Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
12-08-2018, 12:52 PM,
#1
Star  Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
हरामी मौलवी

हिन्दी फ़ॉन्ट बाइ मी ( कामिनी )

लेख़क – lovexossippakistan 

फ्रेंड्स एक कहानी पोस्ट कर रही हूँ जो आपको ज़रूर पसंद आएगी
एक ऐसी अनाचार कहानी जो कि पाकिस्तान के शहर सरगोधा की है। ये एक गरीब परिवार की कहानी है जो कि हालात और वक़्त का साथ कैसे अमीर बन गये, जो कि इनको भी इसका पता ना चल सका। इस कहानी में किरदार बहुत हैं। शुरू में किरदार इतने तो नहीं होंगे लेकिन वक़्त के साथ-साथ किरदार मजीद आते जायेंगे। तो हाजिर है ‘हरामी मौलवी’। 
***** *****कहानी के किरदार-
01॰ मौलवी इकबाल अहमद-उम्र 52 साल, एक मस्जिद का खतीब और इमाम, इसकी शादी 18 साल की उमर में हो गई थी रुखसाना से, 6 बेटियों और एक बेटे का बाप। 
02॰ रुखसाना-मौलवी इकबाल की बीवी, बहुत ही खूबसूरत, उम्र 47 साल। 
03॰ निदा-बड़ी बेटी, उम्र 32 साल। 
04॰ मिशा-दूसरी बेटी, उम्र 31 साल। 
05॰ आयशा-तीसरी बेटी, उम्र 29 साल। 
06॰ इशरत-चौथी बेटी, उम्र 28 साल। 
07॰ रज़िया-पाँचवी बेटी, उम्र 25 साल। 
08॰ फिरदौस-छटवीं बेटी, उम्र 23 साल। 
09॰ फ़रदीन-बेटा, उम्र 21 साल। 



[img=108x0]https://rajsharmastories.com/download/file.php?avatar=45385_1493564512.jpg[/img]
KaminiPlatinum MemberPosts: 2114Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: हरामी मौलवी

Post by Kamini » 20 Nov 2017 18:50
***** ***** मौलवी इकबाल अपने ड्राइंग रूम में कुछ लोगों के पास बैठा हुआ था उसके साथ उसकी बीवी रुखसाना भी साथ थी। जो लोग आए हुये थे वो मौलवी साहब की बड़ी बेटी को देखने के लिए आए थे। मौलवी साहब अपनी बेटियों की शादी की वजह से बहुत परेशान थे। 
जो लोग आए हुये थे उनमें से एक औरत ने कहा-“मौलवी साहब आपकी बहुत ज्यादा इज़्ज़त है और आपकी सब बेटियाँ भी खूबसूरत हैं, लेकिन गरीबी बहुत है जिसकी वजह से हम आपकी तरफ रिश्ता नहीं कर सकते…” और वो लोग उठकर चले गये। 2 

अंदर दूसरे कमरे में निदा जो मौलवी इकबाल की बड़ी बेटी थी, सब सुन रही थी, जो लोग कह का गये और दिल ही दिल में अपनी किस्मत और हालात के बारे में सोचने लगी-अगर हम अमीर होते तो कब की मेरी शादी हो चुकी होती। 
मौलवी साहब तो उठकर मस्जिद में चले गये और रुखसाना ने निदा और बाकी बेटियों को सब बातें बता दिया अभी माँ बेटियाँ बातें कर रही थी की मौलवी साहब की साली आ गई और अपनी बहन रुखसाना के पास आकर बैठ गई। उसके बाद रुखसाना ने सारी बातें बता दी। 


तो रुखसाना की बहन जिसका नाम शुगुफ़्ता था उसने कहा-“बाजी आप किसी को दिखाएँ मुझे तो ऐसा लगता है कि कोई ‘काला-ईल्म’ का चक्कर है नहीं तो शादी कब की हो चुकी होती। लगता यही है कि किसी ने बंदिश करवाई हुई है…” 

रुखसाना ने अपनी बहन से कहा-“मैं आज जरूर मौलवी साहब से बात करूँगी, फिर देखते हैं क्या होता है ?” 

आज रुखसाना भी बहुत खुश थी क्योंकी उसका इकलौता बेटा फ़रदीन 5 दिन की छुट्टी पे आ रहा था घर। मौलवी साहब को अपने बेटे से बहुत प्यार था और फ़रदीन बहुत इंटेलिजेंट था वो एम॰बी॰बी॰एस॰ कर रहा था, मेरिट पे आया था, उसका तीसरा साल पूरा हो गया था। आजकल वो अपने अम्मी-अब्बू के पास रहने का लिए आ रहा था। 

शाम को मौलवी साहब अपने बेटे को अड्डे से लेकर आ गये। जब घर में फ़रदीन आया तो सब बहुत खुश हुये। सारी बहनें अपने इकलौता भाई सा मिलकर बहुत खुश हुई। फिर फ़रदीन नहाने चला गया और रुखसाना ने अपनी बेटियों को कहा-“आज मेरा बेटा आया है इसलिए आज चिकन पकाओ…” 


जब भी फ़रदीन घर आता है उसकी घर में खूब खिदमत होती है, क्योंकी होस्टल की लाइफ में कहाँ अच्छा खाना मिलता है। इसी तरह शाम से रात हो गई। सब खाना खा रहे होते हैं तो मौलवी साहब ने अपने बेटे से कहा-“सिर्फ़ पढ़ते ही हो या अल्लाह को भी याद करते हो?” 

जवाब में फ़रदीन ने कहा-“मैं अल्लाह को भी याद करता हूँ। बस कुछ ही वक़्त रह गया उसका बाद मैं डॉक्टर बनकर गरीब लोगों की खिदमत करूँगा। लेकिन बस ये चाहता हूँ कि सब बहनों की शादी जल्दी हो जाए। उस वक़्त तक फ़रदीन के दिल और दिमाग़ में कोई ऐसी-वैसी उल्टी-सीधी बात नहीं थी। 
मौलवी इकबाल के घर में एक ड्राइंग रूम था। जब भी फ़रदीन आता घर तो वो ड्राइंग रूम के साथ जो छोटा कमरा था वहीं सोता था। एक रूम मौलवी और उसकी बीवी का था। और बाकी दो कमरों में मौलवी की 6 बेटियाँ रहती थी। मौलवी साहब की 6 की 6 बेटियाँ पढ़ी लिखी थी। घर में वो परदा तो नहीं करती थी लेकिन किसी गैर के सामने वो नकाब ही करती थीं। 
रात को चाय पीने के बाद मौलवी साहब ने फ़रदीन को कहा-“बेटा, कल बात करेंगे, आज तुम सफ़र करके आए हो इसलिए आज आराम करो…” 

फिर खाने के बर्तनजो थे रुखसाना की बेटियों ने साफ किए और अपने रूम में चली गईं। इन दिनों सर्दी भी बहुत थी। फ़रदीन अपने रूम में चला गया और बेटियाँ अपने रूम में चली गईं। रुखसाना भी अपने रूम में मौलवी के पास बैठी बातें कर रही थी। उसने उसकी बहन ने जो कहा सब बताया। तो मौलवी साहब नहीं माने, लेकिन बाद में कहा-“अच्छा, मेरा एक जान पहचान वाला आदमी है उससे बात करता हूँ…” 
तो रुखसाना ने कहा-“आपने जो कल बात करनी है अभी करें…” 
उस के बाद मौलवी ने उस आदमी से फ़ोन पे पूछा-“जिससे तुमने अपना इलाज करवाया था मुझे उसका अड्रेस दे दो…” कुछ देर के बाद फ़ोन बंद हो गया और मौलवी साहब ने वो अड्रेस नोट कर लिया और फ़ैसला किया कि कल ही सुबह-सुबह फाजार के बाद वो उस आदमी के पास जाएगा जो इलाज करता है। 
निदा और उसकी दो बहनें अपने रूम्स में सोचों में थीं तो मिशा ने कहा-“पता नहीं हमारी क्या किस्मत है और क्या हमारे साथ होना है? कुछ समझ में नहीं आता…” 
ये दोनों बहनें बातें कर रही होती हैं कि निदा ने कहा-“मुझे प्यास लगी है, मैं पानी पीकर आती हूँ…” 
जब निदा किचेन में गई और पानी पीकर वापिस अपने रूम में जा रही थी कि उसे अम्मी-अब्बू के रूम से बेड की ची चू ची चू की आवाजें आ रही थीं और दो बार तो निदा ने ऐसा पहले भी सुना था। 
ची चू – ची चू की आवाज के साथ रुखसाना जो कि निदा की माँ थी उसकी भी आवाज आ रही थी-“मौलवी साहब, झटके धीरे मारो, आज पता नहीं बहुत दर्द हो रहा है। एक तो अपनी औलाद जवान है फिर भी आपने मेरी लेनी होती है और ऊपर से आपका हथियार है भी इतना लंबा और बड़ा की मेरी फुद्दी को हिलाकर रख देता है। इस उमर में लोगों के ठंडे पड़ जाते हैं पर आपके हथियार में अभी भी जान है…” 
Reply
12-08-2018, 12:53 PM,
#2
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
निदा ये सब सुन रही थी। फिर एकदम रुखसाना की आवाजें ज्यादा आनी शुरू हो गईं और कुछ देर में आवाजें बंद हो गईं। इसका मतलब यही था कि मौलवी डिस्चार्ज हो गया होगा। 
निदा जब रूम में गई तो मिशा ने कहा-“इतनी देर लगा दी पानी पीने के लिए?” 
तो निदा ने कहा-“पानी पीने के बाद पता नहीं दिल घबरा रहा था। इसलिए बाहर बैठ गई थी…” 
फिर तीनों बहनें अपने-अपने बिस्तर पर सो गई। सुबह-सुबह मौलवी साहब उस आदमी की तरफ निकल गये जो अड्रेस दिया गया था। मौलवी साहब जब उस जगह पर पहुँचे तो वहाँ उसने रेफरेंस दिया तो एक आदमी ने कहा-“बाबाजी अभी आते हैं आप बैठें…” 
कुछ देर के बाद बाबा आ गया उसने मौलवी के आने की वजह पूछी तो मौलवी ने कहा-“मेरे साथ ये मसला है…” 
तो बाबा ने कुछ पढ़ा और हिसाब के बाद बताया कि तुम्हारे घर पर काला जादू है, पता नहीं तुम लोग कैसे अपनी जिंदगी गुज़ार रहे हो। 

