Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:21 PM,
#21
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
विभा समझ गयी कि कुछ गड़बड़ है, वरना...... उसने अपने आस-पास देखा तो उसे उसके बाकी दोस्त भी पड़े दिखाई दिए....
"ये सब तुमने किया क्या ?"
"हाँ, सूपर पॉवर है मेरे पास, आँखे गुस्से से नीली हो जाती है और मुझे दर्द नही होता, भले ही कोई पूरे कॉलेज की बिल्डिंग उठा कर मेरे उपर पटक दे "
"तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अपने सीनियर पर हाथ उठाओ,"विभा ने मुझसे कहा और फिर वरुण की तरफ देख कर बोली"कमोन वरुण, उठो..."
"ये तो आज उठ चुका.....अब तेरी बारी है..."
"दूध दबा दे अरमान, पटक कर पेल दे इसे, झक्कास माल है, छोड़ना मत...."ये मैने अंदर ही अंदर सोचा और विभा से बोला"टेन्निस बॉल का रेट क्या है..."
"हाऐईयईईन्न्णणन्....."
"ज़्यादा चौकने की ज़रूरत नही है, जब ज़मीन पर पड़े इस गधे से तू चूत-लंड की बात कर सकती है तो फिर टेन्निस बॉल के बारे मे बात करने मे क्या हर्ज़ है......चल बता तेरे टेन्निस बॉल टाइट है या ढीले-ढाले...."
"एकदम टाइट...."
"साइज़ क्या है..."
"व्हाट...."नाक सिकोडकर विभा बोली,
"मैं नही डरा, इसलिए अपना ये बनावटी गुस्सा उतार कर फेक दो...."कहते हुए मैने वरुण की तरफ नज़र दौड़ाई....साला ज़मीन पर पड़ा हाँफ रहा था, इस वक़्त उसकी साँसे ही इतनी तेज चल रही थी कि वो हमारी आवाज़ नही सुन सकता था और हमे देखने के लिए वो अपना सर घुमाए ,इतनी उसमे एनर्जी नही बची थी.......
"साइज़ नही बताया "मैने अपना सवाल दोहराया...
"व्हाई आरे यू डूयिंग दिस वित मी...."वो परेशान होकर बोली...
"उस दिन इसी ग्राउंड पर सॅंडल पहन कर जब मेरे उपर कूद रही थी, तब ये समझ मे नही आया था क्या तुझे, रोज कॉलेज के बॅक गेट पर खड़े होकर दूसरो को गाली देना, कॅंटीन मे बैठे एक भूखे लड़के के चेहरे पर समोसा लगाते वक़्त तेरे जेहन मे ये ख़याल क्यूँ नही आया...."
"सॉरी...."अपनी आँखो मे दया की भीख लिए विभा बोली, वहाँ आस-पास खड़े मेरे सभी दोस्तो का हंस-हंस कर बुरा हाल था...जब विभा ने सॉरी बोला तो अरुण अपने चिर-परिचित अंदाज़ मे मेरे पास आया....
"सॉरी से काम नही चलेगा, मैं तो गान्ड मारूँगा...."
"अववववव......"
"अरुण तू इन सबको संभाल, मैं विभा डार्लिंग को कोंटे मे लेकर जाता हूँ...."

अरुण मुझपर बहुत चिल्लाया, मुझे बहुत रोका और कहा कि तू तो दीपिका मॅम के मज़े लेता है, विभा को मेरे साथ भेज दे,...लेकिन मैं नही माना और विभा का ज़बरदस्ती हाथ पकड़ कर एक तरफ ले गया.....हमारा कॉलेज सिटी से दूर लंबे-चौड़े एरिया मे फैला हुआ था, जहाँ हद से ज़्यादा हरियाली थी , झाड़ी-झुँझटी, जंगल सब कुछ था....

"डू यू लाइक गॅंग-बंग ऑर सिंगल सेक्स अट आ टाइम..."चलते-चलते जब हम दोनो ग्राउंड से बहुत दूर आ गये तो मैने विभा से पुछा और उसका हाथ छोड़ दिया.....
"अरमान , मैं कोई स्लट नही हूँ, जो हर किसी के साथ वो सब कुछ करूँ...."
"मतलब कि सिंगल सेक्स "
"मैं केस कर दूँगी...."
"किसलिए...."
"अटेंप्ट टू रेप, और तुम्हे मालूम ही होगा कि अटेंप्ट टू रेप ऑर रेप की सज़ा सेम है...."
"फिर तो रेप ही करना पड़ेगा....."
अब मैं विभा को लेकर घनी हरियाली मे घुस रहा था, जैसे-जैसे हम दोनो आगे बढ़ते विभा का चेहरा भी हरा होता जा रहा था, और एक जगह पर आकर वो रुक गयी....
"मैं शोर मचा दूँगी और कॉलेज मे कंप्लेंट भी करूँगी कि तुमने मेरे साथ मिस्बेहेव किया...."
विभा की बात पर मैं मुस्कुराया और बोला"मेरे ख़याल से मेरे पीठ पर तुम्हारे सॅंडल के निशान अभी तक मौजूद है और यदि मैने इसकी कंप्लेंट की तो तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारे उन सारे फ्रेंड्स की लाइफ बर्बाद हो जाएगी,जो उस दिन ग्राउंड पर मौजूद थे,..."
विभा गुस्से से मेरी तरफ देखने लगी और विभा को देखकर मैने अंदाज़ा लगाया कि वो मुझे अंदर ही अंदर गालियाँ दे रही है.....
"खड़े मत रहो, जल्दी चलो....क्यूंकी 2-3 घंटो से पहले मैं नही झाड़ता ,और यदि दो राउंड मारने की सोची तो फिर 6-7 घंटे बुक....."
ये सुनकर तो विभा की हालत और खराब हो गयी, वो ज़मीन आसमान एक करके सोचने लगी कि मुझसे कैसे बचा जाए, वो वहाँ से भाग भी सकती थी,लेकिन उसके कदम मेरी रॅगिंग वाली धमकी के कारण बँधे हुए थे.....वो डरी हुई थी और उसका डर बढ़ाने के लिए मैने एक और मिज़ाइल छोड़ी.....
"जल्दी सोचो, क्यूंकी जब मैं तुम्हारे साथ कबड्डी खेलूँगा तो उसका वीडियो भी रेकॉर्ड करूँगा, और यदि अंधेरा ज़्यादा हो गया तो वीडियो क्वालिटी अच्छी नही आएगी....."
"प्लीज़ वीडियो रेकॉर्ड मत करना...."उसके कदम आख़िर कार मेरी तरफ बढ़ाया, वो मेरे पास आकर बोली"मैं बदनाम हो जाउन्गी...."
"मैं तो हॉस्टिल मे हर एक को वो वीडियो सेंड करूँगा, साथ ही साथ फ़ेसबुक मे फेंक आइडी से अपलोड करके , सारे टीचर्स को टॅग भी करूँगा...."

"प्लीज़ ऐसा मत करना...."वो रोते हुए बोली"यदि तुमने ऐसा किया तो मैं स्यूयिसाइड कर लूँगी...."

"स्यूयिसाइड....."उसकी तरफ देखकर मैने कहा"और तुम जैसो की वजह से जो स्टूडेंट स्यूयिसाइड करते है, उनके बारे मे कभी सोचा है....आज पता चलेगा कि घुट-घुट के अपना सर झुका कर जीना किसे कहते है, मुझे उस दिन कैसा लगा होगा, जब तुमने कॅंटीन मे सबके सामने मेरे फेस पर समोसा लगाया था, उसे तो मैं भूल भी जाउ....लेकिन उस दिन ग्राउंड पर जब तुम और तुम्हारी चुड़ैल फ्रेंड्स अपनी धारदार सॅंडल पहन कर मेरे पीठ पर नाच रही थी....बीसी दूसरो की जान की कोई कीमत नही समझते हो तुम लोग और आज खुद पे बन आई तो औकात पे आ गये...."मैं कुछ देर के लिए रुका और फिर चिल्ला कर बोला...
"आज 2 नही 3 राउंड मारूँगा, और यदि मूड हुआ तो पूरी रात चोदुन्गा और इस बीच तूने ज़रा सी भी आवाज़ की तो....हर दिन चोदुन्गा..."
उस दिन मुझे लड़कियो के बारे मे एक और चीज़ मालूम चली, लड़किया भले ही कितनी भी आगे निकल जाए, वो भले ही शेर बनती फिरती रहे....लेकिन जब उनकी बारी आती है तो वो वही जाने-पहचाने अंदाज़ मे रोना-गाना शुरू कर देती है.....जैसा कि विभा अभी कर रही थी, जब मैं विभा को लेकर ग्राउंड से निकला था तो सोचा था कि वो तुरंत अपनी चूत मे लंड ले लेगी और थोड़ी हिम्मत , थोड़ी डेरिंग भी शो करेगी...लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ था...वो इस वक़्त सड़क के बीचो बीच अपने घुटनो पर बैठ कर रो रही थी.....
"चल नाटक बंद कर, जहाँ तुझे चोदुन्गा वो अड्डा बस पास मे ही है...."उसका हाथ पकड़ कर मैने उसे उठाया,....वो चुप-चाप मेरे साथ चलने लगी ,बगैर कुछ बोले....
"एक बार मैने एक लड़की को चोदा था और जोश-जोश मे अपना पूरा हाथ घुसा दिया था...."मैं अब भी उसकी फाड़ने मे लगा हुआ था.....लेकिन वो चुप रही...सड़क पर चलते-चलते मैने अपना एक हाथ उसके सीने पर रखा और दूसरे हाथ को उसके कंधे पर रखकर उसे अपनी तरफ खींच लिया...मैने उसे खुद से सटा लिया था और यदि हमे उस वक़्त कोई देखता तो वो बस यही कहता कि "वो देखो लैला-मजनू की जोड़ी जा रही है...."
विभा पूरे रास्ते भर अपना सर नीचे किए सिसकती हुई चलती रही....
"जाओ...."मैने जब विभा से ये कहा तो उसने हैरत भरी नज़रों से मेरी तरफ देखा, जैसे उसे यकीन नही हुआ हो कि मैने उसे जाने के लिए कहा है.....
"मुझे मालूम है कि मैं बहुत हॅंडसम हूँ, लेकिन अब मुझे देखने के बजाय ,सामने देखो....तुम्हारी स्कूटी खड़ी है...."
एक बार फिर वो चुप थी, वो चुप-चाप कभी मुझे देखती तो कभी अपनी स्कूटी की तरफ....लेकिन फिर कुछ देर बाद वो मुझे ही घूर्ने लगी,
"साली पट तो नही गयी ,मुझसे "उसकी देखकर मैने कहा, लेकिन जब वो फिर भी मुझे घूरती रही तो मैने कसकर एक तमाचा उसके गाल पर मार दिया और वो चौक कर होश मे आई....
"देखा, ये सपना नही है, ...अब जल्दी से चले जाओ...."
"तुम तो कह रहे थे कि........"
"सब झूठ था..."उसे बीच मे ही रोक कर मैने कहा"मेरा वैसा इरादा बिल्कुल भी नही था,...मैने जब तुम्हे यहाँ बुलाया तो समझ गया कि हॉस्टिल के मेरे दोस्त तुम पर टूट पड़ेंगे और तब मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ, और उन हवस के प्यासो से तुम्हे बचाने के लिए ही मैं तुम्हे अपने साथ ले गया था, क्यूंकी मुझे मालूम था कि वो कुछ देर मे यहाँ से चले जाएँगे.....लेकिन मैने ये भी सोचा था कि तुम्हारे दोस्त, तुम्हारा यार वरुण तुम्हे कॉल करेगा, पर अफ़सोस कि उसने एक कॉल तो क्या एक मेसेज तक नही किया...."
"ववव...वो...."वो हकलाते हुए बोली, अब उसकी आँखे खुशी से भर आई थी"मोबाइल साइलेंट मे था...."
"आई ला, साला इतना बढ़िया डाइलॉग मारा था, उसकी माँ बहन एक कर दी...."
"मैं जाउ...."अपनी स्कूटी की तरफ देखकर वो बोली..."थॅंक्स..."
"और एक बात, जो तुमसे कहनी थी...."
"बोलो..."
"आइ आम स्टिल वर्जिन, सिर्फ़ 61-62 किया है....वहाँ मैने तुमसे दो घंटे, तीन घंटे...वाली जो भी बात कही, वो सब झूठ थी...."
वो मुस्कुराने लगी और अपनी स्कूटी स्टार्ट की तब मैने एक और बार उसे टोका"एक और बात है, जो कहनी थी..."
"बोलो..."पहले की तरह ही उसने मुस्कुरा के कहा....
"मैं तुम्हारा वीडियो भी नही बना सकता था...क्यूंकी मेरा मोबाइल मेरे बॅग मे ही है...."
"अब जाउ, या कुछ और कहना है..."
"एक सलाह लेती जाओ...वरुण ने अपनी जान बचाने के लिए तुम्हे यहाँ बुला लिया था, तो हो सके तो अपने लिए कोई दूसरा बॉय फ्रेंड ढूँढ लेना...."
जब हॉस्टिल पहुचा तो मेरे दोस्त अगल बगल ऐसे खड़े थे जैसे कि कोई बहुत बड़ा शानशाह घुसा हो....सब मुझे देख - देख कर मुस्कुरा रहे थे, अभी मैं अपने रूम मे पहुचा तक नही था कि छोटी हाइट का मालिक ,भू वहाँ आया और मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला...
"चोदा उसे...."
मैने आस-पास खड़े लड़को को देखा और धीरे से कहा "नही बे, छोड़ दिया, बेचारी रोने लगी थी...."
"गे है तू,"पता नही उस वक़्त अरुण कहाँ से टपक पड़ा और दूसरी तरफ से उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और दाँत चबाते हुए गुस्से से बोला"कुत्ते, ना तो खुद किया और ना ही मुझे करने दिया, अब मैं तुझे चोदुन्गा....चल रूम मे तू"
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08-18-2019, 01:22 PM,
#22
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
जैसे ही सबको मालूम चला कि मैने विभा के साथ कुछ नही किया है तो सब मुझे गालियाँ देने लगे, कुछ बोल रहे थे कि इतना बढ़िया मौका मैने हाथ से जाने दिया....कुछ ने ये भी कहा की चोदु बना रहा है हमे, उधर माल को ठोक भी दिया और यहाँ आके होशियारी छोड़ रहा है.....और बाकी जितने बचे सबने गे की उपाधि दे डाली, लेकिन उन सबको क्या पता कि इस दिल के अरमान तो कुछ और ही थे.......
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वरुण और उसके दोस्तो की हॉस्टिल वालो ने धुलाई की ,ये खबर रात-ओ-रात लगभग सबको मालूम पड़ चुकी थी और जो दो नाम उच्छल कर सामने आए थे वो थे सीडार और अरमान....फर्स्ट एअर के एक लड़के ने अपने सीनियर को बुरी तरह धोया, ये खबर लगभग हर कोई जानने लगा था, जिसका मतलब था कि कॉलेज मे मेरी पॉप्युलॅरिटी शेयर मार्केट के सेंसेक्श की तरह रातो रात बढ़ चुकी थी.....वरुण की पिलाई से जहा कुछ लोग खुश थे वही बहुत से लोग ऐसे थे, जिनको मैने अपना दुश्मन बना लिया था....दूसरे दिन से फिर वही घिसी पीटी ज़िंदगी शुरू हो गयी, लेकिन आज मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गाते से ना जाकर सामने वाले गेट से गये....आज मुझे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था कि कौन जूनियर है और कौन सीनियर और जब मैं फर्स्ट एअर की क्लास वाली कॉरिडर मे पहुचा तो वहाँ क्लास के बाहर खड़े सभी स्टूडेंट्स की नज़र मुझ पर ज़म गयी....
"देखा बे, मेरे साथ चलने का फ़ायदा" बकवास करते हुए अरुण बोला
"सुबह सुबह खा मत....अभी कुर्रे भी आएगा और फिज़िक्स के लॉ पढ़ा-पढ़ा के सर पर हथौड़ा मारेगा....."
क्लास मे बॅग रख कर मैं बाहर आ गया लेकिन अरुण किसी लड़के की कॉपी से सीजी का असाइनमेंट कॉपी करने लगा,....क्लास शुरू होने मे अभी टाइम था, इसलिए मैने बाहर खड़े लड़को के साथ गप्पे शप्पे मारना ही बेहतर समझा, वहाँ कुछ लड़के हॉस्टिल के भी थे तो कुछ लड़के सिटी वाले भी थे, सब अपनी आँखो मे चमक लिए मुझसे पुछ रहे थे कि क्या मैने सच मे वरुण और उसके दोस्तो को मारा या ये सिर्फ़ एक अफवाह है......

"अरमान के केस मे जो कुछ भी होता है वो सब हक़ीक़त होती है, अफवाहे तो इस चोदु के केस मे बनती है, जो अपने नोकिया 1200 मे मेसेज टाइप कर रहा है....."भू की तरफ देखकर मैने इशारा किया और उसके हाथ से मोबाइल छीन लिया....
"अबे मेरी माल का मेसेज आने वाला है, बक्चोदि मत कर...."
"लवदा माल, तेरे से कौन लड़की पटेगी बे...."
"ये वही लड़की है...."
"कौन वही...."
"अबे वही...."
"बीसी नाम बता..."
"एश...."भू शरमा कर बोला, वो एश का नाम बताते वक़्त ऐसे शर्मा रहा जैसे की हल्दी लगाने वाली रस्म हो रही हो,....
मैने नंबर देखा, साला सच मे एश से मेसेज-मेसेज खेल रहा था, यकीन तो नही हो रहा था लेकिन एश का जब रिप्लाइ आया तो मुझे यकीन करना पड़ा.....
"कहाँ हो...."एश ने मेसेज किया...
"अपनी क्लास के बाहर खड़ा हूँ, "
"मैं तुम्हे पहचानूँगी कैसे..."
"तुम बस कॉलेज आओ, मैं तुम्हे पहचान लूँगा......"
"क्लास से बाहर निकलो, मैं बस पहुचने ही वाली हूँ...."
"मैं बाहर ही हूँ...."मेसेज टाइप करके भू ने एश को सेंड कर दिया, और वहाँ खड़े सभी लड़को का मुँह खुला रह गया है, खुद मेरा भी बुरा हाल था कि इसने एश को मिलने के लिए राज़ी कर लिया....कही ये इससे पट गयी तो ...

"एश...."इस नाम को मैं हॉस्पिटल वाले कांड से भूलने लगा था ,लेकिन आज भू और एश के बीच हुए इस मेसेज-मेसेज के खेल ने मेरे अंदर एक टीस पैदा कर दी थी, पूरे जहाँ मे वो एश और गौतम के बीच का लव सीन फिर याद आ गया....और जब कॉरिडर मे एश को गौतम के साथ आते हुए देखा तो दिल से आवाज़ आई कि काश एश गौतम को छोड़ कर मेरे पास आ जाए, दिल से आवाज़ आई कि काश गौतम को दूसरी लड़की पसंद आ जाए, और वो एश को छोड़ दे, आवाज़ आई कि काश एश के दिल मे भी मेरे लिए वही अरमान जाग जाए जो अरमान मेरे दिल मे उसके लिए थे......


तभी जोरदार आवाज़ आई, किसी ने किसी को कस कर थप्पड़ मारा था, और जब नज़रें आवाज़ की तरफ हुई तो हँसी के साथ गुस्सा भी उफन पड़ा, गौतम ने भू को करारा तमाचा मारा था, हँसी इसलिए आ रही थी क्यूंकी भू जहाँ कुछ देर पहले एश के लिए अपने अरमानो को उछाल रहा था वो अब अपने गाल सहला रहा था, गुस्सा इसलिए आया क्यूंकी जिसको पाने की तमन्ना कॉलेज के पहले दिन से थी उसके बॉय फ्रेंड ने मेरे दोस्त को मारा था........

"ओये लंगूर की औलाद, शकल तो देख लेता आईने मे मुझे मेसेज करने से पहले...."एश भू का मज़ाक उड़ा रही थी और गौतम जिसने अभी हाल फिलहाल मे भू को तमाचा जड़ा था वो भी हंस रहा था........

गौतम कॉलेज का फेमस स्टूडेंट था और वरुण का करीबी भी था, रंग-रूप और चाल चलन उसकी रहिसी को दिखाती थी, और कल रात हॉस्टिल मे किसी ने मुझे ये बताया था कि वरुण की तरह वो भी बड़ी हार्ड रॅगिंग लेता है और इसी सिलसिले मे कुछ दिनो पहले कॉलेज से डिसमिस होते होते बचा था, हुआ कुछ यूँ था कि सिटी बस मे उसने फर्स्ट एअर के एक लड़के के बाल पकड़ कर चलती बस की खिड़की से बाहर फेक दिया था......

"सुन बे लंगूर, दोबारा यदि एश के आस-पास भटका तो पूरे कॉलेज मे दौड़ा दौड़ा कर मारूँगा....."गौतम अपनी सीनियारिटी की अकड़ दिखाते हुए बोला....

"साइन्स कहता है सभी इंसान के पूर्वज बंदर और लंगूर थे, इसलिए अपने बाप-दादा की इज़्ज़त करो....."भू के कंधे पर हाथ रखकर मैने कहा"दोबारा हाथ उठाया तो हाथ तोड़ दूँगा..."

उस वक़्त मुझमे वो हिम्मत शायद जलन की वजह से आई थी, वरना भू मेरा उतना खास दोस्त नही था कि मैं उसके लिए लड़ाई करता फिरू....

"क्या बोला बे..."
"इसको दूर कर दे वरना, लड़की के सामने बेज़्जती हो जाएगी...."मेरा इशारा एश की तरफ था, जो हालत वहाँ गौतम की थी वही हालत एश की भी थी, मेरे लिए गौतम के साथ साथ एश के मन मे नफ़रत थी......

"एश जान....तुम यही खड़ी रहना, मैं देखता हूँ कि कल का आया ये क्या करता है..."कहते हुए उसने एक बार और भू को मारा....

"ऐसा क्या, फिर ये ले..."मैं उससे थोड़ा पीछे गया और कसकर एक थप्पड़ गौतम को जड़ दिया,...


वो थप्पड़ मैने अपनी पूरी ताक़त के साथ मारा था, इसलिए उसकी गूँज सबके कानो तक तो पहुचनी थी, वहाँ खड़े सभी स्टूडेंट्स मे से हर किसी की आँखे बड़ी हो गयी तो किसी का मुँह खुला का खुला रह गया, कुछ लड़कियो ने अपने मुँह पर हाथ रखकर लड़कियो वाली स्टाइल मे अवववव भी किया....फर्स्ट एअर की सभी क्लास मे जितने भी स्टूडेंट्स बैठे थे वो सब लड़ाई का नाम सुनकर बाहर कॉरिडर पर आ गये, तब मुझे लगा कि गौतम को नही मारना चाहिए था,...गौतम की गर्ल फ्रेंड भी वही खड़ी थी,इसलिए वो उसके सामने मुझे गाली नही दे सकता था और मेरे सामने जिसे मैं गर्लफ्रेंड बनाना चाहता था वो खड़ी थी, इसलिए उस वक़्त गाली तो मैं भी नही दे सकता था....

"चल साइड मे साले..."मेरा कॉलर पकड़ कर गौतम ने बोला और जवाब मे मैने भी अपने दोनो हाथो से उसका कॉलर कसकर पकड़ लिया.....

"तू खुद को समझता क्या है बे, तुझे ज़रा भी अंदाज़ा है कि हू आम आइ आंड व्हाट कॅन आइ डू "दाँत पीसकर उसने धीरे से कहा...

"मेरा हाथ फ्रिकशन्लेस है, यदि एक बार मारना शुरू करूँगा तो मारता ही जाउन्गा और जिसे मारता हूँ उसका क्या हाल होता है ये तू वरुण से पुछ लेना....."
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08-18-2019, 01:22 PM,
#23
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
गौतम थोड़ा ढीला पड़ गया मेरी बात सुनकर और मुझसे पुछा कि मैं रहता कहाँ हूँ और जब मैने उसे बताया कि मैं हॉस्टिल का हूँ तू उसने मेरा नाम पुछा....

