Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
09-04-2017, 04:11 PM,
#31
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
दोस्तो, प्रिया का फिगर तो आपको पता ही है 30-26-30 चलो अब प्रिया को नंगी भी देख लो।
जैसा कि मैंने पहले आपको बताया था प्रिया थोड़ी साँवली है लेकिन दोस्तों रंग का कोई महत्व नहीं होता..
कुदरत ने प्रिया के गुप्तांगों को बड़ा ही तराशा था.. उसके मम्मे एकदम गोल.. जरा भी इधर-उधर नहीं..
एकदम परफ़ेक्ट जगह पर और थोड़े ऊपर को उठे हुए चुदाई की भाषा में ‘तने हुए मम्मों बोल सकते हैं और उन गोल मम्मों पर उसके खड़े निप्पल.. एकदम गुलाबी.. जैसे किसी ने गुलाब की पत्ती तोड़ कर वहाँ चिपका दी हो और पतली कमर जिसमें एक गड्डा बना हुआ था.. जिससे उसकी गाण्ड का उठाव अलग ही नज़र आता था।
भले ही वो साँवली हो मगर कोई इसको ऐसी हालत में देख ले उसका लौड़ा बिना चोदे ही पानी टपकने लगेगा।
चलो अब प्रिया को नंगा तो अपने देख लिया।
अब इन दोनों कमसिन कलियों की रगड़लीला भी देख लो।
डॉली- वाउ यार तेरे मम्मे तो बहुत अच्छे हैं गोल-गोल…।
प्रिया- रहने दे यार इतने ही अच्छे हैं तो कोई देखता क्यों नहीं.. जिस्म तो तेरे पास है.. एकदम गोरा.. बेदाग किसी को भी अपनी और खींचने वाला..
डॉली- अरे यार अब बहस में क्या फायदा.. चल आजा मस्ती करते हैं।
दोस्तो, दोनों कमसिन कलियां बिस्तर पर नंगी पड़ी.. एक-दूसरे को चूमने लगीं.. कभी डॉली उसके मम्मों दबाती और चूसती.. तो कभी वो। 
दोनों एकदम गर्म हो गई थीं प्रिया चुदी हुई नहीं थी मगर कहानी से उसने काफ़ी कुछ सीखा हुआ था.. वो मम्मे चूसने के साथ-साथ डॉली की चूत भी रगड़ रही थी।
काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे के साथ मस्ती करती रहीं।
डॉली- उफ़फ्फ़ आह प्रिया मेरी चूत में कुछ हो रहा है प्लीज़ आह्ह… थोड़ी देर चाट ले ना आह्ह… मैं भी तेरी चाटती हूँ आह्ह… आजा 69 का स्थिति बना ले।
प्रिया- हाँ यार उफ़फ्फ़.. चूत जलने लगी है.. बड़ा मज़ा आएगा चल आजा..
दोनों अब एक-दूसरे की चूत का रस चाट रही थीं डॉली तो पहले चूत चाट चुकी थी.. उसको तो बड़ा मज़ा आ रहा था मगर प्रिया की चूत पर पहली बार होंठ लगे थे.. वो तो आनन्द की असीम सीमा पर पहुँच गई थी।
उसको बहुत मज़ा आ रहा था और उसी जोश में वो डॉली की चूत को बड़े मज़े से चाट रही थी।
दोनों पहले से ही गर्म थीं ज़्यादा देर तक चूत-चटाई बर्दास्त ना कर पाईं और एक-दूसरे के मुँह में झड़ गईं।
झड़ने के 5 मिनट बाद तक दोनों शान्त पड़ी रहीं।
प्रिया- उफ़फ्फ़… साली ये चूत भी क्या कुतिया चीज है.. बड़ा मज़ा आया आज तो.. यार अगर तू लड़की होकर इतना मज़ा दे सकती है तो रिंकू मुझे कितना मज़ा देगा।
डॉली- हाँ यार लौड़े से जो मज़ा आता है.. वो कहीं किसी से नहीं मिलता और मैंने जो चूत चाटी.. वो कुछ नहीं है.. मर्द की ज़ुबान जब चूत पर लगती है.. अय..हय.. उसका मज़ा कुछ अलग ही होता है।
प्रिया- सच्ची..! ऐसा मज़ा मिलता है..
यार प्लीज़ इसी लिए तो कह रही हूँ.. कुछ कर रिंकू को मेरा बना दे.. जब उन्होंने एक बार तेरा नाम लिया तो मुझे बड़ा गुस्सा आया.. मगर बाद में मैंने सोच लिया कि अब तू ही मेरी मदद करेगी।
डॉली- यार यही बात करने तो तुझे यहाँ बुलाई हूँ.. अब तू ही बता.. मैं उसको राज़ी कैसे करूँ.. तुझे चोदने के लिए।
प्रिया- देख सीधी सी बात है.. वो तीनों तुझे चोदना चाहते हैं.. अब तू सच-सच बता.. उनसे चुदना चाहती है या नहीं.. उसके बाद मैं आइडिया बताती हूँ।
डॉली- नहीं यार.. मैं उनसे नहीं चुदना चाहती.. वो स्कूल में बदनाम कर देंगे… मुझे उन पर ज़रा भी विश्वास नहीं है।
प्रिया- मैं जानती थी तू यही कहेगी.. अब सुन तुझे चुदना नहीं है.. बस चुदने की एक्टिंग करनी है।
डॉली- वो कैसे यार?
प्रिया- सुन.. मैडी तेरे ज़्यादा करीब आ रहा है.. तू उसको सीधे बोल दे कि तुझे उनकी बात पता चल गई है और तू खुद भी यही चाहती है.. मगर तेरी एक शर्त है कि जगह तुम बताओगी और अंधेरे में सब काम करना होगा। तू उनके सामने नंगी नहीं होना चाहती।
डॉली- इससे क्या होगा और मैं ऐसा क्यों कहूँ..? मुझे नहीं चुदना यार उनसे…
प्रिया- अरे यार सुन तो जब वो मान जाए.. तो हम दोनों किसी ऐसी जगह का इंतजाम कर लेंगे।
मैं छुप कर रहूंगी.. तू वहाँ ये कहना कि मैं कुँवारी हूँ और पहले रिंकू से चुदवाऊँगी.. उसके बाद दोनों से एक-एक करके करना होगा.. कमरे में रिंकू के आने के बाद तुम लाइट बन्द कर देना।
मैं वहीं छुपी रहूंगी.. बस आवाज़ तुम्हारी जिस्म मेरा.. वो चोद लेगा मुझे.. तू बस साइड में चुपचाप बैठी रहना यार।
प्रिया की बात सुनकर डॉली बस उसको देखती रही।
प्रिया- अरे ऐसे मुँह क्या फाड़ रही है कुछ बोल ना आइडिया कैसा लगा?
डॉली- यार ऐसे आइडिया तेरे दिमाग़ में आए कहाँ से और मुझे नहीं करना ये सब.. बात तो वहीं की वहीं है.. भले ही चुदेगी तू.. मगर उनकी नज़र में तो मैं ही हूँ ना.. वो तो मुझे पूरे स्कूल में बदनाम कर देंगे।
प्रिया- अरे यार अब तू ही कुछ सोच ले.. मुझे तो जो समझ आया मैंने तुझे बोल दिया।
डॉली- देख प्रिया तू मेरी बात मान ले.. चेतन सर का लौड़ा 8″ का है और मोटा भी बहुत है.. उन्हें चोदने का बहुत ज़्यादा अनुभव भी है.. तू अपनी सील उनसे ही तुड़वा ले।
प्रिया- नहीं यार, तू मुझे सर के लौड़े का लालच मत दे… मैंने पक्का मन बना लिया है.. सील तो रिंकू से ही तुड़वाऊँगी.. उसके बाद चाहे उसके दोस्त भी चोद लें या कोई और… मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
डॉली- यार तूने मुझे दुविधा में डाल दिया.. कुछ सोचना पड़ेगा मुझे.. तू ऐसा कर आज रहने दे.. मैं कल बताती हूँ कि कैसे रिंकू को राज़ी करना है… अब तो कुछ भी हो जाए तेरी चूत की सील रिंकू ही तोड़ेगा।
प्रिया- थैंक्स यार उम्म्म्मा…
ख़ुशी के मारे प्रिया ने डॉली को चूम लिया।
डॉली- अब ये सब बातें भूल जा देख आज शुक्रवार है.. मैडी का जन्मदिन सोमवार को है.. अभी काफ़ी वक्त है। मैं कुछ ना कुछ सोच लूँगी चल अभी थोड़ी पढ़ाई कर लेते हैं यार…
प्रिया- अरे यार तू इतनी अच्छी स्टूडेंट है.. तू तो पक्का पास हो जाएगी.. तो क्यों इतना पढ़ती है.. चल मुझे अपनी कहानी सुना ना..
डॉली- नहीं अभी बस स्टडी.. और कुछ नहीं। फिर कभी अपनी बात बता दूँगी।
प्रिया बुझे मन से उसके साथ पढ़ने लगी।
शाम तक प्रिया वहीं रही.. उसके बाद डॉली ने उसे भेज दिया और खुद चेतन सर के घर जाने की तैयारी में लग गई।
सबसे पहले तो वो नहा कर फ्रेश हुई उसके बाद उसने ब्लू जींस और सफ़ेद टी-शर्ट पहनी.. बाल भी खुले रखे और घर से निकल गई।
दोस्तों इस ड्रेस में डॉली बहुत सुन्दर दिख रही थी.. चुस्त टी-शर्ट में से उसके मम्मे साफ दिख रहे थे और जींस में से गाण्ड एकदम बाहर को निकल रही थी।
कोई अगर उसको पीछे से देख ले तो उसके मन में बस यही विचार आए कि काश एक बार इसकी गाण्ड मार लूँ.. उसका लौड़ा तो बगावत कर दे कि अभी मुझे इसकी गाण्ड में घुसना है.. 
मगर ऐसा हो नहीं सकता ना.. चलो ये सब बातें जाने दो कहानी पर आती हूँ।
डॉली आराम से अपनी धुन में चली जा रही थी।
सुधीर उसी जगह खड़ा उसका इन्तजार कर रहा था।
उसको देखते ही सुधीर की आँखों में चमक आ गई। 
सुधीर- वाह क्या क़यामत लग रही हो.. आज तो क्यों इस बूढ़े पर सितम ढा रही हो.. ऐसे जलवे मत दिखाओ.. देखो लौड़ा हरकत में आ गया तुमको देख कर।
डॉली- हा हा हा आप भी ना अंकल ओह.. उप्पस सॉरी सुधीर जी…
सुधीर- हाय.. मार डाला रे जालिम आज क्या कत्ल करने का इरादा है…
डॉली- आप को ऐसा क्यों लगा.. मैंने कौन सा हाथ में खंजर ले रखा है।
सुधीर- बेबी तुमको खंजर की क्या जरूरत.. तेरे पास तो ऐसे-ऐसे बॉम्ब हैं कि आदमी को एक ही वार में ढेर कर दें।
डॉली- अब ये पहेलियां अपने पास रखो.. मैंने जो काम बताया था वो किया आपने?
सुधीर- जानेमन ऐसा हो सकता है क्या कि तुम कोई बात कहो और मैं ना करूँ.. अरे तुमने तो मुझे वो दिया है जो मरते दम तक मैं तेरा अहसानमंद रहूँगा.. ले ये रही तेरी चाभी.. मगर एक बात का ध्यान रखना… अपने दोस्त को मेरे बारे में कुछ ना बताना.. बस कोई बहाना बना देना ठीक है।
अरे अरे ना ना.. दोस्तों दिमाग़ मत लड़ाओ कि कैसी चाभी.. कहाँ की चाभी आप शायद भूल गए होंगे कि कल डॉली और सुधीर के बीच कुछ काम की बात हुई थी.. बस यही था वो काम..
मैं आपको बताती हूँ कल डॉली ने सुधीर से उसके घर की डुप्लिकेट चाभी माँगी थी..
तब वो चौंका था मगर डॉली ने उसे समझाया कि उसका कोई दोस्त है उसके साथ वो कभी दिन में वहाँ मज़े लेने आएगी.. जब सुधीर होटल पर रहेगा..
बस सुधीर मान गया और उसने आज चाभी दे दी।
अब आप ये सोच रहे होंगे कि कौन दोस्त तो आपको बता दूँ डॉली के मन में मैडी का ख्याल आया था कि शायद कभी उसको अपनी चूत का मज़ा दे दूँ तो जगह तो चाहिए ना.. बस यही सोच कर उसने चाभी ली।
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09-04-2017, 04:18 PM,
#32
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डॉली- थैंक्स अब मैं जाती हूँ देर हो रही है।
सुधीर- अरे ये क्या.. आज भी मुझे सूखा रहना होगा.. जान बस थोड़ी देर के लिए आ जाओ ना.. उसके बाद चली जाना…
डॉली- नहीं.. नहीं.. ऐसा करो आने के वक्त मैं आती हूँ.. अभी जल्दी जाना जरूरी है।
सुधीर ने बुझे मन से उसको जाने दिया मगर उससे वादा लिया कि आते समय वो उसके घर आएगी।
डॉली सीधी चेतन के घर जा पहुँची।
ललिता- ओये होये.. क्या बात है.. आज तो बड़ी मस्त लग रही हो.. क्या इरादा है मेरी दीपा रानी का…
डॉली- इरादा तो आप जानती ही हो.. कहाँ हैं मेरे राजा जी.. दिखाई नहीं दे रहे।
ललिता- अन्दर बैठे हैं तेरा ही इन्तजार कर रहे हैं.. जा जाकर मिल ले बड़े उतावले हो रहे हैं तेरे लिए…
जब डॉली कमरे में गई तो चेतन को देख कर चौंक गई.. चेतन एकदम नंगा बैठा लौड़े को सहला रहा था।
डॉली- ऊह.. माँ.. ये क्या है सर.. आप ऐसे क्यों बैठे हो.. इतनी भी क्या जल्दी थी आपको.. मेरे आने का इन्तजार भी नहीं किया और लौड़े को कड़क करने बैठ गए.. मैं कब काम आऊँगी।
चेतन कुछ बोलता तभी पीछे से ललिता आ गई।
ललिता- हा हा हा हा चेतन जवाब दो.. हा हा हा चुप क्यों हो.. हा हा हा…
चेतन- बस भी करो.. इतना हँसोगी तो पेट में दर्द हो जाएगा।
डॉली- अरे कोई मुझे भी बताएगा कि क्या हुआ?
