Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
12-14-2017, 12:38 AM,
#11
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
कुछ देर तक समीना के सीने और मम्मों को चाटने के बाद एक बार फ़िर से टॉमी ने समीना को अपने तरीके से काटना शुरू कर दिया। इस बार टॉमी ने अपना मुँह खोला और समीना के पूरे के पूरे मम्मे को अपने बड़े से मुँह के अंदर लेने लगा। अपने दाँतों के दर्मियान और अपने दाँतों में लेकेर उसने एक बार फ़िर से आहिस्ता-आहिस्ता समीना के मम्मे को काटना शुरू कर दिया और अपने दाँतों के बीच में उनको दबाने लगा। समीना के मुँह से हल्की-हल्की चींखें निकलने लगीं... दर्द और खौफ़ के मारे नहीं बल्कि लज़्ज़त के साथ। टॉमी समीना के मम्मों को बारी-बारी ऐसे जगह-जगह से काट रहा था कि जैसे वो उनको खाने की कोशिश कर रहा हो। ऐसे ही तेज़ी के साथ अपनी काटने की जगह तबदील करते हुए समीना का एक निप्पल उसके दाँतों के बीच आ गया और जैसे ही टॉमी ने उसे काटा तो समीना की तो जैसे जान ही निकल गयी। एक तेज़ सिसकारी और चींख उसके हलक़ से निकली... अपने निप्पल में होने वाले हल्के से दर्द की वजह से। मगर उसके साथ ही उसके सारे जिस्म में लज़्ज़त-अमेज़ लहरें दौड़ने लगीं। उसकी चूत गीली होने लगी जोकि इस वक़्त उसके जिस्म का वाहिद हिस्सा था जोकि तौलिये से ढका हुआ था।

समीना को इस क़दर लज़्ज़त मिली... इतना मज़ा आया कि उसने टॉमी का सिर अपने दोनों हाथों में पकड़ा और अपने मुँह की तरफ़ लाते हुए अपने होंठ टॉमी के मुँह के अगले काले हिस्से यानी उसके होंठों पर रख दिये और एक बार उसे चूमने के बाद उसके होंठों पर अपनी ज़ुबान फिराने लगी। टॉमी की हरकतें समीना को मस्त करती जा रही थीं। कुछ देर पहले तक वो टॉमी के साथ कुछ करने या ना करने का फ़ैसला नहीं कर पा रही थी और अब वो खुद को टॉमी के रहम-ओ-करम पर छोड़ चुकी थी और हालात की लहरों पर बहती चली जा रही थी... टॉमी के साथ... जो मस्ती और अनोखी लज़्ज़त के सफ़र में समीना के साथ था। बल्कि इस सफ़र पे समीना को ले जाने वाला भी टॉमी ही था।

कुछ देर के बाद समीना ने अपने जिस्म पर मौजूद आखिरी मगर बे-मक़सद कपड़ा... अपनी रानों पर पड़ा हुआ तौलिया भी उतार के नीचे कार्पेट पे फेंक दिया और अब वो टॉमी के सामने ऊँची हील के सैंडल के अलावा बिल्कुल नंगी थी और टॉमी...वो तो अज़ल से ही नंगा था। जैसे ही टॉमी ने समीना की नंगी रानों को देखा तो फ़ौरन ही नीचे को आकर उसकी रानों को चाटने लगा... कभी एक तो कभी दूसरी को... कभी यहाँ से तो कभी वहाँ से... समीना की रानों को चाटता हुआ टॉमी उसकी रानों के अंदर के हिस्सों की तरफ़ आने की कोशिश कर रहा था और हवस की मारी समीना उसे रोक भी नहीं सकी। उसकी टाँगें खुद-ब-खुद ही खुल गयीं और टॉमी की ज़ुबान समीना के जिस्म के सबसे नाज़ुक और सबसे खास और सब से प्राइवेट हिस्से उसकी चूत की तरफ़ बढ़ने लगी। जैसे ही टॉमी की ज़ुबान ने एक बार में ही समीना की फूल जैसी खुली हुई चूत को पूरे का पूरा चाटा तो समीना का तो पूरे का पूरा जिस्म ही अपनी जगह से उछल कर रह गया। उसने खुद को गिरने से बचाने के लिये टॉमी के मज़बूत जिस्म को जल्दी से दोनों हाथों से पकड़ लिया। अब टॉमी बिना किसी रोकटोक के समीना की चूत को चाट रहा था।

दो दिन के अंदर ही समीना जैसी इज़्ज़तदार और खूबसूरत औरत इस हद तक खुल चुकी हुई थी कि इस वक़्त वो बिल्कुल नंगी हो कर बैठी हुई अपने कुत्ते से अपनी चूत चटवा रही थी। इसमें इस बेचरी औरत का भी कोई क़सूर नहीं था। ये तो कमाल था टॉमी जैसे समझदार और तजुर्बेकार कुत्ते का जो अपनी हरकतों और अपनी ज़ुबान के साथ किसी भी औरत को मदहोश करके अपने सामने बेबस कर देने में माहिर था। हक़ीकत में टॉमी कोई आम कुत्ता नहीं था। वो खास तौर से तरबियत-याफ़्ता था। अपने काम में माहिर था यानी उसे तरबियत ही ये दी गयी हुई थी कि एक औरत को कैसे गरम करना और कैसे उसे चोदना है। अपनी इसी खूबी और अपने काम में मुकम्मल महारत की वजह से ही टॉमी अपनी पुरानी मालकिन ज़हरा का पसंदीदा कुत्ता था जिससे चुदवा-चुदवा कर ज़हरा कभी भी बोर नहीं हुई थी। और आज समीना भी सिर्फ़ एक दिन की मुज़ाहमत के बाद ही टॉमी के सामने अपनी सारी मुज़ाहमत खतम कर बैठी हुई थी और इस वक़्त इस कुत्ते के सामने अपनी चूत खोल के बैठी इससे अपनी चूत चटवाती हुई मज़े ले रही थी। कुत्ता भी ऐसे मज़े ले-ले के समीना की चूत से बह कर निकलने वाले पानी को ऐसे चाट रहा था कि जैसे अंदर से कोई शहद निकल रहा हो जिसका वो एक क़तरा भी ज़ाया जाने नहीं देना चाहता हो।

