Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
03-11-2019, 12:50 PM,
#21
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
दूसरे दिन जब पूनम की आंख खुली तो काफी उजाला हो चुका था वह जल्दी से बिस्तर से उठकर सीधे बाथरूम में घुस गई और नहा धोकर,,,, अपना बैग लेकर स्कूल जाने के लिए तैयार हो गई रात वाली बात वह बिल्कुल भूल चुकी थी,, जैसे ही कमरे के बाहर वो जाने लगी फिर से पीछे से उसकी संध्या जाती उसे आवाज़ देते हुए दूध का गिलास लेकर उसके पास आ गई,,,

इतनी बड़ी हो गई है लेकिन क्या मैं तुझे हमेशा बच्चों की तरह अपने हाथ से ही दूध पिलाऊ,,,( संध्या गिलास का दूध पूनम को थमाते हुए बोली,,, संध्या को देखते ही पूनम को रात वाली सारी बातें याद आने लगी और उसकी आंखों के सामने वो नजारा किसी पिक्चर की तरह घूमने लगा जब संध्या खुद अपने ही हाथों से अपनी चूची को दबा रही थी और बेगन को अपने बुर में अंदर बाहर कर रही थी,,, पूनम अपनी चाची के हाथों से दूध का गिलास मुस्कुराते हुए लेली,,

थैंक यू चाची तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो,,,,( इतना कहकर पूनम दूध पीने लगी संध्या वापस अपने काम में लग गई अपनी चाची को देखकर पूनम समझ में नहीं पा रही थी कि चाची का यह कैसा रूप है दिन के उजाले में वह किस तरह के चरित्र में पेश आती हैं और रात को उनका चरित्र किस हद तक सारी हदें पार कर देता है,,,। दूध पीते हुए पूनम यही सब सोच रही थी लेकिन उसके सोचने का ढंग कुछ अलग था क्योंकि यदि वह दुनिया के समाज के अंदर के चेहरे से बिल्कुल भी अनजान थी,,, औरत का चरित्र हर पल सामाजिक रीति रिवाजों और संबंधों के हिसाब से बदलता ही रहता है। औरतों में बहन भी होती है मां भी होती है एक पत्नी भी होती है एक प्रेमिका भी होती है जो कि समय-समय पर अपने चरित्र को बदलती रहती हैं,। दिन में औरत अपने संबंधों के हिसाब से अपने चरित्र को जीती है। दिन भर सुबह अपने भाई के साथ बहन का अपने पिता के साथ बेटी का और अपने बच्चे के साथ मां का फर्ज निभाती है और रात को अपने पति के साथ एक पत्नी धर्म निभाते हुए अपनी सारी शर्म मर्यादा को छोड़कर,, अपने पति की सेवा में अपना तन मन सब कुछ समर्पण कर देती है और यही कार्य पिछली रात को संध्या भी अपनी पति की खुशी की खातिर फोन कर अश्लील बातें करते हो अपने बदन के साथ कामुक हरकत कर रही थी,, जिससे उसे भी उतना ही सुख प्राप्त हो रहा था जितना कि फोन पर सिर्फ उसकी अश्लील हरकतों के बारे में सुनकर उसके पति को हो रहा था,,, पूनम इन सब बातों से बिल्कुल अनजान थी इसलिए उसे यह सब बिल्कुल अजीब लग रहा था लेकिन रात के नजारे की बात याद आते ही उसके बदन में सुरसुराहट दौड़ने लगी,,,, वह अपना दूध का गिलास खत्म कर पाती इससे पहले ही घर के बाहर उसकी सहेलियों ने उसे आवाज़ लगा दी और वह जल्दी से दूध का गिलास खत्म करके गिलास वहीं ही रख कर बाहर की तरफ भाग गई,,,,।


क्या यार तुम तू हमसे पहले कभी भी पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाती जब देखो तब हमारे आने के बाद ही तू आती है,,,
( बेला पूनम को डांटने के अंदाज में बोली।)

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो कब से तैयार होकर बैठी थी बस तुम दोनों के आने का ही इंतजार कर रही थी,,,( पूनम बातें बनाते हुए बोली,,,।)

हां हां बस रहने की बातें बनाने को हम जानते हैं कि तु तैयार होकर ही बैठी रहती हैं,,,,


बस बस बहुत हो गया थोड़ा सा इंतजार क्या कर लेती है ऐसा लगता है कि मुझे अपने सर पर बिठा कर ले जाती है।
( पूनम उन दोनों को गुस्सा करते हुए बोली,,,। इसके बाद उन दोनों में से किसी ने कुछ भी नहीं कहा वह तीनों स्कूल की तरफ जाने लगे ठंडी बड़े जोरों से पड़ रही थी,,, इसलिए पूनम अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ते हुए बदन में गर्माहट पैदा करते हुए जा रही थी,,,, यह देखकर बेला चुटकी लेते हुए बोली,,,।)

पूनम तेरे शरीर में ठंडक कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है तुझे गर्मी की जरूरत है,।

हारे देखना ठंड कितनी ज्यादा है,,,,


तू एक काम कर दो ना एक ही तरीके से तेरी ठंडी पूरी तरह से गायब हो जाएगी,।

कैसे जरा जल्दी बता मुझे ज्यादा ही ठंड लग रही है,,,,,


किसी मस्त छोकरे के साथ जाकर चिपक जा,,, वह तुझे अपनी हरकतों से इतना गर्म कर देगा कि तू इतनी कड़कड़ाती ठंडी में भी अपने सारे कपड़े उतार कर उस से चिपक जाएगी।

( बेला की बात सुनते ही पूनम गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोली,।)

इस कड़कड़ाती ठंडी की वजह से मैं मजबूर हूं वरना ईसी हाथ से तेरे गाल पर एक तमाचा मारती थी तो तु पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो जाती,,,

अरे यार तुझसे तो मजाक भी नहीं कर सकते जब देखो तब गुस्सा हो जाती है।( उसका इतना कहना था कि उसकी नजर उस मोड़ पर ही इंतजार कर रहे मनोज पर पड़ी) ले देख ले तेरा आशिक भी तेरा इंतजार कर,,, रहा है जाकर चिपक जा वह तुझे पूरी तरह से गर्म कर देगा,,, ।
( बेला की बात सुनते ही पूनम की नजर उस मोड़ पर खड़े मनोज पर पड़ी तो उसे देखते ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव उमड़ पड़े लेकिन वह जल्द ही अपने चेहरे पर गुस्से का भाव लाते हुए बोली,,,।)

इसे भी कोई काम नहीं है जब देखो तब यही खड़ा होकर के इंतजार करता रहता है,,,, दोखना आज तो यह मुझसे कितनी भी बात करने की कोशिश करे लकीन मैं इससे बिल्कुल भी बात नहीं करूंगी,,,

क्यों कोई नाराजगी है क्या (बेला तपाक से बोली)

तू अपनी बकवास बंद रख,,,
( दूसरी तरफ मनोज उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था वह आज अपने मन की बात बोल देना चाहता था और उससे पूछना भी चाहता था कि वह उसके प्रेम पत्र का जवाब क्यों नहीं दे रही है,,,, लेकिन उसके दिमाग में आया कि ऐसा भी तो हो सकता है कि पूनम ने उसके दिए लेटर को पढ़ा ही ना हो,,
यही सब सोचकर उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था पूनम एकदम करीब आते जा रही थी वह समझ नहीं पा रहा था कि वह उससे बोले या ना बोले,,,, तभी उसंने सोचा कि सबके सामने बोलना ठीक नहीं है क्योंकि पूनम दूसरी लड़कियों की तरह नही हैं। उसके यह सोचते ही सोचते पूनम बिल्कुल उसके करीब आ गई पूनम भी यही सोच रही थी कि मनोज से कुछ बोलें लेकिन इसी कशमकश में मनोज कुछ बोल नहीं पाया हालांकि पूनम उसे करीब पहुंचते ही उसके कदम धीरे-धीरे पड़ने लगे थे,, लेकिन बोले कि ना बोले की कशमकश में मनोज रह गया और पूनम आगे निकल गई,,,, पूनम के लिए कान तरस रहे थे मनोज की आवाज सुनने के लिए उससे बात करने के लिए लेकिन बेला और सुलेखा की होते हुए यह होना मुमकिन नहीं था,,,,, हाथ में आया हुआ मौका मनोज के हाथ से निकल गया था मनोज को यह लगने लगा कि वास्तव में पूनम ने उसका दिया लेटर पढ़ा ही नहीं है,,, वरना वह उसे देखकर कुछ ना कुछ प्रतिक्रिया जरूर करती,,, 
क्लास में बैठा-बैठा मनोज तय कर लिया कि कुछ भी हो वह पूनम से पूछ ही लेगा उसके लिए प्रेम पत्र के बारे में लेकिन ना जाने क्यों मनोज हिम्मत नहीं कर पा रहा था आज पहली बार उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसे भी लड़कियों से डर लगता है यह सभी लड़कियों के बारे में नहीं था या फिर पूनम के ही बारे में था क्योंकि इससे पहले उसने जिसको चाहा उस लड़की से अपने मन की बात बोल दिया लेकिन पूनम से बोलने में उसे ना जाने किस बात का डर लगता था। फिर भी वह स्कूल छूटने का इंतजार करने लगा,

स्कुल छुट़ चुकी थी छूटने की घंटी बजते ही वह जल्दी से अपने क्लास से बाहर निकल कर गेट पर खड़ा होकर पूनम का इंतजार करने लगा,,,, पूनम उसे अकेले ही आती नजर आई उसे अकेला देखकर वह खुश हो गया। पूनम की भी नजर मनोज पर पड़ गई मनोज पर नजर पड़ते ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव साफ नजर आने लगे वह जल्दी से अपने अगल बगल देखी बेला और सुलेखा कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। वह भी जल्दी से मनोज के करीब पहुंची लेकिन वह इस तरह से गई थी मनोज को यहां पर बिल्कुल भी ना हो कि वह खुद उसके पास चल कर आई है,,, पूनम को देखते ही मौका पाकर मनोज बोला,,,,।

पुनम मुझे तुमसे कुछ बात करनी है,,,

मुझसे लेकिन मुझसे क्या बात करनी है,,,,

ऊसी लेटर के बारे में,,,

लेटर कौन सा लेटर,,, कीस लेटर के बारे मे बात कर रहे हो तुम,,,( पूनम आश्चर्य के साथ बोली,,,।)

वही लेटर जो मैंने लिख कर तुम्हारी इंग्लिश की नोट में तुम्हें दिया था।

पर मुझे तो ऐसा कोई लेटर नहीं मिला,,,,,


तुम अपनी इंग्लिश की नोट खोलकर देखना उसमे जरूर मेरा लिखा हुआ लेटर भी है और मेरा मोबाइल नंबर भी है,,,,।

पर ऐसा क्या लिखा है उस लेटर में जिसके लिए तुम इतने बेताब नजर आ रहे हो,,, ( पूनम मनोज के चेहरे के बदलते हावभाव को देखते हुए बोली)

पूनम वह तो मैं इस समय तुम्हें नहीं बता सकता हूं वह तुम अपने आप ं पढ़ोगी तो तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा कि मैं तुम्हें क्या कहना चाहता हूं,,,,( तभी उसकी नजर बेला और सुलेखा पर पड़ी जो कि ईसी तरफ चली आ रही थी लेकिन उन लोगों का ध्यान इधर बिल्कुल भी नहीं था,,,) देखो तुम्हारी दोनों सहेलियां भी आ रही है मैं उन लोगों के सामने कुछ नहीं कहना चाहता बस तुम मेरा दिया हुआ लेटर एक बार पढ़ लेना,,, मैंने तो अपने मन की बात उस लेटर में लिख दिया हूं तुम्हारे मन में क्या है यह तो मैं नहीं जानता लेकिन जो भी हो मुझे बता जरुर देना,,,, बस मैं चलता हूं बाय,,,,,,
( इतना कहकर मनोज चला गया तभी उसकी सहेलियां उसके करीब आ गई और तीनों अपने घर की तरफ जाने लगी रास्ते भर पूनम सोचती रही कि आखिर वह इंग्लिश के नोट्स में उसे लेटर क्यों दिया,,, वह मुझसे क्या कहना चाहता है और अपनी मन की बात क्या है उसके मन की बात यह सब सोच कर उसका दिमाग चकरा जा रहा था उसका एक बुनियादी कह रहा था कि कहीं वह उसे प्रेम पत्र तों नहीं लिख कर दिया है।,,, अजीब से असमंजस में पड़ गई थी वह लेटर की बात से उसके बदन में सुरसुराहट सीहोने लगी थी।,, वह लेटर उसके स्कूल बैग में ही था,,, जिसे पढ़ने के लिए अब वह बेताब नजर आ रही थी।,,, वह घर पर पहुंचते ही उस लेटर को पढ़ना चाहती थी लेकिन जैसे ही वह घर पर पहुंची उसकी मम्मी ने उसे काम पर लगा दी घर पर वैसे भी सारा काम पड़ा हुआ था मन मार कर वह काम में जुट गई,,,,

इधर-उधर करने में ही कब शाम हो गई उसे पता ही नहीं चला,,, अब उसके पास अपना बैग खोलकर उस लेटर को पढ़ने का टाइम बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह सोची की रात को सोते समय अपने कमरे में ही ईत्मिनान से उस लेटर को पढ़ेगी तब तक वह घर के कामकाज को करती रही,,,
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03-11-2019, 12:50 PM,
#22
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पूनम खाना खा चुकी थी रात के करीब 11:00 बज रहे थे वह सारे काम काज कर के एक दम खाली हो चुकी थी सब अपने अपने कमरे में चले गए थे सब के जाने के बाद पूनम भी धड़कते दिल के साथ अपने कमरे में प्रवेश की,,, उसके मन में मनोज के लिए लेटर के बारे में सोच-सोच कर पूरे बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़ रही थी। पूनम को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके लिए लेटर में क्या लिखा होगा वह बस उत्सुकतावश उसे जल्द से जल्द पढ़ना चाहती थी।
वह अपने कमरे में प्रवेश करते ही जल्दी से दरवाजा बंद करके कुंडी चढ़ा दी,,,, कड़कड़ाती की ठंडी में भी उसके पसीने छूट रहे थे। एक अजीब सी हलचल उसके मन में मच रही थी जिसकी वजह से उसका गला सूख रहा था। वह टेबल पर रखा अपना बैग लेकर बिस्तर पर आराम से बैठ गई और बैग को खोलकर अपनी इंग्लिश की नोट्स को बाहर निकाल ली,,, पूनम को उत्सुकता के साथ-साथ थोड़ा डर भी लग रहा था कि पता नहीं उसने उस लेटर में क्या लिखा होगा। वह इंग्लिश की नोट्स को बैग पर रखकर उसके पन्नों को पलटने लगी,,, वह जल्दी-जल्दी पन्नों को पलट रही थी लेकिन उसका लिखा एकभी लेकर उस नोट्स में दिखाई नहीं दे रहा था,,,, वह पन्नों को पलट भी रही थी और साथ में यह भी सोच रही थी कि कहीं मनोज ने उसके साथ मजाक तो नहीं किया,,,,,, एक पल के लिए तो उसे मनोज पर गुस्सा आने लगा और मैंने सोचने लगी कि अगर यह सच में उसने मजाक किया है तो आज के बाद उसके लाख बोलने के बावजूद भी उससे बात तक नहीं करेगी,,,, यह सब वह मन में सोच ही रही थी कि तभी इंग्लिश के नोट्स में से उसका लिखा लेटर नजर आया,,,, उसका गला सूखने लगा, वह लेटर को अपने हाथ में लेकर पढ़ना शुरू की,,,

मेरी प्रिय पूनम,,,
तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो लगती हो क्या तुम सच में बहुत खूबसूरत हो इस धरती पर तुमसे ज्यादा खूबसूरत है मैंने आज तक किसी और लड़की को नहीं देखा,,, जबसे मैंने तुमको देखा हूं ना जाने मुझे क्या हो गया है कि हर जगह बस तुम ही तुम दिखाई देती हो,, सोते जागते उठते बैठते बस मुझे तुम्हारा ही ख्याल रहता है,,, तुम्हे देखे बिना मेरे दिल को जरा भी करार नहीं आता,, यहां तक की सपनों में भी मुझे तुम ही तुम नजर आती हो,, पूनम सच कहूं तो मुझे तुमसे प्यार हो गया है मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगा तुम्हारे मन में क्या है यह मैं बिल्कुल भी नहीं जानता इसलिए तो मैं इस लेटर के जरिए तुम्हें अपने मन की बात बता रहा हूं। तुम्हें देखकर मेरे दिल में कुछ-कुछ होता है अगर तुम्हें भी मुझे देख कर कुछ कुछ होता हो,, तो मेरे इस लेटर का जवाब जरुर देना अगर लिख ना पाओ तो नीचे लिखा मोबाइल नंबर मेरा ही है मुझे बस एक मिस कॉल मार देना मैं समझ जाऊंगा कि तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए कुछ कुछ होता है।

