Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
08-05-2018, 12:21 PM,
#31
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क आगे.....................

दिन रिज़ल्ट का....


अंकित जानता था कि उसका रिज़ल्ट कैसा आने वाला है....डरते डरते उसने इंटरनेट पे अपना रिज़ल्ट देखा


अंकित :- ये तो होना ही था.....(रिज़ल्ट देख के उसकी शक्ल और उतर गयी)


जब मुसीबत आती है तो हर तरफ से आती है.....यही कंडीशन सेम अंकित की थी....
अगली सुबह कॉलेज में.....अंकित क्लास की सीट पे बैठा था..हर तरफ रिज़ल्ट की बाते कर रहे थे सारे

बच्चे....तेरा रिज़ल्ट कैसा रहा ... मेरी तो इतनी पर्सेंट आई है..मेरी उतनी...(वगेरह वगेरह)

लेकिन अंकित का ध्यान नही था..वो तो अपने एक बुक टेबल पे रख के उसके पन्ने बदल रहा था


तभी क्लास में अंकिता आ गयी...सभी उसे विश करने के लिए खड़े हुए....विश करके बैठ भी

गये लेकिन अंकित भाई साहब को तो पता ही नही चला वो तो वैसे ही अपने में खोए हुए थे..

आज विकी भी नही आया था...इसलिए उसको कुछ पता ही नही चल रहा था..


अंकिता ने क्लास लेनी शुरू की......उसने भी अपनी क्लास पूरी ले ली....पर अंकित के कान आज सच में बंद

थी....


आख़िर में अंकिता ने अटेंडेन्स लेनी शुरू की..जिसमे 4थ नंबर पे अंकित का नाम था...उसने

अंकित का नाम लिया..लेकिन उसे तो पता ही कहाँ था उसने कोई रेस्पॉन्स नही दिया....

अंकिता ने अपनी नज़र अंकित की तरफ करी......अंकित टेबल पे रखी हुई किसी चीज़ को घूर रहा था


अंकिता :- अंकित....(वो दुबारा बोली)


लेकिन अंकित का कोई रेस्पॉन्स नही था..


अंकिता :- अंकित्त्त.......(इस बार थोड़ी ज़ोर से)


तभी आगे बैठे बच्चे ने....उसे हिलाया तो वो होश में आया..और उसने सामने देखा..


अंकित :- सॉरी मॅम...


अंकिता ने उसे अपनी तिरछी नज़रों से देखा....और फिर अपनी अटेडेन्स लेके वो क्लास से निकल गयी..


3 लेक्चर और ऐसे निकल गये....12 बजने वाले थे...तभी अंकित के सेल पे मसेज आया...

अंकित ने मसेज देखा तो वो मेसेज अंकिता का था..


मीट मी अट 12 नियर रिसेप्षन..अंकिता का मेसेज


अंकित कुछ सोच में डूब गया....लेकिन फिर उसने अपना बॅग उठाया और फिर वहीं रिसेप्षन के पास

सीढ़ी बननी हुई थी वहाँ बैठ गया..धूप में ही...(गर्मियो के दिन थे 10 मिनट में अंकित

पसीना पसीना हो गया)


यहाँ बैठने की क्या ज़रूरत थी...शेड में खड़े रहते...(तभी अंकित के कानो में अंकिता की

आवाज़ पड़ी)


अंकित पीछे मुड़ा और खड़ा हो गया..


अंकिता :- अपनी हालत देखो पसीने से भीगे हुए हो..पागल हो तुम इतनी गर्मी में बैठे हो..


अंकित :- सॉरी मॅम...


वहाँ खड़े होके अंकिता कुछ और नही बोलना चाहती थी..इसलिए उसने उसको साथ चलने को कहा..

अंकित उसके पीछे पीछे चलने लगा....(कहाँ तो ये बंदा आगे चल रही इतनी हॉट सेक्सी लड़की की गान्ड

और ना जाने क्या क्या घूरते हुए चलता था लेकिन आज मूह नीचे करते हुए चल रहा था)


कॉलेज से बाहर निकल गये दोनो..थोड़ी दूर चलने पर अंकिता रुकी..तो अंकित भी रुक गया..


अंकिता :- बैठो


अंकित उसकी तरफ देखने लगा..


अंकिता :- कार में बैठो....तुमसे कुछ बात करनी है....


अंकित बिना बोले कार में बैठ जाता है....और अंकिता कार दौड़ा देती है...पूरे रास्ते अंकित बस

मिरर से बाहर देखता रहता है...बीच बीच में अंकिता उसकी तरफ देखती है...और उसके उस एक्शप्रेशन

को नोट करती है..लेकिन कुछ नही बोलती....दोनो में से कोई कुछ नही बोलता..और कोई बाते नही होती

20 मिनट में की ड्राइविंग के बाद...अंकिता काफ़ी बड़ी सोसाइटी में एंटर करती है और अंदर फिर

कार पार्क कर देती है...


दोनो कार से उतर जाते हैं..


अंकित :- हम कहाँ आए हैं?


अंकिता :- मेरे घर


अंकित :- आपके घर पर क्यो


अंकिता :- (बीच में रोकते हुए) कुछ ज़रूरी बात करनी है तुमसे इसलिए..चलो बताती हूँ..


अंकित कुछ नही बोलता..और पीछे पीछे चल पड़ता है...करीब 20 मिनट बाद


दोनो एक दूसरे के आमने सामने बैठे थी...अंकित ने अपना सर झुका रखा था..


अंकिता :- पूरा सेमेस्टर बॅक...मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी...अंकित तुम्हे हुआ क्या है...पिछले 3

महीनो से मैं नोटीस कर रही हूँ कि कुछ है..लेकिन तुमने कभी कुछ शेअर नही किया मुझे लगा

सब ठीक हो जाएगा..लेकिन कल तुम्हारा रिज़ल्ट देखने के बाद तो मुझसे रहा नही गया....

क्यूँ कि में नही चाहती कि एक गुड स्टूडेंट जो पढ़ाई में होशियार है उसकी ये हालत होगी...सेमेस्टर

बॅक..माइ गॉड..मुझे तो बिल्कुल उम्मीद नही थी इसकी....क्या बात है बोलो?


अंकित :- कुछ नही है मॅम..


अंकिता :- नही बताओगे तुम मुझे...तुम्हारे पेरेंट्स को फोन करके तुम्हारा रिज़ल्ट बताऊगी तब

पता चलेगा..क्यूँ कि जानती हूँ तुमने घर पे तो बताया ही नही होगा..


अंकित :- नो मॅम प्लीज़...घर पे फोन मत करिएगा...प्लीज़


अंकिता :- तो फिर बताओ बेटा बात क्या है...क्यूँ ऐसा रिज़ल्ट आया है तुम्हारा?


अंकित :- क्या बताऊ मॅम...जब किसी का दिल बिखर जाता है तो क्या पढ़ाई में मन लगेगा...


अंकिता :- किसी लड़की ने डिच किया?


अंकित :- हहा..डिच .. मेने खुद को डिच कर दिया है मॅम....मेने किसी का दिल दुखा दिया वो

भी बहुत बुरी तारह से...नही चाहता था में कि मेरी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ हो लेकिन पता नही

कैसे हो गया...उसने मुझे माफ़ भी नही किया...


अंकिता :- पूरी बात बताओ तो पता चलेगा ना....


अंकित :- अगर मेने आपको पूरी बात बता दी तो आप मुझसे नफ़रत करेंगी...शक्ल देखना भी पसंद

नही करेगी..


अंकिता :- ह्म्म्म देखो इंसान से ग़लतियाँ हो जाती है...और कई बार कुछ ऐसा कर देते हैं जिसका

अंदाज़ा हमे उस चीज़ को खोने के बाद ही पता चलता है..लेकिन तुम बेफिकर रहो में तुम्हारे

साथ वैसी ही रहूंगी जैसा पहली थी....

जब तक तुम अपनी दिल की बात नही बताओगे तब तक तुम ऐसे ही रहोगे..बताओ..


फिर अंकित के लंबी साँस लेता है....और फिर सारी बात बताना शुरू कर देता है......


अंकित :- मेने माफी माँगी अपनी ग़लती की आख़िर लेकिन शायद वो ग़लती नही थी मेने एक गुनाह कर दिया..

इसलिए मुझे कभी उसकी माफी नही मिलेगी..


अंकिता पूरी बात सुनती है...अंकित उसके फेस के रियेक्शन देखने लगता है...लेकिन


अंकिता :- कोल्ड कोफ़ी पियोगे...अभी लाती हूँ...


अंकित को बड़ा अजीब लगता है...ऐसे प्लैन रियेक्शन से अंकिता के.....


10 मिनट बाद..दोनो के हाथ में कॉफी का ग्लास होता है..


अंकिता :- सारी बाते बता के तुम्हे कैसा फील हो रहा है..


अंकित :- आपको भी यही लगता है ना कि में कितना घटिया लड़का हूँ?


अंकिता :- नही बिल्कुल नही...पता है क्यूँ....अगर तुम घटिया इंसान होते तो तुम अपनी ग़लती रियलाइज़ करके

सॉरी नही बोलते...माना की तुमने जो बोला और किया वो बहुत ही ग़लत था..रियली बहुत ग़लत...पर तुम

घटिया नही हो...क्यूँ कि घटिया वो होता है जो ग़लती कर के भी ना सीखे..लेकिन तुम पिछले 3 महीने से

अपने आप को कोस रहे हो...ये सिर्फ़ एक अच्छे दिल वाला इंसान कर सकता है को बेकार लड़का नही कर सकता...


अंकिता की बाते सुन के अंकित की आँखें नम हो जाती है...और उसके आँख से आँसू निकल आता है...


अंकिता उसकी बगल में बैठते हुए..उसके हाथ को पकड़ते हुए..


अंकिता :- देखो अंकित भले ही हम कॉलेज में टीचर स्टूडेंट हो..लेकिन बाहर हम एक फ़्रेंड

ही हैं...में बस इतना ही कहना कहती हूँ तुम से...फर्गेट एवेरितिंग...फर्गेट इट...तुम उस बात

को लेकर अपनी लाइफ स्पायिल नही कर सकते....समझ रहे हो ना क्या कह रही हूँ..


