Chudai ki Kahani अंजानी डगर
06-03-2018, 08:56 PM,
#11
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--10 गतान्क से आगे.................... रश्मि ने ब्लॅक कलर की सही साइज़ की ब्रा पहन तो ली थी पर ये ब्रा नॉर्मल ब्रा नही थी, ये लो नेक लाइन ब्रा थी. (इस टाइप की ब्रा लॅडीस तब पहनती है जब उन्हे डीप नेक ब्लाउस पहनना हो और ज़्यादा क्लीवेज दिखानी हो). रश्मि के आधे से ज़्यादा बूब्स ब्रा के बाहर दिख रहे थे. पर रश्मि शायद ये नही जानती थी. इस ब्रा मे रश्मि का सौन्दर्य निखर कर सामने आ रहा था. उसका चेहरा सावला ज़रूर था पर मम्मे एक दम दूधिया रंग के थे. सलवार भी नाभि से 2 इंच नीचे बढ़ी थी. कुल मिलकर रश्मि की जाँघो के उपर का ज़्यादातर हिस्सा अपने दर्शन दे रहा था. इस खूबसूरत नज़ारे को देख कर कोई भी बहक जाता तो मेरे बेचारे कुंवारे दोस्त की क्या ग़लती. बबलू इन दर्शनो से निहाल हुआ जा रहा था. वो पूरी तरह सेक्स के सागर मे डूब चुका था. आँखो ही आँखो मे वो रश्मि के हर अंग का नाप ले रहा था. मस्टेरज़ी के जाने के बाद बबलू और रश्मि वाहा पर अकेले थे. रश्मि बिल्कुल बिंदास सीना ताने खड़ी थी और बबलू रश्मि की क्लीवेज की गहराई मे जाने क्या ढूँढ रहा था. रश्मि भी समझ गयी थी कि बबलू का ध्यान कहा है पर वो चुप ही रही. पर कुछ देर बाद उसके सबर का बाँध टूट गया और झल्ला कर बोली- ओ श्याने. रात तक मैं ऐसे ही खड़ी रहने वाली नही है. कुछ करना है तो कर नही तो मैं चली. बबलू इस से अचानक झटका सा खा गया. उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे. वो बेखायाली मे आगे बढ़ा और उसके हाथो ने ब्रा के उपर से रश्मि के दोनो बूब्स को पकड़ लिया. बबलू का दिमाग़ अपने वश मे नही था. वो तो पूरी तरह कामदेवजी का गुलाम हो चुका था. कभी कोई मरा कबूतर ना पकड़ सकने वाले बबलू ने आज जीते-जागते भारी भरकम कबूतर पकड़ रखे थे. पर रश्मि बबलू की इस हरकत से सहम सी गयी थी. उसे इस बात की सपने मे भी उम्मीद नही थी. उसके मूह से आवाज़ नही निकल पा रही थी पर फिर भी वो जैसे-तैसे बोली- ये...ये क...क..या....है. पर बबलू पर इसका उल्टा ही असर हुआ. उसने अपना दाया हाथ रश्मि की ब्रा मे डाल दिया. रश्मि बबलू को रोकना चाहती थी पर पता नही किस शक्ति ने उसके हाथ जाकड़ लिए थे. बबलू का हाथ रश्मि की ब्रा मे ऐसे घूम रहा था जैसे उनकी पैईमाश कर रहा हो. कभी वो एक बूब को पकड़ता तो कभी दूसरे को. रश्मि के बूब्स बड़े ही नही एकदम सख़्त भी थे. थोड़ी ही देर मे रश्मि की ब्रा के अंदर का एक-एक इंच जगह पर बबलू का हाथ कई-कई बार सैर कर चुका था. रश्मि बबलू के सामने असहाए खड़ी थी. उसके मूह से बोल नही निकल रहे थे. जैसे-तैसे उसने अपने हाथो से बबलू के हाथ पकड़ने चाहे. उसके हाथ बबलू के हाथो को हटाने की कोशिश ज़रूर कर रहे थे पर उनमे ज़रा भी इक्चाशक्ति नही थी. बबलू के लिए ये सब बिल्कुल नया सा था. पर सब कुछ अपने आप हो ही रहा था. उसने रश्मि का एक बूब ब्रा से बाहर निकाल लिया. रश्मि के निप्प्प्ल एकदम कड़े हो चुके थे. निपल को देखते ही बबलू की जीभ अपने आप बाहर निकली और निपल को छेड़ने लगी. अब तो रश्मि के बहकने की बारी थी. पता नही कैसे उसके हाथो ने बबलू के सिर को पकड़ लिया और उसके सिर को रश्मि के बूब पर दबाने लगे. आख़िरकार बबलू का मूह रश्मि के बूब मे धँस गया और बबलू ने निपल मूह मे ले लिया. एक बार निपल मूह मे आने के बाद तो बबलू जैसे भूखा बच्चा बन गया. वो निपल को बुरी तरह चूसने लगा जैसे उसमे से दूध निकाल कर ही मानेगा. पर एक कुँवारी लड़की के निपल चूसने से दूध नही रस निकलता है वो भी नीचे वाली गली से. रश्मि मदहोश होती जा रही थी. एक अंजान लड़का, जो आज पहली बार मिला है, मिलने के 1 घंटे के अंदर उसे नंगा देख चुका है और अब उसका बूब बाहर निकाल कर बुरी तरह चूस रहा है. और वो कुछ नही कर पा रही, बल्कि उसे इसमे मज़ा आ रहा था. उसके मूह से सिसकारिया फूट रही थी. ये सिसकारिया आग मे घी का कम कर रही थी. बबलू ने रश्मि का दूसरा बूब भी बाहर निकाल लिया और वैसे ही चूसने लगा. रश्मि के बूब्स बबलू की हथेलियो से काफ़ी बड़े थे पर फिर भी वो पूरी तरह मैदान मे डटा हुआ था. वो उसके बाए बूब को चूस रहा था और उसका बाया हाथ उसके दाए बूब को मसल रहा था. थोड़ी देर बाद बबलू के हाथ और मूह ने जगह बदल ली. पर कामदेवजी का काम जारी था. करीब 10 मिनिट तक अपने बूब्स की जोरदार सेवा करवा लेने के बाद रश्मि की चूत मे जैसे बवाल मच गया था. इधर बबलू का लंड भी बुरी तरह अकड़ चुका था. टट्टो मे भयंकर दर्द हो रहा था. ना चाहते हुए भी रश्मि अब गरम हो चुकी थी. ना चाहते हुए भी उसकी चूत से पानी रिस रहा था. ना चाहते भी उसकी बाई टांग दाई को मसल रही थी कि दोनो के जोड़ पर थोड़ी राहत मिल जाए, पर इससे तो आग भड़कती जा रही थी. कुल मिलाकर रश्मि अब बबलू की गुलाम बन चुकी थी. वो जो चाहता रश्मि करने को तैय्यार थी. जालिम नीचे की मंज़िल पर कब आएगा. आग तो निचली मंज़िल पर लगी थी और ये कमीना तो बस उपर ही लगा हुआ था. रश्मि ने बबलू का एक हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के उपर ही चूत पर रगड़ दिया. इतना करना था कि रश्मि की टाँगो ने जवाब दे दिया और वो ज़मीन पर घुटनो के बल ढेर हो गयी. अब बबलू की पॅंट का उभार रश्मि के मूह के सामने था. रश्मि ने बबलू की पॅंट की ज़िप को खोल दिया और अंदर हाथ डाल दिया. रश्मि के हाथो का स्पर्श पाते ही बबलू के लंड को राहत मिलने लगी. रश्मि का हाथ बाहर आया तो एक 10 इंच का काला नाग निकल लाया जो बाहर आते ही फुफ्कारने लगा. रश्मि उसको देखते पागल सी हो गयी. वो खुद को रोक ना सकी और.. नीचे मस्टेरज़ी का की दोस्त मिलने आया हुआ था. मस्टेरज़ी- अरे निशा मैं ज़रा 10 मिनिट मे आता हू. निशा- जी. मस्टेरज़ी- मैं उस नये रंगरूट को ट्रैनिंग के लिए उपर छोड़ कर आया हू. उसका ध्यान रखना. रश्मि भी वही है. निशा- जी मैं देख लूँगी. ये कह कर मस्टेरज़ी अपने दोस्त के साथ बगल वाले रेस्टोरेंट मे चले गये थे. निशा ने भी अपना अकाउंट्स का काम निपटा लिया था. उसने कंप्यूटर स्क्रीन पर सीक्ट्व का फीड ऑन कर दिया. पूरे बुटीक मे हर कमरे मे सीक्ट्व कॅमरा लगे हुए थे. यहा तक की ट्राइ रूम मे भी. कुछ ही देर मे मस्टेरज़ी के कमरे का सीन निशा के सामने था. रश्मि एक सेक्सी ब्रा मे बबलू के सामने खड़ी थी. निशा के चेहरे पर कातिल मुस्कान तेर गयी. निशा की आगे क्या होता है यह देखने की उत्सुकता बढ़ गयी. और उसे निराश नही होना पड़ा. उसके बाद जो कुछ हुआ, निशा ने पूरे सीन का लाइव टेलएकास्ट देख लिया था. ऐसे सेक्सी सीन को देख कर निशा के शरीर मे भी उत्तेजना भरने लगी. आख़िर वो भी तो एक कुँवारी लड़की थी. बबलू के हाथ उसे अपने शरीर पर महसूस हो रहे थे. उधर रश्मि गिरी कि इधर मस्टेरज़ी ने बूटीक का दरवाजा खोला. निशा (मन ही मन)- आ गयी केबाब मे हड्डी. मस्टेरज़ी उपर पहुच गये तो सब कबाड़ा हो जाएगा. इनको तो यहा से भगाना पड़ेगा. निशा- मस्टेरज़ी. प्लीज़ इधर आना. मस्टेरज़ी- क्यो मेरी आरती उतारनी है. निशा बात तो मस्टेरज़ी से कर रही थी पर उसकी नज़रे बार-बार कंप्यूटर स्क्रीन पर जा रही थी. अब रश्मि ने बबलू की चैन खोल ली थी. निशा- मस्टेरज़ी. एक काम कर दो ना प्लीज़. मस्टेरज़ी- बोल. निशा- मस्टेरज़ी कुछ समान मंगाना है. मस्टेरज़ी- मैं कोई तेरा नौकर हू. निशा- अब ये क्याबात हो गयी. इतने प्यार से कह रही हू ला दो ना. प्लीज़. मस्टेरज़ी- तू ऐसी बाते करके मेरा बॅंड बजवाती है. बोल क्या लाना है ? निशा- कुछ नही बस एक कॉंडम का पॅकेट ला दो ना प्लीज़. उधर रश्मि ने बबलू की पॅंट मे अपना हाथ डाल दिया था और निशा को जल्दबाज़ी मे और कुछ नही सूझा. मस्टेरज़ी- क्या ला दू. (मस्टेरज़ी भी भूचक्के रह गये थे, उन्हे अपने कानो पर विश्वास नही हुआ) निशा- मस्टेरज़ी. वो केमिस्ट की दुकान एक कामसुत्रा कॉंडम का पॅकेट ला दो ना प्लीज़. ये लो 100 रुपये. मस्टेरज़ी- तेरा दिमाग़ खराब हो गया है क्या ? मैं बुड्ढ़ा कॉंडम लेता अच्छा लगूंगा. और तेरी तो शादी भी नही हुई है. तुझे कॉंडम क्यो चाहिए ? निशा- आप ज़्यादा सवाल मत करो. ये बताओ लाओगे या नही. मस्टेरज़ी- अच्छा बाबा. लाता हू. पर जो लाना है लिख कर देदे. निशा- ये लो. क्रमशः..........
Reply
06-03-2018, 08:57 PM,
#12
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--11 गतान्क से आगे.................... रश्मि अपने होश मे नही थी. कुल मिलकर वो अब बबलू की गुलाम बन चुकी थी.... रश्मि ने बबलू की पॅंट की ज़िप को खोल दिया और अंदर हाथ डाल दिया.... रश्मि के हाथो का स्पर्श पाते ही बबलू के लंड को राहत मिलने लगी थी. रश्मि का हाथ बाहर आया तो एक 10 इंच का काला नाग निकाल लाया जो बाहर आते ही फुफ्कारने लगा. रश्मि उसको देखते पागल सी हो गयी. वो खुद को रोक ना सकी और उसे बेतहाशा चूमने लगी. अपने लंड पर चुंबनो की बौछार पाकर बबलू निहाल हो रहा था. इसके बाद रश्मि ने बबलू की पॅंट का बटन खोल दिया और अंडरवेर के साथ पॅंट को नीचे उतार दिया. फिर वो खड़ी हो गयी और बबलू की शर्ट के बटन खोलने लगी. बबलू भी कहा रुकने वाला था.उसके हाथ भी अपना काम कर रहे थे. उसने रश्मि की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार अपने आप नीचे गिर गयी. अब रश्मि बबलू के सामने एक पॅंटी मे खड़ी थी और उसके मोटे बूब्स ब्रा के बाहर थे. बबलू भी केवल खुली बटन की शर्ट मे खड़ा था. उसका लंड एक दम तननाया हुआ था. दोनो पता नही किस खुमारी मे थे, जैसे बरसो से सेक्स कर रहे हो. कोई भी पीछे हटने को तैय्यार नही था. सब कुछ इतनी तेज़ी से हो रहा था की कुछ सोचने की फ़ुर्सत ही कहा थी. उधर नीचे निशा की हालत अब काबू से बाहर थी. वो स्क्रीन पर इन दोनो के सीन के लाइव टेलएकास्ट को देख कर बावली हुई जा रही थी. उसका हाथ उसकी चूत को कपड़ो के उपर से ही सहला कर शांत करने की नाकाम कोशिश कर रहा था. बबलू ने रश्मि को थोड़ा पीछे करके एक स्विंग मशीन की टेबल पर बैठा दिया. फिर अपने दोनो हाथ उसकी जाँघो के नीचे से लेजाकर रश्मि की जाँघो को नीचे से अपने हाथो पर थाम लिया. रश्मि के बूब्स ज़रूर मोटे थे पर उसका शरीर छरहरा था. उसका फूल जैसा शरीर ज़मीन से 1 फुट उपर बबलू के मजबूत हाथो पर टीका था. इससे रश्मि की चूत बबलू के लंड की सिधायी मे आ गयी थी. अब रश्मि की साँसे बबलू की सांसो से टकरा रही थी. रश्मि के रसीले होठ कांप रहे थे जैसे बबलू के होंठो को चूमने का आग्रह कर रहे हो. बबलू ने ये आमंत्रण स्वीकार कर लिया और उसके होठ रश्मि से चिपक गये. रश्मि के जवान जिस्म की आग अब बुरी तरह भड़क चुकी थी. उसने बबलू की चेहरे को अपने हाथो से जाकड़ लिया और बेतहाशा चूमने लगी. दोनो एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे को चाटने लगे. इसी चूमा-चॅटी मे बबलू का लंड रश्मि की चूत से रगड़ा खा गया. दोनो ही के शरीर झनझणा उठे. दोनो अब और दूरी सहन करने की स्थिति मे नही थे. रश्मि ने हाथ बढ़ा कर बबलू के लंड को पकड़ा और पॅंटी की साइड से अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया. बबलू ने ज़ोर का धक्का लगाया और लंड फिसलता हुआ एक झटके मे पूरा 8 इंच अंदर तक चला गया. रश्मि की रसभरी चूत एकदम हाइवे लग रही थी जिस पर बबलू ने अपना ट्रक दौड़ा दिया था. और हाइवे पर लगा बारैकेड भी उसे रोक नही पाया था. पर रश्मि अब आनंद से सागर से निकल कर दर्द की हक़ीकत मे आ चुकी थी. उसे होश आ गया था. उसकी सील टूट चुकी थी. वो रूवन्सी होने लगी और बबलू की छाती पर मुक्के मारने लगी. रश्मि- तुमने मेरी इजात लूट ली. मुझे बर्बाद कर दिया. दूर हटो मुझसे. पर बबलू अभी भी आनंद के सागर मे गोते लगा रहा था. वो रश्मि की चूत मे लंड डाले रुका रहा. धीरे-धीरे रश्मि का दर्द कम हुआ तो उसने अपनी गंद पीछे कर के बबलू का लंड बाहर निकालने की कोशिश की. पर वो तो बबलू के हाथो मे फँसी हुई थी. इस से लंड तो निकला नही, बबलू को सिग्नल ज़रूर मिल गया. बबलू ने धीरे से पीछे होकर आधा लंड बाहर निकाला और फिर से अंदर पेल दिया. इस धक्के से रश्मि की रसभरी चूत पिघल सी गयी. बबलू ने एक बार फिर वही किया. रश्मि का गुस्सा अब गायब हो चुका था और फिर वही खुमारी छाने लगी थी. बबलू रश्मि के चेहरे के बदलते भाव के अनुसार धक्को की रफ़्तार बढ़ाता गया. रश्मि अभी भी बबलू के हाथो पर टिकी थी रश्मि को हर धक्के पर आगे और फिर पीछे कर रहे थे. हर नया धक्का रश्मि के शरीर मे आनंद के नयी लहर ले आता. रश्मि आनंद के सागर मे पूरी तरह डूब चुकी थी. बार बार उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और हर बार वो बबलू से बुरी तरह चिपक कर उसे यहा वाहा चूमने लगती. उसके मोटे-मोटे मम्मे उछल-उछल कर बबलू को और उत्तेजित कर रहे थे. बबलू रश्मि को उठाए हुए ही ज़मीन पर लेट गया. बबलू का लंड पूरे 9 इंच तक रश्मि मे गढ़ा हुआ था. अब रश्मि घुड़-सवार की तरह बबलू के उपर बैठी थी और बबलू का लंड उसकी चूत मे फँसा हुआ था. रश्मि की चूत पानी छ्चोड़-छ्चोड़ कर बहाल हो गयी थी. उसने अपनी चूत से बबलू का लंड बाहर निकालने के लिए अपनी गंद को थोड़ा उपर किया पर बबलू ने उसके गुदाज कुल्हो को पकड़ लिया और रश्मि बस 6-7 इंच उपर ही उठ सकी. इससे बबलू को लंड चलाने की जगह मिल गयी. वो रश्मि के नीचे से ही उछाल-उछाल कर रश्मि की चूत से अंदर बाहर होने लगा. ये अनुभव रश्मि के भी लिए नया सा था. वो हवा मे ही टँगी हुई चुद रही थी. उसकी घायल चूत मे फिर से तरंगे उठ रही थी. जब सहन नही हुआ तो उसने बबलू की छाती पर अपनी हथेलिया टिकाई और खुद ही बबलू के लंड पर उछलने लगी. बबलू रश्मि को काम करते देख उछालना बंद कर के अपनी चुदाई का मज़ा लेने लगा. रश्मि के बूब्स लेफ्ट-राइट करते हुए उसके साथ ही उछल रहे थे. बीच-बीच मे रश्मि आनंद के अतिरेक मे उछलना भूल जाती तो नीचे लेटा बबलू रश्मि को उछाल देता और रश्मि का सिर जबरदस्त मज़ा मिलने से घूम सा जाता. थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा पर कोई मैदान छोड़ने को तैय्यार नही था. कुछ सोच कर रश्मि मुस्कुराने लगी. रश्मि- साले…तू मुझे चोद रहा था ना…ले अब मैं तुझे चोद रही हू. बबलू- चलो हमारा हिसाब तो बराबर हो गया ना. अब तो कोई शिकायत नही है तुम्हे. रश्मि- साले...बाते कम कर और नीचे ध्यान लगा...तुझे तो मैं बाद मे बताउन्गी. ऊवूवयायीईयीईयैआइयैआइयैयियैयीयीयीयियी माआआआ रश्मि एक बार फिर ढेर हो गयी थी. चाहे छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर, कटेगा तो खरबूजा ही ना… आख़िरकार बबलू के चरमसुख की घड़ी आ ही गयी थी. पर अचानक रश्मि बीच मे दगा दे गयी थी. बबलू एक बांका नौजवान था…कोई पत्थर नही. उसने फिर से रश्मि को थोड़ा उपर उठाया और नीचे से ही चुदाई शुरू कर दी. 2 मिनिट बाद ही रश्मि की जोरदार चुदाई ने उसके लंड से पानी निकाल दिया. बबलू आनंद की गहराइयो मे गोते लगाने लगा उधर रश्मि फिर गरम हो गयी और उछलने लगी. बबलू का लंड रश्मि की चूत मे अपना रस उगल रहा था पर रश्मि इससे बेख़बर उछलती ही रही. चरमसुख पाकर बबलू तो शांत हो गया था पर रश्मि की आग भड़की हुई थी. वो उठ कर खड़ी हो गयी. उसकी चूत से बबलू का रस टपाक रहा था. रश्मि- कामीने…ये तेरा साँप बीच मे ही कैसे मर गया. अब ये खड़ा होगा या नही. जल्दी खड़ा कर इसे. बबलू कुछ कहता इससे पहले … क्रमशः........
