Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
05-29-2018, 11:53 AM,
#1
Star  Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
दोस्तो आपके लिए एक और कहानी पेशएखिदमत है जैसा कि मैने आपको सब बहुत सी कहानियाँ पढ़ने को दी है कुछ मेहनत से कुछ कॉपी करके लेकि आपको ये मानना पड़ेगा कि मैने आपके लिए मेहनत तो की है लेकिन आप सब की तरफ से मेरे द्वारा पोस्ट की गई कहानियो को आपका उतना प्यार नही मिलता जितना बाकी सब को मिलता है आशा करता हूँ की आप मेरे द्वारा पोस्ट की गई कहानियो को पूरा न्याय देंगे इशी आशा के साथ एक और कहानी पोस्ट कर रहा हूँ 
मेरा नाम रवि है, मैं पिछले दो वर्षों से अपने भईया और भाभी के साथ बैंगलोर में रह रहा हूँ।
मेरी आयु चौबीस वर्ष है, आई टी इंजिनियर हूँ तथा बैंगलोर की एक आई टी कंपनी में कार्यरत हूँ।
मेरा कद छह फुट एक इंच है और नियमत व्यायाम और संतुलित भोजन के कारण मैं एक हट्टे-कट्टे एवं गठीले शरीर का मालिक हूँ।
दो वर्ष पहले जब मैंने अपनी इंजीनियरिंग पूरी करी थी तब कैंपस इंटरव्यू में ही बैंगलोर की इस कंपनी द्वारा काम के लिए चयनित हो गया था्।
क्योंकि मेरे भईया और भाभी बैंगलोर में ही कार्य करते हैं इसलिए उन्होंने मुझे अपने साथ सातवीं मंजिल पर उनके दो बैडरूम वाले फ्लैट में ही रहने के लिए बाध्य कर दिया।
दो वर्ष पूर्व जब मैं बैंगलोर आया था तब मैंने कभी सोचा नहीं था कि यह शहर इतना सुन्दर और हसीं होगा!
लेकिन अब यहाँ की हरियाली और मौसम ने मेरे दिल को इतना प्रभावित किया है कि मैंने यहाँ से कभी नहीं जाने का निर्णय ले लिया है!
मेरे इस महत्पूर्ण निर्णय के पीछे एक कारण और भी था जिसे बताने के लिए मुझे आप सब को थोड़ा अपने अतीत में ले जाना पड़ेगा!
मेरे अतीत का वह कारण मेरे बंगलौर पहुँचने के तीसरे दिन शुरू हुआ था और आज भी बना हुआ है।
मैं अपने आप को नए शहर के माहौल से अवगत करने के लिए अपनी नौकरी में शामिल होने की तारीक से दो सप्ताह पहले ही यहाँ पहुँच गया था।
पहला दिन तो सफ़र की थकावट दूर करने में बिता दिया और दूसरा दिन इधर उधर घूम कर तथा शहर की रौनक देखने में बिता दिया।
तीसरा दिन बारिश ने बर्बाद कर दिया क्योंकि मैं लगभग सारा दिन बालकनी में बैठा बादलों और बारिश की बूंदों को देखता रहा!
उसी दिन मुझे हमारे फ्लैट के साथ वाले फ्लैट की बालकनी में कपड़े सूखते दिखाई दिए।
मैं समय व्यतीत करने के लिए उन्हें गिनने लगा तो पाया कि कुल पच्चीस सूखते कपड़ों में से दस कपड़े किसी पुरुष के थे और पन्द्रह कपड़े किसी स्त्री के थे!
उन पन्द्रह स्त्री के कपड़ों में चार ब्रा थीं और चार पैंटी थी!
मैं उन कपड़ों की ओर टकटकी बांधे देख रहा था और उनके साइज़ के बारे में सोच रहा था।
मैं यह अनुमान नहीं लगा पा रहा था कि ब्रा का नाप 34 था या 36 था!
क्योंकि सफ़ेद रंग की एक ब्रा बाकी की तीन रंगीन ब्रा के साइज़ से बड़ी लग रही थी उन ब्रा के लटकते हुए स्ट्रैप पर लगे लेबलों पर लिखा साइज़ दूर से पढ़ने में नहीं आ रहा था।
मैं कौतूहल-वश बालकनी में चहल-कदमी करते हुए उन कपड़ों के निकट जा रहा था तभी हवा का एक तेज़ झोंका आया और कुछ कपड़े फर्श पर गिर गए जिन में से दो ब्रा और दो पैंटी भी थीं।
मैं इसी उधेड़बुन में खड़ा था कि क्या करूँ, तभी पड़ोस के घर का दरवाज़ा खुला और अन्दर से एक गोरे रंग की, बहुत ही सुन्दर और जवान स्त्री बाहर निकली।
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05-29-2018, 11:54 AM,
#2
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उसका कद लगभग पांच फुट सात इंच था, सिर के बाल घने काले थे, नयन-नक्श बहुत ही तीखे और चेहरा अंडाकार था।
उसके उभरे हुए गालों में से बाएँ गाल पर एक छोटा सा तिल था जो उसकी सुन्दरता पर चार चाँद लगा रहा था।
उसने आसमानी रंग की नाइटी पहनी हुई थी जिस में से उसके कसे हुए और सख्त दिखाई देने वाले स्तन दो मीनारों के गुम्बद की तरह उठे हुए थे।
उसे देख कर मैं थोड़ा ठिठक गया और अपनी बालकनी के बीच में ही रुक कर उसे देखता रहा!
उसने नाइटी के नीचे क्या क्या पहना था मैं इसका अनुमान तब तक नहीं लगा पाया जब तक उसने मुड़ कर मेरी और पीठ नहीं करी।
जैसे ही उसने पीठ करी तभी मुझे उसकी नाइटी से चिपकी उसकी ब्रा और जांघिया की रूपरेखा दिखाई दी और मेरी पुष्टि हो गई कि उसने पैंटी और ब्रा पहने हुई थी।
वह तार पर से कपड़े उतार कर जब फर्श पर गिरी ब्रा और पैंटी उठाने के लिए झुकी तब उसकी नाइटी के खुले गले में से उसकी ब्रा में बंधी हुई चूचियों के दर्शन ज़रूर हो गए।
जब वह फर्श से कपड़े उठा कर खड़ी हुई तब मुझे देख कर मुस्कराई और फिर अन्दर अपने घर में चली गई।
उसके जाने के बाद मैं फिर से अपनी चहल-कदमी करने लगा!
अगले दो दिन भी बादल छाए रहे और बीच बीच में वर्षा की कुछ बूंदें पड़ जाती थी इसलिए अधिकतर बालकनी में ही बैठा रहा लेकिन मुझे उस यौवना के दर्शन नहीं हुए!
