Desi Kahani Jaal -जाल
12-19-2017, 10:25 PM,
#1
Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--1

दोस्तो आपकी सेवा मे मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ

"और अब आपके सामने है आज की नीलामी की सबसे आख़िरी मगर सबसे खास पेशकश..",डेवाले के क्लॅसिक ऑक्षन हाउस के मेन हॉल मे स्टेज पे खड़ा इंसान 1 पैंटिंग से परदा हटा रहा था.उसके सामने 20-20 कुर्सियो की 2 कतारो मे 40 आदमी बैठे थे.अभी तक 10 चीज़ो की नीलामी हुई थी मगर सबका ध्यान इसी पैंटिंग पे था.ये पैंटिंग मशहूर पेंटर गोवर्धन दास की थी जोकि अभी कुच्छ ही दिनो पहले 1 आर्ट कॉलेज की लाइब्ररी मे पड़ी मिली थी.सभी जानकरो का मानना था कि ये दास बाबू की है,जिन्हे गुज़रे 70 से भी ज़्यादा साल हो चुके थे,सबसे उम्दा तस्वीरो मे से 1 है.

"..इस तस्वीर की नीलामी की शुरुआती कीमत 10 लाख तय की गयी है.क्या कोई है जो इस रकम से ज़्यादा बोली लगा सकता है?",सामने बाई कतार मे बैठे 1 शख्स ने अपना हाथ उपर उठाया.

"15 लाख..और कोई?",इस बार दाई कतार मे बैठे 1 शख्स ने हाथ उठाया.नीलामी करने वाला आक्षनियर मुस्कुराया.वो जानता था कि दोनो शख्स खुद के लिए नही बल्कि अपने मालिको के लिए बोली लगा रहे हैं.हॉल मे बैठे बाकी लोग भी हल्के-2 मुस्कुरा रहे थे.खेल शुरू जो हो चुका था & उन्हे ये देखना था कि इस बार कौन जीतता है!

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होटेल वाय्लेट शहर की सबसे ऊँची इमारत थी & उसकी 25वी मंज़िल पे खड़ा विजयंत मेहरा फ्लोर तो सीलिंग ग्लास से डेवाले को देख रहा था.शीशे की उस दीवार से उसे डेवाले शहर का बिल्कुल बीच का हिस्सा दिख रहा था जहा की आसमान छुति इमारतो की क़तारे लगी थी.वो उनमे से ज़्यादातर इमारतो का मालिक था & होटेल वाय्लेट का भी.विजयंत मेहरा ट्रस्ट ग्रूप का मालिक था.इस ग्रूप ने अपने कदम इनफ्रास्ट्रक्चर यानी कि सड़के,इमाराते,एरपोर्ट,बंदरगाह और ऐसी ही बुनियादी चीज़ो को बनाने के कारोबार से जमाए थे मगर आज ट्रस्ट ग्रूप ना केवल ये सब बनाता था बल्कि उसके मुल्क के 15 शहरो मे होटेल्स भी थे & पिच्छले 5 बरसो से वो फिल्म बनाने के भी धंधे मे उतर चुका था.

विजयंत के होंठो पे हल्की मुस्कुराहट खेल रही थी.यहा खड़े होके उसे अपनी ताक़त का एहसास होता था.इस शहर का बड़ा हिस्सा उसका था सिर्फ़ उसका.जहा वो खड़ा था वो वाय्लेट होटेल के उस सूयीट का बेडरूम था जिसे उसने खास खुद के लिए बनवाया था.ट्रस्ट ग्रूप का दफ़्तर होटेल से 300मीटर की दूरी पे 1 12 मंज़िला इमारत मे था.विजयंत वही से अपना कारोबार संभालता था मगर जब भी वो उस इमारत से उकता जाता था तो अपने इस सूयीट मे आ जाता था.सूयीट क्या 1 छ्होटा सा फ्लॅट ही था.1 बेडरूम,1 सा गेस्ट रूम जहा की 6-7 लोगो की मीटिंग करने का भी इंतेज़ाम था,1 अटॅच्ड बाथरूम & उसके साथ 1 किचेन थी.

"सर..",दरवाज़े पे दस्तक दे 1 लड़की अंदर दाखिल हुई.उसने ग्रे कलर की घुटनो तक की कसी फॉर्मल स्कर्ट & सफेद ब्लाउस पहना था.पैरो मे हाइ हील वाले जूते थे & बॉल 1 कसे जुड़े मे बँधे थे.ये लड़की देखने से होटेल की कर्मचारी नही लग रही थी,उनकी पोशाक वैसे भी अलग थी,"..1 घंटे मे वो शुरू होने वाला है.",वो आगे आई & हाथो मे पकड़ा फोन उसने बिस्तर पे रख दिया.विजयंत उसकी ओर पीठ किए खड़ा था.उसने बिना घूमे सर हिलाया अपनी बाहे उपर कर दी.लड़की मुस्कुराते हुए आगे आई.विजयंत ने 1 सफेद कमीज़ पहनी & काली पतलून थी.लड़की ने कमीज़ की बाजुओ के कफलिंक्स खोले & फिर विजयंत की कमीज़ के बटन खोलने लगी.अगले ही पल विजयंत का नंगा सीना उसके सामने था.

विजयंत मेहरा की उम्र 53 बरस थी मगर शायद ही उसे देख कोई उसकी असली उम्र बता सकता था.वो कही से भी 45 से ज़्यादा नही लगता था.उसका रंग इतना गोरा था की केयी लोगो को उसके विदेशी होने की ग़लतफहमी हो जाती थी.उसके बाल भी काले नही बल्कि कुच्छ भूरे रंग के थे जोकि कभी-2 सुनहले भी लगने लगते थे.चेहरे पे हल्की दाढ़ी & मूँछ थी.उसका कद 6'3" था & उसका कसरती जिस्म बहुत मज़बूत दिखता था.चमकते बालो से भरे उसके ग़ज़ब के चौड़े सीने को देख उस लड़की ने हल्के से अपने निचले होंठ को दांतो से दबाया.विजयंत मेहरा मर्दाना खूबसूरती की जीती-जागती मिसाल था.लड़की की धड़कने तेज़ हो गयी थी & उसके गाल भी लाल हो गये थे.उसने काँपते हाथो से विजयंत की पतलून उतारी.उसका बॉस अब केवल 1 अंडरवेर मे उसके सामने खड़ा था.उसने हाथ से उसे रुकने का इशारा किया.

"नीशी..",1 रोबिली & बहुत गहरी भारी,भरकम आवाज़ ने नीशी को जैसे नींद से जगाया.

"ज-जी.."

"क्या हुआ?ये कोई पहली बार तो नही.",विजयंत मुस्कुराया.

अफ!..इतनी दिलकश मुस्कान..& ये आवाज़..वो तो दफ़्तर मे उस से लेटर्स की डिक्टेशन लेते हुए ही अपनी टाँगो के बीच गीलापन महसूस करने लगती थी.

"नही सर.वो बात नही.",उसने अपनी पीठ विजयंत की तरफ की & अपने कपड़े उतारने लगी.लड़की का जिस्म बिल्कुल वैसा था जैसा विजयंत को पसंद था.बड़ी छातियाँ,चौड़ी गंद मगर सब कुच्छ कसा हुआ.2 साल से नीशी उसकी सेक्रेटरी थी & नौकरी जाय्न करने के 4 दिनो के अंदर ही वो अपने बॉस के बिस्तर मे भी ड्यूटी करने लगी थी.

"आहह..!",विजयंत ने उसे पीछे से बाहो मे भर लिया था & उसके पेट को सहलाते हुए उसके दाए कान मे जीभ फिरा दी थी.वो भी पीछे हो उसके जिस्म से लग गयी.उसने महसूस किया कि उसकी निचली पीठ पे उसके बॉस का गर्म लंड दबा हुआ था.उसका दिल और ज़ोर से धड़क उठा.ना जाने कितनी बार वो लंड उसकी चूत मे उतार चुका था मगर हर बार वो उसके एहसास से रोमांचित हुए बिना नही रहती थी.ये विजयंत के लंड का जादू था या उसकी शख्सियत का?..इस सवाल का जवाब ढूँढते हुए उसे 2 बरस हो गये थे मगर वो तय नही कर पाई थी & आज शायद आख़िरी बार वो उसके साथ हमबिस्तर हो रही थी.

"आज तुम्हारा आख़िरी दिन है ट्रस्ट ग्रूप के साथ,नीशी.",विजयंत ने कान के बाद उसके तपते गालो को चूमा था & फिर उसके नर्म लबो को & फिर उसे आगे जाने की ओर इशारा किया.नीशी आगे बढ़ी & बिस्तर पे पेट के बल लेट गयी,"सभी तैय्यारियाँ हो गयी शादी की?"

"जी.",10 दिन बाद नीशी की शादी थी & वो चेन्नई जा रही थी.हर लड़की की तरह वो भी बहुत खुश थी मगर 1 अफ़सोस था कि अब वो कभी उस बांके मर्द की चुदाई का लुफ्त नही उठा पाएगी,"उउन्न्ञन्....!",विजयंत ने उसके पैरो को उपर उठाया & बाए हाथ से थाम उसकी पिंदलियो को चूमने लगा,उसका दया हाथ निश्ी की मोटी गंद को सहला रहा था.निश्ी बिस्तर की चादर को बेचैनी से भींचते हुए हल्की-2 आहे ले रही थी.विजयंत का हाथ उसकी गंद की दरार को सहला रहा था.सहलाते हुए उसने हाथ को दरार मे तोड़ा अंदर घुसाया तो अपना सर उपर झटकते हुए निश्ी ने ज़ोर से आ भारी & उसकी जंघे खुद बा खुद फैल गयी.विजयंत ने उन्हे धीरे से तोड़ा और फैलाया & नीचे झुक गया.

"आन्न्न्नह.....उउन्न्ञणनह.....!",निश्ी की आहो के साथ-2 उसके हाथो तले बिस्तर की चादर की सलवटें बढ़ने लगी.विजयंत अपनी सेक्रेटरी की चिकनी चूत को पीछे से चाट रहा था.उसकी लपलपाति ज़ुबान उस नाज़ुक अंग से बह रहे रस को सुड़कते हुए उसके दाने को छेड़ रही थी.नीशी के जिस्म मे बिजली दौड़ रही थी.रोम-2 मे 1 अजीब सा मज़ा भर गया था.उसकी गंद की फांको को दबा के फैलाता हुआ विजयंत बड़ी गर्मजोशी से उसकी चूत पे अपनी जीभ चला रहा था & जब उसने उसने अपने होंठो को उसकी चूत पे दबा ज़ोर से चूसा तो नीशी चीख मारते हुए झाड़ गयी.तभी बिस्तर पे रखा फोन बज उठा.खुमारी मे झूमती नीशी ने थोड़ी देर बाद उसे उठाया & फिर सुन के रख दिया,"शुरू हो गया.",उसने जिस्म थोड़ा बाई तरफ मोड़ के सर पीछे घुमा के अपने बॉस को नशीली नज़रो से देखा.

उसकी फैली टाँगो के बीच विजयंत घुटनो पे खड़ा था.उसके चौड़े फौलादी सीने के सुनहले बालो & उसके मज़बूत बाजुओ को देख नीशी का जिस्म 1 बार फिर से कसक से भर उठा.बड़े-2 हाथो से विजयंत उसकी गंद को सहला रहा था & उस हल्की सी हरकत से भी उसके बाजुओ की मांसपेशिया फदक रही थी.उसने थोडा नीचे देखा & उसकी निगाह विजयंत के सपाट पेट पे गयी.पेट के बीचोबीच बालो की 1 मोटी लकीर नीचे जा रही थी.जब नीशी की नज़र वाहा पहुँची तो उसकी कसक 1 बार फिर चरम पे पहुँच गयी.टाँगो के बीच बालो से घिरा विजयंत का लंड अपने पूरे शबाब पे था.9.5 इंच लंबा & बहुत ही मोटा लंड 2 बड़े-2 आंडो के उपर सीधा तना खड़ा था.

नीशी अब तक 3-4 मर्दो से चुद चुकी थी जिनमे उसका मंगेतर भी शामिल था मगर उसने विजयंत जैसा लंड किसी के पास नही देखा था.उसने 1 बार फिर निचले होंठ को दाँत से दबाया & अपना सर बिस्तर मे च्छूपाते हुए अपनी कमर उपर कर अपनी गंद को हवा मे उठा दिया.हर बार ऐसा ही होता था.बंद कमरे मे विजयंत के साथ वो सब कुच्छ भूल जाती थी केवल अपने जिस्म की खुशी का ख़याल उसके ज़हन पे हावी रहता था.मुस्कुराते हुए विजयंत ने अपना तगड़ा लंड हाथ मे पकड़ा & उसे नीशी की जानी-पहचानी चूत मे घुसने लगा.

"ऊन्नह.....!",आज तक नीशी को उस लंबे,मोटे लंड की आदत नही पड़ी थी & आज भी शुरू मे उसे हल्का दर्द होता था लेकिन उसकी चूत की आख़िरी गहराइयो मे उतार वो लंड जब अपना कमाल दिखाता तो सारा दर्द हवा हो जाता & रह जाता सिर्फ़ मज़ा,बहुत सारा मज़ा!विजयंत ने अपनी सेक्रेटरी की नाज़ुक कमर थामी & धक्के लगाने शुरू कर दिए.वो बहुत गहरे मगर धीमे धक्के लगा रहा था.लंड बड़े हौले-2 नीशी की चूत को पूरे तरीके से चोद रहा था.वो मस्ती मे पागल हो चुकी थी.पूरे सूयीट मे उसकी आहें गूँज रही थी.बिस्तर की चादर को तो शायद वो अपने बेचैन हाथो से तार-2 कर देना चाहती थी.अपने बॉस के हर धक्के का जवाब वो अपनी कमर हिला अपनी गंद को पीछे धकेल के दे रही थी.

विजयंत को भी बहुत मज़ा आ रहा था.पिच्छले 2 बरसो मे नीशी की चूत ज़रा भी ढीली नही हुई थी.उसके धक्को की रफ़्तार बढ़ी तो नीशी की मस्तानी आहे भी साथ मे बढ़ी.विजयंत ने उसकी कमर को थाम अपनी ओर खींचते हुए ज़ोर से धक्के लगाए तो नीशी 1 बार और झाड़ गयी & बिस्तर पे निढाल हो गिर गयी.विजयंत उसके उपर लेट गया & फिर उसे लिए-दिए उसने दाई करवट ली.लंड अभी भी चूत मे था,विजयंत ने अपनी दाहिनी बाँह नीशी की गर्दन के नीचे लगाई & बाई को उसके पेट पे डाला.नीशी ने गर्दन पीछे घुमाई & अपने बॉस को चूमने लगी.उसका दिल करा रहा था कि वो बस ऐसे ही पड़ी उसे चूमती रही.1 बार फिर विजयंत ने हल्के धक्को के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी.

नीशी को मजबूरन किस तोड़नी पड़ी क्यूकी चुदाई की वजह से उसका जिस्म झटके खा रहा था लेकिन उसके होंठो की प्यास बुझी कहा थी.उसने बिना लंड को निकलने देते हुए अपनी पीठ को बिस्तर पे जमा लिया & अपने हाथो मे विजयंत के चेहरे को भर उसे चूमने लगी.विजयंत भी उसकी मोटी छातियो को दबाते हुए उसकी ज़ुबान से ज़ुबान लड़ा रहा था.विजयंत ने अपने बाए बाज़ू को नीशी की भारी जाँघो के नीचे लगा के उन्हे 1 साथ हवा मे उठा दिया & उसे चोदने लगा.इस पोज़िशन मे उसका लंड जड़ तक तो उसकी चूत मे नही जा रहा था मगर फिर भी दोनो को मज़ा बहुत आ रहा था.तभी 1 बार फिर फोने बजा.नीशी ने बिना अपने बॉस के होंठो को आज़ाद किए अपने दाए हाथ से टटोलते हुए बिस्तर पे फोन को ढूंड लिया & उसे कान से लगाया,"उम्म..हेलो.....ओके."

"आप जीत गये.",उसने विजयंत के चेहरे को थाम चूम लिया.उसकी बात ने विजयंत को जोश को मानो दुगुना कर दिया.उसने अपनी दाई बाँह जोकि नीशी की गर्दन के नीचे पड़ी थी & बाई जो उसकी जाँघो को थामे थी,दोनो को मोड़ लेते हुए उसके जिस्म को अपनी ओर घुमा लिया,जैसे लेते हुए उसे गोद मे ले रहा हो & नीचे से बड़े क़ातिल धक्के लगाने लगा.नीशी की मस्ती का तो कोई हिसाब ही नही रहा,वो अपने बॉस के खूबसूरत चेहरे को चूमते हुए आहे भरते हुए उसकी चुदाई का मज़ा लेने लगी.

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क्रमशः.......
Reply
12-19-2017, 10:26 PM,
#2
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--2

गतान्क से आगे.

"75 लाख..और कोई है जो इस से बड़ी बोली लगाना चाहता है?",उसने उमीद से दाई क़तार मे बैठे शख्स को देखा मगर उसने अपना हाथ नही उठाया,"..75 लाख..1....75 लाख..2..75 लाख....3!",उसने हात्ोड़ा अपने सामने रखे डेस्क पे मारा,"..ये बेहतरीन पैंटिंग 75 लाख रुपयो मे यहा सामने बाई क़तार मे बैठे ग्रे सूट वाले साहब की हुई.",वो शख्स विजयंत का ही 1 आदमी था जो उसके लिए यहा बोली लगा रहा था.उसे सख़्त हिदायत थी कि चाहे जो भी हो उसे ये पैटिंग ख़रीदनी ही है.उसे ताक़ीद की गयी थी कि जो शख्स दाई क़तार मे बैठा था उसका मालिक भी उस पैंटिंग को खरीदने की हर मुमकिन कोशिश करेगा मगर उसे किसी भी कीमत पे कामयाब नही होने देना है.विजयंत के आदमी ने खुशी से भी ज़्यादा चैन की सांस ली & अपने मोबाइल से अपने बॉस की सेक्रेटरी का नंबर मिलाया.बोली यहा तक पहुँचेगी ये किसी को उम्मीद नही थी.उसे समझ नही आ रहा था कि उस पैंटिंग मे ऐसा था क्या जो उसका मालिक उसकी इतनी बड़ी कीमत दे रहा था.

दाई क़तार मे बैठा शख्स थोड़ा मायूस दिख रहा था.नीलामी ख़त्म होते ही वो उठा & फ़ौरन कमरे से बाहर चला गया.बाकी लोग आए तो थे नीलामी मे शरीक होने मगर जब इन दो लोगो ने बोलिया लगानी शुरू की तो वो बस दर्शक ही बन गये थे.उन्हे बड़ा मज़ा आया था ये खेल देख के जिसमे 1 बार फिर विजयंत मेहरा जीत गया था.

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"आआअन्न्‍न्णनह......!",1 लंबी चीख मार नीशी झाड़ते हुए अपने बॉस के आगोश से छिटक उसके उपर से उतरते हुए करवट बदल लेट गयी & सुबकने लगी.झड़ने की शिद्दत उसका दिल बर्दाश्त नही कर पाया था & जज़्बातो का सैलाब उसकी आँखो से फुट पड़ा था.विजयंत प्यार से उसके बाल सहला रहा था.काफ़ी देर तक वो वैसी ही पड़ी रही.उसकी सिसकियाँ बंद हो गयी थी मगर वो घूम नही रही थी.विजयंत भी उसे घूमने को नही कह रहा था.कुच्छ पल बाद नीशी घूमी & अपने बॉस को देखा.विजयंत को उसकी आँखो मे सुकून & वासना का अजीब संगम दिखा.वो लेटे-2 ही आगे सर्की & अपने बॉस के लंड को थाम लिया.विजयंत अभी दाई करवट से लेटा था.नीशी के लंड पकड़ते ही वो पीठ के बल लेट गया.उसके लंड को हिलाते हुए नीशी उसके सीने को चूमने लगी & चूमते-2 लंड तक पहुँच गयी.उसके बाद कोई 5-7 मिनिट तक विजयंत उसके कोमल मुँह के ज़रिए जन्नत की सैर करता रहा.

नीशी जी भर के लंड से खेलने के बाद 1 बार फिर बिस्तर पे लेट गयी & अपने बॉस को अपने उपर खींचा & उसके बालो मे उंगलिया फिराते हुए सर उठा उसके चेहरे & होंठो को चूमने लगी.कुच्छ देर चूमने के बाद विजयंत ने उसकी टाँगे फैला के लंड को दोबारा उसकी चूत मे घुसाना शुरू किया तो नीशी ने खुद ही अपनी बाई टाँग उठा के उसके दाए कंधे पे रख दी.वो चाहती थी कि लंड जड तक उसकी चूत मे उतरे & जब विजयंत झाडे तो वो उसके गर्म वीर्य को अपनी चूत की आख़िरी गहराई मे अपनी कोख मे महसूस करे.विजयंत ने उसकी दूसरी टांग भी अपने कंधे पे चढ़ाई & उसकी चुदाई शुरू कर दी.

नीशी अब अपने आपे मे नही थी.उसे सिर्फ़ खुद के मज़े की परवाह थी.उसने विजयंत के गले मे बाहे डाल उसे नीचे झुकाया & खुद भी उचक के उसके चेहरे को चूमने लगी.उसकी आहे 1 बार फिर तेज़ हो रही थी.विजयंत अब उसके उपर पूरा झुक गया था & नीशी की चूचियाँ उसकी खुद की जाँघो से दब गयी थी.विजयंत काफ़ी देर तक उसे चूमते हुए चोद्ता रहा.अब उसकी भी मस्ती बहुत बढ़ गयी थी.उसने नीशी की टाँगो को कंधो से सरकाया तो उसने उन्हे उसकी कमर पे बाँध दिया.विजयंत ने अपना मुँह नीशी के भूरे निपल्स से लगाया & उन्हे चूसने लगा.नीशी के बेसबरा हाथ विजयंत की पीठ & गंद पे घूम रहे थे & वो उसकी छातियो को चूस रहा था.उसका हर धक्का नीशी की कोख पे चोट कर रहा था & अब वो मस्ती मे चीखे जा रही थी.विजयंत काफ़ी देर से उसे बिना झाडे चोद रहा था & अब उसका लंड भी झड़ने को बेकरार था.उसने नीशी के सीने से सर उठाया & अपने धक्के & तेज़ कर दिए.उसके नीचे अपने सर को बेचैनी से झटकती उस से चिपटि नीशी भी अपनी मंज़िल के करीब थी.विजयंत ने अपने लंड को उसकी कोख के दरवाज़े पे आख़िरी बार मारा & अपने बदन को उपर की ओर मोडते,चीखती नीशी झाड़ गयी.ठीक उसी वक़्त उसकी हसरत को पूरा करते हुए उसकी कोख को अपने वीर्य से भरता हुआ विजयंत भी झाड़ गया.

