Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
01-18-2019, 01:49 PM,
#1
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एक नंबर के ठरकी 

ये कहानी है राहुल की. जिसकी उम्र करीब 25 साल है.



कहानी शुरू करने से पहले राहुल की लाइफ का बॅकग्राउंड बता दूँ ..जिससे आपको इसकी आगे की कहानी समझने में मदद मिलेगी.

राहुल पुणे में एक मल्टिनॅशनल कंपनी में काम करता था..और उसे अपने ऑफीस में काम करने वाली एक लड़की से प्यार हो गया, और दोनो ने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें भी खा डाली..बात शादी तक पहुँच गयी..लेकिन राहुल के घर वालो को उसका ये फ़ैसला मंजूर नही था...कारण था वो लड़की...क्योंकि वो मुसलमान थी. नाम था सबा.



आज से पहले राहुल के खानदान में किसी ने भी इंटरकास्ट मैरिज नही की थी...राहुल के घर वालो ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो किसी की भी बात समझने को राज़ी नही हुआ...आख़िरकार उसके पापा ने गुस्से में आकर उसे घर से निकल जाने की बात कह दी...जवान खून था और प्यार का भूत सवार था, इसलिए राहुल ने भी बिना कोई देरी किए उसी वक़्त अपना सामान पैक किया और घर छोड़ दिया...उसकी माँ और बहन ने काफ़ी रोका, रोई,पर उन बाप-बेटे ने अपने फैसले नही बदले..

वहां से निकलकर राहुल सीधा सबा के घर पहुँचा..
उसके पिता का देहांत कई साल पहले हो चुका था...उसकी माँ एक सरकारी स्कूल में टीचर थी और सबा की एक छोटी बहन कॉलेज में पढ़ रही थी...उसकी माँ को राहुल के घर वालो की तरह उनकी शादी से कोई आपत्ति नहीं थी ..वो अपनी बेटी की खुशी में ही खुश थी...इसलिए उसने उन दोनो को एक साथ रहकर अपनी जिंदगी जीने की इजाज़त दे दी ..

राहुल और सबा की शादी आनन-फानन में एक आर्यसमाज मंदिर में हुई...और शादी के बाद राहुल सीधा मुंबई के लिए निकल गया..जहाँ उसके दोस्त ने एक अच्छी सी जॉब का पहले से प्रबंध कर रखा था.

नौकरी तो उसे मिल गयी पर घर आसानी से नही मिल सका..राहुल कुछ दिन के लिए अपने दोस्त के घर पर ही रुक गया..उसका भी छोटा सा घर था, इसलिए राहुल जल्द से जल्द वहां से निकलना चाहता था..

मुंबई मे घर मिलना आसान काम नही था...वो शुरू से ही सॉफ सुथरे माहौल में रहता आया था..इसलिए अब भी ढंग की जगह पर ही रहना चाहता था...और जो ढंग की जगह उसे पसंद आती वहां का किराया काफ़ी था जो राहुल की सैलेरी का लगभग आधा था...आधे से ज़्यादा पैसे अगर किराए में दे दिए तो बाकी के खर्चे कैसे चलाएगा..यही सोचकर राहुल अक्सर परेशान रहता था.

उसकी परेशानी देखकर सबा ने भी जॉब करने की बात कही...आख़िरकार पहले भी तो वो जॉब कर ही रही थी..राहुल भी उसकी बात मान गया और सबा ने जॉब ढुढ़नी शुरू कर दी.राहुल के बॉस को जब ये बात पता चली तो उसने उसी ऑफीस में सबा को जॉब करने की सलाह दी..इंटरव्यू हुआ और सिलेक्शन भी हो गया.अब उन दोनो की सॅलरी से वो आसानी से एक अच्छा सा घर ले सकते थे.

और यहाँ भी राहुल के बॉस ने ही उसकी मदद की,उन्होने अपनी ही सोसायटी में उसे एक फ्लॅट किराए पर दिलवा दिया, जो ऑफीस के काफ़ी करीब था...सोसायटी भी अच्छी थी और रेंट भी वाजिब था...और धीरे-2 राहुल और सबा की जिंदगी सेट्ल होने लगी.

और अब आप सभी को ज़्यादा बोर ना करते हुए असली कहानी पर आती हूँ.

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01-18-2019, 01:49 PM,
#2
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
तो दोस्तो..ये था राहुल की जिंदगी का पहला भाग...और दूसरा भाग शुरू हुआ कुछ महीने बाद...जब दीवाली करीब थी..

राहुल और सबा की जिंदगी में ये दीवाली कैसे-2 रंग लाने वाली थी और क्या-2 धमाके करने वाली थी,इसका अंदाज़ा दोनो को ही नही था.

दशहरे वाले दिन पूरी कॉलोनी में काफ़ी रौनक थी...सबने मिलकर वहां एक हाउसिंग वैलफेयर कमेटी बनाई हुई थी जो ऐसे कार्यकर्म आयोजित करती थी जिसमें ज़्यादातर हर त्योहार को मिल जुलकर मनाया जाता था...दशहरे वाले दिन भी एक छोटा सा रावण बना कर उसका दहन किया गया..और बाद में सभी ने मिल जुलकर डिनर भी किया.

राहुल का बॉस शशांक सिन्हा इस सोसायटी की वेलफेयर कमेटी का प्रेसीडेंट था...इसलिए ऐसे सभी कार्यकर्म की ज़िम्मेदारी उसी के कंधो पर रहती थी.

डिनर के टाइम भी माहौल काफ़ी खुशनुमा था...

सोसायटी की सारी महिलाए अपने-२ ग्रुप बनाकर टेबल पर बैठी गप्पे मार रही थी...बच्चे पास ही बने पार्क में खेल रहे थे...और सभी मर्द अपने -२ ग्रुप में बैठकर खाना खा रहे थे या दारू पी रहे थे..

ऐसे ही एक टेबल पर राहुल अपने बॉस शशांक के साथ बैठा था, साथ में थे सोसायटी के ३ लोग और

बियर पीते हुए इधर - उधर की बाते होने, कुछ देर बाद वहीं बैठे गुप्ता जी ने एक टॉपिक छेड़ा,जिसे सुनकर सभी के कान खड़े हो गये..

गुप्तजी : "अरे भाई...दीवाली आने वाली है...कुछ सोचा है अब की बार कैसे मैनेज करेंगे...''

राहुल का बॉस शशांक बोला : "सोचना क्या है...हमेशा की तरह वही पुराना तरीका...बारी-2 से सभी के घर पर...ऐसा करने से किसी पर बर्डन भी नही पड़ता और एंजाय भी हो जाता है...''

गुप्तजी : "वो तो मुझे भी पता है...पर मैं जिस बारे में बात कर रहा हू वो तो समझो सिन्हा साहब...इस बार कैसे करेंगे...हमारे मेंबर्स तो काफ़ी कम है...ऐसे मज़ा नही आएगा...''

उनकी बात सुनकर शशांक बोला : "गुप्ताजी ...सब हो जाएगा....आप बस देखते रहिए...मेंबर्स की कमी थोड़े ही है....ये है ना राहुल...ये जॉइन करेगा इस बार....''

राहुल जो अभी तक चुपचाप बैठकर अपनी बियर के सीप लगा रहा था,एकदम से अपना नाम सुनकर चोंक गया...उसे तो पता भी नही था की किस बारे में बात चल रही है...वो बेचारा अवाक सा होकर कभी गुप्ताजी और कभी अपने बॉस शशांक को देखने लगा..जैसे उनसे पूछना चाहता हो की किसमें उसे जॉइन करवा रहे है...

उसके चेहरे को देखकर शशांक बोला : "अरे राहुल, घबराओ मत...सिर्फ़ खेलने की बात चल रही है...वो क्या है ना, हमारी सोसायटी में हर साल दीवाली पर ताश खेलते है...दशहरे के बाद तकरीबन रोजाना ये खेल खेलकर हम अपना टाइम पास करते है...वैसे तो हमने जो सोसायटी का क्लब बनाया हुआ है उसमे अक्सर हम ताश खेलते है , पर दिवाली के दिनों में हम पैसो से खेलते है, और इन दिनों जुआ खेलना शुभ माना जाता है....इसलिए धीरे-2 हम सभी ने अपना एक ग्रुप बना लिया है, जिसमे हम सभी ताश खेलते है...''

राहुल ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई...और बोला : "ओह्ह्ह ..तो ये बात है...ताश तो हमारे यहाँ भी खेलते है...दिवाली के दिनों में ..और मुझे तो शादी से पहले इसका बहुत ज़्यादा शोंक था...पर पैसो से खेलना थोड़ा मुश्किल होगा ....''

राहुल को ऐसे अटकता देखकर उसका बॉस समझ गया की वो क्या कहना चाहता है.... वो बोला : "अरे राहुल...तू पैसो की चिंता मत कर...इस साल दीवाली का बोनस मिलेगा...और मैने तेरा नाम एस ए स्पेशल केस रिकमेंड कर दिया है...इसलिए अगले 10 दिनों में तुम्हारे खाते में बोनस की रकम ट्रान्स्फर कर दी जाएगी...''

वैसे तो बोनस उन्ही को मिलता है जो कंपनी में एक साल पूरा कर चुके है...पर उसके बॉस की वजह से राहुल को वो बोनस सिर्फ़ 6 महीने की सर्विस के बाद ही मिल रहा था...ये राहुल के लिए बहुत खुशी की बात थी...और करीब 50 हज़ार रुपय एकदम से बिना माँगे मिल जाए तो थोड़ा बहुत इस तरह से जुए में लगा देने से उसे कोई परेशानी नही होने वाली थी...बल्कि राहुल को तो यकीन था की वो जीतेगा ही...क्योंकि उसके बॉस और सोसायटी में रहने वाले दूसरे लोग ये नहीं जानते थे की वो अपने दोस्तो में ताश खेलने का चैम्पियन था...वो तो समय के साथ-2 उसकी ताश खेलने की आदत छूट गयी वरना इस खेल में उसने काफी पैसे भी कमाए थे.

उसने खुशी-2 हाँ कर दी..

शशांक ने बताया की उनके ताश खेलने वाले क्लब में सिर्फ़ 4 दंपति है जो ये खेल हर साल खेलते है, पहले 5 थे, जो अब सोसायटी छोड़कर जा चुका है ..ये सुनकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य ज़रूर हुआ की जिस सोसायटी में करीब 200 फॅमिलीस रहती है,उनमें से सिर्फ़ 4 लोग ही इस ताश खेलने वाले ग्रुप के मेंबर है...वो ये बात अपने बॉस से क्लेरिफाई करना चाहता था पर उसकी हिम्मत नही हुई पूछने की ...वैसे भी इस खेल में जितने ज़्यादा मेंबर होंगे उतना ही कम मज़ा मिलेगा..इसलिए उसने कुछ पूछा ही नही.

राहुल ने अपना पेग ख़त्म किया और उन्हे अगले दिन मिलने को कहकर वहां से चला गया.

उसके जाते ही वहां बैठे गुप्ताजी और शशांक के साथ -2 उनके दोस्त मनोहर कपूर और सरदारजी (गुरपाल सिंह) के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी...

दरअसल ये चारों एक ही थाली के चट्टे -बट्*टे थे...और इन सभी ने मिलकर राहुल को अपने जाल में फँसाने का ये तरीका निकाला था..