"अरमान...."मैने अपना नाम बताया और मेरे इस नाम का बहुत ज़्यादा असर गौतम पर हुआ उसने तुरंत मेरे गिरेबान से अपना हाथ हटा लिया....

"सीडार के दम पे उचक रहा है तू, अगले साल क्या करेगा जब वो निकल जाएगा...."

"मैं इस एक साल मे ही तुम लोगो की इतनी मार लूँगा कि अगले साल की ज़रूरत ही नही पड़ेगी..."

"अबे अरमान मार साले को..."भू ने चिल्लाकर कर कहा,

"तू चुप बे फुद्दु, वरना एक हाथ मारूँगा तो यही से नीचे गिर जाएगा...."

"चल छोड़ ,मुझे क्लास अटेंड करनी है"कहते हुए मैने गौतम को दूर धकेला और क्लास मे जाने लगा, तभी गौतम की आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी....

"यदि इतना ही दम है तो आज रिसेस के टाइम पर कॅंटीन मे मिलना...."

"सॉरी, टाइम नही है..." पीछे मुड़े बिना ही मैने कहा और क्लास के अंदर घुस गया,...

जिनसे थोड़ी बहुत पहचान थी वो सभी अपने क्लास से बाहर निकल आए थे, लेकिन जो मेरा सबसे खास दोस्त था, जो मेरा रूम मेट होने के साथ साथ मेरा क्लासमेट, मेरा बेंच मेट था वही बस क्लास से बाहर नही आया था, और इसका पता मुझे तब लगा जब मैने क्लास मे घुसते ही अरुण को असाइनमेंट लिखते हुए देखा,....

"क्या लिख रहा है..."मैं नॉर्मल होता हुआ बोला, जबकि सच तो ये था कि मैं उस वक़्त बहुत ही गुस्से मे था.....अरुण को तो ये तक नही मालूम था कि कुछ देर पहले मेरी लड़ाई एश के बाय्फ्रेंड से हो रही थी....

"कहाँ था तू...."असाइनमेंट छापते हुए उसने कहा...
"बाहर गया था , क्यूँ "
"अभी कुछ देर पहले आता तो मस्त नज़ारा दिखाता तुझे, बाहर दो लौन्डो की लड़ाई हो रही थी..."
"किन दो लौन्डो को..."
"मालूम नही, मैं तो असाइनमेंट लिख रहा था...."
उसके अगले ही पल मैने अरुण को एक मुक्का जड़कर कहा "साले बाहर मैं एक सीनियर से लड़ रहा था और तू यहाँ बैठकर पढ़ाई कर रहा था...."

"तेरी लड़ाई "वो चौक गया "नाम बता साले का ,क्लास मे घुस कर मारेंगे..."

"गौतम, मेकॅनिकल सेकेंड एअर....एश का बाय्फ्रेंड..."गौतम का नाम सुनकर अरुण के तेवर कम हो गये और फिर से असाइनमेंट लिखने लगा,
"फॅट गयी ना, उसका नाम सुनकर..."
"मैं किसी से नही डरता..."
"तो चल ना, चल क्लास मे घुसकर मारते है उसे...."
"कभी और..."
"साला नौटंकी...."बॅग खोलते हुए मैने अरुण से पुछा"आज फर्स्ट क्लास किसकी है..."
"दीपिका मॅम की "
दीपिका मॅम का नाम सुनते ही एक बार फिर से मूड ऑफ हो गया क्यूंकी आज असाइनमेंट चेक करना था , और असाइनमेंट करना तो दूर मैने अभी तक कॉपी ही नही खरीदी थी, उपर से लास्ट असाइनमेंट भी इनकंप्लीट था,...जैसे जैसे समय बीतता गया बाहर खड़े सभी स्टूडेंट अंदर आने लगे, मेरी नज़र एक बार फिर सबकी तरफ थी, मैं चाहता था कि इस बार कोई तो ऐसा हो जो असाइनमेंट ना करने वालो की लिस्ट मे अपना नाम लिखवाए,लेकिन उस दिन भी मैं अकेला ही था.. साले सब पढ़ाकू की औलाद थे....
"अरमान, ..."
"एस मॅम" खड़े होकर मैने अपना सर झुका लिया....
"तुम्हारे दो असाइनमेंट थे, याद है ना..."
"यस मॅम"सर झुकाकर ही मैने जवाब दिया...
"गुड...लाओ,चेक कर देती हूँ..."
"असाइनमेंट तो मैने नही किया , सॉरी मॅम, अगली बार तीनो असाइनमेंट एक साथ चेक करा दूँगा...."मैने सोचा कि इस एक्सक्यूस से शायद कोई बात बन जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ, दीपिका मॅम बिल्ली की तरह मुझे घूरती रही और फिर मेरा रोल नंबर नोट करके ,मुझे प्रॅक्टिकल मे कम नंबर देने की धमकी दी और फिर बैठा दिया.....
"लोलोलोलोलोलोलो....."अरुण खीस निपोर्ते हुए बोला
"ये क्या है बे लोलोलोलोलो...."
"कुछ नही, तू इसे एक बार हवेली मे लेके आजा कसम से साल भर का असाइनमेंट एक बार मे इसे दे दूँगा, साली के क्या चुत होगी क्या दूध होंगे , यदि ये मुझसे चुद जाए तो कसम से मैं अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई छोड़ दूं....."
"तेरा इनस्पेक्टर बाप तुझे जैल मे डाल देगा ,यदि तूने इंजिनियरिंग छोड़ी तो...."
"अरुण आंड अरमान...."
"जी...जी मॅम"हम दोनो बौखला गये और कॉपी खोलकर पढ़ने का नाटक करने लगे....
"गेट आउट...."
"क्या मॅम...."
"गेट लॉस्ट....अब सुनाई दिया...."
"गेट लॉस्ट....अब सुनाई दिया"
"येस मॅम "
"सब बीसी तेरी ग़लती है, ना तू उसके दूध और चूत की बात करता , ना मैं हंसता और ना ही वो हमे बाहर निकालती...."क्लास से बाहर निकलते ही मैं अरुण पर बरस पड़ा....
"घंटा मेरी ग़लती है, तू ही मुँह फाड़ कर हंस रहा था..."
अरुण अपनी ग़लती मानने से तो रहा उपर से जब हमे बाहर कर दिया गया तो वो अपनी हथेलिया रगड़ते हुए मुझसे दीपिका मॅम के बारे मे पुछने लगा कि उस दिन कंप्यूटर लॅब मे क्या हुआ था, मैने कहाँ कहाँ टच किया था....वो सिसकारिया ले रही थी या नही....एट्सेटरा. एट्सेटरा.
"साली ब्लूफिल्म दिखा कर जोश दिखा रही थी मुझे...."
"आगे बता..."
"आगे क्या बताऊ, शुरू मे मेरा मन नही था, लेकिन फिर वो हार्डकोर फक्किंग वाला बाय्फ्रेंड देखकर खड़ा हो गया मेरा और मैने उसकी चुचिया पकड़ ली...."
"आगे बता,..."
"फिर थोड़ा सा दबाया..."
"अच्छा फिर..."
"फिर उसने खड़े लंड पर हथौड़ा मार दिया , बोली कि अब जाओ..."
"एक बात समझ मे नही आई..."अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए अरुण बोला"जब तेरे और उसके बीच मे इतना सब कुछ हो चुका है, फिर वो असाइनमेंट के लिए तुझे हर दिन छोड़ देती है...."
"धीरे बोल,..."
"तू कहीं मुझे चोदु तो नही बना रहा...."
"गान्ड मरा ले , जो सच था वो बता दिया...."
वहाँ क्लास के बाहर और भी कयि बाते हुई , बहुत देर तक हुई....और जब पीरियड ख़तम हुआ तो दीपिका मॅम बाहर आकर हम दोनो के पास खड़ी हो गयी और हम दोनो का रोल नंबर. नोट कर के बोली....
"आज तो छोड़ दे रही हूँ, लेकिन अगली बार से ध्यान रखना...."ये उसने अरुण की तरफ देखकर कहा और फिर मेरी तरफ देख कर वो बोली"और तुम, रिसेस मे आकर कंप्यूटर लॅब मे मिलना...."
"ज...जी मॅम..."
वो एक बार मुस्कुराइ और पीछे पलटकर अपनी गान्ड मटकाते हुए चल दी......नेक्स्ट क्लास होड़ की थी और वो सब्जेक्ट रिलेटेड पढ़ाने की बजाय आज दुनिया दारी की बाते करने के मूड मे थे, पहले उन्होने इंडिया और दूसरे देशो की तुलना की और फिर उनके सब्जेक्ट की स्टडी कैसे करना है, ये बताने लगे और आख़िरी मे प्लेसमेंट के टॉपिक पर आ धम्के और बोला कि इंजिनियरिंग के चार साल कैसे निकल जाएँगे मालूम नही चलेगा, इसलिए अभी से पढ़ाई करना शुरू कर दो, ताकि फ्यूचर मे जॉब के लिए भटकना ना पड़े....उन्होने ये भी कहा कि आजकल इंजिनियर इतने ज़्यादा हो गये हैं कि यदि पत्थर उठा के सड़क पर मारोगे तो वो कुत्ते को नही एक इंजिनियर को लगेगा....साले ने बेज़्जती कर के रख दी, उनके क्लास से जो एक बात ध्यान मे आई वो ये थी कि मैने अभी तक एक भी सब्जेक्ट का बुक खोलकर नही देखा था, ऐसे मे मैं टॉप कैसे मारूँगा.....इसलिए मैने आज हॉस्टिल जाकर पढ़ने की सोची....
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08-18-2019, 01:22 PM,
#24
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"पढ़ना पड़ेगा यार...."होड़ सर का भाषण अब भी जारी था, "चल कल सुबह 4 बजे से उठ कर स्टडी करेंगे..."
"लवदा 4 बजे तो मेरे सोने का टाइम है...."
"सीधे बोल ना कि दम नही है..."
"बाद मे बात करना ,अभी कहीं दीपिका मॅम की तरह ये भी हमे बाहर ना कर दे...."अरुण चुप हो गया और बड़े ध्यान से होड़ का लेक्चर सुनने लगा.....
.
कुछ लोग जिन्होने गौतम से मेरी लड़ाई देखी थी ,वो यही सोच रहे थे कि मैं आज रिसेस मे कॅंटीन जाउन्गा, लेकिन मेरा ऐसा बिल्कुल भी मूड नही था, और वैसे भी आज दीपिका मॅम ने मुझे बुलाया था,...पहले दिन तो मैं डर भी रहा था और थोड़ी सी झिझक भी थी, लेकिन फिर मेरे अंदर बैठे मर्द ने कहा कि जब वो लड़की होकर ऐसी हरकते कर रही है तो तू क्या डर रहा है, मार दे साली की चूत......

"मे आइ कम इन...."अंदर आने के लिए मैने पर्मिशन माँगी....

"ओह अरमान....कम इन, कम इन....मैं तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी...."

"साली कितनी जल्दी रंग बदलती है, नागिन कही की...."अंदर घुसते हुए मैने उस दिन की तरह आज भी ये देखा कि कोई वहाँ है या नही, और उस दिन की तरह आज भी वहाँ कोई नही था,...दीपिका मॅम चेयर पर बैठी नेल कटर से अपने नखुनो का साइज़ बराबर कर रही थी.....
"आपने ने बुलाया...."
"उस दिन कैसा लगा था..."
"एकदम बेकार.....बिल्कुल भी मज़ा नही आया..."मैने जानबूझ कर ऐसा कहा, मैं देखना चाहता था कि उसका रियेक्शन क्या होता है, और जैसा मैने सोचा था था दीपिका मॅम का रियेक्शन बद से बदतर होता जा रहा था...आज तक मैने सिर्फ़ सुना था कि लड़कियो को अपनी बुराई बिल्कुल भी पसंद नही होती, और आज देख भी लिया था और तो और दीपिका मॅम का गुस्सा इस कदर बढ़ गया कि वो लगभग चिल्लाती हुए मुझे असाइनमेंट कंप्लीट ना करने की पनिशमेंट देते हुए मेरा डबल कर दिया......

"नॉर्मली एक हफ्ते मे दो असाइनमेंट मतलब कि एक महीने के 8 और इस हिसाब से 6 महीने के 8क्ष6=48 हुए, और ये अब डबल कर रही है मतलब कि 96 फिर 4 और दे दे बीसी , सेंचुरी मार लूँगा "दीपिका मॅम की तरफ देखते हुए मैने उसे पूरे खानदान की गली दे डाली और फिर बोला "मॅम, मैं तो मज़ाक कर रहा था, आक्च्युयली उस दिन बहुत ज़्यादा मज़ा आया , उस दिन जैसी बेटर फीलिंग्स मुझे कभी नही हुई....आप मुझे कभी भी ,किसी भी समय बुला लो, मैं आ जाउन्गा....मैं तो बस मज़ाक कर रहा था..."कुछ देर पहले रंग बदलने वाली नागिन मैने दीपिका मॅम को कहा था, लेकिन अब रंग मैं भी बदल रहा था.....
"मैं भी मज़ाक ही कर रही थी...."नागिन की तरह उसने एक बार फिर रंग बदला और अपने नखुनो पर फूक मार कर नेल कटर को अपने पर्स मे रखकर लिपस्टिक निकाल कर बोली"खड़े क्यूँ हो ,बैठ जाओ...."

अपने होंठो पर लिपस्टिक लगाते हुए वो बीच बीच मे अक्सर मुझे देखती और फिर अपने काम मे लग जाती.....मुझे नही पता था कि मैं इतना सारीफ़ था या सरीफ़ बनने का नाटक कर रहा था,पर मैं जो भी था बहुत अजीब ही था,क्यूंकी यदि मेरी जगह वहाँ कोई और होता, तो वो मेरी तरह दीपिका मॅम के सामने वाली चेयर पर शांत नही बैठा रहता, यदि मेरी जगह कोई और होता यदि अरुण ही होता तो मैं पक्का यकीन के साथ कह सकता हूँ वो दीपिका मॅम पर झपट्टा मार कर उन्हे चोद देता, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया, मैं शांत, चुप चाप वही दीपिका मॅम के सामने बैठा रहा.......

"तुम असाइनमेंट कंप्लीट क्यूँ नही करते, पढ़ते नही हो क्या हॉस्टिल मे..."

"नो मॅम, ऐसी बात नही है..."मेरी नज़र अब भी उनके होंठो पर थी ,जो लिपस्टिक लगाने के कारण गुलाबी थे"वो आक्च्युयली आज कल टाइम की थोड़ी किल्लत है...."

"लड़ाई झगड़े के लिए टाइम मिल जाता है , स्टडी के लिए नही....ऐसा क्यूँ ? "

मैं थोड़ा सकपका गया, जब उसने ऐसा कहा तो"आपको कैसे पता..."

"कॉलेज का स्टूडेंट क्या करता है ,क्या नही करता वो कॉलेज स्टाफ को मालूम रहता है ,लेकिन हम कुछ नही बोलते...."लिपस्टिक लगाने के बाद दीपिका मॅम ने अपने दोनो होंठो को जोड़ा....

"मतलब कि सबको पता है कि मैने उस साले वरुण को"

"यस....आंड बिहेव लाइक आ स्टूडेंट, डॉन'ट यूज़ वर्ड्स लाइक साले,अबे हियर..."
"सॉरी मॅम..."
"सो व्हाट ईज़ युवर नेक्स्ट प्लान...."
"किस बारे मे..."मैने सोचा कि वो अब उस दिन की तरह चुदाई की बात करेगी,
"वरुण और उसके दोस्त तुम्हे ऐसे नही छोड़ेंगे...."
"फिर से पेलुँगा सालो को,..."मैं जोश मे आते हुए बोला...
"मैने बोला ना, डॉन'ट यूज़ वर्ड्स लाइक साले,अबे.....और ये क्या है पेलुँगा..."
"सॉरी मॅम...."
"विभा के साथ तुमने मिस्बेहेव किया...."
"इसको तो सब पता है "मैं चुप ही रहा....
"शी ईज़ माइ फ्रेंड और उसी ने बताया मुझे...."
"सब कुछ बता दिया ?"
"हां...."अपना मेकप बंद करके उसने अब पहली बार मुझे अच्छे से देखा,उसके पर्फ्यूम की खुश्बू बड़ी जबर्दश्त थी और ना चाहते हुए भी मैने दीपिका मॅम की तरफ अपना चेहरा किया.....
"आज रात क्या कर रहे हो...."
"कुछ नही..."मैं ये बोलना चाहता था, लेकिन तब तक दीपिका मॅम अपनी चेयर से उठकर मेरी ही चेयर पर मेरी तरफ अपना फेस करके मेरे उपर बैठ गयी थी, और वो पहला मौका था जब उसका पिछवाड़ा मेरी जाँघो पर महसूस हुआ....उस वक़्त मुझे ना चाहते हुए भी बहुत अच्छा लगा, बहुत ही अच्छा महसूस हुआ.
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08-18-2019, 01:22 PM,
#25
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मेरी जाँघो पर दब्ते उसके नितंब मुझे कुछ अलग ही अहसास करा रहे थे, जो मैने पहले कभी नही किया था, मैं अपनी दोनो जाँघो को जोड़ उसके नितंबो को दबाने लगा और उसी वक़्त मेरे दिमाग़ मे थरक भर गयी और मैं दीपिका मॅम से बोला कि मैं इन्हे बिना कपड़ो के देखना चाहता हूँ तो जवाब मे वो सिर्फ़ मुस्कुरा दी, अब मुझे उसकी मुस्कान ,उसकी सूरत, उसके गुलाबी रसभरे होंठ अच्छे लगने लगे थे....अब मैं भी दीपिका को वही पटक कर चोदना चाह रहा था.....

"एक चुम्मि ले लूँ क्या..."उसके कमर को अपने दोनो हाथो से पकड़ते हुए मैने सोचा, और दीपिका मॅम जो कि मेरे उपर सवार थी उन्हे अपने करीब खींच कर लाया.....उस वक़्त ऐसा मैने इसलिए किया था क्यूंकी मैने बीएफ, फ़िल्मो मे ये सब देखा था....लेकिन दीपिका मॅम को रियल एक्सपीरियेन्स था, वो हसीन होने के साथ साथ किसी कातिल हसीना की तरह बहुत चालाक भी थी, उन्हे सब मालूम था कि कब ,क्या और कहाँ करना है और शायद यही वजह है कि वो आज तक इस कॉलेज मे थी,वरना ऐसी स्लट टीचर ,जो हर हफ्ते नये लंड की तलाश मे रहती है, को कॉलेज मॅनेज्मेंट चोद-चोद के बाहर निकाल देता, और मेरी जानकारी के मुताबिक कॉलेज मॅनेज्मेंट के कयि हाइ पोस्ट वालो आदमियो से भी दीपिका मॅम का चक्कर था.....दीपिका मॅम के पूरे जिस्म मे हवस भरी थी, जो उस वक़्त मैं महसूस कर रहा था, वो मेरे उपर बैठी हुई मेरे सर को बहुत तेज़ी से सहलाते हुए मेरा हेरस्टाइल बिगड़ रही थी....वो तो अपने काम मे लगी हुई थी,लेकिन मैं क्या करूँ ये मुझे नही सूझ रहा था....कभी मैं सोचता कि उस दिन की तरह आज भी इसके सीने को दबाऊ ,लेकिन फिर सोचता कि उसकी गान्ड को मसलता हूँ, और बाद मे सोचा कि पहले एक किस ले ली जाए, उस वक़्त मैं इसी उलझन मे था कि शुरू कहाँ से करूँ....वो तो अपनी गान्ड उपर नीचे करके मेरे सर पे अपना हाथ फिरा रही थी और मैं किसी बच्चे की तरह उसे ऐसा करते हुए देख रहा था.........
"मॅम...."बड़ी हिम्मत जुटानी पड़ी उसे रोकने के लिए, इस वक़्त मैने उनकी कमर को कसकर पकड़ रक्खा था और उनकी तरफ देख रहा था....
"क्या हुआ..."
"चुम्मि लेनी है....ओह मेरा मतलब एक किस...."
"किधर गाल पर या..."अपने होंठ पर उंगली रखते हुए वो बोली "या फिर यहाँ....या फिर वहाँ "
दीपिका मॅम के होंठ को देखकर मैने अपने होंठ पर जीभ फिराई ,
"लिपस्टिक का रंग तुम्हारे होंठो मे लग जाएगा....सोच लो"
"मतलब कि...."
"मतलब की गान्ड फाड़ बेज़्जती...."मुझे बीच मे रोक कर वो बोली...और मुझे उदास देख उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत के पास ले जाते हुए बोली"मसल दो....बाहर से ही उंगली डालने की कोशिश करो...."
"आपने वो नही पहना है क्या...."
"क्या..."
"वो क्या बोलते है, जो लड़किया इधर पहनती है..."उसकी चूत की तरफ इशारा करते हुए मैने कहा"वो जो पानी सोख लेता है, और गद्देदार होता है...."
"बेवकूफ़ उसे पॅड कहते है...."मेरे गाल पर धीरे से लाफा मारते हुए उसने कहा"छु कर देखो की पहना है या नही...."

मैने ठीक वैसा ही किया,जैसा दीपिका मॅम ने कहा, मैने उनकी चूत को पहले धीरे से सहलाया और फिर दबा कर चेक करने लगा कि उन्होने पॅड पहना है या नही....मेरी इस हरकत पर वो खिलखिला पड़ी, और मेरे गालो को अपने दोनो हाथो से नोचते हुए बोली कि मैं बहुत स्वीट हूँ......

"है , आपने पहना है...."मैं पता नही क्यूँ बहुत खुश हो गया था, उस वक़्त....

"तो अब क्या विचार है..."अब दीपिका मॅम को मेरी बातो मे मज़ा आने लगा था, वो अब मेरे उपर शांत बैठी हुई मुझे निहार रही थी....
"म...मैं अब...."
"कच्ची काली है तू, तेरा रस पीने मे मज़ा आएगा...."

रस तो मैं पीना चाहता था, लेकिन साली मौका ही नही दे रही थी....मुझे ख़याल आया कि मेरे जेब मे नॅपकिन है और यहाँ से कुछ ही दूरी पर बाथरूम भी है, मैने खुद को मज़बूत किया और अपने हाथो से उसके चेहरे को नीचे किया, और फिर उसके बाद हम दोनो की आँखे, हम दोनो के होंठ एक दूसरे के करीब आते गये, मैने अंदर ही अंदर एमरान हाशमी की फ़िल्मो के सीन याद किया और झपट्टा मार कर दीपिका मॅम के होंठो को अपने होंठो से जाकड़ लिया, लेकिन मैं सफल नही हो पाया क्यूंकी दीपिका मॅम ने मुझे तुरंत दूर किया और गुस्से से मुझे देखती हुए अपने होंठो पर हाथ फिराने लगी....
"दिमाग़ सही है क्या..."
"क्या हुआ..."
"दाँत गढ़ा दिया,..."
"सॉरी ,वो फर्स्ट टाइम हैं तो थोड़ा...."
"अबे उल्लू, किस ऐसे नही ऐसे किया जाता है...."उसने मुझसे कहा और ये भी बोली की मैं कुछ ना करूँ ,वो मुझे सिखा देगी.....

दीपिका मॅम ने पहले मेरे होंठो को चूमा और फिर धीरे से अपने होंठो से मेरे होंठो पर दबाव डालने लगी....लंड जो पहले से खड़ा था वो दीपिका मॅम की इस हरकत से अब और टाइट होने लगा,...अब वो मेरे होंठो को चूसने लगी थी, ......क्या बताऊ साला कितना मज़ा आ रहा था...धीरे धीरे मैने भी अपने होंठ हिलाने शुरू कर दिए और फिर हम दोनो एक दूसरे के होंठ को तेज़ी से चूसने लगे.....दीपिका मॅम अब भी मेरे उपर बैठी थी, उस वक़्त एक टीचर और एक स्टूडेंट लॅब मे चेयर पर बैठकर रोमॅन्स कर रहे थे......

