bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
01-09-2019, 02:27 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मेरे लंड और बॉल्स को अपने चेहरे पर पूरा लगाकर वो अच्छे से उनका स्वाद ले रही थी....
जैसे आज उन्हे खा ही जाएगी...

मेरा शरीर उनके हर टच से उपर नीचे होने लगा..

और फिर वो उठी और मेरे सामने खड़ी हो गयी

जैसे अब कुछ करके रहेगी
पर इससे पहले वो कुछ और कर पाती, पीछे से आवाज आयी

''मॉम , ये क्या हो रहा है सुबह सुबह ''

ये सोनिया दी थी , जो अपनी आँखे मलती हुई खड़ी हो चुकी थी 

एक तरफ मैं सोनिया के सोये रहने से उसपर गुस्सा हो रहा था
और अब उसके उठने की टाइमिंग पर मेरी झांटे सुलग कर रह गयी....
आख़िर देखने तो देती की मॉम क्या करने मे मूड मे है...

मॉम ने जब पलटकर सोनिया को देखा तो वो भी एक पल के लिए सकपका सी गयी...
पर अब उन दोनो के बीच काफ़ी खुलापन आ चुका था, इसलिए वो डरी बिल्कुल भी नही...
हालाँकि ऐसे अपने बेटे को नंगा करके, खुद भी नंगी होकर वो अपनी बेटी के सामने खड़ी थी
और कोई भी ये देखकर सॉफ पता कर सकता था की वहां क्या चल रहा है...
और सोनिया तो वैसे भी ज़रूरत से ज़्यादा ही समझदार थी
उसके दिमाग़ की घंटी तो आँख खुलते ही बज गयी जब उसने अपनी माँ को अपने भाई के लंड पर झुके हुए देखा....
और शायद वो थोड़ा और सब्र करती तो आगे का नज़ारा भी लेटे -2 देख सकती थी...
पर उसे शायद किसी बात का आभास हो गया था
इसलिए उसने उठने की एक्टिंग करते हुए उन्हे 'वो' करने से रोक दिया
जो वो करने वाली थी...
आख़िरकार मेरी इस "माँ'' फिल्म की डायरेक्टर वही तो थी
अपनी मर्ज़ी के बिना वो कैसे कोई सीन बनने देती..
ये वाला सीन तो उसकी स्क्रिप्ट में था ही नही..

मॉम : "वो....बस...ऐसे ही....इसे सोते हुए देखा तो ...वो कल वाली बात याद आ गयी....इसकी गहरी नींद में सोने वाली...''

सोनिया : "और आपने सोचा की उस गहरी नींद का एक और बार फायदा उठा लिया जाए...है ना...''

मॉम ने सकुचाते हुए हाँ में सिर हिला दिया....
कितनी मासूमियत से उन्होने अपना जुर्म कबूल कर लिया था...



सोनिया : "मॉम , मैने कहा था की ये रात के समय गहरी नींद में सोता है, और ये तो सुबह का समय है...ऐसा कुछ ख़तरनाक करोगी तो इसके उठने का भी तो डर है ना...''

मॉम : ''पर इसने आते ही कहा था की ये पूरी रात सोया नही है...और इसकी आँखे देखकर लग भी रहा था, इसलिए मैने ये सब...''

अब तो उन्हे भी थोड़ी बहुत शर्म सी आ रही थी...
अपने हाथो से उन्होने अपनी छातियो को ढक लिया...
सोनिया का भी दिल पसीज सा गया की क्यों वो सुबह -2 मॉम को शर्मिंदगी का एहसास दिला रही है...

सोनिया : "इट्स ओके मॉम ....इन्फ़ेक्ट मैं भी आपकी जगह होती तो शायद यही करती...एंड देखो तो इसके पेनिस को.....ओह्ह माय गॉड मॉम ....इतने कड़क लंड को सामने रखकर आपसे सब्र कैसे हो रहा है...मुझसे तो बिल्कुल भी नही हो रहा...''

इतना कहकर उसने झत्ट से अपनी टॉप उतार कर साइड में फेंक दी..जैसे वो भी अब मैदान में कूदने को तैयार हो



मैने अधखुली आँखो से उसकी तरफ देखा और अपनी बहन की मदमस्त चुचियो की कड़कड़ाहट देखकर मेरे लंड ने एक जोरदार सलामी दी उसे..

और उस सलामी को सोनिया ने सॉफ देखा...
और पल भर में ही वो समझ गयी की मैं जाग रहा हूँ और एक बार फिर से कल वाली सिचुएशन में फँस गया हूँ ...
ना मैं सो सकता हूँ और ना ही जाग सकता हूँ ..

ऐसे मामलो में मेरी बहन काफ़ी शरारती है
मुझे सताने में उसे काफ़ी मज़ा मिलता है
और इससे जो तकलीफ मुझे होने वाली थी वो अच्छे से जानती थी.

मॉम ने एक बार फिर से मेरी तरफ चेहरा कर लिया और अपनी छाती दबाते हुए मेरे खड़े हुए लंड को घूरने लगी..

सोनिया उनके पीछे आई और अपनी बाहें उनके गले में डालकर बोली : "क्या सोच रही हो मॉम ...क्या इरादे है आपके...''

मॉम : "इरादे तो बहुत कुछ करने के है....पर वो करना ग़लत होगा...''

यार...ये भेंन का लौड़ा ''ग़लत'' शब्द कब मेरा पीछा छोड़ेगा..

मेरी तो मुट्ठियां भींच गयी ये सुनते ही...
पर सोनिया के चेहरे पर एक स्माइल तैर गयी..

वो मुझे सुनाते हुए, मॉम से बड़े प्यार से बोली : "तो ठीक है मॉम ....जो ग़लत है वो ग़लत ही रहने दो...अभी के लिए जो सही है, वो कर लो...''

उसने जब आँख घुमाते हुए मॉम से ये कहा तो मॉम ने उसके गालो पर एक कचोटी काट ली और बोली : "वही तो करने जा रही थी की तू उठ गयी...''



अब तो सोनिया के साथ-2 मैं भी देखना चाहता था की वो क्या करने के मूड में थी..

सोनिया : "तो शुरू हो जाओ ना मॉम ..रोका किसने है...''

सोनिया की बात सुनते ही मॉम अपनी थिरकती हुई गांड लहराते हुए मेरे बेड पर चढ़ गयी...
और उन्होने मेरे चेहरे के दोनो तरफ टांगे कर ली...
उनका चेहरा मेरी टाँगो की तरफ था...

मेरा तो शरीर सुन्न सा होने लगा ये सोचकर की वो क्या करने वाली है..
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01-09-2019, 02:28 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
फिर वो धीरे-2 नीचे बैठ गयी...
मैने आँखे खोलकर देखा तो मुझे लगा जैसे अंतरिक्ष से कोई विमान मेरे चेहरे पर उतर रहा है...
वो देखने में इतना खूबसूरत था की एक पल के लिए मैं भूल ही गया की मैं सोने की एक्टिंग कर रहा हूँ ...
उस विमान में आगे एक दरवाजा था जो लाल रंग की लालिमा लिए हुए था...
और पीछे भी एक दरवाजा था जो शायद आपातकालीन स्थिति के लिए था...
पर आया - जाया दोनो से सकता था...
मैन दरवाजे से एक नशीली महक बाहर निकल रही थी और कुछ चिपचिपा सा रस भी...
शायद अंदर की दीवारो पर पुताई का काम जोर-शोर से चल रहा था...



और सबदे बड़ी बात
उस अंतरिक्ष यान की शेप बड़ी तराशि हुई सी थी...
अच्छी ख़ासी इंजीनियरिंग का जीता जागता नमूना था वो...

और जैसे ही उस विमान ने मेरे चेहरे पर लैंड किया, मेरी तो साँस ही रुकने को हो गयी...
वो दरवाजा सीधा मेरे चेहरे पर आकर लग गया और अपने आप खुलता चला गया...
अंदर का रसीला द्रव्य जिसे मैं पुताई समझ रहा था, मेरे चेहरे को भिगोने लगा..

एक ठंडी सिसकारी मॉम के मुँह से निकल कर पूरे कमरे में फैल गयी..

