Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
08-21-2018, 01:31 PM,
#61
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
"सुनो राज तुम्हारा लंड हमेशा मेरा लिए पहले रहेगा, पर जब से
विजय ने मुझे चोदा है ऐसा लगता है कि उसने मेरे अंदर की आग को
और भड़का दिया है, मेरी चुदाई इच्छा और तीव्र हो गयी है. हो
सकता है कि में भविश्य में विजय या अपने पिताजी से बराबर
चुदवाती रहूं. जब विजय मुझे चोदता है तो मुझे एक ऐसा नशा सा
छा जाता है, में तो चाहूँगी कि पिताजी भी मुझे उसी तरह
चोदे, मेरी चूत को अपने गरम वीर्य से पूरी तरह भर दें. हो
सकता है में ग़लत हूँ पर में अपनी काम इच्छा के आगे विवश हो
जाती हूँ." सोनाली ने कहा.

"तो क्या तुमने अपने पिताजी से अभी तक नही चुदवाया है?" में
जानना चाहता था.

"नही पिताजी ने कहा कि जब तक तुम वापस घर नही आ जाते मुझे
रुकना होगा. वो चाहते हैं कि जब वो मुझे चोदे तब तुम वहाँ
मौजूद रहो. वैसे में कई बार उनके लंड को चूसा है. एक बार
प्रियंका ने मुझे पिताजी का लंड चूस्ते हुए पकड़ लिया, और हंगामा
खड़ा करने के बजाए वो हमारे साथ आ गयी और उसने भी पिताजी का
लंड चूसा." सोनाली ने बताया.

"ओह्ह्ह में ये सब देखना चाहता हूँ, लगता है काफ़ी मज़ा आएगा."
मैने कहा.

"हां डार्लिंग बहोत मज़ा आएगा." सोनाली ने मेरे हाथों को दबाते
हुए कहा.

सोनाली ने आगे बढ़ कर मेरे चेहरे को अपने हाथों मे लिया और मेरे
होठों को चूसने लगी. फिर उसने अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी और
गोल गोल घूमाने लगी. फिर उसने मेरे चेहरे को अलग किया और
बाथरूम मे चली गयी. मैने उसके पीछे पीछे बाथरूम मे आगया
और जब वो टाय्लेट सीट पर बैठी पिशाब कर रही थी मैने उसे
अपने और गायत्री के बारे मे बताया. उसे बताया कि किस तरह में
गायत्री जिससे मेरी पहचान पहले से थी मुझे शूटिंग के दौरान
मिली और हमने काफ़ी चुदाई भी की.

सोनाली ने मेरी बातें ध्यान से सुनी और कहा कि उसे कोई ऐतराज़
नही है. अगर वो अपने परिवार वालों के साथ चुदाई कर सकती है
तो वो मेरी किसी बात का कैसे विरोध कर सकती है.

सोनाली ने जब ये बात मुझसे कही तो मुझे थोड़ा गर्व सो हो गया उस
पर. किस तरह उसने सभी बातों को संभाल लिया था. मैने नीचे
झुक कर उसे चूम लिया. फिर उसके सामने नीचे बैठ मैने अपना
हाथ उसकी चूत पर रख दिया और अपनी एक उंगली अंदर घुसा दी.

"ओह राज तुम कितने अचचर हो, में तुमसे बहोत प्यार करती हूँ, फिर
तुम रविवार को घर आ रहे हो ना." सोनाली ने मुझे चूमते हुए
कहा.

मैने अपनी गर्दन हां मे हिला दी. में रविवार को उसके घर जा
रहा था. और में जानता था कि वो दिन बहोत ही अच्छा गुज़रेगा, और
कैसा गुज़रा ये में आप लोगों को भी बताउन्गा.
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08-21-2018, 01:31 PM,
#62
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
शनिवार की सुबह में और सुजाता उसके घर पहुँचे. उनका मकान
सहर से दूर थोड़ी सुनसान जहग पर था. चारों तरफ लम्बेलंबे
पेड़ उगे थे. उन पेड़ों के बीच उनका बगीचा यानी गार्डेन था.

गर्मी का मौसम था और सुजाता ने एक टी-शर्ट और छोटी सी शॉर्ट
पहन रखी थी. जब हम उसके मकान के वरॅंडा मे घुसे ना जाने
मुझे ऐसा लगा कि चुदाई की खुश्बू सारे फ़िज़ा मे फैली हुई है.

उसके पिताजी सिर्फ़ शॉर्ट पहने गार्डेन मे बैठे थे. उन्होने
उठकर मुझे गले लगाया और मेरा स्वागत किया. ये मेरे लिए नया
था, आज तक उन्होने कभी इतना अपनापन मेरे साथ नही दिखाया था,
शायद आज इसलिए हुआ होगा कि थोड़ी देर मे मैं उनके लंड को अपनी
प्रेमिका की चूत के अंदर बाहर होते देखने वाला था.

"राज अब तुम हमारे परिवार का एक हिस्सा और सदस्य हो इसलिए में
चाहूँगा कि आज से तुम भी मुझे पिताजी कह कर बुलाओ?" सुजाता के
पिताजी ने मुझे से कहा.

विजय और प्रियंका भी घर पर ही थे. प्रियंका एक आराम कुर्सी पर
लेटी धूप का मज़ा ले रही थी, उसने इतनी कसी हुई बिकनी पहन
रखी थी कि उसकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी और भारी भारी लग रही थी.

हम सब वहीं गार्डेन मे बैठ कर ड्रिंक्स लेने लगे. उसके पिताजी
अपने काम के किस्से सुना रहे थे. बात करते करते वो सुजाता की
जाँघो को भी सहलाते जा रहे थे, उनकी आँखों मे चुदाई का
खुमार आता जा रहा था. ऐसा खुमार मैने आख़िरी बार विजय की
आँखों मे देखा था जब वो अपनी बेहन सुजाता को चोदना चाहता था.
ड्रिंक्स ख़त्म होने के बाद उसके पिताजी ने हम सभी को अंदर कमरे
मे चलने को कहा.

जब हम सुजाता के पिताजी के कमरे मे पहुँचे तो मैने देखा कि एक
ट्राइपॉड पर एक वीडियो कॅमरा लगा था. "पिताजी ने मुझसे सब रेकॉर्ड
करने को कहा है." विजय ने कहा.

"हां." उसके पिताजी बोले, "मैने सोचा क्यों ना एक टेप बना ली जाए
जिसे बाद मे देख कर मज़ा आया करेगा."

वो आगे बढ़े और सुजाता को अपनी बाहों मे भर लिया. उन्होने अपना
हाथ सुजाता के स्कर्ट मे डाल दिया और उसकी गान्ड को सहलाने लगे.
मैने देखा की उत्तेजना मे सुजाता के निपल तनते जा रहे थे.
शायद उसकी चूत भी गीली हो गयी होगी.

सुजाता अब अपने पिताजी के चुंबनो का जवाब चुंबन से दे रही थी.

"ऊहह सूऊनाअली में कीतने दिनो से इस्का इन्तेज़ार कर
रहा था." सुजाता के पिताजी ने कहते हुए अपनी जीब उसके मुँह मे
डाल दी.

थोड़ी देर मे पिताजी ने सुजाता को छोड़ दिया, वो मेरे पास आई, "तुम
ठीक हो ना राज?"

मैने अपनी गर्दन हां मे हिलाई और उसके कपड़े उतारने मे उसकी
मदद करने लगा. उसके निपल एक दम तन कर खड़े थे और उसकी गीली
चूत चमक रही थी.

