Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
09-04-2017, 04:02 PM,
#11
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
ललिता- बस डॉली अब मेरी बारी है तू सीधी लेट जा.. अब मैं तुझे स्वर्ग की सैर कराती हूँ।
डॉली- मैं कैसे लेटूं दीदी.. मेरे हाथ तो पीछे बँधे हैं।
ललिता ने उसके हाथ खोल दिए उसको सीधा लिटा कर बिस्तर के दोनों बगल से उसके हाथ बाँध दिए।
डॉली- अरे अरे.. ये क्या कर रही हो दीदी अब तो मेरे हाथ खुले रहने दो ना…
ललिता- नहीं मेरी जान.. आज तू ऐसे ही मज़ा ले.. बस अब कुछ मत बोल.. देख मैं तुझे कैसे मज़े देती हूँ.. इतना बोल कर ललिता ने चेतन को इशारा कर दिया कि टूट पड़ो इस सेक्स की मलिका पर..
चेतन को तो बस इसी मौके का इन्तजार था।
वो डॉली के ऊपर लेट गया और सबसे पहले उसके मखमली होंठों को चूसने लगा।
उसका अंदाज ऐसा था कि डॉली भी उसका साथ देने लगी।
वो दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे.. मगर चेतन सिर्फ़ होंठों से ही थोड़े खुश होने वाला था..
थोड़ी देर बाद वो नीचे खिसकने लगा और अब उसके होंठों में डॉली के निप्पल थे।
वो दोनों हाथों से उसके कड़क चूचे दबा रहा था और निप्पल चूस रहा था.. जैसे कोई भूखा बच्चा अपनी माँ का दूध पी रहा हो।
डॉली- आह आआ दीदी अई मज़ा आ गया उह.. धीरे से दबाओ ना उफ़फ्फ़.. दर्द होता है अई काटो मत ना… दीदी आइ मज़ा आ रहा है।
दोस्तो, ललिता का प्लान तो अच्छा था मगर एक पॉइंट ऐसा था जिसके कारण डॉली को थोड़ा शक हुआ कि कहीं ललिता की जगह उसके ऊपर कोई आदमी तो नहीं है ना।
ना ना.. टेंशन मत लो.. आपको सोचने की जरूरत नहीं है.. मैं खुद बता देती हूँ आपको।
जब चेतन होंठ चूस रहा था उसका सीना डॉली के मम्मों को दबा रहा था और उसके सीने के बाल डॉली महसूस कर रही थी उसने मन में सोचा भी कि अगर दीदी मेरे ऊपर हैं तो उनके मम्मों और मेरे मम्मों को आपस में टकराने चाहिए.. मगर ये तो एकदम सपाट सीना है और बाल भी हैं।
मगर ना जाने क्या सोच कर वो चुप रही।
चेतन को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था और आएगा क्यों नहीं एक कमसिन कली जिसके पतले होंठों में उसका लौड़ा फँसा हुआ था।
अब चेतन लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।
एक वक्त तो लौड़ा पूरा डॉली के गले तक पहुँच गया और उसी वक़्त डॉली ने झट से मुँह हटा लिया और चेतन ने जैसे ही लौड़ा आगे किया उसकी गोटियाँ डॉली के मुँह के पास आ गईं.. डॉली को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
अब चेतन मम्मों से नीचे उसके पेट तक चूमता हुआ आ गया और आख़िर कर वो अपनी असली मंज़िल यानी चूत तक पहुँच गया।
चेतन की गर्म साँसें डॉली अब अपनी चूत पर महसूस कर रही थी और छटपटा रही थी कि कब दीदी के होंठ चूत पर टिकेंगे और कब उसको सुकून मिलेगा।
चेतन ने चूत के होंठों को कस कर अपने मुँह से भींच लिया। डॉली की सिसकी निकल गई।
चेतन बड़े प्यार से चूत को चूस रहा था और अपनी जीभ से अन्दर तक चाट रहा था.. डॉली एकदम गर्म हो गई थी।
डॉली- अया ऐइ उफ़फ्फ़.. दीदी आह.. प्लीज़ चूत के अन्दर ऊँगली करो.. ना आ आहह.. चूत में बहुत बेचैनी हो रही है।
ललिता- मेरी जान तेरी चूत की आग अब ऊँगली से ठंडी नहीं होने वाली.. इसको तो अब लौड़े की जरूरत है.. बोल क्या बोलती है।
डॉली- दीदी आहह.. डाल दो ना.. आहह.. आपके पास तो इतना मस्त लौड़ा है आहह.. पूछ क्यों रही हो.. अई आहह.. शायद मेरी किस्मत में यही लिखा था कि अपने सर से ही अपनी सील तुड़वाऊँ आहह.. प्लीज़ चेतन सर आहह अब बर्दाश्त नहीं होता.. डाल दो ना आहह..
डॉली की बात सुनकर ललिता और चेतन दोनों ही भौंचक्के रह गए.. दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया।
ललिता- त..त..तू.. ये क..क्या.. बोल रही है व..चेतन यहाँ क..क..कहाँ है?
डॉली- अई आह.. दीदी आह.. मानती हूँ मुझे चुदाई का अनुभव नहीं है.. मगर इतनी भी भोली नहीं हूँ कि औरत और मर्द के शरीर में फ़र्क ना महसूस कर सकूँ और दूसरी बात आपकी आवाज़ मेरे बगल से आ रही है जबकि आपके हिसाब से आप मेरी चूत चाट रही हो.. आह्ह.. अब ये पट्टी खोल दो.. मुझे कोई ऐतराज नहीं कि सर मेरी चूत की सील तोड़ें.. प्लीज़ आह्ह..

चेतन और ललिता की नज़रें मिलीं और आँखों ही आँखों में दोनों की बात हो गई।
चेतन ने पहले डॉली के हाथ खोले.. उसके बाद आँखों की पट्टी निकाल दी।
डॉली- ओह.. सर आपका लौड़ा कितना मोटा और बड़ा है.. उफ़फ्फ़ जब मेरे मुँह में था.. कसम से बड़ा मज़ा आ रहा था.. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह विज्ञान के चक्कर में चुदाई का ज्ञान मिल जाएगा.. पहले मुझे कुछ पता नहीं था.. मगर इन दो दिनों में मुझे पता चल गया कि चुदाई में जो मज़ा है.. वो किसी और चीज़ में नहीं है।
ललिता- मेरी जान मैं तो कब से कह रही थी कि चेतन को बुलाऊँ क्या.. मगर तुम ही हो कि बस मना कर रही थीं।
डॉली- दीदी सच कहूँ.. तो जब आप सर का नाम लेती थीं.. मेरी चूत में पानी आ जाता था.. मगर शर्म के मारे आपसे कुछ बोल ना पाती थी.. अभी जब लौड़ा चूस रही थी.. तब मुझे पक्का पता चल गया कि ये लौड़ा नकली नहीं.. असली है और सर के सिवा यहाँ कौन आ सकता था.. इनके सीने के बाल भी मैंने महसूस किए थे।
चेतन- ओह.. मेरी रानी… तुम जितनी सुन्दर हो.. उतनी ही समझदार भी हो।
ललिता- अब बातों में क्यों वक्त खराब कर रहे हो.. जल्दी से लौड़ा अन्दर डालो ना.. इसकी चूत में..
डॉली- रूको सर.. उस वक्त तो मेरी आँखें बन्द थीं और हाथ भी बँधे हुए थे.. पर अब मैं आपके लौड़े को छूकर देखना चाहती हूँ.. खुली आँखों से.. इसे चूसना चाहती हूँ.. आहह.. क्या मस्त कड़क हो रहा है।
डॉली ने लौड़े को अपने मुलायम हाथों में ले लिया और बड़े प्यार से सहलाने लगी।
चेतन की तो किस्मत ही खुल गई थी.. डॉली अब एकदम कामुक अंदाज में लौड़े को चूसने लगी।
चेतन- उफ़फ्फ़.. डॉली तेरे होंठों के स्पर्श से कितना मज़ा आ रहा है.. जब मुँह में इतना मज़ा आ रहा है तो तेरी चूत में कितना मज़ा आएगा.. आह.. चूस जान आज तेरी चूत का मुहूर्त है.. कर दे एकदम गीला मेरे लंड को उफ्फ.. आज तो बड़ा मज़ा आएगा..
डॉली ने लौड़े को चूस कर एकदम गीला कर दिया।
ललिता- बस भी कर अब.. क्या चूस कर ही पानी निकालोगी.. चल सीधी लेट जा.. तेरी चूत को खोलने का वक्त आ गया है।
डॉली- हाँ दीदी.. मगर सर का लौड़ा बहुत बड़ा है.. ये अन्दर कैसे जाएगा और मुझे दर्द भी होगा ना…
ललिता- अरे पगली.. मैंने तुझे क्या समझाया था.. चूत कितनी भी छोटी क्यों ना हो.. बड़े से बड़े लौड़े को खा जाती है.. पहली बार तो सभी को दर्द होता है.. लेकिन उसके बाद चुदवाने का लाइसेंस मिल जाता है.. तू कभी भी कहीं भी किसी से भी चुदवा सकती है जान.. बस थोड़ा सा दर्द सहन कर ले.. फिर देख दुनिया की सारी खुशियाँ एक तरफ और चुदाई से मिली ख़ुशी एक तरफ.. डर मत.. चेतन बहुत एक्सपर्ट खिलाड़ी है.. बड़े आराम से तेरी सील तोड़ेगा।
ये दोनों बातें कर रही थीं तभी चेतन डॉली की चूत को चूसने लगा.. उसके दाने को जीभ से टच करने लगा।
डॉली- आह आह आह.. उफ़फ्फ़ सर.. ये आपने क्या कर दिया.. आहह.. मेरी चूत में आग भड़क गई है.. ऊह.. डाल दो.. अब जो होगा देखा जाएगा उफ्फ.. आज कर दो मेरी चूत का मुहूर्त आह…
चेतन ने मौके का फायदा उठा कर ललिता के दोनों पैर मोड़ दिए और लौड़े की टोपी चूत पर सैट किया। ललिता ने ऊँगलियों से चूत की दोनों फांकें खोल दीं जिसके कारण टोपी चूत की फांकों में फँस गई।
ललिता ने जल्दी से अपने होंठ डॉली के होंठों पर रख दिए और चेतन को इशारा कर दिया।
चेतन ने कमर पर दबाव बनाकर एक झटका मारा.. लौड़ा चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ अन्दर घुस गया।
अभी एक इन्च ही घुसा था कि डॉली ‘गूं-गूं’ करने लगी… वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी। अभी तो उसकी सील भी नहीं टूटी थी.. बस लौड़ा जाकर सील से टच हुआ था।
चेतन ने कमर को पीछे किया और ज़ोर से आगे की ओर धक्का मारा। अबकी बार आधा लौड़ा सील को तोड़ता हुआ चूत में समा गया।
डॉली की तो आँखें बाहर को निकल आईं.. उसका सर चकराने लगा।
चेतन ने देरी ना करते हुए आधा लौड़ा पीछे खींचा और पूरी रफ्तार से वापस चूत में घुसा दिया। अबकी बार लौड़ा चूत की जड़ तक घुस गया था। चेतन की गोटियाँ डॉली के चूतड़ों से टकरा गई थीं।
डॉली तो सोच भी नहीं सकती थी कि अचानक उस पर दर्द का पहाड़ टूट पड़ेगा।
अभी बेचारी पहले के दर्द से ही परेशान थी कि 5 सेकंड में ही दूसरा तगड़ा झटका उसको मिल गया।
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और चीखें ऐसी कि अगर ललिता ने कस कर उसके होंठ अपने होंठों से ना भींचे होते.. तो शायद बाहर दूर-दूर तक उसकी आवाज़ पहुँच जाती।
चेतन लौड़ा जड़ तक घुसा कर अब बिल्कुल भी नहीं हिल रहा था और बस ऐसे ही पड़ा… डॉली के मम्मों को चूस रहा था।
लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा डॉली अब शान्त पड़ गई थी। तब ललिता बैठ गई और डॉली के सर पर हाथ घुमाने लगी।
डॉली- दीदी आहह.. अई उउउ उउउ प्लीज़.. मुझे बचा लो अई.. सर प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है आ.. निकाल लो आहह…
ललिता- अरे मेरी जान.. अब निकाल कर क्या फायदा.. तेरी सील तो टूट गई..
जितना दर्द होना था हो गया.. अब बस थोड़ी देर में तुझे मज़ा आने लगेगा और तू खुद कहेगी कि और ज़ोर से चोदो मुझे…
डॉली- आहह.. दीदी मुझे नहीं पता था इतना दर्द होगा वरना मैं कभी ‘हाँ’ नहीं करती आहह..
कुछ देर चेतन ने डॉली के मम्मों को चूसा तो डॉली को कुछ दर्द से राहत सी मिलती लगी।
चेतन- अरे रानी.. कुछ नहीं हुआ है, बस थोड़ी देर रुक जा.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. अब तुझे दर्द कम हुआ ना..
डॉली- आहह.. हाँ सर अब थोड़ा सा कम हुआ है।
चेतन अब धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा और डॉली के निप्पलों को चूसने लगा।
डॉली को दर्द तो हो रहा था.. वो सिसक रही थी मगर अब उसमें ना जाने कहाँ से हिम्मत आ गई थी.. बस वो चुपचाप चुद रही थी। 
दस मिनट तक चेतन धीरे-धीरे चोदता रहा।
अब डॉली का दर्द कम हो गया था और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी.. जिसके कारण लौड़ा आसानी से आगे-पीछे हो रहा था।
डॉली- आहह.. सर दर्द हो रहा है.. उई मेरी चूत में अई.. आह्ह.. कुछ हो रहा है.. उफ़फ्फ़ अई मेरा पानी छूटने वाला है.. उई ज़ोर से आहह.. ज़ोर से क..करो आह..