उसके अगले दिन मुझे बैंगलोर में आए छटा दिन था और धूप निकली हुई थी।
भईया और भाभी के काम पर जाने के बाद मैं बाहर घूमने जाने की कोई योजना पर विचार कर रहा था, तभी मुझे किसी की सहायता के लिए चिल्लाने की आवाज़ आई!
मैं बालकनी में आकर उस आवाज़ की दिशा जानने की कोशिश ही कर रहा था तभी मुझे साथ वाले घर की ओर से एक स्त्री की पुकार सुनाई दी- हेल्प, हेल्प, प्लीज हेल्प! कोई तो मेरी सहायता करो।
मैंने उधर जा कर हल्की आवाज़ लगा कर पूछा- मैडम, आप को क्या सहायता चाहिए?
उधर से मेरे प्रश्न का उत्तर आया- मेरे बाथरूम के दरवाज़े का लैच खराब हो गया है और वह खुल नहीं रहा है! मैं बाथरूम में बंद हो गई हूँ और बाहर निकल नहीं पा रही हूँ! कृपया आप उसे खोल कर मुझे बाहर निकलने में सहायता कर दीजिये।
मैंने फिर पूछा- आपका वह बाथरूम कहाँ है जिसमें आप बंद हैं और उस तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
उस स्त्री ने कहा- मैं फ्लैट नंबर 701 में रहती हूँ और मेरा बाथरूम फ्लैट नंबर 702 की दीवार के साथ ही है!
तब मैंने कहा- मैं फ्लैट नंबर 702 में रहता हूँ और उसी की बालकनी में खड़ा हूँ! आप बताएँ कि मैं आपके पास सहायता के लिए कैसे पहुँचूं?
तब स्त्री ने कहा- फ्लैट के बाहर का दरवाज़ा तो अन्दर से बंद है और मैं उसे खोलने में असमर्थ हूँ इसलिए आपको सहायता के लिए बालकनी से ही कोई प्रयोजन करना होगा।
मैंने उस स्त्री को कहा- ठीक है, मैं अपनी बालकनी से आपकी बालकनी में आकर देखता हूँ कि मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ।
उसके बाद मैं अपनी बालकनी से साथ वाले घर की बालकनी में लांघ कर गया और उस स्त्री को आवाज़ लगाते हुए एवं उससे बातें करते हुए उसके बाथरूम के बाहर पहुँच गया।
वहाँ जब मैंने सर्वेक्षण किया तो पाया कि बालकनी में खुलने वाले सभी दरवाज़े घर के अन्दर से बंद थे, बाथरूम की एकमात्र खिड़की बालकनी की ओर थी और उसमें शीशे लगे हुए थे।
खिड़की के नीचे के आधे भाग में जो शीशा लगा था वह बिल्कुल सील था और उसे खोला नहीं जा सकता था लेकिन उसके ऊपर के आधे भाग में तिरछे शीशे लगे थे जिन्हें सिर्फ अन्दर से ही निकाला जा सकता था।
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05-29-2018, 11:54 AM,
#3
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मैंने खिड़की के पास खड़े होकर उस स्त्री से कहा- देखिये, आपके घर के अंदर आने के सभी रास्ते बंद हैं! आपकी सहायता के लिए मुझे सिर्फ एक ही रास्ता दिखाई दे रहा है जहाँ से आपके बाथरूम में आने का प्रयास किया जा सकता है।
तब उस स्त्री ने कहा- तो आप उस रास्ते से क्यों नहीं सहायता करते?
मैंने उत्तर दिया- उसके लिए पहले आपको मेरी सहायता करनी पड़ेगी।
उस स्त्री ने कहा- मुझसे कैसी सहायता चाहिए आपको।
मैं बोला- बाथरूम की खिड़की के ऊपर के भाग में जो तिरछे शीशे लगे है वह सिर्फ अंदर से ही निकाले जा सकते है! अगर आप किसी तरह उन शीशों को निकाल देवें तो मैं उस 18″ X 18″ के झरोखे में से ही अन्दर आकर दरवाज़े को खोलने का प्रयास कर सकता हूँ।
उस स्त्री ने कहा- ठीक है मैं उन शीशों को निकालने का प्रयत्न करती हूँ।
उसके बाद वह स्त्री एक बाल्टी को उल्टा रख कर उस पर खड़ी हो कर वह शीशे निकालने लगी और अगले दस मिनट में उसने वे छह शीशे निकाल दिए और वहाँ से बाथरूम के अन्दर जाने का रास्ता बना दिया!
तब मैंने अपने घर से एक स्टूल ला कर उस खिड़की के नीचे रखा और उस पर चढ़ गया!
वहाँ से मैंने दरवाज़ा खोलने वाले संभावित उपकरणों का डिब्बा खिड़की के अन्दर उस स्त्री को पकड़ाने के लिए जैसे ही अंदर झाँका तो वहाँ का नज़ारा देख कर दंग रह गया!

मेरे हाथों से उपकरणों का डिब्बा और खिड़की दोनों ही छूटते छूटते बचे!

बाथरूम के अन्दर वही सुन्दरी थी जिसे मैंने दो दिन पहले बालकनी से कपड़े उतार कर ले जाते देखा था वह उस समय बाथरूम में बिलकुल नग्न खड़ी थी!
उसके हाथ में एक छोटा सा तौलिया था जिससे वह अपने जघन-स्थल पर रख कर अपनी योनि को छुपा रही थी और दूसरी हाथ एवं बाजू को उसने अपनी दोनों स्तनों के आगे रख कर उन्हें छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी!
मैंने अपने सिर को खिड़की से बाहर ही रखते हुए उपकरणों के डिब्बे वाला हाथ अंदर डालते हुए उस स्त्री को डिब्बा पकड़ने को कहा।
जब उसने सिर्फ मेरा हाथ ही देखा तो खिड़की के पास आकर उस डिब्बे को दोनों हाथों से पकड़ लिया और नीचे रखने को झुकी!
उस समय मैंने अपना सिर खिड़की के अन्दर किया और उसकी नग्न जवानी के पूरी तरह दर्शन किये!
उसके दोनों स्तन बहुत ही गोरे थे तथा एकदम गोल गेंदों की तरह काफी कसे हुए, सख्त और ऊपर को उठे हुए लग रहे थे और उन दोनों पर काले रंग की बड़ी बड़ी चुचूक थी!
उन चुचूकों के चारों ओर लगभग डेढ़ इंच का काला घेरा था जो बहुत ही मनमोहक लग रहा था।
उसकी योनि किसी पाव-रोटी की तरह फूली हुई दिख रही थी और उसके ऊपर बहुत ही कम तथा छोटे छोटे काले रंग के बाल थे।
उसके शरीर को जब देखा तो ऐसा लगता था कि उसके शरीर पर एक नहीं चार चार नज़र-बट्टू लगे हुए थे!