अंकित अपनी गर्दन हाँ में हिलाता है..
Reply
08-05-2018, 12:21 PM,
#32
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
अंकित :- थॅंक यू सो मच मॅम..आपसे बात करके सच में बहुत अच्छा लग रहा है..एक दिल पे जो

बोझ था वो काफ़ी हद तक कम हो गया..


अंकिता :- ह्म्म गुड...अब से तुम्हारी स्टडीस की ज़िमेदारी मेरी..घर दिखा दिया है तुम्हे यहाँ आके

एक्सट्रा क्लासस लूँगी तुम्हारी...समझी..


अंकित (हल्का सा मुस्कुराते हुए) ह्म्म....


शाम के 5 बजे


अंकित अपने घर की तरफ बढ़ रहा था...वो आज कुछ थोड़ा सा खुश था..अंकिता से बात करके उसका

मन काफ़ी हल्का महसूस हो रहा था...तभी फोन बजा


अंकित :- हेलो...नही...लेकिन....पर..में....नही नही...ओके...ओके..


(फोन कट)


और उसके चेहरे पे गंभीर भाव बन जाते हैं ......


अंकित दिल में घ्हबराहट लिए चल रहा था और आख़िर में एक जगह जाके रुका...और अपने काँपते

हाथ आगे बढ़ा के बेल वाले बटन पे रखा .... लेकिन दबाने में डर रहा था..कुछ सेकेंड

तक वो ऐसी ही खड़ा रहा .. हिम्मत जुटाता रहा था....आख़िर में उसने वो धीरे धीरे उस खाटके

को नीचे किया...


टिनग्ज्ग ट्टोंगगगग.......दबाते ही घंटी बज गयी..अंकित ने वहाँ से हाथ हटा लिया..

और खड़ा होके इंतजार करने लगा...उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था....


तभी गेट खुला....और सामने खड़े इंसान को देख के उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी..


अंदर आओ.....हल्की सी आवाज़ में रितिका बोली और अंदर चली गयी..लेकिन अंकित बाहर खड़ा यही सोचता

रहा की आख़िर ये हुआ क्या रितिका को.....

कैसे हुआ ये सब....उसका चेहरा बिल्कुल बदल गया था...आँखों के नीचे काले धब्बे यानी डार्क

सिकलेस पड़े हुए थे...चेहरा बिल्कुल सूख गया था..एक दम कमजोर सी हो गयी थी....चेहरे पे जो

ग्लो था वो सब ख़तम हो चुका था...


क्या ये सब मेरी वजह से हुआ है....अंकित ने मन में सोचा..और आख़िर वो अंदर घुसा....सामने

रितिका खड़ी थी हॉल में शायद उसी के आने का इंतजार कर रही थी..


अंकित :- आर्नव कहाँ है? (घुसते अंकित ने ये पूछ लिया)


रितिका बिना बोले अपने कमरे में घुस जाने लगी...अंकित ने शायद ये समझा कि वो अंकित को वहाँ

उसके साथ आने को बोल रही है..तो वो उसके पीछे पीछे अंदर घुस गया...अंदर कमरे में घुसा

तब सामने रितिका खड़ी थी..


अंकित :- आर्नव कहाँ है रितिका जी?


रितिका :-(उसकी पीठ थी अंकित के सामने) आर्नव घर पे नही है....


घर पे नही है..अंकित बड़बड़ाया....


अंकित :- लेकिन आपने तो इसलिए बुलाया कि आर्नव ने ज़िद्द करी है इसलिए आ जाओ..


रितिका :- वो सिर्फ़ एक बहाना था....


अंकित :- बहाना था....लेकिन क्यूँ??


रितिका :- क्यूँ...ये तुम पूछ रहे हो क्यूँ.....तुम अच्छी तारह से जानते हो..

भूल गये वो दिन जब तुमने मुझे वो सब वर्ड्स कहे थे...याद है ना तुम्हे....

तुम यही सोच रहे हो ना मेरी ये हालत कैसी....तो सुनो ये हालत उस दिन के बाद से ऐसी हुई है...

रात रात भर मेने जाग के काटी हैं....3 महीने हो गये लेकिन ढंग से सोई नही हूँ में...

नींद की गोलियों के सहारे सोना पड़ रहा है....मेरी हेल्त खराब हो गयी है...इंजेक्षन्स लेने

पड़ते हैं मुझे..लेकिन उससे सिर्फ़ ये शरीर सही है...आत्मा नही....


हर रोज़ जब भी अपनी आँखें बंद करती हूँ...जो तुम्हारे वो वर्ड्स कान में घूमते हैं....

मेरे बेटे की ज़िंदगी की कीमत हूँ..मैं...तुम मुझे पाना चाहते हो...ये है तुम्हारी कीमत मेरे

बेटे की ज़िंदगी बचाने की......मेरा शरीर....बॅस यही दिमाग़ में घूमता रहता है...

उसके बाद तुम्हारी माँगी गयी वो माफी.....मुझे समझ ही नही आ रहा कि में कौन सी बात पे विश्वास

करूँ....तुम्हारी अच्छाई पे या तुम्हारे उस घटिया पन पे....तुम्हारे लिए वो कहे हुए शब्द बड़े ही

आसान थे...तुम तो बोल गये..लेकिन तुमने मेरी ज़िंदगी बदल के रख दी....

हर वक़्त अंदर की आत्मा से यही आवाज़ आती कि रितिका तूने अपने बेटे की ज़िंदगी का वादा किया था वो

भी पूरा नही कर पाई....उस दिन से बस यही बात घूमती आ रही है..कि मेरा दिया हुआ वादा एक एहसान

जो तुमने मुझ पर किया था उसको नही पूरा कर पाई...लेकिन पूरा करती भी तो कैसे..तुमने माँगा

ही कुछ ऐसा था कि दिल राज़ी होने को तैयार नही था..लेकिन फिर कल...कल के सपने के बाद मुझे अपने

दिल को मारना पड़ा.....कल के सपने में मेने देखा कि मेने खो दिया अपने आर्नव को वो भी सिर्फ़

इसलिए कि मेने उस इंसान को उसका हक नही दिया जिसने मेरे बेटे की ज़िंदगी बचाई थी.....


अंकित को उसके कानो पे विश्वास नही हो रहा था उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि उसकी एक

ग़लती ने क्या कुछ कर दिया....फिर उसने हिम्मत जुटा के बोला..


अंकित :- मुझे अपनी ग़लती उसी दिन रियलाइज़ हो गयी थी..मेने उस दिन भी आपसे माफी माँगी थी और आज

भी माँगता हूँ...आपको जो सज़ा देनी है दे दीजिए..में तैयार हूँ..


रितिका :- अब सज़ा देने का वक़्त नही है..


अंकित :- लेकिन में नही चाहता कि मेरी वजह से आपको अब कोई भी तकलीफ़ हो...


रितिका कुछ नही बोलती.....वो अपने हाथ पीछे लेकर आने लगती है...

रितिका ने एक वाइट कलर का कुर्ता सा पहना हुआ था.....अपने हाथ को पीछे ले जाते हुई उस कुर्ते में

ज़िप थी...उसे खोलने लगती है..और खोलती हुई पूरी ज़िप खोल देती है...

अंकित रितिका को ऐसे ज़िप खोलता देख .. पूरी तरह से हिल जाता है..उसे समझ नही आ रहा था कि रितिका

क्या कर रही है..उसके मूह से कुछ निकलता उससे पहले..


रितिका ने अपने हाथ से पीछे से अपने शोल्डर के उपर से टॉप को नीचे गिरा दिया...और सेम

उसने दूसरे शोल्डर के उपर से किया...अब पीछे से उसकी उपर की वो सुंदर कोमल सफेद पीठ अंकित

की आँखों के सामने आ गयी......अंकित का तो ये देख के बुरा हाल ही हो गया...


फिर रितिका अचनाक मूड गयी और अंकित की तरफ फेस करके खड़ी हो गयी....और अपना हाथ कुर्ते में से

खीच के बाहर करने लगी..और दोनो हाथ बाहर कर लिए...अब वो बूब्स के उपर से पूरी न्यूड हो गयी

थी...उसके उपरी भाग के चुचें बाहर से दिख रहे थे..बाकी पे उसका कुर्ता था..

अंकित के सामने ये नज़ारा आते ही उसने अपनी नज़रे नीचे कर ली.....


अंकित :- ये क...या....कर...रही है..आप...


रितिका :- वही तो तुम चाहते हो..


अंकित :- प्लीज़ मत कीजेए...में अब कुछ नही चाहता..


रितिका :- अगर तुम्हे लगता है कि में ज़िंदा रहूं तो अपनी कीमत तुम ले लो..


अंकित ये सुन के सामने नज़रें करता है उसे बहुत बुरा लग रहा था.....लेकिन अब वो मजबूर था क्यूँ कि

वो अपनी वजह से रितिका को ऐसी हालत में नही देख सकता था...


और फिर रितिका ने अंकित को घूरते हुए..अपने कुर्ते को आगे से नीचे कर दिया....और नीचे करते

ही...उसके वो ठोस...36 साइज़ के बड़े बड़े चुचें जिनपे लाइट ब्राउन कलर के निपल्स थे

वो सामने आ गये.....

अंकित की आँखें फटी की फटी रह गया...ना चाहते हुए भी उसका लंड जीन्स के अंदर से कूदने लगा...


रितिका ने वो कुर्ता पैर के थ्रू निकाल के अपने से अलग कर दिया और फैंक दिया अब वो उपर से

बिल्कुल नंगी हो चुकी थी...फिर उसने नीचे पहना हुआ पाजामा ढीला किया और अपनी उंगलियाँ

फँसा कर उसे ढीला कर दिया और वो भी सीधा पैरों पे जा गिरा उसने वो भी पैर पे से निकाल के

साइड कर दिया.....