मौके का फायदा उठा कर चेतन अब रफ्तार से झटके मारने लगा था।
डॉली चरम सीमा पर थी और अब उसकी चूत ने लावा उगल दिया था.. उसका बदन झटके खाने लगा था। वो काफ़ी देर तक झड़ती रही.. मगर चेतन अब भी दे दनादन शॉट पर शॉट मार रहा था।
ललिता ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया.. वो भी एकदम गर्म हो गई थी।
चेतन- ओह्ह ओह्ह.. डॉली आहह.. क्या टाइट चूत है तेरी.. आह्ह… मज़ा आ गया.. लौड़ा बड़ी मुश्किल से आगे-पीछे हो रहा है आह्ह… डॉली आह..
लगभग 10 मिनट तक चेतन उसको चोदता रहा.. डॉली दोबारा गर्म हो गई।
उसकी चूत में अब दर्द के साथ-साथ मीठा-मीठा करंट भी दौड़ रहा था.. वो दोबारा चरम पर पहुँच गई थी और पहुँचती भी कैसे नहीं 8″ का लौड़ा ताबड़तोड़ उसकी चूत में आगे-पीछे हो रहा था।
डॉली- आह आह आह सर प्लीज़.. ज़ोर से आह्ह… मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है आआह आह्ह…
चेतन- आह.. ले मेरी दीपा रानी ओह्ह ओह्ह ओह्ह.. मेरा भी पानी निकलने वाला है.. आह्ह… आज तेरी चूत को पानी से भर दूँगा 18 सालों से ये प्यासी थी.. आज इसकी प्यास बुझा दूँगा आह्ह… आह…
चेतन के लौड़े से पानी की तेज धार निकली और डॉली की चूत की दीवारों से जा टकराई.. गर्म-गर्म वीर्य के अहसास से उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। अब दोनों शान्त पड़ गए.. दोनों के पानी का मिलन हो गया।
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09-04-2017, 04:02 PM,
#12
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
काफ़ी देर बाद चेतन को ललिता ने ऊपर से हटाया।
ललिता- चेतन अब उठो भी क्या ऐसे ही पड़े रहोगे.. बेचारी को सांस तो लेने दो।
चेतन जब ऊपर से हट कर बगल में हुआ.. तो बिस्तर पर खून लगा हुआ था।
उसका लौड़ा भी वीर्य और खून से लथपथ था।
डॉली को कोई होश ही नहीं था.. वो तो बस आराम से लेटी हुई थी।
ललिता- लो जी.. मज़ा आपने लिया और सज़ा मुझे मिली.. चादर पर खून लग गया.. अब मुझे ही साफ करनी पड़ेगी।
खून का नाम सुनते ही डॉली चौंक गई और जल्दी से उठने की कोशिश करने लगी.. मगर उससे उठा ही नहीं गया।
उसकी चूत में तेज़ दर्द हुआ और उसकी टाँगें भी जबाव दे गई थीं।

ललिता- अरे डॉली चौकों मत.. ऐसे झटके से मत उठो.. अभी तो चूत में दर्द है और ये खून तो शगुन का निकला है मेरी जान.. आज से तुझे चुदवाने का लाइसेंस मिल गया है।
डॉली- दीदी क्या इसी लिए मुझे इतना दर्द हुआ और बहुत ज़्यादा खून निकला है?
ललिता- अरे पागल.. थोड़ा सा निकला है.. चल मेरा हाथ पकड़ कर बैठ जा और खुद देख ले।
डॉली ने जब देखा तो उसको समझ आ गया कि घबराने की कोई बात नहीं है.. ज़रा सा खून निकला है।
चेतन- तुम दोनों बातें करो.. मैं बाथरूम में जाकर लौड़े को साफ करके आता हूँ।
ललिता- अच्छा जी.. चुदाई ख़तम तो मुँह फेर लिया.. अकेले ही कहाँ जा रहे हो मेरे राजा.. डॉली की चूत कौन साफ करेगा.. चलो इसको भी उठाओ और साथ लेकर जाओ।
डॉली- नहीं दीदी.. मैं खुद से चली जाऊँगी.. सर को जाने दो।
दोस्तों चुदाई का खुमार उतारते ही डॉली को शर्म आने लगी थी.. वो पाँव को सिकोड़ कर बैठी थी।
ललिता- ये देखो चूत में 8″ की खाई खुदवा कर अब इसे शर्म आ रही है.. तब तो बड़ा उछल रही थी.. आह्ह… ज़ोर से करो सर.. तब शर्म नहीं आई?
डॉली ने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया।
डॉली- दीदी प्लीज़.. वो सब बातें मत दोहराओ.. मुझे तो सोच कर ही शर्म आ रही है.. छी: ये मैंने क्यों किया? ये सब वो भी सर के साथ…
चेतन- अनु लगता है इसकी शर्म उतारनी ही पड़ेगी। तू जा कुछ खाने का इंतजाम कर.. तब तक हम फ्रेश हो जाते हैं और हाँ.. ऐसे ही नंगी जाना।
ललिता गाण्ड को मटकाती हुई वहाँ से चली गई।
चेतन बिना कुछ बोले डॉली के पास गया और उसको बांहों में उठा कर बाथरूम में ले गया..
वहाँ उसको कमोड पर बैठा कर बाथटब में गर्म पानी डाला और उसी गर्म पानी से हल्के-हल्के हाथ से डॉली की चूत पर लगा खून साफ किया।
डॉली- आह्ह… सर मैं कर लूँगी.. आह्ह… आप रहने दो.. उई दुखता है…
चेतन- अरे जान.. अब ये सर को गोली मारो.. अनु मुझे राजा कहती है.. तुम भी ऐसे ही कहो और अब कैसी शर्म.. मुझे करने दो.. थोड़ी देर में आराम मिल जाएगा।
इसके बाद डॉली कुछ ना बोली और बस चेतन को चूत साफ करते हुए देखती रही।
फिर ना जाने उसको क्या समझ में आया कि अपने हाथ पर पानी डाल कर वो चेतन के लौड़े को साफ करने लगी।
उसका अंदाज इतना प्यारा और सेक्सी था कि चेतन के सोए लंड में जान आ गई और वो फिर से अकड़ने लगा।
डॉली- ऊ माँ.. ये तो फिर से खड़ा हो गया…
चेतन- सोए हुए नाग को जगाओगी तो फुंफकार ही मारेगा ना…
डॉली- ओह्ह.. सर आप भी ना…
चेतन- अरे अभी बताया ना.. राजा बोलो.. जानू बोलो यार…
डॉली- ओके ओके बाबा.. अब से राजा नहीं.. राजा जी कहूँगी.. मगर अब इसका क्या करना है.. ये तो तनता ही जा रहा है।
चेतन- यार भूखे को सिर्फ़ एक निवाला देकर रुक जाओगी तो उसकी तो भूख और बढ़ जाएगी ना.. और वो एकदम बेसब्र हो जाएगा.. बस इसी तरह मेरे प्यासे लौड़े को एक बार कच्ची चूत देकर तुम रुक गईं.. अब ये तो फुंफकार ही मारेगा ना…
डॉली- ना बाबा ना.. अब मैं नहीं दूँगी.. पहले ही बहुत दर्द से लिया मैंने.. अब तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
चेतन- अरे मेरी जान.. दर्द पहली बार में ही होता है और तुम तो 18 साल की हो यार.. इतनी उम्र की और लड़कियाँ भी चुद जाती हैं.. उनको कितना दर्द होता होगा.. जरा सोच कर देख.. तू तो बच्चा भी पैदा कर सकती है यार.. पहले जमाने में तेरी उम्र में 2 बच्चे हो जाते थे।
डॉली- सच्ची ओह्ह.. माँ.. पहले कितनी जल्दी शादी कर देते थे ना.. बाल-विवाह.. अच्छा हुआ अब ऐसा नहीं होता…
चेतन- ये सब बातें जाने दे.. चल टब में बैठ जा.. गर्म पानी से चूत को अच्छे से सेंक ले.. ये सब बातें फ़ुर्सत में करेंगे.. मैं बाहर जाकर ललिता को देखता हूँ.. इतनी देर से वो क्या कर रही है।
हाय दोस्तो.. क्यों मज़ा आ रहा है ना.. डॉली की चुदाई में..
अरे नहीं नहीं कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई मैं ऐसे ही आपसे बात करने आ गई..
प्लीज़ दोस्तो, कहानी का मज़ा लो…
पर मुझे गंदे मैसेज भेजना बन्द करो.. थैंक्स…
आओ दोबारा कहानी की तरफ ले चलती हूँ:
चेतन वहाँ से निकल कर सीधा रसोई में गया।
ललिता ट्रे में कुछ चिप्स और बिस्कुट रख रही थी..
चाय भी रेडी थी।
चेतन चुपके से उसके पीछे जाकर उससे चिपक गया, लौड़ा ठीक गाण्ड के छेद पर टिका हुआ था और आगे से चेतन उसके मम्मों को दबाने लगा।
ललिता- ओह्ह.. क्या करते आप भी.. अभी सब नीचे गिर जाता.. छोड़ो भी।
चेतन- जान आज तो बड़ी मस्त लग रही हो.. मन करता है ऐसे खड़े-खड़े ही तुम्हारी गाण्ड मार लूँ…
ललिता- बस बस.. मुझे ज़्यादा उल्लू मत बनाओ.. तुम्हें डॉली जैसी मस्त लड़की मिल गई.. अब कहाँ मेरे बारे में सोचोगे।
चेतन- अरे नहीं अनु.. ऐसा कुछ नहीं है तुम तो मेरी जान हो.. डॉली तो आज आई है.. मैं तो तुम्हें कब से चाहता हूँ और जिंदगी भर चाहता रहूँगा.. ऐसी किसी भी लड़की के आ जाने से मेरे प्यार में कोई फ़र्क नहीं आएगा।
ललिता- अच्छा अच्छा.. ज़्यादा दु:खी मत हो.. मैंने ऐसे ही बोल दिया था.. मैं कहाँ भाग कर जा रही हूँ.. जब चाहे चोद लेना.. अभी तो उस कमसिन कली के मज़े लो।
चेतन- कहाँ यार.. वो तो अब साफ मना कर रही है।
ललिता- अरे मेरे भोले राजा.. जब चूत को एक बार लंड की लत लग जाती है ना.. तो कुछ भी हो जाए उसको लौड़ा लिए बिना चैन नहीं मिलता.. वो शर्मा रही है.. बस देखो अभी कैसे उसको तैयार करती हूँ.. तुम तो आज बस उसको चोद-चोद कर लंड की आदी बना दो ताकि मैं कभी गाँव जाऊँ तो तुम्हें तड़पना ना पड़े.. अपने आप वो चुदवाने चली आए.. समझे…
चेतन- हाँ ये तो ठीक है मगर अभी कहाँ वो चुदवाएगी.. उसका जाने का वक्त भी हो गया है।
ललिता- मेरे पास एक तरकीब है.. चलो अन्दर जाकर बताती हूँ।
दोनों वहाँ से वापस कमरे में आ जाते हैं, तब तक डॉली भी अच्छे से चूत की सिकाई करके नहा कर रूम में आ जाती है।
डॉली वैसे ही नंगी बैठी हुई अपनी चूत को देख रही थी।
ललिता- क्या बात है बहना.. चूत को बड़ी गौर से देख रही हो.. क्या इरादा है?
डॉली- कुछ नहीं.. बस देख रही हूँ कि कैसे सूज कर लाल हो गई है.. दर्द अब भी हो रहा है।
ललिता- एक बार और चुदवा ले.. सारा दर्द भाग जाएगा और मज़ा भी मिल जाएगा।
डॉली- नहीं दीदी.. आज के लिए इतना काफ़ी है.. अब मुझे जाना होगा मम्मी इन्तजार कर रही होंगी।
ललिता- डॉली तेरी मम्मी को पता है ना.. तू कहाँ पढ़ने आती है।
डॉली- हाँ मैंने बताया है और खास आपके बारे में बताया है कि कैसे आप मेरा ख्याल रखती हो।
ललिता- वेरी गुड.. अब चल जल्दी से अपने घर का फ़ोन नम्बर दे। 
डॉली- क्यों दीदी.. आप क्या करोगी?
ललिता- अरे पगली ऐसी हालत में घर जाएगी तो तेरी माँ को शक हो जाएगा.. तू एक-दो घंटा यहाँ रुक.. मेरे पास दर्द की दवा है.. तुझे दूँगी… तू जब एकदम बराबर सही से चलने लगेगी.. तब जाना।
डॉली- वो तो ठीक है.. पर फ़ोन नम्बर से क्या होगा?
ललिता- तू सवाल बहुत करती है.. नम्बर दे, अभी पता चल जाएगा।
डॉली से नम्बर लेकर ललिता उसके घर फोन करती है। 
वो कहते हैं ना देने वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।
ललिता- हैलो मैं ललिता बोल रही हूँ, वो आंटी क्या है ना कि मेरे पति किसी काम से बाहर गए हैं, मैं घर पर अकेली हूँ, मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है.. आप को ऐतराज ना हो तो डॉली थोड़ा बाद में आ जाएगी।
डॉली की मम्मी- अरे नहीं नहीं.. ललिता बेटी… मुझे क्या दिक्कत होगी… बल्कि तुमने फ़ोन करके मेरी बहुत बड़ी परेशानी ख़त्म कर दी.. दरअसल मेरे भाई की तबीयत खराब है.. मुझे और डॉली के पापा को गाँव जाना था, मगर डॉली के कारण मुश्किल हो रही थी। इसके इम्तिहान करीब हैं इसको साथ नहीं ले जा सकते.. और यहाँ अकेली किसी के पास छोड़ नहीं सकते.. अब मेरी दिक्कत ख़तम हो गई.. तुमको परेशानी ना हो तो प्लीज़ एक दिन इसे अपने पास रख लो.. बड़ी मेहरबानी होगी तुम्हारी.. कल शाम तक हम आ जाएँगे।
ललिता- अरे आंटी आप ये कैसी बात कर रही हो… डॉली मेरी छोटी बहन जैसी है, आप चिंता मत करो.. मैं संभाल लूँगी।
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09-04-2017, 04:03 PM,
#13
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
डॉली की मम्मी- अच्छा सुनो.. सुबह इसे जल्दी उठा देना स्कूल के लिए तैयार होने में इसे बहुत वक्त लगता है और इसका बैग और ड्रेस तो यहीं है प्लीज़ तुम सुबह इसके साथ आ जाना मैं घर की चाबी गमले में रख दूँगी डॉली को पता है कहाँ है गमला…
ललिता- ओके आंटी.. जरूर.. आप बेफिकर रहो।
डॉली को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर क्या हो रहा है।
उसने जब अपनी मम्मी से बात की तब उसको समझ आया और उसने भी ‘हाँ कह दी- आप बेफिकर होकर जाओ दीदी बहुत अच्छी हैं.. मुझे कोई परेशानी नहीं होगी।
चेतन को अभी भी कुछ समझ नहीं आया था.. वो बस दोनों को देख रहा था।
फ़ोन रखने के बाद चेतन ने ललिता से पूछा- क्या हुआ?