चेतन- अरे कुछ नहीं डॉली… हम दोनों मजाक-मस्ती कर रहे थे… बस उसी दौरान लौड़े पर ज़ोर से चोट लग गई.. बड़ा दर्द हुआ.. इसी लिए पैन्ट निकाल कर इसे सहला रहा था कि तुम आ गईं.. बस इसी बात पर अनु को हँसी आ रही है।
ललिता अब भी हँसे जा रही थी.. डॉली जल्दी से बिस्तर पर चढ़ गई और लौड़े को देखने लगी।
डॉली- ओह.. लाओ मुझे दो मेरे प्यारे लौड़े को.. मैं अभी सहला कर इसका दर्द मिटा दूँगी।
डॉली लौड़े को बड़े प्यार से सहलाने लगी और फूँक मारते-मारते उसने लौड़े को चूसना शुरू कर दिया।
ललिता- लो अब आपका सारा दर्द भाग जाएगा.. आपकी दीपा रानी के मुलायम होंठ जो लग रहे हैं लौड़े पर…
चेतन- आ.. आह्ह.. हाँ सही कहा तुमने.. अब ये आ गई है तो सब ठीक कर देगी।
डॉली कुछ ना बोली बस अपने काम में लगी रही। लौड़ा अब अपने पूरे शबाव पर आ गया था।
चेतन- उफ़फ्फ़ मज़ा आ रहा था मुँह से निकाला क्यों मेरी जान चूसो ना…
डॉली- अब बस चुसवाते ही रहोगे क्या.. मेरी चूत में जो जलन हो रही है.. उसका क्या?
चेतन- आज तो बड़ी मस्त लग रही है.. क्या बात है चल थोड़ी देर और चूस.. उसके बाद तेरी चूत की आग मिटाऊँगा।
डॉली होंठ भींच कर लौड़े को चूसने लगती है।
चेतन- आ आह्ह.. उफ्फ मज़ा आ रहा है मस्त.. मेरी जान ऐसे ही मज़ा देती रहना..
तभी फ़ोन की घंटी बजती है ललिता फ़ोन उठाती है और चेतन को आवाज़ देती है कि उनके लिए है।
चेतन का सारा मूड ऑफ हो जाता है वो बेमन से जाता है और बात करने के बाद तो उसका चेहरा और ज़्यादा उतर जाता है।
डॉली- क्या हुआ मेरे राजा जी.. परेशान दिख रहे हो?
चेतन- ये साले ट्रस्टी को भी आज ही आना था.. स्कूल से फ़ोन आया है.. हमारे ट्रस्टी साहब आए हैं.. पूरा स्टाफ वहाँ होना जरूरी है.. मेरा तो दिमाग़ खराब हो गया है।
ललिता- तो चले जाना.. पहले लौड़े को तो शान्त कर लो.. देखो बेचारी कैसे आँखें फाड़े तुम्हारा इन्तजार कर रही है।
चेतन- अरे नहीं यार.. फ़ौरन जाना होगा.. उनके आने से पहले जाना जरूरी है.. मैं अपनी इमेज खराब नहीं कर सकता।
डॉली भी बाहर आ गई थी और उसने सब सुन लिया था।
डॉली- सर आप जाओ आज नहीं तो कल सही.. मैं कहाँ भागे जा रही हूँ।
चेतन- थैंक्स जान.. तुम अपनी दीदी के साथ मज़ा करो ओके.. अगर जल्दी आ गया तो तेरी चुदाई पक्का करूँगा।
चेतन ने आनन-फानन में कपड़े पहने और निकल गया।
ललिता- क्यों बहना.. क्या इरादा है चूत चाट कर मज़ा लेगी या अपनी चूत चटवा कर शान्त होगी।
डॉली- नहीं दीदी कुछ नहीं.. मैं भी जाती हूँ आज मुझे अपनी फ्रेंड से मिलने जाना है.. मैं यहाँ आने वाली ही नहीं थी मगर सर गुस्सा करते इसलिए आ गई।
ललिता- अरे कौन सी फ्रेंड से मिलने जा रही है और हाँ.. कल मैं पूछना भूल गई.. उस दिन तू यहाँ से तो कब की निकल गई थी मगर घर इतनी देर बाद पहुँची?
डॉली थोड़ी चौंक सी गई और बस ललिता को देखने लगी।
ललिता- अरे चौंक मत तेरी माँ का फ़ोन आया था कि डॉली को भेज दो… तब तुम्हें गए हुए काफ़ी देर हो गई थी.. मैं कुछ बोलती उसके पहले तुम घर पहुँच गई थीं।
डॉली को याद आ गया जब वो घर गई थी.. उसकी माँ ने उसके सामने फ़ोन रखा ही था।
डॉली- व्व..वो दीदी मेरी एक फ्रेंड है प्रिया.. वो रास्ते में मिल गई थी.. त..त..तो बस देर हो गई।
ललिता- बहना तू बहुत भोली है तुझे झूठ बोलना बिल्कुल नहीं आता.. तेरे चेहरे से साफ पता चल रहा है कोई तो बात है.. जो तू छुपा रही है।
डॉली- न न नहीं दीदी ऐसी क..कोई बात नहीं है।
ललिता- देख तू नहीं बताना चाहती.. तो मत बता… लेकिन एक बात सुन ले.. मैंने तुझे चुदाई का ज्ञान दिया है और इस नाते मैं तेरी गुरू हूँ.. अब आगे तेरी मर्ज़ी.. मैं तो बस तेरी भलाई ही चाहती हूँ।
ललिता ने डॉली को इस तरह ये बात कही कि डॉली बहुत शरमिंदा हो गई और उसने ललिता से माफी माँगी फिर सारी बात ललिता को बता दी।
ललिता- हे राम तू लड़की है या क्या है.. इतनी बड़ी बात मुझे अब बता रही है.. तू इतनी भोली लगती है मगर है नहीं.. कौन था वो बूढ़ा उसके तो मज़े हो गए.. साले ठरकी को कमसिन चूत मिल गई और ये प्रिया कहाँ से टपक गई.. उसको पता चल गया.. अब वो चेतन और तुझे सारे स्कूल में बदनाम कर देगी।
डॉली- दीदी आप पूरी बात सुनो.. वो कुछ नहीं कहेगी।
डॉली फिर बोलने लगी.. ललिता सुकून से सब बातें सुन रही थी डॉली ने अब तक की सारी बात बता दीं.. मैडी और उसके दोस्तों की भी प्रिया के साथ आज जो लेसबो किया और आते वक्त सुधीर से मिली.. सब बात बता दीं।
ललिता- हम्म.. तो ये बात है प्रिया की चूत अपने ही भाई के लौड़े के लिए तड़फ रही है और उसने तुझे बलि का बकरा बना दिया।
डॉली- हाँ दीदी.. अब आप ही कुछ उपाय बताओ और प्लीज़ सर को कुछ मत बताना.. मैंने शर्म के मारे ही आप दोनों को अब तक कुछ नहीं बताया था।
ललिता- कैसी शर्म?
डॉली- आप क्या सोचते मेरे बारे में.. कि मैंने कैसे एक बूढ़े से चुदवा लिया..
ललिता- अरे ऐसा कुछ नहीं है ये चूत की भूख होती ही कुछ ऐसी है.. जब इसे लौड़ा चाहिए तो ये कभी नहीं सोचती कि लौड़ा किसका है… बस लौड़ा होना चाहिए.. अब जवान हो या बूढ़ा.. घर हो या बाहर.. सब चलता है।
डॉली- ओह्ह दीदी आप बहुत अच्छी हो… अब बताओ भी मुझे क्या करना चाहिए?
ललिता- देख वैसे तो वो लड़के सही नहीं है और तू भी उनसे चुदना नहीं चाहती.. मगर प्रिया को उनसे चुदने में कोई एतराज नहीं है.. तू ऐसा कर मैं जो बताऊँ वो कर.. तुम्हारी चिंता भी खत्म हो जाएगी और प्रिया का अरमान भी पूरा हो जाएगा।
ललिता ने कुछ टिप्स डॉली को दिए और अच्छे से उसको समझा दिया कि बड़े ध्यान से सब करना।
डॉली- ओह्ह.. दीदी यू आर ग्रेट.. क्या आइडिया दिया है.. अब तो बस सारी परेशानी ख़त्म हो गई.. अच्छा अब मुझे जाने दो सुधीर को भी थोड़ा खुश कर दूँ ताकि काम में कोई रूकावट ना आए।
ललिता- अच्छा जा मेरी बहना कभी मौका मिला तो मैं भी उस बूढ़े को अपनी चूत का स्वाद दे दूँगी मगर उसको मेरे बारे में अभी कुछ मत बताना।
डॉली- नहीं नहीं दीदी मैं कुछ नहीं कहूँगी.. आप बेफिकर रहो…
दोस्तो, ललिता की कही बात अगर मैं यहाँ लिखती तो आगे आपको कहानी का को पढ़ने में मज़ा नहीं आता.. इसलिए अब आगे जो भी होगा या डॉली करेगी आप समझ जाना कि ललिता ने ये सब डॉली को समझाया था.. इसमें दो फायदे हैं एक तो मुझे एक ही बात को दो बार नहीं लिखना पड़ेगा और दूसरा आपको मज़ा ज़्यादा आएगा कि अब क्या होगा? 
तो चलिए वापस कहानी पर आती हूँ।
डॉली वहाँ से निकल कर सुधीर के घर की ओर चल पड़ी और कुछ ही देर में वो सुधीर के घर पहुँच गई। दरवाजा खुला था तो वो सीधे अन्दर चली गई।
सुधीर बैठा हुआ शराब पी रहा था उसको पता नहीं चला कि डॉली कब उसके पीछे आकर खड़ी हो गई।
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09-04-2017, 04:18 PM,
#33
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सुधीर- ओह्ह.. मेरी छोटी सी गुड़िया जल्दी आ जाना.. उफ़फ्फ़ तेरे इन्तजार मैं तेरा ये आशिक मरा जा रहा है.. उफ्फ आज तू कितनी सेक्सी लग रही थी.. बस एक बार आजा मेरी जान.. जब तू जा रही थी तेरी गाण्ड बड़ी मटक रही थी.. आज तो तेरी गाण्ड ही मारूँगा..
सुधीर ना जाने क्या-क्या बोले जा रहा था.. डॉली पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी।
डॉली- अच्छा तो ये बात है.. मेरी पीठ पीछे आप मेरे बारे में इतना गंदा सोचते हो।
सुधीर एकदम से चौंक गया और उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा।
सुधीर- ओह्ह.. मेरी डॉली तू आ गई.. कसम से कब से तेरा इन्तजार कर रहा था.. तू इतनी जल्दी आ जाएगी, ये तो मैंने सोचा ही नहीं था.. आओ मेरे पास आओ।
डॉली- नहीं आती.. अपने शराब क्यों पी.. मुझे चिढ़ है शराब और शराबी से.. अब मैं जा रही हूँ।
सुधीर- अरे नहीं.. नहीं.. बस थोड़ी सी पी है मैंने.. मुझे अगर पता होता पहले तो कभी ना पीता.. प्लीज़ तुम मत जाओ.. इस बूढ़े पर थोड़ा तो रहम खाओ.. बरसों बाद तो मेरे सोए हुए लौड़े को तूने जगाया है.. अब इसको ऐसे ही छोड़ कर मत जाओ।
डॉली- अरे अरे.. इतने भावुक मत हो आप… अच्छा नहीं जाती बस… सुधीर खुश हो गया और उसने डॉली के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. मगर डॉली ने फ़ौरन मुँह हटा लिया।
डॉली- छी: छी: कितनी गंदी बदबू आ रही है.. आपके मुँह से उह..हो.. मेरा तो जी बैचेन हो गया..
सुधीर- सॉरी सॉरी.. आज के बाद कभी नहीं पिऊँगा.. अच्छा चल चुम्बन नहीं करता.. आज तूने बहुत अच्छे कपड़े पहने हैं. मैं अपने हाथों से आज एक-एक करके सारे कपड़े निकालूँगा और तुझे नंगी करूँगा।
डॉली- जो करना है.. जल्दी करो आज मैंने पढ़ाई भी नहीं की.. वहाँ से फ्रेंड से मिलने का बहाना करके आपके पास आई हूँ।
सुधीर- ओह.. माय डार्लिंग.. यू आर सो स्वीट.. मेरे लिए तूने इतना सोचा चल आ जा कमरे में.. जल्दी से सब करूँगा… आज तेरी मटकती गाण्ड मारूँगा.. बड़ा मन हो रहा है मेरा..
डॉली- वो तो ठीक है.. मार लेना मगर आपका लौड़ा बस एक ही बार खड़ा होता है.. अगर गाण्ड मारोगे तो मेरी चूत की आग कैसे शान्त करोगे?
सुधीर- उसकी फिकर तू मत कर.. मैं सब कर दूँगा.. चल अब आ भी जा मेरी जान.. कब से तड़फा रही है।
सुधीर कमरे में जाते ही डॉली को नंगा करने लगा। डॉली भी अदाएं दिखाती हुई कपड़े निकलवा रही थी।
जब डॉली पूरी तरह से नंगी हो गई तो सुधीर ने अपने कपड़े भी निकाल फेंके और डॉली के मम्मे दबाने और चूसने लगा। 
डॉली भी सुधीर के लौड़े को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी.. जो अभी आधा-अधूरा ही कड़क हुआ था।
डॉली- ऊ आह्ह.. आराम से दबाओ ना.. आह्ह.. क्या करते हो उफ्फ…
सुधीर- जानेमन भगवान ने तुझ जैसा नायाब तोहफा मुझे दिया है तो जरा खुलकर मज़ा लेने दो ना.. आह्ह.. क्या कड़क चूचे हैं तेरे…
थोड़ी देर में ही डॉली ने लौड़े को दबा-दबा कर कड़क कर दिया था।
सुधीर अब मम्मे को छोड़ कर डॉली की गाण्ड को दबाने लगा और निप्पल चूसने लगा।
डॉली अब पूरी तरह गर्म हो गई थी और उसका मन लौड़े को चूसने का कर रहा था।
उसने सुधीर को धक्का देकर बिस्तर पे गिरा दिया और टूट पड़ी लौड़े पर..
सुधीर- हाय मार डाला रे.. अरे गुड़िया लौड़ा चूसने का इतना शौक है तो किसी जवान लड़के का चूसा कर.. आह्ह.. मेरे लौड़े में इतनी सहनशक्ति नहीं है.. चल घोड़ी बन जा मुझे गाण्ड मारने दे.. कहीं आज भी मेरा सपना टूट ना जाए।
सुधीर की हालत समझते हुए डॉली ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और घुटनों के बल बैठ गई। 
डॉली- लो मेरे बूढ़े आशिक मार लो गाण्ड.. आप भी क्या याद रखोगे कि किस से पाला पड़ा है।
सुधीर ने लौड़ा गाण्ड के छेड़ पर रखा और ज़ोर का धक्का मारा.. पूरा लौड़ा ‘फच’ की आवाज़ के साथ गाण्ड में समा गया।
डॉली- आह मज़ा आ गया.. उफ़फ्फ़ अब चोदो.. उह्ह.. आपका लौड़ा आज तो बहुत गर्म हो रहा है.. गाण्ड में ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का सरिया घुसा दिया हो.. आई.. आह्ह.. चोदो मेरे प्यारे अंकल आह्ह…
सुधीर- उह्ह उह्ह.. अरे कितनी बार बोलूँ.. आह्ह.. सुधीर बोलो.. जानू बोलो.. ये अंकल क्यों बोलती हो…
डॉली- उई आह्ह.. अब बस मुझे जो समझ में आह्ह.. आएगा.. मैं बोल दूँगी.. आह्ह.. ज़ोर से चोदो ना आ.. आह्ह..