पाजामा उतरा उधर अंकित का लंड आसमान छूने लगा...अच्छाई के आगे एक बार फिर वासना ने अपना

रूप ले लिया....रितिका ने पैंटी नही पहनी हुई थी...वो इस वक़्त पूरी नंगी खड़ी थी...एक दम गोरी चिटी..

सपाट पेट और सेक्सी हॉट लेग्स वित थाइस...और बीच में वो कोरी...चिकनी चूत...बिना बाल के...


अंकित की आँखों में अब वासना झलकने लगी...कॉसिश करने के बाद भी वो वासना नही उतर सकती थी..


रितिका चलते हुए अंकित के पास आई...


रितिका :- यही चाहिए ना..एक शरीर...शरीर तो तुम्हे मिल जाएगा...लेकिन तुम ऐसे कभी किसी की आत्मा

को छू नही पाओगे...

(बोलते हुए अंकित की जीन्स खोल देती है....उसकी टीशर्ट उतार के फैंक देती है....उपर से अंकित भी नंगा

हो जाता है..जीन्स का बटन तो खुल गया था उसे उसने नीचे खिसका दिया.....कच्छे में अंकित का

लंड सॉफ दिखाई दे रहा था.....रितिका ने अपनी नज़रे दूसरी तरफ करी..और उसके कच्छे को खिसका दिया..

अब अंकित पूरा नंगा खड़ा था रितिका के सामने...इनफॅक्ट दोनो नंगे हो चुके थे और एक दूसरे

के सामने खड़े थे...


अंकित को समझ नही आ रहा था कि कैसे रिएक्ट करे..एक तरफ तो उसका दिल बोल रहा था कि ये सब ग़लत है.

लेकिन वासना ने उसे ऐसा बोलने नही दिया....

रितिका ने अंकित का हाथ पकड़ा और पलंग तक लेके आई...और खुद जाके उस बड़े से बेड पे

लेट गयी पीठ के बल..अपना शरीर पूरा खोल कर......


रितिका :- आज के लिए ये तुम्हारा है.....


अंकित ने रितिका की शायद बात सुनी नही..वो तो रितिका के पूरे शरीर को नीची से उपर तक

देखने लगा ... पैरों से लेके उसके चुचों तक उसकी नज़र चिपकी रही.....उसका लंड फडफडाने

लगा और हिलता हुआ सॉफ दिखाई दे रहा था....

कुछ सेकेंड तक वो ऐसे खड़ा रहा...फिर वो बेड पे चढ़ता हुआ रितिका की बगल में आके लेट

गया....और रितिका को घूर्ने लगा...कुछ मिनट तक ऐसे ही घूरता रहा....


रितिका उसकी तरफ ना देखते हुए बोली....


रितिका :- टाइम ज़्यादा नही है..आर्नव घर आ गया तो फिर......(बस वो बोलती हुई चुप हो गयी)


फिर अंकित सीधा खड़ा हुआ और रितिका के उपर आ गया.....अभी उसने अपना शरीर रितिका के शरीर

से टच नही किया था..बस दोनो तरफ उसके अपने घुटने और हाथ की कोहनी रख के उसके उपर आ

गया था.....


क्रमशः...........................
Reply
08-05-2018, 12:23 PM,
#33
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क आगे.....................

अंकित का फेस रितिका के फेस के बिल्कुल करीब था....लेकिन रितिका उसकी तरफ ना देखते हुए दूसरी तरफ देख

रही थी..फिर अंकित ने खुद रितिका का फेस अपने हाथ से सामने किया...

और दोनो की नज़रे आपस में मिला दी...


रितिका की आँखों में कोई दुख नही दिख रहा था...कुछ और ही दिख रहा था..वहीं अंकित की आँखों

से ये पता चल रहा कि वो रितिका को समझने की कॉसिश कर रहीं है....हालाकी अंकित इस वक़्त वासना के

सागर में घुस चुका था.....लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं..वो अच्छाई तो थी ही..



रितिका :- टेन्षन मत लो..में तुम्हे पूरा सपोर्ट करूँगी..कोई शिकायत का मौका नही दूँगी...


अंकित उसकी आँखों में बस देखता रहता है....और उसकी बातों को ध्यान से सुनने लगता है....


फिर रितिका के बोलने के बाद वो अपने होंठो को आगे बढ़ाता है...और रितिका के होंठो को उपर रख

देता है...रितिका की आँखें पूरी खुल जाती है....अंकित रितिका के होंठो को चूसने लगता है...अपने होंठो

से उसके होंठो का रास्पान करने लगता है.....और फिर अचनाक से हट जाता है..क्यूँ कि रितिका कोई रिस्पोन्स

नही कर रही थी...


वो रितिका को घूर्ने लगता है...रितिका एक पल के लिए बेसूध सी हो जाती है..लेकिन जब उससे आभास होता है

अंकित उसे घूर रहा है तब वो बोलती है..


रितिका :- सॉरी....अब ध्यान रखूँगी...


फिर अंकित अपने होंठ आगे बढ़ा के रितिका के होंठ पे रख देता है और बड़े प्यार से रितिका के

होंठो का रस पान करने लगता है...इस बार रितिका भी पूरा सपोर्ट करती है..और अपने होंठो का यूज़

करने लगती है...दोनो एक दूसरे के होंठो को बड़े प्यार से चूमने लगते हैं..रितिका की आँखें बंद

हो जाती है..और वो किस करने में खो जाती है..

करीब 3 मिनट तक चलने वाली किस को अंकित तोड़ देता है......किस टूटने पर रितिका की आँखें खुलती है..

और फिर अंकित रितिका की आँखों में देखने लगता है..रितिका की आँखें लाल हो चुकी होती है...


अंकित अपना कार्यक्रम आगे करता है..और अपने होंठ आगे बढ़ा के रितिका के पूरे चेहरे पे

फिराने लगता है..कभी गाल ... तो कभी उसकी नाक पे...तो कभी उसके माथे पे...और फिर धीरे

धीरे नीचे आता हुआ....अपने होंठो को रितिका की गर्दन पर फिराने लगता है...

(अभी दोनो के शरीरो ने आपस में टच नही किया था)


फिर अंकित अपने होंठ नीचे लाते हुए उसके शोल्डर्स पे फिराने लगता है....रितिका की आँखें बंद हो

जाती है....

ऐसे किस करता हुआ वो एक बार उपर जाता है...और रितिका की बंद आँखों पे भी किस कर देता है..

और एक बार फिर उसके होंठो पे अपने होंठ रख देता है...

इस बार वो उसे चूसने और चाटने लगता है और अपनी जीभ उसके मूह के अंदर डालने की कॉसिश करने

लगता है....रितिका देरी नही करती..और अपना मूह खोल के उसके जीभ को अंदर आने देती है....

अंकित और रितिका दोनो जीभ और होंठ आपस में मिल जाते हैं और इस बार बुरी तरह से चूसने

लगते हैं.......

स्मूच करते हुए अंकित ने अपने आप को छोड़ दिया..इससे अब उसने रितिका के नंगे जिस्म पे अपना

जिस्म लगा दिया...

उंगग्घह रितिका के मूह से ये दबी हुई चीख निकल अंकित के होंठो के अंदर ही घुल गयी...

अंकित की चेस्ट में रितिका के बूब्स बुरी तरह से धँस गये...अंकित का लंड रितिका के पेट के उपर

दबा हुआ था......रितिका अंकित के गरम लंड को अपने पेट पे सॉफ महसूस कर पा रही थी.......


अंकित ने किस थोड़ी....और सीधा अपना मूह ....रितिका के बूब्स पर लाके उसके निपल्स

सक करने लगा...बारी बारी उसने दोनो निपल्स सक करे....रितिका का शरीर हल्का फूलका हिल रहा

था..उसकी साँसें तेज चल रही थी......


फिर अंकित ने अपना लंड अपने हाथ से पीछे कर के रितिका की चूत के उपर रख दिया...

एक अजीब सा करंट रितिका के पूरे शरीर में फैल गया...

अंकित ने अपना लंड चोट पे लगया...और एक हल्का सा पुश करा...लंड का सूपधा चोट के अंदर

घुस गया...

अया....एक हल्की सी सिसकी रितिका के मूह से निकल गयी...और उसने आँखें बंद कर ली...

अंकित ने एक और धकका मारा....इस बार थोड़ा सा लंड चूत के अंदर और चला गया....

आआअहहुउऊुउउ...रितिका के मूह से एक और तेज आवाज़ निकली....और उसने अपने हाथों से

पीछे पिल्लो को कस के पकड़ लिया....

चूत काफ़ी टाइट थी..इसकी वजह यही थी...कि पिछले 5 साल से रितिका ने कोई सेक्स नही किया था....


अंकित ने इस बार एक तेज धक्का मारा......जिससे उसका लंड अब पूरा घुस गया..आहह..उसके मूह से

एक हल्की सी सिसकी निकली...

आआअहह उंगगगगगगगगगगघह....एक तेज चीख के साथ

रितिका ने अपने मूह पे हाथ रख लिया..जिससे उसकी आवाज़ उसके गले में घुट के रह गई...
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08-05-2018, 12:23 PM,
#34
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
पूरा लंड घुसाने के बाद अंकित रितिका के उपर आ गया और रितिका के चुचे अंकित की चेस्ट में

घुस गये....अंकित ने रितिका के मूह से हाथ हटाया और अपने होंठ उसके होंठ पे रख दिए और

चूसने लगा...2 मिनट तक वो ऐसी ही लेटा रहा...

फिर उसने अपनी कमर हिलानी शुरू की.....लंड बाहर निकाला और एक धक्का मार के चूत के अंदर

डाल दिया......और अपने होंठ रितिका के होंठ से हटा लिए...


और फिर मिशनरी पोज़िशन में धक्का लगाने लगा...लंड को बाहर खिचता और फिर एक बार में तेज

धक्का मार के अंदर घुसा देता .....

रितिका का चेहरा पूरा लाल हो चुका था..अंकित तो बस रितिका की आँखों में देखते हुए धक्के मारे

जा रहा था....


अंकित :- आज मेरी वेर्जिनिटी टूट गयी.......और मेने दी भी किस को..उस पर्सन को जिसे में बेहद लाइक करता

हूँ....