Reply
06-03-2018, 08:57 PM,
#13
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--12 गतान्क से आगे.................... मॉनिटर पर दोनो की पूरी काम-क्रीड़ा का लाइव टेलएकास्ट देख लेने के बाद निशा की हालत बेकाबू हो चुकी थी. बेचारी काउंटर बैठे हुए ही अपनी चिड़िया को सेलहाए जा रही थी पर अब सहन करना मुश्किल हो रहा था. बस कोई आ जाए और इस ओखली मे मूसल डाल कर धोन्च्ता रहे....फाड़ डाले इस निगोडी चूत को. अब कोई चारा नही बचा तो कंप्यूटर और कॅश बॉक्स को बंद कर खड़ी हो गयी. फिर संजना और रोज़ी से बोली- मैं टाय्लेट होकर आ रही हू. तुम ज़रा यहा का ध्यान रखना. फिर वो उपर की ओर चल दी. वाहा पहुचते ही उसने जीने का गेट बंद कर दिया और मास्टर जी के कमरे मे घुस गयी. वाहा बबलू का पानी निकल चुका था और रश्मि उस पर चिल्ला रही थी… रश्मि- कामीने…ये तेरा साँप बीच मे ही कैसे मर गया. अब ये खड़ा होगा या नही. जल्दी खड़ा कर इसे. बबलू कुछ कहता इससे पहले … मदहोश निशा बबलू के पास पहुचि और उसने घुटनो पर बैठ कर मुरझाए हुए लंड को अपने मूह मे ले लिया. निशा की इस हरकत से बबलू और रश्मि सकते मे आ गये. दोनो सेक्स के खेल मे इतने मस्त हो गये थे कि ध्यान ही नही रहा कि वो कहा पर है. जब तक बबलू संभलता निशा ने उसके लंड को चूस- चूस कर फिर से खड़ा कर दिया. इसके बाद उसने देर ना करते हुए अपनी सलवार उतारी और चढ़ गयी बबलू पर घुड़-सवारी करने. निशा की चूत चुदाई के लिए एकदम तय्यार थी. उसकी योनि का रस बह कर उसकी टाँगो पर आ चुक्का था. बबलू को कुछ करने की ज़रूरत नही पड़ी. तीर निशाने पर था. आआआआयययययययययययईईईईई- एक घुटि हुई सी चीख सुनाई दी और निशा का भी कोमार्य बबलू के लंड पर कुर्बान हो गया. थोड़ा सा खून निशा की चूत से रिस कर योन-रस के साथ बाहर आ गया. निशा की चूत की फांके बबलू के टट्टो को चूम रही थी. अब बबलू भी पूरे रंग मे वापस आ गया था. उसने निशा के सूट के बटन खोल दिए और उसे उतार दिया. निशा की नाषपाती के साइज़ की दूधिया रंग की चुचिया एक टीनेजर ब्रा मे क़ैद थी. साइज़ रश्मि से छोटा था पर गोरे रंग ने गजब कर दिया था. ऐसी सुंदरता तो बबलू ने सपने मे भी नही देखी थी. निशा थोड़ी देर के बाद उछलने लगी. जैसे उसने रश्मि को चलते हुए देखा था. उसकी ब्रा मे क़ैद नश्पातिया भी उपर नीचे उछल रही थी. बबलू तो जैसे ईन्द्र के सिंहासन पर था और कोई अप्सरा उसकी सेवा कर रही थी. पर वो ज़्यादा देर तक इस शानदार एहसास मे नही रह पाया. बबलू को अब असलियत का आभास हो रहा था. हालाँकि, आज उसकी जिंदगी का सबसे खुशनसीब दिन था. आज एक नही 2-2 कुँवारी कमसिन लड़कियो की कोरी चूत की सील उसने तोड़ी थी. पर वो डर भी रहा था. नयी जगह. नये लोग. और पहली ही बार मे ये सब…उसके मूह से अपने आप ही बोल फूटने लगे. बबलू- अरे तुम ये क्या कर रही हो. निशा- (चुप) बबलू- देखो तुम ये ठीक नही कर रही. निशा- और तू रश्मि के साथ क्या कर रहा था. रश्मि- मैं तो अपना नाप देना सिखा रही थी. निशा- तो ठीक है मैं भी सिखा दूँगी. बबलू- मस्टेरज़ी ने मुझे इसका नाप लेने को कहा है. निशा- चुप चाप मेरा नाप लो…नही तो उनको बता दूँगी कि तुम कैसे नाप ले रहे थे. ये सुन कर बबलू चुप हो गया. पर रश्मि की चूत मे भी को आग भड़की हुई थी जो निशा की हर्कतो ने और भड़का दी थी. वो भी बेचारे बबलू के मूह पर बैठ गयी. रश्मि की चूत के लिप्स बबलू के मूह के लिप्स से जुड़ गये. रश्मि बबलू के मूह पर ही अपने निचले लिप्स को रगड़ने लगी. बबलू ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और उसी से रश्मि की चूत को चोदने लगा. बड़ा जोरदार थ्रीसम सीन चल रहा था. बबलू के कसरती जिस्म का 2-2 अप्सराए मान-मर्दन कर रही थी. तीनो की जवानिया एक दूसरे से जम कर लोहा ले रही थी. देखना था की किसमे कितना दम है. आख़िरकार, सबसे पहले रश्मि का पानी छूटा. उसने अपनी योनि को बबलू के मूह पर कस कर दबा दिया और उसके सिर को कस कर पकड़ लिया. फिर वो वहाँ से हट कर एक तरफ निढाल हो कर ढेर हो गयी. रश्मि के हटने के बाद बबलू ज़मीन से थोड़ा सा उठा और घुटने मोड़ कर निशा को खड़ा कर दिया. निशा तो मदमस्त हथनी की तरह लंड पर जमी हुई थी. वो उससे अलग नही होना चाहती थी पर बबलू के आगे उसकी एक ना चली. बबलू ने खड़े होकर निशा की अब तक क़ैद नाश्पतियो को ब्रा खोल कर बाहर निकाल लिया. निशा का गोरा बेदाग जिस्म अब पूरी तरह अनावृत हो चुक्का था. लोग चोदने से पहले एक दूसरे का जिस्म निहार कर उत्तेजना बढ़ाते है. यहा उल्टा हो रहा था. निशा का धैर्य जवाब दे रहा था. उसे तो बस एक ही चीज़ दिख रही थी जिसे वो हर हाल मे पा लेना चाहती थी. पर ये बबलू तो निशा को निहारने मे ही लगा हुआ था. निशा फिर से बबलू के जिस्म लिपट गयी. उधर रश्मि भी निशा की गर्मी को देख कर फिर से पिघलने लगी और निशा से जा लिपटी और उसे चूमने लगी. पर जिसका डर था वही हुआ… नॉक-नॉक तभी अचानक खटखटाने की आवाज़ आई. शायद जीने के दरवाजे पर कोई था. बबलू तो होश मे था पर दोनो अप्सराओ के दिमाग़ पर तो जैसे सेक्स का भूत सवार था. दोनो की चूत का उद्घाटन तो हो गया था पर जवानी की प्यास भुजने की बजाए और भड़कती ही जा रही थी. दोनो रति क्रिया मे ऐसे खोई हुई थी कि इसी काम के लिए ही जन्म लिया हो. बबलू ने किसी तरह खुद को अलग किया और दोनो को झींझोड़ा. पर वो भूखे बच्चे की तरह उसके लंड पर टूट पड़ी. दोनो उसकी सेक्स-स्लेव बन चुकी थी. बबलू ने उनको उस नशे का चस्का लगा दिया था जो हर डोज के साथ और नशीला हो रहा था. उधर खटखताहत की आवाज़ बढ़ती ही जा रही थी. इधर बबलू की हालत पस्त हो रही थी. बबलू- मस्टेरज़ी आ गये है. तुम दोनो कपड़े पहन लो. निशा- मेरी प्यास तो भुजा दे मेरे राज्जा. बबलू- अरे कोई आ जाएगा. जल्दी करो. निशा- मैं आ तो गयी हू. अब बंद दरवाजे से कोई और नही आएगा. बबलू- पागला गयी हो क्या. मस्टेरज़ी दरवाजा तोड़ कर यहा आ जाएँगे. उनको पता है कि मैं और रश्मि यहा अकेले है. निशा- मुझे कुछ नही पता. इस रश्मि को तो बड़ा मज़ा दे रहे थे तुम. अब मेरी बारी मे चीटिंग मत करो. बबलू- मेरी जान. मैं कही भागा थोड़े ही जा रहा हू. कल तुम्हारा नंबर लगा दूँगा. निशा- प्रॉमिस? बबलू- बाइ गॉड की कसम. अब तो कपड़े पहन लो प्लीज़. रश्मि- और मैं. मेरी प्यास भी ढंग से नही भुजी है. मुझे कब प्यार करोगे. बबलू- तेरी सेवा भी कर दूँगा. अब तुम भी कपड़े पहन लो प्लीज़. दोनो अनमने ढंग से कपड़े पहनने लगी और बबलू आने वाली आफ़त के बारे मे सोचने लगा. उसने अपने कपड़े ठीक किए और टाय्लेट मे लगे मिरर के सामने अपना हुलिया चेक किया. फिर वापस आकर उन दोनो को टाय्लेट मे भेज दिया. और नीचे की ओर भागा. बबलू की जान सुखी हुई थी. पता नही आज क्या होने वाला था. 3 जवान जिस्म कमरा बंद करके क्या कर रहे थे. क्या जवाब देता वो……….? मन ही मन आज वो भगवान से प्रार्थना कर रहा था की आज बचा ले फिर कभी किसी लड़की की ओर आँख उठा कर भी नही देखेगा. नॉक..नॉक अबकी बार बबलू ने तुरंत ही दरवाजा खोल दिया. सामने मस्टेरज़ी नही संजना खड़ी थी. उसे देख कर बबलू की जान मे जान आई. पहले जब बबलू बुटीक मे आया था तब उसे नही देख पाया था. ये संजना तो हुस्न परी थी. एक दम गोरा चिटा रंग. और साइज़ भी एकदम सेक्सी. उपर से उसकी टाइट जीन्स-टॉप….अफ…कोई पत्थर भी पिघल जाए. पर हमारे बबलू जी तो अभी अभी अपना सारा रस निचोड़-निचोड़ कर उपर 2 सुंदरियो को दान कर आए थे. बेचारी संजना की ज्वानी पर बबलू का ध्यान ही नही गया. वो बेरूख़ी से बोला- क्यो शोर मचा रही हो. कौन हो तुम. संजना- मैं संजना हू. यहा सेल्स गर्ल का काम करती हू. निशा दीदी कहा है. बबलू- वो वॉश….उपर मस्टेरज़ी के कमरे मे है…बोलो क्या काम है. संजना- नीचे मल्लिका मेडम है. बहुत गुस्से मे है. निशा दीदी को बुला रही है….कहा है वो उको बुलाओ ना. बबलू- अब ये कौन सी नयी बला है. संजना- वो हमारी पुरानी कस्टमर है और शमा मेडम की खास फ्रेंड भी है. बहुत गुस्से मे है. बबलू- क्यो क्या कर दिया तुमने उनके साथ. सनजाना- मैने कुछ नही किया. वो तुमसे पहले एक लड़का था रोहन. उसने उनकी सारी का ब्लाउस सिला था. उसकी फिटिंग सही नही आ रही. बहुत महँगी साडी है. संजना की बोली एकदम मिशरी जैसी थी. जब बोलती तो जैसे फूल झाड़ रहे हो. बबलू उसकी आवाज़ के जादू मे खो सा गया. संजना- निशा दीदी कहा है. बबलू- निशा मॅम को तो अभी टाइम लगेगा. संजना- चलो तो तुम ही देख लो. बबलू- मैं क्या देखूँगा. संजना- अरे तुम टेलर हो. कस्टमर को अटेंड करना. उसकी प्राब्लम सॉल्व करना. बबलू- तू आज पहले ही दिन मरवाएगी. संजना- तुम चलो तो सही. बबलू- ठीक है चलो. जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. बबलू नीचे पहुचा तो वाकई भूचाल आया हुआ था. एक 30-32 साल की हाईफ़ाई मेडम बेहद गुस्से से बेचारी रोज़ी पर चिल्ला रही थी. बबलू- एस मेडम. वॉट कॅन आइ डू फॉर यू. मल्लिका- सी…वॉट ईज़ दिस बबलू- दिस लुक्स लाइक आ ब्लाउस. मल्लिका- ओफफफूओ….ये तो मुझे भी पता है कि ये ब्लाउस है. ये ब्लाउस मैने 1 महीना पहले यहा से सिलवाया था. खास आज शाम होने वाली करण की पार्टी के लिए 34000 की सारी इस बुटीक से खरीदी थी. जब आज सुबह मैने इसको ट्राइ किया तो आया ही नही. बुरी तरह से फँस रहा है. अब मैं आज शाम की पार्टी मे क्या पहनुँगी. ये निशा कहा है ? बबलू- मेडम मुझे बताइए मैं आपकी प्राब्लम सॉल्व करूँगा. मल्लिका- देखो ये ब्लाउस कितना टाइट है. एक बार पहन लो तो सांस नही ले सकते. बबलू- मेडम आप उपर चलिए. मैं हाथ के हाथ आपका ब्लाउस आल्टर कर दूँगा. यह सुनकर मल्लिका मेडम का तमतमाया हुआ चेहरा खिल उठा. मल्लिका- तुम कर लोगे ? बबलू- आप मुझ पर छोड़ दीजिए. ये बताइए की आप क्या लेना पसंद करेंगी. कॉफी या जूस. मल्लिका- बटरस्कॉच शेक मंगा लो. बबलू- रोज़ी एक शेक उपर भेज देना. आइए मेडम. मल्लिका मेडम को शांत करने के चक्कर मे बबलू उनकी मस्त देह का दीदार करना तो भूल ही गया था. जीने मे उपर चढ़ते समय मेडम को देखने का मौका मिला. मेडम ने ब्लॅक कलर की घुटनो तक की स्कर्ट पहन रखी थी और उपर ब्लॅक कोट था. मेडम की कमर तो पतली ही थी पर कुल्हो पर चढ़े हुए माँस से उभार सॉफ दिखाई दे रहा था. मेडम के जिस्म की आँखो से पैईमाश करते-करते दोनो उपर मस्टेरज़ी के रूम मे पहुच गये. वाहा निशा और रश्मि अब तक सब कुछ सेट कर चुकी थी. मल्लिका- निशा देखो ये क्या करवा दिया तुमने. निशा- क्या हुआ मॅम. बबलू- अरे कुछ नही. मेडम आप चिंता मत करे. मैं सब ठीक कर दूँगा. आप ऐसा करे की इस ब्लाउस को चेंज रूम मे जाकर पहन लीजिए. फिर मैं चेक कर लूँगा कि कहा प्राब्लम है. और मल्लिका ब्लाउस उठा कर चेंज रूम मे चली गयी. निशा- हाए राम. ये मल्लिका मेडम की चुचिया देखी तूने. 2 महीने मे ही कैसी फूल गयी है. ब्लाउस क्या खाक आएगा. रश्मि- हा यार पहले तो इतने बड़े नही थे मेडम के. बबलू- इन का पहले वाला साइज़ तो लिखा होगा. निशा- हा यही मस्टेरज़ी के पास होगा. मैं देखती हू….ये रही ऑर्डर बुक…ये रहा उनका 2 महीने पहले वाला साइज़….देखो मैने कहा था ना उनकी बस्ट का साइज़ 32 इंच लिखा है. अब देखो क्या साइज़ हो गया है. रश्मि- कुछ भी कहो...मेडम कितनी सेक्सी लग रही थी ना. ये बस्ट का साइज़ बढ़ने से औरत एकदम सेक्स-बॉम्ब बन जाती है. निशा- हा तभी तू इतना इतराती फिरती है. तेरा साइज़ भी तो मस्त है ना. रश्मि- मेरा साइज़ बड़ा है तो मेरा क्या कसूर है. निशा- हा यार. काश मेरा भी साइज़ इतना हो जाए तो मज़ा ही आ जाए. अच्छा चल तू नीचे जा. मैं यहा देखती हू. रश्मि- एक दिन मे ज़्यादा देखना-देखना सही नही है दीदी. अब तो बेचारे पर रहम करो. निशा- चल बेशरम कही की. रश्मि- आप कितनी शर्मीली हो. वो तो मैने देख ही लिया है. निशा- तू जाती है या नही. रश्मि- अच्छा बाबा जाती हू. *** मल्लिका मेडम जैसे ही चेंज करके बाहर आई तो लगा जैसे कमरे मे ज़लज़ला सा आ गया हो. मल्लिका मेडम के जलवे देख कर बबलू के निस्तेज लंड मे भी जैसे नवजीवन का संचार हो गया था. जैसे उसके लंड की नसो मे नया खून दौड़ने लगा था. 2-3 सेकेंड मे ही बबलू का सैनिक मल्लिका मेडम को सलामी देने लगा था. मल्लिका मेडम ब्लाउस और स्कर्ट पहन रखा था. मेडम वाकई मे सेक्स-बॉम्ब थी. रेड कलर के ब्लाउस मे मेडम बेहद शोख लग रही थी. मल्लिका- देखो कितना टाइट है. सांस भी नही आ रही. हुक भी साँस रोक कर लगाए है. बबलू ने इंक्फिटेप उठाया और मेडम के पास जाकर ब्लाउस को देखने लगा. वाकई मे मेडम सही कह रही थी. मेडम के बूब्स ब्लाउस मे इस तरह क़ैद थे कि अभी फाड़ कर बाहर आ जाएँगे. ब्लाउस के हुक भी जवाब देने वाले थे. बबलू- मेडम आप चिंता मत कीजिए मैं आप का साइज़ ले लेता हू फिर आपके ब्लाउज को ठीक कर दूँगा. आप यहा खड़ी हो जाइए और ब्लाउस उतार दीजिए. मल्लिका- व्हाट ???? बबलू- मेडम सही नाप लेने के लिए तो ब्लाउस उतारना ही पड़ेगा. मल्लिका- वो तो ठीक है पर मैने बड़ी मिश्किल से हुक लगाए है. अब ये मुझसे नही खुलेंगे. बबलू- ठीक है ये निशा आपकी मदद कर देगी. आप इनको दबाइए और निशा हुक खोल देगी. निशा तो पहले ही मेडम के साइज़ को देख कर सकते मे थी. वो बिना कुछ कहे आगे आई और मेडम के बूब्स को दोनो साइड से दबाने लगी. मेडम ने भी सांस निकाल कर हुक खोल ने की काफ़ी कोशिश की पर कोई फायेदा नही हुआ. निशा की कोमल कलाइया इस कम के लिए कमजोर साबित हुई. बबलू- मेडम ऐसा करिए आप खुद दबाइए और निशा हुक खोल देगी. मल्लिका- मुझसे सांस नही ली जा रही है. और तुम मज़ाक कर रहे हो. मुझसे नही दबेंगे ये. बबलू- तो फिर क्या करे अब. निशा- अरे तुम ही क्यो नही दबा देते. (निशा ने बबलू के मन की बात बोल दी थी) बबलू- मेडम. म....मैं कैसे आपके बूब्स को दबाउन्गा. (दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा कहना चाहता हूँ आप लोग भी सोच रहे होंगे की काश....... हम भी वहाँ होते अब देखिए इसकमिने बबलू का मन तो बहुत हो रहा था पर उपर से नौटंकी दिखा रहा था) मल्लिका- मुझे कोई प्राब्लम नही है. पर बबलू आगे नही बढ़ा तो निशा ने बबलू के हाथ पकड़े और मेडम के बूब्स की दोनो साइड पर रख दिए. अँधा क्या चाहे ????????????????????????? 2 आँखे क्रमशः..........