सुधीर अपनी पूरी ताक़त से लौड़े को आगे-पीछे कर रहा था। डॉली भी गाण्ड को हिला-हिला कर सुधीर का साथ दे रही थी।
कोई 15 मिनट तक सुधीर गाण्ड मारता रहा.. मगर 60 साल का बूढ़ा घोड़ा कब तक दौड़ लगाता.. थक गया.. मगर उसने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पूरी ताक़त से डॉली की गाण्ड मारने लगा।
सुधीर- आह्ह.. आ.. हहा हहा.. ले अहहा.. हहा.. ले मेरी जान आह्ह..
डॉली- आह आई.. अरे वाहह… आ.. अंकल आह्ह.. आप तो जोश में आ गए आह.. हाँफ क्यों रहे हो.. आह्ह.. थोड़ा रेस्ट कर लो.. आह्ह.. मेरी चूत में भी बहुत खुजली हो रही है.. आई.. आपको उसको भी आहहह.. चोदना है अभी आह…
सुधीर के लौड़े ने लावा उगल दिया और डॉली की गाण्ड को पानी से भर दिया।
अब सुधीर एक तरफ लेट कर हाँफने लगा था।
डॉली- आह ससस्स क्या गाण्ड मारी है अई.. आपने… मज़ा आ गया.. अरे ये क्या आह्ह.. मेरी चूत की आग तो ठंडी करो.. आह्ह.. प्लीज़ उठो ना…
सुधीर- मेरी जान लौड़ा तो अब उठेगा नहीं.. तू ऐसा कर चूत मेरे मुँह के पास ले आ.. ऐसा चाटूँगा कि तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा।
डॉली मन मार कर अपनी चूत सुधीर की तरफ कर देती है और बड़बड़ाने लगती है।
डॉली- उह्ह.. मेरा भी दिमाग़ खराब है जो इस बूढ़े लौड़े से चुदने आ गई कोई जवान होता तो मज़ा आता.. सर भी ना आज चले गए। अब तो कुछ करना ही पड़ेगा.. ये चूत की आग तो दिन पे दिन बढ़ती ही जा रही है।
सुधीर- अरे क्यों बड़बड़ा रही है.. मैं आज रात किसी काम के सिलसिले में बाहर गाँव जा रहा हूँ.. कल देर रात तक आऊँगा.. तू अपने उस दोस्त को कल यहाँ ले आ.. जितना चुदना है.. उससे चुद लेना.. अब मुझे चूत चाटने दे…
सुधीर की बात डॉली को समझ आ गई और उसने कुछ सोच कर हल्की सी मुस्कान देते हुए कहा।
डॉली- हाँ अंकल अब लाना ही पड़ेगा आह्ह.. आप अभी तो मुझे शान्त करो आइईइ.. मेरी चूत जल रही है.. आह प्लीज़ आह्ह.. ऐसे ही आह्ह.. मज़ा आ रहा है चाटो आइईइ.. उफ़फ्फ़ प्लीज़ आह उफ़फ्फ़ क्या मज़ा आ रहा है…
सुधीर चूत को होंठों में दबा कर उसको ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था।
डॉली आनन्द के मारे छटपटाने लगी थी और ज़्यादा देर वो इस चुसाई को सहन ना कर पाई और कमर उठा-उठा कर सुधीर के मुँह में झड़ने लगी।
सुधीर भी पक्का रण्डीबाज था.. सारा रस ऐसे चाट रहा था जैसे कोई रसमलाई की मलाई हो।
चूत की आग ठंडी होने के बाद डॉली ने सुधीर के गाल पर एक पप्पी दी और अपने कपड़े पहनने लगी।
सुधीर- अरे रूको गाण्ड पर मेरा वीर्य लगा है.. साफ कर लो कपड़े गंदे हो जाएँगे।
डॉली- ओह.. मैंने देखा नहीं.. आप ही साफ कर दो ना प्लीज़…
सुधीर ने पास पड़े एक कपड़े से डॉली की गाण्ड साफ की और ललचाई निगाहों से उसको देखने लगा।
डॉली- क्या हुआ.. ऐसे क्या देख रहे हो?
सुधीर- क्या बताऊँ ये तो उमर का तकाजा है.. वरना ऐसी मस्त गाण्ड को बार-बार मारने का दिल करता है.. काश तुम मेरी जवानी में मुझे मिली होतीं तो बताता कि मैं क्या चीज था।
डॉली की हँसी निकल जाती है.. वो अपने कपड़े पहनने लगती है और सुधीर को देख कर आँख मारते हुए कहती है- जो बीत गया..सो बीत गया.. उसको भूल जाओ.. जो सामने है.. उसका मज़ा लो.. चलती हूँ अंकल.. आपको समय-समय पर ठंडा करने आती रहूँगी ओके.. बाय अब चलती हूँ।’
डॉली अपने घर चली गई और जैसा कि आप जानते हो चुदाई के साथ साथ उसको पढ़ाई की भी फिकर रहता है.. तो पढ़ने बैठ गई।
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09-04-2017, 04:18 PM,
#34
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
अगले दिन जब डॉली स्कूल गई खेमराज और रिंकू गेट के पास खड़े थे मैडी उनसे दूर खड़ा किसी लड़के से बात कर रहा था। 
जैसे ही डॉली की नज़र रिंकू पर गई.. उसको प्रिया की कही हुई बात याद आ गई और उसकी नज़र रिंकू की पैन्ट पर चली गई शायद उसकी आँखें लौड़े का दीदार करना चाहती हों.. मगर यह कहाँ मुमकिन था। 
वो बस देखती हुई गाण्ड को मटकाती हुई चली गई। 
हाँ.. आज डॉली थोड़ा ज़्यादा ही अदा के साथ चल रही थी.. शायद उनको तड़पाने का इरादा हो। 
खेमराज- अरे यार.. ये साली तो दिन पे दिन क़यामत होती जा रही है.. कसम से साली की गाण्ड देखी तूने.. क्या लहरा रही थी…
डॉली अन्दर चली गई थी तब तक मैडी भी उनके पास आ गया था।
रिंकू- यार मुझे शक हो रहा है। 
मैडी- कैसा शक बे.. बता तो…
रिंकू- यार मुझे लगता है.. हम पेड़ के नीचे बैठ कर आम के पकने का इन्तजार कर रहे हैं और कोई साला पेड़ पर चढ़कर कच्चे आम का ही मज़े ले रहा है।
खेमराज- यार पहेली मत बुझा.. सीधे से बता ना क्या हुआ?
रिंकू- तूने गौर नहीं किया क्या.. साली के चूचे बड़े-बड़े लग रहे हैं और गाण्ड भी बाहर को निकली हुई है.. लगता है कोई साला इसकी ज़बरदस्त ठुकाई कर रहा है.. हम साले लौड़े हिलाते रह गए हैं।
मैडी- क्या बकवास कर रहा है साले.. हमारे सिवा किसके लौड़े से चुदवाएगी ये.. तुझे भ्रम हो गया लगता है..
खेमराज- हाँ यार.. ऐसी निराशा वाली बातें मत कर.. बस दो दिन की बात है सोमवार को तो ये हमारी हो ही जाएगी।
रिंकू- अबे सालों.. माना मैंने किसी को नहीं चोदा.. मगर ये नजरें कभी धोखा नहीं खा सकतीं.. बहुत सी लड़कियों को ताड़ चुका हूँ भाभियों को भी नहीं बख्शा.. कुँवारी और चुदी हुई लड़की की चाल में बहुत फ़र्क होता है.. तुम मानो या ना मानो.. ये पक्का चुद चुकी है।
मैडी- अबे बस भी कर साले… जब ये हाथ आएगी ना, तब देख लेना, इसकी सील में ही तोड़ूँगा.. तब बोलना जो तुझे बोलना है।
रिंकू- चल लगी 1000 की शर्त.. अगर ये सील पैक हुई तो मैं हारा.. नहीं तो तुम.. ओके…
मैडी- चल लगी.. अब तो तेरे 1000 लेने ही है।
तीनों बस इसी उलझन में अन्दर चले गए.. क्लास शुरू हो गई।
क्लास में आज वैसे तो कुछ खास नहीं हुआ.. हाँ एक बात हुई.. आज उनके इम्तिहान के बारे में बताया गया।
चेतन सर ने ही सबको बताया।
चेतन- देखो बच्चों तुम सबको इम्तिहानों के प्रवेश-पत्र तो मिल ही गए हैं। इम्तिहान मंगलवार से शुरू होना है.. तो सब अच्छे से तैयारी करना.. वैसे तो स्कूल की 15 दिन पहले छुट्टी हो जानी चाहिए थी मगर तुमको ज़्यादा पढ़ने का मौका मिल जाए.. इसलिए आज से छुट्टी कर दी गईं हैं.. बस आज ही स्कूल लगेगा.. कल रविवार की छुट्टी तो अब सोमवार को भी आप सब घर पर ही अपनी तैयारी करना। आज स्कूल का आखिरी दिन है.. किसी को कुछ पूछना हो तो पूछ लेना।
सभी खुश थे कि स्कूल से निजात मिल गई.. मगर वो तीनों दोस्त खुश नहीं थे।
उनको तो डॉली को देखे बिना चैन ही नहीं आता था।
सब कुछ नॉर्मल रहा और छुट्टी हो गई। प्रिया और डॉली एक साथ बाहर निकलीं। मैडी भी उनके पीछे-पीछे चलने लगा।
मैडी- डॉली रूको.. एक मिनट तुमसे बात करनी है।
डॉली- क्या है बोलो?
मैडी- वो आज स्कूल का आखिरी दिन है.. अब कल से हम मिल नहीं पाएँगे.. तुम अपना नम्बर दे दो ना.. ताकि पार्टी के लिए तुमको बता सकूँ।
डॉली- ओह्ह.. ऐसा करो तुम अपना नम्बर दो.. मैं खुद कॉल करके पूछ लूँगी।
मैडी खुश हो गया और अपना नम्बर उसे दे दिया। जाते-जाते मैडी ने प्रिया को भी आने की दावत दे दी।
प्रिया- यार अब तो मैं भी आ रही हूँ क्या सोचा तुमने… कैसे करना है।
डॉली- मेरी जान फिकर मत कर.. मैंने वादा किया है ना.. तुझे रिंकू से जरूर चुदवा दूँगी.. अब घर जा.. पढ़ाई कर, मुझे पता है क्या करना है.. तू मुझे रिंकू का नम्बर दे दे।
प्रिया- नम्बर का क्या करोगी… उसको फ़ोन करके कहोगी क्या?
डॉली- अरे यार तू सवाल बहुत करती है.. तू बस नम्बर दे बाकी मैं संभाल लूँगी।
प्रिया ने नम्बर दे दिया।
प्रिया- ओके यार मुझे तुझ पर विश्वास है.. अच्छा बाय चलती हूँ।
प्रिया अपने रास्ते निकल गई.. खेमराज और रिंकू दूर खड़े उन दोनों को देख रहे थे।
खेमराज- यार ये क्या चक्कर है.. डॉली की प्रिया से कब से दोस्ती हो गई?
रिंकू- अबे काहे की दोस्ती.. इम्तिहान के बारे में बात कर रही होगीं.. दोनों ही पढ़ाकू जो ठहरीं।
खेमराज- यार एक बात कहूँ.. प्रिया का रंग साँवला है.. मगर दिखने में नाक नक्शा ठीक-ठाक है।
रिंकू- अबे बहन के लौड़े.. क्या बकवास कर रहा है.. वो मेरी बहन है.. समझा साले.. तू दोस्त है तब ऐसी बात बोल गया.. अगर किसी और ने बोली होती ना.. तो मैं साले का मुँह तोड़ देता।
हैलो दोस्तों.. सॉरी.. कहानी को रोक कर मैं बीच में आ गई.. मगर क्या करूँ.. बात ही ऐसी टेंशन की है.. ये रिंकू तो प्रिया के बारे में इतना चिढ़ रहा है.. तो उसके ऊपर कैसे चढ़ेगा? मेरा मतलब है.. कैसे चोदेगा उसको? अब डॉली क्या करेगी?
चलो इन सब सवालों के जबाव आगे मिल जाएँगे.. अभी कहानी पर ध्यान दीजिएगा।
रिंकू वहाँ से किसी काम के लिए चला गया मगर खेमराज ने शायद आज पहली बार ही प्रिया को इतने गौर से देखा था। उसका मन प्रिया के लिए मचल गया था।
खेमराज वहाँ से सीधा मैडी के घर गया और उसको जरूरी काम है बताकर बाहर बुलाया।
मैडी- अरे क्या है.. अभी तो साथ थे.. तब अपना काम क्यों नहीं बताया.. अब क्या हो गया?
खेमराज- भाई आज मैंने वो देखा है.. जो अपने शायद कभी ना देखा हो।
मैडी- ऐसा क्या देख लिया तूने?
खेमराज- डॉली के साथ आज प्रिया बात कर रही थी ना.. तब मैंने बड़े गौर से उसकी जवानी पर नज़र डाली.. भाई क्या मस्त आइटम है वो.. क्या फिगर है उसका…
वो आगे कुछ बोलता.. मैडी ने उसे चुप करा दिया।
मैडी- चुप.. चुप.. क्या बकवास किए जा रहा है.. भूल गया क्या प्रिया कौन है.. साले रिंकू की बहन है वो.. और रिंकू को तू जानता है ना.. कितना अड़ियल दिमाग़ का है.. उसे पता चल गया ना, तेरा मुँह तोड़ देगा वो।
खेमराज- क्या कर लेगा वो.. प्रिया कौन सी उसकी सग़ी बहन है और तू भूल गया.. जब मेरी बुआ की लड़की यहाँ आई थी.. तो उस पर सबसे पहले रिंकू ने ही नियत खराब की थी.. उसको चोदने तक का प्लान बना लिया था.. क्या वो मेरी बहन नहीं थी?