टॉमी की खुरदरी, लंबी गुलाबी ज़ुबान इतनी बुरी तरह से समीना की चूत को चाट रही थी कि समीना के जिस्म से उसकी जान निकली जा रही थी। उसके मुँह से ज़ोर दार सिसकरियाँ निकल रही थीं जोकि पूरे कमरे में फैल रही थीं। शराब के नशे और कुत्ते की ज़ुबान के चाटने की मस्ती में चूर समीना के लिये सोफ़े की कुर्सी पर टिक कर बैठना और अपना तवज़ुन बरकरार रखना बहोत मुश्किल हो रहा था क्योंकि उसके चूतड़ फिसल कर आगे किनारे पे टिके हुए थे और सोफ़े की कुर्सी भी बिना हथों वाली थी। मगर फ़िर भी वो किसी ना किसी तरह टॉमी को पकड़ कर अपने थरथराते हुए जिस्म को सहारा देने की कोशिश कर रही थी। अचानक टॉमी की लंबी ज़ुबान फिसल कर समीना की चूत के सुराख के अंदर चली गयी... सिर्फ़ एक लम्हे के लिये। मगर वो लम्हा तो जैसे कोई करंट सा लग गया समीना के जिस्म में और समीना का पूरे का पूरा जिस्म अपनी जगह से उछल पड़ा और अगले ही लम्हे समीना नीचे कार्पेट पे गिरी हुई थी। उसने नीचे कार्पेट से उठने की कोई कोशिश नहीं की और ना ही टॉमी ने उसे उठने का कईं मौका दिया। वो जल्दी से अपनी जगह से घूम कर एक बार फ़िर से समीना की चूत की तरफ़ आ गया और समीना की रानों को चाटने लगा। समीना ने भी फौरन अपनी टाँगों को खोलते हुए टॉमी को दोबारा अपनी चूत की तरफ़ मुतवज्जह कर लिया था। अब तो जैसे टॉमी चाहता था... जो चाहता था... समीना के साथ वो ही कर रहा था और समीना भी बिल्कुल वैसा ही कर रही थी... बिना कोई मुज़ाहमत किये... बिना कोई इंकार किये
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12-14-2017, 12:38 AM,
#12
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
मुज़ाहमत और इंकार... ये तो वहाँ होते हैं ना जहाँ इंसान को मज़ा नहीं आ रहा हो जबकि यहाँ... यहाँ तो समीना को इस सब में पूरा-पूरा मज़ा आ रहा था। टॉमी की ज़ुबान समीना की चूत पर चल रही थी और उसके पूरे जिस्म को जला रही थी उसमें पैदा होने वाली आग के साथ। समीना तो अपनी रानों को पूरा खोले हुए टॉमी के आगे पड़ी हुई थी और वो उसकी दोनों टाँगों के बीच में खड़ा... अपना सिर झुकाये... अपना मुँह समीना की चूत पर रखे हुए... अपनी लंबी ज़ुबान के साथ समीना की चूत को चाटता जा रहा था। टॉमी की लंबी ज़ुबान तेज़ी के साथ चल रही थी। कभी वो उसकी पूरी की पूरी चूत को अपनी ज़ुबान से एक साथ ही चाटने लगता और कभी उसकी चूत के ऊपरी हिस्से पर अपनी पूरी तवज्जो लगा देता। समीना की चूत के दोनों लबों के दर्मियान... बिल्कुल ऊपर के हिस्से में उसकी चूत का दाना... टॉमी की बेरहम खुरदरी ज़ुबान के रहम-ओ-करम पर था... जिसे टॉमी की ज़ुबान मुसलसल रगड़ रही थी... चाट रही थी और कुछ ही देर पहले तक टॉमी को रोकने का इरादा करने वाली समीना अब अपनी आँखें बंद किये हुए उसके सामने सिर्फ सैंडल पहने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी... तड़प रही थी... सिसक रही थी। मगर ये तड़प और सिसक किसी तकलीफ या दर्द के मारे नहीं थी बल्कि लज़्ज़त की वजह से थी और उसके मुँह से निकलने वाली तेज़ सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। उसके दोनों हाथ टॉमी के सिर पर थे... उसे अपने से दूर करने के लिये नहीं बल्कि उसके मुँह को और भी अपनी तरफ़ खींचने के लिये।

कुछ ही देर में समीना ने अपनी दोनों टाँगें उठायीं और उनको टॉमी की कमर के ऊपर रखते हुए उसके हेवानी जिस्म को अपनी गोरी-गोरी नाज़ुक और सैक्सी टाँगों के बीच में दबाने लगी ताकि वो कहीं भाग ना जाये। समीना अपने सैंडल के तलवों और गोरे-गोरे पैरों के ऊपरी हिस्से के साथ टॉमी की नरम-नरम फ़र को सहला रही थी। उसके पैर उसकी पूरी कमर पर सरक रहे थे और कभी वहाँ से नीचे उसकी टाँगों को सहलाने लगती... कुछ भी ना सोचते हुए... बस आँखें बंद किये हुए। अपनी चूत पर उसकी ज़ुबान के मज़े लेते हुए उस जानवर के जिस्म को अपने पैरों से सहलाना उसे अच्छा लग रहा था। टॉमी के जिस्म और उसकी टाँगों को अपने सैंडल और पैरों के साथ सहलाते हुए पता नहीं कब और कैसे उसका पैर नीचे जाने लगा... टॉमी के पेट के नीचे की तरफ़ और ऐसे ही उसका पैर किसी सख्त सी चीज़ से टकराया... जिसकी समीना को फौरी तौर पे कुछ समझ नहीं आयी। वो उसे भी उसकी टाँग की कोई हड्डी ही समझी... सख्त सी लंबी सी। 

आँखें बंद थीं समीना की मगर दिमाग जैसे किसी नशे से बाहर आ रहा था और अपने पैरों के साथ इस चीज़ को जाँचने की कोशिश कर रहा था। जानने की कोशिश में था कि ये क्या है जो उसके पैरों के साथ टकरा रहा है। दोनों पैर अब उसके दिमाग की मदद कर रहे थे... इस चीज़ को कोई नाम देने के लिये और फ़िर समीना के दिमाग में एक छनका सा हुआ... लंड... लौड़ा... लन्न... एक साथ ही इस चीज़ के कईं नाम उसके दिमाग में आये और अचानक से ही उसके दोनों पैर इस चीज़ से दूर हट गये। मगर टॉमी की ज़ुबान की उसकी चूत पर रगड़ और चूत से बहते हुए चिकने पानी ने उसे सब कुछ एक बार फ़िर से भूलने पर मजबूर कर दिया और वो फ़िर से सिसकने लगी। थोड़ी ही देर में उसका पैर एक बार फ़िर से टॉमी के पेट के नीचे उसके लंड की तरफ़ बढ़ा और अगले ही लम्हे उसके पैरों ने एक बार फ़िर से टॉमी के लंड को छूना शुरू कर दिया... आहिस्ता-आहिस्ता... टॉमी को डिस्टर्ब किये बिना। फ़िर वो आहिस्ता-आहिस्ता टॉमी के लंड को अपने दोनों पैरों के बीच में ले कर... एक सैंडल के तलवे से दूसरे पैर के ऊपर दबाते हुए... सहलाने लगी। टॉमी की ज़ुबान के लम्स के साथ ही वो अपनी मंज़िल को पहुँच रही थी। उसकी चूत के अंदर गर्मी बढ़ती जा रही थी और वो पानी छोड़ने वाली थी। 

अगले ही लम्हे समीना ने मज़बूती से टॉमी के सिर को अपने हाथों से जकड़ लिया और फ़िर उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। चंद लम्हों में ही समीना का जिस्म ढीला पड़ने लगा। उसकी साँसों की रफ़्तार तेज़ हो गयी। वो लंबे-लंबे साँस लेती हुई अब खुद को नॉर्मल कर रही थी और टॉमी अपनी ज़ुबान के साथ समीना की चूत से निकलने वाला गाढ़ा-गाढ़ा पानी चाटता जा रहा था। चूत का पानी निकलने के बाद समीना ने टॉमी को खुद से आहिस्ता से पीछे को ढकेला और इस बार टॉमी उसको छोड़ कर उससे दूर हो गया... मगर उसके सिर की तरफ़... उसके हाथों की पहोंच में ही उसके करीब बैठ कर हाँफने लगा। उसका जिस्म भी हिल रहा था और ज़ुबान भी बाहर लटक रही थी। समीना उसी की तरफ़ देख रही थी... बड़े ही प्यार से... बड़ी ही चाहत से... क्योंकि आज जिस कदर इस जानवर ने उसे मज़ा दिया था वो उसे कभी पहले नहीं आया था और इस मज़े के लिये वो दिल से टॉमी की शुक्र गुज़ार थी। वहाँ क़लीन पर से उठने को उसका दिल भी नहीं कर रहा था... चेहरे पर सुकून ही सुकून था... और एक मुस्कान...!
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12-14-2017, 12:38 AM,
#13
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
समीना का बेडरूम अजीब मंज़र पेश कर रहा था। समीना जैसी खूबसूरत औरत अपने खूबसूरत जिस्म के साथ बिल्कुल नंगी... सिर्फ़ ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल पहने अपने कमरे के कार्पेट पर पड़ी हुई थी और उसका वफ़ादार कुत्ता उसके करीब ही बैठा हुआ था। चूत का पानी निकलने के बाद समीना ने अपना सिर घुमा के टॉमी की तरफ़ देखा और फ़िर मुस्कुरा के अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके मुँह को सहलाने लगी। कुत्ता भी अपनी मालकिन की तरफ़ से अपने काम को... अपनी करकरदगी को पसंद किये जाने पर खुश हो रहा था। समीना आहिस्ता-आहिस्ता उसके सिर को सहला रही थी। समीना मुस्कुराते हुए उसको देखते हुए अपनी उंगली को उसके नोकीले दाँतों पर फिराने लगी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था मगर उसे ये भी पता था... ये भी एहसास था कि उसके उन दाँतों ने उसे किस तरह मज़ा दिया था... उसके मम्मों को काटते हुए।

