College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
11-26-2017, 12:53 PM,
#21
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल'स स्कूल --8

सरिता ने मुँह से लंड निकाल कर अपनी हार स्वीकार की. सर ने दिव्या को उठा कर मैदान से बाहर कर दिया... वो तो कब की मैदान छ्चोड़ चुकी थी...

शमशेर के दिमाग़ से अंजलि की गांद की चुदाई वाली खुमारी उतरी नही थी. सरिता वहाँ भी ले सकती है सोचकर वो कुर्सी पर बैठा और सरिता को सीधा अपने उपर बिठा लिया, गांद के बाल! उसने उसको संभाले का भी मौका नही दिया!
"आ मरी", सरिता बदहवास हो चुकी थी. ऐसे करार प्रहार से चारों खाने चित हो गयी; उसने अपने को संभाला और टेबल पर हाथ टीका दिए और पैरों का थोड़ा सहारा लेकर उठने की कॉसिश करने लगी; ताकि जितना बचा है, वो ना घुसने पाए! पर शमशेर ने जैसे ये काम आखरी बार करना था. उसने सरिता के हाथों को टेबल से उठा दिया और टंगड़ी लगाकर उसकी टाँगो को ऐसा हवा में उठाया की 'ढ़च्छाक' से सरिता की जांघे उसकी जांघों से मिल गयी.
ओओईइ मा! छ्चोड़ साले मुझे...आ... तू तो मार देगा... मेरी मा... बचा... आहह... तू तो... एक बार रुक जा बस... प्लीज़... आ... तू तो... बदलाः...ले... रहा... है... बहनचोड़... मेरी मा का किया ... मैं भुगत रही ... हूँ... थोडा धीरे धीर कर... हाथ मेज़ पर रखने दो जान... इतना मज़ा कभी नही आया... उच्छाल ले मुझे.. पहले की तरह... ज़ोर से कर ना... हिम्मत नही रही क्या साले... कर ना... कर ना... कर नाआ! आइ लव यू जान! बस छ्चोड़ दे अपना जल्दी.. प्लीज़ बाहर निकाल ले मुँह में पीला दे... प्लीज़ सर! उसको याद आ गया था की वो सर है... उसकी चूत का भूत भाग गया था...




शमशेर को उसकी ये सलाह पसंद आई... उसने झट से उसको पलट दिया और सरिता के चूतड़ ज़मीन पर जा बैठे... शमशेर ने उसके बालों को खींचा और लंड उसके मुँह में ठूस दिया... बस उसका वक़्त आ चुका था... जैसे ही उसके लंड ने मुँह की नमी देखी... उसने भी अपना रस छ्चोड़ दिया... आज इतना निकला था की उसका मुँह भरकर बाहर टपकने लगा... पर उसने इतना सा भी बेकार नही किया... मुँह का गटक कर जीभ से होंटो को चाटने लगी...
उनका जुनून उतर चुका था... सरिता खड़े होते हुए बोली, सर मैं किसी को नही बतावुँगी... शमशेर एक दम शांत था.... एकदम निसचिंत..!
दिव्या इतनी सहम गयी थी की पीछे हट-ते हट-ते दीवार से जा लगी थी और वही से सब देख रही थी,' जो उसने कल सीखा था... उस्स खेल का ओरिजिनल वर्षन...'


कहने को तो ये थ्रीसम सेक्स था... पर कोई चौथा भी था.... जो बाहर वाली खिड़की से सब देख रहा था.....!


आ... मज़ा आ गया दोस्तो... इसको कहते हैं... लंबी जड...सॉरी लुंबी चुदाई! प्लीज़ निकालने के बाद ज़रूर कॉमेंट करें... ( ये पोस्ट किसी खास दोस्त की फरमाइश पर थी... सरिता की चुदाई के लिए... मैं 'बिल' भेज रहा हूँ ड्यूड...हा हा हा...!
अब आप सोच रहे होंगे राज शर्मा तो सला मज़ा ले रहा है हम अपने लॅंड को हाथ मॅ लेके हिला रहे है पर यार टेंशन क्यो ले रहे हो
अभी तो कहानी बनना शुरू हुई है बस तुम्हारा भी निकल जाएगा दो चार हाथ ओर मार लो चलो बाते बहुत हो गयी अब कहानी पर वापस आते है
लकिन फिर कह रहा हूँ निकालने के बाद कमेंट देना मत भूलना दोस्तो समझते क्यो नही तुम्हारे कमेंट ही मेरी सारी थकान उतार देते है
मेल करना नही भूलना मेरा मेल आइडी तो सबको मालूम है ही

शमशेर ने आँखों के इशारे से दिव्या को अपने पास बुलाया," सॉरी दिव्या, बाकी खेल फिर कभी सीखूंगा!" वह सहमी हुई थी;
वह अब भी सहमी हुई थी; सर उससे सीखीन्गे या उसको सिखाएँगे.. सरिता बार बार अपनी गांद के च्छेद को हाथ लगाकर देख रही थी... शायद वो 'घायल' हो गयी थी.

शमशेर ने दोनों को जाने के लिए कहा और कुर्सी पर बैठकर अपना पसीना सुखाने लगा... वो आदमख़ोर बन चुका था.... पर दिशा के लिए अब भी उसके दिल में प्यार था....और वाणी के लिए भी..!

उधर दिशा वाणी के साथ लेटकर वाणी का सिर सहलाने लगी... वाणी का शरीर तप रहा था. दिशा ने प्यार से उसके गालों पर एक चुम्मि ली," वाणी!"
हां दीदी....
दिशा लगातार वाणी को दुलार रही थी," अब कुच्छ आराम है?
वाणी ने आँखें खोल कर दिशा को देखा; जैसे कहना चाहती हो 'आराम कैसे होगा'




"तू मुझसे प्यार करती है ना!" दिशा ने वाणी से पूचछा!
वाणी ने दिशा के गले में अपनी बाहें डाल दी और उसके गालों से होंट लगा दिए.
दिशा: मेरी एक बात मानेगी?
वाणी: बोलो दीदी!
दिशा: नही मेरी, कसम खाओ पहले!
वाणी ने कुच्छ देर उसको घूरा और फिर वचन दे दिया," तुम्हारी कसम दीदी!"
दिशा: तू मुझे वो बात बता दे की तू कल रो क्यों रही थी...
वाणी की आँखों से आँसू छलक उठे... वो कैसे बताए... पर वो वचन से बँधी थी.... उसने दिव्या के घर आने से लेकर अपने रोती हुई नीचे आने तक की बात, डीटेल में सुना दी..... जैसे मैने आपको सुनाई थी...!

दिशा हैरान रह गयी... उसकी च्छुटकी अब च्छुटकी नही रह गयी थी.... वो जवान हो चुकी है... उसको उस्स 'खेल' में मज़ा आने लगा है जो बच्चों के लिए नही बना. उसने कसकर 'जवान च्छुटकी को अपने सीने से भींच लिया... पर वो हैरान थी शमशेर ने इश्स बात पर उनको कुच्छ भी नही कहा.... वो फिर भी कितना शांत था... कितना..........!
"वाणी! तू ठीक हो जा, मैं वादा करती हूँ; सर अब भी तुझे उतना ही प्यार करेंगे, उससे भी ज़्यादा....
वाणी की आँखें चमक उठी... वो उठ कर बैठ गयी! उसमें जैसे जान सी आ गयी," आइ लव यू दीदी!"...
दिव्या तेज़ी से घर आ रही थी... उसने आज जो कुच्छ भी देखा था वह सपने जैसे था... वो तो सोच रही थी सर उसको सज़ा देंगे.... पर उन्होने तो उसको मज़ा ही दिया... वो ये बात वाणी को बताना चाहती थी.... वो बताना चाहती थी की वाणी को वो खेल पूरा खेलने के लिए राकेश की ज़रूरत नही है.... उनके घर में तो इश्स खेल का 'सबसे बड़ा खिलाड़ी' है.... वो वाणी के घर घुस्स गयी...

वाणी अब ठीक हो चुकी थी... वो और दिशा हंस हंस कर बातें कर रही थी... अब वो बेहन नही रही थी... सहेलियाँ बन चुकी थी... जो सब कुच्छ शेयर कर सकती हैं...
दिव्या को देखते ही दिशा ने उसको बाहर ही रोक दिया और उस्स पर बरस पड़ी....हराम जादि... मेरी बेहन को बिगाड़ना चाहती है... शरम नही आती तुझे... वग़ैरा वग़ैरा! वाणी भी वहीं खड़ी थी.. जैसे वो भी यही कहना चाहती हो!

दिव्या शर्मिंदा होकर चली गयी... अब उसने सोच लिया था... कि वो किसी को नही बताएगी... स्कूल वाली बात!

शमशेर स्कूल से निकलता हुआ अंजलि के बारे में सोच रहा था... बेचारी के साथ अच्च्छा नही हुआ.... 10 दिन बाद ही उसकी शादी तय हो गयी थी... कितनी सेक्सी है वह...उसको उस्स आदमी के साथ शादी करनी पड़ रही थी जो उससे उमर में 13-14 साल बड़ा है.. जिसकी एक शादी हो चुकी है और जिसकी एक बेटी है... करीब 18 साल की...
अंजलि की बेहन की वजह से उसको ये शादी स्वीकार करनी पड़ी... वरना क्या नही था अंजलि के पास... उसकी बेहन जो किसी लड़के के साथ भाग गयी थी...


शमशेर जैसे ही घर पहुँचा... उसकी दोनों 'प्रेमिकाओं' की आँखे उस्स पर टिक्क गयी. एक की आँखों में प्यास थी; प्यार की, दूसरी की आँखों में नमी थी.... प्यार की ही....... शमशेर वाणी को देखता हुआ सीधा उपर चला गया; वहाँ और कोई ना था.

वाणी: दीदी, सर नही बोलेंगे मुझसे; मुझे पता है....
दिशा: तू चल उपर मेरे साथ....

उपर जाकर दिशा अंदर चली गयी, पर वाणी के कदम बाहर ही रुक गये... वो हिम्मत नही कर पा रही थी; सर के सामने जाने की...!

दिशा ने शमशेर से कहा: वाणी बाहर खड़ी है... वो आपके लिए कल से ही रो रही है... वो आपसे बहुत प्यार करती है...
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11-26-2017, 12:53 PM,
#22
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शमशेर उठ कर बाहर आया और वाणी के पास जाकर झुकक कर बोला," आइ लव यू टू
बेबी!
वाणी ने अपनी कोमल बाहें 'सर, के गले में डाल दी और दो आँसू टपका दिए.... उसकी गर्दन के पास! शमशेर ने उसको अपनी बाहों में भीच लिया.... अब उसको वाणी के तन से नही केवल मन से लगाव था......

दिन बीत गया... दिशा का इंतज़ार ख़तम होने वाला था. दिशा और वाणी ने खाना खाया और शमशेर का खाना लेकर उपर चली गयी... वाणी की झिझक अभी भी दूर नही हुई थी... उसके दिमाग़ में कल वाली बात ज्यों की त्यों थी... वो जाते ही सीधी अंदर वाले कमरे में जाकर लेट गयी. उसका मुँह दीवार की और था....वह चाह रही थी.... सर आकर उसको कहें," तू मेरे पास क्यूँ नही आती वाणी...." पर शमशेर का ध्यान तो आज दिशा पर था...सिर्फ़ दिशा पर!
दिशा ने खाना टेबल पर रख दिया... उसका मॅन था वो सर के पास ही बैठ जाए... उससे बात करे... पर बिना वाणी उसको शमशेर के पास बैठना अजीब सा लगा... वो जाकर वाणी की खाट पर ही लेट गयी... उसका चेहरा वाणी के चेहरे की और था... और आँखें लगातार शमशेर को देख रही थी... खाना खाते हुए...

अजीब सी कसंकस थी उसके दिल में, कल कैसे उसने शमशेर का गला पकड़ लिया था... फिर भी वो कुच्छ ना बोला... पर उसकी शांत आँखें शायद सब कह रही थी... शायद शमशेर को मुझसे पहले ही दिन प्यार हो गया था... मुझसे तो किसी को भी प्यार हो सकता है' उसको खुद पर नाज़ हो रहा था! पर उसको कभी किसी से प्यार नही हुआ... शमशेर से पहले! वो खुद ही सोच सोच कर शर्मा रही थी... उसने कल शमशेर को किस बिंदास तरीके से बोल दिया था..."यस आइ लव यू!"... उसकी आँखों में शमशेर के लिए अथाह प्यार था.... क्या शमशेर भी आज उसके शरीर पर अपने प्यार की मोहर लगा देगा? वा सोचकर ही पिघल गयी... उसने वाणी की टाँग उठा कर अपनी जांघों के बीच रख ली और ज़ोर से दबा दी.... वाणी ने आँखें खोल कर दिशा को देखा और फिर से आँखें बंद कर ली... वो सो नही सकती थी... वो भी शमशेर का इंतज़ार कर रही थी... की वो आकर उसको उठा ले जाए और बेड पर अपने साथ सुला ले... अपनी छति से लगाकर...!

शमशेर ने खाना खाकर दिशा को देखा वो रात हो सकने तक इंतज़ार नही कर सकता था... उसने दिशा की तरफ एक 'किस' उच्छल दी.. दिशा ने भी जवाब दिया अपने तरीके से... उसने शमशेर की आँखों में आँखें डाली... उसको कसक से देखा... जैसे उसके पास पहुँच गयी हो और वाणी के गालों पर एक चुंबन जड़ दिया!

दिव्या चौंकी; उस्स चुंबन में वो बात नही थी जो दिशा अक्सर उसको लड़ते हुए करती थी... इश्स चुंबन में तो कोई और ही बात थी!

होती भी क्यूँ ना; ये चुंबन उसके लिए नही था... ये चुंबन तो शमशेर के लिए था... उसकी 'फ्लाइयिंग किस का जवाब'....
जैसे जैसे रात अपने पाँव पसारती रही, दिशा का दिल बैठता गया... आज शमशेर उसको.... सोचने मात्रा से ही उसके बदन में लहर सी दौड़ जाती. उसको अपने जिस्म की कीमत का अहसास होने के बाद किसी लड़के ने 'उस्स नज़र' से कभी हाथ तक नही लगाया था... उसकी जवानी एक दम फ्रेश थी... फार्म फ्रेश! ऐसी बातों से वा इतनी चिढ़ती थी की उसकी सहेलियाँ तक उसके सामने 'ऐसी' बातें करने से डरती थी. पर शमशेर ने जिस दिन से स्कूल में कदम रखे थे, वा बदलती जा रही थी... उसको अब लड़कों का घूर्ना भी इतना बुरा नही लगता था... वो ये सोचकर खुश हो जाती थी की उसके सर को भी मैं इतनी ही सुंदर और सेक्सी लगती होंगी!
दिशा का दिल बुरी तरह धड़कने लगा था; उसने वाणी को टोका,"वाणी!"
वाणी: हूंम्म?
वाणी तो जाग रही है... दिशा की बेशबरी बढ़ती जा रही थी," कुच्छ नही सो जा!"
वाणी धीरे से दिशा के कान में बोली,"दीदी, क्या सर सो गये?"
दिशा की नज़रें शमशेर की नज़रों से टकराई; वो बार बार उसको अपने पास आने का इशारा कर रहा था,"हुम्म!" दिशा ने वाणी को झहूठ बोल दिया ताकि वो सो जाए और वो जान सके की... 'ये प्यार कैसे होता है'
वाणी के दिल में ये बात अंदर तक चुभ गयी... फिर तो सर ने मुझे माफ़ नही किया... वरना वो उसके बगैर कैसे सो जाते....या सो भी जाते तो एक बार उसका दुलार तो करते.... सोचकर उसकी आँखें दबदबा गयी!
दिशा ने फिर टोका," वाणी!"
वाणी नही बोली; वो नाराज़ हो गयी थी... दिशा से भी.... सबसे!
दिशा ने उसको हिलाकर कहा," वाणी".... वो ना उठी... वो बोलना ही ना चाहती थी..
दिशा ने सोचा वो सो गयी है.. मिलन की घड़ी करीब आ गयी... दिशा का गला सूख गया...
शमशेर ने उसको फिर इशारा किया, आने का.... आज वो बहुत सुंदर लग रहा था.... उसके सपनों के राजकुमार जैसा!
वो धीरे से उठी ताकि वाणी जाग ना जाए... दरवाजे की और बढ़ी; पर उसके कदमों ने जवाब दे दिया... जैसे किसी ने बाँध दिए हों... शरम और डर की बेड़ियों से!


वा आगे ना चल पाई और अपनी खाट पर लेट गयी... उसकी तो अब आँखें भी हिम्मत हार गयी... वो मारे शरम के बंद हो गयी... पहले शमशेर को वो तो छ्छू रही थी... उसकी आँखें....!

शमशेर से अब और सहन नही हो रहा था. वो धीरे से उठा और दिशा की चारपाई के पास जा पहुँचा... दिशा आहट सुनकर चारपाई से चिपक गयी... पता नही अब क्या होगा... उसने आँखें बंद कर ली थी... उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था... वा समर्पण को तैयार थी; पूरी तरह... उसने तंन मॅन से शमशेर को अपना मान चुकी थी सिर्फ़ अपना.

शमशेर उसकी चारपाई के पास बैठ गया, दिशा उल्टी लेटी हुई थी. उसके बदन की पिच्छली गोलाई और उसका मच्हली जैसा बदन कहर ढ़हा रहा था; वा उसको भोगने को लालायित था... जो उसका ही हो जाना चाहता था... जिंदगी भर के लिए... शमशेर का ये कोई पहला अनुभव नही था, फिर भी उसके हाथ काँप रहे थे उस्स को छ्छूते हुए!
शमशेर ने अपना एक हाथ दिशा की कमर पर टीका दिया और झुक कर उसकी गर्दन से उसके रॅश्मी लंबे बॉल हटाए और वहाँ अपने होंट रख दिए; दिशा शर्म के मारे मरी जा रही थी... उसके मुँह से निकला,"इस्शह!" शमशेर कपड़ों के उपर से ही उसको महसूस करने लगा... उसकी नाज़ुक कमर... कमर से नीचे सूरमाई कटाव...
कटाव से नीचे... उस्स अद्भुत प्रतिमा की गोलाइया... या हमारी भाषा में......
उसकी गांद... जैसे वहाँ आकर सब कुच्छ ख़तम हो जाएगा... जैसे उन्न गोलाइयों पर 'जीनीन पार्ट' की मोहर लगी हो... शमशेर तप गया... उनकी आँच में!

शमशेर ने दिशा को अपने हाथ से पलट दिया... और वो पलट गयी...जैसे पलटना ही चाहती थी... शमशेर की नज़र वाणी पर गयी... वो सो रही थी... चेहरा दूसरी तरफ किए.. शमशेर उसके अगले हिस्सों पर अपनी कामपति अँगुलियन चलाने लगा... जैसे वीना के तार च्छेद रहा हो... उस्स वीना में से निकली धुन अद्भुत थी... "आहह...आहह...आहह....!" दिशा के जिस्म पर जिस अंग पर शमशेर का हाथ
चलता... दिशा को महसूस होता जैसे वो कट कर गिर जाएगा... शमशेर के साथ जाने के लिए... उससे जुदा होकर! दिशा के लबों की लरज अत्यंत कमनीया थी... वो फेडक रहे थे... दिशा चाहती थी शमशेर उनको काबू में कर ले... और शमशेर ने काबू कर लिए... अपने होंटो से... दिशा के होंट... दिशा में से मादक महक निकल कर शमशेर में समाती जा रही थी.. उसने अपने दोनों हाथ शमशेर के चेहरे पर लगा दिए... ये दिखाते हुए की हां... वो तैयार है... उसकी दुल्हन बन-ने के लिए.... आज ही... आज नही; अभी, इसी वक़्त! शमशेर ने अपनी बाहें दिशा की कमर और उसकी चिकनी जांघों के नीचे लगा दी... और सीधा खड़ा हो गया... वो उसकी बाहों में समर्पण कर चुकी थी... वो दूसरे कमरे में चले गये... और वाणी को दूसरे कमरे में क़ैद कर दिया... अकेलापन पाने के लिए...
शमशेर दिशा को बाहों में उठाए उठाए ही देखता रहा; उपर से नीचे तक... उसकी आँखें बंद थी... उसका चेहरा गुलाबी हो चुका था... उसके सुर्ख लाल होंट प्यासे लग रहे थे... उसकी छातिया ज़ोर ज़ोर से धड़क रही थी उसके दिल के साथ... कुल मिलकर दिशा का हर अंग गवाही दे रहा था... वो समर्पण कर चुकी थी...
शमशेर ने धीरे से उसको बेड पर लिटा दिया... और आखरी बार उसको निहारने लगा... अब उन्हें लंबी उड़ान पर निकलना था... प्यार की उड़ान पर...
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11-26-2017, 12:53 PM,
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शमशेर उसके साथ लेट गया, उसके कान के पास अपने होंट ले गया और धीरे से बोला," दिशा"... उसकी आवाज़ में वासना और प्यार दोनो थे!
दिशा जैसे तड़प रही थी इश्स तरह शमशेर के मुँह से अपना नाम सुनने को; वो पलट कर उससे लिपट गयी... वाणी की तरह नही; दिशा की तरह!