सुजाता अपने पिताजी की और मूडी जो खुद भी अब नंगे हो चुके थे.
उनका लंड एक दम रोड की तरह तन कर खड़ा था, जोकि करीब 10'
इंच लंबा होगा. मोटा भी काफ़ी थी. उनके लंड को देख कर ही मे
गरमा गया था.

"बच्चों अब शरमाने की ज़रूरत नही, तुम लोग जैसे जी चाहे मज़ा
ले सकते हो." इसके पहले कि वो अपनी बात ख़त्म करते प्रियंका ने
तुरंत मेरे लंड को पकड़ लिया. फिर मेरे सामने घुटनो के बल बैठ
कर उसने मेरे लंड को पॅंट के बाहर निकाला और उसे चूसने लगी.

सुजाता और उसके पिताजी आपस मे चूम रहे थे. फिर उसके पिताजी
बिस्तर पर पीठ के बल लेट गये. सुजाता उनकी बगल मे अपने चुतड
मेरी और करके बैठ गयी. फिर उनके लंड को अपने हाथों मे पकड़ वो
उसे चाटने लगी. उनके लंड के छेद पर अपनी जीब रगड़ते हुए वो
चारों तरफ से चाट रही थी, साथ ही वो थूक से उसे चिकना भी
करती जा रही थी.

मैने प्रियंका के सिर को पकड़ा और अपने लंड पर उपर नीचे करने
लगा. मैने जोरों से उसके मुँह को चोद रहा था.

मैने आँखें तिरछी कर के देखा, विजय ने अपनी पॅंट और अंडरवेर
उत्तर दी थी और अपने खड़े लंड को मुठिया रहा था.

"में तयार हूँ पिताजी." सुजाता की आवाज़ सुनाई दी.

"सुजाता बेटा ऐसा करो, तुम मेरे उपर चढ़ कर मुझे चोदो?" उन्होने
कहा.

सुजाता उठी और अपनी पीठ उनकी ओर करते हुए उनपर बैठ गयी. फिर
थोड़ा सा उँचा हो वो अपने पिताजी के लंड को अपनी चूत पर रगड़ने
लगी. जब उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गयी तो उसने लंड अपनी
चूत के मुँह पर लगाया और नीचे की ओर बैठने लगी.

मुझे विश्वास नही था कि सुजाता इतने मोटे और लंबे लंड को अपनी
चूत मे आसानी से ले पाएगी. उसने एक बार फिर ज़ोर लगाकर लंड को
अपनी चूत मे घुसाने की कोशिश की पर वो अंदर नही जा रहा था.

"पिताजी मे इसे अंदर नही ले पा रही हूँ." सुजाता थोड़ा सिसकते हुए
बोली.

"रूको ज़रा!" कहकर उसके पितज़ी ने साइड मे रखी क्रीम की ट्यूब उठाई
और थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगाने लगे.

"चलो फिर कोशिश करते है." कहकर उन्होने सुजाता को कमर से
पकड़ लिया और उसे नीचे करते हुए अपने विशाल लंड को अंदर
घुसाने लगा.
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08-21-2018, 01:31 PM,
#63
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
मैने देखा कि उसकी चूत ने अपना मुँह खोला और उनका लंड धीरे
धीरे अंदर गायब होने लगा.

"ऑश पिटाअजी मुज्ज़झे बहूओत दर्द हो रहा है, ये मेरी चूत को
फाड़ देगा ओह आआअँ." सुजाता दर्द मे कराही.

दर्द उसके चेहरे पर सॉफ दिखाई दे रहा था, उसने अपने होठ दांतो
मे दबाए और दर्द सहन करते हुए उनके लंड को अपनी चूत मे लेने
लगी. प्रियंका आँखे फाड़ अपनी बेहन की चूत देख रही जो उसके
पिताजी की विशाल लंड को निगल रही थी. वो मेरा लंड भी चूसना
भूल गयी थी.

जब पिताजी का पूरा लंड उसकी चूत मे घुस चुका था उसके चेहरे पर
थोड़ी राहत नज़र आई, "हे भागवान कितना अच्छा लग रहा है,
आज तक मुझे अपनी चूत इतनी भरी हुई कभी नही लगी."

"हाआँ डार्लिंग बेटा मुझे भी बहूत अच्छा लग रहा है, तुम्हारी
चूत कितनी कसी हुई है. तुम्हारी चूत का दबाब अपने लंड
पर कितना अच्छा लग रहा है." उसके पिताजी ने कहा.

"आअब चूऊदिए मुझे पित्त्टाआजी जूऊर जूओर से चूओदिए,"
सुजाता ने कहा.

अब वे चुदाई करने लगे. सुजाता उछल उछल कर धक्के मार रही थी,
पर वो इस बात का ध्यान रख रही थी कि फिसल कर लंड उसकी कसी
चूत से बाहर ना निकल पड़े.

मैने भी ये नज़ारा देख कर काफ़ी गरम हो गया था, मैने तुरंत
अपने कपड़े उतारे और प्रियंका भी नंगी हो गयी. मैने प्रियंका को
घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत मे अपना लंड डाल अंदर बाहर
करने लगा.

मैने पीछे से प्रियंका को चोद्ते हुए सुजाता की चुदाई भी देख रहा
था. मैने उसकी चुचियों को पकड़ा और जोरों से मसल्ने लगा.
प्रियंका की चूत भी काफ़ी गीली और खुली हुई लग रही थी, अगर मे
उसकी चूत को अपने वीर्य से भर देता हूँ तो वो भी अपने पिताजी का
लंड आसानी से अपनी चूत के अंदर ले लगी.

एक तो सुजाता अपने पिताजी से चुदवा रही थी, उपर से उसकी बेहन की
गरम चूत मेरे लंड को ले रही थी, इस एहसास ने मेरे लंड को इतना
तन्ना दिया कि मेरा वीर्य नसों मे उबाल मारने लगा. इतना उत्तेजित
में अपनी जिंदगी मे कभी नही हुआ था.

"सुजाता बेटा, जब मेरा लंड तुम्हारी चूत मे झाडे में तुम्हारा
चेहरा देखना चाहता हूँ." उसके पिताजी ने कहा.

उत्तेजना मे उसके पिताजी का चेहरा लाल हो गया था. सुजाता उनके उपर
से उठी और बिस्तर पर लेट गयी. उसके पिताजी एक बच्चे की तरह
उछल कर उसकी टाँगो के बीच आ गये अपना लंड फिर से अपनी बेटी की
चूत मे जड़ तक घुसा दिया.

"ओह पिताजी मुझे आपके लंड से प्याअर हो गया है, ओह किस
तरह आअपका लंड मेरी चूओत को भर रहा है…..ओह छोड दीजिए
अपना पानी मेरी चूत मे, भर दीजिए आआअज इसे." सुजाता सिसक
रही थी.

"हां बेटा थोड़ाआ सा साआबरा कर लो मेरा छूटने ही वाअला है."
कहकर उसके पिताजी ने अपने आप को इस अंदाज़ मे किया कि सुजाता ने
अपनी टाँगे उनके कंधों पर रख दी.

अब उनका लंड उसकी चूत की गहराइयों को और अच्छी तरह नाप रहा
था, "ओह अहह पिताआआआआजी मेरा चूऊऊथने
वाला है" सुजाता जोरों से सिसक रही थी.

सुजाता के पिताजी ने अपनी बेटी का साथ दिया और उसकी चूत मे अपना
वीर्य छोड़ने लगे. सुजाता की चूत वीर्य से भर गयी थी, उसी वीर्य
से जिसकी बदौलत वो इस संसार मे आई थी.
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08-21-2018, 01:32 PM,
#64
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
तभी मैने महसूस किया कि प्रियंका की चूत ने मेरे लंड को जाकड़
लिया और मेरे लंड से एक एक बूँद निचोड़ रही है.