एक उसके बाएँ गाल पर, दो उसकी छातियों पर और एक उसके जघन-स्थल पर लगाया गया हो!
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05-29-2018, 11:54 AM,
#4
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मुझे खिड़की से अंदर झांकता देख कर उसने तुरंत तौलिये को अपने जघन-स्थल पर रख लिया और दूसरी बाजू से अपने स्तनों को ढांप लिया!
जब मैंने देखा कि वह बाथरूम के एक कोने में जाकर खड़ी हो गई तब मैंने उससे पूछा- क्या मैं आपकी मदद के लिए इस झरोखे से अन्दर आ सकता हूँ?
उसने मेरी ओर मुस्करा कर देखा और कहा- आ जाइये अब कोई और रास्ता भी तो नहीं है अंदर आने के लिए।
मैंने उसे कहा- क्या आप थोड़ा कष्ट करके बाल्टी को इस खिड़की के नीचे सरका देंगी ताकि मैं उस पर अपने पांव टिका कर नीचे उतर सकूँ।
उसने मेरे कहे अनुसार बाल्टी को सरका कर खिड़की के नीचे कर दिया तब मैंने अपना एक पाँव और सिर को खिड़की के अन्दर करके अपने शरीर को मोड़ा तथा बाथरूम के अन्दर कर दिया।
फिर मैंने अन्दर गए पाँव को थोड़ा नीचे कर के बाल्टी पर टिकाया और अपने बाकी के शरीर और दूसरी टांग को भी बाथरूम के अंदर कर दिया।
बाथरूम के अन्दर पहुँच कर मैं उस स्त्री की परेशानी और शर्मिंदगी को देख कर विचलित हो गया।
बाथरूम में इधर उधर देखने पर जब मुझे उस स्त्री का तन ढकने के लिए कोई भी वस्त्र या वस्तु नहीं मिली तब मैंने अपनी टी-शर्ट उतार कर उसे दे दी और कहा– आप फिलहाल इसे पहन कर अपने तन को ढांप लीजिये।
उसने मुझसे वह टी-शर्ट नहीं ली क्योंकि अगर वह अपना हाथ बढ़ाती है तो वह नीचे से या फिर ऊपर से नग्न हो जाती है!
मैंने जब उसे एक बार फिर टी-शर्ट पहनने को कहा तो उसने कहा- आप मेरी हालत तो देख रहे है इसलिए आप ही इसे मुझे पहना दीजिये।
उसकी बात को समझते हुए मैंने उस टी-शर्ट को उसके गले में डाल दी और उसे अपनी बाजू टी-शर्ट में डालने के लिए कहा!
वो जैसे ही अपनी बाजू हिला कर टी-शर्ट में डालने लगी उसके दोनों स्तन नग्न हो गये और उनमें से एक मेरे हाथ को भी छू गया!
इसके बाद उसने अपना नीचे जघन-स्थल पर रखा हुआ हाथ भी हिलाया और टी-शर्ट में डाला तब मुझे नज़दीक से वहाँ के भी पूर्ण दर्शन हो गए!
जब तक उसने टी-शर्ट को नीचे खींच कर अपने स्तनों को ढका और तौलिये को फिर अपनी योनि पर रखा तब तक उस स्त्री के शरीर के सबसे आकर्षक एवं मूल्यवान अंग मेरे दर्शन के लिए खुले रहे!

उस नज़ारे को देख कर मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया और मेरा लिंग तन कर खड़ा हो गया और उसने मेरे लोअर को तम्बू की तरह ऊँचा कर दिया।

मैंने जल्दी से दूसरी ओर मुड़ कर एक हाथ से अपने लिंग को नीचे की ओर दबा कर लोअर को ठीक किया और फिर मुड़ कर उसको देखा!
शायद उसने मेरे लिंग को मेरा लोअर उठाये हुए देख लिया था इसलिए मुझे देख कर वह मुस्कुरा रही थी।
जब वह और मैं कुछ सुविधापूर्ण स्तिथि में हो गए तब मैंने दरवाज़े की ओर देखा और उसे खोलने की कोशिश करने लगा।
दरवाज़े में लगे लैच के पेचों को खोल कर उसके अनेक हिस्सों को एक एक कर के अलग किया और फिर चौखट में फसी कड़ी को खींच कर निकाला!
आधे घंटे के परिश्रम के बाद ही मैं उस दरवाज़े को खोल कर उस सुन्दरी को बाथरूम से बाहर निकाल पाया! 
दरवाज़े के खुलते ही वह सुन्दरी एक पिंजरे से छूटे पंछी की तरह उड़ कर अपने कमरे में पहुँची!
उसने सब से पहले मेरी टी-शर्ट के ऊपर ही अपना गाउन पहन लिया और फिर मेरी ओर पीठ कर के नीच के शरीर पर पैंटी पहनी!
मैं बाथरूम के दरवाजे के पास बैठा उसका लैच ठीक करते हुए वह नज़ारा देख रहा था और मन ही मन मुस्करा रहा था!
मैंने लैच को ठीक कर के दरवाजे में लगाने के बाद जब उसे परीक्षण करने के लिए कहा तो वह बोली- आप ही परीक्षण कर लो मैं दुबारा से वह जोखिम नहीं ले सकती।
तब मैं बाथरूम के अन्दर जा कर दरवाज़े को तीन चार बार बंद किया और फिर खोल कर बाहर आया तब जाकर उसे दरवाज़ा ठीक होने का विश्वास हुआ!
मेरे द्वारा दोबारा कहने के बावजूद भी उसने परीक्षण करने से मना कर दिया।
वह हंस कर कहने लगी- आगे से मैं जब भी इस बाथरूम में जाऊँगी तब मैं इस दरवाज़े को तो कभी भी बंद नहीं करुँगी! क्या पता यह आज की तरह फिर बिगड़ जाए और मुझे सहायता के लिए पुकारना पड़े।
मैंने भी हँसते हुए कहा- सहायता के लिए मैं हमेशा उपलब्ध रहूँगा लेकिन आप के घर में तो सिर्फ आप और आप के पति ही रहते है इसलिए आप को तो दरवाज़ा बंद करने की आवश्यकता ही नहीं होनी चाहिए। 
मेरी बात सुन कर वह भी हंस पड़ी और कहा- हाँ, आप ठीक ही कह रहे हैं!