रितिका उसकी बातें सुनने लगती है....अंकित धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था..


अंकित :- आपको क्या लगता है रितिका जी.....में आपके साथ ये सब इसलिए कर रहा हूँ क्यूँ कि में

आर्नव की ज़िंदगी की कीमत चाहता हूँ...यही लग रहा है ना....


अपने लंड को बाहर खिच लेता है आधा..और फिर तेज़ी से अंदर धक्का मार देता है.....

रितिका के मूह से हल्की सी सिसकी निकल जाती है जिसे वो वहीं दबा देती है....


अंकित :- ऐसा बिल्कुल भी नही है रितिका जी.. (नरम आवाज़ में बोलता हुआ) अरे में तो आपको पहले ही

दिन से लयक करने लगा था....मेरा ये मानना तो बड़ा ही मुश्किल हो रहा था..कि आपका कोई बेटा भी

हो सकता है....आपका ये चेहरा...बस इसके अलावा मेने आपके शरीर में कभी कुछ देखा ही नही...


धक्के की स्पीड तेज कर देता है बेड हिलने लगता है....रितिका भी बुरी तारह से हिल रही थी..लेकिन उसके

फेस पे कोई एक्सप्रेशन नही था...बस वो अंकित की आँखों में देखते हुए उसकी बातें सुन रही थी..

उसने अपने हाथ अंकित के उपर भी नही रख रखे थे....


अंकित :- प्यार तो आपसे कर नही सकता था..पर लाइक बहुत करता था...इस चेहरे से..और दिल से यही चाहता

था कि आप खुश रहे....और अब अगर आपकी खुशी इस में ही है..कि मैं ये सब करूँ तो करूँगा..

अगर आपका वो पुराना चेहरा वापिस पहले जैसा हो जाएगा...इन सब से..तो में ये सब करूँगा आपके

उस मासूम से क्यूट से चेहरे को वापिस लाने के लिए.....


अगर आप इन सब से वही पुरानी वाली रितिका बन जाएगी तो में ये सब करने को तैयार हूँ आपके साथ...

क्यूँ कि मुझे पहले वाली रितिका ही पसंद है...में कभी नही चाहूँगा कि मेरी वजह से पहली वाली

रितिका मर जाए...क्यूँ कि मैं ये सब एक लड़के की वासना के चक्कर में आके नही कर रहा हूँ...

बिल्कुल नही....में तो आपको पसन्द करता हूँ इसलिए ये सब कर रहा हूँ..आपकी खुशी वापिस आ जाए

इसलिए कर रहा हूँ...आपका वो हसीन चेहरा पहले जैसा हो जाए इसलिए कर रहा हूँ...

(बोलते हुए अपनी गर्दन रितिका के शोल्डर पे रख देता है और तेज तेज धक्के लगाने लगता है)


रितिका की आँखें बंद हो जाती है..उसकी आँखों से आँसू निकल के चेहरे पे से होके बिस्तर पे जा

गिरता है...और अपने आप ही उसके हाथ अंकित के बालों पे आ जाते हैं.......

जैसे ही अंकित को रितिका के हाथ अपने सर पे महसूस होते हैं....वो फ़ौरन रुक जाता है और

अलग हो जाता है...और बेड से उतर के नीचे खड़ा हो जाता है....


रितिका बिल्कुल शॉक्ड थी कि अचानक ये हुआ क्या........


अंकित :- लेकिन बस...और में कुछ नही कर सकता...मैं आपकी अच्छाई का फ़ायदा नही उठा सकता...

रितिका जी...मेरा यकीन मानिए मेने आपको कभी उस नज़र से देखा ही नही था...में तो आपको पसंद

करता था...ये जानते हुए कि आप मेरी कभी नही हो सकती...और ये सब भी मेने सिर्फ़ इसलिए किया क्यूँ कि

अगर ये सब करने के बाद आप पहले जैसे हंसते हुए उस प्यारे चेहरे के साथ नॉर्मल हो जाएँगी

तो मैं समझूंगा कि मेने अपनी ग़लती को सुधार दिया है....

(हाथ जोड़ के माफी माँगते हुए) में आपको बहुत लाइक करता हूँ और इस वक़्त मैं आपका फ़ायदा

नही उठा सकता....बॅस ये सब समझाने के लिए मुझे आपके साथ ये सब करना पड़ा..सिर्फ़ इसलिए कि

में आपको बता सकूँ..कि ये सब एक वासना नही थी बल्कि आपके लिए एक प्यार का छोटा सा हिस्सा था..


रितिका उसको घूर्ने लगती है..अंकित आगे बढ़ता है..और चादर उठा के रितिका को ऊढा देता है...

और फिर बाथरूम में घुस के खुद कपड़े पहन के बाहर आता है..

रितिका अपने लेग्स मोड़ के चादर ओढ़े बैठी थी..और सामने देख रही थी...


अंकित :- आपने कुछ ग़लत नही किया....एक माँ के लिए उसका बच्चा ही सब कुछ होता है...और आपने सिर्फ़

आर्नव के लिए ये कदम उठाया था.....इसमे आपकी कोई ग़लती नही है..

लेकिन मेने जो भी किया वो अपनी वासना में आके नही..बल्कि आपको प्यार करने के लिए अपनी ग़लती को

सुधारने के लिए आपसे प्यार बाँटा जिससे आप वो सब भूल जाए जो मेने आपसे कहा था...और शायद

में उसमे सफल रहा ........


रितिका आख़िरी की कही हुई बाते सुन के बाद अंकित को देखने लगती है.......अंकित भी रितिका की आँखों में

देखता है और गेट खोल के बाहर चला जाता है....


रितिका उसके जाने के बाद गहरी सोच में डूब जाती है.....और अपनी आँखें बंद कर के....पीछे बेड

पे अपना सर टिका लेती है...


अंकित तो घर से चला गया....लेकिन रितिका को दुविधा में डाल दिया उसके मन में बहुत

कुछ चल रहा था.....


रितिका अपने आप से बोली....तुम्हे जैसा समझा था वैसे नही थे तुम... अंकित....(और आँखें बंद कर

के फिर सोच में डूब जाती है)

क्रमशः...........................
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08-05-2018, 12:23 PM,
#35
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............


उधर अंकित के मन के उपर से एक बोझ उठ गया था..क्यूँ कि वो जानता था जो भी उसने कुछ किया

और जो भी कुछ बोला उससे रितिका उसे अच्छी तरह समझ गयी होगी...

वो अब एक बार फिर पहले जैसा बन गया था....जब दिल को सुकून मिल जाता है..तो फिर वो इंसान वैसा ही

बन जाता है जैसा होता है....(इंसान सिर्फ़ तभी बदलता है जब हालत ऐसा उससे करवाते हैं)


धीरे धीरे समय बीतने लगा...


एक तरफ रितिका नाम के चॅप्टर को भूलने की कोसिश में था...वो अपने इस पास्ट को भूलने की कॉसिश

कर रहा था....और आगे बढ़ रहा था...रोज कॉलेज वैसे ही मस्ती करते हुए जाना...

हर सेक्सी हॉट लड़की को घूर्ना...बस में चान्स मिलने पर लाइन मारना...

अंकिता काफ़ी खुश थी अंकित को ऐसे देख कर...अंकित का ध्यान अब पढ़ाई पर पूरा था...


दूसरी तरफ....रितिका ने भी अपने आप को संभाल लिया था अब वो दुबारा पहले जैसी बनती जा रही थी..

धीरे धीरे रिकवरी हो रही थी...नींद की गोलियाँ बहुत कम हो गयी थी....फेस पे धीरे धीरे वही

चर्म वापिस आ रहा था ... और वो अपने काम को दिल से एक बार फिर करने लगी थी....


बस फ़र्क ये था इन दोनो में...कि जहाँ अंकित भूलने में लगा हुआ था..वहीं रितिका अंकित को

भुला नही पा रही थी..और उसी के बारे में सोचती रहती थी...कई बार रात में सोते हुए उसे

वही सब दिखता जो अंकित ने उसके साथ किया और जो भी कुछ बोला.....


रितिका :- (अपने आप से) क्या वो सब सही था....कैसे मुश्किल में डाला है..एक तरफ तो उसकी उन कड़वी

बातों से मजबूर किया नफ़रत करने के लिए...और दूसरी तरफ उसकी वो प्यारी बातों से दिल में कुछ

ना कुछ हो रहा है...आख़िर ऐसा क्यूँ हो रहा है....


धीरे धीरे...दिन हफ्ते में बदले...हफ्ते महीनों में बदल गये...और महीना ख़तम

होते होते वो साल भी ख़तम हो गया..

लेकिन दोनो के बीच कोई कॉंटॅक्ट नही था....कभी रितिका ने फोन नही किया जबकि वो अंकित को भुला

नही पाई थी..


इधर अंकित के 2न्ड सेमेस्टर के एग्ज़ॅम नज़दीक आ चुके थे....इस बार अंकित को डबल मेहनत

करनी थी..क्यूँ कि पिछली बार के सारे पेपर्स में बॅक थी उसका एग्ज़ॅम भी इस बार भी देना था..

और अंकित ये मेहनत दिखा भी रहा था..

कॉलेज की छुट्टियो में वो रोज़ अंकिता के घर जाता था..और वहाँ पढ़ता था..


इस चक्कर में अंकित अंकिता के बेहद क्लोज़ आने लगा..और ज़्यादा फ्लर्ट करने लगा..एक तो अंकिता ऐसे

कपड़े पहन के रहती थी..कि अंकित का तो बॅंड ही बज जाता....कभी छोटी छोटी निक्कर...उसमे दिखते

उसके वो सुंदर सुंदर हॉट लेग्स..तो कभी टाइट शॉर्ट टॉप्स...जिसमे से उसके चुचे अंकित की लालसा को

और बढ़ा रही थी....कभी कभी जब अंकिता पढ़ा रही होती थी..तो अंकित की नज़र अंकिता के चुचों

पे जा अटकती...कैसे वो उस टॉप में फँसे होते थे..जैसे पिंजरे में फँसा पंछी....