पिताजी ने अपना मोटा और लंबा अपनी बेटी की चूत से बाहर निकाला
और सुजाता को चूमते हुए बोले, "सुजाता बेटा मज़ा आ गया, मैं
तुमसे प्यार करता हूँ." कहकर वो पिशाब करने को कमरे से बाहर
चले गये.

में सुजाता की तरफ बढ़ा. उसकी चूत अब भी खुली हुई थी, वीर्य
उसकी चूत से बह रहा था. जो मैने देखा था, उसे देखकर में
इतना उत्तेजित था कि मैने तुरंत अपना लंड उसकी चूत मे जड़ तक
घुसा दिया.

उसकी चूत काफ़ी गीली थी, "सुजाता में तुम्हे चोदना चाहता हूँ."
में चिल्ला रहा था.

"हां मेरे सनम चोदो मुझे ज़ोर ज़ोर सससे चोदो."

में जोरों से धक्के लगा रहा था. में उसके होठों को, उसकी
चुचियों, उसके निपल को चूस्ते हुए जोरों से उसे चोद रहा था.

इतनी देर से सबकी चुदाई को देख कर विजय अब अपने आपको रोक नही
पाया. वो प्रियंका की तरफ बढ़ा और उसे उठा कर हमारे पास
बिस्तर पर लिटा दिया. फिर उसने अपना लंड उसकी चूत मे एक ही
झटके मे जड़ तक पेल दिया.

विजय शायद पहली बार प्रियंका को चोद रहा था, पर देख के ऐसा
लग रहा था कि वो कई बार चुदाई कर चुके थे. पिताजी वापस कमरे
मे आए और दो मस्त लड़कों को अपनी दोनो बेटियों को चोद्ते देखने
लगे. विजय और में जोरों से दोनो बहनो की चूत को चोद रहे थे और
करीब करीब साथ साथ ही झाडे.

सुजाता इतनी भ्यन्कर चुदाई के बाद काफ़ी थक गयी थी. वो बिस्तर
पर लेटी रही और थोड़ी ही देर मे उसे नींद आ गयी. प्रियंका खिसक
कर अपनी बेहन के पास आई और वो भी सो गयी.

"अब चलो यहाँ से. लड़कियों को थोड़ा सो लेने दो." पिताजी ने हम
दोनो से कहा.

हम तीनो बाहर की ओर बढ़े. हम मे से किसी ने कपड़े पहनने की
कोशिश नही की. हम सब गार्डेन मे आकर बैठ गये और ठंडी बियर
पीने लगे.

"पिताजी आपका लंड सही मे किसी घोड़े के लंड से कम नही है."
विजय अपने पिताजी के लंड को देखते हुए बोला. पिताजी का मुरझाया हुआ
लंड भी काफ़ी बड़ा लग रहा था.

"थॅंक यू, बेटा. पर मेरे लंड से तुम्हारा लंड अच्छा है, कम से
कम तुम्हे किसी चूत मे घुसाने मे तकलीफ़ तो नही होती. मुझे अक्सर
इसे चूत मे घुसने मे तकलीफ़ होती है. इसीलिए मुझे तुम्हारी माँ
अच्छी लगती थी. वो बिना किसी क्रीम या तेल के मेरा लंड आसानी से
अपनी चूत मे ले लेती थी.

में अपनी बियर से घूँट भरता रहा.

"राज सच बताना तुम्हे मज़ा आया कि नही?" पिताजी जानना चाहते थे.

"हां बहोत अच्छा लगा, सोचने पर अजीब लगता है, पर काफ़ी मज़ा
आया." मैने जवाब दिया.

मैने महसूस किया कि विजय मेरे लंड को छेड़ रहा था. मेरा लंड एक
बार फिर खड़ा होने लगा. "राज तुम्हे लगता है कि तुम्हारे लंड मे
अभी कुछ पानी बचा है." विजय ने कहा.

"हां लगता तो है क्यों पूछ रहे हो?" मैने कहा.

"सही कहूँ तो में तुम्हारा लंड अपनी गान्ड मे महसूस करना चाहता
हूँ…….में गान्ड मरवाना चाहता हूँ, तुरंत अभी." विजय मेरे लंड को
मसल्ते हुए बोला.

में पहले तो उसकी बात समझा नही, पर उसकी गान्ड मारने के ख़याल
ने ही मुझे उत्तेजित कर दिया. "हन क्यों नही." मैने कहा.

"जाओ मेरे बच्चो मज़ा करो. में यहीं रहूँगा, मेरे लिए इतना ही
काफ़ी था." पिताजी ने कहा.

हम दोनो विजय के कमरे मे आ गये, साथ मे क्रीम की ट्यूब भी पिताजी
के कमरे से लेते आए. सुजाता और प्रियंका अभी सो रही थी.

मैने थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगाई और विजय थोड़ी क्रीम अपनी
उंगली पे ले अपनी गान्ड के अंदर लगाने लगा. विजय बिस्तर पे लेट गया
और अपनी टाँगे को एकदम हवा मे उठा कर अपनी गान्ड मुझे पेश
की, "आओ राज अपना लंड मेरी गान्ड मे पेल दो. सोचो मत और जल्दी
करो."

"ठीक है," कहकर मैने अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर लगाया और
धीरे धीरे अंदर घुसाने लगा. मेरा लंड आसानी से उसकी गान्ड के
अंदर घुस गया, "क्या तुमने पहले भी किसी से गान्ड मरवाई है?"
मैने पूछा.

"हां एक बार राकेश ने मेरी गान्ड मारी थी, और मुझे भी काफ़ी मज़ा
आया था. ओह कितना अच्छा लग रहा ओोह पेलूऊ जूओर से."
विजय सिसक रहा था.
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08-21-2018, 01:32 PM,
#65
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
में ज़ोर ज़ोर से धक्के मार कर उसकी गान्ड मारने लगा. बड़ी अजीब
स्तिथि थी, मेरा लंड मेरी प्रेमिका के भाई की गान्ड के अंदर बाहर हो
रहा था, शायद में उससे मेरी प्रेमिको को चोदने का बदला ले रहा
था. विजय अपने लंड को मेरे पेट के पास मुठिया रहा था, पर जो भी
था मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था.

"हां र्राआाज बाहोट आआचा लग रहा है……..पेल्ल्ल दो अपने लंड
को मेरी गांद के अन्दर तक जूऊऊर सीईए." विजय बड़बड़ा रहा
था.

में ज़ोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लंड उसकी गान्ड मे पेल रहा
था. मैने उसकी टाँगो को उठा कर अपने कंधों पर रख लीआ जिस तरह
उसके पिताजी ने सुजाता की टाँगो को दोपहर को अपने कंधों पर रखा
था. विजय के लंड से पानी चुह रहा था, और उसके लंड का सुपाडा
कमरे में आती सूरज की रोशनी से चमक रहा था.

में सोच रहा था कि विजय भी अपनी बेहन की तरह पूरा चुड़क्कड़
है, शायद इस परिवार की ये ख़ासियत थी.

"विजय मेरा छूटने वाला है," मैने सिसकते हुए कहा.

"हाआँ छोड़ अपना पानी मेरी गान्ड मे, भर दो मेरी गान्ड को."
विजय ने कहा.

"मेराअ छूट राआ है वियिजा." कहकर मैने अपना वीर्य उसकी
गान्ड मे छोड़ दिया. मेरे लंड से कोई खास पानी नही निकला कारण
मैं दिन मे पहले ही दो बार झाड़ चुका था. पर विजय को मज़्ज़ा आ
रहा था.