और इन सभी का निशाना था उसकी खूबसूरत बीबी....सबा.
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01-18-2019, 01:49 PM,
#3
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
जिस दिन से शशांक ने राहुल की बीबी को ऑफिस की पार्टी में देखा था, उसके मन मे उसे चोदने के ख़याल आने लगे...इसलिए वो अपनी तरफ से बढ़ - चड़कर उसकी मदद करने लगा..उसकी वाइफ को अपने ही ऑफीस में जॉब भी दिलवा दी...अच्छी सैलरी के साथ...और अपनी सोसायटी में ही उसे फ्लैट भी दिलवा दिया...और उसका कारण था उसकी जैसी मानसिकता वाले उसके ये तीनों दोस्त..

वैसे तो ये सभी अच्छे बिज़नेसमॅन या ऑफिस में उँची पोस्ट पर थे...पर रात को एक साथ बैठकर ये दारू पीते तो पूरी सोसायटी में रहने वाली औरतों की माँ-बेटी एक कर देते थे...चारो एक नंबर के ठरकी थे...सभी की उम्र 40-50 के बीच थी..कई सालों से पड़ोसी रहने की वजह से सभी में काफ़ी गहरी दोस्ती हो चुकी थी...कई बार मिलकर इन्होने रंडिया भी चोदी थी...जब भी किसी की बीबी किसी काम से बाहर या मायके जाती तो उसके खाली घर में ये चारों मिलकर हवस का नंगा खेल खेलते...हर उम्र की और खासकर कच्ची कलियों को चोदना ही इनका मकसद रहा करता था...इसलिए सोसायटी में रहने वाली औरतों के साथ-2 उनकी जवान हो रही लड़कियों को भी ये नही छोड़ते थे...

इन सभी की ऐसी हरकतों की वजह से ही सोसायटी के ज़्यादातर मर्द इनसे दूर रहते थे...पर इनकी बेबाक शरारतों की वजह से इन्होने अपनी कॉलोनी की कई औरतों को चोद भी डाला था...क्योंकि वहां रहने वाली कई औरतों की चूत भी काफ़ी खुजलाती थी...लेकिन फिर भी हर बार नए माल की तलाश में इनकी भूखी नजरें लगी रहती थी

बस ऐसे ही इन सभी की जिंदगी चल रही थी जब एक रात दारू पीते हुए शशांक ने अपने ऑफीस में काम करने वाले राहुल की जवान बीबी सबा का ज़िक्र छेड़ दिया...एक तो नाम इतना सेक्सी...उपर ने नयी ब्याही हुई लड़की...उन सभी के लंड तन कर खड़े हो गये...और उसकी बीबी को फ़साने और चोदने के अलग-2 तरीके वो शशांक को बताने लगे...उन्ही तरीक़ो पर अमल करते-2 उसने उसकी बीबी को जॉब दे डाली...अपनी सोसायटी में कम रेंट पर फ्लेट भी दिलवा दिया..लेकिन इस बीच शशांक या उसके इन दोस्तों ने कभी भी अपने गंदे इरादो की भनक राहुल या सबा को नही लगने दी...वो सभी उन दोनो के सामने बड़े ही सभ्य तरीके से पेश आते थे....और ये भी उन्ही का प्लान था...जिसके अनुसार वो सही मौके की तलाश कर रहे थे...

और इन 4-5 महीनो में वो जब भी एकसाथ मिलकर बैठते तो उनकी चर्चा का विषय सबा ही होती..

शशांक अक्सर बोलता : "यार.....आज तो ऑफीस में साली टाइट स्लेक्स पहन कर आई थी....और उसमें से उस रंडी की मोटी जांघे ऐसे दिख रही थी जैसे एक बड़ा सा चबा जाने लायक लेग पीस....बस स्लेक्स उतारो और चबा जाओ उसकी टंगड़ी को....''

उपर से गुप्ता जी अपने लंड को मसलते हुए कहते : "भेन की लौड़ी के मुम्मे तो देखो...कल सुबह जब सीडियों से उतर रही थी तो ऐसा लग रहा था जैसे दो छोटी-2 फुटबॉल उछल रही है...मुझे दुनियादारी की परवाह ना होती तो इस रंडी को वहीं नंगा करके पेल देता...''

सरदारजी बोले : "आज सुबह मेरी वाइफ अपने घर की चाबी इनके घर छोड़ गयी थी...शाम को जब मैं वापिस आया तो इसे लगा की राहुल आया है...मदारचोद ऐसी ही भागती चली आई दरवाजा खोलने ....छोटी सी निक्कर और टी शर्ट में ..ऐसी मलाई जैसी टांगे थी यारो...बस चाटते रहो...लंड रगड़ते रहो उसपर....''

कपूर साहब भी कहाँ पीछे रहने वाले थे...वो भी बोलते : "ऐसी खूबसूरत रंडी को चोदकर ही मेरे लंड को सकून मिलेगा...संडे को मेरी मिसेज के साथ मेरे ही बैडरूम में बैठकर बाते कर रही थी , बस उसी बेड पर चोदना है मुझे तो उसे , दोस्तों अब हमे जल्द से जल्द कुछ करना होगा...''

उन्हे जो भी करना था, तरीके से करना था...जैसे अभी तक योजना बनाकर वो करते आए थे...सबा को अपने जाल में फँसाकर चोदना तो बस एक ज़रिया था अपनी लाइफ का मज़ा लेने का...वरना चारों की पत्निया एक से बढ़कर एक खूबसूरत थी...वो भी अपने पतियों की तरह आपस में घुल मिलकर रहती थी और उनके रंगीन मिज़ाज से वो सब भी वाकिफ़ थी...लेकिन वो अपने रंगीन मिज़ाज के लिए क्या-2 करते है,ये उनमे से कोई भी नही जानता था...और उन्हे ज़रूरत भी नही थी उनकी जिंदगी में दखल देने की...सभी को ऐश की जिंदगी जीने को मिली हुई थी...ऐसे में अपने पतियों के उपर लगाम लगाकर उन्हे कुछ मिलने वाला तो नही था...और वैसे भी, जो आग इन मर्दों को जलाती थी,वो क्या इन गर्म औरतों को कम जलाती थी ..

बिल्कुल जलाती थी जनाब.

सभी की उम्र 30 - 4 0 के बीच थी, ये सब भी आपस में इतनी घुल मिल चुकी थी की अपने-2 पुराने बॉयफ्रेंडस और चुदाई के किस्से एक दूसरे से आसानी से शेयर कर लेती थी....हर जवान मर्द को ये सब भी ऐसे देखती थी जैसे आजकल के मर्द कमसिन लड़कियों को देखकर लंड सहलाते है...फ़र्क सिर्फ़ इतना होता था की इनके हाथ अपनी चूत की लकीरों पर चलते थे...यानी देखा जाए तो ये पूरा गैंग सेक्स के मामले में काफ़ी खुला हुआ सा था...बस थोड़ा बहुत परदा था आपस में ..और वो कितनी देर तक रहने वाला था ये वो भी नही जानते थे..

राहुल के आने के बाद अक्सर ये चारों औरतें उसी के बारे में बाते करती रहती थी....क्योंकि राहुल देखने में बिल्कुल मॉडल जैसा था...और एकदम जवान भी ...इसलिए उन्होने सबा को अपनी सहेली बना लिया था ताकि उसके और राहुल के अतरंग पलों को सुन सके...पर सबा थी की अपनी प्राइवेट बातों को छुपा लेती थी...वो काफ़ी उगलवाने की कोशिश करती पर उसके शर्म से लाल हुए चेहरे से कुछ निकलता ही नही था..



ऐसे ही दशहरे वाले दिन भी हो रहा था...जब उनके हस्बेंड्स एक टेबल पर बैठे थे और सबा इस गेंग के साथ एक बड़ी सी टेबल पर...सभी के हाथ में वोडका के ग्लास थे, वो सभी मिलकर आज भी सबा को छेड़ रहे थे ...


शशांक की बीबी, सुमन सिन्हा, जो इस ग्रूप में सबसे शरारती थी ,वो बोली : "सबा...बता ना...कल राहुल ने कितने राउंड लिए....वो तेरी एस्स फकिंग भी करता है क्या...तेरी बेक देखकर तो लगता है की वो इसके बहुत मज़े ले रहा है आजकल ...बोल ना...''

मिसेज काजल गुप्ता बोली : "यार...मुझे तो लगता है की राहुल इसके बूब्स ही चूसता रहता है...देख ना, कितने बड़े हो गये है पिछले 2 महीने में ...मेरा साइज़ भी ऐसे ही बढ़ता था,जब मेरी नयी-2 शादी हुई थी...अह्ह्हहह इसे देखकर तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ गये...''

मिसेज नीरू कपूर बोली : "लेकिन जो भी है, इसकी चुप्पी देखकर तो लग रहा है की जो भी हम बोल रहे है वो सब सच है...काश हमारे पति भी ऐसे ही रोजाना हमारी अंदर की आग बुझा सकते....''

उनकी बात सुनकर सबा का चेहरा हमेशा की तरहा लाल हो उठा...उसे सेक्स बहुत पसंद था, इतना की राहुल उसे जितना भी चोदता था उसे कम ही लगता था ...लेकिन सेक्स के बारे में बात करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था उसे ...इसलिए आज भी वो अपना चेहरा झुका कर बस इतना ही बोल पाई : "नही...ऐसा कुछ भी नही है....''

और इस बार सोहनी सरदारनी डिंपल बोली : "क्या ऐसा कुछ नही है.....तेन्नु राहुल मज़े नही देंदा की .....दस मैन्नू ....मेरे सरदारजी तो मुझे सोने भी नही देते थे....रात को कपड़े भी नही पहने मैने तो शादी के 1 साल बाद तक...समझी....''

वो सब अपनी बाते सुनाकर उसे उकसा रही थी ,पर वो अपने बैडरूम के राज खोलने को राजी ही नहीं हो रही थी

वो बाते कर ही रही थी की राहुल वहां आया और सबा से बोला : "सबा....अब हमे चलना चाहिए....''

सबा भी वहां से भागने की फिराक में थी...वो जल्दी से उठी....उन दोनो ने सभी को गुड नाइट बोला और अपने फ्लैट में चल दिए...पीछे से डिंपल ने आवाज़ लगाकर सबा से कहा : "गुड नाइट जी....एंजाय करो...''

जवाब मे सबा ने मुड़कर उन्हे देखा और मुस्कुरा दी...राहुल कुछ ना समझ सका..वैसे भी वो राहुल को इन सभी की बातें बताती नहीं थी, उसे लगता था की राहुल को ये सब पसंद नहीं आएगा और वो उसका उनके साथ उठना-बैठना बंद करवा देगा, जो वो हरगिज नहीं चाहती थी, वो भले ही अपनी अतरंग बाते सोसायटी की इन औरतों के साथ शेयर नहीं करती थी, पर उनकी बाते सुनना उसे बहुत पसंद था, जिसे सुनकर वो एक्साइटिड हो जाया करती थी 

दीवाली के दिनों में सोसायटी में ऐसी मस्ती आम बात थी...लेकिन इन सभी दंपतियो में सबसे ख़ास दिवाली का समय रहता था शशांक और सुमन के लिए.

दरअसल उन्हे शुरू से ही ऐसी मस्ती भरी दिवाली मनाने की आदत थी.