Reply
06-03-2018, 08:57 PM,
#14
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--13 गतान्क से आगे.................... दोस्तो किस्मत बबलू पर मेहरबान थी. रश्मि और निशा तो पहले ही उसकी हो चुकी थी. और पता नही आगे कितनी चूत उसके लंड पर प्रेम रस बरसाने वाली थी. बबलू उस तालाब मे डुबकिया लगा रहा था जिसमे एक से एक मस्त मछली भरी थी अब ये उस पर था की किस मछली को दाना डाले और किस को छोड़ दे बेचारी मल्लिका मेडम की साँसे अटकी हुई थीबबलू डरते डरते मल्लिका मेडम की बड़ी बड़ी चूचियो को हथेलियो मे भर कर अंदर की और दबाने लगा. उसके हाथो और मेडम के मम्मो के बीच अब केवल एक पतला सा ब्लाउस का कपड़ा था. मम्मो के हर कटाव को बबलू महसूस कर सकता था क्योकि मेडम ने ब्लाउस के टाइट हाइन की वजह से ब्रा नही पहनी थी. बबलू दबाए जा रहा था और मेडम के मक्खन जैसे मम्मे उसके हाथो का दबाव पाकर दब्ते जा रहे थे. अपने मम्मो पर पराए मर्द का दबाव पड़ने से मल्लिका मेडम के शरीर मे चींतिया सी रेंगने लगी, जिसका प्रभाव ब्लाउस मे उभर चुके निप्पलो पर साफ दिख रहा था. बबलू मेडम के बूब्स को सामने खड़ा होकर ही दबा रहा था और उसकी नज़रे मेडम की गहरी होती जा रही क्लीवेज मे गढ़ी हुई थी. दरअसल बबलू के हाथ कॉर्सेट का काम कर रहे थे और दबाव पड़ने से मेडम के माममे ब्लाउस के उपर से बाहर निकल कर मेडम की जबरदस्त क्लीवेज बना रहे थे. ये मदहोशी भरा नज़ारा देख कर बबलू के होठ सूखने लगे. उसने अपने होंठो पर जीभ फेर कर उन्हे गीला किया. सख़्त हो चुके निप्पलो पर मल्लिका मेडम को ये दबाव अजीब सा सुख दे रहा था. उनकी आँखे धीरे धीरे मूंद रही थी. पर निशा सारा माजरा समझ चुकी थी. निशा- मेडम आप...हुक खोलिए. मल्लिका- आ...अरे तुम ग़लत दबा रहे हो. ऐसे तो और मुश्किल होगी. मुझे तो आगे कुछ नही दिख रहा है. हुक कैसे खोलू. मल्लिका मेडम की गहराइयो मे तैरने के बाद भी बबलू का हलक सूखा हुआ था. वो कुछ नही बोल पाया. निशा- मेडम मिरर उधर है. मल्लिका- हा. उधर ही चलते है. पर बबलू तो जैसे जड़ हो गया था और उसके हाथ अभी भी मल्लिका मेडम के बूब्स को जकड़े हुए थे. निशा ने बबलू की हथेलियो को मेडम के मम्मो से हटाया और उसका हाथ पकड़ कर मिरर के आगे खड़ा कर दिया. फिर मल्लिका मेडम खुद बबलू की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी और मिरर मे से उसको देखने लगी.. मल्लिका- अब तुम पीछे से ही दबाओ. यहा से हुक सही दिखाई दे रहे है. बबलू खोया हुआ सा उठा और अपने हाथ मेडम की बगल मे घुसा दिए और फिर से मेडम के तने हुए मम्मो को पकड़ लिया. अबकी बार मेडम के खड़े हुए निपल बबलू की हथेलियो से दब गये. बबलू ने जैसे मेडम की गिटार का कोई तार छेड़ दिया हो. इसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स- मल्लिका मेडम अपनी सीत्कार को रोक नही पाई- क..क्या कर रहे हो...ढंग से दबाओ ना. ऐसे तो मैं.... मेडम पर भी सुरूर चढ़ रहा था. बबलू ने दबाव और बढ़ा दिया. मेडम फिर से सिसक उठी पर बोली कुछ नही. मेडम की सिसकारिया बबलू की उत्तेजना को और बढ़ा रही थी. उसका लंड अब पत्थर बन चुका था. उसने मेडम के मम्मो का मसाज सा शुरू कर दिया और बबलू को रोकने बजाए मेडम खुद भी बहकति जा रही थी. दोनो के जिस्म अब पूरी तरह गरम हो चुके थे. बात कुछ आगे बढ़ती इससे पहले ही निशा बोल उठी - मेडम आप हुक खोल लेंगी या मैं खोल दू. निशा की बात सुन कर मेडम वास्तविक दुनिया मे लौट आई. उनका गोरा चेहरा शरम से लाल हो चुका था. मेडम को बबलू ने इतना उत्तेजित कर दिया था कि उनको जगह और समय का ध्यान ही नही रहा. बबलू के हाथ भी रुक गये और मेडम के मम्मे बेचारे दबे रह गये. मेडम के मम्मे पूरी तरह दबे हुए थे. उन्होने जल्दी से हुक खोलदीए और बबलू ने अपने हाथ हटा लिए. बबलू के हाथ हटते ही जैसे 2 कबूतर पिंजरे से आज़ाद हो गये. मेडम के मम्मे आज़ाद होकर फुदकाने का सीन बबलू ने मिरर मे देख लिया था और मेडम ने भी बबलू का खुला हुआ मूह देख लिया था. पर वो चुप ही रही और गहरी सांस ली. निशा टांग नही अड़ाती तो आज बबलू एक बार फिर बिन ब्याहे सुहाग रात मना चुका होता. ( चाहे ये दुल्हन कुँवारी नही थी ). निशा वाहा पर कबाब मे हड्डी का काम करने के लिए ही तो खड़ी थी. उसने बबलू की पॅंट का तंबू और मेडम की सिसकारिया सुन ली थी. उसे पता था कि बबलू का लंड कितनी जल्दी फुफ्कारने लगता है. इसीलिए वो रश्मि के साथ नही गयी थी. खैर मल्लिका मेडम का ब्लाउस तो आख़िरकार उतर गया था और वो दूधिया रंग के मम्मो को अपनी छाती पर मेडल्स की तरह टाँगे खड़ी थी. उनके गुलाबी निपल अब तक कड़े थे. निशा- मेडम आपने ब्रा भी नही पहनी. बबलू – एक कड़क आवाज़ सुनाई दी. जी....जी – बबलू हड़बड़ा कर बोला. मल्लिका मेडम रेड ब्लाउस पहने खड़ी थी और मस्टेरज़ी गुस्से से चिल्ला रहे थे. दोस्तो अपना बबलू खड़ा खड़ा सपना देख रहा था म्‍मास्टर जी की आवाज़ ने उसे धरातल पर ला दिया था मस्टेरज़ी- अबे मेडम को क्यो देखे जा रहा है ? बबलू- म...म..मैं वो... मस्टेरज़ी- अबे मल्लिका मेडम कितनी देर से खड़ी है और तू दिन मे कौन से सपने देख रहा है नमकूल. बबलू- ज..जी मेडम का ब्लाउस टाइट था और वो ब्लाउस चेंज करने गयी थी. और मैं.... मस्टेरज़ी- रश्मि कहा गयी और ये निशा यहा क्या कर रही है. साले तूने नाप लेने की प्रॅक्टीस भी की थी ? बबलू- जी मस्टेरज़ी मैने पूरी प्रॅक्टीस कर ली थी. बबलू अब तक संभाल चुका था. मस्टेरज़ी- चल अभी पता चल जाएगा कि तूने कितनी प्रॅक्टीस की है. मेडम के ब्लाउस का नाप लेना शुरू कर. बबलू- जी. मस्टेरज़ी- मेडम इसकी ग़लती के लिए मैं शर्मिंदा हू. बेचारा नया-नया है. नीचे मुझे रश्मि ने बताया कि आप आई है तो मैं भागा-भागा उपर चला आया. आप प्लीज़ इसको नाप दे दीजिए. बबलू मल्लिका मेडम का नाप लेने लगा. सबसे पहले उसने मेडम की ब्रेस्ट का नाप लेने के लिए मल्लिका मेडम के हाथ उपर किए और नाप लिया - 32 मल्लिका- अरे नही मेरी ब्रेस्ट का साइज़ तो 38 है. ब्लाउस टाइट है इसलिए कम आ रहा होगा. मस्टेरज़ी- मेडम आपने ये टाइट वाला ब्लाउस पहना ही क्यो है. इससे नाप कैसे सही मिलेगा. आप अंदर जाइए और चेंज करके ब्रा पहन लीजिए. मेडम- इस लड़के ने ही तो कहा था....चलो कोई बात नही. पर ब्लाउस मुझे आज ही चाहिए. मेडम पैर पटकते अंदर चली गयी और चेंज करके बाहर आई. बबलू की नज़र गेट पर ही टिकी हुई थी. मेडम ने बाहर निकलते ही कहर ढा दिया था. मेडम के हर बढ़ते कदम के साथ उनके ब्रा के कप्स मे सजे हुए बूब्स फुदकते और बबलू का दिल बैठ जाता. मेडम की क्लीवेज की गहराई वाकई मे जानलेवा थी. एक बार फिर बबलू अपने ख़यालो की दुनिया मे डूबने लगा था. पर मस्टेरज़ी की आवाज़ ने उसे वापस ला कर पटक दिया. मस्टेरज़ी- अब ठीक से नाप लियो. कोई ग़लती मत करियो. यह कह कर मस्टेरज़ी ऑर्डर बुक लेकर बैठ गये. बबलू के हाथ कांप रहे थे. निशा और रश्मि की जवानी मल्लिका मेडम के हुस्न के आगे फीकी पड़ गयी थी. मल्लिका मेडम का अंग-अंग शायद काफ़ी फ़ुर्सत मे गढ़ा गया था. उनके बूब्स एक दम तने हुए थे और ब्रा पर ज़रा भी दबाव नही डाल रहे थे. बबलू ने फिर से मेडम के हाथ उठवाए. मेडम की बगल से मनमोहक सेंट की खुश्बू आ रही थी. उनकी कांख एक दम गोरी और बाल रहित थी. बबलू ने हाथ बढ़ाए और इंचिटपे को उनकी ब्रेस्ट पर लपेट दिया – 38 – बबलू बोला. मल्लिका मेडम ने राहत की सांस ली. जैसे कोई इम्तिहान पास कर लिया हो. मस्टेरज़ी- मेडम आपका पहले का नाप तो 32 ही लिखा है. नही नही 2 महीने मे साइज़ कैसे बढ़ जाएगा. शायद पहले वाले लड़के ने ही ग़लत लिख लिया होगा. मेडम- नही नही मास्टर जी. पहले का साइज़ 32 ही था. मैने ब्रेस्ट इम्प्लान्ट का ऑपरेशन करवाया है. पूरे 2 लाख खर्च हुए है. मस्टेरज़ी का मूह खुला का खुला ही रह गया था. ऐसा भी होता है ! बबलू- कमर 28. मेडम ब्लाउस की लेंग्थ तो उतनी ही रहेगी. नेक कितना डीप रहेगा. मल्लिका- ये ब्रा जितना ही डीप रखना. पहले बहुत कम डीप था. मैं तो बहुत डीप पहनती हू. बबलू ने इंचिटपे था सिरा मेडम के कंधे पर रखा और उसे खींच कर मेडम के क्लीवेज की लाइन के सिरे से लगा दिया. फिर धीरे धीरे नीचे आने लगा. 8 9 10 11 मेडम 11 इंच तक आएगा. मल्लिका- और डीप नही हो सकता. बबलू- फिर आपकी ब्रा दिखेगी. मल्लिका- चलो बॅक से ज़्यादा डीप रखना. बबलू- मेडम 14 इंच मे 11 इंच से ज़्यादा क्या डीप होगा. मस्टेरज़ी- मेडम बॅकलेस बना दे. मल्लिका- हा वही ठीक रहेगा. मस्टेरज़ी- ये नाप तो हो गया. और सेवा बताइए. मल्लिका- और कुछ नही बस 6 बजे से पहले मेरे पास भिजवा देना मुझे फिर पार्लर भी जाना है. मस्टेरज़ी- आप चिंता ना करे. अब ये मेरी ज़िम्मेदारी है. मल्लिका- थॅंक यू मस्टेरज़ी. यह कह मल्लिका मेडम निशा के साथ नीचे चली गयी और मस्टेरज़ी ब्लाउस को उधेड़ने लगे. और बबलू मल्लिका मेडम के सम्मोहन मे खोया गया. वॉल क्लॉक मे 5 बज चुके थे. मस्टेरज़ी- बबलू. बबलू अपने ख़यालो से बाहर आया- जी मस्टेरज़ी. मस्टेरज़ी- ये ब्लाउस तैयार हो गया है. पर बेटा मुझे अपने दोस्त के बेटे की शादी मे जाना है. तू नीचे से मल्लिका मेडम का अड्रेस लेले और 6 बजे से पहले इसे पहुचा देना. बबलू- मस्टेरज़ी मैं तो मुंबई मे नया हू. मैं कैसे जाउन्गा. और मुझे अभी अपना रहने का ठिकाना भी तो खोजना है अभी. मस्टेरज़ी- जगह के लिए तू निशा से बात कर ले. वो कोई ना कोई बंदोबस्त कर देगी. बस तू ये टाइम पर पहुचा ज़रूर देना. बबलू- जी जैसा आप कहे. बबलू ने ब्लाउस लिया और नीचे निशा के पास पहुच गया. निशा- चले ? बबलू- कहा चले ? निशा- जहा तुम ले चलो. बबलू- मुझे तो ये ब्लाउस डेलिवरी करने जाना है. मल्लिका मेडम का अड्रेस दे दो. निशा- क्यो तुम अपना प्रॉमिस भूल गये क्या ? बबलू- कौन सा प्रॉमिस ? निशा- अच्छा बच्चू. अब वो भी मुझे ही याद दिलाना पड़ेगा क्या ? बबलू- अच्छा वो. अभी तो मुझे काम से जाना है. फिर कभी पूरा कर दूँगा. निशा- फिर कभी क्या ? मुझे तो आज ही करना है. बबलू- आज तो मुश्किल है. मस्टेरज़ी कह रहे थे कि तुम रूम का अरेंज्मेंट करा दोगि.... निशा- रूम देखना है तो अभी चलना होगा. नही तो रात हो जाएगी. बबलू- रूम तो चाहिए पर पहले ये ब्लाउस 6 बजे तक पहुचना ज़रूरी है. निशा- हा तो ठीक है. ये ब्लाउस डेलिवरी करके यही पर वापस आ जाना. फिर कमरा देखने चलेंगे. बबलू- पहले अड्रेस तो दो. निशा- ये तो पास मे ही है. 1 घंटे मे वापस आ जाओगे. ये लो बाहर मेरी किनेटिक खड़ी है. वो ले जाओ. बबलू- ना जान ना पहचान. पहले ही दिन इतना विश्वास. कही मैं तुम्हारी किनेटिक लेकर भाग गया तो. निशा- अरे मैं तुझे भागने दूँगी तब ना. बबलू- अच्छा-अच्छा. मैं आता हू. मेडम के जाने के बाद पूरे दिन बबलू की आँखो के आगे मेडम का मादक जिस्म तैरता रहा. मेडम की लचकदार कमर और कातिल गोलाइया. पूरे दिन उसने अपने ख्वाबो मे मल्लिका मेडम के जिस्म को तरह-तरह से चोद लिया था. लंड तो बेचारा पता नही कितनी बार आकड़ा और फिर शांत हुआ. उसकी तो बस ये ही तम्माना थी की उसका सपना एक बार सच हो जाए और मेडम उसे अपने मादक जिस्म को प्यार करने की किसी तरह इजाज़त दे दे. बबलू को बाहर वेटिंग रूम मे बिठाया गया था पर वाहा से कोठी के अंदर की शानदार स्जावट दिख सकती थी. रामू चाइ और बिस्कट दे गया था. बबलू ने चाइ ख़तम ही की थी कि रामू पास आकर बोला कि मेडम आपको बुला रही है. इतना सुनते ही बबलू का लंड फिर से झटके खाने लगा. उसे फिर से मेडम के मादक शरीर के दर्शन होने वाले थे. बबलू उठा और रामू के पीछे हो लिया. कोठी वाकई जानदार थी. रामू बबलू को ग्राउंड फ्लोर पर ही एक रूम के बाहर तक पहुचा कर बोला- अंदर चले जाइए. मेडम अंदर ही है. यह कमरा शायद मल्लिका मेडम का बेडरूम था. पर रूम मे मेडम दिखाई नही दी. अंदर एक और दरवाजा खुला हुआ था. बबलू उसके अंदर चल गया. ये शायद मेडम का ड्रेसिंग रूम था. पूरे कमरे मे अलमारिया बनी थी और एक तरफ बड़ी सी ड्रेसिंग टेबल पर मल्लिका मेडम मिरर के सामने खड़ी थी और ब्लाउस पहनने की कोशिश कर रही थी. मेडम को देख कर बबलू की उत्तेजना और बढ़ गयी. मेडम ने नीचे तो पेटिकॉट पहन रखा था पर उपर उनके जिस्म केवल एक लो नेक लाइन ब्रा थी. निपल को छोड़ कर लगभग पूरे ही बूब्स की झलक मिरर मे दिखाई दे रही थी. बबलू के शरीर मे जैसे लावा सा बहने लगा था. बबलू मल्लिका मेडम को घुरे जा रहा था. मेडम ने उसे घूरते हुए देख तो लिया था पर उन्होने इसे अनदेखा कर दिया और बोली- ये ब्लाउस तो मुझे समझ नही आ रहा. पता नही कैसे पहना जाएगा. प्लीज़ तुम मेरी थोड़ी मदद कर दो ना. मेडम की आवाज़ मे रूमानियत भी थी और रिक्वेस्ट भी. बबलू उन्हे मना नही कर पाया. उसने मेडम से ब्लाउस ले लिया और उसकी डोरी ढीली करने लगा. बीच बीच वो नज़र चुरा कर मेडम की छातियो का भी नज़ारा ले लेता. मेडम सब देख रही थी पर पता नही उनके मन मे क्या चल रहा था. वो शांत खड़ी रही. बबलू- मेडम आप हाथ सामने कर लीजिए. मेडम- अरे मेरे सिर मे दर्द है. मैने अभी गोली ली है. तुम्हे जो करना है चुपचाप करते जाओ. बोलो नही. बबलू- जी आप बस खड़ी होकर इसमे बाजू डाल लीजिए बाकी फिटिंग मैं देख लूँगा. मेडम ने हाथो मे ब्लाउस की बाजू पहन ली और ब्लाउस को उपर तक चढ़ा लिया. बबलू मेडम के पीछे आ गया और डोरी टाइट करने लगा. बॅक लेस ब्लाउस मे मेडम की गोरी कमर बड़ी मस्त लग रही थी. डोरी टाइट करने के बाद बबलू सामने की तरफ आया. मेडम का ब्लाउस का गला बहुत डीप था. लाल रंग के डीप नेक ब्लाउस मे मेडम कयामत लग रही थी. बबलू तो बस देखता ही रह गया. मेडम- आ... क्या चुभ रहा है यहा पर. बबलू- मेडम कहा पर. मेडम- ये देखो यहा पर. ये क्या है. आअह... बबलू ने ध्यान से देखा की ब्लाउस मे कोई चीज़ घुसी हुई थी. मेडम- अरे जल्दी कुछ करो. बहुत दर्द हो रहा है....आ... बबलू- मेडम ब्लाउस उतरना पड़ेगा. शायद कोई चीज़ ब्लाउस मे चली गयी है. मेडम- अब ब्लाउस उतारने का टाइम नही है मेरे पास. तुम ऐसे ही निकाल दो. बबलू- ऐसे कैसे निकाल दू. वो ब्लाउस मे नीचे की तरफ है. मेडम- कैसे क्या ? भगवान ने ये हाथ क्यो दिए है तुम्हे ? इनका इस्तेमाल नही जानते क्या...आ...जल्दी करो...