"हां में तुम्हारे पानी को अपनी गाअंड मे महस्स्सूस कर रहा हूँ,
बहुत अच्छा लग रहा है." विजय सिसक रहा था.

मैने अपना लंड उसकी गान्ड से बाहर निकाला वो क्रीम और मेरे वीर्य
से लिथड़ा हुआ था, "में बाथरूम जाकर आता हूँ."

विजय ने मेरे लंड को पकड़ लिया, "थॅंक यू राज." कहकर उसने मेरे
लंड को दो तीन झटके देकर उसका बचा हुआ पानी भी निकाल लिया.

विजय का लंड अभी ताना हुआ था, "तुम्हारे लंड ने पानी नही
छोड़ा.?" मैने पूछा.

विजय ने ना मे गर्दन हियाई और मेरे लंड को छोड़ दिया. अब वो अपने
लंड को मुठियाने लगा.

"लाओ मुझे करने दो." कहकर मैने विजय के लंड को पकड़ लिया और
उसे जोरों से मुठियाने लगा. में उसके लंड की चॅम्डी को आगे पीछे
कर उसे मुठिया रहा था.

"हाआँ आऐसे ःईईईई करूऊ ओह आआआः मेरा छूट रहाआ
है." और गाढ़ा गाढ़ा वीर्य उसका लंड उगलने लगा.

में वहाँ से हटा और कमरे के बाहर बने बाथरूम की ओर बढ़
गया. सुजाता बाथ टब मे लेटी हुई कोई मॅगज़ीन पढ़ रही थी.

"ओह्ह्ह्ह राज आआओ, क्या करते रहे अब तक?" सुजाता ने पूछा.

"करना को और है क्या, अभी तुम्हारे भाई की गान्ड मारकर आ रहा
हूँ." मैने जवाब दिया.

सुजाता की आँखे चमक उठी, "बड़े हरामी हो तुम?" उसने मेरे लंड
को देखा जो मेरी टाँगो के बीच झूल रहा था. "अगर तुम इसे साफ कर
लो में तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ."

"नही थॅंक्स, आज के दिन के लिए इतना ही काफ़ी है." मैने कहा.

"ठीक है, तो फिर ऐसा करो मेरे साथ बात टब मे स्नान कर लो."

में उसके सामने आकर टब मे लेट गया. पानी बाहर की गर्मी से कुछ
कम ही गरम था. मैने खिड़की के बाहर देखा, सूरज डूबने वाला था.
उसका सुनेहरी रंग आसमान मे फैला हुआ था. मुझे भूक लगने लगी,
शायद पेट दिमाग़ की तरह एक दम खाली हो गया था.

"आज के पूरे दिन के बारे मे तुम्हारा क्या कहना है?' मैने सुजाता से
पूछा.

"राज मेरी चूत काफ़ी सूज़ी हुई है. पिताजी का लंड सही मे बहोत ही
लंबा और मोटा है, काफ़ी दर्द भी हो रहा है. मुझे नही लगता कि
में कल भी चुद पाउन्गि." सुजाता ने अपनी चूत पर हाथ फिराते
हुए कहा.

मैं अपने पाँव के घुटने से उसकी चूत को सहलाने लगा, "ह्म्म्म्म म
अच्छा लगग्ग रहा है अब मे कल चुदा सक्क्ती हूँ." सुजाता
सिसकते हुए बोली.

"अगर नही चुदा सकी तो हम तुम्हारे गान्ड और मुँह को तो चोद ही
सकते है." मैने कहा.

उस रात हम ने अच्छे से खाना खाया. खाना खा कर में और सुजाता
तुरंत सोने चले गये. हम काफ़ी थक चुके थे. बिस्तर पर लेटते ही
मुझे नींद आ गयी.
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08-21-2018, 01:32 PM,
#66
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
दूसरे दिन जब सोनाली के बिस्तर मे मेरी आँख खुली तो मैने देखा
मे अकेला ही था. सोनाली वहाँ नही थी. में नीचे गया तो मुझे
सोनाली के पिताजी के कमरे से आवाज़े आती सुनाई दी. मैने कमरे का
दरवाज़ा खोला तो देखा कि सोनाली घुटनो पर थी और पीछे से उसके
पिताजी उसे चोद रहे है. उसके पिताजी अपने मोटे और लंबे लंड को
मेरी प्रेमिका की चूत मे ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहे थे.

पिताजी के हर धक्के से उसकी चुचियाँ हिल रही थी. में देख रहा
था कि बड़ी मुश्किल से सोनाली अपने पिताजी का लंड अपनी चूत मे ले
रही थी. ये लंड अब तक के लिए लंड से सबसे बड़ा और मोटा था,
चाहे जितनी क्रीम उसने अपनी चूत मे लगाई होगी.

"हाां पिीटााजी चूओडूऊ मुझीईए, फ़ाआड़ दो मेर्र्ररी चूऊत
कूओ आअज ओह हाां और जूओर से." सोनाली सिसकते हुए बड़बड़ा
र्है थी.

सोनाली ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी और चुदाई का मज़ा ले रही
थी. "ओह पित्ताजी कीतना अच्छा लग रहा है."

मैने अपनी शॉर्ट्स उतारी और अपने लंड को सोनाली के होठों पर
रगड़ने लगा.

सोनाली ने अपनी आँखे खोली और मुझे देख कर खुश हो गयी. "ओह
राज तुम उठ गये सो कर." उसने कहा और अपने होंठ खोल मेरे लंड को
अपनी गिरफ़्त मे ले लिया. अब वो अपना मुँह उपर नीचे करते हुए मेरे
लंड को चूसने लगी. वहीं उसके पिताजी जोरों के धक्के मारते हुए
उसे चोद रहे थे. "ऊऊओह ह्म्म्म्म मममममम." सोनाली मेरे लंड को
चूस्ते हुए सिसक रही थी.

मैने उसके सिर को पकड़ लिया और अपने लंड को उसके गले तक डालने
लगा. वो थोड़ा सा रुकी, पर में जानता था कि वो मेरे लंड को अपने
गले तक ले सकती है. अब में और उसके पिताजी ताल ताल से मिलकर
उसे चोद रहे थे. आज के दिन की शुरुआत अच्छी थी.

उसके पिताजी ने अपना हाथ आगे बढ़ा उसकी चुचियों को पकड़ लिए और
उसके निपल को भींचने लगे. "ऊवू पित्त्तजी मुझे आच्छा लग रहा
है, हाआँ थोड़ा और ज़ोर से भींचो ना."

"हाआँ बेटा जैसा तुम कहो." कहकर उसके पिताजी उसके निपल को
और जोरों से भींचने लगे.

में उसके मुँह मे धक्के मार रहा था. मुझे उसकी जीब अपने लंड
काफ़ी अच्छी लग रही थी. "देखो सोनाली तुम कैसी छिनाल हो गयी हो.
पीछे से अपने पिताजी के मोटे लंड से चुदवा रही हो और साथ ही साथ
अपने प्रेमी का लंड चूस रही हो."

उसके पिताजी मुझे देख कर मुस्कुराने लगे. शायद उन्हे भी अपनी
बेटी की तरह चुदाई के वक़्त गंदी गंदी बातें करना पसंद था.
उसके पिताजी को अपनी बेटी की कसी चूत शायद अच्छी लग रही थी जब
वो उनके लंड को अपनी चूत की नसों जाकड़ लेती होगी. सोनाली की चूत
थी भी काफ़ी कसी कसी.

में सोच रहा था कि सोनाली के पिताजी का लंड उसकी चूत मे लंबाई
की किस हद तक जाता था, जब वो उसकी चूत को और अंदर ही अंदर
फैला देता होगा. जहाँ में खड़ा था वहाँ से देख कर ही मेरा लंड
पानी छोड़ने को तय्यार हो गया था. में सोच रहा था कि अगर उनका
लंड सोनाली की गान्ड मे घुस गया तो उसकी गान्ड की क्या हालत होगी.

