Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:48 PM,
#11
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
 उसकी बात सुनते ही मनोज अंदर ही अंदर गुस्सा करने लगा उसे मालूम था कि यह मानने वाला नहीं है,,,, और उससे इस तरह से मना भी नहीं कर सकता था क्योंकि उसकी बहन के साथ उसका चक्कर चल रहा था और के साथ चक्कर चलाने में गुल्लू ने ही उसकी मदद किया था,,, यह बात बड़ी अजीब थी कि एक भाई ने खुद अपनी बहन के साथ दूसरे का चक्कर चलवाया था लेकिन इसके पीछे भी गुल्लू का ही फायदा था। मनोज ने उसे यह लालच देकर उसकी बहन के साथ उसका चक्कर चलाने के लिए बोला था,,,,और ऊसे ईस बात का लालच दिया था कि अगर वह अपनी बहन के साथ उसका चक्कर चलवा देगा तो वह उसे रंडी चोदने ले चलेगा,,
और इस लालच में आकर गुल्लू ने अपनी बहन का चक्कर मनोज के साथ शुरू करवा दिया,, मनोज ने भी अपना वादा निभाते हुए गुल्लू को मस्ती कराने लगा। मनोज कि नहीं उसकी बहन को कई बार चोद भी चुका है और अभी भी चोदता रहता है यह बात कुल्लू को अच्छी तरह से मालूम भी है लेकिन वह बिल्कुल भी एतराज नहीं करता बल्कि कभी कभार तो वह मनोज को पैसे भी दे कर उसकी मदद करता रहता है इसलिए मनोज उसी तरह से इनकार भी नहीं कर सकता था। तभी उसके मन में ख्याल आया कि उसे पैसे की जरूरत भी है अगर वह अपने साथी से झाड़ियों में ले जाकर कि थोड़ा-बहुत नजारा दिखा देगा तो वह जरूर उसे मांगने पर पैसे भीे देगा,,,,, इसलिए वह उससे बोला,,,,

नजारा देखेगा,,,,,

हां यार मैं तो कब से तड़प रहा हूं नजारा देखने के लिए,,,,,


तुझे जैसा मैं कहूं वैसा ही करना मैं तुझे नजारा दिखाऊंगा लेकिन तू वहां पर जरा भी आवाज मत करना बस शांति से देखते रहना नजारा देखकर तु एक दम मस्त हो जाएगा,,,

ठीक है जैसा तू कहता है वैसा ही मैं करूंगा,, बस तु मुझे नजारा दिखा बहुत दिन हो गए नजारा देखें,,,,,
( गुल्लू उत्साहित होकर अपने हाथों को मलता हुआ बोला।)

लेकिन मैं तुझे एक ही शर्त पर तुझे अपने साथ ले जाऊंगा और नजारा दिखाऊंगा मुझे पैसे की सख्त जरुरत है।


यार तू फिक्र मत कर मैं हूं ना बोल तुझको कितना चाहिए। 
( गुल्लू खुश होता हुआ बोला।)

ज्यादा नहीं बस ₹500 चाहिए।


तुझे जब भी पैसे की जरुरत पड़े तो मुझे बोल दिया कर
( इतना कहने के साथ ही अपनी जेब में से 500 का नोट निकालकर उसे थमा दिया,,,, कुल्लू के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी उसके पिताजी बाहर शहर में काम करते थे और उनका काम अच्छा चलता था इसलिए तो मनोज भी उसे अपना दोस्त बनाया था कि जरूरत पड़ने पर उससे से पैसे ले सके और बदले में थोड़ी सी मस्ती करा दे,,,, 500 के नोट को मनोज अपनी जेब में रखकर उसे झाड़ियों की तरफ ले जाने लगा और एक अच्छी जगह एकदम घनी झाड़ियों देखकर उसके पीछे छिप गया ताकि उसे कोई देख. ना सके,,,,, जीस जगह पर मनोज गुल्लू को ले कर छुपा था वह ऐसी जगह थी कि कोई भी उस जगह पर कोई छिपा है इसका आभास तक नहीं कर सकता था। 

दूसरी तरफ बेला पूनम के साथ जानबूझकर इधर उधर घूमती रही दोनों इधर उधर की बातें करते रहे लेकिन तभी बेला पूनम से बोली। 

पूनम चलना मेरे साथ झाड़ियों में मुझे जोरो की पिशाब लगी है।

अरे पेशाब करने के लिए झाड़ियों में क्यों जहां जाते हैं वहीं चलते हैं ना।

पूनम झाड़ियों में चलेंगे तो फ़ायदा रहेगा वहां पर बैर बड़े-बड़े और पक चुके हैं उसे भी तोड़ते हैं आएंगे,,,,( बेला को मालूम था कि पूनम को बेर बहुत पसंद है इसलिए वह इंकार नहीं कर पाएंगी और ऐसा हुआ भी,,,, बेला की बात सुनकर उसके चेहरे पर खुशी साफ झलकने लगी और वह तैयार हो गई।
बेला एक बहाने से उसे झाड़ियों में ले जा रही थी। उसे तो इस बात की खुशी थी कि पूनम बड़े आसानी से उसकी बात मान गई थी वह अपना काम कर दे रही थी बाकी मनोज को जो करना है वो वह करेगा यह सोच कर,,, वह पुनम के साथ झाड़ियों में जाने लगी,,, इस जगह पर कोई नहीं आता था इसलिए जगह बिल्कुल सुरक्षित थी,,,, कभी कबार पूनम ही अपनी सहेलियों के साथ उस जगह पर पेड़ तोड़ने आ जाया करती थी और साथ में झाड़ियों के बीच पेशाब भी कर लेती थी इसलिए उसे बेला की बात में कुछ भी अटपटा नहीं लगा। 
धीरे-धीरे दोनों झाड़ियों के बीच पहुंच गई पहले तो वह लोग वहां पर पके बैऱ को तोड़ने लगी,,,, दोनों मिलकर बेर के पेड़ से नीचे लटक रहे देर को जहां तक तुम दोनों का हाथ पहुंच पाता था कांटो से बचते हुए पके हुए बैऱ को तोड़ कर इकट्ठा करने लगी। साथ ही बेला इधर-उधर नजरें घुमा कर मनोज की हाजिरी का अंदाजा भी लगा ले रही थी लेकिन झाड़ियां इतनी घनी थी कि कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था एक पल तो उसे लगा की कहीं मनोज इधर आया ही नहीं है। लेकिन मनोज अपने दोस्त गुल्लू के साथ झाड़ी के पीछे छुप कर यह सब देख रहा था। उन दोनों को वहां देख कर मनोज बेहद खुश हुआ गुल्लू तो उन दोनों को देखकर एकदम खुश हो गया खास करके पूनम को देख कर उसे देखते ही वह बोला।

मनोज भाई यह तो पुनम हें जिसके पीछे तुम दिन रात लगे हुए हो। ( कुल्लू को इस तरह से बोलता देख ना छत पर उसके मुंह पर हाथ रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया,,,, गुल्लू मनोज के ईशारे को समझ गया, वहं समझ गया कि जरा सी भी आवाज नहीं करना है इसलिए वह शांत हो गया,,,,,

मनोज को तो ईसी पल का इंतजार था वह झाड़ियों के पीछे छुप कर पूनम की हर हरकत को देख रहा था खास करके उसके अंगों को जो कि बेर तोड़ने में इधर उधर होता हुआ अजीब सा कामुक नजर आ रहा था। गुल्लू तो दोनों लड़कियों को देखकर एकदम मस्त होने लगा उसे लगा था कि शायद मनोज ने इन दोनों लड़कियों को चोदने के जुगाड़ से इधर बुलाया है,,,,, लेकिन जब उसने गुल्लू के कान में धीरे से उसे चुप रहने को बोला तो वह शांत होकर सिर्फ उन दोनों लड़कियों पर नजर रखने लगा। वैसे भी मनोज के मन में पूनम के साथ कुछ जबरदस्ती या ऐसा वैसा करने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह पूनम को प्यार से हासिल करना चाहता था पर तो सिर्फ पूनम के मदमस्त बदन का दर्शन करना चाहता था। कपड़ों के ऊपर से उसकी खूबसूरती का रसपान करके उसका मन नहीं भरा था वह अंदर की खूबसूरती को निहार कर मस्त होना चाहता था। मनोज बड़े ही आतुरता और उत्सुकता से पूनम की तरफ निहार रहा था उसका एक एक पल महीनों की तरह गुजर रहा था वह इतना शांत था कि अपनी धड़कनों तक की आवाज कहीं पूनम न सुन ले इतना शांत हो चुका था। इस समय उसकी हालत ऐसी हो रही थी जैसे कि सावन के इंतजार में मोर व्याकुल रहता है और चांद को देखने के लिए चकोर तड़पता रहता है उसी तरह से मनोज अपनी पूनम की खूबसूरती का मनोरम्य नजारा देखने के लिए तड़प रहा था। झाड़ियों के बीच जगह बनाकर अपने आप को छुपाए हुए था पूनम और बेला की नजर उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रही थी लेकिन वह दोनों पूनम और देना दोनों को साफ-साफ देख पा रहे थे दोनों बड़ी ही मासूमियत के साथ बैर तोड़ रहे थे। पूनम धीरे धीरे बेर तोड़ते हुए आगे बढ़ने को हुई तो बेला उसे रोक दी क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि मनोज आगे की तरफ कहीं छुपा होगा वरना झाड़ियों में आते समय पहले छुपा होता तो वह नजर आ जाता है। बेला उसे रोकते हुए बोली,,,,,

यार अब बस कर बहुत ज्यादा बैर इकट्ठे हो गए हैं अब बाद में कभी तोड़ेंगे वैसे भी टाइम हो जाएगा।,,, चल अब जल्दी से पेशाब कर लेते हैं। ( इतना कहने के साथ ही वह घनी झाड़ियों की तरफ पीठ करके अपनी सलवार की डोरी खोलने को हुई,,, वह जानबूझकर अपनी पीठ घनी झाड़ियों की तरफ कर दी,,, क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह से देखेंगे तो वह जहां भी पीछे चुका होगा तो पूनम की भरपूर मदमस्त जवानी को और भी ज्यादा उत्तेजक बनाने वाली उसकी मादक भरी हुई गांड को जी भरके देख पाएगा।

और अगर झाड़ियों की तरफ मुंह करके पेशाब करने बैठेगी तो उसे उसकी बुर भी ठीक से नजर नहीं आएगी क्योंकि छोटी छोटी घास की वजह से उसकी बुर ढंक जाती,,,, तो मनोज का सारा मजा किरकिरा हो जाता इसलिए वह पहले से ही झाड़ियों की तरफ पीठ करके अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी,,,,, बेला पूनम को पेशाब करने के लिए बोलकर सलवार की डोरी खोलने लगी लेकिन पूनम अपने में ही मस्त बेर तोड़ने में व्यस्त थी। और वह बेऱ तोड़ते हुए बोली।

तू कर ले मुझे नहीं लगी है,,,,,
( मनोज उन दोनों की बात को साफ साफ सुनता रहा था पूनम की यह बात सुनकर उसके अरमान टूटता हुआ नजर आने लगे,,,, इतना सारा जुगाड़ लगा कर जो यह नजारा खड़ा करने का प्रयत्न किया था वह उसे मिट्टी में मिलता नजर आने लगा और यह बात बेला भी अच्छी तरह से समझती थी इसलिए उसे समझाते हुए बोली,,,)

अरे यार नहीं लगी है तो क्या हुआ बेठैगी तब अपने आप आने लगेगी।
( बेला की है बात सुनकर पूनम जोर-जोर से हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

तू बिल्कुल पागल है बेला कहीं बैठने से पेशाब आती है।

हां यार आती है ना तो एक बार बैठ कर तो देख ना आए तो मुझे तेरे मन में जो आए वह बोल ना।
( दोनों लड़कियों की बात सुनकर मनोज कीे हालत खराब हो रही थी और साथ ही गुल्लू की भी,,, मनोज तो अपनी आंखे बिछाए बैठा था कि कब उसकी प्रेमिका पूनम की मदमस्त बदन का दीदार हो,,,, लेकिन जिस तरह से पूनम बात कर रही थी उस तरह से लग नहीं रहा था कि वह आज अपने बदन का हल्का सा भी दीदार मनोज को करा पाएगी। मनोज को बेला से ही उम्मीद थी वह मन में यही दुआ कर रहा था कि बेला किसी तरह से उसे पेशाब करने के लिए मना ले। और जैसे उसके मन की बात बेला साफ-साफ सुन रही हो उसी समय वहं बोली,,,,

यार पूनम क्यों जिद कर रही है जल्दी कर क्लास लगने वाली है।

जिद तो तू कर रही है बेला तू अकेले कर ले मैं यहां खड़ी तो हुं। 

यार अकेले में मजा नहीं आता इसलिए तो तुम से लेकर के आई थी वरना मैं यहां क्यों आती,,,,,,
( बेला की बात सुनकर वो फिर से हंसने लगी लेकिन इस बार बार तैयार हो गई और उसकी तरफ आते हुए बोली।)

अच्छा ला अपना दुपट्टा दे,,,,

दुपट्टा किस लिए,,,,
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03-11-2019, 12:48 PM,
#12
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
अरे पहले लातो (इतना कहने के साथ ही वह खुद ही उसके कंधे पर से दुपट्टा खींच ली और उसे एक अच्छी साफ जगह बिछा कर उसमे सारे बेर डाल दी,,, और उसके बगल में आकर खड़ी हो गई अभी तक देना अपनी सलवार की डोरी खोल ही नहीं थी बस उसी तरह से खड़ी थी वह इंतजार कर रही थी कि पूनम भी उसके पास आकर के पेशाब करें,,,, बेला को अभी तक मनोज के वहां होने का एहसास तक नहीं हुआ था लेकिन इतना जरूर जानती थी कि वह घनी झाड़ियों के पीछे जरुर छिपा होगा,,,, ऐसा मौका छोड़ दे,,,, वह इतना बेवकूफ नहीं था। बल्कि वह तो खुद ऐसे मौकों की तलाश में रहता है।
धीरे-धीरे झाड़ियों के बीच का नजारा गरमाने लगा था मनोज और गुल्लू दोनों झाड़ियों के पीछे छिपकर दोनों लड़कियों की हरकत पर नजर रखे हुए थे और पूनम जो कि इन सब बातों से बिल्कुल अंजान थी इसलिए एकदम बेझिझक बर्ताव कर रही थी और बेला थी कि उसकी सलवार उतरने का इंतजार कर रही थी,,,,, बेला और पूनम दोनों झाड़ियों की तरफ पीठ करके खड़ी थी,,,,, मनोज एक दम शांत हो करके उन दोनों की तरफ देख रहा था गजब का नजारा बना हुआ था वह मन में यही सोच रहा था कि एक साथ दो दो लड़कियों की मदमस्त गांड का नजारा उसे देखने को मिलेगा,,,, खास करके पूनम की गांड का,,, जिसे देखने के लिए वह ना जाने कितने दिनों से तड़प रहा था। जिस तरह से वह दोनों खड़ी थी उसे देखकर मनोज की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और साथ ही उसके बदन में उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी जिसका असर सीधे उसके पैंट के अंदर तनाव में आ रहे उसके लंड पर पड़ रहा था। बेला और पूनम की हरकत से मनोज को लगने लगा था कि अब वह नजारा उसकी आंखों के सामने आने वाला है जिसके लिए उसने यह पूरा जुगाड़ लगाया था। अगले नजारे के इंतजार की उत्सुकता में उसके दिल की धडकन थम गई थी उसकी आंखें सामने पूनम पर ही टिकी हुई थी,,, तभी बेला नें अपनी सलवार की डोरी खोल कर सलवार को नीचे की तरफ सरकाने ,,, यह देख कर तो मनोज को कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा,,, लेकिन इसका असर गुल्लू पर कुछ ज्यादा ही पड़ने लगा उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,, अभी तो वह पूरी तरह से सलवार को नीचे सरका भी नहीं पाई थी कि
गुल्लू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,,, अगले ही पल पूनम भी अपनी सलवार की डोरी खोलकर धीरे धीरे उसे नीचे सरकाने लगी,,,, यह नजारा देख कर तो मनोज के साथ ही अटक गई उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगे तो आप बड़े ही बेताब नजरों से झाड़ियों के पीछे से इस नजारे का रसपान कर रहा था। पूनम तो निश्चित थी,,,, इसलिए बड़े ही सहज ढंग से अपनी सलवार की डोरी खोल चुकी थी।
अगले चलचित्र पर से पर्दा उठने वाला था जिसका इंतजार धड़कते दिल से मनोज कर रहा था। पूनम अपनी सलवार को नीचे पूरी तरह से सरकाती इससे पहले ही बेला अपनी पेंटिं को नीचे खींचकर सरकाने लगी। और अगले ही पल उसकी गोल गोल गांड पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई जिसे देखकर एक पल के लिए मनोज की भी हालत खराब होने लगी साथ ही गुल्लू का लंड पूरी तरह से पजामे में तन गया। भले ही मनोज पूरी तरह से पूनम के प्रति आकर्षित था लेकिन एक जवान लड़की की मदमस्त गांड देखकर एक पल के लिए उसकी भी सांस अटक गई थी। बेला यह अच्छी तरह से जानती थी कि मनोज झाड़ियों के पीछे छिपा हुआ है लेकिन कहां छुपा हुआ है यह उसे नहीं मालूम था। लेकिन फिर भी अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही उभार कर मनोज की तरफ दिखाने लगी,,,, बेला की इस अदा पर गुल्लू के साथ साथ मनोज भी पूरी तरह से फिदा हो गया,,,,, मनोज इस बात से पूरी तरह के आसपास कथा की बेला तो उसके हाथ में पूरी तरह से ही है लेकिन उसे पूनम को पता ना था इसलिए बेला की तरफ से उसे कोई भी चिंता नहीं थी वह तो बेला को जब चाहे तब उसकी मद मस्त गांड और बुर का मजा ले सकता था।
देना तू अपनी गांड को निर्वस्त्र करके नीचे पेशाब करने बैठ गई थी और पूनम को बैठने का इंतजार कर रही थी जो कि उसकी उंगलियां आज उसकी मखमली लाल रंग की पैंटी पर थी जोकि पूनम के गोरे गोरे बदन पर बेहद खूबसूरत लग रही थी। यह नजारा बेहद सांसो को रोक देने वाला था ऐसा लग रहा था कि जैसे बर्फीले शहर में तूफान चल रहा हो,,,, और ऐसे ठंडे पवन में भी ऐसा नजारा देखकर गर्मी छूट रही हो,,,, मनोज के माथे पर तो पसीने की बूंदे ऊपस आई थी।तभी मनोज के बदन में पूरी तरह से हलचल होने लगी क्योंकि पुनम,, धीरे-धीरे अपनी पैंटी को नीचे सरकाने लगी थी। जैसे-जैसे पेंटिं नितंबों पर से अनावृत हो रही थी वैसे वैसे पूनम की गोरी गोरी गांड पीली धूप में किसी सोने की तरह चमक रही थी। मनोज का लंड पूरी तरह से तनाव में आ चुका था। मनोज का अंतर्मन बेहद पसंद नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि बरसो की तपस्या फल रही हो। धीरे-धीरे करके पूनम ने अपनी पैंटी को नीचे जाघो तक सरका दी,,, उसकी नंगी गांड बेहद खूबसूरत लग रही थी मनोज तो उसकी गांड को देखकर एकदम मदमस्त हो गया और उसके मुंह से एक गर्म आह निकल गई,,,,, मनोज में अभी तक न जाने कितनी लड़कियों की और औरतो की नंगी गांड को देख चुका था। लेकिन जिस तरह की गांड पूनम की थी उस तरह की मदहोश कर देने वाली बड़ी फुर्सत से तराशी हुई गांड वह जिंदगी में पहली बार देख रहा था। पूनम की गोलाकार और उभरी हुई मदमस्त कर देने वाली भरपूर भराव दार,, गांड को देखकर वह मन ही मन सोचने लगा कि अगर सबसे खूबसूरत गांड की कोई प्रतिस्पर्धा हो तो ऐसी प्रतिस्पर्धा में पूनम बाजी मार ले जाए। मनोज यह सब सोचकर मन ही मन बहुत खुश होने लगा गुल्लू की तो हालत खराब हुए जा रही थी वह एकदम उत्साहित हो गया था और उत्साहित होता हुआ बोला।