आई लव यू,,,,,


पूरा लेटर पढ़ने के बाद पूनम के बदन से ऐसी कड़ाके की ठंड में भी पसीना टपक रहा था,,,, कुछ पल के लिए तो उसे समझ में ही नहीं आया कि वह क्या पढ़ रही है। क्योंकि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई उसे भी लेटर लिख सकता है। उसने आज तक किसी भी लड़के की तरह मुस्कुरा कर नहीं देखी थी ना ही किसी से बात की थी और ना ही कभी भी, किसी लड़के को अपनी बातों की वजह से गलतफहमी पैदा होने दी थी,,, इसलिए उसे आज तक किसी ने भी इस तरह से अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत भी नहीं की थी लेकिन मनोज के साथ बस थोड़ा बहुत बात जरूर करी थी जिसका परिणाम यह आ रहा था कि वह उसे प्रेम पत्र लिखकर देभी चुका था,,,, पूनम का बदन कांप रहा था। वह यह सोचकर पूरी तरह से घबरा गई कि वहां तीन-चार दिनों से उसके दिए लेटर को अपने बैग में रखे हुए थी,,, जिसकी खबर उसे बिल्कुल भी नहीं थी अगर कहीं यह लेटर उसके घर वालों को मिल जाता तब उसका क्या हाल होता यह सोचकर पूनम का पूरा वजूद का कांप गया,,,,
पूनम मनोज के लिए लेटर को देखकर और उसे पढ़कर परेशान सी हो गई,,, वह बिस्तर पर लेट कर सोना चाहती थी लेकिन नींद उस से कोसों दूर थी। अब वह क्या करें कैसे करें क्या कहें मनोज से इन सब के बारे में सोच कर हैरान हुए जा रही थी क्योंकि मनोज ने उससे उसके पत्र का जवाब मांगा था लेकिन उसके दिए पत्र का जवाब देने की हिम्मत पुनंम में बिल्कुल भी नहीं थी। उसे मनोज के बारे में सोच कर उसकी हरकत के बारे में सोच कर उसे गुस्सा आने लगा वह सोचने लगी कि अगर कहीं जाने पर उसके घरवालों के हाथ लग जाता तब उसका क्या होता क्या सोचते,, उसके घर वाले उसके बारे में,,, क्योंकि वह जानती थी कि उसके घर वाले उस पर बहुत भरोसा करते थे वह जानते थे कि पूनम कभी भी इस तरह की हरकत नहीं करेगी जिसकी वजह से परिवार की बदनामी हो,,, इसलिए वह मन में ठान ले कि आप मनोज से वह बात ही नहीं करेगी ना ही उसकी तरफ देखेगी इसी ने उसकी और उसके परिवार की भलाई है यह सोचकर वह कब नींद की आगोश में चली गई उसे पता नहीं चला,,,,

जैसा वह मन में सोची थी ठीक उसी तरह से बर्ताव करने लगी अब आते जाते वह मनोज की तरफ देखती भी नहीं थी वह कुछ बोलना चाहता था,,,, तो उसके बोलने से पहले ही वहां से चल देती थी,,,, पूनम के इस तरह के व्यवहार के कारण मनोज काफी परेशान हो गया था उसे लगने लगा था कि उसका प्यार शुरू होने से पहले ही समाप्त हो गया था उसे इस बात का बेहद पछतावा भी होता था कि उसने पूनम को पत्र लिखकर दिया है क्यों क्योंकि जब तक उसने उसे पत्र लिखकर नहीं दिया था तब तक तो पूनम उससे बातें तो करती थी लेकिन अब तो वह उसकी तरफ देखती भी नहीं थी। पूनम भी कब तक इस तरह से मनोज को धिक्कारने का दिखावा करती रहती,,, उसे यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मनोज को पूनम के लिए कुछ कुछ होता था तो पूनम को भी मनोज के लिए कुछ कुछ जरूर होता था बस उसे डर था तो समाज और उसके परिवार का इसलिए वह अपने मन की बात उसे बता नहीं पा रही थी लेकिन जितना बेचैन मनोज था उससे ज्यादा पूनम तड़प रही थी।
दूसरी तरफ उसकी बुआ सुजाता की बुर में पूरी तरह से खलबली मची हुई थी,,,, उसकी जवानी का जोश उबाल मार रहा था,,, बुर की खुजली उसके बर्दाश्त के बाहर थी,,, वह अपनीे बुर में सोहन के मोटे लंड को लेकर चुदना चाहती थी।। लेकिन ना तो उसे मौका मिल रहा था और ना ही वह इस तरह के कदम उठाने की हिम्मत दिखा पा रही थी,,,,, क्योंकि उसे भी अपने परिवार वालों का डर था,,, लेकिन जवानी का जोश उबाल मार कर सारी मर्यादा को तोड़ ही देती है,, ऐसे ही 1 दिन शाम को वह अपने खेतों में टहल रही थी सब्जी तोड़कर घर ले जाने के बहाने,,,, वह जानबूझकर देर कर रही थी,,, क्योंकि ऊसे सौहन का इंतजार था। वह अच्छी तरह से जानती थी कि उससे मिलने के बहाने वह खेतों के चक्कर जरूर मारता था,,,, शाम ढल रही थी अंधेरा छाने लगा था और यही सही मौका भी था उससे मिलने का,,,
खेतों में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था वह सब्जियां तोड़ भी रही थी और इधर-उधर चकर पकर नजरें दौड़ाकर सोहन को देखभी ले रही थी कि कहीं वह आ तो नहीं रहा है,,,
वह सब्जियां झुक कर तोड़ ही रही थी कि तभी सोहन ने उसे पीछे से आकर उसकी पतली कमर में अपने दोनों हाथ डालकर पकड़ लिया,,,,,

ओहहहहहहह,,,,,, मां,,,, ( इस तरह से एकाएक पीछे से पकड़े जाने की वजह से सुजाता एकदम से डर गई,, और उसके मुंह से चीख निकल गई लेकिन तुरंत सोहन उसके मुंह पर अपना हाथ रखकर दबाते हुए बोला,,।)

डरो मत मैं हूं जानेमन,,,


सोहन तू,, तू तो मुझे डरा ही दिया था,,,

तू सच में डर गई,,,,,

तो क्या ईस तरह से पकड़ेगा तो डर तो लगेगा ही,,,,


अरे मेरी जान मैं तो समझा कि तू बहुत बहादुर है,,,,,
( सोहन अभी भी उसे पीछे से पकड़े हुए था कि गोल-गोल गांड का स्पर्श पाकर उसको पूरी तरह से खड़ा हो गया सुजाता की गांड के बीचो-बीच सलवार सहीत धंसे जा रहा था। जिसका एहसास सुजाता को भी अच्छी तरह से हो रहा था और वह इस स्पर्श की वजह से उत्तेजित हुए जा रही थी। सोहन आव देखा ना ताव कमर में डाले हुए हाथ को ऊपर की तरफ ले जाकर कुर्ती के ऊपर से ही उसकी गोल-गोल चूचियों को दबोच लिया,,,, और उसे ऊपर से ही दबाते हुए बोला।

मेरी रानी एक चुम्मा तो दे दो कब से मैं तड़प रहा हूं तुम्हारे गुलाबी होंठ को चूमने के लिए,,,
( सोहन की यह बात सुनकर उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी,,, उसका भी बहुत मन कर रहा है कि सोहन उससे जो चाहता है वह सब कुछ करें लेकिन फिर भी वह यह नहीं जताना चाहती थी कि उसे भी यही सब करना है इसलिए सोहन से बोली,,,।)
धत्त,,,, तू पागल हो गया है क्या,,,,,

हां मैं पागल हो गया हूं रानी तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी खूबसूरत बदन को देखकर,,, अब तो तुम्हें चुमे बिना मेरा मन नहीं मानेगा,,,,( इतना कहते हुए सोहन उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा सोहन की इस हरकत की वजह से सुजाता का पूरा बदन कामोत्तेजना से भर गया वैसे भी अगर औरतों को उनकी गर्दन के ऊपर के हिस्से पर चुंबन किया जाए तो उनकी उत्तेजना कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगती है और यही सुजाता के साथ भी हो रहा था। सुजाता उत्तेजना के मारे अपने नितंबों को और पीछे की तरफ ठेलने लगी क्योंकि सोहन का खड़ाा लंड उसकी गांड के बीचो-बीच ठोकर लगा रहा था। सुजाता सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनते हुए बोली,,,।

सोहन मुझे कुछ चुभ रहा है मुझे छोड़ो,,,,

मैं जानता हूं मेरी जान कि तुम्हें क्या चुभ रहा है। और तुम भी जानती हो कि क्या चुभ रहा है।,,,

मुझे नहीं मालूम सोहन कि क्या चुभ रहा है तुम ही बता दो क्या चुभ रहा है,,,,( सुजाता शरारती अंदाज में बोली।)

अच्छा मेरी रानी ज्यादा नादान बनने की कोशिश मत करो,,
( सोहन अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए सुजाता को जैसे कि चोद रहा हो इस तरह से करते हुए) पूरा का पूरा लंड बिना आवाज कीए बुर में निगल जाओगी और मुझ से पूछ रही हो कि क्या चुभ रहा है,,,, सुजाता अब तो तुम्हारी बात सुनकर मुझे तुम्हें चोदने का मन करने लगा है। चलो ना अपनी सलवार उतारो,,, मेरा लंड तुम्हारी बुर में जाने के लिए तड़प रहा है।

सोहन की तो ऐसी खुली बातें सुनकर सुजाता की बुर से पानी टपकने लगा उसका भी मन हो गया कि सोहन के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवा ले,,,, लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा सोहन बेहद उत्तेजित नजर आ रहा था वह जोर जोर से कुर्ती के ऊपर से ही सुजाता की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया था रह रह कर सुजाता के मुंह से सिसकारी की आवाज़ आ रही थी वह डर के मारे इधर-उधर नजरें घुमा कर देख भी ले रही थी कि कहीं को आ तो नहीं रहा,,, सुजाता पूरी तरह से चुदवाने का मन बना ली थी लेकिन यह अपने मुंह से कहने में शर्म आ रही थी,,,, सोहन लगातार उसे अपनी सलवार उतारने के लिए बोल रहा था क्योंकि वह पूरा उत्तेजित होकर के भरा पड़ा था। वह उसे समझाते हुए बोला,,,।

सुजाता यही सही मौका है आज तुम्हें चोदने का पूरा मौका हम दोनों के पास है देख लो चारों तरफ कोई नजर नहीं आ रहा है और वैसे भी पर बड़ी-बड़ी झाड़ियो और खेतों के बीच हमें कोई भी नहीं देख पाएगा,,,,( सोहन की बात सुनकर सुजाता भी इधर उधर देख कर पूरा इत्मीनान कर ली थी लेकिन फिर भी उसे डर लग रहा था कि कहीं कोई देख ना ले एक तो उसके मन में समाज का डर भी था और जवानी की उमंगे भी थी,, जवानी के जोश से भरी हुई सुजाता पर बदन की जरूरत,, तन का साथ भारी पड़ने लगा,,,, समाज के डर और परिवार के डर को वह कुछ देर के लिए एक तरफ रख दी,,, सोहन बार-बार उस पर दबाव डाल रहा था सलवार की डोरी खोल कर उसके लिए रास्ता बनाने के लिए,, सुजाता भी पूरी तरह से मन बना ली थी अब खुलकर तो वह उसी से नहीं बोल सकती थी कि हां मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूं इसलिए वहां बात को दूसरे शब्दों में बोली,,

सोहन मुझे डर लग रहा है कहीं कोई देख लिया तो,,,
( कहीं कोई देख लिया तो,,, औरतों के मुंह से कही गई यह बात हमेशा औरतों की संमति की मोहर लगाती है। खेला खाया सोहन सुजाता के मन की बात समझ गया,,,। और वह बोला,,,

अरे कोई नहीं देखेगा तो ज्यादा अंधेरा पूरी तरह से छा चुका है। जल्दी से सलवार उतार दो,,,,

( सुजाता को फिर भी मन में डर बना हुआ था,,, दो कदम की दूरी पर ही सूखे घासों का ढेर लगा हुआ था,,, सुजाता उस तरफ देखते हुए बोली,,,।)

सोहन यहां नहीं उस घास के पीछे वहां कोई नहीं देख पाएगा,,,,

तुम्हारी जैसी मर्जी चलो जल्दी चलो,,,,

मैं पहले वहां जाती हूं तुम तब तक खड़े होकर नजर रखना मैं तुम्हें जल्दी ही बुलाऊंगी,,,,( ऐसा कह कर सुजाता उस घास के ढेर के करीब जाने लगी,,, सोहन को तो गुस्सा आ रहा था लेकिन क्या करता आज उसे सुजाता कि बुर चोदने को मिल रही थी इसलिए वह शांति से सुजाता के नखरे सहता रहा,, सुजाता घास के ढेर के पीछे पहुंचते ही एक बार फिर से चारों तरफ नजर दौड़ा ली,,, पूरी तरह से इत्मीनान कर लेने के बाद वह अपनी सलवार की डोरी को खोलकर पेंटी सहित जांघो तक नीचे सरका दी,,,, सुजाता पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक रही थी वह पीछे नजरें घुमा कर सोहन की तरफ देखते हुए बोली,,,

जल्दी आओ मेरे पास समय नहीं है,,,,
( सोहन तो उसकी आवाज सुनते ही जल्दी से घास के पीछे पहुंच गया जहां पर सुजाता पहले से ही अपनी सलवार को घुटने तक सरकाकर खड़ी थी,,,, यह नजारा देखते ही सोहन जोश से भर गया,,, वह जल्दी से सुजाता को झुक़ने के लिए बोला,,,, लेकिन सुजाता को कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि यह उसके लिए पहली ही बाहर था और तो हम तो पहले से ही खिला खाया था उसे सब मालूम था कि क्या करना है इसलिए वह खुद ही सुजाता की पीठ पर अपना हाथ रखकर उसे आगे की तरफ झुकाते हुए उसे उसकी गांड को थोड़ा सा उठाने के लिए बोला मुझे आता नहीं सोहन के कहे अनुसार ही अपनी गांड को थोड़ा सा बाहर की तरफ निकालकर हवा में उठा दी,,,, सुजाता की कुंवारी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी सुजाता की यह अदा देख कर किसी का भी लंड पानी छोड़ दे,,, सोहन तो कई औरतों के मदन रस से अपनी प्यास बुझा चुका था इसलिए वह संभल गया जल्दी से वह भी अपने पजामे को नीचे सरका कर अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लिया,,, और अंधेरे में भी अपने लंड को पकड़कर उसके सुपाड़े को लंड की सुपाड़े से ही टटोलकर सुजाता की बुर से सटा दिया,, सुपाड़ा का स्पर्श बुर पर होते ही सुजाता का पूरा बदन गनगना गया उसकी तो सांसे ही अटक गई,,,
सोहन अपने लंड के सुपाड़े को बुर के अंदर धीरे-धीरे सरकाते हुए बोला,,,

ओह मेरी रानी तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो,,,

जल्दी करो सोहन मुझे देर हो रही है घर जाने के लिए,,,,,

तुम चिंता मत करो मेरी जान( इतना कहने के साथ ही उसने आधा लंड सुजाता की बुर में घुसा दिया,,, दर्द के मारे सुजाता के मुंह से कहरने की आवाज़ आ रही थी,,, यह तो भला हो उस मोटे ताजे बैगन और ककड़ी का जिसे तू चाहता अपनी बुर में डाल डाल कर मोटे लंड को अंदर जाने के लिए जगह बना चुकी थी वरना इस समय वह चिल्ला चिल्ला कर पूरे गांव को इकट्ठा कर ली होती,, सोहन सुजाता की गोल-गोल गांड को सहलाते हुए अगले ही पल जोर का धक्का लगाया कि पूरा लंड उसकी बुर में समा गया,,, सोहन को मालूम था कि उसकी इस हरकत पर सुजाता जोर से चिल्ला देगी इसलिए वह धक्के के साथ ही अपना एक हाथ आगे ले जाकर उसके मुंह को बंद कर दिया और उसकी चीख़ गले में ही अटक गई,,,,, सुजाता को बहुत दर्द हो रहा था वह उसे निकालने के लिए बोलना चाहती थी,,, लेकिन सोहन जानता था कि एक बार बड़ी तेजी से लंड बुर में चला जाए तो लड़कियों को ज्यादा दर्द होता है और वह उसे निकालने के लिए जरूर बोलती है इसलिए वह उसके मुंह को वैसे ही दबाए रहा और धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर बाद सुजाता को भी मज़ा आने लगा और उसके मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी तो सोहन अपना हाथ उसके मुंह से हटा लिया और उसे चोदने का मजा लूटने लगा,,, थोड़ी देर बाद दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ दिए सुजाता जल्दी से अपने कपड़े पहन कर खेतों से भाग गई,,,, घर पर पहुंचने पर जब उसे पूछने लगे कि देर किस लिए हुई तो वह सहेली से बातें कर रही थी ऐसा बहाना बनाकर असली बात को छुपा ले गई,, सुजाता बहुत खूब थी क्योंकि आज पहली बार उसकी बुर में किसी लंड का प्रवेश हुआ था। ऊसकी बुर का इस तरह से उद्घाटन होगा उसने कभी सोची भी नहीं थी,, लेकिन अपनी बुर की धमाकेदार उद्घाटन से वह बेहद खुश थी।

रात को खाना खाने के बाद पूनम अपने कमरे में काफी बेचैन नजर आ रही थी। मनोज को लेकर उसके दिल में अलग अलग से ख्याल आ रहे थे और इंसानों की वजह से उसकी आंखों में नींद नहीं थी। अपनी चाची से वह मोबाइल मांग कर लाई थी, क्योंकि मोबाइल की उनको अभी जरूरत नहीं थी उसके चाचा जो वापस लौट आए थे।,,, मनोज के लिए पूनम की बेचैनी और कड़क बढ़ती जा रही थी वह मोबाइल पर गाने सुन रही थी। गाना गा रही हीरोइन की तरह ही उसका भी हाल हो गया था,,,, वह कान में हैंड्स फ्री लगाकर आंखों में नींदे ना दिल में करार मोहब्बत भी क्या चीज होती है यार,,,

इस गाने को बार-बार लगाकर सुन रही थी लेकिन इस गाने में पूनम की बेचैनी को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था।
उससे रहा नहीं जा रहा था और वहां टेबल पर रखा अपना स्कूल बैग लेकर आई और उसमें से अपनी इंग्लिश की नोट निकाल ली जिसने की आखिरी पन्ने पर नंबर लिखा हुआ था और यह नंबर मनोज का ही था। पूनम किसी के हाथ ना पड़ जाए इसलिए उसके दिए लेटर को तो वह फाड़ कर फेंक दी थी लेकिन उसमें लिखा नंबर अपनी नोटबुक में लिख ली थी
उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी वह मन ही मन में सोच रही थी कि वह नोटबुक में लिखे नंबर को वह डायल करें कि ना करें,,, दिल कह रहा था कि वह नंबर डायल करें और दिमाग से रोक रहा था आखिरकार दिमाग हार गया और दिल जीत गया वह दिल की सुनी और कांपते उंगलियों से मोबाइल की कीपैड पर नोटबुक में लिखे नंबर को डायल करने लगी।
जैसे ही नंबर डायल करके वह मोबाइल को कान पर लगाई तो सामने मोबाइल की घंटी बज रही थी,,,, वह फोन कट करने के बारे में सोच ही रही थी कि सामने से फोन उठ गया,,,
और जैसे ही सामने से आवाज आई,,,,