मैडी- साले उसको तो तू भी चोदना चाहता था.. ये तो अच्छा हुआ वो यहाँ एक दिन भी नहीं रूकी… चली गई वरना सबसे पहले तू ही उसको चोदता।
खेमराज- कुछ भी हो.. अगर रिंकू उसके बारे में गंदा बोल सकता है तो मैं भी बोलूँगा और यार.. अगर डॉली हाथ ना आई तो हम सारी जिंदगी क्या लण्ड हाथ से ही हिलाते रहेंगे.. प्रिया का कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है.. मौका अच्छा है पटा लेते है साली को.. यार रंग पर मत जा.. उसका फिगर देख बस…
मैडी- शुभ-शुभ बोल साले डॉली के लिए तो दिन रात तड़फ रहा हूँ वो हाथ कैसे नहीं आएगी।
खेमराज- अच्छा आ जाएगी.. बस मगर प्रिया भी फँस जाए तो इसमें बुराई क्या है? कभी उसको भी चोद लेंगे।
मैडी- साले मैं कोहिनूर हीरा माँग रहा हूँ और तू कोयले की बात कर रहा है।
खेमराज- बस.. बस.. इतनी भी काली नहीं है.. तू मान या ना मान मेरा तो प्रिया
पर दिल आ गया.. अब मैं तो उसको फँसा कर रहूँगा.. तू साथ दे या ना दे ओके.. अब चलता हूँ।
मैडी- जा तुझे जो करना है कर.. मैं इस काम में तेरा साथ नहीं दूँगा ओके…
खेमराज वहाँ से चला गया और मैडी भी अपने घर वापस आ गया।
चलो दोस्तों डॉली के पास चलते हैं वो क्या कर रही है।
डॉली अपने कमरे में बैठी पढ़ाई में बिज़ी थी.. मगर उसको बार-बार प्रिया का ख्याल आ रहा था। अचानक वो उठी और रिंकू को फ़ोन लगा दिया।
रिंग बजी सामने से शायद किसी और ने फ़ोन उठाया।
डॉली ने काट दिया.. ऐसे ही 2 या 3 बार उसने फ़ोन लगाया.. मगर रिंकू ना होने के कारण फ़ोन काट दिया। अब उसका मन नहीं माना तो वो वापस पढ़ने बैठ गई और पढ़ते-पढ़ते उसकी आँख लग गई।
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09-04-2017, 04:18 PM,
#35
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
दोस्तो, डॉली काफ़ी देर बाद हड़बड़ा कर उठी.. शायद उसको कोई सेक्सी सपना आ रहा था क्योंकि उठते ही उसने अपनी चूत पर ऊँगली रखी और बड़बड़ाने लगी।
डॉली- शिट.. ये तो सपना था मगर था अच्छा.. कैसे चूत पानी-पानी हो गई.. आज तो सर से खूब चुदवाऊँगी बहुत मन हो रहा है.. ओह्ह.. वक्त भी होने वाला है.. ऐसा करती हूँ तैयार हो जाती हूँ।
डॉली बाथरूम गई और फ्रेश होकर बाहर आई.. कपड़े चेंज करने ही वाली थी कि फ़ोन की घन्टी बजने लगी.. जब काफ़ी देर तक किसी ने नहीं उठाया तो वो बाहर गई और फ़ोन उठाया।
डॉली- हैलो…
ललिता- हैलो डॉली.. मैं ललिता बोल रही हूँ.. अच्छा किया तूने फ़ोन उठा लिया.. यार आज पढ़ने मत आना चेतन की फैमिली आई हुई है.. आज कुछ नहीं हो पाएगा।
डॉली- उह्ह.. दीदी अपने तो सारा मूड ही खराब कर दिया.. आज बड़ा मन था मेरा…
ललिता- अरे तो बूढ़ा किस दिन काम आएगा.. आज उसके पास चली जा..
डॉली- कहाँ दीदी.. आज वो भी नहीं है.. दूसरे शहर किसी काम से गया है।
ललिता- तो मेरी जान मैंने जो आइडिया बताया था.. आज वो ही आजमा ले शायद तेरी परेशानी भी ख़त्म हो जाएगी और चूत को आराम भी मिल जाएगा।
डॉली- आप सही बोल रही हो.. मैं स्कूल से आई तब से ट्राइ कर रही हूँ मगर वो फ़ोन पर आ ही नहीं रहा.. कोई और ही उठा रहा है।
ललिता- ट्राई करती रह.. ऐसा कर अब लगा… शायद काम बन जाए।
डॉली- ठीक है.. दीदी करती हूँ ओके बाय.. रखती हूँ.. अब कल ही बताऊँगी। पहले उसको फ़ोन तो कर लूँ।
ललिता- ओके मेरी बहना.. बाय.. बेस्ट ऑफ फक हा हा हा हा…
डॉली भी हँसने लगी और फ़ोन रख दिया। वो फ़ौरन अपने बैग के पास गई.. प्रिया ने जो नम्बर दिया था उसको देखा और उसको फ़ोन लगा दिया।
डॉली की किस्मत अच्छी थी.. अबकी बार सामने से रिंकू ने ही फ़ोन उठाया।
डॉली- हाय रिंकू.. कैसे हो.. क्या कर रहे हो…?
रिंकू- मैं ठीक हूँ.. तुम कौन बोल रही हो…?
डॉली- मैं डॉली बोल रही हूँ।
रिंकू- ओह्ह.. हाय डॉली.. अच्छा हूँ यार.. मुझे यकीन नहीं हो रहा तुमने फ़ोन किया।
डॉली- ओके ओके.. ठीक है ये बताओ क्या कर रहे हो.. फ्री हो क्या अभी…?
रिंकू- अरे यार एकदम फ्री हूँ और अगर नहीं भी होता तो तुम्हारे लिए सब काम छोड़ कर फ्री हो जाता.. कहो क्या बात है?
डॉली- मेरा घर जानते हो ना..?
रिंकू- हाँ जानता हूँ।
बस उसी रास्ते पर एक बीएसएनएल का बड़ा सा बोर्ड लगा है.. उसके पास एक गली जा रही है.. तुम उस गली में अभी आ जाओ.. एक बहुत जरूरी बात करनी है।
रिंकू की तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
रिंकू- मैं अभी आया बस 10 मिनट लगेंगे।
डॉली- और हाँ प्लीज़ अकेले ही आना.. अपने दोस्तों को साथ मत ले आना और उनको बिल्कुल भी मत बताना कि मैंने फ़ोन किया.. बहुत जरूरी बात है सिर्फ़ तुमको बतानी है.. प्लीज़ उनको बिल्कुल मत बताना।
रिंकू- ठीक है.. मैं अकेला आ रहा हूँ.. बस अभी निकलता हूँ।
फ़ोन रखने के बाद डॉली ने एक फोन और किया और फिर अपने कपड़ों में से क्या पहनूं ये सोचने लगी और आख़िर उसे एक ड्रेस पसन्द आई.. झट से उसको पहनने के लिए उठा लिया।
रिंकू जल्दी से तैयार हुआ.. खूब सारा परफ्यूम लगा कर वो घर से निकल गया।
इधर डॉली भी तैयार हो गई थी मगर वो अपने कमरे में बैठकर घड़ी की ओर देख रही थी।
कुछ देर बाद डॉली ने अपने आप से बात की।
डॉली- दस मिनट हो गए.. अब तक तो वो आ गया होगा.. अब मुझे भी निकलना चाहिए।
डॉली अपनी मॉम को बाय बोलकर निकल गई। 
दोस्तों आपको बताना भूल गई आज डॉली ने पारदर्शी एकदम पतली सी ब्लॅक टी-शर्ट और उस पर सफ़ेद जैकेट पहना था.. जो बड़ा ही फैंसी था.. और नीचे एक गुलाबी शार्ट स्कर्ट पहना..
उसकी जांघें साफ दिख रही थीं।
इस ड्रेस में कोई अगर उसको देख ले तो उस पर चोदने का जुनून सवार हो जाए।
आजकल तो वैसे ही लोगों की सोच लड़की के लिए गंदी ही होती है.. अब डॉली ने इतना सेक्सी ड्रेस पहन लिया तो ना जाने आज रास्ते में क्या क़यामत आने वाली है।
डॉली घर से निकल गई और जल्दी ही उस गली के मोड़ पर पहुँच गई.. रिंकू वहाँ खड़ा उसका ही इन्तजार कर रहा था। 
जैसे ही उसकी नज़र डॉली पर गई उसकी आँखें बाहर को निकल आईं और लौड़ा पैन्ट में तंबू बनाने लगा।
क्योंकि डॉली उसकी तरफ बड़े ही सेक्सी अंदाज में आ रही थी।
उसके चूचे उसकी चाल के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे..
उसकी चिकनी जांघें रिंकू को पागल बना रही थीं।
डॉली उसके एकदम करीब आकर खड़ी हो गई।
वो पागलों की तरह बस उसको देखे जा रहा था। 
डॉली- हैलो किस सोच में डूबे हो?
रिंकू- क्क्क..कुछ भी नहीं.. तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो आ…आज तक तुमको बस स्कूल ड्रेस में देखा.. आज तो एकदम प्प….
वो आगे कुछ बोलता.. डॉली ने अपनी आँखें बड़ी कर लीं और थोड़ा सा गुस्से का इज़हार किया।
रिंकू- ओह.. क..क्या कहना चाहती थी तुम.. जो मुझे यहाँ बुलाया…?
डॉली- देखो बात बहुत जरूरी है.. मैं यहाँ नहीं बता सकती।
रिंकू- त..तो कहाँ चलें…?
डॉली- देखो मेरे पास एक सेफ जगह है.. जहाँ बात हो सकती है.. मैं चलती हूँ.. मुझ से दूरी बना कर पीछे चलो.. किसी को जरा भी शक ना हो कि हम साथ जा रहे हैं।
रिंकू ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया और डॉली के पीछे चलने लगा।
जब डॉली चल रही थी.. उन कपड़ों में उसकी गाण्ड कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लग रही थी। बेचारा रिंकू तो पागल हुआ जा रहा था।
उसका लौड़ा आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था.. वासना उसके दिमाग़ में चढ़ गई.. एक अजीब सा नशा उस पर सवार हो गया।
आज उसने मन में ठान लिया कि अगर मौका मिला.. तो आज डॉली को ज़बरदस्ती ही सही.. चोद कर ही दम लेगा।
डॉली चलती रही और रिंकू किसी कठपुतली की तरह उसके पीछे चलता रहा।
कुछ देर बाद सुधीर के घर के पास जाकर डॉली ने जल्दी से दरवाजा खोला और अन्दर चली गई।
रिंकू को भी इशारे से जल्दी अन्दर आने को कहा.. डॉली बाहर दोनों तरफ गौर से देख रही थी कि कहीं कोई उनको देख ना ले।
रिंकू जल्दी से अन्दर आ गया और उसके चेहरे पर अचरज के भाव थे।
बहुत से सवाल एक साथ उसके दिमाग़ में आ गए.. मगर वो कुछ बोलता उसके पहले डॉली ने उसे सोफे पर बैठने को बोल दिया और खुद उसके सामने वाले सोफे पर पर पैर चढ़ा कर इस तरह बैठ गई कि रिंकू जरा सा नीचे झाँके तो उसकी पैन्टी दिख जाए।
रिंकू- ये किसका घर है और वो कौन सी जरूरी बात के लिए मुझे यहाँ बुलाई हो?
डॉली कुछ नहीं बोली..
बस हल्की सी मुस्कान देती रही और अपनी टांग को हिलाती रही..
जिससे रिंकू का ध्यान उस पर जाए और जो वो दिखाना चाहती थी.. उसको दिख जाए…
और हुआ भी वही..
रिंकू की नज़र उसकी जाँघों के बीच चली गई..

जहाँ से गोरी-गोरी जाँघों के बीच डॉली की काली पैन्टी जो बड़ी ही सेक्सी थी उसकी झलक दिख गई.. 
उस बेचारे का तो पहले ही हाल बुरा था.. अब तो पैन्ट में लौड़ा कसमसाने लगा.. उसका हलक सूख गया।
रिंकू- यार क..कुछ तो बोलो.. ऐसे चुप रहोगी तो कैसे पता चलेगा?
डॉली- मैं भी उसी का इन्तजार कर रही हूँ आख़िर क्या बात है बोलो?
रिंकू एकदम चौंक गया क्योंकि बात करने डॉली ने उसे बुलाया था.. अब उसको क्या पूछ रही है?
रिंकू- त..तुम ये क्या कह रही हो त.. तुमने मुझे यहाँ ब्ब..बुलाया है.. बात तुम बताओ…
डॉली- अरे इतना घबरा क्यों रहे हो.. कूल यार.. मेरे कहने का मतलब है कि तुम तीनों मेरे करीब आने की कोशिश कर रहे हो.. खास मेरे लिए मैडी होटल में पार्टी दे रहा है.. इन सब के पीछे तुम लोगों का कुछ तो मकसद होगा.. बस वो ही जानना चाहती हूँ?
रिंकू के पसीने निकल गए.. हमेशा चुपचाप रहने वाली लड़की आज इतनी सेक्सी ड्रेस पहन कर आई है.. वो भी एक ऐसी जगह.. जहाँ कोई नहीं है और बातें इतनी गहराई की कर रही है। वो चौंक सा गया कि अब क्या जबाव दे..
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09-04-2017, 04:19 PM,
#36
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
रिंकू- यार ये तुम क्या कह रही हो होटल की बात तो मुझे पता भी नहीं और मेरा क्या मकसद होगा..? ऐसा कुछ नहीं है जो तुम सोच रही हो। 
डॉली- मैं कुछ नहीं सोच रही हूँ सीधी सी बात पूछ रही हूँ लड़की को इतना इम्प्रेस करने का कोई तो कारण होता होगा ना.. अब बात को घुमाओ मत सीधे-सीधे पॉइंट पर आ जाओ।
रिंकू को लगा.. अब सही मौका है ये खुद इतना बोल रही है तो क्यों ना अपने दिल की बात बोल दी जाए।
डॉली- उफ़फ्फ़ गर्मी ज़्यादा है आज.. तुम बोलते क्यों नहीं बोलो ना यार…
डॉली ने जैकेट के बटन खोल दिए उसकी जालीदार टी-शर्ट में से उसकी ब्रा की झलक दिखने लगी थी.. गोरा पेट भी साफ नज़र आ रहा था।

रिंकू का लौड़ा पहले ही एकदम तना हुआ था और उसकी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी।
उसके लौड़े से पानी की कुछ बूँदें टपक आई थीं और आएं भी क्यों ना.. जिसने आज तक जिस लड़की के सपने देखे..
उसके नाम की मुठ मारता रहा हो..
आज वही लड़की अधनंगी हालत में उसके सामने बैठी उसको अपनी जवानी के जलवे दिखा रही है।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे सीधी-साधी डॉली को ये क्या हो गया..
तो आप शायद भूल गए ललिता ने जो सब आइडिया बताया था..
वो सब यही है आगे और भी कुछ ऐसे सीन आएँगे जो ललिता ने बताए कि कैसे सब करना है।
रिंकू अपने आप से कहने लगा- साले बोल दे.. लड़की खुद नंगी होना चाहती है.. तू क्या सोच रहा है?