''ओह यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....म्*म्म्मममममममम...''

उनसे ज़्यादा तो मेरा मन कर रहा था चीख मारने को....
ऐसे मालपुवे जैसी चूत रोज-2 नही मिलती चूसने को....
मुझे तो पहली बार एहसास हुआ की इन रसीली शादीशुदा औरतों की चूत का स्वाद कुँवारीयो से कितना अलग होता है...
ठीक वैसे ही जैसा कक्चा फल थोड़ा खटास लिए होता है और पका हुआ मिठास लिए...
मॉम की चूत भी ठीक वैसी ही थी...
पूरी मिठास लिए हुए...
जैसे तरबूज खाने से मुँह मीठे रस से भर जाता है वही हाल मेरा इस वक़्त हो रहा था...
मुँह के दोनो तरफ से मॉम की चूत का रस लकीरे बनकर नीचे गिर रहा था...

हे भगवान इतना रस रखती कैसे है ये औरतें अपनी चूत में समेट कर...
इन्हे तो शिशियों में भरकर बेचा जाए तो ठर्कियो के तो मज़े हो जाएँगे...
शराब को छोड़कर इस नशे की लत्त पड़ जानी है सबको..

मॉम ने चीख मारने के साथ अपने शरीर को मेरे लंड पर झुका दिया और अब वो प्रॉपर 69 की पोज़िशन में मेरे लंड को चूस रही थी..



मॉम अपनी चूत को मेरे मुँह पर किसी गाजर मूली की तरह घिस्स रही थी...
और मेरे लंड को भी जोरो से चूसकर उसका रस निकालने में लगी थी..

रात भर साक्षी की चूत मारने के बाद अपने लंड को मॉम के मुँह में पाकर मेरा ऑर्गॅज़म एक बार फिर से सांतवे आसमान पर जा पहुँचा

ये मॉम भी एकदम झल्ली है...
मैं पूरे जोश के साथ उनकी चूत को चूस रहा था और उन्हे मेरे उठने का आभास भी नही था...
कही ऐसा तो नही की उन्हे पता हो और वो जान बूझकर ऐसा कर रही थी...
नही-नही...
ऐसा नही हो सकता....
मॉम भला ऐसा क्यों करेगी...
अपनी तरफ से जान बूझकर वो ऐसा हरगिज़ नही कर सकती...

पर जो भी था, उस बड़े सीताफल जैसी गांड को चूसने में बड़ा मज़ा मिल रहा था..

और जल्द ही मेरा शरीर अकड़ने लगा...

मॉम ने तुरंत सोनिया से कहा : "देख...देख...तेरे भाई का शरीर अकड़ रहा है....ये जल्द ही झड़ेगा ...आजा तू भी....यहां आजा...''

ये मॉम भी ना...
इनकी हमेशा से आदत रही है, हर चीज़ अपने बच्चों के साथ मिल-बाँटकर खाती है....
आज ये मेरे लंड का रस भी वो सोनिया के साथ बाँटकर पीने के चक्कर में थी..

और ऐसा हुआ भी..

जैसे ही मेरे लंड से पिचकारियां निकली, उन दोनो माँ बेटी के चारों होंठ मेरे लंड पर आ चिपके...
हर बूँद को उन दोनो ने अपने नाज़ुक होंठो और जीभ से समेट लिया....
खा लिया सारा माल मेरा...
निगल गयी दोनो मेरे रस को...
बुझा ली उन्होने अपनी-2 प्यास मेरे पानी से.



और प्यास तो मैने भी बुझाई मॉम की चूत से निकल रहे रस से...
मेरे गर्म पानी को पीकर उनकी चूत ने भी अपनी कटोरी का पानी गिरा दिया...
जो मेरे मुँह में भरता चला गया..

मैं तो उनकी तरह सिसकारिया भी नही ले सकता था...
पर जो भी था, मुझे मज़ा बहुत मिला था..
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01-09-2019, 02:28 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
सब कुछ ख़त्म होने के बाद मॉम मेरे उपर से उतरी और एक टावल लेकर उन्होने मेरे लंड और चेहरे को बड़े आराम से सॉफ किया...
चेहरा सॉफ करते-2 उन्हे ना जाने कैसे मुझपर एक बार फिर से प्यार आ गया और उन्होने मेरे होंठो को चूम लिया...

उफ़ ....
यहाँ मुझसे सब्र करना मुश्किल हो रहा था...
पर वो तो अच्छा हुआ मॉम ने सिर्फ़ एक हल्की सी चुम्मी लेकर मुझे छोड़ दिया..
वरना कुछ देर और उनके होंठ मुझपर लगे रहते तो मैने उन्हे ज़ोर से स्मूच कर लेना था..

फिर दोनो ने मिलकर मुझे भी कपड़े पहनाए और खुद भी पहन लिए..

सोनिया : "मॉम ..ऐसा कब तक चलता रहेगा...आई मीन..सोनू के साथ सोते-2 ये सब करना...एक ना एक दिन तो उसे पता चल ही जाएगा...फिर क्या होगा..''

मॉम ने चेहरा झुका लिया...
उनके पास कुछ नही था बोलने के लिए..

पर वो शायद सोनिया से ही इसका सोल्युशन सुनना चाहती थी...
इसलिए उसकी तरफ देखकर और भोला सा चेहरा बनाकर वो बोली : "तो तू ही बता ना...और क्या हो सकता है...''

अब सोनिया की बारी थी एक रहस्यमयी मुस्कान देने की...
वो बोली : "इफ़ यू वांट ...मैं आपकी मदद कर सकती हूँ ..बस आपको सब कुछ वैसे ही करना पड़ेगा...जैसा मैं कहूँगी...''

मॉम चुप्प रही...
उनकी चुप्पी से मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी.

फिर उनकी दबी हुई सी आवाज़ आई : "जैसे तू ठीक समझे...''

और इतना कहते हुए वो कमरे से निकल कर बाहर चली गयी..

मैं एक बार फिर से कल की तरहा उठकर खड़ा हो गया...
गहरी साँसे लेते हुए मैं और सोनिया एक दूसरे को देख रहे थे...
और फिर हम दोनो खिलखिलाकर हँसने लगे...
एक दूसरे से गले मिलकर, एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे...
स्मूच करने लगे...



और जब हम शांत हुए तो मैने कहा : "मान गया दी..आख़िर आपने मॉम को भी अपने जाल में फँसा ही लिया...पर मुझे एक बात समझ में नही आ रही...ये सब लंबा खींचने की ज़रूरत क्या है... एक ही बार में जो काम हो सकता है उसके लिए क्यों इतने दिनों तक तरसे...''

सोनिया : "देखो सोनू...ये एक माँ और बेटे के रिश्तो के बीच की दीवार को तोड़कर दूसरे रिश्ते को बनाने का सवाल है...और ऐसे काम मे जल्दबाज़ी सही नही है...धीरे-2 करने से ही उनकी और तुम्हारी शर्म जाएगी और एक बार ये रिश्तो की दीवार और शर्म तुम्हारे बीच से गिर गयी तो जो मज़ा मिलेगा, उसका मुकाबला किसी और चीज़ से कर ही नही पाओगे तुम...''

बात तो वो सही कह रही थी..

अब तो मुझे भी इंतजार था की वो मॉम को क्या-2 करने को कहेगी...

अभी तो दिन की शुरूवात थी, पूरा दिन पड़ा था, देखते है क्या होगा आज..


उसके बाद मैने अपनी एनर्जी वेस्ट करने के बदले उसे बचाने की ही सोची...
इसलिए सोनिया दी के साथ सिर्फ़ चूमा चाटी करके मैने उन्हे छोड़ दिया.

अब तो मुझे सच में गहरी नींद आ रही थी..

सोनिया दी उठी और नहाने चली गयी...
उनके निकलने से पहले मैं गहरी नींद में जा चुका था.

और जब उठा तो दोपहर का 1 बज रहा था..

मैं फ्रेश हुआ, नहाया और एक टी शर्ट और जीन्स पहन कर नीचे चल दिया..

सीडियो से नीचे उतरते हुए मुझे मॉम की सिसकारी सुनाई दी

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....धीरे ......बैबी.....धीरे......तू आजकल बहुत दाँत मारने लगी है....''

