Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है
12-10-2018, 01:45 PM,
#1
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मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ . दोस्तो मैने सोचा था कि कोई लंबी सी कहानी ही शुरू करूँगा लेकिन तब तक कुछ छोटी छोटी कहानियाँ भी पोस्ट कर देता हूँ जिनसे आपका भी मनोरंजन होता रहेगा और गैप भी नही आएगा . तो दोस्तो लीजिए एक तडकती फड़कती कहानी पेशेखिदमत है मज़ा लीजिए .


दोस्तो यह जो स्टोरी मैं आप की खिदमत मैं पेश कर रहा हूँ. यह उस टाइम की स्टोरी है जब के पाकिस्तान मैं जनरल ज़ीया-उल-हक़ की हकूमत थी.

उन दिनो पाकिस्तान मैं बिजली की सूरते हाल आज कल की तरह नही थी.बल्कि उस टाइम हकूमत की कॉसिश थी कि मुल्क के दौर उफ़तदा गावों और कस्बो मैं भी बिजली फरहाम की जाय.इस लिए उन दिनो टीवी पर ऐक आड़ रोज चला करती थी के,

“मेरे गाओं मे बिजली आई है
मेरे गाओं मे बिजली आई है”

मगर मैं जिस गाओं की इस स्टोरी मैं जिकर कर रहा हूँ. वो गाओं डिस्ट्रेक्ट झुंज का वाकीया है. और हकूमती कोशिशो के बावजूद इस इलाक़े के लोग अभी तक बिजली की नहमत से फ़ैज़्याब नही हुवे थे.

इस गाओं के लोग बोहत ही ग़रीब,अनपढ़ और पसमांदा थे और उन का ज़रिया मात्र खेती बाड़ी था.

बिजली ना होने की वजह से यह लोग रात को लालटेन, मोम बत्ती या मिट्टी के दिए जला कर अपना गुज़ारा करते थे.

इस गाओं मैं दो भाई फ़ैज़ अहमद और अकमल ख़ान अपने बच्चों के साथ ऐक ही हवेली मैं इकट्ठे रहते थे.

बड़े भाई फ़ैज़ अहमद के 5 बच्चे थे .जिन में से बड़े तीन तो शादी शुदा थे और वो अपनी फॅमिली के साथ उसी गाओं में लेकिन अलग अलग घरों मे रहते थे.

फ़ैज़ अहमद का साब का छोटा बेटा गुल नवाज़ अहमद और उस की बेटी नुज़्हत बीबी अभी कंवारे थे.

फ़ैज़ अहमद के छोटे अकमल ख़ान के चार बच्चे थे. जिन मैं से दो बारे बेटे शादी शुदा थे और वो गाओं से बाहर दूसरे शेरू में अपनी अपनी फॅमिली के साथ रहते थे.

अकमल ख़ान के भी दो छोटे बच्चे अभी तक कंवारे थे. उस के बेटे का नाम सुल्तान अहमद और बेटी का नाम रुखसाना बीबी है.

चूँकि यह स्टोरी रुखसाना बीबी की आप बीती है.इस लिए मैं अब यह स्टोरी रुखसाना बीबी की ज़ुबानी ही बयान करता हूँ...............................................




मेरा भाई सुल्तान और मेरा ताया ज़ाद गुल नवाज़ दोनो अब जवान थे और वो सारा दिन खेतों में अपने वालिद और चाचा के साथ काम कर के उन का हाथ बँटाते थे.

जब के में और नुसरत घर में अपनी अम्मियों के काम काज में उन की मदद करती थीं.

एक तो चाचा और ताया ज़ाद भाई होने और फिर उपर से हम उमर होने के नाते गुलफाम और सुल्तान दोनो में बहुत अच्छी दोस्ती थी.

इसी तरह नुसरत और मुझ में भी बहनो की तरह प्यार था. और हम दोनो भी एक दूसरे की बहुत अच्छी सहेलियाँ थीं.

हमारे गाँव में उन दिनो देसी शराब की लानत चल पड़ी थी. गाँव के बड़े बुजुर्गों ने पहले पहल इस बुराई को रोकने की कोशिश की

मगर शराब का धंधा करने वाला माफ़िया बहुत ताकतवर था.जिस ने अपने पैसे और असरो रसूख से सब के मुँह बंद करवा दिए.और फिर रफ़्ता रफ़्ता गाँव के जवान तो जवान बूढ़े लोग भी देसी शराब के सरूर से फेज़ाइब होने लगे.
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12-10-2018, 01:45 PM,
#2
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
शादी से पहले गुल नवाज़ और सुल्तान दोनो रात के वक़्त अक्सर गाँव के दूसरे लड़कों के साथ मिल कर देसी शराब पीते और कभी कभार साथ वाले शहेर जा कर किसी रंडी को भी चोद लेते थे.

उन की इन हरकतों का हम सब घर वालों को भी पता था. मगर हमारे माँ बाप उन को “ मुंडे खुंदे” समझ कर कभी भी इन हरकतों से मना नही करते थे.

घर के लड़कों की अपेक्षा मैं और नुसरत शरीफ और घरेलू लड़कियाँ थीं जो शादी से पहले बिल्कुल कुँवारी थीं.

बचपन ही में मेरी मँगनी गुल नवाज़ के साथ और नुसरत की मँगनी मेरे भाई सुल्तान के साथ तय हो चुकी थी.

इस लिए जब गुल नवाज़ और मेरा भाई सुल्तान दोनो काम काज में अपने वालिद का हाथ बंटाने लगे तो फिर एक दिन गुल नवाज़ की शादी मुझ से और मेरे बड़े भाई सुल्तान की शादी गुल नवाज़ की बेहन नुसरत से कर दी गई.

ये “वाटे साटे” की शादी थी. जिस की बिना पर में नुसरत की और वो मेरी भाभी बन गईं.

जिस वक़्त हमारी शादी हुई उस वक़्त हम सब की उम्र कुछ यूँ थीं.

गुल नवाज़ अहमद (उमर 24 साल)

नुसरत बीबी (गुल नवाज़’स बेहन उमर 23 साल)

सुल्तान अहमद (मेरा भाई उमर 25 साल)

में: रुखसाना बीबी (उमर 23 साल)

एक ही हवेली में साथ साथ रहने की वजह से हम दोनो नये शादी शुदा जोड़ों को जो कमरे दिए गये वो एक दूसरे के साथ जुड़े हुए थे.

सुहाग रात को में और नुसरत दोनो दुल्हन बन कर अपने अपने कमरे में सुहाग की सेज पर बैठी हुई अपने शोहरों का इंतिज़ार कर रही थीं.

तकरीबन आधी रात से कुछ टाइम पहले गुल नवाज़ और सुल्तान दोनो देसी शराब पी कर अपने अपने कमरे में दाखिल हुए.

कमरे में आते ही मेरे शोहर गुल नवाज़ ने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.

गुल नवाज़ आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ मेरे पास पलंग पर आ कर बैठ गया.

पलंग पर बैठने के साथ ही बिना मुझ से को बात किए गुल नवाज़ ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खेंच लिया.

कमरे में एक लालटेन बिल्कुल मध्यम लो में जल रही थी.जिस की वजह से कमरे में हल्की हल्की रोशनी थी.

गुल नज़वान के इस तरह मुझे अपनी तरफ खींचने पर मुझे बहुत शरम आ रही थी.

गुल नवाज़ ने अपने मुँह को मेरे मुँह के नज़दीक किया तो उस के मुँह से आती हुई शराब की बदबू ने मुझे परेशान कर दिया.

मैने अपना मुँह गुल नवाज़ के मुँह से हटाने की कॉसिश की. मगर में इस कोशिश में कामयाब ना हो सकी.और देखते ही देखते गुल नवाज़ के होंठ मेरे होंठो पर आ कर जम गये.

