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RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
उसका कद लगभग पांच फुट सात इंच था, सिर के बाल घने काले थे, नयन-नक्श बहुत ही तीखे और चेहरा अंडाकार था।
उसके उभरे हुए गालों में से बाएँ गाल पर एक छोटा सा तिल था जो उसकी सुन्दरता पर चार चाँद लगा रहा था।
उसने आसमानी रंग की नाइटी पहनी हुई थी जिस में से उसके कसे हुए और सख्त दिखाई देने वाले स्तन दो मीनारों के गुम्बद की तरह उठे हुए थे।
उसे देख कर मैं थोड़ा ठिठक गया और अपनी बालकनी के बीच में ही रुक कर उसे देखता रहा!
उसने नाइटी के नीचे क्या क्या पहना था मैं इसका अनुमान तब तक नहीं लगा पाया जब तक उसने मुड़ कर मेरी और पीठ नहीं करी।
जैसे ही उसने पीठ करी तभी मुझे उसकी नाइटी से चिपकी उसकी ब्रा और जांघिया की रूपरेखा दिखाई दी और मेरी पुष्टि हो गई कि उसने पैंटी और ब्रा पहने हुई थी।
वह तार पर से कपड़े उतार कर जब फर्श पर गिरी ब्रा और पैंटी उठाने के लिए झुकी तब उसकी नाइटी के खुले गले में से उसकी ब्रा में बंधी हुई चूचियों के दर्शन ज़रूर हो गए।
जब वह फर्श से कपड़े उठा कर खड़ी हुई तब मुझे देख कर मुस्कराई और फिर अन्दर अपने घर में चली गई।
उसके जाने के बाद मैं फिर से अपनी चहल-कदमी करने लगा!
अगले दो दिन भी बादल छाए रहे और बीच बीच में वर्षा की कुछ बूंदें पड़ जाती थी इसलिए अधिकतर बालकनी में ही बैठा रहा लेकिन मुझे उस यौवना के दर्शन नहीं हुए!
उसके अगले दिन मुझे बैंगलोर में आए छटा दिन था और धूप निकली हुई थी।
भईया और भाभी के काम पर जाने के बाद मैं बाहर घूमने जाने की कोई योजना पर विचार कर रहा था, तभी मुझे किसी की सहायता के लिए चिल्लाने की आवाज़ आई!
मैं बालकनी में आकर उस आवाज़ की दिशा जानने की कोशिश ही कर रहा था तभी मुझे साथ वाले घर की ओर से एक स्त्री की पुकार सुनाई दी- हेल्प, हेल्प, प्लीज हेल्प! कोई तो मेरी सहायता करो।
मैंने उधर जा कर हल्की आवाज़ लगा कर पूछा- मैडम, आप को क्या सहायता चाहिए?
उधर से मेरे प्रश्न का उत्तर आया- मेरे बाथरूम के दरवाज़े का लैच खराब हो गया है और वह खुल नहीं रहा है! मैं बाथरूम में बंद हो गई हूँ और बाहर निकल नहीं पा रही हूँ! कृपया आप उसे खोल कर मुझे बाहर निकलने में सहायता कर दीजिये।
मैंने फिर पूछा- आपका वह बाथरूम कहाँ है जिसमें आप बंद हैं और उस तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
उस स्त्री ने कहा- मैं फ्लैट नंबर 701 में रहती हूँ और मेरा बाथरूम फ्लैट नंबर 702 की दीवार के साथ ही है!
तब मैंने कहा- मैं फ्लैट नंबर 702 में रहता हूँ और उसी की बालकनी में खड़ा हूँ! आप बताएँ कि मैं आपके पास सहायता के लिए कैसे पहुँचूं?
तब स्त्री ने कहा- फ्लैट के बाहर का दरवाज़ा तो अन्दर से बंद है और मैं उसे खोलने में असमर्थ हूँ इसलिए आपको सहायता के लिए बालकनी से ही कोई प्रयोजन करना होगा।
मैंने उस स्त्री को कहा- ठीक है, मैं अपनी बालकनी से आपकी बालकनी में आकर देखता हूँ कि मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ।
उसके बाद मैं अपनी बालकनी से साथ वाले घर की बालकनी में लांघ कर गया और उस स्त्री को आवाज़ लगाते हुए एवं उससे बातें करते हुए उसके बाथरूम के बाहर पहुँच गया।
वहाँ जब मैंने सर्वेक्षण किया तो पाया कि बालकनी में खुलने वाले सभी दरवाज़े घर के अन्दर से बंद थे, बाथरूम की एकमात्र खिड़की बालकनी की ओर थी और उसमें शीशे लगे हुए थे।
खिड़की के नीचे के आधे भाग में जो शीशा लगा था वह बिल्कुल सील था और उसे खोला नहीं जा सकता था लेकिन उसके ऊपर के आधे भाग में तिरछे शीशे लगे थे जिन्हें सिर्फ अन्दर से ही निकाला जा सकता था।
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RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
तब उसने बताया की उसका नाम नेहा है और वह देहली में पली बड़ी हुई है तथा उसने वहीँ से आई टी इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी करी है!