अच्छा अब आप अन्दर बैठक में आ कर बैठ जाइए तब तक मैं आप के लिए गर्म गर्म चाय बना कर लाती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, आप जा कर चाय बनाइये और मैं तब तक बाथरूम के वे तिरछे शीशे लगा कर बैठक में आता हूँ! हाँ, मेरे लिए चाय बिना दूध और चीनी की ही बना कर लाना क्योंकि मैं सिर्फ काली चाय ही पीता हूँ।
मेरी बात सुन कर वह बोली- आप काली चाय पीते हैं? तभी तो आप के शरीर पर चर्बी का नाम ही नहीं है! यह तिरछे शीशे लगाने का काम आप चाय पीने के बाद ही करना क्योंकि आपको शीशे पकड़ाने के लिए मेरी सहायता की ज़रूरत पड़ सकती है।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कह दिया- नहीं, अभी तो मुझे इस काम के लिए तो आपकी ज़रूरत नहीं पड़ेगी लेकिन भविष्य में अगर किसी काम के लिए आपकी ज़रुरत पड़ी तो आपको सहायता के लिए अवश्य पुकारूँगा।
मेरी बात सुन कर वह चुप हो गई और चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई!
जब तक वह चाय बना कर लाती तब तक मैंने बाथरूम के तिरछे शीशे लगा दिए और अपना सभी सामान समेट कर उपकरणों के डिब्बे में डाल कर बैठक में आ कर बैठ गया।
फिर मैंने और उसने चाय पीते हुए एक दूसरे से अपना परिचय कराया!
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05-29-2018, 11:54 AM,
#5
RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
तब उसने बताया की उसका नाम नेहा है और वह देहली में पली बड़ी हुई है तथा उसने वहीँ से आई टी इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी करी है!
उसकी शादी तीन माह पहले हुई थी और तब से वह अपने पति के साथ बैंगलोर में रहने के लिए आ गई। 
जब मैंने उसके पति के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उनका नाम संजय है और वह भी एक आई टी इंजिनियर है तथा बैंगलोर की एक आई टी कंपनी में कार्य करता है!
उसने यह भी बताया शादी से पहले वह भी गुड़गाँव में एक आई टी कंपनी में काम करती थी।
मेरे पूछने पर की वह अब यहाँ पर काम क्यों नहीं करती है तो उसने बताया कि उसने एक दो जगह इंटरव्यू दिए है और उनके नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा कर रही है!
इसके बाद जब मैं अपने घर जाने के लिए तैयार हुआ तब नेहा से कहा- मेरी थोड़ी सहायता कर दो।
उसने पूछा- अब तुमको क्या सहायता चाहिए?
मैंने कहा- मुझे बालकनी तक जाने का रास्ता बता दो और कृपया मेरी टी-शर्ट भी वापिस कर दो! अगर कोई मुझे इस घर से नंगा जाते हुए देखेगा तो पता नहीं तुम्हारे और मेरे बारे में क्या क्या बातें फैलायगा।
मेरी बात सुन कर वह शर्मा गई और कहा- क्षमा करना, मैं तो इसे उतारना ही भूल गई थी!
लो मैं अभी उतार देती हूँ।
फिर उसने वहीं खड़े खड़े अपना गाउन खोल कर नीचे किया और मेरी टी-शर्ट उतार कर मुझे दे दी!
फिर अपना गाउन फिर पहन कर वह मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर कहा- क्या तुम मुझे, आज की घटना के बारे में किसी को भी नहीं बताने का वचन दे सकते हो? मैं नहीं चाहती की हम दोनों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को आज की घटना के बारे में कुछ भी ज्ञात हो!
उसकी बात सुन कर मैंने उससे पूछा- क्या तुम यह बात अपने पति को भी नहीं बातोगी?
उसने तुरंत उत्तर दिया- नहीं, मैं मरते दम तक इस बात का उल्लेख किसी से नहीं करुँगी।
मैंने पूछा- तुम यह बात अपने पति से क्यों छुपओगी?
तो उसने कहा- अगर बताऊँगी तो मुझे तुम्हारे सामने नग्न खड़े रहने और तुम्हारी टी-शर्ट पहनाने की बात भी बतानी पड़ेगी पता नहीं वे इसका क्या मतलब निकालने लगें और मेरी बात पर विश्वास भी करते भी हैं या नहीं! मेरी नई नई शादी हुई है और मैं नहीं चाहती कि मेरी शादीशुदा जीवन के शुरुआत में ही कोई अड़चन आ जाये।
उसकी बात सुन कर मैंने उसे वचन दे दिया- नेहा, मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि तुम्हारी अनुमति के बिना मैं भी मरते दम तक आज के प्रसंग को किसी भी तीसरे इंसान से साझा नहीं करूँगा।
मेरा वचन सुन कर उसने एक छोटी बच्ची की तरह ख़ुशी से उछलते हुए ताली बजाई और आगे बढ़ कर मेरे गाल को चूम लिया!
मैंने भी उसके चुम्बन के उतर में उसका गाल को चूम लिया और उससे पूछा- नेहा, जब मैंने तुमसे अपनी टी-शर्ट मांगी थी तब तुमने मेरे सामने ही नग्न हो कर उसे उतार कर मुझे दे दी थी! तुम दूसरे कमरे में जा कर भी तो उसे उतार सकती थी?
उसने कहा- मुझे तुम पर पूरा विश्वास हो चुका था! आधे घंटे से अधिक मैं पूर्ण नग्न स्तिथि में तुम्हारे साथ एक सात फुट लम्बे और साढ़े पांच फुट चौड़े बाथरूम में बंद रही थी और उस अविधि में तुमने मुझे हाथ लगाना तो दूर मेरी ओर देखा भी नहीं था! सबसे बड़ी बात मेरी नग्नता को छुपाने के लिए तुमने अपनी टी-शर्ट भी उतार कर मुझे पहनने को दी थी!
जब मैंने तुम्हे मुझे टी-शर्ट पहनाने के लिए कहा तब भी तुमने मेरे किसी भी अंग को नहीं छुआ, न ही छूने की कोशिश करी! मैंने देखा था कि लोअर के अन्दर तुम्हारे लिंग के उत्तेजित होने के बाबजूद भी तुमने अपने आप को कैसे संयम में रखा था! कोई दूसरा इंसान होता तो उस समय अपना संयम खो कर मेरा क्या हाल करता इसका तो मेरे लिए अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है! मेरी तो उस बारे में सोच कर ही रूह कांप जाती है।
मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गया और अपना सामान उठा कर बालकनी में चला गया।

वहाँ से मैंने स्टूल को भी उठाया और बालकनी लांघ कर अपने घर पहुँच गया! घर के अन्दर जाने से पहले मैंने नेहा को एक बार पीछे मुड कर देखा और फिर उसे “बाई” कह कर घर के अन्दर चला गया!




घर पहुँचते ही मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसमे से नेहा की महक को सूंघने लगा।
उस टी-शर्ट में जहाँ जहाँ पर नेहा स्तन छुए थे उन जगहों को चूमा!