"ऊऊवन्न्न्नह......हाआऐययईईईईईईईईईईई..!",वो खूबसूरत लड़की झाड़ रही थी & उसे चोद्ता उसके उपर झुका मर्द भी उसकी चूत मे अपना वीर्या भर रहा था.तभी बिस्तरे के किनारे रखी साइड-टेबल पे रखा 1 मोबाइल बजा.

"हूँ.",उस मर्द ने पहले अपने नीचे पड़ी लड़की को चूमा & फिर वैसे ही उसके उपर पड़े हुए मोबाइल कान से लगाया.

"सर,वो विजयंत मेहरा ने पैंटिंग खरीद ली."

"वेरी गुड.कितने मे?",लड़की के चेहरे पे 1 अजीब भाव था.झड़ने का सुकून & उसके बाद की चमक उसके चेहरे पे सॉफ दिख रही थी मगर साथ ही वो थोड़ी खफा भी लग रही थी & अपना चेहरा बाई तरफ घुमा रखा था & मर्द को नही देख रही थी जो अभी भी उसके गाल को चूम रहा था.

"75 लाख मे,सर."

"अरे यार!कम से कम करोड़ तो खर्च करवाते!खैर,चलो.ये भी ठीक है.",उसने फोन किनारे रखा & उस लड़की का चेहरा अपनी ओर घुमा उसके होंठ चूमने चाहे मगर उस लड़की ने झल्ला के उसे परे धकेला & उसे खुद के उपर से हटाते हुए बिस्तर से उतर बाथरूम मे चली गयी.मर्द हंसा & बिस्तर से उतर कमरे की खिड़की पे आ गया & वाहा का परदा हटा के बाहर देखने लगा.

"तुम समझते हो तुम जीत गये,मेहरा!",वो दूर सामने दिखाई देते होटेल वाय्लेट की इमारत को देख मन ही मन हंसा,"..कितने ग़लत हो तुम!मैने तुम्हे जीतने दिया है,मेहरा.जीता तो मैं ही हू!",ये शख्स था ब्रिज कोठारी,कोठारी ग्रूप का मालिक.मेहरा के ट्रस्ट ग्रूप की तरह ये भी इनफ्रास्ट्रक्चर के धंधे मे था & फिर ट्रस्ट के पीछे-2 ये भी होटेल के बिज़्नेस मे आया था.पिच्छले 10 सालो मे इनके धंधे से जुड़ा जब भी कोई ठेका या टेंडर निकलता तो ज़्यादातर मुक़ाबला इन्ही दोनो के बीच होता.नतीजा ये था कि दोनो मे 1 दुश्मनी पैदा हो गयी थी.दोनो को अपनी तरक्की से ज़्यादा सामने वाले के गिरने की ज़्यादा फ़िक्र रहती थी.

ब्रिज कोठारी & विजयंत मेहरा मे काई चीज़े 1 जैसी थी.जैसे की बिज़्नेस करने का हुनर & हार ना मानने की ख़ासियत.दोनो की उम्र भी बराबर थी & कद भी.दोनो ही अपनी असल उम्र से कम के दिखते थे.ब्रिज भी 1 फौलादी जिस्म वाला शख्स था & मेहरा की तरह ही चुदाई का शौकीन भी मगर जहा विजयंत 1 गोरा & हॅंडसम शख्स था वही ब्रिज 1 साधारण शक्लोसुरत वाला सांवला इंसान था.

दोनो की ये दुश्मनी अब डेवाले मे मशहूर थी & जब भी इन दोनो की टक्कर होती सभी दम साधे ये देखते की कौन जीतता है.ट्रस्ट ग्रूप कोठारी ग्रूप से बड़ा था & लाख कोशिशो के बावजूद ब्रिज विजयंत को उतनी बार नही हरा पाया था जितना की वो चाहता था लेकिन अब शायद ये बदलने वाला था.

ब्रिज खिड़की पे खड़ा इसी बारे मे सोच रहा था..उसका प्लान कामयाब होगा या नही?..तभी दरवाज़ा खुला & वो लड़की बाहर आई.उसके चेहरे की नाराज़गी बरकरार थी.वो सीधा बिस्तर के पास फर्श पे पड़े अपने कपड़ो को उठाने लगी.

"अरे सोनम,इतनी जल्दी क्या है?",ब्रिज भले ही 53 साल का था मगर अभी भी किस जवान की तरफ फुर्तीला था.वो पलक झपकते ही लड़की के करीब पहुँचा & उसे बाहो मे भर लिया,"मेहरा ने पैंटिंग खरीद ली,मैने उसके 75 लाख पानी मे डूबा दिए!",वो हंसा,"..वो सोच रहा था कि मुझे भी वो पैंटिंग चाहिए.बस,लगवाता रहा बोलियाँ & मेरा आदमी तो बस यू ही बोलिया लगा रहा था.उसका तो मक़सद ही यही था कि मेहरा का आदमी बड़ी से बड़ी बोली लगाए & उसके पैसे बर्बाद हों!",लड़की ने उसकी बात पे कोई ध्यान नही दिया & उसकी बाहो से निकलने की कोशिश करने लगी.

"आख़िर बात क्या है,सोनम?",ब्रिज ने उस लड़की का चेहरा अपनी ओर घुमाया.लड़की की उम्र 26 बरस की थी,रंग सांवला था & जिस्म बिल्कुल कसा हुआ था.लड़की ने कुच्छ जवाब नही दिया मगर काफ़ी देर से रोकी रुलाई अब वो और ना रोक सकी.

"अरे..रो क्यू रही हो?..क्या बात है?"

"कुच्छ नही!",उसने उसे परे धकेला.

"अरे बताओ तो..ऐसा क्या हो गया?"

"आप बस मुझे इस्तेमाल कर रहे हैं..",वो अब फूट-2 के रो रही थी,"..मैं बस 1` खिलोना हू आपके लिए..रखैल बनाके रखा है आपने मुझे!",ब्रिज शांत खड़ा सुन रहा था.लड़की कुच्छ देर तक अपनी भादास निकालती रही.

"हो गया?",ब्रिज ने उसके चुप होने पे उसके कंधो पे हाथ रखा & उसे बिस्तर पे बिठा दिया,"..तुम्हे याद है आज से 3 महीने पहले जब मैने तुम्हारा इंटरव्यू लिया था तब मैने तुमसे क्या कहा था?"

"हां,यही की मुझे आप 1 बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपना चाहते हैं..मुझे क्या पता था कि वो ज़िम्मेदारी ये है!"

"नही..",ब्रिज हंसा,"..सोनम,तुम मुझे बहुत हसीन लगी & मैने तय कर लिया था कि मुझे तुम्हारे हुस्न को करीब से देखना ही है लेकिन इसका ये मतलब नही कि मुझे तुम्हारी बाकी खूबिया नही दिखी.",वो उसके बाई तरफ बैठा था,उसने अपनी दाई बाँह उसकी पीठ पे डाली थी & बाए मे उसका दाया हाथ थामे था.

"मैं हर रोज़ तुमसे मिलता हू,बातें करता हू..& तुम्हे कुच्छ बातें बताता भी हू."

"हां..",सोनम अब ये समझने की कोशिश कर रही थी कि ब्रिज कहना क्या चाह रहा था,"..आप विजयंत मेहरा के बारे मे बातें करते रहते हैं लेकिन वो तो कोई ऐसी बात नही."

"क्यू?..क्यूकी वो मेरा दुश्मन है & मैं दीवाना हू इस दुश्मनी को लेके?..सोनम,सारा शहर यही समझता है कि हम दोनो दुश्मनी मे पागल हैं लेकिन उन बेवकूफो को ये नही पता कि हम दोनो उन सब से ज़्यादा समझदार हैं.हम लड़ते हैं मगर दिमाग़ से & चाहे कुच्छ हो जाए इस दुश्मनी की आग मे खुद को आग नही लगाएँगे..हां दूसरे को जलाने की पूरी कोशिश करेंगे..आगे उपरवाले की मर्ज़ी!"

"..तुम जब मेरे दफ़्तर मे आई थी तो मैने समझ लिया था कि तुम बहुत होशियार हो & मेरा 1 खास काम कर सकती हो."

"कैसा काम?"

"तुम विजयंत की सेक्रेटरी बनोगी."

"क्या?!",सोनम की आँखे हैरत से फॅट गयी,"..आपका मतलब है कि मैं उसके यहा नौकरी करूँगी & वाहा की सारी बातें आपको बताउन्गि?"

"हां & बदले मे तुम्हे मैं अपने यहा वो पोज़िशन & पैसे दूँगा जिसकी तुम हक़दार हो.",ब्रिज ने उसका हाथ अपने लंड पे रखा & उसके कान मे जो रकम बोली वो सुन सोनम की आँखे अब तो बिल्कुल फॅट गयी.

"मगर ये बहुत मुश्किल है..कही पकड़ी गयी तो?",ब्रिज ने उसे अपने करीब खींचा तो बाहो से भिंचे जाने की वजह से उसकी छातियाँ & उभर गयी.सोनम ने उसके लंड को हिलाना शुरू किया.पिच्छले 3 महीनो मे उसे ये ज़रूर लगा था कि ब्रिज उसके जिस्म से खेल रहा था लेकिन उसे भी कम मज़ा नही आया था.वो उस जैसे मर्द से पहले कभी नही मिली थी.शुरू मे उसे लगा था की कोठारी की उम्र चुदाई मे रुकावट बनेगी मगर कितना ग़लत थी वो.ब्रिज मे किसी नौजवान से ज़्यादा जोश & माद्दा था.हर बार वो उसे पूरी तरह थका देता था & भरपूर मज़ा देता था....& उसका लंड..ओफफफफ्फ़..उसके लंड ने तो उसे पागल ही कर दिया था!..उसके हाथ मे 1 बार फिर वो अपनी 9 इंच की पूरी लंबाई तक पहुँच गया था.

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क्रमशः.......
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12-19-2017, 10:26 PM,
#3
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--3

गतान्क से आगे.

"पकड़ी तो तुम जाओगी नही.इतना यकीन तो है मुझे तुम्हारे दिमाग़ पे.",कोठारी ने उसके होंठ चूम लिए.

"मगर मैं वाहा घुसू कैसे?वो मुझे क्यू रखेगा?",ब्रिज के इशारे पे वो उठ के उसकी गोद मे बैठ गयी.उसका गुस्सा काफूर हो चुका था & अब वो उसके लंड को छोड़ उसके सीने पे बड़े प्यार से हाथ फिरा रही थी.

"देखो,हमारे जैसी बड़ी कंपनीज को जब सेक्रेटरीस की ज़रूरत होती है तो हम अख़बारो मे इश्तेहार तो निकलते नही हैं.हम उसी एजेन्सी को बुलाते हैं जो हमारे लिए खास यही काम करती है.डेवाले मे ऐसी नामचीन 1 ही एजेन्सी है.."

"..जहा से मैं यहा आई थी.",गोद से थोड़ा उठा सोनम ने अपनी बाई चूची ब्रिज के मुँह मे दे दी.

"बिल्कुल सही..",थोड़ी देर तक चूची को चूसने के बाद ब्रिज ने उसे मुँह से निकाला & उसकी कमर पकड़ उसे उठाया तो उसका इशारा समझते हुए सोनम ने अपने घुटने उसके दोनो तरह बिस्तर पे जमाए & अपनी चूत को उसके लंड पे झुकाने लगी,"..मुझे पता चल गया है कि मेहरा की सेक्रेटरी जा रही है,उसकी शादी तय हो गयी है & अब उस एजेन्सी को ही मेहरा की नयी सेक्रेटरी के पोस्ट के लिए लड़कियो को भेजने को कहा गया है.

"उउम्म्म्मम..मगर क्या गॅरेंटी है कि वो मुझे रख लेगा?..आईय्य्यीईए..!",लंड को उसने पूरा अपने अंदर ले लिया था.

"तुम्हारा बायोदेटा मैने ऐसा कमाल बनवाया है कि कोई भी तुम्हे रख ले फिर मैने अपने आदमी के ज़रिए तुम्हारे नाम को सबसे उपर रखवाया है.बस तुम मेहरा को इंप्रेस कर दो तो हमारा काम हो जाए."

"बहुत मुश्किल है ये काम....आआहह..!",ब्रिज उसकी गंद को मसल्ते हुए उसी चूचिया चूस रहा था & वो उसके लंड पे कूद रही थी.

"कोई मुश्किल नही है.मेहरा जब तुम्हारे हुस्न को तुम्हारे बाइयडेटा के साथ देखेगा & जब तुम उसके हर सवाल का सही जवाब दोगि तो कोई मुश्किल नही होगी.तुम फ़िक्र मत करो,मैं इंटरव्यू के लिए तुम्हारी तैयारी खुद कर्वाऊंगा मगर पहले मुझे तुम्हारे हुस्न मे डूबना है.1 बार तुमने ट्रस्ट जाय्न कर लिया फिर तुम्हारे साथ ये मस्त चुदाई ना जाने मुझे कब नसीब हो.",वो सोनम की गंद थामे खड़ा हो गया & उसकी छातियो मे अपना मुँह रगड़ने लगा तो वो भी मस्ती मे बहाल हो गयी & उसकी शरारती हरकत से हंसते हुए उसके सर को चूमने लगी.

"नीशी.",विजयंत मेहरा अपने कपड़े पहन चुका था & नीशी अपनी स्कर्ट का हुक लगा रही थी.

"ये क्या है,सर?",नीशी ने मेहरा का बढ़ाया हुआ लिफ़ाफ़ा लिया.

"तुम्हारी शादी का तोहफा,नीशी.",नीशी ने लिफ़ाफ़ा खोला तो अंदर 10 लाख का स्चेक था.

"सर.."

"नीशी,इन पैसो से तुम अपना आने वाला कल महफूज़ कर सकती हो.",नीशी का गला भर आया था.उसका दिल इस बात से दुखी था कि अब कभी वो ऐसी जिस्मानी खुशी शायद ही महसूस कर सके.

"थॅंक्स,सर.अगर कभी मैं इस शहर मे आऊँ तो आपसे मिल सकती हू?"

"ज़रूर,नीशी.इसमे पुच्छने की क्या बात है.",मेहरा ने कमरे का दरवाज़ा खोला तो वो बाहर निकल गयी.

"गुडबाइ,सर."

"गुडबाइ,नीशी.",उसने दरवाज़ा बंद किया & हल्के से हंसा.ये लड़किया ऐसी बेवकूफ़ क्यू होती हैं!क्या करेगी दोबारा मुझसे मिलके..मुझसे चुदेगि..& अपनी शादीशुदा ज़िंदगी बर्बाद कर देगी!

लड़कियो का जिस्म विजयंत का खास शौक था मगर कमज़ोरी नही.उसकी नज़रो मे कोई लड़की 1 बार चढ़ जाती तो वो उसे अपने बिस्तर तक लाके ही छ्चोड़ता था मगर इसका ये मतलब नही था कि वो किसी लड़की के लिए खुद को बर्बाद कर लेता.उसने आजतक उनके जिस्मो से प्यार किया था उनके दिलो से नही.

नीशी के जाने के बाद उसने अपना ब्लॅकबेरी खोल के अपायंट्मेंट्स चेक किए.दफ़्तर के कामो & मीटिंग्स के अलावा जो सबसे खास बात थी वो ये की इस हफ्ते के आख़िर मे उसका बेटा,उसका वारिस समीर घर आ रहा था.बेटे की तस्वीर देख उसके होंठो पे खुशी & गर्व की मुस्कान फैल गयी.

समीर 1 साल पहले ही विदेश से एमबीए करके डेवाले आया था.समीर कॉलेज के दीनो से ही ट्रस्ट ग्रूप के अलग-2 कंपनीज़ के दफ़्तरो मे बतौर ट्रेनी कुच्छ ना कुच्छ काम करता रहा था लेकिन इस बार जब पढ़ाई पूरी करके वो वापस आया तो उसके पिता ने उसे 1 बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी.गुजरात के सामुद्री किनारे पे 1 बंदरगाह बनाने का बहुत बड़ा कांट्रॅक्ट उन्हे मिला था & विजयंत ने उसे पूरे प्रॉजेक्ट की ज़िम्मेदारी समीर के कंधो पे डाल दी.

ग्रूप के सभी आला अफसरो को लगा कि ये समीर के साथ ज़्यादती थी,उसे तजुर्बा ही क्या था!..& प्रॉजेक्ट भी खटाई मे पड़ सकता था मगर विजयंत मेहरा बहुत दूर की सोचता था.वो जानता था कि अगर नुकसान हुआ तो भी उसे 1 बड़ी अनमोल बात पता चलेगी-वो ये कि उसका बेटा उसके बाद ग्रूप की बागडोर संभालने के काबिल है या नही.समीर ने उसे निराश नही किया था.प्रॉजेक्ट डेडलाइन से पहले ही पूरा हो गया था & अब 10 दिन बाद खुद PM उसका इनेरेशन करने वाले थे.

विजयंत ने आगे देखा तो पाया कि सोमवार की सुबह को 10 बजे उसे अपनी नयी सेक्रेटरी की पोस्ट के लिए आई लड़कियो का इंटरव्यू लेना था.ये काम कोई भी कर सकता था लेकिन वो ऐसा नही चाहता था.उसके दफ़्तर से होके कयि ज़रूरी & अहम काग़ज़ात & बातें निकलते थे & वाहा वो कोई ऐसा इंसान नही आने देना चाहता था जोकि भरोसेमंद ना हो.उसने फोन जेब मे डाला & अपना कोट पहन सूयीट से बाहर निकल गया.

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खिड़की के पर्दो के बीच से आती रोशनी चेहरे पे पड़ने से उसकी नींद टूटी & वो बिस्तर मे उठ बैठी.उसका गोलाकार चेहरा बड़ा मासूम & ग़ज़ब का खूबसूरत था.झील सी गहरी काली आँखे अभी नज़र नही आ रही थी क्यूकी अभी भी नींद की वजह से उसकी पलके बंद थी.खड़ी नाक & रसीले,गुलाबी होंठ देखते ही उन्हे चूम लेने का दिल करता था.उसने आँखे खोली & दीवार घड़ी की ओर देखा,शाम के 4 बज रहे थे.उसने बिखरे बालो को झटका तो वो कमर से थोड़ा उपर तक लहरा उठे.वो बिस्तर से उतरी & खड़ी होके उसने अपनी नर्म,गुदाज़ बाहें हवा मे उपर उठाके अंगड़ाई ली तो उसकी 38डी साइज़ की मस्त छातियाँ थोड़ी और उभर गयी.हल्के गुलाबी निपल्स से सजी उसकी बड़ी छातियाँ इतनी बड़ी होने के बावजूद ज़रा भी नही झूली थी.वो इस वक़्त बिल्कुल नंगी खड़ी थी & तब भी बिना ब्रा के भी उसकी चूचिया बिल्कुल सीधी तनी थी.

अंगड़ाई लेने की वजह से उसका सपाट पेट थोड़ा & खींचा & उसकी गहरी नाभि थोडी और लंबी दिखने लगी.खिड़की से आती रोशनी की लकीर अब सीधा उसके पेट & उसकी बिना बालो की नर्म,गुलाबी नाज़ुक सी दिख रही चूत पे पड़ रही थी.रोशनी मे उसका शफ्फाक़ गोरा जिस्म और चमकने लगा था.अंगड़ाई लेके उसने बाथरूम की ओर कदम बढ़ाए & तो 26 इंच की उसकी पतली कमर के नीचे 38 साइज़ की चौड़ी गंद बड़े ही दिलकश अंदाज़ मे लचकी.लड़की का कद 5'8" था जिस्म बिल्कुल भरा हुआ था लेकिन कही से भी माँस का 1 टुकड़ा भी झूल नही रहा था.पूरा जिस्म बिल्कुल कसा हुआ था.उस लड़की की मा ने उसका नाम बिल्कुल ठीक ही रखा था-रंभा.भगवान इंद्रा के दरबार की खास अप्सरा रंभा भी शायद उस हुस्न की मालिका के सामने पानी ही भरती नज़र आती.

लड़की ने बाथरूम मे जाके अपना चेहरा धोया & बॉल संवार के अपने कपड़े पहन लिए.बाथरूम से बाहर आ उसने अपने बिस्तर पे नज़र डाली जहा उसका बाय्फ्रेंड अभी तक सो रहा था.उसने घड़ी देखी,अभी थोड़ा वक़्त था.वो खिड़की से बाहर देखने लगी.वो आज अपने इस छ्होटे से शहर को छ्चोड़ रही थी-हमेशा के लिए.उसने पीछे घूम के रंभा अपने बाय्फ्रेंड की ओर देखा.वो समझता था कि वो लनोव जा रही है किसी नौकरी के चक्कर मे.

"तुझे वो नौकरी नही मिलेगी,रंभा.",थोड़ी देर पहले उसकी मस्त चूचियाँ चूस्ते हुए उसने कहा था.

"तुझे इतना यकीन कैसे है?",उसके बाल पकड़ के उसका मुँह अपने सीने से उठाया.

"अरे यार!तू बस यहा रह.मैं मम्मी-पापा को मना लूँगा,फिर मुझसे शादी कर & आराम से घर मे बैठ.",उसने फिर से अपना मुँह उसकी छाती से लगा दिया & दाए हाथ से उसकी बाई जाँघ को पकड़ के सहलाने लगा.उसके बाद रंभा ने और बहस नही की थी बस मन ही मन मुस्कुराती रही & उसकी गर्म हरकतों से मस्त हो उसके साथ चुदाई के खेल मे मगन हो गयी.

सच तो ये था कि रंभा लनोव से डेवाले जा रही थी यहा कभी ना वापस लौटने के लिए.उसने नज़र घुमा के नीचे देखा,इस शहर मे उसे हमेशा ही घुटन हुई थी & यहा उसे वो भी नही मिलने वाला था जिसकी उसे तमन्ना थी.अपने सारे सपने वो डेवाले मे पूरे करके ही दम लेगी,उसने तय कर लिया था.