हेलो कौन,,,,

इतना सुनते ही, पूनम का बदन कांपने लगा और वह झट से फोन काट दी,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था ना जाने उसके बदनन में अजीब प्रकार की हलचल महसूस हो रही थी।,,, कुछ देर तक वह ऐसे ही बैठी रही,,, उसका मन थोड़ा शांत हुआ कि तभी मोबाइल की घंटी बजने लगी वह स्क्रीन पर नंबर देखी तो उस नंबर को देख कर एक बार फिर से उसके बदन में कपकपी से मच गई,,,, और वह झट से मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया।
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03-11-2019, 12:51 PM,
#23
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
2 दिन तक पूनम ने मोबाइल से उस नंबर को डायल करने की हिम्मत नहीं दिखा पाई,,,, हालांकि वह रोज रात को अपनी चाची से मोबाइल मांग कर अपने कमरे में आराम से गाना सुना करती थी,,, अब वो बड़े ही रोमांटिक गाना सुनना शुरू कर दी थी,,, पूनम के दिल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी हमारी ही मन सोच रही थी कि काश उसके पास उसका नंबर होता तो वह ऊसे फोन जरुर लगाता,,, लेकिन वह चाहती थी क्या कर उसके पास उसका नंबर होता तो घर में कोई भी मोबाइल उठा सकता था और एेसे मैं वह बेवजह परेशान हो सकती थी। लेकिन करती थी क्या दिन-ब-दिन पूनम की हालत खराब हुए जा रहे थे दिन रात उसके जेहन में बस मनोज को ही ख्याल घूमता रहता था। दूसरी तरफ मनोज की दया परेशान हो चुका था पूनम की तरफ से उसे अब तक कोई भी सहारा नहीं मिला था जिससे उसके मन में धारणा बंध चुकी थी कि, पूनम को उसका प्रेम वाला प्रस्ताव पसंद नहीं आया इसलिए उसकी भी बेचैनी बढ़ चुकी थी एक तरह से वहां पूनम के ऐसे व्यवहार को अपना हार समझता था उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था क्योंकि उसने जिसको भी जिस लड़की से प्यार करना चाहता उन्हें पाना चाहा था उसे हासिल करके ही रहा था लेकिन पूनम के मामले में उसे शिकस्त मिलती मालूम हो रही थी,,,, इस बात से मनोज के मन में यह बात और ज्यादा बैठ गई थी पूनम बेहद खूबसूरत और संस्कारी लड़की है इसलिए वह उसके प्यार को स्वीकार नहीं कर पाई,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में कहीं ना कहीं विश्वास कीजिए अभी भी पर बोली थी कि उसे पूनम जरूर सरकार करेगी और वह पूनम का प्यार और उसके खूबसूरत तन बदन की गर्मी अपने बदन में जरूर महसूस कर पाएगा,,,

इसी कशमकश में दो-चार दिन और बीत गए दूसरी तरफ पूनम की बुआ सुजाता की बुर में चीटियां लगने लगी थी उसे अब अपनी बुर की अंदर कुछ ज्यादा ही खुजली महसूस होने लगी थी,,, जब तक वह बैगन और ककड़ी से अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी तब तक वह ककड़ी या बेगन डालकर शांत हो जाती थी लेकिन जब से उसकी बुर ने सोहन का मोटा लंड खाया था तब से फिर से उसके लंड के लिए तड़प रही थी। और वह मौके की तलाश में हमेशा लगी रहती थी लेकिन सोहन कुछ दिनों से उसे नजर नहीं आया था वह रोज शाम को अंधेरा सोते समय खेतों में जाकर उसका इंतजार करती लेकिन उस का कहीं अता-पता नहीं लगता था इसलिए उसकी बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगती थी,,। और यही वास्तविकता भी थी क्योंकि भूख लगने पर भोजन करके कुछ घंटो तक भूख काबू में रहती है प्यास लगने पर पानी पीने के बाद भी यही हाल होता,,,, लेकिन चुदाई की भूख ऐसी होती है कि जितना भी बुझाओ उतनी ज्यादा भड़कती है,,,, ठीक ऐसा ही सुजाता के साथ हो रहा था दिन रात वह लंड के लिए तड़प रही थी लेकिन उस दिन की तरह कोई भी जुगाड़ हाथ नहीं लग रहा था,,,,। 

पूनम सुबह उठकर बाथरूम में नहाने चली गई,,, बाथरूम में खुलते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम में टांग दी,,, उसके गोरे बदन पर मात्र उसकी ब्रा और पैंटी ही रह गई थी बाकी के सारे कपड़े उसने उतार दी थी,,,,, उसके मन में अभी भी मनोज का ही ख्याल घूम रहा था इस वजह से वह दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई और जैसे ही वह मग में पानी लेकर अपने ऊपर डाली ही थी की तभी बाथरूम का दरवाजा धडा़क की आवाज के साथ खुल गया,,,, वह एक दम से चौंक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी,,,, एकाएक बाथरूम में उसकी संध्या चाची घुस गई थी और अंदर आते ही पूनम से बोली,,,,,


देख पुनम मैं जानती हूं कि तू अकेले ही नहाना पसंद करती है लेकिन आज मुझे बहुत जल्दी है इसलिए तुम मुझे कुछ मत कहना (इतना कहते हुए वह दरवाजे की कुंडी लगा दी)

चाची लेकिन इस तरह के बाथरूम में एक साथ दो औरतें कैसे नहा सकती हैं,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथों से ब्रा में कैद अपनी चूचियों छुपाने लगी,,,,

तू पूनम बिल्कुल बुध्धु है,,,, अरे कहां अपने गैर के सामने नहा रहे हैं,,,,( इतना कहते हुए वहां अपनी साड़ी को लेने लगी और अपनी चाची को इस तरह से उसके सामने साड़ी खोलते हुए देखकर पूनम बोली,,,,।)

ओह चाची तुम क्या कर रही हो इस तरह से मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार रही हो,,,,, तुम बिल्कुल भी शर्मा नहीं रही हो,,,,

अरे मेरी गुड़िया रानी इसमें शर्म की क्या बात है एक औरत के सामने कपड़े उतारने में शर्म किस बात की,,,हां अगर तेरी जगह कोई मर्द होता तो शायद उसके सामने शर्म आती ।( इतना कहते हो गए संध्या पूनम के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, पूनम वहीं बैठे बैठे ब्रा के ऊपर भी अपनी गोलाइयों को अपनी हथेली से ढके हुए थी,,,, अपनी चाची की इस हरकत पर वह झुंझलाते हुए बोली,,,,।)

चाची तुम्हें ऐसा कौन सा काम पड़ गया था कि तुम्हें इस तरह की बाथरुमं में आकर नहाना पड़ रहा है।

अरे क्या बताऊं पूनम आज तेरे चाचा के साथ एक रिश्तेदार के वहां जाना है और वहां जाने के लिए वह बड़ी मुश्किल से तैयार हुए हैं और अगर में देर कर दी तो वहां जाना कैंसिल कर देंगे इसलिए मुझे बाथरूम में आकर तेरे साथ नहाना पड़ रहा है,,,,।
( पूनम अपनी चाची की बात समझ रही थी लेकिन उसे इस तरह से नहाना बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए वह बैठी रही तब तक संध्या ने अपने वतन से ब्लाउज उतारकर वही टांग दि थी,,,, पूनम अपनी चाची को ही देखे जा रही थी वह बड़े गौर से अपनी संध्या चाची की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रही थी जो कि उनकी साइज से ब्रा की साइज कम ही थी इस वजह से ऐसा लग रहा था कि संध्या की चूचियां ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगी,,,,,, पूनम अपनी चाची की तरह में के चुचियों के बारे में कुछ सोच ही रही थी कि तभी संध्या अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाते हुए हुक खोलने लगी और हुक खोलते हुए बोली,,,।)

क्या बताऊं पूनम मैं तो तेरे चाचा से तंग आ गया ह,,,ूं इतना परेशान करते हैं ना कि मुझे बहुत गुस्सा आता है।

अब पता नहीं चाचा परेशान करते हैं या तुम परेशान करती हो,,,, भगवान ही जाने,,,,( पूनम व्यंग्यात्मक स्वर में बोली।)

मैं जानती हूं तू मुझ पर विश्वास नहीं करेगी तु अपने चाचा पर ही विश्वास करेगी,,,( इतना कहते हुए संध्या अपनी ब्रा भी उतार दी और यह देखकर पूनम लगभग चिल्लाते हुए बोली,,।)

अरे अरे यह क्या कर रही हो चाची तुम अपनी ब्रा क्यों उतार दी,,,

नहाने के लिए और क्या करने के लिए,,,

तो ब्रा उतार कर,,,,

मुझे कपड़े पहन कर नहाना पसंद बिल्कुल भी नहीं है मैं तो बाथरूम में जब भी नहाती हुं पूरी नंगी होकर के नहाती हूं,,, 
( इतना कहने के साथ ही वह पेटिकोट की डोरी भी खोलने लगी,,, जो देखकर पूनम उसे रोक पाती इससे पहले ही वहां पेटिकोट की दूरी खोलकर अपनी पेटीकोट को नीचे कदमों में गिरा दी,,,, अगले ही पल पूनम की आंखों के सामने उसकी चाची की नंगी मोटी मोटी दूधिया जांघें नजर आने लगी,,, धीरे-धीरे पूनम को यह सब अच्छा लगने लगा अपनी चाची की गोरी खूबसूरत नंगे बदन को देखकर उसकी आंखें चौधीयानेे लगी थी,,, तभी वह अपने दोनों हाथों की उंगलियों से अपनी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी यह देखकर पूनम बोली,,,


अरे चाची यह तो रहने दो थोड़ा तो शर्म करो,,,,

मैं बोली ना मेरी पूनम जानू तेरे सामने कैसी शर्म,,,,( इतना कहने के साथ ही अगले ही पल संध्या अपनी पैंटी उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई पूनम की नजर सीधे संध्या की जांघों के बीच अपने आप ही चली गई,,,, जहां पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि,,, उसने अभी हाल ही में अपने बालों की सफाई की है जिसे देख कर पूनम मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, संध्या की अनुभवी आंखों ने पूनम के मन की बात को भांप ली और जानबूझकर अपनी हथेली से बुर को मसलते हुए बोली,,,,

तू हंस क्यों रही है,,,,,

कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हंसी आ गई,,,,

ऐसे ही हंसी नहीं आ गई मैं तेरी हंसी का कारण जानती हूं,,,


नहीं चाहती सच में कुछ नहीं है मैं तो बस ऐसे ही,,,,


मुझसे मत छुपा मैं जानती हूं कि क्यों इन हल्के हल्के बालों को देखकर मुस्कुरा रही है।( वह लगातार अपनी बुर को मसलते हुए बोल रही थी यह देख कर पूनम के बदन में ना जाने कैसी हलचल मचने लगी,,, अपनी चाची की बात और उनकी हरकत को देखकर पूनम बोली,,,।)

चाचा जी ने हल्के हल्के बालों को देखकर ही मुस्कुरा रही हुं ।

लेकिन ऐसा क्यों,,,?

अरे ऐसा क्यों का क्या मतलब,,,,, मैं समझी कि तुम शायद नहीं बनाती होगी लेकिन अभी देखी तो पता चला कि तुम सफाई का काफी ख्याल रखती हो,,,,,


अरे मेरा बस चले तो मैं कभी भी ना बनाऊं,, लेकिन तेरे चाचा बहुत गुस्सा करते हैं उन्हें यह सब बाल वाल पसंद नहीं है,,,


बाल वाल पसंद नहीं है मैं कुछ समझी नहीं,,,,( पूनम आश्चर्य के साथ बोली,,,)

अभी रहने दे जब समय आएगा तब तू भी समझ जाएगी,,,
( इतना कहते हुए संध्या अपनी बुर पर से हथेलियां हटा ली और हथेली के हटाते ही पूनम की नजर बुर की गुलाबी पत्तियों पर पड़ी जो की बाहर की तरफ निकली हुई थी,,, उन्हें देखते ही पूनम का पूरा बदन अजीब से हलचल को महसूस कर के गनगना गया,,, संध्या अब नहाना शुरू कर दी जाड़े का मौसम होने की वजह से ठंडे पानी को बदन पर डालते ही उसका पूरा बदन गनगना गया,,, संध्या भी बैठ कर नहा रही थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां आपस में रगड़ खाते हुए झूल रही थी,,, और झूल इस वजह से रही थी कि उसकी चूचियों का साईज काफी बड़ा था। लेकिन उसका कठोर पर बरकरार था इसलिए तो निप्पल तनी हुई थी। अपनी चाची की चुचियों का साइज देख कर पूनम की नजर अपनी चुचियों पर पड़ी तो उसे शर्म सी महसूस होने लगी क्योंकि वह भी जानती थी कि लड़की उसके बदन का सुगठित होना है,,,, खास करके उसकी चूचियों का साइज लेकिन फिर भी इस बात से उस को तसल्ली थी लड़कियों कि सूचियों का जितना साइज होता है उसका भी उतना ही साईज था और संध्या चाची तो एक पूरी औरत थी इसलिए उनकी चूची का साइज काफी बड़ा था,,,, देखते ही देखते संध्या नहाकर बाथरुम में ही कपड़े पहन कर तैयार होकर चली गई,,,,

पूनम को भी काफी देर हो चुकी थी इसलिए वह भी जल्दी से नहा कर तैयार हो गई,,,

स्कूल पहुंच कर उसकी नजरें मनोज को ही ढूंढ रही थी कुछ दिन से वहां उस मोड़ पर नहीं खड़ा होता था क्योंकि उसका दिल टूट चुका था,,,, और उस मोड़ पर मनोज को खड़ा ना पाकर पूनम भी अंदर ही अंदर छटपटाने लगती स्कूल छोड़ने के बाद जब वह वापस घर लौट रही थी तब रास्ते में उसे मनोज दिखाई दिया उसके चेहरे पर पहले की तरह प्रसन्नता बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके मन में एक डर सा बैठ गया था कि वह पुनम. जैसी खूबसूरत लड़की को खो चुका है। पूनम उसके चेहरे की उदासी देख कर दुखी होने लगी,,,, वह चाहती थी कि मनोज उससे कुछ बोले लेकिन वह उसे कुछ भी नहीं बोला वह बस खड़ा होकर पूनम की तरफ हसरत भरी निगाहों से देखता ही रहा पूनम भी उस पर एक नजर डाल कर अपने कदम आगे बढ़ा दी लेकिन जाते-जाते मनोज की आंखों में आए आंसू को वह पहचान गई,,,, उसकी आंखों में भरे आंसू उसके दिल में ठेस पहुंचाने लगे पूनम को इस बात को लेकर बहुत दुख हुआ लेकिन वह कर भी क्या सकती थी वह एक लड़की थी और वह भी इज्जत दार घराने की,, सामने से वह जाकर मनोज को अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकती थी,,,, हालांकि वह भी मनोज से अपने मुंह से प्यार का इज़हार करना चाहती थी लेकिन डर गई थी समाज से अपने परिवार से अपने इज्जत से इसलिए बोल नहीं पा रही थी,,,,, मनोज उसे वहीं खड़ा होकर तब तक देखता रहा जब तक की वह आंखों से ओझल नहीं हो गई और पूनम भी बार-बार पीछे मुड़कर मनोज को देख ले रही थी दोनों तरफ बेबसी दीवार बनकर खड़ी थी,,,,,,,,

रात को पूनम अपने कमरे में मोबाइल पर गाना सुनते हुए बहुत बेचैन नजर आ रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने मनोज का रुंआसा चेहरा आ जा रहा था,,, और वह उस चेहरे को याद करके अंदर तक तड़प उठ रही थी,,,, मोबाइल में बज रहा गाना उसे और ज्यादा बेचैन कर रहा था।

मुझे जीने नहीं देती है याद तेरी,,,
सुनके आजा तू आजा आवाज मेरी,,,,

यह गाना सुनकर पूनम से रहा नहीं गया और वहं एक बार फिर से मनोज का नंबर डायल करने लगी,,,, नंबर डायल करते ही जब कॉल का बटन दबाईं तो कुछ ही सेकंड में सामने रिंग बजने लगी,,, सामने बज रही रींग की आवाज सुनकर पूनम के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, ऊसकी सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,, एक बार तो उसके मन में हुअा कि फोन काट दे लेकिन तभी सामने से मनोज ने फोन उठा लिया,,, और वह फोन उठाकर हेलो हेलो बोलने लगा,,,, लेकिन पूनम डर के मारे और उसकी आवाज सुनकर एकदम खामोश हो गई यहां तक की मनोज को सिर्फ उसकी सांसो की आवाज़ सुनाई दे रही थी जो कि मनोज को भी बेचैन कर रही थी कुछ देर तक वहां यूं ही हेलो हेलो बोलता रहा लेकिन पूनम ने कोई जवाब नहीं दी तो सामने से वह बोला,,,

यार कौन है जो मुझे ऐसे ही परेशान करता है अरे जब फोन किए हो तो बात करने में क्या हर्ज है,,,, देखो मैं पहले से ही परेशान हूं और यह फोन की वजह से और ज्यादा परेशान हो जाता हूं इसलिए जल्दी से मुझे बता दो कि कौन है वरना मैं फोन कट कर दूंगा,,,,, लेकिन कुछ देर तक यूं ही खामोशी छाई रही,,,, मनोज फोन रखने ही वाला था कि पूनम कांपते श्वर में बोली,,,,

पपपपपप,,,,, पुनम,,,,,
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03-11-2019, 12:51 PM,
#24
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पपपपप,,, पुनम,,, 
( फोन पर पूनम कांपते स्वर में बोली और यह नाम सुनते ही मनोज के दिल की धड़कन तेज चलने लगी,, उसे अपने कानों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ उसे ऐसा लग रहा था कि जो वहां सुन रहा है कहीं सपना तो नहीं कहीं उसके कान तो नहीं बज रहे हैं,,, इसलिए वह अपने कानों से भी बात की पुष्टि करने के लिए एक बार फिर से बोला,,,।)