मौलवी को इन बातों पर यकीन नहीं था लेकिन जब बाबा ने कुछ ऐसी बातें बताई जिनको सुनकर मौलवी भी हैरान हो गया और उसको यकीन आ गया कि वाकई हमारे घर पे जादू है। 
बाबा ने उससे कहा कि या तो तुम अपनी बेटी को यहाँ ले आओ या मैं आ जाऊं गा तुम्हारे घर। 
मौलवी ने कुछ सोचकर कहा-“बाबाजी आप आ जाना क्योंकी मेरी बेटियाँ सब शरीफ हैं और नकाब करती हैं, यहाँ आने के लिये सफ़र करना पड़ेगा। अगर आप नाराज न हों तो आप हमारे घर आ जाना…” 
तो बाबा ने दो दिन के बाद आने का वादा कर लिया और जो-जो समझाया वो मौलवी को कहा कि जाओ घर जाकर ऐसा करो, बाकी मैं आउन्गा, तो सब ठीक हो जाएगा। 
वहाँ से उठकर मौलवी घर के लिए निकल पड़ा, मौलवी दोपहर के 3:00 बजे घर आ गया। उसने आने के बाद अपनी बीवी को सब बातें बता दिया और ये भी कहा कि बाबा ने कहा कि तमाम बेटियाँ शलवार में नाड़ा पहना करें। 
सब सुनकर रुखसाना ने कहा-“निदा, मिशा और इशरत तो नाड़ा पहनती हैं पर बाकी तीन इलास्टिक पहनती हैं…” 
उसके बाद मौलवी साहब ने कहा-“बाकी तीन को भी कहो कि वो नाड़ा डालना शुरू कर दें नहीं तो इलाज होना ना-मुमकिन है…” 
रात को खाने के बाद मौलवी ने अपने बेटे को सब बातें बता दिया कि बाबाजी हमारे घर आएँगे उन्होंने कहा है कि हम पर काला जादू है। इसलिए तुम भी परसों घर पे रहना। मैं चाहता हूँ कि तुम भी उनसे मिल लो…” 
फिर फ़रदीन ने कहा-“जी, मैं जरूर मिल लूँगा। बस जो भी हो जल्दी से सब ठीक हो जाए हमें और कुछ नहीं चाहिए…” 
इसी तरह दो दिन गुजर गये और बाबाजी ने मौलवी साहब को कहा-“मैं आ गया…” 
मौलवी ने बाबाजी को पिक किया और घर में ले आया। घर में आने के बाद सबसे पहले बाबाजी को खाना खिलाया, उसके बाद बाबा ने अपना ईलम शुरू कर दिया। उसने बारी-बारी सब बेटियों को बुलाया, उनका हिसाब लगाया। हिसाब लगाने के बाद बाबाजी ने कहा-“निदा का सबसे पहले अमल करना है इसलिए निदा को अंदर बुलाकर बाबाजी ने बातें बता दिया कि उसपर जिस्मानी जादू है। सिर्फ़ उसपर ही नहीं बल्की बाकी सब पर है। इसलिए निदा को कोई ऐसा आदमी ढूँढना होगा जो कि उसके साथ, उसके जिस्म के साथ एक दिन छू सके और उसको महसूस कर सके…” 
ये सब सुनकर निदा परेशान हो जाती है और कह देती है-“बाबाजी, ऐसा मैं कुछ नहीं कर सकती, सारी जिंदगी अपनी इज़्ज़त की हिफ़ाज़त की और अब एक अमल खतम करने के लिए मैं अपनी इज़्ज़त को खतम कर दूं ये नहीं हो सकता…” 

बाबा-“बेटी फिलहाल जो कहा है वो करो और आज मैं आपके घर पर ही हूँ, मजीद देखता हूँ कि मुझे क्या करना है?” 
निदा-“ठीक है बाबाजी, अब मैं जाऊं बाहर?” 
बाबा-“हाँ जाओ और अपने बाप को भेज दो…” 
मौलवी अंदर आ जाता है। बाबा मौलवी को सब बातें बता देता है कि इस तरह किया गया है और ऐसे करना पड़ेगा। और बाबा ने ये भी कह दिया कि मौलवी से बुरा कोई ऐसा आदमी नहीं हो सकता जो कि इस अमल का हिस्सा ना बने।
मौलवी ये सुनकर एकदम गुस्से में आ जाता है और कहता है-“मैं ऐसा नहीं कर सकता…” 
जिस पर बाबा ने कह दिया-“ऐसा नहीं होगा तो सब तबाह हो जाएगा…” 
फिर मौलवी ने जब ये सुना कि निदा की फुद्दी मारनी पड़ेगी, फिर ही सब खतम हो जाएगा। ये सुनकर मौलवी पहले गुस्से में था, बाद उसकी शलवार में उसका लण्ड खड़ा हो गया। पर वो ऐसा सोच भी नहीं सकता था। आज अपनी बेटी की चुदाई करने के लिए उसका लण्ड खड़ा भी हो गया है, ऐसा क्यों हुआ? उसके बाद मौलवी परेशानी की हालत में बाहर बैठ जाता है और वो सारी बातें रुखसाना को बता देता है। ये बात घर में सबको पता थी पर फ़रदीन को नहीं बताई, क्योंकी मौलवी चाहता था कि एक बार वो डॉक्टर बन जाए और उसके दिमाग़ में कोई ऐसी बात ना बैठ जाए जिससे वो अपनी पढ़ाई रोक दे। 
सारी रात बाबाजी ने अमल किया। 
सुबह फ़रदीन ने वापिस जाना था। मौलवी ने उसको रुखसत किया। 
और बाबाजी ने भी कहा-“इस अमल का असल टाइम ये है कि निदा और बाकी बेटियों के बहुत रिश्ता आएँगे लेकिन कोई ओके नहीं होगा यहाँ तक कि ये भी बता दिया कि इस नामों के रिश्ते आएँगे। अगर ना हुआ तो बता देना, जहाँ अमल रोका होगा वहीं से शुरू कर दूँगा…” 
मौलवी ने बाबाजी को रुखसत किया और वो बाबा अपने घर वापिस चला गया। वक़्त गुजरता गया। 
वक़्त का पता ना चल सका। मौलवी साहब की बेटियों के रिश्ते आते रहे पर हर बार की तरह रिश्ते से इनकार होता रहा। लेकिन एक रिश्ता ऐसा आया जिसकी उमर 50 साल की थी, उसने भी गरीबी की वजह से इनकार कर दिया। अब धीरे-धीरे मौलवी साहब को सब कन्फर्म होता गया। वाकई जो नाम बाबाजी ने बताए थे वहीं रिश्ते आए हैं और हर बार की तरह हर रिश्ता इनकार होता रहा है। इन सब बातों को देखते हुये इन्होंने डिसाइड किया कि बाबाजी से फिर बात करें, क्योंकी अब निदा और मिशा की उम्र भी बढ़ती जा रही है। 
Reply
12-08-2018, 12:53 PM,
#3
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
मौलवी की बीवी सोचती रहती है कि मैं कैसी माँ हूँ, रोजाना अपने शौहर के साथ मस्ती करती हूँ और मेरी बेटियाँ इतनी जवान हैं, उनका भी तो दिल है उनका भी दिल करता होगा कि वो अपनी प्यास को अपने शौहर के लण्ड से बुझाएँ। 

मौलवी साहब को फ़रदीन का फ़ोन आ जाता है कि उसका 4 साल कम्प्लीट हो गया हैं और वो हार्ट सर्जरी में जा रहा है और एक साल के बाद एम॰बी॰बी॰एस॰ पूरा हो जाएगा। जिस पर सब घर वाले बहुत खुश हो जाते हैं और कुछ दिनों के बाद फ़रदीन भी घर आता है। बेचारा जब घर आता है तो बहनों के रिश्ते ना होने की वजह से परेशान हो जाता है और कुछ दिन रहकर वापिस चला जाता है। 

मौलवी साहब बाबाजी के घर जब गये तो पता चला कि वो तो किसी दूसरे शहर गये हुये हैं और अगले महीने आएँगे। जिसकी वजह से मौलवी साहब ने एक चिट्ठी लिखकर बाबाजी के आदमी को दे दी कि जब बाबाजी आएँ तो उन्हें ये दे देना, कि मौलवी इकबाल सरगोधा से आए थे, ये देकर गये हैं। वहाँ से वापिस मायूस होकर मौलवी साहब घर वापिस आ जाते हैं। 
***** ***** 

टाइम गुजरता गया और मौलवी और उसका परिवार मुश्किल में घिरा रहा। लेकिन फ़रदीन अपनी पढ़ाई पे ध्यान देता रहा। एक महीने गुजरने के बाद मौलवी इकबाल को बाबाजी की काल आती है-“कि तुम आए थे, मैं काम से दूसरे शहर गया हुआ था। तो बताओ जो-जो मैंने कहा था वैसा हुआ है या नहीं? जब मैंने कहा था, मेरी बात मान लेते। लेकिन तुम मेरी बात नहीं माने। अब बताओ जो रिश्ते आए, जो मैंने कहा वहीं नाम के रिश्ते थे, जो तुम्हारी बेटियों के लिए आए लेकिन फ़ाईनल न हो सके…” 

मौलवी साहब ने कहा-“बाबाजी मुझे बताएीं कि फिर मैं वो गलत काम कैसे कर सकता हूँ?” 

बाबाजी की काल के बाद मौलवी और उसकी बीवी बहुत परेशान हो गये कि अब क्या किया जाए? जैसे-जैसे टाइम गुजर रहा था मौलवी की टेंशन में इज़ाफा हो रहा था। 
फिर आखिर एक दिन वो आ गया जब फ़रदीन अपनी एम॰बी॰बी॰एस॰ की डिग्री लेकर घर आ गया। फ़रदीन ने अपने बाप से कहा-“मैं अब अपनी पढ़ाई पूरी कर चुका हूँ लेकिन अभी तक आप एक रिश्ता न ढूँढ सके। अब मैं देखता हूँ कि मुझे क्या करना है?” 