"ओ सोन्न्नली तूमम्महरी चूऊऊथ कितनी कस्िईई हु है. अब में
ज़्यादा देर तक नही रुक साकता." उसके पिताजी सिसक रहे थे.

सोनाली ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल दिया, "हाां पित्त्तजी
चूओद अपना रस मेरि चूओत मे, भार्र दो मेरी चूऊत को ऊवू
मेंन्न महसूस कर रही हूऊं ऑश अपपका प्ाअनी किट्त्टना गरम हाीइ."

"हाां गुडिया लीईए मेराअ सारा पानी ले ली आअप अपनी
चूऊत कू अपने पिताजी के वाइरियेयया से भर ले." जितनी जोरों से लंड
चूत मे पानी छोड़ रहा था उतनी ही तेज़ी से उनका शरीर काँप रहा
था. जब पूरा छूट गया तो उन्होने अपने और सोनाली के रस से भीगे
हुए लंड को बाहर निकाल लिया.

सोनाली बिस्तर पर घूम गयी और अपनी चूत को मेरे लंड पर घिसने
लगी. "राज मुझे चूओदो ना." वो गिड़गिडाई.

मैने उसकी गीली चूत को देखा जो उसके पिताजी के वीर्य से भरी हुई
थी. मैने बिना कुछ सोचे अपना लंड एक ही धक्के मे उसकी चूत मे
घुसा दिया. जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत मे अंदर बाहर होने लगा
उसके पिताजी का वीर्य उसकी चूत से बाहर बहने लगा.

सोनाली अब अपनी कोहनी के बल थी, "ओह्ह राज मे देख सकती हूँ किस
तरह तुम्हारा लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा है. ओह्ह्ह कितना
अच्छा लग रहा है." उसने कहा.

जहाँ मे ज़ोर के धक्कों के साथ सोनाली को चोद रहा था वही उसके
पिताजी अपने लंड को मसल्ते हुए हमे देख रहे थे, "हाां राअज
चूओड़ो मेरी बेटी को. इस राअंड्ी की चूओत को आअज फाड़ दो. उसे
आइसा ही आआचा लागता है." कहकर वो जोरों से अपने लंड को
मुठियाने लगे.

में और जोरों से चोदने लगा. मैने उसके चूतड़ पकड़े और ज़ोर से
धक्के मारने लगा. मेरे अंडकोष उसकी गान्ड से टकराते जब मे धक्के
मारता.
Reply
08-21-2018, 01:33 PM,
#67
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
"ओह हाआअँ आआईसे हीईीई ओह मेराा चूओता!!!!!!!!" सोनाली
इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि शायद पूरा घर जाग गया होगा. उसका
शरीर जोरों से काँप रहा था, शायद उसकी चूत पानी पर पानी
छोड़ रही थी.

उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लंड को जकड़ा और मेरा लंड लंबी
पिचकारी के साथ पानी छोड़ने लगा. मेरा पानी उसकी बच्चे दानी तक
छूट रहा था. मेरा वीर्य उसके पिताजी के वीर्य के साथ उसकी चूत
मे मिल गया था. तभी मैने किसी के लंड को अपनी गान्ड पे महसूस
किया.

"गुड मॉर्निंग एवेरिबडी" विजय ने कहा. विजय ने अपना लंड कुछ देर
तक मेरी गान्ड पे रगड़ा, "क्या में?' उसने धीरे से कहा. में सोनाली
की चूत पर से हट गया जिससे वो अपनी बेहन की चुदाई कर सके.

"हाआँ वीीइजया चोडो मुझे और तुम भी अपना वीर्य पिताजी और राज
के वीर्य के साथ मिला दो." सोनाली बोल पड़ी.

विजय ने एक ही धक्के मे अपना लंड अपनी बेहन की चूत मे डाल दिया.
वो ज़ोर के धक्कों के साथ अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. में
अपनी प्रेमिका को अपने भाई से चुदते देख रहा था. उसने अपनी टाँगे
अपने भाई की कमर पर कस ली थी और उछल उछल कर उसके हर
धक्के का साथ दे रही थी. जब दोनो के शरीर आपस्मे टकराते तो
अजीब आवाज़ कमरे मे गूंजने लगी.

"ओह विजय ओह हाां चूओड़ो मुज्ज़ज्झे." सिसकते हुए सोनाली
की चूत ने पानी छोड़ दिया. विजय ने भी दो चार धक्के मार कर अपना
वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.

सुबह की चुदाई ने सबको थका दिया था, "बच्चो में नहाने जा
रहा हूँ, फिर मुझे ऑफीस का कुछ काम भी है." कहकर सोनाली के
पिताजी कमरे से बाहर चले गये.

"राज सच बताना जब पिताजी और भाई मुझे चोद रहे तो तुम्हे कैसा
लग रहा था?" सोनाली ने मुझसे पूछा.

"सच कहूँ तो में अस्चर्य में था कि इतनी चुदाई तुम कैसे करवा
लेती हो? कभी थकती नही हो?' मैने पूछा.

"क्या पता मुझे क्या हो जाता है. हर वक्त मेरी चूत मे आग लगी
रहती है, मन करता है कि हमेशा किसी मोटे लंड को अपनी चूत मे
डाले पड़ी रही." सोनाली मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए बोली.

में क्या जवाब देता. में देख रहा था कि मेरी प्रेमिका दिन पर दिन
एक चुदासु औरत मे बदलती जा रही थी. पर मेरे साथ भी तो यही
हो रहा था. इस चुड़क्कड़ परिवार के साथ रहकर मुझे भी यही मन
कर रहा था कि मैं बस चोद्ते जाउ चोद्ते जाउ.

उसी दिन शाम को हम गार्डेन मे एक दूसरे के शरीर से खेल रहे थे.
विजय का चेहरा अपनी बेहन की टाँगो के बीच था. वो उसकी चूत को
चूस रहा था और मैने अपने लंड को सोनाली के मुँह मे दे रखा
था.

"आहुंम्म, ज़रा सुनिए." एक अजनबी आवाज़ सुनाई दी. हम सब ने मूड कर उस
दिशा मे देखा. एक जवान लड़का बगीचे के आख़िर मे पेड़ के सहारे
खड़ा था.
Reply
08-21-2018, 01:33 PM,
#68
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका

विजय वहाँ से खड़ा हुआ, "इस समय तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?"
उसने गुस्से मे उस लड़के से पूछा.

"में……बस आपके बगीचे मे आ गया." उस लड़के ने डरे हुए कहा.

"विजय ये वही लड़का है जो हमारे बाग से सेव चुराता है." सोनाली
ने अपनी चुचियों को हाथों से ढकते हुए कहा. उसने अपनी टाँगे भी
सिकोड ली थी. उसका कहाँ सही था, सू लड़के हाथों मे सेव से भरी
एक टोकरी थी. विजय ने उसकी और गुस्से से कदम बढ़ाए तो लड़का डर
के मारे थोड़ा पीछे हो गया.

"तो तुम हमारे बॅग से चोरी करते हो. इसके लिए तो तुम्हे दीवाल फाँद
कर आना पड़ता है ना, अब पोलीस को क्या जवाब दोगे." विजय ने कहा.

"शांति से काम लो विजय." में विजय की ओर बढ़ते हुए
बोला, "थोड़े से सेव से हमे क्या फरक पड़ने वाला है. तुम्हारा नाम
क्या है लड़के?" मैने उससे पूछा.