कौन बोल रहा है,,,

( सामने से आ रही मनोज की आवाज सुनकर पूनम के बीच दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलें यह तो बड़ी मुश्किल से उसके मुंह से कांपते हुए उसका नाम निकला था,,,, फिर भी जैसे-तैसे करके हिम्मत जुटाकर वह फिर से बोली,,,।)

मैं पूनम बोल रही हूं,,,,

( इस बार सामने से आ रही पूनम की आवाज सुनकर उसकी आंखों की चमक बढ़ गई वह तुरंत बिस्तर पर उठ कर बैठ गया,,,,, वह मारे खुशी के चहकते हुए बोला,,,,।)


पुनम तुम ओहह गोड मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा है कि तुम मुझे फोन कर सकती हो,,,, अच्छा तुम रूको मैं यहां से फोन करता हूं ,,,,, ( और इतना कहने के साथ ही वह फोन काट दिया,,,, पूनम के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई वह मन ही मन खुश होने लगी जिंदगी में पहली बार उसने किसी को फोन की थी इसलिए इस बात की थी रोमांच उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रही थी,,,, फोन कट चुका था वह बार-बार फोन की तरफ देखे जा रही थी,,,, मनोज के तन-बदन में हलचल सी मची हुई थी वह तुरंत आई हुई कॉल पर कॉल कर दिया और सामने पूनम के मोबाइल में रिंग बजने लगी जिसकी आवाज सुनकर दोनों के दिल की धड़कन मोबाइल की रिंगटोन की तरह ही बजने लगी,,,, पूनम का मोबाइल मनोज की कॉल की वजह से बजने लगा लेकिन रिंगटोन की आवाज कमरे से बाहर जाती इससे पहले ही वह फोन रिसीव कर ली,, वह नहीं चाहती थी कि किसी को कुछ भी पता चले,,,, फोन रिसीव करने के बाद व कान पर लगाकर
सिर्फ सुनने की कोशिश करने लगी मनोज सामने से बोला,,,

पूनम तुम नहीं जानती कि मैं तुम्हारे फोन का कितने दिनों से पागलों की तरह इंतजार कर रहा हूं मैं तो उम्मीद ही छोड़ दिया था कि तुम मुझे फोन करोगी,,,,( मनोज की बेसब्री और उसका इंतजार देखकर उसके प्रति प्यार देखकर पूनम मन ही मन खुश हो रही थी मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि उसे कोई इस तरह से भी चाहेगा,,,) पूनम आज मैं बहुत खुश हूं,,, तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो तुम भी कुछ बोलो ना तुम्हारी आवाज सुनने के लिए मैं हमेशा बेकरार रहता हूं जानती हो कि मैं तुम्हारे मधुर आवाज मेरे कानों में पड़ते ही मैं दुनिया के दुख दर्द भूल जाता हूं,,,, तुम्हारी बोली मुझे कोयल की आवाज की तरह एकदम मीठी लगती है मन करता है बस सुनता जाऊं सुनता जाऊं,,,,, ( पुनम मनोज की बात सुन कर मुस्कुरा रही थी और उसकी बातों की झनझनाहट उसके तन बदन में एक अजीब प्रकार की सुखद एहसास करा रही थी। लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी बस मनोज की बात को सुनते जा रही थी उसकी खामोशी देखकर मनोज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
पूनम तुम तो कुछ बोलो या मैं ही बोलता रहूंगा आज ना जाने कितने दिनों के बाद मेरे दिल के अरमान पूरे हो रहे हैं एक-एक दिन एक 1 साल की तरह गुजारा हूं मैंने,,,,

मैं क्या बोलूं,,,,( इतना कहकर फिर खामोश हो गई,,,।)

कुछ भी कहो जो तुम्हें अच्छा लगता है तुम कुछ भी कहती हो मुझे सब अच्छा लगता है मुझे बस तुम्हारी आवाज सुनना है,,,।
( पूनम भी बहुत खुश हो रही थीे,, ऊसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह किसीे लड़के से इस तरह से रात को फोन पर बात कर रही है,,,। उसके तन-बदन में अजीब सी सुरसुराहट फैल रही थी,,, बहुत कुछ सेकंड खामोश रहने के बाद बोली,,,।)

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या बोलूं तुम ही कुछ बोलो,,,

( पूनम की बात सुनकर मनोज खुश हो रहा था आज पहली बार किसी ऐसी लड़की से बात कर रहा था जो इतनी ज्यादा शर्माती थीे जिसे फोन पर क्या कहना है इस बारे में भी पता नहीं था,,,, पूनम को वह सामने से कुछ बोलने के लिए ज्यादा जोर भी नहीं देना चाहता था इसलिए वह बोला,,,।)

पूनम मैंने अपने दिल की बात तुम्हारी इंग्लिश की नोट्स में लिख कर तुम्हें दे दिया था,,, मैं चाहता था अपने दिल की बात तुम्हें सामने से खुद बोलकर कह सकता था लेकिन ना जाने तुम्हारे सामने आते ही मुझे क्या होने लगता है,, इसलिए अपने दिल की बात पत्र के जरिए तुम्हें देना उचित लगा,,,,
( पूनम मनोज की बात को बड़े गौर से सुन रही थी उसे मनोज की बातें अच्छी लग रही थी,,,।)
पूनम क्या तुम मेरा लेटर पड़ी थी,,,,,

हां,,,,, 

मेरा लेटर पढ़कर तुम्हें गुस्सा तो नहीं आया था,,,,। 
( पूनम मन ही मन मुस्कुरा रही थी मनोज की हर बात सुनने में उसे बेहद प्यारी लग रही थी और मनोज की बात का जवाब देते हुए बोली,,,।) 

आया था ना मुझे बहुत गुस्सा आया था,,,,

( पुनम की बात सुनते ही मनोज चिंतित हो गया और वह घबराते हुए बोला,,,,)

कककक,, क्यों पुनम,, ? 

अरे तुम एकदम पागल हो तुम यह बात मुझे,,, अपने मुंह से भी तो बोलकर कह सकते थे,,,, अगर तुम्हारा लिखा खत मेरे घर में किसी के हाथ लग जाता तो तुम जानते हो मेरी क्या हालत होती,,,,

सॉरी पूनम मैं उस गलती के लिए तुमसे बार-बार माफी मांगता हूं क्या करूं तुमसे सामनेे कहने की मेरी हिम्मत ही नहीं हो पा रही थी,,, इसलिए मजबूर होकर मुझे वह खत लिखना पड़ा,,,
( मनोज पूनम को अपनी सफाई दे रहा था और यह बात सुनकर पूनम मन ही मन हंस रही थी,,,। उसे मनोज का ईस तरह से सफाई देना बहुत अच्छा लग रहा था।)

फिर भी तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है वहां पर मेरी किस्मत अच्छी थी कि वह खत किसी के हाथ नहीं लगा,,,

देखो पूनम मैं तुमसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं मैं जानता हूं कि मैं बहुत बड़ा बेवकूफ हूं इसलिए तुम्हारे सामने लो कान पकड़कर तुमसे माफी मांगता हूं,,,,,

क्या सच में तुम कान पकड़कर माफी मांग रहे हो,,,
,
हां मैं सच कह रहा हूं कसम से,,,, क्यों तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है क्या अगर तुम मेरे सामने होता तो मैं सच में तुम्हारे सामने कान पकड़कर घुटनों के बल बैठकर तुमसे माफी मांगता,,,, 
( इस बात को सुनकर पूनम बहुत खुश हुई,,,)

तुम्हें यकीन नहीं आ रहा हो तो,,, मैं स्कूल में सबके सामने तुमसे माफी मांगने को तैयार हूं,,,

ननननन,,, नननन,,, ऐसा पागलपन बिल्कुल भी मत करना क्या तुम मुझे बदनाम करना चाहते हो,,

नहीं पूनम भला मैं ऐसा क्यों चाहूंगा,,,


तभी तो सबके सामने मुझसे माफी मांगने की बात कर रहे हो जानते हो तुम्हारे ऐसा करने से मेरी कितनी बदनामी होगी,,,

सॉरी पूनम ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे तुम्हारी जरा सी भी बदनामी हो,,, अच्छा एक बात बताओ खोलो मैंने जो बात खत में लिखा था उसे पढ़कर तुम्हें अच्छा तो लगा ना,,, 

क्या मतलब (पूनम अनजान बनते हुए बोली)


मतलब यही कि क्या तुम मेरे प्यार को स्वीकार की हो क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो,,,,
( मनोज की यह बात सुनकर पूनम खामोश हो गई उसे अपने प्यार का इजहार करने में शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन मनोज की यह बातें उसे अच्छी भी लग रही थी पूनम को इस तरह से खामोश देखकर मनोज बोला,,,।)

क्या हुआ पूनम तुम खामोश क्यों हो गई क्या तुम्हें मेरा प्यार स्वीकार नहीं है,,, बोलो,,,

( कुछ सेकंड खामोश रहने के बाद पूनम बोली)

तुम बिल्कुल बेवकूफ हो अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं भला तुम्हें फोन क्यों करती,,,,


मतलब,,, क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो,,,

हां,,, ( शरमाते हुए बोली)

ओहहहहह पुनम मैं बता नहीं सकता कि कितना खुश हूं मुझे तो अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा है कि तुम जैसी खूबसूरत लड़की मुझसे प्यार करने लगी है,,,, मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है क्या तुम मेरी एक बात मानोगी,,,

क्या?,,,, 
( प्राकृतिक रूप से मनोज के तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी कारण बिल्कुल साफ था क्योंकि आज वह अपनी बेहद पसंदीदा लड़की से बात कर रहा था जिसकी वजह से उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,, जो कि बेहद प्राकृतिक था भले ही दोनों के बीच गंदी तरीके की अश्लील बातचीत ना हो रही हो लेकिन फिर भी पूनम की आवाज़ भी उसके लिए बेहद मादक साबित होती थी जिसकी वजह से उसका लंड पूरी तरह से पेंट में खड़ा हो चुका था,,, वैसे भी पूनम की सामान्य सी बात में ही मनोज उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंच जाता था और इस समय तो वह रात के एकांत में अपने कमरे में लेट कर पूनम कि बेहद सुरीली और मादक आवाज का आनंद लेते हुए उस से बातें कर रहा था जिसकी वजह से उसका लंड अपनी अपनी औकात में आ चुका था।,,, मनोज से अपनी यह स्थिति बिल्कुल भी संभाले नहीं जा रही थी,,, और वह एक हाथ से अपने पजांमे को नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, ठीक ऐसा ही पूनम के साथ हो रहा था जिंदगी में पहली बार बार रात के सन्नाटे में अपने कमरे में बैठकर मनोज से बात कर रही थी या यूं कह लो कि आज वह पहली बार जिंदगी में किसी लड़के से इस तरह से बात कर रही थी,,,, ईस रोमांचकारी अनुभव का असर उसके खूबसूरत तन-बदन में अद्भुत प्रकार से हो रहा था,,,,, एक अजीब सा सुखद एहसास उसके तन बदन मैं कसमसाहट भर रहा था लेकिन पूनम अनुभवहीन थी उसे अवस्था के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था,,,,, वह अपने बदन में हो रही उत्तेजना को पहचान नहीं पा रही थी,,, रात में एक लड़के से बात करने की वजह से उसके तन-बदन में भी हलचल सी मची हुई थी जिसका सीधा असर उसकी जांघों के बीच डेढ़ ईंच की पतली दरार में पूरी तरह से हो रही थी,,,
उसमें से हल्का हल्का मदन रस हो रहा था जिसे पूनम बिल्कुल भी नहीं पहचान पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है
लेकिन इस तरह का शरीर में हो रहे बदलाव और कसमसाहट भरी मीठी चुभन पूनम को अच्छा लग रहा था।,,, पूनम समझ नहीं पा रही थी कि मनोज उससे कौन सी बात मनवाना चाहता है इसलिए फोन को अपने कान पर बराबर लगाकर उसकी बात सुनने की कोशिश करने लगी,,,,, तभी सामने से मनोज की आवाज आई,,,।)

पूनम क्या तुम मेरे लिए सिर्फ एक बार अपने मुंह से अपने प्यार का इजहार कर सकती हो,,, मैं तुम्हारे मुंह से सुनने के लिए तड़प रहा हूं,,,,, बस एक बार बस एक बार तुम मुझे,,,, अपने मुंह से,,, आई लव यू बोल दो मेरा जन्म सुधर जाएगा,,,, प्लीज पूनम मुझ गरीब पर इतना रहम कर दो मैं तुम्हारे प्यार का प्यासा हूं अपने मुंह से यह 3 शब्द कहकर मेरी प्यास बुझा दो,,,,
( पूनम मनोज की बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रही थी उसे मनोज के मुंह से यह सुनना बेहद अच्छा लग रहा था वास्तव में मनोज शब्दों का जादूगर था और लड़कियों के साथ इसी तरह से फ्लर्ट कर के उन्हें अपने प्यार के झांसे में फंसाया करता था,,,, और वही सब तरकिब वह पूनम के सामने आजमा रहा था,,, क्योंकि कुछ भी हो वह दूसरी लड़कियों के साथ भले ही किसी भी तरह से पेश आता हो लेकिन वह पूनम से मन ही मन प्यार करने लगा था तभी तो उसकी याद में ईस तरह से बावला हुआ था,,, पूनम मनोज की बातें सुन कर बहुत खुश हो रही थी लेकिन जिस तरह का वह जिद कर रहा था उस शब्द को बोलने में पूनम को हिचकिचाहट हो रही थी क्योंकि आज तक उसने यह 3 शब्द ना तो कभी अपने मुंह से बोलीे थी और भाई कभी अपने कानो से सुनी थी उसे बेहद शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन जिस तरह से वह मुझसे मिन्नतें कर रहा था उसकी बात तो मानना ही था इसलिए बहुत ही हिम्मत जुटाकर वह,,ं मनोज की बात रखते हुए बोली।)

क्या मनोज तुम भी इतना जिद कर रहे हो आखिरकार मैं तुम्हें सामने से फोन करके अपने मन की बात का एहसास तो तुम्हें दिला ही दी हूं फिर भी तुम इस तरह से क्यों जिद कर रहे हो,,,,,
( पूनम के मुंह से अपना नाम सुनकर मनोज बहुत खुश हो गया और वह 3 लब्ज सुनने के लिए बेकरार होने लगा,,,,)

पूनम मैं जिद नहीं कर रहा हूं बस मेरे मन की यही ख्वाहिश है कि मैं वह तान शब्द तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं,,, प्लीज ना मत कहना,,,,

आई लव यू,,,,( मनोज अपनी बात खत्म कर पाता इससे पहले ही पूनम ने झट से यह तीन शब्द बोल दी,,,, यह 3 शब्द बोलने में पूनम की हालत खराब हो गई,,,, जिंदगी में पहली बार इस 3 शब्दों का उपयोग की थी,,,, उसके बदन में अजीब सा रोमांच फैल गया था,,, पूनम के साथ साथ मनोज के तन-बदन में भी यह 3 शब्द उसके मुंह से सुनकर उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी मनोज मन ही मन बहुत खुश हुआ उसे कभी भी उम्मीद नहीं थी कि वह पूनम के मुंह से अपने लिए यह तीन सब्द सुन पाएगा,,, लेकिन इस समय ऊसके मन की बात सच हो रही थी,,, )

पूनम आज मैं बहुत खुश हूं मैं तुम्हें बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूं,,,, मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा है कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा,,,, 
( मनोज की यह बात सुनकर पूनम खिलखिलाकर हंसने लगी उसे मनोज की यह बात बहुत ही मासूम और प्यारी लग रही थी,,, और पूनम की मुस्कुराहट और उसकी हंसी की आवाज सुनकर मनोज की उत्तेजना बढ़ने लगी वह अपने टनटनाए हुए लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा मनोज की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी लड़की से बात कर रहा था बल्कि उसकी हर बात किसी ने किसी लड़कियों के साथ फोन पर गुजरती थी और वह फोन पर लड़कियों के साथ भी है अश्लील और एकदम गंदी बातें करके अपने लंड का पानी निकाल देता था लेकिन,,,, पूनम के साथ हुआ बेहद सभ्यता के साथ और सामान्य शब्दों में ही बातें कर रहा था लेकिन फिर भी पूनम की कशिश इतनी ज्यादा थी कि उसकी बातों से ही मनोज पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और वह पूनम से बातें करते हुए कल्पना में ही उसके खूबसूरत बदन के साथ मस्ती करते हुए अपने लंड को जोर जोर से हीलाना शुरु कर दिया था।,,,, तभी पूनम मनोज की बात का जवाब देते हुए बोली,,

तुम सपना नहीं हकीकत देख रहे हो ओर जोे सुन रहे हो वह बिल्कुल सही सुन रहे हो,,,,

पूनम क्या सच में तुम मुझसे प्यार करने लगी हो कहीं तुम मुझसे मजाक तो नहीं कर रही हो,,,( ऐसा कहते हुए मनोज अपने लंड को जोर-जोर से मुठीयानी लगा,,,,)

मैं मजाक नहीं करती मैं जों कहतीे हूं एक दम सच कहतीे हुं।
मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मैं किसी को दिल दे दे दूंगी क्योंकि मैं इन सब बातों से एकदम दूर ही रहती थी और दूर रहना चाहती थी,,,,लेकीन तुम्हारी वजह से मुझे अपना फैसला बदलना पड़ा तुम्हारी जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा वेसे भी धीरे-धीरे तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो,,,।( मनोज पूनम की ऐसी बातें सुनकर उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंच गया था वह कल्पना में ही पूनम के बदन पर से एक-एक करके सारे कपड़े उतारने लगा था,,,,)

सच बोल रही हो पुनम,,, मुझे तो सच बताऊं अभी भी यकीन नहीं हो रहा है।,,, कहीं ऐसा ना हो जाए कि मैं खुशी से एकदम पागल हो जाऊं,,,,

