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Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
दोस्तो ये कहानी पिंकी ने लिखी है मैं इसे आपके लिए पोस्ट कर रहा हूँ
दोस्तो, कहानी में कुछ घटना-क्रम एकदम वास्तविक है और कुछ आपके मनोरंजन के लिए अपनी कलम से लिख रही हूँ!
सर- डॉली ये क्या है? इस बार भी फेल.. आख़िर तुम करती क्या हो..? पढ़ाई में तुम्हारा ध्यान क्यों नहीं लगता। जब स्कूल-टेस्ट में ये हाल है तो बोर्ड के इम्तिहान में क्या खाक लिखोगी?
ये सर हैं चेतन वर्मा जिनकी उम्र 35 साल है और ये साइन्स के टीचर हैं..
थोड़े कड़क मिज़ाज के हैं। इनका कद और जिस्म की बनावट अच्छी है.. और एकदम फिट रहते हैं।
डॉली- सॉरी सर प्लीज़.. मुझे माफ़ कर दो.. अबकी बार अच्छे नम्बर लाऊँगी.. प्लीज़ प्लीज़…
दोस्तो, यह है डॉली सिंह.. अच्छे ख़ासे पैसे वाले घर की एक मदमस्त यौवन की मालकिन.. जिसकी उम्र 18 साल, कद 5’3″.. छोटे सुनहरे बाल.. गुलाब की पंखुड़ी जैसे पतले गुलाबी होंठ.. भरे हुए गोरे गाल.. नुकीले 30″ के मम्मे.. पतली कमर और 32″ की मदमस्त गाण्ड।
स्कूल में कई लड़के डॉली पर अपना जाल फेंक रहे हैं कि काश एक बार उसकी मचलती जवानी का मज़ा लूट सकें..
मगर वो तो तितली की तरह उड़ती फिरती थी।
कभी किसी के हाथ ना आई !
और हाँ आपको यह भी बता दूँ कि गंदी बातों से दूर-दूर तक उसका वास्ता नहीं था।
वो शरारती थी.. मगर शरीफ़ भी थी।
उसको चुदाई वगैरह का कोई ज्ञान नहीं था।
सर- नो.. अबकी बार तुम्हारी बातों में नहीं आऊँगा.. कल तुम अपने मम्मी-पापा को यहाँ लेकर आओ.. बस अब उनसे ही बात करूँगा कि आख़िर वो तुम पर ध्यान क्यों नहीं देते।
डॉली- सर आप मेरी बात तो सुनिए.. बस साइन्स में मेरे नम्बर कम आए हैं और बाकी सब विषयों में मेरे अच्छे नम्बर आए हैं।
सर- जानता हूँ इसी लिए तो हर बार तुम्हारी बातों में आ जाता हूँ.. तुम बहुत अच्छी लड़की हो.. सब विषयों में अच्छे नम्बर लाती हो.. मगर ना जाने विज्ञान में तुम पीछे क्यों रह गई.. आज तो मुझे बता ही दो आख़िर बात क्या है?
डॉली- व..वो.. सर आप तो जानते ही हो.. मैं रट्टा नहीं मारती.. सारे विषयों को समझ कर याद करती हूँ.. विज्ञान का पता ही नहीं चलता क्या लिखा है… क्यों होता है.. बस इसी उलझन में रहती हूँ तो ये सब हो जाता है और नम्बर कम आ जाते हैं।
सर- क्या.. अरे तुम क्या बोल रही हो..? मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा ठीक से बताओ मुझे।
डॉली- वो.. वो.. सर मानव अंगों के बारे में मेरी सहेलियाँ पता नहीं क्या-क्या बोलती रहती हैं.. बड़ा गंदा सा बोलती हैं.. म…म..मुझे अच्छा नहीं लगता.. बस इसलिए मैं विज्ञान में इतनी रूचि नहीं लेती हूँ।
डॉली की बात सुनकर चेतन सर के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई।
सर- अच्छा तो ये बात है.. ऐसा करो शाम को तुम किताब लेकर मेरे घर आना.. वहाँ बताना ठीक से.. अभी मेरा क्लास लेने का वक्त हो रहा है.. देखो आ जाना नहीं तो कल तुम्हारे पापा से मुझे मिलना ही होगा।
डॉली तो फँस गई थी.. अब चेतन शाम को उसका फायदा उठाएगा.. आप यही सोच रहे हो ना..
मेरे प्यारे दोस्तों देश बदल रहा है.. सोच बदलो.. खुद देख लो।
शाम को 6 बजे डॉली चेतन सर के घर पहुँच जाती है।
सर- अरे आओ आओ.. डॉली बैठो.. अरे अनु ज़रा यहा आना.. देखो डॉली आई है, मैंने बताया था ना तुमको…
ललिता- जी अभी आई।
दोस्तो, यह है ललिता वर्मा.. यह चेतन सर की पत्नी है, दिखने में बड़ी खूबसूरत है, इसका फिगर 34″ 32″36″ है।
इनकी शादी को 3 साल हो गए हैं।
दोनों बेहद खुश रहते हैं।
अरे यार आप ललिता को भूल गए.. हाँ भाई ये वही ललिता गुप्ता और चेतन हैं.. जो पहले लवर थे, अब इनकी शादी हो गई है और ललिता गुप्ता से वर्मा बन गई है.. चलो अब आगे का हाल देखते हैं।
ललिता- हाय डॉली कैसी हो?
डॉली- मैं एकदम ठीक हूँ मैम!