पर शमशेर इश्स खेल को लंबा खींचने का इच्च्छुक था... उसने प्यार से दिशा को अपने से अलग किया और फिर से दिशा के कान में बोला," क्या मैं तुम्हे छ्छू सकता हूँ".... आवाज़ अब की बार भी वैसी ही थी.. प्यार और वासना से भारी... पर अब की बार दिशा की हिम्मत ना हुई; अपना जवाब उससे लिपट कर देने की, वो खामोश रही... मानो कहना चाहती हो... बात मत करो... जल्दी से मुझे छ्छू दो... मुझे अमर कर दो!
शमशेर ने उसके पेट पर हाथ रख दिया... उसमें कयामत की कोमलता थी... कयामत की लचक... कयामत का कंपन!
दिशा कराह उठी... उससे इंतज़ार नही हो रहा था... पता नही उसका यार उसको क्यूँ तड़पा रहा है!
शमशेर ने उसके पाते पर से उसका कमीज़ हटा दिया... फिर उसका समीज़... शमशेर जन्नत की सुंदरता देख रहा था... उसके सामने... उसके लिए.... सिर्फ़ उसके लिए!
दिशा की नाभि का सौंदर्या शमशेर के होंटो को अपने पास बुला रहा था... चखने के लिए... और वे चले गये... दिशा सिसक उठी... वा अपने हान्थो से चदडार को नोच रही थी... मचल रही थी... आगे बढ़ने के लिए.....!
शमशेर ने उसको अपने हाथ का सहारा देकर बैठा दिया... उसका हाथ दिशा की कमर में था... समीज़ के नीचे! दिशा हर पल मरी जा रही थी... आगे बढ़ने के लिए! उसकी आँखें अब भी बंद थी; पर होंट खुल गये थे... खेल सुरू होने से पहले ही वह हार गयी... उसकी योनि द्रवित हो उठी! उसने शमशेर को कसकर पकड़ लिया... वा उसी पल उसमें समा जाना चाहती थी...! शमशेर ने अपने गले से लगाकर उसका कमीज़ निकल दिया और समीज़ भी... वो इसी का इंतज़ार कर रही थी!
फिर से शमशेर ने उसको सीधा लिटा दिया... उसकी छातिय मचल रही थी.. वो शमशेर के हाथों का इंतज़ार कर रही थी... पर शमशेर ने उनको कुच्छ ज़्यादा ही दे दिया.... उसने दिशा के दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़ा और उसकी एक छति पर अपने होंट टीका दिए! "हाइयी, ऐसा पहले क्यूँ नही हुआ... इतना आनंद आता है क्या कभी किसी बात में... शमशेर उसकी छति पर लगे अद्भुत, गुलाबी सख़्त हो चुके मोटी से दूध पीने की कोशिश करने लगा... दिशा छ्टपटा रही थी बुरी तरह; उसकी टाँगों के ठीक बीच में एक भट्टी सुलग रही थी... दिशा को सब और स्वर्ग दिखने लगा... उसकी आँखें आधी खुली आधी बंद... वो नशे में लग रही थी प्यार के नशे में... उससे रहा ना गया, बिलख उठी, " मुझे मार डालो जान! शमशेर ने अपनी पॅंट उतार दी... अपने अंडरवेर की साइड से अपना अचूक हथियार निकाल और दिशा को दे दिया; उसके हाथ में...
"ये इतना बड़ा हो जाता है क्या, बड़ा होने पर," वो सोच रही थी.... उसकी सखटायी, लंबाई और मोटाई को अपने हाथों से सहलाकर महसूस करने लगी! शमशेर के होंट अभी भी उसका दूध पी रहे थे; जो उन्न मादक छातियो में था ही नही...
दोस्तो आप किसी के प्यार मॅ खोए हुए हो ओर अचानक कोई तीसरा आकर खड़ा हो जाए तो आपका क्या हाल होगा ऐसा ही कुछ हमारे
हीरो के साथ भी गया क्योकि दोनो को ही पता नही था की वाणी अभी सोई नही थी अरे यार मॅ क्यू आपका मज़ा खराब कर रहा हूँ
ठीक है भाई गुस्सा क्यो होते हो यार मैं चला आप लोग कहानी का मज़ा लो लकिन फिर याद दिला रहा हूँ कमेंट देनामत भूलना

अचानक दोनों पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा... दरवाजे के उस्स तरफ से आवाज़ आई," दीदी; सरजी; मुझे भी खेलना है... मुझे नींद नही आ रही... दरवाजा खोलो....

वो दोनों जैसे पत्थर हो गये... खेल उल्टा पड़ गया था.......दोनों कभी एक दूसरे को कभी दरवाजे के पार झिर्री में से दिख रही वाणी की आँख को देखते रहे!


शमशेर और दिशा वाणी को जगा देख सुन्न हो गये. एक पल को तो उन्हे कोई होश ही नही रहा. दिशा को अपने नंगे बदन का अहसास होते ही वो दीवार की तरफ भागी.. उसने दोनों हाथो से अपने को धक लिया और फर्श की और देखने लगी.... 'ये क्या हुआ!'

शमशेर दिशा के मुक़ाबले शांत था. उसने अपने को ठीक किया और दिशा के कपड़े लेकर उसके पास गया... दोनों हाथो से उसके कंधों को थाम लिया,"कपड़े पहन लो जान. कुच्छ नही होगा!"... दिशा को इश्स बात से सहारा मिला! उसने जल्दी से कपड़े पहन लिए और दरवाजा खोल कर वाणी की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी... पहली बार जिंदगी में वो किसी से नज़रें चुरा रही थी... वो भी अपनी बेहन वाणी से!

वाणी ने कमरे में आते ही कहा," दीदी मुझे भी खिलाओ ना अपने साथ.... उस्स कातिल पर मासूम हसीना को ये मालूम नही था की.... ये खेल अच्च्चे घरों में छुप्कर खेला जाता है... किसी तीसरे के सामने यूँ खुले-आम नही!


दिशा कुच्छ ना बोली... कोई जवाब ना मिलते देख उसने इंतजार करना ठीक नही लगा... झट से बिना शरम अपना कमीज़ उतार दिया... जो खेल उसकी इतनी अच्च्ची दीदी खेल सकती है, उस्स खेल में शरम कैसी; फिर मज़ा भी तो बहुत था. उस्स खेल में...
वाणी उस्स रूप में सेक्स की देवी लग रही थी.. उसका यौवन समीज़ में से ही कहर ढा रहा था... उसकी छतियो के बीच की घाटी जानलेवा थी... दिल थाम देने वाली... 'कातिल घाटी'
जैसे ही दिशा को अपनी 'जवान' हो चुकी बेहन की स्थिति का पता चला; उसने मूड कर उसको बाहों में भर लिया... उसके मदमस्त यौवन को च्छूपा लिया... अपने यार की नज़रों से... और अपने से साटा उसको दूसरे कमरे में ले गयी... शमशेर मूक बना रहा... सिर्फ़ दर्शक और फिर दर्शक भी नही रहा... दरवाजा बंद हो गया....

"दीदी, तुम मुझे यहाँ क्यूँ ले आई!" चलो ना खेलते हैं"
दिशा को कुच्छ बोलते ही ना बना.. वो नज़रें झुकाए रही.
वाणी बेकरार थी शमशेर के साथ 'खेलने' को," मैं खेल आऊँ दीदी!"
दिशा ने मुश्किल से ज़बान हिलाई,"ये........ ये कोई खेल नही है वाणी" अब वाणी च्छुटकी नही रही!
वाणी: खेल क्यूँ नही है दीदी... कितना मज़ा आता है इसमें...!
दिशा: वाणी; ये ऐसा खेल नही है जो कोई भी किसी के साथ खेल ले!.... वो भावुक हो गयी.
वाणी के पास इश्स बात की भी काट थी," पर तुम भी तो खेल रही थी दीदी.... सर के साथ! मैं सोई नही थी... मैने सब देखा है!
दिशा: मैं उनसे प्यार करती हूँ वाणी..... ये बात उसने गर्व के साथ कही!
वाणी: तो क्या मैं सर से प्यार नही करती .... मैं सबसे ज़्यादा सर को प्यार करती हूँ... तुमसे भी ज़्यादा... और सर भी मुझसे बहुत प्यार करते हैं... बेशक उनसे पूच्छ लो.
उस्स को ये भी मालूम नही था की प्यार... प्यार के अनेक रंग होते हैं... और ये रंग सबसे जुड़ा है... ये रोशनी से डरता है... और शादी से पहले... इश्स समाज से भी.

दिशा: वाणी, मैं उनसे शादी करना चाहती हूँ!
दिशा ने आखरी तीर छ्चोड़ा!
वाणी ने एक पल के लिए कुच्छ सोचा," दीदी मैं भी उनसे शादी कर लूँगी!
दिशा उसकी बात पर मुस्कुराए बिना ना रही... कितनी नादान और पवित्र है वाणी!
दिशा: पागल; तू अभी बहुत छ्होटी है
वाणी: आप कौनसा बहुत बड़ी हैं दीदी, मुझसे 1 साल ही तो बड़ी हैं!

दिशा के पास अब बोलने के लिए कुच्छ नही बचा, सिवाय उसको बिना वजह बतायें ढँकने के लिए," चुप हो जा वाणी, तू बहुत बोलने लगी है... देख ऐसा कुच्छ नही हो सकता; कुच्छ नही होगा!"
वाणी जैसे कामतूर होकर बागी हो गयी," ठीक है दीदी मत खिलवाओ.... मैं कल राकेश के साथ खेलूँगी.."

दिशा क्या करती," ठीक है वाणी... मैं तुम्हारे साथ खेलूँगी... आ जाओ!"
वाणी थोड़ी नरम पड़ी," पर दीदी पूरा खेल तो लड़के के साथ ही खेला जाता है ना....

दिशा ने उसको आगे बोलने का मौका ही नही दिया.... उसके जालिम होंटो पर अपने रसीले होंट टीका दिया.... जैसे दो बिजलियाँ आसमान में टकराई हों........
दोनों एक दूसरे से चिपक गयी... दिशा सिर्फ़ उसको खुश कर रही थी. पर वाणी का जोश देखने लायक था... वो इश्स तरह दिशा को चूम रही थी जैसे वो बरसों से ही अपनी दीदी को भोगने का सपना देख रही हो... दिशा भी गरम होती जा रही थी... उसने वाणी को अपने उपर लिटा लिया और समीज़ के नीचे से अपने हाथ वाणी की कमर में पहुँचा दिए... वाणी भी पीछे नही थी... अपने होंटो की दिशा के बदन पर जगह जगह छाप छ्चोड़ रही थी.. हर छाप के साथ दिशा की सिसकिया बढ़ती गयी... उसके सामने लगातार शमशेर का चेहरा घूम रहा था... वो भी उत्तेजित होती गयी... दिशा ने वाणी के कमाल के चिकने चूतदों को अपने हाथों में पकड़ कर दबा दिया... दिशा की आँखें बंद हो गयी... उसने रेएक्ट करना बंद कर दिया... और नीचे लुढ़क गयी और वाणी को अपने उपर खींचने लगी... दिशा और वाणी को इश्स खेल का आगे का ज्ञान अपने आप होता गया..
उन्होने अपने अपने कपड़े उतार फैंके... शरम और झिझक वासना की गोद में जाकर कहाँ टिकती.
दिशा ने वाणी की चूची पर एक हाथ रखकर उसके होंटो में जीभ घुसा दी. एक युद्ध सा चल रहा था; दो वासनाओ का... दो सग़ी वासनाओ का...
वाणी ने भी दिशा की चूचियों को सहलाना, दबाना और मसलाना शुरू कर दिया... दिशा ने अपना हाथ नीचे ले जाकर वाणी की चिर यौवन चूत की फांकों मे दस्तक दी... वाणी की आँखें पथारा गयी... ऐसा अहसास वाणी को पहले भी हो चुका था... सर की 'टाँग' पर...
उसने दिशा की जीभ से अपने होंटो को आज़ाद किया और अपने दाँत दिशा की चूचियों पर गाड़ा दिए... जैसे वो पिएगी नही... खा जाएगी उनको...
ऐसा करते ही दिशा की 'शमशेर प्यासी' चूत फिर फेडक उठी... उसने वाणी का मुँह पीछे कर दिया, अपनी चूत के सामने... और उसकी निराली, अद्वितीया चूत पर किस करने लगी, बेतहासा!.... 1 साल पहले उसकी भी तो वैसी ही थी... अब थोड़ा रंग बदल गया... अब थोड़े बॉल आ गये..
वाणी को भी अपनी चूत पर हमला होते देख... बदला लेने में वक़्त ना लगा... उसने दिशा की चूत के दाने को होंटो में लेकर सुसका दिया. अब दोनों के हाथ एक दूसरे की गंदों पर रेंग रहे थे... दोनों के होंट एक दूसरे की चूत को चूस रहे थे... जो एक कर रही थी दूसरी भी वही कर रही थी... इसको
कहते हैं... 'पर्फेक्ट 69'.... कयामत की रात थी... बार बार योनि में रस की बरसात होने पर भी वो लगी रहती... जब तक एक का काम तमाम होता... दूसरी भड़क जाती और सिलसिला करीब आधा घंटा चलता रहा...



उधर शमशेर उसी च्छेद से आँख लगाए, अपनी बरी की प्रतीक्षा करता रहा... इश्स रासलीला में शामिल होने के लिए... वो बिल्कुल शांत था... बिल्कुल......निसचिंत!


दिशा के बदन की प्यास शमशेर को अपने में सामने के लिए बढ़ती जा रही थी... पर वाणी के लिए तो यह सब सिर्फ़ एक खेल था... सबसे ज़्यादा मज़ा देने वाला खेल....

दिशा ने सिसकती हुई आवाज़ में अपने यार को पुकारा," शमशेर्र्ररर!"
वाणी ने दिशा को सर का नाम लेने पर एक बार हैरत से देखा और फिर से 'खेल' में जुट गयी!

शमशेर ने अंजान बन'ने का नाटक किया," वाणी सो गयी क्या; दिशा!"
"कुच्छ नही होता; तुम जल्दी आ जाओ!" दिशा की आवाज़ में तड़प थी.
शमशेर ने दरवाजा खोला," मानो स्वर्ग पहुँच गया हो... स्वर्ग की दो अप्सराए उसके सामने कहर ढा रही थी... एक दूसरी पर...
दिशा शमशेर के सामने जाते ही वाणी को भूल गयी, वा उठी और शमशेर से चिपक गयी... वाणी इंतज़ार कर रही थी... देख रही थी... आगे कैसे खेला जाता है... फिर उसको भी खेलना था... वो भी नंगी ही शमशेर को निहार रही थी.... उसको दोनों का ये मिलन बड़ी खुशी दे रहा था..
शमशेर ने फिर से दिशा को उठा लिया और बेड पर लिटा दिया... वाणी बोली, मुझे भी लेकर जाओ सर जी; ऐसे ही... शमशेर ने एक पल दिशा को देखा... उसकी आँखों में कोई शिकायत नही थी... थी तो बस... जल्दी से औरत बन-ने की तमन्ना..
शमशेर ने वाणी को ऐसे ही गोद में उठा लिया... दिशा मुस्कुरा रही थी... आँखें बंद किए!
दिशा से इंतजार नही हो रहा था; उसने शमशेर की पॅंट पर हाथ लगा दिया.. अपने यार के हथियार को मसालने लगी!
शमशेर ने देर नही की... वो भी कब से तड़प रहा था... आख़िर कंट्रोल की भी हद होती है...
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11-26-2017, 12:54 PM,
#24
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर ने जल्दी से अपनी पॅंट उतरी और अपना ताना हुआ 8" लंड उसको दे दिया...
वाणी की आँखें फट गयी," सर जी का नूनी... इतना लंबा! ... इतना मोटा! और उसका मुँह खुला का खुला रह गया... अभी तो उसको उसका प्रयोग भी नही पता था...!
दिशा के मॅन की झिझक अब आसपास भी नही थी... उसने शमशेर के लंड को अपने हाथ से उपर नीचे किया और उसके होंटो को खाने लगी!
वाणी ने भी उसको छ्छू कर देखा... बहुत गरम था!
शमशेर ने देर ना करते हुए; अपना लंड दिशा के होंटो पर रख दिया... पर दिशा इशारा ना समझी... बस उसको चूम लिया
शमशेर ने अपने कसमसाते लंड को देखा और बोला," इसको मुँह में लो, इसको चूसो, इसको चॅटो!
"क्या?" दिशा शमशेर को देखती कभी उसके लंड को!
"प्ल्स दिशा और मत तड़पाव!"
दिशा ने अपने यार की लाज रख ली... उसने उसको मुँह में लेने की कोशिश की... पर वा कहाँ घुसता... वो उसको उपर से नीचे तक चाटने लगी!
वाणी को हँसी आ रही थी... ये कोई कुलफी है क्या...
पर जैसे ही उसने दिशा की आँखों को बंद होते देखा वो भी बीच में कूद पड़ी..."मैं भी चूसूंगई!" दिशा कुच्छ ना बोली...

वाणी ने शमशेर के लंड पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की... एक तरफ दिशा... दूसरी



तरफ वाणी... दोनों आनंद में पागल थी... और तीसरा तो सेक्स का ये रूप देखकर अपने आपे में ही नही था... उन्न दोनों के हाथ अपनी अपनी चूतो पर थे और शमशेर उनकी चूचियों से खेल रहा था.

दिशा ने कोशिश करके शमशेर के सुपारे को अपने मुँह में भर लिया... उसके निकलते ही वाणी ने भी कोशिश की पर बीच में ही हार मान ली... हां मज़ा उसको भी दिशा जितना आया था!
अब सहना शमशेर को ग्वारा ना था.. उसने दिशा की टाँगों को फैलाया और उनमे अपना मुँह घुसा दिया... वाणी सर की टाँगो के बीच मुँह ले गयी... और अपनी कुलफी चूस्ति रही.. मदमस्त बड़ी कुलफी..
दिशा की आँखे बंद होने लगी... एक बार फिर उसका वक़्त आ गया... उसने शमशेर का सर अपने हाथो में पकड़ा और उसको अपनी चूत पर दबा दिया.. उसने पानी फिर छ्चोड़ दिया...
शमशेर को लगा सही वक़्त है और उसने जल्दी से वाणी को दूर हटाकर दिशा की मस्त जांघों को फैलाया और वाणी की कुलफी दिशा की योनि में ठेल दी.. "एयाया!" दिशा की आवाज़ उसके गले में ही रह गयी जब शमशेर ने उसके मुँह को सख्ती से दबा दिया...
दिशा की आँखों से आँसू बह निकले... वो फिर से चीखना चाहती थी पर चीख ना सकी.... शमशेर ने चीखने ना दिया... अभी तो सिर्फ़ सूपड़ा ही अंदर फँसा था... बाकी तो इंतज़ार कर रहा था... दिशा के शांत होने का...
वाणी दिशा को देखकर डर गयी..." दीदी ठीक कह रही थी मैं तो अभी छ्होटी हूँ! खेल का दूसरा भाग मेरे लिए नही है... उसका गला सूख गया था... अचानक उसकी नज़र अपनी दीदी की चूत पर पड़ी... वो घायल हो चुकी थी... अंदर से!
सर दीदी को छ्चोड़ दो... बाहर निकल लो! वो मर जाएगी... प्लीज़ सर... मेरी दीदी को छ्चोड़ दो... हमें नही खेलना खेल... हमें माफ़ कर दो सर! उसकी आँखों में भय था...
शमशेर ने उसको अपने से सटा लिया... पर उसको अब मज़ा नही आ रहा था... हां दिशा ज़रूर शांत हो गयी थी.. शमशेर का एक हाथ दिशा की मस्त जवानियों से खेल रहा था और दूसरा हाथ वाणी की कमर से लिपटा हुआ था...
दिशा अपनी गांद को उचकाने लगी... और शमशेर ने भी मौका देखकर दबाव बढ़ा दिया... और दिशा तृप्त होती चली गयी... सखलन के बाद वो और भी रसीली हो गयी... अब धक्के लगाए जा सकते थे और शमशेर ने धक्के शुरू कर दिए... दिशा का बुरा हाल था... वो हर धक्के के साथ मानो स्वर्ग की सैर कर रही थी... वो चीख चीख कर कहना चाहती थी... और ज़ोर से ... और ज़ोर से.. पर उसने अपनी पागल भावनाओ को काबू में रखा...
वाणी ने देखा... दीदी के चेहरे पर अब शांति है... उसके चेहरे को देखकर सॉफ दिख रहा था की उसको दर्द नही मज़ा आ रहा है... अपनी दीदी से निसचिंत होकर वाणी ने अपने सर के होंटो को अपने लाल सुर्ख होंटो से चूमने लगी.... उत्तेजना की हद हो चुकी थी... ऐसा लगता था जैसे तीनों के तीनों सेक्स के लिए ही बनाए गये थे... जो बात दिशा में नही थी वो वाणी में थी और जो बात वाणी में नही थी वो दिशा में थी... शमशेर झटके खाने लगा और हांफता हुआ दिशा के उपर गिर गया... दिशा औरत बन चुकी थी...
वाणी ने दोनों को प्यार से एक दूसरे की और देखा और शमशेर के उपर गिर पड़ी... उसको भी शमशेर से प्यार था... जिसका रूप बदल रहा था!

शमशेर उठा और साइड में सीधा होकर गिर पड़ा... ऐसी संतुष्टि की उसने कल्पना भी नही की थी कभी... उसके दोनों और दो दुनिया की सबसे हसीन नियामते लेटी थी.... एक शमशेर की औरत बन चुकी थी दूसरी बन-ना चाहती थी....
वो ऐसे ही सो गयी..... शमशेर की बाहों में...! शमशेर की आँखों में आँसू आ गये... मारे खुशी के या फिर पासचताप के...... ये वो क्या कर रहा है!


करीब 5:00 बजे शमशेर की आँख खुली... उसके दोनो और यौवन से लदी 2 हसीन कयामतें उससे चिपकी पड़ी थी... बिल्कुल शांत; बिल्कुल निसचिंत और एक तो.... बिल्कुल निर्वस्त्रा... मानो अभी अभी जानम लिया हो; सीधे जवान ही पैदा हुई हो.... सीधे उसकी की गोद में आकर गिरी हो;.....ऐसा नयापन था उसके चेहरे में

उसने दूसरी और देखा, वो अभी भी कुँवारी थी... शमशेर के कंधे पर सिर टिकाए, उसके शरीर से खुद को सताए मानो अभी जनम लेने को तैयार है.... एक नया जनम.... शमशेर के हाथो!

शमशेर ने उसका माथा चूम लिया... और उसने नींद में ही... अपने हुष्ण को और ज़्यादा सटा लिया... वह शमशेर की छति पर हाथ रखे, ऐसे पकड़े हुई थी की सर कहीं भाग ना जायें, उसको पूरा किए बगैर; उसको औरत बनाए बगैर...
शमशेर ने कुच्छ सोचा और उससे दूसरी तरफ मुँह कर लिया... उसकी 'औरत की तरफ....