मेरे तो कान खड़े हो गये ये सुनते ही...
मैने अपनी चप्पल वहीं उपर उतार दी और नंगे पाँव धीरे-2 नीचे उतरने लगा..

अब तक तो मैं समझ ही चुका था की सोनिया और मॉम के बीच नीचे कुछ चल रहा है..

मैं दीवार की ओट से छुपकर उन्हे देखने लगा..
दोनो किचन में थी...
हमारी ओपन किचन है जहाँ मॉम खड़ी होकर शायद लंच बना रही थी...
क्योंकि गैस जल रही थी और कड़ाही में कुछ बन रहा था..

पर उससे ज़्यादा उन दोनो के बीच कुछ बन रहा था...
शायद खाना बनाती मॉम को सोनिया ने बीच में ही दबोच कर ये वाला काम शुरू कर दिया था..

सोनिया ने मॉम की शर्ट के बटन खोलकर उनके बूब को बाहर निकाल रखा था और उसे चूस रही थी...
ऐसे जैसे वो बरसो की प्यासी हो..
और मॉम भी अपना थन पकड़ कर उसे ऐसे चुस्वा रही थी जैसे उसमें से सच में दूध निकल कर उसकी भूख मिटा रहा हो..



दोनो का ही एंगल ऐसा था की वो मुझे देख नही सकती थी..

सोनिया का एक हाथ मॉम की पायज़ामी में घुसा हुआ था और वो उनकी गद्देदार गांड को भी दबा रही थी....

उनकी वो रसीली गांड की थरथराहट देखकर तो मेरा भी मन कर रहा था उन तरबूजो को मसलने का...
काश मैं ज़मीन पर लेट जाऊ और मॉम अपनी गांड को मेरे चेहरे पर लाकर पटक दे और तब तक उसे घिसती रहे जब तक वो खुद झड़ नही जाती और उनकी मलाई वो मेरे चेहरे पर मल नही देती...



भेनचोद, खुली आँखो से सपने देखने लगा था मैं तो..

पर जो मेरे सामने था वो सपने से कही ज़्यादा सैक्सी था...
अपनी अधखुली आँखो से तो मॉम और सोनिया को 1-2 बार प्यार करते हुए देख ही चुका था पर आज खुल्ली आँखो से उनकी रंगरिलिया देखने का मज़ा ही अलग था...

मॉम एक हाथ से कड़ाही में बन रही सब्जी हिला रही थी और दूसरे हाथ से सोनिया के सिर को सहला कर अपनी चुचिया चुस्वा रही थी...

मल्टिटास्किंग और मल्टीटेलेंटेड मॉम है मेरी..

अचानक सोनिया ने अपनी उंगली को मॉम की गांड के छेड़ में घुसा दिया ...
बेचारी चीखती हुई अपने पंजो पर खड़ी हो गयी..

''आययईई....क्या कर रही है बदमाश....तेरे चक्कर में मेरी सब्जी जल जानी है....सोनू उठेगा तो उसे जली हुई सब्जी खिलाऊंगी क्या...''

सोनिया ने अपना चेहरा उपर उठाया और बोली : "सब्जी के साथ ये गरमा गर्म दूध पीला देना, इसके मज़े में उसे जली हुई सब्जी का पता ही नही चलेगा...''

मॉम ने उसके चेहरे पर एक हल्की सी चपत लगा दी...

और बोली : "वो भी तेरी तरह ही शैतान है...पता है ना बचपन में कितना काटा करता था मुझे..ये देख...अभी तक उसके दाँत से कटे का निशान है यहां पर...''

मॉम ने अपने निप्पल के पास बने एक कट मार्क को दिखाया...



सोनिया ने उसे देखा और चूमते हुए बोली : "उस वक़्त तो वो नासमझ था मॉम...अब ऐसा नही है...वो जो भी करेगा...आराम से करेगा....आपने तो आज सुबह ट्राइ करके देख ही लिया है....है ना...''

मॉम उसकी बात सुनकर शरमा कर रह गयी...
सुबह जिस तरह वो अपने इसी मुम्मे को मेरे मुँह में ठूस रही थी वो पल तो मेरे लंड को भी एकदम से कड़क बना गया..

सोनिया ने कुछ देर तक बूब को चूसा और फिर उन्हे छोड़ कर बाहर आ गयी...
पर उसकी इस हरकत से मॉम की चूत एक बार फिर से पनिया चुकी थी और खाना बनाते हुए वो फिर से मेरे बारे में सोचने लगी..

मैने अपने लंड को अड्जस्ट किया और बाहर आ गया..

मॉम और सोनिया को गुड मॉर्निंग बोलकर मैं सोफे पर बैठ गया...

सोनिया ने एक सैक्सी सी शार्ट ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमें वो बहुत ही सैक्सी लग रही थी



मेरी नज़रें जब सोनिया से मिली तो मैने इशारे से उससे पूछा की कुछ बात बनी क्या तो उसने फुसफुसा कर कहा 'तू खाना खाकर एक घंटे के लिए बाहर चला जा ..मैं व्हाटसाअप करके बता दूँगी की कब वापिस आना है और क्या करना है...ओके '

यानी सोनिया ने अभी तक कुछ ख़ास बात नही की थी मॉम से...
मुझे बाहर भेजने का मकसद ही यही था की पीछे से वो कुछ प्लानिंग करेगी ताकि मेरे द्वारा मॉम को मज़े दिलवा सके..

पर कैसे...

ये सोचना मेरा काम नही था...

इसलिए मैने जल्दी से खाना खाया और अपने दोस्त से मिलने का बहाना करके बाहर निकल आया.

मॉम का चेहरा बुझ सा गया...
शायद मेरे चले जाने से वो उदास हो गयी थी.

पर सोनिया दी के पास एक आइडिया था जिससे वो मॉम के इस मूड को ठीक कर सकती थी..

वो मॉम को लेकर उनके बेडरूम में गयी और एसी ओंन करके उन्हे लेटने के लिए कहा...
पहले तो मॉम को लगा की वो फिर से कुछ मस्ती करने के मूड में है...
पर लेटने के बाद उन्हे पता चला की वो उनकी कितनी केयर करती है...

मॉम के लेटते ही सोनिया उनकी पीठ पर आकर बैठ गयी और उनके कंधे दबाने लगी...
अपनी नाज़ुक उंगलियो से उनकी पीठ को मसाज देने लगी...

सुबह से काम में लगी मॉम के लिए ये थेरेपी असीम आनंद से कम नही थी..

वो मस्ती में आँखे बंद करके सिसकारियां लेने लगी..




सोनिया उनके कन के पास तक झुकी और बोली : "सोचो मॉम ....ये सब अगर भाई आपके उपर बैठकर करे तो....कैसा फील होगा आपको...''

सोनिया के ये शब्द मॉम को अंदर तक सुलगा गये...

उनके शरीर में जो तनाव उत्पन हुआ उसे सोनिया ने भी महसूस किया...
उसे तो ऐसा लगा जैसे 6 रेक्टेयर का भूकंप आया है उसकी गांड के नीचे...
मॉम का शरीर काम वासना के आवेग में बहकर कांपने लगा था...

जैसे खड़े लंड के साथ मर्दो को उल्टा लेटने में प्राब्लम होती है, वैसे ही कड़क मुम्मो के साथ औरते भी लेटने में असहज महसूस करती है...

सोनिया ने उनकी ये मुश्किल भी आसान कर दी...
उन्हे सीधा करके उनके तने हुए मुम्मे अपनी तरफ कर लिए...
पर उन्हे घुमाने से पहले उसने मॉम की शर्ट उतार दी...

मॉम तो सुबह से ही उत्तेजना के ज्वर में जल रही थी..
इसलिए उन्होने भी कपड़े उतारने का विरोध नही किया...

पर जैसा मॉम सोच रही थी, वैसा सोनिया के मन में नही था...
इन्फेक्ट वो तो अपने प्लान के हिसाब से मॉम के साथ ये सब कर रही थी...