सर- डॉली, ये है मेरी पत्नी ललिता.. सुबह तुमने अपनी प्राब्लम मुझे बताई थी ना.. मैंने अनु को सब बताया है.. अब मैं नहीं ये ही तुम्हारी मदद करेंगी। चलो तुम दोनों बातें करो मैं थोड़ी देर में बाहर जाकर आता हूँ ओके..।
डॉली- ओके सर थैंक्स।
ललिता- हाँ तो डॉली.. अब बताओ तुम्हारी प्राब्लम क्या है और देखो किसी भी तरह की झिझक मत रखना.. सब ठीक से बताओ ओके..
डॉली- ओके मैम बताती हूँ।
ललिता- अरे ये मैम-मैम क्या लगा रखा है मुझे दीदी भी बोल सकती हो.. अब बताओ तुम्हारी सहेलियाँ क्या बोलती हैं?
डॉली- व..ववो दीदी… मैंने उनसे एक बार पूछा ये योनि और लिंग किसे कहते हैं तब उन्होंने मेरा बड़ा मज़ाक उड़ाया और मेरे यहाँ हाथ लगा कर कहा.. इसे योनि कहते हैं और इसकी ठुकाई करने वाले डंडे को लिंग कहते हैं।
डॉली ने अपना हाथ चूत पर रखते हुए यह बात बोली तो ललिता की हँसी निकल गई।
डॉली- दीदी आप भी ना मेरा मज़ाक उड़ा रही हो.. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती। इसी लिए मैं किसी से इस बारे में बात नहीं करती हूँ।
ललिता- अरे तू तो बुरा मान गई.. देख मेरा इरादा तेरा मजाक उड़ाने का नहीं था.. बस ये सोच कर हँसी आ गई कि तुम किस दुनिया से आई हो जो इतनी भोली हो.. अब सुनो मैं जो पूछू उसका सही जबाव देना और जो बोलूँ उसको ध्यान से सुनना।
डॉली- ठीक है दीदी आप कहो।
ललिता- सबसे पहले यह बता कि तेरी उम्र क्या है.. और तुम्हारे घर में कौन-कौन है.. तुम सोती किसके साथ हो?
डॉली- दीदी मैं 18 की हूँ.. मैं पापा-मम्मी की इकलौती बेटी हूँ.. हमारा घर काफ़ी बड़ा है। मैं करीब 6 साल से अलग कमरे में सोती हूँ.. नहीं तो पहले मम्मी के कमरे में ही सोती थी।
ललिता- अच्छा यह बात है.. तुम सेक्स के बारे में क्या जानती हो.. किसी से कुछ सुना होगा… वो बताओ।
डॉली- ये सेक्स क्या होता है दीदी.. मुझे नहीं पता.. हाँ मेरी सहेलियाँ अक्सर बातें करती हैं.. बस उनसे मैंने सुना था कि लड़कों का पोपट होता है.. और लड़की का पिंजरा.. मगर मेरे कभी कुछ समझ नहीं आया।
ललिता- ओह ये बात है.. तेरी सहेलियाँ कोडवर्ड में बातें करती हैं और तुम सच में बहुत भोली हो। अच्छा ये बताओ क्या कभी किसी ने तुम्हारे सीने पर हाथ रखा है या इनको छुआ या दबाया है..? तुमने किसी लड़के को पेशाब करते देखा है?
डॉली- छी छी.. दीदी आप भी ना.. मैं क्यों किसी को पेशाब करते देखूँगी और आज तक किसी ने मुझे नहीं छुआ है।
ललिता- अच्छा ये बात है.. तभी तुम ऐसी हो.. अब अपने अंगों के नाम बताओ.. मैं भी तो देखूँ तुम क्या जानती हो।
ललिता ने डॉली के गुप्तांगों के नाम उससे पूछे।
डॉली- दीदी ये सीना है.. ये फुननी है और ये पिछवाड़ा बस।
ललिता- अरे भोली बहना.. अब सुन ये सीना को मम्मों.. चूचे या कच्ची लड़की के अमरूद भी बोलते हैं और इसको चूत या बुर बोलते हैं समझी और ये पिछवाड़ा नहीं.. एस या गाण्ड है.. जिसको मटका-मटका कर तुम चलती हो और लड़कों के लौड़े खड़े हो जाते हैं।
ललिता बोलने के साथ डॉली के अंगों पर हाथ घुमा-घुमा कर मज़े ले रही थी। डॉली को बड़ा अजीब लग रहा था मगर उसको मज़ा भी आ रहा था।
डॉली- उफ़फ्फ़ आह दीदी ये लौड़ा क्या होता है?
ललिता- अरे पगली दुनिया की सबसे अच्छी चीज़ के बारे में नहीं जानती..? लड़कों की फुननी को लौड़ा बोलते है जो चूत के लिए बना है.. बड़ा ही सुकून मिलता है लौड़े से।
डॉली- दीदी कसम से.. मुझे इन सब बातों के बारे में कुछ भी पता नहीं था.. थैंक्स आपने मुझे बताया.. मगर मेरी एक बात नहीं समझ आ रही इन सब बातों का मेरे इम्तिहान में फेल होने से क्या सम्बन्ध?