रंभा का जनम आज से 24 बरस पहले इसी शहर मे हुआ था.उसकी मा ने उसे पाला था,उसका बाप कौन था ये उसे आज तक पता नही.उसकी मा ने दुनिया वालो को & उसे यही बताया था कि वो उसके जन्म से पहले ही मर गये लेकिन बड़ी होते-2 रंभा को ये सच्चाई पता चल ही गयी थी कि उसकी मा को किसी मर्द ने धोखा दिया था.वो उसके जिस्म से तब तक खेलता रहा जब तक रंभा उसके पेट मे ना आ गयी & फिर उसे बीच मझदार मे छ्चोड़ के गायब हो गया.उसकी मा बदनामी के डर से अपना शहर छ्चोड़ यहा आ गयी & यही 1 नक़ली विधवा की ज़िंदगी बिताने लगी.रंभा अपनी मा की बहुत इज़्ज़त करती थी.उस अकेली औरत ने उसे कभी कोई तकलीफ़ नही महसूस होने दी & हर मा-बाप की तरह यही कोशिश करती रही की उसकी औलाद इस ज़माने की सभी परेशानियो & गलीज बातो से दूर ही रहे.

मगर रंभा जितनी ही खूबसूरत थी उतना ही तेज़ दिमाग़ पाया था उसने.पढ़ाई मे वो हमेशा ही अच्छी रही थी मगर बड़ी कम उम्र मे ही वो दुनियादारी भी समझने लगी थी.अपनी इस छ्होटी सी ज़िंदगी मे उसने कुच्छ बहुत अहम बातें समझ ली थी.सब्से पहली ये कि पैसा बहुत ज़रूरी चीज़ थी.अगर आप अमीर हैं तो आपके लिए कयि बंद दरवाज़े आसानी से खुल जाते हैं & ज़िंदगी भी आसान हो जाती है.दूसरी ये कि 1 लड़की का जिस्म उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी भी है & सबसे बड़ी ताक़त भी,ये उस लड़की पे है कि वो अपने बदन का कैसा इस्तेमाल करती है.

2 बरस पहले रंभा की मा का इंतकाल हो गया.रंभा उस वक़्त 1 पॉलिटेक्निक से सेक्रेटरी की ट्रैनिंग का कोर्स कर रही थी.कुच्छ दिन तो मा के बचाए पैसे काम आए मगर उसके बाद उसे नौकरी की ज़रूरत महसूस हुई. नौकरी खोजने मे उसे बड़ी परेशानी हुई उपर से लगभग सभी जगह मर्दो की भूखी निगाहो का सामना उसे करना पड़ा.उसे उन्हे अपना जिस्म परोसने मे कोई परहेज़ नही था मगर वो इस मामले 1 पक्के कारोबारी की तरह सोच रही थी.अब तक उसे 1 भी मर्द ऐसा नही लगा जिसे जिस्म सौंपने के बदले मे उसे बहुत बड़ा फ़ायदा हासिल होता.उसी दौरान उसकी मुलाकात रवि से हुई.रवि के पिता की शहर मे कपड़े की 4 दुकाने थी & उसे पैसे की कमी नही थी.रंभा के हुस्न का तो वो दीवाना था ही.रंभा ने भी उसके सामने मुसीबत की मारी दुखिया होने का पूरा नाटक किया.

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क्रमशः.......
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12-19-2017, 10:26 PM,
#4
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--4

गतान्क से आगे.

रवि ने ही उसे अपने पिता के दोस्त के दफ़्तर मे नौकरी दिलवाई & ये नया किराए का घर भी.बदले मे उसे अपना कुँवारापन उसे सौंपना पड़ा.रवि तो उसका दीवाना हो गया & उसपे तॉहफो की बरसात करने लगा.रवि पहला मर्द था जिसने रंभा को चोदा था & उसके साथ कुच्छ दिनो की चुदाई के बाद ही उसे अपने बारे मे 1 अहम बात पता चली-उसे चुदाई बहुत पसंद थी.रवि के आने से उसकी ज़िंदगी आसान हो गयी थी मगर ये उसकी मंज़िल नही थी.वो 1 छ्होटे शहर के दुकानदार की बीवी बनके उसके भरोसे नही रहना चाहती थी.उसकी ख्वाहिश आसमान च्छुने की थी & वो यहा मुमकिन नही था.

"रवि..उठो.ट्रेन का टाइम हो गया.",उसने उसे जगाया & अपना सूटकेस & बॅग उठाके दरवाज़े के पास रखा.

"क्या यार..इतनी जल्दी..अरे बहुत वक़्त हो गया..",वो उठके जल्दी-2 कपड़े पहनने लगा,"..क्यू जा रही है,रंभा..मैं कैसे रहूँगा यहा..तू भी ना!",रंभा ने कमरा बंद किया & चाभी रवि को दी.

"मैं क्या करू इसका?"

"तू ही रख.अब जल्दी चल.",रवि ने अपनी गाड़ी मे उसका समान डाला & कुच्छ देर बाद वो उसी समान को ट्रेन मे चढ़ा रहा था.

"पहुँच के फोन कर दीजियो.",गाड़ी स्टेशन छ्चोड़ रही थी.जवाब मे रंभा मुस्कुराती रही.

"रवि..",गाड़ी अब थोड़ा रफ़्तार पकड़ रही थी.रवि उसकी खिड़की के पास आया & धीरे-2 दौड़ने लगा.

"क्या हुआ?कुच्छ भूल गयी क्या?"

"नही.कुच्छ भूली नही.",गाड़ी और तेज़ हो गयी,"..मेरा इंतेज़ार मत करना.मैं अब यहा लौट के नही आ रही."

"क्या?",रवि अब दौड़ रहा था,"..क्या मज़ाक कर रही है?"

"मज़ाक नही,रवि.मैं हमेशा के लिए जा रही हू.अब यहा नही लौटूँगी.गुडबाइ!"

"रंभा!..रंभा..!",गाड़ी अब स्टेशन से बाहर निकल चुकी थी.रवि हांफता खड़ा उसे जाते देख रहा था.

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"सब समझ गयी,सोनम?",ब्रिज कोठारी पिच्छले 3 दिनो से रोज़ सोनम को उसके इंटरव्यू के लिए तैय्यार कर रहा था.

"हाँ,लेकिन.."

"लेकिन क्या?"

"मान लीजिए,वो मुझे नही चुनता है तो?"

"तो यहा जाय्न कर लेना."

"तो यही कर लेती हू वाहा जाने की क्या ज़रूरत है?"

"तुम बहुत डरती हो!",ब्रिज उसके करीब आया & उसे बाहो मे भर लिया,"..देखो सोनम,तुम मुझे नही जानती...आज से तुम मुझे नही जानती मुझसे कभी मिली भी नही..हूँ..ऐसा सोचते हुए वाहा जाना.एजेन्सी वाले 4 लड़कियो को वाहा भेज रहे हैं.तुम्हारा बाइयडेटा उन सब से अच्छा है & तुम उन सब से कही ज़्यादा होशियार हो.अगर तुम्हे इस बात से भी तसल्ली नही हो रही तो ये सुनो मैने उन सभी लड़कियो की तस्वीरे भी निकलवा ली हैं & कोई भी तुम जितनी हसीन नही.",उसने उसके होंठो को चूम लिया.सोनम ने भी उसकी किस का जवाब दिया & उसके सीने से लग गयी.कुच्छ ही पलो मे दोनो नंगे खड़े थे & 1 दूसरे को बड़ी गर्मजोशी से चूम रहे थे.सोनम उम्र & कद,दोनो मे उसके सामने बच्ची जैसी थी मगर उसका भरा-2 जिस्म किसी भी मर्द के पसीने च्छुड़वाने के काबिल था.

साँवली सोनम की 36 साइज़ की छातियो को मुँह मे भरते हुए ब्रिज ने उसे गोद मे उठा के अपने बिस्तर पे लिटा दिया & फिर इतमीनान से उसकी चूचिया चूसने लगा.सोनम बेचैनी से उसके सर के बालो को नोचती हुई मस्ती की राह पे आगे बढ़ती रही.ब्रिज का बाया हाथ उसकी टाँगो के बीच उसकी चिकनी चूत के अंदर घुस खलबली मचा रहा था.अपने दाने पे उसकी गुस्ताख उंगलियो की रगड़ से सोनम बहाल हो गयी & अपनी 26 इंच की कमर उचकाने लगी.ब्रिज ने उंगलियो की रफ़्तार बढ़ा उसकी बेचैनी को और बढ़ा दिया & तब तक उसके दाने को रगड़ता रहा जब तक वो झाड़ ना गयी.

"1 बात बताइए..",साँसे संभालती सोनम को ब्रिज ने उसके पेट के बल लिटा दिया & उसकी मखमली पीठ को चूमते हुए उसकी 36 साइज़ की मोटी गंद पे आ गया,"..ऊहह..हाआनन्न....आपको मेहरा का ऐसा क्या राज़ जानना है?....उउन्न्नःनह..!",ब्रिज की ज़ुबान गंद की दरार की सैर करने लगी थी.

"आज से कोई 6 महीने बाद सरकार डेवाले से 20 किमी की दूरी पे बने 1 बहुत बड़े ज़मीन के हिस्से को स्पेशल एकनामिक ज़ोन यानी कि सेज़ के लिए किसी प्राइवेट पार्टी को देने का टेंडर निकालने वाली है.इस बात की जानकारी मुझे है..",सोनम अब बहुत मचल गयी थी.उसने करवट बदली & अपनी चूत चाटते ब्रिज के बालो को पकड़ उसे उपर खींचा.भारी-भरकम ब्रिज ने उसे अपने लंबे चौड़े शरीर के नीचे दबाते हुए उसके होंठो को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.सोनम ने उसे बाहो मे भर लिया & अपने जिस्म पे उसके जिस्म को और दबाने की कोशिश करने लगी.

"..& विजयंत मेहरा को भी ये ज़रूर पता होगा.कोठारी ग्रूप अभी से उस टेंडर की रकम तैय्यार करने मे जुटा हुआ है जबकि अभी तक सरकार ने कोई फरमान भी जारी नही किया है & यही सब ट्रस्ट ग्रूप भी कर रहा होगा.",अपनी प्रेमिका की हर्कतो का इशारा समझते हुए ब्रिज ने अपने दाए घुटने से उसकी टाँगो को फैलाया & अपना 9 इंच का तगड़ा लंड उसकी छ्होटी सी चूत की दरार पे टीका के धक्का दिया.

"ऊव्ववव..दर्द होता है ना!..हां..ऐसे ही आराम से करिए....हाईईईईई.....",लंड अंदर घुस चुका था & सोनम की चुदाई शुरू हो चुकी थी.

"आप चाहते हैं की मैं उनके टेंडर की रकम आपको पहले ही बता दू & ये भी कि वो क्या तैय्यारिया कर रहे हैं?....ययत्त्त....!",ब्रिज के तगड़े लंड की ज़ोरदार चुदाई ने आख़िरकार उसे झाड़वा ही दिया था.ब्रिज कोठारी ने फ़ौरन अपनी प्रेमिका को बाहो मे भर लिया & उसे लिए दिए अपने घुटनो पे बैठ गया.उसकी गर्दन मे बाहे डाली सोनम ने अपनी टाँगे उसकी गंद के पीछे आपस मे फँसा रखी थी & उन्ही के सहारे 1 बार फिर वो अपने मालिक के लंड पे कूदने लगी थी.

"बस मेरी जान तुम मेरा ये काम कर दो फिर कोठारी ग्रूप मे सीनियर पोज़िशन & पैसे तो मिलने ही हैं तुम्हे.",उसकी कसी गंद को दबोचता जिस्म अपने घुटनो पे बैठ अपनी कमर हिलाने लगा था.मेहरा को हराने के ख़याल से ही उसका दिल 1 अजब सी खुशी से भर गया था & वो अब दुगुने जोश के साथ चुदाई कर रहा था.सोनम अब उस से बिल्कुल चिपात गयी थी & उसके बाए कंधे पे सर टीका के उसके सर को ज़ोर से आहें भरते हुए चूम रही थी.उसके हाथ ब्रिज की पीठ पे बेसब्री से चल रहे थे & वो उसके हर धक्के पे मज़े से पागल हो रही थी.1 ज़ोरदार चीख के साथ दोनो प्रेमी 1 साथ झाड़ गये.सोनम के चेहरे पे बहुत सुकून का भाव था.कुच्छ देर बाद ब्रिज ने उसे गोद से उतार बिस्तर पे लिटाते हुए अपना सिकुदा लंड उसकी चूत से निकाला & अपने कपड़े पहनने लगा.

"जा रहे हैं?",सोनम ने बाया हाथ बढ़ा के बिस्तर के बगल मे खड़े पॅंट का हुक लगा रहे ब्रिज के बालो भरे पेट को प्यार से सहलाया.

"हां."

"कंग्रॅजुलेशन्स & बेस्ट ऑफ लक.",सोनम ने पॅंट के उपर से उसके लंड को 1 बार दबाया तो ब्रिज ने मुस्कुराते हुए सवालिया निगाहो से उसे देखा,"..इस रविवार को आपकी शादी है ना तो उसी की बधाई दे रही हू.",ब्रिज तो सचमुच भूल ही गया था इस बारे मे!सोनम के जिस्म & उसे मेहरा के यहा सेंडमरी के लिए तैय्यार करने मे वो इतना मशगूल हो गया था कि वो शीतल के बारे मे तो वो भूल ही गया था.

"तुम्हारी वजह से मैं अपनी मंगेतर को भी भूल गया!",ब्रिज ने बनावटी गुस्सा किया तो सोनम हंस पड़ी & उठ के उसके करीब आ गयी फिर टेबल से वाइन की बॉटल उठा ग्लास मे डाली & ब्रिज को पिलाई,"ये आपकी शादी के नाम..",फिर अगला घूँट खुद भरा,"..& ये मेरी ट्रस्ट ग्रूप मे नौकरी लगने के नाम.",दोनो हंस पड़े & 1 बार फिर गले लग गये.

विजयंत मेहरा चाहे जितनी भी अययाशिया करे,अगर वो डेवाले मे होता था तो सोता अपने घर मे ही था.अभी 3-4 साल पहले ही वो अपने नये बंगल मे रहने लगा था.अब उसे बुंगला कहना शायद ठीक नही होगा.1 बहुत बड़े मैदान को पहले ऊँची दीवार से घेरा गया फिर उस मैदान की लॅंडस्केपिंग की गयी & 1 छ्होटा 9 होल गोल्फ कोर्स,स्विम्मिंग पूल & काफ़ी बड़ा लॉन बनाया गया.इस मैदान के बीचोबीच 1 बड़ा बुंगला बना & उसके दोनो तरफ उस से थोड़े से ही छ्होटे 2 छ्होटे बुंगले बनाए गये.बीच वाला बुंगला विजयंत & उसकी बीवी रीता का था.दाई तरफ का बुंगला समीर के लिए बनवाया गया था & विजयंत चाहता था की शादी के बाद समीर अपने परिवार के साथ उसी बंगल मे रहे.बाई तरफ के बंगल मे विजयंत की पहली औलाद,उसकी बेटी शिप्रा अपने पति प्रणव के साथ रहती थी.

"हाई,डॅडी!",विजयंत ने जैसे ही बंगल के हॉल मे कदम रखा,उसकी बेटी उसके गले से लग गयी.

"हाई,बेटा.अभी तक सोई नही?",1 नौकर ने विजयंत का कोट & उसके ड्राइवर से उसका ब्रीफकेस ले लिया.

"नही,मेरे साथ बैठी तुम्हारा इंतेज़ार कर रही थी.",पिंक कलर के ड्रेसिंग गाउन मे रीता वाहा आई.रीता की उम्र 48 बरस थी लेकिन पति की तरह ही वो भी उम्र से छ्होटी दिखती थी & अभी भी किसी को यकीन नही होता था कि वो 1 शादीशुदा बेटी & जवान बेटे की मा है.वो अपनी जवानी मे 1 ब्युटी क्वीन रह चुकी थी & आज भी उसका हुस्न ग़ज़ब का था.

"समीर के लौटने की पार्टी प्लान कर रही है ये..",उसने कंधे तक लंबे बाल झटके & सोफे पे बैठ गयी.विजयंत को अपने लंड मे हरकत होती महसूस हुई.रीता की भारी आवाज़ ऐसी लगती थी जैसे फँसे गले से आ रही हो.विजयंत को उसकी आवाज़ बड़ी मस्तानी लगती थी.

"तो ये तो हमेशा से तुम्हारा ही डिपार्टमेंट रहा है,बेटा.",विजयंत सोफे पे बैठा तो शिप्रा 1 नोटपेड़ ले उसके साथ बैठ गयी,"..मैं क्या करू इसमे?"

"ये मेहमानो की फेहरिस्त तो आप ही फाइनल करते हैं.",उसने नोटपेड़ उसकी गोद मे पटका.

"ओह्ह..",विजयंत ने थके होने का इशारा करते हुए सर पीछे सोफे की बॅक पे रखा,"..अभी नही बेटा."

"प्लीज़,पापा!..फिर सबको इन्विटेशन देर से मिलेंगे & हमारी पार्टी बिल्कुल फ्लॉप हो जाएगी.",वो बच्चों की तरह मछली.विजयंत हंसा,उसकी बेटी अभी तक 1 बच्ची जैसी ही थी.

"ओके,मेडम.जैसा आपका हुक्म!",उसने नाटकिया अंदाज़ मे कहा & पॅड उठा लिस्ट देखने लगा.रीता मुस्कुराइ & अपनी कॉफी का कप उठाके 1 घूँट भरा.विजयंत मेहरा अपने बच्चों की कोई बात नही टालता था,वो उसकी ज़िंदगी थे.वो अपनी बीवी से शायद हर रोज़ बेवफ़ाई करता था लेकिन आज तक उसने किसी लड़की को रीता का दर्जा नही दिया था.उसका मानना था कि परिवार की जगह कोई नही ले सकता & शायद यही वजह थी कि उसका परिवार इतना खुशाल था.

"हेलो!",5'9" कद का 1 चश्मा लगाए गोरा,भले सी शक्ल वाला जवान मर्द हॉल मे दाखिल हुआ.

"हाई!प्रणव.",रीता ने जवाब दिया तो विजयंत ने पॅड से नज़र उठाई & दामाद को देख के मुस्कुराया.2 साल पहले प्रणव कपूर उसकी बेटी का पति बना था.वो अमेरिका मे किसी कंपनी मे काम करता था & वही छुट्टी मना रही शिप्रा से उसकी मुलाकात हुई थी.दोनो 1 दूसरे को चाहने लगे थे & जब शिप्रा ने उस से शादी करने की ख्वाहिश जताई तो विजयंत नही माना था.उसे भरोसा नही था शायद की उसकी बेटी सही फ़ैसला ले सकती है.

कितना ग़लत था वो!पहली मुलाकात मे ही उसने भाँप लिया था कि प्रणव 1 अच्छा लड़का है & जब उसने उसे शादी के बाद ट्रस्ट ग्रूप जाय्न करने को कहा तो उसने सॉफ मना कर दिया था.इस बात ने विजयंत के सारे शुबहे दूर कर दिए.शिप्रा शादी कर अमेरिका चली गयी लेकिन विजयंत ने अपने दामाद से वापस आ उसे जाय्न करने की गुज़ारिश नही छ्चोड़ी.1 बरस पहले प्रणव उसकी बात मान गया & तब से सब साथ रहे थे.

"क्या हो रहा है?",उसने नौकर से पानी का ग्लास लिया & सोफे पे बैठ गया,"..डॉन'ट टेल मी!..शिप्रा पार्टी प्लान कर रही है..& कभी ये इतनी खुश हो ही नही सकती!",सभी हँसने लगे & शिप्रा ने पति को बनावटी गुस्से से देखा.

"ये लो भाई तुम्हारी गेस्ट लिस्ट.कम ऑन,प्रणव.खाना खाते हैं."

"& जो हमारे डाइनिंग टेबल पड़ा है,उसका क्या होगा?",शिप्रा ने पति के दाई बाँह मे अपनी बाई बाँह फँसा दी.

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क्रमशः.......
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12-19-2017, 10:26 PM,
#5
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--5

गतान्क से आगे.

"अरे छ्चोड़ो उसको,आज यहा खाने दो.",विजयंत ने बेटी के बालो मे हाथ फिराया.

"उन..डॅडी!मैं अब बच्ची नही हू!नही..आज तो वही खाएगा..चलो!",उसने पति को फिर से उसी बनावटी गुस्से से देखा & वाहा से चली गयी.विजयंत & रीता ने मुस्कुराते हुए अपने बच्चो को देखा & फिर खाने की मेज़ की ओर चले गये.

"उम्म..छ्चोड़ो!",शिप्रा ने खुद को अपनी ओर खींचते प्रणव को झिड़का.विजयंत के बंगल से शिप्रा का बुंगला 1 बड़े ही खूबसूरत रास्ते से जुड़ा था जिसके दोनो तरफ खूबसूरत फूलो की क्यारियाँ थी & दोनो उसी पे चले जा रहे थे.

"अरे अब क्यू नाराज़ हो गयी?",प्रणव ने बीवी को मनाने की कोशिश की मगर वो खामोश रही,"अरे बाबा1 तो पार्टीस अरेंज करना तुम्हे पसंद नही..& फिर तुम्हे छेड़ने मे बड़ा मज़ा आता है!",उसने बीवी की ठुड्डी पकड़ के प्यार से हिलाया तो उसने चेहरा झटक दिया.

"ओफ्फो!अब मान भी जाओ.",उसने बीवी को बाहो मे भर के चूम लिया.

"क्या करते हो?कोई देख लेगा!",वो छितकी मगर प्रणव ने उसे फिर से अपनी ओर खींचा & इस बार बाहो मे जाकड़ के फिर से उसके गुलाबी होंठ चूम लिए.

"देखने दो.",शिप्रा को पति का यू प्यार जताना अच्छा तो लग रहा था मगर उसे डर भी था की कही कोई देख ना ले.

"घर के अंदर तो चलो..उउम्म्म्म..!",शिप्रा के ड्रेसिंग गाउन के उपर से ही प्राणव ने अपनी बीवी की गंद दबा दी थी.शिप्रा का रंग मा जैसा ही गोरा था मगर वो उतनी खूबसूरत नही थी ना ही उसका जिस्म उतना दिलकश नही था.इसका ये मतलब नही की वो हसीन नही थी या फिर मस्त नही थी.

"ऊऊहह..प्रणव...डार्लिंग.....!",अपने बंगल की बाहरी दीवार से अपनी बीवी की पीठ लगा प्रणव ने उसके गाउन की बेल्ट खोली & अपने जिस्म को उसके जिस्म पे दबा दिया.उसके हाथ अभी भी शिप्रा की 34 साइज़ की गंद दबा रहे थे & होंठ उसकी गोरी गर्दन चूम रहे थे.वो भी जानता था कि उनकी आवाज़ें सुनके कोई नौकर वाहा आ सकता था लेकिन यही तो मज़ा था इस खेल का!