शमशेर ने उसको खींच कर अपने से सटा लिया और उसके होंटो

... शमशेर ने दिशा को खींच कर उसकी छतियो को अपनी छति से सटा दिया... और उसके होंटो को अपने होंटो से 'थॅंक्स' कह दिया... उसकी हो जाने के लिए... दिशा ने तुरंत आँखें खोल दी.... नज़रों से नज़रें मिली और 'औरत' की नज़र शर्मा गयी... रात को याद करके. दिशा ने खुद को शमशेर में छिपा लिया... और उसके अंदर घुसती ही चली गयी... शमशेर भी उसमें समा गया 'पूरा' का 'पूरा'... इश्स दौर में दिशा को इतना आनंद आया की उसकी सारी थकान दूर हो गयी...
कुच्छ देर शमशेर के उपर पड़े रहने के बाद वह उठी और उसने कपड़े पहन लिए... वह बिना बात ही मुस्कुरा रही थी... रह रह कर; बिना बात ही शर्मा रही थी... रह रह कर... वह वापस अपने यार के पास आ लेटी... उसको समझ नही आ रहा था शमशेर को क्या कह कर संबोधित करे; सर या शमशेर... इसी कसंकश में उसने दोनो को ही छ्चोड़ दिया," कल रात को मैं कभी नही भूल पाउन्गि... जी!" जैसे सुहग्रात के बाद शायद पत्नी कहती है!..."लेकिन इश्स शैतान का क्या करें... ये मानेगी नही इतनी आसानी से... बहुत जिद्दी है... मुझे डर है... कहीं ये बहक ना जाए..." और शमशेर किस्मत की देन उसकी नादान प्रेमिका को देखने लगा...!
सुबह स्कूल जाने से पहले नहाते हुए दोनो को अपने अंगों में परिवर्तन महसूस कर रही थी. दिशा को अपने पूर्ण होने का अहसास रोमांचित कर रहा था तो वाणी को उसके बदन की तड़प विचलित कर रही थी.... वाणी के मॅन में दुनिया की सबसे अच्च्ची दीदी से ईर्ष्या होने लगी... उसके बाद उसने कभी दिशा और शमशेर को कभी अकेला नही छ्चोड़ा... सोते हुए वो शमशेर को अपने हाथ और पैर से इश्स तरह कब्जा लेती की जैसे कहना चाहती हो... ये किसी और का नही हो सकता; 'सर' मेरा है... सिर्फ़ मेरा.... 'अपने' सर वाणी को 'सिर्फ़ अपने' लगने लगे....
ऐसा नही था की शमशेर की दूसरी बाजू अकेली हो, वो दिशा को समेटे रहती, पर जब भी कभी वाणी को लगता की सर उससे मुँह घुमा रहे हैं... तो नींद में ही उठ बैठती और शमशेर के उपर चढ़ कर लेट जाती.... दिशा और वाणी में दूरियाँ बढ़ने लगी.... शमशेर के कारण! ऐसे ही 5-7 दिन बीत गये.... अगले दिन अंजलि की शादी थी... वो घर चली गयी... शमशेर को टीचर -इन चार्ज बना कर! कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त
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11-26-2017, 12:54 PM,
#25
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल पार्ट -9

शमशेर को डी.ओ. ऑफीस जाना था; कुच्छ कागजात लाने के लिए, क्यूंकी अंजलि च्छुटी पर थी... वो लॅब से निकलने ही वाला था की नेहा ने प्रयोगशाला में प्रवेश किया; सेक्स लॅबोरेटरी में, "मे आइ कम इन सर?"
शमशेर: यस, कम इन!
नेहा आकर शमशेर के साथ खड़ी हो गयी; शमशेर को जब भी मौका मिलता था, नेहा के पिच्छवाड़े पर हाथ सॉफ कर देता... और उसको फिर अपनी प्यास बुझाने बाथरूम जाना पड़ता... आज नेहा फ़ैसला कर के आई थी; आर या पार," सर, आप ऐसे मत किया करें!
शमशेर: कैसे ना किया करूँ?
नेहा: वो सर... वो आप ... यूँ... यहाँ हाथ लगा देते हो; नेहा ने अपनी गांद की तरफ इशारा करके कहा; वो हज़ारो में एक थी... अभी तक कुँवारी!
शमशेर: ठीक है; सॉरी, आइन्दा नही करूँगा!
नेहा: नही सिर, मैं आपको ऐसा नही कह रही.
शमशेर मुस्कुराया," तो कैसा कह रही हो नेहा?" उसने नेहा के एक चूतड़ को अपने हाथ से मसल दिया!
"आ...सर!"
शमशेर: क्या?... शमशेर ने फिर वैसी ही हरकत की; बल्कि इश्स बार तो उसने अपनी उंगली उसकी चूत के 'बॉर्डर' तक पहुँचा दी...
नेहा: प्लीज़ सर, मैं बेकाबू हो जाती हूँ, मेरा ध्यान हमेशा आप पर ही रहता है... कुच्छ करिए ना... इसका इलाज!... उसके पैर खुल गये थे.. और ज़्यादा मज़ा लेने को.
शमशेर को जल्दी निकलना था," ओके. कल छुट्टी के बाद यहीं मिलना... कर देता हूँ इसका इलाज.." शमशेर बाहर चला गया और नेहा अंदर.... बाथरूम में!"

ऑफीस से गाँव वापस आते हुए शमशेर के साथ कोई और भी था... उसका दोस्त... मुझे नाम तो पता नही पर शमशेर उसको 'टफ' कह रहा था... टफ007...

"तो मुझे कितने दिन के लिए ले जा रहे हो?" मिस्टर. टफ ने कहा. नाम के मुताबिक ही वा सच में सख़्त था... बिल्कुल टफ! शमशेर जितना लंबा... शमशेर जितना हेल्ती और शमशेर से सुदर... उसकी उमर करीब 25 की थी.

शमशेर: जीतने दिन चाहो! तेरा ही घर है पगले!
टफ: यार; तू भी ना, ऐसे टाइम पर खींच लेता है, अपने साथ... आज कल कितना बोझ है ड्यूटी का. वो क्राइम ब्रांच में इंस्पेक्तेर था," और सुना तेरी सेक्स लाइफ कैसी चल रही है... सुधरेगा या नही...
शमशेर ने कहा," नही!" और दोनों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे! तभी अचानक शमशेर ने ब्रेक लगा दिए," देख तुझे एक मस्त मेडम से मिलता हूँ"
शीशा खोल कर शमशेर ने आवाज़ दी," अरे मेडम यहाँ कैसे?" प्यारी मेडम खड़ी थी! शमशेर ने उसको लिफ्ट के लिए ऑफर किया. प्यारी आकर गाड़ी में बैठ गयी," अरे भैया! सब तुम्हारी ही मेहरबानी है! दिशा को इतनी सी सज़ा देने पर तुमने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दिलवा दी! अब यहाँ आती हूँ रोज 20 किलो मीटर" अब तुम्हारे जैसे दयावान रोज तो नही मिलते ना... और ये तेरा भाई है क्या?
शमशेर: भाई जैसा ही है मेडम! क्यूँ?

प्यारी: शादी हो गयी इसकी या तेरी तरह खुद पका खा रहा है....

शमशेर: कहाँ मेडम; हम शादी के लायक कहाँ हैं... शमशेर की टोन सेक्सी थी... प्यारी ताड़ गयी... और उसने किया ही क्या था आज तक!
प्यारी: भैया तुम भरी जवानी में ऐसे कैसे रहते हो... प्यारी ने अपनी ब्रा को ठीक किया...
शमशेर: तैयार हो जाओ टफ भाई... इसके पाप तो तुझे ही धोने पड़ेंगे!
प्यारी: क्या मतलब?
शमशेर: कुच्छ नही; पर्सनल बात है कुच्छ...


प्यारी: अरे सही तो कह रही हूँ भैया; इंसान की और भी ज़रूरतें होती हैं... रोटी, कपड़ा; मकान के अलावा... जवान मर्द हो, लड़कियाँ कितनी दीवानी रहती होंगी ना तुम जैसों की तो!

टफ ने इशारा किया. शमशेर ने गाड़ी रोक दी. टफ उतार कर पीछे जा बैठा," सही कह रही हैं आंटी जी!" उसने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया!
प्यारी: अरे! तेरे को तो बोलने की ही तमीज़ ना है.. मैं क्या.... आंटी दिखाई देती हूँ तेरे को; ज़रा एक बार उपर से नीचे तो देख.

टफ: हाए.......और क्या बोलूं........ आंटी

प्यारी: फिर से...! अरे मेरे आगे तो कुँवारी लड़कियाँ भी पानी भरती हैं.... सरिता भी मुझसे जलती है!... वैसे नाम क्या है तेरा... मैं तो तुझे नाम से ही बोलूँगी!.... तू चाहे तो मुझे 'प्यारी कह सकता है... मेरा नाम है प्यारी...

टफ: मुझे 'प्यारा' कहते हैं प्यारी... और उसने प्यारी की जांघों पर रखे अपने हाथ को अंदर की तरफ घुसा दिया.... प्यारी ने उसका हाथ दोनों हाथों से पकड़ लिया....," धात ये भी कोई जवानी दिखाने की जगह है.... कभी हवेली पर आना.. दिखती हूँ मैं... क्या चीज़ हूँ!

टफ उसका सिग्नल मिलते ही उसकी 40" की कसी हुई चूचियों को दोनों हाथों में जैसे लपक लिया," ट्रेलर तो देख ही सकता हूँ प्यरी !"

इतने मजबूत हाथो में खुद को जकड़ा पाकर प्यारी धन्य हो गयी... उसने अपना सूट उपर उठा दिया... और ब्रा नीचे सरका दी, उसकी चूचियाँ सच में ही कुँवारियों को भी पानी पीला सकती थी! छ्होटे पपीते के आकर की प्यारी की छातिया और उन्न पर तने हुए उसके अंगूर जैसे निप्पल्स ने टफ को सिसकारी भरने पर मजबूर कर दिया!


गाड़ी चलती रही... हौले हौले!

टफ उसकी छतियो पर नहा धोकर टूट पड़ा... दोनों हाथो से वो प्यारी पर प्यार लूटा रहा था... मजबूती से... प्यारी को भी ऐसे ही मर्दों को अपनी सवारी करना पसंद था," तू अपना तो ट्रेलर दिखा दे रे प्यारे!" कहकर उसने टफ की पॅंट के उपर से ही उसके मोटे, लूंबे, अब तक टाइट हो चुके उसके लॅंड को पकड़ लिया; मजबूती से, मानो एलान कर दिया हो "अब गियर वही बदलेगी.... वही चलाएगी अब प्यार की गाड़ी!"

प्यारी ने जीप खोली और टफ के 'टफ' लंड को चेक करने लगी," अरे तुम शहर वोलोन का लौदा तो बड़ा प्यारा होता है... सॉफ सुत्हरा... गाँव में तो साले लंड के साथ अपने बॉल भी बॅट देते हैं... और उसने बिना बालों वाला 'लाउडा' अपने गले तक उतार दिया... और उस्स पर इतनी शख़्ती से दाँत गाड़ा दिए.. की टफ को लगा... वो काट कर गिर पड़ेगा... उसने प्यारी को एक ही झटके में अपने से दूर फाँक दिया," साली कुतिया... अपने साथ ही ले जाएगी क्या इसको.." और अपने हाथ ही जैसे सलवार के उपर से ही उसकी चूत में घुसा दिया!
"ऊईइ मार दी रे... तरीका भी नही पता क्या साले रंडवे! रुक जा, पहले अपना लौदा खिला दे फिर इसको चाहे काट कर अपने साथ ले जाना.

टफ ने उसका सिर पकड़ा और नीचे झुककर अपने लंड को उसके मुँह में भर दिया... गले तक... जैसे बोतल के मुँह पर कॉर्क फिट कर दिया हो!

प्यारी अंदर ही अंदर छ्टपटाने लगी.. टफ की इश्स अनोखे बदले से छुटकारा पाना प्यारी के वश की बात ना थी... वो इधर उधर बदहवासी में हाथ मारने लगी!

"आबे जान लेगा क्या इसकी, टफ ने आगे देखते देखते कहा...," छ्चोड़ दे इसको, मर जाएगी."

"मर जाएगी तो मर जाएगी साली.... लावारिस दिखा के फूँक देंगे साली को... और उसने प्यारी देवी को छ्चोड़ दिया... अब उसकी हिम्मत भी ना हो रही थी उसके लौदे की और देखने की... उसने अपनी सलवार का नाडा खोला और पैर 'प्यारे के आगे खोल दिए!

"मस्त माल है भाई... अभी तक गॅरेंटी में ही था लगता है... तू गाड़ी वापस ले ले! इसको आज ही एक्सपाइर कर दूँगा!

शमशेर ने गाड़ी सीधी स्कूल में ले जाकर घुसा दी और उन्न दोनों को "उसी प्यार की प्रयोगशाला" में क़ैद करते हुए बोला..." टफ, आराम से करना... जान से मत मार देना.... मैं 1 घंटे में आउन्गा" कहकर वह लॅब का ताला लगाकर चला गया!

अंदर आते ही टफ ख़ूँख़ार भेड़िए की तरह प्यार करने को आतुर प्यारी देवी पर टूट रहा था. वा ये गाना गुनगुना रहा था... हम तूमम्म इक कमरे में बंद हूऊओ, और.....!

"ठ्हहर तो जा निकम्मे; कभी लड़की देखी नही क्या?"

"देखी हैं... पर तेरे जैसी जालिम नही देखी"... टफ को पता था... औरत और लड़की की सबसे बड़ी कमज़ोरी.. अपनी प्रशंसा सुन-ना होती है.

प्यारी ने झट से अपने कपड़े उतार दिए... उसका भरा भरा शरीर, 40" तनी लगभग तनी हुई चुचियाँ, मोटी मोटी जांघें, जाँघो के बीच डुबकी बॉल सॉफ की हुई... मोटी मोटी फांको वाली चूत, करीब 46" की डबल गांद और उसके बीचों बीच कसे हुए चूतदों की वजह से बनी गहरी घाटी को देख टफ अपना आपा खो बैठा... उसमें शमशेर जितना कंट्रोल नही था... उसने झट से प्यारी की एक टाँग उठा कर टेबल के उपर रख दी. प्यारी की गांद फटने को हो गयी... उसकी चूत गांद के बीच में से झहहांक रही थी... टफ की और...
टफ ने घुटनों के बल बैठ कर उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी... अंदर तक...
अपनी मोटी जांघों की वजह से प्यारी को ये आसान पसंद नही आ रहा था.. उसने उतने की कोशिश करी पर टफ ने उसको मैंने की तरह दबोच रखा था... एक मोटा मैमना!

"जान से मरेगा क्या? तेरी... कुत्ते ... आ.. एक बार छ्चोड़ दे... सीधी... आ.. होकर लेट लेने दे जालिम.... अपनी चूत में रेसीली जीभ को घुसा पाकर वा आपा खोती जा रही थी... पर टाँगों का दर्द उसको परेशान कर रहा था... लेकिन टफ उसके साथ किसी तरह की रियायत के मूड में नही था... उसने जीभ अंदर तो घुसा ही रखी थी... अपनी उंगली उसकी गांद के काले हो चुके च्छेद में घुसा दी...

"हाइयी मा.. सारा मज़ा खुद ही लेगा क्या... मुझे भी तो लेने दे... प्यारी का भी तो ख़याल रख... सीधा होने दे साले... " प्यारी देवी जवान खून के आगे अपने घुटने टेक दिए... वो अब उठने की कोशिश नही कर रही थी.. हाँफ रही थी.. और विनती करके अपने लिए थोड़ी दया की भीख माँग रही थी... उसका सिर टेबल से लगा हुआ था और उसकी चुचियाँ टेबल में जैसे घुसी हुई थी... उसको तने हुए अपने निप्पालों के टेबल से रग़ाद खाने की वजह दर्द हो रहा था.

टफ अपनी उंगली इतनी तेज़ी से उसकी गांद में पेल रहा था की लगता था जैसे प्यारी के च्छेद में मोटर से चलने वाली कोई रोड अंदर बाहर हो रही हो... उसको अब बोलने का भी अवसर नही मिल रहा था... आख़िरकार, उसकी चूत "रोने" लगी... वो गाढ़े गाढ़े आँसू टपकाने लगी... टफ इश्स रस का सौकीन था... उसने रस ज़मीन पर नही टपकने दिया...

उसके बाद प्यारी को थोड़ी देर के लिए राहत मिली," मार ही दिया था तूने तो... क्या नाम है तेरा! टफ को उसकी सुननी नही थी.. अपनी करनी थी! प्यारी को पलट कर टेबल पर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी सलवार उठा ली.

सलवार का एक कोना अपनी उंगली से लपेट कर उसने प्यारी की टाँगो को ऊपर उठा कर फिर से उनको चौड़ा कर दिया...और कपड़े से ढाकी उंगली को उसकी गांद में घुसेड दिया!
" ये क्या कर रहा है तू? पागल है क्या... मैं कहाँ फँस गयी रे अम्मा!"


टफ उसकी चूत को अंदर से सॉफ कर रहा था.. बिल्कुल सूखी! उसको दर्द देकर मज़ा लेने में ही आनद आता था... और प्यारी की गीली चूत में दर्द कहाँ होता.

टफ ने टाइम वेस्ट नही किया.. अपनी उंगली निकाल दी और अपने लंड को आज़ाद करके उसकी मुँह बाए पड़ी चूत में धकेल दिया.... चूत बिल्कुल सूखी होने की वजह से जैसे प्यारी की प्यासी की दीवारें छिल गयी.. वो कराह उठी.. फिर से छ्टपटाने लगी.. पर आज़ाद ना हो पाई...

टफ में कमाल की तेज़ी सी... लंड इतनी तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था की जैसे प्यारी में भूकंप आया हो... शमशेर ने देखा उसकी मोटी चूचियाँ बुरी तरह हिल रही हैं... प्यारी देवी कुतिया की तरह भोंके जा रही थी, पर टफ को उस्स वक़्त कुच्छ नही सुन रहा था.. वो टेबल पर ही चढ़ बैठा.. प्यारी को और आगे धकेल कर... अब प्यारी देवी के खुल चुके बॉल और उसकी गर्दन दोनों ही नीचे लटक रहे थे.

टफ ने उसकी टाँगो के दोनो और से अपने हाथ निकाल कर उसकी चूचियों को मजबूती से बुरी तरह जाकड़ लिया.. और फिर वैसे ही झटके शुरू कर दिए.. अब उसकी चूचियाँ हिल नही रही थी.. पर टफ की जाकरने में वो और भी व्याकुल हो उठी. बकती बकती प्यारी की चूत को उस्स वक़्त ही आराम मिल पाया जब उसकी चूत फिर से गीली हो गयी... पर अब जैसे ही टफ का लंड उसकी चूत में फिसलने सा लगा... टफ का मज़ा कूम हो गया....करीब 20 मिनिट बाद..!

पर उसको मज़ा लेना आता था... दर्द देकर.. उसने तुरंत उसकी चूत में से लंड निकाल लिया...
"कर ना साले... अभी तक तो तू मेरी मा चोद रहा था... और अब मज़ा आने लगा तो तूने निकाल दिया... फाड़ दे साले मेरी चू...
"ये तो पहले ही फटी पड़ी है... इसको ये 8" और क्या फड़ेगा! इसके लिए तो मुझे कोई मूसल लाना पड़ेगा.... ळाउ क्या?"

"नही रे! मर जाउन्गि... बस तू मुझे अब छ्चोड़ दे जाने दे!"

ऐसे कैसे जाने देता... टफ ने उसको पकड़ कर फिर से उसी पोज़िशन में ला दिया जिस पोज़िशन में वो पहले थी... उसकी गांद फट गयी!

टफ ने उसकी गांद को घूरा और अपने लंड के लिए सही लगा तो उसमें उतारने लगा... प्यारी रोने लगी.. सूबक सूबक कर.. और 5-6 झटकों में टफ ने उसकी अंतडियों को हिला कर रख दिया... लंड दूर गांद में उतार गया था... प्यारी को होश नही था," प्लीज़ एक बार थूक लगा लो.... और इश्स बार टफ ने उसकी मान ली... टफ उसकी गांद को चौड़ा करके दूर से ही इश्स तरह थूकने लगा जैसे वा गांद नही कोई डस्टबिन हो... 4-5 कोशिशों के बाद निशाना लग गया... और थूक उसकी गांद ने पी लिया!

अब फिर वही कहानी शुरू... पर प्यारी को अब आराम था... वा 35 मिनिट में पहली बार खुश दिखाई दी... उसकी बकबक बढ़ने लगी, दर्द के मारे नही अब की बार; उत्तेजना के मारे, टफ की स्पीड अब भी वही थी जो उसकी चूत में थी..
प्यारी निहाल हो गयी.. टफ ने गांद से निकल कर चिकना लंड उसकी चूत में काम पर लगा दिया... प्यारी सिसकारने लगी और तभी उसकी चूत ने फिर पानी छ्चोड़ दिया.. वो सीधी होकर इश्स जाबाज को अपने गले से लगा लेना चाहती थी... पर टफ ने उसकी आख़िरी इच्च्छा भी पूरी ना की... उसके पलटते ही उसको बालों से पकड़कर नीचे बैठाया और... लगभग ज़बरदस्ती करते हुए.. उसका मुँह खुलवाया और लंड की सारी मेहनत का फल उसको पीला दिया... टफ ने उसको तब तक नही छ्चोड़ा.. जब तक उसके गले में से रस गेटॅक्न का आभास होता रहा

प्यारी देवी उसको टुकूर टुकूर देख रही थी... टफ ने अपना लंड बाहर निकाला और कपड़े पह्न-ने शुरू कर दिए! उसके चेहरे पर अजीब सी शांति थी... प्यारी को दर्द देने की!

"गभ्रू! आपना नाम तो बता दे!" प्यारी भी कपड़े पहन रही थी...

"टफ मुश्कुराया और बोला," मुझे अजीत कहते हैं.... आंटी जी!"

प्यारी सोच रही थी...," सला चोद चाड कर आंटी जी कह रहा है...!"

अजीत ने शमशेर के पास फोने किया और बोला आ जाओ भाई!

शमशेर और अजीत प्यारी को वापस गाँव के बाहर छ्चोड़ आए और घर चले गये!.....

"टफ,कैसी रही प्यारी?",शमशेर ने आते हुए पूचछा.
"साली बहुत कड़वी थी?" अजीत और शमशेर ज़ोर से हँसे!, अजीत ने म्यूज़िक ओन कर दिया.

घर जाकर वो सीधे उपर चले गये... दिशा और वाणी नीचे खिड़की में बैठी शमशेर का ही इंतज़ार कर रही थी... पर जब उन्होने किसी और को भी देखा तो वो बाहर ना निकली और दिशा उनके लिए चाय बनाने लगी.

चाय बना कर दिशा उपर देने गयी... वाणी भी साथ गयी... दिशा की जासूस! अब वो एक पल के लिए भी दिशा को शमशेर के पास अकेले नही छ्चोड़ना चाहती थी.
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11-26-2017, 12:54 PM,
#26
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
अजीत ने जब दुनिया की तमाम सुंदरता, मासूमियत और कशिश से भारी उन्न जवान लड़कियों को देखा तो बस देखता ही रह गया. जब वो चाय देकर चली गयी तो अजीत शमशेर से बोला," भईई! तू तो जन्नत में आ गया है... मैं भी कहूँ, तू कभी फोन ही नही करता... तेरे तो घर में दीवाली है दीवाली..."



शमशेर: प्लीज़ यार, इनके बारे में ऐसा कुच्छ मत बोल!
अजीत: क्यूँ, तूने बहन बनानी शुरू कर दी क्या 'भाई!'?

शमशेर ने एक धौल अजीत की पीठ पर जमाया और उसकी आँखों की नमी देखकर अजीत सब समझ गया," कौनसी है उस्ताद... तेरे वाली?"

शमशेर ने चाय का कप अजीत को दिया," बड़ी! वो मुझसे बहुत प्यार करती है!"

अजीत: और तू?... उसने गौर से शमशेर की आँखों में देखा...

शमशेर: पता नही! चाय पी ले ठडी हो जाएगी!

अजीत: और छ्होटे वाली, उसको भी कुच्छ ना बोलूं; वो भी तो कयामत है...

शमशेर: छ्चोड़ ना यार, कितनी छ्होटी है!

अजीत: छ्होटी है!..... चल भाई तू कहता है तो छ्होटी ही होगी... पर मेरी समझ में नही आता वो छ्होटी है कहाँ से!...... अजीत के सामने उस्स बाला की सुंदर युवती का चेहरा घूम गया!

शमशेर: यार तू तो बस बॉल की खाल निकाल लेता है... तू उसकी बातें सुन के देखना! चल इश्स टॉपिक को छ्चोड़.... तुझे दिशा कैसी लगी?

अजीत: दिशा? ये दिशा कौन है... तूने प्यारी का नाम प्यार से दिशा तो नही.....

शमशेर: बड़े वाली... ये जो अभी आई थी... वाणी के साथ!

अजीत गंभीर होकर शमशेर की और देखने लगा, दिशा का नाम आते ही उसको शमा याद आ गयी, शमशेर की शमा... जिसके लिए शमशेर ने अपना नाम दीपक से शमशेर कर लिया.... शमा;शमशेर.... अजीत अतीत में खो गया!