ललिता- अरे डॉली.. तू सब विषयों में अच्छी है क्योंकि तुझे उन सबकी समझ है.. मगर विज्ञान में तू अनजान है क्योंकि तुझे कुछ पता नहीं.. ये चूत.. लौड़ा और चुदाई सब विज्ञान का ही तो हिस्सा हैं। अब देख मैं कैसे तुझे सेक्स का ज्ञान देती हूँ और देखना अबकी बार कैसे तेरे नम्बर अच्छे आते हैं.. बस तू मेरी बात मानती रहना, जैसा मैं कहूँ वैसा करती रहना।
डॉली- ओके दीदी.. मैं आपकी सब बात मानूँगी.. बस मेरे नम्बर अच्छे आने चाहिए।
ललिता ने आधा घंटा तक डॉली को लड़की और लड़के के बारे में बताया और उसको जाते समय एक सेक्स की कहानी वाली किताब भी दी।
डॉली- दीदी ये क्या है?
ललिता- ये असली विज्ञान है.. रात को अपने कमरे में कुण्डी लगा कर सारे कपड़े निकाल कर इस किताब को पढ़ना.. और कल शाम को आ जाना.. बाकी सब कल समझा दूँगी।
डॉली- सारे कपड़े निकाल कर.. नहीं दीदी मुझे शर्म आ रही है।
ललिता- अरे पगली मैं किसी के सामने नंगी होने को नहीं बोल रही हूँ.. अकेले में ये करना है और नहाते वक्त क्या कपड़े पहन कर नहाती हो जो इतना शर्मा रही हो..? पास नहीं होना है क्या..?
डॉली- सॉरी दीदी.. जैसा आपने कहा, वैसा कर लूँगी।
डॉली वहाँ से अपने घर चली जाती है।
रात को 10 बजे खाना खाकर डॉली अपने कमरे में चली जाती है।
उसने हल्के हरे रंग की नाईटी पहनी हुई थी..
वो शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आपको देखने लगती है।
उसके दिमाग़ में ललिता की कही बातें घूम रही थीं।
डॉली ने अपनी नाईटी निकाल कर रख दी अब वो ब्रा-पैन्टी में थी..
उसके चूचे ब्रा से बाहर निकलने को मचल रहे थे।
गोरा बदन शीशे के सामने था.. जिसे देखकर शीशा भी शर्मा रहा था।
पैन्टी पर चूत की जगह गीली हो रही थी.. शायद डॉली कुछ ज़्यादा ही ललिता की बातें सोच रही थी।
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RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
दोस्तो, इस बेदाग जिस्म पर काली ब्रा-पैन्टी भी क्या सितम ढा रही थी।
इस वक़्त कोई ये नजारा देख ले तो उसका लौड़ा पानी छोड़ दे।
डॉली- ओह्ह.. दीदी अपने सच ही कहा था कि अपने नंगे बदन को शीशे में देखो.. मज़ा आएगा।
कसम से वाकयी में.. मेरे पूरे जिस्म में आग लग रही है.. बड़ा मज़ा आ रहा है।
डॉली ने कमर पर हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और अपने मचलते चूचे आज़ाद कर दिए।
सुई की नोक जैसे नुकीले चूचे आज़ाद हो गए दोस्तों डॉली के निप्पल हल्के भूरे रंग के.. एकदम खड़े हो रहे थे।
अगर कोई गुब्बारा इस समय उसकी निप्पल को छू जाए तो उसकी नोक से फूट जाए।
अब डॉली का हाथ अपनी पैन्टी पर गया वो धीरे-धीरे उसको जाँघों से नीचे खिसकने लगी और उसकी चूत ने अपना दीदार करवा दिया।
उफ़फ्फ़ क्या.. बताऊँ आपको.. सुनहरी झाँटों से घिरी उसकी गुलाबी चूत.. जो किसी बरफी की तरह नॉकदार और फूली हुई थी।
आज़ाद हो गई दोस्तो, उसकी चूत से रस निकल रहा था.. जिसके कारण उसकी फाँकें चमक रही थीं और हल्की-हल्की एक मादक
खुशबू आने लगी।
डॉली ने अपने चूचों पर हाथ घुमाया और धीरे-धीरे अपनी चूत तक ले गई।
उसकी आँखें बंद थीं और चेहरे के भाव बदलने लगे थे।
इससे साफ पता चल रहा था कि उसको कितना मज़ा आ रहा होगा। थोड़ी देर डॉली वैसे ही अपने आपको निहारती रही और उसके बाद गंदी कहानी की किताब लेकर बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और कहानी पढ़ने लगी।
वो कहानी दो बहनों की थी कि कैसे बड़ी बहन अपने बॉय-फ्रेंड से चुदवाती है और अपनी छोटी बहन के साथ समलैंगिक सम्बन्ध बनाती है..
आख़िर में उसका बॉय-फ्रेंड उसकी मदद से उसकी छोटी बहन की सील तोड़ता है।
कहानी पढ़ते-पढ़ते ना चाहते हुए भी डॉली का हाथ चूत पे जा रहा था और वो कभी सीधी.. कभी उल्टी हो कर किताब पढ़ रही थी और चूत को रगड़ रही थी।
करीब आधा घंटा तक वो किताब पढ़ती रही और चूत को रगड़ती रही।
दोस्तो, डॉली तो चुदाई से अंजान थी.. मगर ये निगोड़ी जवानी और बहकती चूत तो सब कुछ जानती थी..