उसकी शादी तीन माह पहले हुई थी और तब से वह अपने पति के साथ बैंगलोर में रहने के लिए आ गई।
जब मैंने उसके पति के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उनका नाम संजय है और वह भी एक आई टी इंजिनियर है तथा बैंगलोर की एक आई टी कंपनी में कार्य करता है!
उसने यह भी बताया शादी से पहले वह भी गुड़गाँव में एक आई टी कंपनी में काम करती थी।
मेरे पूछने पर की वह अब यहाँ पर काम क्यों नहीं करती है तो उसने बताया कि उसने एक दो जगह इंटरव्यू दिए है और उनके नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा कर रही है!
इसके बाद जब मैं अपने घर जाने के लिए तैयार हुआ तब नेहा से कहा- मेरी थोड़ी सहायता कर दो।
उसने पूछा- अब तुमको क्या सहायता चाहिए?
मैंने कहा- मुझे बालकनी तक जाने का रास्ता बता दो और कृपया मेरी टी-शर्ट भी वापिस कर दो! अगर कोई मुझे इस घर से नंगा जाते हुए देखेगा तो पता नहीं तुम्हारे और मेरे बारे में क्या क्या बातें फैलायगा।
मेरी बात सुन कर वह शर्मा गई और कहा- क्षमा करना, मैं तो इसे उतारना ही भूल गई थी!
लो मैं अभी उतार देती हूँ।
फिर उसने वहीं खड़े खड़े अपना गाउन खोल कर नीचे किया और मेरी टी-शर्ट उतार कर मुझे दे दी!
फिर अपना गाउन फिर पहन कर वह मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर कहा- क्या तुम मुझे, आज की घटना के बारे में किसी को भी नहीं बताने का वचन दे सकते हो? मैं नहीं चाहती की हम दोनों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को आज की घटना के बारे में कुछ भी ज्ञात हो!
उसकी बात सुन कर मैंने उससे पूछा- क्या तुम यह बात अपने पति को भी नहीं बातोगी?
उसने तुरंत उत्तर दिया- नहीं, मैं मरते दम तक इस बात का उल्लेख किसी से नहीं करुँगी।
मैंने पूछा- तुम यह बात अपने पति से क्यों छुपओगी?
तो उसने कहा- अगर बताऊँगी तो मुझे तुम्हारे सामने नग्न खड़े रहने और तुम्हारी टी-शर्ट पहनाने की बात भी बतानी पड़ेगी पता नहीं वे इसका क्या मतलब निकालने लगें और मेरी बात पर विश्वास भी करते भी हैं या नहीं! मेरी नई नई शादी हुई है और मैं नहीं चाहती कि मेरी शादीशुदा जीवन के शुरुआत में ही कोई अड़चन आ जाये।
उसकी बात सुन कर मैंने उसे वचन दे दिया- नेहा, मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि तुम्हारी अनुमति के बिना मैं भी मरते दम तक आज के प्रसंग को किसी भी तीसरे इंसान से साझा नहीं करूँगा।
मेरा वचन सुन कर उसने एक छोटी बच्ची की तरह ख़ुशी से उछलते हुए ताली बजाई और आगे बढ़ कर मेरे गाल को चूम लिया!
मैंने भी उसके चुम्बन के उतर में उसका गाल को चूम लिया और उससे पूछा- नेहा, जब मैंने तुमसे अपनी टी-शर्ट मांगी थी तब तुमने मेरे सामने ही नग्न हो कर उसे उतार कर मुझे दे दी थी! तुम दूसरे कमरे में जा कर भी तो उसे उतार सकती थी?