इन्हे मुंबई में आए हुए करीब 5 साल हो चुके थे...यहाँ आने से पहले शशांक बेंगलोर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था...शशांक और सुमन शुरू से ही सेक्स के मामले में एकदम खुले विचारो के थे..शशांक ने अपने ऑफीस की सेक्रेटरी को कई बार घर लाकर चोदा था...सुमन के भी कई अफेयर्स थे...दोनो एक दूसरे की सेक्स लाइफ में दखल नही देते थे...दोनो ने एक क्लब भी ज्वाइन किया हुआ था...जिसमें वीकेंड पर होने वाली पार्टीस में सभी मर्द अपनी-2 गाड़ी की चाबियाँ एक टेबल पर रख देते और जिसके हाथ जो चाबी आती वो उसी गाड़ी में जाकर वहां पहले से वेट कर रही उस गाड़ी के मालिक की बीबी को वहीं चोद देता था...इस खेल में सभी को हर बार नयी-2 चूतें चोदने को मिला करती थी...उस क्लब में शशांक और सुमन ने करीब 1 साल तक जमकर मज़े किए.

पर जब उसे नयी नौकरी मिली तो उसे मुंबई आना पड़ा..यहां भी उसने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की पर उस तरह के खुल्ले विचारो वाले लोग उसे मिल नही पाए...फिर उसने अपना ये सोसायटी वाला ग्रुप बना लिया जिसमें वो एक दूसरे की बीबी के साथ तो नही पर दूसरे तरीके से मज़े ले सकता था...वाइफ स्वेपिंग करने की जब भी वो बात छेड़ता तो कोई उसमे इंटरेस्ट ही नहीं लेता, वहीं दूसरी तरफ सुमन ने भी कई बार अपनी सहेलियो के मन टटोलने की कोशिश की पर अपनी एक दूसरे के पतियों के साथ सेक्स करने की बात वो सिर्फ़ हँसी मज़ाक में ही टाल दिया करती थी... 

और इस बार की दीवाली पर राहुल और सबा को शामिल करके, शशांक अपने दिल की वो आरजू भी पूरी करना चाहता था जो उसके मन मे कई सालों से थी...यानी अपने दोस्तो की बीबियों को चोदने की....उसकी खुद की बीबी तो हमेशा से उसके साथ थी...बस वो बाकी सभी को अपनी संगत में लेकर एक साथ मज़ा लेना चाहता था...थोड़ा मुश्किल था,लेकिन उसे पूरा भरोसा था की इस बार वो ज़रूर कामयाब होगा.

अगले दिन से जुए का प्रोग्राम शुरू होना था...यानी मौज मस्ती से भरी रातें जो दिवाली तक चलने वाली थी..

और शशांक ने जाने से पहले सभी को एक ख़ास बात कही...इस बार की ताश की पार्टीस में सभी सिर्फ़ नाइट सूट्स में ही आएँगे...उसकी इस बात पर किसी ने भी आपत्ति नही की,क्योंकि तैयार होकर 2-3 घंटे तक बैठना काफ़ी मुश्किल होता था..

पर उसकी इस बात के पीछे उसका उद्देश्य वो नही समझ पाए...जो आने वाले दिनों में काफ़ी मददगार होने वाला था.
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01-18-2019, 01:49 PM,
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RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
अपने फ्लैट में पहुँचते ही सबा ने राहुल को पीछे से पकड़ लिया और अपनी नुकीली छातियाँ उसकी कमर में धंसा कर उससे बुरी तरह से लिपट गयी...

राहुल समझ गया की सबा इस वक़्त काफ़ी गर्म है....

और वो हो भी क्यों नही...अभी कुछ देर पहले जिस तरह से सोसायटी की लेडीज़ उसके और राहुल की चुदाई के बारे में उससे पूछ रही थी उन्हे सुनने के बाद जो आग उसके अंदर सुलगनी शुरू हुई थी,वो अब पूरी तरह से भड़क चुकी थी...वो गहरी -2 साँसे लेती हुई अपने बूब्स को उसकी पीठ पर रगड़ रही थी..

राहुल को हमेशा से सबा का सेक्स के बारे में पहल करना पसंद आता था...आज भी वो ऐसा ही कर रही थी...लेकिन आज वो और दिनों से कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित लग रही थी...और उसे पता था की जब भी ऐसा होता है तो उसे मिलने वाला मज़ा काफ़ी बढ़ जाता है...और ऐसे में वो अपने आप को उसके हाथो में छोड़कर निश्चिन्त हो जाता था...जो भी करती थी,सबा ही करती..उसे तो अपने आप मज़े मिल जाया करते थे..

राहुल अपनी मस्ती में मस्त था और सबा के जहन में उसकी सहेलियो की बातें घूम रही थी...

'राहुल तेरी एस फकिंग करता होगा न......देख न इसकी गांड कैसे फ़ैल गयी है '

वैसे तो आज तक सबा ने अपनी गांड नहीं मरवाई थी,लेकिन उनकी बाते सुनकर वो भी मरवाने का मन करता था
'राहुल तेरे बूब्स काफ़ी चूसता है ना...देख तो कितने बड़े हो गये है...'

बस ये याद आते ही सबा ने राहुल को अपनी तरफ घुमाया और एक ही झटके में अपना टॉप उतार कर नीचे फेंक दिया...नीचे उसने डिज़ायनर ब्रा पहनी हुई थी...जो उसने बड़ी बेरहमी से नोच फेंकी...और एक ही पल के अंदर वो राहुल के सामने टॉपलेस होकर खड़ी थी...उसके गोरे-2 बूब्स देखकर राहुल की आँखे चुंधिया गयी...



सबा ने उसके सिर को पकड़कर अपनी छाती की तरफ धकेला और चिल्लाई : "चूसो इन्हे राहुल.....सक्क माय बूब्स नाउsssssssss ....''

राहुल तो उसके इस रवैय्ये को देखकर हैरान रह गया...पर उसे क्या फ़र्क पड़ रहा था...उसे तो दूध पीने से मतलब था..बस फिर क्या था...वो भी अपने पैने दाँतों और गर्म जीभ के साथ टूट पड़ा उसके नर्म मुलायम बूब्स पर...और ऐसे चूसने लगा जैसे वैक्यूम क्लीनर किसी चीज़ को अपनी तरफ खींचता है..

सबा भी उसकी सकिंग पावर से उसके मुँह की तरफ खींचती चली गयी...और अपने पंजों पर खड़ी होकर अपना पूरा का पूरा मुम्मा उसने मुँह में घुसेड़ दिया...और साथ ही साथ एक सुरीली और सेक्सी आवाज़ में कराह भी उठी...
''उफफफफफफफफफ्फ़........माआआआआआआआयययय डार्लिंग.................उम्म्म्ममममममम.........ज़ोर से........ऐसे ही.........आआआआआआआआआअहह .............. हाआआआआआआअ.....''



राहुल की उंगलियाँ उसकी गद्देदार गांड के अंदर धँस गयी....और उसने उसे उपर हवा में उठा लिया...और अपने लंड के उपर उसकी चूत को रगड़ते हुए उसके बूब्स को चूसने लगा...दोनो के कपड़े बीच में ना आए होते तो एक ही झटके में राहुल ने उसकी चूत में दाखिला ले लेना था...

सबा के पैरों के नीचे से ज़मीन क्या गायब हुई वो हवा में फड़फड़ाती हुई अपने दर्द भरे मज़े बयां करने लगी..

''ओह राहुल........मार डालो मुझे आज.....आआअहह चबा जाओ.....इन्हे.........ज़ोर से चूसो.......काटो.....मेरे निप्पल्स को.....उम्म्म्मममममममममम.....''

राहुल को वो ये सब ना भी कहती तो वो यही करता...और कर भ रहा था...अपने तेज दांतो से वो उसके बर्फ़ी जैसे नर्म मुम्मों की मिठास को अपने मुँह में लेकर मज़े ले रहा था....उसके निप्पल्स के चारों तरफ जो घेरा था,उनमे भी नन्हे दाने चमक उठे...उनको भी राहुल के निर्दयी दाँतों ने नही छोड़ा और उन्हे ज़ोर -2 से चबा कर पहले से ज़्यादा लाल कर दिया...

सबा : "बाइट मी राहुल......बाइट मीइइइइइइइइइ ........मार्क बनाओ इनपर......अपने प्यार के टैटू छाप दो इनपर.....''

ये सबा हमेशा करवाती थी....उसे अपने गोरे-2 बूब्स पर राहुल के दांतो के निशान काफ़ी पसंद आते थे...वो सुबह उठकर जब बाथरूम में नहाने जाती तो उन मार्क्स को देखकर उसे काफ़ी मज़ा आता था...और अपनी चूत सहलाकर वो अक्सर वहीं झड़ जाया करती थी..

आज भी वो अपने बूब्स पर राहुल की कला का नमूना बनवाना चाहती थी...जिससे वो अगले दिन की मूठ का इंतज़ाम कर रही थी...

राहुल ने उसके मुममे चूसते -2 उसकी जीन्स भी उतार दी...साथ में उसकी कच्छी भी लिपट कर उतर गयी...अब वो पूरी तरह से नंगी थी...

उसका नंगा हुस्न देखते ही बनता था..

सबा ने भी राहुल की टी शर्ट उतारने में मदद की और उसके बाद उसकी पेंट भी...

और फिर उसने राहुल को बेड पर खींच लिया ..और खुद उसकी टाँगो के बीच लेट गयी...उसकी नज़र अब राहुल के लंड पर थी...जो कुतुब मीनार की तरह एकदम सीधा खड़ा हुआ था..



उनकी सोसायटी की मेंबर, डिंपल सरदारनी उसे हमेशा लंड चूसने के बारे में ही पूछा करती थी...आज शाम भी उसने एक-दो बार उसके लिए पूछा था...बस उसी के बारे में सोचते -2 सबा ने राहुल के लंड को पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगी..

ऐसा नही था की ये सबा का पहली बार था...आज से पहले भी वो हमेशा चुदाई से पहले राहुल के लंड की पूजा मुँह में लेकर करती थी...बाद मे उसके गीले लंड को अपनी भीगी हुई चूत में लेकर मज़े किया करती थी..

पर किसी के उकसाने के बाद जो चूसने का मज़ा उसे आज मिल रहा था वो थोड़ा अलग ही था...जो राहुल को बहुत ज़्यादा ज्यादा मजे के रूप में महसूस हो रहा था....उसके चूसने की गति उतनी ही तेज थी जितनी ज़ोर से राहुल ने उसके बूब्स चूसे थे...

सबा तो उसके लंबे लंड को मुँह में लेकर ऐसे सक्क कर रही थी जैसे नारियल पानी पीते हुए स्ट्रा को मुँह में लेकर चूसते है...फर्क बस इतना था की ये स्ट्रॉ थोड़ी मोटी थी...और यम्मी भी...और इसका पानी निकलने में भी अभी टाइम था , लेकिन बूँद-२ करके जो मलाई उसमे से बाहर आ रही थी वो उसे बड़े मजे से निगलती जा रही थी

सबा के होंठों के साथ-2 उसकी जीभ भी उसके लंड पर फिसलकर उसका मज़ा ले रही थी..
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01-18-2019, 01:49 PM,
#5
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
सबा को लंड चूसना सबसे ज़्यादा पसंद था....या ये कह लो की ये उसकी कमज़ोरी थी....वो जब अपने हनिमून पर शिमला गयी थी तो घंटो तक राहुल के लंड से खेलती रहती थी...उसे चूमती...सहलाती...चूसती ....और जब वो झड़ जाता तो अगली बार के लिए फिर से उसी तरह से उसे तैयार करती...आज तक उसकी लगन में कोई कमी नही आई थी..वो अब भी राहुल के लंड पर अपनी जान न्योछावर करती रहती थी...