हाथ के स्पर्श से चूत एकदम गर्म हो गई और डॉली कामवासना की दुनिया में पहुँच गई।
अब उसकी चूत किसी भी पल लावा उगल सकती थी। उसको ये सब नहीं पता था.. बस उसे तो असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही थी।
वो ज़ोर-ज़ोर से चूत को मसलने लगी और बड़बड़ाने लगी।
डॉली- आह.. आह.. दीदी उफ़फ्फ़ आपने ये कैसी कहानी की किताब दे दी आहह.. मेरी फुननी तो.. नहीं.. नहीं… अब इसे चूत ही कहूँगी.. आआ.. आह मेरी चूत तो जलने लगी है आहह.. हाथ हटाने को दिल ही नहीं कर रहा.. उफफफ्फ़ उउउ आआहह..
डॉली अपने चरम पर आ गई.. तब उसने पूरी रफ्तार से चूत को मसला और नतीजा आप सब जानते ही हो.. पहली बार डॉली की चूत ने वासना को महसूस करके पानी छोड़ा।
दोस्तो, कुछ ना जानने वाली डॉली ने रात भर में पूरी किताब पढ़ डाली और 3 बार बिना लौड़े के अपनी चूत से पानी निकाला और थक-हार कर नंगी ही सो गई।
सुबह डॉली काफ़ी देर तक सोती रही उसकी मम्मी ने उसे जगाया.. तब वो जागी आज वो बड़ा हल्का महसूस कर रही थी और उसके चेहरे की ख़ुशी साफ बता रही थी कि रात के कार्यक्रम से उसको बड़ा सुकून मिला है।
नहा-धो कर वो स्कूल चली गई.. रोज की तरह आज भी कुछ लड़के गेट पर उसके आने का इंतजार कर रहे थे ताकि उसकी मटकती गाण्ड और उभरे हुए चूचों के दीदार हो सकें।
रोज तो डॉली नज़रें झुका कर चुपचाप चली जाती थी.. मगर आज उसने सबसे नज़रें मिला कर एक हल्की मुस्कान सबको दी और गाण्ड को हिलाती हुई अपनी क्लास की तरफ़ चली गई।
रिंकू- उफ़फ्फ़ जालिम.. आज ये क्या सितम ढा गई मुझपे.. साला आज सूरज कहाँ से निकला था.. मेरी जान ने आज नज़रें मिलाईं भी और हँसी भी।
खेमराज- हाँ यार क्या क़ातिल अदा के साथ मुस्कुराई थी.. मेरा तो दिल करता है.. अभी उसके पास जाकर कहूँ.. आ सेक्स की देवी.. अपने इन मखमली होंठों से छूकर मेरे लौड़े को धन्य कर दो।
रिंकू- अबे साले चुप.. मैं तो ये कहूँगा कि आ स्वर्ग की अप्सरा.. एक बार मेरे लौड़े को अपनी चूत और गाण्ड में लेकर मेरा जीवन सफल कर दो।
मॅडी- चुप भी करो सालों.. हवस के पुजारियों.. वो आज हँसी.. इसका मतलब हम में कोई तो है.. जिससे वो फंसी.. अब पता लगाना होगा कि वो सेक्स बॉम्ब किसके लौड़े पर फटेगा।
तीनों खिलखिला कर हँसने लगते हैं।
दोस्तों इन के बारे में आपको बताने की जरूरत नहीं..
आप खुद जान गए होंगे कि ये डॉली के साथ ही स्कूल में पढ़ते हैं। बाकी की जानकारी जब इनका खास रोल आएगा तब दे दूँगी।
फिलहाल स्टोरी पर ध्यान दो।
डॉली का दिन एकदम सामान्य गया.. चेतन सर ने भी उससे कुछ बात नहीं की।
वो आज बहुत खुश थी।
हाँ इसी बीच वो तीनों मनचले जरूर उससे बात करने को मचलते रहे।
मगर डॉली ने उनको भाव नहीं दिया, शाम को उसी वक़्त डॉली पढ़ने के बहाने ललिता के घर की ओर निकल गई।
डॉली ने आज गुलाबी से रंग की एक चुस्त जींस और नीली टी-शर्ट पहनी हुई थी।
उसको देख कर रास्ते में ना जाने कितनों की ‘आह’ निकली होगी और क्या पता कौन-कौन आज उसके नाम से अपना लौड़ा शान्त करेगा।
ललिता- अरे आओ आओ.. डॉली बैठो आज तो बहुत खिली-खिली लग रही हो।
डॉली- क्या दीदी आप भी ना…
ललिता- मैंने कल क्या समझाया था.. तुझे शर्म को बाजू में रख कर मुझसे बात किया करो.. ओके.. चल, अब बता कल क्या-क्या किया और स्टोरी कैसी लगी?
डॉली इधर-उधर नज़रें घुमाने लगी।
ललिता- अरे इधर-उधर क्या देख रही है..? बता ना…
डॉली- वो सर कहीं दिखाई नहीं दे रहे?
ललिता- क्यों कल का सारा किस्सा चेतन को बताएगी क्या.. वो बाहर गए हैं.. चल अब बता…
डॉली का चेहरा शर्म से लाल हो गया मगर फिर भी उसने हिम्मत करके रात की सारी बात ललिता को बता दी।
ललिता- अरे वाहह.. क्या बात है पहली बार में ही तूने हैट्रिक मार दी.. चल अच्छा किया.. अब बता तुझे क्या समझ नहीं आया?