सोनिया ने ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी उठाई और मॉम के बूब्स पर मलने लगी...
एसी की ठंडी हवा और तेल के एहसास से मॉम की आँखे बंद होती चली गयी...
उपर से उनके कठोर बूब्स को जब सोनिया अपनी नाज़ुक उंगलियो से सहलाने लगी तो उनके मुँह से आनंद से भरी सिसकारियां फूटने लगी..

''ओह बैबी.......... तुम्हारे हाथो में तो जादू है......अहह.........सोनीssssss ''



सोनिया उनके बूब्स मलती रही और फिर उसने एक बार फिर से उन्हे पलट दिया...
उनकी पीठ पर तेल लगाते हुए उसने सोनू को मैसेज करके सब जानकारी दी और उसे जल्द से जल्द आने को कहा..

करीब 5 मिनट में ही सोनू ने बेल बजा दी...

मॉम ने चौंकते हुए अपने कपड़े पहनने चाहे तो सोनिया ने उन्हे रोक दिया और बोली : "मॉम ..घबराओ मत...ये सोनू है...और अब आप वैसा ही करोगी जैसा मैं कहूँगी...वरना ये खेल और आगे नही बढ़ पाएगा...''

ये वो घड़ी थी जब मॉम को अपने रिश्तों को ताक पर रखकर अपनी लाइफ का एक बहुत बड़ा फ़ैसला लेना था.....

सोनिया : "सोच क्या रही हो मॉम ....जल्दी बोलो...ऐसे मौके बार-2 नही मिलेगे...आपने ही तो मॉर्निंग में कहा था...अब मौका आया तो आप सोच रही है....टेक युवर डिसीज़न मॉम ...जल्दी...''

वैसे मना करने का तो सवाल ही नही उठता था
क्योंकि मॉम की चूत इस वक़्त बुरी तरह से पनिया रही थी....
और कहते है खड़ा हुआ लंड और बहती हुई चूत इंसान के सोचने की क्षमता को ख़त्म कर देते है...
उसके बाद जो भी सोचा समझा जाता है, लंड और चूत के अपने दिमाग़ से ही...

पर फिर भी , अपनी बेटी को दिखाने के लिए, मॉम ने आख़िरी बार भला बनने की कोशिश की

वो बोली : "पर.....बेटा...ये ...ये सब करना...ग़लत होगा ना...''

सोनिया : "नही मॉम ....कुछ ग़लत नही है....अपने बेटे के उपर आपका पूरा हक है...ही इस यूअर सन....आपने अपनी इसी चूत में से उसे निकाला है...अब उसका फ़र्ज़ बनता है की वो आपकी इस प्यास को बुझाए....इसलिए...कुछ ग़लत नही है....आप बस उल्टे होकर सोने की एक्टिंग करो....बाकी मैं संभाल लूँगी...''

इतना कहकर वो बाहर निकल गयी....
मॉम को कुछ और बोलने का मौका ही नही मिला...

बाहर आकर सोनिया ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर ले आई...

अंदर घुसते ही कमरे की ठंडी हवा ने मेरा स्वागत किया...
पर सामने बेड पर जो नज़ारा था उसने एसी में भी मेरे माथे पर पसीने निकलवा दिए...

बेड पर मॉम उल्टी होकर लेटी थी...
टॉपलेस...
और वो गहरी नींद में थी.

सोनिया ने मॉम को सुनाते हुए जोर से मुझसे कहा : "अर्रे...हैरान होकर क्या देख रहा है....मैं तो बस मॉम की मालिश कर रही थी....2-3 दिन से बोल रही थी की मुझे मसाज दे दे...आज मौका मिला तो मैं वही कर रही थी...''

मैने सोनिया की तरफ देखा , उसके चेहरे पर शरारत के भाव थे...
अब मुझे अपने डाइलॉग बोलने थे...
जो सचुएशन के हिसाब से मुझे बोलने चाहिए थे...

मैं : "ओह्ह ....ओक...ठीक है ..तुम करो...मैं अपने रूम में जाता हूँ ....''

सोनिया : "अर्रे...यहीं रुक ना....तुम्हारे रहने से भला क्या प्राब्लम होगी...वैसे भी मॉम इतनी थकी हुई थी की अब वो गहरी नींद में सो रही है...''

मैं भी मुस्कुरा दिया....
ये सोचकर की मॉम अब उसी सिचुएशन में है, जिससे मैं 2 बार गुजर चुका हूँ ....
ऐसे मे अपने शरीर के साथ जब कोई दूसरा छेड़खानी करता है तो कितनी प्राब्लम होती है अब ये मॉम को पता चलेगा..

मैं सोनिया की बात मानकर वही बैठ गया...

सोनिया : "अरे भाई..सिर्फ़ बैठना नही है...यहाँ आओ और मेरी हेल्प करो...मॉम की मसाज करो तुम भी..मैं तो काफ़ी देर से कर रही थी..अब मैं थक गयी हूँ ...''

सोनिया ने बड़ी चालाकी से मुझे उस सीन मे उतार लिया जिसमे कुछ देर पहले तक मॉम और सोनिया ही थे बस...

और ये सीन कितना ख़तरनाक होने वाला था
इसका अंदाज़ा तो शायद हम तीनो में से किसी को नही था...
क्योंकि आज उस कमरे में मर्यादा की एक और दीवार गिरने को तैयार थी...
और वो कैसे गिरेगी, ये सब मेरे उपर निर्भर था..
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01-09-2019, 02:28 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
सोनिया : "अरे भाई..सिर्फ़ बैठना नही है...यहाँ आओ और मेरी हेल्प करो...मॉम की मसाज करो तुम भी..मैं तो काफ़ी देर से कर रही थी..अब मैं थक गयी हूँ ...''
सोनिया ने बड़ी चालाकी से मुझे उस सीन मे उतार लिया जिसमे कुछ देर पहले तक मॉम और सोनिया ही थे बस...

और ये सीन कितना ख़तरनाक होने वाला था इसका अंदाज़ा तो शायद हम तीनो में से किसी को नही था...
क्योंकि आज उस कमरे में मर्यादा की एक और दीवार गिरने को तैयार थी...और वो कैसे गिरेगी, ये सब मेरे उपर निर्भर था..

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अब आगे
************

पर उस दीवार के गिरने से पहले मुझे भी तो अपने बेटे होने की मर्यादा का दिखावा करना था मॉम के सामने...

मैं बोला : "पर दी....ये मैं कैसे कर सकता हूँ ....आप तो लड़की हो...मॉम की बॉडी को छू सकती हो...मैं भी कर लेता पर मॉम ने तो उपर कुछ भी नही पहना हुआ है....ये ग़लत होगा...''

पहली बार ''ये ग़लत है'' बोलने में मुझे मज़े आ रहे थे...

और वही शब्द सुनकर मॉम के दिल में भी हलचल सी हो रही थी...
उन्हे तो अब यही लग रहा था की उनका संस्कारी बेटा अपनी मर्यादा लाँघने से कतरा रहा है...
कितनी अच्छी शिक्षा दी है उन्होने अपने बेटे को...

पर वो ये नही जानती थी की उनकी शिक्षा की बत्ती बनाकर मैं कब से अपनी खुद की बहन को चोद रहा हूँ...
और उनके रसीले योवन को देखकर ही हमने ये सब प्लानिंग की है ताकि उन्हे भी चोदा जा सके..

सोनिया ने अपना माथा पकड़ लिया
पहले मॉम को समझाया था और अब भाई को समझना पड़ेगा...
भले ही ये सब एक नाटक की तरह था हम दोनो भाई बहन के बीच
पर स्क्रिप्ट की माँग के अनुसार, मॉम को सुनाने कि खातिर, ये सब करना भी ज़रूरी था..
वरना उन्हे एक पल में ही पता चल जाना था की ये सब हमारी ही प्लानिंग है...

सोनिया : "मेरे भाई....तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे मैं तुम्हे कुछ ग़लत काम करने को कह रही हूँ ...मॉम को हमारी ज़रूरत है, इसलिए उन्होने मालिश करने को कहा था...अब वो मैं करू या तुम करो, इससे क्या फ़र्क पड़ता है...वैसे भी तुम्हारे हाथ काफ़ी स्ट्रॉंग है...मॉम को काफ़ी आराम मिलेगा...''