घर में सब खुश थे कि उनका बेटा और भाई डॉक्टर बन गया है। फ़रदीन ने अपने बाप को कहा-मेरी नजर में एक आदमी है काफ़ी पहुँचा हुआ है, मैं उससे पूछता हूँ कि क्या हिसाब किताब है…” 

लेकिन मौलवी को ये नहीं पता था कि उसका बेटा शहर से डॉक्टर बनकर तो आ गया, लेकिन वो शहर में गलत सोसायटी में चला गया है, जिसकी वजह से जब उसको ये पता चला कि उस बाबाजी ने कहा है कि जिस्मानी जादू है तो अब फ़रदीन उसी बात का फ़ायदा उठाने लगा। फ़रदीन ने जानबूझ के अपने माँ-बाप के सामने फ़ोन कान से लगाकर बात की-“इस तरह के हालात हैं आप मुझे हिसाब किताब करके बताएीं…” फ़रदीन ने फ़ोन किसी को नहीं किया था सिर्फ़ कान से फ़ोन लगाकर शो किया कि किसी बाबाजी से बात कर रहा है। 
Reply
12-08-2018, 12:53 PM,
#4
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
एक घंटे के बाद, सब बैठे हुये थे, फ़रदीन ने फ़ोन किया और ‘हाँ, जी हाँ’ कहता रहा 20 मिनट तक वैसे ही कान से सुनता रहा और कहता रहा। 
बेचारा मौलवी और उसकी बीवी यही समझते रहे कि बाबा कोई बात बता रहा है हिसाब किताब की। 
फ़ोन के बाद फ़रदीन ने वहीं बातें बता दी जो उसे बाबाजी ने बताई थी। जिस पर मौलवी ने कहा-“बेटा, उस बाबाजी ने भी यही कहा था, लेकिन इसका हल क्या है? वो बताओ…” 
कुछ सोचने के बाद फ़रदीन ने कहा-“हल तो बहुत मुश्किल और अजीब है, पर अब्बू आप मेरी बात अलग से सुन लें…” रात का वक़्त था। फ़रदीन अपने बाप इकबाल को बाहर लेकर आ गया और फ़रदीन ने इकबाल से कहा-“काला जादू है लेकिन जिस्मानी जादू है। इसकी वजह और बुनियाद ही आप और अम्मी हैं। इसके लिए आपको कोशिस करनी है। आप हर वक़्त अम्मी के करीब रहें…” 
जब ये सुना मौलवी ने तो बहुत अजीब लगा कि आज उसका बेटा उसे उसकी माँ के करीब रहने को बोल रहा है। 
फ़रदीन-“बाबाजी ने कहा है कि आप अम्मी के पास जायें लगातार 3 दिन तक…” 
मौलवी-“फ़रदीन, ये क्या बकवास कर रहे हो? तुम्हें ऐसा कहते हुये शरम नहीं आती, अपनी माँ और मेरे बारे में…” 
फ़रदीन-अब्बू, जो हाल था वो बताया इसमें गुस्सा वाली कौन सी बात है? 
मौलवी-तुम ऐसा करो मुझे नंबर दे दो, मैं खुद उस बाबाजी से सीधे बात कर लूँगा। ऐसा मुझे अजीब लग रहा है जो तुम बीच में मुझे बताते जाओ। 
फ़रदीन-वो आपसे बात नहीं करेंगे क्योंकी ये हर किसी का इलाज नहीं करते, ना किसी औरत से मिलते हैं। मैंने इन्हें बहुत मुश्किल से मनाया है। 
मौलवी-अच्छा फिर ठीक है, जब इस मुसीबत से निकलना है तो इलाज तो करना है। 
फ़रदीन-आप आज से शुरू करें और बाबाजी ने कहा है कि जब आप अम्मी के पास जायें तो इस नंबर पे फ़ोन मिला दें और मोबाइल साइड पे रख दें। जब आप दोनों फ्री हो जायें तो लाइन बंद कर दें। 
मौलवी सब सुनकर हैरान हो जाता है और कहता है-“बेटा, ऐसे कल को कोई ब्लैकमैल ना करे?” 
फ़रदीन-मैं जो हूँ, कोई ब्लैक मेलिंग नहीं होगी आप परेशान ने हों। 
मौलवी-ठीक है, अभी घर चलें और तुम्हारी अम्मी को सारी बातें बता देता हूँ। 

फिर दोनों बाप बेटा घर आते हैं तो फ़रदीन मौलवी को कहता है-“अब्बू, अभी बाबाजी ने फ़ोन किया है कि वो अमल शुरू कर रहे हैं उन्होंने पूछा कि आखिरी बार आप अम्मी के करीब कब गये? 
पहले तो मौलवी फ़रदीन की तरफ देखता रहा फिर कहा-कल रात को। 
उसका बाद फ़रदीन ने वैसा ही कान से फ़ोन लगाकर कह दिया कि कल रात को। 
मौलवी ने सारी बात रुखसाना, अपनी बीवी को बता दी। पहले वो हैरान हुई फिर उसने कहा-“हमारे बेटे को पता हो कि हम ये करते हैं, ये गलत हुआ…” 
तो मौलवी ने कहा-“वो अब जवान है, बच्चा नहीं डॉक्टर बन चुका है। इलाज के लिए उसने हमारा बेहतर सोचा है और बताया है सारा हाल चलो रुखसाना आज तुम्हारी लेनी है…” 
जवाब में रुखसाना ने कहा-“मौलवी साहब वो तो मैं रोज ही देती हूँ आज कोई स्पेशल नहीं है…” 
रात को सब अपने रूम में चले जाते हैं और फ़रदीन ने जो नंबर दिया था अपने बाप को उसने एक सिम अलग से खरीदी थी, वो उसको ओन कर लेता है क्योंकी फ़रदीन ही अपने घर वालों को बेवकूफ़ बना रहा था कि कोई बाबा इलाज कर रहा है। इसी तरह काफ़ी टाइम गुजर गया रात को 12:30 बजे फ़रदीन के नंबर पे काल आती है, जो कि मौलवी साहब की थी और काल के बाद फ़रदीन को किसिंग की आवाजें आना शुरू हो जाती हैं और मौलवी ने कहा-“क्या बात है रुखसाना आज बड़ी गुम-सुम हो? दिल से नहीं कर रही हो…” 
फिर रुखसाना ने कहा-“मौलवी साहब, ऐसी कोई बात नहीं…” 
फ़रदीन को उसका बाद किसिंग पप्पियो की आवाजें आती रही फिर आवाज आई मौलवी की कि शलवार का नाड़ा खोलो। रुखसाना ने वो खोल दिया। उस के बाद फ़रदीन को फ़ोन में उसकी माँ की ओइईईईई… हाईईईई… की आवाजें आ रही थीं और दूसरी तरफ पुच-पुच की आवाजें आ रही थीं। फ़रदीन ने यही सोचा कि लगता यही है कि अब्बू का लण्ड काफ़ी बड़ा है जो अम्मी को दर्द दे रहा है। फ़रदीन 30 मिनट तक अपनी अम्मी अब्बू की चुदाई की बातें और आवाजें सुनता रहा और मौलवी ने अपनी बीवी को चोदने के बाद लाइन ड्रॉप कर दी और दूसरे रूम में फ़रदीन ने सोचा अब क्या आगे किया जाए जो सबका लिए बेहतर हो जाए। 
दो दिन तक फ़रदीन बिजी रहा और वो सरगोधा के सिविल हॉस्पिटल में हाउस जाब शुरू कर चुका था। सुबह वो हॉस्पिटल चला जाता और शाम के 4:00 बजे आता। इसी तरह 3 दिन के बाद फ़रदीन ने अपने अब्बू को कहा कि बाबाजी ने आपसे भी बात करनी है और अम्मी से पर दोनों से अलग-अलग। आज रात को मैं आपको बता दूँगा। आप उस नंबर पे काल करना जब आप काल कर रहे हों तो अम्मी आपके पास ना हों। जब अम्मी करें तो आप अम्मी के पास ना हों। 
रात के 8:00 बजे मौलवी को काल की फ़रदीन के दोस्त ने जैसा फ़रदीन ने उसे समझाया था और फ़रदीन ने अपने दोस्त से ये कहा था कि वो ये पूछे कि मौलवी का उसकी बीवी के अलावा भी किसी के साथ कोई चक्कर था और लण्ड का साइज भी पूछे। 

फ़रदीन के दोस्त ने मौलवी से सब पूछा और मौलवी ने सब बता दिया। फ़रदीन के दोस्त ने इकबाल को फ़ोन करने के बाद फ़रदीन को काल की और कहा कि तेरा बाप यार बहुत शरीफ है उसने आज तक किसी को नहीं किया और लण्ड तो बड़ा ही है 7 इंच लंबा है और मोटा भी अच्छा खासा है। 
फिर फ़रदीन ने कहा कि रुखसाना को करो। 
उसके दोस्त ने फ़रदीन की अम्मी को फ़ोन किया। उससे भी यही पूछा और यहाँ तक रुखसाना से भी साबित हो गया कि उसने आज तक अपने शौहर के अलावा किसी से चुदाई नहीं करवाई। 
फ़रदीन को खुशी हुई कि उसके माँ-बाप गलत नहीं हैं। फ़रदीन ने दोनों की चुदाई खुद सुनी थी मोबाइल पे। उसे इस बात पर यकीन था कि उसकी अम्मी की फुद्दी ही टाइट है जो की अम्मी को दर्द होती है। अमल की वजह से अब्बू डेली करते हैं अमल के अलावा भी 5 दिन अम्मी की डेली लेते हैं और उधर मेरी बहनें जवान होकर जिंदगी के मजे नहीं ले पा रही हैं। इसी तरह 15 दिन गुजर जाते हैं कोई असर ना हुआ तो फ़रदीन ने जो सोचा था उसपर अमल करना बाकी था। 
फ़रदीन ने रात के खाने पे कहा कि सुबह मैं बाबाजी के पास जा रहा हूँ कि वो मेरे अंदरअमल डाल देंगे। जब तक ये इलाज ना हो जाए। जब जाऊं गा उनके पास फिर पता चलेगा कि वो भी मेरे साथ आते हैं या नहीं। सुबह फ़रदीन हॉस्पिटल चला गया लेकिन घर वाले समझे के फ़रदीन बाबा के पास गया है। शाम को फ़रदीन घर आया। उसने आकर अपने अब्बू को बताया कि अम्मी को साथ लेकर जाना पड़ेगा और वहाँ अंधेरा होगा, क्योंकी बाबाजी किसी औरत के सामने नहीं आते। इसलिए अम्मी को वहाँ डरना नहीं है, मैं भी वहीं होउँगा लेकिन अंधेरा होगा…” 
Reply
12-08-2018, 12:53 PM,
#5
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
इस बात पर मौलवी जायजा लेता रहा और उसे अपने बेटे पर विश्वास था उसने कहा-“ठीक है, अम्मी को ले जाना…” 
फ़रदीन ने कह दिया कि 3 दिन के बाद जाना है। इसी तरह सबने खाना खाया और सो गये पर मौलवी नहीं सोया वो परेशान ही इस कदर था। 
अगले दिन फ़रदीन उस बाबाजी के पास गया। उसको कहा कि आपने मेरे अब्बू से कोई बात नहीं करनी और बाबा को कहा कि उनको इलाज के पैसा चाहिए वो देगा पर वो इस बात को किसी को ना बताए, क्योंकी ये बाबा मौलवी के घर आ चुका था और मौलवी को जानता था। फ़रदीन ने अपनी सारी प्लानिंग बाबा को बताई जिसको सुनकर बाबा की आाँखें खुली की खुली रह जाती हैं। बाबा को सब समझाने के बाद फ़रदीन अपने घर आ जाता है और अपनी अम्मी को कहता है-“कल बाबा के पास अब नहीं जाना अब हमें 3 दिन और देखना है कि बाबा क्या इलाज बताता है…” 
अब फ़रदीन ने जो -जो पहले वाला बाबा कहेगा उसके मुताबिक अमल करना था। डेली फ़रदीन बाबा को फ़ोन करता बाबा उसे यही कहता कि अभी ठीक वक़्त नहीं आया। फिर दो दिन के बाद बाबा ने फ़रदीन को फ़ोन किया कि तुम ऐसा करो कि अपनी अम्मी को लेकर मेरे पास आओ। 