फिर मैंने उस टी-शर्ट को दोबारा पहन लिया ताकि मुझे ऐसा एहसास होता रहे कि मैंने नेहा को अपने साथ चिपका लिया है!
मैं नेहा की बातें सुन कर अब अपना संयम खो चुका था इसलिए बाथरूम में जा कर हस्त-मैथुन किया और मानसिक एवं शारीरिक तनाव को ढीला किया।
अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो मौसम बहुत ही सुहावना था क्योंकि धूप निकली हुई थी और आकाश में छोटे छोटे बादलों के टुकड़े हल्की हवा में टहल रहे थे।
मैं जब बालकनी में आया तो मैंने नेहा को अपनी बालकनी में बैठे देखा।
मुझे देखते ही उसके मुस्करा कर कहा- शुभ दिवस, रवि!
मैंने भी उत्तर में कहा- शुभ दिवस, नेहा! तुम कैसी हो?
उसने कहा- मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ तुम कैसे हो?
मैंने हँसते हुए कहा- मैं भी ठीक हूँ! आज तुम कौन से बाथरूम को बंद कर रही हो?
नेहा ने मेरी बात सुन कर मुझे घूरते हुए कहा- क्या मतलब? क्या मैं रोज़ ही बाथरूम बंद करती रहती हूँ?
मैंने कह दिया- नहीं, मैंने तो वैसे ही पूछ लिया था! आज तो तुम अपने बाथरूम में बंद होने से पहले अपने कपड़े साथ ले लेना क्योंकि आज मदद के लिए मेरी सेवायें उपलब्ध नहीं होंगी।
वह गंभीर हो कर बोली- क्यों, क्या कहीं जा रहे हो?
मैंने तो सोचा था कि आज बालकनी में बैठ कर तुमसे पूरा दिन बातें करती रहूंगी।
मैंने उसकी गंभीरता पर हंसते हुए बोला- घर गृहस्थी का सामान लेने! आज सुबह काम पर जाने से पहले भाभी बाज़ार से सामान लाने की एक सूची बना कर दे गई है! मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह सामान कहाँ से मिलता है।
मेरी बात सुन कर नेहा ने पूछा- क्या क्या सामान लाना है?
तो मैंने कमरे में जाते हुए उसे कहा- इधर अंदर आकर देख लो।
मेरे कहने पर नेहा बालकनी लांघ कर मेरे कमरे में आ गई और बोली- सामान की सूचि दिखाओ।
मैंने भाभी की लिखी हुई सूचि उसके हाथ में दे दी और वह उसे पढ़ने में मग्न हो गई।
क्योंकि मुझे मूत्र आया था इसलिए मैं उसे कमरे में छोड़ कर बाथरूम में चला गया!
मूत्र विसर्जन से निपट कर मैं कमरे में आया तो नेहा से पूछा- क्या तुमने सामान की सूचि पढ़ ली है? यह सब सामान कहाँ मिलेगा?
मेरी बात सुन कर नेहा तुरंत बोली- हाँ पढ़ ली है! यह सभी सामान यहाँ से लगभग पांच किलो मीटर दूर एक मॉल और एक मेगा स्टोर है वहाँ से मिल जायेगा।
मैंने उससे कहा- क्या तुम मेरे साथ यह सामान खरीदने के लिए चल सकती हो? वापसी में हम दोपहर का खाना किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में ही खा लेंगे।
नेहा कुछ देर सोचती रही फिर बोली- कब चलना है और कब तक वापिस आ जायेंगे।
मैंने कहा- ग्यारह बजे चलते है! एक बजे तक तो खरीदारी हो जाएगी, फिर खाना खायेंगे और दो बजे तक घर वापिस आ जायेंगे।
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05-29-2018, 11:55 AM,
#6
RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मेरी बात सुन कर वह बोली- ठीक है मैंने भी अपनी खरीदारी की लिस्ट बना लेती हूँ और ग्यारह बजे तक तैयार हो कर आती हूँ।
नेहा इतना कह कर बालकोनी लांघ कर अपने घर चली गई और मैं भी बाज़ार चलने के लिए तैयार होने लगा!
ग्यारह बजने में दस मिनट पर जब मेरे घर की घंटी बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो हुस्न की परी नेहा को अपने सामने खड़ा पाया!
किसी भी नारी का समय से पहले तैयार होना मैं पहली बार देख रहा था जिसके लिए मैंने उसे बधाई भी दी!
मैंने नेहा को बैठने को कहा और कपड़े बदलने के लिए अपने कमरे में गया तो वह भी मेरे पीछे आ गई और पूछने लगी- रवि हम सामान लेने कैसे जा रहे हैं?
तब मैंने उससे उल्टा प्रश्न कर दिया- तुम कैसे जाना चाहोगी? पैदल या बस पर?
नेहा गुस्से में बोली- पैदल या बस में तुम अकेले ही जाओ, मुझे नहीं जाना तुम्हारे साथ! सामान जहाँ मिलता है वह जगह बता दी है! अब तुम जानो और तुम्हारा काम मैं अपने घर जा रही हूँ।
मैंने उसका गुस्सा शांत करने के लिए उसके पास जा कर उसे बोला- सॉरी मैडम, मैंने तो मज़ाक में कह दिया था! मुझे नहीं मालूम था की तुम मज़ाक भी सहन नहीं कर सकती।
फिर बात आगे बढ़ता हुआ मैं बोला- तुम कैसे जाना चाहोगी? बाइक पर या कार में?
मेरी बात सुन कर वह बोली- बाइक और कार? वह किसकी है?
मैंने उसे बताया- आज भाभी, भईया के साथ, उनकी कार में ही गई है और अपनी कार मेरे लिए बाज़ार से सामान लाने के लिए छोड़ गई है! बाइक तो भईया की है जो अब उन्होंने चलाने के लिए मुझे दे दी है।
तब नेहा ने कहा- मुझे तो बाइक पर पीछे बैठ कर घूमने जाने में बहुत ही आनंद आता है लेकिन हमे तो सामान लाना है इसलिए कार पर चलेंगे तो सामान उसमें लाद कर लाने में सुविधा होगी।
यह बातें करते हुए मैं तैयार हो गया और उससे मैंने कहा- ठीक है तो मैं भाभी के कमरे से कार की चाबी ले कर आता हूँ तब तक तुम लिफ्ट को ऊपर बुला कर रोको।
चंद मिनटों के बाद हम दोनों घर को बंद कर एक साथ लिफ्ट से नीचे पहुँचे और कार में बैठ कर खरीदारी के लिए निकल पड़े!
मॉल और मेगा स्टोर से दोनों लिस्टों का सभी सामान खरीद कर जब मैंने अपने कार्ड से पैसे दिए तो नेहा ने नाराज़गी दिखाई तब मैंने उसे कह दिया कि दोपहर के खाने के पैसे वह देकर हिसाब पूरा कर दे!