रिंकू- द.. डॉली उई आई लव यू।
रिंकू ने जल्दी से बोल दिया।
डॉली- हा हा हा झूठ.. मैं जानती हूँ तुम मुझसे नहीं मेरे जिस्म से प्यार करते हो.. तुम तीनों की बात किसी ने सुन ली थी और मुझे बता दी कि तुम मेरे लिए क्या सोचते हो।
रिंकू खड़ा हो गया और डॉली के एकदम पास आकर उसके कंधे पकड़ लिए।
रिंकू- हाँ मानता हूँ.. मैं तुम्हारे जिस्म का दीवाना हूँ.. जब से तुम्हें देखा है.. रात-दिन तुम्हारे ही बारे में सोचता हूँ.. आज मौका मिला है तेरे इतने करीब आने का.. आज कुछ भी हो जाए.. मैं तुम्हें अपना बना कर रहूँगा।
डॉली- खुल कर बोलो क्या करोगे आज मेरे साथ…
डॉली ने ये बात बड़े सेक्सी अंदाज से अपने मम्मे को खुजाते हुए कही.. अब रिंकू का हौसला बहुत बढ़ गया था।
रिंकू- हाँ मैं डरता हूँ क्या खुल कर सुनना है.. तुझे तो सुन मैं तेरी चूत का दीवाना हूँ आज मैं तुझे चोद कर ही दम लूँगा.. तेरे इन रसीले चूचों का सारा रस पी जाऊँगा..
डॉली- हा हा हा तो रोका किसने है.. पी जाओ और बना लो मुझे अपना..
रिंकू को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि डॉली खुद ‘हाँ’ बोल रही है.. ये सुनकर उसको झटका सा लगा.. उसने डॉली को छोड़ दिया और पीछे हट गया।
डॉली- अरे क्या हुआ मेरे आशिक.. मैं सच कह रही हूँ आ जाओ आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो.. चोद दो मुझे.. आ मैं भी बहुत प्यासी हूँ अब देर ना करो.. आ जाओ ना…
रिंकू की तो जैसे लॉटरी निकल आई थी.. अब उसमें सोचने-समझने की ताक़त नहीं थी.. वो जल्दी से डॉली के करीब गया और उसे अपनी बाँहों में ले लिया।
उसके सुलगते होंठों पर अपने होंठ रख दिए और ज़बरदस्त चुसाई चालू हो गई।
रिंकू डॉली के होंठ चूसने के साथ-साथ उसकी गाण्ड पर भी हाथ फिरा रहा था।
वहीं डॉली को अपनी चूत पर उसका लौड़ा चुभता हुआ महसूस हुआ तो उसने नीचे हाथ ले जाकर उसको पकड़ लिया।
उसका दिल खुश हो गया लौड़ा काफ़ी भारी-भरकम लग रहा था.. जैसा प्रिया ने बताया था।
काफ़ी देर तक एक-दूसरे को चूमने के बाद वो दोनों अलग हुए।
रिंकू- मैं सोच भी नहीं सकता था कि ऐसे अचानक तुम मुझे मिल जाओगी.. वो साला मैडी तो प्लान बनाता ही रह गया और तुम मेरी बाँहों में आ गईं। मुझे क्या पता था.. तेरी चूत में भी चुदने का तूफान उठ रहा है। नहीं तो कब का तुझे चोद चुका होता.. आह्ह… आ जाओ मेरी जानेमन अब बर्दास्त नहीं होता। मेरा लौड़ा कब से पैन्ट फड़कर बाहर आने को बेताब हो रहा है।
डॉली- मेरे राजा यहाँ नहीं.. कमरे में चलो वहाँ दिखाओ कि कैसा लौड़ा है तुम्हारे पास.. जो इतने दिनों से मेरे पीछे पड़े हो।
डॉली उसको कमरे में ले गई और खुद बिस्तर पर बैठ गई..
रिंकू- जान तुम खुद अपने हाथों से लौड़े को बाहर निकालो.. ये बहुत बेताब है तुम्हारे लिए।
डॉली ने झट से पैन्ट का हुक खोल दिया और अंडरवियर के साथ नीचे कर दी। 
रिंकू का लौड़ा फुंफकारता हुआ आज़ाद हो गया।
डॉली- वाउ क्या मस्त लौड़ा है.. एकदम वैसा ही जैसा उसने बताया था।
रिंकू को आज झटके पे झटके लग रहे थे.. वो चौंक गया…
रिंकू- क..किसने बताया था?
डॉली- है कोई तुम्हारी दीवानी.. जैसे तुम मेरे सपने देखते हो.. वो भी तुम्हारे नाम से अपनी चूत ठंडी करती है।
रिंकू- ओह..ह.. क्या कोई लड़की ने बताया.. मगर मैंने तो आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा.. तो उसने मेरे लौड़े की तारीफ कैसे कर दी.. कौन है वो?
डॉली- बताऊँगी मेरे राजा.. सब्र करो पहले अपने लौड़े को मेरे हवाले तो करो.. आह्ह… कितना मस्त लग रहा है.. मान करता है खा जाऊँ इसको…
रिंकू- उफ़फ्फ़ अब बर्दास्त नहीं होता खाले.. मेरी जान तेरे लिए ही तो इतना कड़क हुआ है ये.. आह्ह… वैसे वो लड़की है कौन.. प्लीज़ बता दे ना यार.. सोच-सोच कर दिमाग़ खराब हो रहा है.. अगर मैं ऐसे ही सोचता रहूँगा तो… चुदाई में मज़ा नहीं आएगा। 
डॉली- बता दूँगी.. अभी सोचना बन्द करो और एंजाय करो बस…
इतना बोलकर डॉली ने लौड़े की टोपी को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
रिंकू- आह्ह… उफ़फ्फ़ आई लव यू डॉली.. आह्ह… मज़ा आ गया.. आज पहली बार मेरे लौड़े ने आह.. नरम होंठों का अहसास किया है.. वरना आह्ह… आज तक तो बस हाथ से ही सहलाता रहा हूँ आह्ह… देखो कितना खुश है ये तेरे होंठों के स्पर्श से…
डॉली ने लौड़ा मुँह से निकाल लिया और रिंकू को देखने लगी।
रिंकू- आह्ह… क्या हुआ मेरी जान निकाल क्यों दिया.. आह्ह… मज़ा आ रहा था।
डॉली- तुम्हें बताने के लिए कि पहली बार नहीं दूसरी बार तुम्हारे लौड़े पर लड़की के होंठ टच हुए हैं. पहली बार तो ये उस बेचारी के मुँह में ही झड़ गया था।
रिंकू- क्या बकवास कर रही हो.. मैंने बताया ना.. मैं किसी लड़की के पास नहीं गया.. कौन है वो.. जिसने तुम्हें ये झूठी बात बताई है.. प्लीज़ अब बता भी दो.. मत तड़पाओ.. सारा मज़ा खराब हो रहा है…
डॉली- ये बात झूठी नहीं है… एकदम सच है.. वो तुम्हारी दीवानी है.. बस तुमसे डर रही है.. इसलिए सामने नहीं आई.. उसने मुझसे मदद माँगी.. इसी लिए तुमको मैंने यहाँ बुलाया है।
रिंकू- आह्ह… कौन है वो.. नाम बताओ और मैं खुद चूत का प्यासा हूँ.. साली ऐसी कौन लड़की होगी.. जो मुझसे चुदना चाहती हो और मैं उसको चोद नहीं रहा.. बकवास बात है ये.. मैं नहीं मानता.. अगर तुम सच बोल रही हो तो नाम बताओ साली कुतिया का..
डॉली मुस्कुराते हुए उसके लौड़े पर जीभ फेरती है और बड़े प्यार से बोलती है।
डॉली- आह क्या लौड़ा है तुम्हारा.. वो लड़की प्रिया है मेरे राजा..
रिंकू ने ज़ोर से धक्का मारा और गुस्सा हो गया।
रिंकू- क्या बकवास कर रही हो.. प्रिया मेरी बहन है।
डॉली- बकवास नहीं.. सच कह रही हूँ वो लड़की प्रिया ही है.. जिसने पहली बार तेरे लौड़े को चूसा है और अब तुझसे चुदने के लिए बेकरार हो रही है।
रिंकू- चुप कर साली कुछ भी बोले जा रही है।
डॉली- ओए हैलो.. जुबान को लगाम दो.. पहले शान्ति से मेरी बात सुन लो उसके बाद जो बोलना है.. बोल देना.. तुम्हें याद होगा कि तू एक बार ज़्यादा नशे में घर गया था और तेरे पापा ने मार कर तुझे घर से निकाल दिया था। उस वक़्त तुझे प्रिया के पापा अपने घर ले गए थे और उसी रात प्रिया ने तेरे लौड़े को चूसा था समझे…
रिंकू एकदम हक्का-बक्का रह गया।
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09-04-2017, 04:19 PM,
#37
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
दीपल- क्क्क..क्या बोल रही हो.. तत..तुम आह्ह… ऐसा कुछ नहीं हुआ था स..समझी…
डॉली- तू तो नशे में था.. तुझे कहाँ कुछ याद होगा… प्रिया ने खुद मुझे सारी बात बताई हैं… समझे.. शुरू से सुन तब तुझे यकीन आएगा।
डॉली ने प्रिया की कही सारी बातें विस्तार से रिंकू को बताईं।
रिंकू- ओ माय गॉड.. प्रिया ने ऐसा कैसे कर दिया… वो मेरी बहन है।
डॉली- बहन हा हा हा.. अब सुन तुझे एक ज्ञान की बात बताती हूँ.. जो मेरी गुरू ने मुझे बताई है.. गौर से सुनना.. 
इस दुनिया में बहुत से रिश्ते हैं मगर लौड़े का सिर्फ़ 4 चीजों से गहरा रिश्ता है.. उसके अलावा इसकी ना कोई माँ है.. ना बहन.. 
अब वो चार रिश्ते क्या हैं सुन…
सबसे पहला और सबसे मजबूत रिश्तेदार हाथ होता है.. क्योंकि जब लौड़ा जवान होता है या उत्तेज़ित होना सीखता है.. तो हाथ ही उसको सहला कर शान्त करता है.. जो काफ़ी सालों तक या मरते दम तक इसका साथ नहीं छोड़ता।
दूसरा.. इसका रिश्ता गाण्ड से होता है जब 13 या 14 साल की उम्र होती है.. खेल-खेल में किसी दोस्त की या नसीब से किसी लड़की की गाण्ड मारने को मिल जाती है.. मगर ये रिश्ता ज़्यादा दिन तक लौड़े का साथ नहीं देता।
अब इसका सबसे प्यारा और पसन्दीदा रिश्तेदार.. वो है चूत.. ज़्यादातर लौड़ों को कच्ची और चिकनी चूत से मोहब्बत होती है। ये इसका सबसे बड़ा रिश्तेदार होता है.. किसी-किसी को नसीब से जल्दी.. तो किसी को शादी के बाद चूत मिलती है.. मगर मिल जरूर जाती है और आख़िरी रिश्ता इसका लड़की के मुँह से होता है.. जो इसको चूस कर मज़ा देती है.. मगर ये भी किसी-किसी को ही नसीब होता है। शादी के बाद कोई औरत मुँह में लेती है.. कोई नहीं भी… तो अब समझ आया।
तुम्हें पता है प्रिया तुम्हारी बहन है.. मगर इस लौड़े को नहीं पता.. तू तो होश में नहीं था.. मगर ये पूरे होश में था.. कड़क भी हुआ और पानी भी उसके मुँह में डाला.. अब बोल ये ज्ञान की बात तेरे समझ में आई कि नहीं।
रिंकू तो हक्का-बक्का रह गया। कल तक जिस लड़की को बहन मानता था आज उसकी ऐसी बात पता चल गई कि उसके पैरों के नीचे से ज़मीन सरक गई।
रिंकू- यह गलत है.. नहीं प्रिया ने पाप किया है.. मगर मैं नहीं कर सकता.. ना ऐसा नहीं होगा…
डॉली- तो ठीक है.. मत कर.. मगर इतना सोच ले प्रिया ने लौड़े का स्वाद चख लिया है और उसकी चूत लौड़े के लिए तड़फ रही है.. तू नहीं तो कोई और सही.. वो चुदेगी जरूर और हाँ दूसरा उसको कौन मिलेगा जानते हो..? तुम्हारे खास दोस्त ही उसको चोद कर मज़ा लेंगे.. उनके अलावा वो किसी के पास जा ही नहीं सकती। अब सोच ले.. सील पैक चूत फ्री में मिल रही है.. ऐसा मौका बार-बार नहीं आता.. तेरे दोस्त मज़ा लेंगे और तू चूत के लिए तड़पता रहेगा.. मैं भी नहीं चुदवाऊँगी तेरे से.. ये मेरी शर्त है अगर तू प्रिया को चोदेगा.. तभी मैं चुदवाऊँगी.. वरना नहीं…
रिंकू- साली तू कैसे नहीं चुदवाएगी.. इस घर में तेरे और मेरे सिवा है ही कौन.. तुझे तो जबरदस्ती चोद लूँगा।
डॉली- मुझे तो चोद लोगे.. प्रिया का क्या होगा..? क्या उसके सामने तुम मुझे चोद पाओगे?
रिंकू- क्या.. कहाँ है प्रिया?
तभी कमरे का दरवाजा खुलता है और प्रिया अन्दर आ जाती है।
प्रिया- मैं यहाँ हूँ भाई..
रिंकू प्रिया को देखता रह जाता है वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में खड़ी थी।
उसके चूचे आधे से ज़्यादा बाहर को झाँक रहे थे.. चूत का फुलाव पैन्टी में से साफ नज़र आ रहा था और प्रिया भी रिंकू के लौड़े को देख कर होंठों पर जीभ फेर रही थी.. जो आधा-अधूरा खड़ा था या यूँ कहो सोया हुआ था।
रिंकू- ये क्क्क..क्या है प्रिया.. छी: तुम्हें शर्म आनी चाहिए..
रिंकू कुछ और बोलता तब तक प्रिया उसके एकदम करीब आकर खड़ी हो जाती है और रिंकू के लौड़े को देखने लगती है.. जिसमें अब तनाव आना शुरू हो गया था।
प्रिया- भाई.. आपने मेरे पूरे जिस्म को अच्छे से देख लिया और आपके मन में मुझे चोदने की इच्छा भी जाग गई है.. जिसका सबूत यह कड़क होता लौड़ा है.. अब यह झूठा गुस्सा किसलिए..?
रिंकू का लौड़ा एकदम तन गया था और प्रिया को चोदने की दिल के किसी कोने में एक चाहत जाग उठी थी।
रिंकू- तू बहन नहीं.. एक रंडी है आ जा साली.. पहले तुझे ही चोदूँगा..
रिंकू ने प्रिया को बाँहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा।
प्रिया भी उसका साथ देने लगी।
डॉली वहीं खड़ी उन दोनों को देख कर मुस्कुराने लगी।
काफ़ी देर बाद दोनों अलग हुए.. रिंकू भूखे कुत्ते की तरह प्रिया के मम्मों को दबा रहा था और उसने ब्रा को खोल कर एक तरफ फेंक दिया था।
प्रिया- आह्ह… आई.. भाई आराम से करो ना आह्ह… दुख़ता है..
