे सामने ऋतू का चेहरा आ कर ठहर गया| "आप शायरी इस डायरी में जर्रूर लिखना|" इतना कह कर मैडम ने अपनी चुप्पी तोड़ दी और मैंने भी सोचा की इसे पढ़ कर ऋतू भी खुश हो जाएगी| शायद उसे उसकी बेरुखी भी याद आ जाये! खेर हम थोड़े दूर वहीँ घूमें, मैंने मैडम की कुछ तसवीरें लीं उन्हींके फ़ोन से और फिर खाना खा कर होटल 8 बजे पहुँचे| वहाँ से चेक-आउट किया और स्टेशन पहुँच गए और वहाँ एक बेंच पर बैठ गए| ट्रैन आई और हम अपनी-अपनी बर्थ पर लेट गए| इस बार हमारी टिकट्स कन्फर्म हो गई थीं, नाम वाली दिक्कत अब भी हुई तो फिर मैंने कैसे ना कैसे कर के बात संभाल ली| 

आज रात मैं चैन से सोया इस ख़ुशी में की सैटरडे मुझे देख कर ऋतू खुश हो जाएगी| हालाँकि मैडम ने दो बार मुझे उठाया था क्योंकि उन्हें वाशरूम जाना था और मैंने इसका कोई माइंड नहीं किया| अगले दिन आठ बजे मैडम ने मुझे उठाया, फ्रेश हो कर हम ने चाय-नाश्ता किया| सर का फ़ोन आया और मुझे नहीं पता की उनकी क्या बात हुई क्योंकि मैं डायरी में वही शेर लिख रहा था| सर से बात कर के मैडम ने बात शुरू की; "Isn’t it strange, a handsome guy filled with so much of chivalry is single?” उन्होंने chivalry शब्द पर बहुत जोर दे कर कहा| ये सुन कर मेरे मन में जो पहले विचार आया था की शायद मैडम मुझसे प्यार करती हैं, क्यों ना उस विचार का गाला घोट दूँ| मैंने बहुत गंभीर होते हुए कहा; "Mam my village is famous for honor killing! My cousin’s wife was burned alive because of this!” ये सुनते ही मैडम के हालत देखने लायक थी, उनका मुँह खुला का खुला रह गया| उनका हँसता-खेलता हुआ चेहरा मायूस हो गया और तभी उनको याद आय की वो ट्रैन वाला हादसा और जो होटल में हुआ वो; "I….I’m really sorry! That TTE saw us…and…h…how….what are you going to tell them?” उनकी घबराहट उनके चेहरे से झलक रही थी और मैं भी अंदर ही अंदर जानता था की जब ये बात सामने आएगी तो काण्ड होना तय है| क्योंकि कोई भी मेरी बात पर ऐतबार नहीं करता की जो कुछ हुआ उसमें मेरी कोई गलती नहीं थी| मैंने नकली मुस्कराहट अपने चेहरे पर लाते हुए कहा; “Haven’t thought about it! But don’t worry I won’t drag you in that mess!” मैंने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा पर बिलकुल मायूस हो गईं और फिर से गिलटी महसूस करने लगी| अब उस समय मैं अगर ज्यादा कुछ बोलता तो शायद उसका कुछ गलत मतलब निकलता, उन्हें कहीं ये ना लगे की मेरे मन में भी उनके लिए कोई प्यार-व्यार है इसलिए मैं चुप-चाप फिर से लेट गया| पर मैडम बहुत उदास थीं!