"आअहह......"जब दीपिका मॅम ने मुझे छोड़ा तो मैं हाँफ रहा था,

"नोट बॅड..."मेरे उपर से उठते हुए वो बोली....

"टाइम कितना हुआ..."अपने होंठो पर हाथ फेरते हुए मैने दीपिका मॅम से पुछा....

"10 मिनट. बचे है, अब तुम जाओ और उपर जाने से पहले तुम्हारे होंठो पर जो गुलाबी छाप है वो सॉफ कर लेना....."

मैने पहले नॅपकिन से अपने होंठ सॉफ किया और फिर बाथरूम मे जाकर खुद को तैयार किया....उसकी लिपस्टिक और उसके जिस्म की खुसबू मैं अब भी महसूस कर रहा था, मुझे उस वक़्त बाथरूम मे ऐसा लग रहा था जैसे कि उसका होंठ अब भी मेरे होंठो से कसकर चिपका हुआ है, मुझे उस वक़्त बहुत अच्छा लग रहा था.....लेकिन मुझे मालूम नही था कि मेरी चार साल की बर्बादी की दास्तान का पहला कदम यही थी......
.
"हे स्टुपिड...."सीढ़ियो से उपर जाते हुए मैं किसी लड़की से टकराया, ग़लती मेरी ही थी जो मैं दीपिका मॅम के ख़यालो मे खोया हुआ सीढ़िया चल रहा था....मैं जिस लड़की से टकराया था वो तो मेरे लिए एक नॉर्मल सी लड़की थी लेकिन उस लड़की के साथ जो खड़ी थी वो मेरे लिए नॉर्मल लड़की नही थी,...
"जान बुझ कर टकराते हो..."एश मुझे देख कर बोली...
"सॉरी, मैने ध्यान नही दिया..."
"अभी मैं भी तुम्हे ऐसे धक्का देकर गिरा दूं ,जैसे तुमने मेरे फ्रेंड को गिराया है और फिर सॉरी बोलू तो तुम्हे कैसा लगेगा...."
"बहुत अच्छा लगेगा, प्लीज़ ट्राइ इट..."
"ज़्यादा मुस्कुराने की ज़रूरत नही है..."लड़कियो वाली हरकत करते हुए उसने अपने होंठो को शेप चेंज किया....लेकिन फिर जैसे उसे आज सुबह वाली घटना याद आई और उसने मुझे पहचान लिया कि उसके बाय्फ्रेंड से लड़ने वाला मैं ही था तो उसके तेवर बहुत जल्दी बदल गये, उसने अपनी सहेली का हाथ थामा और वहाँ से आगे बढ़ गयी......

"ये लड़की मेरा दिल निकाल कर ही मानेगी..."उसे जाते हुए मैने देखा, और जब वो दूर हो गयी तो मैं वापस सीढ़ियो के रास्ते से अपनी क्लास की तरफ चल दिया....

कुछ लफ्ज़ बिना कहे कह गये....
कुछ लोग खास तो थे, लेकिन वक़्त की शिलाओ पर सब साथ छोड़ गये....
रिश्ता-नाता तो बहुत पुराना सा लगा सबसे,
लेकिन अफ़सोस कि सब एक पल मे उस रिश्ते को कच्चे धागे की तरह तोड़ गये.....


दारू की बोतल खाली करने के बाद काम करने मे बहुत मज़ा आता है, इस वक़्त वरुण आलू काट रहा था और अरुण को मैने बाहर दुकान भेजा हुआ था कुछ समान लाने के लिए.....
"उस दिन दीपिका ने कुछ और नही किया क्या..."आलू काट कर उसने मुझसे पुछा"तेरी बकवास लव स्टोरी को छोड़ कर सब कुछ बढ़िया चल रहा है,लेकिन एक बात बता तूने सच मे उस दिन दीपिका के साथ कुछ नही किया...."
"और ये तू क्यूँ पुच्छ रहा है..."
"क्यूंकी कोई भी नॉर्मल लड़का अपने हाथ मे आया हुआ मौका ऐसे ही नही छोड़ देगा...."
"दीपिका मॅम, हम दोनो से ज़्यादा चालू थी, इसीलिए तो उसने मुझे फसाया था...."
"वो सब तो ठीक है, पहले ये देख की दारू बची है या लानी पड़ेगी...."
"एक बोतल है..."
"ले पेग बना और फिर तेरी सड़ी हुई लाइफ मे दोबारा जाते है...."
तब तक अरुण भी आ गया और मुझे पेग बनाते हुए देखकर बोला"साले तेरी छुप-छुप के दारू पीने की आदत अभी तक नही गयी..."
"पहले ढंग से देख तीन ग्लास रक्खी है वहाँ...."
"ओह सॉरी ! "
.
.
बहुत ख्वाहिश थी, उसके साथ ज़िंदगी का हर पल, हर वक़्त बिताने की.....
लेकिन अफ़सोस कि कभी ना तो वो पल आया और ना ही कभी वो वक़्त......

"ये दीपिका मॅम के लिए है या एश डार्लिंग के लिए...."अरुण ने मुझसे पुछा....
हम दोनो अपने रूम मे बुक खोल कर बैठे हुए थे, अरुण बुक खोल कर क्या कर रहा था ये तो मुझे नही मालूम,लेकिन मैं बुक खोल कर अपने ख़यालात मे उड़ रहा था, कभी दीपिका मॅम दिखती तो कभी उसके साथ लॅब मे बिताया आज का वक़्त दिखता...तो कभी एश दिखती, उसकी भूरी-भूरी आँखे दिखती,उसके गोरे-गोरे गाल दिखते....लेकिन मज़ा तब किरकिरा हो जाता जब उसके साथ वो चूतिया गौतम दिखता.......
"बस ऐसे ही, सोचा कि आज कुछ शायरी-वायरी लिखू और ये लिख डाला...."मैने अरुण से बोला"कैसा था..."
"एकदम बकवास....बोरिंग, पकाऊ "
"आइ विल फक यू आगे से भी और पीछे से भी यदि तूने आगे कुछ और कहा तो...."
"आगे से भी और पीछे से भी "दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए उसने कहा"तेरे पास दो लंड क्या है,एक आगे और एक पीछे..."
"हाँ है तो"
"दो दो लंड वाले बाबा.."
आज से कुछ साल पहले का तो कन्फर्म नही बता सकता लेकिन उस समय कॉलेज लाइफ से फ़ेसबुक ना जुड़ा हो ये इंपॉसिबल ही होता था, ये एक वाइरस की तरह फैला हुआ था , जिन लड़को की गर्ल फ्रेंड होती वो तो अपने मोबाइल मे बिज़ी रहते और जिन लड़को की गर्ल फ्रेंड नही थी वो अक्सर देर रात तक फ़ेसबुक मे अपने लिए माल ढूँढने मे लगे रहते, अरुण की भी कोई गर्ल फ्रेंड नही थी, और यही वजह थी कि उसके मोबाइल मे फ़ेसबुक हमेशा खुला रहता,.....

"दीपिका मॅम, की आइडी मिल गयी "अरुण बिस्तर से कूद कर मेरे पास आया और मुझे दीपिका मॅम की प्रोफाइल दिखाते हुए बोला"अब मैं इसको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजूँगा, फिर हम दोनो देर रात तक चट्टिंग सट्टिंग करेंगे..."
"कहीं तुझे ब्लॉक कर दिया तो..."
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"मैं तो बस अंदाज़ा लगा रहा हूँ..."
अरुण के 140 एमएम चौड़े ,167एमएम लंबे ,93 एमएम उचाई और 150 पॉंड वेट वाले ब्रेन मे एक शिकारी चाल उस वक़्त उतर कर आई, उसने मुझसे मेरी फ़ेसबुक आइडी माँगी, और जब मैने उसे कहा कि मैं फेसबुक मे नही हूँ तो वो दाँत दिखाकर हँसते हुए अपने मोबाइल मे बिज़ी हो गया कुछ ही देर मे उसने खुद से मेरी फेसबुक आइडी बना दी और मुझे ईमेल आइडी और पासवर्ड देते हुए बोला...
"ये रही तेरी फेसबुक आइडी, और आज के बाद कोई भी पुच्छे तो यही आइडी बताना..."
"तू करने क्या वाला है...."
"दीपिका मॅम को इससे रिक्वेस्ट भेजूँगा, और रात भर उससे चॅट करूँगा...."
"अबे मरवाएगा क्या भाई, वो 200 असाइनमेंट देगी मुझे फिर..."
"टेन्षन मत ले, ये फर्स्ट टाइम नही है...जब मैं अपने दोस्तो की फ़ेसबुक आइडी से चॅट करूँगा..."
क्या करता मैं, उसकी बात माननी पड़ी दोस्त जो था मेरा....पता नही साले से लगाव सा हो गया था, उसकी बक्चोदि अच्छि लगने लगी थी और एक बात जो थी कि वो मुझे एक काबिल इंजिनियर बना रहा था ,रोज रात को खुद सिगरेट तो पीता और मुझे भी पिलाता लेकिन पैसे कभी नही माँगता, और अब उसका प्लान मुझे दारू पिलाने का भी था, वो अक्सर यही कहता कि अभी टेस्ट कर ले वरना हॉस्टिल के सीनियर फ्रेशर और फेरवेल मे गान्ड फाड़ दारू पिलाएँगे तब क्या करेगा, उसकी इस बात पर मैं बस इतना ही कहता तुझे दे दूँगा, तू पी लेना....फिर क्या था उसके बाद हम दोनो एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालते और फिर लड़कियों की बाते करते......
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08-18-2019, 01:23 PM,
#26
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"दीपिका मॅम ने रिक्वेस्ट आक्सेप्ट कर ली "सुबह सुबह साले ने जागते हुए मुझसे कहा....प्लान तो मेरा 4 बजे उठकर पढ़ने का था लेकिन रात को जो आँख बंद हुई वो सुबह 8 बजे खुली..
"गान्ड मार लूँगा ,सोने दे..."
"तू देखना अब लवडे...इसको तो हवेली मे लेजा कर चोदुन्गा.. दरअसल अरुण ने राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर सेक्सी हवेली का सच और मैने बंगलो नंबर-13 कहानी पढ़ी थी ."
"और मैं बंग्लॉ नंबर. 13 मे...अब बोल"
वो चुप हो गया और दीपिका मॅम को एक मेस्सेज टपका दिया,तभी रूम मे बनियान पहने हुए एक लड़का अपनी आँख मलते हुए आया और बोला कि मुझे सीडार बुला रहा है,...
"कहाँ है एमटीएल भाई..."
"बाहर हॉस्टिल वॉर्डन के साथ चाय पी रहे है..."
"चल आता हूँ..."
चादर समेटकर मैने एक किनारे किया और हॉस्टिल वॉर्डन के रूम मे जा पहुचा
"आपने बुलाया एमटीएल भाई..."
"बैठ..."मुझे बैठने का इशारा करते हुए वो बोले"ये एमटीएल क्या है...आते ही मेरा निक नेम रख दिया..."
"मल्टी टॅलेंटेड लड़का..."वैसे एमटीएल का फुल फ़ॉर्म तो मल्टी टॅलेंटेड लौंडा था, लेकिन सीडार के सामने उसी को लौंडा कहना मैने ठीक नही समझा....
"मल्टी टॅलेंटेड लड़का....ये कुछ जमा नही , ऐसा बोल मल्टी टॅलेंटेड लौंडा, ये ठीक रहेगा...."
तब तक मेरे लिए भी सीडार के इशारे पर एक कप चाय आ चुकी थी,चाय का प्याला अपने हाथ मे लेकर मैं चुस्किया लेने लगा....
"कल गौतम से लड़ाई हुई थी तेरी..."
मैं चाय पीते-पीते ही रुक गया और सीडार की तरफ देख कर बोला"हां छोटी सी कहा सुनी हुई थी उससे, और वो भी नही होती यदि उसने मेरे दोस्त पर हाथ नही उठाया होता तो..."
"थोड़ा कंट्रोल रख, ऐसे लफडे मे अभी से मत पड़....वो भी सोर्स वाला लौंडा है...."
"अरे भाई वो कितने लड़के लेकर आएगा, अधिक से अधिक 50 या 100 लेकिन उससे अधिक तो अपने दोनो हॉस्टिल मे रहते है और उपर से वो इतने लड़के लेकर आ भी नही पाएगा ,क्यूंकी यहाँ से कुछ दूरी पर ही एस.पी. का बंग्लॉ जो है...."
"फिर भी थोड़ा कंट्रोल मे रह..."
मुझे कंट्रोल मे रहने की सलाह देकर सीडार वहाँ से जाने लगा और मैं वही हॉस्टिल वॉर्डन के बगल मे बैठ कर चाय की चुस्किया लेने लगा....
"न्सुई का एलेक्षन लड़ेगा..."वहाँ से जाते-जाते पीछे पलट कर सीडार ने मुझसे पुछा और मैने तुरंत अपना सर मुस्कुराते हुए ना मे हिला दिया....
"क्यूँ...."
"स्टडी पर एफेक्ट पड़ता है इससे, मैने सुना है ऐसा..."
"ओके..."
सीडार वहाँ से चला गया, वहाँ से अपने रूम मे आने के बाद मुझे जो सबसे पहला काम करना था वो था अपने कपड़ो पर प्रेस करना...
"एक मेरी शर्ट पर भी कर दे..."एक शर्ट मेरी तरफ फेक कर अरुण बोला
"टाइम नही है...."
"बहुत टाइम है, अभी तो डाइरेक्ट 1 घंटा बाकी है..."
"तो एक काम कर..."मैं प्रेस करना बंद करके सीधा खड़ा हुआ"घंटा पकड़ के झूल जा,..."
"कर दे..."
"ना..."
"अबे कर दे ना..."
"ना बोला ना..."
"रात को सिगरेट पिलाउन्गा..."
"एक बार बोल दिया ना कि नही करूँगा...."
"वो भी फ्री मे..."
"ला अपनी शर्ट दे,..."
.
कॉलेज मे रोल तो धमाकेदार बना हुआ था , आलम यहाँ तक था कि जब मैं अपने हॉस्टिल से निकल कर कॉलेज कॅंपस मे दाखिल होता तो बाहर खड़े ,या आते-जाते लोगो मे से सब तो नही लेकिन आधे मेरी तरफ ज़रूर देखते थे और वैसे भी जब आप 7 साल से फैल होने वाले गुंडे को मारोगे तो पब्लिक ऐसा ही रेस्पॉन्स देती है....

"नॉमिनेशन फॉर्म भर लिया क्या तूने ? "अभी कॉलेज के अंदर एक कदम ही रक्खा था की अरुण बोल पड़ा"यदि ना लिया हो तो ,ले आ और लगे हाथ मेरे लिए भी एक..."
भू ने भी हमारे साथ कॉलेज के अंदर एंट्री मारी थी और उसी ने शायद अरुण से कहा था कि वो मुझे फॉर्म लेने के लिए भेजे....
"कितने का आता है..."
"3 का..."भू ने झट से जवाब दिया...
"फिर तो एक भू के लिए भी ले आउन्गा, निकाल 10 "
अरुण ने तुरंत 10 रुपये. का नोट मुझे दे दिया और बोला"पैसे का मामला नही है कक्के....बात तो कुछ और ही है, जो आपको वही जाकर मालूम चलेगी अरमान सर..."

वहाँ से वो दोनो क्लास की तरफ बढ़े और मैं स्टूडेंट डिपार्टमेंट की तरफ बढ़ा, और जैसे ही स्टूडेंट डिपार्टमेंट के पास पहुचा वहाँ का नज़ारा देख कर दंग रह गया, स्टूडेंट डिपार्टमेंट के बाहर बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी....कुछ स्टूडेंट्स वहाँ पास बैठे पीओन से जुगाड़ जमा रहे थे ताकि उनका काम जल्दी हो सके, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी ना करते हुए सीधे लाइन मे लग गया,....

"एक्सक्यूस मी....."मेरे सामने वाली लड़की ने बहुत ज़ोर से कहा और पीछे पलटी, उसे देखते ही जहाँ मैं चुप हो गया वही मुझे देखकर वो भी चुप थी, आँखो से आँखे मिली, उसके दिल का तो पता नही पर मेरे सीने मे लेफ्ट साइड मे क़ैद लाल रंग की एक चीज़ जिसे लोग दिल कहते है वो धड़क उठा....धड़कन तो एसा को देखने से पहले भी चल रही थी, दिल तो पहले भी धड़क रहा था,लेकिन उस एक पल मे जब उसने मुझे देखा तो मुझे मेरी धड़कनो का अहसास हुआ, मैं चाहता था कि वो मुझे यूँ ही देखती रही , और फिर हम दोनो एक दूसरे के करीब आए और मैं उससे बोलू कि "आइ........."

"हेलो मिसटर,एक तो पहले धक्का देते हो और फिर उपर से लाइन मारते हो..."

वो मुझसे सवाल कर रही थी और मैं उस वक़्त उसे घूरे जा रहा था, पता नही साला ऐसा क्या था उस लड़की मे जो मैं उसके साथ लाइफ टाइम स्ट्रॉंग बॉन्ड बनाना चाहता था,....

"ओये आइ आम टॉकिंग टू यू..."मुझे ज़ोर से झड़कते हुए एश बोली.....

"क्या हुआ..."होश मे आते ही मैने सवाल किया...

"कुछ देर पहले तुमने मुझे धक्का दिया था...."

"तो..."
"तो..."
"तो क्या..."
"तुमने जान बुझ कर मुझे धक्का दिया..."

"देखो ऐसा कुछ भी नही है, इतनी लंबी लाइन लगी है तो थोड़ा बहुत तो धक्का मुक्की हो ही जाती है...रिलॅक्स"
"लेकिन तुमने मुझे जान बुझ कर धक्का दिया, सॉरी बोलो..."
"काहे का सॉरी बोलू यार, "

लाइव फाइट का मज़ा लेने वालो की कभी कमी नही रहती और जब ये लाइव फाइट लड़के और लड़की के बीच मे हो तो दर्शक और बढ़ जाते है, उस वक़्त भी ऐसा हुआ,सब लाइन मे तो लगे थे ,लेकिन मज़ा भी ले रहे थे....
"मैं बोल रही हू ना सॉरी बोलो..."
"जा नही बोलता..."
वो पहली गुस्साई और अपनी गुस्सैल भूरी आँखो से मुझे धमकी दी लेकिन मैने फिर भी सॉरी नही बोला तो वो पैर पटक कर आगे मूड गयी....

ना जाने क्यूँ, एश को परेशान देख कर अच्छा लग रहा था, वो जब भी तुनक कर पीछे मुड़ती तो मैं हंस देता और वो फिर तुनक कर आगे देखने लगती....
"ये भीड़ इतनी जल्दी क्यूँ ख़तम हो रही है...."

छोटी होती हुई लाइन को देख कर मैं खुद पर चिल्लाया, उस वक़्त मैं सबके उलट यही चाह रहा था कि ये लाइन आराम से दो तीन घंटे मे ख़तम हो जाए, क्यूंकी हर 5 मिनट. मे मैं कुछ ऐसा कर देता जिसकी वजह से एश पीछे मूड कर देखती और जब वो मुझे देखती तो एक लफ्ज़ हर बार ज़ुबान पर आता लेकिन मैं आख़िरी तक वो लफ्ज़ बोल नही पाया....मैं हर बार "आइ...."पर आकर अटक जाता था, उसके उलट एश वहाँ खड़े होकर जल्द से जल्द मुझसे और लंबी चौड़ी लाइन से छुटकारा पाना चाहती थी....वो जल्द से जल्द नॉमिनेशन फॉर्म भरकर वहाँ से जाना चाहती थी, अंजाने मे ही सही लेकिन यदि इस वाकई को टेक्निकल तौर पर देखे तो मैं उसके करीब आना चाहता था लेकिन वो मुझसे दूर जाना चाहती थी, और शायद यही हमारी....हमारी नही मेरी तक़दीर थी.....

"तुमने अभी मुझे क्या कहा..."हर बार की तरह वो एक बार फिर नाक मे गुस्सा लिए हुए पीछे पलटी...
"मैने तो कुछ नही कहा, मैं तो भूल भी गया था कि तुम भी यहाँ खड़ी हो..."
"मैने सुना, तुमने मुझे कहा, ये मेरी एंजल है..."
"इसने कैसे सुन लिया, ये तो मैने खुद से कहा था...."खुद से बाते करते हुए, मुझे जब कुछ नही सूझा तो मैं ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा...
"वो तो मैं फोन पर बात कर रहा था...."
"झूठ मत बोलो...."
"हद है यार,...अब मैं किसी को कॉल भी ना करू क्यूंकी तुम यहाँ मेरे पास, मेरे करीब हो...."

"इट'स ओके..."वो फिर पलट गयी और दिल के एक बार फिर टुकड़े होकर जुड़ गये...
"हेलो गौतम..."अपना कॉल रिसीव करके उसने कहा....
"इस बीसी ने कॉल क्यूँ किया..."मैं बड़बड़ाया...
"स्टूडेंट डिपार्टमेंट के सामने.."एश ने कॉल डिसकनेक्ट कर दी और एक बार फिर से पीछे पलट कर मुझे देखने लगी...वो मुझे जलाना चाहती थी,लेकिन मैं शांत खड़ा दूसरी तरफ देखता रहा, और तब तक दूसरी तरफ देखता रहा,जब तक वो आगे नही पलट गयी....

"हाई...."गौतम ने एसा को देखकर दूर से अपना हाथ हिलाया और एश से पॉस्सिटिव रेस्पॉन्स पाकर वो उधर ही आने लगा, और मुझे वहाँ एश के पीछे देखकर उसका दिमाग़ खिसक गया और वो तेज़ी से मेरी तरफ आने लगा.....
"चल निकल..."

"व्हाई ? "उसकी आँख से आँख मिलाते हुए मैने कहा...

"बस बोल दिया ना निकल तो निकल..."

"गौतम रिलॅक्स....तुम्हे किसी से भी कैसे लड़ सकते हो ,कुछ तो स्टॅंडर्ड रक्खो अपना..."गौतम को शांत करते हुए एश बोली....

"तुमने सही कहा एश, किसी भी ऐसे कैसे के तो मूह भी नही लगना चाहिए और तुम ये बताओ कि व्हाट आर यू डूयिंग हियर..."
"नॉमिनेशन फॉर्म "
"ये सब इन जैसो के लिए है, तुम सीधे खुराना अंकल का नाम लेकर अंदर जा सकती थी...."

लड़ने के मूड मे तो मैं भी था लेकिन लाइन तेज़ी से आगे बढ़ रही थी इसलिए मुझे आगे जाना पड़ा और वैसे भी सीडार ने कंट्रोल मे रहने के लिए कहा था और जब फॉर्म लेकर बाहर निकला तो गौतम और एश वही किनारे पर खड़े बात कर रहे थे , कुछ पल के लिए मैं वही खड़ा उन दोनो को एक साथ देखकर अपना कलेजा जलाता रहा और जब सब सहन से अधिक हो गया तो मैने वहाँ से जाना ही बेहतर समझा.......
.**************
"बाहर,बाहर बिल्कुल बाहर,..."दंमो रानी ने मेरे मे आइ कम कहने से पहले ही बाहर रहने के लिए कह दिया...
"मॅम, फॉर्म लेने गया था, आज लास्ट डेट था..."अपने हाथ मे रक्खे फॉर्म को दिखाते हुए मैं बोला
"तो मैं क्या करूँ...ऐसे करोगे तो कैसे चलेगा..."
"लास्ट टाइम मॅम, सॉरी..."
"कम इन..."
"थॅंक यू मॅम"
"नेक्स्ट वीक से तुम लोगो का फिस्ट क्लास टेस्ट है..."