उसने कहा- मुझे तुम पर पूरा विश्वास हो चुका था! आधे घंटे से अधिक मैं पूर्ण नग्न स्तिथि में तुम्हारे साथ एक सात फुट लम्बे और साढ़े पांच फुट चौड़े बाथरूम में बंद रही थी और उस अविधि में तुमने मुझे हाथ लगाना तो दूर मेरी ओर देखा भी नहीं था! सबसे बड़ी बात मेरी नग्नता को छुपाने के लिए तुमने अपनी टी-शर्ट भी उतार कर मुझे पहनने को दी थी!
जब मैंने तुम्हे मुझे टी-शर्ट पहनाने के लिए कहा तब भी तुमने मेरे किसी भी अंग को नहीं छुआ, न ही छूने की कोशिश करी! मैंने देखा था कि लोअर के अन्दर तुम्हारे लिंग के उत्तेजित होने के बाबजूद भी तुमने अपने आप को कैसे संयम में रखा था! कोई दूसरा इंसान होता तो उस समय अपना संयम खो कर मेरा क्या हाल करता इसका तो मेरे लिए अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है! मेरी तो उस बारे में सोच कर ही रूह कांप जाती है।
मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गया और अपना सामान उठा कर बालकनी में चला गया।
वहाँ से मैंने स्टूल को भी उठाया और बालकनी लांघ कर अपने घर पहुँच गया! घर के अन्दर जाने से पहले मैंने नेहा को एक बार पीछे मुड कर देखा और फिर उसे “बाई” कह कर घर के अन्दर चला गया!
घर पहुँचते ही मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसमे से नेहा की महक को सूंघने लगा।
उस टी-शर्ट में जहाँ जहाँ पर नेहा स्तन छुए थे उन जगहों को चूमा!
फिर मैंने उस टी-शर्ट को दोबारा पहन लिया ताकि मुझे ऐसा एहसास होता रहे कि मैंने नेहा को अपने साथ चिपका लिया है!
मैं नेहा की बातें सुन कर अब अपना संयम खो चुका था इसलिए बाथरूम में जा कर हस्त-मैथुन किया और मानसिक एवं शारीरिक तनाव को ढीला किया।
अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो मौसम बहुत ही सुहावना था क्योंकि धूप निकली हुई थी और आकाश में छोटे छोटे बादलों के टुकड़े हल्की हवा में टहल रहे थे।
मैं जब बालकनी में आया तो मैंने नेहा को अपनी बालकनी में बैठे देखा।
मुझे देखते ही उसके मुस्करा कर कहा- शुभ दिवस, रवि!
मैंने भी उत्तर में कहा- शुभ दिवस, नेहा! तुम कैसी हो?
उसने कहा- मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ तुम कैसे हो?
मैंने हँसते हुए कहा- मैं भी ठीक हूँ! आज तुम कौन से बाथरूम को बंद कर रही हो?
नेहा ने मेरी बात सुन कर मुझे घूरते हुए कहा- क्या मतलब? क्या मैं रोज़ ही बाथरूम बंद करती रहती हूँ?
मैंने कह दिया- नहीं, मैंने तो वैसे ही पूछ लिया था! आज तो तुम अपने बाथरूम में बंद होने से पहले अपने कपड़े साथ ले लेना क्योंकि आज मदद के लिए मेरी सेवायें उपलब्ध नहीं होंगी।
वह गंभीर हो कर बोली- क्यों, क्या कहीं जा रहे हो?
मैंने तो सोचा था कि आज बालकनी में बैठ कर तुमसे पूरा दिन बातें करती रहूंगी।
मैंने उसकी गंभीरता पर हंसते हुए बोला- घर गृहस्थी का सामान लेने! आज सुबह काम पर जाने से पहले भाभी बाज़ार से सामान लाने की एक सूची बना कर दे गई है! मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह सामान कहाँ से मिलता है।
मेरी बात सुन कर नेहा ने पूछा- क्या क्या सामान लाना है?
तो मैंने कमरे में जाते हुए उसे कहा- इधर अंदर आकर देख लो।
मेरे कहने पर नेहा बालकनी लांघ कर मेरे कमरे में आ गई और बोली- सामान की सूचि दिखाओ।
मैंने भाभी की लिखी हुई सूचि उसके हाथ में दे दी और वह उसे पढ़ने में मग्न हो गई।
क्योंकि मुझे मूत्र आया था इसलिए मैं उसे कमरे में छोड़ कर बाथरूम में चला गया!
मूत्र विसर्जन से निपट कर मैं कमरे में आया तो नेहा से पूछा- क्या तुमने सामान की सूचि पढ़ ली है? यह सब सामान कहाँ मिलेगा?