अब एक हँसता-खेलता इंसान मेरे कारन गुम-शूम हो गया था और रह-रह कर मैं गिलटी महसूस करने लगा था| "Mam you don’t have to worry, the least punishment I’ll get is either marriage or kicked from home. And trust me I’m really happy for the later punishment!” मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा ताकि उनका कुछ मन हल्का हो पर वो अब भी गुम-सुम थीं| "Mam आपके इस तरह गुम-सुम होने से इसका कोई हल तो निकलेगा नहीं| जब ये बात सामने आएगी तब मैं इसका कोई ना कोई हल निकाल लूँगा|" पर मैडम अब भी चुपचाप थीं, इससे ज्यादा मैं उन्हें कुछ कह नहीं सकता था| पूरा सफर वो इसी तरह गुम-सुम रहीं और मुझसे कोई भी बात नहीं की| रात दो बजे हम स्टेशन पहुँचे और अब वहाँ से घर जाना था| सर कार ले कर हम दोनों को लेने आये और मुझे घर छोड़ा| जब मैं जाने लगा तो मैडम ने मुस्कुराते हुए कहा; "कल की छुट्टी ले लेना, See you on Monday!" ये सुन कर मेरी लाटरी निकल गई और मैंने उन्हें 'Thank you mam' कहा और ऊपर चला गया| सर की उस टाइम जली जर्रूर होगी पर वो कुछ बोले नहीं| बिस्तर पर ऐसे ही पड़ गया और सो गया, अगली सुबह 7 बजे उठ कर तैयार हुआ और ऋतू के कॉलेज के लिए निकल गया| उसके कॉलेज के गेट पर बाइक रोक कर उसका इंतजार करने लगा, जैसे ही उस की नजर मुझ पर पड़ी वो भाग कर आई और मेरे गले लग गई और उसकी आँखों से गंगा-जमुना बहने लगी| "ये तीन मैंने कैसे काटे मैं ही जानती हूँ!" उसने रोते-रोते कहा|

"तीन दिन से मेरे कॉल 'काट' ही तो रही थी|" मैंने उसे छेड़ते हुए कहा| ये सुन कर ऋतू फिर से गुस्सा हो गई पर उसे मानाने के लिए मैंने उसे उसका तौहफा दिया| डायरी देख कर तो वो खुश हो गई और उस पर छापे गेटवे ऑफ़ इंडिया की तस्वीर देख कर वो और भी खुश हो गई| अंदर खोल कर देखा तो दूसरे पैन पर मैंने वही शेर लिखा था जिसे पढ़ कर उसे मेरे दिल के दर्द के बारे में एहसास हुआ पर वो कान पकड़ के माफ़ी माँगने लगी| इतने में उसकी एक सहेली भी आ गई और मुझे देखते ही वो समझ गई की मैं उसका बॉयफ्रेंड हूँ| हालाँकि मैं ये नहीं चाहता था और उम्मीद कर रहा था की ऋतू बोलेगी की मैं उसका चाचा हूँ| पर ऋतू के कुछ कहने से पहले ही वो बोल पड़ी; "ओह! तो ये ही हैं वो जिनकी वजह से तू इतने दिन गुम-सुम थी?" ये सुन कर वो शर्मा गई और मेरी बाजू पर अपना सर रख दिया| "Hi" मैंने इतना कहा और उसने होना हाथ आगे करते हुए कहा; "Myself काम्य|| मैंने उसका हाथ मिलाया और "मानु" कहा| काम्य ने मेरा हाथ बहुत जोर से दबा रखा था और वो हाथ छोड़ ही नहीं रही थी इसे देख ऋतू जल गई और उसने दोनों का हाथ छुड़वा दिया| "हेल्लो मैडम आप जा कर अपने वाले से हाथ मिलाओ|" ये सुन कर हम दोनों हँस पड़े|                      

   "तो चलें?" मैंने ऋतू से कहा तो हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी| "क्या कोई जर्रूरी लेक्चर है?" वो खुश हो गई और ना में सर हिलाया और फ़ौरन बाइक पर पीछे बैठ गई| काम्य और जोर से हँसने लगी और फिर बाय बोल कर चली गई| ऋतू हमेशा की तरह मेरी पीठ से चिपक कर बैठ गई, जैसे की तीन दिन से उसका जिस्म बर्फ बन गया था और मेरे बदन की तपिश से वो सारी बर्फ पिघलना चाहती थी| "तो जान! बताओ की जाना कहाँ है?" मैंने उससे पूछा|

"घर और कहाँ?" ऋतू तपाक से बोली| मैं समझ गया था की उसे घर क्यों जाना था तो मैंने रास्ते से खाने के लिए कुछ पैक करवाया और फिर हम दोनों घर आ गए|
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10-21-2019, 06:15 PM, (This post was last modified: 10-21-2019, 06:20 PM by kw8890.)
#40
RE: काला इश्क़!
update 19