और राहुल को भी उसकी चूत की चुसाई सबसे ज़्यादा पसंद थी...कारण था उसकी खुश्बू...जिसे सूँघकर राहुल किसी दूसरी दुनिया में पहुँच जाय करता था...सबा को हमेशा से मीठा खाने का शोंक था...खट्टी चीज़े उसे पसंद ही नही थी...इसलिए उसकी चूत से भी मीठापन बरसता था...

राहुल का लंड पूरी तरह से खड़ा था अब.....उसने सबा को बेड पर लेटने को कहा...अब उसकी नज़रें उसकी चिकनी चूत पर थी....जिसकी गुलाबी फूल जैसी पंखुड़ियों में शहद जैसा रस चमक रहा था



उसने धीरे-2 अपना सिर उसकी चूत पर झुकाया.....थोड़ी देर तक उसकी भीनी खुश्बू को सूँघा...और फिर धीरे-2 अपनी जीभ से उसके निचले होंठ कुरेदने लगा...

सबा तो सिसक उठी.....उसके मुँह से ऐसी आवाज निकली जैसे गर्म तवे पर पानी के छींटे मार दिए हो...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआअहह.........उम्म्म्मममममममम राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल.....''

सबा की पीठ तीर जैसी तिरछी होकर उपर उठ गयी....और राहुल को उसकी चूत और सॉफ तरीके से चूसने को मिल गयी....वो उसकी फांको को फेला कर अंदर तक चूस पा रहा था....या ये कह लो की वो अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई कर रहा था...



सबा के लिए ये भी चुदाई के एहसास जैसा ही था....लेकिन असली लंड का एहसास अलग ही होता है...इसलिए वो सिसकती हुई बोली...

''ओह राहुल...प्लीज़......अब ना तरसाओ ......जल्दी से डालो......अपना ...........लंड ......मेरी चूत में .....''

सिर्फ़ सेक्स के दौरान ही सबा ऐसे शब्दो का प्रयोग करती थी....इसके अलावा जब भी वो इन्हे सुनती,बस शरमा कर रह जाती थी.

राहुल से भी अब रुका नही जा रहा था....उसने उसकी टाँगो को दोनो दिशाओं में फेलाया....उसकी शरबती नज़रों को देखा...और अपने लंड को उसकी जाँघो के बीच पहुँचा दिया....

बेसब्री सबा ने जल्दी से अपना हाथ नीचे करते हुए उसके लंड को अपनी चूत पर लगाया और अपनी टांगो से उसकी कमर को लपेट कर उसे अपने उपर खींच लिया....राहुल का लंड दनदनाता हुआ सा एक ही वार में उसकी चूत की दीवारें रगड़ता हुआ अंदर तक जा धंसा....और दोनो के मुँह से मादकता भरी चीखे निकल पड़ी...

''उम्म्म्मममममममममममममममममम........ओह..............सबाआाआआ.......मेरी ज़ाआआअन्*नन् ...... आआआआआआआआआआअहह''

राहुल का लंड जब पूरा अंदर तक डूब गया तो उसने उसे धीरे-2 बाहर खींचा....सबा की नज़रें सीधा अपनी चूत की तरफ चली गयी...उसे अपनी चूत में लंड जाते और निकलते हुए बड़ा अच्छा लगता था...राहुल ने धक्के लगाने शुरू किए और वो उसे पिस्टन की तरह अंदर बाहर होते हुए देखकर सिसकारियाँ मारने लगी....

''अह्ह्हह्ह्ह्ह राहुल्ल्ल......फककक मी राहुल..............आअहह ....उूुउउम्म्म्ममममम..... यसस्स्स्स्स्स्स्सस्स...... अहह''

दोनो को पता था की अंदर का तूफान जल्द ही निकल सकता है....इसलिए दोनो अपनी तरफ से झटके और ज़ोर से लगाने लगे...

और करीब 5 मिनट तक की चुदाई के बाद सबा की आँखे उपर की तरफ घूम कर बंद हो गयी...और वो आनंद सागर मे गोते लगाती हुई अपने ऑर्गॅज़म को महसूस करने लगी...




''उम्म्म्मममममममममम....राहुल..................... आई लव यू .......''

राहुल को भी अपने प्यार का एहसास उसे दिलाना था...इसलिए उसे झड़ता देखकर वो और तेज़ी से धक्के मारने लगा...और जैसे ही उसके लंड से प्रेशर के साथ पिचकारी निकली....उसका शरीर झनझना उठा....जिसे सबा ने भी महसूस किया.....और आख़िरी के 4-5 झटके रुक-रुककर मारने के बाद वो उसके उपर लुडक गया...और उसके कानों में उसने भी बोल दिया....''आई लव यू टू सबा......''

और फिर दोनो एक दूसरे की बाहों में नंगे ही सो गये..

अगला दिन नॉर्मल ही रहा .....राहुल ऑफीस गया...शशांक ने इधर-उधर की बातों में उसे रात के ताश के प्रोग्राम के बारे मे फिर से याद दिलवाया...राहुल ने उसे आश्वस्त किया की वो और सब रात को 8 बजे उनके घर पर पहुँच जाएँगे..

रात को 8 बजते ही सभी अपनी-2 बीबियों के साथ शशांक के घर की तरफ चल दिए...और जैसा की सबने डिसाइड किया था,सभी ने नाइट सूट्स ही पहने हुए थे..ज़्यादातर पुरुष टी शर्ट और पायजामे में थे...सिर्फ़ गुरपाल सिंह ने ट्रेक सूट पहना हुआ था...शायद वो उसी में सोता था...

लेडीज़ भी अपने-2 नाईट गाउन में ही थी....सिर्फ़ सबा ही थी जिसने ज़ारा का पयज़ामा और जीपर पहना हुआ था...उसमे उसके तने हुए बूब्स बड़े ही कातिल लग रहे थे...

और सबसे बड़ा सरप्राइज तो उन्हे शशांक के घर पर मिला...जैसे ही सब मिलकर उनके घर पहुँचे,शशांक की बीबी सुमन ने दरवाजा खोला....और उसके नाइट सूट को देखकर तो सभी की नज़रें फटी की फटी रह गयी...

औरतें तो उसकी हिम्मत की दाद दे रही थी...और मर्द अपनी लार टपकाए उसके शरीर को अपनी आँखो से पीने मे लगे थे..
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01-18-2019, 01:50 PM,
#6
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
उसने नेट वाली रेड और ब्लेक कलर की शॉर्ट नाईटी पहन रखी थी...जो उसकी जाँघो को भी सही से कवर नही कर पा रही थी...और इस वजह से उसकी मोटी और चिकनी टांगे सभी को दिखाई दे रही थी....यहाँ तक की अंदर पहनी पेंटी की भी झलक दिख रही थी...उपर से वो काफ़ी टाइट था...और सबसे बड़ी बात की उसने ब्रा नही पहन रखी थी...भले ही छाती वाले हिस्से पर नेट नही बल्कि कॉटन का कपड़ा था...लेकिन उसके बड़े-2 बूब्स,जिनके निप्पल्स सॉफ उजागर थे, उसमे देखे जा सकते थे....इसलिए सभी को एक नज़र में ये एहसास हो रहा था की उसने ब्रा नही पहनी हुई...

आज की रात एक नया चैप्टर शुरू होने वाला था सभी की जिंदगी में ....



शशांक ने पहले से ही सब इंतज़ाम कर रखा था....एक कोने मे स्टैंडिंग बार बना रखी थी, जिसमे सभी मर्द जाकर खड़े हो गये और शशांक उन्हे सर्व करने लगा...लेडीज़ के लिए सुमन ने डाइनिंग टेबल पर वोड्का और ब्रीज़र की बॉटल्स रखी हुई थी...वो सब भी एक साथ शुरू हो गयी...सबा ने आज तक शराब को मुँह तक नही लगाया था...सब उसे पीने के लिए बोलने लगी तो उसने बेचारगी भरी नज़रों से राहुल की तरफ देखा...उसने आँखो ही आँखो में उसे पीने के लिए बोला..वैसे तो वो हमेशा से चाहता था की सबा भी पीने में उसका साथ दिया करे लेकिन जिस माहौल में वो पली-बड़ी थी,उसमें ऐसा करना पाप माना जाता था...इसलिए उसे थोड़ी बहुत हिचकिचाहट हो रही थी..

राहुल की स्वीकृति मिलने से और अपनी फ्रेंड्स के बार-2 कहने से उसने वोड्का का एक ग्लास ले ही लिया...और सुमन ने जान बूझकर उसे स्ट्रॉंग पेग बना कर दिया..पांचो ने हाथ में ग्लास लेकर चियर्स किया और एक ही घूंठ में आधे से ज्यादा ग्लास पी गए



1-2 पेग पीने के बाद सभी मर्द टेबल पर पहुँच गये, जहाँ पर ताश की गड्डी लगी हुई थी.

जिस घड़ी का सभी को इंतजार था, वो आ चुकी थी

तीन पत्ती का खेल शुरू हो चुका था

शशांक ने पत्ते बाँटने शुरू किए..पहली बाजी नॉर्मल थी ..यानी जिसके पत्ते बड़े ,वो बाजी ले जाएगा...

ब्लाइंड की रकम 500 रुपय थी...और चाल या शो डबल की ..

सभी ने 2-2 ब्लाइंड चली और उसके बाद एक-2 करके सभी ने अपने पत्ते उठा कर देखे..

इसी बीच सभी औरतें अपने-2 पतियों की बगल में आकर बैठ गयी...

सभी की नज़रें या तो शशांक की बीबी सुमन पर थी या सबा पर...क्योंकि इस वक़्त यही दोनो एक दूसरे को टक्कर दे रही थी...एक हुस्न के मामले में और एक सैक्सी दिखने के मामले में ..

सुमन तो जिस अंदाज से शशांक की बगल में बैठी थी वो देखते ही बनता था...उसकी नाईटी तो टांगे ढकने में बिल्कुल असमर्थ थी...और उपर से वो जान बूझकर अपने मखमली कपड़े को ऐसे खिसका रही थी जिसकी वजह से बार-2 उसकी नंगी टांगे सबके सामने उजागर हो रही थी...

और सभी मर्दों की नज़रें उसकी चिकनी टाँगो और उसके झांकते हुए बूब्स को को अपनी आँखो से चूस रही थी.



ये बात उनकी बीबियां भी नोट कर रही थी...लेकिन वो भी जानती थी की ऐसे में अच्छा भला मर्द भी देखे बिना नही रह सकता...वैसे भी उन सबमे इतनी टोका-टाकी चलती नहीं थी.

राहुल भी अपने बॉस की बीबी सुमन की नंगी टाँगो को देखकर थोड़ा बहुत विचलित हो रहा था...जबकि उसकी बीबी सबसे सुंदर थी...लेकिन दूसरी औरत ही ऐसी बेशर्मी से अपना बदन दिखाए तो वो भी भला क्या करे..

सबके मन में कुछ ना कुछ चल रहा था..लेकिन कोई भी बोल नही रहा था...बस गेम के बारे में ही बाते चल रही थी...गुप्ताजी तो बड़ी मुश्किल से अपने खड़े हो रहे लंड को संभालने की असफल कोशिश कर रहे थे...ऐसे में उनके पत्ते भी बेकार से आए...सिर्फ़ 3,4 और 8 नंबर...और वो भी अलग-2 कलर के..उन्होने एकदम से पेक कर दिया...