बात कॉलेज के दिनों की थी... आज से करीब 13 साल पहले की; अजीत का भाई सुमित और 'दीपक' साथ साथ पढ़ते थे.. तब 'दीपक' ऐसा नही था. ना तो इतना तगड़ा और ना ही इतना शांत;निसचिंत वो एक लड़की के प्यार में ऐसा दीवाना हुआ की क्या रात को नींद और क्या दिन को चैन... "शमा" यही नाम था उसका... शमशेर उसको पागलों की तरह से चाहता था... और शायद शमा भी... चाहती क्यूँ नही होगी.. एक आइ.पी.एस. ऑफीसर का बेटा था शमशेर; निहायत ही शरीफ और इंटेलिजेंट... शमा भी मॉडर्न परिवार की लड़की थी... कॉलेज में हर कोई उसका दीवाना था.. एक लड़के का तो 'दीपक' से काई बार झगड़ा भी हुआ था, शमा के लिए... और बात 'दीपक' के बाप तक पहुँच गयी थी... समाज में इज़्ज़त के झॅंड गाड़े हुए लोग रात को चाहे कितनी ही होली खेल ले; पर दिन में अपने कपड़ों को सॉफ ही रखना चाहते हैं... बेदाग!

दीपक के पिताजी ने दीपक को वॉर्निंग दे रखी थी... रोज़ रोज़ की बदनामी अगर यूँ ही होती रही तो उसको वो घर से निकाल देंगे!

पर प्यार का ज़हरीला बिच्छू जिसको डस लेता है वो समाज से बग़ावत कर लेता है... और बदले में मिलने वाली जलालत को अपनी मोहब्बत का इनाम...

शमशेर ने भी यही किया... उसके शमा से प्यार को देखकर उसके दोस्त उसको शेर कहने लगे; शमा का शेर! और वो दीपक से शमशेर हो गया; शमा का शमशेर!

उस्स पागल ने डॉक्युमेंट्स में भी अपना नाम बदल लिया... इश्स बात से खफा उसके पिता जी ने उसको धक्के दे दिए; 'अपने घर से' और तभी से वो अजीत के घर रहने लगा... उनके भाई की तरह!

कुच्छ दिनों बाद की बात है... शमशेर की क्लास के एक लड़के ने सबको अपनी बर्थडे पार्टी के लिए इन्वाइट किया, शमशेर को भी; अपने फार्म हाउस पर;

ये वही लड़का था जिसके साथ पहले झगड़ा हो चुका था, शमा के लिए.... शमशेर जाना नही चाहता था... पर शमा उसको ज़बरदस्ती ले गयी, अपने साथ; फार्महाउस पर....

वो ही वो कयामत की रात थी.. जिसने शमशेर को ऐसा बना दिया... बिल्कुल शांत... बिल्कुल निसचिंत!


दिनेश ने केक काटा और सबसे पहले शमा को खिलाया, फिर उसके होंटो को चूम लिया; शमा ने भी उसको अपनी बाहों में भर लिया और एक लुंबी फ्रेंच किस दी... ये किस दिनेश की केवल वेल विशेज़ नही थी; दोनों के चेहरों से वासना टपक पड़ी रही थी... शमशेर को एक पल तो जैसे यकीन नही हुआ... फिर खून का घूँट पीकर रह गया; आख़िर उस्स किस में शमा की मर्ज़ी शामिल थी.

हद तो जब हो गयी, जब कुच्छ देर बाद दिनेश उसको अपने कंधे पर उठा कर जाने लगा...शमा ने शमशेर को बाइ किया, मुस्कुराते हुए!

"दिनेश!" शमशेर की आँखों में खून उतार गया... सभी की आँखों में उतर जाता... बेवफ़ाई का ऐसा नंगा पारदर्शन देखकर.

दिनेश ने शमा को अपने कंधे से उतारा," क्या है बे! अभी तेरी 'बहन को चोदुन्गा साले! आजा देखना हो तो!"... शमा अब भी मुश्कुरा रही थी

शमशेर उसकी और भागा... पर दिनेश के दोस्तों ने मिलकर उसको पहले ही लपक लिया... नही तो एक खून और हो जाता... दिनेश का या शमा का... एक खून तो पहले ही हो चुका था... 'शमशेर' के अरमानों का..

"साले को अंदर ले आओ!" दिनेश दाहदा.... और वो उसको एक बेडरूम में ले गये... आलीशान बेडरूम में; और शमशेर को वहाँ घुटनों में लाठी देकर बाँध दिया... शमशेर ज़मीन पर पड़ा था... असहाय और लाचार!

शमा और दिनेश कमरे में आ गये. दिनेश ने इशारा किया और शमा अपने शरीर का एक एक कपड़ा उतार कर शमशेर की और फांकति गयी... आख़िर में अपनी पनटी भी.... शमशेर का चेहरा भीग गया था...उसके लचर आँसू फर्श पर बह रहे थे... उसने आँख खोल कर शमा को देखा... शमा दिनेश के अंग को मुँह में ले कर चूस रही थी... शमशेर की आँखे बंद हो गयी... उसके बाद कमरे में करीब 30 मिनिट तक शमा की आँहे गूँजती रही... सिसकियाँ गूँजती रही... जो शमशेर के कानो में पिघले हुए लावे की तरह जा रही थी! शमशेर लाख कोशिश करने के बाद भी अपने कान बंद नही कर पाया... उसको सब कुच्छ सुन-ना पड़ा; सब कुच्छ.

अंत में जब सिसकिया बंद हो गयी तब शमशेर ने आँखें खोली... दिनेश उसकी नंगी छतियो पर पड़ा था... शमा ने बोला," आइ लव यू दिनेश!" उसी लहजे में जिस लहजे में उसने हज़ारों बार बोला था... आइ लव यू दीपक.... आइ लव यू माइ शमशेर!

शमशेर ने कपड़े पहनकर बाहर जाती हुई शमा से पूचछा," तुमने..... ऐसा क्यूँ किया, शमा! "

"क्यूंकी तुम्हारे पास अब पैसा नही है... जान!" और वो मुश्कूराती हुई चली गयी...

दिनेश ने अपने दोस्तों को बुलाया," खोल दो साले को; अगर ज़रा भी गैरत होगी तो खुद ही मर जाएगा... बहन का....!"

उसके दोस्तों ने शमशेर को खोल दिया; पर शमशेर नही उठा... अब उठने को रहा ही क्या था!

उसके दोस्तों ने शमशेर को फार्म हाउस से बाहर फैंक कर अजीत के भाई को फोन कर
दिया. वो अपने दोस्तों के साथ आया और शमशेर को ले गया. कॉलेज में जिसको भी पता चला; वो खूब रोया, पर शमशेर के आँसू नही निकले... उसके सारे आँसू निकल चुके थे; शमा के सामने!

शमशेर के पिता को पता चला तो भागा हुआ आया, लंबी लंबी लाल्बत्ति वाली गाड़ियों में. और अपने वंश को ले गया...

उसके दो दिन बाद ही शमा और दिनेश मरे पाए गये! पोलीस ने अपनी केस डाइयरी में लिखा," वो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, पर समाज ने उनको मिलने ही नही दिया... इसीलिए दोनों ने सुसाइड कर लिया!

कहते हैं समय सब कुच्छ भुला देता है... शमशेर भी बदल गया... पर दो चीज़े उसने नही बदली... एक तो अपना नाम... और दूसरा उस्स रात के बाद वाला अपना नेचर;..... बिल्कुल शांत.... बिल्कुल निसचिंत...

वो प्यार से नफ़रत करने लगा... उसको तब के बाद लड़कियों से एक ही मतलब रहता था... सेक्स... सेक्स और सेक्स....

शमशेर ने अजीत को देखा... वो आँखे बंद किए रो रहा था.... बिना बोले.... लगातार...!

शमशेर ने अजीत के हाथ से कप ले लिया... चाय तो कब की ठंडी हो चुकी थी. वो कुच्छ ना बोला. उसके दोस्त जब भी उससे मिलते थे तो शमशेर के अतीत को याद करके ऐसे ही सुबक्ते थे... भीतर ही भीतर...

शमशेर उसके लिए पानी ले आया," लो, टफ! मुँह धो लो!... कुच्छ देर बाद सब नॉर्मल हो गया और वो फिर से मस्ती भारी बातें करने लगे

"शमशेर भाई! ये तो बता ये सरिता क्या बाला है?"

"कौन सरिता?", शमशेर को याद नही आया!

अरे वो मेरी 'प्यारी' गाड़ी में कह नही रही थी!" मुझसे तो सरिता भी जलती है."

"ओह अच्च्छा! सरिता! वो उसी की तो बेटी है...

"मस्त है क्या?"

"देखेगा, तो खुद ही समझ जाएगा!"

"भाई! वो भी दिख जाएगी क्या?"

"हां, हां; क्यूँ नही दिखेगी?"

"लगता है खानदान ही धंधे में है, भाई!"

तभी दिशा उपर आई," खाना लगाना है क्या.... सर". दिशा दरवाजे की साइड में खड़ी थी, शरमैई सी, और वाणी उसकी साइड में..... जासूस!

अजीत: एक बार अंदर आना!.... वो शमशेर के नये प्यार को अपनी आँखों से परखना चाहता था.....

दिशा अंदर आ गयी... नज़रें झुकाए.... और वाणी ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था... वो इश्स नये मेहमान को घूर रही थी!

"अच्च्छा! एक बात तो बताओ; तुम्हारा फॅवुरेट टीचर कौन है....." अजीत ने कहा

दिशा निशब्द खड़ी रही... वो उसके सर थोड़े ही थे! पर वाणी ने एक भी सेकेंड नही गवाई, और बेड पर चढ़कर सर से लिपट गयी," शमशेर सर!"

अजीत ने उसकी और हाथ बढ़ाया," हाई! आइ एम अजीत आंड यू"

वाणी ने दोनों हाथ जोड़ दिए," नमस्ते! और हाथ नही मिलवँगी; दीदी कहती हैं, बाहर वाले लड़कों को ज़्यादा मुँह नही लगाते!"

ऐसा सुनते ही तीनों की ज़ोर से हँसी छुट गयी! वाणी को लगा कुच्छ ग़लत कह दिया, दीदी से पूच्छ लो; इन्होने ही बोला था!

दिशा शर्मकार नीचे भाग गयी... और वाणी उसके पीछे पीछे... ये पूच्छने के लिए की उसने क्या ग़लत कह दिया!

नीचे जाते ही दिशा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी... वाणी ने पूचछा," क्या हुआ दीदी! बताओ ना!"
दिशा हंसते हुए बोली," कुच्छ नही तू भी कितनी उल्लू है, कोई किसी के सामने ऐसे ही थोड़े बोलता है!.... और फिर वे इनके दोस्त हैं!"


वाणी: सॉरी दीदी! मैं उपर सॉरी बोलकर आऊँ?

दिशा: नही रहने दे! ...... फिर कुच्छ सोच कर बोली," वाणी! एक बात पूच्छून तो बताएगी!

वाणी: पूच्छो दीदी!

दिशा: मान लो तेरी किसी के साथ शादी हो जाती है...
वाणी: मैं तो सर से ही शादी करूँगी दीदी....

दिशा सिहर गयी... वाणी के प्यार का रंग बदलता जा रहा था...

दिशा: वाणी!........... शमशेर से मैं प्यार करती हूँ;( वो भावुक हो गयी थी) मैं उनसे शादी करना चाहती हूँ... क्या तू मेरे और उसके बीच में आएगी? क्या तू कभी अपनी दीदी का दिल तोड़ सकती है...

वाणी ने उसका हाथ पकड़ लिया .... ," क्या ऐसा नही हो सकता की सर हम दोनों से शादी कर लें, दीदी! मेरी एक सहेली की दो मुम्मिया हैं"

दिशा ने उसके गालों को सहलाते हुए कहा," हम हिंदू हैं, वाणी! हमारे धरम में ऐसा नही होता....

"पर दीदी; हम कह देंगे हम तो मुसलमान बन गये!"

"ऐसे नही होता वाणी! और मान भी लो; ऐसा हो जाए तो क्या हम एक दूसरे को शमशेर और अपने बीच एक दूसरी को सहन कर लेंगे...."

"बीच में कहाँ दीदी; एक तरफ में और एक तरफ तुम..."

दिशा: तू तो है ना; बिल्कुल पागल है; एक बात बता, ये जो सर के दोस्त हैं..... कैसे लगते हैं तुझे..?

वाणी: बहुत सुंदर है दीदी... सर से भी सुंदर!

दिशा: तू उनसे शादी कर ले ना! में शमशेर से बात कर लूँगी!
अगले दिन सुबह सुभह जब दिशा शमशेर और अजीत के लिए चाय देने आई तो अजीत को वहाँ ना पाकर वो बहुत खुश हुई, क्यूंकी वो अकेली थी; वाणी सोई हुई थी... पुर 24 घंटे से शमशेर ने उसको च्छुआ नही था," आपके दोस्त कहाँ गये?"
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11-26-2017, 12:56 PM,
#27
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर ने उसको देखते ही अपनी बाहों में उठा लिया... दिशा उससे लिपट गयी... उसके साथ के बिना दिशा को एक एक पल अधूरा सा लगता था...

जी भर कर उसके चेहरे को चूमने के बाद बोला," उसको भी ड्यूटी करनी है भाई! वैसे कोई काम था क्या? ... और वाणी नही आई उपर तेरे साथ!"

वाणी: आपका उसके बिना, और उसका आपके बिना दिल ही नही लगता. मैं तो बस ऐसे ही काँटा बनी हुई हूँ!...... वो सोई हुई है...

शमशेर: सोई हुई है... स्कूल नही जाना क्या?

दिशा: नही!

शमशेर: क्यूँ?

दिशा सकुचती हुई सी...," बस... ऐसे ही!"

शमशेर: ऐसे ही का क्या मतलब है? आज तो स्कूल में बेस्ट ड्रेस कॉंपिटेशन भी है ना!

दिशा: हां........ इसीलिए तो...

शमशेर: तो तुम्हारे बिना क्या वहाँ भूत अवॉर्ड लेंगे? चलो उसको उठा कर जल्दी तैयार होने को कहो!

दिशा, अपना सिर नीचा करके.... " वो.... हमारे पास ड्रेस नही है!" उसके चेहरे से कॉंपिटेशन में भाग ना ले सकने की मजबूरी सॉफ झलक रही थी...

शमशेर: तो ये बात है... मुझे क्यूँ नही बोला... मैं क्या कुच्छ लगता नही हूँ... तुम्हारा किरायेदार हूँ आख़िर!

दिशा ने अपने हाथ का मुक्का बना कर उसको दिखाया और उसकी छति पर सिर टीका दिया...

शमशेर: चलो, अकेलेपन का फयडा उठाओ; कपड़े निकल दो आज तो!

दिशा: अभी!.... मॅन तो उसका भी मचल रहा था!

शमशेर: हां अभी!

दिशा आँखें बंद करके बेड पर लेट गयी... खुले कमीज़ में भी उसकी छतियो का कसाव गजब ढा रहा था... शमशेर अंदर गया और एक डिब्बा उसके पेट पर रख दिया!

दिशा ने आँखें खोल दी," क्या है ये?"

शमशेर: चलो तैयार हो जाओ! स्कूल चलना है... वाइट जीन्स टॉप तुम्हारे लिए
है और वाणी के लिए वाइट स्कर्ट टॉप!

दिशा शमशेर से लिपट गयी... उसकी आँखों से निकले आँसू शमशेर को "आइ लव यू" बोल रहे थे; उसकी केअर करने के लिए.....


दिशा और वाणी जब नयी ड्रेस में स्कूल पहुँची तो मानो स्कूल का हर कोना उनकी तरफ खींचा आया था.. दोनों स्वर्ग से उतरी अप्सरायें लग रही थी.... लड़कियाँ उनको हैरत से देख रही थी, जैसे उनको पहचाना ही ना हो! इश्स तरह सबको अपनी और देखता पाकर दोनों फूली नही समा रही थी...

दिशा तो पहले ही लड़कों के लिए कयामत ही थी... आज तो लड़किययाँ भी जैसे उसको दिल दे बैठी हों! सफेद टाइट टॉप में उसकी छतिया इश्स कदर सपस्ट दिखाई दे रही थी... कि बाहर से गेस्ट आए बूढो तक की आँखें बाहर निकालने को हो गयी! चारों और से सीटियाँ ही सीटियाँ कॉंटेस्ट शुरू होने से पहले ही ये एलान कर रही
थी की आज का विन्नर कौन होगा. उसका टॉप उसकी कमर को पूरा नही ढक पा रहा था... उसकी नाभि के कटाव पर सभी "भूखे कुत्तों की भी ... और छके हुए "बूढ़े कुत्तों" की भी जीभ लपलपा रही थी.. वह जिधर भी जाती... सभी आँखें वही मूड जाती... दिशा से सब सहन नही हो रहा था... अपनी खुशी पर काबू पाना उसके वश में नही था... उसके पिच्छवाड़े की गोलाइयाँ इतनी गोल थी मानो उन्हे किसी किसी ड्रॉयिंग एक्विपमेंट की सहायता से निशान लगाकर तराशा गया हो... सब कुच्छ सही सही..... शी वाज़ जस्ट ए पर्फेक्ट लेडी ऑन अर्थ; आइ बिलीव!

उधर वाणी भी कम कहर नही ढा रही थी... सब कुच्छ दिशा जैसा ही, नपा तुला! पर दिशा के मुक़ाबले उतनी 'जवान' नही होने की वजह से वो आँखों को अपने से लपेट नही पा रही थी... फिर भी वो बहुत खुश थी... उसके सर जो उसको देख रहे थे...! और उस्स नादान दीवानी को क्या चाहिए था...

कॉंपिटेशन शुरू हो गया... बहुत सी लड़कियाँ तो दिशा और वाणी को देखकर स्टेज पर ही नही चढ़ि... और जो चढ़ि वो भी दर्शकों की हँसी का पात्रा बनकर रह गयी.

अंत में दो ही नाम मैदान में रहे.......बताने की ज़रूरत नही है.

मिस्टर जज मंच पर चढ़े और उन्होने बोलना शुरू किया... दोनों की ख़्ूबसूरती का नशा उस्स पर से अभी उतरा नही था...

" प्यारे बच्चो; टीचर्स और इश्स कॉंपिटेशन की शोभा बढ़ने आए मेहमानो," कहते हैं की सुंदरता मॅन की होती है; तंन की नही, पर आज के.. ...... वग़ैरा वग़ैरा......!
अंत में मैं इश्स नतीजे पर पहुँचा हूँ कि 2 बच्चियों को किसी भी तरह से तंन और उनके द्वारा पहनी गयी ख़्ूबसूरत ड्रेसस के आधार पर कहीं से भी एक दूसरी से कम या ज़्यादा नही ठहराया जा सकता... और जब ये दोनों चीज़े बराबर हैं तो हमें चाहिए हम उनके मॅन की सुंदरता से उन्हे तोले! अब क्यूंकी मैं इनको जानता नही हूँ इसीलिए दिशा और वाणी में से विजेता चुन-ने के लिए में प्रिन्सिपल को मंच पर इन्वाइट करना चाहूँगा...

प्रिन्सिपल तो छुट्टी पर थी; स्टाफ वालों ने टीचर इन चार्ज शमशेर को मंच पर धकेल ही दिया... हां धकेलना ही कहेंगे क्यूंकी एक भंवरे को अपने दो फूलों में से एक को छाती में लगाना था और दूसरे को पैरों पर गिराना था.....

कैसी घड़ी आ गयी... इससे अच्च्छा तो वो ड्रेसस का सर्प्राइज़ ना ही देने की सोचता तो अच्च्छा था... शमशेर बहके कदमों से स्टेज पर चढ़ा.......


शमशेर ने स्टेज पर चढ़कर दोनों परियों को देखा... दोनों इतरा रही थी... अपने आप पर... उसी के कारण... ना वो ड्रेस लेकर आता ना ही वो स्कूल आती! ये सब उसका खुद का किया धरा है.... दोनो को ही अपनी अपनी जीत का विश्वास था... दोनों को यकीन था की शमशेर सिर्फ़ उसी से प्यार करता है.... दोनो ही बस भागने को तैयार बैठी थी... अपना नाम बोलते ही भाग कर स्टेज पर जाने के लिए... जब सीटियों का शोर तेज हो गया तो शमशेर को होश आया..... उससे और कुच्छ ना बोला गया..... उसने 'वाणी!' कहा और स्टेज से उतर गया.... वाणी भागती हुई आई और सर से लिपट गयी... उसकी आँखों में चमक थी, जीत की; अपनी दीदी से जीत की... पर शमशेर
का ध्यान दिशा पर गया... वो क्लास की और जा रही थी... आँसू पूछ्ते हुए!



इनाम लेकर वाणी किसी गुड़िया की तरह उच्छल रही थी... सबको दिखा रही थी... शमशेर सीधा ऑफीस में चला गया... उसने मॅन देखा था... तंन नही!

वाणी भागती हुई ऑफीस में आई और अपना इनाम सर को दे दिया," लो सर!"
शमशेर ने वाणी से कहा," तुम्हारा इनाम है, तुम्ही रखो!"

वाणी ने शमशेर को उसी की बात याद दिला दी," नही सर, मेरा नही है..... अपना है!"

शमशेर का गला रुंध गया... वो कुच्छ भी ना बोल पाया!

"एक बात कहूँ सर जी!"

"हुम्म..."

"आप मुझसे ही शादी करोगे ना....."
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11-26-2017, 12:57 PM,
#28
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल--10


होली का दिन था... चारों और गुलाल ही गुलाल .... सिर्फ़ दिशा और वाणी के रंग उड़े हुए थे... दिशा के तो जैसे हाथ पैर ही काम नही कर रहे थे.... वह अब भी शमशेर को माफ़ करने को तैयार थी... पर कम से कम शमशेर उससे बात तो करे... आइन्दा ऐसा ना करने का वादा तो करे... पर शमशेर ने तो उससे बात तक करनी छ्चोड़ दी... उस्स दिन के बाद! ये बात दिशा और वाणी को और परेशान कर रही थी.

"अरे क्या हो गया तुझे बेटी? त्योहार के दिन कैसी शकल बना रखी है... चल उठ नहा धो ले!" मामी ने कहा!

दिशा ऐसे ही पड़ी रही... हिली तक नही...

मामी: वाणी! क्या है ये ... देख मैं तेरे सर को बता दूँगी

दिशा सुनते ही बिलख पड़ी," बता दो जिसको बताना है मामी... मुझसे नही. चला जाता.. ना मुझे अब पढ़ना है... और ना ही कुच्छ करना है!"

मामी: अच्च्छा! वाणी जा बुलाकर तो ला तेरे सर को!

वाणी नही उठी...

मामी: ठहर जा! तुम दोनों शैतान हो गयी हो! मैं बुलाकर लाती हूँ"

मामा: रुक जा; मैं ही लाता हूँ बुलाकर; मुझे सरपंच की लड़की के बारे में उससे बात भी करनी है!

दिशा के कान खड़े हो गये," क्या बात करनी है... मामा?"

मामा: अरे वो सरपंच आया था मेरे पास... कह रहा था... उसकी लड़की सरिता का रिश्ता ले लें तो तुम्हारे सर... बहुत बड़े ओफीसर के बेटे हैं... कह रहे तहे.. घर भर देंगे इनका...

दिशा विचलित सी हो गयी," कहीं शमशेर सरिता से तो प्यार नही करता..."

रूको! मैं बुलाकर लाती हूँ! दिशा उपर भाग गयी... पीच्चे पीच्चे वाणी!