मैं अभी अपनी सीट पर आकर ढंग से बैठ भी नही पाया था कि दंमो रानी ने कहा, और जिसे सुनकर मैं चौक गया....
"बाकी टीचर्स तो बताते भी नही,लेकिन मैं बता दे रही हूँ, मुझे मेरे सब्जेक्ट मे 20 आउट ऑफ 20 चाहिए..."

"यस मॅम..."सिर्फ़ दो लोगो को छोड़कर ,सबने ये कहा, एक तो यक़ीनन मैं था और दूसरा कोई और नही मेरा खास दोस्त था....
"क्या बोलता है, आ जाएँगे तेरे 20..."
"मुझे तो टॉपिक तक नही पता कि ये पढ़ा क्या रही है और टेस्ट मे क्या देगी..."

"साली गला काट के रख देगी और बोलेगी ऐसे करोगे तो कैसे चलेगा..."

"बीसी ,कुछ ही दिन तो हुए है कॉलेज आए हुए, और अभी से टेस्ट"बोर्ड पर जो टॉपिक लिखा हुआ था उसे अपनी कॉपी मे उतारते हुए मैने कहा....

"टेन्षन मत ले, सब एक रात मे निपटा लेंगे..."

"अब तो यही करना पड़ेगा...."

उस दिन जितने भी टीचर आए सबने यही कहा की नेक्स्ट वीक टेस्ट है और केवल मैं ही तुम लोग को ये बता रहा/रही हूँ, बाकी टीचर्स तो बताना ही नही चाहते....रिसेस मे भूख लगी तो मैं और अरुण कॅंटीन की तरफ बढ़ चले ये जानते हुए भी की वहाँ सिटी मे रहने वाले सीनियर्स की अच्छि ख़ासी भीड़ होगी,...
"यदि कुछ लफडा हुआ तो..."कॅंटीन मे घुसते ही मैने अरुण से कहा"हॉस्टिल वाले सीनियर का नंबर है ना तेरे पास..."
"हां है ना डर मत...."एक टेबल पर जाकर मैं और अरुण बैठ गये ,

"वो देख तेरे सपनो की रानी अपने सपनो के राजा के साथ उस टेबल पर बैठ कर फॅमिली प्लॅनिंग कर रही है..."
"कौन एश..."
"हां बे,..."
मैने पीछे मुड़कर देखा, सच मे एश वहाँ थी लेकिन उसके साथ मे गौतम भी था,...
"वो इधर ही आ रहा है..."जब मैं सामने मुड़कर अपना पेट भरने लगा ,तब अरुण ने कहा"चल भाग लेते है,वरना साला बहुत मारेगा..."
"अबे रुक, कहीं मत जा..."मैने अरुण का हाथ पकड़ लिया और तब तक गौतम भी जिस टेबल पर हम बैठे थे वहाँ आ गया....

गौतम हमारे पास आया और एक चेयर खींचकर उस पर बैठ गया, गौतम के बैठने के बाद मेरी नज़र सबसे पहले एश पर गयी, मैं देखना चाहता था कि एश का रियेक्शन क्या होता है और मैने देखा कि गौतम की इस हरकत से वो परेशान थी, वो अपने दांतो से होंठो को दबा रही थी, उसकी आँखो मे परेशानी का वही सबब था, जिसका मैं दीवाना था, अपने ख़यालात मे मैं अपनी जगह से उठा और एश के होंठो पर किस करके बोला कि"डॉन'ट वरी ,एवेरितिंग ईज़ ओके..."

"उधर क्या देख रहा है, इधर देख..."गौतम ने मेरा सर पकड़ कर अपनी तरफ किया"क्या नाम बताया था तूने अपना..."

"यही सवाल जाकर अपने गुरु वरुण से कर, वो अच्छे से मेरा नाम वित डिस्क्रिप्षन बताएगा...."

"तू कॉलेज के बाहर भले ही हॉस्टिल वालो को लेकर किसी को भी पिटवा सकता है, लेकिन ये कॉलेज है,..."कॅंटीन के बाकी स्टूडेंट्स की तरफ इशारा करते हुए गौतम मुझसे बोला"ये सब जो बैठे है ना, ये तुझे तब से घूर रहे है,जब से तू यहाँ आया है..."

"तुम लोग सिर्फ़ घूर सकते हो, जो करना है वो तो मैं ही करूँगा, यदि तुम मे से किसी ने हाथ भी लगाया तो एक-एक को लेजा कर उसी ग्राउंड मे मारूँगा,जहाँ वरुण और उसके दोस्तो को मारा था और फिर उनकी गर्लफ्रेंड को बुलाकर ए वॉक टू दा जंगल करूँगा फिर जंगल मे मंगल"

"तू ये कहना चाहता है कि तू पहले मुझे मारेगा और फिर एश के साथ जंगल मे मंगल..."

तब तक अरुण भी फॉर्म मे आ गया उसने गौतम की तरफ ताव से देखा और बोला"हमारे हॉस्टिल मे कुछ गे टाइप लौन्डे भी है,जो तेरे साथ भी जंगल मे मंगल करेंगे, समझा...."

"आ जाओ, मुर्गा फँस गया है...बस हलाल करने की देरी है..."गौतम ने वहाँ बैठे हुए सीनियर स्टूडेंट्स की तरफ इशारा करते हुए कहा और उसका इशारा पाकर ही 10-15 लौन्डो ने उस टेबल को घेर लिया जहाँ पर इस वक़्त हम तीनो बैठे थे....

"एश को यहाँ से भेज दे..."

"क्यूँ? लड़कियो के सामने मार खाने से डरता है..."गौतम चिल्ला कर बोला...

मैने देखा कि कॅंटीन का गेट गौतम के इशारे पर पहले ही बंद हो गया था, और कॉलेज की मेन बिल्डिंग से कॅंटीन अटॅच भी नही था,इसलिए कॉलेज स्टाफ वहाँ देर से ही आता, इतने सारे लड़को को अपने पास देखकर कोई भी घबरा उठे, मैं भी डर गया...लेकिन गौतम से मैं ऐसे बात कर रहा था जैसे मुझे कोई फरक ही ना पड़ रहा हो....

"गौतम,..ये सब बंद करो..."बात बढ़ती हुई देखकर एश वहाँ आई .

"एश, तुम कान मे हेडफोन लगाकर बैठ जाओ,..."

"पर गौतम..."

"एश, जाओ..."

एश के वहाँ से जाने के बाद गौतम ने टेबल पर अपने दोनो पैर पसारे और मुझसे बोला"कुछ दिन पहले का इन्सिडेंट बताता हूँ तुझे...एक तेरी तरह ही चोदु लौंडा था, सिटी बस मे मैने उसका बाल पकड़ कर चलती बस से नीचे फेक दिया, उसे तो मैने कोई मौका नही दिया,लेकिन तुझे एक मौका देता हूँ, मुझे सॉरी बोल और चुप चाप यहाँ से निकल जा....वरना..."

"वरना..."

"वरना उससे भी बुरा हाल करूँगा तेरा..."एकदम से सीधे बैठकर उसने कहा...

पहले सोचा कि सॉरी बोलकर बात को यही ख़तम कर दूं,लेकिन मैने वैसा कुछ भी नही किया और गौतम से बोला....
"जब मैं स्कूल मे 9थ क्लास मे था तो 11थ क्लास के एक लड़के ने मुझे बहुत मारा था, और वो पूरा साल मैने इसी जुगाड़ मे निकाल दिया कि उसे कैसे मारू और 10थ मे आकर जानता है मैने क्या किया उस लड़के को..."

"क्या..?"

"जान से मार दिया उसको, जिस चाकू को उसके पेट मे घुसाया था वो लड़ते वक़्त मेरे हाथ मे लग गया था,जिसका निशान अभी तक है..."मैने अपना शर्ट पीछे किया और साइकल से गिरने का जो निशान था उसे दिखाते हुए बोला"लगता है ऐसा एक और निशान जल्द ही मुझे लगने वाला है, और तुझे मालूम नही होगा पर मैने कॅंटीन मे घुसने से पहले ही सीडार को मेस्सेज कर दिया था कि मैं कॅंटीन मे हूँ, तो उस हिसाब से अगले 5 मिनट. मे पूरे हॉस्टिल वाले लड़के यहाँ आ जाएँगे,तुम लोग हम दोनो को सिर्फ़ 5 मिनट मार सकते हो, लेकिन उसके बाद मैं तुम सबको ग्राउंड पर लेजा कर बहुत ही बुरी तरह से मारूँगा...."

अबकी मैने अपना पैर टेबल पर पसारा और टेबल पर रक्खे समोसे की प्लेट से एक समोसा उठाकर खाने लगा,डर तो तब भी लग रहा था कि कही ये लोग मुझे मारना शुरू ना कर दे, क्यूंकी ना तो मैने सीडार को मेस्सेज किया था और ना ही 5 मिनट. बाद हॉस्टिल वाले आने वाले थे.....

"रिलॅक्स, फ्रेंड्स...वी नीड आ प्लान..."

"एक बहुत पुरानी कहावत है..."अरुण ने भी टेबल के उपर अपने दोनो पैर रक्खे और एक समोसा उठाकर बोला"प्लान वो बनाते है,जिन्हे खुद पर भरोशा नही होता..."

"बहुत जल्द ही तुम दोनो को भरोशा हो जाएगा..."वहाँ से उठकर एसा की तरफ जाते हुए गौतम ने कहा....

"नाइस प्लान बे..."अरुण समोसा खाते हुए बोला..."मेरी तो बुरी तरह फॅट गयी थी..."

"फटी तो मेरी भी थी,लेकिन "अरुण के हाथ मे जो समोसा था उसका आधा टुकड़ा तोड़कर खाते हुए मैने कहा"तुझे एक काम बोला था ,याद है..."

"कौन सा..."

"गौतम और एश की लव स्टोरी कब से और कैसे चल रही है, इन दोनो के बाप क्या करते है...ये सब"

"कितनी बार कहा है की एश पर ध्यान मत दे, साली ने गौतम के लिए सुसाइड तक कर लिया था तो सोच ही सकता है कि उनका लव लेफ्ट साइड वाला होगा..."

"लेफ्ट साइड मतलब..."

"दिल लेफ्ट साइड रहता है, इसलिए सच्चे प्यार को लेफ्ट साइड वाला लव कहते है..."

"और राइट साइड लव मतलब..."

"फ़र्ज़ी लव, जो इस समय तेरे और दीपिका के बीच चल रहा है..."

"फिर मेरा और एश का लव किस केटेगरी मे आता है..."

"किसी भी केटेगरी मे नही"अरुण ज़ोर से हँसता हुआ बोला"ये तो लव ही नही है"

अरुण से उस समय क्या कहूँ मुझे कुछ नही सूझा और आज भी मैं उसे कुछ नही समझा पाया,क्यूंकी मैं खुद आज तक नही समझ पाया कि एश और मेरा लव लेफ्ट साइड वाला था या फिर राइट साइड वाला या फिर कोई लव ही नही था, जो भी हो उस दिन वहाँ कॅंटीन मे हम ने पूरा समय बिताया ,उस दिन कुछ अलग सा हुआ, एश उस दिन कॅंटीन मे मुझे देख रही थी, और जब मेरी नज़र उससे मिलती तो वो तुरंत अपना रंग बदल कर गुस्से से देखने लगती और उसकी यही अदा हर बार मेरा दिल चीर के रख देती थी....रिसेस के बाद की क्लास मे कुछ भी खास नही हुआ, बाकी के सभी टीचर्स आए और टेस्ट का टॉपिक बता कर अड्वाइज़ देने लगे कि उनके सब्जेक्ट की तैयारी कैसे करनी है,कुल मिलाकर कहें तो रिसेस के बाद अच्छा ख़ासा बोरिंग दिन बीता,....

"अबे वो देख एश...."छुट्टी के समय मैं जब अरुण के साथ कॉलेज से बाहर निकल रहा था तब मैने एश को बाहर परेशान देखा....

"तो क्या, अब जाके चुम्मि लेगा क्या उसकी..."

"यदि वो एक चुम्मि दे दे तो कसम से इंजिनियरिंग छोड़ दूं..."

"ये तो मेरा डाइलॉग था..."

"लवडे उधर वो परेशान खड़ी है और तुझे डाइलॉगबाजी की पड़ी है, तू निकल मैं आता हूँ...."

अरुण को वहाँ से भेजने के बाद मैं एश की तरफ बढ़ा, मैं उस वक़्त यही सोचता रहा कि मैं एश से क्या कहूँगा, मुझे वहाँ उसके पास नही जाना चाहिए लेकिन मैं उसके पास गया और उससे उसकी परेशानी का कारण भी पुछा....

"ईव्निंग वॉक तो कर नही रही होगी, फिर इधर उधर क्यूँ टहल रही हो..."

"तुमसे मतलब..."एक करारा जवाब देकर वो फिर इधर से उधर और उधर से इधर चलाने लगी....

"इधर से गुज़र रहा था तो तुम्हे परेशान देख कर रुक गया, वैसे भी मुझे स्कूल मे सिखाया गया था कि इंसानियत भी कोई चीज़ होती है,..."

"तुम मुझे और परेशान मत करो और जाओ यहाँ से...."

"नही जाउन्गा..."

"तो खड़े रहो यही,मैं जाती हूँ यहाँ से...."अपना पैर पटक कर एश वहाँ से आगे बढ़ गयी....

"कमाल है यार, भलाई का तो ज़माना ही नही है...."एश को जाते हुए देखकर मैने कहा.....

वैसे तो एश का हर दिन गौतम के साथ कार मे आना-जाना होता था,लेकिन उस दिन गौतम नही आया, बल्कि गौतम का एक दोस्त अपनी बाइक पर बैठा कर एश को ले गया,एश को गौतम के दोस्त के साथ जाता देख मेरे लेफ्ट साइड मे हलचल मच गयी, मैं काई ख़यालात बुनने लगा जैसे कि "क्या एश का ब्रेक-अप हो गया गौतम से या फिर इन दोनो की जोरदार लड़ाई हुई है, या फिर वो लड़का जो की गौतम का दोस्त है वो एश के साथ कहीं........नही, ये कैसे हो सकता है , गौतम के दोस्तो के पास इतनी हिम्मत ही नही है और वैसे भी एश इस काम के लिए तैयार नही होगी, लेकिन फिर ऐश क्या हो गया कि आज गौतम के साथ ना जाकर एश उसके दोस्त के साथ गयी और ये बीसी गौतम कहाँ मर गया"
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08-18-2019, 01:23 PM,
#27
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अर्ज़ किया है..."
"करो...करो ,बिल्कुल करो, सबकुछ करो..."
"तो सुनीएगा, अर्ज़ किया है..."
"अबे अर्ज़ ही करता रहेगा या कुछ और भी करेगा..."वरुण और अरुण मुझपर एक साथ टपक पड़े,

"कोई तो महफ़िल होगी इस पूरी दुनिया मे....
जहाँ नाम हमारा भी होगा....
जब सुनेगी उस महफ़िल मे मेरी दास्तान...
तो लहू का कतरा उसकी भी आँखो से बहेगा...."


हम तीनो फिर टल्ली हो गये थे, वरुण ने खाना गॅस पर चढ़ा दिया थी,जिसके जलने की महक भी आने लगी थी..उधर खाना जला इधर हम तीनो के दिल जले...
"उस दिन के बाद क्या हुआ...एश का गौतम के दोस्त के साथ कुछ लफडा था या फिर..."
"मैं बताऊ..."अरुण बीच मे बोल पड़ा जिसे रोककर मैने कहा"उस दिन ऐसा कुछ भी नही था..."
"फिर एश गौतम के साथ क्यूँ नही गयी,..."
.
उस दिन हॉस्टिल मे आने के बाद मुझे उसका रीज़न मालूम चला, और रीज़न बताने वाला भू था, मैं आज भी कभी-कभी सोच मे पड़ जाता हूँ कि उस साले भू को सारी न्यूज़ मिल कैसे जाती थी और जब न्यूज़ एश से रिलेटेड हो तो उसकी खबर उसे और भी जल्दी मिलती थी, भू ने मुझे बताया कि गौतम के बाप पर किसी ने जानलेवा हमला किया था और वो बहुत सीरीयस थे, इसीलिए गौतम को बीच मे ही कॉलेज से जाना पड़ा, क्यूंकी गौतम और एश एक साथ कॉलेज आते थे इसलिए गौतम के जाने के बाद गौतम के दोस्त ने एश को घर ड्रॉप किया....एक तरफ जहाँ मैं ये सोच कर खुश हो रहा था कि एश और गौतम के बीच लड़ाई हुई होगी वहाँ मुझे निराशा हुई, लेकिन दूसरी तरफ गौतम के दोस्त और एश के बीच कुछ नही है ये जानकार मुझे खुशी भी हुई...भू ने मुझे और भी बहुत कुछ बताया जैसे कि एश और गौतम के फॅमिली के बारे मे , और जैसा कि भू ने बताया था उसके हिसाब से गौतम के पापा एक गुंडे टाइप आदमी थी और पॉलिटिशियन्स से अटॅच भी थे मतलब कि गौतम एक रहीस पार्टी था, वही एश के डॅड एक बड़े बिज़्नेस मॅन थे मतलब कि एश भी एक रहीस पार्टी थी....एश और गौतम बचपन से एक साथ पाले-बढ़े, एक स्कूल मे पढ़ाई भी की लेकिन गौतम उम्र मे एक साल बढ़ा था इसलिए दोनो एक क्लास मे कभी नही आ पाए, उम्र के बढ़ते पड़ाव के साथ-साथ उन दोनो की दोस्ती प्यार मे बदलने लगी और फिर दोनो ने एक दिन एक दूसरे से प्यार का एकरार भी किया....एश और गौतम दोनो के घर मे दोनो के प्यार के बारे मे मालूम था और उन्हे इस रिश्ते से कोई परेशानी भी नही थी, भू ने कुछ दिनो पहले एश के सुसाइड का भी रीज़न बताया ,उसने बताया कि गौतम किसी दूसरी लड़की के चक्कर मे था और यही एश को रास नही आया तो उसने सुसाइड करने की कोशिश की थी, उसके बाद गौतम ने एश से अपने किए की माफी भी माँगी और उन दोनो की घीसी-पीटी लव स्टोरी फिर से चालू हो गयी...जिसके लिए एश ने जान देने की कोशिश की थी वो उससे सच्चा प्यार तो करती थी लेकिन फिर भी दिल के किसी कोने से आवाज़ आई कि "बेटा अरमान ,कोशिश कर...तेरा चान्स है...."


उस आवाज़ को निकलने से पहले ही दिल मे दफ़न हो जाना चाहिए था, मुझे उसी दिन ही ये मान लेना चाहिए था कि एश और मैं किसी भी लिहाज से नही मिलते, ना तो फॅमिली बॅकग्राउंड से और ना ही दिल की दुनिया से....उसकी दिल की दुनिया तो गौतम के चारो तरफ घूमती थी ये मुझे पता था लेकिन फिर भी मैं नही माना और इस 1500 ग्राम के दिमाग़ मे कुछ ऐसा सूझा जिससे मैं वही पुरानी घीसी-पीटी स्टोरी को अप्लाइ करने वाला था.....
"उस चुड़ैल विभा की रिक्वेस्ट आई है तेरी आइडी पर...."
"क्या..."
"इतना चौक क्यूँ रहा है, सिर्फ़ ये बता आक्सेप्ट करूँ या नही..."अरुण ने मुझसे पुछा....
"भाव क्यूँ खाए, कर ले आक्सेप्ट..."
अरुण ने विभा की फ्रेंड रिक्वेस्ट आक्सेप्ट की और मेरे बिस्तर पर खुशी से चढ़ कर बोला"साली ऑनलाइन है,आजा इसका गेम बजाते है...."

मैं बैठा तो बुक खोल कर था,लेकिन ये सोचकर बुक बंद कर दी कि पहले विभा के मज़े ले लेता हूँ, पढ़ाई का क्या है वो तो कभी भी हो जाएगी, कल सुबह चार बजे उठकर पढ़ लूँगा,लेकिन विभा डार्लिंग हर समय ऑनलाइन थोड़े ही रहने वाली है.....

"हेलो...."हम मेस्सेज करते उससे पहले ही विभा ने किया...
"हाई डियर, व्हाट आर यू डूयिंग..."अपने मोबाइल के कीबोर्ड्स को फटाफट तेज़ी से दबाते हुए अरुण ने रिप्लाइ किया...
"नतिंग आंड यू..."
"फक्किंग लिख कर भेजू क्या..."अरुण मेरी तरफ देखकर बोला"या फिर शगिंग..."
"चूतिया है क्या, उसको लिख कि पढ़ाई कर रहा हूँ...."
"61-62 लिख देता हूँ, साली लौंडिया है क्या समझेगी..."
"लिख दे..."
अरुण ने 61-62 लिख कर तुरंत विभा को रिप्लाइ किया , कुछ देर तक विभा का रिप्लाइ नही आया लेकिन जब उसका रिप्लाइ आया तो हम दोनो के होश उड़ गये, हम दोनो ने ये सोचा था कि विभा हमसे 61-62 का मतलब पुछेगि और हम दोनो उसे उल्लू बनाएँगे लेकिन उसका रिप्लाइ ये था...
"61-62 कम किया करो , शरीर कमजोर होता है...."
"साली बड़ी चालू है, अभी सामने मिल जाए तो इसके मूह मे सीधे लवडा घुसा दूं...."
"अब क्या रिप्लाइ करे..."मैने अरुण की तरफ देखा....
"तू रुक और देखता जा..."अरुण की उंगलिया एक बार फिर तेज़ी से मोबाइल के बटन्स पर घूमने लगी और उसने विभा को रिप्लाइ किया...
"तुमने कभी 61-62 किया है "
"व्हाट "
"61-62 ,हिन्दी मे समझाऊ क्या "
"मुझे कुछ काम आ गया है बाइ..."
"भाटा है घर मे..."
"व्हाई ?"
"पूरा का पूरा घुसा लेना उसको..."
"बिहेव..."
"कुछ काम आ गया है ,अब मैं जा रहा हूँ..."इसी के साथ अरुण ने फ़ेसबुक बंद कर दी और हम दोनो अपना पेट पकड़ कर हंस पड़े....उस रात सिगरेट पीने और बक्चोदि करने के अलावा मैने कुछ नही किया, आधी रात को दूसरो के रूम के सामने जाकर ज़ोर से दरवाज़ा पीटता और फिर भाग जाता, रूम के अंदर सो रहे लड़के गालियाँ देते हुए उठते और फिर बाहर किसी को नापकर और भी गालियाँ बकते....

उसके बाद कुछ दिनो तक कुछ भी खास नही हुआ, गौतम और एश हर दिन साथ मे ही कॉलेज आते और साथ मे जाते , गौतम से मेरी नोक-झोक भी इतने दिनो मे नही हुई थी इसलिए महॉल ठंडा था, सीडार से एक दो बार बातचीत हुई थी जिससे मुझे मालूम चला था कि वरुण और उसके दोस्त बहुत जल्द ठीक हो जाएँगे और कॉलेज भी आने लगेंगे....