कपूर साहब का भी यही हाल था...उनकी नज़रे तो कभी सबा और कभी सुमन पर घूम रही थी..ऐसे में जब उन्होने पत्ते देखे तो वो ज़्यादा कमाल के नही थे...9, K और इक्का था इनके पास....काफ़ी सोचने के बाद उन्होने इकके और बादशाह के बल पर एक हज़ार की चाल चल दी..

और अपने सरदारजी गुरपाल सिंह ने दरियादिली दिखाते हुए बिना पत्ते देखे ही एक और ब्लाइंड चल दी..वो ऐसा हमेशा करता था.....और ब्लाइंड चलने के बाद उसने बड़ी ही बेबाकी से अपनी बगल में बैठी सरदारन की जाँघ पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगा...और उसका सहलाना ऐसा था की हर कोई देख पा रहा था की वो क्या कर रहा है..पर वो सेक्स के मामले में औरों से थोड़ा अलग ही था...वो दिन दुनिया की परवाह किए बिना अपने काम में मग्न रहता था..ठीक शशांक की तरह...

क्योंकि वो भी अपनी बीबी सुमन की नंगी टाँगे इस वक़्त बड़े ही कामुक तरीके से सहला रहा था...और वहां बैठे दूसरे मर्द बस यही सोच रहे थे की काश सुमन की नंगी टांगो पर इस वक़्त उनके हाथ होते..

राहुल ने अपने पत्ते देखे और हज़ार का नोट फेंककर तुरंत चाल चल दी...उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसके पास जानदार पत्ते आए है..

शशांक ने सुमन की टांगे सहलाते-2 अपने पत्ते देखे और उसने भी हज़ार का नोट फेंककर एक चाल चल दी...

कपूर साहब तो इकके और बादशाह के बल पर चाल चल बैठे थे...सामने से 2-2 चालें आती देखकर उन्होने चुपचाप पैक कर दिया..

अब सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे...कुछ ख़ास नही आया था उनके पास...इसलिए मन मसोसकर उन्होने भी पैक कर दिया...

अब सिर्फ़ राहुल और शशांक ही बचे थे..

राहुल को अपने बॉस के सामने चाल चलने में झिझक हो रही थी..पर ये तो खेल था...इसलिए उसने थोड़ा रुककर अपनी तरफ से हज़ार की चाल और चल दी...

जवाब मे शशांक ने डबल करते हुए 2 हज़ार की चाल चल दी..

अब तो राहुल को चिंता होने लगी....उसके पास पान के पत्तो का कलर आया था...2,5 और बेगम के साथ...

उसकी ये पहली गेम थी...इसलिए वो ज़्यादा रिस्क भी नही लेना चाहता था...क्योंकि जिस अंदाज में शशांक ने 2 हज़ार की चाल चली थी, राहुल को लग गया की उसके पास बड़े पत्ते होंगे...इसलिए राहुल ने तुरंत 2 हज़ार बीच में फेंककर शो माँग लिया...

शशांक ने अपने पत्ते दिखाए तो राहुल ने अपना माथा पीट लिया...शशांक के पास सिर्फ़ 3 का पेयर था...जिसके बल पर वो इतना खुलकर खेल रहा था जैसे सीक्वेन्स आ गया हो....

पर फिर भी...राहुल को पहली ही गेम में करीब 10 हज़ार मिल गये...उससे ज़्यादा तो सबा खुश थी...ऐसे एकदम से 10 हज़ार सिर्फ़ 5 मिनट में ही आ जाने से उसका चेहरा गुलाब सा खिल चुका था...राहुल ने सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए और उन्हे उठा कर सबा को दे दिया...वो चमकती हुई आँखो से उन नोटों को सही ढंग से इकठ्ठा करने लगी...बाकी के सारे मर्द उसे ऐसा करते देखकर अपनी-2 जीभ होंठों पर फेर रहे थे.

जहाँ एक तरफ राहुल अपनी पहली ही बाजी में मिली जीत से खुश था वही शशांक मन ही मन अपनी चालाकी पर खुश हो रहा था...वो खुद जानता था की उसके पास छोटे पत्तो का पेयर है...और राहुल के चेहरे को देखकर ही वो समझ गया था की उसके पास काफ़ी अच्छे पत्ते आए है...लेकिन वो जान बूझकर ज्यादा पैसों से हारना चाहता था..ताकि राहुल को थोड़ा कॉन्फिडेन्स मिले...और वो मिल भी चुका था...

अगली गेम शुरू होने से पहले शशांक ने सुमन को सभी के लिए पेग बनाने को कहा...ये सबके लिए एक झटके जैसा था...क्योंकि आज तक उनके ग्रुप की किसी भी औरत ने पेग नही बनाए थे...लेकिन सुमन जैसी रसीली भाभी के हाथ से पेग बनवाकर पीने की बात सोचकर किसी ने कुछ नही कहा ..ये भी शशांक और सुमन का पहले से सोचा हुआ आईडिया था
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01-18-2019, 01:50 PM,
#7
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
सुमन भी बड़े कॉन्फिडेन्स के साथ उठकर बार तक गयी और सभी के लिए पेग बना दिए...डिंपल और काजल तो उसे ऐसा करते देखकर हैरान हुई जा रही थी......मिसेस गुप्ता और सबा का भी यही हाल था , लेकिन उसे एक मॉडर्न लेडी की तरह इस तरह के काम करते देखकर उन्हें भी अच्छा लग रहा था .......उन्होने तो आज तक घर मे कभी भी ऐसा नही किया था...सुमन को देखकर उनके मन में भी ऐसा ही कुछ करने की इच्छा जन्म ले चुकी थी

और इससे पहले उन सभी के मन में एक और इच्छा भी जन्म ले चुकी थी....और वो थी सुमन की तरह सेक्सी कपड़े पहनने की

डिंपल सरदारनी के पास तो ऐसे सेक्सी कपड़ो की भरमार थी...वो तो बस उसे खुद ऐसे कपड़े पहनकर किसी के सामने आने मे शर्म आती थी,वरना उसका पति तो हमेशा उसे प्रोत्साहित करता था की सेक्सी शरीर है तो ऐसे कपड़े पहनकर उसे दिखाने मे भला क्या हर्ज है...वो एकदम खुल्ले विचारों वाला पंजाबी बंदा था...

सबा को भी एक से बढ़कर एक बड़िया कपड़े पहनने का शॉंक था...वैसे वो तो हर औरत को होता है पर सबा को कुछ ज़्यादा ही था...वो जो भी पहन लेती थी वो उसके उपर जंच जाता था...एक तो बला की खूबसूरत और उपर से एकदम गोरी चिट्टी ...और शादी के बाद उसके हुस्न में जो निखार आना शुरू हुआ था, उसके बाद तो उसका बदन ऐसा गदरा गया था की हर कपड़े में वो सैक्स की देवी लगती थी...पर उसके पास ऐसे अंग प्रदर्शन वाले कपड़े कम ही थे...1-2 नाइटीज थी बस...पर उन्हे किसी और के सामने पहनने की बात तो उसने सपने में भी नही सोची थी...लेकिन जो नाईटी आज सुमन ने पहन रखी थी वो कुछ ज़्यादा ही एक्सपोज़ कर रही थी उसके बदन को...और सबा के मन में बस यही चल रहा था की जब सुमन भाभी ऐसी नाईटी पहन सकती है तो उसकी तो थोड़ा कवर की हुई ही है...वो भी ट्राइ करेगी..

और नीरू तो ये सोच चुकी थी की कल ही लिंगरी शॉप में जाकर सुमन से भी ज़्यादा सेक्सी दिखने वाली नाईटी लेकर आएगी... मिसेज़ गुप्ता के मन में भी कुछ-2 ऐसा ही चल रहा था..

मर्दो ने अपने-2 पेग पिए और सुमन ने अपने लेडिस गेंग के लिए वोड्का के शॉट्स बना लिए...सबा के लिए तो ये सब नया था...उसने तो आज से पहले आल्कोहॉल पिया तक नही था...वैसे भी पहले पेग की वजह से उसका सर अभी तक चकरा रहा था, इसलिए उसने शॉट पीने से मना कर दिया...सुमन ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया

वैसे भी शॉट कैसे पिया जाता है,ये उसे पता नहीं था, वो उन्हें ऐसा करते हुए देखने लगी

चारों लेडीज़ ने हाथ पर नमक रखा...नींबू पकड़ा और शॉट्स उठा लिए...और एक जोरदार चियर्स के साथ सभी ने अपने-2 पेग्स एक ही बार में पी डाले...फिर नमक चाटकर मुंह में नींबू निचोड़कर एक साथ चिल्ला पड़ी...



ऐसा पागलपन सबा ने पहली बार देखा था....लेकिन उनके मस्ती से भरे चेहरों को देखकर उसे सॉफ लग रहा था की सभी को काफ़ी मज़ा मिल रहा है....अपनी-2 बिबियो को ऐसा करते देखकर उनके पति भी मस्ती में आकर अपने-2 पेग्स एक ही बार में पी गये...पूरे माहौल में मस्ती और मदहोशी का आलम था..
अपने-2 पेग पीने के बाद टेबल पर एक बार फिर से सभी ने बाजी शुरू कर दी...

शशांक ने इस बार सभी को खेल के रूल्स फिर से समझा दिए....तीन पत्ती का ये खेल हर बार नये तरीके से खेला जाने वाला था...जिसमे नॉर्मल गेम के अलावा मुफ़लिस, हाइयेस्ट जोकर और लोवेस्ट जोकर, AK47, और जोकर के वेरिएशन थे....राहुल को इन सबके बारे में मालूम नही था,वो तो आज तक नार्मल गेम ही खेलता आया था...शशांक ने उसे बोल दिया की जैसे-2 ये वॅरीयेशन आते रहेंगे वो उसे पहले से समझा दिया करेगा...जो इतने मुश्किल नही है...उसके बाद खेलने का मज़ा और भी बड़ जाएगा..जीतने वाले को ऐसे वेरिएशन चुनने का अधिकार था..इसलिए राहुल ने AK47 को चुना...क्योंकि वो नाम से ही इतना बड़िया लग रहा था..



राहुल ने पत्ते बाँटे...शशांक ने राहुल को समझाया की ये एक ऐसा वैरीएशन है जिसमें किसी के पास भी अगर A ,K , 4 और 7 में से कोई भी पत्ता आ गया तो वो जोकर का काम करेगा ...और उन्हे दूसरे पत्तों के साथ मिलाकर अपनी गेम खेली जा सकती है...राहुल समझ गया और खेल शुरू हो गया.

सभी ने ब्लाइंड चली...और पिछली बार से बढ़कर इस बार सबने 3-3 ब्लाइंड चली..

और इस बार सबसे पहले पत्ते उठाए कपूर साहब ने...उनके पास 8,9 और K आया था...यानी K को वो जोकर मानकर उसे 10 बनाकर गेम खेल सकते थे...इस तरह से उन्होने 8,9,10 की सीक्वेंस बनाकर अपनी चाल चल दी..

गुप्ता जी ने अपने पत्ते देखे...कुछ भी नही था उनके पास...ना तो ढंग के पत्ते और ना ही A,K,4,7 में से कुछ...उन्होने पैक कर दिया..

सरदारजी ने एक बार फिर से ब्लाइंड खेल ली...