टॉमी के मुँह पर से समीना का हाथ उसकी गर्दन पर आ गया और फिर उसके पेट को सहलाने लगी। जब समीना की नज़र टॉमी की खुली और फ़ैली हुई टाँगों पर पड़ी... और उसे वहाँ वो ही चीज़ नज़र आयी जिसे वो थोड़ी देर पहले अपने पांव और सैंडल से सहला रही थी। समीना की नज़र उसी पर जम कर रह गयी... टॉमी के लंड पर! वो उसे देखे जा रही थी... बिना किसी और तरफ़ देखे... बिना अपनी पलकें झपकाये। वो सुर्ख रंग का लंबा सा... चमकता हुआ किसी हड्डी की तरह ही लग रहा था। मगर इस वक़्त बहोत ज्यादा अकड़ा हुआ नहीं था फ़िर भी काफ़ी लंबा लग रहा था। करीब-करीब आठ इंच तो होगा वो इस वक़्त भी। आगे से बिल्कुल पतला सा नोकदार और पीछे को जाते हुए मोटा होता जाता था... फैलता जाता था। उसके लंड के अगले सुराख में से भी हल्का-हल्का पानी रिस रहा था। समीना का हाथ अभी भी टॉमी के जिस्म पर था और उसकी पसलियों को सहला रहा था। समीना का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता आगे को सरकने लगा... टॉमी के लंड की तरफ़! उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। वो खुद को रोकना चाह रही थी मगर उसका जिस्म उसके काबू में नहीं था। हाथ आहिस्ता-आहिस्ता सरकता हुआ आगे को बढ़ रहा था। चंद लम्हों में ही समीना का हाथ टॉमी के लंड के करीब पहुँच चुका हुआ था। अपने धड़कते हुए दिल के साथ समीना ने अपनी उंगली से उसके लंड की नोक को छुआ और फ़ौरन ही अपना हाथ वापस खींच लिया... जैसे उसमें कोई करंट हो... या जैसे उसका लंड उसकी उंगली को काट लेगा... या उसे डंक मार देगा! मगर टॉमी के लंड में ज़रा सी हरकत पैदा होने के सिवा और कुछ भी नहीं हुआ। उसका लंड वैसे का वैसे ही उसकी रान के ऊपर पड़ा रहा।

कुछ ही देर के बाद समीना ने दोबारा से अपनी उंगली से टॉमी के लंड को छूना शुरू कर दिया। इस पोज़िशन में लेटे हुए समीना का हाथ बड़ी ही मुश्किल से टॉमी के लंड तक पहुँच रहा था। कुछ सोच कर समीना थोड़ा सी हरकत करते हुए टॉमी के जिस्म के निचले हिस्से की तरफ़ सरक गयी। अब उसकी उंगली बड़ी आसानी के साथ टॉमी के पूरे लंड पर सरक रही थी... उसे सहला रही थी। समीना ने टॉमी के चेहरे की तरफ़ देखा मगर उस जानवर ने कौनसा कोई अपने चेहरे से तासुरात देने थे जो वो समीना की हरकत से खुशी का इज़हार करता। लेकिन एक बात की समीना को तसल्ली थी कि टॉमी कोई नापसंदीदगी भी नहीं दिखा रहा था और उसी की तरफ़ देखते हुए समीना के हाथ की पूरी उंगलियाँ उसके लंड के गिर्द लिपट गयीं। बहोत ही गरम... चिकना-चिकना और सख्त और लंबा और मज़बूत महसूस हो रहा था उसे टॉमी का लंड। समीना ने उसे अपने हाथ में ले कर आहिस्ता-आहिस्ता अपनी मुठ्ठी के अंदर ही उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया। टॉमी का लंड उसकी मुठ्ठी में आगे पीछे को सरक रहा था और उसके लंड के चिकनेपन से समीना का हाथ भी चिकना हो रहा था। उसके लंड को महसूस करती हुई वो उसका मवाज़ना इंसानी लंड के साथ भी कर रही थी यानी अपने शौहर के लंड के साथ और बिना किसी चीज़ को नापे वो आसानी से कह सकती थी कि टॉमी का लंड उसके शौहर के लंड से लंबा और मोटा है।

समीना के सहलाने से... उसकी मुठ मारने से... टॉमी को भी शायद मज़ा आने लगा था। वो पहले तो उसी तरह लेटा रहा मगर फ़िर अपनी जगह से उठ कर खड़ा हो गया। समीना अभी भी टॉमी के करीब नीचे कार्पेट पर ही लेटी हुई थी और अब टॉमी उसके सामने खड़ा था। मगर अब समीना को उससे कोई भी... किसी किस्म का भी खौफ़ महसूस नहीं हो रहा था। उसके अचानक उठ कर खड़ा होने से उसका लंड समीना के हाथ से निकल गया था मगर उसे अपनी जगह से कहीं आगे ना जाते हुए देख कर समीना ने एक बार फ़िर से उसका लंड पकड़ लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उसे सहलाने लगी। टॉमी अगर अपने लंड को अभी भी समीना के हाथ में दिये रखना चाहता था तो समीना का दिल भी उसके लंड को अपने हाथ से छोड़ने को नहीं चाह रहा था। अब वो नीचे कार्पेट पर पड़ी हुई टॉमी के पेट के नीचे उसके फ़र में से खाल में हो रहे हुए सुराख में से निकालते हुए लंड को देख रही थी... उसे छू रही थी और अपने हाथ में ले कर एक बार फ़िर से उसे आगे-पीछे कर रही थी। टॉमी के लंड में से निकलने वाला कोई लेसदार सा मवाद... साफ़ ज़ाहिर है कि... टॉमी की मनी ही थी वो... निकल-निकल कर समीना के हाथ पर लग रही थी। मगर वो अपनी ही इस नयी दुनिया में मगन... उसे अपने हाथ आयी हुई ये नयी चीज़ अच्छी लग रही थी। समीना को महसूस हुआ कि अब टॉमी का लंड पहले की निस्बत अकड़ चुका हुआ है... और भी सख्त हो चुका है! समीना का हाथ उसके लंड पर पीछे को जाने लगा... उसकी जड़ तक... और पीछे उसे कुछ और ही चीज़ महसूस हुई... कुछ मोटी सी... गोल सी... बहोत बड़ी सी! समीना अब थोड़ा और भी टॉमी के लंड की तरफ़ सरक आयी। काफ़ी करीब पहुँच चुकी थी वो उसके लंड के और अब वो उसकी तरफ़ देखने लगी। ये टॉमी के लंड का आखिरी हिस्सा था जोकि किसी गेंद की तरह मोटा और फूला हुआ था... मुर्गी के अंडे के जितना मोटा और बड़ा। अब बहोत करीब से टॉमी का लंड देखने पर उसे और भी ये अजीब लग रहा था। लंबा सा मोटा सा हथियार था कुत्ते का जिस पर छोटी-छोटी रग़ें ही रग़ें थीं.... गहरे नीले रंग की! उन गहरी नीली रग़ों की तादाद इतनी ज्यादा थी उसके लंड पर कि उसके लंड का सुर्ख रंग अब जामुनी सा हो रहा था।
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12-14-2017, 12:38 AM,
#14
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
अपने हाथ में पकड़ कर टॉमी के सुर्ख लंड को सहलाते हुए समीना की नज़रों में वो तमाम फ़िल्में चल रही थीं जानवरों से चुदाई की जो उसने पहले देख रखी थीं। उसके दिमाग में घूम रहा था कि कैसे औरतें कुत्तों के लन्न मुँह में ले कर चूसती हैं... कैसे उसे अपनी ज़ुबान से चाटती हैं! पहले जब उसने ये सब देखा था तो उसे हैरत होती थी मगर अब इस वक़्त हक़ीक़त में एक कुत्ते का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसे सहलाते हुए उसका ज़हन कुछ बदल रहा था। अब उसे इतना अजीब नहीं लग रहा था। बल्कि उसका दिल चाह रहा था कि आज एक बार... सिर्फ़ एक बार... पहली और आखिरी बार... वो भी इस कुत्ते के लंड को अपनी ज़ुबान लगा कर चेक तो करे कि कैसा लगता है उसका ज़ायका! और क्या सच में कोई मज़ा भी आता है या कि नहीं! यही सोचते हुए बिल्कुल ग़ैर-इरादी तौर पर और ऐसे कि जैसे वो किसी जादू के ज़ैर असर हो... आहिस्ता-आहिस्ता टॉमी के लंड की तरफ़ बढ़ रही थी... बिल्कुल करीब! उसके होंठ टॉमी के लंड के बिल्कुल करीब पहुँच चुके थे। उसका अपना दिमाग बिल्कुल बंद हो चुका हुआ था। वो कुछ भी और नहीं सोच रही थी। बस उसे टॉमी का लंड ही नज़र आ रहा था। बिना सोचे समझे आखिरकार समीना ने अपने होंठों के साथ टॉमी के लंड को छू लिया... सिर्फ़ एक लम्हे के लिये... और फ़ौरन ही उसका मुँह पीछे हट गया। समीना को हैरत हुई कि उसे ये बुरा नहीं लगा था। डरते-डरते समीना ने टॉमी की तरफ़ देखा... फ़िर अपने इर्द गिर्द एक नज़र दौड़ायी... ये देखने के लिये कि कोई उसे देख तो नहीं रहा। फ़िर अपनी तसल्ली करने के बाद उसने दोबारा अपने होंठ टॉमी के लंड की तरफ़ बढ़ाये और एक बार फ़िर उसके लंड को अपने होंठों से छुआ। अपना हाथ पीछे के हिस्से में ले जा कर समीना ने उसके लंड के मोटे गोल हिस्से के पीछे से टॉमी के लंड को अपने हाथ की गिरफ़्त में लिया और अपने होंठों को जोड़ कर उसके लंड पर लंबाई के रुख फिराने लगी। अजीब सा मज़ा आने लगा था समीना को। वो अपने होंठों से जैसे उसके लंड को सहला रही थी... चूस रही थी!