आइईए बेचारा बबलू मरता क्या ना करता. उसने मेडम के ब्लाउस को थोड़ा सा खीचा और उस चीज़ की सही जगह का अंदाज़ा लगाया. वो जगह मेडम के निपल के ठीक नीचे थी. बबलू मेडम के पीछे गया और ब्लाउस की डोरी को ढीला कर दिया. फिर उसने मेडम को चेर पर बैठा दिया. इसके बाद बबलू बाई ओर आया और मेडम के ब्लाउस और ब्रा के बीच मे अपनी काँपति हुई उंगलिया डाल दी. जैसे मक्खन से जमे हुए गोल च्यूक पर हाथ दिया हो. मेडम के मम्मो मे काफ़ी कसाव था. बबलू के लिए इतना ही काफ़ी था. उसका दिल धड़-धड़ करके बज रहा था. लंड बुरी तरह सूज कर अकड़ चुका था. केवल मेडम के जिस्म की चुअन से ही बबलू के शरीर के रौंगटे खड़े हो चुके थे. बबलू ने दूसरे हाथ से अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर लंड को बाहर निकाल लिया और थोडा सहलाने लगा. लंड मे ध्यान लगने से बबलू ब्लाउस को भूल सा गया था. पर मेडम का दर्द बढ़ता जा रहा था. मेडम- ज़ल्दिकरो ना प्लीज़. मेडम की दर्द भरी आवाज़ सुन कर बबलू ने लंड को छोड़ दिया और एक हाथ से ब्लाउस को आगे खींच लिया और उसमे देखने की कोशिश करने लगा. पर वाहा देखने के लिए जगह ही नही थी. बबलू धीरे-धीरे अपना दूसरा हाथ मेडम के ब्लाउस मे सरका रहा था. आख़िर मे उसका हाथ से कोई सख़्त चीज़ टकराई. उसने उसे थोड़ा सा सहला कर देखा, शायद कोई चने का दाना था. बबलू ने उसे थोड़ा ज़ोर से दबा दिया. इसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स- मेडम की सिसकारी नकल गयी – ये क्या कर रहे हो. मेरी तो जान ही निकल गयी. मेडम के हाथ बबलू के हाथो पर पहुच गये थे और चेहरे पर पसीना आ गया था. बबलू- मेडम आपके ब्लाउस मे जो चुभ रहा वही निकल रहा हू. पता नही ये चने जैसा दाना आपके ब्लाउस मे कैसे आ गया. मेडम- ईडियट ऐसे नट्स तो हर औरत की छाती पर होते है. बबलू- मेडम किस लिए ? देखो अब आपको चुभ रहा है ना. मेडम- चुभ तो उसके नीचे रहा है...स्टुपिड. बबलू ने हाथ थोड़ा और नीचे सरकया तो अचानक उसकी उंगली पर चुबी. उसने तुरंत हाथ बाहर निकाल लिया और हिलाने लगा. शायद कोई नीडल चुभि थी. उसके उंगली पर खून उभर आया था. मेडम ने उसकी उंगली पर खून देखते ही चिल्ला उठी – खून. और उंगली को अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. बबलू- मेडम शायद कोई नीडल रह गया है अंदर. आपको ब्लाउस उतारना ही पड़ेगा. मेडम ने सिर हिला कर हामी भर दी. बबलू ने धीरे से मेडम के मूह से अपनी उंगली निकाली और मेडम के ब्लाउस की डोरी खोल दी. खून बंद हो चुका था. शायद मेडम के चूसने से ऐसा हुआ था. मेडम ने धीरे से ब्लाउस उतारा तो देखा वाकई मे नीडल थी. नीडल चुभने से ब्रा पर भी खून का धब्बा आ गया था. मेडम- अरे ये ब्रा तो खराब हो गयी. चेंज करनी पड़ेगी. तुम प्लीज़ स्ट्रॅप खोल दो. बबलू ने ब्रा के स्ट्रॅप खोल दिए. ब्रा खुलते ही मेडम के बूब्स कबूतरो की तरह आज़ाद होकर फुदकने लगे. उसकी आँखे फटी रह गयी. होठ सूखने लगे. उसने जीभ से अपने होठ गीले किए. तभी मेडम की निपल के नीचे खून की एक बूँद उभर आई. बबलू उसे देखते ही बोला- खून. क्रमशः........... part--13 gataank se aage..........
Reply
06-03-2018, 08:57 PM,
#15
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--14 गतान्क से आगे.................... बबलू- मेडम आपके तो खून निकल रहा है. बॅंडेज लगानी पड़ेगी. मेडम- अब यहा पर बॅंडेज लगा कर पार्टी मे थोड़े ही जाउन्गी. तुम प्लीज़ अपनी जीभ से थोड़ा चाट दो. खून रुक जाएगा. बबलू की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी थी. चारा खुद घोड़े को बुला रहा था. उत्तेजना के मारे उसकी आँखे मूंद गयी. वो घुटने के बल बैठ गया और चोट वाली जगह पर मूह ले जा कर अपनी जीभ निकाल ली और चोट को जीभ से चाटने लगा. मेडम की चोट को चाटते-चाटते बबलू फिसल कर मेडम के निपल पर जा पहुचा. और अपनी जीभ से मेडम के निपल को ही चाटने लगा था. थोड़ी देर बाद बबलू ने पीछे हटना चाहा तो मेडम ने उसके सिर को पकड़ लिया और दबा दिया. जिससे बबलू के होठ निपल पर लग गये. मेडम- चॅटो ना प्लीज़. बड़ी राहत मिल रही है..... हा ऐसे ही इसको चूस्ते रहो. दर-असल बबलू द्वारा निपल के साथ अंजाने मे हुई छेड़खानी से मेडम की भावनाए भड़क उठी थी. बबलू तो आँखे मुन्दे चोट के नाम पर निपल को चाते जा रहा था पर मेडम की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी. उन्होने अपने पेटिकट का नाडा खोल दिया और पॅंटी मे हाथ डाल कर अपनी चूत को मसल्ने लगी. मेडम ने अपनी चूत मे उंगली डाली और चिड़िया को सहलाने लगी. मेडम की हर हरकत आग मे घी डालने का काम कर रही थी. उपर बबलू उनके एक ही निपल को चोट समझ कर चूसे जा रहा था. नीचे मेडम की चूत मे आग लगी हुई थी और उसको बुझाने का एक ही उपाए था जो उनके सामने लटक रहा था. उन्होने लपक कर बबलू के 10 इंच के काले नाग को पकड़ लिया. बबलू का काला स्याह लंड मेडम की गोरी उंगलियो मे कुछ ज़्यादा ही काला लग रहा था. लंड के पकड़े जाते ही बबलू चोंक उठा और उसकी आँखे खुल गयी. उसके होंठो मे मेडम का निपल था. उसने तुरंत मूह पीछे हटाया और खड़ा हो गया. उसका लंड अब भी मेडम के हाथ मे था. मेडम का हुलिया बदल चुका था. उनका पेटिकॉट उतर कर घुटनो तक आ गया था और एक हाथ मे लंड था तो दूसरा हाथ पॅंटी मे था. मेडम की आँखे बंद थी. बबलू सारा माजरा समझ गया. उसने टांग मार कर दरवाजा बंद कर दिया और फिर से नीचे घुटनो पर बैठ गया और दोनो हाथो मे मेडम का एक मम्मा पकड़ कर अपने होठ निपल पर चिपका दिए. कहने की आवश्यकता नही कि ये दूसरा मुम्मा था. ईईईस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स.....हहाआआआआआआआआ अपने दूसरे निपल पर मेडम बबलू के होंठो को बर्दाश्त नही कर पाई और ज़ोर की सिसकारी मूह से निकल गयी. बबलू ने दूसरे हाथ से मेडम के दूसरे मम्मे को पकड़ लिया और उस से खेलने लगा. मेडम के एक माममे के लिए बबलू के दोनो हाथ भी कम थे. मेडम- क...क.क्या कर रहे हो....मत करो...ना ..इश्स...हा...प्लीज़...मत ....हा.. बबलू ने दूसरा सहला कर मेडम के हाथ के साथ ही उनकी पॅंटी मे डाल दिया. फिर उनके हाथ के साथ ही अपनी उंगलिया फिसला कर उनकी उंगलियो तक पहुच गया. मेडम- इसस्स....ममियीयीयियी.........नही............प्लीज़.......ऐसा..करो............प्लीज़....मत कर....मर ......आ.......जाउन्गी.... मेडम की सिसकारिया जारी थी. बबलू की उंगलिया मेडम की उंगलियो के साथ ही चिड़िया तक पहुच चुकी थी. मेडम की पॅंटी मे पहले ही प्रेम रस का दरिया उफान रहा था. फिर बबलू ने भी पूरी निर्दयता के साथ मेडम की चिड़िया को कुचल दिया. मेडम- उई मुम्मि.......हाए..... मेडम की रसभरी चूत ने फिर से एक बौछार कर दी और बबलू का हाथ मेडम के रस से सराबोर हो गया. मेडम की छाती ढोँकनी की तरह उपर नीचे हो रही थी. बबलू मेडम की हालत को समझ गया था. उसने देर ना करते हुए मेडम को नीचे कालीन पर लिटा दिया और पॅंटी को शरीर से अलग कर दिया. मेडम इसी पल के इंतेजार मे बहाल हुए जा रही थी. बबलू का कुंड भी अब फटने ही वाला था. मेडम ने खुद ही टाँगे खोल दी और फिर बबलू ने निशाना लगाया और... ...घापप्प गरम लोहे सा लंड फिसलता हुआ मेडम की रसीली चूत मे चला गया और अंदरूनी दीवार से जा टकराया. मेडम फिर चीख उठी. पर ये चीख उत्तेजना की नही दर्द से भरी ती. बबलू के लंड ने सीधे मेडम की बच्चेदानी पर चोट की थी. मेडम की साँसे तेज़ी से चल रही थी. पर हमारा शेर रुका नही. मेडम की चूत कुँवारी नही थी और उसने शुरू से ही तेज धक्के लगाना शुरू कर दिया. बबलू का लंड मेरी तरह ज़्यादा मोटा नही था पर इतना लंबा था की चूत से 1-2 इंच बाहर ही रह जाता था. थोड़ी देर मे मेडम दर्द भूल कर अपनी चुदाई का मज़ा लेने लगी थी. प्लीज़...तेज...और ...तेज....और...और...अंदर ...तक...प्लीज़....तेज....तेज....कर...ओ...ना...तेज... बबलू के दोनो हाथ मेडम के मम्मो को बुरी तरह मसले जा रहे थे पर इससे उनके आकार पर कोई फ़र्क नही पड़ रहा था. पता नही शायद रब्बर के थे. 10 मिनिट के बाद मेडम की सिसकारिया अब चीखों मे बदल गयी थी. और मेडम की शालीनता भी गायब हो गयी थी. वो अब लोकल मुंबइया लॅंग्वेज मे चीख रही थी. स्याला....तुझे सुबह से देख रही थी....साले मेरे मम्मो को घुरे जा रहा था...साले...अब क्या हुआ तुझे...सब दम निकल गया क्या....साले थोड़ा ज़ोर लगा के चोद ना....मर्द का बच्चा नही है क्या....कामीने... मेडम की हर ललकार पर बबलू धक्को की रफ़्तार बढ़ा देता. पर 15 मिनिट तक फुल स्पीड मे चोदने के बाद भी मेडम की चूत की आग शांत नही हुई थी. बबलू का लंड भी सुबह की जोरदार चुदाइयो के कारण सूखा हुआ था और इतनी जल्दी रस बरसाने को तैय्यार नही था. मुक़ुआबला बराबरी का था. एक तरफ मेडम का खेली खाई चूत थी तो दूसरी तरफ बबलू का जोशीला लंड. कोई भी पीछे हटने को तैय्यार नही था. आख़िर मे बबलू ने एक बार फिर पूरे ज़ोर से पूरा लंड मेडम की चूत मे पेल दिया. आहह मेरी माआआआ. मेरी चूत.....साले फाड़ दी तूने...बस..अब और नही...प्लीज़....निकाल...ले...प्लीज़...और मत...पेल.. पर बबलू को तो हाल बुरा था. मेडम ने उसके लंड को फिर से लटका दिया था. उनका खुद का तो कम तमाम हो गया था पर बबलू का लंड अब भी आकड़ा हुआ था. उसने मेडम की चूत से लंड को बाहर निकाला और मेडम को पलट दिया. कालीन पर मेडम की चूत के नीचे एक तालाब सा बना हुआ था. मेडम की चूत पता नही कितनी बार झड़ी थी. बबलू ने मेडम की चूत की माँ ही चोद दी और उनकी टाँगो को तोड़ा खोल दिया. बबलू के सामने दो मलाईदर पहाड़ खड़े थे. बुटीक मे जीने मे चढ़ते वक्त का नज़ारा बबलू की आँखो मे घूम रहा था. मेडम के हिप्स उनके बूब्स से कही भी कमतर नही थे. दोनो पहाड़ो के बीच मे एक कतव्दर घाटी थी और घाटी के बीच मे एक बंद मूह वाला ज्वालामुखी सा दिखाई दे रहा था. खास बात ये थी कि पहाड़ समेत पूरा इलाक़ा एक दम गोरा-चिटा था. कोई तिल आदि का निशान भी नही था. कसाव के तो क्या कहने. मेडम- मेरी टाँगे क्यो खोल दी. अब मेरी आस को फाड़ने का इरादा है क्या ? बबलू- मेडम पीछे से भी सेक्स हो सकता है ? पर यहा तो कोई भी छेद नही है. मेडम- ये जो लेट्रीन वाला छेद है ना, लोग उसी..... (मेडम कहते कहते अचानक चुप हो गयी...शायद उन्हे अपनी भूलका एहसास हो गया था.) बबलू- ठीक है फिर तो मज़े आ गये ! (बबलू चहकते हुए बोला) मेडम- नही-नही...मैने कभी पीछे से नही करवाया है. मेरे हज़्बेंड भी इसके पीछे पड़े रहते है. बबलू- मेडम मैं आपका हज़्बेंड नही हू. फिर पता नही कब मौका मिले आपके इस मखमली जिस्म की सेवा करने का. और फिर मेरा लंड तो भी बुरी तरह आकड़ा हुआ है. बिना इसे शांत किए मैं बाहर कैसे जाउन्गा? मेडम- चलो ठीक है...पर ज़रा आराम से करना. और पहले उंगली से इसे....... बबलू- वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए. बबलू से अब बर्दाश्त नही हो रहा था. मेडम की बात काट कर उसने लंड पकड़ा और मेडम की गंद के मुहाने पर रख कर पहले की तरह पूरे ज़ोर से धक्का मार दिया. आआआआआररर्ररगगगगगगगघह आआआआआररर्र्र्रररगगगगगघह एक साथ दो चीखे उभरी. जैसे बबलू ने अपना लंड किसी बंद दरवाजे मे दे मारा हो. बेचारा लंड पकड़ कर एक तरफ लुढ़क गया. लंड का गुलाबी सूपड़ा एक सूम लाल होकर सुन्न पड़ गया था. उधर मेडम को भी चक्कर आने लगे थे. दर्द के मारे दोहरी हुई जा रही थी. बेचारी की कुँवारी गंद को बबलू ने अपने मूसल से प्रहार करके कुचल दिया था. पूरा इलाक़ा त्रहिमाम कर रहा था. मेडम- ईडियट पहले कभी किसी के साथ अनल किया भी है. ऐसे किसी की अनस मे कभी पेनिस घुसता है ? बबलू- सॉरी मेडम. मैने तो आज पहली बार किसी औरत को छुआ है. मुझे क्या पता इस बारे मे. मेडम- जब मैं बता रही थी तो बड़े तीस-मार-खा बन रहे थे. बबलू- सॉरी मेडम. मेडम- ओके. चलो दिखाओ क्या हाल कर लिया तुमने अपने पेनिस का. लंड तो एक दम टॉप की माफिक तना हुआ था पर बबलू हॉर्नी नही था. लंड का हुलिया भी ठीक था बस सूपड़ा थोड़ा रेडिश हो गया था. दर्द भी नही था. पर बबलू के मन मे कुछ और ही था. बबलू- मेडम बहोत दर्द हो रहा है. प्लीज़ कुछ करिए ना. मेडम- ऑल मेला बेबी. इधर आ जा. मेला बैबी. क्या हुआ... बबलू- मेडम थोड़ा आराम से पकड़ना प्लीज़. देखिए अभी तक लाल है. मेडम ने लंड को बीच मे से पकड़ लिया और बबलू के टट्टो को चाटने लगी. टट्टो के उपर मेडम की जीभ फिरने से बबलू का उत्तेजना तंतरा फिर से काम करने लगा था. मेडम ने उसके मर्म-स्थान को छेड़ दिया था. बबलू की टाँगे एक दम खुल गयी थी और मेडम भी उसके टट्टो से थोड़ा उपर उठ कर उसके लंड पर जीभ फिराने लगी. धीरे-धीरे मेडम ने पूरा लंड अपने थूक से सराबोर कर दिया. केवल सूपड़ा ही बचा था. मेडम- मेरी वेजाइना मे डालोगे या मैं इसे चूस लू. बबलू- मेडम आपकी चुसाई मे बड़ा मज़ा आ रहा है. प्लीज़ आप करती रहिए ना. मेडम ने सूपड़ा मूह मे लिया और चूसने लगी. बबलू काफ़ी उत्तेजित हो चुका था. बीच-बीच मे मेडम के मूह मे ही धक्के लगा देता. पर जो लंड मेडम की चूत को फाड़ कर आया था वो मेडम के नरम और गरम मूह मे ज़्यादा देर टिक नही पाया. थोड़ी ही देर मे उसका लंड मेडम के मूह मे पिघल गया. मेडम उसके रस की हर एक बूँद का टेस्ट लेते हुए सारा सीमेन (वीर्य) गटक लिया. इसके बाद बबलू का शरीर जवाब दे गया. बेचारे बबलू के लंड ने पहले ही दिन घंटो तक काम किया था और पता नही कितना रस उगला था. मेडम काफ़ी संतुष्टि दिखाई दे रही थी. अचानक उन्हे पार्टी की याद आई. वो तुरंत उठी और बाथरूम मे नहाने के लिए घुस गयी. बेचारे बबलू के शरीर मे बिल्कुल जान नही थी. नही तो मेडम के साथ जक्यूज़ी मे भी नहा लेता. बेचारा.. मेडम- उठो. सो गये क्या ? ये ब्लाउस तो पहना दो. बबलू ने 15-20 मिनिट की झपकी ले ली थी और वो काफ़ी तरो-ताज़ा महसूस कर रहा था. वो चुप-चाप उठा. और मेडम की ब्लाउस पहनने मे मदद करने लगा. मेडम ने सारी पहले ही पहन रखी थी. ब्लाउस की डोरी बँध जाने के बाद मेडम बोली- ये लो मेरा कार्ड. जब कोई ज़रूरत हो या मिलने का मन करे तो मेरे सेल पर फोन कर लेना. बबलू- जी मेडम इतना कह कर बबलू कोठी से बाहर निकला. बबलू के चेहरे पर आत्मा-विश्वास सॉफ दिखाई दे रहा था. रात के 8 बजने वाले थे. बबलू ने किनेटिक स्टार्ट की और भगा ली. उधर निशा को मन ही मन चिंता हो रही थी कि कही उसने ग़लत आदमी पर भरोसा तो नही कर लिया. उसे बबलू पर भी गुस्सा आ रहा था. 15 मिनिट का ही तो काम था और अब 3 घंटे होने आए थे. बेचारी बार-बार बाहर निकल कर उसकी राह देख रही थी. 8 बजे बुटीक भी बंद हो गया. पर निशा बाहर खड़ी रही. उसका दिल बबलू को ग़लत मानने के लिए राज़ी नही हो रहा था. इसीलिए शायद उसने सबके मना करने पर भी बबलू का इंतेजार करने का फ़ैसला कर लिया था. रात घिरने के साथ ही सारा इलाक़ा सुनसान होता जा रहा था और निशा के मन मे डर समता जा रहा था. निशा वाहा अकेली खड़ी थी. जब भी कोई वेहिकल वाहा से गुज़रता तो उसके दिल की धड़कने तेज हो जाती. उसके निकल जाने के बाद ही उसकी जान मे जान आती. पॉश इलाक़ो मे यही दिक्कत रहती है. रात को सड़क पर कोई आदमी ढूँढने से भी नही मिलता. ऐसे ही 15 मिनिट बीत गये. अचानक एक बड़ी सी बीएमडब्ल्यू वाहा पर रुकी और ड्राइवर विंडो का ग्लास नीचे हुआ. उसमे से एक लड़के ने सी बाहर निकाला और बोला- हाई बेब. वॉट’स अप....वाना हॅव फन... निशा की तो घिग्घी ही बँध गयी. हालाँकि उसका पूरा तन पूरी तरह ढका हुआ था पर उस लड़के की नज़रो मे वो खुद को नंगा महसूस कर रही थी. उसके हाथ कपड़ो को खीच कर लंबा करने की कोशिश करने लगे. उससे कोई जवाब ना पाकर लड़के की हिम्मत और बढ़ गयी. क्रमशः..........................................