तो फ़रदीन ने सोचा कि अपने अब्बू को भी साथ लेकर जाता हूँ ताकी मुझ पर कोई शक ना हो। दूसरे दिन तीनों घर से निकल गये और बाबा के पास आ गये। फ़रदीन ने बाबा को पहले ही बता दिया था कि अब्बू भी साथ हैं। वहाँ अमल हुआ। बाबा अमल करता रहा फिर मौलवी को बुलाया तो बाद में मौलवी मायूस होकर बाहर आ गया। उसके बाद फ़रदीन को बुलाया तो बाबा ने फ़रदीन के सामने उसकी अम्मी को कहा-“बेटा, शलवार में नाड़ा डाला करो…” 
रुखसाना नीचे मुँह करके जी जी करती रही। 
बाबा ने फिर कहा-“घर में आपस में अपने जिस्म एक दूसरे को दो, फिर सब ठीक हो जाएगा। मेरी नजर में फ़रदीन सबसे ज्यादा बेहतर है…” 
वहीं बैठी रुखसाना ने अपने बेटे की तरफ देखा उसके बाद दोनों माँ-बेटा बाहर आ गये और घर की तरफ निकल पड़े।
***** ***** 
घर आने के बाद मौलवी इकबाल और रुखसाना परेशान थे। लेकिन फ़रदीन को सब पता था। उसी वजह से उसने घर वालों को शो नहीं होने दिया कि उन्हें कोई ऐसी टेंशन हो। ये तीनों काफ़ी थक चुके होते हैं इसलिए इनको नींद का पता भी न चला और मजे से सो गये। सुबह फ़रदीन हॉस्पिटल चला गया आजकल वो हाउस जाब कर रहा था। फ़रदीन हार्ट की फील्ड में था और काफ़ी इंटेलिजेंट डॉक्टर था। दोपहर में मौलवी साहब मस्जिद से आकर खाना खा रहे थे कि रुखसाना की छोटी बहन शुगुफ्ता आ गई और रुखसाना से बैठकर बात कर रही थी और कहा कि अब्बाजी के फ़ोन आया था। वो कह रहे थे कि कभी अपने बाप की भी खबर ले लिया करो, जिंदा है कि मर गया। 
रुखसाना ने शुगुफ़्ता को कहा कि वो अब्बाजी की खबर लेने जरूर जाएगी। 
फ़रदीन सोच रहा था कि ऐसा किया किया जाए जिससे सब बेहतर हो जाए। उसने सोच लिया था कि अगर ऐसा हो जाए तो क्या ही बात है। क्योंकी फ़रदीन जब अंतिम साल में था तब उसे कुछ लोगों की सोसायटी सही नहीं मिली, वैसे भी शहर के माहॉल में वो अपने आपको खराब कर बैठा। 
मौलवी साहब ने आकर अपनी बीवी रुखसाना को बताया कि एक और आदमी मिला है अच्छा पहुँचा हुआ है। उसने कहा कि अपनी बड़ी बेटी को सहवान शरीफ ले जाओ, वहाँ 3 दिन रूको, जो-जो कहूँ वो करो और वहाँ की ज़ियारत भी। रुखसाना को मौलवी ने सब बातें बता दिया। मैंने कल की दो सीटें करवा ली हैं एक मेरी और दूसरी निदा की। मौलवी ने निदा से कहा कि बेटी तुम अपने कालेज से छुट्टी ले लो एक हफ़्ते की सहवान में 3 दिन रहना और एक दिन जाने में और एक दिन आने में। 
फ़रदीन अपने रूम में बैठा था उसे सब पता चल चुका था। इसलिए उसने खामोश होना बेहतर समझा। 
उस रात मौलवी अपनी बीवी रुखसाना को कुछ नहीं कर सका क्योंकी रुखसाना पीररयड्स में थी और नापाक थी। मौलवी बगैर चुदाई के सो गया। मौलवी को चुदाई किए बगैर नींद नहीं आती थी, पर वो करता भी क्या। मजबूर जो हो गया कि उसकी बीवी की फुद्दी को बुखड़ा था। सुबह निदा अपने कालेज जाकर छुट्टी ले आई। वो एक सरकारी कालेज में लेक्चरर थी। निदा ने आकर पेकिंग की और दोपहर के 3:00 बजे मौलवी और निदा सहवान शरीफ के लिए निकल गये। मौलवी और निदा ट्रेन से सहवान शरीफ जा रहे थे। ट्रेन में बैठकर उनका सहवान शरीफ का सफ़र शुरू हुआ। 
घर में रात के 8:00 बजे फ़रदीन और बाकी बहनें रुखसाना के साथ बैठकर खाना खा रहे थे। मिशा और आयशा ने कहा-“क्या बात है फ़रदीन, परेशान लग रहे हो?” 
तो जवाब में फ़रदीन कुछ नहीं बोला। इस परेशानी को फ़रदीन की अम्मी रुखसाना ने महसूस कर लिया। खाने के बाद फ़रदीन ने चाय पी और उठकर अपने रूम में चला गया। रुखसाना ने सोचा जरूर कोई खास बात है जिसकी वजह से फ़रदीन किसी से बोल नहीं रहा। रुखसाना ने कहा-“बेटा फ़रदीन, क्या बात है? मुझे तो बताओ…” 
तो फ़रदीन ने कहा-“कोई बात नहीं और है मुझे आपसे बात करनी है, बाद में जब सब सो जायें…” इसी तरह टाइम गुजर गया। सब सो गये और फ़रदीन उठकर अपनी अम्मी के रूम में चला गया जहाँ रुखसाना बैठी उसी का इंतजार कर रही थी। 
जब फ़रदीन रुखसाना के पास गया तो उसने कहा-“अब बताओ क्या बात करनी थी, जिसकी वजह से तुम इतने परेशान हो?” 
फ़रदीन-“आपको तो पता तो है जो आजकल चल रहा है उसकी वजह से परेशान हूँ। हर किसी को दिखाया है उसने भी यही कहा है कि जिस्मानी जादू है और उसकी बुनियाद आप और अब्बू हैं…” 
रुखसाना-“हाँ बेटा, मैं भी परेशान हूँ। लेकिन गलत काम नहीं कर सकते, इसी वजह से तुम्हारे अब्बू निदा को सहवान शरीफ लेकर गये हैं…” 
फ़रदीन-“मैं जो आपको कह रहा हूँ कि मैं यहाँ से इलाज कर रहा हूँ, वो आप करें…” 
रुखसाना-“बेटा, वो सब करना गुनाह है…” 
फ़रदीन-“जैसे डॉक्टर के सामने हमें सब कुछ बताना होता है, इलाज के लिए। वैसे भी इसमें क्या बुराई है? इलाज के लिए इंसान कुछ भी कर सकता है…” 
रुखसाना-“वो तो ठीक है पर इसमें जो अमल आ रहा है कि घर के मर्द के साथ…” 
फ़रदीन-वो तो अच्छी बात है। घर की बात घर में रहे कौन सा किसी को पता चलना है। 
रुखसाना-नहीं बेटा, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे। 
फ़रदीन-“ठीक है, आप लोग ऐसे ही रहें, मैं ये घर छोड़कर जा रहा हूँ जब किसी ने मेरी बात को समझना नहीं तो कैसे हो सकता है?” 

रुखसाना परेशान हो जाती है कि एक ही उसका बेटा है, ये भी छोड़ गया तो फिर उसका क्या बनेगा? कहा-“अच्छा बैठो तो सही। तुम क्या चाहते हो?” 
फ़रदीन-मैं चाहता हूँ कि इलाज हो जैसा कहा जा रहा है। 
रुखसाना-कर तो रहे हैं, तुम्हारे अब्बू गये तो हैं। 
फ़रदीन-उससे कुछ नहीं होना, जो मैं कह रहा हूँ वो करें। 
रुखसाना-अगर हम ऐसा कर भी लें तो इसकी क्या गारंटी है कि सब ठीक हो जाएगा? 
फ़रदीन-मेरे पे यकीन है तो फिर आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए था। इसका मतलब है कि आपको अपने बेटे पे यकीन ही नहीं। 
रुखसाना उसी वक़्त फ़रदीन को बैठे बैठे अपने गले लगा लेती है और साथ में कहती है-“फ़रदीन, मैं तुमसे जितना प्यार करती हूँ, मैं ही जान सकती हूँ काश कि तुम मेरे बेटे ना होते तो मैं तुमसे अपनी मोहब्बत का इजहार कर लेती…”
फ़रदीन ये सुनकर खुश हो जाता है। वाकई इसकी अम्मी बहुत प्यार करती है और अपनी अम्मी को कह देता है-“तो अगर मुझसे प्यार है तो फिर इलाज करें…” 
रुखसाना अपने बेटे की आाँखों में देखते हुये कहती है-“ठीक है, मैं तैयार हूँ। बताओ क्या करना है?” 
फ़रदीन बहुत हिम्मत करके कहता है-“कितनी बार अब्बू के करीब जाती हैं मुबाशारत के लिए?” 
रुखसाना नीचे मुँह करके शर्मा जाती है और कहती है-“बेटा ये जवाब देते हुये मुझे अच्छा नहीं लग रहा…” 
फ़रदीन-“अम्मी मैं एक डॉक्टर भी हूँ इसलिए छुपाने का कोई फ़ायदा नहीं…” 
रुखसाना-“बेटा, रोजाना सब होता है जो एक शौहर और बीवी के रीलेशन में होता है…” 
फ़रदीन-आप अब्बू के साथ खुश हैं उस रीलेशन से? 
रुखसाना-“हाँ बेटा, बहुत खुश हूँ और तुम्हारे अब्बू इस उमर में भी किसी नोजवान लड़के से कम नहीं हैं…” 
फ़रदीन-“जानता हूँ मैं, उनकी हेल्थ से सब पता चल जाता है…” 
रुखसाना-और कुछ पूछना है? 