अंकित का तो वहीं तंबू बन जाता....

लेकिन अंकिता ने कभी भी ऐसा शो नही किया जैसे वो अंकित को जान बुझ कुछ शो कर रही है या

कुछ भी..वो सिर्फ़ पढ़ाने में ध्यान लगाती...और अंकित को एक स्टूडेंट की तारह मानती..


लेकिन पढ़ाई के बाद...दोनो खूब गप्पे लड़ाते....एक फ्रेंड्स के नाते....कई बार अंकित का फ़िजिकल

टच होता....जैसे हाथो पे हाथ रख दिया हो..या फिर कंधे टच हो गये हों...

अंकित के लिए तो यही काफ़ी था एरेक्ट होने के लिए..पर अंकिता ने हमेशा नॉर्मली ही लिया...


आख़िर दिन बीतते चले गये...और एग्ज़ॅम के दिन आ गये....अंकित ने कुत्ते की तरह मेहनत की थी इस

बार....एक एक कर के एग्ज़ॅम दे ही दिए...अब तो बस उसे वेट करना था रिज़ल्ट के आने तक का...


उसी बीच में दोनो की फोन पे काफ़ी बात होने लगी...ऐसा लग ही नही रहा था कि दोनो टीचर

स्टूडेंट है.....


एक दिन फोन पे


अंकित :- अच्छा मॅम एक क्वेस्चन पूछूँ?


अंकिता :- हाँ..बिल्कुल..


अंकित :- आपका कोई बाय्फ्रेंड नही है?


थोड़ी देर तक वहाँ से कोई आवाज़ नही आई..


अंकित :- आरयू देअर?


अंकिता :- (फिर बोली) तुमने ये क्वेस्चन क्यूँ किया?


अंकित :- क्यूँ कि मेरा मन किया इसलिए....


अंकिता :- अच्छा जी..तो तुम्हारा मन भी करता है....वैसे तुम्हे क्या लगता है?


अंकित :- ह्म्म्म...अगर मुझे पता ही होता तो आपसे क्यूँ पूछता..


अंकिता :- फिर भी गेस?


अंकित :- ह्म्म चलो आप कहते हो तो बोलता हूँ....मेरे हिसाब से कोई बाय्फ्रेंड नही होगा अभी आपका..पर हाँ आपके

पीछे बहुत से दीवाने पड़े होंगे..


अंकिता :- दीवाने..हहेहहे..अच्छा जी...लेकिन ये बताओ कि ये कैसे श्योर हो कि मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही है?


अंकित :- बस लगता है....अब इसमे क्या बताऊं....


अंकिता :- ह्म्म्म तो फिर तुम कैसे कह सकते हो कि मेरे पीछे बहुत से दीवाने पड़े हैं..

(मुस्कुराते हुए)


अंकित :- अरे ये तो 100 % ट्रू है..आपके पीछे लड़के नही पड़ेंगे तो फिर किसके पीछे पड़ेंगे..

(फ्लर्ट करता हुआ)


अंकिता :- ओहो बातें तो देखो भाई साहब की..अच्छा मुझ में ऐसा क्या है..


अंकित :- ऐसा क्या नही है...आप इतनी ब्यूटिफुल..इतने सेक्सी हो कि आपके पीछे तो हर लड़का लट्तू हो

जाए....(बोलने के बाद मन में...साला ये क्या बोल दिया जोश जोश में...अब तो तू गया बच्चू..

टीचर के साथ इतना तगड़ा फ्लर्ट अब तो लग गयी..बजेगी बॅंड अब तो)


लेकिन जो उसने सोचा उसका उल्टा ही हुआ...


अंकिता :- हहेहेहेहेहेहेहहे.....


अंकित :- (जान में जान आई....और सोचने लगा...हँसी तो फँसी) लो इसमे हसना कैसा ... में सच बोल

रा हूँ..(हिम्मत आ गयी थी आगे फ्लर्ट करने की)


अंकिता :- चलो चलो बदमाश...अपनी टीचर से फ्लर्ट करते शरम नही आती तुम्हे हाँ..

(झूठा गुस्सा दिखाते हुए...जो अंकित समझ गया था)


अंकित :- ओहो वाहह अब टीचर बन गयी आप..अभी तक तो फ़्रेंड थी...लेकिन सीरियस्ली मॅम आप

सच में बहुत ब्यूटिफुल हो...जब मेने आपको पहले दिन देखा था में तो तभी बस देखता

ही रहा था आपको....


अंकिता :- ओह्ह मिस्टर.. बस हाँ...फ़्रेंड हूँ इसका मतलब ये नही कि तुम भूल जाओ कि तुम मेरे स्टूडेंट भी हो..

बदमाश....कहीं का..फ्लर्ट करता है .. शरम नही आती..


अंकित :- हाहहाहा.....अब सच बोलो तो लोगों को लगता है कि फ्लर्ट कर रहा हूँ...हद है...


अंकिता :- तुम कल घर आओ तो बताती हूँ...अच्छी तारह से क्लास लूँगी तुम्हारी...चलो अभी रखती हूँ..


अंकित :- कोई नही मॅम थॅंक यू फॉर युवर टाइम..बाबयए....


फोन कट


अंकित अपने आप से...यार ये अंकिता मॅम बस किसी तारह से फँस जाए..तो मेरी तो लॉटरी निकल जाएगी..

काश ऐसा हो जाए...उफफफ्फ़.....मेरा तो बुरा हाल हो जाता है जब भी सोचता हूँ उनके बारे में...


..................................
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08-05-2018, 12:23 PM,
#36
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
या या सर....आब्सोल्यूट्ली...ओफ़फकौर्स वी डिड आ ग्रेट जॉब देअर...डिफिनेट्ली हमे ही मिलेगा ..

एक लड़की कार से उतरती हुई फोन पे बात कर रही थी...और चलते हुए एक बड़ी सी बिल्डिंग में एंटर

हुई......बॅस सभी जितने भी जेंट्स थी वहाँ पे उसी लड़की को घुरे जा रहे थी...किसी की नज़र भी

उस लड़की से हॅट ही नही रही थी....


वाइट स्टाइलिश टॉप...और उसके नीचे ब्लॅक मिनी स्कर्ट...जिसके नीचे उसके वो स्लिम हॉट लेग्स...बाल पीछे से

टाइ किए हुए थे जो कमर तक आ रहे थे......फेस पे इतना चर्म इतना क्यूटनेस कि बस नज़र ही

ना हटी....छोटी छोटी आँखें और वो सेक्सी लिप्स......

इन वन वर्ड......अमेज़िंग....


सभी जेंट्स की आँखें तो कभी उस लड़की की लेग्स पे तो कभी पहने टॉप के नीचे दबे वो

हॅग बूब्स...जो उस टॉप से चिपके पड़े थे.....


या या सर ... सर हम ने 6 महीने हार्ड वर्क किया था उस प्रॉजेक्ट में...जी सर कल रात में ही वापिस आई

थी में .... नो नो इट्स ओके सर...हमे अभी प्रॉजेक्ट मिला है तो और मेहनत करनी पड़ेगी......

इसीलिए नो हॉलिडे.....ओके सर नो प्राब्लम बाइ..बाए...


(फोन कट)


वो लड़की बड़े से हॉल के बीचों बीच खड़ी थी.....फिर उसने अपनी गर्दन एक झटके में मोडी...

अपनी झुल्फो से उसने अपनी उंगलियो की मदद से चेहरे पे पड़े बाल की लट को साइड किया....

सब उसी को घूर रहे थे...जब उसकी नज़र ऐसे सब पर पड़ी..तब सारे जेंट्स हड़बड़ा गये...


सभी बोल पड़े...


गुड मॉर्निंग मॅम...गुड मॉर्निंग.....


वो गुड मॉर्निंग बोल के अपने कॅबिन के अंदर एंटर हो गयी....और सीधे जाके अपनी सीट पे बैठ

गयी......


और फिर उसने फोन मिलाया..


हाँ...सुमन...छोड़ आई तुम...ह्म्म ओक...अच्छा अब टाइम से वापिस ले आना और चाबी लेके घर पे

आराम से छोड़ देना..और अगर आर्नव को कोई भी दिक्कत हो तो ज़रूर कॉल करना.....


(फोन कट)


अंकित आज तुम्हारी वजह से शायद में इस पोज़िशन पे पहुच गयी हूँ...तुम्हारी उन कहीं हुई बातों

ने मेरी ज़िंदगी को एक अलग मोड़ दिया.....रितिका अपने आप से बोलती है..


और तभी दुबारा फोन मिलाती है..रिंग जाती है और दूसरी तरफ से कॉल पिक होती है..


रितिका :- हेलो...

रितिका :- हेलो..


अंकित :- हेलो....


रितिका :- क्या हाल चल है?


अंकित :- बस बढ़िया...और सूनाओ क्या चल रहा है


रितिका :- कुछ नही अभी अभी ऑफीस में आके बैठी हूँ?


अंकित :- अच्छा कब आई आप?


रितिका :- बस कल रात में आई...अच्छा मुझे अभी मिलना है तुमसे जल्दी आओ..कुछ काम है


अंकित :- इस वक़्त...नही नही .. कोई नही घर पे...आप आ जाओ?


रितिका :- अरे मेने कहा ना तुम आओ मुझे कुछ ज़रूरी काम है ?


अंकित :- क्या काम था...?


रितिका :- राहुल तुम पहले आओ तो बताऊगी ना..जल्दी से मेरे कॅबिन में आओ?


अंकित :- हाँ हाँ बुआजी...सब बढ़िया...हाँ मम्मी घर पे आएँगी तो बता दूँगा आपको...

अच्छा ओक बाइ (अंकित अपनी बुआ से फोन पे इस तरफ बात कर रहा था)


तभी रितिका के कॅबिन पे नॉक होता है...


रितिका :- कम इन..


राहुल ही होता है जिससे रितिका अभी फोन पे बात कर रही थी , वो अंदर आ जाता है....