राहुल ने पत्ते देखे...उसके पास J , 7 और 3 आए थे...यानी उन चार जोकरों में से एक जोकर आया था उसके पास...जिसके बल पर वो J का पेयर बना सकता था...लेकिन गुप्ता जी की चाल आ चुकी थी...ऐसे में उसे ये J का पेयर चाल चलने लायक नही लग रहा था...इसलिए वो सोच में पड़ गया...सोचते-2 उसकी नज़र अचानक सुमन के उपर गयी...हालाँकि वो उसके बॉस की बीबी थी लेकिन आज जिस अंदाज में वो अपने हुस्न को सभी के सामने उजागर कर रही थी, उसकी वजह से ना चाहते हुए भी राहुल की नज़रें बार-2 उसी तरफ जा रही थी..


उसने देखा की सुमन भी उसकी तरफ देख रही है...दोनो की नज़रें 4 हुई..और अचानक सुमन ने उसे आँख मार दी..



एक पल के लिए तो राहुल के दिल की धड़कन तेज हो गयी...लेकिन फिर उसे लगा की ये शायद उसका वहम होगा... क्योंकि उन्होने अभी-2 वोड्का का शॉट लगाया था...शायद उनकी आँख ग़लती से झपक गयी होगी...पर उसके इस वहम को अगले ही पल सुमन ने झूठा साबित कर दिया जब उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपना दाँया हाथ अपनी नाईटी के अंदर डालकर अपने बूब्स पर खुजली की....उसने अपना पूरा का पूरा मुम्मा अपने हाथ में पकड़कर ऐसे मसला की वो आधे से ज्यादा बाहर की तरफ निकलकर अपना गुदाजपन दिखाने लगा...ये सिर्फ़ एक पल के लिए ही हुआ... और ऐसा करने से पहले सुमन ने देख लिया था की राहुल के अलावा किसी और की नज़र उसके उपर नही है...सभी की नज़रें तो इस वक़्त टेबल पर थी...ऐसे में राहुल ने जब सुमन के हाथों को उसके खुद के बूब्स को पकड़कर जोरों से मसलते देखा तो उसके लंड का तापमान उपर तक जा चढ़ा ..

किसी ने भी नही,सिर्फ़ राहुल ने ऐसा होते हुए देखा...पहले आँख मारी और फिर ये किया....अब तो राहुल को विश्वास हो रहा था की सुमन जी अपनी तरफ से उसे लाइन दे रही है..

अपनी खूबसूरत बीबी के होते हुए उसके मन में गंदे विचार आने लगे...और ऐसा होना स्वाभाविक ही था...हर मर्द ऐसा ही होता है...अपनी खुद की बीबी या गर्लफ्रेंड चाहे जितनी भी सुंदर हो, ऐसा खुला न्योता मिलने से कुछ अलग पाने की चाहत अपने आप जन्म ले लेती है..

राहुल का ध्यान अब गेम में नही बल्कि सुमन में लग चुका था...इसलिए उसने तुरंत पैक कर दिया.

अब शशांक की बारी थी....उसने पत्ते उठाए...और मुस्कुराते हुए 1 हज़ार की चाल चल दी...कपूर साहब ने भी एक और चाल चल दी..

अब गुरपाल सिंह ने भी अपने पत्ते उठा लिए....उसके पास भी एक जोकर आया था...लेकिन उसे इस्तेमाल करके सिर्फ़ 9 का पेयर ही बन पा रहा था...उसने भी पेक कर दिया..

शशांक ने इस बार की चाल 2 हज़ार कर दी.

गुप्ता जी के दिमाग में शशांक की पिछली गेम की बात चल रही थी...उनके अनुसार तो शशांक सिर्फ़ 3 के पेयर पर भी ऐसी डबल चाल चल रहा था...ऐसे में गुप्ता जी को अब यही लग रहा था की इस बार भी शायद ऐसा ही कोई पेयर बन रहा होगा उसके पास....अगर कलर भी होगा तो भी गुप्ता जी के सीक्वेंस के सामने वो छोटे होंगे...यही सोचकर उन्होने भी 2 हज़ार की चाल चल दी.

खेल अब गर्म हो चुका था..सभी की नज़रें टेबल पर थी...सबा , काजल और नीरू एक कोने में बैठकर शायद सुमन के कपड़ों के बारे में बात कर रहे थे...और सुमन थी की अभी भी सेक्सी इशारे करके राहुल को परेशान कर रही थी..

राहुल के लंड ने स्टील जैसा रूप अख्तियार कर लिया...उसे बिठाना ज़रूरी सा हो गया था...उसने तुरंत एक्सक्यूस मी कहते हुए बाथरूम का रुख़ कर दिया...

किसी को भी उसके जाने से कुछ फ़र्क नही पड़ा ...सबा को तो पता भी नही चला की राहुल अपनी सीट से उठकर अंदर चला गया है...क्योंकि उसकी पीठ थी उसकी तरफ...और वैसे भी इस वक़्त वो गप्पे मारने में बिज़ी थी..

शशांक ने सुमन की तरफ देखा और उसे आँखो ही आँखो से कुछ इशारा किया....और वो भी चुपचाप उठकर अंदर चल दी...

राहुल के पीछे-2

इस वक़्त उसके दिमाग़ में क्या चल रहा था ये तो कोई नही जानता था...लेकिन एक बात पक्की थी की आज राहुल के साथ ऐसा कुछ होने वाला था की उसके और उसके बॉस की बीबी के बीच के रिश्ते के मायने बदलने वाले थे..



राहुल सीधा वॉशरूम की तरफ गया ...काफ़ी बड़े वॉशरूम के अंदर ही अलग से दरवाजा लगा कर टाय्लेट बनवाया हुआ था...राहुल अंदर जाकर कमोड पर अपने लंड को निकाल कर खड़ा हो गया और मूतने लगा.
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01-18-2019, 01:50 PM,
#8
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
राहुल अभी अपने लंड को हाथ में लेकर कुछ सोच ही रहा था की उसे बाहर किसी के आने की आहट सुनाई दी..और वो कुछ समझ पाता इतने में उसे सुमन के गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दी...राहुल के लटक रहे लंड में जैसे फिर से जान आ गयी..उसने अभी तक दरवाजा भी बंद नही किया हुआ था,इसलिए वो बंद दरवाजे की लकीर से बाहर खड़ी सुमन को देखने लगा..

और इस वक़्त शायद वो बाहर बैठी अपनी बीबी सबा को भी भूल चुका था.

वो तो उसे ऐसे देख रहा था जैसे सुमन को ये पता ही नही था की वो भी बाथरूम में ही है..वो तो बस मंद-2 मुस्कुराती हुई शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आप को निहार रही थी ...सुमन इस वक़्त सिर्फ़ 2 गज की दूरी पर खड़ी होकर बड़ी ही बेबाकी से अपने कपड़े ठीक करने में लगी थी...और अचानक एक बार फिर से सुमन ने अपना दाँया हाथ अंदर डाल कर फिर से अपने बूब को मसल दिया...ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले बाहर मसला था...राहुल को उसके बड़े से बूब के उपर चमकता हुआ निप्पल सॉफ दिख रहा था...उसकी तो साँसे तेज हो गयी...वो अपने खड़े हुए लंड को जोरों से मसलने लगा...और ना चाहते हुए भी उसके मुँह से एक आह्ह्ह निकल गयी..

और उसकी ये आवाज़ सुनकर सुमन ने एकदम से टाय्लेट का दरवाजा खोल दिया...और राहुल अपने खड़े हुए लंड को मसलते हुए रंगे हाथो पकड़ा गया...उसकी तो समझ में नही आ रहा था की ये एकदम से क्या हो गया..पर तब तक सुमन की शरारती नज़रें अपना काम कर चुकी थी...उसने राहुल के खड़े हुए लंड को जी भरकर देख डाला.

राहुल ने हड़बड़ी में अपने लंड को अंदर ठूसना चाहा पर उसे सुमन ने रोक दिया..

सुमन के हाथ सीधा उसके लंड पर थे और वो उसके थरथराते हुए लंड को सॉफ महसूस कर पा रही थी.

दोनो ने एक दूसरे को देखा और सुमन ने पहल करते हुए बिना किसी वॉर्निंग के आगे बढ़कर उसे चूम लिया..

राहुल तो बुत्त सा बनकर खड़ा रह गया..और सुमन उसे पागलो की तरह चूमने में लग गयी...वो ऐसे चूम रही थी मानो उसे वो खजाना मिल गया हो जिसके लिए वो बरसो से इंतजार कर रही थी..साथ ही साथ वो राहुल के लंड को भी मसल रही थी.



राहुल के अंदर एक युद्ध सा चल रहा था की वो इस वक़्त क्या करे...अपनी बीबी को धोखा देने के बारे में उसने सपने मे भी नही सोचा था...और सोचे भी किसलिए,उसकी बीबी इतनी सुंदर जो थी...और उपर से वो उसे सैक्स के पूरे मज़े देती थी...और उन्होने तो लव मेरीज की थी,इसलिए एक दूसरे को धोखा देने की बात तो वो सोच भी नही सकते थे..

लेकिन उसके बॉस की बीबी भी कम सेक्सी नही थी...और ये पहली औरत थी जिसने उसकी बीबी के अलावा उसके शरीर को इस तरह से छुआ था...उसे चूमा था...उसके लंड को इस तरह पकड़ा था..और वो चाह कर भी उसे मना नही कर पा रहा था...

अचानक सुमन नीचे बैठ गयी और उसने राहुल के लंड को अपने मुँह में लेकर चूस डाला...अब तो राहुल की रही सही झिझक भी जाती रही और उसने एक जोरदार सिसकारी मारते हुए सुमन के सिर पर हाथ रखकर अपना पूरा का पूरा लंड उसकी हलक में उतार दिया...




सुमन तो पुरानी खिलाड़ी थी लंड चूसने में .कॉलेज टाइम से ही उसे ये क्रिया सबसे ज़्यादा पसंद थी...ये और बात थी की आजकल सेक्स के मामले में उसकी फ़ेवरेट गांड मरवाने की क्रिया थी..लेकिन इसका ये मतलब नही था की वो लंड चूसने में पीछे रह जाती..

वो किसी सकिंग मशीन की तरह राहुल के लंड को अपने मुँह की मशीन से चूस रही थी...राहुल को तो ऐसा लग रहा था जैसे वो मर ही जाएगा...क्योंकि सिर्फ़ एक मिनट के अंदर ही अंदर सुमन ने उसे झड़ने के बिल्कुल करीब पहुँचा दिया था...

वो अपनी आँखे बंद किए अपने माल के निकलने का इंतजार कर ही रहा था की उसे किसी के क़दमों की आहट सुनाई दी...और वो शायद कोई औरत थी,क्योंकि सेंडल की तेज आवाज़ से वुडन फ्लोरिंग पर काफ़ी तेज आवाज़ आ रही थी...राहुल ने फ़ौरन अपना लंड उसके मुंह से बाहर खींच कर वापिस पेंट में डाल लिया...सुमन ने भी मौके की नज़ाकत को समझा और तुरंत अंदर वाले टाय्लेट में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया...

राहुल वाश्बेसन के आगे खड़ा होकर अपने चेहरे को धोने लग गया...और तभी वॉशरूम में सबा दाखिल हो गयी.

राहुल की तो फट कर हाथ में आ गयी...सिर्फ़ एक मिनट की देरी और हो जाती तो उसकी तो बेंड बज जानी थी.