गुल नवाज़ ने मेरे होंठो को अपने होंठो में कसते हुए चूमा.जिस की वजह से मेरा मुँह बेइख्तियार खुलता चला गया और मेरी ज़ुबान भी थोड़ी बाहर निकल आई.

मेरे शोहर ने मेरी ज़ुबान को अपने मुँह में लिया और फिर मेरे होंठो के साथ साथ मेरी ज़ुबान को भी चूसने लगा.

में जो एक लम्हे पहले तक गुल नवाज़ के मुँह से आती शराब की बदबू से परेशान हो कर उस के नज़दीक आने से कतरा रही थी.

अब दूसरे ही लम्हे में मेरी ये हालत हो गई कि में अपने शोहर के लबों के लामास के मज़े से एक दम पागल सी होने लगी थी.

अपने होंठो को पहली बार किसी मर्द के होंठो के साथ टकराने का ये तजुर्बा मेरे लिए बिल्कुल नया था . और इस मज़े को महसूस करते ही मुझे ऐसा लगा जैसे में हवाओं में उड़ रही हूँ.

मुझे नहीं मालूम था कि होंठो की चूमा चाटी करने में भी इतना मज़ा आएगा.

में सोचने लगी कि अगर होंठो की चूमा चाटी करने में इतना मज़ा आ रहा है तो चुदवाने मे कितना मज़ा आता होगा.
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12-10-2018, 01:46 PM,
#3
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
गुल नवाज़ मेरी ज़ुबान को चूसे जा रहा था और उस के हाथ मेरी पीठ पर चल रहे थे. उस ने मुझे अपने हाथों में कस लिया जिस की वजह से में उस के साथ एक दम चिपक सी गई.

में गुल नवाज़ से लिपटी हुई उस का गरम बदन और गरम साँसे अपने जिस्म और गर्दन पर महसूस कर रही थी.

इसी दौरान मेरे बदन पर फिरते फिरते गुल नवाज़ का बया हाथ अचानक मेरे बाएँ मम्मे पर आ कर रुक गया.

अपने शोहर का हाथ पहली बार अपनी गुदाज छाती पर महसूस करते ही मेरी तो साँस ही जैसे रुकने लगी.

में पूरी तरह से कांप गई और कसमसा कर मैने गुल नवाज़ से अलग हटने की एक नाकाम सी कोशिश की, पर गुल नवाज़ ने मुझे कस कर दबोचा हुआ था.

गुल नॉवज़ के हाथ मेरी चाहती से खेलने लगे. जिस से में भी शर्मो हया के पर्दे से थोड़ा बाहर निकली और जवानी के सरूर में आते हुए अपनी चूत की गर्मी के हाथो मजबूर हो कर जिसे बहकने ही लगी.


थोड़ी देर के बाद गुल नवाज़ का हाथ मेरे बदन से खेलते खेलते मेरी सलवार के नाडे पर आ गया. और उस ने मेरे लबों को चूमते चाटते एक झटके में ही मेरी सलवार के नाडा को खोल दिया.नाडा खुलते ही मेरी सलवार सरक कर बिस्तर पर गिर गाईए.

इस से पहले के में थोड़ा संभाल पाती दूसरे ही लम्हे गुल नवाज़ ने मेरी कमीज़ भी उतार दी. कमीज़ उतरने की देर थी कि गुल नवाज़ ने अपने हाथों को मेरी कमर के पीछे ले जा कर पीछे से मेरी ब्रेजियर का हुक खोल दिया और एक झटके से मेरी ब्रेजियर को उतार कर फेंक दिया.

जिंदगी में पहली बार यूँ आनन फानन किसी मर्द के हाथों अपने आप को अपने कपड़ों की क़ैद से आज़ाद होते देख कर में तो शरम से लाल हो गयी.

मगर इस शरम के साथ साथ ही मुझ नज़ाने क्यूँ इतना मज़ा भी आया कि इस मज़े और जोश में मुझे अपनी चूत से पानी भी निकलता हुआ महसूस होने लग.

मुझ मुकम्मल नंगा करते ही गुल नवाज़ ने अपने कपड़े भी उतार दिए .गुल नवाज़ को नंगा होते देख कर ,मैने अपनी आँखों के सामने अपना हाथ रख लिया.

मगर गुल नवाज़ ने मेरी आँखों से मेरे हाथ हटा कर मुझे अपनी तरफ देखने पर मजबूर कर दिया.

उस रात जिंदगी में पहली बार मैने एक मर्द का लंड देखा और जिस को देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.

में सोचने लगी कि मेरी चूत का छेद तो बहुत ही छोटा था. एक उंगली तो इस में जा नही पाती ये इतना बड़ा लंड कैसे मेरे अंदर जा पाएगा. ये ही सोच कर मुझ बहुत घबराहट होने लगी और माथे पर पसीना आ गया.

थोड़ी देर तक लालटेन की मध्यम रोशनी में मेरे नंगे जिस्म का जायज़ा लेने के बाद गुल नवाज़ ने आगे बढ़ कर मेरे मम्मो को अपने हाथ में पकड़ कर इतनी ज़ोर से मसला कि मेरे मुँह से "आआआआआआहह हह" निकल गयी.

गुल नवाज़ के हाथों की ये गर्मजोशी मुझ भी गरमा गई.आज पहली बार मेरे बदन से कोई खेल रहा था इस लिए ना चाहते हुए भी मेरा जिस्म गर्म होने लगा.

गुल नवाज़ अपनी उंगली और अंगूठे से मेरे निपल्स को बेदर्दी से मसल्ने लगा. में जोश में एक दम पागल सी हो रही थी. मेरी चूत लगा तार पानी छोड़े जा रही थी.

गुल नवाज़ ने अपना मुँह नीचे मेरी नंगी छातियों की तरफ बढ़ाया और अपने मुँह में मेरा दायां मम्मा ले लिया और बाएँ मम्मे को अपनी मुट्ठी से कस कर दबाने लगा.

"क्या सख़्त और मज़े दार मम्मे हैं तुम्हारे, मेरी रानी." गुल नवाज़ ने ये कहते हुए मेरे दोनो मम्मो को कस कर आपस में जोड़ा और फिर बेखुदी में जज़्बात से बेकाबू होते हुए मेरे दोनो मम्मो के दरमियाँ में अपनी ज़ुबान को फेरने लगा.

मैने भी मस्ती में आते हुए अपनी बाहों से गुल नवाज़ के सिर को पकड़ लिया और अपनी छातियों को उपर की तरफ करने लगी.

मेरी चूत पानी छोड़े जा रही थी...मेरी चूत से टपक टपक पानी बह के बिस्तर की चदार पर जा कर जज़्ब होने लगा ...

गुल नवाज़ के हाथ मेरे जिस से खेलते खेलते मेरी कंवारी चूत पर आ चुके थे.

गुल नवाज़ ने मेरी चूत पर हाथ फेरते हुए फिर अपने हाथ की दरमियानी उंगली मेरी चूत में घुसा दी. "उफफफफफफफफफ्फ़...." में तड़प उठी.

गुल नवाज़ ने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल कर उस को आहिस्ता आहिस्ता मेरी फुद्दी के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.

मुझे भी मज़ा आने लगा और में आहें भरने लगी. थोड़ी देर बाद गुल नवाज़ उठा और उस ने मेरे दोनो पैर उठा कर अपने कंधो पर रख लिए.

अब गुल नवाज़ का तना हुआ लंड मेरी चूत से बस एक इंच की ही दूरी पर था.