फ़रदीन-तो फिर इसका इलाज कब शुरू करें? 
रुखसाना-“बेटा, अगर दो महीने के अंदर मेरी बेटी की शादी हो गई तो मुझे इस इलाज पे यकीन आ जाएगा और मेरी मोहब्बत कम नहीं ज्यादा हो जाएगी तुम्हारे साथ। फिर तुम जो कहोगे मैं तुम्हारी हर बात मानूींगी…” 
फ़रदीन-“ठीक है, मैं बाबाजी से कहता हूँ कि वो अमल करें…” 
रुखसाना-“ये तुम्हारा और मेरा इम्तिहान है, देखते हैं कौन कामयाब होता है। अगर तुम कामयाब हो गये तो मैं तुम्हें अपने शौहर से ज्यादा प्यार दूंगी, अगर नाकामयाब हो गये तो जितनी मोहब्बत अभी करती हूँ उससे ज्यादा तुमसे नफ़रत करूँगी…” 
फ़रदीन-ठीक है, मंजूर है और उठ जाता है और कहता है कि आप सो जायें बहुत टाइम हो गया है मुझे भी सुबह हॉस्पिटल जाना है। 
उसके बाद फ़रदीन अपने रूम में जाकर लेट जाता है और सोचने लग जाता है कि क्या जाए जिससे बाजी की शादी हो जाए। फ़रदीन के जहन में खाला शुगुफ़्ता का बेटा नदीम आया जो कि इंजीनियरिंग कर रहा था और आखिरी साल में था। नदीम फ़रदीन से दो साल छोटा था, लेकिन उसकी दोस्ती बहुत थी। फ़रदीन ने सोचा क्यों ना नदीम पे ट्राइ मारी जाए, जिससे बाजी की शादी नदीम से हो जाए। फिर फ़रदीन की आाँख कब बंद हुई पता ही नहीं चला और वो मजे से सो गया। 
Reply
12-08-2018, 12:54 PM,
#6
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
अगले दिन शाम को मौलवी इकबाल अपनी बेटी निदा के साथ सहवान शरीफ पहुँच गया। वहाँ जाकर उन्होंने दरबार पे हाज़िरी दी, वहाँ वो घूमते रहे और जो-जो बाबा ने बताया था वैसे-वैसे उन्होंने किया। आज की रात वो वहीं दरबार पे रहे। 
फिर उसके अगले दिन निदा ने कहा-“अब्बू, यहाँ अच्छा नहीं लग रहा है। यहाँ कोई रूम नहीं मिलेगा, किसी होटल में ताकी थोड़ी नींद भी पूरी कर ली जाए…” 
मौलवी इकबाल ने बाबा से पूछा और उसने बताया कि आज तुमने एक होटल में कमरा लेना है क्योंकी अब जो अमल होना है वो किसी रूम में होगा। फिर मौलवी निदा को लेकर एक होटल के रूम में आ गया। रूम नॉर्मल था ना सस्ता ना महाँगा। वहाँ जाकर निदा नहाई और उसके बाद मौलवी ने भी नहा लिया। फिर दोनों बाप बेटी सो गये। क्योंकी दोनों ने रात के 10:00 बजे अमल शुरू करना था, इसलिए उन्होंने सोचा कि सो जायें, रात को अमल की वजह से जागना पड़ेगा। 
***** ***** 
फ़रदीन ने नदीम से मुलाकात की, उसके दिल का हाल पता कर चुका था, वो आयशा बाजी को चाहता था लेकिन नदीम जानता था कि कोई नहीं मानेगा, क्योंकी आयशा नदीम से बहुत बड़ी थी उमर में। नदीम फ़रदीन के ताया और सगी खाला का बेटा था। फ़रदीन डेली उसका दिमाग़ पकाया करता और फ़रदीन ने उसके दिल का हाल भी पता कर लिया। नदीम भी अपनी माँ शुगुफ़्ता से बहुत प्यार करता था। नदीम से छोटा एक और भाई था उसका उसका नाम आसिफ़ था। 

रुखसाना ने बहुत सोचा कि पता नहीं उम्र क्या होगी? उसके लिए एक और टेंशन उसने अपने दिमाग़ में डाली हुई थी। 
उधर दूसरी तरफ रात के 10:00 बज चुके थे। मौलवी साहब उठकर बाहर चले गये, अपने और निदा के लिए खाना लेकर आ गये। दोनों बाप बेटी ने खाना खाया। खाने के बाद मौलवी साहब को चाय की तलब होती है तो मौलवी साहब ने कहा-“मैं होटल से चाय पीकर आता हूँ अगर बाबाजी ने फ़ोन किया तो सब समझ लेना…” 
मौलवी को गये हुये 15 मिनट हुये थे कि बाबाजी की काल आ गई। निदा ने बाबा से बात की तो बाबा ने कहा-“आज जिस रूम में तुम्हारा अमल होना है अपने बाप को ही तुमने सब समझना है। ये अमल पूरा करो बाकी सब बेहतर हो जाएगा…” 
निदा ने कहा-“अगर ये किसी को पता चल गया तो फिर?” 
बाबा ने कहा-“किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। जो होना है, इस बंद कमरे में होना है। वैसे भी मेरे हिसाब से तुम्हारा खुद दिल करता है कि तुमको कोई मर्द प्यार दे पर मजबूर हो कि कोई गलत काम नहीं करना है। आज मस्त हो जाओ अपने बाप में। जब आज सब अमल हो जाए तो फिर मुझे तुमने फ़ोन करना है…” 
मौलवी साहब चाय पीकर आ गये। बाबाजी ने मौलवी को सब समझा दिया। फिर मौलवी ने लाइफ बिल्कुल ऑफ कर दी। दोनों बाप बेटी एक बेड पे आकर टेक लगाकर लेट गये। दोनों ने शलवार कमीज पहनी हुई थी। मौलवी ने निदा का हाथ पकड़ कर पूछा-“बेटी। क्या तुम राजी हो, इस सब से?” 
निदा पहले कुछ नहीं बोली फिर कहा-“जी मैं राजी हूँ…” 
मौलवी-तो पहले क्यों इनकार करती रही? 
निदा-“बस मुझे मेरी एक फ्रेंड ने बताया कि मैं सब कर जाऊं क्योंकी कुछ ऐसा ही उसका साथ भी हुआ था लेकिन उसे एक अमल करने वाले के साथ सोना पड़ा? 
मौलवी ने अपनी बेटी के हाथ पे अपनी जुबान फेरनी शुरू कर दी। जुबान फिरने से निदा को अजीब फीलिंग आना शुरू हो गई। जुबान फिरने के बाद मौलवी ने हाथ को इतना चूमा कि निदा बोल पड़ी-“अब्बूजी बस करें हाथ को कौन चूमता है?” 
फिर मौलवी ने कहा-“किसको चूमा जाता है?” 
निदा-मुझे कुछ नहीं पता, किसको चूमा जाता है। 
उसका बाद मौलवी ने लेटे-लेटे शलवार के ऊपर से अपनी सगी बेटी निदा की फुद्दी पे हाथ रखा और ऊपर नीचे करता रहा। 
निदा ने कहा-अब्बू, ये क्या कर रहे हैं? 

तो मौलवी ने कहा-“बेटी, बाबाजी ने कहा था कि ऐसा करना है। वहीं से मौलवी को जोश आया और उसने अपनी बेटी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और साथ-साथ निदा की चुचियों को पकड़ के दबाना शुरू कर दिया। 
निदा-“हाईईई… अब्बूजी धीरे-धीरे दबायें, दर्द हो रहा है। 
“अभी सब दर्द दूर कर दूँगा…” मौलवी कभी माथे पे कभी ठुड्ढी पे किस करता। 
अब निदा भी साथ दे रही थी। मौलवी ने समझ लिया कि उसकी बेटी अब गरम हो चुकी है। इसलिए उसने बेटी की कमीज उतरना सही समझा और निदा को बिठाकर उसके जिस्म से कमीज निकालकर रख दी। मौलवी अपनी बेटी के 34” साइज की चुचियों पे टूट पड़ा, जैसे छोटा बच्चा अपनी माँ के दूध पीता है वैसे दूध पीना शुरू कर दिया। मौलवी अपनी बेटी के दूध की निप्पल मुँह में डाले चूस रहा था। उधर मौलवी ने निदा के हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे रखवा दिया। 
जब निदा के हाथ में उसका बाप का लण्ड आया तो उसने सोचा कि इस उमर में भी अब्बू का लण्ड सही में मोटा भी है और लंबा भी। निदा लण्ड को ऊपर नीचे करती रही जैसे मूठ मारी जाती है। मौलवी निदा के पेट, कमर पे प्यार कर चुका था। निदा अब इस हद तक गरम थी कि मौलवी ने अपनी बेटी की शलवार का नाड़ा खोलकर शलवार साइड पे कर दी और मौलवी ने निदा की फुद्दी पे हाथ फेरा, जो कि गीली थी। मौलवी साहब ने अपना लण्ड पकड़कर निदा की फुद्दी के मुँह पे रखकर अपने लण्ड का टोपा जैसे ही ऊपर रखा तो निदा बोल पड़ी-“अब्बूजी धीरे-धीरे करना…” 
तो मौलवी ने लण्ड का टोपा अंदर किया तो निदा हिल के रह गई-“उईईईईई… अम्मी दर्द होता है…” 
मौलवी ने थोड़ा और अंदर किया तो निदा की चीख निकल गई। मौलवी 5 मिनट वैसे ही लेटा रहा और फिर एक और झटका मारा तो लण्ड निदा की सील तोड़ता हुआ अंदर चला गया और निदा चीखती रही। मौलवी अपनी बेटी की चुचियों को चूसता रहा, जिससे निदा को मजा आना शुरू हो गया। अब मौलवी ने अपना लण्ड अंदर हिलाना शुरू कर दिया, कभी पूरा अंदर करता, कभी आधा। मौलवी ने निदा की टांगे अपने कंधे पे रखकर फुद्दी में लण्ड देना शुरू कर दिया। 
“हाईईई… अब्बूजी, धीरे-धीरे, आपका लण्ड कितना अच्छा है…” 
उधर से मौलवी को भी मजा आ रहा था। अब्बूजी ने कहा-“उफफफफफ्फ़… मेरी जान, ‘आई लव यू। मेरी बेटी, बहुत अरसे बाद आज फुद्दी मारने के मजा आया…” और साथ ही जोर-जोर से झटके मारने शुरू कर दिए। 
निदा को दर्द कम हो चुका था लेकिन मजा बहुत आ रहा था। निदा अपने बाप के आगे अपनी टांगे खोले चुदवाये जा रही थी और मजा लेती जा रही थी। 
काफ़ी देर तक मौलवी चोदता रहा और निदा मजा लेती रही फिर एकदम मौलवी ने अपनी स्पीड तेज कर दी, जिससे निदा के मुँह से “आईईईईईई… हाइईईई… की आवाजें आती रहीं और फिर मौलवी निदा की फुद्दी में 