"अमित सर, मैं यहाँ से दो मकान छोड़ कर ही रहता हूँ." उस लड़के
ने जवाब दिया.

मैने देखा कि वो लड़का मेरे खड़े लंड को घूर रहा था साथ ही
सोनाली के नंगे बदन को भी देख रहा था. उसका लंड उसकी पॅंट मे
खड़ा हो गया था.

"तो तुम हमे छुप छुप कर देख रहे थे," विजय ने उससे पूछा.

"नही सर, में तो भूल से इस तरफ आ गया, वरना मेरा कोई इरादा
नही था." उस लड़के ने जवाब दिया.

"जो तुमने देखा क्या वो तुम्हे अच्छा लगा?" सोनाली ने शैतानी भरी
मुस्कुराहट के साथ पूछा.

सोनाली के इस प्रश्न से लड़के को थोड़ी राहत मिली, "हां, तुम्हारा
जिस्म तो एकदम जान लेवा है."

सोनाली मुस्कुराइ और उसने अपने हाथ अपनी चुचियों पर से हटा दिए,
और अपना नंगा बदन उस लड़के को दिखाने लगी. मैने सोचा ज़रूर इस
लड़का का लंड पॅंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा.

"मैने तुम्हे अपना दिखाया अब तुम अपना मुझे दिखाओ?" सोनाली ने कहा.

वो लड़का चौंक उठा, पर विजय ने उसकी पॅंट पहले ही नीचे खींच
दी थी. उस लड़के का लंड तन कर एक दम खड़ा था. "तुम्हारी उम्र क्या
है?" मैने उसे पूछा.

"अभी 19 का पूरा हुआ हूँ." उस लड़के ने जवाब दिया.

"पर तुम्हारा लंड तो तुम्हारी उमरा से ज़्यादा बड़ा लगता है." विजय ने
उसके लंड को सहलाते हुए कहा.

सोनाली ने मेरी तरफ देखा जैसे मुझसे इज़्जजत माँग रही हो, मैने
अपनी गर्दन हां मे हिला दी.

सोनाली ने अमित की तरफ देखा, "अमित यहाँ आओ, मुझे तुम्हारा लंड
देखना है." अमित हिचकिचाते हुए सोनाली की ओर बढ़ गया.

अमित जब सोनाली की कुर्सी की पास आगेया तो उसने अपनी टाँगे और फैला
दी जिससे उसकी गुलाबी और गीली चूत सॉफ दिखाई दे सके. सोनाली ने
उसके लंड को अपने हाथों मे पकड़ लिया. अमित का लंड करीब 7' इंच
लंबा होगा. उसने उसके लंड दो चार बार रगड़ा, "ह्म्म्म्म अच्छा है…….."

"हे क्या तुम कुंवारे हो?" इतने मे प्रियंका की आवाज़ सुनाई दी. वो
गार्डेन मे कदम रख रही थी. उसे कुछ भी नही पहन रखा था.
जब अमित ने उसकी भारी भारी चुचियाँ देखी तो उसका लंड उछलने
लगा.

`नही में कुँवारा नही हूँ." अमित ने जवाब दिया.

"तो फिर साबित करो." कहकर प्रियंका सोनाली के बगल की आराम कुर्सी
पर लेट गयी. उसकी बिना झान्टो की चूत रोशनी मे चमक रही थी.
सोनाली ने अमित के लंड को छोड़ दिया.

"क्या तुम सही मे करना चाहती हो?" सोनाली ने प्रियंका से पूछा.
प्रियंका ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी और पीछे की ओर लेटते हुए
अपनी टाँगे और फैला दी.

अमित हैरत भरी नज़रों से प्रियंका के सुंदर शरीर को देख रहा
था. फिर वो उसके पास आया और उस पर लेट कर अपने लंड को उसकी
गीली चूत मे घुसा दिया.

"ओ हाां आआचा लग रहहा है." प्रियंका सिसकी.

मैने अपना लंड पकड़ उसे मुठियाने लगा. मेरे हाथ उसी रफ़्तार और
ताल मे हिल रहे थे जिस रफ़्तार और ताल मे अमित का लंड प्रियंका की
चूत के अंदर बाहर हो रहा था.

अमित ने प्रियंका की टाँगे पकड़ी और उसे और फैलाते हुए अब ज़ोर के
धक्के लगाने लगा. शायद अमित चुदाई मे नौसीखिया नही था, उसे
पता था कि लड़की या औरत को कैसे चोदा जाता है उसके किस हिस्सों
को छेड़ा जाता है. प्रियंका अपने चुतड उठा उसके लंड को और
अंदर लेती और उसके धक्कों का साथ देती.

अमित अपने लंड को प्रियंका की चूत मे अंदर बाहर कर रहा तभी
विजय उसके पीछे पहुँचा और अपनी एक उंगली अमित की गान्ड मे डाल दी.

"ओह्ह्ह ये क्या कर रहे हो? ओह्ह्ह पर अच्छा लग रहा है." अमित और
जोरों से प्रियंका की चूत मारने लगा. सोनाली ने अमित के चेहरे को
अपने हाथों मे लिया और उसके होठ चूसने लगी. विजय अब जोरों से
अपनी उंगली अमित की गान्ड के अंदर बाहर कर रहा था.

"ऊऊऊः मेर्रर्रा चूऊटने वाअला हाीइ." अमित ज़ोर से चिल्लाया.

विजय ने हाथ बढ़ाकर उसके लंड को अपनी बेहन की चूत से बाहर
निकाला और उसके लंड का निशाना प्रियंका की चुचियों पर कर दिया.
मोटे और गाढ़े वीर्य की पिचकारी उसके लंड से निकल कर उसकी
छातियों पर गिरने लगी.

"ओह हाआअँ बाआहो आआचाअ लग रहाः है ऑश अया."
प्रियंका सिसक पड़ी.

प्रियंका अमित के वीर्य को अपनी छाती पर मसल्ने लगी. "ओ अमित
तुम बहुत अच्छे हो, एक बच्चे से भी अच्छे."

"तुम बच्चा किसे बुला रही हो?" वो चिढ़ते हुए बोला.



xyzSuper memberPosts: 3298Joined: 17 Feb 2015 17:18
Re: मेरी प्रेमिका

Unread post by xyz » 26 Sep 2015 07:46
हॉट अपडेट है भाई जी



rajsharmaSuper memberPosts: 6746Joined: 10 Oct 2014 07:07
Re: मेरी प्रेमिका

Unread post by rajsharma » 27 Sep 2015 08:33

सोनाली अपनी हथेली और उंगलियों से अपनी चूत से खेल रही थी. वो
ज़ोर से सिसकी और मेरी तरफ देख कर कहा, "डार्लिंग अब मुठियाना
बंद करो, और अपने लंड को मेरी चूत मे डाल दो. मुझे तुम्हारा
पानी चाहिए."

सोनाली को दुबारा कहने की ज़रूरत नही पड़ी मैने एक ही धक्के मे
अपना पूरा लंड उसकी चूत मे डाल दिया. में ज़ोर के धक्के लगा उसे
चोदने लगा. उसी तरह जिस तरह अमित ने उसकी बेहन को चोदा था.

सोनाली जोरों से सिसक रही थी, "हाां राआज चूओड़ो मुउुझहे
आौर जूओर से ऊहह हाां."

प्रियंका हमारी चुदाई देख रही थी साथ ही अपनी तीन उंगलियाँ अपनी
चूत के अंदर बाहर कर रही थी साथ ही अपनी चुचियों को भी
मसल रही थी.

में इतना उत्तेजना मे भर गया था कि मैने सोनाली को पकड़ कर
घूमा दिया. अब वो आराम कुर्सी को पकड़ घोड़ी बन गयी थी. मैने
जोरों से अपने लंड को उसकी गान्ड मे घुसा दिया. में उसकी कमर पकड़
धक्के पर धक्का मारने लगा.