मेरी बात सुन कर नेहा तुरंत बोली- हाँ पढ़ ली है! यह सभी सामान यहाँ से लगभग पांच किलो मीटर दूर एक मॉल और एक मेगा स्टोर है वहाँ से मिल जायेगा।
मैंने उससे कहा- क्या तुम मेरे साथ यह सामान खरीदने के लिए चल सकती हो? वापसी में हम दोपहर का खाना किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में ही खा लेंगे।
नेहा कुछ देर सोचती रही फिर बोली- कब चलना है और कब तक वापिस आ जायेंगे।
मैंने कहा- ग्यारह बजे चलते है! एक बजे तक तो खरीदारी हो जाएगी, फिर खाना खायेंगे और दो बजे तक घर वापिस आ जायेंगे।
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RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मेरी बात सुन कर वह बोली- ठीक है मैंने भी अपनी खरीदारी की लिस्ट बना लेती हूँ और ग्यारह बजे तक तैयार हो कर आती हूँ।
नेहा इतना कह कर बालकोनी लांघ कर अपने घर चली गई और मैं भी बाज़ार चलने के लिए तैयार होने लगा!
ग्यारह बजने में दस मिनट पर जब मेरे घर की घंटी बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो हुस्न की परी नेहा को अपने सामने खड़ा पाया!
किसी भी नारी का समय से पहले तैयार होना मैं पहली बार देख रहा था जिसके लिए मैंने उसे बधाई भी दी!
मैंने नेहा को बैठने को कहा और कपड़े बदलने के लिए अपने कमरे में गया तो वह भी मेरे पीछे आ गई और पूछने लगी- रवि हम सामान लेने कैसे जा रहे हैं?
तब मैंने उससे उल्टा प्रश्न कर दिया- तुम कैसे जाना चाहोगी? पैदल या बस पर?
नेहा गुस्से में बोली- पैदल या बस में तुम अकेले ही जाओ, मुझे नहीं जाना तुम्हारे साथ! सामान जहाँ मिलता है वह जगह बता दी है! अब तुम जानो और तुम्हारा काम मैं अपने घर जा रही हूँ।
मैंने उसका गुस्सा शांत करने के लिए उसके पास जा कर उसे बोला- सॉरी मैडम, मैंने तो मज़ाक में कह दिया था! मुझे नहीं मालूम था की तुम मज़ाक भी सहन नहीं कर सकती।
फिर बात आगे बढ़ता हुआ मैं बोला- तुम कैसे जाना चाहोगी? बाइक पर या कार में?
मेरी बात सुन कर वह बोली- बाइक और कार? वह किसकी है?
मैंने उसे बताया- आज भाभी, भईया के साथ, उनकी कार में ही गई है और अपनी कार मेरे लिए बाज़ार से सामान लाने के लिए छोड़ गई है! बाइक तो भईया की है जो अब उन्होंने चलाने के लिए मुझे दे दी है।
तब नेहा ने कहा- मुझे तो बाइक पर पीछे बैठ कर घूमने जाने में बहुत ही आनंद आता है लेकिन हमे तो सामान लाना है इसलिए कार पर चलेंगे तो सामान उसमें लाद कर लाने में सुविधा होगी।
यह बातें करते हुए मैं तैयार हो गया और उससे मैंने कहा- ठीक है तो मैं भाभी के कमरे से कार की चाबी ले कर आता हूँ तब तक तुम लिफ्ट को ऊपर बुला कर रोको।
चंद मिनटों के बाद हम दोनों घर को बंद कर एक साथ लिफ्ट से नीचे पहुँचे और कार में बैठ कर खरीदारी के लिए निकल पड़े!
मॉल और मेगा स्टोर से दोनों लिस्टों का सभी सामान खरीद कर जब मैंने अपने कार्ड से पैसे दिए तो नेहा ने नाराज़गी दिखाई तब मैंने उसे कह दिया कि दोपहर के खाने के पैसे वह देकर हिसाब पूरा कर दे!