रिंकू- साली छिनाल.. अपने भाई के बारे में गंदे ख्याल लाई.. तब नहीं सोचा तूने.. दुखेगा.. अब देख मैं कैसे तुझे मज़ा देता हूँ.. आज तो बहनचोद बन ही जाता हूँ.. जिस नाम से नफ़रत थी.. आज उसी को तूने मेरे से जोड़ दिया है।
डॉली- ओके प्रिया.. मैं अब जाती हूँ मेरा यहाँ क्या काम.. तुम दोनों मज़ा करो।
ये सुनकर रिंकू ने प्रिया को छोड़ दिया और डॉली का हाथ पकड़ लिया।
रिंकू- तू कहाँ जाती है मेरी बुलबुल.. तेरे चक्कर में तो आज मैं बहनचोद बनने जा रहा हूँ.. पहले तेरी चूत को फाड़ूँगा.. उसके बाद इस कुत्ती की ठुकाई करूँगा.. साली बहन के नाम पर कलंक है ये…
डॉली- चूत तो मेरी भी जल रही है लौड़े के लिए.. मगर मैंने प्रिया से वादा किया है उसकी सील तुम ही तोड़ोगे।
रिंकू- अरे तो मैंने कब मना किया है.. पहले तेरी चूत का उद्घाटन करूँगा उसके बाद प्रिया की चूत का मुहूरत होगा।
प्रिया- नहीं भाई पहले आप मेरे साथ करो.. क्योंकि मैं जानती हूँ मेरी तरह आप भी एकदम कुंवारे हैं आपके लौड़े की पहली चुदाई है.. तो आप मेरी सील के साथ अपनी शुरूआत करो। डॉली कौन सी सील पैक है.. ये तो चुदी-चुदाई है।
डॉली- तुम्हें मेरी कसम है प्रिया इसके आगे मत बोलना।
रिंकू- यस यस.. आई वाज राईट.. मुझे पता था साली तू चुद चुकी है.. वो साले नहीं मान रहे थे.. तेरी चाल देख कर ही मैं समझ गया था कि कोई तो है.. जो तेरी जवानी को लूट रहा है.. अब बता भी दे कौन है वो हरामी..? जिसने हमारे माल पर हाथ साफ कर लिया।
रिंकू की बात सुनकर डॉली कुछ नहीं बोली।
प्रिया- भाई क्यों बने-बनाए मूड को खराब कर रहे हो.. होगा कोई भी आ जाओ हम मज़ा करते हैं।
रिंकू- रूक साली कुत्ती.. तुझे बहुत जल्दी है चुदने की.. इसे बोल यहीं रूक.. अगर ये रहेगी तो ही तुझे चोदूँगा.. क्योंकि मुझे आज इसकी भी चूत मारनी है बस…
डॉली- ठीक है.. मैं यहीं हूँ.. हो जाओ शुरू.. कर दो प्रिया की चूत का मुहूरत.. उसके बाद मुझे भी चोद लेना मैं खुद तड़फ रही हूँ।
रिंकू- ऐसे नहीं.. तुम पूरी नंगी हो जाओ और बिस्तर पर हमारे साथ रहो।
डॉली मान गई और कपड़े निकालने लगी.. साथ ही प्रिया भी पूरी नंगी हो गई।
रिंकू तो पहले से ही भरा हुआ था उसके लौड़े का तनाव बढ़ता गया और उसे अहसास हो गया कि जल्दी वो झड़ जाएगा.. चूत का मुहूरत नहीं कर पाएगा।
रिंकू- डॉली तूने मुझे बहुत उत्तेज़ित कर दिया है.. पहले तू मेरा लौड़ा चूस कर ठंडा कर दो मिनट में ही ये झड़ जाएगा.. उसके बाद प्रिया से शुरूआत करूँगा।
डॉली मान गई और लौड़े को मुँह में लेकर मज़े से चूसने लगी।
रिंकू ने आँखें बन्द कर लीं और मुँह को चोदने लगा और कुछ ही देर में उसके लौड़े ने वीर्य की धार डॉली के मुँह में मार दी।
डॉली पूरा पानी पी गई और लौड़े को चाट कर साफ कर दिया।
रिंकू- आह.. ये हुई ना बात.. उफ्फ आज तक मेरे लौड़े ने इतना पानी नहीं छोड़ा.. जितना आज तेरे मुँह में निकाला है.. आह्ह… मज़ा आ गया।
प्रिया- भाई अब मेरी भी प्यास बुझा दो ना.. आपके लौड़े के लिए तो मैं कब से तड़फ रही हूँ.. लाओ मुझे चूसने दो.. इसे अब दोबारा खड़ा मैं करूँगी।
रिंकू- हाँ.. क्यों नहीं मेरी रंडी बहना.. ले चूस ले.. अब तो तुझे चोद कर ही मुझे चैन आएगा और डॉली तू भी मेरे पास लेट जा.. तेरे चूचे मुझे बहुत पागल बनाते थे.. आज इनका रस पीने दे मुझे.. प्रिया के चूचे भी बहुत मस्त हैं.. मगर ये तो घर का माल है.. जब चाहूँगा मिल जाएगी.. तू तितली की तरह उड़ती रहती है.. क्या पता दोबारा हाथ आए ना आए.. आजा तेरे निप्पल चूसने दे.. इन बड़े-बड़े अनारों को दबाने दे।
डॉली- मैं तो पहले से ही बहुत गर्म हूँ और गर्म कर दे ताकि चूत तो ठंडी हो मेरी।
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09-04-2017, 04:20 PM,
#38
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
रिंकू- अरे घबरा मत मैं हूँ ना.. आज दोनों की चूत बराबर ठंडी कर दूँगा।
प्रिया सोए हुए लौड़े को जड़ तक मुँह में लेकर चूस रही थी। इधर रिंकू डॉली के मम्मों को चूस कर मज़ा ले रहा था।
डॉली- आह्ह… उह.. दबाओ मेरे राजा.. आह्ह… मज़ा आ रहा है आह्ह….
थोड़ी देर में ही लौड़ा तन कर अपने विकराल रूप में आ गया।
प्रिया- भाई अब ये चूत में जाने के लिए तैयार है.. अब थोड़ा मेरी चूत को चाट कर गीला कर दो ताकि मुझे दर्द कम हो।
रिंकू- चलो दोनों सीधी हो जाओ आज दोनों की चूत एक साथ चाट कर मज़ा देता हूँ।
डॉली- आह्ह… दे दो राजा.. मेरी चूत सुलग रही है.. आह्ह… जल्दी…
रिंकू बड़े प्यार से बारी-बारी से दोनों की चूत चाटने लगा। 
प्रिया ने पहली बार इस मज़े को महसूस किया था कि चूत-चटाई क्या होती है.. अब तक तो उसने सिर्फ कहानियों में ही पढ़ा था।
प्रिया- आह ससस्स उह.. भाई मज़ा आ गया आह्ह… ज़ोर से चाटो…
रिंकू- आह्ह… बहना.. तेरी चिकनी चूत क्या मस्त है.. कुँवारी चूत का स्वाद कैसा होता है.. आह्ह… आज पता चला।
प्रिया- आह्ह… उई.. जब से आपका लौड़ा देखा है.. आह्ह… आपके लिए ही चूत को साफ रखती हूँ.. क्या पता कब चुदने का उई मौका मिल जाए आह्ह… देखो आज मिल गया।
रिंकू ने अपना मुँह अब डॉली की चूत पर लगा दिया था और जीभ की नोक से चूत को चोद रहा था.. माना कि रिंकू नया खिलाड़ी था.. मगर जब ऐसी चिकनी चूत सामने हो तो अनाड़ी भी खिलाड़ी बन जाता है।
डॉली- आह्ह… आई.. रिंकू आह्ह… प्लीज़ अब हटना मत.. आह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ आह्ह… पहले मुझे आई.. शान्त कर दो उसके बाद आह्ह… सी.. आराम से प्रिया की आह्ह… चुदाई करना..
रिंकू ज़ोर-ज़ोर से चूत को चाटने लगा और होंठों में दबा कर चूसने लगा।
डॉली का बदन अकड़ने लगा और वो गाण्ड को उठा-उठा कर मज़े लेने लगी।
उसकी चूत ने रस निकाल फेंका..
जिसे रिंकू चाट गया।
उसको चूत रस पीकर एक नशा सा हो गया।
डॉली- आईईइ आह उफफफ्फ़ मज़ा आ गया आह अब मुझे आराम करने दे.. प्रिया की चूत में लौड़ा डाल.. कुँवारी चूत है.. तुझे मज़ा आएगा…
प्रिया भी पूरी गर्म हो गई थी।
अब रिंकू भी चूत को चोदने के लिए बेताब हो रहा था। उसने प्रिया के पैर मोड़ दिए और लौड़े पर अच्छे से थूक लगा कर चूत पर टिका दिया और एक धक्का मारा.. लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।
रिंकू ने कभी चूत देखी भी नहीं थी और कुँवारी चूत चोदने को मिल गई।
यह तो होना ही था और एक-दो बार कोशिश के बाद उसको समझ में आ गया कि ये कैसे जाएगा.. प्रिया बस सिसकारियाँ ले रही थी।
अबकी बार रिंकू ने टोपी को चूत में फंसा कर ज़ोर से झटका मारा.. अबकी बार आधा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया और प्रिया के मुँह से जो चीख निकली..
बाप रे बाप..
यह तो अच्छा हुआ कि डॉली ने हाथ रख दिया नहीं तो घर के बाहर भीड़ जमा हो जाती कि आख़िर ये कौन चिल्ला रहा है?
रिंकू- आह साला बड़ी मुश्किल से घुसा है आह्ह… डॉली ऐसे ही मुँह बन्द रख.. अभी आधा गया है.. एक झटका और मारता हूँ… पूरा एक साथ अन्दर चला जाएगा तो सारा दर्द एक ही बार में खत्म हो जाएगा।
डॉली- आराम से रिंकू.. सील टूटने पर बहुत दर्द होता है.. देखो इसके आँसू निकल आए हैं।
रिंकू- होने दो दर्द.. साली रंडी को निकालने दे आँसू.. बहन के नाम को गंदा कर दिया कुत्ती ने.. अब से हरामजादी को चुदने बड़ा शौक था ना ले आह…
रिंकू को शायद प्रिया को चोदना अच्छा नहीं लग रहा था इसी लिए उसको जरा भी रहम नहीं आ रहा था।
उसने तो लौड़े को पूरा जड़ तक घुसा दिया और अब दे-दनादन झटके मारने लगा था।
प्रिया जल बिन मछली की तरह तड़फ रही थी.. डॉली ने अब भी उसका मुँह दबा रखा था।
डॉली- ओफ.. क्या झटके मार रहे हो यार मेरी भी चूत में खुजली होने लगी.. अब आराम तो दो बेचारी को.. देखो कैसे आँखें पीली पड़ गई हैं।
रिंकू- उह्ह उह्ह आह्ह… तू कहती है तो उहह उहह.. ले आराम देता हूँ साली को आह्ह… अब इसका मुँह खोल.. मैं भी देखूँ.. क्या बोलती है ये…?
रिंकू रूक गया और प्रिया के ऊपर ही पड़ा रहा। उसका लौड़ा जड़ तक चूत में घुसा हुआ था।
डॉली ने जब मुँह से हाथ हटाया प्रिया ने एक लंबी सांस ली.. जैसे मरते-मरते बची हो.. उसका चेहरा आँसुओं से भरा हुआ था.. हलक सूख गया था।
वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई।
प्रिया- आह ब्ब..भाई आ आह्ह… आपने ये अच्छा नहीं किया.. आह्ह… क्या आह्ह… ऐसे बेदर्दी से आह्ह… कोई अपनी बहन को आह्ह… छोड़ता है आह्ह…
रिंकू- सही बोल रही है तू.. कोई भाई अपनी बहन को बेदर्दी तो क्या प्यार से भी नहीं चोदता.. ये तो तेरे जैसी रंडियाँ होती हैं जो अपने भाई को फँसा कर चुदती हैं समझी…
प्रिया- आह्ह… उ.. माँ आह्ह… मर गई.. मुझे बहुत दर्द हो आह्ह… रहा है निकाल लो.. आह्ह… नहीं चुदना आपसे आह्ह… अयेए.. मैं तो समझी आप लंड हिलाते घूम रहे हो.. कुँवारी आह्ह… आह्ह… उह.. चूत मिलेगी तो खुश होगे.. आह्ह… मगर आप तो मुझे गाली दे रहे हो आह्ह… इससे अच्छा तो किसी और से अपनी सील तुड़वाती.. आह्ह… सारी जिंदगी मेरा अहसान मानता आह्ह…
रिंकू- चुप कर साली छिनाल.. किसी और की माँ की चूत.. किसमें हिम्मत थी… जो तुझे चोदता.. साले का लौड़ा ना काट देता मैं..