     ऊपर आ कर जैसे ही मैंने दरवाजा बंद किया की ऋतू ने मुझे पीछे से कस कर अपनी बाहों में भर लिया| "हम्म्म्म....आप के बिना इतना दिन मैं अधूरी हो गई थी|" ऋतू ने मेरी पीठ पर कमीज के ऊपर से kiss करते हुए कहा| मैं उसकी तरफ घुमा और उसे गोद में उठा कर पलंग पर लिटाया और जूते उतार के मैं भी उसकी बगल में पाँव ऊपर कर के लेट गया| उसने मेरे बाएं हाथ को अपना तकिया बनाया और मुझसे मुंबई के बारे में सब पूछने लगी| मैंने पहले तो उसे मेरे कॉर्पोरेट वर्ल्ड का एक्सपीरियंस बताया जिसे सुन कर वो दंग रह गई| मेरे बिज़नेस सूट वाली बात पर वो भी मायूस हुई और कहने लगी की जब उसे पहली सैलरी मिलेगी तो वो मुझे ये सूट दिलाएगी| ये सुन कर मुझे उस पर बहुत प्यार आने लगा| वहाँ खींची तसवीरें देख ऋतू का मन वहाँ जाने का कर रहा था और वो कहने लगी की शादी के बाद जब हमारी लाइफ सेटल हो जाएगी तो वो मुंबई मेरे साथ जर्रूर जाएगी| इसी तरह से हम दोनों बातें करते रहे और फिर मैंने सोचा की उसे सच-सच बता दूँ जो भी कुछ हुआ, क्योंकि मैं उससे कुछ भी नहीं छुपाना चाहता था| तो मैंने उसे शुरू से लेकर आखिर तक सारी बात बता दी और ये सब सुनते ही वो छिटक कर मुझसे दूर कड़ी हो गई|

ऋतू: तो इसलिए गए थे ना आप उस मैडम के साथ? (उसने गुस्से में कहा)

मैं: यार मैंने क्या किया? बॉस ने लास्ट मोमेंट पर बोला की उनकी जगह Mam जाएँगी तो मैं क्या करता?

ऋतू: उसकी हिम्मत कैसे हुई आपको छूने की?

मैं: यार कुछ गलत इंटेंशन नहीं था उनका| वो बस....

ऋतू: (मेरी बात काटते हुए) आपको कैसे पता की इंटेंशन सही थी या गलत? और आपक ने उसे खुद को छूने कैसे दिया? (ऋतू ने चीखते हुए कहा|)

मैं: ऋतू बात को समझने की कोशिश कर! वो दोनों लड़के उन्हें घूर-घूर के देख रहे थे! She was scared! वो मुझे trust करती थीं इसलिए उन्होंने सिर्फ मेरी गोद में सर रखा| मैंने उन्हें जरा भी नहीं छुआ?

ऋतू: ये देखने के लिए मैं तो नहीं थी ना? एक होटल में दोनों पति-पत्नी के नाम से रहे रहे थे! आपने उसे जरा भी नहीं कहा की mam आप ये गलत कर रहे हो?

मैं: रात के तीन बज रहे थे, कहीं भी कमरा नहीं मिल रहा था! हर कोई गलत ही सोच रहा था तो ऐसे में उन्हें मजबूरन झूठ लिखना पड़ा| मेरा विश्वास कर उस रात मैं सोफे पर सोया था और वो पलंग पर! हमारे बीच कुछ भी नहीं हुआ था| एक पल भी मेरे मन में कोई गलत विचार नहीं आया! उन्होंने तो मुझे दारु भी ऑफर की पर मैंने सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि मैंने तुमसे वादा किया था|, इतना प्यार करता हूँ तुम से!   

ऋतू: मैं कैसे मान लूँ? एक कमरे में एक आदमी और एक औरत हैं और फिर भी उन दोनों के बीच कुछ नहीं हुआ! ये सतयुग है क्या?