फिर हमने नेहा द्वारा सुझाये रेस्टोरेंट में खाना खाया और दो बजे तक घर वापिस पहुँच गए।
घर पहुँच कर नेहा अपने फ्लैट में जाने लगी तब मैंने उसे कहा- दोनों का सामान आपस में मिल गया है इसलिए अन्दर बैठ कर उसे छांट लेते है फिर तुम उसे ले कर अपने घर चली जाना।
नेहा अच्छा कह कर बैठक में आ गई और अपना पर्स सोफे पर पटक कर सीधा मेरे कमरे में चली गई।
मैं हैरान सा उसके पीछे पीछे गया तो देखा कि वह अपनी सलवार का नाड़ा खोलते हुए मेरे बाथरूम में चली गई।

मैं जब बाथरूम के पास पहुँचा तो दरवाज़ा खुला पाया और अन्दर से ‘शूऊ… शूऊ…’ का मधुर संगीत सुनाई दिया।
मैं समझ गया कि नेहा मूत्र विसर्जन कर रही थी।
क्योंकि मुझे भी मूत्र विसर्जन के लिए बाथरूम जाना था मैं वहीं उसके बाहर आने का इंतज़ार करता रहा।
कुछ क्षणों के बाद नेहा अपनी सलवार का नाड़ा बांधती हुई बाहर निकली और मुझे वहाँ खड़ा देख कर थोड़ा झिझकी और फिर मुस्कराते हुए मुझे बाथरूम में जाने का रास्ता दे दिया।
मैं जब मूत्र विसर्जन कर रहा था तब मैंने तिरछी नजरो से दिवार पर लगे आईने में नेहा की छवि को देखा जो दरवाज़े में से बाथरूम के अन्दर झांक रही थी।
मैं समझ गया की वह क्या देखना चाहती है इसलिए मैं थोड़ा घूम गया ताकि उसे मेरा लिंग अच्छे से दिख जाए!
मूत्र विसर्जन के बाद जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो नेहा को वहाँ नहीं देख कर समझ गया कि वह बैठक में भाग गई होगी।

उसके बाद हम दोनों ने अपनी अपनी लिस्ट के हिसाब से सामान छांटा और नेहा अपना सामान ले कर अपने फ्लैट में चली गई! 

अगले दो दिन नेहा मुझे कभी कभी बालकनी में नज़र आ जाती और हमारी कुछ देर इधर उधर की बातें हो जाती।
तीसरे दिन मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, तब नेहा की आवाज़ आई।
इससे पहले की मैं उठ कर बालकनी में पहुँचता, नेहा बालकनी लाँघ कर मेरे कमरे के दरवाज़े को खटखटाने लगी!
मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा कि वह हाँफ रही थी तब मैंने उसे आराम से बैठ कर बात करने को कहा तो वह कमरे के अंदर आकर मेरे बैड पर ही बैठ गई।
थोड़ी देर के बाद जब मैंने देखा की उसका हाँफना बंद हो गया है तो पूछा- क्या बात है? इतना हाँफ क्यों रही हो?
जैसे ही उसकी सांस में सांस में आई तब वह बोली- आज मैं बहुत खुश हूँ और वह ख़ुशी तुम्हारे साथ साझा करना चाहती थी इसलिए भागी भागी चली आई! मेरी नौकरी का नियुक्ति पत्र आ गया है और तीन दिनों के बाद सोमवार को मुझे उसे ज्वाइन करना है।
मैंने नेहा से पूछा- कौन सी कंपनी से नियुक्ति पत्र आया है?
तब उसने अपनी नाइटी के गले में हाथ डाला और ब्रा मे फसा एक कागज़ निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया।
मैंने जब उसे खोल कर पढ़ा तो देखा कि उसे भी उसी कंपनी में नौकरी मिली है जहाँ मुझको सोमवार को जाना था।
जब मैंने नेहा को बताया कि मुझे भी उसी कंपनी में नौकरी मिली हुई है और मैं भी सोमवार को वहीं ज्वाइन करूँगा तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और मुझ से लिपट गई।
मैंने उसे अपने से अलग किया और फिर हम काफी देर बैड पर ही बैठे अपनी अपनी नौकरी के भविष्य के बारे में बाते करते रहे।
अगले दिन रविवार को भईया, भाभी और मैं जब बालकनी में बैठे थे तब नेहा बालकनी में आई और हमें वहाँ बैठा देख कर तुरंत वापिस अन्दर चली गई।
कुछ क्षणों के बाद वह अपने पति के साथ बाहर आई तब नेहा के पति ने भईया, भाभी का अभिनन्दन किया और मुझसे हाथ मिलाया तथा अपना परिचय दिया।
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05-29-2018, 11:55 AM,
#7
RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
नेहा का पति कद में नेहा से छोटा लग रहा था और रंग में भी सांवला एवं देखने में भी बदसूरत लग रहा था।
मुझे बहुत ही हैरानी हो रही थी की नेहा ने उस जैसे लंगूर से शादी के लिए हाँ क्यों की होगी।
परिचय हो जाने के बाद नेहा के पति ने मुझसे कहा- नेहा ने मुझे बताया कि तुम्हें भी उसी कंपनी में नौकरी मिली है जिसमें नेहा को मिली है। कल सुबह कंपनी के काम से मुझे चेन्नई जाना है इसलिए मैं कल उसे उसको ऑफिस छोड़ने नहीं जा सकता! अगर तुम्हें कोई परेशानी नहीं हो तो क्या तुम कल उसे अपने साथ ऑफिस ले जा सकते हो?
मैंने उत्तर में कहा- मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं होगी! लेकिन मैं तो बाइक से जाऊँगा इसलिए अगर आपकी पत्नी को कोई परेशानी और आपत्ति नहीं हो तो वह अवश्य मेरे साथ चल सकती हैं।
मेरी बात सुन कर मेरी भाभी ने तुरंत कहा- रवि, अगर सोमवार को तुम नेहा को अपने साथ ले कर जाने वाले हो तो मेरी कार में चले जाना।
फिर भाभी ने नेहा के पति की ओर घूमते हुए बोली- भाई साहिब, आप चिंता मत करें! सोमवार को मैं कार नहीं ले जाऊँगी इसलिए यह दोनों आराम से उसमे नई नौकरी ज्वाइन करने जा सकते हैं।
इसके बाद नेहा और उसके पति ने भईया, भाभी और मेरा धन्यवाद किया और अन्दर चले गए।
हम भी कुछ देर और बालकनी में बैठ कर अपने अपने कमरे में चले गए।
शाम को मुझे नेहा की पुकार सुनाई दी तब मैं बालकनी में गया तो वह मुझसे सुबह ऑफिस जाने का कार्यकर्म पूछने लगी।
मैंने उसे बताया कि मेरे नियुक्ति पत्र में तो साढ़े नौ का समय दे रखा है, इसलिए अगर हम नौ बजे भी चलेंगे तो भी समय से पहले ही पहुँच जायेंगे।
तब उसने कहा कि वह नौ बजे से पहले ही तैयार हो कर हमारे फ्लैट पर पहुँच जाएगी!