में सोनाली की गान्ड एक पागल की तरह मार रहा था. मेरे
धक्के इतने विशाल थे कि अमित और विजय भी सिर्फ़ हमे ही देखे जा
रहे थे. मेरा लंड इतनी तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था जैसे किसी
गाड़ी का पिस्टन.

"हाआअँ राआज फाड़ दो मेरिइइ गाअंड कूऊ ओह भार दो मेरी
गांद को अप्प्पंे राअस सीए." सोनाली इतनी जोरों से चिल्ला रही थी कि
शायद मोहल्ले वालों को भी उसकी आवाज़ सुनाई दे रही होगी.

मैने ज़ोर के धक्के मारते हुए अपना पानी उसकी गान्ड मे छोड़ दिया.
थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और घर के अंदर पिशाब करने को चले
गये.

पिशाब करके हम जब हॉल मे आए तो देखा कि सोनाली के पिताजी कमरे
मे खड़े थे.

"पिताजी आप कब घर आए?" सोनाली ने प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा.

उसके पिताजी ने अपनी नंगी बेटी को उपर से नीचे तक देखा. उनका लंड
उनकी पॅंट मे तन कर खड़ा हो गया था. "जब तुम सभी गार्डेन मे
मज़े कर रहे थे."

सोनाली के पिताजी ने जब अपनी बेटी की गुलाबी और फूली हुई चूत देखी
तो उसे चोदने को आतुर हो गये, "सोनाली बेटा तुम ये सोफा पकड़ कर
थोड़ा झुक जाओ."

सोनाली को पता था कि आगे क्या होने वाला है और वो खुशी खुशी
तय्यार हो गयी. वो डिन्निंग टेबल पकड़ कर घोड़ी बन गयी, उसकी
मुलायम चुचियाँ टेबल की सख़्त लकड़ी पर टिकी हुई थी.

उसने देखा उसके पिताजी ने अपनी पॅंट खोली और अपने लंड को उसकी
चूत पर घिसने लगे.

"पिताजी थोड़ी क्रीम तो लगा लीजिए." सोनाली ने कहा.

"नही इसकी ज़रूरत नही है, तुम्हारी चूत पहले से ही काफ़ी गीली
है."

उसके पिताजी धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत मे घुसाने लगे. एक
झटके मे तो नही पर हां इंच दर इंच उनका लंड सोनाली की चूत
मे घुस रहा था.

सोनाली ने जब अपने पिताजी के लंड की गोलाईयों का स्पर्श अपनी गान्ड
पर महसूस किया तो वो समझ गयी कि उनका पूरा लंड उसकी चूत मे
घुस चूका है. उसका मन कर रहा था कि उसके पिताजी आज उसकी
भयंकर चुदाई करे.

"पिताजी अब ज़ोर से चोदिये मुझे खूब ज़ोर से." वो अपने पिताजी से
बोली.

बाहर तूफ़ानी हवा चल रही थी. और हल्की बारिश भी होने लगी
थी. इसके पहले की बारिश तेज होती बाहर से सभी हॉल मे आ गये.
अंदर आते ही अमित को अपनी जिंदगी का सब से चौकाने वाला नज़ारा
देखने को मिला. एक लड़की अपने बाप से घोड़ी बन चुद रही थी.
Reply
08-21-2018, 01:34 PM,
#69
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
अमित नो जो भी देखा उसे देख कर अच्छा लगा. पिताजी ने सोनाली को
टेबल पर दबा रखा था. उनका एक हाथ उसके सिर पर था और दूसरा
उसकी पीठ पर. उसके मम्मे टेबल पर मसल रहे थे. उनका मोटा और
लंबा लंड भयंकर रफ़्तार से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा
था.

"ओह सोनाली तूमम्महारी चूत बहूत आआछःईईई है. इसससे अच्छी
चूत मेईने आज तक नही छोदि. में तूमम्महरी चूओत रोज़ चूड़ना
चाहता हूँ."

"हाआँ पिटाआअजी आअपका लंड भी साब्से आआआछा है.. ये चूओत
आज से आअपकी आअपका जाअब दिल्ल्ल चाहे आअप इससे चोद साकते
हाीइ."

उसके पिताजी के धक्के पूरी टेबल को हिला रहे थे. एक बार तो टेबल
पर पड़ा फुल्लों का गुलदस्ता ज़मीन पर गिर पड़ा और टूट गया. काँच
के टूटने की आवाज़ भी उन्हे नही रोक पाई. वो दोनो चुदाई करते 
रहे और तब तक करते रहे जब उसके पिताजी ने सोनाली की चूत मे
पानी नही छोड़ दिया. सोनाली की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था.

फिर उसके पिताजी घूमे और उन्होने हम लोगों को देखा. जो हम ने
देखा था उससे सब इतना गरमा गये थे कि सब अपने आप से खेल रहे
थे.

"मुझे नही पता था कि तुम सब हमे देख रहे हो?"

उसके पिताजी कुछ अजीब सी स्थिति मे थे. उनका अर्ध मुरझाया लंड
भी काफ़ी बड़ा लग रहा था. सोनाली भी अब पलट कर हमे देख रही
थी. वो टेबल का सहारा लिए खड़ी थी. इतनी भयंकर चुदाई के बाद
उसकी टाँगो मे इतनी ताक़त नही थी कि वो अपने पैरों पर खड़ी रह
सके.

"मुझे नही लगता कि हम पहले कभी मिले हो?" उसके पिताजी ने अमित
को देखते हुए कहा.

"पिताजी ये अमित है. हमारे पड़ोस मे रहता है." विजय ने कहा.

"ओह इसका मतलब है ये हमारे घर मे घुस आया, मुझे कुछ इंतज़ाम
करना पड़ेगा." पिताजी कुछ चिंतित होते हुए बोले.

विजय ने अमित के लंड को अपने हाथों मे पकड़ लिया, "मुझे नही
लगता कि ये किसी से कुछ कहेगा, क्यों अमित मे सही कह रहा हूँ ना?"

"अच्छा है," पिताजी ने कहा, "तुम्हारा स्वागत है, तुम हम सबमे
शामिल हो सकते हो? पर लगता है तुम पहले से ही शामिल हो."
पिताजी ने कहा.

हमारा बाकी का दिन चुदाई, फिर खाना, फिर चुदाई मे गुज़रा. जब
में और सोनाली अकेले बैठे थे उसने मुझे चूमते हुए कहा, "राज
में कितनी खुश हूँ तुम्हे बता नही सकती. इस कदर एक दूसरे के
साथ रहकर हम मज़े ले रहे है."

उस दिन के बाद अमित भी उनकी चुदाई का हिस्सा बन गया था. वो अक्सर
उसँके घर जाता और सबके सब चुदाई करता. सोनाली के पिताजी भी
उसे पसंद करने लगे थे. वो विजय से भी अच्छा लंड चूस्ता था.
सोनाली के पिताजी ने उसकी गान्ड भी एक दिन मारी थी.

सोनाली के घर कुछ दिन रहने के बाद में अपने घर चला गया.
मुझे अपनी शूटिंग की तय्यारी करनी थी. इसका मतलब था स्क्रिप्ट
पढ़नी, लोकेशन देखनी, सब तय्यारियाँ करनी अपने असिस्टेंट्स के
साथ. इसी बीच मेरी गायत्री से भी बात होती रही.

वो अपने काम मे मशरूफ थी, पर वो मुझे बहोत याद करती थी, और
में भी उसे याद करता था.