ललिता- मेरे राजा आपकी किस्मत बहुत अच्छी है.. मैंने तो सोचा डॉली को एक घंटा और रोक लूँ.. ताकि आपको एक बार और इसकी मचलती जवानी को भोगने का मौका मिल जाए.. मगर भगवान ने तो इसे कल शाम तक यहीं रोक दिया अब तो सारी रात आप इसके साथ रासलीला कर सकते हो।
डॉली- छी: .. दीदी आप भी ना कितनी गंदी बातें करती हो और आपने झूट क्यों बोला कि दवा दोगी मुझे.. आपका इरादा तो कुछ और ही है।
ललिता- अरे नहीं मैंने कोई झूट नहीं बोला तुमसे.. दवा तो अब भी दूँगी.. पहले नास्ता तो कर लो और हाँ चेतन के साथ चुदाई तो दवा लेने के बाद भी कर सकती हो यार.. मौका मिला है तो इस पल को अच्छे से एंजाय करो ना.. चल अब नास्ता कर ले बाकी बातें बाद में होती रहेंगी।
तीनों नंगे ही बैठे नाश्ता करने लगे.. उनको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई आदिवासी कबीले के लोग हैं जिनको कपड़े क्या होते हैं.. पता ही नहीं है.. उनमें कोई शर्म नहीं थी।
नाश्ता करते हुए डॉली ने ललिता से कहा।
डॉली- दीदी एक बात अभी तक समझ नहीं आई.. सर आपके पति हैं फिर भी आपको कोई ऐतराज नहीं कि ये मेरे साथ सेक्स कर रहे हैं बल्कि आप खुद इनसे मुझे चुदवा रही थीं.. ऐसा क्यों?
ललिता- अरे डॉली.. मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ जो पति को पल्लू से बाँध कर रखती हैं। तुमको नहीं पता उनके पति उनसे छुपकर कहीं ना कहीं मुँह काला करते हैं और उनको प्यार भी दिखावे का करते हैं मगर मेरा चेतन मुझ पर जान छिड़कता है.. इसी लिए मुझे भी अपने पति का ख्याल है.. लौड़े का तो कोई नुकसान होता नहीं है.. कितनी भी चूत मार लो.. तो मुझे क्या दिक्कत.. और इसमें मेरा एक और फायदा है.. कभी अगर मेरे मन में ना हो तो पति को नाराज़ नहीं करूँगी.. सीधा तुम्हें बुला लूँगी.. तुम चुदवा लेना इससे चेतन भी खुश.. मैं भी खुश।
डॉली- और मेरी ख़ुशी का क्या?
चेतन- अरे मेरी जान.. तेरी ख़ुशी के लिए ये लौड़ा है ना.. तू जब चाहे इसको अपनी चूत में डाल लेना हा हा हा हा…
चेतन के साथ ललिता भी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।
डॉली- उहह सबको अपनी पड़ी है.. जाओ नहीं चुदवाती में.. अब क्या कर लोगे तुम.. दीदी आप बहुत गंदी हो अपने मतलब के लिए मुझे इस्तेमाल किया आपने।
ललिता- अरे रे रे.. तू तो बुरा मान गई.. कसम से मैं तो मजाक कर रही थी यार.. तुझे सब अच्छे से समझ आ जाए और तू भी मज़ा ले सके.. बस इसलिए मैंने ये किया…
डॉली- हा हा हा हा निकल गई ना हवा.. जब मुझे छेड़ रहे थे दोनों.. तब बड़ा मज़ा आ रहा था.. मैंने थोड़ा सा गुस्सा होने का नाटक किया तो आप डर गईं।
चेतन- ले अनु तुझे नहले पे देल्हा मार दिया इसने…
ललिता- हाँ वाकयी में एक बार तो मैं डर गई थी।
डॉली- नहीं दीदी.. आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है.. आपने जो किया अच्छा किया.. अब हम दोनों राजा जी से चुदाएंगे.. बड़ा मज़ा आएगा…
ललिता- ओये होये राजा जी.. क्या बात है अब तक तो सर बोल रही थी.. तेरी चूत की सील तोड़ते ही सीधे राजा जी.. गुड.. आगे खूब तरक्की करोगी तुम…
चेतन- डॉली ऐसी सेक्सी बातें करोगी तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा देख मेरे लौड़े में तनाव आने लगा है.. अब नास्ता भी हो गया.. आजा मेरी जान तेरी चूत का स्वाद चखा दे मेरे लौड़े को…
डॉली- सब्र करो पहले मुझे दवा तो लेने दो वरना फिर से मेरी जान निकल जाएगी।
ललिता- अरे हाँ.. पहले दवा ले ले उसके बाद चुदाई का मज़ा लेना.. चुदाई करवा के आराम से सो जाना…
चेतन- अनु तुम भी कहाँ सोने की बात कर रही हो.. ऐसी कमसिन कली साथ होगी तो नींद किसे आएगी.. आज तो सारी रात बस इसकी चूत में लौड़ा डालकर पड़ा रहूँगा।
ललिता- अच्छा बच्चू.. और मेरा क्या होगा.. कब से मेरी चूत में खुजली हो रही है…
डॉली- दीदी मेरे बाद आप चुदवाना.. प्लीज़ मुझे आपकी चुदाई देखनी है…
ललिता- ठीक है देख लेना.. अच्छा रुक मैं तुझे दवा देती हूँ। उसके बाद तुम दोनों मज़े करना.. मुझे बाजार जाना है एक जरूरी काम है।
ललिता ने एक गोली डॉली को दे दी और जाने लगी।
डॉली- नहीं दीदी आप यहीं रहो ना प्लीज़…
ललिता- अरे पगली बस अभी जाकर आती हूँ कुछ समान लाना है.. अभी लेकर आ जाती हूँ और कुछ खास काम भी है.. आकर तुझे बताऊँगी।
डॉली बुझे मन से ललिता को जाने देती है। ललिता के जाने के बाद चेतन उसके पास बैठ जाता है और उसके मम्मों को सहलाने लगता है।
चेतन- क्या हुआ रानी.. ललिता के जाने से खुश नहीं हो क्या.. मैं हूँ ना.. तुम्हारा ख्याल रखने को…
डॉली- नहीं सर.. ओह्ह.. सॉरी.. राजा जी ऐसी बात नहीं है मैं खुद यही चाहती हूँ कि दीदी कहीं चली जाए और मैं आपसे खुलकर बात कर सकूँ.. पर दीदी के बारे में सोच कर दुखी हूँ.. कोई तो बात है जिसके कारण वो अपने पति को किसी अनजान से चुदवाते देख रही हैं कहीं उनकी कोई मजबूरी तो नहीं?
चेतन- ओ बेबी कूल.. ऐसा कुछ नहीं है.. हम दोनों में कोई ऐसी बात नहीं है तुम गलत समझ रही हो.. वो किसी मजबूरी में नहीं बल्कि ख़ुशी से ये सब कर रही है।
डॉली के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए और वो चेतन से लिपट गई।
चेतन- ये हुई ना बात अब चल जब तक ललिता आए हम एक बार और खुलकर चुदाई का मज़ा ले लेते हैं.. कसम से तेरी चूत बहुत दमदार है साली लौड़े को ऐसे जकड़ लेती है जैसे कभी छोड़ेगी ही नहीं।
डॉली- आप भी दीदी की तरह बेशर्म हो।
चेतन- अरे रानी.. अगर चुदाई का मज़ा लेना है ना.. तो जितना हो सके, गंदी बातें करो.. बेशर्मी में जो मज़ा है.. वो और कहीं नहीं.. अगर यकीन नहीं आता तो आजमा लो और देखो कितना मज़ा आएगा।
डॉली- मैंने उस स्टोरी में ये सब पढ़ा था.. चलो मैं ट्राइ करती हूँ।
चेतन- हाँ ठीक है.. मैं भी तुम्हारा साथ दूँगा।
डॉली- अरे मेरे चोदूमल आ जा देख तेरे इन्तजार में कैसे चूत टपक रही है.. जल्दी से अपने लौड़े को घुसा दे और मेरी चूत को ठंडा कर दे हा हा हा हा हा मुझसे नहीं होगा कुछ भी हा हा हा।
चेतन- अरे हँस मत.. अच्छा बोल रही थी तू.. प्लीज़ जान बोलो ना.. मज़ा आएगा।
डॉली- ओके ओके.. आप पहले मेरे इस डायलाग का तो जबाव दो।
चेतन- अरे जानेमन.. अभी देख कैसे मैं अपने लंबे लौड़े से तेरी चूत की गर्मी निकालता हूँ।
डॉली फिर ज़ोर से हँसने लगी इस बार चेतन भी उसके साथ हँसने लगा और हँसते-हँसते उसने डॉली को बांहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा।
डॉली भी उसका साथ देने लगी।
अब दोनों हँसी-मजाक से दूर काम की दुनिया में खो गए थे।
चेतन उसके निप्पलों को चूस रहा था तो वो अपने हाथ से उसके लौड़े को दबा रही थी।
डॉली- आह्ह… उफ्फ.. आपका ये अंदाज बहुत अच्छा लगता है.. उई आह्ह… ऐसे ही चूसो.. मज़ा आ रहा है आह्ह… मुझे आपका लौड़ा चूसना है.. पता नहीं क्यों मेरे मुँह में पानी आ रहा है और मन कर रहा है लौड़ा चूसने को…
चेतन- मेरी जान मुझे भी तो अपनी कमसिन चूत का मज़ा दो.. चलो तुम मेरे ऊपर आ जाओ.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दो और तुम आराम से लौड़ा चूसो।
दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मज़े से चुसाई करने लगे।
डॉली की सूजी हुई चूत को चेतन की जीभ से बड़ा आराम मिल रहा था।
वो एकदम गर्म हो गई थी और टपकने लगी थी.. इधर चेतन पर भी चुदाई का खुमार चढ़ने लगा था.. पानी की बूँदें तो उसके लौड़े से भी आ रही थीं क्योंकि डॉली होंठों को भींच कर मुँह को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी जिससे चेतन को बड़ा मज़ा आ रहा था।
दस मिनट तक ये खेल चलता रहा। चेतन ने चूत को चाटना बन्द किया और डॉली को हटने को कहा।
डॉली- उफ्फ.. कितना मज़ा आ रहा था क्या हुआ हटाया क्यों.. आपके लौड़े में क्या मज़ा है.. सच्ची.. दिल करता है बस चूसती रहूँ।
चेतन- अरे चूस लेना मेरी जान.. पहले इसको चूत का मज़ा लेने दे.. साली तेरी टाइट चूत को पहले चोद-चोद कर ढीला कर दूँ.. उसके बाद जितना मर्ज़ी लौड़ा चूसना.. चल अब तू घोड़ी बन जा.. तुझे नए तरीके से चुदना सिखाता हूँ।
डॉली- हाँ मज़ा आएगा.. मैंने डीवीडी में देखा था.. चलो मैं घोड़ी बन जाती हूँ.. पर आराम से डालना.. मुझे मज़ा लेना है.. प्लीज़ दर्द मत देना।
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09-04-2017, 04:03 PM,
#14
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
चेतन- अरे मेरी जान तूने लौड़े को चूस कर इतना चिकना कर दिया है कि तेरी चूत में फिसलता हुआ सीधा अन्दर जाएगा।
डॉली घुटनों के बल घोड़ी बन जाती है मगर अनुभव ना होने क कारण कमर को काफ़ी उँचा कर लेती है।
चेतन- अरे जान तू घोड़ी की जगह ऊँठ बन गई.. कमर को नीचे कर.. ताकि तेरी चूत में लौड़ा आराम से जाए…
चेतन ने उसको ठीक से बताया तब वो सही आसन में आई।
चेतन ने लौड़े को चूत के मुँह पर रख कर धीरे से धक्का मारा.. आधा लौड़ा चूत में ‘पक्क’ से घुस गया।
डॉली- आआह्ह… आराम से डालो ना.. दुःखता है आह्ह…
चेतन- मेरी जान जब तक तू दो-तीन बार मुझसे चुदवा नहीं लेगी.. ये दर्द होता रहेगा.. अब इससे धीरे मुझसे नहीं होगा, चल थोड़ा बर्दाश्त कर ले.. मैं पूरा डालता हूँ.. उसके बाद आराम से झटके मारूँगा।
चेतन ने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और धीरे-धीरे झटके मारने लगा। लगभग 5 मिनट बाद डॉली को दर्द कम हुआ और उसको मज़ा आने लगा।
डॉली- आ.. आह उहह.. राजा जी आह्ह… अब मज़ा आ रहा है.. पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर एक साथ अन्दर डालो आह्ह… मेरी चूत में बड़ी खुजली हो रही है।
चेतन- अभी ले मेरी रानी तेरी चूत बहुत टाइट है साली.. ऐसी नुकीली चूत चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है.. ले ओह्ह ओह्ह और ले आह्ह… मज़ा आ गया मेरा लौड़ा आह्ह… साली चूत को टाइट मत कर आह्ह… लौड़ा आगे-पीछे करने में दुःखता है आह्ह…
डॉली- आआह्ह… आईईइ उहह.. ससस्स चोदो आह्ह… अई कककक ज़ोर-ज़ोर से आह्ह… चोदो मज़ा आ रहा है मेरे लौड़ूमल आह्ह… मज़ा आ रहा है।
चेतन पर अब जुनून सवार हो गया वो सटासट लौड़ा पेलने लगा। अब उसकी रफ्तार बढ़ गई थी.. डॉली भी गाण्ड को पीछे झटके दे कर चुद रही थी। कोई 15 मिनट बाद डॉली का रस निकल गया चेतन भी झड़ने के करीब था।
आख़िर डॉली की गर्म चूत में उसका लौड़ा ज़्यादा देर तक टिका नहीं रह सका उसने भी दम तोड़ दिया.. चूत का कोना-कोना पानी से भर गया।
पानी निकाल गया मगर चेतन ने लौड़ा अब भी बाहर नहीं निकाला और डॉली की गाण्ड सहलाने लगा।
डॉली- उफ़फ्फ़ राजा जी.. आप तो बड़े मस्त चोदते हो.. मेरी टाँगें दु:खने लगी हैं.. अब तो लौड़ा निकाल लो.. अब क्या इरादा है।
चेतन- जान तेरी गाण्ड भी बहुत मस्त है… सोच रहा हूँ अबकी बार तेरी गाण्ड ही मारूँ.. साली क्या मक्खन जैसी चिकनी गाण्ड है.. बड़ा मज़ा आएगा इसे मारने में।
डॉली- अभी तो लौड़ा बाहर निकालो बाद की बाद में देख लेना और गाण्ड कैसे मारोगे.. इसमें कैसे लौड़ा जाएगा? चेतन एक तरफ सीधा लेट गया.. डॉली उसके सीने पर सर रख कर उसके लौड़े को देखने लगी.. जो अब ढीला हो गया था।
चेतन- मेरी जान जैसे चूत में जाता है उसी तरह गाण्ड में भी चला जाएगा.. तू बस देखती जा मैं कैसे-कैसे तुझे चोदता हूँ।
डॉली- हाँ मेरे राजा जी.. अब तो मैं आप की हूँ जैसे चाहो चोद लेना.. सच में अगर पहले पता होता कि चुदाई में ऐसा मज़ा मिलता है.. तो कब की अपनी चूत चुदवा लेती मैं.. अच्छा एक बात पूछू?