सोमवार सुबह ठीक नौ बजे जब मैं घर से निकल रहा था, तब नेहा भी अपने फ्लैट से निकल कर मेरे पास आ गई और हम दोनों तय कार्यक्रम के अनुसार ऑफिस चले गए।
शाम को जब हम दोनों ऑफिस से घर लौटे तब तक भईया और भाभी नहीं आये थे इसलिए मैं नेहा के अनुरोध पर सीधा उसके फ्लैट में ही चले गए।
अंदर जाकर नेहा ने मुझे बैठने के लिए कहा और खुद अपने कमरे में चली गई।
मैं जानता था कि वह अन्दर सीधा बाथरूम में जाएगी इसलिए दबे पाँव मैं भी उसके पीछे उसके कमरे में चला गया।
कमरे के अंदर नेहा को नहीं देख और बाथरूम का दरवाज़ा खुला देख कर मैं थोड़ा ओट में रहते हुए अंदर झाँका तो देखा कि नेहा अपनी कमीज़ उतार चुकी थी और सलवार उतार रही थी!
उसके बाद नेहा ने अपनी ब्रा और पैंटी भी उतारी और सभी कपड़े एकत्रित करके कोने में रखी मैले कपड़ों को टोकरी में डाल दिए!
फिर पूर्ण नग्न रूप में ही पॉट पर बैठ कर मूत्र विसर्जन किया और अपनी योनि को धोया एवं पौंछा!
जब वह अपने हाथ से अपनी योनि के होंठ चौड़े करके धो एवं पोंछ रही थी तब उसकी गुलाबी रंग की पावरोटी के अंदर तक की झलक देखने को मिली!
यह दृश्य देख कर जब मेरा लिंग तन कर क़ुतुब मीनार की तरह खड़ा हो गया तब मैं वहाँ से हट गया।
लेकिन हटने से पहले मैंने देख लिया था कि नेहा ने बिना ब्रा और पैंटी पहने ही नाइटी पहन ली थी और अपना मुख धो रही थी।
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05-29-2018, 11:55 AM,
#8
RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मैं बैठक में जाकर बैठ गया और अपने लिंग तो ठंडा करने का प्रयत्न करने लगा।
कुछ देर के बाद नेहा रसोई में जा कर दोनों के लिए काली चाय बना कर ले आई।
हम दोनों चाय पी रहे थे तब नेहा ने यह कह कर मुझे चौंका दिया- रवि, उस दिन तो तुमने मुझे पूर्ण नग्न देख ही लिया था तो आज फिर क्यों छुप कर देख रहे थे? अगर अधिक मन कर ही रहा था तो मुझे कह देते मैं एक बार फिर से तुम्हे नग्न हो कर अपना सब कुछ दिखा देती!
मैं कुछ क्षण तो चुप रहा और फिर उससे कहा- मैंने तो यह छुपा छिपी का खेल तुमसे ही सीखा है! उस दिन जब मैं मूत्र विसर्जन कर रहा था तब तुमने भी तो मुझे छुप कर देखा था!
तुम भी अगर मुझे कह देती तो मैं भी नग्न होकर तुम्हें अपना सब कुछ दिखा देता!
मेरी बात सुन कर नेहा झेंप गई और बोली- तुम्हे कैसे पता कि मैं तुम्हें देख रही थी?
मैंने उत्तर दिया- मैंने तुम्हारी छवि दिवार पर लगे आईने में देख ली थी इसीलिए तो मैं थोड़ा घूम गया था ताकि तुम्हे मेरे लिंग के पूर्ण दर्शन अच्छी तरह से हो जाएँ।
मेरा उत्तर सुन कर उसका चहरा शर्म से लाल हो गया और उसने अपनी आँखे नीची कर ली तथा अपने को सामान्य करने के लिए वहाँ से अपने कमरे में जाने लगी।
तब मैं भी उठ कर खड़ा हुआ और उसे ‘बाई’ कहता हुआ अपने घर आ गया।
घर पहुँचा तो भईया और भाभी आ चुके थे इसलिए मैं उनके साथ बातें करने में व्यस्त हो गया और इसी में रात हो गई।
खाना खाने के बाद रात साढ़े नौ बजे मैं अपने बिस्तर में सोने के लिए लेटा हुआ था जब मेरे मोबाइल पर नेहा का फोन आया- रवि, एक बहुत ज़रूरी काम है! तुम इसी समय मेरे घर आ जाओ।
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05-29-2018, 11:55 AM,
#9
RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मैंने उससे पूछा- नेहा, क्या बात है जो इस समय इतनी रात को मुझे अपने घर बुला रही हो? अगर भईया भाभी ने पूछा तो मैं उन्हें क्या जवाब दूंगा कोई कारण तो बताओ।
नेहा ने उत्तर दिया- तुम्हें उन्हें बताने की कोई ज़रुरत नहीं है! तुम बस अभी बालकनी के रास्ते से मेरे घर आ जाओ! मैं बालकनी का दरवाज़ा खोल देती हूँ तुम बस उसे धकेल कर अंदर आ जाना।
मेरे बार बार पूछने पर भी नेहा ने कोई कारण नहीं बताया।
मैं कुछ देर सोचने के बाद बिस्तर से उठ कर भईया और भाभी को देखने व उनसे बात करने गया।
वे दोनों सो चुके थे क्योंकि उनके कमरे का दरवाज़ा बंद था और कमरे में रोशनी भी नहीं थी।
मैं अपने कमरे में आकर दरवाज़ा अन्दर से अच्छी तरह से बंद कर के अँधेरे में बालकनी लांघ कर नेहा के घर पहुँचा।
जैसे ही मैंने नेहा के कमरे का दरवाज़े खटखटाया तो अन्दर से उसकी आवाज़ आई- दरवाज़ा खुला है! अंदर आ जाओ और दरवाज़े की चिटकनी लगाते आना।
मैं दरवाज़े को धकेल कर अंदर चला गया और फिर उसे बंद कर उसमे चिटकनी लगा दी!
अंदर उस कमरे में अँधेरा था लेकिन नेहा के बैडरूम में से रोशनी आ रही थी!