डॉली- दीदी स्टोरी तो मस्त थी.. मगर उसमें बहुत सी बातें मेरे ऊपर से निकल गईं.. जैसे आज तो तेरी सील तोड़ दूँगा.. अब ये सील क्या होती है और हाँ.. एक जगह लिखा था आज तेरे रसीले चूचों का सारा रस पी जाऊँगा.. दीदी ये चूचे तो समझ आ गए.. मगर इनमें रस कहाँ होता है?
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दोस्तो, इस बेदाग जिस्म पर काली ब्रा-पैन्टी भी क्या सितम ढा रही थी।
इस वक़्त कोई ये नजारा देख ले तो उसका लौड़ा पानी छोड़ दे।
डॉली- ओह्ह.. दीदी अपने सच ही कहा था कि अपने नंगे बदन को शीशे में देखो.. मज़ा आएगा।
कसम से वाकयी में.. मेरे पूरे जिस्म में आग लग रही है.. बड़ा मज़ा आ रहा है।
डॉली ने कमर पर हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और अपने मचलते चूचे आज़ाद कर दिए।
सुई की नोक जैसे नुकीले चूचे आज़ाद हो गए दोस्तों डॉली के निप्पल हल्के भूरे रंग के.. एकदम खड़े हो रहे थे।
अगर कोई गुब्बारा इस समय उसकी निप्पल को छू जाए तो उसकी नोक से फूट जाए।
अब डॉली का हाथ अपनी पैन्टी पर गया वो धीरे-धीरे उसको जाँघों से नीचे खिसकने लगी और उसकी चूत ने अपना दीदार करवा दिया।
उफ़फ्फ़ क्या.. बताऊँ आपको.. सुनहरी झाँटों से घिरी उसकी गुलाबी चूत.. जो किसी बरफी की तरह नॉकदार और फूली हुई थी।
आज़ाद हो गई दोस्तो, उसकी चूत से रस निकल रहा था.. जिसके कारण उसकी फाँकें चमक रही थीं और हल्की-हल्की एक मादक
खुशबू आने लगी।
डॉली ने अपने चूचों पर हाथ घुमाया और धीरे-धीरे अपनी चूत तक ले गई।
उसकी आँखें बंद थीं और चेहरे के भाव बदलने लगे थे।
इससे साफ पता चल रहा था कि उसको कितना मज़ा आ रहा होगा। थोड़ी देर डॉली वैसे ही अपने आपको निहारती रही और उसके बाद गंदी कहानी की किताब लेकर बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और कहानी पढ़ने लगी।
वो कहानी दो बहनों की थी कि कैसे बड़ी बहन अपने बॉय-फ्रेंड से चुदवाती है और अपनी छोटी बहन के साथ समलैंगिक सम्बन्ध बनाती है..
आख़िर में उसका बॉय-फ्रेंड उसकी मदद से उसकी छोटी बहन की सील तोड़ता है।
कहानी पढ़ते-पढ़ते ना चाहते हुए भी डॉली का हाथ चूत पे जा रहा था और वो कभी सीधी.. कभी उल्टी हो कर किताब पढ़ रही थी और चूत को रगड़ रही थी।
करीब आधा घंटा तक वो किताब पढ़ती रही और चूत को रगड़ती रही।
दोस्तो, डॉली तो चुदाई से अंजान थी.. मगर ये निगोड़ी जवानी और बहकती चूत तो सब कुछ जानती थी..
हाथ के स्पर्श से चूत एकदम गर्म हो गई और डॉली कामवासना की दुनिया में पहुँच गई।
अब उसकी चूत किसी भी पल लावा उगल सकती थी। उसको ये सब नहीं पता था.. बस उसे तो असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही थी।
वो ज़ोर-ज़ोर से चूत को मसलने लगी और बड़बड़ाने लगी।
डॉली- आह.. आह.. दीदी उफ़फ्फ़ आपने ये कैसी कहानी की किताब दे दी आहह.. मेरी फुननी तो.. नहीं.. नहीं… अब इसे चूत ही कहूँगी.. आआ.. आह मेरी चूत तो जलने लगी है आहह.. हाथ हटाने को दिल ही नहीं कर रहा.. उफफफ्फ़ उउउ आआहह..
डॉली अपने चरम पर आ गई.. तब उसने पूरी रफ्तार से चूत को मसला और नतीजा आप सब जानते ही हो.. पहली बार डॉली की चूत ने वासना को महसूस करके पानी छोड़ा।
दोस्तो, कुछ ना जानने वाली डॉली ने रात भर में पूरी किताब पढ़ डाली और 3 बार बिना लौड़े के अपनी चूत से पानी निकाला और थक-हार कर नंगी ही सो गई।
सुबह डॉली काफ़ी देर तक सोती रही उसकी मम्मी ने उसे जगाया.. तब वो जागी आज वो बड़ा हल्का महसूस कर रही थी और उसके चेहरे की ख़ुशी साफ बता रही थी कि रात के कार्यक्रम से उसको बड़ा सुकून मिला है।
नहा-धो कर वो स्कूल चली गई.. रोज की तरह आज भी कुछ लड़के गेट पर उसके आने का इंतजार कर रहे थे ताकि उसकी मटकती गाण्ड और उभरे हुए चूचों के दीदार हो सकें।
रोज तो डॉली नज़रें झुका कर चुपचाप चली जाती थी.. मगर आज उसने सबसे नज़रें मिला कर एक हल्की मुस्कान सबको दी और गाण्ड को हिलाती हुई अपनी क्लास की तरफ़ चली गई।
रिंकू- उफ़फ्फ़ जालिम.. आज ये क्या सितम ढा गई मुझपे.. साला आज सूरज कहाँ से निकला था.. मेरी जान ने आज नज़रें मिलाईं भी और हँसी भी।
खेमराज- हाँ यार क्या क़ातिल अदा के साथ मुस्कुराई थी.. मेरा तो दिल करता है.. अभी उसके पास जाकर कहूँ.. आ सेक्स की देवी.. अपने इन मखमली होंठों से छूकर मेरे लौड़े को धन्य कर दो।
रिंकू- अबे साले चुप.. मैं तो ये कहूँगा कि आ स्वर्ग की अप्सरा.. एक बार मेरे लौड़े को अपनी चूत और गाण्ड में लेकर मेरा जीवन सफल कर दो।
मॅडी- चुप भी करो सालों.. हवस के पुजारियों.. वो आज हँसी.. इसका मतलब हम में कोई तो है.. जिससे वो फंसी.. अब पता लगाना होगा कि वो सेक्स बॉम्ब किसके लौड़े पर फटेगा।
तीनों खिलखिला कर हँसने लगते हैं।
दोस्तों इन के बारे में आपको बताने की जरूरत नहीं..