"नो....प्रणव नही.....आहह....नाआआ.....!",प्रणव के दाए हाथ ने गाउन के नीचे उसकी नाइटी को उठा उसकी टाँगो के बीच उसकी गोरी,गुलाबी चूत को ढूंड लिया था & उसे कुरेद रहा था.

"मुझे पता था कि तुमने पॅंटी नही पहनी होगी,जानेमन!",उसने जोश से लड़खड़ाती आवाज़ मे कहा & अपने मुँह को नाइटी के गले मे से दिख रहे बीवी के क्लीवेज से लगा दिया & चूसने लगा.उसकी ज़ुबान ऐसे चल रही थी मानो वो अपनी ज़ुबान से ही खींच के उसकी 34सी साइज़ की चूचियो को बाहर खींच लेना चाहता हो.शिप्रा पति के हाथ की कारस्तानी से मजबूर हो कमर हिला रही थी.उसकी चूत मे मस्ती भरी कसक अपने शबाब पे पहुँच गयी थी.उसने पति की पीठ को भींचते हुए सर झुका के उसके दाए कान मे पागलो की तरह अपनी जीभ फिराई.

"आन्न्‍न्णनह..नही..प्रणव यहा नही..पागल....अंदर चलो....ओह..!",प्रणव ने बीवी का दाया हाथ अपनी पीठ से अलग किया & ज़िप खोल उसे अपनी पॅल्ट मे घुसा के तब तक दबाए रखा जब तक कि वो उसके लंड को हिलाने नही लगी,"..उउन्न्ह..डार्लिंग..कितना गर्म है ये..अंदर चलो प्लीज़..!",प्रणव का लंड 8.5 इंच लंबा था & बहुत ही मोटा.शिप्रा को अपने हाथ मे उसका एहसास पागल करने वाला लग रहा था.वो अपने को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की मानती थी.उसे इतना प्यार करने वाला पति मिला था & उसका लंड तो उफफफ्फ़..!

तभी प्रणव ने उसका हाथ उपर खींचा & 1 बार फिर उसके गुलाबी होंठ चूमने लगा.कुच्छ देर तक उसके हाथ बीवी की 26 इंच की पतली कमर से लिपटे उसे सहलाते रहे फिर अचानक उसने उसकी दोनो जाँघो को थाम लिया.शिप्रा समझ गयी की वो क्या करने वाला था.

"नही..प्रणव..कोई सुन लेगा..आ जाएगा!..ओईईईई..!",बीवी की बात अनसुनी करते हुए प्रणव ने उसकी जंघे हवा मे उठाते हुए अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.लंड ने जैसे ही जान-पहचानी गीली चूत की दरार च्छुआ जैसे वो अपनेआप ही अंदर घुस गया.शिप्रा पूरी तरह मदहोश थी मगर इतना होश था उसे कि चीखे ना.उसने अपने होंठ पति के बाए कंधे के उपर कोट पे दबा दिए & आहे उसमे दफ़्न करने लगी.प्रणव के धक्के उसे मस्ती की ऊँचाहियो पे ले जा रहे थे.उसके होंठ उसकी गर्दन के बाई तरफ & उसके बाए गाल & कान को चूम रहे थे.तभी शिप्रा ने अपने नाख़ून अपने पति के दोनो कंधो पे गढ़ा दिए & चिहुनकि.वो झाड़ रही थी.उसके झाड़ते ही प्रणव ने अपनी कमर और ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया & कुच्छ पॅलो बाद उसकी चूत मे अपना वीर्य छ्चोड़ने लगा.

"तुम पागल हो!",प्रणव ने उसे गोद मे उठा लिया तो उसने अपनी बाहे उसके गले मे डाल प्यार से चूमा.अभी भी उसके चेहरे पे खुमारी सॉफ दिख रही थी,"..इतना बड़ा घर है हमारा लेकिन जनाब को उसके बाहर प्यार करना है!",उसने हल्के से उसके बाए गाल पे काटा.

"तो ठीक है,अब घर के अंदर प्यार करते हैं!",बंगल के अंदर दाखिल होते हुए उसने शिप्रा को चूमा.बंगल का दरवाज़ा बंद हो गया मगर कुच्छ देर तक दोनो के हँसने की आवाज़ें बाहर तक आती रही फिर खामोशी च्छा गयी & अगर कोई गौर से सुनता तो थोड़ी देर बाद फिर से दोनो की मस्तानी आहो की बड़ी धीमी आवाज़ बाहर तक आने लगी थी & ये आवाज़ें देर तक आती रही.

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"ऑफीस से कोई 1 पैंटिंग लेके आया था..",रीता बाथरूम मे दाखिल हुई तो देखा की विजयंत अपना नगा बदन तौलिए से पोछ रहा था.विजयंत ने दीवार पे लगे आदमकद शीशे मे उसे देखा & सर हिलाया.शीशे मे पति के अक्स से आँखे मिलाते हुए हल्के से मुस्कराते हुए रीता ने अपने कंधो से अपनी नाइटी की डोरिया सरका दी.उसका गोरा जिस्म शीशे मे जगमगा उठा.उम्र के साथ शरीर थोड़ा भारी हो गया था लेकिन शायद और दिलकश भी.उसने बाए हाथ से अपनी 36डी साइज़ की छातियों को दबाया & दाए को 1 बार अपनी चूत पे फेरा.उसकी कमर 32 इंच की हो गयी थी & गंद 38 की लेकिन ना वो मोटी लगती थी ना ही उसका जिस्म भद्दा.वो पति के करीब आई & उसके हाथो से तौलिया ले उसका जिस्म सुखाने लगी.

"कहा से खरीदी?",तौलिए को छ्चोड़ते हुए 5'6" कद की रीता पति के सामने आई & अपने पंजो पे उचक के उसके होंठो को चूमने लगी.

"नीलामी मे.",विजयंत बीवी की किस का जवाब देते हुए उसकी मांसल कमर को दबाने लगा.

"यानी की फिर उस कोठारी से टक्कर हुई तुम्हारी?",रीता झुक के उसके बालो भरे सीने पे अपने होंठो के निशान छ्चोड़ते हुए नीचे जाने लगी.उसकी मंज़िल थी विजयंत का तगड़ा लंड.रीता ने उसे हिलाया & फिर अपना मुँह लंड के उपर विजयंत के पेट मे घुसा दिया & उसे चूमते हुए लंड हिलाने लगी.

"हां,उसी से जीती है.",वो रीता के बालो मे हाथ फिराने लगा.रीता जीभ से लंड के सूपदे को चाट रही थी फिर उसने उसे मुँह मे भरा & चूसने लगी.विजयंत ने सर नीचे झुकाया तो बीवी के चेहरे पे उसे मस्ती दिखाई दी.लंड को मज़बूती से हिलाते हुए वो बड़ी गर्मजोशी से उसे चूस रही थी.

"आख़िर क्यू नफ़रत करते हो तुम उस से इतनी?..ओह....आननह..!",कयि पॅलो तक लंड से खलेने के बाद वो उठी & उसके उठते ही विजयंत ने उसके हाथ अपने कंधो पे रखे & उसकी जंघे उठा के अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी चूत मे उतार दिया.2 बच्चो की मा होने के बावजूद रीता की चूत उतनी ढीली नही हुई थी & विजयंत को अभी भी उसे चोदने मे मज़ा आता था.उसकी गंद थामे बाहो मे झूलते हुए उसने 4-5 धक्के लगाए.

"क्यूकी हर बार वो मेरे रास्ते मे खड़ा हो जाता है..",विजयंत ने अपने होंठ रीता के लाबो से सटा दिए तो वो मस्ती मे बहाल हो अपनी ज़ुबान उसके मुँह मे घुसा उसकी जीभ से खेलने लगी,"..जो मुझे चाहिए वही उसी पे उसकी नज़र भी रहती है.",विजयंत ने किस तोड़ी & बात पूरी कर उसे फिर से चूमते हुए बिस्तर पे ले आया & लिटा के उसके उपर लेटते हुए उसे चोदने लगा.

"आहह....एससस्स....जाआंणन्न्...चोदो & ज़ोर से....ऊऊओह....थोडा संतोष करना सीखो जान...उउन्न्ञणन्.....",विजयंत ने अपने होंठ उसकी बाई चूची के हल्के भूरे निपल से लगाए तो उसने बाए हाथ मे छाती को पकड़ उसे उसके मुँह मे भर दिया,"..क्या हुआ अगर वो जीत ही गया तो?..इतना सब कुच्छ तो है हमारे पास......आन्न्‍नणणनह..!",विजयंत के धक्को से मदमस्त हो उसने अपनी टाँगे उसकी कमर पे चढ़ाते हुए उसकी पीठ पे बेसब्री से हाथ फिराना शुरू कर दिया था & अपनी कमर भी हिला रही थी.

"नही....",उसने रीता के निपल को हल्के से काटा,"..1 बार जीता तो हर बार जीतेगा & फिर सब ख़त्म हो जाएगा..मैं उसे कभी भी किसी कीमत पे जीतने नही दे सकता.",विजयंत ने बहस ख़त्म की & अपनी पत्नी की दूसरी चूची का रुख़ किया.रीता भी समझ गई थी कि हर बार की तरह भी इस बार भी उसकी बात का कोई असर नही होने वाला है.वो उस बात को छ्चोड़ अब इस रोमानी लम्हे पे ध्यान देने लगी.उसकी चूत मे उधम मचाता पति का मोटा लंड उसे मदहोश किए जा रहा था.उसने बहाल हो विजयंत के दाए कान को काटा & उसकी गंद मे नाख़ून धँसाते हुए उसकी चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगी.

रंभा लंच मे दफ़्तर से निकल आई.डेवाले आए उसे 6 महीने हो चुके थे.जिस सहेली के भरोसे वो यहा आई थी उसने उसकी काफ़ी मदद की थी.उसने उसे पहले प्लेसमेंट एजेन्सी के बारे मे बताया जहा से उसे 1 कंपनी मे स्क्रेटरी की नौकरी मिल गयी & साथ ही 1 वर्किंग विमन'स हॉस्टिल मे रहने की जगह भी दिलवा दी.जब वो अपने शहर मे थी तभी उसने करेस्पॉंडेन्स से एमबीए करना शुरू किया था,वो भी अब पूरा होने वाला था.कोई और लड़की होती तो खुशी-2 काम करती रही है मगर रंभा के ख्वाब तो आसमान च्छुने के थे & वो ये सब बहुत जल्दी कर लेना चाहती थी.

यही उसकी परेशानी का सबब था.1 महीने पहले हॉस्टिल की लड़कियो से उसे पता चला कि ट्रस्ट ग्रूप के मालिक विजयंत मेहरा की सेक्रेटरी की पोस्ट के लिए एजेन्सी लड़कियो को चुन रही है.एजेन्सी ने ये बात खोली नही थी & चुप-चाप कर रही थी लेकिन किसी को पता चल गया & उसने ये बात लीक कर दी.रंभा अगले ही दिन एजेन्सी पहुँची & अपना CV भी वाहा भेजने को कहा लेकिन उसे साफ मना कर दिया गया.उसने हार नही मानी & वाहा के चक्कर लगाती रही लेकिन नतीजा कुच्छ भी नही निकला.

"मैं कुच्छ नही कर सकती..आप सीनियर मॅनेजर साहब से बात कीजिए.",ये टका सा जवाब दिया था उसकी कन्सल्टेंट ने उस से & सीनियर मॅनेजर कभी मिलता ही नही था.इन्ही ख़यालो मे गुम वो सड़क पे चली जा रही थी.ज़िंदगी मे पहली बार उसे ऐसा लगा था कि वो हार जाएगी.तभी 1 रिक्षेवला उसके बहुत करीब से गुज़रा.थोड़ा और करीब होता तो वो गिर ही जाती.

"आए!अँधा है क्या!",वो झल्लाई मगर वो रिक्षेवाला तेज़ी से आगे चला गया.चिढ़ते हुए वो आगे बढ़ी,फूटपाथ पे 1 आदमी रेहदी लगाके आईने बेच रहा था & रंभा ने अपना अक्स 1 शीशे मे देखा-सामने उसे 1 चिड़चिड़ी लड़की नज़र आई.वो खड़ी होके खुद को देखने लगी..ऐसी क्यू हो गयी थी वो?

उसकी चिड़चिड़ाहट का 1 कारण और भी था.डेवाले आने के बाद से उसने 1 बार भी चुदाई नही की थी.कहा अपने शहर मे वो अपने बाय्फ्रेंड को चुदाई के लिए तड़पाती रहती थी & कहा यहा डेवाले मे वो खुद 1 अदद लंड के लिए तरस रही थी.ऐसा नही था की यहा लड़के उसके करीब नही आना चाहते थे.दरअसल जिनको वो चाहती थी वो अपनी हैसियत की लड़कियो के साथ घूमते रहते थे & वो कोई उसके शहर की लड़कियाँ तो थी नही डेवाले की तेज़-तर्रार लड़किया थी,अपने बाय्फ्रेंड को अपने चंगुल से ऐसे कैसे निकलने देती.फिर भी कुच्छ लड़को ने उसके करीब आने की कोशिश की थी मगर या तो वो उसे पसंद नही थे या फिर उनके साथ सोने मे उसे कोई फ़ायदा नही नज़र आया.

उसने शीशे मे देखा & चेहरे पे हल्की सी मुस्कान लाई..हां ये बेहतर था..उसने अपने कंधे पे बॅग ठीक किया & आगे बढ़ी..चाहे कुच्छ भी हो जाए वो एजेन्सी के उस सीनियर.मॅनेजर से मिलके रहेगी & 1 बार तो ट्रस्ट मे इंटरव्यू ज़रूर देगी.ये मलाल वो मन मे नही रखना चाहती थी कि उसने कोशिश नही की..हां,कल सवेरे उस मॅनेजर को उस से मिलना ही होगा!

वो आगे बढ़ी,जहा इलाक़े के सब-डिविषनल मॅजिस्ट्रेट का कोर्ट था.वाहा कुच्छ गहमा-गहमी थी.उसने देखा कोई जोड़ा शादी कर के कोर्ट से बाहर आ रहा था & उनके साथ के लोग उनके पीछे थे.भीड़ की वजह से उनकी शक्ल नही दिखी.उसने देखा कुच्छ फोटोग्राफर्स भी उनकी तस्वीरे खींचना चाह रहे थे.जोड़ा जल्दी से कार मे बैठ के निकल गया.रंभा उनकी शक्ल नही देख पाई.उसने घड़ी देखी,लंच टाइम ख़त्म हो रहा था.वो वापस दफ़्तर जाने को घूम गयी.

वो शादीशुदा जोड़ा & कोई नही ब्रिज मेहरा & उसकी नयी-नवेली दुल्हन सोनिया थे.रंभा को खबर नही थी कि आने वालो दिनो मे उसकी ज़िंदगी के तार कयि और लोगो की ज़िंदगियो के तारो से जुड़ने वाले थे & उनमे ब्रिज & सोनिया भी शामिल थे.

सोनिया फूलो से सजे अपने कमरे मे आई & शीशे के सामने खड़ी हो गयी.अभी-2 उसकी शादी की रिसेप्षन पार्टी ख़त्म हुई थी.कोर्ट मे शादी करने के बाद वो शाम की पार्टी के लिए तैय्यार होने मे लग गयी थी & अब पार्टी ख़त्म होने के बाद वो काफ़ी थक गयी थी.पार्टी बड़ी शानदार रही थी & उसे बहुत अच्छा लगा था.

सोनिया ने सुर्ख लाल रंग का लहंगा-चोली पहना था जोकि उसके गोरे रंग पे खूब फॅब रहा था.उसने गौर से अपने रूप को आईने मे देखा.वो 30 बरस की हो चुकी थी & ये उसकी दूसरी शादी थी लेकिन शायद ही कोई उसे देख ये बता सकता था.उसके पिता फौज के बड़े अफ़सर रहे थे & उन्होने ही उसकी शादी 1 फ़ौजी से ही करवाई थी लेकिन सोनिया को उस ज़िंदहगी से ऊब हो चुकी थी.पति तो हर वक़्त मुल्क की हिफ़ाज़त मे जुटा रहता & वो घर बैठी उकताने लगी.इसी बात को लेके मिया-बीवी मे तकरार शुरू हुई जोकि तलाक़ पे ही जाके ख़त्म हुई.

उसके बाद वो डेवाले आ गयी & अपनी 1 सहेली के साथ मिलके इवेंट मॅनेज्मेंट का काम करने लगी.अपने काम के सिलसिले मे ही 1 पार्टी मे उसकी मुलाकात ब्रिज कोठारी से हुई जिसकी ज़िंदादिली ने उसके उपर बड़ी गहरी छाप छ्चोड़ी.वो उसके पिता की उम्र का था लेकिन ये उम्र का फासला भी उनके प्यार के बीच आने ना पाया & जब ब्रिज ने उस से शादी के लिए कहा तो उसने फ़ौरन हां कर दी.उसके मा-बाप को तो उसका तलाक़ देना ही नागवार गुज़रा था,इतनी उम्र वाले आदमी से शादी की बात सुनी तो उन्होने उस से रिश्ता ही ख़त्म कर लिया मगर उसपे इस बात का कोई असर नही पड़ा & उसने ब्रिज से शादी का फ़ैसला नही बदला.

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क्रमशः.......
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12-19-2017, 10:27 PM,
#6
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--6

गतान्क से आगे.

दोनो ने ही कोर्ट मे शादी करने का फ़ैसला किया.सोनिया की पिच्छली शादी रीति-रिवाजो के मुताबिक हुई थी मगर वो नाकामयाब रही & उसका उन रिवाजो पे विश्वास नही था फिर उसकी सहेली का कहना था कि कोर्ट मे क़ानूनी शादी उसे खुदा ना ख़स्ते अगर आगे कोई मुसीबत आती है तो उस हालत मे तलाक़ के वक़्त काफ़ी काम आ सकती है.और ब्रिज को इस उम्र मे धूम-धड़ाके के साथ शादी करना थोड़ा जाँचा नही.वैसे उसके करीबी लोगो ने कहा भी की वो कब से दुनिया की परवाह करने लगा मगर दुनिया की नही उसे खुद की परवाह थी & उसे कोर्ट मॅरेज धूम-धाम की शादी से बेहतर ही लगी.दोनो ने शादी के बाद रिसेप्षन मे अपने दोस्तो & जानकारो को बुलाने का फ़ैसला किया था.

सोनिया ने शीशे मे अपनी 26 इंच की कमर पे हाथ रख थोड़ा सा घूम के खुद को देखा.उसकी शक्ल तो बड़ी खूबसूरत थी ही,जिस्म भी कम क़ातिल नही था.उसने अपनी 38 इंच की गंद को देखा & हल्के से मुस्कुराइ,ब्रिज को ना जाने कितनी बार उसने चोर निगाहो से अपनी गंद को घूरते पाया था.

ब्रिज बहुत चाहता था उसे & जब उसने उसका हाथ माँगा & देर तक उसने जवाब नही दिया तो वो 53 बरस का आदमी किसी नौजवान की तरह नर्वस अपने हाथ मालता खड़ा उसे क़तर निगाहो से देखता रहा था.कितनी हँसी आई थी उसकी हालत देख के उसे & उसने फ़ौरन हां कर दी थी....तो क्या उसने ब्रिज पे तरस खाया था?..उसके अक्स ने उस से सवाल किया..धात!..मैं चाहती हू उसको!..सोनिया के दिल ने जवाब दिया..सचमुच?..आईने मे उसका अक्स उसे मुँह चिढ़ाता नज़र आ रहा था.

"रहम खाओ शीशे पे,मेरी जान!",ब्रिज कमरे मे दाखिल हुआ,"..इतना हुस्न बर्दाश्त नही कर पाएगा & टूट जाएगा!",सोनिया हँसती हुई उसकी तरफ आई तो ब्रिज ने उसे बाहो मे भर लिया & चूमने लगा.

"उउन्न्ञन्..छ्चोड़ो ना इतनी भी क्या जल्दी है!",सोनिया ने पति को परे धकेला.

"शादी के पहले कहती थी कि शादी के बाद करना & अब शादी हो गयी है तो कहती हो जल्दी क्या है!",ब्रिज ने अपनी नयी-नवेली दुल्हन को बाहो मे भरा & लहँगे & चोली के बीच की नंगी जगह पे अपने मज़बूत हाथो से सहलाते हुए उसे फिर से चूमने लगा,"..बहुत इंतेज़ार कराया है तुमने,सोनिया!",वो उसके रसीले,गुलाबी होंठो को चूमने लगा.उसके गर्म हाथ & आतुर होंठ सोनिया को भी मस्त करने लगे.उसने अपने हाथ पति के कंधो पे जमाते हुए उसकी गर्दन थाम ली & उसकी किस का जवाब देने लगी.ब्रिज उसकी कमर & पीठ को सहलाते हुए उसके मुँह मे अपनी ज़बान घुसा रहा था.

सोनिया ने किस तोड़ने की कोशिश की लेकिन ब्रिज के ज़िद्दी होंठो ने उसकी 1 ना सुनी & हार कर सोनिया को अपनी जीभ उसकी जीभ से लड़ानी ही पड़ी.हर बार की तरह इस बार भी ब्रिज की किस ने उसके होश उड़ा दिए.उसके जिस्म मे मस्ती भरने लगी & चूत परेशान हो उठी.हमेशा वो इसी लम्हे खुद को पीछे खींच लेती थी लेकिन आज तो हर हद्द पार करने की रात थी.आज वो अपने महबूब को खफा नही करना चाहती थी & नतीजा ये हुआ कि सोनिया मदहोश होने लगी & उसकी टाँगे जवाब देने लगी.

मस्ती से आहत हो उसने किस तोड़ी तो ब्रिज ने उसे गोद मे उठा लिया & बिस्तर की ओर बढ़ा,"1 बात पुच्छू ब्रिज?",उसकी आँखो मे अब मदहोशी के लाल डोरे थे.

"नही,अभी नही.",ब्रिज ने उसे बिस्तर पे लिटाया & उसकी बगल मे आ गया.उसकी बाई बाँह सोनिया की गर्दन के नीचे थी,"..पहले मुझे तुम्हे जी भर के प्यार कर लेने दो फिर उम्र भर सवाल पूछती रहना,मैं जवाब देता रहूँगा."

"ओह,ब्रिज.",1 बार फिर दोनो 1 दूसरे के आगोश मे खो गये.ब्रिज के होतो की शरारत ने सोनिया को बहुत ज़्यादा मस्त कर दिया & वो बेचैनी से अपनी जंघे रगड़ अपनी कसमसाती चूत को शांत करने लगी.ब्रिज पुराना खिलाड़ी था & जानता था की उसकी बीवी अब मस्ती के नशे मे पूरी तरह डूब चुकी है.उसने उसके होंठ छ्चोड़े & उसके बाए हाथ को थाम उसमे अपने दाए हाथ की उंगलिया फँसा ली & उसे उठा अपने होंठो तक ला चूमने लगा.