बे भैया ईसकी गांड को देख कर तो मेरी हालत खराब हो रही है। ( गुल्लू आगे कुछ बोल पाता इससे पहले ही मनोज ने उसका मुंह कस कर दबा दिया,,, उसके कान में गुस्साते हुए बोला।)
अबे हरामखोर तुझे बोलने को किसने कहा मुंह को ताला लगा और शांति से बस देख,,,,,,

( कुल्लू समझ गया था कि सिर्फ देखने तक का ही प्लान बना हुआ है इसलिए वह भी मुंह को ताला लगा कर सामने के नजारे का मजा लूटने लगा,,,,, मनोज की आंखें पलकें झपकाना भूल गई थी उसकी जिस्म में सांस आना भूल गई थी,,, वह बूत बना पूनम को देखे जा रहा था। पूनम की पैंटी भी उसकी जांघों तक आ चुकी थी,,,, उसके उन्नत उभार लिए नितंबों के बीच की गहरी दरार किसी नहर से कम नहीं लग रही थी। उस बीच की नहर में किसी को भी डूबने की इच्छा हो जाए और वही इच्छा मनोज को भी हो रहा था। पूनम के नितंबों में गजब का कसाव था गजब की गोलाई थी और गांड के उभार जहां पर खत्म होते हैं उधर की मस्त लकीर भी साफ साफ नजर आ रहे थे। मनोज तो बस देखता ही रह गया बेला पेशाब करते हुए पूनम की तरफ नजरें ऊठा कर उसके भी नीचे बैठ कर पेशाब करने का इंतजार कर रही थी और पूनम सिंह की उसी तरह से खड़े होकर चारों तरफ नजरें घुमा कर पूरी तरह से आश्वस्त हो जाना चाहती थी कि वहां किसी दूसरे की हाजिरी ना हो,,,,, बेला उसे इस तरह से इधर उधर देखते हुए पाकर बोली,,,,,

अरे यहां कोई दूसरा नहीं है तू बैठ जा,,,,,

( और बेला की बात सुनकर पूनम भी नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी,,,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,, क्या गजब का कामोत्तेजक और कलात्मक तरीके का नजारा था ऐसा लग रहा था खुद कामदेव ने इस नजारे की प्रकृति को तैयार किया है। मनोज ने अब तक सब कुछ देखा था लेकिन इस तरह का काम उत्तेजना से भरपूर उत्तेजनात्मक नजारा कभी नहीं देखा था।
जहां उन्मादक नजारा देखकर वहां अपने आपको धन्य समझने लगा था।
हरि हरि झाड़ियों के बीच इस तरह का नजारा बड़ी किस्मत वाले को ही देखने को मिलता है। पूरा वातावरण बिल्कुल पूरी तरह से शाथ था बस पंछियों की कलरव की आवाज के साथ साथ अब बेला और पूनम के पेशाब की धार जहां से निकल रही थी।

उसी जगह से बेहद सुरीली सीटी की आवाज भी उस मनोहर वातावरण को और भी ज्यादा उन्मादक बना रहा था। मनोज की तो पल पल हालत खराब होते जा रही थी। पूनम की भरपूर गांड हरी हरी घास होने के बावजूद भी एक दम साफ नजर आ रही थी। मनोज की सांसे तीव्र गति से चल रही थी।
ईतना कामुक और उत्तेजक नजारा उसने आज तक नहीं देखा था और ना ही अपने अंदर इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव किया था। 
गुंल्लु भी यह नजारा देख कर आश्चर्य के साथ अपना मुंह खुला का खुला छोड़ दिया था। दोनों के लंड का हाल इतना ज्यादा खराब हो चुका था कि उन्हें इस बात का डर था कि कहीं गरम होकर उनका लंड पिघल ना जाए। मनोज तो ना जाने कैसी अपने आप को संभाले हुए था वरना ऐसा नजारा देखकर अब तक वह अपनी मनमानी कर चुका होता वह तो पूनम की वजह से शायद अपने संयम को रोक रखा था। अपनी मनमानी कर के वह पूनम की नजरों से गिरना नहीं चाहता था इसलिए अपने आप को रोके हुए था।
बेला और पूनम दोनों पेशाब कर चुकी थी। बेला और पूनम दोनों खड़ी हो गयी,,, बेला को पता था कि इतने में तो मनोज मस्त हो गया होगा,,,, बेला अपनी सलवार ऊपर चढ़ा कर डोरी बांधने लगी,,,,, बेहद कामोत्तेजक दृश्य पर अब पर्दा पड़ने वाला था क्योंकि पूनम भी अपनी पैंटी को पहन चुकी थी और सलवार को उपर की तरफ ले ही जा रही थी कि,,,, बेहद ऊत्तेजना का अनुभव कर रहे गुल्लू का पैऱ अचानक फिसल गया,,,, वह गिरते गिरते बची तो गया क्योंकि उसका हाथ मनोज ने थाम लिया लेकिन इस अफरा-तफरी अपने पीछे हो रही ईस तरह की हलचल से पूनम एक दम सकते मे आ गई और एक पल भी गंवाएं बिना वह झट से अपनी सलवार को ऊपर करके डोरी बांधते हुए पीछे की तरफ घूम कर देखी थी कि तब तक मनोज गुल्लू को अपनी तरफ खींच कर झाड़ियों में छुपा लिया था। पूनम जहां पर यह हलचल हुई थी वहां की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए बोली,,, 

लगता है कि यहां कोई है,,,,,
( बेला तो जानती थी कि वहां कौन है इसलिए वहां पूनम ना जा सके इसलिए बहाना बनाते हुए बोली।)

अरे यार कोई भी नहीं है देख नही रहीै चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है।

अरे नहीं मुझे ऐसा लगा कि पीछे कोई है। ( इतना कहते हुए अपने कदम आगे बढ़ाती रही,,,, बेला को समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे किस तरह से रोके क्योंकि वह जानती थी अगर आगे जाएगी तो जरूर उधर मनोज उसे नजर आ जाएगा,,,, और यही डर मनोज के मन में भी था अगर आज वह उसे झाड़ियों में छिपा देख लेगी तो जो थोड़ी बहुत बात बनती नजर आ रही थी वह भी बिगड़ जाएगी। जिस तरह से पूनम आ गए धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही थी वह समझ गई थी कि यहां तक जरूर पहुंचाएं की इसलिए वह गुल्लू के कान में धीरे से बोला।)

देख गुल्लू अगर आगे भी ईसी तरह का और लड़की चोदने का मजा लूटना चाहता है तुझे क्या मैं बोलता हूं वैसा ही करना पूनम को जरा सी भी भनक नहीं आनी चाहिए कि मैं इधर छुपा हुआ हूं। 
( मनोज गुल्लू को कुछ और समझा पाता इससे पहले ही पूनम बोली।)

कौन है उधर जो कोई भी है बाहर आ जाए वरना मैं आज प्रिंसिपल से बोल कर उसकी शिकायत करुंगी,,,,,, 

( मनोज को अब पक्का यकीन हो गया कि पूनम देख लेगी पूनम आगे की तरफ बढ़ती चली आ रही थी बेला उसे रोक भी नहीं पा रही थी मनोज समझ गया कि अब गड़बड़ हो सकती है इसलिए उसने गुल्लू को धक्का देकर आगे कर दिया,,,, गुल्लू भी पूनम के सामने आ गया गुल्लू कुछ समझ पाता इससे पहले ही,,,,, बेला ऊसका हाथ पकड़ कर खींच ली और झूठ मूठ का उसे मारना शुरू कर दी,,, बेला जानती थी कि गुल्लू मनोज का दोस्त है और मनोज भी उसके साथ इसी झाड़ियों में छिपा हुआ है अगर वह उसे अपनी तरफ नहीं खींचती तो हो सकता है पूनम उसे देख ले इसलिए वह जल्दी से उसे अपनी तरफ खींचने ताकि पूनम आगे ना बढ़ सके,,,,, गुल्लू को वहां देखते ही पूनम सब समझ गई की,,,, गुल्लू लड़कियों को देखने के बहाने ही झाड़ियों में छिपा हुआ था इसलिए उसे मारने लगी एक दो तमाचे उसके गाल पर भी जड़ दीए,,,, और उसे मारते हुए बोली,,, 

हरामजादे हरामखोर बदतमीज तुझे शर्म नहीं आती लड़कियों को इस तरह से छुपकर देखते हुए तेरे घर में मां बहन नहीं है क्या,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह उसके गाल पर दो चार थप्पड़ और रसीद कर दी,,, बेला पूनम को पकड़ते हुए बोली )
बस कर पुनम इतना बहुत हो गया कितना मारेगी उसे,,,,

अरे मेरा बस चले तो इसको मार ही डालो देख नहीं रही थी कितनी बेशर्मी के साथ यह हम दोनों को देख रहा था छी,,,,
इतना बदतमीज और गंदा लड़का मैंने आज तक नहीं देखी उसके घर में मां बहन नहीं है क्या जो दूसरी लड़कियों को झांकता रहता है। 
( गुल्लू को तो कुछ समझ में नहीं आया बेवजह बलि का बकरा जो बन गया था उसे मौका मिलते ही झट़ से वहां से भाग खड़ा हुआ,,,,, पूनम गुस्सा करते हुए झाड़ियों से बाहर आ गई,,,,,, मनोज अभी भी अंदर झाड़ियों में छिपा हुआ था पूनम का गुस्सा देख कर उसे उस पर और भी ज्यादा प्यार आने लगा।)
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03-11-2019, 12:49 PM,
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RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
बेला और पूनम दोनों झाड़ियों से जा चुकी थी मनोज कुछ देर वहीं खड़ा खड़ा पूनम के बारे में सोचता रहा,,,,, अब तो पूनम के लिए मनोज का प्यार और ज्यादा बढ़ गया था अब वह पूनम को किसी भी हाल में हासिल करना चाहता था। कुछ देर बाद वह भी वहां से चला गया। 
अब तो पूनम के बगैर मनोज का हाल जल बिन मछली की तरह हो गया था। रात को अपने बिस्तर पर लेटा लेटा पूनम के बारे में ही सोच रहा था झाड़ियों के अंदर का नजारा उसकी आंखों के सामने बार बार किसी फिल्म की तरह चल रहा था,, उसकी सोच से भी काफी अद्भुत और उन्मादक नजारा था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि, किसी लड़की की गांड इतनी ज्यादा खूबसूरत हो सकती है। उसने जब पूनम की मदमस्त गोरी गांड को देखा था तो उसकी तो सांसे ही अटक गई थी उत्तेजना से उसका पोर पोर दर्द करने लगा था उस मीठे दर्द के एहसास से अभी भी उसके बदन मैं कंपन हो रहा था। काफी लड़कियों और औरतों के साथ खुलकर मस्ती करने के साथ साथ उसने उनके बदन के हर एक अंग को बड़ी नजदीकी से निहारा था,,,, लेकिन जो मजा जो उन्माद जिस प्रकार की उत्तेजना उसने पूनम के मदमस्त नितंब को देखकर अनुभव किया था उसका वर्णन करना शायद शब्दों के बस में भी नहीं है। गांड ना हो करके ऐसा लग रहा था कि पूनम का चांद हो और चांदनी रात अपनी सारी कलाएं बिखेर रहा है। लड़कियों की सामान्य सी हरकत में भी उत्तेजना का बुलबुला फूट पड़े ऐसा उसने सिर्फ पूनम के विषय में ही देखा था वरना उसने तो ना जाने कितनी लड़कियों को कपड़े उतारते और पहनते देखा था लेकिन जो आनंद जो अद्भुत उन्माद,,,, उसे पूनम के द्वारा अपनी सलवार उतार कर जांगो तक सरकाने में महसूस हुआ ऐसी उत्तेजना उसने कभी भी महसूस नहीं किया था वह तो ना जाने कैसे संभल गया वरना उसका लंड तो उधर ही अपना लावा बाहर झटकने वाला था। झाड़ियों के बीच रचे गए उस अद्भुत नजारे को याद कर कर के वह बिस्तर पर तड़पकर करवटें बदल रहा था। पजामें के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। जिसे वह पूनम को याद करके पजामे के ऊपर से ही मसल रहा था,,, पूनम की गोलाकार नितंब को याद कर करके उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच गई और वह पजामे को सरका कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसने हीलाना शुरू कर दिया,,,, आंखों को बंद करके कल्पना की दुनिया में पूनम के साथ रंगरेलियां मनाने लगा बार-बार वाह देसी कल्पना कर रहा था कि वह पूनम की भरावदार नितंब को अपनी दोनों हथेलियों में भर कर मसल रहा है उसकी छोटी-छोटी चूचियों को अपने मुंह में भरकर पी रहा है,,,, कल्पना की दुनिया में वह खुद को राजकुमार और पूनम को रानी समझ रहा था जो कि पूनम खुद उसके लंड के साथ मस्ती कर रही हो,,,,, मनोज की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी सांसो का उतार चढ़ाव उसके बदन में कामोत्तेजना की लहर भर दे रहा था। तभी उसकी कल्पना की दुनिया में रंग भरना शुरू हो गया उत्तेजना के आवेग में बहकर पूनम खुद उसके लंड को पकड़ कर अपनी रसीली और कोरी बुर के छेद पर रखने लगी,,, मनोज के मोटे लंड पर अपनी रसीली बुर को रखते ही पूनम अपनी बड़ी-बड़ी गांड का दबाव लंड पर बढ़ाने लगी और जैसे जैसे लंड पर उसकी गांड का दबाव बढ़ रहा था वैसे वैसे मनोज का लंड पूनम की रसीली और कोरी बुर के अंदर उतरता चला जा रहा था,,, थोड़ी ही देर में मनोज की कल्पना का घोड़ा दौड़ने लगा,,, दोनो की सांसे तीव्र गति से चलने लगी पलंग चरमराने लगा,,,
पुनम मनोज के लंड पर जोर जोर से कूद रही थी और मनोज भी नीचे से धक्के लगा रहा था,,,,,, दोनों आपस में एक दूसरे से मस्ती का रस निचोड़ने में जूझ रहे थे,,,, थोड़ी ही देर बाद दोनों के अंगों से गर्म लावा बाहर निकलने लगा और दोनों एक दूसरे के बदन से चिपक कर हांफने लगे,,,,,
मनोज कल्पना की दुनिया से बाहर आया तो देखा कि उसकी चादर उसके अलावा से गीली हो चुकी है उसका हाथ भी गीला हो चुका था। 