थोड़े दिन बाद मुझे कुछ काम से गायत्री के सहर मे जाने का मौका
मिला. में और गायत्री करीब करीब साथ साथ ही रहे. हम ने खूब
मस्ती और चुदाई की.

जब में वापस आया तो प्रोड्यूसर्स ने बताया कि शूटिंग दो हफ्तों के
लिए कॅन्सल हो गयी है. इसका मतलब था कि मेरे पास एक महीने की
छुट्टी थी. में सीधा सोनाली के घर की तरफ रवाना हो गया.

"आओ राज तुम्हारा स्वागत है. आज घर पर कोई नही है. पिताजी
तलाक़ के फ़ैसले के लिए माँ के पास गये है. विजय अभी काम से
वापस नही आया और प्रियंका भी बाहर गयी है." सोनाली ने मुझ से
कहा.

सोनाली के सफेद कलर के टॉप पर से उसके खड़े होते निपल मुझे
दिख रहे थे. उसने ब्लू कलर की टाइट जीन्स पहन रखी थी, जिससे
उसके चूतड़ की गोलियाँ साफ नज़र आ रही थी. हम दोनो उसके कमरे
मे आ गये. मैने उसे अपनी बाहों मे भर लिया.

"ऊवू राज मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लो. मैने तुम्हारे लंड को महसूस
करना चाहती हूँ." उसने कहा.

मैने उसके कपड़े उतारने शुरू किए. उसे नंगा करने के बाद मैने
उसे बिस्तर पर धकेल दिया और खुद अपने कपड़े उतारने लगा. मैने
उसकी चूत को देखा वो एक दम सफ़ा चट थी. बालो का नामो निशान नही
था उसकी चूत पर.

"पसंद आई तुम्हे?" कहकर उसने अपनी टाँगे फैलाकर हवा मे उठा
दी. उसने अपने दोनो हाथों से अपनी चूत को और फैला दिया. उसकी
चूत का अन्द्रूनि गुलाबी हिस्सा मुझे साफ दिखाई दे रहा था. "किसका
इंतेज़ार कर रहे हो मेरे राजा. घुसा दो अपना लंड मेरी चूत मे और
आज इसका भरता बना दो." वो एक रंडी की भाषा मे बोली.

मैने एक ही झटके मे अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया. मैने उसकी
चूत को अपने लंड को जकड़ते हुए महसूस किया और उसकी चूत ने पानी
छोड़ दिया. आज उसकी चूत इतनी कसी हुई लग रही थी कि में भी
अपने आपको रोक नही पाया और मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.
Reply
08-21-2018, 01:34 PM,
#70
RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
"आज तुम्हारा जल्दी छूट गया." वो चौंकते हुए बोली. आश्चर्य
मुझे भी हो रहा था. शायद ज़्यादा उत्तेजना की वजह से ऐसा हुआ
था. पर मैने उसकी चूत मे धक्के लगाने जारी रखे. सोनाली ने
अपनी टाँगे मेरी कमर मे लपेट ली और मे जोरों से धक्के लगाने
लगे.

में उसकी बाईं चुचि को मुँह मे ले चूस रहा था और मेरा लंड
उसकी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था.

"हाआँ चोदो मुझे ओह हाां चूओड़ो ओह राज्ज्जज." वो सिसक
रही थी.

मैने अपनी रफ़्तार बढ़ाई और तेज़ी से लंड को अंदर बाहर करने
लगा. सोनाली ने अपनी बाहों मेरे इर्द गिर्द जाकड़ ली और अपने नाख़ून
मेरी पीठ पर गढ़ाने लगी.

"ऊऊऊः राआाज हाआअँ आौर जूऊरों सीई चूओड़ो फाड़ दो मेरी
चूओत कूऊऊ अपनाा मुसाल लुंदड़ड़ से इसस्सका बाअजा बाआजा दो
ओ हाआँ." वो जोरों से चिल्लाते हुए झाड़ गयी.

में उसे चोदता रहा और तब तक चोद्ता रहा जब तक कि मेरे लंड ने
एक बार फिर उसकी चूत मे पानी छोड़ दिया.

थोड़ी देर उसे चोदने के बाद मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया. वो
थोड़ा उदास हो गयी लेकिन जब उसने मेरे लंड को अपनी गान्ड के छेद पर
महसूस किया तो खुश होते हुए घोड़ी बन गयी.

मैने ज़ोर लगाते हुए एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी गान्ड मे घुसा
दिया. एक बार तो वो दर्द मे चिल्लाई, फिर मेरे लंड को अपनी गान्ड मे
अड्जस्ट करने लगी. में ज़ोर के धक्के मार कर उसकी गान्ड मार रहा
था.

"ऊवू सूऊनाली आअज मेंन्न तुम्हारी गान्ड फाड़ दूँगा, हाआँ ले
ले मेराअ लंड आअपनी गांद मे." उत्तेजना मे में भी बड़बड़ा रहा
था.

पर जो मैने कहा वो पूरा नही कर पाया. उसकी गान्ड आज इतनी कसी
हुई लग रही थी कि मेरे लंड की नसों मे तनाव हुआ और मेरे लंड ने
उसकी गान्ड मे पानी छोड़ दिया. में थक कर उसपर लेट गया था.

तभी मुझे दरवाज़े पर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी. विजय अपने
हाथ मे वीडियो कॅमरा लिए हमारी शूटिंग कर रहा था.

"अच्छा शो था. इस फिल्म की टिकेट तो हाथों हाथ बिक जाएगी," उसने
हंसते हुए कहा.

"हाई विजय." मैने कहा. मेरा लंड अभी भी सोनाली की गान्ड मे था.
उसने कॅमरा के क्लोज़ अप से फोटो ली. मैने अपना लंड बाहर निकाला.
वो मेरे और सोनाली के वीर्य से भीगा हुआ था.

"ऊवू राआज आअज तुमने तो मुझहह्े तृप्त कर दियाअ." सोनाली
के चेरे पर तृप्ति के भाव थे.

में उठकर बाथरूम मे चला गया. जब में वापस आया तो विजय
कुर्सी पर बैठा था.

"और विजय कैसा चल रहा है?' मैने पूछा.

"सब ठीक है राज." उसने जवाब दिया.

"ये बताओ उस लड़के अमित का क्या हाल है." मेने फिर पूछा.

"में तुम्हे बताउन्गा नही बल्कि दिखाउन्गा. कुछ दिन पहले ही रेकॉर्ड
की है." विजय ने कहा.

"ठीक है." कहकर में विजय के साथ सोनाली के कमरे से बाहर निकल
आया.

हम विजय के कमरे मे पहुँचे. उसने एक सीडी लगा दी.

"आराम से बैठो और देखो, तीन दिन हुए इसे रेकॉर्ड किए." उसने
कहा.

मैने देखा दो गान्ड और दो चूत आपस मे पास पास थी. वो सोनाली
और प्रियंका की चूत थी. और दो गान्ड विजय और उसके पिताजी की थी.
विजय ने सीडी पर अच्छा काम किया था. आवाज़ भी रेकॉर्ड की हुई थी.
सिसकारियों की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी.

अच्छा सीन था, दो लंड दो चूतो के अंदर बाहर हो रहे थे.
तभी मैने दोनो लंड को पहचाना. सोनाली की चूत को उसके पिताजी
चोद रहे थे और प्रियंका की चूत को विजय. थोड़ी देर बाद उन दोनो
ने जगह बदल ली.

थोड़ी देर बाद मैने देखा कि उसके पिताजी ने अपना लंड सोनाली की
चूत से बाहर निकाल लिया और अपना लंड उसकी गान्ड मे पेल दिया. यही
विजय ने उसकी बेहन के साथ किया.
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