Reply
06-03-2018, 08:57 PM,
#16
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--15 गतान्क से आगे.................... अचानक उस लड़के ने गाड़ी आगे बढ़ा दी. 50 मीटर बाद गाड़ी रुक गयी और गेट खुला. एक लड़का उतर कर ओट मे हो गया. गाड़ी मूड गयी और 100 मीटर दूर जाकर फिर मूडी. एक और लड़का गाड़ी से उतरा और ओट मे हो गया. 2 मिनिट बाद गाड़ी धीरे से आगे बढ़ने लगी. दोनो लड़के एक साथ ओट से बाहर निकले और निशा पर झपाटे. निशा- कौन हो तुम...क्या चाहते हो... लड़का- अपनी चोंच बंद कर और चुप चाप चल. निशा- कहा चालू ...मैं तो तुमको जानती भी नही... दूसरा- चलती है या तेंठूआ कर दू तेरा. पहला- आबे लड़की के तेंठूआ कहा होता है... दूसरा- भोंसड़ी के... तू मुझे सिखाएगा...माल उठा और निकल ले... दोनो ने निशा के हाथ पकड़ लिए थे. निशा चिल्लाने लगी- प्लीज़ मुझे छोड़ दो....मैं ऐसी लड़की नही हू... पहला- कोई बात नही..एक बार हमारे साथ चल...तुझे टॉप की रंडी बनाउन्गा. निशा- छोड़ दो....बचाओ बचाओ... निशा भी ज़ोर आज़माने लगी. पर इतने मे BMW वाहा पहुच गयी और दोनो ने निशा को अंदर डाल दिया. फिर पहला उसे पकड़ कर अंदर बैठ गया और दूसरा दूसरी तरफ से. अंदर बैठते ही उन्होने निशा के मूह पर कपड़ा बाँध दिया. पर निशा ने छूटने की कोशिश नही छोड़ी. वो बेचारी हाथ पाँव मारती रही. इसी आपा धापी मे उसका हाथ एक लड़के की नाक पर पड़ गया और उसने भी पलट कर निशा पर वार कर दिया. निशा एक ही वार मे बेहोश हो गयी. ड्राइव कर रहे तीसरे लड़के ने BMW की स्पीड बढ़ा दी. आगे की सीट पर बैठा चौथा लड़का बोला- अबे सालो कपड़े तो उतारो इसके...रात भर पूजा करोगे क्या इसकी. यह सुन कर पीछे बैठे दोनो लड़के निशा की देह को नंगा करने मे जुट गये. कपड़े टाइट थे इसलिए उतारना मुश्किल हो रहा था और उन तीनो की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. उन्होने उसके कपड़े फाड़ना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर मे निशा जन्म-जात नंगी पड़ी थी. उसके गोरा शरीर 4-4 भेड़ियो के सामने नंगा नीचेष्ट था. उसके शरीर पर केवल सेंडल ही बची थी. पहला- हाए क्या जवानी चढ़ि है छोरी पे... तीसरा- साली का रंग तो देखो जैसे चाँद ज़मीन पर उतर आया हो... दूसरा- भाई मुझसे तो रुका नही जा रहा....मैं तो चला... BMW मे काफ़ी स्पेस और लेगरूवूम था. दूसरे लड़के ने इसका भरपूर फायेदा उठाया और निशा की टाँगे खोल कर उसकी चूत को उजागर कर दिया. फिर उसकी चूत की फांके खोल कर उसमे अपनी जीभ डाल कर चोदने लगा. पहला लड़के ने निशा के मम्मो पर धावा बोल रखा था. दोनो की आज़माइश से निशा फिर से होश मे आ गयी थी. पर उसने उन पर ये जाहिर नही होने दिया. अपनी चूत से हो रहे खिलवाड़ से वो उत्तेजित नही हो पा रही थी बल्कि अपनी बेबसी पर उसे रोना आ रहा था. थोड़ी देर बाद BMW रुक गयी. तीसरा (ड्राइव करने वाला)- चलो कुछ खा पी लेते है फिर पूरी रात मज़े लेंगे. चौथा- हा अब सीधे फार्म हाउस पर चलेंगे. निशा को इसी पल का इंतेजार था. दूसरा- तुम जाओ मैं इसकी रखवाली करूँगा. पहला- इतनी देर से कुत्ते की तरह उसकी चूत चाते जा रहा हा. इसके मूत से अपना पेट भरेगा क्या. चल छोड़ इसे. दूसरा- भाई मैं तो इसको तैय्यार कर रहा था. पर हरम्जदि का रस ही नही निकल रहा. चौथा- अबे भोंसड़ी के...बेहोश है तो रस कहा से चोदेगि.... दूसरा- एक बार फार्म हाउस पहुच जाए...फिर पूरी रात इसकी चूत से रस का दरिया बहेगा.. तीसरा- ठीक है. पर अब तो चलो. ये कही नही जाएगी. कार लॉक कर देंगे. दरवाजा खुलेगा तो पता चल जाएगा. चौथा- और फिर बिना कपड़ो के कहा जाएगी. रास्ते के कुत्ते पीछे पड़ जाएँगे इसको चोदने के लिए. इसकी चूत को भोसड़ी बना कर चोदेन्गे....हहहहहा हहाहहाहा –चारो की कामिनी हँसी गूँज उठी. फिर चारो कार को लॉक कर के बार मे चले गये. दूसरे लड़के को पूरा भरोसा नही था इसलिए वो वापस आया और बेहोश निशा के हाथ बाँध दिए. पैर बाँधने लगा तो उस पर बाकी लड़के चिल्लाने लगे. उसने निशा को देखा और उसके निपल की चुम्मि लेकर डोर लॉक कर के चला गया. चारो के जाते ही निशा के दिमाग़ के घोड़े दौड़ने लगे थे. कार से बाहर निकल भी गयी तो इस हालत मे कैसे कहा जाएगी. तन पर एक भी कपड़ा नही था. उसके शरीर से नोचे गये कपड़े तो उन लड़को ने पहले ही बाहर फेंक दिए थे. अब क्या करू ?...आख़िर मे उसने इसी हालत मे बाहर निकलने का फ़ैसला किया. बाहर तो फिर भी बचने के चान्स थे पर अंदर रही तो आज उसकी आज़ादी की आख़िरी रात होगी. यही सोच कर उसने डोर का हॅंडल पकड़ा पर उसे उस लड़के की बात याद आ गयी. गेट खुलते ही साइरन बज जाता और चारो वाहा वापस आ जाते. तभी उसकी दिमाग़ मे बिजली सी कौंधी और वो विंडो का मिरर नीचे करने लगी और बाहर निकल गयी. बाहर निकल कर देखा तो कार रोडसाइड पर पार्क थी और सड़क एकदम सुनसान थी. दूर तक पेड़ ही पेड़ थे. निशा को रास्ते का समझ नही आ रहा था कि किस दिशा मे जाए. उसने कार की पीछे की दिशा मे जाने का फ़ैसला किया. वो सड़क से उतर कर कच्चे मे आ गयी ताकि इस हालत मे सड़क पे चलने वाले वाहनो से बच सके और फिर किसी मुसीबत मे ना फँस जाए. हर कदम के साथ उसकी रफ़्तार बढ़ती गयी. 10 मिनिट के बाद तो वो पूरा ज़ोर लगा कर दौड़ रही थी. बीच-बीच मे वो मूड-उड़ कर देख लेती. अबकी बार उसने मूड कर देखा तो उसे 2 रोशनीया अपनी और आती दिखाई दी. उसकी दिल की तेज धड़कने और तेज हो गयी. वो साइड मे एक पेड़ के पीछे छिप गयी और कार को निकलने दिया. ये वही BMW थी और वो लड़के उसी को ढूँढ रहे थे. दौड़ते दौड़ते हलक सुख चुका था और सांस भी फूल रही थी. वो थोड़ी देर वही बैठ गयी और सांसो को कंट्रोल करने लगी. 2 मिनिट बाद वही BMW फिर वापस आई और तेज़ी से दूसरी दिशा मे निकल गयी. निशा खड़ी हुई और फिर दौड़ने लगी. वो 5 मिनिट ही दौड़ी होगी की फिर वही BMW की तेज लाइट्स उस पर पड़ी. निशा की सांस अटक गयी. अब उसके बचने की कोई उमीद नही थी. वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी- बचाओ बचाओ... पर किसी ने उसकी आवाज़ नही सुनी उस सुनसान मे. वो फिर दौड़ने लगी. वो बार बार कार से अपनी दूरी का अंदाज़ा लगा रही थी जो कि लगातार कम हो रही थी. लगभग 2-3 मिनिट तक दौड़ने के बाद वो अंधेरे मे किसी से जा टकराई. वाहा अंधेरे मे उसका चेहरा नही दिखाई दे रहा था. पर ये बबलू ना था. निशा गिड़गिदते हुए बोली- प्लीज़ मुझे बचा लो भैया. तभी BMW भी वाहा पहुच गयी. चारो एक साथ नीचे उतरे और उनके हाथो मे हॉकी, बेसबॉल बॅट आदि हथियार थे. पहला- आए श्याने...छोड़ दे लौंडिया को... और फुट ले यहा से. पाँचवा (जिससे निशा जाकर टकराई थी) –भोंसड़ी के अगर गंद मे दम हो तो आकर ले जा. दूसरा- साले इसके साथ तेरी मा-बहन भी चोद देंगे. पाँचवा- "गंद मे हमारी दम नही-हम किसी से कम नही." पहले इसको तो चोद लो कुत्तो. यह सुन कर चारो और उत्तेजित हो गये और हथियारो के साथ अकेले खड़े पाँचवे पर टूट पड़े. पर ये क्या...चारो अपनी टाँगो पर दौड़ कर आए थे पर उड़ते हुए वापस पहुच गये. पाँचवा- क्यो क्या हुआ. चोदोगे नही इसको. आओ चोद लो. लंड है भी या लूंड हो. उसकी ललकार सुनकर चारो ने हथियार फेंक दिए और ऐसे ही उसको पकड़ने के लिए भागे. पर ये पाँचवा तो वाकई मे उस्ताद था. एक एक कर के चारो की जबरदस्त धुनाई चालू हो गयी. आते जाओ पीटते जाओ. चारो के हर दाँव पर उस अकेले के दाँव भारी थे. 5 मिनिट बाद ही चारो सड़क पर पस्त पड़े थे. निशा अपने रखवाले के पैरो मे गिर पड़ी और रोने लगी- भैया आज आपने मुझे बचा लिया नही तो मैं क्या करती. पाँचवा- जब मुझे भाई कह दिया तो तुझे डरने की कोई ज़रूरत नही है. ये लोग कौन थे और तू इनके साथ कैसे फँस गयी. तभी उसे ध्यान आया कि निशा तो नंगी खड़ी थी. उसने तुरंत उसके हाथ खोले और अपनी शर्ट उतारकर निशा की ओर कर दी - लो पहले इसको पहन लो. दोनो का ध्यान भटका तो चारो ने उसकी टाँगे पकड़ कर उसे नीचे गिरा लिया और उस पर टूट पड़े. निशा की तो चीख ही निकल गयी. वो मदद के लिए इधर उधर देखने लगी. चारो उस लड़के को बेरहमी से मारने लगे - साले आज दिखाते है कि हमारी गंद मे कितना दम है. तभी एक जोरदार किक पाँचवे लड़के को पीट रहे एक लड़के के चेहरे पर पड़ी. उसकी बत्तीसी के सारे दाँत खून के साथ हवा मे उछल गये और वो ज़ोर से दिल दहलाने वाली चिंघाड़ के साथ सड़क पर लम-लेट हो गया. ये देख कर बाकी तीनो नीचे लेटे पाँचवे को भूल गये और सामने देखने लगे. निशा भी चोंक गयी और उस नये मसीहा को देखने लगी. ये हमारा बबलू था. वो कुंगफु का एक्सपर्ट था. बबलू ने एक राउंड किक चलाई और तीनो के सिर टकरा गये और तारे नाचने लगे. बबलू- विक्की...मेरे भाई तू यहा क्या कर रहा है...और ये लोग कौन हैं. पाँचवा- ये चारो इस लड़की के पीछे पड़े थे. आअह... बाबबलू- कौन लड़की... विक्की- वो खड़ी है बेचारी...इन हरमजदो ने उसके कपड़े भी फाड़ दिए...मेरा तो खून खौल गया था..छोड़ूँगा नही इन हरमजदो को. बबलू ने सिर घुमा कर देखा. निशा एक तरफ खड़ी सूबक रही थी. उसके शरीर पर केवल एक शर्ट थी जो बमुश्किल उसकी जाँघो तक पहुच रही थी. बबलू का भी खून खौल गया. बबलू- हराम के पिल्लो. तुमने मेरे भाई समान दोस्त को चार चार ने मिलकर पीटा. मेरी जान की इज़्ज़त पर हाथ डाला. तुमको ऐसा सबक सिखाउन्गा की तुम्हारी मा रोएगी कि तुमको पैदा ही क्यो किया. बबलू का पारा सातवे आसमान पर था. उसने इधर-उधर नज़र दौड़ाई तो उसे निशा के पैरो के पास पड़ी रस्सी दिखाई दी. उसने वो रस्सी उठाई और चारो को एक एक किक मारी. चारो दर्द के मारे दोहरे हो गये. बबलू- अपनी-अपनी पॅंट उतारो. पहला- प्लीज़ हमे छोड़ दो. हमे हमारे किए की सज़ा मिल गयी है. बबलू- बहनचोद तेरे किए की सज़ा तो जितनी दम कम है. अब उतार इसे. चारो दर्द के मारे बहाल थे. पॅंट उतरने के बाद चारो के अंडरवेर भी उतर गये. फिर बबलू ने वाहा पड़ी हॉकी भी उठा ली. बबलू- कभी स्कूल गये हो ? मुर्गा बन जाओ. जिसकी गंद सबसे नीचे होगी उसमे ये हॉकी घुसा दूँगा और मरोडुँगा भी. चारो तुरंत ही मुर्गा बन गये और अपनी गंद उपर पहुचने की होड़ करने लगे. चारो के टटटे और लंड सॉफ दिखाई दे रहे थे. बबलू ने रस्सी उठाई और चारो के टटटे रस्सी से बाँध दिए. दर्द के मारे चारो उठने लगे तो बबलू ने चारो की गंद पर एक एक हॉकी जमा दी. चारो फिर नीचे झुक कर कराहने लगे. बबलू- अब तुम दोनो लेट जाओ और बाकी दोनो इनके उपर 69 पोज़िशन मे लेट जाओ. चारो एक दूसरे का लंड चूसो. जिसका रस सबसे पहले निकलेगा और जो सबसे आख़िर मे दूसरे का रस निकलेगा, दोनो के टट्टो को मैं उखाड़ दूँगा. चलो अब शुरू हो जाओ. चारो ने एक दूसरे के लंडो को चूसना शुरू कर दिया. चारो के दिल बुरी तरह बज रहे थे. जो हारेगा उसका पौरुष आज ख़तम होने वाला था. जल्दबाज़ी मे चारो ने एक दूसरे के लंडो को कई बार अपने दन्तो से छील दिया. पर वो रुके नही. इधर बबलू ने निशा को अपनी बाँहो मे भर लिया- मुझे माफ़ कर दो निशा. उसकी आँखो से आँसू बहने लगे थे. निशा की आँखो मे से भी आँसू बहने लगे. विक्की भी खड़ा हो गया था- भाई आज अंजाने मे मैने अपनी ही भाभी की इज़्ज़त को बचा लिया. भगवान तेरा लाख लाख शुक्रिया है. इधर इनका सीन देख कर चारो धीमे हो गये थे. बबलू ने ज़ोर से चारो की रस्सिया खींच दी....आआआआआआययययययययययययईईईईईई चारो एक स्वर मे चीख पड़े और स्पीड बढ़ा दी. पर टटटे जब बँधे थे तो रस कहा से निकलता. बबलू- सालो तुम कुछ नही कर पाओगे. मुझे ही कुछ करना होगा. विक्की तू कार इधर ले आ. विक्की BMW ले आया. बबलू ने उससे चाबी लेकर किनेटिक की चाबी उसे दे दी और निशा को उसके साथ बिठाकर आगे चलने को कहा. उनके जाने के बाद उसने चाबी मे लगे लाइटर से चारो के कपड़े जला दिए. फिर चारो रस्सियो के सिरे पकड़ कर कार मे ड्राइवर सीट पर आ गया. यह देख कर चारो के चेहरो पर ख़ौफ़ उतर आया. चारो बबलू के रहमोकरम पर थे. बबलू- तुम चारो रस तो निकाल नही पाए. चलो आख़िरी मौका देता हू. चारो कार के साथ दौड़ोगे. जिसके टटटे बच गये सो बच गया. जिसके उखड़ गये सो उखड़ गये... ये कह कर बबलू ने BMW को भगा लिया. अगले 1 मिनिट तक वो इलाक़ा उन चारो की चीखो से गूँजता रहा. एक एक कर के चारो रस्सिया ढीली हो गयी. 2 किमी बाद बबलू कार से उतरा और देखा पीछे कोई नही था. चारो रस्सी ज़मीन पर थी. रस्सी के दूसरे सिरो पर बँधे टट्टो का भी कुछ पता नही था. बबलू ने स्टेआरिंग व्हील को सॉफ किया और कार को वही छोड़ कर पैदल ही चल दिया. क्रमशः...............