कुछ देर तक ऐसे ही अपने होंठों के साथ टॉमी के लंड को सहलाने के बाद समीना का खौफ़ और झिझक खतम हो रही थी। उसे जैसे-जैसे ये सब अच्छा लग रहा था... वो वैस- वैसे ही खुलती जा रही थी। साथ ही उसके होंठ भी खुले और उसकी ज़ुबान बाहर निकली और उसने अपनी ज़ुबान की नोक के साथ टॉमी के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। वो उसके लंड पर अपनी ज़ुबान आहिस्ता-आहिस्ता फिराने लगी... उसकी नोक से ले कर उसकी पीछे की मोटी गोलाई तक। समीना अब अपनी ज़ुबान फिराती हुई उसके लंड को महसूस कर रही थी। कुछ अजीब सी चीज़ लग रही थी... नयी सी... जमाल के लंड से मुखतलीफ़... अजीब सा मगर अच्छा! समीना ने अपनी ज़ुबान को टॉमी के लंड की नोक पर रखा और उसे अपनी ज़ुबान से चाटने लगी। समीना को हैरत हुई कि उसमें से वक्फ़े-वक्फ़े से थोड़ा-थोड़ा पानी निकल रहा था... हल्की सी धार की सूरत में और एक बार तो जब समीना की ज़ुबान उसकी नोक पर थी तो वो ही पानी उसकी ज़ुबान पर आ गया। समीना ने फ़ौरन अपन मुँह पीछे हटा लिया मगर ज़ुबान पर उसका ज़ायका रह गया। तभी समीना को लगा... एहसास हुआ कि उसका ज़ायका कुछ इतना भी बुरा नहीं है। समीना ने अब एक बार फ़िर अपनी ज़ुबान से उसके लंड को चाटना शुरू कर दिया और फ़िर पीछे अपनी ज़ुबान ले जा कर उसकी मोटी गेंद को चाटा। समीना ने एक बार फ़िर हिम्मत करके उसके लंड की टोपी को अपने होंठों के बीच में लिया और उसे चूसने लगी... आँखें बंद करके... कुछ भी ना सोचते हुए... मगर उसके लंड से निकलने वाले पानी को कबूल करते हुए!

फ़िर टॉमी के लंड से उसका हल्का-हल्का पानी निकल कर समीना के मुँह के अंदर गिरने लगा मगर इस बार समीना ने उसके लंड को अपने मुँह से बाहर नहीं निकाला और उसे चूसने लगी। उसके लंड का पानी निकल-निकल कर समीना के मुँह के अंदर गिरने लगा। कुछ अजीब सा ज़ायका लग रहा था उसे... मर्द के लंड से मुखतलीफ़! गाढ़ा पानी नहीं था मर्द की तरह बल्कि पतला-पतला सा था... नमकीन सा... कसैला सा... जोकि अब समीना के हलक़ से नीचे उतर रहा था... उसके गले में से होता हुआ उसके पेट के अंदर। समीना को ये ज़रा भी बुरा नहीं लग रहा था। वो अब अपने हाथों और घुटनों के बल झुकी हुई थी और टॉमी का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसे अपनी ज़ुबान से चाट रही थी और कभी उसे मुँह के अंदर लेती और चूसने लगती। सब कुछ भूलभाल कर समीना अब सिर्फ़ मज़ा ले रही थी। खुद को पूरी तरह से अपने कुत्ते के साथ मस्त कर चुकी हुई थी... जानवर और इंसान का फ़र्क़ खतम कर चुकी थी और उसके लंड को चूसती चली जा रही थी।
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12-14-2017, 12:38 AM,
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RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
टॉमी ने अपनी जगह से हरकत करते हुए अपना लंड समीना के हाथ में से छुड़वाया और घूम कर समीना के पीछे आ गया और समीना की गोरी-गोरी गाँड को चाटने लगा। उसकी ज़ुबान समीना की गाँड के बीच में घुसती हुई उसकी चूत तक पहुँच रही थी। और जैसे ही एक बार फ़िर से टॉमी की ज़ुबान समीना की चूत से टकराने लगी तो समीना की चूत की आग एक बार फ़िर से भड़कने लगी। टॉमी अब पूरी तरह से मुथर्रक हो चुका हुआ था। कभी वो समीना की चूत को चाटता तो कभी उसकी गाँड को चाटने लगता। इधर समीना का भी बुरा हाल हो रहा था लज़्ज़त के मारे। वो अपनी कोहनियाँ ज़मीन पर टिका कर अपना सिर अपने हाथों पर रखे अपनी गाँड को और भी ऊपर के उठा कर नीचे झुकी हुई थी। टॉमी उसकी चूत को चाट रहा था और समीना मुँह से निकलने वाली सिसकारियों से पूरा कमरा गूँज रहा था। 

अचानक टॉमी ने एक छलांग लगायी और अपनी दोनों अगली टाँगें समीना की कमर पर रख कर उसके ऊपर चढ़ गया। उसके अगले दोनों पांव समीना की कमर पर थे और पीछे से उसने अपने लंड को समीना की गाँड से टकराना शुरू कर दिया। समीना समझ गयी कि वो अब अपना लंड उसकी चूत में दाखिल करना चाहता है। वो घबरा गयी। ऐसा तो उसने नहीं सोचा था। इस हद तक जाना उसके प्रोग्राम में शामिल नहीं था। वो तो बस अपनी चूत चटवाने तक का मज़ा चाहती थी। मगर अब तो शायद बात उसके कंट्रोल से निकल रही थी। टॉमी उसके ऊपर चढ़ कर उसको चोदने की तैयारी में था। समीना घबरा गयी। उसने जल्दी से उठ कर अपनी जगह से खड़ी होना चाहा मगर टॉमी ने अपना पूरा वज़न समीना की कमर पर डाल दिया और अपने अगले पैरों की गिरफ़्त उसके कंधों पर और मज़बूत कर दी। और पीछे से अपना लंड और भी तेज़ी के साथ उसकी गाँड की दरार में मारने लगा... उसे समीना की चूत में दाखिल करने के लिये। समीना अब काफ़ी खौफ़ज़दा थी मगर कुछ और भी तो अजीब हो रहा था। वो ये कि जब-जब टॉमी का लंड समीना की चूत से टकराता तो उसे अलग ही मज़ा मिलता... उसे अलग ही दुनिया की सैर करवाता।