मुझे एक लड़की की तालश बचपन से थी , ऐसी लड़की जिसको देखकर मेरी आँखे उसकी आँखो से होती हुई सिर्फ़ आँखो पर ही टिकी रहे , दीपिका और विभा को जब भी देखता तो मेरी नज़र उनकी आँखो से शुरू ही नही होती थी वो तो सीधे नीचे से शुरू होकर आख़िरी मे आँखो पर पहुचती थी लेकिन एश के केस मे ऐसा नही था , मैने अभी तक उसके सिर्फ़ भूरी आँखो और खूबसूरत चेहरे मे ही ढंग से निगाह डाली थी....मैं सीधा साधा मिड्ल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करता था, इसलिए मैं एक सीधी-साधी लड़की चाहता था जो मुझसे प्यार करे और जिससे मैं प्यार करूँ....प्लेबाय बनकर हर हफ्ते गर्लफ्रेंड चेंज करना मुझे पसंद नही था लेकिन ऐसी लड़किया मुझे बहुत मिली जो सिर्फ़ दूसरो को दिखाने के लिए ,दूसरो को जलाने के लिए मेरी गर्लफ्रेंड बनने को तैयार थी, लेकिन उन सबको मैने दरकिनार करते हुए हमेशा उस एक लड़की की तलाश मे रहा जो सीधे लेफ्ट साइड मे अपना असर दिखाए,...एश की भोली सूरत, उसका बात-बात पर झगड़ना और हर दम नाक पर गुस्सा लेकर चलना मुझे बहुत पसंद था, पसंद नही था तो सिर्फ़ एक चीज़ की वो गौतम की गर्लफ्रेंड थी....दिमाग़ ने हज़ार बार मुझसे कहा कि एश और तेरा मिलना 99.99 % नामुमकिन है ,लेकिन फिर दिल के किसी कोने से आवाज़ आई कि 00.01% चान्स तो है, इसमे 1000 का मल्टिप्लाइ करके एश और खुद की स्टोरी के चान्सस 100 % कर ले


साला कमीना दिल वो वक़्त ये सब सोचने का नही था इसलिए मैने अपने दिमाग़ और दिल के कॅल्क्युलेशन को पॅक करके पढ़ने बैठा क्यूंकी कल बीएमई का टेस्ट था....
"तुझे कुछ समझ आ रहा है, इधर तो सब सर के उपर से जा रहा है...."अरुण अपना बाल नॉचकर बोला...

"मुझे ऱन्छोड दास चान्चड समझ रक्खा है क्या,जो बिना पढ़े टॉप मार जाउन्गा, मुझे भी कुछ समझ नही आ रहा...."
"ये बीसी एक ही डेरिवेशन का दस दस अलग तरीका देकर मर गये, पढ़ना हमे पढ़ रहा है..."

"ये साइंटिस्ट यदि आज ज़िंदा होते तो गोली मार देता इन सबको "बुक पर दोबारा नज़र गढ़ाते हुए मैं बोला"ये देख,इतना बड़ा फ़ॉर्मूला...ये तो साला पूरे 4 साल मे भी याद ना हो..."

वो रात हमने बुक्स के राइटर और अपना अलग-अलग प्राइसिपल देकर मर गये महान लोगो को गालियाँ देकर बिताई, पहले की आदत थी 4 बजे सुबह उठने की , उस दिन भी आँख सुबह 4 बजे खुली,जबकि मैं 12 बजे सोया था...आँखो मे जलन और सर भारी लग रहा था, मन कर रहा था कि फिर से लाइट बंद करू और चादर ओढ़ कर फिर से सो जाउ, लेकिन आज होने वाली एग्ज़ॅम की टेन्षन से सर भारी होते हुए भी सर को हल्का करना पड़ा मैं 5-10 मिनट. तक ठंडे पानी की बाल्टी मे अपना सर डुबोये रक्खा और जब वापस अपने रूम की तरफ आने लगा तो मुझे वही शरारत सूझी जो रात को अक्सर मैं किया करता था....मैने ज़ोर से एक रूम का दरवाज़ा खटखटाया....

"कौन है बे..."एक मरी हुई आवाज़ मे अंदर से किसी ने मुझसे मेरा परिचय पुछा....

"पोलीस...दरवाज़ा खोलो जल्दी"अपनी आवाज़ कड़क करते हुए मैने कहा"हॉस्टिल मे खून हुआ है और तू सो रहा है बोसे डीके ,निकल बाहर"

इतना बोलकर मैं वहाँ से तुरंत अपने रूम की तरफ भागा और जब अंदर घुस गया तो मुझे उस रूम मे रहने वालो की आवाज़ सुनाई दी,...

"ये कुछ लड़को ने उपद्रव मचा रखा है कुछ दिनो से...शिकायत करनी पड़ेगी इनकी...."

हंसते हुए मैने बीएमई की बुक पकड़ी और खुद को चारो तरफ से चादर मे लपेटकर बुक खोल कर बैठ गया....लेदेकर कुछ तो पल्ले पड़ा और जैसे-जैसे मैं पढ़ते जाता इंटेरेस्ट खुद ब खुद बढ़ता जा रहा था, बीच बीच मे कभी एश का ख़याल आता तो कभी दीपिका मॅम का, लेकिन उसी समय पता नही कैसी मनहूस घड़ी थी कि मुझे सिगरेट पीने की तलब हुई और मैं जब सिगरेट का बहुत ज़्यादा तलबदार हो गया तो सिगरेट की पॅकेट उठाया...लेकिन वो पॅकेट बिल्कुल ,खाली था...
"ओये उठ..."अरुण को हिलाते हुए मैने कहा"उठ जा वरना,....वरना"
"क्या हाीइ...."जमहाई लेकर वो फिर सो गया...
"सिगरेट की पॅकेट कहाँ है..."
"लवडा पी ले..."
"लंड मे माचिस मार दूँगा ,जल्दी बता कहाँ है..."
और तब उसने अपने जेब से सिगरेट का डिब्बा निकालकर मुझे दिया, अरुण से सिगरेट लेकर मैं अपने बिस्तर पर आ धमका और सिगरेट पीते-पीते ईसोथेर्मल प्रोसेस के लिए वर्कडोन निकालने लगा....."
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"फॅट रही है यार...साला कुछ नही पढ़ा..."
"अब मैं क्या बोलू फॅट तो मेरी भी रही है,..."
"तू तो सुबह उठकर कुछ देख भी लिया है, मैं तो बीएमई मे वर्जिन हूँ.."

इस वक़्त मैं और अरुण एग्ज़ॅम हॉल के सामने खड़े बतिया रहे थे, साइड मे भू भी खड़ा था लेकिन वो हमसे बात ना करके अपनी कॉपी पकड़े हुए था, कहने को तो ये क्लास टेस्ट था लेकिन इस बार क्लास टेस्ट को भी होड़ के कहने पर मैं एग्ज़ॅम की तरह लिए जा रहा था...

पेपर ईज़ी था, फिर भी थोड़ी बहुत मिस्टेक हर क्वेस्चन मे हुई, एग्ज़ॅमिनेशन हॉल से मैं बाहर निकला तो कॉरिडर मे दीपिका मॅम आती हुई दिखाई दी, हल्के पिंक कलर का सलवार उनपर बहुत जच रहा था, उन्हे मेरी नज़र ने नीचे से देखना शुरू किया और फिर आँखो मे जाकर रुकी....
"गुड मॉर्निंग मॅम..."
"मॉर्निंग...अभी तो आफ्टरनून है..."
"सॉरी, वो टेस्ट का असर अभी तक है...गुड आफ्टरनून..."
"कैसा गया पेपर..."वो वही मेरे पास खड़ी हो गयी, उसने आज भी सॉलिड पर्फ्यूम मारा हुआ था जिससे मेरा तन और मन दोनो वाइब्रेशन कर रहे थे......

"ठीक गया...."एक लंबी साँस खींच कर मैने कहा , और दीपिका मॅम के पर्फ्यूम की खुश्बू मेरे पूरे रोम-रोम मे समा गयी,...मैं वहाँ खड़ा यही सोच रहा था कि वो मुझे फिर से कहे कि चलो कंप्यूटर लॅब मे , लेकिन उन्होने ऐसा कुछ भी नही कहा वो बोली...
"आइ हॅव टू गो...."
"किधर ,कंप्यूटर लॅब मे "
"अववव...."
मैं उसकी इस अववव पर एक स्माइल दी जिसे देखकर वो बोली"मुझे अभी काम है....बाइ"

"कहाँ चल दी...कहाँ चल दी...प्यार की पुँगी बज़ा के..."

दीपिका मॅम के जाने के बाद मैं खुद से बोला और उस रास्ते पर अपने कदम बढ़ा दिए जो कॉलेज से बाहर जाता था...
"न्यूज़ पेपर पढ़ के आता हूँ..."लाइब्ररी के सामने कॉलेज से बाहर जाते हुए कदम रुके, मेरे कदम रुकने की एक वजह ये भी थी कि मैने एश को लाइब्ररी के अंदर घुसते हुए देख लिया था और वो बिल्कुल अकेली थी तो सोचा क्यूँ ना उसी से लड़कर थोड़ा मूड फ्रेश कर लिया जाए.....

मैने लाइब्ररी के अंदर सहेज कर रक्खे हुए एक इंग्लीश न्यूज़ पेपर को उठाया और ठीक उसी जगह पर जाकर बैठा जहाँ एश बैठी हुई थी...उसके हाथ मे हिन्दी न्यूज़ पेपर था और वो न्यूज़ पेपर पढ़ने मे इतनी मगन थी कि उसने मुझे देखा तक नही.....अब मैं वहाँ आया तो एश से लड़ने के लिए था इसलिए किसी ना किसी टॉपिक पर बातचीत तो करनी ही थी....

"पता नही लोग हिन्दी न्यूज़ पेपर क्यूँ पढ़ते है...मसालेदार न्यूज़ तो इंग्लीश न्यूज़ पेपर मे ही रहती है..."न्यूज़ पेपर के पन्ने पलटते हुए मैं धीरे से बोला और एश की नज़र मुझ पर पड़ी, उसने एक नज़र मुझे देखा और फिर न्यूज़ पेपर पढ़ने मे बिज़ी हो गयी.....

"इसने तो लड़ाई शुरू ही नही की ,कुछ और सोचना पड़ेगा..."

इंग्लीश न्यूज़ पेपर की पन्नो की आड़ मे मैने एश को देखा ,उसने स्कर्ट और जीन्स पहन रक्खी थी और तभी मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे उससे लड़ने का एक और आइडिया आया मैं इस बार आवाज़ थोड़ी तेज़ करके बोला"आज कल लड़कियो को देखो, जीन्स पहन कर घूमती रहती है...आइ हेट दट टाइप गर्ल्स, ऐसी लड़किया यदि मेरे पास, मेरी ही टेबल पर बैठ जाए तो गंगा जल से खुद को पवित्र करना पड़ेगा...."

अबकी बार वो भड़की ,उसकी भूरी सी आँख मे गुस्सा उतर आया और वो मुझसे न्यूज़ पेपर छीन कर बोली..."तुम मुझे कह रहे हो राइट?"

"तुम भी यहाँ बैठी हो, कमाल है मैने तो तुम्हे देखा नही.."इंग्लीश वर्ड पर ज़्यादा ज़ोर देते हुए मैने कहा "वो क्या है कि मैं इंग्लीश न्यूज़ पेपर पढ़ने मे इतना मगन था कि तुम्हे देखा नही, हाउ आर यू..."

"फाइन..."वो चिल्ला उठी और तभी लाइब्ररी मे रहने वालो ने एश को चुप रहने का इशारा किया...

"इतना चिल्लाने की क्या ज़रूरत है ,गाँव से आई हो क्या "

"मुझे दोबारा मत दिखना वरना..."

"वरना..."आराम से वहाँ बैठकर मैने कहा...

"वरना....वरना..."इधर उधर देखते हुए वो सोचने लगी कि वो मुझे क्या धमकी दे"वरना मैं तुम्हारा खून कर दूँगी..."

"ऊप्स ! "

"अब जाओ यहाँ से..."वो एक बार फिर चिल्लाई और लाइब्ररी वालो ने एश को वहाँ से बाहर जाने के लिए कहा...वो तुनक कर वहाँ से उठी और बाहर चली गयी...मैं वहाँ बैठा-बैठा क्या करता मैं भी उसी के पीछे चल पड़ा...

"अपनी गर्ल फ्रेंड को बोलो कि ये लाइब्ररी है यहाँ शांति से रहे..."जब मैं लाइब्ररी से निकल रहा था तो बुक इश्यू करने वाले ने मुझसे कहा जिसे सुनकर मैं खुश होता हुआ वहाँ से आगे बढ़ा....

"क्या सच मे तुम मेरा खून कर दोगि..."

"हां, यदि दोबारा मुझे दिखे तो एक खंज़र सीने के आर-पार कर दूँगी...."

"चल चुड़ैल, तेरे मे इतनी हिम्मत कहाँ..."

"व्हातत्तटटटतत्त.......चुड़ैल"

"तो इसमे क्या बुरा कह दिया..."हमारी लड़ाई अच्छि-ख़ासी चल रही थी कि अरुण अपना सड़ा सा मूह बनाकर पीछे से टपक पड़ा और बोला"चल बे अरमान सिगरेट पीते है, मूड बहुत खराब है...."

"ये चुड़ैल, सिगरेट पिएगी..."

"भाड़ मे जाओ...."

उसके बाद मैं और अरुण वहाँ से निकल गये भाड़ मे जाने के लिए

अरुण का पेपर बहुत खराब गया था ,ये बात वो मुझे लगभग हज़ारो बार बता चुका था...हर 5 मिनट. मे वो बोलता कि "साला बहुत हार्ड पेपर आया था...लगता है एक क्वेस्चन भी सही नही होगा" वो जब से पेपर देकर आया था तब से लड़कियो वाली हरकत कर रहा था, वो बुक खोलकर आन्सर मॅच करता और जब आन्सर सही नही निकलता तो खुद सॉल्व करने बैठ जाता...मैं बिस्तर पर पड़े-पड़े जब उसकी इन हरकतों से बोर हो गया तो मैने उसे कहा कि एक पेपर बिगड़ जाने पर इतना परेशान है, तू क्या खाक देश की सेवा करेगा.....

"मुंडा मत बांका और जाके एक पॅकेट सिगरेट लेकर आ...."

अब मैने भी सिगरेट पीना शुरू कर दिया था ,इसलिए सिगरेट खरीदने का दिन हमने आपस मे बाँट लिया था एक दिन वो सिगरेट का डिब्बा लाता तो एक दिन मैं....आज मेरी बारी थी.

"चल साथ मे नही चलेगा क्या...."

"मूड खराब है ,तू जा..."

"अरमान..."तभी बाहर से किसी ने आवाज़ दी, आवाज़ जानी पहचानी थी , मैने रूम का दरवाज़ा खोला ,सामने सीडार खड़ा था....

"तो क्या सोचा..."अंदर आते ही सीडार मुझसे बोला...

"किस बारे मे..."

"न्सुई का एलेक्षन लड़ेगा या नही..."

"एमटीएल भाई,आपको तो पहले ही बता दिया कि...."

"तेरा नाम मैने लिखवा दिया है..."मुझे बीच मे ही रोक कर सीडार ने कहा"मैं यहाँ तेरी राय जानने नही तुझे बताने आया हूँ..."

सीडार के बात करने के इस लहज़े से मैं सकपका गया, और उसकी तरफ मूह बंद किए देखता रहा और तब तक देखता रहा जब तक सीडार ने खुद मुझे आवाज़ नही दी...

"सुन, इस बार वरुण को किसी भी हालत मे प्रेसीडेंट बनने नही देना है, इसके लिए मेरे कॅंडिडेट्स का जीतना बहुत ज़रूरी है....सेकेंड एअर मे गौतम के कारण मेरी पकड़ ढीली है और मुझे पूरा यकीन है कि सेकेंड एअर से हम हारने वाले है...इसलिए मैं चाहता हूँ कि फर्स्ट एअर से हम किसी भी हाल मे जीते और फर्स्ट एअर के लड़को मे से सबसे ज़्यादा तू हाइलाइट हुआ है..."

"लेकिन एमटीएल भाई, वो मेरी पढ़ाई का...."

इस बार भी सीडार ने मुझे बीच मे रोका"ना तो मेरा आज तक कभी बॅक लगा और ना ही कभी कम पायंटर बने, जबकि मैं अपना आधा समय स्पोर्ट्स को देता हूँ, उपर से लड़ाई झगड़े वाले कांड मेरे लिए अडीशनल वर्क होते है..."
"लेकिन...."
"लेकिन वेकीन छोड़ और ये फॉर्म भर..."बिस्तर पर एक फॉर्म फेक्ते हुए उन्होने कहा"कल सुबह मेरे हॉस्टिल मे पहुचा देना...."

"ठीक है भाई "

सीडार के जाने के बाद मैं सिगरेट लेने के लिए दुकान की तरफ बढ़ा, कल फिर टेस्ट था और तैयारी ज़ीरो थी लेकिन फिर भी इस वक़्त दिमाग़ मे पढ़ाई करने का ख़याल दूर-दूर तक नही था, पैदल चलते हुए पूरे रास्ते भर मेरे दिमाग़ मे कयि ख़यालात उभर रहे थे, केवल पढ़ाई और कल के टेस्ट को छोड़कर....एश, विभा ,दीपिका ,सीडार , अरुण और वरुण इन सबने मेरे दिमाग़ मे क़ब्ज़ा कर लिया था...सिगरेट के कश लगाता हुआ मैं कभी एश से आज हुई अपनी झड़प के बारे मे सोच के मुस्कुराता तो कभी दीपिका मॅम का हल्के गुलाबी रंग के सलवार मे क़ैद जिस्म दिखता,

"ये साली विभा उस दिन के बाद कॉलेज मे नही दिखी..."हॉस्टिल की तरफ आते हुए मैने खुद से कहा और ये सच भी था क्यूंकी उस दिन के गॅंग-बंग के बाद विभा को मैने कॉलेज मे नही देखा था, विभा जैसी लड़की जो एक दिन मे कॉलेज के दस राउंड मारती हो वो कॉलेज मे एक हफ्ते से ना दिखे तो थोड़ा झटका तो लगता ही है, वो मुझे एक हफ्ते से नही दिखी थी इसका एक ही मतलब हो सकता है कि वो एक हफ्ते से कॉलेज ही नही आई....लेकिन क्यूँ, मैने तो नारी जात का सम्मान करते हुए उसे सही-सलामत भेजा था,

"पीरियड्स चल रहे होंगे..."मैने अंदाज़ा लगाया और सिगरेट के कश मरते हुए फिर हॉस्टिल की तरफ चल पड़ा, लेकिन दिमाग़ मे अब भी विभा ने क़ब्ज़ा कर रक्खा था, क्यूंकी उस दिन के गॅंग-बॅंग के बाद मैं बहुत उत्सुक था कि उसकी और मेरी मुलाकात कैसी होती है ,उसका क्या रियेक्शन होता है...वो मुझे देखकर हासेगी या फिर गुस्सा करेगी या फिर कुछ और ही करेगी....

"भू को शायद कुछ पता हो..."ऐसा सोचते हुए मैं हॉस्टिल मे दाखिल हुआ और सीधे भू के रूम की तरफ चल पड़ा...

"और भू पेपर कैसे बनाया..."भू के रूम मे घुसते ही मैने उससे पुछा....

"एक क्वेस्चन छूट गया..."

"ला पानी पिला, बहुत धूप है बाहर..."

"मैं अभी पढ़ाई करूँगा तू जा यहाँ से, एक हफ्ते बाद आना जब टेस्ट ख़तम हो जाएँगे..."एक साँस मे ही भू ने कहा...

"अबे कुत्ते,मैने तुझे डिस्टर्ब करने नही आया हूँ....बस कुछ जानना है "

"क्या जानना है..."

"विभा को जानता होगा..."सीधे पॉइंट पर आते हुए मैने कहा"वो कुछ दिनो से दिखी नही कॉलेज मे ?"

"विभा..."अपने माथे पर शिकन लाते हुए भू ने अपने भेजे मे गूगल की तरह विभा का नाम सर्च करने लगा और जल्द ही वो बोला"वो कॉलेज मे दिखेगी कैसे, वो तो एक हफ्ते से कॉलेज ही नही आई..."

"तुझे कैसे मालूम,"

"कल रात ही फ़ेसबुक पर उससे बात हुई थी मेरी..."

"ग़ज़ब...रीज़न मालूम है..."

"उसने कुछ नही बताया...."

"चल ठीक है तू पढ़ाई कर ,बाइ.."भू के रूम से बाहर जाते हुए ना जाने क्या मन मे आया कि मैं पीछे मुड़ा और भू से बोला"एश की कोई न्यू न्यूज़...."

पहले तो भू हिचकिचाया और मुझे अपनी आँखो से ये बताने लगा कि उसके बाय्फ्रेंड ने मुझे सबके सामने थप्पड़ मारे थे उसका नाम मत ले और फिर मैने भी उसे आँखो के इशारे से बताया कि मैने भी तो गौतम को सबके सामने थप्पड़ मारा था , हिसाब बराबर.....

"एश..."दिमाग़ मे एश का नाम सर्च करते हुए भू बोला"उसके बाय्फ्रेंड गौतम के बाप को किसी ने चाकू पेला है और अपने बाप के इलाज के सिलसिले मे वो कल आउट ऑफ सिटी गया है लगभग एक हफ्ते के लिए...कल सीनियर के हॉस्टिल गया था तो वही कुछ लोगो ने बताया"

"थॅंक यू भू "उच्छल कर मैने उसे गले लगा लिया और फिर उसके बिस्तर पर उसे पटक कर मैं अपने ख़यालो मे गुम हो गया.....

अब कुछ दिन तक मैं और एश एक साथ एक ही कॉलेज मे , और आज एक बार फिर से मुझे इंतेज़ार था कल की सुबह का...कल के टेस्ट जल्दी से ख़तम होने का....प्लान सिंपल था कल जब टेस्ट ख़तम होगा तो मैं पूरा कॉलेज छान मारूँगा और जहाँ भी एश मिलेगी वही उससे लड़ाई करके अपना मूड फ्रेश करूँगा , वो चिल्लाएगी चीखेगी मुझे जान से मारने की धमकी देगी...और मैं उसे चुड़ैल कहूँगा....अरमान फिर मचल उठे ,दिल फिर खिल उठा....किस्मत फिर जाग उठी और मैं अपने रूम मे घुसते हुए ताव से बोला"एक क्वेस्चन छोड़ दूँगा कल एग्ज़ॅम मे और जल्दी से जल्दी एश को ढूँढ निकलुन्गा..."

उस दिन ना तो मैने ढंग से अगले दिन होने वाले एग्ज़ॅम की तैयारी की और ना ही ढंग से सोया...जब भी आँख लगती,पलके भारी होने लगती तभी एश की भूरी आँखो को मैं महसूस करता ,उसकी सूरत नींद मे भी किसी साए की तरह मुझसे लिपटी रहती, मुझे ऐसा लगता जैसे की वो मेरे पास वही मेरे ही बिस्तर पर मेरे उपर लेटी हो और लेफ्ट साइड मे धड़क रहे दिल को मुस्कुराते हुए सहला रही हो और फिर जब मैं उसे अपने दोनो हाथो मे समेटने के लिए अपने हाथ आगे करता तो वो गायब हो जाती, और मेरी आँख खुल जाती....एश को वहाँ ना पाकर मुझे थोड़ा सॅड भी फील होता और खुद्पर हँसी भी आती....किसी के ख़यालो मे खोए रहना , सोते जागते बस उसी के बारे मे सोचना ये सब मैने सिर्फ़ हिन्दी फ़िल्मो मे होते हुए देखा था...लेकिन उस रात उन सब लम्हो को मैने खुद महसूस किया, मैं जब भी अपनी आँखे बंद करता और हल्की से नींद लगती तभी ना जाने कहाँ से एश आ जाती और हम दोनो एक दूसरे से लड़ते झगड़ते....मैने तो उसे चिढ़ाने के लिए उसका निक नेम तक सोचा लिया था "चुड़ैल..." हक़ीक़त की तरह मैं सपने मे भी उसे चुड़ैल कहता और हक़ीक़त की तरह सपने मे भी वो मुझे जान से मारने की धमकी देती...उसे पाने के लिए कलेजा तड़प रहा था , उसे छुने के लिए मैं बेताब हुआ जा रहा था....उस वक़्त मेरे लिए सारी दुनिया एक तरफ और एश एक तरफ थी, "कल का एग्ज़ॅम पक्का खराब जाने वाला है..."आधी रात को मैं लगातार नींद के टूटने से परेशान होकर बैठ गया और आँखे मलते हुए अंधेरे मे ही सिगरेट सुलगाई....