सोनिया के चेहरे पे हल्की सी मुस्कान फैल गयी & वो आँखे बंद कर अपने आशिक़ की हर्कतो का मज़ा लेने लगी.ब्रिज ने दाए पैर के अंगूठे से उसके डाए पाँव को सहलाना शुरू कर दिया.सोनिया ने पाँव खींचने की कोशिश की मगर ब्रिज ना माना & अपने अंगूठे को उसके पैर से सताए ही रखा.

ये सोनिया की दूसरी सुहागरात थी मगर जो खुमारी,जो नशा अभी से ही उसपे चढ़ गया था ऐसा तो शायद पहली के अंजाम तक पहुँचने पे भी उसे महसूस नही हुआ था.उसका पहला पति तो उसे नंगी कर उसके उपर सवार हो उसके कुंवारेपन को तोड़ बस अपनी मर्दानगी के सबूत को उसकी चूत मे छ्चोड़ना चाहता था.

"हुन्ह..!",उसकी उंगलियो को चूसने के बाद ब्रिज उसकी कलाई से कंगन उतार रहा था.कंगन उतार के उसने उसकी कलाई के अन्द्रुनि हिस्से को चूमा तो वो सिहर उठी फिर उसने कुच्छ चूड़ियाँ उतारी & फिर लबो को उसकी कलाई से लगाया,सोनिया फिर से सिहरी,फिर ब्रिज ने बाकी चूड़िया उतारी & थोड़ा और नीचे उसकी बाँह पे चूमा,सोनिया का बदन अब जोश से कांप रहा था,फिर उसने चूड़ियो के साथ लगा दूसरा कंगन उतारा & उसकी कोहनी से ज़रा सा उपर थोड़ा सा चूस्ते हुए उसकी बाँह के अन्द्रुनि कोमल हिस्से को चूमा तो सोनिया तड़प उठी.

ब्रिज उसकी बाँह को चूमते हुए उसके कंधे से होता फिर से उसके हसीन चेहरे तक पहुँचा & इस बार सोनिया ने अपने लब खुद ही अपने पति के लिए खोल दिए.उसे चूमते हुए ब्रिज अपने दाए हाथ की 1 उंगली को उसके पेट की चौड़ाई पे उसकी नाभि के नीचे & लहँगे के उपर बहुत हल्के से चलाने लगा.

अब बात सोनिया के बर्दाश्त के बाहर जा रही थी.उसका जिस्म अब मचल रहा था.ब्रिज की उंगली पेट पे घूमते हुए उसकी नाभि के गिर्द दायरा बनाते हुए आख़िर उसमे घुस ही गयी & जब उसने उसे कुरेदा तो सोनिया चीख मारते हुए झाड़ गयी & दूसरी तरफ करवट ले शर्म से अपना चेहरा तकिये मे च्छूपा लिया.

ब्रिज के सामने अब उसकी पीठ थी.मुस्कुराते हुए ब्रिज ने पहले अपना कुर्ता निकाला & फिर उसकी दाई बाँह की लंबाई पे अपनी वही 1 उंगली फिराने लगा.सोनिया फिर से सिहर गयी.ब्रिज ने उसकी बाँह उठाके उसकी कलाई से कंगन निकालते हुए वही हरकत दोहराई जो उसने बाए हाथ के साथ की थी.सोनिया करवट लिए तकिये मे मूँछ छिपाए तड़प रही थी.जिस्म मे ऐसा एहसास उसे पहली बार हो रहा था.चूड़िया उतारने के बाद ब्रिज ने उसके चेहरे को अपनी ओर घुमा के उसके गुलाबी होंठ चूमे & फिर उसके बदन को मोड़ अपनी ओर किया.

अब सोनिया बाई कवट पे थी & ब्रिज दाई पे उसे अपनी बाहो मे भरे उसके गले को चूम रहा था & उसका हार उतार रहा था.हार उतारने के बाद उसने उसके बाए कान से झुमके को उतारा,"आज समझ मे आया तुम औरतें इतने गहने क्यू पहनती हो.",उसने उसके कान को काटा & फिर दाए कान से झुमका निकाला.

"क्यू?",सोनिया ने पति के चेहरे को हाथो मे भर के उसकी आँखो मे देखा.

"ताकि कोई मर्द तुम्हारे करीब ना आ पाए.कम्बख़्त,कितना चुभते हैं ये!",दोनो हंस पड़े & सोनिया उसके गले से लग गयी.ब्रिज उसके बाए कंधे के उपर से देखते हुए उसकी चोली के हुक्स खोलने लगा तो सोनिया चिहुनकि.

"नही."

"क्यू?",उसे चूमते हुए ब्रिज ने हुक्स खोल उसके ब्रा स्ट्रॅप के उपर से अपने हाथ को उसकी पीठ पे फिराया तो सोनिया ने सर झुका के उसके नंगे सीने मे मुँह च्छूपा लिया.ब्रिज के जिस्म से आती मर्दाना खुसबु उसे बहुत भली लग रही थी.बालो से भरा सीना कितना चौड़ा था & कितना मज़बूत!शरमाते हुए उसने अपना हाथ सीने पे रखा तो ब्रिज ने उसकी चोली को उसके कंधे से उतारते हुए उसकी बाई बाँह से खींच ली.सोनिया ने शरमाते हुए बाँह मोड रखी मगर इन बातो से ब्रिज को कोई फ़र्क नही पड़ रहा था.थोड़ी ही देर बाद सोनिया का लाल लेस ब्रा मे ढका सीना उसके सामने था.सोनिया ने शर्म के मारे आँखे बंद की हुई थी.अगर आँखे खोलती तो देखती कि ब्रिज कैसे 1 तक उसके खूबसूरत अंग को देखे जा रहा था.ब्रिज ने सोनिया की कमर के बगल मे लगे लहँगे के हुक्स को खोला तो सोनिया उसकी गिरफ़्त से छूटने की कोशिश करने लगी मगर ब्रिज ने उसे सीने से लगाके रोक लिया.

उसे सीने से लगाए उसके सर को चूमता वो उसकी पीठ & कमर को सहलाने लगा.सोनिया उस से चिपकी बहुत हल्के हाथो से उसके सीने को सहला रही थी.कमरे मे बिल्कुल खामोशी थी बस 2 आतुर जिस्मो की गर्म सांसो की आवाज़ आ रही थी.थोड़ी देर के बाद सोनिया के हाथ अपने पति के जिस्म के गिर्द बँध गये & ब्रिज अपने गाल उसके गालो के साथ रगड़ने लगा.दोनो करवट से लेटे थे & ब्रिज का पाजामे मे क़ैद लंड सोनिया को अपनी चूत के उपर दबा महसूस हो रहा था.उसके ज़हन मे लंड की लंबाई को लेके सवाल कौंधा & वो अपनेआप से ही शर्मा गयी.लंड के एहसास ने उसे मस्त कर दिया.आनेवाली खुशी के एहसास से उसका रोमांच बढ़ गया & तभी ब्रिज ने उसका ढीला लहंगा नीचे सरका दिया.

"हुंग....नही..प्लीज़!",नशे & शर्म से सोनिया ने आँखे बंद कर ली.ब्रिज ने लहँगे को उतार फेंका & लाल लेस ब्रा & पॅंटी मे सजे सोनिया के नशीले जिस्म को निहारने लगा.चूत से बहुत सा पानी रिसा था & पॅंटी सामने से बिल्कुल गीली हो चूत से चिपकी हुई थी.ब्रिज ने बहुत धीरे से हाथ बढ़ा के सोनिया की बाई जाँघ पे रखा मानो डर रहा था कि कही उसका गोरा जिस्म मैला ना हो जाए.उसके छुने से सोनिया चिहुनकि.38 साइज़ की बड़ी चूचियाँ जिस्म की मदहोशी की दास्तान कहती तेज़ धड़कनो के साथ उपर-नीचे हो रही थी & जंघे आपस मे भींची या तो चूत को च्छुपाने की कोशिश कर रही थी या फिर उसकी बेचैनी को शांत करने की कोशिश.काफ़ी देर तक निहारने के बाद जैसे ब्रिज नींद से जागा.उसने अपना पाजामा उतार दिया,अब वो बिल्कुल नंगा था.उसी वक़्त सोनिया ने अभी आँखे खोली जोकि सामने का नज़ारा देख हैरत से फैल गयी.ब्रिज का प्रेकुं से गीला लंड 9 इंच लंबा उसकी नज़रो के सामने तननाया खड़ा था.

उस वक़्त खुशी,मज़े,रोमांच & डर के मिले-जुले भाव ने सोनिया की धड़कनो को & बढ़ा दिया..ये लंड अब उसकी जागीर था..सिर्फ़ उसकी!..ये अब हमेशा उसी के लिए खड़ा होगा..उसकी चूत को मज़े & अपने रस से भर देगा ये..लेकिन कितना बड़ा है..बहुत दर्द होगा..उफफफ्फ़..!"..सोनिया के दिल मे खलबली मचा दी थी ब्रिज के लंड ने!

ब्रिज झुका तो सोनिया ने अपनी बाहे फैला उसे अपने आगोश मे ले लिया.पति का फौलादी जिस्म अब पूरा नंगा उसकी बाहो मे था & वो & मस्त हो गयी थी.उसका लंड उसके पेट पे दबा हुआ था ब्रिज ने हाथ पीछे ले जाके पहले उसकी ब्रा के हुक्स ढीले किए & फिर उसकी पीठ & कमर को मसल्ने लगा.उसके हाथो से उसके जोश की खबर मिल रही थी.सोनिया भी बेसब्री से उसकी पीठ पे अपने हाथो को फिरा रही थी.ब्रिज का दाया हाथ उसकी पॅंटी मे घुस गया & उसकी गंद की फांको को दबोचने लगा तो वो आहे भरने लगी.

"रूप की रानी हो तुम,सोनिया!"ब्रिज ने गंद की फाँक को दबाया तो सोनिया ने उसके बाए कंधे पे काट लिया.ब्रिज का हाथ उसकी गंद की दरार से होता पीछे से ही चूत पे पहुँचा तो सोनिया ने मस्ती से बहाल हो अपनी बाई टांग अपने महबूब की टांग के उपर चढ़ा दी.ब्रिज थोडा आगे हुआ & अपने लंड को उसकी पॅंटी पे दबा दिया & पीछे से उसकी चूत मे उंगली करते हुए उसे चूमने लगा.सोनिया ज़ोर-2 से आहे भरने लगी.उसकी चूत पे दोतरफ़ा मार पड़ रही थी & वो उसे बहुत देर तक नही झेल पाई.

"ब्रिज.....आआअन्न्न्नह...नाआअ......उफफफ्फ़.......हाईईईईईईईईईईईई..!",वो झाड़ गयी & ब्रिज ने उसकी पॅंट नीचे सरका दी.सोनिया का दाया हाथ दोनो जिस्मो के बीच दबा था & ब्रिज ने उसमे अपना लंड थमा दिया तो सोनिया ने शर्मा के उसे छ्चोड़ दिया.ब्रिज अपनी लाजाति बीवी की अदाएँ देख जोश से पागल हो गया & उसे चूमते हुए अपना लंड उसके हाथ मे दबा दिया.सच तो ये था कि 1 बार पहले भी शादी होने के बावजूद सोनिया इन मामलो मे ज़रा अनाड़ी थी.तलाक़ के बाद उसने सिर्फ़ अपनी उंगली से ही काम चलाया था & अपने पहले पति के लंड को केवल अपनी चूत मे ही महसूस किया था.ब्रिज ने उसके हाथ मे लंड पकड़वाया तो उसके गर्म,नर्म & कठोर एहसास ने उसे हैरत से भर दिया.ब्रिज के इशारे पे उसने उसे हिलाना शुरू किया तो ब्रिज मस्ती मे आहे भरने लगा.

सोनिया को बड़ा मज़ा आ रहा था यू ब्रिज को मस्त करने मे.ब्रिज लेट गया तो वो बैठ के लंड हिलाने लगी.उसका खुला ब्रा उसके कंधो पे लटका हुआ था.वो अनाड़ी थी & बहुत ज़ोर से लंड को हिला रही थी.ब्रिज जब झड़ने की कगार पे पहुँचा तो उसने उसका हाथ थाम लिया & उठ बैठा,"आइ लव यू,सोनिया!",उसने उसके चेहरे पे किस्सस की झड़ी लगा दी.सोनिया की समझ मे नही आया कि ऐसा उसने क्या किया जो ब्रिज को उसपे इतना प्यार आ रहा था.बस कुच्छ ही दिनो मे वो समझ जाने वाली थी कि मर्द के दिल का रास्ता उसके पेट से नही उसके लंड से होता है.जो भी औरत उसके अपने हाथो से & मुँह से उसके लंड को खुश करना जानती है वो उस मर्द के दिल मे खास जगह बना लेती थी.

ब्रिज ने उसके कंधो से उसका ब्रा उतारा तो सोनिया फिर से शर्मा गयी,अब वो पति के सामने पूरी तरह से नंगी जो थी.उसके हल्के भूरे निपल्स बिल्कुल तने हुए थे बड़ी चूचियाँ बिल्कुल कस गयी थी.ब्रिज ने मुँह झुकाया & उन्हे चूम लिया तो वो चिहुनक उठी.बदन मे बहुत सा रोमांच भर गया.छातियो को चूमना कब चूसने मे तब्दील हुआ,उसे पता ही ना चला.उसे बस ये होश था कि वो फिर से बिस्तर पे लेटी हुई थी & ब्रिज उसकी चूचियो की तारीफ के कसीदे पढ़ता हुआ उन्हे अपनी ज़ुबान से चूमे,चूसे,चाते जा रहा था,"..कमाल है तुम्हारी चूचियाँ,सोनिया..कितने मस्त निपल्स हैं!..इतनी रसीली चूचिया मैने आज तक नही देखी..उम्म्म्मममममम....जी करता है इन्हे चूस्ता ही रहू...दबाने पे दिल मे अजीब सा मज़ा भर जाता है..म्‍म्मम्मूऊऊुआहह..!"

उसकी चूत फिर से मचलने लगी थी.ब्रिज ने उसके सीने से सर उठाया & उसकी टाँगे फैला उनके बीच आ गया.सोनिया ने आँखे बंद कर सर बाई तरफ घुमा लिया.उसे भी बस अब इसी पल का इंतेज़ार था.ब्रिज ने लंड को दरार पे रख के पहले उसकी चूत को सहलाया & जब बेचैनी मे उसने अपनी कमर उचकाई तो उसने सूपदे को अंदर घुसा दिया.

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क्रमशः.......
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12-19-2017, 10:27 PM,
#7
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--7

गतान्क से आगे.

"आहह..!",उसे हल्का दर्द हुआ & फिर जब ब्रिज ने उसकी कसी चूत मे पूरा लंड अंदर घुसाना शुरू किया तो वो चीख उठी.उसे ऐसा लग रहा था कि फिर से उसका कुँवारापन लुट रहा है.इतना दर्द तो उसे पहली बार भी नही हुआ था,"ब्रिज...नही...ऊऊव्व्वव..बहुत दर्द हो रहा है...आआइइईईईई..बहुत बड़ा है तुम्हारा..ओफफफफफ्फ़.....!",मगर ब्रिज ने लंड को उसकी चिकनी चूत मे आख़िर तक उतार के ही दम लिया.

"बस हो गया मेरी जान!",उसने उसे खूब चूमा & लंड को ज़रा भी नही हिलाया.जब उसका दर्द ख़त्म हो गया तब उसने उसके चेहरे को हाथो मे भरा & अपनी कमर को हिलाना शुरू किया,अब तो दर्द नही हो रहा,जानेमन?"

"उउम्म्म्मम..नही..!",सोनिया अब मस्ती मे थी.कुच्छ ही पलो मे वो कमर हिला के अपने पति का पूरा साथ दे रही थी.उसकी चूत के आनच्छुए हिस्सो को अपनी रगड़ से आहत कर ब्रिज का लंड उसे जन्नत की सैर पे ले चला था.ब्रिज उसकी मोटी चूचियो को चूस्ता धक्को की रफ़्तार बढ़ा रहा था.सोनिया मदहोश हो अपने नखुनो से उसकी पीठ को छल्नी कर रही थी.थोड़ी देर पहले जिस लंड के घुसने से वो दर्द से बहाल हो चुकी थी अब उस लंड को वो चूत से निकलने नही देना चाहती थी.ब्रिज की गंद दबोच उसे दबाते हुए वो उसे जैसे अपने और अंदर ले लेना चाहती थी!

ब्रिज पूरे लंड को बाहर निकाल उसकी ठुड्डी चूमता उसे फिर से अंदर पेल रहा था.सोनिया की आहें कमरे मे गूँज रही थी.ब्रिज के क़ातिल धक्को के आगे उसने जल्द ही घुटने टेक दिए & उचक के उसे चूमते हुए झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही ब्रिज ने उसे बाहो मे भर करवट बदली & उसे अपने उपर करता हुआ बिस्तर पे लेट गया.कुच्छ पल तो सोनिया अपने आप को संभालती रही फिर जब सायंत हो गयी तो ब्रिज ने नीचे से कमर उचका के दोबारा चुदाई शुरू कर दी.उसके बालो भरे सीने पे छातिया दबाए वो उसके होंठ चूमने लगी.उसके दिल मे अपने महबूब के लिए बहुत प्यार उमड़ आया था.उसकी मर्दानगी की वो मुरीद हो गयी थी & अब उसके साथ यू ही ज़िंदगी के अंत तक रहने की तमन्ना उसके दिल मे उठ रही थी.

ब्रिज ने उसकी बाहे पकड़ उसे उपर कर दिया तो उसे शर्म आ गयी.उसके लंड से पागल हो वो कमर उचका-2 के चुदाई कर रही थी & ऐसा करने से उसकी भारी छातिया बड़े मस्ताने अंदाज़ मे छल्छला रही थी.उसने शर्म से मुस्कुराते हुए अपनी आँखे बंद कर अपने सीने को अपनी बाहो से ढँक लिया.

"क्यू छिपा रही हो इन्हे?",उसकी गंद को दबोचते हुए अपने हाथो को हटा ब्रिज ने उसके हाथो को उसके सीने से हटाया,"..मुझे देखने दो इन खूबसूरत फूलो को..खेलने दो मुझे इनसे..!",उसके हाथ बीवी की चूचियो से चिपक गये & उन्हे दबाने लगे.शर्मा के सोनिया ने अपना चेहरा अपने हाथो मे च्छूपा लिया तो ब्रिज उठ बैठा & उसके हाथो को हटा उसके चेहरे को चूमने लगा.दोनो फिर से मस्ती के सागर की गहराई मे डूब रहे थे.बैठे-2 कुच्छ देर चुदाई करने के बाद ब्रिज ने सोनिया को बाँहो मे भरते हुए फिर से बिस्तर पे लिटा दिया & उसके उपर लेट उसकी चुदाई करने लगा.अब सोनिया की हया काफूर हो चुकी थी.अब बस उसे पति के साथ फिर से उस समंदर की गहराई मे पूरा डूब जाना था.वो मस्ती मे अपने हाथ अपने पति के सीने,पीठ,बाँह,चेहरे..पूरे जिस्म पे फिराते हुए उस से अपने इश्क़ का इक़रार कर रही थी,"आइ लव यू माइ डार्लिंग..ऊऊहह....मेरी जान ब्रिज...आइ लव यू...आहह..!",ब्रिज का जोश और बढ़ गया.दोनो गुत्थमगुत्था हो गये.सोनिया की टाँगे ब्रिज की कमर पे थी & बाहे पीठ पे,हाथ गंद को खरोंछते तो कभी सर के बालो को नोचते.ब्रिज उसकी चूचियो को पीता तो कभी होंठो को चूमता.उसके हाथ भी कभी उसके चेहरे को सहलाते तो कभी चूचियो को मसल्ते.कमरे मे आहो का शोर अपने चरम पे था & जिस्मो का रोमांच भी अब आख़िरी पड़ाव पे पहुँच गया था.ब्रिज के धक्को से आहत हो सोनिया ने चीख मार. & उसका नाम पुकारते झाड़ गयी & ब्रिज ने भी अपनी महबूबा के प्यार का एलान करते हुए उसकी चूत मे अपना गाढ़ा वीर्य छ्चोड़ दिया.दोनो 1 दूसरे की बाहो मे क़ैद 1 दूसरे को चूम रहे थे.दोनो के दिलो मे उमंग थी,ये उनके नये जीवन का आगाज़ था & दोनो को यकीन था कि इस रात की तरह पूरी ज़िंदगी भी ऐसे ही रंगिनियो से भरी रहेगी.

दोनो को पता नही था कि दोनो कितने ग़लत थे.

"उम्म्म्म..ब्रिज डार्लिंग..तुमने मुझसे शादी क्यू की?",सोनिया अपने पति से 2 बार चुदवाने के बाद उसकी बाई तरफ लेटी थी,उसके बाए हाथ मे उसका लंड था & उसकी चूत मे पति के दाए हाथ की उंगलिया.ये सवाल उसके दिल मे अपने कमरे मे घुसने के कुच्छ पॅलो के बाद ही आया था लेकिन पुछ्ने का मौका अभी मिला था.

"मेरी जान,मुझे आज तक शादी की कोई ज़रूरत महसूस नही हुई थी.मेरी ज़िंदगी मे ना जाने कितनी लड़कियाँ आई मगर आज तक कोई ऐसी लड़की नही मिली जिसे देख के मुझे ये लगता कि इसके साथ सारी उम्र बिताई जा सकती है..",ब्रिज ने सोनिया की चूत मे उंगली करना जारी रखा,"..तुमसे चंद मुलाक़ातों मे ही मुझे ये एहसास हो गया कि तुम ही वो लड़की हो जिसे मैं अपना जीवन-साथी बना सकता हू.सोनिया,मैं अपनी ज़िंदगी का आने वाला हर पल तुम्हारी बाहो मे गुज़रना चाहता हू.",ब्रिज ने अपने होंठ सोनिया के होंठो से लगा दिए.