फारिग हो गया। फारिग होने के बाद निदा ने अपनी फुद्दी साफ की जिसपे थोड़ा से खून का धब्बा लगा हुआ था। मौलवी आज खुश था कि उसको बेटी की चुदाई में अलग ही मजा आया है। चोदने के बाद दोनों बाप बेटी नंगे गले लग के लेटे रहे और बातें करते रहे। 
मौलवी ने कहा-“बेटी, मुझे तुमसे प्यार हो गया है…” 
तो निदा शर्मा जाती है और फिर जो बाबाजी ने कहा था चुदवाने के बाद फ़ोन करना तो उसने बाबाजी को फ़ोन लगाया। बाबाजी ने फ़ोन उठाया तो कहा-“बेटी, अभी टाइम ज्यादा हो गया है इसलिए फ़ोन जो है सुबह करना…” और दोनों बाप बेटी नंगे ही सो गये। 
अगले दिन निदा जब उठी तो उसे महसूस हुआ कि अब वो लड़की से औरत बन चुकी है। निदा एक 34 साल की लड़की थी। उसके कुछ देर बाद मौलवी साहब भी उठ गये। निदा ने नहाकर बाबाजी को फ़ोन किया तो बाबाजी ने कहा-“बेटी, रात जो हुआ उसका बारे में अगर तुम शर्मिंदा हो तब भी बताओ, अगर नहीं हो तब भी बताओ कि ये सब तुम्हारी किस्मत में लिखा था और जल्दी ही तुम्हारे रिश्ते आना शुरू हो जायेंगे। 
निदा-“बाबाजी, अब मैंने शादी नहीं करनी किसी से…” 
रूम में बैठा मौलवी भी परेशान हो जाता है कि निदा ने ऐसा क्यों कहा? 
बाबा-“क्यों बेटी, ये सब रिश्ते आने के लिए किया गया है, अब तुम इस बात से पीछे हट रही हो…” 
निदा-बस बाबाजी, पता नहीं मुझे शादी से रातों रात नफ़रत हो गई है लेकिन अब मेरे अब्बूजी ही सब कुछ हैं। मैं सारी जिंदगी इनके प्यार में गुज़ारुँगी…” 
ये सब सुनकर मौलवी खुश हो जाता है। 
बाबा-“चलो जैसा तुम्हारी खुशी, लेकिन जब भी प्यार मोहब्बत करो सबके सामने नहीं करना। वरना गलत हो जाएगा। किसी को भी तुम्हारे रिश्तों का पता ना चले…” 
बाबाजी के फ़ोन के बाद मौलवी साहब ने अपनी बेटी निदा को उसी रूम में अलग-अलग पोजों में चोदा और मौलवी ने फिर सीट बुक करवाई और सरगोधा के लिए निकल गये। 
Reply
12-08-2018, 12:54 PM,
#7
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
फ़रदीन भी एक पेपर देने के लिए लाहोर गया हुआ था। और मौलवी अपनी बेटी के साथ घर आ चुका है। रुकसाना ने महसूस कर लिया कि दोनों बाप बेटी खुश हैं। इसलिए एक माँ होने के नाते रुखसाना भी खुश हो गई। इसी तरह दिन गुजरते गये कि पता ही नहीं चला। फिर एक दिन शुगुफ्ता अपने बेटे के रिश्ते के लिए रुखसाना के घर आई। शुगुफ्ता का शौहर जो कि मौलवी का छोटा भाई भी था उसने आकर आयशा का रिश्ता माँगा 

वहीं बैठे मौलवी और निदा ने एक दूसरे को देखा और कहा-“पहले निदा की शादी करनी है, बाद में देखी जाएगी…” 
लेकिन निदा बोल पड़ी-“अब्बू, मैंने अभी शादी नहीं करनी है। मुझे शादी के नाम से भी नफ़रत है…” 
फिर मौलवी ने अपने भाई इरशाद को कहा-“यार नदीम आयशा से बहुत छोटा है क्या ये सही रहेगा? उसके बाद इरशाद अपने बड़े भाई को सारी बातें बता देता है कि कैसै नदीम ने ज़िद की है कि आयशा से शादी नहीं हुई तो वो कभी भी किसी से नहीं करेगा। इसी वजह से मैं नदीम का रिश्ता माँग रहा हूँ…” 
रुखसाना ने कहा-“आयशा की अगर मर्ज़ी हुई तो हमें इस रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं है…” 
इरशाद ने वहीं आयशा को बुला लिया कि बेटी आओ इधर और पूछा-“क्या तुम्हें कोई ऐतराज है नदीम से शादी करने पे?” 
तो आयशा चुप हो गई। सिर्फ़ इतना कहा-“आप मेरे बड़े हैं, जैसे कहेंगे मैं कर लूींगी…” 
फिर तय हो गया कि आयशा की शादी आज से ठीक 15 दिन के बाद नदीम के साथ कर दी जाए। इस बात को फ़रदीन को बता दिया तो वो बहुत खुश हुआ और वो जानता था कि अब उसकी अम्मी रुखसाना उसकी हो जाएगी। क्योंकी रुखसाना ने कहा था कि अगर दो माह के अंदर बेटी की शादी हो गई तो मैं शौहर से भी ज्यादा तुझे प्यार करूँगी। अब फ़रदीन को अपनी मंज़िल करीब पूरी होती नजर आ रही थी। 
घर में हर तरफ खुशी चल रही थी और तैरी शुरू हो चुकी थी। मौलवी ने सब रिश्तेदारों को बता दिया था फ़ोन करके। सब ने ऐतराज किया कि उमर का फ़र्क है। खैर… सबने हसद तो करना होता है। नदीम भी बहुत खुश था, पर अब शुगुफ्ता और इरशाद कुछ और ही सोच रहे थे। 
उसके लिए इरशाद ने कहा-“कल मैं जाकर भाई इकबाल से बात करूँगा…” 
ये बात इरशाद के बेटे आसिफ़ ने सुनी, उसने नदीम को बताया कि ये बात हो रही थी। इसी तरह दूसरे दिन इरशाद अपने भाई के घर गया। वहाँ जाकर कहा कि जैसे आयशा की शादी नदीम से हो रही है, मैं चाहता हूँ कि फ़रदीन की शादी सहरीश से हो जाए। 
जब इकबाल ने ये सुना तो उसने कहा-“मेरा ख्याल नहीं के फ़रदीन मानेगा…” 
उसी वक़्त फ़रदीन भी वहीं आ गया। उससे पूछा गया कि सहरीश से शादी के लिये तो उसने कहा-“ये क्या मजाक है, वत्ता सत्ता आजकल नहीं चलता…” 
फिर भी शुगुफ्ता ने कहा-“बेटा ऐसे दोनों खानदान और मजबूत होंगे…” 
फ़रदीन ने कहा-“ठीक है, कल मैं अपना फ़ैसला दे दूँगा…” 

पर सब घर वाले परेशान थे कि अगर फ़रदीन न माना तो कहीं इरशाद आयशा से शादी से इनकार ना कर दे। लेकिन दूसरे दिन फ़रदीन ने कह दिया कि ठीक है, वो सहरीश से शादी कर लेगा लेकिन अभी नहीं जब वो कहेगा। 
इसी तरह इकबाल ने अपने भाई को बता दिया। वो भी खुश हो गया। आज घर में कोई नहीं था। सब शॉपिंग के लिए शहर गये थे। निदा ने बहाना कर दिया कि उसे बुखार है। इसका फ़ायदा उठाया बाप बेटी ने, दोनों 3 घंटे तक फुद्दी-लण्ड का मिलन करते रहे। जब भी मोका मिलता निदा अपना बाप से चुदवा लेती थी लेकिन अभी तक किसी को इन दोनों का पता नहीं चल सका था। 
Reply
12-08-2018, 12:54 PM,
#8
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
मौलवी इकबाल और उसका भाई इरशाद खुश थे, एक दूसरे के साथ रिश्ते करके और मजबूती हो गई थी घर में। हर तरफ चहल-पहल चल रही थी। आज मौलवी भी बहुत थक गया था। उसने सोचा आज सारी बात अपनी बीवी को बता दूँगा जो कि निदा और मेरे बीच में हुई थी। रात को सब खाना खाकर अपने-अपने रूम में चले गये और मौलवी का आज दिल नहीं कर रहा था, अपनी बीवी की चुदाई करने का। लेकिन फिर भी उसने सोचा अगर रुखसाना की चुदाई करके बात करूँ तो शायद वो इतना गलत न समझे और फिर मौलवी ने अपनी बीवी की 30 मिनट तक जमकर चुदाई की, जिससे रुखसाना ने भी बहुत मजा लिया। इस उमर में भी रुखसाना में इतनी तलब है सेक्स की, इसका आज तक मौलवी को भी पता न चल सका। आखिर बात क्या है। 
उसके बाद मौलवी ने बात शुरू की, रुखसाना से कि कैसै निदा का अमल किया गया। जैसे-जैसे रुखसाना सुनती जा रही थी, वैसे-वैसे उसकी आाँखों में आसू आना शुरू हो गये। 
और फिर रुखसाना बोल ही पड़ी-“मौलवी साहब, ये आपने क्या कर दिया अपनी ही बेटी के साथ? उफफफफफ्फ़…” 
मौलवी-“ये जरूरी था, इसलिए सब किया…” मौलवी ने सारी बातें बता दी, शुरू से आखिर तक। यहाँ तक कि ये भी बता दिया कि जब तुम लोग शॉपिंग पे गये थे, तब भी उसकी चुदाई का मजा लिया। 
ये सब सुनकर रुखसाना को पहले तो गुस्सा आया, बाद में उसने भी फ़रदीन और अपने बारे में बता दिया कि फ़रदीन ने कहा कि अगर दो माह में बहनों में से किसी की शादी हो गई तो मैं अपने शौहर से ज्यादा तुमसे प्यार करूँगी, अगर ना हो सकी शादी तो जितना प्यार अभी करती हूँ उससे ज्यादा नफ़रत करूँगी। 
मौलवी भी ये सब सुन रहा था। उसने कहा-“रुखसाना, ये क्या कर बैठी? अब तो एक तरह से तुम हार चुकी हो, अगर तारीख आगे कर दें शादी की तो तुम जीत सकती हो। अब तारीख भी आगे नहीं कर सकते क्योंकी सबको बता दिया है। मौलवी सोच में चला जाता है और कहता है-“ठीक है, कोई बात नहीं तुम फ़रदीन को कभी शो न होने देना कि मुझे सब पता है इस बात के बारे में और निदा का कभी किसी को मत बताना…” उसके बाद रुखसाना और मौलवी अपनी-अपनी सोचो में चले गये और सो गये। 
एक दिन मौलवी साहब किसी का निकाह पढ़ाकर वापिस आ रहे थे अपने बाइक पे, तो उनकी नजर एक गाड़ी पे पड़ी जिसमें उनकी एक बेटी जिसका नाम इशरत था वो उसमें बैठी थी, साथ में एक और आदमी भी था। मौलवी साहब को देखकर बहुत ही गुस्सा आ गया और उन्होंने उस गाड़ी का पीछा करना शुरू कर दिया। वो गाड़ी एक होटल पे रुकी, वो दोनों एक प्राइवेट केबिन में चले गये, जहाँ परदा भी लगा हुआ था। 