रितिका :- ओह्ह वेलकम मिस्टर.. तुम कितने सवाल करते हो..मेने जब तुम्हे बुलाया तो सीधे आ नही सकते थे

यू आर ऑल्वेज़ लाइक ठ्त..एवेरिटाइम..


राहुल :- ओह्ह मॅम..मुझे काम भी करना होता है..


रितिका :- लेकिन तुम ये भूल गये कि में तुम्हारी बॉस हूँ..


एक मिनट के लिए शांति हो जाती है..फिर दोनो हँसने लगते हैं..


रितिका :- अच्छा..जोक्स अपार्ट..यार मुझे तुमसे काम है...क्या तुम कर दोगे अभी?


राहुल :- या शुवर...बोलो..


रितिका :- में कहती हूँ कि जो प्रॉजेक्ट कि थोड़ी देर में सेमिनार है उसका लेक्चर तुम प्रिपेर कर दोगे

मुझे कुछ और काम है..


राहुल :- बस इतना सा काम हो जाएगा...और कुछ?


रितिका :- हाँ..एक और काम...एक अच्छा सा बुकेट पर्चेस करना है और इस वक़्त में नही जा सकती तो?


राहुल :- (मुस्कुराते हुए) किसको देना है मेडम..कोई चाहने वाला मिल गया?


रितिका :- शटअप राहुल..तुम्हे जो बोल रही हूँ वो कर दोगे प्लीज़..


राहुल :- ओके मिस..हो जाएगा...और कुछ?


रितिका :- नही बस इतना कर दो...थॅंक यू


और फिर राहुल चला जाता है...रितिका के चेहरे पे जो मुस्कान थी जिसे चेहरा बेहद खूबसूरत लग रहा था.

वो अचनाक से गायब हो गयी और चेहरे पे एक अजीब से परेशानी के भाव बन गये....

फिर उसने एक पेन और एक पेपर लिया....


डियर अंकित,


और फिर वो लेटर लिखना शुरू करती है...बीच बीच में रुक के वो कुछ सोचती अपने हाथ में लिया हुआ

पेन उंगलियो के बीच में रख के हिलाती है....लेटर लिखते हुए उसके चेहरे को देख के ऐसा लग रहा

था मानो कोई बहुत बड़ा भार उतार रही हो...एक अलग सा सुकून दिखाई दे रहा था....

आख़िर कर उसने लेटर पूरा कर ही लिया...जिसे लिखने में उसे काफ़ी समय लगा.....


(अब आप सब सोच रहे होंगे कि इतनी टेक्नॉलॉजी के ज़माने में जहाँ फोन मेल्स..एट्सेटरा पता नही

कितनी सुविधाएँ है..जिससे हम किसी से कॉंटॅक्ट कर सकते हैं और रितिका खुद एक सॉफ्टवेर इंजीनियर.. होने

के बाद एक लेटर लिख रही है..अजीब है ना...??

नही...बिल्कुल भी अजीब नही है...टेक्नालजी इंपॉर्टेंट है पर वो दिलों की बातों को उस तरह बयान

नही कर पाती .. जितना एक लेटर कर सकता है...उसमे लिखे हुए एक एक वर्ड सामने वाले के दिल को छू जाता

है...जो शब्द हम कह नही सकते वो हम लेटर में लिख के सामने वाले को प्रभावित कर सकते हैं..

जो कि कोई भी मैल और फोन नही कर सकता...लेटर सबसे खूबसूरत चीज़ है अपने दिल का हाल बयान

करने के लिए क्यूँ कि उसके अक्षरो में एक सच्चाई छुपी होती है...जो सीधे दिल को छू जाती है)


क्रमशः...........................
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08-05-2018, 12:24 PM,
#37
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............



तभी कॅबिन के डोर पे नॉक हुआ.


रितिका :- कम इन..


तभी अंदर एक पीऑन आया जिसके हाथ में बेहद ही खूबसूरत बुकेट था....


पीयान :- राहुल सर ने भेजा है..


रितिका :- ह्म्म ब्यूटिफुल...अच्छा एक काम करो...ये बुकेट और ये लेटर तुम्हे इस अड्रेस्स पे पहुचाना

है..


पीयान :- हो जाएगा मॅम..


रितिका :- अब तुम जा सकते हो....(फिर वो पीयान चला जाता है)


उधर अंकित मस्त पलंग पे पड़ा मोबाइल पे गाना चला के लेटा हुआ था...कि तभी...


हम तेरे बिन अब रह नही सकते....तेरे बिना क्या वजूद मेरा....(इतने महीने गुजर गये लेकिन भाई

साहब ने रिंगटोन नही चेंज करी)


भाई साहब ने जब स्क्रीन पे नाम देखा तो चेहरे पे एक खिलखिलाहट आ गयी...


अंकित :- हेलो मिस.....


हेलो के बच्चे रिज़ल्ट आ गया है....


बस जब सामने से रिज़ल्ट का नाम सुना तो चेहरे पे जो दाँत दिख रहे थे..वो अंदर घुस गये और

उसके दिल की धड़कन फस्टली बीट होने लगी....


अंकित :- क..क.क....क्या...इतनी जल्दी आ गया रिज़ल्ट..


हाँ ... आ गया है जल्दी से चेक करो और मुझे बताओ...तुम्हारी जितनी हार्टबीट चल रही है ना

उससे ज़्यादा मेरी ही चल रही है.....


अंकित :- ना....नही....में नही देखूँगा...आप देखो...


में..लेकिन में क्यूँ?


अंकित :- क्यूँ कि आप मेरे लिए लकी हो...?


अच्छा जी...ऐसा कैसे??


अंकित :- मुझे ऐसा लगता है....बस..अब आप बताओगी कि नही मॅम..प्लीज़


अंकिता :- ओके ओके...चेक करती हूँ...होल्ड करो...


फिर अंकिता फटाफट से लप्पी ऑन करके....रिज़ल्ट वाली साइट खोल के उसे अंकित का रोल नंबर डाल देती है..


अंकिता :- अंकित ये क्या.....


अंकित की तो गान्ड फट के 8 हो गयी और उसे ऐसे लगा मानो फटी हुई गान्ड मे किसी ने उसके हाथ में दे

दी हो....उसकी शक्ल का सत्यानासी जैसा हाल बन गया..आँखें बाहर आ गयी और दिल तो मानो इतनी

ज़ोरों से धड़क रहा था मानो अभी बाहर आ के गिर जाएगा..


अंकित :- (बड़ी मुश्किल से) ..क..क्ककया...हुआ....मॅ..म.....


अंकिता :- मेहनत करवाने का ये फल दिया है तुमने मुझे?


अंकित अपने पलंग से उठ खड़ा हुआ उसके पैर कांप रहे थे...


अंकित :- मॅम प्लीज़..डराओ मत..मेरी जान सुख रही है...क्या हो गया ऐसा...


अंकिता :- हहेहेहेहेहेहेहेहेहेहेहेहेहहेहेहेः...(बहुत ज़ोरों ज़ोरों से हँसने लगी....)


अंकित कन्फ्यूज़ हो गया कि अचानक क्या हुआ...वो अपने मन में सोचने लगा...

कहीं मेरा खराब रिज़ल्ट देख के मॅम के दिमाग़ की साइट बिगड़ गयी है...


अंकित :- मॅम आप हंस क्यूँ रहे हैं?


अंकिता :- हालत देखो तुम्हारी..कितना डरे हुए तुम...हहेहेहेहेहेहहे कसम से तुम्हारी

शक्ल देखने वाली होगी इस वक़्त...हहेहेहेहेहेहहे


अंकित को थोड़ा रिलीफ हुआ हल्का सा..


अंकित :- मॅम यहाँ मेरी फट रही है...और आपको मज़ाक सूझ रहा है....(बोलने के बाद पछताया...और

सोचने लगा गया बेटा काम से...गाली दे दी..अब तो पक्का लगेगी)


अंकिता :- हहेहेहेहेहेहेहेहहे...(अंकिता ने शायद ध्यान नही दिया) अच्छा बाबा बताती हूँ...

मिस्टर अंकित आपका रिज़ल्ट ये है.....कि अपनी..अपनी...सारे ही सब्जेक्ट में .... डिस्टिंक्षन के साथ पास

किया है..


अंकिता के ये बोलना उधर अंकित का उछलना.....


अंकित :- ईईईईईई...ईपीईईई..ओये होई....हुर्रीईईई..

हुरईईई...में पास हो गया..बल्ले बल्ल्ले.....ऊऊओ पास हो गया...कमाल हो गया...

(थोड़ी देर हल्ला गुल्ला करने के बाद ही शांत हुआ)


उधर अंकिता अंकित को इतना खुश देख कर खुद भी मुस्कुरा रही थी..


अंकित :- थॅंक यू सो मच मॅम..थॅंक यू सो मच..थॅंक यू थॅंक यू थॅंक यू...जितना थॅंक यू बोलूं आपको

वो कम है...अपने जो किया है ना शायद कोई टीचर करती...यू हेल्प्ड मी सो मच जिसकी वजह से एक

साथ मेने इतने सारे एग्ज़ॅम क्लियर कर दिए....थॅंक यू सो मच....


अंकिता :- ओहो बस बस बस...इतना थॅंक यू माइ गॉड...तुम्हारी ट्यूशन कॅन्सल कर दूं क्या ..इतना थॅंक यू

बोलॉगे तो....


अंकित :- अरे नही नही..सॉरी..अब नही बोलूँगा..सॉरी


अंकिता :- अब सॉरी शुरू हो गये हहेहेहेहेः...


फिर अंकित भी हँसने लगता है.....
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08-05-2018, 12:24 PM,
#38
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
अंकिता :- आइ आम प्राउड ऑफ यू अंकित..तुम्हारे नंबर...सच में बहुत अच्छे हैं...यू गॉट 93 इन जावा आंड

89 इन वीबी..मेरे सब्जेक्ट्स में तो बहुत ही अच्छे नंबर है..


अंकित :- हाँ तो टीचर अच्छी है तो नंबर तो ऑटोमॅटिकली ही अच्छे आएँगे..