फिर हमने नेहा द्वारा सुझाये रेस्टोरेंट में खाना खाया और दो बजे तक घर वापिस पहुँच गए।
घर पहुँच कर नेहा अपने फ्लैट में जाने लगी तब मैंने उसे कहा- दोनों का सामान आपस में मिल गया है इसलिए अन्दर बैठ कर उसे छांट लेते है फिर तुम उसे ले कर अपने घर चली जाना।
नेहा अच्छा कह कर बैठक में आ गई और अपना पर्स सोफे पर पटक कर सीधा मेरे कमरे में चली गई।
मैं हैरान सा उसके पीछे पीछे गया तो देखा कि वह अपनी सलवार का नाड़ा खोलते हुए मेरे बाथरूम में चली गई।
मैं जब बाथरूम के पास पहुँचा तो दरवाज़ा खुला पाया और अन्दर से ‘शूऊ… शूऊ…’ का मधुर संगीत सुनाई दिया।
मैं समझ गया कि नेहा मूत्र विसर्जन कर रही थी।
क्योंकि मुझे भी मूत्र विसर्जन के लिए बाथरूम जाना था मैं वहीं उसके बाहर आने का इंतज़ार करता रहा।
कुछ क्षणों के बाद नेहा अपनी सलवार का नाड़ा बांधती हुई बाहर निकली और मुझे वहाँ खड़ा देख कर थोड़ा झिझकी और फिर मुस्कराते हुए मुझे बाथरूम में जाने का रास्ता दे दिया।
मैं जब मूत्र विसर्जन कर रहा था तब मैंने तिरछी नजरो से दिवार पर लगे आईने में नेहा की छवि को देखा जो दरवाज़े में से बाथरूम के अन्दर झांक रही थी।
मैं समझ गया की वह क्या देखना चाहती है इसलिए मैं थोड़ा घूम गया ताकि उसे मेरा लिंग अच्छे से दिख जाए!
मूत्र विसर्जन के बाद जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो नेहा को वहाँ नहीं देख कर समझ गया कि वह बैठक में भाग गई होगी।
उसके बाद हम दोनों ने अपनी अपनी लिस्ट के हिसाब से सामान छांटा और नेहा अपना सामान ले कर अपने फ्लैट में चली गई!
अगले दो दिन नेहा मुझे कभी कभी बालकनी में नज़र आ जाती और हमारी कुछ देर इधर उधर की बातें हो जाती।
तीसरे दिन मैं अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, तब नेहा की आवाज़ आई।
इससे पहले की मैं उठ कर बालकनी में पहुँचता, नेहा बालकनी लाँघ कर मेरे कमरे के दरवाज़े को खटखटाने लगी!
मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा कि वह हाँफ रही थी तब मैंने उसे आराम से बैठ कर बात करने को कहा तो वह कमरे के अंदर आकर मेरे बैड पर ही बैठ गई।
थोड़ी देर के बाद जब मैंने देखा की उसका हाँफना बंद हो गया है तो पूछा- क्या बात है? इतना हाँफ क्यों रही हो?
जैसे ही उसकी सांस में सांस में आई तब वह बोली- आज मैं बहुत खुश हूँ और वह ख़ुशी तुम्हारे साथ साझा करना चाहती थी इसलिए भागी भागी चली आई! मेरी नौकरी का नियुक्ति पत्र आ गया है और तीन दिनों के बाद सोमवार को मुझे उसे ज्वाइन करना है।
मैंने नेहा से पूछा- कौन सी कंपनी से नियुक्ति पत्र आया है?
तब उसने अपनी नाइटी के गले में हाथ डाला और ब्रा मे फसा एक कागज़ निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया।
मैंने जब उसे खोल कर पढ़ा तो देखा कि उसे भी उसी कंपनी में नौकरी मिली है जहाँ मुझको सोमवार को जाना था।
जब मैंने नेहा को बताया कि मुझे भी उसी कंपनी में नौकरी मिली हुई है और मैं भी सोमवार को वहीं ज्वाइन करूँगा तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और मुझ से लिपट गई।
मैंने उसे अपने से अलग किया और फिर हम काफी देर बैड पर ही बैठे अपनी अपनी नौकरी के भविष्य के बारे में बाते करते रहे।
अगले दिन रविवार को भईया, भाभी और मैं जब बालकनी में बैठे थे तब नेहा बालकनी में आई और हमें वहाँ बैठा देख कर तुरंत वापिस अन्दर चली गई।
कुछ क्षणों के बाद वह अपने पति के साथ बाहर आई तब नेहा के पति ने भईया, भाभी का अभिनन्दन किया और मुझसे हाथ मिलाया तथा अपना परिचय दिया।
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RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मेरी बात सुन कर उसका चेहरा उतर गया और बोली- मैंने तुम्हें मेरे पास बैठने की सजा देने के लिए नहीं बुलाया है! जब तक मुझे नींद नहीं आ जाती तब तक क्या तुम मेरे पास बैठने के बजाय लेट कर बातें नहीं कर सकते।
इससे पहले कि मैं उसकी बात का कोई उत्तर देता नेहा ने अपनी दोनों टाँगे खड़ी करके चौड़ी कर ली जिससे उसकी नाइटी पूरी ऊँची हो गई और उसकी दोनों जांघे, जघन-स्थल और योनि पूर्ण रूप से नग्न हो गई थी!