चेतन- हाँ रानी पूछो।
डॉली- ये लौड़ा अभी कितना नर्म हो गया है और छोटा भी.. मगर चोदने के वक्त कैसे लंबा और कड़क हो जाता है.. ये बात मेरी समझ में नहीं आई।
चेतन- अरे ये तो साधारण सी बात है देखो ये इसकी असली अवस्था है.. जब आदमी के दिमाग़ में कोई गंदी बात आती है या वो कुछ ऐसा देख ले जिससे उसकी उत्तेजना जाग जाए.. तब दिमाग़ इसे आदेश देता है और इसकी नसें अकड़ने लगती हैं या यूँ कहो.. लंड में तनाव आने लगता है।
डॉली- अच्छा तो कुछ गंदा सोचने या देखने से ही ये अकड़ता है क्या?
चेतन- नहीं.. इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं.. जैसे किसी ने इसे सहला दिया हो या किसी लड़की के साथ जाँघ से जाँघ मिला कर बैठने से भी इसमें तनाव आ जाता है.. कई बार तो आदमी को पता भी नहीं चलता कि ये क्यों खड़ा है.. बस इसके संपर्क में कोई भी लड़की या औरत आ जाए तो इसका तनाव शुरू हो जाता है।
डॉली- अच्छा अगर कोई भी पास ना हो.. दिमाग़ में कोई गंदी बात भी ना हो, तब तो ये सोया ही रहता है ना…
चेतन- नहीं.. एक और बड़ा कारण है जिसकी वजह से ये खड़ा हो जाता है। देखो हफ्ते या दस दिन में अगर वीर्य बाहर नहीं निकाला जाता तो रात को सोते हुए ये खड़ा हो जाता है और वीर्य बाहर फेंक देता है.. उसे नाइट-फाल या स्वप्नदोष कहते हैं।
डॉली- बापरे ये तो बहुत शैतान है.. इसको तो बस किसी ना किसी बहाने खड़ा होना है.. वैसे एक बात है.. इन दो दिनों में मुझे बहुत ज्ञान की बातें पता चल गई हैं थैंक्स सर.. जो अपने मेरी इतनी मदद की।
चेतन- अरे मैंने कहा ना सर नहीं बोलो राजा जी अच्छा था..
डॉली- नहीं.. मुझे कभी-कभी सर बोलने दो.. वरना स्कूल में कहीं मुँह से राजा जी निकल गया तो मामला बिगड़ जाएगा।

चेतन- हाँ बात तो सही है।
डॉली- अच्छा एक बात और बताओ.. ये एक दिन तो में यहीं हूँ.. उसके बाद अगर मेरी चुदने की इच्छा हुई तो मैं क्या करूँगी? 
चेतन- अरे मेरी रानी में हूँ ना.. जब चाहो आ जाना.. मेरा लौड़ा हमेशा तेरी चूत के लिए खड़ा रहेगा।
डॉली- और दीदी का क्या होगा? मुझे तो अब भी बहुत अजीब लग रहा है कि वो कैसे अपने पति को किसी अनजान लड़की से चुदाई की इजाज़त दे रही है।
चेतन- अरे उसकी चिंता तुम मत करो वो तो रोज रात को चुदवाती है.. तुम शाम को आ जाना.. मैं तेरी चूत को ठंडा कर दूँगा.. वैसे ललिता के ऐसा करने में उसका कोई ना कोई स्वार्थ तो जरूर है और देख लेना वक़्त आने पर वो जरूर बता देगी.. अब तू ज़्यादा सोच मत बस मजे ले।
डॉली बड़े प्यार से चेतन के लौड़े को सहला रही थी और बातें कर रही थी। करीब आधा घंटा दोनों वैसे ही लिपटे बातें करते रहे।
डॉली- सर देखो.. इसमें तनाव आने लगा है।
चेतन- तो इसमें देखने की क्या बात है.. तेरे मुलायम हाथ कब से इसे सहला रहे हैं तनाव तो आएगा ही.. अरे मैं तो जवान हूँ अगर तू ऐसे किसी बूढ़े का लौड़ा सहलाती ना.. तो उसमें भी जान आ जाती।
डॉली- क्यों बूढ़े आदमी का खड़ा नहीं होता क्या?
चेतन- होता तो है मगर बहुत ज़्यादा उत्तेजित होने पर.. वरना नहीं और वैसे भी बूढ़े लौड़े में कसाव कहाँ होता है.. अगर ग़लती से खड़ा भी हो जाए तो क्या कर लेगा.. चुदाई करना उनके बस में नहीं.. इसके लिए घुटनों में जान होनी चाहिए.. कोई बूढ़ा अगर झटके मारेगा तो साले के घुटने में दर्द हो जाएगा या कमर अकड़ जाएगी हा हा हा हा…
दोनों खिलखिला कर हँसने लगे.. चेतन का लौड़ा अब अपने विकराल रूप में आ गया था, जिसे देख कर डॉली के मुँह में पानी आने लगा और उसने झट से लौड़े को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
तभी ललिता वापस आ गई।
ललिता- वाह क्या बात है.. मुझे गए हुए कितना वक्त हो गया.. मैंने सोचा अब तक तो तुम दोनों मज़े से चुदाई करके थक गए होगे.. मगर यहाँ तो अभी तक लौड़ा चूसा जा रहा है.. इतनी देर क्या भजन गा रहे थे।
चेतन- अरे आओ आओ.. मेरी जान.. तुम वहीं खड़ी बोलती रहोगी क्या.. यहाँ बिस्तर पर तो आओ।
ललिता- क्या चेतन.. आप भी ना.. अब इसे लौड़ा चुसा रहे हो.. चोदोगे कब?
इतने वक्त तक क्या कर रहे थे.. कम से कम एक बार तो आपको चोद ही लेना चाहिए था ना…
डॉली ने लौड़ा मुँह से बाहर निकाला और थोड़े गुस्से में बोली।
डॉली- क्या दीदी आप भी बिना बात सुने.. बोले जा रही हो.. सर ने मुझे घोड़ी बना कर चोदा है.. ये तो सर का लौड़ा दोबारा खड़ा हो गया.. इसलिए बस चूस कर मज़ा ले रही थी कि अपने सब चौपट कर दिया।
ललिता- ओह्ह.. तो ये बात है.. घोड़ी बन कर चुद चुकी हो.. हाँ और अब भी तेरी प्यास मिटी नहीं कि दोबारा लौड़े को चूस कर तैयार कर रही हो.. क्या बात है लगता है दवा असर कर गई.. तेरा दर्द ख़तम हो गया क्या?
डॉली- हाँ दीदी आज ही तो चुदना सीखा है.. इतनी जल्दी थोड़े ही मेरी प्यास मिटेगी.. अब दर्द काफ़ी कम है पहली बार तो दर्द हुआ दूसरी बार थोड़ा मज़ा आया.. अबकी बार तो और ज़्यादा मज़ा आएगा ना..
चेतन- हाँ मेरी छोटी रानी… तू सही बोली.. चुदाई का मज़ा हर बार बढ़ कर ही आता है।
ललिता- बस भी करो.. तुम दोनों चुदाई का मज़ा लेते रहोगे तो क्या मैं बेलन घुसाऊँगी अपनी चूत में… चेतन एक बार तो मेरी भी चूत मार लो यार.. उसके बाद तुम्हारे लौड़े में दम नहीं रहेगा।
चेतन- अरे मेरी जान.. एक बार क्यों चल दो बार तेरी मारूँगा.. उसके बाद इसको चोदूँगा और तुझे क्या पता मेरे लौड़े में कितना दम है.. आज तो पूरी रात ये ऐसे ही खड़ा रहेगा.. चल आजा तेरी चूत की खुजली भी मिटा देता हूँ।
डॉली- हाँ दीदी.. मुझे भी आपकी चुदाई देखनी है.. अब तो आप आ ही जाओ बस।
ललिता- अरे अभी नहीं रात को चुदवाऊँगी यार.. अभी खाना भी बनाना है…
डॉली- दीदी खाना बाद में बना लेना ना.. प्लीज़ आ भी जाओ।
चेतन- हाँ अनु.. अब तो आ जाओ.. देखो मेरा लौड़ा भी कैसे तन कर फुंफकार मार रहा है।
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09-04-2017, 04:04 PM,
#15
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
ललिता ने अब आने में ही भलाई समझी वो झट से नंगी हो गई और बिस्तर पर आ गई।
ललिता- लो आ गई.. मगर पहले मुझे गर्म तो करो.. ऐसे मज़ा नहीं आएगा।
चेतन अरे मेरी जान इसकी फिकर तू क्यों करती है… मैं हूँ ना.. तू बस सीधी लेट जा.. डॉली ज़रा अपनी दीदी की चूत तो चाट.. मैं इसके मम्मों का रस पीता हूँ।
डॉली ख़ुशी-ख़ुशी चूत को चाटने लगी।
इधर चेतन ललिता के निप्पल को चुटकी से दबाने और चूसने लगा।
दोहरी चुसाई से ललिता जल्दी ही गर्म हो गई.. उसकी चूत से अब पानी आने लगा, जिसे डॉली जीभ से चाट रही थी।
ललिता- उहह उहह.. सस्स.. आह.. चेतन आह्ह.. अब बस आह्ह.. बर्दाश्त नहीं होता.. डाल दो अपना लौड़ा.. मेरी चूत में आह्ह.. मेरी चूत जलने लगी है उफ्फ…
चेतन सीधा लेट गया और ललिता को कहा- मेरी जान.. आज तू लौड़े पर बैठ कर चुद.. डॉली को भी सीख दे कि कैसे लौड़े पर कूदना चाहिए।
ललिता- हाँ मेरे राजा.. ऐसे ही चुदाई में मज़ा आएगा.. लाओ पहले लौड़े को चूस कर गीला तो कर दूँ।
डॉली- नहीं दीदी ये काम मेरा है.. हटो मुझे चूसने दो.. आप नहीं जानती.. मुझे लौड़ा चूसने में कितना मज़ा आता है।
उसकी बात सुनकर ललिता और चेतन दोनों ही के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। डॉली लौड़े को चूस कर मज़ा लेने लगी। 
जब 2 मिनट तक वो हटी नहीं तो..