दिशा ने तरारे के साथ दरवाजा खोला," तुम... तुम जब सरिता से प्यार करते हो तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया... बोलो... बोलो... तुम्हे बोलना पड़ेगा!

शमशेर कुच्छ ना बोला... दिशा तड़प उठी," सरिता का रिश्ता आया है तुम्हारे लिए... कर लेना शादी... घर भर देंगे तुम्हारा... जाओ कर लो शादी..." वो रोने लगी...

वाणी: सर, आपको मामा बुला रहे हैं


शमशेर ने दिशा और वाणी का हाथ पकड़ा और नीचे चला गया.... दिशा ने हाथ च्छुदाने की कोशिश करी पर ना च्छुटा सकी...!

नीचे जाकर उसने मामा से पूचछा," क्या बात है मामा जी?

मामा: अरे वो सरपंच आया था.....
..........दहेज बहुत ज़्यादा देंगे.. अच्च्छा रिश्ता है बेटा ... आगे तुम जो कहोगे मैं बता दूँगा....

शमशेर: मैं..... दिशा से शादी करूँगा मामा जी... आप चाहे या ना चाहे ... दिशा से...

मामा ने दिशा की और देखा; उसके चेहरे के रंग वापस आ गये थे... वो एकटक प्यार से शमशेर को देखे जा रही थी...

मामा: हमारी दिशा के तो भाग खुल जाएँगे बेटा...

दिशा शर्मकार अंदर भाग गयी ... और वाणी भी; शर्मकार नही... अपनी दीदी के चेहरे की खुशी मापने...

शमशेर के चेहरे पर जहाँ भर की रौनक़ आ गयी... उसका वनवास पूरा हुआ..!

उस्स दिन सबने जमकर होली खेली...

कुच्छ दिन बाद शमसेर ने अपना ट्रान्स्फर बॉय'ज स्कूल में करा लिया... और अपनी जगह एक और आशिक़ को वहाँ भेज दिया... उससे भी ज़्यादा ठरकी....

दिशा शमशेर के साथ शहर चली गयी.... पढ़ने भी और खेलने भी... अपने शमशेर के साथ...

वाणी को भी वो साथ ही ले गये... खिलाने नही... पढ़ाने...

वाणी समझ चुकी थी... इश्को खेल नही इश्क़ कहते हैं और ये इश्क़ आसान नही होता. ... और ये भी की अच्च्चे ख़ान दानो में ये.... एक के साथ ही होता है.......

शमशेर कभी समझ ही नही पाया की इतने पाप करने के बाद भी भगवान ने ये हीरा उसको कईसे दे दिया...... शायद उसके एक बार किए हुए सच्चे प्यार के लिए...

शमशेर की लाइफ में फिर से प्यार आ गया .. और उसने सेक्स सेक्स और सेक्स की थेओरी छ्चोड़ दी...

टफ अब भी गाँव में आता है... पता नही उसको कौन सुधारेगी!

नये मास्टर जी के किससे अगले पार्ट से.. वैसे बता दूं वो शादी शुदा है....कहानी अभी ख़तम नहीं हुई है उनका राज है
वो भी बड़े मस्त किस्म के बंदे हैं हर समय सेक्स का कीड़ा उनके दिमाग़ मॅ घुसा रहता है बहुत ही रंगीन किस्म के है
उनके सेक्शी चुटकुले बहुत अच्छे है तो पेश है उनके कुछ सेक्सी चुटकले

एक व्यक्ति एक बार में जाता है और देखता है कि एक आदमी एक नेवले जैसे जानवर के साथ बैठा है।
और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह उसे बङे प्यार से स्ट्रोक लगा रहा था। पहले व्यक्ति ने प्रश्न किया, "तुम उस जानवर में झटके क्यों मार रहे हो?"

उसने उत्तर दिया, "मेरे दोस्त, यह जानवर दुनिया में सबसे अधिक मज़ा देनेवाल जीव है।"

"बकवास, ऐसा किसी भी सूरत में नहीं हो सकता।"

"जाओ आप ही पता कर लो।"

अतः पहला व्यक्ति उसे लेकर बाथरूम में जाता है। कुछ मिनटों के बाद वहाँ बाथरूम से आनन्दमग्न चीखों की आवाजें आतीं हैं। पहला व्यक्ति जानवर को प्यार से झटके देते हुए बाहर आता है, और दूसरे व्यक्ति की ओर देखता है। "मैं तुम्हें इसके लिए 500$ दूँगा, 1000$ नहीं।"

दूसरा व्यक्ति इस बारे में थोङा सोचता है फिर कहता है। "ठीक है, इसके तो हज़ार डॉलर ही लूँगा।"

फिर पहला व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को पैसे अदा करके जानवर को घर ले आता है। वह अपनी पत्नी के सामने उसे एक टेबल पर रखता है और उसे यह कहानी सुनाता है। वह उसे आश्चर्यजनक नज़रों से देखती है, "मैं इस 1000$ के जीव के साथ क्या करूँ?"

"इसे खाना बनाना सिखा दो, और तुम यहाँ से दफा हो जाओ!"


2--


एक युगल हनीमून-बेड पर अपनी शादी का आनन्द लेने के लिए तैयार थे, तभी दुल्हन ने दूल्हे से कहा, "मुझे एक गलती स्वीकार करनी है, मैं कुँवारी नहीं हूँ।"

पति ने उत्तर दिया, "इस युग में और इस उम्र में ऐसा होना कोई बङी बात नहीं है।"

पत्नी ने बात बढ़ाई, "हाँ, मैं एक मर्द के साथ रही हूँ।"

"अच्छा? वह आदमी कौन था?"

"टाईगर वुड्स।"

"कौन गोल्फ वाला वुड्स?"

"हाँ।"

"हाँ वह धनी, मशहूर और हैंडसम है। मैं समझ सकता हूँ कि तुम उसके साथ क्यों सोई होगी।"

पति और पत्नी उसके बाद जमकर प्यार करते हैं। हो जाने के बाद, पति उठता है और टेलीफोन के पास जाता है।

"तुम क्या कर रहे हो?" उसकी पत्नी पूछती है।

पति कहता है, "मुझे भूख लगी है, मैं रूम-सर्विस को कॉल करके कुछ खाने के लिए मँगवाना चाहता हूँ।"

"टाईगर ऐसा कभी नहीं करता!" वह दावा करती है।

"अच्छा? तो टाईगर क्या करता?"

"वह वापस बेड पर आता और दुबारा मेरी चुदाई करता।"

पति फोन रख देता है बिस्तर पर अपनी पत्नी को दुबारा चोदने आता है। हो जाने के बाद वह उठता है और फिर फोन के पास जाता है।

"तुम क्या कर रहे हो?" वह पूछती है।

पति कहता है, "मुझे अभी भी भूख है तो मैं रूम-सर्विस को कॉल करके कुछ खाना मँगवाना चाहता हूँ।"

"टाईगर ऐसा नहीं करता," वह दुबारा दावा करती है।

"अच्छा? तो टाईगर क्या करता?"

"वह वापस बिस्तर पर तीसरी बार के लिए आता।"

आदमी फोन को पटक कर फिर से बिस्तर पर जाता है और पत्नी को तीसरी बार चोदता है। जब चुदाई हो जाती है तो वह थक-हार जाता है। वह किसी तरह घिसट कर फोन के पास पहुँच कर डायल करना शुरू करता है।

पत्नी पूछती है, "क्या तुम रूम-सर्विस को कॉल कर रहे हो?"

"नहीं मैं टाईगर वुड को कॉल करके पता लगाना चाहता हूँ कि इस भोसङे का क्या मूल्य है?"

3--गाली की चिकित्सा!
छोटे जस्टिन को गालियाँ देने की समस्या थी, और उसके पिता इससे उकता चुके थे।

उन्होंने इस बारे में किसी गुरू से पूछने का निर्णय लेते हैं। गुरू बताते हैं, "विपरीत शक्ति का प्रयोग। चूँकि क्रिसमस समीप आ रहा है, तो आप जस्टिन से पूछें कि वह सान्ता से क्या चाहता है। अगर वह अपनी अच्छा-सूची के दौरान गालियाँ देता है, तो आप उसके प्रत्येक उपहार के बदले कुत्ते के मल का एक टुकङा रख दें।"

क्रिसमस के दो दिन पहले, जस्टिन के पिता उससे पूछते हैं कि उसे क्रिसमस के लिए क्या चाहिए। "मैं एक बहनचोद टेड्डी बेयर चाहता हूँ जो साला मेरे साथ लेटे रहे जब मैं उठूँ। और जब मैं नीचे जाऊँ, तो मझे एक साली ट्रेन, उस पेङ लौङे के गिर्द घूमती मिले। और जब मैं बाहर जाऊँ, तो मुझे एक मादरचोद साईकिल, गैरेज भोसङे के पास लेटी मिले।"

क्रिसमस की सुबह, जस्टिन जागता है और उसे उपहारों के बदले कुत्तों के मल मिलते हैं। परेशान होकर वह नीचे जाता है और उसे वहाँ भी यही चीज़ मिलती है। वह बाहर जाता है और ढेर सारा मल गैरेज के पास पाता है, फिर वह अन्दर आ जाता है। उसके पिता मुस्कुराते हैं, और पूछते हैं, "सान्ता इस वर्ष तुम्हारे लिए क्या लेकर आये?"

जस्टिन उत्तर देता है, "मैंने सोचा कि मुझे एक कुत्ता मिला है बहनचोद, परन्तु मैं उस रंडी की औलाद को कहीं भी नहीं ढूँढ़ पा रहा हूँ!"



4--हाथी का लिंग
एक युगल अपने छोटे से बेटे को सर्कस दिखाने ले जाते हैं। जब उसका पिता पॉपकॉर्न खरीदने जाता है, तो बच्चा अपनी माँ से पूछता है, "माँ, हाथी की वह लम्बी सी चीज़ क्या है?"

"वह हाथी की सूँढ़ है, बेटे," वह उत्तर देती है।

"नहीं, मॉम। वो नीचे वाली चीज़।"

उसकी माँ थोङी परेशान होकर कहती है, "ओह, वो तो बस कुछ भी नहीं है।"

पिता वापस आता है और माँ सोडा लाने के लिए चली जाती है। जैसे ही वह जाती है बच्चा वही प्रश्न अपने पिता से दुहराता है।

"वह हाथी की सूँढ़ है बेटे।"

"डैड, मुझे पता है कि हाथी की सूँढ़ क्या होती है। वह नीचे वाली चीज़।"

पिता कहता है, "ओह, वह तो हाथी का लण्ड है।"

"डैड," बच्चा पूछता है, "जब मैंने मॉम से पूछा तो उन्होंने क्यो कहा कि वह तो कुछ भी नहीं है?"

आदमी गहरी साँस लेता है और बताता है, "बेटे, मैंने उस औरत का भोसङा बना डाला है। उसे पता है कि मेरा कैसा है।"

5--बेवकूफ पड़ोसन
एक आदमी अपने घर के आगे के लॉन की छँटाई कर रहा था कि तभी उसकी सेक्सी पङोसन अपने घर से बाहर आती है और सीधा मेल-बॉक्स के पास जाती है। उसे खोलती है फिर धङाम् से बन्द करके तेज़ी से घर के अन्दर चली जाती है। थोङी देर बाद वह फिर बाहर आती है, मेल-बॉक्स के पास जाती है फिर से उसे खोलती है, और दुबारा जोर से बन्द करके गुस्से से भरी हुई घर के अन्दर चली जाती है।

आदमी फिर से घास काटने में जुट जाता है, कि तभी वह फिर बाहर आती है, उसके कदम मेल-बॉक्स तक जाते हैं, उसे खोलती है और फिर अबतक के सबसे ज़ोरदार झटके से बन्द करकी है।

आदमी उसकी हरकतों से परेशान होकर उससे पूछता है, "क्या कुछ गङबङ है?"

उसको वह उत्तर देती है, "हाँ ज़रूर कुछ गङबङ है!"

मेरा बेहूदा कम्प्यूटर बार बार कह रहा है कि "आपका मेल आया है!

5--अय्याश मुर्गा
एक किसान को अपनी मुर्गियों से अंडे चाहिए थे, अतः वह बाज़ार गया और एक मुर्गे की तलाश करने लगा। उसे आशा थी कि उसे एक अच्छा मुर्गा मिल जाएगा - जो उसकी सभी मुर्गियों के साथ सम्भोग कर सके। जब उसने दुकानदार से पूछा, तो उसने उत्तर दिया: "मेरे लिए बस आपके काम लायक ही एक मुर्गा है। हेनरी एक ऐसा चोदू मुर्गा है जैसा आपने कभी नहीं देखेंगे!"

तो किसान उसे लेकर अपने फार्म पर आ गया। उसे मुर्गियों के साथ छोङने से पहले उसे थोङी सलाह दी: "हेनरी," उसने कहा, "मैं तुमपर भरोसा कर रहा हूँ कि तुम तुम्हारा काम अच्छी तरह से करोगे।" और हेनरी बिना कुछ कहे हुए अन्दर चला गया।

हेनरी बहुत तेज और जल्दबाज़ था, वह हर मुर्गी को जकङ कर बिज़ली की तेज़ी से चुदाई कर रहा था। जबतक उसका काम खत्म न हुआ, वहाँ उसने धूल-गर्द और पंखों का तूफान उङा दिया। मगर हेनरी यहीं नहीं रूका।

वह तबेले में गया और हरेक घोङी को एक एक करके उसी रफ्तार से जकङ कर चोद डाला। उसके बाद वह सूअर के बखोर में घुस गया और वही किया। किसान अविश्वास के साथ यह सब देख रहा था, वह चिल्लाया, "रूक जा, हेनरी!! ऐसे में तुम मारे जाओगे!!"

पर हेनरी ने काम चालू रखा, उसने फार्म के हर जानवर को चुन-चुन कर पूरी रफ्तार से चोदा।

फिर, अगली सुबह, किसान ने देखा कि हेनरी लॉन में पङा हुआ है। उसकी टाँगें आकाश की तरफ थीं, आँखें लुढ़क गईं थीं, और उसकी लम्बी जीभ बाहर लटक रही थी। एक चील उसके ऊपर पहले से चक्कर काट रही थी। किसान चलकर हेनरी के पास गया और कहा, "बेचारा, देखो तुमने क्या कर लिया, तुमने खुद को मौत के मुँह में झोंक लिया। मैंने तुम्हें पहले ही चेताया था छोटू।"

"शस्स्स्स्स्स्स्," हेनरी फुसफुसा कर बोला, "चील नज़दीक आ रही है।"



6-मक्खी का लिंग
एक राजा को एक समुराई की ज़रूरत होती है तो वह एक जापानी, एक चीनी, और एक जेविश तलवारबाज़ों को अपने अपने हुनर दिखाने को कहता है।

जापानी समुराई एक माचिस की डिब्बी से एक मक्खी को उङाता है। उसकी तलवार चलती है, और मक्खी दो टुकङों में ज़मीन पर आ गिरती है।

चीनी समुराई डिब्बी में से मक्खी उङाता है। उसकी तलवार दो बार चलती है, और मक्खी चार टुकङों में ज़मीन पर गिरती है।

जेविश समुराई मक्खी उङाता है, उसकी तलवार दो बार चलती है, पर मक्खी भिनभनाते हुए इधर उधर उङती रहती है।

राजा नाखुश सा कहता है, "तुमने मक्खी को नहीं मारा।"

जेविश समुराई उत्तर देता है, "जी हाँ। पर वह अब वह कभी सहवास नहीं कर सकेगा।"

7--लिंग का रंग गुलाबी क्यों ?
एक स्त्री उत्तर-पूर्व पेनस्यलवेलिया आर्ट गैलरी में एक उत्कृष्ट पेन्टिंग को घूर रही है जिसका शीर्षक है 'लंच के लिए घर।' इसमें तीन काले व्यक्तियों को एक पार्क के बेंच पर बैठे हुए दर्शाया गया है जिनके लिंग दिख रहे हैं। पर तीनों में जहाँ दो व्यक्तियों के लिंग काले हैं, वहीं मध्य वाले का लिंग गुलाबी रंग का है।

"क्षमा करें," स्त्री प्रदर्शनी के निरीक्षक से कहती है। "मैं इस अफ्रीकन-अमेरिकन लोगों वाली इस पेन्टिंग के बारे में उत्सुक हूँ। बीच वाले आदमी का लिंग गुलाबी क्यों है?"

"मुझे लगता है कि आपने पेन्टिंग का अन्यथा मतलब निकाल लिया है," निरीक्षक कहता है। "ये लोग अफ्रीकन-अमेरिकन नहीं हैं; ये कोयले की खदान में कार्य करनेवाले मज़दूर हैं, और बीच वाला आदमी 'लंच के लिए घर' गया था।"
8--एक, दो, तीन और लिंग का रहस्य
एक व्यक्ति अपने लिंग में उत्थापन होने में परेशानी महसूस कर रहा था तो उसने एक चुङैल-तांत्रिक से सम्पर्क किया। उस चुङैल ने कुछ चीजें अग्नि में फेंकी, अपनी छङी हिलाई, और कहती है, "मैंने तुमपर एक शक्तिशाली जादू कर दिया है, पर यह साल में एक बार ही काम करेगा। तुम्हें बस 'एक, दो, तीन' कहना होगा इसके बाद तुम्हारा लिंग इतना बङा और कङा होगा जैसा पहले कभी नहीं हुआ होगा। तुम्हारी पत्नी के संतुष्ट होने के बाद, फिर से बस 'एक, दो, तीन, चार' और यह जादू 12 महीनों के लिए गायब हो जाएगा।"

बाद में वह व्यक्ति बिस्तर में पत्नी के साथ लेट कर टेलीविज़न देख रहा था, उसने अपनी पत्नी से कहा, "ये देखो! एक, दो, तीन!" उसका लिंग अभूतपूर्व तरीके से बङा और कङा हो गया।

उसकी पत्नी आश्चर्यचकित हो गयी। मुस्कुराती है और कहती है, "यह तो कमाल है! पर तुमने ये 'एक, दो, तीन' किसके लिए कहा?"

9--मैं लिंग चूस दूँ ?
एक लङका अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बाहर घूमने के बाद, उसके घर तक छोङने आता है, जब वे घर के दरवाज़े पर पहुँचते हैं तो वह अपना एक हाथ दीवार पर टिका कर थोङा झुकता हुआ उससे पूछता है, "प्यारी, क्या तुम मेरा लिंग चूस सकती हो?"

"क्या? तुम पागल तो नहीं हो गये हो?

"चिन्ता मत करो, यह तुरन्त हो जाएगा, कोई समस्या नहीं है।"

"नहीं!! कोई देख लेगा, कोई रिश्तेदार, या पङोसी…"

"रात के इस समय कोई नहीं देखेगा…"

"मैंने पहले ही कह दिया, नहीं मतलब नहीं!"

"यार, यह एक छोटा काम है… मुझे पता है तुम भी यह करना पसन्द करती हो…"

"नहीं!!! मैंने कहा नहीं!!!"

"मेरे प्यार… ऐसे मत करो…"

तभी उसकी छोटी बहन उलझे बाल लेकर, नाइट-गाउन में आँखें मलते हुए दरवाज़े पर आ खङी हुई और बोली, "डैडी का कहना है कि या तो तुम उसका लिंग चूसो, या फिर मैं चूस दूँ, नहीं तो वो ख़ुद आकर चूसेंगे, मगर भगवान के लिए अपने ब्वॉयफ्रेंड से कहो कि इंटरकॉम से अपना हाथ हटा ले!"


10--चढ़ी गज़ब की मस्ती है, आग लगी प्रचण्ड,
खुल गई हँ चूतँ, तन गए है लण्ड ।
होली है !!
सावन की बरसात मॅ, टपक रहा है पानी,
बुर मँ पूरा लण्ड लेकर, खुश है सरला रानी ।
होली है !!
छत पर इन्दू चुद रही है, झीने मँ सुनीता,
घर के भीतर चुद रही है, कुंडी लगा के गीता ।
होली है !!
रेनू भी चुदवा रही है, करके नाड़ा ढीला,
धोकर चूत लेटी हँ, आशा और सुशीला ।
होली है !!
मोना, पिंकी कोई भी, चाहती नहीं है बचना,
चुद रहीँ हँ पहली बार, सीमा , नीलम , रचना ।
होली है !!
रश्मि,बेला मरा रहीँ हैँ, चुदा रही है हेमा,
सुषमा,पूनम मरा रहीँ हैँ, मरा रही है प्रेमा ।
होली है !!
पायल औँधी झुकी पड़ी है, औँधी पड़ी है अंजु ,
लहँगा उठा के ज्योति लेटी, घोड़ी बनी है मंजू ।
होली है !!

मुन्नी मुन्ना की कहानी


मुन्ना:
मुन्नी वो दिन याद करो,
जब हम-तुम साथ नहाते थे
तुम चूत पे साबुन मल्ति थी,
हम लंड पे झाग उड़ाते थे.
मुन्नी:
मुन्ना वो दिन बीत गये,
अब चूत च्छुपाने की है बारी,
भूलो उन बीती यादों को,
मुन्नी भारत की अब है नारी.
मुन्ना:
मुन्नी वो दिन याद करो..
जब हम डॉक्टर-मरीज़ बन जाते थे.
दिल की धड़कन चेक करने को,
चूची पे रगड़ लगाते तहे.
मुन्नी:
मुन्ना व्हो दिन बीत गये,
अब चूची चोली के अंदर है.
घूर-घूर के देख तू मम्मे
अब तू भूखा बंदर है.
मुन्ना:
मुन्नी व्हो दिन याद करो….
जब हम-तुम साथ में सोते थे,
तुम चूत में खेती करती थी,
हम लंड पे गन्ने बोते थे.
मुन्नी:
मुन्ना वो दिन बीत गये,
जब चूत में होती थी खेती.
अब लंड की फस्लो के डर से,
मेरी चूत अकेली है सोती.
मुन्ना:
मुन्नी वो दिन याद करो...
जब लूका-छीपी खेलते थे हम.
तुम लहंगा पहन के आती थी,
और उसमे च्छूप जाते थे हम.
मुन्नी:
मुन्ना वो दिन बीत गये...
जब घुस गये थे तुम लहँगे में.
अब तुम पूरे भालू हो,
और शहद का छत्ता लहँगे में.
मुन्ना:
मुन्नी वो दिन याद करो...
जब साथ में खेले थे होली.
चूत में उंगली डाली हमने,
भीगा के तेरी वो चोली.
मुन्नी:
मुन्ना वो दिन बीत गये...
अब चूत हुमारी प्यारी है.
क्यों होली की बातें अब जब,
लॉडा तेरा भिखारी है.

मुन्ना (रोते हुए!):
मुन्नी वो दिन बीत गये
सचमुच ही वो दिन बीत गये.

अब चूत की दर्शन की खातिर,
हम चूत-चालीसा पढ़ते हैं.
पर चूत नहीं दर्शन देती,
हम लंड रगड़ते रहते हैं.

पर वक़्त हुमारा आएगा,
जब हम भी तुम को चोदेन्गे.
तुम लंड-लंड चिल्लाओगी,
हम चूत में डंडा पेलेंगे.

मुन्नी मुन्ने को क़म ना समझ,
यह तेरी मैय्या चोदेगा.
तू पैर पकड़ कर रोएगी
तेरी चूत में बॅमबू ठोकेगा.