मेरी आँखो मे उसकी सूरत का कुछ ऐसा रंग चढ़ा था कि मुझे डर लगने लगा था खुद से कि कही मैं वो रंग निकलते निकलते अँधा ना हो जाउ, मैं उस वक़्त अजीब हरकते कर रहा था...सिगरेट के कश लेते हुए मैं कभी एश को पाने के लिए एकदम बेचैन हो जाता तो कभी उसके बारे मे सोचकर दिल खिल उठता....मोबाइल मे टाइम देखा रात के 2 बज रहे थे, नींद तो आने से रही इसलिए मैने बाहर टहलने का फ़ैसला किया और रूम से बाहर आ गया, अरुण चैन की नींद ले रहा था इसलिए उसे उठाकर बक्चोदि करने का मन नही किया...सुना था कि ज़िंदगी मे कभी-कभी कोई चीज़ हमे ऐसी मिल जाती है जो ज़िंदगी से भी ज़्यादा प्यारी लगने लगी, ज़िंदगी से भी ज़्यादा अनमोल लगे और आज मुझे वो चीज़ मिल गयी थी ,आज वो ज़िंदगी से भी प्यारे और अनमोल चीज़ एक लड़की के रूप मे मुझे मिली गयी थी ,जो सीध लेफ्ट साइड मे असर करती थी.....मेरे दिमाग़ का कॅल्क्युलेशन अब भी मुझे इस बात की हिदायत दे रहा था कि मैं उसके बारे मे ना सोचु, मेरा दिमाग़ की कॅल्क्युलेशन ये भी कह रही थी कि एश कभी भी मुझसे दिल नही लगाएगी, उस रात मैने एग्ज़ॅम मे आने वाले किसी मोस्ट इंपॉर्टेंट क्वेस्चन की तरह ज़िंदगी के उस मोस्ट इंपॉर्टेंट सच को भी इग्नोर किया, उस मोस्ट इंपॉर्टेंट सच को मैने कयि बहाने बनाते हुए टाल दिया इस आस मे कि किसी ना किसी बहाने से एश इस बहाने को सच कर देगी.....


उस रात काफ़ी देर तक इधर उधर टहलने के बाद मैं वापस अपने बिस्तर पर जा गिरा और सुबह के 5 बजे जाकर मेरी आँख लगी जो सीधे टेस्ट के आधे घंटे पहले खुली, वो भी अरुण के उठाने के कारण...
"क्या है बे, आज टेस्ट देने नही जाना क्या..."अरुण ने मुझसे पुछा, वो बिल्कुल तैयार था और अब शायद एक बार रिविषन मारने के जुगाड़ मे था.....

"टाइम...."आँखो को मलते हुए मैं बोला"टाइम क्या हुआ है"

"ज़्यादा नही सुबह के 10 बज रहे है, आधे घंटे मे एग्ज़ॅम शुरू होने वाला है....यदि नींद पूरी ना हुई हो तो 5-10 मिनट. की एक छोटी सी नींद और ले ले..."

"5 मिनट. बाद उठा देना..."बोलकर मैने फिर चादर तान ली....
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उस दिन के एग्ज़ॅम मे मुझे सिर्फ़ इतना मालूम था कि टेस्ट किस सब्जेक्ट का है, डेट और डे भी मैने आगे वाले से पुछ कर भरा था , साला मुझ जैसे ब्रिलियेंट लड़के से पेपर का एक क्वेस्चन नही बन रहा था , दिल किया कि खाली कॉपी एग्ज़ॅम इनविजाइलेटर के मूह पर दे मारू, लेकिन फिर रिज़ल्ट मे एक बड़े से ज़ीरो का ख़याल आया तो हर क्वेस्चन के आन्सर मे कुछ कुछ लिखकर बाहर निकला....जिस हिसाब से मैने आज का टेस्ट दिया था उसके अनुसार तो मुझे बहुत दुखी होना चाहिए था और अरुण को गाली देकर अपनी भडास निकलनी चाहिए थी लेकिन ना तो मैं दुखी था और ना ही मेरा गाली देने का मन था, मैं खुशी ख़ुसी इनविजाइलेटर को कॉपी सब्मिट करके बाहर आया,...पहले मैं लाइब्ररी मे घुसा लेकिन आज वहाँ एश नही थी, उसके बाद मैने उपर ,नीचे सभी कॉरिडर मे भी ढूँढा लेकिन एश फिर भी ना दिखी....तब जाकर मुझे ध्यान मे आया कि टेस्ट तो उसका भी है , अभी एग्ज़ॅमिनेशन रूम मे ही होगी तो क्यूँ ना जहाँ उसकी कार खड़ी रहती है वहाँ से थोड़ी दूर खड़े रहकर इंतेज़ार किया जाए.....लगभग आधे घंटे मैं कॉलेज पार्किंग के पास खड़ा रहा लेकिन वहाँ पार्किंग मे ना तो उसकी कार थी और ना ही एश...लेकिन मैं फिर भी वाहा खड़ा रहा क्यूंकी मुझे यकीन था की कोई भी इतनी जल्दी एग्ज़ॅम हॉल से निकलेगा....लगभग आधे घंटे तक मैं वहाँ खड़े होकर मक्खिया मारता रहा तब जाकर एश दिखाई दी, वो अपने कुछ दोस्तो के साथ हस्ती हुई कॉलेज के गेट से बाहर आ रही थी और टर्न मारकर अपने दोस्तो के साथ कॅंटीन की तरफ चल दी......

"एक नंबर की भूक्कड़ है ये तो , मैं इतनी देर से उसके इंतेज़ार मे यहाँ खड़ा हूँ और वो कॅंटीन की तरफ चल दी...."

मैं भी कॅंटीन की तरफ चल पड़ा लेकिन कॅंटीन मे घुसने से पहले मैने सीडार को कॉल किया और बोला कि मैं कॅंटीन मे जा रहा हूँ, नज़र मारते रहना......

मैं कॅंटीन मे जहाँ एश बैठी थी उसी के पास वाली टेबल पर बैठा...कुछ देर तक तो उसके दोस्त वही रहे लेकिन फिर सब अपने -अपने घर को निकल गये...एश को उसके कयि दोस्तो ने कहा कि वो उनके साथ चले वो उन्हे घर ड्रॉप कर देंगे...लेकिन एश ने हर किसी को टाल दिया ,वो बोली कि उसके डॅड ने ड्राइवर से कार भेजवा दी है...वो जल्द ही यहाँ पहुच जाएगा.....

"दो पेप्सी लाना "मैने ऑर्डर दिया और दो पेप्सी की बोतल लेकर जहाँ एश बैठी थी वहाँ जाकर मैं बैठ गया....
"तुम...."
"कहिए ,क्या सेवा कर सकता हूँ..."
"ये सीट बुक है ,तुम जाओ यहाँ से..."
"और नही गया तो..."
"तो याद है ना, वो खंज़र और तुम्हारा सीना..."
"चल चुड़ैल, तेरे मे इतनी हिम्मत कहाँ...."
"इस कॅंटीन का ओनर कौन है..."एश ने तेज आवाज़ मे कहा, जिसे सुनकर तुरंत ही वहाँ काम करने वाला एक आदमी पहुच गया....जिसे देखकर एश बोली"इसे यहाँ से ले जाओ, ये मुझे परेशान कर रहा है..."

कॅंटीन वाला कुछ बोलता उससे पहले ही मैने हाथ दिखाकर वहाँ से जाने की धमकी दी, कभी एश उसे आँख दिखाती तो कभी मैं....जिससे बेचारा तंग आकर बोला
"आप दोनो खुद संभाल लो, मुझे बहुत काम है..."

कॅंटीन मे काम करने वाले उस शक्स के जाने के बाद एश कुछ देर तक चुप कुछ खाती रही और फिर जब उसका खाना पीना ख़तम हुआ तो वो अपना हाथ झाड़ कर मेरी तरफ झुकी और धीरे से बोली....
"यहाँ गौतम के कयि सारे दोस्त है , गौतम आकर लफडा करेगा..."
"तुम उसकी फिकर मत करो..."मैं भी धीरे से बोला...
"तो जाओ यहाँ से..."वो फिर चिल्लाकर बोली...जिससे सबकी नज़र हम दोनो पर आ टिकी...
"ये तू गाँव वाली हरकते मत किया कर, वरना तुझे अपने आस-पास भी नही रहने दूँगा..."
"मैं तुम्हारे पास घूमती हूँ क्या, तुम ही मेरे पीछे पड़े हो...."
"ईईईईईईई....."मैं एक बार फिर आइ वर्ड से आगे नही बढ़ पाया, और उसकी तरफ पेप्सी का एक बोतल सरकाते हुए बोला"लो पियो और मेरा भी पे कर देना...."
"क्या...."
"पे मतलब इन दोनो पेप्सी का भी पैसा दे देना...यार तू पक्का गाँव से आई है"

"अब मुझे गुस्सा आ रहा है, अरमान, डॉन'ट कॉल मे गाँव वाली...तुम्हे शायद मालूम नही कि मैं कौन हूँ...."

"और क्या तुम्हे मालूम है कि तुम इस समय न्सुई के होने वाले प्रेसीडेंट से बात कर रही हो..."

तभी एश का मोबाइल बज उठा उसने कॉल रिसेव की और फिर गुस्से से मोबाइल ऑफ कर दिया....
"क्या हुआ..."
"ड्राइवर का कॉल था, वो बोल रहा है कि कार बीच रास्ते मे खराब हो गयी है..."

"वेटर , दो पेप्सी और लाना" खुश होते हुए मैं एश से बोला"इन दोनो का बिल भी भर देना..."

उसने मुझे फिर गुस्से से देखा और अपना मोबाइल ऑन करके कोई गेम खेलनी लगी, कुछ देर तक तो मैं भी शांत बैठा रहा लेकिन जब उस चुड़ैल की बहुत देर तक आवाज़ नही सुनी तो मैं उसकी सामने वाली चेयर से उठकर उसकी पास वाली चेयर पर बैठ गया और मैने जैसे ही उसके मोबाइल स्क्रीन पर नज़र डाली "यू लूज़" लिखकर आया....

"तुम हंस क्यूँ रहे हो, और मुझसे दूर रहो..."वो अपनी चेयर दूर खिसकाते हुए बोली...

"मैं कहाँ हंस रहा हूँ, ये तो दुख की हँसी है..."मैने भी अपना चेयर उसके करीब खिसकाया....

"एक तो कार बीच रास्ते मे खराब हो गयी ,उपर से ये मेरा दिमाग़ खराब कर रहा है..."वो बड़बड़ाई...
"कहो तो मैं घर छोड़ दूं..."
"और वो कैसे..."
"जादू से...."
"कोई ज़रूरत नही है, क्यूंकी मेरे डॅड ने दूसरी कार भेज दी है...जो कुछ देर मे ही यहाँ पहुच जाएगी...."
Reply
08-18-2019, 01:24 PM,
#28
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
हम सभी अपने ख़यालात खुद बुनते है, अपने अरमान खुद बनाते है ,तो फिर उनके अधूरे रह जाने पर ग़लती भी हमारी ही होती है, अभी का तो पता नही लेकिन उस वक़्त मेरा ऐसा मानना था कि लड़किया फ़िल्मो के पोस्टर्स उतरने से पहले बाय्फ्रेंड बदल लेती है और मैं इसी प्राइसिपल को अप्लाइ करके अपना लव- शव का एक्सपेरिमेंट आक्युरेट आन्सर के साथ लाना चाहता था....मैं उपर दिए गये प्रिन्सिपल से ये सोचने लगा था कि एश भी सभी लड़कियो की तरह बहुत जल्द ही गौतम को छोड़ कर मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी और फिर हम दोनो किसी थियेटर मे बैठकर एक ही पेप्सी मे स्ट्राव पाइप डालकर पेप्सी पिएँगे......

एग्ज़ॅम्स जैसे जाने थे वो वैसे जा रहे थे मतलब की एकदम खराब...मेरी ज़िंदगी का ये सबसे खराब टेस्ट चल रहे थे, मैने न्सुई का फॉर्म खुशी खुशी भर दिया था और कुछ ही दिनो बाद मैं सीडार की तरफ से कॅंडिडेट का एलेक्षन लड़ने वाला था और आज आख़िरी टेस्ट है , मैं आज खुश भी हूँ और थोड़ा बेचैन भी हूँ, खुश इसलिए हूँ क्यूंकी आज के बाद एग्ज़ॅम्स ओवर ! और मैं कल से ,कल से नही बल्कि आज दोपहर के 12 बजे से आज़ाद हो जाउन्गा , बेचैन इसलिए था क्यूंकी गौतम कल से कॉलेज आने वाला था और मेरे पास सिर्फ़ आज का ही वक़्त था एश से वो सब कुछ कहने का जो मैं उसके लिए महसूस करता था...मेरी ज़ुबान से "आइ" के आलवा आयेज कुछ क्यूँ नही निकलता मैं नही जानता लेकिन मैने एश को आइ लव कहने का एक अलग ही तरीका निकाल लिया था, जो किसी भी फ़िल्मो से इन्स्पाइयर्ड नही था....

"हाई, एश..."आज मैने एश को फिर से कॉलेज के बाहर धरा,
वो शायद कल की घटना से मुझसे थोड़ा खफा होगी, क्यूंकी कल कॅंटीन मे जब मैं उसे परेशान कर रहा था तो उसने अपने सामने रक्खी पानी की बोतल पूरी की पूरी मेरे हॅंडसम फेस पर डाल दी थी और फिर मैं गुस्सा होकर वहाँ से चला गया था.....
"वो फिर आ गया..."उसने अपने किसी करीबी दोस्त से कहा....
"चल चलती क्या..."
"गो टू हेल..."
"वो तो मैं जाउन्गा ही, पर अभी मेरा प्लान उस बिल्डिंग की तरफ जाने का है ,जहा कल मैं पानी-पानी हो गया था...."मेरा इशारा कॅंटीन की तरफ था...

एश के जो दोस्त वहाँ खड़े थे उन्हे शायद बस पकड़नी थी ,वो वहाँ से एश को बाइ बाइ बोलकर चले गये और पिछले कुछ दिनो की तरह मैं और एश आज फिर अकेले थे....

"चल चुड़ैल, कॅंटीन से आते है..."

"डॉन'ट कॉल मी........."उसने मुझे गुस्से से धक्का दिया, और कॅंटीन की तरफ चल दी...

"एश कुछ कहना था तुमसे...."

वो कुछ नही बोली और सीधे कॅंटीन की तरफ चल पड़ी, उसी समय मैने अपने जेब से काग़ज़ निकाला और जो लिखा था वो पढ़ने लगा....
"मैं एक शर्त पर यहाँ से अभी चला जाउन्गा..."सामने वाली चेयर पर बैठ कर मैने कहा...
"और वो शर्त क्या है..."
"मैं जो तुमसे बोलूँगा, तुम वही एकदम सेम टू सेम मुझे बोलना..."
"और यदि मैने ऐसा किया तो..."
"तो कॅंटीन की खिड़की से कूदकर मैं चला जाउन्गा, शुरू करे...."काग़ज़ मे जो मैं लिख के लाया था उसे याद करते हुए कुछ देर मे बोला"जे त'आईमे..."
"हाइििन...ये क्या है..."
"फ्रेंच भाषा मे इसका मतलब , आइ'म सॉरी होता है...."
"लेकिन मैं तुम्हे आइ'म सॉरी क्यूँ बोलू, ग़लती तो तुम्हारी है तुम मुझे सॉरी बोलो, उस दिन फॉर्म भरते समय भी तुमने मुझे सॉरी नही बोला और कुछ दिनो से हर दिन तुम मुझे परेशान कर रहे हो, उसका भी सॉरी नही बोला...और उस दिन..."

अपना सर पीट कर मैने एश को बीच मे रोका"यदि तुम चाहती हो कि मैं यहा से जाउ तो वो सब रिपीट करो,जो मैं तुमसे कहूँ...वरना मैं पूरे चार साल तुम्हारी जान खाउन्गा...."
"फाइन, एक बार फिर से बोलो..."मुझसे छुटकारा पाने के लिए उसने मेरी बात मान ली...
" जे त'आईमे..."
"जे टेम.."
"त'आईमे..."
"टेम..."उसने फिर ग़लत कहा, तो मैने काग़ज़ का टुकड़ा उसके हाथ मे थमाया और उसी से देखकर बोलने को कहा...
"जे त'आईमे.."अबकी बार वो सही बोली...
"गुड, अब बोलो टू इबेस्क़..."
"इसका क्या मतलब हुआ..."
"रोमेनियन मे इसका मतलब होता है कि मैं तुमसे कभी बात नही करूँगा...."
"ओक, ते इबेस्क़...."काग़ज़ को देखकर वो बोली"क्या सच मे तुम अब मुझसे कभी बात नही करोगे "

"ज़्यादा खुश मत हो ,अभी तू आगे- आगे देख"अंदर ही अंदर खुश होते हुए मैने कहा"अब बोलो यस लयबलयो टेबया और रशियन मे इसका मतलब होता है कि मैं तुमसे कभी नही मिलूँगा..."
वो फिर खुश होते हुए बोली "एस लयबलयो टेबया..."

"थॅंक यू चुड़ैल "मैने एसा के हाथ से वो काग़ज़ लिया और जैसा कहा था मैं कॅंटीन की खिड़की से कूदकर वहाँ से बाहर गया, अभी-अभी मैं एश को तीन लॅंग्वेज मे "आइ लव यू" बोलके आया था और उसने भी मुझे तीन लॅंग्वेज मे आइ लव बोला था और उसने मुझे आइ लव यू बोला है उसका वीडियो कॅंटीन मे ही बैठे मेरे हॉस्टिल के एक दोस्त ने रेकॉर्ड किया था....मैं जानता था कि उस वीडियो से मैं एश का कुछ नही कर सकता था लेकिन फिर भी जब मैं उस वीडियो मे एश को आइ लव यू बोलते हुए देखता तो दिल को सुकून तो मिलता ही.....इधर मैं एश को आइ लव यू बोल कर खुश हुआ जा रहा था वही एश मुझसे सॉरी सुनकर खुश हुई जा रही थी और मेरी खुशी का रीज़न ये भी था कि अरुण और मुझमे एक बेट लगी थी जो मैं अभी अभी जीत गया था, बेट ये थी कि मैं एश को यदि आइ लव यू बोल दिया तो हफ्ते भर के सिगरेट का पैसा वो देगा, और यदि मैं ना बोल पाया तो मैं और अरुण के कहने पर ही मैने सबूत के तौर पर अपने एक दोस्त को वीडियो रेकॉर्ड करने के लिए कहा था....
"जा बे अरुण 10 पॅकेट सिगरेट लेकर आ..."रूम घुसते ही मैने अरुण से कहा...
"तूने एश को आइ लव बोल दिया "
"एक बार नही, तीन-तीन बार बोला और उसने भी तीन-तीन बार मुझे आइ लव यू बोला..."
"वीडियो दिखा, तब मैं मानूँगा..."
"इधर आ बे..."बाहर खड़े उस लड़के को मैने आवाज़ दी और अपने मोबाइल मे बुकमार्क किया हुआ पेज ओपन किया, जिसमे आइ लव यू हज़ार लॅंग्वेज मे था....
"ये क्या तमिल मे आइ लव यू बोलकर आया है बे, "
मैने मोबाइल अरुण को दिया और बोला फ्रेंच ,रोमेनियन और रशियन मे आइ लव यू को क्या कहते है देख और इस वीडियो मे देख....
"ये धोखा है...मैने तुझसे कहा था कि एश को बोलना है आइ लव यू....मतलब आइ लव यू...."
"पर तूने ये नही कहा था कि किस लॅंग्वेज मे बोलना है...आइ लव यू मतलब आइ लव यू...."

कल रात से मैं उस वीडियो को कयि बार देख चुका था जिसमे मैं एश को और एश मुझे तीन-तीन लॅंग्वेज मे आइ लव यू बोल रहे थे....टेस्ट की टेन्षन ख़तम होने के बाद एलेक्षन की टेन्षन आ गयी थी...सीडार अपने कुछ दोस्तो के साथ दिन मे दस चक्कर हमारे हॉस्टिल के मारता और एक -एक के रूम मे जाकर उन्हे कहता कि वो मुझे वोट दे....अब जब एलेक्षन मे मैं भी शामिल था तो मुझे भी थोड़ी टेन्षन होने लगी थी, चलती क्लास मे भी एलेक्षन और उसका फॉर्म मेरे आँखो के सामने आ जाता, जिसमे मैने ब्लॅक पेन से अपनी डीटेल्स भरी थी,

आज मुझे रिसेस मे कंप्यूटर लब जाना पड़ेगा ये मैं जान गया था ,क्यूंकी आज असाइनमेंट जमा करने की बारी थी और मैं हमेशा की तरह खाली हाथ था, मेरे असाइनमेंट ना करने की वजह शायद दीपिका मॅम खुद भी थी, यदि किसी को स्टडी ना करने पर उसकी हॉट क्लास टीचर किस दे, अपने बूब्स दबाने के लिए बोले,..तो ऐसा मौका तो कोई भी नही छोड़ेगा, फिर मैं क्यूँ छोड़ता. उपर से दीपिका मॅम के हाथ मे क्ग सब्जेक्ट का नंबर था तो उसके हिसाब से मैं जितना वक़्त उनके साथ लॅब मे रहूँगा मेरे नंबर उतने ही बढ़ेंगे......

उस दिन भी वही हुआ, असाइनमेंट ना करने की वजह से दीपिका मॅम ने मुझे क्लास से बाहर भगाया और क्लास ख़त्म होहे के बाद रिसेस मे कंप्यूटर लॅब आने के लिए कहा और अभी मैं रिसेस मे उनके ही लॅब मे बैठा था.....
"तुम मुझे क्या समझते हो...."
"माल..."ऐसा मैं बोलना चाहता था लेकिन मैने नही बोला....
"तुम हर बार असाइनमेंट करके नही आते,क्या मैं क्लास मे टाइम पास करने आती हूँ, यू डॉन'ट नो कि मैं दिन के दो से तीन घंटे घर जाकर तुम लोगो के सब्जेक्ट को पढ़ती हूँ , ताकि नेक्स्ट डे तुम लोगो को अच्छे से समझा सकूँ...."
"दो से तीन घंटे,...."मैं सिर्फ़ इतना बोला,
"हां तो...."शुरू मे वो चिढ़ि लेकिन फिर जैसे मेरी बात का मतलब जानकार एक पल मे मुस्कुराते हुए बोली"क्या ? दो से तीन घंटे...."
"इट ईज़ माइ फक्किंग एफीशियेन्सी..."होंठो पर मुस्कान लाते हुए मैने कहा, और सेम टू सेम रियेक्शन उसके होंठो पर भी हुआ.....वो बोली..
"रियली , दो से तीन घंटे..."
"हां...."मैं कुछ सोचते हुए बोला...
और अब वहाँ वो होने वाला था,जिसके लिए मैं वहाँ था,जिसका इंतेज़ार मैं तब से कर रहा था ,जब से मैं लॅब मे आया था...वो अपनी कुर्सी से उठी और जिस चेयर पर मैं बैठा था वहाँ झुक गयी और मेरी तरफ देखते हुए मेरे लंड पर हाथ फिराने लगी, दीपिका मॅम के ऐसा करते ही मेरे अंदर एक तूफान सा आ गया, मेरा दिल बहुत तेज़ी से वाइब्रट करने लगा....उस वक़्त मुझे बस यही लग रहा था अभी दीपिका मॅम को यही ज़मीन मे लिटा कर इसके मूह ,चूत और गान्ड मे अपना लवडा दे मारू....