एक तरफ़ तो समीना को अच्छा लग रहा था। उसका दिल चाह रहा था कि वो खुद टॉमी का लंड अपनी चूत में ले ले... ये सोच कर कि अगर इतना मज़ा सिर्फ़ लंड के बाहर से उसकी चूत से टकराने से मिल रहा है तो अगर ये लंड चूत के अंदर चला जायेगा तो फ़िर उसे कितना मज़ा देगा। मगर दूसरे ही लम्हे उसे कुछ और खयाल आने लगता... अपनी हैसियत का... अपने एक इंसान... एक औरत होने का... और ये कि वो तो एक जानवर है... कुत्ता है... तो वो कैसे एक कुत्ते का लंड अपनी चूत के अंदर डलवा कर खुद को उससे चुदवा सकती है। कैसे एक कुत्ते के सामने कुत्तिया बन कर खड़ी हो सकती है... कैसे एक कुत्ते को खुद को चोदने की इजाज़त दे सकती... कैसे एक कुत्ते को इजाज़त दे सकती है कि वो उसे अपनी कुत्तिया समझ कर चोद डाले! ये सोच कर उसने एक बार फ़िर से खुद को अपनी उस पोज़िशन से... कुत्तिया की पोज़िशन से... खड़ा करने का इरादा किया... एक कोशिश की... मगर... मगर अब तो सब कुछ उसके बस से बाहर था। वो तो अब अपने टॉमी की... एक कुत्ते की गुलामी में थी... उसके नीचे... और वो कुत्ता अपना लंड उसकी चूत के अंदर डालने की कोशिश में था।

जैसे ही टॉमी ने महसूस किया कि समीना एक बार फ़िर से उसके नीचे से निकलने के लिये ज़ोर लगा रही है... उसे अपनी चूत दिये बिना उसके नीचे से निकलना चाहती है... तो उसने अपनी गिरफ़्त उसके जिस्म पर और भी सख्त कर दी और फ़िर अपना आखिरी हरबा भी आज़मा लिया। उसने अपना मुँह खोल कर समीना की गर्दन को अपने नोकीले लंबे-लंबे खौफ़नाक दाँतों के बीच में ले लिया और उसकी गर्दन पर अपने दाँतों का दबाव बढ़ाने लगा। जैसे ही समीना को अपनी गर्दन के गोश्त में टॉमी के दाँत घुसते हुए महसूस हुए तो वो खौफ़ के मारे अपनी जगह पर साकीत हो गयी कि कहीं टॉमी सच में ही उसकी गर्दन को ना काट ले। जैसे ही समीना ने अपनी हरकत बंद की तो ये एक लम्हा टॉमी के लिये काफ़ी था। उसने दोबारा से समीना की चूत पर हमला शुरू कर दिया। उसका लंड अब समीना की चूत के सुराख से टकरा रहा था और आखिर ऐसे ही एक ज़ोरदार धक्के के साथ टॉमी का मोटा लंड समीना की चूत की गहराइयों में उतर गया। और उसके साथ ही कमरे में समीना की एक दर्द भरी... बहोत ही तेज़ चींख गूँज गयी। समीना ने दोबारा से टॉमी की गिरफ़्त से निकलने की कोशिश की मगर फ़ौरन ही उसे अपनी गर्दन में कील से घुसते हुए महसूस हुए और वो मज़ीद नहीं हिल सकी।
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12-14-2017, 12:38 AM,
#16
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
इधर पीछे से अब टॉमी का लंड पूरे का पूरा समीना की चूत के अंदर जा रहा था। समीना के कंधों को पकड़े हुए वो दनादन घस्से मार रहा था... समीना की चूत को चोद रहा था। उसका लंबा लंड बहोत गहरायी तक जा रहा था समीना की चूत के अंदर। समीना बिल्कुल बेबस हो चुकी हुई थी। वो चाहते हुए भी हिल नहीं पा रही थी। एक बात जो समीना को अजीब लग रही थी वो ये थी के टॉमी के धक्के मारने का अंदाज़ ऐसा था कि जैसे कोई मशीन चल रही हुई हो। इतनी तेज़ी के साथ टॉमी का लंड समीना की चूत के अंदर बाहर हो रहा था कि समीना को यक़ीन नहीं हो रहा था। मगर उसे अब ये बात भी कबूल करने में कोई शरम महसूस नहीं हो रही थी कि उसे भी टॉमी के लंड से चुदाई में मज़ा आना शुरू हो रहा था। समीना ने अब अपनी मुज़ाहमत बिल्कुल खतम कर दी हुई थी और दोबारा से कार्पेट पर अपने हाथों के ऊपर अपना सिर रख कर अपनी गाँड को और भी हवा में ऊपर को उठाती हुई अपनी गाँड को पीछे को धकेल रही थी। समीना की आँखें बंद हो रही थीं और चूत थी कि बस पानी ही छोड़ती जा रही थी। तेज़ रफ़्तार के साथ धक्के मारते हुए टॉमी का लंड समीना की चूत में से निकल गया। समीना ने फ़ौरन ही अपना हाथ पीछे अपनी रानों के बीच में ले जा कर टॉमी का लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसकी नोक को दोबारा से अपनी चूत के सुराख पर टिका दिया और अगले ही लम्हे टॉमी का लंड एक बार फ़िर से समीना की चूत में उतर चुका था... और फ़िर से उसकी चूत की धुनाई शुरू हो चुकी थी!

लंड अंदर जाने के बाद से समीना की चूत तीन बार पानी छोड़ चुकी थी मगर टॉमी अभी तक लगा हुआ था। समीना निढाल होती जा रही थी। अचानक ही टॉमी ने एक ज़ोरदार धक्का मारा और फ़िर एकदम से साकीत हो गया मगर इस आखिरी धक्के के साथ ही समीना की एक बार फ़िर से चींख निकल गयी थी। उसे अपनी चूत फटती हुई महसूस हुई... जैसे कोई बहोत बड़ी चीज़ उसकी चूत में किसी ने डाल दी हो... गोल सी... मोटी सी! तभी समीना को खयाल आया के शायद टॉमी ने अपने लंड का आखिरी मोटा गोल हिस्सा भी उसकी चूत के अंदर फ़ंसा दिया है। लेकिन अब टॉमी कोई हरकत नहीं कर रहा था... बस समीना के ऊपर बिल्कुल आराम से खड़ा था... और समीना को अपनी चूत के अंदर टॉमी के लंड से उसकी गरम-गरम मनी गिरते हुई महसूस हो रही थी... और उसकी मनी की गर्मी से समीना की चूत ने एक बार फ़िर से पानी छोड़ दिया और वो सिर नीचे रखे-रखे लंबे-लंबे साँस लेने लगी।

अब समीना को लगा कि अपना पानी निकालने के बाद टॉमी भी अपना लंड उसकी चूत से निकाल लेगा मगर काफ़ी देर तक भी टॉमी ने अपना लंड बाहर नहीं निकाला तो समीना को परेशानी होने लगी। उसने खुद को हरकत दी और उसे नीचे उतरने को बोला मगर टॉमी अपनी जगह पर खड़ा था। अचानक टॉमी ने अपनी अगली टाँगें समीना के ऊपर से उतारीं और एक तरफ़ को घूम गया और साथ ही समीना की चींखें निकल गयीं। अब टॉमी अपने लंड और पीछे की गोलाई को पूरे का पूरा समीना की चूत में घुमाता हुआ अपना रुख मोड़ चुका था। अब समीना की गाँड टॉमी की गाँड के साथ लगी हुई थी। समीना ने खुद को आगे खींचते हुए उसका लंड अपनी चूत से निकालना चाहा मगर इस क़दर तकलीफ हुई के वो वहीं रुक गयी।

अचानक ही टॉमी ने आगे को चलना शुरू कर दिया। समीना का हैरत से बुरा हाल होने लगा... उसे फ़िक्र होने लगी। कुत्ता अब उसके कमरे से बाहर को जा रहा था और अपनी चूत में फंसे हुए टॉमी के लंड के साथ समीना भी उसके पीछे-पीछे खिंचने पर मजबूर थी। वो उल्टे क़दमों अपने घुटनों और हाथों पर टॉमी के पीछे-पीछे रेंग रही थी। समीना कराहते हुए बोली, “टॉमी...! टॉमी...! प्लिज़ज़ज़ स्टॉप! रुक जाओ...!”