मेरे शोहर गुल नवाज़ ने मेरी टाँगो को अपने हाथों से पकड़ कर फैलाया और अपने लंड का टोपा मेरी चूत के उपर रख दिया.

गुल नवाज़ के लंड को अपनी चूत से टकराते हुए महसूस कर के मेरी सारे बदन में आग सी लग गई. और मज़े के मारे मेरा बदन जैसे झुरजुरी सी लेने लगा.

तभी गुल नवाज़ ने एक झटका मारा और उस का लंड मेरी कंवारी चूत कर परदा फाड़ता हुआ अंदर घुस गया.

में दर्द से चिल्ला उठी, उईए......आअहह .आहह......... आआहह. मगर अब गुल नवाज़ कब रुकने वाला था. उसे मुझ पर कोई तरस ना आया और वो एक भूके कुत्ते की तरह मेरी बोटी बोटी नोचने लगा.

चूँकि मेरे और गुल नवाज़ के कमरे की दीवार नुसरत और सुल्तान भाई के साथ मिली हुई थी. इस लिए रात के सन्नाटे में साथ वाले मेरे भाई के कमरे से आती हुई हल्की हल्की सिसकियों की आवाज़ों से पता चल रहा था. कि दूसरे कमरे में भी वो ही खेल खेला जा रहा है तो हमारे कमरे में ज़ोरो शोर से जारी था.
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12-10-2018, 01:46 PM,
#4
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
उस रात गुल नवाज़ और सुल्तान, दोनो कज़िन्स ने एक दूसरे की बेहन की चूत के कंवारे पन को अपने अपने लंड से फाड़ कर मुझे और नुसरत को एक लड़की से औरत बना दिया.

नुसरत की तरह मेरे लिए भी चुदाई का ये पहला तजर्बा था. मुझ नुसरत का तो पता नही मगर चुदाई के इस खेल में पहले पहले तो मुझ को बहुत दर्द हुआ.

लेकिन फिर जब कुछ देर चुदाई के बाद दर्द जब कम होने लगा तो मैने अपने शोहर गुल नवाज़ की बाहों में अपनी सुहाग रात का खूब मज़ा लिया.

उस दिन के बाद अक्सर रात को गुल नवाज़ और सुल्तान दोनो पी कर घर आते और कमरे में आते ही नशे की हालत में अपनी अपनी बीबीयों पर चढ़ दौड़ते.

एक तो दिन भर बाहर खेतों में काम करने की थकान और दूसरा शराब के असर की वजह से चुदाई सेफ़ारिग होते ही गुल नवाज़ थक कर मेरे पहलू में गिर जाता और दूसरे ही लम्हे उस के खर्राटे मेरे कानू में गूंजने लगते थे.

शादी के ठीक 9 महीने बाद नुसरत ने एक बच्चे को जनम दिया जब कि मेरी कोख अभी तक खाली थी.

ऐसा नही था कि में और गुल नवाज़ बच्चा नही चाहते थे. या बच्चा पैदा करने की कोशिश नही कर रहे थे.

गुल नवाज़ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ उन दिनो ही मेरे साथ चुदाई का नागा करता जब मेरी “माहवारी” चल रही होती थी. इस के अलावा तो वो हर रात दिल भर का मुझे चोदता था.

इस दौरान दो साल मज़ीद गुज़र गये और नुसरत ने एक और लड़की को जनम दे दिया.

मगर लगता था कि बच्चों की खुशी अभी मेरे नसीब में नही थी.

शादी के तीन साल बाद…

अब मेरी और नुसरत की उमर 26 साल हो चुकी थी. जब कि मेरे शोहर की उमर अब 27 साल और भाई सुल्तान अब 28 साल का हो चुका था.

में और नुसरत कजिन्स होने के साथ साथ एक दूसरे ही निहायत अच्छी दोस्त तो पहले ही थी. और फिर एक दूसरे की भाभी बनने के बाद हम दोनो एक दूसरे के दुख सुख को मज़ीद अच्छी तरह से समझने लगी थीं.

एक दिन दुपहर को में और नुसरत अकेली सहन में चार पाई पर बैठे इधर उधर की बातें कर रही थीं. जब कि नुसरत के दोनो बच्चे साथ वाली चार पाई पर लेटे सो रहे थे.

“अम्मी जी कोशिस कर रही हैं कि भाई गुल नवाज़ तुम को तलाक़ दे दें” नुसरत ने बातों बातों के दौरान मेरी तरफ बहुत संजीदा अंदाज़ में देखते हुए कहा.

“तलाक़ मगर क्यों”नुसरत की ये बात सुन कर मेरा कलेजा हिल गया और मेरी आँखों में आँसू उमड़ आए.

“क्यों कि तुम्हारी शादी को अब काफ़ी टाइम हो गया है और अभी तक तुम्हारा कोई बच्चा नही हुआ इस लिए” नुसरत ने मुझे जवाब दिया.

“नुसरत मुझे पता है कि तुम्हारे दो बच्चे होने के बाद तुम्हारी अम्मी और मेरी सास मेरे बच्चे ना होने की वजह से परेशान हैं. लेकिन अगर मेरे बच्चे नही हो रहे तो इस में मेरा क्या कसूर है” मैने परेशानी की हालत में अपनी कजिन से कहा.

“रुखसाना तुम को कोई बीमारी तो नही और अगर है तो तुम ने इस के इलाज के लिए कोई दवाई वगेरह ली है” नुसरत ने मुझ से पूछा.

“नही मुझे कोई बीमारी नही क्यों कि मैने गाँव की “दाई” (मिड वाइफ) से अपना मुआईना (चेकप) भी करवाया है और उस की दी हुई दवाई भी इस्तेमाल की है मगर अभी तक उस का कोई असर नही हुआ” मैने जवाब दिया.

“तो फिर क्या वजह है कि तुम अभी तक माँ बनने से महरूम हो?”नुसरत ने सवालिया अंदाज़ में पूछा.

“में तो तुम्हारे भाई को अपने साथ हम बिस्तरी करने से कभी नही रोकती. मगर इस के बावजूद अभी तक बच्चा ना होने की समझ मुझे भी नही” मैने अपनी आँखें झुकाते हुए आहिस्ता से रंजीदा लहजे में अपनी कजिन को जवाब दिया.

“मुझे अंदाज़ा है मेरी बेहन के बच्चे होना या ना होना नसीब की बात है. अब मुझे ही देख लो,हालाँकि में अपने बेटे की पैदाइश के बाद मजीद कोई बच्चा पैदा नही करना चाहती थी.

और इस लिए तुम्हारा भाई मुझ से हम बिस्तरी करते वक़्त “अहतियातन” हमेशा बाहर ही फारिग होता है. मगर शायद तुम्हारे भाई के हर कतरे में इतनी ताक़त है कि बाहर निकालते निकालते भी उस का आख़िरी क़तरा अपना काम कर जाता है और इसका नतीजा “मुन्नी” की शकल में तुम्हारे सामने माजूद है”.

नुसरत ने एक हल्की और शरारती मुस्कुराहट के साथ मेरी तरफ देखते हुए मुझे बताया.

“तुम अभी बच्चे नही चाहती मगर क्यों” मैने हैरानी से नुसरत की तरफ देखते हुए पूछा.

“हाए तुम को तो जैसे पता ही नही मेरी भोली बानो” नुसरत ने मुझे छेड़ते हुए कहा.

“नही मुझे वाकई ही नही अंदाज़ा कि तुम क्यों अभी बच्चे नही चाहती” मैने अंजान बनते हुए दुबारा पूछा.