कुछ दिन ओर. ऐसे ही पूनम का इंतजार करते-करते बीत गया। मनोज पूनम को बस आते जाते देखकर अपने दिल को तसल्ली दे रहा था। जिस तरह से मनोज पूनम के आगे पीछे घूम कर पापड़ बेल रहा था,,, उसे लगने लगा था कि पूनम हाथ में नहीं आने वाली है। धीरे धीरे इस सिलसिले को महीने जैसा गुजर गया,,, पूनम को इस बात की पूरी तरह से खबर हो चुकी थी कि मनोज उसका पूरी तरह से दीवाना हो चुका है इसलिए तो उसके आगे पीछे घूमता रहता है। लेकिन पूनम कोई ऐसा बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन आखिरकार वह भी थी तो एक लड़की ही और जिस उम्र के दौर से गुजर रही थी,,, ऐसे में लड़कियों के अरमानों को पर लग जाते हैं उन्हें भी अच्छा लगता है कि कोई खूबसूरत हैंडसम लड़का उनके आगे पीछे घूमे,,,, उनसे प्यार करें उनको दीवानों की तरह चाहे,,,,,, और ठीक है ऐसा ही पूनम के साथ हो रहा था मनोज उसे दीवानों की तरह चाहने लगा था उसके आगे पीछे दिन रात लगा रहता था,,,,। और मनोज की यही बात ना चाहते हुए भी पूनम को अब अच्छी लगने लगी थी। महीनों गुजर गए थे मनोज की आदत बिल्कुल नहीं बदली थी वह रोज इसी तरह दीवानों के जैसे उसी मोड़ पर उसका इंतजार करता,,,, क्लास के अंदर उसे देखता रहता और नोटबुक के बहाने बात करने की कोशिश करता पूनम भी नोट बुक को देने का वादा करके अभी तक उसे नोटबुक नहीं दी थी। धीरे धीरे पूनम को भी अभी इस खेल में मजा आने लगा था वह समझ गई थी कि मनोज अंदर ही अंदर तड़प रहा है उससे बात करने के लिए,,,
अब तो आलम यह था कि पूनम भी मन ही मन में मनोज को पसंद करने लगी थी पूनम भी आते जाते अब,, मनोज को ढूंढती रहती थी। और किसी दिन जब मनोज नजर नहीं आता था तो वह बेचैन हो जाती थी,,,, उसे देखकर आता उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आने लगी थी लेकिन इस बात की खबर मनोज और उसकी सहेलियों को बिल्कुल भी नहीं हो पाई थी क्योंकि वह बड़े नजाकत से मुस्कुरा देती थी। और कभी भी कोई शक ना करें इसलिए मनोज के सामने आते ही बहुत चिड़चिड़ा सा मुंह बना लेती थी। आखिरकार उसे जमाने का भी डरता खास करके उसके घर वालों का क्योंकि इस बात के लिए कभी भी इजाजत नहीं देते थे।
मनोज देना को हमेशा उसी से बात कराने के लिए कहता रहता लेकिन बेला के भी बस की बात नहीं थी यह बेला भी अब अच्छी तरह से समझ चुकी थी लेकिन इस बात का फायदा उठा कर उसने मनोज के साथ ना जाने कितनी बार जिस्मानी संबंध बना चुकी थीे और मजे लूट चुकी थी। बिना तो यही तो आप चाहती थी कि मनोज और पूनम के बीच किसी भी प्रकार की दोस्ती ना हो पाए क्योंकि अगर यह दोस्ती हो गई तो मनोज बेला को बिल्कुल नजर अंदाज कर देगा और जो मजा उससे मिलता आ रहा है उस पर पूर्ण विराम लग जाएगा। मनोज भी बिल्कुल थक हार चुका था वह अपनी हिम्मत खो चुका था उसे लगने लगा था कि अब बात बनने वाली नहीं है क्योंकि लड़की पटाने में उसे आज तक इतना ज्यादा समय कभी भी नहीं लग पाया था। एक दिन थक हारकर मनोज मन मे फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो जाए वह पूनम से बात करके रहेगा।
ठंडी का मौसम अपने पूरे बहार में था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। स्कूल जाने का समय हो रहा था पूनम अपनी सहेलियों के साथ स्कूल के लिए निकल चुकी थी और दूसरी तरफ मनोज भी उसी मोड पर खड़ा होकर के कपकपाती ठंडी में पूनम का इंतजार कर रहा था। थोड़ी देर बाद ही दूर से अपनी सहेलियों के साथ खिलखिलाती हुई पूनम नजर आने लगे उसे देखते ही मनोज प्रसन्न हो गया उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव साफ नजर आने लगे वह मन मे हिम्मत जुटा रहा था कि आज वह पूनम से बात करके रहेगा। पूनम की भी नजर दूर खड़े इंतजार कर रहे मनोज पर पड़ी तो वह भी मन ही मन खुश हो गई। बेला भी मनोज को वहीं खड़ा देखकर पूनम से बोली।

देख ऐसी कड़कड़ाती ठंडी में भी तेरा आशिक कैसे तेरा इंतजार कर रहा है।

बकवास बंद कर सब लड़के ऐसे ही होते हैं बिल्कुल निठल्ले ना काम के न काज के।

यार पूनम एक बार उसे आई लव यू बोल कर तो देख वह तेरे लिए जान तक देने को तैयार हो जाएगा। 

अरे मुझे किसी की जान वह नहीं चाहिए और ना ही मैं किसी की जान बनना चाहतेी हुं।

यार पूनम तू तो बेवजह बात का बतंगड़ बनाती रहती है तू भी अच्छी तरह से जानती है कि तेरे पीछे पड़े उसे महीनों गुजर गए हैं लेकिन वह जस का तस डटा हुआ है। वह तुझसे बेहद प्यार करता है। ( बेला की बात सुनकर मन ही मन वह बहुत प्रसन्न हो रही थी लेकिन अपनी प्रसन्नता के भाव अपने चेहरे पर नहीं आने दे रहे थे वह अपने हाव भाव से यही दिखा रही थी कि उसे गुस्सा आ रहा है। और वह ऊपरी मन से गुस्साते हुए बोली,,,।)

बस बेला बहुत हो गया मैं तुझसे कह दी हुं की यह सब मुझे नहीं पसंद तो नहीं पसंद अब इसके बारे में कुछ मत बोलना।
( बेला उसका गुस्सा देखकर शांत हो गई और कुछ नहीं बोली। पूनम को तो मजा आ रहा था वह अंदर से यही चाह रही थी की बेला और कुछ बोले लेकिन जिस तरह से वह गुस्सा दिखाई थी उसे देखने के बाद वह शांत हो गई दूसरी तरफ मनोज मन में हिम्मत जुटा रहा था कि आज वह पूनम से अपने दिल की बात कह के रहेगा,,,,, जैसे जैसे पूनम नजदीक आती जा रही थी वैसे वैसे मनोज की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि पूनम से कैसे कहे,,,, वैसे तो वह ना जाने कितनी लड़कियों को इन तीन शब्दों के जादू से मोहित कर चुका था। लेकिन देखना यह था कि वह पूनम से ये तीन शब्द कैसे रहेगा और उन शब्दों का उस पर क्या असर होगा किसी भी दो जिहाद मेला लगा हुआ था बार बार अपने मन में हिम्मत जुटा रहा था। पूनम अपनी नजर इधर उधर घूमा कर आगे बढ़ रही थी और बीच बीच में वह अपनी कनखियों से मनोज की तरफ देख भी ले रही थी। जैसे ही पूनम मनोज के बिल्कुल करीब आई वैसे ही मनोज की तो सांसे अटक गई,,,, मनोज उससे क्या कहे या उसके समझ में बिल्कुल भी नहीं आ रहा था कि तभी जैसे ही पूनम अपने कदम बड़ा कर आगे बढ़ती इससे पहले ही हिम्मत जुटाकर मनोज बोला,,,


पूनम,,,,सुनो तो,,,,, 

( इतना सुनते ही पूनम के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, वह तो खुद ही कशमकश में थी जब वह मनोज के बिल्कुल करीब से गुजर रही थी मन ही मन वह भी यही चाहती थी कि मनोज उसे पुकारे,,,,, उससे किसी ना किसी बहाने बात करें और ठीक वैसा होते देख कर पूनम के बदन में गुदगुदी सी होने लगी। वह मनोज की तरफ देखे बिना ही उसी जगह पर ठिठक कर खड़ी हो गई। और मनोज की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,।)

क्या हुआ क्या काम है?
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03-11-2019, 12:49 PM,
#14
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पूनम की मधुर आवाज एक बार फिर से मनोज के कानों में गूंजने लगी,,,, भले ही वह थोड़ा गुस्से में बोली थी लेकिन यह भी मनोज के लिए बड़ा करार दायक था। मनोज की सांसें भी ऊपर नीचे हो रही थी जब से वह पूनम को झाड़ियों के बीच पेशाब करते हुए देखा है तब से उसकी आंखों के सामने बार बार उसकी मदद मस्त गोरी गोरी गांड नजर आने लगती थी,,, अभी भी पूनम उसके आगे ही खड़ी थी जिसकी वजह से मनोज की नजर उसकी कमर के नीचे के घेराव पर ही जा रही थी।,,,,, मनोज कुछ देर तक खामोश ही रहा उसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी वह बस एक टक पुनम की कमर के नीचे वाले भाग कोई देखे जा रहा था,,, और यह बात पूनम को बिल्कुल भी पता नहीं थी इसलिए वह एक बार फिर उससे बोली,,,,।

क्या काम है इस तरह से मेरा रास्ता क्यों रोक रहे हो,,,
( पूनम फिर से उसकी तरफ देखे बिना ही बोली बेला को पूनम का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगता था लेकिन कर भी क्या सकती थी।)

वो,,, वो,,,,,,पुनम,,,, 

अरे वो वो ही करते रहोगे या इससे आगे भी कुछ बोलोगे,,,,,

वो,,,, मैं तुम से बोला था ना इंग्लिश की नोट्स के लिए,,,,,


हां,,,, तो,,,,,, 

तो,,,,,, क्या,,,,, तुम्हारी इंग्लिश की नोट पूरी है।


हां पूरी है ना,,,,,,,


तो क्या तुम मुझे अपनी इंग्लिश के नोट्स दे सकती हो,,,,,, और तुम ही तो कही थी कि मैं पूरी कर लूंगी तो जरुर दूंगी,,,,,,
( मनोज इतना कहकर उसके लहराते बालों को देखने लगा जो की बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे और सुबह से बड़ी ही मादक खुशबू आ रही थी,,, मनोज के बदन में तो जैसे किसी ने उत्तर घोल दिया हो इस तरह से वह उसकी खुशबू में एकदम मस्त होने लगा था,,,, उसे ऐसा लग रहा था कि पूनम आज भी उसे कोई बहाना बनाकर टाल जाएगी,,, क्योंकि अब तक वह ऐसा ही करती आई थी कोई और लड़की होती तो उसके अकड़ पन का जवाब मनोज अच्छी तरह से दे देता लेकिन ना जाने क्यों पूनम के प्रति वह अभी तक नरमी ही दिखा रहा था।,,,, पूनम अभी भी दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी थी और मनोज उसे ही देखे जा रहा था कभी उसके लहराते बालों को तो कभी कमर के,,नीचे के ऊन्नत घेराव को,,,, 
( मनोज अपने सपनों की रानी की खूबसूरती को अपनी आंखों से निहार ही रहा था कि तभी पूनम उसकी तरफ पलटी और बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ से अपनी एक टांग को हल्के से ऊपर की तरफ उठा कर उस पर बैग रखकर बैग को खोलि और उसमें से अंग्रेजी कि नोट निकालकर मनोज की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,।

यह लो और अपना काम पूरा करके मुझे जल्दी से लौटा देना,,,,
( मनोज को तो बिल्कुल भी यकीन नहीं था की पूनम उसे अंग्रेजी की नोट देगी यह देख कर बेला और सुलेखा भी दंग रह गई,,,, ऊसे भी अपनी आंखों पर बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि वह जानतीे थीे कि पूनम कभी भी किसी लड़के को अपनी नोट्स नहीं देती,,,,, लेकिन यह हकीकत ही था पूनम अपने हाथों से मनोज को अपने नोट्स दे रही थी मनोज के लिए तो जैसे कुदरत ने कोई तोहफा दे दिया हो वह अंदर ही अंदर एकदम से आनंदित हो उठा,,,, और झट से पूनम के हाथों से नोट पकड़ते हुए बोला,,,,,।

थैंक्यू पूनम थैंक यू तुम नहीं जानती कि तुमने आज मेरी कितनी बड़ी मदद कर दी है। मैं इंग्लिश के सब्जेक्ट में अभी बहुत पीछे हुं तुम्हारी नोट से मुझे काफी मदद मिलेगी,,,,


कोई बात नहीं वैसे भी दूसरों की मदद करने में मुझे काफी अच्छा लगता है और मैं चाहूंगी कि तुम जल्द से जल्द अपना काम खत्म करके मुझे मेरी नोट्स वापस लौटा दो गे,,,,,


जरुर,,,,, मैं पूरी कोशिश करुंगा अपना काम खत्म करने की और जल्द से जल्द से मैं यह नोट वापस लौटाने की,,,,

( मनोज की यह बात सुनकर पूनम हल्के से मुस्कुरा दी और बिना कुछ बोले अपने रास्ते जाने लगी मनोज तो उसे वहीं खड़ा देखता ही रह गया उसकी खूबसूरती का पूरी तरह से वह कायल हो चुका था। आप मुस्कुराते हुए इतने करीब से उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरी कायनात मुस्कुरा रही हो,,,

पूनम अपने रास्ते चली जा रही थी बेला और सुलेखा उसे देख देख कर मुस्कुरा रही थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी,,,
पूनम की चाल एकदम से बदल गई थी वह बहुत ही इतरा आकर चल रही थी,,,, बेला और सुलेखा को बार बार उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए पाकर वह बोली,,,

तुम दोनों आज इतना दांत क्यों निकाल रही हो,,,,,

हां,,,,,, हां अब तो बोलोगी ही,,,,

अब तो बोलोगी ही,,,,,, इसका क्या मतलब हुआ मैं कुछ समझी नहीं,,,,।


अब ज्यादा अनजान बनने की कोशिश मत करो पूनम,,,, आज कैसे मुस्कुरा कर उसे अपनी इंग्लिश की नोट थमा दी,,, पहले तो कैसे कहती थी कि मुझे इन सब लफड़ो में बिल्कुल नहीं पड़ना है। और आज क्या हो गया,,,


आज क्या हो गया,,, अरे तुम दोनो एकदम बुद्धू हो क्या मैंने उसे अपनी इंग्लिश की नोट दी हुं। ऊसे कोई अपना दिल निकाल कर नहीं देदी हूं जो तुम दोनों इस तरह से बातें कर रही हो,,,,,



अरे क्या भरोसा आज तुमने इंग्लिश की नोट निकालकर दी हो कल दिल भी दे सकती हो और वैसे भी तो दिल के आदान-प्रदान की शुरुआत भी तो स्कूल में किताबों के लेनदेन से ही होती है।( बेला इतना कहकर हंसने लगी और साथ में सुलेखा भी हम दोनों को हंसता हुआ देखकर पूनम को गुस्सा आने लगा और वह गुस्सा करते हुए बोली।)

अरे बुद्धू मैं उसे अपनी इंग्लिश की नोट तो क्या नोट्स का एक पन्ना भी नहीं देने वाली थी लेकिन वह कई महीनों से लगातार मांग रहा था इसलिए मुझे उस पर तरस आ गई इसलिए मैं उसे दे दी,,,,,


अच्छा यह बात है महीनो से मांग रहा था इसलिए उस पर तरस आ गई और तुमने उसे इंग्लिश की नोट दे दी,,,, यही कहना चाहती हो ना तुम,,,,,, वाह पूनम रानी तो आज बड़ी दयालु हो गए कोई महीने से पीछे पड़कर दिन रात एक कर के तुमसे इंग्लिश की नोट्स मांगा तो यह उस पर तरस खा कर के जो काम आज तक नहीं की है वह काम करते हुए उसे अपनी इंग्लिश की नॉट्स थमा दी,,,,( इतना कहते हुए बेला वहीं रुक गई और उसे देखकर पूनम भी खड़ी हो गयी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि बेला क्या कहना चाहती है वह बड़े आश्चर्य से बेला की तरफ देख रही थी और बेला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,) पूनम आज तो उसने तुम्हारे पीछे पढ़कर इंग्लिश की नोट्स मांग ली और तुमने भी उस पर तरस खाकर उसे नोट्स दे दी लेकिन जरा सोचो,,, कहीं वह जिद करके तुम्हारी ये ( उंगली से बुर की तरफ इशारा करके) मांग लिया,,,,तो,,,, तो क्या तुम तरस खाकर उसे अपनी ये भी दे दोगी,,,,,
( बेला की बातों का मतलब समझते ही वह गुस्सा करते हुए उसे मारने को हुई,,,, लेकिन बेला चालाक थी वह इतना कहते ही भागते हुए स्कूल में प्रवेश कर गई और उसके पीछे-पीछे पूनम,,,,,,,, पूनम को मनोज धीरे-धीरे अच्छा लगने लगा था इसी वजह से उसने ना चाहते हुए भी इंग्लिश के नोट्स उसे दे दी थी,,, दूसरी तरफ मनोज इसे अपनी सबसे बड़ी कामयाबी समझ रहा था उसे यकीन हो गया था कि उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने में यह नोट्स ही मदद करेगी,,,,) 

शाम के वक्त घर पर सभी लोग अपने-अपने काम में लगे हुए थे पूनम भी आंगन में झाड़ू लगाते हुए साफ सफाई कर रही थी। लेकिन उसका ध्यान मनोज पर ही था ना जाने उसका मन क्यों इस तरह से व्याकुल होने लगा था,,,, अब तो उठते-बैठते सोते जागते बस उसी का ख्याल आने लगा था। मन ही मन वह भी मनुष्य प्यार करने लगी थी लेकिन अपने परिवार की याद आते ही उसका प्यार हवा में फुर्र हो जाता था क्योंकि घर वालों से हिदायत नुमा एक प्रकार की धमकी ही मिली थी,,,की अगर घर की किसी भी लड़की का जिक्र इस तरह के लफड़ों में हुआ तो उन से बुरा कोई नहीं होगा,,,,, लेकिन दिल तो आखिर दिल है कैद में कहां रहने वाला है। अपने मन को लाख बनाने के बावजूद भी मन के अंदर मनोज का ख्याल आ ही जा रहा था,,, । तभी वह झाड़ू लगाते लगाते मनोज को याद करते हुए एक जगह पर बैठ गई,,,,, जब भी वह मनोज को याद करती तो उसके बदन में अजीब प्रकार के सुरसुराहट होने लगती थी। तभी उसकी संध्या चाची को रसोई में साफ सफाई की जरूरत पड़ी तो वह पूनम को आवाज देने लगी लेकिन पूनम तो अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी वह भला अब कहां किसी की बात सुनने वाली थी। बार-बार बुलाने पर भी पूनम की तरफ से कोई भी जवाब ना पाकर रसोईघर से संध्या बाहर आई,,,,,, 
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03-11-2019, 12:49 PM,
#15
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पूनम अरे, ओ पूनम (इतना कहते हो गए संध्या पूनम के करीब पहुंच गई लेकिन फिर भी पूनम पर जैसे किसी बात का फर्क ही नहीं पड़ रहा था,,,, वह पूनम को कंधे से पकड़कर उसे झक जोड़ते हुए बोली,,,,)

कहां खोई हुई है तू तुझे कुछ सुनाई दे रहा है या नहीं,,,

( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम जैसी नींद से जागी हो इस तरह से हड़बड़ा सी गई,,,,,)

कककक,,, क्या हुआ चाची क्या हुआ,,,,,,

अरे होगा कुछ नहीं लेकिन तू कहां खोई हुई है कि तुझे कुछ पता ही नहीं चल रहा है।
( पूनम अपनी हालत पर खुद ही शर्मा गई,,, करे भी क्या वह तो मनोज के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, फिर भी बहाना बनाते हुए बोली,,,,।)

कुछ नहीं चाची थोड़ी थकान की वजह से नींद लग गई थी,,,,

अरे वाह रे आजकल की लड़कियां थोड़े से काम में ही इतना थक जाती है कि ऊन्हैं कहीं भी नींद आने लगती है।अच्छा,,, जाओ जाकर रसोई घर साफ कर दो मुझे रसोई तैयार करना है,,, सुजाता कहां रह गई कब से उसे सब्जी लाने भेजी हूं लेकिन कहीं पता ही नहीं है,,,,,, ( संध्या की बात सुनते ही पूनम झट से रसोई घर में जाकर सफाई करने लगी,,,, संध्या सुजाता का इंतजार करने लगी जिसे वह खेतों में हरी सब्जियां लेने भेजी थी।,,,, लेकिन सुजाता खेतों में सब्जी लेने ही नहीं बल्कि अपने आशिक से भी मिलने गई थी इसलिए तो उसे देर हो रही थी,,,,,। सोहन से वह कुछ महीनों से छुप-छुपकर मिलती थी सोहन उनके पड़ोस में ही रहता था। पढ़ाई लिखाई और ना तो कमाई,,, इन तीनों से उसका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था,,,, बाप शहर में अच्छे से कमाता था इसलिए बिना किसी चिंता फिक्र के वह सारा दिन गांव में आवारा गर्दी किया करता था। सुबह पूनम के वहां दूध लेने आया करता था और सुजाता से उसकी नजरें मिल गई.