मैं भोले बनने का नाटक करता हुआ बोला : "सच्ची .....क्या सच में मॉम को आराम मिलेगा...''

सोनिया : "हाँ मेरे भाई...सच में ...तुम्हारे पावरफुल स्ट्रोक्स को फील करके मॉम रिलैक्स फ़ील करेगी...प्रॉमिस...''

मॉम मन ही मन हंस रही थी की कैसे सोनिया अपनी बातो में बहला फुसला कर अपने भोले भले भाई को मसाज करने के लिए उकसा रही है...
अब तो उन्हे भी इस बात का इंतजार था की उनका बेटा जल्द से जल्द मसाज करने को मान जाए ताकि उनके अंदर जो एक तूफान जन्म ले चुका था वो अपने मुकाम पर पहुँच जाए..

मैने अपने शूज़ उतारे और बेड पर आ गया...
और सीधा जाकर मॉम के गद्देदार कुल्हो पर बैठ गया..

उफ़फ्फ़....
क्या मुलायम गांड थी मॉम की...
ऐसा लग रहा था जैसे किसी कुशन पर जाकर बैठ गया हूँ मैं ...
मैने मॉम पर अपने शरीर का पूरा भार नही डाला था,इसलिए मॉम को भी शायद ज़्यादा तकलीफ़ नही हुई मेरे बैठने से...

मैने अपने काँपते हुए हाथ मॉम की कमर पर रखे तो ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बिजली का झटका लगा हो...
मेरे साथ-2 मॉम का शरीर भी काँप कर रह गया...
पर किसी ने भी रिएक्ट नही किया...
हम दोनो ने अंदर ही अंदर एक सिसकारी मारी...



मेरे हाथ मॉम की चिकनी कमर को रगड़ने लगे...

उनका गुदाज जिस्म बड़ा ही सैक्सी लग रहा था...
मैने नीचे से उपर ले जाते हुए उनकी कमर को अच्छे से रगड़ा...
उनकी कमर का एक-2 मस्सल मेरे हाथ की चपेट में आकर खुल सा गया...

मॉम ज़ोर-2 से सिसकारी मारना चाहती थी पर सोने का नाटक करने की वजह से बेचारी कुछ नही कर पाई...

मेरे हाथ साइड में होते हुए उनके बूब्स को भी टच कर रहे थे....
मन तो कर रहा था की एक ही बार में उन्हे पलट कर उनके मोटे मुम्मो पर टूट पड़ूँ , पर अभी ऐसा करना सही नही था...
जो भी करना था वो आराम से और नॅचुरल तरीके से करना था मुझे...
ताकि मॉम को किसी भी बात का शक ना हो...

मैं ये सोच ही रहा था की सोनिया ने अपनी चाल चल दी

वो बोली : "अर्रे...सिर्फ़ पीठ की मालिश नही करनी है...फ्रंट से ब्रेस्ट की भी करो....''

मैं : "पर दी....वहाँ पर करना तो ग़लत होगा ना....''

इस वक़्त तो मुझे भी इस ग़लत वर्ड को बोलते हुए हँसी आ रही थी...

सोनिया : "अर्रे भाई...कुछ ग़लत नही है....ये हमारी मॉम है...इनकी ब्रेस्ट चूस्कर ही हम बड़े हुए हैं....उनकी मसाज करना कहा से ग़लत हो गया...''

मैने सोनिया दी की बात को मानने का नाटक करते हुए कहा : "ओके ...तुम कहती हो तो कर देता हूँ ...''

इतना कहते हुए मैने मॉम को पलट दिया....
उन्होने आँखे ज़ोर से मूंदी हुई थी...
सॉफ पता चल रहा था की वो जाग रही है और आँखे मूंदकर सोने का नाटक कर रही है...
उनकी ये दशा देखकर मुझे भी अंदर ही अंदर हँसी आ रही थी.

उनकी हालत ठीक वैसी ही थी जिससे मैं 2 बार निकल चुका था.

खैर , मैने अपना पूरा ध्यान उनके बूब्स पर लगा दिया...
जिन्हे मैं पहली बार इतने करीब से नंगा देख रहा था...



मन तो कर रहा था की उन्हे कच्चा चबा जाऊ ...
निचोड़ डालु उनके रसीले निप्पल्स को अपने मुँह से....
और देखू की क्या आज भी उनमे से दूध निकलता है या नही...

मैने अपने हाथ में तेल लिया और उनके नर्म मुलायम खरबूजो को मसलने लगा...

मॉम का शरीर कसमसा सा गया...

मैं उनके बूब्स को अच्छे से रगड़ता हुआ, उनके निप्पल्स को अपनी उंगलियो के बीच दबाकर मसलता हुआ उन्हे उनकी लाइफ की सबसे ज़्यादा सेक्सुअल मसाज देने लगा..



सोनिया दी भी मेरे सामने आकर खड़ी हो चुकी थी...

उनके चेहरे पर एक मादक सी मुस्कान थी, वो विजय की मुस्कान थी जो उन्होने आज हासिल की थी..

मॉम के मोटे निप्पल मसलते हुए ना जाने मुझपर क्या भूत सवार हुआ की मैने उनके दाँये मुम्मे को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया...
उसे ज़ोर से दबाकर उनके निप्पल को दांतो से कुरेदने लगा..

सोनिया : "अर्रे भाई....ये मॉम है...तुम्हारी गर्लफ्रेंड नही जो ये सब करना शुरू कर दिया...अब जो तुम कर रहे हो ये ग़लत है....''

इस बार जिरह करने की बारी मेरी थी..

मैं बोला : "नही दी,,...मुझे नही लगता की ये ग़लत है.....ये हमारी मॉम है..जैसा बचपन में थी...वैसे ही...उस वक़्त भी इनकी ब्रेस्ट चूसा करते थे और आज भी वही कर रहा हूँ ...इसलिए जो पहले ग़लत नही था वो अब कैसे हो सकता है...और वैसे भी...अगर कुछ है भी तो क्या फ़र्क पड़ता है...ये मेरी मॉम है और मैं इनका बेटा...हमारा एक दूसरे पर किसी और से ज़्यादा हक है....है ना...''

सोनिया ने भी हाँ में हाँ मिलाई : "हाँ भाई...तुमने सही कहा....ये सही है....''

और फिर मॉम की तरफ मुड़कर बोली : "मॉम ..अब उठ भी जाओ...कब तक सोने का नाटक करती रहोगी....''

मॉम ने झटके से अपनी आँखे खोल दी...

और जब हम दोनो की नज़रे टकराई तो दोनो ही मुस्कुरा दिए...

सोनिया : "देखा मॉम ..सोनू की भी यही सोच है....अब तो आपको कुछ भी करवाने मे किसी भी तरह की दिक्कत नही है ना...''

मैने बीच मे टोका : "कुछ भी ???....मतलब...''

सोनिया ने मेरी तरहा देखा और बोली : "कुछ भी मतलब कुछ भी.....वही सब जो तू थोड़ी देर पहले मॉम के साथ सोते हुए कर रहा था...वो सब....और वो भी एक्स्ट्रीम हदद तक....समझा...नही समझा ना....चल अपने सारे कपड़े उतार , फिर समझाती हूँ ....''

मैने भोले बनने का नाटक करते हुए अपने सारे कपड़े उतारने शुरू कर दिए...
इसी बीच सोनिया ने भी मॉम की पेंट नीचे खींचकर उन्हे पूरा नंगा कर दिया....



मेरी नज़र मॉम के नंगे शरीर पर थी और मॉम की मेरे झूल रहे लंड पर...

सोनिया ने मॉम को मेरे सामने बिठाया और बोली : "चलो मॉम ....शुरू हो जाओ अब.....दिखा दो की आपमे अभी भी कितनी जवानी बची है...''

सोनिया के कहने की देर थी की मॉम ने एक ही झटके में मेरा लंड पकड़ा और उसे ज़ोर -2 से चूसने लगी....

यही वो पल था जब हमारे बीच की बची खुची दीवार भी तिनके की तरह गिर गयी....

मैने मॉम के सिर को पकड़ा और उनके चेहरे को बुरी तरह से चोदने लगा..