“वो इस लिए कि में अभी अपनी शादी शुदा जिंदगी के शुरू में तुम्हारे भाई के साथ मज़े करना चाहती हूँ. मगर हर वक़्त हमला (प्रेग्नेंट) होने का ख़ौफ़ मेरे दिमाग़ पर छाया रहता है. जिस की वजह से में तुम्हारे भाई के साथ हम बिस्तरी का पूरा मज़ा नही ले पाती” नुसरत ने मेरी तरफ देखा और हल्के से आँख मारते हुए मेरी बात का जवाब दिया.

“ये अजीब बात है कि एक में हूँ जो हर कीमत पर बच्चा पैदा करना चाहती हूँ और इस लिए अपने शोहर को कभी इनकार नही करती और एक तुम हो कि हमला होने के खोफ़ से ही चुदाई के सही मज़े नही ले पा रही हो.

अगर बच्चा होने का इतना ही डर है तो तुम लोग “साथी” (कॉंडम) इस्तेमाल कर लिया करो”: मैने नुसरत से कहा.

“वो तो तुम्हारा भाई अब इस्तेमाल करता है मगर सच कहूँ मुझे “साथी” के साथ हम बिस्तरी का मज़ा नही आता” नुसरत बोली.

“मगर क्यों” मैने तजसोस करते हुए पूछा.

“ वो इस लिए के मेरा दिल करता है की साथी के बगैर चुदाई का खुल कर मज़ा लूँ. क्यों कि रब्बर के बगैर जब गरम लंड का फुददी के गोश्त से टकराता है तो उस का स्वाद ही कुछ और होता है और में वो मज़ा लेना चाहती हूँ मेरी “बानो” मगर मज़ीद बच्चों होने के डर से नही ले पाती”

नुसरत के मुँह से आज पहली बार इस तरह की गंदी बात सुन कर हम दोनो कज़िन्स खिलखिला कर हँसने लगी.
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12-10-2018, 01:46 PM,
#5
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
हँसते हँसते मेरे दिमाग़ में एक ख्याल बिजली की मानिंद दौड़ गया कि नुसरत और में बांझ नही. मेरा भाई सुल्तान भी नही तो क्या ये मुमकिन नही कि हो सकता है मेरा शोहर गुल नवाज़ मे ही वो पावर ना हो. जिस की वजह से में अभी तक औलाद की नेहमत से महरूम हूँ.

इस ख़याल ने मेरे दिल और दिमाग़ को घेर लिया और में अगले चन्द हफ्ते इसी बात को सोचती और इस पर गौर करती रही.

इस दौरान मेने एक आध दफ़ा डरते डरती अपने शोहर गुल नवाज़ से इस बारे में बात करने की कोशिश की. कि अगर उस में को “नुक्स” है तो वो जा कर गाँव के हकीम से अपने लिए क्यों ना दवाई वगेरा ले.

मगर अपने शोहर के गुस्से को देखते हुए में उस के सामने अपनी ज़ुबान खोलने से घबराती ही रही.

में इस लिए भी खामोश रही क्यों कि में जानती थी कि हमारे परिवार में सुसराल वाले और खास तौर पर शोहर कभी इस बात को मानने को तैयार नही होते कि उन में भी कोई खराबी हो सकती ही.

और अगर उन से कभी इस बारे में बात की भी जाय तो उन का मर्दाना वक़ार एक दम मजरूह हो जाता है.

इस लिए मैने बेहतरी इस में जानी कि अपनी ज़ुबान को बंद कर के चुप चाप अपने घर में अपने शोहर और सास के साथ जहाँ तक हो सकता है गुज़ारा करूँ.

कुछ दिनो बाद एक रोज में गाँव से बाहर अपने डेरे पर एक दरख़्त की ठंडी छाँव में बैठी थी.

मेरी भांजी मुनि मेरी गोद में बैठी खेल रही थी. जब कि मेरा ध्यान थोड़े फ़ासले पर खेतों में ट्रॅक्टर चलाते हुए अपने शोहर गुल नवाज़ की तरफ था. कि इतने में नुसरत अपने बेटे को उठाए हुए मेरे करीब आई तो मैने नुसरत को अपने बेटे से कहते सुना” पुतर देख तेरे अब्बा जी खेत में कितनी मेहनत से ट्रॅक्टर चला रहे है”.

मैने नुसरत की तरफ हैरानी से देखते हुए कहा” तुम ने कहा अब्बा जी? में तो समझी थी कि ट्रॅक्टर गुल नवाज़ चला रहा है?”

“तुम इतनी देर से इधर बैठी हो तुम ने देखा नही कि भाई गुल नॉवज़ तो कुछ देर पहले ही एक काम के सिल्स्ले में घर वापिस चला गया है.अब उस की जगह मेरा शोहर सुल्तान खैत में काम कर रहा है” नुसरत ने मुस्कराते हुए कहा.

असल में कुछ देर के लिए डेरे पर ही बने बाथ रूम में पेशाब के लिए गई थी. लगता है उसी वक़्त मेरे शोहर गुल नवाज़ की जगह मेरे भाई सुल्तान ने ट्रॅक्टर चलाना शुरू कर दिया था.

जिस का वाकई मुझ ईलम ना हुआ और में अपनी चार पाई पर बैठी अब तक ये ही समझती रही कि अभी भी मेरा शोहर ही खेत में काम कर रहा है.

मैने दुबारा गौर से खैत की तरफ नज़र डाली तो वो वाकई ही मेरा भाई सुल्तान था. 

में सोच में पड़ गई कि मेरे शोहार और मेरे भाई का डील डौल और जिसमात कितनी मिलती जुलती है. कि दूर से देखने में वो दोनो एक जैसे नज़र आते हैं.

फिर मैने अपनी कज़िन पर निगाह डाली और नुसरत के सरापे का बगौर जायज़ा लेने लगी.

में खुद तो शुरू से ही थोड़ी मोटी थी जिस की वजह से मेरे मम्मे काफ़ी बड़े और गान्ड भी काफ़ी चौड़ी थी.

जब कि नुसरत शादी से पहले मुझ से थोड़ी पतली थी. मगर शादी और फिर दो बच्चों की पैदाइश के बाद उस का वज़न भी भर गया था. जिस का असर उस के मम्मों और गान्ड पर भी नज़र आ रहा था.

आज पहली बार मुझ खुद ये लगा में और नुसरत क़द काठ और जिस्मानी सखत की वजह से काफ़ी हद तक एक दूसरे से मिलती जुलती है. और पहली बार मुझ लोगो की कही हुई ये बात सच लगने लगी कि हम दोनो भी देखने में जुड़वाँ बहनें नज़र आती हैं.

ये बात मेरे ज़हन में आते ही में एक गहरी सोच में डूब गई.

हम ज़मीन दार लोग हैं. जो कि खेती बाड़ी और जानवर पाल कर अपना गुज़ारा करते हैं.

और इलाक़ों की तरह हमारे एरिया में भी ये रिवाज है. कि हर साल गाँव के लोग अपनी भेंस (बफ्लो) को किसी सांड़ से चुदवा कर बच्चा पैदा करवाते हैं.

इस अमल के दौरान अगर एक सांड़ किसी भेंस को “ग्यावन” (प्रेग्नेंट) ना कर पाए तो फिर दूसरा सांड़ लाया जाता है.
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12-10-2018, 01:46 PM,
#6
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
इस बात को सोचते हुए मेरे दिल में भी ये ख़याल आया कि अपना घर बचाने के लिए क्यों ना में भी किसी गैर मर्द से ताल्लुक़ात कायम कर लूँ. 

मगर छोटे गाँव में लोगों की ज़ुबाने बहुत बड़ी बड़ी होती हैं. और अगर किसी को पता चला गया तो. इस बात का अंजाम सोच कर मेरी हिम्मत जवाब दे गई.