ललिता- बस भी कर बहना.. इसको चूस कर गीला करना है.. इसका पानी नहीं निकालना है.. चल हट.. मेरी चूत की खुजली बढ़ने लगी है।
डॉली के हटने के बाद ललिता लौड़े पर बैठ गई। फच.. की आवाज़ के साथ पूरा लौड़ा चूत में समा गया।
चेतन- उफ़फ्फ़.. अनु तुझे कितनी बार चोदा है.. मैंने मगर हर बार लौड़ा चूत में घुसेड़ते ही एक अलग ही मज़ा आता है।
ललिता- हाँ मेरे राजा.. मुझे भी आपका लौड़ा हर बार अलग ही मज़ा देता है।
डॉली- आप दोनों को तो मज़ा आ रहा है.. अब चुदाई शुरू करो ताकि मैं भी मज़ा ले सकूँ.. चुदकर नहीं तो देखकर ही मन बहला लूँगी।
चेतन- अरे मेरी छोटी रानी.. तू उदास क्यों होती है.. चल मेरे पैरों के बीच लेट जा.. जब लौड़ा चूत में अन्दर-बाहर होगा.. तू मेरी गोटियाँ चूसना और लौड़े पर भी जीभ टच करना.. बड़ा मज़ा आएगा।
डॉली को ये तरीका बहुत पसन्द आया वो झट से चेतन की टांगों के बीच लेट गई और गोटियाँ चूसने लगी।
इधर अब ललिता भी गाण्ड उठा-उठा कर चुद रही थी।
मज़े की बात यह है कि डॉली बीच-बीच में अपनी जीभ ललिता की चूत को टच कर रही थी.. जिससे उसको और मज़ा आ रहा था।
ललिता- आ आह्ह.. फक मी.. उई आह चेतन- तुम बहुत अच्छे चोदू हो.. अई सस्स उह.. आह डॉली आह.. ऐसे ही करो आह्ह.. कितना मज़ा मिलता है.. लौड़े के शॉट और जीभ के स्पर्श से.. आह्ह.. दोनों एक साथ ज़्यादा मज़ा देते हैं आह्ह… 
ललिता 15 मिनट तक लौड़े पर उछलती रही और अब ये दोहरी मार उसके बस की नहीं थी.. वो चरम सीमा पर आ गई थी।
ललिता- आ आह… चोदो मेरे राजा आह अब मेरी उछलने की आह्ह.. हिम्मत नहीं.. तुम नीचे से अई अई.. झटके मारो उफ्फ.. मैं गई.. आह्ह.. गई आह….
ललिता झड़ गई और उसकी चूत से पानी बहकर नीचे आने लगा.. जिसे डॉली बड़े मज़े से चाटने लगी। जब ललिता एकदम शान्त हो गई तो नीचे उतर गई।
चेतन- अरे जान.. मुझे ऐसे बीच में छोड़ कर कहाँ जा रही हो.. तुम तो ठंडी हो गई.. मेरा अभी पानी कहाँ निकला है? चल आ जा वापस…. 
ललिता- मेरी अब ऊपर आने की हिम्मत नहीं.. तुम ही आ जाओ और अपना लौड़ा घुसा दो।
डॉली- हाँ सर.. आप जब मेरे ऊपर आकर झटके मारते हो.. मुझे बड़ा अच्छा लगता है.. अब जरा दीदी के ऊपर आ जाओ मज़ा आएगा।
चेतन- चल ललिता.. घोड़ी बन जा आज तेरी गाण्ड मारने का मन है.. इसी बहाने डॉली भी देख लेगी कि गाण्ड कैसे मरवाते हैं।
ललिता घोड़ी बन गई और चेतन ने लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया।
डॉली को बड़ा मज़ा आ रहा था.. वो चेतन के पास खड़ी हो गई। अब चेतन उसके मम्मों को चूस रहा था और साथ में.. ललिता की गाण्ड भी मार रहा था।
डॉली- आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. मेरे राजा जी.. उई काटो मत ना.. आह्ह.. दीदी की गाण्ड में कैसे लौड़ा अन्दर-बाहर हो रहा है.. इनको कितना मज़ा आ रहा होगा ना।
ललिता- आई.. अई आह्ह.. हाँ बहना आह्ह.. अई उफ्फ.. मज़ा तो बहुत आ रहा है.. आह्ह.. जब तेरी गाण्ड में लौड़ा जाएगा.. तब तू देखना कितना.. अई आह्ह.. मज़ा आता है।
चेतन अब रफ्तार से गाण्ड मारने लगा था क्योंकि अब उसके लौड़े का पानी निकलने ही वाला था। इस बार चेतन ने कुछ सोचा और झट से लौड़ा गाण्ड से बाहर निकाल लिया और डॉली के बाल पकड़ कर उसको नीचे झुका कर लौड़ा उसके मुँह में दे दिया।
चेतन- आह आह.. चूस जान.. आह्ह.. तुझे बहुत मज़ा आता है ना.. लंड चूसने में.. उफ़फ्फ़ अब मेरे पानी का स्वाद भी चख.. ले आह्ह.. ज़ोर से चूस.. पानी आने वाला है।
डॉली ने होंठ भींच लिए और ज़ोर-ज़ोर से सर को हिलाने लगी।
चेतन के लौड़े से तेज पिचकारी निकली, जो सीधी डॉली के गले तक जा पहुँची।
उसके बाद और पिचकारियां निकलीं.. डॉली पूरा पानी गटक गई और आख़िर में लौड़े को बड़े प्यार से चाट कर साफ करने लगीं।
तब तक ललिता भी उसके पास बैठ गई थी और बगल से वो भी लौड़े को चाट रही थी।
जब तक लौड़ा बेजान ना हो गया.. दोनों उसको चाट कर साफ करती रहीं।
चेतन- आह्ह.. मज़ा आ गया.. तुम दोनों ही कमाल की हो.. कसम से क्या लौड़ा चाट रही थीं.. अनु अब खाना बना ही लो झटके मार-मार कर पेट खाली हो गया.. अब तो बड़ी ज़ोर की भूख लगी है।
ललिता- हाँ मेरे सरताज.. बस अभी बना देती हूँ।
ललिता बाथरूम में फ्रेश होने चली गई उसके साथ डॉली भी चली गई।
चेतन वहीं लेटा रहा।
जब वो दोनों बाहर आईं और कपड़े पहनने लगीं।
चेतन- ये क्या कर रही हो यार.. यहाँ हमारे सिवा कौन आएगा.. आज कोई कपड़े नहीं पहनेगा.. बस सब काम ऐसे ही करो.. बड़ा मज़ा आएगा।
डॉली- हाँ दीदी.. कपड़े तो रोज ही पहनते हैं आज ऐसे ही रहेंगे।
दोनों रसोई में जाकर खाना बनाने की तैयारी में लग गईं.. इधर चेतन ने अल्मारी से एक गोली निकाली और पानी के साथ लेली। उसके बाद वो वहीं पड़ा सुस्ताता रहा।
क्यों दोस्तो, मज़ा आ रहा है ना.. मैं आपको परेशान करने आ गई.. मगर क्या करूँ, मैं भी मजबूर हूँ यार..
कहानी के शुरू में मैंने साफ-साफ बता दिया कि यह कहानी डॉली और ललिता की है।
मैं बस लिख रही हूँ..
उसके बाद भी कुछ लोग मुझे डॉली समझ कर गंदे मैसेज कर रहे हैं।
यारो, मैं पिंकी हूँ.. डॉली या ललिता नहीं.. ओके.. कहानी पर कमेन्ट करो.. मुझ पर नहीं प्लीज़।
ओके दोस्तो.. चलो दोबारा कहानी पर आती हूँ।
करीब आधा घंटा बाद वो उठकर रसोई में गया।
डॉली रोटियां बेल रही थी और ललिता सब्जी बना रही थी।
चेतन वहीं दरवाजे पर खड़ा होकर वो नज़ारा देख रहा था।
डॉली जब बेलन से रोटी बेल रही थी उसकी गाण्ड आगे-पीछे हो रही थी.. जिसे देख कर चेतन के लौड़े में तनाव आने लगा।
उधर ललिता भी नंगी खड़ी सब्जी हिला रही थी.. उसकी भी मोटी गाण्ड मटक रही थी।
चेतन धीरे से डॉली के पीछे जाकर चिपक गया।
उसका तना हुआ लौड़ा डॉली की गाण्ड से सट गया।
डॉली को भी मज़ा आ रहा था।
अब चेतन उसका हाथ पकड़ कर रोटियां बनाने में उसकी मदद करने लगा।
ललिता- ओये होये.. मेरा राजा.. क्या बात है… बड़ा प्यार आ रहा है डॉली पर.. कभी मेरे को तो रोटियां बनाने में मदद नहीं की तुमने?
चेतन- अरे जान ये बच्ची है.. इसलिए मदद कर रहा हूँ और कोई बात नहीं है।
ललिता- अच्छा बच्ची है.. जिस तरह तुम इसको चोद रहे हो.. सारा पानी इसकी चूत में भर रहे हो.. जल्दी ही ये बच्ची को एक बच्चा हो जाएगा।
ये सुनते ही डॉली के हाथ से बेलन नीचे गिर गया।
डॉली- क्या.. नहीं दीदी.. प्लीज़ ऐसा मत कहो.. मेरी तो जान निकल जाएगी… क्या सच्ची मेरे को बच्चा होगा?
ललिता- हा हा हा चेतन.. देखो तो इसके चेहरे का रंग कैसे उड़ गया.. अरी मेरी प्यारी बहना.. मेरे होते हुए ऐसा कभी नहीं होगा.. तेरे लिए दवा लाई हूँ ना.. इसी लिए तो मैं गई थी। यही था वो खास काम.. इतनी जल्दी थोड़े तुझे माँ बनने दूँगी.. अभी तो चुदाई का भरपूर मज़ा लेना है तेरे को… चल अब रोटी बना और आप यहाँ से जाओ.. काम करने दो हमको…
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09-04-2017, 04:04 PM,
#16
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
चेतन- अरे यार, मैंने वो वाली गोली ले ली है। देख लौड़ा कैसे झटके मार रहा है प्लीज़.. तुम अपना काम करो और मुझे अपना काम करने दो।
ललिता- ठीक है.. ठीक है.. कर लो अपना काम.. डॉली कमर को थोड़ा और मोड़ कर रोटी बना लो ताकि ये अपना लौड़ा तेरी चूत में डाल सके।
चेतन- नहीं यार.. इसकी गाण्ड बड़ी मस्त है.. मेरा मन तो इसकी गाण्ड मारने का हो रहा है।
ललिता- पागल हो गए हो क्या.. रोटी बनाते हुए इसकी कुँवारी गाण्ड कैसे मारोगे.. पता है ना पहली बार में क्या होगा.. वो तुम रात को आराम से मार लेना.. अभी चूत से ही काम चलाओ।
डॉली- हाँ सर.. दीदी की बात सुनकर चूत में खुजली होने लगी है। अब डाल भी दो आप अपना लौड़ा।
डॉली ने कमर को और ज़्यादा झुका लिया.. चेतन ने लौड़े पर थूक लगा कर चूत में पेल दिया।
अब डॉली रोटी बनाने में लग गई और साथ में उसकी चुदाई भी शुरू हो गई।
चेतन धीरे-धीरे उसको चोदने लगा।
ललिता- राजा लौड़े का सारा कस अभी निकाल दोगे.. तो इतनी लंबी रात कैसे निकलेगी। 
चेतन- चिंता मत कर.. अभी बस ऐसे ही थोड़ा मज़ा ले रहा हूँ पानी नहीं निकालूँगा।
ललिता- अगर ऐसी बात है तो ठीक है थोड़ा मेरी गाण्ड में भी लौड़ा घुसा देना ताकि मैं भी इस लम्हे को हमेशा याद रखूँ कि कभी रसोई में भी आपने मुझे चोदा था।
चेतन- हाँ जानेमन.. जरूर तुम कहो और मैं ना करूँ.. ऐसा कभी हुआ है क्या?
चेतन थोड़ी देर डॉली को चोदता रहा उसके बाद उसने ललिता की गाण्ड में लौड़ा घुसा दिया।
लगभग 15 मिनट तक ये खेल चलता रहा तब तक खाना भी बन गया।
ललिता- अब बस भी करो.. चलो कमरे में जाकर बैठ जाओ.. हम खाना लेकर आ जाते हैं।
तीनों नंगे ही कमरे में खाना खाने लगे।
खाने के बाद वो तीनों टीवी देखने लगे।
ललिता- ले डॉली.. ये गोली खा ले, इससे कितना भी चुद.. बच्चा नहीं होगा।
डॉली ने बिना बोले दवा ले ली।
ललिता- थोड़ी देर टीवी देख लेते हैं उसके बाद चुदाई शुरू करेंगे.. हम दोनों को जितना चोदना है चोद लेना.. आज जैसा मौका शायद दोबारा मिले ना मिले।
डॉली- नहीं दीदी.. ऐसी बात मत करो अब तो हम रोज चुदाई करेंगे। अब मुझसे कहाँ बर्दाश्त होगा.. आप और मैं सर को रोज मज़े देंगे।
चेतन- अच्छा मुझे मज़े दोगी.. क्यों तुम दोनों मज़े नहीं लोगी क्या?
डॉली हँसने लगती है और उसके साथ दोनों भी मुस्कुरा देते हैं।
डॉली- दीदी वो वाली मूवी लगाओ ना.. उसको देख कर चुदाई करेंगे.. मज़ा आएगा…
ललिता- अरे वो तो उस दिन हमने देख ली थी ना.. आज तुझे दूसरी दिखाती हूँ अच्छी वाली.. तू भी क्या याद करेगी।
चेतन- हाँ अनु.. मैं समझ गया तू कौन सी मूवी की बात कर रही है.. चल जल्दी से लगा दे… आज डॉली को ये भी सिखा देते हैं कि कभी दो से चुदना हो तो कैसे चुदना चाहिए।
डॉली- दो से चुदने का क्या मतलब है दीदी?
ललिता- अभी देख लेना यार।
ललिता ने एक सेक्सी डीवीडी लगा दी।
तीनों पास बैठ कर देखने लगे.. चेतन बीच में था और वो दोनों उसके दाएँ-बाएँ बैठी हुई थीं.. फिल्म में एक लड़की बैठी हुई थी।
तभी दो आदमी आकर उसको चूमने लगते हैं और धीरे-धीरे उनका चोदन शुरू हो जाता है।
असल बात यह है कि ललिता डॉली को यही दिखना चाह रही थी कि कैसे दो आदमी एक लड़की को चोदते हैं और हुआ भी वही.. जब दोनों उसको आगे-पीछे से चोदने लगे डॉली बोल पड़ी।
डॉली- ओह्ह.. माँ.. ये क्या एक साथ दो आदमी लौड़ा डाल रहे हैं.. ऐसा होता है क्या?