आप खुद जान गए होंगे कि ये डॉली के साथ ही स्कूल में पढ़ते हैं। बाकी की जानकारी जब इनका खास रोल आएगा तब दे दूँगी।
फिलहाल स्टोरी पर ध्यान दो।
डॉली का दिन एकदम सामान्य गया.. चेतन सर ने भी उससे कुछ बात नहीं की।
वो आज बहुत खुश थी।
हाँ इसी बीच वो तीनों मनचले जरूर उससे बात करने को मचलते रहे।
मगर डॉली ने उनको भाव नहीं दिया, शाम को उसी वक़्त डॉली पढ़ने के बहाने ललिता के घर की ओर निकल गई।
डॉली ने आज गुलाबी से रंग की एक चुस्त जींस और नीली टी-शर्ट पहनी हुई थी।
उसको देख कर रास्ते में ना जाने कितनों की ‘आह’ निकली होगी और क्या पता कौन-कौन आज उसके नाम से अपना लौड़ा शान्त करेगा।
ललिता- अरे आओ आओ.. डॉली बैठो आज तो बहुत खिली-खिली लग रही हो।
डॉली- क्या दीदी आप भी ना…
ललिता- मैंने कल क्या समझाया था.. तुझे शर्म को बाजू में रख कर मुझसे बात किया करो.. ओके.. चल, अब बता कल क्या-क्या किया और स्टोरी कैसी लगी?
डॉली इधर-उधर नज़रें घुमाने लगी।
ललिता- अरे इधर-उधर क्या देख रही है..? बता ना…
डॉली- वो सर कहीं दिखाई नहीं दे रहे?
ललिता- क्यों कल का सारा किस्सा चेतन को बताएगी क्या.. वो बाहर गए हैं.. चल अब बता…
डॉली का चेहरा शर्म से लाल हो गया मगर फिर भी उसने हिम्मत करके रात की सारी बात ललिता को बता दी।
ललिता- अरे वाहह.. क्या बात है पहली बार में ही तूने हैट्रिक मार दी.. चल अच्छा किया.. अब बता तुझे क्या समझ नहीं आया?
डॉली- दीदी स्टोरी तो मस्त थी.. मगर उसमें बहुत सी बातें मेरे ऊपर से निकल गईं.. जैसे आज तो तेरी सील तोड़ दूँगा.. अब ये सील क्या होती है और हाँ.. एक जगह लिखा था आज तेरे रसीले चूचों का सारा रस पी जाऊँगा.. दीदी ये चूचे तो समझ आ गए.. मगर इनमें रस कहाँ होता है?
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RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
उसके जाने के बाद चेतन कमरे में आया उसने उन दोनों की बातें सुन ली थीं।
चेतन- अनु ये तुमने उसको क्या बोल दिया नकली लंड से उसको चोदोगी तो मेरा क्या होगा जान.. तुमने मुझे कच्ची कली को चोदने का सपना दिखाया.. अब नकली लौड़े की बात कर रही हो।
ललिता- अरे मेरा राजा.. आप बहुत भोले हो अपने वो कहावत नहीं सुनी क्या.. हाथी के दाँत दिखाने के और होते हैं और खाने के और… बस कल देखना.. मैं कैसे नकली को असली बना देती हूँ.. अब आ जाओ देखो मैंने अब तक कपड़े भी नहीं पहने हैं.. आज तो आप बड़े जोश में हो.. जरा मेरी चूत को मज़ा दे दो।
चेतन- अरे क्यों नहीं मेरी रानी.. चल बन जा घोड़ी.. आज तुझे लंबी सैर कराता हूँ।
ललिता पैरों को मोड़ कर घोड़ी बन गई और चेतन ने एक ही झटके में अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया।
ललिता- आहह.. उई मज़ा आ गया राजा.. अब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारो उफ्फ.. फाड़ दो चूत को.. अई आह्ह..