Reply
06-03-2018, 08:58 PM,
#17
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--16 गतान्क से आगे.................... बबलू थोड़ी दूर ही चला होगा कि उसे विक्की वापस आता हुआ दिखाई दिया. उसके पीछे निशा भी बैठी थी. विक्की- कामीने साले कुत्ते...अकेला ही हीरो बनेगा. भाभी के सामने तूने मेरी फ़ज़ीहत करा दी ना. बबलू- अबे तू वापस क्यो आ गया. विक्की- तू ये बता कि उन चारो का क्या हुआ. बबलू- पता नही. चारो के 8 थे. पर एक भी नही मिला. पता नही पर आवाज़ तो आई थी. विक्की- अबे गन्दू...कैसी बहकी-बहकी बाते कर रहा है. बबलू- अब चल ना यहा से. विक्की- कहा जाएगा. मैं तो रूम के लिए आया था यहा पे कि भाभी मिल गयी. 9 बजे का टाइम था. अब तो 11 बजने वाले है. निशा- आप लोग मेरे घर चलिए. प्लीज़... विक्की- हाई हाई...साले पहले ही दिन तूने लड़की फँसा ली. बबलू- अबे ओ, मैने नही इसने खुद फँसाई थी.... निशा- अब चलो भी. तीनो किनेटिक पर सवार हो गये और चल पड़े. बबलू- और तूने पूरे दिन मे क्या तीर मारे ? तू गया था ना असिस्टेंट की नौकरी के लिए. क्या हुआ ? विक्की- अबे बताता हू. सुनेगा तो अपने लंड को फाँसी लगा कर लटक जाएगा तू. दोस्तो अब चलते है हमारे तीसरे दोस्त की कहानी पर देखते हैं इनके साथ क्या हुआ और क्या होगा......... विक्की भाई हम दोनो (आशु और बबलू) से थोड़ा अलग था. उसके जीने का अंदाज भी अलग था और सोच भी. पता नही हमारी दोस्ती कैसे हुई और इतने सालो तक मजबूत भी रही. विक्की का अपायंटमेंट 4 बजे का था. पूरा दिन पड़ा था. हम दोनो तो अपने-अपने काम के लिए निकल पड़े थे. पर बेचारा विक्की अकेला पड़ गया था. खाल बैठा क्या करता..इसलिए वो आक्सॅबीच पर घूमने निकल पड़ा. मुंबई के आक्सॅबीच की बात ही कुछ और है. समुद्रा मे दूर से आती बड़ी-बड़ी लहरे मन को बहुत शांति देती है. विक्की बीच पर टहलने लगा. टहलते हुए उसे अपनेकोलेज की फर्स्ट एअर की नीता की याद ताज़ा ही गयी. कॉलेज के दिन....फूल्लतू ऐश...कोई झमेला नही....केवल मस्ती.... पीजी डीएवी कॉलेज मे विक्की का पहला दिन था. हम तीनो को एक ही कॉलेज मे अड्मिशन नही मिल पाया था. पर हम तीनो अपनी सारी बाते शेर करते थे. अलीना नाम था उसका. पर सब उसे ली ही बुलाने लगे थे. लड़की नही कयामत थी. ऑस्ट्रेलिया से इंडिया आई थी. उसके पापा इंडियन फॉरिन सर्विस मे थे. कई साल तक ऑस्ट्रेलिया मे पोस्ट रहने के बाद इंडिया आए थे. ली वही जन्मी पाली बढ़ी थी...इंग्लीश मे ही बात करती थी... हर अंग जैसे किसी साँचे मे ढला था...होठ एक दम पतले...जैसे गुलाब की पंखुड़िया...छाती पर 2 टेन्निस बॉल्स...जब चलती तो दोनो टेन्निस बॉल्स कोर्ट मे उछलती रहती...टाँगे एक दम ककड़ी जैसी पतली...कूल्हे काफ़ी मांसल थे...उपर हमेशा स्लीव लेस ही पहनती...नीचे कभी घुटनो से नीचे कपड़े नही पहने...कुल मिलकर कॉलेज की सबसे हॉट लड़की बन गयी थी. फर्स्ट एअर फ्रेशर थी . जैसे ही ली ने कॉलेज मे पहला कदम रखा...पूरे कॉलेज को जैसे आग लग गयी थी. सारे लड़को की आँखे केवल उस पर ही रहती थी. जिस रास्ते से गुजर जाती लड़के आहे भरने लगते थे. प्यूरेकॉलेज मे शायद ही कोई लड़का ऐसा बचा था जिसने कभी ली को लाइन नही मारी हो. पर ली को कभी कोई फ़र्क नही पड़ा. ये सब तो ऑस्ट्रेलिया मे शायद रोज ही होता होगा. कभी किसी पर गुस्सा नही होती थी. काफ़ी खुले विचारो की थी पर कभी किसी लड़के को लाइन भी नही देती थी. फॉरिन मिनिस्ट्री की कार से उतार कर कॅट वॉक करती ह सीधे क्लास मे जाती थी. पूरे रास्ते मे ना जाने कितने दिल उसकी कातिल मुस्कान से हर रोज घायल हो जाते थे. क्लास के बाद सीधे कार मे बैठ कर वापस. किसी से ज़्यादा बात नही. लड़के तो लड़के लड़किया भी उस से बात करने की हिम्मत नही जुटा पाते थी. क्लास मे भी सब नज़रे चुरा कर उसकी झलक से अपनी आँखे सेक लेते थे. ली भी नज़रे घुमा कर देख लेती तो सब झेंप कर नज़रे घुमा लेते. एक हफ्ते बाद कॉलेज मे क्लासस प्रॉपर्ली शुरू हो चुकी थी. विक्की और ली की एक ही क्लास थी. उन्ही की क्लास मे एक और लड़की थी नीता. एक दम सीधी सादी और काफ़ी सुंदर भी थी. केवल सलवार-सूट ही पहनती थी. अगर वो भी वेस्टर्न ड्रेस पहन लेती तो ली पर भारी पड़ती. हमारा विक्की तो पहले दिन ही उसको देख कर मोहित हो गया था. विक्की नीता के कॉलेज आने से पहले ही गेट पर आ जाता था ताकि नीता के दीदार कर सके. क्लास मे भी सभी लड़के जहा ली पर लत्तु थे वही विक्की की नज़रे नीता पर टिकी रहती. एक दो बार दोनो की नज़रे भी टकराई पर दोनो मे आगे बढ़ने की हिम्मत ही नही थी. ली ने भी ये कई बार नोटीस किया था. जब वो सब लड़को को खुद को ताकते हुए पाती तो उसे अजब सी संतुष्टि मिलती थी. बस ये एक ही था विक्की जिसकी नज़रे-इनायत को वो तरस गयी थी. क्लास मे और भी तो स्मार्ट और अमीर लड़के थे. किसी को भी लाइन दे देती तो अपना सब कुछ ली पर लुटाने को तैयार बैठे थे. पर ली का ध्यान तो अब विक्की पर ही अटक गया था. बाकी लड़को को तो वो कभी भी लाइन दे सकती थी. पर वो कहते है ना - इंसान को हमेशा दूर के ढोल ही सुहावने लगते है और दूसरे की थाली मे ही घी ज़्यादा दिखता है. हर बीतते दिन के साथ विक्की की नीता के प्रति और ली की विक्की के प्रति सम्मोहन बढ़ता ही जा रहा था. ली से लाइन ना मिलते देख ज़्यादातर लड़को ने भी दूसरी टाइमपास पटा ली थी. पर ली को चैन कहा था. उसे तो बस विक्की ही चाहिए था. हर कीमत पर. पर बेचारी करे तो क्या करे. इसी उधेड़-बुन मे लगी रहती की कैसे इस पत्थर को पटाए. आख़िरकार एक दिन उसने विक्की से बात करने की शुरूवात कर ही दी. ली- हाई..व्हाट ईज़ यू नेम ? विक्की- आइ एम विक्की. ली- यू विल नोट अस्क माइ नामे ? विक्की- होल कॉलेज नोस युवर नेम....ली ? ली- ओह नो...माइ नेम ईज़ अलीना. विक्की- अलीना....ओके ली- विल यू हेल्प मी... विक्की- या...इट विल बी माइ प्लेषर. ली- आइ हॅव टू गेट माइ लाइब्ररी टिकेट्स....विल यू हेल्प मी इन गेटिंग देम...प्लीज़ विक्की- ओह शुवर...वाइ नोट...लेट्स गो देअर नाउ. ली- इट्स 2.30 ऑलरेडी आंड लाइब्ररी हास बिन ऑलरेडी क्लोस्ड. विक्की- डोंट वरी वी विल गेट इट ऑन मंडे. ली- देअर् ईज़ ए प्राब्लम. लाइब्रेरियन इस गोयिंग ऑन लीव फ्रॉम मंडे. आइ हॅव टू कलेक्ट देम टॉममोरोव. कॅन यू कम टॉममोरोव ...प्लीज़ विक्की- उम्म्म्मम.....ओ के..लेट्स मीट टॉममोरोव. ली- सो स्वीट ऑफ यू...ओ के...बाइ. अलीना के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी. उधर विक्की के शरीर मे भी आळीन से बात करने के बाद चींतिया सी रेंगने लगी थी. अजीब सा नशा था अलीना मे. विक्की ने उसको कभी हाथ ना आने वाला अंगूर समझ कर कभी ध्यान ही नही दिया था. पर वो अंगूर खुद चल कर विक्की के पास आया था. कुछ समय के लिए नीता उसके दिमाग़ से निकल चुकी थी. और ली अब अलीना बन चुकी थी. मार्केट मे भी आया तो पता नही कहा खोया हुआ था. एक से एक मस्त माल मार्केट मे आया हुआ था पर किसी को भी देख कर साला उछला ही नही. बबलू और मैं समझ गये थे कि कुछ तो हुआ है कॉलेज मे. आशु- अबे ओ..पेट खराब है क्या... विक्की- नही तो. बबलू- तो क्यो मरे हुए चूहे जैसा मूह बना रखा है. विक्की- बस ऐसे ही. आशु- कॉलेज मे ऱगिन्ग का तो चक्कर नही है. बबलू- हा बोल दे तू. हम चल कर फोड़ देंगे जिसने भी तुझे छुआ हो. विक्की- अबे सालो मैं क्या मर गया हू जो तुमको बुलाउन्गा. हमने बहुत पूछा पर विक्की ने कुछ नही बताया. पर हम कहा मानने वाले थे. उसका पीछा नही छोड़ा. कुछ हुआ होता तो ही तो बेचारा बताता ना. आशु- अगर तेरे दिमाग़ मे कुछ भी उल्टा सीधा चल रहा होतो कुछ भी करने से पहले हमे ज़रूर बता दियो नही तो साले तुझे छोड़ेंगे नही. विक्की- ओके भाई कुछ भी होगा ज़रूर बता दूँगा. सॅटर्डे को कॉलेज मे क्लासस नही लगती थी पर बाकी कॉलेज पूरा खुला होता था. आड्मिनिस्टारेशन का काम तो होता ही था. इसके अलावा लाइब्ररी भी खुली रहती थी. पर चूँकि ये कॉलेज के शुरुवती दिन ही थे. इसलिए लाइब्ररी मे इक्का-दुक्का स्टूडेंट्स ही जाते थे. विक्की सुबह 9.30 बजे कॉलेज मे पहुच गया. रोज गुलजार रहने वाला कॉलेज आज एकदम वीरान पड़ा था. काफ़ी देर तक गेट पर खड़े रहने के बाद विक्की लाइब्ररी की ओर चल दिया. अलीना लाइब्ररी मे भी नही थी. विक्की वही लाइब्ररी मे बैठ गया. पर एक घंटा इंतेजर करने के बाद भी अलीना का कुछ पता नही था. विक्की ने सोचा की शायद अलीना ने उसके साथ मज़ाक किया है. धीरे-धीरे उसका पारा चढ़ने लगा. हर बढ़ते मिनिट के साथ उसका गुस्सा भी बढ़ रहा था. जब उस से रहा नही गया तो वो उठा और लाइब्ररी से बाहर निकल गया. लाइब्ररी से बाहर निकला ही था कि सामने कॉंपाउंड मे अलीना भागती हुई दिखाई दी. विक्की उसे आवाज़ लगाई तो वो उसी ओर आने लगी. जैसे वो मूडी तो विक्की के कदम ठिठक गये और आँखे फटी रह गयी. अलीना ने तो गजब कर रखा था. नीचे ब्लू जीन्स पहने रखी थी जो जहा तहा से ब्लेड मार कर काट रखी थी और उपर वाइट कलर की संडो डाला हुआ था. संडो का गला इतना डीप था की भागते हुई अलीना का कभी एक बूब उछालता दिखाई देता तो कभी दूसरा. गले मे एक चैन थी जिसका पेंडेंट उसकी क्लीवेज मे कही गुम हो गया था. विक्की ने इधर उधर देखा. गनीमत थी कि आज सॅटर्डे था. नही तो कॉलेज मे.... ...पता नही क्या होता. अलीना- उन्ह उन्ह....हांफ हांफ....सॉरी...हंफ....आइ आम लेट. इतना भागने के कारण उसकी वो बुरी तरह हाँफ रही थी. पर विक्की की नज़रे तो वही टिकी हुई थी जहा हर मर्द की अपने आप पहुच जाती है. अलीना की संडो वेस्ट मे से उसके निप्पलो का उभार साफ पता चल रहा था. अलीना ने संडो के नीचे ब्रा नही पहनी थी. एक तो अलीना की उन्चुयि जवानी उपर से उसकी कातिल हरकते...... हाए....ऐसा कातिल नज़ारा देख कर विक्की का दिल तो उछल कर अलीना के कदमो मे गिरने को बेकरार हो चला था. जो कुछ हो रहा था विक्की उसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही था. पर इसी को तो कहते है जवानी दीवानी. ....पता नही अलीना ऐसे कपड़े पहन कर क्यो आई है... उसने मुझे खाली कॉलेज मे अकेले क्यो बुलाया है.... कही अलीना मुझे लाइन तो नही दे रही...आख़िर क्या चाहती है वो मुझसे... क्या है उसके मन मे... यही सब ख़याल विक्की को उत्तेजित कर रहे थे.. अलीना- आर यू अंग्री...आइ आम सॉरी...प्लीज़ फर्गिव मी.. प्लीज़्ज़ज्ज्ज. विक्की- म..माफी क्यो माँग रही हो. आइ मीन. वाइ आर यू अपॉलोगीसिंग ? अलीना- इट वाज़ माइ ओन इंटेरेस्ट आंड आइ वेस्टेड युवर टाइम....सॉरी विक्की- फर्गेट इट...बट डॉन’ट योउ नो एनी हिन्दी... अलीना- नही नही...मुझे हिन्दी तो आती है बस इंग्लीश बोलने की आदत पड़ चुकी है. विक्की- ये हिन्दुस्तान है. यहा पर तो हिन्दी ही बोलनी चाहिए ना. अलीना- ओके बाबा.. हिन्दी ही बोलूँगी. पर क्या तुम मुझसे अब भी नाराज़ हो क्या ? विक्की- तुम्हे देख कर सब नाराज़गी दूर हो गयी...हा एक और बात...तुम बहुत सुंदर हो अलीना. अलीना- ओह... सो स्वीट ऑफ यू. यह सुन कर अलीना खुशी से चहकने लगी और विक्की के गले मे बाँहे डाल कर उसके गाल पर किस कर दिया. अलीना के निपल विक्की के छाती मे गढ़ गये थे. ये क्या हुआ....विक्की के तो होश ही उड़ गये. दिल की जगह नगाड़ा बजने लगा था. लंड तो पहले ही पिंजरे मे उछल कूद मचा रहा था पर अब आज़ाद होने को छटपटा रहा था. पहली बार किसी लड़की ने उसे किस किया था. बावला सा हो गया था. अलीना तो किस करके अलग हो चुकी थी पर बेचारा विक्की उसकी तान मे अब भी झूम रहा था. जब अलीना के चुंबन मे इतना सुख था तो आगे कितना आनंद मिलेगा.... हाए...विक्की अपने सपने से बाहर आना नही चाहता था. उसकी किस्मत मे तो अभी काफ़ी कुछ लिखा था.... क्रमशः....................