मॉम के हिलते मुम्मे और बंद आँखे मुझे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी....
मैने उन्हें उपर उठाया और उनके होंठो पर होंठ रखकर उन्हे चूसने लगा...

पहली बार की गयी ये किस्स मुझे किसी और ही दुनिया में ले गयी...



उनके होंठो को चूसते हुए मैं उनके मुम्मो को भी दबा रहा था...

और अपने मुम्मे मसलवाते हुए उन्हे भी काफ़ी मज़ा आ रहा था.

और जल्द ही मॉम पर वो भूतनी सवार हो गयी जो उनसे इतना कुछ करवा चुकी थी...

उन्होने एक ही झटके में मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरे उपर सवार हो गयी....

मेरे लंड को पड़कर अपनी चूत के दरवाजे पर फिट किया और किलकरियाँ मारती हुई वो मेरे लंबे से पोल् पर फिसलती चली गयी...

''आआआआआआआआआआआआआहह....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... उम्म्म्ममममममममममममममममममममम..... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... मजा आ गयाआआआआआआआआआअ....''



मॉम की गर्म चूत में घुसकर मेरा लंड भी काफ़ी खुश था...
साला खुशी से फूल कर और मोटा हो गया था वो...

मैने अपने हाथ मॉम के बूब्स पर रखे और नीचे से अपने लंड को उनकी चूत में धक्के मारते हुए उन्हे बुरी तरह से चोदने लगा...

''ओह मॉम ........यु आर सो हॉट....... आपको पता नही है मैं कब से यही चाहता था....ओह येसससस्स........ आई एम फीलिंग टू हॉट..... मॉम....आई लव यू मॉम ....आई लव यू ....''



इतना कहते हुए मैने मॉम को नीचे झुकाकर उनके होंठो को चूम लिया...
और बस, यही वो मौका था जब मेरे लंड ने मेरा साथ छोड़ दिया और उसमे से ढेर सारा रस निकल कर मॉम की चूत में जाने लगा....

मॉम भी अपनी चूत के गर्म रस को मेरे लंड के नाम न्योछावर करके हांफती हुई सी, मेरे होंठो को चूसती रही...
और तब तक चूसती रही जब तक उनके शरीर ने ऑर्गॅज़म के झटके देने बंद नही कर दिए...

और अंत में आकर जब हम दोनो की नज़रे मिली तो एक बार फिर से दोनो मुस्कुरा दिए...

तभी पीछे से सोनिया दी की आवाज़ आई : "अपने चक्कर में तुम लोग मुझे तो भूल ही गये....''

मैने और मॉम ने जब नज़र घुमाकर सोनिया की तरफ देखा तो दोनो की आँखे फटी रह गयी...

वो पूरी नंगी होकर, एक चेयर पर बैठकर, अपनी चूत में उंगलिया घुसाकर वो सब देख रही थी और अपनी मूठ मार रही थी...



उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की बिना चुदे वो मानने वाली नही है...
पर मॉम के सामने वो कैसे चुदेगी, ये सबसे बड़ी परेशानी वाली बात थी.
Reply
01-09-2019, 02:28 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मॉम भी अपनी चूत के गर्म रस को मेरे लंड के नाम न्योछावर करके हांफती हुई सी, मेरे होंठो को चूसती रही...और तब तक चूसती रही जब तक उनके शरीर ने ऑर्गॅज़म के झटके देने बंद नही कर दिए...

तभी पीछे से सोनिया दी की आवाज़ आई : "अपने चक्कर में तुम लोग मुझे तो भूल ही गये....''
मैने और मॉम ने जब नज़र घुमाकर सोनिया की तरफ देखा तो दोनो की आँखे फटी रह गयी...

वो पूरी नंगी होकर, एक चेयर पर बैठकर, अपनी चूत में उंगलिया घुसाकर वो सब देख रही थी और अपनी मूठ मार रही थी...उसके चेहरे को देखकर सॉफ पता चल रहा था की बिना चुदे वो मानने वाली नही है...पर मॉम के सामने वो कैसे चुदेगी, ये सबसे बड़ी परेशानी वाली बात थी.

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अब आगे
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अभी कुछ देर पहले तक मॉम के चेहरे पर जो खुशी थी वो एकदम से गायब हो चुकी थी....
उनकी चूत में जब तक लंड जा रहा था तो वो खुश थी
और जब अपनी बेटी की चूत में वही लंड के जाने की बारी आई तो मॉम के चेहरे ने रंग बदल लिए..

मॉम (थोड़ा गुस्से से) : "ये क्या बोल रही हो सोनिया....ये तुम्हारा भाई है...इसके साथ तुम कैसे...?''

सोनिया तो पहले से ही पूरी तैय्यारी के साथ बहस करने के मूड में थी...

वो बोली : "ये मेरा भाई है तो आपका भी तो बेटा है...जब आप इसके साथ सैक्स कर सकती हो तो मैं क्यों नही....? ''

मुझे भी पता था की सोनिया के इस सवाल का कोई जवाब नही होगा मॉम के पास...
फिर भी वो झल्लाई हुई सी आवाज़ में बोली : "वो....वो....मैं कुछ नही जानती...मेरा तो कुछ नही पर तुम्हारी तो अभी शादी होनी है....इसलिए तुम इस दलदल में अभी से मत उतरो...अपनी वर्जिनिटी बचा कर रखो, उपर-2 से थोड़ा बहुत मज़ा जो लेना है वो ले लो...पर नोट....नोट देट ....नो फकिंग...''

सोनिया का चेहरा एकदम से लाल हो उठा...
और मुझे लगा की अब वो एकदम से बोल ही देगी की वो कई दिनों से मुझसे चुदवाती आ रही है....
और यही वक़्त था जब मुझे बीच में कूद कर सारी बात संभालनी थी..

मैं बोला : "ओके मॉम ...जैसा आप कहो....हम उपर-2 से ही मज़े ले लेते है....''

इतना कहकर मैने सोनिया दी को आँख मारकर चुप रहने को कहा और जो प्लानिंग मेरे दिमाग़ में आ चुकी थी, उसके अनुसार ही चलने को कहा...

मॉम मेरी बात सुनकर काफ़ी खुश हुई...
उन्हे लगा की मुझे भी अपनी बहन के कुंवारेपन की चिंता है इसलिए मैं ऐसा बोल रहा हूँ
पर वो नही जानती थी की मेरे दिमाग़ में इस वक़्त क्या चल रहा है...

मैं बिना कोई वक़्त गँवाए सोनिया दी की तरफ बढ़ गया....
और उनके करीब जाते ही वो मुझपर किसी लोमड़ी की तरह झपट पड़ी और मुझे दबोच कर बेड पर लिटा दिया....
और अपना नंगा शरीर मुहसे रगड़ती हुई ज़ोर-2 से मुझे स्मूच करने लगी...
ऐसा लग रहा था जैसे उसपर कोई भूतनी चड गयी है जो मेरा रेप करके ही मानेगी...

मेरी नज़रें मॉम की तरफ भी थी...
जो बड़े ही चिंता भरे चेहरे के साथ हम दोनो के प्यार का खेल देख रही थी...
कुछ ऐसी ही किस्स मॉम ने कुछ देर पहले मेरे साथ भी की थी पर उस वक़्त वो एंजाय कर रही थी...
सच कहा है किसी ने, ये जेलीसी औरत के मूड का सत्यानाश कर देती है...
यही शायद मॉम के साथ भी हो रहा था अभी...
उन्होने शायद मेरे उपर अपना ही हक्क समझ लिया था अभी तो और शायद इसलिए सोनिया दी के बीच में आने से उनका मूड खराब सा लग रहा था...

और शायद उसी जेलीसी में आकर उन्होने चुदाई ना करने की बात कही थी हम दोनो भाई बहन के बीच...
भले ही उनका लॉजिक अपनी जगह सही था पर वो उस काम के लिए मना कर रही थी जो वो खुद कुछ देर पहले तक कर रही थी...

पर मेरे दिमाग़ मे जो चल रहा था उसके बाद तो मॉम ने खुद ही बोलना था की कर लो जो करना है...

सोनिया दी की चूत में जो खुजली हो रही थी उसे दूर करने के लिए वो मेरे मुँह पर आ बैठी और चूत को मेरे मुँह पर बुरी तरह से रगड़ने लगी...