ऐसा कुच्छ मुझे क्यू नही महसूस हुआ?..सोनिया ने मस्ती मे आँखे बंद कर ली मगर उसके दिल मे फिर से वही उलझन आ गयी थी..मैने क्यू की है ब्रिज से शादी?..ब्रिज के जैसा प्यार का एहसास मुझे क्यू नही महसूस होता..ब्रिज ने उसे उसकी दाई करवट पे किया तो उसने मस्त होके अपनी बाई जाँघ उसके उपर चढ़ा दी.ब्रिज ने भी अपनी उंगली की जगह अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया.सोनिया ब्रिज से लिपट गयी..क्यूकी तुम ब्रिज से प्यार ही नही करती..दीवार पे लगे कपबोर्ड के आदमकद शीशे मे उसे फिर से अपना अक्स खुद की ही हँसी उड़ाता दिखा..करती हू मैं प्यार ब्रिज से!

"आइ लव यू ब्रिज..माइ डार्लिंग..मेरी जान..आइ लव यू..आइ लव यू....आइ लव यू.....आइ लव यू..!",वो अपने अक्स को जवाब देते हुए अपने प्रेमी से चिपकी उसके सर को बेसब्री से चूमती हुई उसकी चुदाई का मज़ा ले रही थी.ब्रिज उसके प्यार का यू दीवानेपन से भरा इज़हार सुन खुशी से पागल हो गया & उसके धक्को मे & जोश भर गया.सोनिया ने आँखे बंद कर अपना चेहरा उसकी गर्दन मे च्छूपा लिया.उसे बहुत मज़ा आ रहा था & ब्रिज पे बहुत प्यार भी लेकिन दिल के किसी कोने मे वो उलझन अभी भी शायद छिपि बैठी थी.

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"वेलकम होम,माइ सन.",विजयंत मेहरा ने समीर के घर मे कदम रखते ही उसे गले से लगा लिया,"एरपोर्ट से यहा आने मे इतनी देर कैसे कर दी?",विजयंत ने बेटे को सर से पाँव तक देखा.समीर 25 बरस का 6 फ्ट का बड़ा हॅंडसम जवान था.

"डॅड,मैं वो मानपुर वाली ज़मीन देखने चला गया था.",मानपुर वही जगह थी जिसका टेंडर 6 महीने बाद निकलने वाला था & जिसपे मेहरा के अलावा कोठारी की भी नज़र जमी थी.

"वेरी बॅड,बेटा!",रीता भी वहाँ आ गयी थी & बेटे का माथा चूम लिया,"..इतने दिन बाद लौटे हो & उसपे भी पहले तुम्हे काम ही याद रहा है."

"सॉरी,मोम!",समीर हंसा,"..पर अब तो यही रहूँगा फिर सोचा कि वो ज़मीन देखने का मौका मिले ना मिले.डॅड,मैने कुच्छ सोचा है उस ज़मीन के बारे मे.."

"हां-2,मुझे पता है..",विजयंत ने उसके कंधे पे हाथ रखा,"..हम चलेंगे अगले कुच्छ दिनो मे वाहा & तब अपना प्लान बताना."

"हां..",शिप्रा & प्रणव भी वाहा आ गये थे,"..आज सिर्फ़ शाम की पार्टी की प्लॅनिंग करोगे तुम.",समीर बेहन-बहनोई से भी गले मिला & फिर पूरा परिवार हॉल मे बैठ के बातें करने लगा.

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"मगर मैं क्यू नही मिल सकती उनसे?",रंभा ने प्लेसमेंट एजेन्सी की अपनी काउनसेलर से गुस्से से पुछा.

"क्यूकी कोई फायडा नही रंभा..",वो कुच्छ लिख रही थी & उसने बिना सर उठाए जवाब दिया,"..मैने कहा ना तुम्हारा तजुर्बा कम है,हम तुम्हे ट्रस्ट ग्रूप के मालिक की सेक्रेटरी की पोस्ट के लिए कैसे भेज सकते हैं?"

"लेकिन जब मुझे मौका मिलेगा ही नही तो तजुर्बा होगा कहा से?",रंभा का गुस्से & बढ़ गया.

"प्लीज़,रंभा.तुम अपना & मेरा,सोनो का वक़्त बर्बाद कर रही हो.मैने कहा ना,तुम्हे अगले 3 महीनो मे किसी और बड़ी कंपनी मे प्लेस करवा दूँगी पर ट्रस्ट ग्रूप को तो भूल जाओ तुम फिलहाल.",वो अपना काम करती रही.रंभा को गुस्सा आ रहा था & मायूसी भी हो रही थी.वो कुर्सी से उठी & तभी उसकी नज़र सामने 1 कॅबिन पे पड़ी जिसके बाहर 1 तख़्ती पे लिखा था,"विनोद सिंग,सीनियर मॅनेजर",उसके दिल मे 1 ख़याल आया .ये आख़िरी मौका था,अगर अब भी कुच्छ नही हुआ तो वो हार ,मान लेगी लेकिन उस मॅनेजर से मिले बिना तो वो आज जाएगी नही!

उसने नीचे सर झुका के काम कर रही काउनसेलर को देखा & तेज़ी से वाहा से कॅबिन की ओर बढ़ी,"रंभा!",काउनसेलर कुर्सी से उठा के जब तक उस तक पहुँचती वो कॅबिन मे दाखिल हो चुकी थी.

"मुझे आपसे बात करनी है.",उसने डेस्क पे हाथ जमा के सामने कुर्सी पे बैठे 1 35-36 बरस की उम्र वाले शख्स से कहा जोकि उसे हैरान निगाहो से देख रहा था.

"आइ'म सॉरी,सर.",काउनसेलर अंदर आई,"रंभा,चलो यहा से,प्लीज़..मैं तुम्हे समझाती हू.",उसने रंभा की बाँह थामी तो रंभा ने उसे झटक दिया.

"मुझे आपसे कुच्छ नही समझना..मुझे अब इनसे ही समझना है सब कुच्छ.",उसने वैसे ही डेस्क पे हाथ जमाए विनोद सिंग की ओर इशारा किया.सिंग ने काउनसेलर को वाहा से जाने का इशारा किया तो वो घबराई सी बाहर चली गयी.

"क्या समझना है आपको?",उसने रांभ की ओर देखा.

"मेरा CV ट्रस्ट ग्रूप के मालिक की सेक्रेटरी की पोस्ट के लिए क्यू नही भेजा जा रहा?",रंभा ने गौर किया कि विनोद की नज़रे 1 पल के लिए उसके चेहरे से नीचे हुई & फिर उपर हो गयी.उसे ख़याल आया कि जिस तरह से वो झुकी खड़ी है,उसकी शर्ट के गले मे से उसकी छातियो का कुच्छ हिस्सा तो ज़रूर दिख रहा होगा.ये समझ मे आते ही वो थोड़ा और झुक गयी लेकिन ऐसे कि विनोद को ये एहसास नही हुआ कि वो उसे अपनी चूचियाँ दिखा रही है.

"देखिए,आपका तजुर्बा..-"

"-..वो मैं सुन चुकी हू लेकिन मुझे वाहा अप्लाइ करना ही है!",विनोद ने 1 बार फिर सफेद कमीज़ के गले से दिख रही उसकी चूचियों के थोड़े से गोरे हिस्से को देखा.

"आप वही अप्लाइ करने को इतनी उतावली क्यू हैं?",वो मुस्कुराया,उसके ज़हन मे 1 ख़याल आ रहा था.रंभा भी भाँप गयी थी कि जिस तरह वो चोर निगाहो से उसके क्लीवेज को ताक रहा था,शायद उसका काम हो सकता था.

"क्यूकी वो इस शहर की सबसे बड़ी कंपनी है & हमारे मुल्क की नामी-गिरामी कंपनीज़ मे से 1.वाहा नौकरी मिलते ही मेरा करियर बिल्कुल संवर जाएगा."

"हमारी एजेन्सी शहर की एकलौती ऐसी एजेन्सी है जोकि ट्रस्ट & उसके जैसी बड़ी-2 कंपनीज़ को उनके बड़े अफसरो के लिए सेक्रेटरीस मुहैय्या करती है..",रंभा ने डेस्क से हाथ हटा लिए थे & अब अपने सीने पे इस तरह से बाँध लिए थे कि बाहो के उपर से उसकी बड़ी छातियाँ ऐसे उभर गयी थी मानो उसकी सफेद शर्ट को फाड़ देना चाहती हो.उसने सफेद शर्ट & काली पॅंट पहनी थी & कमीज़ पॅंट मे अटकी हुई थी.इस वजह से उसके जिस्म का क़ातिलाना आकार सॉफ झलक रहा था.

"..हमारी कंपनी की साख ऐसी है कि इस धंधे का 95% हिस्सा हमारे पास है लेकिन इसी शहर मे 2-3 और एजेन्सीस हैं जोकि यही काम करती हैं & बाकी 5% हिस्सा उन्ही का है.ये हिस्सा पिच्छले बरस तक बस 3% था.अब बताओ,तुम्हे भेजूँगा तो हमारी एजेन्सी की साख का क्या होगा?",रंभा ने गौर किया कि वो आप से तुम पे आ गया था यानी कि वो उसमे दिलचस्पी ले रहा था.

"देखिए सर,जहा 4 लड़कियो को भेज रहे हैं वाहा 5 भेज दीजिए ना!",उसने थोड़ी परेशान सूरत बनाके कहा.

"सारे इंटरव्यूस विजयंत मेहरा खुद लेता है,रंभा.",वो खड़ा हुआ & उसके करीब आया & फिर उसके पीछे चला गया.रंभा की गंद देख के उसकी आँखो मे वासना के लाल डोरे तार उठे,"..ज़रा भी चूक हुई तो वो हमारी एजेन्सी को बलकक्लिस्ट कर सकता है.",उसने उसके कंधो पे पीछे से हाथ रखा,"बैठो."

रंभा मन ही मन मुस्कुराइ वो उसके पीछे से खड़ा हो उसकी कमीज़ के अंदर झाँक के उसकी चूचियो को देखने की कोशिश कर रहा था,"पर आप कुच्छ तो कर सकते हैं?",उसने अपना दाया हाथ अपने दाए कंधे पे रखे विनोद के दाए हाथ पे रखा & थोड़ा रुआंसी हो उसे देखा.

"हां,कर तो सकता हू.",उसने उसके हाथ को दबाया & उपरी बाहो को हल्के से दबाता हुआ उसके बगल मे रखी कुर्सी पे बैठ गया,"..लेकिन रंभा,अगर मैं तुम्हे वाहा भेजता हू तो मैं 1 बहुत बड़ा रिस्क उठाता हू.अब इस रिस्क के बदले मे मुझे क्या मिलेगा?",उसने उसकी स्विवेल चेर & अपनी कुर्सी को ऐसे घुमाया कि दोनो अब आमने-सामने बैठे थे & दोनो के घुटने आपस मे सॅट रहे थे.

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क्रमशः.......
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12-19-2017, 10:27 PM,
#8
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--8

गतान्क से आगे.

"क्या चाहिए आपको?..आप मेरी सॅलरी से जितने चाहें पैसे ले लीजिएगा!",रंभा वैसे ही परेशान शक्ल बनाके बोली जबकि वो समझ चुकी थी क़ी उसके हुस्न का तीर निशाने पे लगा है & विनोद सिंग उसके जिस्म की माँग करने वाला है.

"पैसो का मैं क्या करूँगा,रंभा!",वो हंसा & हंसते हुए अपना बाया हाथ उसकी दाई जाँघ पे मारा,"..देखो,रंभा.सारा दिन बस काम करता रहता हू यहा तक कि सनडे को भी मुश्किल से छुट्टी ले पता हू.मेरा कोई दोस्त नही है तो तुमको देखा तो लगा शायद तुम मेरी दोस्त बनो & मेरे साथ थोड़ा वक़्त गुज़ारो.",रंभा वक़्त गुज़ारने का मतलब समझ चुकी थी.उसका दिमाग़ तेज़ी से काम कर रहा था.विनोद की बात मानने से ट्रस्ट मे इंटरव्यू तो लग ही सकता था,उसमे नाकामयाब होने पे आगे भी कोई अच्छी नौकरी उसे विनोद के ज़रिए मिल सकती थी बशर्ते वो चालाकी से काम ले.

"पर आपकी बीवी तो होगी..वो क्या सोचेंगी हमारी दोती के बारे मे?",रंभा ने भोली-भाली लड़की का नाटक किया.उसकी दोनो जाँघो पे अब विनोद के हाथ जमे थे.

"अरे उसके पास मेरे लिए वक़्त कहा है?",वो झल्ला गया,"..उसे तो बस मेरे पैसो से शॉपिंग & अपनी सहेलियो के साथ किटी पार्टी से मतलब है.सनडे को मैं उसके साथ वक़्त गुज़ारना चाहता हू तो वो अपनी सहेलियो के साथ किटी मे मस्त हो जाती है!दरअसल मैं बहुत तन्हा इंसान हू,रंभा.",उसने लंबी सांस भरी & कुर्सी से उठ खड़ा हो अपनी पीठ रंभा की तरफ की.

"तुम सोचोगी की मैं तुम्हारे CV को भेजने के बदले मे तुमसे दोस्ती की माँग कर रहा हू लेकिन ऐसा नही है..",वो घुमा तो रंभा ने देखा कि उसने बिल्कुल सच्चे,ईमानदार इंसान जैसी शक्ल बनाई हुई है,"..तुम ना भी कर दो तो भी मैं तुम्हारा cव ट्रस्ट ग्रूप को भेज दूँगा.",रंभा का काम हो गया था.

"नही,सर ऐसे मत बोलिए!",वो खड़ी हो गयी & अपना हाथ विनोद के होंठो पे रख दिया मानो उसकी बात से वो परेशान हो उठी है,फिर शर्मा के हाथ नीचे कर लिए,"मुझे आपकी दोस्ती कबूल है.",उसने भोलेपन से शरमाते हुए नज़रे नीची की & मुस्कुराइ.

"थॅंक्स,रंभा,थॅंक्स!",विनोद खुशी से उच्छल पड़ा & उसकी बाहे थाम ली मानो उसे गले लगा लेगा.रंभा ने और शरमाने का नाटक किया तो उसने उसकी बाहे चौड़ी दी,"..आज रात बाहर चलते हैं,पहले डिस्को जाएँगे,फिर बाहर खाना खाएँगे.बताओ तुम्हे कहा से पिक करू?"

"सर.."

"सर नही विनोद कहो.अब तो हम दोस्त हैं.",उसने उसकी पीठ थपथपाई..क्या मस्त लड़की है..उसे चोदने के ख़याल से ही उसका लंड पॅंट मे च्चटपटाने लगा!

"जी वो मेरा cव.."

"अभी डलवता हू उसे ट्रस्ट की फाइल मे.",उसने इंटरकम उठाया & ज़रूरी ऑर्डर्स देने लगा.रंभा मुस्कुराती हुई उसे देख रही थी.ये कामयाबी की ओर उसका पहला कदम था.

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होटेल वाय्लेट के बॅंक्वेट हॉल मे पार्टी शुरू हो चुकी थी.शहर की नामी-गिरामी हस्तियाँ मेहरा परिवार के बेटे के लौटने की खुशी मे उनके साथ शरीक हो रही थी.फिल्मी दुनिया के सितारे & जाने-माने चेहरे भी वाहा हाज़िरी दे रहे थे,आख़िर पिच्छले 4 बरसो मे ट्रस्ट आर्ट्स हिन्दी फ़िल्मो का 1 बड़ा प्रोडक्षन हाउस बन चुका था & लगभग हर साल कमसे कम 2 बड़े बजेट की फ़िल्मे बना रहा था.कितनी ही फ़िल्मो के डिस्ट्रिब्यूशन राइट्स उनके पास थे & अब तो वो सिनिमा हॉल्स के धंधे मे भी उतर चुके थे.

"वो देखो,कामया आ गयी..& कबीर के साथ.यानी ख़बरे सही हैं..दोनो मे सच मे कुच्छ चल रहा है..",कामया रॉय इस वक़्त शायद हिन्दी फ़िल्मो की नंबर.1 अदाकारा थी.26 बरस (वैसे उसकी माने तो पिच्छले 3 बरसो से उसकी उम्र 23 बरस ही है!) की 5'8" कद की गोरे & बला के खुसबुरत बदन & हसीन शक्ल की मालकिन इस वक़्त ट्रस्ट आर्ट्स की 2 फ़िल्मे कर रही थी & आजकल चारो तरफ ये खबर थी कि हीरो कबीर के साथ उसका गरमागरम अफेर चल रहा था.उसने गुलाबी रंग की घुटनो तक कि ड्रेस पहनी थी जोकि सीने के नीचे तक कसी थी & फिर ढीली.पार्टी मे आए मर्दो की निगाहें तो उसकी गोरी,लंबी टाँगो से चिपकी हुई थी & जब नज़रे उपर होती तो ड्रेस को फाड़ के निकलने को बेताब उसकी 36 साइज़ की चूचियो से सॅट जाती.कबीर की बाँह अभी भी उसकी 26 इंच की कमर मे फँसी थी & लोगो की नज़रे बचा के उसने कामया की 36 इंच की गंद को 1-2 बार दबा भी दिया था.

शिप्रा ने रीता के साथ कामया का स्वागत किया & फिर तस्वीरे खिंचवाने का 1 दौर चला,"वेलकम बॅक,समीर!",कामया ने उसके गाल को चूमा.

"थॅंक्स,कामया.",उसने भी उसका गाल चूमा,"हे..कबीर..कैसे हो यार?..तुम्हारी लास्ट फिल्म देखी..उसमे वो लड़कियो का गेट-अप करने की क्या ज़रूरत थी,भाई!",सभी हँसने लगे.

"क्या करता यार,डाइरेक्टर पीछे ही पड़ गया था!",ऐसे ही हसी-मज़ाक चल रहा था.विजयंत भी दोनो मेहमआनो से मिला & फिर सब अपने मे मस्त हो पार्टी का लुत्फ़ उठाने लगे.शिप्रा की पार्टीस तो वैसे भी अपनी ज़िंदादिली के लिए जानी जाती थी.कुच्छ देर बाद ही कबीर अपने कुच्छ दोस्तो के साथ मशगूल हो गया & कामया भी 1 दूसरे ग्रूप के साथ बाते करने लगी,"एक्सक्यूस मी.",उनसे कुच्छ देर बाते करने के बाद वो वाहा से रेस्टरूम चली गयी.

"हा....!",रेस्टरूम से निकलते ही कामया को किसी ने खींचा & 1 कमरे मे ले गया,"ओह..विजयंत!",कमरे का दरवाज़ा बंद होते ही कामया उसकी बाहो मे झूल गयी & उसे चूमने लगी.

"आजकल कबीर के साथ काफ़ी नाम सुन रहा हू तुम्हारा?",विजयंत ने कयि पलो तक उसे चूमने के बाद उसे परे धकेला तो वो बिस्तर पे बैठ गयी.

"ओह..डार्लिंग..सब तुम्हारे लिए ही तो कर रही हू..",उसने कोट उतारते विजयंत की पॅंट का ज़िप खोला & उसके 9.5 इंचे लंबे लंड को बाहर निकाला,"..2 फाइल कर रही हू तुम्हारी कंपनी के लिए..",उसने लंड को हिलाते हुए चूमा,"..उउंम..मेरे & कबीर के बीच कुच्छ है,ये सुनते ही मीडीया पागल हो गयी है..ज़रा सोचो कितनी मुफ़्त की पब्लिसिटी मिल रही है तुम्हारी फ़िल्मो को & मज़े की बात है कि वो उल्लू कबीर भी सोचता है कि मैं सच मे उस से प्यार करती हू!",दोनो हंस पड़े & फिर वो विजयंत का लंड चूसने लगी.विजयंत ने अपने हाथ आगे बढ़ा के उसकी ड्रेस के पीठ पे लगे हुक्स खोले & उसकी मोटी चूचिया मसलने लगा.कामया के निपल्स बहुत ही हल्के भूरे रंग के थे & इस वक़्त बिल्कुल कड़े थे.

कामया के टॉप की हेरोयिन बनाने मे विजयंत का सबसे बड़ा या यू कहें कि केवल विजयंत का ही हाथ था.कोलकाता मे पली-बढ़ी कामया ने दसवी पास करते ही सोच लिया था कि उसे फ़िल्मो मे ही जाना है.12वी पास करते-2 वो मॉडेलिंग करने लगी & कॉलेज मे उसने खूब मॉडेलिंग की & ब्यूटी कॉंटेस्ट मे हिस्सा लिया.1 बड़ी अंडरगार्मेंट बनाने वाली कंपनी की ब्रा-पॅंटी का आड़ उसने किया & विजयंत ने 1 मॅगज़ीन मे उस आड़ को देखा & देखते ही कामया के जिस्म को पाने की ख्वाहिश उसके दिल मे जाग उठी.जब तक वो उसके बारे मे पता करता तब तक उसे 1 ब्यूटी कॉंटेस्ट जड्ज करने का बुलावा आ गया & वाहा 25 लड़कियो मे से कामया भी 1 थी.विजयंत ने उसे दिल खोल के मार्क्स दिए & कामया मे कोई विश्वास की कमी तो थी नही.उसने वो कॉंटेस्ट जीत लिया.ठीक उसी वक़्त विजयंत के ग्रूप ने भी फिल्म प्रोडक्षन के धंधे मे कदम रखे.विजयंत ने कामिया को शुरू मे 1-2 छ्होटे रोल दिलवाए & जिस दिन उसने उसके बिस्तर मे आने का न्योता कबूला उसी दिन उसने उसे 1 बहुत बड़ी बजेट की फ़ीम दिलवाई.कामया जितनी हसीन थी उतनी ही बढ़िया अदाकारा भी थी.फिल्म कामयाब रही & कामया का करियर आगे बढ़ने लगा.पिच्छले 4 बरसो मे विजयंत की लगभग हर बड़ी फिल्म मे कामया होती थी.जहा दूसरे प्रोड्सर्स से वो मुहमांगी कीमत लेती थी वही विजयंत के लिए वो कम पैसो मे काम करती थी,यही नही विजयंत के ग्रूप की वो ब्रांड अंबासडर भी थी.ऐसा नही था कि केवल विजयंत को ही फयडा हो रहा था,कामया को भी विजयंत से बहुत फयडा था.उसकी हर बड़ी फिल्म उसे मिल रही थी & इस इंडस्ट्री मे जहा लड़कियो की कद्र कम ही होती थी,विजयंत उसका गॉडफादर था.

"ऊहह....एसस्सस्स.....!",लंड चूसने के बाद विजयंत ने कामया को बिस्तर पे लिटा दिया था & वही ज़मीन पे बैठ उसकी टाँगे उठा उसकी चूत चाटने लगा था.कामया का विजयंत के करीब रहने का 1 और कारण था-वो था विजयंत की चुदाई.उसने अभी तक विजयंत जैसा मर्द नही देखा था.उसकी हर्कतो & उसके लंड से जो मज़ा मिलता था,वो उसने अभी तक किसी और मर्द से नही पाया था,"..आन्न्न्नह..!",उसका बदन झटके खाने लगा & उसने चूत चाटते विजयंत के बाल बेचैनी से नोच लिए,वो झाड़ चुकी थी.उसके झाड़ते ही विजयंत खड़ा हुआ & उसकी टाँगे उठा खड़े-2 ही अपना लंड उसकी चूत मे उतार दिया.