मैं: .....

ऋतू: (मेरे कुछ कहने से पहले ही ऋतू बोल पड़ी|) आपको कैसा लगता अगर ये सब मेरे साथ हुआ होता? क्या आप मेरी बात पर भरोसा करते?

मैं: (उसकी आँखों में देखते हुए) हाँ ... मैं तुम्हारी बात का विश्वास करता क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुम पर आँख मूँद कर विश्वास करता हूँ|

ऋतू: Well मैं आप पर विश्वास नहीं कर सकती! उस जैसी बाला की खूबसूरत औरत के साथ आप रहे और फिर भी उसे छुआ तक नहीं|


ये सुन कर मेरा दिल बहुत दुख की वो मुझ पर जरा भी भरोसा नहीं करती| पर मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला|

 

ऋतू: जब मैंने उसे वीडियो कॉल पर देखा था तभी से मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था! मुझे पता था वो आपको मुझसे छीन लेगी| (ये बोलते हुए रोने लगी| मैंने उसके आँसूँ पोछने चाहे तो उसने मेरा हाथ झिटिक दिया|)

मैं: जान मेरी बात को समझो! प्लीज ... प्लीज मेरा विश्वास करो! (मैंने उसके आगे हाथ जोड़े पर उसका उसक पर कोई असर नहीं पड़ा|)

ऋतू: आप एक बात का जवाब दो, जब आपके बॉस ने कहा की मेरी जगह आप मेरी बीवी के साथ चले जाओ तो आप मना नहीं कर सकते थे?

मैं: यार वो बॉस है मेरा, उसका कहा मानने के पैसे मिलते हैं मुझे|

ऋतू: कल को वो कहेगा की उसकी बीवी के साथ सो जाओ तो आप सो जाओगे?

ये सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने ऋतू पर हाथ छोड़ दिया|

मैं: बस! अब बहुत हो गया, इतनी देर से मैं मिन्नतें कर रहा हूँ और तुम्हें उस पर विश्वास ही नहीं हो रहा है| मैं चूतिया था जो मैंने तुम्हें सब कुछ बता दिया, ये विश्वास कर के की तुम्हें सच पता होना चाहिए| पर नहीं तुम्हें तो बेकार का बखेड़ा खड़ा करना है?                        

ऋतू रोने लगी और रोते हुए बोली; "आपके मन में उस के लिए प्यार है, उसकी इज्जत प्यारी है आपको? मेरी कोई वैल्यू नहीं?" इतना कह कर वो रोती हुई चली गई, मैं भी उसके पीछे-पीछे भागा और उसे आवाज दे कर रोकना चाहा पर वो नहीं रुकी और ऑटो कर के चली गई| मुझे उसकी चिंता हुई तो मैंने जल्दी से ऑटो का नंबर नोट किया और घर वापस आ गया| मैं जमीन पर बैठा सोचता रहा की अभी जो कुछ हुआ उसमें मेरी गलती थी क्या? ऋतू को सच बताना गलती थी? या उस दिन मौके का फायदा नहीं उठाना गलती थी? या फिर मैंने ऋतू पर हाथ उठाया, वो गलत था? पर मैंने हाथ इसलिए उठाया क्योंकि अनु मैडम के चरित्र पर ऊँगली उठा रही थी! दिमाग में जैसे उधेड़-बुन शुरू हो गई थी, दिमाग कहता था की तुझे ऋतू को बताने की जर्रूरत नहीं थी| पर दिल कह रहा था की तूने इसलिए बताया क्योंकि आगे चल कर हमारे रिश्ते में कोई गाँठ ना पड़ जाए| ये ऋतू का बचपना है, कुछ देर में शांत हो जायेगा| पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, मैं उसे कॉल करता रहा पर उसने फ़ोन बंद कर दिया|  मैंने उसके कॉलेज के चक्कर लगाना शुरू कर दिया पर अब उसने मुझे वहाँ भी इग्नोर करना शुरू कर दिया| एक दिन मैं उसके हॉस्टल भी गया उससे मिलने पर वहाँ भी उसने मुझसे कोई बात नहीं की, बस हाँ-ना में जवाब देती रही| अब चूँकि वहाँ आंटी जी थीं तो मैं ज्यादा कुछ कह भी नहीं पाया| वो भी उठ कर चली गई ये बहाना कर के उसे असाइनमेंट पूरा करना है| पूरे दो हफ्ते तक ऋतू इसी तरह करती रही, फोन बंद रखती और मैं यहाँ उसे रोज फ़ोन करता इस आस में की शायद अब वो फ़ोन उठा ले! इधर ऑफिस में मैडम अब मुझसे हँसते हुए बात करने लगी थीं, पर सिर्फ तब जब सर नहीं होते थे| मैं उनके सामने बीएस उसी तरह जवाब देता जैसे पहले देता था उससे ज्यादा मैंने कुछ रियेक्ट नहीं किया| जब की मेरे मन का दुःख सिर्फ मैं ही जानता था|    