फिर मुझ याद आया कि कुछ दिन पहले ही नुसरत ने सुल्तान के मुतलक ये कहा था कि उस के वीर्य का एक क़तरा ही बच्चा पैदा करने के लिए काफ़ी है.

“साला एक मच्छर इंसान को हिजड़ा बना देता है” इंडियन आक्टर नाना पाटेकर का ये डायलॉग तो बहुत बाद में आया था.

मगर नुसरत की बात आज दुबारा याद कर के मुझे इस वक़्त ऐसे लगा जैसे वो कह रही हो कि,

“तुम्हारे भाई का एक ही क़तरा बांझ से बांझ औरत की कोख में भी बच्चा बना सकता है”

ये बात दुबारा याद आते ही मेरे ज़हन में एक और ख्याल भी उमड़ आया.

जिस ने ना सिर्फ़ मेरा कलेजा हिला कर रख दिया बल्कि साथ ही साथ मुझ बहुत कुछ सोचने पर भी मजबूर कर दिया.

ये ख्याल ज़हन में आते ही पहले तो में काँप ही गई. क्यों कि मैने आज तक इस बात के बारे में सोचा तक नही था.

मगर हर शादी शुदा लड़की की तरह में भी ये हरगिज़ नही चाहती कि मेरा हँसता बस्ता घर उजड़ जाए. या फिर बिना किसी कसूर के यूँ बैठे बिताए मुझ पर एक तलाक़ याफ़्ता होने का लेबल लग जाए.

मुझ अपना घर हर सूरत बचाना था और इस के लिए में ना चाहते हुए भी हर हद पार करनी पर तूल गई थी.

ये ही सोचते हुए मैने हिम्मत की और नुसरत की तरफ देखते हुए कहा“नुसरत तुम मेरी बेहन हो ना”

“रुकसाना तुम मेरे लिए बेहन से भी बढ़ कर हो, और इसी लिए में अपनी पूरी कॉसिश कर रही हूँ कि अम्मी तुम को तलाक़ ना दिलवाए” नुसरत ने मुझे प्यार से जवाब दिया.

“अच्छा तो फिर मुझे एक सिलसिले में तुम्हारी मदद और तुम्हारी इजाज़त की ज़रूरत है” मैने नुसरत का हाथ अपने हाथ में लेते हुए एक इल्तिजा भरे लहजे में कहा.

“मेरी मदद और इजाज़त किस सिलसिले में” नुसरत ने मेरी तरफ सवालिया नज़रो से देखते हुए कहा.

“वो वो” में कहना तो चाहती थी मगर अल्फ़ाज़ मेरे मुँह में जैसे अटक कर रह गये.

मुझ पता था कि मेरे ज़हन में जो बात और प्लान है वो एक नामुमकिन बात है और नुसरत कभी भी इस बात पर राज़ी नही हो गी.

“कहो ना रुक क्यों गई” नुसरत ने मुझ झिझकते हुए देखा तो मुझे अपनी बात मुकम्मल करने का होसला देते हुए बोली.

मैने नुसरत से बात करने का अपने दिल में इरादा तो कर लिया था मगर दिल की बात को अपने होंठों पर लाने की मुझ में हिम्मत नही पड़ रही थी.

इस लिए मैने खामोश रहते हुए अपना सर उठाया और मेरी नज़रे खेत की तरफ गईं. जिधर मेरा भाई सुल्तान अभी भी ट्रॅक्टर चला रहा था.

और मेडम नूर जहाँ के एक मशहूर गाने के बोलों की तरह कि,



कुछ भी ना कहा और कह भी गये
कुछ कहते कहते रह भी गये

बातें जो ज़ुबान तक आ ना सकीं
आँखों ने कहीं आँखों ने सुनी
कुछ होंठों पे कुछ आँखों में
अनकहे फसाने रह भी गये
कुछ भी ना कहा और कह भी गये
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12-10-2018, 01:47 PM,
#7
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
नुसरत की नज़रे भी मेरी नज़रों का पीछा करते हुए उस के शोहर पर पड़ी और साथ ही उस के गले से एक हैरत भरी आवाज़ निकली “किय्ाआआआआआआआअ”.

मेरे कुछ बोले बिना ही नुसरत मेरी सारी बात और नज़रो का मतलब पूरी तरह समझ गई थी.

“ ऊएफफफ्फ़,लानत हो तुम पे, इतनी गंदी सोच,लगता है तुम्हारा दिमाग़ चल गया है और तुम पागल हो गई हो रुखसाना” नुसरत ने मेरे हाथ को नफ़रत से एक झटके में छोड़ते हुए कहा.

साथ ही उस ने अपनी बेटी को गुस्से में मेरी गोद से उठा कर अपनी छाती से लगाया और अपने बेटे को उंगली से पकड़ कर बड बड़ाती अपने शोहर की तरफ चल पड़ी.

में उधर ही बैठी नुसरत को जाता देखती रही. मुझे उस के रवैये पर कोई अफ़सोस नही था.

क्यों कि अगर में नुसरत की जगह होती तो शायद मेरा रिक्षन भी इसी तरह का होता.

क्यों कि में खुद भी ये बात अच्छी तरह जानती थी कि वाकई ही मेरा मंसूबा एक पागल पन ही तो था.

आज ना जाने मुझ क्या हुआ था कि अपना घर बचाने की खातिर अपने ही भाई के साथ हम बिस्तरी की सोच मेरे दिमाग़ में ना सिर्फ़ समा गई बल्कि मैने उस का इज़हार अपनी कज़िन और भाभी से भी कर दिया था.

अब क्या हो सकता था. क्यों कि कहते हैं ना कि “कमान से निकला तीर और ज़ुबान से निकली बात फिर वापिस नही होती”

उस के बाद एक हफ्ते तक नुसरत मुझ से खिची खिंची सी रही और उस ने मुझ से कोई बात नही की.

इधर अब में भी अपनी जगह अपनी बात पर अब शर्मिंदगी महसूस कर रही थी. इस लिए मुझ खुद भी नुसरत से बात करने का होसला ना पड़ा और मैने अपने आप को घर के काम काज में मसरूफ़ कर लिया.

एक हफ्ते बाद एक सुबह में बाथरूम में नहाने गई. नहाने के दौरान में अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी. मेरी चूत पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे.

वैसे तो में अपनी चूत हर वक़्त सॉफ ही रखती थी. मगर बाल सफ़ा पाउडर ख़तम होने की वजह से में कुछ दिनो से अपनी चूत की सफाई नही कर सकी थी.

थोड़ी देर बाद नहाने से फारिग हो कर अपने कमरे की तरफ जाते हुए जब में रसोई के पास से गुज़री तो देखा कि नुसरत रसोई में चाइ बना रही थी.

नुसरत को रसोई में देख कर मेरे पावं उधर ही रुक गये. जब नुसरत ने मुझे रसोई के दरवाज़े के सामने खड़े देखा तो मुझे देखते ही एक मुस्कुराहट सी उस के होंठों पर फैल गई.

मुझे आज काफ़ी दिनो बाद उसे इस तरह मुस्कुराता देख कर एक सकून सा महसूस हुआ और में भी उस की तरफ देखते हुए मुस्कुराइ.

फिर देखते ही देखते नुसरत अचानक रसोई से बाहर निकली और मेरे पास आ कर मुझ गले से लगा कर रोने लगी.

मुझे नुसरत के इस तरह रोने पर हैरानी हुई और मैने पूछा “नुसरत क्या बात है तुम रो क्यों रही हो”.

“रुखसाना भाई गुल नवाज़ आख़िर कार अम्मी के आगे हार मानते हुए तुम को तलाक़ देने पर राज़ी हो ही गया है” नुसरत ने रोते हुए मुझ बताया.