मगर टॉमी कहाँ सुन रहा था। वो तो उसे घसीटता हुआ लाऊँज में ले आया था और अब बीच लाऊँज में खड़ा हुआ हाँफ रहा था। इतने में दरवाज़े पर दस्तक हुई। समीना तो खौफ़ के मारे सुन्न हो कर रह गयी। वो ये सोच-सोच कर ही मरी जा रही थी कि अगर किसी ने उसे इस तरह कुत्ते के साथ देख लिया तो वो तो कभी किसी को मुँह दिखाने के काबिल ही नहीं रहेगी। उसके मुँह से कोई लफ़्ज़ नहीं निकल रहा था। उसने एक बार फ़िर से कोशिश की कि टॉमी का लंड उसकी चूत से बाहर निकल आये मगर नहीं! बाहर से खानसामा की आवाज़ आयी, “बीबी जी...! दरवाज़ा खोलें...! रात के लिये खाना बनाने का वक़्त हो गया है...!”
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12-14-2017, 12:38 AM,
#17
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
समीना खौफ़ से भरी हुई आवाज़ में बोली, “अभी थोड़ी देर के बाद आना... अभी नहीं! अभी मैं मसरूफ़ हूँ!”

खानसामा “जी मालकिन” कह कर वापस चला गया। अब उसे क्या पता था कि उसकी मालकिन अंदर किस काम में मसरूफ़ है। उसे क्या मालूम था कि अंदर उसकी मालकिन अपने कुत्ते से चुद रही है। उसके जाने के बाद समीना ने कुछ सुकून का साँस लिया।

कोई पंद्रह मिनट के बाद टॉमी का लंड उसकी चूत से बाहर निकला। उसने फ़ौरन ही समीना की चूत को चाटना शुरू कर दिया। वो अपनी मनी और समीना की चूत के पानी को चाट कर साफ़ करने लगा और समीना नीचे सिर झुकाये एक कुत्तिया की तरह उसके सामने झुकी रही। और फ़िर उसने करवट ली और कार्पेट पर ही सीधी हो कर लेट गयी... टॉमी की तरफ़ देखती हुई... हैरानी और शरम से... और फ़िर अचानक ही उसकी ज़ोरदार हंसी छूट गयी। वो कहकहे लगा कर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी... “हाहाहाहा... हाहाहाहा!”

“नॉट बैड... एइकचूअली इट वाज़ वंडरफुल... फैन्टैस्टिक!” समीना के मुँह से हंसी के बाद यही अल्फ़ाज़ निकले और फ़िर वो अपनी जगह से उठी और टॉमी के सिर को सहला कर अपने कमरे की तरफ़ चल पड़ी दोबारा से फ्रेश होने के लिये।

शाम को जमाल आया तो थोड़ी देर के लिये वो सैर करने के लिये निकल गया... टॉमी को भी साथ ले कर। समीना भी रोज़ उनके साथ जाती थी मगर आज उसका दिल नहीं किया क्योंकि वो कुछ कश-म-कश में थी कि ये सब क्या हुआ है। ये वो जानती थी के उसे मज़ा आया है... अच्छा लगा है... मगर ये बात उसके दिल में चुभ रही थी कि ये ठीक नहीं हुआ। उनके जाने के बाद वो लाऊँज में आयी और रेड-वाईन पीने लगी। वैसे तो वो और जमाल अक्सर शाम को खाने से पहले साथ में वाईन या कोई और शराब पीते थे लेकिन आज समीना ने जमाल का इंतज़ार नहीं किया क्योंकि आज उसे इसकी काफी ज़रूरत महसूस हो रही थी। वाईन पीते हुए उसकी नज़र एक कोने में लगे हुए टॉमी के बिस्तर की तरफ़ गयी। कुछ देर तक उसे देखती रही... वाईन पीती रही... और फ़िर उठ कर टॉमी के बिस्तर के पास आ गयी। चार फुट लंबाई का रुइ से भरा हुआ एक गद्दा था... बहोत ही नरम सा... जो कि टॉमी के बिस्तर के लिये इस्तेमाल किया जाता था। समीना उसके बिस्तर के करीब बैठ गयी और फ़िर अपना हाथ आहिस्ता-आहिस्ता टॉमी के बिस्तर पर फेरने लगी... उसे सहलाने लगी। उसे अच्छा लग रहा था। वो अपनी जगह से थोड़ा सा हिली और फ़िर टॉमी के बिस्तर पर बैठ गयी। उसे टॉमी के बिस्तर पर बैठना अच्छा लग रहा था। धीरे-धीरे उस पर हाथ फेरती हुई वो टॉमी के बिस्तर पर लेट गयी। समीना अपना चेहरा उस नरम-नरम बिस्तर पर फेरने लगी... अपनी नाक उस पर रगड़ने लगी। बिस्तर में से अजीब सी बू आ रही थी... जानवर के जिस्म की। मगर समीना को बुरी नहीं बल्कि अच्छी लग रही थी। वो बस अपना चेहरा उस पर रगड़ती जा रही थी। उसका दिल चाह रहा था कि वो अपना नंगा जिस्म उस पर सहलाये। समीना ने बिना कुछ सोचे अपनी शर्ट को नीचे से पकड़ कर ऊपर उठाया और एक ही लम्हे में अपने जिस्म से अलग कर दिया और फ़िर बाकी कपड़े भी उतार के नंगी हो कर कुत्ते के बिस्तर पर लेट गयी। वो अपना नंगा गोरा-गोरा चिकना-चिकना जिस्म उस नरम-नरम बिस्तर पर रगड़ने लगी। नरम-नरम रेशमी बिस्तर के नरम-नरम रेशमी जिस्म के साथ रगड़ने से उसे बहोत अच्छा लग रहा था। वो अब फ़िर से अपने गालों को इस बिस्तर से रगड़ रही थी... आँखें बंद किये हुए... जैसे वो इस कुत्ते को अपना सब कुछ तस्लीम कर चुकी हो... मान चुकी हो। कुछ देर में बेल हुई तो समीना जैसे होश में वापस आयी। जल्दी से उठ कर कपड़े पहने और ऊँची हील की सैंडल फर्श पर टकटकाती और मुस्कुराती हुई दरवाज़ा खोलने के लिये चली गयी।