Reply
06-03-2018, 08:58 PM,
#18
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--17 गतान्क से आगे.................... अलीना का आलिंगन ही विक्की के होश उड़ाने के लिए काफ़ी था पर ये चुंबन...अफ...विक्की वाकई मे बावला हो चुका था. समझ नही पा रहा था कि अलीना की इस हरकत का क्या जवाब दे. बेचारा नया नया था ना इस लाइन मे अलीना- आर यू कमिंग ? पर शायद अलीना के लिए ये सब बिल्कुल सामान्य से बात थी. ऑस्ट्रेलिया मे तो किस करना आम बात है. ये सोच कर विक्की ने खुद को रोक लिया और उसका लंड भी काफ़ी समझदार निकला. विक्की- हा..श्योर अलीना- व्हेअर ईज़ दा लाइब्ररी ? विक्की- हियर....दिस वे... अलीना- ओह इट्स हियर....यू मेड इट सो ईज़ी फॉर मी. लेट्स गेट इन. अलीना लाइब्रेरियन के काउंटर के पास पहुचि तो वो वाहा पर नही था. उन्होने बेल बजाई तो अटेंडेंट आ गया. उसने बताया की लाइब्रेरियन की प्रिन्सिपल के साथ मीटिंग है. 15-20 मिनिट मे आ जाएँगे. यह कह कर अटेंडेंट चला गया. उसकी बात सुनकर दोनो ने एक दूसरे का मूह देखा और खिल्किलाकर हंस पड़े. फिर दोनो ने टाइम पास करने के लिए रॅक्स पर से 1-1 बुक उठा ली और रीडिंग सेक्षन की ओर चल पड़े. रीडिंग सेक्षन मे कोई नही था. वाहा पहुच कर विक्की ने अपनी बुक एक टेबल पर रखी और एक चेर को बैठने के लिए खीचा. अलीना ने भी अपनी बुक टेबल रखी पर बुक नीचे गिर पड़ी. विक्की बुक उठाता उससे पहले ही अलीना झुक गयी और विक्की को उसकी छाती पर टँगी नाश्पतियो के दर्शन हो गये. आक्षन का रिक्षन भी तुरंत हुआ. अलीना केबूब्स को देखकर तुरंत ही विक्की का लंड फिर से अंगड़ाइया लेता हुआ खड़ा हो गया. विक्की की पॅंट के आकार मे हुए इस परिवर्तन को अलीना ने भी देख लिया था. शायद इसी का तो अलीना को इंतेजार था. उसे पक्का हो गया कि विक्की अब उसकी जवानी पर मर मिटा है. अलीना- वॉट हॅपंड इन युवर पॅंट्स ? विक्की- नही नही ...कुछ भी तो नही.. विक्की सकपका गया था. जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो. पर अलीना ने उसकी पॅंट के उभार के उपर अपना हाथ रख दिया. अलीना- फिर ये क्या है...कोई प्राब्लम तो नही है या पर... विक्की- नही...ये...नही...कुछ भी तो नही.. विक्की थोड़ा पीछे हट गया और अलीना खड़ी हो कर उसकी तरफ बढ़ने लगी. अलीना- कही मुझसे तो परेशानी नही है....या मेरे कपड़ो से कुछ... विक्की- न्‍न्‍णणन् नई तो... अलीना- तो तुम मुझे से इतना दूर क्यो भाग रहे हो... अलीना की आवाज़ मे मादकता का पुट आता जा रहा था. उसने विक्की की शर्ट का कॉलर पकड़ लिया. विक्की की हालत को बयान करना मेरे बसकी नही है. बेचारा जल बिन मछली की तरह तड़प रहा था. उसे कुछ नही सूझा तो उसने अलीना के सिर को कस कर पकड़ लिया और अपने होठ उसके होंठो पर रख दिए. फिर क्या था. अलीना तो कब से इसी इंतेजार मे थी. जबरदस्त फ्रेंच किस का दौर शुरू हो गया. दोनो की जीबे एक दूसरे के मूह का मुआयना करने लगी. मदहोशी बढ़ती जा रही थी. अलीना ने विक्की के हाथ सिर से उतार कर अपनी छाती पर रख दिए और विक्की से लिपट सी गयी. अलीना की चुचिया विक्की की हथेलियो मे समा गयी. विक्की की तो जन्म-जन्मान्तर की इक्च्छा आज पूरी हो गयी थी. वो दोनो चुचियो को दबाने लगा. हाए... दोनो चुचिया टेन्निस की बॉल की तरह सख़्त थी पर दबाने मे नरम भी थी. शेप एकदम गोल था. हा साइज़ ज़रूर थोड़ा बड़ा था. पता नही कितनी देर आँखे बंद करके वो दोनो एक दूसरे की बाँहो मे लिपटे खड़े रहे और एक दूसरे के होंठो को चूस्ते रहे. थोड़ी देर बाद विक्की ने आँखे खोली और अलीना को प्यार से हिलाया पर वो टस से मस ना हुई. दोनो की जवानिया एक दूसरे मे समा जाने को बेताब हो रही थी. विक्की ने अलीना को पलट लिया और उसकी कमर को अपनी छाती से सटा लिया. अब विक्की को अलीना की चुचियो की सेवा करना आसान हो गया था. उसने एक हाथ संडो के गहरे गले मे से उसकी क्लीवेज मे सरका दिया. अलीना कुछ ना बोली...बस एक हल्की सिसकारी निकल गयी थी....पर विक्की का हाथ रुका नही. वो बढ़ता हुआ सीधे अलीना के चुचियो पर जाकर ही रुका. हाए...क्या चिकनी मलाई छाप थी. विक्की उनको दबाने से पहले पूरा हथेली मे भर कर होलो-होल सहलाने का लालच छोड़ नही पाया. अलीना के निपल एकदम कड़े हो चुके थे. जब तब दब जाते और अलीना की जान ही निकल जाती. विक्की का लंड फुल साइज़ तक फूल चुका था और जीन्स को फाड़ कर बाहर आने के लिए पूरा तैय्यार था. अलीना तो बस आँखे बंद कर के इंतेजार ही कर कर रही थी. उसने खुद ही तो जलते तवे पर हाथ रख दिया था. विक्की का दूसरा हाथ क्यो इस स्वर्गिय अनुभव से क्यो मरहूम रहता. वो भी घुस गया अलीना की संडो मे...पर नीचे से. अब अलीना की दोनो टेन्निस बॉल्स विक्की की क़ैद मे थे. विक्की के लिए अब रुकना असंभव हो रहा था. जब खरबूजा खुद काटने को तैय्यार हो तो चाकू को कहे की शरम. अलीना को ही कोई ऐतराज नही तो विक्की की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी. विक्की ने एक हाथ बाहर निकाल लिया और अलीना के मूह से सहलाते हुए उसकी जीन्स तक पहुच गया की तभी रीडिंग रूम तालियो और हँसी की आवाज़ो से गूँज उठा. लड़की 1- मान गये अलीना. लड़का 1- सुपर्ब. पटा लिया इसको भी तूने. लड़की 2- तू जीत गयी अलीना...ये ले तेरे 1000 रुपये. अलीना-मैने कहा था ना कि कोई लड़का मुझसे नही भाग सकता. मैं जिसे चाहू अपने कदमो मे गिरा सकती हू. लड़की3- यू आर ग्रेट अलीना. वी बो अट यू. लड़का2- हमे तो लगा कि तू ही पट गयी इस से. अलीना- इस से स्मार्ट तो हमारे नौकर है. ये तो बस मेरी शर्त का सवाल था. हा. विक्की हक्का बक्का रह गया था. उसे समझ नही आया कि वो रोए या हँसे. अलीना ने उसकी मासूमियत का मज़ाक बना दिया था वो भी पूरे कॉलेज के सामने. अलीना ने उसके दिल के साथ खेला था. बड़ी मुश्किल से उसने अपने आँसू रोके थे. उसने जब आख़िरी बार अलीना की ओर देखा तो उसकी हँसी विक्की के दिल मे काँटे की तरह चुभ गयी थी. विक्की शाम को साउत एक्स मार्केट भी नही आया था. सनडे को भी नही आया तो हम दोनो उसके घर पहुच गये. पर आंटी ने कहा कि वो कल से ही कमरे मे बंद है. तुम्हारी कोई लड़ाई तो नही हुई है. यह सुन कर हमने बहुत दरवाजा पीटा पर उसने नही खोला. मंडे को पूरे कॉलेज मे ये बात फैल चुकी थी. हर कोई विक्की को हिकारत की नज़र से देख रहा था कि कैसे अलीना ने उसको बुद्धू बनाया और वो जाल मे फँस गया. सबके साथ नीता को भी पता चल गया था. उसके बाद उसने उसने एक बार भी विक्की की ओर नही देखा था. कुछ दिन बीतने के साथ कॉलेज तो सब भूल गया पर नीता नही भूली. अलीना ने ना केवल विक्की के साथ भद्दा मज़ाक किया था बल्कि नीता को भी उस से दूर कर दिया था...शायद सदा के लिए. पहला प्यार जिंदगी भर का नासूर बन जाता है. जिंदगी भर तड़पता है. विक्की भी तड़प रहा था. उसकी अंजाने मे हुई ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा ??? क्या समझा होगा नीता ने. बॅकिकॉलेज की उसे परवाह नही थी. उन दोनो के पनपते प्यार के अंकुर को अलीना ने बड़ी बेरहमी से कुचल दिया था. आख़िर एक दिन विक्की हमारे पास आया. हमारे कुछ बोलने से पहले ही उसकी रुलाई फुट पड़ी. उसका रोना देख कर हम दोनो भौचक्के रह गये थे. अकेला 5-7 को पीट देने वाला विक्की आख़िर किस बात से इतना टूट गया था की इस तरह बिलख रहा था. हमेशा उसने ही हमे हर मुसीबत से बचाया था. आज वो ही मुसीबत मे था. जिगरी दोस्त की आँखो मे आँसू देख कर हम दोनो की आँखे भी भर आई थी. आशु- कमीने क्या हो गया तुझे, बता तो सही. बबलू- खुद भी रो रहा है और हमे भी रुला रहा है. बताता क्यो नही की क्या हुआ है. पर वो रोता ही रहा. आशु ने एक पानी की बॉटल ली और उसको पिला कर उसका मूह धुल्वाया. इसके बाद वो थोडा संयत हुआ और अपनी आपबीती सुनने लगा. बबलू- भोंसड़ी के! अब तक कहा गंद मरा रहा था. आशु- इसको बाद मे गाली दियो...पहले उस लड़की की सोच. बबलू- उस हरम्जदि का तो खानदान चोद देंगे हम. कामिनजादि...ब*ह*न की लोदी...साली...(बाकी गलिया नही लिख रहा हू, बहुत ही गंदी थी ) आशु- उसके खानदान को क्यो बीच मे लाता है...वो खुद ही चुदेगि...वो भी हमारा विक्की ही तोड़ेगा उसकी चूत को... बबलू- केवल चूत नही...हर छेद चुदेगा उसका. आशु- हमारे दोस्त की बे-इज़्ज़ती का मज़ा तो चखना पड़ेगा ना. बबलू- अगर बदला ना लिया तो धिक्कार है हमारी दोस्ती पे............ हमारी बातो से मिली राहत विक्की के चेहरे से झलक रही थी. आत्म-ग्लानि की भावना अब प्रतिशोद की ज्वाला मे बदल चुकी थी. चाहे जो भी हो जाता पर अलीना को अब खुदा भी नही बचा सकता था. क्रमशः............................
Reply
06-03-2018, 08:58 PM,
#19
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--18 गतान्क से आगे.................... अलीना को पहली बार देखते ही हम दोनो भी फ्लॅट हो गये थे. कॉलेज के बाद अलीना को बाहर कार तक जाते हुए हमने देख लिया था. बबलू- अबे साले ये लड़की है या आटम बॉम्ब है. तभी मैं कहु की हमारा बॉल-ब्रह्मचारी कैसे फँस गया इसके जाल मे. विक्की- सालो पूरा कॉलेज लत्तु है इसके पीछे. इसके एक इशारे पर लड़के सब कुछ लूटने को तैयार बैठे है. आशु- पर बेटा इसने तो तुझसे ही अपनी चुचियो को दब्वाया था ना. बबलू- ये बात तो है. साले ने मज़ा तो अकेले अकेले ले लिया. और फिर आ गया हमारे पास... हमारी बतो से विक्की को फिर वही लाइब्ररी मे हुई उसकी फ़ज़ीहत का सीन याद आ गया था और उसका मूड ऑफ हो रहा था. मैने बबलू को चुप रहनेक़ा इशारा किया. तभी अलीना की कार जाने लगी तो हम भी उसका पीछा करने लगे. वीकडेस मे लगभग रोज ही कॉलेज के बाद हम तीनो बबलू की कॅलिबर पर अलीना की कार के पीछे हो लेते थे. अलीना का गवरमेंट. बंग्लॉ चाणकया पूरी मे था. कार सीधे गेट मे घुस जाती फिर बस. आगे कोई रास्ता नही था. कॉलेज मे उसे छेड़ भी नही सकते थे. धीरे-धीरे हमने उसके बंग्लॉ के चोकीदार बहादुर से मेल-जोल बढ़ाया. साले को रोज राजदरबार गुटखे के 5 पाउच की रिश्वत देनी पड़ती थी. वो भी समझता था कि हम अलीना के पीछे पड़े है. हफ्ते भर मे ही हमने उस से अलीना के बारे मे काफ़ी कुछ पता कर लिया था. अलीना के पापा हमेशा टूर पर रहते थे. कभी इस देश मे तो कभी उस देश मे. अलीना के इस गोरे जिस्म का राज भी हमको पता चल गया था. दरअसल उसकी मम्मी रोमेनियन थी. जब अलीना के पापा की पोस्टिंग रोमेनिया मे हुई थी तो सोफीया नाम की लोकल लड़की से उनको प्रेम हो गया और फिर शादी. इंडो-रोमेनियन पैदाइश थी अलीना. पर सोफीया आंटी के आगे तो उसकी जवानी पानी भरती थी. हालाँकि हमने कभी उनकी झलक भी नही देखी थी. बहादुर ने ही बताया था. हम मौके की फिराक मे थे. तभी अचानक अलीना 3-4 दिन कॉलेज नही आई तो हम परेशन हो गये. कही उसके पापा का ट्रान्स्फर तो नही हो गया. हमसे रहा नही गया तो एक दिन तीनो कॉलेज के बाद सीधे बहादुर के पास पहुचे गये. बबलू- अबे साले तुझे इतना माल खिला चुके है...पर अब तक कोई भी काम की बात नही बताई तूने. बहादुर- सब कुछ तो बता दिया साहब. इस से ज़्यादा क्या बताउ. आशु- भाई ये अलीना कहा गायब हो गयी अचानक ? बहादुर- मुझे तो पता नही की कहा गयी. हा मैने भी कई दिन से उनको बाहर जाते नही देखा.....अरे अरे साइड हो जाओ...बड़ी मेम की गाड़ी आ रही है.... तभी एक वाइट अंबासडर कार जिसपर विदेश मंत्रलया, भारत सरकार लिखा था वाहा आकर रुकी. पीछे का ग्लास नीचे हुआ और एक 40 साल की महिला दिखाई दी. ये सोफीया आंटी ही थी. बहादुर की बातो पर विश्वास नही हुआ था की अलीना की मा उससे भी सुंदर है. सोफीया आंटी को देखते ही हम तीनो के लंड तंन से खड़े हो गये थे. सोफीया- क्या बात है बहादुर. कौन है ये तीनो. आशु- गुड ईव्निंग आंटी. हम अलीना के क्लासमेट्स है. अलीना कई दिन से कॉलेज नही आई तो उसका हाल जानने के लिए आए थे. सोफीया- ओह्ह तो तुम अलीना के क्लासमेट हो. बहादुर इनको अंदर ड्रॉयिंग रूम मे बिठाओ. अपनी यादो मे खोए विक्की को बीच पर चलते चलते अचानक ठोकर लगी. वो गिरते गिरते बचा था. उसने घड़ी देखी तो 3 बज चुके थे. फिर उसने तेज़ी से बाहर की ओर कदम बढ़ा दिए. ठीक 4 बजे वो प्रेम स्टूडियो के बाहर खड़ा था. अंदर जाकर उसने रिसेप्षनिस्ट को अपना जॉब-कार्ड दिया और कहा की वो असिस्टेंट कॅमरामेन की जॉब के लिए आया है. रिसेप्षनिस्ट ने उसे देखा और थोड़ी देर वेट करने को कहा. विक्की वाहा रखे सोफे पर बैठ गया. वाहा पर 2 मस्त लड़किया भी बैठी थी. पर उसने ध्यान नही दिया. रिसेप्षनिस्ट- मिस्टर. विक्की आप 3र्ड फ्लोर पर रूम नो. 311 मे चले जाइए. विक्की उठा और रिसेप्षनिस्ट के बताए कमरे की ओर चल दिया. पूरी बिल्डिंग मे फ़िल्मो के पोस्टर लगे थे. वो लिफ्ट मे घुसा और 3 का बटन दबा दिया. थर्ड फ्लोर पर एक गॅलरी थी और लाइन से दोनो और कमरे थे. 311 के आगे पहुच कर उसने नॉक किया तो आवाज़ आई- कम इन. विक्की कमरे मे घुस गया. बेहद आलीशान कमरा था. उस रूम मे एक तरफ 4-5 बड़े से सोफे लगे थे. रूम के अंदर मैं डोर के अलावा भी डोर थे. एक बड़ी सी टेबल भी थी तो जिस साथ चेर पर एक आदमी बैठा सिगरेट के कश लगा रहा था. विक्की- सर मैं असिस्टेंट कॅमरामेन के काम के लिए आया हू. सर- हा क्या नाम है तुम्हारा. विक्की- सर विक्की. सर- विक्की बाबू आओ इधर बैठो. पहले कभी कही काम किया है ? विक्की- जी नही इसीलिए तो असिस्टेंट की नौकरी ढूँढ रहा हू. सर- अच्छा अच्छा. फिर उन्होने टेलिफोन का एक बटन दबाया. सर- रोज़ी. रोज़ी- एस सर. सर- वो आडिशन के लिए लड़किया बुलाई थी....वो आ गयी. रोज़ी- एस सर. 2 लड़किया आई है. सर- ठीक है 1 को अंदर भेज दो और कमू जी, बशु जी और सोनी जी को भी अंदर भेज देना. रोज़ी- ओके सर. 10 मिनिट बाद ही नीचे बैठी लड़कियो मे से एक उस कमरे मे थी. बाकी तीनो व्यक्ति भी कमरे मे आ गये थे. तीनो ही एक से एक छटे हुए बदमाश लग रहे थे. कमीनपन चेहरे से ही टपक रहा था. तीनो खा जाने वाली नज़ारो से उस लड़की को देख रहे थे. बार बार जीभ लॅप-लपा रही थी. लड़की- गुड ईव्निंग मनी सर. मनी सर- ओह गुड ईव्निंग. सेलिना नाम है तुम्हारा. लड़की- एस सर. आपको मेरा नाम भी याद है. लड़की कुछ ज़्यादा ही चहक रही थी. मनी सर- हा कामिनी मेडम ने बताया था. इन से मिलो ये है कमू जी, बशु जी, सोनी जी और विक्की. सेलिना- हेलो सर. सेलिना- हा तो आप आडिशन देने आई है. लड़की- एस सर. सेलिना- देखिए मिस सेलिना. हमारी कंपनी एक दम हट के फिल्म बनाती है. ये करिश्मा, मधुरी, और रवीना सभी को हमने ही लॉंच किया था. आज ये सभी टॉप की हीरोयिन बन चुकी है. सेलिना- जी सर. मनी सर- आप बताइए की आप क्या कर सकती है. सेलिना- जी मुझे कत्थक आता है और भारतनाट्टयम भी. चारो ज़ोर से हंस पड़े. पर विक्की चुपचाप बैठा रहा. बशु- मेडम आप कौन से जमाने मे हो. अब लोग सिनिमा हॉल मे कत्थक-वात्थक नही हेरोएनो का माल देखने जाते है. कमू- मेडम आपको आक्टिंग भी आती है ? सेलिना को ऐसी रेस्पॉन्स की उम्मीद नही थी. उसके चेहरे का रंग उड़ने लगा था. सेलिना- सर यस सर. मैं हर तरह की आक्टिंग कर सकती हू. मनी सर- देखो सेलिना. ये सब इतना आसान नही है. मैने बहुत लड़किया देखी है जो दावे तो बड़े बड़े करती है पर कॅमरा के सामने जाने के बाद छुई-मुई बन जाती है. इस लाइन का उसूल है कि जिसने की शरम उसके फुट करम. तुमने इस साल रिलीस हुई बूम फिल्म देखी है. सेलिना- जी. मनी सर- उसमे देखा तुमने कि नई लड़कियो को कैसे अंग-प्रदर्शन करना पड़ता है. सेलिना- जी सर. मानी- क्या तुम बिकिनी पहन सकती हो ? सेलिना- जी मैं वो... अब तक चुप बैठा कमू बोला- मनी सर..मुझे तो नही लगता कि ये हमारी अगली फिल्म मे काम कर पाएगी. यह सुनकर सेलिना का रहा सहा दम भी निकल गया. वो ये चान्स नही छोड़ सकती थी. उसके मूह से निकल ही गया. सेलिना- सर मैं तैइय्यार हू. बशु- सोच लो फ़िल्मो मे काफ़ी कुछ दिखाना पड़ता है. सारी हिचक छोड़ कर ही आगे कदम बढ़ाना. कही आईं मौके पर तुम भी धिसल जाओ. सोनी- हा भाई हमारे करोड़ो रुपयो का सवाल है. सेलिना- सर आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूँगी. मुझे बस एक बार मौका देकर तो देखिए. कमू- मनी भाई आप भी ना...किसी को भी बुला लेते हो. एक्सट्रा का रोल दे दो ना. सेलिना- सर प्लीज़ एक बार आडिशन तो ले लीजिए. मनी- कामिनी मेडम की बात को टाल भी तो नही सकता था ना. जब ये खुद कह रही तो तुम एक बार आडिशन लेकर भी देख लो भाई. बशु- जैसा आप कहे मनी भाई. चलो मैं तुम्हे आडिशन के लिए हमारी फिल्म का प्लॉट समझता हू. उन दोनो की बाते ने संजीवनी का काम किया. वो फुर्ती से खड़ी हो गयी और बशु के पीछे हो ली. मनी- सुनो विक्की. विक्की- जी सर. मनी- तुम्हारा भी आडिशन साथ मे हो जाएगा. तुम भी जाकर आडिशन रूम मे कॅमरा वग़ैरह चेकककर लो. विक्की- जी सर. आडिशन रूम मे पहुच कर विक्की सीधे कॅमरा के पास चला गया. आडिशन रूम के साथ मे ही एक अब्ज़र्वेशन रूम भी था. सेलिना और बशु उसी कमरे मे थे. दोनो कमरो के बीच की दीवार मे बड़ी सी विंडो थी. दोनो की बातचीत की आवाज़े विक्की के कम मे भी पड़ रही थी. बशु- तो शुरू करे....सेलिना ? सेलिना- यस सर. बशु- देखो हमारी फिल्म एक सस्पेनस थ्रिलर रिवेंज मिस्टरी है. फिल्म की कहानी गोआ मे शुरू होती है. हीरोयिन विदेश से इंडिया मे अपने एक इंडियन इंटरनेट बाय्फ्रेंड से मिलने आती है. वाहा पर किसी एंपी के बेटे हीरोयिन का किडनॅप करके 1 महीने तक उसका रेप करते है. उसके किडनॅप मे लड़की के उसके बाय्फ्रेंड का भी हाथ होता है. आगे वो उसे बेचने वाले होते है पर, हीरोयिन उनसे छूट कर भाग जाती है. उसके बाद वो मार्षल आर्ट्स की ट्रैनिंग लेती है और उन लोगो से बदला लेती है. सेलिना (चहकते हुए)- सर प्लॉट तो बहुत अच्छी है. सूपर ड्यूपर हिट होगी. बशु- हा फिल्म मे हीरोयिन का बहुत ही चॅलेंजिंग रोल है....तुम कर पओगि... सेलिना- सर म...मैं कर लूँगी...सर आप मुझ पर विश्वास कीजिए. बशु- मेरे विश्वास करने से क्या होता है. तुमको आडिशन मे अपनी केपबिलिटी साबित करनी होगी. डाइरेक्टर और प्रोड्यूसर का दिल जीतना होगा. सेलिना- सर आप एक बार आडिशन तो लीजिए. बशु- देखो अभी तुमको रेप सीन का ही आडिशन देना है. क्योकि इसी पर पूरी फिल्म टिकी है. सेलिना- सर आपका मुझ पर बड़ा एहसान होगा. ऐसी आक्टिंग करूँगी की एक दम असली लगेगा. बशु- मनी सर को असली ही चाहिए. वो तो सारे स्टंट भी हीरो- हीरोयिन से करवाते है. सेलिना- जी बशु- सोनी सर और बाकी लोग तुम्हारे साथ रेप सीन करेंगे. मनी सर यहा से देखेंगे. सेलिना- जी. बशु- ठीक है तो वाहा जाकर कॉस्ट्यूम पहन लो. मैं तब तक बाकी तैय्यारि कर लेता हू. सेलिना- ओक सिर. इसके बाद बशु विक्की के पास पहुच जाता है. बशु- हा भाई कॅमरा का मामला सब समझ लिया है ना. आज तुम्हारा भी तो आडिशन है ना. विक्की- सर मैं बिल्कुल तैय्यार हू. लाइट्स वग़ैरह भी सब देख लिया है. आप कभी भी शुरू कर सकते है. बशु- अब देखो एक रेप सीन की शूटिंग होगी. विक्की- जी सर मैने आपकी बात सुन ली थी. बशु- वेल डन माइ बॉय. तुमने तो पहले ही दिन मेरा दिल जीत लिया. अब ये तुम पर है कि तुम किस-किस आंगल से शॉट लेते हो जिससे सीन एक दम हॉट लगे. विक्की- ठीक है सर. क्रमशः........................