नुसरत की बात सुन कर मेरा तो दिल ही जैसे टूट गया और मेरी भी आँखों से बे इकतियार आँसू जारी हो गये.

आख़िर कार वो लमहा करीब आन ही पहुँचा था जिस का मुझ हर वक़्त डर लगा रहता था. अब जल्द ही मुझ पर एक तलाक़ याफ़्ता होने का लेबल लगने ही वाला था.

“नुसरत में बांझ नही हूँ और अगर बच्चा नही हो रहा तो इस में मेरा क्या कसूर है” मैने रोते हुए कहा.

“मुझ पता है कि तुम बीमार नही हो रुखसाना और मैने अपनी अम्मी को इस बात से रोकने की पूरी कॉसिश की है. मगर उन की तो एक ही ज़िद है कि उन को हर सूरत पोता या पोती चाहिए” नुसरत ने मुझ अपने आप से अलग किया और मेरी तरफ देखते हुए बोली.

में उस की बात का क्या जवाब देती इस लिए खामोश खड़ी हसरत भरी नज़रो से नुसरत की तरफ देखती रही.

“तुम को पता है कि तुम्हारे और मेरे अम्मी अब्बू सब कल सुबह मुल्तान में एक मज़ार पर तिजारत करने जा रहे हैं. और अम्मी ने कहा है कि उन के मज़ार पर तिजारत के एक साल में रुखसाणा को बच्चा ना हुआ तो फिर वो तुम को फारिग करवा दें गीं” नुसरत दुबारा बोली.

उस की बातें सुन कर मेरी आँखों से आँसू तो पहले ही जारी थे अब उस की अम्मे का ये फ़ैसला सुन कर में मजीद रंजीदा हो गई और फूट फूट कर रो पड़ी.

मुझ इस तरह रोता देख कर नुसरत ने मुझे दुबारा गले से लगाया और मुझ झूठी तसल्लियाँ देने लगी.

कुछ देर के बाद मेरी हालत थोड़ी संभली और हम दोनो साथ साथ बैठ कर इधर उधर की बातें करने लगी और फिर इस तरह दिन गुज़र गया.

रात को में अपने बिस्तर पर ओन्धे मुँह लेटी हुई थी कि गुल नवाज़ पीछे से आ कर मेरे उपर लेट गया और अपना मुँह आगे की तरफ कर के मेरे गाल को चूसने लगा. उसकी सांसो से शराब की स्मेल आ रही थी.

गुल नवाज़ ने पहले तो मुझे घोड़ी की तरह बन जाने को कहा. ज्यूँ ही में घोड़ी बनी उस ने अपने हाथ से मेरा नाडा ढीला कर के मेरी शलवार मेरे चुतड़ों से हल्की सी सरकाई.

मेरी चड्ढी में फँसी मेरी गान्ड को देखते ही मेरे शोहर के जिस्म में मस्ती छाने लगी और उस ने जल्दी से एक एक कर के मेरे सारे कपड़े उतार दिए.

मुझे घोड़ी बना कर चोदना मेरे शोहर गुल नवाज़ का बहुत का पसेन्दीदा स्टाइल था. वो जब भी मुझ चोदता हमेशा चुदाई का स्टार्ट इस तरीके से करता.
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12-10-2018, 01:47 PM,
#8
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
मैने एक दफ़ा अपने शोहर से इस की वजह पूछी.तो उस का जवाब था कि इस तरीके में मेरी चौड़ी गान्ड मजीद चौड़ी हो जाती है. जिस को देख कर उस के लंड में और ज़्यादा तर आ जाती है और वो मजीद मस्त हो कर चुदाई का मज़ा लेता है.

गुल नवाज़ के कहने के मुताबिक मैने अपनी गान्ड को उपर किया और घोड़ी बन गई. गुल नवाज़ ने मेरी कमर पकड़ कर अपना मोटा लंड पीछे से मेरी चूत में डाल दिया.

में अब अपनी गान्ड को पीछे पुश कर कर के ताल से ताल मिलाने लगी.

और फिर कुछ देर की चुदाई के बाद उस ने अपना पानी मेरी चूत में छोड़ दिया.

इस मोके पर मुझ एक लतीफ़ा याद आ गया है कि,

एक आदमी की शादी के कुछ महीने बाद उस की बीवी का पेट थोड़ा बाहर गया तो वो समझा कि बीवी प्रेग्नेंट है.वो अपनी बीवी को डॉक्टर के पास चेक अप के लिए लिए गया.

चेक अप के बाद डॉक्टर बोला: कुछ नही बस हवा ही है,

दूसरे साल और फिर तीसरे साल भी जब डॉक्टर ने चेक अप के बाद कहा कि “कुछ नही बस हवा ही है”

वो आदमी गुस्से में आया और डॉक्टर के सामने अपना लंड निकालते हुए बोला: ”डॉक्टर साब ज़रा चेक तो करिए ये मेरा लंड है या पंप जो हर वक़्त हवा ही मारता है”

दूसरे दिन सब मेरी अम्मी अब्बू और मेरे सास सुसर मुल्तान वाले मज़ार पर तिजारत करने के लिए घर से चले गये.

मेरा शोहर गुल नवाज़ और मेरा भाई सुल्तान दोनो उन सब को करीबी शहर के बस स्टेशन तक छोड़ने उन के साथ निकल गये.अब घर में नुसरत उस के बच्चे और में ही रह गये.

में उस दिन बहुत उदास थी. क्यों कि मुझ पता था कि मेरी सास की मज़ार से वापिसी पर मेरा घर उजड़ने का काउंट डाउन शुरू हो जाएगा.

ये ही बात सोच सोच कर मेरा दिल डूबा जा रहा था. मगर मेरे अपने इकतियार में तो कुछ भी नही था.

इस लिए मैने ना चाहते हुए भी अपने आप को घर के काम काज में मसरूफ़ कर लिए और मुझ पता ही ना चला कि दिन गुजर गया.

शाम का अंधेरा फैलने लगा मगर मेरा भाई और शोहर अभी तक वापिस नही लोटे थे.

वो दोनो जाते वक़्त हम को बता कर गये थे कि उन को शहर में कुछ काम हैं. जिस की वजह से वो रात को शायद देर से घर वापिस आएँगे.

शाम की रोटी पका और खा कर मेने और नुसरत ने अपने अपने शोहर के लिए उन की रोटी को और सालन को डोंगे में डाल कर रसोई में रख दिया कि अगर वो हमेशा की तरह रात देर से लोटे तो खुद ही अपना खाना रसोई में खा लेंगे.

रात के तकरीबन 10 बजे जब सब कामों से फारिग हो कर में अपने कमरे में जाने लगी तो मैने नुसरत को अपने बच्चों को उन के दादा दादी के कमरे में सुला कर अपने कमरे में दाखिल होते देखा तो मैने उसे आवाज़ दी.

नुसरत मेरे पुकारने पर अपने कमरे के दरवाज़े से मूड कर मेरे पास चली आई.

में: मैने तुम से एक बात करनी है नुसरत.

नुसरत: हां कहो.

में: मैने तुम से उस दिन जो बात डेरे पर की थी इस के बारे में तुम ने क्या सोचा है?.

नुसरत: रुखसाना इस बारे में सोचना क्या है. मेरा उस वक़्त भी जवाब “ना” में था और आज भी जवाब “ना” ही है.

“वैसे एक बात में तुम से पूछना चाहती हूँ कि तुम ने इस काम के लिए अपने ही भाई का क्यों और कैसी सोच लिया. अगर तुम कोई ऐसा वैसा काम करनी पर तूल ही गई हो तो फिर अपने ही भाई के साथ ये “गुनाह” करने की बजाय कोई बाहर का मर्द क्यों नही?” नुसरत ने मुझ से सवाल किया.