मेरे पूछने पर की वह कहाँ है नेहा बोली- मैं अपने कमरे में हूँ तुम यहीं आ जाओ। 
नेहा के कहने पर जब मैं उसके कमरे के अन्दर पहुँचा तो देखा कि वह बैड पर लेटी हुई थी, उसने एक टांग सीधी रखी हुई थी दूसरी टांग खड़ी कर रखी थी।
उसकी खड़ी टांग के कारण उसकी नाइटी भी ऊँची उठ गई थी और मुझे उसकी दोनों जाँघों के बीच का हिस्सा साफ़ दिख रहा था।
वह कभी कभी खड़ी टांग को हिला कर चौड़ी कर देती थी जिससे मुझे उसके जघन-स्थल के बाल भी दिख जाते थे।
यह नज़ारा देख कर मेरा लिंग तन गया और मेरे पजामे के आगे का भाग उभर गया था।
मैं उस उभार को दबाने की चेष्टा कर रहा था जब नेहा बोली- रवि, मेरे पति तो चेन्नई गए हुए है और उन्हें आज रात को ही वापिस आना था। थोड़ी देर पहले उनका फोन आया कि उनका काम आज समाप्त नहीं हुआ इसलिए वह नहीं आ रहे! शादी के बाद रात के समय मैं पहली बार घर पर अकेली हूँ और बहुत डर लग रहा था इसलिए तुम्हें फोन करके बुला लिया है! क्या तुम आज रात मेरे साथ सो सकते हो?
नेहा की बात सुन कर मैं कुछ असमंजस में पड़ गया और सोच में पड़ गया की वह वास्तव में क्या चाहती है!
इसलिए मैंने उसे कहा– तुम यह क्या कह रही हो? मैं पूरी रात तुम्हारे साथ यहाँ बैठने को तैयार हूँ ताकि तुम्हें डर नहीं लगे लेकिन मुझे नहीं लगता की मेरा तुम्हारे साथ सोना ठीक होगा।
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05-29-2018, 11:55 AM,
#10
RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मेरी बात सुन कर उसका चेहरा उतर गया और बोली- मैंने तुम्हें मेरे पास बैठने की सजा देने के लिए नहीं बुलाया है! जब तक मुझे नींद नहीं आ जाती तब तक क्या तुम मेरे पास बैठने के बजाय लेट कर बातें नहीं कर सकते।
इससे पहले कि मैं उसकी बात का कोई उत्तर देता नेहा ने अपनी दोनों टाँगे खड़ी करके चौड़ी कर ली जिससे उसकी नाइटी पूरी ऊँची हो गई और उसकी दोनों जांघे, जघन-स्थल और योनि पूर्ण रूप से नग्न हो गई थी!
टाँगें चौड़ी करने के कारण उसकी योनि के होंठ भी खुल गए थे और ऐसा लग रहा था की जैसे वह मुझे उसमे समाने का निमंत्रण दे रही थी!

ऐसा दृश्य देख कर कोई साधू संत भी उत्तेजित हो जाता, मैं तो सिर्फ एक साधारण इंसान ही था!
जब मैं अपने पर और अधिक संयम नहीं रख सका तब मैं उसके साथ वाले बैड पर उसकी ओर मुँह कर के लेट गया।
मेरे लेटते ही नेहा ने अपनी करवट मेरी और बदल ली और सरक कर बिल्कुल मेरे करीब आ गई।
उसके मेरी ओर करवट करके लेटने से उसकी नाइटी का गला नीचे लटक गया था और उसमें से मुझे उसके स्तन नज़र आने लगे थे!
उसके स्तनों में कसाव था और वह इतने सख्त थे की उसके झुकने के बावजूद भी उनमें कोई लटकन दिखाई नहीं दे रही थी।
मेरा मन कर रहा था कि मैं हाथ बढ़ा कर उसे दोनों स्तनों को पकड़ कर मसल दूँ लेकिन अपने पर नियंत्रण रख कर लेटा रहा।
कुछ देर वह जब कुछ नहीं बोली तब मैंने नेहा के चेहरे की ओर देखा तो पाया कि वह मेरे लिंग के कारण हुए मेरे पजामे के उभार को टकटकी लगा कर देख रही थी!
मुझसे रहा नहीं गया और उससे पूछा- क्या देख रही हो?
वह बोली- कुछ नहीं, तुम्हारा वह देख रही थी।
मैंने अनजान बनते हुए कहा- मेरा क्या देख रही थी?
उसने कहा- तुम्हारा लिंग देखने की कोशिश कर रही थी! वही लिंग जिस में से तुम मूत्र विसर्जन करते हो।
मैं बोला- तुम उसे कैसे देख सकती हो इस समय तो वह पजामे में बंद है, और तुम उसे क्यों देखा चाहती हो? 
वह तुरंत बोली- क्योंकि तुम मेरी योनि देख चुके हो इसलिए अब मुझे तुम्हारा लिंग देखने का पूरा हक है।
मैंने जब अपने लिंग को अपनी दोनों जाँघों के बीच में करके दबाने लगा तब नेहा ने मुझे टोका और बोली– रवि, थोड़ा रुको इसे अन्दर मत दबाओ! मैंने तुम्हें पहले भी कहा है कि मुझे इसे देखने का पूरा हक है इसलिए बेहतर होगा की तुम खुद ही अपना पजामा उतार कर इसे बाहर निकाल कर मुझे दिखा दो।
मैंने उससे पूछा- लेकिन मूत्र विसर्जन के समय तुम मेरा लिंग देख चुकी हो फिर अब क्यों देखना चाहती हो?
नेहा बोली- तब तो बहुत दूर से देखा था! मैं इसे अब करीब से देखना चाहती हूँ! मुझे तुम्हारा लिंग मेरे पति के लिंग से कुछ भिन्न लगता है।
मैं चुपचाप लेटा कुछ देर सोचता रहा और फिर अंतिम निर्णय ले कर अपना पजामा उतार कर उसके सामने नग्न हो कर लेट गया और बोला- यह लो, जी भर कर देख लो इसे।
तब नेहा ने झुक कर मेरे लिंग को देखा और मुझसे पूछा- क्या मैं इसे हाथ लगा सकती हूँ।
मैं झट से बोल उठा- नहीं, क्या मैंने अभी तक तुम्हारे किसी भी अंग को छुआ है?
नेहा बोली- रवि, मैं मानती हूँ कि तुमने अभी तक मुझे कहीं भी नहीं छुआ है! लेकिन तुमने अभी तक मुझे या मेरे किसी भी अंग को छूने कोशिश भी नहीं की है और न ही मुझसे ऐसा करने की अनुमति ही मांगी है।
यह सुन कर मैंने नेहा से कहा- अगर तुम मुझे अपने शरीर के अंगों को हाथ लगाने की अनुमति देती हो तभी मैं तुम्हें अपने लिंग को हाथ लगाने दूंगा।
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