एक दिन मैं ऑफिस मीटिंग में था की तभी कुछ हुआ| ऋतू मेरे ऑफिस आई और उसने जानबूझ कर अनु मैडम से बात शुरू की;

ऋतू: हेल्लो mam!

अनु मैडम: Hi ... सॉरी मैंने आपको पहचाना नहीं!

ऋतू: Actually mam मुझे ये डायरी ट्रैन में मिली| किसी Mr. Manu की डायरी है| इसमें यहाँ का एड्रेस लिखा था तो मैं एड्रेस ढूंढते हुए यहाँ आ गई| (ये एड्रेस उसने खुद ही लिखा था|)


अनु मैडम: ओह! हाँ... ये तो मानु की ही डायरी है| Thank you so much! 

ऋतू: Is he your husband?

अनु मैडम: Oh no no no… he works here, he’s in a meeting right now. 
ऋतू: I’m really sorry… I didn’t mean to….. sorry!
अनु मैडम: Its okay! 
तभी सर ने मैडम को बात करते हुए देख लिए और अंदर बुलाया; "That’s my husband! I…I’m sorry I’ve to go. Why don’t you wait here and we can have a cup of coffee.” 
“Oh no..no.. mam I’ve to leave… I’ve to rush back to my hostel.” 
“Then please gimme your number, I’ll call you and then we can have a a cup of coffee, my treat!!” और ऋतू ने उन्हें अपना नंबर दिया और मैडम ने उन्हें अपना फ़ोन नंबर दिया| इधर सर हमें नए AS (Accounting Standard) पर ज्ञान दे (चोद) रहे थे| मैडम अंदर आईं और उन्होंने मेरी तरफ डायरी बढ़ा दी| ये वही डायरी थी जो मैंने ऋतू को दी थी! उसे देखते ही मेरे चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी और मैं बाहर जाने को बेचैन हो गया| "Excuse me sir" इतना कह कर मैं बाहर भागा पर वहाँ कोई भी नहीं था| मैं सोचने लगा की अभी हुआ क्या? ये डायरी मैडम तक कैसे पहुँची? अभी मैं ये सोच ही रहा था की मैडम ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरी उधेड़-बुन समझते हुए उन्होंने मुझे सारी बात बताई|


मैडम की बात सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आया की ऋतू यहाँ तक आई सिर्फ डायरी वापस करने! अपना गुस्सा मैं काम पर उतारने लगा और देर रात तक ऑफिस में बैठा रहा| कई बार फ़ोन मिलाया पर ऋतू का फ़ोन बंद ही था| तब मुझे लगा की ऋतू ने मेरा नम्बर ब्लॉक तो नहीं कर दिया, इसलिए मैंने ऑफिस के लैंडलाइन से फ़ोन किया तो इस बार घंटी गई| 5-7 घंटी के बाद उसने फ़ोन उठा लिया; "तो मेरा नंबर ब्लॉक कर रखा था ना?" ये सुन कर वो कुछ नहीं बोली| फिर मन नहीं किया की आगे उसे कुछ कहूं, इसलिए मैंने फ़ोन रख दिया और अपना बैग उठा के चल दिया| घर आया और बिना कुछ खाय-पीये ही सो गया|       
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