"कामया,ब्रिज कोठारी ने शादी कर ली है.",वो ज़ोरदार धक्के लगा रहा था.आमतौर पे वो कामया के साथ इतमीनान से चुदाई करता था मगर आज अगर वो ज़्यादा देर पार्टी से गायब रहते तो किसी को शक़ हो सकता था & इसलिए वो जल्दी से ये काम निपटना चाहता था.

"आननह..हां,सुना मैने.."

"तुम जानती हो उसकी बीवी को?",विजयंत ने उसकी टाँगे को और फैलाक़े और गहरे धक्के लगाए.

"हाईईईईई...हां,थोड़ा बहुत....इवेंट मॅनेज्मेंट कंपनी चलती है..उउन्न्ञणणन्.....पार्टीस मे मिलती थी अक्सर..क्यू पुच्छ रहे हो?..याआह्ह्ह्ह..हाआंणन्न्..ऐसे ही चोदो...ऊव्वववव....और अंदर...आहह.....!"

"बस ऐसे ही.",विजयंत ने उसकी टाँगे पकड़ के तब तक धक्के लगाए जब तक वो झाड़ नही गयी फिर अपना वीर्य उसकी चूत मे छ्चोड़ा & फिर लंड को बाहर खींच लिया.कुच्छ पलो बाद दोनो फिर से पार्टी मे शामिल हो गये.किसी को पता भी नही चला था कि वो कुच्छ देर तक उनके बीच नही थे.

भीड़ भरे क्लब के डॅन्स फ्लोर पे झिलमिलाती रंगीन रोशनी मे छ्होटी सी,चमकती,स्लीवेलेस्स,काली ड्रेस मे नाचती हुई रंभा सबसे अलग ही दिख रही थी.विनोद के हाथ तो उसकी लचकति कमर से मानो चिपक ही गये थे.क्लब के बाकी मर्दो को विनोद की किस्मत से जलन हो रही थी & लड़कियो को रंभा के रूप से.

विनोद रंभा की कमर पीछे से थामे उसके साथ नाच रहा था & रंभा महसूस कर रही थी कि ऐसा करते हुए वो अपना लंड उसकी गंद से दबाने का कोई मौका नही छ्चोड़ रहा था.उसकी इस हरकत से उसके दिल मे भी मस्ती पैदा होने लगी थी.डेवाले मे आने के बाद पहली बार कोई मर्द उसके इतना करीब आया था.

"चलो,कुच्छ खाते हैं.",विनोद ने रंभा की कमर थामे हुए उसके दाए कान के पास अपना मुँह लाकर कहा.उसकी गर्म साँसे जब कनपटी से टकराई तो रंभा की मस्ती और बढ़ गयी.दोनो क्लब के दूसरे हिस्से मे बने लाउंज मे पहुँचे & 1 कोने मे बैठ गये.दीवार से लगे सोफे पे दोनो साथ-2 बैठे.रंभा विनोद के बाई तरफ बैठी थी & विनोद की बाई बाँह अभी भी उसकी कमर मे थी.विनोद ने खाने का ऑर्डर दिया & फिर दोनो बातें करने लगे.सामने की मेज़ की आड़ का फयडा उठा बातें करते हुए विनोद ने अपना दाया हाथ रंभा की गोरी जाँघो से लगा दिया & उन्हे बेसब्री से सहलाने लगा.

रंभा कोई कुँवारी लड़की तो थी नही फिर इन मामलो मे वो कभी पीछे भी नही हटती थी मगर ये पहला मौका था की वो किसी क्लब मे आई थी & ऐसी भीड़ भरी जगह मे ऐसी हरकत से उसे शर्म आ गयी & उसने विनोद का हाथ अपने जिस्म से हटा दिया.उसने नज़रे घुमाई तो देखा की क्लब मे कयि जोड़े आपस मे रोमानी गुफ्तगू मे मशगूल थे इस बात से बेपरवाह की कोई उन्हे देख रहा है.

विनोद का बाया हाथ कमर से उपरी पीठ पे आया & उसकी उपरी,बाई बाँह के गुदाज़ हिस्से को सहलाने लगा.वेटर खाना रख गया तो विनोद उसे अपने हाथो से खिलाने लगा.रंभा के लिए ये सब नया एहसास था मगर थोड़ी ही देर मे उसकी हया भी काफूर हो गयी थी & उसे मज़ा आने लगा था.

खाना खाने के बाद दोनो क्लब से निकले & बेसमेंट पार्किंग मे आए.विनोद अब बिल्कुल बेकाबू हो गया था.उसने बेसमेंट मे ही रंभा को जाकड़ लिया & चूमने लगा.रंभा भी थोड़ी ना-नुकर के बाद उसका साथ देने लगी मगर तभी किसी की आहट हुई तो वो उस से अलग हो गयी & दोनो विनोद की कार मे बैठ गये.विनोद ने कार वाहा से निकली & रास्ते पे ले आया.ड्रेस के नीचे से रंभा की आधी जंघे & लंबी टाँगे दिख रही थी.ड्राइव करते विनोद का बाया हाथ बीच-2 मे उसकी जाँघो से आ लगता था.

विनोद ने कार 1 सुनसान रास्ते के किनारे रोकी & रंभा को बाहो मे भर उसके चेहरे पे किस्सस की बौच्चार कर दी.रंभा के जिस्म को बाए हाथ मे लपेटे विनोदा का दाया हाथ उसकी जाँघो के बीच घुसाने की कोशिश कर रहा था.रंभा ने मस्ती मे जंघे आपस मे भींच विनोद का हाथ फँसा लिया था.विनोद उसके बाए कान की लाउ को जीब से छेड़ता हाथ को ड्रेस के अंदर घुसाने की कॉसिश कर रहा था मगर ड्रेस इतनी कसी थी की ऐसा करना नामुमकिन था.ड्रेस के गले मे से झाँकते बहुत हल्के से क्लीवेज को चूमते हुए उसने अपना हाथ ज़बरदस्ती अंदर घुसाने की कोशिश की तो रंभा मदहोश हो गयी & उसने अपना बदन अपने इस नये आशिक़ की गिरफ़्त मे ढीला छ्चोड़ दिया लेकिन तभी पीछे से आती हुई किसी कार की रोशनी ने उसकी खुमारी तोड़ी & उसने विनोद को परे धकेल दिया.

"प्लीज़..यहा नही.",उसने अपनी ड्रेस को ठीक किया तो विनोद ने कार स्टार्ट की & आगे बढ़ाई & फिर उसे अपनी बाई बाँह के घेरे मे खींच उसे चूमते हुए बाकी का सफ़र तय किया.

विनोद की बीवी मायके गयी हुई थी & विनोद मन ही मन उपरवाले का शुक्रिया अदा कर रहा था वरना होटेल का खर्चा होता उपर से देर से लौटने पे बीवी को जवाब भी देना पड़ता.अपने घर मे घुसते ही विनोद ने बत्ती जलाने से भी पहले रंभा को बाहो मे भर लिया & चूमते हुए उसे अपने बेडरूम मे ले गया.

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क्रमशः.......
Reply
12-19-2017, 10:27 PM,
#9
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--9

गतान्क से आगे.

"तुम्हारी बीवी कहा है?",अपनी गर्दन चूमते विनोद के बाल सहलाते हुए रंभा ने पुचछा.

"मयके गयी है.हर 4 दिन पे वाहा भाग जाती है,मेरी तो परवाह ही नही उसे.",रंभा जानती थी कि विनोद बस यूही झूठ बोल रहा है मगर उसे इस से क्या लेना-देना था!उसे तो बस विनोद से अपना मतलब निकालना था & मतलब के साथ अगर उसकी जिस्म की भूख भी मिट रही थी तो और भी अच्छा था.रंभा की मोटी गंद कसी ड्रेस मे और उभर आई थी & विनोद ने उसे चूमते हुए गंद को बहुत ज़ोर से भींच दिया.

रंभा चिहुनकि और थोडा पीछे हुई & उसे संभालने की कोशिश करते हुए विनोद लड़खदाया & उसे लिए-दिए बिस्तर पे गिर गया.विनोद ने साइड-टेबल पे रखे लॅंप को जलाया & फिर रंभा के उपर चढ़ उसे चूमने लगा.अब रंभा पूरी तरह से मस्ती की पकड़ मे थी.विनोद के बालो को खींचते हुए उसने अपनी जीभ विनोद के मुँह मे घुसा दी & दोनो पूरी गर्मजोशी से 1 दूसरे को चूमने लगे.

विनोद पूरी तरह से रंभा के जिस्म पे नही चढ़ा हुआ था बल्कि आधा ही जिस्म उक्से उपर डाला था ताकि उसका दाया हाथ उसके जिस्म को आसानी से च्छू सके,सहला सके.चूमते हुए उसने रंभा की चूचियाँ ड्रेस के उपर से दबाई तो रंभा ने किस तोड़ आह भरी & अपना सर पीछे कर लिया.विनोद ने उसकी गोरी गर्दन चूमते हुए उसकी बाई छाती को दबाया & फिर उसका हाथ नीचे उसकी जाँघ को सहलाने लगा.रंभा मस्ती मे आहे भरती हुई उचक के उसके सर को चूमते हुए अपनी जंघे बेचैनी से आपस मे रगड़ रही थी.

विनोद उसकी गर्दन छ्चोड़ नीचे हुआ उसके ड्रेस के गले मे से दिख रहे सीने के उपर के हिस्से को चूमने लगा,फिर उसने रंभा की चूचियों को ड्रेस के उपर से ही चूमा.1 बार फिर उसने अपने दाए हाथ को उसकी जाँघो के बीच फिराते हुए उसकी ड्रेस के अंदर घुसाने की कोशिश की & नाकाम रहा.वो उठा & रंभा की दाई टांग को उठा लिया & उसे चूमते हुए उसके हाइ हील सॅंडल को निकाल फेंका,फिर उसने यही हरकत दूसरी टांग के साथ दोहराई & फिर अपने तपते लब उसकी मुलायम जाँघो से चिपका दिए.

रंभा बिस्तर पे च्चटपटाने लगी & अपने हाथो से कभी अपने बालो को तो कभी सर के पीछे बिस्तर की चादर को अपने बेसब्र हाथो से खींचने लगी.विनोद उसकी जाँघो को चूम नही बल्कि चूस रहा था.ऐसी कसी,गुदाज़,मांसल जंघे वो ज़िंदगी मे पहली बार महसूस कर रहा था.अपने आतुर हाथ रंभा की टाँगो पे फिराते हुए उन्हे चूमते हुए उसने उसे मस्ती मे पागल कर दिया था.

उसका खुद का हाल भी बुरा था & वो अब अपनी इस नयी माशूका के नशीले जिस्म का फ़ौरन दीदार करना चाहता था.उसने उसकी जंघे पकड़ उसे पलट दिया & अपने जूते उतारे & उसकी जाँघो के पिच्छले हिस्सो को चूमने लगा.पेट के बल लेटी रंभा चादर को नोचते हुए मस्तानी आहे भरे जा रही थी.उसकी चूत से काफ़ी देर से पानी रिस रहा था & अब उसकी कसक से वो बहाल हो रही थी.

विनोद ने काफ़ी देर तक उसकी टाँगो & जाँघो को पीछे से चूमा & फिर उठ बैठा & अपनी कमीज़ निकाल दी & अपने घुटने रंभा के जिस्म के दोनो ओर जमाते हुए उसकी गंद पे बैठ गया & उसकी पीठ पे फैले उसकी कमर से कुच्छ उपर तक के लंबे बालो को हटा के उसके दाए कंधे के उपर किया & ड्रेस की बॅक से दिख रही उसकी गोरी पीठ पे अपने गर्म हाथ फिराए.रंभा उसके छुने से सिहर रही थी.अपनी गंद पे उसके लंड के दबाव से उसकी चूत दीवानी हो गयी थी & उसकी बेचैनी अब बहुत बढ़ गयी थी.

सर्र्र्ररर की आवज़ के साथ उसकी ड्रेस का ज़िप नीचे हुआ & विनोद के सख़्त हाथो ने ड्रेस के स्ट्रॅप्स उसके कंधो के नीचे सरकाए & उसकी गंद से उठ उसे नीचे खींच दिया.रंभा ने बदन को बिस्तर से थोड़ा उठा ड्रेस निकालने मे उसकी मदद की.विनोद की वासना भरी निगाहो के सामने अब काले ब्रा & पॅंटी मे ढँकी रंभा की पीठ & चौड़ी गंद थी.उसने उसके जिस्म पे खुशी & चाह से भरे हाथ चलाए & रंभा की गंद पे चपत लगाई.

"ऊव्व..!",कुच्छ दर्द मगर उस से भी ज़्यादा उन चपतो से पैदा हुई मस्ती से रंभा ने कहा & माथे पे शिकन & होंठो पे मशीली मुस्कान के साथ बाए कंधे के उपर से सर घूमाते हुए पीछे विनोद को देखा.विनोद ने उसकी बाँह पकड़ उसे पलटा & उसे उठा के बिस्तर पे बिठा दिया & उसके हाथ अपनी पॅंट पे रख दिए.

रंभा उसका इशारा समझ गयी & नशे से बोझल पलके उठा उसे देख मुस्कुराइ.विनोद का कद रंभा से 2-3 इंच ही ज़्यादा था मगर उसका सीना चौड़ा था & जिस्म गथिला था.उसके सीने पे बाल थे मगर बहुत ज़्यादा नही.रंभा ने उसकी पॅंट ढीली की & नीचे सरका दी.विनोद ने टाँगे पॅंट मे से निकली & उसका हाथ अपने अंडरवेर पे रख दिया.

रंभा का दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था.ये उसकी ज़िंदगी का दूसरा लंड था.आज तक वो केवल रवि से ही चुदी थी & उसी के लंड से खेली थी.काँपते हाथो से रंभा ने अंडरवेर नीचे किया & उसके सामने विनोद का 7 इंच लंबा लंड थरथरता हुआ खड़ा था.रवि का लंड 6 इंच का था & पतला था जबकि विनोद का लंड बहुत मोटा था.रंभा की नशे से भरी आँखे लंड को गौर से देख रही थी.उसके सूपदे पे प्रेकुं चमक रहा था.

विनोद ने उसके बालो मे उंगलिया फिराई & उसकी ठुड्डी पकड़ उसके चेहरे को उपर किया.ब्रा मे से झाँकते बड़े से क्लीवेज पे अपना दाया हाथ फिरा उसे दबाते हुए बाए से उसकी ठुड्डी थाम उसके रसीले होंठ चूमने लगा.अरसे बाद रंभा ने नंगे मर्द को देखा था & अब उसकी चूत उस लंड को देख बिल्कुल आपे से बाहर हो गयी थी.

विनोद ने चूमते हुए उसके सीने से हाथ हटा उसके दाए हाथ को पकड़ अपने लंड से लगा दिया.रंभा कांप उठी,उसके दिल मे खुशी & मस्ती की 1 नयी लहर दौड़ गयी & उसने मज़बूती से लंड को थाम लिया.विनोद ने उसके होंठो को आज़ाद किया & खड़ा हो गया.रंभा उसके लंड को हिलाने लगी.रवि के साथ जिस्मो का खेल खेलते हुए ही उसे ये एहसास हुआ था कि वो चुदाई की दीवानी है & लंड से खेलना उसे बहुत ही पसंद है.

विनोद को आगे कुच्छ कहना नही पड़ा,रंभा ने खुद ही उसके लंड को अपने मुँह मे भर लिया & चूसने लगी.पहले उसने प्रेकुं को चाट के साफ किया & फिर मत्थे को चूसने लगी.विनोद आहे भरने लगा & उसके बालो से खेलने लगा.उसके आंडो को दबा के रंभा ने लंड की लंबाई पे जीभ फिराई तो विनोद झाड़ते-2 बचा.रंभा तो चूसे ही चली जाती लेकिन विनोद ने ने उसके मुँह को अपने लंड से अलग किया & उसे बाहो मे भर बिस्तर पे लेट गया.

रंभा के जिस्म को अपने बदन के नीचे दबा वो उसे फिर से चूमने लगा & अपनी कमर हिला अपने लंड को उसकी पॅंटी मे च्छूपी चूत पे दबाने लगा.रंभा लंड की गुस्ताख हर्कतो से बिल्कुल बेकाबू हो गयी & विनोद की पीठ को बेचैनी से नोचते हुए झाड़ गयी.रवि उसी की तरह कम तजुर्बे वाला इंसान था & उसके साथ-2 ही झाड़ जाता था लेकिन विनोद तजुर्बेकार मर्द था & रंभा को पता नही था कि आज की रात उसे मज़ा तो खूब आने वाला था मगर साथ ही वो बहुत थकने भी वाली थी.

विनोद ने झड़ती हुई रंभा के चेहरे को चूमते हुए उसकी छातियो को ब्रा के उपर से ही दबाया & फिर उसके स्ट्रॅप्स को कंधो से नीचे सरका दिया.रंभा के गुलाबी निपल्स से सजी कसी छातियाँ देख उसका मुँह हैरत से खुल गया.

"वाह..",उसने जीभ से उसके कड़े निपल्स को छेड़ा,"..उउम्म्म्म..कमाल की चूचियाँ हैं तुम्हारी,रंभा!",उसने दोनो हाथो मे दोनो चूचियों को भर के दबाया & बारी-2 से निपल्स को चूसने लगा.रंभा आहे भरती हुई उसके बालो को नोचते हुए उसके सर को चूमने लगी.उसने अपनी टाँगे पूरी फैला के घुटने मोड़ लिए थे & अब अपनी चुदाई का इंतेज़ार कर रही थी.

विनोद उसकी चूचियो को देख जैसे उसके बाकी जिस्म को भूल ही गया था.उन गोलाईयो को दबाते,मसल्ते,चूस्ते,चूमते उसने रंभा की मस्ती को ज़रा भी कम नही होने दिया था.वो अब बेचैन हो अपनी कमर हिलाने लगी थी.विनोद ने उसकी छातिया छ्चोड़ी & नीचे बढ़ा.रंभा के गोल,चिकने पेट & गहरी नाभि उसकी जीभ का अगला निशाना थे.रंभा मस्ती मे थरथरा रही थी.वो कभी अपने प्रेमी के बालो को नोचती तो कभी अपने बालो को & कुच्छ समझ नही आता तो बिस्तर की चादर को खींचने लगती.

उसकी काली पॅंटी उसकी चूत से उसी के रस से चिपकी हुई थी.विनोद ने उसकी नाभि के नीचे उसके पेट को चूमते हुए पॅंटी को नीचे किया तो उतनी मस्ती मे भी रंभा को एहसास हुआ कि वो विनोद के सामने पहली बार नंगी हो रही है.कितनी भी चुदाई की शौकीन & कितनी भी मस्त क्यू ना सही थी तो वो 1 लड़की ही.हया ने उसे आ घेरा & उसने अपने हाथो से अपनी चूत को ढँक लिया.

विनोद उसकी हर अदा का दीवाना हो गया था.उसने उसके हाथो को चूमा & उन्हे उसकी चूत से हटाया & जो नज़ारा उसने देखा उसने उसके होश उड़ा दिया.उसकी साँसे & तेज़ हो गयी & उसने रंभा की भारी जाँघो को पूरा फैला के उसकी चूत को और करीब से देखा.गुलाब की पंखुड़ियो जैसी बिल्कुल चिकनी,कोमल,गुलाबी चूत से आ रही खुश्बू ने उसे मदमस्त कर दिया.उसने उसकी टाँगो के बीच आ उन्हे अपने कंधो पे चढ़ाया & झुक के अपने होंठ सटा दिए रंभा की चूत से.

"आहह..!",रंभा ने जिस्म मोडते हुए सर को पीछे कर अपनी कमर उचकाई & झाड़ गयी.विनोद उसकी चूत के अंदर अपनी ज़ुबान चला रहा था & मस्ती की शिद्दत से बहाल हो रंभा सुबकने लगी.उसकी चूत से रस की धारा बहने लगी थी & विनोद उसे चाते जा रहा था.वो अपनी जाँघो मे उसके सर को भींच रही थी,उसके बाल खींच रही थी मगर वो इस सब से बेपरवाह बस उसकी चूत चाते जा रहा था.उसकी जीभ ने उसके दाने को छेड़ा तो रंभा ने सिसकारी भरते हुए अपनी कमर उचका चूत को उसके मुँह मे और घुसाने की कोशिश की.जिस्म की आग ने अब उसे पूरा झुलसा दिया था.

विनोद ने उसकी चूत छ्चोड़ी & उसके उपर आ गया.रंभा की जंघे फैला उसने अपना लंड चूत पे लगाके धक्का मारा तो लंड फिसल गया.चूत गीली तो बहुत थी मगर थी बहुत कसी हुई.इतनी देर चाटने & 2 बार झड़ने के बावजूद वो बहुत नही खुकी थी.विनोद का जोश इस बात से & बढ़ गया.इस बार उसने बाए हाथ की 2 उंगलियो से उसकी चूत को फैलाया & धक्का मारा & लंड को अंदर धकेला,उसके बाद चूत के गीलेपन की मदद से उसना पूरा लंड अंदर धंसा दिया.

अपने हाथो पे अपना वजन जमा उसने उसकी चुदाई शुरू कर दी.रंभा आहे भरते हुए उसके चेहरे को प्यार से सहला रही थी.अपनी टाँगे मोड़ उसने उसकी कमर पे जमा दी थी & उनके सहारे उचक-2 के उसके धक्को का जवाब दे रही थी.उसके दिल मे अपने नये महबूब को चूमने की ख्वाहिश हुई & वो उसके चेहरे को थाम सर उपर उठाने लगी.

विनोद उसकी दिल की बात समझते हुए नीचे उसके जिस्म पे लेट गया & रंभा उसे चूमने लगी.उसके हाथ विनोद की पीठ पे चल रहे थे.उसे ऐसा मज़ा रवि के साथ कभी नही आया था.विनोद के धक्के उसे पागल कर रहे थे.उसने उसे बाहो मे भींच लिया & पागलो की तरह कमर उचकाने लगी.सुबक्ते हुए वो विनोद के लंड से पहली बार झाड़ गयी थी.उसकी चूत झड़ते हुए सिकुड-फैल रही थी & विनोद के लंड को मस्ती का 1 अजीबोगरीब & बिल्कुल नया एहसास दिल रही थी.