अंकिता :- अच्छा बताऊं तुम्हे फ्लर्टी लड़के.....अब जब मिलोगे तब क्लास लगेगी तुम्हारी..और हाँ पार्टी भी

चाहिए मेरी..


अंकित :- हनहा आप क्लास भी लेना और पार्टी में तो एवेरी रेडी हूँ आपके लिए....


अंकिता :-अच्छा अभी रखती हूँ फ्रेश होने जा रही हूँ...


अंकित :- ओहकक बाए...


अंकिता :- और हाँ..ये मिस क्या होता है जो तुमने शुरू में बोला था और वो गाली जो तुमने दी थी??


अंकित मन में..ओ तेरी की..कहाँ से याद आ गया..


अंकित :- (स्टाइलिश वे में) सूओरयय्यययययी...


अंकिता :- बदमाश....चलो बाइ टाटा..


अंकित :- ओहक बाबयए....टाटा...

(फोन कट)


हइईई.....इस बार तो बच गया हस्शह अंकिता मॅम की वजह से बस...मॅम मॅम

माँ...आपने तो दीवाना बना दिया है...एक तो आपकी हॉट बॉडी उपर से इतना हॉट नेचर कातिलाना..

हर तरफ धमाल मचा रखा है आपने...

और हाँ मॅम फ्रेश होने जा रही थी...ऊओ वाऊओ काश में भी देख सकता....मज़ा ही आ जाता..

हाए सुंदर बदन पे गिरते पानी की बूंदे...सीईईई...मेरे तो रोंगटे खड़े हो रहे हैं और

साथ साथ में कुछ और भी..(और उसका हाथ ऑटोमॅटिकली अपने लंड पे आ जाता है)

और अंकिता को नहाते हुए सोचने लगता है.....

हाँ मॅम यहाँ साबुन लगाओ..में हेलो कर दूँ क्या..हा...उफ़फ्फ़......क्या पैर हैं आपके..इतने

हॉट लेग्स तो मैने किसी के नही देखे...(और उसके हाथ की स्पीड बढ़ जाती है अपने लंड पे)

मॅम यहाँ लगाओ...आपकी इस छांटेकेदार आस पे..हाए कितनी सॉफ्ट है...बेबी टॉय जैसे...आराम आराम

से ळगाउन्गा हाए...(और तेज़ी से हाथ चलने लगते हैं..बस वो अपनी मज़िल के बिल्कुल करीब ही

पहुच चुका था)


तभी...घर के डोर बेल बाज गयी...और अंकित अपने होश में जगा...


अंकित :- व्हाट दा फक...बेह्न्चोद...(खिचते हुए) साला अभी आना था....


और फिर आवाज़ लगाते हुए..कौन है...बोलता हुआ गेट के पास पहुच जाता है.....
अंकित बड़बड़ाता हुआ उठा और बाहर जाके देखा तो उसके सामने एक आदमी हाथ में एक बड़ा
सा बुकेट लिए खड़ा था..

अंकित :- किससे मिलना है.

अंकित साहब से मिलना है..(वो आदमी बोला)

अंकित :- में ही अंकित हूँ..

ओह्ह..सर ये आपके लिए...(वो आदमी बुकेट देता जिसके साइड में ही वो लेटर घुसा हुआ था जिसे
अभी अंकित ने नही देखा था)

अंकित :- किसने भेजा है लेकिन...

सर आप ये ले लीजेए..मेडम ने बोला है कि दे दूं..तो दे रहा हूँ..(वो अंकित के हाथ में थमा
देता है)

अंकित :- हाँ लेकिन तेरी मेडम का कोई नाम तो होगा ही..

वो आदमी अनसुना करते हुए मूड के जाने लगता है..

अंकित :- अबे ओई....साला....बड़ा ही बेह्न्चोद आदमी है...चला गया...वैसे जो भी कहो ये
बुके है बड़ा प्यारा..किसने भेजा होगा...कहीं अंकिता मॅम ने तो नही..(घर के अंदर जाते हुए
अपने आप से बात करते हुए) नही नही..उनसे तो अभी ही बात हुई है इतनी जल्दी वो भी इतनी दूर से कैसे
भेज सकती है....(कमरे में आ जाता है और बुके को घुमाने लगता है और तब उसे वो लेटर
पीछे की तरफ दबा हुआ दिखाई देता है...वो बुके को बेड पे रख के लेटर निकाल लेता है)

अंकित :- लेटर भी है...ओहो...कौन मेहरबान हो गया आज मुझ पर..लगता है आज का दिन अच्छा है..

फिर लेटर खोल के पढ़ने लगता है...

डियर अंकित

कैसे हो?? इट्स बिन आ लोन टाइम मोर दॅन 7 मंत्स...तुम्हे मेरा ये लेटर और ये बुके देख के
अजीब लगेगा कि इतने महीनो तक कहाँ गायब थी...उस दिन के बाद ना तो मेने कोई कॉंटॅक्ट किया
ना कुछ..यही सोच रहे हो है ना...क्यूँ कि में जानती हूँ उस दिन के बाद कॉंटॅक्ट मुझे ही करना
था लेकिन मेने ऐसा कभी नही किया....

यहाँ तक अंकित पढ़ते हुए समझ गया कि ये सब रितिका का ही दिया हुआ है..

अंकित :- इतने महीनो के बाद इन सब का क्या मतलब है..(वो थोड़ा गुस्से में बुदबुडाया और फिर आगे
पढ़ने लगा)

जानती हूँ ये सब पढ़ते वक़्त तुम्हे गुस्सा आ रहा होगा..गुस्सा बहुत जल्दी आता है ना तुम्हे और हाँ
वैसी भी ये एज ही ऐसी है...पर क्या करूँ मेने तुम्हे जान बुझ के कॉंटॅक्ट नही किया उसका एक
रीज़न था बहुत बड़ा रीज़न..

अंकित :- हुहह..बहाने....मेने सोचा था उस दिन के बाद अटलीस्ट फोन कर के एक बार तो कह
ही दोगि कि अंकित मेने तुम्हे माफ़ कर दिया..लेकिन नही...आज इतने टाइम के बाद ये सब..क्या फ़ायदा
जब में आपके नाम का चॅप्टर अपनी ज़िंदगी से क्लोज़ कर ही चुका था तो...(अपनी गर्दन हिलाते
हुए)

रीज़न ये था कि मेने तुम्हे उसी दिन मन ही मन ये वादा दे दिया था कि जब तक में पहले
जैसी...जैसा तुम मुझे कहते थे वैसा नही बन जाती..तब तक तुमसे कोई बात नही करूँगी..और उसी
में ये वक़्त लग गया इतना...ये भी जानती हूँ कि तुम अब मुझसे कभी बात नही करना चाहोगी और
ना ही तुमने मुझे याद किया होगा..लेकिन मेने तुम्हे रोज याद किया...

क्रमशः...........................
Reply
08-05-2018, 12:24 PM,
#39
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............
सब कहते हैं लड़कियों को समझना मुश्किल होता है पर तुम जैसे लड़के को में आज तक नही समझ

पाई...प्यार करूँ या नफ़रत कुछ समझ नही आता...जो तुमने उस दिन किया वो ग़लत था या सही नही पता

पर हाँ इतना जान गयी हूँ..कि तुमने जो किया उस दिन सिर्फ़ मेरी भलाई के लिए किया..अगर तुम ऐसा ना

करते तो आज शायद में मेंटल कन्डीशन की उस स्टेज पे पहुच गयी होती जहाँ से बाहर निकलना

नामुमकिन था...लेकिन तुम्हारी कही हुई उन प्यारी बातों से जैसे दिल में अलग नशा सा पैदा कर दिया

हो...जानती हूँ एक पत्नी और एक बेटे की माँ होने के नाते ये सब जो बोल रही हूँ ग़लत है...पर तुमने

सच कहा था एक औरत का जीवन उसका परिवार नही होता...उसका खुद का भी होता है...उसे जीने

का भी पूरा हक है...और बात जब तुम्हारे साथ बिताए उस 15 मिनट की आती है जो तुमने मेरे साथ

किया जानती हूँ कि वो तुमने वो सब वासना में आके नही बल्कि प्यार के नाते किया..उस दिन तुमसे ये

कह ना पाई..लेकिन आज कह रही हूँ..उस दिन तुम्हारा प्यार झलक रहा था..जो शायद हर औरत चाहती

है...हाँ पर तरीका बहुत ग़लत था..शायद हम दोनो का....

लेकिन तुम्हारी कही हुई बातों ने दिल को छू लिया और मेने तभी फ़ैसला कर लिया था कि अब में तुम्हारे

लिए सिर्फ़ पहले जैसे बनूँगी...

तुम्हे मेरी बातें बकवास लग रही होंगी..या फिर सोच रहे होगे कि सफाई दे रही हूँ में...पर मेरा

यकीन मानो ऐसा कुछ नही है....

और लिखने के लिए मेरे पास कुछ नही है..बस तुमसे एक रिक्वेस्ट है..कल शाम 4 बजे मेरे घर

में तुम्हारा इंतजार करूँगी..अगर तुम आए तो में समझूंगी कि हम से जो ग़लती हुई वो सिर्फ़ मेरी ही

वजह से हुई थी....

क्यूँ कि जितनी ग़लती तुम्हारी थी उससे कहीं ज़्यादा मेरी...मेरा तरीका बहुत ग़लत था...

लेकिन में दिल से चाहती हूँ कि तुम एक बार आओ...तुमसे मिलने के लिए में बहुत बेचैन हूँ...


रितिका...


अंकित ने आख़िरकार पूरा लेटर पढ़ लिया..उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था..वो अपना सर पकड़ के

बैठ गया...उसे खुद कुछ समझ नही आ रहा था कि जो हो रहा है वो सही है या ग़लत और जो हुआ

वो सही था या ग़लत....अब जब वो रितिका का चॅप्टर अपने लाइफ से बंद कर चुका था तो अचानक ये

सब क्या हुआ.....