चेतन- मेरी जान होता है.. तभी तो ये फिल्म बनी.. आगे देखो और भी मज़ा आएगा जब तीसरा आकर इसके मुँह को चोदेगा.. यही तो है असली चुदाई का मज़ा।
इतना बोलकर चेतन उसके मम्मों को सहलाने लगा।
इधर ललिता भी कम ना थी.. वो चेतन के लौड़े को सहला रही थी।
आधा घंटा तक तीनों फिल्म देखते रहे.. चेतन का लौड़ा अब पूरा तन गया था और तीन लौड़ों से चुदती हुई लौन्डिया का ख्याल करके डॉली और ललिता दोनों की चूत पानी-पानी हो गई थीं।
चेतन- चल मेरी रानी.. अब तेरी गाण्ड मारकर तुझे एकदम पक्की चुदक्कड़ बना देता हूँ ताकि तू कभी भी किसी को भी खुश कर सके।
डॉली- सर आप की बात तो ठीक है मगर आपका लंड बहुत मोटा और बड़ा है.. ये मेरी गाण्ड में कैसे जाएगा.. बहुत दर्द होगा।
चेतन- अरे जान कुछ नहीं होगा.. चूत में चला गया तो गाण्ड में क्यों नहीं जाएगा।
ललिता- हाँ डॉली चूत में तो सील टूटी इसलिए इतना दर्द हुआ.. गाण्ड में ऐसा कुछ नहीं है.. दर्द होगा, मगर उतना नहीं।
डॉली ने चेतन के लौड़े को हाथ से पकड़ कर देखा।
डॉली- देखो दीदी शाम को ये इतना फूला हुआ नहीं था अभी तो बहुत मोटा लग रहा है।

ललिता- अरे ऐसा कुछ नहीं है.. तेरे राजा जी ने पावर बढ़ाने की गोली ले ली है.. इसके कारण ये ऐसा लग रहा है।
डॉली चौंकते हुए चेतन को देखने लगती है। 
चेतन- अरे इसमें चौंकने वाली क्या बात है.. अब देखो शाम से तुम दोनों को चोद रहा हूँ.. मैं भी इंसान हूँ थक गया हूँ.. इसलिए गोली ली, ताकि मेरा पावर बना रहे और रात भर हम मज़ा करते रहें बस…
डॉली- ठीक है सर.. जैसा आपको अच्छा लगे.. मगर ये फिल्म देख कर मेरी चूत गीली हो गई है.. बड़ी खुजली हो रही है.. पहले इसकी खाज मिटा दो।
चेतन- हाँ जानेमन.. क्यों नहीं मगर पहले चूत मार लूँगा तो तेरा पावर कम हो जाएगा और उसके बाद गाण्ड में दर्द होगा.. चल आजा पहले बस थोड़ी देर गाण्ड मार लूँ.. उसके बाद पानी चूत में ही निकालूँगा ताकि दोनों काम एक ही बार में हो जाएं।
ललिता बिस्तर पर टेक लगा कर बैठ गई चेतन ने डॉली से कहा- इस तरह घोड़ी बन जाओ कि तुम ललिता की चूत भी चाट सको और गाण्ड भी मरवा सको।
डॉली- हाँ ये ठीक रहेगा.. मगर पहले आपके लौड़े को चूस कर गीला तो कर दूँ ताकि आराम से अन्दर चला जाए।
चेतन- अरे नहीं थूक से काम नहीं चलेगा.. गाण्ड में लौड़ा ऐसे नहीं जाता। तेरी गाण्ड तो में देसी घी लौड़े पर लगा कर मारूँगा.. बस 2 मिनट रुक मैं अभी लाया.. तब तक ललिता तू इसको गर्म कर।
ललिता और डॉली एक-दूसरे के होंठ चूसने लगीं और निप्पल दबाने लगीं।
चेतन ने एक प्याली में थोड़ा सा घी गर्म किया और कमरे में ले आया।
चेतन- बस डॉली अब सही पोज़ में आ जाओ.. मुझसे सबर नहीं हो रहा.. तेरी मक्खन जैसी गाण्ड मुझे पागल बना रही है।
ललिता वापस टेक लगा कर बैठ गई और डॉली घोड़ी बन कर उसकी चूत चाटने लगी।
चेतन- हाँ बस ऐसे ही रहना जानेमन.. आज तेरी गाण्ड में लौड़ा घुसा कर मैं धन्य हो जाऊँगा।
चेतन ने ऊँगली घी में भरकर डॉली की गाण्ड के सुराख पे रख दी और धीरे-धीरे उसमें घुसाने लगा।
डॉली- आ आ आह्ह.. दीदी आपकी चूत से क्या मस्त रस आ रहा है.. आईईइ आह्ह.. सर आराम से.. कुँवारी गाण्ड है मेरी…
चेतन- अरे रानी अभी तो ऊँगली से घी तेरी गाण्ड में भर रहा हूँ ताकि लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।
डॉली- ऊँगली से ही हल्का दर्द हो रहा है.. लौड़ा डालोगे तो मेरी जान ही निकल जाएगी।
ललिता- उफ़फ्फ़ अरे कुछ नहीं होगा तू बस चूत रस का मज़ा ले बाकी चेतन अपने आप संभाल लेगा।
डॉली चूत चाटने में लग गई और चेतन ऊँगली से उसकी गाण्ड को चोदने लगा.. उसको मज़ा देने के लिए दूसरे हाथ से उसकी चूत में भी ऊँगली करने लगा।
अब डॉली को बड़ा मज़ा आ रहा था.. वो अपनी जीभ चूत में घुसा कर चाटने लगी।
ललिता- आह्ह.. अई आह अरे वाह.. बहना बड़ा मस्त चूस रही हो कककक आह्ह..मज़ा आ रहा है।
चेतन ने घी डॉली की गाण्ड में अच्छे से लगा दिया था।
अब उसका लौड़ा झटके खाने लगा था।
उसने डॉली की गाण्ड पर एक चुम्बन किया और लौड़े पर अच्छे से घी लगा लिया।
अब चेतन ने लौड़ा गाण्ड के सुराख पे रखा.. दोनों हाथों से उसको थोड़ा खोला और टोपी को उसमें फँसा दिया।
डॉली दर्द के मारे सिहर उठी.. मगर उसने चूत चाटना जारी रखा।
चेतन ने उसकी कमर को कस कर पकड़ा और जोरदार धक्का मारा.. आधा लंड गाण्ड में घुस गया।
यह तो घी का कमाल था.. वरना गाण्ड इतनी टाइट थी की टोपी भी नहीं घुसती।
ललिता ने डॉली का सर ज़ोर से पकड़ कर चूत में घुसा दिया।
डॉली- आआआअ आआआ उूउउ…
चेतन का लौड़ा एकदम फँस सा गया था.. इतना चिकना होने के बाद भी अब आगे नहीं जा रहा था।
चेतन- आह उफ़फ्फ़.. साली तेरी गाण्ड है या आग की भट्टी.. कैसी गर्म हो रही है.. उफ़फ्फ़ लौड़ा जलने लगा है और टाइट भी बहुत है.. साला लौड़ा तो एकदम फँस गया है।
चेतन आधे लौड़े को ही अन्दर-बाहर करने लगा.. उसको बड़ा मज़ा आ रहा था…
अब गाण्ड में आधा लौड़ा ‘फॅक..फॅक.. फॅक’ की आवाज़ से अन्दर-बाहर होने लगा।
ललिता- आह्ह.. अरे चूत को खा जाएगी क्या.. आराम से चूस।
तभी चेतन ने पूरा लौड़ा टोपी तक बाहर निकाला और ज़ोर से झटका मारा पूरा लौड़ा गाण्ड में जड़ तक घुस गया।
इसी के साथ डॉली झटके के साथ ही बिस्तर पर गिर गई।
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09-04-2017, 04:04 PM,
#17
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चेतन भी उसकी पीठ के ऊपर उसके साथ ही नीचे गिर गया।
इस सब में डॉली का मुँह ललिता की चूत के ऊपर कस गया।
ललिता- ऊ माँ… चेतन क्या कर रहे हो उफ्फ.. डॉली उठो आह्ह..
चेतन वैसे ही पड़ा-पड़ा लौड़े को आगे-पीछे करता रहा।
दो मिनट में ही उसने ना जाने कितने शॉट मार दिए थे।
ललिता- चेतन प्लीज़ उठो मेरी जाँघों में बहुत दर्द हो रहा है उफ़फ्फ़.. उठो भी यार…
चेतन ने लौड़ा गाण्ड से निकाल लिया और उकडूँ बैठ गया.. तब जाकर कहीं डॉली की जान में जान आई और वो एक तरफ सीधी लेट गई।
डॉली- आह आह उह्ह.. माँ.. सर ये आपने क्या कर दिया.. अई मेरी गाण्ड फट गई है.. आह्ह.. बहुत जलन हो रही है.. ऐसा लगता है अभी भी उसके अन्दर कुछ घुसा हुआ है।
चेतन- अरे कुछ नहीं हुआ है.. बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद आराम मिल जाएगा।
डॉली- नहीं.. नहीं.. आहह.. मुझे उफ़फ्फ़ नहीं मरवानी गाण्ड.. बहुत दर्द हो रहा है.. देखो बिस्तर पर भी ठीक से गाण्ड नहीं टिका पा रही हूँ।
ललिता- अरे चेतन इसको दर्द हो रहा है.. तो जाने दो ना.. इसकी चूत मार लो, ताकि इसको भी थोड़ा मज़ा आ जाए और गाण्ड को आराम भी मिल जाए।
चेतन को ललिता की बात समझ में आ गई कि वो क्या कहना चाहती है।
चेतन- ओके ओके.. अब तू घोड़ी बन जा.. मैं तेरी चूत में लौड़ा डालता हूँ.. चल जल्दी कर.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
डॉली- आह्ह.. काहे का मज़ा.. उफ्फ.. लगता है मेरी गाण्ड तो फट गई..
चेतन ने डॉली का हाथ पकड़ कर उसको उठा लिया।
चेतन- अरे कुछ नहीं हुआ है.. अब चल जल्दी से घोड़ी बन जा यार.. मेरा मज़ा खराब हो रहा है।
डॉली दोबारा उसी स्थिति में आ गई और ललिता ने उसका मुँह अपनी चूत पर लगा दिया।
ललिता- यार कितना मस्त चूस रही थी तू.. चूत को सारा मज़ा किरकिरा हो गया.. चल अब थोड़ा चूत को चाट कर मज़ा दे.. तू तो अब चूत मरवा कर ठंडी हो जाएगी.. मेरी चूत तो अब तू ही ठंडा कर सकती है।
डॉली के चेहरे पर दर्द के भाव साफ नज़र आ रहे थे, बुझे मन से वो चूत को चाटने लगी।
इधर चेतन ने लौड़ा चूत में घुसा दिया और झटके मारने लगा।
अभी कोई 5 मिनट ही हुए थे कि डॉली को अब मज़ा आने लगा और वो गाण्ड हिला-हिला कर चुदने लगी और ललिता की चूत चाट-चाट कर मज़े लेने लगी।
चेतन- आह्ह.. आह उहह.. साली कसम से आह्ह.. तू बड़ी मस्त लड़की है.. क्या गाण्ड हिला कर चुद रही है और साली तेरी चूत भी क्या मस्त है उहह उहह ले आ रानी मज़ा आ रहा है।
ललिता- डॉली आह्ह.. चाटो आह्ह.. चाटो बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राजा आह्ह.. अब डॉली गर्म हो गई है आह्ह.. मार दो निशाना.. कर लो अपना अरमान पूरा।
डॉली कुछ समझ पाती, इसके पहले ही चेतन ने लौड़ा चूत से निकाल लिया और गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से झटका मारा।
इस बार चेतन ने डॉली की कमर को अच्छे से पकड़ा हुआ था ताकि वो आगे ना जा पाए।
एक ही वार में लौड़ा गाण्ड के अन्दर और डॉली की चीख बाहर।
डॉली- आह आआह्ह.. सर प्लीज़ आराम से करो ना.. अई दीदी आप बहुत गंदी हो आह्ह.. आपने ही कहा ना सर को उईईइ आह…
ललिता- अरे कुछ नहीं होगा.. जब चूत का दर्द नहीं रहा.. तो ये भी ठीक हो जाएगा और इसमें भी मज़ा आने लगेगा।
चेतन पागालों की तरह गाण्ड में दे-दनादन लौड़ा पेल रहा था। डॉली दर्द से कराह रही थी।
डॉली- अई आह मार लो आह्ह.. अगर अई आपका मन गाण्ड मारने का हुआ है.. तो ठीक है आह्ह.. मगर मुझे अधूरा क्यों छोड़ दिया.. मेरी चूत में बड़ी खुजली हो रही है आह्ह..
चेतन- आह्ह.. आह.. मज़ा आ रहा है साली क्या चिकनी गाण्ड है तेरी.. आह्ह.. लौड़ा खुश हो गया आह्ह.. आज तो.. हाँ जान.. रुक थोड़ी देर और गाण्ड का मज़ा लेने दे.. आह्ह.. उसके बाद तेरी चूत को भी शान्त कर दूँगा।
दस मिनट तक गाण्ड मारने के बाद चेतन ने लौड़ा चूत में डाल दिया और रफ़्तार से चोदने लगा। इधर डॉली ने ललिता की चूत चाट-चाट कर उसको चरम सीमा पर पहुँचा दिया था।

ललिता- आहइ आह मज़ा आ गया.. चाट आह्ह.. ज़ोर-ज़ोर से चाट.. आह्ह.. मैं झड़ने वाली हूँ आह्ह..