मुन्ना भी है भारत का,
तुझको नंगा कर देगा.
तू लाख जोड़ लेना टाँगो को,
तेरी चूत को चूसेगा.

तुझको पूरा गीला करके,
मुन्ना लंड अंदर घुसाएगा.
चूसेगा तेरे होंठों को,
चूची तेरी चबाएगा.

तू चीखेगी, चिल्लाएगी पर,
कोई नहीं बचाएगा.
रग़ाद रग़ाद के मुन्ना लेगा,
अपनी तुझे बनाएगा
Reply
11-26-2017, 12:57 PM,
#29
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल -11

अंजलि वापस आ गयी गाँव में... अपने 42 साल के बुड्ढे (उसकी तुलना में) पिया के साथ... बुद्धा अपने साथ एक कयामत लेकर आया था... गौरी ....

गौरी ने सारे गाँव के मनचलों की नींद उड़ा दी... जल्द ही दिशा के आशिक़ दिशा की जुदाई का गुम भूल कर गौरी से आँखें सेक सेक कर अपने जखम भरने लगे... शाम होते ही... सुबह होते ही.... स्कूल का टाइम होते ही... छुट्टी का टाइम होते ही; जैसे सारे मनचले आकर उसकी हाजरी लगाने लगे... दूर से ही!

गौरी को देखकर कहीं से भी ये नही कहा जा सकता तहा की ये अपने इसी बाप की औलाद है जिसने अभी अभी अंजलि को उसकी दूसरी माँ बना दिया है.... या तो गौरी की पहली मा गजब की सुंदर रही होगी ... या फिर अंजलि का कोई दूसरा बाप होगा... अंधेरों का मेहरबान!

गौरी 11थ में पढ़ती थी... उपर से नीचे तक उसका उसका रूप- यौवन किसी साँचे में ढाला गया लगता था... किसी पेप्सी की बोतल जैसे लंबे; बड़े ढाँचे में... 36"- 26"- 38" के ढ़हंचे में... गर्दन लंबी सुराही दार होने की वजह से वो जितनी लंबी थी; उससे कुच्छ ज़्यादा ही दिखाई देती थी... 5'4" की लंबाई वाली गौरी जब चलती थी तो उसका हर अंग मटकता था.. यूँ.. यूँ... और यूँ!

ऐसा नही था की उसको अपने कातिल हद तक सेक्सी होने का अंदाज़ा नही था... था और इसको उसने संभाल कर रखा था... शहर में रहने की वजह से वो कपड़े भी हमेशा इश्स तरह के पहनती थी की उसकी जवानी और ज़्यादा भड़के... उसके अन्ग और ज़्यादा दिखें... गाँव में तो उसने जैसे हुलचल ही मचा दी!

अंजलि शमशेर को बहुत याद करती थी ... सपनो में भी और अकेले होने पर भी... उसने शमशेर के दोस्त; उस्स ठरकी नये साइन्स मास्टर राज को अपने ही बेडरूम के साथ वाला एक रूम दे दिया था... क्यूंकी वो शादी शुदा था; शमशेर की तरह कुँवारा नही! उसकी बीवी और वो साथ ही रहते थे!

नये साइन्स मास्टर का नाम राज था. करीब 31 साल की उमर; ना ज़्यादा सेहतमंद और ना ज़्यादा कमजोर; बस ठीक ठाक था... उसकी शादी 6 महीने पहले हुई थी; शिवानी के साथ... उसकी उमर करीब 22 साल की थी!

शिवानी में उमर और जवानी के लिहाज से कोई ऐसी कमी ना थी की राज को बाहर ताक झाँक करनी पड़े! पर... निगोडे मर्दों का... कहाँ जी भरता है.... राज कभी भी एक लड़की पर अपने को रोक नही पाया... कॉलेज में भी वो हर हफ्ते एक नयी गर्लफ्रेंड बनाता था... इतनी हसीन बीवी मिलने पर भी वो एक्सट्रा क्लास से नही चूकता था ... और अब गर्ल'स स्कूल में आने पर तो जैसे उसकी पाँचो उंगलियाँ घी में और सिर कढ़ाई में था . उसके पास एक ही कमरा होने की वजह से अंजलि और उसने लिविंग रूम शेर कर रखा था... दिन में अक्सर पाँचों साथ ही रहते.....

अंजलि काम निपटा कर बुढहे सैया के पास आई... ओमप्रकाश के बिस्तेर में........

अंदर आते ही ओमप्रकाश ने उसको अपनी बाहों में खींच लिया," क्या बात है, डार्लिंग?" तुम शादी से खुश नही हो क्या?"

"नही तो! आपको ऐसा क्यूँ लगा!" अंजलि को शमशेर के सीने से लगाई हुई अपनी कामुकता याद आ रही थी.

"तुम सुहाग रात से आज तक कभी मेरे पास आकर खुश नही दिखाई दी!" ओमपारकश को अहसास था की उसकी उमर अब अंजलि जैसी शानदार औरत को काबू में करने लायक नही है.

"आप तो बस यूँ ही पता नही... क्या क्या सोचते रहे हो" अंजलि ने शमशेर को याद किया और सैया की शर्ट के बटन खोलने लगी.

राज अंजलि के बेडरूम में जाते ही दोनों बेडरूम से अटॅच बातरूम में घुस कर उनकी इश्स प्रेम वार्तालाप को दरवाजे से कान लगाकर बड़े मज़े से सुन रहा था.

अंजलि ने ओमप्रकाश को खुश करने के लिए उसको अपने हॉथो से पूरा नंगा कर दिया और उमर के साथ ही कुच्छ कुच्छ बूढ़ा सा गया लंड अपने होंटो के बीच दबा लिया...."

"आ.. अंजलि!! जब तुम इश्को मुँह में लेती हो तो मैं सब कुच्छ भूल जाता हूँ... क्या कमाल का चूस्ति हो तुम!

अंजलि को शमशेर का तना हुआ लंड याद आ गया... उसी ने तो सिखाया था उसको... चूसना!

उसने पूरा मुँह खोलकर ओमपरकास का सारा लंड अंदर ले लिया, पर वो गले की उस्स गहराई तक नही उतर पाया जहाँ वो शमशेर का पहुँचा लेती थी... लाख कोशिश करने पर भी...

राज अंजलि के होंटो की 'पुच्छ पुच्छ' सुन कर गरम होता जा रहा था..

अंजलि ने लंड मुँह से निकल लिया और अपना पेटीकोत उतार कर लाते गयी... "आ जाओ"!

"अब सहन नही होता"

ओमपारकश अंजलि के मुँह से अपनी ज़रूरत जान कर बहुत खुश हुआ. उसने अपना लंड अंजलि की चूत में घुसा दिया... अंजलि ने आँखें बंद कर ली और शमशेर को याद करने लगी... उसकी आहें बढ़ती गयी... उसको याद आया आखरी बार शमशेर ने उसकी गांद को कितना मज़ा दिया था...

अंजलि ने ओमपारकश को जैसे धक्का सा दिया और उलट गयी... चार पैरों पर... कुतिया बन गयी... इश्स आस में की ओमपारकश उसकी प्यासी गांद पर रहम करे!

पर ओमपारकश ने तो फिर से उसकी चूत को ही चुना... गांद पर उंगली तक नही लगाई...

अंजलि ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और सिसक कर बोली," पीच्चे करिए ना!" उसको कहते हुए शरम आ रही थी, पर वह अपने आप को रोक ना सकी!

"क्या?" ओमपारकश तो जैसे जानता ही नही था की वहाँ भी मज़ा आता है.. गांद में... चूत से भी ज़्यादा... मर्दों को औरतों से ज़्यादा!"

"यहाँ" अंजलि ने अपनी उंगली के नाख़ून से अपनी गांद के च्छेद को कुरेदते हुए इशारा किया...

राज सब सुन रहा था... सब समझ रहा था!

"छ्चीए! ये भी कोई प्यार करने की चीज़ है" और वो लुढ़क गया... अंजलि के उपर... अंजलि की गांद तड़प उठी... अपने शमशेर के लिए!"

राज अपने बेडरूम में चला गया और शिवानी के ऊपर गिर कर उसको चूम लिया ... वो तो गांद का रसिया था.. पर शिवानी ने कभी उस्स खास जगह पर उंगली तक कभी रखने नही दी.........

" क्या बात है; इतनी देर तक बाथरूम में क्या कर रहे तहे.." शिवानी ने राज से शरारत से कहा

"मूठ मार रहा था!" राज के जवाब हमेशा ही कड़े होते थे.

"फिर मैं किसलिए हूँ..?" शिवानी ने राज के होंटो को चूम कर कहा...!

"इससलिए!" और उसने शिवानी की नाइटी उपर खींच दी...

शिवानी की मस्त तनी चूचियाँ और उसस्की मांसल जांघें; उनके बीच खिले हुए फूल जैसी शेव की हुई उसकी चूत सब कुच्छ बेपर्दा हो गयी...! राज ने अपने कपड़े उतार फैंके और अपना लंड लगभग ज़बरदस्ती शिवानी के मुँह में ठुस दिया... शिवानी ने एक बार तने हुए उसके लंड को बाहर निकाला," तुम ये जो मुँह में डाल देते हो ना... मुझे बहुत गुस्सा आता है; ये इसकी जगह थोड़े ही है!" और वापस मुँह में डाल कर अनमने मॅन से आँखे खोले ही चूसने लगी... उसके हाथ अपनी चूत को समझा रहे थे... थोड़ा इंतज़ार करने के लिए..!

"तुम जो इतने क़ानून छांट-ती हो ना; ये नही वो नही... किसी दिन बेवफा हो गया तो मुझे दोष मत देना! अरे सेक्स की भी कोई लिमिट होती है क्या!" राज ने उत्तेजित आवाज़ में कहा.."

शिवानी ने उसके लंड को हल्के से काट लिया... उसको बेवफा होने की सोचने के लिए सज़ा दे डाली....

राज ने शिवानी के मुँह से लंड निकाल लिया और उसकी चूत पर जीभ रख दी... शिवानी सिसक उठी पर उसको ये भी अजीब लगता था... घिनौना! पर उसको मज़ा पूरा आ रहा था!

"अब जल्दी करो सहन नही होता!" शिवानी ने कसमसाते हुए राज से प्रार्थना की...

राज ने देर ना करता हुए अपना लंड उसकी जड़ों में घुसा दिया और उसकी चूचियों से लिपट गया... उसको पता था अगर शिवानी का पानी निकल गया तो वा बुरा मुँह बना लेगी.. आगे करते हुए!

पता नही कैसी औरत थी शिवानी... सेक्स कोई ऐसे होता है क्या भला... चूत में डाला.. धक्के मार कर निकाला और निकाल लिया... बाहर... पर वो तो वन डे में ही यकीन रखती थी... 2-2 परियों वाले टेस्ट मॅच में नही.... गौरी में सेक्स कूट कूट कर भरा हुआ था.. पर उसके रुतबे और शानदार शख्सियत को देखकर कोई उसके करीब आने की हिम्मत नही कर पाता था.. बस दूर से ही सब तड़प कर रह जाते... गौरी को भी उनको तड़पने में आनंद आता था... सुबह सुबह ही वह ट्रॅक पॅंट और टाइट टी- शर्ट पहन कर बाहर बाल्कनी में खड़ी हो जाती. उस्स ड्रेस में उसकी बाहर को निकली चूचियाँ और मांसल जांघों से चिपकी पॅंट गजब ढाती थी. उसके चूतदों और उसकी चूत के सही सही आकर का पता लगाया जा सकता था.....

और मकान के बाहर मनचलों की भीड़ लग जाती... जैसे बच्चन साहब की बीमारी के दौरान 'प्रतीक्षा' पर लगती थी; उसके बंगले पर

बेडरूम 2 ही होने के कारण वा लिविंग रूम में ही सोती थी... वो उठी और च्छूपा कर रखी गयी एक ब्लू सी.डी. जाकर प्लेयर में डाल दी... मियू ट करके...

गौरी का हाथ उसकी चूत के दाने पर चला गया... जैसे जैसे मूवी चलती गयी... उसकी उत्तेजना बढ़ती गयी और वो अपने दाने को मसल्ने लगी; आज तक उसने अपनी चूत में उंगली नही डाली थी... शी वाज़ ए वर्जिन... टेक्निकली!

गौरी सिसक पड़ी.. उसका शरीर अकड़ गया और उसने अपने आपको ही पकड़ लिया कस कर; चूचियों से... उसकी चूत का रस निकलते ही उसको असीम शांति मिली... वह सो गयी... कभी भी वा बिना झड़े नही सो पाती थी...

सुबह मुजिक चलाने के लिए राज ने अपनी फॅवुरेट सी.डी. ली और प्लेयर में डाल दी. निकली हुई सी.डी. को देखकर वा चौंका; इंग्लीश नो. 8!

रात को तो उसने ग़ज़नी देखते हुए ही टी.वी. ऑफ कर दिया था.. तब अंजलि भी बेडरूम में जा चुकी थी..

उसने बाल्कनी में खड़ी अपने फॅन्स को तड़पा रही गौरी को गौर से देखा... और वही सी.डी. वापस प्लेयर में डालकर नहाने चला गया.. प्लेयर को ऑफ करके!

राकेश; सरपंच का बेटा, गौरी के मतवलों की यूनियन का लीडर था.... क्या बरसात, क्या ध्हूप; और कोई आए ना आए... राकेश ज़रूर सुबह शाम हाजरी लगाता था... गौरी को उसका नाम तो नही मालूम था... हां शकल अच्छि तरह से याद हो गयी थी...

एक दिन जब सुबह गौरी स्कूल जा रही थी, राकेश उसके साथ साथ चलने लगा..," आप बहुत सुंदर हैं!

गौरी ने अपने स्टेप कट किए बलों को पिच्चे झटका, राकेश को नज़र भर देखा और बोली," थॅंक्स!" और चलती रही....

राकेश उसके पीछे पीछे था.... राकेश ने देखा... पॅरलेल सूट में से उसकी गांद बाहर को निकली दिखाई दे रही थी.... बिकुल गोल... फुटबॉल की तरह..... एक बटा तीन फुटबॉल...

उसके चूतदों में गजब की लरज थी... चलते हुए जब वो दायें बायें हिलते तो सबकी नज़रें भी ताल से दायें बायें होती थी....

गौरी स्कूल में घुस गयी... और राकेश दरवाजे पर खड़ा होकर अपना सिर खुजने लगा....

राज ऑफीस में बैठा हुआ था, जैसे ही अजलि ऑफीस में आई राज ने अपना दाँव चला," मेडम! पीछे करूँ!"

अंजलि को जैसे झटका सा लगा. उसको रात की बात याद आ गयी... वो अक्सर अपने पति को लंड पीछे घुसाने को; पीछे करने को कहती थी," व्हाट?"

राज ने मुस्कुराते हुए अपनी कुर्सी पीछे करके अंजलि के अंदर जाने का रास्ता छ्चोड़ दिया," मेडम, कुर्सी की पूच्छ रहा था... अंदर आना हो तो पीछे करूँ क्या?"

"ओह थॅंक्स!", अंजलि ने अपने माथे का पसीना पूच्छा.

राज ने 10थ का रेजिस्टर लिया और क्लास में चला गया!

राज ने क्लास में जाते ही सभी लड़कियों को एक एक करके देखा... लड़किया खड़ी हो गयी थी....

"नीचे रख लो!" सुनील ने मुस्कुराते हुए कहा.

राज की 'नीचे रख लो' का मतलब समझ कर केयी लड़कियों की तो नीचे सीटी सी बज गयी... नीचे तो उनको एक ही चीज़ रखनी थी... अपनी गांद!

राज ने एक सबसे सेक्सी चूचियों वाली लड़की को उठा... ," तुम किससे प्यार करती हो?"

लड़की सकपका गयी... उसने नज़र झुका ली...

"अरे मैं पूच्छ रहा हूँ कि तुम स्कूल में किस टीचर से सबसे ज़्यादा प्यार करती हो! तुम्हारा फेव रेट टीचर कौन है".....

लड़की की जान में जान आई... उसके समेत काई लड़कियाँ एक साथ बोल उठी," सर...शमशेर सर!"

राज: वा भाई वा!

राज ने शमशेर के पास फोन मिलाया...," भाई साहब! यहाँ कौनसा मंतरा पढ़कर गये हो... लड़कियाँ तो आपको भूलना ही नही चाहती.."

शमशेर के हँसने की आवाज़ आई...

"और सब कैसा चल रहा है भाई साहब! दिशा भाभी ठीक हैं..."

दिशा के साथ भाभी सुनकर लड़कियों को जलन सी हुई..

"हां! बहुत खुश है... अभी तो वो स्कूल गयी हैं... नही तो बात करा देता... और मैं भी तो स्कूल में ही हूँ!"

"बहुत अच्च्छा भाई साहब! फिर कभी बात कर लूँगा! अच्च्छा रखूं"

"ओके डियर! बाइ"

राज ने फोन जेब में रखकर अपना परवाचन शुरू किया," देखो साली साहिबाओ...!"

लड़कियाँ उसको हैरत से देखने लगी...

"अरे दिशा तुम्हारी बेहन थी की नही..."

लड़कियों की आवाज़ आई.." जी सर"

"और भाई शमशेर की पत्नी होने के नाते वो मेरी क्या लगी...?"

"जी भाभी..!"

"तो मेरी भाभी की बहने मेरी क्या लगी...?"

लड़कियों की तरफ से कोई जवाब नही आया... सभी लड़कियाँ शर्मा गयी.... " तो इसका मत लब ये हमारा' सर जी' नही 'जीजा सर' हैं.... काई लड़कियाँ ये सोचकर ही हँसने लगी....



"बिल्कुल ठीक समझ रही हो... देखो जी... मैं तो सारे रिस्ते निभाने वाला सामाजिक प्राणी हूँ.... जीजा साली का रिस्ता बड़ा मस्त रिश्ता होता है... कोई शर्म मत करना... जब दिल करे.. जहाँ दिल करे... दे देना..... 'राम राम' और कभी कुच्छ करवाना हो तो लॅब में आ जाना... जब में अकेला बैठा हो उ... 'कोई भी काम'

चलो अब कॉपी निकाल लो.. और राज उनको प्रजनन( रिप्रोडक्षन ) समझने लगा..

कुँवारी लड़कियों को रिप्रोडक्षन( प्रजनन) सीखते हुए राज ने ब्लॅकबोर्ड पर पेनिस( लंड) का डाइयग्रॅम बनाया... नॉर्मल लंड का नही बल्कि सीधे तने हुए मोटे लंड का... इसको बनाते हुए राज ने अपनी सीखी हुई तमाम चित्रकला ही प्रद्राशित कर दी...

पर लड़कियों का ध्यान उसकी कला पर नही... उसकी पॅंट के उभर पर टिक गया... राज ने भी कोई कोशिश नही की उसको च्छुपाने की... उसने एक्सप्लेन करना शुरू किया: "तुमने तो अभी पेनिस देखा ही नही होगा.... कुँवारी हो ना.... और देखा भी होगा तो छ्होटे बच्चे का; छ्होटा मोटा नूनी... पर बड़े होने पर जब ये खड़ा होता है... घुसने के लिए तो ऐसा हो जाता है...."

उसके बाद उसने पेनिस की टिप के सामने वेजाइना (चूत) बना दी.. वैसी ही सुंदर ... मोटी मोटी फाँकें... बीच में पतली सी झिर्री... और उपर छ्होटा सा क्लाइटॉरिस( दाना)...

लड़कियों का हाथ अपने अपने दानों पर चला गया... कैसी शानदार क्लास चल रही थी...

राज ने बोलना शुरू किया... " इसका ज्ञान आपको हम बेचारे लोगों से ज़्यादा होता है... इन दोनों के मिलने से बच्चा आता है... इश्स च्छेद में से... तुम ये सोच रही होगी की इश्स छ्होटे से च्छेद में से बच्चा कैसे आता होगा... पर चिंता मत करो... जब ये... (उसने अपनी पॅंट की और इशारा किया... डाइयग्रॅम की और नही) इश्स में घुसता है तो शुरू शुरू में तो इतना दर्द होता है की पूच्छो मत... ये फट जाती है ना... पर इश्स दाने में इतना आनंद होता है की लड़कियाँ सब शर्म छ्चोड़ कर मज़े लेती हैं शादी से पहले ही.....

लड़कियों के हाथ अपनी सलवार में घुसकर चूत को रगड़ने लगे.

उनके चेहरे लाल होते जा रहे तहे... उनकी आँखें बार बार बंद हो रही थी...

राज बोलता गया... ये जब इसके अंदर घुसता है तो इसकी दीवारें खुल जाती हैं.. और पेनिस को इश्स मजबूती से पकड़ लेती हैं की कहीं निकल ना जाए.. जब ये एक बार अंदर और एक बार बाहर होता है... तो लड़कियों की सिसकारी निकल जाती है.....

और सभी लड़कियों की सिसकारी निकल गयी... एक साथ... वो बेंच को कस कर पकड़ कर आ कर उठी... एक साथ 44 लड़कियाँ.... सुनील ने अंजाने में ही वर्ल्ड रेकॉर्ड बना दिया... काइयोंन का तो पहली बार निकला था...

राज समझ गया की अब कोई फ़ायडा नही... अब ये नही सुनेंगी... उसने बोर्ड को सॉफ किया और कहते हुए बाहर निकल गया," गर्ल्स! मौका मिले तो प्रॅक्टिकल करके देख लेना!"

छुट्टी के बाद जब गौरी निकली तो देखा; राकेश सामने ही खड़ा था.... गौरी ने उसको देखा और चल दी... और लड़कियाँ भी जा रही थी... गौरी ने अपनी स्पीड तेज कर दी और तेज़ चलने लगी.... वो अकेली सी हो गयी... तभी पीछे से राकेश ने कहा," मैं तुमसे 'फ्रेंडशिप' करना चाहता हूं"..... गाँव में लड़की से फ्रेंडशिप का मतलब चूत माँगना ही होता है... गौरी इटराई और बिना कुच्छ बोले घर में घुस गयी... राकेश टूटे हुए कदमों से वापस चला गया....

गौरी ने अंदर आते ही अपना बॅग रखा और सोफे पर लुढ़क गयी.... उसके पापा बाहर गये थे..

उसने टीवी और प्लेयर ऑन कर दिया... इंग्लीश..नो. 8 शुरू हो गयी!

गौरी भाग कर उठी और हड़बड़ाहट में टीवी ऑफ किया... तभी राज और अंजलि आ पहुँचे... गौरी की हालत खराब हो गयी थी... उसने सी.डी. निकाल ली...

राज बोला," कोई नयी सीडी है क्या? दिखना..... उसको पता था ये ब्लू सीडी है..

गौरी... ," न्न्न्न.. नही सर... ये तो ... वो मेरी सहेली की मम्मी की शादी है..."

राज," अच्च्छा ... कब हुई शादी?

गौरी: सर अभी हुई थी... 5-7 दिन पहले.....

राज ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा... अंजलि ने पूचछा क्या हुआ..

किसी ने कोई जवाब नही दिया... गौरी सोच रही थी... मेरी सहेली की मम्मी की शादी 5-7 दिन पहले कैसे हो सकती है.... वो सोचती हुई बाथरूम में चली गयी और नहाने लगी.....