डॉली- ओ हैलो.. क्या बकवास लगा रखी है.. अब ज़्यादा शरीफ मत बनो.. दूसरों की बहनों के बारे में गंदे ख्याल दिल में रखोगे.. तो ऐसा ही होगा… समझे.. अब चुपचाप चोदते रहो.. बेचारी प्रिया कैसे रो रही है।
दोस्तों सॉरी बीच में आने के लिए.. मगर आपसे ये बात कहना जरूरी था कि देखो किस तरह रिंकू ने डॉली पर गंदी नज़र डाली और आज उसको अपनी बहन के साथ चुदाई करनी पड़ रही है।
तो सोचो हर लड़की किसी ना किसी की बहन या बेटी होती है अगर उनकी मर्ज़ी ना हो तो प्लीज़ उनको परेशान मत किया करो.. ओके थैंक्स अब कहानी का मजा लीजिए।
प्रिया- आह्ह… आह्ह… डॉली तुम किसको समझा रही हो.. ये आह्ह… नहीं समझेगा।
रिंकू- चुप.. अब बकवास बन्द करो.. मुझे चोदने दो.. आह्ह… उहह ले आह्ह… साली रण्डी आह्ह… ले चुद.. आह्ह… उहह…
प्रिया- आईईइ आईईईई ओह.. भाई आह्ह… मर गई.. आह उफ़फ्फ़ कककक आह आराम से आह उउउ उूउउ बहुत दर्द हो रहा है आह आह…
रिंकू रफ़्तार से चोदता रहा.. पाँच मिनट बाद प्रिया थोड़ी सी उतेज़ित हुई और दर्द के साथ उसकी उत्तेजना मिक्स हो गई.. वो झड़ गई मगर उसको ज़रा भी मज़ा नहीं आया.. रिंकू अब भी लगातर चोदे जा रहा था और आख़िरकार प्रिया की टाइट चूत ने उसके लौड़े को झड़ने के लिए मजबूर कर दिया.. रिंकू ने पूरा पानी चूत की गहराइयों में भर दिया और प्रिया के ऊपर ही ढेर हो गया।
प्रिया- आह्ह… आह.. अब हटो भी.. आह्ह… मेरी चूत का भोसड़ा तो बना दिया आह्ह… अब क्या इरादा है आह्ह… उठो भी…
रिंकू ने लौड़ा चूत से निकाला तो प्रिया कराह उठी।
रिंकू एक तरफ लेट गया।
डॉली ने जल्दी से प्रिया की चूत को देखा… कोई खून नहीं था वहाँ हाँ रिंकू के लौड़े पर जरा सा लाल सा कुछ लगा था।
डॉली- अरे ये क्या.. तेरी सील टूटी.. पर खून तो आया ही नहीं।
प्रिया- आह्ह… उफ़फ्फ़.. पता नहीं शायद मैंने ऊँगली से ही अपनी सील तोड़ ली होगी.. एक दिन खून आया था मुझे.. आह्ह… मगर दर्द बहुत हो रहा है।
डॉली- यार पहली बार मुझे भी बहुत हुआ था.. मगर अब चुदने में बड़ा मज़ा आता है।
रिंकू- डॉली मेरी जान बता ना किसने तेरी चूत का मुहूरत किया है.. आख़िर ऐसा कौन आ गया जो मुझसे भी बड़ा हरामी निकला।
डॉली- तुम्हें उससे क्या लेना-देना तुमको चूत मिल गई ना.. अब अपना मुँह बन्द रखो.. जल्दी लौड़े को तैयार करो मुझे भी चुदना है.. कब से चूत तड़फ रही है लौड़े के लिए…
रिंकू- अरे मेरी जानेमन तेरे लिए तो मैंने ये सब खेल खेला है.. अपनी बहन तक को चोद दिया.. तू क्यों तड़फ रही है.. आ जा ले तू ही चूस कर खड़ा कर दे इसे।
डॉली- नहीं पहले जाकर इसे धोकर आओ.. इस पर खून लगा है।
रिंकू जल्दी से बाथरूम गया और लौड़े को धोकर वापस आ गया।
प्रिया अब वैसे ही पड़ी दर्द के मारे सिसक रही थी.. दरअसल दर्द से ज़्यादा वो रिंकू की बातों से दुखी थी।
डॉली- आजा मेरे राजा.. जल्दी से लौड़ा मेरे मुँह में दे दे.. अब देर मत कर.. मुझे वापस घर भी जाना है और प्रिया को भी एक बार और चोदना है तुझे.. तभी इसका दर्द कम होगा.. देख कैसे चुपचाप पड़ी है।
प्रिया- नहीं डॉली.. आह्ह… मुझे अब इससे नहीं चुदना.. मैंने बहुत बड़ी ग़लती की.. जो इस बेदर्द से प्यार कर बैठी।
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09-04-2017, 04:20 PM,
#39
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
रिंकू- ओह्ह.. मेरी बहना इतनी उदास क्यों हो गई तू.. सॉरी यार मैंने बस ऐसे ही गुस्से में कह दिया था.. सॉरी कान पकड़ता हूँ यार…
प्रिया- नहीं भाई आपको कान पकड़ने की कोई जरूरत नहीं.. ग़लती मेरी है जो आपके बारे में ऐसा सोच बैठी।
डॉली- अरे यार बात बाद में कर लेना.. पहले मुझे तो चोद ले।
रिंकू- नहीं डॉली तुझे देर हो रही है ना.. तू जा आज मैं अपनी प्यारी बहन को दिल खोल कर चोदूँगा और तुझे भी बड़े आराम से फ़ुर्सत से चोदना चाहता हूँ.. जो आज होगा नहीं.. कल रविवार है कल आराम से तेरी चूत और गाण्ड मारूँगा.. आज मेरी बहन को खुश कर दूँ.. मैंने बड़ी ज़्यादती की है इसके साथ.. अब इसको भरपूर प्यार देना चाहता हूँ।
डॉली- ओह.. रियली.. मैं बहुत खुश हूँ कि तुमने प्रिया के बारे में कुछ तो सोचा.. मगर अफ़सोस भी है कि तुम रात-दिन मुझे चोदने के लिए बेताब थे.. अब ना कह रहे हो.. ये बात समझ में नहीं आई…
रिंकू- मैंने आज तक चूत का सपना देखा था.. आज जब मिली भी तो मेरी बहन की मिली और मैंने उसको क्या से क्या बोल दिया.. अब जब पानी निकला है तो दिमाग़ सुकून में आया.. अब सोचता हूँ.. तुमको तो बाद में चोद लूँगा.. अभी प्रिया को इसके हिस्से की ख़ुशी दे दूँ।
डॉली- बहुत अच्छी सोच है.. ओके.. अब मैं जाती हूँ लेकिन प्लीज़ अपने दोस्तों को अभी मत बताना कि आज क्या हुआ.. इसमें प्रिया की भी बदनामी होगी।
रिंकू- नहीं.. मैं किसी को नहीं बताऊँगा.. प्लीज़ तुम भी इस राज़ को राज़ ही रखना वरना मेरा क्या है.. प्रिया का जीना मुश्किल हो जाएगा।
डॉली- मैं किसी को नहीं बताऊँगी ओके.. एंजाय करो और हाँ याद से घर लॉक कर देना और आधी रात के करीब इसका मलिक वापस आ जाएगा तो अच्छे से सब ठीक करके जाना.. चाबी प्रिया को दे देना.. मैं इससे कल ले लूँगी।
प्रिया- ओके डॉली.. थैंक्स तुमने आज जो किया उसको मैं जिन्दगी में नहीं भूल पाऊँगी और भाई अब आपसे भी कोई शिकायत नहीं.. आपने मुस्कुरा कर मेरी तरफ़ देखा ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।
डॉली अपने कपड़े पहन कर चली जाती है। हाँ जाने के पहले वो रिंकू के लौड़े को चूम कर जाती है। रिंकू बड़ा खुश हो जाता है। उसके जाने के बाद रिंकू बिस्तर पर प्रिया के पास लेट जाता है और उसके चूचे सहलाने लगता है।
रिंकू- प्रिया वाकयी तू लाजवाब है.. तेरे चूचे बहुत मस्त हैं सच.. बता तूने उस रात और क्या-क्या किया था.. मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा तूने मेरा लौड़ा चूस कर पानी निकाला था।
प्रिया- हाँ भाई सब सच है, मैं तो नंगी होकर आपके पास सोने वाली थी.. मगर माँ उठ गई थीं और मुझे वहाँ से भागना पड़ा।
रिंकू- अच्छा ये बात है.. उस दिन ना सही.. आज तो नंगी मेरे पास है ना…
प्रिया- हाँ भाई.. आप सही कह रहे हो।
रिंकू- अच्छा ये तो बता ये डॉली किस के पास चुदने जाती है? कौन है वो जिसने इसको पहली बार चोदा था?
प्रिया- व्व..वो भाई मुझे उसका नाम नहीं पता ब..बस इतना डॉली ने बताया कि उसका फ्रेंड है।
रिंकू- देख सच-सच बता.. मैं किसी को नहीं बताऊँगा.. मुझे पता है तू जानती है कि वो कौन है?
इस बार रिंकू की आँखों में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था.. मगर प्रिया भी पक्की खिलाड़ी निकली उसने बड़ी सफ़ाई से उसको झूठ बोल दिया कि डॉली ने खुद उसे बताया था कि कोई लड़का है.. नाम नहीं बताया.. उसने कसम खाली तो रिंकू को यकीन हो गया।
रिंकू- चल होगा कोई भी.. हम क्यों अपना वक्त खराब करें.. ला तेरी चूत दिखा.. मैंने बहुत ठोका ना.. सूज गई होगी.. अब जीभ से चाट कर आराम देता हूँ.. तू भी मेरे लौड़े को चूस कर मज़ा ले।
दोनों 69 के आसन में आ गए और एक-दूसरे को मज़ा देने लगे।
दोस्तों इनको थोड़ा चटम-चटाई करने दो… तब तक हम डॉली के पास चलते हैं। वो कहाँ गई आख़िर इस कहानी की मेन किरदार वही है.. उसके बारे में जानना ज़रूरी है।
डॉली वहाँ से निकल कर अपने घर की तरफ जाने लगी। रास्ते में एक भिखारी भीख माँग रहा था.. उसकी उम्र कोई लगभग 35 साल के आस-पास होगी।
वो हट्टा-कट्टा 6 फुट का था.. मगर वो अँधा था..
मित्रों.. अपनी डॉली को क्या अब भिखारी से भी चुदाना था..? अब आप कहोगे अँधा था ये कैसे पता तो आप खुद देख लो।
भिखारी- कोई इस अंधे गरीब की मदद कर दो है.. कोई देने वाला अंधे को देगा.. दुआ मिलेगी।
वो बस ऐसे ही बोलता हुआ आगे जा रहा था.. उसने एक फटा पुराना कच्छा और बनियान पहन रखी थी और उस फटे कच्छे में से उस भिखारी के लौड़े की टोपी बाहर को निकल रही थी।
डॉली की नज़र जब उस पर गई उसकी आँखें फट गईं क्योंकि वो टोपी बहुत चौड़ी थी.. हालांकि उस भिखारी का लौड़ा सोया हुआ था मगर कच्छे में ऐसे लटका हुआ था जैसे कोई खंजर लटका हो।
डॉली कुछ देर तक उसको देखती रही वो कुछ सोचने लगी और वो बन्दा माँगते-माँगते आगे बढ़ गया।
डॉली भी अपने घर चली गई।
अपने कमरे में जाकर उसने कपड़े बदले और एक नाईटी पहन ली तभी उसकी माँ ने उसे आवाज़ दी।
डॉली बाहर गई और अपनी माँ से पूछा- क्या बात है?
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि कहानी इतनी आगे बढ़ गई मगर अब तक मैंने डॉली की माँ और उसके पापा के बारे में आपको नहीं बताया तो आज बताती हूँ.. वैसे इन दोनों का कहानी में कोई रोल नहीं है इसलिए मैंने इनके बारे में नहीं लिखा.. मगर कुछ दोस्त जानना चाहते हैं तो उनके लिए बता देती हूँ।
डॉली के पापा अनिल सिंह सरकारी ठेके लेते हैं.. जैसे कोई सरकारी बिल्डिंग बनानी हो या कोई सड़क वगैरह.. तो बस इन कामों में वो बहुत बिज़ी रहते हैं, रात को देर से घर आते हैं कई बार तो रात को आते ही नहीं हैं।
डॉली की शिकायत होती है कि कई-कई दिनों तक वो पापा से बात भी नहीं कर पाती और उसकी माँ सुशीला एक सीधी-साधी घरेलू औरत हैं घर-परिवार में बिज़ी रहती हैं। एक ही बेटी होने के कारण डॉली को कोई कुछ नहीं कहता है।
सुशीला- बेटी तूने कपड़े क्यों बदल लिए.. हमें बाहर जाना था।
डॉली- इस वक़्त कहाँ जाना है?
सुशीला- अरे वो अनिता की कल बहुत तबीयत बिगड़ गई थी उसको रात अस्पताल ले गए हैं.. वहाँ उसको भर्ती कर लिया गया है.. अब मेरी इतनी खास दोस्त है वो..
अगर मैं नहीं जाऊँगी तो बुरा लगेगा ना…
डॉली- ओह.. आंटी के पास आप का जाना जरूरी है.. मगर मैं वहाँ क्या करूँगी.. दो दिन बाद इम्तिहान हैं.. मैं यही रहकर पढ़ाई करती हूँ।
सुशीला- अरे नहीं बेटी तेरे पापा का फ़ोन आया था.. वो आज नहीं आने वाले हैं और हॉस्पिटल भी काफ़ी दूर है.. आने-जाने में ही एक घंटा लग जाएगा.. अब उसके पास जाऊँगी तो एकाध घंटा वहाँ बैठना भी पड़ेगा ना.. तू इतनी देर अकेली क्या करेगी यहाँ.. तुझे अकेली छोड़ कर जाने का मेरा मन नहीं मान रहा है।
डॉली- नहीं माँ.. प्लीज़ आप जाओ ना…
सुशीला- अरे आते समय बाजार से सामान भी लेते आएँगे.. खाना मैंने बना दिया है.. आकर सीधे खा कर सो जाएँगे चल ना…
डॉली- माँ आप बेफिकर होकर जाओ और आराम से आओ मुझे कुछ नहीं होगा.. आप बिना वजह डरती हैं।
सुशीला- बड़ी ज़िद्दी है.. अच्छा तुझे भूख लगे तो खाना खा लेना.. मुझे आने में देर हो जाएगी.. दरवाजा बन्द रखना.. ठीक है।
डॉली ने अपनी माँ को समझा कर भेज दिया और खुद कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ कर रिंकू के लौड़े के बारे में सोचने लगी।
अरे.. अरे.. दोस्तों आप भी ना याद ही नहीं दिलाते कि डॉली के चक्कर में हम रिंकू और प्रिया को तो भूल ही गए। 
चलो वापस पीछे चलते हैं..
डॉली के घर से निकलने के बाद उन दोनों ने क्या किया.. वो तो देख लिया जाए।
वो दोनों एक-दूसरे की चूत और लौड़े के मज़े ले रहे थे कोई दस मिनट बाद दोनों गर्म हो गए।
प्रिया ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया।
प्रिया- आ आहह.. भाई चाटो.. मज़ा आ रहा है.. उई आराम से भाई.. अपने अपने मोटे मूसल से मेरी छोटी सी चूत का हाल बिगाड़ दिया है.. सूज गई है आहह.. आई.. आराम से…
रिंकू- बस बहना अब लौड़ा आग उगलने लगा है.. चल अब तेरी चूत को दोबारा चोदता हूँ मगर अबकी बार प्यार से चोदूँगा। तू ऐसा कर कुतिया बन जा.. मज़ा आएगा।
प्रिया- हा हा हा भाई कुतिया नहीं घोड़ी बनती हूँ।
रिंकू- अब मैं कुत्ता हूँ तो तुझे कुतिया ही बनाऊँगा ना.. अब भला कुत्ता घोड़ी कैसे चोदेगा..
प्रिया- भाई आप अपने आप को कुत्ता क्यों बोल रहे हो?
रिंकू- अरे यार बन जा ना.. क्या फरक पड़ता है.. घोड़ी बोल या कुतिया.. बनना तो जानवर ही है ना.. समझी…
प्रिया कुतिया बन जाती है.. पैरों को ज़्यादा चौड़ा कर लेती है जिससे उसकी चूत का मुँह खुल जाता है।
रिंकू लौड़े पर थूक लगा कर टोपी चूत पर टीका देता है और आराम से अन्दर डालने लगता है।
प्रिया- आहह.. उ भाई आहह.. हाँ ऐसे ही धीरे आहह.. धीरे.. पूरा आ आहह.. घुसा दो आहह.. मेरी चूत कब से तड़फ रही है आहह..