में: नुसरत तुम को पता है कि गुनाह तो गुनाह (अडल्टरी) है. चाहे बाहर के किसी मर्द से क्या जाय या फिर घर के किसी मर्द से दोनो का गुनाह का एक ही जैसा होता है. मगर बात ये है कि बाहर के मर्द के साथ ये काम करने में बदनामी का डर हर वक़्त होता है. जब कि सुल्तान के साथ शायद ये मामला ना हो.

“वो कैसे? नुसरत ने मेरी इस मुन्ता क पर हैरान होते हुए सवाल किया.

“वो ऐसे नुसरत कि तुम को पता है कि मेरा और तुम्हारा भाई दोनो ही रात को घर पी कर आते हैं. नशे की ऐसी हालत में उन को कोई होश नही होता कि वो किधर हैं और क्या कर रहे हैं. और उस हालत में तुम्हारे और मेरे भाई दोनो को एक “सुराख” ही चाहिए होता है. जिस में वो अपना लंड डाल कर अपना पानी निकाल सकैं.
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12-10-2018, 01:47 PM,
#9
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
चूँकि तुम्हारे और मेरे मम्मे गान्ड और बाकी जिस्म एक दूसरे से काफ़ी मिलता जुलता है. इस लिए में सोच रही हूँ कि अगर एक रात में और तुम अपना कमरा तब्दील कर लें .तो हो सकता है कि रात के अंधेरे में मेरा भाई सुल्तान मुझे तुम्हारे धोके में अपनी बीवी समझ कर मेरे साथ चुदाई कर ले तो मैं माँ बन सकती हूँ.. क्योंकि नशे की हालत और रात के अंधेरे में सुल्तान को क्या पता चले गा कि ये चूत जिस को वो चोद रहा है उस की बीवी की है या उस की अपनी सग़ी बेहन की. में नुसरत की तरफ देख कर मुस्कराते हुए बोली.

मेरी बात सुन कर नुसरत के तो जैसे होश ही उड़ गये. वो थोड़ी के लिए किसी “गहरी” सोच में पड़ गई और फिर कुछ लम्हे बाद बोली,

“देखो रुखसाना मैने इस मसले पर काफ़ी गौर किया है और वाकई ही मुझे भी अब ये ही लगता है कि बीमारी तुम में नही बल्कि मेरे अपने भाई में है.तुम जानती हो कि मैने हमेशा तुम को अपनी बेहन समझा है इस लिए में ये हरगिज़ नही बर्दाश्त कर सकती कि मेरी बेहन का घर किसी कीमत पर उजड़े. 

मगर ये मत भूलो कि तुम्हारी कज़िन होने के साथ साथ में एक औरत भी हूँ. और एक औरत ये कभी बर्दाश्त नही करती कि उस का शोहर उस के अलावा किसी दूसरी औरत के साथ सोए. जब कि वो औरत कोई और ना हो बल्कि उस की अपनी “नंद” हो तो ये तो एक बहुत बड़ा “गुनाह” भी है. और में तुम्हारे साथ इन “गुनाह” में सरीक नही सो सकती. इस लिए मेरी तरफ से तो सॉफ इनकार है”ये कहते हुए नुसरत पलट कर अपने कमरे में जाने के लिए मूडी.

मुझे पूरी उमीद थी कि नुसरत मुझे बेकसूर जानते हुए मेरा घर बचाने में मेरा पूरा साथ दे गी. मगर उस के इस जवाब ने मुझे एक दम आग बगोला कर दिया. अब मेरा घर उजडने में कोई कमी बाकी नही रह गई थी.

अब में “दो और दिए” वाली सूरते हाल में थी. और फिर अपना घर बचाने के लिए में भी जैसे बग़ावत पर उतर आई.

“नुसरत ये बात मत भूलो कि मेरी और तुम्हारी वाटे साटे की शादी है. इस लिए अगर तुम्हारा भाई गुल नवाज़ मुझे तलाक़ दे गा तो में तुम्हारा घर भी कायम नही रहने दूं गी.मैने सख़्त लहजे में नुसरत को पीछे से पुकारा.

मेरी बात सुन कर कमरे में जाते हुए नुसरत के कदम जैसे ज़मीन में जकड गये और वो किसी सोच में पड़ गई.

कुछ देर के बाद नुसरत एक नफ़रत भरे लहजे में बोली ”अच्छा तुम मुझे ये बताओ कि बच्चा लेने के लिए तुम ने तो अपने भाई के साथ हम बिस्तरी करनी है. पर में किस खुशी में अपने भाई के साथ एक ही बिस्तर पर रात बसर करूँ”

नुसरत की इस बात को मैने उस की रज़ा मंदी समझा. मुझ यकीन था कि नुसरत मेरी इस बात पर कभी राज़ी नही हो गी.मगर लगता था कि शायद मेरी उसे भी तलाक़ दिलवाने वाली धमकी काम कर गई थी.

और अब अपना काम पूरा होते देख कर मेरी तो आँखों में खुशी के आँसू उमड़ आए. मगर अपनी खुशी को छुपाते हुए मैने नुसरत से कहा के,“तुम इस लिए अपने भाई के साथ एक रात एक ही बिस्तर पर गुजारोगी ताकि मुझे अपने साथ बिस्तर पर ना पा कर गुल नवाज़ को किसी किसम का शक ना हो जाय”

में जानती थी कि जिस तरह मेरे लिए ये “गुनाह” भरा फ़ैसला करना एक बहुत ही मुश्किल अमल था. उसी तरह नुसरत के लिए भी अपने सगे भाई के साथ एक ही बिस्तर पर रात बसर करना एक बड़े दिल गुर्दे का काम है.

“लेकिन अगर मेरा भाई गुल नवाज़ मुझे अपनी बीवी समझ कर बहक गया और मेरे साथ कुछ कर दिया तो क्या हो गा” नुसरत ने झिझकते हुए मगर गुस्से भरे लहजे में एक सवाल पूछा.

में समझ गई कि नुसरत के “कुछ” का क्या मतलब है. लगता था कि नुसरत को अपने भाई के साथ “चुदाई” का लफ़्ज इस्तेमाल करने में शरम महसूस हो रही थी.

“तुम इस की फिकर ना करो, गुल नवाज़ ने कल रात को ही मेरे साथ चुदाई की है. इस लिए मुझ उमीद है कि वो आज तुम्हें तंग नही करे गा और शराब के नशे में होने की वजह से बिस्तर पर लेटते ही खर्राटे मारने लगे गा. मैने नुसरत को तसल्ली देते हुए कहा.

“लेकिन कहीं भाई गुल नवाज़ या सुल्तान को किसी किसम का शक पड़ गया तो” नुसरत ने मेरा साथ देने की हामी तो भर ली थी मगर लगता था कि पकड़े जाने के ख़ौफ़ से वो डर भी बहुत रही थी.

“ में और तुम गुल नवाज़ और सुल्तान के आने से पहले ही जा कर एक दूसरे के कमरे में लेट जाते हैं. और साथ ही अपने कमरे की लालटेन को बिल्कुल भुजा देंगे.ता कि कमरे में किसी किसम की कोई रोशनी ना हो और इस तरह मेरा काम आसान हो जाएगा” मैने नुसरत को अपने मंसूबे की मज़ीद तफ़सील बताई.

मेरी बात ख़तम होते ही नुसरत दुबारा अपने कमरे की तरफ चली तो मैने दुबारा उसे पुकरा “नुसरत उधर कहाँ जा रही हो आज में उधर तुम्हारे पलंग पर सोऊगी”

“आज ही क्यों” नुसरत ने पूछा.