फिर दोनों बैठ कर खाना खाने लगे। टॉमी भी हस्ब मामूल उनके साथ ही था। खाने के बाद दोनों लाऊँज में ही बैठे टीवी देख रहे थे और टॉमी भी समीना के पैरों में ही बैठा हुआ था। जमाल खान उससे दूर दूसरी तरफ़ था। समीना अपना सैंडल वाला पैर टॉमी के जिस्म पर फेर रही थी... कभी उसके सिर पर अपना सैंडल का चिकना तलवा फिराती और कभी उसके पेट को अपने पैर से सहलाने लगती। आहिस्ता-आहिस्ता उसका पैर खुद-ब-खुद ही टॉमी के पेट के नीचे की तरफ़ जाने लगा। जमाल खान अगर उसकी तरफ़ देखता भी तो उसे पता नहीं चलता कि वो क्या कर रही है। समीना ने अपना पांव टॉमी के लंड वाले हिस्से की तरफ़ बढ़ाना शुरू कर दिया. और फ़िर अपने सैंडल के अगले सिरे और पैरों की उंगलियों से उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया। टॉमी ने फ़ौरन अपना सिर ऊपर उठाया और समीना की तरफ़ देखने लगा। समीना के होंठों पर खेलने वाली मुस्कुराहट को देख कर उसने दोबारा से अपना सिर नीचे रख दिया। टॉमी का लंड जो कि अभी तक उसकी खाल के अंदर ही था... आहिस्ता-आहिस्ता उसकी खाल से बाहर निकलने लगा। कुछ ही देर में उसके सुर्ख-सुर्ख लंड की अगली नोक और अगला आधा हिस्सा उसकी खाल से बाहर थे और उसे देखते ही समीना खिल उठी। इस लंड को देखते हुए उसे याद आने लगा के कैसे इस लंड ने उसकी चूत के अंदर दाखिल हो कर उसे बेइंतेहा मज़ा दिया था... कैसे टॉमी अपने लंड को उसकी नाज़ुक सी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था... कैसे वो दनादन धक्के मार रहा था। समीना कभी टॉमी के लंड को देखती और कभी उसके मुँह को। समीना को टॉमी पर कोई गुस्सा नहीं था बल्कि जो मज़ा और जो लज़्ज़त टॉमी ने उसे दी थी, उसके बाद तो वो उसकी दिवानी हो गयी थी। टॉमी के लिये उसकी मोहब्बत और चाहत बढ़ गयी थी और उसकी मोहब्बत का अंदाज़ भी बदल गया था। समीना के सैंडल और पैर कि उंगलियों का अगला सिरा टॉमी के चिकने-चिकने सुर्ख रंग के लंड को सहला रहे थे। समीना ने उसके लंड को अपने सैंडल और पैर की उंगलियों के बीच में लिया और अपने पैर को उसके लंड पर ऊपर से नीचे को सहलाने लगी... जैसे कि वो टॉमी के लंड कि मुठ मार रही हो। 
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12-14-2017, 12:39 AM,
#18
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
टॉमी ने अपना सिर मोड़ कर अपने लंड कि तरफ़ देखा और फ़िर अपना मुँह समीना के दूसरे पैर पर रख दिया जो उसके करीब था और अपनी ज़ुबान से समीना के पांव और सैंडल को चाटने लगा। समीना को भी अच्छा लग रहा था। टॉमी ने अपना मुँह खोल कर समीना के गोरे-गोरे नाज़ुक पैर को सैंडल के साथ अपने दाँतों के अंदर लिया और उसे आहिस्ता-आहिस्ता दबाने लगा... काटने लगा। उसके नोकीले दाँत समीना के पैर में ऊपर और सैंडल के तलवे में धंस रहे थे और समीना को हल्का-हल्का लज़्ज़त अमेज़ दर्द होने लगा था। समीना के चेहरे पर लज़्ज़त के साये लहराने लगे थे। एक बार जब टॉमी ने थोड़ा ज़ोर से उसके पैर को अपने दाँतों से दबाया तो समीना के मुँह से सिसकारी निकल गयी। उसे सुन कर जमाल खान ने चौंक कर समीना की तरफ़ देखा तो उसे समीना का पैर टॉमी के मुँह के अंदर नज़र आया तो वो खौफ़ज़दा हो गया।

जमाल बोला, “समीना...! समीना ...! ये क्या कर रहा है टॉमी...! हटाओ उसे!”

समीना मुस्कुरायी, “डोन्ट वरी डार्लिंग...! कुछ नहीं कहता टॉमी! ये तो बस लाड़ कर रहा है... जस्ट रिलैक्स डियर!”

जमाल खान भी देखने लगा कि टॉमी बस उसके पैर को अपने दाँतों के अंदर लेता है और फ़िर अपने मुँह से उसका पैर निकाल कर उसे चाटने लगता है... जैसे कि वो उसके पैर से खेल रहा हो। जमाल को भी तसल्ली हो गयी... उसकी फ़िक्र खतम हो गयी। वो मुस्कुराया, “अरे यार ये तो तुम्हारे पांव से खेल रहा है!” समीना भी मुस्कुरा दी और जमाल दोबारा से टीवी देखने लगा।

इधर समीना का पैर टॉमी के लंड से पीछे को जाने लगा... उसकी रान को सहलाते हुए... उसकी दुम्म के नीचे। उसकी गाँड के सुराख के नीचे टॉमी के टट्टे लटके हुए नज़र आये... काले-काले से... गोल-गोल से! समीना ने एक नज़र जमाल खान की तरफ़ देखा और फ़िर अपने सैंडल और पैर के अंगूठे से उसके टट्टों को सहलाने लगी। अपने शौहर जमाल के मोटे-मोटे और बड़े-बड़े टट्टे तो वो सहला ही चुकी थी कईं बार मगर उन छोटे साइज़ के बॉल्स के साथ खेलना भी समीना को अच्छा लग रहा था। वो अपने पैर के साथ उनसे खेल रही थी। साथ-साथ ही वो सोचने लगी के उन टट्टों के अंदर बनने वाली मनी का ज़ायका भी वो ले चुकी हुई है और उसे ये मानने में कोई आर या शरम नहीं थी कि उसे टॉमी... अपने कुत्ते के लंड कि मनी अपने मुँह में बेहद अच्छी लगी थी... उसका ज़ायका उसे बहोत पसंद आया था। 

इतने में जमाल खान के मोबाइल पर कोई कॉल आयी। वो उसे अटेंड करके सुनता हुआ लाऊँज से बाहर निकल गया... बाहर लॉन में! जमाल के जाते ही टॉमी ने अपनी जगह से उठ कर छलांग लगायी और सोफ़े पर चढ़ गया और समीना के चेहरे को चाटने लगा। समीना उसकी इस हरकत पर हंसने लगी। उसे इस बात की खुशी भी हुई थी और तसल्ली भी कि टॉमी ने उसके शौहर के सामने उसके साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश नहीं की थी। टॉमी उसके गालों और होंठों को चाटने लगा। वो बार-बार अपनी ज़ुबान ऊपर-नीचे को लाता हुआ उसके चेहरे को चाटता और उसके होंठों को चाटता। समीना ने भी अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और अपनी ज़ुबान को टॉमी की ज़ुबान से टकराने लगी। समीना की ज़ुबान टॉमी की ज़ुबान से टकराने लगी... एक खूबसूरत औरत की ज़ुबान एक कुत्ते की ज़ुबान को चाट रही थी। दोनों ही एक दूसरे की ज़ुबानों को चाट रहे थे। कुत्ते के मुँह से उसका थूक समीना के मुँह के अंदर जा रहा था मगर समीना उसका कुछ भी बुरा समझे बिना अपने अंदर निगलती जा रही थी और टॉमी की ज़ुबान को चाटती जा रही थी... जैसे वो कोई जानवर नहीं बल्कि उसका महबूब हो और वो उसकी महबूबा... जैसे वो उसका बॉय फ्रेंड हो और वो उसकी गर्ल फ्रेंड... जैसे वो उसका आशिक़ हो और वो उसकी माशूक़ा... जैसे वो एक कुत्ता है तो... तो वो उसकी कुत्तिया! दोनों... बल्कि सिर्फ़ समीना... सब कुछ भूलभाल कर टॉमी को प्यार कर रही थी और फ़िर समीना ने टॉमी के जिस्म पर हाथ फेरते हुए उसे खुद से पीछे किया और सोफ़े से उतरने का इशारा किया। टॉमी खामोशी से सोफ़े पर से उतरा और कमरे के एक कोने में मौजूद अपने छोटे से बिस्तर पर चला गया... सोने के लिये!
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12-14-2017, 12:39 AM,
#19
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
रात को जमाल खान समीना के पास आया और इस रात उसने भी समीना को चोदा। मगर समीना महसूस कर रही थी कि उसे जो मज़ा आज टॉमी के लंड से चुदवाने में आया था वो उसे आज जमाल के साथ नहीं आ रहा था। वो अपने बिस्तर पर लेटी जमाल खान का लंड अपनी चूत में लेने के बावजूद भी आँखें बंद किये टॉमी का... एक कुत्ते का तसव्वुर ही कर रही थी कि वो उसे चोद रहा है और वो उस कुत्ते के लंड के मज़े ले रही है। टॉमी को ही याद करते हुए समीना की चूत ने पानी छोड़ा और फ़िर काफ़ी देर के बाद दोनों सो गये। 