प्लीज ऐसा मत कहो अगर तुम पागल हो गए तो मेरा क्या होगा,,,,

( पूनम की यह बात सुनकर मनोज तो एकदम पागल ही हो गया,,, वह इस बार कल्पना के सागर में गोते लगाते हुए पूनम के बदन उसकी पैंटी उतार रहा था,, और उस कल्पना मैं खोकर मनोज जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था।)

मैं भी तुम्हारे बिना अधूरा हूं पूनम,,,, 

मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि मैं भी तुम्हारे बिना अधूरी हूं,,,
( दोनों के बदन में आग बराबर लगी हुई थी पूनम इस तरह से रात को एक लड़के से बात करके अंदर ही अंदर मस्त हुए जा रही थी लेकिन उसे इस मस्ती का सबब पता नहीं चल रहा था धीरे-धीरे करके उसकी पैंटी गीली होने लगी थी जिसका एहसास उसे होते ही उसका एक हाथ झट से उसकी पैंटी पर चला गया और वह सलवार के ऊपर से उसे टटोलकर पेंटिं गीली होने की पुष्टि करने लगी,,,, उसकी खूबसूरत अनछुई बुर मस्ती के रस में पूरी डूब चुकी थी,,,, लेकिन पूनम को इस मस्ती के हिसाब के बारे में कुछ भी पता नहीं था उसे तो यह लग रहा था कि उसे जोर से पेशाब लगी है जिसकी वजह से बूंद बूंद करके उसकी पैंटी गीली होने लगी है,,,, दूसरी तरफ मनोज जोर-जोर से अपने लंड को हिलाते हुए अपने चरम सुख की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,, अब वह कल्पना में ही पूनम की जांघों के बीच अपने लिए जगह बना लिया था,,,, और अपने लंड के सुपाड़े को पूनम की खूबसूरत बुर के मुहाने सटा दिया था,,,,, मनोज उत्तेजना की गर्मी के कारण पूरा पसीने से तरबतर हो चुका था।। पूनम दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखी तो काफी समय हो चुका था उसे इस बात का भी डर था कि कहीं कोई आते जाते उसकी बात न सुन ले नहीं तो उसका प्यार शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा,,, और वैसे भी उसे जोरों से पेशाब भी लगी थी इसलिए वह बोली,,,

मनोज आप काफी समय हो गया है मुझे फोन रखना होगा,,,

नहीं पूनम ऐसा मत बोलो मैं तो चाहता हूं कि रात भर तुम यूं ही मुझसे बातें करती रहो,,,

मैं भी तो यही चाहती हूं (हंसकर) लेकिन मजबूर हूं सुबह जल्दी उठकर स्कूल भी तो जाना है,,,

( मनोज उसकी बात सुनते हुए अपनी कल्पना का घोड़ा पूरी जोर से दौड़ रहा था क्योंकि इस बार वह कल्पना करते हुए अपने लंड को पूनम की बुर में उतार चुका था और उसे चोदना शुरू कर दिया था उसका हाथ उसकी लंड पर बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था।,,,,
( पूनम की नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर पड़ी थी काफी समय हो चुका था इसलिए वह मनोज से बोली,,,।)

मनोज अब काफी समय हो चुका है अब मुझे सोना चाहिए क्योंकि जल्दी उठकर मुझे स्कूल भी तो जाना है,,, अगर ऐसे ही बातें करती रहुंगी तो सुबह आंख नहीं खुलेगी,,

मनोज नहीं चाहता था कि पूनम फोन कट करें क्योंकि वहां से रात भर बात करना चाहता था,,, लेकिन उससे बात करने के लिए दबाव भी नहीं दे सकता था क्योंकि आज पहली बार वह ऊससे इस तरह से बात कर रहा था,,, वैसे भी वह कल्पना करते हुए अपने चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था वह जोर-जोर से लंड हिलाते हुए बोला,,

कोई बात नहीं पूनम लेकिन कल स्कूल में तो मिलोगी ना,,,

नहीं बिल्कुल भी नहीं हम जैसे पहले मिलते थे वैसे ही मिलेंगे किसी को भी कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए कि हम दोनों के बीच में कुछ चल रहा है वरना मेरी हालत मेरे घरवाले खराब कर देंगे,,,,

ठीक है पूनम जैसा तुम कहो,,,,



और हां मनोज यह मोबाइल मेरी चाची का है तो जब तक मैं तुम्हें मिस कॉल ना करूं तुम किसी भी हालत में कभी भी फोन मत करना तुम्हें यह प्रॉमिस करना पड़ेगा,,, वरना ऐसा हुआ तो मुझे यह रिश्ता यहीं खत्म करना होगा,,

नहीं पूनम ऐसा कभी भी नहीं होगा (और इतना कहने के साथ ही उसके लंड ने पिचकारी छोड़ दिया,,,।)

ठीक है बाय मैं फोन रखती हूं,,,

ठीक है पूनम आई लव यू,,,

लव यू टू मनोज,,
( इतना कहने के साथ ही फोन कट गया)
Reply
03-11-2019, 12:51 PM,
#25
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
मनोज से बात करके पूनम को काफी अच्छा लग रहा था,,, जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह के कदम उठाए थे पहली बार किसी लड़के के साथ फोन पर बात की थी उसके दिल को सुकून मिल रहा था वह काफी अच्छा महसूस कर रही थी,,, वरना जब तक वह मनोज से बात नहीं की थी तब तक उसके मन में ना जाने कैसे-कैसे ख्याल आते थे। उसके बदन में अजीब सी हलचल सी मची हुई थी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे जोरों की पेशाब लगी है इसलिए वह शॉल ओढ़ कर कमरे से बाहर आ गई,,,, लेकिन इस बार वह घर के बाहर पेशाब करने के लिए नहीं गई बल्कि सामने के बाथरूम में घुसकर जल्दी-जल्दी अपने सलवार की डोरी खोल कर,,, पेशाब करने बैठ गई आज उसकी बुर से बड़ी तेजी के साथ पेशाब की धार फूट पड़ी थी उसे ऐसा लग रहा था कि अगर कुछ देर रुकी रहती तो शायद वह सलवार गीली कर देती,,,,

थोड़ी ही देर में वहां पेशाब करके खड़ी हो गई और अपने सलवार को पहनने लगी लेकिन उसे अजीब सा महसूस हो रहा था पेशाब करने के बाद भी उसे अपनी बूर के इर्द-गिर्द बेहद गीलापन महसूस हो रहा था,,,,ऊसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है,,, वह जल्दी-जल्दी अपने कमरे में आई और बल्ब जलाकर फिर से अपनी सलवार की डोरी खोलकर सलवार को पेंटिं सहीत अपनी जांगो तक नीचे सरका दी,,, वह ध्यान से अपनी बुर को देखने लगी,, बुर पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे कुछ दिन पहले ही उसने क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ की थी,,,, क्योंकि हमेशा वहां अपने अंगों की सफाई की ज्यादा ध्यान देती थी,,,, भले ही अभी उसकी बुर पर झांट के बाल ज्यादा घने ना आते हो,, लेकिन फिर भी वह सप्ताह में एक बार क्रीम का उपयोग करके अपनी बुर पर ऊगे बालों को साफ जरूर करती थी,,,,

उसे इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि उसकी बुर बेहद ही खूबसूरत रूप में घड़ी हुई थी,,, उसकी बनावट बेहद खूबसूरत और अद्भुत थी इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,, इस बात का अंदाजा वहीं लगा सकता था जो कि उसकी बुर को रूबरू अपनी आंखों से देख पाए,,,,

बुर बड़ी मुश्किल से केवल एक ही इंच के लगभग होगी लेकिन उसके इर्द-गिर्द का भाग काफी फूला हुआ था मानो कि जैसे तवे पर कोई रोटी फूल रही हो,, पूनम किशोर और चिकनी जांघों के बीच का वह हिस्सा बुर ही है यह दर्शाने के लिए,, उसके बीच हल्की सी एक पतली लकीर के जैसी दरार थी जिससे यह पता चलता था की यह पूनम की बुर है,,,, वैसे तो पूनम की खूबसूरत बुर का स्पष्ट वर्णन उसकी सुंदरता लिखने पर पूरी एक उपन्यास भर जाए इतनी बेहद खूबसूरत और रस से भरी हुई थी उसकी बुर,,,, 

लेकिन उसकी यही खूबसूरत बुर ईस समय उसकी परेशानी का कारण बना हुआ था,,, पूनम बड़े आश्चर्य जैसे अपनी बुर की तरफ देखकर हैरान हो रही थी,,, क्योंकि पेशाब करने के बावजूद भी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी बुर पूरी तरह से गीली है,,, इसलिए वह अपने मन की तसल्ली के लिए हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर उसे अपनी बुर पर रखकर टटोलने लगी,, जिससे कि उसे एहसास हो गया कि वाकई में उसकी बुर पूरी तरह से गिली थी,,,, लेकिन उसे एक बात बेहद परेशान कर रही थी कि गीली होने के साथ साथ चिपचिपी भी थी ऊसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह चिपचिपा सा तरल पदार्थ है क्या? वह चिपचिपा तरल पदार्थ उसकी उंगलियों पर लग चुका था,,, जिसे वह ध्यान से देख रही थी लेकिन उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था आखिरकार थक हारकर वह बुर के ऊपर लगे चिपचिपा पदार्थ को रुमाल से साफ करके सो गई,,,,

दूसरी तरफ मनोज भी बहुत खुश था क्योंकि वह आज पहली बार अपने मनपसंद की बेहद खूबसूरत लड़की के साथ बातें करते हुए संतुष्टि भरा चरम सुख प्राप्त किया था जितना मजा उसे आज पूनम के साथ केवल साधारण से बातचीत करने में आया इतना मजा उसे दूसरी औरतों और लड़कियों के साथ अश्लील बातें करने में भी नहीं आया था वह भी पूनम की यादों को सीने से लगाए सो गया,,

दोनों की प्रेमगाथा शुरू हो चुकी थी जो कि एक तरफ से तो प्यार ही था लेकिन दूसरी तरफ प्यार के साथ-साथ वासना का भी मिश्रण था जो कि समय के साथ काफी फल-फूल रहा था,,,, स्कूल में आते जाते रास्ते में दोनों इस तरह से व्यवहार करते थे कि जैसे एक दूसरे के प्रति दोनों के मन में किसी भी प्रकार का स्नेह या आकर्षण नहीं है लेकिन मन ही मन दोनों एक दूसरे को जी-जान से चाहने लगे थे,,,,, दो-चार दिन तक पूनम को मोबाइल नहीं मिला क्योंकि उसकी चाची अपनी मां के फोन करके बातें किया करती थी जिसकी वजह से वह अपनी चाची से फोन भी नहीं मांग पा रही थी,,,, और मनोज बेहद परेशान सा हो गया था क्योंकि पूनम ने सख्त हिदायत दे रखी थी कि जब तक वह मिस कॉल ना करें तब तक वह फोन नहीं करेगा वरना वह रिश्ता तोड़ देगी,,,,, पूनम की बात की गहराई को बहुत अच्छी तरह से समझता था क्योंकि अगर वह अपने ऊपर काबू में रख कर फोन कर दिया तो हो सकता है उसके परिवार में कोई भी फोन उठा सकता था और उस समय पूनम के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती थी और वहां ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था इसलिए अपनी भावनाओं पर काबू कर के वह शांत रह जाता था,,,। मनोज से बात किए बिना पूनम काफी बेचैन हो जाया करती थी वहां दिन रात बस फोन कहीं जुगाड़ में लगी रहती थी लेकिन दिन में तो उसे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था और रात में उसकी चाची फोन अपने पास में ही रखती थी इस वजह से पूनम का काम बिगड़ता जा रहा था,,,,, वक्त के साथ-साथ सुजाता की बुर में भी खलबली सी मचने लगी थी,,,। वह हमेशा मौके के ही तलाश में रहती थी लेकिन कुछ दिनों से उसे भी मौका नहीं मिल पा रहा था,,,,। सोहन तो वैसे ही शुरू से औरतों का दीवाना था,,,। आंख सेंकने के लिए उसे कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती थी जब भी आंख सेकना होता था, तो वह पूनम के घर दूध लेने के बहाने चले जाता था क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानता था कि पूनम के घर में एक से एक गर्म साइलेंसर,,, अपनी गर्माहट उसकी जवानी के रस को पिघलाने का पूरा जुगाड़ की तरह थे,,,,। जब कभी भी उसे चोदने के लिए बुर नहीं मिलती थी तो अक्सर वह पूनम के घर की औरतों के बारे में कल्पना कर कर के हाथ से ही काम चला लिया करता था,,। वैसे भी पूनम के घर की औरतें एकदम हाई वोल्टेज टाइप की एक से बढ़कर एक माल थी।,,, ऐसे ही वह अपनी आंख सेंकने के लिए पूनम के घर दूध लेने के बहाने से पहुंच गया,,,, घर के आंगन में पहुंचकर वह इधर उधर देखने लगा,,,, वह इसी ताक में था कि किसी की मदमस्त बड़ी बड़ी बड़ी गांड देखने को मिल जाए भले ही साड़ी के ऊपर से ही सही,, वह कुछ देर तक आवाज नहीं खड़ा रहा लेकिन किसी ने भी उसे अपने खूबसूरत बदन के दर्शन नहीं कराए,,, उसका लंड तड़प रहा था नजारा देखने के लिए,,, जब काफी देर हो गई उसे वही खड़े-खड़े इंतजार करते हुए तो वह आवाज लगाकर बुलाने की सोचा और जैसे ही आवाज लगाने जा रहा था कि सामने से हाथों में ढ़ेर सारे बर्तन लिए पूनम बाहर आती नजर आई,,,,, उस पर नजर पड़ते ही सोहन खुश हो गया और मन में ही सोचा चलो,,,,

कोई बात नहीं,,,, जवानी का गोदाम ना सही जवानी का शोरूम भी चलेगा,,,, पूनम सोहन की तरफ देखते ही गुस्से मैं नजर दूसरी तरफ फेरते हुए,,, बर्तन को जोर से पटकते हुए बोली,,,,

क्या काम है? 

दूध लेना है और कुछ काम नहीं है,,,,

तो तबेले मे जाओ यहां क्या कर रहे हो,,,,,? 

तुम नहीं दोगी,,,,,,, दूध,,,,,( सोहन,, दो अर्थ वाली भाषा में बात कर रहा था,,,।)

नहीं आज मैं नहीं दूंगी मुझे बहुत काम है तबेले में जाओ वहां पर चाची हैं वह तुम्हें दूध देंगी,,,,,

अच्छी बात है वैसे भी तुम बहुत कम दुध देती हो चाची अक्सर ज्यादा दूध देती है,,,( सोहन दांत दिखाते हुए बोला उसकी बात को सुनकर पूनम गुस्से में बोली,,,।)

जितना आता है उतना ही दूंगी ना कि तुम्हारे लिए ज्यादा निकाल कर दे दूंगी,,,,


तो ज्यादा निकाला करो यह तो तुम्हारे ऊपर ही है,,,,

ऐसे कैसे ज्यादा निकाल दूं जितना होगा उतना ही दूंगी ना अगर ज्यादा ही चाहिए तो ज्यादा पैसे दिया करो,,,,
( पूनम सोहन की दो अर्थ वाली भाषा को समझ नहीं पा रही थी इसलिए वह मासूमियत से उसका जवाब दे रही थी लेकिन उसके जवाब को दूसरी तरफ से लेकर सोहन बहुत खुश हो रहा था,,,।)

ऐसे कैसे ज्यादा पैसे दे दूं जितना पैसा देता हूं उतने में तुम्हारे घर के सभी ज्यादा दूध देती हैं एक तुम ही हो जो बहुत कम दूध देती हो,,,,

अच्छा जाओ यहां से मुझसे ज्यादा बहस मत किया करो जो ज्यादा दूध देता हो उसी से ले लिया करो,,,,,( पूनम गुस्से में बोल कर नीचे बैठकर बर्तन मांजने लगी,,, और इसी पल का सोहन बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था किंतु जैसे ही वह नीचे बैठने के लिए झुकि उसकी गोल गोल का है सलवार के ऊपर से भी अपनी खूबसूरती बिखरने लगी,,, सोहन मात्र 2 सेकंड के नजारे से एक दम मस्त हो गया और हंसते हुए वहां से तबेले की तरफ चला गया,,,,, वैसे तो वह यहां पर सुजाता के हितार्थ में आया था लेकिन सुजाता उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी काश अगर वह उसे नजर आ जाती तो वह अपने लिए कुछ जुगाड़ बना पाता लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तबेले में पहुंचते ही उसकी नजर,,, संध्या चाची पर पड़ी जो कि झुक कर भैंस की रस्सी को बांध रहीे थी,,,, जो कि झुकने की वजह से उसकी जवानी की दुकान कुछ ज्यादा ही उभार लिए नजर आ रही थी जिसे देख कर सोहन का लंड ठुनकी मारने लगा,,, लेकिन वह एक कारण की वजह से अपना मन मसोसकर रह गया क्योंकि,,, संध्या की जवानी की दुकान पर साड़ी रुपी सटर पड़ा हुआ था। जी मैं तो आ रहा था कि वह पीछे से जाकर उसका शटर उठाए और अपने लंड को बुर में डालकर चोद डाले,,, क्योंकि उसकी हालत खराब हुए जा रही थी और उसके पैंट में तंबू बन चुका था,,,, वह उसकी मत मस्त गांड को हिलते-डुलते हुए देखकर धीरे-धीरे उसके नजदीक जाने लगा,,,, साथ ही वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को मसलते हुए जा रहा था,,, इतने दिनों से पूनम के घर उसका आना जाना था।

इसलिए अच्छी तरह से देख कर यह समझ गया था कि पूनम के घर में जितनी भी औरतें थी उन सब में सबसे बड़ी और बेहद भरावदार गांड संध्या की थी जिसे देखते ही किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,,,सोहन संध्या की बड़ी बड़ी मटकती हुई गांड को देखकर एकदम कामीभूत हो चुका था,,,,