रिंकू- डर मत मेरी बहना.. अबकी बार बड़ी शालीनता से लौड़ा घुसाऊँगा.. तुझे पता भी नहीं चलेगा.. आज तेरी चूत को चोद-चोद कर ढीला कर दूँगा। उसके बाद तो रोज तुझे चोदूँगा.. आहह.. क्या कसी हुई चूत है तेरी आहह.. बहना.. चुदवाओगी क्या रोज मुझसे.. आहह.. मज़ा आ गया।
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09-04-2017, 04:20 PM,
#40
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
प्रिया- भाई आप कैसी बात करते हो.. मैं आपकी ही हूँ जब चाहो चोद लेना.. आहह.. अब तो बस आपके लौड़े की दीवानी हो गई मैं आहह.. उई आराम से भाई आहह.. रोज चुदवाऊँगी आहह.. आपसे…
रिंकू कुछ ही देर में पूरा लौड़ा जड़ तक चूत में घुसा देता है। प्रिया को दर्द तो हो रहा था मगर चूत-चटाई से वो बहुत उत्तेजित हो गई थी। उसकी वासना के आगे दर्द फीका पड़ गया था।
प्रिया- आहह.. भाई मज़ा आ रहा है आहह.. अब हिलो.. आहह.. झटके मारो मेरी चूत पानी-पानी हो रही है आहह.. चोदो भाई आहह.. चोदो..
रिंकू अब झटके मारने लगा था और धीरे-धीरे उसकी रफ़्तार तेज़ होने लगी थी।
प्रिया भी अब गाण्ड पीछे धकेल कर चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी।
प्रिया- आह फक मी आहह.. माय सेक्सी ब्रदर आहह.. फक मी डीप.. आहह.. फक मी हार्ड.. आह यू आर सो सेक्सी आह एंड युअर डिक इज वेरी लोंग आहह.. आहह..
रिंकू- उहह उहह क्या बात है.. आहह.. बहना आह.. बड़ी अँग्रेज़ी बोल रही है.. आहह.. ले संभल आहह.. तू बोलती रह आहह.. जैसा ब्लू-फिल्म में होता है.. आहह.. मज़ा आता है चोदने में गंदी बात बोल बहना.. आज तेरा भाई बहनचोद बन गया है तू भी आ भाई चोद बन गई आहह.. कुछ नया बोल जिसको आहह.. सुनकर मज़ा आए।
प्रिया- आहह.. भाई आप बड़े कुत्ते हो आहह.. स्कूल में सब लड़कियों के चूचे और गाण्ड आहह.. देखते हो.. कभी आहह.. उ आहह.. अपनी इस रंडी बहन पर भी आ नज़र मार लेते आहह.. तो अब तक अई आई.. ससस्स तो कई बार अई आपसे चुद चुकी होती।
रिंकू- उह आहह.. साली मुझे क्या पता था आहह.. तू इतनी बड़ी रंडी निकलेगी.. अपने भाई के ही लौड़े को लेने की तमन्ना रखती है उह उह अब तक तो मैं कब का तेरी चूत और गाण्ड का मज़ा ले लेता आहह.. तेरी चूत का चूरमा और गाण्ड का गुलाबजामुन बना देता मैं.. आहह.. ले उहह उहह।
प्रिया- आहह आई.. फास्ट भाई आ मेरा पानी आने वाला है आई.. आहह.. ज़ोर से आह और फास्ट आहह..
रिंकू उसकी बातों से बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया था और अब चुदाई की रेलगाड़ी ने रफ़्तार पकड़ ली थी.. राजधानी भी उसके आगे हर मान जाए इतनी तेज़ी से लौड़ा चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था।
इसका अंजाम तो आप जानते ही हो प्रिया की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसके अहसास से रिंकू के लौड़े ने भी बरसात शुरू कर दी। दोनों काफ़ी देर तक झड़ते रहे और उसी अवस्था में पड़े रहे।
प्रिया- आह भाई मज़ा आ गया आज तो.. अब उठो भी ऐसे ही पड़े रहोगे क्या.. मुझे घर भी जाना है वरना माँ को शक हो जाएगा।
रिंकू- हाँ तूने सही कहा.. देख किसी को जरा सी भनक मत लगने देना.. वरना हम तो क्या हमारे घर वाले भी किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे।
प्रिया ने ‘हाँ’ में अपना सर हिला दिया और जब वो उठने लगी उसको चूत और पैरों में बड़ा दर्द हुआ।
प्रिया- आईईइ उईईइ माँ मर गई रे.. आहह.. भाई मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा आहह.. आपने तो मेरी टाँगें ही थका दीं..
रिंकू ने उसको सहारा दिया और खड़ी करके उसको हाथ पकड़ कर चलाया।
रिंकू- आराम से चल.. कुछ नहीं होगा.. मैं तुझे दवा ला दूँगा.. दर्द नहीं होगा.. अभी थोड़ी देर यहीं चल.. नहीं तो घर पर जबाव देना मुश्किल हो जाएगा कि क्या हुआ है..
प्रिया- आहह.. उई पहली बार में आप जानवर बन गए थे.. कैसे ज़ोर से लौड़ा घुसाया था.. उई ये उसकी वजह से हुआ है।
रिंकू- अरे पहली बार तो इंसान ही था.. कुत्ता तो दूसरी बार बना था हा हा हा हा।
प्रिया- बस भी करो.. आपको मजाक सूझ रहा है.. मेरी हालत खराब है।
रिंकू- अब चुदने का शौक चढ़ा है तो दर्द भी सहना सीखो.. अभी तो
तेरी गाण्ड की गहराई में भी लौड़ा घुसना है.. आज वक्त कम है.. नहीं तो आज ही तेरी गाण्ड का मुहूरत कर देता।
प्रिया- आहह.. ना भाई.. आहह.. आप बस चूत ही मार लेना.. गाण्ड का नाम भी मत लो.. चूत का ये हाल कर दिया.. ना जाने गाण्ड को तो फाड़ ही दोगे।
रिंकू हँसने लगा और बहुत देर तक वो प्रिया को वहीं घुमाता रहा.. जब प्रिया ठीक से चलने लगी, तब रिंकू ने कमरे का हाल ठीक कर दिया और दोनों ने कपड़े पहन लिए।
जब दोनों बाहर निकले तो रिंकू ने प्रिया से कहा- कल रविवार है डॉली को यहाँ बुला लेना.. तीनों मिलकर मज़ा करेंगे.. चाभी तू अपने पास ही रखना।
प्रिया- हाँ भाई.. ये सही रहेगा.. अब आप जाओ.. हम साथ गए तो किसी को शक होगा.. मैं पीछे से आऊँगी।
रिंकू- तू धीरे-धीरे आराम से जाना और घर में तो बड़े ध्यान से अन्दर जाना.. मैं थोड़ी देर में दवा लेकर आता हूँ.. वैसे भी मैंने सारा पानी तेरी चूत में भर दिया था.. कहीं कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएँगे.. दर्द की दवा के साथ कुछ गर्भनिरोधी दवा भी लेता आऊँगा ओके.. अब जा…
दोनों वहाँ से अलग-अलग हो गए और घर की तरफ़ जाने लगे।
चलो दोस्तों आपको पता चल गया ना कि डॉली के जाने के बाद इन दोनों ने क्या किया था।
अब वापस कहानी को वहीं ले चलती हूँ.. जहाँ से हम पीछे आए थे।
डॉली अपने कमरे में बैठी रिंकू के लौड़े के बारे में सोच रही थी और बस बड़बड़ा रही थी।
डॉली- हाय क्या मस्त लौड़ा था रिंकू का.. मज़ा आ गया चूस कर.. उफ काश एक बार चूत में ले लेती.. आहह.. एक तो चेतन सर भी नहीं मिले और ये रिंकू भी हाथ नहीं आया.. अब क्या करूँ.. इस चूत की खुजली का.. कोई तो इलाज करना होगा.. आज तो कुछ ज़्यादा ही बहक रही है ये निगोड़ी चूत उफ…
डॉली अपनी चूत को बड़े प्यार से सहला रही थी.. तभी बाहर से कोई आवाज़ उसके कानों में आई।
कुछ देर उस आवाज़ को सुनकर उसने कुछ सोचा और अचानक से खड़ी हो गई और वो झट से दरवाजे की तरफ भागी।
बाहर से लगातार आवाज़ आ रही थी।
‘कोई इस अंधे गरीब की मदद कर दो.. है कोई देने वाला.. अंधे को देगा.. दुआ मिलेगी..’
दोस्तों आप ठीक सोच रहे हो.. ये वही अँधा भिखारी है.. जो रास्ते में मिला था। अब आप देखो आगे क्या होता है।
डॉली ने दरवाजा खोला तो वो भिखारी जा रहा था।
डॉली- रूको बाबा.. यहाँ आओ आपको खाना देती हूँ।
भिखारी- अँधा हूँ बेटी.. कहाँ हो मालिक तेरा भला करेगा।
डॉली ने बाहर इधर-उधर देखा.. कोई नहीं था.. वो झट से बाहर गई और उसका हाथ पकड़ कर घर के अन्दर ले आई।
डॉली- यहाँ आओ बाबा मेरे साथ.. चलो खाना देती हूँ।
वो उसके साथ अन्दर आ गया।
डॉली ने अन्दर लाकर वहीं बैठने को कहा और खुद खाना लेने अन्दर चली गई।
अन्दर जाकर डॉली सोचने लगी कि इसका पूरा लौड़ा कैसे देखूँ इसकी टोपी तो मोटी है.. अब क्या करूँ जिससे पूरा लौड़ा दिख जाए। तभी उसे एक आइडिया आया.. वो वापस बाहर आई।
डॉली- बाबा आप कौन हो.. जवान हो.. बदन भी ठीक-ठाक है.. आप बचपन से अंधे हो या कोई और वजह से हो गए और आपने ये क्या फटे-पुराने कपड़े पहन रखे हैं।
भिखारी- बेटी मैं पहले अच्छा था ट्रक में माल भरने का काम करता था.. मुझमें बहुत ताक़त थी.. दो आदमी का काम अकेले कर देता था। आठ महीने पहले एक दिन सड़क पर किसी गाड़ी ने टक्कर मार दी.. उसमें मेरी आँखें चली गईं.. अब पहले से ही मेरा कोई नहीं था तो मुझे कौन संभालता.. सरकारी अस्पताल में इलाज फ्री हो गया.. अब कोई काम तो होता नहीं है.. इसलिए भीख माँग कर गुजारा कर लेता हूँ.. कपड़े भी फट गए हैं.. अब मैं दूसरे कपड़े कहाँ से लाऊँ..
डॉली- ओह्ह.. सुनकर बड़ा दुख हुआ.. अच्छा आपका कोई घर तो होगा ना…
भिखारी- पहले एक किराए के कमरे में रहता था.. अब वो भी नहीं रहा.. अब तो बस दिन भर घूम कर माँगता हूँ और रात को जहाँ जगह मिल जाए.. वहीं सो जाता हूँ।
डॉली- रूको मेरे पास मेरे पापा के पुराने कपड़े हैं.. मैं आपको देती हूँ.. ये कपड़े निकाल दो पूरे फट गए हैं.. आपके बदन पर कितना मैल जमा है नहाते नहीं क्या कभी?
भिखारी- बेटी ना घर का ठिकाना है.. ना कुछ और.. सड़कों के किनारे सोने वाला कहाँ से नहाएगा..?
डॉली- ओह आपकी बात भी सही है.. ऐसा करो यहाँ मेरे घर में नहा लो.. उसके बाद आपको कपड़े दूँगी.. चलो मैं आपको बाथरूम तक ले चलती हूँ।
भिखारी- नहीं.. नहीं.. बेटी रहने दो.. आज के जमाने में भिखारी को लोग घर के दरवाजे पर खड़ा करना पसन्द नहीं करते.. तुम तो घर के अन्दर तक ले आईं.. और अब अपने बाथरूम में नहाने को बोल रही हो।
डॉली कुछ सोचने लगी.. उसके बाद उसने कहा- देखो बाबा मेरी नज़र में अमीर-गरीब सब एक जैसे हैं.. आप किसी बात का फिकर मत करो.. आओ नहा लो.. मैं साबुन तौलिया सब दे देती हूँ।
भिखारी- मालिक तुम्हारा भला करेगा बेटी.. तुम घर में अकेली रहती हो क्या.. यहाँ और किसी की आवाज़ नहीं सुनने को मिली।
डॉली- इस वक़्त अकेली हूँ.. सब बाहर गए हैं.. अब चलो बातें बाद में कर लेना और ये फटे-पुराने कपड़े निकाल कर वहीं रख देना.. मैं कचरे में डाल दूँगी।
डॉली उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले गई और उसको अन्दर खड़ा करके पानी चालू कर दिया, उसके हाथ में साबुन दे दिया।
डॉली अच्छे पैसे वाले घर की थी। उसका बाथरूम काफ़ी बड़ा था। आम आदमी के कमरे से भी बड़ा था।
डॉली- बाबा तौलिया ये आपके दाहिनी तरफ़ खूंटी पर टंगा है। मैं दरवाजा बाहर से बन्द कर देती हूँ.. जब आप नहा लो.. तो आवाज़ दे देना.. मैं खोल दूँगी।
आप अन्दर से बन्द करने की कोशिश मत करना.. ये चाभी वाला लॉक है.. कहीं आपसे बाद में नहीं खुला तो मुसीबत हो जाएगी।
भिखारी- ठीक है बेटी.. जैसा तुम कहो.. मगर कपड़े तो ला देतीं.. नहा कर में पहन कर बाहर आ जाता।
डॉली- आप नहा लो.. मैं बाहर रख कर लॉक खोल दूँगी.. आप बाद में उठा लेना.. ठीक है.. अब मैं दरवाजा बन्द करके जाती हूँ आप आराम से रगड़-रगड़ कर नहा लो।
डॉली ने दरवाजा ज़ोर से बन्द किया ताकि उसे पता चल जाए कि बन्द हो गया और फ़ौरन ही धीरे से वापस भी खोल दिया बेचारा भिखारी अँधा था.. उसको पता भी नहीं चला कि एक ही पल में दरवाजा वापस खुल गया है।
अब उसने फटी हुई बनियान निकाल कर साइड में रख दी और जैसे ही उसने कच्छा निकाला उसका लौड़ा डॉली के सामने आ गया।
उसका मुँह भी इसी तरफ था.. डॉली तो बस देखती रह गई।
लौड़े के इर्द-गिर्द झांटों का बड़ा सा जंगल था.. जैसे कई महीनों से उनकी कटाई ना हुई हो और उस जंगल के बीचों-बीच किसी पेड़ की तरह लंड महाराज लटके हुए थे.. हालाँकि लौड़ा सोया हुआ था मगर फिर भी कोई 5″ का होगा और मोटा भी काफ़ी था।
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