सोहन सुजाता की खूबसूरती पर फिदा हो गया था,,,, खूबसूरती क्या चीज होती है यह उस लट्ठ के पल्ले कहां पड़ने वाला था वह तो औरतों के बदन के उतार चढ़ाव को ही देख कर मस्त हो जाया करता था,,,, ऐसा नहीं है कि पूनम के घर आकर उसे सिर्फ सुजाता ही अच्छी लगी वह तो पूनम के घर की सारी औरतों को पसंद करता था,,,, उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत,,,,, खूबसूरत क्या,,, अच्छे बदन वाली पुनम की संध्या चाची लगती थी। क्योंकि संध्या की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी नजर आती थी और उनकी बड़ी बड़ी गांड देखकर वह हमेशा मस्त हो जाया करता था। पूनम की ऋतु चाची भी उसे बेहद अच्छी लगती थी और उसी तरह से पूनम तो उसे चांद का टुकड़ा लगती थी लेकिन किसी के भी साथ उसकी दाल गलने जैसी नहीं थी यह उसे भी अच्छी तरह से मालूम था। इसलिए उन लोगों के साथ वह ज्यादा मेल जोल बड़ा ही नहीं पाया वह तो सुजाता से थोड़ा बहुत बातें करते करते,,,, उसके साथ उसका टांका भीड़ गया यह साफ तौर पर मोहब्बत नहीं थी बल्कि एक दूसरे के प्रति आकर्षण ही था। सुजाता के बदन में कामाग्नि भरी हुई थी जो की शादी की उम्र के बावजूद भी अभी तक कुंवारी थी इसलिए उसके बदन को एक मर्द की जरूरत थी। जो की उसके जवानी के रस को पूरी तरह से नीचोड़ सके,,,, इसलिए चुप चुप करो बाहर खेतों में सोहन से मिला करते थे और आज भी जब संध्या ने उसे खेतों से सब्जी लाने भेजी थी तो वह सब्जी लेने के बहाने सोहन से मिल रही थी। खेतों में जंगली झाड़ियां खूब ज्यादा उगी हुई थी जिसकी वजह से शाम के वक्त दूर-दूर तक किसी को कुछ नजर नहीं आ पाता था इसी का फायदा उठा कर के वह सोहन से मिल रही थी।
सोहन सुजाता के करीब आते ही ़ झट से उसके बदन से लिपटने लगता था। रोज की तरह आज भी वह सुजाता को अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने लगा,,,, कुंवारी सुजाता अपने होठों पर मर्द की फोटो का इस तरह से ही पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी। उत्तेजना के मारे वह भी शुभम के बदन से लिपट गई। शुभम तो मौका पाते ही अपनी हथेलियों को उसके पीठ से लेकर के उसके नितंबो तक फीराने लगा,,,, शुभम की दोनों हथेलियां जैसे ही सुजाता के नितंबों पर पहुंचती वैसे ही सोहन पूरी तरह से उत्तेजित हो जाता और तुरंत सुजाता की गांड को जितना हो सकता था उतना अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए उसे नोचने खसोटने लगता,,,, सोहन की इस हरकत से सुजाता के बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगती,,,, वह पागलों की तरह सुजाता की गुलाबी होठों को चूसते हुए उसके पूरे बदन पर अपनी हथेली फीराता रहता। सोहन को पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था।पेंट मे उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर के गदर मचा रहा था वह सुजाता को चोदना चाहता था। इसलिए वह सुजाता कि गुलाबी होठों पर से अपने होंठ को हटाता हुआ अपने हाथ से उसकी कुर्ती के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए बोला,,,

ओहहहह मेरी रानी आज तो खोल दो अपनी सलवार को (इतना कहने के साथ ही हुआ अपने हाथ नीचे ले जाकर के सलवार की डोरी पर रखकर खोलने को हुआ ही था की,,,, सुजाता झट से उसका हाथ पकड़ कर उसको रोते हुए बोली,,,,)

नहीं मेरे राजा अभी बिल्कुल नहीं सही समय और सही मौका आने पर मैं खुद ही अपनी सलवार खोल कर तुम्हें अपना खजाना सौंप दूंगी,,,,,


क्या रानी प्यार में ऐसा भी कोई करता है क्या जब भी मेरा मूड बनता है तब तुम कोई ना कोई बहाना बनाकर बात को टाल जाती होै देखो तो सही मेरा लंड कितना खड़ा हो गया है।

( लंड खड़ा होने की बात सुनते ही सुजाता के बदन में गुदगुदी होने लगी उसकी बुर में उत्तेजना का रस घुलने लगा,,, उसी से रहा नहीं गया और वह हाथ आगे बढ़ाकर पेंट के ऊपर से ही सोहन के खड़े लंड को टटोलने लगी। लंड के स्पर्श मात्र से ही उसकी बुर फुलने पिचकने लगी,,,, सुजाता बड़े अच्छे से पैंट के ऊपर से ही लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए बोली,,,)

वाहहह सोहन तेरा लंड,,, तो सच में एकदम से खड़ा हो गया है।


तो क्या इसीलिए तो कह रहा हूं कि,,,,, बस एक बार एक बार मुझे चोदने दे,,,,,
( इच्छा तो सुजाता की भी बहुत होती थी चुदवाने की लेकिन क्या करती परिवार वालों से अभी उसे बहुत डर लगता था उसका बस चलता तो इसी समय सोहन के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवा ले लेती,,,,, लेकिन इच्छा होने के बावजूद भी वह अपनी इच्छा को मारते हुए बोली,,,,,)

नहीं सोहन मेरे राजा मैं सच कह रही हूं सही मौका मिलने पर मैं तुझे अपना सब कुछ सौंप दूंगी,,,,


लेकिन अभी क्या अभी तो मेरी हालत एकदम खराब हो गई है एक काम करो तुम एक बार मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर हिला दो मुझे शांति मिल जाएगी,,,,


नहीं सुमन मुझे देर हो रही है मुझे सब्जी लेकर घर जाना है।


देखो कोई बहाना मत बनाओ बस एक बार एक बार इसे अपने हाथ से पकड़ लो मैं और कुछ करने को नहीं कहूंगा,,,
( इतना कहने के साथ ही सोहन जल्दी-जल्दी अपना पेंट की बटन खोलकर लंड को बाहर निकाल लिया,,,, हवा में लहरा रहे काले लंड को देखकर सुजाता की तो सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा आज पहली बार वह लंड देख रही थी,,, उससे भी रहा नहीं गया औरं हांथ को आगे बढ़ाकर सोहन के लंड को जैसे ही पकड़ी और उसकी गर्मी जैसे ही उसकी हथेली में महसूस हुई,,,ही थी की अपने नाम की गुहार दूर से आती सुनाई देते ही वह एकदम से हड़बड़ा,,, गई,,,, और तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच ली,,, सोहन भी कुछ ही दूर से आती आवाज को सुनकर एकदम से सकते में आ गया था और जल्दी-जल्दी अपने पेंट को पहन लिया,,,,, सुजाता भी जल्दी जल्दी नीचे बिखरे हुए सब्जियों को उठाकर अपने,,, दुपट्टे में रखकर खेतों से बाहर आ गई,,,, खेतों के बाहर उसकी बड़ी भाभी खड़ी थी जो कि,,,, थोड़ा गुस्सा करते हुए बोली,,,,,

इतनी देर कहां लगा दी सुजाता कब से संध्या इंतजार कर रही है।


कहीं नहीं बादी सब्जियां ठीक से नहीं मिल रही थी इसलिए अच्छी-अच्छी ढूंढने में समय लग गया।

अच्छा जा जल्दी जा कर अच्छे से सब्जियां काट दे,,,

जी भाभी,,,,( इतना कहते ही सुजाता भागते हुए घर में चली गई)
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03-11-2019, 12:49 PM,
#16
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
कुछ दिन तक रास्ते में आते जाते पूनम को मनोज दिखाई नहीं दिया इसलिए वह मन ही मन में बेचैन होने लगी,,,, पूनम इतनी लाचार थी कि अपनी बेचैनी का हाल अपनी सहेलियों से भी नहीं बता सकती थी। वह मन ही मन तड़प रही थी मनोज को देखने के लिए,,,,, और मनोज जानबूझकर उसके सामने नहीं आ रहा था क्योंकि वह कुछ दिन पूनम की नोट्स को अपने पास ही रखें रहना चाहता था। मनोज की हालत तो पूनम से भी ज्यादा खराब थी पूनम की खूबसूरती का नाम था उसका के साथ आया था कि पूनम से जुड़ी हर एक चीज उसके लिए बेहद अनमोल लगने लगी थी यहां तक कि उसकी भी नोट्स को बार बार बार निकाल कर देखता उसके लिखे गए पन्नों पर उसके शब्दों पर अपने हॉठ रखकर उसे चूम लेता। पन्नों में से आ रही खुशबू को अपने अंदर उतार लेता ,,,, वह इंग्लिश के नोट्स को ही बार बार देखकर उत्तेजित हो जा रहा था। दो-चार दिन यूं ही गुजर गए लेकिन पूनम को मनोज का दीदार नहीं हो पाया तो परेशान होकर बातों ही बातों में वह बेला से बोली,,,,।

यार मेरा कुछ दिनों से मनोज नजर नहीं आ रहा है,,,,


अरे वाह देख में ईस लिए मैं कहती थी ना देख मैं तुझे भी ऊससे प्यार हो जाएगा और अब तो लगने लगा कि तुझे भी उससे प्यार हो गया तभी तो उसका इंतजार कर रही है।,,,

फिर पागलों जैसी बात शुरु कर दी अरे वाह मेरी नोट्स लिया है और अभी तक लौट आया नहीं और ना ही नजर आया है इसलिए पूछ रही हूं मुझे भी तो अपना काम पूरा करना है,,,,

देख पूनम तू चाहे जितना भी छिपा मुझे पक्का यकीन है कि तेरे दिल में भी उसके लिए कुछ ना कुछ जरूर होता है।,,,,

बस देना किसी ने में तुझसे कोई भी बात नहीं करती तो हर बात का बतंगड़ बनाने की पूरी कोशिश करती है। अरे तू भी अच्छी तरह से जानती है कि वह मेरी इंग्लिश की नोट्स लिया है और आज 4 दिन हो गए हैं। उसे मेरी नोट्स लौटाना तो चाहिए था ना,,, लौटाना तो दूर वह 4 दिनों से नजर तक नहीं आया है। कहीं वह मेरी दोस्त खो दिया सबका में परेशानी में आ जाऊंगा इसलिए तुझसे पूछ रही हूं,,,,,


अच्छा यह बात हे मुझे लगा कि कुछ और ही बात है,,,,,
( बेला पूनम की हालत को समझ सकती थी आखिरकार वह भी एक लड़की थी उसे भी लड़कियों के हाव भाव से पता चल जाता था कि उसके मन में क्या चल रहा है। और उसे पक्का यकीन था कि उसके मन में क्या चल रहा है। लेकिन वह बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे क्योंकि पूनम की आदत से वह बिल्कुल वाकीफ थी। धीरे-धीरे मनोज को पूनम की नोट्स लिए 1 सप्ताह गुजर गया लेकिन ना तो मनोज नजर आया और ना ही उसने नोट्स लौटाया।
इसलिए पूनम को और ज्यादा चिंता होने लगी एक तो जवाब दे जो कि आप मनोज के लिए हल्के हल्के धड़कने लगा था और ऊपर से उसके इंग्लिश की नोट उसका पता ठिकाना नहीं था। इसलिए उसकी चिंता करना बढ़ गया था।
ऐसे ही कड़ाके की सर्दी में 1 दिन उसे अकेले ही उस स्कूल जाना पड़ा लेकिन देना और सुलेखा किसी कारणवश स्कूल नहीं जा रही थी वह अकेले ही अपने रास्ते पर चले जा रही थी तभी आज उसे उसी मोड़ पर मनोज खड़ा नजर आया,,,, मनोज को देखते ही बहुत दिनों बाद उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर अाने लगे वह खुश हो गई,,,, और जल्द ही वह अपने आप को संभाल लीें और पहले की ही तरह सामान्य हो गई,,,, मनोज भी पूनम को देख लिया था वैसे तू कोहरे की वजह से सब कुछ साफ नहीं नजर आ रहा था लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे को मन की नजर से कहीं भी होते थे तो उनकी आहट सुनाई देने लगती थी। जैसे ही पूनम मनोज के करीब पहुंची वह बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,

मनोज कहां थे इतने दिन मैं तुम्हारा रोज इंतजार करती थी,,,

अरे तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कि मैं तुम्हारा प्रेमी और तुम मेरी प्रेमिका हो,,,,,
( मनोज की बात सुनते ही उसे अपनी कही बात पर ध्यान आया और वह अपनी बात को संभालते हुए बोली,,,।)

मेरे कहने का यह मतलब नहीं था मैं जो तुम्हें इंग्लिश की नोट्स दी हूं वह मुझे वापस चाहिए थी मुझे भी तो काम पूरा करना है इसलिए कह रही थी कि कुछ दिनों से नजर नहीं आए,,,,, कुछ दिनों से क्या पूरे 1 सप्ताह गुजर गए हैं।

अरे वाह पूनम तुम तो एक 1 दिन का पूरा लेखा जोखा रखी है ऐसा तो लड़कियां सिर्फ प्यार मे हीं करती हैं,,,,

तुम बड़े बदतमीज हो मैं तुमसे अपने नोट की बात कर रही हूं और तुम हो कि प्यार व्यार के चक्कर में पड़ गए ठीक-ठीक बताओ मेरी इंग्लिश की नोट्स लाए हो या नहीं,,,,,
( पूनम को गुस्सा करते हुए मनोज बड़े गौर से देख रहा था उसका गुस्सा भी कितना प्यारा है ऊसे,,, आज ही पता चला था,,,,ऊसके मुंह से गाली भी कितनी प्यारी लगती है। मनोज लगातार उसके चेहरे को घुरे जा रहा था इसलिए वहां बोली)
ऐसे क्या देख रहे हो जो पूछ रही हूं ऊसका जवाब दो,,,,

देखो पूनम मैं तुम्हें परेशान करना नहीं चाहता मैं जल्द से जल्द तुम्हारी नोट से कॉपी करके तुम्हें कॉपी लौटाने वाला ही था लेकिन,,,,

लेकिन क्या,,,,,,, (पूनम के मन में नोट्स काे लेकर डर सा लगने लगा की कहीं मनोज नोट्स खो तो नहीं दिया है,,,,,)

लेकिन पूनम वो क्या है कि मेरी तबियत कुछ ज्यादा ही खराब हो गई थी जिसकी वजह से ना तो में नोट कॉपी कर सका और ना ही स्कूल आ सका,,,,,
( तबीयत खराब होने की बात से पूनम थोड़ा चिंतित हो गई लेकिन चिंता के भाव अपने चेहरे पर वो जरा भी नहीं आने दी और सामान्य तौर पर ही बोली,,,।)

तबीयत खराब हो गई थी,,,,,, क्या हो गया था तुम्हें?