चेतन- ओह्ह ओह्ह ओह्ह मैं भी आहह… करीब ही हूँ उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया आज तो.. ओह्ह।
डॉली- रफ्तार से करो राजा जी.. हम एक साथ ही झड़ेंगे आह्ह.. मेरी चूत में भी आह्ह.. तूफान उठ रहा है।
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09-04-2017, 04:04 PM,
#18
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चेतन अपनी पूरी ताक़त से झटके मारने लगा और डॉली ने भी ललिता की चूत को होंठों से दबा कर उसको ऐसा चूसा कि सबसे पहले ललिता की चूत ने पानी छोड़ा।
ललिता ने आनन्द में आँखें बन्द कर लीं और डॉली के सर को कस कर पकड़ लिया और मस्ती से झड़ने लगी।
डॉली भी पानी को ज़ुबान से चाटने लगी।
डॉली की चूत भी लौड़े के इतने तेज प्रहार को सहन ना कर पाई और उसका बाँध भी टूट गया।
वो गाण्ड को पीछे धकेलती हुई झड़ने लगी।
उसकी कमर कभी नीचे तो कभी ऊपर को उठ रही थी।
चेतन- आह ह आह.. साली ओह्ह ओह्ह ओह्ह.. मुझसे पहले झड़ गई आअहह ले संभाल आह..
दो-चार धक्कों के बाद चेतन एकदम से रुक गया और डॉली की चूत को पानी पिलाने लगा।
वो हाँफने लगा था क्योंकि उसने कुछ ज़्यादा ही रफ्तार से शॉट लगा दिए थे।
वो एक तरफ बिस्तर पर लेट गया.. डॉली भी उसके सीने पर सर रख कर सो गई।
ललिता वैसे ही बैठी रही।
ललिता- वाह.. मेरी बहना, तू तो मेरी सौतन बन गई है.. चुदवा भी रही हो और मेरे पति के सीने पर भी सो रही हो।

डॉली झट से बैठ गई और उसके चेहरे पर डर के भाव आ गए।
डॉली- नहीं दीदी.. प्लीज़ आप गलत समझ रही हो.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था.. आपको बुरा लगा तो ‘सॉरी’ मैंने पहले ही कहा था.. अगर आपको ऐतराज ना हो तो मैं सर से चुदवा लूँ.. आपने ‘हाँ’ कही.. तभी मैं राज़ी हुई।
ललिता- अरे अरे.. पागल मैं तो मजाक से बोली हूँ.. तुमने तो मेरी बात दिल पर ले ली यार.. अबे कूल.. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता.. अगर सच में भी तू मेरी सौतन बन जाए तो मैं तो खुश रहूँगी.. तेरी जैसी स्वीट सौतन पाकर.. कभी चेतन ना भी होगा तो तू मेरी चूत चाट कर मुझे ठंडा कर देगी।
चेतन हँसने लगता है और डॉली का माथा चूम कर उससे कहता है कि वो ललिता की किसी भी बात का कभी बुरा ना माने क्योंकि इसको मज़ाक करने की आदत है।
डॉली- दीदी आपने तो मेरी जान निकाल दी थी.. एक तो सर ने मेरी गाण्ड फाड़ दी.. कितना दर्द हो रहा है और रही-सही कसर आपने पूरी कर दी। 
ललिता- अच्छा बाबा ले.. मेरे निप्पल पकड़ कर ‘सॉरी’ बोलती हूँ बस…
ललिता ने अपने निप्पल इस तरह पकड़े कि डॉली को हँसी आ गई और वो ललिता क गले लग गई।
चेतन ने दोनों को बांहों में भर लिया।
चेतन- चलो दोनों ही मेरे सीने पर सर रख लो यार.. बहुत थक गया हूँ थोड़ी देर आराम कर लूँ.. कसम से जानेमन तेरी गाण्ड बहुत कसी थी साला लौड़ा बहुत मुश्किल से हरकत कर रहा था।
डॉली- हाँ पता है.. तभी तो गाण्ड की हालत बिगड़ गई.. मुझे तो बहुत नींद आ रही है.. मैं तो ऐसे ही आपके सीने पर सोऊँगी। 
ललिता- अरे अभी तो रात शुरू हुई है अभी से सोने की बात कर रही हो यार.. अभी मैंने तो चुदवाया ही नहीं है।
डॉली- दीदी आप चुदवा लो.. पर मुझे सोने दो.. हाँ दो घंटा सो लूँ.. उसके बाद मुझे उठा लेना।
चेतन- सो जा मेरी रानी.. इस बहाने मुझे भी आराम मिल जाएगा।
दोस्तो, क्या हाल हैं आपके.. सोच रहे होंगे मैं कहाँ हूँ आपसे बात करने नहीं आ रही..
यार, क्या करूँ कहानी ऐसे मोड़ पर चल रही थी अगर मैं बीच में आपसे बात करने आती तो आपका मज़ा खराब हो जाता..
उम्मीद है आपको स्टोरी पसन्द आ रही होगी।
मैं प्लीज़ आप सबसे हाथ जोड़ कर विनती करती हूँ कि मुझे ईमेल के जरिए कोई गंदी बात ना कहो..
मैं बस एक लेखिका हूँ इसके अलावा मेरी खुद की कोई सेक्सी स्टोरी नहीं है।
जिसे देखो वो मेरे पीछे पड़ा है कि आपकी स्टोरी भेजो..
कोई कहता है हमसे भी चुदवा…
लो तो प्लीज़ सोच बदलो जो कहानी लिखता है..
जरूरी नहीं कि वो भी ऐसा करता हो..
ओके बस यही कहना था मुझे..
तो अब आप कहानी का मज़ा लो।
लगभग 30 मिनट तक कोई कुछ भी नहीं बोला..
बस ऐसे ही आँख बन्द करके पड़े रहे और उसी अवस्था में उनको नींद आ गई।
करीब 2 घंटे बाद ललिता उठी, उसको शायद बाथरूम जाना था तो वो उठी और चली गई।
उसके कदमों की आहट से चेतन भी उठ गया, उसने ललिता को जाते हुए देखा तो डॉली को एक बगल सुला कर वो भी उसके पीछे चला गया।
दोस्तों डॉली गहरी नींद में सो गई थी।
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था चेतन सीधा अन्दर चला गया।
ललिता बस पेशाब के लिए कमोड पर बैठ ही रही थी कि उसको चेतन दिख गया।
उसको देख कर ललिता मुस्कुराई।
ललिता- क्या बात है राजा.. लौड़े में तनाव हो गया क्या.. जो मेरे पीछे-पीछे आ गए।
चेतन- अरे ऐसी बात नहीं है.. ज़ोर से पेशाब आया था.. तुम्हें जाते देखा तो मैं भी आ गया.. सोचा दोनों साथ में करेंगे.. इसमें भी एक अलग मज़ा मिल जाएगा।
ललिता- उह्ह.. ये बात है.. अच्छा उस दिन की याद आ गई क्या?
चेतन- हाँ.. यार उस दिन कितना मज़ा आया था और हम दोनों कितना हँसे थे।
ललिता- अरे उस दिन तो बस हो गया था.. हमने सोचा थोड़े ही था.. ऐसा भी हो सकता है। आप बस मुझे चोदे जा रहे थे और मेरा जोरों से पेशाब आने लगा। मैंने आपसे कहा भी.. मगर आप कहाँ माने.. आख़िर में जब माने.. तब तक बहुत देर हो गई थी.. और जैसे ही अपने लौड़ा बाहर निकाला मेरी चूत से पेशाब की धार निकल कर सीधे आपके लौड़े पर आई.. हा हा हा…
चेतन- हा हा हा मैं तो सन्न रह गया.. तुमने पूरी पेशाब मुझ पर कर दी थी।
ललिता- तो अपने कौन सा मुझे बख्श दिया.. अपने भी तो उसी वक्त मेरी चूत पर पेशाब कर दिया था.. कितना गर्म था…
चेतन- हाँ जान कहाँ तो हम चुदाई कर रहे थे.. पानी आने की बजाय साला पेशाब निकल गया।
दोनों खिलखिला कर हँसने लगे।
ललिता- अब आपकी बातें बन्द करो मेरी तो बड़े ज़ोर से आ रही है।
चेतन ने लौड़ा चूत से सटा दिया।
चेतन- रोका क्यों है.. चल कर दे.. मैं भी करता हूँ.. मज़ा आएगा।
दोनों एक साथ शुरू हो गए.. गर्म-गर्म पेशाब की धार से चेतन के लौड़े को बड़ा सुकून मिल रहा था और वहीं ललिता ने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
जब दोनों का हो गया.. तब एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।
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09-04-2017, 04:04 PM,
#19
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
चेतन यार कसम से इन हरकतों से कितना सुकून मिलता है ना दिल को.. देखो लौड़ा कैसे तन गया.. शायद इस हरकत से ये उत्तेजित हो गया होगा।
ललिता- शायद हो सकता है या फिर ऐसा भी हो सकता है सेक्स की गोली का असर हो।
चेतन- हाँ जान कुछ भी हो सकता है.. चलो कारण कोई भी हो.. अब लौड़े को भूख लगी है तो खाना भी दो इसको.. यहीं चुदवाओगी या कमरे में जाकर…
ललिता- कहीं नहीं.. पता नहीं क्यों मेरे पेट में हल्का दर्द हो रहा है.. अगर चुदवाया तो शायद ज़्यादा हो जाए.. तुम जाओ डॉली को चोद लो.. मैं आती हूँ थोड़ी देर में.. मुझे बाथरूम करना है।
चेतन कुछ बोलना चाह रहा था.. मगर ललिता उसका हाथ पकड़ कर उसे बाहर निकालने लगी।
चेतन- अरे रुक तो.. पानी से बदन तो साफ करने दे।
ललिता- ओके.. जल्दी करो।
चेतन ने जल्दी से पानी से नीचे का हिस्सा साफ किया और बाहर निकल गया।
डॉली एकदम गहरी नींद में थी और पेट के बल लेटी हुई थी.. उसकी गाण्ड देख कर चेतन उसके पास गया और बड़े प्यार से उसको सहलाने लगा।
चेतन- डॉली तुझे बनाने वाले ने बड़ी फ़ुर्सत से बनाया होगा.. तेरी गाण्ड कितनी नरम है.. मैंने कोई अच्छा काम किया होगा जो तुझ जैसी कमसिन लड़की.. आज मेरे बिस्तर पर नंगी पड़ी है.. जान लौड़े में तनाव तो बहुत है.. मगर मैं तेरी नींद खराब नहीं करना चाहता..
तूने आज मुझे बहुत बड़ी ख़ुशी दी है.. जब तक तेरी नींद पूरी नहीं हो जाती.. मैं बस ऐसे ही तेरे जिस्म को निहारता रहूँगा।
चेतन उसकी गाण्ड को धीरे-धीरे दबा रहा था.. उसका लौड़ा तन कर झटके मारने लगा था। कुछ देर ऐसा चलता रहा।
ललिता- अरे क्या बात है आप ऐसे ही बैठे हो… उठाया नहीं क्या डॉली को।
चेतन- नहीं यार.. ये बहुत गहरी नींद में है.. इसकी नींद खराब करने को दिल नहीं मान रहा।
ललिता- अरे इसने खुद कहा था कि बस दो घंटे सोने दो.. उसके बाद जितना मर्ज़ी चोद लेना.. अभी तो इसको सोए तीन घंटे होने को आए हैं।
चेतन- अरे नहीं अनु.. ये अभी छोटी है.. थोड़ा और सोने दो, अपने आप उठ जाएगी।
ललिता- नहीं मेरे राजा.. इस वहम में मत रहो.. अरे आज इसने पहली बार चुदाई का मज़ा लिया है और खूब चुदी भी है.. ये ऐसी सुकून की नींद ले रही है.. अगर इसे उठाओ नहीं ना.. तो सुबह भी नहीं उठेगी.. चुदने के बाद कैसी अच्छी नींद आती है.. ये मुझसे ज़्यादा कौन जान पाएगा। जब पहली बार चैट पर अपने मुझे चोदा था.. याद है दूसरे दिन देर तक मैं सोती रही थी।
चेतन- हाँ.. ये बात तो है.. चुदाई के बाद नींद बड़ी प्यारी आती है। अब तुम भी चुदने से मना कर रही हो.. लगता है इसे उठाना ही पड़ेगा।
ललिता- सॉरी राजा.. सच्ची मेरे पेट में दर्द हो रहा है.. चुदाई का बिल्कुल भी मन नहीं है.. आप ऐसा करो इसको उठा ही लो और आराम से दोनों मज़े करो.. मुझे तो पेट दर्द की दवा लेनी होगी। ऐसा करो मैं दवा लेकर दूसरे कमरे में सो जाती हूँ.. तुम दोनों यहीं मज़ा करो।
चेतन- अरे यार ये क्या बात हुई.. यहीं सो जाओ ना।
ललिता- नहीं चेतन.. मैं सुकून से सोना चाहती हूँ और यहाँ तुम दोनों को चुदाई करते देखूँगी तो कहाँ नींद आएगी। आप इसे उठाओ.. मैं चली सोने…
ललिता वहाँ से चली जाती है.. चेतन डॉली के पास लेट जाता है और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगता है।
तभी डॉली करवट लेती है और उसकी गाण्ड चेतन के लौड़े के सामने हो जाती है।
चेतन उससे चिपक जाता है और लौड़ा उसकी जाँघों के बीच फँस जाता है।
चेतन अब डॉली से चिपका हुआ उसके मम्मों को दबाने लगता है।
थोड़ी देर में डॉली वापस करवट लेती है और अबकी बार एकदम सीधी सो जाती है।
चेतन का लौड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। 
चेतन- मेरी जान.. तू कब उठेगी, देख मेरा लौड़ा बेकाबू हो रहा है.. अब तो बर्दाश्त के बाहर है.. तू सोती रह मैं अब तेरी चूत में लौड़ा घुसा ही देता हूँ.. साली सोई हुई लड़की को चोदने का मज़ा ही कुछ और है।
चेतन उकडूँ बैठ गया.. उसने डॉली के पाँव मोड़ कर उनको फैलाया और लौड़े पर थूक लगा कर चूत पर टिका दिया और धीरे से धक्का मारा.. लौड़ा ‘घप’ से अन्दर घुस गया।

चेतन डॉली के ऊपर लेट गया और उसके निप्पल चूसने लगा.. इधर धीरे-धीरे झटके मारने लगा।
डॉली- उहह उहह सर आह्ह.. मुझे उठा लिया होता… ऐसे सोते हुए ही चोद रहे हो.. आहह..