सबा : "अरे....तुम इतनी देर से यहाँ क्या कर रहे हो...मुझे तो तुम्हारी फ़िक्र होने लगी थी....सब ठीक है ना...''

राहुल ने भी थोड़ी सी एक्टिंग करते हुआ बोला : "हाँ ....बस थोड़ी नींद सी आ रही थी...इसलिए फेस वॉश करने चला आया...''

सबा इधर उधर मुँह करके देख रही थी...वो शायद सुमन को ढूंड रही थी...क्योंकि वो भी तो अंदर से गायब थी.

सबा ने दबी आवाज़ मे पूछा : "वो सुमन भाभी अंदर है क्या...''

राहुल ने कंधे उचकाते हुए कहा : "मुझे क्या पता...शायद हो भी...''

इतना कहकर राहुल बाहर निकल आया...सबा भी उसके पीछे-2 बाहर आ गयी.

बाहर की बाजी शशांक हार चुका था...और जब उसने सबा को राहुल की फ़िक्र में अंदर जाते देखा तो एक पल के लिए तो उसे लगा की कही उसकी बीबी पकड़ी ना जाए...पर ऐसा कुछ नही हुआ..इसलिए उसने चैन की साँस ली.

थोड़ी देर में सुमन भी बाहर आ गयी..

और अब राहुल और सुमन एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे एक दूसरे को खा ही जाएँगे...और ये मौका उन्हे जल्द से जल्द निकालना था.

लेकिंग अभी तो अगली बाजी का टाइम आ चुका था.

राहुल ने अपने हिस्से के पैसे बीच मे रखे और पत्तो का इंतजार करने लगा.

एक शातिर खिलाड़ी की तरह अब उसका दिमाग़ ताश के पत्तो से ज़्यादा अपने बॉस की बीबी को चोदने के बारे मे लग चुका था...और जहाँ तक वो अपने शातिर दिमाग़ को जानता था, वो जल्द ही कुछ ना कुछ उपाय निकालने वाला था.
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01-18-2019, 01:50 PM,
#9
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
गुप्ताजी ने पिछली बाजी शशांक से जीती थी...इसलिए उन्होने ही इस बार का वेरीएशन सिलेक्ट किया था.

इस बार का वेरीएशन था मुफ़लिस.

इसके अनुसार जिसके पास सबसे छोटे पत्ते होंगे, वो बाजी जीत जाएगा.

उन्होने पत्ते बाँटे और सबने बूट के 500 रूपए डालने के बाद 2-2 ब्लाइंड चल दी..

सरदारजी की बारी थी...उन्होने तीसरी ब्लाइंड चल दी.

कपूर साहब को भी ना जाने क्या सूझा,उन्होंने भी ब्लाइंड चल दी.

राहुल का नंबर आया तो उसने रिस्क लेना सही नही समझा...उसने पत्ते उठा ही लिए.

और इस बार फिर से अपने पत्ते देखकर उसकी आँखे चमक गयी...उसने तुरंत एक हज़ार का नोट फेंकते हुए चाल चल दी.

अपने पति को इतने उत्साह के साथ चाल चलता देखकर सबा खुश हो गयी...वो तो पिछली जीत के पैसो के मिलने के बाद से ही काफ़ी उत्साहित थी...और जानती थी की राहुल ने चाल चली है,तो उसके पास ज़रूर अच्छे पत्ते आए होंगे.

शशांक ने भी सरदारजी और कपूर की तरह एक और ब्लाइंड चल दी...और वो भी एक हज़ार की...ये जानते हुए भी की राहुल की चाल आ चुकी है.

अब जो भी पत्ते देखकर चाल चलता तो उसे डबल यानी 2 हज़ार की चाल चलनी पड़ेगी.

गुप्ताजी ने पत्ते उठा लिए.

पिछली गेम जीतने के बाद उनके पास करीब 20 हज़ार रूपए आए थे...और इस बार के पत्ते भी खेलने लायक तो थे...उनके पास 3,7 और 10 नंबर आए थे...उन्होने 2 हज़ार की चाल चल दी.

सरदारजी ने अपने पत्ते उठाए...उन्हे चूमा और इस बार अपने पत्ते देखकर उनका चेहरा खिल गया...उन्होने तुरंत चाल को बढ़ाते हुए 3 हज़ार कर दिया...और अपनी मूँछो पर ताव देने लगे...

कपूर साहब की तो किस्मत ही खराब थी....उन्होने अपने पत्ते उठाए..और सबके सामने फेंकते हुए पेक कर दिया...उनके पास इकके के साथ हुक्म का कलर आया था...मुफ़लिस में ऐसे पत्ते आने पर कितना दुखा होता है,ये आज उन्हे समझ आ रहा था.नॉर्मल गेम में अगर ये पत्ते आए होते तो वो सब की खाट खड़ी कर देते.

राहुल ने बड़े ही आराम से 3 हज़ार की चाल चल दी.

शशांक समझ गया की ये गेम लंबी जाने वाली है..उसने पत्ते उठा कर देखे तो उसके पास 2 का पेयर आया था...उसने भी तुरंत पेक कर दिया.

गुप्ताजी तो सोच में पड़ गये...लेकिन उन्होने पिछली गेम जीती थी,इसलिए उन्होने एक और चाल खेलना सही समझा...और काफ़ी देर तक सोचने के बाद उन्होने भी 3 हज़ार की चाल चल दी.

सरदारजी तो अपने पत्तो को चूम-2 कर खुश हुए जा रहे थे....उन्होने इस बार 4 हज़ार की चाल चली.

राहुल ने बिना किसी रिएक्शन के 4 हज़ार चल दिए.

गुप्ताजी समझ गये की उनका अब इस गेम में कोई काम नही है..उन्होने पेक कर दिया.

अब सरदारजी और राहुल बचे थे. सरदारजी ने फिर से 4 हज़ार की चाल चली.

राहुल ने भी उसका जवाब चाल से ही दिया. कमरे में बैठे सभी लोगो का ध्यान इन दोनो पर ही था.

लेकिन सुमन का टेबल के पत्तो से ज़्यादा ध्यान राहुल पर था...और उसे अपनी तरफ ताकते हुए सिर्फ़ राहुल ही देख पा रहा था.दोनों की आँखों में एक दूसरे के लिए बढ़ती चाहत साफ़ देखी जा सकती थी ।

सबा मन ही मन कोई कलमा पढ़कर अपने पति के जीतने की दुआ माँग रह थी..डिंपल सरदारनी का भ कुछ-2 ऐसा ही हाल था...वो भी मन ही मन कुछ बुदबुदा रही थी.

राहुल को इतने आराम से चाल चलते देखकर गुरपाल भी सोच में पड़ गया...ये पत्तो के खेल में कुछ भी हो सकता है...वैसे भी उसके पास सबसे छोटे पत्ते तो आए नही थे...3,4 और 6 नंबर थे उसके पास..

वैसे भी वो अपने लाए हुए 20 हज़ार तो आज की रात उड़ा ही चुका था...उसका मन बोल रहा था की चाल चलता रह..लेकिन दिमाग़ कह रहा था की शो माँग लेना चाहिए..

उसने राहुल से कहा : "देख राहुल भ्रा...पत्ते तो मेरे पास अच्छे है...लेकिन आज मैं और रिस्क लेने की कंडीशन में नही हू...इसलिए तू शो दे दे मुझे...''

उसने गुप्ताजी से 8 हज़ार रुपय लिए और उन्हे बीच में फेंक कर शो माँग लिया.

राहुल ने बड़े ही आराम से अपने पत्ते एक-2 करके दिखाने शुरू किए...

वो बोला : "ये रहा मेरा सबसे बड़ा पत्ता...''

और उसने 6 बीच मे फेंक दिया...

सरदरजी की आँखे चमक उठी ...उन्होने भी अपना 6 का पत्ता बीच मे फेंक दिया.

राहुल ने अगला पत्ता फेंका...वो 4 था..

सरदारजी ने भी बड़ी मुश्किल से अपनी खुशी को कंट्रोल करते हुए 4 बीच में फेंका.

सभी लोग समझ चुके थे की गेम फँसने वाली है....क्या दोनो के पास एक जैसे पत्ते आए है...

अगर हाँ तो उसके अनुसार तो सरदारजी अभी तक जीत रहे थे...उनके पास पान का 6 था...जबकि राहुल ने हुक्म का 6 फेंका था.

लेकिन ऐसा हुआ नही...
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01-18-2019, 01:51 PM,
#10
RE: Desi Sex Kahani एक नंबर के ठरकी
राहुल ने अपना आख़िरी पत्ता नीचे फेंका..वो 2 था.

सरदारजी ने शिट,शिट,शिट कहते हुए अपना आखिरी पत्ता बीच में दे मारा....उनके पास 3 था...वो गेम हार चुके थे...इतने करीबी मामले से हारने का दुख उनके चेहरे पर सॉफ देखा जा सकता था.

सबा और राहुल खुशी के मारे उछल पड़े...राहुल को भी शायद ये अंदाज़ा नही था की सरदारजी के पत्ते उसकी टक्कर के निकलेंगे..लेकिन आख़िर में मिली जीत के बाद उसका चेहरा देखने लायक था...सबा दूसरी तरफ से भागती हुई सी आई और झुक कर राहुल के गले से लग गयी...ऐसा उसने आज तक नही किया था...शायद थोड़ी बहुत बहक सी गयी थी..

और उसकी इस हरकत ने बाकी के ठर्कियों के लिए रात का इंतज़ाम कर दिया...वो जैसे ही झुकी ,उसके फूले हुए कूल्हे सभी की नज़रों के सामने फेल कर ऐसे दिखे जैसे कमरे में कमल का फूल खिल गया हो.

कपूर ने तो बड़ी मुश्किल से अपने हाथों को उनपर जाने से रोका...

सरदारजी तो इस खिले हुए कमल को देखकर अपनी हार का गम भी भुला चुके थे...

और शशांक की पेनी नज़रों ने ये तक जान लिया की सबा ने गाउन के नीचे डॉट वाली चड्डी पहनी हुई है...

एक पल के लिए तो शशांक को ऐसा लगा की सबा अपनी गांड झुकाये उसके सामने एकदम नंगी बैठी है…जैसे कह रही हो 'देख क्या रहे हो सर,आओ न, चाट लो मेरी चूत को..'



उसने अपने मुंह में आये पानी से अपने अपने सूख रहे होंठों को गीला किया और बुदबुदाया 'जरूर चाटूंगा मेरी जान , एक दिन जरूर चाटूंगा तेरी चूत को '

सबा ने राहुल को गले से लगाया और फिर वहीं बैठकर जीते हुए नोट समेटने में उसकी मदद करने लगी..

अब काफ़ी देर हो चुकी थी...सभी ने अपना-2 आख़िरी पेग लिया और डिनर टेबल पर जा बैठे...आज का खेल ख़त्म हो चुका था.

खाना खाने के बाद सभी एक-2 करके अपने घर चले गये.

आख़िर में राहुल और सबा गये...राहुल ने अपने बॉस को तहे दिल से धन्यवाद दिया..और दीवाली तक ऐसे ही खेलते रहने की बात भी कही.सबा ने भी इसमें पूरा साथ दिया.