चेतन के दिमाग़ में डॉली घूम रही थी और उसी कारण वो दे दनादन ललिता की चूत में लौड़ा घुसा रहा था।
ललिता- आह्ह.. अई वाहह.. मेरे राजा आ..आज बड़ा मज़ा दे रहे हो.. अई लगता है डॉली समझ कर तुम मुझे चोद रहे हो.. अई उई अब तो रोज उसका नंगा जिस्म तुमको दिखना पड़ेगा.. अई ताकि तुम रोज इसी तरह मेरी ठुकाई करो।
चेतन- उहह उहह.. ले रानी उहह.. अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. आज तुम बहुत चुदासी लग रही हो ओह्ह ओह्ह।
लगभग 30 मिनट तक ये चुदाई का खेल चलता रहा.. दोनों अब शान्त हो गए थे।
ललिता- जानू मज़ा आ गया.. आज तो काफ़ी दिनों बाद ऐसी मस्त चुदाई की तुमने.. अच्छा अब सुनो… कल किसी भी हाल में एक नकली लंड ले आना.. उसका साइज़ तुम्हारे लवड़े के जैसा होना चाहिए।
चेतन- ठीक है.. ले आऊँगा मगर तुम उसकी चूत की सील नकली लौड़े से तोड़ोगी.. तो मेरा क्या होगा यार.. ऐसी मस्त चूत का मुहूर्त मुझे करना है।
ललिता- तुम ले आना बस.. मैंने कहा ना सब मुझ पर छोड़ दो.. कल देखना मैं क्या करती हूँ।
चेतन ने ललिता की बात मान ली और आगे कुछ नहीं बोला।
वो उठ कर बाथरूम में चला गया।
दोस्तो, अब यहाँ कुछ नहीं है.. चलो डॉली के पास चलते हैं।
घर जाकर डॉली ने अपनी मम्मी को बोल दिया कि टयूशन में वक्त लग गया और रात का खाना खाकर अपने कमरे में जाकर सो गई।
अगले दिन भी डॉली जब स्कूल गई, तब गेट पर तीनों उसके आने का इन्तजार कर रहे थे, मगर आज डॉली ने उनको नज़रअंदाज कर दिया और सीधी निकल गई।
दोस्तो. अब स्कूल के पूरे 8 घंटे की दास्तान सुनोगे क्या.. चलो सीधे मुद्दे पर आती हूँ।
शाम को डॉली ने पीले रंग का टॉप और काला स्कर्ट पहना हुआ था।
जब वो ललिता के घर की ओर जा रही थी.. तब रास्ते में एक कुत्ता एक कुतिया को चोद रहा था।
डॉली ने जब उनको देखा उसे बड़ा मज़ा आया।
ये सब देख कर उसको कल वाला वीडियो याद आ गया और ना चाहते हुए भी उसका हाथचूत पर चला गया।
डॉली भूल गई कि वो बीच सड़क पर खड़ी कुत्ते की चुदाई देख रही है और अपनी चूत को मसल रही है।
तभी वहाँ से एक 60 साल का बूढ़ा गुजरा, उसने सब देखा और डॉली के पास आ गया।
बूढ़ा- बेटी इस तरह रास्ते में खड़ी होकर ये हरकत ठीक नहीं.. अगर इतनी ही खुजली हो रही है तो चलो मेरे साथ घर पर.. कुछ मलहम लगा दूँगा।
उसकी बात सुनकर डॉली को अहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी।
वो बिना कुछ बोले वहाँ से भाग खड़ी हुई और सीधी ललिता के घर जाकर ही रुकी।
ललिता- अरे क्या हुआ..? ऐसे भागते हुए क्यों आई हो.. इतना हाफ़ रही हो.. यहाँ बैठो मैं पानी लेकर आती हूँ।
डॉली वहीं बैठ गई.. ललिता ने उसे पानी पिलाया और उससे भागने का कारण दोबारा पूछा।
तब डॉली ने उसको सारी बात बताई।
ललिता- हा हा हा हा तू भी ना कुत्ते की चुदाई में ये भी भूल गई कि कहाँ खड़ी है और तेरी चूत में खुजली होने लगी.. हा हा हा हा और वो बूढ़ा क्या बोला.. मलहम लगा देगा.. अगर तू उसके साथ चली जाती ना.. तो आज बूढ़े के मज़े हो जाते हा हा हा हा।
डॉली- दीदी आप भी ना.. कुछ भी बोलती रहती हो.. पता नहीं मुझे क्या हो गया था। अच्छा ये सब जाने दो.. आप आज मुझे वो नकली लंड दिखाने वाली थीं ना.. कहाँ है वो?
ललिता- अरे वाह.. बेबी लंड देखने के लिए बड़ी उतावली हो रही है.. चल कमरे में… मैंने वहीं रखा है।
दोनों कमरे में चली जाती हैं।
डॉली बिस्तर पर बैठ जाती है और ललिता अलमारी से लौड़ा निकाल लेती है.. जो दिखने में एकदम असली जैसा दिख रहा था।
लौड़े के साथ दो गोलियाँ भी थीं।
डॉली तो बस उसको देखती ही रह गई।
ललिता- क्यों बेबी कैसा लगा..? है ना.. एकदम तगड़ा लौड़ा।
डॉली- हाँ दीदी.. ये तो वो फिल्म जैसा एकदम असली लगता है.. ज़रा मुझे दिखाओ मैं इसे हाथ से छूकर देखना चाहती हूँ।
ललिता- अरे इतनी भी क्या जल्दी है.. ऐसे थोड़े तुझे हाथ में दूँगी.. आज तो खेल खेलूँगी तेरे साथ..