अंकित :- ओह्ह शिट..शिट..शिट....ये कहाँ से आ गई..कई बार हम जो चाहते हैं वैसा क्यूँ नही होता..जब

में चाहता था कि रितिका मुझे मिल जाए तब गड़बड़ हो गई..और जब में नही चाहता था कि कभी भी

रितिका सामने आए तो आज .....ये साली लड़कियाँ इतनी ब्लॅक मैल क्यूँ करती है....

यार ये क्या हो गया अब क्या करूँ....(और फिर पलंग पे आँखें बंद कर के पसर जाता है)


अच्छा भला दिन टेन्षन से भर गया था अंकित का..कहाँ तो उसने सोचा था कि आज मज़े से बाहर

जाएगा...लेकिन इस लेटर ने उसका तो क्ल्प्ड कर दिया...ऐसा उसे अभी लग रहा है...


कल का दिन आख़िर आ ही गया....अंकित ने रात भर बहुत सोचा ...

वो जानता है कि उसने रितिका का चॅप्टर क्लोज़ कर दिया था लेकिन वो रितिका से कभी नफ़रत नही करता

था और ना ही कभी कर पाएगा इसलिए उसने जाने का फ़ैसला कल रात को ही कर लिया था..


वो घर से 3:30 ही बाजी तैयार होके निकल गया था....


उधर रितिका ने पूरी तैयारी कर रखी थी....सॉफ सफाई घर की खुद ही की..आर्नव भी आज घर पे नही

था...सब काम किचन के उसने खुद ही किए शायद काम वाली की भी छुट्टी कर रखी थी उसने...

जब उसने घड़ी में देखा कि 3:30 बाज गये तो वो सीधा रूम में घुस गयी तैयार होने के लिए..


4:00 (क्लॉक में टाइम हुए और तभी)


तिंज्गग तोंगगगगगगगगग.....घर में ये आवाज़ गूँजी...रितिका ने रूम का डोर खोला..


आईईई...रितिका बोलते हुए दरवाजे पे जाती है..उसकी दिल की धड़कन तेज हो रही थी...इतने दिनो के बाद

अंकित से मिल रही थी उसके दिल में हलचल हो रही थी..उसने गेट का डोर लॉक पकड़ा और उसे खोल के

गेट को खींचा और मुस्कुराते हुए सामने देखा तो....


गुडआफ्टरनून मॅम..में इस कंपनी से आया था क्या आप ये प्रॉडक्ट लेना चाहेंगी...


सामने एक सेल्स मॅन खड़ा था....रितिका के चेहरे की मुस्कान चली गयी....वो रूड्ली बोली..

नही चाहिए...और उसने गेट को बंद कर दिया बिना उस लड़के की सुने....

एक बार उसे बहुत गुस्सा आया सारे मूड का सत्यानाश हो गया उसका.....

तिंज्ग तोंज्गग.....फिर से एक बार बेल बाजी.....रितिका के दिल की धड़कन एक बार फिर तेज हो गयी....

वो मूडी और गेट का डोर लॉक पकड़ के गेट को खोला...


मॅम एक बार तो प्रॉडक्ट देख लीजिए.....सामने वही सेल्स मॅन खड़ा था...


रितिका एक पढ़ी लिखी वेल मॅनेज्ड आइजुकेड़िट लड़की है..गुस्सा तो शायद ही कभी आता है लेकिन..

इस वक़्त आ गया उसे....


रितिका :- आइ सेड ना आइ डोंट वॉंट .. डोंट यू अंडरस्टॅंड...(चिल्लाते हुई गेट को धडाम से बंद

कर देती है ) इन सब को भी इसी वक़्त आना है...नॉनसेन्स..स्टुपिड..(गुस्से में)


तिंगगगग तोंगगगगगगगगगग....एक बार फिर से बेल बजी....


रितिका का गुस्से का ठिकाना नही रहा वो अपने आप से बोलती हुई...नाउ आइ आम गूना स्लॅप हिम...

गुस्से में बोलती हुई गेट खोलती है..


रितिका :- क्या है..तुम्हे...शरम नही आती बार बार परेशान करते हुए....आइ गॉना कोंपलिन फॉर यू

(वो बिना देखी बोल देती है)


लेकिन जैसे ही शांत होती है और सामने देखती है...तो उसका मूह खुला का खुला रह जाता है..
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08-05-2018, 12:25 PM,
#40
RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
सामने बेचारा अंकित हाथ में बुके लिए अपने फेस को बचाने के लिए उपर किया हुआ था

जब रितिका का बोलना बंद हुआ तो उसने सामने देखा....और एक डरी हुई हल्की सी स्माइल दी...


रितिका उसको आँखें फाडे तके जा रही थी......

बेचारा अंकित उसको लगा शायद उसने कुछ ग़लती कर दी तो वो घबराते हुए बोला.


अंकित :- स.सस्स..सॉरी...


रितिका होश में आते हुए..


रितिका :- नो नो..आइ आम सॉरी...वो मुझे लगा कि वही सेल्स मॅन है बार बार परेशान कर रहा था..

इसलिए मेने वो सब..


इधर रितिका बोल रही थी...उधर अंकित की आँखें रितिका पर जम गयी बिल्कुल पहले की तरह...लेकिन इस बार

रितिका और खूबसूरत लग रही थी....चेहरे पे एक अलग ग्लो एक अलग ही क्यूट्नेस..चरम्म ब्यूटिफ्युल्नेस..

झलक रहा था ... गुस्से की वजह से रितिका की नाक लाल हो गयी थी जो उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी..

आज एक अलग ही ड्रेस में रितिका को अंकित देख रहा था..सुंदर गोरा चेहरा उसके ना के बराबर का

मेकप और लाल नाक...कातिलाना चेहरा लग रहा था बिल्कुल....

एक पंजाबी सूट रेड कलर का...उसकी चुन्नी साइड से लाते हुई कमर पे बँधी हुई...


उफ़फ्फ़..कोई इतना सुंदर कैसे लग सकता है...अंकित अपने मन में बोला...


अंकित....क्या हुआ..? रितिका अपने हाथ को अंकित के चेहरे के सामने हिलाते हुए बोलती है..


अंकित होश में आता हुआ.....नही..न.आ.ही...कुक..ह नही..


रितिका :- प्लीज़ कम इन..(दरवाजा छोड़ते हुए अंकित को अंदर बुलाती है)


अंकित अंदर आ जाता है और अपने हाथ में पकड़ा बुके रितिका की तरफ बढ़ाता है..


रितिका :- इसकी क्या ज़रूरत थी..(हाथ से बुके लेते हुए)


अंकित :- ह्म्म बस...इतने दिनो के बाद आया था तो खाली हाथ तो नही आ सकता था ना इसलिए ले आया..


रितिका :- ह्म्म बैठो पंनी लाती हूँ...(और फिर रितिका मटकते हुए पानी लेने चली जाती है)


लेकिन अंकित ने इस बार रितिका की चाल पर ध्यान नही दिया और वो वहीं सोफे पे बैठ गया.....


थोड़ी देर बाद.....



अंकित और रितिका एक ही सोफे पे कुछ ही डिस्टेन्स पे बैठे थे..बिल्कुल चुप...दोनो में से कोई

कुछ नही बोल रहा था....शायद वक़्त इतना गुज़र गया था कि कुछ कहने के लिए नही था और वैसे

भी आखरी मुलाकात भी कुछ ज़्यादा अच्छी नही थी.....

कुछ देर ऐसे ही आपस में उंगलियाँ घिसने के बाद रितिका ने चुप्पी थोड़ी जो शायद अंकित भी

यही चाहता था...


रितिका :- तुम बिल्कुल भी नही बदले....वैसी ही हो..


अंकित उसकी तरफ मुड़ते हुए देखता है..


अंकित :- लेकिन आप बहुत बदल गयी हैं ... थॅंक यू....


रितिका :- थॅंक यू क्यूँ?


अंकित :- अपने मेरी बात रख ली...


रितिका :- उसके लिए तो मुझे थॅंक यू बोलना चाहिए तुम्हे....


अंकित :- नही..आप क्यूँ थॅंक यू बोलोगे जब कि ग़लती तो मेने की थी


रितिका :- नही..ग़लती हम दोनो की थी..लेकिन मेरी ग़लती का एहसास तुमने दिलाया और तुम्हे अपनी ग़लती का एहसास

खुद हुआ...ना जाने में क्या कर रही थी..अगर कोई और होता..तो वो सच में मेरे साथ सब कुछ

आसानी से कर जाता और ना जाने फ्यूचर में वो और क्या क्या करता...(बोलते हुए उसका गला भारी हो

गया आँखें नम हो गयी नाक बिल्कुल लाल हो गयी)


अंकित को लगा कि महॉल फिर से पहले जैसा हो रहा है और वो नही चाहता था कि पहले जैसा माहौल एक बार

फिर से बन जाए..


अंकित :- आपकी नोज...बिल्कुल ऐसी रेड हो गयी मानो किसी ने लिपस्टिक लगा दी हो....


रितिका अंकित की तरफ देखते हुए उसकी बात सुन के हल्का सा मुस्कुरा देती है...

वो उस चेहरे पे मुस्कुराहट ने अंकित के दिल पे एक गहरा वार कर दिया इतनी प्यारी हँसी इतना प्यारा

एहसास था वो अंकित के लिए...अंकित रितिका को घूर्ने लगा उसके चेहरे को अपनी आँखों से निहारने लगा..


रितिका ने देख लिया..लेकिन उसने कुछ कहा नही..वो भी उसकी आँखों में देखने लगी और फिर बोली..


रितिका :- क्या किया तुमने इतना टाइम?


अंकित होश में आते हुए..


अंकित :- बस कुछ पुरानी यादों को भुला के आगे बढ़ गया था और लाइफ के आने वाले टाइम को

अच्छा बनाने की तैयारी...


रितिका :- इसका मतलब तुम मुझे भी भूल गये थे?


अंकित :- नही....में अपनी यादों को भुला था..और यादें उसकी होती है जिसे इंसान अपनी ज़िंदगी में दफ़न

कर देता है...मेने वो वक़्त दफ़न किया जिसमे मेने आप जैसी इतनी प्यारी इंसान के साथ ग़लत किया...


क्रमशः...........................
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