समीना अगले दिन एक बार फ़िर टॉमी के लंड का मज़ा लेने का सोचती हुई नींद की वादियों में चली गयी। उसे तसल्ली थी कि अब उसे अपनी तनहाइयों का साथी मिल चुका है... उसकी तनहाइयों को रंगीन करने के लिये। उसका दिल अभी भी यही चाह रहा था कि वो जा कर कुत्ते के साथ उसके नरम नरम बिस्तर पर लेट जाये... उसके साथ! मगर फ़िर खुद पर जबर करके सो ही गयी।

सुबह उसकी आँख फोन की बैल की आवाज़ से खुली। देखा तो ज़हरा का फोन था अमेरिका से। पहले भी ज़हरा उसे फोन करती रहती थी. .. . उसका हाल-अहवाल पूछने के लिये... और टॉमी के बारे में जनने के लिये। मगर आज ज़हरा से बात करते हुए समीना का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।

ज़हरा: “हैलो. .. कैसी हो समीना...?”

समीना: “मैं ठीकठाक हूँ... और आप...???”

ज़हरा: “हम भी ठीक हैं... और वो अपने टॉमी का सुनाओ... वो कैसा है?”

समीना: “हाँ वो भी ठीक है... मगर उसने...” समीना कुछ कहते कहते रुक गयी।

ज़हरा की हंसी की आवाज़ सुनायी दी, “क्या हुआ... क्या किया है टॉमी ने?”

समीना घबरा कर बोली, “क...क...कुछ नहीं... कुछ भी तो नहीं...”

ज़हरा की फ़िर आवाज़ आयी, “कहीं इस टॉमी ने तुम को चोद तो नहीं दिया... हाहाहाहा!”

समीना बुरी तरह से घबरा गयी हुई थी, “नहीं... नहीं... वो भला क्यों मुझे...”

ज़हरा हंसी, “हाहाहाहा... वो मैं इसलिये कह रही थी कि... बड़ा ही कमीना है ये कुत्ता... ये तो यहाँ मुझे भी चोदता रहा है... इसलिये मैं तो कह रही थी...”

समीना के मुँह से फ़ौरन ही निकला, “क्या...? क्या आप को भी...???”

ज़हरा हंसी, “हाँ मुझे तो रोज़ ही चोदता था ये... चूत और गाँड दोनों मारता था मेरी... और अब उसका भाई अकेला... वैसे एक बात है कि मज़ा खूब आता है उससे चुदवाने में... क्यों है ना ऐसी बात?”

समीना: “हाँ... नहीं... मेरा मतलब है कि मुझे क्या पता...!” समीना घबरा रही थी।

ज़हरा: “अरे यार मुझसे छुपाने का कोई फ़ायदा नहीं है... बस करती रहो उसके साथ मज़े और इंजॉय करो खूब!”

समीना: “लेकिन....”
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12-14-2017, 12:39 AM,
#20
RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
ज़हरा: “अरे लेकिन-वेकिन कुछ नहीं... बस मज़े लो... कुछ भी नहीं होगा... किसी को कुछ पता नहीं चलेगा...!!”

समीना: “ओके... बाय... फ़िर बात करेंगे!”

समीना ने फोन बंद कर दिया। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था मगर ज़हरा से बातें करके और ये जान कर उसे काफ़ी सुकून मिला था कि वो अकेली नहीं है... किसी और ने भी टॉमी के साथ चुदाई की हुई है... और वो भी ज़हरा ने... जो इतने सालों से अमेरिका में जरूर रहती है लेकिन है तो उसी की तरह पाकिस्तानी ही... ये जान कर उसके चेहरे पर सुकून वाली मुस्कुराहट फैल गयी।

अब समीना का अंदाज़ ही कुछ अलग था। वो कुछ अलग ही सोच में थी। अपने शौहर जमाल के साथ नाश्ता करते हुए भी वो पास ही ज़मीन पर बैठे हुए टॉमी को देख-देख कर मुस्कुरा रही थी। जमाल अपने नाश्ते में मगन था और साथ-साथ अपनी हसीन-ओ-जमील बीवी से बातें भी कर रहा था। उस बेचारे को क्या पता था कि उसकी इतनी खूबसूरत बीवी एक कुत्ते से चुदवा रही है! कुछ ही देर में जमाल खान ने नाश्ता किया और अपने दफ़्तर चला गया। जमाल के जाते ही समीना ने घर का अंदर का दरवाज़ा लॉक किया। फिर लाऊँज में अलमारी में से शराब... वोडका की बोतल और एक गिलास लेकर अपने कमरे में आ गयी। इस वक़्त भी टॉमी दरवाजे के करीब ही खड़ा था... अंदर आने के लिये। मगर समीना ने मुस्कुरा कर उसे देखते हुए दरवाज़ा बंद कर लिया और कमरे का भी अंदर से लैच लगा लिया ताकि टॉमी अंदर ना सके। शायद आज वो अपने इस महबूब को कुछ तड़पाना चाहती थी। अंदर कमरे में आकर समीना ने अपने जिस्म पर पहना हुआ नाइट गाऊन उतार कर बेड पर फेंक दिया... सैंडल भी उतार दिये और नंगी... बिल्कुल नंगी हालत में शराब की बोतल और गिलास लेकर बाथरूम में घुस गयी। आलीशान बाथरूम में बड़ा सा बाथ-टब था। समीना ने उसमें पानी भरा और साबुन डाल कर झाग बना के बबल-बाथ तैयार किया और फिर उसमें बैठ कर गिलास में शराब भर कर के पीते हुए नहाने लगी। वैसे तो इतनी सुबह वो शराब नहीं पीती थी लेकिन आज वो नशे में मदहोश होकर.. मस्त होकर... अपने टॉमी... अपने कुत्ते... अपने महबूब... के साथ चुदाई का पूरा मज़ा लेना चाहती थी।

करीब आधे घंटे तक वो नहाती रही और इस दौरान उसने काफी शराब.. करीब आधी बोतल पी ली थी। जब वो बाथ-टब से बाहर निकली तो नशे की हालत में थी जो उसे बेहद खुशनुमा लग रहा था... काफी हल्का महसूस कर रही थी...। तौलिये से जिस्म सुखा कर वो बाथरूम से बाहर आयी और हस्ब-मामूल सबसे पहले पैरों में ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने। फिर वैसे ही बिल्कुल नंगी आईने के सामने बैठ गयी और नशे की मस्ती में हल्का-हल्का गुनगुनाते हुए मेक-अप करने लगी... खुद को बनाने संवारने लगी। उसके दिल की हालत भी अजीब सी हो रही थी ये सोच-सोच कर कि वो... उस जैसी खूबसूरत और जवान औरत... एक कुत्ते को अपना महबूब मानती हुई उसके लिये तैयार हो रही है... उससे चुदने के लिये... उसको सुकून पहुँचाने के लिये... और उसके जिस्म से अपने जिस्म को सुकून देने के लिये! मगर ये सब कुछ सोचते हुए भी उसे बुरा नहीं लग रहा था बल्कि एक मुस्कुराहट थी जो उसके होंठों पर खेल रही थी। मेक-अप करके... अपने होंठों पर लिपस्टिक लगा कर तैयार हुई और खुद को आईने में देखने लग। अपनी तैयारी और अपनी खूबसूरती को देख कर वो खुद भी शरमा गयी... और फिर शोखी से मुस्कुराते हुए अपने निचले होंठ दाँतों में दबा लिये।
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