मलेरिया हो गया था बड़ी मुश्किल से में तुम्हें यही बताने आया हूं कि दो-चार दिन में ही तुम्हारी नोट्स पूरी करके तुम्हें लौटा दूंगा,,,,,, तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं,,,,,,
( मनोज की बात सुनकर पूनम थोड़ा सोच कर बोली)

चलो कोई बात नहीं लेकिन जा नहीं तो मेरी इंग्लिश की नोट से मुझे लौटा देना मुझे भी अपने सब्जेक्ट पूरे करने हैं,,,,,
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03-11-2019, 12:49 PM,
#17
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
ठीक है पूनम तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया,,,,
( मनोज की बात सुनकर पूनम हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

शुक्रिया किस बात की दूसरों की मदद करने में मुझे अच्छा लगता है,,,,( इतना कहने के साथ ही वजह से ही आगे बढ़ने के लिए अपना कदम बढ़ाई ही थी की उसने ध्यान नहीं दिया और उसकी सैंडल के नीचे बड़ा सा पत्थर आ गया जिसकी वजह से वह लड़खड़ा के एकदम से गिरने को हुई,,,, लेकिन तभी कुर्ती दिखाते हुए मनोज ने उसका हाथ थाम लिया लेकिन फिर भी हाथ थाम कर थाम थे पूनम उसके ऊपर ही गिर गई मनोज पूरी तरह से तैयार नहीं था इसलिए उसके वजन के नीचे खुद भी गिरते हुए जमीन पर गिर गया,,,,, वह जमीन पर गिर गया और पूनम उसके ऊपर गिरी जोंकि सीधे उसकी बाहों में ही आ गई,,,, मनोज के लिए तो यह कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा था जो अनजाने में ही उसकी झोली में आ गिरा था,,,, भला इस अनमोल सुनहरे मौके को वह अपने हाथ से कैसे जाने दे सकता था वह तो पूनम से सिर्फ बात करने के लिए ही तड़पता रहता था और यहां तो भगवान ने खुद पूनम को ही उस की झोली में गिरा दिया था,,,,
पूनम करते समय एकदम से घबरा गई थी लेकिन जब उसे पता चला कि वह मनोज के सीने पर गिरी है तब उसे इस बात पर तसल्ली हुई की उसे चोट नहीं लगी है,,,, पूनम का चेहरा मनोज के चेहरे से करीब करीब एक दम सटा हुआ ही था बस तो अंगूल की ही दूरी थी,,,, पूनम के गुलाबी होंठ मनोज के होठ के बिल्कुल करीब थे,,,, मनोज तो उसे देखता ही रह गया यही हाल पूनम का भी था पूनम की तो जैसे शुध बुध ही खो गई पहली बार किसी लड़के के बदन से एकदम सटी हुई थी,,,, मनोज के बदन से वह बिल्कुल सटी हुई थी,,,,
यहां तक की उसकी नथुनों से निकल रही सांसो की गर्मी भी मनोज के चेहरे पर साफ साफ महसूस हो रही थी,,,, इतनी जल्दी पूनम के बदन से सट जाएगा उसके इतने करीब आ जाएगा इस बारे में मनोज ने कभी कल्पना भी नहीं किया था।
कल्पना तो वह पूनम को ले करके बहुत कुछ कर चुका था लेकिन उसे विश्वास नहीं था। दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले जा रहे थे,,, दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी थी तभी मनोज को अपने सीने पर हल्का सा नरम नरम और गोल गोल वस्तु का एहसास होने लगा,,, तभी उसके दिमाग में चमक हुई और उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,
योग्य सिग्नल पाते ही उसके टावर को बराबर संकेत मिलने लगा। उसके सोए लंड में तुरंत हरकत होने लगी,,,, उसे यह समझते बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि उसके सीने पर जो गोल गोल वस्तु का एहसास हो रहा था वह पूनम की चुचिया थी। इस बात का एहसास होते हीैं उसके पूरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा। उत्तेजना के मारे वह तड़पने लगा अपने प्यार को अपने सपनो की रानी को अपने इतने करीब पाकर उसका मन मचलने लगा,,,, वह पूनम की लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रखने वाला था कि तभी पूनम को इस बात का एहसास हो गया कि वह किस हालत में है और जल्दी से हड़बड़ाहट में उसके बदन से उठने को हुई,,,,, मनोज समझ गया कि बड़ी मुश्किल से हाथ आया मौका उसकी मुट्ठी से सरकने लगा है वह जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहता था इसलिए वह पूनम के होठ को चूमने का आईडिया दिमाग से निकाल दिया,,, लेकिन पूनम को उठाने की कोशिश करते हुए वह अपने दोनों हथेलियों को उसकी कमर पर रखकर उसे उठाते उठाते अपनी हथेली को हल्के से नीचे की तरफ लाकर उसके गोल गोल नितंब पर अपनी हथेली रखकर दबाते हुए पूनम को उठाने लगा,,,, पूनम की गांड का नरम-नरम एहसास उसके तन बदन में आग सुलगा गया,,,, उठने की जल्दबाजी में पूनम को इस बात का पता ही नहीं चला कि मनोज ने उसके बदन पर कहा हाथ लगाया था वह जल्दी से खड़ी हो गई मनोज अभी भी पीठ के बल जमीन पर गिरा हुआ था,,,,, मनोज मौके का फायदा उठाते हुए जल्दी से अपना हाथ आगे बढ़ा दिया ताकि पूनम उसे सहारा देकर उठा सके,,,, पूनम भी औपचारिकतावश अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसे सहारा देकर उठाने लगी,,,, मनोज खड़ा होकर अपने कपड़ों पर लगी मिट्टी को झाड़ने लगा,,,, पूनम भी अपने कपड़ों पर लगी मिट्टी को झाड़ रही थी,,, मनोज फिर से उसे देखने लगा तो मिट्टी झाड़ती हुई पूनम बेहद खूबसूरत लग रही थी।
मिट्टी झाड़ते हुए पूनम अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर इस बात की तसल्ली कर रही थी कि,, कहीं कोई उसे इस हाल में देख तो नहीं लिया लेकिन सर्दी के मौसम में कोहरा इतना ज्यादा छाया हुआ था कि उसके आसपास कोई नजर नहीं आ रहा था। पूनम को इस बात की खुशी हुई कि इस हालत में उन दोनों को कोई भी नहीं देख पाया था वरना आज तो गजब हो जाता।,,,,
पूनम अब वहां रुकना नहीं चाहती थी इसलिए वह जाते हुए गिरने की वजह से जो तकलीफ हुई उसके लिए वह मनोज से सॉरी बोल कर आगे बढ़ गई,,,,,, पूनम का इस तरह से उसे सॉरी बोलना बेहद अच्छा लगा था उसे लगने लगा था कि वह अपनी मंजिल को पाने की पहली सीढ़ी पर अपने कदम को रख दिया है। पूनम को जाते हुए वह देखता रह गया खास करके वह पूनम की मटकती हुई गांड को ही देख रहा था,,,, पूनम की गांड को देखते ही वह अपनी दोनों हथेलियों की तरफ देखने लगा और इस बात की पुष्टि करने लगा कि कुछ पल पहले ही वह इन हथेलियों को पूनम की मदमस्त अनमोल और अतुल्य नितंबों पर रखकर उसे दबाने का शुख हासिल किया था। एक बार फिर से उस पल को याद करके मनोज के बदन में सुरसुरी सी फैल गई। मनोज कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा उसे आज बहुत ही अच्छा लग रहा था। और अच्छा लगता भी क्यों नहीं,,, उसके और पूनम के बीच प्यार का एक नया प्रकरण जोे शुरू हुआ था।

पूनम भी क्लास में बैठकर मनोज के बारे में ही सोचती रही,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह आज फिसल कर गिर गई और गीरी भी तो मनोज के ऊपर,,, और इस बात से खुशी भी थी कि अच्छा हुआ वहां मनोज मौजूद था। वरना वह जमीन पर ही गिरती और उसे चोट भी लग सकती थी। वह कभी सोची भी नहीं थी कि वह किसी लड़के के इतने करीब इतने करीब आएगी कि,,, उसके बदन से ही सट जाएगी जो कुछ भी हुआ था वह सब अनजाने में ही हुआ था,,,,, लेकिन पहली बार पूनम के मन में इस बात को लेकर गुस्सा यह ग्लानी नहीं बल्कि खुशी हो रही थी उसका मन आनंद से झूम रहा था। 
उसे इस बात की भी खुशी थी की अच्छा हुआ कि आज बेला और सुलेखा उसके साथ नहीं आई वरना,,,, यह सब शायद ना होता।,,, धीरे-धीरे उसे भी इस बात का एहसास होने लगा कि वह मनोज के प्रति नरम होने लगी है। यह प्यार ही था लेकिन उसका मन अभी प्यार के चेप्टर तक पहुंचने से इंकार कर रहा था।,,,, 

शाम को वह फिर से रोज की ही तरह घर की सफाई कर रही थी,,,, लेकिन आज उसे संध्या चाची नजर नहीं आ रही थी,,,
तभी उसे याद आया कि आज उसके चाचा के सर में थोड़ा दर्द था और वह अपने कमरे में चाची से सिर में मालिश करवा रहे थे,,,, पूनम को याद आते ही बस उसी की जाकर अपने चाचा की तबीयत के बारे में हाल समाचार ले ले यही सोचकर वह अपनी चाची की कमरे की तरफ जाने लगी,,, और अगले ही पल वो अपनी चाची के कमरे तक पहुंचने ही वाली थी कि,, अंदर से खिलखिलाकर हंसने की आवाज आ रही थी जो की चाची ही हंस रही थी,,,, उसे थोड़ा अजीब लगा दरवाजा बंद था लेकिन खिड़की हल्की सी खुली हुई थी इसलिए वह हल्की सी खुली खिड़की में झांककर अंदर की तरफ नजर दौड़ाई तो,,,, अंदर का नजारा देखकर उसके बदन में सुरसुरी सी फैल गई,,, उसके चाचा पलंग पर लेटे हुए थे और उनकी कमर तक चादर थी,,,, संध्या पलंग से नीचे उतर कर अपने ब्लाउज के बटन को बंद करना शुरु की थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पूनम को साफ नजर आ रही थी। वह हंस रही थी और उसके चाचा बार-बार उसके बदन से छेड़खानी कर रहे थे। पूनम अभी नादान थी लेकिन इतनी भी ना समझ नहीं थी कि वह कमरे के अंदर मर्द और औरत के बीच के रिश्ते के बारे में समझ ना सके वह पूरा मामला समझ गई और दबे पांव वहां से वापस लौट गई,,।
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03-11-2019, 12:50 PM,
#18
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
मनोज के साथ साथ पूनम की भी रातों की नींद दिन का चैन खो चुका था। पूनम को भी सोते जागते उठते बैठते बस मनोज का ही चेहरा नजर आता था। जब से वह पैर फिसलने की वजह से मनोज के ऊपर गिरी है तब से तो वह उसके ख्यालों में पूरी तरह से खो चुकी है। उसे भी अब रास्ते में मनोज के खड़े रहने का बेसब्री से इंतजार रहने लगा,,, वह सामने से तो कुछ नहीं बोलती थी लेकिन उसके बोलने का इंतजार उसे हमेशा रहने लगा। बेला उसे बातों ही बातों में उसका नाम लेकर छेड़ देती थी,,,, लेकिन अब पूनम को भी मनोज का नाम लेकर एक छेड़खानी का मजा आने लगा था लेकिन वह बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला को डांट. देती थी। पूनम के हृदय में भी मनोज के नाम का अंकुर अब अंकुरित होने लगा था। दूसरी तरफ मनोज की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी उसने तो अभी तक अपनी आंखों से ही पूनम के भजन का जायजा लेते हुए नापतोल किया था। लेकिन पूनम को गिरते-गिरते संभालने में जिस तरह से वह अपनी हथेलियों का उपयोग ऊसको उठाते समय उसके खूबसूरत बदन के उतार-चढ़ाव के रुपरेखा के अवलोकन करने में लगाया था तब से तो उसके सांसो की गति जब भी वह उसको याद करता तीव्र हो जाती थी।,,,, मनोज उसको अर्धनग्न अवस्था में उसके भरे हुए नितंब को तो देख लिया था और कपड़ों के ऊपर से उसे स्पर्श करने का सुख भी बहुत चुका था लेकिन इतने से दीवाना दिल कहां मानने वाला था वह तो उसको पूरी तरह से निर्वस्त्र देखना चाहता था और वह भी अपनी बाहों में,,,, यह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सपना था। मनोज के मन में पूनम को लेकर उसके प्रति प्यार के साथ साथ वास्ना का गंदा मिश्रण भी था मनोज ज्यादातर उसे भागने की ही इच्छा रखता था। लेकिन पूनम के मन में उसके प्रति प्यार पनप रहा था।,,, यूं ही एक दूसरे को देखते देखते ही चार-पांच दिन और गुजर गए,,,,, 

पूनम के घर पर गाय भैंसों का तबेला होने की वजह से कभी-कभी उसे भी गाय भैंस का दूध निकालना पड़ता था। उसे यह काम तो बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन फिर भी जब मजबूर हो जाती थी तो उसे करना ही पड़ता था उसी तरह से आज भी सभी को काम में व्यस्त होने की वजह से पूनम को ही दूध निकालना था और सुबह सुबह गांव के सभी लोग पूनम के घर दूध खरीदने आ जाया करते थे। पूनम अपने आप को दूसरे कामों में व्यस्त करने में लगी हुई थी ताकि कोई उसे दूध निकालने के लिए ना बोले और वैसे भी उसे आज कोई दिक्कत भी नहीं थी क्योंकि आज छुट्टी का दिन था लेकिन फिर भी वह दूध निकालना पसंद नहीं करती थी,,,, इसलिए वह घर के अंदर झाड़ू लगाने लगी,,,, तभी दूध लेने के लिए उधर सोहन आ गया,,,, सभी दिनों में उसकी मां भी दूध लेने आती थी लेकिन रविवार के दिन छुट्टी की वजह से वही घर पर दूध लेने आता था इसकी एक खास वजह थी। उसे मालूम था कि छुट्टी के दिन पुनम हीं दूध निकालती थी,,, और उसे आंख भर कर देखने का इससे अच्छा मौका दूसरे किसी भी दिन नहीं मिल पाता था,,,,, वह घर के आंगन में आकर आवाज लगाते हुए बोला,,,,,, 

चाची,,,,,,,,, वो,,,,, चाची दूध लेना है,,,,, कब से खड़ा हूं कौन निकाल कर देगा,,,,,,,


अरे मुझे सुनाई दे रहा है बहरी नहीं हूं जो इतनी जोर से चिल्ला रहा है,,,,, ( पूनम की मम्मी सोहन को बोलते हुए उसकी तरफ घूम गई जो कि अभी तक रस्सियों पर धुले कपड़े डाल रही थी,,,, और कपड़े डालने की वजह से उसके भारी-भरकम नितंबों में गजब की धड़कन हो रही थी और उसी नितंबों की धड़कन को देखते हुए सोहन मस्त होता हुआ उन्हें आवाज लगाया था। )

अरे चाची गुस्सा कांहे रही हो,,,, दूध ही तो मांग रहे हैं थोड़ी ना तुम्हारी गाय भैंस मांग ले रहे हैं,,,,,,

अच्छा तू मांगेगा तो मिल जाएगा,,,,, दिन में सपना देख रहा है क्या,,,

अरे चाची मांगने से मिल गया होता तो अब तक ना जाने क्या क्या मांग लिया होता,,,, 

क्या क्या मांग लिया होता,,,( पूनम की मम्मी गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)


अरे कुछ नहीं चाहती मैं तो मजाक कर रहा हूं और वैसे भी मुझे बहुत देर हो रही है जल्दी से दूध निकाल कर दे दो,,,,( पूनम की मां का गुस्सा देखते हुए वह बोला,,,,।)

पूनम,,,, जा बेटा जाकर जल्दी से दूध निकाल कर दे,,दे,,,, देख नहीं रही है कितना उतावला हुआ है,,,, अंदर घर में झाड़ू लगाना बंद कर और जल्दी आ,,,,( इतना कहने के साथ हीवह फिर से कपड़ों को रस्सी पर डालने लगी,,,, उसकी आवाज सुनकर सुजाता जो की छत की सफाई कर रही थी वह छत के ऊपर खड़ी होकर उसको देख कर मुस्कुराने लगी,,,,, तो हिंदी जवाब में हाथ हिलाते हुए उसे हवा में ही चुंबन को गेंद बनाकर उसकी तरफ उछाल दिया,,,, वह भी नजरें बचाकर जैसे कि किसी गेंद को लपक रही हो इस तरह से लपकते हुए उसे अपनी कुर्ती में डाल दी,,, सुजाता की यह अदा देखकर सोहन खुश हो गया,,,, और वह अपने मन की इच्छा को इशारों से दर्शाता हुआ,,, एक हाथ के अंगूठे और उंगली को जोड़कर गोल बना लिया और दूसरे हाथ की एक लंबी वाली उंगली को,,, ऊस गोलाई मे डालकर अंदर बाहर करते हुए उसे चोदने की ईच्छा बता दिया,,, पूनम की बुआ तो सोहन की इस हरकत को देखकर पूरी तरह से गंनगना गई,,,, और उसके इस इशारे को कोई और भी ना देख ले इसलिए वह झट से पीछे कदम हटा ली,,,, कब तक घर में से संध्या बर्तनों का ढेर हाथों में लिए बाहर आने लगी तो सोहन की नजर सीधे उसके बड़े बड़े ब्लाऊज से झांक रहे चुचियों पर गई,,,, सोहन चूचियों को खा जाने वाली नजर से देख रहा था,,, जिस पर संध्या की नजर गई तो वह अपने बदन को उसकी नजरों से छुपाते हुए गुस्से में बोली,,,,

क्या काम है,,,,, ऐसे क्या उल्लुओं की तरह घूर रहा है।

दददद,,, दुध,,,, दुध,,,, चाहिए कब से इंतजार कर रहा हूं,,,,
( सोहन समझ गया कि संध्या उसकी चूचियों को घूरते हुए उसे देख लि है,,, इसलिए हकलाते हुए बोला,,,, और उन दोनों की आवाज सुनकर पूनम की मम्मी जौकी कपड़े रस्सी पर डाल चुकी थी वह उनकी तरफ घूमते हुए बोली,,

अरे तू अभी तक यहीं खड़ा है,,,,, पूनम कहां गई,,,

दीदी वह तो अंदर वाले कमरे में झाडू लगा रही है । (संध्या बर्तन मांजने के लिए नीचे बैठते हुए बोली,, और उसे देखते देखते सोहन अपनी नजरों को बेठती हुई संघ्या के भारी भरकम गद्देदार गांड को देखने लगा,,,,, और उसे देखते हुआ लंबी आहें भरने लगा,,,। )

यह लड़की देना इसे कब से आवाज लगा रही हूं लेकिन यह है कि कुछ सुनती ही नहीं,,,,
( उसका यह कहना था कि तभी अंदर के कमरे से पूनम दुपट्टे को अपनी कमर से बांधते हुए बाहर आई और बोली,,,,)