Reply
06-03-2018, 08:58 PM,
#20
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--19 गतान्क से आगे.................... कॉस्ट्यूम के नाम पर एक बिकिनी टाइप की कुछ चीज़ रखी थी. बेचारी ने हा तो कर दी थी पर डर भी लग रहा था. उसे समझ नही आ रहा था की इस चीज़ को कैसे पहने. उसने अपने कपड़े उतार कर उस कॉस्ट्यूम को जैसे तैसे फँसा लिया था. 10 मिनिट बीत जाने के बाद बशु उसके मेकप रूम के बाहर पहुच गया. नॉक नॉक... सेलिना- क...कौन है. बशु- मैं हू बशु. सेलिना- सर मैं अभी चेंज नही कर पाई हू. बशु- क्यो क्या हुआ ? तुम गेट तो खोलो. सेलिना- सर मैने अभी कपड़े नही पहने है. बशु- अरे कोई कपड़ा डाल लो. इस तरह शरमाती रहोगी तो हो लिया आडिशन... यह सुन कर सेलिना ने गेट खोल दिया. उसने वाहा रखा एक टवल बाँध लिया था. उसके गोरे-गोरे कंधे और हाथ दूधिया लाइट मे चमक रहे थे. नंगी गोरी पतली-पतली टाँगो के उपर सफेद टवल मे लिपटी सेलिना बला की सेक्सी लग रही थी. उसे देखते ही बशु के 50 साल के लंड मे सुरसुरी सी दौड़ गयी थी. बशु- देर क्यो कर रही हो. वाहा आडिशन की सब तैय्यारिया पूरी हो चुकी है. सेलिना- सर ये देखिए ना. कितनी छोटी सी ड्रेस है. इसमे तो कुछ ढक ही नही रहा है. बशु- बेबी...जितना ज़्यादा एक्सपोज़ करोगी उतना ही पब्लिक हाथो-हाथ लेगी. सेलिना- पर सर इस से तो मेरे आधे से ज़्यादा बूब्स बाहर दिखे दे रहे है. बशु- यही तो हमारी हमारी इंडस्ट्री का उसूल है कि "जो दिखता है वो बिकता है". सेलिना- पर ये तो मुझसे पहना ही नही जा रहा. बशु- कोई बात नही मैं हू ना. तुम मुझे अपना ही समझो. जाओ जाकर चेंज कर के आओ. कोई दिक्कत होगी तो मैं ठीक करा दूँगा. सेलिना- ओके अंकल. बशु- यहा कोई तुम्हारा अंकल-वंकले नही है. सबको नाम लेकर बोलना यहा. ये इस इंडस्ट्री का पहला उसूल है. यहा कोई सगा नही होता है. सेलिना- ऑश...सॉरी...बशु जी. बशु- हा ये ठीक है. सेलिना वो ड्रेस उठा कर साथ वाले वॉशरूम मे भाग गयी और बशु वही खड़ा सेलिना के जल्वो की कल्पना करने लगा. पर उस ड्रेस को पहनने मे वक्त ही कितना लगना था. 2 मिनिट बाद ही सेलिना टवल लपेटे बाहर आ गयी. बशु- अरे ड्रेस नही पहनी ? सेलिना- पहनी तो है. ये कह कर सेलिना ने टवल नीचे गिरा दिया. ....बेचारे बशु के दिल ने तो जैसे धड़कना ही बंद कर दिया था. गजरी (कॅरोट) रंग की छोटी सी थॉंग बिकनी मे सेलिना का मचलता हुआ यौवन यहा वाहा से झलक रहा था. बेचारी सही तो कह रही थी. उसके बूब्स उस छोटी सी ड्रेस मे कहा समा सकते थे. उस कमरे मे वो दोनो अकेले ही थे. बशु कुछ भी कर सकता था. उसका बूढ़ा होचुका लंड करमरा रहा था. पर उसने खुद को जाने कैसे रोक रखा था. बशु- ड्रेस एक दम ठीक तो है. चलो अब...बहुत देर हो गयी है. सेलिना- ऐसे कैसे आडिशन रूम तक जाउन्गी. रास्ते मे कोई देख लेगा तो. बशु- ओफफ़ो...जहा ये ड्रेस रखी थी...वही पर एक टवल गाउन भी तो रखा होगा. सेलिना- जी हा. बशु- बस वही डाल लो इसके उपर. सेलिना- जी. 5 मिनिट मे दोनो सीधे आडिशन रूम मे पहुच गये. आडिशन रूम मे मनी, सोनी और कमू आ चुके थे और विक्की तो वाहा पहले से था ही. बशु और सेलिना के पहुचते ही मनी बोला- सेलिना जी...अभी आप स्टार बनी नही कि नखरे पहले शुरू हो गये. यह सुन कर बेचारी सेलिना का दिल सहम गया. यह देख कर बशु बोला- मनी जी, वो कॉस्ट्यूम मे थोड़ी दिक्कत आ रही थी. वो मैने सॉर्ट आउट कर दी. अब कोई प्राब्लम नही है. बशु की बात से सेलिना की सांस मे सांस आई. कमू- (मन ही मन) कमीना साला सब हेरोएनो के कॉस्ट्यूम ये ही सेट करता है. हमे तो कभी मौका ही नही मिल पाता. मनी- सेलिना जी आपको बशु जी ने हमारी फिल्म का प्लॉट तो समझा ही दिया है. अब जो आडिशन मे सीन करना है...उसको ठीक समझ लीजिए. सेलिना- बताइए. मानी- देखिए सीन कुछ इस तरह शुरू होता है...आप समुंदर से नहा कर सुंबत चेर पर आकर सन बाथ लेने लगती है.... ..... .... समझ गयी आप. सेलिना- जी सर. मानी- फिर कुछ लड़के आकर आपको छेड़ने लगते है. बीच पर ज़्यादा चहल-पहल नही होती इसका फायेदा उठा कर आपसे रेप करते है. सेलिना- जी मैं समझ गयी. मानी- पर्फेक्ट...डाइलॉग आप खुद अपने मन से बना कर बोल दीजिएगा. चलिए अब शुरू करे. आप प्लीज़ कॉस्ट्यूम मे आ जाइए और इस सुंबत चेर पर लेट जाइए. मेरे आक्षन कहते ही सीन शुरू हो जाएगा. सेलिना ने कमरे मे नज़र दौड़ाई. उसके अलावा वाहा अब कुल 4 जान थे. मनी जी तो कमरे से निकल कर अब्ज़र्वेशन रूम मे चले गये थे. सेलिना ने सकुचाते हुए अपने गाउन की बेल्ट खोली और उसे नीचे गिरा दिया. गाउन का नीचे गिरना था कि अचानक उस कमरे मे 4 तंबू तन गये. हालाँकि सोनी, कमू और बसु के लिए कोई नई बात नही थी. आडिशन मे लड़कियो को ऐसे कपड़ो मे देखने की उनको आदत सी थी. पर इस सेलिना की तो बात ही कुछ अलग थी. उसके अंग-अंग से मादकता झलक रही थी. उधर विक्की का कॅमरा भी सेलिना का क्लोज़-अप ले रहा था. उसका हर एक कटाव और गहराई उसको दूर से ही दिखाई दे रहा था. अलीना और उसकी मा की याद ताज़ा हो आई थी. उसका लंड भी सेलिना के मादक हुस्न को सलामी देने उठ खड़ा हुआ था. सेलिना धीरे धीरे नज़ाकत से जाकर सुंबत चेर पर लेट गयी. उसने एक टांग सीधी रखी और दूसरे का घुटना मोड़ लिया. चेर की और जाते वक्त उसके मम्मे धमक के साथ उठते और फिर वापस थम जाते. उन तीनो के अधेड़ उम्र वालो के दिलो की धड़कन हर धमक के साथ बढ़ती जा रही थी. मनी- लाइट्स.........कॅमरा.........आक्षन कमरे मे बाकी जगह अंधेरा हो गया और केवल सेट पर रोशनी पड़ रही थी. सेलिना चेर पर आँख बंद करके लेटी हुई थी. बशु, सोनी और कमू को लड़को का रोल अदा करना था. सबसे पहले सोनी सेलिना के पास पहुचा. सेलिना के बूब्स उभर कर थॉंग-बिकिनी से बाहर निकल जाने को आतुर हो रहे थे, पर सेलिना ने इस तरफ ध्यान नही दिया. उसे तो बस आडिशन की धुन सवार थी. सोनी- मेडम....मसाज... सेलिना- नो....नही चाहिए... सोनी- मेडम बहुत बढ़िया मसाज करते है. सेलिना- कहा ना नही करवाना... सोनी- मेडम इतनी अच्छी धूप खिली है. आपको सन बात मे मज़ा आएगा. सेलिना- ओह हो...तुम जाओ ...मुझे परेशान मत करो. तभी कमू वाहा पहुचा. कमू- मेडम बस 100 रुपये की तो बात है. सेलिना- मुझे नही करवाना. फिर बशु भी वाहा पहुच गया. बशु- मेडम आपको बहुत अच्छा लगेगा. सेलिना- मेरी मर्ज़ी है कर्वाउ या नही. सोनी- मेडम आपकी सेक्सी बॉडी को एक दम चमका देंगे. कमू- मेडम 3 आदमी के 100 रुपये दे तो रहे है. सेलिना- दे रहे है मतलब ??? सोनी- मेडम हम आपका मसाज करेंगे और 100 रुपये भी देंगे. सेलिना- आइई...मैं वैसी लड़की नही हू... कमू- साली ऐसी ड्रेस पहन कर बीच पर अकेले मे लेटी है और कहती है कि मैं ऐसी-वैसी लड़की नही हू. बशु- साली बहुत भाव खा रही है..... सोनी- पकडो साली के हाथ और पैर...मैं बनाता हू इसको वैसी लड़की. इतना सुनते ही बशु ने एक हाथ से सेलिना के दोनो कलाइया पकड़ ली और दूसरे से उसके मूह पर हाथ रख दिया. कमू ने सेलिना की दोनो टाँगे पकड़ कर खोल ली और ज़मीन पर बैठ गया. और सोनी उसकी दोनो टाँगो के बीच आ कर खड़ा हो गया. क्लॅप क्लॅप क्लॅप मनी- कट...फॅंटॅस्टिक. पर तभी मनी जी के मोबाइल की रिंग बजी और वो अब्ज़र्वेशन रूम से बाहर निकल गये. मनी सर तो चले गये पर यहा तीनो थरकि बूढो ने दूसरे ही तरह से सेलिना का ऑडिटिशन लेने का प्लान बना लिया था. तीनो ने आँखो ही आँखो मे एक दूसरे को इशारा किया. बेचारी सेलिना को भी कुछ समझ नही आ रहा था. वो इस सब को स्क्रिप्ट का ही पार्ट समझ रही थी. उधर विक्की बेचारा बस कॅमरा से शूट किए जा रहा था. समझ मे उसकी भी कुछ नही आ रहा था. सेलिना- सर क्या बात है. मनी सर कट बोल कर चले क्यो गये ? वो नाराज़ हो गये क्या ? तीनो तो सेलिना को गुमराह करने और अधिक बोल्डनेस दिखाने को उकसाने का मौका मिल गया था. सोनी- देखो अभी तक तुमहरि आक्टिंग बेहद साधारण ही थी. थोड़ा बोल्डनेस लाओ बेबी...बोल्डनेस. बशु- बिल्कुल....थोड़ा और ज़ोर लगाओ बेबी....तभी बात बनेगी. और ऐसे छुपा क्या रही हो. तुम तो बिल्कुल बिंदास हो जाओ......अगले आधे घंटे के लिए. और ना ना करने के अलावा भी तो कुछ डाइलॉग बोलो ना. ताकि लगे की तुम्हारा रेप सीन चल रहा है. सेलिना- ठीक है सर. अब मैं आपको शिकायत का मौका नही दूँगी. कमू- चलो ठीक है मैं आक्षन बोलता हू. सब तैय्यार........कीप रोलिंग.......आक्षन. यहा तीनो बूढो की थरक अब छलकने ही वाली थी. थोड़ी देर और हो जाती तो शायद उनके लंड खुद-ब-खुद अपना रस उगल देते. सेलिना का गोरा जिस्म उनके सामने दावत की मेज की तरह सज़ा था और तीनो भूखे भेड़ियो की तरह उस पर टूट पड़े थे. बशु ने सेलिना के दोनो हाथ पकड़ लिए और कमू ने पैर. सोनी तो पहले ही सेलिना की खुली हुई टाँगो के बीच खड़ा था. सोनी- साली हमसे नखरा करती है. क्या करने आई थी तू हिन्दुस्तान...आप्ने आशिक से चुदने...हमारी भी प्यास बुझा दे छमिया....एक बार की तो बात है.... ये कहते हुए सोनी बेचारी सेलिना की कमसिन शरीर पर झुक गया और यहा वाहा अपना बालो से भरे चेहरे से चूमने लगा. सेलिना ने भी डेयिलॉग मारा- छोड़ दो मुझे कुत्तो...मेरा बाय्फ्रेंड तुम्हे जिंदा नही छोड़ेगा....छोड़ दो....बचाओ सोनी थोड़ा पीछे हुआ और सेलिना के आध-नंगे मम्मो को अपने हाथो से दबाने लगा. फिर उसने दोनो बूब्स को बिकिनी के कप सरका कर आज़ाद कर दिया. सेलिना ने फिर डाइलॉग मारा- बचाओ मुझे....कोई है...हेल्प.... सेलिना के बीच बीच मे डाइलॉग बोलने से तीनो की थरक और भड़क जाती और लंड फुफ्कारने लगते. अब सोनी ने सेलिना के दोनो निपल पकड़ लिए और उन्हे बुरी तरह मसल्ने लगा. सेलिना बुरी तरह बिदक गयी. सेलिना- आआआआआआईयईईईईईईईईईईईईययययययययययईईईईई.......छोड़ दो मुझे...भगवान के लिए.......... सोनी ने उसके निपल छोड़ दिए और उसकी ड्रेस की डोरी आगे से खोल दी. फिर दोनो स्ट्रॅप पकड़ कर ज़ोर खीच दिए. हर बढ़ते पल के साथ पाँचो के दिल की धड़कने भी बढ़ती जा रही थी. हालाँकि सब्केदिल धड़कने के कारण अलग अलग थे. खाट.....खाट.......खाट ........... करके उसकी ड्रेस 2 भागो मे फट गयी. सेलिना के शरीर काथोड़ा बहुत छुपा हुआ हिस्सा भी उजागर हो गया. सेलिना- सर ये क्या... बशु- बेबी ये रेप सीन ऐसे ही शूट होता है...ज़्यादा वल्गर हिस्सो को बाद मे एडिट कर देते है. और तुम सीन चलने दो बहुत अच्छा कर रही हो. अब डिस्टर्ब मत करना. सेलिना का मूह फिर बंद हो गया. बेचारी ने कभी रेप सीन की क्या नॉर्मल सेक्स सीन की भी शूटिंग नही देखी थी. जैसा इन तीनो ने गाइड किया था वैसा ही मानना सेलिना की मजबूरी थी. इधर सेलिना की चूत के बॉल भी दिखने लगे थे. सोनी सेलिना के गोरे चिकने जिस्म पर हाथ फिराने लगा. थोड़ी ही देर उसका हाथ सेलिना की झांतो तक पहुच गये. सोनी ने एक बार फिर सेलिना की चिथड़े हो चुकी ड्रेस को पकड़ा और ज़ोरसे सेलिना के शरीर से अलग कर दिया. अब सेलिना की चूत की फांके भी बालो के बीच मे से झाँकने लगी थी. सेलिना की टाँगे पकड़ कर नीचे बैठा कमू अपने सामने सेलिना की सुंदर चूत को देख कर खुद को रोक नही पाया और उसकी चूत पर अपना मूह लगा कर उसमे अपनी जीभ यहा वाहा फिराने लगा. क्रमशः.........................
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,453,024 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,967 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,212,790 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 916,812 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,625,306 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,058,079 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,912,469 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,929,454 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,982,471 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,359 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)