मॉम के लिए तो ये सब शॉक जैसा था और वो ये नही जानती थी की ये घुड़सवारी सोनिया दी पहली बार नही कर रही है...
मेरे मुँह पर चूत रखकर तो उन्होने ना जाने कितनी बार मुझे सुबह नींद से जगाया था...

मैं भी सोनिया दी के नर्म कुल्हो को दबाता हुआ, अपनी जीभ को लंड की तरह तन्ना कर उनकी कसावट भरी, आग उगलती, रस से भरी चूत को चोदने लगा..

''आआआआआआआआआआआआहह यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... और अंदर डालो भाई....अपनी जीभ को.......मेरी चूत में ...आआआआआआआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... यही पर.......ऑश हाआँ.....यही है वो.....इट्स माय क्लिट भाई.....खा जा इसको......निचोड़ ले.....अपने मुँह में ...आआआआआआअहह''

मॉम का चेहरा देखने लायक था जब उन्होने अपनी प्यारी बेटी के मुँह से ये सब सुना तो....
वो जब चुद रही थी तब तो कुछ बोल ही नही पाई थी....
और सोनिया तो बिना चुदे ही इतना कुछ बोले जा रही है....

वैसे एक बात है
चुदाई के समय बोलने वाली लड़कियां या लड़के, चुदाई के मामले में, दूसरो से काफ़ी आगे होते है...

और शायद ये इस वक़्त मॉम भी फील कर रही थी...
उन्हे तो सोनिया में एक होने वाली चुदक्कड़ नज़र आने लगी थी....
अभी तो उसकी उम्र कुछ भी नही है...जैसे-2 ये जवान होगी पता नही क्या -2 गुल खिलाएगी...

मॉम को कुछ दिन पहले की वो बाते भी याद आ रही थी जब उन्होने और सोनिया दी ने मेरे नींद में होने का फायदा उठाया था...
वो तो सिर्फ़ सोनिया दी को ही पता था की मैं जाग रहा हूँ पर उसके बावजूद उस वक़्त मॉम ने सोनिया दी को कुछ नही कहा था जब वो भी उन्ही की तरह मेरे साथ नींद में मज़े ले रही थी...
शायद उस वक़्त आँखो की शर्म नही थी...

पर जो भी था, मॉम की इस हालत को देखकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था...

और आता भी क्यो नही...
मॉम के बाद अपनी बहन के नंगे शरीर के साथ जो मज़ा मिल रहा था मुझे उसका कोई मुकाबला ही नही था.
Reply
01-09-2019, 02:28 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मैने सोनिया को घुमा कर 69 की पोज़िशन में कर दिया और उसकी रस टपकाती चूत को अपने मुँह में भरकर ज़ोर-2 से चूसने लगा...

''आआआआआआआआययययीीईईईई मेरे भाई........................ क्या बात है........ कहाँ से सीखा ये सब...... उम्म्म्मममममममममममममम सच में ....बहुत मज़ा आ रहा है.....''



सोनिया ने अपनी तड़पति हुई आवाज़ में ये सब कहा और फिर मेरे खड़े हुए लंड को अपने मुँह में डालकर सही मायने में 69 की पोज़िशन को सार्थक करने लगी....
जिसमे दोनो पार्ट्नर्स सिर्फ़ चूसम चुसाई करते है, कोई बातचीत नही...

और यही वो पल था जब मॉम का हाथ एक बार फिर से अपनी चूत की तरफ सरक गया...

और वो भी अपनी क्लिट को अपनी उंगली के बीच दबोच कर रगड़ने लगी...

शायद उन्हे अब पछतावा हो रहा था की उन्होने ये सब मज़े क्यो नही लिए मुझसे...

वैसे ग़लती उनकी भी नही थी..
इतने दिनों से जो कुछ भी मॉम और मेरे बीच चल रहा था उसके बाद तो लंड को एक ही झटके में लेना बनता ही था...

मैने एक उंगली अचानक सोनिया दी की गांड के छेद में उतार दी और वो घोड़ी की तरह हिनहीना उठी...

''आआआआआआआआआआआआहह भाईईईईईईईईईईईईईईईई............. उम्म्म्ममममममममममम....''

और फिर मैने उंगली की जगह अपनी जीभ उतार दी उसी छेद में ....
ये तो ऐसा था जैसे सोने पे सुहागा....

भले ही गांड के छेद से ऑर्गॅज़म का कोई डाइरेक्ट कनेकक्षन नही था, पर वहां जीभ जाते ही उसकी चूत से ढेर सारा लावा निकल कर मेरी छाती को भिगोने लगा....

ऐसा लग रहा था जैसे उसने सूसू कर दिया हो...
पर असल में वो था उसकी चूत से निकला गरमा गरम ऑर्गॅज़म का रसीला पानी...

मेरे होंठ हरकत में आए और उन्होने उस रस को समेट कर निगलना शुरू कर दिया....
ये ठीक वैसा ही था जैसे गन्ने की मशीन के नीचे मैने अपना मुँह लगा दिया हो....
मीठा और रसीला रस उस मशीन से निकल कर सीधा मेरे मुँह में जा रहा था...

और उस रस का अपनी चूत से त्याग करती हुई सोनिया, बुरी तरह से चिंघाड़ रही थी...

''आआआआआआआआआआआआआआहह..............ओह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स........... उम्म्म्ममममममममममममममममममम........ ओह बैबी........सककककक इट..........सब पी जाओ......अहह''

और सारा रस पीकर जब मेरी नज़रें मॉम की तरफ गयी तो उनका बदहवासी वाला रूप देखकर मैं डर सा गया...

उनके हाथ अपनी चूत पर जोरो से चल रहे थे....
उनकी आँखे डबडबायी हुई थी....
होंठ फड़क रहे थे और उनमें से कुछ शब्द निकलकर मेरे कानों तक आ रहे थे...

वो बोल रही थी....'साला ......ऐसे मज़े मुझे क्यो नही दिए......अब लूँगी...सारे मज़े......एक साथ......अहह.........चाटेगा अब तू....मेरी चूत भी....और ....और....गांड भी......अहह.....मेरा राजा बेटा......अहह सोनू....''

और ये सब बुदबुदाते हुए वो मेरे करीब आई और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया.....

''आआआआआआआआआअहह........ये भी जल रही है दोबारा........कर दे इसको भी शांत......अहह....''

पर अब मुझे पता था की क्या करना है....

यही वो वक़्त था जब मुझे मॉम के साथ सौदा करना था..

मैं बोला : "मॉम ..ट्राइ तो अंडरस्टॅंड....जैसा आप फील कर रही हो अभी....वैसा ही सोनिया दी भी कर रही है....देखो ज़रा इनकी हालत....फकिंग की इनको ज़्यादा ज़रूरत है....प्लीज़ अगर आप कहो तो...इनके साथ मैं ...कर लू...''

मॉम ने एक बार फिर से कहा : "नही सोनू......एक बार बोल दिया ना....नही तो नही....और जितने मज़े इसने लेने थे, ये ले चुकी है....अब मेरी बारी है....चल जल्दी आ....देख ज़रा...क्या हाल हो रहा है मेरा .....जल्दी से मुझे शांत कर...''

मैं भी दृढ़ स्वर में बोला : "नही मॉम ...पहले सोनिया दी....वरना आप भी नही....फ़ैसला आपका है...''

मॉम तो मेरी बात सुनकर हैरान रह गयी....
उन्हे तो ऐसा लग रहा था जैसे उनके गुलाम ने उनका कोई हुक्म मानने से मना कर दिया हो...
पर मेरे चेहरे पर आए भाव देखकर वो समझ गयी थी की मई सीरियसली ये सब बोल रहा हूँ ...

अब थोड़ा बहुत बचा हुआ काम सोनिया दी को भी करना था...

वो अपनी नंगी छातिया मॉम की पीठ से रगड़ती हुई बोली : "मॉम ....मान भी जाओ ना.....अपनी लाइफ की पहली फकिंग मुझे अपने भाई से मिले, इससे अच्छा भला क्या हो सकता है....वैसे भी हॉस्टिल में अपनी पुसी में केंडल्स और फिंगर डाल-डालकर अपने कुंवारेपन की झिल्ली तो कब की खो दी है...ऐसे में अगर भाई का लंड अंदर जाएगा तो क्या फ़र्क पड़ जाएगा....प्लीज़ मॉम ...ट्राइ तो अंडरस्टॅंड....करने दो ना....''