अभी तो मात्र उसने साड़ी के ऊपर से ही बस उसकी बड़ी-बड़ी प्यार की कल्पना ही किया था अगर वह सच में उसकी नंगी गांड को देख लेता तो खड़े खड़े पानी छोड़ देता,,,, संध्या उसी तरह से झुककर रस्सी को बांधने में लगी हुई थी,,, उसे तो इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसके पीछे वासना से भरा हुआ एक नौजवान लट्ठ खड़ा है,,, वह अपने काम में एकदम मग्न थी,, वह संध्या के एकदम बिल्कुल करीब पहुंच गया था,,, वह पीछे से संध्या को पकड़कर अपने लंड का कड़कपन उसकी बड़ी बड़ी गांड पर धंसाना चाहता था,,,। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि संध्या की उम्र की औरतों को बड़े बड़े लंड का बहुत ही ज्यादा शौक होता है,,,,

पहले तो वह समाज और परिवार के डर से बिल्कुल भी हां नहीं बोलती लेकिन धीरे-धीरे जब उनका डर निकल जाता है तो वह अपनी बुर में मोटा लंड को लिए बिना बिल्कुल भी नहीं रह पाती,,, वह ईस बात से इसलिए अच्छी तरह से वाकिफ था क्योंकि वह खेला खाया जवान था और अब तक उसने संध्या जैसी उम्र की औरतों को ही चोदते आया था,,,,।
सोहन धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था कि तबेले में बड़ी एक भैंस उसकी तरफ से मारने के लिए लपकी,,, और वह उस भेश से बचने के लिए थोड़ा सा हट कर जल्दी से आगे बढ़ा ही था कि तभी उसके दिमाग में एक शरारत सूझी और वह भैंस से बचने के बहाने जल्दी से संध्या के पिछवाड़े से सटते हुए बचते बचते नीचे गिर गया और इस तरह से अपने बदन से सटने की वजह से संध्या एक दम से घबरा गयी,,,, वह पीछे मुड़कर देखी तो सोहन नीचे घास फूस के ढेर पर गिरा हुआ था,,,, लेकिन सोहन गिरने से पहले अपना काम कर चुका था वह बचते-बचते संध्या के बड़े पिछवाड़े के बीचोे बीच,,, अपने खड़े लंड का कठोरपन धसाते हुए अपने लंड को उसके नितंबों के बीचो-बीच उसे महसूस करा गया था,,,। इसलिए तो संध्या घबराकर तेजी से उछली थी।,, उसे ऐसा महसूस हुआ था कि कोई ऊसकी गांड के बीचो-बीच कोई नुकीली चीज घुसेड़ रहा है,,,, वह अपने आप को संभाल पाती तभी,,
ऊसकी नजर घास फुस के ढेर पर गिरे सोहन पर पड़ी,,, जो की बड़े जोर से गिरा था,,,,, जिस तरह से वह घबरा गई थी उसे देखते हुए वहां सोहन को गुस्से में डांटना चाहती थी लेकिन उसकी हालत को देखकर उसे हंसी आ गई पल भर के लिए वह एकदम से भूल गई की उसके नितंबों के बीचो-बीच कोई नुकीली जीच चुभी थी,,,, और वह सोहन की हालत को देखकर जोर-जोर से हंसने लगी,,, उसे हंसता हुआ देखकर तो हमको भी अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी वह थोड़ा सा जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोला ताकि उसको यह ना लगे कि जिस चीज का अनुभव उसनें अपने नितंबों के बीचो-बीच कुछ पल पहले की थी वह जानबूझकर हुआ था,,,,

कमाल करती हो तुम भी एक तो तुम्हारी भैंस की वजह से मैं गिर गया और तुम्हें हंसी सूझ रही है,,,

अब हमसे ना तो क्या करूं तुझे देख कर चलना चाहिए था ना

मे तो देखकर ही आ रहा था लेकिन तुम्हारी भैंस न जाने क्यों भड़क गई,,, 

तो जरूर कुछ किया होगा तभी भड़क गई वरना वहं तो बहुत सीधी है,,

अच्छा,,,,, सीधी,,,,, और वह भी तुम्हारे साथ रहकर हो ही नहीं सकता,,,,,

तेरा क्या मतलब है,,,

अरे मतलब साफ है एक तो मैं नीचे गिरा हुआ हूं और मुझे उठाने की बजाय तुम हंसे जा रही हो,,,

अच्छा बाबा ठीक है ला,,, मुझे हाथ हाथ दे मैं तुझे उठाती हुं।
( संध्या हंसते हुए बोली,,, सोहन को बहुत ही अच्छा लग रहा था नीचे घास फूस के ढेर पर पड़ा हुआ वह ऊपर की तरफ देख रहा था और उसे संध्या का पूरा नजारा देखने को मिल रहा था,,, हवा बहने की वजह से उसकी साड़ी इधर-उधर लहरा रही थी साथ ही उसका पेटीकोट भी नजर आ रहा था जी मैं तो आ रहा था कि वह उसकी पेटीकोट को उठाकर उसकी नमकीन जवानी को देख ले लेकिन ऐसा करने में अभी वह हीचकीचा रहा था,,,। संध्या के कहने पर वह हाथ आगे बढ़ा दिया और संध्या ने उसका हाथ पकड़ते हुए उसे ऊपर उठाने की कोशिश की लेकिन सोहन का शरीर कसरती और भारी भरकम था,,, जो कि एक औरत से उठने वाला नहीं था तो भी संध्या कोशिश करके उसे उठाने लगी लेकिन तभी उसका पैर फिसला और वह सीधे सोहन के ऊपर गिर गई,,

संध्या गिर कर सीधे सोहन की बाहों में पड़ी थी,,, सोहन संध्या को गिरते हुए देख लिया था इसलिए उसे थाम लिया लेकिन उसे थामते हुए भी धीरे-धीरे अपनी बाहों में गिरा ही दिया,,, गजब का एहसास सोहन के बदन में हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे ऊपर वाले ने उसे कोई भारी भरकम तोहफा दे दिया हो,,, संध्या को तो कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर हुआ क्या जब उसे होश आया तो वह सोहन की बाहों में थी,,,, उसके लाल लाल होंठ सोहन के होंठों के बिल्कुल करीब थे,, सोहन के जी में आया कि वह उसके होठों को चूम ले,,,,, संध्या की बड़ी बड़ी चूची की नर्माहट को वह अपने सीने पर महसूस करके एकदम से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,, उसका लंड एकदम से तन कर खड़ा हो गया था जो कि अब सीधे संध्या की जांघों के बीच,, साड़ी के उपर से ही उसकी बुर के मुहाने पर दस्तक दे रहा था,,, जिसका एहसास संध्या को भलीभांति हो रहा था कुछ पल के लिए तो संध्या को उस कठोर पन का एहसास अपनी बुर के मुहाने पर बेहद सुखदायक लग रहा था ऐसा लग रहा था कि वह कठोर सी चीज साड़ी फाड़कर ऊसकी बुर में समा जाएगी,,, संध्या को इस बात को समझते बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि कुछ देर पहले जो उसके नितंबों के बीचो बीच जो नुकीली सी चीज चुभी थी वह सोहन का दमदार लंड ही था इस बात का एहसास होते ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,,,,,,, उसके दिल में तो आ रहा था कि वह इसी तरह से सोहन के बदन पर लेटी रहे और उसके दमदार लंड को अपनी बुर के मुहाने पर महसूस करतेी रहे,,

जिस तरह से संध्या उसके बदन पर लेटी हुई थी और उठने की बिल्कुल भी कोशिश नही कर रही थी,,, उसे देखते हुए सोहन को भी थोड़ी छूट छाट लेने की इच्छा हो गई,,, और वह अपने दोनों हाथ को संध्या की कमर पर रखते हुए नीचे की तरफ ले गया और संध्या की पूरी पूरी कहानी पर अपनी हथेली को रखकर ऐसा जताते हुए कि वह उठने की कोशिश कर रहा है जितना उसकी हथेली में हो सकता था उतना संध्या की गांड को भर कर जोर से दबा दिया इतनी जोर से दबाया था कि संध्या के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई,,

आऊच्च,,, 
( संध्या की चीज की आवाज सुनकर संध्या कुछ कहती ईससे पहले ही सोहन बोल पड़ा,,,।)

क्या करती हो चाची एक तो पहले से ही गिरा हुआ था कि मुझे उठाने की बजाय तुम मुझ पर ही गिर पड़ी पता है मेरी पीठ कितनी तेज दर्द कर रही है,,,,
( संध्या जानती थी की उसने जानबूझकर उसकी गांड को हाथों से दबाया था,,, लेकिन वह औरत होने के नाते उसे कुछ कह नहीं पाई और शरमाते हुए उसके ऊपर से उठने लगी,,। उसके उठने के बाद सोहन खुद अपने आप ही उठ गया और अपने बदन को झाड़ने लगा,,,, सोहन मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसका काम हो गया था उसने अपनी मर्दाना ताकत को संध्या के बदन में महसूस करा कर उसके बदन में खलबली मचा दिया था,,,, संध्या शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगे तभी तो उनकी नजर संध्या की ब्लाउज मै से झांक रही उसकी नंगी पीठ पर गई,,, और उसकी नंगी चीकनी पीठ को देखकर उसे छुने की इच्छा होने लगी,,, इसलिए उसकी पीठ को छूने के लिए एक बहाने से बोला,,,

चाची तुम्हारी पीठ पर धूल मिट्टी लगी है उसे साफ कर लो,,,

( संध्या को ना जाने क्या हो गया था वह तो सोहन से नजर तक नहीं मिला पा रही थी,,,, क्योंकि अभी तक सोहन के लढ के कड़कपन का असर उसके बदन पर छाया हुआ था,,,वह सोहन की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,)

तू ही झाड़ दे मेरा हाथ वहां तक नहीं पहुंचेगा,,,
( संध्या की यह बात सुनकर तो सोहन की बांछे ही खिल गई
ऊसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि संध्या ऐसा कुछ कहेगी,,, संध्या की बात सुनते ही वहां जबसे उसके पीछे पहुंच गया और अपनी उंगली से उसकी महंगी चिकनी पीठ पर इस तरह से स्पर्श कराने लगा मानो कि वह सच में धूल मिट्टी साफ कर रहा है,,,,। लेकिन संध्या की चिकनी पीठ का स्पर्श उंगली पर होते ही उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, बिल्कुल यही हाल संध्या का भी हो रहा था ।

संध्या के तन-बदन में कामाग्नि की तेज लहर दौड़ रही थी जिसकी वजह से उसे साथ-साथ महसूस हो रहा था कि उसकी बुर से मदन की बूंदे टपक रही थी,,,, संध्या ने इस तरह का उत्तेजना का अनुभव किसी गैर मर्द के सामने पहली बार कर रही थी,,,,, ज्यादा देर तक वह संध्या की पीठ को सहला नहीं सकता क्योंकि कोई भी आ सकता था,,,, इसलिए वह आखरी क्षण अपनी उंगली का दबाव उसकी नंगी पीठ पर बढ़ाते हुए बोला,, जिसकी वजह से संध्या के मुंह से हल्की सी सिसकारी फूट पड़ी,,,,।)
सससससहहहहहह,,,,, 

चाची हो गया,,,, साफ हो गया,,,,,

( सोहन संध्या को चाची कह कर संबोधित कर रहा था ताकि संध्या को बिल्कुल भी शक ना हो कि जो उसने किया है वह जानबूझकर किया है,,, वैसे भी पड़ोसी होने के नाते और दोनों की उम्र में काफी अंतर होने की वजह से संध्या उसकी चाची ही लगती थी,,, संध्या के बदन में शुभम ने एकदम से काम भावना प्रज्वलित कर दिया था,,, तभी संध्या अपने आप को संभालते हुए सोहन से बोली,,,।)

ला मुझे बरतन दे,,, मैं उसमें दूध भर दूं,,,,
( सोहन नीचे गिरे बर्तन को उठाकर संध्या को थमाते हुए बोला।)

लो चाची ज्यादा देना,,,, तुम ज्यादा दूध देती हो,,,, ( सोहन मुस्कुराते हुए बोला और उसके कहने के अर्थ को समझते ही संध्या का बदन अंदर ही अंदर सिहर उठा,,, वह बिना कुछ बोले बर्तन में दूध भरकर सोहन को थमाने लगी,, दुध थमाते हुए उसकी नजर शुभम की पेंट की तरफ गई तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,

सोहन की पेंट में बने तंबू को देख कर संध्या की आंख फटी की फटी रह गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि पैंट में बना इतना ऊंचा तंबू उसके किस अंग की वजह से बना हुआ है,,, इसलिए तो उसका तन-बदन एकदम से झनझना उठा,, उसको समझते देर नहीं लगी कि सोहन का हथियार एकदम तगड़ा और बलिष्ठ है,,,, वह जल्दी से सोहन को दूध का बर्तन थमा कर अपना काम करने लगी ताकि सोहन चला जाए,,,, सोहन अपना काम कर चुका था धीरे-धीरे करके उसने घर की तीन औरतों को अपने बलिस्ठ हथियार का परिचय दे चुका था,,, सबसे पहले वह पूनम को इसी तरह से अपने पैंट में बना तंबू दिखाया था जिसे देखकर वह भी सिहर उठी थी,,,, दूसरी थी सुजाता,,,, उसे तो वहं अपने हथियार का स्वाद भी चखा चुका था,,, और तीसरे नंबर की थी यह संध्या,,, जो कि उसके तंबू के आकार को देखकर ही समझ गई थी कि उसका हथियार ज्यादा बलिष्ठ है वह सोहन को जाते हुए देखती रह गई।
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03-11-2019, 12:51 PM,
#26
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पूनम बेसब्र हुए जा रही थी मनोज से बात करने के लिए,,,, वह अपनी चाची से मोबाइल मांगना चाह रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे मांगे क्योंकि इससे पहले वहं बार बार मोबाइल को नहीं मांगती थी,,,,,,
रात को खाना खाने के बाद यूंही सब गप्पे लड़ाते हुए छत पर बैठे थे,,,, पूनम इसी ताक में थे कि कब वह अपनी चाची से मोबाइल मांगे लेकिन उसे मोबाइल मांगने का मौका नहीं मिल रहा था,,, कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी और छत पर घर की औरतें लकड़ी जलाकर उस आग से अपने बदन को गर्माहट पहुंचाने की कोशिश कर रही थी,,, इन सबके साथ पूनम तो वहां बैठी थी लेकिन उसका ध्यान कहीं और था वह तो मनोज के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, काफी देर तक उन लोगों को बात करने की वजह से काफी समय बीत गया,,,, को धीरे-धीरे करके सब अपने कमरे में चले गए लेकिन संध्या और पूनम वहीं बैठ कर इधर-उधर की बातें कर रहे थे पूनम को अगर संध्या का मोबाइल मिल जाता तो वह भी तबका चली गई होती लेकिन वह मोबाइल लेने के लिए ही अपनी चाची के साथ वहां बैठीे रह गई,,,, तभी बात बात मैं संध्या नें पूनम के साथ सोहन का जिक्र करते हुए बोली,,,,

पूनम तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि अपने पास का लड़का सोहन दूध लेने के बहाने अपने घर की औरतों को कुछ ज्यादा ही ताक झांक करता रहता है,,,,

हां चाची मुझे भी ऐसा ही लगता है,,,, घर में आते ही उसकी नजरें इधर-उधर भटकती रहती हैं,,,,
( पूनम झट से संध्या की बात का जवाब देते हुए बोली क्योंकि पूनम को भी इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो गया था कि सोहन की नजरें ठीक नहीं है,,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की जब वह दूध लेने आया था,,, तो उसकी बात करने का ढंग और उसका मतलब दो अर्थ वाला था और वह बार-बार उसके शरीर को ऊपर से नीचे की तरफ घूरता रहता था,,, और तो और वह बात करते समय अपने पेंट में बने तंबू को भी बिलकुल छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह जानबूझकर इस तरह से बर्ताव कर रहा था कि उसकी नजर उसके पेंट मैं बनी तंबू पर चली जाए,,, और ऐसा हुआ भी था पूनम की भी नजर उसके पैंट में बड़े तंबू कर चली गई थी और जिस पर नजर पड़ते ही पूनम शर्मा कर अपनी नजरें दूसरी तरफ फेर ली थी,,,, वह पल याद आते हैं पूनम के बदन में झनझनाहट से फैल गई,,,, लेकिन पूनम उस दिन वाली बात को अपनी चाची से बताई नहीं क्योंकि उस बात को बताने में उसे शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह अपनी चाची से बोली,,,,।)

लेकिन चाची तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो क्या तुम्हें कभी कुछ ऐसा लगा है,,,,
( पूनम की यह बात सुनते ही संध्या को तबेले वाला नजारा याद आ गया जब सोहन के लंड के कड़कपन को वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस करके एकदम से गंनगना गई थी।
और जब वह है उसके पैंट में बने बहुत ही ऊंचे तंबू को देख कर अपने बदन में उत्तेजना की लहर को साफ-साफ महसूस करी थी,,,, एक पल के लिए उसका मन भी बहक सा गया था। लेकिन संध्या जी पूनम सरिता पहले वाली बात को ना बता कर उसे छुपाते हुए बोली,,,,।)

नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है लेकिन जब देखो तब जब भी वह घर में आता है,, तब ऊसकी नजरें घर की औरतों को ही ढूंढती रहती है,,,।खैर जाने दो हो सकता है कि अपना वहम भी हो,, पूनम रात काफी हो चुकी है अब हमें सोना चाहिए,,,,

हां चाची हो गई है और धीरे-धीरे करके घर के सभी लोग सो चुके हैं सिर्फ हम दोनों ही जग रहे हैं,,,,,( पूनम बार-बार अपनी चाची से मोबाइल मांगना चाह रही थी लेकिन मांग नहीं पा रही थी।) 

पूनम मुझे तो जोरों की पेशाब लगी हो,, ( खड़ी होकर छत पर से चारों तरफ देखते हुए और चारों तरफ धू्प्प अंधेरा छाया हुआ था,,,, अंधेरे से थोड़ा घबराते हुए संध्या बोली,,,।) पूनम चल पहले पेशाब कर लेते हैं उसके बाद आकर सो जाएंगे,,,