क्या मम्मी आप भी ना तुम्हें अच्छी तरह से मालूम है कि मुझे दूध निकालना अच्छा नहीं लगता फिर भी मुझे ही कहती हो,, 


बेटा तुझे मालूम तो है की आज के दिन तेरे चाचा बाजार जाते हैं और वहां से घर के जरुरतों का सामान लेकर आते हैं।
और उन्हें आते आते ही दोपहर हो जाएगी,,,, इसलिए कह रही हूं जा बेटा जल्दी से दूध निकाल कर उन्हें चारा भी दे दे,,,

चाची मैं अब और कितनी देर तक इंतजार करूं,,,,( सोहन उन लोगों की बहुत सारी देखते हुए बीच मे हीं बोल पड़ा,,,, लेकिन उसकी नजर अब पूनम के बदन के उपर घूम रही थी,,,, और यही ताक-झांक करने के लिए तो वह आज के दिन दूध लेने आता था और उसे आंख सेंकने के लिए काफी कुछ नजर आ ही जाता था,,,, उसे इस बात से ही तसल्ली थी कि भले ही वह उन औरतो के नंगे बदन के दर्शन नहीं कर पाता था लेकिन वह उन औरतों के खूबसूरत बदन के उतार-चढ़ाव का जायजा कपड़ो के ऊपर से ही भली भांति ले लेता था। इतने से ही सप्ताह भर तक लंड हिलाने का काम चल जाता था। वह प्रतिदिन अपनी प्यास को अपने ही हाथों से मुठ मारकर बुझाता था,, हालांकि मुठ मारते समय उसकी कल्पना हो की अभिनेत्री रोज ही कोई ना कोई और होती थी कभी वह सुजाता को याद करके,,, मुट्ठ मारता था तो कभी संध्या के भरावदा़र गद्देदार नितंबों की थिरकन तो कभी उसकी बड़ी बड़ी चूचियां का सहारा लेता था,,,तो कभी रीतु के खूबसूरत दूरियां बदन को याद करके तो कभी पूनम की मां की गांड को याद करके मुट्ठ मारता था और जब कभी उसके बदन में कामोत्तेजना का असर अपना जलवा दिखाता तो वह पूनम के खूबसूरत बदन की कल्पना करके बहुत ही तीव्र गति से अपने लंड को हिलाते हुए पूनम की कल्पना में ही उसके साथ संभोग सुख का सपना देखते हुए अपना पानी निकाल देता था।,,,,)

आ रही हूं ऐसा लग रहा है कि दूध नहीं मिलेगा तो भूचाल आ जाएगा,,,,,,,,
( सोहन पूनम की जवानी के रस को अपनी आंखों से पीते हुए बोला,,,)

तो दे दो ना कितनी देर से तो खड़ा हूं,,,,,

( इतना कहने के साथ ही पूनम आगे आगे चलने लगी और सोहन भी उसके पीछे हो चला सोहन कोे जाते हुए देख रही 
संध्या गुस्से में मन ही मन में बड़ बड़ाते हुए बोली,,,,)

निठ्ठल्ला कहीं का।,,,, 

क्या हुआ किसे गाली दे रहीे हैं,,,,,
( पूनम की मां संध्या को बड़बड़ाते हुए देख कर बोली,,,)

अरे इसी सोहन को देखते ही नहीं हो इसे बात करने का ढंग बिल्कुल भी नहीं है जब देखो तब औरतों के बदन को घुरता रहता है।

जाने दे उसकी तो आदत ही ऐसी है,,,,( इतना कहकर दोनों फिर से अपने अपने काम में लग गए,,,, दूसरी तरफ पूनम आगे आगे चली जा रही थी दुपट्टे को कमर से बांधने की वजह से,,, कमर के नीचे वाला भाग जो कि अब काफी उभरा हुआ नजर आ रहा था पूनम के हर चाल के साथ-साथ वह बड़े ही उन्मादक अंदाज में मटक रहा था। जिसको देखते हुए सोहन बार-बार अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल दे रहा था। पूनम की गदराई जवानी सोहन के बदन में कड़कड़ाती ठंडी में भी गर्मी पैदा कर रही थी। पूनम की बलखाती कमर के साथ साथ उसकी मटकती हुई गांड कभी दांएं को लचकती तो कभी बांए को,,, और उसके साथ-साथ सोहन कि काम लोलुपता से भरी आंखें भी दाएं बाएं घूम रही थी।,,, तभी वह आगे चल रही पूनम से बात करने की कोशिश करते हुए बोला,,,,,।

पूनम तुम हमेशा छुट्टी के दिन ही क्यों दूध निकालती है बाकी के दिन क्यों नहीं निकालती,,,,

क्यों तुम्हें कोई तकलीफ है क्या,,,( पूनम सोहन की तरफ बिना देखे ही बोली,,,)

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन वह क्या है कि तुम दूध अच्छा दिखाती हो मेरा मतलब है कि दूध अच्छी तरह से निकालती हो,,,( सोहन झट से अपनी कही बात को संभालते हुए बोला वैसे उसका इरादा दूसरा ही था,,,, पूनम उसके कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो वहां लुच्चे भरी मुस्कुराहट से उसे देखने लगा,,,)
वैसे सुना है पूनम की तुम पढ़ने में काफी होशियार हो,,,,

किसने कहा,,,,

गांव वालों ने और किसने कहा,,,,, गांव वाले बता रहे थे कि तुम इंग्लिश में काफी तेज हो,,,, और हमें तो ठीक से ABCD भी नहीं आती,,,,,
( इस बार पूनम उस पर गुस्सा नहीं हुई लेकिन चेहरे का एक्सप्रेशन गुस्से वाला ही था उसे अंदर ही अंदर सोहन कि इस बात पर खुशी होने लगी,,, लेकिन वह आगे से कुछ भी नहीं बोली)
कभी जरुरत पड़े तो हमें भी कुछ बता देना,,, हमें इंग्लिश बिल्कुल भी पढ़नी नहीं आती,,,

ठीक है,,, ठीक है,,, ( पूनम आंखें तैरते हुए बोली,,,, तब तक वह तबेले के अंदर आ गई और भैंस को पूचकारते हुए बाल्टी लेकर उसके थन के नीचे लगाते हुए बैठ गई,,,, सोहन ठीक उसके करीब ऐसे खड़े हो गया जहां से भैंस के दूध के साथ-साथ पूनम के भी दूध अच्छी तरह से नजर आने लगे,,,, पूनम इस तरह से बैठी हुई थी की कुर्ती में से झांक रहे दोनों दूध सोहन को साफ साफ नजर आ रहे थे,,, शायद सोहन की किस्मत भी बड़े जोरों पर थी क्योंकि पूनम ब्रा नहीं पहनी हुई थी वह रात को सोते समय,, तंग होने की वजह से उसे रात को ही निकाल दी थी,,, जैसे-जैसे पूनम भैंस के थन को पकड़ कर खींच खींच कर दूध निकालती वैसे वैसे बदन में जलन जलन की वजह से उसके दोनों नारंगीया भी कुर्ती के अंदर उच्छल कूद मचाने लगती,,, और उन दोनों कबूतरों को फड़फड़ाता हुआ देखकर सोहन का अंडर वियर तंग होने लगा था। पूनम बड़े मजे से बाल्टी के अंदर दूध का धार छोड़ते हुए थन में से दूध निकाल रही थी,,, और सोहन उसकी कुर्ती में झांकता हुआ बोला,,,,

लगता नहीं है कि इसमें ज्यादा दूध होगा,,,,,( सोहन उत्तेजना के मारे थूक को गले में निगलता हुआ बोला,,)

यह तो देखने वाली बात है देखना में धीरे धीरे करके पुरी बाल्टी भर दूंगी,,,( पूनम,, सोहन की बात का मतलब समझे बिना ही बड़े ही औपचारिक ढंग से बोल रही थी,,)

भगवान करे जैसा तुम कह रही हो ठीक वैसा ही हो तभी तो मजा आएगा,,,( मजा वाली बात सुनकर पूनम सोहन की तरफ आश्चर्य से देखें तो सोहन बात को बदलते हुए बोला,,,)
मतलब कि अच्छा लगेगा कि तुम्हारे कहने से बाल्टी भर गई,,,

( पूनम फिर से उसकी बात पर गौर ना करते हुए दूध निकालने लगी धीरे धीरे करके आधी बाल्टी भर गई थी,,, सोहन लगातार अपनी नजरें कुर्ती के अंदर गड़ाए हुए था नजरों को तेज कर के वह बड़े गौर से कुर्ती के अंदर के खजाने को निहारने में लगा हुआ था,,,, कुर्ती में छिपा यह एक अनमोल और अमूल्य खजाना था जिसका मोल दुनिया की किसी भी कीमती चीज से चुकाकर हासिल नहीं किया जा सकता था,,,, यह अनमोल खजाना किस्मत और प्यार की बदौलत ही पाया जा सकता था और उस खजाने को सोहन अपनी नजरों से चुरा रहा था। नजरों को काफी जोर देने पर उसे पूनम की भूरे रंग की निप्पल नजर आने लगी,,,, जिस पर नजर पड़ते ही सोहन की तो हालत खराब होने लगी उसके बदन में उत्तेजना के सुरसुराहट दौड़ने लगी,,,, उसके पैंट में तंबू सा बन गया उसकी अंडरवियर काफी तंग होने लगी,,
पूनम के संतरो की निप्पल किसी स्ट्रो की तरह लग रही थी,,,
जिसको मुंह में भरकर दूधीया रंग के संतरो के स्वादिष्ट रस को पिया जा सके,,, सोहन की तो इच्छा कर रही थी कि यही पकड़ कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दे,,
लेकिन मन में एक कसक उठकर शांत हो जाती थी क्योंकि वह जानता था कि ऐसा होने वाला नहीं है। पूनम ऐसी लड़की नहीं थी हां अगर पूनम की जगह उसकी बुआ होती तो सोहन जरूर अपनी मनमानी कर सकता था। उसके मन में इस बात को लेकर भी काफी उत्तेजना थी कि पूनम के घर में जितनी भी औरतें थी सब का बदन एकदम मदमस्त था। सब की सब गदराई जवानी की मालकिन थी। चाहे उनके पास छोटी-छोटी संतरे जैसी चूचियां हो या फिर खरबूजे की तरह बड़ी-बड़ी मजा सब में भरा हुआ था। सोहन मन ही मन में सोच रहा था कि अगर पूनम की छोटी-छोटी संतरे जैसी चूचियों को मुंह में भरकर पीना हो तो किस्मत बन जाए,,, यह सब सोचकर उसका अंडरवीयर ऐसा लग रहा था मानो लंड के भार से अभी फट जाएगा,,, पैंट के अंदर ग़दर मचाया हुआ था। पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था। धीरे-धीरे करके पूनम ने दूध से पूरी बाल्टी लबालब भर दी,,, भरी हुई बाल्टी देखकर पूनम बहुत खुश हुई,,,, और खुश होते हुए बोली,,

देखा कहती थी ना कि मैं यह पूरी बाल्टी दूध से भर दूंगी,,,,

( वह सोहन से बोल रही थी लेकिन सोहन का ध्यान तो कहीं और लगा हुआ था वह पूनम की छोटी-छोटी चूचियों को देखने में व्यस्त था,,, तभी तो वह पूनम की बात पर ध्यान दिए बिना ही जवाब देते हुए बोला,,,,।)

हां लेकिन बहुत छोटी छोटी हैं,,,

छोटी छोटी है,,,, क्या छोटी छोटी है,,,,, (इतना कहने के साथ ही वह नजरें उठाकर सोहन की तरफ देखीे तो उसे अपनी कुर्ती में झांकता हुआ पाकर एकदम से सकपका गई और शर्म के मारे अपने कपड़े को ठीक करने लगी,,,, और सोहन हड़बड़ाकर अपनी बात बदलते हुए बोला,,,,)

ममममम,,,, मेरा बर्तन छोटा,,,,,,, छोटा है,,,, वरना एकाद लीटर और ले लिया होता,,,,
( पूनम समझ गई थी कि उसकी नजर किस पर थी और उसकी किस्मत खराब थी कि आज उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से उसे इतना तो मालूम ही था कि सोहन को कुर्ती कें अंदर बिना ब्रा के उसकी नंगी चूचियां बहुत साफ नजर आती होंगी इस बारे में सोच करवा एकदम से शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, वह समझ गई थी कि सोहन इन चुचीयों के बारे में ही कब से बातें किए जा रहा था और वह बुद्धू की तरह समझ नहीं पा रही थी।,, वह गुस्से से बोली,,,)

लाओ अपना बर्तन,,,,

मे तो कबसे देने को तैयार हूं लेकिन तुम ही टाइम लगा रही हो,,,, ( इतना कहते हुए वह बर्तन पूनम को दबाने लगा जिससे वह अपनी पेंट में बने तंबू को छिपा रखा था उस जगह से बर्तन हटाकर पूनम को थमाते समय सोहन बिल्कुल भी अपने तंबू को छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह मन ही मन किया जा रहा था कि पूनम की नजर उस तंबू पर पड़ जाए और ऐसा हुआ भी,,, सोहन के हाथ से बर्तन थामते समय अचानक ही पुनम की नजर उसके पैंट में बने तंबू पर चली गई,,,, और पूनम पेंट में बने उस तंबू को देखकर एकदम से सिहर गई,,, सोहन जान गया था कि पूनम की नजर उसके पेंट में बने तंबू पर पड़ चुकी है इसलिए वह दांत दिखाते हुए हंस रहा था,,,, और पूनम मन ही मन गुस्सा कर रही थी,,,, उसे शर्म भी बेहद महसूस हो रही थी लेकिन सोहन को कुछ बोल सकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं थी उससे कहती थी तो क्या कहती,,,, क्योंकि पूनम उस तरह की लड़की नहीं थी कि इस बारे में भले ही गुस्से में ही सही उससे कुछ कह सके,,, वह जल्दी जल्दी बाल्टी से दूध उसके बर्तन में निकाल कर उसे थमा दी,, वह कुटिल हंसी हंसते हुए चला गया पूनम वहीं खडी सोहन को जाते हुए क्रोध और लज्जा के साथ देखती रही। पूनम के सामने पहली बार किसी ने इस हद तक अश्लील हरकत की थी जिसकी वजह से पूनम का पूरा बदन गनगना गया था। पूनम भी उम्र के ऐसे दौर से गुजर रही थी कि सोहन के पेंट में बने तंबू के अंदर के अंग के बारे में सोच कर उस की उत्सुकता बढ़ने लगी थी।
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03-11-2019, 12:50 PM,
#19
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
मनोज पूनम का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था। जब भी उसे समय मिलता तो वहां पूनम की दी हुई नोट्स को अपने बैग में से बाहर निकाल कर घंटो उसे देखता ही रहता उसकी लिखावट पर अपनी उंगलियों का स्पर्श करके एक अद्भुत सुख की अनुभूति करता रहता,,, कभी-कभी तो वह उसके लिखावट को अपने होठों पर रखकर चूम लेता,,, कुछ दिनों से यही चल रहा था हालांकि उसे तो उस नोट्स में से अपना अधूरा काम पूरा करना नहीं था बस उसे अपने पास रख कर ऐसा प्रतीत होता था कि उसके पास पूनम की नोट ना हो करके पूनम खुद उसके करीब है।,,,, पूनम को दिया गया दो-तीन दिन का वक़्त भी मनोज ने यूं ही बिता दिया आखिरकार उसे उस नोट्स को तो लौटाना ही था,,, मनोज को पूनम से अपनी प्रेम का इजहार भी करना था लेकिन उसे किस तरह से अपने प्रेम का इजहार करना है समझ में नहीं आ रहा था।
उसने बहुत सी लड़कियों को प्रेम का इजहार करके अपने प्रेम के जाल में फंसा रखा था। लेकिन पूनम को किन शब्दों में वह अपने दिल की बात बयां करें इस बारे में उसे बिल्कुल भी नहीं सूझ रहा था। वह अपने कमरे में बैठकर पूनम की दी हुई नोट के पन्ने पलट रहा था कि तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी,,,, और वह,, इस बार अपने मुंह से नहीं बल्कि अपने प्रेम का इजहार को अपने शब्दों में डालकर कागज पर लिखने की ठान लीया,,, और अपने मन की बात को उस कागज पर उतार दिया,,,, और कागज के नीचे अंत में अपना नाम लिखकर साथ में पूनम का भी नाम लिख कर अपना मोबाइल नंबर भी लिख दिया,,,,,, उसे अपने ऊपर विश्वास था कि पूनम जरूर उसके लिए प्रेम पत्र को पढ़कर उसके प्यार को स्वीकार कर लेगी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं अगर पूनम ने उसके लिए प्रेम पत्र को पढ़कर फाड़ दी तो सारे अरमान धरे के धरे रह जाएंगे,,,,, वह इस खत को इंग्लिश की नोट में आखरी पन्नों के बीच रख कर अपने बैग में रख दिया क्योंकि उसे कल नोट्स को वापस लौटाना था।