दीपिका मॅम ने मेरे पैंट की ज़िप खोली और फिर अंदर हाथ डालकर सहलाने लगी, मेरे अंदर जो तूफान उठा था वो और भी तेज होने लगा, मैं जिस कुर्सी पर बैठा था उसको दोनो हाथो से कसकर पकड़ लिया और अपने होंठो को दांतो तले दबाने लगा, जैसे-जैसे दीपिका मॅम मेरे लंड को सहलाती मैं सिहारता जा रहा था और फिर वो वक़्त आया जब मैं उच्छल पड़ा,

दीपिका मॅम ने जैसे ही मेरे अंडरवेर के अंदर हाथ डाल मेरे लंड को छुआ तो उस वक़्त उच्छल पड़ा...
"आए ईडियट ,"मेरे अंडरवेर के अंदर वापस हाथ डालती हुई दीपिका मॅम ने कहा"चुप चाप बैठे रह..."
"हहिि हहा..."दीपिका मॅम ने जैसे ही मेरे लंड को पकड़ा मुझे गुदगुदी होने लगी और मैं हँसने लगा और दीपिका मॅम का हाथ अपनी अंडरवेर से निकाल कर दूर कर दिया....
"शांति से बैठे रह,वरना 100 असाइनमेंट दे दूँगी..."
"गुदगुदी होती है..."
"तो इन्हे दबा कसकर..."अपने सीने की तरफ इशारा करते हुए उसने कहा और एक बार फिर से अपना हाथ मेरी अंडरवेर के अंदर के डाल दिया,

मैने पहले सलवार के बाहर से ही दीपिका मॅम की छाती को सहलाया और अपने हाथ को उसकी गोरी चिकनी गर्दन पर फिराने लगा...मेरे ऐसा करने पर दीपिका मॅम ने अपने हाथ से मेरे लंड को और भी तेज़ी से सहलाने लगी और सहलाते वक़्त वो बीच बीच मे मेरे लंड को दबा भी देती थी, मेरे हाथ अब उसके पीठ को सहला रहे थे और उसी वक़्त मुझे क्या ख़याल सूझा कि मैने दीपिका मॅम की कुरती उठाई और उनकी नंगी पीठ पर अपने हाथ फिराने लगा, मुझे ऐसा करते देख वो रुकी और मेरी तरफ ,मेरी आँखो मे देखने लगी....और फिर उसने मेरा लंड पैंट के बाहर निकाला और अपने मुट्ठी मे भर कर हिलाने लगी, कभी एक हाथ से तो कभी दूसरे हाथ से....मैने भी दीपिका मॅम की सलवार को उठाते उठाते ब्रा का तक पहुचा दिया और उनकी गोरी चिकनी पीठ और कमर मसल्ने लगा, और एक हल्की सी थपकी उसके पीठ पर लगाई और जब दीपिका मॅम ने कुछ नही बोला तो उसकी पीठ सहलाते हुए एक के बाद एक थपकीया उसे देने लगा....वो भी पूरे जोश मे अपने हाथ बदल-बदल कर मेरे लंड को सहलाते रही....उस वक़्त मेरा मन कर रहा था कि दीपिका मॅम मुझसे लंड चूत की बात करे ,लेकिन जब उसने इसकी शुरुआत नही की तो मैं ही बोला...

"साइज़ कैसा है..."अब मेरे हाथ उसकी पीठ से होते हुए सामने उसकी पेट पर घूमने लगे थे,जो धीरे-धीरे उपर आ रहे थे,
"पर्फेक्ट है.."मेरे लंड को तेज़ी से आगे-पीछे करते हुए वो बोली...
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08-18-2019, 01:24 PM,
#29
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मैने दीपिका मॅम के बूब्स पर अपना हाथ रक्खा, कुरती के कारण आधा ब्रा ही दिख रहा था ,आधा सलवार मे ढका हुआ था,लेकिन जितना भी दिख रहा था वही मेरे लिए कयामत था, मैने दीपिका मॅम का सर पकड़ा और उन्हे उठने के लिए कहा,क्यूंकी अब मेरा मन उसके गुलाबी होंठो को पीने का कर रहा था, मेरी मंशा को जानकार वो तुरंत खड़ी हुई और उस दिन की तरह मेरे उपर चढ़ गयी, तेज़ी से साँस भरती हुई उसकी छातियाँ मुझसे टकरा रही थी ,मैने पहले दीपिका मॅम के होंठो पर हल्का सा किस कयि बार किया और फिर धीरे धीरे उन्हे पूरा जकड लिया....वो भी मुझे कसकर पकड़ी हुई अच्छा रेस्पॉन्स दे रही थी....तभी साला मालूम नही दीपिका मॅम का मोबाइल कैसे बज उठा, उसने एक झटके मे मुझे अलग किया और मोबाइल को देखकर बोली....

"रिसेस ख़तम होने वाला है, तुम्हारे चक्कर मे मैं भी भूल गयी, वो तो अच्छा हुआ की मैने 10 मिनट. पहले का अलार्म सेट कर रक्खा है...."

मैं दीपिका मॅम के पास गया और उनके पीछे से उनकी कमर को कसकर पकड़ कर खुद से सटा लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा,...मेरा लंड इस वक़्त दीपिका मॅम के पिच्छवाड़े से टकरा कर बुरी तरह घायल हुआ जा रहा था,..

"कंट्रोल नही होता ...."उसकी चुचियों को कसकर दबाते हुए मैने कहा...

"अरमान, काबू करो अपने अरमानो पर, तुम्हे जाना होगा..."

"आज नही..."उनके पिच्छवाड़े पर अपना लंड रगड़ते हुए मैने कहा"आज तो चोद के जाउन्गा..."

"कहीं चोदने के चक्कर मे कॉलेज से ना निकाले जाओ..."मेरा हाथ पकड़ कर उसने दूर करने की कोशिश की लेकिन मैने तब और भी ज़ोर से उसकी चुचियों को दबाने लगा,...चुदना तो वो भी चाहती थी लेकिन समय की कमी की वजह से वो मुझे मना कर रही थी, उसकी आवाज़ मे अजीब सी कशमकश थी, वो मुझे जाने के लिए तो कह रही थी,लेकिन उसकी आवाज़ का टोन कुछ और ही था, और इसी बीच उसने अपना पिच्छवाड़ा पीछे की तरफ करके मेरे लंड को दबाया, मेरा तो बुरा हाल था ,मैने दीपिका मॅम को सीधा किया और उसके होंठो को चूसने लगा और तब दीपिका मॅम ने अपने लबों को आज़ाद किया और बोली...
"अरमानणन.....गो..."
और दीपिका मॅम का मोबाइल फिर से बज उठा, तो उसने मुझे दूर करते हुए कहा"होड़ सर आते होंगे..."
मुझे दूर करके उसने अपना उपर टंगा कुर्ता नीचे किया और मुझे आँखे दिखाकर जाने के लिए कहा...

"मैं नही जाउन्गा..."उसके पास आकर उसको वापस पकड़ते हुए मैने कहा,"आज भले ही हम दोनो पकड़े जाए, लेकिन आज मैं आपकी चूत मार कर रहूँगा..."

"अरमान, पागल मत बनो..."खुद को मुझसे छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए वो बोली...

आज मैं कंप्यूटर लॅब मे कुछ और भी सोचकर आया था, साली ने असाइनमेंट दे देकर परेशान कर रक्खा था,....

"एक शर्त पर जाउन्गा..."उसकी सलवार मैने फिर से उपर उठाकर उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला"यदि मेरे सारे असाइनमेंट माफ़ कर दो ...."

"ओके..ओके, नाउ यू गो..."

"थॅंक यू ,मॅम "मैने उस चूत की रानी को छोड़ा और खुद का हुलिया सही करके वहाँ से निकल गया, दीपिका मॅम भी उस दिन सोच रही होगी कि साला ये कल का आया हुआ लौंडा मेरी चूत और गान्ड सहला कर मुझे ही चुना लगा गया.....

*******************
"ये चाकू देख रहा है..."टेबल पर रक्खे एक चाकू की तरफ इशारा करते हुए वरुण बोला"इसको ले कर अपने हाथ की लकीरे काट डालना था , तब शायद वो तुझे मिल जाती...."

वरुण की बात सुनकर मैं बाहर तो मुस्कुराया लेकिन अंदर रोया "किसी शायर ने कहा है...."
"नो...नो..."
"क्या हुआ.."
"तू बहुत घटिया और बोरिंग शायरी मारता है..."
"दारू पिलाई है तो बकवास तो सुनना ही पड़ेगा ,ले सुन..."बाहर से हँसते हुए और अंदर से रोते हुए मैने कहा" मैं अपने हाथो की उन लकीरो को कुरेद कर, काट कर मिटा भी देता जिसमे वो नही थी, उसका अक्श नही था,लेकिन एक कहावत इश्क़-ए-बाज़ार मे काफ़ी मशहूर है कि.....

"हद से ज़्यादा किसी चीज़ से प्यार करने पर...वो चीज़ नही मिलती....
ये सब तो किस्मत का खेल है यारो !!!
क्यूंकी हाथ की लकीरो को मिटाने से....कभी तक़दीर नही बदलती...."

"बोल वाह..."
"स्टोरी आगे बढ़ा, और बता फिर क्या हुआ..."
"फिर...."
.
फिर क्या था, गौतम साला राइट टाइम पर आया , मेरे ख़याल से उसकी ट्रेन को लेट हो जाना चाहिए था या फिर उसे कोई ज़रूरी काम पड़ जाना चाहिए था ,जिसकी वजह से वो कुछ और हफ्ते तक कॉलेज ना आ पाए , लेकिन ऐसा नही हुआ...वो दूसरे दिन ही कॉलेज आया और एश के साथ आया.....एलेक्षन के लिए दोनो तरफ की पार्टियो मे तैयारिया चल रही थी, वरुण का हॉस्पिटल मे होना, उसकी पार्टी के लिए अच्छा साबित हुआ क्यूंकी फाइनल एअर के सभी स्टूडेंट्स सीडार की इस हरकत से उसके अगेन्स्ट हो गये थे और सुनने मे ये भी आया था कि कुछ लोग सीडार को एलेक्षन के बाद मारने का प्लान बना रहे थे....

मैं कॉलेज जाना चाहता था और कॉलेज जाकर फिर से एश से लड़ना चाहता था,लेकिन एलेक्षन की वजह से मैं ,मेरा खास दोस्त अरुण , सीडार और सीडार के कुछ खास दोस्त एक रूम मे पिछले दो घंटे से बंद थे और अपना-अपना दिमाग़ लगा रहे थे कि कैसे , कब ,कौन सी चाल चली जाए...तभी मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ मे एक फाडू आइडिया ने दस्तक दी...
"फाइनल एअर और सेकेंड एअर मे हमारे कितने कॅंडिडेट है..."मैं बोला...
"एक-एक..."
"दो-दो कर दो...."
"पागल है क्या..."सीडार मेरी तरफ देखकर बोला"एक को तो वैसे भी वोट नही मिलने वाला ,दो दो कॅंडिडेट खड़े करके हम अपना वोट क्यूँ कम करे, क्यूंकी वोट काउंट तो किसी एक का ही होगा ना...."

"एक बात बताओ...."मैने अरुण के मूह से सिगरेट छीन ली और सीडार की तरफ देखकर कहा"आप प्रजा-तन्त्र मे विश्वास रखते हो या राज-तन्त्र मे...."

"मैं अंग्रेज़ो के शासन मे यकीन रखता हूँ , अब बोल..."

"तो फिर अंग्रेज़ो का ही नियम और दिमाग़ लगाओ....फूट डालो और शासन करो...."

"अबे तू कहना क्या चाहता है..."सीडार ने मेरे हाथ से सिगरेट ले ली और बोला"एक्सप्लेन कर..."

"सेकेंड एअर और फाइनल एअर मे से ऐसे दो बन्दो को पकडो, जो वरुण की टीम मे हो और उन्हे हमारी तरफ से खड़ा करो..."

"उससे क्या होगा..."

"उससे ये होगा कि उनके वोट बॅट जाएँगे, जैसे कि यदि सेकेंड एअर मे गौतम खड़ा है, तो उसी के किसी दोस्त को हमारी पार्टी से खड़ा करो, इससे गौतम के दोस्त दो ग्रूप मे बात जाएँगे और उनके वोट.........कम"

"ग़ज़ब , अब कहलाया तू अरुण का दोस्त..."मेरे कंधे पर हाथ रखकर अरुण ने शान से कहा, और मैने भी शान से सुना.....
सीडार ने अपना सोर्स लगाया और दो ऐसे बंदे ढूँढ लिए जो सीडार के लिए काम करने को तैयार थे , मैं और अरुण वहाँ से निकले और लंच के बाद वाली क्लास अटेंड करने के लिए कॉलेज पहुचे...
"मॅम, मे आइ..."
"कम इन..."हम दोनो को देखकर दीपिका मॅम बोली,..
"ये तो दंमो रानी की क्लास है, ये दीपिका जानेमन कहाँ से टपक पड़ी..."अंदर आकर मैं अपनी सीट पर बैठा और.....और कुछ नही किया सिर्फ़ बैठा ही रहा ,क्यूंकी दीपिका मॅम टेस्ट की कॉपी दे रही थी...
"अरमान,.."
"यस मॅम.."मैं अपनी जगह पर खड़ा हुआ...
"तुम्हे क्या लगता है, कितने नंबर आ जाएँगे..."
पहले ही मेरे अंदर थरक इतनी भरी हुई थी कि मैने कुछ दूसरा ही नंबर बोल दिया,...
"मेरे ख़याल से 36 होगा..."
"क्या...?"दीपिका मॅम चौक कर बोली, क्यूंकी वो तो समझ गयी थी कि मैं किस नंबर की बात कर रहा था, बाकी पूरी क्लास इस बात को कॉमेडी मानकर हंस रही थी, सबको हंसता देख जैसे मुझे होश आया और मैने एक नज़र दीपिका मॅम पर डाली, वो मुझे आँखे दिखाकर कुछ कहना चाह रही थी....
"ओह सॉरी मॅम..."
"कितना, नंबर आ सकता है ,तुम्हारा...."दीपिका मॅम ने मुझसे फिर पुछा और इस बार उसकी आवाज़ थोड़ी तेज़ भी थी...
"अब मैं क्या बताऊ, मेरी आदत नही है कि एग्ज़ॅम के बाद मैं उस सब्जेक्ट के बारे मे सोचु...आप ही बता दो..."
"18 नंबर. गुड..."
"क्या "अबकी बार मैं चौका क्यूंकी 5 मार्क्स का एक क्वेस्चन तो मैं छोड़ कर ही आया था ,फिर 18 नंबर. कैसे
"कॉपी देखना है..."
"बिल्कुल..."मैं दीपिका मॅम के पास गया और कॉपी लेकर अपनी जगह पर लौटा और मेरा अंदाज़ा सही था उसने मुझे एक्सट्रा मार्क्स दिए थे,
"साले, तूने तो बोला था कि 5 नंबर. का एक क्वेस्चन तूने छोड़ दिया है ,फिर तेरे 18 कैसे आए..."मेरे हाथ से कॉपी लेते हुए अरुण ने कहा....
"गयी भैंस पानी मे, कहीं साला हल्ला ना कर दे क्लास मे..."

लेकिन तभी लंड की प्यासी दीपिका मॅम हमारे पास आई और अरुण के हाथ से मेरी और टेबल पर रक्खी उसकी कॉपी उठाकर बोली"खुद मेहनत करो, दूसरो की कॉपी मे ताक-झाक करना अच्छि बात नही..."

अरुण अपना सा मूह लेकर रह गया और साइलेंट मोड मे दीपिका मॅम को कुछ बोला , यदि मैं सही था तो उसके अनुसार अरुण ने दीपिका मॅम को माँ की गली दी थी , दीपिका मॅम जब तक क्लास मे रही तब तक मेरा सब कुछ वाइब्रट करता रहा, बीच मे वो भी कभी-कभी मुझे देखकर मुस्कुराती और कयि बार ये तक बोल देती कि"अरमान इतना मुस्कुरा क्यूँ रहे हो....."

और जवाब मे मैं फिर से मुस्कुरा देता और साथ मे सारी क्लास हंस देती....वो पल बहुत खुशनुमा था जो मैं आज भी बहुत मिस करता हूँ, उस क्लास की रंगत मुझे भाने लगी थी, उस क्लास मे बैठे लोग मुझे अच्छे लगने लगे थे, उनकी बाते और फिर रिसेस मे दोस्तो के साथ बक्चोदि, सब कुछ मुझे एक नयी ज़िंदगी मे ले जा रहा था और वो मेरी ज़िंदगी का शायद पहला ऐसा मौका था जब मैं दिल से जी रहा था, जब मैं अपने मन की कर रहा था, आस-पास कोई रोकने टोकने वाला नही था,उस वक़्त यदि कोई मुझसे दो ख्वाहिश माँगने के लिए कहता तो मैं उसे यही कहता कि एश से मेरा स्ट्रॉंग बॉन्ड बन जाए और ये कॉलेज लाइफ का वक़्त हमेशा चलता रहे, मेरा खास दोस्त अरुण हमेशा मेरे साथ रहे, लेकिन वक़्त किसी के लिए नही रुकता, मेरे लिए भी नही रुका.....

जिस दिन दीपिका मॅम ने मुझे एक्सट्रा मार्क्स दिए थे, उसके दूसरे दिन भी मैने कॉलेज के स्टार्टिंग पीरियड्स अटेंड नही किए, रीज़न एलेक्षन ही था, जब मैं कॉलेज नही गया तो फिर मेरा खास दोस्त अरुण कैसे कॉलेज जाता, वो भी मेरे साथ इधर-उधर घूमता और मुझे गालियाँ बकता कि मैं ये किस झमेले मे पड़ गया हूँ ओए जब वो ज़्यादा ही भड़क जाता तो एक सिगरेट निकालकर उसके मूह मे ठूंस देता...कल की तरह मैने आज भी रिसेस के बाद कॉलेज जाना का सोचा , लेकिन अरुण कुछ काम बोलकर वहाँ से हॉस्टिल की तरफ निकल गया और मुझे बोला कि वो मुझे कॅंटीन मे मिलेगा, अरुण के जाने के बाद मैने मोबाइल मे टाइम देखा ,अभी लंच ख़तम होने मे 40 मिनट. बाकी थी , इसका मतलब मैं कॅंटीन मे जाकर 40 मिनट. तक एश पर लाइन मार सकता था, मैने अपना मोबाइल निकाला और सीडार को मेस्सेज कर दिया कि मैं कॅंटीन मे हूँ, नज़र मारते रहना......

ज़िंदगी कभी उस हिसाब से नही चलती जैसा हम चाहते है, उसे कोई फरक नही पड़ता कि हम अपनी ज़िंदगी को किस तरह और कैसे जीना चाहते है, लाइफ तो बस यूनिफॉर्म वेलोसिटी से अपने मनचाहे डाइरेक्षन मे आगे बढ़ती रहती है, और ये हमेशा होता है, उसी तरह मैं शायद उस कॉलेज का अकेला अरमान नही था, जिसके अरमान इतने ज़्यादा थे...उस कॉलेज मे और भी काई होंगे जो कुछ सोचकर या फिर अपना एक लक्ष्य बना कर वहाँ आए थे, मैं और गौतम उस कॉलेज मे अकेले नही थी, जिसे एश पसंद थी और भी कयि लड़के थे जो एश को अपनी बाँहो मे देखना चाहते थे, लेकिन वहाँ उस कॅंटीन मे आधे घंटे से एश का इंतेज़ार करने वालो मे से मैं अकेला था, मेरे सिवा वहाँ कोई ऐसा नही था जो आधे घंटे से बैठकर एश का इंतेज़ार कर रहा हो, लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ, एसा आज कॅंटीन नही आई और मैं अपने चेहरे को कभी एक हाथ मे टिकाता तो कभी दूसरे हाथ मे...एक अलग ही उदासी मेरे अंदर भरती जा रही थी, जिसे सिर्फ़ और सिर्फ़ दो लोग निकल सकते थे...एक तो थी एश और दूसरा मुझे सिगरेट कैसे पीना चाहिए ,ये बताने वाला मेरा खास ,एकदम खास दोस्त अरुण.....एश तो नही आई और अरुण को आने मे वहाँ अभी वक़्त था....

"क्यूँ बे उजड़े चमन, ऐसे क्यूँ बैठा है...किसी ने गान्ड मार ली क्या..."

मैं इस आवाज़ को पहचान गया और बिना उसके तरफ देखे ही बोला"बैठ बे अरुण, आज तेरी भाभी नही आई..."
"कौन दीपिका..."
"अबे तेरी तो....मैं एश की बात करिंग..."
"वो तो तेरी सबसे प्यारे दोस्त तेरे जिगरी यार गौतम की सेट्टिंग है..."
"उड़ा ले बेटा मज़ाक..."
"चल छोड़, क्लास चलते है..."
"चल..."उठाते हुए मैने कहा"लेकिन पहले यहाँ का बिल भर..."
"कितना हुआ.."अपना जेब चेक करते हुए अरुण ने पुछा
"2500 पैसे..."
"लवडा, पर्स हॉस्टिल मे ही छूट गया , तू ही दे दे..."
"यदि मैं पर्स लाया होता तो क्या तुझे बोलता, बाकलोल कही के..."कॅंटीन वाले लड़के के पास जाकर मैने बोला कि वो बिल मेरे अकाउंट मे एड कर दे, लेकिन ना तो मेरा वहाँ कोई अकाउंट था और ना ही उसने उधारी करने की बात मानी,...
"अपुन को तो कॅश ही माँगता, यदि रोकडा है तो रोकडा दो..वरना अपना कुछ समान रख के जाओ..."

"अबे उल्लू, मैं तेरे 25 के लिए अपना 10000 का मोबाइल गिरवी रक्खु क्या..."
"वो अपना मॅटर नही है..."
साला कॅंटीन वाला मान नही रहा था और नेक्स्ट क्लास भी स्टार्ट होने वाली थी, तभी सीडार का कॉल आया, सीडार ने ये पुछने के लिए कॉल किया था की वहाँ कोई लफडा तो नही है,और तभी मेरे खुराफाती दिमाग़ मे एक सॉलिड आइडिया आया और मैने कॅंटीन वाले से बोला...
"सीडार के खाते मे डाल..."
"वो तुमको जानता है..."
"ये देख ,उसी की कॉल आई थी अभी..."मोबाइल मे कॉल हिस्टरी दिखाते हुए मैने कहा और वो मान गया....
.**********************
"ओये अरमान, सुन..."चलती क्लास के बीच मे नवीन ,जो कि आज आगे वाली बेंच मे बैठा था वो मुझे बोला"वरुण आज कॉलेज आया है, साले के सर मे पट्टी बँधी है..."
"आज भी, रोला झाड़ रहा था क्या ..."
"ना, आज तो साला भीगी बिल्ली की तरह बस मे बैठा था, उसके दोस्त भी उसके साथ थे...लेकिन कोई कुछ नही बोल रहा था..."
"और उसकी आइटम विभा ,आई है क्या..."
"आई तो है,लेकिन वो आज वरुण से दूर बैठी थी...लगता है दोनो का ब्रेक-अप हो गया..."
मैं और नवीन धीरे धीरे बात कर रहे थे कि तभी अरुण शेर की तरह दहाड़ मारकर बोला"अब उसे मैं सेट करूँगा...:"

"कौन है बदतमीज़..." होड़ सर ने जहाँ हम बैठे थे, उस तरफ देखकर कहा"जिसने भी ये हरकत की है ,वो सीधे से निकल जाए,वरना पूरी क्लास का सेक्षनल ज़ीरो कर दूँगा..."

आवाज़ अरुण ने किया था ,इसलिए होड़ सर हमारी बेंच और उसी के आस-पास देखकर बोल रहे थे, और जैसे ही उन्होने अरुण की तरफ देखा तो मेरा गान्डु दोस्त अरुण होशियारी मारते हुए बोला..
"सर , मुझे नही मालूम कि आवाज़ किसने निकाली, शायद पीछे से कोई बोला..."

"चल खड़े हो और बाहर निकल..."

"लेकिन सर, मैने कुछ नही किया "

"कुछ देर पहले जो आवाज़ हुई थी, उससे तेरी आवाज़ मॅच हो गयी है...चल बाहर जा..."

"सॉरी सर"

"बाहर जा..."