लेकिन चाची मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगी है मैं सोने जा रही हूं आप अकेले ही चली जाओ ऐसा क्यों नहीं करती बाथरूम में ही कर लो,,,,
( पूनम अच्छी तरह से जानती थी कि संध्या बाथरूम में जल्दी पेशाब नहीं करती क्योंकि ऊन्हे बड़ा अजीब लगता था। पूनम इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की इतनी रात को इतने घने अंधेरे में वह उसे लेकर गए बिना पेशाब नहीं करेंगी,,।)

अरे पूनम नहीं लगी है तो मेरे साथ तो चल तू तो अच्छी तरह से जानते हैं कि बाथरूम में मुझसे पेशाब नहीं होती,,,।


ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलूंगी लेकिन तुम्हें मुझे मोबाइल देना होगा वह क्या है कितनी जल्दी मुझे नींद नहीं आने वाली इसलिए गाना सुनते सुनते सो जाऊंगी,,,,
( संध्या का प्रेशर धीरे-धीरे बढ़ रहा था और उसी से उस प्रेशर पर काबू कर पाना मुश्किल हो जा रहा था इसलिए वह अपना मोबाइल पूनम के हाथ में देते हुए बोली,,,।)

तो लेना मोबाइल मैं तुझे मना की हूं क्या अब चल जल्दी,,,
( पूनम के हाथ में मोबाइल थमाते हुए संध्या बोली और मोबाइल पाकर पूनम बहुत खुश हो गई,,,, इसके बाद दोनों घर के बाहर आ गए बाहर एकदम घना अंधेरा छाया हुआ था
और कोहरे की वजह से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था,,,।
संध्या घने कोहरे को देखकर बोली,,,।

चल यहीं बैठ कर कर लेते हैं,,,, इतने अंधेरे में कहां कोई देखने वाला है,,,,

चाची इतने अंधेरे में कोई देखने वाला नहीं है इस बात से मायूस हो रही हो कि इस अंधेरे पन का फायदा उठा रही हो,,,


बहुत बोलने लगी है तू,,,,


मैं ठीक ही कह रही हूं,,, अगर यहीं पर बैठकर के पैशाब करोगी तो सुबह किसी को भी पता चल जाएगा कि किसी ने यहां पर पेशाब किया है और घर के इतने नजदीक पैशाब करोगी तो अच्छा नहीं लगेगा,,,,

चल अच्छा दो कदम और चल लेते हैं एक तो मुझे इतनी जोरों की पेशाब लगी है कि चलना भी मुश्किल हुए जा रहा है,,,


चाची तुम इतना रोकती ही क्यों जब काम लगा रहता है तभी कर लेना चाहिए ना कहीं ऐसा ना हो कि तुम अपनी साडी गीली कर लो,,,


पूनम बोल ले बेटा आज तेरा दिन है तो बहुत मजाक उड़ा रही हैं मेरा भी वक्त आएगा तब तुझे बताऊंगी,,,,

( अपनी चाची की बात सुनकर और उनकी हालत को देखकर पूनम हंसने लगी और उसे शांत कराते हुए संध्या बोली,,,,।)

पागल हो गई है क्या इतनी जोर से हंस रही है अभी सारा घर उठ जाएगा और उन्हें पता चल जाएगा कि यह दोनों पेशाब करने जा रही हैं,,।

सॉरी चाची (पूनम हंसते हुए बोली,,,)

अरे अब मुझे कितनी दूर ले जाएगी तो इससे अच्छा तो घर के पीछे ही चले गए होते तो अच्छा था,,,

चले तो गए होते चाची लेकिन देख रही हो समय कितना हो रहा है और वहां पर इतनी रात को जाने से दादी ने सब को मना करके रखी है,,,

अरे कौन सा कोई वहां पर उठाकर लेकर चला जाएगा,,, हां मुझे तो नहीं लेकर जा पाएगा क्योंकि मेरा वजन कुछ भारी है लेकिन तुझे जरूर उठा ले जाएंगा,,,,


ऐसा मत बोलो चाची उठाने वाला तो तुम्हें भी उठाकर लेकर चला जाएगा बस उसे मौका मिलना चाहिए,,,,,


चल अब बहुत हो गया मैं तो यहीं बैठ कर मुंतने जा रही हूं,,,। अब मुझसे ज्यादा नहीं चला जाएगा,,,।

ठीक है चाची यही कर लो मैं नहीं चाहती थी इतनी रात को तुम्हें नहाना पड़े,,,,

हां अगर दो चार कदम और चलूंगी तो शायद मेरे कपड़े गीले हो जाए और मुझे नहाना ही पड़ेगा लेकिन ऐसी ठंड में नहाकर मुझे मरना नहीं है इसलिए मैं यही पर मुंतने जा रही हूं

( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम हंसने लगी और संध्या वहीं खड़ी होकर झट से अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा ली,,, अपनी चाची को इस तरह की जल्दबाजी दिखाते हुए पूनम चुटकी लेते हुए बोली,,,।)

देखना चाची ध्यान देना पेंटी भी पहन रखी हो ऐसा ना हो कि जल्दबाजी में बिना पैंटी निकाले ही बैठ जाओ,,,,

ले ले मजा पूनम रानी,,, वक्त आने पर गिन गिन कर तुझसे बदला लूंगी,,,,( इतना कहने के साथ ही संध्या अपनी काली रंग की पेंटिं को नीचे की तरफ खींच कर घुटनों तक कर दी इतने अंधेरे में भी संध्या की काली रंग की पेंटी एकदम साफ नजर आ रही थी क्योंकि,,, संध्या एकदम दूध की तरह गोरी थी जो कि इतने अंधेरे में भी उसका गोरापन एकदम चमक रहा था इसलिए उसकी काली रंग की चड्डी आराम से नजर आ रही थी,,,,,,, संध्या जैसे ही अपनी चड्डी को अपनी घुटनो सरकाई,,, वैसे ही तुरंत वहलमूतने के लिए बैठ गई,,,, पूनम अपनी चाची के उतावलेपन को देखकर फिर से हंस लेकिन इस बार संध्या पूनम को कुछ बोले बिना ही मूतने में मस्त हो गई वैसे तो यह नजारा एक औरत के लिए केवल एक औपचारिक ही होता है लेकिन यह नजारा एक मर्द के लिए पूरी तरह से बेहद उन्मादक और कामोत्तेजना से भरपूर होता है हर मर्द की यही लालसा और ख्वाहिश होती है कि वह खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखें,,,, क्योंकि पेशाब करते वक्त उन की सामान्य सी हरकत भी मर्दों के लिए उत्तेजना का साधन बन जाती है,,,, यही ख्वाहिश पूनम के चाचा के मन में भी बरसों से बनी हुई थी वह बार-बार संध्या को अपनी आंखों के सामने पेशाब करने के लिए मनाते रहते लेकिन संध्या शर्म के मारे आज तक उनकी आंखों के सामने कभी भी पेशाब करने के लिए नहीं बैठी,, और पूनम के चाचा की यही ख्वाहिश उनके मन में दबी की दबी रह गई थी,,, वास्तव में संध्या को बेहद जोरों से पेशाब लगी थी तभी तो वजह से ही पेशाब करने के लिए बैठी थी वैसे ही उसकी बुर से तेज फव्वारा छुट पड़ा,,, जिसकी आवाज एकदम सीटी की तरह सुनाई दे रही थी,,,, संध्या अभी मूतने बैठी ही थी कि पूनम भी अपने सलवार की डोरी खोलने लगी,,, लेकिन संध्या का ध्यान पूनम पर बिल्कुल भी नहीं था वहां तो बड़े मजे ले करके मुतने में व्यस्त थी उसे बेहद सुकून मिल रहा था तब तक पूनम अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी गुलाबी रंग की चड्ढ को अपनी जांघो तक खींचकर सरकादी , और बिना कुछ बोले बैठकर मुतने लगी,,, क्योंकि पूनम को भी बहुत जोरों से पेशाब लगी थी वह तो अपनी चाची को सिर्फ मोबाइल लेने के लिए झूठ बोल रही थी उसकी गुलाबी बुर की फांकों के बीज से नमकीन पानी का फव्वारा छूट पड़ा था,,, उसकी बुर से निकल रही पेशाब का फव्वारा इतनी तेज था की,,,

उसमें से आ रही सीटी की आवाज रात के सन्नाटे को चीर दे रही थी संध्या को इस बात का कुछ भी पता नहीं चलता बातों उसके कानों में जब अपने पास से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई दी तब वह अपने बगल में बैठी पूनम को पेशाब करते हुए देखकर बोली,,,,

अरे तुम तो कह रही थी तुम्हें पेशाब नहीं लगी है और अब इतने जोरों से अपनी बुर से सीटी बजा रही होकी ऐसा लग रहा है कि पूरे गांव को जगा दोगी,,,,,
( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम बोली,,,।)

नहीं चाची ऐसी कोई भी बात नहीं है तुम्हें देखकर मुझे भी पैशाब लग गई इसलिए मैं भी बैठ गई,,,।

चल कोई बहाना मत मार मुझे सब पता है,,,
( इतना कहकर दोनों हंसने लगी,,, थोड़ी ही देर में दोनों के साथ करके मुक्त हो चुके थे दोनों खड़ी होकर के अपने अपने कपड़ों को दुरुस्त करके घर में आ गए,,,, पूनम अपने कमरे में आते ही घड़ी की तरफ देखी तो रात के 12:30 बज रहे थे,
उसे उम्मीद तो नहीं थी थी इतनी रात को मनोज जाग रहा होगा,,,, लेकिन फिर भी वह एक बार कोशिश करके देख लेना चाहती थी वह दरवाजे की कुंडी लगा कर आराम से अपने बिस्तर पर आ गई हो गद्दे की नरम नरम गर्माहट को अपने बदन पर महसूस करते हुए रजाई को अपने बदन पर डाल ली,,, और अपनी नोटबुक मैसेज मनोज का नंबर डायल करने लगी जैसे ही वह नंबर डायल करके कॉल वाली बटन दबाएं वैसे ही सामने घंटी की आवाज बजने लगी और उस घंटी की आवाज़ के साथ-साथ पूनम की दिल की धड़कन भी तेज होने लगी,,
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03-11-2019, 12:52 PM,
#27
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
पूनम को कोई उम्मीद तो नहीं थी कि मनोज इतनी रात को जाग रहा होगा लेकिन फिर भी एक मन में आंसू लेकर वह मनोज का नंबर डायल कर चुकी थी और सामने घंटी की आवाज़ आ रही थी और घंटी की आवाज के साथ साथ पूनम का दिल जोरों से धड़क रहा था मन में तो आ रहा था कि फोन काट दे, लेकिन ना जाने क्यों वह फोन कट नहीं कर पा रही थी घंटी बहुत देर तक बज रही थी उसे लगा कि शायद सच में मनोज सो चुका होगा,,, वह मन में सोच रही थी कि दूसरी बार वह ट्राई नहीं करेगी लेकिन जैसे ही फोन की घंटी खत्म होने वाली थी कि तभी सामने से फोन उठ गया और जैसे ही फोन उठा पूनम की दिल की धड़कन और ज्यादा तेज हो गई उसके तन-बदन में अजीब सी थिरकन होने लगी,,, फोन उठते ही,, सामने से आवाज आई हेलो,,, नंबर देखकर मनोज समझ गया था कि पूनम का फोन है। हेलो बोलने के बाद कुछ सेकेंड तक यूं ही खामोशी छाई रही,,, कुछ देर खामोश रहने के बाद फिर से मनोज ने हेलो बोला पूनम की तो हिम्मत ही नहीं हो रही थी कुछ बोलने की,,, मनोज को सिर्फ पूनम की गर्म सांसे सुनाई दे रही थी जोंकि मनोज के तन-बदन में अजीब सी उत्तेजना का प्रसार कर रही थी। पूनम की हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ बोलने की कुछ देर तक फिर से वैसे ही खामोशी छाने के बाद मनोज बोला,,,

अरे कुछ बोलोगी भी या ऐसे ही सिर्फ अपनी गर्म सांसो की आवाज ही सुनाती रहोगी,,,,

मैं क्या बोलूं (बड़े ही धीमे स्वर में पुनम बोली)

वही जो आधी रात में एक लड़की को बोलना चाहिए,,,

मुझे क्या मालूम आधी रात में लड़की क्या बोलती है।

अरे लड़की होकर भी तुम्हे एक लड़की क्या बोलती है यह नहीं मालूम है।


नहीं तो मुझे क्या मालूम लड़की क्या बोलती है और मैं तो पहली बार इस तरह से फोन लगाई हूं,,

अरे तुम्हारी सहेली ने तो तुम्हें बताई होगी कि आधी रात को एक लड़के से कैसी बातें और क्या बोलते हैं।
( मनोज धीरे-धीरे पूनम को उकसा रहा था उस तरह की बातें करने के लिए,,, लड़की होने के नाते उसे इतना तो पता ही था कि फोन पर आधी रात को एक लड़की और लड़का मिलकर क्या बातें करते हैं और तो और उसकी सहेली ने भी बताई थी कि वह भी अपने बॉयफ्रेंड से किस तरह से बातें करती है। पूनम भी ऐसी ही बातें करना चाहती थी लेकिन उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी वह चाहती थी कि मनोज शुरुआत करें इसलिए वह भी इधर-उधर बात को घुमा रही थी।)

नहीं मेरी ऐसी तो कोई सहेली नहीं है जो इस तरह की बातें करती हो और करती भी होगी तो मुझे क्यों बताएगी।

अरे तुम्हारी दोनों सहेलियां है ना बेला और सुलेखा वह दोनों क्या काम है क्या वह सब भी फोन पर अपने बॉयफ्रेंड से बातें करते हैं।

करते होंगे लेकिन मुझे क्या पता कि वह लोग क्या बातें करते हैं।
( मनोज और पूनम दोनों धीरे-धीरे बातों का दौर आगे बढ़ा रहे थे पूनम की सुरीली और मदभरी आवाज सुनकर,,, मनोज का लंड खड़ा होने लगा था और इस तरह की बात है करते हुए जो कि अभी भी किसी भी प्रकार की अश्लीलता नहीं थी लेकिन फिर भी एक अजीब सी खुमार पूनम के बदन में छाने लगी थी, जिसका असर उसकी टांगों के बीच उसकी पतली दरार में हो रहा था। एक अजीब सी हलचल पूनम को अपने बदन में महसूस हो रही थी। लेकिन वह इस तरह की हरकत को महसूस करके भी समझ नहीं पा रही थी कि आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है दूसरी तरफ मनोज लगातार पूनम को लाइन पर लाने की पूरी कोशिश कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि पूनम दूसरी लड़कियों की तरह अश्लील बातें शायद इतनी जल्दी नहीं करेगी लेकिन इतना उसे पक्का विश्वास था कि कोशिश करने पर पूनम भी लाइन पर आ जाएगी,, इसलिए वह लगा हुआ था।


लेकिन मुझे पता है ना कि वह लोग क्या बातें करते हैं।

तुम्हें कैसे पता कहीं तुम ही तो नहीं उससे बातें करते हो,,,।

भला ऐसा हो सकता,, है,,, ? 

क्यों,,,,,,, क्यों नहीं हो सकता,,, लड़के तो हमेशा लड़कियों से बात करने का बहाना ढूंढते रहते हैं,,, तुम भी उन्ही में से होगे।,,,, 

तुम अभी ठीक है मुझे जान नहीं पाई हो पुनम,, मैं उन लड़कों में से नहीं हूं जो किसी भी लड़की के पीछे भागते फिरते हैं।

तो किस लड़कोे मे से हो? 

तुम्हें पता है तूने बाग में बहुत सारे फूल होते हैं जिनके नाम तक नहीं मालूम खुशबू तो देते हैं लेकिन उनमें वह बात नहीं होती ऐसे फूल के पीछे सभी लड़के घूमते फिरते हैं लेकिन किसी खास फूल के पीछे हम भागते हैं जानती हो वह फूल कैसा होता है किसे कहते हैं।

किसे कहते हैं? ( पुनम मनोज की ऐसी बातों से प्रभावित होते हुए बोली)

गुलाब मुझे गुलाब पसंद है सिर्फ और सिर्फ गुलाब और वह हो तुम,,, सिर्फ तुम,,,,
( पूनम मनोज की रोमांटिक बातें सुनकर एकदम रोमांचित हो उठा उसके तन-बदन में चिंगारी दौड़ने लगी ऐसी प्यार भरी रोमांटिक बातें अब तक वह फिल्मों में ही सुनती आ रही थी लेकिन आज अपने खुद के लिए इस तरह की बातें सुनकर उसका रोम-रोम गदगद हो उठा।,, मनोज की बात सुनकर कुछ देर तक खामोशी छाई रही इस खामोशी को तोड़ते हुए मनोज बोला।)

क्या हुआ तुम्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी क्या?

नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन,,, लगता नहीं है कि तुम जिस तरह से मेरी तारीफ कर रहे हो मैं उतनी तारीफ के काबिल हूं,,,,

तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हारी झूठी तारीफ कर रहा हूं,,,
सच में पूनम तुम बहुत खूबसूरत हो सर से लेकर पांव तक खूबसूरती तुम्हारे अंग अंग से टपकती है मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की नहीं देखा तभी तो महीनों से तुम्हारे पीछे पागलों की तरह घूम रहा हूं।
( मनोज की बातें सुनकर पूनम हँस दी, और उसकी हंसी की आवाज सुनकर मनोज बोला,,)

तुम हंस रही हो पूनम मैं सच कह रहा हूं मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की नहीं देखा तभी तो मैं कहता हूं कि मैं सिर्फ गुलाब के ही पीछे हुं।,, 
( पूनम को मनोज की बातें सुनने में बहुत मजा आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि लड़कोे से इस तरह की बातें करने में इतना मजा आता है।,,, पूनम के तन बदन में सुरसुराहट हो रही थी। पूनम का मन कुछ और सुनने को हो रहा क्योकी बेला और सुलेखा जिस तरहकी बातें करती है,,, उनकी बातों को सुनना उसे भी अच्छा लगता था भले ही ऊपर से वह गुस्सा करने का नाटक करती हो क्या करें इसमें उसका कोई दोष नहीं था, यह उम्र ही इस तरह की थी कि इस तरह की बातो में ही लड़कियों का मन अक्सर लगा रहता है।,,, उसे लग रहा था कि अगर इसी तरह की बातें चलती रही तो मनोज जो की बेला और सुलेखा किस तरह की बातें करती हैं वह बताने वाला था वह नहीं बता पायेगा इसलिए वह जानबूझकर उसे याद दिलाते हुए बोली,,,,

मनोज तुम बेला और सुलेखा के बारे में कुछ बता रहे थे
,,,( पूनम की बात सुनते ही मनोज को गाड़ी पटरी पर आती नजर आने लगी क्योंकि वह जानता था कि पूनम अगर इस तरह की बातें कर रही है तो कोशिश करने पर वह भी दूसरी लड़कियों की तरह उससे बातें जरूर करेगी, इसके लिए वह मन में ही प्लान बना चुका था कि दूसरी लड़कियों की बातों का सहारा लेकर वह पुनम को पूरी तरह से गर्म कर देगा ताकि वह भी अश्लील बातों का पूरी तरह से आनंद उठा सके। मनोज जो कि औरतों और लड़कियों कि संगत का पूरी तरह से आशिक हो चुका था तो यह बात अच्छी तरह से जानता था कि इस तरह की बातें ही लड़कियों की टांगों के बीच का सफर तय करती है।,,, मैं तो चाहता था कि खुले तौर पर वहां पूनम से गंदी गंदी बातें करें लेकिन इस तरह से वह अपना काम बिगड़ जाने का भी डर महसूस कर रहा था इसलिए धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहता था इसलिए वह बोला,,,।

जाने दो पूनम क्या करोगी वह सब बातें जानकर पर दोनों गंदी लड़की है ऐसी गंदी लड़कियों के बारे में जानकर अच्छी लड़कियां अपना समय खराब करती हैं।
( मनोज कि इस तरह की बातें सुनकर पूनम को अपना काम बिगड़ता नजर आने लगा क्योंकि वह जानना चाहती थी कि आखिर लड़कियां क्या बातें करती हैं और अगर वह मनोज की बात मान लेती तो वह नहीं जान पाएगी की लड़कियां अक्सर फोन पर कैसी बातें करती हैं इसलिए वह थोड़ा बात को इधर-उधर घुमाते हुए बोली।)

अरे नहीं मनोज मुझे भला उन लोगों की बातों से क्या मतलब लेकिन वह दोनों मेरी सहेलियां है मुझे भी तो पता चलना चाहिए कि आखिरकार उनके मन में क्या है क्योंकि मेरे सामने तो वह दोनों भोली भाली बनी रहती है।,,, 

( मनोज, पुनम की बात सुनकर समझ गया कि पूनम पूरी तरह से उत्सुक हैं उनकी बातों को सुनने के लिए इसलिए वह भला क्यों बताने से इंकार करता है आखिरकार वह भी तो यही चाहता था लेकिन फिर भी बात को थोड़ा टाल देने की गरज से बोला।)

जाने दो पूनम वह लड़कियां बहुत गंदी गंदी बातें करती हैं क्योंकि जिसे बातें करती है वह मेरा दोस्त है और उसी ने मुझे सब कुछ बताया था।
( गंदी गंदी बातों का जिक्र होते ही पूनम के तन-बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी उसका बदन कसमसाने लगा और वह रजाई में से अपना मुंह बाहर निकाल कर ठंडी हवा में सांस लेने लगी क्योंकि उसके बदन में उत्तेजना की गर्माहट बढ़ रही थी।)

तो मुझे भी बताओ कि उसने क्या बताया था और मेरी सहेलियां किस तरह की बातें करती हैं?

नहीं पूनम मैं उस तरह की बातें तुम्हारे सामने नहीं कर सकता तुम नाराज हो गई तो इतनी मुश्किल से तो तुम मेरे साथ बात करने को तैयार हुई हो अगर नाराज हो गई तो मैं तो फिर से तन्हा हो जाऊंगा,,,।
( मनोज की ऐसी बातें सुनकर पूनम थोड़ा सा गुस्सा हो गई और मन ही मन में गुस्सा होते हुए फोन को अपने माथे पे पक कर मनोज से बोली,,, ।)

नहीं मनोज मैं तुमसे कभी भी नाराज नहीं होंगी सच कह रही हूं।

क्या तुम सच कह रही हो क्या तुम मुझसे कभी भी नाराज नहीं होगी,,,, तो क्या तुम सच में मुझसे प्यार करती हो,,,, बोलो ना,,,,

हां बाबा करती हूं,,,, अगर करती नहीं होती तो इस तरह से आधी रात को तुम्हें फोन लगा कर बात करती,, 
( पूनम झुंझलाते हुए बोली क्योंकि इस तरह से टाइम वेस्ट हो रहा था और वह उस तरह की बातें सुनने के लिए पूरी तरह से उत्सुक थी।)
Reply
03-11-2019, 12:52 PM,
#28
RE: Desi Sex Kahani चढ़ती जवानी की अंगड़ाई
लेकिन तुमने तो अभी तक मुझे आई लव यू बोली ही नह

पूनम अभी बोल दो ना आई लव यू मेरे दिल को तसल्ली मिल जाएगी,,,,
( मनोज की बात सुनकर पूनम को हंसी आ गई और उसे मनोज की बातें अच्छी भी लग रही थी इसलिए वह तंग आकर बोली)

आई लव यू बस अब तो खुश हो ना,,,,

खुश मैं तो बहुत खुश हूं मैं तुम्हें बता नहीं सकता कि आज मुझे कितनी खुशी मिली है ऐसा लग रहा है कि पूरी दुनिया मेरी बाहों में समा गई है।

ज्यादा रोमांटिक मत हो समय बीतता जा रहा है मुझे बताओ कि वह लोग कैसी बातें करती थी। घड़ी देखो 1:30 बज रहा है मुझे सोना भी है और सुबह जल्दी उठकर स्कूल भी जाना है तुम अगर इसी तरह से बात को टालते रहे तो मैं फोन कट कर दूंगी,,,,

नहीं नहीं ऐसा मत करना नहीं तो मैं मर जाऊंगा लेकिन वह लोग बहुत ही गंदी बातें करते थे क्या तुम सुन पाओगी,,,।

गंदी बातें ही करते थे ना की बंदूक और तलवारे चलाते थे जो मुझे किसी बात का खतरा हो जाएगा,,,,

वाह पूनम वाह तुम तो बड़ी मजेदार बातें करती हो,,,, ( मनोज की बात सुनकर पूनम फिर से हंस दी) देखो यह सब बातें मुझे मेरे दोस्त ने बताई थी की सुलेखा किस तरह की बातें उससे फोन पर करती है।

बताओ,,,

मेरे दोस्त ने बताया था कि ऐसे ही आधी रात को जैसे तुम फोन मुझे की हो उसी तरह से उसने भी खुद ही फोन लगा कर मेरे दोस्त को बात करने के लिए उकसा रही थी वह तो बात करने को तैयार नहीं था क्योंकि उसे बहुत गहरी नींद आ रही थी लेकिन उसकी नींद भगाने के लिए जानती हो उसने क्या कहा,,,,।

क्या कहा (पूनम ने उत्सुकता जताते हुए बोली)

वह बोली थी यहां मेरी बुर में आग लगी हुई है और तुम हो कि चैन की नींद सो रहे हो,,,,
( पूनम तो मनोज के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर खास करके बुर शब्द सुनकर एकदम से सन्न रह गई,,, पल भर में उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसकी सांसो की गति तेज हो गई और तो और उसका गला सूखने लगा,,, क्योंकि पहली बार वह किसी लड़के के मुंह से बुर शब्द सुन रही थी,,,, लेकिन फिर भी जैसे उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा हो इसलिए फिर से बोली,,,।)

क्या क्या क्या क्या कहा तुमने?

यही कि सुलेखा बोली की,, यहां मेरी बुर में आग लगी हुई है और तुम चैन की नींद सो रहे हो,,

बाप रे मुझे तो बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा है कि सुलेखा इस तरह की बातें करती होगी,,, उसके बाद तुम्हारी दोस्त ने क्या कहा,,,
( मनोज अच्छी तरह से जानता था कि वह सब बातों को अपनी तरफ से बनाकर बता रहा है लेकिन जिस तरह से पूनम उत्सुकता बता रही थी उसे देखकर मनोज का लंड खड़ा होने लगा था।)

अरे वह क्या कहता सुलेखा की बात सुनते ही ऊसकी नींद ऊड़ गई ।,,,

नींद उड़ गई क्यों?

अरे लड़कियां जब ईतनी खुली बातें करेंगी तो किसी भी लड़के की नींद उड़ जाएगी,,,,

क्या कहा था उसने सुलेखा की बात सुनकर,,,

वह बोला सच कह रही हो,, सुलेखा क्या तुम एकदम नंगी हो क्या?,( तब सुलेखा बोली)

नही अभी नंगी नहीं हूं कहो तो अपनी सलवार उतार कर नंगी हो जाऊं,,,,
( पूनम को यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की बातें सुलेखा करती होगी उसके होश उड़े जा रहे थे और साथ में उसकी बुर से मदन रस की बूंदे रीसने लगी थी,,,)
बाप रे बाप क्या तुम सच कह रहे हो मनोज मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा है।

बिल्कुल सच कह रहा हूं पूनम जानती उसके बाद मेरे दोस्त ने क्या कहा,,

क्या कहा ?

उसने कहा नंगी भी हो जाना लेकिन सबसे पहले मुझे तुम्हारा दूध पीना है बहुत बड़े बड़े दूध है तुम्हारे तुम्हारी चुचियों को अपने हाथ में लेकर मसल मसल कर,, पिऊंगा,,,

फीरररर,,,, ( थिरकती हुई आवाज में पुनम बोली)

फिर क्या इतना सुनते ही सुलेखा बोली तो मना किसने किया है आ जाओ मुंह लगाकर पी लो मैं तो कब से बेकरार हूं तुम्हें अपना दूध पिलाने के लिए,,, लो मैं अपनी कुर्ती को ऊपर करके अपनी ब्रा भी उतार दी हो मेरी चूचियां एकदम नंगी हो गई है,,,,
( शर्मा और उत्तेजना के मारे पूनम का चेहरा लाल हो गया था उसकी बुर्के पानी निकलना शुरू हो गया था उसे अपनी पैंटी गीली होती महसूस हो रही थी लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि यह दूरी कितनी हो रही है ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे जोरों से पेशाब लगी है,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी पूनम की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,, कड़कड़ाती ठंडी में भी उसके बदन में गर्माहट पूरी तरह से अपना असर दिखा रहा था। इसलिए मैं अपने बदन पर से रजाई को हटा दी क्योंकि उसे अब रजाई की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी। क्योंकि घर में बात होने उसके तन-बदन में पूरी तरह से गर्माहट फैला दिया था।,,,,, सुबह आगे सुनने के लिए पूरी तरह से उत्सुक थी। तभी दरवाजे के बाहर आहट सुनाई दी,,,, क्योंकि काफी देर से गाय भैंस की आवाज़ आ रही थी और क्यों जंगली जानवर तबेले में आ गया था इसलिए उसके चाचा उठ गए थे। हड़बड़ाहट में पूनम से कुछ बोला नहीं गया और वह झट से फोन को स्विच ऑफ कर दी ताकि मनोज दुबारा फोन न कर सके क्योंकि अब वह बात नहीं कर सकती थी और वैसे भी घड़ी की तरफ ऊसकी नजर गई तो अढ़ी बज रहे थे।

पूनम एक बार कमरे से बाहर आकर देखना चाहती थी कि आखिर माजरा क्या है। घर के सभी लोग धीरे-धीरे करके जा चुके थे,, क्योंकि वह लोग अच्छी तरह से जानते थे कि ठंडी के मौसम में चोर लोग ज्यादा ही उत्पात मचाते हैं,, वह कुछ देर तक यूंही बाहर खड़ी रही मैं सोच रही थी कि सब लोग वापस सोने जाए तो वह फिर से मनोज को फोन लगाएगी लेकिन काफी देर बीत गया लेकिन सब लोग वहीं बैठ कर बाते हीं करते रहे।
पूनम समझ गई कि आज कुछ होने वाला नहीं है। उसे बाहर खड़ा देखकर उसके चाचा उसे जाकर सोने के लिए बोले तो वह वापस कमरे में आ गई। बिस्तर पर लेट कर वापस रजाई ओढ़ ली और सोने की कोशिश करने लगी लेकिन उसकी आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी। आज जिंदगी में पहली बार वह फोन पर इस तरह की बाते सुन रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मानो आज जो कुछ भी बोल रहा था क्या सच बोल रहा था लेकिन उसकी सहेली ने भी तो उसे नहीं बताए थे कि अपने बॉयफ्रेंड से वह गंदी गंदी बातें करती है लेकिन इस तरह की बातें करती होगी इस बात पर उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन फिर वह सोचती कि मनोज क्यो झूठ बोलेगा तो सच ही कह रहा होगा। वह मन ही मन सोचने लगी कि सुलेखा कितनी गंदी बातें करती है। मनोज के मुंह से उन दोनों की गंदी बातों को सुनकर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उसके चेहरे पर,,, उत्तेजना की लहर साफ नजर आ रही थी चेहरा उत्तेजना के मारे लाल टमाटर की तरह हो गया था,,, बार बार निर्मला के कान में मनोज के द्वारा सुलेखा की कही गई बात सुनाई दे रही थी,,,, बार बार सुलेखा द्वारा कहे गए शब्द उसके कान में बज रहे थे यहां मेरी बुर में आग लगी हुई है और तुम चैन से सो रहे हो,,,,,,, लो पी लो मेरे दुध को तुम्हारे लिए तो है ये,,,, क्या तुम इस समय नंगी हो,,,,
नहीं कहो तो अपनी सलवार उतार कर नंगी हो जाऊं,,,,

मुझे तो तुम्हारे बड़े बड़े दूध पीना है।
सससससहहहहहह,,,,, यह सब बातें याद करके पूनम का गला उत्तेजना के मारे सूखने लगा उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें तभी धीरे-धीरे उसका हाथ उसी सलवार के ऊपर पहुंच गया जहां पर उसे गीला गीला महसूस हो रहा था वह धीरे से अपनी सलवार की डोरी खोलकर बिना सलवार उतारे ही,,, धीरे धीरे कांपती उंगलियों को अपनी पैंटी के अंदर सरकाने लगी,,,, जैसे जैसे वह अंदर की तरफ अपनी उंगलियों को सरका रही थी। वैसे वैसे ऊसकी दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी,,, जैसे ही उसकी उंगलियां उसकी गुलाबी बुर की ऊपरी सतह पर पहुंची उसका बदन मारे उत्तेजना के गनगना गया,,,, ऊसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में एैसी हलचल क्यों मची हुई है।
वह धीरे-धीरे अपनी पूरी हथेली को अपनी छोटी सी बुर पर रखकर हल्के से दबोच ली,,, इतनी ज्यादा उत्तेजित थी की अपनी बुर को इस तरह से दबोचना उसे बेहद आनंददायक लगने लगा,,,, वह मुंहं से गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,, इतनी ठंडी में भी उसके बदन में गर्मी का एहसास होने लगा और वह जाकर अपनी रजाई को बिस्तर से नीचे फेंक दी,,,, वह सलवार को बिना उतारे ही पेंटी के अंदर अपने हाथ को सरका कर अपनी बुर को जोर जोर से दबोच रही थी। बुर से निकल रही रस मे उसकी हथेली पूरी तरह से भीगने लगी थी,,, लेकिन इस समय उसके तन बदन में खुमारी पूरी तरह से अपना असर दिखा रही थी,,, वह सुलेखा और उस लड़के की बात को याद करके अपनी बुर को जोर जोर से दबा रही थी। आज जिंदगी में पहली बार वह अपनी बुर के साथ इस तरह की हरकत कर रही थी,,, आज उसकी जवानी रह-रहकर पानी छोड़ रही थी। धीरे-धीरे उसके कमर अपने आप ऊपर नीचे की तरफ हिलने लगी छोटी सी बुर ऊसकी हथेली में जरूर दबी हुई थी लेकिन उस छोटी सी बुर मे उसके पूरे वजूद पर अपना कब्जा जमाया हुआ था। हथेली को पूनम बार-बार अपनी बुर की ऊपरी सतह पर रगड़ते हुए दबोच ले रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह पर हल्की हल्की सिसकारी की आवाज आने लगी थी।,,, उसके बदन में बढ़ रही उत्तेजना को वह पहचान नहीं पा रही थी ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। अपनी कमर के नीचे के भाग की तरफ देखे बिना ही आंखों को बंद करके अपनी बुर को अपनी हथेली से नीचोड़ रही थी वह क्या कर रही है इसके बारे में उसे जरा भी समझ नहीं थी। तभी अचानक उसके मुख से जोरदार चीख निकली और उसकी बुर से भलभलाकर मदनरस बहने लगा। बुर का मदन रस झटके मारता हुआ बाहर आ रहा था जिससे उसका पूरा बदन झकझोर जा रहा था।
पूनम की कमर झटके खाते हुए पानी फेंक रही थी उसकी पूरी हथेली मदन रस में लतपथ हो गई थी।
धीरे-धीरे उसकी सांसो की गति कम हुई तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह कुछ गलत कर रही थी लेकिन इस गलती में भी उसे बेहद आनंद की अनुभूति हुई थी जिंदगी में पहली बार उसने इस प्रकार के आनंद की अनुभूति करते हुए,,,बुर से पहली बार पानी फेंकी थी। जब वह अपने परिवार में से अपनी हथेली बाहर निकाली तो चिपचिपे पानी से उसकी पूरी हथेली भीजी हुई थी उसे कुछ समझ में नहीं आया कि आखिरकार यह चिपचिपा पानी है क्या,,, वह गीले हाथ से ही जल्दी से अपने सलवार की डोरी बांध कर रुमाल से हाथ साफ करके कब सोओगे उसे पता ही नहीं चला।

यही हाल मनोज काफी था पूनम से बातें करती हुए अपने लंड को धीरे-धीरे हिला रहा था,,, लेकिन अचानक फोन काट देने की वजह से उस का मजा किरकिरा हो गया था फिर भी पूनम के खूबसूरत बदन की कल्पना करते हुए और उससे कल्पना में ही संभोगं करके अपना पानी निकाल कर सो गया था।
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