दूसरी तरफ पूनम रात को अपने कमरे में सोते हुए मनोज के बारे में ही सोच रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने मनोज का चेहरा नजर आ जा रहा था उसका हंसता हुआ उसकी बोली भाषा उसका स्टाइल सब कुछ पूनम को अच्छा लगने लगा था। कड़ाके की ठंडी में रजाई ओढ़ कर मनोज के ख्यालों की गर्माहट से उसका बदन सुकून अनुभव कर रहा था। कभी उसे जांघों के बीच खुजली सी महसूस हुई तो वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर सलवार के ऊपर से ही,,, बुर के उपसे हुए भाग पर खुजलाने लगी,,,,,,की तुरंत उसके जेहन में सोहन का ख्याल आ गया,,, और सोहन का ख्याल आते ही उसकी आंखों के सामने उसके पैंट में बना जबरदस्त तंबू नजर आने लगा,,,, उस नजारे को याद करके पूनम के बदन में उत्सुकता के कारण सुरसुराहट सी दौड़ने लगी,,,, इतना तो उसे पता ही था की सोहन के पेंट में जिस वजह से तंबू बना हुआ है उसके पीछे उसकी जांघों के बीच के हथियार ही जिम्मेदार था,, उस हथियार को सामान्य भाषा में लंड के उपनाम से जाना जाता है यह भी,,, उसे अच्छी तरह से पता था,,,, लेकिन उन शब्दों का उच्चारण वह अभी तक मन से ही जानती थी कभी भी वह उन शब्दों को अपनी जुबान पर आने नहीं दी थी,,,,। उसे इस बात से हैरानी हो रही थी क्या उस अंग में इतनी ज्यादा ताकत होती है कि वह पेंट के आगे वाले भाग को इतना उठा देता है कि तंबू जैसा दिखने लगता है,,,, उस बारे में सोच कर उसके बदन की सुरसुराहट बढ़ने लगी थी,,,। उसके मन में इस बात को लेकर उत्सुकता होना लाजमी ही था क्योंकि उसने अभी तक किसी बड़े लड़के या एक संपूर्णता मर्द के लंड को कभी भी अपनी आंखों से नहीं देख पाई थी। उसने अभी तक सिर्फ बच्चों के ही लंड को देखी थी जिनके छोटे छोटे लंड को लंड नहीं बल्की नुनु जेसे शब्दों से जाना जाता था,,, इसलिए वह मर्दों के लंडके आकार लंबाई और उसकी मोटाई के बारे में बिल्कुल ही अनजान थी। उसे यह भी नहीं पता था कि मर्दों का लंड सुषुप्तावस्था में एकदम बच्चे की तरह हो जाता है और उसमें रक्त के तेज परिभ्रमण के कारण उसकी लंबाई में वृद्धि होने के कारण वह पूरी तरह से लंड में तब्दील हो जाता है और तब जाकर के,,, औरत की बुर में प्रवेश करने लायक बन जाता है। लेकिन पूनम इन सब बातों से बिल्कुल भी अनजान थी,, इसलिए तो वहां सोहन के तंबू के बारे में इतना कुछ सोच रही थी लेकिन उसके बारे में सोचते हुए उसे अपनी बुर के अंदर से कुछ चिपचिपा सा रिसाव होता महसूस होने लगा तो वहां उत्सुकतावश अपने हाथ को बुर. ़ के ऊपरी सतह पर रख कर,,, जानना चाहि कि ऐसा क्यों हो रहा है तो ऊसे कुछ समझ में नहीं आया कि यह गीला गीला क्यों हो गया है उसे बस ऐसा लगने लगा कि शायद तेज पेशाब लगने की वजह से पेशाब की बूंदे अपने आप ही बुर से बाहर आने लगी हैं,,,,, और उसे तेज पेशाब का एहसास भी हो रहा था और वैसे भी प्राकृतिक रूप से उत्तेजनात्मक परिस्थिति में पेशाब लग ही जाती है। सुबह जल्दी से अपने बिस्तर पर से ऊठी कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी,,, वह अपने बदन पर गर्म साल लपेट कर जल्दी से कमरे से बाहर आ गई,,, वह घर का मुख्य दरवाजा खोलने चली ही थी की,,,, उसे पीछे से बर्तन गिरने की आवाज आई और वह तुरंत पीछे मुड़कर देखी तो उसकी ऋतु चाची अपने कमरे से बाहर चली आ रही थी। उन्हें देखते ही वह बोली,,,,

क्या हुआ चाची अभी तक आप सोई नहीं,,? 
( पूनम बहुत धीमे से बोली थी जो कि सिर्फ उसकी चाची को ही सुनाई दे ताकि उसकी आवाज सुनकर दूसरा कोई न जग जाए,,,, तभी उसकी चाची कुछ बोलती से पहले ही उसके कमरे से उसके चाचा की आवाज आई,,,,।)

जल्दी आना ज्यादा देर मत लगा देना,,,

आ जल्दी आ रही हूं वहां कोई मैं सोने नहीं जा रही हूं जरा सा भी सब्र नहीं हो रहा है,,,,,( रितु यह बात फुसफुसाते हुए बोली थी लेकिन उसकी कहीं बात पूनम के कानों तक पहुंच गई अपने चाचा की बात सुनकर और चाची का जवाब सुनकर उसे समझते देर नहीं लगी कि सारा माजरा क्या है,,,, इसका साफ-साफ मतलब था कि उसके चाचा और चाची चुदाई का खेल खेल रहे थे,,,, जो कि आगे भी खेला जाना बाकी था इसलिए वहां पूनम की चाची को जल्द ही आने के लिए बोल रहे थे पूनम को सब कुछ समझते ही उसके चेहरे पर मुस्कुान फैल गई। उसकी चाची उसे मुस्कुराते हुए देख ली।,,,,
और थोड़ा चिढ़ते हुए बोली,,,,

तू क्यों हंस रही है,,,,

कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हंसी आ गई,,,

मैं सब जानती हूं कि तुझे हंसी क्यों आ गई तू जहां दांत निकाल कर हंस रही है पर तेरे चाचा इतनी कड़ाके की ठंडी में भी शांति से नहीं सोते,,,,,,( इतना कहते हुए वह खुद ही घर का मुख्य दरवाजा खोलकर बाहर आ गई और साथ ही पूनम भी,,,, चांदनी रात होने के कारण सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था हां लेकिन चारों तरफ कोहरा छाया हुआ था बाहर ठंडी कुछ ज्यादा हीं थी,,,, दोनों को जोरों से पेशाब लगी हुई थी पूनम घर के पीछे की तरफ जाने लगी तभी ऋतु उसे रोकते हुए बोली,,,,


अरे वहां कहां जा रही है।

अरे वही जो करने आए हैं,,,,

लेकिन तू घर के पीछे इतनी रात गए क्यों जा रही है पागल तो नहीं हो गई है,,, सब साथ में रहे तभी वहां जाया कर,,,

क्यों चाची,,,? 

अब यह भी तुझे बताना पड़ेगा कितने आवारा लफंगे घूमते रहते हैं ऐसे अकेले पाकर कोई कुछ भी कर सकता है,,,, चल ऊधर सामने कर लेते हैं,,,,( इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी और पूनम उनके पीछे पुनम मन में सोच रही थी कि उसकी चाची सच ही कह रही है,,, इस तरह से अकेले घर के पीछे और वहां भी पेशाब करने जाना मतलब मुसीबत मोल लेने के बराबर है,,,, तभी उसके मन में सुबह वाली बात याद आ गई जब सोहन अपने पैंट में बना तंबू बिना किसी शर्म के उसे दिखाते हुए हंस रहा था ऐसे लोगों से बचकर रहने में ही भलाई है,,, वह मन मे यही सोच रही थी कि तब तक उसकी चाची रुक गई,,, और एक बार मन में तसल्ली करते हुए अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगे कि कहीं कोई छुप कर उन्हें देख तो नहीं रहा है चारों तरफ कोहरे का धुंध फैला हुआ था इतनी दूर तक देख पाना मुश्किल ही था।
फिर भी आदत अनुसार निश्चिंत कर लेना चाहती थी और सब को निश्चित कर लेने के पश्चात वहां धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी ठीक उसके पीछे पूनम खड़ी होकर के इधर-उधर नजरे घुमाते हुए अपनी चाची को देख ले रही थी,,,, जो की उसके सामने अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और यह कोई नई बात नहीं थी अक्सर वह लोग साथ में ही बातें करने के पश्चात घर के पीछे पेशाब करने जाया करते थे और वहां इसी तरह का दृश्य हमेशा ही देखने को मिलता था। धीरे-धीरे करके उसकी ऋतु चाची ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,, कमर तक साड़ी के उठते ही
रितु चाची के पिछवाड़े का सारा भूगोल पूनम के सामने खुली किताब की तरह नजर आने लगा,,,, घर में रितु चाची का रंग सबसे ज्यादा गोरा था इस वजह से कोेहरा होने के बावजूद भी,,, उसकी मदमस्त भरावदार बड़ी बड़ी गांड किसी बल्ब की तरह चमक रही थी,,,, पूनम पहली बार अपनी चाची की मदमस्त गोरी गांड को नहीं देख रही थी वह काफी बार देख चुकी है लेकिन इस कड़ाके की सर्दी में और कोहरे से छाई धुंध में भी जिस तरह से,,, उसकी गांड बल्ब की तरह चमक रही थी यह देखकर पूनम की आंखें भी चमक गई वह टिकटिकी लगाए,, अपनी चाची की गांड को ही देखे जा रही थी जो कि वह अब नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू कर दी थी,,, तभी पूनम का ध्यान गया कि उसकी चाची नहीं आज पैंटी नहीं पहन रखी थी और पहेली भी होंगी तो वह शायद कमरे में चाचा के साथ मस्ती करते समय उतारकर आई है यह सब ख्याल उसके दिमाग में आने लगा था एक पल के लिए तो यह सब सोचकर उसके बदन में भी उत्तेजना की सुरसुरी फैल गई,,,, मन में तो आया कि वह अपनी चाची से पूछ ही ले कि तुम्हारी पैंटी कहां है तब देखे कि वह क्या बोलती है। लेकिन शर्म के मारे वह पूछ ना सकी लेकिन अपनी चाची को पेशाब करते हुए देखकर उनकी मदमस्त गांड पर नजरें गड़ाए हुए वह बोली,,,,

चाची तुम्हारी गांड बहुत खूबसूरत है ।(गांड शब्द पूनम के मुंह से पहली बार निकला था इसलिए उसके बदन में रोमांच सा फ़ैल गया,,, पूनम की बात सुनकर पेशाब करते हुए ही रितु मुस्कुरा कर बोली,,,)

देखना नजर मत लगा देना ईसी के तो तेरे चाचा दीवाने हैं अगर नजर लगा दी तो शायद वह मुझ पर इतना ध्यान भी नहीं देंगे,,,,

तब तो चाची उस पर नींबू मरचा लटका कर घूमा करो क्योंकि इस तरह से कोई देखेगा तो उसकी नजर लगेगी ही लगेगी,,,,( इतना कहकर वह हंसने लगी तब तक उसकी चाची के साथ कर चुकी थी वह खड़ी होते हुए साड़ी को ठीक से झाड़ते हुए अपने कपड़ों को दुरुस्त कर ली और उससे बोली,,,)

अगर ऐसा है तो फिर घर में सब को ही लिंबू मरचा लटका कर घूमना पड़ेगा,,,, क्योंकि अपने घर में तो सभी औरतों की गांड बेहद खूबसूरत है । (इतना कहकर वह भी हंसने लगी और हंसते हुए बोली)

अब तू भी जल्दी से कर ले वरना मैं चली जाऊंगी,,,, तेरे चाचा इंतजार कर रहे हैं,,,,।

( अपनी चाची की बात सुनकर पूनम भी आगे बढ़ी और धीरे-धीरे अपने सलवार की डोरी को खोल दी उसकी चाची की भी नजर उसके ऊपर टिकी हुई थी,,,, डोरी के खुलते ही पूनम पेंटी सहित अपनी सलवार को पकड़ कर नीचे जांघो तक कर दी,,, सलवार को नीचे सरका आते ही उसकी उजली उजली गौरी गांड वातावरण में गर्माहट फैलाने लगी,, पूनम की खूबसूरत गांड पर अभी तक किसी मर्द के हाथों का स्पर्श नहीं हुआ था इसलिए उसकी गांड का घेराव सीमित मर्यादित रूप में ही था। जिसकी वजह से पूनम की गांड हल्की-हल्की कठोर लगती थी लेकिन ऐसी थी नहीं वह एकदम रुई की तरह नरम नरम थी तभी तो कमर पर हल्की सी बलखाहट आते ही उसमें इतनी लचक अा जाती थी कि,,, गांड के बीच की फांक रबड़ की तरह इधर उधर फैलने लगती थी ऋतु के देखते ही देखते पूनम नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू कर दी और वातावरण को अपने बुर के अंदर से आ रही मधुर आवाज की ध्वनि से,,, शुमधुर कर दी,,,, पूनम की खूबसूरत मदमस्त गांड को देखते हुए उसकी ऋतु चाची बोली,,,,

पूनम तुमको तो दो दो मिर्ची और नींबू लटकाने पड़ेंगे,,,

ऐसा क्यों चाची (वह पेशाब करते हुए ही बोली,,,,)

हम लोगों से भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी गांड है इसलिए,,,,


क्या चाची तुम भी बस,,,,

अरे सच पूनम मैं सच कह रही हूं,,,,, बहुत ही किस्मत वाला होगा जिसे तुम मिलोगी और तुम्हारी यह खूबसूरत गांड,,, 

धत्त,,,, चाची कैसी बातें करती हो,,,,( इतना कहने के साथ ही वह जल्दी से खड़ी होकर के,,, अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी और खूबसूरत नज़ारे पर पर्दा डाल दी,,, लेकिन किस्मत वाले अपनी चाची की बात को सुनते ही उसके जेहन में मनोज का ख्याल आ गया था जिसका ख्याल आते ही उसके बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी।
बाहर ठंड ज्यादा थी इसलिए बाहर रुकने का कोई मतलब नहीं था वह दोनों जल्दी से घर में प्रवेश कर गई,,,

सुबह उठकर पूनम जल्दी जल्दी नहाकर स्कूल जाने के लिए तैयार हो गई उसकी दोनों सहेलियां भी आ गई दूसरी तरफ मनोज अपने लिखे प्रेम पत्र को उसकी इंग्लिश के नोट्स में रखकर उसे देने के लिए उसी मोड़ पर खड़ा होकर उसका इंतजार करने लगा,,,, पूनम के मन में भी बेचैनी छाई हुई थी वह भी मनोज से मिलने के लिए आतुर थी इसलिए अपनी सहेलियों के साथ वह स्कूल जाने के लिए निकल गई।
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03-11-2019, 12:50 PM,
#20
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
मनोज उसी मोड़ पर खड़ा होकर पूनम का इंतजार कर रहा था आज वह अपने दिल की बात कहने के इरादे से उधर खड़ा था। लेकिन जुबान से नहीं बल्कि प्रेम पत्र से उसे अपने ऊपर पूरा भरोसा था कि उसका प्रेम पत्र पढ़कर पूनम जरूर उसके प्यार को स्वीकार करेगी,,,, दूर से आ रही पूनम भी काफी बेचैन और बेसब्र लग रही थी,,, उसकी नजर मोड़ पर खड़े मनोज कर जैसे ही पड़ी उसके मन का मयूर नाचने लगा उसके चेहरे पर तुरंत प्रसन्नता झलकने लगी। उसकी दोनों सहेलियां भी मनोज को वहीं खड़ा देखकर पूनम के चेहरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी और उन दोनों को मुस्कुराता हुआ देखकर पूनम बोली,,,,

तुम दोनों ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो,,,

देख रहे हैं कि आज भी तेरा आशिक इतनी ठंडी में भी वहीं खड़ा होकर तेरा इंतजार कर रहा है,,,,( बेला इतराते हुए बोली


आशिक होगा तुम्हारा मेरा व कुछ भी नहीं है पर ज्यादा दांत निकाल कर हंसने की जरूरत नहीं है,,,, वह कोई हीरो नहीं है कि उसे देखते ही मैं खुश हो जाऊंगी बल्कि उसे देखती हूं तो मुझे गुस्सा आने लगता है,,,,( पूनम बात बनाते हुए बोली)

गुस्सा,,,,, लेकिन क्यों,,,,,( बेला आश्चर्य के साथ बोली)

ववव,,, वो,,,,, वह है इतना कमीना,,,, अब देखना इतनी सिफारिश किया तो मैंने उसे अपनी इंग्लिश के नोट्स दे दी और उसे नोट्स दिए हुए आज सप्ताह से भी ऊपर हो गए लेकिन वह मेरे नोट्स अभी तक लौटाया नहीं है आज तो मैं उससे अपनी नोट्स मांग कर ही रहूंगी भले उसका काम पूरा हुआ हो कि ना हुआ हो,,,,,,( पूनम बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली)

अच्छा यह बात है हम भी देखते है कि एक आशिक से भला तुम सच में अपनी दी हुई अमानत मांग लेती हो या बस यूं ही बना वटी गुस्सा कर रही हो,,,,


यह बात है मैं भी दिखाती हूं कि मैं सच कह रही हूं या झूठ,,,
( इतना कहते हुए तीनों तेजी से मनोज की तरफ जाने लगे लेकिन पूनम मन में यही सोच रही थी कि वहां कैसे मनोज से गुस्से में बात करेगी,,, पहले की बात कुछ और थी वाह मनोज को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी लेकिन अब बात कुछ और है मनोज को पसंद करने लगी थी मन में यही सब सोचते होंगे वह कब उसके करीब पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला उसकी दोनों से बजाओ उसको ही देख रही थी कि वह कैसी मनोज से अपनी नोट्स मांगती है,,,, । मनोज के करीब पहुंच कर बात उसी से वोट मांगने की बजाए उसको भी देखे जा रही थी मनोज भी पूनम के चेहरे को नजर भर कर देख रहा था और उसकी दोनों सहेलियां पूनम को देखती तो कभी मनोज को,,,,, तभी बेला पूनम के हाथ में चुटकी काटते हुए बोली,,,।)

अरे यूं खामोश होकर बस देखे ही जाएगी कुछ बोलेगी भी,,,

( उसे चुटकी काटने से जैसे वह होश में आई हो इस तरह से हड़ बड़ाते हुए बोली,,,)

हहहहहहह,,, हां,,, बोल रही हूं ना,,,

क्या बोलना चाहती हो बोलो,,,पुनम,,,,, ( मनोज अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट लाते हुए बोला और उसकी यह मुस्कुराहट देखकर पूनम उसकी दीवानी हो गई वह ऊसकी आंखों में ही झांके जा रही थी।,,,)

वो,,, वो,,,, वो,,,,, 

क्या वह वह लगा रखी है जो कहना चाहती है वह बोल दे,,,,
( बेला उसकी बात को बीच में ही काटते हुए बोली,,,,)