अरुण बाहर गया और होड़ सर फिर से बोर्ड पर ड्रॉयिंग बनाने लगे,

"तुझे कैसे मालूम कि, विभा और वरुण का ब्रेक-अप हो गया..."होड़ सर के सामने मुड़ते ही मैने एकदम धीमी आवाज़ मे नवीन से बोला"तू तो बाइक से आता है ना..."

"आज बस से आया, तभी देखा...वरुण ,विभा से बात करने की कोशिश मे लगा हुआ था लेकिन विभा हर बार यहिच डाइलॉग मारती कि...लीव मी अलोन..."
"और फिर..."
"और फिर क्या होना था, अपना थोबड़ा लेकर वरुण चुप चाप सिटी बस मे पीछे की तरफ बैठ गया और उसके बाद मैने एक मस्त चीज़ नोटीस की..."शरमाते हुए नवीन ने कहा"विभा मुझे लाइन दे रही थी"

"हे, तुम भी खड़े हो...."होड़ सर ने अबकी बार नवीन को खड़ा किया"यहाँ तुम गुपशप अड्डा खोल के बैठे हो..."
"नही सर...वो"
"क्या नही सर..."होड़ सर की लाल होती आँखो से ज्वालामुखी बस फटने ही वाला था...
"सर मैं, पेन माँग रहा था..."
"अच्छा..."होड़ सर ने बुक टेबल पर रक्खी और जहाँ हम बैठे थे वहाँ आकर नवीन के हाथ मे से पेन लिया और चला के देखा....
"तुम्हारा पेन तो ठीक चल रहा है, फिर क्या दोनो हाथ से लिखने के लिए पेन माँग रहे थे"

नवीन अपना सर नीचे करके एकदम चुप होकर ऐसे बैठा ,जैसे उसने कुछ किया ही ना हो,...
"बाहर जाओ..."

नवीन जब बाहर जाने लगा तो होड़ सर ने उसे रोका और पुछा कि वो पेन किससे माँग रहा था....
"सर, अरमान से..."

"कौन है ,अरमान..."

"सर मैं..."अपना हाथ उठाते हुए मैने कहा...

होड़ सर मेरे पास आए और बोले कि मैं उन्हे अपना पेन दिखाऊ, लेकिन सला मेरे पास तो एक भी पेन नही था , मैं तो इतनी देर से सिर्फ़ कॉपी खोल कर बैठा था

"वाह , पेन भी उस बंदे से माँग रहे थे,जिसके पास पेन ही ना हो"और फिर मुझे देखकर होड़ सर ने बड़ा सा "गेट ओउुुउउट" बोला....
.
"चल बाथरूम मे मूठ मार के आते है..."जब हम तीनो क्लास से बाहर निकल आए तब नवीन ने कहा....

"मैं नही मारूँगा आज सुबह ही राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर हवेली पढ़कर हिलाया है..."अरुण बोला....

"तुम दोनो यहीं खड़े रहो ,मैं अभी आया, कुछ एलेक्षन रिलेटेड काम आ गया है..."

"मैं भी चलता हूँ..."

लेकिन मैं नही माना, और अरुण को नवीन के साथ रुकने के लिए बोलकर वहाँ से निकल गया और मेरी गाड़ी जाकर सीधे कंप्यूटर लॅब मे रुकी, जहाँ दीपिका मॅम अपनी टांगे चौड़ी किए हुए पीसी पर शायद बीएफ देख रही थी...........
Reply
08-18-2019, 01:24 PM,
#30
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
रिसेस मे दीपिका मॅम के पास जाने की बात कुछ और थी और अभी की बात कुछ और....क्या पता अंदर क्या हो रहा हो, कौन-कौन अंदर हो और किस पोज़िशन मे उपर से मैं ठहरा सरीफ़ लड़का....कंप्यूटर लॅब का गेट खुला था तो इसके हिसाब से अंदर का टेंपरेचर नॉर्मल होना चाहिए, मैने पहले अंदर झाँका और मेरा अंदाज़ा सही था, अंदर का टेंपरेचर बिल्कुल नॉर्मल था....दीपिका मॅम पीसी पर बैठी माउस को इधर उधर कर रही थी, और उसी समय जैसे उसे अहसास हो गया कि गेट पर कोई है और उसने अपनी नज़रें घुमा कर मुझे देखा.....

"एक बार ये लंड चूस ले तो मज़ा ही आ जाए....आअहह"दीपिका मॅम के सेक्सी होंठो को देखकर मेरे अरमान उछल पड़े, जिसे शांत करते हुए मैने दीपिका मॅम से अंदर आने की पर्मिशन माँगी....

"अरमान, तुम...इस वक़्त,अभी तो होड़ सर की क्लास है ना..."

"भगा दिया उन्होने..."अंदर आते हुए मैने कहा

"फिर क्या कर दिया...."मुझे सामने वाली चेयर पर बैठने का इशारा करते हुए उसने पुछा....

"इस बार कुछ नही किया, इसीलिए भगा दिया...."

"अच्छा ये बताओ..."माउस पर से हाथ हटाकर उसने एक हाथ को अपने सर पर टिकाया और उंगलिया होंठो पर फिराते हुए बोली"तुम्हारा 12थ मे कितना मार्क्स था..."

यही एक ऐसा सवाल था, जिसका आन्सर देने के लिए मैं हमेशा तैयार रहता था, लेकिन उस वक़्त मुझे ये नही मालूम था कि यही सवाल मेरी ज़िंदगी का आख़िरी सवाल बन जाएगा, जिसका आन्सर मैं बाद मे देना चाहूँगा....

"93.60 % " मैने जवाब दिया....

"क्या..."अपने सर को दूसरे हाथ से टिकते हुए वो बोली"सच बोलो..."
"इंटरनेट चल रहा है क्या..."
"यस,..."
"216328075 इस मी रोल नंबर. , रिज़ल्ट चेक कर लो...."

"ओके ,लीव...."तिरछि नज़र से उसने कही और देखते हुए कहा,"तुम क्या सोचकर आए थे..."

"मैं यहाँ कंप्यूटर पर स्नेक गेम खेलने आया था..."

"वो गेम तुम अभी नही खेल सकते..."उसने एक बार फिर अपना हाथ बदला और बोली"अंदर कॅबिन मे एक सर बैठे हुए है..."
"धत्त तेरी की...."मैं बड़बड़ाया

"अब जाओ,वरना....."मेरी तरफ अपना चेहरा करके वो बोली...

"वरना..."मैने भी अपना फेस उसकी तरफ किया...

"वरना, तुम मुझे कभी छु भी नही पाओगे और असाइनमेंट फिर से दे दूँगी..."

दीपिका मॅम की बात सुनकर मैं इस कदर हड़बड़ाया की चेर से बस नीचे गिरने वाला था ,वो हंस पड़ी और मुझे एक बार फिर वहाँ से जाने के लिए कहा....मैने एक बार उसके गुलाबी होंठ और चुचियों को देखका और वहाँ से मायूस कदमो से बाहर निकला और अभी बाहर ही निकला था कि सामने से विभा आती हुई दिखाई दी,...मुझे वहाँ सीजी लॅब के बाहर देखकर उसके कदम रुक गये...

"सुनने मे आया है कि तुमने अपना बॉय फ्रेंड चेंज कर दिया..."
"बॉय फ्रेंड चेंज नही किया, सिर्फ़ पुराने को छोड़ा है...अभी मैं बिल्कुल अकेली हूँ..."
"मुझे बना लो, अपना बाय्फ्रेंड..."
"व्हाई, तुममे ऐसी क्या खास बात है..."
तब तक हम दोनो वहाँ बीच रास्ते से हटकर थोड़ा किनारे आ गये, क्लासस चल रही थी इसलिए कोई उधर आए ये मुश्किल ही था.....
"व्हाई का क्या मतलब, मुझसे काबिल बाय्फ्रेंड पूरे कॉलेज मे नही मिलेगा...."
"रियली..."
"101 % ,सच है...."
वो अब शांत हो गयी और अपना मूह बंद करके मुझे देखती रही, वैसे लड़की कभी चुप हो जाए ,ये नही होता लेकिन उस वक़्त ऐसा ही कुछ हो रहा था ,वो एकदम से चुप होकर जैसे मुझे चेक कर रही थी मैं उसका बाय्फ्रेंड बनने लायक हूँ या नही....
"तुम्हारी एज कम है....सॉरी "

"इसने तो सच मे सोचना शुरू कर दिया" अंदर ही अंदर खुद को हॅंडसम मानते हुए मैं बोला"मैं मज़ाक कर रहा था, अब चलता हूँ, मेरे दोस्त इंतेज़ार कर रहे होंगे मेरा...."

वो भला क्यूँ रोकती मुझे, उसने अपना सर हिलाकर मुझे जाने के लिए कहा और मैं वहाँ से निकला ही था कि मेरा मोबाइल वाइब्रट होने लगा.....कॉल अननोन नंबर से थी

"अबे अरमान, जल्दी आ जल्दी...चौक के पास सीडार को सिटी वालो ने घेर लिया है...जल्दी आ...और जितने लड़के मिले ,उनसबको बुला लेना...."एक चीखती हुई आवाज़ मेरे कानो को फाड़ गयी....

मैं कुछ देर तक सन्न खड़ा रहा, मैं वाहा खड़े रहकर यही सोचता रहा कि ये सच था या कोई मेरे साथ मज़ाक कर रहा है, क्या सच मे सीडार को वरुण और उसके दोस्तो ने घेर लिया है या फिर वो लोग मुझे घेरने के प्लान मे है, जो भी हो मुझे एक बार कॉलेज के मेन गेट के पास वाले चौक के पास तो जाना ही था, मैने दौड़ते हुए सीढ़िया चढ़ि और नवीन से उसकी बाइक की चाबी लेकर अरुण के साथ कॉलेज से बाहर निकला....


क्या होगा यदि उनलोगो ने सीडार का वही हाल कर दिया जो हमने वरुण और उसके दोस्तो का किया था, क्या इज़्ज़त रह जाएगी हमारी कॉलेज मे, और उपर से कुछ दिनो बाद एलेक्षन भी होने वाला है....उस वक़्त बाइक चलाते हुए मेरे मन मे यही सब घूम रहा था, अरुण ने कयि बार मुझसे पूछा भी कि क्या हुआ है, मैं क्यूँ इतना हड़बड़ा रहा हूँ और मैं उसे कहाँ ले जा रहा हूँ....लेकिन मैने उसके एक भी सवाल का जवाब नही दिया और सीधे चौक पर जा पहुचा...हमारा कॉलेज आउटर एरिया मे था ,इसलिए उधर भीड़-भाड़ कम ही रहता था लेकिन इस वक़्त वहाँ बहुत से लड़के जमा हुए थे , और यदि मैं सही था तो वहाँ खड़े लड़को मे से अधिकतर लड़के सिटी वाले थे...हॉस्टिल वालो को पहुचने मे अभी टाइम था.....

मैने नवीन की बाइक चौक से कुछ दूरी पर ही रोक दी, जिसका कारण थी एश...वो बीसी गौतम की कार उसी वक़्त वहाँ जाने कहाँ से पहुच गयी, जिसमे शायद एश भी होगी मैने अंदाज़ा लगाया......

"लौट जा अरमान, एश के सामने लड़ाई ,झगड़ा करने का मतलब है ,उससे दूरी....गौतम से तो उसका बचपन का प्यार है,इसलिए वो उससे जुड़ी हुई है...लेकिन यदि उसने आज तुझे गुंडागर्दी करते हुए देख लिया तो वो कभी तुझसे बात तक नही करेगी...."

"अबे बाइक आगे बढ़ा, वहाँ कुछ पंगा हो रहा है..."अरुण ने मुझे मेरे ख़यालात से निकालते हुए कहा...

"सीडार को सिटी वालो ने घेर लिया है और हॉस्टिल के लड़के आ रहे है...लेकिन तब तक सीडार मार खा जाएगा..."

"तो तू देख क्या रहा है, बाइक स्टार्ट कर और चढ़ा दे, सालो पर...माँ कसम यदि दूसरो के हक़ के लिए लड़ने वाले सीडार को कुछ हुआ तो, लानत है हमपर..."

उस वक़्त मुझे उसकी बात मान लेनी चाहिए थी, मुझे बाइक को फुल स्पीड करके आगे बढ़ाना चाहिए था, लेकिन जैसे मेरे हाथ जम गये थे , जिसकी सिर्फ़ एक वजह थी , वो वजह कार मे बैठी हुई एश थी...

"अबे बीसी ,बाइक आगे बढ़ा..."अरुण ने चिल्लाकर कहा...
"यार,वो एश कार मे बैठी है..."
"तो क्या..."मेरे खास दोस्त ने मुझे अजीब तरह से देखा, जैसे उसे यकीन ही ना हो रहा हो कि ये मैं कह रहा हूँ....
"तू जाएगा या नही..."
"हम बहुत कम लोग है यार, पिट जाएँगे..."
"चल ठीक है..."बाइक से उतार कर अरुण बोला"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ, आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा,या तो तेरा या मेरा...."आगे बढ़ते हुए अरुण ने कहा.....

सीडार वहाँ लड़को के बीच घिरा हुआ बहस कर रहा था और इधर मेरा सबसे खास दोस्त जा रहा था, वही मेरे ख्वाबो मे आने वाली एक परी ,अपने शहज़ादे के साथ कार मे बैठी थी, और मैं वहाँ चौक से कुछ दूरी पर उलझन मे फँसा हुआ नवीन की बाइक पर बैठा हुआ था....

जब हमारे सामने दो रास्ते हो तो हमे किसी एक को चुनने मे ग़लती हो जाती है वहाँ तो मेरे पास तीन रास्ते थे....पहला ये था कि मैं बाइक से उतर का सीडार का साथ देने घुस जाऊ, और मार खाऊ...लेकिन ये फ्यूचर इंजिनियर होने के नाते मुझे शोभा नही देता.....दूसरा रास्ता ये था कि चौक की तरफ बढ़ रहे मैं अपने खास दोस्त का किडनॅप कर लूँ और उसे अपने साथ लेजा कर पिटने से बचा लूँ, लेकिन यदि मैं ऐसा करता तो मैं शायद अरुण को खो देता...जो मैं नही चाहता था.... तीसरा रास्ता ये था कि मैं चुप चाप अपनी बाइक मोड़ लूँ और वापस जाकर नेक्स्ट क्लास अटेंड कर लूँ...लेकिन ये इंजिनियरिंग कॉलेज मे पढ़ने वाले लड़के की पहचान नही थी और ना ही मेरी.....लेकिन मैने वैसा ही किया मैने तीसरा ही रास्ता चुना,क्यूंकी यही मुझे सही लगा...मैं उस वक़्त सबकुछ भूलकर, सामने चौक पर फँसे सीडार को अनदेखा करके अपनी बाइक कॉलेज के तरफ घुमाई.....

"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ कि आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा,या तो तेरा या मेरा...."मेरे कानो मे ये आवाज़ गूँज़ रही थी , ये आवाज़ सिर्फ़ गूँज़ ही नही रही थी ये आवाज़ मेरा कान भी फाड़ रही थी,...दुनिया मे काई रास्ते होते है ,जो किसी ना किसी मंज़िल तक पहुचते है ,वो तो हमपर डिपेंड करता है की हम किस रास्ते पर चलते है....किसी की आवाज़ का कानो मे गूंजना ये सब मैने सिर्फ़ फ़िल्मो मे देखा था लेकिन उस दिन मैने खुद महसूस किया और जब वो आवाज़ बंद नही हुई तो मैने बाइक वापस अरुण की तरफ घुमाई......
"लिफ्ट चाहिए सर..."
"तू...तू तो चला गया था..."
"चल आजा , ऐक्शन करते है..."
"तू करने क्या वाला है..."बाइक पर सवार होते हुए उसने कहा...
"वो सब छोड़ और ये बता सीडार का वजन कितना होगा...."

"लवडा मैं यहाँ किलो बात लेकर नही बैठा हूँ..."शुरू मे उसने ऐसा कहा,लेकिन जब मैं पीछे मुड़ा तो जैसे समझ गया कि मैं क्या कहना चाहता हूँ....मैने बाइक स्टार्ट की और बाइक सीधे चौक की तरफ दौड़ा दी,...अब मैं समझ गया था कि मुझे क्या करना है...मुझे तीनो मंज़िले पानी थी, सीडार को बचाना भी था, अरुण को अपने साथ भी रखना था और एश.........और नॉर्मल इंसान एक वक़्त पर केवल एक ही रास्ते पर चल सकता है,इसलिए उस वक़्त मैने उन तीनो मंज़िलो की तरफ जाने वाले तीनो रास्तों को मिलाकर एक कर दिया चौक के पास पहुचते ही मैने एकदम ज़ोर से हॉर्न मारा जिससे कुछ लड़के दूर हुए ,सालो ने मुझे बाद मे पहचाना लेकिन तब तक मैने और अरुण ने सीडार को एक झटके से उठाया और तेज़ी से आगे निकल गये......

"गॉगल्स होता तो और भी रोल जमता बे अरुण..."बाइक के शीशे मे खुद को निहारते हुए मैने कहा,

इस वक़्त हम तीनो ठीक उसी ग्राउंड पर थे जहाँ कुछ दिनो पहले हम हॉस्टिल वालो ने मार धाड़ की थी....
"अबे ,मुझे छोड़ेगा ,या ऐसे ही टांगे रहेगा..."

"सॉरी सर..."सीडार से अपनी पकड़ ढीली करते हुए अरुण ने कहा....

सीडार उस वक़्त बहुत तमतमाया हुआ था और अरुण ने जैसे ही सीडार को छोड़ा,वो नीचे उतर कर किसी को कॉल करने लगा...

"ग्राउंड पर लेकर आ सब लड़को को, आज फिर मारूँगा उस बीसी वरुण को, उसी के कहने पर सिटी वालो ने मुझे घेरा था..."

"एमटीएल भाई..."मैं एकदम हीरो स्टाइल मे बाइक से उतरा और सीडार से बोला"एलेक्षन हो जाने दो...फिर मिलकर गॅंग-बॅंग पार्ट 2 शुरू करेंगे...."

"तू रुक...देख अभी उस साले को धोता हूँ..."सीडार ने फिर एक नंबर पर कॉल किया ,

"अबे ,अरुण समझा ना..."

"घंटा समझाऊ मैं....इसको खुद सोचना चाहिए..."

अरुण चुप रहने वाला था ,इसलिए एमटीएल भाई को शांत करने की सारी ज़िम्मेदारी अब मेरी थी, सीडार हमसे थोड़ी दूर जाकर किसी से बात कर रहा था ,तभी मैने अरुण को दबी आवाज़ मे कहा कि ,वो मुझे उस समय कॉल करे जब मैं सीडार से बात करते रहूं....

"डन..."
मैं सीडार के पास गया और धीरे से आवाज़ दी, धीरे से इसलिए क्यूंकी मुझे डर था की गुस्से मे कही सीडार मुझे ही ना पेल दे....

"सीडार भाई..."

"क्या है..."चिल्लाते हुए सीडार ने कहा..."सालो ने मुझे धक्का दिया, तू देख सबको मारूँगा, आज ही मारूँगा..."

और उसी टाइम अरुण ने मेरे नंबर पर कॉल किया, और मैने सीडार के सामने कॉल रिसीव की....

"हां, क्या बोल रहा है...सब भाग गये..."मैने मोबाइल जेब मे रक्खा और इस उम्मीद मे कि सीडार ने मेरी बात सुनी होगी मैं उससे बोला"सीडार भाई वो लोग भाग गये, अभी मेरे दोस्त का कॉल आया था...."

"कहाँ भाग गये बीसी"

"मालूम नही..."

"चल मुझे हॉस्टिल तक छोड़ दे..."सीडार ने अपना लाल होता चेहरा शांत किया और मोबाइल जेब मे रक्खा....

"ठीक है, बाइ..."सीनियर हॉस्टिल के पास सीडार को ड्रॉप करते हुए मैने कहा.... बाइक से उतार कर सीडार हॉस्टिल की तरफ जाने लगा लेकिन कुछ डोर जाकर वो पलटा और मुझे आवाज़ दी...
"ओये अरमान,...थॅंक्स"

उसके बाद मैने बिके कॉलेज की तरफ घुमा दी, कॉलेज तब तक ख़तम हो चुका था और नवीन बाइक स्टॅंड पर खड़ा हमारा इंतेज़ार कर रहा था.....

"आज के बाद माँगना बाइक, घंटा दूँगा..."जैसा कि हमे उम्मीद थी, नवीन का रिक्षन वैसा ही था....

"रो मत बे, जा भर ले अपने पिच्छवाड़े मे अपनी बाइक...मैं बहुत जल्द फरारी लेकर आउन्गा..." बाइक से उतर कर अरुण बोला...

"ये बात और किसी से मत कहना वरना, बेज़्ज़ती हो जाएगी..."मुझे जबर्जस्ति बाइक से उतार कर नवीन ने कहा"बेटा पहले एक बाइक ले लो, फिर फरारी के सपने देखना...."

"ये बात...."मैने बनावटी गुस्से से नवीन के बाइक पर दोनो हाथ रक्खा और उसे घूरते हुए कहा"कल तू 10 बाइक ऐसी देखेगा...जो मेरी होगी..."

"और 20 बाइक ऐसी देखेगा ,जो मेरी होगी...अब निकल यहाँ से..."अरुण जोशियाते हुए बोला....

"कल मिलना बेटा फिर, देखता हूँ"नवीन ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहाँ से फुर्र हो गया....
"अरमान ,अच्छा ये बता...हम दोनो 30 बाइक लाएँगे कहाँ से..."हॉस्टिल की तरफ जाते हुए अरुण ने पुछा...
"5-5 वाली लाके खड़ी कर देंगे..."
"मी टू "
सीडार उस समय ग्राउंड मे भले ही गुस्सा होकर कुछ भी बोले जा रहा था,लेकिन जब उसका दिमाग़ ठंडा हुआ तो उसे ये बात समझ आ गयी कि एलेक्षन के पहले पंगा करना एक तरह से चूतियापा होगा, इसलिए उसने वरुण और उसके चम्चो को दोबारा से मारने का प्लान पोस्ट्पोंड कर दिया...मैं रात के 9 बजे तक सीनियर हॉस्टिल मे रहा और खाना भी वही खाया , फिर 9 बजे उनके हॉस्टिल से निकल कर बाहर आया....हरियाली तो वैसे भी थी उसपर चलती हवा पूरे महॉल को ठंडा और खुशनुमा बना रही थी, सीनियर हॉस्टिल से बाहर आकर मैने जेब से सिगरेट निकाली , साली तेज हवा मे बहुत मुश्किल से सिगरेट जली और जब सिगरेट जल गयी तो मैं धुआ उड़ाता हुआ उधर ही टहलने लगा, उस वक़्त उन हवाओं से दिल और मन को अच्छा ख़ासा सुकून मिल रहा था, और फिर मैं अपने पास्ट और फ्यूचर के बारे मे सोचने लगा, मैं खुद भी ताज़्ज़ूब था कि मैं इतना बदल कैसे गया, इतनी जल्दी तो केमिस्ट्री लॅब के केमिकल अपने रंग नही बदलते, जहाँ मैं स्कूल मे सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई करता था वही आज मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई को छोड़ कर सब कुछ करता था, एग्ज़ॅम्स की चिंता भी सताने लगी,लेकिन फिर ये सोचकर कि अभी बहुत दिन है मैने एक और सिगरेट जलाई और टॉपिक चेंज किया....स्कूल के दोस्तो की बहुत याद आती थी ,लेकिन मैं समझ गया था कि राह मे चलने वाले मुसाफिरो को एक ना एक दिन तो बिछड़ना ही होता है, अरुण भी एक दिन ऐसे ही चला जाएगा, सीडार तो बस कुछ महीनो के लिए ही कॉलेज मे है और फिर टॉपिक आकर दीपिका मॅम पर जा अटका, तब तक मैं सड़क पर टहलते-टहलते काफ़ी दूर निकल आया था....
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