गौरी ने नाहकार बाहर निकली तो उसने देखा राज उसको घूर रहा है. वा मुश्कुराइ और कहने लगी," क्या बात है सर? ऐसे क्यूँ देख रहे हैं?"

राज: कुच्छ नही! तेरी उमर कितनी है? गौरी: 18 साल! राज: पूरी या कुच्छ कम है? गौरी: 1 महीना उपर... क्यूँ? राज: नही! कुच्छ नही; अपनी जनरल नालेज बढ़ा रहा था. गौरी ने उसकी बाँह पकड़ ली, वह उससे कुच्छ ही इंच की दूरी पर थी," नही सर! प्लीज़ बताइए ना! क्यूँ पूच्छ रहे हैं... राज ने धीरे से बोल कर उसके शरीर में चीटिया सी चला दी," वो मैने तेरी सहेली की मा की शादी की वीडियो देखी थी... उसपे वॉर्निंग थी; नोट फॉर माइनर्स" गौरी को जैसे साँप सूंघ गया...वो वहीं जड़ होकर खड़ी रही... राज भी कुच्छ देर उसका इंतज़ार करता रहा और फिर उसके हाथ को धीरे से दबा कर चलता बना," तुम्हारी सहेली की शादी का हनिमून बहुत अच्च्छा लगा.

लंच के लिए चारों एक साथ आ बैठहे... गौरी उठी और सबके लिए खाना लगाने चली गयी.. अंजलि: राज जी; मैं सोच रही हूँ की स्कूल का एक तीन दिन का एजुकेशनल टूर अरेंज किया जाए... कैसा आइडिया है...! राज: अच्च्छा है, बुल्की बहुत अच्च्छा है.... वा क्या आइडिया है मॅ'म ! आपने तो मेरे मुँह की बात छ्चीन ली...

वो तब तक बोलता ही गया जबतक की शिवानी ने उसके मुँह को अपने हाथों से बंद ना कर दिया... ये देखकर अंजलि हँसने लगी... गौरी आई और आकर खाना टेबल पर लगा दिया.... वो राज के सामने कुर्सी पर बैठही थी पर उससे नज़रें नही मिला पा रही थी... अंजलि: क्या बात है, गौरी! तुम कुच्छ नर्वस दिखाई दे रही हो! गौरी उसको मम्मी नही दीदी बुलाती थी... उसके पापा ने काई बार बोला था उसको ढंग से बोलने के लिए पर उसके मुँह से दीदी ही निकलता था...

गौरी: नही दीदी! ऐसी तो कोई बात नही है? राज ने उसके पैर को टेबल के नीचे से दबा दिया और कहने लगा," नही नही! कोई तो बात ज़रूर है.... बताओ ना हमसे क्या शरमाना!

गौरी की हँसी छ्छूट गयी और वो अपना खाना उठा कर भाग गयी, अंजलि के बेडरूम में!

वो खाना खा ही रहे थे की शिवानी का फोन बज गया.

शिवानी खाना छ्चोड़ कर उठ गयी और फोन सुन-ने लगी. फोन उसके मायके से था.

शिवानी: हेलो; हां मम्मी जी! ठीक हो आप लोग. मम्मी जी: बेटी तू आ सकती है क्या 3-4 दिन के लिए. शिवानी: क्या हुआ मम्मी? सब ठीक तो है ना.. मम्मी जी: वो तो मैं तुझे आने पर ही बतावुँगी. शिवानी को चिंता हो गयी," मम्मी बताओ ना! सब ठीक तो है... मम्मी जी: बस तू आ जा बेटी एक बार! शिवानी ने राज की और इशारे से पूचछा... राज ने सिर हिला दिया," ठीक है मम्मी मैं कल ही आ जाती हूँ. मम्मी: कल नही बेटी; तू आज ही आ जा... राज ने शिवानी से फोन ले लिया," नमस्ते मम्मी जी!" मम्मी जी: नमस्ते बेटा! राज: क्या हुआ, यूँ अचानक.. मम्मी जी: बस बेटा कुच्छ ज़रूरी काम ही समझ ले... हो सके तो इसको आज ही भेज दे. राज: ठीक है मम्मी जी... मैं इसको भेज देता हूँ... वैसे तो सब ठीक है ना.. मम्मी जी: हां बेटा! ये आ जाए तो चिंता की कोई बात नही है. राज: ओ.के. मम्मी जी; बाइ... ये 3 घंटे में पहुँच जाएगी...

अंजलि ने शिवानी से कहा," शिवानी तुम निसचिंत होकर जाओ! यहाँ हम हैं राज की देखभाल के लिए... तुम वहाँ जाकर ज़रूर बताना बात क्या हो गयी... यूँ अचानक...

शिवानी अपने कपड़े पॅक करने लगी... उसने सुनील को कुच्छ ज़रूरी इन्स्ट्रक्षन्स दी और तैयार होकर राज के साथ निकल गयी...

बाहर जाकर उसने राज से पूचछा, ये टूर कब जा रहा है? राज: मुझे क्या मालूम! मैने तो अभी तुम्हारे आगे ही सुना है. शिवानी: हो सके तो तौर पोस्टपोन करवा लेना... मेरा भी बहुत मॅन है...

राज ने उसको बस में बैठाया और आज़ाद पन्छि की तरह झूमता हुआ घर पहुँच गया...

अंजलि, गौरी और राज; तीनो लिविंग रूम में बैठे टी.वी. देख रहे थी... टी.वी. का तो जैसे बहाना था.... अंजलि को बार बार स्कूल में कही गयी लाइन ' पेछे करू क्या?' याद आ रही थी.. क्यूंकी आज उसके हज़्बेंड घर पर नही थे, इसीलिए उसको शमशेर और उससे जुड़ी तमाम यादें और भी अधिक विचलित कर रही थी.. वो रह रह कर सुनील को देख लेती... गौरी सी.डी. वाली बात से अंदर ही अंदर शर्मिंदा थी. सर उसके बारे में पता नही क्या क्या सोचते होंगे...उसकी नज़र बार बार राज पर जा रही थी... और राज का तो जैसे दोनो पर ही ध्यान था... क्या अंजलि उसकी उस्स इच्च्छा को पूरा कर सकती है जिसको शिवानी ने आज तक एक इच्च्छा ही रखा है बस... राज अछी तरह जानता था की कोई भी औरत अपने आप अपनी गांद मरवाने को कह ही नही सकती. ऐसा सिर्फ़ तभी हो सकता है जब एक- दो बार कोई आदमी उसकी गांद मार कर उसको अहसास करा दे की यहाँ का मज़ा चूत के मज़े से कम नही होता.... पर ओमपारकश ने तो इश्स तरह से रिक्ट किया था जैसे उसको तो गांद का च्छेद देखने से ही नफ़रत हो. इसका मतलब अंजलि पहले अपनी गांद मरवा चुकी है... क्या वो उसको चान्स दे सकती है... उन्न दोनों की गांद की भूख को शांत करने का.... वह अंजलि की और रह रह कर देख लेता...

और गौरी..! ऐसी सुंदर कन्या को अगर भोगने का; भोगना छ्चोड़ो सिर्फ़ देखने का ही मौका मिल जाए तो फिर तो जैसे जिंदगी में कुच्छ करने को रहे ही ना.... वो रह रह कर गौरी की मादक छातिया के उभारों को देखकर ही तसल्ली कर लेता... लूज पॅंट डाले हुए होने की वजह से उसका ध्यान उसकी जांघों पर नही जा रहा था...

अचानक सिलसिला अंजलि ने तोड़ा," गौरी! आज तुम्हारे पापा नही आएँगे.. तुम मेरे पास ही सो जाना" लेकिन गौरी को तो रात को अपनी चूत को गीला करके सोने की आदत थी और बेडरूम में वो पूरी हो ही नही सकती थी..," नही दीदी! मैं तो यहीं सो जवँगी... आप ही सो जाना बेडरूम में...

अंजलि उसकी बात सुनकर मॅन ही मॅन खुश हुई. क्या पता राज उसके बारे में कुच्छ सोचता हो. और अपने हाथ आ सकने वाला मौका वा गँवाना ही नही चाहती थी.

"तो राज! आपने बताया नही... टूर के बारे में..." राज: मेडम जैसी आपकी इच्च्छा! मैं तो अपने काम में कसर छ्चोड़ता ही नही... अंजलि: मैने स्टाफ मेंबर्ज़ से भी बात की थी... वो तो सब मनाली का प्रोग्राम बनाने को कह रही है... राज: ठीक है मॅ'म! कर देजिये फाइनल... चलो मनाली...

तभी दरवाजे पर बेल हुई. वो निशा थी," हे गोरी!" गाँव भर के लड़कों को अपना दीवाना करने वाली लड़कियाँ अब दोस्त बन चुकी थी... एक दूसरी की. गौरी ने उसको उपर से नीचे तक देखा," क्या बात है निशा! कहाँ बिजली गिराने का इरादा है...आओ!" निशा: यहीं तेरे घर पर. वो अंदर आई और अपने नये सर और अंजलि मेडम को विश किया... फिर दोनों अंदर चली गयी. निशा: यार, तुझे एक बात बतानी थी. गौरी: बोलो ना... निशा: तुझे पता है. राज सर से पहले शमशेर यहाँ थे... गौरी: हां... तो! निशा: तुझे पता है... वो एक नो. के अय्याश थे... फिर पता नही क्यूँ.... उसने दिशा से शादी कर ली और चले गये... मैने तो उनकी नज़रों में आना शुरू ही किया था बस... इनका क्या सीन है.. गौरी: पता नही... पर इन्होने मेरे पास एक ब्लू फिल्म देख ली... वैसे कुच्छ खास कहा नही.. निशा: फिर तो लालू ही होगा! वरना ऐसा सीक्रेट पकड़ने पर तो वो तुझको जैसे चाहे नाचा सकते थे.... वैसे तुमने कभी किसी लड़के को दी है.. गौरी: क्या बात कर रही है तू. मैं तो बस कपड़ों में से ही दिखा दिखा कर लड़कों को तड़पाती हूँ... मुझे इसमें मज़ा आता है.. निशा: वो तुझको एक लड़के का मसेज देना था... इसीलिए आई थी मैं... गौरी: किस लड़के का? ... कौनसा म्स्ग..? निशा: देख बुरा मत मान-ना..! गौरी: अरे इसमें बुरा मान-ने वाली क्या बात है... कुच्छ दे ही तो रहा है... ले तो नही रहा.. निशा: मेरा भाई संजय का! वो तुझसे बहुत प्यार करता है... वो..
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11-26-2017, 12:57 PM,
#30
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गौरी के चेहरे पर मुस्कान तेर गयी," यार ऐसा कौन है जो मुझसे प्यार नही करता... एक और लड़का मेरे पिछे पड़ा है आजकल." निशा: कौन? गौरी: पता नही... लूंबा सा लड़का है.. हल्की हल्की दाढ़ी है उसकी... निशा: स्मार्ट सा है क्या? गौरी: हूंम्म... स्मार्ट तो बाहुत है... निशा: वो ज़रूर राकेश होगा... पहले मेरे पिछे लगा रहता था.. मैने तो उसको भाव दिए नही... थ्होडी सी भी ढील देते ही नीचे जाने की सोचता है... उसस्से बच के रहना... केयी लड़कियों की ले चुका है.. गौरी: अरे मुझे हाथ लगाने की हिम्मत किसी मे नही है. हां दूर से देखकर तड़प्ते रहने की खुली छ्छूट है.... निशा: वो तो तहीक है... पर मैं संजय को क्या कहूँ... गौरी: कहोगी क्या... बस, सुबह शाम दरबार में आए और दर्शन कर जाए... निशा: नही.... वो ऐसा नही है... वो तेरे लिए सीरीयस है... गौरी: फिर तो देखना पड़ेगा.... कहकर वो हँसने लगी!

उधर राज ने अंजलि को अकेला पाकर उस्स पर जैसे ब्रह्मास्त्रा से वॉर किया," मेडम! आपकी शादी... ? अंजलि: क्या...? राज: नही; बस पूछज रहा था लव मॅरेज है क्या?

अंजलि को उसका सवाल अपने दिल पर घाव जैसा लगा और अपने लिए निमंत्रण भी. उसने अपनी चेर सुनील के पास खींच ली," तुम्हे ऐसा कैसे लगा?"

राज: नही लगा तभी तो पूच्छ रहा हून. उनकी तो बेटी भी तुमसे कुचज ही छ्होटी है. ऐसा लगता है उनसे शादी करना तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी!" अंजलि की टीस उसके चेहरे से सॉफ झलक रही थी," मेरी छ्चोड़ो! आप सूनाओ. शिवानी तो हॉट है ना... राज: हां बहुत हॉट है... पर.... अंजलि को अपने लिइए राज के दरवाजे खुलते महसूस हुए," पर क्या..?" राज ने जो क्कुच्छ कहा उससे कोई भी लड़की अपने लिए सिग्नल समझ सकती थी... अगर वो समझदार हो तो," हॉट तो है मेडम; पर भगवान सभी को सब कुच्छ कहाँ देता है... सबकुच्छ पाने के लिए तो.... दो नौकाओं पर सवार होना ही पड़ता है."

अंजलि समझदार थी; वो नौका का मतलब समझ रही थी... उसने अपना चेहरा राज की और बढ़ा दिया," आप मुझे मेडम क्यूँ कहते हैं राज जी, मेरा नाम अंजलि है... और फिर एक ही घर में....." उसकी आवाज़ ज़रा सी बहकति हुई लग रही थी.

राज का चेहरा भी उसकी और खींचा चला आया," आप भी तो मुझे राज जी कहती हैं... एक ही घर में..." वा दूसरी नौका पर चढ़ने की सोच ही रहा था... वो एक दूसरे को अपने होंटो से 'सॉरी' कहने ही वाले थे की निशा और गौरी बेडरूम से बाहर निकल आई... गनीमत हुई की उन्होने अंजलि और राज पर ध्यान नही दिया..

अंजलि दूर हटकर अपने चेहरे पा छलक आया पसीना पोंच्छने लगी... राज नीचे झुक कर कोई चीज़ उठाने की कोशिश करने लगा.... और जब उसने अपना चेहरा उपर उठाया, तो निशा उसके सामने बैठी थी. उसको देखते ही राज अंजलि को भूल गया," इश्स गाँव के पानी में ज़रूर कोई बात है..." निशा ने हल्का नीले रंग का पॅरलेल पहना हुआ था. अपनी जांघों को एक दूसरे पर चढ़ाए बैठी अंजलि की मस्त गोल जांघों को देखकर ही उसकी गंद की 'एक्सपोर्ट क्वालिटी' का अंदाज़ा लगाया जा सकता था... चूचिय्या तो उसकी थी ही खड़ी खड़ी... कातिल," क्यूँ सर?" उसने सुनील को अपनी जांघों पर नज़र गड़ाए देखते हुए पूचछा.

राज: अरे यहाँ लड़कियाँ एक से बढ़कर एक हैं... अगर मेरी शादी नही हुई होती तो मैं भी यहीं शादी करता; शमशेर भाई की तरह." वो नज़रों से ही निशा को तार तार कर देना चाहता था.

निशा खिल खिला कर हंस पड़ी... उसको अपनी जवानी पर नाज़ था... पर अंजलि शमशेर का नाम सुनकर तड़प सी गयी... उसने टॉपिक को बदलते हुए कहा," निशा! हम 3 दिन का टूर अरेंज कर रहे हैं, मनाली के लिए... चलॉगी क्या? निशा: मैं तो ज़रूर चलूंगी मा'दम... पर शायद ज़्यादातर लड़कियो के घरवाले तैयार ना हों!

अंजलि: कल देखते हैं... वो उठकर जाने लगी तो निशा ने कहा," मेडम! मैं गौरी को अपने घर ले जाऊ? अंजलि: क्या करेगी? पर तुम गौरी से ही पूच्छ लो...( अंदर ही अंदर वा राज के साथ अकेले होने की बात को सोचकर रोमांचित हो उठी थी...)

गौरी: मैं तो तैयार भी हो गयी दीदी! जाऊं क्या? अंजलि: चली जाओ, पर जल्दी आ जाना. वह बोलना तो इसके उलट चाहती थी.

गौरी और निशा बाहर निकल गये... अब फिर अंजलि और राज अकेले रह गये....

अंजलि और राज दोनों ही एक दूसरे के लिए तरस रहे थे. दोनों रह रह कर एक दूसरे की और देख लेते.. पर जैसे शुरुआत दोनो ही सामने वाले से चाहते हों... शुरुआत तो कब की हो चुकी होती अगर निशा और गौरी बीच में ना टपकती तो... पर अब दोनो के लिए ही नये सिरे से वही बाते उठाना मुश्किल सा हो रहा था.... पहल तो आदमी को ही करनी चाहिए सो राज ने ही पहल करने की कोशिश की," मैं आपको सिर्फ़ 'अंजलि' बुलाऊं तो आपको बुरा तो नही लगेगा..."

अंजलि की जैसे जान में जान आई. वो तो कब की सोच रही थी राज बात शुरू करे," मैं कब से यही तो कह रही हूँ... और आप भी मत कहो...' तुम' कहो! राज फिर से उसकी और खिसक आया...," तुम अपनी शादी से खुश हो क्या?"

अंजलि ने भी उसकी और झुक कर कहा," तुम्हे क्या लगता लगता है... राज" राज को जो भी लगता था पर इश्स वक़्त वो इसका जवाब बोलकर नही देना चाहता था... उसने अंजलि के उसकी जांघों पर रखे हाथ पर अपना हाथ रख दिया... अंजलि ने दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया... और राज की आँखों में देखकर ही जैसे थॅंक्स बोलना चाहा.

राज उसका हाथ पकड़ कर खड़ा हो गया और बेडरूम की और चलने लगा... अंजलि पतंग से बँधी डोरे की भाँति उसके साथ बँधी चली गयी....

उधर निशा गौरी को साथ लेकर अपने घर पहुँची. गौरी को अपने घर में आए देखकर संजय तो जैसे अपने होश ही भूल गया... जबसे उसने गौरी को पहली बार देखा था, उसका दीवाना हो गया. पर वा थोड़ा संकोची था. आख़िरकार अपनी तड़प को उसने अपनी बेहन के सामने जाहिर कर दी थी. और उसकी ब्बेहन आज उसकी मोहब्बत को अपने साथ ले आई... उसके घर में... घर पर निशा के मम्मी पापा भी थे... संजय अपने कमरे में चला गया... और निशा और गौरी निशा के कमरे में....

गौरी ने संजय को नज़र भर कर देखा था.. संजय बहुत ही सुंदर था... अपनी छ्होटी बेहन की तरह. शराफ़त उसके चेहरे से टपकती थी.. गौरी को वो पहली नज़र में ही पसंद आ गया........


अंजलि और राज के पास बेडरूम में जाने के बाद कहने को कुच्छ नही बचा था... दोनों एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले एक दूसरे को देख रहे थे.. अब भी उनमें झिझक थी; आगे बढ़ने की... पर तड़प दोनों की ही आँखों में बराबर थी.. आगे बढ़ने की.. राज ने उसका हाथ दबाते हुए कहा," अंजलि क्या.... क्या मैं तुमको छ्छू सकता हूँ... कहने भर की देर थी. अंजलि उससे लिपट गयी.. उसकी चूचियाँ राज की छति से मिल कर कसमसा उठी. राज ने उसका चेहरा चूम लिया.... अंजलि को मुश्किल से अपने से अलग किया और फिर पूचछा," क्या मैं तुम्हे छ्छू सकता हूँ.... तुम्हारा सारा बदन..." अंजलि के पास शब्द नही थे उसस्की कसक को व्यक्त करने के लिए... उसने फिर से राज से चिपकने की कोशिश करी पर राज ने उसको अपने से थोड़ी दूर ही पकड़े रखा.. अंजलि झल्ला गयी.... उसने राज के हाथो को झटका और रूठह कर बेड पर उल्टी लेट गयी... मानो उसने बिस्तेर को ही अपनी चूचियों की प्यास बुझाने का एकमत्रा रास्ता मान लिया हो. राज ने जी भर कर उसके बदन को देखा. उसके बदन का एक एक हिस्सा खिला हुआ था... उल्टी लेटी होने की वजह से उसके मोटे गोल चूतड़ एक पठार की तरह उपर उठे हुए थे...... उसकी जांघों ने एक दूसरी को अपने साथ चिपकाया हुआ था मानो चूत की तड़प को बुझाना चाहती हों. उसकी पतली सी कमर तो मानो सोने पर सुहागा थी. राज उसके पास बैठ गया और उसकी कमर पर हाथ रख दिया; सहलाने लगा... अंजलि मारे तड़प के दोहरी सी हुई जा रही थी... उसने अपने चूतदों को हल्का सा उभर दिया... वा कहना चाह रही थी की दर्द यहाँ है... उसकी कमर में नही.

राज ने हलके से अंजलि के चूतदों पर हाथ फिराया. अंजलि सिसक उठी, पर बोली नही कुच्छ भी.. उसकी खामोशी चीख चीख कर कह रही थी.. छ्छू लो मुझे, जहाँ चाहो... और चढ़ जाओ उसकी नौका में... और ये वासना का सागर पार कर डालो... उसके मुँह से अचानक निकला," प्लीज़! राज" राज ने अपना हाथ उसके चूतदों पर से उठा लिया," सॉरी मेडम! मैं बहक रहा हूँ... अंजलि ने तो जैसे हद ही कर दी... उल्टे लेटी लेटी ही उसने राज का हाथ पकड़ा और अपनी गांद की डराओं में फँसा दिया," बहक जाओ राज... पागल हो जाओ.. और मुझे भी कर दो... प्लीज़! राज को बस उसके मुँह से यही सुन-ना था.. वह अंजलि के साथ लेट गया और उसके होंटो को अपने होंटो से चुप करा कर उसकी गांद को सहलाने लगा... अंदर तक... अंजलि मारे ख़ुसी के सीत्कार कर उठी. वो अपने चूतदों को और उठाकर अपनी चूत को खोलती गयी... अब राज का हाथ उसकी चूत की फांकों पर था... कपड़ों की दीवार हालाँकि बीच में बढ़ा बनी हुई थी.

अंजलि अपनी फांकों पर राज का खुरदारा हाथ महसूस कर रही थी.. राज के हाथों से फैली मिहहास पूरी तरह से उसको मदहोश कर रही थी.. उसकी बंद होती आँखें पीच्चे मूड कर देख रही थी... राज के चेहरे को... राज अंजलि के दिल में शमशेर की जगह आया था. ओमपारकश के लिए तो उसने कभी वो दरवाजा खोला ही नही.... दिल का!

राज ने नीचे हाथ ले जाकर अंजलि की इज़्ज़त को बाँध कर रखने वाला नाडा खोल दिया और उसकी सलवार को खींच कर घुटनों तक उतार दिया. उसकी चूत बिफर सी पड़ी राज की नज़रों के समनने आते ही.. उसकी चूत फूल कर पाव बन चुकी थी... और चूत की पत्तियाँ बाहर मुँह निकले अपने को चूसे जाने का इंतज़ार कर रही थी.