टाँगें चौड़ी करने के कारण उसकी योनि के होंठ भी खुल गए थे और ऐसा लग रहा था की जैसे वह मुझे उसमे समाने का निमंत्रण दे रही थी!
ऐसा दृश्य देख कर कोई साधू संत भी उत्तेजित हो जाता, मैं तो सिर्फ एक साधारण इंसान ही था!
जब मैं अपने पर और अधिक संयम नहीं रख सका तब मैं उसके साथ वाले बैड पर उसकी ओर मुँह कर के लेट गया।
मेरे लेटते ही नेहा ने अपनी करवट मेरी और बदल ली और सरक कर बिल्कुल मेरे करीब आ गई।
उसके मेरी ओर करवट करके लेटने से उसकी नाइटी का गला नीचे लटक गया था और उसमें से मुझे उसके स्तन नज़र आने लगे थे!
उसके स्तनों में कसाव था और वह इतने सख्त थे की उसके झुकने के बावजूद भी उनमें कोई लटकन दिखाई नहीं दे रही थी।
मेरा मन कर रहा था कि मैं हाथ बढ़ा कर उसे दोनों स्तनों को पकड़ कर मसल दूँ लेकिन अपने पर नियंत्रण रख कर लेटा रहा।
कुछ देर वह जब कुछ नहीं बोली तब मैंने नेहा के चेहरे की ओर देखा तो पाया कि वह मेरे लिंग के कारण हुए मेरे पजामे के उभार को टकटकी लगा कर देख रही थी!
मुझसे रहा नहीं गया और उससे पूछा- क्या देख रही हो?
वह बोली- कुछ नहीं, तुम्हारा वह देख रही थी।
मैंने अनजान बनते हुए कहा- मेरा क्या देख रही थी?
उसने कहा- तुम्हारा लिंग देखने की कोशिश कर रही थी! वही लिंग जिस में से तुम मूत्र विसर्जन करते हो।
मैं बोला- तुम उसे कैसे देख सकती हो इस समय तो वह पजामे में बंद है, और तुम उसे क्यों देखा चाहती हो?
वह तुरंत बोली- क्योंकि तुम मेरी योनि देख चुके हो इसलिए अब मुझे तुम्हारा लिंग देखने का पूरा हक है।
मैंने जब अपने लिंग को अपनी दोनों जाँघों के बीच में करके दबाने लगा तब नेहा ने मुझे टोका और बोली– रवि, थोड़ा रुको इसे अन्दर मत दबाओ! मैंने तुम्हें पहले भी कहा है कि मुझे इसे देखने का पूरा हक है इसलिए बेहतर होगा की तुम खुद ही अपना पजामा उतार कर इसे बाहर निकाल कर मुझे दिखा दो।
मैंने उससे पूछा- लेकिन मूत्र विसर्जन के समय तुम मेरा लिंग देख चुकी हो फिर अब क्यों देखना चाहती हो?
नेहा बोली- तब तो बहुत दूर से देखा था! मैं इसे अब करीब से देखना चाहती हूँ! मुझे तुम्हारा लिंग मेरे पति के लिंग से कुछ भिन्न लगता है।
मैं चुपचाप लेटा कुछ देर सोचता रहा और फिर अंतिम निर्णय ले कर अपना पजामा उतार कर उसके सामने नग्न हो कर लेट गया और बोला- यह लो, जी भर कर देख लो इसे।
तब नेहा ने झुक कर मेरे लिंग को देखा और मुझसे पूछा- क्या मैं इसे हाथ लगा सकती हूँ।
मैं झट से बोल उठा- नहीं, क्या मैंने अभी तक तुम्हारे किसी भी अंग को छुआ है?
नेहा बोली- रवि, मैं मानती हूँ कि तुमने अभी तक मुझे कहीं भी नहीं छुआ है! लेकिन तुमने अभी तक मुझे या मेरे किसी भी अंग को छूने कोशिश भी नहीं की है और न ही मुझसे ऐसा करने की अनुमति ही मांगी है।
यह सुन कर मैंने नेहा से कहा- अगर तुम मुझे अपने शरीर के अंगों को हाथ लगाने की अनुमति देती हो तभी मैं तुम्हें अपने लिंग को हाथ लगाने दूंगा।
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