मौलवी साहब भी काउन्टर पे गये और कहा कि मैं इस मस्जिद का मौलवी हूँ, अभी कुछ देर में लोग आ रहे हैं। मैंने किसी को निकाह के सिलसिले में मिलना था और फिर मौलवी साहब प्राइवेट केबिन में आकर बैठ गये और उसके अगले केबिन में उनकी बेटी और वो आदमी बैठे थे। मौलवी साहब उनकी बातें सुन रहे थे जैसे-जैसे बातें सुन रहे थे वैसे-वैसे उनको गुस्सा आ रहा था। वो वहाँ से उठकर घर के लिए चले गये और मौलवी साहब के आने के ठीक 45 मिनट के बाद उनकी बेटी इशरत भी घर आ गई। 
उसके आने के बाद मौलवी साहब ने इशरत को कहा-बेटी कैसी जा रही है तुम्हारी जाब? 
तो जवाब में इशरत ने कहा-“अब्बू, प्रिसीपल नया आया है बहुत सख़्त आदमी है इसलिए छुट्टी नहीं दे रहा है…” 
मौलवी को सब पता ही था कि आज उसकी बेटी कहाँ थी। दोपहर से शाम हो गई सब अपने-अपने कामों में लगे हुये थे। इशरत रात का खाना बना रही थी। बाकी शादी की तैयारी में थे। क्योंकी 6 दिन के बाद मौलवी की बेटी आयशा की शादी थी नदीम के साथ। रात को सबने खाना खाया। खाने के बाद मौलवी साहब ने निदा को कहा कि जरा इशरत को भेजना मेरे पास। 
कुछ देर के बाद इशरत भी आ गई-“जी अब्बू आपने बुलाया?” 
तो मौलवी ने कहा-“कल मैं तुम्हारे स्कूल आउन्गा वहाँ से तुम्हें मेरे साथ एक जगह जाना है। लेकिन ये बात अभी घर में तुमने किसी को नहीं बतानी है…” इसी तरह रात गुजरी पर इशरत परेशान रही आखिर अब्बू ने मुझे ऐसी जगह कहाँ लाकर जाना है? 
दूसरे दिन मौलवी ने 11:00 बजे अपनी बेटी इशरत को फ़ोन किया कि अपने स्कूल से हाफ छुट्टी ले लो मैं आ रहा हूँ कुछ देर में। इशरत डर के मारे ख़ौफजदा हो गयी कि आखिर अब्बू मुझे कहाँ ला के जा रहे हैं? कहीं मेरा रिश्ता तो किसी से नहीं करवा रहे? पर मैं तो शफ़ीक़ को प्यार करती हूँ। वो इन्हीं सोचो में थी। 
तभी मौलवी स्कूल के बाहर आ जाता है और इशरत को फ़ोन कर देता है कि बेटी मैं स्कूल के गेट पे हूँ। इशरत नकाब करके बाहर आ जाती है। मौलवी उसे बाइक पे बिठा के अपने साथ लेकर निकल जाता है। अभी कुछ दूर ही गये होगे कि इशरत ने पूछ लिया-“अब्बूजी, हम कहाँ जा रहे हैं?” 
तो मौलवी ने कोई जवाब ना दिया। 
इशरत ने फिर दोबारा पूछा तो मौलवी ने कहा-“अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा। हम ऐसी जगह जा रहे हैं कि वहाँ तुम कभी भी नहीं गई होगी…” 
इशरत-“पर अब्बू, आप बातें बता तो सकते हैं कि ऐसी कौन सी जगह है जहाँ मैं पहले नहीं गई?” 
और 10-15 मिनट के बाद मौलवी आखिर अपनी मंज़िल पर पहुँच जाता है। 
Reply
12-08-2018, 12:54 PM,
#9
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
मौलवी साहब जब अपनी मंज़िल पे पहुँचते हैं तो वो एक छोटा सा मकान टाइप का घर था। उसी वक़्त इशरत ने पूछा-“अब्बू, यहाँ क्या है जो हम आए हैं?” 
तो मौलवी ने कहा-“चुप करके मेरे पीछे-पीछे आओ…” 
मौलवी साहब जब मकान के पास आए तो उन्होंने मकान का मेनडोर खोला जिसकि उनके पास चाभी थी। वो मकान को खोलकर अंदर आ गये। उनके साथ-साथ में इशरत भी अंदर आ गई। मौलवी ने अंदर आकर बेड से कपड़े साइड में किया। ये मकान मौलवी के एक दोस्त का था जो के कुछ अरसे के लिए कराची अपने परिवार के पास रहने के लिए गया हुआ था। मौलवी ने अच्छी तरह बेड को साफ किया फिर इशरत को कहा कि बैठ जाओ। इशरत काफ़ी कन्फ्यूज थी कि पता नहीं अब्बू मुझे इस मकान में क्यों लेकर आए हैं कुछ समझ में नहीं आता। 
मौलवी ने इशरत को सोचते हुये देखा तो कहा-क्या बात है इशरत बड़ी परेशान लग रही हो? 
इशरत-नहीं अब्बू, बस ये देख रही हूँ कि आप मुझे यहाँ क्यों लाए हैं? 
मौलवी-“बेटी, बातें बता देता हूँ इतनी भी क्या जल्दी है…” और फिर मौलवी साहब ने अपनी कमीज उतारी और लिका दी। अब मौलवी बनियान और शलवार पहने बेड के साथ जो चेयर थी उस पे बैठ गया। और कहा-“अच्छा तो इशरत, जो भी पूछूँ मुझे सच बातें बताना, झूठ मत बोलना। अगर झूठ बोला तो नाराज भी हो जाऊं गा और ये ना हो कि आज तुम पे मेरा हाथ भी उठ जाए…” 
इशरत एकदम सुनकर घबरा गई कि पता नहीं क्या बात है। जिसकी वजह से ये सब हो रहा है? 
मौलवी-अच्छा ये बताओ कि कल स्कूल के बाद कहाँ गई थी? 
इशरत-“कहीं नहीं, बस स्कूल से सीधा घर आ गई। बस एक पीरियड था वो मैंने बच्चो की कापीस के नोट्स देखे फिर घर आई…” 
मौलवी-“झूठ मत बोलो, कल तुम एक होटल पे गई थी और तुम्हारे साथ वो आदमी कौन था?” 
इशरत परेशान होते हुये और अंजान बन गई, कहा-अब्बूजी, कौन सा आदमी? 
मौल्वी-इशरत, मेरे सबर के इम्तिहान मत लो, ये ना हो कि मैं तुम पे हाथ उठाऊं। 
इशरत-“अब्बू, अगर मैं सच बोलूं तो आप मुझे कुछ नहीं कहिएगा। अब्बू वो आदमी मुझे चाहता है और शादी करना चाहता है…” 
मौलवी ये सुनकर हँस पड़ता है और कहता हैं-“बेटी, वो तो कोई 45 साल का आदमी लग रहा था…” 

इशरत-“जी अब्बू, वो एक ज़मींदार है और कारोबार करता है। उसकी बीवी फॉट हो चुकी है उसकी दो बेटियाँ हैं वो पढ़ रही हैं। इसने मुझे स्कूल में देखा तो कहा कि मैं आपसे शादी करना चाहता हूँ…” 
मौलवी-“अच्छा तो ये बात है। पर उसके साथ फिर घूमती क्यों हो? कल तुम गाड़ी में उसके साथ होटल में क्यों गई? अगर वो चाहता था तो सीधा मेरे घर आता?” 
इशरत-जी, कल मैं दूसरी बार उसका साथ गई थी, लेकिन कुछ बातें की और फिर घर वापिस आ गई। 
मौलवी-पहली बार कहाँ मिली? 
इशरत-अब्बूजी, इसी होटल पे मिली थी, जूस पिया और घर वापिस आ गई। 
मौलवी-तो क्या तुम भी उसे चाहती कि हो जाए शादी। 
इशरत नजर नीचे करते हुये-जी अब्बू। 
मौलवी-“क्या देख लिया उसमें जो एक उम्रदराज आदमी से शादी करनी है? लेकिन मैंने होटल पे बैठे तुम्हारी बातें सुनी है, उससे ये जाहिर होता है कि तुमने कुछ उसके साथ गलत भी किया है…” 
इशरत-नहीं अब्बू, आपकी बेटी ने आज तक कुछ गलत काम नहीं किया मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ। 
मौलवी-मैं तुम्हारी इसके साथ शादी नहीं कर सकता, चाहे जो मर्ज़ी हो जाए। 
इशरत-क्यों अब्बूजी, वो भी मुझे प्यार करता है, मैं भी करती हूँ। 
मौलवी-होटल पे बैठकर वो तुम्हें कह रहा था कि मेरा केला कैसा लगा? 
इशरत-अब्बू, वो बस मुझे कहता है कि थोड़ा-थोड़ा प्यार में किस होती है, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। 
मौलवी-मुझे कैसे पता चलेगा कि तुम कुँवारी हो? 
इशरत-मेरी जुबान ही सबसे ज्यादा प्रूफ है। 
मौलवी-जुबान से आजकल कोई किसी पे भरोसा नहीं करता। 
इशरत-बताइए मैं क्या प्रूफ दूं? 
मौलवी-जाहिर है कि चेक करना पड़ेगा कि तुम कुँवारी हो या नहीं? 
इशरत-अब्बूजी, आप ये क्या कह रहे हैं? मैं आपकी बेटी हूँ और ये गुनाह है? 

मौलवी-बेटी हो तो जाओ भाड़ में, जो मैंने कहा सो कहा। अगर उससे शादी करनी है तो तुम्हें इसी बिस्तर में अपना सब कुछ आज मेरे हवाले करना पड़ेगा। 
इशरत रोना शुरू हो गई-“अब्बू, ऐसा मत कहें मैं आपकी बेटी हूँ…” 
मौलवी-“अच्छा ठीक है, तुम बेटी हो तो साथ चलो। अब मैं तुम्हारी शादी जिससे मैं चाहूँ उससे करवाउँगा और जाकर बताता हूँ कि कल तुम किसके साथ थी…” 
उसके बाद इशरत ने अपने बाप के पाँव पकड़ लिए-“अब्बू ऐसा न करें, अच्छा ठीक है आप जो चाहेंगे वैसा होगा पर ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए शफ़ीक़ की और आपकी…” 
मौलवी-शाबाश… ये हुई ने बात। अब अपने कपड़े खुद उतारोगी या मैं उतारू ? 
इशरत-अब्बू, मैं उतार लेती हूँ लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा है। 
मौलवी-“जल्दी उतारो, ये देखो मेरा लण्ड कैसा खड़ा हो गया है, ये सुनकर कि आज अपनी बेटी की फुद्दी में जाना है इसने…” 
इशरत खड़ी होकर अपने जिस्म से कमीज उतारने लग जाती है। कमीज अपनी गर्दन से निकालने के बाद रेड कलर की ब्रा पहनी थी, वो भी उतार दी, इशरत के चुचियों की साइज 36” थी। 
ये सब देखकर मौलवी ने कहा-“शलवार भी उतार दो…” 
इशरत ने इलास्टिक वाली शलवार पहनी हुई थी, वो उतार दी। जब मौलवी की नजर अपनी सगी बेटी की फुद्दी पे पड़ी तो वो साइज में छोटी सी थी। उसने अपनी शलवार खोली और बिल्कुल नंगा हो गया। जब इशरत ने अपने बाप का खड़ा लण्ड देखा तो इतना मोटा था। उसने दिल में सोचा कि शफ़ीक़ के लण्ड से ये मोटा भी है और लंबा बी। इशरत ने शफ़ीक़ का लण्ड पकड़ा भी है और देखा भी है, लेकिन कभी अपनी फुद्दी में नहीं लिया। 
मौलवी इशरत के साथ लेटकर उसके गले मिलता है साथ में गाण्ड के सुराख पे उंगली फेरता है। उफफफफफ्फ़… बेटी, बहुत टाइट है तेरी गाण्ड। कभी इस गाण्ड के सुराख में कोई लण्ड डलवाया की नहीं? 
इशरत ने जवाब दिया-“अब्बू कभी नहीं…” 
मौलवी ने इशरत की चुचियों को पकड़कर दबाया, कभी एक मम्मे को कभी दूसरे मम्मे को। मौलवी ने निप्पल्स को चूस-चूसकर इतना लाल कर दिया। 
फिर इशरत बोल पड़ी-“अब्बू, बहुत अजीब महसूस हो रहा है…” 