क्या हुआ पुनम जो बोलना चाहती हो बोल दो अच्छा रुको (इतना कहकर वह अपने बैग खोलने लगा,,,, और उसमें से इंग्लिश की नोट निकालकर पूनम को थमाते हुए) यह लो तुम्हारी इंग्लिश की नोट मैं अपना काम पूरा करता हूं और हां इतने दिन तक अपनी नोट मुझे देने के लिए शुक्रिया,,,,,। 
( मनोज की बातें सुन कर तो पूनम कुछ बोल ही नहीं पाई मनोज ने अपना काम कर दिया था वह उसकी मौत ने अपने लिखे हुए प्रेम पत्र को रखकर अपना मोबाइल नंबर भी लिख दिया था वह खोल कर देख ना ले इसलिए वह इतना कहकर जल्दी से वहां से चला गया,,,, क्योंकि मुझे इस बात का डर भी था कि कहीं उसकी सहेलियों के सामने उसे उस का दिया हुआ प्रेम पत्र अच्छा ना लगे और वह गुस्से में कुछ बोल दे अगर वह अकेले में उसके प्रेम पत्र को देखेगी तो उसके बारे में जरूर सोचेगी,,, पूनम भी अपनी इंग्लिश की नोट लेकर उसे जाते हुए देखती रही,,,, मनोज जब चला गया तो उसकी दोनों सहेलियां उसके चेहरे की तरफ गुस्से से देखते हुए बॉली,,,

क्या हुआ मेरी पूनम रानी कहां गया तुम्हारा गुस्सा बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करती थी यह कह दूंगी वह कह दूंगी और ऊसके सामने आते ही एकदम भीगी बिल्ली बन गई,,,,, तुम जानती हो इसका मतलब क्या होता है।,,,, 

अरे इसका मतलब क्या होता है जो मैं उससे मांगना चाहती थी वह खुद ही सामने से दे दिया तो मैं उससे क्या कहती।,,,, 


तुम भला उसे क्यों कहने लगी इसी को तो प्यार कहते हैं मैं कहती थीैं ना एक ना एक दिन,,, तुम्हें भी उससे प्यार हो जाएगा और आखिरकार हो ही गया,,,,

फिर बेवकूफ वाली बात करना शुरू कर दी अब चलो स्कूल देर हो रही है,,,
( पूनम बात को उधर ही दबाते हुए स्कूल चलीे गई,,,,
मनोज मन ही मन में खयाली पुलाव बनाने लगा था। वह बस इंतजार कर रहा था कि कब पूनम इंग्लिश के नोट्स खोलें और उसके लिए प्रेम पत्र को पढ़कर उसका जवाब दे,,,,
लेकिन दो-चार दिन बीत जाने के बाद भी पूनम की तरफ से कोई जवाब नहीं आया वह जानबूझकर पूनम के सामने नहीं जा रहा था उसे यह लग रहा था कि अगर पूनम उसके प्रेम पत्र को पड़ेगी तो नीचे लिखे नंबर पर जरूर कॉल करेगी,,,, लेकिन ना तो पत्रकार जवाब आया और ना ही कोई कॉल आई,,,, 
पूनम इस बात से बिल्कुल भी खबर थी कि मनोज ने उसे लव लेटर लिखा हुआ है और वह लेटर उसकी इंग्लिश की नोट्स में ही रखी हुई है। लेकिन मन ही मन में वह भी मनोज को लेकर के,, ढेर सारे सपने बुनने लगी थी। यह उम्र बड़ी ही फिसलन भरी होती है चाहे जितनी भी,,,, बंदिशों की बेड़ियों में जकड़ आने की कोशिश करो यह उतनी ही ज्यादा फीसलती है। और यही पूनम के साथ भी हो रहा था अपने आप उस का झुकाव मनोज की तरफ बढ़ता ही जा रहा था।
लेकिन इस बात का डर भी उसे बराबर लगा रहता था कि इस बारे में कहीं उसके घरवालों को कुछ भी पता ना चल जाए इसलिए वह बड़ा ही ख्याल रखती थी। इस बात से वह बिलकुल बेखबर थी कि मनोज ने उसे प्रेम पत्र भेजा है। 
ऐसे ही रात को खाना खाने के बाद वह अपनी संध्या चाची के पास जाने लगी क्योंकि उसके चाचा 2 दिन के लिए बाहर गए हुए थे,,, वजह से ही अपनी चाची के कमरे के करीब पहुंची की अंदर से हंसने की आवाज आने लगी पूनम को समझ में नहीं आया की चाची अकेली है तो वह अकेले हंस क्यों रही हैं वह उत्सुकतावश खिड़की के पास खड़ी हो गई खिड़की हल्की सी खुली हुई थी वह अंदर अपनी नजर दौड़ा कर देखी तो उसकी संध्या चाची,,, बिस्तर पर लेटी हुई थी और वह हंस-हंसकर मोबाइल पर बातें कर रही थी। पूनम उत्सुकतावश कहां लगा कर उनकी बातों को सुनने की कोशिश करने लगी क्योंकि हल्की-हल्की उसके कानों में पड़ रही थी। 

तुम कैसी रात गुजारोगे यह तो मुझे नहीं मालूम लेकिन तुम्हारे बिना मेरी रात बिल्कुल भी नहीं कटेगी,,,,, ( संध्या फोन पर अपने पति से बात करते हुए बोली पूनम भी समझ गई कि उसके चाचा से ही वह बातें कर रही है।,,, वह बार-बार मुस्कुरा दे रही थी और उसके हाथ उसके खुद के बदन पर चारों तरफ घूम रहे थे,,,,, पूनम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह बात करते हुए अपने बदन पर हाथ क्यों घुमा रही हैं,,, अगर सामान्य तरीके से संध्या का हाथ बदन पर घूमता तो उसे आश्चर्य नहीं होता लेकिन कुछ अजीब प्रकार से ही संध्या का हाथ उसके बदन पर घूम रहा था इसलिए पूनम को यह बात थोड़ी अजीब लग रही थी कि तभी संध्या का हाथ,,, उसकी चूची पर आ कर रुक गई और वह उसे जोर जोर से दबाते हुए बोली,,,,,

सससससहहहह,,,, मेरे राजा खुद के हाथ से इतना मजा नहीं आता चूची दबाने में जितना कि तुम्हारे दबाने से आता है।,, 
( अपनी संध्या चाची की यह बात सुनते ही उसे सारा माजरा समझ में आ गया पर फोन पर अपने चाचा के साथ गंदी बातें कर रही थी और यह बात सुनकर उसके बदन में भी सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,,, उसका एक मन कहा कि वह वहां से चली जाए और वह वहां से जाने ही वाली थी कि तभी वह मन में सोचा की देखो तो सही चाची फोन पर बातें करते हुए क्या-क्या करती हैं इसलिए वह खिड़की पर खड़ी रही,,,, तभी उसके अंदर से आवाज आई जो कि उसकी चाची फोन पर अपने पति से बोल रही थी,,,,।

हां हां उतारतीे हूं तुम तो इतने उतावले हुए हो कि जैसे मुझसे दूर नही मेरे पास में ही बैठे हो,,,,,
( यह बात सुनकर पूनम को समझ में नहीं आया कि उसकी चाची क्या उतारने की बात कर रही है कि तभी वह खिड़की में से साफ-साफ देख पा रहीे थीे कि उसकी चाची एक हाथ से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और वह समझ गए कि फोन पर उसके चाचा उसे ब्लाऊज ऊतारने के लिए बोल रहे थे। यह नजारा देखकर तो एकदम से सन्न रह गई,,, अगले ही पल उसकी चाची ने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को नंगी कर दी और खुद ही एक हाथ से बारी-बारी से दोनों चूचियों को दबाने लगी,,,, अपनी चाची की बड़ी बड़ी चूची को देखते ही पूनम की जांघों के बीच खलबली सी मचनें लगी,,, ऐसा नहीं था कि वह अपनी चाची की बड़ी बड़ी चूची और को संपूर्ण नंगी पहली बार देख रही हो वह पहले भी अपनी चाची की नंगी चूचियों के दर्शन कर चुकी थी लेकिन आज माहौल कुछ और था इसलिए उन चुचियों को देखकर उसके बदन में गंनगनी सी छाने लगी,,,,,
उसकी चाची सिसकारी लेते हुए अपनी चुचियों को दबा दबा कर अपने पति से बातें कर रही थी,,,,, 

अगर तुम इस समय मेरे पास होते तो मजा आता है क्योंकि तुम मेरी चूचियों को अपने मुंह में भरकर जोर-जोर से चुसते हुए इसे पीते,,,,
( संध्या अपने पति से एकदम गंदी बातें कर रही थी जिसे सुनकर पूनम की हालत खराब होने लगी थी वह जिंदगी में पहली बार इस तरह की बातें सुन रही थी और वह भी अपनी चाची के मुंह से,,, वह बार-बार यही सोच रही थी कि यहां से चली जाए लेकिन कमरे का अंदर का नजारा एकदम गर्माहट भरा था जो कि जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी पूनम के लिए,,,, यह नजारा का दर्शन करना,,

इस नजारे का दर्शन करना एकदम अद्भुत और आनंद से भरपूर था। उत्तेजना के मारे पूनम का गला सूखने लगा था अपनी चाची का यह रूप पहली बार देख रही थी शायद एक औरत अपने पति से दूर रहकर रात को उसकी हालत क्या होती है आज पहली बार पूनम को इस बात का पता भी चल रहा था।,,,,, पूनम धड़कते दिल के साथ अपनी नजरें खिड़की से सटाकर अंदर का नजारा देख रही थी तभी उसके कानों में अगले शब्द जो पड़े उसे सुनते ही,,,, उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया उसे समझ में नहीं आया कि उसकी चाची क्या बोल रही है वह अपने पति से थोड़ा सा रूठने वाले अंदाज में बोली,,,,

नहीं बिल्कुल भी नहीं बेगन से मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता बल्कि उससे मेरी प्यास और ज्यादा बढ़ जाती है,,,, जब तक तुम्हारा मोटा लंबा लंड मेरी बुर में नहीं जाता तब तक मुझे चैन नहीं मिलता,,,,,
( लंड बुर जैसे अश्लील शब्दों को अपनी चाची के मुंह से सुनकर पूनम एकदम से सन्न रह गई,,,, उसे अपनी आंखों पर और अपने कानों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह जो देख रही है वह सच है और जो सुन रही है वह बिल्कुल सही है उसे बार-बार यही लगता था कि जैसे वह कोई सपना देख रही है क्योंकि वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी संध्या चाची लंड बुर जैसे शब्दों का उपयोग खुले तौर पर बिना झिझक के कर सकती है। लेकिन यह बिल्कुल सत्य था जो वह देख रही थी वह सपना नहीं हकीकत है और जो बात सुन रही थी वह बिल्कुल सही सुन रही थी। पूनम की उत्तेजना बढ़ने लगी थी उसकी सांसो की गति बढ़ती जा रही थी सांसो के साथ-साथ उसके दोनों नौरंगिया उपर नीचे हो रहे थे। उसके मन में तो आया कि वह वहां से चली जाए लेकिन ना जाने कैसा कसक था कि उसे जाने नहीं दे रहा था एक गुरुत्वाकर्षण का बल उस कमरे में पैदा हो रहा था जहां से उसकी नजरें हटाने पर भी नहीं हट रही थी। उसके मन में उत्सुकता थी कि आखिर चाची बैगन की चर्चा क्यों कर रहे हैं वह बेदम जैसे सब्जी का उपयोग बातों के दौरान क्यों कर रहे हैं और यही देखने के लिए वह वहीं रुकी रही,,,,

नहीं आज नहीं बिल्कुल भी नहीं तुम जानते हो कि तुमसे चुदवाए बिना मुझे चैन नहीं मिलता भले ही मैं अपनी बुर में फिर बेगन डाल लु या फीर ककड़ी इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता,,,,( संध्या चाची के कहे गए यह शब्द पूनम के लिए किसी प्रहार से कम नहीं था पूनम इस तरह के शब्दों को आज ही सुन रही थी और यह शब्द उसके बदन में उत्तेजना का रस घोल रहा था जो कि यह रस उसकी जांघों के बीच से टपकता हुआ उसे साफ तौर पर महसूस हो रहा था,,,, वह झट से अपने हाथ को अपनी जांघो के बीच ले जाकर बुर पर स्पर्श कराई तो उसे वह स्थान गिला गिला सा महसूस होने लगा,,,, उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आया कि यह क्या है।
वह वहां से चली जाना चाहती थी लेकिन ना जाने उसके दिमाग में क्या चल रहा था की वह वहां से एक कदम भी हिला नहीं पा रही थी,,,, कि तभी उसके कानों में उसकी चाची की आवाज आई,,,,,

अरे यार तुम इतना उतावला क्यों हो जा रहे हो,,,, वैसे भी मैंने आज पेंटी नहीं पहनी हुं ( इतना कहते हुए वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,,, पुनम यह नजारा देखकर और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगी,, उसका चेहरा लाल सुर्ख होने लगा
सांसों की गति और ज्यादा बढ़ गई,,,,, बार-बार उसकी इच्छा हो रही थी कि वह अपना हाथ जांघो के बीच ले जा कर के जोर जोर से दबाए लेकिन उसे ऐसा करने में कुछ अजीब सा लग रहा था इसलिए वह अपने आप को इस तरह की स्थिति में भी संभाले हुए थी,,,, पूनम की नजर उसकी चाची की जांघों के बीच ही टिकी हुई थी संध्या की गोरी चिकनी जांघे केले के तने की तरह मोटी मोटी औरत चमक रही थी,,, बुर पर हल्के हल्के बाल पूनम को साफ नजर आ रहे थे।,,, तभी वह हम जोर-जोर से अपनी नंगी बुर को अपनी हथेली से रगड़ते हुए गर्म सिसकारी छोड़ने लगी,,,,

सससससहहहहहह,,,,, मेरे राजा मेरे बलम चले आओ और मेरी बुर में अपना लंड डालकर मुझे चोदो,,,,,
( संध्या चाची की यह बात पूनम के तन-बदन में आग लगा रहे थे जो शब्द वह कभी कभार रास्ते में आते जाते आवारा छोकरो को एक दूसरे को गाली देते सुनी थी वही शब्द उसकी चाची बड़े मजे ले कर बोल रही थी,,,, जिस तरह से वह अपनी बुर को अपनी हथेली से रगड़ रही थी ऐसा कभी पूनम में सपने में भी नहीं सोची थी,,,, या तो पूनम की सोच थी ऐसे बहुत से नजारे थे जो अभी तक पूनम नै ना सोची थी और ना ही देखी थी।,,,, कभी उसकी चाची ने बिस्तर के नीचे से एक मोटा तगड़ा बेगन निकाल कर हाथ में ले ली,,, यह देखकर पूनम के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी चाची बैगन ले कर क्या करेंगी,,, 

अरे डाल रही हूं ना तुमसे बिल्कुल भी सब्र नहीं होता,,,
( तभी फॉन पर संध्या बोली और यह बात सुनकर पूनम को समझते देर नहीं लगी की उसके चाचा जी उसे कुछ डालने के लिए निर्देश कर रहे हैं। पूनम उत्तेजना के मारे सर से पांव तक पसीने से लथपथ हो गई सांसो की गति किसी रेलवे इंजन की तरह धक धक धक धक करके चलने लगी थी,,,, उसकी आंखों में ऐसा नजारा कभी नहीं देखी थी,,, कमरे के अंदर चल रही संध्या के क्रियाकलापों का उसके कोमल मन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा था।,,, आगे उसकी जाति कौन सी हरकत करती है इस उत्सुकता से वह,,,खिड़की से अंदर झांक रही थी कि तभी उसकी आंखों के सामने ही उसकी चाची एक मोटी बैगन को अपनी बुर के मुहाने पर रख कर धीरे-धीरे करके उसे अंदर की तरफ सरकाने लगी,,,, यह देख कर तो पूनम की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई,,,, जय हो वहां क्या देख रही है इस बात को तो कुछ पल के लिए वह भी समझ नहीं पाई,,,,, उसके देखते ही देखते उसकी चाची ने पूरा बेगन अपनी बूर के अंदर उतार ली,,,, और फोन पर गरमा गरम सिसकारी की आवाज ऊसके चाचा को सुनाने लगी पूनम की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन वह जो देख रही थी वह सनातन सत्य था। पूनम की आंखें खुली की खुली थी और उसकी चाची मोटे ताजे बेगन को जल्दी-जल्दी अपनी बुर के अंदर बाहर कर रही थी। पूनम से यह नजारा देखकर बिल्कुल भी रहा नहीं गया और उसके हाथ खुद ब खुद जांगो के बीच पहुंच गया,,, और वहां सलवार के ऊपर से ही अनजाने में अपनी बुर को हथेली से दबाने लगी,,, कमरे के अंदर का कामोत्तेजना से भरपूर नजारा और उसके बदन की गर्मी की जवानी की तपन से एकदम से पिघल गई,, और अगले ही पल उसकी बुर से मदन रस का फुहारा छूट पड़ा,,,
उसके बदन में इस तरह की स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई थी इसलिए वह,,, अपनी बुर क्यों हो रही मदन रस के बहाव को समझ नहीं पाई और वह एकदम से घबरा गई,,, वह जल्दी से भागते हुए अपने कमरे में आई और दरवाजे को बंद करके तुरंत अपनी सलवार उतार कर पैंटी के अंदर देखने लगी,,,, बुर की ऊपरी सतह पर ढेर सारा चिपचिपा पानी लगा हुआ था जिसकी वजह से उसकी पेंटी भी गीली हो चुकी थी,,,,
उसने कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह चिपचिपा सा निकला पदार्थ है क्या,,, उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था वह जल्दी से अपने कपड़े बदल कर बिस्तर पर लेट गई,,,, पर सोने की कोशिश करने लगी लेकीन नींद ऊसकी आंखो से कोसो दुर थी। रात भर वह बिस्तर पर करवट बदलते हुए अपनी चाची के कमरे के नजारैं को याद करती रही,, और खुद के अंग से हुए स्खलन की वजह से ऊसके मन मे ढेर सारी शंकाए जन्म लेती रही,,, यही सब सोचते हुए कब उसे नींद आई उसे भी पता नहीं चला।
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