जाते -२ एक अजीब सा वाक्या हुआ सबा के साथ..राहुल तो अपने बॉस को बाय बोलकर फ़्लैट से बाहर निकल गया, और बाद में सबा ने भी सुमन को गले से लगाकर बाय बोला और दोनो ने एक दूसरे के गालो पर एक छोटी सी पप्पी भी दी.. जो अक्सर वो लोग किया करते थे, और फिर जैसे ही सबा शशांक को बाय बोलकर बाहर जाने लगी, शशांक ने एकदम से उसे अपनी बाहों में भरकर ठीक अपनी बीबी की तरह उसे बाय बोला और उसके गालो पर एक पप्पी कर दी, ना चाहते हुए भी सबा को भी किस्स करनी पड़ी, ये बहुत जल्दी हुआ, सबा को तो रिएक्ट करने का मौका ही नही मिल सका, और सुमन तो ऐसे बिहेव कर रही थी की जैसे ये बहुत मामूली सी बात है..लेकिन सबा को छोड़ने से पहले शशांक ने उसके भरे हुए कुल्हो को जिस अंदाज में मसला था,उसे महसूस करके सबा के शरीर के सारे रोँये खड़े हो चुके थे, राहुल के अलावा उसके शरीर को इस तरह से किसी और मर्द ने पहली बार छुआ था, लेकिन नशे की खुमारी, जुए में जीते पैसो की खुशी और राहुल के बॉस होने की वजह से वो कुछ ना बोल पाई, और वो बिना कुछ कहे बाहर निकल आई.

अगले दिन की गेम सरदारजी के घर थी...वहां भी ऐसे ही जीतने की उम्मीद लिए राहुल अपने घर आ गया.

लेकिन वो अपनी जीत की खुशी में ये बात भूल चुका था की उसने सुमन और शशांक के द्वारा फेंका गया चारा निगल लिया है...और वो अब उनके अनुसार ही नाचेगा...शशांक ने तो अपनी अगली चाल भी तैयार कर ली थी...जिसमें उसे अपनी बीबी का भरपूर इस्तेमाल करके राहुल को पूरी तरह अपने जाल मे फंसाना था.

और वो काम उन्होने अगली सुबह करना था.

रात को काफ़ी देर बाद नींद आई थी राहुल को...इसलिए सुबह ऑफीस के लिए भी उसकी नींद नही खुल रही थी.

वो अभी नहा धोकर कपड़े पहन ही रहा था की उसके सेल पर शशांक का फोन आया...और उसने राहुल को एक ज़रूरी काम दिया,जिसमे वो शशांक के घर से एक फाइल लेता हुआ दफ़्तर पहुँचेगा...और वो फाइल 11 बजे तक शशांक के घर पहुँचनी थी..

ऑफीस की फाइल का घर पे क्या काम..ये पूछने की हिम्मत राहुल मे नही हुई...उसने बस यस बॉस कहकर उनकी बात सुनी और फाइल लेकर 12 बजे तक ऑफीस पहुँचने की बात बोली.

राहुल ने उसके बाद आराम से कपड़े पहने और बिना किसी जल्दी के नाश्ता भी किया...अभी तो सिर्फ़ 8 ही बजे थे...3 घंटे और थे उसके पास...वो आराम से बैठकर सबा से बात करने लगा , सबा ने बताया की आज वो और डिंपल मार्किट जाएंगे, उन्हें कुछ नए कपडे लेने थे,

डिंपल अब किसी भी कीमत पर सुमन से भी ज्यादा सेक्सी कपडे पहनना चाहती थी ,

कल की गेम के बाद वो एक बात तो समझ ही चुकी थी की ये सिर्फ़ एक गेम नही रह गयी है बल्कि एक दूसरे को अपने जलवे, सेक्सी शरीर और नये-2 कपड़े दिखाने का ज़रिया बन चुका है..कल की बाजी तो सुमन ने मार ली थी..आज वो बाजी मार लेना चाहती थी.

सबा को उसने इसलिए बोला क्योंकि उसकी सबा से काफ़ी अच्छी तरह से बनती थी...और लेटेस्ट फैशन के बारे में सबा का टेस्ट भी काफ़ी अच्छा था.

दोनो को करीब 1 बजे मार्केट के लिए निकलना था..राहुल ने सबा को भी अपने लिए कुछ शॉपिंग करने के लिए कहा...वैसे भी पैसों की कमी तो थी ही नही अब उसके पास...

करीब 10 बजे राहुल के मोबाइल पर सुमन का फोन आया...उसकी आवाज़ सुनकर एक पल के लिए तो राहुल का दिल धक्क से रह गया...उसे कल रात वाली बात याद आ गयी...लेकिन अब वो अपनी तरफ से कोई भी पहल नही करना चाहता था...उसे लग रहा था की शायद हो सकता है की सुमन कल नशे की हालत में वो सब कर गयी हो...लेकिन सबा को बाय बोलकर , सुमन के फ्लेट की तरफ जाते हुए वो मन ही मन दुआ मांग रहा था कि काश कल रात जो भी हुआ था,वो उसने नशे में नही बल्कि होश में किया हो...

उसे क्या मालूम था की उसकी ये दुआ कितनी बुरी तरह से कबूल होने वाली थी.



अपने बॉस के फ्लॅट के सामने पहुँचकर उसने देखा की दरवाजा तो पहले से ही खुला हुआ है...वो उसे धकेलकर अंदर घुस आया...ड्रॉयिंगरूम में कोई नही था..उसने सुमन को आवाज़ लगाई तो उसे बेडरूम से उसकी आवाज़ सुनाई दी.

''राहुल...मैं यहाँ हूँ ...बेडरूम में ....''

राहुल के तो पसीने छूट गये....उसे समझ नही आया की सुमन भाभी उसे ये बात बता रही है या उसे बेडरूम में आने का न्योता दे रही है..

सीधा बेडरूम....वाहह....वो धीरे-2 उसी तरफ चल दिया...उसके दिमाग़ में सुमन भाभी का नंगा जिस्म नाचने लगा...जो अपने बेड पर नंगी लेटी हुई उसकी तरफ बाहें फेला कर उसे बुला रही है...



लेकिन ऐसा कुछ नही होने वाला था...वो भी जानता था....लेकिन जो भी हुआ ,वो भी कम नहीं था.

उसने देखा की सुमन भाभी अपने नाइट गाउन में है....और बेड के नीचे झुक कर कोई चीज़ ढूंड रही है..

वो जिस अंदाज में झुकी हुई थी,राहुल को उसकी गांड पूरी तरह से फैली हुई दिखाई दे रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोरनी अपने पंख फेला कर बैठी है...इतनी गोल मटोल गांड के पीछे चिपकने का सुख क्या होता है, वो अच्छी तरह से जानता था.

उसके क़दमों की आहट सुनकर वो पलटी और बोली : "देखो ना राहुल ....मैं नहाने जा रही थी तो मेरा समाज नीचे गिर गया....निकल ही नही रहा...प्लीज़ मेरी हैल्प कर दो ना...''

राहुल बेचारा अपने बॉस की बीबी को कैसे मना कर सकता था...वो झट से नीचे झुक गया...झुकते हुए वो भी सोचने लगा की भला ऐसा क्या समान है जो वो नहाते हुए साथ लेकर जा रही थी , लेकिन जब उसकी नज़र उस ''सामान'' पर पड़ी तो उसके तो होश ही उढ़ गये, उसने देखा की बेड के नीचे की तरफ सुमन की ब्लॅक पेंटी पड़ी है...उसके तो लंड में उफान सा आ गया उसे देखकर...वो झिझकते हुए सुमन की तरफ पलटा...और झुकी हुई सुमन के बाहर की तरफ लटकते मुम्मे देखकर कुछ बोल ही नही पाया.

सुमन : "क्या हुआ....निकालो ना जल्दी...मुझे नहाने जाना है...''

राहुल : "जी....जी भाभी.....''

इतना कहकर उसने अपना लंबा हाथ आगे बढ़ाकर उसकी पेंटी को उठा लिया..

लेकिन ये क्या....उसकी पेंटी का बीच वाला हिस्सा गीला सा क्यो था...उसने गोर से देखा तो उसे वहां कुछ चिपचिपा सा दिखाई दिया...वो समझ गया की ये पेंटी सुमन ने अभी -2 उतार कर फेंकी है...शायद राहुल से अपनी पेंटी निकलवाने के लिए ही उसने ऐसा किया है.

राहुल को अपनी पेंटी का ऐसे मुआयना करते देखकर वो बोली : "तुम क्या इसकी जासूसी करने लगे...पहली बार देखी है क्या...सबा भी तो पहनती होगी ये सब....या उसे तुम पहनने का मौका ही नही देते...हा हा...''

बेचारा कुछ बोल ही नही पाया...

वैसे ये बात तो सुमन भी समझ ही चुकी थी की राहुल को ये बात पता चल चुकी है की उसने जान बूझकर अपनी पहनी हुई पेंटी नीचे फेंकी थी...इसलिए वो उसके करीब आई और बोली : "वैसे एक बात बताऊ ...ये मैने अभी 1 मिनट पहले ही उतार कर रखी थी...तुम्हे दिखाने के लिए...''

राहुल बेचारा सकपका सा गया...वो बोला : "मु...मु...मुझे दिखाने के लिए....भला क्यो...''

सुमन बड़े आराम से बोली : "ताकि तुम्हे मेरा साइज़ पता चल जाए...ताकि तुम मेरे लिए ऐसा कोई गिफ्ट लाने की सोचो तो तुम्हे मेरा साइज़ तो पता होना चाहिए ना....इसलिए....''

राहुल बेचारे की समझ में ये बिल्कुल नही आ रहा था की सुमन उसके साथ ऐसे पंगे क्यो ले रही है...

राहुल : "मैं ....मैं लाऊ गिफ्ट ...किस ...किसलिए...''

सुमन (मुस्कुराते हुए) : "क्यो ? नही ला सकते क्या...सबा के लिए भी तो लाए थे ना लास्ट वीक....उसने बताया था कल मुझे....''

राहुल की तो हालत खराब हो गयी....ये सबा की बच्ची ने अपने इनरवेयर वाली बात भी इन्हे बता दी है...

सुंना : "देखो ना...तुम्हारे बॉस को तो कोई शॉंक है ही नही...और मुझे मार्केट जाने का टाइम ही नही मिलता...अब तुम इसे देखकर इसी साइज़ की पेंटी लेकर आना मेरे लिए...''

राहुल बेचारा बेवकूफो की तरह उसकी पेंटी के पीछे लगा टेग देखने लगा...जिसे देखकर सुमन मंद-2 मुस्कुरा रही थी..

वो बोली : "और ...ये उपर वाली भी तो लानी होगी ना....''

इतना कहकर उसने दनदनाते हुए अपने गाउन के आगे लगी चैन को खोल दिया...और गाउन को अपने कंधे से सरका कर नीचे लटका दिया...उसने अपनी दोनो बाजू बाहर निकाल कर गाउन को हाथ से पकड़ लिया...एक दम से सुमन के पके हुए मुम्मे ब्रा में देखकर राहुल का मुँह सूख सा गया...सुमन ने घूम कर अपनी पीठ राहुल की तरफ कर दी, और बोली : देखो तो ज़रा...क्या साइज़ लिखा है इसपर...''

वो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे उसे खुद का साइज़ पता ही नही था...

लेकिन राहुल को उसके इस खेल में भी मज़ा आ रहा था...अब तक वो भी समझ चुका था की आज यहाँ क्या होने वाला है...लेकिन अपने बॉस की बीबी को एकदम से कुछ कर भी तो नही सकता ना...इसलिए बड़ी मुश्किल से अपने हाथो को उसके मुम्मो पर जाने से रोका हुआ था..
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