सोनिया दी ने बड़ी चालाकी से अपनी झिल्ली फटने का इल्जाम बेचारी केंडल्स पर लगा दिया ।

मैं : "हन मॉम ....प्लीज़....एन्ड आई प्रोमिस की उसके बाद आपको मैं दुनिया का वो मज़ा दूँगा जो किसी भी किताब या बी ऍफ़ मूवी में भी नही देखा होगा किसी ने....प्लीज़ मॉम ...''

इतना बहुत था, मॉम को पिघलाने के लिए...

वो बोली : "ओके ....तुम कहते हो तो यही सही.....बट ....आई वॉंट तो हेव ए फन अलोनगविद यू .....ओके ...''

मॉम बड़ी चालाक थी...
उन्हे अच्छे से पता था की एक बार तो मैं झड़ ही चुका हूँ , सोनिया की चुदाई के बाद दोबारा तैयार होने में पता नही कितना टाइम लगेगा...
इसलिए वो सोनिया दी के साथ ही अपने मज़े लेना चाहती थी....

और इसमें ना तो मुझे और ना ही सोनिया को कोई प्राब्लम थी...

और अब वक़्त आ गया था मेरे लंड का सोनिया दी की चूत में जाने का...
और वो भी मॉम की प्रॉपर पर्मिशन के साथ...

सोनिया बेड पर लेट गयी और मैं उसकी टाँगो के बीच आ गया...
Reply
01-09-2019, 02:29 PM,
RE: bahan ki chudai ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )
मॉम सामने से आई और उन्होने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया ताकि वो चिकना हो सके...
और फिर उन्होने सोनिया की चूत भी चूसी, अब दोनो तरफ की पार्टी तैयार थी....
मॉम ने बड़े प्यार से मेरे लंड को पकड़कर सोनिया दी की चूत पर रखा और बोली : "शाबाश बेटा....अब धीरे-2 अंदर डालना....वरना इसे तकलीफ़ होगी....''



मैं मन ही मन हंस दिया....
और सोनिया भी....

मैने ठीक वैसे ही किया जैसे मॉम ने कहा था....

लंड को चूत पर रखा और उसे धीरे-2 अंदर खिसकाने लगा...

सब कुछ वैसे ही हो रहा था जैसा मॉम चाहती थी...
पर सोनिया को ऐसे लंड लेने में मज़ा नही आ रहा था..

वो ज़ोर से चिल्लाई : "ऐसे नही भाई......एक ही झटके में अंदर डालो.....डालो ना....''

और इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता, सोनिया ने मेरे कुल्हो पर अपनी टांगे रखकर, मुझे अपने उपर पूरा खींच लिया....
और मेरा लंड दनदनाता हुआ सा उनकी चूत में घुसता चला गया....

''आआआआआआआआआआआआआआआआआहह ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......... उम्म्म्ममममममममममममम''

एक ही पल में मेरा पूरा का पूरा लंड जड़ समेत सोनिया की चूत में था....
मैं सोनिया के उपर लेटा हुआ उसकी चूत से आ रही वाईबरेशन को महसूस कर रहा था...

और मॉम आश्चर्य से अपनी बेटी के इस कारनामे को देखकर बड़बड़ा रही थी

''ये आजकल की लड़किया बड़ी डेयरिंग बाज है.....मैं तो अपने फर्स्ट टाइम में 2 घंटे तक डरती रही थी....और ये....है भगवान...पता नही क्या होगा इसका...''

अब सोनिया का जो होना था वो तो हो ही चुका था...

मैने उसकी आँखो में देखा और उसमे मुझे एक अलग ही तरह की चमक दिखाई दी...
विजय की चमक ...
जैसे कह रही हो की
'देख लो भाई...जैसा मैने कहा था वो कर दिया है...मॉम को तुमसे चुदवा भी दिया और उनके सामने खुद भी चुद रही हूँ ....मानते हो ना मुझे....'

बस....
उसके बाद तो मैने उसके हिलते हुए मुम्मे पकड़ कर जोरों से उसकी चूत चोदनी शुरू कर दी....

इसी बीच मॉम भी अपनी टांगे फेला कर सोनिया के चेहरे पर बैठ गयी



बड़ा ही सैक्सी सीन था , मेरे सामने मेरी माँ और बहन,दोनों मजे ले रही थी थी...
बहन की चूत में तो मेरा लंड था जो अब मॉम की चूत में जाने के लिए निकल चुका था...

मैने अपना गीला लंड लेजाकर मॉम की चूत पर रखा और उन्होने भी ठीक वैसे ही मुझे अपने उपर खींचा जैसे सोनिया दी ने खींचा था...

घपप्प की आवाज़ के साथ मेरा तुर्कमानी लंड मॉम की चूत में घुसता चला गया..

अब सिसकारिया मारने की बारी मॉम की थी..



''आआआआआआआआआअहह बेटा......... शाबाश................ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... क्या लंड है रे तेरा...... कसम से ......मुझे तो खुद पर ही नाज़ हो रहा है....की ...की...ऐसा बेटा पैदा किया है.....अहह.....उम्म्म्मममममममममम......चोद बेटा...अपनी माँ को चोद ....ज़ोर ज़ोर से चोद .........''

सोनिया अब घोड़ी बन गयी और अपनी गांड लहरा दी मेरी तरफ....

मेरा लंड निकल कर उसकी गांड-हवेली की तरफ चल दिया...
और इस बार मैने अपना लंड उसकी चूत की बजाए गांड में पेल दिया....
वो तो अच्छा हुआ की मॉम अभी तक लेटी हुई थी, उन्हे यही लग रहा था की मैं सोनिया की चूत मार रहा हूँ डुग्गी स्टाइल में ...
पर असल में वो अपनी गांड मरवाई का मज़ा ले रही थी...



सैक्स ही सैक्स फैल चुका था पूरे कमरे में ....

और उस कमरे में एक के बाद दूसरे और फिर से पहले छेद में अपना लंड पेल रहा था...
आज की डेट में शायद मेरे से खुशकिस्मत लड़का कोई और नही था पूरी दुनिया में जिसे अपने घर में पूरा प्यार मिला था...
अपनी माँ का...
अपनी बहन का...
स्कूल में अपनी गर्लफ्रेंड साक्षी का ...
और बोनस के रूप में अपनी बहन की सहेली तनवी और चाँदनी...

कुल मिलाकर जब से सोनिया दी हॉस्टिल से वापिस आई थी , तब से लेकर आज तक मुझे भी नही पता था की मैं कितनी बार चूत मार चुका हूँ ...
और अब ये सिलसिला तो हमेशा के लिए चलने वाला था..

सोनिया दी के हॉस्टिल चले जाने के बाद मॉम के साथ और बाहर साक्षी और तनवी के साथ..

और ये सब करके मैने एक बात तो सीख ली थी अपनी लाइफ से की हर वो बात जो सिद्धांतो के हिसाब से ग़लत होती है, उसे करने के बाद वो उतनी ग़लत नही रहती जितना की हम सोच लेते है...

इसलिए अब मेरी लाइफ में सब सही है....

कुछ भी ग़लत नही है.

और मैं अपनी इस लाइफ को अच्छे से एंजाय कर रहा हूँ .....और करता रहूँगा.


***************
समाप्त
***************

दोस्तो , इसी अपडेट के साथ मैं अपनी इस कहानी को यही ख़त्म कर रहा हूँ ...
आशा करता हूँ की आप सभी को ये कहानी पसंद आई होगी.

मुझे पता है की मेरे ज़्यादातर दोस्त कहानी को और आगे ले जाने की बात करेंगे, पर मेरे हिसाब से इस कहानी के माध्यम से जो मैं दर्शाना चाहता था वो सब दर्शा चुका हूँ , इसके बाद जो भी होगा, वो सब रिपीट स्टोरी की तरह चलेगा..










***************
समाप्त
***************
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