मौलवी निप्पल को मुँह में लाकर चूसता और नीचे से इशरत की फुद्दी पे अपनी उंगली फेरता है और साथ-साथ अपनी उंगली इशरत की फुद्दी में करता है। लेकिन उंगली थोड़ी सी अंदर गई होगी, मौलवी को उसका रास्ता तंग मिला। अब मौलवी को यकीन हो चुका था कि उसकी बेटी कुँवारी है। निप्पल चूसते हुये मौलवी ने कहा-“बेटी अगर कहती हो तो तुम्हें नहीं करता…” 
तो इशरत ने कहा-“अब्बू, आपके नीचे नंगी लेट चुकी हूँ, अब तो आग लगी है मेरी फुद्दी में। आज अपनी बेटी की सील तोड़ दें पर धीरे-धीरे क्योंकी आपका वो लण्ड जो है बहुत मोटा लग रहा है आगे से…” 
“बेटी, इसको हाथ में पकड़ कर प्यार करो। देखो तो सही कितना गरम है?” 
इशरत ने अपने बाप का लण्ड हाथ में पकड़कर दबाया। अब मौलवी ने अपनी बेटी की टांगे खोली और लण्ड को इशरत की फुद्दी के सुराख पे रखा। थोड़ा से पुश किया तो लण्ड का टोपा उसके अंदर गया तो इशरत ने कहा-“अब्बूजी, धीरे-धीरे ऐसा महसूस हुआ जैसा किसी ने सुई चुभो दी हो…” 
वहीं लेटे हुये मौलवी ने इशरत के होंठों को मुँह में ले लिया और अपने लण्ड का टोपा जहाँ था वहाँ एक जोरदार झटका दिया जिससे इशरत की चीख मौलवी के मुँह में रुक गई और फिर मौलवी ने एक और जोरदार झटका दिया तो मौलवी का पूरा का पूरा लण्ड इशरत की फुद्दी में पहुँच चुका था। 
बेटी दर्द हो रहा है अभी ठीक हो जाएगा। 5 मिनट रुकने के बाद मौलवी नीचे से अंदर बाहर लण्ड करता रहा और ऊपर से इशरत की निप्पल्स चूसता रहा। थोड़ी देर में इशरत हर झटके का जवाब देती। अब इशरत मजे से अपने बाप के आगे लेटे अपनी फुद्दी चुदवा रही थी, कहा-“अब्बू, बहुत मजा आ रहा है तेज करें…” 
जिससे मौलवी और तेज करता है। अब इशरत की टांगे मौलवी के कंधे पे थी और इशरत सिमट कर रह गई थी। मौलवी इतने मजे में था। उसे आज अहसास हो गया था कि बेटियों की फुद्दी में अपना ही मजा है। थोड़ी देर के बाद मौलवी अपनी बेटी इशरत की फुद्दी में फारिग हो गया। 
Reply
12-08-2018, 12:54 PM,
#10
RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
फारिग होने के बाद जाकर अपना लण्ड धोया। जब लण्ड धोकर वापिस आया तो इशरत बेडशीट पे देख रही थी जिस पे दो बूँद खून लगा हुआ था। 
मौलवी-“बेटी, ये निशानी है तुम्हारी कुाँवारेपन की मुझे तुमने अपने आप दिया उसके लिए शुकिया…” 
इशरत-“अब्बू, जब आपका हुकुम होगा ये फुद्दी आपके सामने थाली में पेश कर दूंगी…” 
मौलवी-शाबाश… मुझे यही उम्मीद थी। 
इशरत-वैसे अम्मी की फुद्दी भी लेते हैं या नहीं? 
मौलवी-तुम्हारी अम्मी की फुद्दी का अपना मजा है रोजाना लेता हूँ। 
इशरत-वैसे अब्बू, आपका लण्ड है भी बहुत अच्छा। 

मौलवी-चलो अभी घर चलते हैं। मैं रास्ते में एक टेबलेट ले देता हूँ वो खा लेना, ताकी कल को कोई मसला न हो…” 
उसके बाद दोनों बाप-बेटी उस जगह से निकल जाते हैं और मौलवी ने मेडिकल स्टोर से निकलकर इशरत को टेबलेट लाकर दी और इशरत को घर से थोड़ा पीछे उतार दिया। मौलवी नहीं चाहता था कि दोनों बाप-बेटी घर एक साथ जायें। मौलवी घर आ गया। उसका थोड़ी देर के बाद इशरत भी घर आ गई। उसने चाय पी और चुदाई की वजह से थक चुकी थी तो मजे से नींद की आगोश में चली गई। 
***** ***** 
रात के खाने पे इशरत को उसकी बड़ी बहन ने आकर जगाया कि उठ जाओ खाना खा लो। इशरत उठती है लेकिन उसको महसूस हो जाता है कि आज वाकई ही उसकी सील टूट गई है। उसकी फुद्दी में दर्द थोड़ा थोड़ा हो रहा था लेकिन स्वेलिंग हो चुकी थी। जब इशरत खाने के लिए आई तो एक बार उसने अपने बाप को देखा और मौलवी के साथ उसकी नजर मिली। उसके बाद सबने खाना खाया। खाना खाते हुये मौलवी साहब ने कहा कि रुखसाना बेगम, कुछ याद है कल क्या तारीख है? और कल के दिन किया हुआ था? 
रुखसाना सोच में पड़ जाती है। पता नहीं मौलवी साहब क्या कह रहे हैं? आखिर कल क्या हुआ? वो एकदम निदा की तरफ देखती है तो रुखसाना को याद आ जाता है कि कल के दिन उसका बड़ा बेटा पैदा हुआ था और साथ ही रोना शुरू हो गई। निदा उठकर अपनी माँ के पास जाकर रुखसाना को चुप करवाती रही-अम्मी चुप हो जायें, ये हमारी किस्मत ऐसी थी। ये सब किस्मत में लिखा था। काश कि नाना जी भाई को अपने साथ मेले में ना लेकर जाते। 
रुखसाना के दो बेटे थे एक बेटा फ़रदीन जो के 6 बहनों के बाद पैदा हुआ और बड़ा बेटा निदा से भी बड़ा था जिसका नाम काशिफ रखा था। जब वो 3-4 साल का था कि काशिफ के नाना और रुखसाना के अब्बू उसको मेले में ले गये मेला दिखाने। वो बच्चा नासमझ था, मेले में वो कहीं आगे पीछे हो गया। काशिफ को बहुत ढूँढा पर आज तक वो न मिल सका। 
काशिफ के गुम हो जाने के बाद मौलवी टूट सा गया था फिर रुखसाना ने कहा-“आज काशिफ मेरे पास होता तो वो 34 साल का होता। पता नहीं मेरा बेटा कहाँ हो गया, जिंदा भी है या की?” 
सबने खाना खाया। उसके बाद मौलवी के लिए उसके रूम में निदा चाय लेकर आई। चाय पीने के बाद मौलवी ने रुखसाना को बाहों में प्यार करते हुये कहा-“अब दुखी मत हो, जो हो चुका है सो हो चुका। भूल जाओ काशिफ को, अगर हमारी किस्मत में होगा तो जरूर मिलेगा। मेरा दिल कहता है कि वो हमें जरूर मिलेगा…” उसके बाद मौलवी ने इशरत का बताना शुरू कर दिया। 
और धीरे-धीरे रुखसाना की आाँखें खुलती गई और आखिर में रुखसाना बोल ही पड़ी-“मौलवी साहब, अपनी ही बेटी के साथ आपने ऐसा क्यों किया? 

मौलवी-बस इसका हल यही था। अब मैं जो करूँगा उसे सबको मानना पड़ेगा, क्योंकी मुझे मेरे एक जान पहचान वाले आदमी ने कहा है कि ऐसे रिश्ते आसानी से हो जायेंगे…” लेकिन मौलवी ने शफ़ीक़ का नहीं बताया कि उसे इशरत के साथ देखा था। काफ़ी देर तक मौलवी उससे बात करता रहा। 
रुखसाना-अच्छा, अब मिशा की शादी में 4 दिन रह गये हैं। मैं सोच रही हूँ कल गाँव जाकर शादी के पैगाम दे आउ। 
मौलवी-रहने दो, फ़ोन पे कह देते हैं जिसने आना होगा आ जाएगा। 
रुखसाना-नहीं पहली शादी है घर में इसलिए खुद जाना बेहतर है। 
मौलवी-ठीक है, कल शाम को जो 5 बजे गाँव को बस जाती है उस में बिठा दूँगा रात गुजार कर दूसरे दिन आ जाना। 
रुखसाना-अच्छा ठीक है, बेहतर है। 
उसके बाद मौलवी सो जाता है। लेकिन रुखसाना सोचती है कि मौलवी साहब कितने शरीफ होते थे। ये बाबाजी ने इन्हें क्या बना दिया है। फिर रुखसाना सोचती है-जब मौलवी साहब ऐसा कुछ कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकती। यही सोचते हुये रुखसाना भी सो जाती है। 
दूसरे दिन मौलवी इशरत को कहता है-“बेटी, तुम शफ़ीक़ से कहो कि मैं उससे मिलना चाहता हूँ और उसी होटल का टाइम रख दो…” 
इशरत ने शफ़ीक़ को फ़ोन करके बता दिया कि मेरे अब्बू आपसे मिलना चाहते हैं। 
तो शफ़ीक़ ने कहा-“वो उस होटल में आ जाएगा…” 
फिर मौलवी तैयार होकर उस होटल की तरफ निकल गया जहाँ शफ़ीक़ पहले से बैठा था। मौलवी के साथ इशरत भी आई थी। मौलवी ने बात शुरू की। 
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,411,748 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 534,475 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,196,139 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 904,147 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,604,185 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,038,236 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,880,745 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,821,278 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,942,707 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 276,715 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)