ये देख शहद की बोतल.. इसमें से शहद निकाल कर इस लौड़े पे लगाऊँगी.. उसके बाद तू इसको चूसना.. तब असली जैसी बात लगेगी.. समझी मेरी जान…
डॉली- ओके दीदी.. बड़ा मज़ा आएगा आज तो…
ललिता ने बगल में रखी दो काली पट्टी उठाईं और डॉली को दिखाते हुए बोली।
ललिता- मज़ा ऐसे नहीं आएगा.. ये देखो आज ‘ब्लाइंड-सेक्स’ करेंगे।
एक पट्टी तेरी आँखों पर और दूसरी हाथ पर बांधूंगी उसके बाद असली मज़ा आएगा।
डॉली- ये पट्टी से क्या मज़ा आएगा दीदी.. नहीं ऐसे ही करेंगे ना।
ललिता- नहीं मैंने कहा ना.. तुम पहली बार लौड़ा चूसने जा रही हो.. अगर आँखें खुली रहेगीं तो ये नकली लौड़ा तुझे दिखेगा और तेरे अन्दर लौड़े वाली मस्ती नहीं आएगी। मगर आँखें बन्द रहेगीं.. तब तू ये सोचना कि तू असली लौड़ा चूस रही है। तब मज़ा दुगुना हो जाएगा और ये देख इस लौड़े के साथ ये बेल्ट भी है.. मैं इसे अपनी कमर पर बाँध लूँगी। इससे मैं आदमी बन जाऊँगी और मेरी चूत की जगह ये लौड़ा आ जाएगा.. क्यों अब बोल क्या बोलती है।
डॉली- हाँ दीदी.. आपने सही कहा.. इस तरह ज़्यादा मज़ा आएगा मगर ये हाथ तो खुले रहने दो ना।
ललिता- नहीं मेरी जान हाथ बाँधने जरूरी हैं वरना तुझे ऐसा लगेगा कि लौड़े को हाथ से पकडूँ और जैसे ही तू लौड़ा पकड़ेगी असली वाली बात ख़तम हो जाएगी।
डॉली- ओके दीदी.. जैसा आपको ठीक लगे.. चलो पट्टी मेरी आँखों पर बाँध दो।
ललिता- अरे मेरी जान पहले ये कपड़े तो निकाल.. उसके बाद ये पट्टी बाँधूंगी।
ललिता खुद भी नंगी हो गई और डॉली को भी नंगा कर दिया। उसके बाद उसके दोनों हाथ पीछे करके पट्टी से बाँध दिए उसकी आँखों पर भी अच्छे से पट्टी बाँध दी।
दोस्तो, ये ललिता का प्लान था ताकि चेतन अन्दर आ जाए और डॉली उसको देख ना सके।
डॉली बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गई ललिता ने चेतन को इशारा कर दिया वो अन्दर आ गया।
वो एकदम नंगा था उसने पहले ही दूसरे कमरे में कपड़े निकाल दिए थे। उसका लौड़ा भी एकदम तना हुआ था।
डॉली- दीदी अब तो लौड़ा मेरे मुँह में दे दो.. बड़ा मान कर रहा है चूसने का।
ललिता- हाँ यार देती हूँ.. पहले कमर पर बाँध तो लूँ.. उसके बाद शहद डाल कर तेरे मुँह में दूँगी।
ललिता ने चेतन के लौड़े पर अच्छे से शहद लगा दिया और चेतन बिस्तर पर चढ़ गया। लौड़े की टोपी को डॉली के खुले मुँह में हल्के से फँसा दिया।
डॉली तो इसी इंतजार में थी, वो झट से अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी।
आनन्द के मारे चेतन की आँखें बन्द हो गईं.. ललिता वहीं पास में बैठी अपनी चूत सहला रही थी।
डॉली लौड़े को जीभ से चाट रही थी और टोपी को अपने होंठों में दबा कर चूस रही थी। उसको बहुत मज़ा आ रहा था।
ललिता- अरे मेरी जान पूरा मुँह में ले.. तब असली मज़ा आएगा.. इतने से क्या होगा?
डॉली ने ललिता की बात सुनकर पूरा लौड़ा में भर लिया और चूसने लगी।
चेतन को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था और आएगा क्यों नहीं एक कमसिन कली जिसके पतले होंठों में उसका लौड़ा फँसा हुआ था।
अब चेतन लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।
एक वक्त तो लौड़ा पूरा डॉली के गले तक पहुँच गया और उसी वक़्त डॉली ने झट से मुँह हटा लिया और चेतन ने जैसे ही लौड़ा
आगे किया उसकी गोटियाँ डॉली के मुँह के पास आ गईं.. डॉली को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
वो गोटियों को चूसने लगी.. तब उसको थोड़ा अजीब सा लगा और उसने मुँह हटा लिया।
ललिता- अरे क्या हुआ रानी चूस ना।
डॉली- दीदी मुझे ये लौड़ा एकदम असली जैसा लग रहा है और शहद के साथ-साथ कुछ नमकीन सा और भी पानी मेरे मुँह में आ रहा है इसकी गोटियों की चमड़ी भी बिल्कुल असली लग रही है।
ललिता- अरे पगली ये सब आँख बन्द होने का कमाल है.. असली लवड़ा कहाँ से आएगा? तू चूसती रह.. इसके बाद देख.. आज मैं तेरे निप्पल और चूत को नए अंदाज से चुसूंगी।
बेचारी भोली-भाली डॉली ललिता की बातों में आ गई और दोबारा से लौड़ा चूसने लगी।
करीब 5 मिनट बाद चेतन ने इशारे से ललिता को कहा- अब इसको लेटा दो.. मैं इसके चूचों को मसलना और चूसना चाहता हूँ।
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