“क्यों कि आज घर में अम्मी अब्बू वगेरा नही है और आज ही मोका है” मैने उसे कहा.
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12-10-2018, 01:47 PM,
#10
RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
मेरी बात सुन कर नुसरत ने मेरी तरफ एक नफ़रत भरी निगाह डाली और गुस्से से अपने पैर पटकती हुई मेरे कमरे में दाखिल हो गई.

नुसरत ने अंदर जाते ही मेरे कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया. मुझ अंदाज़ा था कि वो बहुत गुस्से में है. मगर में क्या करती. आज में जो भी करने जा रही थी वो बहुत ही मजबूर हो कर करने वाली थी.

थोड़ी देर के बाद मेरे कदम भी आहिस्ता आहिस्ता नुसरत के कमरे की तरफ उठने लगे.

कमरे में पहुँच कर में पलंग पर लेट गई और साथ ही मैने बिस्तर के साइड में पड़ी लालटेन की बत्ती को गुल कर दिया. बत्ती के भुजते ही कमरे में गुप्प अंधेरा छा गया.

अभी मुझे अपने भाई के बिस्तर पर लेटे कुछ ही देर गुज़री थी कि मुझे महसूस हुआ कि कमरे का दरवाज़ा हल्की आवाज़ में खुला है.

कमरे में अंधेरा होने के बावजूद मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरा भाई सुल्तान कमरे में दाखिल हो गया है.

अपने भाई की कमरे में मौजूदगी का अहसास करते ही मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.

सुल्तान ने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और फिर आहिस्ता आहिस्ता लड खडाता हुए बिस्तर पे आन बैठा.

बिस्तर पर बैठते ही भाई सुल्तान ने नशे की हालत में मुझे अपनी बीवी नुसरत समझ कर मेरे जिस्म को हाथ लगाते हुए अपने मुँह को मेरे कान के पास ला कर एक हल्की सी आवाज़ में पुकरा “नुसरत सो गई हो क्याआआआआआआअ”

भाई के काँपते हुए हाथों और फिर उस के मुँह से आती हुई शराब की बू से मेरा मेरा अंदाज़ा सही निकला कि आज मेरा शोहर और भाई दोनो पी कर ज़रूर आएँगे.

मैने भाई के पुकारने का कोई जवाब नही दिया और बिस्तर पर एक करवट बदल कर लेटी हुई सोने का नाटक करती रही.

मेरी तरफ से कोई जवाब ना पा कर मेरा भाई सुल्तान मेरे साथ ही पलंग पर चढ़ कर लेट गया.

में जिस तरह पलंग पर लेटी हुई थी. इस पोज़िशन में मेरा मुँह कमरे की दीवार की तरफ था. जब कि मेरी पीठ अपने भाई सुल्तान की तरफ थी.

बिस्तर पर मेरे साथ लेटने के थोड़ी देर बाद सुल्तान भाई ने भी करवट बदली और मेरे पीछे से मेरे जिस्म को अपनी बाहों में जकड कर मेरे जिस्म को अपने साथ लगा लिया.

अब कमरे में ये हालत थी. कि मेरा भाई मेरे जिस्म के साथ पीछे से चिपटा हुआ था. और उस का एक हाथ मेरे जिस्म के नीचे से होता हुआ मेरे पेट पर आ गया और दूसरा हाथ मेरी गुदाज रान पर आहिस्ता आहिस्ता इधर उधर फिसल रहा था.

में अपनी और भाई की शलवार की मौजूदगी में भी अपने सगे भाई का तने हुए लंड को अपनी गुदाज रानो में से सरकता हुआ अपनी चूत की दीवारों से टकराता हुआ महसूस करने लगी.

अपने भाई की बाहों में खुद को पा कर और उस के लंड की गर्मी को अपनी चूत पर महसूस कर के मेरी हालत उस वक़्त ये हो गई कि “काटो तो बदन में खून नही”

कहते हैं कि सेक्स का ताल्लुक आप के दिमाग़ से होता है. अगर आप दिमागी तौर पर पुर सकून हों तो आप को चुदाई में मज़ा आता है. और दिमाग़ में बे सकूनी हो तो फिर आप का ज़हन चुदाई की तरफ हो ही नही पाता.

शायद इसी लिए में जो कुछ देर पहले तक ये चाहती थी. कि कब वो मोका आए और में रात के अंधेरे में अपने ही भाई से चुदवा कर एक बच्चे को जनम दूं ताकि मेरा घर बच जाय.

मगर अब अपने आप को अपने सगे भाई की बाहों में क़ैद पा कर मेरी तो “रूहह” ही जैसे मेरे जिस्म ने “फ़ना” हो गई थी.

लगता था कि मेरे अंदर की मशराकी औरत अचानक जाग पड़ी थी. और अब वो मेरे उपर लानत मालमंत करते हुए मुझे इस गुनाह भरे अमल से रोकने की कोशिस कर रही थी.

और शायद इस बात का ये असर था कि मेरी चूत जो कि हर वक़्त अपने शोहर के लंड के इंतिज़ार में गरम हो कर पानी टपकाती रहती थी. इस वक़्त किसी बंजर ज़मीन की तरह बिल्कुल खुसक थी.

अब मेरे भाई सुल्तान के हाथ मेरी कमर पर बहुत तेज़ी से रगड़ खा रहे थे. और फिर भाई के हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी छातियों की तरफ़ झपटे और इस से पहले कि में सम्भल पाती. भाई ने मेरी कमीज़ के उपर से ही मेरी एक चूची को अपने हाथ में ले कर ज़ोर से मसल दिया.

अपने मम्मे को अपने भाई की मुट्ठी में पाते ही में काँप गई और में अपने मुँह से निकलने वाली चीख को बहुत मुस्किल से रोक पाई.

इस से पहले कि मेरे भाई के हाथों की गुस्ताखियाँ मजीद आगे बढ़ती और जिस के नतीजे में जिस्म गरम हो कर मेरे इख्तियार से बाहर होता में इस खेल को रोक देना चाहती थी.

इस लिए ज्यूँ ही सुल्तान भाई के हाथों की उंगिलिओं ने मेरे मम्मे को मेरी कमीज़ के उपर से अपनी गिरफ़्त में लिया.

तो मैने एक अंगड़ाई लेने के अंदाज़ में अपनी बाहों को फैला दिया.

जिस की वजह से सुल्तान भाई का हाथ स्लिप हो कर मेरे मम्मे से एलहदा हो गया.

“बेहन चोद हर वक़्त सोती ही रहती है तू” मेरी इस हरकत से मेरे भाई को ये अंदाज़ा हुआ कि उस की बीवी नुसरत शायद गहरी नींद में सो रही है. और अपनी बीवी की चूत मारने से महरूम रह जाने पर सुल्तान भाई को गुस्सा आ गया.

सुल्तान भाई ने इसी गुस्से में दूसरी तरफ करवट बदल ली और वो भी सोने की कोशिश करने लगा.

थोड़ी देर बाद ही कमरे में सुल्तान भाई के खर्राटे ज़ोर ज़ोर से गूंजने लगे.

भाई को अपने आप से अलग होते ही और फिर दूसरी तरफ मुँह मूर कर सोता हुआ पा कर मेरी तो जान में जान आई..

भाई के खर्राटे सुनते ही मुझे यकीन हो गया कि आज में एक गुनाहे अज़ीम से बच गई हूँ.

क्यों कि नुसरत की ज़ुबानी मुझे ये ईलम था. कि मेरे शोहर गुल नवाज़ की तरह मेरा भाई सुल्तान भी एक दफ़ा रात को आँख लग जाने के बाद फिर दूसरी सुबह ही जागते हैं.
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