विनोद खुद को झड़ने से रोके हुए उसे चूमते हुए हल्के-2 उसकी चुदाई करता रहा.रंभा की कसी चूत उसे भी बहुत कमाल का एहसास दिला रही थी.उस खुमारी के आलम मे भी रंभा विनोद से चुदवाने के अपने मक़सद को नही भूली थी,"मेरा नाम भेज दिया तुमने ट्रस्ट ग्रूप को?..उउम्म्म्मम..",विनोद ने सर झुका के उसकी बाई चूची को मुँह मे भर लिया था.

"हां.कल तुम्हे फोन भी आ जाएगा कि मंडे सवेरे तुम्हारा इंटरव्यू है.",1 पल को निपल को छ्चोड़ा & फिर वापस उस से ज़ुबान चिपका दी.

"तुम्हे क्या लगता है कि मुझे वाहा नौकरी मिल जाएगी?",रंभा ने उसके बालो मे हाथ फिराया.

"नही..",विनोद ने उसके सीने से सर उठाया,उसने चुदाई रोकी नही थी.रंभा के माथे पे जवाब सुन के शिकन पड़ गयी थी,"..देखो,रंभा.तुमने कहा तो मैने तुम्हारा नाम वाहा भेज दिया लेकिन बाकी 4 लड़कियो का तजुर्बा तुमसे ज़्यादा है & उनमे से 1 का CV सबसे अच्छा है फिर मैं एजेन्सी मे तुम जो कहो वो कर सकता हू लेकिन ट्रस्ट ग्रूप मे मेरी क्या चलेगी.",उसने उसकी चूचियो को दबाया & फिर अपना दाया हाथ नीचे ले जा उसकी बाई जाँघ सहलाने लगा.

"किस लड़की का?",चूत की कसक बहुत बढ़ गयी थी & रंभा अब बहुत ज़ोर से कमर उचका रही थी.उसके हाथ विनोद की पुष्ट गंद पे घूम रहे थे.

"सोनम रौत.95% चान्स है कि वोही विजयंत मेहरा की सेक्रेटरी बनेगी.",उसने रंभा की गंद को दबोच लिया था & बहुत गहरे & तेज़ धक्के लगा रहा था.रंभा उसकी बात समझ रही थी.इतना तो था कि विनोद ने अपना वादा निभाया था.उसका ये कहना भी सही था कि अपनी एजेन्सी के बाहर दूसरी कंपनी मे वो कुच्छ नही कर सकता था.अब जो भी हो,इंटरव्यू मे तो वो जान लगा देगी,आगे उसकी किस्मत!

वो और कुच्छ पूछती इस से पहले ही विनोद ने उसके सवाल पुछ्ते होंठो को अपने होंठो से खामोश कर दिया.उसकी गुस्ताख ज़ुबान & चूत मे उधम मचाते लंड ने उसे जिस्म की मदहोशी का ख़याल दिलाया & उसने अपने नाख़ून अपने आशिक़ की गंद मे धंसा दिए.विनोद ने अपने धक्को की रफ़्तार मे इज़ाफ़ा किया & उसकी गंद और ज़ोर से भींच ली.दोनो 1 दूसरे से लिपटे 1 दूसरे को चूमते पागलो की तरह कमर हिलाए जा रहे थे & चाँद पलो बाद रंभा ने विनोद के होंठ छ्चोड़ अपनी कमर को उचकाते हुए अपने बदन को मोड़ अपने सर को पीछे कर ज़ोर से आह भरी.वो झाड़ रही थी & झड़ते वक़्त उसकी चूत सिकुड़ने-फैलने की मस्तानी हरकत करने लगी जो विनोद ने आज रात से पहले कभी महसूस नही की थी.उस हरकत से आहत हो उसके लंड ने भी सब्र छ्चोड़ दिया & अपने वीर्य से रंभा की प्यासी चूत को भरने लगा.सुबक्ती रंभा ने जैसे ही चूत मे गर्म वीर्य को महसूस किया उसने विनोद को अपनी बाहो मे और कस लिया & उसके सर को चूमने लगी.

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क्रमशः.......
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12-19-2017, 10:27 PM,
#10
RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--10

गतान्क से आगे.

उस बहुत बड़े खाली मैदान मे बस जंगंग्ली झाड़िया & पेड़ उगे हुए थे.उस मैदान के कच्चे रास्ते पे 2 मर्सिडीस आके रुकी.आगे वाली कार से विजयंत & समीर मेहरा प्रणव के साथ उतरे & पीछे वाली से ट्रस्ट ग्रूप के कुच्छ ऊँचे अफ़सर,"डॅड,ये जगह डेवाले से बस 20 किमी की दूरी पे है & हमारी फिल्म सिटी के लिए बिल्कुल पर्फेक्ट है.वो देखिए,उधर 1 छ्होटी सी झील भी है.इधर पहाड़ियाँ भी हैं.इस सपाट मैदान मे दफ़्तर,स्टूडियोस पर्मनेंट & टेंपोररी सेट्स बन जाएँगे.डेवाले के स्टूडियोस पुराने हैं फिर उनकी लोकेशन ऐसी है कि बिना ट्रॅफिक जाम मे फँसे ना वाहा पहुँचा जा सकता है ना निकला जा सकता है.मानपुर एक्सप्रेसवे से जुड़ा है तो ट्रॅफिक की प्राब्लम तो है ही नही फिर इस जगह हम बिल्कुल मॉडर्न सुविधाएँ मुहैय्या करा सकते हैं."

"1 बात और,सर.",प्रणव घर के अलावा विजयंत को कभी डॅडी नही बुलाता था,उसने कार के बॉनेट पे फैले अपने साले के प्लान के 1 कोने पे उंगली रखी,"ये ज़मीन जो यहा से बस 4 किमी के फ़ासले पे है,हमारी है & यहा हम अपना रेसिडेन्षियल प्रॉजेक्ट शुरू कर रहे हैं.इस प्रॉजेक्ट के सामने सड़क के इस दूसरी तरफ हमारा होटेल भी बनाने का प्लान है.ये तीनो जगहें यानी कि ये ज़मीन जहा हम खड़े हैं & हमारे ये दोनो प्रॉजेक्ट्स मानपुर मे आते हैं & यहा डेवाले के रोड टॅक्स रेट्स नही लगेंगे & ये सारी जगह एरपोर्ट से बस 6 किमी की दूरी पे है."

"यानी ये प्रॉजेक्ट हमे मिल गया तो फायडा ही फायडा है.",विजय्न्त ने गहरे नीले रंग का सूट पहना था & आँखो पे काला चश्मा था.वो मैदान मे दूर तक देख रहा था.सामने उसे 1 छ्होटा सा बिंदु हिलता दिखा,वो 1 कार थी.वो मुस्कुराया,वो जानता था कि वो किसकी कार है.

"आउच!",मर्सिडीस का कमाल का सस्पेन्षन भी उस ऊबड़-खाबड़ रास्ते के हचको से सोनिया को नही बचा पाया था,"ये कहा आ गये हैं हम,डार्लिंग?",उसने ब्रिज कोठारी के कंधे पे सर रख उसके सीने पे हाथ फिराया.

"सोने की ख़ान मे.",वो अपनी बीवी को देख मुस्कराया.

"क्या?!"

"हां,बाकी बातें फ्लाइट पे बताउन्गा.",वो यहा से सीधा एरपोर्ट जा रहे थे जहा से वो अपने हनिमून के लिए रवाना हो रहे थे.कार रुकी & दोनो उतरे.उसके पीछे भी दूसरी कार मे उसकी कंपनी के अफ़सर आए थे & ब्रिज उनके साथ ज़मीन के बारे मे बातें करने लगा.सोनिया उनसे अलग अपनी कार के सहारे खड़ी थी.उसने छ्होटे बाज़ू का गुलाबी टॉप & पॅंट पहनी थी.उसने दूर देखा,कोई आदमी चला आ रहा था,उसने अपनी आँखो पे लगा काला चस्मा उपर अपने सर पे किया & उधर देखने लगी.चमकती धूप मे सामने से विजयंत लंबे-2 डॅग भरता अकेला चला आ रहा था.लंबा-चौड़ा डील-डौल,आँखो पे काला चस्मा,गोरे,हसीन चेहरे पे सुनेहरी दाढ़ी & विश्वास से भरे कदम..सोनिया तो उसे देखती ही रह गयी.

"हेलो,मेहरा.",ब्रिज मुस्कुराया,"शहर बसा नही लूटेरे पहले आ गये!",उसके & उसके आदमियो के साथ विजयंत भी हंसा & अपना चश्मा उतार अपनी कोट की जेब मे डाला.

"तुम शायद अपनी बात कर रहे हो,कोठारी.मैं तो मालिक हू..वैसे मैं तुम्हे मुबारकबाद देने आया था.",उसने हाथ बढ़ाया जिसे कोठारी ने थाम लिया,"..शादी मुबारक हो."

"थॅंक्स."

"& ये शायद मसेज.कोठारी हैं.",विजयंत ने उसका हाथ छ्चोड़ा & सोनिया के सामने आ खड़ा हुआ.सोनिया का दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था & उसे उसका कारण समझ नही आ रहा था.

"शादी मुबारक हो,मिसेज़.कोठारी.",उसने अपनी आँखे सोनिया की आँखो मे डाल दी & अपना हाथ आगे बढ़ाया तो सोनिया ने भी अपना कांपता दाया हाथ आगे कर दिया.विजयंत ने उसे थामा & उसे चूम लिया.इस सब के दौरान 1 पल को भी उसकी नज़रो ने सोनिया की निगाहो को देखना नही छ्चोड़ा था.उसकी पीठ ब्रिज की तरफ थी इसलिए ब्रिज उसके चेहरे & आँखो को देख नही पा रहा था.विजयंत के होंठो से हाथ सटाते ही सोनिया ने हाथ पीछे खींच लिया.ब्रिज मुस्कुराया,उसे लगा उसकी बीवी को विजयंत की ये हरकत बदतमीज़ी लगी है & उसने अपना हाथ झटक लिया है जबकि सोनिया के जिस्म मे विजयंत के होंठो की च्छुअन से बिजली दौड़ गयी थी & उसने आहत हो हाथ खींचा था.

"थॅंक्स.",उसकी आँखे उसके दिल का हाल बयान कर रही थी.उसने झट से उन्हे काले चश्मे के पीछे च्छुपाया & कार मे बैठ गयी.विजयंत मुस्कुराया & वहाँ से जाने लगा.

"मेहरा,ये ज़मीन तुम्हारे लिए सपना ही रहेगी."

"देखेंगे,कोठारी.",जाते हुए विजयंत ने पीछे खड़े ब्रिज की बात सुन बस हवा मे अलविदा का इशारा करते हुए हाथ हिलाया.

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प्लेन हवा मे था,एर होस्टेसेस सभी को ड्रिंक्स सर्व कर रही थी.बिज़्नेस क्लास मे बैठा ब्रिज अपनी बीवी को उस ज़मीन के बारे मे बता रहा था मगर वो सुन कहा रही थी.उसे अभी भी विजयंत की गहरी निगाहे खुद को देखती हुई लग रही थी.अपने हाथ पे उसके होंठो की गर्माहट वो अभी भी महसूस कर रही थी..क्या था ये सब?..उसका दिल ऐसे क्यू धड़का था उस इंसान की मौजूदगी से?..वो ब्रिज की किसी बात पे मुस्कुराइ & फिर उसकी बाँह मे अपनी बाँह फँसा खिड़की से बाहर देखा.खिड़की के शीशे मे उसे अपना धुँधला सा अक्स दिखा....विजयंत ने तुम्हारा दिल धड़का दिया इसका तो 1 ही मतलब है!..उसका अक्स फिर उसे परेशान कर रहा था..नही!..ऐसी कोई बात नही है..मैं ब्रिज की बीवी हू & केवल उसी की हू..उसने मन ही मन कहा..वो बस 1 पल की बात थी..& वैसे भी मैं अब उस इंसान से फिर कभी नही मिलने वाली..उसने खिड़की से मुँह फेरा & बोलते हुए ब्रिज के होंठ चूम लिए.वो चौंक उठा.

"मुझे नही जानना उस ज़मीन के बारे मे!",वो उसके और करीब हो गयी,"..बस अपने बारे मे बताओ.",वो उसके कंधे पे सर रख के उस से आड़ गयी.ब्रिज खुशी से मुस्कुराया & उसके सर को चूम लिया.

सोमवार की सुबह रंभा बाकी 4 लड़कियो के साथ ट्रस्ट ग्रूप के दफ़्तर की इमारत की 12वी मंज़िल पे 1 कमरे मे बैठी थी.इंटरव्यू से पहले की नर्वुसनेस ने उसे आ घेरा था.थोड़ी देर पहले कंपनी के 1 आदमी ने उन्हे आके बताया था कि बस थोड़ी ही देर मे खुद विजयंत मेहरा 1-1 करके सबका इंटरव्यू लेंगे.रंभा ने आँखो के कोने से सोनम रौत को देखा.साँवली सी लड़की खूबसूरत तो थी & इस वक़्त बड़ी विश्वास से भरी भी लग रही थी.

विजयंत अपने दफ़्तर पहुँचा & जहा सारी लड़किया बैठी थी उस कमरे मे झाँका.कमरे मे 1 शीशा लगा था जिसके पार कमरे मे बैठे लोगो को तो दिखाई नही देता मगर शीशे के उस पार खड़ा इंसान सब देख सकता था.विजयंत की नज़रे सभी लड़कियो से होती हुई रंभा पे आके टिक गयी.रंभा शीशे के बिल्कुल करीब बैठी थी & विजयंत उसे उसकी बाई तरफ से देख रहा था.उसके हुस्न को देख वो हैरान रह गया था.

रंभा ने आधे बाज़ू की सफेद शर्ट & घुटनो से थोड़ी उपर की काली स्कर्ट पहनी थी & पैरो मे हाइ हील सॅंडल्ज़ थे.विजय्न्त ने स्कर्ट से निकलती उसकी गोरी,मखमली जाँघो & लंबी टाँगो पे नज़रे दौड़ाई.शर्ट की बाजुओ से निकलती उसकी गुदाज़ बाहो को देख उसके दिल मे उन्हे थाम उस हसीना को बाहो मे भर उसके गुलाबी होंठो को चखने की बहुत तेज़ ख्वाहिश पैदा हुई और जब कमीज़ मे काफ़ी बड़ा उभार बनाते उसके सीने पे उसकी नज़र गयी तो उसने मन ही मन ये तय कर लिया की चाहे जैसे भी हो इस रूप की रानी की जवानी के समंदर मे वो ज़रूर गोते लगाएगा.रंभा को ऐसा लगा जैसे कोई उसे घूर रहा है & उसने गर्दन घुमाई मगर वाहा तो 1 शीशा लगा था जिसमे उसे अपना अक्स दिखाई दिया.

वो शीशे मे देख अपने खुले बालो को हाथो से सँवारने लगी & अपना चेहरा देखने लगी.विजयंत अब सीधा उसकी आँखो मे देख रहा था.कितना मासूम चेहरा था & कैसी बड़ी-2 काली आँखें.उसका दिल अब बिल्कुल बेचैन हो गया था & जैसे ही रंभा ने शीशे मे खुद को निहरना बंद किया,वो वाहा से अपने कॅबिन मे चला गया.

1-1 करके सभी लड़कियो को अंदर बुलाया जाने लगा.रंभा ने देखा जो भी लड़की कमरे से बाहर जाती वो वापस कमरे मे नही आती.उसके साथ जो लड़की बैठी थी,उस से उसने बात की थी & दोनो ने तय किया था कि जो भी पहले अंदर जाएगी वो दूसरी को पुछे गये सवालो के बारे मे ज़रूर बताएगी लेकिन वो लड़की तो वापस कमरे मे आई ही नही.थोड़ी देर बाद कमरे मे बस सोनम & रंभा बचे थे & फिर सोनम का नाम पुकारा गया.

"मिस.रौत,इतनी कम उम्र मे भी काफ़ी तजुर्बा है आपको?",ब्रिज कोठारी ने सोनम की तैय्यरी मे कोई कसर नही छ्चोड़ी थी.वो जानता था कि यहा इंटरव्यू देने वाली हर लड़की के CV मे लिखी 1-1 बात की सच्चाई परखने के बाद ही विजयंत उन्हे इंटरव्यू के लिए बुलाता & उसने इस बात को मद्देनज़र रखते सोनम का CV बनाया था.यहा आने से पहले सोनम को भी बहुत ज़्यादा घबराहट नही हो रही थी लेकिन विजयंत की ज़ोरदार शख्शियत & रोबिली आवाज़ ने उसके कदम लड़खड़ा दिए थे 7 उसका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था.

"सर,मैं जिस कंपनी मे काम कर रही थी वो थी तो छ्होटी मगर उसके ऑपरेशन्स काफ़ी फैले थे इसलिए मेरे बॉस की मदद करते हुए मैने वाहा ये तजुर्बा हासिल किया.

"हूँ.",विजयंत कुच्छ सोच रहा था,"..हमारे यहा दफ़्तर आने का वक़्त तो है मगर जाने का नही,इस बात से आपको तकलीफ़ हो सकती है."

"सर,मैं यहा काम करने आना चाहती हू & मुझे काम करने मे कोई तकलीफ़ नही होती."

"हूँ.",विजयंत मुस्कुराया,"..आप बाहर इंतेज़ार कीजिए."

"थॅंक यू,सर.",सोनम कॅबिन से बाहर निकली तो उसे 1 दूसरे कमरे मे बिठा दिया गया.उसने अपने माथे पे आया पसीना पोंच्छा..इस आदमी के साथ काम करना पड़ेगा उसे!..इसे कोई कैसे धोखा दे सकता है?..ये तो इतना..इतना..उसे समझ मे नही आ रहा था कि विजयंत के रोब,उसकी चुंबकिया शख्सियत के लिए वो कौन्से लफ्ज़ इस्तेमाल करे..अरे पहले वो तुम्हे रखे तो यहा!..उसके दिल ने उसे समझाया & वो बगल मे रखे कूलर से पानी लेके गतगत पीने लगी.

"मे आइ कम इन,सर?",रंभा ने विजयंत के कॅबिन मे कदम रखा.उसे कॅबिन कहना ग़लत होगा,वो 1 बड़ा सा हॉल था.सामने 1 बड़ी डेस्क के पीछे विजयंत मेहरा बैठा था.उस हॉल के 1 कोने मे 1 सोफा सेट लगा था,1 दीवार पे बड़ा सा एलसीडी टीवी & पूरे फर्श पे मोटा कालीन बिच्छा था.कॅबिन मे रोशनी बहुत मद्धम थी विजयंत के डेस्क पे 1 लॅंप जल रहा था & पूरे हॉल मे जो कन्सील्ड लाइट्स थी उन्हे विजयंत ने जानबूझ के बहुत हल्का कर रखा था.

"यस.",उसकी रोबदार,भरी आवाज़ ने रंभा को थोड़ा और नर्वस कर दिया फिर भी वो हल्के से मुस्कुराते हुए नपे-तुले कदमो से आगे बढ़ी.उसने विजयंत की शक्ल पहली बार देखी थी & उसकी मर्दाना खूबसूरती ने उसपे गहरा असर छ्चोड़ा.विजयंत भी उसके हुस्न को आँखो से पी रहा था.जब वो लड़की उसके सामने आके बैठी तो उसका लंड उसके जिस्म की नज़दीकी & उस से आती मदमाती खुश्बू के असर से फ़ौरन खड़ा हो गया.

रंभा विजयंत के हर सवाल का जवाब दे रही थी & अब उसकी घबराहट थोड़ी कम भी हो गयी थी,"मिस.रंभा,यहा आई पाँचो लड़कियो मे से आपका तजुर्बा सबसे कम है,आप ये बात जानती हैं?"

"यस,सर."

"तो मेरी समझ मे ये नही आता कि एजेन्सी ने आपको यहा कैसे भेज दिया?",वो इस लड़की की मज़बूती को परखना चाहता था.

"क्यूकी मैने उनकी नाक मे दम कर दिया था.",रंभा ने विजयंत की आँखो मे आँखे डाल के कहा.

"क्या?!",विजयंत हंसा.उसे लड़की का जवाब पसंद आया था,"लेकिन क्यू?"

"सर,आपके लिए काम करना बहुत फख्र की बात है & फिर इतने रिप्यूटेड ग्रूप मे कौन नही काम करना चाहेगा खास कर के जब काम ग्रूप के चेअरमेन के लिए करना हो.",रंभा बहुत शालीन ढंग से मुस्कुराइ & विजयंत के ज़हन मे उस मुस्कान ने धमाका कर दिया.उसका दिमाग़ कल्पना के घोड़े दौड़ाने लगा..ये मासूम चेहरा हवस मे अँधा हो कैसा लगता होगा?..ये मस्ती मे कैसे मुस्कुराती होगी?..ये रसीले,गुलाबी होंठ मेरे लंड के गिर्द कैसे लगेंगे?..इस गोरे,तराशे जिस्म की हरारत मुझपे क्या असर करेगी?..इसका नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म से टकराएगा तो..

"आप बाहर वेट करिए.",उसने खुद पे काबू किया.

"थॅंक यू,सर.",रंभा भी उसी दूसरे कमरे मे आ गयी जहा बाकी लड़किया बैठी थी.

विजयंत पशोपेश मे पड़ा था.उसने अपनी कुर्सी के पीछे लगे पर्दे को रिमोट से खोला & सामने धूप मे चमकती डेवाले की ऊँची इमारतो को देखने लगा जिनमे से ज़्यादातर उसी की थी.वो लड़कियो का शौकीन था,जो लड़की उसके दिल को भा जाए उसे वो अपने बिस्तर की शोभा ज़रूर बनाता था लेकिन आज उसके सामने 1 अजीब सी उलझन थी.उसने अपने बिज़्नेस के रास्ते मे कभी अपने शौक को आने नही दिया था मगर आज जैसे उसका इम्तिहान लिया जा रहा था कि वो किसे तवज्जो देता है-अपने बिज़्नेस को या अपने शौक को.सोनम यक़ीनन तजुर्बे मे रंभा से कही आगे थी लेकिन उसे चुनने का मतलब रंभा को खोना था.

अपने हाथो को जोड़ अपनी नाक से लगा आँखे बंद कर वो इस परेशानी का हाल सोचने लगा कि उसका इंटरकम बजा,उसने उसे ऑन किया,"सर,समीर सर आ गये हैं.आपने बोला था उनके आने पे आपको बता दू.",अगली सेक्रेटरी के चुने जाने तक 1 टेंपोररी असिस्टेंट उसने रखी थी,ये वही थी.

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क्रमशः.......
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