राज ने उनका इंतज़ार लंबा नही खींचा. उनको देखते ही उसने अपने होंटो के बीच लपक लिया... अंजलि इतनी मदहोश हो चुकी थी की उसको पता ही नही चला कब उसकी सलवार उसके पैरों का साथ छ्चोड़ चुकी थी. वा बार बार अपनी गंद को इधर उधर हिला रही थी... किस्मत से दौबारा मिला इतना अनद उससे सहन नही हो रहा था.. राज ने उसके छूतदों को उठाकर अपने उपर गिरा लिया और ज़ोर से उस्स प्यासी चूत को अपने थ्हूक से छकने लगा.

अंजलि ने देखा; लेट हुए सुनील का लंड उसकी पहुच में है... ऐसा लग रहा था की पॅंट में वो मचल रहा है... अंजलि ने जीप खोलकर उसको इश्स तरह से चूसा की राज के तो होश ही गायब होने लगे... शिवानी ऐसा कभी नही करती थी.. इसीलिए अब इससे रुक पाना मुश्किल लग रहा था... वा घुटनो के बाल बैठ कर ज़ोर ज़ोर से उसके मुँह के अंदर बाहर करने लगा... अंजलि भी अपनी जीभ से उसको बार बार आनंदित कर रही थी..

राज को लगा जैसे अब निकल जाएगा... उसने अपना लंड बाहर खींच लिया... अंजलि ने राज को इश्स तरह देखा मानो किसी बच्चे से उसकी फॅवुरेट आइस्क्रीम छ्चीन ली हो.

पर ज़्यादा देर तक उसकी नाराज़गी कायम ना रही. राज ने फिर से उसको 'शमशेर वाली कुतिया' बनाया और लंड को एक ही झहहातके में सरराटा हुआ अंदर भेज दिया... अंजलि की चूत इश्स तरह फड़फदा उठी जैसे बरसों का प्यासा चटक बादल गरजने पर फड़फदता है... राज उसके पिछे से ज़ोर ज़ोर धक्के लगा रहा था... अंजलि अफ अफ करती रही...

राज ने उसके कमीज़ के उपर से ही उसकी झटकों के साथ हिल रही उसकी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया... और अंजलि के कान के पास मुँह ले जाकर हाँफते हुए बोला, मेडम... पिच्चे करूँ क्या?"

सुनते ही अंजलि पहले तो शरमाई फिर अपनी कमर को और उपर उठा लिया ताकि वो समझ जाए की पिच्चे करवाने की तड़प ने ही तो अंजलि को भटकने पर मजबूर कर दिया है.. राज ने अपना लंड निकाल लिया और उसकी गंद के बाहर चूत की चिकनाई लगाकर गांद के च्छेद को चिकना कर दिया और अंजलि की पुरानी हसरत पूरी करने को तैयार हो गया......

अपनी गंद के च्छेद से लंड की टोपी लगते ही मारे आनंद के अंजलि जैसे चीख ही पड़ी. राज ने अंजलि की कमर को अपने हाथ से दबा लिया ताकि उसका च्छेद और थोड़ा सा उपर को हो जाए. इश्स पोज़िशन में अंजलि का चेहरा और एक बाजू बेड पर टीके हुए थे. दूसरी बाजू कोहनी का सहारा लेकर बेड पर टिकी हुई थी. राज ने अपने लंड का दबाव देना शुरू किया. एक बार थोड़ा सा दबाव दिया और सूपड़ा उसकी गांद में फँस गया.. अंजलि ने मुश्किल से अपनी आवाज़ निकले से रोकी. वा खुशी और दर्द के मारे मरी जा रही थी...

जैसे ही राज ने और कोशिश की, अंजलि उत्तेजनवश उठ गयी और अपने घुटनो के बाल खड़ी सी हो गयी. लंड अब भी थोड़ा सा उसकी गंद में फँसा हुया था. राज ने दोनों हाथ आगे निकल कर उसकी चूचियाँ कस कर पकड़ ली और अंजलि के कानो को खाने लगा... राज की हर हरकत अंजलि को बदहवासी के आलम में पहुँचा रही थी.. अंजलि ने मुँह दाई और घुमा दिया और अपने होन्ट खोल दिए.. राज भी थोड़ा और आगे को हुआ और उसके होंटो को अपनी जीभ निकल कर चाटने लगा. अंजलि ने भी अपनी जीभ बाहर निकल दी... इश्स रस्सा कसी माएईन लंड धीरे धीरे अंदर सरकने लगा... अब राज थोड़ा थोड़ा आगे पीच्चे हो रहा तहा.. अंजलि को मज़ा आना शुरू हुआ तो उसमें जैसे ताक़त ही ना बची हो इश्स तरह से आगे झुक गयी... धक्के लगाता लगाता राज अंजलि को पहले वाली पोज़िशन पर ले आया. अब लंड आराम से उसकी गंद की जड़ को तहोकर मार कर आ रहा था... अंजलि का तो हाल बहाल था... वा जो कुच्छ भी बड़बड़ा रही थी; राज की समझ के बाहर था... पर इश्स बड़बड़ के बढ़ने के साथ ही राज के धक्कों में तेज़ी आती गयी... अंजलि अपने नीचे से हाथ निकल कर अपनी चूत की पट्टियों को और दाने को नोच रही थी... धक्कों की बढ़ती रफ़्तार के साथ ही अंजलि पागल सी होकर 'शमशेर' का नाम बार बार ले रही थी.. जो राज को अच्च्ची तरह समझ में आ रहा था... राज ने अपने लंड के रस की पिचकारी किस्तों में छ्चोड़नी शुरू कर दी. अंजलि इश्स रस को गंद में भर कर जैसे दूसरी ही दुनिया में पहुँच गयी हो, सेक्स की आखरी सांस लेते हुए उसने आइ लव यू शमशेर बोला और बेड पर लुढ़क गयी... राज भी उसके उपर आ गिरा.

राज ने दूसरी नौका पर बैठ कर एक समुंदर पार कर लिया और साथ ही नौका को भी समुंदर पार ले गया...

अंजलि ने सीधी होकर राज को अपनी छतियोन से लगा लिया....

गौरी ने निशा से कमरे में जाते ही सवाल किया," यही है क्या तुम्हारा भाई?" निशा: हां... देख लिया? गौरी: देख तो लिया... पर ये गूंगा है क्या? निशा हँसने लगी," अरे गूंगा नही है पर ये लड़कियों से शरमाता बहुत है.... और फिर तू तो उसका पहला प्यार है! गौरी ने पलटते हुए धीरे से वार किया," पहला प्यार तो ठीक है; पर जब इतना ही शर्मीला है तो 'प्यार' कैसे करेगा. निशा ने अपने भाई का बचाव किया," अरे वो हुम्से शर्मा रहा था... तुमसे नही... अभी बुलाकर लाती हूँ....!

निशा संजय के पास गयी और बोली," मेरे कमरे में आना भैया!" संजय: क्या करना है....? निशा: आपकी आरती उतारनी है..... अब चलो भी!

निशा उसको लगभग खींचते हुए अपने साथ ले गयी..," अगर आप गौरी से नही बोले तो आइन्दा मैं बीच में नही आऊँगी.

सनज़े ने जाते ही गौरी को 'हेलो' कहा. जवाब में गौरी ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया," ही, मे... गौरी!"

अपना हाथ आगे बढ़ते हुए संजय के हाथ काँप रहे थे... उसको अपनी किस्मत पर विस्वास नही हो रहा था... गौरी ने उससे हाथ मिलकर उसकी हतहेली पर उंगली से खुजा दिया," अपना नाम नही बताओगे.... निशा के भैया!" और वो हँसने लगी...

गौरी की हँसी मानो संजय के दिल पर कहर ढा रही थी. पर वा कुच्छ बोला नही. निशा चाय बनाने चली गयी...

उसके जाने के बाद भी गौरी का ही पलड़ा भारी रहा," तुम करते क्या हो... मिस्टर. संजय जी!" संजय ने उसकी आँखों में झहहांक कर कहा," जी मैं इम चंडीगढ से होटेल मॅनेज्मेंट आंड केटरिंग में डिग्री कर रहा हूँ."

गौरी: फिर तो तुम शर्मीले हो ही नही सकते. वहाँ के लड़के तो एक नांबेर. के चालू होते हैं... और लड़कियाँ भी कम नही होती... ये आक्टिंग छ्चोड़ो अब शरमाने की.

संजय को पता था वो इम के बारे में सही कह रही है पर अपने बारे में उसने कहा," मैं तो ऐसा ही हूँ जी!"

गौरी: मेरा नाम गौरी है... कितनी बार बताऊं.. और हां मुझसे दोस्ती करोगे?

संजय को तो जैसे मुँह माँगी मुराद मिल गयी... उसने गौरी की आँखों में झाँका ही था की तभी निशा आ गयी," लो भाई! आप दोनो की गुफ्तगू पूरी हो गयी ही तो चाय पी लो!

चाय पीकर निशा रानी को घर छ्चोड़ने चली गयी... जाते हुए लगभग सारे रास्ते गौरी संजय के बारे में ही पूचहति रही...


घर जाकर उन्होने बेल बजाई... अंजलि और राज एक बार और जी भर कर प्यार करने के बाद ऐसे ही सो गये थे... बेल सुनते ही अंजलि के होश उडद गये," राज... जल्दी करो! मैं बाथरूम में घुसती हूँ... कपड़े पहन कर जल्दी दरवाजा खोलो... और वो अपनी सलवार उठा कर बाथरूम में घुस गयी...

राज ने लगभग 2 मिनिट बाद दरवाजा खोला... गौरी के मॅन में शक की घंटी बाज रही थी... पर वो बोली कुच्छ नही...

अंदर आकर गौरी ने देखा... अंजलि की पनटी बेड के साथ ही पड़ी थी .....गीली सी!

गौरी ने उसको अपने पैर से अंदर खिसका दिया ताकि निशा ना देख ले.... राज बाहर ही रह गया....

कुच्छ देर बाद निशा चली गयी और अंजलि बाथरूम से बाहर आई.... नाहकार!

गौरी को दोनो के चेहरो को देखकर यकीन हो चला था की कुच्छ ना कुच्छ हुआ ज़रूर है... एक लड़की होने के नाते वो समझ सकती थी की उसकी 'छ्होटी मा' की हसरतें उसका 'बूढ़ा होता जा रहा बाप' पूरा नही कर सकता. इसीलिए उसको ज़्यादा दुख नही हुआ थी... पर इश्स राज की राजदार बनकर वा भी कुच्छ फ़ायडा उठाना चाहती थी.... जैसे ही अंजलि बेडरूम में उसके साथ बैठी... उसने बेड के नीचे हाथ देकर अंजलि की ' प्यार के रस से सनी पनटी' निकल कर अंजलि की आँखों के सामने कर दी. अंजलि की नज़रें उसी को ढूँढ रही थी. अंजलि के हाथों में पनटी देखकर वा सुन्न रह गयी," गौरी... य...ये क्या मज़ाक है."

गौरी: मज़ाक नही कर रही दीदी! मैं सीरीयस हूं...

अंजलि की नज़रें झुक गयी... उससे आगे कुच्छ बोला नही जा रहा था... वो सफाई देने की कोशिश करने लगी," गौरी! ... ये... वो.. कमरे में कैसे गिर गयी... पता नही... मैं...

गौरी: दीदी... मैने सर को आपके बेडरूम से निकलते देखा था... और.. पर.... आप चिंता ना करें... मैं समझ सकती हूँ... पापा तो अक्सर बाहर ही रहते हैं... काम से... मैं किसी को नही बोलूँगी... हां! ..... सर को भी मेरा एक सीक्रेट मालूम है... आप उनसे कह दें वो किसी को ना बतायें...."

अंजलि को सुनकर तसल्ली सी हुई... अब वो सफाई देने की ज़रूरत महसूस नही कर रही थी," कौनसा सीक्रेट?" उसने गौरी से नज़रें मिला ही ली.

गौरी: छ्चोड़िए ना आप... बस उनको बोल देना! अंजलि उसके पास आ गयी और उसके गालों पर हाथ रखते हुए बोली," बताओ ना प्लीज़.. मुझसे भी क्या च्छुपाना" वो भी उसका एक राज अपने पास रख लेना चाहती थी.

गौरी को उससे शरमाने की कोई वजह दिखाई नही दी," दीदी वो... उन्होने मेरे हाथ में ब्लू सी.डी. देख ली थी!" "उसने कुच्छ नही कहा?" "नही दीदी!" अंजलि ने उसको पकड़कर बेड पर बिठा लिया," गौरी! तू मुझे इतनी प्यारी लगती है की मैं तुझे बता नही सकती." गौरी: मक्खन लगाना छ्चोड़िए दीदी.... मेरी एक और शर्त है... आपके राज को राज रखने के लिए...

अंजलि डर सी गयी...," क्क्या?"

गौरी: कुच्छ खास नही दीदी... मैं टी.वी. पर मॅच देखकर बोर हो गयी हूँ... अब मैं स्टेडियम में बैठकर मॅच देखना चाहती हूँ... आपका और सर का!"

अंजलि उसकी शर्त सुनकर हक्की बक्की रह गयी," ये क्या कह रही है तू? ऐसा कैसे हो सकता है?"

गौरी: हो सकता है दीदी... अगर आप चाहें तो.. पर मेरी ये शर्त नही बदलेगी... और ये आपकी बेटी की रिक्वेस्ट ही मान लीजिए.

अंजलि को ये कताई मंजूर नही था पर उसके पास कोई और चारा भी नही था," ठीक है तू पर्दे के पीच्चे च्छूप जाना डिन्नर के बाद.... देख लेना..!"

गौरी के पास तो उनके सीक्रेट की टिकेट थी; वो च्छूप कर क्यूँ देखती," नही दीदी! मैं बिल्कुल सामने बैठूँगी... मंजूर है तो बोल दो" अंजलि: ऐसा कैसे होगा पगली.. और क्या राज मान जाएगा... नही नही! तू च्चिप कर देख लेना... प्लीज़. गौरी टस से मास ना हुई... उसको तो सामने बैठकर ही मॅच देखना था," सर को मनाना आपका काम है दीदी... और सामने बैठकर देखने मैं मुझे भी तो उतनी ही शर्म आएगी... जितनी आप दोनो को... जब मैं तैयार हूँ तो आपको क्या दिक्कत है...

अंजलि ने उसको राज से बात करके बताने का वाडा किया... और लिविंग रूम में चली गयी...

राज बाहर टी.वी. देख रहा था.. अंजलि और गौरी के बाहर आने पर भी वा टी.वी. में ही ध्यान होने का नाटक करता रहा... जबकि उसके दिमाग़ में तो ये चल रहा था की किस्मत से जाने कैसे वो बच गये..... पर उसका वहाँ जल्दी ही दूर हो गया..

अंजलि आकर उसके पास बैठ गयी... गौरी इशारा पाकर वापस बेडरूम में चली गयी और वहाँ से दोनो की बातें सुन-ने लगी. अंजलि ने ढहीरे से कहा," वो... अंजलि को सब पता चल गया...!" "वॅट? राज को जैसे झटका सा लगा... "क्या पता चल गया" दूसरी लाइन बोलते हुए वो बहुत अधिक बेचैन हो गया.

अंजलि: ववो... उसने मेरी पनटी देख ली.. बेड के पास गिरी हुई..."

राज: तो क्या हुआ; कुच्छ भी बोल दो... कह दो की रात को चेंज की थी... वहीं गिर गयी होगी... वग़ैरा....

अंजलि का माथा थनाका... उसको ये बात पहले ध्यान क्यूँ नही आई... पर अब क्या हो सकता था," मुझे उस्स वक़्त कुच्छ बोला ही नही गया... और अब तो मैने स्वीकार भी कर लिया है की मैने तुम्हारे साथ....

राज: हे भगवान.... तुमने तो मुझे मरवा ही दिया.. अंजलि! मेरी बीवी को पता चल गया तो खुद तो मार ही जाएगी... मुझे भी उपर ले जाएगी साथ में....

अंजलि: नही! वो किसी को पता नही लगने देगी... पर उसकी 2 शर्तें हैं....! राज: दो शर्तें...? वो क्या? अंजलि: पहली तो ये की जो सी.डी. तुमने उसके हाथ में देखी थी... उसके बारे में किसी को नही बताओगे...

राज ने राहत की साँस ली. पागल गौरी सी.डी. वाली बात को ही सीक्रेट समझ रही है... वो तो उस्स बात को सुबह ही भूल चुका था. पर उसने ऐसा अहसास अंजलि को नही होने दिया," ठीक है... अगर वो हमारे राज को राज रखेगी तो मैं भी किसी तरह अपने दिल पर काबू कर लूँगा... वैसे ये शर्त मामूली नही है... बड़ा मुश्किल काम है इश्स बात को मॅन में ही दबाए रखना... और दूसरी...?"

अंजलि: दूसरी तो बहुत ही मुश्किल है.. मुझे तो बताते हुए भी शर्म आ रही है... राज: बताओ भी; अब मुझसे क्या शरमाना.

अंजलि: वो... गौरी चाहती है... की..... वो चाहती है की हम उसके सामने सेक्स करें... राज का तो खुशी के मारे दिल उच्छल रहा था... शर्त रखी भी तो जैसे राज को इनाम दे रही हो.... इसके बहांस वो खुद भी राज के लंड पर आने की तैयारी कर रही थी.... अंजाने में.... पर राज अपनी सारी ख़ुसी अंदर ही पी गया," ऐसा कैसे हो सकता है अंजलि?"

" मैं भी यही सोच रही हून... मैं उसको बोलकर देखती हून एक बार और... मेरे पास एक और आइडिया है." अंजलि ने कहा. राज को डर था कहीं गौरी को अंजलि का प्लान पसंद ना आ जाए...," नही अंजलि! तुम उसको अब कुच्छ भी मत कहो... उसकी ही मर्ज़ी चलने दो... कहीं नाराज़ हो गयी... तो मुझे तो स्यूयिसाइड ही करनी पड़ेगी... शिवानी के कहर से बचने के लिए.. तुम उसकी शर्त मान लो... हुमको ऐसा करना ही पड़ेगा... पर उसको कह देना... प्ल्स बाद में कभी ब्लॅकमेल ना करे." राज तो ऐसा ब्लॅकमेल जिंदगी भर होना चाहता था...

गौरी ये सुनकर खिल सी गयी... अब उसको लिव और वो भी आँखों के सामने.... मॅच देखने को मिलेगा....

गौरी को घर छ्चोड़ कर निशा अपने घर गयी और जाते ही संजय पर बरस पड़ी," आप भी ना भैया... पता है कितनी मुश्किल से बुला कर लाई थी... तुमने बात तक ढंग से नही की... संजय को भी मॅन ही मॅन गौरी से जान पहचान ना बढ़ा पाने का अफ़सोस था पर निशा के सामने उसने अपनी ग़लती स्वीकार नही की...," तो निशा मैं और क्या बात करता... वो तो जैसे मेरा बकरा बना कर चली गयी.... ये बता उसको मैं पसंद आया या नही."

"अरे वो तो तुझ पर लट्तू हकर गयी है... तेरी शराफ़त पर...! तू बता तुझे कैसी लगी..... तभी उनकी मम्मी ने निशा को आवाज़ दी और उनका टॉपिक ख़तम हो गया..." मैं नहा कर आती हूँ, फिर बात करेंगे" और निशा नहाने के लिए चली गयी.....

नाहकार निशा आई तो जन्नत की कोई हूर लग रही थी.. उसने शायद अपने खुले कमीज़ के नीचे ब्रा नही पहनी थी, रात के लिए.. इसकी वजह से उसकी मस्तानी गोल चुचियाँ तनी हुई हिल रही थी... इधर उधर...

वा आकर संजय के पास बेड पर बैठ गयी...," हां अब बताओ, तुम्हे गौरी कैसी लगी...?"


संजय ने आ भरते हुए कहा," वा तो कुद्रट का कमाल है निशा! उसकी तारीफ़ मैं क्या करूँ." निशा के नारितवा को ये बात सुनकर तहेस लगी... आख़िर दिशा के जाने के बाद गाँव के लड़कों ने उसी से उम्मीद बाँध रखी थी... तो वा सुंदरता में खुद को किसी से कूम कैसे मान सकती थी. और लड़की के सामने किसी दूसरी लड़की की प्रशसा कोई करे; बेशक वा उसका भाई ही क्यूँ ना हो; चुभनी तो थी ही...

निशा ने संजय से कहा," तुम्हे उसमें सबसे सुंदर क्या लगा?"

संजय अब तक नही सनझ पा रहा था की निशा में धुआँ उतने लगा था," निशा उसमें तो हर बात ज़ज्बात जगाने वाली है... उसमें कौनसी बात बताओन जो मुझे दीवाना ना करती हो.." निशा से अब सहन नही हो रहा था.. उसने संजय को अपनी हसियत दिखाने की सोची... उसको लगा संजय उसको 'घर की मुर्गी... दल' समझ रहा है.. नारी सुलभ जलन से वो समझ ही ना पाई की सुंदरता भी दो तरह की होती है, शारीरिक और मानसिक... अब संजय का ध्यान अपनी बेहन की शारीरिक सुंदरता पर कैसे जाता... भले ही वो गौरी से भी सुंदर होती...

वा नारी सुलभ ईर्ष्या से ग्रस्त होकर संजय के सामने कोहनी टीका कर लाते गयी... इश्स तरह के उसके 'अफ़गानी आम' लटक कर अपनी मादक छपलता और उनके बीच की दूरी अपनी गहराई का अहसास करा सके," क्या वो मुझसे भी सुंदर है भैया?"

संजय का ध्यान अचानक ही उसके लटकते आमों पर चला गया, उसका दिमाग़ अचानक ही काम करना छ्चोड़ गया.. पर जल्द ही उसने खुद को संभाल लिया और नज़रें घुमा कर कहा," मैं तुम्हे उस्स नज़र से तहोड़े ही देखता हून निशा!"

"एक बार देख कर बताओ ना भैया... हम-मे ज़्यादा सुंदर कौन है? निशा ने अपनी कमर को तहोड़ा झटका दिया, जिससे उसके आमों का तमाव फिर से गतिमान हो गया.

संजय की नज़रें बार बार ना चाहते हुए निशा की गोलाइयों और गहराई को चख रही थी...," तुम बिल्कुल पागल हो निशा!" जब नज़रों ने उसके दिमाग़ की ना मानी तो वो वाहा से उतह्कर अपनी किताबों में कुच्छ ढ़हूँढने का नाटक करने लगा... पर उसकी आँखों के सामने निशा की चूचियाँ ही जैसे लटक रही थी... हिलती हुई..!

निशा कुच्छ बोलने ही वाली थी की उसकी मम्मी ने कमरे में प्रवेश किया," क्या बात है निशा? आज पढ़ना नही है क्या..?" निशा ने मम्मी को टाल दिया," मम्मी; मुझे भैया से कुच्छ सीखना है... मैं लेट तक अवँगी" संजय के मॅन में एक बार आया की वो मम्मी को कह दे की वा झूठ बोल रही है... पर वो एक बार और... कूम से कूम एक बार और उन्न मस्तियों को देखने का लालच ना छ्चोड़ पाया... और कुच्छ ना बोला. उनकी मम्मी निशा को कहने लगी," तहीक है निशा, तेरे पापा सो चुके हैं.. मैं भी अब सोने ही जा रही थी.. संजय का दूध रसोई में रखा है.. तहंदा होने पर उसको दे देना. और हन सोने से पहले अपना काम पूरा कर लेना... तू आजकल पढ़ाई कूम कर रही है." और वो चली गयी...
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