चेतन- मेरी रानी.. ओह्ह ओह्ह.. कब से तेरे उठने का इन्तजार कर रहा हूँ साला लौड़ा तेरी कमसिन जवानी देख कर झटके मार रहा था.. इसी लिए मैंने सोचा अब लौड़ा चूत में जाएगा तब अपने आप तू उठ जाएगी।
डॉली- आह्ह.. आह.. चोदो राजा जी.. आह्ह.. मज़ा आने लगा है.. उई आप कितने अच्छे हो.. आह्ह.. चोदो.. मेरी चूत की आज आह्ह.. सारी खुजली मिटा दो आह्ह..
चेतन ने तो गोली ले रखी थी.. उसका लौड़ा तो लोहे की रॉड जैसा तना हुआ था और शॉट पर शॉट मार रहा था, मगर बेचारी डॉली तो बिना कामोत्तेजक दवा के ही चूत में लौड़ा ले रही थी।
उसकी चूत तो वक्त पर ही लावा उगलेगी ना..
लगभग 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद डॉली सिसकने लगी.. ठंडी ‘आहें’ भरने लगी।
डॉली- आह्ह.. सस्स ऊह्ह सर आह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है उई… धपाधप चोदो और ज़ोर से आह उफ़फ्फ़ कककक सी मेरी चूत आह्ह.. का बाँध टूटने वाला है अई फास्ट आह्ह.. फास्ट.. फाड़ दो आह्ह.. मेरी चूत को उफ़फ्फ़ मैं गई आह्ह..
डॉली ने आँखें बन्द कर लीं.. वो चरमसुख का आनन्द लेने लगी और 2 मिनट बाद उसका बदन ढीला पड़ गया मगर चेतन अब भी उसको ठोके जा रहा था।
डॉली- आह्ह.. आह मेरे राजा जी.. आह्ह.. अब निकाल भी लो आह.. लौड़ा बाहर..
मेरी चूत में से.. आह आह जलन होने लगी है.. आईईइ आहइ आह।
चेतन- अभी कहाँ जानेमन.. आह्ह.. उहह अभी तो मेरे लौड़े में करंट भी पैदा नहीं हुआ आह्ह.. आज तुझे इतना चोदूँगा आह्ह.. तेरी चूत की सारी खुजली मिटा दूँगा आह्ह..
डॉली- आह आह प्लीज़ सर.. निकाल लो.. बड़ी जलन हो रही है आह्ह..
चेतन- रानी निकाल तो लूँ मगर तेरी गाण्ड में वापस घुसाऊँगा.. अभी उसको ठीक से नहीं मार पाया हूँ आह्ह.. बोल मरवाएगी ना गाण्ड आह्ह..
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09-04-2017, 04:05 PM,
#20
RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
डॉली- आह्ह.. ठीक है मार लो आह्ह.. कम से कम चूत को तो सुकून मिलेगा।
चेतन ने रफ्तार से दो-चार झटके मार कर लौड़ा बाहर निकाल लिया डॉली ने चैन की सांस ली और बैठ कर लौड़े को देखने लगी।

डॉली- क्या बात है राजा जी.. ये तो भूखे शैतान की तरह अकड़ा खड़ा है चूत का हाल बिगाड़ दिया.. फिर भी इसका मन नहीं भरा क्या?
चेतन- अब बातें चोदना बन्द कर.. चल बन जा घोड़ी.. तेरी चूत का चबूतरा तो बना दिया.. अब गाण्ड को भी गड़हिया बना देता हूँ।
डॉली- अरे गाण्ड भी मार लेना.. पहले लौड़े को चूस तो लूँ.. बड़ा मान ललचा रहा है.. ऐसे कड़क लौड़े को देख कर..
डॉली ने लौड़े को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
चेतन का बदन जलता अंगारा बन गया था.. वो हवसी हो गया था डॉली का सर पकड़ कर झटके मारने लगा.. पूरा लौड़ा अन्दर तक डालता और बाहर निकाल लेता।
डॉली भी कम ना थी.. वो होंठों को भींच कर चेतन के लौड़े को कसी चूत का अहसास दिला रही थी।
चेतन- आह्ह.. आह चूस साली… क्या मस्त चूसती है राण्ड आह्ह.. मज़ा आ गया आह्ह.. साला आज तो लौड़ा झड़ने का नाम ही नहीं लेगा.. बहुत पावर की गोली खाई है.. आह्ह.. चूस ऐसे ही आह्ह..
चेतन पागलों की तरह उसके मुँह को चोदने लगा।
काफ़ी देर बाद चेतन ने लौड़ा मुँह से बाहर निकाला।
चेतन- चल अब घोड़ी बन जा बस अब तेरी गाण्ड में ही झडूंगा.. चूत तो पानी पी-पी कर काफ़ी गीली हो गई है। अबकी बार गाण्ड को भी वीर्य रस का मज़ा दे ही देता हूँ।
डॉली- ऑउह्ह.. मेरे राजा जी.. आप के लौड़े में क्या मज़ा आ रहा था.. दिल कर रहा था बस अभी पानी निकाले और सारा गटक जाऊँ.. उफ्फ.. कितना गर्म अहसास था.. आपने सब चौपट कर दिया.. लो बन गई घोड़ी.. कर लो अपना अरमान पूरा.. गाण्ड की हालत पहले ही खराब है अबकी बार पूरी फाड़ ही दो.. ताकि दर्द होने का झंझट ही ना रहे।
डॉली ने मुस्कुराते हुए ये बात कही थी.. उसके साथ चेतन भी मुस्कुरा दिया। 
डॉली अब घोड़ी बन गई थी और चेतन तो एकदम बेसबरा हो रहा था उसने जल्दी से लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और घुसा दिया पूरा.. एक ही बार में..
डॉली ने लंड को चूस कर एकदम चिकना कर दिया था इसलिए एक ही झटके में पूरा अन्दर घुस गया।
डॉली- आहइ मर गई रे.. अई सर आह्ह.. अपने एक ही बार में आह्ह.. पूरा घुसा दिया.. आईईइ गाण्ड पहले ही दुख रही थी उफ़फ्फ़… 
चेतन- मेरी जान बस जब तक मेरा रस तेरी गाण्ड में नहीं गिरता, तब तक ये दर्द रहेगा.. उसके बाद तू खुद कहेगी कि गाण्ड मरवाने में बहुत मज़ा आता है.. चल अब संभल जा… मैं तेरी सवारी शुरू कर रहा हूँ।
इतना बोलकर चेतन रफ्तार से गाण्ड मारने लगा। डॉली भी ‘अई उ उफ़फ्फ़ कककक’ करती रही। दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई से चेतन के लौड़े में करंट पैदा हो गया था। वो अब अँधाधुंध शॉट मार रहा था।
डॉली- अईयाया सर.. आह्ह.. आह उफ़फ्फ़ आपका आह्ह.. पानी कब निकलेगा आह…
चेतन- उह उह बस आह.. निकलने ही वाला है आह..।
चेतन का लौड़ा एकदम से फट गया उसमें से वीर्य की धार निकलने लगी डॉली की गाण्ड में गर्म-गर्म पानी भरने लगा.. उसको भी बड़ी राहत मिली।
जब चेतन ठंडा हो गया तो एक तरफ सीधा लेट गया डॉली ने भी चैन की सांस लेते हुए चेतन के सीने पर सर रख दिया।
अचानक से डॉली बैठ गई और इधर-उधर देखने लगी।
डॉली- सर दीदी कहाँ हैं कब से नहीं दिखीं…
चेतन- हा हा हा इतनी देर बाद तुम्हें याद आया कि ललिता यहाँ नहीं है हा हा हा… तुम भी कमाल करती हो।
डॉली- इसमें कमाल की क्या बात है.. सोई हुई चूत में तो आपने लौड़ा घुसा दिया.. जब पूरी तरह से नींद टूटी.. तब तक लंड दिमाग़ पर हावी हो गया था। उस वक़्त किसे फ़र्क पड़ता है की कोई कहाँ है.. अब चुद कर सुकून में आई.. तब आपसे पूछ लिया.. अब बताओ भी…
डॉली थोड़े तीखे अंदाज में बोली शायद चेतन की बात उसको बुरी लगी।
चेतन ने उसे सब बता दिया कि ललिता के पेट में दर्द था.. वो दवा लेकर दूसरे कमरे में सो रही है।
डॉली- उह्ह.. माँ.. सर आप भी ना.. चलो उनको देखते हैं… कहीं ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं हो रही उनको…
चेतन- अरे मेरी रानी.. ऐसा कुछ नहीं है.. नॉर्मल सा दर्द था.. उसने दवा ले ली है.. अब वो सुकून से सो रही है.. अगर तुमको यकीन ना आए तो खुद जाकर देख आओ।
डॉली बिना बोले कमरे से बाहर चली गई।
पांच मिनट बाद वापस आकर चेतन के पास बैठ गई।
चेतन- क्यों हो गई तसल्ली.. देख आई अपनी दीदी को?
डॉली- हाँ देख आई.. वो तो घोड़े बेच कर सो रही हैं. मैंने उनको छू कर भी देखा.. मगर उनकी नींद काफ़ी गहरी है इसलिए मैं वापस आ गई वरना उनसे पूछ लेती कि अब दर्द कैसा है..
चेतन- चलो मेरे कहने से ना सही खुद देखने से तो तुम्हें यकीन हुआ कि अनु सो रही है। अब वहाँ क्या बैठी हो.. यहाँ आ जाओ मेरी बांहों में…
डॉली दोबारा से चेतन के सीने पर सर रख कर उससे लिपट जाती है और बड़े प्यार से उसके पेट पर हाथ घुमाने लगती है।
डॉली- सर एक बात कहूँ?
चेतन- हाँ जान.. कहो ना…
डॉली- दो दिन पहले तक मैं कितनी अनजान थी ना.. इन सब बातों से लौड़ा, चूत और चुदाई क्या होती है.. कुछ पता नहीं था, मगर अब देखो आज एक ही दिन में कई बार आपसे चुदवा चुकी हूँ और नंगी ही आपसे लिपटी हुई हूँ। 
चेतन- मेरी जान.. दो दिन पहले तू बस एक साधारण लड़की थी.. मगर अब तू…
चेतन बोलता हुआ रुक गया।
डॉली- कहो ना सर.. अब मैं क्या?
चेतन- सॉरी यार गलत शब्द दिमाग़ में आ गया था।
डॉली- आपको मेरी कसम है… अब बताओ अब क्या?
चेतन- ओके बोलता हूँ.. पर प्लीज़ बुरा मत मानना.. अब तू पक्की रंडी बन गई है। 
डॉली- ये तो गाली है ना.. वैसे ये रंडी क्या होती है।
चेतन- बहुत भोली है तू.. मेरी जान जो लड़की बिना डरे कभी भी कहीं पर भी किसी से भी चुदवा ले.. उसे रंडी कहते हैं।
डॉली- ऊह.. माँ.. किसी से भी चुदवा लेती है.. सर मगर मैंने तो बस आपसे चुदवाया है.. मैं कैसे रंडी हुई?
चेतन- अरे मेरी माँ.. तुझे कैसे समझाऊँ.. अब देख तू कुँवारी है ना..
और बिना शादी के तूने चूत मरवाई.. अगर मैं तेरा ब्वॉय-फ्रेंड होता तो चलता.. मगर तुमने तो अपने सर से चुदवा लिया.. ऐसी लड़की को भी समाज रंडी बोलता है.. अब बस इसके आगे कुछ मत पूछना.. मैंने ग़लती से बोल दिया था.. मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ।
डॉली हँसने लगती है। 
डॉली- सर प्लीज़ आप ऐसे ना करो.. मुझे कुछ पता नहीं है प्लीज़.. आप नहीं समझाओगे तो कौन बताएगा.. बताओ ना प्लीज़…।
चेतन- अच्छा सुन वो ब्लू-फिल्म देखी थी ना.. उसमें वो लड़की रंडी थी.. समझी सीधी बात है जो लड़की बिंदास हो कर चुदाई के लिए किसी भी वक्त तैयार रहे.. लौड़ा किसका है उसको कोई मतलब ना हो.. बस चुदना चाहती हो.. वो पक्की रंडी होती है और दूसरी बात सेक्स की भाषा में उत्तेजना बढ़ाने के लिए भी प्यार से रंडी बोला जाता है..
डॉली- तब तो ठीक है.. आप भी मुझे रंडी बोल सकते हो.. अच्छा सर एक बात और.. अब इम्तिहान आने वाले हैं और इस बार बोर्ड के इम्तिहान हैं मैं पास तो हो जाऊँगी ना…
चेतन- अरे पगली तो बहुत होशियार स्टूडेंट है.. सब विषयों में कितने अच्छे नम्बर लाती है.. रही विज्ञान की बात तो अब तो तुझे लिंग-योनि जैसे शब्दों से शर्म नहीं आएगी और मैं हूँ ना.. कल से तुझे असली ज्ञान दूँगा। ये चुदाई तो चलती रहेगी.. तेरा साल बर्बाद नहीं होने दूँगा.. ओके…
डॉली- ओके सर.. मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे आप जैसा सर मिला.. अब मुझे पास होने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि मैंने वो सफ़र तय कर लिया है.. जो बेहद जरूरी था.. विज्ञान से चुदाई ज्ञान तक का सफ़र…
चेतन- अरे वाह.. ये हुई ना बात…
चेतन ने कस कर डॉली को अपनी बांहों में भर लिया और काफ़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही चिपके रहे।
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